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Antarvasna पर कहानियाँ पढ़ने के बाद मैंने भी एक कहानी लिखने की कोशिश की। यह एक सच्ची कहानी है। मेरी कहानी में एक नया अनुभव है
जो मेरा एक सबक है और मेरा पहला सेक्स है।
यह बात करीब छः साल पुरानी है जब मैं अपनी टी वी की दुकान पर बैठता था। मेरी दुकान पर एक औरत टीवी सुधरवाने आई। वो करीब बाईस साल की थी। मैंने उसे देखा तो वो गाँव से आई लगती थी। उसके टीवी में कुछ समस्या थी इसलिए वो टी वी शहर में लेकर आई। मैंने टीवी को देखा तो लगभग ठीक है बस बिजली सप्लाई में थोड़ी खराबी थी। मैंने उसे सौ रुपए का खर्चा बताया।
उसने कहा- मेरे पास रुपए कम हैं, आप इसे ठीक करके रखो। मैं इसे मंगल को ले जाउँगी।
मैंने फिर उसकी तरफ देखा तो वो मुझे कुछ परेशान लगी। अचानक उसने कहा- आप टीवी रविवार को मेरे घर पर ले आना ! मैं रुपए वहीं पर दे दूंगी ! मेरा घर ग्राम ……… सिहोर में है। और उसने फिर अपना मोबाइल नम्बर दे दिया।
फिर मैंने उसको ऊपर से नीचे तक देखा, वो बहुत ही सेक्सी लग रही थी। उसके स्तन लगभग अमरुद के बराबर थे रंग थोड़ा सांवला और होंट गुलाबी न होकर कुछ गहरे रंग के थे पर एक सेक्स की अपील उसमें कूट कूट कर भरी थी। मैंने सोचा कि अब तक इसे मैं क्यों नहीं देख रहा था। इतने में चाय वाला चाय लेकर आ गया तो मैंने उससे चाय के लिए पूछा। पहले तो वो मना करने लगी पर मेरे ज्यादा जोर देने पर मान गई। फिर हम चाय पीने लगे। मैं चाय पीते पीते उसको ही देख रहा था। शायद उसको भी पता लग गया था कि मैं उसमें दिलचस्पी ले रहा हूँ तो वो भी थोड़ी सी खुल गई।
मैंने उससे पूछा- घर में कौन कौन है?
तो उसने कहा- मेरी सास और मेरे पति हैं, पति ड्राईवर है जो अक्सर बाहर रहता है, सास काम पर जाती है, मैं घर पर रह कर घर का काम करती हूँ।
उसने कहा- रविवार को आप ग्यारह बजे तक आना ! बिजली साढ़े दस तक आती है।
मैंने कहा- समय मिला तो आ पाउंगा और घर पर आने के लिए 50 रुपए अलग से देने होंगे।
इस पर वो कहने लगी- मेरे पास इतने रुपए तो नहीं हो पाएँगे, आप ही कोई रास्ता सोचो !
मैं उस वक्त दुकान पर था तो मैंने कहा- आपके घर पर आकर ही बात करेंगे !
मेरे ऐसा कहने पर वो मेरा मोबाइल नम्बर मांगने लगी तो मैंने मना कर दिया। पर वो बहुत ही जिद करने लगी तो मैंने अपना मोबाइल नम्बर दे दिया।
इसके बाद वो चली गई और मैं अपने काम में लग गया और बात मेरे दिमाग से उतर गई। पर रविवार को लगभग साढ़े ग्यारह बजे एक फोन आया- आप आ रहे हैं क्या ?
मैंने पूछा- आप कौन बोल रही हैं?
तो वो कहने लगी- मैं नीतू बोल रही हूँ !
मैं नीतू नाम से किसी को नहीं जानता था, मैंने कहा- मैं आपको पहचान नहीं पा रहा हूँ !
तो उसने कहा- आप टीवी लेकर आने वाले थे ना !
तब ध्यान आया कि यह वही औरत है। फिर मैंने कहा- आज तो मैं शायद नहीं आ पाउँगा क्यूंकि मैं आज भोपाल जा रहा हूँ।
तो वह कहने लगी- आपके रास्ते में ही तो पड़ेगा, आप थोड़ा समय निकाल कर आ जाओ !
तो मैंने जबाब दिया- मैं देखता हूँ !
फिर मैंने सोचा कि जाना ठीक रहेगा या नहीं !
