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मेरी उम्र जब जवानी की अठखेलियाँ लेने लगी तब पहली बार मैंने अपने पापा को मम्मी की चुदाई करते देखा तब मेरे मन में अपने ही पापा से चुदवाने की इच्छा जाग उठी.
दोस्तो, मेरा नाम शिवानी है और मैं पूरी 20 साल की हो चुकी हूँ और मैं औरत मर्द के रिश्ते को समझती थी.
मैं मेरे घर में सबके साथ चुदाई कर चुकी हूँ.
मैं मेरे घर में और ससुराल में भी सबसे बहुत चुद चुकी हूँ.
एक बार मैंने पापा को मम्मी को चोदते देखा तो इतना मज़ा आया कि रोज़ देखने लगी.
मैं पापा की चुदाई देख इतनी मस्त हुई थी कि अपने पापा को फंसाने का जाल बुनने लगी और आख़िर एक दिन कामयाबी मिल ही गई.
पापा को मैंने फंसा ही लिया. अब जब भी मौक़ा मिलता, पापा की गोद में बैठ उनसे चूचियाँ दबवा दबवा मज़ा लेती.
पर अभी तक केवल चूचियों को ही दबवा पाई थी, पूरा मज़ा नही लिया था.
मेरे मामा की शादी थी इसलिए मम्मी अपने मायके जा रही थी. रात में पापा ने मुझे अपनी गोद में खड़े लण्ड पे बिठाकर कहा था- बेटी कल तेरी मम्मी चली जाएगी फिर तुझे कल पूरा मज़ा देकर जवान होने का मतलब बताएँगे.
मैं पापा की बात सुन ख़ुश हो गई थी.
पापा अब अपने बेडरूम की कोई ना कोई विंडो खुली रखते थे जिससे मैं पापा को मम्मी को चोदते देख सकूँ. ऐसा मैंने ही कहा था.
फिर उस रात पापा ने मम्मी को एक कुर्सी पर बिठाकर उनकी चूत को चाटकर दो बार झाड़ा और फिर 3 बार हचक कर चोदा फिर दोनो सो गए.
अगले दिन मम्मी को जाना था. आज मम्मी जा रही थी. पापा ने मेरे कमरे में आ मेरी चूचियों को पकड़कर दो तीन बार मेरे होंठ चूमे और लण्ड से चूत दबा कर कहा- तुम्हारी मम्मी को स्टेशन छोड़कर आता हूँ, फिर आज रात तुमको पूरा मज़ा दूंगा.
मैं बड़ी ख़ुश थी.
पापा चले गए तो मैं घर में अकेली रह गई.
मैं अपनी चड्डी उतार पापा की वापसी का इंतज़ार कर रही थी.
मैंने सोचा कि जब तक पापा नही आते अपनी चूत को पापा के लण्ड के लिए उँगली से फैला लूँ.
तभी किसी ने दरवाज़ा खटखटाया.
मैंने चूत में उँगली पेलते हुए पूछा- कौन है?
‘मैं हूँ रमेश.’ रमेश का नाम सुन मैं गुदगुदी से भर गई.
रमेश मेरा 20 साल का पड़ोसी था.
वो मुझे बड़े दिनों से फांसना चाह रहा था पर मैं उसे लाइन नही दे रही थी.
वह रोज़ मुझे गंदे गंदे इशारे करता था और पास आ कभी कभी चूची दबा देता और कभी गांड पर हाथ फेर कहता- रानी, बस एक बार चखा दो.
आज अपनी चूत में उँगली पेल मैं बेताब हो गई थी. आज उसके आने पर इतनी मस्ती छाई कि बिना चड्डी पहने ही दरवाज़ा खोल दिया.
मुझे उसके इशारों से पता चल चुका था कि वो मुझे चोदना चाहता है.
आज मैं उससे चुदवाने को तैयार थी.
रमेश के आने पर सोचा कि जब तक पापा नहीं आते तब तक क्यों ना इसी से एक बार चुदवाकर मजा लिया जाए.
यही सोचकर दरवाजा खोल दिया.
मैंने जैसे ही दरवाजा खोला रमेश फ़ौरन अन्दर आया और मुझे देखकर खुश हो मेरी चूचियों को पकड़कर बोला- हाय रानी बड़ा अच्छा मौका है.
मैं उसकी हरकत पर सनसना गई.
उसने मेरी चूचियों को छोड़कर पलटकर दरवाजा बंद कर दिया और मुझे अपनी गोद में उठा लिया और मेरी चूचियों को मसलते हुए मेरे होंठों को चूसने लगा और बोला- हाय रानी, तुम्हारी चूचियाँ तो बहुत टाइट हैं. हाय बहुत तड़पाया है तुमने, आज जरूर चोदूंगा.
‘हाय भगवान, छोड़ो पापा आ जाएंगे.’
‘डरो नहीं मेरी जान, बहुत जल्दी से चोद लूँगा. मेरा लण्ड मोटा नहीं है दर्द नहीं होगा.’
वो मेरी गांड सहला बोला- हाय, चड्डी नहीं पहनी है, यह तो बहुत अच्छा है.
मैं तो अपने पापा से चुदवाने के जुगाड़ में ही नंगी बैठी थी पर यह तो एक सुनहरा मौका मिला गया था.
मैं पापा से चुदवाने के लिए पहले से ही गर्म थी.
जब रमेश मेरी चूचियों और गालों को मसलने लगा तो मैं पापा से पहले रमेश से मजा लेने को तैयार हो गई.
उसकी छेड़छाड़ में मजा आ रहा था. मेरी चूत लण्ड खाने को बेताब हो गई थी.
अपनी कमर लचकाती मैं बोली- हाय रमेश, जो करना हो जल्दी से कर लो, कहीं पापा ना आ जाएँ!
मैं पागल होती बोली.
तो रमेश मेरा इशारा पा कर मुझे बेड पर लिटा अपना पैंट उतारने लगा, नंगा हो बोला- रानी बड़ा मजा आएगा.
‘तुम एकदम तैयार माल हो. देखो मेरा लण्ड छोटा है ना!’
उसने मेरा हाथ अपने लण्ड पर रखा तो मैं उसके 4 इंच के खड़े लण्ड को पकड़ मस्त हो गई.
इसका तो पापा से आधा था.
मैं उसका लण्ड सहलाती बोली- हाय राम, जो करना है जल्दी से कर लो.
रमेश के लण्ड पकड़ते ही मेरा बदन तड़पने लगा.
पहले मैं डर रही थी पर लण्ड पकड़ मचल उठी.
मेरे कहने पर वो मेरी टांगों के बीच आया और मेरी कसी कुंवारी चूत पर अपना छोटा लण्ड रख धक्का मारा, सुपारा कुछ अन्दर गया. फिर 3-4 धक्के मारकर पूरा अन्दर पेल दिया.
कुछ देर बाद उसने धीरे धीरे चोदते हुए पूछा- मेरी जान दर्द तो नहीं हो रहा है. मजा आ रहा है ना?
‘हाय, मारो धक्के, मजा आ रहा है.’
मेरी बात सुन वो तेज़ी से धक्के मारने लगा.
मैं उससे चुदवाते हुए मस्त हो रही थी, उसकी चुदाई मुझे जन्नत की सैर करा रही थी.
नीचे से गांड उचकाती मैं सिसयाते हुए बोली- हाय रमेश, जोर जोर से चोदो, तुम्हारा लण्ड छोटा है. जरा ताक़त से चोदो राजा.
मेरी बात सुन रमेश जोर जोर से चोदने लगा.
उसका छोटा लण्ड सटासट मेरी चूत में आ जा रहा था.
मैं पहली बार चुद रही थी इसलिए रमेश के छोटे लण्ड से भी बहुत मजा आ रहा था.
वो इसी तरह चोदते हुए मुझे जन्नत का मजा देने लगा.
15 मिनट के बाद वो मेरी चूचियों पर लुढ़क गया और कुत्ते की तरह हांफने लगा.
उसके लण्ड से गरम-गरम पानी मेरी चूत में गिरने लगा.
मैं पहली बार चुदी थी और पहली बार चूत में लण्ड की मलाई गिरी थी इसलिए मजे से भर मैं उससे चिपक गई.
मेरी चूत भी टपकने लगी.
कुछ देर हम लोग अलग हुए.
वो कपड़े पहन कर चला गया.
मेरी चूत चिपचिपा गई थी.
रमेश मुझे चोद कर चला गया पर उसकी इस हिम्मत भरी हरकत से मैं मस्त थी.
उसने चोदकर बता दिया कि चुदवाने में बहुत मजा है.
रमेश ठीक से चोद नहीं पाया था, बस ऊपर से चूत को रगड़ कर चला गया था पर मैं जान गई थी कि चुदाई में अनोखा मजा है.
उसके जाने पर मैंने चड्डी पहन ली थी.
मैं सोच रही थी कि जब रमेश के छोटे लण्ड से इतना मज़ा आया है तो पापा अपना मोटा तगड़ा लण्ड पेलेंगे तो कितना मजा आएगा.
रमेश के जाने के 6-7 मिनट बाद ही पापा स्टेशन से वापस आ गए.
अन्दर आते ही वे मेरी कड़ी कड़ी चूचियों को फ्रॉक के ऊपर से पकड़ते हुए बोले- आओ बेटी, अब हम तुमको जवान होने का मतलब बताएँगे.
‘ओह पापा आपने तो कहा था कि रात को बताएँगे.’
‘अरे अब तो मम्मी चली गई हैं अब हर समय रात ही है. मम्मी के कमरे में ही आओ. क्रीम लेती आना.’ पापा मेरी चूचियों को मसलते हुए बोले.
