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मेरा नाम मोहित है ! मैं नागपुर Hindi Porn Stories में रहता हूँ ! आप लोगो को मेरी कहानी बताता हूँ ! एक दिन मैं अपने दोस्त वरुण के यहाँ गया ! उसके घर में कोई भी नहीं था ! मैंने आवाज़ लगाई पर किसी ने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी ! मैं अन्दर चला गया तो उसके कमरे की तरफ जाते हुए मुझे बाथरूम से आवाज़ आई ! मुझे लगा शायद वो नहा रहा होगा ! मुझे मजाक सूझा ! मैंने दरवाज़े को खोला तो अन्दर से चिल्लाने की आवाज़ आई ! मैंने देखा तो एकदम से आश्चर्य में पड़ गया ! अन्दर उसकी बहन नहा रही थी ! उसका नाम लवी था ! उसका पूरा बदन पानी से गीला था ! उसको नंगा देख के मेरा लौड़ा खड़ा हो गया ! उसने एकदम से दरवाज़ा बंद कर लिया ! फिर मैं वहां से चला गया ! पर वहां से जाने के बाद भी मुझे उसका नंगा बदन याद आ रहा था !
उस दिन मैं उसके बारे में ही सोचता रहा ! फिर दूसरे दिन जब मैं उसके घर गया तो वरुण की तबियत बहुत ख़राब थी ! वो सोया हुआ था ! उसकी बहन दूसरे कमरे में लेट कर टी-वी देख रही थी ! उसने मुझे आवाज़ दी,”मिथ्स इधर आ ! तूने नया मोबाइल लिया ?”
मैं बोला,”हाँ !”
वो बोली,”दिखा, कैसा है?”
मैं एकदम से डर गया क्यूंकि मेरे मोबाइल में ब्लू फिल्म थी ! मैंने उसको फोल्डर के बहुत अन्दर छुपा के रखा था ! फिर मैंने उसे मोबाइल दिया ! मुझे क्या पता था कि उसे मेरे मोबाइल की पूरी समझ आ जायेगी, वो बोली,”तेरे पास तो बहुत गाने हैं! मुझे भी दे !”
मैंने उसे पूरे गाने एक साथ भेज दिए और वहां से चला गया! थोड़ी देर बाद जब वापस आया तो उससे मोबाइल माँगा ! वो बोली,” दो मिनट रुक जा! बस हो ही गया है और वो मुझसे बाते करने लगी! उसने मुझे पूछा ,”क्या तेरी कोई गर्लफ्रेंड है?”
मैंने कहा,”नहीं !”
फिर वो एकदम से बोली,”तू इतना बड़ा हो गया है (उस समय मेरे उम्र १८ साल की थी) और तेरी एक भी गर्लफ्रेंड नहीं है?”
मैंने भी उसे पूछा,”क्या तेरा कोई बॉयफ्रेंड नहीं है?”
उसका भी जवाब न में ही आया ! फिर उसने कहा,”छोड़, जाने दे !”
फिर वो मोबाइल में और गाने ढूँढने लगी तो एकदम से उसे ब्लू फिल्म वाला फोल्डर दिखा ! वो एकदम से चौंक गई ! उसके मुंह से हुउऊ…….. करके आवाज़ निकली! मैं एकदम से डर गया ! उसे पूछा,” क्या हुआ ?”
तो वो बोली,”बच्चू ! १८ साल का भी नहीं हुआ और अभी से ऐसी चीज़ें देखता है? “
मैं बहुत डर गया ! उसे पूछा,”क्यूँ, क्या हुआ ?”
उसने कहा,” यह क्या हैं ?”
मैं चुप हो गया ! फिर थोड़ी देर बाद मैं बोला,” तुझे उससे क्या? तुझे जो लेना है वो ले और मोबाइल वापस दे !”
फिर मैंने एकदम से उसे पूछा,” इतनी भोली मत बन ?? जैसे मुझे कुछ पता ही नहीं कि तू भी चुपके से ब्लू फिल्म देखती है!”
वो मुझे बोली,” तुझे कैसे पता?”
मैं बोला,”उस दिन जब मैंने तुझे बाथरूम में देखा था तो तू मोबाइल पर ब्लू फिल्म देख रही थी और अपनी चूत में ऊँगली डाल रही थी!”
वो एकदम से डर गई और मुझे बोली,”चुप बैठ !”
फिर वो मुझे बोली,” सॉरी! मैं तेरी बात किसी को नहीं बताउंगी तो तू भी मेरी बात मत बताना !!!”
मैंने कहा,”ठीक है !”
फिर हम नोर्मल हो के बातें करने लगे ! फिर उसने मुझे पूछा,” क्या तूने कभी किसी के साथ सेक्स किया है?”
मैंने कहा,”नहीं ! अभी तक मेरी कोई गर्लफ्रेंड ही नहीं है तो किसको चोदूंगा?”
उसने कोई जवाब नहीं दिया ! फिर मैंने उसे एकदम से एक क्लिप दिखाया ! वो बोली,” क्या है और दखने लगी !” वो शरमा गई !
मैं बोला,”शरमा मत ! हमारे अलावा कोई नहीं है! देख ले ! न जाने फिर कब देखने को मिले ?”
वो देख रही थी ! अचानक मुझे पता नहीं क्या सूझा, मैं उसके बाजू में जा कर बैठ गया और हम साथ-साथ उस क्लिप को देखने लगे ! वो बहुत गरम हो गई थी और मेरा लौड़ा भी तन गया था ! मैंने जान-बूझ कर उसकी टांगों पर हाथ लगाया ! उसने मेरा हाथ हटाया पर मैं मानने वाला नहीं था! मैंने उसका हाथ मेरे लौड़े पे रख दिया! उसने मुझे डांट दिया और बोली,”अच्छे से रहो !”
मैंने उसको पूछा ,” क्यूँ न हम भी पहली बार सेक्स करके देखें ?”
वो बोली,”पागल है क्या?”
मैंने कहा,” ठीक है ! तो मुझे सिर्फ एक बार तेरे स्तन ही दिखा दे !”
वो बोली,” नहीं!”
मैंने जबरदस्ती उसके टॉप पर अपना हाथ लगाया ! वो जोर से चिल्लाई ! मैंने एक हाथ से उसका मुंह दबा दिया और उसके स्तन दबाने लगा ! वो छटपटाने लगी ! मैंने उसका टॉप उतार दिया और उसके वक्ष जोर से दबाने लगा! वो भी शांत हो गई! मैं उसके बूब्स चूसने लगा !
वो बोली,” यह गलत है! अगर कोई आ गया तो हम फंस जायेंगे !”
मैंने कहा,”तू उसकी चिंता मत कर ! मै सारे दरवाजे बंद करके आया हूँ !”
वो बोली,”अगर वरुण आ गया तो ?”
मैंने कहा,”उसका भी दरवाज़ा बंद कर दिया है!”
फिर मैंने अपने कपड़े उतार दिए और अपना लौड़ा उसके हाथ में दे दिया और कहा,” अब इसे मुंह में ले और लॉलीपोप जैसा चूस !”
वो बोली,” तू भी तो मेरी चूत चाट !”
फिर मैं उसकी चूत की तरफ लेट गया और अपना लौड़ा उसके मुंह में दे दिया ! हम दोनों ५-७ मिनट तक चूसते ही रहे ! फिर मैंने उसको सीधा किया और अपने लौड़े पर क्रीम लगाई ! मैंने उसकी चूत पर भी बहुत सारी क्रीम लगा दी !
वो बोली,”कंडोम नहीं है?”
मैंने कहा,”झड़ने से पहले ही निकाल लूँगा !”
वो बोली,”पक्का निकाल लेना !”
फिर मैंने उसकी चूत के बीच में अपना लौड़ा रखा और धीरे-धीरे अन्दर डालने लगा ! वो चिल्ला रही थी,” बहुत दर्द हो रहा है………..बाहर निकाल !!!!!!!!!!”
पर मैं कहाँ मानने वाला था !!! मैंने जोर से झटका मारा और मेरा ७ इंच का लौड़ा उसकी चूत में पूरा घुस गया ! वो जोर से चिल्लाई………………! मैंने उसका मुँह दबा दिया ! वो रो रही थी ! उसकी चूत में से खून आ रहा था ! फिर मैं धीरे-धीरे डालने लगा ! करीब १५ मिनट तक उसे चोदता रहा ! पहले वो चिल्लाती रही लेकिन फिर उसे भी मज़ा आने लगा ! वो भी नीचे से झटके देने लगी ! थोड़ी देर बाद उसकी चूत में से पानी आने लगा !
