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मेरा नाम राहुल है, मैं Sex Stories द्वितीय वर्ष का छात्र हूँ। मैं आपको जो कहानी बताने जा रहा हूँ वह गत वर्ष ग्रीष्मकाल की है।
मैं गर्मी की छुट्टियों में मुम्बई गया था। मुम्बई में मेरी चाची रहती हैं। वह वहाँ पर चेम्बुर में रहती हैं। मैं जब मुम्बई गया था तब चाची के पास मेरी चचेरी बहन भी आई हुई थी। उसका नाम रीना है। उसकी शादी हो चुकी है। उसकी उम्र चौबीस वर्ष की है। वो दिखने में बहुत ही सेक्सी है। उसके कपड़े पहनने के ढंग और रहन-सहन भी बहुत सेक्सी हैं। उसे कोई भी देखे तो उसका लण्ड खड़ा होना ही होना है।
एक दिन चाची को गाँव जाना पड़ा। वह गाँव चली गई। घर पर मैं और रीना दीदी दोनों ही थे। उस दिन शाम को मैं बोर हो गया था, इसलिए मैंने दीदी से कहा- क्यों ना फिल्म देखने चलते हैं।’
वह भी राजी हो गई, और हम फिल्म देखने चले गए। उस दिन हमने मर्डर फिल्म देखी। फिल्म में काफी गरम दृश्य थे। फिल्म देखने के बाद हम घर आए। हमने रात का खाना खाया। रात काफ़ी हो चुकी थी।
आपको तो पता ही होगा, मुम्बई में घर बहुत छोटे होते हैं। उस पर मेरी चाची एक कमरे के घर में रहती हैं। वहाँ सिर्फ एक ही बिस्तर के बाद, थोड़ी और जगह बचती थी। अब हमें सोना था। सो मैंने अपनी लुँगी ली और दीदी के सामने ही अपने कपड़े बदलने लगा।
मैंने मेरी शर्ट खोली, बाद में पैन्ट भी। मेरे सामने अब भी मर्डर फिल्म के दृश्य घूम रहे थे, इसलिए मेरे लंड खड़ा था। वो अण्डरवियर में तम्बू बना रहा था।
मेरे पैन्ट निकालने के बाद मेरे लण्ड की तरफ़ दीदी की नज़र गई, वह यह देखकर मुस्कुराई। मैंने नीचे देखा तो मेरे अण्डरवियर में बहुत बड़ा टेन्ट बना हुआ था। मैं शरमाया और मैंने मेरा मुँह दूसरी ओर घुमा लिया, फिर लुँगी बाँध ली।
पर लुँगी के बावज़ूद मेरे लंड का आकार नज़र आ रहा था। उस हालत में मैं कुछ भी नहीं कर सकता था। फिर मैंने यह भी सोचा कि दीदी यह सब देखकर मुस्कुरा रही है, उसे शर्म नहीं आ रही है, तो फिर मैं क्यों शरमाऊँ?
मैं बिस्तर पर जाकर सो गया। फिर दीदी ने आलमारी से अपनी नाईटी निकाली और कमरे का दरवाज़ा बन्द कर लिया, उसने साड़ी उतारी। वाऊ… क्या बद़न था। वह देखकर तो मैं पागल ही हो गया और मेरा लंड उछाल मारने लगा। उसने अपनी ब्लाऊज़ निकाली और बाद में अपनी पेटीकोट भी निकाल दी। वह मेरे सामने सिर्फ ब्रा और पैन्टी में खड़ी थी।
उसे उस हालत में देखकर तो मैं पागल ही हो रहा था। लेकिन वह मेरी दीदी थी, इसलिए नियंत्रण कर रहा था। मुझे डर भी लग रहा था कि मैं कुछ कर ना बैठूँ और दीदी को गुस्सा आ गया तो मेरी तो शामत आ जाएगी। उसने नाईटी पहन ली। उसकी नाईटी पारदर्शी थी, जिसमें से उसका सारा जिस्म नज़र आ रहा था।
वह मेरे पास आकर सो गई। हम दोनों एक ही बिस्तर पर सोए थे। लेकिन उस रात मुझे नींद नहीं आ रही थी। मेरे सामने उसका नंगा जिस्म घूम रहा था। और उसके मेरे पास सोने के कारण मेरा तनाव और बढ़ा हुआ था। लेकिन कुछ करने की हिम्मत भी नहीं हो रही थी।
आधे घंटे तक तो मैं वैसे ही तड़पता रहा। लेकिन बाद में मैंने सोचा कि ऐसा मौक़ा बार-बार नहीं आने वाला। अगर तूने कुछ नहीं किया तो हाथ से निकल जाएगा। मैंने सोच लिया थोड़ा रिस्क लेने में क्या हर्ज़ है। और मैं थोड़ा सा दीदी की ओर सरक गया।
दीदी मेरी विपरीत दिशा में मुँह करके सोई थी। मैंने मेरा हाथ उनके बदन पर डाला। मेरा हाथ दीदी के पेट पर था। मैंने धीरे-धीरे मेरा हाथ उनके पेट पर घुमाना चालू किया। थोड़ी देर बाद मैंने अपना हाथ उनकी चूचियों पर रखा। उसकी चूचियाँ काफ़ी बड़ी और नरम थीं।
मैंने उसकी चूचियाँ धीरे-धीरे दबानी चालू कीं। उसने कुछ भी नहीं कहा, ना ही कोई हरक़त की। मेरी हिम्मत काफ़ी बढ़ गई। मैंने अपने लंड को उसके चूतड़ पर दबाया और उसे अपनी ओर खींचा और फिर धीरे-धीरे मैं अपना लंड उसके दोनों चूतड़ों के बीच की दरार में दबाने लगा। वह मेरी ओर घूम गई। मेरी तो डर के मारे गाँड ही फट गई।
लेकिन वह भी मेरी ओर सरकी, तो मेरा लंड उसकी चूत पर दब रहा था और उसकी चूचियाँ मेरी छाती पर। मैं समझ गया कि वह सो नहीं रही थी, बस सोने का नाटक कर रही थी और वह भी चुदवाना चाहती है। अब तो मेरे जोश की कोई सीमा ही नहीं थी। मैंने उसे मेरी ओर फिर से खींचा, तो वह मुझसे थोड़ा दूर सरक गई। मैं डर गया, और चुपचाप वैसे ही पड़ा रहा।
