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प्रेषक : अजय शर्मा- उस्ताद जी आप ने मेरी आपबीती “मेरी यादगार Sex Storiesसुहागरात” पढ़ी होगी. ये भी एक आपबीती ही है, लेकिन मेरी ख़ुद की नही, बल्कि मेरे इंस्टिट्यूट में पढने आने वाले एक लड़के श्याम की. वो 22 साल का एक ठीक दिखने वाला पाँच फुट नौ इंच लंबा, करीब 32 इंच कमर का ठीक ठाक लड़का है. वो अलवर का रहने वाला है और उधर उनका अपना ख़ुद का मकान है.
श्याम मेरे पास कंप्यूटर कोर्स करने जयपुर आया हुआ है. वो बीच बीच में अपने घर जाता रहता है. उस मकान के एक हिस्से में उन्होंने एक किरायेदार रखा हुआ है.
किरायेदार के एक लड़का और एक लड़की हैं. लड़की की शादी हो चुकी है और जब वो प्रेगनंट हुई तो अपने मायके में आ गई. लगभग पूरे दिन थे तो उसकी मम्मी ने अपनी देवरानी को घर के काम काज में हेल्प के लिए बुलवा लिया. ये चाची भी जयपुर में ही रहती है. शादी शुदा बेटी से धीरे धीरे श्याम की सेटिंग हो गई. जब भी मौका मिलता उसके बूब्स दबा देता और किस करता रहता था. लेकिन चोदना इसलिए नही हो पाया कि उसे पूरे दिनों की प्रेगनेंसी थी. लड़की की चाची भी आ गई गोल चेहरा, सुता हुआ पाँच फुट चार इंच का बदन, आकर्षक चूचियां कि पूरी हथेली में आ जायें. चाची 35-36 साल की है और तीन बच्चों की माँ होते हुए भी नई नवेली जैसी लगती है.
श्याम ने चाची से बातचीत शुरू की, चाची ने भी इंटेरेस्ट लेना शुरू कर दिया, एक दिन मौका पाकर श्याम ने चाची से किस मांग लिया. तो चाची ने नाश्यामगी दिखाई. श्याम बेचारा अपना सा मुह लेकर डर गया और चुपचाप अपने कमरे में चला आया.
लेकिन अगले दिन जब दोनों फिर मिले तो एकांत पाकर चाची ने श्याम को बोला कि तुम मेरा किस लेना चाहते हो न, ले लो. अब श्याम ने हिम्मत करके चाची को लिप्स पर बड़े जोर का किस किया. अब तो जब भी मौका मिलता बूब्स दबाने और चूमने चाटने का दौर चालू हो जाता. लेकिन चोदने का मौका नही मिल रहा था. इतना एकांत उस किराये के मकान में उन लोगों के पास नही था.
धीरे धीरे चाची ने श्याम को बताया कि उसके पति का जनरल स्टोर है, और रात को जब भी उसकी इच्छा चोदने की होती है, उसके कपड़े ऊँचे करके 3-4 मिनट में चोद चाद के सो जाता है, न चूमना चाटना, न हाथ फेरना, न किस, न गर्माना. बोली कि मेरी इच्छा तो कभी पूरी ही नही होती है, इसलिए तुमसे लगी हूँ.
अब छुट्टी बिता के श्याम जयपुर आ गया, चाची के मोबाइल नम्बर उसने ले लिए. कुछ दिन में जब भतीजी को डिलिवेरी हो गई तो चाची भी जयपुर अपने घर आ गई, जयपुर में श्याम और चाची दोनों ही किराये के मकानों में रहते हैं. चाची के पास 2 कमरों का मकान है लेकिन श्याम के पास 2 कमरे और एक कोमन रूम है.
दोनों के घर के बीच तीन किलोमीटर का फासला है. श्याम के मम्मी, पापा और बड़े भाई में से कभी कोई कभी कोई आता जाता रहता है. श्याम जयपुर आने के बाद चाची से लगातार बातें करता रहता था. बहुत गरम बातें होती थी. एक दिन श्याम ने, जब उसके कोई आने वाला नही था, चाची को ख़ुद के घर आने का निमंत्रण दिया, जो चाची ने सहर्ष स्वीकार कर लिया. श्याम ने उसको बोला कि तुम मेरा जोर से चोदन करोगी या मैं तुम्हारा तो चाची ने बोला कि ये तो वक्त बताएगा.
अगले दिन चाची दोपहर में 3 बजे श्याम के यहाँ पहुच गई, एकदम टाइट पजामा और ऊपर कुरता. कमरे के अन्दर आते ही दोनों एक दूसरे की बाँहों में बंध गए। दोनों के होंट एक दूसरे के साथ चिपक गए और बहुत लंबा किस का एक दौर चला। चाची के हाथ श्याम कि कमीज के अन्दर पूरे शरीर पर चल रहे थे, चल क्या रहे थे यो कहें कि चाची उत्तेजना में श्याम को खरोंच रही थी. बड़ी मुश्किल से दोनों थोडी देर के लिए अलग हुए तो श्याम ने बोला कि ये पजामा इतना टाइट है उतरेगा कैसे तो चाची ने ख़ुद उतार दिया. ज़रा सी देर में ही एक दूसरे को कपडों से अलग कर दिया. अब चाची ने श्याम के शरीर का कोई हिस्सा नही छोड़ा जहाँ किस नही किया हो.
उत्तेजना के मारे चाची का हाल बुरा था. वो घरेलू औरत श्याम के लंड तक को चूस गई. श्याम की पीठ और सीने पर चाची की उँगलियों की खरोंच छप गई. आख़िर कई बरसों में शादी के बाद उसकी चुदाई की इच्छा जोरदार ढंग से पूरी हो रही थी. श्याम ने भी चाची को खूब चूमा, जीभ चूसी, बोबे चूसे, खूब दबाए, चूत को लंड से रगडा.
चाची की चूत बुरी तरह से गीली हो चुकी थी. चाची ने श्याम को ऊपर आने को बोला और बेड पर सीधी लेट गई. श्याम चाची की दोनों टांगो को चौडा कर के बीच में बैठ गया और अपने लंड को चाची की चूत पे लगा के अपना लंड चाची की चूत में गहरे उतार दिया. चाची के मुह से एक लम्बी सीत्कार निकली. होंट एक दूसरे के साथ चिपक गए. दोनों ने एक दूसरे को चूसना शुरू कर दिया. श्याम के दोनों हाथों में चाची के दोनों बोबे थे जिनको वो खूब दबा रहा था. लंड धीरे धीरे अन्दर बाहर हो रहा था।
धीरे धीरे चाची की गांड हिलने लगी, वो नीचे से धक्के मारने लगी, और श्याम ने जोर जोर से धक्के मारना शुरू कर दिया, लंड चाची की चूत में ऊपर से चालू होकर खूब गहरे तक जा रहा था. चाची ने श्याम को दोनों हाथों से दबोच रखा था और अपनी दोनों टांगो को श्याम की कमर पर लपेट रखा था. श्याम को जब ओर्गास्म हुआ तब तक चाची को दो बार हो चुका था. अब दोनों के होंट खुले. दोनों नंगे एक दूसरे पर पड़े रहे, चाची दो घंटे वहां रही और टोटल तीन बार दोनों ने जबरदस्त तरीके से बिना एक दूसरे से अलग हुए चुदाई की।
चाची की आँखों में तृप्ति आ चुकी थी.
शाम को साडे पाँच बजे श्याम का फ़ोन मेरे पास आया कि मैं आपसे अभी मिलना चाहता हूँ. वो जब मेरे पास आया तो उसने मुझे अपना ऊपर का शरीर दिखाया. पूरे शरीर पर खरोंच के निशान थे. आख़िर चाची ने श्याम का देह शोषण कर दिया. वो बोला सर आज तो जबरदस्त कसरत हुई है. पूरा शरीर दुःख रहा है.
उसके बाद चाची हर सप्ताह कम से कम एक बार जरूर श्याम से चुदवाती है, एक साल हो गया है. इस बीच उसने अपने पति को भगवान की कसम दिला दी है कि वो उसे हाथ नही लगाये. पति ने जबरदस्ती करने की कोशिश की तो दोनों हाथों से दूर कर दिया. अब वो श्याम को ही अपना पति मानती है. जबकि दोनों में 13 साल का फर्क है.
जिस के पीछे दुनिया में कई युद्ध हुए, श्यामा महाश्यामाओं की क्या बिसात ऋषि, मुनियों तक की तपस्या भंग हो गई, उस खेल को हमेशा लंबा और परम आनंद दायक बनाना चाहिए नही तो एक सीधी सादी औरत तक क्या हो गई, ये सोचने वाली बात है.