मैं उसे और जोर से चोदने लगा ! कुछ देर बाद मैं भी झड़ गया ! चुदाई करते-करते मेरे ध्यान में कुछ भी नहीं रहा और मैंने पूरा वीर्य उसकी चूत में ही डाल दिया ! उसके भी ध्यान में यह बात नहीं आई ! थोड़ी देर बाद जब हम अलग हुए तो वो बोली,”यह हमने क्या किया ? बिना प्रोटेक्शन के ही सेक्स किया ? और तुमने पूरा वीर्य मेरी चूत में ही डाल दिया ??”
वो रोने लगी और बोली ,”अगर मैं गर्भवती हो गई तो ?”
मैंने कहा,” तू डर मत ! मैं तुझे आई-पिल (गर्भ निरोधक दवा) ला दूंगा ! वो ले लेना और मैं उठ गया !”
उसने बिस्तर पर देखा तो वो डर गई ! उसका खून पड़ा हुआ था ! मैंने कहा,”डर मत ! पहली बार में सबका खून निकलता है !”
फिर मैं वहां से चला गया ! दूसरे दिन मैं फिर से उसे मिलने आया और उसे आई-पिल दी और बोला,” कल मजा आया न ? आज फिर से सेक्स करेंगे ! आज तो मंहगा वाला कंडोम भी लाया हूँ !”
उस दिन हम फिर से सेक्स करने लगे ! Hindi Porn Stories
वैसे मैं पुणे से हूँ.
मैं दिल्ली यूपीएससी की तैयारी करने गया था.
वहां गए हुए मुझे एक ही महीना हुआ था कि मैं बीमार पड़ गया था.
मुझे वहां का खाना हजम नहीं हो रहा था और बार बार पेट खराब हो रहा था.
जब डॉक्टर से चेकअप करवाया तो पता चला पेट में इन्फेक्शन हुआ है.
इसलिए मैं वापस घर चला गया.
जैसे ही घर वापस आया तो घरवालों ने कहा- अगर ऐसी तबीयत खराब करनी है तो पढ़ाई मत करो.
मेरा शरीर इतना दुबला हो गया था कि लग रहा था कि मुझे कोरोना होकर गया हो.
मैंने पापा से कहा- पापा, मुझे वहां का खाना बिल्कुल पसंद नहीं आया. खाना पच ही नहीं रहा.
वैसे बता दूँ कि हमारा परिवार संयुक्त परिवार है.
हमारा एक घर पुणे में है और एक पुणे के पास गांव में है.
मेरे चाचा-चाची, दादाजी और दादीजी गांव वाले घर में रहते हैं और पुणे वाले फ्लैट में मम्मी-पापा, भाई, मेरा चचेरा भाई और चचेरी बहन रहते हैं.
मेरे भाई और बहन पुणे में रह कर अपनी कॉलेज और स्कूल की पढ़ाई करते हैं.
मैंने पापा से जब यह कहा कि वहां का खाना मुझे बिल्कुल अच्छा नहीं लगा.
तब पापा ने कहा- ठीक ही और उधर किसी दूसरी जगह रह कर ट्राई करके देख ले, अगर पसंद आया तो ठीक … वरना वापस आ जाना और यहां से पढ़ाई कर लेना.
मैं जब वापस गया तब मैंने एक हफ्ते में 5 जगह जाकर उनकी मेस को ट्राई किया.
पर मुझे कोई पसंद नहीं आया.
मेरी पढ़ाई भी अच्छी तो नहीं कहूँगा, हां पर ठीक हो रही थी … तो वापस जाने का बिल्कुल मन नहीं था.
मेरे दादाजी ने पापा से कहा- अगर उसकी पढ़ाई उधर से ठीक हो रही है, तो उसकी चाची को उसके पास भेज देना. इससे उसका खाना भी अच्छा हो जाएगा और तबीयत भी ठीक रहेगी. यहां मेरा खाना उसकी दादी बना लेगी. इधर दो ही लोगों का खाना तो लगेगा.
जब ये बात पापा ने मुझे बताई, तब मैंने हामी भर दी क्योंकि वहां पढ़ाई का बहुत सही माहौल था.
मैंने एक फ्लैट देख लिया और जो जो जरूरी सामान लगने वाला था, वह सब चाँदनी चौक से खरीद लिया.
इसलिए सब कुछ बहुत सस्ते में निपट गया.
लगभग 15 दिन बाद मेरी चाची दिल्ली आ गयी थीं और दस ही दिन में हमारा सब कुछ सैट हो गया था.
मैं सुबह नाश्ता करके 9 बजे लाइब्रेरी चला जाता था.
दोपहर में एक बजे खाना खाने आता था और रात का खाना लगभग साढ़े सात बजे होता था.
अच्छे से दिन गुजर रहे थे. कभी कभार मोमोज वगैरह खाने चाची के साथ चला जाता था.
हमारे फ्लैट में मैंने वाईफ़ाई लगवाया था, तो कभी कभार रूम पर ही पढ़ाई कर लेता था.
बीच बीच में मेरा हस्तमैथुन भी हो जाता था. सब कुछ बहुत सही चल रहा था. तीन महीने तक मेरे किसी भी विचार में चाची नहीं आई थीं.
एक बार की बात है, जब मैं लंड हिला रहा था तो चाची ने मुझे देख लिया था.
मुझे तब पता नहीं लगा था, बाद में चाची ने बताया था.
एक बार ऐसे ही गूगल पर सर्फिंग करते समय मुझे अन्तर्वासना का पता चला था.
वहां एक सेक्स कहानी में मैंने मामी की चुदाई पढ़ी थी.
तब ऐसा खास कुछ ध्यान नहीं गया था पर मेरी नज़र चाची के मम्मों को देखने लगी थी.
अब मैंने ध्यान दिया था कि चाची के बूब्स बहुत बड़े है. हमारी बातें सामान्य ही होती रहती थीं.
अन्तर्वासना की कहानियों में मेरी रुचि बढ़ने लगी थी और साथ ही चाची की चूचियों को देखने का लगाव, सब इतनी तेज़ी से हुआ कि क्या बताऊं.
अब चाची को देखने का मेरा नज़रिया पूरी तरह से बदल गया था.
उसी चक्कर में मैं ज़्यादा समय फ्लैट पर बिताने लगा था.
एक बार चाची ने कहा कि मुझको कुछ कपड़े लेने हैं तो बाजार चलते हैं.
मैंने कहा- ठीक है, सरोजिनी मार्केट चलते हैं.
दो दिन बाद हम दोनों बाजार चले गए.
हम दोनों मेट्रो से गए थे.
वहां चाची ने कुछ कपड़े ले लिए.
उनको अपने लिए कुछ अन्दर पहनने वाले कपड़े खरीदने थे पर वे मेरी वजह से थोड़ा झिझक रही थीं.
मुझे समझ में आ गया क्योंकि वे बार बार मेरी तरफ देख रही थीं.
मैं- चाची आपको कुछ और लेना है क्या?
चाची ने झिझकते हुए कहा- नहीं … अभी और कुछ … नहीं लेना … बस जरा …
मैंने पहले ही फ्लैट पर देखा था कि चाची की ब्रा एक साइड से थोड़ी फट सी गयी थी.
पर मैं भी बात करने में थोड़ा डर रहा था.
लेकिन इतनी दूर आ गए थे और थोड़ी समझदारी भी आ चुकी थी, तो हिम्मत करके मैंने बात को आगे बढ़ाई- चाची, आप देख लीजिए. यहां और भी बहुत कुछ मिलता है … और बहुत सस्ता मिलता है.
चाची- नहीं राज … मुझे और कुछ नहीं लेना!
वे अभी भी थोड़ा अटक अटक कर बात कर रही थीं.
मैं- अरे कपड़ों से याद आया, मुझे अंडरवियर और बनियान लेना है. वह सब और ले लेते हैं, फिर वापस चलते हैं.
चाची- ठीक है.
जब मैंने मेरी अंडरवियर और बनियान ले लिए.
तो ऐसे ही मैंने चाची से थोड़ा खुल कर बात करने की कोशिश की और कामयाब भी हो गया- अरे चाची आपको भी अगर इनरवियर्स लेने हो, तो आप भी ले सकती हैं. यहां सब मिलता है.
चाची पहले तो एकदम से हक्की बक्की होकर देखने लगीं पर कुछ समय बाद वे भी बोलने लगीं- अरे हां, वह भी लेना है.
मैं- ठीक है, आप लेकर आओ. मैं यहीं हूँ शायद आपको मेरा वहां आना सही ना लगे.
चाची- ऐसा कुछ नहीं, तुम भी चलो. इनसे मोलभव कौन करेगा?
जब हम वहां गए तो चाची ने उस दुकानदार से कहा कि उन्हें 30 की ब्रा चाहिए.
तो दुकानदार चाची के चूचे देखता हुआ बोला- जी आपको 30 नहीं 32 साइज़ आएगा!
तभी पता नहीं मुझे क्या हो गया, मैंने बोल दिया- हां, तभी तो पहले वाली ब्रा फट गई है!
