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Massage Girl in Arwal: Premium Relaxation Services

Our site can help you find a professional massage girl in Arwal who will help you relax in the best manner possible. We connect you with professional therapists who can offer you a massage that will make you feel better and more relaxed. The pros on our list are ready to provide you with a fantastic experience at your house or in one of their particular spots, whether you want to relax or get away from it all.

Introduction

Massage is currently one of the finest methods to relax your mind, body, and overall health. Our website makes it easy to locate the top massage services in Arwal that meet your demands. This will be a one-of-a-kind and calming experience for you.

Tottaa wants to make it simple for clients to find the top masseuse. The Arwal massage service providers on our list offer the greatest quality, comfort, and competence, whether you want a full-body massage or a massage for a particular location.

How Tottaa Helps Advertisers Reach More Customers

Tottaa is not only a list of masseuses, it’s also a secure location for them to show off what they can do. People in Arwal who are seeking massage services may find them on our website. This makes them easier to find and gets them more appointments.

Advertisers may simply put up profiles, offer their services, and talk about pricing and discounts on our sites. This makes sure that the relevant people notice your Arwal massage service, which makes it easier to obtain more customers.

Different Types of Massages We Offer

There are a lot of different types of massage services on our site, so you may choose one that works for you. You may choose the kind of treatment that works best for you, whether it’s profound rest or a particular type of therapy.

1. Swedish Massage

A calm and gentle way to ease muscular tension and improve blood flow. This Arwal massage is perfect for you if you want to relax and forget about your concerns.

2. Deep Tissue Massage

This approach employs a lot of pressure to get to deeper muscle layers. It’s helpful for folks who have muscular discomfort or stiffness that won’t go away. There are specialists on our profiles of massage girls in Arwal who are good at deep tissue treatments that function effectively.

3. Aromatherapy Massage

Calming massage strokes and essential oils are beneficial in making people feel improved both emotionally and physically. Most massage companies in Arwal employ the use of custom oil preparations to make you feel good.

4. Thai Massage

A therapy that wakes you up by using a mix of regular massage, stretching, and compression. This traditional massage in Arwal helps you relax, become more flexible, and get your mind and body back in harmony.

5. Hot Stone Massage

Heated stones are placed on various parts of the body to help with deep muscular tightness. People who want to feel good, relax, and help their muscles recover quickly can use this massage service in Arwal

How to Book Our Massage Services

Tottaa makes it simple and fast to book. With our listings, you can see what kind of massage you want, read about the providers, see that they are free and then contact them directly. After you choose, you can book a massage in Arwal at your convenient time and location. In order to get your desired massage services, apply the following simple steps:

Step 1: Browse Our Listings

Take a peek around our site to view a few massage professionals. Each listing gives you information about the many sorts of massages, how long they last, how much they cost, and where they are situated. This makes it easier to choose the finest ones.

Step 2: Compare and Shortlist

Examine the profiles carefully to compare how the services, talents, and reviews posted by customers differ. This phase makes sure you choose a business that has the style, pricing, and supply you desire.

Step 3: Connect with the Provider

When you have decided, use the information that you are offered so that you can contact them directly. One can communicate it to the massage giver thus making it understood what massage you want at what time and when.

Step 4: Confirm the Appointment

The date, time and place of the service, which could be your home, a hotel or the spa where the therapist may be found. You also need to agree on the payment method and any other accords prior to commencement of the course.

Step 5: Relax and Enjoy Your Massage

All you have to do on the day of the appointment is have your area ready for the house visit. The remainder will be handled by the expert. Take it easy and enjoy a massage that is made just for you.

Frequently Asked Questions

To locate a professional who can meet your needs, read our biography, reviews and advertising.

Yes, many of the therapists on our site will come to your house so you may feel safe and at ease.

You may pick based on talents since most adverts provide their qualifications in their profiles.

It would be advisable to make a reservation earlier to guarantee that you would be able to get a massage, particularly against the prevalent services of massage.

Not at all. Tottaa exclusively connects users with service providers. The doctor gets to choose how to handle payment.

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हेल्लो दोस्तो ! Sex Stories

मैं २२ साल का एक साधारण लड़का Sex Stories हूँ। मेरी दिलचस्पी ३५ साल या उससे ज्यादा उम्र की औरतों में है, इसके दो कारण हैं, एक तो इन औरतों की गांड काफी मोटी और चूची काफी बड़ी होती है, दूसरे अगर कभी इनकी ब्रा दिख रही हो या सलवार का नाड़ा ढीला हो तो ये १०० लड़कों के बीच में उसे ठीक करने में नहीं शर्माती।

अगर कभी इनकी गांड में ऊँगली डाल दी जाये या हाथ फेर लिया जाये या चूची दबा दी जाये तो इन्हें महसूस नहीं होता और अगर होता भी है तो नज़र-अंदाज़ कर देती हैं क्योंकि इनकी चूत तो पहले से ही फटी होती है। अगर आपकी दिलचस्पी इनमें नहीं भी है तो भी मेरी कहानी पढ़ो और फिर आपका लोड़ा भी मेरी तरह हर वक़्त इनकी मोटी गांड देख कर खडा हो जायेगा माल उगलने के लिए।

दोस्तों ये घटना तब घटी जब मैं बस से सफ़र कर रहा था और बस में बिलकुल भी जगह नहीं थी। अचानक से बस एक स्टाप पर रुकी और आप विश्वास नहीं करेंगे पूरी की पूरी बस खाली हो गयी पर मुझे अभी भी सीट नहीं मिली थी। मैं सोच रहा था आज किस्मत ख़राब है वरना कोई ना कोई आंटी तो दबाने के लिए मिल ही जाती।

पर भगवान् ने मेरी सुन ली। अगले बस स्टाप पर फैक्ट्री में काम करने वाली कुछ मजदूर औरतें चढी जो कि 3५-४० के बीच की थी। मेरे आगे एक बहुत ही छोटी पर मोटी औरत खड़ी हो गयी।
कुछ ही मिनट में भीड़ फिर बढ़ गयी और वो औरत अब मेरे बिलकुल करीब थी। मेरा उसके बदन से बदबू आ रही थी और इसी बदबू ने मेरा लोड़ा खडा कर दिया। उसके बाल थोड़े थोड़े सफ़ेद होने लग गए थे। उसकी उमर ३८ के आस पास रही होगी।

तभी वो पीछे की ओर हुई और अपनी गांड को मेरे लण्ड पे लगा दिया। मेरा लोड़ा २-३ सेकंड में ही खडा हो गया। उसने साड़ी पहनी थी और मैं उसकी गांड के दो टुकडो के बीच का गैप महसूस कर सकता था।

अभी मैं अपने लण्ड का दबाव उसकी गाँड पर बढ़ा ही रहा था कि मेरी पीठ पर दो मोटी मोटी गोल चूचियां टकराई। मैंने पीछे मुड़ के देखा तो एक ४५ साल की औरत जो कि कम से कम ३ बच्चों की माँ खड़ी थी। उसका रंग एक दम काला था और शायद उसका शराबी पति उस गरीब औरत को सुख नहीं दे पाता था, तभी वो आज मुझ से मज़ा ले रही थी।

मैं पीछे की ओर हुआ और जैसे ही मैंने अपनी पीठ पर उसके चुचों को महसूस किया, वो आगे वाली आंटी अपनी गांड को मेरे लोड़े पर धक्के दे कर मारने लगी। उसकी गांड चौड़ी थी और मेरा लोड़ा उसकी गांड में घुस जाता था।

अब मेरी हालत ख़राब होती जा रही थी सभी लोग मुझे देख रहे थे। अब मैंने हिम्मत करके अपना हाथ आगे वाली आंटी की गांड की तरफ बढ़ाया और सीधा उसकी चूत को महसूस करने लगा। उसने पैंटी नहीं पहनी थी और उसकी चूत गीली और ढीली थी और मैं अब अपने हाथ से उसकी चूत की खुशबू सूंघने लगा।

मैं पागल सा हो रहा था कि पीछे वाली आंटी ने मुझे देख लिया और मेरी गर्दन पर गर्म सांस छोड़ने लगी और उसने एक हाथ मेरे लोड़े पर पीछे से लगा दिया और उसे जोर से पकड़ लिया।

तभी वो आगे वाली आंटी पीछे मुड़ गयी और देखने लगी कि किसका हाथ उसकी गांड में घुस रहा है। वो भी हंसने लगी। अब मेरे लण्ड पे दो काम हो रहे थे, एक पीछे वाली आंटी के हाथ का कमाल और आगे वाली की गांड का कमाल।

पीछे वाली आंटी का स्टाप आ गया और अब मैं आगे वाली आंटी के साथ मज़ा लेने लगा पर तभी वो आगे वाली आंटी का स्टाप भी आ गया और उसने मुझे इशारे से उतरने को कहा।
मैं भी उसके साथ उतर गया और पीछे चलने लगा। आगे जा कर गन्ने के खेत आ गए और वो मुझे उसके अंदर ले गयी। जाते ही उसने अपनी साड़ी और पेटीकोट उठा दिया और नाली में लेट गयी उसकी चूत एकदम काली और सूखी थी। मैं उस पर लेट गया और उसका ब्लाऊज़ खोल कर उसकी चूची चूसने लगा।

उसकी चूची एकदम काली थी और उसके लिप्स भी काले थे मैंने अपना लोड़ा उसकी चूत में डाल दिया और उसकी मोटी मोटी चूची चूसने लगा।

अब बस वो मेरे ८ इंच के लोड़े को ले कर चीख रही थी और मज़ा ले रही थी। वो जैसे ही झड़ने वाली थी उसने मुझे जोर से पकड़ लिया और मैं भी झड़ गया और सारा माल उसकी चूत में छोड़ दिया। अब मैं खेत से निकल कर बाहर आ गया।

दोस्तो, मैंने उस औरत से बात तक नहीं की और उसकी चूत चोद दी। तब से मैं ऐसी आंटी को ढूँढता रहता हूँ पर ऐसी औरत मुझे दोबारा नहीं मिली। Sex Stories

