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हेलो दोस्तो, मैं आपका Sex Stories दोस्त रोहित जयपुर से फिर अपनी कहानी लेकर आ गया। मुझे आप लोगों के बहुत सारे मेल मिले इसके लिए धन्यवाद। कई लड़कियों ने मेरे साथ चुदाई का ऑफर भी दिया, मैंने तीन लड़कियों की मस्त चुदाई भी की पर उन सबने इस पर कहानी लिखने को मना किया है इसलिए मैं उनका विश्वास नहीं तोड़ूंगा।
चलो अब कहानी की शुरुआत करते हैं…
मैं भाभी को हर रोज़ चोदता ! भैया को भी यह बात पता चल गई जब भाभी को गर्भ हुआ। पहले तो बहुत गुस्सा आया पर वो जल्दी समझ गए कि मुस्कान को भी तो लंड की जरुरत है, जो वो नहीं दे सकते थे।
जब भाभी को बच्चा होने वाला था तब मैं उनके साथ सेक्स नहीं कर पाता तो मुझे बहुत बुरा लगता।
कुछ समय के लिए मीनाक्षी (भाभी की बहन) आई, वो तो भाभी से भी मस्त फिगर वाली थी, देखते ही मेरा लंड खड़ा होने लगा …
मैंने भाभी से कहा- मैं मीनाक्षी की चोदना चाहता हूँ।
तो गुस्सा होती हुई बोली- कमीने पहले मुझे ! फिर मेरी बहन को ? बहुत मस्ती आ रही है? उसकी तो अभी सील भी नहीं खुली होगी और तू उसे चोदना चाहता है? मैं नहीं चोदने दूँगी ! तुम सिर्फ मुझे ही चोदोगे ! समझ गए…?
मुझे इतना गुस्सा आया कि मैं यह कहता हुआ घर आ गया कि अब मैं तुझे भी नहीं चोदूंगा…. देखता हूँ कि कौन तुझे चोदता है…
फिर मैंने भाभी से बातचीत बंद कर दी और मीनाक्षी से दोस्ती कर ली। अब हम दोनों बहुत अच्छे दोस्त बन गए। वो जींस-टॉप में क्या माल लगती थी ! हम दोनों खूब मस्ती करते …
एक दिन हम मार्केट गये, वहाँ वो लेडीज कपड़ो की शॉप पर चली गई। मैं भी उसके साथ गया। वहाँ उसे पैंटी और ब्रा पसंद आ गई, वो पहन कर देखना चाहती थी, ट्राई-रूम में चली गई और कुछ देर बाद मुझे अन्दर आने को आवाज लगाने लगी।
मैं अन्दर गया तो देखता ही रह गया। वो सिर्फ पैंटी और ब्रा में खड़ी थी, पूछने लगी- कैसी लग रही हूँ?
मैंने उसे पीछे से पकड़ते हुए कहा- बहुत मस्त ! इसी में घर चलो न !
वो हँसती हुई बोली- चल बदमाश ! इसमें तो सिर्फ तुम्हारे लिए आऊँगी ! और मुझे किस करते हुए बोली- आई लव यू !
हम दोनों ने दो मिनट तक चूमा, फिर मैंने कहा- यही पैंटी-ब्रा पहन कर चलना !( मतलब नई पैंटी-ब्रा के ऊपर कपड़े पहन कर चलना)
फिर हमने बहुत सारी शोपिंग की और शॉपिंग के बीच-बीच में मैं उसके स्तन दबा देता, लेकिन वो कुछ नहीं बोली। हमें बड़ा मजा आया।
वहाँ से हम सीधे मेरे घर गए जहाँ ताला लगा था। चाबी भाभी के पास थी, मैं चाबी मांगने गया तो बोली- मीनाक्षी कहाँ है?
तो मैं बोला- पहले चाबी ! फिर बताऊँगा !
चाबी लेने के बाद मैं बोला- आज तो हम लोग चुदाई करेंगे ! रोक सको तो रोक लो !
उन्हें बहुत गुस्सा आया पर वो तो कमरे से बाहर भी नहीं निकल सकती थी।
मैंने ताला खोला और हम दोनों अंदर चले गए। दरवाज़ा बंद करते ही मैं उसे गोदी में उठाकर अपने कमरे में ले गया और बेड पर लिटा कर चूमने लगा। वो भी साथ दे रही थी, हमें बड़ा मजा आ रहा था।
मैंने उसका गुलाबी टॉप उतारा और नई ब्रा में से ही उसके स्तन दबाने लगा, वो आहें भरने लगी- ह्य्य्य्य रोहित ! बड़ा मजा आ रहा है !
मैंने उसकी ब्रा उतारी और एक चुचूक को मुँह में चूसने लगा !
बहुत मजा रहा था दोस्तो !
फिर मैं उसकी ब्लू जींस उतारने लगा। उसकी चूत गीली हो चुकी थी, मैं पैंटी में से ही उसकी बालों वाली चूत को सहलाने लगा। सहलाते हुए ही मुझे पता चल गया कि उसकी चूत अभी कुंवारी है, तो मेरा लण्ड और फूलने लगा… और सोचने लगा- यार मैं तो बड़ा किस्मत वाला हूँ ! दो चूत मिली वो भी सील पैक !
अब वो बोली- यार तुम भी तो अपना लौड़ा मेरे मुँह में डालो ! मैं कितनी देर से इन्तज़ार कर रही हूँ !
मैं बोला- जानेमन, अभी आता है मेरा लंड !
और उसे खड़ा करके बोला- चल जान, खोल दे मेरे कपड़े और बुझा अपनी प्यास ….
फिर वो जल्दी जल्दी मेरे कपड़े उतारने लगी। तीन मिनट में मुझे नंगा कर दिया … मेरा ७.५ इंच लम्बा लौड़ा बाहर आ गया …
मीनाक्षी ने आव न देखा ताव ! मेरा लौड़ा मुँह में लेकर चूसने लगी …
क्या तो चूस रही थी ! कसम से बड़ा मजा आ रहा था..
कुछ देर बाद बोली- यार, अब चूत की प्यास बुझाओ !
मैंने धीरे धीरे उसकी चूत में अपना लौड़ा डाला, क्योंकि उसकी सील खोलनी थी, जिसमें बड़ा दर्द होता है… इसलिए मैं पहली बार आराम से ही चुदाई करना चाहता था।
मैंने धीरे-धीरे चोदते हुए पूछा- दर्द हो रहा है?
बोली- ज्यादा नहीं ! जितना सुना था उससे काफी कम ….
कुछ देर में उसकी चूत की सील टूट गई …वो एक बार जोर से चिल्लाई- उई माँ ! मर गई..
फिर बोली- रोहित, अब मजा आ रहा है…स्पीड में चोदो यार !
फिर मैं बहुत तेज़ स्पीड में चोदने लगा। कभी घोड़ी बना कर चोदता तो कभी दोनों हाथों से गोदी में उठा कर चोदता …
हम दोनों को काफी मजा आया। हमने शर्त लगाई- देखते हैं पहले कौन पहले झड़ता है…
25 मिनट हो गए, कोई नहीं झड़ा… कुछ देर बाद मीनाक्षी की चूत गीली हो गई।
मैं बोला- तुम हार गई…
उसे गुस्सा आया और बोली- मैं तुम्हारा पानी नहीं निकलने दूंगी !
और चूत से मेरे लण्ड को निकालती हुई पीछे हट गई…
मैं बोला- यार जब तक मेरा पानी नहीं निकलेगा, सेक्स का मजा कैसे आएगा?
तो बोली- मैं क्या जानूँ ? हाथ से निकाल लो…
मैंने काफी मनाया फिर बोली- पानी मेरे मुँह में डालोगे ?
मैं बोला- ठीक है…
थोड़ी देर चोदने के बाद में झड़ गया … मैंने सारा पानी उसी के मुँह में डाल दिया …
कुछ देर आराम करने के बाद फिर से उसे चोदना शुरू किया कि बेल बज गई।
मैंने जल्दी से कपड़े पहने और मीनाक्षी को को पैंटी ब्रा में ही बेड के नीचे छुपने को कहा, साथ कपड़े भी ले जाने को …
मम्मी आई थी, बोली- क्या कर रहे हो?
मैं बोला- नींद आ रही थी !
शॉपिंग का सामान देख कर बोली- ये सब कौन लाया?
मैं बोला- फ्रेंड का है ! मुझे नींद आ रही थी इसलिए अन्दर नहीं रखा ..
मम्मी थकी हुई थी इसलिए अन्दर चली गई। मैं अन्दर गया और जल्दी से मीनाक्षी को जाकर कपड़े पहनाये और उसके घर भेज दिया।
फिर हमने खूब सेक्स किया … भाभी के बच्चा होने के बाद वो चली गई ..
फिर मुझे भाभी को ही चोदना पड़ा …
एक बार भाभी और मीनाक्षी को एक साथ चोदा !
वो कहानी बाद में !
और … मेरी गर्ल-फ़्रेन्ड के साथ चुदाई भी बताऊँगा…
मेल करते रहना Sex Stories
विधवा भाभी की चुदाई-1 मैं बाथरूम में चला गया। फ़्रेश होने के बाद मैं एक दम नंगा ही नहाने लगा।
थोड़ी देर बाद मैंने संध्या को पुकारा और कहा- तौलिया दे दो।
संध्या ने रीना से कहा- जा, जीजू को तौलिया दे आ।
वो तौलिया लेकर आई तो मैंने बाथरूम का दरवाजा खोल दिया। मेरा लण्ड पहले से खड़ा था। रीना की निगाह जैसे ही मेरे लण्ड पर पड़ी तो उसने अपना सिर नीचे कर लिया। वो मुझे तौलिया देने लगी तो मैंने कहा- थोड़ा रुक जाओ। मैं अपने सिर को जरा साबुन से साफ़ कर लूं।
मैंने अपने सिर पर साबुन लगाना शुरु कर दिया। मैंने देखा की रीना तिरछी निगाहों से मेरे लण्ड को देख रही थी।
मैंने कुछ ज्यादा ही देर कर दी तो वो बोली- जीजू, तौलिया ले लो, मुझे और भी काम करना है।
मैंने कहा- थोड़ा रुक जाओ, मैं अपना सिर तो धो लूँ।
मैंने अपना सिर धोया और फिर अपने लण्ड पर साबुन लगाते हुये कहा- रात को तेरी दीदी ने इसे भी गन्दा कर दिया था, जरा इसे भी साफ़ कर लूँ। फिर मुझे तौलिया दे देना।
वो चुपचाप खड़ी रही। मैं अपने लण्ड पर साबुन लगाने लगा। वो अभी भी मेरे लण्ड को तिरछी निगाहों से देख रही थी। मैंने उससे मजाक करते हुये कहा- साली जी, तिरछी निगाहों से मुझे क्यों देख रही हो। अपना सिर ऊपर कर लो और ठीक से देख लो मुझे।
वो बोली- मुझे शरम आती है।
मैंने कहा- कैसी शरम? मैं तो तुम्हारा जीजू हूँ ना। बोलो, हूँ या नहीं।
वो बोली- हाँ, आप मेरे जीजू हैं।
मैंने अब ज्यादा देर करना ठीक नहीं समझा। मैंने अपने लण्ड पर लगे हुये साबुन को धोया और उसके हाथ से तौलिया लेटे हुए कहा- अब जाओ।
वो मुस्कराते हुये चली गई।
मैंने अपना बदन साफ़ किया और लुंगी पहन कर बाहर आ गया। रीना ड्राईंग रूम में झाड़ू लगा रही थी। मैंने संध्या को पुकारा और कहा- जरा तेल तो लगा दो।
वो बोली- अभी आती हूँ।
संध्या मेरे पास आ गई तो मैंने अपने लण्ड की तरफ़ इशारा करते हुये कहा- आज तेल नहीं लगाओगी क्या।
संध्या समझ गई और बोली- लगाऊँगी क्यों नहीं।
उसने मेरे लण्ड पर तेल लगा कर मालिश करना शुरु कर दिया।रीना मेरे लण्ड को देखती रही। इस बार वो ज्यादा नहीं शरमा रही थी। तेल लगाने के बाद संध्या जाने लगी तो मैंने कहा- तुम कुछ भूल रही हो।
संध्या ने मेरे लण्ड को चूम लिया। उसके बाद मैंने नाश्ता किया और अपने कमरे में आ गया।
10 बजे मैं दुकान जाने लगा तो संध्या ने कहा- रीना के लिये कुछ नये कपड़े और थोड़ा मेक-अप का सामान ले आना।
मैंने कहा- अच्छा, ले आऊँगा।
उसके बाद मैं दुकान चला गया। रात के 8 बजे मैं दुकान से वापस आया और मैंने रीना को पुकारा।
रीना आ गई और उसने मुस्कराते हुये कहा- क्या है, जीजू?