इसी तरह सोचते हुए लगभग बीस मिनट हो गए। फिर सोचा- होकर तो आते हैं, जो होगा देखा जाएगा। इस तरह मैं उसके घर पहुँच गया। वो वहाँ पर बिल्कुल अकेली थी। मैं अकेला था तो टीवी तो नहीं ले गया तो उसने पूछा- टीवी कहाँ पर है?
मैंने कहा- मेरे साथ कोई नहीं था इसलिए टीवी तो नहीं ला पाया, वैसे टीवी तो सुधार दिया है, आप उसे ले आना !
तो वो मुझे पैसे देने लगी तो मैंने कहा- दुकान पर दे देना !
तो वो कहने लगी- मेरे पास पूरे पैसे नहीं हैं, आप अभी इतने ही रख लीजिये, मैं बाकी आपको दे दूंगी।
फिर वो चाय बनाने लगी, मैं वहीं पर बैठ गया और उससे बातें करने लगा। बात ही बात में चर्चा निकली- आपके पति तो बहुत दिनों में आ पाते होंगे ?
तो वो थोड़ी सी भावुक हो गई और कहने लगी- वो हमेशा ही बाहर रहते हैं और मैं जैसे तैसे घर का खर्चा चलाती हूँ, सारी तनख्वाह भी शराब में उड़ा देते हैं। अभी भी वो दो महीने से घर नहीं आये हैं।
यह कह कर वो रोने लगी तो मैं उसे चुप करने की कोशिश करने के लिये उसके पास गया और चुप कराने लगा तो वो मुझसे ही चिपक गई और और जोर जोर से सुबकने लगी।
यह सब अचानक हुआ, मैं तो एकदम ही उसके करीब था और वो मुझसे चिपक कर खड़ी थी। मैं उसे शान्त करने के लिये उसके बालों में हाथ फ़िराने लगा तो वो मुझसे और ज्यादा चिपक गई। अब तो मैं भी अपने को रोक नहीं कर पा रहा था, मैंने उसको धीरे धीरे सहलाना शुरु कर दिया। उसने भी कोई विरोध नहीं किया। मैंने धीरे से उसके होटों को चूम लिया, उसने भी मुझे जोरदार चुम्बन किया।
फिर तो मैंने कोई देर नहीं की और उसके कपड़ों को धीरे धीरे निकलना शुरु कर दिया। वो धीरे धीरे नारी सुलभ लज्जा के मारे सिमटी जा रही थी पर उसको भी मैं शायद पसंद आ गया था, इसी कारण वो भी धीरे से कोई शरारत कर देती थी जिससे मै और ज्यादा जोश में आ रहा था। मैंने उसके चुचूक को मुँह में ले लिया तो वो मारे उत्तेजना के सिसक उठी और मेरे कपड़ों को निकालना शुरु कर दिया।
फ़िर तो हमारे ऊपर कोई सीमा, कोई बन्धन नहीं रहा। मैंने उसके वस्ति-क्षेत्र पर एक जोरदार चुबन ले लिया और वो तो बहुत ही जोश में आ गई और मेरे शिश्न को हाथ में लेकर अपने योनिद्वार पर रगड़ना शुरु कर दिया। उसकी योनि से सम्पर्क होते ही मेरे अंदर एक जवालामुखी सा धधकने लगा और मैंने उसकी योनि के पास एक जोरदार चुम्बन ले लिया। इतना करने से तो उसने एकदम से ही मेरे शिश्न को हाथ में लेकर अपनी योनि के अन्दर डाल लिया और मुझसे चिपक गई, टांगों को मेरी कमर पर लपेट लिया और नीचे से अपनी कमर को हिलाने लगी। फिर तो मैंने भी देर न करते हुए अपने आपको पूरा उसके समर्पित कर दिया और जोरदार धक्के लगाने शुरु कर दिए। हर शॉट के साथ वह और ज्यादा उग्र होने लगी।
मैंने भी इस काम को अब अपने तरीके से करने की कोशिश करते हुए अपने धक्के एक लयबद्ध तरीके से लगाने शुरू किए। मैं धक्के लगाते लगाते अचानक रुक जाता और उसके बदन से खेलने लगता। इसी तरह हमारी कामातुर आवाजों से कमरा गूंजने लगा। मैं उसके कभी इस चुचूक को तो कभी दूसरे चुचूक को चूस रहा था। इस बीच में वह दो बार चरमोत्कर्ष से झड़ चुकी थी मगर मैं अभी भी नहीं झड़ा था।
इसके पहले उसके पति ने कभी उसे इतना संतुष्ट नहीं किया था। मैं भी अब तेजी लाया, वो मारे उत्तेजना के सिसकारी पे सिसकारी भर रही थी।मैंने उसे अब अपने ऊपर ले लिया और उसके दूध पकड़ के उसे अपने लिंग पर ऊपर-नीचे होने का कहा। वह सेक्स का पूरा मजा ले रही थी। मैं भी अब उत्तेजना के मारे चरमसीमा पर था। अचानक हम दोनों ने एक दूसरे को कस के जकड़ लिया और हम दोनों एक ही साथ स्खलित हो गए। वो मेरे ऊपर ही लेटकर मेरे होंठों को चूसती रही और बोली- आज मैं पहली बार तीन बार झड़ी हूँ, यह दिन मुझे हमेशा याद रहेगा।
उसके बाद हमारी चुदाई का एक राउंड और चला, वो पूरी तरह से थक चुकी थी। हमने उठकर कपड़े पहने। उसने एक बार और चाय बनाई। चाय पीते पीते वो बोली- मन तो नहीं कर रहा है आपको वापस भेजने का ! मगर मेरी सास काम से आने वाली है।
मैं भी लेट हो रहा था तो मैं भी उससे अगली बार मिलने का कहते हुए वापस घर आने लगा तो वो बोली- जाने से पहले मुझे एक बार चूमने तो दो !
