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Massage Girl in Lahul & Spiti: Premium Relaxation Services

Our site can help you find a professional massage girl in Lahul & Spiti who will help you relax in the best manner possible. We connect you with professional therapists who can offer you a massage that will make you feel better and more relaxed. The pros on our list are ready to provide you with a fantastic experience at your house or in one of their particular spots, whether you want to relax or get away from it all.

Introduction

Massage is currently one of the finest methods to relax your mind, body, and overall health. Our website makes it easy to locate the top massage services in Lahul & Spiti that meet your demands. This will be a one-of-a-kind and calming experience for you.

Tottaa wants to make it simple for clients to find the top masseuse. The Lahul & Spiti massage service providers on our list offer the greatest quality, comfort, and competence, whether you want a full-body massage or a massage for a particular location.

How Tottaa Helps Advertisers Reach More Customers

Tottaa is not only a list of masseuses, it’s also a secure location for them to show off what they can do. People in Lahul & Spiti who are seeking massage services may find them on our website. This makes them easier to find and gets them more appointments.

Advertisers may simply put up profiles, offer their services, and talk about pricing and discounts on our sites. This makes sure that the relevant people notice your Lahul & Spiti massage service, which makes it easier to obtain more customers.

Different Types of Massages We Offer

There are a lot of different types of massage services on our site, so you may choose one that works for you. You may choose the kind of treatment that works best for you, whether it’s profound rest or a particular type of therapy.

1. Swedish Massage

A calm and gentle way to ease muscular tension and improve blood flow. This Lahul & Spiti massage is perfect for you if you want to relax and forget about your concerns.

2. Deep Tissue Massage

This approach employs a lot of pressure to get to deeper muscle layers. It’s helpful for folks who have muscular discomfort or stiffness that won’t go away. There are specialists on our profiles of massage girls in Lahul & Spiti who are good at deep tissue treatments that function effectively.

3. Aromatherapy Massage

Calming massage strokes and essential oils are beneficial in making people feel improved both emotionally and physically. Most massage companies in Lahul & Spiti employ the use of custom oil preparations to make you feel good.

4. Thai Massage

A therapy that wakes you up by using a mix of regular massage, stretching, and compression. This traditional massage in Lahul & Spiti helps you relax, become more flexible, and get your mind and body back in harmony.

5. Hot Stone Massage

Heated stones are placed on various parts of the body to help with deep muscular tightness. People who want to feel good, relax, and help their muscles recover quickly can use this massage service in Lahul & Spiti

How to Book Our Massage Services

Tottaa makes it simple and fast to book. With our listings, you can see what kind of massage you want, read about the providers, see that they are free and then contact them directly. After you choose, you can book a massage in Lahul & Spiti at your convenient time and location. In order to get your desired massage services, apply the following simple steps:

Step 1: Browse Our Listings

Take a peek around our site to view a few massage professionals. Each listing gives you information about the many sorts of massages, how long they last, how much they cost, and where they are situated. This makes it easier to choose the finest ones.

Step 2: Compare and Shortlist

Examine the profiles carefully to compare how the services, talents, and reviews posted by customers differ. This phase makes sure you choose a business that has the style, pricing, and supply you desire.

Step 3: Connect with the Provider

When you have decided, use the information that you are offered so that you can contact them directly. One can communicate it to the massage giver thus making it understood what massage you want at what time and when.

Step 4: Confirm the Appointment

The date, time and place of the service, which could be your home, a hotel or the spa where the therapist may be found. You also need to agree on the payment method and any other accords prior to commencement of the course.

Step 5: Relax and Enjoy Your Massage

All you have to do on the day of the appointment is have your area ready for the house visit. The remainder will be handled by the expert. Take it easy and enjoy a massage that is made just for you.

Frequently Asked Questions

To locate a professional who can meet your needs, read our biography, reviews and advertising.

Yes, many of the therapists on our site will come to your house so you may feel safe and at ease.

You may pick based on talents since most adverts provide their qualifications in their profiles.

It would be advisable to make a reservation earlier to guarantee that you would be able to get a massage, particularly against the prevalent services of massage.

Not at all. Tottaa exclusively connects users with service providers. The doctor gets to choose how to handle payment.

Read Our Top Call Girl Story's

Sex Stories

बात उन दिनों की है जब मैं दिल्ली में एक कंपनी Sex Stories में नौकरी करता था. हम लोगों ने एक घर किराये पर ले रखा था. घर में तीन कमरे थे. पहला कमरा एक बड़ा ड्राइंग रूम था और बाकी दो कमरे बेडरूम थे. मैं आखरी वाले कमरे में रहता था बिल्कुल अकेला.

हमने एक काम वाली रखी जो सिर्फ़ १९ साल की थी. देखने में तो वो ठीक थी, लेकिंग उसके मम्मे बहुत ही बड़े थे. उसका नाम मंजू था. मंजू आगरा की रहने वाली थी लेकिन उन दिनों वो अपने माँ बाप के पास रहती थी क्योंकि उसके पति के साथ झगडा हो गया था. उन दिनों मेरा लण्ड बहुत ही ज़्यादा परेशान करता था मुझे.

मंजू रोज़ सुबह ७ बजे आती थी और पहले झाडू पोचा करती थी और फिर वोह हम लोगो का खाना बनाती थी. मेरे मन में वो पहले दिन से ही छा गई थी, और मैं उसकी चूत मारने की सोचता रहता था.

एक रोज़ वोह सुबह सुबह जब मेरे कमरे में झाडू कर रही थी तो मैंने उसे सर दबाने के लिए कहा, उसने आने कोमल हाथों से मेरा सर दबाना शुरू कर दिया. फिर तो यह रोज़ के किस्सा हो गया. धीरे धीरे मैंने उसके हाथ पकड़ना शुरू कर दिया और जब उसने कुछ नहीं कहा तो मेरी हिम्मत और भी बढ़ गई. फिर एक सुबह मैंने अपना सर दबवाते हुए उसके मम्मे पकड़ लिए और वोह मुझसे अपना हाथ छुड़वा कर चली गई. मैंने सोचा कोई बात नहीं तुझे तो मैं अच्छे से चोदूंगा.

एक शाम को मेरे दोस्त ने कहा कि उसको १० दिन के लिए जयपुर जाना पड़ेगा ऑफिस के काम से. मेरी तो जैसे लॉटरी ही निकल गई.

अब बस मैं अकेला ही बचा था उस फ्लैट में. अगली सुबह जब कामवाली ने दरवाज़े की घंटी बजाई तो मैंने दरवाज़ा खोला और वो मुझे देख कर चौंक गई.
मैंने कहा- मेरा दोस्त जयपुर गया है, १० दिन बाद लौटेगा.
मंजू ने शायद यह भांप लिया था कि अब तो उसको चुदना ही पड़ेगा. खैर मैंने उसे कहा कि तुम आज खाना सिर्फ़ मेरे लिए और अपने लिए ही बनाना. फिर उसने झाडू लगना शुरू किया तो मैं वापस अपने बिस्तर पर आ कर लेट गया.

जब वोह मेरे कमरे में आई तो मैंने उसे कहा- मंजू, आज शरीर में बहुत दर्द हो रहा है, लगता है आज छुट्टी लेनी पड़ेगी।
उसने कहा- मैं आपको दबा देती हूँ.

फिर मंजू ने मुझे धीरे धीरे दबाना शुरू किया. मुझे तो लग रहा था जैसे मैं जन्नत में हूँ. मैंने उससे पूछा- मंजू, तुम अपने घरवाले के पास क्यों नहीं जाती हो?
तो उसने जवाब दिया- वो मुझे छोड़ कर चला गया था एक लड़की पैदा होने के बाद, अब आता है माफ़ी मांगने के लिए लेकिन मैं उस पर कैसे विश्वास कर लूँ?

फिर मुझे समझ में आ गया कि उसकी चूत मारने में ज़्यादा टाइम नहीं लगेगा. मैंने धीरे धीरे उसे कहा की मेरी पीठ को भी दबाओ. उसने मेरा कहना माना और वो मेरे बिस्तर पर बैठ गई. मैंने उसकी जांघ पर हाथ फेरना शुरू किया और उसने ज़्यादा आना कानी नहीं की. फिर मैंने उसकी चुचियों को उसके कमीज़ के ऊपर से ही दबाना शुरू कर दिया और वोह कराहने लगी. मैंने ज़्यादा टाइम बर्बाद नही करते हुए उसके बिस्तर पर लेटा लिया और उसका कमीज़ निकल दिया. फिर मैंने उसके होठों पर अपने होंठ रखे और एक लम्बी सी किस दे दी. फिर मैंने उसकी ब्रा उतारी और मैंने उसके मम्मे चाटना शुरू कर दिया. वो तो जैसे सातवें आसमान पर थी. मैंने उसके मम्मों को दबाना भी जारी रखा. उसने कहा अब बस भी करो, अगर मैं जोश में आ गई तो गड़बड़ हो जायेगी.