लेखिका : लक्ष्मी Antarvasna

मेरा तलाक हुए करीब 3 साल Antarvasna हो चुके थे। मेरी शादी जब मैं 19 साल की थी तब कर दी गई थी। मेरा पति मुझसे दस साल बड़ा था। उस समय तक मैं चुदाई और सेक्स के खेल से अनभिज्ञ थी। सुहागरात को उसने मेरी चुदाई नहीं की थी पर मुझसे मुख-मैथुन किया था। अपना लण्ड मुझसे चुसवाया था, जो मेरे लिये एक नया नया दर्दनाक अनुभव था। मुँह में लण्ड डाल कर मेरा मुख चोदता था, फिर ढेर सारा वीर्य मेरे मुँह में ही निकाल देता था। मुझे बहुत ही घिन आती थी और फिर मुझे उल्टियां होने लगती थी। फिर उसने मेरी गाण्ड मारी थी। यूँ तो चिकनाई भी लगाई थी, पर जाने क्यूँ मेरी गाण्ड एकदम टाईट हो जाती थी, वो मुझे तमाचे मार मार गाण्ड में लण्ड घुसेड़ देता था। मेरी गाण्ड लहूलुहान हो जाती थी। मुझे बहुत ही पीड़ा होती थी। पर पिटाई के बीच गाण्ड मारना मेरे लिये दर्द भरा हादसा था। मैं बहुत उससे बहुत डर गई थी।

डर के मारे अगले दिन मैं बीमारी का बहाना कर अपनी सास के पास सो गई थी। पर आखिर कब तक बहाना करती। फिर मैंने हिम्मत करके अपनी सास को कह ही दिया। मेरी बात सुनते ही वो चिन्तित हो उठी। सास ने मुझे वादा किया कि वो उन्हें समझा देगी। पर रात को उसने मुझे फिर से अपना लण्ड मेरे मुख में डाल कर मुख मैथुन किया और फिर बाद में मेरी गाण्ड भी मारी। मैंने बहुत सहा, लगभग एक महीना होने को आया, मेरी सास ने उसे कुछ नहीं कहा। फिर उसने मेरी चूत चोदी। चूंकि पहली बार चुदी थी तो फिर वही तकलीफ़ हुई थी। मेरे पति का लण्ड भी मोटा और लम्बा था, इस कारण रोज़ गाण्ड मरवाने में और चुदवाने में मुझे बहुत तकलीफ़ होती थी।

एक दिन मैंने अपनी मां से कह कर अपने शहर वापिस आ गई। मेरी हालत देख कर मुझसे मेरी मां ने पूछ ही लिया। मैंने रो रो कर सारी बातें बता दी। मेरे पापा ने दूसरे ही दिन मेरे पति से बात की। पर उसने बहुत ही बद्तमीज़ी से बात की। अन्त में हार कर पापा ने कोर्ट में तलाक की अर्जी दे डाली। मेरा पति भी मुझसे परेशान था अतः तलाक में अधिक परेशानी नहीं आई। मुझे अब उन नारकीय दुःखों से छुटकारा मिल ग़या।

लगभग तीन साल बाद मुझे अचानक एक फोन आया। कोई अशोक नाम का लड़का था। उसने कहा कि उसने बहुत मुश्किल मेरा मोबाईल नम्बर प्राप्त किया है और मुझसे शादी करने की इच्छा रखता है। उसने बताया कि वो एक पढ़ा-लिखा सरकारी अफ़सर है… उसे मेरे तलाक के बारे में पता है। मैं दिखने में बहुत सुन्दर हूँ, शरीर से दुबली पतली हूँ, लगभग 5 फ़ुट 4 इन्च की हूँ। मैंने पास में स्कूल में नौकरी कर ली थी। बस मुझमें सुन्दरता ही एक खूबी थी, जिसके कारण लड़के मुझसे दोस्ती करना पसन्द करते हैं। पर उनकी मन्शा मात्र मुझे चोदने तक की होती है। सभी को पता है कि मैं तलाकशुदा हूँ।

एक दिन वो मुझे स्कूल में मिलने आ गया।

“मेरा नाम अशोक है, मैंने ही आपको फोन किया था।”

विजिटिंग रूम में हम लोग बातें करते रहे, उसका व्यवहार अच्छा था, वो सुन्दर था और शरीर से भी लम्बा और बलिष्ठ नजर आ रहा था। उसके बाद से वो मुझसे मिलने अक्सर स्कूल आ जाता था। मेरी छुट्टी होने पर हम दोनों एक पेड़ के नीचे खड़े हो कर बाते करते थे। धीरे धीरे हमारी दोस्ती बढ़ गई। अब वो मेरे लिये गिफ़्ट भी लाता था। हम दोनों मोबाईल पर भी खूब बतियाने लग गये थे। एक दिन मेरे घर पर अशोक अपने पापा के साथ आया और उन्होने मेरा हाथ मांग लिया। मेरे पापा खुश हो गये कि मुझे मेरी ही जात वाला एक प्रतिष्ठित युवक मिल गया। उन्होने तुरन्त ही इस रिश्ते की मंजूरी दे दी। सादे तरीके से हमारी सगाई हो गई।

अब रोज ही शाम को अशोक मुझसे मिलने आता था और हम दोनों कार में घूमने निकल पड़ते थे। मै उसके प्यार में खो चुकी थी। हम दोनों बाग में अक्सर एक दुकान के आगे रुक कर पेप्सी या थम्स अप पिया करते थे।

ऐसे ही एक दिन उसने भावावेश में मुझे अपने से लिपटा लिया और मेरे होंठ चूम लिये। मैं आनन्द से भर गई। मुझे भी पुरुष का शारीरिक स्पर्श का आनन्द बहुत दिनो बाद हुआ था। सो मैं उससे लिपटी रही। इसी दौरान उसने मेरे चूचियों को हल्के से छुआ भी और सहलाया भी। मुझे एक अलग ही आनन्द आने लगा था। यूं तो मैं शारीरिक स्पर्श से डरती थी… पर यह पहले जैसी अनुभूति नहीं थी। मुझे इसमे आन्तरिक सुख मिलता था। मैंने इसका कोई विरोध नहीं किया। हम दोनों इस असीम सुख का आनन्द उठाते रहे। अब हमारा जब भी घूमने जाना होता तो हम एकान्त में कार रोक कर आपस में खूब चिपका चिपकी करते थे। फिर जाने कैसे एक दिन मैंने होश खोते हुये उसका लण्ड थाम लिया… और उसे बहुत देर तक सहलाती रही। एक अनजानी सी सुखद वासना भरी अनुभूति हुई। मेरे मन में उसके लण्ड के लिये प्रीति जाग उठी, मैं कभी कभी उसका सुपारा चूम लेती थी।

एक दिन उसका सहलाते सहलाते उसके लण्ड में से वीर्य निकल गया, उसकी पैन्ट गीली हो गई। उस दिन अशोक ने भी मेरी चूत के आस पास सहलाया था। मेरी जीन्स की जिप खोल कर मेरी चूत में अंगुली भी दबाई थी। चूत का गीलापन उसे बहुत अच्छा लगा था।

एक दिन सवेरे जब मैं स्कूल जा रही थी तो अशोक का फोन आया कि आज की छुट्टी ले लो, घर पर कोई नहीं है, दोनों घर पर बातें करेंगे। मैंने स्कूल में फोन करके छुट्टी ले ली और उसके साथ उसके घर आ गई। घर बिलकुल खाली था।

उसने अपना घर मुझे दिखाया… फिर अपना कमरा भी दिखाया… ये हमारा कमरा होगा … ये बिस्तर आपका होगा… ” उसने एक बेहद मुलायम सा बिस्तर दिखाया।

“हाय रे अशोक … कब होगी शादी…।” मैंने उतावले स्वर में कहा।

“दिल से दिल मिल जाने को ही शादी कहते हैं !” और उसने मुझे अपनी बाहों में भर लिया और मुझे चूमने लगा।

“चलो इस नरम गद्दे पर लेट कर प्यार करते हैं…” अशोक मुस्करा उठा।

उसका फ़ोम का गद्दा बहुत ही नरम था। मैं तो उस पर लोट लगाने लगी। तभी अशोक ने अपनी बाहें खोल दी। मैं लोट लगाते हुये उसकी बाहों में चली आई। हम एक दूसरे से लिपट पड़े। प्यार से एक दूसरे को चूमने लगे।

उसके हाथ जाने कब मेरे टॉप के अन्दर पहुंच गये, मेरी चूचियाँ सहलाने लगा, मेरे भीतर अनन्त उमंगें जाग पड़ी, मेरे चुचूक फूल कर कड़े हो गये। वासना का ऐसा भावनात्मक प्यार भरा उन्माद पहली बार मह्सूस हुआ। मैंने उसकी कमीज के बटन खोल दिये और उसकी नंगी छातियों को चूमने लगी। अचानक मुझे अपने कपड़े तंग मह्सूस होने लगे। जीन्स मेरे शरीर पर कसने लगी। मेरी जांघें जैसे जीन्स को फ़ाड़ देना चाह रही थी, टॉप जैसे चूंचियों पर फ़ंसने लगा। मुझे कपड़े बहुत ही खराब लगने लगे। पहल अशोक ने ही की। उसने अपनी पैन्ट उतार दी। फिर उसने मेरी तरफ़ वासनायुक्त नजरों से देखा। मुझे भी कपड़े कहाँ सुहा रहे थे। अशोक ने मेरी टॉप ऊपर ही खींच दी। मेरे वक्ष छलक पड़े। मैंने अपनी जीन्स उतार डाली और बस एक तंग सी छोटी सी चड्डी रह गई। जैसे ही मेरे बदन को हवा लगी, एक सिरहन सी उठ गई।

जैसे ही मेरी नजरें अशोक के लण्ड पर गई, वही मोटा सा, लम्बा लण्ड… मैं डर गई, पर शायद वो मेरी बात जानता था। वो दूर हट गया… और अपना लण्ड देख कर बोला,”आपको देख कर इसे आप पर प्यार आ रहा है… जैसे कार में आप इसे प्यार करती थी… बस एक बार फिर से वही प्यार करके इसे मजा दो…”

मैंने डरते हुये उसके लण्ड को निहारा और उसे पकड़ लिया। जैसे ही मैंने उसे दबाया… अशोक के मुख से एक सिसकारी निकल पड़ी।

” आपको मजा आया ना, पर मुझे इससे डर लगता है … प्लीज मुझे कुछ मत करना…” मैंने उसे समझाते हुये कहा।

