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जब मैं कुवांरी थी तब मेरी चुदने Antarvasna Sex Stories की इच्छा कम होती थी। क्यूंकि मुझे इस बारे में अधिक नहीं मालूम था। आज मेरी शादी हुये लगभग पांच साल हो चुके हैं, मैं बेशर्मी की हदें पार करके सभी तरीको से अपने पति से चुदवा चुकी हूँ।
जी हां ! बिल्कुल अनजान बन कर ! भोली बन कर ! और मासूम बन कर … ! जैसे कि मैं सेक्स के बारे में कुछ नहीं जानती हूं। यही भोलापन, मासूमियत उनके लण्ड को खड़ा कर चोदने पर मजबूर कर देती थी। आप ही बताईये, लड़कियां जब भोली बन कर, अनजान बनकर और मासूम सा चेहरा लेकर लण्ड लेती हैं तब पति को लगता है कि मेरी बीवी सती सावित्री है …
पर वो क्या जाने, हम लोग भोली बनकर ऐसे ऐसे मोटे मोटे और लम्बे लण्ड डकार जाती हैं कि उनके फ़रिश्तों तक को पता नहीं चल पाता है।
पर अब बड़ी मुश्किल आन पड़ी है। वो छ्ह माह के लिये कनाडा चले गये हैं … मुझे यहां अकेली तड़पने के लिये। पर हां ! यह उनका उपकार है कि मेरी देखभाल करने के लिये उन्होंने अपने दोस्त के बेटे दीपू को कह दिया था कि वह मेरा ख्याल रखे।
जानते हैं आप, उसने कैसा ख्याल रखा … मुझे चोद चोद कर बेहाल कर दिया … नए नए तरीकों से ! मुझे खूब चोदा …
क्या हुआ था आप जानना चाहेंगे ना …
मेरे पति के कनाडा जाने के बाद रात को दीपू खाना खा कर मेरे यहां सोने के लिये आ जाता था।
गर्मी के दिन थे … मैं अधिकतर छत पर ही अकेली सोती थी। कारण यह था कि रात को अक्सर मेरी वासना करवटें लेने लगती थी। बदन आग हो जाता था। मैं अपना जिस्म उघाड़ कर छत पर बेचैनी के कारण मछली की तरह छटपटाने लग जाती थी। पेटीकोट ऊपर उठा कर चूत को नंगी कर लेती थी, ब्लाऊज उतार फ़ेंकती थी। ठण्डी हवा के मस्त झोंके मेरे बदन को सहलाते थे। पर बदन था कि उसमें शोले और भड़क उठते थे। मुठ मार मार कर मैं लोट लगाती थी … फिर जब मेरे शरीर से काम-रस बाहर आ जाता था तब चैन मिलता था।
आज भी आकाश में हल्के बादल थे। हवा चल रही थी … मेरे जिस्म को गुदगुदा रही थी। एक तरावट सी जिस्म में भर रही थी। मन था कि उड़ा जा रहा था। उसी मस्त समां में मेरी आंख लग गई और मैं सो गई। अचानक ऐसा लगा कि मेरे शरीर पर पानी की ठण्डी बूंदे पड़ रही हैं। मेरी आंख खुल गई। हवा बन्द थी और बरसात का सा मौसम हो रहा था। तभी टप टप पानी गिरने लगा। मुझे तेज सिरहन सी हुई। मेरा बदन भीगने लगा। जैसे तन जल उठा।
बरसात तेज होती गई … बादल गरजने लगे … बिजली तड़पने लगी … मैंने आग में जैसे जलते हुये अपना पेटीकोट ऊंचा कर लिया, अपना ब्लाऊज सामने से खोल लिया। बदन जैसे आग में लिपट गया …
मैंने अपने स्तन भींच लिये … और सिसकियाँ भरने लगी। मैं भीगे बिस्तर पर लोट लगाने लगी। अपनी चूत बिस्तर पर रगड़ने लगी। इस बात से अनजान कि कोई मेरे पास खड़ा हुआ ये सब देख रहा है।
“रीता भाभी … बरसात तेज है … नीचे चलो !”
मेरे कान जैसे सुन्न थे, वो बार बार आवाज लगा रहा था।
जैसे ही मेरी तन्द्रा टूटी … मैं एकाएक घबरा गई।
“दीपू … तू कब आया ऊपर … ” मैंने नशे में कहा।
“राम कसम भाभी मैंने कुछ नहीं देखा … नीचे चलो” दीपू शरम से लाल हो रहा था।
“क्या नहीं देखा दीपू … चुपचाप खड़ा होकर देखता रहा और कहता है कुछ नहीं देखा” मेरी चोरी पकड़ी गई थी। उसके लण्ड का उठान पजामें में से साफ़ नजर आ रहा था। अपने आप ही जैसे वह मेरी चूत मांग रहा हो। मैंने उसका हाथ पकड़ कर उसे अपनी ओर खींच लिया और उसे दबोच लिया … कुछ ही पलों में वो मुझे चोद रहा था। अचानक मैं जैसे जाल में उलझती चली गई। मुझे जैसे किसी ने मछली की तरह से जाल में फ़ंसा लिया था, मैं तड़प उठी … तभी एक झटके में मेरी नींद खुल गई।
मेरा सुहाना सपना टूट गया था। मेरी मच्छरदानी पानी के कारण मेरे ऊपर गिरउ गई थी। दीपू उसे खींच कर एक तरफ़ कर रहा था। मेरा बदन वास्तव में आधा नंगा था। जिसे दीपू बड़े ही चाव से निहार रहा था।
“भाभी … पूरी भीग गई हो … नीचे चलो … ” उसकी ललचाई आंखे मेरे अर्धनग्न शरीर में गड़ी जा रही थी। मुझ पर तो जैसे चुदाई का नशा सवार था। मैंने भीगे ब्लाऊज ठीक करने की कोशिश की … पर वो शरीर से जैसे चिपक गया था।
“दीपू जरा मदद कर … मेरा ब्लाऊज ठीक कर दे !”
दीपू मेरे पास बैठ गया और ब्लाऊज के बटन सामने से लगाने लगा … उसकी अंगुलियाँ मेरे गुदाज स्तनों को बार बार छू कर जैसे आग लगा रही थी। उसके पजामे में उसका खड़ा लण्ड जैसे मुझे निमंत्रण दे रहा था।
“भाभी , बटन नहीं लग रहा है … “
“ओह … कोशिश तो कर ना … “
वह फिर मेरे ब्लाऊज के बहाने स्तनों को दबाने लगा … जाने कब उसने मेरे ब्लाऊज को पूरा ही खोल दिया और चूंचियां सहलाने लगा। मेरी आंखे फिर से नशे में बंद हो गई। मेरा जिस्म तड़प उठा। उसने धीरे से मेरा हाथ लेकर अपने लण्ड पर रख दिया। मैंने लण्ड को थाम लिया और मेरी मुठ्ठी कसने लगी।
बरसात की फ़ुहारें तेज होने लगी। दीपू सिसक उठा। मैंने उसके भीगे बदन को देखा और जैसे मैं उस काम देवता को देख कर पिघलने लगी। चूत ने रस की दो बूंदें बाहर निकाल दी। चूंचियां का मर्दन वो बड़े प्यार से कर रहा था। मेरे चुचूक भी दो अंगुलियों के बीच में सिसकी भर रहे थे। मेरी चूत का दाना फ़ूलने लगा था। अचानक उसका हाथ मेरी चूत पर आ गया और दाने पर उसकी रगड़ लग गई।
मैं हाय करती हुई गीले बिस्तर पर लुढ़क गई। मेरे चेहरे पर सीधी बारिश की तेज बूंदे आ रही थी। गीला बिस्तर छप छप की आवाज करने लगा था।
“रीता भाभी … आप का जिस्म कितना गरम है … ” उसकी सांसे तेज हो गई थी।
“दीपू … आह , तू कितना अच्छा है रे … ” उसके हाथ मुझे गजब की गर्मी दे रहे थे।
“भाभी … मुझे कुछ करने दो … ” उसका अनुनय विनय भरा स्वर सुनाई दिया।
” कर ले, सब कर ले मेरे दीपू … कुछ क्यों … आजा मेरे ऊपर आ जा … हाय, मेरी जान निकाल दे … “
मेरी बुदबुदाहट उसके कानो में जैसे अमृत बन कर कर उतर गई। वो जैसे आसमान बन कर मेरे ऊपर छा गया … नीचे से धरती का बिस्तर मिल गया … मेरा बदन उसके भार से दब गया … मैं सिसकियाँ भरने लगी। कैसा मधुर अनुभव था यह … तेज वर्षा की फ़ुहारों में मेरा यह पहला अनुभव … मेरी चूत फ़ड़क उठी, चूत के दोनों लब पानी से भीगे हुये थे … तिस पर चूत का गरम पानी … बदन जैसे आग में पिघलता हुआ, तभी … एक मूसलनुमा लौड़ा मेरी चूत में उतरता सा लगा। वो दीपू का मस्त लण्ड था जो मेरे चूत के लबों को चूमता हुआ … अन्दर घुस गया था।
मेरी टांगे स्वतः ही फ़ैल गई … चौड़ा गई … लण्ड देवता का गीली चूत ने भव्य स्वागत किया, अपनी चूत के चिकने पानी से उसे नहला दिया। दीपू लाईन क्लीअर मान कर मेरे से लिपट पड़ा और चुम्मा चाटी करने लगा … मैं अपनी आंखें बंद करके और अपना मुख खोल कर जोर जोर से सांस ले रही थी … जैसे हांफ़ रही थी। मेरी चूंचियां दब उठी और लण्ड मेरी चूत की अंधेरी गहराईयों में अंधों की तरह घुसता चला गया। लगा कि जैसे मेरी चूत फ़ाड़ देगा। अन्दर शायद मेरी बच्चेदानी से टकरा गया। मुझे हल्का सा दर्द जैसा हुआ। दूसरे ही क्षण जैसे दूसरा मूसल घुस पड़ा … मेरी तो जैसे हाय जान निकली जा रही थी … सीत्कार पर सीत्कार निकली जा रही थी। मैं धमाधम चुदी जा रही थी … दीपू को शायद बहुत दिनों के बाद कोई चूत मिली थी, सो वो पूरी तन्मयता से मन लगा कर मुझे चोद रहा था। बारिश की तेज बूंदें जैसे मेरी तन को और जहरीला बना रही थी।
दीपू मेरे तन पर फ़िसला जा रहा था। मेरा गीला बदन … और उसका भीगा काम देवता सा मोहक रूप … गीली चूत … गीला लण्ड … मैं मस्तानी हो कर लण्ड ले रही थी। मेरे
शरीर से अब जैसे शोले निकलने लगे थे … मैंने उसके चूतड़ों को कस लिया और उसे कहा,”दीपू … नीचे आ जाओ … अब मुझे भी चोदने दो !”