मैंने उसकी सलवार उतारी और उसकी जाँघों पर हाथ फेरना शुरू कर दिया. धीरे धीरे मैंने उसके जाँघों पर अपनी जीभ से चाटना शुरू कर दिया. वोह ” ऊउह्ह्ह आआ आआःः ऊऊऊईई कर रही थी, और मैं रुकने का नाम भी नहीं ले रहा था.

फिर मैंने उसकी पैंटी उतारी और उसकी टांगें फ़ैला कर उसकी चूत को चाटना शुरू कर दिया. उसकी चूत में से एक नमकीन सा स्वाद आ रहा था. उसकी गर्मी बढती जा रही थी उसने मेरा लण्ड ज़ोर ज़ोर से हिलाना शुरू कर दिया. मैंने अपने सारे कपड़े उतारे और उसके मुँह में अपना लण्ड रख दिया. उसने मेरे लण्ड को लोलीपोप के जैसे चूसना शुरू कर दिया.

मैंने फिर उसकी चूत को ज़ोर ज़ोर से चाटना शुरू किया और वोह भी मेरे लण्ड को चूस रही थी।

फिर मैंने अपना लण्ड उसके मुँह से निकाला और उसकी चूत पर रख दिया और एक ज़ोर से धक्का मारा. मेरा ६.५” का लण्ड उसकी चूत में चला गया. उसकी तो जैसे जान जी निकल गई और बोली ” ज़रा धीरे धीरे से करो ना, बहुत दर्द हो रहा है, आपका लण्ड तो बहुत ही मोटा, और तगड़ा है, मुझे बहुत दर्द हो रहा है”

मैंने अपना लण्ड थोड़ा सा बाहर निकाला और पूछा,” अब ठीक है क्या?”
वोह बोली,” हाँ अब ठीक है”

फिर मैंने धीरे से एक और धक्का मारा और इस बार मेरा सारा का सारा लण्ड उसकी चूत में समां गया.

“ऊऊओह्ह्ह अहह्ह्छ साहब बहुत अच्छा लग रहा है! चोद दो मुझे! आज से मैं आपकी हो गई हूँ! आह्ह्ह् उफ्फ्फ उईईई आआआ! बहुत मज़ा आ रहा है!”

मैं उसकी चुदाई ज़ोर ज़ोर से करने लगा और साथ में उसके मम्मों को चूस रहा था. मुझे बहुत दिनों के बाद कोई अच्छी चूत मिली थी इसलिए मैं अपनी सारी भड़ास निकलना चाहता था. मैंने उसके मम्मे चूसने के साथ साथ दबाना भी चालू रखा था. उसकी सिसकियों से कमरे का माहौल काफ़ी गरम हो रहा था.

ऊऊऊ आआआ अह्ह् ह्ह्ह्हछ उईईई! साहब और ज़ोर से करो ना! मुझे और प्यार करो! मेरा पानी निकाल दो! आज बहुत दिनों के बाद एक असली मर्द से पला पड़ा है! आआआ आआह्ह्ह ऊऊउह्ह्ह्ह ह्ह आआआ आआआ! मैं आआअ रहीईई हून्न्न साहब!

मैंने भी ज़ोर ज़ोर से उसको पेलना शुरू रखा और थोड़ी देर के बाद मैं भी आ गया उसकी चूत में सारा माल निकाल दिया मैंने अपना.

उसने मेरा लंड अपने मुँह से साफ़ किया और फिर मेरी बांहों में आ कर लेट गई. Sex Stories

Antarvasna

हाय मैं राजेशमेरी उम्र २० वर्ष है आपके लिये मै एक ऐसे स्टोरी Antarvasna लेकर आया हूँ जिसे पढकर आपका मन चोदने और चुदवाने का करने लगेगा

मेरे घर में चार भाई है और मेरे पिताजी है माँ का देहांत तब ही हो गया था जब मेरी उम्र ९ साल की थी। मेरे दो भाई मुंबई में सॉफ्टवेर इन्जिनेअर है जबकि सबसे बड़ा
भाई हमारे साथ ही जालंधर में रहता है। मेरे भाई की शादी हुई तो मैं बड़ा खुश हुआ कि जो माँ का प्यार माँ से नहीं मिला वह भाभी से मिल जायेगा। शादी के बाद भाभी
हमारे साथ ही रहने लगी हम गाँव के सबसे बड़े परिवार से ह। पिताजी का धयान रखने के लिए नौकर तो था पर नौकर और घर के सदस्य में रात दिन का अंतर था। भाभी
भी मुझसे मजाक किया करती।

एक दिन की बात है मैं बाथरूम में नहाने जा रहा था तो मेने भाभी से मेरी अंडरवियर और बनियान मांगी। भाभी बोली कि देवर जी आप नहाना तो शुरू करो मैं ढूँढकर
लाती हूँ मेने कहा ठीक है जब मैं नहा लिया और मैं केवल एक पतला सा टॉवेल लपेटकर खडा था तभी भाभी आई और बोली कि लो अपने अंडरवियर लो यह कहकर वो
दरवाजे के बहार खड़ी होकर दूर से अपना हाथ दिखा रही मेने भाभी से अंडरवियर लेने के लिए जैसे ही दरवाजा खोला भाभी ने दरवाजे में जोर से धक्का दिया और मेरे
बाथरूम में घुस आई और मेरी कमर पर गुदगुदी करने लगी्।

इस मजाक में वह हो ही गया जिसका मुझे डर था मेरा टॉवेल खुल गया और भाभी के हाथ में मेरा लिंग आ गया.
इसी बीच मैं शर्म के मारे बाथरूम से नंगा बाहर निकल कर भाग गया क्यूंकि उस समय घर पर मेरे और भाभी के अलावा कोई नहीं था.

इस बात पर मैं भाभी से इतना नाराज़ हुआ कि पूरा दिन बोला नहीं।
पर शाम को वह मुझसे बोली कि राजेशतुम मुझसे नाराज़ हो क्या?
तो मेने अपनी नाराजगी तोड़ते हुए न कहा दिया। अगले दिन जब मैं पढ़ाई कर रहा था तभी भाभी मुझसे बोली कि राजेशमैं
नहाने जा रही हूँ तुम कल की बात का बदला लेने की कोशिश मत करना,
तो मैं बोला- नहीं भाभी, मैं तो उस बात को कब का भूल चूका हूँ।

तभी नहाते हुए भाभी बोली कि राजेशमुझे एक साबुन लाकर दो मेरा साबुन खत्म हो गया है मैं बोला अभी तो मैं दुकान जाकर साबुन नहीं ला सकता। भाभी बोली कि
दुकान से लाने को थोड़े ही कह रही हूँ, मेरे ड्रोर में रखा वहीं से ला दो। जैसे मैं साबुन लेकर आया तो भाभी दरवाजे में से मुह निकालकर झांक रही थी तो जैसे ही मैंने जैसे
ही हाथ बढाया तो भाभी ने साबुन लेने के बहाने मेरा हाथ पकड़ कर खींच लिया और मैं बाथरूम में गिरने लगा तो भाभी ने हाथ पकड़कर मुझे संभाला तभी मेरा हाथ उनकी
चूत पर पड़ गया। मैंने देखा कि भाभी बिलकुल नंगी खड़ी थी और उनके बूब्स बहुत बड़े थे और उनके निप्पल गुलाबी रंग के थे और उनकी चूत पर बहुत बड़े बाल थे और उन
बालो के कारण चूत भी ठीक से नहीं दिख रही थी।

तभी मुझे अपन पेंट में कुछ रेंगने का अनुभव हुआ मैंने देखा जब तक तो भाभी मेरे पूरे कपडे (पेंट, अंडरवियर) दोनों उतार चुकी थी। मैं भाभी के सामने बिलकुल निवस्त्र खडा था और भाभी मेरे लंड को बड़े मजे से चूस रही थी तभी भाभी ने नीचे लेट कर पोसिशन ६९ में आ गयी और अब वो मेरा लंड चूस रही थी और मैं उनकी न चाह कर भी उनकी बालो वाली चूत चाट रहा था थोडी देर बाद वह उठी और मुझसे अपना 7″ लंबा लंड मेरी चूत में डालने को कहने लगी

