Important Notice: Click on "Post Your AD" to post free ads !!!

Massage Girl in Lakhisarai: Premium Relaxation Services

Our site can help you find a professional massage girl in Lakhisarai who will help you relax in the best manner possible. We connect you with professional therapists who can offer you a massage that will make you feel better and more relaxed. The pros on our list are ready to provide you with a fantastic experience at your house or in one of their particular spots, whether you want to relax or get away from it all.

Introduction

Massage is currently one of the finest methods to relax your mind, body, and overall health. Our website makes it easy to locate the top massage services in Lakhisarai that meet your demands. This will be a one-of-a-kind and calming experience for you.

Tottaa wants to make it simple for clients to find the top masseuse. The Lakhisarai massage service providers on our list offer the greatest quality, comfort, and competence, whether you want a full-body massage or a massage for a particular location.

How Tottaa Helps Advertisers Reach More Customers

Tottaa is not only a list of masseuses, it’s also a secure location for them to show off what they can do. People in Lakhisarai who are seeking massage services may find them on our website. This makes them easier to find and gets them more appointments.

Advertisers may simply put up profiles, offer their services, and talk about pricing and discounts on our sites. This makes sure that the relevant people notice your Lakhisarai massage service, which makes it easier to obtain more customers.

Different Types of Massages We Offer

There are a lot of different types of massage services on our site, so you may choose one that works for you. You may choose the kind of treatment that works best for you, whether it’s profound rest or a particular type of therapy.

1. Swedish Massage

A calm and gentle way to ease muscular tension and improve blood flow. This Lakhisarai massage is perfect for you if you want to relax and forget about your concerns.

2. Deep Tissue Massage

This approach employs a lot of pressure to get to deeper muscle layers. It’s helpful for folks who have muscular discomfort or stiffness that won’t go away. There are specialists on our profiles of massage girls in Lakhisarai who are good at deep tissue treatments that function effectively.

3. Aromatherapy Massage

Calming massage strokes and essential oils are beneficial in making people feel improved both emotionally and physically. Most massage companies in Lakhisarai employ the use of custom oil preparations to make you feel good.

4. Thai Massage

A therapy that wakes you up by using a mix of regular massage, stretching, and compression. This traditional massage in Lakhisarai helps you relax, become more flexible, and get your mind and body back in harmony.

5. Hot Stone Massage

Heated stones are placed on various parts of the body to help with deep muscular tightness. People who want to feel good, relax, and help their muscles recover quickly can use this massage service in Lakhisarai

How to Book Our Massage Services

Tottaa makes it simple and fast to book. With our listings, you can see what kind of massage you want, read about the providers, see that they are free and then contact them directly. After you choose, you can book a massage in Lakhisarai at your convenient time and location. In order to get your desired massage services, apply the following simple steps:

Step 1: Browse Our Listings

Take a peek around our site to view a few massage professionals. Each listing gives you information about the many sorts of massages, how long they last, how much they cost, and where they are situated. This makes it easier to choose the finest ones.

Step 2: Compare and Shortlist

Examine the profiles carefully to compare how the services, talents, and reviews posted by customers differ. This phase makes sure you choose a business that has the style, pricing, and supply you desire.

Step 3: Connect with the Provider

When you have decided, use the information that you are offered so that you can contact them directly. One can communicate it to the massage giver thus making it understood what massage you want at what time and when.

Step 4: Confirm the Appointment

The date, time and place of the service, which could be your home, a hotel or the spa where the therapist may be found. You also need to agree on the payment method and any other accords prior to commencement of the course.

Step 5: Relax and Enjoy Your Massage

All you have to do on the day of the appointment is have your area ready for the house visit. The remainder will be handled by the expert. Take it easy and enjoy a massage that is made just for you.

Frequently Asked Questions

To locate a professional who can meet your needs, read our biography, reviews and advertising.

Yes, many of the therapists on our site will come to your house so you may feel safe and at ease.

You may pick based on talents since most adverts provide their qualifications in their profiles.

It would be advisable to make a reservation earlier to guarantee that you would be able to get a massage, particularly against the prevalent services of massage.

Not at all. Tottaa exclusively connects users with service providers. The doctor gets to choose how to handle payment.

Read Our Top Call Girl Story's

Oral Sex

बात उन दिनों की है जब मैंने Oral Sex अपना स्कूल ख़त्म किया था और कॉलेज ज्वाइन करने वाला था.

मैं शाम को अपने दोस्त के यहाँ से आ रहा था.
घर पे आकर देखा तो घर पे ताला लगा था.

मैं अपनी पड़ोस वाली आंटी के यहाँ चाबी के लिए पूछने गया तो पता चला कि चाबी उसका बेटा कहीं रख के चला गया है और वो घर में अकेली है.

आंटी ने मुझे ड्राइंग रूम मैं बैठने को कहा और ख़ुद बाथरूम में कपड़े धोने चली गई.

मैं ड्राइंग रूम में बैठा बोर हो रहा था इसलिये मैं भी बाथरूम के पास जा के खड़ा हो गया और आंटी से बातें करने लगा.

बातों बातों मैं आंटी मुझ से मेरी गर्लफ्रेंड के बारे मैं पूछने लगी.
मजाक में मैंने कह दिया कि आंटी मेरी कोई गर्लफ्रेंड नहीं है और मुझे लड़कियों से बात करने में बहुत शर्म आती है.