आपको ये आपबीती कैसी लगी, अपना अनुभव जरूर बतावें. खासकर स्त्रियों के अनुभव. Sex Stories
मैं बहुत दिनों से अन्तर्वासना Hindi Sex Stories की कहानियाँ पढ़ रहा हूँ। इसमें लोग कुछ तो काल्पनिक कहानी लिखते हैं और कुछ कुछ ही सच्ची होती हैं। किसी का आज तक तीन इंच चौड़ा लंड देखा है? गधे का भी दो इंच चौड़ा होता है। वो फिर क्या गधे का बाप है। कोई बात नहीं मैं अपनी कहानी पर आता हूँ। यह सच्ची है, आप लोग इसे सच माने या झूठ !
मैं राजवीर बीस साल का हूँ। मैं यहाँ फरीदाबाद में रहता हूँ। यहाँ हमारा पूरा परिवार है। हमारा घर में दो कमरे खाली रहते थे। हमने वो किराये पर देने का सोच लिया था। बात तीन साल पहले की ही है। हमारे घर एक परिवार आया उस परिवार में एक बुड्ढा आदमी था और उसकी एक 19-20 साल की एक बेटी होगी। उसका बाप दो हफ्ते भर रहा और फिर गाँव चला गया। उसकी बेटी अकेली ही रहती थी। उसकी पढ़ाई पूरी हो गई थी और नौकरी भी नहीं करती थी। सारा दिन घर पर ही रहती थी। उन दिनों मेरी डांस की प्रैक्टिस चल रही थी।
एक दिन उसने कहा- मुझ को भी डांस सिखा दो।
मैंने उससे कहा- अभी नहीं, बाद में !
वो मान गई।
शाम को घर में कोई नहीं था। सिर्फ वो और मैं। मैं टीवी देख रहा था। वो आई और कहने लगी- अब डांस सिखा दो !
तो मैंने पूछा- तुम डांस सीख कर क्या करोगी?
वो कहने लगी- कुछ नहीं ! बस ऐसे ही।
मैंने मना कर दिया तो वो मेरी मिन्नत करने लगी। सो मैं भी मान गया।
मैंने गाना लगा दिया और उसे डांस का एक स्टेप कर के दिखाया। वो मेरे स्टेप्स की कॉपी करने लगी। उसने सूट पहन रखा था तो उसको नाचने में दिक्कत हो रही थी पर उसकी चूची को देख कर, जो हिल रही थी, मेरा लंड भी हिल रहा था। वो डांस करते करते रुक गई।
मैंने उससे पूछा- क्या हुआ?
उसने कहा- परेशानी हो रही है इन कपड़ों में !
मैंने मजाक में कह दिया- कपड़े उतार कर डांस कर लो।
वो शरमा गई और चली गई।
मैं भी उसके पीछे गया। वो मुँह छुपा कर लेट गई।
मैंने कहा- मैं तो मजाक कर रहा था ! तुम बुरा तो नहीं मानी।
उसने कहा- इसमें बुरा मानने वाली कौन सी बात है? मजाक ही तो किया था।
हम वहीं बैठ कर बातें करने लगे।
उसने मुझसे अचानक पूछ लिया- तुम्हारी कोई गर्लफ्रेंड है क्या?
मैंने कहा- हाँ ! हैं तो कई ! पर क्यों।
उसने कहा- किसी के साथ सेक्स सम्बन्ध बनाये हैं या नहीं?
मैंने कहा- तुम्हें क्यों बताऊँ।
उसने कहा- मैं तुम्हारी दोस्त नहीं हूँ क्या? मुझे बता नहीं सकते?
मैंने उससे कहा- हमने दोस्ती कब की?
उसने कहा- अब कर लो।
मैंने कहा- तुम बड़ी वो हो।
उसने कहा- वो मतलब क्या?
मैंने कहा- वो मतलब सेक्सी !
उसने अपना हाथ मुँह पर रख लिया। मैंने उसका चुम्बन ले लिया।
वो गुस्सा हो गई और कहने लगी- अभी तुम्हारी मम्मी को बताउँगी।
मैं डर गया और वहाँ से चला आया।
रात को मैं छत पर ही सोता हूँ। मैं छत पर सोया था, मेरे सामने रीमा की चूची थी। मैं उसके बारे में सोच कर मुठ मार रहा था। तभी वहाँ रीमा आ गई। उस समय रात के बारह बजे थे। मैं उसे देख कर घबरा गया। वो मुझे घूर कर देखने लगी। मैं घबराया हुआ था।
उसने कहा- तुम मेरे बारे में सोच कर ही मुठ मार रहे हो न?
मैंने कहा- नहीं !
तो उसने कहा- सच बताओ, नहीं तो आंटी को बता दूंगी। मैंने हाँ कह दिया।
उसने पूछा- क्या सोच रहे थे?
मैंने कहा- तुम्हारी चूची के बारे में।
मेरा लंड सिकुड़ गया था। उसने अपना हाथ मेरे लंड पर रखा और हिलाने लगी। मेरा लंड फिर खडा हो गया। उसने मेरी निक्कर उतार दी और जोर जोर से लंड हिलाने लगी। थोड़ी देर बाद उसने मेरा लंड मुँह में ले लिया और चूसने लगी। थोड़ी देर बाद उसने अपनी सलवार और कुर्ती उतार दी और कहने लगी- अब ठीक है ! अब डांस सिखा दो !
मैंने उससे कहा- सिखा तो दूँ … पर . . . . . . . ?
पर पर क्या ? उसने कहा- अगर कोई परेशानी है तो बाकी भी उतार देती हूँ।
यह बोलते ही उसने अपनी ब्रा और पैंटी भी उतार दी। क्या चूची थी उसकी . . . . . . चूत अभी कुंवारी लग रही थी . . . . . . । चूत की खुशबू तो अलग ही आ रही थी। मेरा लंड वो देख कर और भी मोटा हो गया।
मैंने कहा- डांस तो सिखा दूँगा पर क्या तुम फीस दे दोगी।
उसने कहा- फीस अभी ले लो।
उसने मेरा मुँह अपनी चूची पर लगा दिया। मैंने भी अपना काम शुरु किया और उसकी चूची चूसने लगा। पाँच मिनट उसकी चूची चूसने के बाद मैंने उसकी चूत पर हाथ रखा और रगड़ने लगा। वो मेरा लंड मुँह में लेकर रगड़ने लगी और मुठ मारने लगी। मैंने उसकी चूत में उंगली दे दी। वो चिंहुक उठी। मैंने उसकी चूत चूसनी चालू की और साथ-साथ उंगली भी दे रहा था।
मैंने उससे कहा- यहाँ हमें कोई देख लेगा ! हम नीचे चलते हैं तुम्हारे कमरे में !
वो मान गई। मैंने जाते ही अपना मोबाइल ऑन किया और वीडियो रिकॉर्डर चालू कर दिया और 69 की अवस्था में आ गए। उसको मालूम नहीं था कि मैं उसकी और अपनी वीडियो बना रहा हूँ।
15 मिनट बाद मैंने उसकी चूत पर अपना लंड रखा और धक्का दिया। मेरा आधा लंड अंदर चला गया। बिना रुके हुए दूसरा धक्का दिया और मेरा पूरा लंड अंदर चला गया। दस मिनट चोदने के बाद उसके चूत में ही झड़ गया और थोड़ी देर बाद वो भी झड़ गई।
हम लेट गए। मेरा लंड फिर खड़ा हो गया।
इस बार मैंने उसको घोड़ी बना कर चोदना शुरु किया। चोदते-चोदते मैंने अपना लंड निकाला और उसकी गांड में दे दिया। आधा लंड उसकी गांड में चला गया।
वो रोने लगी और कहने लगी- छोड़ दो ! निकाल दो बाहर ! दर्द हो रहा है !
मैंने कहा- बस थोड़ी देर दर्द होगा फिर मजा आएगा।
मैं रुक गया और उसकी चूची दबाने लगा। उसको थोड़ा आराम मिला तो मैंने फिर धक्का दिया और उसकी गांड में अपना पूरा लंड डाल दिया। वो छटपटा रही थी। पर लण्ड निकालने में नाकामयाब रही।
मैंने धक्के लगाने शुरु किये। वो आ आ ई ई की आवाजें निकाल रही थी। मैंने उसे 15 मिनट तक चोदा।
फिर मैंने अपना लंड निकाला तो उसने कहा- निकाल क्यों किया।
तो मैंने कहा- मेरा झरने वाला है !
