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डेल्ही गर्ल सेक्स कहानी उन दिनों की है, जब मैं 12वीं पास करने के बाद आगे की पढ़ाई के लिए पंजाब के एक इंजीनियरिंग कॉलेज में दाखिला करवा चुका था.
हमारे घर के सामने भी हमने एक घर ले रखा है जो हम किराए पर दे देते थे.
उस समय उस घर में दिल्ली से एक बैंक मैनेजर और उनकी पत्नी अपनी दो बेटियों बड़ी तनु और छोटी शिल्पा के साथ रहने के लिए आए.
उनका तबादला हमारे शहर में हुआ था.
वे हमारे घर में अपने परिवार के साथ रहने लगे.
मैनेजर साहब को मैं अंकल और उनकी पत्नी को आंटी कहता था.
अंकल एक साधारण व्यक्तित्व के मालिक और अच्छे स्वभाव के आदमी थे और उनकी पत्नी रीना आंटी बहुत ही गोरी-चिट्टी और मिलनसार महिला थीं.
उनकी बड़ी बेटी तनु देखने में बिल्कुल फिल्म स्टार प्रियंका चोपड़ा की तरह दिखती थी.
तनु ने हमारे ही शहर के एक कॉलेज में बीए के प्रथम वर्ष में दाखिला लिया था.
पड़ोसी होने के नाते हमारा उनके घर में अक्सर आना-जाना रहता था और आंटी भी बेझिझक घर के कामों के लिए मुझे बोल दिया करती थीं.
वैसे तो तनु के बारे में मैंने कभी भी गलत नहीं सोचा था.
लेकिन एक दिन मैं वैसे ही उसके घर में गया.
तब तनु नहा कर निकली थी और गीले बालों में बहुत खूबसूरत लग रही थी.
उसको यूं देखकर मेरे मन में तनु को चोदने के ख्याल आने शुरू हो गए.
उसी दिन से ही मैं तनु को पटाने के तरीके खोजने लगा और उसको अपनी कल्पनाओं में नंगी करके मुठ मारने लगा.
अब मैं जानबूझकर उनके घर ज्यादा आने जाने लगा और हंसी मजाक में तनु से खुलने की कोशिश करने लगा लेकिन कोई भी बात आगे बढ़ ही नहीं रही थी.
तनु भी जवानी की दहलीज पर थी और मेरी हरकतों को बखूबी समझ रही थी परंतु उसने कभी भी मुझसे अपने दिल की बात जाहिर करने की कोशिश नहीं की.
एक दिन मैंने सोचा कि आज जो हो जाए, तनु से बात करके ही रहूंगा.
यही सोच कर मैं तनु के घर चला गया.
आंटी किचन में काम कर रही थीं और शिल्पा अभी अपनी ट्यूशन से वापस नहीं आई थी इसलिए मुझे और तनु को कुछ समय अकेले बैठने का मिल गया.
मैं हिम्मत जुटाकर धीमी आवाज में बोला- तनु, तुम मुझे बहुत अच्छी लगती हो. क्या तुम मुझसे दोस्ती करोगी!
तनु खिलखिला कर हंसी- बुद्धू, इतने दिन लगा दिए इस बात को कहने में! मैं तुम्हें शुरू से ही पसंद करती हूं.
बस उसी दिन से हम लोगों का छुप-छुपकर छत पर मिलना और लंबी लंबी बातें करना शुरू हो गया.
शुरू शुरू में तो हम दोनों अपनी लाइफ की और कॉलेज की बातें ही शेयर किया करते थे लेकिन धीरे-धीरे टॉपिक सेक्स पर भी आना शुरू हो गया.
थोड़ा बहुत चूमा चाटी और एक दूसरे पर हाथ फेरना शुरू हो गया.
हम दोनों के बीच सेक्स करने की कामना बलवती होने लगी थी. बस एकांत नहीं मिल पा रहा था.
किस्मत से कुछ ही दिनों में उसकी नानी जी की मौत हो गई जिसमें तनु के मम्मी पापा, शिल्पा के साथ दिल्ली चले गए.
तनु कॉलेज का बहाना बनाकर घर पर ही रुक गई.
चूंकि उनका घर भी हमारे साथ वाला ही था इसलिए मुझे रात को छिपकर उनके घर जाने में कोई परेशानी नहीं होने वाली थी.
हमने रात का समय तय किया और अपने अपने घर में अपने रूटीन के कामों में लग गए.
हम दोनों ही बेसब्री से रात का इंतजार करने लगे.
मैं रात को 10:30 बजे छिपकर दीवार फांद कर उनके घर चला गया.
उधर वह मेरे आने का इंतजार कर रही थी.
वह टी-शर्ट और कैपरी पहन कर बालों की पोनीटेल किए हुए बहुत ही ज्यादा प्यारी लग रही थी.
मैंने उसे अपनी बांहों में भर लिया और उसके होंठों को चूसना शुरू कर दिया.
वह भी शर्माती हुई थोड़ा थोड़ा साथ दे रही थी.
मैं- तनु, अगर तुम मेरा साथ दोगी तो तुम्हारे यह पल यादगार बन जाएंगे और तुम बहुत एंजॉय करोगी.
तनु- मैं तुम्हारा पूरा साथ दूंगी. लेकिन मैंने सुना है किस फर्स्ट टाइम सेक्स करने पर काफी दर्द होता है और खून भी बहुत निकलता है.
मैं- थोड़ा दर्द तो तुम्हें बर्दाश्त करना पड़ेगा लेकिन यह मेरा वादा है कि तुम्हें मजा भी बहुत ज्यादा आएगा.
दोबारा से स्मूच करते हुए मैंने उसकी टी-शर्ट को उतार दिया.
पिंक कलर की ब्रा और काली कैपरी में खड़ी वह ऊपर वाले की खास तौर से तराशी हुई मूर्ति लग रही थी.
तनु- विवेक, प्लीज लाइट बंद कर दो, मुझे बहुत शर्म आ रही है.
मैं- तुम इन पलों का पूरी तरह से आनन्द उठाओ और मुझसे क्या शर्माना?
उसके होंठों से उसके कान की लौ चूमते हुए धीरे धीरे मैं उसकी गर्दन को चूमने लगा, जिससे वह बड़ी मीठी आवाज में सिसकारियां लेने लगी.
मैंने उसे प्यार से बेड पर बिठाया और उसकी कैपरी उतार दी और उसको मैचिंग ब्रा पैंटी में देखकर मेरा लंड फटने को हो रहा था.
वह देखने से भी साक्षात काम की देवी लग रही थी.
मैंने उसकी ब्रा उतार दी और उसके खूबसूरत चूचों पर टूट पड़ा.
एक को मुँह में ले लिया और दूसरे को दबाना शुरू कर दिया.
मैं काफी देर तक बारी बारी से उसकी चूचियों को चूसता और दबाता रहा जिससे उसकी हालत भी काफी खराब हो रही थी और वह बेड पर दोनों तरफ अपना सिर घुमा रही थी.
चूचियों से नीचे आते हुए मैंने उसकी नाभि में अपनी जीभ डाल कर चूसना शुरू किया.
उसकी सिसकारियां काफी तेज हो गईं और वह मेरे बाल नोंचने लगी.
मैंने उसकी बगलों को देखा तो उसकी एक कांख में अपनी जीभ से चाटना शुरू कर दिया.
इससे उसे काफी गुदगुदी हो रही थी और मजा भी आ रहा था.
वह खिलखिलाने लगी थी.
फिर मैंने नीचे आकर देखा कि उसकी पैंटी योनि रस से काफी गीली हो चुकी थी और मादक सुगंध आ रही थी.
धीरे-धीरे मैंने प्यार से उसकी पैंटी उतारनी शुरू की जिसमें उसने अपनी गांड उठा कर सहयोग किया.
उसकी छोटे-छोटे रोंए जैसे सुनहरी बालों वाली बुर देखकर मेरे मुँह में पानी आ गया.
बुर के आपस में चिपके हुए होंठ और उस पर बुर रस की हल्की हल्की बूंदें उसकी बुर को बहुत खूबसूरत बना रही थीं.
मैंने उसकी जांघों के अन्दर के हिस्सों पर चूमना शुरू किया और धीरे-धीरे उसकी बुर की तरफ बढ़ना शुरू किया.
जैसे ही मैंने अपनी जीभ की नोक से उसकी भग्नासा को छुआ.
उसने लंबी आह भरी और खुद ही अपनी चूचियों को मसलने लगी.
ऐसी सील बंद बुर को चाटने का एक अलग ही मजा होता है.
उसमें से निकल रहा रस आपके कामुक भाव को कई गुणा बढ़ा देता है.
मैं भी जैसे-जैसे उसकी बुर चाट रहा था, वैसे वैसे मेरा सेक्स का नशा और बढ़ता जा रहा था.
जैसे ही तनु झड़ने के करीब हुई तो मैंने चाटना छोड़ दिया क्योंकि उसे मैं बहुत ज्यादा गर्म कर लेना चाहता था.
उसके बाद मैंने धीरे-धीरे उसकी टाइट बुर को अपनी एक उंगली से चोदना शुरू किया.
उसकी बुर इतनी टाइट थी कि एक उंगली भी मुश्किल से जा रही थी.
लेकिन थोड़ी देर लगातार चलाने से मेरी एक उंगली आराम से उसकी बुर के अन्दर जानी शुरू हो गई और उसे मजा भी आना शुरू हो गया.
ऐसे करते-करते धीरे-धीरे मैंने दो उंगलियों से उसकी बुर को थोड़ा ढीला किया और लंड के लिए रास्ता बनाना शुरू किया.
इतनी देर से मेरा 6.5 इंच लंबा और 3 इंच मोटा लंड फटने को हो गया और उसकी नसें भी काफी उभर कर बाहर आ गईं.
फिर मैंने जमीन पर कंबल बिछाकर तनु को कंबल पर दो तकिया लेकर लेटने के लिए कहा.
ऐसा मैंने इसलिए किया क्योंकि जब भी हम किसी सील बंद और कुंवारी लड़की के साथ पहली बार सेक्स करते हैं तो बेड पर गद्दे पर लड़की को पीछे खिसकने की जगह मिल जाती है. जिससे थोड़ा अन्दर गया लंड बाहर आ जाता है और लड़की दोबारा डलवाने से घबराती है.