पर ये सब मैंने बहुत धीरे बोला, सिर्फ़ चाची को सुनाई दिया था.
यह सुनकर वे भी एकदम से मेरी तरफ देखने लगी थीं.
मुझे लगा अब वे गुस्सा करेंगी.
पर उन्होंने कुछ भी नहीं कहा और 32 की ब्रा ले लीं.
चाची ने 3 पीस ले लिए थे.
फिर अब हम दोनों वापस आने लगे.
मेट्रो स्टेशन से थोड़ा पैदल चलना पड़ता है तो मैंने एक ई-रिक्शे को रोक लिया और हम दोनों उस पर बैठ गए.
जब हम दोनों रिक्शे में थे तो उधर का रास्ता थोड़ा खराब था.
रिक्शा अपना संतुलन खो रहा था और वह पूरी तरह से एक तरफ को झुकने लगा था.
चाची ने खुद को संभालने के लिए मेरी जांघ पर हाथ रखा और जोर से पकड़ लिया.
जब रिक्शा ठीक हुआ, तब मुझे लगा कि अब चाची हाथ उठा लेंगी.
पर उन्होंने अपना हाथ वहीं लगाए रखा.
मुझे ऐसा महसूस हो रहा था कि वे अपना हाथ धीमे धीमे वहीं पर सरका रही थीं.
उनका लक्ष्य शायद मेरा लंड था.
यह सोच कर ही मेरे अन्दर तो एकदम से झटका सा लगा और अन्दर तक सनसनी सी फैल गई.
मेरा लंड खड़ा होने लगा.
धीरे धीरे उनका हाथ भी लंड के बहुत करीब आने लगा था.
अब तो उनका हाथ सिर्फ़ नाम के लिए जांघ पर था, बाकी तो मेरे लौड़े से टच होने लगा था.
शायद उनको भी लंड की तपिश महसूस हुई होगी और उसकी हलचल का भी अहसास हो गया था.
उन्होंने मुझे देखा और एकदम अलग सा भाव दिया.
उनके चेहरे पर थोड़ी अलग सी मुस्कान स्माइल आ गई थी.
पर उसके बाद चाची ने अपना हाथ हटा लिया था.
हम दोनों मेट्रो से सफर करने के बाद कुछ ही देर बाद अपने फ्लैट पर पहुंच गए.
मैंने चाची से कहा- चाची दुकान पर जो हुआ, उसके लिए सॉरी!
चाची- क्या हुआ? किस बारे में बोल रहे हो तुम?
मैं- अरे चाची, वह आपकी ब्रा फट गई है, मैंने उस बारे में बोल दिया था न!
चाची- अरे राज उसमें क्या है. सच पूछो तो मैं खास उसी की वजह से शॉपिंग के लिए गयी थी. आज पर तुम्हारे सामने कैसे कहूँ, इस वजह से मुझे शर्म आ रही थी.
मैं- अरे उसमें क्या है यार, हम दोनों इतनी बातें तो कर ही सकते हैं. वैसे भी हम लोग एक ऐसे शहर में हैं, जहां यह सब एक साधारण सी बात है. हम लोग इतनी बातें तो कर ही सकते हैं.
चाची- हां सही है राज!
ऐसे ही कुछ दिन बीत गए.
अब हम दोनों आपस में थोड़ा खुल कर बातें कर लेते थे.
एक दिन चाची बाहर सब्जी लेने गयी, तो मुझे लगा कि उनको आने में अभी वक्त लगेगा.
मेरा भी हिलाने का बहुत मूड था.
मैंने अन्तर्वासना पर कहानी पढ़ना चालू किया और कहानी पढ़ कर एकदम से मूड बन गया.
मेरा नहाना भी रह गया था तो मैं कच्छे में ही हो गया था.
मैं अपने बेडरूम में बैठ कर अपने लंड को सहला रहा था.
मैंने अपने 6.5 इंच के लंड को बाहर निकाला और धीरे धीरे हिलाने लगा.
मुझे पता ही नहीं चला कि चाची कब अन्दर आ गई थीं.
मेरा ध्यान जैसे ही उन पर गया, मैं एकदम से बौखला गया.
चाची ने यंग बॉय मास्टरबेशन का नजारा देख लिया था.
उस वक्त मुझे कुछ नहीं सूझा और मैं तुरंत बाथरूम में भाग गया.
मैं बहुत ज्यादा डर सा गया था.
मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा था कि कैसे उनको मुँह दिखाऊं.
उस वक्त हुआ यह था कि चाची पैसे लेकर जाना भूल गयी थीं, इसलिए वे वापस आ गयी थीं.
मैं नहा कर तुरंत लाइब्रेरी चला गया और उनको मैसेज कर दिया कि दोपहर का मेरा खाना मत बनाना चाची, मैं दोस्त के साथ खाना खाने बाहर जा रहा हूँ.
उन्होंने मेरा मैसेज बस देखा और बिना कुछ कहे रह गईं.
अब मेरी और ज्यादा फटी.
रात को जब मैं फ्लैट पर गया तब चाची मोबाइल चला रही थीं.
मैं जाकर चुपचाप अपने बेड पर बैठ गया.
चाची ने मेरी तरफ देखा तो मुझे लगा कि अब वे बहुत गुस्सा करेंगी.
चाची- क्या हुआ राज … सुबह के गए अब आ रहे हो?
मैं चुप रहा.
चाची- बोलो कुछ!
मैं- सॉरी चाची.
चाची- अरे यार वह तो सब नॉर्मल है … तुम इतना क्यों टेंशन ले रहे हो.
मैं- मैं बहुत डर गया था इसलिए दोपहर में भी नहीं आया.
चाची- पागल हो यार तुम … इतना डरने की क्या बात है इसमें! तुम्हीं ने तो कहा था कि हम दिल्ली में रह रहे हैं, यहां ये सब नॉर्मल है. तुम लोगों को हफ्ते में 2 से 3 बार तो हिलाना ही चाहिए. उसी वजह से तुम्हारा मूड भी फ्रेश हो जाता है और पढ़ाई में भी कोई ग़लत असर नहीं पड़ता.
ये सब बातें सुनकर तो मेरे कान बजने लगे थे और मैं एकदम से किसी और दुनिया में खो गया था.
चाची मेरे कंधे को हिलाती हुई बोलीं- राज तुम किसी भी फालतू चीज़ का टेंशन मत लो … तुम बेवजह टेंशन ले रहे हो!
मैं- फिर से सॉरी चाची!
चाची- हां चल ठीक है … कोई बात नहीं, वैसे तुम पर अगर गुस्सा करना होता तो तभी कर देती जब तुम रात को अपने चादर के अन्दर हिला रहे थे, मैं तब भी जागी हुई थी.
मैं- अरे यार मतलब आप पहले ही मुझे पकड़ चुकी हैं?
हम दोनों थोड़ा सहज होकर हल्का हल्का सा हंसने लगे.
चाची मेरे साथ थोड़ा और खुल कर बातें करने लगीं.
दोस्तो, मेरा नाम अजय Antarvasna है मैं 29 वर्ष का हूँ, मैं भी आपकी तरह इस साईट का दीवाना हूँ और जब भी मुझे मौका मिलता है तो यहाँ कहानियाँ पढ़ता हूँ..
