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सभी पाठकों को मेरा प्रणाम !यह कहानी Hindi Sex Stories सच्ची है …मेरी शादी होने के बाद जब मैं ससुराल गया और मेरी साली भैरवी को देखा तो देखते ही रह गया !
क्या बदन था … क़यामत थी … बड़े लम्बे बाल … गोरा रंग .. काली आँखें… बड़े बड़े स्तन …बड़े उभरे हुए नितम्ब …. आऽऽहा … क़यामत थी ….
शुरु में तो वो भाव खा रही थी … मेरी बीवी को बच्चा होने वाला था….मैं भी वहाँ रहता था … रोज काफी मस्ती होती थी। मैं भी उसको छू लेता था तो वो कुछ नहीं बोलती थी …
बाद में उसकी शादी हुई … उसकी उसके पति से नहीं बनी और उसने तलाक ले लिया।
अब वो मेरी साथ काफी बातें करती थी और खूब घुल मिल गई थी … जब भी मौका मिलता, मैं उसके बदन को छू लेता.. वो कुछ नहीं कहती।
एक दिन रात को मैं उसके कमरे में गया …. उसके बालों में हाथ घुमाया … केले जैसी पिन्डलियों पर भी हाथ घुमाया !
उसने कोई विरोध नहीं किया … मेरी हिम्मत बढ़ गई, मैं अपने होठों से उसके होंठ चूमने लगा …
उसको मजा आया, कहने लगी- मुझे तुम पहले से पसन्द थे !
फिर तो देरी किस बात की…
मैंने उसके संतरे जैसे स्तनों को हाथ में पकड़ा और मसलने लगा..
उसको भी मजा आ रहा था, कई दिनों से उसने लंड नहीं लिया था …
मैं तो उसको चाटने लगा। ऊपर का गाउन को हटा दिया, अब मेरे सामने वो सिर्फ पेंटी में थी और मैं उसले सारे बदन को चाटने लगा…
यह मेरी बहुत सालों से इच्छा थी जो आज पूरी हो रही थी….
उसके दोनों बूब्स जो मेरी जान थे, वो आज मेरे हाथों में थे …
वो कराह रही थी … काफी गरम हो रही थी….. उसकी गोरी काया ….. मुझे उत्तेजित कर रही थी… पूरा बदन जैसे किसी ने फ़ुरसत में बनाया हो ऐसा था…
मैं नसीब वाला हूँ… मेरी जीभ नीचे की ओर गई … एक भी बाल नहीं था …. मेरी जीभ ने अपना काम चालू कर दिया ….
वो भी काफी उत्तेजित हो चुकी थी !
मेरा ७ इन्च का लंड उसके हाथ में था ….
वो उसको अन्दर लेने के लिए बेताब थी ….
मैंने धीरे से उसकी चूत के मुँह पर लंड को रखा और एक ही झटके में आधा अन्दर घुसेड़ दिया…
क्या टाइट चूत थी… जैसे नई ….
वो बोली …ओह …धीरे से ….
दूसरे झटके में पूरा घुसेड़ दिया…
उसकी आँखों में से पानी निकल गया …
फिर भी बोली …. मजा आया .. जल्दी करो…
मैं तो चालू हो गया
झटके पे झटके ….
उसने दोनों पैर ऊपर उठा के मेरे कंधो पे रख दिए ….
झटके लग ही रहे थे कि उसने मुझे बोला … कुछ और स्टाइल करते हैं …
मैंने बोला- कुतिया बन जाओ…
वो घूम गई और झुक गई…..
क्या गांड थी…
मैं तो पागलों की तरह चूमने लगा !
तो वो बोली … अरे ! दीदी जग जायेगी… !
मैं तो उसकी गांड का छेद देखते ही रह गया…..और उस में डालने की सोचने लगा।
लेकिन उसने मेरा पकड़ के अपनी चूत में घुसेड़ लिया…
मैंने फ़िर से झटके लगाना चालू कर दिया …
काफी समय के बाद उसका पानी निकल गया, मेरा निकलने वाला ही था कि उसने मेरे लंड को मुँह में ले लिया और चूसने लगी …. पूरा पानी पी गई… बोली- अच्छी चुदाई करते हो ! दीदी लकी है ! …. पहले मालूम होता तो पहले ही कर लेती….
मैं भी पूरी रात उसके साथ ही नंगा सोया रहा … पूरी रात में तीन बार उसकी चुदाई की ….. पर उसकी गांड मरने की इच्छा पूरी नहीं हुई …..
यह मेरी सच्ची कहानी है ….. Hindi Sex Stories
Xxx साली जीजा सेक्स कहानी में मैंने अपनी साली की काल्पनिक चुदाई की. मेरी साली बहुत सेक्सी है, उसकी चूचियां बहुत मस्त हैं. मैं उसे कभी चोद नहीं पाया पर कल्पना की है.
दोस्तो, सबसे पहले तो मैं अपना परिचय देता हूं.
मेरा नाम प्रणय है और मैं एक बैंक में काम करता हूं.
मेरी उम्र 27 साल है और शरीर भी तंदुरुस्त है.
मैं यहां पहली बार लिख रहा हूँ और मुझे सेक्स कहानी लिखने का कोई अनुभव नहीं है.
फिर भी मैं कोशिश करूंगा कि आप सबको मजा आए.
मेरी इस Xxx साली जीजा सेक्स कहानी के सभी पात्र काल्पनिक हैं.
मेरी शादी को दो साल हो चुके हैं और हम दोनों मुंबई में रहते हैं.
यह बात जो मैं बताने जा रहा हूं, वह मेरी कल्पना है.
उस लड़की को देखकर जिसे मैं हमेशा से चोदना चाहता था लेकिन रिश्तों की वजह से कभी चोद नहीं पाया.
यह बात मेरी साली की है जो मुझसे उम्र में छोटी है और मेरे साथ अब काफी नटखट भी हो गई है.
उसे देखकर मुझे हमेशा लगता कि काश यह मेरी पत्नी होती.
उसके बारे में सोच सोच मैं हमेशा मुठ मार लेता हूं.
उन दिनों हम दोनों शादी करके कुछ दिनों के लिए ससुराल गए थे.
हमारा स्वागत बढ़िया हुआ था और हम दोनों घर में प्रवेश कर गए.
प्रवेश करते ही मुझे मेरी स्वप्नकन्या दिखाई दी.
उसका नाम सोनल है.
वह बहुत ही सुन्दर हेयर स्टाइल वाली लड़की है.
उस दिन वह पिंक कलर की ड्रेस में एक अप्सरा ही लग रही थी.
उसकी उम्र बीस साल की थी लेकिन उसके भरे हुए स्तन किसी 25 साल की लड़की के जैसे हैं.
सोनल के तने हुए दूध देख कर मुझे अपने सास ससुर के सामने बैठना मुश्किल हो गया था.
जैसे तैसे मैं बहाना करके उठा और वाशरूम से फ्रेश होकर आ गया.
साली के स्तनों का आकार देख कर मुझसे अभी भी रहा नहीं जा रहा था.
सोनल को देखकर तो ऐसे लग रहा था कि वह गंभीर मिजाज वाली लड़की है; उसे सिर्फ और सिर्फ पढ़ाई से प्यार है.
मैं उसे गौर से देखने लगा और उसे देखकर मन ही मन सोचने लगा कि क्या करूँ, जिससे सोनल को सैट कर सकूं.
उस रात मैंने अपनी पत्नी को ऐसे चोदा मानो मैं सोनल को ही चोद रहा हूं.
पत्नी भी संतुष्टि के साथ सो गई लेकिन मुझे अभी भी सोनल की जवानी ने परेशान कर रखा था.
मैंने तय कर लिया था कि कुछ भी हो जाए, मैं सोनल को चोदे बिना वापस नहीं जाऊंगा.
दूसरे दिन सुबह जब मैं उठा तो सब लोग अपने अपने काम में व्यस्त हो गए थे.
फिर मैं भी नाश्ता करके अखबार पढ़ने बैठ गया.
मैंने जान बूझकर नाश्ते की प्लेट सामने रखी ताकि सोनल उसे उठाए और मैं उसके दोनों स्तनों को जीभर के देख सकूं.
हुआ भी वैसे ही.
मैंने अंततः उसके दोनों स्तनों को देख लिया.
मानो मेरे अन्दर ज्वालामुखी भड़क गया था और मुझे अपने लावा को सोनल के स्तनों पर छोड़ना है, यह सोच सोच कर मैं पागल होने लगा.
एक दो दिन और गुजर गए और मेरी परेशानी बढ़ती गई.
मौका देख कर मैंने उससे बात करना शुरू किया.
वह कम ही घुल-मिल पाती थी.
फिर भी कोशिश करके मैंने उससे दोस्ती कर ली.
मैं इस बात से खुश था कि उसने मुझसे दोस्ती की.
एक दो दिन और गुजर गए और वह अभी मुझे बेझिझक बातें करने लगी.
मैं उसके कॉलेज के बारे में बात करने लगा और उसकी सहेलियों व उसकी पढ़ाई को लेकर बात करने लगा.
बात तो वह करती थी, मैं तो सिर्फ उसे निहारता था.
कभी कभी ठंड की वजह से उसके स्तनों के निप्पल कड़क दिख जाते तो कभी मेरी आंखें उसके स्तनों के आकार को दूर से ही नाप लेतीं.
ऐसे ही चलता रहा.
एक दिन बात करते समय हम दोनों उसके एक फ्रेंड की लव स्टोरी डिस्कस करने लगे.
मैंने भी मौका देख कर उससे पूछा- तुम्हारा बॉयफ्रेंड कौन है?
उसने साफ मना करते हुए कहा कि उसका कोई बॉयफ्रेंड नहीं है.
मेरे जोर देने पर भी उसने मना किया तो मैंने और छेड़ना ठीक नहीं समझा और इधर उधर की बातें करने लगा.
फिर हमारे बीच इस तरह बात हुई:
मैं- सोनल क्या मैं एक बात पूछूं, बुरा मत मानना तुम मुझे फ्रेंड मानती हो तो ही पूछूंगा.
सोनल- हां पूछिए न!
मैं- तुम अभी जवान हो गई हो और तुम्हारी सहेली का भी बॉयफ्रेंड है, तो तुम्हें नहीं लगता कि तुम्हारा भी बॉयफ्रेंड होना चाहिए?
सोनल चुप रही.
मैं- डरो मत, मैं किसी से कुछ नहीं कहूँगा!
सोनल- मुझे भी लगता है लेकिन पापा और घर के सभी लोग स्ट्रिक्ट हैं, तो चाहकर भी मैं सिंगल हूँ.
मैं- और एक सवाल पूछूं?
सोनल- हां.
मैं- सेक्स करने का मन करता है? शर्माना मत या फिर गुस्सा भी मत करना.
सोनल- करता तो है, पर अभी मेरी उम्र कम है … और शादी भी नहीं हुई.
मैं- यह कौन बोला कि सेक्स के लिए शादी करनी पड़ती है. सेक्स तो एक कला है. उसे सिर्फ नर और नारी चाहिए शादी नहीं. तुम अपनी दीदी से पूछो सेक्स का मजा क्या होता है!
सोनल- आप भी ना!
वह शर्मा कर उठ गई और जाने लगी.
मैंने सोनल को अपने हाथ से पकड़ा और पहली बार उसकी नजर में मैंने कामवासना देखी.
अब तक मैं काबू खोता जा रहा था लेकिन मुझे जल्दबाजी नहीं करनी थी.
मैं- सच बताओ … कौन हैं तुम्हारा बॉयफ्रेंड?
सोनल- कोई नहीं है.
मैं- फिर शर्मा क्यों रही हो?
सोनल- आपने मेरा हाथ पकड़ रखा है.
मैं- तो क्या हुआ आधी घरवाली हो मेरी!
सोनल- प्लीज छोड़िए, मम्मी आ जाएंगी.
मैं- आने दो.
मौका देख मैंने उसको कमर से पकड़ कर अपनी बांहों में जकड़ लिया.
उसकी छूटने की कोशिश बेकार हुई.
उसे मैंने किस करना शुरू कर दिया.
वह शर्माती हुई मेरा साथ दे रही थी.
तभी मेरी पत्नी आ गई और हम अलग हो गए.
मेरी बीवी को पता नहीं चला.
वह खाने के लिए बुलाने आई थी और चली गई.
उसके जाने के बाद मैंने फिर से सोनल को पकड़ा और उससे कहा- सोनल यार, पहले दिन से तुम्हें देख कर चोदने का मन बनाया है. अब और न तड़पाओ. तुम्हारी दीदी और तुम दोनों लाजवाब हो. दोनों भी सेक्सी हो. लेकिन तुम्हें एक बार चखना है. तुम जितनी टेस्टी हो उतनी टेस्टी तो तुम्हारी दीदी भी नहीं है. तुम्हें वही सुख देने के लिए मैं बेसब्र हूँ. मैं तुम्हारा रात को टेरेस पर इंतजार करूंगा, जरूर आना.
