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मैं विकाश गुजरात से अपको एक सच्ची Hindi sex stories बताने जा रहा हूं, जो मेरे साथ हुई थी, मेरी एक मौसी बहुत ही सेक्सी और मस्त लेकिन मैंने उनको कभी इस नज़रों से देखा नहीं था, लेकिन एक दिन की बात, मैं गर्मियों की छुट्टियों में उनके घर गया था अकेला, उनके परिवार में वो, मेरी मौसाजी और एक छोटी लड़की थी, मौसी देखने में गोरी, चिट्टी और बहुत सेक्सी थी, उनका फ़ीगर 38-32-38 था थोड़ी मोटी थी लेकिन अच्छी थी उनकी उमर 45 साल थी।
एक दिन मौसाजी किसी काम से बाहर गये थे घर में मैं और मौसी और उनकी लड़की जो 4 साल की थी इतने ही लोग थे, मैं बाहर खेल के लौटा तकरीबन 9 बजे थे उनकी बेटी सो गयी थी तब, मौसी बोली बेटा आज बहुत गर्मी है जाओ नहा लो!
मैंने कहा नहीं मैं बहुत थक चुका हूं.
वो बोली- नहीं चलो, मैं तुम्हे नहलाती हूं चलो!
और वो आ गयी बाथरूम में, उन्होंने मेरी शर्ट निकाल दी, और पैंट भी, अब मैं सिर्फ़ अपनी निक्कर में था, मौसी उसे भी निकालने जा रही थी मैंने कहा नहीं मौसी मुझे शर्म आती है, वो बोली ऐसे नहीं चलेगा ठीक से नहाना तो पड़ेगा, और एक ही झटके में मेरी निक्कर निकाल दी अब मैं बिल्कुल नंगा खड़ा था, और वो मुझे सेक्सी निगाहों से देख रही थी, उस टाइम मेरा लंड छोटा सा था 4′ का और वो नहलाते नहलाते उससे खेलने लगी, उसके बाद से उनकी निगाहें मेरी तरफ़ अलग नज़र से देखने लगी।
थोड़े दिन ऐसे ही बीत गये, एक दिन हम दोनो रात को अकेले थे, वो बोली आज रात तुम मेरे कमरे में ही सोना, मुझे अकेले डर लग रहा है मैंने कहा ठीक है, मैं रात को उनके कमरे में गया सोने के लिये, वो बोली बहुत गर्मी है, मैंने कहा हां मौसी,
वो बोली इन कपड़ो मे बहुत गर्मी लगेगी निकाल दे, और वो भी अपने कपड़े निकालने लगी, उन्होंने ब्लु साड़ी पहन रखी थी बहुत सेक्सी लग रही थी, वो निकाल दी, और ब्लाउज़ भी, अब वो सिर्फ़ पेटीकोट में ही थी, और मैं सिर्फ़ अपनी निक्कर में था,
उन्होंने लाइट बुझा दी और हम सो गये, थोड़ी देर के बाद मुझे ऐसा लगा कि कोई मुझे छू रहा है और लंड को सहला रहा है, मैं जग गया, देखा तो मौसी प्यासी निगाहों से देख रही थी मुझे।
मैंने कहा मौसी ये क्या कर रही हैं आप, वो बोली कि तुम मुझे अच्छे लगते हो, तेरे मौसा को तो काम से फ़ुरसत ही नहीं है, और वो मुझसे लिपट गयी और मुझे चूमने लगी, और अपना पेटीकोट निकाल दिया वो अब सिर्फ़ ब्रा और पैंटी में थी बहुत ही सेक्सी दिख रही थी, मैं भी उत्तेजित हो चुका था, मैंने अब तक किसी को छुआ भी नहीं था, और वो बहुत एक्सपर्ट थी, उनके बड़े बड़े मम्मे और बड़े चूतड़ उफ़्फ़ क्या सीन था, मैं उनके मम्मो को चूसने लगा ब्रा के ऊपर से ही, उन्होंने अपनी ब्रा भी निकाल दी और बहुत पागलों की तरह मुझे किस करने लगी, और निक्कर के ऊपर से ही लंड को सहलाने लगी, उन्होंने मुझे नंगा कर दिया और लंड चूसने लगी, जैसे कोई लोलीपोप हो, वो बोली बहुत मस्त लंड है
उस टाइम मेरा लंड छोटा था पर उनको अच्छा लगा, अब मेरी घबराहट थोड़ी दूर हो चुकी थी, और मैं भी रिस्पोंस दे रहा था, उनके निप्पल को चूस रहा था, वो बोली बेटे ऊपर आ जाओ!
मैं उन्हे किस कर रहा था पूरी बोडी पर, अब मैंने उनकी पैंटी भी निकाल दी, क्या मस्त चूत थी, एक भी बाल नहीं था, वो बोली चूसो इसे, मैं चूसने लगा वो आह, आह की आवाज़ें निकाल रही थी, फ़िर उन्होंने मेरा लंड पकड़ के चूत में डाल दिया और धक्के लगाने लगी और मैं भी धक्के लगा रहा था धीरे से एक दम फ़ास्ट चोद रहा था उन्हे, मुझे बहुत मज़ा आने लगा था
फ़िर उन्होंने मुझे लिटा दिया और वो मेरे ऊपर आ गयी और धक्के लगाने लगी, फ़िर हमने डौगी स्टाइल में भी किया उनके चूतड़ बहुत ही मस्त थे, मैं उनको पकड़ कर चोद रहा था, फ़िर हम दोनो 1 घंटे के बाद झड़ गये, और उसी रात को हमने दो बार और किया, फिर नंगे ही सो गये,
फिर सुबह वो जल्दी उठ गयी थी, मुझको उठाया और हम दोनो साथ में ही नंगे नहाये, मेरा तो ये पहला एक्सपेरिएंस ही था लेकिन खूब एन्जॉय किया फिर तो हमने कई और बार सेक्स किया जब भी मौका मिलता।
दोस्तो कैसी लगी Hindi sex stories ज़रूर बताना
सब लोगों को मंगू जी का Sex Stories प्रणाम ! मैं अपनी कहानी बता रहा हूँ। मैंने अपनी अड़तालीस साल की उम्र में ऐसा अनुभव नहीं किया था।
मैं अपने काम के सिलसिले में अहमदाबाद गया था और वहाँ से लौटते वक्त की बात है, ट्रेन में बहुत भीड़ थी और मुझे ऊपर वाली सीट पर बैठने की जगह मिली। गुजरात छूटने पर ट्रेन में भीड़ कम हुई और मैं ऊपर ही लेट गया। न जाने कब वसई आया और ट्रेन में कुछ लोग चढ़े ! एक यू पी वाले भाई ऊपर आकर मेरे बाजू में बैठ गए। तब तक ठीक था। मैं निद्रा की अवस्था में था और उस व्यक्ति ने अपना हाथ का पंजा मेरी जांघ पर रख दिया और आहिस्ता-आहिस्ता मेरे लौड़े की तरफ बढ़ाया। रात का समय था, लोग पूरी तरह सो चुके थे और भीड़ भी कम हुई थी। मैं थोड़ा सा सिकुड़ गया तो उसने हाथ से इशारा किया कि कोई बात नहीं, पड़े रहो !