मैंने तनु को कंबल पर लेटाया और उसके चूतड़ों के नीचे एक तकिया रखा, जिससे उसकी बुर का मुँह ऊपर की तरफ हो गया.
इस तरह से लेटने से सेक्स करने में आसानी रहती है.
उसकी दोनों टांगों के बीच बैठकर मैंने अपना लंड उसकी बुर की फांकों के साथ घिसना शुरू किया जिससे उसकी बुर से पानी बहना शुरू हो गया और वह सेक्स करने के लिए मानसिक रूप से भी तैयार हो गई.
मैंने उसकी बुर और अपने लंड पर काफी सारा थूक लगाया और धीरे-धीरे लंड का सुपारा उसकी बुर में घुसा दिया.
मैं- तनु तुम ठीक हो … तुम्हें ज्यादा दर्द तो नहीं हो रहा?
तनु- मैं ठीक हूं क्योंकि मुझे लग रहा है कि तुमने जैसे उंगलियों से रगड़ रगड़ के मेरी बुर को सुन्न ही कर दिया है.
उसके साथ बातें करते करते मैंने अपने लंड पर दबाव बनाना जारी रखा.
लगभग डेढ़ इंच तक मेरा लंड उसके बुर में घुस चुका था.
दर्द तनु के चेहरे पर नजर आ रहा था लेकिन वह दर्द बर्दाश्त करती हुई मुझे सहयोग दे रही थी.
आगे बढ़ने से पहले मैंने धीरे धीरे उसकी एक चूची को पीना और दूसरी को सहलाना शुरू किया.
फिर जैसे ही मुझे लगा कि इसका दर्द अब कम है, तो मैंने पूरा दबाव बनाते हुए एक झटके से पूरा लंड उसकी बुर में उतार दिया.
पूरा लंड अन्दर जाते ही तनु की आंखें फैल गईं और वह दर्द से छटपटाने लगी.
मैंने उसकी एक चूची को मुँह में भर लिया और दूसरी को मसलने लगा.
दूसरे हाथ से उसकी कमर और टांगों को सहलाता रहा.
थोड़ी देर प्यार से सहलाने और चूचियों को मसलने के बाद वह सामान्य होना शुरू हो गई और नीचे से धीरे धीरे अपनी गांड हिलाने लगी.
मेरे पूछने पर तनु ने बताया कि उसे अभी काफी दर्द हो रहा है.
मैंने कहा- थोड़ी देर में यह दर्द भी हो जाएगा. अब दर्द वाला काम लगभग खत्म हो चुका है.
उसने कहा कि तुम एक बार बाहर निकाल लो, मैं दोबारा करने से मना नहीं करूंगी.
मुझे उसकी इसी बात पर काफी प्यार आया और मैंने अपना लंड उसकी बुर से बिल्कुल बाहर निकाल दिया.
लंड के बाहर निकालते ही उसकी बुर से थोड़ा-थोड़ा खून आना शुरू हो गया.
खून देखकर वह जरा घबरा गई.
पर जब मैंने उसे समझाया कि यह बिल्कुल सामान्य है. अब तुम कैसा महसूस कर रही हो!
खून के बाद उसकी बुर से सफेद पानी निकलना शुरू हुआ तो उसने कहा- अब मैं काफी हल्का महसूस कर रही हूं. अब तुम दोबारा शुरू कर सकते हो.
दोबारा शुरू करने के बाद भी मैंने तेज तेज धक्के मारने शुरू नहीं किए क्योंकि मैं चाहता था कि तनु पूरी तरह से सामान्य हो जाए और अपने फर्स्ट सेक्स का भरपूर मजा ले.
तनु- अब खुश हो, कर लिया किला फतह?
मैं- ऐसा कुछ नहीं है हम दोनों ही अभी गैर तजुर्बेकार हैं. इसीलिए मैं चाहता था कि यह फर्स्ट टाइम सेक्स हम दोनों के लिए एक अच्छी यादगार बने.
मैंने तनु को अभी तक यही बताया था कि मैंने जिंदगी में कभी सेक्स नहीं किया है. फर्स्ट टाइम तुम्हारे साथ ही करूंगा.
जबकि मैं पहले भी कई लड़कियों के साथ सेक्स कर चुका था.
इसके बाद मैंने धीरे धीरे धक्के मारने शुरू किए.
जिससे उसे भी मजा आना शुरू हुआ.
उसकी बुर से मेरे लंड के साथ थोड़ा थोड़ा खून और पानी बाहर की तरफ आना शुरू हो गया जो उसकी गांड को भिगोता हुआ कंबल तक जा रहा था.
तनु की बुर मैं अब मेरे लंड की जगह बन गई थी इसलिए अब मैंने जोर जोर से धक्के मारने शुरू कर दिए.
धक्के तेज महसूस होते ही तनु ने मेरे पेट पर हाथ लगाकर मुझे थोड़ा धीरे धक्के मारने के लिए कहा.
ऐसे ही थोड़ी देर धक्के मारने के बाद मैंने तनु से पोजीशन चेंज करके ऊपर आने के लिए कहा.
‘जान लंड की सवारी करना चाहोगी?’
जवाब में तनु ने कहा कि अब से मैं तुम्हारी हूँ … तुम जो चाहोगे, मैं वही करूंगी.
मैं नीचे लेट गया.
डेल्ही गर्ल सेक्स करने के लिए मेरा लंड पकड़ कर अपनी बुर में डाल कर मेरे ऊपर बैठ गई और धीरे धीरे धक्के मारने लगी.
उस पर मैंने भी नीचे से धक्के मारने शुरू कर दिए.
दोहरे धक्के लगने की वजह से तनु 2 मिनट में ही लंबी सिसकारी लेते हुए झड़ गई और बुर में लंड फंसाए हुई ही मेरे सीने पर अपना सर रख कर लेट गई.
थोड़ी देर बाद अपनी सांसों को काबू करती हुई वह उठी और अपने बिखरे बालों को ठीक करती हुई मेरी आंखों में देखकर मुस्कुराने लगी.
मुझे उसके चेहरे पर उस समय एक अलग ही संतुष्टि और ताजगी नजर आ रही थी.
मैं- तुम्हारा तो हो गया है … अब आगे क्या करना है!
तनु- तुम जैसा ठीक समझो, वैसे कर लो.
फिर मैंने तनु को डॉगी पोजिशन में आने को कहा और पीछे से उसकी बुर में लंड ठोक कर तेज तेज धक्के लगाने शुरू कर दिए.
शुरू शुरू में तनु को दर्द हो रहा था लेकिन बाद में उसे भी मजा आना शुरू हो गया.
धक्के लगाते हुए मैं उसके गोरे चूतड़ों पर थप्पड़ भी मार रहा था जिससे मुझे काफी मजा आ रहा था.
तनु ने कहा- जमीन पर इस पोजीशन में मेरे घुटनों में दर्द हो रहा है. अब बाकी का काम बेड पर कर लेते हैं.
मैंने उसे बेड के किनारे पर घोड़ी बनने को कहा और खुद जमीन पर खड़े खड़े उसकी बुर में लंड डाल दिया.
हम काफी देर से सेक्स कर रहे थे जिससे तनु भी काफी थक चुकी थी और मैं भी थक चुका था.
इसलिए मैंने तेज तेज धक्के लगाते हुए अपना माल उसकी गांड के ऊपर छोड़ दिया और हम दोनों बेड पर एक दूसरे के साथ चिपक कर लेट गए.
मैं एक शानदार शरीर का मालिक हूँ. बचपन से ही बॉडी बिल्डिंग और जुडो कराटे में रूचि होने के कारण हमेशा से ही बहुत सी लड़कियों की नज़रों में चढ़ा रहा हूँ. आज कल इंजीनियरिंग कोचिंग का मालिक होने के कारण तो मेरे आस पास बहार छाई रहती है. यदि आपको नहीं पता तो बता दूं कि 52 इंजीनियरिंग कॉलेज होने के कारण भोपाल बहुत ही हॉट है. आप फैशन देख देख कर के पागल हो जायेंगे और इंजीनियरिंग हॉस्टल की लड़कियों का तो कहना ही क्या. जवानी, आजादी, पैसा और कांफिडेंस तो इनमें कूट कूट कर भरा है.
ऐसे ही तीन लड़कियों का ग्रुप मेरी कोचिंग में आया, और इंजीनियरिंग कोर्सेस के बारे में जानकारी लेने लगा. अपने चैंबर से मैंने उन्हें देखा तो एक शक्ल कुछ जानी पहचानी लगी. अपनी रिसेप्शनिस्ट (वो भी बड़ी सेक्सी है, उसकी कहानी फिर कभी) को इंटरकॉम पर बोला तो उसने उन्हें मेरे पास भेज दिया.
एक लड़की मुझे देखते ही चौंक गयी- अरे सर आप !
3 दिन पहले ही मैंने उसे स्कूटी से गिर पड़ने के कारण अपनी कार से उसके हॉस्टल छोड़ा था, और उसकी स्कूटी मेरा ड्राईवर लेकर आया था. उस वक़्त उसने मेरा कार्ड ले लिया था.
मैंने उन्हें बैठने को कहा और उससे उसकी तबियत पूछी, उसने कहा कुछ नहीं हुआ, आपकी वजह से मैं उस दिन बच गयी नहीं तो मैं तो शायद बेहोश ही हो गयी थी,
उसने अपना नाम बताया, नताशा और उसकी दोनों सहेलियां थी सिमरन, और पल्लवी.
तीनो इंजीनियरिंग की स्टूडेंट्स थी, और कोर्स करना चाहती थी.
नए बैच में तीनो ने एडमिशन ले लिया. (डिटेल मैं जानबूझ कर छुपा रहा हूँ, और नाम भी दूसरे बता रहा हूँ, क्योंकि डिग्निटी भी कोई चीज़ है, और मैं अपने किसी दोस्त का नुकसान नहीं चाहता.)
