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Massage Girl in Bhagalpur: Premium Relaxation Services

Our site can help you find a professional massage girl in Bhagalpur who will help you relax in the best manner possible. We connect you with professional therapists who can offer you a massage that will make you feel better and more relaxed. The pros on our list are ready to provide you with a fantastic experience at your house or in one of their particular spots, whether you want to relax or get away from it all.

Introduction

Massage is currently one of the finest methods to relax your mind, body, and overall health. Our website makes it easy to locate the top massage services in Bhagalpur that meet your demands. This will be a one-of-a-kind and calming experience for you.

Tottaa wants to make it simple for clients to find the top masseuse. The Bhagalpur massage service providers on our list offer the greatest quality, comfort, and competence, whether you want a full-body massage or a massage for a particular location.

How Tottaa Helps Advertisers Reach More Customers

Tottaa is not only a list of masseuses, it’s also a secure location for them to show off what they can do. People in Bhagalpur who are seeking massage services may find them on our website. This makes them easier to find and gets them more appointments.

Advertisers may simply put up profiles, offer their services, and talk about pricing and discounts on our sites. This makes sure that the relevant people notice your Bhagalpur massage service, which makes it easier to obtain more customers.

Different Types of Massages We Offer

There are a lot of different types of massage services on our site, so you may choose one that works for you. You may choose the kind of treatment that works best for you, whether it’s profound rest or a particular type of therapy.

1. Swedish Massage

A calm and gentle way to ease muscular tension and improve blood flow. This Bhagalpur massage is perfect for you if you want to relax and forget about your concerns.

2. Deep Tissue Massage

This approach employs a lot of pressure to get to deeper muscle layers. It’s helpful for folks who have muscular discomfort or stiffness that won’t go away. There are specialists on our profiles of massage girls in Bhagalpur who are good at deep tissue treatments that function effectively.

3. Aromatherapy Massage

Calming massage strokes and essential oils are beneficial in making people feel improved both emotionally and physically. Most massage companies in Bhagalpur employ the use of custom oil preparations to make you feel good.

4. Thai Massage

A therapy that wakes you up by using a mix of regular massage, stretching, and compression. This traditional massage in Bhagalpur helps you relax, become more flexible, and get your mind and body back in harmony.

5. Hot Stone Massage

Heated stones are placed on various parts of the body to help with deep muscular tightness. People who want to feel good, relax, and help their muscles recover quickly can use this massage service in Bhagalpur

How to Book Our Massage Services

Tottaa makes it simple and fast to book. With our listings, you can see what kind of massage you want, read about the providers, see that they are free and then contact them directly. After you choose, you can book a massage in Bhagalpur at your convenient time and location. In order to get your desired massage services, apply the following simple steps:

Step 1: Browse Our Listings

Take a peek around our site to view a few massage professionals. Each listing gives you information about the many sorts of massages, how long they last, how much they cost, and where they are situated. This makes it easier to choose the finest ones.

Step 2: Compare and Shortlist

Examine the profiles carefully to compare how the services, talents, and reviews posted by customers differ. This phase makes sure you choose a business that has the style, pricing, and supply you desire.

Step 3: Connect with the Provider

When you have decided, use the information that you are offered so that you can contact them directly. One can communicate it to the massage giver thus making it understood what massage you want at what time and when.

Step 4: Confirm the Appointment

The date, time and place of the service, which could be your home, a hotel or the spa where the therapist may be found. You also need to agree on the payment method and any other accords prior to commencement of the course.

Step 5: Relax and Enjoy Your Massage

All you have to do on the day of the appointment is have your area ready for the house visit. The remainder will be handled by the expert. Take it easy and enjoy a massage that is made just for you.

Frequently Asked Questions

To locate a professional who can meet your needs, read our biography, reviews and advertising.

Yes, many of the therapists on our site will come to your house so you may feel safe and at ease.

You may pick based on talents since most adverts provide their qualifications in their profiles.

It would be advisable to make a reservation earlier to guarantee that you would be able to get a massage, particularly against the prevalent services of massage.

Not at all. Tottaa exclusively connects users with service providers. The doctor gets to choose how to handle payment.

Read Our Top Call Girl Story's

Antarvasna

मेरा नाम जय है, मैं Antarvasna पचमढ़ी का रहने वाला हूँ, मेरी उम्र 26 वर्ष है। मैं बहुत ही मिलनसार और सेक्सी हूँ। मेरा लंड काफी बड़ा और आप कह सकते हैं कि बस मस्त है। मेरे दोस्तों का कहना है- सिंधन की चूत, पंजाबन का दूध, हिमालय की ठण्ड और जय का लंड इनका कोई मुकाबला नहीं है।

मैं आज से 5 साल पहले भोपाल आ गया क्योंकि मुझे भोपाल में अच्छा लगता है। मैंने पंचशील नगर में कमरा किराये पर लिया। नीचे मकान मालिक और ऊपर मेरा कमरा, मेरे बाजू में एक और किरायेदार, जो ड्रायवर था, पति पत्नी रहते हैं। मेर कमरे में बाथरूम नहीं था तो मैं मकान मालिक का बाथरूम इस्तेमाल करता हूँ और मेरे कमरे की खिड़की से बाथरूम की झलक देखी जा सकती है जो मेरा टाइम पास हो गया है।

मालिक बैंक मैंनेजर है, उसके दो लड़के हैं बड़ा बाहर ही रहता है, छोटा लड़का मेरी उम्र का, नाम राकेश है, नशा भी करता है। उसके बाद सबसे छोटी उसकी लड़की मीनू जो स्कूल में पढ़ती है, रंग गोरा, भरपूर बदन, गोल-गोल मोटी गांड, बड़े-बड़े बोबे और मेरी सबसे बड़ी कमजोरी!

मैं भोपाल आकर घर को बहुत याद करता था क्योंकि वहाँ खूब चुदाई करता था। यहाँ कोई जुगाड़ ही नहीं, बस मुठ ही मारते रहो।

जब भी मैं नहाने जाता, नंगा होकर खूब नहाता और मीनू की ब्रा और पेंटी से खूब खेलता। उसे पहनकर नहाता और कभी कभी उसे लंड में फँसाकर मुठ मारता। पैसे की मेरे पास कमी नहीं है, घर से खूब आते रहते हैं। मैंने मकान मालिक को बताया कि मैं पढ़ाई करता हूँ। कुछ दिन ऐसे ही गुजरते गए, कभी कभी मीनू को, कभी उसकी माँ को मैं बाथरूम में देखता, पूरा तो दिखता नहीं था पर जितना दिखता था मेरे मौसम बनाने के लिए काफी था।

मैं होम थियेटर लाया। मीनू को गाने सुनने का बहुत शौक था। जब भी उसके पसंद का गाना बजता, वो ऊपर मेरे कमरे के पास घूमती रहती और गाने सुनती या बाजू वाली भाभी के पास बैठती। पड़ोस में एक ही पड़ोसी के कारण मेरी उनसे अच्छी दोस्ती हो गई। मैं भाभी के कमरे में और कभी भाभी मेरे कमरे में घंटों बातें करते।

मैंने धीरे धीरे भाभी से भैया को न बताने की कसम देकर शादी के पहले उनके दोस्त से उनकी चुदाई की पूरी कहानी पूछ ली।

भाभी ने मुझसे पूछा तो मैंने कहा- अभी कोई मिली नहीं!

भाभी से मेरी खूब गन्दी गन्दी बातें होने लगी। मैंने सोचा क्यों न भाभी को ही चोद लिया जाये।

एक दिन मैंने बातें करते करते भाभी के बोबे दबा दिए। भाभी ने ज्यादा कुछ नहीं कहा तो मैं भैया के जाने के बाद खूब बोबे दबाता और भाभी को गर्म करता।

एक बार मैंने भाभी के बोबे खूब दबाये और उसकी साड़ी के अन्दर जबरदस्ती उसकी चूत में ऊँगली डाल दी। भाभी की चूत गीली हो गई। मैंने भी ऊँगली अन्दर-बाहर की और भाभी की चूत के चने को रगड़ दिया तो भाभी तो कोयल जैसे कूकने लगी। मैंने सोचा- बेटा जय! आज तेरा उपवास खुल गया!

मैंने अपना लंड बाहर निकाला और भाभी को पकड़ा दिया।

भाभी ने कहा- यह तो तुम्हारे भैया के लण्ड से भी ज्यादा पहलवान है।

रगड़ा पट्टी में भाभी झड़ गई और हिला हिला कर मेरा मुठ मार कर वीर्य निकाल दिया और बोली- यह तो रो रहा है।

मैंने 5 मिनट तक कुछ नहीं कहा और फिर से लंड खड़ा करके बोला- भाभी, लो यह लड़ने के लिए तैयार है! अब जीत कर बताओ!

भाभी बोली- तुमसे क्या जीतना, मैं तो तुमसे हारना चाहती हूँ, मगर यह मैं नहीं कर सकती क्योंकि मेरे पेट में बच्चा है।

मैं उदास हो गया।

मुझे देखकर भाभी ने मेरा लंड पकड़कर मुँह में भर लिया और चूसने लगी। मैं तो पागल सा हो गया। कभी किसी ने मेरा लंड नहीं चूसा था। मेरे मुँह से सिसकारी निकलने लगी। मैंने लंड छुड़ाना चाहा पर भाभी कहाँ मानने वाली थी। पूरी आइसक्रीम चूस कर ही दम लिया। लेकिन लंड की भूख तो चूत से ही मिटती है, भाभी के गर्भवती होने के कारण सब लफड़ा हो गया।

मैं अपने कमरे में गया और सो गया।

दूसरे दिन भैया के जाते ही भाभी से गपशप चालू हो गई। मैंने कहा- भाभी, मीनू तुम्हारे घर आती है, उससे दोस्ती करा दो!

भाभी ने कहा- यह तो मेरे बाएँ हाथ का खेल है।

भाभी ने अगली दोपहर मीनू को घर पर बुलाया और मुझ से मिलाया। मीनू से मेरी दोस्ती की बात कही।

उसने सोच कर बताने को कहा और अगले दिन हाँ कर दी।उसकी हाँ सुनते ही मैं मीनू की चुदाई के सपने देखने लगा। कभी उसको स्कूल से घुमाने ले जाता, मैं उसे चूमता तो उसे बुरा लगता।

अब हम दोनों हमारे ही कमरे में मिलने लगे। मीनू का जन्मदिन आया, वो सुबह ही मेरे कमरे में आई और मुझे चूम लिया।

मैंने भी उसे बर्थ डे की बधाई दी और पूछा- तुम्हें क्या तोहफ़ा चाहिए?

मीनू ने कहा- तुम जो भी प्यार से दोगे, मैं ले लूंगी।

मैंने फिर से पूछा, उसने फिर वही कहा।

मैंने कहा- अपनी बात से मुकरोगी तो नहीं?

उसने कहा- बिल्कुल नहीं!

मैंने भी देर न करते हुए कहा- मैं अभी गिफ्ट देना चाहता हूँ।

मैंने मीनू हाथ पकड़कर खींचा और बिस्तर पर पटक लिया। वो सुबह सुबह नहा कर आई थी, बाल खुले थे, टॉप-स्कर्ट पहने हुए थी।

मैं उसके ऊपर चढ़ गया और उसके बोबे पहली बार दबाये।

मीनू सिसककर बोली- यह क्या कर रहे हो?

मैंने कहा- गिफ्ट दे रहा हूँ।

इस पर मीनू बोली- ऐसे भी गिफ्ट देते हैं?

मैंने कहा- अभी तुम ही ने कहा था कि मैं बुरा नहीं मानूंगी, जो भी देना चाहो, दे देना।

मैं तो सो कर उठा था, तो सिर्फ चड्डी में था। मेरा सामान तो सुबह सुबह ही टन्ना गया।

मैंने समय ना गंवाते हुए उसके बोबे दबाना जारी रखा और मुँह में जीभ डालकर किस करने लगा। मीनू दो ही मिनट में अंगड़ाई लेते हुए मेरा साथ देने लगी। बोबे दबाते हुए उसकी टॉप हटा दी, ब्रा के हुक भी खोल दिए और स्कर्ट खींच कर अलग कर दी। मीनू सिर्फ पेंटी में गजब लग रही थी।

उसके बोबे के गुलाबी-गुलाबी चुचूकों को मैंने अपने मुँह में ले लिया और चूसने लगा। मीनू कराहने लगी। चूसते चूसते उसकी पेंटी में ऊँगली डाली, उसकी झांटों में उन्गली घुमाते हुए मैंने अचानक उसकी चूत में घुसा दी।

मीनू उन्ह आंह आइंह कर रही थी, उसकी चूत से चिकना चिकना पानी निकल रहा था।

मैंने चड्डी अलग की और मीनू की चूत में लंड रगड़ने लगा। रगड़ते रगड़ते उसके कन्धों को पकड़कर ज्योंही लंड मीनू की चूत में एक ही झटके में आधा घुसा, मीनू चिहुंक उठी और धक्का देने लगी। मैंने भी लंड चूत की रगड़ा पट्टी चालू रखी उसकी चूत को घिस डाला, पूरा लण्ड अन्दर बिठा दिया।

अब मीनू मुझे कस कर पकड़े थी और मैं उसे बस चोदे जा रहा था। वो आइया उम्नह आहा ओई कर-कर के चुदवा रही थी।

मैंने उसको उस दिन दो बार चोदा, बड़ा मज़ा आया पर एक बात अखरी कि मीनू की चूत से खून नहीं निकला। मेरे पूछने पर भी वो अंजान बनी रही। खैर मुझे क्या!

उस दिन के बाद में दो साल तक जब भी मौका मिलता, मीनू को खूब चोदता!

भाभी को चुदाई की मिठाई भी खिलाई।

पर अब मीनू की पिछले साल शादी हो गई है और अब मैं भाभी को चोदकर काम चला रहा हूँ।

मेरी कहानी आपको कैसी लगी? Antarvasna

Sex Stories

रात के साढ़े ग्यारह बज रहे Sex stories थे, होस्टल सुनसान सा हो गया था, मैं बैठ के कुछ पढ़ रही थी तो पड़ोस के रूम में रहनेवाली सोनू आयी।सुनीता भी सोयी नहीं थी। सोनू सुन्दर थी और बातें बहुत अच्छी अच्छी करती थी। मैने उसे देखके चोंक गयी क्योंकि वो सिर्फ़ एक हाफ़ पैंट और ब्रा में थी। मैने कहा, “क्या हुआ सोनू, कपड़े कहां गये?” तो वो हंसी और सुनीता बोली ये तो उसकी नाइट ड्रेस है। वो सीधी गयी औरसुनीता के साथ बैठके बातें करने लगी और मैने अपनी पढ़ाई पर ध्यान दिया। वो दोनो हंस रही थीं, थोड़ी देर बाद सोनू बोली, “क्या यार हमेशा पढ़ती रहती है? क्या कलेक्टर बनने का इरादा है?” मैने अपनी किताब को बंद करके बोली “नहीं अभी सोने जा रही हूं, सुबह स्कूल में बच्चों के एक्ज़ाम जो लेने है?” वो फिर हंसती हुई बोली, “तू तो ऐसे पढ़ रही थी मानो बच्चों का नहीं तेरा एक्ज़ाम हो।”

मैं रूम से बाहर आ गयी थी गरमी थी इसीलिये नहाने का सोचा, तो सुनीता बोली, तबियत खराब हो जायेगी, पर सोनू बोली नहाले, मैं नहाने चली गयी। मैं जरा देर तक नहाती हूं। तो शायद आधे घंटे में मैने नहाना खत्म करके रूम में आयी तो सोनू थी। मैने कहा, “कल ओफ़िस नहीं है तुम्हारा? इतनी देर हो गयी अभी तक सोने नहीं गयी।” वो मुझे देखके बोली, “तुम नहाके और भी सुन्दर लगती हो। हाय ये कपड़े उतार दो और यहां आ जाओ ऐश करते है। कल की किसको पड़ी है, जो भी है आज ही है।” मैने हंस दी और बोली “आप लोगों को और कोई काम धंधा है के नहीं?