मैंने वैसा ही किया तो उसने सहलाना और तेज कर दिया। मैंने अपनी 48 साल की उम्र में ऐसा अनुभव नहीं किया था, क्या बताऊँ, अच्छा भी लग रहा था और थोड़ी हिचकिचाहट भी हुई। वह समझ गया कि क्या करना है। उसने मुस्कुराते हुए देखा और इशारे से कहा- पड़े रहो ! मज़ा आएगा !
और सही कहूँ तो वो था तो अच्छा अनुभव ! एक पुरुष मेरे लौड़े से इस तरह खेले, यह कोई मामूली उपलब्धि नहीं है। मैं मन ही मन में मचलने लगा और सोचा कि कब वह मेरा लौड़ा मुँह में ले ले ! वह व्यक्ति बड़ा समझदार था, उसने मेरी पैंट की चेन खोल दी और देख कर दंग ही रह गया, कहा- अबे गांडू ! ऐसा लौड़ा क्यों हमसे छुपाते हो ? कैसा धनुष की तरह है (दोस्तों मेरा लौड़ा थोड़ा टेढ़ा है !) मुझे आज सही मज़ा आएगा ! कहते हुए धीरे से मुँह में लिया और लॉलीपॉप की तरह बड़े मजे से चाटता रहा और मेरे मुँह से सिसकियाँ निकल रही थी।
मैंने पूरे मज़े लेना चाहा और उसके कानो में कहा- अरे, कोई सुनसान डिब्बा देख कर आओ !
और उसने बड़ी समझदारी दिखाई और थोड़ी ही देर में आकर कहा- चलो व्यवस्था हो गई है।
हकीकत में उसने टी टी को पटाया था और हम लोग फर्स्ट क्लास के डिब्बे में बंद कमरे में पहुँच गए। मै बड़ा खुश हुआ, सोचा, आज तक किसी ने मेरी गांड नहीं मारी थी और आज यह भी सपना पूरा होगा। मेरे हाथ-पैर गर्म हो गए। मैं चाहता था कि वो मुझे पूरे सफ़र में चाटता रहे। उसने मुझे सही तरीके से लेटने के लिए कहा और मैंने पूरी तैयारी के साथ वैसा ही किया। उसने मेरे पूरे कपड़े एक ही झटके में निकाल दिए और मेरा पूरा बदन औरतों के जैसे चाटने लगा। क्या कहूँ लिखते वक्त भी रोम रोम मचलता है।
सच कहूँ, ऐसा रोज़ हो ! क्या करूँ, कोई सामने से प्रस्ताव तो रखे, मैं तैयार हूँ !
ओ के !
तो उसके मुझे चाट लेने के बाद मैं चाहता था कि जल्दी से वह नंगा हो जाए और मुझे भी उसका लौड़ा भी चूसने दे पर वह बड़ा चालाक था, उसे मुझसे पहले मज़ा करना था, मैंने भी फिर थोड़ी सी नाराजगी के साथ कहा- बस आप मुझे कुछ नहीं दोगे तो मैं चला अपनी सीट पर !
फिर क्या था, उसने भी एक ही झटके में कपड़े उतार दिए और कहा- लो हम तुम्हारे हवाले हो रहे हैं मेरे लंड मास्टर !
उसका लौड़ा नुकीली पेंसिल की तरह था। फिर हम 69 की पोजीशन में हो गए। मैं उसका और वह मेरा लौड़ा चूसने लगे। दस मिनट के बाद उसने कहा- चलो, अब गांड मारने की शुरुआत करें !
मैं तैयार था, उसने तुरंत मुँह फेरा और कहा- पहले तुम मेरी गांड मारो !
मैंने कहा- नहीं पहले मेरी मारो !
तब उसने कहा- नहीं, शुरुआत मैंने की है तो मेरा पहला नंबर !
फिर क्या करता ? गांड मारने के पहले मैंने उसके निपल दबा दिए तो वह ख़ुशी से झूम उठा, कहा- अरे यार तुम तो गांड मारने के मास्टर बनोगे ! यह सब कहाँ से सीखा ?
मैंने कहा- बस यूं ही दिल हुआ !
तो उसने तेजी से मुँह पलट कर मेरे निपल मुँह में लिए और औरतों के निपल की तरह मेरे निपल से खेलने लगा और मेरे निपल एकदम कड़क हो गए। मैं और रोमांचित हुआ और लगा बस यह सिलसिला यूँ ही चलता रहे। उसने झटके से मुँह पलटा- अरे यार गांड तड़प रही है, जल्दी से गांड में अपना लौड़ा डाल दो ! मेरी गांड में अब सहन नहीं होती यह दूरी !
उसने मुझे क्रीम दी और कहा- अपने लौड़े पर लगाओ और उंगली से मेरी गांड के अंदर भी लगाओ !
मैंने क्रीम लगा दी और उसे घोड़े की मुद्रा में करके जीवन का पहला अनुभव लेते हुए उसकी गांड में लौड़ा एक ही पल में घुसेड़ दिया। वह कराह उठा, कहा- यार, गांड मारनी भी नहीं आती ?
क्योंकि गांड मारने का अनुभव जो नहीं था।
उसने कहा- तेरा लौड़ा कितना कमनसीब है, चल अब डाल आहिस्ता से !
मैंने वैसे ही किया। थोड़ी देर मशक्कत करने के बाद मुझे समझ में आया कि कैसे गांड मारनी है। मैंने ऐसी मस्त गांड मारी कि वह बहुत खुश हुआ, कहा- यार, तू भी सीख गया है ना?
मैंने खुशी से हाँ कहा। न जाने मैं क्यों उतावला हो रहा था अपनी गांड मरवाने के लिए ! अपने जीवन में बहुत बार लोगों को गांड मारने वाली गाली देते हुए सुना था और आज सचमुच में ऐसा मस्त पेंसिल की नोक वाला लौड़ा मेरी गांड मारेगा, मैं बहुत उतावला हो रहा था।
वो बड़ी देर मेरे लौड़े से खेला और उसे देख कर बोला- यार ऐसा लौड़ा नसीब वालों को मिलता है।
यह कहकर दोबारा मुँह में डाल दिया और बड़ी इज्जत से गोलियों को चूसने लगा। फिर उसने कहा- अब मैं तुझे नहीं तड़फ़ाऊंगा।
उसने मुझे पलटने को कहा। मैंने घोड़े का पोज़ लिया, वह बड़ा खुश हुआ, मेरा मुँह डिब्बे की खिड़की की तरफ था और मैं तैयार था उसको चढ़वाने के लिए, यू पी वाला तो बस मेरी गांड मारने के लिए बेताब था।
उसने बिना क्रीम लगाये गांड में लौड़ा घुसेड़ना चालू किया। मुझे थोड़ा दर्द हो रहा था।
उसने कहा- नए लोगो को क्रीम लगाए बिना गांड मरवानी चाहिए ! इससे गांड को आदत हो जाती है मरवाने के लिए !
और उसने पूरा लौड़ा घुसेड़ दिया और चालू कर दी उसने अपने लौड़े की रेलगाड़ी। बड़ा मज़ा आने लगा। वह गांडू इस कदर मेरी गांड मार रहा था जैसे कितने साल से भूखा था, मगर उसका पानी नहीं छुट रहा था। करीब बीस मिनट से मैं उससे चुद रहा था और फिर उसने मेरी गांड में पूरा पानी छोड़ दिया।
तभी दरवाज़ा खुला, मैं और वो एकदम चौंक गए क्योंकि दरवाज़े पर एक मस्त औरत खड़ी थी और हमारा खेल देख रही थी।
उसने कहा- यह क्या चल रहा है?