पढाते पढाते मैं कई दिनों तक देखता रहा कि नताशा एकटक मुझे देखती रहती है, अच्छे और अंग-प्रदर्शित कराने वाले कपडे पहनना, हंस कर बात करना, सट कर सवाल पूछना तो सभी लड़कियों की आदत है पर इसमें कुछ बात तो थी, मैं भी पुराना खिलाड़ी हूँ।
कुछ दिन बाद जब वो अकेले कुछ पूछने मेरे चैंबर में आई तो मैंने कहा कि कुछ पढाई पर भी ध्यान देती हो या मेरी शकल ही देखती रहती हो?
उसने छूटते ही जवाब दिया सर आपकी शकल ही।
मैंने मुस्कुरा कर कहा- क्यों?
बोली- आप ऊपर से नीचे तक हो ही देखने लायक !
मैंने कहा- तुम्हे कैसे पता?
वो बोली- मुझे जिस दिन आपने मुझे गोद में उठा कर अपनी कार मैं बिठाया था, उसी दिन मैं आपके एक एक मस्सल को नाप चुकी हूँ।
उसकी बेबाकी से मैं तो खिल उठा, मैंने कहा- दुबारा नापने के लिए फिर मत स्कूटी से गिर पड़ना !
वो बोली- नहीं ! अब सीधे आप पर ही गिरूंगी !
मै कुछ कहता, इसके पहले ही बाकी स्टुडेंट आ गए और वो कुछ खुश कुछ प्यासी सी बाय कर के चली गयी।
दो दिन तक आँखों ही आँखों में नैन-मटक्का और कुछ शिकायत, कुछ प्यार वो छलकाती रही, और शुक्रवार को अचानक वो बोली- सर पचमढ़ी का कुछ आईडिया है आपको?
मैंने पूछा- क्यों?
बोली हम तीनों शनिवार, रविवार को पचमढ़ी घूमना चाहते हैं, सुना है बहुत सुंदर जगह है !
मैंने कहा- है तो, पहले नहीं घूमा क्या?
बोली नहीं- हम तो सब यहाँ के है ही नहीं! मैं पुणे की हूँ, सिमरन अमृतसर की और पल्लवी लखनऊ की, आप बताइए कैसी जगह है?
मैंने कहा है- तो अच्छी लेकिन हनीमून के लिए !
वो बोली- तो फिर आप भी चलिए!
मेरी तो निकल पड़ी, मैंने कहा- चलूँगा तो लेकिन फिर हनीमून मनाना पड़ेगा सोच लो !
बोली- आप चलिए तो सही !
प्रोग्राम तय हुआ, मैं और मेरा पार्टनर सनी दोनों और वो तीनों मेरी कार से निकल पड़े शनिवार की सुबह।
सनी को तो मैंने कार चलने पर लगा दिया और पल्लवी भी आगे बैठ गयी वो सबसे शर्मीली लड़की थी। मैं नताशा और सिमरन पीछे बैठ गए, नताशा ने जिद करके मुझे बीच में बिठा दिया।
दोनों ही मस्त 5 फीट 5 इंच के ऊपर लम्बाई की थी और तीनों के बूब्स बिल्कुल तने हुए थे, ऊपर से स्किन टाइट जींस पहन रखी थी। नताशा और पल्लवी ने। जबकि सिमरन स्कर्ट पहने थी पिंक रंग का।
सिमरन और कैटरिना कैफ में शायद 18-20 का फर्क होगा और सिमरन कैटरिना से दो कदम आगे ही थी, फिगर रंग और बूब्स में। घुटनों तक लम्बे बाल और चिकनी चमकती स्किन, प्राकृतिक गुलाबी होंठ और गाल।
नताशा जो कि एक आर्मी ऑफिसर की बेटी थी, सांवली लम्बी और बिल्कुल तराशे हुए बदन की मालकिन, लेकिन उसके बूब्स और रोम रोम बिल्कुल अलग से खिले हुए थे साथ ही उसकी बेबाक बातचीत किसी तो भी गरमाने के लिए काफी थी।
जबकि पल्लवी एक बिल्कुल मासूम सी शक्ल की कश्मीरी टाइप की लड़की थी, लम्बाई करीब पांच फ़ीट 3 इन्च, जबकि शरीर भरा हुआ लेकिन कमर तो शायद थी ही नहीं, उसके गाल इतने गुलाबी थे जैसे शरमाने पर गोरी लड़कियों के हो जाते हैं, लेकिन उसकी आँखें बताती थी कि उसने दुनिया में कुछ देखा ही नहीं है।
जबकि नताशा की आँखें और बातें साफ़ बता देती थी की उसने दुनिया का पूरा मजा लूटा है और आगे भी लूटना चाहती है।
मैं दोनों के बीच मैं बैठा उनसे बातें शुरू कर चुका था, दोनों की जांघें मेरी जाँघों से सटी हुई थी और सिमरन और नताशा दोनों के बाल उड़ उड़ कर मेरे चेहरे पर आ रहे थे, धीरे धीरे मैंने नताशा की जाँघों पर अपनी जांघें रगड़ना शुरू किया और वो भी मुस्कुराने लगी। माहौल तो मैं समझ ही चुका था, तीन जवान लड़कियां 2 दिन एक रात वो भी दो जवान अंजान लड़कों के साथ बिना किसी जान पहचान के, नताशा का खेल तो पक्का था, अब मेरा ध्यान सिमरन और पल्लवी पर भी था, साथ ही मुझे अपने दोस्त सनी को भी ऐश करवानी थी।
इसलिए मैं संभल कर खेलना चाहता था।
अब तक नताशा मेरी जांघ पर हाथ रख चुकी थी और धीरे धीरे हाथ फेर रही थी। मैंने अपना कोट उतार कर गोद में रख लिया, कोट उतारते वक़्त सिमरन के बूब पर ज़रूर कोहनी फेर दी। सिमरन ने अपना मुँह खिड़की की तरफ घुमा लिया और मैं उसकी प्रतिक्रिया नहीं देख पाया.
अब कोट के नीचे में और नताशा एक दूसरे को खुल कर सहला रहे थे, अचानक नताशा ने मेरी पैन्ट की ज़िप पर हाथ रख दिया और वो ज़िप खोलने की कोशिश करने लगी। मैंने उसका चेहरा देखा- उसके होंठ गीले और मुँह खुला हुआ था। साफ़ था कि वो गरम हो चुकी थी। मैंने धीरे से अपने आप ही अपनी ज़िप खोल दी, नताशा ने अपना हाथ अन्दर डाल कर मेरा 9 इंच लम्बा 3 इंच मोटा सूमो अपने हाथ में ले लिया।
अचानक मेरा पूरा बदन थरथरा गया पता ही नहीं चला कि कब मेरे हाथ उसके बूब्स पर और उसके टी-शर्ट के अन्दर पहुँच गए। उसके बूब्स बिल्कुल गोल और उसके निप्प्ल बिल्कुल खड़े थे, साइज़ क्रिकेट बाल से भी 1 1/2 गुना था. हम दोनों के ही बदन तने जा रहे थे और दोनों ही सातवें आसमान पर थे।
क्या नज़ारा था मेरा सूमो नर्म उँगलियों के बीच खेल रहा था, नताशा मेरे कंधे पर सर टिकाये हुए थी और मेरा हाथ उसकी टी शर्ट के अन्दर सहलाने में लगा था।
अचानक नताशा मेरे कान में फुसफुसाई,’ मुझे लोलीपोप खाना है !’
मेरे तो दिल की बात कर दी उसने, पर मैंने कहा,’ सिमरन देख लेगी तो?’
उसने सड़ा सा मुँह बनाया और बोली,’ इन बहनजी लोगों को सुधारना पड़ेगा, न खुद ऐश करती हैं न करने देती हैं !’
मैंने कहा,’ जो तुम्हें पीने से रोके उसे भी शराबी बना दो, हम तो यही करते हैं।’
वो बोली,’ सही कह रहे हो, इन्हें इस बार ऐश करना सिखाना ही है।’ और फिर हम दोनों अपने काम में लग गए।
अब मैंने सिमरन पर ध्यान देना शुरू किया, वो बिल्कुल ऐसे दिखा रही थी जैसे कि उसे कुछ पता ही नहीं था, इसलिए मैंने नताशा के निप्प्ल जोर जोर से दबाना और बूब्स को मसलना शुरू कर दिया तो उसकी सिसकारियां हल्के हल्के मुँह से बाहर आने लगी।
उधर सिमरन और सामान्य दिखने की कोशिश कर रही थी। अब मैंने उसकी जाँघों पर भी अपनी जांघ का दबाव हल्का सा बढ़ाया लेकिन वो चुप रही। अब तो मैं खुल कर नताशा के होठों को चूमने लगा।
1 घण्टा यही सब चलता रहा, फिर अचानक सिमरन बोली ‘कहीं थोड़ी देर गाड़ी रोक लें?’
हमने कहा- ठीक है कहीं चाय वगैरह पीते हैं !
इस चक्कर में करीब 1/2 घंटा और निकल गया इस बीच वो 3 बार बोल चुकी थी गाड़ी रोकने को !
अचानक वो चिल्ला पड़ी,’ गाड़ी रोकते क्यों नहीं?’
हमने तुंरत गाड़ी रुकवा दी. गाड़ी रुकते ही वो तुंरत उतरी और सड़क किनारे झाड़ियों की ओर दौड़ गई।
मैंने नताशा से पुछा,’ इसे क्या हुआ?’
सिमरन लौट कर आई और शरमाते हुए चुपचाप आकर बैठ गई।
मैंने पूछा- क्या हुआ था?
वो और शरमा कर लाल हो गई और सर हिलाया कि कुछ नहीं !
नताशा ने उसका चेहरा उठाया और बोली- कहती क्यों नहीं कि जोर की सु-सु आई थी !’
मारे शर्म के सिमरन और लाल हो गई।
और हम सब खिलखिला कर हंस दिए, अब सिमरन भी शर्माती हुई हंस दी।
पहली बार मैंने देखा कि शर्म की लाली कैसी होती हैं, उसके कान, नाक, गाल सब लाल हो चुके थे, और हंसने की वजह से उसकी आँखों में अजीब सा पानी चमक रहा था।
मैंने कहा,’मेरी ओर देखो !’