मैंने जैसे ही अपना लंड भाभी की चूत पर रख कर जोर से धक्का दिया वह भाभी की चूत में न जाकर वहां से फिसलकर पीछे की और सरक गया फिर भाभी बोली जानू ऐसे नहीं और फिर वह साबुन उठाकर अपने हाथ पर लगाकर मेरे लंड पर रगड़ने लगी फिर उसके बाद उन्होंने उतना ही साबुन अपनी चूत पर लगा दिया और फिर बोलीं कि जान अब धक्का दो जैसे ही मैंने जोर से एक धक्का दिया वह चिल्ला पड़ी आआह्ह्ह् ईईइह्ह् ऊऊह्ह् फिर मैंने एक और झटका देकर पूरा लंड भाभी की चूत में समां दिया और अब उनका और मेरा शरीर आपस में रगड़ने लगे उस दिन भाभी ने मुझे जिन्दगी मैं पहली बार सेक्स करना सिखाया

लेकिन उस सेक्स के बाद मुझे उस गलती पर बड़ा पछतावा हुआ और मैंने भाभी के कितना भी उकसाने पर ये गलती न दोहराने का संकल्प लिया। एक दिन जब मैं बाज़ार सामान लेने गया तो मुझे रास्ते जाकर ध्यान आया कि मैं पैसे लाना तो भूल गया हूँ। जैसे ही मैं घर पैसे लेने वापस आया तो देखा कि भाभी एक नौकर के साथ चिपकी हुई थी मुझे देख कर वह दूर हट गयी और फिर नौकर मुझे देख कर चला गया तभी मैंने भाभी से पूंछा तो वह कहने लगी कि तुम्हारे भैया तो बस काम के कारण बाहर ही रहते है उन्हें तो मुझे संतुष्ट करने का तो उन्हें कोई ख्याल नहीं रहता और तुम भी मेरे साथ एक बार सेक्स करके ही रह गए अब तुम ही बताओ ऐसे में मैं क्या करूं

वह बोली तुम्हे तो मेरे साथ … ऐतराज़ है मै बोला ऐतराज नहीं है मैं इस काम को पाप समझता हूँ वह बोली कि तुम मुझे इस तरह खु्श करो कि तुमसे पाप भी न हो और मुझे मजा भी आ जाये। मैं बोला क्या सच में ऐसा हो सकता हैं वह बोली कि हाँ क्यूँ नहीं तो मैंने कह दिया ठीक है वो मुझे कमरे मैं ले गयी और मेरे होठ चूमने लगी तो मैंने मना किया तो वह बोली कि मैं तुमसे तुम्हारा लंड अपनी चूत में डालने को तो नहीं कह रही हूँ फ़िर उन्होंने मेरे पूरे कपडे उतार दिए फिर अपने कपडे भी उतार कर बैठ गयी और मेरा लंड जोर जोर से चूसने लगी तभी मेरी नज़र उनकी चूत पर गयी आज वह बड़ी सुंदर और चिकनी दिख रही थी अब मुझसे नहीं रहा गया और मैं अपना संकल्प भूलकर पोसिशन ६९ में आकर भाभी की चूत चाटने लगा।

फिर भाभी ने मुझे उठाकर मेरा मुंह अपने बूब्स पर रख दिया फिर मैंने दोनों स्तनों से नीचोड़ नीचोड़ कर स्तनपान किया और कुछ देर बाद भाभी की दोनों टांगें विपरीत दिशा में करके उनकी चूत पर लंड फेरने लगा भाभी के मुह से आआह्ह ऊऊउह्ह्ह् ईईह्ह्ह निकल पड़ा तभी मैंने भाभी की चूत पर एक जोर से झटका मारा तो भाभी और तेज़ और तेज़ कह कर मेरा साथ देने लगी मेरा जोश यह सुनकर दुगना हो गया फिर भाभी और मैं एक साथ स्खलित हो गए उस दिन मुझे पहली बार से भी ज्यादा आनंद आया अब भाभी और मैं जब भी हमें मौका मिलता है तब यह खेल खेलते है Antarvasna

Indian Sex Stories

म लोग शहर की घनी आबादी के एक Indian Sex Stories मध्यम वर्गीय मुहल्ले में रहते थे। वहां लगभग सभी मकान दो मंजिल के और पुराने ढंग के थे और सभी घरों की छतें आपस में मिली हुई थी। मेरे घर में हम मिया बीवी के साथ मेरी बूढ़ी सास भी रहती थी। य्ह कहानी मेरे पड़ोस में रहने वाले एक लड़के राज की है जो पिछ्ले महीने से ६-७ हमारे साथ वाले घर में किराये पर रहता था। राज अभी तक कुंवारा ही था और मेरा दिल उस पर आ गया था।

मेरे पति की ड्यूटी शिफ़्ट में चलती थी। जब रात की शिफ़्ट होती थी तो मैं छत पर अकेली ही सोती थी क्योंकि गरमी के दिन थे। राज़ और मैं दोनो अक्सर रात को बातें करते रहते थे। रात को छत पर ही सोते थे।

आज भी हम दोनो रात को खाना खा कर रोज की तरह छत पर बातें कर रहे थे। रोज की तरह उसने अपना सफ़ेद पजामा पहन रखा था। वो रात को सोते समय अंडरवियर नहीं पहनता था, ये उसके पजामे में से साफ़ ही पता चल जाता था। उसके झूलता हुए लण्ड का उभार बाहर से ही पता चल जाता था। मैंने भी अब रात को पेंटी और ब्रा पहनना बंद कर दिया था।

मेर मन राज से चुदवाने का बहुत करता था… क्युंकि शायद वो ही एक जवान लड़का था जो मुझसे बात करता था और मुझे लगता था कि उसे मैं पटा ही लूंगी। वो भी शायद इसी चक्कर में था कि उसे चुदाई का मजा मिले। इसलिये हम दोनों आजकल एक दूसरे में विशेष रुचि लेने लगे थे। वो जब भी मेरे से बात करता था तो उसकी उत्तेजना उसके खड़े हुए लण्ड से जाहिर हो जाती थी, जो उसके पजामे में से साफ़ दिखता था। उसने उसे छिपाने की कोशिश भी कभी नहीं की। उसे देख कर मेरे बदन में भी सिरहन सी दौड़ जाती थी।

मैं जब उसके लण्ड को देखती थी तो वो भी मेरी नजरें भांप लेता था। हम दोनो ही फिर एक दूसरे को देख कर शरमा जाते थे। उसकी नजरें भी जैसे मेरे कपड़ों को भेद कर अन्दर तक का मुआयना करती थी। मौका मिलने पर मैं भी अपने बोबे को हिला कर…या नीचे झुक कर दिखा देती थी या उसके शरीर से अपने अंगों को छुला देती थी। हम दोनो के मन में आग थी। पर पहल कौन करे, कैसे हो…?

मेरी छत पर अंधेरा अधिक रहता था इसलिये वो मेरी छत पर आ जाता था, और बहाने से अंधेरे का फ़ायदा हम दोनों उठाते थे। आज भी वो मेरी छत पर आ गया था। मैं छत पर नीचे बिस्तर लगा रही थी। वो भी मेरी सहयता कर रहा था। चूंकी मैंने पेंटी और ब्रा नहीं पहन रखी थी इसलिये मेरे ब्लाऊज में से मेरे स्तन, झुकने से उसे साफ़ दिख रहे थे… जिसे मैं और बिस्तर लगाने के बहाने झुक झुक कर दिखा रही थी। उसका लण्ड भी खड़ा होता हुआ उसके पज़ामे के उभार से पता चल गया था। मुझे लगता था कि बस मैं उसके मस्त लण्ड को पकड़ कर मसल डालू।

“भाभी… भैया की आज भी नाईट ड्यूटी है क्या…?”
“हां… अभी तो कुछ दिन और रहेगी… क्यों क्या बात है…?”
“और मां जी क्या सो गई हैं…?”
“बड़ी पूछताछ कर रहे हो… कुछ बताओ तो…!” मैं हंस कर बोली।

” नहीं बस… ऐसे ही पूछ लिया…” ये रोज़ की तरह मुझसे पूछता था, शायद ये पता लगाता होगा कि कहीं अचानक से मेरे पति ना आ जाएं।

हम दोनो अब छत की बीच की मुंडेर पर बैठ गये… मुझे पता था अब वो मेरे हाथ छूने की कोशिश करेगा। रोज़ की तरह हाथ हिला हिला कर बात करते हुए वो मुझे छूने लगा। मैं भी मौका पा कर उसे छूती थी।, पर मेरा वार उसके लण्ड पर सीधा होता था। वो उत्तेजना से सिमट जाता था। हम लोग कुछ देर तक तो बाते करते रहे फिर उठ कर टहलने लगे… ठंडी हवा मेरे पेटीकोट में घुस कर मेरे चूत को और गाण्ड को सहला रही थी… मुझे धीमी उत्तेजना सी लग रही थी।

जैसी आशा थी वैसा ही हुआ। राज ने आज फिर मुझे कुछ कहने की कोशिश की, मैंने सोच लिया था कि आज यदि उसने थोड़ी भी शुरूआत की तो उसे अपने चक्कर में फंसा लूंगी।

