⓿▀█▀ 𝐈𝐍𝐃𝐄𝐏𝐄𝐍𝐃𝐄𝐍𝐓 CALL 𝐆𝐈𝐑𝐋 𝐕𝐈𝐏 𝐄𝐒𝐂𝐎𝐑𝐓 SERVICE ✅ ❣️ ⭐➡️HOT & SEXY MODELS // C...
9631142771⓿▀█▀ 𝐈𝐍𝐃𝐄𝐏𝐄𝐍𝐃𝐄𝐍𝐓 CALL 𝐆𝐈𝐑𝐋 𝐕𝐈𝐏 𝐄𝐒𝐂𝐎𝐑𝐓 SERVICE ✅ ❣️ ⭐➡️HOT & SEXY MODELS // COLLEGE GIRLS AVAILABLE FOR COMPLETE ENJOYMENT WITH HIGH PROFILE INDIAN MODEL AVAILABLE HOTEL & HOME ★ SAFE AND SECURE HIGH CLASS SERVICE AFFORDABLE RATE ★ SATISFACTION,UNLIMITED ENJOYMENT. ★ All Meetings are confidential and no information is provided to any one a
Our site can help you find a professional massage girl in Sonipat who will help you relax in the best manner possible. We connect you with professional therapists who can offer you a massage that will make you feel better and more relaxed. The pros on our list are ready to provide you with a fantastic experience at your house or in one of their particular spots, whether you want to relax or get away from it all.
Massage is currently one of the finest methods to relax your mind, body, and overall health. Our website makes it easy to locate the top massage services in Sonipat that meet your demands. This will be a one-of-a-kind and calming experience for you.
Tottaa wants to make it simple for clients to find the top masseuse. The Sonipat massage service providers on our list offer the greatest quality, comfort, and competence, whether you want a full-body massage or a massage for a particular location.
Tottaa is not only a list of masseuses, it’s also a secure location for them to show off what they can do. People in Sonipat who are seeking massage services may find them on our website. This makes them easier to find and gets them more appointments.
Advertisers may simply put up profiles, offer their services, and talk about pricing and discounts on our sites. This makes sure that the relevant people notice your Sonipat massage service, which makes it easier to obtain more customers.
There are a lot of different types of massage services on our site, so you may choose one that works for you. You may choose the kind of treatment that works best for you, whether it’s profound rest or a particular type of therapy.
A calm and gentle way to ease muscular tension and improve blood flow. This Sonipat massage is perfect for you if you want to relax and forget about your concerns.
This approach employs a lot of pressure to get to deeper muscle layers. It’s helpful for folks who have muscular discomfort or stiffness that won’t go away. There are specialists on our profiles of massage girls in Sonipat who are good at deep tissue treatments that function effectively.
Calming massage strokes and essential oils are beneficial in making people feel improved both emotionally and physically. Most massage companies in Sonipat employ the use of custom oil preparations to make you feel good.
A therapy that wakes you up by using a mix of regular massage, stretching, and compression. This traditional massage in Sonipat helps you relax, become more flexible, and get your mind and body back in harmony.
Heated stones are placed on various parts of the body to help with deep muscular tightness. People who want to feel good, relax, and help their muscles recover quickly can use this massage service in Sonipat
Tottaa makes it simple and fast to book. With our listings, you can see what kind of massage you want, read about the providers, see that they are free and then contact them directly. After you choose, you can book a massage in Sonipat at your convenient time and location. In order to get your desired massage services, apply the following simple steps:
Take a peek around our site to view a few massage professionals. Each listing gives you information about the many sorts of massages, how long they last, how much they cost, and where they are situated. This makes it easier to choose the finest ones.
Examine the profiles carefully to compare how the services, talents, and reviews posted by customers differ. This phase makes sure you choose a business that has the style, pricing, and supply you desire.
When you have decided, use the information that you are offered so that you can contact them directly. One can communicate it to the massage giver thus making it understood what massage you want at what time and when.
The date, time and place of the service, which could be your home, a hotel or the spa where the therapist may be found. You also need to agree on the payment method and any other accords prior to commencement of the course.
All you have to do on the day of the appointment is have your area ready for the house visit. The remainder will be handled by the expert. Take it easy and enjoy a massage that is made just for you.
To locate a professional who can meet your needs, read our biography, reviews and advertising.
Yes, many of the therapists on our site will come to your house so you may feel safe and at ease.
You may pick based on talents since most adverts provide their qualifications in their profiles.
It would be advisable to make a reservation earlier to guarantee that you would be able to get a massage, particularly against the prevalent services of massage.
Not at all. Tottaa exclusively connects users with service providers. The doctor gets to choose how to handle payment.
जैसे ही सचिन मेरे लबों पर चुम्बन करने लगे, मैंने मुँह फेर लिया.
वो रुक गये.
पर फिर मैंने खुद को समझाया और फीस के बारे में सोचा तो खुद ही उनकी तरह मुँह किया वो मेरी इस हरकत को देख कर खुश हो गये और मेरे लिप्स पर किस किया.
फिर उन्होंने मुझे स्मूच करना शुरू कर दिया.
अजीब लग रहा था क्योंकि यह सब मेरी लाइफ में पहली बार हो रहा था.
उन्होंने बहुत लंबा समूच किया और समूच करते करके मेरे बूब्स पर छुआ और फिर दबाने लगे. उनकी पकड़ और ज्यादा बढ़ती जा रही थी.
फिर उन्होंने मुझे गले पर किस किया और फिर मेरी पीठ पर चूमते हुए मेरे ब्लाउज का धागा खोल दिया. उन्होंने मेरे ब्लाउज को उतार दिया और फिर अपना भी कुरता भी उतार दिया.
अब वो मेरे पेट पर किस किए जा रहे थे और फिर मुझे घुमा कर मेरे दोनों चूचों को दबाने लगे और ब्रा के ऊपर से ही चूस रहे थे. उन्होंने फिर मेरी ब्रा का हुक खोल दिया और धीरे धीरे ब्रा निकाल दी.
मैंने दोनों हाथ से अपने चूचे छुपा लिए और फिर उन्होंने दोनों हाथों पकड़ के साइड कर दिया और मेरे बूब्स पर किस किया.
फिर उन्होंने मेरा निप्पल अपने मुँह में लेकर चूसना शुरू किया. मुझे अजीब सा लग रहा था पर सच बताऊँ तो मजा सा भी आने लग गया था. मेरे हाथ उनके सिर पर चला गया और मैं उन्हें अपने बूब्स पर दबा रही थी.
वो काफ़ी देर तक मेरे निप्पल चूसते रहे, मैं भी अब गर्म हो चुकी थी.
फिर सचिन धीरे धीरे मेरे पेट पर किस करने लगे और फिर मेरी नाभि को चूमने लगे. मुझे एक अजीब सा अहसास हो रहा था.
सचिन ने फिर नीचे सरका कर मेरे पैर पर किस करना शुरू किया और फिर मेरे टांगों को किस करने लगे. सचिन किस करते करते मेरा लहंगा उठाते हुए मेरी जांघों तक आ चुके थे. मेरे शरीर में एक अजीब सी कंपकपी हो रही थी.
सचिन ने फिर धीरे से मेरे लहंगे का नाड़ा खोल दिया, लहंगा पूरा ढीला हो गया और फिर सचिन ने धीरे धीरे उसे नीचे कर दिया और फिर पूरा का पूरा निकाल दिया.
मैं अब सिर्फ़ पेंटी में थी… मुझे बहुत शर्म भी आ रही थी.
तभी सचिन ने दुबारा मेरे पैरों पर किस करते हुए मेरी जांघों को चूमा और फिर पेंटी के ऊपर से चूमना शुरू कर दिया.
सचिन ने फिर धीरे से मेरी पेंटी भी उतार दी.
मैं अब खुद को समझा चुकी थी और इसलिए सचिन का साथ देने लगी.
सचिन ने फिर मेरी टांगों को खोला और मेरी बुर पर किस कर दिया. किस करते ही मैं एकदम से मचल गई, सचिन ने फिर मेरी बुर को चाटना शुरू कर दिया.
वो अपनी जीभ मेरी बुर के अंदर तक डाल कर चाट रहे थे. मैं पूरी तरह गर्म हो चुकी थी और मुझे बहुत मजा भी आ रहा था. मैं भी सचिन के सिर को पकड़ के अपनी बुर में दबाने लगी. वो मेरी बुर के होंठों के साथ समूच कर रहे थे.
मैं खुद को सातवें आसमान पर महसूस कर रही थी.
सचिन ने करीब दस मिनट तक अपनी जीभ से मेरी बुर अंदर बाहर से चाट ली थी. मैं अब झरने वाली थी और आख़िरकार मैं सचिन के मुँह में ही झर गई, वो भी मेरा सारा पानी पी गए और पागलों की तरह मेरी बुर को चाटते जा रहे थे.
फिर सचिन ने अपना पाजामा और अंडरवीयर खोल दिया.
सचिन का लंड एकदम तना हुआ 6 इंच लंबा और मोटा लंड देख कर मैं डर गई थी. मुझे पता था की आज मेरी बुर में यह लंड घुसने वाला है.
सचिन ने मेरे पास आकर मुझे लंड हाथ में पकड़ कर हिलाने को कहा, मैंने बात मान ली और हाथ से उनका लंड हिलाने लगी.
फिर उन्होंने मुझे लंड मुँह में डाल के चूसने को कहा तो मैंने मना कर दिया पर फिर फीस की याद आने के कारण मैंने लंड मुँह में ले लिया. लंड का स्वाद थोड़ा अजीब सा लगा पर बाद में अच्छा लगने लगा. मैं भी पूरे जोश के साथ लंड को चूसने लगी.
करीब 15 मिनट लंड चूसने के बाद सचिन मेरे मुँह में ही झर गए और सारा का सारा माल मेरे मुँह में ही छोड़ दिया. मैंने माल बाहर थूक दिया.
मैंने सचिन से बाथरूम जाने को कहा तो वो मुझे ले गए. बाथरूम रूम से ही अटॅच्ड था. मैंने बाथरूम में जाकर कुल्ली की और आ गई.
सचिन ने मुझे अपनी गोद में उठा लिया और बेड तक ले गए.
सचिन और मैं लेट कर समूच कर रहे थे, हम दोनों एक दूसरे के मुँह में अपनी जीभ डाल रहे थे. सचिन का लंड फिर से तन चुका था, अब मेरी बुर का उद्घाटन होने वाला था. सचिन ने मेरी टांगों को खोला और अपनी उंगली से मेरे बुर को सहलाने लगे. मेरी बुर भी गीली हो चुकी थी.
सचिन ने अब अपना लंड मेरी बुर पर रख के रगड़ना शुरू कर दिया और फिर धीरे से अंदर डालना शुरू किया.
