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Massage Girl in Saran: Premium Relaxation Services

Our site can help you find a professional massage girl in Saran who will help you relax in the best manner possible. We connect you with professional therapists who can offer you a massage that will make you feel better and more relaxed. The pros on our list are ready to provide you with a fantastic experience at your house or in one of their particular spots, whether you want to relax or get away from it all.

Introduction

Massage is currently one of the finest methods to relax your mind, body, and overall health. Our website makes it easy to locate the top massage services in Saran that meet your demands. This will be a one-of-a-kind and calming experience for you.

Tottaa wants to make it simple for clients to find the top masseuse. The Saran massage service providers on our list offer the greatest quality, comfort, and competence, whether you want a full-body massage or a massage for a particular location.

How Tottaa Helps Advertisers Reach More Customers

Tottaa is not only a list of masseuses, it’s also a secure location for them to show off what they can do. People in Saran who are seeking massage services may find them on our website. This makes them easier to find and gets them more appointments.

Advertisers may simply put up profiles, offer their services, and talk about pricing and discounts on our sites. This makes sure that the relevant people notice your Saran massage service, which makes it easier to obtain more customers.

Different Types of Massages We Offer

There are a lot of different types of massage services on our site, so you may choose one that works for you. You may choose the kind of treatment that works best for you, whether it’s profound rest or a particular type of therapy.

1. Swedish Massage

A calm and gentle way to ease muscular tension and improve blood flow. This Saran massage is perfect for you if you want to relax and forget about your concerns.

2. Deep Tissue Massage

This approach employs a lot of pressure to get to deeper muscle layers. It’s helpful for folks who have muscular discomfort or stiffness that won’t go away. There are specialists on our profiles of massage girls in Saran who are good at deep tissue treatments that function effectively.

3. Aromatherapy Massage

Calming massage strokes and essential oils are beneficial in making people feel improved both emotionally and physically. Most massage companies in Saran employ the use of custom oil preparations to make you feel good.

4. Thai Massage

A therapy that wakes you up by using a mix of regular massage, stretching, and compression. This traditional massage in Saran helps you relax, become more flexible, and get your mind and body back in harmony.

5. Hot Stone Massage

Heated stones are placed on various parts of the body to help with deep muscular tightness. People who want to feel good, relax, and help their muscles recover quickly can use this massage service in Saran

How to Book Our Massage Services

Tottaa makes it simple and fast to book. With our listings, you can see what kind of massage you want, read about the providers, see that they are free and then contact them directly. After you choose, you can book a massage in Saran at your convenient time and location. In order to get your desired massage services, apply the following simple steps:

Step 1: Browse Our Listings

Take a peek around our site to view a few massage professionals. Each listing gives you information about the many sorts of massages, how long they last, how much they cost, and where they are situated. This makes it easier to choose the finest ones.

Step 2: Compare and Shortlist

Examine the profiles carefully to compare how the services, talents, and reviews posted by customers differ. This phase makes sure you choose a business that has the style, pricing, and supply you desire.

Step 3: Connect with the Provider

When you have decided, use the information that you are offered so that you can contact them directly. One can communicate it to the massage giver thus making it understood what massage you want at what time and when.

Step 4: Confirm the Appointment

The date, time and place of the service, which could be your home, a hotel or the spa where the therapist may be found. You also need to agree on the payment method and any other accords prior to commencement of the course.

Step 5: Relax and Enjoy Your Massage

All you have to do on the day of the appointment is have your area ready for the house visit. The remainder will be handled by the expert. Take it easy and enjoy a massage that is made just for you.

Frequently Asked Questions

To locate a professional who can meet your needs, read our biography, reviews and advertising.

Yes, many of the therapists on our site will come to your house so you may feel safe and at ease.

You may pick based on talents since most adverts provide their qualifications in their profiles.

It would be advisable to make a reservation earlier to guarantee that you would be able to get a massage, particularly against the prevalent services of massage.

Not at all. Tottaa exclusively connects users with service providers. The doctor gets to choose how to handle payment.

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दोस्तो, Sex Stories

मेरा नाम राहुल है Sex Stories और मेरी उम्र 24 साल की है।मैं मुम्बई में नौकरी करता हूँ और रहने वाला इन्दौर का हूँ।

मैंने अन्तर्वासना पर काफी कहानियाँ पढ़ीं, और मुझे भी लगा कि मुझे भी अपनी कहानी अन्तर्वासना को भेजनी चाहिए। अब मैं आपको अपनी कहानी सुनाता हूँ।

आज से तीन साल पहले मैं मुम्बई नौकरी करने आया था।
तब मुम्बई मेरे लिए अजनबी शहर था, इसलिए मुझे मेरा अकेलापन खलता था, मुझे भी एक अच्छी दोस्त की ज़रूरत थी ताकि मेरा समय भी कट सके और मेरी काम-इच्छा भी पूरी हो सके।

मैंने बहुत प्रयास किया पर किसी भी अमीर और ख़ूबसूरत लड़की को पटा नहीं सका क्योंकि यहाँ की लड़कियों को पैसे वाले लंड पसन्द आते हैं।

तो मैंने आख़िर में एक मध्यम-वर्गीय लड़की जो दूसरों के घरों में काम करने जाती थी, उसको अपनी नौकरी और पैसे की झलक दिखलाकर पटा लिया।
मेरी उससे फोन पर बातचीत भी शुरु हो गई।

एक दिन शाम को मैंने उसे अपने घर बुलाया यह कह कर कि मेरी तबीयत ख़राब है और मेरे सभी दोस्त घर गए हैं। तुम मेरे लिए खाना बना दो, वरना मुझे भूखा ही सोना पड़ेगा।

मेरी तबीयत ख़राब है, यह सोचकर वो मेरे लिए खाना बनाने मेरे फ्लैट में आ गई।

मैं कई दिनों से इसी ताक में था कि कब मेरे दोस्त लोग फ्लैट पर ना हों और मैं उस कामवाली को चोद दूँ।

उस दिन जब वो मेरे फ्लैट में आई तो मैं खुश हो गया।

मैंने उसे किचन दिखा दिया, जब वो खाना बनाने की तैयारी कर रही थी, तो मैंने धीरे से उसके पीछे जाकर थोड़ा सा चिपक कर खड़ा हो गया।

वह अचानक मुझे पीछे देखकर घबरा सी गई और बोली, “आपकी तबीयत ख़राब है, आप जाकर आराम कीजिए … मैं खाना बना दूँगी.”

मैं उसकी बात सुनकर उससे थोड़ा और चिपक गया।
इससे पहले कि वो कुछ कहती मैं उसकी दोनों चूचियों को एक बार ज़ोर से दबा दिया और फिर सहलाने लगा।

पहले तो उसे बहुत डर लगा, लेकिन बाद में धीरे-धीरे सहलाने से उसे मज़ा आने लगा और वो आँखें बन्द कर मज़े लेने लगी।

मैंने लोहा गरम होते देख उसके होंठों पर अपने होंठ रख दिए और उसे चूमने लगा। मैंने धीरे से अपना हाथ उसकी पैन्टी में डाल दिया और उससे पहले कि वह कुछ विरोध करे, मैंने उसकी चूत में उँगली डाल दी, और ज़ोर-ज़ोर से आगे-पीछे करने लगा।

वो अब सब कुछ भूल कर मदहोश होने लगी।

मैं उसे किचन में ही नंगा करने लगा और वो कुछ नहीं बोली।

थोड़ी ही देर में वो मेरे सामने बिल्कुल नंगी खड़ी थी। उसके शरीर पर एक भी तिनका कपड़ा का नहीं बचा था।

उसे इस तरह देखकर मेरा लण्ड तुरन्त खड़ा हो गया।

अब वो भी जोश में आकर मेरे कपड़े उतारने लगी और मैं भी उसकी मदद करते हुए जल्दी से पूरा नंगा हो गया।

मैंने अब अपना लंड उसके मुँह में डालना चाहा तो शर्म के मारे उसने मना कर दिया।

फिर मैंने दूसरा तरीका अपनाया।
मैंने अब उसे ज़मीन पर सुला कर उसकी चूत पर अपना मुँह रख दिया और उसकी चूत को ज़ोरों से चाटने लगा।
अब उसने मस्ती और मदहोशी में चूर होकर अपनी आँखें बन्द कर लीं।

मैंने इसी बात का फ़ायदा उठा कर उसकी चूत चाटते-चाटते ही 69 की मुद्रा में आ गया और मेरा लण्ड उसके होंठों पर रख दिया।
पर इस बार भी उसने मना कर दिया।
मैं नाराज़ होने का नाटक करने लगा और कपड़े पहनने लगा।

अब तक तो वह इतनी गरम हो चुकी थी कि मुझसे चुदवाने के लिए कुछ भी करना पड़े तो वो कर सकती थी।
उसने तुरन्त मेरे लण्ड को मुँह में भर लिया और उसे आईसक्रीम की तरह चूसने लगी।

मेरी योजना सफल हो गई, मैं बहुत खुश हुआ। आज तो जैसे लकी ड्रा ही निकल आया था मेरे लिए!