आज मैं आपसे हाल ही में घटित घटना के बारे में बताता हूँ।
मैं मुंबई में केंद्र सरकार के प्रतिष्ठित विभाग में एक अफसर हूँ। वैसे मैं जयपुर का रहने वाला हूँ। नव वर्ष पर मैं जयपुर गया हुआ था, वापस आते समय मेरा आरक्षण जयपुर-मुंबई सुपरफास्ट के दूसरे दर्ज़े के वातानुकूलित कोच में था। मेरे कम्पार्टमेंट में मेरे अलावा एक तक़रीबन ३५ वर्षीय औरत और उसके दो बच्चे थे। हमारे अलावा उस कम्पार्टमेंट में उस औरत की छोटी बहन भी थी जिसका नाम अनु था। अनु की टिकट कन्फर्म नहीं हुई थी इसलिए वो भी वहीं बैठी थी।
जयपुर से ट्रेन दो बजे के आसपास रवाना हो हुई। शुरू में तो उन लोगों से मेरी कोई ज्यादा बातचीत नहीं हुई परन्तु धीरे धीरे उस औरत के छोटे लड़के से मेरी दोस्ती हो गई क्यूंकि मेरे पास लैपटॉप था और वो मैंने गेम खेलने के लिए उस लड़के को दे दिया था।
मैं अनु और वो लड़का एक ही बर्थ पैर बैठे थे। मैं दोनों के बीच में था और मैंने लैपटॉप को भी सीट पर रख लिया था इस वजह से मैं अनु से काफी सट गया था। कभी कभी अनु के शरीर से मेरा शरीर छू जाता तो शरीर में सिहरन पैदा हो जाती थी। अनु भी अपनी बड़ी बहन के सामने शरमा रही थी। फिर थोड़ी बहुत बातें करते करते कोटा आ गया। कोटा से एक और लड़की हमारे कम्पार्टमेंट में आ गई। मेरी और उस नई लड़की की सीट ऊपर वाली थी जबकि औरत और उसके दोनों बच्चों की नीचे वाली बर्थ थी।
रात को खाना खाने के बाद हम लोग अपनी अपनी बर्थ पर लेट गए। हमने सभी लाइट ऑफ करके पर्दा लगा दिया था । कोटा वाली लड़की अपनी ऊपर वाली बर्थ पर चढ़कर जल्द ही सो गई। मेरे नीचे वाली बर्थ पर वो औरत और उसका छोटा लड़का सो गए और उसके सामने वाली नीचे की बर्थ पर अनु और उस औरत का दूसरा लड़का एक साथ सो गए।
अनु ने लाल रंग की टी-शर्ट पहन रखी थी। अनु का फिगर बहुत मस्त था। उसका वक्षाकार तो 36 का ही होगा। ऐसे गर्म माल के होते हुए नींद मेरे आसपास भी न थी। मैं तो बस ऊपर वाली बर्थ से अँधेरे में अनु को ही निहार रहा था। अनु भी बार बार करवट बदल रही थी क्यूंकि वो दो लोग एक सीट पर ठीक से लेट नहीं पा रहे थे। थोड़ी देर में सभी सो गए सिर्फ मैं और अनु ही जगे हुए थे। हालाँकि अनु चादर ओढ़ कर लेटी हुई थी उसका मुँह गैलरी की तरफ था और पैर खिड़की की तरफ।
रात के करीब 12 बज चुके थे, डिब्बे में पूरा अँधेरा था, कभी कोई स्टेशन आता तो रोशनी हो जाती। मेरी आँखों में नींद दूर तक नहीं थी, मैं तो बस अनु के ख्यालों में ही खोया हुआ था।
फिर रात में मैं टॉयलेट जाने के लिए धीरे से नीचे उतरा तो मेरे दिमाग में एक आईडिया आया। मैंने लाइट नहीं जलाई और जूते ढूंढने के बहाने अनु की सीट पर बैठ गया और धीरे से अपनी कोहनी अनु को छुआ दी। हालाँकि वो जाग रही थी पर वो कुछ नहीं बोली। इससे मेरा होंसला और बढ़ गया। फिर मैंने अपना हाथ अनु के बड़े बड़े स्तनों पर रख दिया। अचानक मेरे इतने दुःसाहस से वो हड़बड़ा गई जैसे उसे 440 वोल्ट का झटका लगा हो। उससे उसकी बहन भी जाग गई।
मैंने अपने जूते पहने और टॉयलेट की तरफ चल दिया। जब वापिस आया तो सब कुछ शांत हो गया था.. पहले तो मुझे लगा था कि आज तो पिटाई होगी परन्तु अनु मेरी तरफ देख कर मुस्कुरा रही थी। हम फिर लाइट बन्द करके लेट गए।
करीब तीन बजे अनु चुपके से टॉयलेट के लिए उठी। उसके जाते ही मैं भी पलक झपकते ही बर्थ से नीचे उतर गया। फिर मैंने देखा कि सब मस्त होकर नींद में लेटे हुए थे। मैं फटाफट टॉयलेट के गेट पर जाकर खड़ा हो गया। जैसे ही उसने दरवाजा खोला मैंने उसे अंदर लेकर लॉक कर लिया।
वो बोली- यह क्या कर रहे हो?
मैंने कहा- डार्लिंग, तुम इतनी गर्म हो कि मैं खुद को रोक नहीं पाया..
वो बोली- अगर कोई जाग गया तो?
मैंने कहा- मैं अच्छे से चेक करके आया हूँ, डरने की कोई बात नहीं है, सब सो रहे हैं।
इसके साथ ही मैंने उसे चूमना शुरू कर दिया। पहले तो थोड़ी देर वो हिचकिचाई, फिर वो भी अच्छा साथ देने लगी..
मैंने उसकी टी-शर्ट को ऊपर किया तो नीचे गुलाबी रंग की ब्रा में कसे हुए कबूतर दीखे..
मैं पागलों की तरह उन पर टूट पड़ा।
वो बोली- थोड़ा धीरे करो..
फिर मैंने उसे सारे कपड़े उतारने को कहा..
उसने अपने कपड़े उतार दिए..
मैं भी एकदम नंगा हो गया था, मेरा लंड 90 डिग्री पर खड़ा होकर झटके मार रहा था.. वो उसकी प्यारी सी क्लीन शेव चूत में घुसने को बेसब्र हो रहा था..
मेरे हथियार को देखते ही अनु बोली- हाय राम ! तुम्हारा इतना बड़ा है ..
मैंने पूछा- तुमने पहले भी देखा है क्या?
तो उसने कहा- हाँ, मेरे स्कूल में मेरा एक बॉयफ़्रेंड है, उसी का देखा है….और 4-5 बार उसके साथ सेक्स भी कर चुकी हूँ.. पर उसका हथियार तो तुमसे बहुत छोटा है..
मैंने कहा- डार्लिंग, डरने की बात नहीं है, इससे तुम्हें बहुत मज़ा आएगा..
वो बोली- मेरा तो इसे चूमने का मन कर रहा है..
मैंने कहा- नेकी और पूछ पूछ ..
और उसके मुँह में अपना आधा लंड घुसा दिया..
अनु मेरे लंड को लॉलीपोप की तरह चूसने लगी। अनु ने इतने शानदार तरीके से चूसा कि मैं आपको वो आनन्द बयान नहीं कर सकता..
करीब 6-7 मिनट के बाद मैंने अनु का सर पकड़ कर उसकी स्पीड बढ़ा दी। अब मेरा हथियार अनु के गले तक जा रहा था। अनु की आँखे बाहर आने को तैयार हो गई।
फिर मैंने उसे कहा- मेरा वीर्य छूटने वाला है..
उसने मुझे इशारा किया- कोई बात नहीं..
इतने में ही एक ज़ोरदार पिचकारी के साथ बहुत सारा वीर्य झटके से अनु के मुँह पर गिरा। आज तक मेरा कभी इतना वीर्य नहीं आया होगा जितना उस दिन आया..
फिर अनु ने अपनी पेंटी अपना चेहरा और हाथ साफ़ किये ..
अब मेरी बारी थी ..
मैं टॉयलेट सीट का ढक्कन लगा कर उस पर बैठ गया, अनु को मैंने अपनी गोद में बैठा लिया। फिर उसके मोमे भूखे भेड़िये की तरह चूसने लगा.. उसके गुलाबी गुलाबी चुचूक चूसने में मुझे स्वर्ग का सा सुख प्राप्त हो रहा था। उसके बाद धीरे धीरे चूमता हुआ मैं नीचे की तरफ बढ़ने लगा..
अब उसकी धड़कने बढ़ती जा रही थी, चेहरा खून के प्रवाह से एक दम लाल सुर्ख हो गया था..
मैंने अपने होंठ उसके क्लीनशेव संतरे की फांक जैसी सुर्ख लाल चूत पर टिका दिए और उन्हें चूसने लगा..
उसकी चूत फूल कर पाव रोटी की तरह हो गई थी और वो मचल-मचल कर बाँहों से छूट रही थी। फिर वो बोली- अब नहीं रहा जा रहा .. फटाफट अपना हथियार इसमें डालो !
तब तक मेरा नवाब भी वापिस तैयार हो गया था, मैंने झट से उसे अपने लंड पर बिठाया। एक बार तो वो दर्द के मारे चीख पड़ी लेकिन थोड़ी देर में ही उसे मज़ा आने लगा। 3-4 मिनट में ही वो झड़ गई। फिर मेरे शरीर से कस कर चिपक गई, मैं उसकी स्थिति देख कर थोड़ी देर रुक गया। 1-2 मिनट के बाद फिर से धक्के मारने शुरू किये। मैंने अपनी गति पूरी तेज़ कर दी, वो भी मेरा पूरा साथ दे रही थी। थोड़ी देर बाद मैंने उसे खड़ा किया और उसे घोड़ी बनने को कहा।
फिर मैंने उसकी कमर को पकड़ कर कस कस के झटके देने शुरू कर दिये..
चलती गाड़ी में बहुत मज़ा आ रहा था। वो भी आनंद से जोर से आवाज़ निकल रही थी। मुझे यह भी डर था कि कहीं कोई आ न जाये। काफी देर बाद हम दोनों एक-साथ भरभराकर कर गिर गए। मैंने अपना सारा वीर्य उसकी चूत में ही डाल दिया।
अनु बोली- अब क्या होगा ? कहीं प्रेग्नंट तो नहीं हो जाउंगी?