मुझे तो सचिन की उंगली से ही इतना दर्द हो रहा था तो अब पता नहीं लंड कितना दर्द देने वाला था.
खैर कभी ना कभी तो पहली बार होता ही है…
सचिन ने लंड को मेरी बुर पर सेट किया और हल्का सा धक्का लगाया. धक्का लगते ही उसके लंड का टोपा बुर में घुसने के लिए सेट हो गया. अभी सिर्फ़ 1 इंच लंड ही अंदर गया था कि मैं दर्द से पागल हो गई.
फिर सचिन थोड़ा और ज़ोर लगाने लगे और साथ ही मेरे निप्पल को मुँह में चूस रहे थे. चूसते चूसते उन्होंने आखिर अपने लंड को एक ज़ोरदार धक्का मारा. सचिन का पूरा लंड मेरी बुर को चीरता हुआ अंदर घुस गया.
मैं दर्द से मर ही गई थी ‘उम्म्ह… अहह… हय… याह…’ और मेरी आँख से आँसू निकल आये.
सचिन थोड़ी देर से वैसे ही रुके और मेरे दर्द के कम होने का इंतज़ार करने लगे.
सचिन मुझे स्मूच कर रहे थे.
2 मिनट बाद दर्द कुछ कम हुआ, सचिन बहुत ही धीरे से अपना लंड वापिस निकालने लगे, मैं लंड की तरफ देख रही थी और जैसा सोचा था वही दिखाई पड़ा… लंड खून से लाल हो चुका था. मेरी बुर की सील टूट गई थी.
सचिन ने करीब 5 इंच लंड बाहर निकाला होगा और फिर एक झटका अंदर की ओर मारा और फिर से लंड अंदर डाल दिया, सचिन का लंड फिर से बुर में घुस गया. मुझे अंदर सचिन का लंड अपने बच्चेदानी तक महसूस हो रहा था. सचिन धीरे धीरे लंड अंदर बाहर कर रहे थे.
अब मेरा दर्द आनन्द में बदल गया था और अपने आप ही मेरे मुँह से मादक आह आह आह की आवाज़ निकलनी शुरू हो गई थी. मैंने सचिन को कस के पकड़ लिया और अब शायद मेरा मन भी यही था कि सचिन मुझे चोदते रहें!
सचिन काफी देर तक धक्के लगाते रहे, अब मैं झरने वाली थी… मैंने सचिन को कस के पकड़ लिया. सचिन समझ गए कि मैं झरने वॉली हूँ तो उन्होंने अपनी स्पीड बढ़ा दी.
अगले 2-3 मिनट में ही मैं झर गई. सचिन अभी भी नहीं फारिग हुए थे इसलिए उन्होंने धक्के मारने चालू रखे.
करीब 5 मिनट बाद मुझे अपनी बुर में एक गर्म फव्वारा महसूस हुआ. सचिन मेरी बुर में झर चुके थे.
सचिन सेक्सुअली बहुत ही ताकतवर थे शायद इसलिए झरने के बाद भी वो अगले 2-3 मिनट तक धक्के मारते रहे.
फिर आख़िर वो भी थक कर मेरे साथ लेट गए और मुझे फिर स्मूच करने लगे.
सचिन ने वेट टिश्यू पेपर और पानी से मेरी बुर जो अब चूत बन चुकी थी, अच्छे से साफ की और फिर से बुर को चूसने लगे.
20 मिनट तक सचिन ने मेरे पूरे शरीर को दुबारा चूमा, चाटा, चूसा… और वो दुबारा मेरी चुदाई करने के लिए तैयार हो गए.
सचिन ने फिर मेरी टाँगें खोल कर अपना लंड मेरी बुर में डाल दिया. इस बार मुझे कम दर्द हुआ और साथ ही मजा भी बहुत आने लगा था.
सचिन ने अगले राऊंड में मेरी चुदाई काफी देर तक की जिसमें मैं 2 बार झर चुकी थी.
मैं सचिन से बहुत खुश हो गई थी शायद और इसलिए उसका पूरी तरह साथ दे रही थी.
हमने उस रात पूरी रात चुदाई की, सचिन ने कम से कम 5 बार उस रात में मुझे चोदा.
सुबह करीब 5 बजे हम दोनों तक से सो गये. सचिन मेरे साथ एकदम पति की तरह नंगे बदन हग करके सोये हुए थे.
हम लोग करीब 11 बजे उठे, मैं नहाने चली गई. मेरे नहा कर आने के बाद मैंने अपने पहले वाले कपड़े पहन लिए और फिर सचिन ने मुझे नाश्ता करने को कहा.
डाइनिंग टेबल पर नाश्ता लग चुका था, हमने नाश्ता किया और फिर मैं अंशुल के आने का वेट करने लगी.
सचिन ने मुझे बाक़ी के पैसे और एक बैग दिया जिसमें मेरे साइज़ के कुछ ब्रांडेड कपड़े थे.
अंशुल 2 बजे वहाँ आ पहुँचा. मैं जैसे ही अंशुल के साथ जाने लगी तभी सचिन ने मेरा हाथ पकड़ के रोक लिया और अंशुल को बोले- तुम थोड़ी देर ड्रॉयिंग रूम में बैठ कर टीवी देखो, हम आते हैं!
सचिन मुझे अपने रूम में फिर ले गये और फिर से मुझे समूच करने लगे.
उन्होंने मुझे एक और राऊंड के लिए पूछा तो मैंने भी हाँ कर दी और एक राउंड और चुदाई का खेल लिया.
अब मैं जाने लगी, सचिन को हग किया और अंशुल के साथ चल दी.
सचिन जी की गाड़ी से हम ऋषि के पास पहुंच गये. मैं ऋषि के साथ मोटरसाइकल पर बैठ गई और हम हॉस्टल की ओर चल दिए.
ऋषि ने मुझे हॉस्टल में जाने से पहले एक आई पिल दी ताकि मैं प्रेगनेंट ना हो जाऊँ.
मैंने ऋषि को कहा- ऋषि जो हुआ, इसका किसी को कुछ पता मत चलने देना!
यह कह कर मैं वहाँ से चली गई और हॉस्टल पहुंच गई.
अगले दिन फीस भरने का आख़िरी दिन था, मैंने 1 लाख 30 हज़ार फीस भर दी और बाक़ी पैसे अपने अकाउंट में डलवा दिए.
इस तरह से मुझे बिना शादी के सुहागरात मना कर आना पड़ा.
मैं एक बार फिर आप लोगों के Sex Stories सामने आया हूँ अपनी नई कहानी के साथ। मेरी पहले की कहानी कुंवारी छोकरी
और
विदेशी माल
को आप लोगों ने बहुत पसंद किया, उससे मुझे बहुत ख़ुशी हुई। आशा है आप लोग मेरी यह कहानी भी पसंद करेंगे। तो सभी लड़कियों और लड़कों से कहना है कि अपने-अपने औजार संभाल लें क्योंकि मैं कहानी शुरू करता हूँ।
दो महीने पहले की बात है जब मेरे इलाके में कोई सरकारी टीचर अपने परिवार के साथ रहने आये। सब उन्हें मिश्रा जी कहते थे। उनके परिवार में उनकी पत्नी और उनकी एक बेटी थी।
हम सब दोस्त अपने घर के बाहर बाते कर रहे थे कि अचानक मिश्राजी ने हम सभी को सामान घर के अन्दर रखने के लिए मदद मांगी। हम सबने जाकर उनकी मदद की।
जब वापस आ रहे थे तो उनकी बेटी ने मुझे कुछ अलग नजरों से देखा तो मैं समझ गया कि वह मुझ पर फिदा हो गई है। पर मैंने उस पर ध्यान नहीं दिया। अब जब भी मैं घर के बाहर रहता तो वह मुझे देखकर मुस्कुराती रहती, मैं अनदेखा कर देता। आप सभी लोग सोच रहे होंगे कि मैं ऐसा क्यों करता था। उसकी वजह थी उसका रंग। वह बिल्कुल काली थी। उसका नाम सोनी था। ( बदला हुआ नाम )
अब मैं उसके बारे में बताता हूँ की वह कैसी थी। वह बिल्कुल काली थी पर उसकी फिगर बहुत ही सेक्सी थी। उसकी उम्र 18 साल की होगी। उसकी चूची ज्यादा बड़ी नहीं थी। यह सब कुछ दिनों तक चला तो दोस्तों ने मुझे चिड़ाना शुरू कर दिया था। मैंने उन्हें बताया कि ऐसा कुछ नहीं है तो दोस्तों ने कहा कि उससे तुझे क्या लेना है, अगर वह आती है तो आने दो! काम होने पर चलता करना!
मुझे उनकी बातें शुरू में अच्छी नहीं लगी फिर मैंने सोचा कि इसमें हर्ज़ ही क्या है। मैंने भी दाना डालना शुरू कर दिया। यह सब देख कर उसे बहुत अच्छा लग रहा था। यह सब कुछ दिनों तक चला तो मेरे दोस्तों ने मुझसे पूछना शुरू कर दिया कि कुछ किया भी या ऐसे ही चल रहा है। उन्होंने कहा कि कुछ कर यार।
बातों ही बातों में एक बार सोनी ने बताया कि मैं दो बार चुदवा चुकी हूँ।
मैंने कहा- तब मुझे कब खिला रही हो?
उसने कहा- चार दिन बाद मेरी माँ अपनी किसी रिश्तेदार के यहाँ शादी में जा रही है, मुझे भी साथ ले जा रही थी पर मैं पढाई का बहाना बनाकर नहीं जा रही हूँ। पापा भी स्कूल चले जाते हैं। तुम मेरे घर आना, मैं तुम्हारे लिए तुम्हारी पसंद का खाना बनूंगी(बनाऊँगी)।
मैं उसका मतलब समझ चुका था। उस दिन जैसे ही उसके पापा घर से बाहर गए, वो घर से बाहर आकर मुझे घर के अन्दर आने के लिए इशारा कर गई। मैं भी मौका देख कर उसके घर के अन्दर चला गया।
घर के अन्दर जाते ही उसने मुझे बिठाया और किचन में चली गई वहाँ से उसने मुझे खीर लाकर दी। वो मुझे अपने हाथों से खीर खिलाने लगी, मैं भी खीर खा रहा था और बस उसे ही देखे जा रहा था। वह भी मेरे आँखों में देखती जा रही थी।
मैंने कहा- अब मैं तुम्हें खिलाऊंगा!
उससे चम्मच लेकर मैं उसे खिलाने लगा। खिलाते-खिलाते उसके मुंह के बजाय उसके कपड़ों के अन्दर खीर डाल दी। वह उठकर दूसरे कमरे में चली गई।
मैं समझ गया कि वह कपड़े बदलने गई है, मैं भी उसके पीछे जाकर उसे देखने लगा। मैंने देखा कि वह केवल सफेद ब्रा में ही है। मैंने कुछ हिम्मत करके उसे पीछे से पकड़ लिया। वह कुछ घबराई और कहने लगी- आज नहीं फिर कभी!