मैं रमेश से चुदकर जान ही चुकी थी. मैं जान गई कि क्रीम का क्या होगा पर अंजान बन बोली- पापा क्रीम क्यों?
‘अरे लेकर आओ तो बताएँगे.’ पापा मेरी चूचियों को इतनी कसकर मसल रहे थे जैसे उखाड़ ही लेंगे.
मैं क्रीम और तौलिया ले मम्मी के बैडरूम में पहुँची. मैं बहुत खुश थी, जानती थी कि क्रीम क्यों मंगाई है. रमेश से चुदने के बाद क्रीम का मतलब समझ गई थी. पापा मुझे लड़की से औरत बनाने के लिए बेकरार थे. मैं भी पापा का मोटा केला खाने को तड़प रही थी.
कमरे में पहुँची तो पापा बोले- बेटी, क्रीम टेबल पर रखकर बैठ जाओ.
मैं गुदगुदाते मन से कुर्सी पर बैठ गई तो पापा मेरे पीछे आये और अपने दोनों हाथ मेरी कड़ी चूचियों पर लाये और दोनों को प्यार से दबाने लगे.
पापा के हाथ से चूचियों को दबवाने में बड़ा मजा आ रहा था.
तभी पापा ने अपने हाथ को गले की ऊपर से फ्रॉक के अन्दर डाल दिया और नंगी चूचियों को दबाने लगे.
मैं फ्रॉक के नीचे कुछ नहीं पहनी थी.
पापा मेरी कड़ी कड़ी चूचियों को मुट्ठी में भरकर दबा रहे थे साथ ही दोनों घुन्डियाँ को भी मसल रहे थे.
मैं मस्ती से भरी मजे ले रही थी.
तभी पापा ने पूछा- क्यों बेटी तुमको अच्छा लग रहा है?
‘हाय पापा, बहुत मजा आ रहा है.’
‘इसी तरह कुछ देर बैठो, आज तुमको शादी वाला मजा देंगे. अब तुम जवान हो गई हो.’
‘हाय तुम लेने लायक हो गई हो. आज तुमको खूब मजा देंगे.’
‘आहह्ह् ऊऊह्ह् पापाआआ.’
‘जब मैं इस तरह से तुम्हारी चूचियों को दबाता हूँ तो तुमको कैसा लगता है?’
पापा मेरी कड़ी चूचियों को निचोड़कर बोले तो मैं उतावली हो बोली- हाय पापा, उह्ह ससीए इस तरह तो मुझे और भी अच्छा लगता है.
‘जब तुम कपड़े उतारकर नंगी होकर मजा लोगी तो और ज्यादा मजा आएगा. हाय तुम्हारी चूचियाँ छोटी हैं.’
‘पापा मेरी चूचियाँ छोटी क्यों हैं. मम्मी की तो बड़ी हैं.’
‘घबराओ मत बेटी. तुम्हारी चूचियाँ को भी मम्मी की तरह बड़ी कर दूंगा.’
‘हाय बेटी कपड़े उतारकर नंगी होकर बैठो तो बड़ा मजा आएगा.’
‘पापा चड्डी भी उतार दूँ.’ मैं अनजान बनी थी.
‘हाँ बेटी चड्डी भी उतार दो.’
‘लड़कियों का असली मजा तो चड्डी में ही होता है.’
‘आज तुमको सारी बात बताएँगे. जब तक तुम्हारी शादी नहीं होती तब मैं ही तुमको शादी का मजा दूंगा. तुम्हारे साथ में ही सुहागरात मनाऊँगा.’
‘तुम्हारी चूचियाँ बहुत टाइट हैं.’
‘बेटी नंगी हो जाओ.’ पापा फ्रॉक के अन्दर हाथ डाल दोनों को दबाते बोले.
जब पापा ने मेरी चूचियाँ को मसलते हुए कपड़े उतारने को कहा तो यकीन हो गया कि आज पापा के लण्ड का मजा मिलेगा.
मैं उनके लण्ड को खाने की सोच गुदगुदा गई थी. मैं मम्मी की रंगीन चुदाई को याद करती कुर्सी से नीचे उतरी और कपड़े उतारने लगी.
कपड़े उतार नंगी हो मम्मी की तरह ही पैर फैला कुर्सी पर बैठ गई.
मेरी छोटी छोटी चूचियाँ तनी थी और मुझे जरा भी शरम नहीं लग रही थी.
मेरी जाँघों के बीच रोएंदार चूत पापा को साफ़ दिख रहे थे.
पापा मेरी गदराई चूत को गौर से देख रहे थे.
चूत का गुलाबी छेद मस्त था.
पापा एक हाथ से मेरी गुलाबी कली को सहलाते बोले- हाय राम, बेटी तुम्हारी चूत तो जवान हो गई है.
‘अरे बेटी तुम्हारी चूत.’ पापा ने चूत को दबाया.
पापा के हाथ से चूत दबाये जाने पर मैं सनसना गई.
मैं मस्ती से भरी अपनी चूत को देख रही थी.
तभी पापा ने अपने अंगूठे को क्रीम से चुपड़ मेरी चूत में डाला.
वो मेरी चूत क्रीम से चिकनी कर रहे थे.
अंगूठा जाते ही मेरा बदन गनगना गया.
तभी पापा ने चूत से अंगूठा बाहर किया तो उस पर लगे चूत के रस को देख बोले- हाय बेटी यह क्या है, क्या किसी से चुदकर मजा लिया है?
मैं पापा के अनुभव से धक्क से रह गई.
मैं घबराकर अनजान बनती बोली- कैसा मजा पापा?
‘बेटी यहाँ कोई आया था?’
‘नहीं पापा यहाँ तो कोई नहीं आया था.’
‘तो फिर तुम्हारी चूत में यह गाढ़ा रस कैसा?’
‘मुझे क्या पता? पापा जब आप मेरी चूचियाँ मसल रहे थे तब कुछ गिरा था शायद.’ मैं बहाना बनाती बोली.
‘लगता है तुम्हारी चूत ने एक पानी छोड़ दिया है. लो तौलिया से साफ़ कर लो.’
पापा मुझे तौलिया दे चूचियों को मसलते हुए बोले.
पापा से तौलिया ले चूत को रगड़ रगड़कर साफ़ किया.
पापा को रमेश वाली बात पता नहीं चलने दी.
मैं चूचियाँ मसलवाते हुए पापा से खुलकर गन्दी बाते रही थी ताकि सभी कुछ जान सकूं.
‘बेटी जब तुम्हारी चूचियों को दबाता हूँ तो कैसा लगता है?’
‘हाय पापा, तब जन्नत जैसा मजा मिलता है.’
‘बेटी तुम्हारी चूत में भी कुछ होता है?’
‘हाँ पापा गुदगुदी हो रही है.’ मैं बेशर्म हो बोली.
‘जरा तुम्हारी चूचियाँ और दबा लूँ तो फिर तुम्हारी चूत को भी मजा दूँ.’
‘बेटी किसी को बताना नहीं.’
‘नहीं पापा बहुत मजा है, किसी को नहीं पता चलेगा.’
पापा मेरी चूचियों को मसलते रहे और मैं जन्नत का मजा लेती रही.
कुछ देर बाद मैं तड़प कर बोली- ऊओह्हछ पापा अब बंद करो चूचियाँ दबाना और अब अपनी बेटी की चूत का मजा लो.’
अब मैं भी पापा के साथ खुलकर बात कर रही थी. इस समय हम दोनों नहीं बाप-बेटी थे. पापा मेरी चूचियों को छोड़कर मेरे सामने आये. पापा का खड़ा लंड मोटा होकर मेरी आँखों के सामने फुदकने लगा.
लण्ड तो पापा का पहले भी देखा था पर इतनी पास से आज देख रही थी. मेरा मन उसे पकड़ने को ललचाया तो मैंने उसे पकड़ लिया और दबाने लगी. चूत पापा के मस्त लण्ड को देख कर लार टपकाने लगी.
मैं पापा के केले को पकड़कर बोली- शश पापा आपका लण्ड बहुत मोटा है. इतना मोटा मेरी चूत में कैसे जाएगा?
‘अरे पगली मर्द का लण्ड ऐसा ही होता है. मोटे से ही तो मजा आता है.’
‘पर पापा मेरी चूत तो छोटी है.’
‘कोई बात नहीं बेटी. देखना पूरा जाएगा.’
‘पर पापा मेरी फ़ट जाएगी.’
‘अरे बेटी नहीं फटेगी. एक बार चुद जाओगी तो रोज चुदवाने के लिए तड़पोगी.’
‘अपने पैर फैलाकर चूत खोलो पहले अपनी बेटी की चूत चाट लूँ फिर चोदूँगा.’
मैं समझ गई कि पापा मम्मी की तरह मेरी चूत को चाटना चाहते हैं.
मैंने जब मम्मी को चूत चटवाते देखा था तभी से तरस रही थी कि काश पापा मेरी चूत भी चाटे.
अब जब पापा ने चूत फैलाने के लिए दोनों हाथ से चूत की दरार को छेड़कर खोल दिया.
पापा घुटने के बल नीचे बैठ गए और मेरी रोएंदार चूत पर अपने होंठ रख कर चूमने लगे.
पापा के चूमने पर मैं गनगना गई.
दो चार बार चूमने के बाद पापा ने अपनी जीभ मेरी चूत के चारो ओर चलाते हुए चाटना शुरू किया. वो मेरे हलके हलके बाल भी चाट रहे थे. मुझे गज़ब का मजा आ रहा था.
पापा चूत चाटते हुए तीत (क्लिट) भी चाट रहे थे.
