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कई बार सपने में मैं अपनी सोनू भाभी को Antarvasna उनकी तारीफ में कहता था ..” भाभी आप बहुत खूबसूरत हो आपके रसीले होंठों का रस पीने के लिए कोई भी मर्द चाहेगा गोल गोल बड़ी आँखों में अजीब सी उलझन है आपकी पतली कमर देख कर कोई भी छूने को चाहेगा काजोल की जैसे बड़ी बड़ी चुचियां है आपकी दो मोटे कूल्हों को देखकर हर कोई दीवाना हो जाएगा सच कहूं भाभी आप एक हसींन हिरोइन जैसे दिखती हो.” वो मुस्कुरा कर कहती हैं-“बस बस बहुत तारीफ करते हो वो भी झूठी ” ये क्या कहा आपने मैं भी कुर्बान जाऊँ आप पर अगर झूठा निकला तो।
भैया को अक्सर शहर से बाहर जाना पड़ता है। एक बार भाभी ने काले रंग की साड़ी और ब्लाऊज पहना। भाभी गोरी हैं इसिलिए मैंने उसकी खूब तारीफ की और कहा- भाभी आप तो काले कपड़ो में बहुत ही खूबसूरत दिखाती हो वो मुस्कुरा के बोली झूठे कहीं के।
फिर कई दिनों तक मन में एक सपना सजाता रहा कि कब भाभी को पा लूं और कस के उनकी गरम नरम चूत में अपना मोटा लन्ड डाल के उन्हें चीखने पर मज़बूर कर दूं।
एक दिन भैया ने सुबह जल्दी बाहर जाना था और मैंने उन्हें स्टेशन तक छोड़ने जाना था। मैं केवल अंडरवीयर पहने कसरत कर रहा था कि अचानक भाभी आ गई। मुझे एक झटका सा लगा और मैंने एकदम अपनी कमर पर एक तौलिया लपेट लिया। भाभी मेरे पास आईं और बोली- देवर जी ! आपकी बोडी तो बहुत जानदार है। मेरी बाजू पकड़ कर कहा- क्या सख्त बाजू है। मेर लन्ड भाभी के नर्म हाथों का स्पर्श पाते ही मचलने लगा। भाभी ने तौलिये में मेरे लन्ड को फ़ूलते हुए देख लिया। फ़िर वो जल्दी से बोली- जल्दी तैयार हो जाओ, चलो तुम्हारे भैया राह देख रहे हैं, उनकी गाड़ी का वक्त हो रहा है। वो चली गई पर मेरा लन्ड गर्म हो चुका था। मैं भैया को स्टेशन छोड़ आया और फ़िर कालेज चला गया।
शाम को जब घर आया तो भाभी पड़ोस में गप्पें हान्क रही थी। मुझे देख कर वो अन्दर आ गई। आज उन्होंने गहरे नीले रंग का गाऊन पहन रखा था और अन्दर आ कर दरवाजा बंद करते ही उन्होंने कहा- क्यों देवर जी मैं काले कपडों में सुंदर लगती हूँ ना !
मैंने कहा- हाँ. तो उन्होंने मैं कैसी दिखती हू इन काले कपड़ो में ?
मैंने हँसते हुए कहा- भाभी तुमने तो नीले रंग का गाऊन पहना है.
उन्होंने शरारत से कहा उस दिन तो कहते थे भाभी तुम काली साड़ी और काले ब्लाऊज में अप्सरा लगती हो. आज क्या हुआ ? मैंने कहा- लेकिन भाभी आपने नीला गाऊन पहना हुआ है काला नहीं.
तभी मेरा ध्यान भाभी के कंधे पर दिख रहे ब्रा स्ट्रैप पर गया। मैंने आगे बढ़ कर ब्रा स्ट्रैप के नीचे उंगली डाल कर ऊपर को उठाया और कहा- अच्छा तो ये है काले रंग की ब्रा। लेकिन दिख तो नहीं रही, भाभी जरा दिखाओ ना।
” कुछ नहीं ! कुछ नहीं ! मैं तो मज़ाक कर रही थी “भाभी बोली।
मैंने कहा- भाभी प्लीज! दिखाओ ना ! प्लीज भाभी प्लीज ! बस एक झलक एक बार !
इतना सुनते ही भाभी ने अपना गाऊन निकल दिया मैं उसे देखते ही दंग रह गया सच भाभी काले रंग की चोटी सी ब्रा और काले रंग की बिल्कुल छोटी सी पैन्टी में थी। उसकी दोनों चूचियां आधी से ज्यादा नंगी थी जब पैन्टी उसकी आधी चूत को ही ढक पा रही थी दोनों ओर से चूत नंगी दिखाई दे रही थी ये नजारा देख कर मेरा लंड अंडरवियर में खड़ा होने लगा.
भाभी ने कहा ” उस दिन तो बड़ी तारीफ करते थे आज क्या हो गया ”. मैंने कहा “भाभी तुम्हारी चूचियां और चूत का कोई जवाब मेरे पास नहीं पहली बार किसी औरत का आधा बदन नंगा देखा है सच कह रहा हूँ तुम्हारी कसम भाभी इतनी खूबसूरत गदराई हुई जवानी पहली बार देख कर मैं बाग बाग हो गया हूँ ”
ये कहते हुए मैंने आगे कदम बढाया तो भाभी हिली नहीं अपनी जगह से. मैंने भाभी को कंधो से पकड़ कर अपने से चिपटा लिया।
उन्होंने मुझसे कहा- क्या कर रहे हो, पहले अन्दर चलो !
मैं समझ गया कि आज भाभी दावत दे रही हैं। अन्दर जाते ही मैंने अपनी शर्ट निकल दी ,ऊपर का बदन नंगा हो गया फिर बिना सोचे अपनी पैंट उतार दी सिर्फ़ अंडरवियर में आ गया मेरी नजर भाभी की चुचियों पर गई छोटी सी ब्रा और बड़े कद की चूचियां कब तक छुपाती. मैंने पीछे जा के हूक खोल दी। दो नंगे फल भाभी के बदन पर झूलने लगे .वो कसमसाई मैंने उनकी बिना परवाह किए पैंटी को एक ही झटके में उतार दी और अपना अंडरवियर को निकाल दिया.
उन्होंने नकली गुस्से से कहा- यह क्या कर रहे हो?
मैंने कुछ सुना नहीं मैंने अपनी बाहों में नंगी भाभी के जिस्म को दबोच लिया वो कराहने लगी की मैंने दोनों होंठों को उसके रसीले होंठों पर रख दिए और जी भर के उसका रस पान करने लगा एक हाथ से चुचियों को दबाता मसलता रहा दूसरे हाथ से उसका जिस्म पूरा कस के मेरे जिस्म से चिपकाया ये सब अचानक हो जाने से वो हाथ पाँव मारने लगी लेकिन उसका कुछ न चला ओर मैं भाभी के जिस्म को बुरी तरह रौंदने लगा होंठों के बीच जीभ डाल के मैंने उसे बुरी तरह चूमा उसके मुह में .. आह्ह्ह उफ़. .मोनू .. मैं तुम्हारी भाभी हूँ .. ये ग़लत है .. छोड़ दो मुझे ..जग गगग ..की आवाज निकलने लगी पर मैं पूरी तरह से उनकी भरी भरी चूचियों को दबाता रहा उसकी कड़ी निप्पल को दो उंगली के बीच ले के मसलने लगा भाभी अब सिस्कारियां भरने लगी ..नही .. प्लिज्ज़ ..उईई ईई… धीरे ..मोनू ऊउऊ ..लेकिन अब उसका विरोध ख़तम हो गया था.
