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Massage Girl in Jind: Premium Relaxation Services

Our site can help you find a professional massage girl in Jind who will help you relax in the best manner possible. We connect you with professional therapists who can offer you a massage that will make you feel better and more relaxed. The pros on our list are ready to provide you with a fantastic experience at your house or in one of their particular spots, whether you want to relax or get away from it all.

Introduction

Massage is currently one of the finest methods to relax your mind, body, and overall health. Our website makes it easy to locate the top massage services in Jind that meet your demands. This will be a one-of-a-kind and calming experience for you.

Tottaa wants to make it simple for clients to find the top masseuse. The Jind massage service providers on our list offer the greatest quality, comfort, and competence, whether you want a full-body massage or a massage for a particular location.

How Tottaa Helps Advertisers Reach More Customers

Tottaa is not only a list of masseuses, it’s also a secure location for them to show off what they can do. People in Jind who are seeking massage services may find them on our website. This makes them easier to find and gets them more appointments.

Advertisers may simply put up profiles, offer their services, and talk about pricing and discounts on our sites. This makes sure that the relevant people notice your Jind massage service, which makes it easier to obtain more customers.

Different Types of Massages We Offer

There are a lot of different types of massage services on our site, so you may choose one that works for you. You may choose the kind of treatment that works best for you, whether it’s profound rest or a particular type of therapy.

1. Swedish Massage

A calm and gentle way to ease muscular tension and improve blood flow. This Jind massage is perfect for you if you want to relax and forget about your concerns.

2. Deep Tissue Massage

This approach employs a lot of pressure to get to deeper muscle layers. It’s helpful for folks who have muscular discomfort or stiffness that won’t go away. There are specialists on our profiles of massage girls in Jind who are good at deep tissue treatments that function effectively.

3. Aromatherapy Massage

Calming massage strokes and essential oils are beneficial in making people feel improved both emotionally and physically. Most massage companies in Jind employ the use of custom oil preparations to make you feel good.

4. Thai Massage

A therapy that wakes you up by using a mix of regular massage, stretching, and compression. This traditional massage in Jind helps you relax, become more flexible, and get your mind and body back in harmony.

5. Hot Stone Massage

Heated stones are placed on various parts of the body to help with deep muscular tightness. People who want to feel good, relax, and help their muscles recover quickly can use this massage service in Jind

How to Book Our Massage Services

Tottaa makes it simple and fast to book. With our listings, you can see what kind of massage you want, read about the providers, see that they are free and then contact them directly. After you choose, you can book a massage in Jind at your convenient time and location. In order to get your desired massage services, apply the following simple steps:

Step 1: Browse Our Listings

Take a peek around our site to view a few massage professionals. Each listing gives you information about the many sorts of massages, how long they last, how much they cost, and where they are situated. This makes it easier to choose the finest ones.

Step 2: Compare and Shortlist

Examine the profiles carefully to compare how the services, talents, and reviews posted by customers differ. This phase makes sure you choose a business that has the style, pricing, and supply you desire.

Step 3: Connect with the Provider

When you have decided, use the information that you are offered so that you can contact them directly. One can communicate it to the massage giver thus making it understood what massage you want at what time and when.

Step 4: Confirm the Appointment

The date, time and place of the service, which could be your home, a hotel or the spa where the therapist may be found. You also need to agree on the payment method and any other accords prior to commencement of the course.

Step 5: Relax and Enjoy Your Massage

All you have to do on the day of the appointment is have your area ready for the house visit. The remainder will be handled by the expert. Take it easy and enjoy a massage that is made just for you.

Frequently Asked Questions

To locate a professional who can meet your needs, read our biography, reviews and advertising.

Yes, many of the therapists on our site will come to your house so you may feel safe and at ease.

You may pick based on talents since most adverts provide their qualifications in their profiles.

It would be advisable to make a reservation earlier to guarantee that you would be able to get a massage, particularly against the prevalent services of massage.

Not at all. Tottaa exclusively connects users with service providers. The doctor gets to choose how to handle payment.

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Sex Stories

मेरा नाम खुशबू है। अभी मैं २२ वर्ष की हूँ। इसी Sex Stories साल मैंने एम ए किया था। मेरे कॉलेज समय में यानि एक साल पहले मैं एक क्लास में पढ़ने वाले साथी के साथ प्यार कर बैठी थी, यह जानते हुए भी कि मेरी सगाई हो चुकी है।

आलोक एक सुन्दर और व्यवहारिक लड़का था। वो जिम में जाने वाला कसे जिस्म का लड़का था। मैं उसकी शरीर के कट देख कर उस पर मर मिटी थी। जब मैं उससे अधिक बात करने लगी तो वो भी मेरी तरफ़ आकर्षित हुआ। धीरे धीरे ये निकटता में बदल गई और एक दिन उसने मुझे प्रोपोज कर ही दिया। मैं तो पहले ही उस पर मरती थी। उसके प्यार को मैंने तुरन्त स्वीकार कर लिया। अब हम छुप छुप कर गार्डन में, झील के किनारे, लाइब्रेरी में या रेस्टोरेन्ट में मिलने लगे थे पर कॉलेज में सावधान रहते थे कि कही बदनाम ना हो जाये।

अभी तक बस उसने मेरा हाथ ही पकड़ा था। पर मेरी इच्छा तो अपनी हवस पूरी करने की थी, बस जिस्म की जरूरत को पूरा करना चाहती थी। मैं उसे हर तरह से उत्तेजित करती रहती थी कि वो मौका मिलते ही मेरी छातियाँ दबाये और मेरे दूसरे अंगों को मसल दे। कभी ऐसा भी हो जाये कि मुझे अकेले में चोद दे और मेरी प्यास बुझा दे। पर वो मेरे अंगो को हाथ लगाने से भी डरता था। वैसे मुझे चुदाई का कभी भी मौका नहीं मिला था। मैं एक दम अनछुई कली थी, जो खिलने को बेताब थी।

एक दिन आलोक ने मुझे बताया कि शाम को उसके मम्मी पापा एक दिन के लिये मथुरा जा रहे है। शाम को घर पर आ जाना। मेरे दिल में खुशी की लहर दौड़ पड़ी। मुझे लगा कि आज मौका है, सारी इच्छायें पूरी कर लूंगी। मेरा जिस्म तरावट से भर उठा। मेरे बदन में झुरझुरी सी आने लगी, चुदाई की सोच से मैं बैचेन होने लगी, सपनों में डूबने लगी।

बड़ी मुशकिल से शाम हुई। मैंने मोबाईल से पता किया, उसके मम्मी पापा जा चुके थे। मैंने अपनी स्कूटी उठाई और आलोक के घर पहुंच गई। जैसे ही मैं उसके घर पहुंची, उसके चेहरे पर खुशी झलकने लगी। अन्दर आते ही उसने मेरा गर्म जोशी से स्वागत किया। फिर हम एक सोफ़े पर बैठ गये। उसने धीरे से मेरा हाथ अपने हाथों में ले लिया और बातें करने लगी। पर मेरे दिल में तो कुछ और ही था। मेरा तो जिस्म ही जल रहा था। मैं चाह रही थी कि आज हम दोनों अकेलेपन का भरपूर फ़ायदा उठायें। वो सब कर डालें जो हमारे मन में है।

मैंने ही पहल करना उचित समझा… आलोक तो बस अपना प्रेमालाप ही करता रहा। मैंने उसकी जांघों पर हाथ रख कर उसे दबाया और उसकी काम वासना को जगाने की कोशिश की। उसके जिस्म की कंपकंपी मैंने महसूस कर ली। वो बोलता रहा, मेरी आँखें बन्द होने लगी और जाने कब वो मेरे कब्जे में आ गया। उसके होंठ मेरे होंठो से लग गये और उसका बोलना बन्द हो गया। पुचकारी की आवाजें गूंजने लगी। जीभ मुँह में अन्दर बाहर आने जाने लगी। उसका लण्ड खड़ा हो गया और मेरा काम बन गया।

उसने मुझे चूमते हुए सोफ़े पर गिरा दिया और मेरे जिस्म पर उसका बोझ आ गया। मेरे सीने पर उसके हाथ घूमने लगे। मेरी दिल इच्छा पूरी होने लगी। मुझे सोफ़े में तकलीफ़ हो रही थी। मैंने उसे कहा कि मुझे बिस्तर पर ले चलो। उसने मुझे अपनी बाहों में एक खिलौने की तरह उठा लिया। उसके बाहों की ताकत मुझे मालूम हो गई। उसने मुझे बिस्तर पर लेटा दिया और मेरे जिस्म पर अपना बोझ डाल दिया।

उसकी काया मेरी काया से चिपकी जा रही थी और लण्ड नीचे मेरी चूत पर दबाव डाल रहा था। बिस्तर में मुझे सहजता लग रही थी। उसके हाथ मेरे स्तन दबाने लगे थे और मुझे असीम आनन्द दे रहे थे। मेरी चूत पनीली हो चुकी थी। मेरा जिस्म अब चुदाई मांग रहा था, पर कैसे कहूँ? मैंने इशारों से काम लेना बहतर समझा। मैंने उसका लण्ड पकड़ लिया और दबाने लगी।

इसका तेज असर हुआ और उसने अपनी पेन्ट उतार फ़ेंकी और नंगा हो गया। मैंने जानबूझ कर शरमाने की एक्टिंग की और उसे नंगा देख कर कहने लगी,’ये क्या आलोक? क्या कर रहे हो? ‘

‘प्लीज खुशबू, मुझे मत रोको… वर्ना मैं पागल हो जाऊंगा !’