वह चुपचाप चली गई और मैं सोचता रहा कि क्या होगा.
फिर भी मैं रात को वाइफ सोने के बाद ऊपर आ गया और सोनल की राह देखने लगा.
दो बजे के करीब सोनल आ गई और मैं खुशी से झूम उठा.
मैंने उसे कसकर पकड़ लिया और किस करने लगा.
वह अब खुलकर साथ दे रही थी.
हमारे टेरेस से सब कुछ दिखता था लेकिन टेरेस पर क्या चल रहा है, ये किसी को नहीं दिखता क्योंकि हमारे घर की ऊंचाई बहुत ज्यादा थी.
मैं उसको गोद में उठाकर उस कमरे में लेकर आ गया जो टेरेस पर सामान रखने में काम आता था.
उसे दीवार के सहारे खड़ा करके मैं उसके गले को चूमने लगा.
मैं उसके दोनों हाथों को ऊपर पकड़ कर मुँह से उसके गले को और होंठों को चाट रहा था.
मुझसे भी संयम नहीं हो रहा था तो मैंने उसके टॉप को ऊपर करके निकाल दिया और ब्रा के ऊपर से ही उसके स्तनों को चूसने और दबाने लगा.
सोनल सिर्फ ‘जीजाजी मत करो …’ इतना ही कह पाई.
उसके हाथ मेरे बालों को पकड़ कर मेरे सिर को स्तनों पर दबा रहे थे.
मैंने ब्रा को निकाल दिया और जिसका इतना इंतजार किया, उसका जी भरके आनन्द लेने लगा.
खुद की शर्ट को भी उतार कर हम दोनों कमर के ऊपर नंगे हो कर एक दूसरे के जिस्म का आनन्द लेने लगे.
जब तक सोनल के स्तनों पर मेरे दांतों के निशान नहीं बने, तब तक मैं रुका नहीं.
स्तन पान करते हुए मैं पेट को किस करने लगा और वह मदहोश हो गई.
मैंने उसके बचे हुए कपड़ों को भी हटा कर उसे सिर्फ पैंटी पर खड़ा कर दिया.
वह शर्म के मारे आंखें बन्द कर चुकी थी लेकिन मैं उसे देख कर बेकाबू हो चुका था.
मैंने भी मेरे बचे हुए कपड़ों को उतार कर उसे देखा और उसका हाथ पकड़ कर मेरे लंड पर दबा दिया.
लंड की गर्म त्वचा से वह सहम उठी और उसने मुँह दीवार की तरफ कर दिया.
मौका देखकर मैंने उसकी पैंटी भी उतार दी, जो पूरी गीली हो चुकी थी.
पीछे से उसे जोर से पकड़ कर मैंने उसकी चूत को उंगली से छेड़ना शुरू कर दिया और साथ ही दूसरे हाथ से निप्पल को रगड़ना शुरू कर दिया.
वह अब तक दो बार पानी छोड़ चुकी थी और फिर से एक बार गर्म हो चुकी थी.
मैंने उसे पैरों पर बैठने को कहा तो वह झट से बैठ गई.
मुझे तो मानो जन्नत मिल गई. मैंने अपना लंड उसको मुँह में लेने के इरादे से हिलाया.
उसने पहले तो सर हिला कर मना किया लेकिन बाद में वह खुद ही तैयार हो गई और उसने मेरे लंड को मुँह में ले लिया.
वह बड़े ही पेशेवराना तरीके से लंड को चूसने लगी.
यह देख कर मुझे जरा हैरानी हुई.
पर मैं मजा लेने लगा.
मेरा लंड उसके मुँह हिसाब से साइज़ में काफी बड़ा था और वह पूरा लंड अन्दर तक नहीं ले पा रही थी.
फिर भी उसे मजे लेने थे तो उसने अपने मुँह में किसी तरह से पूरा लंड ले लिया.
मेरी पत्नी तो कभी लंड को छूती भी नहीं थी.
मैंने उसे उठाया और कहा- सोनल, तुमसे अच्छी लंड चूसने वाली कोई नहीं है. तुम्हारी दीदी को तो ये पसंद ही नहीं है.
सोनल- जीजा जी, आप टाइमपास न करो, मैं अभी तड़प रही हूं. जल्दी से अपना ये औजार मेरी चूत में डालो और इसकी भूख मिटाओ.
मैंने भी समय की गहराई को देखकर तुरंत उसे दीवार पर सटा कर अपना लंड पीछे से उसकी चूत में डाल दिया और धक्के लगाने लगा.
पहला धक्का लगते ही उसके मुँह से चीख निकली और वह तड़प उठी.
मैंने उसकी कमर को न छोड़ते हुए और एक धक्का लगाया.
फिर तो मैं वहशी हो गया और धक्के पर धक्का लगाता चला गया.
वह भी लंड रगड़ से मजा लेने लगी.
कुछ ही देर में उसकी चूत से खून निकलने लगा था लेकिन अंधेरे में उसे कुछ समझ नहीं आया.
कुछ ही देर में वह एक बार फिर से झड़ गई और पुराने गद्दे पर लेट गई.
मैं अभी बाकी था, तो रुकने के मूड में नहीं था. मैं उधर ही उसकी चूत में पूरा लंड डालकर उसे चोदने लगा.
वह थक गई थी लेकिन मुझे साथ दे रही थी.
मुझे भी लगा कि अब मैं झड़ने वाला हूं.
तो मैंने उसके दोनों स्तनों पर मेरे वीर्य का स्खलन शुरू कर दिया और वीर्य की आखिरी बूंद तक टपका दी.
फिर मैं भी उसी के बाजू में लेट गया.
हम दोनों की सांसें फूल रही थीं लेकिन मेरी खुशी का ठिकाना नहीं था.
मैंने जो सोचा था हो गया.
पड़े पड़े हम दोनों एक दूसरे को देख मुस्कुराते रहे और फिर उठकर अपनी अपनी जगह पर जाकर सो गए.
सोते समय भी मुझे सोनल के शरीर का स्पर्श महसूस हो रहा था और मैं सपने मंख भी यही चाह रहा था कि वह मुझसे अलग ना हो.
दूसरे दिन सोनल मुझे देख कर शर्माने लगी और मेरे सामने ही नहीं आई.
मैंने सोचा कि ऐसे काम नहीं चलेगा, मुझे कुछ करना पड़ेगा.
तब मैंने इशारे में उसे कोने में बुलाकर उससे उसका फोन नंबर मांगा और उसे मोबाइल पर बात करने को कहा.
मैं- क्या हुआ शर्मा क्यों रही हो? कल जो हुआ, क्या वह पसंद नहीं आया?
सोनल- ऐसी बात नहीं है. मुझे बहुत पसन्द आया और आपका वह भी काफी बड़ा है.
मैं- ऐसी बात है, तो फिर घूमने चलें? बहाना बनाकर बाहर चलते हैं?
सोनल- ना बाबा ना … जो कुछ करना है रात को ही कर लेना!
मैं- ठीक है, फिर लेकिन आज रात रंगीन होगी. आधा अधूरा नहीं छोडूंगा.
सोनल शर्माकर मेरी ओर देखने लगी और मैं रात का इंतजार करने लगा.
आज मैंने पहले से कुछ सैटिंग कर रखी थी.
कल रात जो दिक्कत आई थी, वह न हो इसलिए मैंने गद्दा अच्छी तरह बिछाया और उस पर कपड़ा डालकर उसे कुछ ठीक कर दिया.
अब बस इंतजार सिर्फ सोनल के आने का था.
आज कुछ नया भी ट्राय करना था तो मैंने मन ही मन ठान लिया कि उसे आज पूरी रात सोने नहीं देना है.
सब लोग सोने के बाद मैं चुपके से ऊपर चला गया और उसका इंतजार करने लगा.
थोड़ी देर में वह भी आ गई.
मैंने उसे गद्दे पर लिटाया और उससे लिपटकर चूमने और चाटने लगा.
वह पहले से ही गर्म हो गई थी और मेरे ऐसा करने से वह और जादा कामुक हो गई.
मैंने उसका टॉप ऊपर करके धीरे धीरे स्तनों को चूसना और चाटना चालू किया.
वह आह आह की आवाज निकालने लगी.
मेरा भी लंड तन चुका था.
मैंने उसकी नाभि को चाटकर गीला कर दिया और नीचे की ओर जाने लगा.
उसकी पैंटी को नीचे कर उसकी चूत को देख कर मैं बेकाबू हो गया और मैंने अपनी जीभ से उसकी दोनों पंखुड़ियों को अलग कर दिया.
वह मेरे बालों को पकड़ कर मेरा सिर अपनी चूत पर दबाने लगी.
मैंने पूरा प्रयास करके उसकी चूत में अपनी जीभ डालकर रसपान शुरू किया और उसे काम वासना के शिखर पर पहुंचा दिया.
इधर मेरी कामवासना भी तूफान की तरह उछल पड़ी थी तो मैंने मेरी दिशा बदली और मेरा लंड उसके मुँह में डाल दिया.
फिर मैं 69 की पोजीशन में आ गया. उसके लिए ये चीज नई थी, लेकिन उसे मजा भी आ रहा था.
मैंने पूरा लंड उसके मुँह में डाला और मेरी जीभ जितनी अन्दर जा सकी, उतनी पेल कर अच्छी तरह से उसकी चूत को चाटा.
बड़ी देर बाद जब हम दोनों झड़ गए तो थोड़ी देर के लिए एक दूसरे से लिपटकर वैसे ही पड़े रहे.
अचानक से सोनल ने फिर से लंड चूसना चालू कर दिया और मेरा लंड भी तुरंत खड़ा हो गया.
इस बार बारी चूत चुदाई की थी.
मैंने सोनल की चूत पर अपना लंड सैट करके जोर से झटका लगाया.
इस बार मेरा लंड पूरा अन्दर चला गया.
कल जैसे खून आया था, आज उतना खून नहीं आया.
सोनल को भी सेक्स की लत लग चुकी थी और वह उछल उछल कर मेरा लंड ले रही थी.
दोनों टांगों को ऊपर उठाकर मैंने पूरी ताकत के साथ लंड अन्दर डाल दिया.
सोनल की चीख निकल गई लेकिन अभी मैं रुकने के मूड में नहीं था.
दस मिनट की चुदाई के बाद हम दोनों ने पोजीशन बदली.
मैंने उसे कुतिया की तरह खड़ा करके चोदना शुरू किया.
यह पोजीशन हम दोनों को पसंद आई.
धकाधक पेलापेली से थक कर हम दोनों एक दूसरे को चूमने लगे.
बड़ी देर तक Xxx साली जीजा सेक्स यानि चुदाई चलती रही लेकिन न वह झड़ रही थी और न मैं!
फिर मैंने उसे पुनः दीवार से सटाकर चोदना शुरू किया.
शरीर की पूरी ताकत जुटा कर मैंने जोर जोर से उसे चोदना चालू कर दिया था.
अब वह भी थक चुकी थी तो उसने मुझसे कहा- मुझे लंड के रस को पीना है.
उसे मेरा माल टेस्टी लगा था.
मैंने उसे नीचे बिठाकर उसके मुँह में लंड दे दिया.
थोड़ी देर के झटकों के बाद उसने मेरा सारा माल पी लिया व लंड को चाट कर साफ भी कर दिया.
हम दोनों बहुत खुश थे.
तीन बार चुदाई करने के बाद देर रात को हम दोनों अपने अपने बिस्तर पर जाकर सो गए.
उस दिन से आज तक मैंने कभी भी सेक्स की कमी को महसूस नहीं किया.
कभी पत्नी के साथ तो कभी साली के साथ चुदाई के पूरे मजे किए.
आपको मेरा ये प्रयास कैसा लगा, मेल करके जरूर बताएं.
Xxx साली जीजा सेक्स कहानी पर अपनी विचार कमेंट्स और मेल में लिखिए.