थोड़ी ही देर बाद उसने अपना हाथ मेरे लंड पर रख दिया और मसलने लगी। मैं बहुत खुश हुआ।
उसने अपने हाथों से मेरी लुंगी निकाल दी और अण्डरवियर भी, और मेरे लंड को मसलने लगी, फिर उसने मेरे कान में कहा- वीजू, तुम्हारा लंड तो बहुत बड़ा है। तुम्हारे जीजू का तो बहुत छोटा है।’
मैंने भी दीदी की नाईटी निकाल दी और उनको पूरा नंगा कर दिया। फिर मैं उनके ऊपर लेट कर उन्हें चूमने लगा। मैं उनके पूरे बदन को चूम रहा था। वह सिसकियाँ भर रही थी। मैं उसे चूमते-चूमते उसकी चूत तक चला गया और उसकी चूत पर अपने होंठ रख दिए। उसके मुँह से सीत्कार निकल गई। फिर मैंने उसकी चूत में अपनी जीभ डालनी शुरु की, वह अपने चूतड़ उठाकर मुझे प्रतिक्रिया दे रही थी।
मेरा लंड अब लोहे जैसा गरम हो गया था। मैं उठा और उसकी छाती पर बैठ गया और मैंने लंड उसके मुँह में डाल दिया। वह भी मेरा लंड बड़े मज़े से चूसने लगी। मुझे बहुत मज़ा आ रहा था।
मैंने बाद में अपना लण्ड उसकी दोनों चूचियों के बीच में डाला और उसे आगे-पीछे करने लगा। वाऊ… क्या चूचियाँ थीं उसकी, मैं तो पागल हुआ जा रहा था।
थोड़ी देर बाद उसने कहा- वीजू, प्लीज़, अब रहा नहीं जाता, लंड मेरी चूत में डाल दो और मुझे चोदो।
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मैंने दीदी से पूछा- दीदी, तुम तो कह रही थी कि जीजू का लण्ड मेरे लण्ड से काफी छोटा है, तो तुम्हारी चूत इतनी ढीली? एक ही झटके में आधा लण्ड अन्दर चला गया।’
इस पर वह मुस्कुराई और बोली- अरे वीजू, तुम्हारे जीजू का लण्ड छोटा तो है, पर मेरी चूत ने अब तक बहुत से लण्ड का पानी चखा है।’
फिर मैंने दूसरा झटका दिया और मेरा पूरा लण्ड उसकी चूत में चला गया। फिर मैंने उसकी चुदाई शुरु कर दी।
वह भी अपनी कमर उठाकर मेरा साथ दे रही थी. उसके मुँह से आवाज़ें निकल रही थीं, वह कह रही थी- वीजू… चोदोओओओ… और ज़ोर से चोदोओओओओ… अपनी दीदी की चूत आज फाआआआड़ डालो… ओह.. वीजू… डालो और ज़ोर से और अन्दर डालो… बहुत मज़ा आ रहा है।’
उसकी ये बातें सुनकर मेरा जोश और भी बढ़ जाता और मेरी रफ़्तार भी बढ़ती जा रही थी। फिर मैं झड़ गया और वैसे ही उसके बदन पर सो गया और उसकी चूचियों के साथ खेलने लगा। उस रात मैंने दीदी की ख़ूब चुदाई की। Sex Stories
अंतर्वासना पर मैं Sex Stories कई कहानियाँ भेज चुका हूँ और इसके लिए मैं गुरु जी का शुक्रिया करना चाहता हूँ जिनकी कृपा से मेरी चुदाई सबके सामने आई और बाकी मेरे पाठकों ने मुझे वेबकैम और याहू पर देख यह बात जान ली है कि मैं कोई कहानी मनघड़ंत नहीं लिखता। एक बार फिर से सभी पाठकों को प्रणाम करते हुए मैं अपनी नवीनतम चुदाई लेकर सबकी कचहरी में फिर से हाज़िर हूँ।
अन्तर्वासना के ज़रिये मुझे दो मस्त लौड़े भी मिले हैं जोकि मैं इस चुदाई के बाद लिखूंगा। उसके लिए आपको इंतज़ार करना पड़ेगा। उससे पहले यह मस्त चुदाई दो दिन पहले करवाई।
मेरे घर के रास्ते में एक अमरुद का बढ़िया सा बाग़ पड़ता है, इस बाग़ में मैं दो बन्दों के साथ मौज मस्ती भी कर चुका हूँ, कैसी मस्ती यह आप जानते ही हो, तब सीज़न नहीं था और बाग़ खाली रहता था, आजकल भारी फसल है, मैं घर आ रहा था कि पके अमरुद देखकर सोचा कि चलो तोड़कर लाता हूँ! दुपहर में कौन होगा, यह सोच मैंने बाग़ में प्रवेश किया, काफी आगे चला गया और एक बढ़िया सा अमरुद तोड़ा और खाने लगा। चार पांच पके अमरुद अपने लिफाफे में ड़ाल लिए।
तभी जोर से आवाज़ आई- अभी कौन है? क्या रहा है बाग़ में साले?
उसने जोर से सीटी बजाई, सोचा अब क्या करूँ? यह अकेला नहीं होगा!
लिफाफा वही छुपा दिया और अपनी पतलून खोल पौटी करने की तरह उसकी ओर पीठ करके बैठ गया। सब जानते हैं, अब तो वेबकैम पर मैं अपने हर चाहने वाले को दिखा भी चुका हूँ, गोरी गोल-मोल गद्दे जैसे गांड है मेरी!
वो पीछे आकर हल्की सी सोटी(डण्डा) मेरी गांड पे मारते हुए बोला- क्या कर रहा है यहाँ?
मैंने कहा- दिख नहीं रहा?
बोला- साले! नीचे कुछ नहीं है! पागल बना रहा है अपने बाप को? उठ साला!प्लीज़ सच कह रहा हूँ! जाने दो मुझे!
इतने में दूसरा भी वहीं अ गया, मैं वैसे ही बैठा था, उनकी नज़र मेरी गांड पर टिक गई।
दूसरा वाला तो लूंगी के ऊपर से अपना लौड़ा खुजालने लगा। मैं उठा, खुद ही पतलून हाथ से छोड़ दी, पतलून नीचे गिर गई, मैं उनकी ओर पीठ करके घोड़ी की तरहं नीचे झुका और पतलून उठाई।
दोनों बोले- क्या गांड है साले की! पकड़ इसको पुलिस में देते हैं बहनचोद को!