तो उसने कहा- गांड में ही झार दो।
मैं अभी डालने ही वाला था, तब तक मेरा पानी निकल गया और उसके गांड के ऊपर ही गिर गया। वो जल्दी से पलटी और बाकी का सारा पानी अपने मुँह में ले लिया और मेरा लंड साफ़ कर दिया। हम थोड़ी देर लेटे रहे और फिर उठ कर कपड़े पहनने लगे। बिस्तर पर थोड़ा सा खून गिरा हुआ था।
तभी मुझे ध्यान आया कि मेरा वीडियो रिकॉर्डर चालू था। मैंने रीमा के नजरों से बचा कर अपना मोबाइल उठाया और वीडियो सेव करके मोबाइल ऑफ कर दिया। हम ऊपर ही जाकर सो गए। सुबह नींद खुली तो रीमा मेरे बगल में सो रही थी।
मेरा लंड बाहर था और उसकी चूची बाहर थी। शायद मेरे सोने के बाद उसने मेरा लंड चूसा था। मैंने भी उसकी चूची दबाई और चूसने लगा और सुबह मैंने उसे फिर दुबारा चोदा, सिर्फ उसकी गांड मारी।
तो दोस्तो, बताओ आपको मेरी कहानी कैसी लगी।
एक और कहानी है आपके किये मेरे पास पर पहले इस पर अपने विचार जरूर लिखना कि मैंने रीमा को चोदने में कहाँ कसर छोड़ दी, यह बताना। Hindi Sex Stories
हैलो दोस्तों मेरे संबंध मेरी चाची के साथ Indian Sex Stories हैं जिनका नाम रोहिणी हैं। मैं अपनी चाची को खूब चौदता हूँ और जी भरकर गांड मारता हूँ। लेकिन मुझसे पहले भी उनका संबंध एक आदमी से रह चुका हैं उसी की कहानी आपको सुना रहा हूँ।
रोहिणी एक घरेलू महिला हैं जिसकी उम्र लगभग ४५ साल की और कद ५.२ इंच हैं। उसका वजन अधिक हैं जिससे वह मोटी ज्यादा दिखती हैं। इसके बावजूद वह एक गोरी चिट्टी सेक्सी महिला हैं जिसे देखकर हर दीवाने का लंड खड़ा हो जाये। उसकी तीन लड़कियाँ तथा एक लड़का हैं। दो लड़कियों की शादी हो गई हैं तथा एक लड़की रक्षा जिसकी उम्र १९ साल तथा लड़के राजू की उम्र १५ साल हैं।
इस उम्र में भी रोहिणी पर सेक्स का बुखार कम नहीं हुआ हैं उलटे और अधिक बढ गया हैं। रोहिणी के पति रमाकांत का वजन भी ज्यादा हैं और अब उनमें वो बात नहीं रही जो जवानी में होती हैं। इसलिये रोहिणी संतुष्ट नहीं होती हैं।
रोहिणी अपने नाम के अनुरूप ही सजती संवरती हैं और किसी महारानी से कम नहीं लगती। आज रोहिणी कुछ ज्यादा ही सज-संवर रही थी। पति ने पूछा तो बताया कि आज के दिन हम पहली बार मिले थे इसलिये सज-संवर रही हूँ। आज हम फिर हमारी सुहागरात की याद ताजा करेंगें।
रमाकांत मुस्कुराकर बोले- क्यों नहीं मेरी रानी। आज बहुत दिनों बाद हम सेक्स का मजा लेंगें।
ठीक हैं ठीक हैं ! पर जल्दबाजी मत करना। प्यार से रगड़ना मुझे ! वरना तुम पप्पी झप्पी लोगे और सो जाओगे। मेरी चूत प्यासी रह जायेगी।
अरे तुम चिंता मत करो ! आज मैं ताकत के कैप्सूल खा लूंगा और तुम्हें जी भर कर चौदूंगा।
दोनों हंसने लगे। रमाकांत ने आगे बढकर रोहिणी के रसीले होंठों को चूम लिया। शाम होते होते रोहिणी रमाकांत का इंतजार करने लगी। बच्चे रोहिणी से पूछने लगे कि आज क्या बात हैं जो आप इतना सज संवरकर बैठी हैं। किसी पार्टी में जाना हैं क्या?
अरे नहीं बच्चों ! बस आज मेरा मन बहुत खुश हैं इसलिये थोड़ा सज संवर लिया! रोहिणी बच्चो को समझाते हुए बोली।
पर रक्षा समझ गई कि आज कुछ गड़बड़ होने वाली हैं।
रात में सभी ने खाना खाया और अपने अपने कमरे में चले गये। रोहिणी ने आज अपने कमरे में गुलाब जल छिड़क रखा था। भीनी-भीनी खुश्बू पूरे कमरे में महक रही थी। रमाकांत और रोहिणी दोनों अपने बिस्तर पर बैठे बातें करने लगे।
रोहिणी के हाथ रमाकांत के हाथों में थे। रमाकांत ने एक हाथ रोहिणी के बालों में डाला और रोहिणी के भीगे होंठों को चूसने लगे। रमाकांत ने रोहिणी की साड़ी खोल दी। रोहिणी ने भी तेजी दिखाई और रमाकांत के कपड़े खोल दिये। अब रोहिणी सिर्फ ब्लाउज और पेटीकोट में थी तो रमाकांत सिर्फ अण्डरवियर पहने थे। उनका लंड अण्डरवियर में से अपनी झलक दिखला रहा था। रमाकांत ने ब्लाउज और पेटीकोट भी खोल दिया। रोहिणी पूरी तरह नंगी हो गई क्योंकि उसने ब्रा और पेंटी नहीं पहनी थी। रमाकांत रोहिणी के प्रत्येक अंग को चूमने लगे। रोहिणी उत्तेजित होने लगी। रमाकांत ने रोहिणी के बडे -बडे बूब्स को खूब चूसा। एक एक अंग को चूमते चूमते रमाकांत के होंठ रोहिणी की चूत को चूसने लगे। रोहिणी बुरी तरह उत्तेजित हो गई। रोहिणी ने एक हाथ से रमाकांत की अण्डरवियर में हाथ डाला और उनका लंड पकड लिया।
रोहिणी ने रमाकांत को उठाया और उनका लंड अपने मुंह में भर लिया। रमाकांत तड़पने लगे पर रोहिणी और जोर-जोर से लंड चूसने लगी। रमाकांत को झड़ने में ज्यादा देर नहीं लगी और सारा वीर्य रोहिणी के मुंह में भर दिया। रोहिणी एक-एक बूंद चाट गई।
रोहिणी ने रमाकांत के होंठों को अपने होंठो के बीच दबा लिये और जोर जोर से चूसने लगी। गर्दन से नीचे आने पर रोहिणी ने रमाकांत के छोटे-छोटे निप्पल को बुरी तरह से चूस लिया। रमाकांत की तड़प बढ़ गई। रोहिणी रमाकांत के शरीर को चूमते हुए फिर लंड तक पहुंच गई और ढीले लंड को मुंह में भरकर चूसने लगी। बहुत देर चूसने के बाद रमाकांत का लंड फिर से खड़ा होने लगा। रमाकांत जोश में आ गये और रोहिणी को बिस्तर पर लिटाकर अपना लंड रोहिणी की चूत में डाल दिया। रमाकांत धक्के पर धक्के लगाने लगे।
रोहिणी को मजा आने लगा और वह कहने लगी- आज तो इस चूत की धज्जियां उड़ा दो मेरे सरकार ! फाड़ कर रख दो इसे !