रेखा मेहता ने झांसी से मुझे मेल के Sex Stories द्वारा अपनी कहानी का एक स्वरूप बना कर भेजा था, उसे कहानी के रूप में ढाल कर आपके सामने प्रस्तुत कर रही हूँ।
मेरे पति कपिल का दोस्त राहुल, जिसकी यह कहानी है, मेरे घर पर लगभग रोज ही आता था। जब राहुल पहली बार जब घर में आया था उसकी नजर मुझ पर पड़ी। वो मुझे देखता ही रह गया। मेरी नई नई शादी हुई थी, मेरी उमर भी बीस वर्ष की थी। भरपूर जवानी के दौर में थी। अभी तक मुझ पर से कॉलेज का नशा नहीं उतरा था। मैं कभी जीन्स, या काप्री और टॉप पहनती थी। कॉलेज के समय से ही अपने फ़िगर को दूसरों के सामने उभार कर दिखाना हम लड़कियों का सबसे फ़ेवरेट शौक था। राहुल के सामने भी मैं लगभग उसी अन्दाज़ में आती थी। राहुल की वासना भरी निगाहें मुझ पर पड़ चुकी थी। उसके ऐसे घूरने से मैं भी रोमांचित हो उठती थी। उसे उत्तेजित करने में मुझे मजा भी आता था। शायद मैं उससे चुदना भी चाहती थी। राहुल एक पच्चीस साल का जवान था। सुन्दर था और स्टाईल में रहता था। वो और मेरे पति कपिल रेलवे में काम करते थे। राहुल बुकिन्ग क्लर्क था और मेरे पति ट्रेन टिकट एक्जामिनर थे। राहुल का घर हमारे पास ही था। कपिल को कही मुझ पर शक ना हो इसलिये मैं राहुल को भैया कहती थी।
वो जब भी मुझे घूरता था तो मुझे भी लगता था कि मैं भी उसे देख कर मुस्कराऊँ और उसे आगे बढ़ने की हिम्मत बढ़ाऊँ। पर शरम के मारे मैं ऐसा नहीं कर सकती थी। पता नहीं वो मुझे ऐसे क्यूँ देखता था, शायद उसके दिल में भी मेरे लिये भावनाएँ थी। मेरे पति सुबह ही ड्युटी पर निकल गये थे। राहुल आज करीब नौ बजे मुझ पर लाईन मारने घर आया था। उसके पास बात करने को कुछ भी नहीं था। बस उसने कपिल के बारे में पूछा, जिसके बारे में वो पहले से जानता था कि वो इस समय घर पर नहीं होगा।
मैंने कहा – वो तो नहीं है, काम पर गये हैं।”
मैं दरवाजे पर खड़ी हुई उसे निहार रही थी। वो मुझे देख कर हमेशा की तरह मुस्कराया। मेरी नजरें झुक गई और मैं जमीन की ओर देखने लगी।
“आप अकेली हैं, क्या मैं अन्दर आ सकता हूँ?” उसने मुस्करा कर पूछा।
“ओह, सॉरी, अन्दर आईये ना भैया, हां अभी मैं अकेली हूँ, आपको तो पता है, मैं इस समय अकेली रहती हूँ।” मैंने शर्माते हुये जवाब दिया। वो अन्दर आ गया।
“भाभी जी, आप अभी भी पढ़ाई करती हैं?” उसका बेतुका सा प्रश्न था जिसका उत्तर वो जानता था, पर मुझे पता चल गया था कि वो मुझ पर लाईन मारने आया था।
अब मैं सोच रही थी कि कैसे उसे रिझाऊं कि वो मुझे अकेली पा कर कुछ सेक्सी हरकत करे। सो बस मैंने एक मतलब भरी तिरछी नजर उस पर डाली और मुस्करा दी। ये तो उसके लिये जरूरत से ज्यादा ही हो गया।
“चाय लेंगे आप ? कोई खास काम से आये थे आप ?” मेरी तिरछी नजरें अब भी उसे न्योता दे रही थी। बस समझने वाला चाहिये था। शायद वो समझदार था।
“चाय तो पी लूंगा, पर हाँ आया तो खास काम से ही था।” मैं चाय बनाने चली गई, राहुल भी उठ कर वहीं आ गया और शायद नजरों इशारा पा कर उसने मेरे कंधे पर हाथ रख दिया और बोला,”शालू, तुम बहुत सुन्दर लगती हो !”
उसके हाथ लगाते ही मेरे शरीर में चीटियां सी रेंगने लगी, मुझे तेज झुरझुरी आ गई। उसकी वासना भरी आवाज में लड़खड़ाहट थी। मुझे लगा कि उसने बहुत अधिक हिम्मत कर ली थी। मेरा मन अन्दर से खुशी से कांप उठा। पर मुझे तो अपने आप को पतिव्रता बताना था ना।
“भैया, आप वहा बैठे प्लीज !” मैंने चाय निकाली तो लगा मेरे हाथ कांप रहे थे। मैं ज्योंही पलटी, राहुल बिलकुल सामने था। मेरे हाथ से चाय गिरते गिरते बची।
“शालू, प्लीज बस एक बार मुझे किस दे दो !” उसकी सांसे तेज थी।
“क्…क्… क्या ?” मैं बुरी तरह से चौंक गई, और थर थर कांपने लगी। मुझे लगा मैं एक्टिन्ग ठीक ठाक कर लेती हूँ। पर सच में मुझे इस तरह बहुत शर्म आ रही थी। ऐसा कभी किया नहीं था ना। एकदम से मेरी हिम्मत नहीं हुई कुछ पहल करने की।
“राहुल जी, नहीं नहीं, ये क्या कह रहे हैं आप !” मेरी निगाहें नीचे झुक गई। चाय मैंने वहीं वापस रख दी। मैं चुप से पास में से निकल कर बैठक में आ गई और दीवार से लग कर खड़ी हो गई।
“प्लीज, शालू सिर्फ़ एक बार, मैं किसी को कुछ नहीं बताऊंगा।” उसकी विनती जारी थी। उसकी सांसों के साथ उसकी धड़कन की आवाज तक मुझ तक आ रही थी। उसने शायद ये कहने में अपनी पूरी शक्ति लगा थी। मैं घबरा गई हालांकि वो मुझे अच्छा लगता था, पर एकदम से जैसे मुझ पर हमला हुआ हो, मैं कुछ तय नहीं कर पाई। मुझे लगा कि वो एक किस ले लेगा तो मेरा क्या जायेगा। मान जाऊं क्या ? पर कहीं और आगे बढ़ गया तो, क्या फिर मुझे ये चोदेगा। ये सोच कर मुझे वासना का तेज भी चढ़ने लगा और घबराहट सी भी होने लगी। पर ये सोच कर एक बार मेरी चूत में भी फ़ड़फ़ड़ाहट हो गई। इसी कशमकश के बीच राहुल मेरे करीब आ चुका था। मेरी नजरे जमीन में गड़ी जा रही थी। मेरे चेहरे पर शर्म की लालिमा आ गई थी। मैं बार बार नजरे उठा कर उसकी ओर देखने लगी।
“शालू प्लीज, मान जाओ ना !” उसके हाथ एकबारगी मेरी तरफ़ बढ़ चले थे।
“नही, भैया नहीं, ये पाप है, मुझे छूना नही, प्लीज !” दिल में इच्छा होते हुए भी मुझे जाने क्यों मर्यादा तोड़ना अच्छा नहीं लग रहा था।
“सिर्फ़ एक बार, आपका क्या जायेगा, मेरी दिल की इच्छा पूरी हो जायेगी।” लगभग वो हांफ़ उठा था।
“मैं मर जाऊंगी, राहुल, बस आप जाईये यहाँ से !” मैं पसीना पसीना हो उठी, मेरा दिल धड़क उठा, किसी अन्जाने सुख की तलाश में मेरा मन भटक चला।
राहुल ने मेरे चेहरे को उठाया और कहा,”सच में चला जाऊगा, ठीक है !! बस एक किस के बाद !” और उसने गजब ही हिम्मत दिखाते हुए अपने होंठ मेरे कांपते होंठ पर जबरदस्ती रख दिये। मेरे दोनों हाथ उसने कस कर पकड़ लिये। मैंने जाने किस नशे में अपनी आंखे बन्द कर ली। मेरा मन खिल उठा। मैं उसे कुछ नहीं कह पाई। शायद कहना भी नहीं चाहती थी। वो मेरे होंठ पीने लगा। अब उसने मेरे हाथ छोड़ दिये थे और अब उसके प्यार भरे हाथ मेरे बालों को संवार रहे थे। एक हाथ मेरे पीठ को सहला रहा था। मैं लम्बाई में छोटी थी, उसके पांवो पर चढ़ गई और अब अपने हाथ उसके गले में हार की तरह डाल दिये। मेरा सीना उसके सीने से दब गया, और जोर से अपने उरोज उसकी छाती से रगड़ने लगी। मेरे मन में आनन्द की लहरें उठने लगी। उसने जोश में मेरे चूतड़ों की गोलाईयाँ सहला डाली। वासना का आनन्द मुझ पर चढ़ने लगा। अचानक मेरे वक्षस्थलों पर उसका हाथ जम गया और उसे सहलाने लगा।
मेरे निपल कड़े होने लगे। मेरे स्तन उसके हाथों में मचल उठे। तन में मीठी सी आग जल उठी। मैं मदहोश होने लगी। हाय राम… मुझे ये क्या हो गया…इसे मैं भाई कहती हूँ… पर मुझे ये कैसा आनन्द आ रहा है… क्या ये आनन्द सही है या रिश्ता… पर रिश्ता तोड़ा तो राहुल ने ही है ना… कौन सा मेरा सगा भाई है … हाय मसल दे मुझे…। उसी समय राहुल ने मुझे धीरे से अपने पांवों पर से मुझे उतार दिया। जैसे नशा टूट गया…
“शालू, देखो किसी को मत कहना, आपका ये अहसान जिन्दगी भर मेरे दिल में रहेगा, मुझे असीम आनन्द आया, थंक्स शालू !” उसकी सांसे अब भी उखड़ी हुई थी। अचानक उसका मुझे यूँ छोड़ देना मुझे नहीं भाया, मेरी नजरें झुक गई और पैर के नाखून से जमीन कुरेदने लगी।
“राहुल जी, आप भी मत कहना, अब आप जाईये।” मैंने अपनी बड़ी बड़ी आंखे उठा कर राहुल की ओर देखा।
“क्या मैं कल भी आऊ?” उसकी शरारत भरी मुस्कान मेरे दिल को चीर गई।
“आपकी मरजी, आपका घर है !” घायल सी मैं बोली। राहुल खुश हो गया और जल्दी से दरवाजा खोल कर बाहर निकल गया।
उसके जाने के बाद मेरा दिल अब कही नहीं लग रहा था। मैं निढाल सी बिस्तर आ गिरी और राहुल के बारे में सोचने लगी। पहले तो मुझे अपने ऊपर शर्म आने लगी कि मैंने ये क्या कर डाला। फिर शनै: शनै: मुझे सब कुछ मोहक लगने लगा। अपनी छातियों पर दबाव, निपल को खींचना, नरम होंठो का किस, मेरे नरम नरम चूतड़ को सहलाना, मेरे बदन में आग भरने लगी। काश मैं उसका लण्ड पकड़ कर दबाती, उसका सुपाड़ा बाहर निकाल कर मलती। एक बार अपनी चूत में उसे ले कर तड़पती, तो मुझे शान्ति मिलती। शाम को कपिल थका हुआ सा घर आया और आते ही उसने राहुल को बुला लिया। राहुल ने मुझे जान कर देखा तक नही, बस आकर दोनों ने ड्रिंक ली और कपिल खाना कर सोने चला गया। राहुल कुछ देर तक बैठा रहा, शायद मुझसे कुछ कहना चाहता था।
“शालू, सुबह के लिये एक बार फिर थेंक्स !” उसने मेरी तरफ़ बड़ी आशा भरी निगाहों से देखा, मुझे समझ में आ गया कि वो चाहता है कि मैं उसे सुबह बुलाऊँ। वैसे सुबह ही बात हो चुकी थी, पर शायद वो उसे सुनिश्चित करना चाह रहा था। पर फिर से कैसे कहूँ ? मैं शरमा गई और धीरे से बोली,”भैया, बार बार कह कर शर्मिन्दा मत करो।”
“कल सुबह आप फ़्री है ना, यही पूछ रहा था?” मेरी नजरें फिर से झुक गई। मैंने नजरें नीची करके ही बस हां में सिर हिला दिया। वो उठा और जल्दी से बाहर चला गया।
रात भर मैं फिर से राहुल के ख्यालों में उलझ सी गई। मुझे वो सेक्सी लगने लगा। मुझे अब लगा कि सुबह वो क्या क्या करेगा, जरूर वो मुझे चोदेगा, मेरी इच्छा जरूर पूरी करेगा। मेरे बोबे भी मसलेगा और्… और्… लण्ड को मेरी चूत में… हाय राम, मैं तो मर जाऊंगी।
मेरी आंख खुली तो कपिल मुझे देख कर मुस्करा रहा था। मुझे जागते देख कर पूछा,”रात को तुम कोई सेक्सी सपना देख रही थी क्या” उसके कहते ही मैं उछल पड़ी।
“हाय राम, आपको क्या पता ?” फिर मैं ही शरमा गई। शायद मैं सोच सोच कर रात को झड़ गई थी।
“हाय कपिल, तुम तो बस सो जाते हो, मेरा तो कुछ सोचते ही नहीं !” मैंने पकड़ा जाने पर शिकायत कर दी।
“डार्लिन्ग, अभी नहीं, मुझे अभी जुकाम और हल्का बुखार है, ठीक होने दो।”
मुझे लगा कि कहीं ये आज की छुट्टी ना ले लें। पर नहीं, उसका छुट्टी लेने का जरा भी मन नहीं था। मैं तुरंत उठी और नित्य कर्म से निपट कर कपिल के लिये नाश्ता और टिफ़िन बनाने लगी। कुछ ही देर में वो ऑफ़िस के लिये निकल गया। मैंने अपना सफ़ेद टाईट पजामा पहना, पर पेन्टी नहीं पहनी। ढीला सा ऊंचा सा टॉप बिना ब्रा के पहन लिया। मुझे लगा कि सच में मुझे ब्रा की आवश्यकता ही नहीं थी। मेरे स्तन तो वैसे ही सीधे तने हुए खड़े थे। मुझे ये सब अपने मजे के लिये तो करना ही था। मेरा दुबले बदन की सारी गहराईयां अधिक लचीली नजर आने लगी। पजामा चूतड़ों की दरार में घुस कर उसकी गहराई नाप रहा था, शायद राहुल को ये सब सेक्सी लगेगा। यदि अब वो मेरे स्तनो पर हाथ डाले तो सीधे बोबे ही उसके हाथ में आये। लण्ड तैयार हो तो अन्दर जाने में कठिनाई ना हो। पर मुझसे यह सब कैसे होगा।