उसने मेरी कलाई पकड़ी और बाग़ के अदंर वहाँ एक कमरा था, छोटी सी रसोई, एक पंखा लगा हुआ था, दो बिस्तर थे पास में ट्यूबवेल चल रहा था। उसने मुझे वहीं बिठा दिया और रस्सी लेने गया। मेरा दिमाग घूम सा गया, उसका एक साथी लूंगी उतार ट्यूबवेल के सामने बने चुबच्चे में कूद गया। उसके कपड़े उसके जिस्म से चिपक गए, उसका लौड़ा देख मेरी गांड में खुजली होने लगी, पानी पीने के लिए उठा।
बोला- बहनचोद भाग रहा है!
नहीं यार! भागना कहाँ? पानी पीने आ रहा हूँ मैं!
वो बार-बार कच्छे में हाथ डाल साबुन लगाता। मैं दूसरी ओर से गया, उसकी पीठ उस तरफ थी। मैंने पतलून उतार कर एक तरफ़ रख दी और शर्ट भी! मेरी चेस्ट नहीं ब्रेस्ट है! अब तो वेबकैम पर सब देख चुके हैं। यह सब अन्तर्वासना की बदौलत हुआ है। मैं उसके पीछे गया, उसकी कमर से हाथ डालते हुए उसके लौड़े को पकड़ लिया, बगल से हाथ डाल उसकी पीठ से अपना मम्मे रगड़ने लगा। वो मेरी ओर घूम गया, उसका खड़ा हो रहा था, मैंने उसको नीचे झुक मुँह में ले लिया। वो मेरे सर पे हाथ रख बालों में फेरने लगा।
उसकी आंखें बंद हो रही थी। दूसरा वाला सब देख रहा था। मैंने लौड़ा निकाल लिया और खुद भी उसके अंदर छलाँग लगा दी। पानी से मेरे मम्मे चमकने लगे।
साले क्या लड़की जैसा है तेरा बदन!
और किनारे पर बिठा लौड़े का रसपान करने लगा।
उसको भी मैंने आंख मार दी, जुबान उसके लौड़े को देख होंठों पर फिरा दी, उसका भी काम कण्ट्रोल से बाहर हो रहा था। वो उठकर आया और लूंगी खोल अंदर कूद गया। उसने कुछ भी नहीं पहना था। उसका लौड़ा बहुत भयंकर था, आधा लटक रहा था। दोनों को पास-पास ही चुबच्चे की दीवार पर बिठा खुद बीच में बैठकर चूसने लगा।
बोले- वाह यार! वाह! बहुत बढ़िया माल निकला! तेरी गांड देख कर समझ गया था कि तू अमरुद नहीं लंडरुद तोड़ने आया था, तेरे जैसे बहुत गांडू इस बाग़ में गांड मरवाने के लिए मर्द लाते हैं, लेकिन हमें पैसे देते थे। आज पहली बार कोई लौड़ा चूस रहा है। हम लोग गरीब हैं, चूत मिल जाये वही बहुत है, चुसवाना दूर की बात है!
कोई बात नहीं, मैं मिल गया हूँ ना! क्या बढ़िया से लौड़े हैं!
दोनों के पूरे तन चुके थे, पहली बार मुँह में डालने की वजह से दोनों मुँह में झड़ गए। कोई बात नहीं रे!
मैं किनारे पर लेट गया, दोनों के लौड़े हाथ में ले लिए और उनके सर को अपने मम्मों की ओर करते हुए एक-एक मम्मा दोनों ने पकड़ चूस लिया। इतने में उनके मैंने फिर खड़े कर लिए मुंह में लेकर पूरी तरह से खड़े कर लिए और काफी साबुन की झाग बना उनके लौड़ों पर लगा दी।
उनके कमरे में ले गया, मैंने गांड के नीचे तकिया रख टांगे खोल दी और एक को बीच में आने का इशारा कर दूसरे का मुँह में डाल लिया। अपने हाथ से लौड़ा छेद पर टिकाया दोनों ओर से ऊँगली डाल गांड खोल दी। लेकिन मैंने उसे वहीं रोक दिया। मटकता हुआ पतलून से कंडोम निकाले जो मैं रिज़र्व में अपने साथ रखता हूँ, छोटे-मोटे और साधारण नहीं, महंगे! जिन्हें डाल कर पता भी न चलता कि डाला है या नहीं!
उसका लौड़ा फ़िर से अपनी गाण्ड के छेद पर टिका लिया, उसने झटका दिया और उसका टोपा मेरी गांड में फंस गया।
मैंने कहा- निकालकर दुबारा डालो! इस कंडोम में बहुत चिकनाहट है!
इस बार उसने पूरा लौड़ा धीरे-धीरे कर घुसा दिया। उसके बाद उसने ऐसे झटके मारे जिससे मेरा ढांचा हिलने लगा, हड्डी से हड्डी बजाने लगा बेरहम बन कर! कुछ पल में मुझे आनन्द आने लगा। उधर एक का लौड़ा पहले से मुँह में घुसा हुआ था। उसका लौड़ा मैं लॉलीपॉप की तरह चूसने लगा। दूसरी तरफ मेरी गाण्ड बज़ रही थी और एक तरफ स्वादिष्ट लौड़ा मेरे मुँह में! मेरे होंठों में सोने पर सुहागा हो रहा था। वहाँ पर अह उह और मार बेन्चोद दे मेरी आज फाड़ डाल इस कमीनी को हाय मेरा रजा रोज़ तुझ मरवाने आऊँगा इतना कस कर छोड़ रहा है तूँ साले असली मर्द है! अहऽऽ ओहऽऽ मेरे आशिक!
जब मैं बोलता, उसका लौड़ा निकालना पड़ता!
उसने मेरे बालों को बुरी तरह से पकड़ लिया और जोर-जोर से मेरे मुँह में अन्दर-बाहर करने लगा। वो मुंह से बाहर नहीं आने दे रहा था, हलक में उतार देता, मैं खांसने लगता। उधर झटके पर झटका तेज़ होता गया और कुछ देर में उसने पिचकारी छोड़ दी। कंडोम उतार उसने गीला लौड़ा मुँह में डाल दिया और मैंने साफ़ कर दिया।
आजा मेरे राजा! तेरी बारी है अब! उस पर भी कंडोम लगा दिया और उसके सामने घोड़ी बन गया। उसने पीछे आकर डाल दिया- अह उह उह अह मार साले मार मेरी ऐसा जुगाड़ कभी नहीं मिलेगा और ना मिला होगा!