“पर रीता भाभी, चुदोगी तो आप ही ना … ” दीपू वर्षा का आनन्द लेता हुआ बोला।
“अरे, चल ना, नीचे आ जा … ” मैं थोड़ा सा मचली तो वो धीरे से मुझे लिपटा कर पलट गया। अब मेरी बारी थी, मैंने चूत को लण्ड पर जोर दे कर दबाया। उसका मूसल नुमा लण्ड इस बार मेरी चूत की दीवारों पर रगड़ मारता हुआ सीधा जड़ तक आ गया। मेरे लटकते हुये स्तन उसके हाथ में मसले जा रहे थे। दीपू की एक अंगुली मेरे चूतड़ों की दरार में घुस पड़ी और छेद को बींधती हुई गाण्ड में उतर गई।
मैं उसके ऊपर लेट गई और अपनी चूत को धीरे धीरे ऊपर नीचे रगड़ कर चुदने लगी। बारिश की मोटी मोटी बूंदें मेरी पीठ पर गिर रही थी। मैंने अपना चेहरा उसकी गर्दन के पास घुसा लिया और आंखें बन्द करके चुदाई का मजा लेने लगी। हम दोनों जोर जोर से एक दूसरे की चूत और लण्ड घिस रहे थे … मेरे आनन्द की सीमा टूटती जा रही थी। मेरा शरीर वासना भरी कसक से लहरा उठा था। मुझे लग रहा था कि मेरी रसीली चूत अब लपलपाने लगी थी। मेरी चूत में लहरें उठने लगी थी। फिर भी हम दोनों बुरी तरह से लिपटे हुये थे। मेरी चूत लण्ड पर पूरी तरह से जोर लगा रही थी … बस … कितना आनन्द लेती, मेरी चूत पानी छोड़ने लिये लहरा उठी और अन्ततः मेरी चूत ने पानी पानी छोड़ दिया … और मैं झड़ने लगी। मैं दीपू पर अपना शरीर लहरा कर अपना रज निकाल रही थी।
मैं अब उससे अलग हो कर एक तरफ़ लुढ़क गई। दीपू उठ कर बैठ गया और अपने लण्ड को दबा कर मुठ मारने लगा … एक दो मुठ में ही उसके लण्ड ने वीर्य छोड़ दिया और बरसात की मूसलाधार पानी के साथ मिल कहीं घुल गया। हम दोनों बैठे बैठे ही गले मिलने लगे … मुझे अब पानी की बौछारों से ठण्ड लगने लगी थी। मैं उठ कर नीचे भागी। दीपू भी मेरे पीछे कपड़े ले कर नीचे आ गया।
मैं अपना भीगा बदन तौलिये से पोंछने लगी, पर दीपू मुझे छोड़ता भला। उसने गीले कपड़े एक तरफ़ रख दिये और भाग कर मेरे पीछे चिपक गया।
“भाभी मत पोंछो, गीली ही बहुत सेक्सी लग रही हो !”
“सुन रे दीपू, तूने अपनी भाभी को तो चोद ही दिया है , अब सो जा, मुझे भी सोने दे !”
“नहीं रीता भाभी … मेरे लण्ड पर तो तरस खाओ … देखो ना आपके चूतड़ देख कर कैसा कड़क हो रहा है … प्लीज … बस एक बार … अपनी गाण्ड का मजा दे दो … मरवा लो
प्लीज … “
“हाय ऐसा ना बोल दीपू … सच मेरी गाण्ड को लण्ड के मजे देगा … ?” मुझे उसका ये प्रेमभाव बहुत भाया और मैंने उसके लण्ड पर अपनी कोमल और नरम पोन्द दबा दिये। उसका फिर से लण्ड तन्ना उठा।
” भाभी मेरा लण्ड चूसोगी … बस एक बार … फिर मैं भी आपकी भोसड़ी को चूस कर अपको मजा दूंगा !”
“हाय मेरे राजा … तू तो मेरा काम देवता है … “मैंने अपने चूतड़ों में से उसका लण्ड बाहर निकाल लिया और नीचे झुकती चली गई। उसका लण्ड आगे से मोटा नहीं था पर पतला था, उसका सुपाड़ा भी छोटा पर तीखा सा था, पर ऊपर की ओर उसका डण्डा बहुत ही मोटा था। सच में किसी मूली या मूसल जैसा था। मैंने मुठ मारते हुये उसे अपने मुख में समा लिया और कस कस कर चूमने लगी। मुझे भी लग रहा था कि अब दीपू भी मेरी भोसड़ी को चूस कर मेरा रस निकाले। मैंने जैसे ही उसका लण्ड चूसते हुये ऊपर देखा तो एक बार में ही वो समझ गया। उसने मुझे बिस्तर पर लेटा दिया और मेरी चूत पर उसके होंठ जम गये। उसकी लपलपाती हुई जीभ मेरी चूत के भीतरी भागों को सहला रही थी। जीभ की रगड़ से मेरा दाना भी कड़ा
हो गया था। मैं सुख से सराबोर हो रही थी। तभी दीपू ने तकिया लेकर कहा कि अपनी चूतड़ के नीचे ये रख लो और गाण्ड का छेद ऊपर कर लो।
पर मैंने जल्दी से करवट बदली और उल्टी हो गई और अपनी चूत को तकिये पर जमा दी। मैंने अपनी दोनों टांगे फ़ैला कर अपना फ़ूल सा भूरा गुलाब खिला कर लण्ड़ को हाज़िर कर दिया। उसका मूसल जैसा लण्ड चिकनाई की तरावट लिये हुये मेरे गुलाब जैसे नरम छेद पर दब गया। मैंने पीछे घूम कर उसे मुस्करा कर देखा। दूसरे ही क्षण लण्ड मेरी गाण्ड पर घुसने के लिये जोर लगा रहा था। मैंने अपनी गाण्ड को ढीला छोड़ा और लण्ड का स्वागत किया। वो धीरे धीरे प्यार से अंधेरी गुफ़ा में रास्ता ढूंढता हुआ … आगे बढ़ चला। मेरी गाण्ड तरावट से भर उठी। मीठी मीठी सी गुदगुदी और मूसल जैसा लण्ड, पति से गाण्ड मराने से मुझे इस लण्ड में अधिक मजा आ रहा था। उसके धक्के अब बढ़ने लगे थे। मेरी गाण्ड चुदने लगी थी।
मैं उसे और गहराई में घुसाने का प्रयत्न कर रही थी। मेरे चूतड़ ऊपर जोर लगाने लगे थे। दीपू ने मौका देखा और थोड़ा सा जोर लगा कर एक झटके में लण्ड को पूरा बैठा दिया। मैं दर्द से तड़प उठी।
“साला लण्ड है या लोहे की रॉड … चल अब गाड़ी तेज चला … “
वो मेरी पीठ पर लेट गया। उसके हाथ मेरे शरीर पर चूंचियाँ दबाने के लिये अन्दर घुस पड़े … मैंने जैसे मन ही मन दीपू को धन्यवाद दिया। दोनों बोबे दबा कर उसकी कमर मेरी गाण्ड पर उछलने कूदने लगी। मैं खुशी के मारे आनन्द की किलकारियाँ मारने लगी। सिसकी फ़ूट पड़ी … । उसके सेक्सी शरीर का स्पर्श मुझे निहाल कर रहा था। मेरी चूंचियाँ दबा दबा कर उसने लाल कर दी थी। उसका लण्ड मेरी गाण्ड की भरपूर चुदाई कर रहा था। मेरी चूत भी चूने लग गई थी। उसमें से भी पानी रिसने लगा था। मेरी गाण्ड में मनोहारी गुदगुदी उठ रही थी, अब तो मेरी चूत में भी मीठी सी सुरसराहट होने लग गई थी। मेरी चूत लण्ड की प्यासी होने लगी। हाय … कितना अच्छा होता कि अब ये लण्ड मेरी चूत की प्यास बुझाता … मैंने गाण्ड मराते हुये घूम कर दीपू को आंख से इशारा किया।
“आह्ह नहीं रीता भाभी … तंग गाण्ड का मजा ही जोर का है … पानी निकालने दो प्लीज !”
“हाय रे फिर कभी गाण्ड चोद लेना, अभी तो मेरी चूत मार दे दीपू !”
“तो ये ले भोसड़ी की … हाय भाभी सॉरी … गाली मुँह से निकल ही गई !”
“नहीं रे चुदाते समय सब कुछ भला सा लगता है … ” फिर मेरे मुख से सीत्कार निकल पड़ी। उसने अपना लण्ड मेरी चूत में जोर से घुसेड़ दिया था … बस लण्ड का स्पर्श जैसे ही चूत को मिला … मेरी चूत फ़ड़क उठी। लड़कियों की चूत में लण्ड घुसा और वो सीधे स्वर्ग का आनन्द लेने लगती है। मेरी चूत की कसावट बढ़ने लगी … वो मेरे पीठ पर सवार हो कर चूत चोद रहा था। उसने मुझे घोड़ी बनने को कहा … शायद लण्ड को अन्दर पेलने में तकलीफ़ हो रही थी। मेरी गाण्ड ऊंची होते ही उसका लण्ड चूत में यूं घुस गया जैसे कि किसी बड़े छेद में बिना किसी तकलीफ़ सीधे सट से मोम में घुस गया हो। मेरी चूत बहुत गीली हो गई थी। किसी बड़े भोसड़े की तरह चुद रही थी … उसने मेरे स्तन एक बार फिर से पकड़ते हुये अपनी ओर दबा लिये। मुझे चुचूकों को दबाने से और चूत में मूसल की रगड़ से मस्ती आने लगी। उसका लण्ड मेरी चूत को तेजी से झटके मार मार कर चोद रहा था। अचानक उसका चोदने का तरीका बदल गया। करारे शॉट पड़ने लगे। मेरी चूत मे तेज आनन्द दायक खुजली उठने लगी। लगा कि चूत पानी छोड़ देगी।
“मां … मेरी … दीईईईपूऊऊऊ चोद मार रे … निकाल दे फ़ुद्दी का पानी … हाय राम जीऽऽऽऽ … मेरी तो निकल गई राजा … आह्ह्ह्ह” और मैंने अपना पानी छोड़ दिया …
उसका हाथ स्तनों पर से खींच कर हटाने लगी …
“बस छोड़ दे अब … मत कर जल रही है … ” पर उसे कहाँ होश था … मैं दर्द के मारे चीख उठी और दीपू … उसका माल छूट गया … उसकी चीख ने मेरी चीख का साथ दिया …
उसका लण्ड बाहर निकल आया और अपना वीर्य बिस्तर पर गिराने लगा। कुछ देर तक यूं ही माल निकलने का सिलसिला चलता रहा। फिर उस बिस्तर से उठे और हम दोनों दूसरे बिस्तर पर नंगे ही जाकर लेट गये … और फिर जाने कब हम दोनों ही सो गये।
मुझे लगा कि कोई मुझे बुरी तरह झकझोर रहा है … मेरी आंख खुल गई … सवेरा हो चुका था … पर ये दीपू … मेरी चूत में अपना लण्ड घुसाने का प्रयत्न कर रहा था … मुझे हंसी आ गई … मैंने अपने दोनों टांगें पसार दी और उसका लण्ड अपनी चूत में समेट लिया। उसे अपने से कस कर सुला लिया। मैं सुबह सवेरे फिर से चुद रही थी … मुझे अपनी सुहागरात की याद दिला रही थी … सोना नहीं … बस चुदती रहो … सुबह चुदाई, दिन को चुदाई रात को तो पूछो मत … शरीर की मां चुद जाती थी … हाय मैंने ये क्या कह दिया … Antarvasna Sex Stories
मैं अपनी चालीस की उम्र Hindi Sex Stories पार कर चुकी थी। पर तन का सुख मुझे बस चार-पांच साल ही मिला। मैं चौबीस वर्ष की ही थी कि मेरे पति एक बस दुर्घटना में चल बसे थे। मेरी बेटी की शादी मैंने उसके अठारह वर्ष होते ही कर दी थी। अब मुझे बहुत अकेलापन लगता था।
पड़ोसी रीना का जवान लड़का मोनू अधिकतर मेरे यहाँ कम्प्यूटर पर काम करने आता था। कभी कभी तो उसे काम करते करते बारह तक बज जाते थे। वो मेरी बेटी वर्षा के कमरे में ही काम करता था। मेरा कमरा पीछे वाला था … मैं तो दस बजे ही सोने चली जाती थी।
एक बार रात को सेक्स की बचैनी के कारण मुझे नींद नही आ रही थी व इधर उधर करवटें बदल रही थी। मैंने अपना पेटीकोट ऊपर कर रखा था और चूत को हौले हौले सहला रही थी। कभी कभी अपने चुचूकों को भी मसल देती थी। मुझे लगा कि बिना अंगुली घुसाये चैन नहीं आयेगा। सो मैं कमरे से बाहर निकल आई।
मोनू अभी तक कम्प्यूटर पर काम कर रहा था। मैंने बस यूं ही जिज्ञासावश खिड़की से झांक लिया। मुझे झटका सा लगा। वो इन्टरनेट पर लड़कियों की नंगी तस्वीरें देख रहा था। मैं भी उस समय हीट में थी, मैं शान्ति से खिड़की पर खड़ी हो गई और उसकी हरकतें देखने लग गई। उसका हाथ पजामे के ऊपर लण्ड पर था और धीरे धीरे उसे मल रहा था।
ये सब देख कर मेरे दिल की धड़कन बढ़ गई। मेरे हाथ अनायास ही चूत पर चले गये, और सहलाने लग गये। कुछ ही समय में उसने पजामा नीचे सरका कर अपना नंगा लण्ड बाहर निकाल लिया और सुपाड़ा खोल कर मुठ मारने लगा। मन कह रहा था कि तेरी प्यासी आंटी चुदवाने को तैयार है, मुठ काहे मारता है?