मैंने कहा- मैं तेरे लिये कपड़े ले आया हूँ और मेक-अप का सामान भी। देख जरा तुझे पसन्द है या नहीं।
उसने सारा सामान देखा तो खुश हो गई और बोली- बहुत ही अच्छा है।
मैंने पूछा- संध्या कहाँ है?
वो बोली- फ़्रेश होने गई है।
मैंने कहा- जा, मेरे लिये चाय ले आ।
वो चाय लाने चली गई। मैंने अपने कपड़े उतार दिये और लुंगी पहन ली। वो चाय ले कर आई तो मैंने चाय पी। तभी संध्या आ गई। उसने पूछा- रीना का सामान ले आये?
मैंने कहा- हाँ, ले आया और इसे दिखा भी दिया। इसे बहुत पसन्द भी आया।
मैं टीवी देखने लगा। संध्या रीना के साथ खाना बनने चली गई। रात के 10 बजे हम सब ने खाना खाया और सोने चले गये। आज रीना बहुत खुश दिख रही थी। उसने आज जरा सा भी शरम नहीं की और खुद ही अपने कपड़े उतार दिये और मैक्सी पहन ली। हम सब बिस्तर पर लेट गये।
संध्या ने मुझसे कहा- मुझे नींद आ रही है। तुम अपना काम कर लो और मुझे सोने दो।
मैं समझ गया। मैंने अपनी लुंगी उतार दी। संध्या ने भी अपनी मैक्सी खोल दी और पैंटी उतार दी। रीना देख रही थी। आज वो कुछ बोल नहीं रही थी, केवल चुपचाप लेटी हुई थी। मैंने संध्या को चोदना शुरु कर दिया। मैंने देखा कि रीना आज ध्यान से हम दोनों को देख रही थी।
15-20 मिनट की चुदाई के बाद मैं झड़ गया तो आज मैंने संध्या की चूत को चाटना शुरु कर दिया। रीना ने मुझे संध्या की चूत को चाटते हुये देखा उसने अपना हाथ अपनी चूत पर रख लिया। मैं समझ गया की अब वो धीरे धीरे रास्ते पर आ रही है। संध्या की चूत को चाटने के बाद मैंने अपना लण्ड संध्या के मुँह के पास कर दिया तो संध्या ने भी मेरा लण्ड चाट चाट कर साफ़ कर दिया। उसके बाद मैं लेट गया।
तभी रीना ने कहा- दीदी, आप दोनों को घिन नहीं आती एक दूसरे का चाटते हुये?
संध्या ने कहा- कैसी घिन, मुझे तो मज़ा आता है और तेरे जीजू को भी। उसके बाद हम सो गये।
सुबह मैं नहाने गया तो मैंने रीना को पुकारा और कहा- तौलिया ले आ।
वो बोली- अभी लाई, जीजू।
वो तौलिया लेकर आ गई। मैंने अपने लण्ड की तरफ़ इशारा करते हुये कहा- थोड़ा रुक जा, मैं इसे साफ़ कर लूं।
मैंने अपने लण्ड पर साबुन लगाना शुरु कर दिया। आज रीना ने अपना सिर नीचे नहीं किया और मेरे लण्ड को ध्यान से देखती रही। वो अब ज्यादा नहीं शरमा रही थी। मैंने अपने लण्ड को साफ़ किया और फिर उससे तौलिया ले लिया। वो चली गई। मैं बाथरूम से बाहर आया तो संध्या ने मेरे लण्ड पर तेल लगाया और फिर मेरे लण्ड को चूमा और किचन में चली गई। रीना इस दौरान मेरे लण्ड को ध्यान से देखती रही। मैंने नाश्ता किया और दुकान चला गया।
रात के 8 बजे मैं वापस आया तो मैं कुछ मिठाई ले आया था। मैंने रीना को पुकारा। रीना आ गई तो मैंने उसे मिठाई दे दी। उसने मिठाई ले ली और कहा- आपके लिये अभी ले आऊँ?
मैंने कहा- हाँ, थोड़ा सा ले आ। वो मिठाई ले कर आई तो मैं मिठाई खाने लगा। तभी संध्या आई। उसने मुझे मिठाई खाते हुये देखा तो बोली- आज कल साली की बहुत सेवा हो रही है।
मैंने कहा- क्या करूं। मेरी तो कोई साली ही नहीं थी। अब जब मुझे एक साली मिल गई है तो उसकी सेवा तो करूंगा ही। लेकिन मेरी साली मेरा ज्यादा ख्याल ही नहीं रखती।
रीना बोली- जीजू, मेरी कोई बहन नहीं है इसलिये मेरा कोई जीजू तो आने वाला नहीं है। आप ही मेरे जीजू हो, आप हुकुम तो करो।
मैंने कहा- क्या तुम मेरा कहा मानोगी?
वो बोली- क्यों नहीं मानूंगी।
मैंने कहा- ठीक है, जब मुझे जरूरत होगी तो तुम्हें बता दूंगा।
अगले 2 दिनों में मैंने रीना से मजाक करना शुरु कर दिया। धीरे धीरे वो भी मुझसे मजाक करने लगी। अब वो मुझसे शरमाती नहीं थी। अब रीना खुद ही तौलिया ले आती थी। उस दिन भी जब मैं नहा रहा था तो वो तौलिया ले कर आई और खड़ी हो गई और मेरे लण्ड को देखने लगी।
मैंने कहा- साली जी, आज तुम ही मेरे लण्ड पर साबुन लगा दो।
वो बोली- क्या जीजू, मुझसे अपने लण्ड पर साबुन लगवाओगे?
मैंने कहा- तो क्या हुआ?
वो बोली- दीदी क्या कहेंगी?
मैंने संध्या को पुकारा तो वो आ गई और बोली- क्या है?
मैंने कहा- मैं रीना से अपने लण्ड पर साबुन लगाने को कहा तो यह कह रही है कि दीदी क्या कहेंगी। अब तुम इसे बता दो कि तुम क्या कहोगी।
संध्या ने कहा- मैं तो कहूँगी कि रीना तुम्हारे लण्ड पर साबुन लगा दे। आखिर वो तुम्हारी साली है। मैं भला इसे कैसे मना कर सकती हूँ।
मैंने रीना से कहा- देखा, यह तुम्हें कुछ भी नहीं कहेगी।
रीना ने कहा- फिर मैं साबुन लगा देती हूँ।
संध्या चली गई। रीना ने थोड़ा सा शरमाते हुये मेरे लण्ड पर साबुन लगाना शुरु कर दिया। मुझे खूब मज़ा आने लगा। उसकी आंखे भी गुलाबी सी होने लगी। थोड़ी देर बाद वो बोली- अब बस करूं या और लगाना है।
मैंने कहा- थोड़ा और लगा दे, तेरे हाथ से साबुन लगवाना मुझे बहुत अच्छा लग रहा है।
वो साबुन लगाती रही। थोड़ी ही देर में जब मुझे लगा कि अब मेरा रस निकल जायेगा तो मैंने कहा- अब रहने दो।
उसने अपना हाथ साफ़ किया और चली गई।
मैं नहाने के बाद बाहर आया और ड्राईंग रूम में सोफ़े पर बैठ गया। मैंने संध्या को पुकारा, संध्या , जरा तेल तो लगा दो।
रीना मेरे पास आई और बोली- मैं ही लगा दूं क्या?
मैंने कहा- यह तो और अच्छी बात है। तुम ही लगा दो।
रीना मेरे लण्ड पर तेल लगा कर बड़े प्यार से मालिश करने लगी तो मैं कुछ ज्यादा ही जोश में आ गया। रीना ठीक मेरे लण्ड के सामाने जमीन पर बैठ थी। मेरे लण्ड से रस की धार निकल पड़ी और सीधे रीना के मुँह पर जाकर गिरने लगी।
रीना शरमा गई और बोली- क्या जीजू, तुमने मेरा मुँह गन्दा कर दिया।
मैंने कहा- तुम्हारे तेल लगाने से मैं कुछ ज्यादा ही जोश में आ गया और मेरे लण्ड का रस निकल गया। आओ मैं साफ़ कर देता हूँ।
वो बोली- रहने दो, मैं खुद ही साफ़ कर लूंगी।
रीना बाथरूम में चली गई। संध्या किचन से मुझे देख रही थी और मुस्कुरा रही थी। संध्या ने कहा- अब तुम्हारा काम बनने ही वाला है।
नाश्ता करने के बाद मैं दुकान चला गया। रात को मैं रीना के लिये एक झुमकी ले आया। मैंने उसे झुमकी दी तो वो खुशी के उछल पड़ी और संध्या को दिखाते हुये बोली- देखो दीदी, जीजू मेरे लिये क्या लाये हैं।
संध्या ने कहा- तू ही उनकी एकलौती साली है। वो तेरे लिये नहीं लायेंगे तो और किसके लिये लायेंगे।
रात को खाना खाने के बाद हम सोने के लिये कमरे में आ गये। मैंने रीना से मजाक किया, क्यों रीना , मेरा लण्ड तुझे कैसा लगा।
उसने शरमाते हुये कहा- जीजू, यह भी कोई पूछने की बात है।
मैंने कहा- तेरी दीदी को तो बहुत पसन्द है, तुझे कैसा लगा।
उसने शरमाते हुये कहा- मुझे भी बहुत अच्छा लगा।
मैंने पूछा- तुझे क्यों अच्छा लगा।
वो बोली- इस लिये कि आपका बहुत बड़ा है।
मैंने पूछा- जब मैं तुम्हारी दीदी के साथ करता हूँ तब कैसा लगता है?
वो बोली- तब तो और ज्यादा अच्छा लगता है। लेकिन जीजू, एक बात मेरी समझ में नहीं आती कि तुम्हारा इतना बड़ा है फिर भी दीदी के अन्दर पूरा का पूरा घुस जता है।
मैंने कहा- तेरी दीदी को इसकी आदत पड़ गई है।
वो बोली- लेकिन पहली बार जब आपने घुसाया होगा तो दीदी दर्द के मारे बहुत चिल्लाई होगी?
