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हाय दोस्तो, मैं मुकेश, मैंने पहले भी एक Hindi Porn Stories बार एक कहानी “चुदाई या छुप्पम-छुपाई” लिखी थी। मुझे कुछ लोगों के उत्तर भी मिले थे पर उतने अधिक नहीं। हो सकता है कि शायद ज्यादा लोगों को मेरी कहानी पसन्द नहीं आई हो, अगर आज की कहानी अच्छी लगे तो कृपया अवश्य लिखें।”
बात उन दिनों की है जब मैं बी.एस.सी. प्रथम वर्ष में पढ़ता था। एक बार मैं अपने मामा के सेब के बगीचे में गया जो कि हिमाचल में है। मेरे सबसे बड़े मामा और उनका परिवार भी वहीं रहते हैं। उनका लड़का बाहर पढ़ता था। मामी, मामा, और उनकी लड़की सभी सरकारी नौकरी में हैं। मैं अक्तूबर के महीने में उन लोगों के पास गया था, यानि की बात अक्तूबर माह की है। उस समय अभी बर्फ नहीं गिरी थी, तो पालतू जानवरों के लिए घास काटकर सुखा ली जाती है जो बर्फ गिरने के समय जानवरों को खाने के लिए दी जाती है। वास्तव में बर्फबारी के बाद हरी घास नहीं मिल पाती है इसलिए पहले ही काट कर जमा कर ली जाती है।
मामी ने विद्यालय से छुट्टी ले रखी थी, और हमारे माली की घरवाली यानि मालिन भी उन के साथ घास काट रही थी। उसका नाम स्वाति था। मैंने जब मालिन को देखा तो देखता ही रह गया… यार क्या बताऊँ, क्या सॉलिड माल थी। उम्र तकरीबन २६-२६ की थी और एकदम मस्त फिगर, काम वगैरह करते रहने की वजह से उसकी डील-डौल एकदम कमाल की थी, और बदन कसा हुआ था। ठीक से तो नहीं बता सकता पर शायद ३६-२६-३४ की फिगर रही होगी, जिसे याद कर के आज भी मुझे बहुत मज़ा आता है। जब मैंने उसे देखा तो मैंने सोचा कि अगर इसकी मिल जाए तो मज़ा आ जाए।
इस चक्कर में मामी के मना करने के बावज़ूद भी उनके साथ काम करना शुरू कर दिया। घास काटने का काम ८-१० दिनों तक चलना था और उस दिन तो पहला ही दिन था, और मेरे कॉलेज में छुट्टियाँ भी थीं तो मैंने सोचा, अभी तो काफी समय है, मुझे प्रयास करना चाहिए, शायद किस्मत मेहरबान हो जाए।
मैं ज्यादातर उसके आस-पास ही काम करता रहता था। मैं घास को इकट्ठा कर के उस को बाँधता था। जब वह घास काटने के लिए झुकती तो उस के मम्मे उस की कमीज के ऊपर से दिख जाते। पहाड़ों में काम करते समय, औरतें ज्यादातर ब्रा नहीं पहनतीं। तो बार-बार देखने पर कभी-कभी मुझे उसके निप्पल भी दिख जाते, कसम से मेरा एकदम खड़ा हो जाता था। मैं बड़ी मुश्किल से उसे छुपाता था। डरता था कहीं मामी को पता न चल जाए। मैं इसलिए उनसे दूर ही रहता था।
मालिन ने मुझे कई बार घूरते हुए देख लिया था और शायद उसने पैन्ट के अन्दर मेरे खड़े लण्ड को भी देख लिया था। इसलिए वह कभी-कभी मेरी तरफ देखकर मुस्कुरा देती थी। मैंने धीरे-धीरे उससे बात करनी शुरू कर दी और वह भी मुझसे बात करने में खुलने लगी। जब शाम हुई तो मामी कहने लगी कि मैं घर जाकर कुछ खाने के लिए बनाती हूँ, तुम लोग थोड़ी देर बाद आ जाना। और वह वहाँ से चलीं गईं।
अब मैं और वह अकेले रह गये, तो मैंने उससे पूछा कि तुम्हारा पति कहाँ रहता है, तो उसने बताया कि उसकी ननद बीमार है और अस्पताल में भर्ती है, जो यहाँ से करीब ४० किलोमीटर दूर है। और मैंने उसके बच्चों के बारे में पूछा तो बोली कि दो हैं, एक लड़का ४ साल का, और लड़की २ साल की, वे उसकी सास के पास रहते हैं। उनका घर भी वहीं पर थोड़ी सी दूरी पर था, मतलब मामाजी के घर से दिख जाता था। और मैं उससे ऐसे ही इधर-उधर की बातें करता रहा, वो भी मेरे बारे में पूछती रही। समय हो गया और हम दोनों वापस मामा के घर आ गए, जहाँ मामी ने कुछ खाने के लिए बना रखा था। और वह उस दिन मेरे लण्ड को खड़ा ही छोड़कर चली गई। अब मुझे जल्दी से अगले दिन का इन्तज़ार था कि कब सुबह हो और वह आए।
अगले दिन वह फिर आई और मैं उस दिन भी उस के साथ काम कर रहा था, मैं कभी उस के मम्मे देखता और कभी उस के पीछे जा कर उसकी गाँड देखता। तभी उसके हाथ में काँटा चुभ गया और वह दर्द की वजह से हल्के से चिल्लाई। मैंने पूछा कि क्या हुआ, तो उसने जवाब दिया कि हाथ में काँटा चुभ गया। तब मैंने उसका काँटा निकालने के बहाने उसका हाथ पकड़ लिया और काँटा निकालने लगा। धीरे-धीरे उस के बाज़ू को सहलाने लगा, मगर वह काँटा इतनी जल्दी नहीं निकल रहा था, मैंने उसे कहा कि इसे पकड़ कर बाहर खींचना पड़ेगा, तो वह बोली, कैसे खींचें, यहाँ तो कुछ भी नहीं है। तभी मैंने उसका अँगूठा अपने मुँह के पास लाया और अपने दाँतों से उसे निकालने लगा, मगर वह इतनी आसानी से नहीं निकल रहा था, थोड़ी मेहनत करने के बाद वह निकल गया। मगर उस के हाथ से खून बहने लगा, तो मैंने उसका अँगूठा चूस लिया, तो वह बोली, छोड़ दो, कोई देखेगा तो जाने क्या समझेगा। हालाँकि वहाँ कोई और नहीं था पर मैंने फिर भी छोड़ दिया। ओर हम फिर से काम करने लगे।
थोड़ी देर बाद मैंने उससे कहा- स्वाति एक बात बताऊँ?
तो वह बोली- क्या?
मैंने कहा- यार तुम बड़ी टेस्टी हो !
तो वह बोली- क्या मतलब?
तो मैंने कहा- मतलब कि तुम्हें खाने में बहुत मज़ा आएगा !
वह मेरा मतलब समझ गई और बोली- “धत्त” ! अपना काम करो।
तो मैंने कहा- नहीं सच में तुम बहुत ख़ूबसूरत हो, और टेस्टी भी हो, तुम्हें खाने में सही में बहुत मज़ा आएगा।
तो वह बोली- सही में मुझे खाना चाहते हो?
तो मैंने कहा- चाहता तो मैं बहुत कुछ हूँ पर…। और मैं चुप हो गया तो वह बोलने लगी- क्या चाहते हो बताओ?