तभी उसका वीर्य निकल पड़ा और उसने अपने रूमाल से लण्ड साफ़ कर लिया। अब वो कम्प्यूटर बंद करके घर जाने की तैयारी कर रहा था। मैं फ़ुर्ती से लपक कर अपने कमरे में चली आई। उसने कमरा बन्द किया और बाहर चला गया।
उसके जाते ही मेरे खाली दिमाग में सेक्स उभर आया। मेरा जिस्म जैसे तड़पने लगा। मैंने जैसे तैसे बाथरूम में जा कर चूत में अंगुली डाल कर अपनी अग्नि शान्त की। पर दिल में मोनू का लण्ड मेरी नजरों के सामने से नहीं हट पा रहा था। सपने में भी मैंने उसके लण्ड को चूस लिया था। अब मोनू को देख कर मेरे मन में वासना जागने लगी थी। मुझे लगा कि सोनू को भी कोई लड़की चोदने के लिये नहीं मिल रही है, इसीलिये वो ये सब करता है। मतलब उसे पटाया जा सकता है। सुबह तक उसका लण्ड मेरे मन में छाया रहा। मैंने सोच लिया था कि यूं ही जलते रहने से तो अच्छा है कि उसे जैसे तैसे पटा कर चुदवा लिया जाये, बस अगर रास्ता खुल गया तो मजे ही मजे हैं।
मोनू सवेरे ही आ गया था। वो सीधे कम्प्यूटर पर गया और उसने कुछ किया और जाने लगा। मैंने उसे चाय के लिये रोक लिया। चाय के बहाने मैंने उसे अपने सुडौल वक्ष के दर्शन करा दिये। मुझे लगा कि उसकी नजरें मेरे स्तनों पर जम सी गई थी। मैंने उसके सामने अपने गोल गोल चूतड़ों को भी घुमा कर उसका ध्यान अपनी ओर खींचने की कोशिश की और मुझे लगा कि मुझे उसे आकर्षित में सफ़लता मिल रही है। मन ही मन में मैं हंसी कि ये लड़के भी कितने फ़िसलपट्टू होते हैं। मेरा दिल बाग बाग हो गया। लगा कि मुझे सफ़लता जल्दी ही मिल जायेगी।
मेरा अन्दाजा सही निकला। दिन में आराम करने के समय वो चुपके से आ गया और मेरी खिड़की से झांक कर देखा। उसकी आहट पा कर मैं अपना पेटीकोट पांवों से ऊपर जांघों तक खींच कर लेट गई। मेरे चिकने उघाड़े जिस्म को वो आंखे फ़ाड़-फ़ाड़ कर देखता रहा, फिर वो कम्प्यूटर के कमरे में आ गया। ये सब देख कर मुझे लगा चिड़िया जाल में उलझ चुकी है, बस फ़न्दा कसना बाकी है।
रात को मैं बेसब्री से उसका इन्तज़ार करती रही। आशा के अनुरूप वो जल्दी ही आ गया। मैं कम्प्यूटर के पास बिस्तर पर यूँ ही उल्टी लेटी हुई एक किताब खोल कर पढने का बहाना करने लगी। मैंने पेटीकोट भी पीछे से जांघो तक उठा दिया था। ढीले से ब्लाऊज में से मेरे स्तन झूलने लगे और उसे साफ़ दिखने लगे। ये सब करते हुये मेरा दिल धड़क भी रहा था, पर वासना का जोर मन में अधिक था।
मैंने देखा उसका मन कम्प्यूटर में बिलकुल नहीं था, बस मेरे झूलते हुये सुघड़ स्तनों को घूर रहा था। उसका पजामा भी लण्ड के तन जाने से उठ चुका था। उसके लण्ड की तड़प साफ़ नजर आ रही थी। उसे गर्म जान कर मैंने प्रहार कर ही दिया।
“क्या देख रहे हो मोनू…?”
“आं … हां … कुछ नहीं रीता आण्टी… !” उसके चेहरे पर पसीना आ गया था।
“झूठ… मुझे पता है कि तुम ये किताब देख रहे थे ना ……?” उसके चेहरे की चमक में वासना साफ़ नजर आ रही थी।
वो कुर्सी से उठ खड़ा हुआ और मेरे पास बिस्तर के नजदीक आ गया।
“आण्टी, आप बहुत अच्छी हैं, एक बात कहूँ ! आप को प्यार करने का मन कर रहा है।” उसके स्वर में प्यार भरी वासना थी।
मैंने उसे अपना सर घुमा कर देखा,”आण्टी हूँ मैं तेरी, कर ले प्यार, इसमे शर्माना क्या…”
वो धीरे से मेरी पीठ पर सवार हो गया और पीछे से लिपट पड़ा। उसकी कमर मेरे नितम्बो से सट गई। उसका लण्ड मेरे कोमल चूतड़ों में घुस गया। उसके हाथ मेरे सीने पर पहुंच गये। पीछे से ही मेरे गालों को चूमने लगा। भोला कबूतर जाल में उलझ कर तड़प रहा था। मुझे लगा कि जैसे मैंने कोई गढ़ जीत लिया हो।
मैंने अपनी टांगें और चौड़ी कर ली, उसका लण्ड गाण्ड में फ़िट करने की उसे मनमानी करने में सहायता करने लगी।
“बस बस, बहुत हो गया प्यार … अब हट जा…” मेरा दिल खुशी से बाग बाग हो गया था।
“नहीं रीता आण्टी, बस थोड़ी सी देर और…” उसने कुत्ते की भांति अपने लण्ड को और गहराई में घुसाने की कोशिश की। मेरी गाण्ड का छेद भी उसके लण्ड को छू गया। उसके हाथ मेरी झूलती हुई चूंचियों को मसलने लगे, उसकी सांसें तेज हो गई थी। मेरी सांसे भी धौकनीं की तरह चलने लगी थी। दिल जोर जोर से धड़कने लगा था। लगा कि मुझे चोद ही डालेगा।
“बस ना… मोनू …तू तो जाने क्या करने लगा है …ऐसे कोई प्यार किया जाता है क्या ? …चल हट अब !” मैंने प्यार भरी झिड़की दी उसे। वास्तव में मेरी इच्छा थी कि बस वो मुझे पर ऐसे ही चढ़ा रहे और अब मुझे चोद दे… मेरी झिड़की सुन कर वो मेरी पीठ पर से उतर गया। उसके लण्ड का बुरा हाल था। इधर मेरी चूंचियां, निपल सभी कड़क गये थे, फ़ूल कर कठोर हो गये थे।
“तू तो मेरे से ऐसे लिपट गया कि जैसे मुझे बहुत प्यार करता है ?”
“हां सच आण्टी … बहुत प्यार करता हूँ…”
“तो इतने दिनों तक तूने बताया क्यों नहीं?”
“वो मेरी हिम्मत नहीं हुई थी…”उसने शरमा कर कहा।
“कोई बात नहीं … चल अब ठीक से मेरे गाल पर प्यार कर… बस… आजा !” मैं उसे अधिक सोचने का मौका नहीं देना चाहती थी।
उसने फिर से मुझे जकड़ सा लिया और मेरे गालों को चूमने लगा। तभी उसके होंठ मेरे होठों से चिपक गये। उसने अपना लण्ड उभार कर मेरी चूत से चिपका दिया।
मेरे दिल के तार झनझना गये। जैसे बाग में बहार आ गई। मन डोल उठा। मेरी चूत भी उभर कर उसके लण्ड का उभार को स्पर्श करने लगी। मैंने उसकी उत्तेजना और बढ़ाने के लिये उसे अब परे धकेल दिया। वो हांफ़ता सा दो कदम दूर हट गया।
मुझे पूर्ण विश्वास था कि अब वो मेरी कैद में था।
“मोनू, मैं अब सोने जा रही हूं, तू भी अपना काम करके चले जाना !” मैंने उसे मुस्करा कर देखा और कमरे के बाहर चल दी। इस बार मेरी चाल में बला की लचक आ गई थी, जो जवानी में हुआ करती थी।
कमरे में आकर मैंने अपनी दोनों चूंचियाँ दबाई और आह भरने लगी। पेटीकोट में हाथ डाल कर चूत दबा ली और लेट गई। तभी मेरे कमरे में मोनू आ गया। इस बार वो पूरा नंगा था। मैं झट से बिस्तर से उतरी और उसके पास चली आई।
“अरे तूने कपड़े क्यों उतार दिये…?”
“आ…आ… आण्टी … मुझे और प्यार करो …”
“हां हां, क्यों नहीं … पर कपड़े…?”
“आण्टी… प्लीज आप भी ये ब्लाऊज उतार दो, ये पेटीकोट उतार दो।” उसकी आवाज जैसे लड़खड़ा रही थी।
“अरे नहीं रे … ऐसे ही प्यार कर ले !”
उसने मेरी बांह पकड़ कर मुझे अपनी ओर खींच लिया और मुझसे लिपट गया।
“आण्टी … प्लीज … मैं आपको … आपको … अह्ह्ह्ह्… चोदना चाहता हूं !” वो अपने होश खो बैठा था।
“मोनू बेटा, क्या कह रहा है …” उसके बावलेपन का फ़ायदा उठाते हुये मैंने उसका तना हुआ लण्ड पकड़ लिया।
“आह रीता आण्टी … मजा आ गया … इसे छोड़ना नहीं … कस लो मुठ्ठी में इसे…”
उसने अपने हाथ मेरे गले में डाल दिये और लण्ड को मेरी तरफ़ उभार दिया।
मैंने उसका कड़क लण्ड पकड़ लिया। मेरे दिल को बहुत सुकून पहुंचा। आखिर मैंने उसे फ़ंसा ही लिया। बस अब उसकी मदमस्त जवानी का मजा उठाना था। बरसों बाद मेरी सूनी जिंदगी में बहार आई थी। मैंने दूसरे हाथ से अपना पेटीकोट का नाड़ा ढीला कर दिया, वह जाने कब नीचे सरक गया। मैंने मोनू को बिस्तर के पास ही खड़ा कर दिया और खुद बिस्तर पर बैठ गई। अब उसका लौड़ा मैंने फिर से मुठ्ठी में भरा और उसे आगे पीछे करके मुठ मारने लगी। वो जैसे चीखने सा लगा। अपना लण्ड जोर जोर से हाथ में मारने लगा। तभी मैंने उसे अपने मुख में ले लिया। उसकी उत्तेजना बढ़ती गई। मेरे मुख मर्दन और मुठ मारने पर उसे बहुत मजा आ रहा था। तभी उसने अपना वीर्य उगल दिया। जवानी का ताजा वीर्य …
सुन्दर लण्ड का माल … लाल सुपाड़े का रस … किसे नसीब होता है … मेरे मुख में पिचकारियां भरने लगी। पहली रति क्रिया का वीर्य … ढेर सारा … मुँह में … हाय … स्वाद भरा… गले में उतरता चला गया। अन्त में जोर जोर से चूस कर पूरा ही निकाल लिया।
सब कुछ शान्त हो गया। उसने शरम के मारे अपना चेहरा हाथों में छिपा लिया।
मैंने भी ये देख कर अपना चेहरा भी छुपा लिया।
“आण्टी… सॉरी … मुझे माफ़ कर देना … मुझे जाने क्या हो गया था।” उसने प्यार से मेरे बालों में हाथ फ़ेरते हुये कहा।
मैं उसके पास ही बैठ गई। अपने फ़ांसे हुये शिकार को प्यार से निहारने लगी।
“मोनू, तेरा लण्ड तो बहुत करारा है रे…!”