हम दोनों की सांसे तेज होने लगी मैंने जम कर भाभी के पूरे बदन को बेतहाशा चूमा .. .. मेरे होंठ उसके बदन पर फिसलने लगे .. एकदम गोरा और चिकना बदन था .अभी तक मैंने उसकी चूत पर हाथ नहीं लगाया था .. वो दोनों जांघो को सिकोड़े हुए थी .. मेरे हाथ और होंठो के स्पर्श से वो… ऐसी आवाजे निकलने लगी थी. सोनू भाभी अब मीठी मीठी आहें भरने लगी मेरी ध्यान अब उसके पेट से होते हुए गहरी नाभि पर गया मैंने वहाँ सहलाया तो उन्होंने सिहर कर अपनी जांघे खोल दी और अब मेरी नजर उन की चूत पर पड़ी मैं झूम उठा एक भी बाल नहीं था गुलाबी रंग की चूत के बीच में एक लाल रंग का होल दिखाई दिया ये देख कर मुह में पानी आ गया.
भाभी के जिस्म को चारो ओर से चूमने सहलाने और दबाने के बाद चूचियों को प्यार से मुंह में लेकर कई बार चूसा भाभी का अंग अंग महक ने लगा उसकी दोनों चूचियां कड़ी ओर बड़ी हो गई उसके लाल लाल निप्प्ल उठ कर खड़े हो गए तीर की तरह नुकीले लग रहे थे. तब मेरी भाभी मुझसे जोर से लिपट गई। दो बदन एक दूसरे से रगड़ने लगे मेरी सांसे फूलने लगी हम दोनों तेजी से अपने मकसद की ओर आगे बढ़ने लग॥ 10 मिनट तक हम दोनों ने एक दूसरे को पूरा चूमा सहलाया। भाभी ने पहली बार शरमाते शरमाते लंड को पकड़ा तो बदन में बिजली सी दौड़ गई पहली बार मैंने कहा “मेरी जान उसके साथ खेलो शरमाओ मत अब हम दोनों में शर्म कैसी .”
मेरा बदन बहुत ही गरमा चुका था तब मैंने भाभी को फर्श पर लिटा दिया ओर उसके ऊपर आके जोर से चुचियों को फिर से दबाया पर बाद में मैंने चूत की तरफ़ देखा. चूत तो पूरी गीली थी. उसमे से जूस ऐसे निकल रहा था जैसे नल से पानी बह रहा हो. अब मैंने भाभी के पावों को चौडा किया तो उनकी फूली हुयी गुलाबी चूत पूरी तरह दिखने लगी .भाभी की गुलाबी चूत को देख कर मैंने कहा “भाभी सच बहुत ही चिकनी है तेरी ये चूत बिना बाल की गोरी उभरी हुई। दिल कर रहा है इसे खा जाऊँ ” इतना कह कर मैं उसकी चूत पर झुका और चूत के होठों को अपने होठों से चूमने लगा।
भाभी तो जैसे उछल पड़ी। ओह आ मोनू…॥अऽऽऽ ये क्या कर रहे हो…ऐसा तो तुम्हारे भैया भी नहीं करते कभी.. ओह मुझे अजीब सा लग रहा है। भाभी की सिस्कारियों से पूरा कमरा गूंजने लगा। मैं बड़े प्यार से भाभी की चूत को चूसता, चूमता चाटता रहा। वो अपने होठों पर जीभ फ़ेर रही थी और मचल रही थी कि अचानक चिल्लाई- मोनू छोड़ मुझे… आहऽऽमेरा हो रहा है…जोर से…कहते हुए मेरा सिर अपनी जान्घों में दबा लिया और मेरे बाल खींचने लगी।…भाभी ने आह ऽऽ भरते हुए जल्दी जल्दी तीन चार झटके पूरे जोरों से अपने चूतड़ उठा कर मारे। मैंने फ़िर भी उनको नहीं छोड़ा और अपनी जीभ से उनकी चूत से बहने वाले रस को चाट गया।
वो कह रही थी- अब हट जाओ मोनू, अब सहन नहीं हो रहा। अब अपनी प्यारी भाभी को चोदो। फ़ाड़ दो मेरी चूत को अपनी भाभी की चूत में घुस जाओ। मैं पहले से जानती थी कि तुम मुझे चोदना चाह्ते हो, मैं भी तुम से चुदना चाहती थीअब मैं भी भाभी की चूत का स्वाद अपने लौड़े को चखाना चाहता था। मैं भाभी के ऊपर आया तो भाभी ने सिर उठा कर मेरे लौड़े कि तरफ़ देखा। उन्होने कहा- देवरजी ! मैं तो मर जाऊँगी इतने मोटे और लम्बे से।
मैंने पूछा किस मोटे और लम्बे से?
वो शरमाते हुए बोली तुम्हारे लो ऽऽऽ लौड़े से !
मैंने कहा-कुछ नहीं होगा… और भाभी की टांगें चौड़ी की तो उनकी चूत के होंट ऐसे खुल गये जैसे किसी फ़ाइव स्टार होटल के दरवाजे अपने आप खुल जाते हैं किसी के आने पर। मैंने अपनी दो अंगुलियों से चूत को थोड़ा और खोला और अपना लन्ड का सिर उस पूरे खिले गुलाब के फ़ूल में रख दिया। भाभी ने कहा- थोड़ा अन्दर तो करो !
मैंने कहा- अभी करता हूं। यह कह कर मैं अपना लौड़ा धीरे धीरे बाहर ही रगड़ने लगा। भाभी बेचैन हो उठी। वो अपने चूतड़ ऊपर को उठा उठा कर लौड़े को अपनी चूत में डलवाने की कोशिश कर रही थी। मैं उनको तड़फ़ाते हुए उनकी सारी कोशिशें नाकाम कर दिए जा रहा था।
“अब डालो ना !” भाभी बोली।
“क्या डालूं… और कहाँ…” मैंने भाभी से पूछा।
“अच्छा बताऊँ तुझे? बहनचोद ! अपनी भाभी की चूत में अपना लौड़ा डाल और चोद साले ! भाभी तड़फ़ते हुए बोली।
भाभी के मुंह से ऐसी गालियां सुन कर मैं हैरान रह गया।
तभी भाभी ने एक ऐसा झटका दिया ऊपर की तरफ़ अपने चूतड़ों को कि एक बार में ही मेरा पूरा का पूरा लौड़ा भाभी की चूत की गहराई में उतर गया। भाभी के मुख से निकला- आह हय-मार दिया ! एक दर्द मिश्रित आनन्द भरी चीख !
अब मैं भाभी के ऊपर गिर सा गया और उनको हिलने का मौका ना देकर उनके होंट अपने होंटों से बंद कर दिये और अपने चूतड़ ऊपर उठा कर एक जोर का धक्का मारा तो भाभी फ़िर तड़प गई।
इसके बाद तो बस आऽऽह्…आऽऽह्…आऽऽह्…आऽऽह्…आऽऽह्… आऽऽह्…आऽऽह्…आऽऽह्…आऽऽह्…धीरे…आऽऽह्…आऽऽह्…आऽऽह्…आऽऽह्… आऽऽह्…आऽऽह्…आऽऽह्…आऽऽह्…आऽऽह्…आऽऽह्…रुक जरा… हाँ… आऽऽह्…आऽऽह्…आऽऽह्…जोर से… आऽऽह्…आऽऽह्…आऽऽह्…हाँऽऽअः…हाँऽऽअः…हाँऽऽअः…ह्म्म… हाँऽऽअः
हम दोनों की एक जैसी आवाजें निकल रही थी। काफ़ी देर ऐसे ही चलता रहा। बीच बीच में भाभी बड़बड़ाती रही- मज़ा आ रहा है ! करते रहो ! चूसो !