मैंने कहा- कल बताऊँगा, तो वह बोली- नहीं अभी बताओ।
हम बातें कर ही रहे थे कि मामी आ गईं और बोलीं- चलो काफी शाम हो गई है। और हम तीनों वापिस घर आ गए।
फिर अगले दिन मामी को स्कूल जाना था और पीछे हम दोनों ही रह गये थे और हम दोनों साथ-साथ काम कर रहे थे और वह मुझसे पूछने लगी कि हाँ अब बताओ कि क्या चाहते हो।
तो मैंने कहा- छोड़ो तुम बुरा मान जाओगी।
इस पर वह बोली- नहीं तुम बताओ मैं बुरा नहीं मानूँगी।
तो मैंने कहा- मेरा दिल तुम्हें चूमने का करता है।
वह थोड़ी देर खामोश बैठी मेरी तरफ देखती रही और मैं डर गया कि शायद यह कहीं मेरी शिकायत न कर दे। पर थोड़ी देर बाद वह बोली कि ऐसा नहीं बोलती, तब मैं थोड़ा सामान्य हुआ फिर कहा- तुम ही बार-बार पूछ रही थी, तो मैंने बता दिया।
उसके बाद वह कुछ चुपचाप रहने लगी, और मैंने सोचा सारा खेल ही खराब हो गया। हम पूरा दिन थोड़ी-बहुत बात करते रहे, शाम के समय वह ऊपर वाले खेत पर जा रही थी, और मैं ठीक उस के पीछे था। उसका पैर फिसला और वह गिरने लगी, तो मैंने उसे पीछे से पकड़ लिया, और मेरा एक हाथ उसकी कमर में और दूसरा उसकी दाईं चूची पर आ गया। मैं भी ठीक से संतुलन नहीं बना पाया, और हम दोनों ही नीचे वाले खेत में गिर गये, मैं नीचे और वह मेरे ऊपर।
हम थोड़ी देर यूँ ही रहे और फिर वो और मं जोर-जोर से हँसने लगे। मैंने तब भी उसका एक मम्मा अपने हाथ में पकड़ रखा था और उसकी गाँड बिल्कुल मेरे लण्ड पर थी, मैंने पतले से सूट के अन्दर उसकी निप्पल पकड़ ली और मसलने लगा। वह फिर भी हँसे जा रही थी। थोड़ी देर बाद मैंने उसके गाल पर चूम लिया, मैं गरम हो चुका था। तब वह हँसते-हँसते उठ गई। मैं भी उठ गया और उससे कहने लगा कि मेरे पीठ में जलन हो रही है, वास्तव में खेत में पत्थरों पर गिर पड़ा था और थोड़ी बहुत खरोंच भी लग गई थी।
उस पर वह बोली- दिखाओ !
मैंने कहा- मुझे टी-शर्ट उतारनी पड़ेगी, अगर किसी ने देख लिया तो…?
वह बोली- उधर घने पेड़ों के बीच चलते हैं, वहीं देखते हैं। तो मैं और वह घने पेड़ों के बीच चले गये और मैंने अपनी टी-शर्ट उतार दी। मेरी पीठ पर रगड़ लगी थी, और वह बोली कि थोड़ा सा छिल गया है, अब यहाँ तो कोई क्रीम भी नहीं है, उसने बताया कि उसकी बाँह भी थोड़ी सी छिल गई है, तो मैंने कहा कि तुम्हारी बाँह के लिए क्रीम तो है, पर निकालनी पड़ेगी, वह थोड़ी देर से समझी और फिर हँसने लगी।
मैंने उससे कहा कि मेरे ज़ख्म ठीक हो सकते हैं, अगर तुम थोड़ा चूम लो तो। वह बोली ठीक है, और मेरी पीठ पर २-३ जगह चूम लिया। मैंने कहा कि मेरे होठों पर भी रगड़ लगी है, यहाँ भी चूम लो ना… तब वह बोली, आज नहीं, आज बहुत देर हो गई है, फिर कभी… मगर मैं मान नहीं रहा था, मैंने ग्रीन सिग्नल तो देख लिया था इसलिए उसे पकड़ लिया और उसके होंठ चूमने लगा। वह भी गरम हो गई थी और मेरा साथ देने लगी।
तब मैंने उसका मोम्मा पकड़ लिया और दबाने लगा। वह उम्म्म्म… आआआहहहह हह… की आवाज़ों में सिसकारियाँ भरने लगीं। मैंने उसे ज़मीन पर लिटा दिया और उसकी कमीज़ ऊपर कर दी और उसका एक मम्मा चूसने लगा और दूसरी हाथ से दबाने लगा। मैं बारी-बारी से उस के दोनों मम्मे चूस रहा था। तभी मैंने एक हाथ उसकी सलवार के अन्दर डाला और उसकी चूत को सहलाने लगा। उसकी चूत थोड़ी गीली हो गई थी। पर मेरी किस्मत खराब थी कि मामी हम दोनों को जोर-जोर से आवाज़ लगा रही थी। और हम दोनों को जाना पड़ा। तो मैंने उसे कहा कि बाकी का कल करेंगे, तो उसने कहा कि अब तो यह बस होता ही रहेगा। और हम दोनों वापिस घर आ गये।
कुछ खाने के बाद मामी ने कहा कि जा इसे इसके घर छोड़ दे। आज थोड़ी देर हो गई है, जल्दी ही अँधेरा हो जाएगा तो मैं उसे उस के घर छोड़ने चल पड़ा। हम रास्ते में भी खूब चूम्मा-चाटी करते रहे और मैंने उसके मम्मे चूसे। वो रात मेरी बहुत मुश्किल से कटी।
मैं सुबह ही उठ गया और उसका इन्तज़ार करने लगा। मामा-मामी सुबह ७ बजे ही स्कूल निकल जाते थे। वह तकरीबन ९:०० बजे आई और हम दोनों फिर बगीचे में चले गये। बगीचे के साथ-साथ एक दूसरे गाँव का रास्ता भी जाता है, इसलिए वहाँ सुबह थोड़ी चहल-पहल होती है तो हम सिर्फ बातें ही करते रहे। उसने बताया कि उसके पति ने कभी भी उसके निप्पलों को नहीं चूसा, वह सिर्फ मम्मे ही दबाता है। अब तो वह सेक्स भी हफ्ते में शायद एक बार ही करता है। और रोज़ शाम को देसी दारू पी लेता है और सो जाता है।
वह बोली कि मैं सारी रात तुम्हारे बारे में सोचती रही और सो नहीं पाई। दोपहर के समय हम दोनों फिर घने पेड़ों में गये और मैंने उसे जाते ही चूमना शुरू करक दिया। और मैंने उसके मम्मे दबाने और कमीज़ के ऊपर से ही चूसने शुरू कर दिये, वह केवल सिसकारियाँ भर रही थी, और मेरे सिर को अपने मम्मों के बीच दबा रही थी। मैं सच में उस वक्त ज़न्नत में था।
मैंने उसको ज़मीन पर लिटा दिया और उसकी सलवार खोल दी, उसकी चूत एकदम गोरी-चिट्टी ती। उसपर थोड़े बाल भी थे, मैंने हाथ से बाल हटाकर देखा, उसकी चूत अन्दर से गुलाबी थी। मैंने उसमें अपनी एक ऊँगली डाल दी। वह एकदम गीली और चिकनी थी, मैं ऊँगली को अन्दर-बाहर करने लगा और उसके मम्मे चूसने लगा। वह उफ्फ्फ्फ… आआआहह हह… उईईई मममाँआआ की आवाज़ें निकाल रही थी। बीच-बीच में उसे चूम भी रहा था।
मैंने उसे अपना लण्ड चूसने को कहा, तो वह बोली- नहीं यह गन्दा होता है। पर मैंने उसे काफी प्रयास करने के बाद मना लिया, फिर वह मेरा लण्ड चूसने लगी। उसने थोड़ी देर चूसा और मैं फिर से उसकी चूत में ऊँगली करने लगा और मम्मे चूसने लगा। अब मैंने अपनी दो ऊँगलियाँ उस की चूत में डाल दीं और अन्दर-बाहर करने लगा।
वह ज़ोर-ज़ोर से हम्म्म… आआ आआहह हहह… उउफ्फ्फ्फ… आआआहहह… करने लगी और जब वह अपनी दोनों टाँगें इकट्ठी करने लगी तो मैं रूक गया। मैं समझ गया कि वह पूरी तरह तैयार हो गई है। तभी मैंने अपनी पैंट की जेब से कोहिनूर कंडोम निकाला और लण्ड पर चढ़ा लिया, जो कि लोहे की तरह सख्त हो रहा था। मैंने उसकी टाँगें फैला कर अपने लण्ड की टोपी उसकी चूत के मुहाने पर लगाई और हल्का सा झटका दिया। वह दर्द से आआआआह हहहह… करने लगी, तो मैंने कहा तुम्हें अब भी दर्द हो रहा है?