आगे की कहानी दूसरे भाग में पढ़िए। Sex Stories
होली का दिन मेरे लिये शुभ दिन बन Hindi Sex Stories कर आया। उस दिन मेरे मन की एक बड़ी इच्छा पूरी हो गयी। सुनील मेरे दूर के रिश्ते में मेरा चाचा ही लगता था उन दिनों वो भी आया हुआ था। मुझे सुनील बहुत अच्छा लगता था। मुझे ऐसा लगता था कि हाय ! कभी मैं उसके साथ चुदाई करूं। पर ऐसा मौका कभी नही मिला। मै उस पर दिल से मरती थी।
होली उसे हमारे साथ ही खेलना था। चाचा और चाची उसके आने से बहुत खुश थे। सुनील उम्र में मुझसे दो साल छोटा था। सुनील 19 साल का रहा होगा। शाम को होली जलने वाली थी… चाचा ने होली के बाद की रस्में पूरी की और अपनी रात की शिफ़्ट में काम करने को चले गये…
रात को अचानक मेरी नींद खुल गयी। मैंने करवट ली और फिर से आंखे बन्द कर ली। मुझे लगा कि कोई बात कर रहा है। चाची के कमरे से आवाज आ रही थी। चाचा तो थे नहीं…फिर किस से बात हो रही थी।
मेरी उत्सुकता बढ गयी। मै बिस्तर से उतरी और चाचा के कमरे के दरवाजे के छेद पर आंख लगा दी। सामने सुनील खड़ा था। मैंने समय देखा रात के लगभग 12 बज रहे थे। इतनी रात को…? अभी तक सोये नहीं थे। मैं स्टूल धीरे से दरवाजे के पास रख कर आराम से बैठ गई… मुझे लगा कि आज तक तो चाचा चाची की चुदाई देखती थी… शायद आज कुछ और नजारा दिख जाये…
मैंने बड़े आराम से छेद पर आंख लगा दी। सुनील पहले तो चाची से बात करता रहा… फिर उसने चाची के ब्लाऊज़ पर ऊपर से ही हाथ फ़ेरा। चाची ने उसका हाथ पकड़ कर अपनी चूंचियों पर दबा दिया। मेरे शरीर पर चींटियां रेंगने लगी… तो सुनील भी चाची के साथ मजे करता है…
चाची का नाम गीता है… गीता ने अपना एक हाथ बढा कर उसका लन्ड पकड़ लिया… उनका कार्यक्रम शुरु हो चुका था… मेरी चूत भी गरम होने लगी… मैंने अपनी चूंचियां दबा ली… और देखती रही… न जाने कब मेरी उंगली मेरे चूत में घुस गयी… और अन्दर बाहर होने लगी… सुनील चाची को खूब मजे से चोद रहा था।
चाची अपना होली का त्योहार बड़े आनन्द से मना रही थी… कभी में अपने बोबे भींचती कभी चूत को उंगली से चोदती… मेरे मुख से भी कभी कभी आह निकल जाती… सिसकारियां फ़ूट पड़ती… अचानक में झड़ गयी… मैंने अपनी चूत दबा ली… और आकर बिस्तर पर लेट गयी… पर नींद कहां थी… आवाज़ें अभी भी आ रही थी… मैंने फिर से उठ कर देखा तो अब गान्ड चुदाई हो रही थी… मैं फिर तरावट में आने लगी… मेरी फ़ुद्दी फिर फ़ुदक उठी… हाय… मैंने अपनी चूत को दबाया और मन कड़ा करके बिस्तर पर आ गई।
कुछ ही देर में चाची के कमरे से आवाजें आनी बन्द हो गयी… मैं सोने की कोशिश करने लगी… सवेरे उठते ही देखा कि सभी सो रहे थे। सुनील भी अपने कमरे में सो रहा था। मैंने जल्दी से चाय बनाई… पहले सुनील को उठा कर चाय दी फिर चाची यानी गीता को चाय दी। गीता ने सुस्ताते हुये कहा,’ नेहा इधर बैठ…तुझसे कुछ पूछना है…’
‘हाऽ… आन्टी… कहो…’
‘एक बहुत पर्सनल सवाल है… सुनील के बारे में…’ गीता ने कहा। मैं एकदम से सहम कर गीता को देखने लगी।
‘सुनील के बारे में… हां… क्या?’
‘सुनील तुम्हारे बारे में कल पूछ रहा था… क्या तुम्हें वो अच्छा लगता है…’ मैं एकदम से झेंप गई।
‘आन्टी… हां अच्छा है… पर ऐसा क्यू पूछा…’
‘कल तुम रात को हमें उस छेद से देख रही थी ना…’ गीता ने तिरछी नजर से मुझे मुसकरा कर पूछा…
‘ना…नहीं तो… वो…तो…’ एकदम से सीधा वार हुआ।
‘हम दोनों को पता है…तुम देख रही थी… पर हमने तुम्हें देखने दिया…’ गीता ने मतलबी निगाहों से मुझे मुस्करा कर देखा।
‘आन्टी… सोरी… अब नहीं होगा…’
‘सुनील तुम्हारे साथ रात वाला काम करना चाहता है… बोलो है इच्छा…’
‘आन्टी… सच… ‘ मैंने शरमा कर गीता की गोदी में अपना मुहं छुपा लिया ‘पर आन्टी मुझे शरम आयेगी ना…’
‘जब दो दिल राज़ी तो वहां शरम का क्या काम… फिर मैं हू ना…’
सुबह सुबह होली खेलने के दिन मेरे लिये सुनील क पैगाम ले कर आया… मैंने गीता के गाल पर एक प्यार का चुम्मा ले लिया। गीता मुसकरा उठी… ‘ नेहा… बेस्ट ओफ़ लक…’
‘हटो आन्टी… आप बड़ी वो है…यानी अच्छी हैं…’ मैं खुशी से फ़ूली नहीं समा रही थी… मैंने तुरन्त कपड़े बदले और होली के लिये सफ़ेद ड्रेस पहन लिया। हल्का सा मेक अप किया और इठला कर सुनील के कमरे में गई…
‘चाय का कप?… ‘ मैंने सुनील से बड़ी अदा से कहा… सुनील मुझे देखता ही रह गया…उसने मुझे चाय का कप थमा दिया।
मैंने कहा- आज तो होली है… 8 बजे से हम तो होली खेलेंगे… तैयार रहना…
मेरी सहेलियां और गीता के मिलने वाले आने लगे थे। मिठाईयां खाई और खिलाई जा रही थी। सभी रंग में रंगे थे। मैं आज कुछ ज्यादा ही खुश थी… क्योंकि सुबह ही मुझे चुदाई का न्योता मिल गया था… रह रह कर मैं सुनील के पास जा कर उसे रंग लगा रही थी। सुनील भी अब शरारत करने लगा था… वो कभी मेरा हाथ पकड़ लेता… कभी मेरी पीठ पर धीरे से हाथ मारता। मुझे सिरहन होने लगती थी।
‘नेहा… एक काम करा दे… ये सामान ऊपर वाले कमरे में ले चल…’ गीता ने आवाज लगाई। मैं भाग कर अन्दर गई… और सामान ले कर गीता के साथ ऊपर कमरे में आ गई।
गीता ने पूछा- सुनील के क्या हाल है…?
