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मैं सीमा हूं। 35 साल की होने पर भी Antarvasna अकेली हूं और शादि के बारे में नहीं सोचा। मैं अपनी बूढी मां के साथ रहती हूं।
मेरा एक भाई और दो बहनें शादीशुदा हैं और वो अलग रहते हैं।
मेरे 38 आकार के सुडोल स्तन हैं और मेरी कुंवारी चूत जिसमें एक लाल छेद है, पर मुझे गर्व है। मेरे पिता की काफ़ी पहले मौत हो गयी थी। तब से मैं ही मां की देखभाल कर रही हूं। मेरी बड़ी बहन विधवा है इसलिये मां को अक्सर उसके पास जाना पड़ता है। मैं बाल मन्दिर विद्यालय में अधयापिका हूं।
नजदीकी रिश्तों में मेरे एक मौसी, मौसा और उनके दो बच्चे हैं। मेरी मौसी अपने परिवार के साथ खुश हैं। अपनी जिन्दगी में मैने जितने मर्दों को देखा है उन में मैं अपने मौसा को पसंद करती हूं। वो एक शान्त स्वभाव, अच्छे पति, अच्छे पिता और अच्छे मित्र हैं। मेरे पिता की मौत के बाद उन्होंने हमारे परिवार की देखभाल की।
एक बार बरसात के मौसम में मां दीदी के घर गयी हुई थी, हल्की बारिश हो रही थी और मैं अकेली ब्लाउज और पेटिकोट में बैठी टी वी पर कोई अन्गरेजी फ़िल्म देख रही थी। घर पर अक्सर मै ब्रा पैन्टी नहीं पहनती हूं। किसिंग सीन चल रहा था। रात के 11 बज रहे थे।
तभी दरवाजे पर घंटी बजी। मुझे हैरानी हुई, पहले मैने टी वी बन्द किया फ़िर दुपटटा औढ कर दरवाजे तक गयी और अन्दर से ही पूछा कि कौन है?
लेकिन जवाब नहीं मिला।
मैने धीरे से दरवाजा खोला तो मौसाजी को देखा, वो बोले- हैलो सीमा कैसी हो, तुम्हारी मां कहां है?
मैने कहा अन्दर तो आइये!
मौसाजी अन्दर आये- ओह क्या मम्मी नहीं है?
मैने कहा- दीदी के वहां गयी है.
‘तो मैं चलता हूं।’
मैने कहा- क्या यह घर नहीं है?
‘नहीं ऐसा नहीं…’ उन्होने कहा- तुम कहती हो तो रुक जाउंगा.
बारिश भी बढ़ गई थी।
हम दोनो भीतर आये, मैने पानी दिया तब उनकी नजर मेरी नजर से टकराई मैं भूल चुकि थी कि मैने अंडरवियर नहीं पहना है। उनकी नजर पानी पीते पीते मेरी चूचियों पर गयी, उसका ब्रा नहीं पहनने से आकार बड़ा दिखाई देता था.
मैने अपने को सम्भाला लेकिन बातें करते करते उन्होने कहा सच कहुं सीमा तेरी चूचियां बहुत बड़ी हैं और उन्होने मेरा हाथ पकड़ कर अपनी ओर खींचने लगे। अगले ही पल में मुझे अपनी बाहों में भर दिया.
मैं चिल्ला उठी और कहने लगी मुझे छोड़ दो लेकिन वो नहीं माने और कस के मुझे चूमने लगे मैं ऐतराज करती रही पर मेरी नहीं चली वो मेरे होंठों का रस पीने लगे मैं कुछ भी कर न सकी वो जी भरके चूमने लगे फिर धीरे दुपट्टा खींच कर अलग कर दिया मैने खूब हाथ पांव मारे फिर भी वो चूमने रहे एक बार मैने धक्का मारा तो मैं बाहो में से निकल गयी लेकिन तुरन्त मुझे फिर से कस कर दबाया तो दोनो चूचियां पूरी दब के रह गयी।
मैने फिर से जोर लगाया पर मेरी चूचियां पर होले होले दबा रहे थे। फिर पीछे जा कर मेरी गर्दन गाल कंधे को चूमने और सहलाने लगे और दोनो चूचियों को ब्लाउज़ के ऊपर से दबाते रहे.
करीब 5 मिनट तक यह खेल चलता रहा पर मैं अलग न हो सकी पर मौका मिला तो जोर से धक्का मारा लेकिन ये क्या? जैसे मैं दूर गयी कि मेरा ब्लाउज़ फाड़ दिया उन्होने और दोनो चूचियां कैद में से मुक्त हो कर पहली बार किसी मर्द के सामने उछल कर नंगी हो गयी हाय रे! ये क्या किया।
मैने दोनो चूचियों पर हाथ ढक दिये तो वो आगे आ कर बोले सीमा उसको छोड़ दो मैं उसे नंगा देखना चाहता हूं।
मैं नहीं मानी तब वो करीब आके बोले- दोनो हाथ को उठा लो!
‘नहीं नहीं…’ मैं चिल्लाई पर उन्होने मेरे दोनो हाथों को उपर कर दिया दोनो नंगी चूचियां पा कर देख कर वो आनन्दित हुये पूरा नंगापन देख कर कहा- सीमा ! इतनी बड़ी और कड़ी चूचियां पहली बार देखी हैं.
इतना कह कर बाकी ब्लाउज़ को हटाया और दोनो चूचियों को पहले पिया अपने हाथों को रख कर किया दोनो को होले होले दबाया फिर निप्पल को प्यार से दुलारा चूचियों को सहलाया दबाया.
मेरी कुछ न चली धीरे से खींच कर बाहों में लेकर सीने से लगाया मैं मचल उठी पहली बार मर्द के सामने नंगी चूचियों की थी वो प्यार से दोनो फलों को दबाना सहलाना करते करते मेरे नीचे अपने एक हाथ को ले गये कहा सीमा सच कहुं तुम्हारी चूचियां मुझे बहुत पसंद है.
और मैं अपने अपको सम्भाल न सकी उन्होने नाड़ा खींचकर पेटीकोट को गिरा दिया, मैं नंगी हो गई, मौसाजी बहुत खुश हो गये मेरा नंगापन देख कर उठा लिया, मुझे बेड पर करके उन्होने अपने सभी कपड़े निकाल दिये.
मैं हाय हाय कर उठी उसके नंगे लंड को देखा तो पूरा ८ इंच लम्बा हो गया मेरी चूत को देख कर मेरी साइड आकर चूचियों पकड़ दबाये बाद में चूसना और दूसरी को मसलने लगे फिर दूसरी को चूसा पहली को मसलने लगे बारी बारी दोनो चूचियों को चूसा और दबाया निप्पल को बच्चे की तरह बार बार चूस रहे थे.
मैं बेताब हो गयी पहली बार किसी मर्द ने मुझे नंगा देखा था। धीरे धीरे उंगली मेरी हसीन चूत पर फ़िराने लगे मैं जोश में आने लगी आखिर कब तक अपने आप से लड़ती रहती, बस मैने दोनो होंठों को मौसाजी के होंठों पर रख कर चूसना चूमना शुरु किया जियो मेरी रानी कह कर मुझे अपने ऊपर गिरा लिया कि लंड का पहला स्पर्श चूत से हुआ अपनी चूत को हटाया तो चूचियों को चुलबुलाने लगे.
मैं अब गर्म होने लगी थी होंठों का और चूचियों का रस करीब १५ मिनट तक पीने के बाद मुझे नीचे गिराकर वो ऊपर आ गये मेरा पूरा बदन कम्पन करने लगा उन्होने मेरी नंगी जवानी को देखा फिर अपने होंठों से पूरा बदन चूमने सहलाने और दबाने लगे मेरी चूत के सिवाय सभी हिस्सों को कई बार चूमा तो मेरी दोनो टांगें खुद फ़ैल गयीं मैं हार गयी थी
मुझे भी अब रहा नहीं जाता था उन्होने मेरी चूचियों जोर से कसा.
