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मैं सोनू, प्रिया और रिया पक्की सहेलियां Antarvasna हैं। हम तीनों की कोई बात आपस में किसी से छुपी नही रहती थी, हम तीनों में सबसे सुंदर मैं ही हूँ पर प्रिया और रिया भी दिखने में सुंदर ही कहलाती हैं। प्रिया की शादी हुए दो साल हो चुके हैं, उसका एक बेबी बॉय भी है, प्रिया का पति एक तराशे हुए बदन का मालिक है, वो भी हमसे बहुत हिलमिल गया है, अक्सर ही हम लोग एक दूसरे के यहाँ पार्टी रखते हैं और साथ साथ हँसी मजाक करते हैं।
मेरी इच्छा भी अब होने लगी कि मैं भी अंकित के और करीब आऊँ, मुझे वो अच्छा भी लगता है।
मैंने अपनी ओर देखा, मेरा जिस्म भी सेक्सी है, मेरे स्तनों का उभार भी सुंदर है, गोलाई लिए सीधे तने हुए, किसी को भी आकर्षित कर सकते हैं, मेरी कमर पतली है, मेरे चूतड़ थोड़े से भारी हैं, दोनों चूतड़ों की फांकें गोल और कसी हुई हैं, चलते समय मेरी चूतड़ों की दोनों गोलाईयाँ ऊपर नीचे लहराती हैं. अंकित मुझे चोरी चोरी तिरछी निगाहों से देखते रहते थे। मैं उन के करीब रहने की कोशिश करने लगी. मैं प्रिया के यहाँ अधिक जाने लगी. अब अंकित भी मेरे से सेक्सी मजाक करने लगा था।
“हाय अंकित… प्रिया कहाँ है..”
“किचेन में है… अभी आ जायेगी बैठो..”
अंकित सफ़ेद पजामे और बनियान में था. मुझे देखते ही पता चल गया कि उसने अन्दर अंडरवियर नहीं पहना है. उसके सोये हुए लंड तक का आकार ऊपर से ही नजर आ रहा था।
मैं जानबूझ के सोफे पर ऐसे झुक कर बैठी कि उसे मेरे बूब्स आसानी से दिख जाएँ। उसने भी मेरे बूब्स को देखने का लालच नहीं छोड़ा। मैंने उसे देखते हुए पकड़ लिया, मैं मुस्कराई, वो शरमा गया…
“जीजू क्या देख रहे थे… ”
“कुछ नहीं… बस ..”
“शरारती हो… है ना ..”
अंकित का लण्ड अब धीरे धीरे खड़ा होने लगा था, मुझे देख कर वो उत्तेजित होने लगा था।
“कौन शरारत कर रहा है… ” प्रिया कमरे में आते हुए बोली।
“जीजू… मजाक अच्छी मजाक करते हैं ..” मैंने बात बदल दी।
” लो चाय हाजिर है… ”
“प्रिया… जीजू से कहो ना कभी कभी तो हम पर भी लाइन मार लिया करें ..”
“अरे तुम ही लाइन मार लो ना… जीजू तो तुम्हारे ही है ना…”
“क्यों जीजू… क्या इरादा है…”
“अंकित… बताओ भी तो… ”
“अंकित… बता भी दो… ”
“अरे मौका तो मिलने दो… फिर इसका चुम्मा भी लूँगा… और ..और ..”
“और क्या क्या करोगे… अब थोडी शर्म करो… तुम्हारी बीवी पास खड़ी है… ”
“बीवी की पूरी परमिशन है… मुग्धा ये कह रहा है तो चुपके से दे ही देना..”
प्रिया मेरे पास आयी और मेरे कान में धीरे से कहा – “जरा ध्यान दो… तुम्हारे जीजू का खड़ा हो रहा है ..”
मेरी नजर तो पहले ही उसके लंड पर थी, यह सुनकर मैं शरमा गई, मैं धीरे से बोली- “धत्त… ”
“क्या हुआ. .हमें भी तो बताओ..”
उसकी बात सुनकर हम सभी हसने लगे पर जीजू का मजाक मुझे अच्छा लगा…
आज रात को रिया की शादी की होटल में पार्टी थी. हम सभी एक कार में होटल आ गए थे। वहां रिया को उसकी सहेलियों ने घेर रखा था. प्रिया रिया को सजाने सँवारने लगी. तभी प्रिया बोली– तुम दोनों यहाँ क्या करोगे, नीचे हॉल में पार्टी एन्जॉय करो..
मुझे तो मौका मिल गया, मैंने आज पार्टी के लिए खास सेक्सी ड्रेस पहनी थी. ये ड्रेस उसे बहुत पसंद थी. ब्रा इस तरह से कसी थी कि मेरे बूब्स बाहर उभरे हुए नज़र आ रहे थे. टाइट जींस और टॉप पहना था. ताकि अंकित मेरे हुस्न का मजा ले सके. उसे आज पटाना भी था. प्रिया से मुझे हरी झंडी मिल ही चुकी थी.
हम दोनो नीचे हाल में आ गए। थोड़ी देर वहां कुछ खाया पिया और बातें करते रहे। मैं बार बार उसका हाथ पकड़ लेती थी। वो हाथ छुड़ाता भी नहीं था। फ़्लोर पर कुछ जोड़े डांस कर रहे थे।
अंकित बोला- “चलो मुग्धा ! डांस करते हैं… ”
“हां… चलो… ना… ”
हम दोनो डांस फ़्लोर पर आ गए। मैंने उसकी कमर में हाथ डाला तो वो सिहर गया।
” जीजू… शरमा रहे हो… मेरी कमर में भी हाथ डालो… ”
उसने मेरी कमर में हाथ डाल दिया और हम थिरकने लगे। मैं जान बूझ कर अपने बूब्स उसके सामने उछाल रही थी। उसकी नज़रें मेरे बूब्स से हट नहीं रही थी। मुझे लगा कि मेरा जादू चल गया। मैंने उससे टकराना शुरू कर दिया। कभी बूब्स टकरा देती तो कभी उससे चिपक जाती। अब अंकित भी समझने लग गया था। वो भी मुझसे कुछ ज्यादा ही चिपकने लग गया था, इतना कि उसके मोटे लण्ड की चुभन मैं कभी अपने चूतड़ों पर महसूस करती तो कभी अपनी चूत के पास। मैं तो यही चाहती थी कि अंकित मुझसे और खुल जाए। कुछ ही देर में हम थक गए। डांस छोड़ कर हम गार्डन की तरफ़ चले गए। अंकित गार्डन में आकर हरी घास पर लेट गया। उसका लण्ड उभर कर दिखने लगा।
मैं भी उसके पास ही बैठ गई। मैंने उसका सर अपनी जांघों पर रख लिया और प्यार से उसके बालों में अपनी उंग्लियों से सहलाने लगी। वो एकटक मुझे निहार रहा था। मैंने कहा-“क्या देख रहे हो जीजू… मुझे कभी देखा नहीं क्या?”
“हां.. पर ऐसी मुग्धा नहीं… ” वो मुस्कुरा उठा।
“..नहीं जीजू… तुम आज कुछ अलग लग रहे हो… ”
” तुम कितनी सुन्दर लग रही हो आज..”
“हाय जीजू… ऐसे मत बोलो ना..”
“सच कह रहा हूँ… तुम्हारा बदन भी आज सेक्सी लग रहा है… मुझसे अब सहा नहीं जा रहा है..”
“जीजू… हाय रे… फ़िर से कहो..” मैं खुशी से बेहाल हुई जा रही थी।
वो मेरी आंखों में झांकने लगा। मैने भी अपने नयन उस से लड़ा दिये। आंखों ही आंखों में हम दोनो डूबने लगे। मैं भी अनजाने में उसके ऊपर झुकती चली गयी. हमारे होंट जाने कब एक दूसरे से चिपक गए. मेरी साँसे गहरी हो चली थी. अंकित मेरे होटों को चूस रहा था. मैं भी अपनी जीभ उसके मुंह में डाल चुकी थी. मेरा हाथ अपने आप ही उसके पेट पर से होता हुआ उसके लंड से टकरा गया. मैंने पेंट के बाहर से ही उसे पकड़ लिया. वो सिहर उठा. उसका लंड उत्तेजित हो कर मोटा और लंबा हो गया. बहुत ही कड़क होकर बाहर जोर लगा रहा था. उसका हाथ मेरी चुन्ची पर पहुँच गया था. एक हाथ से उसने मेरी चुन्ची दबा दी. मैं आनंद से निहाल हो गयी. ज्यादा खुशी इस बात की थी कि अब अंकित मुझे जरूर ही चोद कर रहेगा.
मैंने कहा -“हाय जीजू… मेरी चुन्ची और मसल दो… मजा आ रहा है… ” कहते हुए मैंने उसकी पेंट की जिप खोल दी और लंड को पकड़ कर सहलाने और हौले हौले उसे मसलने लगी.
उसके मुंह से सिसकारी निकल पड़ी. बोला -“थोड़ा जोर से पकड़ कर ऊपर नीचे करो… ”
“जीजू… कितना मोटा लंड है… हाय जीजू मुझे कब चोदोगे… ”
“आज ही रात को… प्रिया से पूछ कर… ”
“वो हाँ कह देगी ?…” मैंने अनजान बनते हुए पूछा. अंकित मुझे देख कर मुस्कराया पर बोला कुछ नहीं.