‘आन्टी… बड़ी मस्ती कर रहा है…’
‘तेरी ऐसे करके… चूंचियां दबाई कि नहीं…’ गीता ने मेरी चूंची दबाते हुये कहा।
इतने में सुनील वहां आ गया… गीता ने सुनील को देखते ही कहा,’ले नेहा… सुनील आ गया… अब तू चुदेगी…’ फिर मेरे कान में बोली ‘तबियत से चुदवा लेना… इसका लन्ड सोलिड है…’
मैं शरमा गयी…
गीता ने सुनील को कहा,’आ गये तुम… अब ये रही नेहा… अब होली के मजे करो… मैं जा रही हूं… दरवाजा अन्दर से बन्द कर लेना…’
‘चाची…मत जाओ ना… मुझे शरम आयेगी…’
सुनील मुस्कराया… और बोला- अब चाची?… मेरे साथ होली तो खेलो… और नेहा…तुम बच कर कहां जाओगी’
कहते हुये सुनील ने मेरे चेहरे पर गुलाल लगा दी… उसके हाथ अचानक मेरी चूंचियों पर आ गये और मेरे कुरते में अन्दर हाथ डाल कर मेरे उभारों पर गुलाल मल दिया साथ में मेरे उभारों को भी मसल डाला… गीता ने देखा सुनील शुरु हो चुका है तो वो बाहर जाने लगी। इस हमले से मैं एकदम मस्त हो गयी। सुनील के मेरे उभारों को दबाने से मै उसे देखती रह गयी… मुझे शरम आने लगी पर साथ ही मैंने अपने उभारों को और आगे उभार दिया… उसे चूंचियां मसलने का पूरा मौका दिया। सुनील ने मेरे बोबे हाथों में भर लिये। मैं सिसक उठी।
‘सिर्फ़ तेरे बोबे ही तो मचका रहा है…अभी तो देखती जा…’ गीता ने कमरे को बन्द कर दिया। सुनील ने अन्दर से दरवाजा बन्द कर दिया। मैं सिमट कर खड़ी हो गयी। सुनील ने मुझे अपनी तरफ़ खींच लिया और अपनी बाहों में भर लिया । उसके लन्ड का कड़ापन मुझे चूत के आसपास चुभने लगा था।
मैंने जानकर कहा- मेरे पीछे मत दबाना… गुदगुदी होती है…’
‘अच्छा… कहां पर… यहां चूतड़ों पर…’ और उसने मेरे दोनो गोल गोल चूतड़ मसल डाले। मै और शरमा कर सिमटने लगी।
‘जानती हो… शरमाने वाली लड़की को चोदने से बड़ा आता है…’
‘हाय…ऐसे नहीं बोलो ना…’
इधर सुनील ने अब मेरे कुर्ते को उतार दिया। मेरे दोनो उरोज तन कर सामने आ गये। फिर उसने मेरी सलवार का नाड़ा खोल कर उसे उतार दिया और मुझे बिल्कुल नंगी कर दिया। नंगी होने से मुझे शरम आने लगी मैं नीचे बैठ गयी।
सुनील ने प्यार से मुझे उठाया और कहा,’नेहा… तुम्हारी जगह बिस्तर पर है… उठो…’
मैंने जैसे ही नजर उठाई… सुनील सामने नंगा खड़ा था। उसने कब खुद के कपड़े कब उतार लिये थे ये पता ही नहीं चला। मैंने अपनी आंखे बन्द कर ली और अब मुझे होने वाली चुदाई नजर आने लग गयी थी। उसका लन्ड खड़ा हुआ था।
मैंने धीरे से उसका लन्ड पकड़ लिया। और उसकी चमड़ी ऊपर सरका दी… उसका फूला हुआ लाल सुपाड़ा मेरे सामने था। मैंने जीभ से उसे चाट लिया। सुनील कराह उठा। उसका लन्ड कड़क होता जा रहा था। मैंने अब सुपाड़ा मुँह में भर लिया। और उसका लन्ड नीचे से पकड़ कर उसे ऊपर नीचे करने लगी। सुनील ने मेरे बोबे पकड़ लिये और उन्हे धीरे मसलने लगा। बोबे पर से लाल गुलाल अब हटने लगा था।
उसने लन्ड मेरे मुंह से निकालते हुए सुनील ने कहा,’ झुक जाओ… घोड़ी बन जाओ… देखो नेहा… अब तुम चुदने वाली हो… तैयार हो ना…’
‘हाय रे… नंगी तो हूं ना…सुनील… ‘ मैंने कहा और शरमा गयी…
मैंने बिस्तर पर अपने दोनो हाथ रख लिये और गान्ड पीछे उभार कर गान्ड की दोनों गोलाईयां उसके सामने कर दी। उसने अपना लन्ड हाथ से सहला कर मेरी गोलाईयों के बीच दरार में रख दिया। उसका लन्ड जैसे ही मेरी दरारों में लगा मुझे झुरझुरी आ गयी। अब उसका लन्ड सरक कर मेरी गान्ड के छेद पर आ टिका था। उसकी इच्छा गान्ड चोदने की थी…
मेरी गान्ड उसके लिये पूरी तरह से तैयार थी। उसके दोनों हाथ मेरी चूंचियों पर आ कर जम गये थे। कुछ ही क्षणों में उसने मेरी चूंचियां भींचते हुये लन्ड पर जोर मारा… फ़क से उसका मोटा सुपाड़ा छेद में घुस पड़ा। मुझे हल्का सा दर्द हुआ। पर मोटे लन्ड का प्यारा सा अहसास हुआ। मेरी गान्ड में फंसा उसका लन्ड मुझे असीम आनन्द दे रहा था…
तभी उसका एक जोरदार धक्का पड़ा… मेरी चीख निकल गयी,’हायीईईऽऽऽ… ओह्… सोरी… ‘
‘नेहा… देखो ये कब से तुम्हारा दीवाना है…पूरा जाने दो अन्दर इसे…’
‘हाय सुनील… हां जाने दो…’
मेरी गान्ड पर उसने अपना थूक टपका कर उसे और चिकना बना दिया।
‘हाय मेरे राजा…थूक लगा कर चोदोगे…?’