‘मैं आह्हह ह्हह्हह मर जाउंगी मेरे मौसाजी अब नहीं रहा जाता। हाय रे बिना स…’
‘बोलो मेरी सीमा रानी…’
‘मुझे सिर्फ़ तुम्हारा कसा हुआ लंड चाहिये जी भर के चोदो मुझे अपना लो मौसाजी मुझे’
‘हां हां बोलो मेरी सीमा रानी।’
‘मौसाजी…’ तब मैने दोनो टांगें ज्यादा फ़ैलाई मेरी चूत देख कर उनका लौड़ा पूरी तरह तन कर कड़ा हो गया वो अब झुक गया मेरी चूत पर धीरे धीरे चूत को चूमने लगे थे कि मैं चिल्ला उठी- बस करो मेरे प्यार अह्हह ह्हह्हह ओय माअ ओयम्मम्ममा अयह क्या कर रहे हो।
पर उन्होने कुछ न सुना और अपनी जीभ को चूत में डाल कर चूसने लगे, मेरी तो अब जान ही निकलने लगी थी हायययययी रीईईई यह क्या हो रहा है।
‘अब और मत तरसाओ अपनी रानी को…’
अपनी टांगे खुद फ़ैला के बोली.
वो पूरे 5 मिनट तक चूसता रहा मेरी चूत खुल गयी थी अब इन्तजार करना ठीक नहीं था मैने दोनो पांवों को ऊपर उठाकर मुझे मंजरी आसन में ले लिया, मौसाजी अब मत रुको मेरी चूत मस्तानी हो गयी है तब मैने लंड को पकड़ कर चूत पर रख दिया वो और आहें भरने लगी मौसाजी चोदो मेरी …।
तब उन्होने धीरे से चूत में लंड दबाया ओह्हह्हह ऊऊह्हह्ह ह्ह्हह्ह हयरीए मेरी कुंवारी चूत ३५ साल के बाद चुदाई उन्होने दूसरा धक्का मारा तो वो खुल गयी हायययी आह्ह आह्ह अह्हह मर जांउगी तब उनका तीसरा और एक दो एक दो करता हुआ लंड अपनी मन्ज़िल और आगे बढ़ गया पर मैं आह्हह ओअह्हह्ह ओह्ह करती रह गयी
सच में उनको मेरी चूत बहुत टाइट लगी पर अब वो मानने वाले कहां थे धक्के पर धक्का धका धक धका धक फ़का फ़क फ़का फ़क फ़का फ़क चोदने लगे मन्ज़िल को छू लिया पूरा लंड अब मेरी चूत में था और अब मेरी दोनो चूचियों को कस कस कर दबाते दबाते जि भर के मस्त चुदाई का आनंद लेने लगे.
मैं भी मस्त हो चुकी थी वो भी पुरी तरह चोदने लगे अब दिल खोलकर मैं भी चूचियों और चुदाई करवाने लगी सीमा आह हहह बहुत मजा आ रहा है.
‘मेरे रजा जोर जोर से अब चोदो मैं तुम्हारी हो चुकी हूं चोदो चोद मेरे राजा…’
बस वो कस कस कर चोदने लगे तब धीरे धीरे दोनो बाहों में भरकर मैने अपनी ऊपर खींचा और तेज और तेज मौसाजी पूरी तरह चोद लो, स्पीड बढ़ाते गये और तेज फ़का फ़क फ़का फ़क और तेज फ़चा फ़च फ़चा फ़च आह्हह फ़चा फ़च फ़च अह्ह्ह ह्हह्ह मैं गयी अह्हह्हह्हह्ह और मौसाजी पूरी तरह मेरे पर छोट गये और पहली बार वीर्यदान कर दिया हमारा मिलन हुआ वो मेरे ऊपर थे मैने कसकर उसे मेरी चूचियों पर दबाया हमारी सांसे तेज और एक हो गई.
बाहर बारिश तेज बरस रही थी और मैने अपनी सुहाग रात चार बार चुदवा के मनाई। Antarvasna
मेरा नाम अविनाश है। मैं वैसे तो Antarvasna जयपुर में नौकरी करता हूँ, पर आजकल एक कॉल-ब्वॉय का काम भी करता हूँ। ये काम मेरे शौक की वज़ह से मुझे मिला।
हुआ यूँ कि पहले-पहल जब मैं जयपुर आया तो यहाँ की हसीन लड़कियों को देख कर मैं पहले बहुत तड़पता था। मेरी बहुत इच्छा होती चूत की, पर कुछ कर नहीं पाता था। फ़िर मेरी दोस्ती एक लड़की से हुई और मैंने उसको बहुत अच्छे से संतुष्ट किया। फिर उसने मुझे अपनी दोस्तों से मिलवाया और फिर दोस्तों के दोस्तों से मिलते चले जाने का सिलसिला चलता ही रहा। कई बार तो कोई बदसूरत मिलती है, कभी बहुत ही मस्त ग्राहक मिल जाती है तो मज़ा आ जाता है।
मैं आपको अपना सच्चा अनुभव सुनाता हूँ जो मुझे हमेशा याद रहेगा। एक बार मेरी दोस्त ने कहा, “कुछ काम है।”
.मैंने पूछा – “बोल, क्या काम है?”
“मुझे कुछ पैसों की ज़रूरत है।” उसने बताया।
पर मेरे पास उस समय पैसे तो थे नहीं, और वह मेरी अच्छी दोस्त थी। तो मैंने कहा, “ठीक है, मैं कहीं से लाकर देता हूँ।”
तो उसने कहा, “किसी से लेने की ज़रूरत नहीं है, मैंने उसका भी इन्तज़ाम भी कर लिया है, बस तू मेरा एक काम कर दे।”
“तुम्हारे लिए तो जान भी हाज़िर है, तू बोल तो सही।”
“मेरी एक दोस्त है जो तुम्हें पैसे दे देगी, पर तुझे उसकी प्यास बुझानी पड़ेगी।
“ये भी कोई बात है, पैसे भी, मज़े भी। इसके लिए कौन मना करता है।”
“तो शाम को मेरे कमरे पर आ जाना।” उसने कहा।
मैं शाम को उसके कमरे पर गया। कुछ देर बाद ही उसके दरवाज़े पर किसी ने खटखटाया। मैं समझ गया कि मेरी ग्राहक आ गई है। मेरी दोस्त ने दरवाज़ा खोला तो सामने एक बला की ख़ूबसूरत लड़की खड़ी थी। उसे तो देखते ही मेरी लंड एकदम खड़ा हो गया। मैं मन-ही-मन सोचने लगा, क्या क़िस्मत है, ऐसे माल को तो कोई भी उल्टे पैसे देकर भी नहीं छोड़ेगा। फिर वो अन्दर आ गई। मेरी दोस्त ने कहा कि मुझे कुछ काम है, मैं एक-दो घंटे में आ जाऊँगी। तब तक तुम लोग अपना काम कर लो। कह कर वह कमरे से चली गई।
उसके जाते ही मैं उसके पास आ गया। उसने अपना नाम बताया, मैंने उससे पूछा कि उसे पैसे देकर सेक्स करने की क्या ज़रूरत है। उसे चोदने के लिए तो कोई भी तैयार हो जाएगा। तो उसने कहा कि आजकल की लड़की किसी पर भी भरोसा नहीं कर सकती। पता नहीं कौन कब अपनी ज़बान खोल दे। इसलिए तुम्हारी ज़रूरत पड़ी। प्रोफेशनल लोग ऐसा नहीं करते। मैंने नीमा (मेरी दोस्त) से इस बारे में पहले पक्की बात की है। मैंन कहा, ये तो सच है, इस बारे में तुम बेफ्रिक रहो।
फिर वह मेरा हाथ पकड़कर मुझे बेडरूम में ले गई। हम दोनों बेडरूम में थे, रंग एकदम सफेद, और फ़िगर तो गज़ब का था। उसने मेरे होठों पर किस किया। फिर मैंने उसकी कमीज़ उतार दी। उसकी चूचियाँ बड़े और मस्त थे, और ऊपर से झाँक कर शायद कह रहे थे, कि हमें भी आज़ाद कर दो। मैंने उसकी जीन्स भी खोल दी. अब वो ब्रा-पैन्टी में मेरे सामने खड़ी थी। उसने मेरे कपड़े भी उतारे और मेरे लंड से खेलने लगी। कभी वो मेरी गोलियाँ दबाती, कभी मेरे लंड को मुँह में लेती, फिर उसने मेरे लंड को चूसना चालू कर दिया। मैं तो आसमान में था। उसने १५ मिनट ऐसी ही मेरे लंड की चुसाई की। अब मैंने उसकी ब्रा खोल दी और उसके दूध जैसे रंग की चूचियाँ मेरे सामने थीं। उसकी गुलाबी-गुलाबी घुंडियाँ जैसे मुझे अपनी ओर खींच रहीं थीं, मैंने उसकी एक घुंडी को मुँह में लिया और दूसरी घुंडी को एक हाथ से मसलने लगा। उसे बहुत मज़ा आ रहा था. मैंने उसी बीच उसकी पैंटी भी उतार दी।
अब हम दोनों बिल्कुल नंगे थे। मैंने उसे बिस्तर पर लिटा दिया और उसके ऊपर लेट गया, पर उसकी निप्पल की चुसाई मैंने जारी रखी। उसे बड़ा मज़ा आ रहा था। उसने कहा, जान बहुत अच्छा लग रहा है। बहुत समय के बाद आज चुदाई का मौक़ा मिला है। ख़ूब जम कर चोदना। मैंने उसकी चूत में एक ऊँगली डाल कर आगे-पीछे करना शुरू किया तो वो तड़प उठी। मुझे लगा जैसे अब उँगली नहीं लंड डाल कर फाड़ दो।
फिर उसने कहा कि बस अब डाल दो, और सहन नहीं होता। मैंने उसकी दोनों टाँगें अपने कंधे पर रखीं और लंड को उसकी चूत से लगा गिया। बहुत गरम थी उसकी चूत… उसकी चूत में से चिकनाई निकल रही थी। मैंने एक धक्का मारा तो आधा लंड उसकी चूत में समा गया। उसके मुँह से स्स्स्स्सीईईई की आवाज़ निकल गई। बोली – थोड़ा धीरे !