“आओ प्यार करें … जो आप कहेंगी वही करेंगे !” मैं कुछ सावधान सी, सकुचाती हुई उसके नंगे शरीर से लिपट गई। फिर हम दोनों धीरे धीरे बिस्तर पर लेट गये। हमारे अधर एक दूसरे से मिल गये। उसका लण्ड हाथ में लिये मुझे लगा कि वो और फूल गया है। बेहद कड़क हो गया है। मेरी चूंचियाँ वो मसलने लगा। मेरे शरीर में एक सुखद मीठा सा नशा चढ़ने लगा। मेरी चूत पानी छोड़ने लगी थी। मुझे जाने क्यूँ इच्छा होने लगी थी कि लण्ड अपनी चूत में घुसेड़ लूँ। मैंने लण्ड को पकड़े हुये अपनी चूत के द्वार पर रख दिया और आंखे बंद करके मदहोशी में उस पर जोर लगा दिया। उसका लण्ड मेरी गीली चूत में अन्दर फ़िसल पड़ा। मुझे एक विचित्र सी सुखद वासना युक्त कसक भरी मिठास का अहसास हुआ और मैंने अपनी चूत उसके लण्ड पर पूरी ताकत से दबा दी। उसका लण्ड मेरी चूत के लबों को चूमता हुआ अनन्त खाई में जैसे कूद पड़ा।

मैंने अशोक को खींच कर अपने ऊपर सवार कर लिया और अपनी दोनों टांगें चीर कर उसकी कमर से लपेट ली। अशोक मेरे ऊपर आ चुका था और लण्ड मेरी चूत में पूरी गहराई तक घुसा हुआ था। हम दोनों की कमर अब धीरे धीरे चलने लगी। वो चोदने लगा और मैं चुदती चली गई। ऐसा स्वर्गीय आनन्द मुझे पहली बार मिला था। इतना प्यारा वो तो नहीं चोदता था। मुझे अचानक इच्छा हुई कि मेरा पूर्व पति मेरी गाण्ड मारता था, उसमें क्या मजा आता होगा। सो मैंने अशोक को इशारो में अपनी इच्छा बता दी। उसने मेरे सर पर बालों में प्यार से हाथ फ़ेरा और लण्ड धीरे से बाहर निकाल लिया। उसने एक मोटा तकिया नीचे लगा दिया और पास में पड़ी क्रीम मेरी गाण्ड में लगा दी। फिर मुझे चूमता हुआ मुझसे प्यार से लिपट गया। मैं अनजाने डर से सहम सी गई। मेरे गाण्ड की छेद पर उसका नरम सा गोल सुपारा चिपक गया। मुझे ताज्जुब हुआ कि उसका लण्ड एक ही बार में छेद के अन्दर बिना किसी तकलीफ़ के घुस गया था। इस बार मुझे दर्द नहीं हुआ बल्कि मजा आया।

उसने अब धीरे धीरे मेरी गाण्ड चोदना आरम्भ किया। मुझे मस्ती आने लगी और मैं उसे एन्जोय करने लगी। पर हां मुझे ये जरूर लगा कि मेरे पति जब ये सब करते थे तो मैं घबरा जाती थी, गाण्ड में से खून निकलने लगता था, यहाँ तक कि मैं बेहोश भी हो जाती थी, मजा आने की बात तो दूर रही। काफ़ी देर तक मैंने गाण्ड मराने का आनन्द लिया। थोड़ी देर के बाद मेरी चूत कुलबुलाने लगी तो मैंने अशोक को चूत मारने को कहा। उसने मेरी चूत में लण्ड घुसा कर धक्के लगाना शुरू कर दिया। मेरी उत्तेजना मेरी सहनशीलता के बाहर चुकी थी। चूत उछाल उछाल कर चुदाने लगी… और फिर मेरे अंग प्रत्यंग जैसे आग उगलने लगे और मैंने अपना यौवन रस छोड़ दिया, मैं झड़ने लगी।

उसका चोदना जारी रहा पर गीलापन बढ़ने से छप-छप की आवाजें आने लगी। चूत ढीली पड़ गई। उसने इशारे से कहा कि मेरा लण्ड चूस कर वीर्य निकाल दो…

उसके लण्ड को मुख में लेने के विचार से ही मेरे मन में फिर वही डर समा गया। पर मैंने हिम्मत करके उसका लण्ड मुँह में भर लिया और धीरे धीरे उसे चूसने लगी। मुझे लगा उसे बहुत ही मजा आ रहा है। मैं जोश में उसके लण्ड के रिन्ग जोर से चूसने लगी। उसके मुँह से सिसकारियाँ निकल पड़ी। उसका हाल देख कर मैं भी और जोश में आ गई और उसका लण्ड हाथ से भी दबा कर मुठ मारते हुये जोर जोर से चूसने लगी।

इतने में उसने मेरे बाल पकड़ लिये और लण्ड का मुख में जोर लगा कर झुक पड़ा और लण्ड से वीर्य निकल पड़ा। वो अपने लण्ड पर जोर लगा कर पिचकारी पर पिचकारी मुह में छोड़ने लगा। मैं भी जोश में आ कर उसका वीर्य गटागट पी गई। अब उसका लण्ड मैं दूध निकालने की तरह खींच-खींच वीर्य निकालने लगी। पूरा लण्ड साफ़ करके उसे छोड़ दिया।

आज मेरी खुशी का कोई ठिकाना ना था। मैं खूब जोर जोर से हंसी… और उसे भी अपनी खुशी में शामिल होने कहा। फिर मैंने अशोक को अपनी पूरी कहानी बताई और रो पड़ी। अशोक ने सब कुछ भूल जाने कहा और हम फिर से एक दूसरे में प्यार में खो गये। चुदाई के मनमोहक दौर की तैयारी करने लगे। मेरा मन आज जी भर कर चुदने का कर रहा था… मैं अपने पिछले गुजरे हुये तूफ़ान को भूल जाना चाहती थी… Antarvasna

Antarvasna

मैं अपना लंड हाथ में पकड़ कर Antarvasna उसके होठों को छुआने लगा और जैसे ही वो कुछ बोलने लगी मैंने झट से उसका मुँह पकड़ कर लंड अंदर डाला और उसको बोला- प्लीज़ एक बार इसको चूसो!

और मैं निर्मला के बाल को पकड़ कर धक्का मारने लगा और मैं भी खुद आगे पीछे होने लगा. मैंने उसकी मुँह चुदाई चालू कर दी. करीब दस मिनट के बाद मैंने सारा लंडरस उसके मुँह में डाल दिया और उसके पास लेट गया.

करीब पाँच मिनट के बाद उसका एक हाथ को पकड़ कर अपने लंड पर रख मैं खुद उसका हाथ पकड़ कर आगे पीछे करने लगा और उसकी चूत को मसलने और उंगली से चोदने लगा.

तो उसने कहा- भैया प्लीज़ मुझे जाने दो.
मैंने कहा- निर्मला, असली काम अब चालू होगा!
तो वो बोली- क्या?
हाँ, मैं तुझे अब चोदूँगा!
उसने कहा- नहीं आप मेरे साथ ऐसा नहीं कर सकते!

मैंने कहा- निर्मला, ऐसा हर लड़की और लड़का चोदते हैं और चुदवाते हैं जैसे कि तुम्हारी मम्मी पापा से चुदवाती है, तुम्हारी भाभी भैया से चुदवाती है, मेरी पत्नी मेरे से चुदवाती है, फिर तुम क्यों मना कर रही हो!

उसका हाथ मेरे लंड पर रखते ही मेरा लंड टाइट होने लगा था और वो भी गरम हो गई इन सब बातों से, और बोली- भैया मैंने पहले कभी भी नहीं किया है!

(दोस्तो, मैं उसकी शरम मिटाना चाहता था और मैंने कल की तरह उस टॉपिक छेड़ दिया)

मैंने उससे पूछा- कल तो तुमने इतना नाटक नहीं किया, आज अचानक इतना नाटक क्यों?
वो बोली- भैया, कल जो हुआ वो एक हादसे की तरह था!
मैंने कहा- ठीक है!
मैंने उससे पूछा- कल तुमने अपनी मम्मी-डैडी की चुदाई देखी या नहीं?
तो बोली- भैया, नहीं!
मैंने कहा- क्यों?
बोली- मैं ऐसी लड़की नहीं हूँ!

मैंने उसको कहा- मैंने कब कहा कि तुम ऐसी लड़की हो! मैं तो तुझे बता रहा था कि तुम सिर्फ एक बार देखो और तुमको सीखने को भी मिलेगा! खैर कल नहीं देखी तो तुम आज देखना और मुझे बताना कि कैसी है! ठीक है? और मैंने चूत में उंगली आगे पीछे करना ज़ाऱी रखा और वो मेरे लंड को हिलाने लगी.

मैं अब उसके ऊपर आया और उसकी टाँगों को थोड़ा अलग किया और उसकी गीली चूत पर लंड को और मुँह पर मुँह को रख कर दोनों हाथों को उसकी गांड के नीचे रख कर एक ज़ोऱ का धक्का मारा, उसकी चीख मेरे मुँह में ही रह गई और लंड एक इन्च अंदर चला गया. मैं दोनों हाथों को नीचे से निकाल कर उसकी दोनों चूची के चूचुक मसलने लगा, साथ में चुम्बन भी कर रहा था. लंड अंदर रखा और धीरे धीरे उसको चोदने लगा.

थोड़ी देर के बाद मैंने फिर एक ज़ोऱ का झटका मारा और लंड 3 इंच अंदर घुस गया और वो मेरी पीठ पर मारने लगी क्योंकि उसकी चीख मेरे मुँह में ही रह गई और उसकी झिल्ली भी फट गई. वो एक दम कुंवारी थी, खून निकलने लगा और वो तड़पने लगी, मेरे बालों को खींचने लगी. मैंने मुँह को हटाया और बोला- क्या हुआ?

वो बोली- भैया! मुझे बहुत दर्द हो रहा है!
मैंने कहा- निर्मला, मुझे भैया मत कहो और मेरे नाम से ही पुकारो! ऐसा दर्द पहली बार करने से होता है, तुम घबराओ मत, मैं हूँ ना!

और मैंने लंड बाहर निकाला और उसके मुँह पर हाथ रखा और एक हाथ से लंड को पकड़ कर उसकी चूत पर रख और ज़ोऱ का झटका मारा, इसके साथ ही मेरा लंड 6 इंच उसकी चूत में चला गया.

मैंने उसके मुँह से हाथ हटाया और चूची मसलने लगा- निर्मला, तेरी चूत तो कमाल की है!
वो बोली- भैया, प्लीज़ आप बाहर निकालो, मुझे बहुत जलन हो रही है और दर्द भी बहुत हो रहा है!
मैंने कहा- क्या निकालूँ रानी?
भैया, आप इतने गंदे हो, इधर मैं मरी जा ऱही हूँ और आप मज़ाक के मूड में हो!
मैंने कहा- निर्मला, प्लीज़ एक बार कहो कि क्या निकालूँ!
वो बोली- प्लीज़ भैया! मैं नहीं कहूँगी, आप बाहर निकालो!
मैंने कहा- ठीक है, जब तक तुम नहीं कहोगी, मैं बाहर नहीं निकालूँगा!