तो वह बोली- तुम्हारा मेरे पति से मोटा है, और लम्बा भी। तभी बातें करते-करते मैंने दूसरा ज़ोर का झटका दिया और अपना सारा लण्ड उसकी चूत में घुसा दिया और वह दर्द से उफ्फ्फ करने लगी। और मैंने लण्ड को अन्दर-बाहर करना शुरू कर दिया और थोड़ी सी रफ्तार बढ़ा दी। वह आँखें बन्द करके मेरी पीठ पर अपने नाखून गड़ा रही थी। मैंने ७-८ मिनट बाद उसे अपनी गोद में बिठाया और नीचे से धक्के लगाने लगा और उसे ऊपर-नीचे होने को कहा। अब वह ऊपर-नीचे हो रही थी।
थोड़ी देर बाद मैंने उसे उठाया और एक पेड़ से उसकी पीठ लगा दी और उसकी दोनों टाँगें हाथ में उठा लीं और उसे हवा में उठाकर चोदने लगा। मैं बहुत ज़ोर से धक्के लगा रहा था और मैंने फिर उसे नीचे लिटा दिया और धक्के लगाने लगा। मैंने अपनी स्पीड बहुत बढ़ा दी थी। उसने एकदम अपनी टाँगें सिकोड़ लीं, मैं समझ गया कि वह छूट गई है, मैं फिर भी धक्के लगा रहा था। थोड़ी देर बाद जब मैं छूटने वाला था तो वह बोली कि मैं दुबारा छूटने वाली हूँ, और थोड़ी देर में हम दोनों शान्त हो गए।
मैंने उससे पूछा कि मज़ा आया या नहीं? तो वह कहने लगी कि आज पहली बार यह हुआ कि मैं दो बार छूटी हूँ, और ऐसे तरह-तरह से पहली बार चुदी हूँ। उसके बाद हम दोनों फिर काम पर लग गए। फिर तो हम दिन में कम से कम ३-४ बार कर ही लेते थे।
तो यह थी मेरी कहानी। कैसी लगी दोस्तों, ज़रूर बताना, मैं इन्तज़ार करूँगा। अगर आपलोगों ने उत्तर दिये तो मैंने मालिन की जेठानी को कैसे चोदा, इसकी कहानी भी लिखूँगा।
एक ज़रूरी बात मैं और कहना चाहता हूँ कि कृपा करके दोस्तों, किसी पराई-स्त्री के साथ सेक्स करते समय अच्छी क्वालिटी का कॉण्डोम ज़रूर लगा लें, क्योंकि दोस्तों “जान है तो जहान है”। अलविदा दोस्तों, मेरे पास बहुत से किस्से हैं, समय मिला तो ज़रूर सुनाऊँगा। Hindi Porn Stories
हाय दोस्तो, मैं राजेश दिल्ली से। मै आप Hindi Sex Stories को एक सच्ची कहानी सुनाता हूँ। मेरे दिल्ली वाले फ्लैट में एक नौकरानी काम करती थी। उसका नाम पूनम था। उमर करीब २२ साल होगी, फिगर ३२-२८-३४। उसके बूब्स बड़े बड़े थे। जब वो चलती थी तो उसके दोनों चूतड़ काफ़ी सेक्सी लगते थे उसका नज़रें मिलाकर मुस्कुराना भी मुझे बड़ा कामातुर कर देता था
आख़िर एक दिन मुझे मस्ती करने का और उसके कामातुर होने का मज़ा मिल गया। एक दिन मैं अपने ऑफिस से फ्लैट पर आया तो मैंने पूनम को आवाज़ दी, कोई जवाब ना पा कर मैंने सोचा कि वो फ्लैट पर नहीं है। मैं थका हुआ था इस लिए अपने कपड़े उतार कर मै नहाने के लिए स्नानघर में घुसा, घुसते ही मैंने देखा कि पूनम नहा रही थी, उसके बदन पर एक भी कपड़ा नहीं था, वो पूरी नंगी होकर नहा रही थी, उसकी पीठ मेरी तरफ़ थी इसलिए उसने मुझे नहीं देखा।
शायद सोचा होगा कि इस वक्त कौन आएगा इस लिए शायद बाथरूम का दरवाज़ा बंद नहीं किया, मैंने सोच लिया आज तो इसे जरूर चोदुंगा, मैंने चुपके से उसके सारे कपड़े उठाये और बाहर आ गया और ड्राइंग रूम में बैठ गया। थोड़ी देर बाद उसका चेहरा दरवाज़े से झांकता दिखाई दिया, वो बोली राजू (पहले सर बोलती थी मैंने ही बोला मुझे नाम से बुलाया करो, नहीं तो मुझसे बात मत करना, तभी से वो काफ़ी खुलकर बात करती थी ) मेरे कपड़े दे दीजिए”
मैंने कहा “ख़ुद आ कर ले लो”
वो अपने बूब्स को दोनों हाथों से ढक कर बाहर आयी, मेरे सामने एक लड़की बगैर कपड़ों के खड़ी थी यह देख कर मेरा लंड तन कर खड़ा हो गया।
मैंने कहा तुम बहुत सुंदर हो पूनम, वो शरमा गयी, मेरी हिम्मत बढ़ी और मैं खड़ा हो गया, खड़े होते ही मेरा लंड और तन गया और मेरा ७” का लंड देख कर उसकी आखें फैल गयी। मैं उसके पास गया और उसके होठों को चूमने लगा। पहले तो उसने विरोध किया लेकिन फिर वो भी मेरा पूरा साथ देने लगी। फिर मैंने लिप्स को छोड़ा और नीचे आ कर उसके बूब्स को चूसने लगा।
फिर मैंने उसे बाँहों में उठाया और बेड रूम में ले गया। बेड पर लिटा कर मैंने उसकी टांगें फैलाई और उसकी चूत चाटने लगा। उसकी चूत मक्खन की तरह चिकनी थी.मैंने उसकी चूत में अपनी दो उँगलियाँ घुसाई और अन्दर बाहर करने लगा। वो गरम हो रही थी।
वो बेताबी में अपने हाथों से अपने चुचिओं को मसलने लगी। उसके मुंह से आह ओह और करो सुन कर मेरा जोश बढ़ गया मैंने अपना लंड उसके मुंह में डाल दिया। वो उसे लोलीपोप की तरह चूसने लगी और मैंने उसकी चूत को जी भर कर चूसा। अब हम ६९ पोसिशन में थे।
फिर मैंने उससे कहा पूनम अब मैं तुम्हारी चूत का मजा लूँगा। वो तो पहले से तैयार थी उसने कहा हाँ अब और रहा नहीं जाता। फिर मैंने अपना लंड उसकी चूत के मुंह पर रखा और धक्का दिया। लंड थोड़ा अन्दर गया ही था कि वो चीख उठी- आह धीरे करो दर्द होता है। लेकिन मैंने उसकी बात अनसुनी कर अपना काम जारी रखा।
लंड पूरा घुसते ही वो छिपकली की तरह मेरे सीने से चिपक गयी। फिर मैं अपना लंड तेज़ी से उसकी चूत के अन्दर बाहर करने लगा। मैंने उसे कस कस कर चोदा। वो भी गांड उछाल उछाल कर मेरा पूरा साथ दे रही थी। अब मैंने उसे कुतिया स्टाइल में बिठाया और कहा पूनम अब मैं तुम्हारी पीछे से लूँगा।
वो डर गई, बोली- नहीं राजू मेरी गांड मत लो, बहुत दर्द होगा, आपका लंड बहुत मोटा है। मैंने उसे समझाया कि मैं गांड नहीं चूत ही मारूंगा और तुम्हें भी मज़ा आयेगा।
वो तैयार हो गयी। मैं उसकी चूत में लंड घुसाने लगा। लंड थोड़ा अन्दर गया कि वो दर्द से छटपटाने लगी और छूटने की कोशिश करने लगी पर मैंने उसकी चूचियां कस के पकड़े रखी थी और धक्के लगाता रहा। वो भी थोड़ी देर के बाद जब उसकी चूत पूरी गीली हो गई और मेरा लण्ड उसकी चूत की दीवारों पर रगड़ रहा था तो अपने चूतड़ पीछे ले जा कर पूरा का पूरा लंड लेने लगी और जब भी मैं रुकता या धीरे होता तो बोलती कि राजेश प्लीज़ रुकना नहीं करते रहो, बहुत मज़ा आ रहा है।