अब हम दोनों 69 की स्थिति में थे। मैं उसकी चूत चाट रहा था, और वह मेरा लंड चूस रही थी।

क़रीब आधे घंटे तक मैंने उसके मुँह की चुदाई की, इसी दौरान वह एक बार झड़ चुकी थी और मेरे लंड ने भी उसके मुँह में एक बार उल्टी कर दी थी।
वो उस सफेद गाढ़े द्रव को पूरा पी गई।

अब तक आग दोनों ओर भड़क चुकी थी।
मैंने अपना लंड उसके मुँह से निकाला और अब उसकी चूत में डालने लगा लेकिन उसकी चूत काफी तंग थी, अतः मैं असफल हो गया।
उसकी सील शायद अभी तक नहीं तोड़ी गई थी।

मैंने किचन से तेल लेकर अपने लंड पर और थोड़ा तेल उसकी चूत पर भी लगा दिया और फिर से चूत में लंड डालने लगा।

इस बार मैंने उसकी चूत में एक ज़ोर का झटका दिया और लंड दो इंच तक अन्दर घुसा दिया।

इस झटके से वो तड़प उठी और ज़ोर से चिल्लाई। मैंने उसका मुँह तुरन्त बन्द कर दिया और साथ ही एक और झटका दिया तो उसकी आँखों से आँसू निकल आए।

मैं डर गया तो मैंने उसके मुँह से हाथ हटा लिया।
वो बहुत रोई, अब उसकी चूत से खून निकल रहा था।
मैंने उससे धीरे-धीरे चोदने का वादा करके फिर से राजी किया।

अब मैं अपनी कमर धीरे-धीरे चला रहा था और ऐसे ही धीरे-धीरे अपना ८ इंच लम्बा लंड उसकी चूत के अन्दर गाड़ ही दिया।

थोड़ी देर में दर्द कम होने की वज़ह से उसे भी मज़ा आने लगा और वो भी मेरा साथ अपनी चूत हिला-हिला कर देने लगी।
अब उसे मज़ा आने लगा था और वो ख़ुद बोल रही थी- ज़ोर से चोदो मुझे, और ज़ोर से, फाड़ दे आज मेरी चूत, बुझा दे आज इसकी प्यास … फाड़ दे साली चूत को और ज़ोर से!

मैं भी उसकी बात सुनकर जोश में आकर ज़ोरों के झटके मारने लगा।

थोड़ी देर बाद मैंने उसे कुतिया बना कर उसकी चुदाई की। लगभग 20 मिनट की चुदाई के बाद वो झड़ गई और उसके 2 मिनट बाद मुझे भी लगा कि अब मैं झड़ने वाला हूँ तो मैंने अपना लंड निकाल कर उसके मुँह में चुदाई करनी शुरु कर दी।
और अन्त में मैं भी उसके मुँह में झड़ गया।

उसने फिर मेरे लण्ड का सारा पानी पी लिया और मेरे लण्ड को चाट-चाट कर साफ कर दिया।

उसके बाद हम दोनों किचन से निकल करक साथ में नहाने चले गए।
नहाने के बाद मैंने उसे अपना मोबाईल देकर कहा कि अपने घर फोन करके कह दो कि आज तुम मैडम (जिसके घर वह काम करती थी) के यहाँ रुकोगी, क्योंकि उनके पति घर पर नहीं हैं, तो उन्होंने मुझे आज रात यहीं रुकने को कहा है।

उसने घर पर यही बता दिया।
उसके घर वालों को कोई आपत्ति नहीं थी।

हमने होटल से खाना मँगवा कर खाया।
उसके बाद फिर दोनों नंगे ही बिस्तर पर सो गए।

रात में मैंने उसकी चार बार चुदाई की और एक बार गाँड भी मारी।

पर सबसे ज़्यादा मज़ा मुझे उसकी गाँड मारने में आया था.

उस रात की चुदाई के बाद वो जब भी मुझसे बात करती तो यही कहती- अब आपकी तबीयत कब ख़राब होगी?
और मैं जब भी अपने फ्लैट पर अकेला होता तो उसे किसी ना किसी बहाने बुलाकर चुदाई का खेल खेलता।

दोस्तो, यह थी मेरी कहानी।
बाद में मैंने इन्दौर में भी एक शादीशुदा आन्टी की चुदाई की थी जिसका किस्सा मैं अगली कहानी में सुनाऊंगा।

यह कहानी आपको कैसी लगी।

लेखक की अगली कहानी: मेरी पहली ग्राहक Sex Stories

Antarvasna

हाय मेरा नाम राकेश है।मेरी वर्तमान Antarvasna उम्र ३५ साल है। मैं अपनी किशोरावस्था से बहुत ही सेक्सी रहा हूँ। मैं अभी इंदौर मैं रहता हूँ। मैंने आज तक करीब ५० से ऊपर लड़की और आंटी के मजे लिए हैं और उनकी चूत को अपने लंड के दर्शन कराये हैं।

मेरे साथ घटी एक घटना आपको बता रहा हूँ, कहानी सच्ची है पर पात्रों के नाम बदल कर आपके सामने पेश कर रहा हूँ।

ये उस समय की बात है जब मेरी शादी नहीं हुई थी और मेरी उम्र २७ साल थी।

एक दोस्त के माध्यम से एक मुस्लिम परिवार में आना जाना था। पाँच लोगों का परिवार था वो। पति सलीम ट्रक ड्राईवर जो ज्यादातर घर से बाहर ही रहता था जिसको मैंने कभी घर पर नहीं देखा और न ही उसकी शकल जानता हूँ। पत्नी शबनम, थोड़ा सांवला रंग पर कसा हुआ बदन ३४-२८-३६ उम्र उस समय ३६-३७, बड़ी लड़की शमीम उमर १८, रंग साफ़ ३०-२८-३४ दिखने में साधारण उससे छोटी बानो, और सबसे छोटा लड़का उम्र १० साल मैं एक बार उनके घर गया तो शबनम ने कहा कि घर मैं तंगी है इसलिए शमीम को कहीं नौकरी लग जाए तो अच्छा रहेगा। मैंने मेरे ऑफिस में उसको नौकरी पर रख लिया। मैं उस वक्त तक उनके बारे में कुछ भी ग़लत नहीं सोचता था।

करीब एक महीने तक उसने मेरे यहाँ काम किया उसके बाद २-३ दिन वो आई नहीं, मैंने भी ध्यान नहीं दिया, एक दिन मैं मार्केट मैं था तो मुझे शमीम जाती हुई दिखी। मैंने बाईक उसकी तरफ़ मोड़ी और उससे पूछा कि क्या बात है तुम ऑफिस नहीं आ रही हो?

तो उसने बोला कि तबियत ठीक नहीं थी, और अभी आप मुझे घर छोड़ दो।

मैंने उसे बाइक पे बिठा लिया, इससे पहले मैंने कभी उसे बाइक पर नहीं बिठाया था। उसके बैठते ही उसके मम्मे मेरी पीठ पर गडे। मेरा लंड खड़ा हो गया।उसका घर दूर था हम बात करते हुए चल रहे थे, रास्ते में सिनेमा हॉल आया तो मैंने उसे पूछा कि पिक्चर देखनी है ?

उसने हाँ कर दी। मेरा लंड तो खड़ा हो ही गया था सो उसे ठंडा करना जरूरी भी था। सिनेमा हॉल में मुश्किल से ३० लोग भी नहीं थे। हमने कोने की सीट पकड़ी और बैठ गए। पिक्चर चल रही थी कि मैंने धीरे से उसका हाथ पकड़ लिया उसने कोई विरोध नहीं किया। मैंने सिग्नल ग्रीन समझ कर धीरे से उसके मम्मों पर हाथ रख दिया उसने उसका भी कोई प्रतिवाद नहीं किया। मेरी हिम्मत बढ़ गई, इधर पैंट में लंड कड़क होने लगा था।

मैंने धीरे -२ उसके मम्मे दबाने शुरू कर दिए उसे भी अच्छा लग रहा था। धीरे से मैं अपने हाथ उसके कुरते के अन्दर ले जाकर उसकी ब्रा के ऊपर और अन्दर से उसके निप्पल और गोलाई के मजे लेने लगा। पर दोस्तों ! मजा अभी भी अधूरा था।

तो मैंने धीरे से उसकी सलवार में हाथ डाल दिया और पैंटी के ऊपर से उसकी चूत पर हाथ चलाने लगा। अब उसको भी मजा आने लगा था पर वो शायद पहल करने में अभी भी शरमा रही थी। मैंने अपनी पैंट की ज़िप खोली और मेरा लंड जो अब तक काफी तगड़ा हो चुका था बाहर निकल लिया

और उसका हाथ पकड़ कर मैंने अपने लंड पर रख दिया, वो शायद इसका ही इंतजार कर रही थी।

इधर मैंने अपना हाथ उसकी पैंटी में डाल कर उसकी चूत में उंगली डाल दी और अन्दर बाहर करने लगा। वो भी मेरे लंड को अपने कोमल हाथ से सहला रही थी। मैं कभी उसके दूध दबाऊं और कभी उसकी चूत में उंगली डालूँ।

दोस्तों मुझे बिल्कुल भी अपनी तकदीर पर विश्वास नहीं हो रहा था कि ऐसे अकस्मात मुझे उस लड़की का सब कुछ मिल जाएगा जिसे मैंने कभी इस नज़र से देखा ही नहीं।