इतना सुनते ही रमाकांत ने जोर जोर से धक्के लगाना शुरू किये और सारा माल एक ही झटके में रोहिणी की चूत में भर दिया ।
रोहिणी अभी तक झड़ी नहीं थी। लेकिन रमाकांत का लंड ढीला हो चुका था। रोहिणी फिर से चूदाने के मूड में थी इसलिये फिर से उसने लंड को अपने मुंह में भर लिया। बहुत देर तक लंड चूसने के बाद भी लंड खड़ा नहीं हुआ। रोहिणी फिर मन मारकर लेट गई। रमाकांत थक गये थे इसलिये उन्हें फटाफट नींद आ गई लेकिन रोहिणी अभी भी प्यासी थी। उसने अपनी उंगलियों को ही चूत में डाल-डालकर अपना पानी निकाल लिया।
सुबह रमाकांत बडे फ्रेश लग रहे थे लेकिन रोहिणी अनमनी सी लग रही थी। रोहिणी ने रमाकांत से ज्यादा बात नहीं की और उन्हें खाना खिलाकर काम पर भेज दिया। दोनों बच्चे स्कूल चले गये। वह घर पर अकेली बोर होने लगी। वह बार-बार यहीं सोच रही थी कि कैसे अपनी प्यास बुझाई जायें। इनका लंड तो अब डालते से ही झड़ जाता हैं। क्या किसी और से चूदवा लूं? लेकिन उसका मन नहीं मान रहा था। आज पहली बार किसी पराये मर्द के लिये उसके मन में ख्याल आया था।
रोहिणी अभी इसी सोच में पड़ी हुई सोफे पर लेटी थी। तभी दरवाजे की घंटी बजी। रोहिणी ने दरवाजा खोला तो सामने एक आदमी खड़ा था, जिसकी उम्र लगभग ५० साल की होगी। उसकी सफेद दाढ़ी थी तथा सिर पर बाल बहुत कम थे। उसने बताया कि रमाकांत जी ने उसे टॉयलेट की सफाई के लिये भेजा हैं।
रोहिणी उस आदमी को टॉयलेट तक लेकर गई। रोहिणी ने उसका नाम पूछा तो उसने अपने नाम कालू बताया। कालू अपने काम में लग गया। कुछ ही देर में उसका सारा काम हो गया।
काम होने के बाद कालू के कपडे गीले हो चुके थे। वह बाथरूम में गया और अपने शर्ट और पेंट उतारकर शॉवर में नहाने लगा। उसने दरवाजा आधा ही बंद किया था। उसने अंदर कुछ नहीं पहना था। वह नंगा होकर शॉवर का आनंद लेने लगा।
काम हुआ या नहीं, यह देखने के लिये रोहिणी बाथरूम तक पहुंची। बाथरूम तक पहुंची तो उसके होश उड़ गये। कालू नंगा होकर नहा रहा था। उसका लंड देखकर उसकी सांसे तेज हो गई। कालू ने रोहिणी को देख लिया था पर वह यह जता रहा था कि उसने उसे देखा ही नहीं। रोहिणी से कुछ बोलते नहीं बनी। अभी भी उसकी सांसे तेज चल रही थी।
कुछ देर बाद रोहिणी संभली तो उसने कालू को बोला- यह तुम क्या कर रहे हो। तुम्हें सिर्फ सफाई के लिये बुलाया था, नहाने धोने के लिये नहीं।
कालू हकलाकर बोला- मुझे माफ कर दो मेमसाब ! मेरे कपड़े और बदन गंदे हो गये थे इसलिये सोचा कि दोनों को साफ कर लूं।
रोहिणी बोली- ठीक हैं, ठीक हैं। जल्दी करो। मैं अपने बेडरूम में जा रही हूं। काम हो जाये तो पैसे ले जाना।
कालू- जी मेमसाब।
कालू मन ही मन खुश हो रहा था कि मेमसाब उससे नाराज नहीं हुई। हो न हो उसे भी लंड की चाहत जरूर होगी वरना इतनी देर में तो कोई भी उसे खरी खोटी सुनाता और घर से निकाल देता।
इधर रोहिणी अपने कमरे में जाकर बिस्तर पर बैठ गई। उसके मन में कालू का नंगा शरीर ही दिख रहा था। वह अपने को काबू में नहीं रख पा रही थी। उसने अपने कपड़े खोले और गाउन पहन लिया ।
कालू नहाकर बाहर निकला। उसने कपड़े भी नहीं पहने और रोहिणी के कमरे की ओर चला आया। अंदर रोहिणी गाउन पहने अपने बिस्तर पर लेटी थी। वह आंखे बंद करके मन ही मन में कालू के बारे में सोच रही थी। कालू ने देखा कि दरवाजा हल्का सा खुला हैं। उसने अंदर झांका तो रोहिणी आंखे बंद करके लेटी थी।
इस अवस्था में देखकर उसके मन में भी सेक्स का बुखार चढ़ने लगा। उसका लंड तनतनाकर ७ इंच का हो गया। वह दबे पांव रोहिणी तक गया और उसके होंठों पर होंठ रख दिये।
रोहिणी बूरी तरह चौंक गई। वह सोच भी नहीं सकती थी कि कालू आकर उसके होंठों को चूम लेगा। उसने सोचा कि कालू को डांटकर भगा दे लेकिन अपनी हवस पर काबू नहीं रख पाई और कालू से चिपक गई। कालू ने भी उसे बाहों में भर लिया और उसकें होंठों का रस चूसने लगा। रोहिणी पर चूदवाने का नशा इस तरह चढ गया था कि वह एक भंगी के बदबूदार मुंह को अपने मुंह से लगाकर चूमाचाटी कर रही थी।
बहुत देर तक रोहिणी के होंठों की मां चोदने के बाद कालू ने रोहिणी का गाउन खोलकर उसे नंगा कर दिया। उसे रोहिणी की बड़ी लेकिन प्यारी सी चूत दिखाई दी जो पूरी तरह क्लीन शेव्ड थी। कालू ने चूत को अपने होंठों से लगाकर बूरी तरह चूसने लगा। रोहिणी पागल सी हो गई।
रोहिणी इतनी उत्तेजित हो गई थी कि वह एक भंगी से भी चूदवाने को तैयार थी। कालू का लंड देखकर रोहिणी खुश हो गई कि आज यह लंड उसकी प्यास बुझा देगा। कालू ने अपना लंड रोहिणी के मुँह में दे दिया। कालू भी तड़प उठा पर यह सोचकर उसे अपनी जिंदगी पर गर्व होने लगा कि एक भंगी भी किसी अप्सरा को, चाहे वह मोटी ही क्यों न हो, चौद सकता हैं।
आज हवस के नशे में एक मालदार महिला ने अपनी इज्जत एक भंगी के हाथों में दे दी। रोहिणी पूरी तरह गर्म हो गई थी। कालू उसे अब अपना सब कुछ नजर आ रहा था।
रोहिणी – आह कालू। अब देर मत करों। अपना लंड मेरी चूत में डालो और मेरी प्यास बुझा दे मेरे राजा ।
कालू ने रोहिणी की चूत का निशाना लगाया और एक ही झटके में पूरा लंड रोहिणी की चूत में डाल दिया। रोहिणी चीख पड़ी। आह कमीने धीरे से डाल ! मार डालेगा क्या !
कालू तो पागल हो गया था। इस स्वर्गीय आनंद में वह जोर-जोर से धक्के लगाने लगा। रोहिणी का पूरा शरीर हिलने लगा। इतना आनंद तो उसे रमाकांत से चुदाई कराने पर भी कभी नहीं आया। कालू ने पूरी तरह से रोहिणी की चूत को भौंसड़ा बना दिया। आज रोहिणी तीन बार झड़ चुकी थी। कालू ने तेज झटके मारे और सारा माल रोहिणी की चूत में डाल दिया। रोहिणी अपनी चुदाई से पूरी तरह संतुष्ट थी।
दोनों एक साथ चिपककर लेटे रहे। थोड़ी देर बाद कालू फिर चालू हो गया। उसका लंड फिर खड़ा हो गया। उसने रोहिणी को उलटा लिटाया और उसकी गांड के छेद पर लंड रखकर धक्का लगाया। रोहिणी दर्द से चीखने लगी। दो तीन झटको में कालू ने लंड रोहिणी की गांड में घुसा दिया।
रोहिणी दर्द से चीख रही थी। कुछ देर में उसे भी मजा आने लगा। कालू ने ५ मिनट तक रोहिणी की गांड मारी फिर तेज धक्कों के साथ अपने वीर्य से रोहिणी की गांड को भर दिया। कुछ देर तक कालू और रोहिणी चिपककर लेटे रहे। फिर कालू उठकर जाने लगा।
कालू ने बाथरूम में जाकर अपने कपड़े पहन लिये। कालू जाने लगा तो रोहिणी ने कालू को होंठों पर लंबा चुम्मा दिया और ढेर सारे पैसे भी दिये। कालू खुशी-खुशी चला गया और रोहिणी पूरी तरह संतुष्ट होकर अपने कमरे में जाकर मीठी नींद में सो गई । Indian Sex Stories
मैं मिसेज रागिनी हूँ दोस्तो.
मैं 30 साल की एक मद मस्त, जवान और पढ़ी लिखी औरत हूँ।
मेरी शादी दो साल पहले आनंद नाम के एक लड़के से हो गई थी।
आनद भी बड़ा स्मार्ट और हैंडसम लड़का है.
वैसे मैं कानपुर की रहने वाली हूँ।
मेरी ससुराल भी कानपुर में ही है मगर मैं आजकल अपने पति के साथ मुंबई के कोलाबा एरिया में रह रही हूँ।
मैं 5′ 5″ के कद वाली हूँ, गोरी चिट्टी हूँ और चंचल स्वभाव की हूँ।
देखने में सेक्सी, खूबसूरत और हॉट हूँ।
ऐसा मैं नहीं कह रही हूँ लोग कहते हैं।
मेरे मम्मे थोड़ा बड़े बड़े साइज के हैं.
मेरी कमर पतली है, मेरी बाहों की गोलाई बड़ी मनमोहक है इसलिए मैं अक्सर स्लीवलेस कपड़े ही पहनती हूँ।
मेरे कूल्हे थोड़ा बड़े बड़े है जिससे मुझे ठुमके लगाने में बड़ी आसानी होती है।
मेरी जांघें केले के तने जैसी हैं और मेरे चूतड़ भी बड़े आकर्षक हैं।
साथ ही मेरी गांड़ भी ससुरी बड़ी मस्त है.