फिर बोली- चलो आई पिल ले लूंगी..
मैंने कहा- हाँ, यह ठीक रहेगा !
फिर हम काफी देर तक एक दूसरे की गर्दन में बाहें डालकर चिपककर बैठे रहे। तब तक 5 बज चुके थे..
इतने में किसी ने हमारे टॉयलेट का दरवाज़ा खटखटाया..
अनु एकदम डर गई..
मैंने उसे शांत रहने का इशारा किया, फिर मैंने फ्लश चला दिया ताकि बाहर वाले को लगे कि अंदर कोई है..
फिर काफी देर तक बाहर कोई हलचल नहीं हुई तो लगा कि वो चला गया।
फिर हमने फटाफट कपडे पहने। अनु से मैंने उसकी पैंटी ले ली और कहा- इसे मैं ही रखूंगा, यह तुम्हारी मेरे पास निशानी के तौर पर रहेगी ..
उसने उसके लिए हाँ कर दी..
तब तक बाहर लोग आने लग गए थे। मैंने अनु को कहा- पहले तुम जाओ, मैं थोड़ी देर में आता हूँ..
किसी तरह अनु को बाहर निकाला और मैं अंदर ही रहा। अब मेरा दिल भी धक-धक कर रहा था कि कहीं किसी को पता न चल जाये। लगभग दस मिनट के बाद मैं बाहर आया, आकर अपने कम्पार्टमेंट में देखा तो सब सोये हुए थे। उन्हें सोता देख कर मेरी जान में जान आई। फिर मैं भी सो गया। मेरी नींद साढ़े सात बज़े खुली, तब तक बोरीवली स्टेशन आने वाला था।
मैंने नीचे देखा तो सब अपना सामान पैक कर रहे हैं। अनु मुझ से नज़र नहीं मिला रही थी शायद उसे लग रहा था कि किसी को पता न चल जाये..
बोरीवली स्टेशन पर उतरने के बाद वो लोग ऑटो में चले गए, मैं उन्हें जाता देखता रहा पर अफ़सोस अनु से मैं उसका फोन नंबर नहीं ले पाया..
मैंने अपनी कहानी इसलिए लिखी है कि शायद अनु इसे पढ़े और मुझसे सम्पर्क करे। उसकी पैंटी अभी भी मेरे पास है।
दोस्तो, आपको मेरी कहानी कैसी लगी? Antarvasna
मेरा नाम राहुल है, मैं Sex Stories एक 26 साल का लड़का हूँ, पेशे से इंजिनियर हूँ, एक बहुराष्ट्रीय कम्पनी के ऑफिस में काम करता हूँ। वैसे तो मेरे साथ बहुत सी लड़कियाँ काम करती है पर एक लड़की पर मेरा दिल आ गया था। कुछ ही महीनो पहले एक नई लड़की ने हमारी कंपनी ज्वाइन की थी जिसका नाम गीता है। वो देखने में बहुत खूबसूरत है, उसके मम्मे उतने बड़े नहीं, पर वो देखने में बहुत गौरी है, उसकी आवाज भी बहुत मीठी है। वो अगर सामने आ जाये तो नजर नहीं हटती। वो कभी सलवार पहन कर आती तो कभी जींस।
मैं देखने में उतना खूबसूरत तो नहीं हूँ पर प्यार किया तो डरना क्या !
एक दिन मैं ऑफिस जल्दी पहुँच गया था, उस वक़्त कोई भी वहाँ नहीं था। थोड़ी देर में वो भी आ गई, उस वक़्त ऑफिस में सिर्फ हम दोनों थे। मैं भी अपने काम में लगा हुआ था, तभी एक मीठी सी आवाज से उस लड़की ने मुझे पीछे से पुकारा। उसने अपना हाथ हैन्डशेक करने के लिए बढ़ाया और अपना परिचय दिया। मेरे तो मुँह से आवाज नहीं निकल रही थी, मैं उसकी तरफ एक टक देखे जा रहा था। वो भी मुझे इस तरह देखते झेंप गई और मेरा ध्यान भंग करते हुए मुझसे अपना परिचय देने को कहा।
मैंने झट से अपना परिचय दे दिया। बस फिर क्या था, मैं भी उससे बात करने के लिए उसके बारे में पूछने लगा- वो पहले कहाँ काम करती थी ? उसके दोस्त कैसे थे वगैरह-वगैरह !
बातों ही बातों में मैंने उसे कॉफ़ी के लिए पूछ लिया। वो भी जल्दी से तैयार हो गई। फिर हम दोनों ने कैंटीन में जा कर काफ़ी पीते पीते बहुत सी बातें की।
यह सिलसिला काफी दिनों तक चला। एक दिन हम लोगों ने बाहर जा कर खाना खाने की सोची। वो एक बार बोलते ही तैयार हो गई थी। मैं उसे एक मंहगे होटल में ले गया था, वो होटल मेरे घर के काफी नजदीक था। हमने खाना आर्डर किया और खाना का इन्तजार करने लगे। खाना आने में बहुत समय लग रहा था तो मैंने उसको समय बिताने के लिए कोई चुटकला सुनाने को बोला। वो थोड़े नखरे करने के बाद एक चुटकला सुनाने को तैयार हो गई। उसने एक बकवास सा बच्चों वाला चुटकला सुना दिया। उसे खुश करने के लिए मैं बहुत हँसा।
अब मेरी बारी थी, मैंने उसे एक दोहरे मतलब वाला व्यस्क चुटकला सुना दिया, जिसे सुन कर वो शरमा गई और मुस्कुराने लगी। मैंने मौका देख कर एक और वैसा ही चुटकला सुना दिया। इस बार उसने मुझे ‘शरारती’ कहते हुए मेरे हाथ पर हल्के से चपत लगा दी। हम दोनों एक दूसरे की तरफ देख कर मुस्कुरा रहे थे। इतनी देर में खाना भी आ गया था। हम खाना खाते खाते अपनी रुचियों के बारे में बात करने लगे।
बातों बातों में हम एक दूसरे का हाथ छू लिया करते थे, वो बिलकुल भी ऐतराहुल नहीं करती थी। मेरा भी साहस बढ़ रहा था।
एक दिन हम नई मूवी के बारे में बात कर रहे थे, उसने मुझसे कोई एक मूवी लाने को कहा। अगले दिन मैंने उसे मूवी के साथ एक और इंग्लिश मूवी भी दी जिसमे कुछ सीन भी थे। दूसरे दिन जब उसने मुझे मेरी सीडी वापस की तो कहा कि वो इंग्लिश वाली मूवी उसे बहुत अच्छी लगी। मैं भी समझ गया कि यह तो खुल्लम खुल्ला लाइन दे रही है। मैंने मौका का फायदा उठाते हुए उससे शॉपिंग में मेरी मदद करने को कहा। वो झट से मान गई।
अगले दिन हम जब शॉपिंग के लिए गए तब मैं अक्सर साथ चलते चलते उससे टकरा जाता, ट्रैफिक क्रॉस करते हुए उसका हाथ पकड़ लेता। वो ऐतराहुल नहीं करती थी।
मैं जानबूझ कर उसकी चूचियों से टकरा जाता, वो भी मेरे काफी नजदीक आ गई थी, वो अक्सर मेरी कमर में हाथ डाल कर मुझे दुकानों में खींच लेती थी। मुझे भी बहुत मजा आता था और एक अजीब से सनसनी पूरे शरीर में दौड़ पड़ती। देखते देखते मेरी भी झिझक कम हो गई थी, मैंने भी उसके गले में हाथ डालना शुरू कर दिया था, फिर मैं अक्सर उसके बालों को सहलाने लगता, उसके गालों को आहिस्ता आहिस्ता अपनी उंगलियों से छू लेता था।
गीता अब मुझ से काफी घुल मिल गई थी। एक बार हम दोनों पिज्जा खा रहे थे, और थोड़ा सा सॉस उसके नाक पर लग गया, मैंने अपनी ऊँगली से उसकी नाक पर से सॉस को पौंछ दिया, उसने भी झट से मेरा हाथ पकड़ कर मेरी ऊँगली से सॉस को चूस कर साफ़ कर दिया। उसे ऊँगली चुसवाने से मुझे जो मजा आया वो मैं बयान नहीं कर सकता। मेरा रोम रोम खड़ा हो गया था, लौड़े से तो मानो एक बार पिचकारी छूट ही गई थी।
मैं इतना ज्यादा रोमांचित हो गया कि मैंने अपनी आँखें बंद कर ली थी। मैंने तुंरत उसी ऊँगली को सॉस में डूबा कर कहा- एक बार और करो ना !