फिर उसने मुझे बाहों में लेकर मेरे होंठों पर अपने मद भरे होंठ रख दिए।मगर समय का ध्यान रखते हुए मैंने उससे कहा- इस तरीके से तो तुम परेशानी में पड़ जाउंगी क्योंकि तुम्हारी सास भी तो आने वाली है।
मैंने उससे फिर किसी दिन आने का कहते हुए वापिस घर का रुख किया और उससे कहा- तुम मोबाइल से बता देना !
इसके बाद मैंने उसे उसी के घर पर पूरी रात कैसे उसके साथ चुदाई के नए नए आसनों के साथ गुजारी जबकि उसकी सास घर पर ही बगल वाले कमरे में थी।
वो मेरी अगली धड़कती फड़कती चुदाई की Antarvasna कहानी में !
मैं अपना लंड हाथ में पकड़ कर Antarvasna उसके होठों को छुआने लगा और जैसे ही वो कुछ बोलने लगी मैंने झट से उसका मुँह पकड़ कर लंड अंदर डाला और उसको बोला- प्लीज़ एक बार इसको चूसो!
और मैं निर्मला के बाल को पकड़ कर धक्का मारने लगा और मैं भी खुद आगे पीछे होने लगा. मैंने उसकी मुँह चुदाई चालू कर दी. करीब दस मिनट के बाद मैंने सारा लंडरस उसके मुँह में डाल दिया और उसके पास लेट गया.
करीब पाँच मिनट के बाद उसका एक हाथ को पकड़ कर अपने लंड पर रख मैं खुद उसका हाथ पकड़ कर आगे पीछे करने लगा और उसकी चूत को मसलने और उंगली से चोदने लगा.
तो उसने कहा- भैया प्लीज़ मुझे जाने दो.
मैंने कहा- निर्मला, असली काम अब चालू होगा!
तो वो बोली- क्या?
हाँ, मैं तुझे अब चोदूँगा!
उसने कहा- नहीं आप मेरे साथ ऐसा नहीं कर सकते!
मैंने कहा- निर्मला, ऐसा हर लड़की और लड़का चोदते हैं और चुदवाते हैं जैसे कि तुम्हारी मम्मी पापा से चुदवाती है, तुम्हारी भाभी भैया से चुदवाती है, मेरी पत्नी मेरे से चुदवाती है, फिर तुम क्यों मना कर रही हो!
उसका हाथ मेरे लंड पर रखते ही मेरा लंड टाइट होने लगा था और वो भी गरम हो गई इन सब बातों से, और बोली- भैया मैंने पहले कभी भी नहीं किया है!
(दोस्तो, मैं उसकी शरम मिटाना चाहता था और मैंने कल की तरह उस टॉपिक छेड़ दिया)
मैंने उससे पूछा- कल तो तुमने इतना नाटक नहीं किया, आज अचानक इतना नाटक क्यों?
वो बोली- भैया, कल जो हुआ वो एक हादसे की तरह था!
मैंने कहा- ठीक है!
मैंने उससे पूछा- कल तुमने अपनी मम्मी-डैडी की चुदाई देखी या नहीं?
तो बोली- भैया, नहीं!
मैंने कहा- क्यों?
बोली- मैं ऐसी लड़की नहीं हूँ!