‘नहीं, आलोक नहीं, देखो मेरी सगाई हो चुकी है, ये ठीक नहीं है?’ पर इतनी देर में वो मेरे कपड़े खींच चुका था। मैंने भी सरलता से उसे उतारने दिये, चुदना जो था।

‘बस खुशबू अब चुप हो जाओ, इस अन्तर्वासना की लजन में कुछ सही गलत नहीं होता है !’ कह कर वो मेरे ऊपर फिर से चढ़ गया।

मैंने अपनी दोनों टांगें खोल ली और चूत का द्वार खोल दिया। पहले तो वो मेरा जिस्म दबाता, मसलता रहा। फिर उसका लण्ड मेरी चूत में घुस पड़ा और उसने चूतड़ों का पूरा जोर लगा कर अन्दर तक उतार दिया। मेरे मुख से जोर की चीख निकल पड़ी। साथ में वो भी कराह उठा। जल्दी से उसने अपना लण्ड निकाल लिया।

‘हाय रे मुझे लग गई है… ! ‘ उसके लण्ड के सुपाड़े के पास की झिल्ली फ़ट गई थी। मेरी चूत में से भी खून निकल आया था।

‘अरे ये खून !’ मैंने भी घबरा गई, मुझे भी अन्दर दर्द हो रहा था। सारा नशा काफ़ूर हो गया था। हम दोनों बाथरूम की ओर भागे। पानी से साफ़ करने लगे, मैंने देखा तो उसके लण्ड की पतली सी स्किन थी, जो सुपाड़े के आस पार से चिर गई थी, साफ़ नजर आ रही थी। मेरी चूत में से बून्द बून्द करके अभी भी खून बह रहा था। मैं घबरा उठी। यह तो मैं जानती थी कि झिल्ली होती है और पहली बार चुदने पर वो फ़ट जाती है पर नहीं मालूम था कि उसके बाद क्या करना चाहिये।

मैंने तो अपने बेग में से सेनेटरी नेपकिन निकाला और नीचे लगा दिया। हमारा पहला अनुभव था इसलिये कुछ समझ में नहीं आया तो मन मार कर मैंने चुदाने का विचार अभी छोड़ दिया। हम दोनों आपस में यही सोचते रहे कि अब क्या करें। कुछ देर बाद मैं घर चली आई। दर्द अभी भी था।

सुबह मैंने पैड हटा कर देखा तो सभी कुछ सामान्य थ, दर्द भी नहीं था। कॉलेज जाने से पहले मैं आलोक के घर गई कि उसे बता दू कि मैं अब ठीक हूँ। उसने भी भी बताया कि वह भी अब ठीक है।

उसने कहा- क्या अब फिर से ट्राई करें?
मैंने सोचा- अगर दर्द नहीं हुआ तो ठीक है वर्ना नहीं करेंगे।

हम जल्दी से बिस्तर पर आ गये। आलोक ने और मैंने जल्दी से कपड़े उतार लिये। कपड़े उतारते ही हम एक दूसरे को देखते ही रह गये। आज तो मैं होश में थी, उसका नंगा जिस्म, मसल्स उभरी हुई, लण्ड मदमस्त सा लहराता हुआ मेरे होश उड़ाने के लिये काफ़ी था। मेरे सेक्सी बदन को देख कर उसका हाल भी बुरा होने लगा। हम भाग कर एक दूसरे से लिपट गये। दो जवान जिस्म टकरा उठे, आग बरसने लगी। उसका मर्द मेरी गहराईयों को ढूंढने लगा। हम बिस्तर पर गिर पड़े और एक दूसरे को ऊपर नीचे लोट लगाने कर मचलने लगे। मन चुदने के लिये मचल उठा।

लोट लगाते हुए वो मेरे ऊपर आ गया और अब उसके चूतड़ मेरी चूत पर अपने लण्ड को दबाने लगे… आश्चर्य हुआ कि इस बार बिना किसी तकलीफ़ के उसका लण्ड मेरी चूत में उतर गया। मेरी पनीली चूत ने सहजता से लण्ड को अपना लिया। मुझे मीठे से अहसास के साथ खुमारी चढ़ने लगी। आज लगा कि लड़कियाँ चुदने के लिये इतना मरती क्यूँ हैं। मैंने भी अपनी चूत का पूरा दबाव उसके लण्ड पर डाल दिया।

धक्के चल पड़े। आलोक की कमर आगे पीछे होने लगी। हम मस्ती की सीढ़ियाँ चढ़ने लगे। सिसकारियाँ निकलने लगी… आलोक का भी यह पहला अनुभव था और मेरा भी। धक्कों की तेजी बढ़ती गई। हम दोनों आनन्द की दुनिया में मस्त हो गये। चूत-लौड़े की मीठी मीठी आग में हम जलते रहे।

‘हाय मेरे राजा, मस्त कर दे मुझे… चोद दे… जरा और … हाय रे !’

‘मेरी जानू, मस्त है रे तू… कितना मजा आ रहा है !’ हम चुदाई करते रहे और कुछ कुछ मस्ती में बोलते भी जा रहे थे।

कुछ ही देर में मैं चरमसीमा पर आ गई। और मस्ती के मारे मेरा रस छूटने लगा। मैं झड़ने लगी। मेरी आंखें बन्द हो गई। झड़ने का सुहाना आनन्द आने लगा। कुछ ही देर में आलोक ने भी अपना लण्ड बाहर खींच लिया और मेरी छाती पर अपना वीर्य छोड़ने लगा। मुझे बड़ा गन्दा सा लगा। मैंने उसे कहा कि वो दूसरी तरफ़ अपना रस गिराये। मैंने पानी से साफ़ किया और हम अब सुस्ताने लगे। इस के बाद मैं कॉलेज चली गई।

इसके बाद हमारा इस तरह का कार्यक्रम कभी मौका मिलने पर ही होता था।

मेरी पढ़ाई पूरी हो चुकी थी। एक साल बीतने को आ गया था। हम दोनों कितनी ही बार घर से भाग कर शादी करने का प्रोग्राम भी बना चुके थे। पर हममें इतनी हिम्मत ही नहीं थी। मेरी एम ए की डिग्री भी मिल चुकी थी। मेरी शादी भी कुछ दिनों बाद हो गई। मैं अपने पति के साथ एक अलग घर में रहने चली गई थी।

एक बार दिन को आलोक मेरे घर आ गया। मेरे पति काम पर गये हुए थे। उसने बताया कि टीचर की कुछ जगह निकली है, आवेदन भर दो। तब मैंने अपने पेपर टटोले और सभी निकाल कर आवेदन जमा करा दिया। आलोक ने एकान्त पाकर मुझसे एक बार चुदाई के कहा तो मैं मान गई। मेरा मन फिर मचल गया। आलोक का लण्ड ही इतना प्यारा था कि मन चुदने को बेकरार हो उठा।

हम दोनों ने अपने कपड़े उतारे और चुदाई में लग गये। मस्ती का सफ़र चल ही रहा था कि जैसे बिजली गिर पड़ी। आलोक का लण्ड मेरी चूत में ही था और मेरा पति सामने खड़ा था। हमारा सारा नशा गायब हो गया। आलोक तुरन्त उछला और अपनी पेन्ट पहनने लगा। मेरा पति आपे से बाहर हो चुका था। उसने पास में पड़ी कुर्सी उठा कर आलोक को दे मारी। वो पेन्ट पहन भी नहीं पाया था कि कुर्सी का वार उस पर आ पड़ा। वो बुरी तरह से गिर कर घायल हो गया। पर उसकी फ़ुर्ती गजब की थी। मेरा पति दूसरा वार करता उसने अपनी पेन्ट ठीक की और एक तरफ़ हो गया। दूसरे ही पल आलोक ने लपक कर उसे पकड़ लिया और उसके पेट पर जबर्दस्त घूंसा मारा और साथ में दूसरे हाथ से उसके चेहरे पर वार कर दिया। मेरा पति आलोक से कमजोर था। वो लहरा कर गिर पड़ा। आलोक ने फ़ुर्ती से छलांग लगाई और वहाँ से भाग खड़ा हुआ।

मेरा पति जब उठा तो उसका चेहरा खून से भरा था। उसने डंडा उठाया और मुझे बुरी तरह से मारना चालू कर दिया। मैं जोर जोर से रो कर उससे पांव पड़ कर माफ़ी मांगती रही पर उस पर तो जैसे खून सवार था। मैं रोती रही, मेरे जिस्म पर डण्डों की मार से नील पड़ चुकी थी। मेरे बालों का एक गुच्छा टूट कर वहाँ पड़ा था। पीठ में असहनीय दर्द हो रहा था। मुझे उसने एक कमरे में बन्द कर दिया। मैं दरवाजा भड़भड़ाती रही और माफ़ी मांगती रही। वो मुझे माँ बहन की गालियाँ देता रहा। अचानक उसके बाहर जाने की आवाज आई। मेरी नजर खिड़की पर पड़ी, मैंने जल्दी से पट खोला और कूद कर बाहर निकल आई। भाग कर बाहर आई तो दो-तीन पड़ोसी बाहर खड़े थे। मेरी चीख पुकार से शायद वो वहाँ आ गये थे।

पड़ोसी ने कहा,’खुशबू बेटी, वो शायद पुलिस थाने गये हैं !’