“आण्टी … फिर आपने उसे भी प्यार किया… आई लव यू आण्टी!”
मैंने उसका लण्ड फिर से हाथ में ले लिया।
“बस आंटी, अब मुझे जाने दीजिये… कल फिर आऊंगा” उसे ये सब करने से शायद शर्म सी लग रही थी।
वो उठ कर जाने लगा, मैं जल्दी से उठ खड़ी हुई और दरवाजे के पास जा खड़ी हुई और उसे प्यार भरी नजरों से देखने लगी। उसने मेरी चूत और जिस्म को एक बार निहारा और कहा,”एक बार प्यार कर लो … आप को यूँ छोड़ कर जाने को मन नहीं कर रहा !”
मैंने अपनी नजरें झुका ली और पास में रखा तौलिया अपने ऊपर डाल लिया। उसका लण्ड एक बार फिर से कड़क होने लगा। वो मेरे नजदीक आ गया और मेरी पीठ से चिपक गया। उसका बलिष्ठ लण्ड मेरी चूतड़ की दरारों में फ़ंसने लगा। इस बार उसके भारी लण्ड ने मुझ पर असर किया… उसके हाथों ने मेरी चूंचियां सम्भाल ली और उसका मर्दन करने लगे। अब वह मुझे एक पूर्ण मर्द सा नजर आने लगा था। मेरा तौलिया छूट कर जमीन पर गिर पड़ा।
“क्या कर रहे हो मोनू…”
“वही जो ब्ल्यू फ़िल्म में होता है … आपकी गाण्ड मारना चाहता हू … फिर चूत भी…”
“नहीं मोनू, मैं तेरी आण्टी हू ना …”
“आण्टी, सच कहो, आपका मन भी तो चुदने को कर रहा है ना?”
“हाय रे, कैसे कहूँ … जन्मों से नहीं चुदी हूँ… पर प्लीज आज मुझे छोड़ दे…”
“और मेरे लण्ड का क्या होगा … प्लीज ” और उसका लण्ड ने मेरी गाण्ड के छेद में दबाव डाल दिया।
“सच में चोदेगा… ? हाय … रुक तो … वो क्रीम लगा दे पहले, वर्ना मेरी गाण्ड फ़ट जायेगी !”
उसने क्रीम मेरी गाण्ड के छेद में लगा दी और अंगुली गाण्ड में चलाने लगा। मुझे तेज खुजली सी हुई।
“मार दे ना अब … खुजली हो रही है।”
मोनू ने लण्ड दरार में घुसा कर छेद तक पहुंचा दिया और मेरा छेद उसके लण्ड के दबाव से खुलने लगा और फ़क से अन्दर घुस पड़ा।
“आह मेरे मोनू … गया रे भीतर … अब चोद दे बस !”
मोनू ने एक बार फिर से मेरे उभरे हुये गोरे गोरे स्तनों को भींच लिया। मेरे मुख से आनन्द भरी चीख निकल गई। मैंने झुक कर मेज़ पर हाथ रख लिया और अपनी टांगें और चौड़ा दी। मेरी चिकनी गाण्ड के बीच उसका लण्ड अन्दर-बाहर होने लगा। चुदना बड़ा आसान सा और मनमोहक सा लग रहा था। वो मेरी कभी चूंचियां निचोड़ता तो कभी मेरी गोरी गोरी गाण्ड पर जोर जोर से हाथ मारता।
उसक सुपाड़ा मेरी गाण्ड के छेद की चमड़ी को बाहर तक खींच देता था और फिर से अन्दर घुस जाता था। वो मेरी पीठ को हाथ से रगड़ रगड़ कर और रोमांचित कर रहा था। उसका सोलिड लण्ड तेजी से मेरी गाण्ड मार रहा था। कभी मेरी पनीली चूत में अपनी अंगुली घुसा देता था। मैं आनन्द से निहाल हो चुकी थी। तभी मुझे लगा कि मोनू कहीं झड़ न जाये। पर एक बार वो झड़ चुका था, इसलिये उम्मीद थी कि दूसरी बार देर से झड़ेगा, फिर भी मैंने उसे चूत का रास्ता दिखा दिया।
“मोनू, बस मेरी गाण्ड को मजा गया, अब मेरी चूत मार दो …” उसके चहरे पर पसीना छलक आया था। उसे बहुत मेहनत करनी पड़ रही थी। उसने एक झटके से अपना लण्ड बाहर खींच लिया। मैंने मुड़ कर देखा तो उसका लण्ड फ़ूल कर लम्बा और मोटा हो चुका था। उसे देखते ही मेरी चूत उसे खाने के लिये लपलपा उठी।
“मोनू मार दे मेरी चूत … हाय कितना मदमस्त हो रहा है … दैय्या रे !”
“आन्टी, जरा पकड़ कर सेट कर दो…” उसकी सांसें जैसे उखड़ रही थी, वो बुरी तरह हांफ़ने लगा था, उसके विपरीत मुझे तो बस चुदवाना था। तभी मेरे मुख से आनन्द भरी सीत्कार निकल गई। मेरे बिना सेट किये ही उसका लण्ड चूत में प्रवेश कर गया था। उसने मेरे बाल खींच कर मुझे अपने से और कस कर चिपटा लिया और मेरी चूत पर लण्ड जोर जोर से मारने लगा। बालों के खींचने से मैं दर्द से बिलबिला उठी। मैं छिटक कर उससे अलग हो गई। उसे मैंने धक्का दे कर बिस्तर पर गिरा दिया और उससे जोंक की तरह उस पर चढ़ कर चिपक गई। उसके कड़कते लण्ड की धार पर मैंने अपनी प्यासी चूत रख दी और जैसे चाकू मेरे शरीर में उतरता चला गया। उसके बाल पकड़ कर मैंने जोर लगाया और उसका लण्ड मेरी बच्चेदानी से जा टकराया। उसने मदहोशी में मेरी चूंचियां जैसे निचोड़ कर रख दी। मैं दर्द से एक बार फिर चीख उठी और चूत को उसके लण्ड पर बेतहाशा पटकने लगी। मेरी अदम्य वासना प्रचण्ड रूप में थी। मेरे हाथ भी उसे नोंच खसोट रहे थे, वो आनन्द के मारे निहाल हो रहा था, अपने दांत भींच कर अपने चूतड़ ऊपर की ओर जोर-जोर से मार रहा था।
“मां कसम, मोनू चोद मेरे भोसड़े को … साले का कीमा बना दे … रण्डी बना दे मुझे… !”
“पटक, हरामजादी … चूत पटक … मेरा लौड़ा … आह रे … आण्टी…” मोनू भी वासना के शिकंजे में जकड़ा हुआ था। हम दोनों की चुदाई रफ़्तार पकड़ चुकी थी। मेरे बाल मेरे चेहरे पर उलझ से गये थे। मेरी चूत उसके लण्ड को जैसे खा जाना चाहती हो। सालों बाद चूत को लण्ड मिला था, भला कैसे छोड़ देती !