और इसके साथ ही उसको धीरे धीरे चोदने लगा और उससे बोला- तुम कितनी अच्छी हो, तुम्हारे बूब्स कितने प्यारे हैं, तुम्हारी चूत का कोई जवाब नहीं!

इतना कहने के बाद मैं उसकी चूची चूसने लगा साथ में धीरे धीरे चोदने लगा. थोड़ी देर के बाद उसको मजा आने लगा तो बोली- भैया प्लीज़ आप और अंदर मत डालना! नहीं तो मैं मर जाऊँगी!

मैंने कहा- क्या अंदर नहीं डालूँ?

और मैंने लंड को बाहर निकाला और एक झटका मारा, मेरा फिर 6 इंच तक अंदर गया. निर्मला सिसकारी लेने लगी- ऊऊऊवीई ईईईई ईम्म्म्म् म्म्म्मा आआआ! मार डाला इस पागल ने! मैंने कहा था कि अंदर मत डालो! फिर डाल दिया!

मैंने कहा- क्या डाल दिया?
तो बोली- भैया, मैं सिर्फ एक बार ही कहूँगी!
मैंने कहा- ठीक है, बोलो!

इसके साथ ही मैं उसको धीरे धीरे चोदने लगा और वो भी पूरी गरम हो गई और बोली- भैया, आप भाभी के साथ भी ऐसे ही करते हैं?
मैंने कहा- नहीं!
तो मेरे साथ में ऐसा क्यों?
मैंने कहा- मेरी बीवी तो मेरे साथ खुलकर पेश आती है, तुम्हारे जैसे नहीं है, जब मैं चोदने के मूड में नहीं होता हूँ तो मेरे पास आकर बोलती- जी आप मुझे चोदिए ना! देखो मेरी चूत कितनी तड़प रही है तुम्हारे लंड के लिए!

भैया आप झूठ बोल रहे हैं!
मैंने कहा- तुम एक काम करो, मेरी पत्नी से कभी भी पूछ लेना!
भाभी को शरम नहीं आती?
मैंने कहा- तुमको कल ही बता दिया था- सब तेरी मम्मी ने ही सिखाया है, जब चुदाई करते हैं तो हम लोगों को गंदी भाषा बोलनी चाहिए, इससे प्रेम बढ़ता है और जीवन भर प्यार रहता है आपस में!

अब मैंने लंड को पूरा बाहर निकाला और फिर जोर का झटका मारा तो मेरा पूरा लंड चूत को चीरता हुआ अंदर चला गया और मैं उसके ऊपर लेट गया.
निर्मला बोली- भैया प्लीज़ बाहर निकालो! बाहर निकालो!
मैंने कहा- जब तक तुम नहीं कहोगी मैं तुझे ऐसे ही चोदता रहूँगा और रगड़ता रहूंगा!
तो बोली- भैया, मुझे शरम आती है!
मैंने कहा- अपनी आंख बंद करके एक बार कहो- प्लीज़ लंड को बाहर निकालो!
तो बोली- भैया मैं नहीं कह पाऊँगी!
मैंने कहा- एक बार बोल लोगी तो टईक रहेगा, नहीं तो जिंदगी भर नहीं बोल पाओगी! और कुछ नहीं जल्दी से बोल दो!
तो बोली धीरे से- भैया प्लीज़ लंड को बाहर निकालो!
मैंने कहा- क्या निकालूँ?
तो बोली- लंड को!

मैंने लंड को बाहर निकाला और वापस ज़ोऱ से अंदर डाला और धीरे धीरे से चोदने लगा साथ में चूची को मुँह में लेकर चूसने लगा.
मैंने उससे पूछा- कैसा लग रहा है?
तो बोली- प्लीज़ आप मुझे मत पूछो!
मैंने उससे कहा- निर्मला, तुमको आज मैंने एक बहन से पत्नी बना दिया है, तुम्हारी आज प्रमोशन हुई है, तुझे चोदने में बहुत मजा आ रहा है, ऐसा मजा तो मुझे कभी नहीं आया!
मैं ऐसे ही उसे गरम करके चोद रहा था और वो भी मेरा खुल्लम-खुल्ला साथ देने लगी थी.

दोस्तो मुझे इसको चोदने में इतना मजा आया कि आपको नहीं बात सकता! आप समझ लीजिए कि मुझे जन्नत मिल गई थी!
मैं उसकी चूत से धीरे धीरे लंड बाहर निकालता और अंदर चूत में डाल कर चोद रहा था, बीच बीच में ज़ोऱ से शॉट भी लगाता था और वो हर शॉट के साथ वो सिहर उठती और मुझे बोलती -भैया, मुझे कुछ हो रहा है!
मैंने उसकी चूची को रगड़ते हुए पूछा- क्या हो रहा है रानी?
तो बोली- मैं नहीं बता सकती!

मैं अब उसे ज़ोऱ ज़ोऱ से चोदने लगा और दोनों हाथों से उसकी चूची को मसलते हुए बोला- ले मेरी रानी, मेरा लंड ले! और ले! अभी तेरी चूत को भी मजा आ रहा है! तू मुझे नहीं बताएगी तो तेरी चूत बताएगी!
मेरे हर शॉट का जवाब उसकी ओओ… आआईईई! जल्दी! प्लीज़ जल्दी करो! ओओ आआआ! में था.

मैं उसे ऐसे ही चोदने लगा और पूरे कमरे में पच पच और उसकी आवाज़ें गूंज रही थी. मैंने निर्मला को करीब़ 10 मिनट और चोदा!
वो कितनी बार झड़ी, मुझे नहीं मालूम! जब मैं झड़ने को हुआ तो मैंने पूछा- निर्मला, मैं अब झड़ने वाला हूं, कहाँ निकालूं मेरा प्रेम रस? तेरी चूत में या फिर तेरे मुँह में?
वो बोली- भैया चूत में मत डालना! आप बाहर ही निकाल लो!

मैंने लंड को चूत से बाहर निकाला और उसके मुँह के पास लेकर उसको बोला- रानी मुँह खोलो!
वो ना करने लगी और अपने मुँह पर हाथ रख लिया. मैंने उसका हाथ हटाया और लंड को मुँह में डालकर मुँह चोदने लगा और कुछ ही देर में मेरे लंड ने पिचकारी छोड़ी और मैंने उसे प्रेम-रस पिला दिया. जब मेरा लंड सिकुड़ गया तो मैंने बाहर निकाला. निर्मला के मुँह से लंड निकालते ही वो बेड पर निढाल हो गई और मैंने बाथरूम ज़ाकऱ शॉवर लिया और बाहर निकल अपने कपड़े पहनने लगा, साथ में निर्मला को आवाज़ लगाई- निर्मला, उठो!

तो वो उठ नहीं पा रही थी, मैंने उसको सहारा दिया और बाथरूम ले गया और उसको मूतने के लिए बोला. वो बैठ कर मूतने लगी और मुझसे बोली- भैया तुम बाहर बैठो!
मैंने कहा- अब मेरे से शरम कैसी! अब तो हम पति-पत्नी की तरह हैं!

कैसी लगी मेरी कहानी, अपनी राय मुझे लिखें! Antarvasna

दोस्तो, Antarvasna

मैंने आपको बताया था कि Antarvasna मेरी शादी के बाद अपनी पत्नी के अलावा मेरा सबसे पहला सैक्स अनुभव मेरी साली रजनी “बेबो” के साथ हुआ, जिसके बारे में मैं अपनी पिछली कहानी
मैं नहाने जा रही हूँ
में बता ही चुका हूँ। आपने मेरी कहानी पढ़ी और उसे पसंद किया उसके लिए मैं आप सभी का धन्यवाद करता हूँ।

खैर अब आगे…

उस सैक्स अनुभव के बाद मैं और बेबो बहुत खुल गये थे। अब दिन में या रात को जब मेरी पत्नी छोटे बच्चे को दूध पिलाते-पिलाते सो जाती तो मैं कमरे का दरवाजा सावधानी से बंद कर देता ताकि मेरी पत्नी और बच्चे को नींद में बाधा ना हो। ऐसा मैं अकसर ही करता था क्योंकि दिन में जब मेरी पत्नी छोटे बच्चे को दूध पिलाते-पिलाते सो जाती तो मैं और बेबो लूडो या कैरम खेलते और रात को फिर जब मेरी पत्नी छोटे बच्चे को दूध पिलाते-पिलाते सो जाती तो मैं और बेबो देर रात तक बाते करते।
यह बात मेरी पत्नी जानती थी। चूंकि वो ये बात जानती और समझती थी इसलिये हम पर बिल्कुल शक नहीं करती थी और वो आराम से सोती थी। लेकिन उस सैक्स अनुभव के बाद लूडो या कैरम खेलना छोड़ कर हम दूसरा खेल खेलने लगे थे।

हम कमरे का दरवाजा सावधानी से बंद करके दोनो एक दूसरे से लिपट जाते और लिपट-चिपट कर किस करते। फिर एक दूसरे को बाँहों में भर कर किस करने से बात आगे बढ़ कर एक दूसरे के अंगों को छूना शुरु हो जाता। बेबो ज़्यादातर सलवार सूट पहनती थी। इसलिये मैं बेबो के कुरते के ऊपर से उसके स्तन दबाने और फिर उसकी सलवार के ऊपर से उसकी चूत को दबाने और फिर सलवार के अन्दर हाथ डाल कर उसकी पैंटी के ऊपर से उसकी चूत पर हाथ फिराने तक पहुँच जाता।

मैं ज़्यादातर टी-शर्ट और लोअर पहनता था। मैं अपने लोअर की जिप खोलकर उसे जरा सा नीचे सरका कर अपना लण्ड निकाल कर बेबो के हाथ में थमा देता। बेबो भी मेरे लण्ड को बिना झिझक के अपने हाथ में थाम लेती और हल्के-हल्के दबाती या मुठ्ठी में भर कर आगे-पीछे करती और जोर-जोर से हिलाती।
एक-दो दिन बाद तो वो खुद ही मेरे लोअर की ज़िप खोल कर मेरा लण्ड निकालने और दबाने तक पहुँच गई। यह सारा कार्यक्रम लगभग 10 से 15 मिनट तक चलता। हम दोनों बेहद गर्म हो जाते और मेरे लण्ड से और बेबो की चूत से कुछ चिकना सा द्रव्य निकलने लगता।
उसके बाद हमारा चुदाई कार्यक्रम शुरु हो जाता।