उसने एक नज़र मेरी तरफ देखा और फिर नज़रें चुरा कर मुस्कुरा दी।
मैंने कहा- 1/2 घंटे से तुम परेशान हो तो बोला क्यों नहीं?’
वो चुप रही।
मैंने फिर कहा- यदि हम दोस्त हैं, तो तुम अब किसी भी चीज़ के लिए परेशान नहीं होंगी हमसे नहीं तो कम से कम नताशा से तो कह सकती हैं’ वो चुप रही।
इस सब से माहौल और हल्का हो गया।
हाँ ! जितनी देर सिमरन कार से बाहर थी, इतनी देर में नताशा की जींस की ज़िप और बटन भी खुल चुकी थी, और वो मेरा सूमो भी मुँह में लेकर जीभ फिरा चुकी थी। साथ ही एक बार मैं भी उसकी जींस के ऊपर से ही उसकी पिंकी को किस कर चुका था। अब सिमरन के आने के बाद मेरा एक हाथ उसकी पिंकी और उसकी कड़ी कड़ी फेंसिंग से और कभी उसके बूब्स से खेल रहा था. और उसकी सिसकारियां फिर गूंजने लगी थीं। सिमरन फिर खिड़की के बाहर देख रही थी और पल्लवी और सनी के लिए हमारे पास टाइम ही नहीं था।
अब तक खाते पीते ऊँगली करते, बूब्स मसलते हम लोग पिपरिया पहुँच चुके थे। इसके आगे पचमढ़ी की घाटियाँ शुरू हो जाती हैं। सनी की ड्राइविंग बहुत अच्छी है। ऐसी जगह पर भी वो 50 की स्पीड पर गाड़ी चला रहा था. अब घुमाव पर गाड़ी में हम पूरे के पूरे दायें या बाएँ झुक जाते थे, मेरी तो ऐश थी, नताशा के साथ साथ अब मुझे सिमरन के बूब्स भी कोहनी से सहलाने का मौका मिल रहा था। अक्सर मैं उसकी तरफ गाड़ी मुड़ने पर उसकी जाँघों पर हाथ रख देता था और कोहनी खड़ी करके उसके बूब्स पर टिका देता था कभी वो संभलने के लिए मेरी जांघ पर।
अब नताशा तो पूरी तरह से तैयार थी अब मैं सिमरन पर पूरा ध्यान दे रहा था। उसके गालों की रंगत लाल होती जा रही थी, उसके होंठों पर एक अजीब सी नमी छाने लगी थी, अब मैंने नींद आने का बहाना कर के उसकी जाँघों पर हाथ रख दिया था, उसके चेहरे के पास अपना चेहरा टिका कर अपनी सांसें उसके कान के पीछे और गर्दन पर छोड़ रहा था।
मैंने नींद का बहाना करके अपनी हथेली को उसकी पिंकी के ऊपर रख दिया, और अचानक उसकी ऊपर की सांस ऊपर और नीचे की सांस नीचे रह गयी। मुझे अचानक उसकी स्किन लाल और गरम महसूस होने लगी. उसका पूरा बदन थरथरा रहा था। पक्का था कि यह पहली बार थी जो किसी लड़के ने उसे छुआ भी था।
मैंने अचानक नींद से उठने का बहाना किया और सीधा उससे पूछा,’क्या हुआ?’
उसने आँखें उठाकर देखा उसकी हालत ऐसी कार की तरह हो रही थी जिसका ब्रेक और एक्सीलेटर एक साथ दबा कर रखा गया हो. उसका चेहरा तमतमाया हुआ था, उसके होंठ नम हो रहे थे, उसके बूब्स साँसों की वजह से ऊपर नीचे हो रहे थे, उसकी आँखें साफ़ कह रही थी कि वो अपने होशोहवास खो चुकी थी, और उसकी आँखें एकटक मुझे देख रही थी।
मैंने धीरे से उसके सर के पीछे हाथ रख कर उसके होंठों से होंठ सटा दिए, कैसे मुझे भी नहीं पता? दो मिनट बाद जब हम अलग हुए तो उसकी आंखों में आंसू थे, मैंने उसके कंधे से हाथ डाल कर उसे अपने सीने पर टिका लिया।
ऐसा लगा काश दुनिया ख़त्म हो जाए। बीच में मैं एक शानदार शरीर का मालिक, मेरे दायें हाथ में एक सांवली सलोनी लड़की जो ख़ुद मेरे सूमो को सहला रही थी और मेरा दायाँ हाथ उसकी टी शर्ट के अन्दर एप्पल जूस निकलने में लगा था। बाएँ हाथ में मेरे एक सरदारनी थी, अनछुई, कच्ची, गुलाबी और नाज़ुक लेकिन तैयार जो कैटरिना कैफ से भी शानदार थी। अचानक मैंने झुक कर सिमरन के गाल पर अपने होंठ सटा दिए. मेरे होंठ और आँखें दोनों भीग गयी, खुशी और किस्मत की देन पर।
धीरे से मैंने अपना हाथ सिमरन के एक बूब पर टी शर्ट के ऊपर ही टिका दिया। वो फिर थरथरा उठी और कस कर मेरे सीने से चिपक गई, मैंने हाथ फेरना शुरू कर दिया। उसके बूब्स तो बिल्कुल कड़क थे और नताशा के बूब्स से दोगुने थे. फेरते फेरते मैंने हाथ टी शर्ट के अन्दर डाल दिया।
मैंने उसके निप्प्ल को उँगलियों से दबाया तो उसके मुँह से सिसकारी निकल गई, और उसने अपने होंठ मेरे गाल पर सटा कर फुसफुसाई,’ प्लीज़ ! मत करो !’
अचानक मुझे अपने सूमो पर एक चिकोटी का एहसास हुआ, नताशा जिसे मैं भूल चुका था, चहक रही थी,’ सिमरन तू भी?’ ज़माने भर की खुशी और शरारत उसके चेहरे पर थी।
वो कोट उठा कर अलग कर चुकी थी और मेरा सूमो खुली हवा में साँस ले रहा था। नताशा की जींस खुली हुई थी और उसकी पिंकी के ऊपर की सुनहरी फेंसिंग (बाल) साफ़ दिख रहे थे, यह सब देख कर सिमरन का मुँह खुला रह गया वो सन्न रह गई, मानो काटो तो खून नहीं।
अचानक मैंने उसके निप्प्ल ज़ोर से उमेठ दिए, वो कराह उठी फिर शरमा गई और मेरे सीने में घुस गई. मेरा ध्यान आगे गया तो पल्लवी मुँह खोले आँखें फाड़े मेरे सूमो और नताशा की पिंकी को देख रही थी, उसके चेहरे पर ऐसे भाव थे जैसे भूत देख लिया हो। नताशा ने उससे पूछ ही लिया ‘पल्लवी क्या देख रही हो?’ वो बेचारी चुपचाप सामने मुड गई।
अब तो खुल कर खेल रहे थे हम सब, सिमरन की स्कर्ट घुटनों के ऊपर आ चुकी थी, मेरा हाथ कभी उसके शानदार कड़क बूब्स को मसलता कभी चूचुकों को उमेठता, कभी उसकी जाँघों पर सहलाता, वो भी मदमस्त हो चुकी थी, इतना गरम हो चुकी थी कि वो अपनी गर्दन मेरे होंठों पर रगड़ रही थी, उधर नताशा मेरे सूमो को झुक कर मुँह में ले चुकी थी और दूसरे हाथ से भी मैंने सिमरन के दूसरे बूब को भी थाम लिया था।
अब सिर्फ़ पूरी कार में हम तीनों की सिसकारियां गूँज रही थी। नताशा ने सिमरन का हाथ खींच कर उसे भी मेरा सूमो थमा दिया था, सिमरन अब होश में नहीं थी और मुझ पर पूरी तरह टिक कर मेरे सूमो को ज़बरदस्त तरीके से ऊपर नीचे कर रही थी। यह सब करते करते कब सनी ने गाड़ी रोक दी पता ही नहीं चला। अब गाड़ी खड़ी थी और सनी आराम से पलट कर हम तीनो को देख रहा था।अचानक मैंने आँखें खोली तो पाया कि सनी एकटक मुझे देख रहा है और गाड़ी जंगल के अन्दर सुनसान में खड़ी है।
अब मैंने आजू बाजू देखा तो नताशा की जींस और काली पैंटी उसके घुटनों के नीचे थी और उसकी टी-शर्ट ऊपर चढ़ी हुई थी घुटनों से लेकर सीने तक वो पूरी नग्न थी, और वो पूरी तरह से मेरे सूमो पर झुकी हुई थी।
उधर सिमरन तो मेरे सीने पर पूरी तरह टिकी हुई थी पीठ के बल और मेरा एक हाथ उसकी स्कर्ट के अन्दर और पैंटी के अन्दर डाला था और दूसरा हाथ उसके टी शर्ट के अन्दर बूब्स मसल रहा था। उसकी चिकनी मार्बल की तरह चमकती सुडौल जांघें ट्यूब लाइट की तरह दमक रही थी और उसकी स्कर्ट जाँघों के ऊपर चढ़ी हुई थी।
सनी का बस चलता तो जलन के मारे मेरा खून पी जाता।
मैंने उसे आँख मारी और पल्लवी कि तरफ़ इशारा किया। उसने पल्लवी की बाहँ पकड़ कर पीछे देखने को कहा, पल्लवी ने पीछे देखा तो मैंने उसे आँख मार दी।
वो बेचारी बैठे बैठे काँप रही थी, इतनी भी हिम्मत नहीं थी कि वो कुछ देखे।
मेरा नाम राम है. मेरी उम्र अभी 42 साल की है. मैं स्कूल के दिनों से ही चूत चोदने का बड़ा शौकीन रहा हूं. लेकिन कभी मौका नहीं मिला तो मैं हाथों और किताबों से ही काम चला लेता Antarvasnaथा. बहुत बार लड़कियों को पटाने की कोशिश की, लेकिन सफ़ल नहीं हो पाया. सैंयां की जगह भैया बोल के दिल दुखा देती थीं सालीं.