मैंने कहा- दर्द तो पहली पहली बार सब औरतों को होता है। इसे भी हुआ था और यय खूब चिल्लाई भी थी। लेकिन रीना बाद में मज़ा भी तो खूब आता है। तुम चाहो तो अपनी दीदी से पूछ लो।
रीना ने संध्या से पूछा- क्यों दीदी, क्या जीजू सही कह रहे हैं?
संध्या ने कहा- हाँ रीना , तभी तो मैं इनसे रोज रोज करवाती हूँ। बिना करवाये मुझे नींद ही नहीं आती। तुम भी एक बार इनका अन्दर ले लो। कसम से इतना मज़ा आयेगा कि तुम भी रोज रोज करने को कहोगी।
रीना बोली- ना बाबा ना, मुझे बहुत दर्द होगा क्योंकि मेरा तो अभी बहुत छोटा है।
संध्या ने कहा- छोटा तो सभी का होता है।
रीना बोली- मुझे दर्द भी तो बहुत होगा।
संध्या ने कहा- पगली, एक बार ही तो दर्द होगा उसके बाद इतना मज़ा आयेगा कि तू सारा दर्द भूल जायेगी। तूने देखा है ना कि कैसे इनका मेरी चूत में सटासट अन्दर बाहर होता है।
वो बोली- हाँ, देखा तो है।
संध्या बोली- फिर एक बार तू भी अन्दर ले कर देख ले। अगर तुझे मज़ा नहीं आयेगा तो फिर कभी मत करवाना।
वो बोली- बाद में करवा लूंगी।
संध्या ने कहा- आज क्यों नहीं।
वो बोली- मैं कहीं भागी थोड़े ही जा रही हूँ।
संध्या ने कहा- तो फिर आज तू इसे मुँह में ले कर चूस ले। जब तेरा मन कहेगा तभी इसे अन्दर लेना।
वो बोली- ठीक है, मैं मुँह में लेकर चूस लेती हूँ।
संध्या ने मुझसे कहा- तुम रीना के बगल में आ जाओ।
मैं रीना के बगल में आ गया। रीना ने मेरी लुंगी हटा दी और अपना हाथ मेरे लण्ड पर रख दिया। उसके हाथ लगाने से मेरा लण्ड फनफनता हुआ खड़ा हो गया। रीना उसे सहलाने लगी। मुझे मज़ा आने लगा, मैंने कहा- अब इसे मुँह में ले लो।
वो बोली- जरूर लूंगी, पहले थोड़ा सहलाने दो ना।
मैंने कहा- ठीक है।
थोड़ी देर तक सहलाने के बाद रीना उठ कर बैठ गई। उसने शरमाते हुये मेरे लण्ड का सुपाड़ा अपने मुँह में ले लिया और चूसने लगी।
संध्या ने मुस्कराते हुये पूछा- क्यों रीना , कैसा लग रहा है?
वो बोली- दीदी, बहुत अच्छा लग रहा है।
संध्या ने कहा- मेरी बात मान जा और इसे अपनी चूत के अन्दर भी ले ले। फिर और ज्यादा अच्छा लगेगा।
वो बोली- बहुत दर्द होगा।
संध्या ने कहा- तू इतना डरती क्यों है। मैं हूँ ना तेरे पास।
उसने कहा- अच्छा, मुझे पहले थोड़ी देर चूस लेने दो, फिर मैं भी अन्दर लेने की कोशिश करुंगी।
रीना मेरा लण्ड चूसती रही। मैंने अपना हाथ बढ़ा कर उसकी चूत पर रख दिया लेकिन वो कुछ नहीं बोली। मैंने पैंटी के ऊपर से ही उसकी चूत को सहलाना शुरु कर दिया तो वो सिसकारियां भरने लगी।
थोड़ी देर में ही उसकी चूत गीली हो गई तो मैंने पूछा- कैसा लगा?
वो बोली- बहुत अच्छा।
रीना अब तक पूरे जोश में आ चुकी थी। मैंने कहा- जब तू मेरा लण्ड अपनी चूत के अन्दर लेगी तो तुझे और ज्यादा अच्छा लगेगा।
वो बोली- ठीक है जीजू, घुसा दो, लेकिन बहुत धीरे धीरे घुसाना।
मैंने कहा- थोड़ा दर्द होगा, ज्यादा चिल्लाना मत।
वो बोली- मैं अपना मुँह बन्द रखने की कोशिश करुंगी।।
मैंने कहा- ठीक है, तू पहले अपने कपड़े उतार दे।
वो बोली- मैंने कपड़े ही कहाँ पहन रखे हैं।
मैंने उसकी ब्रा और पेण्टी की तरफ़ इशारा करते हुये कहा- फिर ये क्या है?
वो बोली- क्या इसे भी उतारना पड़ेगा।
मैंने कहा- हाँ, तभी तो मज़ा आयेगा।
उसने कहा- ठीक है, उतार देती हूँ।
इतना कह कर रीना खड़ी हो गई और उसने अपने सारे कपड़े उतार दिये। संध्या मुझे देख कर मुसकुराने लगी तो मैं भी मुसकुरा दिया। रीना बेड पर लेट गई तो मैं रीना के पैरों के बीच आ गया। मैंने उसके पैरों को एकदम दूर दूर फैला दिया। उसके बाद मैंने अपने लण्ड के सुपाड़े को उसकी चूत पर रगड़ना शुरु कर दिया। वो जोश के मारे पागल सी होने लगी और जोर जोर की सिसकारियां भरते हुये बोली- जीजू, बहुत मज़ा आ रहा है, और जोर से रगड़ो।
मैंने और ज्यादा तेजी के साथ रगड़ना शुरु कर दिया तो 2-3 मिनट में ही रीना जोर जोर की सिसकारियां भरने लगी और झड़ गई।
रीना की चूत अब एकदम गीली हो चुकी थी इसलिये मैंने अब ज्यादा देर करना ठीक नहीं समझा। मैंने उसकी चूत के होंठ को फैला कर अपने लण्ड का सुपाड़ा बीच में रख दिया। उसके बाद जैसे ही मैंने थोड़ा सा जोर लगाया तो वो चीख उठी और बोली- जीजू, बहुत दर्द हो रहा है, बाहर निकाल लो।
मैंने कहा- बस थोड़ा सा बरदाश्त करो।
मेरे लण्ड का सुपाड़ा उसकी चूत में घुस चुका था। मैंने फिर से थोड़ा सा जोर लगाया तो इस बार वो जोर जोर से चीखने लगी। उसने रोना शुरु कर दिया तो संध्या ने उसे चुप करते हुये कहा- दर्द को बरदाश्त कर तभी तो तू मज़ा ले पायेगी।
वो बोली- बहुत तेज दर्द हो रहा है, दीदी।
संध्या उसका सिर सहलाने लगी तो थोड़ी ही देर में वो शान्त हो गई।
मेरा लण्ड इस उसकी चूत में 2″ तक घुस चुका था। जब रीना चुप हो गई तो मैंने फिर से जोर लगाया तो मेरा लण्ड थोड़ा सा और घुस गया और उसकी सील मेरे लण्ड के रास्ते में आ गई। वो फिर से चीखने लगी और बोली- जीजू, बाहर निकल लो, मैं मर जाऊंगी, बहुत दर्द हो रहा है, मेरी चूत फट जायेगी।
मैंने उसकी चूचियों को मसलते हुये कहा- बस थोड़ा सा ही और है।
थोड़ी देर तक मैं उसकी चूचियों को मसलता रहा और उसे चूमता रहा तो वो शान्त हो गई। मुझे अब उसकी सील को फ़ाड़ना था।
मैंने रीना की कमर को जोर से पकड़ लिया पूरी ताकत के साथ बहुत ही जोर का धक्का मारा। उसकी चूत से खून निकलाने लगा। मेरा लण्ड उसकी सील को फ़ाड़ते हुये 4″ से थोड़ा ज्यादा अन्दर घुस गया। रीना इस बार कुछ ज्यादा ही जोर जोर से चिल्लाने लगी तो संध्या ने उसे चुप करते हुये कहा- बस हो गया, अब रो मत। अब दर्द नहीं होगा, केवल मज़ा आयेगा।
वो बोली- क्या पूरा अन्दर घुस गया?
संध्या ने कहा- अभी कहाँ, अभी तो आधा ही घुसा है।
वो बोली- जब जीजू बाकी का घुसायेंगे तो मुझे फिर से दर्द होगा।
संध्या ने कहा- नहीं, अब दर्द नहीं होगा, अब तुझे मज़ा आयेगा।
रीना जब शान्त हो गई तो मैंने धीरे धीरे उसकी चुदाई शुरु कर दी। उसे अभी भी दर्द हो रहा था और वो आहें भर रही थी। उसकी चूत बहुत ही ज्यादा कसी थी इसलिये मेरा लण्ड आसानी से उसकी चूत में अन्दर-बाहर नहीं हो पा रहा था। मैं उसे चोदता रहा तो वो कुछ देर बाद वो धीरे धीरे शान्त हो गई। अब उसे भी कुछ कुछ मज़ा आने लगा था। उसने सिसकारियां भरनी शुरु कर दी। संध्या ने पूछा- अब कैसा लग रहा है।
वो बोली- अब तो मज़ा आ रहा है।
संध्या ने कहा- पूरा अन्दर घुस जाने दे तब तुझे और मज़ा आयेगा, यह तो अभी शुरुआत है।
मैंने उसे चोदना जारी रखा तो थोड़ी ही देर बाद उसने अपना चूतड़ भी उठाना शुरु कर दिया।
थोड़ी देर की चुदाई के बाद रीना झड़ गई। उसकी चूत और मेरा लण्ड अब एकदम गीला हो चुका था। मैंने अपनी स्पीड धीरे धीरे बढ़ानी शुरू कर दी। रीना पूरे जोश में आ चुकी थी। वो जोर जोर से सिसकारियां भर रही थी। मैंने हर 4-6 धक्के के बाद एक धक्का थोड़ा जोर से लगाना शुरु कर दिया। इससे मेरा लण्ड थोड़ा थोड़ा कर के उसकी चूत में और ज्यादा गहराई तक घुसने लगा। जब मैं तेज धक्का लगा देता था तो रीना केवल एक आह सी भरती थी। वो इतने जोश में आ चुकी थी कि उसे अब ज्यादा दर्द महसूस नहीं हो रहा था। मैं इसी तरह से उसे चोदता रहा।
थोड़ी देर की चुदाई के बाद ही रीना फिर से झड़ गई। अब तक मेरा लण्ड उसकी चूत में 7″ अन्दर घुस चुका था। मैंने अपनी स्पीड बढाते हुये उसकी चुदाई जारी रखी। थोड़ी ही देर में मेरा पूरा का पूरा लण्ड उसकी चूत में समा गया। संध्या ने जब देखा कि मेरा पूरा लण्ड उसकी चूत में घुस चुका है तो उसने रीना से कहा- इनका पूरा का पूरा लण्ड तेरी चूत के अन्दर घुस गया है। अब तुझे केवल मज़ा आयेगा।
वो बोली- मुझे विश्वास नहीं हो रहा है।
संध्या ने कहा- अगर तुझे विशवास नहीं हो रहा है तो हाथ लगा कर देख ले।
रीना ने हाथ लगा कर देखा तो बोली- दीदी, यह पूरा अन्दर कैसे घुस गया? मुझे तो कुछ पता ही नहीं चला।
संध्या ने कहा- जब तू थोड़ी देर की चुदाई के बाद पूरे जोश में आ गई थी तब ये बीच बीच में जोर का धक्का लगा देते थे। इससे इनका लण्ड थोड़ा थोड़ा कर के तेरी चूत के अन्दर घुसा जाता था। तू जोश में थी इस लिये तुझे कुछ पता ही नहीं चला।
मैंने अपनी स्पीड और तेज कर दी क्योंकि अब मैं झड़ने वाला था। 2 मिनट के अन्दर ही मैं झड़ गया तो रीना भी मेरे साथ ही साथ फिर से झड़ गई। मैंने अपना लण्ड उसकी चूत से बाहर निकल कर रीना से पूछा- चाटोगी?