मैंने कहा- आज नहीं तो कभी नहीं।
कहते हुए मैं उसके गले पर चूमने लगा। वह नहीं-नहीं कहे जा रही थी। पर मैं कुछ और इरादा कर के आया था। मैं बस लगा रहा। मैं उसे पीछे से ही पागलों की तरह चूमने लगा। धीरे-धीरे उसकी ब्रा क हुक भी खोल दिया और पीछे से ही उसके दोनों चुचियों को पहले धीरे-धीरे फिर बाद में उसे कस-कस कर मसलने लगा। उसकी मुंह से सी… सी … की आवाजें निकलने लगी।
मैं समझ गया कि वह भी गरम हो चुकी है। मैं बस चुम्बन लिये जा रहा था और उसकी चुचियों को मसले जा रहा था।
अचानक उसने मेरे खड़े लण्ड को हाथ पीछे करके पकड़ लिया। मुझे अजीब सा लगा। मैंने उसका मुंह अपनी ओर किया और उसे किस करने लगा। उसके होंठों को अपने होंठों से जोरदार किस किये जा रहा था।
वह बिल्कुल पागल सी हो गई थी। वह अपने घुटनों पर बैठ कर मेरे लण्ड को आगे पीछे करने लगी। मैंने उसे अपने मुंह में लेने के लिए कहा तो उसने मुंह में ले लिया और चाटने लगी। जब वो अपने फ़ूल से कोमल होंठो मेरे लण्ड को चाट रही थी तो मेरे तन बदन में मानो आग सी लग रही थी।
मैंने कहा- अब मेरी बारी है!
मैंने फट से उसे नंगा कर दिया और उसे बिस्तर पर लिटा कर उसकी बुर को देखा तो एक दम चौंक गया, पूरा बदन काला था मगर उसकी बुर लाल नज़र आ रही थी। बुर पर एक भी बाल नहीं था। शायद उसे पता था कि मैं जब आऊंगा तो उसे जरुर ही चोदूंगा, इसलिए वह पूरी तरह से तैयार थी। जैसे ही उसकी बुर को करीब से देख रहा था तो मानो उसकी बुर काँप रही हो। जब मैंने उसकी बुर पर अपनी जीभ लगाई तो उसके बदन में हलचल से हो गई।
अब मैं उसकी कोमल बुर को धीरे-धीरे चाट रहा था। उसकी आवाज़ में एक कम्पन्न सी हो रही थी। बुर-रस और मेरे थूक से उसकी बुर एक दम गीली हो गई थी। मेरा लण्ड भी कब तक इंतज़ार करता, वह कह रहा था कि मुझे भी जन्नत की सैर करनी है।
जब मैंने अपना लण्ड को उसकी बुर पर रखा और अन्दर डालना चाहा तो अन्दर नहीं जा रहा था। यह देखकर मैं चौंक गया कि उसकी बुर एकदम टाइट थी। मैंने कहा- अरे तुम्हारी बुर तो एक दम टाइट है?
तो उसने कहा- हाँ, मैं पहली बार करवा रही हूँ। मैंने तुमसे झूठ इसलिए कहा क्योंकि मैं तुमसे सेक्स करना चाहती थी। अगर मैं तुमसे नहीं कहती कि मैं दो बार चुदवा चुकी हूँ तो तुम डर जाते, क्योंकि मैं जानती हूँ कि तुम मुझसे शादी नहीं करोगे। कहाँ मैं और कहाँ तुम। इसलिए तुम्हें एहसास हो जाये कि मैं एक चुदासी लड़की हूँ। जिससे तुम जल्द ही तुम मेरे साथ सेक्स करने के लिए राजी हो जाओ।
यह सब सुनकर मुझे लगा कि अब मैं उसे नहीं चोदूंगा पर मैं अपने आपको नहीं रोक सका।
तभी उसने कहा- क्या सोच रहे हो? जल्दी चोदो ना!
मैंने भी एक बार फिर अपना लण्ड बुर पर रखा और धीरे-धीरे करके उसे बुर के अन्दर डालने लगा। वह अपनी जीभ को दांतों तले दबाये थी। फिर एकाएक मैंने जोरदार धक्का दिया जिससे मेरा पूरा लण्ड बुर में चला गया। उसकी चीख जोरदार होने के कारण मुझे उसका मुंह बंद करना पड़ा। दिन का समय था कोई भी घर में आ सकता था।
कुछ मिनट बाद मैंने असली चुदाई शुरू की। मैं धक्के पर धक्के लगाये जा रहा था। फच -फच की आवाजे चारों ओर गूंजने लगी थी। उसे भी मस्ती आ रही थी। वह भी खूब मजे लेकर चुदाई का आनंद उठा रही थी। उसके दूसरी बार झड़ने के बाद मैं भी उसकी बुर में झड़ गया और उसके बगल में लेट गया।
कुछ समय बाद वह उठी और लड़खड़ाते हुए बाथरूम की ओर जाने लगी। मैंने बिस्तर पर देख तो खून ही खून था। कुछ खून उसके जाँघों पर लगा था। जब वह बाथरूम से आई तो मुस्कुरा रही थी।
मैंने पूछा- यह तुम पहली बार कर रही थी, पर तुम्हारे अंदाज़ से तो मुझे कभी भी नहीं लगा कि यह पहली बार थी?
उसने कहा- क्योंकि मैं ब्लू फिल्म कई बार देख चुकी हूँ। जिससे बहुत कुछ सीख गई थी। लेकिन यार काली लड़कियों की बुर एकदम कमाल की होती है। कभी कोशिश करके देखो। एकदम मक्खन जैसा बुर। मज़ा आ जायेगा। अगर लड़कियां पढ़ रही होगी तो माफ करना, लेकिन क्या यह झूठ है।
मैंने जाते-जाते उससे पूछ लिया- तो अगली बार कब?
वह मुस्कुराते हुए बोली- जब तुम चाहो।
पर अफसोस, दूसरी बार यह मौका नहीं मिला अब तक। दुआ करो कि यह मौका जल्द ही मिल जाये।
तो मेरी कहानी आपको कैसी लगी आप लोग जरुर मेल करें, आपके मेल से ही हम सभी लेखकों को हौंसला मिलता है।
अगली कहानी के लिए आप प्रतीक्षा कीजिये। Sex Stories
मेरा नाम अमित है। काफी दिनों Antarvasna से सोच रहा था कि मैं भी अपनी कहानी सबको बताऊँ। आखिर यहीं से कहानियाँ पढ़ के मैं भी बड़ा हुआ हूँ। यहीं मैंने मुठ मारना सीखा, यहीं से मेरी सोच में सारी औरतें और लड़कियाँ एक सी लगने लगीं, इसलिये आज मैं आप सबको अपनी कहानी सुना रहा हूँ।
मेरा नाम तो आप जान ही गए हैं। मेरी माँ का नाम अनिता है। मैं एक संयुक्त परिवार में रहता हूँ। मेरे परिवार में मेरी दो चाचियाँ हैं, बड़ी चाची का नाम अनीता और छोटी चाची का नाम हेमा है। मेरी माँ की उमर 42 होगी, अनीता चाची 36 की हैं और हेमा चाची 32 की। मेरी एक दीदी का नाम सीता है जो 21 साल की है।
बात उस समय की है जब मैं 12वीं की पढ़ाई करने के लिए दिल्ली चला गया था, वहीं पे मुझे इन कामुक कहानियों की आदत पड़ी। इन कहानियों में तो माँ बहन का कोई लिहाज होता नहीं है और कहानियाँ पढ़ने में काफी रोचक होती हैं तो मैं सारी कहानियाँ पढ़ जाता हूँ। उसके बाद से जब कभी भी मैं घर वापस जाता तो मेरे दिमाग में यही कहानियाँ चलती रहती थी। इन कहानियों ने मेरी जिंदगी ही बदल दी या फिर यह भी कह सकते हैं कि मेरी लाइफ बना दी।
मैं घर पे काफी अकेला-अकेला सा रहने लगा। अकेले में अन्तर्वासना कहानियों को याद करके मैं दिन में कई बार मुठ मारता था।
एक दिन जब मैं नहाने के लिए बाथरूम में गया तो देखा वहाँ अनीता चाची की पेंटी और ब्रा लटक रही थी। शायद चाची उन्हें ले जाना भूल गई थी। यह पहली बार था कि मैं किसी औरत की पेंटी और ब्रा इतनी पास से देख रहा था। मेरा हाथ रोके नहीं रुका और मैं उनको अपने हाथ में ले के सूंघने लगा, उसकी मादक सुगंध से मैं मदहोश होने लगा। मैं पेंटी को अपने मुँह में लेके चूसने लगा. मुझे ऐसा लग रहा था कि मैं अनीता चाची की चुत चूस रहा हूँ। उसके बाद मैं ब्रा को भी मुँह में ले के खेलने लगा।
उस दिन पहली बार मेरा लंड इतना बड़ा लग रहा था। मेरे लंड का आकार इतना बड़ा आज तक नहीं हुआ था। उसके बाद मैंने अपने लंड से पेंटी और ब्रा को खूब चोदा, उसे लंड में लपेट के मैंने अपना मुठ उसी में गिरा दिया, फिर अच्छे से धो के चाची की ब्रा और पेंटी वहीं रख दी। उस दिन हिलाने में जितना मजा आया था उतना पहले कभी नहीं आया था।
मैं नहा कर नाश्ते के लिए गया, वहाँ अनीता चाची ही खाना खिला रही थी। चाची मुझे देख के मुस्कुराई। आज मैं चाची को देख के उनको देखता हो रह गया, वो भी मुस्कुराती ही जा रही थी। चाची ने हाफ ब्लाउज पहन रखा था, वो इतनी सेक्सी लग रही थी कि मैं बता नहीं सकता। मैंने तो सोच लिया कि आज के बाद मैं जब भी मुठ मारूंगा, चाची की पेंटी ब्रा ले के ही मारूंगा और चाची को ही याद करके अपना रस निकालूँगा।
अगले दिन जब चाची नहा के निकली, मैं नहाने के लिए जल्दी से बाथरूम की ओर दौड़ा ताकि कोई और ना चला जाए बाथरूम में। पर अन्दर जाते ही मुझे काफी निराशा हुई। इस बार चाची ने वहाँ अपने कोई कपड़े नहीं छोड़े थ। मैं उदास मन से नहा के बाहर आ गया।