रात के बारह बजा चुके है और नींद नही है?”

पर जैसे ही मैं मुड़ी और अपने कपबोर्ड से नाइटी निकालने गयी तो सोनू पीछे से आके मुझे जकड़ लिया और राजकुमार स्टाइल में बोली, “जानेमन आज तो हम ऐश करेंगे ही करेंगे।” मैं थोड़ी देर उसे देखी और शरमाती सी बोली, “हाय मैं मर जाउंगी जी।” सब हंस पड़े।

मोना आके दरवाज़े की कुंडी लगा दी और अपने कपड़े खोल दिये, वैसे भी सुनीता बहुत ही सुन्दर थी, इसलिये मुझे बहुत पसंद थी। सोनू बिस्तर के नीचे से एक किताब उठाके लायी, जिसमें लेस्बियन के फोटो थे। और मैने कुछ कहना नहीं था, हम तीनो एक साथ गले मिलने लगे। और एक दूसरे को कस के पकड़ लिया।सुनीता सोनू को किस करने लगी तो सोनू के हाथ मेरे स्तनों पे आ गये और जैसे कि मैने पहले भी कहा था मेरे स्तन काफी सेंसिटिव हैं, इसलिये मैं सिकुड़ सी गयी, तोसुनीता मेरी छाती को चाटने लगी और सोनू मेरे बायें स्तन को अपने मुंह में लेके चूसने लग गयी। और मुझे बिस्तर पे लिटा के दोनो मेरे छाती से सिमट गयी थी।

दोनो मुझे चूस रही थी। तो मैने अपने एक हाथ सेसुनीता की ब्रा का हुक को खोल दिया और उसका स्तनो को हाथों में लेके मसलने लगी। सोनू बहुत तेज़ थी, जैसे हीसुनीता मेरे स्तनो को जोर जोर से चाटने चूसने लगी सोनू नीचे गयी और मेरी चूत पे अपने जीभ रख दिया और मैं जल गयी। वो इतनी अच्छी चूसेगी मैने कल्पना नहीं की थी, वो मेरी चूत को चूसती रही चूसती रही औरसुनीता उठके गयी और सोनू की हाफ़ पैंट तो नीचे खींच ली और उसकी चूत से लिपट गयी। ये मेरे साथ पहली बार हो रहा था के हम तीन थे और तीनो चूस रहे थे चुसवा भी रहे थे। मैनेसुनीता की चूत पे मुंह डाला और चूसने लगी।सुनीता एक बार बोली के चूत के ऊपर जो छोटी सी एक उंगली जैसी चीज़ होती है उसको क्लाइटोरिस कहते हैं और उसको चूसने में मज़ा आता है, तो मैं कहां रुकने वाली थी, मैने अपनी जीभ से ही उसकी स्लिट को चाटने लगी तो वो जोर जोर से सिसकियां लेने लगी। सोनू बोली, “क्या सारा मज़ा तु ही लेगी क्या? अब पोजिशन बदल देते हैं, कहके वोसुनीता की चूत पे चली गयी और पानी चूत को मेरे सामने दे दी।

मोना की चूत बहुत चिकनी है क्योंकि वो हमेशा उसके बाल साफ़ कर देती थी, सोनू के चूत में छोटे छोटे बाल थे पर उस समय जो मज़ा हमें आ रहा था उसमें जो भी करे अच्छा लगता था। सोनू की क्लाइटोरिस बहुत बड़ी थी और मेरे मुंह में जैसे ही मैने उसे अपने जीभ और दांत से काटा तो वो करांह उठी और बोली, “हाय, ये क्या कर दिया तूने मेरी तो जान ही निकाल दी।” पर मैने चूसना जारी रखा।सुनीता मेरी चूत को चाट रही थी और मेरी स्लिट को ढूंढ रही थी शायद पर नहीं मिल रही थी। तो वो अपनी उंगली मेरी चूत में घुसेड़ने लगी। मरे बदन में कम्पन हुआ, मैने पूरी थरथरा गयी। और सोनू को जोर जोर से चूसने लगी। आधे घंटे के बाद, निचली मंजिल से उषा दीदी पुकारी, “मोना। सो गयी क्या?” तोसुनीता ने चूसना छोड़ के उठ गयी और सोनू भी। बाहर जाकेसुनीता नीचे खड़ी उषा दीदी से बातें करने लगी थी के सोनू बोली, “उसे जाने दे, हम करते हैं, बस और थोड़ी देर फिर में चली जाउंगी”।

हम दोनो ६९ में हो गये और एक दूसरे को चूसने लगे। मैने एक उंगली सोनू की चूत में डालना चाहा लेकिन उसने मना कर दिया। मैने पूछा क्या हुआ तो बोली, “नहीं, इसके अन्दर कुछ मत डाल, ये मेरे पति के लिये है, सिर्फ़ वो इसमें अपना लौड़ा डालेगा।” मैं हंस दी और जोर जोर से चूसने लगी। लेकिन सोनू के चूसने में जो मज़ा मुझे आ रहा था, मुझे यूं लग रहा था मानो मेरे अन्दर से कुछ निकल जायेगा, उषा दीदी बोली थी कि सेक्स करने के बाद चूत से पानी निकलेगा, पर मेरे साथ ऐसा कभी नही हुआ था। इसलिये पता नहीं था, पर उस रात, सोनू की जीभ ने वो कमाल कर दिया और मुझे लगा जैसे मेरी चूत में से पानी निकल रहा है।

मैं दीवानी सी हो गयी और सोनू को चूसने लगी तो वो भी थरथरा गयी और थोड़ी देर बाद शायद उसका भी पानी निकल गया। हम दोनो उठे और बाथरूम जाने लगे। वहां अपने आप को साफ़ करते हुए बोली, “सोनू, तूने ये ठीक नहीं किया मेरे साथ, अगर ये सब करना था तो पहले बता देती तो मुझे दो बार नहाना नही पड़ता न?” वो हंसी और बोली, “तो नहाने में तुझे थकान लगती है क्या, तो चल मैं तुझे नहला देती हूं।” और उस रात उन्होने मुझे नहला दिया। रात को रूम में आते आते नीचे सेसुनीता बुला रही थी, “आभा आभा, नीचे आ उषा दीदी बुला रही हैं।”

मैने कमरे का दरवाज़ा बंद किया और नीचे गयी तो उषा दीदी के रूम में सीडी चल रही थी, और सिर्फ़ उषा दीदी औरसुनीता ही थी वहां। रात के एक बजने वाले थे और मुझे सुबह स्कूल भी जाना था इसलिये मैने ऊपर जाने को कहा तो उषा दीदी बोली, “यहीं सो जा मैं सुबह तुझे उठा दूंगी।” Sex stories

फिर उसके बाद क्या हुआ ये अगले हिस्से में लिखूंगी।

प्रेषक – सेक्सी Hindi Sex Stories

कुछ दिनों पहले हमारी पुरानी Hindi Sex Stories कामवाली भगवान को प्यारी हो गई। तो मम्मी ने एक नई कामवाली रख ली, जिसका नाम रोहिणी है। पुरानी कामवाली तो एक बुढ़िया थी, लेकिन रोहिणी एक जवान नेपालिन थी। उसका पूरा बदन काफी छरहरा था। विशेषकर उसकी कमर बहुत ही पतली और लचीली थी। उसके चूतड़ देखकर ही उन्हें मसलने का दिल करता था। उसके होंठ काफी भरे हुए थे। उसका बदन बिना किसी हेयर-रिमूवर के ही बिना बालों के, चिकना था। हालाँकि उसकी चूचियाँ कुछ ख़ास नहीं थीं मेकिन फिर भी उनमें एक अजीब सा आकर्षण था। जब भी वह काम कर रही होती तो मैं उसकी पसीने से भींगी हुई पीठ देखा करता था।

धीरे-धीरे मुझे वह अच्छी लगने लगी (मेरा मतलब उसका जिस्म भाने लगा।)। लेकिन वह सामान्यतः बड़ा रूखा व्यवहार करती थी। वह मुझे उस नज़र से नहीं देखती थी जिस नज़र से मैं उसे देखा करता था। इसलिए मैं मन-ही-मन उसे अपने जाल में फँसाने की तरक़ीब सोचता रहा और अन्ततः एक दिन मुझे सही तरक़ीब मिल ही गई। शाम का समय था, मेरे सिवा घर के सभी लोग सो रहे थे। रोहिणी काम कर रही थी। मैंने सोचा अपनी चाल चलने का यह सही समय है। रोहिणी हमारे बाहर की गैलरी में झाड़ू लगा रही थी। मैं चुपके से गया और १०० रुपए का एक नोट फर्श पर गिराकर छिप गया। झाड़ू लगाते-लगते जब रोहिणी की नज़र १०० के नोट पर पड़ी, तो उसने आस-पास देखा और वह १०० का नोट उठाकर अपनी ब्लाऊज़ में डाल लिया।

इस पर मैं एकदम से बाहर आ गया और उससे कहा, “मैंने सब देख लिया है, तुमने मेरा १०० का नोट उठा लिया है, तुमने चोरी की है।”

इसपर वह घबरा गई, “जी? मम्म्म…मैंने… तो कुछ नहीं… उउउ?उउ?ठाया”

“झूठ मत बोलो, मैंने तुम्हें नोट उठाते हुए अपनी आँखों से देखा है, मैं अभी मम्मी को बुलाता हूँ।”

“ऐसा मत करो!… मेरी नौकरी चली जाएगी।”

“तुम्हारे साथ ऐसा ही होना चाहिए।”

“मुझे माफ़ कर दीजिए! आईंदा ऐसा फिर कभी नहीं होगा।”

“बिल्कुल नहीं, मैं मम्मी को बुलाता हूँ, तुम्हारी नौकरी जाएगी, बदनामी होगी तभी तुम्हें अक्ल आएगी।”

“देखिए, मेरी बद़नामी होगी तो मुझे कोई भी नौकरी नहीं देगा।”

“तो मैं क्या करूँ?”

“मुझे माफ़ कर दीजिए।”

“क्यों माफ़ कर दूँ?… इससे मुझे क्या मिलेगा?”

“तुम्हारा अहसान होगा! मैं ग़रीब आपको क्या दे सकती हूँ?”

“तुम्हारी नौकरी बच सकती है अगर तुम मेरे कुछ काम कर दो तो!” – मैंने पासा फेंक दिया था।

“यहाँ कोई हमारी बातें सुन लेगा, तुम काम करने के बाद छत पर आ जाओ।” – मैंने आगे कहा

“ठीक है।”

फिर रोहिणी कुछ ही देर में छत पर आ गई।

“हाँ! क्या कह रहे थे तुम?” – आते ही उसने पूछा।

“अगर तुम मेरे लिए कुछ काम कर दो तो तुम बद़नाम और बेरोज़गार होने से बच सकती हो।”

“कैसे काम?”

“मेरी ज़रूरत पूरी कर दो।”

“कैसी ज़रूरत?”

“मैं बहुत प्यासा हूँ! आज बुझा दो मेरी प्यास।”

“तुम्हारा मतलब है, मैं तुम्हारे साथ वो गन्दे काम करूँ? देखो, यह बात ठीक नहीं है।”

“हाँ, और जो तुमने १०० रुपयों की चोरी की, क्या वह बात ठीक है? देख लो… सोच लो… मुझे मम्मी को.. और मम्मी को पूरे मुहल्ले को इकट्ठा करने में समय नहीं लगेगा।”

यह कहकर मैं उसके बद़न के बहुत क़रीब आ गया, “देखो, मुझे तुम्हारी सबसे अच्छी चीज़ तुम्हारी कमर लगती है! वैसे तो तुम पूरी तरह चिकनी हो, पर तुम्हारी कमर कुछ ज्यादा ही चिकनी है।”

“एक काम करने वाली तुम्हें चिकनी लगती है?”

“हाँ… मुझे अपनी कमर चूमने दो, तो शायद मैं तुम्हारी चोरी की बात भूल जाऊँ।”

“क्या…? मेरी कमर चूमना चाहते हो?… ठीक है, लेकिन फिर १०० रुपये वाली बात किसी से नहीं कहोगे?”

“नहीं कहूँगा… तुम यहाँ लेट जाओ।”

“ठीक है… लेकिन ज़रा ज़ल्दी करना… कहीं तुम्हारे घर वालों में से कोई जाग ना जाए।”

वह फिर लेट गई और मैं उसकी कमर चूमने लगा। फिर मैंने उसकी नाभि चाटनी शुरू कर दी – “तुम ज़रा उल्टी हो जाओ, मुझे तुम्हारी पीठ बहुत अच्छी लगती है – ख़ास कर जब पसीने में भींगती हो तो…”

“हाय रब्बा…, तुम मुझे छुप कर देखते रहते हो क्या?”

“हाँ!” – मैं उसकी पीठ चाटने लगा। उसे पसीना आ रहा था और मैं उसका पसीना चाट रहा था।

“तुम्हारा पसीना बहुत स्वाद दे रहा है।”

“तुम कैसे हो? तुम्हें मेरा पसीना अच्छा लग रहा है?”

“हाँ.. अब तुम सीधी लेट जाओ।”

“लो… सीधी लेट गई! जल्दी करो>”

“अपनी साड़ी का पल्लू हटाओ।”

“नहीं। तुमने कहा था कि तुम कमर चूमोगे।”

“मम्मी को लगाऊँ आवाज़ और बताऊँ कि तुमने चोरी की है।”

“नहीं… नहीं… हटाती हूँ पल्लू।”

फिर उसने अपना पल्लू हटा दिया, मैंने उसका पूरा पेट चाटना शुरू कर दिया। मुझे लड़कियों की काँख बहुत आकर्षित करतीं हैं, बड़ी अच्छी लगतीं हैं। मैंने उसके पेट पर हाथ फेरा और कहा – “चलो, अब अपनी बाँहें ऊपर करो।”

“क्या? तुम तो बहुत अजीब हो… लो।”

मैं उसके ब्लाऊज़ के ऊपर से ही उसकी काँख चाटने लगा, उसकी ब्लाऊज़ काफ़ी गहरे गले की थी।

“तुम्हारी ब्लाऊज़ इतने गहरे गले वाली क्यों है?