मैं मस्त थी.
रमेश तो बस जल्दी से चोदकर चला गया था, चूची भी नहीं दबाया था मजा नहीं आया था.
लेकिन पापा तो चालाक खिलाड़ी की तरह पूरा मजा दे रहे थे.
पापा ने चूत चाटकर गीला कर दिया था. अब पापा चूत की दरार में जीभ चला रहे थे.
कुछ देर तक इसी तरह करने के बाद पापा ने अपनी जीभ मेरी गुलाबी चूत के लस लसाए छेद में पेल दिया.
जीभ छेद में गई तो मेरी हालत खराब हो गई. मैं मस्ती से तड़प उठी.
पहली बार चूत चाटी जा रही थी. इतना मज़ा आया कि मैं नीचे से चूतड़ उछालने लगी.
कुछ देर बाद पापा चाटकर अलग हुए और मेरी चूत पर लगे लण्ड से चूत रगड़ने लगे.
चूत की चटाई के बाद लण्ड की रगड़ाई ने मुझे पागल बना दिया और मैं उतावलेपन में पापा से बोली- पापा अब पेल भी दो मेरी चूत में … आह हहह ऊऊहह!
पापा ने मेरी तड़पती आवाज़ पर मेरी चूचियों को पकड़कर कमर को ऊठाकर धक्का मारा तो करारा शॉट लगने पर पापा का आधा लण्ड मेरी चूत में समा गया.
पापा का मोटा और लम्बा लण्ड मेरी छोटी चूत को ककड़ी की तरह चीरकर घुसा था.
आधा जाते ही मैं दर्द से तड़पकर बोली- आआ हहह ऊऊईई ममआ मररर!! गई पापा. धीरे धीरे पापा बहुत मोटा है पापा … चूत फट गई.
पापा का मोटा और लम्बा लण्ड मेरी चूत में कसा था. मेरे कराहने पर पापा ने धक्के मारना बंदकर मेरी चूचियों को मसलना शुरू किया.
अब मजा आने लगा.
6-7 मिनट बाद दर्द ख़त्म हो गया.
अब पापा बिना रुके धक्के लगा रहे थे. धीरे धीरे पापा का पूरा लण्ड चूत की झिल्ली फाड़ता हुआ घुस गया.
मैं दर्द से छटपटाने लगी. ऐसा लगा जैसे चूत में चाकू धंसा है.
मैं कमर झटकती हुई बोली- हाय पापा मेरी चूत फ़टट गई. निकालो मुझे नहीं चुदवाना.
पापा अपना लण्ड पेलते हुए मेरे गाल चाट रहे थे. पापा मेरे गाल चाट बोले- बेटी रो मत अब तो पूरा चला गया. हर लड़की को पहली बार दर्द होता है फिर मजा आता है.
कुछ देर बाद मेरा कराहना बंद हुआ तो पापा धीरे धीरे चोदने लगे. पापा का कसा कसा लण्ड आ जा रहा था. अब सच ही मजा आ रहा था. अब जब पापा ऊपर से धक्का लगाते तो मैं नीचे से गांड उछालती. रमेश तो केवल ऊपर से रगड़ कर चोदकर चला गया था. असली चुदाई तो पापा कर रहे थे.
पापा ने लण्ड पूरा अन्दर तक पेल दिया था. पापा का लण्ड रमेश से बहुत मजेदार था. जब पापा शॉट लगाते तो सुपाड़ा मेरी बच्चेदानी तक जाता. मुझे जन्नत के मजे से भी अधिक मजा मिल रहा था.
तभी पापा ने पूछा- बेटी, अब दर्द तो नहीं हो रही है.’
‘हाय पापा अब तो बहुत मजा आ रहा है. आहहहछ पापा और जोर जोर से चोदिये पापा.’
इसी तरह 30 मिनट बाद पापा के लण्ड से गरम गरम मलाईदार पानी मेरी चूत में गिरने लगा. जब पापा का पानी मेरी चूत में गिरा तो मैं पापा से चिपक गई और मेरी चूत भी फलफलाकर झड़ने लगी. हम दोनों साथ ही झड़ रहे थे.
पापा ने फिर मुझे रात भर चोदा.
सुबह 10 बजे सोकर उठे तो मैंने पापा से कहा- पापा आज फिर चोदेंगे?
‘अरे मेरी जान अब मैं बेटीचोद बन गया हूँ. अब तो रोज ही चोदूँगा.’
‘अब तू मेरी दूसरी बीवी है पर पापा जब मम्मी आ जाएंगी तो?’
‘मेरी जान उसे तो बस एक बार चोद दूंगा और वो ठंडी हो जाएगी फिर तेरे कमरे में आ जाया करूंगा.’
मैं फिर पापा के साथ रोज सुहागरात मनाने लगी.
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मेरा नाम सुरेंद्र है। मैं कॉलेज में Antarvasna अन्तिम वर्ष में पढ़ता हूँ। मेरी उम्र 24 है। मैं बीच की छुट्टियों में मेरे गाँव गया। गाँव में हमारा बड़ा घर है। वहाँ मेरी माँ और पापा रहते हैं। मेरे पापा एक बिल्डर हैं, और माँ एक गृहिणी। हम बहुत अमीर घराने से हैं। हमारे घर में नौकर-चाकर बहुत हैं।
मैं मेरे गाँव गया। दोपहर में मेरे घर पहुँचा। खाना हुआ और थोड़ी देर सोया। शाम को माँ के साथ थोड़ी बातें कीं और गाँव घूमने चला गया। रात क़रीब मैं 8 बजे घर आया। माँ का मूड ठीक नहीं था। मैंने माँ को पूछा- माँ, पापा कहाँ हैं?
माँ ने कुछ जवाब नहीं दिया। मेरी माँ बहुत गुस्से वाली है। वह जब गुस्से में होती है तब वह गन्दी गालियाँ भी देती है। लेकिन वह नौकरों के साथ ऐसा नहीं करती, गालियाँ नहीं देती।
माँ ने कहा- चल, तू खाना खा ले… आज अपना बेटा आया, फिर भी यह घर नहीं आए… तू खा… हम बाद में फार्म-हाउस पर जाएँगे… वहाँ पर तेरे पापा का काम चल रहा है…’
मैंने खाना खाया और हम निकले। पापा ने मेरी माँ को स्कूटर दी थी। हमारा फार्म-हाउस हमारे घर से एक घन्टे पर ही था। माँ ने स्कूटर निकाली, मैं माँ के पीछे बैठ गया। हाँ मेरे माँ का नाम रीमा है, उसकी उम्र 45 है लेकिन वो सुन्दर है, वो एक सामान्य गृहिणी है… सेहत से तन्दरुस्त… थोड़ी मोटी सी।
‘चलो चलें…’ माँ ने पंजाबी पोशाक पहनी थी… मैं माँ के पीछे था… हम चल दिए… मैंने मेरे हाथ से स्कूटर के पीछे टायर को पकड़ रखा था। माँ बीच-बीच में कुछ कह रही थी लेकिन कुछ सुनाई नहीं दे रहा था। शायद बहुत ही गुस्से में थी.
एक घन्टे में हम फार्म-हाउस पर पहुँच गए। फार्म-हाउस के दरवाज़े पर चौकीदार था। उसने माँ को टोका… और कहा- साहब यहाँ नहीं हैं… वो शहर गए हैं।’ वह हमें दरवाज़े के अन्दर जाने से रोक रहा था।
माँ ने कहा- ठीक है।
और स्कूटर चालू की… हम थोड़ी ही आगे गए और माँ ने स्कूटर रोक दी। उसे कुछ शक हुआ… उसने मुझसे कहा- तू यहीं रुक, मैं आती हूँ।
माँ बंगले की तरफ चली गई। और चौकीदार का ध्यान बचाकर अन्दर चली गई। बंगले में जाकर खिड़कियों में ताक-झाँक करने लगी। मैंने देखा कि माँ क्यों नहीं आ रही है, और मैं भी वहाँ चला गया। मैंने देखा- माँ बहुत देर तक वहाँ खड़ी थी और खिड़की से अन्दर देख रही थी। वह क़रीब 10-15 मिनट वहीं खड़ी थी। मैं थोड़ा आगे गया। माँ ने मुझे देखकर कहा- साले तुझे वहीं रुकने को कहा था तो तू यहाँ क्यों आया? चल वापिस चल, हमें घर जाना है।’ माँ को इतने गुस्से में मैंने कभी नहीं देखा था।
मैं फिर से स्कूटर पर बैठ गया। रास्ते में बारिश चालू हुई। मेरे हाथ पीछे टायर पर थे। गाँव में रास्ते में लाईट नहीं थी। तभी माँ की गांड मेरे लण्ड को लगने लगी। मैं थोड़ा पीछे आया। लेकिन माँ भी थोड़ा पीछे आई और कहा- ऐसे क्यों बैठा है, ठीक से मुझे पकड़ कर बैठ।’
मैंने मेरे दोनों हाथ माँ के कन्धों पर रखे, लेकिन ख़राब रास्ते के कारण हाथ छूट रहे थे।
माँ ने कहा- अरे, पकड़, मेरी कमर को, और आराम से बैठ!