जुगाड़ हूँ मैं पक्का जुगाड़ हूँ! मैंने कहा- अपने नीचे डाल ले! मुझे अच्छा लगता है किसी मर्द के नीचे लेट कर उसके बदन से चिपक कर लौडे का स्वाद लेता हूँ!
उसने सीधा लिटा दिया और टाँगे चौड़ी करवा कर डाल दिया अन्दर! और मैं अपना मम्मा उसके मुँह के पास लाया तो वो मुँह में डाल निपल को जुबान से छेड़ता तो मेरी मस्ती का आलम न रहता। मैं चूतड उठा उठा मरवाने लगा- हाय, साले! मेरी माँ चोद दे! बहन चोद दे! मेरी फाड़ डाल! फाड़ डाल! हाँ फाड़! फाड़!
ऐसे बातें सुन उसका जोश बढ़ा और वो तेज़ तेज़ धक्के लगा, उसका काम भी तमाम हो गया, उसका भी निकाल साफ़ किया।
और कपड़े पहनते हुए कहा- आते-जाते गांड मरवाने आऊँगा!
दोस्तो, यह थी मेरी नवीनतम चुदाई!
सभी पाठकों की शिकायत थी कि अगली चुदाई क्यूँ नहीं लिख रहा! सो कैसी लगी बताना! Sex Stories
दोस्तो, मैं अजय 32 साल का हूं Antarvasna और यह कहानी तब की है जब मैं 25 साल का था।
मैं दसवीं के विद्यार्थियों को ट्यूशन पढ़ाया करता था। मेरे पड़ोस में एक परिवार रहता था, पति-पत्नी, उनकी 5 लड़कियाँ, एक लड़का और बच्चों के दादा। बड़ी लड़की दसवीं में पढ़ती थी। आदमी दिल्ली में नौकरी करता था।
मुझे ट्यूशन पढ़ाते देख सीता भाभी ने मुझे अपने घर बुलाया और कहा -मेरी बेटी की दसवीं की परीक्षा है, घर की हालत ठीक नहीं है, क्या आप उसको कभी कभार दस-बीस मिनट कभी भी शाम को या रात में थोड़ा पढ़ा देंगे?
मैंने कहा- हाँ! क्यों नहीं! कल से ही आ जाऊँगा।
दूसरे दिन फ़िर उसने मुझे कहा तो रात को मैं उनके घर चला गया, थोड़ी देर पढ़ाया और चला आया। फ़िर मैं रोज़ जाने लगा। पढ़ाई के समय सीता भाभी हमारे पास ही बैठती थी।
एक रात जब मैं पढ़ा रहा था तो सीता ने अपनी बेटी के सामने ही कहा- आप बहुत थक जाते होंगे, लाईये मैं आपके पैर दबा दूं!
पता नहीं क्यों मैं भी इन्कार ना कर सका और वो मेरे पैर दबाने लगी। मेरे शरीर में कुछ हलचल सी होने लगी। थोड़ी देर में मैं वहाँ से चला आया पर रात भर नींद नहीं आई क्योंकि पहली बार किसी औरत ने मेरे बदन को छुआ था।
अगले दिन से वो रोज़ मेरे पाँव दबाने लगी, पर उसका हाथ धीरे धीरे ऊपर की ओर बढ़ने लगा। एक दिन वो जिद करके तेल लगाने लगी। उस समय मैं उसकी बेटी को बायोलोज़ी पढ़ा रहा था। अचानक वो मेरे लण्ड पर तेल लगाने लगी। मेरा लण्ड खड़ा हो गया। जब मैंने उसकी ओर देखा तो वो मुस्कुराने लगी। जब मैंने आने लगा तो उसने कहा कि पेट दर्द की कोई दवाई हो तो देना।
करीब 9 बजे मैं दवाई देने गया तो दरवाज़ा खुला था, सीता के ससुर सोए हुए थे, मेर हाथ पकड़ कर वो मुझे अपने कमरे में ले गई। बच्चे दूसरे कमरे में सोए हुए थे। उसने भीतर से दरवाज़ बन्द किया और तेल लेकर आई और बोली- उस समय ठीक से लगा नहीं पाई थी। वो तेल लगाने लगी पर कुछ देर बाद तेल के बहाने वो मेरे लण्ड को सहलाने लगी। मेरा लण्ड तो पूरा खड़ा हो गया। मेरी सहनशक्ति समाप्त हो गई। मैंने उसे बाहों में कस कर जकड़ लिया और धीरे धीरे उसे बिछावन पर ले गया।
बिछावन पर जाते ही उसने मेरे कपड़े उतारने शुरू कर दिए। मैं भी कुछ नहीं बोला। वो साली मेरा लण्ड खाने को बेताब थी ही। उसने सहलाते सहलाते मेरा लण्ड अपने मुँह में ले लिया और चूसने लगी। लण्ड चूसते हुए वो अपनी कमर भी ऊपर नीचे कर रही थी। मैं तो जैसे ज़न्नत में था। मेरे मुंह से ओह! भाभी और जोर से! ओह सीता ओह! मेरी रानी और तेज़! जैसे शब्द निकल रहे थे। उसकी कमर ऊपर नीचे होती देख मैंने पूछा- भाभी! यह क्या कर रही हो, तो उसने झट मेरा हाथ पकड़ कर अपनी बुर पर रख दिया। उससे पानी निकल रहा था।
अब उसने मेरी उंगली अपनी बुर में जोर से ठेल दी। उंगली घुसते ही उसने ज़ोर से ओह! कहा और बोला- देवर जी, एक उंगली और घुसा दो मेरी चूत में… और तेजी से अन्दर बाहर करो और मेरी बुर को चोदो।
मैंने पूछा- भाभी, क्या इसे ही चुदाई कहते हैं?