उसने धीरे से झिझकते हुए कहा -“भाभी… मैं एक बात कहूं… बुरा तो नहीं मनोगी ” मुझे सिरहन सी दौड़ गयी। उसके कहने के अन्दाज से मैं जान गई थी कि वो क्या कहेगा।

“कहो ना… तुम्हारी किसी बात का बुरा माना है मैंने…” उसे बढ़ावा तो देना ही था, वर्ना आज भी बात अटक जायेगी।

“नहीं… वो बात ही कुछ ऐसी है…” मेरे दिल दिल की धड़कन बढ़ गई। मैं अधीर हो उठी… मेरा दिल उछल कर गले में आ रहा था…

“राम कसम… बोल दो ना…” मैंने उसके चेहरे की तरफ़ बड़ी आशा से देखा।
“भाभी आप मुझे अच्छी लगती हैं…” आखिर उसने बोल ही दिया…और मेरा फ़ंदा कस गया।
“राज… मेरे अच्छे राज … फिर से कहो… हां… हां … कहो… ना…” मैंने उसे और बढ़ावा दिया।

उसने कांपते हाथों से मेरे हाथ पकड़ लिये। उसकी कंपकंपी मैं महसूस कर रही थी। मैं भी एकबारगी सिहर उठी। उसकी ओर हसरत भरी निगहों से देखने लगी।

“भाभी… मैं आपको प्यार करने लगा हूँ…!” लड़खड़ाती जुबान से उसने कहा।
“चल हट… ये भी कोई बात है… प्यार तो मैं भी करती हूँ…!” मैंने हंस कर गम्भीरता तोड़ते हुए कहा.
“नहीं भाभी… भाभी वाला प्यार नहीं… ” उसके हाथ मेरे भारी बोबे तक पहुंचने लगे थे।

मैंने उसे बढ़ावा देने के लिये अपने बोबे और उभार लिये। पर बदन की कंपकंपी बढ़ रही थी। उसे भी शायद लगा कि मैंने हरी झंडी दिखा दी है। उसके हाथ जैसे ही मेरे उरोज पर पहुंचे…मेरा पूरा शरीर थर्रा गया। मैं सिमट गयी।

“राऽऽज्… नहींऽऽऽ… हाय रे…” मैंने उसके हाथों को अपनी छाती पर ही पकड़ लिया, पर हटाया नहीं। उसके शरीर की कंपकपी भी बढ़ गयी। उसने मेरे चेहरे को देखा और अपने होंठ मेरे होंठो की तरफ़ बढ़ाने लगा। मुझे लगा मेरा सपना अब पूरा होने वाला है। मेरी आंखे बंद होने लगी। मेरा हाथ अचानक ही उसके लण्ड से टकरा गया। उसका तनाव का अहसास पाते ही मेरे रोंगटे खड़े हो गये। मेरे चूत की कुलबुलाहट बढ़ने लगी। उसके हाथ अब मेरे सीने पर रेंगने लगे। मेरी सांसे बढ़ चली। वो भी उत्तेजना में गहरी सांसे भर रहा था। मैं अतिउत्तेजना के कारण अपने आप को उससे दूर करने लगी। मुझे पसीना छूटने लगा। मैं एक कदम पीछे हट गयी।

“भाभीऽऽऽ … मत जाओ प्लीज्…” वह आगे बढ़ कर मेरी पीठ से चिपक गया। उसका एक हाथ मेरे पेट पर आ गया। मेरा नीचे का हिस्सा कांप गया। मेरा पेट कंपकंपी के मारे थरथराने लगा। मेरी सांसे रुक रुक कर निकल रही थी। उसका हाथ अब मेरी चूत की तरफ़ बढ़ चला। मेरे पेटीकोट के अन्दर हाथ सरकता हुआ मेरी चूत के बालों पर आगया। अब उसने तुरन्त ही मेरी चूत को अपने हाथों से ढांप लिया। मैं दोहरी होती चली गयी। सामने की ओर झुकती चली गयी। उसका लण्ड मेरी चूतड़ों कि दरार को रगड़ता हुआ गाण्ड के छेद तक घुस गया। मैं अब हर तरफ़ से उसके कब्जे में थी। वह मेरी चूत को दबा रहा था। मेरी चूत गीली होने लगी थी।

“राज्… हाऽऽऽय रे… मेरे राम जी… मैं मर गई!” मैंने उसका हाथ नहीं हटाया और वो ज्यादा उत्तेजित हो गया।

“भाभी… आप कितनी प्यारी है…” मैंने जब कोई विरोध नहीं किया तो वह खुल गया। उसने मुझे अब जकड़ लिया। मेरे स्तनो को अपने कब्जे में लेकर होले होले सहलाने लगा। उसके प्यार भरे आलिंगन ने और मधुर बातों ने मुझे उत्तेजना से भर दिया। जिस प्यार भरे तरीके से वो ये सब कर रहा था… मैंने अपने आपको उसके हवाले कर दिया। मेरा शरीर वासना के मारे झनझना रहा था। उसका लण्ड मेरी गाण्ड के छेद पर दस्तक दे रहा था।

“तुम मुझे प्यार करते हो…!” मैंने वासना में उसे प्यार का इज़हार करने को कहा।

“हां भाभी… बहुत प्यार करता हूं…तब से जब मैं आपसे पहली बार मिला था!”

“देखो राज…ये बात किसी को नहीं बताना… मेरी इज्जत तुम्हारे हाथ में है… मैं बदनाम हो जाऊंगी… मैं मर जाऊंगी…!” मैंने उस पर अपना जाल फ़ेंका।

“भाभी… मैं मर जाऊंगा…पर ये भेद किसी को नहीं कहूंगा…” मेरी विनती से उसका दिल पिघल उठा।

“तब देरी क्यूं… मेरा पेटीकोट उतार दो ना… अपने पजामे की रुकावट हटा दो…” मुझसे अब बिना चुदे रहा नहीं जा रहा था। उसने मेरे पेटीकोट का नाड़ा खोल डाला और पेटीकोट अपने आप नीचे फ़िसल गया। उसका लण्ड भी अब स्वतन्त्र हो गया था।

“भाभी… आज्ञा हो तो पीछे से शुरु करू… तुम्हारी प्यारे प्यारे गोल गोल चूतड़ मुझे बहुत पसन्द है…” उसने अपनी पसन्द बिना किसी हिचक के बता दी।

“राऽऽऽज… अब मैं तुम्हारी हू… प्लीज़ अब कहीं से भी शुरू करो… पर जल्दी करो… बस घुसा दो…” मैंने राज से अपनी दिल की हालत बयां कर दी।

“भाभी… जरा मेरे लण्ड को एक बार प्यार कर लो और थूक लगा दो…” मैंने प्यार से उसे देखा और नीचे झुक कर उसका लण्ड अपने मुंह में भर लिया… हाय राम इतना मस्त लण्ड!… वो तो मस्ती में फ़नफ़ना रहा था। मैंने उसका सुपाड़ा कस के चूस लिया। और फिर ढेर सारा थूक उस पर लगा दिया। अब मैं खड़ी हो गयी… राज के होंठो के चूमा… और अपने चूतड़ उघाड़ कर पीछे निकाल दी। मेरे गोरे चूतड़ हल्की रोशनी में भी चमक उठे। मैंने अपनी चूतड़ की प्यारी फ़ांके अपने हाथों से चीर दी और गाण्ड का छेद खोल कर दे दिया। मेरे थूक से भरा हुआ उसका लण्ड मेरी गाण्ड के छेद पर आ टिका। मैंने हल्का सा गाण्ड का धक्का उसके लण्ड पर मारा। उसकी सुपारी मेरे गाण्ड के छेद में फ़ंस गयी। उसके लण्ड के अंदर घुसते ही मुझे उसकी मोटाई का अनुमान हो गया।

“राज… प्लीज… चलो न अब… चलो…करो ना!” पर लगा उसे कुछ तकलीफ़ हुई। मैंने पीछे जोर लगाया तो उसने भी लण्ड को दबा कर अंदर घुसेड़ दिया। पर उसके मुख से चीख निकल गयी।

“भाभी… लगती है… जलता है…” मुझे तुरन्त मालूम हो गया कि उसने मुझे ही पहली बार चोदा है। उसके लण्ड की स्किन फ़ट चुकी थी। मेरा मन खुशी से भर उठा। मुझे एक फ़्रेश माल मिला था। एक बिलकुल नया लण्ड मुझे नसीब हुआ था। मेरे पर एक नशा सा चढ़ गया।

“राजा… बाहर निकाल कर धक्का मारो ना… देखो तो मेरा मन कैसा हो रहा है। ऐसी जलन तो बस दो मिनट की होती है…” मैंने उसे बढ़ावा दिया।