“अब बस करो नहीं तो मेरा रस निकल जाएगा… ”
“नहीं राजा… थोड़ा और मसलने दो ना… तुम भी चुचियां दबाओ ना… खींचो ना… ” मैं जोश में बोले जा रही थी।
पर अंकित उठ कर बैठ गया. मैं भी अपने कपड़े ठीक करने लगी।
हम दोनों को समय का पता ही नहीं चला. हॉल में आए तो महफिल रंग में थी. रिया और उसका हसबंड सामने वाली सिंहासन पर बैठे थे. प्रिया हमें देखते हुए मुस्कराई. मैं और अंकित भी मुस्करा दिए.
“रात बहुत हो गयी है… अब चलना चाहिये… ” प्रिया बोली. रिया ने भी जाने को कह दिया.
हम चारों यानि अंकित, मैं, प्रिया और बेबी बाहर आकर कार में बैठ गए, अंकित गाड़ी चला रहा था, प्रिया ने पूछा- पार्टी एन्जॉय की या नहीं..?
“हाँ… पार्टी अच्छी थी…”
“क्या अच्छा था.. बताओ तो…?”
“जीजू… वो ही अच्छे लगे…”
“तो बाजी हाथ में आई या नहीं… या मैं कुछ करूँ?”
“तुम ही कुछ कर दो ना… मेरी तो चुदवाने कि बहुत इच्छा हो रही है !”
” हाँ मेरी भोली रानी… आपके चेहरे से सब पता चल रहा है… कि मेरी मुग्धा को किस चीज़ की जरूरत है ..” और हंस पड़ी।
“पर तुम्हारी सहमति तो चाहिए ना…”
“चलो आज घर चल के देखते हैं… आज मन भर लेना… ” प्रिया ने भी अब साफ़ कह दिया.
अंकित का घर आ चुका था. मेरा घर अभी दूर था. और प्रिया ने रुकने को पहले ही कह दिया था.
हम सभी कमरे में गए. और बेबी को बेड पर सुला दिया. हमने अपने कपड़े बदले. मैंने भी प्रिया का एक ढीला सा पजामा पहन लिया. अंकित भी पजामा पहन कर आ गया. पजामे में से उसका उत्तेजित लंड की उठान साफ़ दिख रही थी.
प्रिया ने भी भांप लिया कि मैं क्या देख रही हूँ. वो मुझे देख कर मुस्करा दी. प्रिया अपनी बेबी के साथ लेट गयी फिर अंकित भी लेट गया. मैं किनारे पर अंकित के साथ लेट गयी. कमरे में धीमी बत्ती जल रही थी. मेरा दिल जोर जोर से धड़क रहा था. मुझे पता था आज मेरी चुदाई हो ही जायेगी।
मैंने हिम्मत करके अंकित के पेट पर हाथ रख दिया. उसने मेरी तरफ़ देखा. मैंने हाथ बढा कर उसका लंड पकड़ लिया. वो अन्दर कुछ नहीं पहना था. उसके लंड की मोटाई से मैं सिहर उठी. मैं उसका लंड दबाने लगी. लंड और टन्ना ने लगा. मैंने पजामे के अन्दर हाथ डाल दिया और उसके लंड के ऊपर की चमड़ी को ऊपर चढा दी. उसके मुंह से सिसकारी निकल पड़ी. उसने मेरे बूब पकड़ लिए और धीरे धीरे सहलाने लगा .मेरे टॉप को ऊँचा करके मेरी चूचियां दबाने लगा. मेरे मुंह से आह निकल गयी।
मैंने उसका लंड पकड़े पकड़े ही उसकी तरफ़ पीठ कर ली. अंकित मेरी पीठ से चिपक गया. उसने मेरा पजामा नीचे उतार दिया. मेरी गांड की दरारों में उसका नंगा लंड टकरा गया. मेरे जिस्म में सनसनी फैलने लगी. फिर उसने लंड को और चूतडों में गडा दिया. मेरी चूतड की फांकों को चीरता हुआ उसका लंड मेरी गांड के छेद से टकरा गया. मेरी चूतडों के बीच उसका मोटा लंड फंसा हुआ बहुत आनंद दे रहा था. मुझे उसका पूरा साइज़ और नंगा स्पर्श अच्छा लग रहा था. उसके हाथ मेरी टॉप में घुस पड़े और चुन्ची मसलने लगे. उसके लंड ने जोर मारा तो मेरी गांड की छेद मे थोड़ा सा घुस गया. मैंने अपनी टांग थोड़ी ऊँची कर ली. फिर तो लंड की सुपारी फक से गांड में घुस गयी. मेरे मुंह से आह निकल गयी. उसने अपना लंड थोड़ा सा बाहर निकाला और फिर दूसरे ही झटके में लंड अन्दर घुसता चला गया .. मैंने अपना मुंह भींच लिया कि कहीं आवाज ना निकल जाए. उसने धीरे धीरे धक्के लगाने शुरू कर दिए. मेरी चूत में उसने उंगली घुसा दी. पर मुझे लगा कि उंगली मर्द की नहीं है. मैंने देखा तो वो प्रिया थी.
वो मुझे देख कर प्यार से मुस्कराई .”मजा आ रहा है ना… ”
” हाय… प्रिया… . मैं मर जाऊंगी… मुझे मत देखो ना ..”
“अरे शर्म मत कर ..चुदाने के लिए तो तू तड़प रही थी ना… तेरे जीजू का लंड है… खाए जा… और मस्त हो चुदाए जा… ”
उसने मेरी गांड से अपना लंड निकाल लिया और अब वो बिस्तर के बीच में लेट गया. उसका लंड सीधा और लंबा तना हुआ खड़ा था.
प्रिया बोली – “इस चाकू पर बैठ जा… और अपनी फांकों में इसे घुसने दे और आज तू चोद डाल अपने जीजू को… ”
“थंक यू. ..” कह कर मैं उछल कर उसके लंड पर बैठ गयी… मैंने निशाना लगाया और चूत का छेद खड़े लंड पर रख दिया. मेरी चूत पानी से भीग गयी थी… सारा चिकना रस इधर उधर फ़ैल गया था. लंड ने मेरी चूत को चूमा और चूत ने उसका वैलकम किया. वो फच की आवाज करता हुआ अन्दर जाने लगा साथ ही मेरा बैलेंस भी बिगड़ गया और मैं लंड पर पूरा धच से बैठ गयी।
मेरे मुंह से चीख निकल पड़ी, “हाय ..जीजू… मर गयी ..”
प्रिया बोली – “हाँ… मेरी रानी… अब लंड का पता चला है… ”
“बहुत मोटा है ..राम. ..जड़ से टकरा गया है ..”
अंकित अब नीचे से चूतडों को हिला हिला कर चोद रहा था. इतने में प्रिया ने मेरी गांड में उंगली घुसा दी. और घुमाने लगी. मैंने तो अब ऊपर से कमर हिला हिला कर अंकित को चोद रही थी .सारा कमरा फच ..फच… की आवाज से गूंज उठा.
“हाय मेरी रानी… दे धक्के… प्रिया मेरी गांड में उंगली घुसा दे रे ..” वो आनंद से सिसकारी भरने लगा.
“हाँ ..मेरे राजा… ये लो… ” कहते हुए प्रिया ने अपनी दूसरे हाथ की उंगली अंकित की गांड में घुसा दी. मैं मस्ती में झूम रही थी.
” हाय ..जीजू… चोद दे रे… लगा दे ..रे… और जोर से… फाड़ दे यार… स ई से ऐ… मर गयी… हाय… चोद दे… जीजू… मेरी चुन्ची मसल डाल… खींच… और खींच… ऊऊओए ई ई… रे… क्या कर हो… राजा… लगा ना… जोर से… ”
मेरी हालत चरम सीमा पर पहुँच रही थी . मैं होश खोती जा रही थी.
अचानक उसने मुझे करवट बदल कर अपने नीचे दबा लिया. और मेरे ऊपर चढ़ गया. उसने लंड को दबा कर चूत में घुसा दिया. और उसके धक्के तेज होते गए. ऊधर प्रिया ने फिर से अपनी उंगली हमारी गांड में घुसेड़ दी और अन्दर गोल गोल घुमाने लगी. मुझे दोनों तरफ़ से डबल मजा आने लगा. पर अब मुझे लग रहा था… कि मैं झड़ने वाली हूँ. उसके लंड की तेजी को और उंगली को सह नहीं पा रही थी.
“जीजू… मैं मर गयी… हाय रे… चोद… और चोद… हाय निकल दे पानी… चोद दे रे… .हाय यी ययय… मैं मरी… सी सी ओ ऊ ओए एई मैं मरी… मैं गयी ऐ… अरे निकाला ..निकल अ… अरे… अरे… हाय रे… ”
कहते हुए मैंने अपना पानी निकाल दिया. प्रिया ने मेरी गांड से उंगली निकाल दी. अचानक अंकित के लंड का दबाव मेरी चूत पर बढ़ने लगा .. और फिर वो कराह उठा… “हाय मेरी रानी… मैं गया… मेरा निकलने वाला है… हँ… हँ… ओ ऊ ओह ह्ह्ह ह्ह्ह हह. ओ ऊ ह ह ह हह ह्ह्ह… प्रिया… निकला… निकल अ… आ आह हह आया आह्ह… ”
उसके लंड ने अपना रस उगलना चालू कर दिया. पर प्रिया तो इंतज़ार में थी उसने पीछे से हाथ डाल कर मेरी चूत से लंड खींच लिया और टांगों के बीच घुस कर लण्ड अपने मुंह में ले लिया. अंकित ये जानता था कि ये रस तो प्रिया का ही है. इसलिए उसने अपनी टांगे ऊँची कर के अपना पूरा लण्ड उसके मुंह में दे दिया. प्रिया पूरा रस गट गट करके पी गयी और अब लण्ड को चाट कर साफ़ कर रही थी. मैं निढाल सी बिस्तर पर पड़ी थी.