“क्या है?”

“मतलब तुम्हारी ब्लाऊज़ मे इतनी गहराई क्यों है?”

“मुझे ऐसे ही अच्छे लगते हैं।”

“और मुझे तुम्हारी ब्लाऊज़ की गेन्दें अच्छी लगतीं हैं। चलो अपनी ब्लाऊज़ उतारो और मुझे उनसे खेलने दो।”

“तुम बहुत आगे बढ़ रहे हो।”

“इसे तुम अपनी चोरी की सज़ा समझ सकती हो! आज मैं जो कहता हूँ, करो तो मैं किसी से भी कुछ नहीं कहूँगा।”

“ब्लाऊज़ के हुक सामने ही लगाए हैं, खोल लो।”

फिर मैंने उसकी ब्लाऊज़ के हुक खोल दिए। उसमें से मेरा १०० रुपयों का नोट निकला – “ये रहा मेरा १०० का नोट।”

“इसे मेरे पास ही रहने दो। आख़िर इसकी वज़ह से ही तो यह सब करवा रही हूँ।”

उसने ब्रा नहीं पहन रखी थी। मैं उसकी चूचियाँ अपने हाथों से मसलने लगा। अब उसको भी मज़ा आने लगा था – “मसलोगे भी, या चूसोगे भी? लेकिन जल्दी।”

मैंने उसकी घुण्डियों को मुँह में लिया और चूसने लगा – “आआआआहहह… चूसो। चूसो इन्हें.. दबाओ… मसल डालो। आहह्ह्ह्हहहह।”

कुछ देर तक तो मैं उसकी घुण्डियाँ चूसता रहा। फिर उसने ख़ुद ही मेरा सिर पकड़ कर अपनी साड़ी ऊपर कर के, मेरा सिर अपनी टाँगों के बीच रख दिया – “असली जगह तो यहाँ है। चूसो मेरी योनि को… चाटो इसे।”

“नहीं, पहले तुम अपनी साड़ी उतार दो। मैं तुम्हारे चूतड़ देखना चाहता हूँ।”

“साड़ी नहीं उतारूँगी।” मैं साड़ी पूरी ऊपर कर लेती हूँ। लेकिन तुम मेरी योनि चूसते रहो।”

“क्या सिर्फ मैं ही चूसूँगा? तुम मेरा कुछ भी नहीं चूसोगी?”

“ओफ्फ्फोह। पहले तुम मेरी योनि चूसो, फिर मैं तुम्हारा हथियार चूस दूँगी।”

“नहीं, हम दोनों एक साथ चूसेंगे।

“वो कैसे?”

फिर हम दोनों 69 की मुद्रा में आ गए।

“आहह… आहह्ह्ह। तुम मेरे राजा हो। मेरी योनि के राजा।”

“तेरी योनि और गाँड पर सौ-सौ के सौ नोट क़ुरबान।”

काफ़ी चूसने के बाद वो बोली – “बस राजा बस… अब डाल दो अपना हथियार मेरी चूत में, और मार लो मेरी।”

मैंने अपना लंड उसकी चूत में डाल दिया। उसकी चूत काफ़ी सँकरी थी।

उईईई माँआआआआ… मर गईईईई… ओओओहहहह… ओओह। इतना मोटा लण्ड मेरी नाज़ुक चूत में डाल दिया… थोड़ा धीरे-धीरे डालो।”

“मेरी रानी की चूत कितनी टाईट है।”

“आआहहह…. आआआ.. . मेरे राजा… मेरी गाँड इससे भी अधिक टाईट है।” – उसने मुझे आँख मार कर कहा।

फ़िर बाद में मैंने उसकी गाण्ड भी मारी ! Hindi Sex Stories

प्रथम भाग से आगे : Sex Stories

‘रागिनी, अब Sex Stories बहुत देर हो चुकी है.. तुम भी जानती हो कि अब हम दोनों के लिए रुकना नामुमकिन है.. अब इस मौके का फायदा उठाओ और मजा लो.. इसी में दोनों की भलाई है!’ कहते हुए मैंने उसे पकड़ा और उसके पेटीकोट का नाडा खींच दिया..

पेटीकोट नीचे खिसका.. अब उसने अपनी गांड उठाते हुए पेटीकोट को चूतड़ से निकाल दिया.. उफ्फ्फ्फ्फ़.. उसके वो भरे-गदराये चूतड़.. पतली कमर पर टिके हुए वो गोल गोल गोरे चूतड़.. मैंने उन पर हाथ फेरते हुए पेटीकोट को नीचे किया.. और…

रागिनी ने पैंटी नहीं पहनी थी.. मैं तो जैसे पलक झपकाना भूल गया..और मेरी तो आँखे फटी रह गई.. क्या चूत थी.. दो केले के खंभे जैसी जांघों के बीच में गोरी चूत.. एक भी बाल नही.. मुझे मेरी आँखों पर विश्वास नहीं हो रहा था कि यह किसी 35 साल की औरत की चूत है.. उभरी हुई.. और चूत की सिर्फ़ दरार दिखा रही थी..

मेरी बीवी की चूत तो काली होने लगी थी चुदवा चुदवा कर.. लेकिन यह तो जैसे किसी 20 साल की लड़की की कुंवारी चूत मेरे सामने थी..

मैंने जैसा सोचा था उससे कहीं ज्यादा सेक्सी चूत थी.. जैसे ही मेरी नज़र उसकी चूत को घूरने लगी.. उसने शरमाते हुए सर झुकाया और अपनी चूत को हाथों से ढक लिया। उसकी गुलाबी चूत मुझ से कुछ इंच दूर थी, मैंने धीरे से उसके हाथ हटाये और चूत पर मेरे होंठ रख दिए..

उसके बदन की थरथराहट मैंने महसूस किया… उसके मुँह से.. ओह्ह.. निकला… उसकी चूत से पानी बाहर बह रहा था.. और जैसे ही मैंने उसके पैरों को फैला कर मेरी जीभ चूत की गुलाबी फांक के अन्दर डाली।

‘आह.. ह.ह.ह.ह.हह… सं.ज.ज..ज…य… य..य.य.य… म..त. क..रो…ओह.. हह.ह.ह.ह.. मै..म..र.. जाऊँ..गी..ई..ई…’ मैं उसकी चूत को फैलाकर मुँह से फूँक मार रहा था.. जीभ से उसका रस चूस रहा था..

और वो- हे भगवान्… ये क्या.. हो..रहा.. मुझे… ऐसा पहले..कभी नहीं हुआ..’ वो मेरे चेहरे को और ज्यादा अपनी चूत के ऊपर दबा रही थी..’संजय.. मत त..ड़..पा..ओ… आह.. उफ़.. स्.स्.स्.स् .स्.स्.स्.स्…’

इधर मेरा लंड मानो मेरा बरमूडा फाड़ कर बाहर निकल आयेगा इस तरह उछल रहा था.. मैंने खड़े हो कर अपना बरमोडा खोल कर उसे नीचे किया अन्दर मैंने अंडरवियर नहीं पहना था. इसलिए मेरा लंड उछल कर एकदम से बाहर निकाल आया और सीधा रागिनी के मुँह के सामने डोलने लगा।

रागिनी को इस रूप में देख कर मेरा लंड फटा जा रहा था.. उसकी फूली हुई, रस भरी चूत और उसके नितम्ब की मांसलता से मैं बेकाबू हो रहा था… मेरे लंड को इस तरह बाहर आते देख कर अचानक रागिनी के मुँह से निकल गया- बाप रे! कितना लंबा और कितना मोटा है तुम्हारा.. मुझे संगीता ने कभी नहीं कहा कि वो इतना मजा लेती है!’

उसके चेहरे पर आश्चर्य झलक रहा था।

मैंने कहा ‘रानी.. आज तुम भी इसका मजा लो!’

उसने जल्दी से मेरे लंड को अपने दोनों हाथों से पकड़ा और वो उसके सुपारे से घूँघट खोल कर उसे ऊपर नीचे करने लगी। सुपारा भी बहुत फूल गया था और उसके मुँह से लार टपक रही थी। रागिनी मेरे लंड को बहुत आहिस्ता आहिस्ता सहला रही थी.. उसने मेरी तरफ़ ऊपर देखा और मुस्कुराते हुए उसने सुपारे पर चूम लिया और जीभ निकाल कर सुपारे का स्वाद लेते हुए अपना मुँह खोल कर उसे मुँह के अन्दर लेने का प्रयास करने लगी…

लेकिन यह उसके बस की बात नहीं थी.. फ़िर भी किसी तरह उसने पूरे सुपारे को अपने थूक से गीला कर दिया था… फ़िर किसी तरह उसने सुपारा मुँह के अन्दर ले लिया और अन्दर बाहर करने लगी..
मैंने उसका सर पकड़ कर धक्के लगाने शुरू किए.. मेरे लंड में अब तनाव बहुत ज्यादा बढ़ गया था… मैं अपना लावा उसके मुँह के अन्दर ही निकाल दूंगा, ऐसा महसूस हुआ..
लेकिन मैं ऐसा नहीं करना चाहता था.. मैं मेरे लंड को उसकी चूत के अन्दर डाल कर उसकी जबरदस्त चुदाई करना चाहता था.. अपना सपना आज सच करना था मुझे.

मैंने उसके मुँह से लंड बाहर निकालते हुए कहा- रागिनी.. रुक जाओ… और लंड बाहर निकालते ही मैंने उसके होंठो को चूम लिया.. उसने मुझे अपनी बांहों में ले लिया..

वो मेरे कान के पास फुसफुसाई- संजय.. मुझे बेड पर ले चलो.. जहाँ तुम संगीता को ऐसे नंगी कर के प्यार करते हो!’

मैंने उसे बांहों में उठा लिया.. उसका वज़न 50 किलो से ज्यादा ही होगा.. फ़िर भी मैंने उसे गोद में उठाया और बेड पर ले जाकर पटक दिया। बेड पर उसने अपने पैर फैला दिए.. मैंने उसे खींच कर बेड के किनारे पर लिया… उसके पैर नीचे लटक रहे थे.. उसके नितम्ब के नीचे एक तकिया रखा उसकी उभरी हुई चूत और ऊपर हो गई..

मैं झुका और मैंने उसकी गुलाबी चूत पर फ़िर से अपने होंठ रख दिए.. इतनी प्यारी चूत मैंने आज तक नहीं देखी थी। मैंने अब तक 8-10 कुंवारी चूतों की सील भी तोड़ी है और शादीशुदा की तो गिनती ही मुझे याद नहीं.. लेकिन रागिनी की चूत सबसे अलग थी.. दो बच्चों की माँ की चूत इतनी प्यारी.. मुझे पूरा विश्वास था कि इसकी चूत चोदने में किसी कुंवारी चूत से कम मजा नहीं आएगा…

मैंने उसके पैर फैलाये और नीचे अपने पंजों पर बैठ कर उसके जांघ मेरे कंधे पर रखते हुए अपनी जीभ फ़िर से उसकी रसीली चूत में लगा दी.. स्लर.र.र.प.प.प. . स्लर.र.र.प.प.प की आवाज़ करते हुए मैं उसके बहते हुए नमकीन पानी को चूसते हुए मेरी जीभ की नोंक उसकी चूत में गोल गोल फिरते हुए मथने लगा।

रागिनी अब बहुत गरम हो रही थी.. अपनी चूत को मेरी जीभ से एकदम चिपका रही थी.. तीन-चार मिनट बाद वो चिल्लाई.. ओह्ह.ह.ह.ह. सं.ज ज ज य य य य…ओह्ह..माँ.. तुम सच में बहुत सेक्सी हो.. संगीता.. किस्मत वाली है.. आह्ह.. अब.. डाल दो…ओ.ओ. . और मुझे अपने ऊपर खींचने लगी..

मैंने पूछा- क्या डाल दूँ..?
उसने कहा- मत सताओ.. मैं जल रही हूँ.. तुम्हारा ये डाल दो मेरी वाली में..’

मैं अब उसे तड़पाना चाहता था.. मैंने कहा- किसमें क्या डालना है? उसका नाम बोलो ना?’
उसने कहा- मुझे शर्म आती है.. मेरे मुँह से गन्दी बात मत कहलवाओ!’
मैंने कहा- यह गन्दी बात है? तुम जब तक नहीं कहोगी मैं कुछ नहीं करूँगा..

और मैं ऊँगली से उसकी चूत के उभरे दाने को दबाते हुए रगड़ने लगा.. चूत फड़कने लगी थी.. मैंने ऊँगली अन्दर डाली और उसकी चूत के अन्दर का ज़ी-स्पॉट को ढूंढ कर उसे कुरेदा..
रागिनी अब रुक नहीं सकती थी.. उसने चीखते हुए कहा..सं.. ज.ज.ज. य.य.य… मुझे मा..र.. डा.लो..गे.. क्या.. आ..आ.आ… करो ना..
मैंने कहा- तुम बोलो जल्दी से..

अब मैंने खड़े हो कर लंड को अपने हाथ में पकड़ा और सुपारे को सहलाते हुए मसलने लगा..

उसने अपने पैर फैलाते हुए चूत का मुँह खोला.. लेकिन मैं खड़ा रहा।

‘क्या हुआ?’ उसने पूछा।
मैंने कहा- तुम कहो ना..!
अब उसने कहा- अपना लंड मेरी चूत में डालो और चोदो मुझे..

उसका इतना कहना था कि मैंने लंड को उसकी चूत के छेद पर रखा और दो-तीन बार ऊपर नीचे रगड़ा और छोटे से लाल सुराख़ पर रखा.. उसकी चूचियों को एक हाथ से सहलाते हुए मैंने हल्का सा लंड को अन्दर दबाया। उसने अपने पैरों को थोड़ा और फैला दिया ताकि मेरा मोटा लंड अन्दर जा सके.. लेकिन सुपारा चूत के गीलेपन से अन्दर फिसल कर फंस गया.. उसकी चूत मुझे बहुत कसी हुई लगी..

मैंने जैसे ही मेरे कमर को सख्त करके और अन्दर दबाया तो वो हल्के से चीख उठी.. उई..ई.ई.ई… धीरे.. बहुत मोटा है…

मैंने उसके स्तन को दबाते हुए उसे प्यार किया और लंड को अन्दर धकेलता रहा.. गीली चूत में लंड फिसलता हुआ जा रहा था.. लेकिन उसकी चूत फ़ैल रही थी और उसे दर्द हो रहा था यह उसके चेहरे से पता चल रहा था..