थोड़ी देर के बाद मैं नीचे कमर के बल लेट गया और मेरा लंड सीधा ९० डिग्री पर था, मैंने पूनम को अपने ऊपर बुलाया और बोला कि अब तुम्हारी बारी है चलो घुड़सवारी का मजा लो।
वो पहले तो शरमाई लेकिन मस्ती की वजह से फौरन मेरे ऊपर आकर मेरे लंड को पकड़ा और उसपर बैठने की कोशिश करने लगी। जैसे जैसे लंड चूत में घुस रहा था उसके मुंह पर एक मस्ती भरी मुस्कान छा रही थी, खुले बाल उसके चेहरे को और भी सुंदर बना रहे थे और उसकी आखों में ना जाने कितनी मधुशाला की मस्ती छा रही थी वो मैं बता नहीं सकता।
उसकी एक एक सीत्कार और अपने होंठों को हलके से काटना और फिर अपनी चूचियों के चुचुकों को सहलाना बड़ा ही कामुक दृश्य बन गया था, मुझे उसके धक्के बड़े भारी पड़ रहे थे क्योंकि इस मुद्रा में चूत की कसावट और ज्यादा हो गई थी और मस्ती में वो भी पूरे कस कस के मेरे लंड को पूरा का पूरा लिए जा रही थी।
थोड़ी देर बाद ही वो मेरी छाती पर चूचियां रगड़ते हुए बिल्कुल सामने आ चुकी थी दोनों आपस में एक दूसरे की जीभ को चूस रहे थे, तभी मैंने देखा कि उसने अपनी रफ्तार अचानक से तेज कर दी और मेरे मुंह में अपनी जीभ डालकर मुंह के रस को ले रही थी मुझसे नियंत्रण नहीं हो पा रहा था और लगता था कि मैं कभी भी वीर्य की बौछार कर दूँगा वो भी अपने चरमोत्कर्ष पर थी और अपने पूरे शरीर को झकजोरते हुए ज़बरदस्त धक्के लगा रही थी ..ओ ओ ओह्ह ह्ह्छ राजू ऊ ओ ओह ह्ह्ह मेरे सोना सोना …ओह ह्ह्ह्छ जानू मेरी जान न निकल जाए मुझे कस के पकड़ लो।
मैंने उसको कस के पकड़ लिया और अपनी टांगे उसकी टांगों में कैंची की तरह फंसा ली। वो ऐसी छुटी कि उसकी चूत का रस मेरी जांघों पर भी महसूस हो रहा था और करीब चार पाँच धीरे धीरे उसने धक्को के साथ अपना आपा खो दिया और पागलों की तरह मेरे कंधे पर काट लिया, उसने मुझे इतनी जोर से पकड़ा था कि जैसे कोई बहुत बड़ा करंट लग गया हो करीब पाँच मिनुटे बाद वो उठी तो शरमाती हुई हंसने लगी और बड़े ही अचरज से मेरे लंड पर गिरा हुआ अपना रस देखने लगी, बोली- राजू ये पहली बार है जो मुझे पूरी तरह संतुष्टि मिली है और मैंने पानी छोड़ा है वरना अब तक जो भी मैं ३-४ बार चुदी हूँ उसमें मैंने दूसरो के झाडे हुए पानी को देखा था। आज तुमने मुझे अहसास दिलाया है कि एक औरत की ज़िन्दगी में सबसे बेशकीमती चीज़ है औरत का पानी झड़ना। मुझे नहीं पता ये अहसान मैं कैसे उतारूंगी पर जब तक जिंदा हूँ इस बेशकीमती आनंद से और संतुष्टि से भरे हुए पल कभी नहीं भूलूंगी…।
मेरा पेशाब आ रहा था तो मैंने हँसता हुआ बोला अभी आता हूँ मेरा भी काम बाकी है। मैं टॉयलेट की तरफ़ मुड़ा तो वो बोली तुम्हारी पीठ पर खून कैसा?
मैंने कहा- जब तुम सातवें आसमान की सैर कर रही थी तो इतना कस के जकड़ा कि तुम्हारे नाखून से मेरी पीठ पर खरोंच आ गई।
वोह बोली- मैं आज के बाद ये नाखून काट दूंगी और मुझे माफ़ करदो।
मैंने कहा- पागल ये तो मैं चाहता था, तुम्हें मेरी कसम जो नाखून काटे। जब कोई भी इंसान पहली बार झड़ता है तो उसको नहीं पता होता उससे क्या क्या हो रहा है। ये देखो कंधे पर कितनी ज़ोर का काटा है !
वोह बोली- ये तो मुझे पता है चलो अब जल्दी से अपना काम भी कर लो।
मैंने फिर से उसको घोड़ी बनाया और उसके कूल्हों को पकड़कर अपनी रफ्तार बढ़ा दी। पूनम से सहा नहीं जा रहा था और जोर जोर से अओउच। …उई ई ओ ऊ ओह हह कर रही थी कुछ धक्कों के साथ ही मेरे अन्दर से सुनामी की तरह तूफ़ान आया और पूनम की चूत को भरता हुआ बाहर तक आ गया।
हम दोनों उसी अवस्था में बेड पर जा गिरे और पता नहीं कितनी देर तक ऐसे ही पड़े रहे। वो मुझ पर फ़िदा हो चुकी थी और उसकी आंखों में मेरे लिए एक प्रेमिका का प्यार साफ़ झलक रहा था मैंने उसके होंठों को चूमा और बोला कि मैं तुम्हारा शुक्रिया अदा करता हूँ जो समय तुमने दिया वो मुझे भी याद रहेगा, मैंने भी तुम्हारे जितनी सेक्स मैं बिल्कुल पागल होकर चाहने वाली लड़की नहीं देखी। आइ लव यू पूनम। दिल से !
फिर मैंने पूछा पूनम मज़ा आया ?
वो बोली- हाँ बहुत मज़ा आया। आप बहुत अच्छा चोदते हैं। अब मैं रोज़ ! ! आपसे ही चुदवाउंगी। फिर तो हम रोज़ ही चुदाई का मज़ा लेने लगे। ये सब तब तक चला जब तक उसकी शादी नहीं हो गई।
अगली कहानी में पूनम की बड़ी बहन के बारे में बताऊंगा तब तक इस कहानी का मजा उठायें।
आशा करता हूँ ये कहानी आपको कुछ हद तक पसंद आएगी। मैं आप सभी कहानी पढने वालों की राय जानना चाहता हूँ कि मेरी कहानी कैसी लगी। ताकि मैं और कहानी लिखूं या नहीं। ..तो मुझे इ-मेल करके बता दें। मुझे किसी भी तरह की राय अच्छी लगेगी बेशक वो मेरी कहानी को कमज़ोर कहें लेकिन एक बात जरूर बताना चाहूँगा कि केवल नाम बदला है कहानी एक दम सच्ची है। ….कृपया मुझे इ-पत्र करें Hindi Sex Stories
हॉट वाइफ की चुदाई का नजारा मैंने देखा जब मेरी पड़ोसन अपने पति से चुद रही थी और मैं अपनी चूत में उंगली कर रही थी. मेरे पति आये तो मैं उनसे चुद कर कुछ शांत हुई.
कहानी के पहले भाग
जवान पड़ोसन की चुदाई देखी
में आपने पढ़ा कि मेरे पड़ोस में रहने वाला युगल अपनी शादी की अर्धवार्षिकी के अवसर पर जम कर चुदाई कर रहा था. मैंने खिड़की से छुप कर उनकी चुदाई देख रही थी.
अलका की बेचैनी बढ़ती जा रही थी, उसका जिस्म मचल रहा था.
तभी सचिन ने दूसरी उंगली भी उसकी चूत में डाल दी.