अपने कमरे में जा के भी मैं यही सोच रहा था कि आज कैसे मुठ मारी जाए। तब मैं हिम्मत करके छत पे गया, वहाँ देखा तो चाची की पेंटी लटक रही थी। मुझे लगा कि यहाँ पर मुठ मारूंगा तो अच्छा नहीं होगा। सो मैंने उसे अपने अंडरवियर में छुपा लिया और अपने कमरे में चला गया। चाची की पेंटी को छूते ही अन्दर मेरा लंड जाग गया था। फिर कमरे में जाकर मैंने जी भर के मुठ मारी, फिर पेंटी को धो के वहीं लटका आया।
फिर मैंने इसी तरह काफी दिनों तक अनीता चाची की मदद से मुठ मारते हुए काफी मज़े लिए। इससे मेरी हिम्मत भी बढ़ती जा रही थी। अब मैं कभी कभी कमरा खुला छोड़ के मुठ मारने लगा था। अब मेरी हालत ऐसी हो गई थी कि केवल मुठ मार के मेरा मन नहीं भरता था। अब चाची के कपड़ो से मेरा लंड कड़क नहीं हो पाता था। मुझे लगा कि अब कुछ करना पड़ेगा।
मैं अब अनीता चाची के कमरे में ताक-झांक करने लगा, यह सोच कर कि कभी मैं चाची को नंगा देख सकूँ तो मजा आ जाए। बाथरूम में तो कई बार कोशिश कर चुका था पर चाची हमेशा बाथरूम का दरवाज़ा बंद कर लेती थी, इसलिए मुझे सफलता नहीं मिल पाई थी।
एक दिन दोपहर में जब काफी गर्मी थी तो मैं खाना खा के चाची के कमरे में चला गया। वहाँ खिड़की में काफी बड़े-बड़े परदे लगे हुए थे। उसमें कोई भी आसानी से छुप सकता थ। गर्मी इतनी थी तो मैंने सोचा शायद चाची जब काम करके आएगी तो कुछ कपड़े तो जरूर उतारेंगी, यही सोच कर मैं परदे के पीछे छुप गया। थोड़े देर बाद जब चाची आई तो मेरा सोचना सही निकला।
चाची ने कमरे का दरवाज़ा बंद करके तुंरत ही साड़ी उतार फेंकी। मैं तो देखता ही रह गया। चाची ब्लाउज और साये में काफी खूबसूरत लग रही थी। चाची बिस्तर पर लेट गई पर गर्मी इतनी थी कि चाची को अभी भी पसीना आ रहा था। चाची से रहा नहीं गया, उन्होंने साया पूरा उपर कर लिया। अब मैं उनकी जांघों का मजा ले रहा था। उन्होंने गुलाबी रंग की पेंटी पहन रखी थी, वो पसीने से भीग चुकी थी। मैं भगवान से प्रार्थना कर रहा था कि आज इतनी गर्मी हो कि चाची पूरी नंगी हो जाए और मेरा सपना पूरा हो जाए। पर भगवान ने मेरी सुनी नहीं। चाची साया ऊपर करके ही सो गई।
काफी देर इन्तज़ार करने के बाद मैं उनकी जांघों को ही देख के मुठ मारने लगा और रस को अपने हाथ में गिरा लिया ताकि किसी को पता न चले और खिड़की से ही कूद के अपने कमरे में चला गया।
दूसरे दिन भी मैं आशा लगा के वहीं छुप गया। आपको यकीन नहीं होगा कि अगले दिन भगवान ने मेरी सुन ली थी। चाची ने आते ही साड़ी ब्लाउज और साया तीनों उतार कर फ़ेंक दिए। पेंटी और ब्रा में चाची किसी अप्सरा से कम नहीं लग रही थी। चाची बिस्तर पे लेट गई और अपने हाथ से पेंटी को सहलाने लगी। मुझे लगा कि चाची ऐसे ही सहला रही है, पर चाची ने जब अपनी चुत में अपनी ऊँगलियाँ डालनी शुरू की तो मुझे लगा कि आज चाची गरम हैं, आज वो भी मुठ मारने वाली हैं। मुझे तो स्वर्ग मिल गया था।
चाची ने फिर फिर अपनी पेंटी उतार दी और मैं उनकी चुत को देखता रह गया। और चाची ने फिर अपनी ब्रा भी उतार कर फ़ेंक दी। उनकी चुचियों को पहली बार मैं ऐसे नग्न देख रहा था। 38 इंच की उनकी चूचियाँ बस मेरी हालत ख़राब कर रही थी। इतनी बड़ी चूचियाँ मैंने तो सपने में ही देखी थी। उधर मेरा हाथ मेरे लंड की माँ बहन एक कर रहा था। मुझे पता भी नहीं चला कब चाची उठ कर खिड़की की तरफ़ आने लगी। मैंने जैसे ही देखा तो मैं जल्दी से खिड़की से कूद के भाग गया।
मैं इतना गरम हो चुका था कि खुले दरवाज़े ही मैं अपने बिस्तर पर लेट के ज़ोर ज़ोर से लंड हिलाने लगा। हिलाते हिलाते जब मेरी नज़र दरवाज़े पर गई तो मैं तो बस पत्थर हो गया। देखा कि चाची मुझे देख रही हैं। चाची को देखते ही मेरा लंड एकदम सिकुड़ गया। मुझे समझ नहीं आ रहा था कि क्या करूँ!
तब चाची ही बोली- क्या कर रहा है रे अमित?
मैं- कुछ नहीं चाची!
चाची- कुछ नहीं का मतलब? तू ये सब कब से कर रहा है और किसने सिखाया तुझे ये सब! हाँ?
मैं- चाची, मैं कभी कभी करता हूँ, वो मेरे एक दोस्त ने बताया था इसके बारें में!
चाची- तूने ऐसे ऐसे दोस्त बना के रखे हैं जो तुझे ये सब सिखाते हैं?
मैं- चाची मुझे माफ़ कर दीजिये, मैं आगे से कभी नहीं करूँगा! और प्लीज़ किसी को नहीं बताइयेगा!
चाची- ठीक है वो सब, मैं किसी को नहीं बोलूंगी पर तू मेरे जवाबों का सही सही जवाब देगा तब!
मैं- हाँ चाची, मैं आपको सब सच सच बोलूँगा।
चाची- किसके बारे में सोच के अभी तू हिला रहा था?
मैं- सच बोलूं चाची? आपको सोच के हिला रहा था!
चाची- मुझे सोच के हिला रहा था या देख के हिला रहा था? तू मेरे कमरे में था ना खिड़की के पास?
मैं- नहीं चाची, मैं नहीं था!
चाची ने मेरे गाल पे एक ज़ोर से तमाचा मारा।
चाची- तूने बोला कि सब सच बोलूँगा और तू झूठ बोले रहा हैं। मैंने तो कल ही समझ लिया था जब मैंने खिड़की के परदे के नीचे तेरे रस की कुछ बूंद देखी। क्यूँ तेरे ही काम थे थे ना वो?
मैं- चाची, पता नहीं कैसे गिर गया वो, मैंने तो हाथ में ही निकाला था। सॉरी चाची…!
चाची- और तू ही मेरे ब्रा और पेंटी ले के उसमें मुठ मारता है ना? वो सब दाग तुमने ही लगाये थे न मेरे कपडों में?
मैं- चाची आपको वो भी मालूम चल गया? पर मैं तो उसे धो देता था!
चाची- अरे इसके दाग ऐसे ही थोड़े चले जाते हैं, और फिर मैं तेरी चाची हूँ रे! कोई दूध पीती बच्ची नहीं ..तुझे ये क्या सूझी रे कि तूने अपने चाची को अपनी मुठ मारने का जरिया बना लिया?
मैं- चाची मुझे माफ़ कर दीजिये, पर क्या करूँ आप हो ही इतनी सेक्सी कि मैं अपने आप को रोक नहीं पाया!
चाची- तुझे ये 36 साल की औरत सेक्सी लगती है रे… तू भी ना!… अच्छा सुन ये अच्छी बात नहीं है.. ज्यादा मुठ मत मारना.. और अगली बार जब मुठ मारने का मन करे मुझसे कपड़े मांग लेना, मैं दे दूंगी, ऐसे चोरी मत कर! एक दिन पकड़ा जाएगा.. पर ज्यादा नहीं, हफ़्ते में 2 बार से ज्यादा नहीं मारना, ठीक है…?
मैं- हाँ चाची.. आप बहुत अच्छी हो…!
फिर मैं चाची से उनकी पेंटी और ब्रा मांग के हिलाने लगा. मुझे ऐसा लगने लगा था की चाची मेरे इस आदत का मजा ले रही है. मुझे ऐसा भी लग रहा थी चाची शायद मुझे अपनी चुत भी मारने दे! मुझे लग रहा थी कैसे चाची से बात करूँ इस बारें में। दूसरे दिन जब मैं चाची से उनकी पेंटी मांगने गया तो चाची की बातें बहुत मजेदार थी.
चाची- कल ही तो ली थी तुमने, आज फिर से चाहिए, कितना मनचला हो गया है मेरा भतीजा! आज कोई पेंटी नहीं मिलेगी! वो छत पर ही है और मैं नहीं लाने वाली…
मैं- चाची मैं तो मर जाऊँगा अगर नहीं मुठ मारूँगा तो, चाची दो ना ऐसा मत बोलो..!
चाची- अरे तुझे क्या लग रहा है कि मैं झूठ बोल रही हूँ? तू खोज ले पूरे कमरे में, यदि मिल जाए तो ले ले…
मैंने सब जगह देखा, पर शायद चाची सच बोल रही थी, मुझे कहीं भी ब्रा या पेंटी नहीं मिली। तब मुझे एक आईडिया आया!
मैं- चाची आप सच बोल रही थी, पर मुझे एक मिल गई…आप दोगी न उसे…?
चाची- मिल गई तो ले ले , पूछ क्यूँ रहा है?
मैं- चाची वो तो आपको देनी होगी, आपने जो अभी पहन रखी है मुझे तो वही पेंटी चाहिए…!
चाची- पागल हो गए हो क्या, ये नहीं मिलेगी, गन्दा कर दोगे, मैं क्या पहनूंगी उसके बाद? नहीं मैं नहीं दे सकती! जा आज तू कुछ और उपाय कर..!
मैं- चाची, आप ऐसा मत करो, मैं आपकी मिन्नतें करता हूँ.. आप जो बोलोगी मैं करूँगा पर आज मुझे अपने पेंटी दे दो.. आज मैं उसकी ताज़ी सुगंध से मस्त हो जाना चाहता हूँ…!
चाची- जो बोलूंगी वैसा करेगा तब दे सकती हूँ…!
मैं- चाची आप एक बार बोल के देखो तो , आप जैसा बोलोगी मैं वैसा ही करूँगा!
चाची- आज तब तू मेरे सामने हिलाएगा… जो भी करेगा मेरी पेंटी के साथ, वो मेरे सामने करना पड़ेगा…!