इधर उसके हाथ मेरे लंड पर कसावट के साथ चलते जा रहे थे और दूसरे हाथ से उसने मेरा हाथ जो उसकी चूत में था उसको पकड़ लिया और मेरे हाथ को वो अपनी चूत में तेज़ी से अन्दर बाहर करने लगी। उसकी चूत ने थोडी देर में ही पानी छोड़ दिया जिसे उसने अपने रुमाल से पोंछ लिया। अब उसकी बारी थी मैंने उसे मेरा लंड मुंह में लेने के लिए बोला तो उसने ना कर दिया। फिर वो मेरी तरफ़ इस तरीके से मुड़ गई कि मैं उसके दूध पी सकूं मैंने उसके दूध पीने शुरू कर दिए, इधर उसने मेरे लंड पर अपना हाथ और तेज़ कर दिया जिससे मेरा पानी निकल जाए पर कमबख्त पानी निकलने का नाम ही नहीं ले रहा था।

फिर मैंने उसकी सलवार उतार कर घुटने तक कर दी और पैंटी नीचे खिसका कर उसे इस तरह से बिठाया कि उसकी चूत मेरे लंड के ऊपर आ जाए। मैंने उसे इस पोसिशन में बिठाकर नीचे से धक्के देने शुरू कर दिए मेरा लंड उसकी चूत में अन्दर तक गया था, वो भी मेरे लंड के मज़े लेने लगी इधर मैंने अपने दोनों हाथों से उसके मम्मे दबाना और मसलना जारी रखा। करीब तीन मिनट की उछल कूद के बाद उसने अपनी गांड मेरे लंड पर दबा ली और मेरी जाँघों पर अपने हाथ कस लिए। मैं समझ गया कि ये अब जाने वाली है, मैंने भी अपना लंड उसकी चूत में गहराई तक डाल कर उसके मम्मे दबाते हुए अपना पानी निकाल दिया।

उसके बाद हमने अपने-२ रूमाल से अपने लंड और चूत साफ़ किए और सामान्य होकर बैठ गए। उसने बोला कि अब आप मेरे को घर छोड़ दो क्योंकि घर पर मेरा इंतज़ार हो रहा होगा। उसने मुझे ये भी बोला कि घर पर मत बताना कि हम पिक्चर गए थे। दोस्तों मुझे चुदाई का शुरू से ही बहुत शौक रहा है। अभी मैं चाहता हूँ कि नई चूत चोदने के लिए मिले ! अगली बार आपको बताऊँगा कि कैसे मैंने शबनम और उसकी बेटी की एक ही पलंग पर रात भर चुदाई की। मेरी अगली कहानी का इंतज़ार करें ! Antarvasna

दोस्तो, मेरा नाम दीपक है. मेरी मां का नाम रूपा है.

मेरी मां 20-22 साल की लड़कियों से ज्यादा सेक्सी लगती हैं.
उनकी बड़ी बड़ी चूचियां और गांड देख कर कोई भी उन पर फिदा हो जाएगा.

मेरे पापा आर्मी के जवान हैं तो साल में बस 2 बार घर आते हैं.
जिसके कारण मेरी मां की शारीरिक भूख नहीं मिटती है.

यह Xxx मॅाम फक स्टोरी तब की है, जब मैं छोटा था. पापा के यहां न होने के कारण मां बहुत उदास रहती थीं.

एक दिन मेरी मां जब मुझे ट्यूशन से घर ले जाने आई थीं तब उनके साथ एक आदमी खड़ा था और उनसे बात कर रहा था.

मैंने मां से पूछा कि ये कौन हैं?
मां बोलीं- बाबू, ये तुम्हारे अंकल हैं.

मैं कुछ नहीं बोला और उन दोनों के साथ घर आ गया.
घर आकर मैं टीवी देखने लगा.

मां कुछ देर बाद मेरे पास आकर बोलीं- बाबू तुम यहीं रुको. अंकल और मुझे काम है, तो हम दोनों दूसरे रूम में जा रहे हैं.

मैंने पूछा- क्या काम है मां?
मां बोलीं- बाबू मुझे टांग में दर्द है तो अंकल मेरी मालिश कर देंगे.

मां और अंकल रूम में चले गए और उन्होंने दरवाजा बंद कर दिया.

मैं टीवी देखने लगा.

कुछ देर बाद मां की कुछ आवाज आने लगी.
तो मुझे लगा मां को ज्यादा दर्द हो रहा होगा.

मैं तब भी उन्हें देखने के लिए खिड़की के पास आ गया.
उधर से मैं अन्दर देखने की कोशिश करने लगा.

मैंने देखा कि मां और अंकल दोनों नंगे हैं.
मां बिस्तर में लेटी हुई हैं और अंकल उनके ऊपर चढ़े हुए थे.

अंकल ने मां की दोनों टांगों को फैला रखा था और पता नहीं क्यों आगे पीछे हो रहे थे.

मैंने ध्यान से देखा कि अंकल जिससे सुसु करते हैं, उसे मां की सुसु वाली जगह में लगा कर अन्दर बाहर कर रहे हैं.
मां आह उह की आवाज़ कर रही थीं.

ऐसा बहुत देर तक होने के बाद अंकल की नुन्नू से कुछ सफेद रंग का रस सा निकल गया.
मां ने उस सफेद रंग के रस को उंगली से उठाया और मुँह में लेकर खा लिया.

फिर मां अंकल की नुन्नू को मुँह में लेकर चूसने लगीं.

ऐसे करते करते अंकल की नुन्नू से फिर से वही पदार्थ निकला, जो सब अंकल ने मां के मुँह में गिरा दिया.

मां ने अपनी जीभ से अंकल की सुसू को चाट कर साफ कर दिया.

उसके बाद वे दोनों बिस्तर से जैसे ही उठ कर कपड़े पहनने लगे, मैं तुरंत टीवी देखने चला गया.

मां ने दरवाजा खोला और बाहर आईं.
उनके बाद अंकल बाहर आए.

दोनों ने एक दूसरे को देखा और मुस्कान देते हुए देखने लगे.

फिर अंकल में मां को मेरे सामने ही किस किया और चले गए.

रात को मैंने मां से पूछा- मां आप आह उउह क्यूं कर रही थीं?
मां बोलीं- बेटा, बहुत दर्द कर रहा था.
मैंने कहा- मां अंकल आपके अन्दर क्या डाल रहे थे. मैंने खिड़की से सब देख लिया था.
मां शर्माती हुई बोलीं- अंकल मुझे दवाई दे रहे थे.

हम दोनों ने खाना खाया और सो गए.

मैंने अगले दिन विद्यालय में यह बात एक बड़ी उम्र के अपने दोस्त को बताई.

वो बोला- अबे चूतिये … वे अंकल तेरी मां चोद रहे थे.

मुझे दोस्त ने सब कुछ बताया कि चोदना मतलब सेक्स करना होता है और सेक्स में क्या क्या होता है, वह सब उसने डिटेल में बताया.

अब मैंने ध्यान दिया कि अंकल जब भी घर आते थे, वे मेरी मां को लेकर कमरे में चले जाते थे.
मैं खिड़की से सब देखने लगा था.

एक दिन मैंने मां से कहा- मैं कमरे में रह कर देखना चाहता हूँ कि अंकल आपको कैसे दवा लगाते हैं.

मां ने पहले तो इंकार किया फिर उन्होंने सोचा कि ये तो छोटा है, ये क्या समझेगा. इसे देख लेने देती हूँ.
उन्होंने कहा- ठीक है, मैं देखती हूँ.

अगले दिन अंकल ने मेरे सामने मां को चोद दिया.
मां मेरे सामने अंकल के लंड को अपने हाथ से पकड़ कर अपनी चूत में ले रही थीं.

अब ऐसा अक्सर होने लगा.
मैं भी अपनी मां को चुदवाते हुए देखता और आनन्द लेता.

बाद में मुझे मालूम चला कि अंकल का एक सैलून है.

एक दिन उनका एक स्टाफ मुझे घर छोड़ने आया.
मेरी मां ने उसको अन्दर बुलाया.

उन दोनों में थोड़ी बात हुई; फिर दोनों रूम में चले गए.

मां ने दरवाजा खुला रखा था.
मैंने अन्दर देखा तो मां उसके साथ भी सेक्स कर रही थीं.

मुझे पता चल चुका था मेरी मां की प्यास ऐसे नहीं मिटेगी.
कुछ सप्ताह बाद मां और मैं गांव से शहर आ रहे थे.

तब मां को उनके स्कूल का दोस्त मिला.
उसने मां को जाने से रोक लिया.

तब मां और मैं उस आदमी के घर चले गए.

उसके घर के कमरे में उसके साथ 5 और लड़के रहते थे.
सब मेरी मां का फिगर देख कर पागल हो गए थे.
सबने मां को चोदने का प्लान बना लिया था.

रात को जब मैंने सोने का नाटक किया.
मेरी मां मुझे सोता समझ कर उनके पास उनके कमरे में चली गईं.

मैं मां के पीछे उस कमरे की खिड़की के पास आ गया.
मैंने देखा कि छहों लड़के नंगे हैं और मां के साथ बिस्तर में बैठे हैं.

कोई मां का गाल चूम रहा था. कोई मां का दूध दबा रहा था.

फिर सबने मां को पूरी तरह नंगी कर दिया और एक लड़के ने कैमरा लगा दिया.
फिर शुरू हुआ मां का सबसे दर्द भरा चुदाई का खेल!

मां को बिस्तर में लेटाया, फिर एक ने मां की चुत चाटने का काम शुरू किया, एक ने मां के मुँह में लंड पेल दिया.
कुछ देर बाद दो लड़कों ने एक साथ मां की चुत में अपना लंड डाल दिया.

मां दर्द से चिल्ला रही थीं, पर सब आज मेरी मां को चोद कर उनके छेद फाड़ देना चाहते थे.
पूरे 3 घंटे तक मेरी मां की इतनी चुदाई हुई कि मां की चुत का भोसड़ा बन गया था.