और फिर गरम चूत के तो कहने ही क्या!
उसके बारे में मैं आपको आगे बताऊंगी।
शादी के पहले कॉलेज के दिनों में मैं दो बातों के लिए बहुत मशहूर थी।
एक तो पढ़ाई के लिए और दूसरे चुदाई के लिए!
मतलब यह कि मैं जितनी बातें पढ़ाई के बारे में करती थी उतनी ही बातें चुदाई के बारे में भी करती थी।
चुदाई में सबसे ज्यादा लण्ड की बातें होतीं थीं।
मैं ही नहीं, सभी लड़कियां खुल कर लण्ड की बातें करती थीं।
‘लण्ड का साइज और लण्ड की बनावट’ कभी ख़त्म न होने वाला टॉपिक था।
कोई ऐसा दिन न था जब लण्ड पर कोई बात न होती हो.
लड़कियां वैसे भी लड़कों से ज्यादा गन्दी गन्दी बातें करतीं हैं।
वैसे भी हर लड़की के मुंह से लण्ड, बुर, चूत, भोसड़ा जैसे शब्द निकलते ही रहते थे।
उसके साथ साथ गालियां भी जैसे बहन चोद, मादर चोद, माँ का लौड़ा, बहन का लौड़ा, भोसड़ी वाली, बुर चोदी, गांडू और भी बहुत कुछ सबके मुंह से सुनाई पड़ता था।
वो सच में बड़े अच्छे दिन थे यार!
मैं याद करती हूँ तो सिहर जाती हूँ।
बस कॉलेज के दिनों में ही मैंने लण्ड पकड़ना शुरू किया, लण्ड मुंह में लेना शुरू किया और फिर लण्ड का सड़का मारना भी शुरू किया।
तभी मुझे एक सहेली ने लण्ड का वीर्य पीने की सलाह दी और उसके फायदे बताये।
उसने मुझे लण्ड का वीर्य पीते हुए दिखाया।
बस मैं भी वही करने लगी.
तो एक साल में ही मेरी चूचियाँ दूनी हो गईं।
मुझे लण्ड पीने में मज़ा आने लगा.
फिर एक दिन लण्ड चूत में पेलवाना भी शुरू कर दिया।
जी हां दोस्तो, मैं शादी के पहले खूब चुदी हुई थी।
यह बात किसी को नहीं मालूम सिर्फ आपको बता रही हूँ।
किसी से मत कहना प्लीज!
मैं कॉलेज में पढ़ती थी तो हमारे पड़ोस में एक प्रशांत नाम के अंकल रहते थे।
वे बड़े मस्त, गोरे चिट्टे, स्मार्ट और हैंडसम थे।
हमारे घर आते जाते थे।
मैं कभी कभी उनके घर जाकर इंग्लिश पढ़ती थी।
अंकल बड़े प्यार से पढ़ाते भी थे।
मैं मन ही मन अंकल का बड़ा आदर और सम्मान करती थी।
मेरी जब शादी हो गयी तो हमारा संपर्क टूट गया।
वे कानपुर में ही थे और मैं यहाँ मुंबई आ गई।
मेरी शादी को दो साल हो गये हैं. इन दो सालों में मुझे अपने पति के लण्ड के अलावा कोई और लण्ड नहीं मिला।
मैं धीरे धीरे किसी पराये मरद के लण्ड के लिए तरसने लगी।
मेरी चूत मुझे बहुत परेशान करने लगी।
मेरा मन किसी काम में नहीं लग रहा था।
मुझे कॉलेज के लण्ड बहुत याद आ रहे थे।
एक दिन शाम को मैं अपनी दोस्त अंजलि के साथ चौपाटी पर घूम रही थी।
अचानक किसी के मुंह से निकला- अरे रागिनी तुम यहाँ?
मैंने पीछे मुड़ कर देखा तो बोली- आप प्रशांत अंकल है न?
वे बोले – हां रागिनी, मैं प्रशांत ही हूँ।
मैंने कहा- अरे अंकल, कहाँ खो गए थे आप? मैं आपको बहुत याद करती हूँ … आपसे मिलना चाहती थी। आपसे बातें करना चाहती थी। पर यह बताओ यहाँ मुंबई में कैसे?
वे बोले- यहाँ कोलाबा में मेरी बेटी है। मैं उसी के यहाँ ठहरा हुआ हूँ।
मैंने कहा- अरे वाह, मैं तो कोलाबा में ही रहती हूँ।
वे बोले- फिर तो हमारा मिलना होता रहेगा।
मैंने कहा- होता रहेगा ये तो आगे की बात है, मेरे साथ अभी चलो मेरे घर!
फिर मैंने उन्हें अंजलि से मिलवाया और कहा- यह मेरी दोस्त अंजलि है। यह भी साथ चलेगी।
फिर हम तीनों लोग गाड़ी में बैठ कर घर आ गए।
मेरा पति एक हफ्ते के लिए विदेश गया था।
मैंने दोनों को बड़े प्यार से बैठाया और झुक कर पानी दिया।
झुकने से मेरी साड़ी का पल्लू गिर पड़ा।
मेरी छोटी सी ब्रा के अंदर से मेरी बड़ी बड़ी चूचियाँ अंकल को दिख गईं।
वे अपने होंठ चाटने लगे।
मुझे बहुत अच्छा लगा, मैंने राहत की सांस ली। मुझे पराये मरद के लण्ड का रास्ता दिख गया।
मैंने ठान लिया कि आज नहीं तो कल मैं अंकल का ओल्ड लंड अपनी गरम चूत में ले ही लूंगी।
सुना है कि बड़े बड़े लोगों के लण्ड भी बड़े बड़े होते हैं।
इतने में नकल बोले- रागिनी, तुम पहले से ज्यादा खूबसूरत हो गई हो। ज्यादा सेक्सी दिखने लगी हो. शादी के बाद तुम्हारा चेहरा ज्यादा खिल गया है।
मैंने कहा- वो तो मैं नहीं जानती अंकल … लेकिन शादी के बाद मैं बहनचोद ज्यादा बोल्ड हो गई हूँ। अब मैं किसी भोसड़ी वाले से शर्माती नहीं हूँ और डरती भी नहीं हूँ। बेशरम हो गई हूँ मैं! मेरे पति के न रहने पर मुझे कोई भी मादरचोद हाथ नहीं लगा सकता!
वे बोले- क्या मैं भी नहीं लगा सकता रागिनी?
मैंने हंस कर कहा- तुम्हारी बात और है अंकल! तुम तो मेरे साथ जबरदस्ती भी कर सकते हो.
वे हंसने लगे।
इतने में अंकल का अचानक फोन आ गया तो वे चाय पीकर चले गये।
उनके जाने के बाद अंजलि बोली- यार रागिनी, मुझे लगता है कि तेरे अंकल लण्ड बड़ा सॉलिड होगा। उनकी नज़रें बता रहीं थीं कि वे तुम्हें अपना लण्ड पकड़ाना चाहते हैं. उन्हें तुमसे प्यार हो गया है।
मैंने कहा- अरे यार अंजलि, मैं खुद उनका लण्ड पकड़ना चाहती हूँ। मैं तो आज ही पकड़ लेती उनका लण्ड … लेकिन एक फोन ने सब काम बिगाड़ दिया बहनचोद!
अंजलि बोली- अच्छा पकड़ना तो फिर मुझे भी दिलवा देना उनका लण्ड! मैं भी लण्ड की प्यासी हूँ।
दूसरे दिन शाम को फिर घंटी बज उठी।
मैंने दरवाजा खोला तो बोली- अरे आप अंकल … अंदर आओ न प्लीज!
मैंने उन्हें बैठाया और फिर एक गिलास पानी का रखा।
आज मेरी चूचियाँ कुछ ज्यादा ही खुली हुईं थीं।
अंकल ने पानी पिया और बोले- थैंक यू रागिनी!
मैं उसके सामने बैठ गई।
इस समय मैं केवल ब्रालेट पहने थी नीचे एक छोटी सी टाइट नेकर।
मैं एकदम एक मॉडर्न गर्ल बनी हुई थी।
फिर मैंने पूछा- अंकल बोलो क्या पियोगे, ठण्डा या गर्म?
वे बोले- आज तो मैं व्हिस्की पियूँगा। तुम मेरा साथ दोगी तो!
मैंने कहा- हां जरूर दूँगी।
उन्होंने अपनी जेब से हाफ निकाला और मुझे दिया.
फिर क्या … हम दोनों व्हिस्की पीने लगे, सिगरेट भी पीने लगे.