“मजा आया मेरी रानी ” प्रिया बोली
“जीजू ने तो बस कमाल ही कर दिया ..इतनी जोर से चोद दिया कि पूछो मत… पर माल मेरे लिए तो छोड़ा होता… ” प्रिया हंसने लगी.
“जीजा साली का रिश्ता ऐसा ही मजेदार होता है… क्यूँ अंकित है ना… ”
” तुम तो लकी हो जो जीजू से रोज़ चुदवा लेती हो… मेरी तरफ़ तो देखो ना… चूत में ज़ंग लग जाता है ..” मैं हंसती हुई बोली.
“अच्छा तो हरी झंडी ..बस ”
“क्या… हरी झंडी…”
‘ये तुम्हारा जीजू… और ये तुम… खूब चुदवाओ जीजू से… और मस्त हो जाओ !”
अंकित और मैं एक दूसरे को मुस्करा कर देख रहे थे. आँखों आँखों में इशारे हो गए थे. हम सब उठे और अपने कपड़े ठीक किए. और सोने की तैयारी करने लगे। Antarvasna
आज फिर से मैं नयी देशी भाभी चुदाई कहानी ले कर आया हूं।
उस गांव से मेरा ट्रांसफर 45 किलोमीटर दूर एक गांव में हो गया था।
यह गांव थोड़ा बड़ा था और यहां के लोग थोड़े पढ़े लिखे और सुखी सम्पन्न थे।
गांव के लोगों के पास खेती के लिए काफी बड़ी जमीनें थी और लोग राजकीय पहुंच भी रखते थे।
खैर जहां समृद्धि होती है वहां टकराव भी होता है.
तो इस गांव में ताकतवर लोगों के गुट बने हुए थे और ये गुट आपस में अक्सर लड़ते रहते थे.
तो यह गांव किसी भी कर्मचारी के कठिन पर माल वाला पोस्टिंग माना जाता था।
मुझे मेरे साथी कर्मचारियों ने इस गांव के बारे में यह सब बताया था- तुम जैसे सीधे सादे आदमी को इस गांव में नौकरी करना मुश्किल है। यहां के लोगों की पहुँच ऊपर तक होने से वे हमारे जैसे छोटे कर्मचारियों को दबा के रखते हैं।
अब मेरा इस गांव से पाला पड़ ही गया था तो सोचा कि जो होगा देखा जायेगा।
मैंने वहां के पुराने पटवारी से चार्ज लिया और काम देखने लगा।
दूसरे दिन गांव के सरपंच से मेरी मीटिंग थी।
सरपंच एक महिला थी.
उसने मिठाई का डिब्बा देकर मेरा स्वागत किया और कहा- आपको हम यहां कोई परेशानी नहीं होने देंगे. हम सब साथ मिल कर काम करेंगे. आप भी हमारा साथ दीजिएगा।
मुझे काफी अच्छा लगा और मैंने महसूस किया कि सरपंच काफी होशियार महिला थी।
बाद में जानने को मिला कि सरपंच तो भले दिल की और अच्छी है पर उसका पति गांव का बाहुबली था और सरफिरा भी!
उसका गुट काफी बड़ा और ताकतवर था और काफी लड़ाई झगडे के बाद उसे सरपंच का पद दिलवाया था।
अगले कुछ दिनों में गांव के बाकी गुट वाले भी मुझसे मिलने आये और उन सबकी मुझसे समर्थन के लिए मांग थी तथा अप्रत्यक्ष रूप से धमकी भी थी की मैं उन्हें ही समर्थन करूं।
इस गांव में शुरु से ही मैंने अच्छे से कामकाज चालू किया तो लोगों के काम समय से होने लगे।
मेरे पहले के पटवारी गांव के कोई ना कोई गुट में मिल जाते थे और काम कराने के पैसे भी लेते थे तो आम लोगों में नाराजगी रहती थी।
वैसे भी गांव के गुट वाले अपनी पसंद का ही पटवारी का गांव में पोस्टिंग करवाते थे।
मैं सभी का काम अच्छे से समय पर और बगैर पैसे लिए करने लगा तो एक दो महीने में ही मेरी गांव में काफी अच्छी छवि उभर आई थी।
दूसरी तरफ दो महीने से मुझे कोई चूत नहीं मिली थी तो मेरा बुरा हाल था।
रश्मि की बहुत याद आती थी, साथ में नम्रता की गोरी और फातिमा की काली चूत भी मुझसे भूली नहीं जा रही थी।
मैंने रश्मि को वचन दिया था तो मैं उस गांव की तरफ जाना नहीं चाहता था।
हालांकि नम्रता और फातिमा की चूत तो मुझसे चुदाने को आज भी तैयार थी।
पर मैंने अब इसी गांव में चूत ढूँढना का तय किया।
यह इस गांव के हिसाब से मुश्किल और मेरे लिए ख़तरनाक भी था क्योंकि पकड़ा गया तो इस गांव के लोग जान से भी मार सकते थे।
पर मेरे लिए इस गांव में किस्मत ने पहले से अच्छा तय करके रखा था।
मैं नयी जगह और कामकाज के चलते अब तक लोंडियाबाजी में नहीं पड़ पाया था. पर अब मैंने गांव में चूत ढूँढना शुरु किया।
पहले तो मैंने सरपंच के बारे में सोचा।
वह 35 साल की घरेलू महिला थी. ऐसे तो वह काफी गोरी थी थोड़ी सी मोटी पर उसका चेहरा खास मुझे प्रभावित नहीं कर पाया. वैसे भी वह मेरा छोटे भाई की तरह ख्याल बहुत रखती थी तो मेरी नीयत उसके लिए खराब नहीं हो पायी।
मैंने दूसरी भाभियों और लड़कियों के बारे में सोचा।
कुछ भाभियां और लड़कियां मेरे पास काम करवाने अक्सर आया करती थी तो उसमें ही जुगाड़ करने की फिराक में रहने लगा।
दो महीने बाद एक बार मैं ऑफिस के दूसरे कमरे की खिड़की खोल रहा था जिसे कभी कभार ही खोलते थे क्योंकि उस कमरे में पुरानी फाइलें और रेकोर्ड ही रखते थे।
मुझे एक पुरानी फाइल की जरूरत पड़ी थी तो मैं उस कमरे में गया और वहां की खिड़की खोली।
खिड़की से बाहर थोड़ी ही दूर एक जवान औरत कपड़े सुखाती दिखी।
उसकी पीठ मेरी तरफ थी पर मैं तो उसे देखता ही रह गया।
उसका बदन कसा हुआ गठीला और एकदम गुलाबी था जिससे मेरे पैंट में हरकत सी होने लगी।
काफी देर तक मैं उसे निहारता रहा।
फिर वह मेरे सामने घूमी तो देखा कि मैं इसे जानता था।
उसका नाम नाम रेखा था, वह मेरे पास कुछ काम के लिए तीन दिन पहले ही आयी थी।
रेखा सरपंच की रिश्ते में दूर की देवरानी थी और सरपंच के मायके के गांव की ही थी तो सरपंच से उसकी काफी बनती थी।
सरपंच ने मुझे उसका काम जल्दी निपटाने का अनुरोध भी किया था।
काम में व्यस्त होने की बजह से मैंने उस पर ध्यान नहीं गया था पर आज उसका कामुक बदन देख कर मेरे तो तोते उड़ गये थे।
मैंने तुरंत ही एक प्लान बनाया और सरपंच के जरिए उसे संदेश दिया कि उसके दिये कागज में एक दो कागज कम हैं.
तो वह दूसरे दिन ऑफिस आ गयी।
ऑफिस में कोई नहीं था, वह अपने छोटे बच्चे के साथ आयी थी।
मैंने उसे बहुत अच्छी तरह से निहारा।
आज उसने सर पर घूंघट नहीं निकाला था तो मैं जी भर कर उसे निहारता रहा।
शायद उसे भी इस बात का अंदेशा हो गया था।
मैंने उससे हंसते हुए काफी बातें की.
उसने कहा- अरे साहब, ऐसे छोट मोटे कामों के लिए थोड़ा बुलाते हैं आप खुद ही निपटा लेते ना!
वह भी थोड़ी बातूनी और मजाकिया स्वभाव की निकली।
शाम को घर आकर मुझे उसकी कल्पना करते हुए हाथ हिला के आग को शांत करना पड़ा।
रेखा छब्बीस साल की थी और उसका एक चार साल का बच्चा भी था.