भाभी की चूत लगातार पानी छोड़ रही थी और मेरा लौड़ा बड़े आराम से अन्दर बाहर आ जा रहा था। भाभी भी अपने चूतड़ उठा उठा कर सहयोग कर रही थी। वो मदहोश हुई जा रही थी। उनके आनन्द का कोई पारावार ना था। ऐसा मज़ा शायद उन्हें पहले नहीं मिला था।
अब मैं चरमोत्कर्ष तक पहुंचने वाला था। मैंने भाभी को कहा- ले सोनू ! ले ले मेरा सारा रस ! पिला दे अपनी चूत को !
“हाँ ! भर दे मेरी चूत अपने रस से मेरे मोनू भैया ! ” भाभी बोली।
और मैंने पूरे जोर से आखिरी धक्का दिया तो मेर लन्ड भाभी के गर्भाशय तक पहुंच गया शायद और वो चीख पड़ी- मार डालेगा क्या?
मेरे मुंह से निकला- बस हो गया ! मेरा लन्ड भाभी की चूत में पिचकारियां मार रहा था। भाभी भी चरम सीमा प्राप्त कर चुकी थी। फ़िर कुछ रुक रुक कर हल्के हल्के झटके मार कर मैं भाभी के ऊपर ही लेटा रहा। हम दोनों अर्धमूर्छित से पड़े रहे काफ़ी देर। पता नहीं कब नींद भी आ गई।
जब मेरी नींद खुली तो देखा कि भाभी उसी तरह नंगी मेरी बगल में बेसुध हो कर सो रही थी। उनके मुख पर असीम तृप्ति का आभास हो रहा था। उनके लबों पर बहुत हल्की सी मुस्कान भी दिख रही थी। मैं धीरे से उठा और रसोई में जाकर दो कप चाय बना कर लाया तो देखा भाभी वैसे ही सो रही थी। मैं उनके पास गया और उनके लबों को हल्के से चूम लिया। जैसे ही मेरे होंठ ने उनके होंठों को स्पर्श किया, भाभी ने आंखें खोल दी और मुस्कुरा कर मेरी आंखों में झांकने लगी।
मैंने भाभी से कहा- “तो सोने का बहाना कर रही थी आप?”
भाभी बोली- मैं तो तभी जाग गई थी जब तुम यहाँ से उठ कर गए थे, लाओ अब चाय तो पिला दो जो प्यार से बना के लाए हो।
हमने चाय पी। तब तक रात के आठ बज चुके थे। मैंने भाभी से पूछा- कैसा लगा?
भाभी ने शरमा कर नज़रें झुका ली, कुछ बोली नहीं।
मैंने उनकी ठोडी पकड़ कर उनका चेहरा ऊपर को उठाया और फ़िर पूछा कि कैसा लगा आज मेरे साथ।
भाभी शर्मिली मुस्कान के साथ बोली- बहुत मज़ा आया, मज़ा तो तुम्हारे भैया के साथ भी बहुत आता है, पर तुम्हारे अन्दर नया जोश है
“पहले ऐसा ही मज़ा आता था भैया के साथ?” मैंने पूछा।
” सच कहूं तो ऐसा मज़ा मुझे कभी नहीं आया, मुझे तो पता भी नहीं था कि इतना मज़ा भी आता होगा चुदाई में” भाभी ने कहा।
भाभी के मुंह से चुदाई शब्द सुन कर मैं अवाक रह गया। फ़िर मैंने भाभी से कहा- भाभी ! मैंने आपको इतना आनन्द दिया है, मुझे ईनाम मिलना चाहिए
” हाँ ! ईनाम के हकदार तो तुम हो। बोलो क्या चाहिए तुम्हें ईनाम में?” भाभी ने पूछा।
“मैं तो ऐसे ही कह रहा हूं, आप मिल गई, मुझे तो मेरा ईनाम मिल गया” मैंने कहा।
” नहीं, फ़िर भी मैं तुम्हें कुछ ना कुछ ईनाम जरूर दूंगी” भाभी ने कहा।
” जैसी आपकी मरजी ! अगर मैंने अपनी तरफ़ से कुछ मांग लिया तो देना पड़ेगा भाभी ! ” मैंने कहा।
” हाँ हाँ जरूर ! मेरे बस में हुआ तो जरूर दूंगी” भाभी ने आश्वासन दिया।
” अच्छा अब बताओ रात के खाने में क्या बनाऊँ? ” सोनू भाभी ने पूछा।
“अब क्या बनाओगी, मैं बाज़ार से ले आता हूं कुछ, वैसे भी मैं अभी सारी रात बाकी है। आप मुझे खाना, मैं आपको खाऊँगा” मैंने भाभी को छेड़ा।
मैंने बाज़ार जाने के लिए उठते हुए कहा- भाभी ! मैं बाज़ार से खाना ले कर आता हूं। आप बस ऐसे ही नंगी रहना, कपड़े नहीं पहनना।
भाभी भी मेरे साथ खड़ी हो गई यह कहते हुए कि दरवाजा भी तो बंद करना होगा। भाभी मेरे पीछे पीछे आईं और मुझे कहा देखो बाहर कोई है तो नहीं, मैं दरवाजा बंद कर लूं।
जब मैंने बाज़ार से आकर दरवाजे की घण्टी बजाई और भाभी ने दरवाजा खोला तो वो वही नीला गाऊन पहने थी।
अन्दर आते आते मैंने पूछा कि गाऊन क्यों पहना?
तो कमरे में पहुंच कर भाभी बोली- आज तो बस बच गई। अभी अभी थोड़ी देर पहले दरवाजे की घण्टी बजी थी और मैंने समझा तुम ही होगे और मैं बिना गाऊन पहने दरवाजा खोलने ही वाली थी कि मुझे पड़ोस वाली रितु की आवाज सुनाई दी। वो मुझे ही पुकार रही थी। मैंने दौड़ कर गाऊन पहना और फ़िर दरवाजा खोला।
क्या करने आई थी रितु? रितु वही जो चार पांच घर छोड़ कर रहती है, नमिता आन्टी की बेटी?
हाँ वही, तू तो सबको जानता है?