तब उसने कहा- देवर जी! तुम पढ़ाई में तो काफ़ी तेज़ हो पर चुदाई में निरे बुद्धू हो। यह तो तुम उंगली से चोद रहे हो, पर जब तुम अपना यह मोटा हथियार मेरी बुर में घुसाओगे तब होगी असली चुदाई। पर वो सब बाद में। अभी तो तुम 69 की अवस्था में हो कर उंगली ही अन्दर बाहर करो।
मैं वैसा ही करने लगा जैसा भाभी ने बताया। वो सेक्स के जोश में गंदी गंदी बातें कहने लगी।
मैं पेल रहा था और वो कहती जा रही थी- जोर से और जोर से मेरे राज़ा! मेरे पति ने तो कभी ऐसे प्यार ही नहीं किया, साला सिर्फ़ लण्ड पर तेल मालिश करवाता है। जब लण्ड खड़ा होता तो मेरे गर्म ना होते हुए भी लण्ड मेरी बुर में घुसा देता है और अपना धात जल्दी ही गिरा कर सो जाता है। इस भौंसड़ी बुर ने भी छः कैलेण्डर निकाल दिए पर इसकी आग शान्त नहीं हुई। पर मेरे राज़ा तुम नादान हो, जैसा मैं कहती हूँ तुम वैसा करो, तुम चुदाई जल्दी ही सीख जाओगे। मैं तुम्हारा लण्ड चूस कर इस पर तेल लगा कर घोड़े जैसा बना दूंगी, फ़िर उस घुड़लण्ड से रोज़ चुदवाऊँगी।
इतना कह कर सीता भाभी ने फ़िर मेरा लण्ड चूसना शुरू कर दिया। मैं भी अपनी उत्तेज़ना में उसकी बुर में अपनी तीन उंगली तेजी से घुसा निकाल रहा था, पर छः बच्चों के जन्म ने उसकी बुर का भौन्सड़ा बना दिया था। अतः उंगली कहाँ जाती, पता ही नहीं चलता। वो वाह रे मेरे राज़ा! तेजी से करो, जैसे शब्द कह कर शान्त पड़ गई, वो झड़ गई।
इतने में मैंने कहा- भाभी! मेरे भीतर से कुछ निकलने वाला है!
इतना सुन कर उसने मेरे लण्ड को मुंह से निकाला और हाथ से मेरे लण्ड को आगे पीछे करने लगी। मुझे बहुत मजा आ रहा था। कुछ ही देर में मेरे लण्ड से फ़व्वारा निकला और उस की साड़ी पर गिरा। उसने हंसते हुए कहा कि देवर जी, सारी साड़ी खराब कर दी ना! अब अपनी भाभी को नई साड़ी ला कर देना। पर कोई बात नहीं, अब तो मेरी साड़ी रोज़ खराब होनी है, क्योंकि जब तक तेरे भैया नहीं आ जाते, मैं तो तुमसे रोज़ चुदवाऊँगी, तुझे चुदाई में एक दम होशियार कर दूंगी। पर उनके आने के बाद भी मुझे छोड़ना नहीं, उनका लण्ड तो पुराना हो गया है पर तेरा तो जवान है। मैं समय निकाल कर तुमसे जरूर चुदवाऊँगी।
इतना कह कर वो बाहर गई, पानी लाई और मेरा लण्ड साफ़ किया और फ़िर से मेरा लंड चूसने लगी। तो मैंने कहा- अभी जाने दो, कल आऊँगा।
उसने कहा- ठीक है! कल तुम्हें असली चुदाई सिखाऊँगी और मजा दूंगी। Antarvasna
हाय ! मैं राहुल कुमार एक Antarvasna Stories बार फिर आप लोगों को अपनी एक सत्य कथा लिखने जा रहा हूँ।
बात उन दिनों की है जब मैं स्कूल में बारहवीं कक्षा में पढ़ता था, हमारी किताबों की दुकान थी और एक आँटी उम्र में लगभग 25-27 की, जब भी वो मुझे अकेले दुकान में देखती थी, वो मुझे सच्चे किस्से, मनोहर कहानियाँ जैसी किताबें दिखाने को कहती थी। आँटी का नाम रमणी था और वो मलयालम थी, उनकी तब तक शादी भी नहीं हुई थी, वो स्टेट बैंक में काम करती थी। वो हमेशा मेरे साथ मजाक कर लिया करती थी और मैं जब भी उन्हें आँटी कहता था वो कुछ नाराज़ सी हो जाती थी।
एक दिन आंटी ने मुझे अपने घर आने को कहा। रविवार का दिन था, मैं आँटी के घर पहुँच गया। मैंने दरवाज़े पर घण्टी बजाई तो आँटी ने दरवाज़ा खोला, मुझे देख कर कहा- अरे संजय तुम कब आए?
मैंने कहा- बस आँटी, अभी अभी आया हूँ, क्या घर में कोई नहीं है?
आँटी ने कहा- क्यों नहीं ! मैं और तुम तो हैं, आओ, अन्दर आ जाओ।
मैंने कहा – ओ के।
आँटी ने एक मैक्सी पहनी हुई थी।
आँटी ने कहा- संजय तुम चाहे तो नहा धो कर फ़्रेश हो लो… अन्दर सारी सहूलियत है…
मैं नहा कर आ गया फिर आँटी ने कहा- संजय मैं भी नहा कर आती हूँ, फिर खाना खायेंगे।
आँटी नहा कर आ गई और आँटी ने जानबूझ कर मेरे सामने ही कपड़े बदलना शुरु कर दिया पर मैं आँटी की तरफ़ चोर नज़र से देख रहा था। आँटी ने मेरी तरफ़ पीठ करके अपना ब्लाऊज और ब्रा उतार दिया और एक हल्का सा टॉप डाल लिया। आँटी नीचे से पज़ामा आधा पहना और पेटीकोट उतारने लगी। आँटी ने जानबूझ कर पेटीकोट छोड़ दिया। पेटीकोट नीचे गिर पड़ा और आँटी एकाएक नंगी हो गई। आईने में आँटी ने देखा तो मुझे उनकी ओर देखता पाया, उसने तुरन्त झुक कर पजामा ऊपर खींच लिया।
आँटी ने ऐसा जताया कि जैसे कुछ हुआ ही नहीं है। पर मेरी नजरें बदल रही थी उन्हें निहार रहा था।
मेरा ध्यान तो उन पर लगा था …. और उनका ध्यान मुझ पर था। हम दोनो एक दूसरे को छूने की कोशिश कर रहे थे।
उसने बातचीत शुरू की, उसने हालचाल पूछा, फिर वो पूछने लगी कि तुम हर समय मुझे देखते क्यों रहते हो?
मैंने कहा- यह बात आप अपने आप से पूछो !
तभी वो कहने लगी- सर दर्द हो रहा है।
मेरे से रहा नहीं गया, मैंने उसको आग्रह किया कि अगर आप बुरा ना माने तो मैं आपके माथे पर थोड़ा बाम लगा देता हूं, आप मेरे गोद पर सर रख लीजिये !