उसका फीगर करीब 36-32-34 का होगा।
उसके नाक नक्श ऐसे कि बोलीवुड की हीरोइन से टक्कर ले सकें।
वह ज्यादा पढ़ी लिखी नहीं थी पर काफी होशियार थी।
मैंने सोचा कि पति ने भी क्या किस्मत पायी थी।
अब मैं रोज उस कमरे की खिड़की से रेखा को निहारने लगा।
वह अपने पति और बच्चे के साथ अलग रहती थी, उसके घर से सट कर ही उसके ससुर और जेठ के भी घर थे।
उसका घर का मुख्य द्वार बिल्कुल मेरे ऑफिस के पीछे ही पड़ता तो मैं खिड़की से ही उसके घर में भी देख सकता था।
मैंने कई बार कपड़े सुखाते या झाड़ू निकालते समय उसकी ब्रा और क्लीवेज भी देखी थी।
अब उसकी चूत मिल जाए तो जन्नत मिल जाए।
ऐसे ही तीन चार महीने निकल गये।
उसे भी शायद पता लग गया था कि मैं खिड़की से उसे झांकता हूँ।
वह अब मेरे सामने मुंह रख कर कपड़े सुखाती थी और कभी मुस्कुराती भी थी।
बात यहीं आकर रुक गयी थी, कुछ आगे नहीं बढ़ पा रही थी।
उससे बात करने की मेरी हिम्मत भी नहीं हो रही थी।
फिर समय ने करवट बदली और वह एक बार शाम को पांच बजे के आसपास सरपंच से मिलने ऑफिस आयी।
सरपंच ने उसे पारिवारिक काम से बुलाया था।
वैसे मेरे ऑफिस में दोपहर के बाद ज्यादा काम नहीं रहता था पर सरपंच ने अब दोपहर के बाद ऑफिस में बैठना शुरू किया था।
अब यह सिलसिला चल पड़ा की वह सरपंच के साथ गप्पे लड़ाने ऑफिस आ जाती थी।
मेरा टेबल सरपंच के पास ही था तो मैं उसे देखते रहता था और उनकी बात सुनता था।
असल में सरपंच अपने छोटे भाई के लिए रिश्ता ढूँढ रही थी. उसी चक्कर में वह रेखा को बुलाती थी कि फलाना गांव में फलाने आदमी की बेटी अच्छी है।
सरपंच मुझे बहुत मानती थी तो उन दोनों की बातों में मुझे भी शामिल करती थी.
कभी कभी मज़ाक भी हो जाता था।
रेखा बहुत बातूनी थी और हमेशा मजाकिया बातें करती रहती थी।
मैं रेखा को टार्गेट करके बातों के शोट मारता तो वह भी मुझे करारे जवाब देती थी।
सरपंच हमारी बातों का मज़ा लेती थी।
तीन महीने तक ऐसा चलता रहा।
एक बार वह ऑफिस में आयी तो मैं अकेला ही था.
सरपंच किसी काम से बाहर गयी हुई थी.
तो वह वापिस जाने लगी.
उसी वक्त चाय वाला लड़का चाय लेकर आया.
तो मैंने रेखा को रोका और चाय पीने को बोला.
तो वह रुक गयी।
चाय पीते पीते वह बोली- विशाल जी, आपने अब तक सगाई क्यों नहीं की? कोई पसंद नहीं आयी क्या?
मैंने कहा- अभी मेरी उम्र ही क्या है … शादी वादी करके क्या फायदा!
ऐसे थोड़ी देर बात हुई.
फिर जाती हुई वह बोली- जल्दी से कोई ढूँढ लीजिए, कब तक आप यों ही खिड़की से झांकते रहोगे।
मैं कुछ समझ पाऊं … उससे पहले वह इतना बोल कर झट से चली गई।
मुझे समझ आ गया कि वह भी मुझे लाइन दे रही थी।
दूसरे दिन जब मैं खिड़की से उसे झांकने गया तो देखा कि आज वह मेरे सामने ही चेहरा करके मुस्कुराती हुई कपड़े सुखा रही थी।
जाते जाते बाल्टी में बचा पानी उसने जोरदार मुस्कान के साथ मेरी तरफ फेंका।
मैं समझ गया अब इसकी चूत दूर नहीं है।
अब वह खिड़की के पास आकर मुझसे मज़ाक भी कर लेती।
मैंने उसे कई बार शहर घूमने आने का न्योता दिया.
पर वह हमेशा अपने पति के साथ ही शहर आती थी।
एक बार उसने कहा- मेरी मौसी शहर में रहती हैं और मैं उनके घर चार पांच दिन के लिए रहने जाऊँगी.
मौसी के घर का जो पता उसने बताया, वह स्थान मेरे घर से आधा किलोमीटर दूर था।
उसी दौरान मेरी भी दो दिन की छुट्टी थी।
उसने कहा- चलो आप बहुत दिन से निमंत्रण दे रहे थे तो आपकी मेहमान नवाजी भी देख लेते हैं।
मैंने उसे शहर में पास वाले पार्क में मिलने के लिए कहा।
आखिर वह दिन भी आ गया.
वह पार्क में अपने बच्चे के साथ आयी हुई थी।
मैं भी सज-धज के वहां पहुंचा।
उसके बच्चे को अपनी गोद में लेकर मैं उससे बातें करने लगा।
फिर मैंने उसे रूम पर आने को बोला तो थोड़े नखरे दिखा कर वह मान गई।
रूम पर जाकर उसके बच्चे को मेरे बेड पर सुला दिया और हम नीचे चटाई पर बैठ गए।
उसने बताया कि उसकी शादी अठारह की उम्र में हुई थी। शुरू में उसका पति बहुत अच्छे से उसको रखता था फिर बाद में वह सरपंच के पति के संगत में आया और वह पैसों के पीछे पड़ा। वह ट्रांसपोर्ट का बिज़नस करता था जिसमें अच्छी कमाई हो जाती थी. पर अब वह और ज्यादा कमाने के चक्कर में पड़ गया था और राजनीति में भी बड़ा पद पाना चाहता था। सरपंच के पति के अच्छे बुरे सब कामों में वह शामिल रहता है. उस पर पुलिस केस भी चल रहे थे। महीने में करीब बीस दिन घर से बाहर ही रहता था और जब घर आता था तो भी अपने गुट वालों के साथ मीटिंग या पुलिस या कोर्ट वकील या प्रोपर्टी के कामों में व्यस्त रहता। आठ दस दिन घर आता उसमें भी दो तीन दिन ही वह पत्नी और बच्चे के लिए ठीक ठाक समय दे पाता।
दूसरी बात यह थी कि रेखा को अपनी खूबसूरती पर काफी नाज था।
वह चाहती थी कि हर कोई उसकी खूबसूरती का लोहा माने।
पर छोटी उम्र में ही उसकी शादी हो गई और उसके पति ने भी दो तीन साल ही उसकी खूबसूरती को भोगा था। अब वह घर पर होता तो खाली अपनी हवस बुझाने ही रात को रेखा के ऊपर चढ़ जाता और अपने आपको शांत कर के जल्दी ही उतर जाता।
उसमें भी कई बार तो नशे में चूर होकर रेखा को भोगता तो अब रेखा को संतुष्टि नहीं मिलती।
ना तो वह रेखा की तारीफ करता और न उसे समय दे पाता।
पर रेखा की जवानी अब भी बहुत कुछ मांग रही थी जो उसका पति उसे नहीं दे रहा था।
जब रेखा ने मुझे उसके पीछे लट्टू पाया तो उसके अरमान फिर से हरे भरे हो गये।
उसने सरपंच से मेरी काफी तारीफ सुन रखी थी तो वह भी मेरी तरफ आकर्षित हुई थी।
मैं उससे चिपक कर बैठ गया और बातों बातों में मस्के मारने लगा वह भी मुझे करारे जवाब दे रही थी।
वह मुझसे पांच साल बड़ी और एक बच्चे की मां थी आज मैं उसे चोदने जा रहा था।
मैंने उसका हाथ अपने हाथ में लिया और उसके कंधे पर भी एक हाथ रख दिया।
जब मैंने उसके गालों पर एक चुम्बन लिया तो वह दूर जाने लगी.
पर मैंने उसे पकड़े रखा और फिर उसके होंठों से अपने होंठ लगा दिए।
वह भी मेरा साथ देने लगी।
मैंने उसकी पीठ के खुले हिस्से को काफी सहलाया और चूमा भी!
इससे वह काफी गर्म हो चुकी थी.
फिर मैंने उसके बोबे पकड़ लिये और दबाने लगा।
उसके बोबे फातिमा से भी बड़े थे और वह नम्रता से भी ज्यादा गोरी थी तथा रश्मि की तरह गर्म थी।
उसने खुद ही ब्लाउज और ब्रा उतारी फेंकी।
वह बार बार विशाल कर रही थी.
मतलब था कि वह जल्दी मेरा लौड़ा अपनी चूत में चाहती थी.
पर मैं उसे थोड़ा तड़पाना चाहता था और धीरज के साथ उसकी खूबसूरती को पीना चाहता था।
मैं उसके स्तनों को चूसने और दबाने लगा.
वह भी मदहोश हो गई थी।
मैंने उसके पूरे शरीर को चूमा तो वह पागल सी हो गई और हांफने लगी।
वह बोली- विशाल जल्दी करो, अब सब्र नहीं होता है।
मैंने भी अपने कपड़े उतारे और उसने अपने बाकी बचे कपड़े उतार फेंके।
उसने मेरा लंड अपने हाथ में पकड़ा और सहलाने लगी, फिर टोपा चाटने लगी और फिर पूरा लंड चूसने लगी।
मैं तो जैसे जन्नत में पहुंच गया था क्योंकि एक परी मेरा लंड चूस रही थी।
थोड़ी देर बाद उसने मेरा लंड अपने मुंह से निकला और बेड पर सीधी लेट गई और मुझे कहा- विशाल जल्दी आओ, मुझसे रहा नहीं जाता।
मैं भी उसके उपर चढ़ गया और लंड उसकी चूत में डालने लगा।
उसकी गोरी चूत पर काफी काली झांटें थी तो मुझे चूत का छेद ढूंढने में तकलीफ हो रही थी.
पर उससे रहा नहीं गया और उसने मेरा लंड पकड़ कर अपनी चूत में सेट किया और बोली- अब धक्का मारो।
मैंने एक ही झटके में पूरा लौड़ा उसके अंदर घुसा दिया तो उसके मुंह से आह निकली।
मैं उसे धमाधम चोदने लगा.
वह विशाल आह आह और जोर से जोर से ऐसी आवाजें निकाल रही थी।
मैं भी बोल रहा था- मेरी रानी रेखा, तुम्हें जब से देखा तब से मेरे मन में शोले भड़क रहे थे। आज तू मिली है मेरी जान!