राहुल भी अपने समय से आ गया। उसे देखते ही मेरे दिल की धड़कन बढ़ गई। मुझे पता था आज वो फिर किस करेगा और फिर्…
“शालू, मुझे कल कितना मजा आया कि मैं बता नहीं सकता।” उसने कल की बात याद दिलाई। मैं शरमा गई और झुकी निगाह से कह उठी। बात सीधे ही बिन्दु पर लाने का ये सबसे अच्छा तरीका था।
“राहुल, पर ये सब ठीक नहीं है, अगर पता चल गया तो मैं तो मर ही जाऊंगी।” मैंने अपनी शंका व्यक्त की। राहुल उठा और मेरे पास आ गया।
“मेरे ऊपर भरोसा रखो, जवानी है तो मजे लूटो और जिस्म की प्यास खुद भी बुझाओ और मुझे भी बुझाने दो।”
“राहुल, हाय रे ऐसे ना कहो, मुझे कुछ होता है” मैंने अपनी तड़प उसे दर्शाई।
“शालू, तुम्हारा जिस्म लाजवाब है, तुम्हारा क्या मस्त फ़िगर है, इसका मजा उठा लो।”
“नहीं जी… वो… वो … कैसे… हाय रे मैं मर जाऊंगी।” मैं कांप उठी।
“सच में , ये बदन इतना सेक्सी है कि इसे एक मर्द मसलने को चाहिये” उसके हाथ मेरी कमर पर आ गये और मेरे स्तन की और बढ़ने लगे। मैं अपने कांपते हाथो से उसका हाथ रोकने की कोशिश करने लगी, पर नाकाम रही, ताकत के साथ मेरे हाथ को हटाते हुए वो मेरे चूंचियो के ऊपर आ गये। मेरी सिसकारी निकल पड़ी। मेरे चूंचियां दब गई… एक मीठी सी कसक उठी।
“ना कर्… हाय, लाज आती है।” मैं सिमट उठी। पर मन में लगा कि मेरी चूंचियाँ वो बेरहमी से मसल डाले। मेरी मन की कसक शांत कर दे। उसका हाथ मेरी चूंची को सहलाने लगे। तभी उसका दूसरा हाथ मेरे पेट को दबाते हुए टाईट पजामे में घुस कर चूत की ओर बढ़ गया।
“बस ना… ये नहीं करो…मैं मर जाऊंगी राम रे !” पर तब तक उसका हाथ मेरी नरम नरम झांटो को सहलाते हुए चूत तक पहुंच गया था और मेरी चूत को प्यार से सहला रहा था। मेरी चूत गीली हो चुकी थी, उसका चिकनापन उसकी अंगुलियों में लग गया। मैं तड़प उठी। मुझे मीठी मीठी सी सेक्सी गुदगुदी का अहसास होने लगा था। मैंने उसे धन्यवाद की नजरों से निहारा। मेरा मन उसका लण्ड पकड़ने को तरस उठा। मेरी चूत लपलपा उठी। मैंने अब शरम छोड़ दी और मेरे मुख से एक हाय निकल पड़ी। मैंने शर्म के साथ अपना पांव और जिस्म फ़ैला कर उसके हवाले कर दिया। उसके हाथ मेरे जिस्म पर फ़िसलने लगे, मुझे नशीली तरंगों का अह्सास होने लगा। मेरी चूंचियों को वो मसलने लगा, चूत के अन्दर उसकी दो दो उंगलियां उसकी गहराईया नापने लगी। मेरा बदन उसकी बाहों में बल खाने लगा, तड़प उठा।
उसने मुझे उठाया और बिस्तर पर लेटा दिया। उसने अपनी कमीज और पैन्ट उतार दिया और अपना बलिष्ठ लण्ड मेरे सामने लहरा दिया। उसका लण्ड तन्ना कर सीधा खड़ा था। मैंने धीरे से उसका लण्ड थाम लिया और हाथों में कस लिया। उसके मुँह से हाय निकल पड़ी। मेरा पजामा उसने नीचे खींच लिया और मेरा टॉप भी उतार कर पास में रख दिया। मैंने उसके लण्ड को कस कर थाम कर मुठ मारना आरम्भ कर दिया। आह भरते हुए उसने मेरी तारीफ़ करने लगा।
“सुन्दर, शालू, तुम्हारा जिस्म कितना सुन्दर है !” वो कुछ करता उसके पहले ही मुझसे नहीं रहा गया और उसके लण्ड को मुँह में ले लिया और चूसने लगी। उसने तो मुँह में ही धक्के मारने आरम्भ कर दिये। मुझे बहुत ही आनन्द आने लगा।
उसने अपना हाथ पीछे करके मेरी चूत को सहलाते हुए मेरी योनि-कलिका को हल्के से मल दिया। दाना मलते ही एक तीखा मजा आया। फिर उसकी अंगुली मेरी चूत में उतरती चली गई। मैं मस्ती में चिहुंक गई। अब उसने मेरे मुख से लण्ड निकाल लिया और मेरे ऊपर लेट गया और मेरे मुख से मुख मिला दिया और मेरे होंठ और जीभ को चूसने सा लगा। उसका जिस्म का दबाव मेरे ऊपर बढ़ता ही चला गया और उसके भटकते राही ने अपनी राह ढूंढ ही ली। लण्ड अपना रास्ता खोज कर आगे बढ़ चला और गहराईयों का लुफ़्त लेने लगा। मेरे शरीर में लण्ड के अन्दर उतरते ही, एक तेज मिठास जिस्म में भर गई। योनिद्वार से मस्ती का पानी चू पड़ा। उसका मुख मेरे मुख को रगड़े जा रहा था और लण्ड की मस्ती भरी चाल मेरी योनि को असीम सुख दे रही थी। मेरी टांगें ऊपर की ओर उठ चुकी थी और कमर खुल कर चल रही थी। मेरी आंखे मस्ती में बंद थी। मेरी कस कर चुदाई चल रही थी। सच में राहुल एक अच्छी चोदने की कला जानता था। मेरा पूरा जिस्म वो इस तरह से मसल रहा था कि मेरा कोई भी अंग अछूता नहीं रहा।
अचानक मुझे लगा कि मैं अब नहीं सह पाउंगी और झड़ जाऊंगी। मेरे शरीर में अतिवासना भर उठी। पूरा जिस्म वासना की तीव्र मिठास से भर उठा और मैंने राहुल को जकड़ लिया। राहुल समझ चुका था, उसने और तेजी दिखाई और मैं छूट पड़ी। चूत ने पानी छोड़ दिया और मैं झड़ने लगी। पर राहुल में दम था, उसका कड़क लण्ड बाहर आ गया। मेरी उठी हुई टांगों का फ़ायदा उठाते हुए उसने अपना लण्ड मेरे दूसरे छेद में सटा दिया। मैं एकदम से घबरा उठी, क्योंकी मेरे गाण्ड का द्वार अभी तक अछूता था और खुला हुआ भी नहीं था। मुझे पता था कि मेरी गाण्ड में यदि उसका लण्ड घुस पड़ा तो मेरी फ़ट भी सकती है।
“राहुल प्लीज ये नहीं करना…उईऽऽऽऽ… मत घुसाओ ना…हाऽऽऽय रेऽऽऽ…मार दी रे मेरी…” मैं विरोध करते हुए चीख सी उठी, पर जब तक लण्ड मेरी गाण्ड में घुस चुका था। मैं दर्द से तड़प गई। पर मेरी गाण्ड अभी नरम थी, स्किन भी नरम थी सो फ़टने से बच गई।
“बस हो गया शालू… इसे भी कब तक छुपा कर रखती…थोड़ा सा दर्द होगा, पर असली मजा तो यही है।”
उसका दूसरा धक्का लगा, मुझे लगा की जैसे गाण्ड में आग लग गई हो। मैंने अपना मुख कस कर बंद कर लिया। मेरी आंखो से आंसू निकल पड़े। मेरी गाण्ड में जलन होने लगी। उसने धीरे धीरे लण्ड अन्दर बाहर करना आरम्भ कर दिया। धीरे धीरे आग जैसी जलन कम होने लगी। वो मेरी गाण्ड के छेद में थूक लगाता जाता और लण्ड पेलता गया। उसकी आहें भी तेज हो उठी, और मेरी चीखें क्रमश: कम होती गई। पर गाण्ड का छेद टाईट होने से उसका वीर्य छूट पड़ा और मेरी गाण्ड के अन्दर ही भरने लगा। उसका चिकना चिकना वीर्य मेरे दर्द को भी राहत दे रहा था और मेरी गाण्ड की पूरी ग्रीसिन्ग भी होने लगी थी। उसका लण्ड सिकुड़ कर बाहर आ गया। उसने मेरा टॉप लेकर मेरी गाण्ड साफ़ कर दी।
“राहुल, देख खून तो नहीं निकला ना?”
“नहीं जरा सा भी नहीं, रोज ग़ाण्ड भी मराना तो फिर तुम्हें पूरा मजा आयेगा, और छेद भी खुल जायेगा !”
“नही, पीछे तो लगती है, आगे ही ठीक है !” मैंने अपनी बात कही।
“ईश्वर ने जितने छेद दिये हैं उसका पूरा फ़ायदा उठाओ, चुदाई कराओ तो पूरी कराओ, पूरा मजा लो, सारे छेद मुझसे खुलवा लेना फिर भरपूर मजा उठाना चुदाई का !” राहुल ने मुझे समझाया।
“धत्त, अब बस भी करो, चलो जल्दी से कपड़े पहन लो, कहीं कोई आ गया तो … मजा तो हमने ले ही लिया है ना !” मैं हंस पड़ी।
“बस अपन दोनों को मजा आ गया, चुदाई सफ़ल हो गई” राहुल ने भी कमेन्ट्स किये। हम दोनों ने जल्दी से कपड़े पहन लिये और दरवाजा शरीफ़ लोगों की तरह खोल दिया। मैं चाय बना कर ले आई और अब हम दोनों अच्छे पड़ोसी की तरह व्यवहार कर रहे थे। प्यार की बातें होने लगी थी। हम दोनों को अब लगने लगा था कि कही हमें प्यार तो नहीं हो गया है… Sex Stories
एक बार मैं फिर Antarvasna Stories आपके सामने अपनी नई कहानी के साथ हाजिर हूँ।
मेरी यह कहानी एकदम सच्ची है जो आप लोगों को एकदम अपने करीब लगेगी। मेरी शादी को आज लगभग 15 साल हो गए। मेरी शादी के बाद अपनी पत्नी के अलावा मेरा सबसे पहला सैक्सपिरियन्स मेरी साली कोमल के साथ था। मेरी पत्नी घर में सबसे बड़ी है। उसके बाद उसकी दो साल छोटी बहन कोमल तथा लगभग चार साल छोटा भाई है। घर में सब कोमल को प्यार के नाम से “बेबो” कहते हैं।
मेरी पत्नी को पहला बेटा हुआ। जब मैं अपनी पत्नी को अपनी ससुराल से लेने गया तो मेरी साली जो बी.ए.- द्वीतीय में पढ रही थी, की गर्मियों की छुट्टियाँ चल रही थी और लगभग एक महीने की छुट्टियाँ बाकी थी। मेरी पत्नी ने घरवालों से जिद करके, छोटे बच्चे की वजह से बेबो को भी साथ ले लिया। हम सब गुड़गाँव वापस आ गये। मेरी पत्नी और बेबो सारा दिन छोटे बच्चे की देखभाल में लगी रहती। मैंने 10 दिन की छुट्टियाँ ले ली। दिन में मैं और बेबो जब भी खाली होते तो लूडो या कैरम खेलते।
शाम को हम सब पार्क में जाते और अकसर रात का खाना बाहर खाते। मैं बेबो से पूछता कि खाने में क्या लेना है। फिर बेबो की ही पसंदीदा खाना आर्डर करता। हम सब जब भी मार्केट जाते तो मैं बेबो को जरूर से कुछ ना कुछ दिलवाता। बेबो मना करती मगर मैं जबरदस्ती उसे कभी गौगल, कभी पर्स वगैरा कुछ ना कुछ जरुर दिलवाता। चार दिनों में ही बेबो और मैं एक दूसरे से बहुत खुल गये थे। रात को जब मेरी पत्नी छोटे बच्चे को दूध पिलाते-पिलाते सो जाती तो मैं और बेबो देर रात तक बाते करते। खैर…
एक दिन मेरी पत्नी दोपहर में बच्चे को दूध पिलाते-पिलाते सो गई और बेबो नहाने के लिये चली गई। मैं गैरेज में गाड़ी साफ करने लगा। बाथरुम की छोटी सी खिड़की गैरेज में खुलती थी। खिड़की कुछ उँचाई पर थी। इसलिये आसानी से कुछ देख नहीं सकते थे। मैं जब गाड़ी के टायर पर चढ़ कर गाड़ी की छत साफ कर रहा था तभी मेरी नजर बाथरुम की खिड़की पर पड़ी। बाथरुम में बेबो बिलकुल नंगी शावर के नीचे नहा रही थी। उसका जवान नंगा जिस्म शावर में मेरी तरफ पीठ किये था। उसके नंगे और गोरे बदन पर शावर से पानी की बूंदें गिरकर चमक रही थी।
उसके चूतड़ों की गोलाईयां और गहराइयाँ मेरे नजरों के सामने थी। उस समय मेरे बदन में सनसनी फ़ैल रही थी। फिर वो पलटी और उसने अपना बदन अब मेरे सामने कर दिया। अब मुझे उसके बड़े-बड़े स्तनों पर पानी की बूँदें चमक रही थी, छोटे-छोटे भूरे चुचूक मुझे और उत्तेजित कर रहे थे। उसकी चूत के घने बाल पानी की वजह से चिपके हुऐ थे और लटक रहे थे। शावर का ठंडा- ठंडा पानी उसके शरीर पर पड़ कर बह रहा था। वो कभी अपनी चुंचियाँ मलती, तो कभी अपनी चूत साफ़ करती। मैं उसे देख-देख कर और उत्तेजित होने लगा था।
जब वो नहा चुकी तो अपना बदन तौलिये से पौंछने लगी। वो तौलिये से अपनी चुचियाँ मल-मल कर पौंछने लगी। उसकी चुंचियाँ कड़ी होने लगी थी। फिर वो तौलिये से अपनी चूत साफ़ करने लगी। उसकी चूत के काले घने बाल तौलिये से पोंछते ही घुँघराले हो गये और उनमें एक चमक नजर आने लगी। उसने अपना बदन तौलिये से पोछ कर कपड़े पहनने शुरू किए। सबसे पहले उसने अपने वक्ष को सफेद ब्रा में कैद किया। फिर अपनी चूत को गुलाबी कच्छी से ढका। फिर उसने सफेद मगर रंगबिरंगा लोअर पहना। फिर वो जैसे ही अपना टॉप पहनने लगी तभी उसकी नजर खिड़की की तरफ पड़ी और उसने मुझे देख लिया। मैं फौरन नीचे हो गया।
वो बाथरूम से बाहर आई और तौलिया सुखाने के बहाने गैराज में आई और अनजान बनते हुए बोली,”अरे… जीजू, आप अभी तक गाड़ी ही साफ कर रहे हैं?”