मां को देख कर लग रहा था कि वे अभी और चुदाई करने को तैयार हैं.
लेकिन सब लड़के थक गए थे.

मां की और ज्यादा चुदाई नहीं हो पाई. मैं वापस बिस्तर पर आकर लेट गया.

कुछ देर बाद मां मेरे पास आकर सो गईं.
कुछ समय बाद एक लड़का अन्दर आया और मां को मेरी बगल में ही चोदने लगा.

कमरे में अंधेरा था, तो कुछ नज़र नहीं आया. लेकिन मैंने सब कुछ सुन लिया.

मां मजे से आआह उउउ उह्ह्ह कर रही थीं और बोल रही थीं- साले धीरे कर … बाबू जाग जाएगा.
अपनी मां की इतनी चुदाई देख कर मैं भी उन्हें चोदना चाहता था.

अगले दिन हम दोनों उस घर को छोड़कर अपने घर लौट आए.
मां को मैं कामुक नज़रों से देखने लगा.
मैं बस मां को अभी चोदना चाहता था.

मां रोज रोज कॉलोनी के कोई भी अंकल के साथ संभोग कर लेती थीं.
यह खेल जारी रहा.

जब मैं 19 साल का हुआ. मैंने अपनी मां को एक लड़के के चोदते हुए पकड़ा.
मां को शर्म महसूस हुई.

मैं मां से बात नहीं कर रहा था.
तब मां मेरे पास आईं और बोलीं- बेटा तुम्हारे पिता साल में दो बार आते हैं और मैं अकेला महसूस करती हूँ.

मैंने कहा- तो आप किसी के साथ संभोग कर लोगी क्या?
मां बोलीं- किसी के साथ तो करना ही होगा अन्यथा मेरी प्यास कौन मिटाएगा.

मैंने कहा- मैं करूंगा.
मां बोलीं- नहीं, तुम मेरे बेटे हो. मैं यह कैसे कर सकती हूं!

मैंने कहा- मेरे साथ करोगी तो बाहर पापा का नाम बदनाम नहीं होगा.
मां बोलीं- ठीक है. पर किसी को बताना नहीं!

मैंने खुश होकर अपनी मां को चूमा और कहा- किसी को पता नहीं लगेगा.
फिर मैंने अपनी मां की चूचियों को पकड़ा और एक को मुँह में लेकर व दूसरी को हाथ से दबाना शुरू कर दिया.

मां कराहने लगीं- उफ्फ … मेरे बेटे और अधिक जोर के साथ करो.

मेरी मां को पसीना आ रहा था, वे बहुत सेक्सी लग रही थीं.
मैंने उनके सारे कपड़े खोल दिए.

मैं उनका जिस्म देख कर खुश हो गया.
मेरी मां इतना चुदने के बाद भी कितनी सेक्सी हैं.

मैंने माँ की चुत देखी, वह झांट रहित एकदम साफ थी.
मैंने चुत में उंगली करना शुरू कर दिया.

मां जल्दी ही अपने चरम पर आ गई थीं.
उन्होंने रस छोड़ा तो मैंने उनकी चुत को चाटना शुरू कर दिया.

कुछ मिनट तक चाटने के बाद वे फिर से झड़ गईं.

फिर मां ने मेरी जींस खोली.
उन्होंने मेरा विशाल लौड़ा देखा तो मां बड़ी उत्साहित हो गई थीं.
वे मेरे लौड़े से चुदवाने के लिए एकदम से व्याकुल हो गईं.

मां ने मेरा लवड़ा अपने मुँह में ले लिया और चूसने लगीं.
मेरी मां ने अपने बेटे के लंड को 20 मिनट तक चूसा.
तब जाकर मैं झड़ पाया.

मां ने कहा- मुझे मालूम होता कि मेरे बेटे का लौड़ा इतना मस्त है, तो मैं क्यों किसी गैर के लंड से अपनी चुत फड़वाती फिरती.
अब मैंने अपनी मां को पकड़ा और उन्हें बिस्तर पर गिरा दिया.

मां मेरे सामने नंगी पड़ी थीं.
मेरा सपना सच होने को था.

मैं मां पर चढ़ गया और अपने लौड़े को उनकी चुत में पेल दिया.

मां दर्द से चिल्लाने लगीं और मुझे धक्का देती हुई भागने को हुईं.
पर मैंने उन्हें हिलने भी नहीं दिया.

मैं उन्हें एक हिम मानव की तरह चोद रहा था.
मां ने चिल्लाना बंद नहीं किया.

मैंने उनसे पूछा- क्या हुआ रुक जाऊं क्या?
उन्होंने जवाब दिया- नहीं मेरे बेटे, यह पहली बार है जब मुझे इतना मज़ा आ रहा है … तुम बस करो.

यह सुनने के बाद मैं उन्हें और तेजी से चोदने लगा.
मैंने उन्हें एक घंटे से ज्यादा चोदा होगा.
उतनी देर में मां न जाने कितनी बार स्खलित हुई होंगी, मुझे पता नहीं.

मैं अपनी आंखें बंद करके Xxx मॅाम फक का मजा ले रहा था.

फिर मैं चरम पर आया और लौड़ा निकाल कर मैं मां के पेट के ऊपर ही झड़ गया.
मेरी मां मुझसे चुदवा कर बेहद खुश थीं.
उन्होंने भरपूर आनन्द लिया था.

मां ने मुझसे कहा- अब से तुम मेरी रोज चुदाई करोगे.

अब मैं 25 साल का हो गया हूं. मैं शादीशुदा भी हो गया हूं. मेरे 2 बच्चे भी हैं लेकिन मैं अभी भी अपनी Xxx मॅाम को चोदता हूँ.

मेरी पत्नी को भी मालूम है कि मेरी मां को लंड की भूख रहती है; वह मां की चुदाई को सामने बैठ कर देखती है.

मेरा नाम अनु अरोड़ा हैमेरा नाम अनुक्ति है मुझे घर पर सभी अनु नाम से ही बुलाते हैं., मैं बी टेक 3र्ड इयर की स्टूडेंट हूँ. मेरी उमर 21 साल है.
मैं मध्य प्रदेश से हूँ और बी टेक करने दिल्ली आई हूँ, मेरा कॉलेज गुरुग्राम में है.

मेरे परिवार में मेरे पिता जी, माँ और एक छोटा भाई है जो मुझसे बहुत प्यार करते हैं और मैं भी अपने परिवार से बहुत प्यार करती हूँ, शायद यही कारण था कि मैं आज तक किसी ग़लत चक्कर में नहीं पड़ी और ना ही कभी बॉयफ्रेंड बनाया.

मेरा फिगर 36-24-36 का है, मैं अपने फिगर को लोगों को आकर्षित करने के लिए नहीं पर अपनी खुशी के लिए मेंटेन रखती हूँ. मेरे कॉलेज के सब लड़के मेरे दीवाने हैं. बहुत लड़कों ने मुझे प्रपोज़ किया है पर मैंने कभी किसी को कभी हाँ नहीं कहा और ना ही कभी किसी लड़के से कभी दोस्ती की.

लेकिन किस्मत ने जब जिससे जहाँ मिलना होता है, मिला देती है और शायद किस्मत को संदीप को मुझसे मिलना था.

संदीप मेरा एक दोस्त है जो मुझे गुरुग्राम में ही मिला. संदीप दिखने में भी बहुत अच्छा है, मन में एक बार तो आया था कि उसे अपना बॉयफ्रेंड बना लूँ पर अपने माँ बाप की इज़्ज़त पर कोई आँच नहीं आने देना चाहती इसलिए सिर्फ़ दोस्त ही रहने दिया उसे भी.
संदीप रहने वाला मेरठ का है और मुझे गुरुग्राम के एक माल में मिला था. वो यहाँ एक कंपनी में डेटा अनालिस्ट है.

एक बार मॉल में कुछ लड़के मुझे छेड़ रहे थे तब संदीप ने मुझे उनसे बचाया था और हॉस्टल तक छोड़ा था. तब से मेरी और संदीप की दोस्ती हो गई. संदीप ने मुझे बाद में प्रपोज़ भी किया तो मैंने उससे बता दिया- संदीप, मैं सिर्फ़ अरेंज मैरिज करना चाहती हूँ वो भी उससे जो मेरे माँ बाप मेरे लिए ढूंढेंगे. तुम एक अच्छे लड़के हो इसलिए मैं तुम से दोस्ती नहीं तोड़ना चाहती.

संदीप एक शरीफ लड़का था तो उसने मुझे समझा और उसने इसलिए भी मुझे समझा क्योंकि वो मेरे बारे में सब जानता था. संदीप को पता था कि अनु एक शरीफ लड़की है और कभी बॉयफ्रेंड ना बनाया है और ना बनाएगी.

एक बार संदीप ने मुझे पूछा कि क्या मैं वर्जिन हूँ. तो मैंने उससे बहुत सुनाया कि क्या मतलब है उसका कि मैं वर्जिन हूँ.
मैंने उससे बोला- एक बात, जब आज तक मैं किसी लड़के के साथ नहीं हुई तो यह सवाल कैसा और दूसरा उसे शर्म आनी चाहिए यह सवाल पूछते हुए मुझसे!
मैंने उससे दोस्ती तोड़ दी, उसने माफी माँगी पर मैंने उससे माफ़ नहीं किया.
उस पर तरस तो आया पर हिम्मत नहीं हुई उससे नज़रें मिलाने की… उसके इस सवाल के बाद!