मैं और बेबो सोफे पर बैठ जाते। फिर मैं बेबो की सलवार और उसकी पैंटी को उतार कर नीचे उसके पैरों में गिरा देता, मगर पैरों से अलग नहीं करता। फिर कुछ देर मैं उसकी चूत के घने बालों पर हाथ फिराता। फिर बेबो की टांगें खोल कर उसकी टांगों के बीच में बैठ जाता और बेबो की चूत के बाल अपने मुँह में भर लेता। फिर अपनी जीभ से बेबो की चूत के जी-पॉइंट को रगड़ने और ऊपर-नीचे फिराने लगता।

बेबो गर्म होकर पागल हो जाती और मेरे बाल पकड़ लेती। हाँ, कहीं उसकी दीदी को ना सुन जाये इसलिये वो कोई आवाज़ तो नहीं करती, मगर फिर भी उसके मुँह से बहुत हल्की सी सिसकियाँ जरूर निकलने लगती। फिर वो मेरा सर पकड़ कर मेरा मुँह अपनी चूत में घुसाने की नाकाम कोशिश करने लगती। मैं अपनी जीभ तेज-तेज उसकी चूत के जी-पॉइंट पर फिराने लगाता। जब उसकी चूत से कुछ चिकना-चिकना सा नमकीन पानी निकलने लगता तो मैं थोड़ा सा उसे टेस्ट करके बेबो से अलग हो जाता।

फिर मैं बेबो के सामने खड़ा होकर अपना लोअर और जॉकी को उतार कर नीचे अपने पैरों में गिरा देता, मगर पैरों से अलग नहीं करता। बेबो सोफे पर ही बैठी होती। फिर मैं खड़े-खड़े अपना लण्ड बेबो के मुँह की तरफ करता। बेबो समझ जाती और मेरा लण्ड पकड़ कर अपने मुँह में भर लेती। फिर मेरा लण्ड मुँह में लेकर चूसने लगती। बेबो के ऐसा करने से ना चाहते हुऐ भी मेरे मुँह से हल्की-हल्की सिसकारियाँ निकलने लगती। मेरी सिसकियाँ सुनकर बेबो जोर-जोर से और तेज-तेज मेरे लण्ड को चूसने लगती। बेबो लगभग 5 मिनट तक मेरे लण्ड को अपने मुँह में लेकर लॉलीपोप की तरह चूसती रहती।

मेरे मुंह धीमे-धीमे से ‘ओह बेबो! आह्…ओह! अह! सीईईईईइ, सीस्सईईइ!’ की आवाजें निकलने लगती। थोड़ी देर बाद जब मुझे ऐसा लगता कि अगर बेबो इसी तरह से मेरे लण्ड को चूसती रही तो मैं इसके मुँह में ही डिस्चार्ज हो जाऊँगा, तब मैं अपना लण्ड बेबो के मुँह से बाहर खींच लेता। फिर मैं लोअर और जौकी को ऊपर उठा कर, हाथ से पकड़ कर, धीरे-धीरे अपनी पत्नी के कमरे के दरवाजे के पास जाता और दरवाज़े पे कान लगा कर अपनी पत्नी के हल्के खर्राटों को सुनने की कोशिश करता और जब ये इतमिनान हो जाता कि वो सो रही है, तब मैं वापस बेबो के पास आ जाता।

बेबो धीरे से पूछती “दीदी सो रही है क्या?”
मैं हाँ में सर हिला देता।

फिर मैं बेबो के पैर ऊपर करके उसे सोफा पर लिटा देता। मैं अपनी टी-शर्ट और बेबो अपना कुर्ता कभी नहीं उतारते थे। सेंटर टेबल पर लूडो बिछा होता था। फिर मैं उसकी सलवार और उसकी पैंटी को उसके एक पैर मे से उतार कर उसके दूसरे पैर में कर देता, मगर दूसरे पैर से अलग नहीं करता। फिर मैं भी अपना लोअर और जौकी अपने एक पैर से निकाल कर दूसरे पैर में फंसा देता, मगर दूसरे पैर से अलग नहीं करता, ताकि अगर मेरी पत्नी अचानक उठ भी जाये और दरवाजा खोलने के लिये कहे तो मैं और बेबो जल्दी से अलग होकर अपने-अपने लोअर और अन्डरवियर पहन सके और सेंटर टेबल पर लूडो बिछा देखकर उसे कोई शक ना हो।

फिर मैं बेबो की बगल में लेट कर उसे अपने साथ सटा कर लिटा लेता। हम दोनो सोफ़े पर चिपक कर लेट जाते। फिर कुछ देर तक मैं उसकी चूत के घने बालों पर हाथ फिराता। फिर मैं उसके नर्म-नर्म स्तनों को कुरते के ऊपर से दबाने लगता। फिर कुछ देर बाद मैं उसके कुरते के गले में हाथ डाल कर उसके सख़्त हो चुके दोनों बूब्स को एक-एक करके दबाने लगता। मेरा लण्ड तन कर बेबो की चिकनी टांगों से टकरा रहा होता था।

फिर मैं बेबो की चिकनी टांगों पर हाथ फिराने लगता। फिर उसकी पाव रोटी की तरह उभरी हुई उसकी चूत पर हाथ फेरने लगता। फिर मैं मौके की नज़ाकत को समझते हुए अपनी उँगलियॉ बेबो की चूत के अन्दर डाल देता। फिर अपनी उंगलियों से बेबो की चूत के फाँको को खोलने और बन्द करने लगता। फिर मैं बेबो की चूत के दाने को रगड़ने लगता।

बेबो के मुँह से सिसकियाँ निकलने लगती; बेबो मस्त हो जाती। वो बहुत गरम हो जाती और जोर-जोर से, आवाज़ रोक कर सिसकारियाँ लेने लगती और अपने होंठ चूसने लगती। फिर वो मेरे बालों पर हाथ फेरने लगती। यह सिगनल होता कि वो चुदवाने के लिये तैयार है। फिर मैं उसे धीरे से सौफे पर सीधा लिटा देता और मैं बेबो के ऊपर आकर लेट जाता। बेबो का जिस्म मेरे जिस्म के नीचे दब जाता। मेरा लण्ड बेबो की जांघों के बीच में रगड़ खा रहा होता। बेबो बिना झिझके मेरा लण्ड अपने हाथ में थाम लेती। फिर वो मेरे लण्ड को अपने हाथ में दबाने लगती। मेरा लण्ड तन कर और भी सख्त हो जाता।

बेबो मेरे लण्ड को मुट्ठी में भर कर आगे-पीछे करने लगती। फिर वो मेरा तन कर लम्बे हो चुके लण्ड को पकड़ कर जोर-जोर से हिलाने लगती। तब तक मैं बेबो की चूत मारने को बेताब हो चुका होता। फिर मैं साली बेबो की टांगें खोल कर उसकी टांगों के बीच में अधलेटा होकर मैं अपने लण्ड को मुठ्ठी में भर कर बेबो की चूत के दाने के उपर-नीचे करके रगड़ने लगता। बेबो के मुँह से सिसकियाँ निकलने लगती। कुछ देर बाद बेबो की चूत से फिर से कुछ चिकना-चिकना सा निकलने लगता था।

अब वो मदहोश होने लगती और उसकी आंखें बंद होने लगती। फिर साली मेरे कान के पास फुसफसा कर बोलती “ओह जीजू, प्लीज डालो ना। मेरे तो तन-बदन में आग सी लग रही हैं।”

यह सुन कर मैं अपने लण्ड का सुपाड़ा उसके चूत के गुलाबी छेद पर टिका कर एक जोरदार धक्का मारता जिससे मेरा पूरा का पूरा लण्ड एक ही झटके में बेबो की कुंवारी और चिकनी चूत में पूरा अन्दर चला जाता। मेरे लण्ड के अन्दर जाते ही बेबो के मुँह से हल्की सी सिसकी निकलती और वो मुझे अपनी बाँहों में कस लेती। मैं भी उसे कस कर पकड़ लेता और हम एक दूसरे में पूरे तरीके से समा जाते। फिर मैं अपने लण्ड को बेबो की चिकनी चूत के अन्दर पूरा डाले हुऐ रुक जाता और बेबो के होंठों को अपने होंठों में भर कर चूसने लगता।

कुछ देर तक हम दोनो ऐसे ही एक-दूसरे से चिपके रहते और एक-दूसरे के होंठों को चूसते रहते। मेरा पूरा लण्ड बेबो की चूत के अन्दर तक समाया होता। फिर कुछ देर बाद उसके होंठों को चूसते हुए मैं उसे चोदना शुरु कर देता। पहले मैं अपने लण्ड को उसकी चूत में धीरे-धीरे अन्दर बाहर करने लगता।
कुछ देर बाद बेबो भी जोश में आ जाती और अपनी कमर को धीरे-धीरे हिलाने लगती। मैं बेबो को अपनी बाँहों में भर लेता। बेबो भी मुझे अपनी बाँहों मे पूरी ताकत से कस लेती। शुरु-शुरु में कुछ देर तक मैं अपने लण्ड को धीरे-धीरे से ही बेबो की चूत के अन्दर-बाहर करता रहता। फिर कुछ देर बाद जब बेबो अपनी टांगें ऊपर की तरफ मोड़ कर मेरी कमर के दोनों तरफ लपेट लेती तो मेरी रफ़्तार बढ़ने लगती। फिर मैं अपने लण्ड को तेज-तेज बेबो की चूत के अन्दर-बाहर करता।

धीरे-धीरे मेरी रफ़्तार और भी बढ़ने लगती। अब मेरा लण्ड बेबो की चूत में तेजी से अन्दर-बाहर होने लगता और मैं बेबो की चूत में अपने लण्ड के तेज-तेज धक्के मारने लगता। जब मैं फुल स्पीड में बेबो को चोदता तो सोफे की वजह से चुदाई का मजा दुगना हो जाता। सोफे की फोम और फोम के नीचे स्प्रिन्गों की वजह से जब मैं बेबो की चूत में अपने लण्ड का धक्का लगाता तो सोफे के फोम और स्प्रिन्ग दब जाते और जैसे ही मैं अपना लण्ड बेबो की चूत से बाहर खींचता तो सोफे के फोम और स्प्रिन्ग बेबो के हिप्स को ऊपर धकेल देते। सच इस वजह से सोफे पर तो बेबो को चोदने में दुगना मजा आता।