उसकी नजरें मेरी हाफ पैंट के ऊपर थी। जहां मेरा लण्ड हाफ पैंट के ऊपर से उफनता हुआ दिख रहा था और एक टैंट सा बना रहा था।
मैंने कहा,”बस गाड़ी साफ हो गई। चलो चलें।”
और गाड़ी साफ करने का कपड़ा अपनी हाफ पैंट के ऊपर से उफनते हुऐ लण्ड के आगे कर लिया। हम दोनों अन्दर आ गये। मैं आते ही टॉयलेट में घुस गया और अपने उफनते हुए लण्ड को मुठ मार कर शांत किया।
उस दिन से मेरा रोजाना का नियम बन गया, बेबो को खिड़की से झाक कर बाथरुम में नहाते देखने का। जब भी बेबो बाथरुम में नहाने जाती मैं गैराज में किसी ना किसी बहाने चला जाता। बेबो को पता होता था कि मैं उसे छुप-छुप कर देख रहा हूँ। मगर अब वो ओर दिखा-दिखा कर देर तक नहाती। चोरी से खिड़की की तरफ देख कर मुझे अपने को देखते हुए देखती। अब वो जिस समय बाथरूम में नहाने घुसती तो जोर से चिल्ला कर कहती,”दीदी, मैं नहाने जा रही हूँ।”
फिर जब मैं बाथरूम की खिड़की के छेद में से झांक कर देखने लगता तो वो बाथरूम में अपने कपड़े उतारने लगती।
अगर मुझे किसी वजह से गैरेज में आने में देर हो जाती तो वो बाथरुम ऐसे ही टाईम पास करती रहती। जब वो गैरेज के गेट खुलने की आवाज सुन लेती तभी वो बाथरुम में अपने कपड़े उतारना शुरु करती। मुझे अपनी ओर आकर्षित करने के लिए वो अनजान बनते हुए सबसे पहले अपना टॉप उतारती। फिर खिड़की की तरफ मुँह करके अपनी ब्रा उतारती। ब्रा उतरते ही जब उसके स्तन उछल कर बाहर आ जाते तो वो उन स्तनों को धीरे-धीरे से सहलाती और अपने चुचुकों को मसलती।
फिर अपनी पीठ करते हुए अपना लोअर उतार देती। फिर खिड़की की तरफ पलट कर अपनी पेंटी भी उतार देती। फिर अपनी चूत को रगड़ती और चूत के बालों में हाथ फिराती और फिर उन बालों को पकड़ कर ऊपर खींचती। फिर पलट कर अपने चूतड़ों की गोलाईयां और गहराइयाँ मेरी नजरों के सामने करती। ऐसा मुझे लगा। खैर…
उसके ऐसा करने से मेरे बदन में सनसनी फ़ैल जाती और मेरा लण्ड तन कर खडा होकर हाफ पैंट के अन्दर उफन जाता और एक टैंट सा बना देता। फिर जब वो शावर खोल कर पानी अपने बदन पर डालने लगती तो मैं हाफ पैंट के अन्दर से अपना लण्ड बाहर निकाल लेता और बेबो को नहाते देखते हुऐ अपने उफनते हुए लण्ड को मुठ मार कर शांत किया करता। फिर जब वो शांत हो जाता और बेबो अपना बदन तौलिये से पोंछ कर कपड़े पहनने शुरू करती तो मैं खिड़की से अलग़ हो जाता।
कई दिनों तक ऐसा ही चलता रहा। मेरी छुट्टियाँ खत्म होने वाली थी। बस दो छुट्टियाँ बची थी।
एक दिन मेरी पत्नी पड़ोस की अपनी सहेली के साथ बच्चे के लिये कुछ कपड़े लेने मार्केट चली गई। जाते-जाते वो मुझ से कहने लगी कि आप यहीं रहो। मैं अपनी फ्रैंड के साथ जा रही हूँ। बेबो सो रही है। रात को छोटे ने काफी परेशान किया। वो बेचारी सारी रात छोटे को खिलाती रही। उसे सोने दो। जब वो उठ जाये तो उसे खाना गर्म करके दे देना।
जब वो चली गई तो मैंने चुपके से देखा कि बेबो स्कर्ट और टी-शर्ट पहन कर सो रही है। मैं बाथरूम में नहाने चला गया। फिर नहा के आकर मैंने फिर बेबो की तरफ देखा तो मैं हैरान रह गया। बेबो सो रही थी। मगर उसकी टी-शर्ट अन्दर ब्रा तक अपर उठी हुई थी और उसकी सफेद ब्रा दिख रही थी। उसकी स्कर्ट उसकी जांघों के उपर तक उठी हुई थी और उसकी जांघों के बीच में उसकी लाल पैंटी दिख रही थी। उसकी लाल पैंटी के उपर उसकी फूली हुई चूत का उभार भी नजर आ रहा था।
मैंने उसे आवाज लगाई- बेबो ! बेबो ! ताकि वो अगर उठे या करवट ले तो उसकी स्कर्ट ठीक हो जाये। मगर वो ना तो उठी ना ही उसने करवट ली। मैं कुछ देर तक उसे निहारता रहा। उसका गोरा-गोरा पेट, चिकनी-चकनी टांगें, भरी-भरी जांघे और जांघों के बीच में उसकी लाल पैंटी के ऊपर उसकी फूली हुई चूत मुझे उत्तेजित कर रहे थे।
मैं कमरे से बाहर आकर सौफे पे बैठ गया। मेरा दिलो-दिमाग बेबो की ही तरफ था। मन उसको देखने और छूने को कर रहा था। मैं फिर से उठ कर कमरे की तरफ गया। मैंने फिर बेबो की तरफ देखा। बेबो सो रही थी। मैं दरवाज़े पर खडा उसे कुछ देर तक निहारता रहा। उसकी भरी-भरी चिकनी जांघे और जांघों के बीच में उसकी लाल पैंटी के उपर उसकी फूली हुई चूत मुझे बहुत उत्तेजित कर रहे थे।
मैं कमरे के अन्दर जा कर बेबो के पास बैठ गया। मैंने हल्के से उसे आवाज लगाई- बेबो-बेबो…
मगर वो ना तो उठी ना ही उसने करवट ली। मैं फिर कुछ देर तक उसे निहारता रहा। फिर मैंने अपना हाथ उसकी चिकनी जांघ पर रख दिया। कुछ देर बाद मैं उसकी भरी-भरी मासंल जांघ पर हाथ फिराने लगा। फिर मैंने अपना हाथ उसकी लाल पैंटी के ऊपर उसकी फूली हुई चूत पर रख दिया। उसकी फूली हुई चूत मेरी हथेली के गड्डे में सैट हो गई। फिर मैं अपनी हथेली से उसकी फूली हुई को चूत हल्के-हलके से दबाने लगा। बेबो उसी तरह से सो रही थी या सोने का नाटक कर रही थी। खैर…
मेरी हिम्मत बढ़ती जा रही थी। मैं उसकी पैन्टी के अन्दर हाथ डालने की कोशिश करने लगा। मगर उसकी स्कर्ट की वजह से पैन्टी के अन्दर हाथ घुस नहीं पा रहा था। मैंने सावधानी से उसकी स्कर्ट का हुक और साईड चेन खोल दी। फिर मैं उसकी पैन्टी के अन्दर से हाथ डाल कर उसकी चूत के बालों पर हाथ फिराने लगा। बेबो उसी तरह से सो रही थी या सोने का नाटक कर रही थी और मेरी हिम्मत लगातार बढ़ती जा रही थी।
फिर मैं बेबो की चूत के बालों में हाथ फिराते-फिराते अपनी उँगली बेबो की चूत के फाँक के ऊपर फेरने लगा। फिर उंगलियों से बेबो की चूत के फाँक को खोलने और बन्द करने लगा। कुछ देर बाद मैंने अपनी एक उँगली बेबो की चूत के फाँक के अन्दर घुसा कर बेबो की चूत के जी पॉयंट को हल्के-हल्के रगड़ने लगा।
उसकी पैन्टी की वजह से मुझे अपनी उँगली बेबो की चूत के अन्दर डालने और बेबो की चूत के जी-पॉयंट को रगड़ने में दिक्कत हो रही थी। इसलिये मैंने उसकी पैन्टी को धीरे-धीरे से नीचे खींच कर उसके घुटनों पर कर दी। फिर मैंने अपनी एक उँगली बेबो की चूत के अन्दर घुसा उसकी चूत को हल्के-हल्के रगड़ने लगा। कुछ देर बाद मैंने उसकी पैन्टी भी उसकी टांगों से जुदा कर दी और सावधानी से उसकी दोनों टांगों को अलग कर दिया। अब मैं उसकी बगल में लेट कर उसकी चूत के घने बालों पर हाथ फिराने लगा।
फिर मैंने अपना हाथ उसकी चूत पर रख दिया और ऊपर से ही रगड़ने लगा। फिर मैं बेबो की चूत की फांक पर हाथ फिराने लगा। फिर हाथ फिराते-फिराते मैंने अपनी उँगलियाँबेबो की चूत के अन्दर डाल दी। फिर उंगलियों को बेबो की चूत के फाँको में डाल कर रगडने लगा और उसकी चूत के जी-पॉयंट को अपनी उंगलियों से दबाने और हल्के-हल्के रगड़ने लगा। लगभग 5-7 मिनट बाद बेबो की चूत से कुछ बहुत चिकना सा निकलने लगा।
अचानक बेबो के मुँह से सिसकियाँ निकलने लगी और उसने अपनी आँखें खोल दी और अनजान बनते हुए बोली, “अरे… जीजू कब आए .. और ये क्या कर रहे हैं?”