उसने मेरा लण्ड देखा तो उस पर रस के साथ थोड़ा खून भी लगा हुआ था। वो बोली- जीजू, इस पर तो खून भी लगा हुआ है। मैं अगली बार चाट लूंगी।
संध्या ने कहा- तेरी चूत का ही तो खून है और यह पहली पहली बार निकला है, चाट ले इसे।
वो बोली- तुम कहते हो तो मैं चाट लेटी हूँ।
उसने मेरा लण्ड चाट चाट कर साफ़ कर दिया।
संध्या ने पूछा- चुदवाने में मज़ा आया?
वो बोली- हाँ, मज़ा तो आया लेकिन ज्यादा नहीं।
संध्या ने पूछा- क्यों। वो बोली- जब मुझे ज्यादा मज़ा आना शुरु हुआ तो जीजू झड़ गये।
संध्या ने कहा- अगली बार ज्यादा मज़ा आयेगा। इस बार तो इनका सारा समय तेरी चूत में रास्ता बनने में ही लग गया।
मैं रीना के बगल में लेट गया। वो मेरी पीठ को सहलाते हुये मुझे चूमती रही। 10 मिनट में ही मेरा लण्ड फिर से खड़ा हो गया। मैंने रीना को डॉगी स्टाईल में कर दिया और उसकी चुदाई शुरु कर दी। उसे इस बार चुदवाने में ज्यादा मज़ा आया और मुझे भी। उसने इस बार पूरी मस्ती के साथ खूब जम कर चुदवाया। मैंने भी उसे पूरे जोश के साथ बहुत ही जोर जोर के धक्के लगाते हुये खूब जम कर चोदा। इस बार मैंने लगभग 35 मिनट तक उसकी चुदाई की। रीना इस दौरान 4 बार झड़ गई थी।
मैं रीना के बगल में लेट गया। हम सब आपस में बातें करते रहे। लगभग 1 घण्टे के बाद संध्या ने मुझसे कहा- क्यों जी, तुम मुझे आज नहीं चोदोगे क्या। साली की कुंवारी चूत का मज़ा पाकर मुझे भूल गये क्या?
मैंने कहा- भला मैं तुम्हे कैसे भूल सकता हूँ, तुम तो मेरी बीवी हो। मैं रोज रोज घर का ही तो खाना खाता हूँ। कभी कभी होटल के खाने का मज़ा भी ले लेना चाहिये। तुम तो मेरे लिये घर का खाना हो और रीना होटल का। आज मैंने कुंवारी चूत का मज़ा लिया है इस लिये मैं तुम्हारी चूत को आज हाथ भी नहीं लगाऊगा। आज तो मैं तुम्हारी गाण्ड मारूंगा।
संध्या बोली- फिर मारो ना।
रीना बोली- जीजू क्या कह रहे हो?
मैंने कहा- ठीक ही कह रहा हूँ। यह कभी कभी मुझसे गाण्ड भी मरवाती है। गाण्ड मरवाने में भी खूब मज़ा आता है। तुम भी मरवाओगी?
वो बोली- पहले आप दीदी की गाण्ड मार लो। जरा मैं भी तो देखूँ कि दीदी आपका इतना लमबा और मोटा लण्ड अपनी गाण्ड के अन्दर कैसे लेती है।
संध्या घोड़ी बन गई तो मैंने संध्या की गाण्ड मारनी शुरु कर दी। रीना आंखे फ़ाड़े मेरे लण्ड को संध्या की गाण्ड में अन्दर बाहर होते हुये देखती रही। मैं 2 बार रीना की चुदाई कर चुका था इस लिये मैं जल्दी झड़ नहीं पा रहा था। संध्या सिसकारियां भरते हुये मुझसे गाण्ड मरवा रही थी। रीना संध्या को गाण्ड मरवाते हुये देख रही थी। उसकी आंखो में भी जोश की झलक साफ़ दिख रही थी। मैंने रीना से पूछा- कैसा लग रहा है।
वो बोली- बहुत ही अच्छा लग रहा है, जीजू।
मैंने पूछा- गाण्ड मरवाओगी?
वो बोली- फिर से दर्द होगा।
मैंने कहा- गाण्ड मरवाने में तो बहुत ही ज्यादा दर्द होता है।
वो बोली- ना बाबा ना, मैं गाण्ड नहीं मरवाऊँगी।
संध्या ने कहा- रीना , पहले तू खूब जम कर इनसे चुदवाने का मज़ा ले ले। उसके बाद एक बार गाण्ड भी मरवाने का मज़ा भी ले लेना।
मैंने लगभग 45 मिनट तक संध्या की गाण्ड मारी और झड़ गया।
मैंने कई दिनों तक रीना को खूब जम कर चोदा। उसे अब चुदवाने में बहुत मज़ा आने लगा था। मुझे भी कुंवारी चूत को चोदने का मज़ा मिल चुका था और मैं अब उसकी एकदम टाईट चूत को चोद रहा था। मैं रीना की गाण्ड भी मारना चहता था लेकिन उसे मैं खूब तड़पा तड़पा कर उसकी गाण्ड मारना चहता था। मैंने कई बार रीना के सामने संध्या की गाण्ड मारी तो एक दिन वो अपने आप को रोक नहीं पाई। वो मुझसे कहने लगी- जीजू, एक बार मेरी भी गाण्ड मार लो, मैं भी गाण्ड मरवाने का मज़ा लेना चाहती हूँ।
मैंने कहा- तुझे बहुत ज्यादा तकलीफ़ होगी।
वो बोली- होने दो।
मैंने उससे कहा- तू नहीं जानती है कि मैंने संध्या की गाण्ड पहली पहली बार कैसे मारी थी।
वो बोली- बताओगे तभी तो जानूंगी।
मैंने कहा- तो सुन, तूने वो पिल्लर देखा है ना जो आंगन में है।
वो बोली- हाँ, देखा है।
मैंने कहा- मैंने संध्या को खड़ा करके उसी पिल्लर में कस कर बांध दिया था। उसके बाद मैंने इसके मुँह में कपड़ा ठूंस कर इसका मुँह भी बन्द कर दिया था जिससे यह ज्यादा चिल्ला ना सके। उसके बाद ही मैं संध्या की गाण्ड मार पाया था। गाण्ड में लण्ड आसानी से नहीं घुसता है, बहुत मेहनत करनी पड़ती है और दर्द भी बहुत होता है। गाण्ड से बहुत ज्यादा खून भी निकलता है।
वो बोली- चाहे जो भी हो आप मेरी गाण्ड मार दो, मैं कुछ नहीं जानती।
मैंने कहा- तू कई दिनों तक बिस्तर पर से उठ भी नहीं पायेगी।
वो बोली- जब दीदी ने आप से गाण्ड मरवा लिया तो मैं क्यों नहीं मरवा सकती।
मैंने कहा- सोच ले, बहुत दर्द होगा। तेरी गाण्ड भी फट सकती है।
वो ज़िद करने लगी, मैं कुछ नहीं जानती, तुम मेरी गाण्ड मार दो बस।
मैंने कहा- अच्छा, कल मैं तेरी गाण्ड मार दूंगा।
वो बोली- नहीं आज ही और अभी मेरी गाण्ड मार दो।
संध्या मेरी बात सुनकर मुस्कुरा रही थी। वो जानती थी कि मैं झूठ बोल रहा हूँ। वो यह भी समझ गई थी मैं उसकी गाण्ड को बहुत ही बुरी तरह से मारना चाहता हूँ।
संध्या ने रीना से कहा- चल आंगन में। मैं संध्या और रीना के साथ आंगन में आ गया। संध्या कुछ कपड़े और रस्सी ले आई। उसके बाद मैंने रीना से कहा- तू पिल्लर को जोर से पकड़ कर खड़ी हो जा।
वो पिल्लर को पकड़ कर खड़ी हो गई। उसके बाद मैंने रस्सी से उसकी कमर को पिल्लर से बांध दिया। उसके बाद मैंने दूसरी रस्सी ली और उसके पैर को भी फैला कर पिल्लर से बांध दिया। फिर मैंने रीना के दोनों हाथ भी पिल्लर से बांध दिये।
वो बोली- जीजू, आपने तो मुझे ऐसे बांध दिया है कि मैं जरा सा भी इधर उधर नहीं हो सकती।
मैंने कहा- गाण्ड मारने के लिये ऐसे ही बांधना पड़ता है।
उसके बाद मैंने रीना के मुँह में कपड़ा ठूंस दिया और उसके मुँह को बांध दिया।
मैंने संध्या से कहा- अब तुम मेरे लण्ड को थोड़ा सा चूस लो जिस से ये पूरी तरह से सख्त हो जाये।
संध्या ने मेरे लण्ड को चूसना शुरु कर दिया तो थोड़ी ही देर में मेरा लण्ड पूरी तरह से लक्कड़ जैसा हो गया। मैंने संध्या के मुँह से अपना लण्ड बाहर निकला और रीना के पीछे आ गया। मैंने रीना की गाण्ड के छेद पर अपने लण्ड का सुपाड़ा रखा और पूरे ताकत के साथ जोर का धक्का मारा। रीना दर्द के मारे तड़पने लगी। वो अपना सिर इधर उधर पटकने लगी। उसका मुँह बंधा हुआ था इसलिये उसके मुँह से केवल गूओ गूओ की आवाज़ ही निकल रही थी। एक धक्के में ही मेरा लण्ड उसकी गाण्ड को चीरता हुआ 2″ तक घुस गया। उसकी गाण्ड से खून निकल आया।
मैंने दूसरा धक्का लगाया तो रीना के मुँह से बहुत जोर जोर से गूऊ गूऊ की आवज़ निकलने लगी। मेरा लण्ड 4″ अन्दर घुस गया। रीना की गाण्ड से और ज्यादा तेजी के साथ खून निकलने लगा। मैंने फिर से एक धक्का मरा तो मेरा लण्ड उसकी गाण्ड में 5″ तक घुस गया। उसके बाद मैंने एक ही झटके से अपना लण्ड उसकी गाण्ड से बाहर खींच लिया। पुक की आवज़ के साथ मेरा लण्ड रीना की गाण्ड से बाहर आ गया। रीना के मुँह से अभी भी जोर जोर से गूओ गूओ की आवाज़ निकल रही थी।
मैंने संध्या को अपना लण्ड दिखाते हुये कहा- इसकी गाण्ड तो बहुत ही तंग है। देखो कितना खून निकल आया है।
संध्या बोली- क्यों तड़पाते हो बेचारी को। घुसा दो ना अपना पूरा लण्ड इसकी गाण्ड में। मैंने कहा- ठीक है बाबा, घुसा देता हूँ।
मैंने रीना की गाण्ड के छेद पर फिर से अपने लण्ड का सुपाड़ा रख दिया। उसकी गाण्ड खून से भीगी हुई थी। मैंने बहुत ही जोर का एक धक्का लगाया तो मेरा लण्ड उसकी गाण्ड में 5″ तक घुस गया। उसके बाद मैंने 2 धक्के और लगये तो मेरा लण्ड उसकी गाण्ड में 7″ तक अन्दर घुस गया। रीना का सारा बदन पसीने से भीग गया था। वो अपना सिर पिल्लर पर पटक रही थी। उसकी आंखों से आंसू बह रहे थे। मुझे खूब मज़ा आ रहा था। मैं रीना की गाण्ड इसी तरह से मारना चाहता था। मेरी तमन्ना पूरी हो रही थी।
संध्या आंखे फ़ाड़े मुझे देख रही थी, उसने कहा- रहम करो इस बेचारी पर। क्यों तड़पा रहे हो इसे।
मैंने 2 बहुत ही जोरदार धक्के और लगाये तो मेरा पूरा का पूरा लण्ड रीना की गाण्ड में समा गया।
पूरा लण्ड घुसा देने के बाद भी मैं रुका नहीं, मैंने तेजी के साथ रीना की गाण्ड मारनी शुरु कर दी। रीना के मुँह से गूओ गूओ की आवाज़ निकल रही थी। उसकी गाण्ड बहुत ही ज्यादा टाईट थी इस लिये मेरा लण्ड उसकी गाण्ड में आसानी से पूरा अन्दर बाहर नहीं हो पा रहा था। मैंने पूरे ताकत के साथ धक्के लगा रहा था। 10 मिनट के बाद मेरा लण्ड थोड़ा आसानी से अन्दर बाहर होने लगा। रीना के मुँह से भी ज्यादा आवाज़ नहीं निकल रही थी। मैंने रीना से पूछा- मुह खोल दूं।
उसने अपना सिर हाँ में हिला दिया।
मैंने पूछा- चिल्लओगी तो नहीं। उसने अपना सिर ना में हिला दिया।
मैंने रीना का मुँह खोल दिया और उसके मुँह से कपड़ा बाहर निकल लिया। वो रोते हुये बोली- जीजू, आपने तो मुझे मार ही डाला। क्या इसी तरह से गाण्ड मारी जाती है।
मैंने कहा- हाँ, गाण्ड इसी तरह से मारी जाती है। अगर मैंने तुम्हारा मुँह बांधा नहीं होता तो तुम कितनी जोर जोर से चिल्लाती, यह तुम अब समझ गई होगी।
वो बोली- आप सही कह रहे हो, तब तो मैं बहुत चिल्लाती।
मैंने कहा- अगर मैंने तुम्हें पिल्लर से ना बांधा होता तो अब तक कई बार अपना चूतड़ इधर उधर करती और मैं तुम्हारी गाण्ड में अपना लण्ड नहीं घुसा पाता।
वो बोली- जीजू, आप एकदम सही कह रहे हो। मैंने तो आप को धकेल ही दिया होता।
मैंने कहा- अब तुम ही बताओ मैंने सही किया या नहीं?