थोड़ी देर बाद बेबो भी नीचे से अपनी कमर को उचका कर मेरे धक्कों का ज़वाब देने लगती और मज़े में धीरे-धीरे बोलने लगती “सी… सी… और जोर.. से जीजूजुजु… …येसस्स्स्स अरररऽऽ बहुत मज़ा आ रहा है और अन्दर डालो और जीजू और अन्दर येस्स्स्स जोर से करो। प्लीज जीजू तेज-तेज करो ना। बहुत अच्छा लग रहा है। बडा मज़ा आ रहा है।”

बेबो को सचमुच में मजा आने लगता था और वो अपने हाथ सोफे पर टिका कर जोर जोर से अपने हिप्स को ऊपर-नीचे करने लगती थी और मैं तेज़-तेज़ धक्के मारने लगता था। वो मेरे हर धक्के का स्वागत अपने हिप्स को ऊपर-नीचे करके करती। फिर वो मेरे हिप्स को अपने हाथों में थाम लेती। अब वो भी नीचे से मेरे धक्कों के साथ-साथ अपने हिप्स को तेज-तेज ऊपर-नीचे कर रही होती थी। जब मैं लण्ड उसकी चूत के अन्दर घुसाता तो वो अपने हिप्स को पीछे खींच लेती। जब मैं लण्ड उसकी चूत में से बाहर खींचता तो वो अपने हिप्स ऊपर उठा देती। इससे मैं तेज-तेज धक्के मार कर बेबो को चोदने लगता। फिर मैं सोफे पर हाथ रख कर बेबो के ऊपर झुक कर तेजी से उसकी चूत मारने लगता।

अब मेरा लण्ड बेबो की चिकनी चूत में आसानी और तेजी से आ-जा रहा होता था। बेबो भी अब चुदाई का भरपूर मजा ले रही होती थी। वो मदहोश हो रही होती थी। मैं रुक कर धीरे से बेबो के कान में कहता- बेबो अच्छा लग रहा है क्या?

बेबो धीरे से बोलती- हाँ जीजू, बहुत अच्छा लग रहा है। प्लीज जीजू रुकें मत। तेज-तेज करते रहो। ओह आहा… ह… प्लीज तेज-तेज करो। मैं डिस्चार्ज होने वाली हूँ। अब रुको मत। प्लीज तेज-तेज करते रहो।

बेबो के मुँह से ये सुन कर मैं फिर से बेबो को चोदना शुरु कर देता और अपनी रफ्तार को और भी बढ़ा देता। फिर मैं बेबो के पैर अपने कंधे पर रख कर उसके बडे-बडे हिप्स को अपने हाथों से जकड़ लेता और छोटे-छोटे मगर तेज-तेज शॉट मार कर बेबो को चोदने लगता। बेबो के मुँह से मस्ती में बहुत धीरे से “ओह्ह्ह होहहोह सिस्स्स स्सहह्ह हाहा ह्ह्हआ आआआ हा-हा करो-करो ऽअआह हाहअआ प्लीज जीजू तेज-तेज करो। ओह जीजू!” निकलने लगता।

मैं बेबो के होंठों को अपने होंठों से चूसते हुऐ उसे तेजी से चोदने लगता। मेरा लण्ड सटासट बेबो की चूत में तेजी से अन्दर-बाहर होने लगता था। मैं बेबो की चूत में अपने लण्ड के तेज-तेज धक्के मारता। करीब 15 मिनट की चुदाई के बाद जब हम दोनों झड़ने वाले होते तो हम दोनों एक साथ अकड़ से जाते और एक साथ जोर-जोर से धक्के मारने लगते।

फिर अचानक बेबो ने मुझे कस कर अपनी बाँहो में भर लेती और बोलती,”जीजू, मेरा तो काम होने वाला है। प्लीज जीजू! अब खूब जोर-जोर से करो। येस-येस अररर् और जोर से य…य…यस यससस… औह जीजू मैं तो हो गईईईईई! इसके साथ ही बेबो की चूत अपना पानी छोड़ देती। फिर वो एक धीमी सी आह भरती और फिर वो ढीली पड़ जाती।

मैं समझ जाता कि बेबो डिस्चार्ज हो गई है। मैं भी डिस्चार्ज होने वाला होता था, इसलिये मैं तेज-तेज धक्के मारने लगता और जोर-जोर से अपने लण्ड को बेबो की चूत में पेलने लगता। बेबो मुझे जल्दी से होने को और मेरे लण्ड को अपनी चूत में से बाहर निकालने के लिए बोलने लगती। लेकिन मैं उसकी बातों को अनसुना कर तेज-तेज धक्के लगाना जारी रखता। करीब 2-3 मिनट तक बेबो को तेज-तेज चोदने के बाद जब मैं डिस्चार्ज होने लगता तो मैंने अपना लण्ड साली की चूत से बाहर खींच लेता और अपने लण्ड के सुपाड़े को अपनी मुठ्ठी में भर लेता और अपनी मुठ्ठी में ही डिस्चार्ज हो जाता।

फिर मैं तुरन्त उठ कर, अपना लोअर और जौकी एक पैर में फँसाए हुए धीरे-धीरे चलता हुआ वाश-बेसिन के पास जा कर अपना लण्ड और हाथ धोता। फिर अपना लोअर पहन कर सोफे के पास आता और बेबो के ऊपर गिर जाता। बेबो अपनी सलवार पहन चुकी होती थी। फिर मैं कुछ देर उसके ऊपर लेट कर अपनी तेज-तेज चलती हुई सांसों को नार्मल होने का इन्तज़ार करता। फिर मैं बेबो की बगल में लेट जाता। बेबो भी मेरे साथ लेटी हुई अपनी सांसों को काबू में आने का इंतजार करती थी। कुछ देर तक ऐसे ही पड़े रहने के बाद हम दोनों उठकर अपने कपड़े ठीक करते और फिर सोफे पर बैठकर आराम से नार्मल बातें करनी शुरु कर देते जैसे कुछ हुआ ही ना हो।

मैं धीरे से बेबो से पूछता कि कैसा लगा तो वो बोलती- जीजू! बहुत अच्छा लगा। बहुत मजा आया। सचमुच मैं तो आपकी दीवानी बन गई हूँ।
मैं उससे कहता कि चलो कल फिर करेंगे।
तो बेबो बोलती-अब आप जब चाहें ये सब कर सकते हैं। मुझे कोई एतराज नहीं होगा।

यह सुन कर मैं खींच कर उसे अपनी गोद में लिटा लेता। मैं सोफे के एक कोने पर बैठा होता और बेबो मेरी गोद में लेटी होती। फिर मैं अपने जलते हुऐ होंठ बेबो के होंठों पर रख देता। फिर मैं उसके नरम-नरम होंठों को अपने होंठों मे भर कर चूसने लगता। बेबो भी मुझ से लिपट सी जाती। फिर मैं बेबो को किस करते-करते उसके बालों में हाथ फिराने लगता। फिर मैं उसके गालों पर हाथ फिराने लगता। फिर मैं अपने हाथ को नीचे ले जाकर उसके कुरते के ऊपर से उसके स्तनों को दबाने लगता। फिर मैं मजाक में उसके कान में कहता कि बेबो चलो एक बार फिर करते हैं।

यह सुनते ही वो एकदम छटक कर अलग हो जाती और बोलती- क्या जीजू! बड़े गन्दे हो आप। इतना सब कुछ हो गया। फिर भी चैन नहीं पड़ा है। अब सब्र रखो। दीदी उठने वाली होंगी। मैं चाय बना के लाती हूँ। फिर चलो लूडो खेलेंगे।

ये कह कर वो शरारत से अपना हाथ हिला कर बाय किया करती और फिर वो तेजी से किचन की ओर बढ़ जाती।

मैं सोफे पर बैठा-बैठा उसे जाते हुए देखता रहता। फिर मैं अपनी आँखें बंद करके मन ही मन यह सोच कर बहुत खुश होता था कि कैसे मैंने बेबो को अभी-अभी सोफे पर जम कर चोदा है। कुछ देर बाद बेबो चाय लाकर मेरे सामने वाले सोफे पर बैठ जाती और हम चाय की चुस्की लेते-लेते बातें करना और लूडो खेलना शुरु कर देते।
इस तरह मैंने अलग-अलग दिन कुल 5 बार मैंने बेबो के साथ सोफे पर सैक्सपिरियंस किया। इसके बाद मौका मिलने पर लगभग दो साल में मैंने कुल 9 बार अपने घर में, 3 बार बेबो के घर में और एक ही रात में 3 बार होटल के कमरे में बेबो के साथ खुलकर सैक्स किया।

दो साल बाद बेबो की शादी हो गई और आज वो दो बच्चों की माँ हैं। बेबो और उसके परिवार से हर साल दो या तीन बार मुलाकात जरुर होती है। फोन पर तो अकसर बात होती रहती है। लेकिन हम भूल कर भी अपने पुराने सैक्स के बारे में बात नहीं करते है। बेबो की शादी के बाद हमने मौका मिलने पर भी कभी सैक्स नहीं किया और शायद यही वजह है कि हमारे दिल में एक दूसरे के लिये प्यार आज भी है। सच्चा प्यार मरता नहीं है!

तो दोस्तो, कैसी लगी मेरी साली की चूत चुदाई कहानी! मुझे मेल करना मत भूलना! Antarvasna

Hindi Sex Stories

हम पति पत्नि दोनों ही गांव छोड़ Hindi Sex Stories कर नौकरी के सिलसिले में दिल्ली आ गये थे। मेरा देवर भी पढ़ाई के लिये हमारे साथ यहां आ गया था। मेरा देवर राहुल कॉलेज में था उसे सुबह जाना होता था और 12 बजे तक वापस आ जाता था। मैं दोनों का नाश्ता और खाना सुबह ही तैयार देती थी। राहुल सवेरे उठ कर मुझे जगा देता था, कई बार मैं कम कपड़ो में सोती थी, तब राहुल मुझे बहुत गौर से देखता रहता था। शायद वो मेरे बोबे निहारता था। अगर कभी कभी रात को पति से चुदाने के बाद मैं ऐसे ही सो जाती थी। मुझे अस्तव्यस्त कपड़ों में राहुल का मुझे ऐसे निहारना रोमांचित कर देता था। पर वो तो दिन भर अपने आप को इन चीज़ो से अनजान ही बताता था। वो भी जब कभी पेशाब करता था तो मौका देख कर लण्ड को ऐसे निकाल कर करता था कि उसका लण्ड मुझे दिख जाये। मैं भी उसके लण्ड की छवि मन में उतार लेती थी और वो मेरे मन में बस जाता था। अपने ख्यालो में मैं उस लण्ड से चुदती भी थी।