बड़ी मस्त चीज है वो, एक बार मिल जाए तो साली को चोद चोद कर चार छः बच्चों की माँ बना दूं।
“तेरा बस चले तो तू सारी दुनिया की लड़कियों को चोद चोद कर माँ बना दे” भाभी बोली।
“सारी दुनिया को नहीं तो भाभी आपको तो अब जरूर माँ बना दूंगा” मैंने कहा।
यह सुन कर भाभी भावुक हो उठी, उनकी आंखें गीली हो गई, वो बोली- तीन साल हो गए शादी को ! अब तक तो कोई आस बंधी नहीं, पता नहीं कब मैं माँ का शब्द सुनूंगी अपने लिए। और तुम क्या सोचते हो कि मैंने ये सारी रासलीला तुम्हारे साथ शारीरिक आनन्द के लिए रचाई है? यह सब मैंने औलाद का सुख पाने के लिए किया है। भाभी रोती जा रही थी और बोलती जा रही थी-” वैसे तो तुम्हारे भैया में कोई कमी नहीं है, वो मुझे सहवास का पूरा पूरा मज़ा देते हैं, पर पता नहीं क्यों मैं गर्भवती क्यों नहीं हो रही। अब देखो तुम क्या गुल खिलाते हो? इतना कह कर भाभी के चेहरे पर कुछ मुस्कुराहट आई।
मैंने आगे बढ़ कर भाभी को अपनी बाहों में भर लिया और कहा- भगवान ने चाहा तो अगले साल तक मैं चाचाऽऽ… नहीं आपके बच्चे का पापाऽऽ… नहीं बस चाचा… हाँ… चाचा ही ठीक है, बन जाऊँगा।
अगर ऐसा हो गया तो मैं तुम्हें मुंह मांगा ईनाम दूंगी- भाभी ने भरे गले से कहा।
तो अब दो ईनाम हो गये- एक तो आपने चाय पीते हुए वायदा किया था आज ही और दूसरा अब जो अगले साल या उससे भी पहले मिल सकता है। Antarvasna
मैं Hindi sex stories अपने बारे में शुरु से बताती हूं। मैं अपने घर में अपने भाई बहनों में तीसरे नंबर, २० साल की हूं। सबसे बड़े भैया हैं जो आर्मी में हैं। उनकी शादी नहीं हुई है। मुझसे छोटा एक भाई है। मैं होस्टल में रह कर पढ़ती हूं।
एक दिन मेरे भैया मुझ से मिलने होस्टल आये। मैं उन्हे देख कर बहुत खुश हुई। वो सीधे आर्मी से मेरे पास ही आये थे। और अब घर जा रहे थे। मैंने भी उनके साथ घर जाने का मन बना लिया और कोलेज से ८ दिन की छुट्टी लेकर मैं और भैया घर के लिये रवाना हो गये।
जिस ट्रेन से हम घर जा रहे थे उस ट्रेन में मेरा रिज़र्वेशन नहीं था, सिर्फ़ भैया का था। इसलिये हम लोगों को एक ही बर्थ मिली। ट्रेन में बहुत भीड़ थी। अभी रात के ११ बजे थे। हम इस ट्रेन से सुबह घर पहुंचने वाले थे।
मैं और भैया उस अकेली बर्थ पर बैठ गये। सर्दियों के दिन थे। आधी रात के बद ठंड बहुत हो जाती थी। भैया ने बेग से कम्बल निकाल कर आधा मुझे उढा दिया और आधा खुद ओढ लिया। मैं मुस्कुराती हुई उनसे सट कर बैठ गयी। सारी सवारियां सोने लगी थीं। ट्रेन अपनी रफ़्तार से भागी जा रही थी।
मुझे भी नींद आने लगी थी और भैया को भी। भैया ने मुझे अपनी गोद में सिर रख कर सो जाने के लिये कहा। भैया का इशारा मिलते ही मैं उनकी गोद में सिर टिका और पैरों को फैला लिया। मैं उनकी गोद में आराम के लिये अच्छी तरह ऊपर को हो गई। भैया ने भी पैर समेट कर अच्छी तेरह कम्बल में मुझे और खुद को ढांक लिया और मेरे ऊपर एक हाथ रख कर बैठ गये।
तब तक मैंने कभी किसी पुरूष को इतने करीब से टच नहीं किया था। भैया की मोटी मोटी जांघों ने मुझे बहुत आराम पहुंचाया। मेरा एक गाल उनकी दोनो जांघों के बीच रखा हुआ था। और एक हाथ से मैंने उनके पैरों को कौलियों में भर रखा था।
तभी मेरे सोते हुये दिमाग ने झटका सा खाया। मेरी आंखों से नींद घायब हो गई। वजह थी भैया के जांघ के बीच का स्थान फूलता जा रहा था। और जब मेरे गाल पर टच करने लगा तो मैं समझ गई कि वो क्या चीज़ है। मेरी जवानी अंगड़ाइयां लेने लगी। मैं समझ गई कि भैया का लंड मेरे बदन का स्पर्श पाकर उठ रहा है।
ये ख्याल मेरे मन में आते ही मेरे दिल की गति बढ़ गई। मैंने गाल को दबा कर उनके लंड का जायज़ा लिया जो ज़िप वाले स्थान पर तन गया था। भैया भी थोड़े कसमसाये थे। शायद वो भी मेरे बदन से गरम हो गये थे। तभी तो वो बार बार मुझे अच्छी तरह अपनी टांगों में समेटने की कोशिश कर रहे थे। अब उनकी क्या कहूं मैं खुद भी बहुत गरम होने लगी थी।
मैंने उनके लंड को अच्छी तरह से महसूस करने की गरज़ से करवट बदली। अब मेरा मुंह भैया के पेट के सामने था। मैंने करवट लेने के बहाने ही अपना एक हाथ उनकी गोद में रख दिया और सरकते हुए पैंट के उभरे हुए हिस्से पर आकर रुकी। मैंने अपने हाथ को वहां से हटाया नहीं बल्कि दबाव देकर उनके लंड को देखा। उधर भैया ने भी मेरी कमर में हाथ डालकर मुझे अपने से चिपका लिया। मैंने बिना कुछ सोचे उनके लंड को उंगलियों से टटोलना शुरू कर दिया।
उस वक्त भैया भी शायद मेरी हरकत को जान गये। तभी तो वो मेरी पीठ को सहलाने लगे थे। हिचकोले लेती ट्रेन जितनी तूफ़ानी रफ़्तार पकड़ रही थी उतना ही मेरे अंदर तूफ़ान उभरता जा रहा था। भैया की तरफ़ से कोई रिएक्शन न होते देख मेरी हिम्मत बढ़ी और अब मैंने उनकी जांघों पर से अपना सिर थोड़ा सा पीछे खींच कर उनकी ज़िप को धीरे धीरे खोल दिया। भैया इस पर भी कुछ कहने कि बजाय मेरी कमर को कस कस कर दबा रहे थे।
पैंट के नीचे उन्होने अंडरवियर पहन रखा था। मेरी सारी झिझक न जाने कहां चली गई थी। मैंने उनकी ज़िप के खुले हिस्से से हाथ अंदर डाला और अंडरवियर के अंदर हाथ डालकर उनके हैवी लंड को बाहर खींच लयी। अंधेरे के कारण मैं उसे देख तो न सकी मगर हाथ से पकड़ कर ही ऊपर नीचे कर के उसकी लम्बाई मोटाई को नापा। ७-८ इंच लम्बा ३ इंच मोटा लंड था। बजाय डर के, मेरे दिल के सारे तार झनझना गये। इधर मेरे हाथ में लंड था उधर मेरी पैंट में कसी बुर बुरी तरह फड़फड़ा उठी।
इस वक्त मेरे बदन पर टाइट जींस और टी-शर्ट थी। मेरे इतना करने पर भैया भी अपने हाथों को बे-झिझक होकर हरकत देने लगे थे। वो मेरी शर्ट को जींस से खींचने के बाद उसे मेरे बदन से हटाना चाह रहे थे। मैं उनके दिल की बात समझते हुये थोड़ा ऊपर उठ गई। अब भैया ने मेरी नंगी पीठ पर हाथ फेरना शुरू किया तो मेरे बदन में करेंट दौड़ने लगा।
उधर उन्होने अपने हाथों को मेरे अनछुई चूचियों पर पहुंचाया इधर मैंने सिसकी लेकर झटके खाते लंड को गाल के साथ सटाकर ज़ोर से दबा दिया। भैया मेरी चूचियों को सहलाते सहलाते धीरे धीरे दबाने भी लगे थे। मैंने उनके लंड को गाल से सहलाया भैया ने एक बार बहुत ज़ोर से मेरी चूचियों को दबाया तो मेरे मुंह से कराह निकल गई.