वो बोली- आपने बिलकुल ठीक किया। ऐसे ही करना चाहिये था। अब तो मुझे पिल्लर से खोल दो।
मैंने कहा- पहले मैं तुम्हारी गाण्ड तो मार लूं फिर खोल दूंगा।
वो बोली- तो मारो ना।
मैंने पूछा- कुछ मज़ा आ रहा है।
वो बोली- अभी तो बहुत ही कम मज़ा आ रहा है।
मैंने रीना की गाण्ड मारनी शुरु कर दी। मैं पूरे ताकत के साथ जोर जोर के धक्के लगा रहा था। रीना को भी अब मज़ा आ रहा था। उसके मुँह से सिसकारियां निकल रही थी। 10 मिनट तक उसकी गाण्ड मारने के बाद मैं झड़ गया। मैंने अपना लण्ड रीना की गाण्ड से बाहर निकाला और रीना को दिखाते हुये कहा- देखो कितना खून निकला है तुम्हारी गाण्ड से।
वो आंखे फ़ाड़े मेरे लण्ड को देखने लगी, वो बोली- जीजू, अब तो खोल दो मुझे।
मैंने कहा- एक बार तुम्हारी गाण्ड और चोद लूं फिर खोल दूंगा।
वो बोली- कमरे में मार लेना।
मैंने कहा- तुम फिर से चिल्लओगी।
वो बोली- मैं अपना मुँह बंद रखने की कोशिश करुंगी।
मैंने संध्या से कहा- खोल दो रीना को।
संध्या ने रीना के हाथ पैर खोल दिये। रीना बाथरूम जाना चाहती थी लेकिन वो बिल्कुल भी चल फिर नहीं पा रही थी। संध्या उसे सहारा देकर बाथरूम में ले गई। रीना ने अपनी गाण्ड और चूत को साबुन से साफ़ किया। फिर संध्या उसे कमरे में ले आई। मैं कमरे में आया तो रीना बेड पर लेटी थी। मैं उसके बगल में लेट गया। 1 घन्टे के बाद मैंने फिर से रीना की गाण्ड मारनी शुरु की। वो थोड़ी देर तक चिल्लाई फिर शान्त हो गई। उसके बाद उसे खूब मज़ा आया और मुझे भी। उसने मुझसे खूब जम कर गाण्ड मरवाई।
धीरे धीरे 6 महीने गुजर गये। रीना मुझसे खूब जम कर चुदवाती रही और गाण्ड मरवाती रही। मुझे भी रीना की चुदाई करने में और उसकी गाण्ड मारने में खूब मज़ा आता था। एक दिन मैंने दुकान के नौकर रामू को कुछ फ़ाईल लाने के लिये घर भेजा। उसने घर पर रीना को देखा तो रीना उसे बहुत पसन्द आ गई। रामू की उमर भी 20 साल की थी और वो अभी कुंवारा ही था। उसने मुझसे रीना के बारे में पूछा तो मैंने उसे बता दिया कि वो संध्या के गावँ की रहने वाली है।
उसने मुझसे कहा कि वो रीना से शादी करना चहता है।
मैंने कहा- ठीक है, मैं रीना से पूछ लूं फिर बता दूंगा।
रात में जब मैं घर आया तो मैंने रीना से बात की तो वो तैयार हो गई। उसे भी रामू पसन्द आ गया था।
उसने मुझसे कहा- जीजू, एक दिक्कत है।
मैंने पूछा- वो क्या?
वो बोली- आप मुझे बहुत ही अच्छी तरह से चोदते हैं और मेरी गाण्ड भी मारते हैं। अगर मैं शादी कर लूंगी तब मैं आप से मज़ा कैसे ले पाऊंगी?
मैंने कहा- पगली, तू अपनी दीदी से मिलने के बहाने आ जाया करना। मैं तेरी चुदाई कर दूंगा और तेरी गाण्ड भी मार दूंगा। सारी ज़िंदगी तू कुंवारी तो नहीं रही सकती।
वो बोली- फिर ठीक है।
मैंने रीना के माता पिता से बात की तो वो भी तैयार हो गये। कुछ दिनों के बाद रीना की शादी रामू से हो गई। रविवार को दुकान की छुट्टी रहती है। रीना हर रविवार के दिन संध्या से मिलने आती है और मैं सारा दिन खूब जम कर उसकी चुदाई करता हूँ और उसकी गाण्ड भी मारता हूँ।
एक दिन जब मैं रात को दुकान से घर आया तो रीना घर पर आई हुई थी। उसके साथ एक औरत और थी। वो भी बहुत ही खूबसुरत थी लेकिन थी थोड़ी मोटी। उसकी उमर भी 20 साल के लगभग रही होगी।
मैंने रीना से कहा- आज तो रविवार नहीं है, फिर आज कैसे और यह तेरे साथ कौन है?
वो बोली- यह मीना है, मेरी भाभी। आपसे चुदवाने आई है।
मैंने कहा- तू क्या कह रही है?
वो बोली- जीजू, भोले मत बनो। आप इतनी अच्छी तरह से मेरी चुदाई करते हैं और मेरी गाण्ड मारते हैं, मैं क्या कभी भूल सकती हूँ। भाभी मेरे बारे में सब जानती हैं क्योंकि यह मेरी सहेली की तरह हैं और मैंने इन्हें सब कुछ बता दिया है। मैं इन से कुछ भी नहीं छुपाती हूँ। इनकी शादी हुये 3 साल गुजर गये हैं और यह अभी तक माँ नहीं बन पाई है। मैंने इनसे कह दिया था कि मैं तुझे अपने जीजू से चुदवा दूंगी। तुझे चुदाई का पूरा मज़ा भी मिल जायेगा और तू माँ भी बन जायेगी। यह तैयार हो गई। उसके बाद मैंने भैया से कहा कि भाभी को मेरे पास 1 महीने के लिये भेज दो। मैं इसका इलाज़ बहुत ही अच्छे दोस्तों से करा दूंगी। भैया ने इसे मेरे पास भेज दिया और मैं इसे आप के पास ले आई हूँ। अब आप इसका इलाज़ बहुत ही अच्छी तरही से कर दो। आप को फिर से एक कुंवारी चूत को चोदने का मौका मिल जयेगा।
मैंने कहा- यह कुंवारी थोड़े ही है।
रीना बोली- इसने मुझे बतया था कि भैया का लण्ड केवल 4″ का ही है और आपका लण्ड तो बहुत लम्बा और मोटा है। आपके लण्ड के लिये इसकी चूत कुवांरी जैसी ही है।
मैंने कहा- ठीक है मैं इसका इलाज़ कर दूंगा। लेकिन जैसे मैंने तेरी गाण्ड मारी थी ठीक उसी तरह मैं पहले इसकी गाण्ड मारुंगा।
उसके बाद ही मैं इसकी चूत को हाथ लगाऊँगा।
तभी मीना बोल पड़ी- जीजू, मुझे तो केवल माँ बनना है और आप से चुदवने का खूब मज़ा लेना है। आप जो भी चाहो मेरे साथ करो, बस मुझे माँ बना दो और मुझे चुदाई का पूरा मज़ा दे दो।मैंने रीना से कहा- जब मैं इसे चोद दूंगा तो इसकी चूत एकदम चौड़ी हो जायेगी। उसके बाद जब यह तेरे भैया से चुदवायेगी तो उनहेन इसकी चूत एकदम ढीली लगेगी तो वो क्या कहेंगे।
रीना बोली- वो कुछ भी नहीं कह पायेगे। मैं वही बहाना बना दूंगी जो मैंने रामू से से बनाया था।
मैंने पूछा- तूने रामू से क्या कहा था?