हमारा मूड बन गया।
मैंने कहा- आज मुझे अपने कॉलेज के दिन याद आ रहें हैं अंकल!
फिर क्या … थोड़ा नशा हुआ तो दिल की बातें बाहर निकलने लगीं।
मैंने कहा- अंकल कल आपका फोन आया था. कोई खास बात थी क्या?
उन्होंने कहा- नहीं, कोई खास बात नहीं थी। पर हां, कल मुझे तुम्हारी गालियां बड़ी अच्छी लग रहीं थी रागिनी। मन करता था कि बस सुनता जाऊं? तेरी दोस्त न होती तो मैं तुमसे खुल कर बातें करता.
मैंने कहा- तो फिर आज कर लो न खुल कर बातें बहनचोद? आज तो वह बुरचोदी अंजलि नहीं है।
उन्होंने सिगरेट का एक कश लिया और मेरे मम्मों पर धुंआ छोड़ दिया।
मैं कहाँ चूकने वाली थी, मैंने भी कश लिया और उनके लण्ड पर धुआं छोड़ दिया।
वे बोले- तुम बहुत समझदार लड़की हो रागिनी!
मैंने कहा- हां, तभी तो मैंने तुम्हारे सवाल का जबाब देकर अपनी इच्छा ज़ाहिर कर दी।
वे बोले- रागिनी, एक बात है कि हमारे तुम्हारे बीच में उम्र का बड़ा अंतर है।
मैंने कहा- उम्र की माँ का भोसड़ा अंकल! औरत उम्र नहीं देखती, औरत मर्द का हथियार देखती है अंकल। हथियार टना टन हो तो उम्र की माँ चूत!
वे बोले- रागिनी, तुम इतनी हॉट हो कि मैं कल रात भर सो नहीं पाया।
मैंने कहा- अरे यार, मुझे भी तुम्हारी बड़ी याद आती रही रात भर!
उन्होंने मेरे कंधे पर हाथ रख दिया तो मैं भी उसकी जांघ पर हाथ रगड़ने लगी।
तब उन्होंने मेरी चुम्मी ले ली और मेरी नंगी टांगों पर अपना हाथ फिराने लगे।
फिर मेरा भी हाथ अपने आप उसके लण्ड तक पहुँच गया।
मैं उनकी पैंट के ऊपर से ही लण्ड टटोलने लगी।
मेरे मुंह से निकला- तेरा हथियार तो मादर चोद बड़ा जबरदस्त लग रहा है अंकल?
मैं मन ही मन अंकल से पूरी तरह फंस चुकी थी।
मुझे बिना उनका लण्ड देखे एक मिनट का भी चैन न था।
मैं जल्दी से जल्दी उन्हें नंगा करना चाहती थी और इसी आवेश में मैंने उनकी शर्ट उतार दी।
उनके चौड़े कंधे बलिष्ठ भुजाएं, चौड़ी छाती और पूरा कसरती बदन देख कर मैं उन पर मोहित हो गयी।
तब तक उन्होंने मेरी ब्रा का हुक खोल डाला तो मेरी दोनों मम्मे उसके सामने छलक पड़े।
वे मम्मे देख कर मस्त हो गये, उन्हें पकड़ कर सहलाने लगे, मसलने और चूमने लगे।
अंकल मेरे निप्पल मुंह में भर कर चूसने लगे।
मैं भी उत्तेजित होने लगी, मज़ा लेने लगी।
फिर बड़ी बेशर्मी से मैंने उनकी पैंट उतार दी उनकी नेकर भी खोल डाला।
नेकर खुलते ही लौड़े मियां ताल ठोकते हुए बाहर आ गए।
मैंने उसे देखा तो सन्न रह गयी।
सांप की तरह फनफनाकर खड़ा हो गया था उनका मोटा तगड़ा लण्ड।
लण्ड का अंडाकार 3″ का चिकना टोपा एकदम झकास लग रहा था।
मैंने उसे पकड़ा चूमा और बोली- वाह क्या मरदाना लण्ड है अंकल? ऐसा लौड़ा बहुत कम लोगों का होता है। तुम बड़े लकी हो. तुम्हारा लण्ड लाखों में एक है. मैं तो तुम्हारे लण्ड पर मर मिटी। मेरा तो दिल आ गया इस मादरचोद लण्ड पर! क्या मस्ताना लण्ड है भोसड़ी का! मज़ा आ गया यार ऐसा लौड़ा देख कर!
तब तक उन्होंने मेरी छोटी सी नेकर उतार कर फेंक दी।
मैं माँ की लौड़ी उसके आगे एकदम नंगी हो गयी।
मेरा यह पहला मौका था जब मैं शादी के बाद किसी पराये मर्द के आगे नंगी खड़ी थी वह भी उसका नंगा लण्ड पकड़े हुए!
मैं किसी पराये मर्द को पहली बार नंगा देख भी रही थी।
मुझे किंचित मात्र भी न शर्म थी और न झिझक … मैं बिंदास अपनी जवानी का मज़ा लूटने लगी.
मैंने मन में कहा कि मैं झांट किसी की परवाह नहीं करूंगी। अब तो मैं एक नहीं, कई लण्ड का मज़ा लूंगी।
बस मैं अंकल का लण्ड बड़े प्यार से चाटने लगी और अंकल भी उसी प्यार से मेरी फुद्दी चाटने लगे।
मेरी चूत बहुत गर्मा चुकी थी।
अंकल उसमें बार बार अपनी उं गली घुसेड़ रहे थे।
मैंने धीरे से अपनी टाँगें फैलाई तो मेरी चूत पूरी तरह खुल गयी.
अंकल को यही चाहिए था।
उन्होंने फ़ौरन लण्ड पेल दिया अंदर और बिना रुके चोदने लगे मुझे!
मैं भी अपने कॉलेज के दिनों को याद कर कर के चुदवाने लगी … मैं एन्जॉय करने लगी।
मुझे लगा कि आज मैं सच में अपनी सुहागरात मना रही हूँ।
अपनी सुहागरात में भी मुझे इतना मज़ा नहीं आया था।
मैं बोली- अंकल, मुझे अपनी बीवी समझ कर चोदो। मैं ही तुम्हारी असली बीवी हूँ, मुझे चोदो। मेरी बुर चोदो, मेरी चूत चोदो, मेरी गांड चोदो। मैं तुम्हारी ही हूँ, जैसे चाहो वैसे चोदो। तुम्हारा लण्ड बड़ा मज़ा दे रहा है यार!
वे बोले- ले भोसड़ी की रागिनी, आज मैं फाड़ डालूँगा तेरी चूत … भोसड़ा बना दूंगा मैं तेरी चूत का! मैंने जब मुंबई में तुझे पहली बार देखा था तो मेरा लण्ड खड़ा हो गया था. और आज देख वही लण्ड तेरी चूत में घुसा है। तेरी माँ की चूत … तू भोसड़ी वाली एकदम रंडी है और मैं रंडियां खूब चोदता हूँ। मैं मुंबई में रंडियां चोदने ही आता हूँ। मैं हर रोज़ 2/3 लड़कियों की चूत में लण्ड पेलता हूँ।
अंकल को जोश आ गया था, वे बोलते रहे- मैं खुद बहुत बड़ा हरामजादा हूँ। मैं रंडीबाज हूँ, लौडियाबाज़ हूँ। मैं अपने दोस्तों की बीवियां फंसा फंसा कर चोदता हूँ। बीवियां भी बुरचोदी मेरे लण्ड की दीवानी है और बार बार मुझसे चुदवाने आतीं हैं।
सच में अंकल बड़े मूड में थे और मस्ती से अपनी ही पोल खोल रहे थे।
चुदाई का नशा शराब के नशे से ज्यादा ताकतवर होता है।
दूसरे की बीवी चोदने के नशे में वह सब सच उगल देता है।
मुझे अंकल की बातें, उनका जोश, उनकी गालियां सब कुछ बड़ा अच्छा लग रहा था।
मैं अपनी गरम चूत में ओल्ड लंड एन्जॉय कर रही थी।
मेरा मन सातवें आसमान पर था।
इस तरह उन्होंने मुझे हर तरफ से चोदा और मैं भी खूब मन से चुदी।
मैंने उसे रात में रोक लिया और तब उन्होंने मुझे रात में 3 बार चोदा।
सुबह उठ कर वे चले गये।
उस दिन मुझे अहसास हुआ कि बड़े लोगों से चुदवाने में ज्यादा मज़ा आता है।
कहते हैं कि किसी औरत Hindi Sex Stories को गैर-मर्द के साथ अकेला नहीं छोड़ना चाहिये क्योंकि मर्द उसे पकड़ कर चोदने की ही सोचेगा।
कैसे इसकी चूत में अपना लंड डाल दूँ – यही ख्याल उसके मन में कुलबुलायेगा।
दोस्तो, मेरे साथ ऐसा ही हुआ।
गर्मी के दिन थे और भरी दोपहर थी।
मैं अपने घर में अकेला था क्योंकि अभी मेरी शादी नहीं हुई थी।
मैंने घर में कुछ ज़रूरी काम करने के लिये ऑफिस से छुट्टी ले रखी थी।
काम निबटा कर मैं बेडरूम में ठंडी बीयर का आनन्द ले रहा था।
करीब एक बजे दरवाजे पर हुआ टिंग-टोंग!