खैर ऊपर वाले के घर देर है, लेकिन अंधेर नहीं है. मेरी जिंदगी में भी उजाले की किरण फूटी. जब मैं बारहवीं कक्षा में था. मैं विज्ञान का छात्र था. हमारी बायोलोजी की टीचर स्कूल में नई आई थी, उसका नाम अनिता था. उस समय वो तेईस साल की थी … बहुत ही सुंदर थी. उसका फिगर 36-26-36 का था, ऊंचाई पांच फुट छह इंच थी. वो बहुत सेक्सी थी, सब टीचर उसके आगे पीछे घूमते थे, लेकिन वो किसी को भाव नहीं देती थी.
क्लास में वो हमेशा मेरे काम से खुश रहती थी और कई बार मेरी तारीफ भी करती थी. लेकिन मेरे दिमाग में एक ही बात आती थी कि कब मुझे ऐसी लड़की चोदने को मिलेगी और एक दिन मौका मिल ही गया.
अक्टूबर का महीना था, शाम को स्कूल के छूटने के बाद बायोलोजी की हमारी एक्स्ट्रा क्लास थी. क्लास खत्म होते होते सात बज गए … अँधेरा हो गया था, सब जाने लगे तो एकदम से तेज हवा आने लगी और बारिश भी चालू हो गई. टीचर अनिता, मैं और चपरासी बारिश रुकने का इंतजार करने लगे.
थोड़ी देर बाद चपरासी ने मुझे कहा- तुम मैडम को घर छोड़ देना, मुझे देर हो रही है इसलिए मैं जा रहा हूं.
मैंने कहा- ठीक है.
बारिश रुकने का नाम ही नहीं ले रही थी. इतने में जोर कड़ाके के साथ बिजली चमकी, तो अनिता मैम डर गई और डर के मारे वो मुझसे लिपट गई. मैंने भी कुछ सोचा नहीं और अनिता को मेरी बाँहों में भर लिया. वो डर से कांप रही थी. थोड़ी देर तो वो ऐसे ही मुझसे लिपटी रही. अनिता की मस्त जवानी मेरी बाँहों में थी. मेरे सारे शरीर में बिजली सी दौड़ गई. मेरा मन और शरीर वासनामय होने लगा. लंड भी खड़ा हो गया था.
अचानक वो शरमा के पीछे हट गई और मुझसे माफ़ी मांगने लगी.
मैंने कहा- कोई बात नहीं.
फ़िर उसने कहा- प्लीज़ मुझे घर छोड़ दो, मुझे बिजली से बड़ा डर लगता है.
मैंने हामी भरी और हम दोनों बारिश में ही घर की ओर निकल लिए. बीस मिनट में हम घर पहुंच गए. फ़िर मैम ने मुझे अन्दर आने को कहा तो मैंने कहा- अब नहीं, फ़िर कभी आऊंगा …
अब मैं थोड़ा भाव खा रहा था, लेकिन मन में लड्डू फ़ूट रहे थे और ऐसा मौका हाथ से जाने देना नहीं चाहता था.
फ़िर उसने पूछा- तुम कहीं पास में ही रहते हो?
तो मैंने बताया कि मैं पास के गाँव में रहता हूं और जाने के लिए कोई व्यवस्था कर लूँगा क्योंकि आखरी बस तो सवा सात पर निकल जाती है.
यह सुनकर उसने कहा- पागल तो नहीं हो गए … क्या इतनी बारिश में कहाँ जाओगे, अन्दर आओ मैं तुम्हें तौलिया देती हूँ, अपना गीला बदना पौंछ कर फ्रेश हो जाओ और मैं तुम्हारे लिए चाय बनाती हूं.
मैंने अपने कपड़े सुखाने के लिए रख दिए और तौलिया लपेट के बैठ गया.
थोड़ी देर बाद अनिता मैम वापस आई तो उसने पीच कलर की नाईट गाउन पहनी हुई थी और हाथ में चाय का कप था. चाय का कप लेते हुए मैंने जानबूझ कर उसके हाथ को छुआ. फ़िर हम दोनों ने चाय पीते-पीते इधर उधर की बातें की, लेकिन मेरा मन तो उसको चोदने में ही था. लंड तना हुआ था और बार-बार मेरी नजर उसके फुदकते मम्मों के ऊपर ही जा रही थी, जो उसके नजर से बाहर नहीं था.
बाहर जोरों की हवा के साथ बारिश अभी भी चालू थी. अनिता ने कहा- मुझे ऐसे वातावरण में बहुत डर लगता है, क्या आज रात तुम यहीं नहीं रह सकते?
मैंने अपनी ख़ुशी छिपाते हुए कहा- ठीक है.
बाद में उसने खाना बनाया और साथ बैठ के खाया. जब वो किचन में बर्तन साफ कर रही थी तो मैं वहां मदद करने गया और जब-जब मौका मिला, उसको छू लेता था.
करीब ग्यारह बजे हम सोने गए. पन्द्रह बीस मिनट के बाद जोरदार कड़ाके से बादल गरजने लगे, तो वो दौड़ती हुई मेरे कमरे में आई और मुझसे चिपक गई.
मैंने भी मौके की नजाकत को दखते हुए उसको अपनी बाँहों में भर लिया. उसके कड़क बूब्स मेरे सीने के साथ चिपक गए थे. शायद उसने ब्रा भी नहीं पहनी थी. अब मेरा मन और लंड दोनों बेकाबू हो रहे थे, लेकिन मैं कोई जल्दबाजी नहीं करना चाहता था. फ़िर भी मैंने हिम्मत करके उसकी पीठ पर अपना हाथ फेरने लगा, उसने कोई आपत्ति नहीं जताई तो मेरी हिम्मत और बढ़ी. मैं हल्के से उसके बालों को भी सहलाने लगा. तभी मैंने महसूस किया कि उसकी उंगलियां मेरी पीठ पर हल्के से कस रही थी और सांसें तेज हो रही थीं.
मेरा तीर निशाने पर लगा था. अब मेरी हिम्मत और बढ़ी. मैंने अपने होंठों को उसके नाजुक होंठों के पास ले गया और थोड़ा सा टच किया, तो उसकी सांसें और तेज होने लगीं. वो भी धीरे धीरे गरम हो रही थी. अब मैं जान गया कि वो भी मुझसे चुदवाना चाहती है. मैंने अपने गरम होंठ उसके होंठों पे रख दिए और धीरे से किस किया. फ़िर धीरे धीरे उसके रसीले होंठ को चूमने लगा. इस बार उसने मुझे जोर से जकड़ लिया और चूमने लगी.
अब कोई रूकावट नहीं थी. हम दोनों जोर से एक दूसरे के होंठों को चूसने लगे. फ़िर मैंने अपनी जीभ अनिता के मुँह में डाल दी. वो उसे बड़ी मस्ती से चूसने लगी. मैंने मेरा हाथ उसके बूब्स पर सरकाया और हल्के से दबाया, उसके बूब्स एकदम कड़क थे. फ़िर गाउन के ऊपर से निप्पल के साथ खेलने लगा तो वो और उत्तेजित हो गई और मुझे पागलों की तरह चूमने लगी. अब मैंने उसका गाउन ऊपर सरका के उसके बूब्स को नंगा कर दिया. मैं उसके बूब्स को बारी बारी से चूमने और चाटने लगा. उसको बहुत मजा आ रहा था, एक हाथ से मैं बूब्स को दबाए जा रहा था … तभी दूसरा हाथ मैंने उसकी चूत की ओर बढ़ाया.
उसकी चड्डी भीग चुकी थी, इससे आप अंदाजा लगा सकते हैं कि वो कितनी उत्तेजित थी और मजे लूट रही थी. अब मैं उसकी चूत के दाने से खेलने लगा. कुछ ही देर में उसका पूर्ण समर्पण हो गया था. मैंने उसकी पैंटी को भी हटा दिया, अब वो एकदम नंगी थी.
उसने भी मेरा तौलिया हटा दिया और मेरे लंड को हाथ से मसलने लगी. मैंने अपना मुँह उसकी चूत पर रख दिया, उसकी चूत से एक अजीब सी सुगंध आ रही थी. चूत टेनिस बॉल की तरह फूली हुई थी, जो क्लीन शेव्ड थी. मैं उसकी चूत को चाटने लगा और साथ में उसके बूब्स को भी मसलने लगा.
अब वो खुशी के मारे हल्के से बोल रही थी- राम … मुझे बहुत मजा आ रहा है, चूसो मेरी चूत को … आह … आ … आआया … आआअ … आआ … उह … ऊउऊ. ऊ.ईई.ऊई … ऊई आह आआह्ह्छ … राम … मुझसे और इंतजार नहीं हो सकता प्लीज़ मुझे चोदो … प्लीज़ फक मी …
मैं भी तैयार था, उसने दोनों पैर मेरे कंधों पर रख दिए. अब मैंने अपना आठ इंच लंबा और साढ़े तीन इंच गोलाई में मोटा लंड उसकी चूत पर रगड़ने लगा.
वो तो समझो कि मेरे रामने गिड़गिड़ाने लगी- प्लीज़ राम मुझे चोदो ना … मत तड़पाओ … जल्दी से पेल दो.
अब मैंने अपने लंड का सुपारा उसकी रसीली चूत के द्वार पे रख कर एक जोरदार धक्का लगाया.
“मर गई … निकालो … निकालो …”
मैं रुक गया और उसके बूब्स के साथ खेलने लगा, कुछ पल में वो अपनी गांड हिलाने लगी तो मैंने एक और जोरदार धक्का लगाया. उसकी चूत में लगभग छह इंच अन्दर तक मेरा लंड घुस गया. उसकी चूत से खून बहने लगा … सारी दीवारें टूट गईं.
कुछ देर के दर्द के बाद वो जोर जोर से चिल्लाने लगी. मैंने अपने होंठ उसके होंठ पर रख दिए और एक धक्का मारा. इस बार मेरा पूरा लंड उसकी चूत में घुस गया. हालांकि वो दर्द के मारे तड़पने लगी थी … लेकिन अब उसे भी मालूम था कि दर्द के बाद मजा आता है.