वो भी नीचे से अपने चूतड़ उछाल रहा था, जबरदस्त ताकत थी उसमें, मेरी चूत में जोर की मिठास भरी जा रही थी। तभी जैसे आग का भभका सा आया … मैंने अपनी चूत का पूरा जोर लण्ड पर लगा दिया… लण्ड चूत की गहराई में जोर से गड़ने लगा… तभी चूत कसने और ढीली होने लगी। लगा मैं गई… उधर इस दबाव से मोनू भी चीख उठा और उसने भी अपने लण्ड को जोर से चूत में भींच दिया। उसका वीर्य निकल पड़ा था। मैं भी झड़ रही थी। जैसे ठण्डा पानी सा हम दोनों को नहला गया। हम दोनों एक दूसरे से जकड़े हुये झड़ रहे थे। हम तेज सांसें भर रहे थे। हम दोनों का शरीर पसीने में भीग गया था। उसने मुझे धीरे से साईड में करके अपने नीचे दबा लिया और मुझे दबा कर चूमने लगा। मैं बेसुध सी टांगें चौड़ी करके उसके चुम्बन का जवाब दे रही थी। मेरा मन शान्त हो चुका था। मैं भी प्यार में भर कर उसे चूमने लगी थी। लेकिन हाय रे ! जवानी का क्या दोष … उसका लण्ड जाने कब कड़ा हो गया था और चूत में घुस गया था, वो फिर से मुझे चोदने लगा था।
मैं निढाल सी चुदती रही … पता नहीं कब वो झड़ गया था। तब तक मेरी उत्तेजना भी वासना के रूप में मुझ छा गई थी। मुझे लगा कि मुझे अब और चुदना चाहिये कि तभी एक बार फिर उसका लण्ड मेरी चूत को चीरता हुआ अन्दर घुस गया। मैंने उसे आश्चर्य से देखा और चुदती रही। कुछ देर में हम दोनों झड़ गये। मुझे अब कमजोरी आने लगी थी। मुझ पर नींद का साया मण्डराने लगा था। आंखें थकान के मारे बंद हुई जा रही थी, कि मुझे चूत में फिर से अंगारा सा घुसता महसूस हुआ।
“मोनू, बस अब छो … छोड़ दे… कल करेंगे …!” पर मुझे नहीं पता चला कि उसने मुझे कब तक चोदा, मैं गहरी नींद में चली गई थी।
सुबह उठी तो मेरा बदन दर्द कर रहा था। भयानक कमजोरी आने लगी थी। मैं उठ कर बैठ गई, देखा तो मेरे बिस्तर पर वीर्य और खून के दाग थे। मेरी चूत पर खून की पपड़ी जम गई थी। उठते ही चूत में दर्द हुआ। गाण्ड भी चुदने के कारण दर्द कर रही थी। मोनू बिस्तर पर पसरा हुआ था। उसके शरीर पर मेरे नाखूनों की खरोंचे थी। मैं गरम पानी से नहाई तब मुझे कुछ ठीक लगा। मैंने एक एण्टी सेप्टिक क्रीम चूत और गाण्ड में मल ली।
मैंने किचन में आकर दो गिलास दूध पिया और एक गिलास मोनू के लिये ले आई।
मेरी काम-पिपासा शान्त हो चुकी थी, मोनू ने मुझे अच्छी तरह चोद दिया था। कुछ ही देर में मोनू जाग गया, उसको भी बहुत कमजोरी आ रही थी। मैंने उसे दूध पिला दिया। उसके जिस्म की खरोंचों पर मैंने दवाई लगा दी थी। शाम तक उसे बुखार हो आया था। शायद उसने अति कर दी थी…। Hindi Sex Stories
दोस्तो, मेरी कहानियाँ Sex Stories सभी को ख़ूब पसन्द आई; बहुत से ईमेल आए।
मेरी सभी कहानियाँ किसी और के जीवन से ली गई हैं, जिन्हें मैं आपसे बाँटता हूँ।
इस बार फिर आपको एक मस्त कहानी सुनाने जा रहा हूँ।
रामजीलाल एक 58 साल के व्यक्ति हैं जिनकी पत्नी इस दुनिया में नहीं हैं।
उनकी दो बेटी हैं जिनका नाम सरिता और सीमा हैं।
बड़ी बेटी सरिता की उम्र 24 साल हैं जो शादीशुदा है।
छोटी लड़की अभी 19 साल की है जो पढ़ाई कर रही है।
बड़ी बेटी सरिता की शादी को एक साल ही हुआ था। उसके ससुराल में जाने के बाद रामजीलाल अपने घर में अपनी लड़की के साथ रहते हैं। लड़की छोटी होने के कारण उन्होंने जल्दी वी आर एस ले लिया जिससे लड़की की पढ़ाई तथा परवरिश में कोई कमी न होने पाए।
रामजीलाल दिन का समय तो किसी तरह निकाल लेते लेकिन रात निकालनी उनके मुश्किल हो जाती।
इस उम्र में भी उन्हें सेक्स का कीड़ा काटता था। कभी-कभी अंग्रेज़ी फिल्म देख लिया करते।
लेकिन इससे उनकी सेक्स की भूख और भी बढ़ जाती। इसलिए अपना हाथ जगन्नाथ मानकर किसी तरह अपनी बेचैनी को कम करना उनकी मज़बूरी थी।
सेक्स का कीड़ा तो बाथरूम में जाते और मूठ मारकर अपना पानी निकाल लेते। इसी तरह उनके दिन कट रहे थे।
एक दिन उनकी बड़ी बेटी सरिता घर पर आई। साथ में सरिता का देवर अमर तथा उसकी सासु माँ अनुपमा भी थी।
अनुपमा देखने में तेज़-तर्रार और सेक्स बदन की मालकिन थी।
उम्र तो उसकी 40 के आसपास थी लेकिन उसका भरा-पूरा बदन और उस पर गोरी रंगत कमाल ढाती थी। वह चलती तो उसकी चूतड़ इस अन्दाज़ में हिलती कि देखने वाला भी हिल जाए।
इसके विपरीत अमर, जो अनुपमा का बेटा तथा सरिता का देवर है, वह देखने में सीधा-सादा मासूम बच्चा नज़र आता है। उसकी उम्र 18-19 के आसपास है।
सीमा अपनी बहन को देखकर खुश हो गई।
रामजीलाल भी उन्हें देखकर खुश हो गए क्योंकि बहुत दिनों बाद वे घर पर आए थे।
पूरा दिन सबने बातों में ही निकाल दिया। सरिता, सीमा और अमर आपस में ख़ूब बातें करते रहे।
इधर रामजीलाल भी अनुपमा से गप्पे लड़ाने में कम नहीं थे।
रामजीलाल को अनुपमा से बातें करके अपनी पत्नी की याद आ रही थी। उन्हें लगा कि वह जैसे उनकी पत्नी ही है, बस चोदने की देर है।
लेकिन वह अनुपमा के गुस्से से डरते थे। अनुपमा के सामने अच्छे-अच्छों की बोलती बन्द हो जाती थी फिर रामजीलाल क्या चीज़ है।
शाम को सभी ने खाना खाया और अपने अपने कमरे में चले गए। सरिता और सीमा एक ही कमरे में सोने चले गए तथा अमर और उसकी माँ अनुपमा भी एक कमरे में चले गए।
रामजीलाल भी अपने कमरे में जाकर सोने का प्रयास करने लगे।
लेकिन उन्हें नींद कहाँ आने वाली थी। आज फिर अपने को तड़पता हुआ पाया।
अनुपमा से बातें करके उन्हें अपनी पत्नी की याद आ रही थी कि किस तरह वह अपनी पत्नी को बाँहों में लेकर उसके नरम नरम होंठों को चूसा करते थे।
अपनी पत्नी के साथ बिताए सेक्स के पलों को याद करके वह और भी अधिक तड़पने लगे। उनका लंड खड़ा हो गया।
वे फिर मूठ मारने बाथरूम में गए, पर आज उनका मूड इसमें भी नहीं लगा। वे हॉल में आकर सोफे पर बैठ गए।
अभी घड़ी में 12 बज रहे थे और पूरी रात उनके सामने पड़ी थी।
रामजीलाल ने टीवी चालू कर लिया और फिल्म देखने लगे।
तभी अमर भी हॉल में आ गया। वह भी बोर हो रहा था। इसलिए टीवी देखने हॉल में आ गया था। वह भी सोफे पर बैठ गया। दोनों टीवी देखने लगे।
फिल्म में एक चुम्बन-दृश्य आया। रामजीलाल ने यह दृश्य देखा तो बेचैन हो गए। उनका लौड़ा उनकी पैन्ट में ही खड़ा होकर अपनी उपस्थिति बताने लगा।
इधर अमर भी यह दृश्य देखकर बेचैन तो हुआ पर उसने जाहिर नहीं होने दिया।
रामजीलाल ने अमर से पूछा- बेटा, पढ़ाई कैसी चल रही है?
अमर- अच्छी चल रही है।
रामजीलाल- अच्छा तुम्हारी मम्मी क्या कर रही है?
अमर- मम्मी थक गई थी इसलिए जल्दी नींद आ गई।
रामजीलाल- अच्छा। और तुम्हारी कितनी गर्लफ्रेण्ड हैं?
अमर थोड़ा चौंका … लेकिन फिर सँभल कर बोला- एक भी नहीं है।
रामजीलाल- क्या बात कर रहे हो बेटा! इतने बड़े हो गए और एक भी गर्लफ्रेण्ड नहीं! भई मैं जब तुम्हारी उम्र का था तो मेरी चार-चार गर्लफ्रेण्ड हुआ करती थीं।
अमर- अच्छा? मैं अभी-अभी कॉलेज में गया हूँ। इसलिए कोई गर्लफ्रेण्ड नहीं है मेरी।
रामजीलाल- वह तो ठीक है। मैं तुम्हें बताऊँगा कि गर्लफ्रेण्ड कैसे पटाते हैं। लड़कियों को प्रभावित करने के लिए अच्छे साफ-सुथरे और स्टाईलिश कपड़े पहनो और अपनी एक अलग पहचान बनाओ। लड़कियाँ ख़ुद तुम्हारे साथ दोस्ती करेगी और तुम जो चाहोगी वह भी करेगी।
अमर- आप तो बहुत अनुभवी लगते हैं। पर गर्लफ्रेण्ड हमारे लिए क्या कर सकती है?
रामजीलाल- बेटा तुम बहुत भोले हो। लड़कियाँ यदि ख़ुद आकर पटेंगी तो तुम जो कहोगे वह करेगी। मेरा मतलब सेक्स से है। तुम्हें भी सेक्स का अनुभव होना चाहिए। वरना शादी के बाद तुम्हारी पत्नी तुम्हें ताना देगी कि तुम्हें कुछ भी नहीं आता।
अमर- वह तो ठीक है। लेकिन शादी के पहले यह सब करना ठीक होता है क्या?
रामजीलाल- बेटा, अनुभव बुहत बड़ी चीज़ होती है। शादी के पहले यह करना ठीक तो नहीं है लेकिन यदि लड़कियाँ ख़ुद अपनी मर्ज़ी से दें तो इसमें बुरा क्या है? तुम्हें कुछ करना आता भी है या नहीं?
अमर शरमाकर बोला- नहीं। थोड़ा बहुत जानता हूँ लेकिन पूरी तरह मालूम नहीं है कि क्या करते हैं।
अमर अब थोड़ा सा खुल गया था।
रामजीलाल- तो मैं तुम्हें बताता हूँ कि सेक्स में क्या करते हैं। सेक्स में किसका महत्त्व है। लड़की के गालों पर, माथे पर, गर्दन पर, और होंठों पर किस करने का मज़ा ही कुछ और है। फिर उनका नाज़ुक चिकना बदन तो पागल कर देता है। उनकी चूचियाँ दबाओ, उन्हें चूसो। उनके पूरे कपड़े खोलकर नंगा कर देना अपने-आप में बहुत मज़ेदार होता है। उनकी चूत में अपना लंड डालो तो समझो कि स्वर्ग जीत लिया।
अमर हकलाते हुए- हाँ यह सब तो बहुत मज़ेदार होगा।
रामजीलाल- अरे … इससे ज़्याद मज़ा तब आता है जब वो तुम्हारा लंड मुँह में लेकर चूसती है। इस आनन्द की तो बात ही निराली है।
अमर- क्या? वह हमारी इस गंदी चीज़ को भी मुँह में लेती है।
रामजीलाल- गंदी चीज़? अरे इससे प्यारी चीज़ तो कोई होती ही नहीं है। तुम कैसे मर्द हो? औरतें तो इसे लॉलीपॉप की तरह चूसती हैं।
अमर- आप मुझसे बहुत गंदी-गंदी बातें कर रहे हैं। मैं आपकी बातों का भरोसा नहीं कर सकता।
रामजीलाल- यदि तुम्हें यकीन नहीं आता तो तुम ख़ुद चूसकर देख लो।
रामजीलाल ने अपना पत्ता फेंका था। वह सोच रहे थे कि अनुपमा न सही, उसका बेटा तो कम से कम मेरा लंड चूस सकता है।
अमर- मैं तो जा रहा हूँ, अपने कमरे में। आपसे मुझे कोई बात नहीं करनी।
रामजीलाल अमर के गुस्से से डर गए। यदि कहीं उसने अपनी माँ अनुपमा को बता दिया तो गज़ब हो जाएगा।
रामजीलाल- बेटा मैं सच कह रहा हूँ। यदि तुम अभी नहीं सीखोगे तो कब सीखोगे। तुम ख़ुद अनुभव लेकर देखो। यदि मैं झूठा निकला तो कभी भी बात मत करना।
अमर पशोपेश में था। आख़िरकार उसने रामजीलाल का लंड मुँह में लेने का निश्चय कर लिया।
रामजीलाल ने टीवी बंद कर दिया और अमर को अपने कमरे में ले गए। रामजीलाल ने अपनी पूरी पैंट खोल दी। उनका 6 इंच लम्बा और मोटा लंड अपनी पूरी औक़ात में तना हुआ था। रामजीलाल बिस्तर पर लेट गए और अमर को लंड मुँह में लेने को कहा।
अमर ने धीरे से लंड को पकड़ा। उसके हाथों में लंड की गर्मी आने लगी। उसे लंड पकड़ना अच्छा लगा।
थोड़ी देर लंड को सहलाने के बाद अमर ने लंड के सुपाड़े को अपने मुँह में ले लिया। उसके मुँह में लंड की गर्मी भरने लगी।
सुपाड़ा चूसते-चूसते उसने लंड को मुँह में भर लिया और मजे ले-लेकर चूसने लगा।
रामजीलाल तो आँखें बन्द करके ज़न्नत की सैर कर रहे थे। अचानक रामजीलाल का लंड कड़क हो गया।
वह समझ गए कि पानी निकलने ही वाला है, लेकिन लंड मुँह से निकालने के पहले ही सारा माल अमर के मुँह में चला गया। माल मुँह में जाते ही अमर का दिमाग ख़राब हो गया। उसने वहीं पर उल्टी कर दी।
रामजीलाल भी उसकी हालत देखकर डर गए।
किसी तरह अमर सँभला और रामजीलाल पर बिगड़ गया और यह कहकर चला गया- आप बहुत गंदे इंसान हो।
इसके जाने के बाद रामजीलाल ने राहत की साँस ली।
वे यही सोच रहे थे कि यह लड़का समझदार निकले और इस बारे में किसी से कहे नहीं। वर्ना उनकी इज्ज़त ख़राब होगी और अच्छा-ख़ासा हंगामा हो जाएगा।
रामजीलाल ने सारे कपड़े खोल दिए और दूसरी अण्डरवियर पहनकर पलंग पर लेट गए।
तभी दरवाज़े पर उनकी समधन अनुपमा ने आवाज़ लगाई।
रामजीलाल उनकी आवाज़ सुनकर डर गए; घबराते हुए दरवाज़ा खोला।
वह यह भी भूल गए कि वे सिर्फ अण्डरवियर में ही हैं।
अनुपमा दरवाज़ा धकेलते हुए अन्दर आई और बोली- क्या पिला दिया है तुमने मेरे छोरे को? वह उल्टी पर उल्टी किए जा रहा है। अपनी उम्र देखो और मासूम बच्चे को देखो। ज़रा सा भी ख़्याल नहीं आया आपको यह गंदी हरक़त करते हुए।
रामजीलाल डर गए और गिड़गिड़ाकर अनुपमा से बोले- मुझे माफ़ कर दो। आइन्दा मैं कभी ऐसी ग़लती नहीं करूँगा। कृपया मेरी पहली और आख़िरी भूल समझकर मुझे क्षमा कर दो। मैं क़सम खाता हूँ कभी अमर से अकेले में भी नहीं मिलूँगा। अब मेरी इज्ज़त आपके हाथ में है।
रामजीलाल को गिड़गिड़ाता हुआ दखकर अनुपमा बोली- आपका काम माफ़ करने के लायक नहीं है। ज़रा मैं भी तो देखूँ कि तुम्हारे लंड में कितना दम है।
रामजीलाल यह सुनकर बुरी तरह चौंककर बोले- आप यह क्या कह रही हैं? Sex Stories
वो मेरे घर के साथ वाले घर में ही रहती हैं और काफी सुंदर हैं. उनके मम्मे भी काफी मोटे हैं और उनकी गांड का तो कहना ही क्या है. वो भी काफी मस्त माल हैं.