मैंने उसको कहा- मैंने कब कहा कि तुम ऐसी लड़की हो! मैं तो तुझे बता रहा था कि तुम सिर्फ एक बार देखो और तुमको सीखने को भी मिलेगा! खैर कल नहीं देखी तो तुम आज देखना और मुझे बताना कि कैसी है! ठीक है? और मैंने चूत में उंगली आगे पीछे करना ज़ाऱी रखा और वो मेरे लंड को हिलाने लगी.
मैं अब उसके ऊपर आया और उसकी टाँगों को थोड़ा अलग किया और उसकी गीली चूत पर लंड को और मुँह पर मुँह को रख कर दोनों हाथों को उसकी गांड के नीचे रख कर एक ज़ोऱ का धक्का मारा, उसकी चीख मेरे मुँह में ही रह गई और लंड एक इन्च अंदर चला गया. मैं दोनों हाथों को नीचे से निकाल कर उसकी दोनों चूची के चूचुक मसलने लगा, साथ में चुम्बन भी कर रहा था. लंड अंदर रखा और धीरे धीरे उसको चोदने लगा.
थोड़ी देर के बाद मैंने फिर एक ज़ोऱ का झटका मारा और लंड 3 इंच अंदर घुस गया और वो मेरी पीठ पर मारने लगी क्योंकि उसकी चीख मेरे मुँह में ही रह गई और उसकी झिल्ली भी फट गई. वो एक दम कुंवारी थी, खून निकलने लगा और वो तड़पने लगी, मेरे बालों को खींचने लगी. मैंने मुँह को हटाया और बोला- क्या हुआ?
वो बोली- भैया! मुझे बहुत दर्द हो रहा है!
मैंने कहा- निर्मला, मुझे भैया मत कहो और मेरे नाम से ही पुकारो! ऐसा दर्द पहली बार करने से होता है, तुम घबराओ मत, मैं हूँ ना!
और मैंने लंड बाहर निकाला और उसके मुँह पर हाथ रखा और एक हाथ से लंड को पकड़ कर उसकी चूत पर रख और ज़ोऱ का झटका मारा, इसके साथ ही मेरा लंड 6 इंच उसकी चूत में चला गया.
मैंने उसके मुँह से हाथ हटाया और चूची मसलने लगा- निर्मला, तेरी चूत तो कमाल की है!
वो बोली- भैया, प्लीज़ आप बाहर निकालो, मुझे बहुत जलन हो रही है और दर्द भी बहुत हो रहा है!
मैंने कहा- क्या निकालूँ रानी?
भैया, आप इतने गंदे हो, इधर मैं मरी जा ऱही हूँ और आप मज़ाक के मूड में हो!
मैंने कहा- निर्मला, प्लीज़ एक बार कहो कि क्या निकालूँ!
वो बोली- प्लीज़ भैया! मैं नहीं कहूँगी, आप बाहर निकालो!
मैंने कहा- ठीक है, जब तक तुम नहीं कहोगी, मैं बाहर नहीं निकालूँगा!
और इसके साथ ही उसको धीरे धीरे चोदने लगा और उससे बोला- तुम कितनी अच्छी हो, तुम्हारे बूब्स कितने प्यारे हैं, तुम्हारी चूत का कोई जवाब नहीं!
इतना कहने के बाद मैं उसकी चूची चूसने लगा साथ में धीरे धीरे चोदने लगा. थोड़ी देर के बाद उसको मजा आने लगा तो बोली- भैया प्लीज़ आप और अंदर मत डालना! नहीं तो मैं मर जाऊँगी!
मैंने कहा- क्या अंदर नहीं डालूँ?
और मैंने लंड को बाहर निकाला और एक झटका मारा, मेरा फिर 6 इंच तक अंदर गया. निर्मला सिसकारी लेने लगी- ऊऊऊवीई ईईईई ईम्म्म्म् म्म्म्मा आआआ! मार डाला इस पागल ने! मैंने कहा था कि अंदर मत डालो! फिर डाल दिया!
मैंने कहा- क्या डाल दिया?
तो बोली- भैया, मैं सिर्फ एक बार ही कहूँगी!
मैंने कहा- ठीक है, बोलो!
इसके साथ ही मैं उसको धीरे धीरे चोदने लगा और वो भी पूरी गरम हो गई और बोली- भैया, आप भाभी के साथ भी ऐसे ही करते हैं?
मैंने कहा- नहीं!
तो मेरे साथ में ऐसा क्यों?
मैंने कहा- मेरी बीवी तो मेरे साथ खुलकर पेश आती है, तुम्हारे जैसे नहीं है, जब मैं चोदने के मूड में नहीं होता हूँ तो मेरे पास आकर बोलती- जी आप मुझे चोदिए ना! देखो मेरी चूत कितनी तड़प रही है तुम्हारे लंड के लिए!