अलका- अआआ … ह्ह्हह … अ..अ … ओय … दर्द हो रहा है … धीरे … कर … ना … अआआ … ह्ह्हह … अब बस कर … अआआ … ह्ह्हह … सचिन … अआआ आआ..ह्ह
तभी अलका एक तेज चीख के साथ थोड़ी ऊपर उठी और धड़ाम से बिस्तर पर गिर कर लम्बी लम्बी सांसें लेने लगी.
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अब आगे हॉट वाइफ की चुदाई:
अलका का हाल देख कर सचिन रूक गया और चूत से उंगली निकाल कर एक हाथ से अपना जॉकी उतार दिया.
उसका मोटा लण्ड उछल के बाहर आ गया.
‘ओह्ह्ह माई गॉड!’ कितना लम्बा था और कितना मोटा सुपारे की चमड़ी के बीच से गुलाबी सुपारा साफ चमक रहा था.
उसके दमदार लण्ड को देखते ही मेरी चूत से पानी टपकने लगा.
मेरा दिल किया कि अभी अंदर जा कर अलका के सामने ही चुद जाऊं.
तभी सचिन ने अलका को उठाया और बेड के साइड में बैठा दिया और खुद नीचे खड़ा होकर उसके होटों पर लण्ड फिराने लगा.
अलका के चेहरे से लग रहा था कि वह चूसने के मूड में नहीं है.
पर सचिन आज बिल्कुल मूड में था.
फिर भी अलका उसके लण्ड को अपने हाथ से पकड़ कर उस दबा रही थी, उसे चूम रही थी.
सचिन का विकराल लण्ड ठुमक रहा था.
इधर मेरी चूत में खलबली मची थी, चूत का रस बह कर मेरी जांघ को गीला कर चुका था.
तभी सचिन ने उसके बाल पकड़ के जोर से खींचा तो दर्द से अलका का मुँह खुल गया और सचिन ने उसके मुँह में मोटा लण्ड ठूस दिया.
अलका की आंखें बाहर को आ गई- अँगुगुगु … गूऊ गूऊ गूऊऊ … गुं गुं गुं ऊऊ!
उसकी आँखों से पानी के कतरे बहने लगे.
फिर सचिन ने अपने लण्ड से अपनी पत्नी का मुखचोदन करने लगा.
‘गूऊगू ऊगूऊऊ गूऊगू ऊगू ऊऊ उम्म्म गु गुं गुं ऊऊ ऊ ऊ ऊ’ ऐसी आवाजें आ रही थी.
सचिन के चूतड़ रिदम में आगे पीछे हो रहे थे.
थोड़ी ही देर में उसके चूतड़ों की थिरकन बढ़ गई.
साफ समझ में आ रहा था कि वह झड़ने की कगार पे था.
अलका भी समझ गई … वह लण्ड को अपने मुख से निकालने की कोशिश करने लगी.
पर सचिन की पकड़ मजूबत थी, एक जोर से हुंकार लेते हुए सचित ने अपना लंड और जोर से उसके मुँह में ठूँस दिया और भरभरा कर झड़ने लगा.
अलका की आँख लाल हो गई थी, आँखों से पानी बह रहा था, पूरा चेहरा लाल था, होटों की दरार से वीर्य की सफ़ेद धार बहने लगी.
सचिन का लण्ड सिकुड़ के बाहर आ गया, सिकुड़ा हुआ लण्ड भी काफी बड़ा लग रहा था.
और तभी मेरी चूत का भी काम तमाम हो गया.
अलका सचिन की पकड़ से छूटते ही मुँह दबा कर बाथरूम की तरफ भागी.
यह देख कर सचिन लण्ड को सहलाते हुए मुस्कुराने लगा, फिर अपना पैग बनाने लगा.
अलका उसके पास आकर उससे उसकी बेहरमी के लिए गुस्सा कर रही थी.
पर सचिन ने उसको बाँहों में भर कर गिलास मुँह में लगा दिया.
अलका एक बड़ा सिप लेकर वैसे ही बिस्तर पर लेट गई.
सच में उसकी चिकनी चूत इतनी गोरी थी … मुझे भी शर्म आ गई क्योंकि मेरी चूत थो इतनी गोरी ना थी.
सचिन उसकी जांघों पर बैठ गया.
उसका विकराल लण्ड पेंडुलम की भांति झूल रहा था. झड़ा हुआ लण्ड भी काफी बड़ा लग रहा था.
सचिन ने उसके बदन पे व्हिस्की गिरा दी और झुक के चाटने लगा.
मोटी जीभ के स्पर्श और ठंडी व्हिस्की ने अलका के बदन में गर्मी ला दी, वासना भर दी, उसे कामातुर कर दिया.
अलका वासना में डूब कर सचिन का मोटा लण्ड पकड़ कर उसे फैंटने लगी.
कुछ ही पल में लड़ अपने विशाल रूप में आ गया.
अलका बोलने लगी- अब डाल भी दो, तुम बहुत तड़पाते हो!
सचिन भी कामातुर था तो उसने भी उसकी टांगों को अच्छे से फैला दिया और बीच में पोजीशन लेकर उसकी चूत पर लण्ड रगड़ने लगा.
उसने अलका के पैरों को अपने कंधे पे रखा और एक हाथ से लण्ड दूसरे से झुक के कन्धा पकड़ा फिर थोड़ा सा दबाव बनाया तो लण्ड ने चूत को फैलाते हुए प्रवेश कर लिया.
अलका का मुँह खुल सा गया.
तभी सचिन ने अपने चूतड़ पीछे किये और एक जोरदार झटके ने पूरा लण्ड अलका की चूत में डाल दिया.
अलका की एक घुटी घुटी सी चीख निकल गई- अहह्ह ऊईई ओह स्सीईई अआईई उईई माँ मर गई आईई ईई उफ्फ़! आह ह्ह्ह माँ आईई मार दिया तुमने मुझे … इतना मज़ा उफ … धीरे से करो सचिन!
और चीख निकले भी क्यों ना … सचिन का लण्ड था ही इतना मोटा!
अलका अभी भी कमसिन सी लड़की ही लगती थी और शादी को भी छह महीने ही हुए थे.
उसकी चूत सचिन के मोटे लण्ड के हिसाब से और रोज़ चुदने के बावजूद अभी भी छोटी ही थी.
सचिन के भारी चूतड़ रिदम में आगे पीछे होने लगे.
इधर मेरी उंगली लोअर के अंदर चूत में अंदर बाहर हो रही थी, उधर अलका की चूत में लण्ड अंदर बाहर हो रहा था.
अलका बस सिसकारी भर रही थी- आआ आहह आईईइ म्म्म्म म्मम अहहा उम्म … उम्म्ह … अहह … हय … याह … आऽऽह … उम्मम्म … ऊऊहह … अआआआ … अहहन्न न्न्न्न्ना … आआ … आह्ह्ह हईई … ऊओहन नाह्ह्ह्ह्ही ईईइ!
‘फ़च … फ़च … फ़च … फ़च …’ की मधुर और मंद आवाज़ के साथ सचिन लंड को चूत के भीतर-बाहर हो रहा था.
‘इईई … श्शस्शह … अअ … उम्म्ह … अहह … हय … याह … आआआ … ह्ह्ह् … हाहाहा आआआ …’ काम में डूबी अलका अलका की आवाज़ से साफ पता चल रहा था कि वह किस आनंद के सागर में गोते लगा रही थी.
वह कई बार शिथिल सी हो जाती थी पर सचिन के शॉट रुकते नहीं थे.
तभी सचिन ने लण्ड निकाल कर उसको घोड़ी बनने का इशारा किया.
तो अलका तुरंत पलट गई.
सचिन ने झुक के उसके चूतड़ को चाटा और चूतड़ पर एक जोर से चांटा मारा.
अलका चीख पड़ी- आअह्ह उफ उईई ईई!
सचिन का लण्ड रोशनी में चूत के रस में भीगा हुआ चमक रहा था.
उसने अलका का कन्धा पकड़ा और एक बार फिर लण्ड को अलका की चूत में उतार दिया.