यह सुन कर वो शरमा गई और दोबारा मेरी उंगलियों को चूसना शुरू कर दिया। इस बार उसने पूरे 15 सेकंड तक मेरी ऊँगली को चूसा होगा। बस फिर क्या था, मुझे तो ग्रीन सिग्नल मिल गया था, मैंने भी खाना आधा छोड़ कर पेमेंट किया और उसके साथ जल्दी से होटल के बाहर आ गया।
हमने एक ऑटो किया और उसे समुन्दर के किनारे ले जाने को कहा। समुन्दर काफी दूर था, अब बस मैं और वो ऑटो की पीछे की सीट में बैठे बैठे पागलों की तरह एक दूसरे को चूमने लगे, मैं उसको पूरी ताकत से अपनी बाहों में कसने लगा और उसके गले के पीछे और उसके होठों को चूमने लगा।
एक लड़की को किस करने का आनंद मैं लिख कर बयान नहीं कर सकता। मेरे लौड़ा पूरी तरह खड़ा हो गया था, वो भी पूरी तरह गर्म हो गई थी।
मैंने ऑटो वाले को ऑटो अपने घर के तरफ मोड़ने को कहा।
घर में घुसते ही हम दोनों पागलों के जैसे एक दूसरे के कपड़े उतारने लगे। हम कोई भी बात नहीं कर रहे थे, बस एक दूसरे को चूम-चाट रहे थे। मैंने अपने दोनों हाथों से उसके चूतड़ पकड़ कर दबाने शुरू कर दिए, वो मुझे और जोर से किस करने लगी थी।
फिर उसने मुझे कहा- अब बस और देर मत करो और जल्दी से बिस्तर पर चलो !
हम दोनों पूरी तरह नंगे हो गए थे और दोनों की सांसें काफी जोर जोर से चल रही थी।
वो जाकर बेड पर लेट गई, उसकी चूत पर बहुत से रेशमी बाल थे जिसमें से उसकी चूत दिख नहीं रही थी। में भी उसके ऊपर लेट गया और अपने लौड़े को उसकी चूत पर रख दिया। उसने मुझे तुंरत रोक दिया और कहा- कंडोम है या नहीं ?
मैंने तुंरत दराहुल से एक कंडोम निकला और पहन लिया। इतनी देर में मेरा लौड़ा थोड़ा मुरझा गया था, वो भी समझ रही थी। मुझे उसे बोलना अच्छा नहीं लग रहा था कि मेरा लौड़ा चूसे। सो मैंने उसकी चूत में ऊँगली करनी शुरू कर दी और दूसरे हाथ से उसके मम्मे दबाने लगा और अपने मुँह से दूसरे मम्मे को चूसने लगा।वो अजीब अजीब सी आवाजें निकालने लगी, जैसे उसे बहुत मजा आ रहा था। थोड़ी ही देर में वो झड़ने लगी। झड़ने के बाद मैंने उसे अपना लौड़ा दिखाते हुए कहा- तुम मेरे लौड़े को चूसो ना !
वो थोड़े नखरे करने के बाद मान गई। उसने जैसे ही मेरा लण्ड मुँह में लिया, मुझे अलौकिक आननद की अनुभूति होने लगी। थोड़ी देर में जब मुझे लगा कि मैं झड़ने वाला हूँ, मैंने उसके मुँह से लौड़े को निकाल लिया और उसकी चूत पर रख दिया और जोर जोर से धकेलने लगा। मेरा लौड़ा पूरी तरह उसकी चूत के अन्दर घुस गया था, मैंने आनंद में अपनी आँखें बंद कर ली, धीरे धीरे चोदना शुरू कर दिया। कुछ ही पलों में हम दोनों फिर से झड़ने लगे।
मैं काफी देर तक उसके साथ लेटा रहा, थोड़ी देर में हम दोनों तैयार हो कर चल पड़े।
हम अब अक्सर मिला करते थे। धीरे धीरे मैंने उसे गांड मरवाने के लिए भी राहुली कर लिया था।
मेरी कहानी अगर आपको पसंद आई तो जरूर कमेन्ट करना… मैं आगे भी ऐसे ही कहानी लिखता रहूँगा। Sex Stories
कामिनी की इस घटना को दो दिन बीत Hindi Porn Stories गये थे। इन दो दिनों में मैं विजय से दो बार मिल चुका था। कामिनी के कारण उससे मेरी भी दोस्ती थी। मैंने उसे यह नहीं मालूम होने दिया कि कामिनी की चुदाई के बारे में मुझे मालूम है। आज सवेरे ही मैंने विजय के घर जाने की योजना बनाई। इस बारे में मैंने नेहा को बता दिया था कि विजय की मां और बहन आई हुई हैं, उनसे मिलने जा रहा हूँ।
मैं कॉलेज जाने से पहले उसके घर चला गया। बाहर बरामदे में एक सुन्दर सी लड़की झाड़ू लगा रही थी। मैंने अन्दाज़ा लगाया कि यह विजय की बहन होगी। जैसे ही मैं फ़ाटक के अन्दर घुसा… उसने मेरी तरफ़ देखा और देखती ही रह गई।
मैंने उसे नमस्ते किया तो वो कुछ नहीं बोली। मैं सामान्यतया मुस्कुराता रहता हूँ,”मैं विजय का दोस्त हूँ …. “
“जी… आईये… ” वो कुछ शरमाती सी बोली। मुझे वो अन्दर ले गई और कहा-आप बैठिये… मैं पानी लाती हूँ।
“आप उसकी बहन है ना…” मैंने मुस्कराहट बिखेरते हुए कहा।
वो एकदम से शरमा गई… और मुझे तिरछी निगाहों से देखती हुई अन्दर चली गई। उसकी पतली छरहरी काया और उसके उभार और कटाव भरे पूरे थे। किसी को भी अपनी ओर आकर्षित कर सकते थे। वो पानी ले कर आ गई।
“आपका नाम जान सकता हूँ ….?”
उसका अन्दाज़ कुछ अलग सा था। मुझे लगा कि वो उमर में विजय से बड़ी है।
इतने में एक मधुर अवाज और आई,”ये मेरी मम्मी है …. मै विजय की बहन हूँ …. दिव्या ….!”
मैं बुरी तरह से चौंक गया …. ये कैसे हो सकता है? “जी ….माफ़ करना …. आप तो इतनी छोटी लगती है कि …. मैं तो समझा कि ….!”
“आप ठीक कह रहे हैं …. मेरी कम उम्र में ही शादी हो गई थी …. फिर ये भी एक एक्सीडेन्ट में गुजर गये थे ….” (उसका मुझे घूरना बन्द नहीं हुआ।) वो एकटक मुझे देखे जा रही थी।
“ओह!!! …. माफ़ करना …. यह सुन कर दुख हुआ …. पर आप तो दिखने में किसी लड़की जैसी ही लगती हैं ….” वो फिर से शरमा गई ….
“आप चाय पीजिये …. इतने में विजय आ जायेगा ….!” उसके हाव भाव ये बता रहे थे कि मैं उसे अच्छा लग रहा हूँ …. मैंने सोचा कि और आगे बढ़ा जाये !
“आप अभी ही इतनी सुन्दर लग रही हैं तो जब बाहर जाती होगी तो और भी अच्छी लगती होंगी ….!” उसका चेहरा लाल हो उठा। बिल्कुल किसी कुंवारी लड़की की तरह वह अदाएँ दिखा रही थी। फिर से उसने मुस्कराते हुए मुझे देखा …. मेरी हिम्मत बढ़ने लगी। वो सामने किचन में चली गई। मैं भी उसके पीछे पीछे किचन में आ गया।
मैंने हिम्मत करके उसकी कमर पर हाथ रखा। उसने तुरन्त ही पलट कर मुझे देखा और बोली- “यह क्या कर रहे रहे हो ….”
“सॉरी मैं अपने आपको रोक नहीं पाया, क्योंकि आप में गजब का आकर्षण है !”
वो मुस्करा दी। मेरी हिम्मत और बढ़ गई।
“आप बहुत खूबसूरत हैं …. ” उसके चेहरे पर पसीन छ्लक आया।
“आप भी तो हैं …. हाय” उसके मुँह से निकल पड़ा। मेरे हाथ उसकी चिकनी कमर पर फ़िसलने लगे। उसका शरीर कांप उठा, वो लरजने लगी और झूठ में ही मेरे से दूर होने की कोशिश करने लगी।
“जी ….चाय ….” उसका चेहरा तमतमा रहा था ….हम चाय ले कर फिर से बैठक में आ गये ….”आपका नाम क्या है ….?”
“मेरा नाम जो हन्टर है ….और आपका ….?”
“जी ….म….मैं सरोज ….” वो हिचकती हुई सी बोली …. “आप दिव्या को रोज पढ़ाने आयेंगे ना …. ऐसा विजय कह रहा था ….!” मैं सकपका गया। क्योंकि पढ़ाने की बात मुझे नहीं पता थी।
“मै आपको सरोज ही कहूँगा …. क्योंकि आपको आण्टी कहना आपके साथ ज्यादती होगी !” सुनते ही उसने अपना चेहरा हाथों में छुपा लिया।
“पर वो दिव्या ….?”