उसने इनकार नहीं किया। मैंने थोड़ा बाम हाथ में लिया और धीरे धीरे उसके सर पर लगा कर सहलाना चालू किया। मेरे हाथ का स्पर्श पाते ही उसके गले से सिसकारियाँ निकलने लगी।
मैं मौके को भाँपते हुए बिस्तर के ऊपर बैठ गया, मुझे यह पता करना था कि आग दोनो तरफ है या एक तरफ?
उसने देखते ही देखते उठ कर मुझे पकड़ा और अपने साथ बराबर में मुझे ले कर लेट गई और कहने लगी- जो भी चाहते हो कर लो ! सब तुम्हारा है। हम दोनों ही प्यासे हैं ! आज जी भर के हमें प्यार करो, हम बहुत प्यासे हैं।
उसने मुझे नंगा कर दिया और अपने कपड़े भी उतार कर फेंक दिए और फिर उसने अपनी टांगें फैला कर इशारा किया कि आज इसकी प्यास मिटा दो।
मैंने उस पर लेट के उसको होटों को चूमना चालू किया। फ़िर मैं उसके चूचुक को मुँह में लेकर चूसने लगा, जैसे उसको कुछ होने लगा। वो मस्त हो के उछलने लगी। मैंने उसकी निपल को अपने दोनों दांतों के बीच दबा के जोर से चूसना चालू कर दिया और दूसरे हाथ से उसके दूसरे स्तन को जोर से दबाने लगा।
मैं हब्शी की तरह उन पर टूट पड़ा, ऐसे जैसे कि किसी ने बरसों से खाना ना खाया हो। उनके स्तनों को मैं इतने ज़ोर ज़ोर से दबा रहा था कि वो बुरी तरह काम्प रही थी।
कभी स्तनों को पीता तो कभी उनके होंठों को चूसता और दूसरे हाथ से स्तनों को मसल रहा था। मैं उनके स्तन को पूरा अपने मुँह में भर लेना चाहता था पर मेरी किस्मत ! स्तन बड़े थे और मेरा मुँह छोटा। पर कोई बात नहीं !
उसने मेरे लण्ड को, जो तन कर मोटा हो गया था, पकड़ लिया। वो हाथ में लेते ही बोली- ये तो बहुत बड़ा है मैं तो मर ही जाऊंगी, उसको बुरी तरह चूसना चालू कर दिया। वो मेरे लंड महाराज को इस तरह चूस रही थी मानो जन्मों-२ से प्यासी हो !
फ़िर मैंने उसकी पेंटी निकाली तो वो पूरी तरह भीग चुकी थी। मैंने उसकी चूत में हाथ घुमाना चालू किया वो अपने आप से बाहर हो गई थी।
मैंने उनके चूत पे अपना मुंह रख के उसमें अपनी जीभ रख दी तो वो मचल उठी और चिल्ला पड़ी- मर गई मेरे राजा।
फ़िर क्या था, मैंने आँटी के होंठों को चूमना शुरू कर दिया ! लग रहा था कि मानो वो होंठ नहीं गुलाब की पंखुड़ियाँ हों। धीरे धीरे मेरा लण्ड मिनार की तरह खड़ा हो गया।
फ़िर मैंने उनके मुँह में अपना प्यारा और सेक्सी लण्ड रख दिया और 69 की अवस्था में हो गया। उसकी चूत पर एक भी बाल नहीं था। मैं उनकी चूत इतने प्यार से चूस रहा था कि उसके एक बार तो निकल भी गया।
उसने मुझे अपनी बाहों में जकड़ लिया… और बेशर्मी से अपने होंठ मेरे होंठों से चिपका दिये।
वो मुझसे बोली- अब और मत सताओ और अपना लंड मेरी चूत में डाल दो।
मैं अभी और मजा लेना चाहता था पर उसके बार बार कहने पर मैं उसकी टांगों के बीच में बैठ गया। मैंने उसकी दोनों टांगें ऊपर उठाई मैंने अपना लंड उसकी चूत पर रख थोड़ा जोर लगाया। पर चूत टाइट होने के कारण अन्दर जाने में दिक्कत हो रही थी। मैंने अबकी बार थोड़ा सैट करके जोर लगा तो मेरा लंड थोड़ा अन्दर चला गया।
पर वो चिल्लाई- प्लीज, आराम से करो ! दर्द हो रहा है !
मैंने कहा- ठीक है ! पर थोड़ा तो सहना पड़ेगा !
उसने गर्दन हिलाई। मैंने उसकी टांगों थोड़ा और ऊपर उठा कर जोर लगाया तो मेरा आधा लंड उसकी चूत में समां गया। मैंने फ़िर से धक्का लगाया और पूरा लंड उसकी चूत में डाल दिया और धक्के लगाने शुरू कर दिए।
वो बोले जा रही थी- प्लीज आराम से करो, दर्द हो रहा है।
पर मैं अपनी मस्ती में धक्के लगा रहा था। अब वो भी मेरा साथ दे रही थी, बोल रही थी- राहुल मेरी चूत को जरा और जोर से चोदो !