भैया आप झूठ बोल रहे हैं!
मैंने कहा- तुम एक काम करो, मेरी पत्नी से कभी भी पूछ लेना!
भाभी को शरम नहीं आती?
मैंने कहा- तुमको कल ही बता दिया था- सब तेरी मम्मी ने ही सिखाया है, जब चुदाई करते हैं तो हम लोगों को गंदी भाषा बोलनी चाहिए, इससे प्रेम बढ़ता है और जीवन भर प्यार रहता है आपस में!
अब मैंने लंड को पूरा बाहर निकाला और फिर जोर का झटका मारा तो मेरा पूरा लंड चूत को चीरता हुआ अंदर चला गया और मैं उसके ऊपर लेट गया.
निर्मला बोली- भैया प्लीज़ बाहर निकालो! बाहर निकालो!
मैंने कहा- जब तक तुम नहीं कहोगी मैं तुझे ऐसे ही चोदता रहूँगा और रगड़ता रहूंगा!
तो बोली- भैया, मुझे शरम आती है!
मैंने कहा- अपनी आंख बंद करके एक बार कहो- प्लीज़ लंड को बाहर निकालो!
तो बोली- भैया मैं नहीं कह पाऊँगी!
मैंने कहा- एक बार बोल लोगी तो टईक रहेगा, नहीं तो जिंदगी भर नहीं बोल पाओगी! और कुछ नहीं जल्दी से बोल दो!
तो बोली धीरे से- भैया प्लीज़ लंड को बाहर निकालो!
मैंने कहा- क्या निकालूँ?
तो बोली- लंड को!
मैंने लंड को बाहर निकाला और वापस ज़ोऱ से अंदर डाला और धीरे धीरे से चोदने लगा साथ में चूची को मुँह में लेकर चूसने लगा.
मैंने उससे पूछा- कैसा लग रहा है?
तो बोली- प्लीज़ आप मुझे मत पूछो!
मैंने उससे कहा- निर्मला, तुमको आज मैंने एक बहन से पत्नी बना दिया है, तुम्हारी आज प्रमोशन हुई है, तुझे चोदने में बहुत मजा आ रहा है, ऐसा मजा तो मुझे कभी नहीं आया!
मैं ऐसे ही उसे गरम करके चोद रहा था और वो भी मेरा खुल्लम-खुल्ला साथ देने लगी थी.
दोस्तो मुझे इसको चोदने में इतना मजा आया कि आपको नहीं बात सकता! आप समझ लीजिए कि मुझे जन्नत मिल गई थी!
मैं उसकी चूत से धीरे धीरे लंड बाहर निकालता और अंदर चूत में डाल कर चोद रहा था, बीच बीच में ज़ोऱ से शॉट भी लगाता था और वो हर शॉट के साथ वो सिहर उठती और मुझे बोलती -भैया, मुझे कुछ हो रहा है!
मैंने उसकी चूची को रगड़ते हुए पूछा- क्या हो रहा है रानी?
तो बोली- मैं नहीं बता सकती!
मैं अब उसे ज़ोऱ ज़ोऱ से चोदने लगा और दोनों हाथों से उसकी चूची को मसलते हुए बोला- ले मेरी रानी, मेरा लंड ले! और ले! अभी तेरी चूत को भी मजा आ रहा है! तू मुझे नहीं बताएगी तो तेरी चूत बताएगी!
मेरे हर शॉट का जवाब उसकी ओओ… आआईईई! जल्दी! प्लीज़ जल्दी करो! ओओ आआआ! में था.
मैं उसे ऐसे ही चोदने लगा और पूरे कमरे में पच पच और उसकी आवाज़ें गूंज रही थी. मैंने निर्मला को करीब़ 10 मिनट और चोदा!
वो कितनी बार झड़ी, मुझे नहीं मालूम! जब मैं झड़ने को हुआ तो मैंने पूछा- निर्मला, मैं अब झड़ने वाला हूं, कहाँ निकालूं मेरा प्रेम रस? तेरी चूत में या फिर तेरे मुँह में?
वो बोली- भैया चूत में मत डालना! आप बाहर ही निकाल लो!
मैंने लंड को चूत से बाहर निकाला और उसके मुँह के पास लेकर उसको बोला- रानी मुँह खोलो!