“हां …. हां मैं आ जाऊंगा ….उसे भी पढ़ा दूंगा” मैंने मौके को हाथ से गंवाना उचित नहीं समझा। मैंने चाय समाप्त की और खड़ा हो गया। वो भी खड़ी हो गई और मेरे समीप आ गई। मैंने इधर उधर देखा कि कोई नहीं है तो मैंने सरोज का हाथ पकड़ लिया। वो खुद ही धीरे से मेरे सीने से लग गई। मैंने उसे लिपटाते हुए अपनी बाहों में कस लिया। उसने अपना चेहरा ऊपर उठा लिया और अपनी आंखे बन्द कर ली। मुझे कुछ समझ में नहीं आया पर मेरे शरीर में तरावट आने लगी थी, वासना जागने लगी थी। स्वत: ही मेरे होंठ आप ही उसके होंठो की ओर बढ़ गये। कुछ ही देर में हम दोनों एक दूसरे के होंठ चूस रहे थे। मैंने अब उसके उरोजो को थाम लिया। वो कसक उठी।
“हाय …. मत करो …. सीऽऽऽ …. हाय रे” उसके मुख से सिसकारी निकल पड़ी। मैंने धीरे धीरे उसके स्तन दबाने और मसलने चालू कर दिये। उसकी बाहों का कसाव और बढ़ चला था। अब मैंने एक हाथ से उसके चूतड़ दबाने शुरू कर दिये थे। अब उसका भी एक हाथ मेरे लण्ड पर आ चुका था और कस कर पकड़ लिया था।
“हाय …. छोड़ दो ना …. आऽऽऽऽह …. क्या कर रहे हो ….?” इन्कार में इकरार था ….मेरा लण्ड उसने कस के पकड़ रखा था। कह तो रही थी छोड़ने को और बेतहाशा लिपटी जा रही थी। बाहर फ़ाटक की आवाज आई तो वो मेरे से छिटक के दूर हो गई ….
“कल सवेरे नौ बजे आना …. मैं इन्तज़ार करुंगी ….!” इतने में दिव्या अन्दर आ गई। एकबारगी तो वो ठिठक गई …. शायद उसने माहौल भांप लिया था। मैंने अब दिव्या को निहारा। वो एक जवान लड़की थी …. जीन्स पहने थी …. अपनी मां की तरह चुलबुली थी …. तो इसे पढ़ाना है …. लगा कि मेरी तो किस्मत अपने आप ही मेहरबान हो गई है …. आया था कि इन पर इम्प्रेशन जमा कर पटाऊंगा। पर यहां तो सभी कुछ अपने आप हो रहा था। मैं मुस्करा कर बाहर आ गया।
अगले दिन सवेरे नौ बजे मै विजय के यहाँ पहुंच गया। विजय कहीं जाने की तैयारी कर रहा था।
“थेंक्स यार …. तुमने दिव्या को पढ़ाने के लिये हां कर दी …. मैं जरा हेप्पी से मिलने यहीं पान की दुकान तक जा रहा हूँ ….” कह कर वो चला गया।
दिव्या मेज़ पर बैठी पढ़ाई कर रही थी। मुझे देखते ही उसने अपने पास ही एक कुर्सी और लगा दी।
अन्दर से सरोज ने मुझे देखा और शरमाती हुई मुस्करा दी …. दिव्या ने फिर से एक बार इस बात को देख लिया। मैं कुछ देर तक तो पढ़ाता रहा …. फिर मुझे महसूस हुआ कि उसका ध्यान पढ़ाई पर नहीं मेरी ओर था।
“मुझे मत देखो …. …. इधर ध्यान लगाओ ….” पर दिव्या ने सीधे वार करते हुए मेरी जांघ पर हाथ रख दिया ।
“आपने कल मम्मी को किस किया था ना ….” वो फ़ुसफ़ुसाई, मैं बुरी तरह से चौंक गया।
“क्या ??? ….क्या कहा ….” मैं हड़बड़ा गया.
“मम्मी ने मुझे बताया था …. मैं और मम्मी सब बातें एक दूसरे को बताती है …. मुझे भी किस करो ना ….” मुझे एक बार तो समझ में नहीं आया कि ऐसे मौके पर क्या करना चाहिये……उसके हाथ मेरे लण्ड की तरफ़ बढ रहे थे। मेरे शरीर में सनसनी फ़ैल रही थी। अचानक वो मेरे से लिपट पड़ी। दरवाजे से सरोज सब देख रही थी। मेरी नजर ज्योंही दरवाजे पर पड़ी सरोज ने अपनी एक आंख दबा कर मुस्करा दी। मैंने इसमें उसकी स्वीकृति को समझा और दिव्या का कुंवारा शरीर मेरी आगोश में आ गया।
उसकी उभरती जवानी पर मेरे हाथ फ़िसलने लगे। वो बेतहाशा अब मुझे चूमने लगी। मेरा हाथ उसकी स्कर्ट में घुस पड़ा। उसकी चूत गीली हो चुकी थी। मैंने उसकी पेन्टी में हाथ डाल कर उसकी चूत दबा दी। जवाब में उसने भी मेरा लण्ड दबा दिया। सरोज ने अन्दर से इशारा किया तो मैंने उसे छोड़ दिया। दिव्या लगभग हांफ़ते हुए अलग हो गई। उसकी आंखो में वासना के लाल डोरे लगे खिंच चुके थे। सरोज चाय बना कर ले आई।
“दिव्या ….कॉलेज में देर हो जायेगी …. तैयार हो जाओ ….” सरोज ने दिव्या को आंख मारते हुए कहा। दिव्या मुस्कराते हुए उठी और लहरा कर चल दी। वो समझ चुकी थी कि मम्मी अब गरम हो चुकी है अब उन्हें चुदाई चाहिये। मैंने चाय समाप्त की और प्याला मेज़ पर रख दिया।
“सरोज …. जरा सा और पास आ जाओ ….” मैंने आज मौके का भरपूर फ़ायदा उठाने की सोचते हुए अपनी मनमोहक मुस्कराहट बिखेर दी। उसकी आंखें झुक गई। पर उठ कर चुप से मेरी गोदी में बैठ गई। जैसे ही वो मेरी जांघो पर बैठी उसके चूतड़ो का स्पर्श हुआ। वो अन्दर पेन्टी नहीं पहने थी। उसके लचकदार चूतड़ का स्पर्श पा कर मेरा लण्ड फ़ुफ़कार उठा। हम दोनों अब एक दूसरे को चूम रहे थे। मेरा हाथ जैसे ही उसके बोबे पर पड़ा …. उसके बोबे बाहर छलक पड़े। उसके ब्रा भी नहीं पहनी थी ….यानि चुदने के लिये वो बिल्कुल तैयार थी। मेरा लण्ड उसके चूतड़ों पर लगने लगा था। कुछ ही देर में वो बैचेन हो उठी ….
“सुनो जी …. अब देरी किस बात की है ….”कह कर वो बुरी तरह लाल हो गई। मैं उसकी इस अदा पर मर गया …. मैंने उसे गोदी में से उतार कर खड़ा कर दिया और अपनी पेन्ट उतार दी …. वो शरम से सिमटी जा रही थी …. पर उसने बिस्तर पर आने की देर नहीं की। उसके मन की हलचल मैं समझ रहा था ….लगता था बरसों की प्यासी है ….।
मेरा लण्ड देखते ही वो मचल उठी। उसने मेरा लण्ड अपने हाथो में ले लिया और पकड़ कर दबाने लगी …. लण्ड की चमड़ी ऊपर नीचे करने लगी, इसके कारण मेरा सुपाडा रगड़ खाने लगा ….मुझे तेज मजा आया ….मीठी मीठी सी गुदगुदी उठने लगी । उसने मेरी तरफ़ देखा …. मैं उसे प्यार से देख रहा था ….
“हाय रे ….मेरी तरफ़ मत देखो ना …. उधर देखो ….” और शरमाते हुए मेरे सुपाड़े को अपने मुँह में भर लिया। दोनों हाथो से मेरे चूतड़ भींच लिये और पूरा लण्ड मुँह में भर कर अन्दर बाहर करने लगी। सुपाड़ा जोर से चूस रही थी ….एक तरह से अपने मुँह को चोद रही थी। मेरे मुख से आह निकल रही थी …. कुछ देर तक यही सिलसिला चलता रहा।
उसने फिर कहा-“सुनो जी ….अब देर किस बात की है …. ” फिर से एक बार शरमा गई और फिर वो कहने लगी, “तुम्हे देखते ही मुझे लगा कि तुम मेरे लिये ही बने हो ….तुम्हारे में गजब की कशिश है !”