ऐसा बोलते हुए मैं उसे जोर जोर से चोद रहा था।
ज्यादा जोश के कारण दस मिनट में ही मेरा पानी छूटने को हुआ तो मैंने कहा- डार्लिंग, पानी कहां निकालूं?
उसने कहा- अंदर ही निकालो।
मैंने उसके अंदर ही अपना वीर्य निकाल दिया और उसके ऊपर ही लेटा रहा।
काफी देर बाद हम अलग हुए और कपड़े पहन कर एक दूसरे की बाहों में लिपट कर बैठ गये।
उसने कहा- काफी समय बाद किसी ने इतने प्यार से मुझे चोदा है। मेरा पति तो बस दारू के नशे में मुझ पर चढ़ जाता है और पांच ही मिनट में पानी छोड़ कर लुढ़क जाता है। मैं प्यासी ही रहती हूँ।
आधा एक घंटा हमने बातें की।
वह फिर से चुदना चाहती थी तो बार बार अपने बोबे मेरे मुंह पर घिसती और मेरे लंड को सहलाती.
तो मेरा लौड़ा भी अब खड़ा हो गया था।
हमने फिर कपड़े उतारे और फिर से चुम्माचाटी और बोबा दबाई की।
उसने मेरा लंड फिर से चूसा तो वह लोहे की छड़ की तरह खड़ा हो गया।
मैंने फिर से उसकी चूत में लौड़ा डाल दिया और चोदने लगा।
इस बार धैर्य के साथ चुदाई की तो आधा घंटा चोद सका।
फिर से मैंने उसकी चूत में अपना वीर्य छोड़ा।
इस चुदाई के बाद वह अपनी मौसी के यहां गयी।
वह अपनी मौसी के घर पांच दिन तक रुकी और मैंने भी अपनी ऑफिस में छुट्टी ले ली और हम रोज मिलते रहे और चुदाई करते रहे।
फिर गांव आ कर वही सिलसिला खिड़की से झांकने का चालू हुआ।
हम दोनों एक-दूसरे को फ्लाइंग किस करते तथा दिन में चार पांच बार खिड़की पर ही मिलन हो जाता।
ज्यादा कुछ नहीं कर पाते थे क्योंकि उसका पति उसके मौसी के घर से वापस आने के दूसरे दिन ही घर आ गया था।
एक हफ्ते बाद उसका पति वापस काम पर लौटा तो उसने मुझे दोपहर में अपने यहां खाने पर बुलाया।
हमने साथ में खाना खाया और खूब चुदाई की.
ऐसे दो महीने चलता रहा।
बाद में उसने मुझे बताया कि वह मां बनने वाली है और उसके बच्चे का बाप मैं ही हूं।
मेरी गांड फट गई.
मैंने कहा- अब क्या करेंगे?
वह हंसती हुई बोली- बिल्कुल फट्टू हो तुम. इसमें डरने की क्या बात है. यह तो खुशी की बात है।
मैंने कहा- किसी को पता चल गया तो क्या होगा?
उसने कहा कि उसने सोच समझ कर ही बच्चा रखवाया था। वह अपने पति की जगह मेरे बच्चे की मां बनना चाहती थी इसलिए उसने मुझे कभी कोंडोम इस्तेमाल नहीं करने दिया था और मेरा वीर्य अपनी चूत में डलवाती थी।
उसने कहा- तुम तो खुश हो. बस किसी को बताना मत कि यह बच्चा तुम्हारा है. यह बच्चा तो हमारे प्यार की निशानी है।
तब जाके मुझे भी राहत हुईं और मैं भी खुश हुआ।
नौ महीने बाद रेखा ने एक प्यारी सी बेटी को जन्म दिया।
रेखा ने मुझे कहा- यह तुम्हारी बेटी है तो तुम्हीं इसका नाम रखो।
मैंने उसका नाम प्रेरणा रखा।
बाद में मौका मिलने पर मेरी और देशी भाभी चुदाई चालू ही रही।
उसी ने मुझे गांव की कुंवारी चूत भी दिलाई जो आपको बाद में बताऊंगा।
लेखक के आग्रह पर उनकी ईमेल आईडी प्रकाशित नहीं की जा रही है।
यह देशी भाभी चुदाई कहानी आपको कैसी लगी, कमेंट्स में बताएं.
मेरी हॉट एच आर गर्ल के साथ ऑफिस में मेरा चुदाई का खेल चल रहा था। एक दिन मैंने रिस्क लेने की सोची। लोगों के रहते हुए मैं एच आर के पास पहुंच गया और फिर …
अगर आप इस सेक्स स्टोरी को शुरू से पढ़ते आ रहे हैं तो आपको पता होगा कि मेरे ऑफिस में एचआर जैनब और मेरे बीच चुदाई का खेल चल पड़ा था।
हम दोनों ने कई बार चुदाई कर ली थी और इस चुदाई के खेल में अब एक कैम गर्ल रूमी भी शामिल हो चुकी थी।
ऑफिस में से जब सब लोग चले जाते थे हम दोनों ही आखिर में रह जाते थे।
मैं उसके केबिन में चला जाता था और वहीं डेस्क पर उसकी टांग उठवाकर उसकी चूत में लंड डाल देता था।
इस तरह से कई बार हम लोग चुदाई कर चुके थे।
अब धीरे-धीरे हम लोगों का डर खत्म हो चुका था।
दरअसल शुरुआत में ऑफिस में चुदाई करने के काम में डर के कारण एक रोमांच पैदा होता था जो अब कम हो गया था।
हम अब इसे थोड़ा खतरनाक बनाना चाहते थे।
कंपनी ने सभी सीनियर मैनेजर के लिए कॉन्फ्रेंस बुक की थी।
लेकिन सारे ही मैनेजर शहर से बाहर गए हुए थे।
केवल मेरे जैसे निचले कर्मचारी ही बचे थे।
तो यह हमारे लिए भी अच्छी ही बात थी।
ऑफिस के टाइम में सब लोग मस्ती करते रहते थे लेकिन मैं काम में पिसता रहता था।
मेरे काम का बोझ अब बढ़ता जा रहा था।
बावजूद इसके मैं थोड़ा रिलैक्स रहता था।
इसके पीछे भी एक वजह थी।
जो एचआर काम को चेक करती थी, वह रोज मेरी टांगों के बीच में पड़ी रहती थी, मेरा लौड़ा चूसती रहती थी।
इसलिए मुझे किसी के टोकने का डर नहीं था।
तो मैं नीचे पहुंचा और जाते ही अपने लंड पर उस हॉट ऑफिस गर्ल का मुंह दबा दिया।
उसकी सांस रुकने लगी तो उसने ताजी हवा लेने के लिए जोर से सांस छोड़ी।
इसी दौरान उसके होंठ मेरे लंड को चूस गए।
उस वक्त मेरे डिपार्टमेंट के सभी लोग रिट्रीट के लिए गए हुए थे।
दूसरी बात यह भी थी कि मेरी कंपनी साइबर सिक्योरिटी को लेकर बहुत ज्यादा ध्यान नहीं देती थी।
तब मैंने Dscgirls.live वेबसाइट खोली।
इस दौरान जैनब मेरा लंड चूसने में लगी हुई थी।
मैंने गहरी सांस ली और एक बार फिर से उसके गले में लंड को फंसा दिया।
उसने रंडी की तरह लंड को गले में फंसा लिया और ऊंह करके सिसकारी भरी।
जैनब हाँफती हुई- रूमी को कॉल कर रहे हो क्या?
मैं- हां, मुझे चुदाई करने का मन हो रहा है. और जब वो अपनी चुदक्कड़ चूत को हमें देखते हुए रगड़ती है तो मुझे बहुत मजा आता है।
जैनब- तुम उसका बहुत फायदा उठाते हो। याद रखो, पहले वह मेरी थी।
अब मैंने नीचे की ओर जाकर जैनब की रसीली चूत को पकड़ लिया।
एकदम से उसका मुंह खुल गया और आह्ह … निकल गई।
वह हैरानी के साथ-साथ मजे में मेरी तरफ देख रही थी।
मैंने उसे जोर से किस कर लिया।
मैं- हो सकता है कि वह पहले तुम्हारी हो … लेकिन अब तुम दोनों ही मेरी हो।
जैनब- ओह, मेरी चूत गीली हो रही है!
मैं- सही टाइम आने पर मैं इसमें उंगली भी करूंगा और इसे जमकर चोद भी दूंगा।
जैनब- ओह येस! कर दो!
अब उसने उठकर अपनी सनड्रेस को उठा दिया।
उस हॉट ऑफिस गर्ल ने नीचे से पैंटी भी नहीं पहनी हुई थी।
उसने अपनी उंगली को मुंह में लिया और फिर चूत के दाने को मसलने लगी।
उसकी क्लीव शेव चूत का पूरा नजारा वो मुझे दिखा रही थी।
मैं उसे देखकर मुठ मारने लगा।
साथ ही मेरी नजर लैपटॉप पर भी थी।
तभी रूमी ने वीडियो कॉल को जॉइन कर लिया।
वह देख रही थी कि कैसे मैं अपने लंड की मुठ मार रहा हूं और जैनब तेजी से अपनी चूत को रगड़े जा रही है।
रूमी- आआ, तुम दोनों तो बड़े नॉटी हो, मेरा इंतजार कर रहे थे क्या?