वो ना करने लगी और अपने मुँह पर हाथ रख लिया. मैंने उसका हाथ हटाया और लंड को मुँह में डालकर मुँह चोदने लगा और कुछ ही देर में मेरे लंड ने पिचकारी छोड़ी और मैंने उसे प्रेम-रस पिला दिया. जब मेरा लंड सिकुड़ गया तो मैंने बाहर निकाला. निर्मला के मुँह से लंड निकालते ही वो बेड पर निढाल हो गई और मैंने बाथरूम ज़ाकऱ शॉवर लिया और बाहर निकल अपने कपड़े पहनने लगा, साथ में निर्मला को आवाज़ लगाई- निर्मला, उठो!
तो वो उठ नहीं पा रही थी, मैंने उसको सहारा दिया और बाथरूम ले गया और उसको मूतने के लिए बोला. वो बैठ कर मूतने लगी और मुझसे बोली- भैया तुम बाहर बैठो!
मैंने कहा- अब मेरे से शरम कैसी! अब तो हम पति-पत्नी की तरह हैं!
कैसी लगी मेरी कहानी, अपनी राय मुझे लिखें! Antarvasna
हाय मेरा नाम विक्की है, मैं 26 साल Hindi Porn Stories का हूँ और मैं दिल्ली में रहता हूँ।
मैंने इस साईट की सभी कहानियाँ पढ़ी हैं। मैं भी अपना एक अनुभव आपसे बताना चाहता हूँ।
यह बात आज से लगभग दो-ढाई साल पहले की है, हमारे घर में एक किरायेदार रहने आए। उनमें तीन लोग ही थे पति पत्नी और उनका छोटा भाई। मैं उनको भाई भाभी बोलता था। दोनों भाई ऑटो चलाते थे, दिन में बड़ा भाई और रात को छोटा भाई ऑटो चलाते थे।
एक रविवार, मेरी ऑफिस की छुट्टी थी तो मैं अपने दोस्तों से मिलने निकल गया। शाम को जब में घर आया तो देखा कि एक लड़की मेरे घर के आँगन में मेरी मम्मी और बहन के साथ बैठ कर बात कर रही है।
मैंने सोचा कि बहन की कोई फ्रेंड होगी तो मैं सीधा बाथरूम में जाकर अपने हाथ मुँह धोकर आया। मैंने महसूस किया कि वो लड़की मुझे घूर घूर कर देख रही थी। मैं मम्मी की वजह से उसको नहीं देख रहा था। फ़िर वो उठ कर चली गई तो मैंने मम्मी से पूछा कि यह लड़की कौन है?
मम्मी ने बताया कि यह उन भइया की बहन संजू है।
यारों क्या मस्त माल थी वो ! लम्बाई 5.4′ भरा भरा बदन सांवला रंग एक दम ब्लैक ब्यूटी थी वो ! 2-3 दिन ऐसे ही निकल गए मैं कही भी जाता थो वोह मुझे घूर घूर कर देखती। उसकी आँखों में मुझे वासना दिखाई दी।
ऐसे ही एक हफ्ता निकल गया और फ़िर से रविवार आ गया। उस दिन मेरी बहन कुछ चादर पर कुछ फूल पत्ती बना रही थी। मम्मी भी उसका साथ दे रही थी और वो लड़की संजू, वो चारपाई पर बैठी थी और मेरी बहन नीचे जमीन पर, मम्मी भी उसके साथ चारपाई पर ही बैठी थी।
मैं बाहर से घूम कर आया तो देखा कि सब बैठे हैं, मैं भी बैठ गया कुर्सी पर और मैंने अपने पांव चारपाई पर फैला दिए। तो चादर मेरे पांव के नीचे दब गई। मेरी बहन गुस्सा हो कर बोली कि चादर पांव के ऊपर कर ले नहीं तो गन्दी हो जायेगी।
मैंने ऐसा ही किया तो मेरा पाँव अचानक संजू के हाथ पर लगा। मैंने अपना पांव हटा लिया तो वो मेरी तरफ़ देखने लगी जैसे कह रही हो कि क्योँ हटा लिया। मैं मुस्करा दिया और दूसरी तरफ़ देखने लगा कि कहीं किसी का ध्यान मेरी तरफ़ तो नहीं, पर किसी ने नहीं देखा।
मुझे मजा आने लगा, मै धीरे से उसके कमर की साइड में अपनी पांव से सहलाने लगा। चादर पांव के ऊपर होने से किसी को कुछ पता नहीं चला और उसने भी कुछ नहीं कहा। मेरी हिम्मत बढ़ गई और मैं पांव की उँगलियों से उसकी बाजू पर और पेट पर चिकोटी काटने लगा उसने कुछ नहीं कहा।