मैं थोड़ी देर उसके बूब्स को धीरे धीरे दबाता रहा और उसे चूमता रहा. दो मिनट बाद उसने थोड़ी राहत महसूस की तो अपने कूल्हे उठाने लगी. अब मैं धीरे धीरे अपना लंड उस मास्टरनी की चूत में अन्दर बाहर करने लगा. लंड की स्पीड बढ़ाती जा रही थी. करीब दस मिनट बाद उसका शरीर एकदम से अकड़ गया और अगले ही पल वो झड़ गई.
अब पूरा कमरा फचक फचक … फचक की आवाज से गूंज रहा था. इसी के साथ में अनिता की सिसकारियां ‘आ … आया … या … अहय्य्य … ओह … या … ऊऊउईई आह्ह्ह …’ गूँज रही थीं.
इधर मैंने भी स्पीड बढ़ा दी थी. मेरा लंड अनिता मैम की चूत में इंजन के पिस्टन की तरह अन्दर बाहर हो रहा था. अब मेरी बारी थी, मेरी सांसें एकदम तेज हो गई थीं, हम दोनों पसीने से तर हो रहे थे. हम अपनी मस्ती में सारी दुनिया भूल चुके थे. बस हम और हमारी सिसकारियां ही माहौल में थीं.
आखिरकार 20 मिनट की जबरदस्त चुदाई के बाद मैंने अपना सारा पानी मैम की चूत में छोड़ दिया. इस दौरान अनिता मैम तीन बार पानी छोड़ चुकी थी.
थोड़ी देर हम ऐसे ही एक दूसरे से लिपट कर ही पड़े रहे. उसके बाद उस रात हम दोनों ने दो बार और चुदाई की. फ़िर बाथरूम में जाकर दोनों ने साथ में शावर लिया. जब हम शावर में नहा रहे थे, तब मैंने उसकी गांड मारने की इच्छा जाहिर की … तो उसने कहा- आज नहीं फ़िर कभी!
मैंने जिद की तो वो हंसकर बोली- आज तो तूने मेरी भोस का भोसड़ा कर दिया.
फ़िर रूम में आकर हम दोनों एक दूसरे के आगोश में नंगे ही सो गए.
रात को अचानक मेरी नींद खुल गई. मेरा लंड खड़ा हो गया था. मैंने देखा तो अनिता मेरा लंड चूस रही थी.
मैंने पूछा- सोई नहीं थी क्या?
तो वो बोली- डार्लिंग सुबह के आठ बज चुके हैं … मैं अभी ही उठी तो देखा तो तुम्हारा लंड तना हुआ था … तो अपने आपको लंड चूसने से रोक नहीं पाई. रात को भी ठीक से चूसने को नहीं मिला था.
मैंने कहा- अब ये तुम्हारा ही है, जब चाहे चूस लो, जब चाहे चुदवा लो.
उस दिन के बाद जब भी मौका मिला हमने बिल्कुल भी नहीं गंवाया.
आज भी वो टीचर उतनी सुंदर और सेक्सी है. अभी भी मौका मिलते ही हम दोनों मिल जाते हैं और लंड चूत की कहानी बन जाती है.Antarvasna
मेरा नाम रोशन छेड़ा है. मेरे पड़ोस Antarvasna में एक जवान लड़की रूबी रहती थी। वो 12वीं में पढ़ रही थी। उसकी उमर 18 साल थी, रूबी बहुत सेक्सी थी। उसके बूब्स मुझे बहुत अच्छे लगते थे। वो एकदम हरी-भरी थी। मेरी उसके घर वालों के साथ और उसके साथ अच्छी अक्सर बातें होती रहती थी, क्योंकि उसकी और हमारी छत एक ही थी, बीच में सिर्फ़ 3 फीट ऊँची एक दीवार थी।
वो पढ़ाई में कमजोर थी। उसके एग्जाम आने वाले थे, उसकी मम्मी ने मुझसे कहा- परेश, रूबी के एग्जाम शुरू होने वाले हैं, वो पढ़ाई में कमजोर हैं, उसे थोड़ा समय निकाल कर पढ़ा दिया करो।
मैंने हाँ कर दी।
मैं रोज रात को 8 बजे उसके घर उसे पढ़ाने जाता। मेरा कमरा फ़र्स्ट फ़्लोर पर था, उसके घर में भी एक कमरा फ़र्स्ट फ़्लोर पर था, वो बन्द रहता था क्योंकि उसके मम्मी, पापा और उसका छोटा भाई जो 12 साल का था सब ग्राऊँड फ़्लोर पर ही रहते थे।
दो दिन के बाद मैंने उसकी मम्मी से कहा- भाभी नीचे हम डिस्टर्ब होते हैं, क्या हम आपके ऊपर वाले कमरे में पढ़ाई कर सकते हैं?
उन्होंने तुरन्त हाँ कर दी।
मैं रोज़ रात को 8 बजे जाता और रात के 11-12 बजे तक वहाँ पर रुकता था। वो पढ़ाई में बहुत कमजोर थी। उसे अच्छे से कुछ भी याद नहीं होता था, मैंने उसकी मम्मी से कहा तो उन्होंने बोला कि अगर नहीं पढ़ती है तो पिटाई कर दिया करो, तो मैंने एक दिन उसे उसकी मम्मी के सामने ही हलका सा एक थप्पड़ मारा, उस दिन मैंने उसे पहली बार छुआ था, उसका गाल एकदम गरम था, थप्पड़ खा कर वो मुस्कराने लगी।
अगले दिन उसने जींस और शर्ट जिसके बटन सामने खुलते थे पहने हुए थी, मैं उसके सामने बैठा कर उसे मैथ्स समझा रहा था, उसके शर्ट का एक बटन टूटा हुआ था, उसका ध्यान पढ़ाई में था और मेरा ध्यान उसके टूटे हुए बटन के पीछे उसके बूब्स पर था, उसकी काली ब्रा और गोरे बूब्स मेरे सामने दिख रहे थे।
अचानक उसका ध्यान अपने टूटे हुए बटन पर गया तो वो शरमाई और नीचे जा कर शर्ट बदल कर आई।
मैंने पूछा- क्या हुआ?
तो उसने बोला- आप मुझे अच्छे से पढ़ा नहीं पा रहे थे।
अगले दिन उसने टाइट टी शर्ट पहनी हुई थी जिसमें उसके बूब्स का उभार गजब ढा रहा था। कामुकता वश मेरा ध्यान वहीं पर था।
उसने पूछा- परेश, क्या हुआ? तुम्हारा ध्यान कहाँ है?’
मैंने कहा- मेरा ध्यान तुझमें है!’
वो शरमाई और बोली- धत!
मेरी हिम्मत बढ़ गई। मैंने हलके से उसके गाल पर चपत लगाया और प्यार से मुस्कराया।
जवाब में वो भी मुस्कराई।
मेरी हिम्मत और बढ़ी, मैंने उसके दोनों गालों को पकड़ कर उसके होठों को चूम लिया, उसने दूर हटाते हुए कहा- मम्मी आ जायेगी!
और हम वापस पढ़ाई में लग गये।
अगले दिन उसके मम्मी, पापा और उसका भाई किसी काम से बाहर गये थे, जाते समय उसकी मम्मी ने मुझसे कहा- रूबी घर पर अकेली है, तुम रात को हमारे घर पर ही सो जाना! मुझे तो जैसे मन मांगी मुराद मिल गई।
रात को 8 बजे मैं उसके घर गया। वो ग्राउन्ड फ़्लोर पर थी। आज उसने सुन्दर सी काले रंग की नाइटी पहन रखी थी। हम दो घण्टे तक पढ़ते रहे। बाद में वो अपने कमरे में जाकर सो गई, मैं बाहर हाल में सो गया। अचानक वहाँ लाइट चली गई। वो कमरे से बाहर आई और मेरे पास हाल में बेड पर बैठ गई और हम बातें करने लगे।
उसने मुझसे कहा- परेश, आई लव यू!’