उसने मेरा कहा मान कर अपना लण्ड थोड़ा सा निकाल कर धीरे से वापस घुसेड़ा। फिर धीरे धीरे रफ़्तार बढ़ाने लगा। मैं उसका लण्ड पा कर मस्त हो उठी थी। मैंने अपने दोनो हाथ छत की मुंडेर पर रख लिये थे और घोड़ी बनी हुई थी। मैंने अपने दोनो पांव पूरे खोल रखे थे। चूतड़ बाहर उभार रखे थे। राज ने अब मेरे बोबे अपने हाथों में भर लिये और मसलने लगा। मैं वासना के मारे तड़प उठी। उसे लण्ड पर चोट लग रही थी पर उसे मजा आ रहा था। उसके धक्के बढ़ते ही जा रहे थे। उत्तेजना के मारे मेरी चूत पानी छोड़ रही थी। अचानक उसने अपना लण्ड बाहर निकाल लिया… और मेरी तरफ़ देखा। मैं उसका इशारा समझ गयी। मैं बिस्तर पर आ कर लेट गयी।

“भाभी… आप बहुत प्यारी है…सच बहुत मजा आ रहा है… जिन्दगी में पहली बार इतना मजा आया है…” मुझे पता था कि जब पहली बार किसी चूत में लण्ड जायेगा तो …मजा तो नया होगा… इसलिये आत्मा तक तो आनन्द मिलेगा। और फिर मेरी तो जैसे सुहाग रात हो गयी… कई दिनों बाद चुदी थी। फिर कितने ही दिनों से मन में चुदने कि इच्छा थी। किस्मत थी कि मुझे नया लण्ड मिला।

राज मेरे पास बिस्तर पर आ गया। मैंने अपनी दोनो टांगे ऊपर उठा दी और चूत खोल दी। राज ने आराम से बैठ कर अपना लण्ड हाथ से घिसा और हिला कर चूत के पास रख दिया। मैं मुस्कुरा उठी… उसे ये नहीं पता था कि लण्ड कहां रखना है… मैंने उसका लण्ड पकड़ कर चूत पर रख दिया।

“राजा… नये हो ना… तुम्हे तो खूब मजा दूंगी मै…आ जाओ… मुझ पर छा जाओ…” मैंने चुदाई का न्योता दिया।

उसने हल्का सा जोर लगाया और लण्ड बिना किसी रुकावट के मेरी गीली चूत के अन्दर सरकता हुआ घुसने लगा। मुझे चूत में तीखी मीठी सी गुदगुदी उठने लगी और लण्ड अन्दर सरकता रहा।

“आहऽऽऽ … राज… मेरे प्यार… हाय रे… और लम्बा सा घुसा दे…अन्दर तक घुसा दे…” मेरी आह निकलती जा रही थी। सुख से सराबोर हो गई थी। उसने मेरे दोनो चूंचक खींच डाले… दर्द हुआ … पर अनाड़ी का सुख डबल होता है… सब सहती गयी। अब उसके धक्के इंजन के पिस्टन की तरह चल रहे थे। पर अब वो मेरे शरीर के ऊपर आ गया था…मैं पूरी तरह से उससे दब गई थी। मुझे परेशानी हो रही थी पर मैं कुछ बोली नही… वो अपना लण्ड तेजी से चूत पर पटक रहा था, जो मुझे असीम आनन्द दे रहा था।

“भाभी… आह रे… तेरी चूत मारूं… ओह हां… चोद डालू… तेरी तो… हाय भाभी…” उसकी सिसकारियां मुझे सुकून पहुंचा रही थी। उसकी गालियाँ मानो चुदाई में रस घोल रही थी…

“मेरे राजा… चोद दे तेरी भाभी को… मार अपना लण्ड… हाय रे राज…तेरा मोटा लण्ड… चोद डाल…” मैंने उसे गाली देने के लिये उकसाया… और राज्…
“मेरी प्यारी भाभी… भोसड़ी चोद दूं… तेरी चूत फ़ाड़ डालू… हाय रे मेरी… कुतिया…मेरी प्यारी…” वो बोलता ही जा रहा था।
“हां मेरे राजा … मजा आ रहा है… मार दे मेरी चूत …”
“भाभी …तुम बहुत ही प्यारी हो…कितने फ़ूल झड़ते है तुम्हारी बातों में… तेरी तो फ़ाड़ डालूं… साली!”

फ़काफ़क उसके धक्के तेज होते गये… मैं मस्ती के मारे सिसकारियाँ भर रही थी…वो भी जोश में गालियाँ दे कर मुझे चोद रहा था। उसका लण्ड पहली बार मेरी चूत मार रहा था। सो लग रहा था कि वो अब ज्यादा देर तक रह नहीं पायेगा।

“अरे… अरे… ये क्या…?” मैंने प्यार से कहा.
उसका निकलने वाला था। उसके शरीर में ऐठन चालू हो गई थी। मैं जानती थी कि मर्द कैसे झड़ते हैं।

“हां भाभी… मुझे कुछ हो रहा है… शायद पेशाब निकल रहा है… नहीं नहीं… ये …ये… हाय्… भाभी…ये क्या…” उसके लण्ड का पूरा जोर मेरी चूत पर लग रहा था। और … और… उसका पानी छूट पड़ा… उसका लण्ड फ़ूलता… पिचकता रहा मेरी चूत में सारा वीर्य मेरी चूत में भरने लगा। मैंने उसे चिपका लिया। वो गहरी गहरी सांसे भरने लगा। और एक तरफ़ लुढ़क गया। मैं प्यासी रह गयी… पर वो एक २२ वर्षीय जवान लड़का था, मेरे जैसी ३३ साल की औरत के साथ उसका क्या मुकाबला…। उसमें ताकत थी…जोश था… पूरी जवानी पर था। वो तुरन्त उठ बैठा। वो शायद मुझे छोड़ना नहीं चाह रहा था। मुझे भी लग रहा था कि कही वो अब चला ना जाये। पर मेरा अनुमान गलत निकला। वो फिर से मुझसे प्यार करने लगा। मुझे अब अपनी प्यास भी तो बुझानी थी। मैंने मौका पा कर फिर से उसे उत्तेजित करना चालू कर दिया। कुछ ही देर में वो और उसका लण्ड तैयार था। एकदम टनाटन सीधा लोहे की तरह तना हुआ खड़ा था।
“भाभी…प्लीज़ एक बार और… प्लीज…” उसने बड़े ही प्यार भरे शब्दों में अनुरोध किया। प्यासी चूत को तो लण्ड चाहिये ही था… और फिर मुझे एक बार तो क्या… बार बार लण्ड चाहिये था…
“मेरे राजा… फिर देर क्यों … चढ़ जाओ ना मेरे ऊपर…” मैंने अपनी टांगे एक बार फिर चुदवाने के लिये ऊपर उठा दी और चूत के दरवाजे को उसके लण्ड के लिये खोल दिया।

वो एक बार फिर मेरे ऊपर चढ़ गया… उसका लोहे जैसा लण्ड फिर मेरे शरीर में उतरने लगा। इस बार उसका पूरा लण्ड गहराई तक चोद रहा था। मैं फ़िर से आनन्द में मस्त हो उठी… चूतड़ों को उछाल उछाल कर चुदवाने लगी। अब वो पहले की अपेक्षा सफ़ाई से चोद रहा था। उसका कोई भी अंग मेरे शरीर से नहीं चिपका था। मेरा सारा शरीर फ़्री था। बस नीचे से मेरी चूत और उसका लण्ड जुड़े हुये थे। दोनो हो बड़ी सरलता से धक्के मार रहे थे। वार सीधा चूत पर ही हो रहा था। छप छप और फ़च फ़च की मधुर आवाजे अब स्पष्ट आ रही थी। वो मेरे बोबे मसले जा रहा था। मेरी उत्तेजना दो चुदाई के बाद चरमसीमा पर आने लगी… मेरा शरीर जमीन पर पड़े बिस्तर पर कसने लगा, मेरा अंग अंग अकड़ने लगा। मेरे जिस्म का सारा रस जैसे अंग अंग में बहने लगा। मेरे दोनो हाथों को उसने दबा रखे थे। मेरा बदन उसके नीचे दबा फ़ड़फ़ड़ा रहा था।
“मेरे राजा… मुझे चोद दे जोर से…हाय राम जी… कस के जरा… ओहऽऽऽ … मैं तो गई मेरे राजा… लगा…जरा जोर से लगा…” मेरे शरीर में तेज मीठी मीठी तरावट आने लगी… लगा सब कुछ सिमट कर मेरी चूत में समा रहा है… जो कि बाहर निकले की तैयारी में है।
“मेरे राजा… जकड़ ले मुझे… कस ले हाऽऽऽय… मेरी तो निकली… मर गयीऽऽऽ ऊईईऽऽऽ आहऽऽऽ … ” मैं चरमसीमा लांघ चुकी थी… और मेरा पानी छूट पड़ा। पर उसका लण्ड तो तेजी से चोद रहा था। अब उसके लण्ड ने भी अन्गड़ाई ली और मेरी चूत में एक बार फिर पिचकारी छोड़ दी। पर इस बार मैंने उसे जकड़ रखा था। मेरी चूत में उसका वीर्य भरने लगा। एक बार फिर से मेरी चूत में वीर्य छोड़ने का अह्सास दे रहा था। कुछ देर तक हम दोनों ही अपना रस निकालते रहे। जब पूरा वीर्य निकल गया तो हम गहरी गहरी सांसे लेने लगे। मेरे ऊपर से हट कर वो मेरे पास ही लेट गया। हम दोनो शान्त हो चुके थे…और पूरी सन्तुष्टि के साथ चित लेटे हुए थे। रात बहुत हो चुकी थी। राज जाने की तैयारी कर रहा था। उसने जाने से पहले मुझे कस कर प्यार किया… और कहा…”भाभी… आप बहुत प्यारी है… आज्ञा हो तो कल भी…” हिचकते हुये उसने कहा, पर यहा कल की बात ही कहां थी…