सुनील हंस पड़ा… और उसका लन्ड मेरी गान्ड में अन्दर बाहर सरकने लगा। मेरे सारे शरीर में उत्तेजना की लहर दौड़ पड़ी। मुझे उसके लन्ड का अन्दर बाहर जाना और रगड़ का अह्सास मस्त किये दे रहा था।
‘हाय सुनील… ये तुम्हारा लन्ड कितना प्यारा है… कैसा सरक रहा है…’
सुनील को ये सुनते ही और मस्त हो गया और मुझे अच्छा लग रहा है ये जानकर और भी जोश में आ गया। उसका लन्ड मेरी गान्ड में अब तेजी से उतरने लगा था। मेरी गान्ड चुद कर मस्त हो रही थी । मुझे हालांकि चुदाई जैसा तेज मजा तो नहीं आ रहा था…पर मैं सुनील को यही जता रही थी कि मैं आनन्द से पागल हुई जा रही हूँ।
‘हाय मेरे राजा चोद मेरी गान्ड को… पेल दे अपना लन्ड… हाय क्या लन्ड है…’
सुनील मेरे आनन्द को देख कर और ही मस्त हुआ जा रहा था। अब उसने मेरी गान्ड में से अपना लन्ड निकाल लिया… मुझे लगा कि शायद ये झड़ने वाला होगा… उसने अपने लन्ड को मेरी चूत पर मारा… मेरा चिकना पानी चूत में भरा था।
उसका गीला लन्ड मेरी चूत के बाहर फ़िसलने लगा फिर सरकता हुआ चूत में अन्दर बढ चला। अब सच में मेरी जान निकलने की बारी थी… तीखी मिठास के साथ मेरे चूत में उसका लन्ड अन्दर जा रहा था…ये था असली चुदाई का मजा। मै चिहुंक उठी। मुख से मीठी सी सिसकारी निकल पड़ी।
‘हाय रीऽऽऽ सुनील…मेरी चुद गई रे… हाय घुसा दे राम…’
‘नेहाऽऽऽऽ… तुम्हारी चूत मुझे मार डालेगी मुझे…’ सुनील भी कराहता हुआ बोला। उसके हाथ मेरी चूंचियो को मींज रहे थे। वो कभी मेरे चूंचक खींचता कभी जोर से मसक डालता। मै निहाल हो उठी थी। मेरी चूत में गजब की मिठास भरती जा रही थी… मैं तेजी से सीमाएँ पार करने लगी… लगभग मेरे मुँह से सीत्कारें निकलने लगी।
‘आये हाय रे…मेरे राजा… चोद दे रे… मेरी चूत तो गयी आज… हाय मै चुद गयी…’
‘मेरी रानी… तेरी चूत की मैं आज मां चोद दूंगा… साली को फ़ाड़ दूंगा…’
सुनील का धीरज भी छूटता जा रहा था। वो गालियों पर उतर आया था… यानी अब सब कुछ उसके आपे से बाहर था…
‘साली…रंडी… तेरी भोसड़ी मारूं… मेर लन्ड हाय रे…’
‘मेरे प्यारे सुनील।… हां हां…मेरी चूत का भोसड़ा बना दे… लगा…जोर से चोद्… हाय राम्…’
‘हाय मेरी छिनाल… तेरी बहन को…तेरी मां को… रे… आऽऽऽह… सबको चोदा मारू… मेरी नेहा…’
उसकी मीठी मीठी गालियां सुन कर मेरी चूत में जोरदार मिठास भरने लगी… मैं चरमसीमा पर पहुंचने लगी। उसकी नन्गी बातों ने मुझे झड़ने की ओर अग्रसर कर दिया। मैं अपने आप को रोकती रही…पर असफ़ल रही… मेरी चूत का पानी आखिर छूट ही पड़ा।
‘सुनील…आय राम…मैं तो गई… जरा जोर से झटके मार…’ उसने मेरी चूंचियां और दबाई और झटके मारने लगा… पर हाय रे…मै अब झड़ने लगी… मैं अपनी चूंचियां उससे छुड़ाने लगी…मेरी चूत अब बार बार लहरें मार मार कर अपना रस छोड़ रही थी। मै अब पूरी झड़ चुकी थी। मैं अब बस और नही चुदना चह्ती थी। पर उसने और जोर लगा कर लन्ड मेरी चूत में दबा दिया,’आह नेहा… मैं गया… आया… निकला रे…’ मैंने अपनी चूत में से उसका लन्ड तुरंत निकाल लिया।
‘ओह्…नहीं…रूको…ऽभी नहीं…’ पर मैंने लन्ड निकाल कर उसे मुठ में ऐसा दबाया कि उसके लन्ड ने मेरे हाथ में अपना वीर्य छोड़ दिया। मैं उसके लन्ड को दूध निकालने जैसे खींच कर दुहने लगी… उसके लन्ड से पिचकारी निकल कर मेरे हाथों को गीला कर रही थी…उसका सारा वीर्य उसके लन्ड पर मल दिया… और अपने गीले हाथों में उसका वीर्य अपने होंठो से चाट लिया… सुनील ने बड़े प्यार से मुझे देखा और अपने नंगे बदन से मेरा नंगा बदन चिपका लिया…हम कुछ पल ऐसे ही लिपटे खड़े रहे और प्यार करते रहे।
फिर सुनील अलग हो गया और अपने कपड़े पहनने लगा। मैंने भी जल्दी से कपड़े पहन लिये। सुनील ने ज्योंही दरवाजा खोला तो गीता सामने खड़ी थी…
‘अरे गीता… यहां कब से खड़ी हो…’
‘अरे सुनील जी… दिन को चुदाई कर रहे हो…बाहर पहरा दे रही थी…’ मैं सर झुका कर चुपके से निकलने लगी।
‘नेहा… चुदवा कर शरमा रही हो… अब इस चुदाई की हमें मिठाई तो खिला दो…’ गीता बड़ी बेशरमी से बोली।
‘रात को सब मिल कर खायें तो मजा आयेगा ना…’ गीता और सुनील दोनो हंस पड़े… मैंने शरमा कर अपने हाथों से अपना मुँह छुपा लिया… गीता से प्यार से मुझे चूम लिया। Hindi Sex Stories
मेरा नाम श्याम कुमार, उम्र Hindi Sex Stories बीस वर्ष है। मेरे पापा दुबई में एक पांच सितारा होटल में काम करते हैं। पापा की अच्छी आमदनी है, काफ़ी पैसा घर पर भेजते हैं। घर पर मम्मी और मैं ही हैं। मम्मी एक स्कूल में टीचर हैं और मैं कॉलेज में पढ़ता हूँ।
घर में काम काज के लिये एक नौकरानी अंजलि रखी हुई है। अंजलि बाईस साल की शादीशुदा लड़की है। उसका पति एक प्राईवेट स्कूल में चपरासी है। अंजलि एक दुबली पतली पर गोरी चिट्टी लड़की है। वो घर पर काम करने छ: बजे आ जाती और साढ़े सात बजे तक घर का काम पूरा करके चली जाती है। फिर मम्मी भी स्कूल चली जाती हैं।