मैंने अब लंड को थोड़ा पीछे खींचा.. और उसके जाँघों को कस कर पकड़ते हुए पूरी ताकत से लंड को अन्दर धकेला.. मेरा लंड उसकी चूत को पूरा चीरता हुआ.. सर.. र.रर.र.से अन्दर फिसला और रागिनी अब अपनी चीख नहीं रोक पाई.. म..र.. ग..ई.. इ.इ.ई.ई.ई.ई… इ.ई.ई.ईई.ई.. मेरा लंड उसकी चूत में गहराई में घुस चुका था और अन्दर उसकी बच्चे दानी से टकराया था..

मैं पूरा लंड अन्दर डाल कर रुक गया.. ताकि उसका दर्द थोड़ा कम हो जाए और उसकी चूत को मेरे मोटे और लंबे लंड की आदत हो जाए।

थोड़ी देर बाद उसका दर्द कम हुआ.. उसने मेरी तरफ़ देखा और मुस्कुराई- संजय.. बहुत लंबा और बहुत मोटा है तुम्हारा लंड.. इतना दर्द तो मुझे सुहागरात में भी नहीं हुआ था.. और इतना भीतर तक आज तक कुछ नहीं घुसा’

मैंने पूछा- मोहन (उसका पति) का छोटा है क्या’?

उसने कहा- तुम्हारे लंड का आधा भी नहीं होगा.. इसीलिए तो मुझे इतनी तकलीफ हो रही है.. ऐसा लग रहा है चूत एकदम भर गई है.. और किसी तेज़ धार वाले चाकू के काट कर तुमने लंड को अन्दर डाला है।’

मैंने कहा- अच्छा लग रहा है ना?’

उसने हाँ में सर हिलाया.. मैंने उसके होंठो को चूमा और अब मैंने आहिस्ता-आहिस्ता लंड को अन्दर बाहर करना शुरू कर दिया..

अब उसके गदराये नितम्बों में हाथ लगाते हुए मैंने उसे और ऊपर उठाया और धक्कों की गति बढ़ाने लगा.. उसके मुँह से आह..ऑफ़..चोदो संजय.. अपनी बीवी की सहेली को चोदो.. हाँ उफ्फ्फ क्या लंड है..आह्ह..

अब वो अपनी चूत से मेरे लंड को कसने लगी थी.. मेरे गोटियाँ उसके गांड और चूतड़ पर टकरा के ‘थाप..थाप..थपाक’ की आवाज़ निकल रही थी.. उसके गोरे गोरे.. चिकने चूतड़ और ऊपर उठाते हुए मैंने उसके पैर उसकी चूचियों तक मोड़ दिए और लंड और गहराई में पेलने लगा.. मैं लंड को पूरा बाहर खींच रहा था, सिर्फ़ सुपाड़ा अन्दर रहता था.. और वापिस पूरा अन्दर डाल देता था.. मेरी स्पीड बहुत बढ़ गई थी..

तभी रागिनी चिल्लाई- संजय और जोर से.. हाँ.. जोर से. आह्ह.. आह्ह..मैं.. गई..ई.ई.ई..ई…

इस तरह चीखते हुए उसने अपने चूतड तीन-चार बार जोर से हवा में उछाले और शान्त पड़ गई.. मैं समझ गया कि वो झड़ गई है.. उसकी चूत से बहुत सारा पानी निकला.. मेरे लंड को अपने गरम गरम पानी से नहला दिया.. उसका पानी निकलने से चिकनाई और बढ़ गई.. अब चूत से फच फच..फचाक की आवाज़ आने लगी..

रागिनी ने मुझे अपने ऊपर खींच लिया.. और अपनी बाहें मेरी पीठ पर कस दी. उसके लंबे नाखून मेरी पीठ में गड़ा दिए.. और नोंचने लगी. ..

मैं भी उसे जम कर चोद रहा था.. उसके मुँह से अब सिर्फ़ आह.. ओह्ह..उफ़.. श..श..स.. स.स.स.. ऐसी आवाजें और तेज़ साँस निकल रही थी…

मैं थोड़ा उठा तो उसने अपने पैर मेरी गर्दन से लपेट दिए..उसके चूतड़ मैंने हवा में उठा लिए और मेरा लंड अन्दर बाहर होने लगा.. मैं उसके मांसल चूतड़ों को अपनी उँगलियों से दबा रहा था.. मेरे नाखून उसे गड़ रहे थे। मेरा लंड पूरा उसकी गहराई तक जा रहा था। रागिनी अब मस्त हो चुकी थी.. अब तक उसकी चूत ने तीन बार पानी छोड़ दिया था..

अब मेरे लंड ने उसकी चूत को भरने की तय्यारी कर ली थी.. वो और मोटा और कड़क हो चुका था..

मैं उसकी गांड को दबाते हुए उसके होंठो पर झुका और उससे कहा- रागिनी मेरा होने वाला है..’

कहते हुए मैंने बहुत जोर से अपना लंड उसकी चूत की गहराई में धकेल दिया जड़ तक और उसे दबा कर पिचकारी से मेरा लावा उसकी चूत में डालने लगा.. मालूम नहीं कितनी पिचकारी निकली… लेकिन उसकी चूत पूरी भर गई.. और मेरे वीर्य की गर्मी से रागिनी फ़िर से झड़ गई. और मुझसे बहुत जोर से चिपक गई।

मैं भी उसके ऊपर लेट गया .. ऐसे करीब दस मिनट हम एक दूसरे से चिपके रहे.. मेरा लंड अभी भी उसकी चूत में था..हम दोनों एक दूसरे से लिपटे हुए गहरी साँस लेते हुए लेटे हुए थे। उसका नरम और गदराया बदन मेरी बांहों में था। मैं उसे हल्के-हल्के चूम भी रहा था। उसके सख्त उरोज मेरे सीने में दबे हुए थे।

मेरी बीवी को इस तरह सीने से लगाने पर उसकी चूचियाँ मेरे सीने में दब कर चपटी हो जाती है.. लेकिन रागिनी के खड़े स्तनाग्र मानो मेरा सीना भेद कर छेद कर देंगे। ऐसा महसूस हो रहा था कि दो गरम नरम कबूतर मेरे और उसके सीने के बीच में दबे हुए है.. ये सब मिल कर मेरे लंड को पूरा ढीला होने से रोक रहे थे.. वो आधा सख्त रागिनी की चूत में फ़िर से चुदाई के लिए तैयार हो रहा था।

मैंने अपना लंड बाहर निकाला.. उस पर मेरा और उसका दोनों का रस लगा हुआ था और उसकी चूत से भी मेरा क्रीम बहते हुए उसकी गांड की तरफ़ बह रहा था।

उसकी चूत एकदम लाल हो चुकी थी.. और मुँह भी खुल गया था… चूत थोड़ी फूल भी गई थी। मैं उसके वक्ष को अब हल्के से सहला रहा था.. थोड़ा उठ कर उसके रसीले होंठों को फ़िर से चूमा- रागिनी कैसा रहा यह अनुभव?’

‘बुरा नहीं था!’ उसने मुस्कुराते हुए कहा ‘लेकिन तुम्हारे इस मोटे और लंबे लंड ने मुझे आज पहली बार चुदाई का मजा क्या है, यह दिखा दिया।’ कहकर उसने मेरे लंड पर हाथ रखा और उसे दबाया।

‘रागिनी क्या पहली बार तुमने अपने पति के सिवा किसी दूसरे का लंड लिया?’
‘हाँ.. मैंने कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि मैं ऐसा कभी करुँगी… मैं सच कह रही हूँ।’
‘लेकिन अच्छा लगा ना?’

‘हाँ, बहुत अच्छा.. मुझे तो अभी तक विश्वास ही नहीं हो रहा है कि मैंने ऐसा किया है.. लेकिन अगर तुम यह बात गुप्त रखोगे तो मैं इसके बाद भी तुम्हारे साथ करने के लिए तैयार हूँ।’ कहकर उसने मेरे होंठो को चूम लिया.. फ़िर उठ कर बैठी..’मुझे बाथरूम जाना है..मैं अभी आती हूँ!’

और वो नंगी ही बाथरूम गई.. मैं उसके जाते हुए बदन को देख रहा था.. उसके नितम्ब और चूतड़.. पतली कमर उफ्फ्फ.. मैं उसके चूतड़ देख कर फ़िर से गरम हो गया.. चूतड़ों के बीच में लंड डाल कर घिसने का मजा ही कुछ और है…

उसके वापिस आते ही मैंने कहा ‘रागिनी मुझे तुम्हारे चूतड़ और गांड देखना है.. मैं वहाँ प्यार करना चाहता हूँ।’

‘मुझे पूरी नंगी कर के सब कुछ तो देख लिया तुमने!’

‘रागिनी तुम्हारे चूतड़ सच में किसी भी मर्द का लंड खड़ा कर देंगे। शायद तुम्हारे पीछे चलने वाले मर्द तो अपने पैंट में ही झड़ जाते होंगे!’ मैंने उसका हाथ पकड़ कर पास खींचा और उसका मुँह घुमा दिया और उसके चूतड़ पर हाथ फेरते हुए कहा।

‘अच्छा..!?’

मैं उसके चूतड़ सहला रहा था, उन्हें दबा रहा था। फ़िर दोनों चूतड़ों को दो हाथ से फैलाया.. ओह्ह उसकी गांड भी एकदम गुलाबी थी और चूतडों के बहुत अन्दर की तरफ़ यानि गहराई में थी। एकदम नाज़ुक सी गुलाबी गांड! मैं गांड का शौकीन नहीं हूँ.. लेकिन ऐसी मतवाली गांड देख कर मेरा लंड अपनी आदत बदलने के लिए तैयार हो गया।

मैंने उसकी गांड में एक ऊँगली डालने की कोशिश की.. वो चिहुंक उठी.. मैंने गांड फैला कर उसके छिद्र में थूका और ऊँगली को घुमाते हुए धीरे धीरे ऊँगली अन्दर करने लगा। आधी ऊँगली अन्दर जाते ही उसने कहा..’संजय वहाँ नहीं प्लीज़.. बहुत दर्द होगा.. ‘

मैंने पूछा- कभी किया है गाण्ड में?

उसने कहा- हाँ मेरे पति ने एक बार किया था, लेकिन बहुत दर्द की वजह से हमने फ़िर नहीं किया.. और उनका ज्यादा सख्त नहीं था इसलिए अन्दर भी नहीं गया।

मैंने उससे कहा- मैं भी कोशिश करता हूँ..

उसने कहा- नहीं.. प्लीज़.. तुम्हारा तो बहुत मोटा और लंबा है.. और ये सख्त भी है.. ये तो फाड़ कर अन्दर घुस जाएगा।

मैंने कहा- मैं धीरे धीरे करूँगा..

कह कर मैं रसोई में गया और वहाँ से मक्खन ले कर आया। मैंने उसकी गांड पर और अपने लंड पर बहुत सारा मक्खन लगाया। फ़िर उसके चूचियों पर भी लगाया और उन्हें चूसना शुरू किया.. उसे मैंने एक कुर्सी पर बिठाया, उसके पैर ऊपर अपने कंधे पर लिए और मैं उसके सामने पंजो के बल बैठा, उसकी चूत पर भी मक्खन लगाया और उसे चाटने लगा।

उसके चूत के दाने को मुँह में लेकर जैसे ही मैंने चूसना शुरू किया उसकी चूत से पानी निकलने लगा.. मक्खन और उसका पानी दोनों मैं जीभ से चाट रहा था.. और ऐसा करते हुए मैं एक ऊँगली उसकी गांड में डाल रहा था.. मक्खन लगा होने से अब ऊँगली आराम से अन्दर बाहर हो रही थी। मैंने फ़िर दो ऊँगली अन्दर डाली.. और गांड के छेद को बड़ा करने के लिए गोल गोल घुमाने लगा.. इस तरह रागिनी की चूत और गांड दोनों जगह एक साथ मैं गरम कर रहा था.. मेरे होंठो में उसकी चूत का दाना था.. जिसे मैं बहुत तेज़ी से चूस रहा था..

उसने मेरे बालों में हाथ फेरते हुए मेरे सर को अपनी चूत पर दबा लिया और..’आह..संजय..गई..मै..गईई..आह..आह्ह.. जोर से.. ओह्ह ऐसे मत चूसो.. मेरा.. हो जाएगा… ओह्ह.. ओह्ह.. सं..ज..ज..य..य… आ..आ.आ… आ.आह्ह..गई..ई. ई.ई.ई..स्.. स् स्.स्.स. ‘ करते हुए उसकी चूत ने पानी छोड़ दिया।

मैंने अपनी जीभ उसी चूत पर फेरते हुए गांड से ऊँगली निकाल ली और फ़िर उसकी चूत का पानी उसकी गांड पर लगाने लगा.. मेरा लंड तो फ़िर से खंभे जैसा खड़ा हो चुका था। मैंने खड़े होते हुए अपना लंड उसके मुँह के पास दिया, उसने मखन लगे लंड को दोनों हाथों से पकड़ा और अपना मुँह खोल कर अन्दर ले लिया .. पूरे लंड को उसने चाटा, फ़िर से मखन लगाया।

मैंने उसे खड़ा किया और बेड पकड़ कर झुकाया।

इस तरह खड़े होने से उसके चौड़े और उभरे हुए चूतड़ बहुत ही सेक्सी दिख रहे थे। गांड का छेद और चूत दोनों उभर आए थे। मैंने पहले उसके चूत और गांड दोनों पर लंड को बहुत अच्छे से रगड़ा और पहले मैंने उसकी चूत के ऊपर मेरा लंड टिकाया और उसकी पतली कमर को जोर से पकड़ कर दबाया.. मेरा लंड अन्दर घुसने लगा.. उसकी कसी हुई चूत मेरा लंड धीरे धीरे अन्दर ले रही थी.. दूसरे झटके में पूरा लंड अन्दर डाल दिया.. और मैं उससे चिपक कर उसकी चूचियों को मसलने लगा..

इधर मेरे लंड के हल्के हल्के धक्कों से रागिनी कराह रही थी- संजय बहुत भीतर घुस गया है.. इस पोज़ में और ज्यादा अन्दर तक घुसा दिया तुमने.. आह्ह. मैंने कभी ऐसा नहीं किया.. चोदो..

वो भी अपने चूतड़ पीछे धकेल कर मेरे लंड का स्वागत कर रही थी अपनी छोटी सी चूत में। अब मैंने थोड़ा ऊँगली में लिया और उसकी गांड के छेद में फ़िर से लगाया और ऊँगली अन्दर डाल कर घुमाने लगा.. गांड का छेद कुछ खुल गया था..

अचानक मैंने लंड पूरा बाहर खींचा और उसे गांड के छेद पर रखा.. रागिनी के कुछ समझने के पहले मैंने उसकी पतली कमर को पूरी ताकत से जकड़ कर एक धक्का लगा दिया..’भच्च’ की आवाज़ हुई और लंड का सुपारा गांड में घुस गया और रागिनी चीख कर छूटने का प्रयास करने लगी..

लेकिन मेरी पकड़ मज़बूत थी!