अलका फिर कराही- उईई माँ … मार डाला!
वह सही कहती थी, काफी देर सचिन उसको चोद रहा था पर अभी तक उसका वीर्य नहीं निकला था.
मेरे अंदर ताकत नहीं थी कि मैंने और खड़ी रह सकूं.
सचिन के चूतड़ हिल रहे थे तो बीच बीच में वो झुक के चूचियां भी मसलने लगता.
तभी सचिन ने एक जोर से हुंकार भरते हुए उसकी चूत में अंदर तक लण्ड घुसा दिया और अलका के जिस्म पर गिर गया.
अलका उसके नीचे दबी हुई थी.
मैं भी वही फर्श में बैठ गई और लम्बी लम्बी सांसें लेने लगी.
फिर मैं किसी तरह उठ के अपने घर आ गई.
घड़ी में करीब 12 बजे थे.
मैं उन दोनों की लम्बी चुदाई का एक राउंड देखकर आई थी तो मेरी चूत को लण्ड की जरूरत थी.
पर अखिल अभी आया नहीं था, मुझे उसपर गुस्सा भी आ रहा था कि वह मेरी जगह अपने बॉस के साथ गांड मरा रहा था.
तभी अखिल का कॉल आ गया, बोला कि वह थोड़ी देर में घर आ जायेगा.
मैं तुरंत उठी और फटाफट शावर में जाकर अपनी चूत और गांड को को अच्छे से साफ किया.
मैंने एक ट्रांसपेरेंट मिनी मिडी पहनी और हल्का सा तैयार होकर अपनी चुदाई का इंतज़ार करने लगी.
तभी अखिल भी आ गया.
उसके चेहरे से लग रहा था कि साला बहुत थका है.
पर उसने जब देखा कि मैं बिना ब्रा पैंटी के मिडी में हूँ तो एक अच्छे पति की तरह वह समझ गया कि मैं चुदाई के लिए मचल रही हूँ.
तो वह फटाफट शावर ले बिस्तर पर आ गया.
मैं उसके आते ही उसका लण्ड चूसने लगी.
लण्ड भी तुरंत तैयार हो गया.
मेरी चूत तो सचिन का लण्ड सोच सोच के ही गीली थी.
तो हम दोनों ने एक राऊण्ड धमाकेदार चुदाई की.
मैंने अखिल के लण्ड को अपनी गांड उछाल उछाल के अपनी चूत में लिया.
इस बीच मैं दो बार झड़ भी गई जब अखिल का रस निकला.
हॉट वाइफ की चुदाई हो चुकी थी पर मेरा दिल नहीं भरा था तो अखिल का लण्ड फिर से चूसने लगी और कुछ ही देर में मैं उसके ऊपर आ के अपनी गांड उछाल उछाल कर लण्ड चूत में लेने लगी.
अखिल भी जोश में आ गया, वह दोनों हथेली से चूतड़ को पकड़ कर मुझे उछालने लगा.
कुछ समय में मेरा जोश ठंडा हो गया और मैं उसके सीने पर गिर सी गई.
पर उकसाया तो मैंने था अखिल को … तो उसने वैसी ही मुझे बिस्तर पे गिरा के साइड से चोदना शुरू कर दिया.
‘अआआ … इईई ईई … अआउऊचच … ओय्ययय … अआआ … ह्ह्हह … अ..आउच … अआआहह अआआ … ह्ह्हह!’
और एक बार फिर सचिन ने मेरी चूत में अपना सारा वीर्य उड़ेल दिया.
हम दोनों इतने थक चुके थे कि उसी तरह सो गए.
सुबह होने के साथ एक नए दिन की शुरुआत हुई.
अखिल काम पर चला गया क्योंकि उसके बॉस आये हुए थे.
मुझे अलका से बात करने की जल्दी थी तो मैंने अपना सारा काम फटाफट निपटाया.
मैं नहा कर निकली ही थी कि अलका आ गई.
मैंने हम दोनों के लिए कॉफ़ी बनाई और उससे दूसरी सुहागरात के बारे में पूछने लगी.
अलका ने थोड़ी शरमाते हुए बताया कि पूरी रात सचिन ने उसको चोदा. करीब 4 बजे वे दोनों सोये थे. उसकी चूत में दर्द हो रहा है. दो बार सिकाई कर चुकी है फिर भी दर्द है. निप्पल में जलन हो रही है.
मेरे दिलोदिमाग में सचिन का लण्ड छाया हुआ था … बस उसका लण्ड अपनी चूत में लेने का दिल कर रहा था.
मुझे पता था कि अखिल को अलका की चूत मिलेगी तो वह मुझे सचिन से चुदने के लिए मना नहीं करेगा.
पर कैसे?
एक बात मैंने पक्की कर ली कि पति को बता कर ही सचिन से चुदाई करवाऊंगी और अलका को भी किसी न किसी तरह, किसी भी बहाने से अखिल से चुदने के लिए राज़ी कर लूंगी.
इसलिए मैं अलका से सेक्स के बारे में ज्यादा बात करने लगी थी, पराये मर्द से चुदाई की कहानी, विडियो उसके साथ शेयर करने लगी.
साथ ही साथ मैं उसको यह भी बोलती कि अखिल उसको बहुत पसंद करते हैं.
मैंने उसे बताया- अखिल बोलते हैं कि अलका बहुत खूबसूरत है, उसका मांसल बदन बहुत अच्छा है. चूचियां भी भरी भरी हैं.
ये सब सुन कर अलका शुरू में तो शर्मा जाती थी, कहती- धत दीदी, आप भी ना!
पर धीरे धीरे वह भी उन सब बातों को पसंद करने लगी, उसको इन सब बातों में रस आने लगा.
वह अखिल से भी खुलने लगी, मज़ाक भी करने लगी थी.
अगर कभी मैं अखिल की बात नहीं करती तो वह खुद ही उसकी बात करने लगती.
तो मैं उसको बोलती कि रात को उसने दो बार चुदाई की. देर तक मेरी चूत चाटी.
ये सब सुन कर अलका कसमसाने लगती, उसका चेहरा लाल हो जाता.
मेरी भी समझ में आ जाता कि अलका की पैंटी गीली हो रही है.
फिर एक दिन अलका ने बोला- दीदी, अगर मैं अखिल को सचमुच पटा लूं तो आप क्या करेंगी?
मैं- करना क्या है … तू अखिल को पटायेगी तो मैं सचिन को पटा लूंगी. उसका लण्ड भी तो सख्त और मोटा है. जब तेरे पति मुझे चोदेंगे और मेरा पति तुझे चोदेगा तो हम दोनों की दोस्ती और पक्की हो जाएगी.
तो हंस कर अलका मेरे से लिपट गई.
इधर दूसरी तरफ मैं अखिल को बताती कि अलका उसको पसंद करती है बहुत!
मैं उसको बोलती- तुम सम्भोग में मेरी चूत जम के चूसते हो तो वह काफी उत्तेजित हो जाती है.
ये सब सुन के अखिल भी खुश हो जाते, बोलते- अलका काफी खूबसूरत है. किसी रोज़ लाओ उसको बैडरूम में … तो उसको भी अपनी मर्दानगी स्वाद चखा दूँ.
तो मैंने अखिल से झूठ बोल दिया- अलका तो कब से बेचैन है तुम्हारे से अपनी चूत चुसवाने को … पर मैंने ही हामी नहीं भरी. आखिर तुमसे पूछना भी तो जरूरी था!
अखिल- कमाल करती हो जान … ऐसे काम में पूछा नहीं जाता है. अलका जैसी मांसल और गठीली औरत को चोदने को तो मैं आधी रात को भी तैयार हूँ.
“तो ठीक है, फिर मैं अलका को आज ही ग्रीन सिग्नल देती हूँ. पर अगर तुम अलका को चोदोगे तो मैं भी सचिन से चुदवाऊंगी. फिर तुम मुझे मत टोकना!”