अंजलि जब सवेरे काम करने आती है तब मैं सोता ही होता हूँ। वह मुझे बड़ी देर तक सोता हुआ देखती रहती थी। उस समय मैं सुस्ती में पड़ा अलसाया सा बस आंखे बन्द किये लेटा रहता था। मुझे सुबह पेशाब भी लगता था, पर फिर भी मैं नहीं उठता था। नतीजा ये होता था कि पेशाब की नली मूत्र से भरी होने के कारण लण्ड खड़ा हो जाता था तो मेरे पजामे को तम्बू बना देता था। अंजलि बस वहीं खड़े लण्ड को देखा करती थी। मुझे भी ये जान कर कि नौकरानी ये सब देख रही है, सनसनी होने लगती थी। मुझे सोया जान कर कभी कभी वो उसे छू भी लेती थी, तो मेरे शरीर को एक बिजली जैसा झटका भी लगता था।
फिर जब वो दूसरा काम करने लगती थी तो तो मैं उठ जाता था। वो अधिकतर सलवार कुर्ते में आती थी। कुर्ता कमर तक खुला हुआ था जैसा कि आजकल लड़कियाँ पहनती है। जब वो सफ़ाई करती थी तब या बर्तन करती थी तब, वो कुर्ता कमर तक ऊपर उठा कर बैठ कर काम करती थी तो उसकी चूतड़ की गोलाईयां मुझे बड़ी प्यारी लगती थी। उसके गोल गोल चूतड़ उसके बैठते ही खिल कर अलग अलग दिखने लगते थे। उसके खूबसूरत चूतड़ मेरी आंखों में नंगे नजर आने लगते थे। मुझे उसे चोदने की इच्छा तो होती थी पर हिम्मत नहीं होती थी। कभी कभी उसे आने में देर हो जाती थी तो मम्मी स्कूल के लिये निकल जाती थी। तब वो मुझ पर लाईन मारा करती थी। बार बार मेरे से बात करती थी। बिना बात ही मेरी बातों पर हंसती थी। मेरी हर बात को ध्यान से सुनती थी। इन सब से मुझे ऐसा जान पड़ता था कि वो मेरा ध्यान अपनी ओर आकर्षित करना चाह रही है। तब मैंने उसे पटाने की एक तरकीब सोची।
मैं उस दिन का इन्तज़ार करने लगा वो कभी लेट आयेगी तो मम्मी की अनुपस्थिति का फ़ायदा उठा कर जाल डालूंगा। फ़िलहाल मैंने उसके सामने रुपये गिनना और उसे दिखा दिखा कर अपनी जेब में रखना चालू कर दिया था। एक दिन वो लेट हो ही गई। मम्मी स्कूल जा चुकी थी। मैंने कुछ रुपये अपनी मेज पर रख दिये। दाना डालते ही चिड़िया लालच में आ गई।
मुझसे बोली- श्याम, मुझे कुछ रुपये उधार दोगे, मैं तनख्वाह पर लौटा दूंगी।”
मैंने उसे पचास का एक नोट दे दिया। एक दो दिन बाद उसने फिर मौका देख कर रुपये और उधार ले लिये। मुझे अब यकीन हो गया कि अब वो मुझसे नहीं बच पायेगी। हमेशा की तरह उसने मुझसे फिर पैसे मांगे। मैंने सोचा अब एक कोशिश कर ही लेनी चाहिये। उसकी बेकरारी भी मुझे नजर आने लगी थी।
“आज उधार एक शर्त पर दूंगा।” वो मेरी तरफ़ आस लगा कर देखने लगी। जैसे ही उसकी नजर मेरे पजामे पर पड़ी, उसका उठान उसे नजर आ गया। उसने नीचे देख कर मुझे मुस्करा कर देखा, और कहा,” मैं समझ रही हूँ, फिर भी आप शर्त बतायें।”
“आज एक चुम्मा देना होगा” मैंने शरम की दीवार तोड़ ही दी। पर असर कुछ और ही हुआ।
“अरे ये भी कोई शर्त है, आओ ये लो !”
उसे मालूम था कि ऐसी ही कोई फ़रमाईश होगी। उसने मेरे गाल पर चूम लिया। मुझे अच्छा लगा। लण्ड और तन्ना गया। पर ये भी लगा कि चुम्मा तो इसके लिये मामूली बात है।
“एक इधर भी !” मैंने दूसरा गाल भी आगे कर दिया।
“समझ गई मैं !” उसने मेरा चेहरा थाम लिया और मेरे होंठों पर गहरा चुम्मा ले लिया।
“धन्यवाद, अंजलि !”
“धन्यवाद तो आपको दूंगी मैं … जानते हो कब से मैं इसका इन्तज़ार कर रही थी !”
मैं सिहर उठा। ये क्या कह रही रही है? पर उसने मेरी हिम्मत बढ़ा दी।
“अंजलि, नाराज तो नहीं होगी, अगर मैं भी चुम्मा लू तो”
“श्याम, देर ना करो, आ जाओ।” उसकी चुन्नी ढलक गई। उसके उरोज किसी पहाड़ी की भांति उभर कर मेरे सामने आ गये। वो मुझे आकर्षित करने लगे। मैंने उसका कुर्ता थोड़ा सा गले से खीच कर उसके उभार लिये हुए उरोजों को अन्दर से झांक कर देखा। उसकी धड़कन बढ़ गई। मेरा दिल भी जोर जोर से धड़कने लगा। उसके उरोज दूध जैसे गोरे और चिकने थे। मैंने अन्दर हाथ डाला तो उसने मेरा हाथ पकड़ लिया।
“श्याम सिर्फ़, चुम्मा की बात थी, ये मत करो… !” उसने सिसकते हुये मेरा हाथ अपनी छातियों से हटा दिया।
“अंजलि, मेरे मन की रख लो, मैं तुम्हें सौ रुपये दूंगा।”
रुपये का नाम सुनते ही वो बेबस हो गई। उसने अपनी आंखें बन्द कर ली। मैंने उसके कुरते के भीतर हाथ डाल दिया और उसके कोमल और नरम स्तन थाम लिये और उन्हें सहलाने लगा। उसके शरीर में उठती झुरझुरी मुझे महसूस होने लगी। वो अपने धीरे धीरे झुकने लगी। पर उससे उसके चूतड़ो में उभार आने लगा। वो सिसकते हुए जमीन पर बैठ गई। उसके बैठते ही उसके चूतड़ों की दोनों गोलाईयाँ फिर से खिल उठी। वही तो मेरा मन मोहती थी।
मैं उसके पास बैठ गया और उसके चूतड़ो की फ़ांको को हाथ से सहलाने लगा। उसकी दरारों में हाथ घुमाने लगा। मेरा लण्ड बुरी तरह से कड़कने लगा था। उसके चूतड़ों को सहलाने से मेरी वासना बढ़ने लगी। अंजलि भी और झुक कर घोड़ी सी बन गई। मैंने उसका कुर्ता गांड से ऊपर उठा दिया ताकी उसकी गोलाईयाँ और मधुर लगे। जोश में मैंने उसकी गाण्ड के छेद में अंगुली दबा दी।
अंजलि से भी अब रहा नहीं जा रहा था, उसने हाथ बढ़ा कर मेरा लण्ड पजामे के ऊपर से ही थाम लिया। मेरे मुख से आह निकल पड़ी।
मैंने उसे पकड़ कर खड़ा कर दिया और कहा,”अंजलि, तुम्हारी गाण्ड कितनी सुन्दर है, प्लीज मुझे दोगी ना !”
“तुम्हारा लण्ड भी कितना मस्त है, दोगे ना !”
“अंजलिऽऽऽऽ !”