एक दिन मुझे कॉलेज की फीस भरनी थी तो मैंने पिता जी को फोन कर दिया. हालांकि मुझे पिता जी से पैसे लेना अच्छा नहीं लगता था पर मैंने सोच रखा था की मेरी पढ़ाई कंप्लीट होते ही और नौकरी लगते ही पिता जी को एक एक रूपया लौटा दूँगी.

मेरे फोन करते ही पिता जी ने मेरे अकाउंट में 1 लाख 30 हज़ार जमा करवा दिए. शनिवार का दिन था, तब बैंक हाफ डे के लिए ही खुलता था, मैंने अपनी रूममेट को बोला- मेरे साथ बैंक चल… पर उसकी तबीयत कराब थी तो मैं अकेली चली गई.

एक बार तो सोचा संदीप को फोन करके बुला लूँ, वैसे भी अब नाराज़ हुए काफ़ी दिन हो गये थे, पर फिर सोचा छोड़ो. बाद में देखते हैं. और पहले फीस का काम निपटा लूँ.

मैं सुबह 10 बजे बैंक पौंछ गई, वहाँ पर्ची भर के पैसे ले लिए. मैंने पैसे बैंग में डाले और कैब बुलवा कर हॉस्टल आ गई. किस्मत से ट्रॅफिक ना मिलने के कारण मैं 12 बजे तक हॉस्टल पहुंच गई थी. हॉस्टल में एंट्री लेते हुए समय मैंने देखा कि फीस विंडो पर लाइन नहीं लगी हुई है और विंडो भी खुला था तो सोचा क्यूँ ना अपनी फीस ही भर दूं और यह काम पूरे से निपटा दूं और वैसे भी सोमवार को काफ़ी लंबी लाइन लगने वाली थी.

मैं फीस काउंटर पर गई और फॉर्म लेकर अपना नाम, बेच, रोल नंबर और सब भर दिया. जैसे मैं विंडो पर पहुंची और पैसे निकालने के लिए बैग में हाथ डाला तो देखा बैग में से पैसे गायब थे. मैंने घबरा कर बैग में से सारा सामान निकल दिया और देखा बाद में एक छेद हुआ पड़ा था और पैसे बैग से गायब थे. मैं वहीं चक्कर खाकर गिर गई.
तभी हॉस्टल की वॉर्डन ने और ना जाने किसने मुझे मेरे हॉस्टल रूम में पहुंचाया.

जब मुझे होश आया तो एक पल कि मुझे लगा कि सपना था पर पास में बैग देख कर समझ आया कि सपना नहीं यह सच था कि मैंने अपनी फीस के 1 लाख 30 हज़ार गुमा दिए थे. मैं एकदम से घबरा गई और समझ नहीं आया कि क्या करूँ!
घबराहट में मुझे कुछ नहीं सूझा और मैंने तुरंत अपने दोस्त संदीप को फोन घुमा दिया. संदीप ने जैसे ही मेरा फोन उठाया, मैंने उससे रोते रोते सब बताया कि क्या हुआ.
संदीप ने मुझे फोन पर चुप करवाया और बाहर बुलाया क्योंकि वो गर्ल्स हॉस्टल की अंदर तक नहीं आ सकता था.

मैं बाहर संदीप का वेट कर रही थी और 5 ही मिनट में संदीप अपने किसी दोस्त की मोटरसाइकल लेकर आ गया. संदीप के आते ही मेरा रोना फिर छूट गया तो उसने मुझे बोला- चुप हो जाओ और यहाँ से चलो पहले!
और यह कह कर वो मुझे दूर एक पार्क में ले गया और पूरी बात पूछी. पूरी बात जानने के बाद वो मुझे मोटरसाइकल से बैंक के रास्ते और बैंक से हॉस्टल के रास्ते ले गया पर कुछ नहीं मिला.

मुझे रोता देख संदीप बोला- देखो अनु, पैसे तो मेरे पास भी नहीं है, नहीं तो मैं तुम्हें दे देता… पर मैं वादा करता हूँ कि 2 दिन का समय दो तो मैं कुछ कर पाऊंगा.
मैंने संदीप की बात मान ली और हम दोनों सोचने लगे.

तीसरे दिन मैंने संदीप को फोन किया और बोला- संदीप, फीस भरने की आख़िरी डेट आने वाली है, जल्दी कुछ नहीं किया तो बहुत बड़ी मुसीबत में फंस जाऊँगी.
तभी संदीप ने बोला- अनु तुम परेशान मत हो, पैसों का इंतज़ाम 80% हो गया है पर पहले तुम मिलो मुझे.

मैं संदीप से मिलने पहुँची और फिर वो मुझसे मोटरसाइकल पर बिठा कर एक पार्क में ले गया और बेंच पर हम बैठ गये.
तभी संदीप ने मुझे एक बात बोल कर हैरान और परेशन दोनों कर दिया.

संदीप ने मेरा हाथ अपने हाथ में लिया और बोला- देख अनु, मैं तुझे अपना बहुत प्यार दोस्त मानता हूँ, समझ नहीं आ रहा कि कैसे बोलूं तुझे… पर मेरे पास कोई दूसरा रास्ता नहीं है.
संदीप ने कहा- अनु, मैंने 2 दिन पहले अपने एक दोस्त से बात की पैसों के लिए और मैंने उसे तुम्हारी पूरी कहानी भी बता दी थी कि क्यों एकदम से इतने पैसों की ज़रूरत आ पड़ी है पर उसके पास भी पैसे ना होने के कारण उसने मना कर दिया था.
संदीप मुझसे बोला- अनु, आज मेरे उसी दोस्त का फ़ोन आया था और वो बोला की 1 लाख 30 हज़ार की जगह 2 लाख मिल जाएँगे अगर तुम एक आदमी के साथ पूरी रात गुजार लो तो!

यह सुनते ही मुझे सब समझ तो आ गया था पर यकीन नहीं हुआ था कि यह संदीप ने क्या बोल दिया.

मैंने संदीप को कहा- वॉट डू यू मीन कि पूरी रात गुज़ारनी होगी?
संदीप बोला- तुम्हें एक आदमी के साथ सेक्स करना होगा और पूरी रात उसी पास रहना पड़ेगा.

मुझे संदीप पर बहुत गुस्सा आया और मैंने उससे तमाचा मार दिया और रोते हुए अपने हॉस्टल आ गई.

मेरे हॉस्टल आने के बाद मैंने संदीप को सॉरी का मेसेज किया और सोने की कोशिश करने लगी पर टेंशन में और संदीप की बात सुन कर नींद नहीं आ रही थी. मैं बहुत डरी हुई थी, समझ नहीं आ रहा था कि कैसे क्या करूँ. एक बार तो सोचा कि घर पर ही बता दूं पर फिर अपने घर की आर्थिक हालत के बारे में सोच कर मैंने चुप रह कर खुद से सब संभालने की सोची.
पर संभालना कैसे था… यह समझ नहीं आ रहा था.

अब 5 दिन बीत चुके थे और आज गुरुवार था और सोमवार को फीस भरने की आख़िरी तारीख थी. गुरुवार की रात तक सब कुछ सोचने के बाद जब कुछ रास्ता दिखाई नहीं दे रहा था तो संदीप की बात मेरे दिमाग़ में घूमने लगी. एक बार दिमाग़ ने कहा कि अनु एक रात किसी और के साथ… तेरी सब दिक्कत दूर कर देगी और सेक्स कभी ना कभी तो करना ही पड़ेगा और आजकल सब शादी से पहले कर चुके होते हैं पर किसी अंजान आदमी के साथ कैसे?

पूरी रात सोचते सोचते निकल गई और फिर मैंने शुक्रवार की सुबह संदीप को फोन किया, कहा- संदीप मैं तैयार हूँ, पर यह बात प्लीज़ तुम्हारे और मेरे बीच में ही रखना!
संदीप बोला- ठीक है, मैं पता करके बताता हूँ कि कब जाना होगा.

आधे घन्टे बाद संदीप ने मुझसे मेरा अकाउंट नंबर माँगा और कहा- इसमें अभी 50 हज़ार आ जाएँगे और बाकी के बाद में… और तुम्हें आज की रात ही जाना पड़ेगा तो तुम वॉर्डन को बोल दो कि तुम घर जाओगी आज शाम को!
मैंने संदीप की बात मान ली और वैसा ही किया.

संदीप मुझे 6 बजे हॉस्टल से ले गया और फिर एक जगह जाकर हम खड़े हो गये. मुझे बहुत ड़र लग रहा था.
तभी वहाँ एक सफेद गाड़ी आकर रुकी और उसमें से एक लड़का निकला. लड़के ने संदीप से हाथ मिलाया और मुझे कहा- डरो मत, मैं संदीप का दोस्त हूँ, मैं आपको वहाँ छोड़ कर आऊंगा और फिर कल दोपहर लेने भी आऊंगा और फिर संदीप आपको यहीं से ले जाकर हॉस्टल छोड़ देगा.
और फिर मुझे साथ चलने को कहा.

मैं चुपचाप गाड़ी में बैठ गई और संदीप का दोस्त, जिसका नाम अंशुल था, आगे की सीट पर ड्राइवर के साथ बैठ गया.
रास्ते में अंशुल ने मुझे कहा- तुम बहुत प्यारी हो और तुम्हें मैं संजय सर के पास छोड़ के आने वाला हूँ.