हम दोनो में इस समय भले ही बात चीत नहीं हो रही थी मगर एक दूसरे के दिलों की बातें अच्छी तरह समझ रहे थे। भैया एक हाथ को सरकाकर पीछे की ओर से मेरी पैंट की बेल्ट में अपना हाथ घुसा रहे थे मगर पैंट टाइट होने की वजह से उनकी थोड़ी थोड़ी उंगलियां ही अंदर जा सकीं। मैने उनके हाथ को सुविधा अनुसार मन चाही जगह पर पहुंचने देने के लिये अपने हाथ नीचे लयी और पैंट की बेल्ट को खोल दिया। उनका हाथ अंदर पहुंचा और मेरे भारी चूतड़ों को दबोचने लगा। उन्होने मेरी गांड को भी उंगली से सहलाया। उनका हाथ जब और नीचे यानि जांघों पर पैंट टाइट होने के कारण न पहुंच सका तो वो हाथ को पीछे से खींच कर सामने की ओर लाये।
बाकी फ़िर … Hindi sex stories
६ महीने बाद निधि कि कक्षा में ही एक Antarvasna नई लड़की ने प्रवेश लिया, उसका नाम प्रिया था। जब मैंने उसे देखा तो देखता ही रह गया। वो निधि से भी ज्यादा ही खूबसूरत थी। उसकी लम्बाई करीब ५’३” और रंग एकदम दूध जैसा था। उसको देखते ही मेरा लण्ड खड़ा हो जाता था। मैं प्रिया को चोदने की तरकीब लगाने लगा।मेरे मन की मुराद जल्दी ही पूरी हो गई। प्रिया का स्कूल में लेट ऐडमिशन था और उसके पास विज्ञान विषय था, इस कारण उसे पढ़ाई में दिक्कत आ रही थी।
एक दिन वो मेरे पास आई और बोली- सर ! मेरा स्कूल में लेट ऐडमिशन है और मुझे फ़िज़िक्स में काफ़ी दिक्कत आ रही है, क्या आप मुझे ट्यूशन पढ़ा सकते हैं?
मैंने कहा- हां ! क्यों नहीं ! तुम स्कूल खत्म होने के बाद मेरे ओफ़िस में आ कर पढ़ सकती हो।
तो वो बोली- सर, मैं कल से आपसे पढ़ूंगी, क्योंकि आज मैंने घर नहीं बताया है और लेट होने पर मम्मी पापा परेशान होंगे।
मैंने कहा- ठीक है ! कल से पढ़ाई शुरू करेंगे।
उस रात मुझे नींद नहीं आई, बार बार प्रिया का ही ख्याल आता रहा और उसको चोदने का प्लान बनाता रहा, लेकिन कोई तरकीब मेरे दिमाग में नहीं आ रही थी। मैं प्रिया को रोज़ ट्यूशन देने लगा और पढ़ाते समय कभी उसके हाथ को छूता तो कभी उसके कंधे पर हाथ रख देता। कभी कभी उसकी जांघों पर भी हाथ लगाता था।
दो महीनों तक ऐसे ही चलता रहा। उसकू चोदने की तमन्ना मन की मन में रह गई। मार्च में १२वीं की बोर्ड की परीक्षा होनी थी इसलिए फ़रवरी से ही १२वीं कक्षा को परीक्षा की तैयारी के लिए छुट्टियां दे दी गई थी। एक दो दिन के बाद प्रिया स्कूल आई और मुझसे बोली- सर , क्या आप मुझे घर पर पढ़ा सकते हैं?
मैंने कहा- ठीक है, तुम शाम को ६ बजे के बाद मेरे घर आ जाना क्योंकि इससे पहले मैं स्कूल में रहता हूं।
उसने कहा- ठीक है सर ! मैं ६ बजे आपके घर आ जाऊंगी।
मैंने उससे पूछा- तुमने अपने पापा से पूछ लिया है?
तो वो बोली- हां सर ! मैंने पापा को बता दिया है कि मैं सर के घर जाकर ट्यूशन पढ़ूंगी।
वो मेरे घर आकर पढ़ने लगी।
५-७ दिन तक प्रिया को चोदने की कोई तरकीब नहीं मिल पा रही थी।
रविवार को मैं घर पर ही था। उस दिन बारिश हो रही थी और फ़रवरी की ठण्ड वैसे ही थी। मैंने शराब की बोतल निकाली और टीवी देखते देखते पीने लगा।
थोड़ी देर में दरवाज़े पए दस्तक हुई तो मैंने बोतल वगैरह दूसरे कमरे में रख कर दरवाज़ा खोला, सामने प्रिया खड़ी थी।
मैंने उसे अन्दर आने को कहा तो वो अन्दर आ गई और मैंने दरवाज़ा बंद कर लिया। मैंने उससे पूछा कि इतनी बारिश में कैसे आई तो वो बोली कि पापा मुझे कार से छोड़ कर गए हैं और ट्यूशन खत्म होने पर फ़ोन कर देने को कहा है ताकि वो मुझे लेने आ जाएँ।
मैंने उससे कहा- ठीक है तुम्हें जो कुछ समझना है पूछ लो।
प्रिया ने उस दिन सफ़ेद रंग की पैन्ट और काले रंग की कसी हुई टीशर्ट पहनी थी। उसके उरोज़ों की गोलाईयाँ साफ़ दिख रही थी।
उसको देख कर मेरा लण्ड खड़ा हो गया। वो अपनी किताब में से सवाल पूछने लगी। मैं थोड़ी थोड़ी देर में उसे कोई सवाल करने के लिए दे कर दूसरे कमरे में जाकर पीने लगा।
नशा होने पर मैं प्रिया को चोदने के बारे में सोचने लगा।
फ़िर मैंने अपना हाथ उसकी जांघों पर रख दिया और सहलाने लगा। वो इससे कुछ बेचैन सी होने लगी, लेकिन उसने कुछ नहीं कहा।
इससे मेरी हिम्मत और बढ़ गई। मैंने अपना हाथ उसकी पीठ पर रख दिया और उसकी पीठ सहलाने लगा तो प्रिया ने कहा- सर ! आप ये क्या कर रहे हैं? अपना हाथ हटाइये।
लेकिन मेरे ऊपर तो चुदाई का भूत सवार था, मैंने कहा- बस हाथ ही तो लगाया है और कुछ थोड़े ही किया है।
प्रिया थोड़े गुस्से में बोली- तो आपका क्या मतलब है कुछ होने के बाद बोलूं?
बात बिगड़ती देख मैंने थोड़े प्यार से कहा- प्लीज़ प्रिया ! बस थोड़ी देर !