मैंने कुछ नहीं बोला और उसे अपनी बाहों में ले लिया। वो चुप रही, उसने कुछ भी नहीं बोला। मैंने उसे चूमना शुरू कर दिया, वो हल्का सा विरोध करती रही, इतने में लाइट आ गई तो मैंने देख उसका चेहरा एकदम लाल हो रहा है और आँखे अपने आप बन्द हो रही हैं।
मैंने धीरे से उसके बूब्स पर हाथ फिराया तो वो एक दम से मुझसे चिपक गई। मैं उसके रसीले होठों को चूमता रहा और हाथों से धीरे धीरे उसके बूब्स को दबाता रहा, वो मदहोश हो गई।
मैं थोड़ा आगे बढ़ा और मैंने उसकी नाइटी धीरे से उतार दी। अब वो मेरे सामने लेमन रंग की ब्रा और पेंटी में थी, उसकी फ़िगर देख कर मैं अपने होश खो बैठा। मैंने उसके पूरे बदन को चूमना शुरू कर दिया। वो भी मुझे चूमने लगी और मेरे कपड़े उतारने लगी। अब मैं भी सिर्फ़ अन्डरविअर में था। मैं उसे चूमता रहा और उसके पूरे शरीर पर हाथ घुमाता रहा। उसके स्तन क्या पत्थर की तरह कड़क थे। मैंने अपने हाथ उसके पीछे ले जाकर उसकी ब्रा का हुक खोल दिया, एक झटके से ब्रा उसके हाथ में आ गई और उसके बूब्स आज़ाद हो गये, इससे पहले भी मैंने 3-4 बार सेक्स किया था लेकिन उसका हुस्न देख कर मैं अपने होश खो गया और धीरे से मैंने उसकी चड्डी भी उतार दी। बदले में उसने भी मेरी चड्डी उतार दी।
अब हम दोनों नंगे थे। हम दोनों एक दूसरे को चाटते रहे। मैंने अपना मुँह उसके निप्पल पर लगाया और उसको चूसने लगा उसने मेरे लण्ड को हाथ में ले लिया और उसको सहलाने लगी। मेरा लण्ड लोहे की तरह एक दम कड़क हो गया। मैंने धीरे से अपने लण्ड को उसके मुँह के पास किया तो वो उसे चूमने लगी। मैंने उसे मुँह में लेने को कहा तो वो उसे मुँह में लेकर चूसने लगी।
मेरा बड़ा बुरा हाल हो रहा था, मैंने अपनी उंगली धीरे से उसकी चूत में डाल दी। उसकी चूत गरम तवे की तरह तप रही थी। मेरी उँगलियाँ उसकी चूत की गरमी महसूस कर रही थी।
वो मेरे लण्ड को चूसती रही और मेरी उँगलियाँ उसकी चूत के साथ खेलती रही। अब वो चुदवाने के लिये एकदम तैयार थी। उसकी चूत मेरी उँगलियों की हरकत से पानी से भर गई और गीली हो गई। मैं अपना मुँह उसकी चूत पर ले गया और उसकी जाँघों और उसकी चूत को चूमने लगा। वो जोर जोर से पाँव हिलाने लगी। मैंने अपनी जीभ उसकी चूत में डाल दी और उसके पानी को पीने लगा। वो एक दम मदहोश हो गई और मेरे लण्ड को दाँत चुभाते हुये और जोर से चूसने लगी।
थोड़ी देर में उसकी चूत ने और पानी छोड़ दिया। मैं उसे पीता रहा। कुँवारी चूत का पानी पीने का मेरा यह पहला मौका था और उसके मुँह में मेरे लण्ड ने भी ढेर सारा पानी छोड़ दिया जो सीधे उसके गले में गया। उसने बड़े प्यार से मेरा पूरा पानी पी लिया और एक भी बून्द बाहर नहीं गिरने दी, और मेरे लण्ड को चूसना जारी रखा।
3-4 मिनट में मेरा लण्ड वापस तन गया। उसकी हरकतों से मुझे लगने लगा कि वो चुदाई के लिये बहुत आतुर है।
मैंने उसे बेड पर सीधा लिटाया और उसकी गांड के नीचे एक तकिया लगाया जिससे उसकी चूत ऊपर आ गई। मैं अपने लण्ड को उसकी चूत पर फिराने लगा। उसकी चूत तन्दूर की तरह गरम थी
उसने कहा कि उसने कभी चुदवाया नहीं है। मेरा इतना मोटा लण्ड उसकी चूत में कैसे जायेगा।
मैंने कहा- थोड़ा सा दर्द होगा, लेकिन बाद में मजा आयेगा।
मैंने अपने लण्ड और उसकी चूत पर क्रीम लगाई और अपना लण्ड धीरे से उसकी चूत में घुसाने लगा। उसकी चूत बहुत टाइट थी।
मेरे लण्ड का सुपाड़ा उसके अन्दर जाते ही वो जोर से बोली- बहुत दर्द हो रहा है!
मैं वहीं पर रूक गया और उसकी चूचियों को सहलाने लगा और उसके होठों को चूमने लगा।
थोड़ी देर में रूबी जोश में आ गई और अपने चूतड़ उठाने लगी। मैंने ऊपर से थोड़ा जोर लगाया, मेरा लण्ड उसकी चूत में 3 इन्च घुस गया। वो जोर से चिल्लाने लगी और पसीने में नहा गई, मुझसे कहने लगी- प्लीज! बाहर निकालो!
मैंने उससे बोला- पहली बार में थोड़ा दर्द होता है! और उसे चूमने लगा।
कुछ देर बाद वो शान्त हो गई।
मैंने उससे बोला- अपना मुँह बन्द रखना। मैं अभी अपना पूरा लण्ड तेरी चूत में डालूंगा।
उसने जोश में आकर कहा- अगर मैं चीखूं भी तो भी तुम नहीं रुकना।
मैं धीरे धीरे अपने लण्ड को उसकी चूत में 3 इन्च में अन्दर बाहर करने लगा। उसे भी मजा आने लगा और वो मुझसे ज्यादा चिपकने लगी। अचानक मैंने एक जोर का झटका दिया और अपना पूरा 7 इन्च का लण्ड उसकी चूत में घुसेड़ दिया। वो बहुत जोर से चीखी और जोर से तड़पने लगी।
मैं वहीं पर रूक गया। उसकी चूत में से खून निकलने लगा था। वो जोर जोर से रोने लगी, मैंने उसे प्यार से समझाया कि मेरा पूरा लण्ड उसकी चूत में चल गया है। अभी थोड़ा सा दर्द होगा लेकिन बाद में जो मजा आयेगा वो पूरा दर्द भुला देगा।
मैंने उसके लाख कहने पर भी अपना लण्ड उसकी चूत से नहीं निकाला।
पाँच मिनट तक मैं सिर्फ़ उसके बूब्स को चूसता रहा और उसके पूरे शरीर पर हाथ फ़िराता रहा। धीरे धीरे उसका दर्द कम हुआ और उसे जोश आने लगा। वो मुझसे चिपक गई और अपने चूतड़ उठाने लगी। उसकी चूत मेरे लण्ड को कभी जकड़ती और कभी ढीला छोड़ती। मैं इशारा समझ गया और मैंने धीरे धीरे अपने लण्ड को उसकी चूत में अन्दर बाहर करना शुरू कर दिया। थोड़ी देर मैं उसे भी मजा आने लगा और वो भी हिल हिल कर चुदाई का मजा लेने लगी।
10 मिनट तक मैं उसे चोदता रहा। इतनी देर में उसकी चूत गीली हो गई और उसका दर्द कम हो गया, और वो बहुत मज़े लेकर चुदवाने लगी।
करीब 15 मिनट के बाद मैंने उसे कहा- मैं झड़ने वाला हूँ।
मैंने उसे कस के पकड़ा, जिससे उसके मुंह से आवाज न निकले उसके होंठ अपने होठों में मजबूती से दबा लिये और सरपट घोड़ा दौड़ा दिया। मैं पूरे जोश में आ चुका था और मैं अपना लण्ड पूरा बाहर निकाल कर एक धक्के से पूरा घुसा देता, पूरी फूर्ती से।
अब वो बुरी तरह छूटने के लिये दम लगा रही थी और मैं उसे उतना ही मजबूती से पकड़ रहा था। झटके पर झटके! धक्के पर धक्के।
एक दो मिनट में उसकी चूत बुरी तरह से मेरे लण्ड को रोकने की कोशिश कर रही थी। और मुझे साफ़ पता चला जैसे कि उसकी चूत ने एक जोर से पिचकारी मेरे लण्ड पर छोड़ दी। अब मैंने रफ़्तार और धक्के की ताकत बढ़ा दी और बड़े दम लगाने पर मैं भी चरम आनन्द पर पहुँच गया। ऐसा लगा जैसे मेरे लण्ड से कोई टँकी खुल गई हो और मैंने बहुत सारा पानी उसकी चूत में भर दिया। करीब 10 मिनट तक उसके ऊपर लेटा रहा। हम दोनों की सांस की आवाज से पूरा कमरा गूँज रहा था।
उसके बाद हम दोनों उठे और बाथरूम में जाकर उसकी चूत और अपने लण्ड को धो कर साफ़ किया और वापस आकर बेड पर बैठ गये।
मेरा लण्ड इतनी देर में वापस तन कर खड़ा हो गया। उसे तना देखकर वो बोली- अब नहीं परेश, अभी दो घण्टे सो लेते हैं, उसके बाद करेंगे।
मैंने कहा- ठीक है।
हमने अपने कपड़े पहन लिये और सोने लगे। लेकिन आंखों में नींद कहाँ!
करीब एक घण्टे बाद मैंने उसके और अपने कपड़े फिर उतार दिये। उसने कहा कि प्यार से करना क्योंकि अभी थोड़ा थोड़ा दर्द हो रहा है। मैंने उसके बदन को दबाना शुरू कर दिया, बच्चों की तरह उसका दूध पीने लगा तो वह कसमसा उठी। और उसने भी मुझे चूमना शूरू कर दिया और खुद-ब-खुद 69 की पोजीशन में आ गये। वो मेरे लण्ड को चूस रही थी और मैं उसकी चूत को। फिर मैं काम शास्त्र में बताये एक एक आसन से उसे चोदने लगा और एक ही रात में कली को खिला कर फ़ूल बना दिया।
फिर तो हम दोनों को जब भी मौका मिलता वो मुझसे चुदवाती थी। करीब एक साल तक मैं उसे चोदता रहा, उसके बाद उसके पापा की बदली हो गई। उसके बाद से आज तक उससे मेरी मुलाकात नहीं हुई है।
वो मेरे जीवन सबसे हसीन कली थी जिसे फूल बनाने का जिम्मा खुदा ने मुझे इनाम में दिया था। Antarvasna
प्रथम भाग से आगे : रश्मि का ब्लो-जोब Antarvasna इतना खास था कि मेरे जैसा चोदू और अनुभवी आदमी जिसको झड़ने के लिए कम से कम 45 मिनट चाहिए, उसको रश्मि ने मात्र 15 मिनट में ही खलास कर दिया।
मैं बगैर पूछे न रह सका- रश्मि डार्लिंग ! यह बताओ ! आम तौर पर भारतीय नारी वीर्य नहीं पीती है, फिर तुमने मेरा सारा वीर्य क्यों पिया?