मैं- चाची पर आपके सामने तो मेरा खड़ा भी नहीं होगा डर से.. आपने देखा नहीं था? जिस दिन अपने मुझे मेरे कमरे में पकड़ा था, मेरा कैसे सिकुड़ के छोटा हो गया था…
मुझे ऐसा लगने लगा कि आज तो मैं सफल हो ही जाऊँगा, लगा चाची आज गरम है और वो आज मुझे चोदने दे सकती है।
इसलिए मैंने चाची से फिर से बोला…
मैं- चाची पर एक बात बोलूं! यदि आप मेरी मदद करो तो शायद मेरा लंड खड़ा हो जाएगा… चाची! बोलो आप मेरी मदद करोगी न…?
चाची- मैं कैसे मदद करुँगी?
मैं- चाची यदि आप मेरे लिए अपने सारे कपड़े निकाल दोगी तो मेरा लंड जरूर खड़ा हो जाएगा…!
चाची- बदमाश कनीं का! आज तू मुझे नंगा होने के लिए बोले रहा है..? तेरी इतनी हिम्मत…? तुझे मैं अपने कपड़े देने लगी तो तू कुछ भी बोलेगा? जाके के तेरी मम्मी को सब बोले दूंगी!
मुझे लगा चाची गुस्सा कर रही हैं, सो मैंने सोचा छोड़ दें, पर फिर लगा नहीं एक बार और कोशिश की जाए, शायद चाची ऐसे ही मजाक कर रही हो.. फिर यदि चाची फिर से गुस्सा करेगी तो मैं माफ़ी मांग लूँगा…
मैं- चाची आप गुस्सा मत करो, ठीक है आप जैसा बोलोगी मैं वैसा ही करूँगा… पर चाची एक बात पूछूं?
चाची- हाँ पूछ!
मैं- चाची आप वादा करो इस बार गुस्सा नहीं करोगी?
चाची- हाँ रे! ठीक है, नहीं करूंगी गुस्सा..
मैं- चाची जब पहले दिन आपने ये पता लगा लिया था कि मैंने खिड़की के पीछे खड़ा हो के वहाँ पे मुठ मारा था..तो फिर दूसरे दिन आप कमरे में आ के पूरी नंगी क्यूँ हुई थी…? सच बोलो चाची! आप जानती थी ना कि मैं वहाँ हूँ! और आप मुझे दिखा के मुठ मार रही थी ना…?
चाची- तूने तो मुझे चुप करा दिया रे…! अब मैं क्या बोलूं, हाँ मुझे यकीन था कि तू वहाँ है, इसलिए मैंने वो सब कुछ किया था, और मैं जानबूझ के खिड़की की तरफ़ गई ताकि तुझे पकड़ सकूँ पर तू भाग गया था।
मैं- चाची जब आप उस दिन नंगी हो सकती थीं तो आज क्यूँ नहीं? चाची आज तो आपको अब नंगी होना ही होगा..!
चाची- ठीक है अब तो मना भी नहीं कर सकती..!
उसके बाद चाची ने अपनी साड़ी उतार दी… फिर ब्लाउज और साया भी साइड में फेंक दिया.. और पेंटी को स्टाइल से खोल के मेरी तरफ़ फेंक दिया..
चाची- ले बदमाश ले सूंघ और हिला अपने लंड को..!
मैंने चाची की पेंटी को नाक से लगाया… उसकी मादक सुगंध से मेरा लंड तन गया.. फिर चाची को देख के लंड तड़पने लगा..
मैंने सोचा आज मौका है आज चाची से बोलता हूँ कि मेरी लंड की मालिश करें..!
मैं- चाची अपनी ब्रा उतारो ना, आपकी चूची देखनी हैं..!
चाची- क्यूं रे! क्या करेगा मेरी चूची देख के?
मैं- चाची आपके शरीर में सबसे प्यारी चीज़ तो आपकी चूची है.. उसे देख के मेरा लंड और भी तन जाएगा।
चाची- तुझे मेरी चूची इतनी अच्छी लगती है,
मैं- हाँ चाची आपकी चूची तो सारी ब्लू फ़िल्म की नायिकाओं से भी अच्छी है।
चाची- ठीक है, लगता है तू चूची का शौकीन लगता है.. ले देख मेरी चूची.. और अच्छे से हिला ..!
मैं- चाची एक बात पूछूँ , आप चाचा के लंड को छूती हैं ना?
चाची- हाँ तेरे चाचा के लंड पर तो मेरा अधिकार है.. उसे मैं छूती ही हूँ!
मैं- चाची मेरे लंड पे भी तो आपका अधिकार होता है.. तो आप मेरे लंड को पकड़िये ना.. देखिये ना कैसे ये लंड आपके हाथों में आने के लिए तड़प रहा है।
चाची- नहीं रे..! तू पागल हो गया है क्या..? मैं नहीं छूती तेरा लंड.. चल हिला अपना लंड ख़ुद से…!
फिर मैं चाची के पास जा के लंड हाथ में ले के- चाची लो ना देखो कितना तड़प रहा है ये.. ले लो ना चाची.. आपके हाथ का सोच के ही ये हाल है… यदि आपने इसे हाथ में ले के थोड़ा प्यार से हिला देंगी तो सोचो कि ये कितना खुश होगा।
फिर चाची के हाथ पे ज़बरन मैंने अपना लंड रख दिया.. चाची ने अब मना नहीं किया.. चाची ने जैसे मेरे लंड को प्यार से सहलाया.. मुझे लगा कि झड़ जाऊँगा..
मैं- चाची मेरा रस निकलने वाला है..
चाची- इतनी जल्दी…
मैं- चाची क्या करूँ आपके छूने से मेरा रस उबलने लगा था.. अब नहीं रहा जा रहा है…
इतनी बात करते ही मैंने अपना रस निकाल दिया.. जो चाची के बूब्स पे गिरा… चाची और भी सुंदर लग रही थी..
मैं- सॉरी चाची.. सारा आपके चूचियों पर गिर गया… मैं साफ़ कर दूँ?
चाची- अब तू चूची को हाथ लगाने के बहाने निकाल रहा है.. जरूरत नहीं है.. जा भाग अब..!
मैं- चाची आपका मन नहीं है ना मुझे भगाने का! मुझे पता है आप मुझे सब कुछ करने को देंगी.. देंगी ना चाची?
आप मेरी सबसे अच्छी चाची हो..
चाची- चल हट यहाँ से.. क्या क्या करना है तुझे रे… ज़रा बता तो एक बार..!
मैं- चाची मैं आपको चूमना चाहता हूँ, आपकी दूध पीना चाहता हूँ, आपकी चुत का मजा लेना चाहता हूँ, आपकी चुत का रस पीना है मुझे! फिर मुझे आपको चोदना भी है…
चाची- तू तो एकदम हरामी हो गया है रे.. अपनी चाची को ही चोदेगा… तू तो मादरचोद निकल गया है… तुझसे तो बच के रहना पड़ेगा..
मैं- चाची आप गली भी देती हैं… आप भी कम हरामी थोड़े हैं, आपने अपने भतीजे का लंड पकड़ा है.. उसे अपनी कपड़े दिए हैं.. उसके सामने मुठ भी मारी है.. चाची मुझे मालूम हो गया कि आप बहुत बड़ी चुदक्कड़ हैं… चाची सच बोलिए आपको मेरा लंड चाहिए ना…?
चाची- तू तो बड़ा हरामी है रे… मैंने तेरी मदद की तो आज मुझे ही चुदासी बना दिया.. आज से तुझे कुछ नहीं मिलेगा!
मैं- चाची आप ऐसा नहीं करो, मैं तो मर जाऊँगा.. मैंने तो सोचा कि ऐसा बोलने से आप मुझे चोदने दोगी तो मैंने बोल दिया.. मुझे माफ़ कर दीजिए।
चाची- ऐसा बोलने से कोई तुझे चोदने दे देगा..
मैं- तब चाची कब कोई मुझे चोदने देगा.. बोलिए न चाची मुझे आप कब चोदने दोगी?
चाची- तू नहीं मानेगा न.. ठीक है चल तू अपनी माँ के सामने यदि मुझसे बोलेगा कि चाची चोदने दो.. और तेरी माँ भी बोलेगी कि हाँ चुदा ले तो मैं तुझसे जरूर चुदवाऊँगी।
मैं- चाची इतनी मुश्किल शर्त रख दी आपने.. ठीक है मैं आज डिनर के समय ही मम्मी से बात करूँगा..!
फिर उस दिन डिनर पर मैं चाची और मम्मी के साथ ही खाने को बैठा, मुझे काफी डर लग रहा था कि मम्मी से कैसे बात की जाए.. फिर अचानक लगा कि कुछ घुमा के मम्मी से बात कर लेते हैं..
मैं- चाची आप मेरे इच्छा पूरी नहीं करोगी ना, मैं कब से आपसे एक चीज मांग रहा हूँ.. आप क्यूँ नहीं देतीं?
मम्मी- क्या हुआ अमित क्या चाहिए तुझे चाची से, जो वो नहीं दे रही है..
मैं- कुछ नहीं मम्मी! एक बहुत प्यारी चीज है चाची के पास मैं वही मांग रहा हूँ.. पर चाची देने को तैयार ही नहीं होती!
मम्मी- क्यूँ री अनीता! मेरे बेटे को वो चीज क्यूँ नहीं दे देतीं? देख बेचारा कितना परेशान है?
चाची- ठीक है दीदी! मैं आज ही दे दूँगी इसे..
मैं तो उछल पड़ा.. मैंने मम्मी से हाँ तो करवा लिया था.. फिर चाची ने मुझसे कहा कि कल लंच के बाद आ के ले लेना अमित…!
उसके बाद मैं हवा में उड़ने लगा था, मैं बस किसी तरह चाहता था कि रात ख़त्म हो.. और लंच का टाइम आ जाए… उस दिन रात काफी लम्बी लग रही थी .. पर आखिर में मेरा इंतज़ार ख़त्म हो गया.. सुबह मैं काफी अच्छे से नहा के सेंट वेंट लगा के लंच करने गया.. जल्दी से लंच करके चाची के कमरे में जा कर इन्तज़ार करने लगा चाची का..! आज मैं चाची को चोदने वाला था.. यह सोच कर मेरा मन फ़ूला नहीं समां रहा था.. फिर चाची कमरे में आई..
मैं बेड पे लेट के टीवी देख रहा था..
चाची- तो अमित आखिर तुमने अपना दिमाग लगा के माँ से हाँ करवा लिया न!
मैं- चाची मैं आपको चोदने के लिए कुछ भी कर सकता था!
चाची- आज तो चाची भी तुझसे चुदना चाहती है.. देख अच्छे से चोदना चाची को.. जल्दी बाज़ी में मत चोदना.. जैसे बोलूँ वैसे चोदना!
मैं- चाची आप जैसा बोलोगी, मैं वैसे ही चोदूँगा!