मैंने माँ के कमर पर पकड़ा, लेकिन धीरे-धीरे मेरा हाथ उसकी चूचियोँ पर लगने लगे। वाह! उसकी चूचियाँ… क्या नरम-नरम मुलायम मखमल की तरह लग रहे थे। और मेरा लण्ड भी 90 डिग्री तक गया। वो मेरी माँ की गांड से चिपकने लगा। माँ भी थोड़ी पीछे आई। ऐसा लग रहा था कि मेरा लण्ड माँ की गांड में घुस रहा है।
हमारा घर नज़दीक आया। हम उतर गए। क़रीब रात 11:45 को हम घर आए। माँ ने कहा- तू ऊपर जा… मैं आती हूँ।
माँ ऊपर आई… वो अभी भी गुस्से में लग रही थी। मालूम नहीं, वो क्यों बीच-बीच में कुछ गालियाँ भी दे रही थी। लेकिन वो सुनाई नहीं दे रहा था।
माँ ने कहा- आ, मैं तुझे बिस्तर लगा दूँ।
उसने उसकी चुन्नी निकाली और वह मेरे लिए बिस्तर लगाने लगी। मैं सामने खड़ा था। वह मेरे सामने झुकी और मैं वहीं ढेर हो गया। उसकी चूचियाँ इतनी दिख रहीं थीं कि मेरी आँखें बाहर आने लगीं। उसकी वो चूचियाँ देखकर मैं पागल हो उठा। उसने काली ब्रा पहन रखी थी। उसकी निप्पल भी आसानी से दिख रही थी।
तभी माँ ने अचानक देखा और कहा- तू यहाँ सो जा।
लेकिन मेरा ध्यान नहीं था। वो सामने झुकी… और मेरा ध्यान उसकी चूचियों पर था। वो यह बात समझ गई और ज़ोर से चिल्लाई- सुरेंद्र, मैंने क्या कहा! सुनाई नहीं देता क्या? तेरा ध्यान किधर है? साले मेरी चूचियाँ देख रहा है?
यह सुनकर मैं डर गया लेकिन मैं समझ गया कि माँ को लड़कों की भाषा मालूम है।
उसने बिस्तर लगाया और कहा- मैं आती हूँ अभी!
वह नीचे गई। मैंने देखा उसने हमारे बंगले के चौकीदार को कुछ कहा और ऊपर मेरे कमरे में आ गई। हम दोनों अभी बारिश की वज़ह से गीले थे। माँ मेरे कमरे में आई, दरवाज़े की कड़ी लगाई और उसने अपनी पंजाबी पोशाक की सलवार निकाल कर बिस्तर पर रख दी, मैं मेरी कमीज़ निकाल ही रहा था, इतने में माँ मेरे सामने खड़ी हो गई।
माँ ने मेरी शर्ट की कॉलर पकड़ी और मुझे घसीट कर मेरे बाथरूम में ले गई। मेरे कमरे में ही एक बाथरूम था। माँ फिर बाहर गई और मेरे कमरे की बत्ती बन्द करके मेरे सामने आ के खड़ी हो गई। उसने मेरी तरफ देखा, एक कपड़ा लिया और मेरे बाथरूम की खिड़की के शीशे पर लगा दिया। इसके पीछ वज़ह होगी कि बाथरूम में रोशनी थी और खिड़की से कोई अन्दर ना झाँक सके।
फिर से उसने मेरी ओर देखा… वो अभी भी गुस्से में लग रही थी। तुरन्त ही उसने मेरे गालों पर एक ज़ोर का तमाचा मारा… मैं माँ की तरफ ही गाल पर हाथ रख कर देख रहा था। लेकिन तुरन्त ही उसने मेरे गालों को चूमा और अचानक उसने उसके होंठ मेरे होंठों पर लगा कर मुझे चूमना चालू कर दिया… मैं थोड़ा हैरान था लेकिन मैंने भी माँ की वो बड़ी-बड़ी चूचियाँ देखीं थीं और माँ के साथ मेरे विचार गन्दे हो चुके थे। चूमते-चूमते उसने फिर से मेरी ओर देखा, वो रुक गई… फिर अपनी पूरी ताकत लगा कर उसने अपनी ही ड्रेस फाड़ डाली। फिर तुरन्त उसने मेरी कमीज़ भी खोल दी।
जब उसने अपनी ड्रेस फाड़ी… ओओओहहह… मैं तो सोच भी नहीं सकता था कि माँ की चूचियाँ इतनी बड़ी होंगीं। वो तो उसकी ब्रा से बाहर आने के लिए आतुर दिख रहीं थीं। फिर वो मुझे चूमने-चाटने लगी..
उसने मुझे चड्डी उतारने को कहा… ‘साले, अपनी चड्डी तो उतार!’
मैंने अपनी चड्डी उतार दी, और मैं अपनी माँ पर चढ़ गया… मैं भी उसकी चूचियों को चाटने लगा-चूमने लगा और ज़ोरों से दबाने लगा… मैंने भी माँ की ब्रा फाड़ डाली। मैं भी एकदम पागलों की तरह माँ की चूचियाँ दबाने लगा.
माँ के मुँह से आहें निकलने लगीं… ‘आआआ ओओओ ईईईमम ओओओ… साआआआलेएए आआआ… ओओओईईईएए’
इतने में उसने मुझे धक्का दिया और एक कोने में छोटी बोतल पड़ी थी उसमें उसने साबुन का पानी बनाया और शावर चालू किया और कहा- मैं जैसा बोलती हूँ… वैसा ही कर!
वह पूरी तरह से ज़मीन पर झुकी और दोनों हाथों से अपनी गांड को फैलाया और कहा- वो पानी मेरी गांड में डाल।
मैंने वैसा ही किया। साबुन का पानी माँ की गांड में डाला। माँ उठी और मेरे लंड को पकड़ा और साबुन लगाया। दीवार की तरफ मुँह करके खड़ी हुई और कहा- साले, भड़वे, चल तेरा लंड अब मेरी गांड में घुसा।
जैसा आप पहले पढ़ चुके हैं कि मेरी माँ कभी-कभी गालियाँ बहुत देती है। मैंने मेरा लंड माँ की गांड पर रखा और जोर का झटका मार दिया।
माँ चिल्लाई- आआआआ म्म्म्मउऊऊ… आआआआ, साले भँड़वे बता तो सही तू डाल रहा है!
साबुन की वज़ह से मेरा लंड पहले ही आधे से अधिक घुस गया, और मैं भी माँ को ज़ोरों के झटके देने लगा। माँ चिल्लाई… ‘साले, भड़वे… आआआ… उउऊऊऊ… उईईई… आआआ’
मैं भी थोड़ा रुक गया।
माँ बोली- दर्द होता है, इसका मतलब यह नहीं कि मजा नहीं आताआआआआआ… मार और ज़ोर से मार… बहुत मजा आता है… भँड़वे बहुत सालों के बाद मैं आज चुदाई के मज़े ले रही हूँ… आआआईईई आआईईई… आआउऊऊ… मार… मार… मार… आआआ’
वो भी ज़ोरों से कमर हिला कर मुझे साथ दे रही थी और मेरे झटके एकदम तूफ़ानी हो रहे थे। मेरा क़द 5.5 और माँ का 5… हम खड़े-खड़े ही चोद रहे थे… उसकी गांड मेरी तरफ, मैं उसकी गांड मार रहा था… उसका मुँह उस तरफ और हाथ दीवार पर थे… मैं एक हाथ की उंगली उसकी चूत में डाल रहा था.. और दूसरी ओर दूसरे हाथ से उसकी चूचियाँ दबा रहा था।
तभी उसने मेरी तरफ मुँह किया और एक हाथ से मेरे गाल पकड़े और मेरे होंठों पर उसके होंठ लगाए। हम कामसूत्र के एक आसन में खड़े थे। वह भी मेरे होंठों को चूम कर बोली… ‘तू… थोड़ी देर पहले मेरी चूचियाँ देख रहा था ना… मादरचोओओओद… हाय रे तू… मैं अभी तुझे पूरा मादरचोद बनाऊँगीईईई… .आआआ…’
तभी मैं माँ को बोला… ‘आज इतने गुस्से में क्यों हो?’
माँ बोली… ‘साले… सब मर्द एक जैसे ही होते हैं। आआईईई उउओओओउऊऊ… जानता है… जब हम फार्म-हाऊस पर गए… ओओईईईई… मैंने क्या देखा… खिड़कीईईईई…ईईई सेएएए…’
मैं एक तरफ झटके दे रहा था इसलिए माँ बीच-बीच में ऐसी आवाज़ें निकालती हुई बात कर रही थी।
मैंने पूछा ‘क्या देखा तूने?’
माँ ने कहा- तेरा बाप किसी और औरत को चोद रहा था। ईईई ओओओओओ… आआआआ… मैं हमेशा इन्तज़ार करती थी… अब मुझे समझ आया… वो बाहर चोद लेता है… आआआ… ईईईई… ओओओओओओ’
मैं रुक गया। वह बोली ‘तू रुक मत… चोद मुझे भँड़वे… अपनी माँ को चोद। आज से तेरी माँ… हमेशा के लिए तेरी हो गई है। आज़…’
मैंने चोदना चालू कर दिया, माँ कहती रही- ‘ओओआआईईम्म तू ही मेरा सामान है… आआओओ ओईईम्म्म… अच्छा लग रहा है।’
तभी मैंने माँ की गांड में ओर ज़ोर का झटका मारा… वो भी उसकी गांड ज़ोरों से आगे-पीछे हिला रही थी… आख़िर में मैंने ज़ोर का झटका दिया और मेरे लंड का पानी माँ की गांड में डाल दिया… माँ चिल्लाई… ‘आआओओओम्म्म ईईई… कितना पानी है तेरे में… खत्म ही नहीं हो रहा है। आआउउऊऊ… क्या मस्त लग रहा है… साआआआला मादरचोद… सही चोदा तूने मुझे।’
थोड़ी देर हम एक-दूसरे से ऐसे ही चिपके रहे और फिर पलंग पर चले गए और सो गए।
थोड़ी देर के बाद मेरी नींद खुली… माँ मेरे पास ही सोई थी। हम दोनों अभी भी नंगे ही थे। मैं माँ की चूत में उंगली देने लगा।
तभी माँ की नींद खुली और वो बोली- क्या फिर से चोदेगा?