मैने अपने धक्के लगा कर चूत की गहराई तक अपना लण्ड गड़ा दिया। अब मैं उसके ऊपर लेट गया और अपने हाथों से शरीर को ऊंचा उठा लिया। मुझे लण्ड और चूत को फ़्री करके तेजी से धक्के लगाना अच्छा लगता है। अब मेरी बारी थी तेजी दिखाने की। जैसे ही मैने अपना पिस्टन चलाना चालू किया वो भी बड़े जोश से उतनी ही तेजी से अपने चूतड़ों को उछाल उछाल कर साथ देने लगी।
“तू तो गजब का चोदता है रे… मुझे तू ही रोज़ चोद जाया कर…”
“मत बोलो कुछ भी…… मुझे बस चोदने दो… हाय रे…कितना मजा आ रहा है…”
और वो झड़ने लगी। मैने भी लण्ड अब उसके भोंसड़े में जोर से गड़ा दिया। और जोर लगाता रहा…दबाव से मेरे लण्ड ने वीर्य की पिचकारी छोड़ दी। मेरा लण्ड झटके मार मार कर वीर्य उसके चूत में छोड़ रहा था, मुझे अपनी टांगों के बीच मुझे जकड़ लिया था। दोनो का रस एक साथ ही निकल रहा था। मैं उसके ऊपर गिर पड़ा उसने मुझे जोर से अपनी बाहों में भर लिया। हम कुछ देर इसी तरह पड़े रहे फिर अलग हो गए।
और इस तरह उस दिन हमने चार बार मजा लिया। फिर उसने मुझे प्यार से गले लगा कर विदा किया।
इसके बाद उसने मुझे सात आठ बार बुलाया। जिसके लिए वो मेरा अहसान मानती है।
मेरी कहानी कैसी लगी बताना। Antarvasna Stories
मेरा नाम राहुल है Hindi Porn Stories और मैं आगरा का रहने वाला हूँ। मेरे घर में तीन ही लोग हैं, मैं, पिताजी और माँ।
बात उस समय की है जब मैं पढ़ता था। मेरे पड़ोस में शर्मा जी का घर था, उनकी दो बेटियाँ थी, एक तो मेरे साथ ही पढ़ती थी। मैं पढ़ने में काफी होशियार था इसलिए कई बच्चे मुझसे सवाल पूछा करते थे और मैं भी सबकी मदद कर देता था। मैं अपने मोहल्ले का काफी सीधा लड़का था।
अब मैं आप लोगो को शर्मा जी की बेटियों के बारे में बताता हूँ। बड़ी का नाम सीमा और छोटी का अंशु था। दोनों की जवानी उभार पर थी पर छोटी वाली तो कुछ ज्यादा आगे थी। सीमा का फिगर बड़ा मस्त था 24-36-24, पर रंग थोड़ा सांवला था। अंशु तो गजब की बाला थी, गोरा रंग और गजब का फिगर ! ऐसा कि देखते ही चोदने का मन करे और कई लड़के तो खड़े-2 मुठ मार दें ! फिर भी मैं इन सब पर ध्यान नहीं देता था।
एक दिन की बात है, मैं शाम को घर के बाहर टहलने निकला, तभी अंशु दौड़ती हुई मेरे पास आई और कहा- दीदी आपको बुला रही है, उन्हें कुछ पूछना है।
मैं चलने को तैयार हो गया और उसके पीछे पीछे उसके घर चला गया। वहाँ देखा तो सीमा कुछ पढ़ रही थी। उसके मम्मी-डैडी कहीं बाहर गए हुए थे और घर पर बस वही दोनों थी।
अंशु ने मुझे एक सोफे पर बैठाया और पानी लेने चली गई। तब तक सीमा अपनी किताब लेकर मेरे पास आ गई। उसने आसमानी रंग की एकदम पतली नाइटी पहन रखी थी जिसमें से उसकी काली रंग की ब्रा-पैंटी साफ़ झलक रही थी।
पहले तो मैं थोड़ा शरमाया पर सब सही हो गया। वो मेरे सामने वाली कुर्सी पर बैठ गई और सवाल पूछने लगी। सवाल पूछते-2 वो कुछ ऐसा कर रही थी कि उसके स्तन मुझे दिख जाएँ। मेरी नजरें उसके वक्ष पर अटक गई। वह अपनी सफलता पर थोड़ा मुस्कुराई और फिर आगे पूछने लगी।
तब तक अंशु पानी लेकर आ गई। वह आगे बढ़ी और एक कुर्सी से टकरा गई और पानी मेरी पैंट पर गिर गया। मैं घबरा गया। सीमा के स्तन देखते हुए मेरा लंड एकदम कड़क हो गया था।
अंशु ने मुझसे माफ़ी मांगी और एक तौलिया दे दिया। मैं बाथरूम में चला गया। तभी सीमा वहाँ आ गई और मेरा हाथ पकड़ लिया।
मैं काफी डर गया और अपना हाथ खींच लिया।
वो अंशु को बुलाते हुए बोली- देख रे कैसा शरमा रहा है, जैसे कभी लड़की ही नहीं देखी।
अंशु भी आ गई और वो दोनों मुझे बेडरूम में ले गई।
मैं सिर्फ अंडरवियर और शर्ट में था।
मुझे देख कर सीमा बोली- हाय रे ! कातिल कहाँ छुपा था अब तक?
अब उन दोनों ने मुझ पर सेक्सी कमेंट्स करने शुरु कर दिए।
मैं बेचैन हो गया और उनसे कहा- मुझे जाने दो !
पर वो भला कहाँ मानने वाली थी।
अंशु ने पीछे से मुझे पकड़ लिया और मेरे शर्ट के बटन खोल दिए। सीमा भी आगे से मेरे ऊपर चढ़ गई और अपने स्तनों को मेरे सीने पर दबाने लगी और मुझे बेतहाशा चूमने लगी।
मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा था। तब उसने मेरे अंडरवियर में हाथ डाला और मेरे लिंग को दबाने लगी।
तभी अंशु ने पीछे से एक ब्लू फिल्म चला दी और कहा- तुम तो काफी ठंडे लगते हो, क्या पहले तुमने ये सब नहीं किया?
मैंने ना में जवाब दिया।
ब्लू फिल्म देख कर मुझे भी जोश आने लगा और मेरा लिंग तनकर 8 इंच का हो गया।
मैंने सीमा की नाइटी उतार दी और ब्रा के बाहर से ही उसके उरोजों को दबाने लगा। क्या सॉलिड बूब्स थे उसके ! मन तो कर रहा था कि काटकर खा लो।
मैंने उसकी पैंटी में ऊँगली डाली और उसकी योनि में ऊँगली करने लगा। उसकी चूत में से पानी आने लगा।
मैंने उसकी ब्रा का हुक खोल दिया और पैंटी भी उतार दी, उसने भी मेरा अंडरवियर उतार दिया। अब दोनों एकदूसरे के सामने नंगे खड़े थे। मैंने पहली बार चूत के दर्शन किए थे। उसकी गुलाबी रंग की चूत पर एक भी बाल नहीं था। उसके बड़े-2 चूतड़ उसको और हसीं बना रहे थे।
मेरे लिंग को देखते ही वो बोली-कितने गंदे हो तुम ! कभी अपनी झांटें भी साफ़ कर लिया करो !
मैंने कहा- डर लगता है ! कहीं कट गया तो?