मैंने दरवाजा खोला तो सामने मानो एक अप्सरा खड़ी थी।
पैंतीस-छत्तीस साल की साँवली और गज़ब की सुंदर औरत साड़ी पहने हुए और हाथों में कागज़ और कलम लिये हुए कोयल का आवाज़ में बोली- माफ़ कीजियेगा! क्या कोई लेडी हैं घर में?
मैंने कहा- जी नहीं, मैं बेचलर हूँ और अकेला ही रहता हूँ। आप कौन हैं?
उसके माथे पर पसीने की कुछ बूंदें थी, वह बोली- ज़रा एक ग्लास पानी मिलेगा?
मैंने कहा- हाँ, क्यों नहीं?
वह ज़रा सा अंदर आयी।
मैंने पानी का ग्लास देते हुए पूछा- क्या बात है, आप हैं कौन?
पानी पी कर वह बोली- जी, मेरा नाम सना खान है और मुझे एक कनज़्यूमर कंपनी ने भेजा है सर्वे के लिये। क्या आप मेरे कुछ सवालों का जवाब दे देंगे?
मैंने कहा- जी कोशिश कर सकता हूँ। आप प्लीज़ यहाँ बैठ जाइये।
वह सोफ़े पर बैठ गयी और हमारे घर का दरवाजा अभी खुला ही था।
मैंने दूसरे सोफ़े पर बैठ कर कहा- पूछिये जो पूछना है।
वो बोली- जी आपका नाम और आपकी उम्र क्या है?
“जी मैं प्रताप सिंह हूँ और उम्र छब्बीस साल!” मैंने जवाब दिया।
“आप अपने घर की ज़रूरत की चीजें कहाँ से खरीदते हैं?”
इस तरह वो सवाल पर सवाल पूछती रही और मैं जवाब देता गया।
कुछ देर बाद मैंने पूछा- इस तरह इतनी गर्मी के मौसम में भी आप क्या सब घरों में जाकर सर्वे करती हैं?
“जी, जॉब तो जॉब ही है ना!”
“तो आप शादी शुदा होकर (उसने बड़ी सी अंगूठी पहनी हुई थी) भी जॉब कर रही हैं?”
अब वो भी थोड़ी-सी खुल सी गयी, बोली- क्यों, शादी शुदा औरत जॉब नहीं कर सकती?
“जी यह बात नहीं, घर-घर जाना, जाने किस घर में कैसे लोग मिल जायें?”
उसने जवाब दिया- वैसे तो दिन के वक्त ज्यादातर हाऊसवाइफ ही मिलती हैं। कभी-कभी ही कोई मेल मेंबर होता है।
“तो आपको डर नहीं लगता।”
“जी अभी तक तो नहीं लगा। फिर आप जैसे शरीफ इंसान मिल जायें तो क्या डर?”
‘शरीफ इंसान’ – एक बार तो सुन कर अजीब लगा।
इसे क्या मालूम कि मैं इसे किस नज़र से देख रहा था।
साड़ी और ब्लाऊज़ के नीचे उसकी चूचियाँ तनी हुई थीं और मेरे लंड में खुजली सी होने लगी।
जी चाह रहा था कि काश सिर्फ़ एक बार चूम सकता और ब्लाऊज़ के नीचे उन चूचियों को दबा सकता।
हाथों की अँगुलियाँ लंबी-लंबी मुलायम सी!
वैसे ही मुलायम से सैक्सी पैर ऊँची ऐड़ी के सैंडलों में कसे हुए।
देख-देख कर लंड महाराज खड़े हो ही गये।
मन में ज़ोरों से ख्याल आ रहा था कि क्या गज़ब की अप्सरा है।
इसकी तो चूत को हाथ लगाते ही शायद हाथ जल जायेगा।
तभी वह बोली- अच्छा, थैंक्स फ़ोर एवरीथिंग। मैं चलती हूँ।
मानो पहाड़ टूट गया मेरे ऊपर!
चली जायेगी तो हाथ से निकल ही जायेगी।
अरे प्रताप, हिम्मत करो, आगे बढ़ो, कुछ बोलो ताकि रुक जये।
इसकी चूत में अपना लंड नहीं डालना है क्या? चूत में लंड? इस ख्याल ने बड़ी हिम्मत दी।
“माफ़ कीजियेगा सना जी, आप जैसी खूबसूरत औरत को थोड़ा केयरफुल रहना चाहिये।” मैंने डरते हुए कहा।
“खूबसूरत?”
मैं थोड़ा सा घबराया, लेकिन फिर हिम्मत करके बोला- जी, खूबसूरत तो आप हैं ही। बुरा मत मानियेगा। आप प्लीज़ अब तो चाय पीकर ही जाइये।
“चाय, लेकिन बनायेगा कौन?”
“मैं जो हूँ, कम से कम चाय तो बना ही सकता हूँ।”
वह हंसते हुए बोली- ठीक है… लेकिन इतनी गर्मी में चाय की बजाय कुछ ठंडा ज्यादा मुनासिब होगा!
मैंने कहा- क्यों नहीं… क्या पीना पसंद करेंगी… नींबू शर्बत या पेप्सी… वैसे मैं भी आपके आने के पहले चिल्ड बीयर ही पी रहा था!
“तो फिर अगर आपको ऐतराज़ ना हो तो मैं भी बीयर ही ले लूँगी!”
मुझे उससे इस जवाब की उम्मीद नहीं थी लेकिन मुझे बहुत खुशी हुई।
मैंने उसे फिर बैठने को कहा और किचन में जाकर दो ग्लास और फ्रिज में से बीयर की दो ठंडी बोतलें निकाल कर ले आया।
हम दोनों बीयर पीने लगे और इधर मेरा लंड उबल रहा था।
पहली बार किसी औरत के साथ बैठ कर बीयर पी रहा था और वो भी इतनी सुंदर औरत – और मुझे पता नहीं था कि कैसे आगे बढ़ूँ।
तभी वो बोली- आप अकेले रहते हैं… शादी क्यों नहीं कर लेते?
मैंने जवाब दिया- जी, घर वाले तो काफी ज़ोर दे रहे हैं लेकिन कोई लड़की अभी तक पसंद ही नहीं आयी!
अब और हिम्मत करके मैंने कहा- सना जी, आप वाकयी में बहुत खूबसूरत हैं और बहुत अच्छी भी! आपके हसबैंड बहुत ही खुशनसीब इंसान हैं।
“आप प्लीज़ बार-बार ऐसे ना कहिये। और मुझे सना जी क्यों कह रहे हैं। मैं उम्र में आपसे बड़ी ज़रूर हूँ लेकिन इतनी ज़्यादा भी नहीं!” वो इतराते हुए अदा से मुस्कुरा कर बोली।
दोस्तो, यह हिंट काफ़ी था मेरे लिये!
मैं समझ गया कि ये अब चुदवाने को आसानी से तैयार हो जायेगी।
हमारी बीयर भी खत्म होने आयी थी।
“ठीक है, सना जी नहीं … सना … तुम भी मुझे आप-आप ना कहो! वैसे तुम कितनी खूबसूरत हो, मैं बताऊँ?”
“कहा तो है तुमने कई बार। अब भी बताना बाकी है?”
“बाकी तो है। अपनी बीयर खत्म करके बस एक बार अपनी आँखें बन्द करो … प्लीज़!”
दो-तीन घूँट में जल्दी से बीयर खतम करके उसने आँखें बंद की।
मैंने कहा- आँखें बंद ही रखना!
अब मैंने उसे कुहनी से पकड़ कर खड़ा किया और हल्के से मैंने उसके गुलाबी-गुलाबी नर्म-नर्म होंठों पर अपने होंठ रख दिये।
एक बिजली सी दौड़ गयी मेरे शरीर में! लंड एकदम तन गया और पैंट से बाहर आने के लिये तड़पने लगा।
उसने तुरन्त आँखें खोलीं और अवाक सी मुझे देखती रही और फिर मुस्कुरा कर और शर्मा कर मेरी बाँहों में आ गयी।
मेरी खुशी का ठिकाना ही नहीं रहा।
कस कर मैंने उसे अपनी बाँहों में दबोच लिया।
ऐसा लग रहा था बस यूँ ही पकड़े रहूँ।
फिर मैंने सोचा कि अब समय नहीं बर्बाद करना चाहिये।
पका हुआ फल है, बस खा लो।
तुरंत अपनी बाँहों में मैंने उसे उठाया (बहुत ही हल्की थी) और बेडरूम में लाकर बिस्तर पर लिटा दिया।
उसकी आँखों में प्यास नज़र आ रही थी।
साड़ी और सैंडल पहने हुए बिस्तर पर लेटी हुई वो प्यार भरी नज़रों से मुझे देख रही थी।
ब्लाऊज़ में से उसके बूब्स ऊपर नीचे होते हुए देख कर मैं पागल हो गया।
आहिस्ते से साड़ी को एक तरफ़ करके मैंने उसकी दाहिनी चूची को ऊपर से हल्के से दबाया।
एक सिरहन सी दौड़ गयी उसके शरीर में!