मैंने कहा- मुझे तेरी चूत चाहिए, तेरी गांड तो मिल गई, लेकिन तेरी चूत चाहिए…
और फिर से उसकी चूत में उंगली डालने लगा, उसे सहलाने लगा।
मुझसे नियंत्रण नहीं हुआ, मैंने माँ के दोनों पाँव ऊपर किए और मेरा लंड माँ की चूत पर रखा और ज़ोर से धक्का मारने लगा। मैंने झटके देना चालू किया। तभी माँ भी कमर हिला कर मुझे साथ देने लगी।
मेरे झटके बढ़ने लगे… माँ चिल्लाने लगी… ‘आआहह चोद.. और चोद.. फाड़ डाल मेरी चूत… तेरे बाप ने तो कभी चोदा नहीं… लेकिन तू चोद… और चोद… मज़े ले मेरीईईई चूत के… आआओउऊ… ईईईई… और तेज़…, और तेज…, आआआईईई मईईईओओआ… आआआ… ओओओ…’
माँ भी ज़ोरों से कमर हिलाने लगी और मैं माँ की चूचियों और ज़ोरों से दबा रहा था। माँ बोली ‘चोद रे… मादरचोद, और चोद… दबा मेरी चूचियाँ… और दबा… और चाट और काट मेरी चूचियों को… और उन्हें बड़े कर दे, ताकि वे मेरी ब्लाऊज़ से बाहर आ जाएँ। दबा और दबा… चल डाल पानी अब… भर डाल अपनी माँ की चूत… पानी से… आआओओ… तेरे गरम पानी से… आआओओ…’
तभी मैंने ज़ोर का झटका दिया और मेरे लंड का पानी माँ की चूत में डाल दिया। माँ चिल्लाई… ‘आआआ… ईईई… क्याआआआ गरम पानी है… जैसे असली जवानी… आज से तू मेरा बेटा नहीं… मेरा ठोकया है… आज से तू मुझे ठोकेगा… आआओओईई… क्या पानी है… सालों बाद मिलाआ… आज के बाद अच्छी हो गई… तेरे पाप उस रण्डी के साथ गए… लेकिन उनकी ही वज़ह से मुझे मेरा ठोकया मिल गया…’ आज से तू ही मुझे ठोकेगा…’
थोड़े दिनों के बाद मैं शहर चला गया और मेरे कॉलेज में रम गया। माँ और मैं छुट्टियों की प्रतीक्षा करते, और मौक़ा मिलते ही हम एक-दूसरे की चुदाई करते। Antarvasna
मेरा नाम राहुल है. मैं 24 कामवासना साल का कालबोय हूँ. मेरे लंड का साइज 8′, मोटाई 3′ है. मैं आपको अपनी एक सच्ची कहानी सुनाने जा रहा हूँ.
एक बार मुझे एक मेल मिली. जिसमे एक महिला ने अपना फ़ोन नम्बर दिया हुआ था. मैंने उस नम्बर पर सम्पर्क किया तो उधर से एक भारी सी आवाज सुनाई दी. मैंने उसको अपने बारे में बताया तो उसने मुझे रात को आठ बजे आने को कहा. वो अम्बाला कैंट में रहती थी.
मैं रात को ठीक आठ बजे तैयार होकर उसके घर के सामने था. ऐसे तो मैंने कईयो को चोदा है पर जब भी किसी औरत का फ़ोन आता तो मैं रोमांचित हो जाता हूँ.
मैं उसके घर पहुंचा तो दरवाजा उसी ने ही खोला. वो मुझे सीधे अपने बैडरूम में ले गई और मुझे वहाँ बिठा कर ख़ुद रसोई में चली गई. जब वो वापस आई तो उसके हाथ में चाय के दो कप थे. वो मुझे चाय देकर मेरे पास में ही बैठ गई.
वो मुझे बड़े ध्यान से देख रही थी. वो 37-38 साल की ठीक ठाक सी औरत थी.
हमने बातें शुरू की तो उसने मुझे बताया कि उसकी किसी सहेली ने ही उसे मेरा पता दिया था जिसे मैंने पिछले महीने चोदा था. उसका पति ज्यादातर बाहर ही रहता है जिससे वो अपनी इच्छाओं को पूरा नहीं कर पाती थी. उसके कोई बच्चा भी नहीं था जिससे वो और भी ज्यादा उदास रहती थी.
मैं उसके थोड़ा नजदीक गया. मैंने उसके चूचों पर हाथ रखा. इस उमर में भी उसके चुचे टाइट थे मैंने उनको दबाना शुरू कर दिया. वो आह!शी!शी आह! कर रही थी.
वो मेरे और करीब आ गई और उसने मुझे अपनी बांहों में भर लिया. मैंने उसके होठों को चूसना शुरू कर दिया. वो इसमें मेरा साथ देने लगी. वो मुझे जोर जोर से किस करने लगी जैसे कई सालों से प्यासी हो. वो मेरे होंठों को जोर जोर से चूस रही थी. मैंने उसकी साड़ी को निकाल दिया और उसकी ब्लाऊज़ को उससे अलग कर दिया. उसने ब्रा नहीं डाली थी. उसकी भारी भारी चुचियाँ अब आजाद थी और मैं उनसे खेलना लगा.
मैंने अपने होठो को उसकी निपल पर फिरना शुरू कर दिया उसने जोर से मेरा सर पकड़ लिया. मैं उसकी चूची को चूस रहा था. वो आहें भर रही थी उसका हाथ कभी कभी मेरी जांघों तक चला जाता था. मैंने अपनी चैन खोली और अपना लंड उसके हाथ में पकड़ा दिया वो उससे खेलने लगी.
मैंने अपना हाथ उसकी दोनों टांगो के बीच में डाला. मुझे ऐसा लगा जैसे मैंने अपना हाथ भट्टी पर रख दिया हो. मैंने अपनी उंगली उसकी चूत में डाल दी. वो आह करने लगी. उसकी चूत टाइट थी. बिल्कुल नई लड़की की तरह. मैं उसकी चूत में उंगली जोर जोर से घुमाने लगा. उसे मजा आ रहा था.
मैंने उसका सर पकड़ा और नीचे ले गया. एक बार तो उसने मना किया पर दूसरी बार कहने पर मेरा लंड उसने अपने मुँह में ले लिया, वो उसे पहले धीरे धीरे चूम रही पर अब वो उसे अच्छे से चूस रही थी उसको उसमें मजा आने लगा था.
मैंने करवट बदली, उसका सर मेरे पैरों की तरफ़ और मैं उसके पैरों की तरफ़ था यानी मेरा सर उसकी चूत पर और मेरा लंड उसके मुँह पर. मैंने उसकी टांगो को फ़ैलाया और अपना मुंह उसकी चूत पर रख दिया. उसने कस कर मेरे चूतडों को अपनी बांहों में भर लिया. मैंने उसकी चूत को चाटना शुरू किया. वो आह आह सी… आह कर रही थी उसको मजा आ रहा था वो मेरे लंड को जोर जोर से चूस रही थी.
वो गरम हो चुकी थी वो मुझसे बोली कि अब और मत सताओ और अपना लंड मेरी चूत में डाल दो. मैं अभी और मजा लेना चाहता था पर उसके बार बार कहने पर मैं उसकी टांगो के बीच में बैठ गया. मैंने उसकी दोनों टांगे ऊपर उठाई और उसकी गांड के नीचे तकिया दिया. मैं अपने लंड पर निरोध लगाने लगा पर उसने मना कर दिया. कहने लगी शायद आप से ही मेरी कोख भर जाए.
मैंने अपना लंड उसकी चूत पर रख थोड़ा जोर लगाया. पर चूत टाइट होने के कारण अन्दर जाने में दिक्कत हो रही थी. मैंने अबकी बार थोड़ा सैट करके जोर लगा तो मेरा लंड थोड़ा अन्दर चला गया.
पर वो चिल्लाई- प्लीज आराम से करो दर्द हो रहा है.
मैंने कहा- ठीक है पर थोड़ा तो सहना पड़ेगा
उसने गर्दन हिलाई. मैंने उसकी टांगों थोड़ा और ऊपर उठा कर जोर लगाया तो मेरा आधा लंड उसकी चूत में समां गया. मैंने फ़िर से धक्का लगाया और पूरा लंड उसकी चूत में डाल दिया और धक्के लगाने शुरू कर दिए.
वो बोले जा रही थी- प्लीज आराम से करो, दर्द हो रहा है.
पर मैं अपनी मस्ती में धक्के लगा रहा था. अब वो भी मेरा साथ दे रही थी, बोल रही थी ” राहुल मेरी चूत को जरा और जोर से चोदो, आज बहुत दिनों के बाद इसकी प्यास बुझी है’
मैं जोर जोर से धक्के लगाये जा रहा था और वो बोले जा रही थी- और जोर से चोदो राहुल और जोर से.
वो बोली- राहुल जोर से करो मैं झड़ने वाली हूँ.
मैंने अपनी स्पीड बढ़ा दी, वो झड़ चुकी थी पर मेरा अभी बाकी था, मैं लगा हुआ था.
40 मिनट के बाद मुझे लगा कि मेरा भी होने वाला है और चार पाँच धक्कों के बाद मैं उसके ऊपर गिर पड़ा उसने मुझे जोर से अपनी बाहों में भर लिया. हम कुछ देर इसी तरह पड़े रहे फिर अलग हो गए.