‘ओह्ह..मा..र. डा.आ.आ ला.आ..आ… स्.स्.स्.स्.स्.स्… निकालो..संजय..
मैंने कहा- रुको रानी..! अभी मजा आयेगा..!

और मैं उसके चूतड़ दबाने लगा.. लंड को भी दबाते हुए अन्दर धकेल रहा था.. मक्खन की वजह से उसकी टाईट गांड में लंड फिसल रहा था। मेरा लंड भी छिल रहा था.. आधे से ज्यादा अन्दर करने के बाद मैंने अब लंड को हल्के से आगे पीछे करने लगा..

रागिनी की आंखों से आंसू निकल आए थे. लेकिन जैसे जैसे लंड अन्दर जा रहा था उसे मजा आने लगा था.. अब मैंने देर करना उचित नहीं समझा और लंड को बाहर खींच कर जोर का धक्का दिया और पूरा लंड जड़ तक उसकी गांड में समा गया..

रागिनी फ़िर से चीखी और सामने की तरफ़ गिरने को हुई तो मैंने सामने हाथ बढ़ाया और उसकी चूचियों को थाम लिया.. पूरा लंड अन्दर निकल कर मैं उसकी गांड मार रहा था.. अब मैंने गांड और चूत दोनों को एक साथ चोदने का इरादा किया.. और लंड को गांड से निकाला और एक ही धक्के में चूत के अन्दर डाल दिया फ़िर वैसे ही चूत से बाहर निकला और गांड में एक धक्के में अन्दर पूरा लंड डाल दिया..

इस तरह से एक बार गांड में फ़िर एक बार चूत में.. मैं मेरे लंड से रागिनी को चोद रहा था.. अब उसे भी मजा आ रहा था..

वो कहने लगी- शादी के 15 साल में चुदाई का ऐसा मजा मुझे नहीं मिला।’

मैंने कहा- रानी तुम्हारी गांड और चूतड़ इतने सुंदर हैं कि मेरे जैसा मर्द जो कि गांड का शौकीन नहीं है उसे भी आज तुम्हारे गांड में लंड डालने का दिल हो गया!’

उसने पूछा- सच! मेरे चूतड़ इतने सुंदर हैं?’
मैंने कहा- सुंदर कहना तो कम होगा.. ये खूबसूरत और बहुत ही उत्तेजक हैं।’

कहते हुए मैं उसकी गांड और चूत चोदने लगा… करीब बीस मिनट से ज्यादा हो गया था।

रागिनी कहने लगी- मेरे पैर दुःख रहे हैं..
मैंने कहा- ठीक है!

मैंने लंड बाहर निकला और सामने रखी कुर्सी पर बैठ गया.. उस कुर्सी में बाजू के हत्थे नहीं थे..

मैंने रागिनी से कहा- अब तुम अपनी चूत मेरे लंड के ऊपर रखो और दोनों पैर मेरे पैरों के साइड में फैला लो.. मेरी तरफ़ मुँह करके बैठो..

उसने कहा- नहीं संजय.. इतने मोटे पर मैं नहीं बैठ पाऊँगी.. बहुत दर्द होगा.. और मैंने ऐसा कभी किया भी नहीं..

मैंने उसे अपने पास खींचा और कहा- तुम आओ तो..

वो दोनों पैर फैला कर मेरे लंड के ऊपर आई..

मैंने कहा.. अब अपने छेद को इसके ऊपर रखो..

उसने वैसा ही किया..

मैंने उसकी कमर पकड़ी और उसे बैठाने लगा..

जैसे ही सुपाड़ा अन्दर गया वो खड़ी होने लगी.. नहीं संजय.. ऐसे में ये बहुत अन्दर घुस जाएगा.. कितना लंबा और कड़क है..

मैंने उसे उठाने नहीं दिया.. और अब उसके चुचूक मेरे मुँह के सामने थे.. मैंने एक को मुँह में लिया और नीचे से धक्का दिया.. और उसकी कमर को नीचे दबाया.. मेरा लंड ‘गप्प्प’ से पूरा अन्दर घुस गया.. मैंने दूसरा हाथ उसकी गांड के पास लगाया.. गांड का मुँह अब खुल गया था.. मैंने उसके होंठ अपने होंठों में लिए और उसे चूतड़ों से पकड़ कर उसे मेरे सीने से चिपका लिया..

दोस्तो, इस आसन में चुदाई का मजा ही अलग है।

मैं उसके होंठ चूस रहा था और वो आहिस्ता आहिस्ता अपनी गांड उठा कर चूत में लंड अन्दर बाहर कर रही थी.. मैं कभी उसके होंठ.. कभी चूची और कभी उसके कंधे चूमता..

इस पोज़ में 5-7 मिनट में ही वो झड़ गई..

अब मैंने उसे वैसे ही गोद में उठाया.. क्यूंकि मेरा लंड भी अब झड़ने वाला था.. उसे फ़िर से बेड के किनारे पर लिटाया.. कुर्सी से बिस्तर तक जाते हुए लंड उसकी चूत में ही था। बेड के किनारे पर उसे लिटाकर उसके पैर मेरे कंधे पर लिए और फ़िर तो मैंने दस मिनट तक उसकी चूत का बुरा हाल किया.. और आख़िर में लंड को उसकी चूत के अन्दर गहराई में रख कर एक मिनट तक पिचकारी मारता रहा.. मुझे लगता है उस वक्त मेरे लंड ने जितनी पिचकारी निकली होगी उतनी पहले कभी नहीं निकली..

उसके बाद मैं थक कर उसके ऊपर ही लेट गया। उसकी चूत मेरे लंड को निचोड़ रही थी और मेरे साथ वो भी झड़ गई थी…

मैंने उसे पकड़ कर बेड के ऊपर ले लिया वो मेरे सीने पर थी.. लंड चूत में!
मैंने उसे चूमते हुए कहा- आई लव यू रागिनी! मैं बहुत दिनों से तुम्हें पाना चाहता था!’

वो मुस्कुराई और कहा- मैं यह तो नहीं कहूँगी कि मैं तुम्हें पाना चाहती थी.. लेकिन आज के बाद जरुर तुम्हें हमेशा पाना चाहूंगी। तुमने मुझे सेक्स का जो मजा दिया है उससे मैं अनजान थी.. और इसमे इतना मजा है यह मुझे पता ही नहीं था।’ कहते हुए उसने मुझे चूम लिया।

‘तुम खुश हो न संजय? तुमने जो चाहा, वो मैंने तुम्हें दिया.. ज़िन्दगी में पहली बार मैंने पीछे से सेक्स का मजा लिया.. तुम पहले मर्द हो जिसने मेरे पीछे वाले में अपना ये मोटा वाला पूरा अन्दर डाला।’

‘मेरी रानी रागिनी, मैं खुश ही नहीं खुशकिस्मत हूँ जो तुम्हारी लाजवाब चूत और मस्त गांड में मेरे लंड को जगह मिली।’

उसके बाद करीब एक घंटा हम दोनों वैसे ही नंगे पड़े रहे.. फ़िर वो उठी और बाथरूम गई.. वहाँ से बाहर आ कर उसने कपड़े पहने..’संजय, मुझे लगता है कि मैंने जरुरत से ज्यादा वक्त यहाँ बिता दिया है, अब मैं चलूंगी!’

‘काश तुम और रुक सकती.. शायद तुम ठीक कहती हो .. किसी को शक करने का मौका नहीं देना चाहिए..’

मैं भी उठा .. बाथरूम में गया। रागिनी ने ड्रेसिंग टेबल पर मेरी बीवी के मेकअप के समान से अपना हुलिया ठीक किया.. मैं बाथरूम से नंगा ही साफ़ करके बाहर आया तो वो तैयार थी.. मैंने उसे फ़िर से बांहों में लिया और किस किया.. उसने मेरे लंड को पकड़ कर सहलाया.. मैंने उसे बताया कि संगीता अभी और दो हफ्ते नहीं लौटेगी..

उसने कहा- अब घर पर नहीं! कहीं बाहर.. और तुमने मेरी जो हालत की है मैं वैसे भी दो-तीन दिन कुछ नहीं कर पाऊँगी.. जानते हो मैं वहाँ हाथ लगा कर धो भी नहीं पा रही हूँ.. बहुत दर्द हो रहा है और बहुत फूल गई है.. वो तो अच्छा है मेरे पति महीने में एक बार ही करते है वो भी कभी कभी.. इसलिए जब मैं ठीक हो जाऊँगी तो तुम्हें कॉल करुँगी..

मैंने घड़ी देखी .. अब ऑफिस आधे दिन के लिए ही जा सकता था।

मैंने देखा रागिनी की चाल भी बदल चुकी है.. थोड़ा लंगडा रही थी.. शायद गांड मारने की वजह से.. पैर भी फैला के चल रही थी.. फ़िर भी वो दरवाजे तक गई.. दरवाजा खोला .. और कहा..’थैन्क यू!’ और मुस्कुराकर चली गई..

दोस्तो, मैं उस दिन की हर घटना को सपना समझ रहा था। लेकिन दो दिन बाद ही रागिनी का फ़ोन आया कि आज बच्चे आज अपने मामा के घर गए है और पति भी टूर पर हैं तीन दिन के लिए, इसलिए ऑफिस से सीधे मेरे घर आ जाओ..

उस रात की कहानी आपके मेल मिलने के बाद! Sex Stories

(Vidhva Bhabhi Ki Chudai- Part 2) विधवा भाभी की चुदाई-2

विधवा भाभी की चुदाई-1 मैं बाथरूम में चला गया। फ़्रेश होने के बाद मैं एक दम नंगा ही नहाने लगा।

थोड़ी देर बाद मैंने संध्या को पुकारा और कहा- तौलिया दे दो।

संध्या ने रीना से कहा- जा, जीजू को तौलिया दे आ।

वो तौलिया लेकर आई तो मैंने बाथरूम का दरवाजा खोल दिया। मेरा लण्ड पहले से खड़ा था। रीना की निगाह जैसे ही मेरे लण्ड पर पड़ी तो उसने अपना सिर नीचे कर लिया। वो मुझे तौलिया देने लगी तो मैंने कहा- थोड़ा रुक जाओ। मैं अपने सिर को जरा साबुन से साफ़ कर लूं।

मैंने अपने सिर पर साबुन लगाना शुरु कर दिया। मैंने देखा की रीना तिरछी निगाहों से मेरे लण्ड को देख रही थी।

मैंने कुछ ज्यादा ही देर कर दी तो वो बोली- जीजू, तौलिया ले लो, मुझे और भी काम करना है।

मैंने कहा- थोड़ा रुक जाओ, मैं अपना सिर तो धो लूँ।

मैंने अपना सिर धोया और फिर अपने लण्ड पर साबुन लगाते हुये कहा- रात को तेरी दीदी ने इसे भी गन्दा कर दिया था, जरा इसे भी साफ़ कर लूँ। फिर मुझे तौलिया दे देना।

वो चुपचाप खड़ी रही। मैं अपने लण्ड पर साबुन लगाने लगा। वो अभी भी मेरे लण्ड को तिरछी निगाहों से देख रही थी। मैंने उससे मजाक करते हुये कहा- साली जी, तिरछी निगाहों से मुझे क्यों देख रही हो। अपना सिर ऊपर कर लो और ठीक से देख लो मुझे।

वो बोली- मुझे शरम आती है।

मैंने कहा- कैसी शरम? मैं तो तुम्हारा जीजू हूँ ना। बोलो, हूँ या नहीं।

वो बोली- हाँ, आप मेरे जीजू हैं।

मैंने अब ज्यादा देर करना ठीक नहीं समझा। मैंने अपने लण्ड पर लगे हुये साबुन को धोया और उसके हाथ से तौलिया लेटे हुए कहा- अब जाओ।

वो मुस्कराते हुये चली गई।

मैंने अपना बदन साफ़ किया और लुंगी पहन कर बाहर आ गया। रीना ड्राईंग रूम में झाड़ू लगा रही थी। मैंने संध्या को पुकारा और कहा- जरा तेल तो लगा दो।

वो बोली- अभी आती हूँ।

संध्या मेरे पास आ गई तो मैंने अपने लण्ड की तरफ़ इशारा करते हुये कहा- आज तेल नहीं लगाओगी क्या।

संध्या समझ गई और बोली- लगाऊँगी क्यों नहीं।

उसने मेरे लण्ड पर तेल लगा कर मालिश करना शुरु कर दिया।रीना मेरे लण्ड को देखती रही। इस बार वो ज्यादा नहीं शरमा रही थी। तेल लगाने के बाद संध्या जाने लगी तो मैंने कहा- तुम कुछ भूल रही हो।

संध्या ने मेरे लण्ड को चूम लिया। उसके बाद मैंने नाश्ता किया और अपने कमरे में आ गया।

10 बजे मैं दुकान जाने लगा तो संध्या ने कहा- रीना के लिये कुछ नये कपड़े और थोड़ा मेक-अप का सामान ले आना।

मैंने कहा- अच्छा, ले आऊँगा।

उसके बाद मैं दुकान चला गया। रात के 8 बजे मैं दुकान से वापस आया और मैंने रीना को पुकारा।

रीना आ गई और उसने मुस्कराते हुये कहा- क्या है, जीजू?

मैंने कहा- मैं तेरे लिये कपड़े ले आया हूँ और मेक-अप का सामान भी। देख जरा तुझे पसन्द है या नहीं।

उसने सारा सामान देखा तो खुश हो गई और बोली- बहुत ही अच्छा है।

मैंने पूछा- संध्या कहाँ है?

वो बोली- फ़्रेश होने गई है।

मैंने कहा- जा, मेरे लिये चाय ले आ।

वो चाय लाने चली गई। मैंने अपने कपड़े उतार दिये और लुंगी पहन ली। वो चाय ले कर आई तो मैंने चाय पी। तभी संध्या आ गई। उसने पूछा- रीना का सामान ले आये?

मैंने कहा- हाँ, ले आया और इसे दिखा भी दिया। इसे बहुत पसन्द भी आया।

मैं टीवी देखने लगा। संध्या रीना के साथ खाना बनने चली गई। रात के 10 बजे हम सब ने खाना खाया और सोने चले गये। आज रीना बहुत खुश दिख रही थी। उसने आज जरा सा भी शरम नहीं की और खुद ही अपने कपड़े उतार दिये और मैक्सी पहन ली। हम सब बिस्तर पर लेट गये।

संध्या ने मुझसे कहा- मुझे नींद आ रही है। तुम अपना काम कर लो और मुझे सोने दो।

मैं समझ गया। मैंने अपनी लुंगी उतार दी। संध्या ने भी अपनी मैक्सी खोल दी और पैंटी उतार दी। रीना देख रही थी। आज वो कुछ बोल नहीं रही थी, केवल चुपचाप लेटी हुई थी। मैंने संध्या को चोदना शुरु कर दिया। मैंने देखा कि रीना आज ध्यान से हम दोनों को देख रही थी।

15-20 मिनट की चुदाई के बाद मैं झड़ गया तो आज मैंने संध्या की चूत को चाटना शुरु कर दिया। रीना ने मुझे संध्या की चूत को चाटते हुये देखा उसने अपना हाथ अपनी चूत पर रख लिया। मैं समझ गया की अब वो धीरे धीरे रास्ते पर आ रही है। संध्या की चूत को चाटने के बाद मैंने अपना लण्ड संध्या के मुँह के पास कर दिया तो संध्या ने भी मेरा लण्ड चाट चाट कर साफ़ कर दिया। उसके बाद मैं लेट गया।

तभी रीना ने कहा- दीदी, आप दोनों को घिन नहीं आती एक दूसरे का चाटते हुये?