उसने अपनी बहन अंशु से ब्लेड मंगाया और कहा- आओ, मैं तुम्हारी झांटें बना देती हूँ।
वो मुझे बाथरूम में ले गई और झांटे साफ़ करने लगी और इस बीच मैं उसके स्तन दबाता रहा।
इसके बाद उसने शॉवर चला दिया और हम दोनों उसके नीचे भीगने लगे। एक तरफ पानी और दूसरी तरफ आग, पर आज पानी भी आग को नहीं बुझा पाया।
उसने मेरा लिंग मुँह में ले लिया और चूसने लगी। मैं भी उसकी चूचियों को चूसता रहा और चूत में ऊँगली करता रहा।
उसका बदन जलने लगा और कहने लगी- अब और न तड़पाओ मुझे। चोद दो इस चूत को। फाड़ दो इसे अपने फौलादी लंड से।
मुझसे भी अब रहा नहीं जा रहा था। मैंने उसकी कमर पर हाथ लगाया और उसकी चूत पर निशाना लगाते हुए अपना लंड आगे दिया। पर मेरा लंड किनारे हो गया। उसकी योनि काफी कसी थी। उसकी गुलाबी चूत शायद अभी तक कुंवारी थी। मैंने २-३ बार कोशिश की पर सफल नहीं हुआ।
फिर उसने मेरे लंड पर शैंपू लगाया और अपनी योनि पर भी। अब धीरे से उसने मेरे लंड को योनि के मुख पर टिकाया और मुझसे धक्का लगाने को कहा, वो खुद भी धक्का लगाने लगी। शैंपू की चिकनाहट के कारण लिंग योनि में सरकता चला गया।
आधा अन्दर जाते ही वो जोर से चिल्लाईई और बाहर निकालने के लिए कहने लगी।
मैंने अपने होंठ उसके होठों पर रख दिए और उसके स्तन दबाने लगा। धीरे-2 उसका दर्द कम हुआ, तभी मैंने लिंग को थोड़ा बाहर खींच कर पूरी ताकत से पेल दिया। वो तड़प उठी।
मैं फिर उसके होठों को चूमने लगा। धीरे-2 वो जोश में आने लगी और अपने चूतड़ उछाल-2 कर मजे लेने लगी। मैंने भी अपनी स्पीड बढ़ा दी।
करीब दस मिनट बाद वो झड़ गई और उसकी चूत ने पानी छोड़ दिया पर मैं अभी भी लगा रहा।
पाँच मिनट बाद मैंने भी वीर्य की पिचकारी उसकी चूत में छोड़ दी और उसके ऊपर लेट गया।
तभी उसकी बहन अंशु वहाँ आ गई और कहने लगी- अब मेरी प्यास भी मिटा दो।
मैंने देखा सीमा वहीं शॉवर के नीचे पड़ी है और उसकी चूत से पानी और खून निकल रहा है।
मैंने सीमा को वहीं छोड़ा और अंशु के पास पहुँच गया।
जैसा मैंने पहले ही बताया था कि अंशु सीमा से भी ज्यादा सेक्सी माल थी और ऊपर से उसका गोरा रंग और गजब ढा रहा था।
मुझे ऐसा लगा की कोई परी मेरे सामने खडी है और कह रही है- आओ, मुझे चोद दो, मेरी चूत की प्यास बुझा दो।
मैंने उसे उठाया और बेड पर लिटा दिया और खुद उसके ऊपर लेट गया। उसने कसकर मुझे पकड़ लिया और उसकी चूचियों का नरम-2 एहसास मुझे अपने सीने पर होने लगा।
मैंने उसके होंठों पर अपने होंठ रख दिए और चूसने लगा, धीरे से मैंने उसके होंठों को थोड़ा काट लिया। उसके पूरे बदन में आग लग गई, उसने भी मुझे चूमना शुरु कर दिया।
फिर मैंने उसे थोड़ा अलग किया और उसके स्तन दबाने लगा। वो भी मेरा लिंग दबाने लगी और लिंग को चूसना शुरु कर दिया। मेरा लंड फिर खड़ा हो गया। मैं भी उसकी चूत में ऊँगली डालने लगा और उसके स्तनों को चूसने लगा।
अंशु की योनि तो सीमा से भी मस्त और कसी थी। उसको देख कर ऐसा लगता था मानो भगवान् ने फुर्सत में उसे बनाया है।
तभी उसकी चूत ने पानी छोड़ दिया और मैंने भी अपना वीर्य उसके मुँह में भर दिया, उसने पूरा वीर्य पी लिया और लिंग को चाट-2 कर साफ़ करने लगी।
मेरा लिंग एक बार फिर मैदान में आ गया और इस बार उसका निशाना सिर्फ अंशु की चूत थी। अंशु भी गरम हो गई थी और बार-2 मुझे छोड़ने का निमंत्रण दे रही थी।
मैंने उसकी गांड के नीचे तकिया लगाया और उसकी टांगों को अपने कंधे पर रख लिया। मुझे पता था कि अंशु की चूत भी अभी कुंवारी है इसलिए मैंने धीरे से उसकी योनि का मुँह फैलाया और उस पर लंड का सुपारा टिका दिया।
मैं उसके होंठों को चूमता रहा और एक उसके पुष्ट उरोजों को दबाते हुए हल्का सा झटका दिया और मेरा लंड आधा अंशु की चूत में पंहुच गया।
वो दर्द से चीख पड़ी पर मैंने उसे ज्यादा मौका नहीं दिया और उसके होंठों को चूसता रहा। उसकी झिल्ली फट चुकी थी, मैंने उसका कौमार्य भंग कर दिया था।
मैंने थोड़ा पीछे होते हुए पूरी ताकत से लंड उसकी चूत में डाल दिया।
वो तड़प उठी पर थोड़ी ही देर में उसे मजा आने लगा और वो चूतड़ उछाल-2 कर साथ देने लगी।
करीब 15 मिनट बाद वो झड़ गई। मैंने अपना लंड बाहर निकाला और उसे कुतिया की पोजिशन में कर दिया और फिर उसी तरह करीब आधे घंटे चलता रहा।
तभी उसने कहा- राहुल, अब मैं झड़ने वाली हूँ।
मैं भी झड़ने वाला था, मैंने अपनी स्पीड बढ़ा दी और हम दोनों एक साथ स्खलित हो गए। वो मुझसे चिपक गई और निढाल हो गई।
उस रात हम तीनों ने चुदाई के कई राउंड चलाये। जिसमें दो बार मैंने उन दोनों की गांड मारी और चूत को फाड़ कर भोंसड़ा कर दिया।
उसके बाद भी हमे जब भी मौका मिलता हम पूरा फायदा उठाते।
अंशु की चूत तो अब भी वैसी ही टाइट लगती है। कई बार मैंने उनकी सहेलियों के साथ भी सम्बंध बनाए।
पर यह अगली बार।
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