“सरोज तुम बहुत सेक्सी हो …. देखो मुझे कैसे बस में कर लिया ….”
“मैं बहुत महीनों से प्यासी हूँ ….और मेरी बेटी …. उसकी नजरें भी भटकने लगी थी …. मैंने उसे रंगे हाथो पकड़ लिया था …. तब से मैंने उसे अपना राजदार बना लिया और अब हम सही लड़का देख कर दोनों ही अपनी प्यास शान्त करती हैं ….”
मुझे उसकी बातों से कोई सरोकार नहीं था …. मुझे तो एक बदले दो दो चूत बिना मांगे ही मिल रही थी।
वो कहती जा रही थी ….”विजय से मैं परेशान रहती हूँ ! वो जाने क्या करता है? जाने कहां से नशे की चीज़े लाता है और बेचता है …. हमारे मना करने पर वो हम दोनों को पीटता है ….।”
सरोज की सारी बातें मैं ध्यान में रख रहा था पर उसे यही दर्शा रहा था कि मैं सेक्स में ही रुचि ले रहा हूँ।
“बस सरोज अब चुप हो जाओ, मैं अब से तुम्हारे साथ हूँ …. मजे लो अब ….मेरा देखो न कितना बुरा हाल है ….” मैंने उसकी चूत पर अपना तन्नाया हुआ लण्ड का दबाव देते हुए कहा। उसका शरीर वासना से कसक रहा था। उसकी तड़प मुझे महसूस हो रही थी। मैंने उसके बोबे दाबते हुए नीचे जोर लगाया …. लण्ड चूत में उतरता चला गया। उसकी कसी हुई चूत मेरे लण्ड के चारों ओर मीठा सा घर्षण दे रही थी। उसने अपनी चूत को और ऊपर की ओर उभार ली। मेरा लण्ड अभी भी थोड़ा बाहर था। उसके मुख से सिसकारी निकलती जा रही थी। मुझे लगा कि मेरा लण्ड उसकी चूत की पूरी गहराई में घुस चुका था। पर लण्ड अभी भी बाहर था।
“अब धीरे से बाहर निकाल कर अन्दर और दबाओ ….” उसने सिसकते हुए कहा।
मैंने अपना लण्ड थोड़ा सा बाहर निकाला और अन्दर और दबा दिया। उसे हल्का स दर्द हुआ …. फिर भी बोली,”ऐसा और करो ….”
“पर आपको दर्द हो रहा है ना ….?”
इसी दर्द में तो मजा है ….पूरा घुसेगा तो ही शान्ति मिलेगी ना ….!” उसने दर्द झेलते हुए कहा।
मैंने फिर से लण्ड दबाया …. पर इस बार झटके से पूरा डाल दिया। उसके मुख से हल्की सी चीख निकल गई।
“हाय रे ….! मर गई ….! ये हुई ना मर्दो वाली बात …. ! बस अब थोड़ा रुको ….!” वो अपने स्टाईल में बताते हुए चुदवाने लगी।
उसने कहा,”अब मेरी चूतड़ के नीचे तकिया रख दो …. फिर बस एक धक्का और ….”
“देखो बहुत दर्द होगा ….”
“आज होने दो ….बिना दर्द के मजा नहीं आता है ….”
मैंने उसकी गाण्ड के नीचे तकिया घुसा दिया , उसकी चूत ऊपर की ओर उठ गई और मैंने इस बार पूरा जोर लगा कर लण्ड को चूत में गड़ा दिया। दर्द से उसने दांत भींच लिये और मैंने अब उसके बोबे थामें और मसलते हुए धीरे धीरे पर गहराई तक चोदने लगा। वो पसीने में नहा चुकी थी। उसका सारा बदन उत्तेजना से कांप रहा था। मैं भी अपना आपा खोता जा रहा था। उसकी टाईट चूत मेरे लण्ड को लपेट कर सहला रही थी।
उसने कहा,”राजा …. तेजी से चोदो ना ….आज मुझे मस्त कर दो ….”
मेरे धक्के तेज होते गये। उसकी सिसकारियाँ बढ़ती गई। वो अपने पूरे जोश से अपने चूतड़ हिला हिला कर चुदवा रही थी। अचानक मुझे लगा कि उसका कसाव मेरे पर बढ़ गया है …. और वो झड़ने लगी।
मैंने उस ओर ध्यान नहीं दिया ….और चुदाई जारी रखी। झड़ कर भी वो उसी जोश में चुदवाती रही …. मैंने उसे चूम चूम कर उसका चेहरा अपने थूक से गीला कर दिया था। वो भी बराबरी से मुझे चाट रही थी। अचानक उसने मुझे इशारा किया और वो मेरे ऊपर आ गई। आसन बदल लिया। वो मेरे पर झुक गई और लण्ड चूत में घुसा कर जबरदस्त धक्के मारने लगी। उसके बोबे जोर जोर से उछल रहे थे। मैंने दोनों बोबे को कस के मसलना शुरू कर दिया। उसके धक्के इतने जबर्दस्त थे कि उसे भी शायद तकलीफ़ हो रही होगी। लगता था जन्म-जन्म की प्यास बुझाना चाहती थी।
कुछ ही देर में मैं भी चरमसीमा पर पहुंच गया और और चूत के अन्दर ही लण्ड ने अपनी पिचकारी छोड़ दी। वो कब झड़ गई मुझे पता नहीं चला। पर हाफ़ते हुए मेरे पर लेट गई। उसका जिस्म पसीने में तर था। हम दोनों एक दूसरे से लिपटे हुए कुछ देर पड़े रहे। फिर मैं धीरे से उठा।
“सरोज तुम तो चुदाई में मस्त हो …. मेरा सारा माल निकाल दिया ….” सरोज फिर से शरमा गई।
“मैं तो दो बार झड़ गई …. हाय राम …. मेरा पेटीकोट तो दे दो ….” उसने झट से कपड़े पहन लिये।
मैंने भी कपड़े पहने और पूछा,”बाथरूम किधर है ….” उसने उंगली से इशारा कर दिया। मैं बाथरूम में गया और अपना मुख धो लिया ….तभी मेरी नजर हैंगर पर टंगे जैकेट पर पड़ी। वो विजय का था। मैंने तुरन्त उसकी तलाशी ली। उसमें कोई शायद नशे की कोई चीज़ थी। उसमें एक पिस्तौल भी था। सारी चीज़े यथावत रख कर मैं बाहर आ गया।
“अच्छा अब मैं चलता हूँ ….” उसने मुस्करा कर हामी भर दी ….
मैं जैसे ही बाहर निकला, मेरा मन एकदम धक से रह गया, दिव्या एक कुर्सी पर बैठी कोई मेग्ज़ीन देख रही थी।
“त् ….त् …. तुम ….कॉलेज नहीं गई ….?”
“और यहां की चौकीदारी कौन करता ….??? …. कल आओगे ना ….” उसने एक सेक्सी नजर डालते हुए कहा।
“कल ….तुम्हारी बारी है …. तैयार रहना ….!” मै धीरे से झुक कर बोला…
उसकी मुस्कान और झुकी झुकी नजरें उसकी स्वीकृति दर्शा रही थी ….।
समय देखा साढ़े दस बज रहे थे …. मैंने अपनी मोटर साईकल उठाई और सीधे पुलिस स्टेशन पहुंचा। अंकल मेरा ही इन्तज़ार कर रहे थे।
मैंने उन्हें एक एक करके सब बताना शुरु कर दिया,”अंकल, विजय के अलावा, हैप्पी, सुरजीत और मोन्टी है, चारों एक ही गांव के है …. हेप्पी टूसीटर चलाता है और नशे की चीजें बेचता है। मोन्टी किसी एजेन्ट से ये नशीली चीज़े लाता है। सुरजीत अवैध दारू के पाऊच लाता है और पानवाले के पास रखता है। विजय के पास भी घर पर ये नशे की चीज़े हैं और एक पिस्तौल भी है। और …. ….”सारी रिपोर्ट बताता रहा और रिपोर्ट देने के बाद मैंने उनसे एक दिन का समय और मांगा।
अंकल ने सारी बाते समझ ली थी। अंकल शहर के एस पी थे ….उन्हें शक तो पहले ही था पर नेहा के कहने पर उन्होंने कार्यवाही का वचन दिया था। उन्होंने जरूरी बातें अपनी डायरी में नोट कर ली।
मैं यहाँ से सीधा कामिनी से मिलने नेहा के घर चला आया था …. आज वो बहुत बेहतर लग रही थी …. चल फिर रही थी …. उसमें ताकत आ गई थी।
मैंने जब अपनी बात उसे बताई तो वह सन्तुष्ट नजर आई, पर खुद को रोने से नहीं रोक पाई। अंतत: वो फ़फ़क के फिर रो से पड़ी।
टूटा हुआ मन, आहत भावनाएं ! Hindi Porn Stories
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