जब वो करीब 12 बजे दिन को लौटता था तो उसे खाना परोसते समय मैं झुक कर अपने स्तन के दर्शन जरूर कराती थी, वो भी तिरछी नजरों से मेरे सुडौल स्तनों का रसपान करता था। पजामे में से उसका लण्ड जोर मारता स्पष्ट दिखाई देता था।

जब दोनों तरफ़ आग लगी थी तो देरी किस बात की थी। जी हां … हमारे रिश्तों की दीवार थी, मेरी उम्र की दीवार थी … उसे तोड़नी थी … पर कैसे ??? देखने दिखाने का खेल तो हमने बहुत खेल लिया था … अब मन करता था कि आगे बढ़ा जाये, कुछ किया जाये … … शायद ऊपर वाले को भी हम पर दया आ गई थी … … यह दीवार अपने आप ही अचानक टूट गई।

दिन में खाना खा कर राहुल अपने बिस्तर पर लेटा था। मैं भी अपने कमरे में जा कर लेट गई थी। मन तो भटक रहा था। मेरे हाथ धीरे धीरे चूत पर घिस रहे थे। मीठी मीठी सी आग लग रही थी। मेरा पेटीकोट भी ऊपर उठा हुआ था। हाथ दाने को सहला रहा था। अचानक मुझे लगा को कोई है? मैंने तुरन्त नजरें घुमाई तो राहुल दरवाजे पर नजर आ गया। मैंने जल्दी से पेटीकोट नीचे कर लिया और बैठ गई। राहुल डर गया और जाने लगा … शायद वो कुछ देर से मुझे देख रहा था …

“ए राहुल … इधर आ … ” मैंने उसे बुलाया ” देख भैया को मत कहना जो तूने देखा है।”

“नहीं भाभी, नहीं कहूंगा … आपकी कसम !”

“ले ये 50 रु रख ले बस … !” मैंने उसे रिश्वत दी। राहुल की आंखे चमक उठी, उसने झट से पैसे रख लिये।

“आप बहुत अच्छी है भाभी … !” उसका लण्ड अभी भी उठान पर था, मुझे ये सब करता देख कर वो उत्तेजित हो चुका था।

“तुझे अच्छा लगा ना … ” मैंने शरम तोड़ना ही बेहतर समझा।

“हां … भाभी, पर आप भी मत कहना भैया से कि मैंने आपको ये सब करते हुये देख लिया है।”

मेरे जिस्म में सनसनी फ़ैल गई … तो सब इसने देख लिया है … मैं समझी थी कि बस थोड़ा सा ही देखा होगा। मुझे लगा कि अब राहुल मुझसे चुदाई के बारे में फ़रमाईश करेगा। पर हुआ उल्टा ही … राहुल की सांसे तेज हो गई थी … उसके चेहरे पर पसीना आ रहा था … राहुल मेरे कमरे से बाहर निकल कर अपने कमरे में आ गया। मुझे लगा कि आज मौका है, लोहा गर्म है, माहौल भी है … कोशिश कर लेनी चाहिये।

इसी कशमकश में 15 मिनट निकल गये। हिम्मत करके मै उठी और धीरे से उसके कमरे में झांका। वो किन्हीं ख्यालो में खोया हुआ था या उसे वासना की खुमारी सी आ रही थी। पजामे में उसका लण्ड खड़ा था और उसके हाथ उस पर कसे हुये थे। आंखे बन्द थी और वो शायद हौले हौले मुठ मार रहा था। शायद मेरे नाम की ही मुठ मार रहा था। आनन्द में मस्त था वो। मैं दबे पांव उसके बिस्तर के पास आई और उसके बालों पर हाथ फ़ेरा। उसने अपनी आंख नहीं खोली, शायद वो इसे सपना समझ रहा था। मैंने अपना होंठ उसके होंठो से मिला दिये और उसे चूमने लगी। वो तन्द्रा से जागा। उसके होंठ कांप उठे और अपने आप खुल गये।

” भाभी … आप … !” उसके हाथ मेरी कमर में आ गये, उसकी वासना से भरी आंखे गुलाबी हो रही थी।

“राहुल मत बोल कुछ भी … तू मुझे प्यार करता है ना … !” मैंने उसका लण्ड पकड़ लिया और दबाने लग गई, ताकि उसके इन्कार की गुन्जाइश नहीं रहे।

“भाभी … हाय मेरा लण्ड … मैं मर गया … मत करो ना … !” उसकी झिझक अभी बाकी थी। पर उसका लण्ड बहुत जोर मार रहा था।

“तू कितनी बार मुठ मारेगा … आजा आज अपनी कसर निकाल ले, कितना मोटा लण्ड है तेरा … !” उसके लण्ड को मैंने जबरदस्ती कस कर पकड़ लिया और उसे दबाने लगी। आखिर उस पर वासना सवार हो ही गई। उसने विरोध करना छोड़ दिया और लण्ड को मेरे हवाले कर दिया। मैं धीरे से उसके ऊपर चढ़ गई और उसे अपने जिस्म के नीचे दबा लिया। अपना पेटीकोट भी ऊपर करके नंगी चूत उसके पजामे में खड़े कड़क लण्ड के ऊपर रख दी और हौले हौले घिसने लगी। राहुल उत्तेजना से तड़प उठा। उसने मेरे कठोर स्तन थाम लिये और सहलाने लग गया। मेरे स्तन कड़े होते जा रहे थे। चूचक भी कड़क हो कर फूल गये थे। चूत से पानी रिसने लगा था। मेरे शरीर का बोझ उस पर बढ़ने लगा।

“राहुल पजामा उतार दे ना … हाय रे देख तेरे लण्ड की क्या हालत हो रही है।” मुझे चुदाने की जोर से इच्छा होने लगी थी। चूत में जोर की मिठास भरने लगी थी।

“भाभी, आप भी पेटीकोट उतार दो ना … मुझे आपका सब देखना है … ” उसकी बेताबी देखते बनती थी, लगता था कि राहुल की भी प्रबल इच्छा हो रही थी कि अपनी भाभी की मस्त चूत और गाण्ड की प्यारी प्यारी गोलाइयाँ देखे।

“सच राहुल … मेरी चूत देखेगा, … मेरी चूंचिया देखेगा … सुन, अपना लण्ड मुझे दिखायेगा ना !” मेरी बेताबी बढ़ने लगी। चूत का पानी साफ़ करते करते पेटीकोट भी गीला हो गया था।

“हां, मेरी भाभी … जो चाहोगी आप कर लेना।” राहुल नंगा होने को बेताब लग रहा था। उसकी कमर चोदने की स्टाईल में कुछ कुछ ऊपर नीचे हो रही थी।

मैंने धीरे से उसका पजामा उतार दिया। उसका मस्त तन्नाया हुआ लण्ड बाहर निकल कर झूमने लगा। थोडी सी गोल सी चमड़ी में से उसका सुपाड़ा झांक रहा था। मैंने उसका लण्ड पकड़ लिया और सहलाने लगी। उसकी सुपाड़े की चमड़ी खींच कर लाल सुपाड़ा बाहर निकाल लिया। उसकी स्किन लगी हुई थी , मतलब उसने किसी को नहीं चोदा था, फ़्रेश माल था। मेरा प्यार उस पर उमड पड़ा।

“राहुल, प्लीज अपनी आंखे बन्द कर लो, मुझे अब कुछ करना है … !” मैंने राहुल से वासनामय स्वर में कहा। राहुल ने चुपचाप अपनी आंखे बन्द कर ली। मैंने थूक का बड़ा सा लौन्दा उसके सुपाड़े पर रख दिया और उसे मलने लगी। उसके मुख से सिसकारियाँ फ़ूट पड़ी। मैंने अब झुक कर उसका मस्त लण्ड मुख में ले लिया और मुख में लण्ड अन्दर बाहर करके अपना मुख चोदने लगी। वो मस्ती में सिमट गया और … आहें भरने लगा।

“अपनी टांगे उठाओ राहुल … थोड़ी और मस्ती करनी है … !” मुझे उसकी गाण्ड को अंगुली से चोदने की इच्छा होने लगी।

“लो उठा ली टांगें … ” उसने अपनी टांगें ऊपर उठा ली। उसकी गाण्ड खुल गई।

मैंने उसकी गाण्ड को सहलाने लगी और दबाने लगी। उसकी गाण्ड के फ़ूल को छूने लगी और दबाने लगी। उसकी गाण्ड के छेद में थूक लगा कर एक अन्गुली धीरे से अन्दर सरका दी। राहुल चिहुंक उठा। धीरे धीरे अंगुली अन्दर बाहर करने लगी … राहुल झूम उठा।

“भाभी … आप तो सब कुछ जानती है … कितनी अच्छी है … कितना मजा आ रहा है … मेरा लण्ड रगड़ दो ना !” उसकी सिसकारियां बढ़ने लगी, आहें फ़ूट पड़ी।

“मजा आ रहा है ना … !” मैंने दूसरे हाथ से उसका लण्ड पकड कर मुठ मारना चालू कर दिया। पर ये क्या … वो टांगे समेट कर एठने लगा और उसका वीर्य छूट पड़ा। ढेर सारा वीर्य निकलता गया … मैंने फ़ुर्ती से लण्ड को अपने मुख में ले लिया और गटागट पीने लगी। उसकी गाण्ड में से अन्गुली निकाल ली। उसकी सांसे उखड़ रही थी। वो अब धीरे धीरे अपनी सांसें समेट रहा था, अपने आप को कन्ट्रोल कर रहा था।

अब कपड़े उतारने की मेरी बारी थी। मैं भी बेकाबू हो रही थी। मैं चाह रही थी कि वो भी मेरे जिस्म से खेले। मेरी चूंचियो को दबाये,, खींचे, घुमाये, मेरी चूत से खेले मेरी गाण्ड की गोलाईयाँ दबाये औए गाण्ड में मेरी ही तरह अंगुली करे। मैंने राहुल से कहा,” राहुल … अब आप भी अपनी इच्छा पूरी कर लो … कहो कहां से शुरू करोगे … ?” मेरे मुख से बोल नहीं वासना उमड़ रही थी।

“भाभी … मुझे तो आपके बोबे यानी चूंचियाँ बहुत जोरदार लगती हैं … जाने सपनो में कितनी बार दबा चुका हूँ।” राहुल ने शान्त स्वर में इकरार किया। और कुछ ही पल में उसने मेरे बचे खुचे कपड़े भी उतार दिये। उसने प्यार से मेरे मद मस्त बदन को निहारा और मेरे चूचियों को सहलाने लगा। मेरे कड़े चूचक उबल पडे। मेरे निपल को उसने घुमाना चालू कर दिया। मेरे मुँह से सीत्कार निकल पडी।