अंजलि ने नाड़ा खोल कर अपनी सलवार उतार दी और कुर्ता ऊंचा कर लिया। उसके चूतड़ों की गोरी गोरी गोलाईयाँ मेरे सामने चमक उठी। मैं तो उसकी गाण्ड का पहले से ही दीवाना था। उसे देखते ही मेरे मुख से हाय निकल पड़ी। मैंने हाथ में थूक लगा कर उसकी गाण्ड के छेद में लगा दिया और पजामा नीचे करके लण्ड छेद पर रख दिया। मेरे दिल की इच्छा पूरी होने के विचार से ही मेरे लण्ड के मुख पर गीलापन आ गया था। मेरी आंखे बन्द होने लगी। मेरा लण्ड उसके भूरे रंग के छेद पर बार बार जोर लगा रहा था। गुदगुदी के मारे वो भी सिसक उठती थी।
छेद टाईट था पर मर्द कभी हार नहीं मानता। किले को भेद कर अन्दर घुस ही पड़ा। अंजलि दर्द से कराह उठी। मुझे भी इस रगड़ से चोट सी लगी। पर मजा अधिक था, जोर लगा कर अन्दर घुसाता ही चला गया। मेरे दिल की मुराद पूरी होने लगी। कमर के साथ मेरे चूतड़ भी आगे पीछे होने लगे। अंजलि की गाण्ड चुदने लगी। उसके मुँह से कभी दर्द भरी आह निकलती और कभी आनन्द की सिस्कारियाँ। इतनी सुन्दर और मनमोहक गाण्ड चोद कर मेरी सारी इच्छायें सन्तुष्टि की ओर बढ़ने लगी।
उसके टाईट छेद ने मेरी लण्ड को रगड़ कर रख दिया था। मैं जल्दी ही उत्तेजना की ऊंचाईयों को छूने लगा और झड़ने लगा…मैंने तुरन्त ही अपना लण्ड बाहर खींच लिया और वीर्य की बौछार से गाण्ड गीली होने लगी। मैंने तुरन्त कपड़े से उसे साफ़ कर दिया। हम दोनो ही अब एक दूसरे को चूमने लगे।
वो अब भी प्यासी थी…उसकी चूत मेरे लण्ड से फिर चिपकने लगी थी। मेरा लण्ड एक बार फिर खड़ा हो गया था। मैंने अंजलि को बिस्तर पर लिटा दिया और उस पर छाने लगा। वो मेरे नीचे दब गई। लण्ड ने अपनी राह ढूंढ ली थी। नीचे के नरम नरम फूलों की पंखुड़ियों के पट को खोलते हुए मेरा सुपाड़ा खाई में उतरता चला गया। तले पर पहुंच कर गहराई का पता चला और वहीं पर तड़पता रहा।
खाई की दीवारों ने उसे लपेट लिया और लण्ड को सहलाने लगी। मुझे असीम आनन्द का अनुभव होने लगा। लण्ड में मिठास भरने लगी। मेरे धक्के तेज हो चले थे, अंजलि भी अपने चूतड़ों को झटका दे दे कर साथ दे रही थी। उसके मटके जैसी कमर और कूल्हे सरकस जैसी कला दिखा रहे थे। मैं चरमसीमा पर एक बार फिर से पहुंचने लग गया था। पर मेरे से पहले अंजलि ने अधिक उत्तेजना के कारण अपना पानी छोड़ दिया। मैं भी जोर लगा कर अपना वीर्य निकालने लगा। उसकी चूत वीर्य से भर गई। मेरा पूरा भार एक बार फिर अंजलि के शरीर पर आ गया। हम दोनो झड़ चुके थे। अंजलि जल्दी से उठी और अपने आप को साफ़ करने लगी।
“श्याम, सच में मजा आ गया… कल भी मौका निकालना ना !”
चाची की भोसड़ी का भोसड़ा बनाया-Antarvasnaअब उसकी नजरें मेरे पर्स पर थी। मैं समझ गया, उसे एक पचास का नोट और दे दिया। अब वो अपनी ऊपरी कमाई से खुश थी। उसने नोट सम्भाल कर रख लिये। और मुस्कुरा कर चल पड़ी…शायद अपनी सफ़लता पर खुश थी कि मुझे पटा कर अच्छी कमाई कर ली थी। और उसे आगे भी कमाई की आशा हो गई थी। लण्ड में ताकत होनी जरूरी थी पर साथ में शायद पैसे की ताकत भी मायने रखती थी… जो कुछ भी हो मैंने तो मैदान मार ही लिया था। Hindi Sex Stories
बेटी को धन की सुख देने के लिए मेरी Antarvasna बाप ने मेरी शादी एक ५० बरस के मर्द के साथ कर दी. मेरे पति की मुझसे उनकी दूसरी शादी थी. पहली की मौत हो चुकी थी. उनका एक लड़की थी जिसकी शादी हो चुकी थी. शादी के पहले मुझे उनके और परिवार के बारे मे अधिक जानकारी नही थी.
सुहाग रात मे मैं उनको देखकर हैरान रह गई. वे देखने मे ही बहुत कमज़ोर दिख रहे थे. मेरी उमर उस समय सिर्फ़ १८ बरस थी. वे आते ही दरवाज़ा बंद कर लिए और मेरी बगल मे बैठ गए. वे मुझे पकड़ कर चूमा लेने लगे. कुछ् इधर उधर के बाते करने के बाद वे मेरी ब्लाउज खोल दिए. मैं ब्रा पहन रखी थी. कुछ देर उपर से ही सहालाने के बाद ब्रा भी खोल दिए. उसके बाद मेरी चुची को चूसने लगे. मुझे अब अच्छा लगने लगा था.
मैने धीरे से अपनी हाथ उनके लंड तरफ़ बढ़ाया. अभी तक कुछ भी नही हुआ था. वे अपने कपड़े खोल दिए और सहालाने के लिए बोलने लगे. मैने भी कुछ देर तक हाथ से सहलाती रही. खड़ा नही होने पर मुख मे खाने के लिए कहने लगे. क़रीब १० मिनट के बाद भी जब नही खड़ा हो पाया तो मैं निराश हो गई. उनके लंड मे नाम मात्र का ही कडापन आया था. अब वे मेरी साडी खोल दिए और अपने मुरझाए हुए लंड से मेरी बुर रगड़ने लगे. मैं तो उनके लंड के तैयार होने का इंतज़ार कर री थी. वे मेरी बुर को अब जीभ से चूसने लगे. अभी भी उनका लंड बहुत नरम था. मैं मन ही मन अपने को कोसती रही और बाप को शराप्ती रही. वे मेरी बुर चूसने मे और मैं उनका लंड चूसने मे मशगुल थी. मुझे अब सह पाना मुश्किल था. जैसा था वैसा ही मैंने उनको चोदने के लिए कहने लगी. वे अपना नरम नरम लंड मेरी गरम गरम बुर मे प्रवेश करने लगे .मगर प्रवेश करने से पहले ही वे गिर गाये.मैं तड़पती रह गई . मैं सोचने लगी कि पहले रात के चलते ऐसे होगया. मैं चुप चाप रह गई. वे भी ऐसे ही कह रहे थे.
दूसरी रात भी मैंने बहुत कोशिश की मगर सब बेकार गया. इसी तरह महीनो बीत गाये. मैं जब भी बिस्तर पर तडपती रही. मेरी बड़ी बहन जीजाजी के साथ तबादला होकर उसी शाहर मे आ गयी. एक दिन मेरी बहन मुझसे मिलने मेरी घर पर आ गई. वे मेरा हाल ख़बर पूछने लगी. मैं चुप हो गई. जब वे ज़िद करने लगी तो मुझे सबकुझ बताना ही पड़ा. वे निराश हो गई और कुछ सोचने लगी. मैंने पूछने लगी तुम कैसी हो. जीजाजी कैसे हैं. वे कह रही थी की तुम्हारे जीजाजी तो बहुत तगडे है. वे मुझे बहुत मज्जे देते हैं. मान ही मान मैं इर्ष्या करने लगी .वे बोलने लगी की मैं कल तक कुछ सोचती हू. कल १२ बजे मेरी घर आजाना. वही पैर बैठ कर बाते करेंगे. मुझे कुछ आशा दिखाई देने लगी.