रास्ते में उसने मुझे अपने संजय सर के बारे में बताया.
अंशुल ने बताया- संजय सर करीब 34 साल के हैं और बहुत बड़े बिजनेसमैन हैं, भारत में उनके कई बिजनेस हैं..
और सब कुछ बताया.

अंशुल ने यह भी बताया- संजय सर की कभी शादी नहीं हुई है, एक बार शादी तय हुई थी पर जिस लड़की से उनकी शादी तय हुई थी, वो लड़की मंडप से अपने बॉयफ्रेंड के साथ भाग गई थी और उसके बाद संजय सर ने कभी शादी नहीं की और अपने काम में लग गये.

करीब 45 मिनट में हम संजय सर के घर पहुंच गये. उसे घर कहना शायद ठीक नहीं होगा, वो एक महल से काम नहीं था, घर के गेट पर ही 2 गार्ड खड़े थे.

गाड़ी अंदर गई, ड्राइवर ने घर के दरवाजे पर कार रोक दी. मैं और अंशुल गाड़ी से उतर के अंदर गये तो देखा एक बहुत बड़ा हॉल था जिसमें सोफे पर कोई आदमी बैठा था. देखने में तो 34 की उमर का संजय नहीं लगा तो मुझे लगा कोई होगा… यह संजय का छोटा भाई हो सकता है. उसका शरीर जिम जाने वाले लड़कों की तरह तना हुआ था और हाइट उसकी 5 फुट 11 इंच होगी.

हम जैसे ही थोड़ा करीब पहुंचे तो अंशुल ने बताया- ये ही संजय सर हैं!
और फिर मुझे इंट्रोड्यूस करवाया.
मैंने घबराते हुए अपने काँपते हाथ से उनसे हाथ मिलाया.

उन्होंने हमें बैठने को कहा.

तभी अंशुल ने कहा- चलो, मैं चलता हूँ कल दस बजे तक आ जाऊँगा आपको लेने!
यह बोल कर अंशुल चला गया और संजय अंदर कहीं चले गये.

थोड़ी देर बाड 2 चाईनीज या पहाड़ी सी दिखने वाली लड़कियाँ आई और मुझे कहा- चलो हमारे साथ!
और एक कमरे में ले गई, वो कमरा वैसा था जैसा मॉडेल्स या हीरो हेरोइन के तैयार होने के लिए होता है.

उन्होंने ने मुझे कहा- हम तुम्हें यहाँ दुल्हन की तरह तैयार करेंगे क्योंकि संजय सर तुम्हें अपनी दुल्हन की तरह देखना चाहते हैं.

मैं समझ गई कि आज मेरी बिना शादी के सुहागरात मनेगी. मैं बहुत घबराई हुई थी.

उन्होंने मुझे एक कुर्सी पर बैठा दिया और फिर मेरी टीशर्ट और जीन्स उतार कर बैठने को कहा.
मैं बोली- मुझे बहुत शर्म आएगी आप दोनों के सामने!
तब उन्होंने समझाया कि वो भी लड़कियाँ ही हैं और शरमाने की कोई बात नहीं है.
मैंने उनकी बात मान ली और अपने कपड़े उतार दिए.

फिर उन्होंने मेरे वक्ष का साइज़ चेक किया और मेरे साइज़ से 1 नंबर छोटी ब्रा और पेंटी के 4-5 सेट मंगवा लिए. फिर वो दोनों मेरे हाथों पैरों की वैक्सिंग करने लगी.
उसके बाद उन्होंने मेरे हाथों पैरों पर मेहंदी लगाई.

फिर उन्होंने मेरा फेशियल किया और नहलाया और पूरा अच्छे से तैयार कर दिया. उन्होंने मेरी बुर पर से भी बाल पूरी तरह साफ कर दिए थे.
फिर उन्होंने मुझे एक डार्क ब्लू कलर की ब्रा और पेंटी पहना दी जो थोड़ी टाइट थी और मेरे शरीर को और उभार रही थी. मुझे जो पेंटी पहनाई थी वो भी डार्क ब्लू की थी जिसके आगे थोड़ा सा जाली वाला डिज़ाइन था.

मुझे एक लहंगा पहनाया गया और हाथ में कुछ चूड़ियाँ और दुल्हन वाला चूड़ा पहनाया और पैरों में पायल पहनाई. यहाँ तक कि उन्होंने मुझे गले में एक मंगल सूत्र पहनने को भी दिया.
मुझे पूरी तरह दुल्हन की तरह सज़ा दिया गया.

मैंने जब खड़े होकर खुद को शीशे में देखा तो खुद को एक बार यकीन नहीं हुआ कि मैं इतनी ज्यादा खूबसूरत लग रही थी.

फिर मुझे वो लोग एक कमरे में ले गये. कमरे में जाते ही मैंने देखा कि कमरे में बेड को फूलों से सजाया हुया था. मुझे उस बेड पर बैठा कर वो दोनों वहाँ से चली गई.

मैं बहुत डर रही थी कुछ समझ नहीं आ रहा था कि क्या हो रहा है और क्या होने वाला था. हालांकि मुझे पता था कि आज मेरे साथ क्या होने वाला है.

करीब 15 मिनट में संजय कमरे में आए, दरवाज़ा बंद कर दिया और ए.सी. का टेंपरेचर 16 पर कर दिया. वो मेरे करीब आकर बैठ गये और फिर मेरा हाथ पकड़ कर कहा- आज रात तुम मेरी पत्नी हो, मुझे अपने पति की तरह प्यार करना है तुम्हें आज!

मैंने नज़रें नीचे झुका ली…

उन्होंने मुझे गले से लगाया और बेड पर लिटा दिया और वो भी मेरे पास ही लेट गये और मेरे हाथ को पकड़ लिया.
मैं बहुत घबरा रही थी. उन्होंने फिर मेरे माथे पर किस किया, फिर मेरी आँखों पर और फिर मेरे गाल पर!

जैसे ही वो मेरे लिप्स पर किस करने लगे, मैंने मुँह फेर लिया.

कहानी जारी रहेगी..........

आज फिर से मैं नयी देशी भाभी चुदाई कहानी ले कर आया हूं।

उस गांव से मेरा ट्रांसफर 45 किलोमीटर दूर एक गांव में हो गया था।
यह गांव थोड़ा बड़ा था और यहां के लोग थोड़े पढ़े लिखे और सुखी सम्पन्न थे।
गांव के लोगों के पास खेती के लिए काफी बड़ी जमीनें थी और लोग राजकीय पहुंच भी रखते थे।

खैर जहां समृद्धि होती है वहां टकराव भी होता है.
तो इस गांव में ताकतवर लोगों के गुट बने हुए थे और ये गुट आपस में अक्सर लड़ते रहते थे.
तो यह गांव किसी भी कर्मचारी के कठिन पर माल वाला पोस्टिंग माना जाता था।

मुझे मेरे साथी कर्मचारियों ने इस गांव के बारे में यह सब बताया था- तुम जैसे सीधे सादे आदमी को इस गांव में नौकरी करना मुश्किल है। यहां के लोगों की पहुँच ऊपर तक होने से वे हमारे जैसे छोटे कर्मचारियों को दबा के रखते हैं।

अब मेरा इस गांव से पाला पड़ ही गया था तो सोचा कि जो होगा देखा जायेगा।

मैंने वहां के पुराने पटवारी से चार्ज लिया और काम देखने लगा।

दूसरे दिन गांव के सरपंच से मेरी मीटिंग थी।
सरपंच एक महिला थी.

उसने मिठाई का डिब्बा देकर मेरा स्वागत किया और कहा- आपको हम यहां कोई परेशानी नहीं होने देंगे. हम सब साथ मिल कर काम करेंगे. आप भी हमारा साथ दीजिएगा।

मुझे काफी अच्छा लगा और मैंने महसूस किया कि सरपंच काफी होशियार महिला थी।

बाद में जानने को मिला कि सरपंच तो भले दिल की और अच्छी है पर उसका पति गांव का बाहुबली था और सरफिरा भी!
उसका गुट काफी बड़ा और ताकतवर था और काफी लड़ाई झगडे के बाद उसे सरपंच का पद दिलवाया था।

अगले कुछ दिनों में गांव के बाकी गुट वाले भी मुझसे मिलने आये और उन सबकी मुझसे समर्थन के लिए मांग थी तथा अप्रत्यक्ष रूप से धमकी भी थी की मैं उन्हें ही समर्थन करूं।

इस गांव में शुरु से ही मैंने अच्छे से कामकाज चालू किया तो लोगों के काम समय से होने लगे।
मेरे पहले के पटवारी गांव के कोई ना कोई गुट में मिल जाते थे और काम कराने के पैसे भी लेते थे तो आम लोगों में नाराजगी रहती थी।

वैसे भी गांव के गुट वाले अपनी पसंद का ही पटवारी का गांव में पोस्टिंग करवाते थे।

मैं सभी का काम अच्छे से समय पर और बगैर पैसे लिए करने लगा तो एक दो महीने में ही मेरी गांव में काफी अच्छी छवि उभर आई थी।

दूसरी तरफ दो महीने से मुझे कोई चूत नहीं मिली थी तो मेरा बुरा हाल था।
रश्मि की बहुत याद आती थी, साथ में नम्रता की गोरी और फातिमा की काली चूत भी मुझसे भूली नहीं जा रही थी।

मैंने रश्मि को वचन दिया था तो मैं उस गांव की तरफ जाना नहीं चाहता था।
हालांकि नम्रता और फातिमा की चूत तो मुझसे चुदाने को आज भी तैयार थी।