उसने मुस्कराते हुए अपने टैंक टॉप के स्ट्रैप कंधों पर से हटा दिए।
उसके चूचे नंगे हो गए।
वह अपने निप्पलों को मसलने लगी।
अब जैनब भी उसकी तरफ घूम गई और अपनी चूत का पूरा नजारा उसे दिखाने लगी।
उसने चूत में उंगली दे डाली और गहराई तक चोदने लगी।
उसकी चूत कैमरा में चमक उठी थी और रूमी को यह नजारा बहुत पसंद आ रहा था।
अब रूमी बेड पर पीछे की ओर झुक कर लेट गई और अपने शॉर्ट्स भी उतार दिए।
उसकी चूत भी गीली थी।
उसने भी अपनी चूत में उंगली डाल ली और दोनों एक दूसरे को देखते हुए चूतें चोदने लगीं।
दोनों के ही मुंह से सिसकारियां निकल रही थीं।
मैंने मुठ मारना रोक दिया और पीछे से जैनब के पास पहुंच गया।
उसने मेरी गर्दन पकड़ ली और गहरी सांस ली।
इतने में ही मेरी पैंट नीचे गिर चुकी थी।
मुझे नंगा देखते ही उसकी टांगें खुल गईं और वो इंतजार करने लगी कि कब मैं उसकी चूत में लंड डालूं।
लेकिन मैंने ऐसा नहीं किया।
मैं उसकी टांगों के बीच में झुक गया। मैं लार से सनी अपनी जीभ से उसकी गांड के छेद को चाटने लगा।
वो हैरानी में पड़ गई और उसने कैमरा में देखते हुए एक कामुक सिसकारी ली।
मैं जैसे उसकी सनड्रेस के अंदर ही घुस गया था क्योंकि उसने ड्रेस को मेरे मुंह पर ही डाल दिया था।
जैनब- ओह्ह माय गॉड, रूमी!! वह ड्रेस के अंदर जाकर मेरी गांड चाट रहा है! फक! बहुत नॉटी है ये!
रूमी जोर से अपनी चूत रगड़ते हुए- फक! ओह याह! चाटो उसकी गांड बेबी! बहुत हॉट है, मैं तो झड़ने वाली हूं!
मैंने अब जैनब की गांड को चाटना बंद कर दिया।
वह हैरानी से मेरी तरफ देखने लगी … जैसे वो निराश हो गई हो।
वो चूत में उंगली अभी भी चला रही थी।
रूमी भी अपनी दो उंगलियों को गीली चूत के होंठों पर फिराती हुई कैमरा में ही देख रही थी।
अब उसे इंतजार था कि मेरा अगला कदम क्या होगा।
मैं उठा और मैंने जैनब की ड्रेस ऊपर चढ़ा दी जिससे उसके रस में सने झांट भी मुझे दिखने लगे।
मैंने उसकी टांगें ऊपर करवा कर डेस्क पर रखवा दीं।
उसकी आह्ह निकल गई।
वो लगातार अपने बदन पर हाथ फिरा रही थी।
रूमी भी कैमरा में सामने आहें भर रही थी।
मैं- रूमी, घूम जाओ, और इस चूत में कुछ डाल लो। इसे रिसने दो!
हॉट ऑफिस गर्ल जैनब- ओह फक, और फिर?
रूमी- हां बताओ हमें!
वह घूम गई और गांड को हवा में उठा लिया और डिल्डो लेकर उसके गांड और चूत के आसपास फिराने लगी.
मैंने जैनब को अब उसके चूतड़ों से पकड़ लिया, उसकी टांगें खोल दीं।
तब मैंने लंड पकड़ा और उस हॉट ऑफिस गर्ल की चूत में पेल दिया।
मैंने उसको चोदना शुरू किया तो उसने डेस्क को पकड़ लिया और चुदास के चस्के में अपनी गंदी ड्रेस के किनारे को ही दांतों से काटने लगी।
चुदाई के धक्कों से उसके बाल बिखरने लगे।
चुदती हुई वो भी अब बहुत ज्यादा हॉर्नी लग रही थी।
उसने रूमी की तरफ देखा।
उधर रूमी भी मुझे एचआर की चुदाई करते देख उतनी ही स्पीड से डिल्डो से अपनी चुदाई करने लगी।
मैंने जैनब को घुमाया ताकि वो मुझे किस कर सके।
वह मेरी जीभ को चूसने लगी।
मैं उसे तेजी से चोद रहा था।
धक्कों के कारण केबिन के ग्लास पैनल भी हिलने लगे।
और उनके हिलने के साथ ही जैनब भी कराहने लगी।
उसकी आंखें ऊपर चढ़ने लगी थीं और वह अपने होंठ काट रही थी।
जैनब आनंद में उछलते हुए- ओह फक … रूमी देख रही हो … देखो ये … ओह फक!
रूमी रंडियों की तरह सिसकारते हुए- अम्म याह! ऐसे ही चोदो इसे!
अब मैं छूटने की कगार पर पहुंच रहा था।
उन दोनों की सिसकारियों मुझे पागल बना रही थीं।
फिर मुझे एक नॉटी आइडिया आया।
मैंने लंड में कड़ापन महसूस किया और मैं समझ गया था कि मैं छूटने वाला हूं।
उसने मेरे लंड को पकड़ लिया और अंदर तक घुसा लिया।
लेकिन मैं लंड को ठोक कर रुक गया।
उसने गुस्से भरी चुदास से मेरी तरफ देखा। उसने डेस्क को पकड़ा और मेरे लंड पर अपनी गांड की जैसे चक्की चलाने लगी।
मैंने फिर से लंड देकर रोक दिया।
वह सिसकारने लगी और मेरा लंड बाहर निकाल दिया।
वो मेरा लंड देखते हुए अपनी चूत सहला रही थी और मैं अपने लंड को हाथ से हिला रहा था।
मैंने जल्द ही सारा माल जैनब की ड्रेस पर छोड़ दिया।
जैनब ने अपनी गन्दी हो चुकी ड्रेस को देखा।
माल उसके बदन को भी भिगो चुका था।
फिर उसने सारा माल चाट लिया और मेरे गाल पर हल्का तमाचा लगा दिया जैसे प्यार भरा गुस्सा दिखा रही हो क्योंकि मैंने उसकी ड्रेस खराब कर दी थी।
एचआर- तुम बहुत नॉटी हो।
मैं- तो अब क्या करोगी तुम?
उसने मेरे लंड को पकड़ लिया और उसे धीरे धीरे सहलाने लगी।
उधर रूमी भी धीरे धीरे अपनी चूत को सहला रही थी और हमारी तरफ देखते हुए मुस्करा रही थी।
रूमी- तुम दोनों हमेशा ही कुछ न कुछ ऐसा मजा करते रहते हो। मेरा इंतजार अब दूसरा क्लाइंट कर रहा है तो मुझे जाना होगा।
हमने रूमी को बाय बोल दिया।
जैनब- हमें उसे कुछ घंटे बाद फिर बुलाना चाहिए!
वह मेरे कानों में फुसफुसाई- जब यहां से हर कोई जा चुका होगा।
मैं- तो क्या तुम पूरा दिन इस सनी हुई ड्रेस में घूमोगी?
जैनब ने बदन से ड्रेस पूरी तरह हटा दी और मेरे ऊपर फेंक दी।
मैंने उसे दीवार से सटा दिया और ग्लास पैनल के सहारे लगाकर उसे चोदने लगा।
अबकी बार मेरा माल उसकी चूत में छूट गया।
उसने मेरी तरफ देखा और मुस्करा दी।
फिर वो एक तरफ गई और कुछ टिश्यू ले आई, साथ में एक नई सनड्रेस भी।
मेरे पास आकर उसने मुझे किस किया और फिर ड्रेस पहन ली।
जैनब- मैं पहले से ही तैयारी करके आई थी। मुझे अंदेशा था कि तुम अपना माल मेरी ड्रेस पर भी गिरा सकते हो।
मैं- मैं तो बार-बार तुम्हारे अंदर ही अपना माल निकालना चाहता हूं जान!
हॉट ऑफिस गर्ल जैनब मुझे चूमते हुए- थोड़े घंटे इंतजार करो, फिर मेरी गांड में भी गिरा लेना।
मुझे इस वर्चुअल थ्रीसम में बहुत मजा आ रहा था।
मस्त राइड थी यह मेरे लिए!
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फर्स्ट लव वर्जिन सेक्स का मजा मैंने 19 साल की उम्र में कॉलेज के लड़के के साथ लिया. गाँव से निकल कर शहर के कॉलेज में प्रवेश लिया और जल्दी ही एक दोस्त बना लिया.
सभी को नमस्कार, मेरा नाम अनुक्ति है मुझे घर पर सभी अनु नाम से ही बुलाते हैं.
मैं मध्य प्रदेश से हूँ.
मेरे घर पर मैं, पापा और मम्मी हैं.
पापा और मम्मी दोनों सरकारी नौकरी करते हैं.
दोस्तो, इस वेबसाइट की सेक्स कहानियां मैं 2011 से पढ़ती आ रही हूँ पर आज पहली बार अपनी सेक्स कहानी लिख रही हूँ.
यह 2013 की बात है.
मैं स्कूल की पढ़ाई गांव से पूरी कर चुकी थी. मैं कॉलेज में पढ़ने के लिए शहर में आई थी.
शहर आते वक्त मेरे साथ स्कूल की दोस्त छवि ही थी जिसने मेरे कॉलेज में दाखिला लिया था.
बाकी सभी सहेलियां शहर में तो थीं पर अलग कॉलेज और कोर्स में थीं.
इधर कॉलेज के हॉस्टल में हम दोनों साथ में ही रहती थी.
कॉलेज में हमारे नए दोस्त बन गए थे.
क्लास में मेरी बहुत लड़कों से अच्छी दोस्ती हो गई थी.