मैंने उसे कहा -“मेरे राजा…मेरे बिस्तर पर बहुत जगह है… यही सो जाओ ना…”
“जी…भाभी…रात को अगर मुझे फिर से इच्छा होने लगी तो…”
“आज तो हमारी सुहागरात है ना… फिर से मेरे ऊपर चढ़ जाना…और चोद देना मुझे…”
“भाभी…आप कितनी…”
“प्यारी हूं ना… और हां अब से भाभी नही…मुझे कहो नेहा…समझे…” मैंने हंस कर उसे अपने पास लेटा लिया और बचपन की आदत के अनुसार मैंने अपना एक पांव उसकी कमर में डाल कर सोने की कोशिश करने लगी। Indian Sex Stories

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हाय ! मेरा नाम राज है, मैं अपनी Hindi Porn Stories कहानी लिखने जा रहा हूँ। वैसे मैं आगरा से हूँ। मेरा कद ५’८.३” है, दिखने में भी ठीक हूँ।

एक दिन मैं नेट पर संवाद कर रहा था तो मुझे एक लड़की मिली जिसका नाम था श्रुति (बदला हुआ नाम), हम दोनों रोज बात किया करते थे। करीब एक साल बात करी हम दोनों ने !

एक दिन वो आगरा आई अपना पेपर देने ! तब उसने मुझे मिलने के लिए बुलाया। मैं गया मिलने तो उसे देखा। वो सलवार और सूट में थी। मैंने सोचा- अगर यह लड़की मेरी गर्ल-फ़्रेन्ड बन जाए तो कैसा रहेगा। तब मैं उसे मन ही मन में जीन्स और टॉप पहने हुए सोचने लगा। मुझे सोच कर अच्छा लगा। मैंने उससे करीब १० मिनट ही बात की और वो चली गई। मैं भी घर आ गया और उसे मोबाइल पर ही प्रोपोज़ कर दिया।

शाम तक वो मान गई। ऐसे करते करते काफ़ी समय निकल गया और वो मुझ पर विश्वास करने लगी। तब एक दिन मैंने उसे सेक्स के लिए कहा।

पहले उसने कहा- यह संभव नहीं है।

मेरे मनाने पर वो मान गई।

हाँ ! मैं उसक बारे में बताना ही भूल गया। उसका बदन की क्या कहूँ, एक दम मस्त ३४ २९ ३२ ! तो मैंने एक दिन अपने दोस्त का कमरा ले लिया और उसकी चुदाई का प्रोग्राम बनाया। जब हम कमरे में गये तो मैंने जाते ही उसे चूमना शुरू कर दिया। करीब २० मिनट तक किस करता रहा मैं ! उसकी सांसें तेज होने लगी और मेरा हाथ उसकी चूत तक पहुंच गया।

वो गर्म होती जा रही थी। तब मैंने उसकी जींस और फिर टॉप उतार दिया। माँ कसम, क्या कयामत लग रही थी ! अगर मुर्दा उसे देख ले तो फिर से जिन्दा हो जाये ! चुम्मा-चाटी के बाद मैंने उसकी चूत पर चूसना शुरू किया।

वो बोली- राज ! प्लीज़ मत करो ! कुछ हो रहा है !

मैंने कहा- अभी बहुत कुछ होना है डार्लिंग !

मैं नहीं हटा और चूसता रहा। इतने में वो झड़ गई लेकिन मैं अभी तो शुरू ही हुआ था। मैंने अपना लण्ड निकाला।

उसने देखते ही कहा- इसे मत डालना ! मैं मर जाउँगी !

वैसे मेरा लण्ड ज्यादा बड़ा नहीं है, बस ७ इंच का है और ३.४ मोटा है।

मैं कहाँ मानने वाला था ! मैंने उसकी चूत में लण्ड को रखा और थोड़ा अंदर किया। वो बोली- बस रुको यहीं पर !

मैं थोड़ा सा रुका लेकिन माना नहीं और एक दम झटके से लण्ड घुसा दिया।

वो चिल्ला उठी- मर गईईईऽऽऽ माआआआआआ फट गई मेरीऽऽऽ !

मैंने उसके होंटों पर अपने होंट रख दिए और तब मैं बहुत धीरे-धीरे कर रहा था जिससे उसे और दर्द ना हो !

फिर वो बोली- तेज करो राज !

मैं तेज तेज करने लगा। करीब २५ मिनट में दो बार झड़ गई। कुछ देर के बाद मैं भी उसकी चूत में झड़ गया और कुछ देर तक ऐसे ही गिरे पड़े रहे।

जब हम उठे, मैंने कहा- एक बार और डार्लिंग !

उसने कहा- ओके !

लेकिन उसे नहीं पता कि इस बार उसकी गांड की बारी है !

मैंने उसे कहा- घोड़ी बन जाओ !

वो बन गई और बोली- प्लीज़, इस बार धीरे करना !

मैंने कहा- ओके !

लेकिन मुझे कहाँ मानना था। मैंने सीधे उसकी गांड की बारी लगा दी। सिर्फ ३ झटकों में मेरा पूरा अन्दर चला गया।

वो बोली- राआआआआआआज्ज्ज्ज्ज्ज्ज्ज्ज !

और मैं रुक गया। कुछ देर बाद जब उसका दर्द बंद हुआ तो बोली- तेज तेज करो !

मैं करता गया, करता गया और इस बार मैं ४५ मिनट तक चोदता रहा। हम दोनों एकदम पसीने में नहा गये थे। ४५ मिनट बाद मेरा पूरा पानी उसकी गांड में था और मैं वैसे ही उसके ऊपर गिर गया और हमारी आंख लग गई। दो घण्टे बाद हम दोनों उठे और नहाये, एक दूसरे को किस किया और होटल में जाकर डिनर किया।

लेकिन श्रुति से चला नहीं जा रहा था।

वो दिन हम दोनों को आज तक याद है ! उसके बाद भी हमने बहुत बार चुदाई की, लेकिन पहली चुदाई तो पहली ही होती है ना !

आप सबको मेरी कहनी कैसी लगी?

अगर कोई गलती हो तो माफ़ करना और अपने विचार मुझे मेल करियेगा। Hindi Porn Stories

गरम चूत में ओल्ड लंड ने खूब मजा दिया. मेरे पहचान के एक अंकल मुझे मुंबई बीच पर मिल गए. मैंने उन्हें अपने घर ले आई. अंकल की नजर मेरे जिस्म पर थी. तो बात बन गयी.

मैं मिसेज रागिनी हूँ दोस्तो.
मैं 30 साल की एक मद मस्त, जवान और पढ़ी लिखी औरत हूँ।

मेरी शादी दो साल पहले आनंद नाम के एक लड़के से हो गई थी।
आनद भी बड़ा स्मार्ट और हैंडसम लड़का है.