चाची- तू आ आज तू मेरी कपड़े उतार!
फिर मैं चाची के पास गया और चाची की साड़ी उतार दी.. फिर चाची की चूचियों को ब्लाउज के ऊपर से ही दबाने लगा.. फिर चाची ने ख़ुद ही ब्लाउज उतार दिया.. फिर मुझे लगा कि चाची को पूरा नंगा कर दूँ.. और मैंने चाची की ब्रा, साया, पेंटी सब निकाल दिया.. फिर चाची बिस्तर पर लेट गई और मैं चाची को खड़ा देखने लगा.. चाची को ऐसे देख के तो किसी मुर्दे में भी जान आ जाती..
चाची- क्यूँ रे दूर से ही देखता रहेगा.. या पास भी आएगा.. आ मेरे पास आ ना..
मैं चाची के पास जा के बैठ गया..
चाची- तू कल बोल रहा था न मेरा दूध पिएगा.. ये ले आ जा मेरे दूध पी जा..
मैं भी चाची के चूचियों को प्यार से सहलाने लगा.. उनकी चूचियाँ मेरे हाथों में नहीं आ पा रही थी.. इतनी बड़ी और इतनी मुलायम चूची… बस मन कर रहा था कि दबाता ही रहूँ। फिर मैं चाची की एक चूची को अपने मुँह में लेकर चूसने लगा.. और दूसरी को पूरी ताकत से दबा रहा था.. चाची बड़े प्यार दे मुझे अपना दूध पिला रही थी.. हालाँकि चाची की चूची में दूध अब आता नहीं था, पर चाची की चूची बहुत स्वादिष्ट थी..
मैं- चाची आपने तो बोला दूध पियो.. पर आपके चूची से तो दूध नहीं निकाल रहा है.. चाची अब दूध कैसे पियूँ?
चाची- अरे मेरे लाल… चूची का दूध ख़त्म हो गया है.. पर आ तुझे अपना खास दूध पिलाती हूँ, मेरी चुत पे जा और चाट जा चुत का सारा दूध…
मैं- चाची आपकी बूर का रस मीठा है न?
चाची- तू चख के देख ले.. चूची का दूध भूल जाएगा..
फिर मैं चाची की चुत के पास जाकर बैठ गया.. चाची की चुत में हल्की हल्की झांट थी.. जो पसीने से भीगी हुई थी.. मैंने पहले चाची की झांट को चाटा.. चाची की झांट इतनी नमकीन थी कि बस चाटने का ही मन कर रहा था.. चाची उधर अपनी गांड उठा उठा कर मुझे इशारे कर रही थी कि चुत चाट..
तो मैंने सोचा कि अब चाची को ज्यादा न परेशान करूँ..फिर चाची की चुत को प्यार से सहलाया.. चाची की चुत तड़प में गीली हो गई थी.. मैंने पहले चाची की चुत में अपनी एक उंगली डाली, वो चाची की चुत में काफी आराम से आ जा रही थी.. तब मैंने दो दो उंगलियाँ एक साथ घुसाना शुरू किया. तब चाची को मजा आने लगा.. चाची हल्की हल्की आवाज़ निकलने लगी..
चाची की आवाज़ सुन के मैं और तेज़ी से उनकी चुत फाड़ने लगा.. चाची की चुत एकदम गीली हो गई थी.. सो मैंने सोचा अब बुर रसपान कर लिया जाए.. और चाची की बुर में अपना मुँह रख दिया… बूंद बूंद चाट लिया… इतनी स्वादिष्ट रस मैंने आज तक नहीं पिया था.. चाची चुत उठा उठा के मुझे चुत का रस पिला रही थी.. मैं चुत का रस ऐसे चूस रहा था जैसे कोई निम्बू से रस चूसता है.. मुझे सब कुछ सपना लग रहा था.. मैंने चाची की बूर का इतना रसपान किया चाची ने ख़ुद से मना किया..
चाची- अरे बस भी कर कितना प्यासा है.. क्या मुझे मार ही डालेगा..
मैं- चाची आपका चुत-रस इतनी प्यारा है कि मैं हमेशा आपका रस चूसता रहूँ।
चाची- तूने तो मुझे धन्य कर दिया रे.. आजतक ऐसा रसपान ज़िन्दगी में किसी ने नहीं किया.. चल अब आ मैं तेरी सेवा कर दूँ..
मै- क्या करोगी चाची?
चाची- आ मैं तेरी लंड की प्यास बुझा दूँ.. तू भी चाहता है न कि मैं तेरा लंड अपने मुँह में लूँ?
मैं- चाची मैं तो रोज़ रात को सपने में अपना लंड आपके मुँह में देता हूँ.. मुझे तो वि्श्वास नहीं हो रहा है कि.. आप इसे मुँह में लोगी।
फिर चाची ने मेरी लंड को अपने हाथ में लिया.. मेरा लंड गरम होकर इतना कड़ा हो गया था कि चाची ने उसे छूते ही अपने मुँह में ले लिया.. आज मेरे लंड को अपनी मंजिल मिल गई थी। चाची मेरे लंड को आइसक्रीम की तरह चाट रही थी.. चाची के चाटने के अंदाज़ से लग रहा था कि चाची तो लंड की शौकीन हैं।
चाची लंड मुँह से निकाल के उसे अपनी चूची से सटाने लगी… लंड से चाची की चूची को छू के इतना प्यारा लगा कि मैं बयान नहीं कर सकता.. मेरा लंड बस अब चाची की चुत का प्यासा था.. फिर चाची ख़ुद ही लेट के लंड को अपनी चुत से सटाने लगी.. तब मुझे लगा कि अब समय आ गया है.. चाची भी चुदना चाहती है…
मैं- चाची अब मैं आपको चोद लूँ?
चाची- हाँ अमित आ अब अपनी चाची की चुत को चोद डाल..! पूरी जान लगा के चोदना..! बहुत दिन से प्यासी है तेरी चाची की ये चुत.. आज इसकी प्यास बुझा दे मेरे लाल…!
मैं चाची को नीचे लिटा के उनके ऊपर आ गया.. चाची की चुत पे अपनी लंड को रखा और उसे चुत पे रगड़ने लगा। चाची से रहा नहीं जा रहा था.. चाची ने चुत उठा के गली दी की मादरचोद अब चोद भी.. कितना इन्तज़ार कराएगा..
फिर मैंने चाची की चुत में अपना लंड घुसाना सुरु किया.. एक ही बार में मेरा लंड आधा चाची की चुत में चला गया… फिर मैंने दूसरी बार जब ज़ोर लगाया तब मेरा पूरा लंड चाची की चुत में.. मुझे ऐसा लग रहा की चाची की चुत स्वर्ग हो.. मेरा लंड तो फुला नहीं समां रहा था..
मैंने चाची की चुत में ज़ोर ज़ोर से धक्के लगाने शुरु किया.. चाची काफी ज्यादा आवाज़ कर रही थी.. चोद डाल.. चोद मेरे ला..चोद दे अपनी चाची को.. चाची जैसे जैसे बोले रही थी.. मैं और भी ज़ोर ज़ोर से चाची को चोद रहा था..
फिर मैंने चाची घुमने की लिए बोला.. और चाची के पीछे से उनकी चुचियों को दबाते हुए.. लंड को फिर से चाची की चुत में डाल दी.. चाची मजा ले ले के चुदवा रही थी.. फिर मैंने चाची को कुतिया बन्ने को कहा.. और चाची के पीछे जाकर.. चाची की चुत की खूब पूजा की.. आज मेरा लंड काफी साथ दे रहा था.. चाची एक बार पुरी तरह से स्खलित हो चुकी थीं.. उसके बाद मेरा लंड फच फच की आवाज़ के साथ चाची की चुत फाड़ने लगा.. अब मेरा लंड भी अपनी पानी उगलने वाला था..
मैं- चाची मेरा लंड पानी निकलने को तैयार है..
चाची- निकाल दे बेटे चाची की चुत में ही निकाल दे.. चुत को काफी दिनों से नहीं मिली है लंड का रस..
मैंने पूरा का पूरा पानी चाची की चुत में डाल दिया.. चाची ने ज़ोर से मुझे गले लगा लिया और मुझे प्यार से चूमने लगी..
चाची- कैसा लगा बेटा चाची को चोद के.. मजा आया न तुझे..?
मैं- चाची मेरे ज़िन्दगी बन गई आज… आज से आप जैसा बोलोगी.. मैं वैसा ही करूंगा… आप मेरी चाची हो.. मेरी दुनिया हो… मेरी लव हो..! चाची, मैं आपको रोज़ चोदूंगा.. चुदवाओगी न चाची.. बोलो न…!
चाची- हाँ मेरे लाल मैं तेरे से रोज़ चुदवाऊँगी.. चल अब जा अपने कमरे में! नहीं तो कोई पकड़ लेगा…
फिर अनीता चाची को मैं रोज़ चोदने लगा!
पाठको! यदि आपको यह कहानी अच्छी लगी है तो मुझे ज़रूर मेल कीजिये, तब मैं आपको आगे की कहानी बताऊँगा.. अभी मेरी हेमा चाची..और माँ की कहानी बाकी है… Antarvasna
काजल के साथ ताश के बहाने नंगापने के Hindi Porn Stories खेल के बादि सुमित और अनवर इस बीच घर नहीं आए, पर फोन पर हमेशा मुझसे पूछा कि मैंने अब तक काजल को चोदा या नहीं।
मुझे इतना होने के बाद भी हिम्मत नहीं हो रही थी काजल से सेक्स के लिए कहने की। काजल भी ऐसे थी जैसे उस दिन कुछ हुआ ही ना हो।
खैर, जब सुमित ने अल्टिमेटम दे दिया कि अगर आज मैंने काजल को नहीं चोदा तो वो उसे पटा के मेरे सामने चोदेगा तब मुझे भी जोश आ गया, और शाम में डिनर टेबल पर मैंने काजल से कहा,’काजल, आज रात मेरे साथ सो जाओ ना प्लीज, उस दिन के बाद से मुझे बहुत बेचैनी हो रही है।’
यह बात मैंने अपना सर नीचे करके खाना खाते हुए कहा।
मेरी हिम्मत नहीं हो रही थी कि मैं काजल से नजरें मिलाऊँ।
काजल ने मेरे झिझक या शर्म को समझ लिया और फिर मेरे पास आ कर मेरे सर को उठाया और कहा,’आज नहीं, दो-तीन दिन बाद!’
और मेरे होंठ चूम लिए।
मुझमें अब हिम्मत आ गई और मैंने पूछा,’आज क्यों नहीं, दो-तीन दिन बाद क्यों?’
अब काजल मुस्कुराते हुए मेरे कान के पास फ़ुसफ़ुसा कर बोली,’थोड़ा समझा करो संजीव भैया! अभी पीरियड्स चल रहे हैं, इसीलिए कह रही हूँ दो-तीन दिन बाद। तब तक इससे खेलो!’