सुबह होते ही मैं जल्दी जल्दी काम निपटा कर तैयार हो गाई. ठीक १२ बजे मैं दीदी के घर पहौच गई. वे मुझे देख कर मुस्कुराने लगी. वे मुझे अपने बेड रूम मे ले गई .दीदी अपने रूम मे टीवी चला रही थी. वे बोलने लगी की तुम कुछ देर तक वीडियो देखो मैं काम निपटा कर आती हूँ. एक सीडी वही पर रखा हुआ था जिसपर लिखा हुआ था हम दोनो. मैंने उसी सीडी को लगा कर देखने लगी. सीडी देखते ही मैं घबरा गई और दरवाज़े की तरफ़ देखी. दीदी बाथरूम मे थी. मुझे और अधिक देखने का इच्छा जागृत होगई. इस सीडी मे तो जीजाजी और दीदी का रंगीन खेल भरा हुआ था. जीजाजी का लंड तो देखते ही बनता था. लग रहा था की दीदी बहुत रोएगी .मगर वा तो मज़े ले रही थी. मैं सोचने लगी काश मुझे कोई ऐसे चोदने वाला मिलता.
उसी समय दीदी अंदर आ गई और कहने लगी तुम को यह कैसा लग रहा है. मैंने सीडी बंद करदी. उसी समय जीजाजी भी आगये. मुझे देखते ही वे मुस्कुरा दिए. दीदी कहने लगी अरे साली तरफ़ भी तो देखो. वह बेचारी शादी होने के बाद भी कुँवारी है. दीदी कहने लगी आज तुम्हारे जीजाजी को तुम्हारे लिए ही मैंने बुलाया है . कल तुमसे मिलने के बाद मैने इनको सब कुछ बता दिया था. दीदी कहने लगी अब तुम लोग अपना काम करो मैं बाहर देखती हूँ. जीजाजी कह रहे थे तुम तो बहुत सेक्सी लगती हो. तुम्हारे स्तन तो काफ़ी बड़े है और वे दीदी के जाने के बाद बिना रूम बंद किए ही मेरी स्तन दबाने लगे.वह कह रहे थे की जब तुम्हारे दीदी ही है तो उससे छिपाना क्या. ऐसे तो साली तो आधी घर वाली होती ही हैं. लेकिन मैं तुम्हारे इच्छा के बिपरीत कुछ नही करूँगा.
मैं चुप चाप थी. मैं सोचने लगी की कही वे चले ना जाए. इससे अच्छा मौक़ा अब नही आने वाला मैं मुसकुराने लगी.जीजाजी समझ गए की मैं सहमत हू. वे अब मेरा ब्लोउज और ब्रा खोल दिए . मेरे चुचि को मसलने लगे . मैं भी अब सहयोग करने लगी थी. जीजाजी के लॅंड का उभार अब पैंट पैर दिखाई देने लगा था. मैंने उनका पैंट पैर हाथ डाला तो वे पैंट खोल दिए. अब उनका लॅंड बाहर निकल चुका था. मैं अपने हाथ से उनके लॅंड को सहालाने लगी. अपने पति का लॅंड से जीजाजी का लॅंड को तुलना कर रही थी. मन ही मन मैं सोचने लगी की मेरी दीदी कितनी लॅकी है की उसे ऐसे लॅंड वाला पति मिला है. कुच्छ देर तक मैं उनके लॅंड को देखती रही. इतने मे जीजा जी कहने लगे कैसा है मेरा हथियार. तुम्हारे पति का कैसा हैं. मैं कहने लगी, जीजाजी उनका तो खडा ही नही होता हैं. मैं महीनो से तरप रही हू. आपका लॅंड तो काफ़ी मोटा और बड़ा है. दीदी को तो बहुत दुखता होगा. उसी समय दीदी आगई. बोलने लगी अरे केवल देखते ही रहोगी.
मैं बोलने लगी दीदी इनका तो बहुत मोटा है, मैं नही सह पाऊँगी. दीदी कहने लगी हा, मोटा तो है लेकिन सहना ही पड़ेगा. पहली बार मुझे भी बहुत दर्द हुआ था. लेकिन अब तो मजा आता है. जीजाजी को दीदी कहने लग
बेचारी तुम्हारा घोड़ लॅंड देख कर डर गई है. मेरे बहन को मत रूलाना. बेचारी अभी तक तो कुँवारी जैसे ही तो है.इतन कह कर वा फिर चली गई. जीजाजी अब मेरी साड़ी और पेटी कोट भी खोल दिए .वे मेरे बुर को चटने लगे. मुझे बेड पैर सूता दिए और अपना लॅंड मेरे बुर मे डाल कर चूसने के लिए कहने लगे. वे मेर उपर चढ़े हुये थे . अपनी जीभ से मेरी टिट चाट रहे थे. मुझे काफ़ी मजा आरहा था. मैंने भी दोनो हाथो से उनका सिर पाकर कर दबाने लगा. ज़ोर ज़ोर से लॅंड चूसने के लिए कह रहे थे. उनका लॅंड का स्वाद लेने मे मुझे भी मजा आरहा था.
इतने ही मे अपना पूरा लॅंड मुख मे अंदर तक धकेलने लगे. मुझे तो पहली बार इतना तगड़ा लॅंड मिला था. मैं मज़े से उनका लॅंड चुस रही थी और जीजाजी मेरे बुर चुस रहे थे. उसी समय मुख मे गरम गरम और नमकीन टेस्ट आने लगा. वे और ज़ोर से लॅंड अंदर किए. मुझे तो मजे का स्वाद आ रहा था. कुछ देर तक और चूसती रही. वे बाहर लिए और बाथरूम मे चले गए. बाथ रूम से आने के बाद वे फिर मुझसे अपना लॅंड सहलवाने लगे. क़रीब ५ मिनट के बाद वे फिर तैयार होगए. जीजा जी का लॅंड फिर से पहले जैसे ही कठोर और मोटा होचुका था. इस बार वे मुझे पट सूता दिए. मेरे गाड़ मे थोडा थूक लगाए और एक अंगुली घुसा कर बाहर भीतर करने लगे. मैंने कहने लगी जीजाजी इसमे भी करोगे क्या. इसमे तो नही सहा जायगा. आज बुर मे ही कर लो. फिर कभी इसमे. जीजाजी नही माने और कहने लगे गाड़ लिए बिना मैं तुम्हारा बुर नही लूंगा. अगर मेरा शर्त मंज़ूर है तो बोलो नही तो छोड़ देता हूँ. मुझे तो आज चुदाई का भरपूर मजा लेना था. मैं चुप रही. मैं मुसकूरा दी और कहने लगी आप बहुत बदमश हो, आज मैं सब कुछ सहने को तैयार हूँ. जीजाजी Antarvasna
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