“राहुल … हाय … मसल दे रे मेरी चूंची … ” मैं झनझनाहट से तड़प उठी। मैंने प्यार से उसके चेहरे को चूम लिया। तभी उसका कुंवारा लण्ड धीरे धीरे खडा होता हुआ दिखने लगा। मैं तनमयता से लण्ड को एक्शन में आते देखने लगी। उसे देख कर मेरी चूत तड़प उठी। खड़ा होते होते उसका लण्ड फ़ुफ़कारें मारने लगा। मुझे लगने लगा कि बस अब राहुल मेरी चूत मार ही दे और मेरी चूत फ़ाड दे। लेकिन अभी उसके होंठो के बीच मेरे चूचक दबे हुये थे जिसे वो खींच खींच कर चूस रहा था या कहिये कि पी रहा था। उसमें से थोड़ा थोड़ा सा दूध आ रहा था।

अब उसके एक हाथ ने नीचे से मेरी चूत दबा दी। मैं हाय कर उठी … चूत के पानी से उसका हाथ गीला हो गया। अब धीरे धीरे बदन चूमता हुआ चूत की ओर बढ़ने लगा। मेरी चूत लपलपा उठी। कुछ ही क्षणों में मेरी फूली हुई चूत पर उसके होंठ जम गये थे। राहुल की जीभ बाहर निकल कर चूत के द्वार खोल कर कर अन्दर का रसपान करने लगी। मेरी कलिका फ़ुदक उठी, कठोर हो कर तन गई। जीभ का स्पर्श मुझे तेज मिठास दे रहा था। उब उसकी जीभ ने मेरी कलिका को होंठो के बीच दबा लिया था और उसको चूस रहा था। अचानक राहुल की एक अंगुली मेरी कोमल गाण्ड में घुस गई। और अन्दर बाहर होने लगी। ये सब कुछ मेरे सहनशक्ति के बाहर था । मेरे मुख से एक सीत्कार निकल पड़ी और उसके बालों को पकड़ कर मैंने उसके सर को अपनी चूत पर दबा दिया और अपना पानी उगलने लगी। मैं झड़ चुकी थी।

“हाय राहुल … मेरा तो दम निकल गया रे … मैं तो गई … आह्ह्ह्ह्ह् … मेरी मां री … …!! ” राहुल ने अपनी नशीली आंखों से मुझे देखा और मेरे ऊपर आ गया। मुझे चूमने लग गया।

“हाय मेरी भाभी, आप तो बडी मस्त हैं … काश आप मुझे पहले मिली होती … आपके नाम के कितनी बार मुठ मारी मैंने !”

” हां राहुल, मैंने भी तो कई बार तीन तीन अंगुलिया चूत में घुसेड़ कर कर पानी निकाला है तेरे नाम का … !”

” बस भाभी, अब देर ना करो … अपना भोसड़ा फ़ैला दो … मुझे अब अपनी मनमर्जी करने दो !” उसकी उत्तेजना बढ़ती देख मुझे भी मस्ती चढ़ने लगी। अब मुझे जी भर के चुदना था। मैंने अपनी दोनों टांगें फ़ैला दी और अपना भोसड़ा चौड़ा दिया। पर उसकी मंशा कुछ और ही थी। उसने मुझे एक झटके में उल्टा कर दिया।

“भाभी, मेरा लण्ड तो आपकी गोल गोल लचकदार गाण्ड देख कर फ़ूलता है … पहले इसका नम्बर लगाऊंगा !” मुझे पता था कि उसका लण्ड अभी कुंवारा है, चोदने का अनुभव भी नहीं है अभी तो … फिर गाण्ड क्या मारेगा।

“देख अभी नहीं, बाद में गाण्ड मार लेना … अभी तो अपने लौड़े से मेरी चूत मार दे …! “

” नहीं भाभी … पहले गाण्ड का मजा, मेरा तो गाण्ड को देख कर ही माल निकल जाता है … प्लीज!”

मेरे गाण्ड का फ़ूल अब दबने लगा। उसने अपना लण्ड पकड़ा और उसने अपना सुपाडा खोला और थूक लगा कर हाथ से लण्ड को छेद पर फिर से दबाने लगा। मेरी गाण्ड नरम थी और गाण्ड मराने की मैं अभ्यस्त थी, सो छेद खुला हुआ था और बड़ा भी था। उसका सुपाड़ा मेरे छेद में अन्दर आकर फ़ंस गया। राहुल ने मर्दानगी के स्वर में कहा,”भाभी, तैयार हो ना … लो ये मेरा मोटा लण्ड … ।” और उसने पूर जोर लगा कर लण्ड अन्दर पेल दिया।

मुझे मस्ती आ गई … और राहुल के मुख से चीख निकल गई। उसका पूरा लण्ड अन्दर तक बैठ गया था। मैंने तुरन्त ही गाण्ड सिकोड़ ली ली और उसके लण्ड को कैद कर लिया। मुझे पता था अब वो तड़पेगा, दर्द से कराहेगा। मुझे वही मजा लेना था।

“बस … बस … हो गया … अब ऐसे ही रहना … तू तो सच्चा मर्द है रे … ! देख एक ही झटके में मेरी गाण्ड मार दी।” उसे शायद मेरा मर्द कहना अच्छा लगा। उसने अपनी चीख अब बन्द कर दी। मेरी पीठ पर अब वो लेट गया। मैंने अपनी गाण्ड के छेद को फिर से ढीला कर दिया।

“राहुल एक और मर्द वाला शॉट लगा दे बस … ” मैंने उसकी मर्दानगी जगाई। भला वो पीछे रहने वाला था। उसने एक जोरदार झटका मारा, फिर एक चीख निकल गई। पर उसने सहन कर ली। मैंने अपने पांव और खोल कर उसे राहत दी। वो भी अपनी मर्दानगी दिखाते हुए अब कमर चलाने लगा। मेरी गाण्ड चुदने लगी। मैंने मस्ती में आंखे बन्द कर ली। मुझे उसकी तकलीफ़ से कोई मतलब नहीं था। बस सटासट चुद रही थी। मेरी गाण्ड में लौड़ा लेने की पुरानी आदत थी सो गाण्ड हिला हिला कर उसका लण्ड गाण्ड में भरने लगी। शायद अब उसे भी मजा आने लगा था। उसका जलता हुआ गरम लौड़ा गाण्ड में मिठास भर रहा था। पर शायद उसे अब चोदने की लग रही थी। मेरे चिकनी चूत का मजा लेना चहता था। सो उसने अब अपना लण्ड गाण्ड से निकाल कर मेरे भोसड़े में घुसा दिया। उसे भी आराम मिला चिकनी चूत में। मुझे भी एक गहरा सा आनन्द दायक मीठा तेज मजा आया। ये चुदाई का मजा था। चूत में लण्ड जब घुसता है तो जन्नत नज़र आ जाती है। मैंने अपनी ग़ाण्ड थोड़ी ऊपर कर ली और चूत में गहराई तक लण्ड लेने लगी।

“राहुल, मेरे मर्द, लगा और जोर से, जड़ तक फ़ाड़ दे मेरे भोसड़े को … साली बहुत प्यासी है …! “

“मुझे मर्द कहा, मेरी भाभी … तुझे आज मर्द का पूरा मजा दूंगा भाभी … ले मेरा लण्ड और ले … “

“हाय रे … मैं मर गई राहुल … पेल और पेल … दे और दे … मैं मर जाउंगी मेरे राजा … “

उसका लण्ड अपने पूरे शबाब पर था, गहराई तक चोद रहा था। मेरी चूत का पानी निकल कर लण्ड को पूरा गीला कर चुका था, और फ़च फ़च की मधुर आवाजें कमरे में गूंजने लगी।

“जोर मार मेरे राजा … आह्ह्ह … मजा आ रहा है … लगा और जोर से … हाय रे … मर गई रे … ”

“हां, भाभी … मस्त मजा आ रहा है … आपकी चूत ने तो आज मेरे लण्ड को स्वर्ग दिखा दिया … हाय रे … ले और ले मेरा लौडा … “ उसकी गति भी बढ़ती जा रही थी और मुझे सारे बदन में वासना की मीठी मीठी तड़प बढ़ती जा रही थी। सारी दुनिया मेरी चूत में सिमटी जा रही थी। मेरे पूरे जिस्म में तूफ़ान आ आने वाला था। मैं होश खोती जा रही थी। राहुल का शरीर मुझ पर कसता जा रहा था। अचानक उसकी रफ़्तार बढ़ गई। मेरी सिसकारी निकल पडी। और मैं कसमसा उठी। मेरे जिस्म ने मेरा साथ छोड़ दिया और मेरा पानी चूत से छूटने लगा। उसके हाथ मेरे बोबे पर कस गये और उसके तन्नाये हुये कड़क लण्ड ने भी मेरे चूत के अन्दर अपना लावा उगलना आरम्भ कर दिया। मेरी चूत ने और उसके लौड़े ने एक साथ जोर लगाया। उसका लण्ड मेरी चूत की गहराई में जाकर अपना रस छोड़ रहा था, झटके खा कर वीर्य मेरी चूत में भरता जा रहा था। मैं भी चूत का जोर लण्ड पर लगा रही थी और अपना पानी निकालने में लगी थी। दोनों ही झड़ते जा रहे थे और आनन्द में मगन हो रहे थे। अब राहुल ने अपना बोझ मुझ पर डाल दिया और उसका लण्ड सिकुड़ने लगा। अपने आप ही वो चूत से बाहर निकल गया।

हम दोनों ही चुदाई से तृप्त हो कर एक दूसरे को प्यार से देख रहे थे और चूमते जा रहे थे। अचानक मेरी नजर उसके लण्ड पर पडी, उसमें सूजन आ चुकी थी, ऊपर की चमड़ी कहीं कहीं से फ़ट चुकी थी। मुझे उसकी मर्दानगी पर गर्व था।

“राहुल, तू तो सच्चा मर्द निकला रे … अब आ तेरे लौड़े की ड्रेसिन्ग कर दूं !” मुझे उस पर दया भी आई। पर मुझे उससे आगे भी चुदना था सो उसे मर्द कह कह कर उसे जोश भी दिलाना था, कुछ ही देर में मैंने उसके लण्ड को साफ़ करके उस पर एंटीसेप्टिक क्रीम लगा दी। राहुल मर्द के नाम पर एक बार तो फिर चोदने के लिये तैयार हो गया, पर मैंने उसे प्यार से समझा दिया और अपनी गोदी में उसका सर रख कर उसे प्यार करने लगी। Hindi Sex Stories

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