मैंने कहा “बस अभी ही आया हूँ… और सोचा कि आज बेबो को कुछ मजा कराया जाये। सच बताओ, क्या मजा नहीं आ रहा हैं? मुझे पता है तुम जाग रही थी और मजे ले रही थी। वरना तुम्हारे नीचे से चिकना-चिकना सा नहीं निकलता।”
बेबो मुस्कुराईं और बोली,”नहीं, सच मैं तो सो रही थी। मुझे नहीं पता आप क्या कर रहे थे। और आपने मेरी चड्डी क्यो उतार रखी है।”
उसका झूठ पकड़ में आ रहा था। मैं बोला,”प्लीज़ ! बेबो मजाक मत करो। प्लीज़ ! मेरा साथ दो। हम दोनों मिलकर खूब मजा करेंगे।”
बेबो फिर मुस्कुराईं और बोली,”क्या आपका साथ दूँ और क्या दोनों मिलकर मजा करेंगे। बताईये ना। और मेरी चड्डी क्यो उतार रखी है। आप क्या मजा कर रहे थे। और मेरी चड्डी के अन्दर क्या मजा ढूंढ रहे थे।”
मैंने कहा,”बताऊँ कि मैं तुम्हारी चड्डी के अन्दर क्या मजा ढूंढ रहा था।” कह कर मैंने उसे अपने सीने से चिपका लिया और फिर मैंने अपने जलते हुऐ होंठ बेबो के होंठों पर रख दिए।
फिर मैं उसके नरम-नरम होंठों को अपने होंठों में भर कर चूसने लगा। बेबो ने भी मुझे अपनी बाँहो में कस लिया। फिर मैं बेबो को किस करते-करते अपने हाथ को नीचे ले जाकर उसकी टी-शर्ट के उपर से उसके स्तनों को दबाने लगा। फिर कुछ देर बाद मैं उसकी टी-शर्ट के गले के अन्दर से हाथ डाल कर उसके सख्त हो चुके वक्ष को दबाने लगा।
फिर मैं उसकी टी-शर्ट को उतारने लगा तो बेबो बोली,”जीजू, क्या करते हो। दीदी आने वाली होंगी।”
मैंने कहा,”चिंता मत करो। वो मार्केट गई और दो-तीन घंटे तक नहीं आँएगी।”
यह कह कर मैं फिर उसकी टी-शर्ट को उतारने लगा। अब बेबो ने कोई विरोध नहीं किया। मैंने उसकी टी-शर्ट उतार कर बैड पर फैंक दी। बेबो के बड़े-बड़े और गोरे-गोरे स्तन सफेद ब्रा में फँसे हुए थे। मैं उसकी ब्रा के ऊपर से उसके स्तनों को दबाने लगा। बेबो ने अपनी आंखे बंद कर ली।
कुछ देर बाद मैं उसकी ब्रा के हुक खोल कर उसकी नंगी पीठ पर हाथ फिराने लगा। फिर कुछ देर मैंने उसकी ब्रा भी उसके तन से जुदा कर दी और दोनों कबूतरों को आज़ाद कर दिया और उन्हें पकड़ कर मसलने लगा। मैं उसके गोरे-गोरे सख्त स्तनों को दबाने लगा और साथ-साथ उसके भूरे चुचूकों को हल्के-हल्के मसलने लगा। फिर मैं उसके नरम-नरम गोरे-गोरे स्तनों को अपने होंठों में भर कर चूसने लगा। बेबो के मुँह से सिसकियाँ निकलने लगी। फिर मैंने उसकी खुली पड़ी स्कर्ट को भी उतार कर फैंक दिया। बेबो का नंगा, गोरा और चिकना बदन मेरे सामने था।
फिर मैंने बेबो से अलग हो कर अपने सारे कपड़े उतार दिये और पूरी नंगा होकर बेबो से लिपट गया और मैंने बेबो को अपने साथ सटा कर लिटा लिया। मेरा लण्ड तन कर बेबो की चिकनी टांगों से टकरा रहा था। मैं बेबो की चिकनी टांगों पर हाथ फिराने लगा। उसकी पाव रोटी की तरह उभरी हुई उसकी चूत पर हाथ फेरने लगा। फिर कुछ देर तक उसकी चूत पर हाथ फेरने के बाद मैं अपनी हथेली से उसकी चूत को दबाने लगा।
वो बहुत गरम हो चुकी और जोर-जोर से सिस्कारियां ले रही थी और मेरे बालों पर हाथ फेर रही थी और अपने होंठ चूस रही थी। मैंने उसे धीरे से बिस्तर पर सीधा लिटा दिया और उसकी बगल में लेट कर मैं बेबो की चूत के कट पर हाथ फिराने लगा। फिर हाथ फिराते-फिराते मैंने अपनी उँगलियाँ बेबो की चूत के अन्दर डाल दी। फिर उंगलियों से बेबो की चूत के फाँको को खोलने और बन्द करने लगा। फिर मैं बेबो की चूत के जी पॉयंट को रगड़ने लगा। बेबो के मुँह से सिसकियाँ निकलने लगी। बेबो ने मस्त होकर अपनी आंखें बंद कर ली। कुछ देर बाद बेबो की चूत से कुछ चिकना-चिकना सा निकलने लगा था।
मेरा लण्ड बेबो की जांघों से रगड़ खा रहा था। मैंने बेबो का हाथ पकड़ कर अपने लण्ड पर रख दिया। बेबो ने बिना झिझके मेरा लण्ड अपने हाथ में थाम लिया। वो मेरे लण्ड को अपने हाथ में दबाने लगी। मेरा लण्ड तन कर और भी सख्त हो गया था। बेबो मेरे लण्ड को मुठ्ठी में भर कर आगे-पीछे करने लगी। फिर वो मेरा लण्ड पकड़ कर जोर-जोर से हिलाने लगी।
अब मैं बेबो की चूत मारने को बेताब हो रहा था। मैं बेबो के ऊपर आकर लेट गया। बेबो का नंगा जिस्म मेरे नंगे जिस्म के नीचे दब गया। मेरा लण्ड बेबो की जांघों के बीच में रगड़ खा रहा था।
मैं उसके उपर लेट कर उसके चुचूक को चूसने लगा। वो बस सिस्करियां ले रही थी। फिर मैं एक हाथ नीचे ले जा कर उसकी चूत पर रख कर रगड़ने लगा और फिर एक उंगली उसकी चूत में डाल दी। वो मछली की तरह छटपटाने लगी और अपने हाथों से मेरा लण्ड को टटोलने लगी। मेरा लण्ड पूरे जोश में आ गया था और पूरा तरह खड़ा हो कर लोहे जैसा सख्त हो गया था।
बेबो मेरे कान के पास फुसफसा कर बोली,”ओह जीजू। प्लीज़ ! कुछ करो ना। मेरे तन-बदन में आग सी लग रही हैं।”
ये सुन कर अब मैंने उसकी टांगें थोड़ी ओर चौड़ी की और उसके ऊपर चढ़ गया।
फिर अपने लण्ड का सुपाड़ा उसकी चूत पर रख कर रगड़ने लगा। फिर मैंने अपने लण्ड का सुपाड़ा उसकी चूत पर टिका कर एक जोरदार धक्का मारा जिससे लण्ड का सुपाड़ा बेबो की कुंवारी चूत के हुआ अन्दर चला गया। लण्ड के अन्दर जाते ही बेबो के मुँह से चीख निकल गई और वो अपने हाथ पाँव बैड पर पटकने लगी और मुझे अपने ऊपर से धकेलने की कोशिश करने लगी। लेकिन मैंने उसे कस कर पकड़ा था।
वो मेरे सामने गिड़गिड़ाने लगी, “प्लीज़ जीजू, मुझे छोड़ दीजिए, मैं मर जाऊंगी, बहुत दर्द हो रहा है।
मैंने कहा “बेबो तुम ही तो कह रही थी कि जीजू, प्लीज़ ! कुछ करो ना। मेरे तन-बदन में आग सी लग रही हैं। मैंने इसलिये ही तो तुम्हारे अन्दर डाला है। बेबो तुम चिन्ता मत करो, पहली बार में ऐसा होता है, एक बार पूरा अन्दर जाने के बाद तुम्हें मज़ा ही मज़ा आएगा। पहली बार तुम्हारी दीदी को भी ऐसा ही दर्द हुआ था और अब मैं और तुम्हारी दीदी रोज ये करते हैं और तुम्हारी दीदी अब खूब एनजाय करती है।”
फ़िर मैंने एक और धक्का लगा कर उसकी चूत में अपना आधा लण्ड घुसा दिया। बेबो तड़पने लगी। मैं उसके ऊपर लेट कर उसके उरोज़ों को दबाने लगा और उसके होठों को अपने होठों से रगड़ने लगा। इससे बेबो की तकलीफ़ कुछ कम हुई। अब मैंने एक जोरदार धक्के से अपना पूरा का पूरा लण्ड उसकी चूत के अन्दर कर दिया। मेरा 8″ लम्बा और ३” मोटा लण्ड उसके कौमार्य को चीरता हुआ उसकी कुँवारी चूत में समा गया।
इस पर वो चिल्लाने लगी “आहह्ह, मर गई। ओह प्लीज़ जीजू इसे बाहर निकालिये, मैं मर जाउंगी।” उसकी चूत से खून टपकने लगा था।
मैं रुक गया और बेबो से बोला “प्लीज़ ! बेबो, मेरी जान, अब और दर्द नहीं होगा।”
बेबो का यह पहला सैक्सपिरियन्स था। इसलिऐ मैं वही रुक गया और उसे प्यार से सहलाने लगा और उसके माथे को और आँखो को चूमने लगा । उसकी आंख से आंसू निकल आये थे और वो सिस्कारियां भरने लगी थी। यह देख कर मैंने बेबो को अपनी बाँहो में भर लिया।
फिर मैंने अपने जलते हुऐ होंठ बेबो के होंठों पर रख दिए और मैं उसके नरम-नरम होंठों को अपने होंठों में भर कर चूसने लगा, ताकि वो अपना सारा दर्द भूल जाये। कुछ देर बाद उसका दर्द भी कम हो गया और उसने मुझे अपनी बाँहों में से कस लिया। मैंने भी बेबो को अपनी बाँहों में भर लिया। मेरा पूरा लण्ड बेबो की चूत के अन्दर तक समाया हुआ था। फिर मैं अपने होंठों से उसके नरम-नरम होंठों को चूसने लगा। कुछ देर तक हम दोनो ऐसे ही एक-दूसरे से चिपके रहे और एक-दूसरे के होंठों को चूसते रहे।
फिर मैं अपने लण्ड को उसकी चूत में धीरे-धीरे अन्दर बाहर करने लगा। बेबो ने कोई विरोध नहीं किया। अब शायद उसका दर्द भी खत्म होने लगा था और वो जोश में आ रही थी और अपनी कमर को भी हिलाने लगी थी। उसकी चूत में से थोडा सा खून बाहर आ रहा था जो इस बात का सबूत था कि उसकी चूत अभी तक कुंवारी थी और आज ही मैंने उसकी सील तोड़ी है।
उसकी चूत बहुत टाइट थी और मेरा लण्ड बहुत मोटा था, इसलिए मुझे बेबो को चोदने में बहुत मजा आ रहा था। मैं अपने लण्ड को धीरे-धीरे से बेबो की चूत के अन्दर-बाहर कर रहा था। फिर कुछ देर बाद बेबो ने अपनी टांगें उपर की तरफ मोड़ ली और मेरी कमर के दोनों तरफ लपेट ली। मैं अपने लण्ड को लगातार धीरे-धीरे बेबो की चूत के अन्दर-बाहर कर रहा था। धीरे-धीरे मेरी रफ़्तार बढ़ने लगी। अब मेरा लण्ड बेबो की चूत में तेजी से अन्दर-बाहर हो रहा था। मैं बेबो की चूत में अपने लण्ड के तेज-तेज धक्के मारने लगा था।
थोड़ी देर में बेबो भी नीचे से अपनी कमर उचका कर मेरे धक्कों का ज़वाब देने लगी और मज़े में बोलने लगी ” सी … सी… और जोररर से जीजुजुजु… येसस्स अरररऽऽ बहुत मज़ा आ रहा है और अन्दर डालो और जीजू और अन्दर येस्स्स् जोर से करो। प्लीज़ ! जीजू तेज-तेज करो ना। आज मुझे बहुत मज़ा आ रहा है।”
बेबो को सचमुच में मजा आने लगा था। वो जोर जोर से अपने कूल्हे हिला रही थी और मैं तेज़-तेज़ धक्के मार रहा था। वो मेरे हर धक्के का स्वागत कर रही थी। उसने मेरे कूल्हों को अपने हाथों में थाम लिया। जब मैं लण्ड उसकी चूत के अन्दर घुसाता तो वो अपने कूल्हे पीछे खींच लेती। जब मैं लण्ड उसकी चूत में से बाहर खींचता तो वो अपनी जांघें उपर उठा देती। मैं तेज-तेज धक्के मार कर बेबो को चोदने लगा। फिर मैं बैड पर हाथ रख कर बेबो के ऊपर झुक कर तेजी से उसकी चूत मारने लगा। अब मेरा लण्ड बेबो की चिकनी चूत में आसानी और तेजी से आ-जा रहा था। बेबो भी अब चुदाई का भरपूर मजा ले रही थी। वो मदहोश हो रही थी।
मैंने रुक कर बेबो से कहा, “बेबो अच्छा लग रहा है ?”