मेरी क्लास में ही ऋषि भी था.
वह देखने में लंबा, तगड़ा और मिलनसार लड़का था.
मेरी दोस्ती ऋषि से थी.
हम बहुत कम समय में एक दूसरे से बहुत अच्छे दोस्त बन गए थे.
ऋषि और मैं फोन पर एक दूसरे को मैसेज भेज कर बातें करते थे.
हमारे बीच कभी कभी नॉनवेज बातें भी हो जाती थीं.
छवि भी इस बात को जानती थी.
उसने तो 3 महीनों में ही अपना एक ब्वॉयफ्रेंड भी बना लिया था.
इसी तरह से कॉलेज का एक सेमेस्टर निकल चुका था.
हर लड़की चाहती है कि उसे हर लड़का देखे.
मैं ज़्यादातर सलवार कमीज़ ही पहन कर कॉलेज जाया करती थी. मैं जानबूझ कर थोड़ा गहरे गले वाला कुर्ता पहनती थी ताकि जरा सा ही झुकने पर मेरा क्लीवेज दिख जाए.
ऋषि देखने में अच्छा लड़का था.
उसके पापा एक फैक्ट्री के मलिक थे.
उसकी एक छोटी बहन थी जो 12 वीं में थी.
उसकी मम्मी भी पापा के बिज़नेस में हाथ बंटाती थीं.
उसके पास पैसों की कोई कमी नहीं थी, यह बात हमें भी कुछ दिनों पहले ही पता चली थी जब हम सभी फ्रेंड्स ऋषि के बर्थडे पर उसके घर गए थे.
ऋषि के घर का वैभव देख कर साफ पता चलता था कि उसके पापा रईस आदमी हैं.
पर ऋषि ने कभी भी अपने धन का घमंड नहीं किया था.
वह दिल का साफ और अच्छा इंसान था.
ऋषि और मैं अक्सर क्लास बंक करके गार्डन में बातें करते रहते थे.
धीरे धीरे हमारे बीच नजदीकियां बढ़ती गईं.
वह मेरे करीब आने की कोशिश करता, मुझे छूने की कोशिश भी करता.
मैं भी उसे मना नहीं करती थी.
उसने वैलेंटाइन पर मुझे प्रपोज किया.
मैंने भी कुछ ज्यादा सोचा नहीं और हां कर दी.
ऐसे ही समय गुजरता रहा.
कभी कभी वो मुझे मौका पाकर छेड़ता, मेरी गांड को मसल दिया करता था.
उसका ये स्पर्श अब मुझे भी अच्छा लगने लगा था.
हम दोनों मौका मिलते ही एक दूसरे को किस भी कर लिया करते थे.
वह मेरे मम्मे दबाने का मौका भी कभी नहीं छोड़ता था.
फिर धीरे धीरे अब बात किस से बढ़कर बूब्स दबाने और चूसने तक आ चुकी थी.
मुझे कोई ऐतराज नहीं था. असल में मैंने ही फर्स्ट लव वर्जिन सेक्स का मजा ले लेना चाहती थी.
ऋषि चाहता था कि मैं लंड चूसूं … पर मैंने मना कर दिया, मैंने उसका लंड कभी नहीं चूसा था.
बस इसी तरह चल रहा था.
ऋषि सेक्स के लिए आतुर हुआ जा रहा था.
पर मैं एक अनजाने डर की वजह से उसे मना करके टाल दिया करती थी.
कुछ दिन बाद ऋषि ने कहा- आज रविवार है. पास में ही कहीं घूमने चलते हैं.
मैं भी फटाफट तैयार हो गयी.
वह मुझे लेने के लिए आया और हम दोनों बाइक पर घूमने के लिए निकल गए.
मैं छवि को बोल कर आई थी कि ऋषि के साथ में बाहर घूमने जा रही हूँ.
मैंने ऋषि से पूछा- कहां चलना है?
तो उसने बताया- शहर से पास में ही बहुत बड़ा तालाब है. वहां चारों ओर जंगल हैं, घने पेड़ हैं, प्रकृति का नज़ारा है. मजा आएगा, वहीं चलते हैं.
मैं राजी हो गई.
वहां जाकर देखा तो कुछ ही लोग थे.
उनमें भी ज़्यादातर कपल दिख रहे थे.
तालाब के दूसरी ओर पानी बह रहा था तो वहां कुछ लोग नहा भी रहे थे.
हम भी वहीं चले गए.
ऋषि ने कहा- क्या विचार है?
मैंने कहा- मैं नहीं आती.
वह मुझे ज़बरदस्ती खींच कर पानी में ले गया.
और हम दोनों पानी में मस्ती करने लगे.
वह मुझ पर पानी उड़ाता और गीला करने की कोशिश करता.
थोड़ी देर बाद हम दोनों थक कर वहीं पेड़ के नीचे बैठ गए और बातें करने लगे.
भीड़ कम होती गयी.
ऋषि ने कहा- अनुक्ति, चलो थोड़ा आगे आस-पास घूम कर आते हैं.
मैंने कहा- यहां क्या ही घूमेंगे?
पर वो नहीं माना और हम दोनों पैदल ही आगे बढ़ गए.
वहां कोई नहीं दिख रहा था.
थोड़ा और आगे गए तो एक बड़ी चट्टान के पीछे झाड़ियों में पेड़ के नीचे हमने एक कपल को देखा.
वो दोनों कपड़े पहन रहे थे.
उन्होंने हमें नहीं देखा.
फिर ऋषि ने कहा- चलो अनु, उनके निकलते ही वहीं चलते हैं.
मैं समझ गयी थी कि वहां पर जाने के बाद क्या होना है.
पर बिना कुछ कहे मैं भी चल दी.
वहां जाने के बाद ऋषि मेरे करीब आया और कहा- अनु यहां अच्छा मौका है.
मैंने कहा- यहां खुले में किसी ने देख लिया तो … नहीं बिल्कुल नहीं!
उसने कहा- ठीक है, पर किस तो कर ही सकते हैं.
इतने में उसने मेरे होंठों में अपने होंठों को डाल दिया.
उसके दोनों हाथ मेरे गर्दन को पकड़े थे और मेरे हाथ उसकी कमर को.
उसने अपनी जीभ मेरे मुँह के अन्दर तक डाल दी और मैंने भी.
मैं अपने बारे में बता दूँ कि मेरी उम्र उस समय 19 साल से थोड़ी ज़्यादा ही थी.
मेरी हाइट 5 फुट 7 इंच की थी और 32-27-34 का मेरा फिगर था.
मैं काले रंग का टॉप पहने थी. वह बटरफ्लाई आस्तीन वाला था और उसके साथ मैंने जींस पहनी थी.
ऋषि की हाइट 5 फुट 10 इंच की थी.
वह जिम करता था तो बॉडी भी अच्छी थी.
उसकी उम्र भी 20 के आस पास ही थी.
उसकी छाती पर हल्के बाल थे पर वह छाती को क्लीन नहीं करता था.
उसके लंड का साइज़ सच बोलूं तो 5.5 इंच का ही था.
बाकी सेक्स स्टोरी की तरह 8 या 10 इंच का नहीं था.
वह मुझे चूमने लगा.
करीब 5 मिनट के बाद उसने कहा- यहां जगह साफ़ है, आराम से बैठ जाओ.
मैंने कहा- नहीं, कपड़े खराब हो गए तो प्राब्लम हो जाएगी. हॉस्टल भी जाना है.
उसने कहा- ठीक है.
तब उसने मुझे किस किया और मेरे मम्मे दबाने लगा.
फिर उसने कहा- अनुक्ति आज तो लंड चूस लो प्लीज़.
उसके बहुत कहने पर मैंने कहा- ठीक है … पर तुम मुँह में नहीं झड़ोगे!
उसने कहा- ठीक है.
उसने अपनी जींस और अंडरवियर घुटनों तक उतार दी.
वह वहीं पेड़ के नीचे पत्थर पर टेक लेकर बैठ गया और उसने मुझे लंड चूसने के लिए इशारा किया.
मैंने अपने हाथ से उसके 5.5 इंच और 2.5 इंच मोटे लंड को पकड़ा.
तो ऋषि बोला- तुमने सेक्स क्लिप्स पॉर्न में देखा ही है.
मैंने हां में इशारा करते हुए मुँह में लंड को लिया और चूसने लगी. मुझे स्वाद कुछ अच्छा नहीं लगा.
फिर भी धीरे धीरे करके मैं मुँह से लंड चूसने लगी.
वह जैसे दूसरी दुनिया में चला गया हो, आंखें बंद करके सिसकारियां लेने लगा.
मैं भी उसके लंड को मुँह में पूरा ले लेती और बाहर करती तो जीभ से उसके टोपे को चाट लेती.
उसका रंग हल्का गुलाबी सा हो गया था.
फिर कुछ देर में उसने मेरे सर को धक्का देकर अलग किया और अपना सारा माल बाहर निकाल दिया.
उसने मुझसे कहा- टेस्ट करना चाहोगी?
मैंने कहा- नहीं.
उसने कहा- प्लीज एक बार देख लो, अच्छा लगे तो ठीक … नहीं तो कोई बात नहीं.
मैंने जीभ से थोड़ा चखा तो गर्म और नमकीन सा स्वाद आया.
अच्छा या बुरा कुछ समझ में नहीं आया.
ऋषि ने कहा- डार्लिंग लंड को थोड़ा सा चाट कर साफ कर दो प्लीज.
मैंने अपने मुँह से उसके लंड को चाट कर साफ कर दिया.
मुझे स्वाद ठीक लगा.