मैं और डर गई। आलोक के बारे में वहाँ कोई कुछ नहीं जानता था। मुझे लगा अब मुझे यहाँ रहने में खतरा है। मैंने तुरन्त अन्दर गई और और एक एयर बैग में सलवार, कुर्ते जल्दी जल्दी भरे, तभी मेरी नजर मेरे सर्टिफ़िकेट्स पर पड़ी, उन्हें भी मैंने रखा और कमरे में जहाँ मैं पैसे रखती थी, रुपये पैसे लिये और अपने गहने उठा लिये, फिर पति कि अलमारी से उसके पैसे निकाले और बाहर आ गई। तब तक घर के बाहर आठ दस लोग इकठ्ठे हो गये थे।

मैंने कहा,’भाई साहब ! मैं मायके जा रही हूँ… और पिटाई नहीं सह सकती हूँ !’ पड़ोसियों मेरी मदद की और पास में जा रहे टूसीटर को रोका और मां के घर की तरफ़ रवाना हो गई। फिर मुझे लगा कि वो तो वहां भी आ जायेगा। आगे जाकर मैं टूसीटर से उतर गई। वही खड़ी खड़ी सोचती रही। मुझे अपनी जिन्दगी इस छोटी सी गलती के कारण अन्धकारमय नजर आने लगी थी।

मैंने एक बड़ा कदम उठाने का निश्चय कर लिया और रेलवे स्टेशन पहुंच गई। दिल्ली की ट्रेन खड़ी थी। टिकट लिया और बैठ गई। गाड़ी जाने में एक घंटा का समय और था। मैं एक कोने में चुन्नी सर पर डाल कर मुँह छुपाये हुए थी। दिमागी परेशानी के मारे मुझे पता ही नहीं चला कि ट्रेन कब चल दी और मैं दिल्ली कब आ गई। बिना किसी लक्ष्य के मैं निजामुद्दीन से बाहर आ गई। सवेरे का समय था। एक रेस्टौरेन्ट में चाय बिस्किट खाये और फिर मैं आगे बढ़ी। थक कर एक चर्च के बाहर बैठ गई। मुझे नहीं पता था कि दो नजरें मुझे कब से देख रही हैं। बैठे बैठे मेरी झपकी लग गई। अचानक मेरे सर पर किसी का हाथ लगा। मैं चौंक गईऔर घबरा गई। नींद से जाग गई।

‘उठो, बेटी, ये जीजस का घर है… सभी दुखियारों का आसरा… !’

सामने चोगा पहने कोई पादरी था। मुझे प्यार भरी नजरों से देख रहा था। मुझे लगा कि ये दया का फ़रिश्ता कौन है।

‘आ जाओ… मेरे साथ… ‘ उसने अपना हाथ बढ़ा दिया। उसके बूढ़े हाथों को मैंने थाम लिया और मेरी रुलाई अब जोर से फ़ूट पड़ी… ।

‘रो लो बेटी, मन हल्का हो जायेगा।’ मेरी रुलाई कम हुई तो मन मजबूत करके मैं उनका हाथ थामे चर्च परिसर में प्रवेश कर गई।

खुशबू जिंदगी के किस मोड़ पर पहुंची … पढ़े भाग 2 में Sex Stories

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मैं रमेश 20 साल Hindi porn stories, अमदाबाद में रहता हूँ। मेरी हाईट 5’6″ गोर रंग और सबसे महत्त्वपूर्ण कि मेरा लंड 8″ का है जिसे सारी लड़कियाँ, भाभियाँ और आंटियाँ पसन्द करती हैं।

मेरी भाभी रीना, जो एक सुन्दर सेक्सी लेडी हैं, की उमर 27 साल है। उनके बड़े बड़े स्तन और मोटे चूतड़ जो चलते समय इधर उधर झूलते हैं, मुझे हर वक्त बेचैन किये रहते हैं।

मेरा भाई 28 साल का है और 8 महीने पहले उसकी शादी रीना से हुई है। वो एक बड़ी मल्टी नैशनल कम्पनी में सोफ़्टवेयर इंजीनीयर है। उसे अक्सर कम्पनी के काम से बाहर जाना पड़ता है। मैं भी एक कोलेज में पढ़ता हूँ और भैया भाभी के साथ रहता हूँ।

शुरू के महीनों में भैया भाभी ने अपनी मैरिड लाइफ़ को अच्छा एन्जोय किया। फ़िर भाभी भैया के लम्बे समय के विदेश के टूर से परेशान हो जाया करती। भैया चार महीने के लिये फ़िर गये तो मैं और भाभी दोनों ही घर मैं अकेले थे, भाभी एकदम उदास नज़र आती थी। मैं भाभी से बहुत बातें करता था और उनको खुश करने की कोशिश करता था, लेकिन यह बहुत मुश्किल था।

थोड़े दिन ऐसे ही बीत गये।

भाभी में मैंने थोड़ा चेंज नोटिस किया, मैं और भाभी अब अच्छे दोस्त बन गये थे। दोनों बाहर शोपिंग करने जाते थे, घूमते थे मज़े करते थे। जो लोग हमें नहीं जानते थे उन्हें हम दोनों पति और पत्नी लगते थे। मेरे मन में भाभी के बारे में बहुत सेक्सी ख्याल थे लेकिन वो मेरे बड़े भैया की पत्नी है यह सोच कर मैं अपने आप को कंट्रोल करता था। लेकिन रात को घर में हम दोनों अकेले होते तो मेरा लंड भाभी को चोदने के इरादे से खड़ा हो जाता था और मैं अपने लंड को अपने हाथों से हिला के अपनी आग बुझाता था।

भाभी और मैं बहुत सी बातें करते थे, वो हमेशा यह जानने की कोशिश करती थी कि कोई लडकी मेरी दोस्त है या नहीं?

मैं उसे कहता था कि मेरी कोइ गर्ल फ्रेंड नहीं तो वो मानने से इंकार करती थी, वो बोलती थी कि तेरी कोई गर्ल फ्रेंड नहीं, ऐसा हो ही नहीं सकता। और कहती थी लड़कियों को तेरे जैसे सुडौल सुगठित लड़के चाहिये होते हैं। आज कल भाभी ऐसे ही बातें करती थी। मैं जान गया भाभी के मन में मेरे बारे में कुछ चल रहा है। उसका मेरे साथ व्यवहार भी थोड़ा बदल गया था। बातें करते समय वो मुझे छूने की कोशिश करती थी। मेरे करीब आया करती थी। मैं बड़े मुश्किल से अपने आप को कंट्रोल करता था। भाभी अब सेक्स की कमी महसूस कर रही थी। उसकी हरकतों से ऐसे लगता था कि उनको सेक्स चाहिए बस!

सामान्यतया वो घर में साड़ी में रहती थी, साड़ी में उसके गोल गोल चूतड़ देख कर मेरा तो लंड हमेशा तन जाता था। उसकी नाभि, ब्लाउज़ में से दिखने वाली उसकी सेक्सी क्लीवेज, मैं इन सबके लिये पागल हुये जा रहा था। झाड़ू लगाते समय हमेशा मेरे सामने वो अपने साड़ी का पल्लू जानबूझ कर गिराया करती थी ताकि मैं उसके बड़े स्तन देख सकूँ। शायद वो मुझे पाने के लिये पागल हुए जा रही थी। लेकिन मुझमें इतनी हिम्मत नहीं थी कि मैं जाकर भाभी को चोदना शुरु करुं। मुझे बहुत डर लगता था।

एक दिन रात को बेडरूम मैं अपने सेक्सी भाभी के बारे में सोच कर अपना लंड हिला रहा था, मेरे कमरे का दरवाज़ा तो बंद था लेकिन मैंने लॉक नहीं किया था। तभी भाभी कुछ काम से या जानबूझ कर मेरे कमरे में बिना खटकाए चली आई, और मैं अपना लंड बड़े मज़े से हिला रहा था। भाभी को देख के मैं इतना शरमा गया, कुछ कह नहीं सका।

भाभी ने भी कुछ नहीं कहा, लेकिन मेरे बड़े लंड को 2-3 मिनट तक देखते रही और वहाँ से चली गई।

अगले दिन सुबह मैं जब कॉलेज जाने की तैयारी कर रहा था तब भाभी ने मुझे स्नैक्स और चाय दी। मैं तो रात की घटना से इतना शरमा गया था कि मैं भाभी से आंखें नहीं मिला पा रहा था। एक नज़र मैंने भाभी के तरफ़ देखा तो भाभी ने मुझे शरारती मुस्कान दी, लेकिन कुछ नहीं कहा। और मैं झट से वहाँ से कॉलेज के लिये निकल पड़ा।

मैं दोपहर को 1 बजे घर आया, भाभी ने दरवाज़ा खोला, उसने गुलाबी रंग की शीफ़ॉन साड़ी और सेक्सी स्लीवलेस ब्लाउज़ पहना हुआ था। वो सेक्सी दिख रही थी। उसकी पारदर्शक साड़ी में से उसका सेक्सी बदन साफ़ दिख रहा था। उसने मेरे हाथों से मेरा कॉलेज बैग लिया और मुझे अंदर लेकर दरवाज़ा बंद कर दिया और उसने मुझसे पूछा- प्यारे देवरजी, आप कल रात को क्या कर रहे थे??’