इसके बाद हमने एक दूसरे को साफ़ किया उसने मेरा चाट कर और मैंने उसकी चाट कर.
फिर हमने खाना खाया जो उसने पहले ही बना कर रखा हुआ था.
और इस तरह उस रात हमने चार बार मजा लिया. सुबह उसने मुझे मेरे फीस के पैसे दिए और मैं चला आया.
इसके बाद उसने मुझे सात आठ बार बुलाया. अब वो एक बच्चे की माँ बनने वाली है. जिसके लिए वो मेरा अहसान मानती है.
मेरी कहानी कैसी लगी बताना. कामवासना
दोस्तों आपको ये तो पता ही होगा Antarvasna कि मैं इन्दौर में रहता हूँ। आपने मेरी इस कहानी का पहला भाग पढ़ा, उसके शीर्षक में थोड़ी गलती हो गई थी, मेरी कहानी का शीर्षक “शबनम और उसकी दो बेटियाँ” हैं।
मेरी कहानी की पात्र शबनम की दो बेटियाँ हैं, बड़ी बेटी शमीम और छोटी बानो। शमीम के साथ मेरी चुदाई का सिनेमा हॉल का किस्सा आपको बता चुका हूँ, उस दिन के बाद मेरा नज़रिया उस परिवार के प्रति बदल चुका था। मैं अब बानो जो छोटी लड़की थी, की चुदाई के बारे में सोचा करता था, क्योंकि उसे बूब्स बहुत बड़े-बड़े थे। मैं अब भी उस परिवार में कभी-कभी ही जाया करता था। इस बीच मैं शमीम की २-३ बार उसके घर में ही चुदाई कर चुका था, जब वह घर पर अकेली थी। पर इस चुदाई में ज्यादा मज़ा नहीं आता था क्योंकि ये डर लगा रहता था कि कहीं कोई आ न जाये। ख़ैर अब आपको छोटी लड़की बानो की चुदाई के बारे में बताता हूँ।
एक बार मैं गर्मी की दोपहर में उनके घर गया, दरवाजा बानो ने खोला, वो उस दिन कुछ ज़्यादा ही सेक्सी लग रही थी, उसको शायद यह भी मालूम हो गया था कि मैं उसकी बड़ी बहन के साथ कुछ कर चुका हूँ। मैं घर में अन्दर गया, उसने दरवाज़ा बन्द कर दिया। मैंने उससे पूछा कि बड़ी बहन कहाँ पर हैं तो उसने कहा कि सब लोग पास के गाँव में गये हुए हैं और करीब ९ बजे तक लौटेंगे। मेरी नीयत उसके ऊपर बिगड़ी तो थी ही, मैंनो सोचा क्यों ना आज इसके ऊपर भी ट्राई किया जाये।
मैं कुर्सी पर बैठ गया और उसे पानी पिलाने को बोला। वो पानी लेकर आई तो जान-बूझकर मैं इस तरह से खड़ा हुआ कि पानी का गिलास उसके हाथ से छूटकर नीचे गिर गया। उसने सॉरी बोला और दूसरा गिलास लेने चली गई, दूसरा गिलास लेकर उसने मुझे दिया और फर्श पर गिरा पानी साफ करने लगी। जब वह नीचे झुकी तो उसके कुर्ते में से उसके बड़े-बड़े मम्मे दिखने लगे, उसको शायद महसूस हो गया कि मेरी निगाहें उसके बूब्स पर हैं, फिर भी वो लापरवाही से पानी साफ करती रही, इससे मेरी हिम्मत कुछ बढ़ गई। एक तो अकेलापन और गर्मी की आलस भरी दुपहरी, इससे शायद उसमें भी सेक्स के प्रति कुछ भाव पैदा होने लगा था।
मैंने उससे पूछा कि तुम क्या कर रही थी, तो उसने बताया कि वह अभी कपड़े धोकर आई है, अभी उसको नहाना है। मैंने उसे बताया कि मुझे अभी २-३ घण्टे कोई काम नहीं है, इसलिए मैं यहीं बैठता हूँ, तुम नहा लो। ऐसा कहकर मैं पलंग पर बैठ गया और वो नहाने चली गई, बाथरूम उसी कमरे से अटैच्ड था।
थोड़ी देर में बाथरूम से पानी गिरने की आवाज़ आने लगी, मैं समझ गया कि वो नहा रही है। मैंने धीरे से बाथरूम की किवाड़ में एक छेद से देखा तो वो क्या गज़ब लग रही थी! एकदम नंगी चिकना और गोरा बदन, कभी अपने बूब्स मसलती और कभी चूत पर पानी की धार गिराती। मेरा तो लण्ड तनकर खड़ा हो गया और मैं उसकी चूत में लण्ड डालने के बारे में सोचने लगा। मैंने उसे नंगी नहाते हुए करीब बीस मिनट तक देखा।
फिर उसने पानी बन्द कर अपना बन्द तौलिये से पोंछना शुरू कर दिया। वह अपने बूब्स और चूत को ज़्यादा ही मसल रही थी, उसको ऐसा करते देख कर मेरे लण्ड का तो बुरा हाल हो गया पर कुछ तरकीब समझ नहीं आ रही थी कि उसे कैसे चोदूँ। लेकिन आज की तरह मौका फिर नहीं मिलेगा यह सोचकर मैं उपाय खोजने लगा। जब उसने कपड़े पहनने शुरू कर दिये तो मैं बाथरूम से हटकर पलंग पर लेट गया। करीब ३ मिनट के बाद वो आई, उसने मुझे लेटे हुए देखा तो मुझसे पूछा कि क्या हुआ आप लेटे हुए क्यों हो? मैंने कहा कि मेरा सिर दर्द कर रहा है। तो उसने कहा कि मैं आपके लिए चाय बना लाती हूँ, मैंने कहा अगर तुम नहा चुकी हो तो चाय मत बनाओ, यहाँ मेरे पास बैठे और मेरा सिर दबा दो, थोड़ी देर में सिरदर्द कम हो जायेगा तब चाय बना लाना।
उसने मेरी बात मान ली और पलंग के किनारे पर बैठ कर मेरा सिर दबाने लगी। एक तो वो नहाकर आई थी, और उसकी मादक गंध और तनहाई ने मुझे बहुत उतावला बना दिया था, जिससे मेरा लण्ड भयंकर रूप से मुझे परेशान करने लगा था। मैंने उससे कहा कि वो ऊपर पलंग पर बैठ जाये और मेरे सिर को अपने गोद में रख ले, उसने मेरी बात मान ली और पलंग के ऊपर बैठकर मेरा सिर उपनी गोद में रख लिया। अब मुझे लगने लगा था कि मैं इसको आज चोद लूँगा। उसने मेरे सिर पर हाथ फेरना शुरू कर दिया। मैं धीरे-धीरे उसकी गोद में समाने लगा, जिससे मेरा सिर उसके बूब्स से छूने लगा, उसे भी शायद अच्छा लग रहा था।
थोड़ी देर सिर दबाने के बाद मैंने उससे पूछा कि उसका मेरा सिर दबाना कैसा लग रहा है तो उसने कहा कि अच्छा लग रहा है। मैंने उससे कहा कि अब तुम लेटो, मैं तुम्हारा सिर दबा देता हूँ। वो बोली, मेरा तो सिर नहीं दुख रहा है। पर मैंने कहा कि तुमने मेरा सिर दबाया, इसलिए मेरा भी फर्ज़ बनता है कि मैं अब तुम्हारा सिर दबाऊँ। मैंने ज़ोर दिया तो वह लेट गई। मैंने उससे कहा कि तुम मेरी गोद में अपना सिर रख लो, मुझे भी अच्छा लगेगा, उसने वैसा ही किया। मैं उसका सिर दबाने लगा, और धीरे-धीरे उसके गालों को भी सहलाने लगा, वह कुछ नहीं बोली। मेरी हिम्मत बढ़ गई, मैंने उसका एक हाथ मेरे हाथ में ले लिया। ५ मिनट तक सर दबाने और हाथ सहलाने के बाद, मैंने उसके कंधों पर भी अपने हाथ फेरने शुरू कर दिये, उसे अच्छा लग रहा था, इसलिए वह चुपचाप रही, मेरी हिम्मत और भी बढ़ी, और मेरे हाथ अब उसके कंधे से हटकर उसके बूब्स को भी छूने लगे। वो भी चुपचाप मेरे सहलाने का मज़ा लेने लगी।
अब मुझे अपनी मेहनत सफल होती दिख रही थी, मैंने उसके बूब्स दबाने शुरू कर दिया और उसकी बगल में लेट गया। धीरे से उसे अपनी ओर किया और उसके होठों पर किस किया। उसने मेरा हाथ झटक दिया, पर वो वहाँ से हटी नहीं। मैंने फिर उसको ज़बर्दस्ती पकड़ा और अपनी बाँहों में कस लिया। दोस्तों स्वर्ग का अनुभव हो रहा था। उसने फिर ज्यादा कसमसाहट नहीं की और मेरी बाँहों में समा गई, बोली आई लव यू।
फिर क्या था, मैं उसके ऊपर सवार हो गया और उसको किस करने लगा। मैंने उसके कपड़े उतार दिये और उसको ब्रा-चड्डी मे ले आया। फिर चड्डी छोड़कर मैंने मेरे कपड़े भी उतार दिये। अब हम एक दूसरे को किस करने लगे। उसने मेरा लण्ड पकड़ लिया, मैं उसकी चूत में ऊँगली डालने लगा, तो वह चीखने लगी और आआआहहह… ओओओहह करने लगी। मैंने उसकी ब्रा और चड्डी भी उतार दी और खुद भी नंगा हो गया। वो नंगी क्या लग रही थी, उसके बूब्स इतने बड़े-बड़े थे कि देखने में ही ज्यादा मज़ा आ रहा था।