संध्या ने कहा- कैसी घिन, मुझे तो मज़ा आता है और तेरे जीजू को भी। उसके बाद हम सो गये।

सुबह मैं नहाने गया तो मैंने रीना को पुकारा और कहा- तौलिया ले आ।

वो बोली- अभी लाई, जीजू।

वो तौलिया लेकर आ गई। मैंने अपने लण्ड की तरफ़ इशारा करते हुये कहा- थोड़ा रुक जा, मैं इसे साफ़ कर लूं।

मैंने अपने लण्ड पर साबुन लगाना शुरु कर दिया। आज रीना ने अपना सिर नीचे नहीं किया और मेरे लण्ड को ध्यान से देखती रही। वो अब ज्यादा नहीं शरमा रही थी। मैंने अपने लण्ड को साफ़ किया और फिर उससे तौलिया ले लिया। वो चली गई। मैं बाथरूम से बाहर आया तो संध्या ने मेरे लण्ड पर तेल लगाया और फिर मेरे लण्ड को चूमा और किचन में चली गई। रीना इस दौरान मेरे लण्ड को ध्यान से देखती रही। मैंने नाश्ता किया और दुकान चला गया।

रात के 8 बजे मैं वापस आया तो मैं कुछ मिठाई ले आया था। मैंने रीना को पुकारा। रीना आ गई तो मैंने उसे मिठाई दे दी। उसने मिठाई ले ली और कहा- आपके लिये अभी ले आऊँ?

मैंने कहा- हाँ, थोड़ा सा ले आ। वो मिठाई ले कर आई तो मैं मिठाई खाने लगा। तभी संध्या आई। उसने मुझे मिठाई खाते हुये देखा तो बोली- आज कल साली की बहुत सेवा हो रही है।

मैंने कहा- क्या करूं। मेरी तो कोई साली ही नहीं थी। अब जब मुझे एक साली मिल गई है तो उसकी सेवा तो करूंगा ही। लेकिन मेरी साली मेरा ज्यादा ख्याल ही नहीं रखती।

रीना बोली- जीजू, मेरी कोई बहन नहीं है इसलिये मेरा कोई जीजू तो आने वाला नहीं है। आप ही मेरे जीजू हो, आप हुकुम तो करो।

मैंने कहा- क्या तुम मेरा कहा मानोगी?

वो बोली- क्यों नहीं मानूंगी।

मैंने कहा- ठीक है, जब मुझे जरूरत होगी तो तुम्हें बता दूंगा।

अगले 2 दिनों में मैंने रीना से मजाक करना शुरु कर दिया। धीरे धीरे वो भी मुझसे मजाक करने लगी। अब वो मुझसे शरमाती नहीं थी। अब रीना खुद ही तौलिया ले आती थी। उस दिन भी जब मैं नहा रहा था तो वो तौलिया ले कर आई और खड़ी हो गई और मेरे लण्ड को देखने लगी।

मैंने कहा- साली जी, आज तुम ही मेरे लण्ड पर साबुन लगा दो।

वो बोली- क्या जीजू, मुझसे अपने लण्ड पर साबुन लगवाओगे?

मैंने कहा- तो क्या हुआ?

वो बोली- दीदी क्या कहेंगी?

मैंने संध्या को पुकारा तो वो आ गई और बोली- क्या है?

मैंने कहा- मैं रीना से अपने लण्ड पर साबुन लगाने को कहा तो यह कह रही है कि दीदी क्या कहेंगी। अब तुम इसे बता दो कि तुम क्या कहोगी।

संध्या ने कहा- मैं तो कहूँगी कि रीना तुम्हारे लण्ड पर साबुन लगा दे। आखिर वो तुम्हारी साली है। मैं भला इसे कैसे मना कर सकती हूँ।

मैंने रीना से कहा- देखा, यह तुम्हें कुछ भी नहीं कहेगी।

रीना ने कहा- फिर मैं साबुन लगा देती हूँ।

संध्या चली गई। रीना ने थोड़ा सा शरमाते हुये मेरे लण्ड पर साबुन लगाना शुरु कर दिया। मुझे खूब मज़ा आने लगा। उसकी आंखे भी गुलाबी सी होने लगी। थोड़ी देर बाद वो बोली- अब बस करूं या और लगाना है।

मैंने कहा- थोड़ा और लगा दे, तेरे हाथ से साबुन लगवाना मुझे बहुत अच्छा लग रहा है।

वो साबुन लगाती रही। थोड़ी ही देर में जब मुझे लगा कि अब मेरा रस निकल जायेगा तो मैंने कहा- अब रहने दो।

उसने अपना हाथ साफ़ किया और चली गई।

मैं नहाने के बाद बाहर आया और ड्राईंग रूम में सोफ़े पर बैठ गया। मैंने संध्या को पुकारा, संध्या , जरा तेल तो लगा दो।

रीना मेरे पास आई और बोली- मैं ही लगा दूं क्या?

मैंने कहा- यह तो और अच्छी बात है। तुम ही लगा दो।

रीना मेरे लण्ड पर तेल लगा कर बड़े प्यार से मालिश करने लगी तो मैं कुछ ज्यादा ही जोश में आ गया। रीना ठीक मेरे लण्ड के सामाने जमीन पर बैठ थी। मेरे लण्ड से रस की धार निकल पड़ी और सीधे रीना के मुँह पर जाकर गिरने लगी।

रीना शरमा गई और बोली- क्या जीजू, तुमने मेरा मुँह गन्दा कर दिया।

मैंने कहा- तुम्हारे तेल लगाने से मैं कुछ ज्यादा ही जोश में आ गया और मेरे लण्ड का रस निकल गया। आओ मैं साफ़ कर देता हूँ।

वो बोली- रहने दो, मैं खुद ही साफ़ कर लूंगी।

रीना बाथरूम में चली गई। संध्या किचन से मुझे देख रही थी और मुस्कुरा रही थी। संध्या ने कहा- अब तुम्हारा काम बनने ही वाला है।

नाश्ता करने के बाद मैं दुकान चला गया। रात को मैं रीना के लिये एक झुमकी ले आया। मैंने उसे झुमकी दी तो वो खुशी के उछल पड़ी और संध्या को दिखाते हुये बोली- देखो दीदी, जीजू मेरे लिये क्या लाये हैं।

संध्या ने कहा- तू ही उनकी एकलौती साली है। वो तेरे लिये नहीं लायेंगे तो और किसके लिये लायेंगे।

रात को खाना खाने के बाद हम सोने के लिये कमरे में आ गये। मैंने रीना से मजाक किया, क्यों रीना , मेरा लण्ड तुझे कैसा लगा।

उसने शरमाते हुये कहा- जीजू, यह भी कोई पूछने की बात है।

मैंने कहा- तेरी दीदी को तो बहुत पसन्द है, तुझे कैसा लगा।

उसने शरमाते हुये कहा- मुझे भी बहुत अच्छा लगा।

मैंने पूछा- तुझे क्यों अच्छा लगा।

वो बोली- इस लिये कि आपका बहुत बड़ा है।

मैंने पूछा- जब मैं तुम्हारी दीदी के साथ करता हूँ तब कैसा लगता है?

वो बोली- तब तो और ज्यादा अच्छा लगता है। लेकिन जीजू, एक बात मेरी समझ में नहीं आती कि तुम्हारा इतना बड़ा है फिर भी दीदी के अन्दर पूरा का पूरा घुस जता है।

मैंने कहा- तेरी दीदी को इसकी आदत पड़ गई है।

वो बोली- लेकिन पहली बार जब आपने घुसाया होगा तो दीदी दर्द के मारे बहुत चिल्लाई होगी?

मैंने कहा- दर्द तो पहली पहली बार सब औरतों को होता है। इसे भी हुआ था और यय खूब चिल्लाई भी थी। लेकिन रीना बाद में मज़ा भी तो खूब आता है। तुम चाहो तो अपनी दीदी से पूछ लो।

रीना ने संध्या से पूछा- क्यों दीदी, क्या जीजू सही कह रहे हैं?

संध्या ने कहा- हाँ रीना , तभी तो मैं इनसे रोज रोज करवाती हूँ। बिना करवाये मुझे नींद ही नहीं आती। तुम भी एक बार इनका अन्दर ले लो। कसम से इतना मज़ा आयेगा कि तुम भी रोज रोज करने को कहोगी।

रीना बोली- ना बाबा ना, मुझे बहुत दर्द होगा क्योंकि मेरा तो अभी बहुत छोटा है।

संध्या ने कहा- छोटा तो सभी का होता है।

रीना बोली- मुझे दर्द भी तो बहुत होगा।

संध्या ने कहा- पगली, एक बार ही तो दर्द होगा उसके बाद इतना मज़ा आयेगा कि तू सारा दर्द भूल जायेगी। तूने देखा है ना कि कैसे इनका मेरी चूत में सटासट अन्दर बाहर होता है।

वो बोली- हाँ, देखा तो है।

संध्या बोली- फिर एक बार तू भी अन्दर ले कर देख ले। अगर तुझे मज़ा नहीं आयेगा तो फिर कभी मत करवाना।

वो बोली- बाद में करवा लूंगी।

संध्या ने कहा- आज क्यों नहीं।

वो बोली- मैं कहीं भागी थोड़े ही जा रही हूँ।

संध्या ने कहा- तो फिर आज तू इसे मुँह में ले कर चूस ले। जब तेरा मन कहेगा तभी इसे अन्दर लेना।

वो बोली- ठीक है, मैं मुँह में लेकर चूस लेती हूँ।

संध्या ने मुझसे कहा- तुम रीना के बगल में आ जाओ।

मैं रीना के बगल में आ गया। रीना ने मेरी लुंगी हटा दी और अपना हाथ मेरे लण्ड पर रख दिया। उसके हाथ लगाने से मेरा लण्ड फनफनता हुआ खड़ा हो गया। रीना उसे सहलाने लगी। मुझे मज़ा आने लगा, मैंने कहा- अब इसे मुँह में ले लो।

वो बोली- जरूर लूंगी, पहले थोड़ा सहलाने दो ना।

मैंने कहा- ठीक है।

थोड़ी देर तक सहलाने के बाद रीना उठ कर बैठ गई। उसने शरमाते हुये मेरे लण्ड का सुपाड़ा अपने मुँह में ले लिया और चूसने लगी।

संध्या ने मुस्कराते हुये पूछा- क्यों रीना , कैसा लग रहा है?

वो बोली- दीदी, बहुत अच्छा लग रहा है।

संध्या ने कहा- मेरी बात मान जा और इसे अपनी चूत के अन्दर भी ले ले। फिर और ज्यादा अच्छा लगेगा।

वो बोली- बहुत दर्द होगा।

संध्या ने कहा- तू इतना डरती क्यों है। मैं हूँ ना तेरे पास।

उसने कहा- अच्छा, मुझे पहले थोड़ी देर चूस लेने दो, फिर मैं भी अन्दर लेने की कोशिश करुंगी।

रीना मेरा लण्ड चूसती रही। मैंने अपना हाथ बढ़ा कर उसकी चूत पर रख दिया लेकिन वो कुछ नहीं बोली। मैंने पैंटी के ऊपर से ही उसकी चूत को सहलाना शुरु कर दिया तो वो सिसकारियां भरने लगी।

थोड़ी देर में ही उसकी चूत गीली हो गई तो मैंने पूछा- कैसा लगा?

वो बोली- बहुत अच्छा।

रीना अब तक पूरे जोश में आ चुकी थी। मैंने कहा- जब तू मेरा लण्ड अपनी चूत के अन्दर लेगी तो तुझे और ज्यादा अच्छा लगेगा।

वो बोली- ठीक है जीजू, घुसा दो, लेकिन बहुत धीरे धीरे घुसाना।

मैंने कहा- थोड़ा दर्द होगा, ज्यादा चिल्लाना मत।

वो बोली- मैं अपना मुँह बन्द रखने की कोशिश करुंगी।।

मैंने कहा- ठीक है, तू पहले अपने कपड़े उतार दे।

वो बोली- मैंने कपड़े ही कहाँ पहन रखे हैं।

मैंने उसकी ब्रा और पेण्टी की तरफ़ इशारा करते हुये कहा- फिर ये क्या है?

वो बोली- क्या इसे भी उतारना पड़ेगा।

मैंने कहा- हाँ, तभी तो मज़ा आयेगा।

उसने कहा- ठीक है, उतार देती हूँ।

इतना कह कर रीना खड़ी हो गई और उसने अपने सारे कपड़े उतार दिये। संध्या मुझे देख कर मुसकुराने लगी तो मैं भी मुसकुरा दिया। रीना बेड पर लेट गई तो मैं रीना के पैरों के बीच आ गया। मैंने उसके पैरों को एकदम दूर दूर फैला दिया। उसके बाद मैंने अपने लण्ड के सुपाड़े को उसकी चूत पर रगड़ना शुरु कर दिया। वो जोश के मारे पागल सी होने लगी और जोर जोर की सिसकारियां भरते हुये बोली- जीजू, बहुत मज़ा आ रहा है, और जोर से रगड़ो।

मैंने और ज्यादा तेजी के साथ रगड़ना शुरु कर दिया तो 2-3 मिनट में ही रीना जोर जोर की सिसकारियां भरने लगी और झड़ गई।

रीना की चूत अब एकदम गीली हो चुकी थी इसलिये मैंने अब ज्यादा देर करना ठीक नहीं समझा। मैंने उसकी चूत के होंठ को फैला कर अपने लण्ड का सुपाड़ा बीच में रख दिया। उसके बाद जैसे ही मैंने थोड़ा सा जोर लगाया तो वो चीख उठी और बोली- जीजू, बहुत दर्द हो रहा है, बाहर निकाल लो।

मैंने कहा- बस थोड़ा सा बरदाश्त करो।

मेरे लण्ड का सुपाड़ा उसकी चूत में घुस चुका था। मैंने फिर से थोड़ा सा जोर लगाया तो इस बार वो जोर जोर से चीखने लगी। उसने रोना शुरु कर दिया तो संध्या ने उसे चुप करते हुये कहा- दर्द को बरदाश्त कर तभी तो तू मज़ा ले पायेगी।

वो बोली- बहुत तेज दर्द हो रहा है, दीदी।

संध्या उसका सिर सहलाने लगी तो थोड़ी ही देर में वो शान्त हो गई।

मेरा लण्ड इस उसकी चूत में 2″ तक घुस चुका था। जब रीना चुप हो गई तो मैंने फिर से जोर लगाया तो मेरा लण्ड थोड़ा सा और घुस गया और उसकी सील मेरे लण्ड के रास्ते में आ गई। वो फिर से चीखने लगी और बोली- जीजू, बाहर निकल लो, मैं मर जाऊंगी, बहुत दर्द हो रहा है, मेरी चूत फट जायेगी।

मैंने उसकी चूचियों को मसलते हुये कहा- बस थोड़ा सा ही और है।

थोड़ी देर तक मैं उसकी चूचियों को मसलता रहा और उसे चूमता रहा तो वो शान्त हो गई। मुझे अब उसकी सील को फ़ाड़ना था।

मैंने रीना की कमर को जोर से पकड़ लिया पूरी ताकत के साथ बहुत ही जोर का धक्का मारा। उसकी चूत से खून निकलाने लगा। मेरा लण्ड उसकी सील को फ़ाड़ते हुये 4″ से थोड़ा ज्यादा अन्दर घुस गया। रीना इस बार कुछ ज्यादा ही जोर जोर से चिल्लाने लगी तो संध्या ने उसे चुप करते हुये कहा- बस हो गया, अब रो मत। अब दर्द नहीं होगा, केवल मज़ा आयेगा।

वो बोली- क्या पूरा अन्दर घुस गया?