पर मैंने अब इसी गांव में चूत ढूँढना का तय किया।
यह इस गांव के हिसाब से मुश्किल और मेरे लिए ख़तरनाक भी था क्योंकि पकड़ा गया तो इस गांव के लोग जान से भी मार सकते थे।

पर मेरे लिए इस गांव में किस्मत ने पहले से अच्छा तय करके रखा था।

मैं नयी जगह और कामकाज के चलते अब तक लोंडियाबाजी में नहीं पड़ पाया था. पर अब मैंने गांव में चूत ढूँढना शुरु किया।

पहले तो मैंने सरपंच के बारे में सोचा।
वह 35 साल की घरेलू महिला थी. ऐसे तो वह काफी गोरी थी थोड़ी सी मोटी पर उसका चेहरा खास मुझे प्रभावित नहीं कर पाया. वैसे भी वह मेरा छोटे भाई की तरह ख्याल बहुत रखती थी तो मेरी नीयत उसके लिए खराब नहीं हो पायी।

मैंने दूसरी भाभियों और लड़कियों के बारे में सोचा।
कुछ भाभियां और लड़कियां मेरे पास काम करवाने अक्सर आया करती थी तो उसमें ही जुगाड़ करने की फिराक में रहने लगा।

दो महीने बाद एक बार मैं ऑफिस के दूसरे कमरे की खिड़की खोल रहा था जिसे कभी कभार ही खोलते थे क्योंकि उस कमरे में पुरानी फाइलें और रेकोर्ड ही रखते थे।
मुझे एक पुरानी फाइल की जरूरत पड़ी थी तो मैं उस कमरे में गया और वहां की खिड़की खोली।

खिड़की से बाहर थोड़ी ही दूर एक जवान औरत कपड़े सुखाती दिखी।
उसकी पीठ मेरी तरफ थी पर मैं तो उसे देखता ही रह गया।

उसका बदन कसा हुआ गठीला और एकदम गुलाबी था जिससे मेरे पैंट में हरकत सी होने लगी।
काफी देर तक मैं उसे निहारता रहा।

फिर वह मेरे सामने घूमी तो देखा कि मैं इसे जानता था।
उसका नाम नाम रेखा था, वह मेरे पास कुछ काम के लिए तीन दिन पहले ही आयी थी।

रेखा सरपंच की रिश्ते में दूर की देवरानी थी और सरपंच के मायके के गांव की ही थी तो सरपंच से उसकी काफी बनती थी।

सरपंच ने मुझे उसका काम जल्दी निपटाने का अनुरोध भी किया था।
काम में व्यस्त होने की बजह से मैंने उस पर ध्यान नहीं गया था पर आज उसका कामुक बदन देख कर मेरे तो तोते उड़ गये थे।

मैंने तुरंत ही एक प्लान बनाया और सरपंच के जरिए उसे संदेश दिया कि उसके दिये कागज में एक दो कागज कम हैं.

तो वह दूसरे दिन ऑफिस आ गयी।

ऑफिस में कोई नहीं था, वह अपने छोटे बच्चे के साथ आयी थी।
मैंने उसे बहुत अच्छी तरह से निहारा।

आज उसने सर पर घूंघट नहीं निकाला था तो मैं जी भर कर उसे निहारता रहा।
शायद उसे भी इस बात का अंदेशा हो गया था।

मैंने उससे हंसते हुए काफी बातें की.
उसने कहा- अरे साहब, ऐसे छोट मोटे कामों के लिए थोड़ा बुलाते हैं आप खुद ही निपटा लेते ना!
वह भी थोड़ी बातूनी और मजाकिया स्वभाव की निकली।

शाम को घर आकर मुझे उसकी कल्पना करते हुए हाथ हिला के आग को शांत करना पड़ा।

रेखा छब्बीस साल की थी और उसका एक चार साल का बच्चा भी था.
उसका फीगर करीब 36-32-34 का होगा।
उसके नाक नक्श ऐसे कि बोलीवुड की हीरोइन से टक्कर ले सकें।

वह ज्यादा पढ़ी लिखी नहीं थी पर काफी होशियार थी।
मैंने सोचा कि पति ने भी क्या किस्मत पायी थी।

अब मैं रोज उस कमरे की खिड़की से रेखा को निहारने लगा।
वह अपने पति और बच्चे के साथ अलग रहती थी, उसके घर से सट कर ही उसके ससुर और जेठ के भी घर थे।

उसका घर का मुख्य द्वार बिल्कुल मेरे ऑफिस के पीछे ही पड़ता तो मैं खिड़की से ही उसके घर में भी देख सकता था।
मैंने कई बार कपड़े सुखाते या झाड़ू निकालते समय उसकी ब्रा और क्लीवेज भी देखी थी।

अब उसकी चूत मिल जाए तो जन्नत मिल जाए।

ऐसे ही तीन चार महीने निकल गये।
उसे भी शायद पता लग गया था कि मैं खिड़की से उसे झांकता हूँ।
वह अब मेरे सामने मुंह रख कर कपड़े सुखाती थी और कभी मुस्कुराती भी थी।

बात यहीं आकर रुक गयी थी, कुछ आगे नहीं बढ़ पा रही थी।
उससे बात करने की मेरी हिम्मत भी नहीं हो रही थी।

फिर समय ने करवट बदली और वह एक बार शाम को पांच बजे के आसपास सरपंच से मिलने ऑफिस आयी।
सरपंच ने उसे पारिवारिक काम से बुलाया था।

वैसे मेरे ऑफिस में दोपहर के बाद ज्यादा काम नहीं रहता था पर सरपंच ने अब दोपहर के बाद ऑफिस में बैठना शुरू किया था।

अब यह सिलसिला चल पड़ा की वह सरपंच के साथ गप्पे लड़ाने ऑफिस आ जाती थी।

मेरा टेबल सरपंच के पास ही था तो मैं उसे देखते रहता था और उनकी बात सुनता था।

असल में सरपंच अपने छोटे भाई के लिए रिश्ता ढूँढ रही थी. उसी चक्कर में वह रेखा को बुलाती थी कि फलाना गांव में फलाने आदमी की बेटी अच्छी है।

सरपंच मुझे बहुत मानती थी तो उन दोनों की बातों में मुझे भी शामिल करती थी.
कभी कभी मज़ाक भी हो जाता था।

रेखा बहुत बातूनी थी और हमेशा मजाकिया बातें करती रहती थी।
मैं रेखा को टार्गेट करके बातों के शोट मारता तो वह भी मुझे करारे जवाब देती थी।
सरपंच हमारी बातों का मज़ा लेती थी।

तीन महीने तक ऐसा चलता रहा।

एक बार वह ऑफिस में आयी तो मैं अकेला ही था.
सरपंच किसी काम से बाहर गयी हुई थी.

तो वह वापिस जाने लगी.
उसी वक्त चाय वाला लड़का चाय लेकर आया.
तो मैंने रेखा को रोका और चाय पीने को बोला.
तो वह रुक गयी।

चाय पीते पीते वह बोली- विशाल जी, आपने अब तक सगाई क्यों नहीं की? कोई पसंद नहीं आयी क्या?
मैंने कहा- अभी मेरी उम्र ही क्या है … शादी वादी करके क्या फायदा!

ऐसे थोड़ी देर बात हुई.
फिर जाती हुई वह बोली- जल्दी से कोई ढूँढ लीजिए, कब तक आप यों ही खिड़की से झांकते रहोगे।
मैं कुछ समझ पाऊं … उससे पहले वह इतना बोल कर झट से चली गई।

मुझे समझ आ गया कि वह भी मुझे लाइन दे रही थी।

दूसरे दिन जब मैं खिड़की से उसे झांकने गया तो देखा कि आज वह मेरे सामने ही चेहरा करके मुस्कुराती हुई कपड़े सुखा रही थी।
जाते जाते बाल्टी में बचा पानी उसने जोरदार मुस्कान के साथ मेरी तरफ फेंका।

मैं समझ गया अब इसकी चूत दूर नहीं है।

अब वह खिड़की के पास आकर मुझसे मज़ाक भी कर लेती।
मैंने उसे कई बार शहर घूमने आने का न्योता दिया.
पर वह हमेशा अपने पति के साथ ही शहर आती थी।

एक बार उसने कहा- मेरी मौसी शहर में रहती हैं और मैं उनके घर चार पांच दिन के लिए रहने जाऊँगी.