मैंने कहा- भाभी मैं कल रात को आपके बारे में सोच के अपना लंड हिला रहा था।’

मैं उसी के बारे में सोच के अपना लंड हिला रहा था, यह सुन कर वो एकदम पागल हो गई और मेरे पास आई, उसने मुझे धक्का दिया और सोफ़े पे गिरा दिया। अब वो कूद के मेरी छाती पर बैठ गई और बोलने लगी- रमेश, तुम कितने भोले हो, अपनी भाभी को चोदना चाहते हो लेकिन कभी ज़बरदस्ती नहीं की, मैं भी तुम्हारे लिये पागल हूँ, मैंने सोचा था कभी ना कभी आके तुम मुझे ज़रूर चोदोगे। लेकिन तुमने ऐसा नहीं किया। मैं तुम्हारा प्यार पाने के लिये तड़प रही हूँ। तूने भाभी को बहुत तरसाया है। मुझे तुम्हारे प्यार की बहुत ज़रुरत है।’

ऐसे बोल के उसने मेरे होंठों पे अपने होंठ कस के दबा दिये। 15 मिनट तक वो मेरे और मैं उसके होंठ चूसता रहा। अब मेरा भी लंड बहुत टाइट हो रहा था। होंठों के बाद वो मुझे सब जगह पे चूमने लगी, गाल छाती और सब जगह। मैं भी उसके गालों को चूसने लगा। चूस चूस के उसके गोरे गाल मैंने लाल कर दिये।

अब तो वो बहुत गरम हो गई थी उसने मेरे कपड़े निकाल दिये, और मैंने उसके। अब मैं सिर्फ़ मेरे अंडरवीयर में था। और मेरे लंड का आकार साफ़ नज़र आ रहा था। वो शेप देख के वो और पागल हो गई और बोली- रमेश, जब से तुम्हें अपना ये बड़ा लंड हिलाते देखा है, मैं तो इसके लिये पागल सी हो गई हूँ, अब मुझे और ना तड़पाओ!’

ऐसे बोल कर उसने मेरी अंडरवीयर निकाल दी। अब वो मेरा पूरा नंगा लंड देख के जो कि अब 8′ से बड़ा हो गया था, अपने आप को कंट्रोल नहीं कर पा रही थी। उसने उसे अपने हाथों से हिलाना शुरु किया और बोली- तुम्हारा तो तुम्हारे भैया से काफ़ी बड़ा है, इसलिये मैं तुम्हें कहती थी कि तुम्हारी कोई गर्ल फ्रेंड नहीं है क्या?? मेरे भोले देवर जी लड़कियों को ऐसे बड़े लंड वाले लड़के बहुत पसंद होते हैं!’

वो मेरे लंड के साथ खेल रही थी। अब उसने मेरा लंड अपने मुंह में ले लिया। मेरा लंड पहली बार किसी छेद में जा रहा था। मेरे लंड को गुदगुदी सी हो रही थी। मैं जैसे स्वर्ग में था।

उसने मेरा लंड पूरा अपने मुंह में ले लिया। क्योंकि यह मेरा पहली बार था, मैं ज्यादा देर नहीं टिक पाया, 5 मिनट के बाद मैंने उसे कहा- मैं छूटने जा रहा हूँ!

उसने कहा- मुंह के अंदर ही छोड़ देना!

मैंने बड़े जोर के साथ अपना वीर्य उसके मुंह में निकाल दिया और उसने वो पूरा निगल भी लिया। अब छूटने की वजह से मेरा लंड फ़िर अपने सामान्य शेप में आ गया। तब भाभी और मैं बाथरूम में सफ़ाई के लिये चले गये। वहाँ वो तो और सेक्सी बातें करने लगी। लगता है अब तक उसकी गरमी ठंडी नहीं हुई थी। उसने कहा- तुम्हारे भैया का लंड तुमसे बहुत छोटा है, और वो मुझे इतना प्यार भी नहीं करते, भैया नहीं थे तो मैं सेक्स के लिये बहुत पागल हुये जा रही थी, मुझे तुम अपनी बीवी समझना और जब जी चाहे तब चोदना। ये भाभी आज से तेरी है।’

और उसने मुझे फिर चूमना शुरु किया। हम एक दूसरे को फिर चूसते रहे, चूमते रहे। मैंने उसे कहा ‘भाभी, देवर को दूधू पिलाओ!’उसने कहा- पूछो मत! ये दूध और दूधवाली सब आप ही के लिये हैं, जितना दूध पीना है पी लो!’

और मैंने बिना रुके उसके 36 डी साइज़ के सेक्सी बूब्स दबाने लगा। उसे ज़ोरो से चूसने लगा। वो चीखने लगी- चूसो और ज़ोरों से, पी जाओ सारा, रमेश् आआआआअ आईईइ ईइ अ दूध ऊऊऊह ह्हह्हा आऐइ ईई ईई…ऊऊ ऊऊओ ऊऊओ ऊओ ऊ…आ आआअ आ आअ।

मैंने अपनी चुसाई जारी रखी, और वो मेरे लंड से खेले जा रही थी। 20 मिनट मैंने उसके स्तन चूस चूस के लाल कर दिये, अब मेरा लंड फ़िर तन रहा था। अब तो मेरे लंड को उसके चूत के छेद में जाना था। अपना तना हुआ लंड मैंने उसकी चूत पर रख कर अन्दर करएने का प्रयत्न किया। मेरा लंड मोटा होने के कारण अंदर जाने में थोड़ी दिक्कत हुई। लेकिन 2-3 जोर के झटकों के बाद अंदर चला गया। तब वो चिल्लाई- आआअ आआअ आऐइ ईईईइ ऐईईइऊ ऊऊऊईइ ईईईई माआ आआआ निकालो बहुत दर्द हो रहा है, लेकिन वो उसे अलग नहीं होने दे रही थी। उसे भी बहुत मज़े आ रहे थे। मेरा लंड भी बहुत मजा कर रहा था। उसे चूत चुदवाना अच्छा लग रहा था। मैंने उसे लगभग 20 मिनट तक चोदा और उसकी चूत में पानी निकाल दिया, उसी समय पे उसके भी चूत से पानी निकला।

फिर हम दोनों बाथरूम में एक साथ शॉवर में नहाये, वहाँ भी मैंने थोड़ी मस्ती की। कॉलेज से घर आने के बाद शाम को 2।00 से ले के 5।00 तक चुदाई का ही प्रोग्राम चलता रहा। उस रात को हम दोनों एक ही बेड पे सोये थे एक दूसरे के बाहों में पति-पत्नी की तरह। मेरी सेक्सी भाभी के बदन की आग ठंडी हो ही नहीं रही थी। सुबह 5।30 को वो फ़िर से मेरे लंड के साथ खेलने लगी, मैं तब नींद में था। लेकिन उसकी मस्ती से मैं उठ गया और मेरा लंड भी उठ गया। और फिर एक बार मस्त चुदाई हुई।

उस पूरे दिन में हम दोनों ने 4-5 बार सेक्स किया, मैं तो पूरा थक गया था और वो भी। दूसरे दिन मैं कॉलेज जा ना सका।

इस लिये मैंने इस स्टोरी को ‘भाभी ने देवर को चोदा’ ये नाम दिया है। वो रात मैं अपनी ज़िंदगी में कभी नहीं भुला सकता। उसके बाद मैंने भाभी को बहुत बार अलग अलग तरीके से चोदा है।
लेकिन अच्छी बातें कभी ज्यादा देर नहीं टिकती। वैसे ही हुआ, पिछले महीने में भैया का ट्रांसफ़र हो गया और उन्हें शिफ़्ट होना पड़ा। भाभी भी अब उन्हीं के साथ रहती है।