संध्या ने कहा- अभी कहाँ, अभी तो आधा ही घुसा है।

वो बोली- जब जीजू बाकी का घुसायेंगे तो मुझे फिर से दर्द होगा।

संध्या ने कहा- नहीं, अब दर्द नहीं होगा, अब तुझे मज़ा आयेगा।

रीना जब शान्त हो गई तो मैंने धीरे धीरे उसकी चुदाई शुरु कर दी। उसे अभी भी दर्द हो रहा था और वो आहें भर रही थी। उसकी चूत बहुत ही ज्यादा कसी थी इसलिये मेरा लण्ड आसानी से उसकी चूत में अन्दर-बाहर नहीं हो पा रहा था। मैं उसे चोदता रहा तो वो कुछ देर बाद वो धीरे धीरे शान्त हो गई। अब उसे भी कुछ कुछ मज़ा आने लगा था। उसने सिसकारियां भरनी शुरु कर दी। संध्या ने पूछा- अब कैसा लग रहा है।

वो बोली- अब तो मज़ा आ रहा है।

संध्या ने कहा- पूरा अन्दर घुस जाने दे तब तुझे और मज़ा आयेगा, यह तो अभी शुरुआत है।

मैंने उसे चोदना जारी रखा तो थोड़ी ही देर बाद उसने अपना चूतड़ भी उठाना शुरु कर दिया।

थोड़ी देर की चुदाई के बाद रीना झड़ गई। उसकी चूत और मेरा लण्ड अब एकदम गीला हो चुका था। मैंने अपनी स्पीड धीरे धीरे बढ़ानी शुरू कर दी। रीना पूरे जोश में आ चुकी थी। वो जोर जोर से सिसकारियां भर रही थी। मैंने हर 4-6 धक्के के बाद एक धक्का थोड़ा जोर से लगाना शुरु कर दिया। इससे मेरा लण्ड थोड़ा थोड़ा कर के उसकी चूत में और ज्यादा गहराई तक घुसने लगा। जब मैं तेज धक्का लगा देता था तो रीना केवल एक आह सी भरती थी। वो इतने जोश में आ चुकी थी कि उसे अब ज्यादा दर्द महसूस नहीं हो रहा था। मैं इसी तरह से उसे चोदता रहा।

थोड़ी देर की चुदाई के बाद ही रीना फिर से झड़ गई। अब तक मेरा लण्ड उसकी चूत में 7″ अन्दर घुस चुका था। मैंने अपनी स्पीड बढाते हुये उसकी चुदाई जारी रखी। थोड़ी ही देर में मेरा पूरा का पूरा लण्ड उसकी चूत में समा गया। संध्या ने जब देखा कि मेरा पूरा लण्ड उसकी चूत में घुस चुका है तो उसने रीना से कहा- इनका पूरा का पूरा लण्ड तेरी चूत के अन्दर घुस गया है। अब तुझे केवल मज़ा आयेगा।

वो बोली- मुझे विश्वास नहीं हो रहा है।

संध्या ने कहा- अगर तुझे विशवास नहीं हो रहा है तो हाथ लगा कर देख ले।

रीना ने हाथ लगा कर देखा तो बोली- दीदी, यह पूरा अन्दर कैसे घुस गया? मुझे तो कुछ पता ही नहीं चला।

संध्या ने कहा- जब तू थोड़ी देर की चुदाई के बाद पूरे जोश में आ गई थी तब ये बीच बीच में जोर का धक्का लगा देते थे। इससे इनका लण्ड थोड़ा थोड़ा कर के तेरी चूत के अन्दर घुसा जाता था। तू जोश में थी इस लिये तुझे कुछ पता ही नहीं चला।

मैंने अपनी स्पीड और तेज कर दी क्योंकि अब मैं झड़ने वाला था। 2 मिनट के अन्दर ही मैं झड़ गया तो रीना भी मेरे साथ ही साथ फिर से झड़ गई। मैंने अपना लण्ड उसकी चूत से बाहर निकल कर रीना से पूछा- चाटोगी?

उसने मेरा लण्ड देखा तो उस पर रस के साथ थोड़ा खून भी लगा हुआ था। वो बोली- जीजू, इस पर तो खून भी लगा हुआ है। मैं अगली बार चाट लूंगी।

संध्या ने कहा- तेरी चूत का ही तो खून है और यह पहली पहली बार निकला है, चाट ले इसे।

वो बोली- तुम कहते हो तो मैं चाट लेटी हूँ।

उसने मेरा लण्ड चाट चाट कर साफ़ कर दिया।

संध्या ने पूछा- चुदवाने में मज़ा आया?

वो बोली- हाँ, मज़ा तो आया लेकिन ज्यादा नहीं।

संध्या ने पूछा- क्यों। वो बोली- जब मुझे ज्यादा मज़ा आना शुरु हुआ तो जीजू झड़ गये।

संध्या ने कहा- अगली बार ज्यादा मज़ा आयेगा। इस बार तो इनका सारा समय तेरी चूत में रास्ता बनने में ही लग गया।

मैं रीना के बगल में लेट गया। वो मेरी पीठ को सहलाते हुये मुझे चूमती रही। 10 मिनट में ही मेरा लण्ड फिर से खड़ा हो गया। मैंने रीना को डॉगी स्टाईल में कर दिया और उसकी चुदाई शुरु कर दी। उसे इस बार चुदवाने में ज्यादा मज़ा आया और मुझे भी। उसने इस बार पूरी मस्ती के साथ खूब जम कर चुदवाया। मैंने भी उसे पूरे जोश के साथ बहुत ही जोर जोर के धक्के लगाते हुये खूब जम कर चोदा। इस बार मैंने लगभग 35 मिनट तक उसकी चुदाई की। रीना इस दौरान 4 बार झड़ गई थी।

मैं रीना के बगल में लेट गया। हम सब आपस में बातें करते रहे। लगभग 1 घण्टे के बाद संध्या ने मुझसे कहा- क्यों जी, तुम मुझे आज नहीं चोदोगे क्या। साली की कुंवारी चूत का मज़ा पाकर मुझे भूल गये क्या?

मैंने कहा- भला मैं तुम्हे कैसे भूल सकता हूँ, तुम तो मेरी बीवी हो। मैं रोज रोज घर का ही तो खाना खाता हूँ। कभी कभी होटल के खाने का मज़ा भी ले लेना चाहिये। तुम तो मेरे लिये घर का खाना हो और रीना होटल का। आज मैंने कुंवारी चूत का मज़ा लिया है इस लिये मैं तुम्हारी चूत को आज हाथ भी नहीं लगाऊगा। आज तो मैं तुम्हारी गाण्ड मारूंगा।

संध्या बोली- फिर मारो ना।

रीना बोली- जीजू क्या कह रहे हो?

मैंने कहा- ठीक ही कह रहा हूँ। यह कभी कभी मुझसे गाण्ड भी मरवाती है। गाण्ड मरवाने में भी खूब मज़ा आता है। तुम भी मरवाओगी?

वो बोली- पहले आप दीदी की गाण्ड मार लो। जरा मैं भी तो देखूँ कि दीदी आपका इतना लमबा और मोटा लण्ड अपनी गाण्ड के अन्दर कैसे लेती है।

संध्या घोड़ी बन गई तो मैंने संध्या की गाण्ड मारनी शुरु कर दी। रीना आंखे फ़ाड़े मेरे लण्ड को संध्या की गाण्ड में अन्दर बाहर होते हुये देखती रही। मैं 2 बार रीना की चुदाई कर चुका था इस लिये मैं जल्दी झड़ नहीं पा रहा था। संध्या सिसकारियां भरते हुये मुझसे गाण्ड मरवा रही थी। रीना संध्या को गाण्ड मरवाते हुये देख रही थी। उसकी आंखो में भी जोश की झलक साफ़ दिख रही थी। मैंने रीना से पूछा- कैसा लग रहा है।

वो बोली- बहुत ही अच्छा लग रहा है, जीजू।

मैंने पूछा- गाण्ड मरवाओगी?

वो बोली- फिर से दर्द होगा।

मैंने कहा- गाण्ड मरवाने में तो बहुत ही ज्यादा दर्द होता है।

वो बोली- ना बाबा ना, मैं गाण्ड नहीं मरवाऊँगी।

संध्या ने कहा- रीना , पहले तू खूब जम कर इनसे चुदवाने का मज़ा ले ले। उसके बाद एक बार गाण्ड भी मरवाने का मज़ा भी ले लेना।

मैंने लगभग 45 मिनट तक संध्या की गाण्ड मारी और झड़ गया।

मैंने कई दिनों तक रीना को खूब जम कर चोदा। उसे अब चुदवाने में बहुत मज़ा आने लगा था। मुझे भी कुंवारी चूत को चोदने का मज़ा मिल चुका था और मैं अब उसकी एकदम टाईट चूत को चोद रहा था। मैं रीना की गाण्ड भी मारना चहता था लेकिन उसे मैं खूब तड़पा तड़पा कर उसकी गाण्ड मारना चहता था। मैंने कई बार रीना के सामने संध्या की गाण्ड मारी तो एक दिन वो अपने आप को रोक नहीं पाई। वो मुझसे कहने लगी- जीजू, एक बार मेरी भी गाण्ड मार लो, मैं भी गाण्ड मरवाने का मज़ा लेना चाहती हूँ।

मैंने कहा- तुझे बहुत ज्यादा तकलीफ़ होगी।

वो बोली- होने दो।

मैंने उससे कहा- तू नहीं जानती है कि मैंने संध्या की गाण्ड पहली पहली बार कैसे मारी थी।

वो बोली- बताओगे तभी तो जानूंगी।

मैंने कहा- तो सुन, तूने वो पिल्लर देखा है ना जो आंगन में है।

वो बोली- हाँ, देखा है।

मैंने कहा- मैंने संध्या को खड़ा करके उसी पिल्लर में कस कर बांध दिया था। उसके बाद मैंने इसके मुँह में कपड़ा ठूंस कर इसका मुँह भी बन्द कर दिया था जिससे यह ज्यादा चिल्ला ना सके। उसके बाद ही मैं संध्या की गाण्ड मार पाया था। गाण्ड में लण्ड आसानी से नहीं घुसता है, बहुत मेहनत करनी पड़ती है और दर्द भी बहुत होता है। गाण्ड से बहुत ज्यादा खून भी निकलता है।

वो बोली- चाहे जो भी हो आप मेरी गाण्ड मार दो, मैं कुछ नहीं जानती।

मैंने कहा- तू कई दिनों तक बिस्तर पर से उठ भी नहीं पायेगी।

वो बोली- जब दीदी ने आप से गाण्ड मरवा लिया तो मैं क्यों नहीं मरवा सकती।

मैंने कहा- सोच ले, बहुत दर्द होगा। तेरी गाण्ड भी फट सकती है।

वो ज़िद करने लगी, मैं कुछ नहीं जानती, तुम मेरी गाण्ड मार दो बस।

मैंने कहा- अच्छा, कल मैं तेरी गाण्ड मार दूंगा।

वो बोली- नहीं आज ही और अभी मेरी गाण्ड मार दो।

संध्या मेरी बात सुनकर मुस्कुरा रही थी। वो जानती थी कि मैं झूठ बोल रहा हूँ। वो यह भी समझ गई थी मैं उसकी गाण्ड को बहुत ही बुरी तरह से मारना चाहता हूँ।

संध्या ने रीना से कहा- चल आंगन में। मैं संध्या और रीना के साथ आंगन में आ गया। संध्या कुछ कपड़े और रस्सी ले आई। उसके बाद मैंने रीना से कहा- तू पिल्लर को जोर से पकड़ कर खड़ी हो जा।

वो पिल्लर को पकड़ कर खड़ी हो गई। उसके बाद मैंने रस्सी से उसकी कमर को पिल्लर से बांध दिया। उसके बाद मैंने दूसरी रस्सी ली और उसके पैर को भी फैला कर पिल्लर से बांध दिया। फिर मैंने रीना के दोनों हाथ भी पिल्लर से बांध दिये।

वो बोली- जीजू, आपने तो मुझे ऐसे बांध दिया है कि मैं जरा सा भी इधर उधर नहीं हो सकती।

मैंने कहा- गाण्ड मारने के लिये ऐसे ही बांधना पड़ता है।

उसके बाद मैंने रीना के मुँह में कपड़ा ठूंस दिया और उसके मुँह को बांध दिया।

मैंने संध्या से कहा- अब तुम मेरे लण्ड को थोड़ा सा चूस लो जिस से ये पूरी तरह से सख्त हो जाये।

संध्या ने मेरे लण्ड को चूसना शुरु कर दिया तो थोड़ी ही देर में मेरा लण्ड पूरी तरह से लक्कड़ जैसा हो गया। मैंने संध्या के मुँह से अपना लण्ड बाहर निकला और रीना के पीछे आ गया। मैंने रीना की गाण्ड के छेद पर अपने लण्ड का सुपाड़ा रखा और पूरे ताकत के साथ जोर का धक्का मारा। रीना दर्द के मारे तड़पने लगी। वो अपना सिर इधर उधर पटकने लगी। उसका मुँह बंधा हुआ था इसलिये उसके मुँह से केवल गूओ गूओ की आवाज़ ही निकल रही थी। एक धक्के में ही मेरा लण्ड उसकी गाण्ड को चीरता हुआ 2″ तक घुस गया। उसकी गाण्ड से खून निकल आया।