फिर मैंने धीरे-धीरे धक्के मारना चालू किया। मैं तो बस ज़न्नत में था, उसकी कसी हुई चूत में अलग ही मज़ा था। मैं उसे चोदता जा रहा था और उसकी चूचियाँ भी चूस रहा था। फिर मैंने उसे कुतिया बनाकर के भी चोदा। वह लगभग १५ मिनटों में झड़ गई। उसके चूत की पानी के कारण अब फच्च-फच्च की आवाज़ें आ रहीं थीं।
मैंने उसे आधे घंटे चोदा और मैं भी झड़ गया, इस बीच वो दो बार झड़ गई थी। उसे आज बड़ा मज़ा आया था। मैंने कहा कि तो फिर मज़े ले लो। उसने कहा पर अभी तुम्हारी दुगुनी फ़ीस मेरे पास नहीं है। मैंने कहा, तुमसे फ़ीस की बात किसने की है, तुम जब चाहो, दे देना। बस तुम्हारा जब मन करे, मुझे बता देना। तुम्हारे जैसी लड़की से तो फ़ीस लेने का मन भी नहीं करता। मैंने उसे दोबारा चोदा।
थोड़ी देर बाद मेरी दोस्त आ गई। उसके जाने का समय हो गया। उसने मेरा मोबाईल नम्बर लिया, और बाद में मिलने का वादा करके चली गई। Antarvasna
मेरा नाम अमित है। काफी दिनों Antarvasna से सोच रहा था कि मैं भी अपनी कहानी सबको बताऊँ। आखिर यहीं से कहानियाँ पढ़ के मैं भी बड़ा हुआ हूँ। यहीं मैंने मुठ मारना सीखा, यहीं से मेरी सोच में सारी औरतें और लड़कियाँ एक सी लगने लगीं, इसलिये आज मैं आप सबको अपनी कहानी सुना रहा हूँ।
मेरा नाम तो आप जान ही गए हैं। मेरी माँ का नाम अनिता है। मैं एक संयुक्त परिवार में रहता हूँ। मेरे परिवार में मेरी दो चाचियाँ हैं, बड़ी चाची का नाम अनीता और छोटी चाची का नाम हेमा है। मेरी माँ की उमर 42 होगी, अनीता चाची 36 की हैं और हेमा चाची 32 की। मेरी एक दीदी का नाम सीता है जो 21 साल की है।
बात उस समय की है जब मैं 12वीं की पढ़ाई करने के लिए दिल्ली चला गया था, वहीं पे मुझे इन कामुक कहानियों की आदत पड़ी। इन कहानियों में तो माँ बहन का कोई लिहाज होता नहीं है और कहानियाँ पढ़ने में काफी रोचक होती हैं तो मैं सारी कहानियाँ पढ़ जाता हूँ। उसके बाद से जब कभी भी मैं घर वापस जाता तो मेरे दिमाग में यही कहानियाँ चलती रहती थी। इन कहानियों ने मेरी जिंदगी ही बदल दी या फिर यह भी कह सकते हैं कि मेरी लाइफ बना दी।
मैं घर पे काफी अकेला-अकेला सा रहने लगा। अकेले में अन्तर्वासना कहानियों को याद करके मैं दिन में कई बार मुठ मारता था।
एक दिन जब मैं नहाने के लिए बाथरूम में गया तो देखा वहाँ अनीता चाची की पेंटी और ब्रा लटक रही थी। शायद चाची उन्हें ले जाना भूल गई थी। यह पहली बार था कि मैं किसी औरत की पेंटी और ब्रा इतनी पास से देख रहा था। मेरा हाथ रोके नहीं रुका और मैं उनको अपने हाथ में ले के सूंघने लगा, उसकी मादक सुगंध से मैं मदहोश होने लगा। मैं पेंटी को अपने मुँह में लेके चूसने लगा. मुझे ऐसा लग रहा था कि मैं अनीता चाची की चुत चूस रहा हूँ। उसके बाद मैं ब्रा को भी मुँह में ले के खेलने लगा।
उस दिन पहली बार मेरा लंड इतना बड़ा लग रहा था। मेरे लंड का आकार इतना बड़ा आज तक नहीं हुआ था। उसके बाद मैंने अपने लंड से पेंटी और ब्रा को खूब चोदा, उसे लंड में लपेट के मैंने अपना मुठ उसी में गिरा दिया, फिर अच्छे से धो के चाची की ब्रा और पेंटी वहीं रख दी। उस दिन हिलाने में जितना मजा आया था उतना पहले कभी नहीं आया था।
मैं नहा कर नाश्ते के लिए गया, वहाँ अनीता चाची ही खाना खिला रही थी। चाची मुझे देख के मुस्कुराई। आज मैं चाची को देख के उनको देखता हो रह गया, वो भी मुस्कुराती ही जा रही थी। चाची ने हाफ ब्लाउज पहन रखा था, वो इतनी सेक्सी लग रही थी कि मैं बता नहीं सकता। मैंने तो सोच लिया कि आज के बाद मैं जब भी मुठ मारूंगा, चाची की पेंटी ब्रा ले के ही मारूंगा और चाची को ही याद करके अपना रस निकालूँगा।
अगले दिन जब चाची नहा के निकली, मैं नहाने के लिए जल्दी से बाथरूम की ओर दौड़ा ताकि कोई और ना चला जाए बाथरूम में। पर अन्दर जाते ही मुझे काफी निराशा हुई। इस बार चाची ने वहाँ अपने कोई कपड़े नहीं छोड़े थ। मैं उदास मन से नहा के बाहर आ गया।
अपने कमरे में जा के भी मैं यही सोच रहा था कि आज कैसे मुठ मारी जाए। तब मैं हिम्मत करके छत पे गया, वहाँ देखा तो चाची की पेंटी लटक रही थी। मुझे लगा कि यहाँ पर मुठ मारूंगा तो अच्छा नहीं होगा। सो मैंने उसे अपने अंडरवियर में छुपा लिया और अपने कमरे में चला गया। चाची की पेंटी को छूते ही अन्दर मेरा लंड जाग गया था। फिर कमरे में जाकर मैंने जी भर के मुठ मारी, फिर पेंटी को धो के वहीं लटका आया।
फिर मैंने इसी तरह काफी दिनों तक अनीता चाची की मदद से मुठ मारते हुए काफी मज़े लिए। इससे मेरी हिम्मत भी बढ़ती जा रही थी। अब मैं कभी कभी कमरा खुला छोड़ के मुठ मारने लगा था। अब मेरी हालत ऐसी हो गई थी कि केवल मुठ मार के मेरा मन नहीं भरता था। अब चाची के कपड़ो से मेरा लंड कड़क नहीं हो पाता था। मुझे लगा कि अब कुछ करना पड़ेगा।
मैं अब अनीता चाची के कमरे में ताक-झांक करने लगा, यह सोच कर कि कभी मैं चाची को नंगा देख सकूँ तो मजा आ जाए। बाथरूम में तो कई बार कोशिश कर चुका था पर चाची हमेशा बाथरूम का दरवाज़ा बंद कर लेती थी, इसलिए मुझे सफलता नहीं मिल पाई थी।