उसके बाद प्रिया कुछ नहीं बोली।
इस कारण मैंने हिम्मत करके अपना हाथ उसकी पीठ से उस्कए उरोज़ों की तरफ़ बढ़ाया और धीरे धीरे उसके उरोज़ों को मसलने लगा।
इससे प्रिया को भी मज़ा आने लगा था क्योंकि वो भी सिसकियाँ भरने लगी थी।
मैंने अपना दूसरा हाथ उसकी चूत पर रख दिय और पैन्ट के ऊपर से ही मसलने लगा। इससे प्रिया गरम होने लगी थी, क्योंकि उसके मुँह से अजीब आवाज़ें आ रही थी, प्लीज़ सरररररर बससस अब छोड़ दीजिए… आऽऽऽआऽऽअ…उ उईऽऽऽ…प्लीज़ मुझे छोड़ दीजिए।
फ़िर मैंने उसकी पैन्ट की ज़िप खोल दी और अपने हाथ को उसकी पैन्ट में डाल कर उसकी चूत को जोर जोर से दबाने लगा।
फ़िर एक उँगली को उसकी चूत में डाल दिया। उँगली के अन्दर जाते ही प्रिया एकदम चौंक पड़ी और गुस्सा दिखाते हुए मुझे हाथ हटाने के किए बोलने लगी। लेकिन मैं समझ गया कि यह बनावटी गुस्सा है और मन ही मन वो चुदवाना चहती है।
मैं अपनी उँगली को उसकी चूत के अन्दर बाहर करने लगा, जिससे प्रिय को काफ़ी मज़ा आने लगा क्योंकि वो अब सिसकियाँ भरने लगी थी।
थोड़ी देर बाद मैंए उसकी टी-शर्ट खोल दी, अन्दर उसने काले रंग की ब्रा पहन रखी थी, जिसमें कैद उसकी गोलाईयाँ बाहर निकलने के लिए तड़प रही थी।
मैंने जल्दी ही उसके उरोज़ों को ब्रा की कैद से मुक्त कर दिया।
उसके दूध जैसे उरोज़ों पर हल्के गुलाबी चूचुक बहुत आकर्षक लग रहे थे, मैं एक उरोज़ को मुंह में लेकर चूसने लगा और दूसरे को हाथ से दबाने लगा।
प्रिया कसमसाने लगी, मैंने उसका हाथ पकड़ कर अपने लण्ड पर रख दिया और उसे सहलाने को कहा।
प्रिया पैन्ट के ऊपर से ही मेरा लण्ड सहलाने लगी। इससे मेरा लण्ड एकदम टाईट हो गया और मुझे बहुत मज़ा आने लगा।
थोड़ी देर तक उसके उरोज़ों को चूसने के बाद मैंने उसे सोफ़े पर बैठा दिया और उसकी पैन्ट खोल दी, उसने सफ़ेद रंग की पैन्टी पहन रखी थी जो कि उसकी सफ़ेद जांघों पर काफ़ी सुन्दर लग रही थी।
मैंने उसकी पैन्टी को भी उतार दिया और उसकी चूत को देखता ही रह गया, एकदम गुलाबी चूत थी, जिस पर हल्के भूरे रंग के छोटे छोटे बाल थे।
प्रिया की चूत निधि की चूत से भी काफ़ी आकर्षक थी।
मैंने अपना मुँह उसकी चूत पर लगा दिया और चाटने लगा। अब वो सीत्कार रही थी। मैंने अपनी जीभ उस्की चूत के अन्दर कर दी और उसकी चूत को जीभ से चोदने लगा।
प्रिया बड़बड़ाने लगी- और चूसो ओअओअ और जोर से, हाँ ऐसेएएए ही चूसो बहुतऽऽऽ मज़ाऽऽ आऽऽऽ रहाऽऽ है सर ! मेरा काम होने वालाऽऽऽ है और और जोर से यससस ओ यस ई ई ईऽऽ आ ऽऽऽ।
प्रिया की चूत ने पानी छोड़ दिया जिसे मैं अपनी जीभ से चाटने लगा।
चूत को पूरी तरह से चाट कर मैं खड़ा हो गया और अपने कपड़े उतार दिए। मेरा लण्ड तन कर फ़टने जैसा हो रहा था जिसे मैंने प्रिया के मुँह में डाल दिया और उसे चूसने को बोला, लेकिन लण्ड का आकार बड़ा होने के कारण उसको मुँह में लेने में कठिनाई हो रही थी।
वो अपनी जीभ से मेरे लण्द का सुपाड़ा चाट रही थी।
थोड़ी देर बाद मैंने अपना लण्ड ज़बरन उसके मुँह में पेल दिया और आगे पीछे करते हुए उसके मुँह को चोदने लगा।
उसके मुँह से घुटी घुटी आवाज़ें आ रही थी और उसकी आंखों में आँसू आ गए। कुछ देर बाद मैंने अपना लण्ड उसके मुँह से निकाल कर, उसे ज़मीन पर लिटा कर। उसकी टांगें चौड़ी करके उसकी चूत पर टिका कर एक जोरदार धक्का मारा जिससे लण्ड का सुपाड़ा प्रिया की चूत को फ़ाड़ता हुआ अन्दर चला गया।
लण्ड के अन्दर जाते ही प्रिया के मुँह से चीख निकल गई और चूत से खून टपकने लगा।
वो अपने हाथ पाँव पटकने लगी और मुझे अपने ऊपर से धकेलने की कोशिश करने लगी। लेकिन मैंने उसे कस कर पकड़ा था।
वो मेरे सामने गिड़गिड़ाने लगी- प्लीज़ सर मुझे छोड़ दीजिए, मैं मर जाऊंगी, बहुत दर्द हो रहा है !
मैंने कहा- पहली बार में ऐसा होता है, तुम चिन्ता मत करो, एक बार अन्दर जाने के बाद तुम्हें मज़ा ही मज़ा आएगा। फ़िर मैंने एक और धक्का लगा कर उसकी चूत में अपना आधा लण्ड घुसा दिया।
प्रिया तड़पने लगी। मैं उसके उरोज़ों को दबाने लगा और उसके होठों को अपने होठों से रगड़ने लगा। इससे प्रिया की तकलीफ़ कुछ कम हुई।
अब मैंने जोरदार धक्के से अपना पूरा का पूरा लण्ड अन्दर कर दिया और धीरे धीरे अन्दर बाहर करने लगा।
थोड़ी देर में प्रिया भी नीचे से अपनी कमर उचका कर मेरे धक्कों का ज़वाब देने लगी और मज़े में बोलने लगी- सी … सी… और जोररर से सरररऽऽ बहुत मज़ा आ रहा है और अन्दर डालो और सर और अन्दर ऽऽ जोर से चोदो फ़ाड़ दो मेरी चूत को, आज मुझे लड़की होने का मज़ा आया है, मेरा काम होने वाला है सररर्॥ और जोर से य यस यससस मैं गईई… !
इसके साथ ही प्रिया ने अपना पानी छोड़ दिया, लेकिन मेरा काम अभी नहीं हुआ था इसलिए मैं जोर जोर से प्रिया की चूत पेलने लगा।
प्रिया रोने लगी और लण्द चूत में से निकालने के लिए बोलने लगी। लेकिन मेरे ऊपर शराब का नशा होने के कारण उसकी बातों को अनसुना कर धक्के लगाना जारी रखा। करीब १०-१२ मिनट बाद मैंने भी अपना पानी प्रिया की चूत में छोड़ दिया और उसके ऊपर गिर गया।
ऐसे ही पड़े रहने के थोड़ी देर बाद हम दोनों उठे और अपने कपड़े पहनने लगे।
मैंने प्रिया से पूछा कि कैसा लगा तो वो बोली- सर ! इतना मज़ा तो मुझे कभी नहीं आया, सचमुच आज से मैं आपकी दीवानी बन गई हूँ, अब आप जब चाहें मुझे चोद सकते हैं।
फ़िर मैंने उसके होठों पर एक जोरदार किस किया और उसे अपने पापा को फ़ोन करने के लिए कहा, क्योंकि ज्यादा देर होने पर उसके पापा को शक हो सकता था। थोड़ी देर में वो अपने पापा के साथ चली गई।
उस दिन मैं बहुत खुश था क्योंकि मेरे मन की इच्छा पूरी हो गई थी। उसके बाद जब भी मुझे मौका मिलता मैं और प्रिया जम कर चुदाई का खेल खेलते। Antarvasna
आपको मेरी कहानी कैसी लगी ?