उसने अपने कपड़े पहन लिए.
तो मैंने कहा- अब चलते हैं.
उसने कहा- अनु अभी कहां, रुको तुमने आज तक अपनी चूत के दर्शन नहीं कराए हैं.
मैंने कहा- पर यहां खुले में नहीं बिल्कुल भी नहीं.
उसने मुझे खींच कर अपने करीब किया और मुझे किस करके कहा- अनुक्ति, प्लीज आज अपने मम्मे और चूत के दर्शन करा दो, यहां कोई नहीं है.
मैंने कहा- देखो कोई आ गया तो प्रॉब्लम हो जाएगी.
उसने कहा- कुछ नहीं होगा, मैं हूँ … सब संभाल लूंगा.
उसने मेरी जींस खोल दी और मेरे टॉप के ऊपर से ही बूब्स दबाने लगा.
वह उसमें ऊपर से हाथ डालने लगा.
मैंने कहा- ऐसे तो तुम टॉप फाड़ दोगे.
तब मैंने जींस को नीचे किया ही था कि उसने झटके से मेरी पैंटी को घुटनों तक नीचे खिसका दिया.
फिर उसने कहा- मम्मे चूसना है.
मैंने टॉप को ऊपर किया और साथ ही ब्रा को भी, जिससे बिना उतारे मेरे बूब्स वो चूस सके.
पहली बार उसने मेरे बूब्स को पूरी तरह ढंग से देखा था और चूत को भी.
चूत में हल्के हल्के बाल थे.
वह मेरे बूब्स को एक बच्चे की तरह पीने की कोशिश करने लगा.
मुझे भी मजा आने लगा.
मेरे दोनों बूब्स को चूसने के बाद उसने उन्ह हटाया ही था कि मैंने टॉप और ब्रा ठीक कर ली.
उसने कहा- अनु अब तुझे जींस उतारनी पड़ेगी.
मैं भी उतावली हो रही थी तो जींस उतार दी.
उसने कहा- अनु एक टांग पत्थर पर रखो.
वह मेरे नीचे आकर बैठ कर मेरी चूत को चाटने लगा.
उसकी खुरदुरी जीभ मेरे अन्दर आग लगा रही थी.
वह अपनी उंगली से मेरी चूत को अन्दर बाहर कर रहा था.
इसी तरह मेरी चूत ने पानी निकाल दिया और ऋषि ने उसे चाट कर चूत को साफ़ कर दिया.
फिर फटाफट कपड़े पहन कर हम दोनों वहां से निकल आए.
अब वासना की भूख दोनों को लग चुकी थी तो वापस हॉस्टल की ओर जाते समय ऋषि ने कहा- अनु, मुझे तुम्हारे साथ सेक्स करना है.
मैंने भी हामी भरी लेकिन फर्स्ट लव वर्जिन सेक्स के लिए कोई सेफ जगह चाहिए थी.
होटल के लिए मैंने मना कर दिया था.
ऋषि अपने दोस्त के फ्लैट के लिए जुगाड़ करने लग गया.
बस फिर जुगाड़ हो गया.
मैंने ऋषि से कहा- मैं बिना प्रोटेक्शन के नहीं करूंगी.
उसने कहा- ठीक है अनु.
उस दिन पहले रास्ते में रुक कर हम दोनों ने खाना खा लिया और उसने मेडिकल से प्रोटेक्शन के लिए कंडोम ले लिया.
फिर हम दोनों फ्लैट पर पहुंच गए.
दोस्त ने चाभी दी और कहा- फ्री हो जाओ तो कॉल कर देना.
वह किसी काम से बाहर चला गया.
ऋषि ने अन्दर से दरवाजा लॉक किया और मुझसे लिपट गया.
पहले उसने मेरे टॉप को निकाल दिया और मेरी नाभि को चूमा. ब्रा के ऊपर से ही बूब्स को दबाने लगा.
ब्रा को खोलने से पहले उसे ऊपर की ओर खिसका कर बूब्स को चूमने लगा और फिर खड़े खड़े ही मुझे दीवार पर टिकाते हुए पलटा दिया.
मेरी ब्रा को पीछे से खोल कर वहीं फेंक दी.
उसने अपने पूरे कपड़े उतार दिए.
उसका लंड खड़ा होने लगा था.
वह मुझे उठा कर अन्दर ले गया और पलंग पर आते ही मेरी जींस उतार दी.
फिर वह मेरे दूध अपने दोनों हाथों से मसलने लगा और उनका रसपान करते हुए निप्पल को काट देता, जिससे मुझे दर्द के साथ साथ उत्तेजना भी बढ़ जाती.
वह मेरे कान गले गर्दन गालों को भी चूमता जिससे मैं और उत्तेजित हो जाती.
मेरी नाभि को चूमते हुए उसने मेरी पैंटी को भी उतार दिया और मेरी चूत में उंगली डाल कर अन्दर बाहर करने लगा.
वह पूरी बॉडी पर किस करने लगा.
मेरे मुँह से हल्की हल्की आवाजें आ रही थीं.
उसने कहा- अनु अब 69 करते हैं.
मैंने कहा- ठीक है.
वह मेरी चूत चाटता और अपनी उंगली रगड़ने लगता.
इससे मेरी उत्तेजना बढ़ती जा रही थी, जैसे मेरे शरीर में करंट का झटका लग रहा हो.
मैं भी उसके लंड को चूस रही थी.
मेरी चूत गीली हो चुकी थी.
वह फिर उठा और जींस से कंडोम का पैकेट निकाल कर मुझे दे दिया.
मैंने पैकेट से कंडोम निकाल और ऋषि के लंड को पहना दिया.
बस उसने मुझे सीधा लेटाया और दोनों पैरों को अपने कंधे पर ले लिया, लंड को मेरी चूत के मुँह पर रगड़ने लगा.
जिससे मैं पागल सी हो गयी.
फिर उसने चूत को थोड़ा सा अपने हाथ से खोला और अपना लंड मेरी चूत पर सैट कर दिया.
मेरा दिल धक धक करने लग गया था क्योंकि वो कभी भी झटके से लंड अन्दर डालने वाला था.
उसने कहा- अनु रेडी!
मैंने इशारे में कहा- हम्म्म.
उसने झटके से लंड अन्दर किया.
वो अभी लगभग आधा ही गया था कि मेरी एकदम से जोरदार चीख निकली.
उसने लंड को झट से बाहर किया और अन्दर पूरी ताकत के साथ डाला.
इस बार शायद लगभग पूरा चला गया था.
उसने फिर से एक बार लंड निकाल कर अन्दर डाला और मुझे चूमा.
मेरी आंखों में आंसू आ गए थे.
उसने कहा- पहली बार में होता है अनु!
फिर वह लंड को धीरे धीरे अन्दर बाहर करने लगा.
अब दर्द धीरे धीरे कम हो रहा था और मजा आने लगा था.
वह स्पीड में मुझे चोदता जा रहा था.
मुझे भी मजा आ रहा था.
वह मेरे मम्मे दबाता हुआ लंड को स्पीड से अन्दर बाहर कर रहा.
कुछ देर मैं पहले झड़ गयी और वो मेरे बाद.
वह मेरे ऊपर ऐसे ही लंड अन्दर डाल कर पड़ा रहा और मुझे किस करता रहा.
कुछ देर में उसका लंड छोटा सा हो गया और वह उसे बाहर निकाल कर बाथरूम में चला गया.
मैं बैठी और उंगली चूत की तरफ़ बढ़ाई तो उंगली पर लाल लाल खून सा था.
मेरी चूत फट चुकी थी.
तभी ऋषि आया और मेरी उंगली में लाल खून देखकर बोला- अब तुम वर्जिन नहीं रही.
मैं बाथरूम में गयी.
जब मैं वापिस आई तो मैंने देखा ऋषि मेरी ब्रा पैंटी अपने हाथ में लिए देख रहा था.
मैंने कहा- लाओ दो इधर.
उसने कहा- नहीं, ये मैं ले जाऊंगा. पहली निशानी है. इसमें तुम्हारी चूत की खुशबू है और ब्रा में भी.
मैंने कहा- फिर मैं!
उसने कहा- मैं तुम्हें दूसरी गिफ्ट कर दूंगा.
मैंने अपने कपड़े पहन लिए.
ऋषि बोला- अनु मजा आया?
मैंने कहा- आया तो सही, पर दर्द अब भी महसूस हो रहा है.
उसने कहा- ठीक हो जाओगी.
मैंने पूछा- मैं वर्जिन थी, तुम?
ऋषि ने कहा- मेरा भी पहला सेक्स था … बस मुठ मार लिया करता था.
मैं कुछ नहीं बोली.
उसने कहा- मैं तुम्हें फैशनेबल ब्रा पैंटी दूँ?
तो मैंने कहा- क्यों?
उसने कहा- थोड़ा सेक्सी पहनो.
मैंने कहा- घर?
उसने कहा- घर जाओ तो घर के हिसाब से … और यहां रहो तो यहां के हिसाब से.
मैंने कहा- ठीक है.
फिर उसने मुझे हॉस्टल छोड़ा और मेरी चाल देखकर छवि मुस्करा दी.
उसने कहा- अनु, आज तो चाल ही बदल गयी.
हम दोनों बेस्ट फ्रेंड थीं, एक दूसरे से कोई बात नहीं छुपाती थीं.
उसे मैंने बताया कि आज मेरी पहली चुदाई कैसे हुई.
वह खुश हुई और बोली- आगे अब तो चुदाई में मजे ही आने हैं.
क्योंकि वह चुद चुकी थी उसके ब्वॉयफ्रेंड से … तो उसे सब मालूम था.
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