एक दिन दोपहर में जब काफी गर्मी थी तो मैं खाना खा के चाची के कमरे में चला गया। वहाँ खिड़की में काफी बड़े-बड़े परदे लगे हुए थे। उसमें कोई भी आसानी से छुप सकता थ। गर्मी इतनी थी तो मैंने सोचा शायद चाची जब काम करके आएगी तो कुछ कपड़े तो जरूर उतारेंगी, यही सोच कर मैं परदे के पीछे छुप गया। थोड़े देर बाद जब चाची आई तो मेरा सोचना सही निकला।
चाची ने कमरे का दरवाज़ा बंद करके तुंरत ही साड़ी उतार फेंकी। मैं तो देखता ही रह गया। चाची ब्लाउज और साये में काफी खूबसूरत लग रही थी। चाची बिस्तर पर लेट गई पर गर्मी इतनी थी कि चाची को अभी भी पसीना आ रहा था। चाची से रहा नहीं गया, उन्होंने साया पूरा उपर कर लिया। अब मैं उनकी जांघों का मजा ले रहा था। उन्होंने गुलाबी रंग की पेंटी पहन रखी थी, वो पसीने से भीग चुकी थी। मैं भगवान से प्रार्थना कर रहा था कि आज इतनी गर्मी हो कि चाची पूरी नंगी हो जाए और मेरा सपना पूरा हो जाए। पर भगवान ने मेरी सुनी नहीं। चाची साया ऊपर करके ही सो गई।
काफी देर इन्तज़ार करने के बाद मैं उनकी जांघों को ही देख के मुठ मारने लगा और रस को अपने हाथ में गिरा लिया ताकि किसी को पता न चले और खिड़की से ही कूद के अपने कमरे में चला गया।
दूसरे दिन भी मैं आशा लगा के वहीं छुप गया। आपको यकीन नहीं होगा कि अगले दिन भगवान ने मेरी सुन ली थी। चाची ने आते ही साड़ी ब्लाउज और साया तीनों उतार कर फ़ेंक दिए। पेंटी और ब्रा में चाची किसी अप्सरा से कम नहीं लग रही थी। चाची बिस्तर पे लेट गई और अपने हाथ से पेंटी को सहलाने लगी। मुझे लगा कि चाची ऐसे ही सहला रही है, पर चाची ने जब अपनी चुत में अपनी ऊँगलियाँ डालनी शुरू की तो मुझे लगा कि आज चाची गरम हैं, आज वो भी मुठ मारने वाली हैं। मुझे तो स्वर्ग मिल गया था।
चाची ने फिर फिर अपनी पेंटी उतार दी और मैं उनकी चुत को देखता रह गया। और चाची ने फिर अपनी ब्रा भी उतार कर फ़ेंक दी। उनकी चुचियों को पहली बार मैं ऐसे नग्न देख रहा था। 38 इंच की उनकी चूचियाँ बस मेरी हालत ख़राब कर रही थी। इतनी बड़ी चूचियाँ मैंने तो सपने में ही देखी थी। उधर मेरा हाथ मेरे लंड की माँ बहन एक कर रहा था। मुझे पता भी नहीं चला कब चाची उठ कर खिड़की की तरफ़ आने लगी। मैंने जैसे ही देखा तो मैं जल्दी से खिड़की से कूद के भाग गया।
मैं इतना गरम हो चुका था कि खुले दरवाज़े ही मैं अपने बिस्तर पर लेट के ज़ोर ज़ोर से लंड हिलाने लगा। हिलाते हिलाते जब मेरी नज़र दरवाज़े पर गई तो मैं तो बस पत्थर हो गया। देखा कि चाची मुझे देख रही हैं। चाची को देखते ही मेरा लंड एकदम सिकुड़ गया। मुझे समझ नहीं आ रहा था कि क्या करूँ!
तब चाची ही बोली- क्या कर रहा है रे अमित?
मैं- कुछ नहीं चाची!
चाची- कुछ नहीं का मतलब? तू ये सब कब से कर रहा है और किसने सिखाया तुझे ये सब! हाँ?
मैं- चाची, मैं कभी कभी करता हूँ, वो मेरे एक दोस्त ने बताया था इसके बारें में!
चाची- तूने ऐसे ऐसे दोस्त बना के रखे हैं जो तुझे ये सब सिखाते हैं?
मैं- चाची मुझे माफ़ कर दीजिये, मैं आगे से कभी नहीं करूँगा! और प्लीज़ किसी को नहीं बताइयेगा!
चाची- ठीक है वो सब, मैं किसी को नहीं बोलूंगी पर तू मेरे जवाबों का सही सही जवाब देगा तब!
मैं- हाँ चाची, मैं आपको सब सच सच बोलूँगा।
चाची- किसके बारे में सोच के अभी तू हिला रहा था?
मैं- सच बोलूं चाची? आपको सोच के हिला रहा था!
चाची- मुझे सोच के हिला रहा था या देख के हिला रहा था? तू मेरे कमरे में था ना खिड़की के पास?
मैं- नहीं चाची, मैं नहीं था!
चाची ने मेरे गाल पे एक ज़ोर से तमाचा मारा।
चाची- तूने बोला कि सब सच बोलूँगा और तू झूठ बोले रहा हैं। मैंने तो कल ही समझ लिया था जब मैंने खिड़की के परदे के नीचे तेरे रस की कुछ बूंद देखी। क्यूँ तेरे ही काम थे थे ना वो?
मैं- चाची, पता नहीं कैसे गिर गया वो, मैंने तो हाथ में ही निकाला था। सॉरी चाची…!
चाची- और तू ही मेरे ब्रा और पेंटी ले के उसमें मुठ मारता है ना? वो सब दाग तुमने ही लगाये थे न मेरे कपडों में?
मैं- चाची आपको वो भी मालूम चल गया? पर मैं तो उसे धो देता था!
चाची- अरे इसके दाग ऐसे ही थोड़े चले जाते हैं, और फिर मैं तेरी चाची हूँ रे! कोई दूध पीती बच्ची नहीं ..तुझे ये क्या सूझी रे कि तूने अपने चाची को अपनी मुठ मारने का जरिया बना लिया?
मैं- चाची मुझे माफ़ कर दीजिये, पर क्या करूँ आप हो ही इतनी सेक्सी कि मैं अपने आप को रोक नहीं पाया!
चाची- तुझे ये 36 साल की औरत सेक्सी लगती है रे… तू भी ना!… अच्छा सुन ये अच्छी बात नहीं है.. ज्यादा मुठ मत मारना.. और अगली बार जब मुठ मारने का मन करे मुझसे कपड़े मांग लेना, मैं दे दूंगी, ऐसे चोरी मत कर! एक दिन पकड़ा जाएगा.. पर ज्यादा नहीं, हफ़्ते में 2 बार से ज्यादा नहीं मारना, ठीक है…?
मैं- हाँ चाची.. आप बहुत अच्छी हो…!