बेबो बोली,”हाँ जीजू बहुत अच्छा लग रहा है। प्लीज़ ! रुको मत। तेज-तेज करते रहो। हाँ प्लीज़ ! तेज-तेज करो। मैं अन्दर से डिस्चार्ज होने वाली हूँ। प्लीज़ ! चलो करो। अब रुको मत। तेज-तेज करते रहो।”
बेबो के मुहँ से ये सुन कर मैंने फिर से बेबो को चोदने शुरु कर दिया और अपनी रफ्तार को और बढ़ा दिया। मैंने बेबो के बड़े-बड़े हिप्स को अपने हाथों से जकड़ लिया और छोटे-छोटे मगर तेज-तेज शॉट मार कर बेबो को चोदने लगा। बेबो के मुँह से मस्ती में “ओह्ह्ह्ह्ह्हो होहोह सिस्स्स ह्ह्ह्ह हाह्ह्ह आआ आआ हा-हा करो-करो ऽअआह हाहअआ प्लीज़ ! जीजू तेज-तेज करो।”
करीब 15 मिनट की चुदाई के बाद वो झड़ने वाली थी तभी हम दोनों एक साथ अकड़ गये और एक साथ जोर-जोर से धक्के मारने लगे। फिर अचानक बेबो ने मुझे कस कर अपनी बाँहो में भर लिया और बोली “जीजू मेरा काम होने वाला है। प्लीज़ ! जोर-जोर से करो येस-येस अररर् और जोर से य…य…यस यससस मैं हो गईईईईई…! इसके साथ ही बेबो की चूत ने अपना पानी छोड़ दिया। उसने एक जोर से आह भरी और फिर वो ढीली पड़ गई।
मैं समझ गया कि बेबो डिस्चार्ज हो गई है। लेकिन मेरा काम अभी नहीं हुआ था इसलिए मैं जोर-जोर से अपने लण्ड से बेबो की चूत को पेलने लगा। मैं भी डिस्चार्ज होने वाला था, इसलिये मैं तेज-तेज धक्के मारने लगा। बेबो रोने सी लगी और मेरे लण्ड को अपनी चूत में से बाहर निकालने के लिए बोलने लगी। लेकिन मैंने उसकी बातों को अनसुना कर धक्के लगाना जारी रखा।
करीब 2-3 मिनट तक बेबो को तेज-तेज चोदने के बाद जब मैं डिस्चार्ज होने लगा तो मैंने अपना लण्ड बेबो की चूत से बाहर खींच लिया और उसकी चूत के झांटों उपर डिस्चार्ज हो गया और उसके ऊपर गिर गया। फिर मैं उसके उपर लेट कर अपनी तेज-तेज चलती हुई सांसों को नार्मल होने का इन्तज़ार करता रहा। फिर मैं बेबो की बगल में लेट गया। बेबो भी मेरे साथ लेटी हुई अपनी सांसों को काबू में आने का इंतजार कर रही थी।
बेबो की चूत के काले घने घुंघराले बालों में मेरे वीर्य की सफेद बून्दे चमक रही थी। मैंने अपने अन्डरवियर से बेबो की चूत के ऊपर पड़े अपने वीर्य को साफ कर दिया। कुछ देर तक ऐसे ही पड़े रहने के थोड़ी देर बाद हम दोनों उठे और अपने कपड़े पहनने लगे। बैड की चादर पर बेबो की चूत से निकला हल्का सा खून पडा था। बेबो ने तुरन्त डस्टिग़ वाला कपड़ा लेकर गीला करके चादर से खून साफ कर दिया और पंखा चला दिया ताकि चादर जल्दी से सूख जाए।
मैंने बेबो से पूछा कि कैसा लगा तो वो बोली “जीजू ! शुरु-शुरू में तो मुझे बहुत दर्द हुआ लेकिन बाद में बहुत मजा आया। इतना मज़ा तो मुझे कभी किसी चीज़ में नहीं आया। सचमुच आज से मैं आपकी दीवानी बन गई हूँ। अब आप जब चाहें ये सब कर सकते हैं। मुझे कोई एतराज नहीं होगा।”
ये सुन कर मैंने खीच कर उसे अपने सीने से चिपका लिया। फिर मैंने अपने जलते हुऐ होंठ बेबो के होंठों पर रख दिए। फिर मैं उसके नरम-नरम होंठों को अपने होंठों में भर कर चूसने लगा। बेबो भी मुझ से लिपट गई और उसने भी मुझे अपनी बाँहो में कस लिया। फिर मैं बेबो को किस करते-करते उस के बालों में हाथ फिराने लगा। फिर मैं उसके गालों पर हाथ फिराने लगा।
फिर मैं अपने हाथ को नीचे ले जाकर उसकी टी-शर्ट के उपर से उसके स्तनों को दबाने लगा और बेबो से बोला “एक बार फिर हो जाए। तुम्हें कोई एतराज नहीं।”
वो एकदम छटक कर अलग हो गई और बोली,”क्या करते हो जीजू। बड़े गन्दे हो आप। इतना सब कुछ हो गया। फिर भी चैन नहीं पड़ा है। अब सब्र रखो। दीदी आने वाली होंगी।”
मैंने बेबो से कहा “अभी तो तुम कह रही थी कि मैं आपकी दीवानी बन गई हूँ। अब आप जब चाहें ये सब कर सकते हैं। मुझे कोई एतराज नहीं होगा और अब तुम मना कर रही हो।”
बेबो बोली “जीजू। मैंने कहा है और एक बार फिर कह रही हूँ कि सचमुच मैं आपकी दीवानी बन गई हूँ और अब आप जब चाहें ये सब मेरे साथ कर सकते हैं। मुझे कोई एतराज नहीं होगा। लेकिन आज अब और नहीं। आपने इतना ज्यादा किया है ना कि मेरे नीचे दर्द हो रहा, शायद कट भी लग गया है। नीचे चीस सी मच रही है। इसलिये आज नहीं। अब कल करेंगे। कल तक मेरे नीचे का मामला भी ठीक हो जाएगा। अब मैं नहाने जा रही हूँ। गर्म-गर्म पानी से नहाऊगी और गर्म पानी से नीचे की थोड़ी सिकाई करुँगी तो कुछ ठीक हो जाऊँगी। वरना मेरी चाल देख कर दीदी को शक हो जाऐगा। अब कल तक के लिये सब्र रखिये। वैसे भी दीदी भी आने वाली होंगी।”
इतना कह कर उसने हाथ हिला कर शरारत से बाय किया और फिर वो तेजी से बाथरुम की ओर जाने लगी। मैं खड़ा-खड़ा उसे जाते हुए देखता रहा। उस दिन मैं बहुत खुश था क्योंकि बेबो को जम कर चोदने की मेरे मन की इच्छा पूरी हो गई थी।
इसके बाद मौका मिलने पर लगभग दो साल में हमने कुल 9 बार अपने घर में, 3 बार बेबो के घर में और एक ही रात में 3 बार होटल के कमरे में बेबो के साथ खुलकर सैक्स किया। हर बार सैक्स करने का अन्दाज और मजा अलग ही था। अगर समय मिला तो अपने यहां सोफे पर और एक रात को अपनी पत्नी को नींद की गोली देकर स्टोर में बेबो के साथ सैक्सपिरियस के बारे में भी जरुर बताऊँगा। फिर एक बार शाम को बेबो के ही घर में छत पर बेबो के साथ सैक्सपिरियस के बारे में भी जरुर बताऊँगा। और एक पूरी रात बेबो के साथ होटल के कमरे में तीन बार सैक्स करना तो मैं भूल ही नहीं सकता। वो किस्सा भी अगर समय मिला तो जरुर बताऊँगा। खैर…
दो साल बाद बेबो की शादी हो गई और आज वो दो बच्चों की माँ हैं। बेबो और उसके परिवार से हर साल दो या तीन बार मुलाकात जरुर होती है। फोन पर तो अकसर बात होती रहती है। लेकिन हम भूल कर भी अपने पुराने सैक्सपिरियंस के बारे में बात नहीं करते हैं। बेबो की शादी के बाद हमने मौका मिलने पर भी कभी सैक्स नहीं किया और शायद यही वजह है कि हमारे दिल में एक दूसरे के लिये प्यार आज भी है। खैर …
तो दोस्तो, कैसी लगी मेरी कहानी। Antarvasna Stories
मैं देविका हूँ, उम्र 24 वर्ष और Hindi Porn Stories लम्बाई 5 फ़ुट 3 इन्च। मैंने अपने बॉब हेयर कट करवा रखे थे। मैं दुबली पतली पर आकर्षक लगने वाली युवती हूँ। मैं मुम्बई की एक निजी कम्पनी में पीए हूं। आईये आपको मैं बताती हूँ कि मुझे कम्पनी में कैसे प्रोमोशन मिला।
मेरी नौकरी के लिये जब इन्टरव्यू हुआ था तब कम्पनी का मालिक एक बुजुर्ग इन्सान था और उसने मेरी काबलियत पर मुझको रखा था। पर वो अब कम्पनी नहीं चलाते थे। उनका बेटा अंकित जो 28 वर्ष का था और उसका एक खास दोस्त रोहित, तो कम्पनी का पार्टनर भी था, कम्पनी का काम काज देखते थे।
मुझे इस कम्पनी में काम करते हुए सात माह हो चुके थे… मुझे अंकित और रोहित दोनों ही बहुत पसन्द थे। दोनों स्टाफ़ के साथ घुल मिल कर काम करते थे। समय समय पर रीसोर्ट में सभी को पार्टी देते थे और पिकनिक भी ले जाते थे।
अंकित की नजरें शुरु से ही मुझ पर थी। मुझ पर, शायद खूबसूरत और मोडर्न टाईप की दिखने पर, लाईन मारता था। मैं उसकी लाईन को इज्जत से स्वीकार करती थी, और एक मतलबी मुस्कान बिखेर देती थी। मेरी अदाओं पर मर कर आखिर एक बार उसने मुझे अपने केबिन में बुला ही लिया…
“देविका… तुम्हारा काम हमें बहुत पसन्द आया है… रोहित चाहता है कि तुम्हारा प्रोमोशन हो और वेतन सात से बढ़ा कर बारह हज़ार कर दिया जाये।”
“आपका बहुत बहुत धन्यवाद सर… मैं हमेशा आपकी आभारी रहूंगी सर…!” मैंने खुश हो कर अंकित से हाथ मिलाते हुए कहा।
“आप तो खुश हो गई ना … अब हमें भी खुश कर दो…” अंकित मुस्करा कर बोला…और मेरा हाथ दबा दिया।
“जी…अभी पार्टी की तैयारी करती हूँ…” मैंने भी उनका हाथ दबाते हुए कहा।
‘तो पहले बाबा को कॉफ़ी के लिये कहो…और मेरे निजी कमरे में आ जाओ…” अंकित ने आज्ञा देते हुए कहा। और उठ कर अपनी आराम करने के कमरे में चले गये… कुछ ही देर में बाबा कॉफ़ी ले आया… हम तीनो कॉफ़ी पीने लगे… रोहित कॉफ़ी पी कर चला गया।
“देविका… देखो प्रोमोशन को सेलेब्रेट करना चाहिये… मेरे पास आ जाओ…!”
“जी… पास क्या…कहां…” मैं थोड़ा सा हिचक गई।
“यहा…मेरे पास… सोफ़े पर…”
“जी…”
मैं जैसे ही सोफ़े पर बैठने को हुई… अंकित ने मुझे खींच कर अपनी गोदी में बैठा लिया।
“यहाँ पर…आओ…” उसके अचानक इस हमले को मैं समझ नहीं पाई… मैंने देखा कि वहां कोई नहीं था… तो मैंने गोदी में बैठे रहना ही उचित समझा।
“सर…कोई देख लेगा…”मैं शर्माते हुए और उठते हुए बोली।
“देविका डरो मत… यहां कोई नहीं आयेगा… फिर मैं तुम्हें सच बताऊँ तो तुम मुझे बहुत ही अच्छी लगने लगी हो…”
“जी…आप ये क्या कह रहे हैं? मैं एक साधारण परिवार से हूँ और आप …” मैंने अपनी मजबूरी दिखाई पर मन ही मन में मेरे लड्डू फ़ूट रहे थे… कि अंकित ने लिफ़्ट तो दी… मैं उसकी गोदी से उठने की नाकाम कोशिश करती रही।
“देविका…कुछ मत कहो… बस प्यार की बातें करो… तुम्हारी अदाएँ मुझे तुम्हारी तरफ़ खींचती हैं…” उसने अपनी गोदी में मुझे जकड़ते हुए कहा।
मेरे चूतड़ो के स्पर्श से उसका लण्ड खड़ा होने लगा था। लण्ड का कड़ापन का मुझे नीचे अहसास होने लगा था।
“सर… सच आप मुझसे प्यार करते हैं…” मुझे पता था कि ये तो मुझे चोदने का एक बहाना है… फिर भी मैंने भी अंकित की तरह ही बोलना शुरु कर दिया।
“हां …सच देविका…तुम्हारा ये सेक्सी जिस्म … तुम्हारे ये उभार लिये हुए सीना … तुम्हारी कमर और ये मांसल जांघें… मुझे दीवाना बना देता है…देखो मेरा नीचे क्या हाल है…”
“हाय अंकित … आप कितने अच्छे हैं…”मैं भी अपना चेहरा उनके चेहरे के पास ले आई।
उसने धीरे से अपने होंठ मेरे होंठो से लगा दिये… उसके हाथ मेरे सीने की ओर बढ़ चले… कुछ ही क्षणों में उसके हाथ मेरी गोल गोल से उन्नत उरोज़ों को सहला रहे थे। उसका लण्ड मेरी गाण्ड में घुसने को तड़प रहा था, दरारों में अपनी जगह ढूंढ रहा था। मैं वासना में मदहोश होती जा रही थी। उसके होंठ मेरे होंठो को चूस रहे थे…बीच बीच में उसकी जीभ मेरे मुख के अन्दर भी जायजा लेती जा रही थी।
तभी रोहित भी आ गया…”अरे भई…ये क्या हो रहा है… मैं जाऊ क्या?”