रीना बोली- जीजू, रामू को जब मेरी चूत चुदी हुई लगी थी तो मैंने रामू से कहा था की मेरी चूत में कुछ दिक्कत थी। डॉक्टर ने मेरी चूत में एक औजार डाला था जिस से मेरी चूत का मुँह एकदम चौड़ा हो गया।
मैंने कहा- तू तो बड़ी चालाक निकली।
रीना मुस्कुराने लगी।
मैंने रीना और संध्या से कहा- तुम दोनों इसे भी आंगन में ले जाओ और पिल्लर से बांध दो।
रीना और संध्या उसे लेकर आंगन में चले गये। थोड़ी देर बाद रीना मेरे पास आई और बोली- जीजू, आपका खाना तैयार है, चल कर खा लो।
मैं समझ गया कि रीना क्या कह रही है, मैंने कहा- चलो।
मैं रीना के साथ आंगन में आ गया। मैंने जैसे रीना की गाण्ड मारी थी ठीक उसी तरह उसकी भाभी की गाण्ड भी मारी। मुझे मीना की गाण्ड मरने में ज्यादा मज़ा आया क्योंकि मोटी होने की वजह से उसकी गाण्ड गद्देदार थी। उसे भी बहुत दर्द हुआ और उसकी गाण्ड से भी ढेर सारा खून निकला। उसके बाद रीना और संध्या उसे कमरे में ले आये। मैंने सारी रात कमरे में ही खूब जम कर उसकी गाण्ड मारी। 2 बार जब मैं उसकी गाण्ड मार चुका तो उसके बाद उसे भी गाण्ड मरवाने में खूब मज़ा आने लगा।
दूसरे दिन से मैंने उसकी चुदाई शुरु की। उसकी चूत भी गद्देदार थी। पहली पहली बार वो बहुत चीखी और चिल्लाई लेकिन बाद में उसे खूब मज़ा आने लगा। मुझे उसकी चूत की चुदाई करने में कुछ ज्यादा ही मज़ा आया। उसे भी मेरा लण्ड बहुत पसन्द आ गया। उसकी चूत मेरे लण्ड के लिये किसी कुंवारी चूत से कम नहीं थी। 1 महीने तक मैंने उसकी तरह तरह के स्टाईल में खूब जम कर चुदाई की और उसकी गाण्ड मारी। वो मुझसे अभी चुदवाना चाहती थी। उसने रीना से अपने मन की बात बता दी। रीना के भैया आये तो रीना ने उनसे कहा की अभी इलाज़ पूरा नहीं हुआ है। डॉक्टर ने 2 महीने और रुकने को कहा है। वो खुशी खुशी वापस गावँ चले गये।
15 दिनों के बाद जब मीना को महीना नहीं हुआ तो रीना और संध्या उसे डॉक्टर के पास ले गये। डॉक्टर ने बताया कि वो माँ बनने वाली है। मीना बहुत खुश हो गई। उसने मुझे और ज्यादा जम कर चुदवाना शुरु कर दिया। मुझे मीना की गद्देदार चूत ज्यादा पसन्द आ गई थी इसालिये मैंने ज्यादातर उसके चूत की ही चुदाई की। मैंने अगले 1 1/2 महीने तक मीना को खूब जम कर चोदा और उसकी गाण्ड भी मारता रहा। उसके बाद वो गावँ चली गई। अब मैं केवल संध्या और रीना को ही चोदता हूँ। संध्या भी अब मां बनने वाली है।
कोठे की कुतिया में आपने Sex Stories पढ़ा कि मौसी ने किस तरह से मुझे एक रंडी बना दिया था।
अब पढ़िए कि किस तरह से मौसी ने मेरी चूत और गांड का भोंसङा बना दिया।
मैं और मोनी मौसी के साथ एक पारदर्शी मैक्सी पहन कर ऊपर की तरफ चले गए जहा मोंटी अंकल हमारा इंतजार कर रहे थे। अंकल को देखकर मौसी बोली- डार्लिंग मस्त लोंडिया तुम्हरे लिए बचाकर रखी हुई है, छूते ही मस्तिया जाओगे और तुम्हारा चेला कहाँ है? मोनी को उसके लिए बचाकर रखा है।
अंकल बोले- टीनू आ रहा है, वो जरा दारू का इंतजाम कर रहा है।
मौसी ने पहले ही मुझे काफी बातें सिखा दी थी कि ग्राहक की सेवा कैसे की जाती है। मैं अंकल के पास जाकर बेठ गई और उनके लौड़े को जींस के ऊपर से रगड़ने लगी।
अंकल मेरे चूतड़ मसलते हुए बोले- मौसी, तुम यह झबले क्यों पहना लाती हो ?
मौसी के इशारे पर मैंने अपनी मैक्सी उतार दी।
अंकल मुस्कराए और बोले- समझदार है !
उन्होंने आगे से मेरी उभरी हुई चूत पर हाथ फेर कर कहा- साली की पाव रोटी तो बड़ी चकाचक है ! ज्यादा चुदी भी नहीं लगती है !
मौसी बोली- बिलकुल ताजा माल है ! पीछे से तो पूरी कुंवारी है आगे से भी लंड छुली हुई है बस। आज तुम्हें इसकी चूत का भोंसड़ा बनाना है।
अंकल गरम हो रहे थे उन्होंने जींस में से लौड़ा निकाल कर मेरे हाथ में पकड़ा दिया। थोड़ा सहलाने के बाद मैंने अंकल का लंड अपने मुँह में ले लिया और चूसने लगी। मेरी चूत चुदने को पगला रही थी। मौसी बाहर जाने लगीं और मुझसे बोली- अंकल जैसे कहें वैसा करना ! अगर अंकल खुश नहीं हुए तो तेरी चूत और गांड की भोंसड़ी तो बनाउंगी ही, साथ ही साथ चेहरा भी इतना सुंदर कर दूँगी कि कोई तुझे चोदने के दो रुपए भी नहीं देगा।
मौसी मोनी को लेकर बाहर चली गई और बोली- अंकल, मौज करो ! टीनू को दूसरे कमरे में बैठा दूँगी।
अंकल का लंड बहुत सुंदर था। आट इंच लम्बा लंड किसी भी औरत की चूत चोद चोद कर फाड़ने के लिए काफी था।
मैं अंकल का लंड मुँह में आगे पीछे करते हुए मस्ती से चूस रही थी। सच मुझे बहुत मज़ा आ रहा था। अंकल ने मेरे चूतड़ थपथपाते हुआ कहा- थोड़ा अपनी चूत चुसवा ! बहुत मस्त लग रही है।
उन्होंने मेरी टाँगें खींच कर अपने मुँह की तरफ कर ली अब मैं और अंकल 69 कि अवस्था में एक दूसरे के ऊपर थे, अंकल नीचे से मेरी चूत के होंठ चूस रहे थे और मेरे मुँह में उनका लौड़ा गरम हो रहा था। मेरी बुर पानी छोड़ने लगी थी, हम दोनों एक दूसरे से बुरी तरह चिपके हुए चूत और लंड की चुसाई का मज़ा ले रहे थे।
थोड़ी देर बाद अंकल ने मुझे ऊपर से हटा दिया और सीधे पलंग पर लेटा दिया और अपने तने हुए लंड को हाथ से पकड़ कर मेरी चूत पर फिराने लगे। मैं चुदने के लिए बुरी तरह से पगलाने लगी। मेरे मुँह से ऊह आह आह आह अंकल चोदो मुझे चोदो जैसी आवाजें निकलने लगी।
अंकल ने थोड़ी देर में अपना लंड मेरी चूत में घुसा दिया और मेरी दोनों चूचियां दबाकर कर एक जोर का झटका दिया। मैं एकदम से बुरी तरह से चिल्ला उठी। अंकल का लंड मेरी चूत में अंदर तक घुस चुका था। मेरी चीख निकल गई- उईऽऽ मर गई ! मर गई ! मर गई, छोड़ो ! बहुत दुःख रही है छोड़ो !
अंकल ने मेरे दूध भोंपू की तरह दबाते हुए मेरी चुदाई शुरू कर दी। थोड़ी ही देर में मुझे चुदने में मजा आने लगा। अब मैं मस्त होकर चिल्ला रही थी, मेरे मुँह से ऊ ऊहं ऊहं ओह आह आह अहह बड़ा मज़ा आया और चोदो चोदो आह आह बहुत मज़ा आ रहा है जैसे आवाजें निकलने लगी।
अंकल चोदने में बहुत माहिर थे, कभी धीरे धीरे लंड अंदर-बाहर करते थे और कभी तेज कर देते थे। बराबर वो चूचियां और चुचक भी मसल रहे थे और होठों पर भी काट रहे थे। उनकी चुदाई में एक मज़ा था। मेरे होठों में अपने होंठ डालते हुए अंकल बोले- कुतिया थोड़ी गांड हिला हिला कर लंड अंदर ले ! बहुत मज़ा आयेगा।
मैं अपनी गांड धीरे धीरे हिलाने लगी। अब मेरी चुदने की मस्ती बढ़ गई थी, चुदने का मज़ा दुगना हो गया था। थोड़ा चोदने के बाद अंकल ने मुझे तिरछा कर दिया और मेरी टांग उठाकर पीछे से मेरी चूत में लंड डाल दिया और पीछे से मेरी चूत में धीरे धीरे धक्के मारने लगे।
मैं इस समय चरम सीमा का अनुभव कर रही थी, मेरी चूत बहुत तेज धार से पानी छोड़ रही थी। अंकल ने भी अपना वीर्य छोड़ दिया। मेरी चूत पूरी वीर्य से भर गई थी। मुझे आज चुदाई में एक चरम सीमा का आनंद आया।
बहुत दिनों के बाद मैं चुदी थी, चुदने के बाद मैं मस्तिया कर लेट गई। अंकल उठे और उन्होंने डीवीडी पर एक नग्न मूवी लगा दी और कमरे में रखे फ़्रिज से दारू की बोतल निकाल ली और दारू का ग्लास बना लिया। मूवी में दो हब्शी एक लड़की की गांड और चूत एक साथ मार रहे थे। अंकल अपना लौड़ा सहलाने लगे, थोड़ी देर में अंकल का लंड फिर खड़ा हो गया था। उन्होंने मुझे इशारा किया, मैं उठकर अंकल के पास आ गई। अंकल ने मुझे अपनी गोद में बिठा लिया।
उनका लौड़ा पूरा तन गया था। उन्होंने दारू का ग्लास मुझे पकड़ा दिया और मेरी टांगें चौड़ी कर थोड़ा नीचे को फिसलते हुए अपना लंड मेरी चूत में डाल दिया। अब मैं अंकल के लौड़े पर बैठी हुई थी। एक हाथ से अंकल दारू का ग्लास पकड़े हुए थे और एक हाथ से कभी मेरी चूत का दाना सहला देते और कभी चुचक दबा देते। ब्लू फिल्म मैं भी बड़े प्यार से देख रही थी अंकल ने मेरी चूत में अपना लौड़ा फिट कर रखा था। बीच बीच में वो एक दो धक्के मुझे उचका के मार देते थे। मेरा बदन एक बार फिर गरम होने लगा था।
हम दोनों सोफा कुर्सी पर बैठे थे जिसके हत्थे नहीं थे। अंकल ने मेरी चुचकों पर चुटकी काटी और मेरे स्तन दबाते बोले- जरा साइड में देख !