फिर मैं चाची से उनकी पेंटी और ब्रा मांग के हिलाने लगा. मुझे ऐसा लगने लगा था की चाची मेरे इस आदत का मजा ले रही है. मुझे ऐसा भी लग रहा थी चाची शायद मुझे अपनी चुत भी मारने दे! मुझे लग रहा थी कैसे चाची से बात करूँ इस बारें में। दूसरे दिन जब मैं चाची से उनकी पेंटी मांगने गया तो चाची की बातें बहुत मजेदार थी.
चाची- कल ही तो ली थी तुमने, आज फिर से चाहिए, कितना मनचला हो गया है मेरा भतीजा! आज कोई पेंटी नहीं मिलेगी! वो छत पर ही है और मैं नहीं लाने वाली…
मैं- चाची मैं तो मर जाऊँगा अगर नहीं मुठ मारूँगा तो, चाची दो ना ऐसा मत बोलो..!
चाची- अरे तुझे क्या लग रहा है कि मैं झूठ बोल रही हूँ? तू खोज ले पूरे कमरे में, यदि मिल जाए तो ले ले…
मैंने सब जगह देखा, पर शायद चाची सच बोल रही थी, मुझे कहीं भी ब्रा या पेंटी नहीं मिली। तब मुझे एक आईडिया आया!
मैं- चाची आप सच बोल रही थी, पर मुझे एक मिल गई…आप दोगी न उसे…?
चाची- मिल गई तो ले ले , पूछ क्यूँ रहा है?
मैं- चाची वो तो आपको देनी होगी, आपने जो अभी पहन रखी है मुझे तो वही पेंटी चाहिए…!
चाची- पागल हो गए हो क्या, ये नहीं मिलेगी, गन्दा कर दोगे, मैं क्या पहनूंगी उसके बाद? नहीं मैं नहीं दे सकती! जा आज तू कुछ और उपाय कर..!
मैं- चाची, आप ऐसा मत करो, मैं आपकी मिन्नतें करता हूँ.. आप जो बोलोगी मैं करूँगा पर आज मुझे अपने पेंटी दे दो.. आज मैं उसकी ताज़ी सुगंध से मस्त हो जाना चाहता हूँ…!
चाची- जो बोलूंगी वैसा करेगा तब दे सकती हूँ…!
मैं- चाची आप एक बार बोल के देखो तो , आप जैसा बोलोगी मैं वैसा ही करूँगा!
चाची- आज तब तू मेरे सामने हिलाएगा… जो भी करेगा मेरी पेंटी के साथ, वो मेरे सामने करना पड़ेगा…!
मैं- चाची पर आपके सामने तो मेरा खड़ा भी नहीं होगा डर से.. आपने देखा नहीं था? जिस दिन अपने मुझे मेरे कमरे में पकड़ा था, मेरा कैसे सिकुड़ के छोटा हो गया था…
मुझे ऐसा लगने लगा कि आज तो मैं सफल हो ही जाऊँगा, लगा चाची आज गरम है और वो आज मुझे चोदने दे सकती है।
इसलिए मैंने चाची से फिर से बोला…
मैं- चाची पर एक बात बोलूं! यदि आप मेरी मदद करो तो शायद मेरा लंड खड़ा हो जाएगा… चाची! बोलो आप मेरी मदद करोगी न…?
चाची- मैं कैसे मदद करुँगी?
मैं- चाची यदि आप मेरे लिए अपने सारे कपड़े निकाल दोगी तो मेरा लंड जरूर खड़ा हो जाएगा…!
चाची- बदमाश कनीं का! आज तू मुझे नंगा होने के लिए बोले रहा है..? तेरी इतनी हिम्मत…? तुझे मैं अपने कपड़े देने लगी तो तू कुछ भी बोलेगा? जाके के तेरी मम्मी को सब बोले दूंगी!
मुझे लगा चाची गुस्सा कर रही हैं, सो मैंने सोचा छोड़ दें, पर फिर लगा नहीं एक बार और कोशिश की जाए, शायद चाची ऐसे ही मजाक कर रही हो.. फिर यदि चाची फिर से गुस्सा करेगी तो मैं माफ़ी मांग लूँगा…
मैं- चाची आप गुस्सा मत करो, ठीक है आप जैसा बोलोगी मैं वैसा ही करूँगा… पर चाची एक बात पूछूं?
चाची- हाँ पूछ!
मैं- चाची आप वादा करो इस बार गुस्सा नहीं करोगी?
चाची- हाँ रे! ठीक है, नहीं करूंगी गुस्सा..
मैं- चाची जब पहले दिन आपने ये पता लगा लिया था कि मैंने खिड़की के पीछे खड़ा हो के वहाँ पे मुठ मारा था..तो फिर दूसरे दिन आप कमरे में आ के पूरी नंगी क्यूँ हुई थी…? सच बोलो चाची! आप जानती थी ना कि मैं वहाँ हूँ! और आप मुझे दिखा के मुठ मार रही थी ना…?
चाची- तूने तो मुझे चुप करा दिया रे…! अब मैं क्या बोलूं, हाँ मुझे यकीन था कि तू वहाँ है, इसलिए मैंने वो सब कुछ किया था, और मैं जानबूझ के खिड़की की तरफ़ गई ताकि तुझे पकड़ सकूँ पर तू भाग गया था।
मैं- चाची जब आप उस दिन नंगी हो सकती थीं तो आज क्यूँ नहीं? चाची आज तो आपको अब नंगी होना ही होगा..!
चाची- ठीक है अब तो मना भी नहीं कर सकती..!
उसके बाद चाची ने अपनी साड़ी उतार दी… फिर ब्लाउज और साया भी साइड में फेंक दिया.. और पेंटी को स्टाइल से खोल के मेरी तरफ़ फेंक दिया..
चाची- ले बदमाश ले सूंघ और हिला अपने लंड को..!
मैंने चाची की पेंटी को नाक से लगाया… उसकी मादक सुगंध से मेरा लंड तन गया.. फिर चाची को देख के लंड तड़पने लगा..
मैंने सोचा आज मौका है आज चाची से बोलता हूँ कि मेरी लंड की मालिश करें..!
मैं- चाची अपनी ब्रा उतारो ना, आपकी चूची देखनी हैं..!
चाची- क्यूं रे! क्या करेगा मेरी चूची देख के?
मैं- चाची आपके शरीर में सबसे प्यारी चीज़ तो आपकी चूची है.. उसे देख के मेरा लंड और भी तन जाएगा।
चाची- तुझे मेरी चूची इतनी अच्छी लगती है,
मैं- हाँ चाची आपकी चूची तो सारी ब्लू फ़िल्म की नायिकाओं से भी अच्छी है।
चाची- ठीक है, लगता है तू चूची का शौकीन लगता है.. ले देख मेरी चूची.. और अच्छे से हिला ..!
मैं- चाची एक बात पूछूँ , आप चाचा के लंड को छूती हैं ना?
चाची- हाँ तेरे चाचा के लंड पर तो मेरा अधिकार है.. उसे मैं छूती ही हूँ!
मैं- चाची मेरे लंड पे भी तो आपका अधिकार होता है.. तो आप मेरे लंड को पकड़िये ना.. देखिये ना कैसे ये लंड आपके हाथों में आने के लिए तड़प रहा है।
चाची- नहीं रे..! तू पागल हो गया है क्या..? मैं नहीं छूती तेरा लंड.. चल हिला अपना लंड ख़ुद से…!
फिर मैं चाची के पास जा के लंड हाथ में ले के- चाची लो ना देखो कितना तड़प रहा है ये.. ले लो ना चाची.. आपके हाथ का सोच के ही ये हाल है… यदि आपने इसे हाथ में ले के थोड़ा प्यार से हिला देंगी तो सोचो कि ये कितना खुश होगा।
फिर चाची के हाथ पे ज़बरन मैंने अपना लंड रख दिया.. चाची ने अब मना नहीं किया.. चाची ने जैसे मेरे लंड को प्यार से सहलाया.. मुझे लगा कि झड़ जाऊँगा..
मैं- चाची मेरा रस निकलने वाला है..