अखिल- कैसी बात करती हो जान, यह भी कोई टोकने की बात है. हम लोग पढ़े लिखे नए ज़माने के लोग हैं. मुझे तो अच्छा लगा कि तुमने अपनी दिली इच्छा खुल कर बताई. तुम भी सचिन के साथ खुल कर चुदाई का मज़ा लो. चार दिन की तो जवानी है, इसका खुल के मज़ा लेना चाहिए.
अब मैं बिल्कुल निश्चिन्त थी कि जल्द ही सचिन का लण्ड मेरी चूत में होगा.
और यह भी पता था कि अलका भी अखिल से अपनी चूत चटवाने के लिए मचल रही है.
पर मैं अलका को अखिल से चुदवाने पहले खुद सचिन से चुदना चाहती थी.
तो मैं इंतज़ार कर रही थी कि कब अलका अपने मायके जाये और मैं सचिन से चुदाई करवा लूं.
पिछले भाग की कुछ Antarvasna अन्तिम पंक्तियाँ : लल्लू लाल कहाँ रुकने वाले थे, 5 मिनट बाद उन्होंने अपने पूरा चिकना लण्ड बहू की चूत में पेल ही दिया, अब सिर्फ़ आँड बाहर रह गये। जैसे ही सुषमा का दर्द थोड़ा कम हुआ और वो सामान्य हुई, उन्होने लण्ड को अंदर-बाहर करना शुरू कर दिया। लल्लू लाल बहू की चूत के खून से रंगा लण्ड अंदर-बाहर करते रहे, सुषमा की चीखे सुनाई देती रहीं।
बेटा तू बापू की गाण्ड चाट ! मैं आँड चाटती हूँ, नहीं तो ये बहू को चोद चोद कर मार डालेंगे ! रुक्मणि बोली।
सुषमा ने देखा कि उसका पति उसके ससुर की गाण्ड चाट रहा था और सास ससुर के मोटे काले अंडकोष चाट रही थी। लल्लू लाल जी उत्तेजना के शिखर पर थे- बहू, भर दूँ तुम्हारी कुँवारी चूत अपने ताक़तवर वीर्य से? उन्होने पूछा।
सुषमा ने कुछ बोलना चाहा ही था कि वो गर्र-गर्र करते हुए झड़ गये।
ओह ! ओह ! आपने तो कोई आधा कप पानी बहू की चूत में छोड़ दिया है, बच्चा होकर रहेगा ! रुक्मणि बोली।
अब आगे :
ससुर जी ऊपर से हट कर बिस्तर के कोने पर बैठ गये और सुषमा को सहलाने लगे। उधर सुरेश नीचे जाकर रुक्मणि की चूत चाट रहा था।
चाट मेरे लाल, चाट ! मेरे बेटे तेरी जीभ तो लण्ड से भी ज़्यादा मज़ा देती है ! रुक्मणि बोल रही थी। उधर लल्लू लाल जी भी नीचे पहुँच गये, उन्होंने सुरेश की गाण्ड में तेल लगा कर उसको उंगली से चोदना शुरू कर दिया।
हाँ बापू ! फ़ाड़ो मेरी गाण्ड ! सुरेश गाण्ड नचाते हुए बोल रहा था।
ससुर ने सुषमा को नीचे खींचा और उसका मुँह से अपने लण्ड को अड़ा दिया- इसको चूस चूस कर बड़ा कर बहूरानी ! ताकि मैं तेरे पति की सेवा कर सकूँ ! उन्होने कहा।
सुषमा ने उनके मोटे काले लण्ड को कस के पकड़ा और जीभ फेरने लगी। धीरे धीरे लल्लू लाल जी का सुपारा चीकू जितना बड़ा हो गया और लण्ड एकदम हथोड़े जैसा !
ससुरजी ने बहू को धन्यवाद दिया और वापस से सुरेश की गाण्ड पर अपना हथियार तान दिया। किसी मंजे हुए खिलाड़ी की तरह सुरेश ने गाण्ड को हिलाया और एक ही झटके में लल्लू लाल जी का आधा लण्ड उसकी गाण्ड में चला गया।
सुरेश ज़ोर से चीखा- मर गया बापू ! अभी पूरा कहाँ मरा है? अभी तो आधा ही मारा है ! लल्लू लाल जी बोले और पूरा लण्ड पेल दिया। सुषमा सोचने लगी कि सुरेश की गाण्ड क्या उतनी बड़ी है?
उधर सुरेश अपनी माँ की चूत चाटे जा रहा था।
रुक्मणि उछल रही थी- बेटा। मैं झड़ने वाली हूँ, पूरी जीभ डाल दे अपनी माँ के भोसड़े में ! वो बोली।
और दो मिनट में हांफ़ते हुए अपना पानी छोड़ दिया। उधर लल्लू लाल जी की रफ़्तार बढ़ गई थी।
रुक्मणि पीछे आ गई, मेरे बेटे की गाण्ड फाड़ दोगे क्या ? अब रहम करो ! वो बोली और सुरेश के नीचे लेट गई। सुषमा ने देखा कि रुक्मणि सुरेश की लुल्ली को चूस रही थी और अपने हाथों से ससुरजी के बड़े बड़े अण्डकोषों को मसल रही थी।
अब अपने बेटे की गाण्ड अपने पानी से भर दो ! रुक्मणि बोली। यह सुनते ही लल्लू लाल जी तेज़ हो गये और बोले- हाँ जान। ये ले तेरे बेटे की गाण्ड में अपना पानी डालता हूँ ! कहकर वो झड़ गये। सुषमा थक कर सो गई।
सुषमा को पता चल गया था कि उसके ससुर उसकी सास को तो माँ नही बना सके मगर ये कसर अब उसके साथ ज़रूर पूरी करेंगे।
सुबह जब उसकी आँख खुली तो ससुर और पति दोनों काम पर जा चुके थे मगर सास नहीं गई थी।
रुक्मणि बोली- आज तेरी सेवा करूँगी बहू !
खून से भरी चादर धुल गई थी और रुक्मणि ने सुषमा से कहा- नहाने से पहले मैं तेरी तेल मालिश करूँगी।
रुक्मणि ने सुषमा के पूरे कपड़े खोल दिए और उसके पूरे बदन पर मालिश करने लगी। फिर उसने रेज़र लेकर सुषमा की झांट साफ की और बोली- बेटा यहाँ हमेशा सफाई रखनी चाहिए। मैं, तुम्हारे ससुर और सुरेश के झांट भी साफ करती हूँ हमेशा !
सफाई के बाद रुक्मणि ने तेल लेकर उसकी चूत पेर लगाया और उंगली से सुषमा की चूत चोदने लगी।
बेटी, इससे तेरा छेद बड़ा हो जाएगा ताकि आज रात तू आसानी से ससुर का लण्ड ले सके ! वो बोली।
उंगली की चुदाई में सुषमा को बहुत मज़ा आ रहा था और वो सास के साथ साथ अपनी गाण्ड हिलाने लगी। कोई पाँच मिनट बाद सास की तीन उंगलियाँ अंदर थी और सुषमा झड़ गई। उसे पहली बार चरमसुख मिला था। सास उसको रात के लिए तैयार कर रही थी।
रात होते ही सुषमा वापस ससुर के कमरे में गई। ससुरजी वैसे ही नंगे लेटे हुए थे, पास जाते ही उन्होंने सुषमा को अपने पास खींच लिया और चूमने लगे। एक ही पल में उन्होंने सुषमा को नंगा कर दिया और उसकी चूत चाटने लगे। कोई पाँच मिनट बाद सुषमा अपने ससुर की जीभ पर झड़ गई। उधर सुरेश अपने पिता का लण्ड कुत्तों की तरह चाट रहा था। सुषमा के झड़ते ही लल्लू लाल जी ने अपना लण्ड उसकी चूत से भिड़ाया और एक ही शॉट में भीतर पेल दिया। सुषमा चीखी मगर उसे आनंद भी आया। अब ससुरजी धीरे-धीरे लण्ड अंदर-बाहर करने लगे। उसको अच्छा लग रहा था, उसने अपने हाथों से ससुरजी की गाण्ड कस कर पकड़ ली और उन्हें अपने ऊपर दबाने लगी।
लल्लू लाल जी ने धक्कों की रफ़्तार बढ़ा दी और ज़ोर-ज़ोर से सुषमा को चोदने लगे। उधर सुरेश अपने पिताजी के अमरूद समान आण्डों को तेल लगा कर मसल रहा था और कह रहा था- बापू इन आण्डों का पूरा रस डाल दो इस रांड की चूत में, ताकि इसको आपका बच्चा हो !