मैं एकदम से घबरा उठी। अंकित ने मुझे कस कर पकड़ रखा था।
“आओ…रोहित… आज प्यार का मौसम है…इसलिये प्यार हो रहा है…” अंकित ने शरारत से कहा। और उसके सामने ने मेरे बोबे सहलाते हुए मसलने लगा।
मैं शरमा गई,”सर प्लीज…छोड़िये ना…!” मैं अपने आपको छुड़ाने लगी।
रोहित भी मुझे रंगीन नजरो से निहारने लगा,” तो क्या हमारा नम्बर भी आयेगा… प्यार करने में …देविका जी…?”
“जी क्या कह रहे आप…मैं तो अंकित को प्यार करती हूं…”
“देविका जी…जरा रोहित को भी एक किस तो दे ही दो…प्लीज… प्रोमोशन तो रोहित ने ही दिया है…” मुझे छोड़ते हुए अंकित ने कहा। मेरे उठते ही रोहित ने प्यार से मुझे अपनी तरफ़ खींच लिया। और मेरे होंठो को चूमने लगा। मुझे तरावट आने लगी…यहां तो एक छोड़ दो दो मिल रहे थे…
रोहित ने अपना हाथ मेरे चूतड़ो पर रख कर दबा दिये… उसके हाथ मेरे शरीर को सहलाते हुए बोबे को कभी चूत को मसल रहे थे।
तभी बाहर से एक कॉल आया… अंकित उठ कर चला गया। रोहित ने मुझे छोड़ते हुए कहा,”जाओ अपने ऑर्डर ले आओ और शाम को हमारे साथ आपका होटल में डिनर है…घर पर बोल देना कि आपको रात में देर हो सकती है…!”
शाम को ठीक 8 बजे मेरे घर के आगे उनकी कार खड़ी थी… मैं सजधज के कार में बैठ गई। वहां जो होने वाला था उसकी शुरुआत तो ऑफ़िस में हो ही चुकी थी। मैंने अपने आप को इसके लिये पहले ही तैयार कर लिया था। घर पर मैंने अच्छी तरह से चूत की शेव कर ली थी… चूत में और गाण्ड की छेद में बढ़िया सी चिकनी क्रीम अन्दर तक मल ली थी। ब्यूटी पार्लर पर बाल ठीक करा कर और फ़ेशियल करा कर चेहरा और मुलायम कर लिया था।
गाड़ी एक शानदार होटल में रुकी… शायद 5 स्टार होटल था। दरबान ने मुझे झुक कर सलाम किया और मेरे आगे आगे चला…और एक खाली चेम्बर में सोफ़े पर बैठा दिया। ये अंकित और रोहित का स्थाई बुक किया हुआ चेम्बर था। कुछ ही देर बाद एक अटेन्डेन्ट आया और मुझे लिफ़्ट से एक कमरे में लेगया। वहां अंकित और रोहित दोनों ही थे… खाने टेबल लगी थी… मेरे आते ही उन्होने मेरा स्वागत किया… शायद रोहित को जल्दी थी… उसने आते ही मुझे लिपटा कर प्यार कर लिया।
“प्रोमोशन की बधाई स्वीकार करो … !!” रोहित ने मुझे एक लिफ़ाफ़ा दिया। मैंने रोहित की तरफ़ प्रश्न भरी निगाहों से देखा।
“हां हां देख लो देविका…” रोहित मुस्कुराया।
“और ये मेरी तरफ़ से है…” अंकित ने एक ओर लिफ़ाफ़ा दिया। ये कम्पनी की ओर से रहने के लिये एक बड़ा फ़र्निश्ड क्वार्टर था… मैं तो जैसे स्वर्ग में पहुँच गई। मैं झूम उठी … दोनों ने मुझे हवा में उठा लिया और मैं अंकित बाहों में झूल गई। मेरे कपड़े हवा में उछल गये… कुछ ही देर में हम तीनों नंगे थे। उन दोनों ने शराब की बोतल उठा ली और तीन गिलास बना लिये। अंकित ने अपनी दूसरी पीए को फोन कर दिया कि घर पर सूचना दे दो कि घर दूर होने की वजह से देविका अपनी सहेली के यहा रात को रुक जायेगी इसलिये इंतज़ार नहीं करें।
जाम छलक उठे… कमरे में वासना का नंगा नाच शुरू हो गया। मैं भी उनके साथ वासना में बह निकली…मस्त हो उठी। चूत गीली होने लगी… मैं कभी एक की गोदी में तो कभी दूसरे की गोदी में उनके लण्ड पर बैठ कर मजे लेती रही। वो भी मेरे जिस्म से खेलने लगे। मेरे बोबे, मेरे चूतड़ों को, चूत को सहलाते और दबाते रहे। सरूर चढ़ता गया… रोहित बिस्तर पर लेटा हुआ था…। उसका तन्नाया हुआ लण्ड देख कर मुझसे रहा नहीं गया और उछल कर उसके लन्ड पर बैठ गई।
मेरे चूत लपलापाने लगी… फ़ड़क उठी। लण्ड चूत में घुसेगा ये सोच के मैं तड़प उठी। मैंने अपनी चूत उठाई और निशाने पर रखी और दबा दिया लण्ड पर… लण्ड मेरी चूत में सरसराता हुआ घुस गया। मैंने अपने चूतड़ उठा कर ज्योंही धक्का मारा…कि पीछे से अंकित ने दोनों हाथों से मेरे चूतड़ थाम लिये… और बिस्तर पर चढ़ गया। मेरी गाण्ड उसके लण्ड का निशाना थी। मैं तो आनन्द से भर उठी कि मेरे दोनों छेदों में एक साथ लण्ड पिरोये जायेंगे।
अब मेरी चिकनी गाण्ड में पीछे से अंकित का लण्ड उतरने लग गया। मैंने अपनी गाण्ड में क्रीम लगा कर पहले ही तैयारी कर ली थी। बस अब तो मजा लेने की बारी थी। चूत में रोहित का लण्ड पहले से ही घुसा हुआ था। दोनों के बीच में मैं भिंच गई… मेरी चुदने की इच्छा भी पूरी होने लगी।
कहते है कि जिन्दगी में ऐसे मौके बहुत कम आते है जबकि दोनों छेद में दो व्यक्तियों के दो लण्ड एक साथ जायें और गांड और चूत दोनों चुद जाये। मेरी अच्छी तकदीर थी कि मुझे ऐसा मौका आज मिल गया।
दोनों ओर से लण्ड धक्के मार रहे थे मेरी चूत और गाण्ड दोनों चुद रही थी। डबल मजा… रोहित नीचे से उछल उछल कर चोद रहा था और अंकित का मोटा लण्ड मेरी गाण्ड को मस्त किये दे रहा था। खास कर मुझे मजा यूं भी आ रहा था कि मेरी भी किस्मत खुल गई थी और मुझे मुम्बई जैसी जगह में एक बढ़िया मकान मिल गया था और एक गोआ के ट्रिप… । जिससे चुदने को मेरी साथ की सहेलिया तड़पती रहती थी… उसी से आज मैं जी भर के एक तरफ़ नहीं बल्कि दोनों तरफ़ से चुदवा रही थी।
मेरा तन और मन आज खिल उठा था। जोरदार धक्के पर धक्के दोनों मार रहे थे… मेरे मुख से सिसकारियाँ निकली जा रही थी… मेरे बोबे अंकित बुरी तरह भींच रहा था… मैं भी आखिर मजा कितना उठाती… जिस्म ने साथ नहीं दिया और मेरा बदन जैसे बिजलियों से भर उठा और चूत कसकने लगी…
फिर
“रोहित… प्लीज बस… अब नहीं …मैं गई… हाय…” मेरा जिस्म कांप उठा और मैंने रोहित को जकड़ लिया और मेरा पानी छूट पड़ा। मैं झड़ने लगी… इतने में रोहित ने भी वीर्य छोड़ दिया… अंकित जरा दमदार था…टाईट गांड ने अभी तक लण्ड पेल रहा था…पर कुछ ही समय में उसकी पिचकारी भी निकल पड़ी… मेरी चूत और गाण्ड दोनों ही वीर्य से भर चुकी थी।
अब हम तीनों ही बिस्तर पर निढाल पड़े थे… दोनों के लण्ड मुरझा चुका थे… मैं भी चुद कर शान्त हो चुकी थी। उठ कर हमने अपने आप को ठीक किया। मैंने भी मेकअप ठीक किया फिर कुछ ही देर बाद हमने डिनर मंग़ा लिया। रोहित डिनर करके चला गया था… खाना खा कर मैं फिर ताजा दम हो गई थी।
“अंकित… मेरे साथ गोआ कौन जायेगा…” मैंने अपने साथी के बारे में पूछा।
“ये तुम्हारी मर्ज़ी पर है कि अपने बॉय फ़्रेन्ड को ले जाओ या रोहित को या चाहो तो मुझे… हम तुम्हारी पसन्द की इज्जत करेंगे…”
“जी मेरा तो बॉय फ़्रेन्ड नहीं है … आप जैसा चाहे… !” ये सुन कर अंकित खुश हो गया।
“फिर ठीक है…कोई तुम्हारी सहेली बताओ… जो रोहित के लायक हो…उसे भी एक प्रोमोशन मिल जायेगा…” उसे मैं पसन्द आ गई थी अब वो शायद रोहित के लिये सोच रहा था।
“जी…” मैं खुशी से उछल पड़ी…”सर सुमन को प्रोमोशन दे दीजिए… वो रोहित के सपने में खोई रहती है।” मेरे मुख से अचानक निकल पड़ा।
अंकित मेरे पर झुका जा रहा था। उसके कपड़े उतर चुके थे… मैं भी अपने कपड़े उतार चुकी थी… उसने मुझे चूमना चालू कर दिया था…मेरी चूत गीली होने लगी थी। अंकित मेरे ऊपर छा चुका था। उसका लण्ड मेरी चूत पर गड़ा जा रहा था।
मेरी चूत के दोनों पट लन्ड ने खोल दिये और वह गहरी गुफ़ा में उतरने लगा… मैं एक बार फिर से मस्ती में खोने लगी… आनन्द में बहकने लगी…शरीर कसमसाने लगा… और लण्ड चूत की तह में जा पहुंचा…अब अंकित ने मुझे अपनी बाहों में जकड़ लिया और धीरे धीरे उसकी कमर चलने लगी… मैं सुख के सागर में गोते खाने लगी…
यह थी मेरी प्रोमोशन की दास्तान। मेरे बॉस ने मेरी दिल की इच्छा भी पूरी की और साथ में गिफ़्ट, प्रोमोशन और रहने एक बड़ा मकान भी दिया… अब मुझे अपने बॉस को खुश करने का तरीका भी आ गया है… आज मैं अपनी काबलियत के बल पर सीईओ के पद पर हूँ…ये काबलियत नहीं तो और क्या है? हां, पर मैं अपने साथ की सहेलियों का ध्यान भी रखती हूँ… अगर वो बॉस के लिये कुछ मन में फ़न्तासी रखती है तो उसका रास्ता मैं निकाल देती हूँ… इससे मेरा वेतन भी बढ़ जाता है…और स्टाफ़ में मेरी इज्ज्त भी बढ़ जाती है…
बस नुक्सान एक ही है…
जब कोई बिजनेस डील होती है तब हमें और मेरी प्रोमोटेड सहेलियो को उन सेठों के बीच में मीटिन्ग में आकर सेक्सी स्टाईल मारनी पड़ती है, फिर उनकी डिमांड पर उन्हें स्टाईल और नखरे दिखा कर घरेलू शरीफ़ औरत बन कर चुदना पड़ता है… पर बदले में वो भी खासा पैसा भी इनाम में दे जाते हैं… Hindi Porn Stories
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