मैंने उसे पलंग पर लिटा दिया और उसके मम्मे पीने लगा, वो मेरे लण्ड से खेलने लगी। काफी देर तक मैं उसके दोनों बूब्स दबाता और पीता रहा, थोड़ी देर बाद उसने मेरे लण्ड को अपनी चूत की तरफ खींचना शूरू कर दिया, मैं समझ गया कि इसको अब मेरा लण्ड चाहिए। मैं उठकर उसके घुटनों के पास बैठ गया और उसकी चूत में अपनी ऊँगली डाल दी, क्या चूत थी, बिल्कुल मुलायम बालों से घिरी हुई। अन्दर से शहद जैसा माल बाहर आ रहा था। जी करता था कि खा जाऊँ, पर उसको मेरा लण्ड लेने की जल्दी लगी हुई थी। मैंने अपना लण्ड उसकी चूत में डाल दिया और उसके ऊपर लेट गया और धक्के लगाने शुरू कर दिये।
दो नंगे बदन एक दूसरे में गुँथे हुए थे। उसकी सिसकारी की आवाज़ आ रही थी, मैंने धक्के की स्पीड बढ़ा दी, कुछ ही देर में लगा कि मेरा माल निकल जाएगा तो मैं रूक गया। उसने पूछा कि क्या हुआ, क्यों रूक गये तो मैंने उससे कहा कि अभी तेरे बूब्स दबाने बाकी हैं। मैंने उसे किस्स करना फिर से शुरू कर दिया और दोनों को ऐसे दबाया जैसे कि मैं उनका कचूमर बनाना चाहता हूँ। वो भी मेरा पूरा साथ दे रही थी। मैंने उसको बताया कि मैंने उसे बाथरूम में नंगी नहाते हुए देखा है, तो वो हँसने लगी, बोली- तुम्हारी नियत तो पहले से ही मुझपर खराब है।
दोस्तों, मैं ऐसे आनन्द में था कि उससे निकलने की इच्छा ही नहीं हो रही थी, पर ऐसा होता नहीं। सेक्स की चरम सीमा अपना माल निकल जाने पर ही होती है। मैंने फिर से धक्के लगाने शुरू कर दिये। वो भी नीचे से कमर उछाल कर मेरा साथ दे रही थी। चूत और लण्ड का संघर्ष चल रहा था। उसकी चूत से निकले पानी से मेरा लण्ड सराबोर था। फच्च-फच्च की आवाजें आ रहीं थीं। ५ मिनट धक्के लगाने के बाद उसने मुझे कुछ ज्यादा जोर से कस लिया, मैं समझ गया कि ये अब जाने वाली है। मैंने भी धक्कों की गति तेज़ कर दी और १५-२० धक्कों के बाद इधर मेरे लण्ड ने अपना माल निकाल और उधर नीचे उसकी चूत भी पानी छोड़ने लगी।
क्या आनन्द था! काफी देर तक हम एक दूसरे की बाहों में समाये किस करते हुए नंगे ही पड़े रहे। उसकी चूचियाँ पीते हुए एक बार फिर मेरा लण्ड खड़ा हो गया। मैंने उससे कहा कि तुम मेरा लण्ड चूसो, मैं तुम्हारी चूत चूसता हूँ। हम ६९ की पोज़ीशन में आ गये। मैं नीचे और वो ऊपर। उसकी इच्छा फिर से होने लगी, वो मेरा लण्ड अपने मुँह में लेकर उसको लॉलीपॉप की तरह चूसने लगी और मेरे मुँह पर अपनी चूत ज़ोर-ज़ोर से रगड़ने लगी।
५ मिनटों तक एक-दूसरे के लण्ड-चूत का स्वाद लेने के बाद वो लेट गई, और बोली कि फिर डाल दो। मैंने पूछा क्या, तो बोली लण्ड डाल दो। फिर मैंने पूछा, किसमें, तो बोली कि मेरी चूत में। मैंने उसकी टाँगें चौड़ी कीं और अपना लण्ड फिर उसकी चूत में डाल दिया। अबकी बार मुझे मेरा माल निकल जाने की बिल्कुल भी टेन्शन नहीं थी। मैंने तेज़-तेज़ धक्के देने शुरू कर दिये, वो अजीब सी आवाज़ें निकालने लगी। करीब २० मिनट की चुदाई के बाद मैंने अपना माल उसकी चूत में ही छोड़ दिया। उस दौरान उसकी चूत ने दो बार पानी छोड़ा।
हमने थोड़ी देर तक पलंग पर लेटे रहने के बाद, अपने-अपने कपड़े पहने। फिर एक दूसरे की बाहों में काफी देर तक बैठे रहे, चाय भी पी, उसके बाद करीब पाँच बजे मैं उससे फिर आने का वादा करके और एक चुदाई और करके वहाँ से निकला।
तो दोस्तों, कैसा लगा आपको मेरा ये किस्सा? पर ये हकीक़त है और वासना का ऐसा मायाजाल जिसको आप सुनकर ताज्जुब करेंगे। आपको अगली बार बताऊँगा कि कैसा मैंने इन दोनों बेटियों और इनकी माँ शबनम को एक ही बिस्तर पर पूरी रात चोदा। आपके मेल का इन्तज़ार रहेगा। मुझे आज भी नई चुदाई का शौक है। मेरा मेल आई-डी है: Antarvasna
मैं अमन इलाहबाद से हूँ। मेरी Hindi Sex Stories उम्र २४ साल है मेरा लंड ७ लम्बा है ३ चौड़ा है। मैं आपको अपने पहले सेक्स के बारे में बताने जा रहा हूँ।
बात ६ साल पुरानी है। तब मैं १२वीं में था और हम लोग जहाँ रहते हैं उसके सामने वाली बिल्डिंग में एक औरत रहने आई थी। उसके पति दुबई में जॉब पर थे और उसकी एक लड़की थी, वो लड़की १८ साल की थी।
जब मैंने उस लड़की को पहली बार बिल्डिंग के नीचे देखा तो मेरे होश ही उड़ गए। वो दुकान में कैडबरी लेने आई थी और मैं भी उसी दुकान में रेज़र लेने आया था। मैंने उसे देखा तो मैं देखता ही रह गया।
उसने नीली रंग का स्कर्ट पहना था जोकि घुटनों तक ही था और पीले रंग की शर्ट पहनी थी। शर्ट के ऊपर से उसके छोटे छोटे दो मुसम्बी साफ साफ दिखाई दे रहे थे। वो कमाल की थी।
मै सोचने लगा अगर यह लड़की मुझे चोदने को मिले तो बहुत ही मज़ा आएगा और मैंने उससे दोस्ती करने का फैसला किया।
मैंने उसको बोला,”हई !
उसने सामने से उत्तर देते हुए ‘हय’ कहा फिर मेरी हिम्मत बढ़ी और मैंने उसको नाम पूछा तो उसने बताया “फ़िज़ा”
मैंने फिर उसे अपना नाम बताया और कहा कि मैं उस सामने वाली बिल्डिंग में रहता हूं ! तो उसने भी कहा कि मैं तुम्हारे सामने वाली बिल्डिंग में रहती हूँ।
फिर मैंने उसको पूछा,”फ़्रेंड्स ?”
वो हाथ सामने करती हुई बोली,”फ़्रेंड्स !”
फिर हम दोनों अपने अपने घर गये। उसके बाद वो मुझसे मिलती रही और कभी कभी मैं उसके घर भी जाता था। इस बीच मुझे एक बात का पता चल गया कि उसकी कमजोरी कैडबरी है और मैं जब भी उससे मिलने जाता तो उसे कैडबरी ले कर जाता।
उस दिन रविवार था। मैं उसके घर गया, देखा तो उसकी माँ एक रिश्तेदार के पास गई हुई थी और फ़िज़ा घर में अकेली थी। मैं सोफे में बैठ के टी.वी. देख रहा था और वो मेरे साथ मजाक करने लगी, मुझे चिड़ाने लगी और मारने लगी। तो मैं भी उसे मारने लगा। ऐसे ही उसने एक बार मेरी छाती पर मारा तो मैंने भी जानबूझ कर उसकी छाती पर मारा। फिर उसने मेरे पेट पर मारा तो मैंने भी उसके पेट पर मारा। फिर उसने मेरे लंड पर मारा तो मैंने भी उसकी चूत पर मारा।
उस वक़्त मैंने पहली बार किसी लड़की के दूध और चूत को छुआ था।
मैं समझ गया कि फ़िज़ा को क्या चाहिए।
जब उसने फिर से मेरी छाती पर मारा तो मैंने उसके दूध को पकड़ लिया और दबाने लगा।
तो वो पूछने लगी- तुम क्या कर रहे हो?
मैं उसकी दूध दबाते हुए बोला- जो तुझे चाहिए !
और वो कुछ नहीं बोली, चुपचाप बैठी रही। उसने लाल रंग का स्कर्ट और पीले रंग का टी-शर्ट पहना था। मै उसके वक्ष दबाते दबाते उसके होंठों को चूसने लगा।
मैंने उसको पूछा- कभी किसी से दबवाया है क्या ?