आंटी की कमर काफी पतली सी है. वो खुद भी पतली हैं, पर उनका फिगर काफी सेक्सी है.
मेरा दिल उनको देखकर काफी मचल उठता है.
आंटी का पति मोटा सा है जो उन्हें किसी प्रकार का सुख नहीं दे सकता है.
वो ना तो उन्हें सेक्स से संतुष्ट कर पाता है और न ही वो प्यार करता है.
उसका पेट काफी बाहर को निकला हुआ है और उसका लंड भी छोटा सा है, ये आपको पोर्न वाइफ फक कहानी में आगे मालूम हो जाएगा.
एक बार मेरे घर पर केबल टीवी साफ नहीं आ रही थी. मैंने सोचा छत पर केबल का जोड़ है, वो खराब हो गया होगा.
यह तार मेरी पड़ोस वाली आंटी की छत पर था.
तो पहले मैं छत पर तार सही करने के लिए आंटी के घर से छत पर जाने की सोचने लगा था.
फिर मन में आया कि चलो, अपनी छत से सीधा ही चला जाऊं.
मैं उनकी छत पर चला गया.
जैसे ही मैं उनकी छत पर गया, तो नीचे से कुछ आवाजें आ रही थीं.
मैं छत पर लगे जाल के पास गया और सुनने लगा कि क्या बात हो रही है.
तो आंटी चिल्ला रही थीं- नहीं, आज नहीं … कल ही तो किया था. आजकल तुम रोज परेशान करने लग लगे हो. छोड़ो मेरे को!
फिर आंटी जोर से कराहने लगीं.
उनके साथ कुछ और आवाजें भी आ रही थीं जैसे ब्लू-फिल्म चल रही हो.
उसके बाद कुछ थप्पड़ की आवाजें आने लगी थीं.
तभी आंटी बोलीं- आज फाड़ ही डालोगे क्या … आ आआ आह आराम से.
मैंने सोचा कि ये क्या हो रहा.
मैं धीरे से सीढ़ियों के दरवाजे के पास गया और देखा कि सीढ़ियों का दरवाजा तो खुला है.
मैं नीचे चला गया और देखा कि एक कमरे में लाइट जल रही है और दरवाजा बंद है.
बरामदे में काफी अंधेरा था और कमरे के पर्दे हटे हुए थे. वहां से अंकल आंटी साफ नजर आ रहे थे.
अंकल ने आंटी को गोद में बैठा रखा था और उनके मम्मे मसल रहे थे.
आंटी चीख रही थीं और कह रही थीं- आह और जोर से!
अंकल दूसरे हाथ से सलवार के ऊपर से आंटी की फुद्दी को मसल रहे थे.
वो काफी आवाज कर रही थीं.
तभी अंकल ने आंटी को गोद में उठाकर खड़ा किया और अपने सारे कपड़े खोल दिए.
वो सिर्फ अंडरवियर में रह गए.
मैं यह देखकर कर काफी खुश हो गया. मैंने सोचा कि आज तक मैंने काफी ब्लू फिल्म तो देखी हैं, पर आज रियल का सेक्स देख लेता हूं.
यह देखकर मैंने अपने आपको उनके कमरे के पास छुपा लिया और उनका सेक्स देखने लगा.
अंकल आंटी को कुछ मिनट तक तो ऐसे ही किस करते रहे, फिर उनकी फुद्दी पर हाथ फेरने लगे.
आंटी ने भी अब टांगें खोल दी थीं और वो मादक आवाजें भर रही थीं.
मेरा भी पूरा मूड बन गया. लंड खड़ा हो गया था.
अंकल ने आंटी को किस किया.
आंटी अंकल के अंडरवियर पर हाथ फेरने लगीं.
तभी आंटी ने अंडरवियर के अन्दर हाथ डाला और अंकल कराहे- आह.
अंकल ने खींच कर आंटी की गांड पर थप्पड़ मारा.
तभी आंटी हंस कर बेड के दूसरी तरफ चली गईं.
अंकल ने कहा- रुक साली, जाती किधर है … इधर आ.
आंटी ने कहा- क्यों जोर से खड़ा हो गया क्या?
अंकल ने कहा- पास तो आ, तेरी मां की चूत में लंड दे दूँगा.
आंटी ने कहा- मेरी में तो लंड दे दो, फिर मेरी मां की भी मार लेना. वो भी तुझे खुश कर देगी.
ये सुन कर मैं हैरान रह गया कि अंकल और आंटी गंदी बातें भी करते हैं.
अंकल आंटी के पास गए, उन्हें पकड़ कर किस किया और बोले- मेरी रांड, आज मेरे को खुश कर दे.
आंटी ने कहा- रोज ही तो करती हूं, तो आज क्यों नहीं करूंगी.
अंकल ने किस किया और मम्मों को कस कर पकड़ लिया.
आंटी चीखने लगीं.
अंकल- साली मेरे लंड को दबाती है, अब पता लगा कि दर्द क्या होता है?
आंटी ने कहा- आह छोड़ो … दर्द हो रहा है.
अंकल ने आंटी को गोद में उठाया और और बेड पर लुड़का दिया.
वो फिर से चीख उठीं.
अंकल उन पर कूद पड़े और किस करने लगे.
वो एक हाथ से आंटी के मम्मे दबा रहे थे, दूसरे हाथ से उनकी फुद्दी को मसल रहे थे.
आंटी ने भी पूरी टांगें खोल रखी थीं.
तभी आंटी ने कसमसाते हुए कहा- रूको छोड़ो … रूको ना.
आंटी ने अंकल को धक्का दिया और कहा- आज मेरी एक ना सुनना तुम …. मेरी फाड़ ही डालना.
मैंने सोचा कि आंटी ये क्या कह रही हैं अभी तक चुदाई नहीं हुई क्या आंटी जैसे माल की!
अंकल ने कहा- तेरी क्या, आज तो तेरी मां की भी फाड़ दूंगा. तेरी मां के भोसड़े में भी दर्द हो जाएगा.
आंटी ने कहा- मेरे मां के भोसड़े में दर्द हो ना हो, मेरी फुद्दी में कल तक तो दर्द होना चाहिए.
अंकल ने आंटी की कमीज को उतार दिया.
आंटी ने नीचे लेस वाली लाल रंग की ब्रा पहनी हुई थी.
अंकल ने आंटी को लिटाया और उनके मम्मों को ब्रा के ऊपर से ही खाने लगे.
आंटी ने कहा- आह … ये माल तुम्हारा ही तो है राजा … आराम से करो ना!
फिर अंकल ने आंटी की सलवार का नाड़ा खोला और आटी ने अपनी गांड ऊंची कर दी.
अंकल ने सलवार खींच कर उतार दी.
आंटी अब केवल ब्रा और पैंटी में ही थीं. आंटी ने लाल रंग की वैसी लेसदार पैंटी पहनी हुई थी. आंटी का बदन काफी चमक रहा था. उनका बदन बहुत ज्यादा रसीला लग रहा था.
ब्रा और पैंटी आंटी की फुद्दी और मम्मों को छुपाने की कोशिश कर रहे थे पर वो छुप नहीं पा रहे थे.
तभी अंकल ने आंटी की टांगों को चौड़ा किया और उनकी फुद्दी को उसकी पैंटी से ही चूसने लगे.
आंटी तड़फने लगीं- बस अब नहीं रहा जाता. अब पेल दो.
अंकल ने कहा- मेरी रांड, अब तक तूने मेरे लंड को तो चूसा ही नहीं है.
अंकल लेट गए.
आंटी ने अंकल का अंडरवियर उतारा और लंड बाहर निकाल लिया.
ये क्या … अंकल का लंड तो काफी छोटा सा था.
फिर मैंने सोचा कि नहीं यार अंकल का लंड अभी बैठा होगा. क्योंकि मेरा लंड भी बैठने पर इतना ही होता है. उनका मुझसे तो बड़ा ही होगा.
आंटी ने लंड चूसा और लेट गईं.
अंकल ऊपर आ गए.
पहले ब्रा पैंटी को उतारा और आंटी को किस करने लगे.
वो उनकी फुद्दी को चूसते, तो कभी मम्मों को चूसने लगते.
अंकल उस वक्त किसी बन्दर जैसी हरकत कर रहे थे.
तभी आंटी ने कहा- बस करो, अब नहीं रहा जा रहा है.
अंकल ने कहा- ओके.
अब अंकल खड़े हो गए और आंटी की टांगों को फैला कर पोजीशन में आ गए और चूत में लंड लगा दिया.
मैं अंकल का लंड देखकर हैरान रह गया कि ये क्या … इतना छोटा सा अन्दर कैसे जाएगा?
जैसे ही अंकल आंटी के ऊपर लेटे, तो उनका पेट अड़ गया.
फिर भी अंकल ने आंटी की फुद्दी पर अपना दो इंच का लंड लगा दिया.
आंटी आह आह करने लगीं.
मैंने सोचा कि आंटी इतने से टुन्नू से ऐसे आवाज कर रही हैं. अगर आंटी ने मेरा लंड देख लिया, तो वो देखने से ही मर जाएंगी. ये मेरा लंड अपनी फुद्दी में नहीं ले सकेंगी.