उसने अपनी पूरी स्पर्म थैरेपी की बात बतानी शुरू की…
मैं बचपन में बहुत दुबली थी, 18 साल तक मेरा मासिक धर्म शुरू नहीं हुआ और ना ही मेरी बड़ी चूचियाँ निकली, बहुत छोटी छोटी थी, हालांकि मेरी चूत की ग्रोथ सामान्य 18 साल वाली ही थी।
मेरी सभी सहेलियों की बड़ी-2 चूचियाँ थी और मासिक धर्म भी होते थे। वो सब अक्सर चिढ़ाया करती थी कि तुम्हारी शादी नहीं होगी, कोई लड़का तुमको चोदेगा नहीं।
मुझे बहुत आत्म-ग्लानि होती थी, तब मम्मी ने मेरा इलाज कराना शुरू किया। सभी बड़े डाक्टरों को दिखाया, लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ।
इन्हीं सब में पूरा एक साल निकल गया। फिर पड़ोस की आंटी ने मम्मी से कहा कि बम्बई में एक बहुत प्रसिद्ध डाक्टर है जिनका नाम डाक्टर जे के लाल जो सेक्सोलॉजिस्ट है, उनको दिखाओ।
मेरी मम्मी बहुत स्मार्ट हैं, वह कॉलेज में पढ़ाती हैं, वह समझ गई कि समस्या बहुत गम्भीर है। अगर बेटी की जिन्दगी बनानी है तो कुछ करना पड़ेगा, इसलिए मम्मी मुझे बम्बई ले कर गई।
डाक्टर लाल की क्लीनिक बहुत बड़ी थी उनकी 1000 रूपए फीस थी, काउन्टर पर 1000/- जमा कर के पर्चा बनवाया, भीड़ बहुत थी बाहर के मरीज ज्यादा थे।
कोई एक घंटे के बाद मेरा नम्बर आया और हम लोग डाक्टर के केबिन में घुसे, डाक्टर साहब की उमर तकरीबन 55 वर्ष की होगी, बहुत गम्भीर और सौम्य लग रहे थे। मम्मी ने डाक्टर साहब को मेरी समस्या एवं पूरी केस हिस्ट्री बताई।
डाक्टर ने बड़े धैर्य से सुना, फिर बोले- इससे पहले आप के खानदान में कोई इस प्रकार की बीमारी से ग्रसित तो नहीं है?
मम्मी ने कहा- नहीं ! कोई नहीं… डाक्टर साहब।
फिर डाक्टर साहब ने बड़े गम्भीरता से मम्मी से कहा- चेकअप रूम में अपनी बेटी को ले जाइये, मैं आ कर देखता हूँ।
हम लोग चेकअप रूम में चले गये। कोई 15 मिनट के अन्दर ही डाक्टर साहब आ गये। डाक्टर ने मेरे सारे कपड़े उतरवा दिए, बड़ी सावधनी से मेरे चुचूकों और बुर को देखा। फिर डाक्टर मेरी बुर के अन्दर दो तीन मशीनें डाल कर काफी देर तक देखते रहे। फिर मुझसे बोले- अब आप अपने कपड़े पहन लीजिये और अपने केबिन में मम्मी को बुलाते हुए चले गये।
मैं कपड़े पहन कर मम्मी के साथ डाक्टर के केबिन में गई। डाक्टर ने मम्मी को बड़ी गम्भीरता से बाताया- रोग जटिल है, एक्यूट हार्मोनल डिसओर्डर है ! इसका इलाज बहुत महंगा है क्या आप इतना खर्च कर सकेंगी?
मम्मी ने पूछा- कितना खर्च आएगा?
तकरीबन 5 लाख… डाक्टर ने बताया।
मम्मी निराश होते हुए बोली- हम लोग मध्यम वर्ग से हैं, हम लोग इतना खर्च नहीं कर सकते। कुछ सस्ता इलाज बताइये…डाक्टर साहब !
डाक्टर कुछ सोच कर बोले- देखिये मैडम, जो इलाज मैं बताने जा रहा हूँ उसमें कोई खर्चा तो नहीं है, बस उस इलाज को भारतीय समाज में मान्यता नहीं मिली है ! क्या आप कर पाएंगी ?
मम्मी पहले तो कुछ पल तक चुप रही फिर बोली- मुझे अपनी बेटी की जिन्दगी संवारनी है, मैं करुंगी, डाक्टर साहब आप इलाज बताइये।
डाक्टर ने कहा- एक बार फिर से विचार कर लीजिए…
मम्मी ने आत्मविश्वास के साथ जवाब दिया- डाक्टर साहब, मैं कर लूंगी।
ओके ! डाक्टर बोले- देखिये आप की बेटी को “सेक्सुअल एराउज़ल एण्ड स्पर्म थैरेपी” करानी पड़ेगी।
इसमें क्या होता है? मम्मी ने पूछा।
डाक्टर साहब बोले- फ्रेश ह्युमन स्पर्म एक प्रकार का ऐसा नैचुरल प्रोटीन होता है, जिसके पीने से इंसान के हर्मोनल डिसओर्डर दूर हो जाते हैं इसलिये रश्मि बोटिया को 50 एम एल बगैर हवा लगे फ्रेश ह्युमन स्पर्म प्रति दिन एक साल तक पीना है और इतने ही समय तक प्रति दिन कम से कम दो बार सेक्स करना है। इस थैरेपी से आपकी बेटी के सभी अविकसित अंगों का विकास हो जायेगा और फ़ीगर दूसरी लड़कियों की तरह बिलकुल सामान्य हो जायेगी…।
मम्मी बोली- ठीक है, मैं तैयार हूँ ! लेकिन डाक्टर साहब… बगैर हवा लगे फ्रेश ह्युमन स्पर्म मैं कैसे अरेन्ज करूंगी?
डाक्टर बोला- वो तो आपकी प्रोबलम है कि कैसे अरेन्ज करना है… हाँ मैं रश्मि को ट्रेनिंग दे सकता हूँ कि कैसे फ्रेश ह्युमन स्पर्म पियेगी।
मम्मी बोली- ठीक है डाक्टर साहब… मेरी बेटी को ट्रेनिंग दे दीजिये।
ओके !
डाक्टर उठ कर चेकअप रूम की तरफ चलने लगे और मम्मी से बोले- अपनी बेटी को लेकर अन्दर आइये।
मैं और मम्मी डाक्टर के पीछे चेकअप रूम में चले गये। वहाँ डाक्टर खुद चेकअप बेड पर लेट गये और बेड के बाईं साइड पर मम्मी से कहा कि आप यहाँ खड़ी होइये और मुझसे कहा- बेटा आप यहाँ हमारी दाहिने तरफ़ कमर के पास खड़ी होइये और मेरी पैंट खोल कर मेरा लिंग निकालिए…।
मैंने मम्मी की तरफ देखा…
मम्मी ने कहा- जैसे डाक्टर साहब कह्ते हैं, वैसे करो…
मैंने डाक्टर साहब की पैन्ट खोली, फिर अन्डरवियर से मुर्झाया हुआ लिंग बाहर निकाला। मैं पहली बार किसी मर्द के लिंग को देख रही थी। फिर डाक्टर साहब की तरफ देखने लगी।
डाक्टर साहब मम्मी से बोले- अपनी बेटी को लिंग खड़ा करना बताइये।
मम्मी ने मुझे आदमी के लिंग को खड़ा करने का तरीका सिखाया।
अब डाक्टर साहब का लिंग बिलकुल टाइट हमारे हाथों में था।
अब डाक्टर साहब की बारी थी, वह बड़े सलीके से बोले- बेटी रश्मि, मेरे लिंग को अपने मुँह में लेकर कस कर चूसो और साथ ही साथ अपनी जबान से लिंग के सुपारे को चाटो और यह क्रिया तब तक करती रहो जब तक कि लिंग से वीर्य न निकलने लगे और फिर उस वीर्य को तुम्हें अन्दर ही अन्दर पी लेना है। इस क्रिया को आम भाषा में “ब्लो जोब” कहते हैं। ध्यान रहे कि जब वीर्य निकलने लगे उस समय लिंग तुम्हारे मुँह में ही होना चाहिए। बाहरी हवा वीर्य में लगने से वीर्य ऑक्सीडाइज हो जाता है, उसको पीने से कोई फायदा नहीं। अब जैसा मैंने कहा वैसे करो।
मम्मी ने बीच में कहा- हाँ बेटा, जैसे डाक्टर साहब ने कहा है, वैसे करो ! मैं हूँ ना तुम्हारे साथ।
फिर मैं डाक्टर साहब के लिंग को वैसे ही चूसने लगी जैसे कि डाक्टर साहब ने बताया था। मुझे इस इलाज में बड़ा मजा आ रहा था, मैं डाक्टर साहब के लिंग को चूसे जा रही थी, डाक्टर सहब का लिंग और कड़ा होता जा रहा था डाक्टर साहब अपने लिंग को मेरे मुँह के और अन्दर तक घुसेड़ने में लगे थे। कभी कभी मुझे उबकाई जैसे लग रही थी लेकिन मुझे तो पूरी लड़की बनना था इसलिये इसकी परवाह किये बगैर डाक्टर साहब का लिंग चूसे जा रही थी।
इतने में डाक्टर साहब ने अपनी कमर को मेरे मुँह की तरफ ठेला और उनके लिंग से कुछ नमकीन-2 गोंद सा मेरे मुँह में निकलने लगा। मैंने अपना मुँह लिंग से हटाना चाहा लेकिन डाक्टर साहब ने तुरन्त मेरे सर को पकड़ कर अपने लिंग को मेरे मुँह में गहराई तक घुसेड़ दिया। मेरा मुँह उस गोंद से भर गया। डाक्टर साहब ने धीरे से अपना लिंग मेरे मुँह से निकाला और बोले- इसे पी लो। यही वीर्य है जिसे तुम्हें रोज पीना है, चाहे तुम्हे अच्छा लगे या ना लगे ! और आपकी मम्मी आप को सेक्स करने का तरीका यानि कि चुदवाने का तरीका सिखा देंगी।
यह कहते हुए उन्होंने अपने कपड़े ठीक किये और केबिन में चले गये।
मम्मी ने मुझसे पूछा- कोई तकलीफ तो नहीं हुई?
मैंने नकारात्मक सर हिलाया, कहा- नहीं !
मम्मी डाक्टर साहब के इलाज से काफी संतुष्ट लग रही थी फिर हम लोग डाक्टर साहब के केबिन की तरफ बढ़ गये। डाक्टर साहब अपनी कुर्सी पर बैठे थे, हम लोगों को देख कर मम्मी से बोले- देखिये, रश्मि को मैंने स्पर्म थैरेपी के बेसिक्स बता दिये हैं, शुरू में थोड़ी दिक्कत आ सकती है पर धीरे-2 सब ठीक हो जायेगा। यदि कोई दिक्कत हो तो आप मुझे फोन कर सकती हैं। विश यू आल द बैस्ट ! डाक्टर साहब बोले।
शाम को हम लोगों का रिजर्वेशन था हम लोग वापस लखनऊ आ गये। Antarvasna
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