कहते हुए उसने अपने स्तनों पर मेरा हाथ रख दिया। मैं खुश हो गया कि चलो अब दो-तीन दिन बाद काजल जैसी एक मस्त लौंडिया मिलेगी चोदने को।
तीसरे दिन जब मैं ऑफ़िस से लौटा तो काजल एकदम फ़्रेश लग रही थी, मुझसे बोली,’संजीव भैया! आज कहीं बाहर चलिए डिनर के लिए।’
वो तैयार थी। करीब एक घंटे बाद हम लोग एक चाईनीज रेस्ट्रां में बैठे थे। वो मेरे साथ ऐसे व्यवहार कर रही थी जैसे वो मेरी गर्लफ़्रेंड हो। मुझे भी मजा आ रहा था। करीब 9 बजे जब हम लौट रहे थे तब काजल ने मुझसे कहा,’रास्ते में कहीं से कन्डोम खरीद लीजिएगा संजीव भैया।’
यह सुनके मेरा लण्ड गरम होने लगा। मैंने बात हल्के से लेते हुए पूछा,’क्यों, आज रात मेरे साथ सोना है क्या?’
और मैंने उसका हाथ जोर से दबा दिया।
वो एक कातिल मुस्कान के साथ बोली,’आपके साथ बेड पे जब मैं रहूँगी, तब आप सोएँगे या जागेंगे?’
मैंने उसको घूरते हुए कहा,’बहुत गहरी चीज हो काजल तुम, एकदम कुत्ती चीज़ हो भई।’
वो भी पूरे मूड में थी, बोली,’आप और आपके दोस्तों का किया है सब, वर्ना मैं जब आपके पास आई तब तक मुझे हेयर रिमूवर तक यूज करना नहीं आता था।’
मैंने उसके चूतड़ पे एक चपत लगाया और कहा,’हाँ, वोह तो उस दिन तेरी झांट देख कर पता चल गया है। तुम चिंता ना करो, बिना कन्डोम भी मैं जब करुंगा तो अपना माल भीतर नहीं बाहर निकालूँगा।’
और हम दोनों घर आ गए।
काजल बोली- आप चलिए, मैं तैयार हो कर आती हूँ।
पर मेरे लिए अब रुकना मुश्किल था, बोला,’इसमें तैयार क्या होना है, नंगा होना है बस।’
और मैं अपने शर्ट के बटन खोलने लगा। कुछ समय में ही मैं सिर्फ़ अपने फ़्रेंची अंडरवीयर में था।
काजल पास खड़ी देख रही थी, बोली,’बहुत बेचैनी है क्या?’
वो मुझे चिढ़ाने के मूड में थी। मैं उसकी ये अदा देख मस्त हो रहा था, पर उपर से बोला- ‘अब जल्दी से आ और प्यार से चुदवा ले, वर्ना पटक के चूत चोद दूंगा। साले यार लोगों ने रोज़ पूछ पूछ कर कान पका दिया है।’
काजल अब सकपकाई और पूछा,’क्या आप अपने दोस्तों से मेरे बारे में बात करते हैं?’
उसके चेहरे से चिंता दिखी तो मैंने सच कह दिया,’सुमित और अनवर रोज़ पूछते हैं, उस दिन का ताश का खेल भी मेरे और तुम्हारे बीच यही करवाने के लिए ही तो था। असल में, जब से तुम आई हो उस दिन से वो दोनों तेरे बदन के पीछे पड़े हैं।’
काजल अब सामान्य हुई,’अच्छा वो दोनों, मुझे लगा कि कोई और दोस्त को भी आपने बताया हैं। क्या आप आज रात की बात भी उनको बताएँगें?’
मैंने देखा कि अब सब ठीक है, सो सच कह दिया- ‘जरूर, वो जरूर पूछेंगे, और तब मैं बता दूंगा!’
और मैंने काजल को पास खींच कर अपने सीने से लगा लिया और उसके होठों का रस पीने लगा।
काजल भी सहयोग कर रही थी, हम लोग कोई 5 मिनट तक सिर्फ़ होठ ही चूसते रहे। काजल की साँस थोड़ी गहरी हो गई थी।
मैंने काजल को कहा,’चलो अब बेड पर चलते हैं।’ उसने एक बच्चे की तरह मचलते हुए कहा,’मैं खुद नहीं जाऊँगी, गोदी मे ले चलो मुझे। मैं तुमसे छोटी हूँ या नहीं।’
उसे बच्चों की तरह मचलते देख मुझे मजा आया, बोला,’साली, नखरा कर रही है, छोटी है तू, अभी दो मिनट में जवानी चढ़ जायेगी!’ और उसको मैंने गोदी में उठा लिया।
वो मेरे सीने से लग गई और बोली,’ऐसे कभी गोदी लेते क्या आप, अगर मैं न कहती!’
मैंने जवाब दिया,’अरे तेरे जैसी मस्त लौंडिया अगर बोले तो अपने सर पे बिठा के ले जाऊँ उसे!’
मैंने उसको अपने बेड पे ला कर पटक दिया। मुझे पेशाब आ रही थी, तो बाथरूम जाते हुए मैंने कहा,’अब उतार अपने कपड़े, और नंगी हो जा, जब तक मैं आता हूँ’।
मैं जब लौटा तब भी काजल अपने पूरे कपड़ों में बेड पर दिखी। मैं थोड़ा चिढ़ गया इस बात पर। मैं बोला- ‘क्या साली नखरे कर रही है, मेरा लण्ड खड़ा करके। मेरे से कपड़े उतरवाना है तो आ जरा लण्ड चूस मेरा।’
वो भी थोड़ा तुनक कर बोली,’अच्छा, तो अब मैं आपकी साली हो गई। आप दो बार मुझे साली बोल चुके हैं!’
फ़िर मुस्कुराने लगी।
मैंने हँसते हुए कहा,’तो क्या तुम मुझे बहनचोद बनाना चाहती हो?’
इस बार वह सेक्सी अंदाज़ में बोली,’आप मुझे रंडी बना रहे हो तो कोई बात नहीं और मैं आपको बहनचोद भी ना बनाऊँ?’
और वो मेरे से सट गई। मैंने उससे नज़र मिला के कहा,’मैं तो तुम्हें अपनी रानी बना रहा हूँ जान, रन्डी नहीं। पर तुम्हारे लिये बहनचोद, क्या तू जो बोल वही बन जाऊँगा मेरी प्यारी काजल।’
मैं फ़िर उसके होंठ, गाल चूमने लगा। वो साथ देते हुए बोली,’थैंक्स संजीव भैया, पर मुझे तो रन्डी बनना पड़ेगा अब। आपके दोनों दोस्त मुझे ज्यादा दिन छोड़ेंगे ही नहीं!’
मैंने उसकी हाँ में हाँ मिलाई,’यह बात तो है, काजल, पर कोइ बात नहीं एक-दो बार से ज्यादा वो लोग नहीं करेंगे। मैं जानता हूँ उनको!’
काजल थोड़ा गरम होने लगी थी, बोली,’अब छोड़ो ये सब बात और चलो शुरु करो संजीव भैया!’
मुझे यह सुनकर मजा आया,’क्या शुरु करे तुम्हारा संजीव भैया, जरा ठीक से तो कहो मेरी छोटी बहना।’
मेरा हाथ अब उसकी दाहिनी चुची को कपड़े के उपर से ही मसल रहा था। एक बार फ़िर मैंने पूछा,’बोल न मेरी बहना, क्या शुरु करे तुम्हारा भैया! बात करते हुए ज्यादा मजा आयेगा मेरी जान। इसलिए बात करती रहो, जितना गंदा बात बोलोगी, तुम्हारी चूत उतना ज्यादा पानी छोड़ेगी। अब जल्दी बोलो बहन, क्या शुरु करूँ मैं?’
उसकी आँखें बन्द थी, बोली- ‘मेरी चुदाई’
चुदाई या तेरे चूत की चुदाई?
‘मेरी चूत की चुदाई’, वह बोली।
मेरे दोनों हाथ अब उसके चूतड़ों पर थे, मैं हल्के हल्के उन्हें दबा रहा था।
फ़िर मैंने उसको बेड पर बिठा दिया, और उसकी कुर्ती धीरे धीरे सर के ऊपर से निकाल दी। इसके बाद मैंने उसकी सलवार खोल दी। अब काजल मेरे सामने एक सफ़ेद ब्रा और काली पैंटी में थी।
मैंने कहा,’अब ठीक है, आओ लण्ड चूस कर एक पानी निकाल दो!’
काजल अब मजाक के मूड में थी, अपनी गोल गोल आँख नचाते हुए बोली,’किसका लण्ड चुसूँ, मुझे तो कोई लण्ड दिख नहीं रहा।’
मुझे उसकी ये अदा भा गई, मैंने गन्दे तरीके से कहा,’अपने प्यारे भैया का लण्ड निकालो और फ़िर उसको मुँह से चूसो, मेरी रन्डी बहना! अपने भैया को सैंया बना के चुदवाओ अपनी चूत और फ़िर अपनी गांड भी मरवाओ!’
मैं सीधा लेट गया। काजल ने मेरा लण्ड चूसना शुरु कर दिया। मैंने उसको लण्ड से खेलना सिखाया और वो जल्दी ही समझ गई और मुझे मजे देने शुरु कर दिये।
कोई 10 मिनट चुसाने के बाद मेरा लण्ड जब झरने वाला था, मैंने काजल को कहा कि वो तैयार रहे और फ़िर मैं उसके मुँह में झर गया। मेरे कहने से उसने मेरा सारा वीर्य पी लिया।
अब मैंने उसकी ब्रा और पैन्टी खोल दी। काली काली झांटों से भरी हुई उसकी चूत का एक बार फ़िर दर्शन कर मैं निहाल हो गया। जैसे ही मेरे हाथ काजल की चूत की तरफ़ गये, वो बोली,’भैया, कुछ होगा तो नहीं। डर लग रहा है, कहीं बदनामी ना हो जाए।’
मैंने समझाते हुए कहा,’कुछ नहीं होगा। आज तक जब तुम्हारी बदनामी नहीं हुई तो अब क्यो डर रही हो?’
उसका जवाव सुन के मेरी खुशी का ठिकाना नहीं रहा। वो बोली थी,’आज पहली बार करवाऊँगी, इसीलिए डर रही हूँ।’
मैं बोला-‘क्या, क्या तुम कुँवारी हो अब तक?’ उसके हाँ कहने पर मुझे विश्वास नहीं हो रहा था। मैंने बोल ही दिया,’मुझे विश्वास नहीं हो रहा। एक कुँवारी लड़की होते हुए तुम उस दिन तीन तीन जवान लड़कों के सामने नंगी हो कर खेल रही थी?’