अब अमदाबाद में मैं बिल्कुल अकेला हूँ।

अब मेरे लंड को चोदने की अच्छी आदत लगी है, और जैसा भाभी ने कहा था कि लड़कियों को बड़े लंड वाले लड़के पसंद है वैसे ही हुआ। मेरे कॉलेज में एक लड़की है, उसने मुझसे फ़्रेंडशिप की, मैंने उसे परपोज़ भी किया। उसे भी मैं 3-4 बार चोद चुका हूँ। यह कहानी मैं आपको अगली बार Hindi porn stories ज़रूर बताऊँगा।

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मेरे सारे प्यारे Sex Stories दोस्तों को मेरा सेक्सी सलाम! आज मैं आपको अपनी एक सच्ची कहानी बताने जा रहा हूँ, मैं इसे पहली बार नेट पे डाल रहा हूँ।

मेरा नाम राहुल है और मैं गुजरात में सूरत का रहने वाला हूँ। मैं एक 32 साल का युवक हूँ और दिखने काफी स्मार्ट और लम्बा चौड़ा हूँ।

मेरी कहानी आज से चार साल पहले की है। मेरी एक चाची है, उसका नाम सोनिया है जो एक विधवा औरत है। काफी सालों पहले मेरे चाचा का देहांत हो गया था। अभी चाची की उम्र करीब चालीस साल है लेकिन दिखने में 28-30 की लगती हैं। हालांकि उनकी दो लड़कियाँ हैं दोनों सुन्दर और सेक्सी हैं।

पहले मैं चाची के बारे में सोच-सोच कर मुठ मारता था। चाची के घर मैं कभी-कभी जाता था और उनको देख-देख के लम्बी-लम्बी साँसें भरता था।

एक दिन दोपहर को चाची का फ़ोन आया कि घर पर नया एसी लिया है जो इंस्टाल करवाना है। मैं तुंरत ही पहुँच गया, देखा के डीलर के यहाँ से दो लोग आये थे और आंटी के कमरे में एसी लगाने के बारे में बातचीत कर रहे थे।

इतने में मैं पहुंचा तो चाची ने मुझसे पूछा- राहुल इसको कहाँ डलवायेंगे?
मैंने कहा- जहाँ आपकी मर्जी हो, डलवा लो!

यह सुनकर वो तिरछी नजरों से मुझे देखने लगी। लेकिन उस वक्त कुछ नहीं हुआ। कुछ दिन बाद मुझे फिर से उनका फोन आया कि एसी में कुछ गड़बड़ है, तो मैं चला गया।

मैंने देखा कि चाची कमरे में अकेली है और किसी से फोन पर बातें कर रही हैं। उतने में उनके हाथ से कॉर्डलेस फोन गिर गया और वो उसे उठाने के लिए नीचे झुकी…

माय गॉड! क्या नजारा था… उनके सफ़ेद स्तन जो कि पारदर्शक साड़ी से बाहर आने के लिए तड़प रहे थे, उन्हें मैंने देख लिया और तुंरत ही मेरा लंड खड़ा हो गया।

चाची की अनुभवी नजरों ने यह देख लिया और मेरी तरफ एक हल्की सी मुस्कान दी। मैंने भी सामने मुस्करा दिया। उस वक्त दोपहर के करीब ढाई बजे थे और घर में कोई नहीं था। हम दोनों के अलावा। चाची ने मुझे बैठने को कहा और सीधा ही पूछ लिया- क्या देख रहा था?

मैंने बिना घबराए जवाब दिया- आपको और आपके शरीर को देख रहा था, जो कि बहुत ही सुन्दर है।

चाची का फिगर बहुत बढ़िया है, उनके स्तन ऊपर की तरफ उठे हुए और 42 साइज़ के हैं। गांड का आकार भी करीब उतना ही होगा और उसका रंग एक दम दूधिया है जिसे देखकर कोई भी चूतिया मुठ मार लेगा तुरंत उसी स्थान पर!

चाची ने फिर मुझे कहा- तूने कभी मेरे बारे में सोचा है कि मैं कैसे रहती हूँ? (चाची की दोनों लड़कियाँ हॉस्टल में पढ़ती हैं। उनकी कहानी बाद में)
मैंने जवाब दिया- बहुत मुश्किल होता है अकेले रहना और जीना!

मेरे इतना कहने पर चाची मुझसे लिपटकर रोने लगी और कहने लगी- मेरा जीवन दुशवार हो गया है, तुम्हें क्या मालूम कि औरत के क्या-क्या ख्वाब होते हैं!
मैंने कहा- मुझे पता है!

और वो सुनने के बाद खुश हो गई।

मैंने सारी शर्म छोड़ कर कहा- मैं आपको नंगा देखना चाहता हूँ!
वो जल्दी ही मान गई।
उसने कहा- रुको और वो अपने कमरे में चली गई, वहाँ से लौटी तो उसने पारदर्शी कपड़े पहने थे। उसे देख कर मैं उनसे लिपट गया और चूमने लगा।
उसने कहा- रुक जाओ मेरे राजा! धीरे धीरे करो!

थोड़ी ही देर में उनका पेटीकोट बिल्कुल ऊपर तक आ चुका था। शायद वो चड्डी नही पहनती थीं, जिस कारण उनकी चूत मुझे साफ़ साफ़ दिखाई दे रही थी जिस पर हल्के से बाल थे।

उनकी चूत देखकर मुझसे रहा नहीं गया और मैंने उनकी जांघ पर धीरे धीरे हाथ फेरना शुरू कर दिया और उनके जिस्म के भी रोंगटे खड़े हो गए थे, थोड़ी ही देर में उन्होंने करवट ले ली और अब उनकी चूत के दर्शन मुझको साफ़ तरीके से होने लगे थे। तो मैंने भी देर ना करते हुए उनके गड्ढे में अपनी एक ऊँगली डालना शुरू कर दी पर उनकी चूत बहुत ही टाईट थी जिस वजह से मैं और पागल हो चुका था और थोड़ी देर में मैंने एक ऊँगली से दो उँगलियाँ उनकी चूत में अन्दर बाहर करना शुरू कर दी।

मैंने उसके सारे कपड़े निकाल दिए। मैंने उनकी चूत में लण्ड डालना चाहा, वो बोली- रुक जा यार! और मेरा लण्ड पकड़ के मुंह में ले लिया खूब जोर से मुंह में अन्दर बाहर करने लगी। थोड़ी देर में बोली- मेरे से रहा नहीं जाता, प्लीज़, मुझे पलंग में पटक कर चोद! प्लीज़ चोद! प्लीज़ चोद! यार चूत में बहुत खुजली हो रही है!

मैंने कहा- चाची, मैं अभी सीधा लण्ड आपकी चूत में नहीं डालूँगा!
तो बोली- क्या करेगा ?
मैंने कहा- आप पलंग के कोने पे पैर फैला के रखो, मुझे तुम्हारी चूत चाटनी है!
वो खुश हो गई- यार! पहली बार कोई मेरी चूत चाटेगा! चाट ले… जल्दी से चाट… चाट!

करीब आधे घंटे तक मैंने उसकी चूत और उसने मेरा लण्ड चाटा।

फ़िर बोली- तुम सामने सोफे पे बैठ जाओ। मैं सोफे पे बैठ गया और वो मेरे ऊपर इंग्लिश स्टाइल में बैठ गई और मेरा लण्ड अपनी चूत में डालकर पागलों की तरह गोद में कूद रही थी।

तब मैंने उनकी चूचियों को पकड़ कर चुचूकों को मसलते हुए उनके होटों को चूमा और बोला- अरे मेरी रानी! इतनी भी क्या जल्दी है? पहले मैं ज़रा तुम्हारे सुन्दर नंगे बदन का आनन्द तो उठा लूं! फ़िर तुम्हें जी भर के चोदूंगा।

मैंने उन्हें पलंग पर लिटा कर अपना सुपारा उनकी पहले से ही भीगी चूत के दरवाजे के ऊपर रखा और धीरे से कमर हिला कर सिर्फ़ सुपारे को ही अन्दर किया।

सोनिया चाची ने मेरे फ़ूले हुए सुपारे को अपनी चूत में घुसते ही अपनी कमर को झटका दिया और मेरा आठ इन्च का लण्ड पूरा का पूरा उनकी चूत में घुस गया।

तब चाची ने एक आह सी भरी और बोली- आह! क्या शान्ति मिली तुम्हारे लण्ड को अपनी चूत में डलवा कर। यह अच्छा हुआ, मुझे बहुत दिन से इच्छा थी कि किसी लम्बे लण्ड से चुदने की, आज वो पूरी हो गई। नहीं तो मेरी इच्छा पूरी नहीं होती।

अब मैं अपना लण्ड धीरे धीरे उनकी चूत के अन्दर-बाहर करने लगा। उन्होंने पहले कभी अपनी चूत में इतना मोटा लण्ड कभी नहीं घुसवाया था। शायद चाचा का लण्ड छोटा होगा, उन्हें कुछ तकलीफ़ हो रही थी। मुझे भी उनकी चूत काफ़ी टाईट लग रही थी। मैं मस्त हो कर उनकी चूत चोदने लगा।