आंटी आवाज निकाल रही थीं- आह आह … पेल दो मेरी फाड़ दो. आज मुझे खुश कर दो.
अंकल अभी ऊपर ही लेटे हुए थे और अब वो घस्से मारने लगे थे.
अंकल ने कुछ ही घस्से लगाए और चीखने लगे.
इधर से आंटी भी हल्का सा कराहीं.
तभी अंकल शांत हो गए.
अंकल आंटी के ऊपर कुछ देर तक लेटे रहे, फिर अलग हो गए.
वो पास में ही लुढ़क गए और कुछ मिनट तक लेट कर सांसें लेते रहे.
आंटी बैठ गईं और मैंने देखा कि उनके चेहरे पर वो खुशी नहीं थी, जो औरत को चुदने के बाद आती है.
ऐसा लग रहा था, जैसे उन्हें मजा ही ना आया हो.
अंकल का लंड काफी छोटा था, शायद इसलिए ऐसा था.
अंकल ने किया भी कुछ भी नहीं था. पोर्न वाइफ फक में बस पुल्ल पुल्ल करके ठंडे हो गए थे.
फिर आंटी ने अंकल के लंड पर हाथ फेरा.
अंकल ने कहा- क्यों दुबारा चुदाई करनी है क्या?
आंटी ने कहा- हां, मुझको दुबारा चुदना है.
तभी मैं समझ गया कि आंटी को अंकल खुश नहीं कर पाए हैं, नहीं तो औरत दुबारा चुदाई के लिए कभी नहीं कहती है.
मैंने सोचा कि यदि मैं कोशिश करूं, तो शायद मेरी दाल गल जाए और मैं आंटी को चोद सकूं. क्योंकि वो चुदाई में अभी प्यासी हैं.
फिर आंटी बोलीं- मेरा तो अभी छूटा भी नहीं है.
अंकल ने कहा- तू साली पता नहीं क्या खाती है कि मेरा तो तेरे ऊपर चढ़ते ही छूट जाता है … और तेरे होता भी नहीं है.
आंटी ने कहा कि मैं मस्त हूँ ना … काफी गर्मी है मेरे अन्दर!
ये कह कर वो हंसने लगीं.
तब अंकल उनके ऊपर चढ़ गए और आंटी को किस करने लगे.
अंकल का लंड बैठा हुआ था.
आंटी के मम्मों को अंकल ने मसला और फुद्दी को चूसने लगे.
तभी आंटी ने कहा- आज मेरी फुद्दी चूस चूस कर मेरी चूत ठंडी कर दो.
अंकल ने कहा- अच्छा … जब तेरे पास लंड है, तो तेरे को मेरे मुँह से मुठ मरवाने में ज्यादा मजा आता है क्या?
उन्होंने कहा- मुँह से करो ना यार … मुझको अच्छा लगता है. तुम फुद्दी बहुत अच्छे से चूसते हो. साथ में इतनी देर में आपका लंड भी तैयार हो जाएगा.
अंकल ने कहा- ठीक है, पर कल की तरह मत करना, मुकर मत जाना फुद्दी देने से!
आंटी ने कहा- मैं नहीं मुकरूंगी. एक बार मेरी मुठ मार दो, फिर जो चाहे मर्जी कर लेना.
अंकल ने कहा- ठीक है.
आंटी ने अपनी टांगें खोल दीं और अंकल आंटी की फुद्दी को जीभ से चोदने लगे.
आंटी आह आह करके कराहने लगीं.
वो अंकल का सिर अपनी फुद्दी पर दबा रही थीं.
पांच मिनट बाद आंटी जोर से चीखने लगीं- उह उह और करो … आह.
उन्होंने अंकल का सिर जोर से फुद्दी में दबा दिया.
आंटी का काम हो गया था.
अंकल आंटी का सारा माल पी गए.
आंटी अब खुश लग रही थीं.
अंकल फिर से उन्हें किस करने लगे.
वो दोनों बैठ गए.
अंकल ने कहा- मेरी रांड खुश हो गयी ना!
आंटी ने कहा- हां.
अंकल ने उनकी फुद्दी पर हाथ फेरा और कहा- चल अब लेट जा.
आंटी ने कहा- आह … दर्द हो रहा है.
अंकल ने आंटी को धक्का देकर लिटा लिया और उनके ऊपर लेट गए.
आंटी ने कहा- छोड़ो यार, अभी दर्द हो रहा है. कुछ देर बाद में चोद लेना.
अंकल ने कहा- मेरी रांड, मेरा लंड तो अभी तैयार है. इसे छेदा चाहिए.
आंटी ने कहा- नहीं.
अंकल ने आंटी के गाल पर थप्पड़ मारा और उसके बाल खींच दिए.
आंटी चीखने लगीं.
अंकल ने उनके मुँह में लंड डाल दिया और कहा- चूस साली, अब मेरी मुठ मार.
आंटी अंकल का लंड चूसने लगीं और मजे से चूसने लगीं.
अंकल ने भी उनके बाल छोड़ दिए थे.
आंटी अपने आप उनका लंड चूस रही थीं.
अंकल उनके सिर पर हाथ रखकर खड़े थे, उनके बालों को सहला रहे थे.
तभी अंकल ने आंटी का सिर पकड़ा और वहीं रोक दिया.
अंकल का भी रस छूट गया था.
पोर्न वाइफ भी हसबैंड का सारा माल पी गयी थीं.
अंकल और आंटी पास में ही लेट गए.
आंटी अंकल के ऊपर लेट सी गयी थीं.
कुछ देर लेटने के बाद अंकल ने कहा- अब कुछ मूड है?
आंटी ने कहा- बस अब नहीं.
अंकल ने कहा- एक बार करते हैं, फिर सो जाएंगे.
आंटी ने कहा- नहीं, अब कल करेंगे. अगर अब किया, तो मेरी फुद्दी पहले की तरह छिल जाएगी, फिर कल मेरी मां को चोदोगे?
अंकल ने कहा- हां, तेरी मां को चोद लूँगा.
वो हंसने लगे.
आंटी ने कहा- अब सो जाओ, सुबह जल्दी उठना है.
अंकल ने कहा- ठीक है, पेशाब करने चलते हैं, फिर सोते हैं.
आंटी बोलीं- तुम हो आओ.
अंकल खड़े हुए और बाहर आने लगे.
मैं वहां से छत पर आ गया.
अब अगली कहानी में मैं लिखूंगा कि कैसे मैंने आंटी को सैट करके उन्हें चोदा.
मैं उन दिनों गांव में Hindi Sex Stories अपनी दीदी के घर आया हुआ था. उनके पास काफ़ी जमीन थी, जीजा जी की उससे अच्छी आमदनी थी. उनकी लड़की कमली भी जवान हो चली थी. कमली बहुत तेज लड़की थी, बहुत समझदार भी थी. मर्दों को कैसे बेवकूफ़ बनाना है और कौन सा काम कब निकालना है वो ये अच्छी तरह जानती थी.
एक दिन सवेरे जीजू की तबीयत खराब होने पर उन्हें दीदी शहर में हमारे यहाँ पापा के पास ले गई. हमारे गांव से एक ही बस दोपहर को जाती थी और वही बस दूसरे दिन दोपहर को चल कर शाम तक गांव आती थी.
कमली और मैं दीदी और जीजू को बस पर छोड़ कर वापस लौट रहे थे. मुझे उसे रास्ते में छेड़ने का मन हो आया. मैंने उसके चूतड़ पर हल्की सी चिमटी भर दी. उसने मुझे घूर कर देखा और बोली- खबरदार जो मेरे ढूंगे पर चिमटी भरी…’
‘कम्मो, वो तो ऐसे ही भर दी थी… तेरे ढूंगे बड़े गोल मटोल है ना…’
‘अरे वाह… गोल मटोल तो मेरे में बहुत सी चीज़ें है… तो क्या सभी को चिमटी भरेगा?’
‘तू बोल तो सही… मुझे तो मजा ही आयेगा ना…’ मैंने उसे और छेड़ा.
‘मामू सा… म्हारे से परे ही रहियो… अब ना छेड़ियो…’
‘कमली! थारे बदन में कांई कांटा उगाय राखी है का’
‘बस, अब जुबान बंद राख… नहीं तो फ़ेर देख लियो…’
उसकी सीधी भाषा से मुझे लगा कि यह पटने वाली नहीं है. फिर भी मैंने कोशिश की… उसकी पीठ पर मैंने अपनी अन्गुली घुमाई. वो गुदगुदी के मारे चिहुंक उठी.
‘ना कर रे… मने गुदगुदी होवे…’
‘और करूँ कई… मने भी बड़ो ही मजो आवै…’ और मैंने उसकी पीठ पर अंगुलियाँ फिर घुमाई. उसकी नजरे मुझ पर जैसे गड़ गई, मुझे उसकी आँखों में अब शरारत नहीं कुछ और ही नजर आने लगा था.
‘मामू सा… मजा तो घणो आवै… पर कोई देख लेवेगो… घरे चाल ने फिर करियो…’
उसे मजा आने लगा है यह सोच कर एक बार तो मेरा लण्ड खड़ा हो गया था. उसका मूड परखने के लिये रास्ते में मैंने दो तीन बार उसके चूतड़ो पर हाथ भी लगाया, पर उसने कोई विरोध नहीं किया.
घर पहुंचते ही जैसे वो सब कुछ भूल गई. उसने जाते ही सबसे पहले खाना बनाया फिर नहाने चली गई. मैंने बात आई गई समझते हुये मैंने अपने कपड़े बदले और बनियान और पजामा पहन कर पढ़ने बैठ गया. पर मन डोल रहा था. बार बार रास्ते में की गई शरारतें याद आने लगी थी.
इतने में कमली ने मुझे आवाज दी- मामू सा… ये पीछे से डोरी बांध दो…’
मैं उसके पास गया तो मेरा शरीर सनसनी से भर गया. उसने एक तौलिया नीचे लपेट रखा था मर्दो वाली स्टाईल में… और एक छोटा सा ब्लाऊज जिसकी डोरियाँ पीछे बंधती हैं, बस यही था. मैंने पीछे जा कर उसकी पीठ पर अंगुलियाँ घुमाई…
‘अरे हाँ मामू सा… आओ म्हारी पीठ माईने गुदगुदी करो… मजो आवै है…’
‘तो यह… ब्लाऊज तो हटा दो!’
‘चल परे हट रे… कोई दीस लेगा!’ उसकी इस हाँ जैसी ना ने मेरा उत्साह बढ़ा दिया.
‘अठै कूण है कम्मो बाई… बस थारो मामू ही तो है ना… और म्हारी जुबान तो मैं बंद ही राखूला!’
‘फ़ेर ठीक है… उतार दे…’
मैंने उसका छोटा सा ब्लाउज उतार दिया. फिर उसकी पीठ पर अंगुलियों से आड़ी तिरछी रेखाएँ बनाने लगा. उसे बड़ा आनन्द आने लगा. मेरा लण्ड कड़क होने लगा.
‘मामू सा, थारी अंगुलियों माणे तो जादू है…’ उसने मस्ती में अपनी आंखें बंद कर ली.
मैंने झांक कर उसकी चूचियाँ देखी. छोटी सी थी पर चुचूक उभार लिये हुये थे. अभी शायद उत्तेजना में कठोर हो गई थी और तन से गये थे. मैंने धीरे से अंगुलियाँ उसके चूतड़ों की तरफ़ बढा दी और उसके चूतड़ों की ऊपर की दरार को छू लिया. उसे शायद और मजा आया सो वह थोड़ा सा आगे झुक गई, ताकि मेरी अंगुलियाँ और भीतर तक जा सके. उसका बंधा हुआ तोलिया कुछ ढीला हो गया था. मैंने हिम्मत करके अपना दूसरा हाथ उसकी पीठ पर सरकाते हुये उसकी चूंचियों की तरफ़ आ गया और उसकी एक एक चूची को सहला दिया. कमली ने मुझे नशीली आंखों से देखा और धीरे से मेरी अंगुलियाँ वहाँ से हटा दी. मैंने फिर से कोशिश की पर इस बार उसने मेरे हाथ हटा दिये.