चाची- इतनी जल्दी…
मैं- चाची क्या करूँ आपके छूने से मेरा रस उबलने लगा था.. अब नहीं रहा जा रहा है…
इतनी बात करते ही मैंने अपना रस निकाल दिया.. जो चाची के बूब्स पे गिरा… चाची और भी सुंदर लग रही थी..
मैं- सॉरी चाची.. सारा आपके चूचियों पर गिर गया… मैं साफ़ कर दूँ?
चाची- अब तू चूची को हाथ लगाने के बहाने निकाल रहा है.. जरूरत नहीं है.. जा भाग अब..!
मैं- चाची आपका मन नहीं है ना मुझे भगाने का! मुझे पता है आप मुझे सब कुछ करने को देंगी.. देंगी ना चाची?
आप मेरी सबसे अच्छी चाची हो..
चाची- चल हट यहाँ से.. क्या क्या करना है तुझे रे… ज़रा बता तो एक बार..!
मैं- चाची मैं आपको चूमना चाहता हूँ, आपकी दूध पीना चाहता हूँ, आपकी चुत का मजा लेना चाहता हूँ, आपकी चुत का रस पीना है मुझे! फिर मुझे आपको चोदना भी है…
चाची- तू तो एकदम हरामी हो गया है रे.. अपनी चाची को ही चोदेगा… तू तो मादरचोद निकल गया है… तुझसे तो बच के रहना पड़ेगा..
मैं- चाची आप गली भी देती हैं… आप भी कम हरामी थोड़े हैं, आपने अपने भतीजे का लंड पकड़ा है.. उसे अपनी कपड़े दिए हैं.. उसके सामने मुठ भी मारी है.. चाची मुझे मालूम हो गया कि आप बहुत बड़ी चुदक्कड़ हैं… चाची सच बोलिए आपको मेरा लंड चाहिए ना…?
चाची- तू तो बड़ा हरामी है रे… मैंने तेरी मदद की तो आज मुझे ही चुदासी बना दिया.. आज से तुझे कुछ नहीं मिलेगा!
मैं- चाची आप ऐसा नहीं करो, मैं तो मर जाऊँगा.. मैंने तो सोचा कि ऐसा बोलने से आप मुझे चोदने दोगी तो मैंने बोल दिया.. मुझे माफ़ कर दीजिए।
चाची- ऐसा बोलने से कोई तुझे चोदने दे देगा..
मैं- तब चाची कब कोई मुझे चोदने देगा.. बोलिए न चाची मुझे आप कब चोदने दोगी?
चाची- तू नहीं मानेगा न.. ठीक है चल तू अपनी माँ के सामने यदि मुझसे बोलेगा कि चाची चोदने दो.. और तेरी माँ भी बोलेगी कि हाँ चुदा ले तो मैं तुझसे जरूर चुदवाऊँगी।
मैं- चाची इतनी मुश्किल शर्त रख दी आपने.. ठीक है मैं आज डिनर के समय ही मम्मी से बात करूँगा..!
फिर उस दिन डिनर पर मैं चाची और मम्मी के साथ ही खाने को बैठा, मुझे काफी डर लग रहा था कि मम्मी से कैसे बात की जाए.. फिर अचानक लगा कि कुछ घुमा के मम्मी से बात कर लेते हैं..
मैं- चाची आप मेरे इच्छा पूरी नहीं करोगी ना, मैं कब से आपसे एक चीज मांग रहा हूँ.. आप क्यूँ नहीं देतीं?
मम्मी- क्या हुआ अमित क्या चाहिए तुझे चाची से, जो वो नहीं दे रही है..
मैं- कुछ नहीं मम्मी! एक बहुत प्यारी चीज है चाची के पास मैं वही मांग रहा हूँ.. पर चाची देने को तैयार ही नहीं होती!
मम्मी- क्यूँ री अनीता! मेरे बेटे को वो चीज क्यूँ नहीं दे देतीं? देख बेचारा कितना परेशान है?
चाची- ठीक है दीदी! मैं आज ही दे दूँगी इसे..
मैं तो उछल पड़ा.. मैंने मम्मी से हाँ तो करवा लिया था.. फिर चाची ने मुझसे कहा कि कल लंच के बाद आ के ले लेना अमित…!
उसके बाद मैं हवा में उड़ने लगा था, मैं बस किसी तरह चाहता था कि रात ख़त्म हो.. और लंच का टाइम आ जाए… उस दिन रात काफी लम्बी लग रही थी .. पर आखिर में मेरा इंतज़ार ख़त्म हो गया.. सुबह मैं काफी अच्छे से नहा के सेंट वेंट लगा के लंच करने गया.. जल्दी से लंच करके चाची के कमरे में जा कर इन्तज़ार करने लगा चाची का..! आज मैं चाची को चोदने वाला था.. यह सोच कर मेरा मन फ़ूला नहीं समां रहा था.. फिर चाची कमरे में आई..
मैं बेड पे लेट के टीवी देख रहा था..
चाची- तो अमित आखिर तुमने अपना दिमाग लगा के माँ से हाँ करवा लिया न!
मैं- चाची मैं आपको चोदने के लिए कुछ भी कर सकता था!
चाची- आज तो चाची भी तुझसे चुदना चाहती है.. देख अच्छे से चोदना चाची को.. जल्दी बाज़ी में मत चोदना.. जैसे बोलूँ वैसे चोदना!
मैं- चाची आप जैसा बोलोगी, मैं वैसे ही चोदूँगा!
चाची- तू आ आज तू मेरी कपड़े उतार!
फिर मैं चाची के पास गया और चाची की साड़ी उतार दी.. फिर चाची की चूचियों को ब्लाउज के ऊपर से ही दबाने लगा.. फिर चाची ने ख़ुद ही ब्लाउज उतार दिया.. फिर मुझे लगा कि चाची को पूरा नंगा कर दूँ.. और मैंने चाची की ब्रा, साया, पेंटी सब निकाल दिया.. फिर चाची बिस्तर पर लेट गई और मैं चाची को खड़ा देखने लगा.. चाची को ऐसे देख के तो किसी मुर्दे में भी जान आ जाती..
चाची- क्यूँ रे दूर से ही देखता रहेगा.. या पास भी आएगा.. आ मेरे पास आ ना..
मैं चाची के पास जा के बैठ गया..
चाची- तू कल बोल रहा था न मेरा दूध पिएगा.. ये ले आ जा मेरे दूध पी जा..
मैं भी चाची के चूचियों को प्यार से सहलाने लगा.. उनकी चूचियाँ मेरे हाथों में नहीं आ पा रही थी.. इतनी बड़ी और इतनी मुलायम चूची… बस मन कर रहा था कि दबाता ही रहूँ। फिर मैं चाची की एक चूची को अपने मुँह में लेकर चूसने लगा.. और दूसरी को पूरी ताकत से दबा रहा था.. चाची बड़े प्यार दे मुझे अपना दूध पिला रही थी.. हालाँकि चाची की चूची में दूध अब आता नहीं था, पर चाची की चूची बहुत स्वादिष्ट थी..
मैं- चाची आपने तो बोला दूध पियो.. पर आपके चूची से तो दूध नहीं निकाल रहा है.. चाची अब दूध कैसे पियूँ?
चाची- अरे मेरे लाल… चूची का दूध ख़त्म हो गया है.. पर आ तुझे अपना खास दूध पिलाती हूँ, मेरी चुत पे जा और चाट जा चुत का सारा दूध…
मैं- चाची आपकी बूर का रस मीठा है न?
चाची- तू चख के देख ले.. चूची का दूध भूल जाएगा..
फिर मैं चाची की चुत के पास जाकर बैठ गया.. चाची की चुत में हल्की हल्की झांट थी.. जो पसीने से भीगी हुई थी.. मैंने पहले चाची की झांट को चाटा.. चाची की झांट इतनी नमकीन थी कि बस चाटने का ही मन कर रहा था.. चाची उधर अपनी गांड उठा उठा कर मुझे इशारे कर रही थी कि चुत चाट..