मौसी के घर का जो पता उसने बताया, वह स्थान मेरे घर से आधा किलोमीटर दूर था।
उसी दौरान मेरी भी दो दिन की छुट्टी थी।

उसने कहा- चलो आप बहुत दिन से निमंत्रण दे रहे थे तो आपकी मेहमान नवाजी भी देख लेते हैं।
मैंने उसे शहर में पास वाले पार्क में मिलने के लिए कहा।

आखिर वह दिन भी आ गया.
वह पार्क में अपने बच्चे के साथ आयी हुई थी।
मैं भी सज-धज के वहां पहुंचा।

उसके बच्चे को अपनी गोद में लेकर मैं उससे बातें करने लगा।
फिर मैंने उसे रूम पर आने को बोला तो थोड़े नखरे दिखा कर वह मान गई।

रूम पर जाकर उसके बच्चे को मेरे बेड पर सुला दिया और हम नीचे चटाई पर बैठ गए।

उसने बताया कि उसकी शादी अठारह की उम्र में हुई थी। शुरू में उसका पति बहुत अच्छे से उसको रखता था फिर बाद में वह सरपंच के पति के संगत में आया और वह पैसों के पीछे पड़ा। वह ट्रांसपोर्ट का बिज़नस करता था जिसमें अच्छी कमाई हो जाती थी. पर अब वह और ज्यादा कमाने के चक्कर में पड़ गया था और राजनीति में भी बड़ा पद पाना चाहता था। सरपंच के पति के अच्छे बुरे सब कामों में वह शामिल रहता है. उस पर पुलिस केस भी चल रहे थे। महीने में करीब बीस दिन घर से बाहर ही रहता था और जब घर आता था तो भी अपने गुट वालों के साथ मीटिंग या पुलिस या कोर्ट वकील या प्रोपर्टी के कामों में व्यस्त रहता। आठ दस दिन घर आता उसमें भी दो तीन दिन ही वह पत्नी और बच्चे के लिए ठीक ठाक समय दे पाता।

दूसरी बात यह थी कि रेखा को अपनी खूबसूरती पर काफी नाज था।
वह चाहती थी कि हर कोई उसकी खूबसूरती का लोहा माने।

पर छोटी उम्र में ही उसकी शादी हो गई और उसके पति ने भी दो तीन साल ही उसकी खूबसूरती को भोगा था। अब वह घर पर होता तो खाली अपनी हवस बुझाने ही रात को रेखा के ऊपर चढ़ जाता और अपने आपको शांत कर के जल्दी ही उतर जाता।
उसमें भी कई बार तो नशे में चूर होकर रेखा को भोगता तो अब रेखा को संतुष्टि नहीं मिलती।
ना तो वह रेखा की तारीफ करता और न उसे समय दे पाता।

पर रेखा की जवानी अब भी बहुत कुछ मांग रही थी जो उसका पति उसे नहीं दे रहा था।

जब रेखा ने मुझे उसके पीछे लट्टू पाया तो उसके अरमान फिर से हरे भरे हो गये।

उसने सरपंच से मेरी काफी तारीफ सुन रखी थी तो वह भी मेरी तरफ आकर्षित हुई थी।

मैं उससे चिपक कर बैठ गया और बातों बातों में मस्के मारने लगा वह भी मुझे करारे जवाब दे रही थी।

वह मुझसे पांच साल बड़ी और एक बच्चे की मां थी आज मैं उसे चोदने जा रहा था।
मैंने उसका हाथ अपने हाथ में लिया और उसके कंधे पर भी एक हाथ रख दिया।

जब मैंने उसके गालों पर एक चुम्बन लिया तो वह दूर जाने लगी.

पर मैंने उसे पकड़े रखा और फिर उसके होंठों से अपने होंठ लगा दिए।
वह भी मेरा साथ देने लगी।

मैंने उसकी पीठ के खुले हिस्से को काफी सहलाया और चूमा भी!
इससे वह काफी गर्म हो चुकी थी.

फिर मैंने उसके बोबे पकड़ लिये और दबाने लगा।
उसके बोबे फातिमा से भी बड़े थे और वह नम्रता से भी ज्यादा गोरी थी तथा रश्मि की तरह गर्म थी।

उसने खुद ही ब्लाउज और ब्रा उतारी फेंकी।
वह बार बार विशाल कर रही थी.
मतलब था कि वह जल्दी मेरा लौड़ा अपनी चूत में चाहती थी.

पर मैं उसे थोड़ा तड़पाना चाहता था और धीरज के साथ उसकी खूबसूरती को पीना चाहता था।

मैं उसके स्तनों को चूसने और दबाने लगा.
वह भी मदहोश हो गई थी।

मैंने उसके पूरे शरीर को चूमा तो वह पागल सी हो गई और हांफने लगी।
वह बोली- विशाल जल्दी करो, अब सब्र नहीं होता है।

मैंने भी अपने कपड़े उतारे और उसने अपने बाकी बचे कपड़े उतार फेंके।

उसने मेरा लंड अपने हाथ में पकड़ा और सहलाने लगी, फिर टोपा चाटने लगी और फिर पूरा लंड चूसने लगी।
मैं तो जैसे जन्नत में पहुंच गया था क्योंकि एक परी मेरा लंड चूस रही थी।

थोड़ी देर बाद उसने मेरा लंड अपने मुंह से निकला और बेड पर सीधी लेट गई और मुझे कहा- विशाल जल्दी आओ, मुझसे रहा नहीं जाता।
मैं भी उसके उपर चढ़ गया और लंड उसकी चूत में डालने लगा।

उसकी गोरी चूत पर काफी काली झांटें थी तो मुझे चूत का छेद ढूंढने में तकलीफ हो रही थी.
पर उससे रहा नहीं गया और उसने मेरा लंड पकड़ कर अपनी चूत में सेट किया और बोली- अब धक्का मारो।

मैंने एक ही झटके में पूरा लौड़ा उसके अंदर घुसा दिया तो उसके मुंह से आह निकली।
मैं उसे धमाधम चोदने लगा.
वह विशाल आह आह और जोर से जोर से ऐसी आवाजें निकाल रही थी।

मैं भी बोल रहा था- मेरी रानी रेखा, तुम्हें जब से देखा तब से मेरे मन में शोले भड़क रहे थे। आज तू मिली है मेरी जान!
ऐसा बोलते हुए मैं उसे जोर जोर से चोद रहा था।

ज्यादा जोश के कारण दस मिनट में ही मेरा पानी छूटने को हुआ तो मैंने कहा- डार्लिंग, पानी कहां निकालूं?
उसने कहा- अंदर ही निकालो।

मैंने उसके अंदर ही अपना वीर्य निकाल दिया और उसके ऊपर ही लेटा रहा।

काफी देर बाद हम अलग हुए और कपड़े पहन कर एक दूसरे की बाहों में लिपट कर बैठ गये।

उसने कहा- काफी समय बाद किसी ने इतने प्यार से मुझे चोदा है। मेरा पति तो बस दारू के नशे में मुझ पर चढ़ जाता है और पांच ही मिनट में पानी छोड़ कर लुढ़क जाता है। मैं प्यासी ही रहती हूँ।

आधा एक घंटा हमने बातें की।

वह फिर से चुदना चाहती थी तो बार बार अपने बोबे मेरे मुंह पर घिसती और मेरे लंड को सहलाती.
तो मेरा लौड़ा भी अब खड़ा हो गया था।

हमने फिर कपड़े उतारे और फिर से चुम्माचाटी और बोबा दबाई की।

उसने मेरा लंड फिर से चूसा तो वह लोहे की छड़ की तरह खड़ा हो गया।
मैंने फिर से उसकी चूत में लौड़ा डाल दिया और चोदने लगा।

इस बार धैर्य के साथ चुदाई की तो आधा घंटा चोद सका।
फिर से मैंने उसकी चूत में अपना वीर्य छोड़ा।

इस चुदाई के बाद वह अपनी मौसी के यहां गयी।
वह अपनी मौसी के घर पांच दिन तक रुकी और मैंने भी अपनी ऑफिस में छुट्टी ले ली और हम रोज मिलते रहे और चुदाई करते रहे।

फिर गांव आ कर वही सिलसिला खिड़की से झांकने का चालू हुआ।

हम दोनों एक-दूसरे को फ्लाइंग किस करते तथा दिन में चार पांच बार खिड़की पर ही मिलन हो जाता।
ज्यादा कुछ नहीं कर पाते थे क्योंकि उसका पति उसके मौसी के घर से वापस आने के दूसरे दिन ही घर आ गया था।

एक हफ्ते बाद उसका पति वापस काम पर लौटा तो उसने मुझे दोपहर में अपने यहां खाने पर बुलाया।

हमने साथ में खाना खाया और खूब चुदाई की.

ऐसे दो महीने चलता रहा।

बाद में उसने मुझे बताया कि वह मां बनने वाली है और उसके बच्चे का बाप मैं ही हूं।
मेरी गांड फट गई.

मैंने कहा- अब क्या करेंगे?
वह हंसती हुई बोली- बिल्कुल फट्टू हो तुम. इसमें डरने की क्या बात है. यह तो खुशी की बात है।

मैंने कहा- किसी को पता चल गया तो क्या होगा?
उसने कहा कि उसने सोच समझ कर ही बच्चा रखवाया था। वह अपने पति की जगह मेरे बच्चे की मां बनना चाहती थी इसलिए उसने मुझे कभी कोंडोम इस्तेमाल नहीं करने दिया था और मेरा वीर्य अपनी चूत में डलवाती थी।

उसने कहा- तुम तो खुश हो. बस किसी को बताना मत कि यह बच्चा तुम्हारा है. यह बच्चा तो हमारे प्यार की निशानी है।

तब जाके मुझे भी राहत हुईं और मैं भी खुश हुआ।

नौ महीने बाद रेखा ने एक प्यारी सी बेटी को जन्म दिया।
रेखा ने मुझे कहा- यह तुम्हारी बेटी है तो तुम्हीं इसका नाम रखो।
मैंने उसका नाम प्रेरणा रखा।

बाद में मौका मिलने पर मेरी और देशी भाभी चुदाई चालू ही रही।

उसी ने मुझे गांव की कुंवारी चूत भी दिलाई जो आपको बाद में बताऊंगा।
लेखक के आग्रह पर उनकी ईमेल आईडी प्रकाशित नहीं की जा रही है।
यह देशी भाभी चुदाई कहानी आपको कैसी लगी, कमेंट्स में बताएं.

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