तभी मेरे पापा आ गए और सब लोग उठ गए। फ़िर तो मेरी हिम्मत बढ़ गई और मैं जब उसको अकेले देखता तो कभी उसकी चूची दबा देता कभी उसकी गांड में ऊँगली करता और वोह कुछ नहीं कहती।
एक दिन मैं घर पर ही था और वो भी अकेली थी। मेरी मम्मी मार्केट गई थी। मुझे मौका मिल गया। मैं उसके कमरे में गया और उसको पकड़ लिया और जल्दी से उसके कपड़े उतार दिए और अपने भी। वो कुछ नहीं बोली। फ़िर मैंने उसको किस करना चालू कर दिया। वो भी साथ देने लगी, मुझे मजा आने लगा। मैंने पहली बार किसी लड़की को नंगा देखा था, मैं तो पागल ही हो गया।
उसकी कठोर चूचियों को देख कर मैंने उनको खूब चूसा और दबाया।
वो बोली- जल्दी करो अब मुझसे बर्दाश्त नहीं होता।
मैं उसकी चूत में ऊँगली डालकर चोदने लगा। उसकी चूत पूरी गीली हो चुकी थी, उसको बहुत मजा आ रहा था। उसने अपनी आँखें बंद कर ली थी और मजा ले रही थी अपनी कमर को उठा उठा कर। तभी जोर से चिल्लाई और झड़ गई। मैंने उसका सारा रस चाट कर साफ़ किया और फ़िर अपना 6′ लंबा और 3.5′ मोटा लंड उसकी चूत में डालने लगा तो वो चिल्लाने लगी। मैंने उसके मुँह पर अपना मुँह रख दिया और उसके होटों को चूसने लगा। फ़िर उसको मजा आने लगा और वो अपनी कमर उठा उठा कर चुदवाने लगी।
मैं समझ गया कि अब उसको मजा आने लगा है। मैंने अपनी धक्कों की स्पीड बढ़ा दी और उसको तेज तेज चोदने लगा। 10 मिनट बाद वो मुझसे लिपट गई और मुझे नोचने लगी। मैं समझ गया कि इसका पानी निकलने वाला है। मैंने अपनी स्पीड और तेज कर दी और 5 मिनट बाद ही हम दोनों ने अपना रस छोड़ दिया। मैं उसके ऊपर ही लेट गया, उसकी आंखे बंद थी, उसके चहरे से पता लग रहा था कि वो पूरी तरह संतुष्ट हो चुकी है।
तभी डोरबेल बज उठी। मैं जल्दी से उठा और अपना लोअर पहन कर दरवाजा खोला, तो मम्मी थी। उस दिन तो बच गए। उसके बाद वो अपने गाँव वापस चली गई। फ़िर उसके बाद उसके भाई ने भी घर खाली कर दिया और मेरा उसके साथ कोई लिंक नहीं रहा।
तो दोस्तो, यह था मेरा पहला सेक्स अनुभव. मैं आजकल अकेला हूँ, Hindi Porn Stories
हैलो सभी अन्तरवासना के पाठकों को सीमा का खुली हुई टांगों से Hindi Sex Stories नमस्कार। मैने कुछ ही दिन पहले अन्तरवासना के बारे में सुना फ़िर मैने साइट खोली और मस्त हो गई। गरम हो गई। स्टोरीज़ पढ़ के कामुक हसीना बन गई। चलो छोड़ो काम की बात करते हैं।
मेरा नाम सीमा है मेरी उमर १८ साल की है। स्कूल में मेरी दोस्ती उन लड़कियों से हुई जो अमीरज़ादियां थीं मैं मिडिल क्लास से थी। मेरी पोकेट मनी कम ही थी। मैने एक अमीरज़ादे को अपना आशिक बना लिया मैं बेहद खूबसूरत हूं अपनी दोस्त के मुकाबले बहुत सेक्सी हूं मेरी सभी सहेलियां चुदासियां हैं अमीरज़ादे ने ज़्यादा टाइम वेस्ट न करते हुए अफ़ेयर के १० दिन बाद ही मेरी सील तोड़ डाली और मुझे भी सेक्स समुन्दर में धकेल दिया। वो बहुत शोपिंग करवाता मंहगे कपड़े मोबाइल, गोल्ड की चैन हमारा अफ़ेयर ३ महीने चला कि उसका एक्सिडेंट हो गया उसकी एक टांग टूट गई। मैं उससे मिलने गई और कहा जल्दी ठीक हो जाओगे।