मैंने दूसरा धक्का लगाया तो रीना के मुँह से बहुत जोर जोर से गूऊ गूऊ की आवज़ निकलने लगी। मेरा लण्ड 4″ अन्दर घुस गया। रीना की गाण्ड से और ज्यादा तेजी के साथ खून निकलने लगा। मैंने फिर से एक धक्का मरा तो मेरा लण्ड उसकी गाण्ड में 5″ तक घुस गया। उसके बाद मैंने एक ही झटके से अपना लण्ड उसकी गाण्ड से बाहर खींच लिया। पुक की आवज़ के साथ मेरा लण्ड रीना की गाण्ड से बाहर आ गया। रीना के मुँह से अभी भी जोर जोर से गूओ गूओ की आवाज़ निकल रही थी।

मैंने संध्या को अपना लण्ड दिखाते हुये कहा- इसकी गाण्ड तो बहुत ही तंग है। देखो कितना खून निकल आया है।

संध्या बोली- क्यों तड़पाते हो बेचारी को। घुसा दो ना अपना पूरा लण्ड इसकी गाण्ड में। मैंने कहा- ठीक है बाबा, घुसा देता हूँ।

मैंने रीना की गाण्ड के छेद पर फिर से अपने लण्ड का सुपाड़ा रख दिया। उसकी गाण्ड खून से भीगी हुई थी। मैंने बहुत ही जोर का एक धक्का लगाया तो मेरा लण्ड उसकी गाण्ड में 5″ तक घुस गया। उसके बाद मैंने 2 धक्के और लगये तो मेरा लण्ड उसकी गाण्ड में 7″ तक अन्दर घुस गया। रीना का सारा बदन पसीने से भीग गया था। वो अपना सिर पिल्लर पर पटक रही थी। उसकी आंखों से आंसू बह रहे थे। मुझे खूब मज़ा आ रहा था। मैं रीना की गाण्ड इसी तरह से मारना चाहता था। मेरी तमन्ना पूरी हो रही थी।

संध्या आंखे फ़ाड़े मुझे देख रही थी, उसने कहा- रहम करो इस बेचारी पर। क्यों तड़पा रहे हो इसे।

मैंने 2 बहुत ही जोरदार धक्के और लगाये तो मेरा पूरा का पूरा लण्ड रीना की गाण्ड में समा गया।

पूरा लण्ड घुसा देने के बाद भी मैं रुका नहीं, मैंने तेजी के साथ रीना की गाण्ड मारनी शुरु कर दी। रीना के मुँह से गूओ गूओ की आवाज़ निकल रही थी। उसकी गाण्ड बहुत ही ज्यादा टाईट थी इस लिये मेरा लण्ड उसकी गाण्ड में आसानी से पूरा अन्दर बाहर नहीं हो पा रहा था। मैंने पूरे ताकत के साथ धक्के लगा रहा था। 10 मिनट के बाद मेरा लण्ड थोड़ा आसानी से अन्दर बाहर होने लगा। रीना के मुँह से भी ज्यादा आवाज़ नहीं निकल रही थी। मैंने रीना से पूछा- मुह खोल दूं।

उसने अपना सिर हाँ में हिला दिया।

मैंने पूछा- चिल्लओगी तो नहीं। उसने अपना सिर ना में हिला दिया।

मैंने रीना का मुँह खोल दिया और उसके मुँह से कपड़ा बाहर निकल लिया। वो रोते हुये बोली- जीजू, आपने तो मुझे मार ही डाला। क्या इसी तरह से गाण्ड मारी जाती है।

मैंने कहा- हाँ, गाण्ड इसी तरह से मारी जाती है। अगर मैंने तुम्हारा मुँह बांधा नहीं होता तो तुम कितनी जोर जोर से चिल्लाती, यह तुम अब समझ गई होगी।

वो बोली- आप सही कह रहे हो, तब तो मैं बहुत चिल्लाती।

मैंने कहा- अगर मैंने तुम्हें पिल्लर से ना बांधा होता तो अब तक कई बार अपना चूतड़ इधर उधर करती और मैं तुम्हारी गाण्ड में अपना लण्ड नहीं घुसा पाता।

वो बोली- जीजू, आप एकदम सही कह रहे हो। मैंने तो आप को धकेल ही दिया होता।

मैंने कहा- अब तुम ही बताओ मैंने सही किया या नहीं?

वो बोली- आपने बिलकुल ठीक किया। ऐसे ही करना चाहिये था। अब तो मुझे पिल्लर से खोल दो।

मैंने कहा- पहले मैं तुम्हारी गाण्ड तो मार लूं फिर खोल दूंगा।

वो बोली- तो मारो ना।

मैंने पूछा- कुछ मज़ा आ रहा है।

वो बोली- अभी तो बहुत ही कम मज़ा आ रहा है।

मैंने रीना की गाण्ड मारनी शुरु कर दी। मैं पूरे ताकत के साथ जोर जोर के धक्के लगा रहा था। रीना को भी अब मज़ा आ रहा था। उसके मुँह से सिसकारियां निकल रही थी। 10 मिनट तक उसकी गाण्ड मारने के बाद मैं झड़ गया। मैंने अपना लण्ड रीना की गाण्ड से बाहर निकाला और रीना को दिखाते हुये कहा- देखो कितना खून निकला है तुम्हारी गाण्ड से।

वो आंखे फ़ाड़े मेरे लण्ड को देखने लगी, वो बोली- जीजू, अब तो खोल दो मुझे।

मैंने कहा- एक बार तुम्हारी गाण्ड और चोद लूं फिर खोल दूंगा।

वो बोली- कमरे में मार लेना।

मैंने कहा- तुम फिर से चिल्लओगी।

वो बोली- मैं अपना मुँह बंद रखने की कोशिश करुंगी।

मैंने संध्या से कहा- खोल दो रीना को।

संध्या ने रीना के हाथ पैर खोल दिये। रीना बाथरूम जाना चाहती थी लेकिन वो बिल्कुल भी चल फिर नहीं पा रही थी। संध्या उसे सहारा देकर बाथरूम में ले गई। रीना ने अपनी गाण्ड और चूत को साबुन से साफ़ किया। फिर संध्या उसे कमरे में ले आई। मैं कमरे में आया तो रीना बेड पर लेटी थी। मैं उसके बगल में लेट गया। 1 घन्टे के बाद मैंने फिर से रीना की गाण्ड मारनी शुरु की। वो थोड़ी देर तक चिल्लाई फिर शान्त हो गई। उसके बाद उसे खूब मज़ा आया और मुझे भी। उसने मुझसे खूब जम कर गाण्ड मरवाई।

धीरे धीरे 6 महीने गुजर गये। रीना मुझसे खूब जम कर चुदवाती रही और गाण्ड मरवाती रही। मुझे भी रीना की चुदाई करने में और उसकी गाण्ड मारने में खूब मज़ा आता था। एक दिन मैंने दुकान के नौकर रामू को कुछ फ़ाईल लाने के लिये घर भेजा। उसने घर पर रीना को देखा तो रीना उसे बहुत पसन्द आ गई। रामू की उमर भी 20 साल की थी और वो अभी कुंवारा ही था। उसने मुझसे रीना के बारे में पूछा तो मैंने उसे बता दिया कि वो संध्या के गावँ की रहने वाली है।

उसने मुझसे कहा कि वो रीना से शादी करना चहता है।

मैंने कहा- ठीक है, मैं रीना से पूछ लूं फिर बता दूंगा।

रात में जब मैं घर आया तो मैंने रीना से बात की तो वो तैयार हो गई। उसे भी रामू पसन्द आ गया था।

उसने मुझसे कहा- जीजू, एक दिक्कत है।

मैंने पूछा- वो क्या?

वो बोली- आप मुझे बहुत ही अच्छी तरह से चोदते हैं और मेरी गाण्ड भी मारते हैं। अगर मैं शादी कर लूंगी तब मैं आप से मज़ा कैसे ले पाऊंगी?

मैंने कहा- पगली, तू अपनी दीदी से मिलने के बहाने आ जाया करना। मैं तेरी चुदाई कर दूंगा और तेरी गाण्ड भी मार दूंगा। सारी ज़िंदगी तू कुंवारी तो नहीं रही सकती।

वो बोली- फिर ठीक है।

मैंने रीना के माता पिता से बात की तो वो भी तैयार हो गये। कुछ दिनों के बाद रीना की शादी रामू से हो गई। रविवार को दुकान की छुट्टी रहती है। रीना हर रविवार के दिन संध्या से मिलने आती है और मैं सारा दिन खूब जम कर उसकी चुदाई करता हूँ और उसकी गाण्ड भी मारता हूँ।

एक दिन जब मैं रात को दुकान से घर आया तो रीना घर पर आई हुई थी। उसके साथ एक औरत और थी। वो भी बहुत ही खूबसुरत थी लेकिन थी थोड़ी मोटी। उसकी उमर भी 20 साल के लगभग रही होगी।

मैंने रीना से कहा- आज तो रविवार नहीं है, फिर आज कैसे और यह तेरे साथ कौन है?

वो बोली- यह मीना है, मेरी भाभी। आपसे चुदवाने आई है।

मैंने कहा- तू क्या कह रही है?

वो बोली- जीजू, भोले मत बनो। आप इतनी अच्छी तरह से मेरी चुदाई करते हैं और मेरी गाण्ड मारते हैं, मैं क्या कभी भूल सकती हूँ। भाभी मेरे बारे में सब जानती हैं क्योंकि यह मेरी सहेली की तरह हैं और मैंने इन्हें सब कुछ बता दिया है। मैं इन से कुछ भी नहीं छुपाती हूँ। इनकी शादी हुये 3 साल गुजर गये हैं और यह अभी तक माँ नहीं बन पाई है। मैंने इनसे कह दिया था कि मैं तुझे अपने जीजू से चुदवा दूंगी। तुझे चुदाई का पूरा मज़ा भी मिल जायेगा और तू माँ भी बन जायेगी। यह तैयार हो गई। उसके बाद मैंने भैया से कहा कि भाभी को मेरे पास 1 महीने के लिये भेज दो। मैं इसका इलाज़ बहुत ही अच्छे दोस्तों से करा दूंगी। भैया ने इसे मेरे पास भेज दिया और मैं इसे आप के पास ले आई हूँ। अब आप इसका इलाज़ बहुत ही अच्छी तरही से कर दो। आप को फिर से एक कुंवारी चूत को चोदने का मौका मिल जयेगा।

मैंने कहा- यह कुंवारी थोड़े ही है।

रीना बोली- इसने मुझे बतया था कि भैया का लण्ड केवल 4″ का ही है और आपका लण्ड तो बहुत लम्बा और मोटा है। आपके लण्ड के लिये इसकी चूत कुवांरी जैसी ही है।

मैंने कहा- ठीक है मैं इसका इलाज़ कर दूंगा। लेकिन जैसे मैंने तेरी गाण्ड मारी थी ठीक उसी तरह मैं पहले इसकी गाण्ड मारुंगा।

उसके बाद ही मैं इसकी चूत को हाथ लगाऊँगा।

तभी मीना बोल पड़ी- जीजू, मुझे तो केवल माँ बनना है और आप से चुदवने का खूब मज़ा लेना है। आप जो भी चाहो मेरे साथ करो, बस मुझे माँ बना दो और मुझे चुदाई का पूरा मज़ा दे दो।मैंने रीना से कहा- जब मैं इसे चोद दूंगा तो इसकी चूत एकदम चौड़ी हो जायेगी। उसके बाद जब यह तेरे भैया से चुदवायेगी तो उनहेन इसकी चूत एकदम ढीली लगेगी तो वो क्या कहेंगे।

रीना बोली- वो कुछ भी नहीं कह पायेगे। मैं वही बहाना बना दूंगी जो मैंने रामू से से बनाया था।

मैंने पूछा- तूने रामू से क्या कहा था?

रीना बोली- जीजू, रामू को जब मेरी चूत चुदी हुई लगी थी तो मैंने रामू से कहा था की मेरी चूत में कुछ दिक्कत थी। डॉक्टर ने मेरी चूत में एक औजार डाला था जिस से मेरी चूत का मुँह एकदम चौड़ा हो गया।

मैंने कहा- तू तो बड़ी चालाक निकली।

रीना मुस्कुराने लगी।

मैंने रीना और संध्या से कहा- तुम दोनों इसे भी आंगन में ले जाओ और पिल्लर से बांध दो।

रीना और संध्या उसे लेकर आंगन में चले गये। थोड़ी देर बाद रीना मेरे पास आई और बोली- जीजू, आपका खाना तैयार है, चल कर खा लो।

मैं समझ गया कि रीना क्या कह रही है, मैंने कहा- चलो।

मैं रीना के साथ आंगन में आ गया। मैंने जैसे रीना की गाण्ड मारी थी ठीक उसी तरह उसकी भाभी की गाण्ड भी मारी। मुझे मीना की गाण्ड मरने में ज्यादा मज़ा आया क्योंकि मोटी होने की वजह से उसकी गाण्ड गद्देदार थी। उसे भी बहुत दर्द हुआ और उसकी गाण्ड से भी ढेर सारा खून निकला। उसके बाद रीना और संध्या उसे कमरे में ले आये। मैंने सारी रात कमरे में ही खूब जम कर उसकी गाण्ड मारी। 2 बार जब मैं उसकी गाण्ड मार चुका तो उसके बाद उसे भी गाण्ड मरवाने में खूब मज़ा आने लगा।

दूसरे दिन से मैंने उसकी चुदाई शुरु की। उसकी चूत भी गद्देदार थी। पहली पहली बार वो बहुत चीखी और चिल्लाई लेकिन बाद में उसे खूब मज़ा आने लगा। मुझे उसकी चूत की चुदाई करने में कुछ ज्यादा ही मज़ा आया। उसे भी मेरा लण्ड बहुत पसन्द आ गया। उसकी चूत मेरे लण्ड के लिये किसी कुंवारी चूत से कम नहीं थी। 1 महीने तक मैंने उसकी तरह तरह के स्टाईल में खूब जम कर चुदाई की और उसकी गाण्ड मारी। वो मुझसे अभी चुदवाना चाहती थी। उसने रीना से अपने मन की बात बता दी। रीना के भैया आये तो रीना ने उनसे कहा की अभी इलाज़ पूरा नहीं हुआ है। डॉक्टर ने 2 महीने और रुकने को कहा है। वो खुशी खुशी वापस गावँ चले गये।

15 दिनों के बाद जब मीना को महीना नहीं हुआ तो रीना और संध्या उसे डॉक्टर के पास ले गये। डॉक्टर ने बताया कि वो माँ बनने वाली है। मीना बहुत खुश हो गई। उसने मुझे और ज्यादा जम कर चुदवाना शुरु कर दिया। मुझे मीना की गद्देदार चूत ज्यादा पसन्द आ गई थी इसालिये मैंने ज्यादातर उसके चूत की ही चुदाई की। मैंने अगले 1 1/2 महीने तक मीना को खूब जम कर चोदा और उसकी गाण्ड भी मारता रहा। उसके बाद वो गावँ चली गई। अब मैं केवल संध्या और रीना को ही चोदता हूँ। संध्या भी अब मां बनने वाली है।

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