साइड में एक बड़ा शीशा लगा हुआ था, मैं नंगी शीशे में देखकर शरमा गई। अंकल ने मुझे बैठे हुए ही कुर्सी मोड़ दी अब मैं शीशॆ के सामने थी और नंगी उनके लंड पर बैठी हुई अपने को देख रही थी। मैं पूरी रंडी बनी हुई थी अंकल ने अपनी टाँगें चौड़ी कर दी।मेरी चूत और उसमें घुसा हुआ लंड अब साफ़ दिख रहा था। अंकल मुझे कमर से पकड़ कर धीरे धीरे उछालने लगे और बोले- थोड़ा लौड़े पर कूद ले ! मौसी की रंडियां इतनी शर्माती तो नहीं हैं ! मस्ती से चुदवा, नहीं तो मौसी से शिकायत करनी पड़ेगी।
मौसी का नाम सुनकर मैं डर गई और उनके लौड़े पर उछल-उछल कर खुद चुदने लगी। आज तक मैं अपने पति से कभी रौशनी में नहीं चुदी थी। अब यहाँ चूत चौड़ी कर खुद चुद रही थी और अपनी चुदाई शीशे में देख रही थी। अंकल भी अब अपना लौड़ा गांड हिला हिला कर तेजी से पेल रहे थे, लेकिन मुझे चुदाई में जन्नत का मज़ा आ रहा था। मैं चुदाई की मस्ती में नहा रही थी। अंकल ने कुछ देर बाद मुझे सोफे के नीचे बैठा दिया और अपना मोटा लंड मेरे मुँह में ठूंस दिया और अपना सारा लंड रस मेरे मुँह में उतार दिया। मेरा मुँह अंकल के लंड रस से भर गया जिसे मुझे अपने अंदर लेना पड़ा इसके बाद अंकल ने मुझे छोड़ दिया। मैं पेशाब करने बाथरूम में चली गई बाथरूम में दरवाज़ा नहीं था केवल पर्दा पड़ा था।
रात के तीन बज़ रहे थे, अंकल ने दूसरी ब्लू फ़िल्म लगा ली और मुझे बगल में बैठा लिया। उन्होंने मेरे गले में हाथ डाल लिया और थोड़ी देर बाद बोले- जा जरा मेरी पैंट की जेब में एक थैली पड़ी होगी, उसे लेकर आ।
मैं थैली लेकर आ गई। उसमें एक गोली का पत्ता था और एक ट्यूब रखी थी। अंकल ने एक गोली निकाल कर खा ली और ट्यूब साइड में रख ली। ब्लू देखते हुए अंकल मेरी चूचियां दबा रहे थे और चूचक नोच रहे थे। मैं अब थक रही थी और मेरी चूत की प्यास शांत हो चुकी थी।
थोड़ा इतरा कर मैं बोली- डार्लिंग, नींद आ रही है, सोने जाने दो न !
अंकल बोले- बस अभी से? अभी तो तुम्हरी गांड भी नहीं मारी है। अच्छा एक काम करो इस ट्यूब से क्रीम निकाल कर मेरे लौड़े पर मलो, मरती क्या नहीं करती ! मैं झुककर अंकल के लौड़े पर क्रीम मलने लगी। अंकल ने क्रीम से सनी दो ऊँगली एक साथ मेरी गांड में अंदर तक घुसा दी। मैं अनमने मन से उई उई करते हुए अपनी गांड में ऊँगली घुसवा रही थी और अंकल के लौड़े और सुपाड़े पर क्रीम की मालिश कर रही थी। थोड़ी देर बाद अंकल ने मुझे लौड़ा चूसने के लिए बोल दिया। अब अंकल का क्रीम लगा चिकना लौड़ा मैं मुँह में चूसने लगी। मुझे ऐसा लग रहा था कि सेक्स मस्ती की जगह मैं जैसे कोई सेक्स की मजदूरी कर रही हूँ।
अंकल अब ऊँगली की जगह अपने पैन को मेरी गांड में आगे पीछे कर रहे थे। मुझे लग रहा था कि अब मेरी गांड फाड़ी जाएगी। थोड़ी देर बाद अंकल ने मुझे फिर बगल मैं बैठा लिया। अंकल का लंड तनतना रहा था। लेकिन अब मेरा चुदने का मन नहीं हो रहा था। थोड़ी देर बाद मुझे पेशाब आने लगी। मैं उठी और मुस्करा के बोली- अंकल पेशाब कर के आती हूँ !
अंकल कुटिलता से मुस्कराए और बोले- ठीक है !
मैं उठी और बाथरूम में चली गई।
जब मैं पेशाब कर के उठी तो देखा अंकल पीछे खड़े थे और उनका लंड उछाल मार रहा था। अंकल ने पीछे से कमर से मुझे पकड़ लिया और बोले पीछे का माल तो तेरा बड़ा मस्त है, चल झुक जरा तेरी गांड तो चोद दूँ ! क्या मस्त दिख रही है !
अंकल की पकड़ बड़ी मजबूत थी, मुझे कुतिया की तरह झुकना पड़ा। मैंने अपने हाथ इंग्लिश टोइलेट सीट पर लगा दिए। उन्होंने अपनी दो उंगलियाँ मेरी गांड में डाल दी और कस कस के गोल गोल गांड के अंदर घुमा दी। मैं ऊई ऊई कर के कराह उठी। अंकल ने ढेर सारा थूक मेरी गांड पे डाल कर अपना सुपारा मेरी गांड के मुँह पर रख दिया और एक तेज झटका मारकर सुपारा मेरी गांड में घुसा दिया। मेरी चीख निकल गई और मैं चिल्ला उठी- उई उई मर गई मर गई !
लेकिन रंडी तो बजने के लिए ही बनी है, अंकल अब अपना लंड मेरी गांड में घुसा रहे थे, चिकना लंड मेरी गांड में अंदर तक घुसता जा रहा था। मेरी आँखों के आगे अँधेरा छाने लगा था। अंकल ने अपना पूरा लंड मेरी गांड में ठूस दिया था मुझे ऐसा लगा कि मैं बेहोश हो जाउंगी। मैं चीख कम और रो ज्यादा रही थी। मेरे दोनों चूतड़ फाड़ दिए गए थे। अगले दो मिनट बाद ही में बहुत तेजी से चिल्ला उठी। अंकल ने पूरा लंड बाहर खींच कर फिर दुबारा एक झटके में अंदर डाल दिया था। मेरी चीख बहुत तेज थी। पूरी नीचे गली तक गई होगी क्योंकि रात के तीन बज़ रहे थे और एक शांति सी थी। लेकिन यहाँ तो रोज लड़कियां बजती थीं इसलिए मुझे उम्मीद नहीं थी कि कोई मुझे बचायेगा अब कोठे की कुतिया के दोनों छेद फट गए थे, अंकल ने मेरी गांड बजाना शुरू कर दी थी। वाकई चुदाई तो मेरी अब हो रही थी, अभी तक तो मैं चूत लौड़े की मस्ती ले रही थी जो शरीफ औरतें रोज़ अपने पति से लेती हैं। चुदाई क्या होती है यह तो बस रंडी ही जानती है।
वाकई मौसी ने मुझे कुतिया बनाकर कोठे पर चुदवा दिया था। मेरे मुँह से बार बार उई मर गई फट गई बचाओ छोड़ो मुझे छोड़ो ऊ मर गई ऊ ओई ऊ ओई ऊ ओई फट गई की आवाजें निकल रही थीं अंकल ने दस मिनट तक मेरी गांड बुरी तरह से ऐसे चोदी जैसे कि सड़क की कुतिया की कुत्ते चोदते हैं। उसके बाद उन्होंने अपना वीर्य मेरी गांड में छोड़ दिया। मैं बाथरूम में ही लेट गई थी। अंकल ने मुझे उठाकर पलंग पर डाल दिया।
अब मेरी गांड और चूत दोनों फट गई थीं। अंकल मेरी बगल में लेट गए थे।
आधे घंटे बाद मौसी एक आदमी और एक रंडी जिसका नाम शोभा था, के साथ अंदर आई और बोली- अंकल, क्या हुआ ? ठंडे पड़ गए?
अंकल मुस्कराए और बोले- तीन राउंड निपटा चुका हूँ, तेरी कुतिया ठंडी पड़ी है।
अंकल उठकर पलंग के पास सोफा कुर्सी पर बैठ गए। मौसी ने मेरी चूत पे हाथ फिराया और बोली- तेरी मुनिया तो बड़ी चकाचक हो रही है। बड़े आराम से लेटी हुई है, लगता है जैसे कि हनीमून के मज़े ले रही हो ! चल उठ और धंधा कर साली ! जब तक तेरी मुनिया बुरी तरह से सुजेगी नहीं, तब तक चुद ! उसके बाद तुझे खुद ही नींद आ जाऐगी। चल उठ और ग्राहक के लिए ग्लास बना। मैं खड़ी हो गई। जानी पलंग पर बैठ गया।
शेष दूसरे भाग में ! Sex Stories
गुरुजी को सबसे पहले Sex Stories और फिर अंतर्वासना के पाठक-समूह को मेरी तरफ से यानि कि आंचल की तरफ से बहुत बहुत प्यार- दुलार !
इस वेबसाइट पर प्रकाशित होने वाले किस्से पढ़-पढ़ कर मुझे अपनी प्यास बुझाने का रास्ता मिला।
मेरी उम्र 28 साल की है, मैं पंजाब की रहने वाली हूँ। मेरे ब्रा का नाप है छत्तीस, कमर अठाईस और गांड छत्तीस !
मैं एक गरीब परिवार से लेकिन सपने आसमान छूने के थे। हम तीन बहने हैं। मैं चौदह साल की थी जब मेरे पापा ने आत्महत्या कर ली थी। तीन बच्चों की माँ होने के बाद भी मेरी माँ में इतनी आग थी, कसा हुआ जिस्म जिसको सम्भालने के लिए मर्द भी ज़बरदस्त चाहिए था। इससे आगे मैं क्या कहूँ आप समझदार हो !
पिता की मौत के बाद बड़ी बहन को नानी ले गई, उसकी शादी, पढ़ाई की जिम्मेदारी ली, अपने किसी अमीर यार से मिलकर उसके खर्चे पर दूसरी वाली को बोर्डिंग में डाल दिया।
रह गई मैं ! मुझे कमरे में सुला कर माँ दूसरे कमरे में रंगरलियाँ मनाती, ऐश करती !
मैं भी जवानी की दहलीज़ पर थी। आए दिन उसका नया आशिक पैदा हो जाता, मैं छुप कर देखती तो पहले पहले मुझे माँ पर बहुत गुस्सा आता, फिर सब देख मुझे अजीब जा एहसास होने लगा, मेरे छोटे-छोटे चूचक तन जाते, पैंटी गीली होने लगती। अब मेरा भी दाना कूदता था। मेरे कदम डोलते वक़्त नहीं लगा।
माँ जवान लड़कों, कॉलेज के लड़कों को भी अपने हुस्न-जाल में फंसाती। उनमे से एक लड़का बबलू जिसकी असल में आँख मुझ पर थी, माँ मुझ तक आने का जरिया थी।
एक दिन वो उस समय आया जब उसे मालूम था कि माँ घर में नहीं है। अन्दर आते ही कुण्डी लगा ली और मुझे दोनों कन्धों से पकड़ कर दोस्ती करने के लिए कहने लगा। मेरी बदन में कर्रेंट सा लगा। इससे पहले मैं कुछ बोलती, उसने अपने होंठ मेरे होंठों पर रख दिए, मना करने का मौका नहीं दे रहा था। उसने मुझे उठाया और सीधा माँ के कमरे में ले गया और बिस्तर पर डाल मुझे पर छा गया। उसने मेरा एक-एक कपड़ा उतार दिया और खुद के भी सारे कपड़े उतार दिए। फ़िर मेरे मुँह में लौड़ा डालने लगा तो मैं काफी छटपटाई, टांगे मारी लेकिन उसमें बहुत दम था। उसने मुझे इस कदर जकड़ लिया कि मैं हिल नहीं पाई, मुझे उसका चूसना पड़ा और मेरी चूत पर थूक लगाते हुए उसने मेरी सील बंद चूत पर मेरे ही थूक से गीला लौड़ा रख दिया। उसका एक हाथ मेरे मम्मे पर था। सेब जैसे छोटे मम्मे तन गए थे। जब उसने लौड़ा मेरी चूत पर रगड़ा तो मुझे मजा आने लगा।
अचानक एक ज़बरदस्त वार हुआ और फड़क की आवाज़ से चीरता हुआ उसका आधे से ज्यादा लौड़ा मेरी चूत में खून से लथपथ !