हाँ बेटा, पूरा वीर्य खाली कर दूँगा ! लल्लू लाल जी बोले और एक चीख के साथ वो झड़ गये। सुषमा का भी पानी निकल गया। सुषमा को पहली बार चुदाई का मज़ा आया था।
अगले दिन रुक्मणि बोली- बेटी, हालाँकि तेरे ससुर का लण्ड शानदार है लेकिन तू मुझे कहेगी कि मैंने तुझे जवान लण्ड का मज़ा नहीं दिया, इसलिए आज एक जवान लण्ड के लिए तैयार रहना ! वो आँख मारते हुए बोली।
सुषमा कुछ समझती उससे पहले यासीन वहाँ आ गया। यह वही लड़का था जिसको उसने अपने पति सुरेश की गाण्ड मारते हुए देखा था। सुरेश उसको कमरे में लाया और अंदर से बंद कर दिया। सुरेश ने एक मिनट में सुषमा के कपड़े उतार दिये और यासीन को नंगा कर उसका लण्ड चूसने लगा। सुषमा ने देखा कि यासीन का लण्ड भी बहुत बड़ा था हालाँकि वो उसके ससुर के लण्ड से छोटा था मगर मोटाई अच्छी थी और ससुर की तरह उसके लण्ड के आगे चमड़ी नहीं थी।
यासीन तुरंत सुषमा के पास आया और उसके 38 इंच के स्तन दबाने लगा। उधर सुरेश नीचे सुषमा की चूत और यासीन का लण्ड चाट रहा था। यासीन कामोत्तेजना में पागल हो रहा था और उसने झटके से अपने लण्ड का गुलाबी सुपारा सुषमा की चूत में पेल दिया। सुषमा के मुँह से हल्की सी चीख निकली। चीख सुनते ही यासीन ने पूरा सात इंच का लण्ड अंदर घुसा दिया सुषमा की साँस ऊपर चढ़ गई। सुरेश यासीन की गाण्ड चाट रहा था और यासीन गालियाँ बक रहा था- भेन की लौड़ी, आज तेरे हिजड़े पति के सामने तेरी चूत फाड़ दूँगा।
सुषमा को उसके मज़बूत झटको से आनंद आ रहा था। यासीन ज़्यादा देर तक चल नहीं पाया, दो मिनट में उसका फव्वारा सुषमा की चूत में छुट गया। मगर सुरेश कम नहीं था, उसने यासीन का गीला लण्ड बाहर निकाला और उसको चाटने और चूसने लगा। दो मिनट में यासीन फिर तैयार था, उसने सुषमा की गीली चूत में ही अपना लौड़ा पेल दिया।
चोदो मुझे ज़ोर से ! सुषमा बोली।
इस बार कोई 5 मिनट चोदने के बाद यासीन और सुषमा एक साथ झड़ गये। यासीन के जाने के बाद रुक्मणि अंदर आई और बोली- मैने ही इस लड़के को सुरेश की गाण्ड मारने की आदत डलवाई है। इसका चाचा और बाप दोनों मुझे चोद चुके हैं, रात को उन दोनों को बुलाऊंगी ! यह कह कर वो चली गई।
रात में सुषमा ने देखा कि दो बुड्ढे घर आए, दोनो साठ के आसपास होंगे। एक की दाढ़ी थी। उनकी उमर देख कर लग नहीं रहा था कि उनका लण्ड काम भी करता होगा। एक तो हाथ में लाठी लिए हुआ था।
कोई दस बजे रुक्मणि सुषमा को कमरे में ले गई।
बेटा ये यूसुफ चाचा हैं और ये अकरम चाचा ! दोनों तेरे ससुर के दोस्त हैं ! वो बोली।
दोनों आदमी एक दूसरे के कपड़े उतारने लगे। उधर रुक्मणि एकदम नंगी हो गई और सुषमा को भी नंगा कर दिया। यह देख कर लल्लू लाल जी भी नंगे हो गये। सुषमा ने देखा कि दोनों बुड्ढों के औज़ार लटके हुए थे और आंड नीचे झूल रहे थे। दोनों बुड्ढे रुक्मणि के आगे खड़े हो गये और रुक्मणि उनके लौड़े एक एक करके चूसने लगी।
भाभी लण्ड चूसने में तुम्हारा मुक़ाबला नहीं ! बुड्ढों को भी जवानी चढ़ जाए ! यह कह कर अकरम हंसे।
उधर लल्लू लाल जी ने सुषमा के मुँह में अपना मोटा सुपारा ठूंस दिया। सुषमा मज़े से चूसने लगी। सुषमा ने देखा कि कोई 5 मिनट की चूसाई के बाद दोनों बुड्ढों के लण्ड तन गये थे। उसने देखा कि एक बुड्ढे का लण्ड तो 6 इंच था मगर मोटाई उसकी कलाई जितनी थी, दूसरे का पतला था मगर लंबाई पूरी नौ इंच थी।
अब देखो तुम्हारे लण्ड तैयार हैं मेरी बहू की चुदाई की लिए ! रुक्मणि बोली।
सुषमा को लल्लू लाल जी ने बिस्तर पर लिटाया और उसके मुँह मे अपना लण्ड डाल दिया। उधर अकरम ने सुषमा की टाँगें चौड़ी की और अपना मोटा लण्ड भीतर डाल कर सुषमा को चुदाई के मज़े देने लगा। सुषमा को मज़ा आ रहा था। ससुर उसके मुँह की चुदाई कर रहे थे और अकरम चूत की।
उधर सुषमा ने देखा कि यूसुफ ने रुक्मणि को घोड़ी बनाया हुआ था। रुक्मणि जितनी बड़ी गाण्ड सुषमा ने ज़िंदगी में नहीं देखी थी। ऐसा लगता था कि जैसे दो बड़े बड़े मटके हों।
यूसुफ रुक्मणि की गाण्ड को उंगली से चोद रहा था, साथ ही थूक भी लगा रहा था।
सुषमा को अब समझ में आया कि उसकी सास पतले और लंबे लण्ड कहां लेती है।
भाभीजान, आपकी गाण्ड है या घड़ा? युसुफ बोले और अपने लण्ड को घुसाने लगे। रुक्मणि दर्द में चिल्ला रही थी- मेरी मटकी आज फोड़ ही दो ! यह कह कर वो अपनी गाण्ड हिलाने लगी। युसुफ धीरे-धीरे रुक्मणि को चोदने लगे। उधर अकरम ने रफ़्तार बढ़ा दी थी।
चाचा इतना जोर से नहीं ! सुषमा बोली।
लल्लू लाल जी ने अपना लण्ड सुषमा के मुँह से निकाला और युसुफ के पीछे पहुँच गये। दो चम्मच तेल उन्होंने युसुफ की गाण्ड में लगाया और एक ही झटके में अपने तगड़ा लण्ड यूसुफ की गाण्ड में पेल दिया। यूसुफ दोनों तरफ से मज़े ले रहा था।
भाभी मैं झड़ने वाला हूँ ! कह कर उन्होंने रुक्मणि की चूत अपने वीर्य से भर दी। उधर लल्लू लाल जी ने स्पीड बढ़ा दी थी और उन्होंने अपनी टंकी यूसुफ की गाण्ड में खाली कर दी।
इधर अकरम का पानी निकलने वाला था। सुषमा दो बार चरमसीमा पर पहुँच चुकी थी और अकरम का गरम फव्वारा उसके अंदर छुट गया।
चुदाई के बाद दोनों बुड्ढे बोले- भाभी, एक बार बहू को हमारे घर लाओ !
रात भर वहाँ जम कर चुदाई चली। दो महीनों बाद सुषमा को उल्टियाँ आने लगी।
लल्लू लाल जी, रुक्मणि, सुरेश भी सभी खुश थे। Antarvasna
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