कुछ असमंजस में मुझे घूरने लगी .
‘बस अब तो घणा होई गयो… अब… अब म्हारी अंगिया पहना दो…’
‘अह… अ हाँ लाओ’
मुझे लगा कि जल्दबाजी में सब कुछ बिगड़ गया. उसने अपने चूतड़ तक तो अंगुलियाँ जाने दी थी… अब तो वो भी बात गई… उसने अपना ब्लाऊज ठीक से पहना और भाग कर भीतर कमरे में बाकी के कपड़े पहनने चली गई.
रात को मैं कमली के बारे में ही सोच रहा था कि वो दरवाजे पर खड़ी हुई नजर आ गई.
‘आओ कम्मो… अन्दर आ जाओ!’ उसकी आँखों में जैसे चमक आ गई. वो जल्दी से मेरे पास आ गई.
‘मामू सा… आपरे हाथ में तो चक्कर है… मने तो घुमाई दियो… एक बार और अंगुलियाँ घुमाई दो!’ उसकी आँखों में लगा कि वासना भरी चमक है. मेर लण्ड फिर से कामुक हो उठा.
‘पर एक ही जगह पर तो मजो को नी आवै… जरा थारे सामणे भी तो करवा लियो…’ मैंने अपनी जिद बता दी. यदि चुदाई की इच्छा होगी तो इन्कार नहीं करेगी. वही हुआ…
‘अच्छा जी… कर लेवो बस…’
उसकी इजाजत लेकर मैंने उसे बिस्तर पर बैठा दिया और अपनी अंगुलियाँ उसके बदन पर घुमाने लगा. उसका ब्लाऊज मैंने उतार दिया और अपनी अंगुलियाँ उसकी चूचियों पर ले आया और उससे खेलने लगा. मेरे ऊपर अब वासना का नशा चढ़ने लगा था. उसकी तो आंखें बंद थी और मस्ती में लहरा रही थी. मेरा लण्ड कड़ा हो कर फ़ूल गया था. जब मुझसे और नहीं रहा गया तो मैंने दोनों हाथों से उसके बोबे भींच डाले और उसे बिस्तर पर लेटा दिया.
‘ये कांई करो हो… हटो तो…’ उसे उलझन सी हुई.
‘बस कमली… आज तो मैं तन्ने नहीं छोड़ूंगा… चोद के ही छोड़ूंगा!’
‘अरे रुक तो… यु मती कर यो… हट जा रे…’ उसका नशा जैसे उतर गया था.
‘कम्मो… तु पहले ही जाणे कि म्हारी इच्छा थारे को चोदवां की है?’
‘नहीं वो आप, मणे अटे दबावो, फ़ेर वटे दबावो… सो मणे लागा कि यो कांई कर रिया हो, फेर जद बतायो कि चोदवा वास्त कर रिओ है तो वो मती करो… माणे अब छोड़ दो… थाने म्हारी कसम है!’
मैंने तो अपना सर पकड़ लिया, सोचा कि मैं तो इतनी कोशिश कर रहा हू और ये तो चुदना ही नहीं चाहती है. मैंने उसका घाघरा और ब्लाऊज उतारने की कोशिश की. पर वो अपने आप को बचाती रही.
‘मामू सा… देखो ना कसम दी है थाणे… अब छोड़ दो!’
पर मेरे मन में तो वासना का भूत सवार था. मैंने उसका घाघरा पलट दिया और उसके ऊपर चढ़ गया और अपने लण्ड को उसकी चूत पर रगड़ने लगा. अब मैंने उसे अपनी बाहों में दबा कर चूमना चालू कर दिया. मेरा लण्ड उसकी चूत पर बहुत दबाव डाल रहा था. छेद पर सेटिंग होते ही लण्ड चूत में उतर गया. कमली ने तड़प कर लण्ड बाहर निकाल लिया.
‘मां… मने मारी नाक्यो रे… आईईई…’ मैंने फिर से उसे दबाने की कोशिश की.
‘देख कमली , थाने चोदना तो है ही… अब तू हुद्दी तरह से मान जा…’
‘और नहीं मानी तो… तो महारा काई बिगाड़ लेगो…’
‘तो फिर ये ले…’ मैंने फिर से जोर लगाया और लण्ड सीधा चूत की गहराईयों में उतरता चला गया…
‘हाय्… मैया री माने चोद दियो रे… अच्छा रुक जा… मस्ती से चोदना!’
मैं एक दम से चौंक गया. तो ये सब नाटक कर रही थी… वो खिलखिला कर हंस पड़ी.
‘कम्मो, जबरदस्ती में जो मजा आ रहा था… सारा ही कचरो कर मारा!’
‘अबे यूं नहीं, म्हारे पास तो आवो, थारा लवड़ा चूस के मजा लूँ… ध्हीरे सू करो… ज्यादा मस्ती आवैगी!’
उसने मुझे अपने पास खींचा और मेरा फ़नफ़नाता हुआ लण्ड अपने मुँह में ले लिया और चूसने लगी. मैं मस्ती में झूम हो गया, मैं अपनी कमर यूं हिलाने लगा कि जैसे उसके मुँह को चोद रहा हूँ. मेरे लण्ड को अच्छी तरह चूसने के बाद अब वो लेट गई. उसने अपनी योनि मेरे मुँह के पास ले आई और अपनी टांगें ऊपर उठा दी… उसकी सुन्दर सी फ़ूली हुई चूत मेरे सामने आ गई. हल्के भूरे बाल चूत के आस पास थे… उसकी चूत गीली थी… मैंने अपनी जीभ उसकी भूरी सी और गुलाबी सी पंखुड़ियों पर गीलेपन पर रगड़ दी, मुझे एक नमकीन सा चिकना सा अहसास हुआ… उसके मुख से सिसकारी निकल गई.
‘आह्ह्ह मामू सा… मजो आ गयो… और करो…’ कमली मस्ती में आ गई.
मैंने अपनी जीभ उसकी गीली योनि में डाल दी. उसकी चूत से एक अलग सी महक आ रही थी. तभी उसका दाना मुझे फ़ड़फ़ड़ाता हुआ नजर आ गया. मैं अपने होठों से उसे मसलने लगा.
‘ओई… ओ… मेरी निकल जायेगी… धीरे से…चूसो…!’ वो मस्ती में खोने लगी थी. हम दोनों एक दूसरे को मस्त करने में लगे थे…
तभी कमली ने कहा- मामू सा लण्ड में जोर हो तो म्हारी गाण्ड चोद ने बतावो!’
‘इसमें जोर री कांई बात है… ढूंगा पीछे करो… और फ़ेर देखो म्हारा कमाल…!’
कम्मो ने पल्टी मारी और बिस्तर पर कुतिया बन गई. उसके दोनों सुन्दर से गोल गोल चूतड़ उभर कर मेरे सामने आ गये. मैंने उन्हें थपथपाया और दोनों चूतड़ हाथों से और अधिक फ़ैला दिए. उसका कोमल सा भूरा छेद सामने आ गया. मैंने पास पड़ी कोल्ड क्रीम उसकी गाण्ड के छेद में भर दिया और अपना मोटा सा लण्ड का सुपाड़ा उस पर रख दिया.
‘मामू सा नाटक तो मती करो… म्हारी गाण्ड तो दस बारह मोटे मोटे लण्ड ले चुकी है… बस चोदा मारो जी… मने तो मस्ती में झुलाओ जी!’
मैं मुस्करा उठा… तो सौ सौ लौड़े खा कर बिल्ली म्याऊँ म्याऊँ कर रही है. मैंने एक ही झटके में लण्ड गाण्ड में उतार दिया. सच में उसे कोई दर्द नहीं हुआ, बल्कि मुझे जरूर लग गई. मैं उसकी गाण्ड में लण्ड अन्दर बाहर करने लगा. मुझे तो टाईट गाण्ड के कारण तेज मजा आने लगा. मेरी रफ़्तार बढ़ती गई.
फिर मुझे उसकी चूत की याद आई. मैंने उसी स्थिति में उसकी चूत में लण्ड घुसेड़ दिया… सच मानो चूत का में लण्ड घुसाते ही चुदाई का मधुर मजा आने लगा. चूत की चुदाई ही आनन्द दायक है… कम्मो को भी तेज मजा आने लगा. वो आनन्द के मारे सिसकने लगी, कभी कभी जोर का धक्का लगता तो खुशी के मारे चीख भी उठती थी. उसके छोटे छोटे स्तनो को मसलने में भी बहुत आनन्द आ रहा था.
‘मामू… ठोको, मने और जोर सू ठोको… म्हारी तो पहले सु ही फ़ाट चुकी है और फ़ाड़ नाको…’
‘म्हारी राणी जी… मजो आ रियो है नी… उछल उछक कर थारे को ठोक दूंगा… पूरा के पूरा लौड़ा पीव लो जी!’
‘मैया री… लौड़ो है कि मोटो डाण्डो लगा राखियो है… मजो आ गियो रे… दे मामू सा…चोद दे!’
मेरा लण्ड उसकी चूत में तेजी से अन्दर बाहर हो रहा था. मेरा लण्ड में अब बहुत तरावट आ चुकी थी. वह फ़ूलता जा रहा था. उसकी चूत की लहरें मुझे महसूस होने लगी थी. उसने तकिया अपनी छाती से दबा लिया और मेरा हाथ वहाँ से हटा दिया.
तभी उसकी चूत लप लप कर उठी… ‘माई मेरी… चुद गई… हाई रे… मेरा निकला… मामू सा… मेरा निकला… गई मैं तो… उह उह उह.’
उसका रज छूट पड़ा. मेरा भी माल निकला हो रहा था. मैंने समझदारी से लण्ड बाहर निकाला और मुठ मारने लगा. एक दो मुठ मारने पर ही मेरा वीर्य पिचकारी के रूप में उछल पड़ा. लण्ड के कुछ शॉट ने मेरा वीर्य पूरा स्खलित कर दिया था. मैं पास ही में बैठ गया.
‘तू तो लगता है खूब चुदी हो…’
‘हाँ मामू सा… क्या करूँ… मेरे कई लड़के दोस्त हैं… चुदे बिना मन नहीं लागे… और वो छोरा… हमेशा ही लौड़ा हाथ में लिये फिरे… फिर चुदने की लग ही जावे के नहीं!’
‘तब तो आपणे घणी मस्ती आई होवेगी…’ मैंने उसकी मस्ती के बारे पूछा.
‘छोड़ो नी, बापु और बाई सा तो काले हाँझे तक आ जाई, अब टेम खराब मती कर… आजा… लग जा… फ़ेर मौका को नी मिलेगा!’ उसके स्वर में ज्वार उमड़ रहा था.
अब हम दोनों नंगे हो कर बिस्तर पर लेट गये थे और प्यार से धीरे धीरे एक दूसरे को सहला रहे थे. जवान जिस्म फिर से पिघले जा रहे थे… जवानी की खुशबू से सरोबार होने लगे थे… नीचे छोटा सा सात इंच का कड़क शिश्न योनि में घुस चुका था. हम दोनों मनमोहक और मधुर चुदाई का आनन्द ले रहे थे. ऐसा लगता था कि ये लम्हा कभी खत्म ना हो… बस चुदाई करते ही जायें… Hindi Sex Stories
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