वह मुझे भरपूर मजा दे रही रही थी। कुछ देर बाद चाची मेरे उपर आ गई और मै नीचे से चूत चाटने के साथ साथ उनके गोरे और बड़े बड़े हिप्स सहलाने लगा। चाची की चूत पानी छोड़ गई। अब मैं और नहीं रह सकता था, मै उठा और चाची को लिटा कर, उनकी टांगें चौड़ी करके चूत में लन्ड डाल दिया और चाची कराहने लगी। मै जोर जोर से धक्के लगाने लगा।

चाची ने मुझे कस के पकड़ लिया और कहने लगी- ऐसे ही करो, बहुत मजा आ रहा है, आज मैं तुम्हारी हो गई, अब मुझे रोज़ तुम्हारा लन्ड अपनी चूत में चहिये एएऊउ स्स स्सी स्स्स आह्ह्ह ह्म्म आय हां हां च्च उई म्म मा।

कुछ देर बाद मेरे लन्ड ने पानी छोड़ दिया और चाची भी कई बार स्खलित हो चुकी थी।

उस दिन मैंने तीन बार अलग अलग तरीकों से चाची को चोदा। चाची ने भी मस्त हो कर पूरा साथ दिया।

इस तरह मैंने चाची की चूत की प्यास बुझाई। उसके बाद मैंने चाची की दोनों लड़कियों को बारी बारी चोदा, लेकिन वो कहानी बाद में!

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हल्लो, मैं श्याम … आप सब को मेरा नमस्कार ! Hindi Sex Stories

मेरी मौसी (दूर की) की लड़की Hindi Sex Stories प्राची (सालगिरह की अनोखी भेंट) के साथ मेरे सेक्स की कहानी आप ने पढ़ी होगी … इस बार मैं आप को प्राची की बड़ी बहन किरण और मेरी सेक्स कहानी सुनाने जा रहा हूँ।

किरण दिखने में तो सेक्सी थी लेकिन थोड़ी गुस्से वाली और जब देखो तब सबके ऊपर हुक्म चलाती थी, इस लिए मेरी उससे ज्यादा पटती नहीं थी, कालेज में भी कोई उसका करीबी दोस्त नहीं थे।

छुट्टियों के दिन थे। एक दिन हम सब पिकनिक पर गए हुए थे। अचानक किरण ने कहा- चलो सब नदी में नहाते हैं।
लेकिन सब ने मना कर दिया क्योंकि मेरे अलावा किसी को तैरना नहीं आता था।
तो वो रूठ गई और कहने लगी- आप सब को आना है तो चलो, वरना मैं अकेली ही जाती हूँ।
थोड़ी देर बाद मौसी ने कहा- श्याम जा देख किरण ठीक तो है और हो सके तो उसको मनाकर साथ ले आ।

नदी सिर्फ़ 3-4 मिनट ही दूर थी। मैंने वहाँ जाकर देखा, तो वो घुटनों तक पानी में बैठ कर खेल रही थी। मुझे ताने कसने का मौका मिल गया, मैंने कहा- मुझे तो लगा तुम तैरती हुई दूर निकल गई होगी!
तो उसने कहा- जानती हूँ, तुम बहुत स्मार्ट बनते हो … मुझे तैरना सिखाओ …
मैंने कहा- उसके लिए गहरे पानी में जाना पड़ेगा।
“तो ठीक है …”
मैंने कहा- मौसी ने मुझे यहाँ तैरना सिखाने नहीं, तुम्हें बुलाने भेजा है …
तो वो बोली- ठीक है मैं आती हूँ लेकिन मुझे एक बार उधर गहरे पानी में ले चलो …
मैंने पूछा- तुम डरोगी तो नहीं?
वो बोली नहीं …

मैंने उसका हाथ पकड़ा और गहरे पानी में ले गया। जब पानी गले तक आ गया तो मैंने कहा- चलो अब वापस चलते हैं …
किरण मना करने लगी और बोली- प्लीज़, मुझे तैरना सिखाओ …
मैंने कहा- आज नहीं, फ़िर कभी, लेकिन वो नहीं मानी।

मैंने कहा- ठीक है … मैं तुम्हें कमर से पकड़ता हूँ, तुम धीरे-धीरे अपने पैर और हाथ हिलाओ … लेकिन वो नहीं कर पा रही थी।
तो मैंने कहा- कमर भर पानी में चलते हैं, मैं तुम्हें मेरे दोनों हाथ पर उल्टा लेटाता हूँ ताकि तुम्हें हाथ-पैर हिलाने में आसानी हो सके …

अभी उसके कमर के नीचे का भाग मेरे दांए हाथ में था और छाती के नीचे का भाग बांए हाथ में था। वो हाथ-पैर हिलाने लगी … लेकिन मेरा हाल ख़राब होने लगा, क्योंकि मेरे हाथों में एक भीगी-सेक्सी लड़की थी, पानी में होते हुए भी मैं उसके शरीर की गर्मी को महसूस कर रहा था, मुझे शरारत सूझी, मैंने उसे पानी में छोड़ दिया, वो डर गई और इधर उधर हाथ मारने लगी … पानी इतना गहरा नहीं था इस लिए मैंने उसे खड़ा कर दिया … लेकिन वो डरी हुई थी इसलिए मुझसे लिपट गई.

मुझे और क्या चाहिए था … मैं भी उसे चिपक गया। मैंने उसके निप्पलों को अपनी छाती पर महसूस किया। उसकी भारी-भारी साँसों ने मुझे मदहोश कर दिया … मेरे हाथों ने उसे और कस लिया, मेरा लंड भी खड़ा हो गया … मदहोशी में कब मेरा हाथ उसके गांड पे चला गया पता ही नहीं चला … उसे भी शायद मज़ा आ रहा था.

कुछ पल के बाद उसने उसका हाथ मेरे हाथ पर रख दिया और मेरी तरफ़ मुँह उठाया और मुझे देखने लगी … मैं भी उसे देखता ही रहा और उसके ऊपर झुकने लगा … और … हल्के से उसके नरम गीले होठों को मेरे होठों ने छुआ … दोनों के शरीर में जैसे बिजली दौड़ गई … एक दूसरे से और ज़ोर से लिपट गए और किस करने लगे। उसके हाथ मेरे बालों में और मेरे हाथ उसकी पीठ और गाँड पर चल रहे थे।

अब मैं एक हाथ उसकी कमर से होते हुए उसकी जांघों को सहलाने लगा और धीरे से उसकी चूत को कपड़े के उपर से ही सहलाने लगा … उसे यह बहुत अच्छा लग रहा था इसलिए कोई विरोध नहीं किया … हम दोनों एक दूसरे को जम के किस कर रहे थे और सहला रहे थे.
लेकिन अचानक उसने मुझे पानी में धकेल दिया और बोली- जल्दी चलो देर हो गई है और कोई भी आ सकता है …
हालात को समझते हुए हम दोनों वहाँ से निकल लिए और रात को मेरे रूम में मिलने की योजना बनाई।

शाम को करीब 6 बजे घर पहुंचे। मौसी, प्राची, किरण ने मिलकर खाना बनाया। खाना खाने के बाद सब टीवी देखने बैठ गए। साढ़े दस के बाद सब सोने चले गए। मैं भी ऊपर अपने कमरे में आ गया। कपड़े निकाले और हर रोज़ की तरह नंगा ही सो गया।

तक़रीबन साढ़े बारह बजे मेरी रूम का दरवाजा खुला … किरण ही थी … मैं झट उठा दरवाजे को लॉक किया और एक दूसरे की बाँहों में समा गए … जम कर चुम्मा-चाटी हुई। दस मिनट बाद मैं धीरे-धीरे उसके बूब्स दबाने लगा … किरण मचल उठी … धीरे से मैंने उसका नाईट गाउन उतार दिया … उसने नीचे कुछ भी पहना हुआ नहीं था … अब हम दोनों नंगे थे। वो अपने आप को मेरे सामने नंगा देख थोड़ी शरमा गई। क्योंकि किरण पहली बार किसी मर्द के सामने नंगी खड़ी थी … हमेशा उखड़ी-उखड़ी रहने वाली किरण आज कोमल सेक्सी और खुश दिख रही थी।

अब मैं उसने कान और गर्दन को चूमने लगा और उसके स्तनों को बारी-बारी से मसलने लगा … उसके चूचुक एकदम कड़क थे … उसके साथ खेलने का मज़ा आ रहा था … उसके मुँह से आह्ह्ह्ह … ऊऊउम्म्म जैसी सिसकारियाँ निकल रहीं थीं।

अब मैं उसके निप्पलों को चाटने लगा और एक हाथ उसकी जाँघ पर घुमाने लगा। किरण भी मेरे लण्ड को सहला रही थी … अब किरण एकदम गर्म हो गई थी और मेरे बालों को हल्के से खींच रही थी। मैं निप्पल और बूब्स को ज़ोर-ज़ोर से चूसने लगा और उसी समय मेरी बीच वाली उंगली से उसकी चूत को सहलाने लगा और आखिर में उंगली को घुसा ही दिया उसकी गर्म चूत में और धीरे-धीरे अन्दर-बाहर करने लगा.