वैसे मैं कानपुर की रहने वाली हूँ।
मेरी ससुराल भी कानपुर में ही है मगर मैं आजकल अपने पति के साथ मुंबई के कोलाबा एरिया में रह रही हूँ।

मैं 5′ 5″ के कद वाली हूँ, गोरी चिट्टी हूँ और चंचल स्वभाव की हूँ।
देखने में सेक्सी, खूबसूरत और हॉट हूँ।

ऐसा मैं नहीं कह रही हूँ लोग कहते हैं।

मेरे मम्मे थोड़ा बड़े बड़े साइज के हैं.
मेरी कमर पतली है, मेरी बाहों की गोलाई बड़ी मनमोहक है इसलिए मैं अक्सर स्लीवलेस कपड़े ही पहनती हूँ।
मेरे कूल्हे थोड़ा बड़े बड़े है जिससे मुझे ठुमके लगाने में बड़ी आसानी होती है।

मेरी जांघें केले के तने जैसी हैं और मेरे चूतड़ भी बड़े आकर्षक हैं।
साथ ही मेरी गांड़ भी ससुरी बड़ी मस्त है.
और फिर गरम चूत के तो कहने ही क्या!
उसके बारे में मैं आपको आगे बताऊंगी।

शादी के पहले कॉलेज के दिनों में मैं दो बातों के लिए बहुत मशहूर थी।
एक तो पढ़ाई के लिए और दूसरे चुदाई के लिए!

मतलब यह कि मैं जितनी बातें पढ़ाई के बारे में करती थी उतनी ही बातें चुदाई के बारे में भी करती थी।
चुदाई में सबसे ज्यादा लण्ड की बातें होतीं थीं।

मैं ही नहीं, सभी लड़कियां खुल कर लण्ड की बातें करती थीं।
‘लण्ड का साइज और लण्ड की बनावट’ कभी ख़त्म न होने वाला टॉपिक था।
कोई ऐसा दिन न था जब लण्ड पर कोई बात न होती हो.

लड़कियां वैसे भी लड़कों से ज्यादा गन्दी गन्दी बातें करतीं हैं।
वैसे भी हर लड़की के मुंह से लण्ड, बुर, चूत, भोसड़ा जैसे शब्द निकलते ही रहते थे।

उसके साथ साथ गालियां भी जैसे बहन चोद, मादर चोद, माँ का लौड़ा, बहन का लौड़ा, भोसड़ी वाली, बुर चोदी, गांडू और भी बहुत कुछ सबके मुंह से सुनाई पड़ता था।

वो सच में बड़े अच्छे दिन थे यार!
मैं याद करती हूँ तो सिहर जाती हूँ।

बस कॉलेज के दिनों में ही मैंने लण्ड पकड़ना शुरू किया, लण्ड मुंह में लेना शुरू किया और फिर लण्ड का सड़का मारना भी शुरू किया।

तभी मुझे एक सहेली ने लण्ड का वीर्य पीने की सलाह दी और उसके फायदे बताये।
उसने मुझे लण्ड का वीर्य पीते हुए दिखाया।

बस मैं भी वही करने लगी.
तो एक साल में ही मेरी चूचियाँ दूनी हो गईं।

मुझे लण्ड पीने में मज़ा आने लगा.

फिर एक दिन लण्ड चूत में पेलवाना भी शुरू कर दिया।

जी हां दोस्तो, मैं शादी के पहले खूब चुदी हुई थी।
यह बात किसी को नहीं मालूम सिर्फ आपको बता रही हूँ।
किसी से मत कहना प्लीज!

मैं कॉलेज में पढ़ती थी तो हमारे पड़ोस में एक प्रशांत नाम के अंकल रहते थे।
वे बड़े मस्त, गोरे चिट्टे, स्मार्ट और हैंडसम थे।
हमारे घर आते जाते थे।

मैं कभी कभी उनके घर जाकर इंग्लिश पढ़ती थी।
अंकल बड़े प्यार से पढ़ाते भी थे।
मैं मन ही मन अंकल का बड़ा आदर और सम्मान करती थी।

मेरी जब शादी हो गयी तो हमारा संपर्क टूट गया।
वे कानपुर में ही थे और मैं यहाँ मुंबई आ गई।

मेरी शादी को दो साल हो गये हैं. इन दो सालों में मुझे अपने पति के लण्ड के अलावा कोई और लण्ड नहीं मिला।

मैं धीरे धीरे किसी पराये मरद के लण्ड के लिए तरसने लगी।
मेरी चूत मुझे बहुत परेशान करने लगी।

मेरा मन किसी काम में नहीं लग रहा था।
मुझे कॉलेज के लण्ड बहुत याद आ रहे थे।

एक दिन शाम को मैं अपनी दोस्त अंजलि के साथ चौपाटी पर घूम रही थी।

अचानक किसी के मुंह से निकला- अरे रागिनी तुम यहाँ?
मैंने पीछे मुड़ कर देखा तो बोली- आप प्रशांत अंकल है न?
वे बोले – हां रागिनी, मैं प्रशांत ही हूँ।

मैंने कहा- अरे अंकल, कहाँ खो गए थे आप? मैं आपको बहुत याद करती हूँ … आपसे मिलना चाहती थी। आपसे बातें करना चाहती थी। पर यह बताओ यहाँ मुंबई में कैसे?
वे बोले- यहाँ कोलाबा में मेरी बेटी है। मैं उसी के यहाँ ठहरा हुआ हूँ।
मैंने कहा- अरे वाह, मैं तो कोलाबा में ही रहती हूँ।

वे बोले- फिर तो हमारा मिलना होता रहेगा।
मैंने कहा- होता रहेगा ये तो आगे की बात है, मेरे साथ अभी चलो मेरे घर!

फिर मैंने उन्हें अंजलि से मिलवाया और कहा- यह मेरी दोस्त अंजलि है। यह भी साथ चलेगी।

फिर हम तीनों लोग गाड़ी में बैठ कर घर आ गए।

मेरा पति एक हफ्ते के लिए विदेश गया था।

मैंने दोनों को बड़े प्यार से बैठाया और झुक कर पानी दिया।
झुकने से मेरी साड़ी का पल्लू गिर पड़ा।

मेरी छोटी सी ब्रा के अंदर से मेरी बड़ी बड़ी चूचियाँ अंकल को दिख गईं।
वे अपने होंठ चाटने लगे।

मुझे बहुत अच्छा लगा, मैंने राहत की सांस ली। मुझे पराये मरद के लण्ड का रास्ता दिख गया।
मैंने ठान लिया कि आज नहीं तो कल मैं अंकल का ओल्ड लंड अपनी गरम चूत में ले ही लूंगी।
सुना है कि बड़े बड़े लोगों के लण्ड भी बड़े बड़े होते हैं।

इतने में नकल बोले- रागिनी, तुम पहले से ज्यादा खूबसूरत हो गई हो। ज्यादा सेक्सी दिखने लगी हो. शादी के बाद तुम्हारा चेहरा ज्यादा खिल गया है।

मैंने कहा- वो तो मैं नहीं जानती अंकल … लेकिन शादी के बाद मैं बहनचोद ज्यादा बोल्ड हो गई हूँ। अब मैं किसी भोसड़ी वाले से शर्माती नहीं हूँ और डरती भी नहीं हूँ। बेशरम हो गई हूँ मैं! मेरे पति के न रहने पर मुझे कोई भी मादरचोद हाथ नहीं लगा सकता!
वे बोले- क्या मैं भी नहीं लगा सकता रागिनी?
मैंने हंस कर कहा- तुम्हारी बात और है अंकल! तुम तो मेरे साथ जबरदस्ती भी कर सकते हो.

वे हंसने लगे।
इतने में अंकल का अचानक फोन आ गया तो वे चाय पीकर चले गये।

उनके जाने के बाद अंजलि बोली- यार रागिनी, मुझे लगता है कि तेरे अंकल लण्ड बड़ा सॉलिड होगा। उनकी नज़रें बता रहीं थीं कि वे तुम्हें अपना लण्ड पकड़ाना चाहते हैं. उन्हें तुमसे प्यार हो गया है।
मैंने कहा- अरे यार अंजलि, मैं खुद उनका लण्ड पकड़ना चाहती हूँ। मैं तो आज ही पकड़ लेती उनका लण्ड … लेकिन एक फोन ने सब काम बिगाड़ दिया बहनचोद!
अंजलि बोली- अच्छा पकड़ना तो फिर मुझे भी दिलवा देना उनका लण्ड! मैं भी लण्ड की प्यासी हूँ।

दूसरे दिन शाम को फिर घंटी बज उठी।
मैंने दरवाजा खोला तो बोली- अरे आप अंकल … अंदर आओ न प्लीज!

मैंने उन्हें बैठाया और फिर एक गिलास पानी का रखा।

आज मेरी चूचियाँ कुछ ज्यादा ही खुली हुईं थीं।

अंकल ने पानी पिया और बोले- थैंक यू रागिनी!
मैं उसके सामने बैठ गई।

इस समय मैं केवल ब्रालेट पहने थी नीचे एक छोटी सी टाइट नेकर।
मैं एकदम एक मॉडर्न गर्ल बनी हुई थी।

फिर मैंने पूछा- अंकल बोलो क्या पियोगे, ठण्डा या गर्म?
वे बोले- आज तो मैं व्हिस्की पियूँगा। तुम मेरा साथ दोगी तो!
मैंने कहा- हां जरूर दूँगी।

उन्होंने अपनी जेब से हाफ निकाला और मुझे दिया.