हाय पाठको, यह मेरी पहली कहानी है। मेरा नाम मोनु है। मेरी उम्र 25 साल है। मैंने अपनी पढ़़ाई पूरी कर ली है। मेरी लम्बाई पूरी छः फ़ुट की है, और मेरा तगड़ा लण्ड आठ इंच लम्बा है।
यह कहानी बताने में मुझे बहुत मजा आ रहा है लेकिन इसे जब मैंने अन्जाम दिया तब तो मुझे बहुत मजा आया।
मेरी चचेरी बहन काजल अभी 20 साल की है जिसको मैंने चोदा था। लंबाई उसकी ज्यादा नहीं है कोई पाँच की होगी। लेकिन उसकी चूचियाँ बड़ी-बड़ी है। वो स्मार्ट भी है है। उसकी गाण्ड पीछे से उभरी हुई भी है।
एक दिन जब हम लोग सभी शादी में गए थे उस दिन वो घर में थी। हम लोग सब शादी में थे तभी उसकी मम्मी ने मुझे घर जाने को कहा। खाना लेकर जाना था।
मैंने गाड़ी निकाली फ़िर जब मैं घर में पहुंचा तो मैंने दखा कि घर में कोई नहीं था। फ़िर मुझे बाथरूम से पानी गिरने की आवाज आई। वो नहा रही थी।
फ़िर मैं बैठ गया फ़िर मैंने देखा कि उसके बाथरूम के दरवाजे में होल था। मैंने जब उस होल से अन्दर देखा तो मेरे होश उड़ गए। काजल अपने हाथ से अपनी चूत को सहला रही थी।
यह देख कर मैं पागल हो गया। मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा था। फ़िर मैंने देखा कि वो अपने हाथों से अपनी चूचियों को सहला रही थी। उसके चेहरे के भाव देख कर मेरा लण्ड खड़ा हो गया। मैं अपने लण्ड को सहला रहा था। फ़िर देखने लगा।
मुझे यकीन नहीं हो रहा था यह ऐसे भी कर सकती है। फ़िर मैंने सोचा कि हर लड़की की चाहत होती है। फ़िर उसने अपने गद्दे को सहलाया। फ़िर उसमे उसने पानी डाला और फ़िर वो नहाने लगी।
मैं बाहर जाकर बैठ गया, वो कपड़े पहन कर जैसे ही बाहर आई।
मैंने अपने लण्ड को सहलाया। उसने मेरे लण्ड की तरफ़ देखा। फ़िर मैंने कहा, ‘मैं तुझे खाना देने आया हूँ।’
फ़िर वो किचन में गई। मैं भी उसके पीछे गया। फ़िर मैंने हिम्मत करके उसके कंधे पर हाथ लगाने लगा। वो वहाँ से चली गई। वो बाल झटकने लगी थी।
मैंने कहा- ‘मैं बाल झटक देता हूँ।’
काजल चुदने को हुई राजी
फ़िर मैं उसके बाल झटकने लगा। मैंने उसके बाल उसके बूबस के उपर रख दिए और हाथ लगाने लगा। वो समझ गई कि मैं क्या चाहता हूँ।
फ़िर मैं उसके बूबस को दबाने लगा। वो शरमाने लगी और नजरें झुकाए जाने लगी। फ़िर मैंने उसे पकड़ा और उसके स्तनों को दबाने लगा। वो मदहोश होने लगी। मैं उसके पेट पर हाथ घुमाने लगा।
उसने मेरा हाथ पकड़ कर अपनी चड्डी के अन्दर डाल दिया। मैं उसकी चूत को सहलाने लगा। वो गर्म हो गई थी। फ़िर मैं उसको चूमने लगा, वो मुझे इस काम में सहायता करने लगी।
उसका हाथ पकड़ कर मैंने अपने लण्ड पर रख दिया। वो जम कर पकड़ कर दबाने लगी और फ़िर वो नीचे बैठ गई।
मेरी पैंट की जिप खोली और 8 इंच लम्बा लण्ड बाहर निकाल लिया। वो तो लण्ड को देख कर पागल हो गई।
वो बोली- ‘यह लण्ड मेरी प्यारी चूत में जाएगा तो मैं तो मर जाऊँगी।’
मैंने कहा- ‘पहले इसे मुँह में तो ले।’
वो बड़े प्यार से जुबान से चाटने लगी। मेरे मुँह से आवाज़ आने लगी- ‘पूरा मुँह में घुसेड़ ले !’
मुझे बहुत मजा आ रहा था। फ़िर मैंने उसके पूरे कपड़े उतार दिए। वो शरमा गई।
मैंने कहा- ‘पहले कभी सेक्स किया है?’
वो बोली- ‘नहीं।’
मैंने बोला- ‘मैं ही तेरी सील आज तोड़ूंगा, बहुत मजा आएगा।’
फ़िर मैं उसके चूचों को जम कर दबाने लगा, वो ‘आह आह्ह’ करने लगी। उसके गुलाबी गुलाबी निप्पल बहुत प्यारे दिख रहे थे। उसको मैं अपने दांतो से काटने लगा।
वो जोर से आह्ह करने लगी, बोली- ‘जम कर दबाओ मुझे आज जवान लड़की बना दो।’
मैंने अपना मुख उसके चूत पर रख दिया और चाटने लगा। चूत की खुशबू बहुत प्यारी थी। मैंने एक घण्टे तक उसकी चूत चाटी।
काजल की कुँवारी चूत चुदाई
वो मदहोश हो गई, वो बोली- ‘मेरी चूत फाआड़ दो आह आह आह् और जमम केईई।’
मैंने अपना लण्ड उसके चूत पर रख दिया। एक गर्म लोहे की सलाख की तरह जल रहा था मेरा लण्ड।
वो बोली ‘कितना गर्म है तुम्हारा लण्ड।’ मैंने होल पे रखा और पुश किया। वो चिल्लाई।
मैंने फ़िर घुसेड़ा, लेकिन मेरा लण्ड छेद से बाहर निकल गया। वो बोली ‘जा के पहले सीख कर आओ फ़िर मेरी चूत फ़ाड़ना।’
मुझे गुस्सा आया। मैंने उसकी टांगो को फ़ैलाया और लण्ड डाल दिया।
वो चिल्लाई, बोली ‘मत करो बहुत दर्द हो रहा है।’ लेकिन मैं कहाँ रुकने वाला था वो दर्द से चिल्ला रही थी। ‘आह्ह नहीई धीरेए प्लीलीज सीई!’
थोड़ी देर बाद वो मदमस्त हो गई और बड़े प्यार से लेने लगी और बोली, ‘मेरे राजा जरा जम के चोदो, मजा आ रहा है।’
उसकी चूत से खून निकलने लगा। वो डर गई। मैंने कहा डरना नहीं, ऐसा पहली बार होता है।
वो समझ गई और मैं फ़िर चोदने लगा बहुत मजा आ रहा था। फ़िर मैंने उसके दोनों बूबस के बीच में लण्ड रगड़ने लगा। बहुत मजा आ रहा था।
फ़िर उसके चूत चाटने लगा। फ़िर चूत में उंगली डालने लगा। फ़िर 8 इंच लम्बा लण्ड डाल दिया।
वो बोली ‘फ़ाड़ दो राजा आह।’ 25 मिनट तक चोदने के बाद वो ठण्डी होने लगी थी।
मेरा माल भी गिरने वाला था। मैंने अपना लण्ड बाहर निकाला और उसके मुख में डाल दिया।
वो बड़े प्यार से चाटी और हम दोनों बाथरूम में चले गए नहाने लगे।
वो मुझे नहला रही थी, ‘बहुत मजा आ रहा था!’