उसको मज़ा आ रहा था … उसकी सिसकारियाँ बढ़ने लगीं थीं … एकदम से उसका सारा शरीर कड़क हो गया … शायद वो झड़ने वाली थी … मैंने झट से अपना मुँह उसकी चूत पर रख दिया ताकि मैं उसका पहला पानी पी सकूँ, और जीभ से चाटने लगा … जैसे ही मैंने मेरी जीभ उसकी कुँवारी चूत में डाली, उसने अपना पानी छोड़ दिया …

अब मेरा लण्ड उसकी चूत के लिए बेक़रार था … मैंने पूछा- लण्ड को चूत में लेने के लिए तैयार हो?
उसने सिर हिलाकर हामी भर दी … मैं उसके पैरों के बीच खड़ा हो गया और लण्ड को उसकी चूत पर रगड़ने लगा …
तो वह बोली- श्याम ज़ल्दी करो अब नहीं रहा जाता …

मैंने लण्ड को किरण की चूत के छेद पर सेट किया … साथ ही उसके होठों को चूमने लगा … और एक हल्का सा झटका मारा … पूरा सुपाड़ा उसकी बुर में घुस गया, उसके मुँह से ज़ोर की आह निकल पड़ी- दुखता है …
मैंने कहा- सिर्फ़ कुछ पल की बात है … और मैं सिर्फ़ सुपाड़े को ही बाहर निकाले बिना अन्दर हिलाने लगा …

किरण को भी अच्छा लग रहा था तो मैंने उसके मुँह पर अपना मुँह रख दिया और लौड़े को थोड़ा आगे-पीछे किया और ज़ोरदार झटका मारा … उसकी चीख मेरे मुँह में ही घुटकर रह गई … मैंने मौक़ा देखते ही दूसरा झटका मारा, इस बार सात इंच तक लण्ड अन्दर घुस गया … किरण छटपटाने लगी, आँखों से पानी बहने लगा … दर्द के मारे वो काँप रही थी, मैं ऐसे ही पड़ा रहा और एक हाथ से उसके बूब्स को सहलाने लगा।

2-3 मिनट बाद उसका शरीर थोड़ा ढीला पड़ गया … अब मैंने उसके मुँह से अपना मुँह हटा लिया ताकि वो आराम से साँस ले सके, मैंने उसके एक बूब पर अपनी जीभ फेरनी चालू कर दी और दूसरे को मसलने लगा … कुछ ही पलों में उसने भी साथ देना चालू कर दिया। उसकी गांड धीरे-धीरे हिलने लगी … अब मेरा रास्ता आसान था, मैंने भी मेरी गांड हिलानी चालू कर दी … मेरा लण्ड किरण की बुर में अन्दर-बाहर होने लगा … और मैंने उसकी बुर के अन्दर अपना पूरा लण्ड डाल दिया …

उसके मुँह से सिसकारियों का सिलसिला निकल रहा था … जो मुझे और भी अधिक कामुक बना रहा था। अब मैंने मेरे पिस्टन की गति बढ़ा दी। अब किरण भी मुझे गाँड़ उठा-उठा कर मेरा साथ दे रही थी … 4-5 मिनट बाद उसका शरीर अकड़ गया … उसने पानी छोड़ दिया.

लेकिन मैंने अपना काम चालू ही रखा। धीरे-धीरे मेरे लण्ड की गति बढ़ती जा रही थी … मेरा लण्ड उसकी चूत में काफी द्रुत गति से अन्दर-बाहर हो रहा था। आखिर मेरे झड़ने का वक्त आ ही गया, मेरी साँसें तेज़ होने लगी … पूरा शरीर पसीने से तर था … किरण भी चौथी बार झड़ रही थी … और मैं भी झड़ गया। मैंने अपना सारा वीर्य किरण की चूत में डाल दिया … हम-दोनों एक-दूसरे से चिपक कर ऐसे ही दस मिनट तक लेटे रहे।

उस रात हम भाई बहन ने एक बार और जमकर चुदाई की और सो गए।

दोस्तो, उम्मीद है कि आपको मेरी कहानी अच्छी लगी होगी … प्लीज़ आपकी टिप्पणी अवश्य भेजें। Hindi Sex Stories

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दोस्तो, यह मेरी प्रथम Hindi Sex Stories आपबीती और अनुभव है क्योंकि इससे पहले मुझे सेक्स का कोई न तो अनुभव था न कोई किताब या कहानी पढ़ी थी। बस दो या तीन कहानियाँ अपने दोस्त राम के साथ छुप कर ज़रूर पढ़ी थी, लेकिन ऐसा कुछ नहीं था कि कोई इच्छा हो या मन करता हो कुछ करने का, क्योंकि मैं कुछ जानता ही नहीं था।

एक बार टेस्ट के दिनों में जब मैं पढ़ाई कर रहा था तो जीव-विज्ञान के टेस्ट कठिन होने के कारण राम और मैंने साथ-साथ रात में पढ़ने का सोचा और मैंने राम से कहा कि वो मेरे घर पर रात को आठ बजे तक आ जाये, खाना खाकर फिर रात भर पढ़ाई करते रहेंगे और पाठ भी आसानी से एक दूसरे को समझा लेंगे।

मेरे घर पर मेरा कमरा घर से बाहर एक ओर था और वहाँ न तो घर वाले आते थे और न ही कोई आवाज़ आती थी। वह तैयार हो गया और रात आठ बजे मेरे कमरे पर आ गया। मैं पहले ही खाना खा कर बनियान-पजामा पहन कर पढ़ रहा था। मैंने देखा कि वो भी पजामा और कुर्ता पहने था। उसने आते ही अपना कुर्ता उतार कर खूँटी पर टांग दिया और बनियान-पजामे में मेरे सामने मेज़ की दूसरी ओर कुर्सी पर बैठ गया और हम दोनों एक साथ एक एक पाठ दोहराने लगे।

रात करीब एक बजे जब स्त्री पुरुष के जनन-अंगों वाला पाठ आया और उसमें जनन अंगों की फोटो वाला पेज आया तो कुछ रात की खुमारी और कुछ सेक्स अंगों की फोटो देख कर हम दोनों उत्तेजित होने लगे, हालांकि हम दोनों ही उस पाठ को पहले भी कई बार पढ़ चुके थे।

अचानक राम बोला कि उसे सू-सू आ रही है और वह उठने लगा तो मेरी नज़र अचानक उसके पजामे की तरफ गई तो देखा कि उसका लंड पूरा तना हुआ पजामे को तम्बू की तरह ताने हुए था। मुझे यह देख कर हंसी आ गई और वो शरमा कर बोला- धत, क्या देख रहा है? क्या तेरा भी ऐसे ही हो रहा है?

तो मैं भी उठा तो देखा कि मेरा भी वही हाल था और मैं भी शरमा गया। फिर वह पेशाब करने चला गया और उसके आने के बाद मैं भी पेशाब करने चला गया। फिर वापस आने पर दोनों उसी चैप्टर को याद करने लगे लेकिन अब हम दोनों का ही मन नहीं लग रहा था और दोनों ही का दिमाग कहीं और भटक रहा था।

दस मिनट के बाद राम बोला- अब पढ़ने में मन नहीं लग रहा है क्योंकि मेरा लंड फिर से कड़ा होने लगा है, लगता है यह पाठ पूरा नहीं कर पाऊँगा। यार तू बता मैं क्या करूँ?
मैंने कहा- यार मेरा भी यही हाल है!
और कुर्सी से उठ कर उसे दिखाया।

राम ने कुछ सोचा और उठ कर बोला- यार चल एक दूसरे को नंगा करके लंड मिलाते हैं किसका कैसा है!