फिर क्या … हम दोनों व्हिस्की पीने लगे, सिगरेट भी पीने लगे.
हमारा मूड बन गया।

मैंने कहा- आज मुझे अपने कॉलेज के दिन याद आ रहें हैं अंकल!
फिर क्या … थोड़ा नशा हुआ तो दिल की बातें बाहर निकलने लगीं।

मैंने कहा- अंकल कल आपका फोन आया था. कोई खास बात थी क्या?
उन्होंने कहा- नहीं, कोई खास बात नहीं थी। पर हां, कल मुझे तुम्हारी गालियां बड़ी अच्छी लग रहीं थी रागिनी। मन करता था कि बस सुनता जाऊं? तेरी दोस्त न होती तो मैं तुमसे खुल कर बातें करता.

मैंने कहा- तो फिर आज कर लो न खुल कर बातें बहनचोद? आज तो वह बुरचोदी अंजलि नहीं है।

उन्होंने सिगरेट का एक कश लिया और मेरे मम्मों पर धुंआ छोड़ दिया।
मैं कहाँ चूकने वाली थी, मैंने भी कश लिया और उनके लण्ड पर धुआं छोड़ दिया।

वे बोले- तुम बहुत समझदार लड़की हो रागिनी!
मैंने कहा- हां, तभी तो मैंने तुम्हारे सवाल का जबाब देकर अपनी इच्छा ज़ाहिर कर दी।

वे बोले- रागिनी, एक बात है कि हमारे तुम्हारे बीच में उम्र का बड़ा अंतर है।
मैंने कहा- उम्र की माँ का भोसड़ा अंकल! औरत उम्र नहीं देखती, औरत मर्द का हथियार देखती है अंकल। हथियार टना टन हो तो उम्र की माँ चूत!

वे बोले- रागिनी, तुम इतनी हॉट हो कि मैं कल रात भर सो नहीं पाया।
मैंने कहा- अरे यार, मुझे भी तुम्हारी बड़ी याद आती रही रात भर!

उन्होंने मेरे कंधे पर हाथ रख दिया तो मैं भी उसकी जांघ पर हाथ रगड़ने लगी।
तब उन्होंने मेरी चुम्मी ले ली और मेरी नंगी टांगों पर अपना हाथ फिराने लगे।

फिर मेरा भी हाथ अपने आप उसके लण्ड तक पहुँच गया।
मैं उनकी पैंट के ऊपर से ही लण्ड टटोलने लगी।

मेरे मुंह से निकला- तेरा हथियार तो मादर चोद बड़ा जबरदस्त लग रहा है अंकल?
मैं मन ही मन अंकल से पूरी तरह फंस चुकी थी।

मुझे बिना उनका लण्ड देखे एक मिनट का भी चैन न था।
मैं जल्दी से जल्दी उन्हें नंगा करना चाहती थी और इसी आवेश में मैंने उनकी शर्ट उतार दी।

उनके चौड़े कंधे बलिष्ठ भुजाएं, चौड़ी छाती और पूरा कसरती बदन देख कर मैं उन पर मोहित हो गयी।
तब तक उन्होंने मेरी ब्रा का हुक खोल डाला तो मेरी दोनों मम्मे उसके सामने छलक पड़े।

वे मम्मे देख कर मस्त हो गये, उन्हें पकड़ कर सहलाने लगे, मसलने और चूमने लगे।
अंकल मेरे निप्पल मुंह में भर कर चूसने लगे।

मैं भी उत्तेजित होने लगी, मज़ा लेने लगी।

फिर बड़ी बेशर्मी से मैंने उनकी पैंट उतार दी उनकी नेकर भी खोल डाला।
नेकर खुलते ही लौड़े मियां ताल ठोकते हुए बाहर आ गए।

मैंने उसे देखा तो सन्न रह गयी।

सांप की तरह फनफनाकर खड़ा हो गया था उनका मोटा तगड़ा लण्ड।
लण्ड का अंडाकार 3″ का चिकना टोपा एकदम झकास लग रहा था।

मैंने उसे पकड़ा चूमा और बोली- वाह क्या मरदाना लण्ड है अंकल? ऐसा लौड़ा बहुत कम लोगों का होता है। तुम बड़े लकी हो. तुम्हारा लण्ड लाखों में एक है. मैं तो तुम्हारे लण्ड पर मर मिटी। मेरा तो दिल आ गया इस मादरचोद लण्ड पर! क्या मस्ताना लण्ड है भोसड़ी का! मज़ा आ गया यार ऐसा लौड़ा देख कर!

तब तक उन्होंने मेरी छोटी सी नेकर उतार कर फेंक दी।
मैं माँ की लौड़ी उसके आगे एकदम नंगी हो गयी।

मेरा यह पहला मौका था जब मैं शादी के बाद किसी पराये मर्द के आगे नंगी खड़ी थी वह भी उसका नंगा लण्ड पकड़े हुए!
मैं किसी पराये मर्द को पहली बार नंगा देख भी रही थी।

मुझे किंचित मात्र भी न शर्म थी और न झिझक … मैं बिंदास अपनी जवानी का मज़ा लूटने लगी.

मैंने मन में कहा कि मैं झांट किसी की परवाह नहीं करूंगी। अब तो मैं एक नहीं, कई लण्ड का मज़ा लूंगी।

बस मैं अंकल का लण्ड बड़े प्यार से चाटने लगी और अंकल भी उसी प्यार से मेरी फुद्दी चाटने लगे।

मेरी चूत बहुत गर्मा चुकी थी।
अंकल उसमें बार बार अपनी उं गली घुसेड़ रहे थे।

मैंने धीरे से अपनी टाँगें फैलाई तो मेरी चूत पूरी तरह खुल गयी.
अंकल को यही चाहिए था।

उन्होंने फ़ौरन लण्ड पेल दिया अंदर और बिना रुके चोदने लगे मुझे!
मैं भी अपने कॉलेज के दिनों को याद कर कर के चुदवाने लगी … मैं एन्जॉय करने लगी।

मुझे लगा कि आज मैं सच में अपनी सुहागरात मना रही हूँ।
अपनी सुहागरात में भी मुझे इतना मज़ा नहीं आया था।

मैं बोली- अंकल, मुझे अपनी बीवी समझ कर चोदो। मैं ही तुम्हारी असली बीवी हूँ, मुझे चोदो। मेरी बुर चोदो, मेरी चूत चोदो, मेरी गांड चोदो। मैं तुम्हारी ही हूँ, जैसे चाहो वैसे चोदो। तुम्हारा लण्ड बड़ा मज़ा दे रहा है यार!

वे बोले- ले भोसड़ी की रागिनी, आज मैं फाड़ डालूँगा तेरी चूत … भोसड़ा बना दूंगा मैं तेरी चूत का! मैंने जब मुंबई में तुझे पहली बार देखा था तो मेरा लण्ड खड़ा हो गया था. और आज देख वही लण्ड तेरी चूत में घुसा है। तेरी माँ की चूत … तू भोसड़ी वाली एकदम रंडी है और मैं रंडियां खूब चोदता हूँ। मैं मुंबई में रंडियां चोदने ही आता हूँ। मैं हर रोज़ 2/3 लड़कियों की चूत में लण्ड पेलता हूँ।

अंकल को जोश आ गया था, वे बोलते रहे- मैं खुद बहुत बड़ा हरामजादा हूँ। मैं रंडीबाज हूँ, लौडियाबाज़ हूँ। मैं अपने दोस्तों की बीवियां फंसा फंसा कर चोदता हूँ। बीवियां भी बुरचोदी मेरे लण्ड की दीवानी है और बार बार मुझसे चुदवाने आतीं हैं।

सच में अंकल बड़े मूड में थे और मस्ती से अपनी ही पोल खोल रहे थे।
चुदाई का नशा शराब के नशे से ज्यादा ताकतवर होता है।
दूसरे की बीवी चोदने के नशे में वह सब सच उगल देता है।

मुझे अंकल की बातें, उनका जोश, उनकी गालियां सब कुछ बड़ा अच्छा लग रहा था।
मैं अपनी गरम चूत में ओल्ड लंड एन्जॉय कर रही थी।
मेरा मन सातवें आसमान पर था।

इस तरह उन्होंने मुझे हर तरफ से चोदा और मैं भी खूब मन से चुदी।
मैंने उसे रात में रोक लिया और तब उन्होंने मुझे रात में 3 बार चोदा।

सुबह उठ कर वे चले गये।

उस दिन मुझे अहसास हुआ कि बड़े लोगों से चुदवाने में ज्यादा मज़ा आता है।

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