मेरा मुँह उसने अपने हाथ से दबा रखा था। कुछ पलों के लिए मुझे लगा कि आज मेरा इस दुनिया में आखिरी दिन है। मैं रोने लगी, उसके तरले, मिन्नतें करने लगी। तभी उसने एकदम लौड़ा मेरी चूत से निकाल लिया और पास पड़ी मेरी पैंटी से उसने खून साफ़ किया।
अपने लौड़े को भी थूक लगा फिर घुसा दिया उसने !
कुछ मिनट बाद मैं सामान्य होने लगी और अब वही लौड़ा मुझे मजे देने लगा, खुद चुदवाने लगी। दोनों एक साथ झड़ गए और हांफने लगे। उसने मुझे औरत बना डाला। उसने मुझे एक बार फिर से ठोका।
अब आये दिन मौका देख वो आता, मुझे बजाता, चला जाता !
फिर कुछ और लड़कों से मेरे संबंध बने, जिनकी चर्चा होने लगी !
मेरी जवानी एकदम से आग उगलने लगी, किसी का भी लौड़ा ले लेती थी मैं ! अपनी माँ पर गई थी मैं !
सर्दियों के दिन थे, घना कोहरा पड़ता था। मैं सुबह स्कूल से पहले ट्यूशन पढ़ने जाती थी। मेरे पीछे एक चमकती कार आने लगी और आखिर मेरा भी दिल करता कि मैं भी ऐसे घर जाऊं और एक रोज़ उसकी खिड़की ठीक मेरे पास आकर खुली और मुझे बिठा कर कार चल पड़ी। उसने मुझे अपने बारे में बताया, मेरे बारे में पूछा, मेरा नंबर लिया और फ़िर रोज़ आता।
एक दिन वो कार साइड पर लगा मेरे जिस्म से खेला। उसने मुझे कहा- मैं तुझसे शादी करना चाहता हूँ, उसके बाद ही कुछ करेंगे !
वो मुझसे उम्र में काफी बड़ा लगता था, उसके शॉपिंग मॉल, रेस्टोरेंट थे। वो सरदार था और उसकी गाँव में बहुत ज़मीन थी, उसके बाल कटे हुए थे।
जल्दी किसी ने माँ को बता दिया की तेरी छोरी रोज़ किसी की कार में बैठती है।
माँ ने मुझे बिठाया और पूछा।
मैंने सब कुछ बताया।
माँ ने जब देखा कि कितने अमीर घर में उसकी बेटी जा सकती है तो उसके वारे-न्यारे थे।
एक रोज़ वो घर आया और माँ से मेरा हाथ माँगा।
माँ ने कहा- इतनी जल्दी शादी कैसे कर पाऊँगी?
उसने कहा- मुझे कुछ नहीं चाहिए, तीन कपड़ों में ले जाना है !
चुन्नी चढ़ाई हुई और चार फेरे लेकर मैं उसकी हो गई। शादी के चार दिन बाद उसने एक बहुत बड़ी रेसेप्शन पार्टी रखी जिसमें उसने अपने सारे रिश्तेदारों, दोस्तों को बुलाया। मुझ जैसी कातिल हसीना से शादी कर स्टेज पर बैठ कर बहुत खुश था !
अब वो मेरे साथ चिपका रहता लेकिन मेरी तसल्ली नहीं कर पा रहा था। मैं सिर्फ ऊपर से खुश थी लेकिन उसका लौड़ा वैसा नहीं था जिसकी मुझे आदत थी।
एक दिन मुझे पता चला कि वो पहले से शादीशुदा था, उसका तलाक हो चुका था। मैंने कुछ नहीं कहा। उसने मेरे लिए आलिशान घर बनवा दिया, कई चमकती कारें, नौकर-चाकर सोने से लदी-फ़दी रहती।
दिन बीत रहे थे लेकिन यौन-जीवन से मैं खुश नहीं थी। गाँव में काफी ज़मीन ज़ायदाद थी, जिसपर खूब फसल होती थी। हफ्ते में एक-दो बार गाँव जाते, वहां भी एक आलीशान फार्म-हाउस था और उसकी देखरेख दो नौकर करते थे। मुझे देख उनकी आंखें चमक उठती और वासना साफ़ दिखती थी उनकी आंखों में !
वो थे तो नौकर लेकिन हट्टे कट्टे अच्छी मर्दानगी के मालिक थे। उनकी प्यासी और वासना भरी आँखें देख मेरा दाना कूदने लगता।
फार्म-हाउस में घर के सामने टयूबवेल लगा हुआ था जिसके आगे सीमेंट का बहुत बड़ा टब जैसा था। रात को मैं भी उसमें नहाने चली जाती।
एक बार मैं खिड़की में खड़ी बालों में कंघी कर रही थी और सामने टब में नहा रहे उस नौकर को देख रही थी- चौड़ी छाती, घंने बाल, मजबूत जांघें ! उसका अंडरवीयर गीला होकर चिपका हुआ था, उसका लौड़ा देखने में काफी सोलिड सा लग रहा था।
उसने मुझे खड़ी देख लिया। मैं अपने होंठ चबाने लगी। उसने इधर-उधर देखा और अपना अंडरवीयर नीचे कर दिया साबुन लगाने के बहाने ! उसका काले रंग का लौड़ा देख मेरी हालत खराब होने लगी। वो अनजान बन कर लौड़ा सहलाने लगा, देखते ही उसका तन कर पूरा खड़ा हो गया। मेरा हाथ अपनी कच्छी में चला गया और दूसरा हाथ मम्मे दबाने लगा।
मैंने उसको इशारे से कुछ कहा कि अन्दर आ जा !
वो जल्दी से टब से निकला, तौलिए से बदन पौंछा। तभी कार का होर्न बज गया, मेरे पति आ गए !
हम दोनों उदास हो गए। मुझे लेकर वो वापस शहर आ गए लेकिन मैं दिल वहीं छोड़ चुकी थी, बस मौका तलाश करने लगी !
और फिर आगे आगे क्या-क्या हुआ, जानने के लिए इसका दूसरा अंक पढ़ना अन्तर्वासना पर ! Sex Stories
यह मेरी पहली Hindi sex stories है जिसके माध्यम से मैं अपनी बात सबके सामने रख रहा हूं। अगर आपकी कोई भी प्रतिक्रिया हो तो मेल करना। मुझे इन्तज़ार रहेगा। बात एक साल पहले की है जब मैं एक ट्रैनिंग के लिये जयपुर जा रहा था। माफ़ कारना दोस्तों, मेरा नाम बिल्लू है और मेरी उम्र 28 साल है।
मेरे साथ मेरी एक फ़्रेंड रीना भी जा रही थी। रीना मेरे साथ ही जोब करती है। हम दोनों जब जयपुर पहुंचे तो रात के 8 बजे थे। गरम मौसम के कारण रीना ने एक हलका सा सलवार सूट पहना था। हम जब होटल पहुचे तो पता चला कि हम लोगों के लिये गलती से एक ही रूम रिजर्व था।
होटल के मैनेजर ने माफ़ी मांगी और कहा कि आज आपको काम चलाना होगा, कल से आपके लिये एक और रूम खाली हो जायेगा। रीना के कहने पर मैं उसके रूम मे चला गया। हम जाकर सो गये। रात मे सोते हुये मेरा एक हाथ रीना के चूतड़ों पर लगा। मेरी नींद खुल गयी। हम दोनों एक ही बेड पर थे। मैं बैचेन हो गया और मैने एक हाथ उसके चूतड़ के बीच मे लगा दिया। कुछ देर के बाद रीना ने मेरा हाथ हटा दिया। दस मिनट के बढ मैने उसके लिप्स चूम लिये। रीना भी बैचेन हो गयी और मेरे होटों को चूमने लगी। फिर मैने उसकी बिना बाल कि चूत को चाटा। और उसने मेरा लण्ड चाटा और चूसा। फिर मैने उसकी चूत मे लण्ड डालने के लिया कहा तो उसने मना किया और कहा कि मेरी गाण्ड मार लो।
तब मैने उसको डोगी स्टाईल मे ले कर उसके गाण्ड के छेद मे अपना थूक डाला जिसके बाद उसकी गाण्ड गीली हो गयी। फिर मैने अपना 8 इन्च का लौड़ा उसकी गाण्ड मे डाला। वो दर्द से रोने लगी पेर मैने स्पीड कम नही की। सारे रूम मे उसकी चीखें थी। कुछ देर के बाद उसको भी मजा अने लगा। जब मैं झड़ने लगा तो मैने सारा उसकी गाण्ड मे ही डाल दिया इस तरह हमे बहुत मज़ा आया। आपको ये कहानी कैसी लगी मुझे जरूर मेल करे। अगर कोई 25 से 35 साल क बीच की लड़की या औरत मुझे मेल कारना चाहे तो मुझे मेल करे।
मैं आज अपनी कहानी पहली बार भेज रहा हूं और उम्मीद है पसन्द कि आयेगी जिसमे मैने अपनी मम्मी और बहन को चोदा था साथ साथ पापा भी थे यानि कि पूरा घर ही चुदक्कड़ थ। बात उन दिनो कि है जब मैं 16 या 18 साल का हुआ करता था और मेरी बहन 14 साल की। उस दिन रात को पापा मम्मी कि चुदायी कर रहे थे और मैं पेशाब करने को उठा था तब मैने पापा के रूम से चीखने कि आवाज सुनी और मै जिज्ञासा शान्त करने को रूम कि तरफ़ बढ गया और जब पास गया तो तबियत हरी हो गयी।
मम्मी पूरी तरह से नंगी थी और रूम की लाईट जल रही थी जिससे उनकी चूचियां साफ़ नज़र आ रही थी और पापा उनको पीछे से चूतड़ मे धक्का लगा रहे थे और गाली बक रहे थे साली रण्डी इतनी बार गाण्ड मरवा चुकी है फ़िर भी चिल्लाती है मादरचोद आज तेरी गाण्ड फ़ाड़ दूंगा और पापा कस कस कर धक्के लगाने लगी मम्मी ऊऊ ओफ़्फ़फ ऊउफ़्फफ़्फ़ आआईई आआह्ह आआअह सीई कर रही थी और उनकी आंख से आंसू निकल रहे थे तब पापा ने अपने दोनों हाथ मम्मी की नीचे लटकी चूचियों पर रख कर दबाने लगे जिसे मम्मी को कुछ राहत मिली और वो धक्के लगाने लगी तब पापा उनकी गाण्ड मे खलास हो गये और तब मम्मी ने उनका झड़ा हुआ लौड़ा हाथ मे ले लिया और रगड़ने के बाद मुह मे रख कर चूसने लगी।
बोली- बिल्लूा, आपका लौड़ा पीने मे मुझे बहुत मज़ा आता है।
पापा ने कहा- मेरी जान अकेले अकेले चाटने का मज़ा ले रही हो? यह तो गलत बात है, मैं भी तुम्हारी चूत का पानी चाटूंगा और फ़िर वो दोनों 69 कि स्थिति में लेट गये और फ़िर मम्मी ऊऊह्हह ऊऊऊ ऊऊऊओह्हह् आअहहह्ह आआअह्हह करने लगी और कुछ देर बाद ही दोनों का माल एक दूसरे के मुँह मे गिर गया और उसके बाद मैने अपने पापा के साथ मिलकर किस तरह से मम्मी और बहन की चुदाई की।
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