यह कहते हुए उसने अपना कुरता और पजामा दोनों उतार कर कच्छा भी उतार दिया और ऊपर से नीचे तक पूरा नंगा हो गया। उसका लंड काले रंग का सीधा ऊपर को तना था और करीब 7 इंच लम्बा और थोड़ा मोटा आगे से नुकीला लेकिन खाल से ढका हुआ था।

यह देख कर मैंने भी अपने सारे कपड़े उतार दिए। मेरा लंड भी लगभग उसी के बराबर लेकिन गोरा था क्योंकि मेरे शरीर का रंग गोरा और उसका सावला था। मेरा लंड भी खड़ा था। यह देख कर हम दोनों पता नहीं कैसे अपने आप एक दूसरे से चिपक गए जिससे दोनों के लंड आपस में टकराने लगे और हम दोनों को जाने कैसी मजेदार अनुभूति होने लगी।

दो मिनट के बाद हम दोनों एक दूसरे का लंड हाथों में पकड़ कर सहलाने लगे जिससे लंड के आगे की चमड़ी अपने आप पीछे हो गई और लंड खुल गए। हम लोगों को बहुत मजा आ रहा था। दोनों ने दो-तीन कहानियाँ मस्तराम की पढ़ी थी, अतः ऐसा करते हुए हम दोनों बिस्तर पर पहले बैठ गए फिर अपने आप ही लेट गए अगल बगल और जोरों से एक दूसरे को चाटने लगे और लंड से लंड को धक्के देकर टकराने लगे।

बड़ा ही मजा आ रहा था। हम लोगों को न तो गांड मारना और न ही गांड मरवाना आता था लेकिन इसी प्रकार मजा लेते हुए राम बोला- यार मस्तराम की कहानी में जो पढ़ा है उसे करके देखते हैं।

मैं बोला- ठीक है!
और यह सुनकर राम ने पूछा- क्या तेल है?
क्योंकि कहानी में तेल चुपड़ कर ही लंड को गांड के छेद में घुसेड़ते हैं।

मेरे पास तेल नहीं था लेकिन चेहरे पर क्रीम लगाने का शौक होने के कारण क्रीम की शीशी थी। वो मैंने अलमारी में से निकाल कर उसको दे दी।
राम ने कहा- यार किसी से कहना नहीं! नहीं तो बहुत हँसी भी बनेगी और लोग चिड़ाएंगे भी!
तो मैंने कहा- हम दोनों में कोई नहीं बताएगा! बस अब देर मत करो और मस्तराम की कहानी का प्रैक्टिकल शुरू करते हैं। अब यह बता पहले तू कोशिश करेगा या मैं करूँ?
तो राम ने कहा- यार तू ही कर!

मैंने उसे बिस्तर पर पेट के बल लिटाया और उसकी जांघों के बीच उसके पैर फैला कर इस तरह बैठ गया कि मेरे लंड के सुपाड़े और उसकी गांड के छेद दोनों लगभग एक सीध में आ गये। फिर मैंने शीशी में से क्रीम निकाल कर उंगली से अपने लंड के सुपाड़े और पीछे भी लगाई और थोड़ी क्रीम उंगली से उसकी गांड के छेद के ऊपर लगा दी। फिर थोड़ा आगे बढ़ कर अपना सुपाड़ा उसकी गांड के छेद पर रख कर जोर लगाया कि लंड अंदर घुसे। लेकिन वो तो जरा भी अंदर नहीं गया तो राम बोला- चूतिया! खूब जोर से धक्का पेल! तभी तो अंदर जायेगा! मैं अपने हाथों से दोनों चूतड़ पकड़ कर फैला रहा हूँ, तू जोर से ताकत लगा कर घुसेड़ दे!

मैंने आव देखा न ताव! और पूरी ताकत से धक्का मारा तो एक चीख तो राम के मुँह से निकली- हाई दय्या रे मर गया! निकाल जल्दी से निकाल! साले मैं मर जाऊँगा!

और वह मेरा लंड अपनी गांड में से बाहर निकलने को छटपटाने लगा। मेरा आधे से ज्यादा लंड उसकी गांड में घुस चुका था। दूसरी चीख हलकी सी मेरे मुँह से निकली क्योंकि पहली बार मेरे लंड से खाल पूरी तरह हट कर बिल्कुल पीछे हो गई थी और लंड राम की गांड की दोनों फांकों के बीच बहुत टाइट फंसा था।राम के छटपटाने से मेरा संतुलन भी बिगड़ गया था जिससे मैं उसकी पीठ पर गिर गया था और राम मेरे वजन के कारण हिल भी नहीं पा रहा था। मैं थोड़ी देर उसी प्रकार लेटा रहा और सोच रहा था कि क्या करूँ, अपना लंड बाहर निकालूँ या दूसरा धक्का मारकर पूरा अंदर कर दूँ!

इस प्रकार चार-पाँच मिनट बीत गए तो राम का छटपटाना बंद हो गया और वो शांति से लेटा था। फिर राम खुद बोला- यार जब प्रैक्टिकल करना है तो पूरा ही कर लेते हैं! जो होगा देखा जायेगा! तू लंड पूरा घुसेड़ दे लेकिन अबकी बार एक धक्के में पूरा घुस जाये क्योंकि तीसरा धक्का खाने की ताकत नहीं है मेरे में!

मैंने शरीर की पूरी ताकत अपने कूल्हों में इकठ्ठा करके जो धक्का मारा तो एक ओर तो मेरा पूरा लंड उसकी गांड में जड़ तक बैठ गया और दूसरी ओर राम तो चीख कर रोने लगा- यार, मैं तो मर गया! मेरी गांड भी फट गई होगी। अब मैं कल कैसे स्कूल जाऊँगा?

उधर मेरे लंड में भी बहुत दर्द हो रहा था लेकिन अब तो जो होना था वो हो चुका था और मैं उसके ऊपर लेटा था चुपचाप!

थोड़ी देर बाद जब दोनों को शांति हुई तो मैं कहानी में पढ़े अनुसार धीरे धीरे धक्के लगाने लगा तो हम दोनों को तीन चार मिनट के बाद मजा आने लगा। मेरे धक्कों की स्पीड धीरे धीरे अपने आप बढ़ती चली गई और राम भी नीचे से अपने चूतडों को ऊपर उठा उठा कर मेरे धक्कों को बढ़ाने लगा और उसके मुँह से अपने आप निकलने लगा- यार मेरी जान चोद दे, फाड़ दे मेरी गांड! बड़ा मजा आ रहा है! आज तक इतना मजा कभी नहीं आया!

और मैं भी पूरी स्पीड से धक्के लगाता हुआ बोल रहा था- ले मेरी जान, पूरा लंड पी लिया अब और लम्बा कैसे करूँ?

इस प्रकार बातें करते स्पीड बढ़ती गई और अचानक मेरे लंड से गरम गरम लावा सा निकलने लगा और मुझे लगा कि मैं किसी तरह राम की गांड में खुद घुस जाऊँ।

फिर मैं पस्त हो कर राम की पीठ पर लेट गया और राम भी पस्त हो गया था। मेरा लंड भी अपने आप सिकुड़ कर छोटा होकर राम की गांड से फिसल कर बाहर आ गया और उसकी गांड के बाहर गीला गीला सा मेरे लंड से टपकने लगा था।

थोड़ी देर बाद मैं उसके ऊपर से उठा तो देखा कि उसकी गांड में से सफ़ेद और लाल तरल निकल रहा था। मैंने कहानी के हिसाब से समझ लिया कि लाल तो गांड के फटने से निकला खून और सफ़ेद मेरे लंड से निकला वीर्य है जिससे राम की गांड लबालब भरी हुई थी, क्योंकि मैं जीवन में पहली बार झड़ा था इसलिए वीर्य बहुत ज्यादा मात्रा में निकला था। लेकिन आनन्द जो आज पहली बार गांड मारने में आया उसे मैं कभी भूल नहीं सकता था और सोच लिया कि अब रोज़ राम की या जो मिल जाये उसकी मारूंगा ज़रूर!

मैंने झाड़-पौंछ करने वाला कपड़ा लिया और राम की गांड को धीरे धीरे साफ किया। अब राम धीरे से उठा तो उसे दर्द हो रहा था, लेकिन वो बहुत खुश था कि गांड मरवाने में इतना मजा आता है तो अब अलग अलग आकार के लंड खोज खोज कर गांड मरवाऊँगा।

दोस्तो, उसके बाद थोड़ी देर हम लोग सेक्स की ही बात करते रहे और मैं राम का लंड सहलाता रहा जिससे वो पूरी तरह से खड़ा हो गया तो मैंने खुद राम से कहा- यार, गांड मारने में बहुत मजा आया और मैं अब रोज़ नई नई गांड मारूँगा! अब तुम मेरी गांड मारो जिससे मुझे उसका भी स्वाद मिल जाये।

यह कह कर मैं पेट के बल बिस्तर पर लेट गया और… दोस्तो बार बार वैसी ही कहानी दोहराने से क्या फायदा!

जिस तरह मैंने उसकी गांड मारी और फाड़ी और जितना दर्द मुझे अपने लंड में अनुभव हुआ उतना ही राम को भी हुआ और मेरी भी गांड फट गई और बहुत दर्द हुआ।

लेकिन दोस्तो, बहुत मजा आया और सोच लिया कि गांड मारना और मरवाना दोनों में बहुत मजा आता है और यदि लंड और गांड बदलती रहे तो कहना ही क्या!

पहले तो हम लोग आपस में ही यह खेल खेलते रहे लेकिन फिर हम लोगों ने अपना दायरा बढ़ाया और बहुत से लोगों को शामिल करके तब तक मजा लेते रहे जब तक पढ़ाई पूरी करके अपने अपने व्यापार में लग गए और शादी न हो गई।

बल्कि शादी के बाद भी जब मौका मिलता अपने दायरे के लोग आपस में मारने-मराने का गेम खेलते रहते थे जो आज भी जारी है।

दोस्तो, बहुत से किस्से हैं! आगे भी लिखता रहूँगा। Hindi Sex Stories

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