वो फ़िर बैठ कर मेरे लण्ड को मुँह में भर के चूसने लगी।
मेरा लण्ड फ़िर खड़ा हो गया। फ़िर मैंने उसे बाथरूम में चोदा। वो बिल्कुल मदमस्त हो गई थी। मैंने उसको कपड़ा पहनाया।
इस घटना के बाद मैं उसको दो बार और चोद चुका हूँ। यह बात अक्टूबर 2002 की है।
बस दोस्तो यह Hindi sex stories है मेरी।
पहले मैं अपना परिचय देता हूं, मैं एक 23 साल का लड़का हूं। मैं आपको मेरी एक सच्ची Sex stories कहानी लिखता हूं जिसमें मेरे पड़ोस की एक लड़की भी है।
मेरा नाम सलीम है मैं एक मुस्लिम परिवार से हूं। मेरे घर के पास एक परिवार जो कि किराये पर रहता है उस परिवार में तीन लड़कियाँ हैं जिनमें से मुझे एक लड़की बहुत पसंद है।
घटना आज से तीन साल पहले की है जब मेरे घर वाले सभी माऊँट आबु रहते थे। मैं एक कम्पनी में जोब करता हूं इसलिये मैं माऊँट आबु नहीं गया। मैं घर में अकेला रहता था।
उन दिनों मैं उस लड़की से अक्सर बात किया करता था उसकी बातों से मुझे लगा कि वो भी मुझे चाहती है मैंने एक दिन उससे अकेले में मिलना चाहा लेकिन हमारे घर आस पास होने के वजह से हम नहीं मिल पाये मैंने उससे पूछा कि अगर तुम मुझसे रात को मेरे घर पर मिलने आ जाओ तो मैं तुम्हारे लिये घर का दरवाजा खुला छोड़ दूंगा ताकि तुम्हें दरवाजा बजाना नहीं पड़ेगा जिससे किसी को पता भी नहीं लगेगा तो वो मान गयी।
अब मैं रात को उससे मिलने के लिये बेकरार हो रहा था। फिर मैंने ओफ़िस से आते समय मेरे दोस्त की मेडिकल से एक कंडोम का पैक ले लिया फिर घर आकर जल्दी से खाना खा कर टीवी देखने लगा और रात का इंतज़ार करने लगा। मैंने पहले ही बताया था कि मैं घर में अकेला रहता हूं इसलिये मेरे पास बहुत सी बीएफ़ सीडी थी जिन्हें मैं अक्सर रात को देखा करता था तो मैंने एक बीएफ़ की सीडी सीडी प्लेयर में डाल दी।
फिर रात के 11:30 बजे वो मेरे घर आयी उसने जैसे ही घर में कदम रखा मैं जल्दी से उसको लेकर दरवाजा बंद करके अन्दर लेकर आ गया और उसने पूछा- बताओ तुम मुझसे अकेले में क्यों मिलना चाह रहे थे?
तो मैंने कहा कि ऊपर तो चलो सब बताता हूं.
फिर हम दोनों टीवी वाले रूम में आ गये। मैंने टीवी और सीडी प्लेयर ओन किया तो बीएफ़ चालू हो गयी वो देख कर बोली- यह तुम क्या दिखा रहे हो मुझे?
मैंने कहा- यही तो मैं तुम्हें दिखाने के लिया बुलाया है।
तो वो शारमाके जाने के लिये मुढ़ी तो मैंने उसको पकड़ के अपने पास बिठा लिया, मैंने कहा कि मैं यही तो तुम्हें दिखाना चाहता था.
फिर उसने शरमाकर अपना चेहरा हाथों से ढक लिया।
मैंने उससे कहा कि मैं तुम्हें बहुत प्यार करता हूं मगर कभी तुमसे पूछने की हिम्मत नहीं हुई। क्या तुम भी मुझसे प्यार करती हो?
तो उसने अपना चेहरा हिला कर हाँ कर दी फिर क्या था मुझे हरी झंडी मिल गयी और मैंने उसके चेहरे से उसके हाथ हटा कर उसके गाल पर किस किया तो उसने अपनी आंखें बंद कर ली. मैं उसके गालों से उसके होंठों पर किस करने लगा और वो भी धीरे धीरे मेरा साथ देने लगी.
मैंने उससे कहा कि देखो तो सही, क्या मस्त सीन चल रहा है मूवी में!
तो वो देखने लगी और मैं उसको किस करते करते उसके बूब्स को दबाने लगा और वो मदहोश होने लगी और मेरी बाहों में लिपट कर बोली कि न जाने कब से मैं भी दिल ही दिल में तुम्हें चाहती थी मगर तुम्हें बोल न सकी.
फिर मैंने उसकी कमीज़ को उतारना चाहा तो वो बोली- नहीं ऐसा मत करो!
मैंने कहा कि मैं तो सिर्फ़ तुम से प्यार कर रहा हूं अगर तुम नहीं चाहती तो ठीक है मैं नहीं करता!
तो उसने कहा- ठीक है जैसा तुम चाहो कर लो!
फिर मैंने उसकी कमीज़ के साथ साथ सारे कपड़े उतार दिये अब वो पूरी की पूरी नंगी हो गयी फिर मैंने भी अपने कपड़े उतार दिये और मैंने उसके बूब्स को मसलना चालू कर दिया. उसे बड़ा अजीब सा नशा छाने लगा और वो मुझ से लिपट मुझे अपनी बाहों में कसने लगी मैंने धीरे से उसकी चूत में अपनी एक उंगली डाल दी तो वो उछल पड़ी फिर मैंने उसे चूत में उंगली अंदर बाहर करने लगा और उसे भी मजा आने लगा.
2 मिनट के बाद मैंने उसको सीधा लिटाया और उस पर चढ़ गया और उसको अपना लंड दिखाने लगा तो उसने मेरा लंड पकड़ कर सहलाना शुरु कर दिया फिर 2 -3 मिनट के बाद मैंने अपने लंड पर कंडोम चढ़ा कर उसकी चूत के छेद पर रख दिया और धीरे से झटका दिया मगर उसकी चूत अभी कुंवारी थी तो मेरा लंड अंदर नहीं घुस सका फिर मैंने जोर से एक झटका मारा तो मेरा लंड करीब आधा उसकी चूत में घुस गया और वो एक दम लगी- निकाल दो निकाल दो मर जाऊँगी तुम्हें मेरी कसम निकाल दो।
मैंने उसकी चूत के तरफ़ देखा तो उसमें से खून निकल रहा था उसे शांत कर के कहा कि जानेमन अभी थोड़ा सा दर्द होगा बस 2 -3 मिनट के लिये फिर तुम्हें भी मजा आने लगेगा.
मैंने झटके देना बंद किया और उसको किस करना शुरु किया फिर थोड़ी देर के बाद मैंने उससे पूछा कि अब दर्द तो नहीं हो रहा?
तो उसने कहा- नहीं अब कम है।
फिर मैंने धीरे धीरे मेरा लंड अंदर बाहर किया और थोड़ा और उसकी चूत में डाल दिया उसे अब दर्द कम हो रहा था तो वो भी मज़े लेने लग गयी और फिर मैंने अपना पूरा लंड उसकी चूत में डाल दिया और अंदर बाहर करने लगा करीब 10 -15 मिनट के बाद वो झड़ गयी और उसके 5 -10 मिनट के बाद मैं भी झड़ गया। और कंडोम उतार के फेंक दिया।
अब हम दोनों नंगी हालत में बेड पेर लेटे थे। 10 मिनट के बाद मेरे लंड ने फिर जोश मारा और मैंने फिर एक बार उसको चोदा।
अब वो बोली कि अब टाइम ज्यादा हो गया है मुझे चलना चाहिये.
मैंने कहा कि डार्लिंग थोड़ी देर और रोक जाओ अभी मेरे पास एक कंडोम और बचा है वर्ना यह बेचारा कहेगा मैंने क्या बिगाड़ा था तुम दोनों का जो मुझे छोड़ दिया।
उसने कहा कि ठीक है मगर जल्दी करो।
फिर मैंने उसको डोगी स्टायल में फिर से चोदना शुरु किया और 15 -20 मिनट के बाद हम अलग हो गये। फिर वो चली गयी और मैंने बेड शीट देखी तो वो पूरी लाल हो चुकी थी उसके खून से मैंने बेड शीट बदली और सो गया।
उसके बाद तो हमारा लगभग यह रोज का प्रोग्राम चलता रहा करीब 10 महीने उसके बाद मेरे घर वाले वापस जयपुर शिफ़्ट हो गये और हमारा प्रोग्राम बंद हो गया। मुझे बाद में पता चला के मेरे बड़े जीजा जी (जो जयपुर में ही रहते हैं) को किसी ने बता दिया कि हम दोनों रात में यह सब करते हैं। तो मेरे जीजा जी ने मेरे घर वालों को फोन करके बता दिया उनको जयपुर वापस आने को बोल दिया और मेरे घर वाले सब वापस जयपुर शिफ़्ट हो गये। Sex stories
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