तो मैंने सोचा कि अब चाची को ज्यादा न परेशान करूँ..फिर चाची की चुत को प्यार से सहलाया.. चाची की चुत तड़प में गीली हो गई थी.. मैंने पहले चाची की चुत में अपनी एक उंगली डाली, वो चाची की चुत में काफी आराम से आ जा रही थी.. तब मैंने दो दो उंगलियाँ एक साथ घुसाना शुरू किया. तब चाची को मजा आने लगा.. चाची हल्की हल्की आवाज़ निकलने लगी..
चाची की आवाज़ सुन के मैं और तेज़ी से उनकी चुत फाड़ने लगा.. चाची की चुत एकदम गीली हो गई थी.. सो मैंने सोचा अब बुर रसपान कर लिया जाए.. और चाची की बुर में अपना मुँह रख दिया… बूंद बूंद चाट लिया… इतनी स्वादिष्ट रस मैंने आज तक नहीं पिया था.. चाची चुत उठा उठा के मुझे चुत का रस पिला रही थी.. मैं चुत का रस ऐसे चूस रहा था जैसे कोई निम्बू से रस चूसता है.. मुझे सब कुछ सपना लग रहा था.. मैंने चाची की बूर का इतना रसपान किया चाची ने ख़ुद से मना किया..
चाची- अरे बस भी कर कितना प्यासा है.. क्या मुझे मार ही डालेगा..
मैं- चाची आपका चुत-रस इतनी प्यारा है कि मैं हमेशा आपका रस चूसता रहूँ।
चाची- तूने तो मुझे धन्य कर दिया रे.. आजतक ऐसा रसपान ज़िन्दगी में किसी ने नहीं किया.. चल अब आ मैं तेरी सेवा कर दूँ..
मै- क्या करोगी चाची?
चाची- आ मैं तेरी लंड की प्यास बुझा दूँ.. तू भी चाहता है न कि मैं तेरा लंड अपने मुँह में लूँ?
मैं- चाची मैं तो रोज़ रात को सपने में अपना लंड आपके मुँह में देता हूँ.. मुझे तो वि्श्वास नहीं हो रहा है कि.. आप इसे मुँह में लोगी।
फिर चाची ने मेरी लंड को अपने हाथ में लिया.. मेरा लंड गरम होकर इतना कड़ा हो गया था कि चाची ने उसे छूते ही अपने मुँह में ले लिया.. आज मेरे लंड को अपनी मंजिल मिल गई थी। चाची मेरे लंड को आइसक्रीम की तरह चाट रही थी.. चाची के चाटने के अंदाज़ से लग रहा था कि चाची तो लंड की शौकीन हैं।
चाची लंड मुँह से निकाल के उसे अपनी चूची से सटाने लगी… लंड से चाची की चूची को छू के इतना प्यारा लगा कि मैं बयान नहीं कर सकता.. मेरा लंड बस अब चाची की चुत का प्यासा था.. फिर चाची ख़ुद ही लेट के लंड को अपनी चुत से सटाने लगी.. तब मुझे लगा कि अब समय आ गया है.. चाची भी चुदना चाहती है…
मैं- चाची अब मैं आपको चोद लूँ?
चाची- हाँ अमित आ अब अपनी चाची की चुत को चोद डाल..! पूरी जान लगा के चोदना..! बहुत दिन से प्यासी है तेरी चाची की ये चुत.. आज इसकी प्यास बुझा दे मेरे लाल…!
मैं चाची को नीचे लिटा के उनके ऊपर आ गया.. चाची की चुत पे अपनी लंड को रखा और उसे चुत पे रगड़ने लगा। चाची से रहा नहीं जा रहा था.. चाची ने चुत उठा के गली दी की मादरचोद अब चोद भी.. कितना इन्तज़ार कराएगा..
फिर मैंने चाची की चुत में अपना लंड घुसाना सुरु किया.. एक ही बार में मेरा लंड आधा चाची की चुत में चला गया… फिर मैंने दूसरी बार जब ज़ोर लगाया तब मेरा पूरा लंड चाची की चुत में.. मुझे ऐसा लग रहा की चाची की चुत स्वर्ग हो.. मेरा लंड तो फुला नहीं समां रहा था..
मैंने चाची की चुत में ज़ोर ज़ोर से धक्के लगाने शुरु किया.. चाची काफी ज्यादा आवाज़ कर रही थी.. चोद डाल.. चोद मेरे ला..चोद दे अपनी चाची को.. चाची जैसे जैसे बोले रही थी.. मैं और भी ज़ोर ज़ोर से चाची को चोद रहा था..
फिर मैंने चाची घुमने की लिए बोला.. और चाची के पीछे से उनकी चुचियों को दबाते हुए.. लंड को फिर से चाची की चुत में डाल दी.. चाची मजा ले ले के चुदवा रही थी.. फिर मैंने चाची को कुतिया बन्ने को कहा.. और चाची के पीछे जाकर.. चाची की चुत की खूब पूजा की.. आज मेरा लंड काफी साथ दे रहा था.. चाची एक बार पुरी तरह से स्खलित हो चुकी थीं.. उसके बाद मेरा लंड फच फच की आवाज़ के साथ चाची की चुत फाड़ने लगा.. अब मेरा लंड भी अपनी पानी उगलने वाला था..
मैं- चाची मेरा लंड पानी निकलने को तैयार है..
चाची- निकाल दे बेटे चाची की चुत में ही निकाल दे.. चुत को काफी दिनों से नहीं मिली है लंड का रस..
मैंने पूरा का पूरा पानी चाची की चुत में डाल दिया.. चाची ने ज़ोर से मुझे गले लगा लिया और मुझे प्यार से चूमने लगी..
चाची- कैसा लगा बेटा चाची को चोद के.. मजा आया न तुझे..?
मैं- चाची मेरे ज़िन्दगी बन गई आज… आज से आप जैसा बोलोगी.. मैं वैसा ही करूंगा… आप मेरी चाची हो.. मेरी दुनिया हो… मेरी लव हो..! चाची, मैं आपको रोज़ चोदूंगा.. चुदवाओगी न चाची.. बोलो न…!
चाची- हाँ मेरे लाल मैं तेरे से रोज़ चुदवाऊँगी.. चल अब जा अपने कमरे में! नहीं तो कोई पकड़ लेगा…
फिर अनीता चाची को मैं रोज़ चोदने लगा!
पाठको! यदि आपको यह कहानी अच्छी लगी है तो मुझे ज़रूर मेल कीजिये, तब मैं आपको आगे की कहानी बताऊँगा.. अभी मेरी हेमा चाची..और माँ की कहानी बाकी है… Antarvasna
दोस्तों ! मेरा नाम राहुल है और Sex Stories आज मैं आपको अपने साथ हुए एक हसीन हादसे की कहानी सुना रहा हूँ !
बात तब की है जब मैं ११वी कक्षा में पढ़ता था तो मैं अपने घर से कुछ दूर एक शिक्षक के यहाँ टयूशन पढ़ने जाता था ! मेरे को सुबह ६.३० बजे जाना पड़ता था और फिर स्कूल से आते वक़्त भी जाना पड़ता था थोड़ी देर के लिए ! उस शिक्षक की बीवी जिनका नाम रंजना था, वो भी कभी कभी मुझे पढ़ाती थी ! कसम से ,ऐसी पंजाबन आज तक मैंने नहीं देखी थी ! क्या जिस्म था उसका !!!!! एक आग का गोला, जो देखे बस देखता ही रह जाये और उसके मम्मे इतने बड़े थे कि बस देखते ही पकड़ के खा जाने को जी चाहता था ! मेरी रोज़ की आदत हो गई थी कि मैं उसके मम्मे देख के घर जाता था और मुठ्ठ मार लेता था !
संयोग से एक दिन थापर सर (टयूशन वाले सर) को बाहर जाना पड़ गया तो उन्होंने कहा कि मैडम से काम चेक करा लेना ! मैं उस दिन टयूशन गया और मैडम से काम चेक कराने लगा तो मेरी नज़र फिर उसके मम्मे पर पड़ी !