सो अब मुद्दे पे आते हैं। एक रात की बात है रात के ९ बजे हुए थे मेरे पापा के २ दोस्त आये सभी ने उनका स्वागत किया वो ३ दिन के लिये आये थे। मम्मी नानी के यहाँ गई हुई थी। मैने और छोटी बहन ने उनकी खूब सेवा की डिनर दारु वगैरह पापा ने पिलायी। मैं उनको रूम दिखाने गई और वापिस आ गई जब मैं पानी का जग वहाँ रखने गई तो एक अंकल तो फ़्रेश होने बाथरूम में थे दूसरा अंकल चेंज कर रहा था उसने बनियान पहन लिया था पैजामा पहनने वाला था मैं जग लेकर गई मेरी नज़र सीधी न चाहते हुए भी उसके फ़ूले हुए कसे पेट ही, कई दिनों से चुदी नहीं थी, उसका माँसल शरीर छाती के बाल और फ़ूला हुआ लंड।
मैं वापस आ गई दीदी सो चुकी थी मेरी नज़र में बार बार उसका फ़ूला लंड आने लगा दरवाज़ा थोड़ा बंद किया परदा आगे किया और बेड पे बैठ गई नींद नहीं आई थी मैने अपना पैजामा नीचे किया और अपनी झांघों पे हाथ फ़ेरा और अपनी चूत सहलाने लगी उंगली डाल के मस्त होने लगी डैड भी ऊपर वाले रूम में सो चुके थे थोड़ी ही पी थी। परदे में अंकल चोरी सब कुछ देख रहे थे बोले नहीं। मैं इतनी गरम हो गई पानी ले गई जब मैं किचन से पानी लेने गई पीछे से मज़बूत बाहें मेरी पतली कमर पे डाल दीं। मुझे हैरानी हुई। मुझे यकीन था कि अंकल ने मुझे नोटिस किया था मैं एक दम मुड़ी और उनसे चिपक गई वो पागलों की तरह किचन की शेल्फ़ पे ही लिटा कर मेरे होंठ चूसने लगे और एक हाथ अंदर डाल मेरा मोम्मे दबाने लगे एक हाथ मेरी पैंटी में डाल चूत मसलने लगे।
मैं सिर्फ़ आहें भर रही थी कि तभी दूसरे अंकल अ गये दोनो मुझे पे टूट पड़े दोनो की उमर ४० से ऊपर ही थी। मुझे गोदी में उठा लिया बेडरूम में जा मुझे बेड पे फ़ेंका। दरवाज़ा बंद कर मुझे नंगी कर दिया मुझे अपने कच्छा उतारने को बोले मैं घुटनो के बल हो कच्छा उतारा और अंकल का लंड मुँह में भर लिया दूसरे की मुठ मारने लगी बारी बारी रंडी बन दोनो के लंड चूस रही थी अंकल ने मुझे सीधा लिटा अपना हथियार मेरी टांगे चौड़ी कर रखा और पुश किया थोड़ी परेशानी, तकलीफ़ हुई लकिन मैने डलवा लिया उनका लंड इतना मोटा लम्बा नहीं था महज़ ६ इंच होगा दूसरा बहुत मोटा लम्बा था ८ इंच का काला लंड वो अंकल है भी मद्रासी था अंकल मेरी चूत मार रहे था मैं लंड चूस नीचे से चूतड़ हिला रही थी।
उमर की भी फ़रक पड़ता है महज़ ६-७ मिनट में अंकल झड़ गये अब दूसरा मेरे ऊपर आया और मुझे कहा चूतड़ के नीचे तकिया रख लंड पेल दिया बहुत तकलीफ़ हुई लेकिन मैं कई बार चुदी हुई थी तब दूसरा अंकल आया मुझे पेग पिला दिया और खुद भी और फ़िर डाल दिया मुँह में दूसरे ने मुझे घोड़ी बना लिया और चोदने लगा मैं मजे में सीईईइ यस अंकल हरामी फ़ाद्दद्दद्दद्दद्द डाल्लल्लल्लल्लल मेरी चूत झड़ने वाली हूं कम चोद भोसड़ी के अंकल स्लेपिंग माई एस चीक्स बोले रंडी सारी रात फाडूंगा फ़िकर मत कर हलवा बना देंगे आज। कमीने मेरे बाप की उमर का है बुड्ढा ठरकी कुंवारी चूत मार्रर्रर्रर्रर्रर्रर दबाआ करते करते अंकल ने सीधा किया फ़िर डाल दिया ज़ोर ज़ोर से चुदने लगि तभी उसका लंड मेरी चूत एक साथ ही बह गये। गरम माल जब चूत को मिला तृप्त हो गई।
अब दूसरा तैयार था उसने इस बार मेरी गांड मारी Hindi Sex Stories
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