तो उसने शरमाते हुए न कहा तो मैं समझ गया कि फ़िज़ा अभी तक कुंवारी है। उसके स्तन एकदम मस्त थे। मैं फिर उसके दूध की घुंडी दो उंगलियों से मसलने लगा तो वो सिसक उठी- अ अ ह ह ह
फिर मैंने उसे उठाया और बेडरूम में ले गया और बेड पे लिटा दिया। फिर मैंने अपना शर्ट उतार दिया और पैन्ट की जिप खोल कर पैन्ट उतार दी। मैं अब बस अंडरवियर में था और मेरा लण्ड लोहे की तरह सख्त हो गया था, मेरे अंडरवियर का तम्बू (टेंट) बना हुआ था। मैं उसके पास लेट गया और उसे नजदीक लेते हुए उसके रसीले होंठ चूसने लगा। मैंने अपने दोनों हाथ उसकी मुसम्बी पर रखे और धीरे धीरे सहलाने लगा।
कुछ देर बाद मैं अपना एक हाथ उसकी टी-शर्ट में ले जाकर उसके बूब्स दबाने लगा। उसने ब्रा पहनी थी। फिर मैं उसका टी-शर्ट उतारने लगा तो उसने हाथ ऊपर करते हुए मेरी मदद की। उसने काले रंग की ब्रा पहनी थी। फिर मैं ब्रा के ऊपर से ही वक्ष दबाने लगा। कुछ देर के बाद मैं अपना एक हाथ उसके पीछे लेते हुए उसकी ब्रा का हूक खोल दिया और उसकी ब्रा निकाल के बेड पर फेंक दी। अब वो मेरे सामने नंगी बैठी थी। मैं उसे फिर लिटाते हुए उसके ऊपर लेट गया और उसके दूध चूसने लगा।
कभी कभी मैं उसके निप्प्ल दाँत के बीच ले कर उसे काटता तो वो चिल्लाती थी। मैं एकदम मदहोश हो गया था क्योंकि मैं आज पहली बार किसी लड़की को चोदने जा रहा था।
थोड़ी देर बाद मैंने अपना एक हाथ नीचे ले जाते हुए उसकी स्कर्ट में डाल दिया। मेरे हाथ को उसकी नरम नरम चड्डी लगी। मैं उसकी चड्डी के ऊपर से ही उसकी चूत सहलाने लगा। जैसे ही मेरा हाथ उसके चूत पे लगा, वो सिसक उठी- अ अ अ ह ह ह ह ह ह ह !
फिर मैंने उसकी स्कर्ट का हूक खोल दिया और उसकी स्कर्ट निकाल दी। उसने पीले रंग की चड्डी पहनी थी और चड्डी गीली हुई थी। मैं उसकी चूत चड्डी के ऊपर से ही सहलाने लगा। थोड़ी देर बाद मैं बैठ गया और उसकी चड्डी निकालने लगा। तभी वो इंकार करने लगी तो मैंने पूछा- क्या हुआ?
तो वो बोली- मुझे शर्म आती है !
तो मैं बोला- अभी तो मेरे सामने नंगी हो ! अब काहे की शर्म और वैसे भी तेर पति के सामने तुझे नंगा होना ही है तो अभी क्यों नहीं !
ऐसा कहते हुए मैंने उसकी चड्डी निकाल दी। अब वो मेरे सामने पूरी तरह नंगी थी। वो शरमा रही थी और उसने अपने दोनों पैर एक के ऊपर एक रख लिए। मैंने उसके पैर अलग कर के फैला दिए और उसकी बुर देखने लगा। वाह क्या बुर थी उसकी ! एकदम कुंवारी !
मै तो पागल हो उठा था क्योंकि मैं पहली बार किसी लड़की की चूची और चूत देख रहा था। वो शरमा रही थी। मैंने अपनी एक ऊँगली उसकी बुर में डालने लगा। उसकी बुर एकदम कसी थी, मैं जोर लगा के अपनी ऊँगली उसकी बुर में घुसाने लगा।
तभी वो- ह ई इ ई ई इ र इ इ इ इ सो ओ ओ ओ ओ ओ ओ ओ कर के सिसक उठी।
फिर मै घुसाने की कोशिश करने लगा। कुछ देर के बाद मेरी दो उंगलियां उसकी बुर में गई। अब मैं उंगलियाँ उसकी चूत में अन्दर-बाहर करने लगा। उसको मज़ा आने लगा और वो मस्त होकर सिसक उठी- अ अ अ अ ह ह ह ह ह ह ह अअह !
कुछ देर बाद मैंने अपना अंडरवीयर उतार दिया। तभी मेरा ७” लम्बा और ३” मोटा लण्ड स्प्रिंग की तरह उछल कर बाहर आ गया। वो मेरा लण्ड देख के हैरान हो गई और अपनी बुर को देखती हुई बोली “अमन, इतना बड़ा तेरा लण्ड मेरी चूत में कैसे घुसेगा? मेरी चूत का छेद तो इसके सामने काफी छोटा है ! यह मेरी चूत में गया तो मैं तो मर जाउंगी !”
तभी मैं बोला,”टेंशन मत लो ! यह तो तेरे छेद में आराम से जायेगा ! पहले पहले दर्द होगा लेकिन फिर मज़ा आएगा और फिर जब बच्चा होता है तो इसी छोटे से छेद से निकलता है न “
ऐसा कहते हुए मैंने उसको मेरा लण्ड चूसने को कहा तो वो मना करते हुए बोली,”चीईई, मैं नहीं चूसुंगी इसे !”
मैंने पूछा,”क्यों ?”
तो उसने बोला,”मुझे गन्दा लगता है !”
तब मुझे याद आया, मैं उसके लिए एक कैडबरी लाया था और उसे देना ही भूल गया था। मैंने झट से अपनी पॉकेट से कैडबरी निकाली और उसे खोल दी। वो कैडबरी थोड़ी सी पिघल गई थी। मैंने वो कैडबरी अपने लण्ड पे लगाई और उसके मुँह में मेरा लण्ड घुसाते हुए बोला,”कैडबरी तो चाट सकती हो ना ?”
और मैंने उसका सर पकड़ के रखा। पहले वो छुड़ाने की कोशिश करने लगी लेकिन छुड़ा न पाई। फिर मैं अपनी कमर आगे पीछे करने लगा। अब उसे भी मज़ा आने लगा और वो मेरा लण्ड पकड़ के खुद ही चूसने लगी। मैंने हाथ उसके सर से हटाते हुए कहा,”कैसी लगी कैडबरी ?”
उसने लण्ड को मुंह से निकालते हुए कहा,”ये कैडबरी तो तेरे लण्ड के सामने कुछ भी नहीं है !” और वो मेरा लण्ड फिर से मुंह में लेकर चूसने लगी।
थोड़ी देर बाद मैंने उसे पैर फैला के लेटने को कहा। वो पैर फैला के लेट गई। उसकी गीली चूत मुझे साफ साफ दिखाई दे रही थी।
मैंने उसे पूछा,”घर में मक्खन है?”
उसने कहा,”हाँ फ्रीज़ में रखा है !”
और मैं मक्खन ले के आया। उसे कुछ समझ नहीं आ रहा था कि मैं मक्खन क्यों लाया।
फिर मैंने खूब सारा मक्खन उसकी चूत के अन्दर डाला और अपना लण्ड उसकी बुर के मुंह पर रखा। जैसे ही मैंने लण्ड उसकी बुर पे रखा, वो सिसक उठी, “आह्ह आः जल्दी करूऊऊ नहीं तो माँ मर जाउंगी !”
मैंने एक धक्का देते हुए अपना लण्ड उसकी चूत में डाल दिया, उसकी चूत से खून निकलने लगा और वो चिल्लाने लगी,”ऊउईईई मा आ या मैं मर गई आआअह्ह्ह्ह्ह्ह !”
मैं थोड़ी देर शान्त हो कर लेट गया। थोड़ी देर रुकने के बाद दूसरा धक्का लगाया और वो फिर से चिल्ला उठी,”प्लीज़ अमन ! लण्ड बाहर निकालो ! नहीं तो मैं मर जाउंगी !”
मैंने कहा,”कुछ नहीं होगा, बस थोड़ी देर और सहन कर लो !”
और उसको किस करते हुए और एक धक्का लगाया इस वक्त मेरा पूरा लण्ड उसकी चूत में चला गया था और वो चिल्लाने वाली थी पर उसका मुँह मैंने अपने मुंह में ले के बंद किया था। उसकी सील टूट चुकी थी और वो रो रही थी और मछली की तरह तड़प रही थी। थोड़ी देर तक ऐसे ही रहा। फ़िर मैं अपनी कमर धीरे धीरे हिलाने लगा। तब तक उसको भी मज़ा आने लगा था और वो भी अपनी कमर ऊपर नीचे करती मुझे सहयोग दे रही थी।
फिर मैंने भी अपनी रफ्तार बढ़ाई और जोर जोर से कमर हिलाने लगा। इस दौरान वो दो बार झड़ चुकी थी। करीब १५ मिनट बाद मैं भी झड़ गया और उसके चूत में ही अपना वीर्य डाल दिया। कुछ देर तक ऐसे ही सोने के बाद वो उठी और अपने कपड़े उठाने लगी।
तभी मैंने देखा उसकी चूत पूरी तरह से गीली थी। उसकी चूत में मेरा वीर्य, उसका पानी और बहुत सा खून भी था। वो उठ के बाथरूम गई और पेशाब करने के बाद उसने अपनी चूत साफ की और अपनी चड्डी पहन ली और बाद में अपनी ब्रा पहनी और फिर टी शर्ट पहन के उसने स्कर्ट कमर पे चढ़ाई और बाहर आ गई।
उस दिन के बाद मैंने उसे बहुत बार चोदा। Hindi Sex Stories
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