वो हँसते हुए बोली,’इसमें विश्वास न करने वाली बात क्या है? आप तीनों मुझ पर लाईन मार रहे थे कई दिन से, सो उस दिन मैं भी सोचा कि चलो आज लाईन दे देती हूँ, बस। आप लोग को मजा आया तो मुझे भी तो मजा आया।’
मैं हँस दिया,’बहुत कुत्ती चीज है तू बहना। चल लेट, जरा तेरी चूत की जाँच करूँ, कैसी कुँवारी कली है तू!’
और मैंने उसकी चूत की फ़ाँक खोल करके भीतर की गुलाबी झिल्ली की जांच की। साली सच में कुँवारी थी। सांवले बदन की काजल की चूत थोड़ी काली थी, जिससे उसके चूत का फ़ूल ज्यादा ही गुलाबी दिख रहा था।
करीब 10 मिनट तक उसकी चुची और चूत को चुमने चाटने के बाद मैंने उसकी टांगों को चौड़ा कर के उसकी चूत को खोल दिया और खुद बीच में बैठ के लण्ड को काजल की चूत की फ़ाँक पर सेट कर लिया।
मजे से काजल की आँख बन्द थी। वह अब सिर्फ़ आह-आह-आह सी सी सी जैसा कर रही थी।
मैंने काजल से पूछा,’तैयार हो काजल रानी चुदवाने के लिए? मेरा लण्ड तुम्हारी चूत को चुम्मा ले रहा है। कहो तो पेल दूँ भीतर और फ़ाड़ दूँ तुम्हारी चूत की झिल्ली? बना दूँ तुम्हें लड़की से औरत? कर दूँ तुम्हारे कुँवारेपन का अंत? बोलो जान, बोलो मेरी रानी, बोल मेरी बहना, चुदवाएगी अपने भैया के लण्ड से अपना बूर?’
अब उससे रहा नहीं जा रहा था, वह बोल पड़ी,’हाँ मेरे भैया, चोद दो मेरी बूर अपने लण्ड से। बना दो मुझे औरत। अब मुझे कुँवारी नहीं रहना।’
मैं अपना लण्ड पेलने लगा वो थोड़ा कसमसाई, शायद उसको दर्द हो रहा था। पर मैं नहीं रुका, उसकी गीली बूर में लण्ड ठाँसता चला गया।
काजल इइइस्स्स्स आह करती जा रही थी और बोलती जा रही थी,’कर दो मेरे कुँवारेपन का अंत आज। मेरी बूर को जवानी का मजा दो मेरे भैया, लूट लो मेरे जवानी को और चोद कर बना दो मुझे रन्डी। चोदो मुझे भैया, खूब चोदो मुझे। मेरी जवानी का रस लूटो संजीव भैया।’
मैं जोश में चोदता जा रहा था। हम दोनों साथ साथ बोलते जा रहे थे।
मैं बोल रहा था,’चुद साली चुद। अब फ़ट गई तेरे बूर की झिल्ली। गया तेरा कुँवारा पन। लूटो मजा अपनी जवानी का। साली अभी थोड़ी देर पहले बच्ची बनी हुई थी। गोदी में घूम रही थी। अब इसी चूत से बच्चे पैदा करेगी तू मेरी बहना। मैं तुम्हें चोद कर बच्चे पैदा करुँगा। चुदो साली चुदो, खूब चोदवाओ।’
काजल भी बड़बड़ा रही थी,’अभी बच्चा नहीं। अभी मुझे अपने बूर का मजा लूटना है। खूब चुदवाऊँगी। जवानी का मजा लूटूँगी। फ़िर बच्चे पैदा करुँगी। आआआहह चोदो और चोदो मुझे। रन्डी बना के चोदो। बीवी बना के चोदो। साली बना के चोदो। बहन बना के चोदो, नहीं बहन तो हूँ ही। और आप बहनचोद हो। संजीव भैया, बहनचोद भैया, चोदो अपनी छोटी बहन को।’
मैंने अब उसको पलट दिया और पीछे से उसकी बूर में लण्ड पेल दिया और एक बार फ़िर चुदाई चालू हो गई। अब वोह थक कर निढाल हो गई थी, मैंने 8-10 जोर के धक्के लगाये और फ़िर मैं भी झर गया। मैंने अपना लण्ड बाहर निकाल लिया था, मेरा माल उसके नितम्बों पर फ़ैल गया।
काजल मेरे नीचे पेट के बल बेड पे थी और मैं उसके ऊपर था। मेरा लण्ड उसके गांड की दरार पर चिपका था। हम दोनों जोर जोर से हाँफ़ रहे थे, जैसे मैराथन दौड़ कर आये हों।
तभी घड़ी ने 11 बजे का घंटा बजाया।
मैंने काजल से कहा,’अब?’
वोह हाँफ़ते हुए बोली,’अब कुछ नहीं, बस सोना है’
और उसने करवट बदल ली। हम दोनों नंगे ही सो गये।
आप सब को यह कहानी कैसी लगी, बताना साथ ही यह भी बताना कि मुझे काजल के साथ और क्या-क्या हुआ वो लिखना चाहिए या नहीं। Hindi Porn Stories
हाय मैं राजेश आपके लिए एक स्टोरी लेकर आया हूँ मेरी Antarvasna उम्र २६ साल है मेरे घर में माँ एक छोटा भाई और दो बहन है मेरे पिताजी के देहांत के बाद मैंने १२वीं पास करके पढाई छोड़ दी और घर के पालन पोषण में जुट गया मेरी बहन की शादी हमने एक अच्छे खानदान में पक्की कर दी मगर उन्होंने पहले दो लाख रुपये दहेज़ माँगा था.
मैं एक छोटे से करखाने में काम करता था कारखाने का मालिक ५५ साल का बुड्डा और एक अमीर आदमी था परन्तु उसकी बीवी एक सुंदर, सु्शील, सेक्सी और बेहद खूबसूरत लड़की थी वह उसकी पत्नी नहीं बल्कि उसकी रखैल थी। वह पहले एक हाई प्रोफाइल कॉलगर्ल थी और अभी भी वह लड़कियों से जिस्मफरोशी का धंधा करवाती थी हमारे मालिक ने उसे सारी पॉवर दे रखी थी और खुद उसकी गांड के पीछे दुम हिलाता फिरता था।
मैंने उसे पटाने के बारे में सोचा क्यूंकि अगर वह पट गयी तो मुझे इस कारखाने का मैंनेजर बना देगी एक दिन वह ऊपर खड़ी देख रही थी तो मैंने उसे देखकर एक प्यारी सी स्माइल दे दी। वह भी मुझे देकर हंस पड़ी। अब रोज़ ऐसा ही चलता एक दिन जब मैं खाना खा रहा तो वह मुझे देख रही थी तो मैंने उसे दूर से ही खाने का न्योता दिया तो वह मुझे न कहकर थैंक्स करके चली गयी।
एक दिन उसने मुझे रोककर मेरा नाम पूछा तो मैंने राजेश कह दिया इस पर उसने अपना नाम शबनम बताया और अपना पता देकर चली गयी और रात को १० बजे बाद आने को कहा मैं रात को ठीक १० बजे पहुच मैंने डोर बेल बजायी तो उसने दरवाजा खोला और मेरा स्वागत करते हुए मुझे अपने लिविंग रूम में ले गयी मैंने उससे पूछा कि तुम्हारे पति कहाँ है तो वह बोली की उन्हें तो मैंने खाने में नींद की गोली देकर सुला दिया है अब वे सुबह तक नहीं उठेंगे।
वहां पर उसने मुझे एक बढ़िया सी वाईन पिलाई। वाईन पीकर मेरी हिम्मत बढ गयी और मैंने उसके गाल पर किस कर दिया। किस करने के बाद वोह खड़ी हुयी और दौड़कर अपने बेडरूम में चली गयी और दरवाजा बंद कर दिया्। मेरी लाख मिन्नतें करने के बाद आधे घंटे बाद उसने जब दरवाजा खोला तो मैं उसे देख कर स्तब्ध रह गया क्यूंकि उसके सेक्सी सरीर पर पेंटी नाम का भी वस्त्र नहीं था।
यह देख मैं उसके होंठों को जोर जोर से चूसने लगा और जैसे ही मैंने उसे बेड पर ले जाना चाहा तो वह बोली ऐसे नहीं जानेमन एक एक करके अपने कपडे उतारो और एक एक कदम बढाओ मुझे उसका आईडिया बड़ा ही रोमांटिक लगा मैं उससे अब मात्र एक कदम की दूरी पर था अब मैंने एक अंडरवियर बची थी उसे भी उतर फेका और मुझे अपने लन्ड पर शर्म आ रही थी कि कहीं वह इसे गधे का लंड न कहने लगे पर वह मेरे लंड को देखते ही मुस्कुराई और बोली कितना बड़ा और प्यारा लंड है यह सुनकर मुझे मेरे लंड पर अब गर्व महसूस होने लगा।
तभी मैंने उसके बूब्स को जोर जोर से दबाने लगा और वह ठोस हो गए फिर मैंने उनसे स्तनपान किया उसके बाद जब मैं उसकी चूत पर हाथ फेरने लगा तो मुझसे वह कहने लगी डार्लिंग इसे चाटो ना। मैंने उससे कह दिया आपका हुक्म सर आँखों पर उसकी चूत देखकर लग रहा था कि वह अनेको लंडो की चोट झेल चुकी है फिर मैंने पोसिशन ६९ में आकर १५ मिनट तक उसकी चूत और उसने मेरा लंड चूसा फिर वह बोली कि जान अब रहा नहीं जाता अब इस चूत की प्यास बुझाओ। यह सुनते ही मैंने उसकी चूत पर जोर से दो झटके मारे और पूरा लंड उसकी चूत में चला गया और मैं उसे चोद रहा था तब वह मेरा कम ओन! कम ओन! कहकर मेरा साथ दे रही थी उस रात उसे ५ तरीको से चोदने के बाद अब वह मुझसे रोज़ चुदवाने लगी और उसने मुझे अपने धंधे का दलाल बना लिया और अपने कारखाने के मैंनेजर के पद पर नियुक्त कर लिया।
अब मैं दलाली में रोज़ १००० रूपये कमा लेता हूँ और कुछ दिनों में मैं अपनी बहन की शादी भी कर दूंगा। Antarvasna
The user agrees to follow our Terms and Conditions and gives us feedback about our website and our services. These ads in TOTTAA were put there by the advertiser on his own and are solely their responsibility. Publishing these kinds of ads doesn’t have to be checked out by ourselves first.
We are not responsible for the ethics, morality, protection of intellectual property rights, or possible violations of public or moral values in the profiles created by the advertisers. TOTTAA lets you publish free online ads and find your way around the websites. It’s not up to us to act as a dealer between the customer and the advertiser.