“ओहो ………….क्या नज़ारा था वो !!” एक बड़ी खाई के बीच में फँसा हुआ वो चेन का लोकेट ! वो पसीना जो न जाने गले से होकर कहाँ-कहाँ पहुँच रहा था ! अब मेरी शामत आई कि मैडम ने मुझे देख लिया वो सब देखते हुए और जल्दी से अपने कपड़े सही किये और रसोई में चली गई ! मैं वहां मचलता रह गया मगर अचानक मैडम ने मुझे रसोई में बुलाया और साथ में बहाने से बाहर का दरवाज़ा बंद कर के आने को कहा !
मैडम ने कहा,”मुझे ऊपर के बॉक्स पर से कुछ उतारना है !”
तो मैं स्टूल पर चढ़ गया और फिर वही मैडम के स्वर्ग के दर्शन……………! मैं बस गिरने ही वाला था मदहोश हो के कि अचानक मेरे लंड पे गरम हवा महसूस हुई ! देखा मैडम मेरा खड़ा हुआ लंड बड़े ध्यान से देख रही थी !
मैं घबराया और नीचे उतर आया ! मगर मैडम की आँखों में कुछ और ही था………………! मेरी तो जैसे चांदी होने वाली थी !
वो बोली,”क्या देख रहा था ?”
मैंने कहा,”जो आप ढंग से नहीं दिखा पा रही थी ………..!”
इतना कहने पर वो बोली,”पूरा देखना है या बस ऐसे ही ………………?”
मैंने उनका सूट खींच के कहा,”आज तो दिखा ही दो………….!”
तो उसने मेरा मुंह पकड़ा और पसीने से भरे मम्मों के बीच दे दिया और एक आह भरी…………….!
मेरा मुंह उसके पसीने से भर गया ! मगर मुझे वो बिलकुल बुरा नहीं लग रहा था क्योंकि मेरी नथ जो उतरने वाली थी ! मैंने एक हाथ से उसके मम्मे को कस के भींच लिया और उसके होंठ चूमने लगा ! फिर उसे स्लेब पे टिका दिया और उसका एक हाथ अपनी पेन्ट में डाल दिया !
बस कुछ देर मैं होंठ ही चूसता रहा और उसके हाथ से अपना लंड सहलवाने लगा ! वहां गर्मी बहुत थी तो मैं उसे अपनी गोद में उठा कर बिस्तर पर पटक दिया ! उसके गोरे बदन को ध्यान से देखा और अपने अन्दर के शैतान को जगाने लगा !
अपने सारे कपड़े उतारने के बाद मैं उसके ऊपर कूद पड़ा ! उसे ढंग से रगड़ना चालू किया, हर जगह चूमा और फिर उसकी बालों से भरी चूत में अपना मुंह घुसा दिया !
५ मिनट बाद वो बोली,”जल्दी डाल न …………बहुत खुजली हो रही है !! तेरा अंकल तो समय से पहले ही बूढ़ा हो गया, कुछ कर ही नहीं पाता, तू तो कुछ कर ……..!’
मैं उसकी टांगो के बीच में आया और एक ही बार में सुपाड़ा पूरा अन्दर तक घुसा दिया ! वो दर्द से तड़प गई और छाती के बाल नोच लिए ! मैंने अपना लंड फिर से हल्का सा बाहर निकाल के फिर से पूरा अन्दर डाल दिया !
वो बोली,” निकाल लो…..! वरना मैं मर जाउंगी ! ऐसा लग रहा है कि जैसे हलक तक डाल दिया हो………!”
मैंने डर के बाहर निकाला तो वो बोली,”अब मैं ठीक हूँ ! फिर से एक बार …………!”
फिर तो मैंने अपने थकने तक उसे चोदा और बदन पर कई जगह काट के अपने दांतों के गहरे निशान बना दिए ताकि वो मुझे याद रखे ! उस दिन से अब तक, मैं गिन के अपने ५ बच्चे उसके पेट में छोड़ चुका हूँ, मगर वो दिन मेरी ज़िन्दगी का यादगार दिन बन गया !
आपको मेरी कहानी कैसी लगी ? बताना ज़रूर !! Sex Stories
मैं मोनिका शर्मा फ़िलहाल 25 साल की लड़की हूँ, Hindi sex stories जब होस्टल में रह कर पढ़ती थी तब 18 साल की थी। बात उस दिन की है
जब एक दिन खूब बारिश हो रही थी और मुझे कोलेज से निकलने में देर हो गई थी। रात के 9 बज गये थे।
घनघोर बारिश थी मैं पूरी तरह भीग गई थी। सलवार और कुरती मेरे बदन से चिपक गई थी। मुझे डर भी लग रहा था।
बारिश से बचने के लिये एक घर के नीचे रुकी थी, ठंड से ठिठुर भी रही थी।
घर में से एक औरत ने निकल कर मुझे ऊपर बुला लिया, मुझे राहत मिल गई थी, उसने मुझे कपड़े बदलने को दिये, एक कुरता दिया जिसे मैंने पहन लिया और उस औरत को धन्यवाद दिया।
बारिश रुक नहीं रही थी। औरत अपने कमरे में चली गई। मैं अकेली हो गई थी। कुछ देर बाद तीन लड़के आये, मुझे देखा और अंदर चले गये।
बाद में मुझे बुलाया तो मैंने देखा वो औरत उन तीनों के साथ नंगी लेटी थी।
पहले मैं डर गई.
मगर उसने मुझे डरने से मना किया और कहा- यदि वो इस बारिश का मज़ा लेना चाहती हो तो बोलो?
मैं कुछ बोल नहीं पाई.
तभी एक लड़के ने मुझे कहा- तुम्हारा बदन कोरा है। यदि एक बार तुम मज़ा लोगी तो बार बार यहाँ आओगी।
मैं क्या करती। मैंने हाँ कह दिया।
तब मेरे कपड़े उतार कर तीनों ने मुझे नंगा कर दिया और लेटा दिया।
मुझे डर भी लग रहा था मगर एक नये अनुभव का सोच कर चुप थी, मेरे बूब्स देख कर तीनों ने कहा कि इतने बड़े आज तक नहीं देखे।
तीनों लड़के मेरे बदन को सहलाने लगे थे। मुझे भी थोड़ा मज़ा आने लगा था। पहली बार ऐसा मिला मज़ा था।
औरत ने कहा कि तुम चुप चाप लेटी रहो.
तभी तीनों ने मेरे बदन पर शराब उड़ेल दी और चाटने लगे। मुझे पता नहीं क्यों बहुत अच्छा लगा। मुझे एक ने उठाया और मेरी चूत में उंगली डाल दी। मैं चिल्ला उठी मगर मज़ा आया।
एक ने मेरी गाँड में उंगली डाल दी।
तीसरे ने मेरे उरोजों को दबाना शुरु कर दिया।
उस औरत ने मुझे एक पलंग से बांध देने को कहा। मुझे तीनों ने बांध दिया और एक मेरे ऊपर चढ़ कर अपने लंड को मेरी चूत में डालने लगा।
मैं चिल्ला उठी बहुत दर्द हो रहा था। मगर चुप रही। मेरी चूत में उसने अपने लंड को डाल कर हिलाना शुरु कर दिया।
मैं चिल्ला उठी थी। चूत से खून भी आ गया था। मगर मुझे अच्छा लग रहा था।
तभी एक ने मेरे मुँह मेँ लंड दे दिया और कहा कि इसे चूसो।
मैं चूसने लगी।
उसका वीर्य मेरे मुँह में आ गया।
मेरे हाथ बंधे थे, तीनों ने बारी बारी से मुझे पागल कर दिया।
मैं थक गई थी तब औरत ने मुझे कुछ पीने को दिया। वो शराब थी, मैं पी गई और उस रात कई बार तीनों ने मेरे साथ मज़ा लिया।
सुबह 4 बजे बारिश बंद हो गई थी तब मुझे जाने को कहा और बाद में आने को कहा।
मैं फ़िर वहाँ जाने लगी और एक बार तो 5 लोगों ने मुझे संतुष्ट किया। Hindi sex stories
मुझे ये आदत लग गई। उस रात ने मुझे सेक्सी बना दिया। 25 साल की हूं मगर एक दो से मेरा मन नहीं भरता।
मेरी शादी हो गई है मगर मैं आज भी कई लोगों के साथ एक साथ मज़ा लेती हूँ।
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