वो तड़प कर बोली- प्लीज़ प्रताप! जल्दी से! कोई आ ही ना जाये।
“घबराओ नहीं, सना डार्लिंग … बस मज़ा लेती रहो। आज मैं तुम्हे दिखला दूँगा कि प्यार किसे कहते हैं। खूब चोदूँगा मेरी रानी!” मैं एकदम फ़ोर्म में था।
यह कहते हुए मैंने उसकी चूचियों को खूब दबाया और होंठों को कस-कस कर चूसने लगा।
फिर मैंने कहा- चुदवाओगी ना?
आह! गज़ब की कातिलाना मुस्कुराहट के साथ बोली- प्रताप! तुम भी… बहुत बदमाश हो… तो क्या बीयर पी कर यहाँ तुम्हारे बिस्तर पे तीन पत्ती खेलने के लिये तुम्हारे आगोश में लेटी हूँ! अब इस भरी दोपहर में दर-दर भटकने की बजाय यही अच्छा है।
“सना रानी, बदमाश तो तुम भी कम नहीं हो!” और उसके नर्म-नर्म गालों को हाथ में ले कर होंठों का खूब रसपान किया।
मैं उसके ऊपर चढ़ा हुआ था और मेरा लंड उसकी चूत के ऊपर था।
चूत मुझे महसूस हो रही थी और उसकी चूचियाँ … गज़ब की तनी हुई … मेरे सीने में चुभ-चुभ कर बहुत ही आनंद दे रही थी।
दाहिने हाथ से अब मैंने उसकी बाँयी चूची को खूब दबाया और एक्साईटमेंट में ब्लाऊज़ के नीचे हाथ घुसा कर उसे पकड़ना चाहा।
“प्रताप, ब्लाऊज़ खोल दो ना!”
उसका यह कहना था और मैंने तुरन्त ब्लाऊज़ के बटन खोले और उसे घुमा कर साथ ही साथ ब्रा का हुक खोला और पीछे से ही उसके बूब्स को पूरा समेट लिया।
आहा … क्या फ़ीलिंग थी, सख्त और नर्म दोनों, गर्म मानो आग हो।
निप्पल एकदम तने हुए।
जल्दी-जल्दी मैंने ब्लाऊज़ और ब्रा को हटाया; साड़ी को परे किया और पेटीकोट के नाड़े को खोल कर उसे हटाया।
पिंक पैंटी और सफेद हाई-हील के सैंडल पहने हुए सना को नंगी लेटी हुई देख कर तो मैं बर्दाश्त ही नहीं कर सका।
मैंने अब अपने कपड़े जल्दी-जल्दी उतारे।
लंड तन कर बाहर आ गया और ऊपर की तरफ़ हो कर तड़पने लगा।
उसका एक हाथ लेकर मैंने अपने फड़कते हुए लंड पर रख दिया।
“उफ हायल्ला कितना बड़ा और मोटा है!” वह बोली और आहिस्ता-आहिस्ता लंड को आगे पीछे हिलाने लगी।
शादीशुदा औरत को चोदने का यही मज़ा है; कुछ सिखाना नहीं पड़ता।
वो सब जानती है और आमतौर पर शादी शुदा औरतें फैमली प्लैनिंग के लिये पिल्स या कोई और इंतज़ाम करती हैं तो कंडोम की भी ज़रूरत नहीं।
मैंने आखिर पूछ ही लिया- सना डार्लिंग, कंडोम लगाऊँ?
वो मुँह हिलाते हुए मना करते हुए खिलखिलायी- सब ठीक है। मैं पिल्स लेती हूँ।
मैंने अब उसके बदन से उस पिंक पैंटी को हटाया और इत्मीनान से उसकी चूत को निहारा।
एकदम साफ चिकनी सुंदर सी चूत थी। कुछ फूली हुई थी।
मैंने उसके ऊपर हाथ रखा और हल्के से दबाया।
अँगुली ऐसे घुसी जैसे मक्खन में छूरी।
रस बह रहा था और चूत एकदम गीली थी।
मैं जैसे सब कुछ एक साथ कर रहा था। कभी उसके होंठों को चूसता, चूचियों को दबाता – कभी एक हाथ से कभी दोनों से!
एकदम टाइट गोल और तनी हुई चूचियाँ।
उसके सोने जैसे बदन पर कभी हाथ फिराता।
फिर मैंने उसकी चूचियों को खूब चूसा और अँगुलियों से उसकी बूर में खूब अंदर बाहर करके हिलाया।
“सना, अब मैं नहीं रह सकता, अब तो चोदना ही पड़ेगा। कस-कस कर चोदूँगा मेरी रानी।”
पहली बार उसके मुँह से अब सुना- चोद दो ना प्रताप, बस अब चोद दो।
मज़ा लेते हुए मैंने पूछा- क्या चोदूँ जानेमन? एक बार फिर से कहो ना! तुम्हारे मुँह से सुनने में कितना अच्छा लग रहा है।
“अब चोदो ना … इस … इस चूत को!”
“अब मैं तेरी गर्म-गर्म और गुलाबी-गुलाबी बूर में अपना ये लंड घुसाऊँगा और कस-कस कर चोदूँगा।”
मैंने अपना लंड उसकी बूर के मुँह पर रखा और हल्के से धक्का दिया।
उसने अपने हाथों से मेरे लंड को पकड़ा और गाईड करते हुए अपनी चूत में डाल दिया।
दोस्तो, मानो मैं जन्नत में आ गया।
मैं बोल ही उठा- उफ़, क्या चूत है सना … मज़ा आ गया।
उसने भी उत्तेजित होकर कहा- चोद दो प्रताप … बस अब इस चूत को खूब चोदो।
दोस्तो … चूचियाँ दबाते हुए, होंठ चूसते हुए ज़ोर-ज़ोर से चोद-चोद कर ऐसा मज़ा मिल रहा था कि पता ही नहीं चला कि कब मैं झड़ गया।
झड़ते-झड़ते भी मैं उसे बस चोदता ही रहा और चोदता ही रहा।
“सना … बहुत मजेदार चुदाई थी यार! तुम तो गज़ब की चीज़ हो।”
“मुझे भी बेहद मज़ा आया, प्रताप।” वो कसकर मुझे पकड़ते हुए बोली।
उसकी चूचियाँ मेरे सीने से लग कर एक अलग ही आनंद दे रही थी।
दोस्तो, फिर बीस मिनट बाद पहले तो मैंने उसकी बूर को चाटा और उसने मेरे लंड को चूसा, हल्के-हल्के!
फिर हमने कस-कस कर चुदाई की और इस बार झड़ने में काफी समय लगा।
मैंने शायद उसकी चूचियाँ और चूत और होंठ और गाल के किसी भी अंग को चूसे बगैर नहीं छोड़ा।
इतना मज़ा पहले कभी नहीं आया था।
बस गज़ब की चीज़ थी वो औरत!
कपड़े पहनने के बाद मैंने पूछा- सना, अब तो तुम्हें और कई बार चोदना पड़ेगा। अपनी इस प्यारी सी चूत और प्यारी-प्यारी चूचियों और प्यारे-प्यारे होंठों और प्यारी-प्यारी सना डार्लिंग के दर्शन करवाओगी ना?
मैंने उसका फोन नंबर ले लिया और कह दिया कि मैं बता दूँगा जिस दिन मैं दिन में घर पे होऊँगा!
अब वह मुझसे फ़्री हो गयी थी और बोली- प्रताप, डोंट वरी, जब भी मुनासिब मौका मिलेगा खूब चुदाई करेंगे!
उसकी यह बात सुनते ही मैंने उसे एक बार और बाँहों में भींच लिया और उसके होंठों का एक तगड़ा चुंबन लिया।
फिर वो मेरे बंधन से आज़ाद होकर दरवाजे से बाहर निकल गयी।
कुछ दूर जाकर पीछे मुड़ी और एक मुस्कान बिखेर कर धीरे-धीरे मेरी आँखों से ओझल हो गयी। Hindi Sex Stories
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