ये सुन कर आंटी ज़ोर ज़ोर से हँसने लगी और गलती से पानी कपड़ों पे डालने की जगह अपने ऊपर डाल लिया जिस कारण उनका ब्लाऊज़ गीला हो गया और उनकी चूची दिखने लगी. शायद उन्होंने ब्रा नहीं पहनी थी. मैं उनके मस्त चूचों को घूरने लगा.

मुझे घूरता हुआ देख कर आंटी बोली- तुम लड़कियों से बातें करने मैं शरमाते हो पर उनके चुचे देखने में नहीं शरमाते?
यह सुन कर मैं हंसने लगा और फिर से उनके चूचों को घूरने लगा.

मुझे घूरता देख कर आंटी ने कहा- चलो तुम अपनी आँखें बंद करो, मैं तुम्हें कुछ दिखाती हूँ.
मैंने अपनी आँखें बंद कर ली.

2 मिनट के बाद आंटी ने कहा- अपनी आँखें खोलो.
मैंने आँखे खोल के देखा तो आंटी बिल्कुल नंगी हो के मेरे सामने खड़ी थी.
क्या मस्त गदराया बदन था उनका.

उन्होंने मुझसे हंस के पूछा- बेटा शर्म तो नहीं आ रही?
और फिर पैन्ट के ऊपर से ही मेरा लंड सहलाने लगी.

मैंने समय गँवाए बिना अपने सारे कपड़े उतार दिए और आंटी से लिपट कर उन्हें चूमने लगा.
आंटी ने चूमते-2 कहा- बेटा, अगर मेरे होटों की जगह अगर मेरी चूत को चूमोगे तो मज़ा आ जाएगा.

यह सुन कर मैंने आंटी को गोद में उठा कर उनके पलंग पर लिटा दिया और उनकी चूत को कुत्तों की तरह चाटने लगा.

आंटी ज़ोर-2 से ‘बेटा मजा आ गया …’ चिल्लाने लगी और मेरे मुँह में ही अपना सारा माल निकाल दिया.
मैं उनका सारा माल पी गया और और उनकी चुचियों को चूसने लगा.

आंटी ने मुझे रोका और बोली- बेटा मुझे भी कुछ करने दे!

और फिर मेरा लौडा पकड़ कर ज़ोर ज़ोर से हिलाने लगी और फिर अपने मुँह में ले कर लोलीपोप की तरह चूसने लगी.
मुझे इतना मज़ा आज तक नहीं आया था जितना कि अब आ रहा था और आने वाला था.

जब आंटी लौडा चूस कर थक गई तो उन्होंने मेरा लौडा पकड़ के अपनी चूत में डाला और कहा- बेटा मुझे स्वर्ग का मज़ा दिला दे!

मैंने ज़ोर से एक धक्का मारा और मेरा आधा लंड आंटी की चूत में चला गया.
आंटी बोली- बेटा और अन्दर डालो.

फिर मैंने एक धक्का मारा और इस बार मेरा पूरा लंड आंटी की चूत में समा गया.

मैंने 20-25 ज़ोर ज़ोर से धक्के मारे तो आंटी बोली- बेटा अब मुझे कुतिया बना के चोद!

आंटी मैंने को कुतिया की पोसिशन में खड़ा किया और इस बार एक ही धक्के में मेरा पूरा लंड उनकी चूत में समा गया.
आंटी ज़ोर-2 से आह अह अह… ओह ओह ओह ओह चिल्लाने लगी.

मैंने 20-25 धक्कों के बाद कहा- आंटी, मैं झड़ने वाला हूँ!
आंटी बोली- बेटा ,मैं भी झड़ने वाली हूँ!
और हम दोनों एक साथ झड़ गए.

उस दिन हमने कई बार सेक्स किया और फिर मैं अपने घर चला गया.
उस दिन के बाद हमें जब भी मौका मिलता हम दोनों सेक्स करते.

आपको मेरी कहानी में मज़ा आया? Oral Sex

Hindi Sex Stories

मेरे प्यारे दोस्तों,इस कहानी को पढ़ने Hindi Sex Stories वाले सभी पाठको को मेरा प्यार!!!!!!मैं हरियाणा का रहने वाला हूँ ! मेरी उमर २२ साल है ! यह कहानी तबकी हैं जब मैं १८ साल का था! जब हम किराए के मकान में रहते थे!

सर्दियों के दिन थे, मैं घर में अकेला था, जब मुझे सेक्स के बारे में कोई ज्ञान नहीं था। मैं बहुत शरमीला था खासकर कि लड़कियों और औरतो से।

सुबह का खाना तो आंटी दे गई थी। रात को उन्होंने अपने पास बुलाया खाना खाने के लिए। रात का खाना खा कर आंटी सो गई। आन्टी भी घर में अकेली थी। अंकल रात में खेत पर गए थे। मैं अपने कमरे में था। पर मुझे नींद नहीं आ रही थी।

मैं आंटी के कमरे में गया तो मैंने देखा कि आंटी लहंगा और ब्लाऊज़ में सो रही थी। उन्हें देख कर मेरे शरीर में कम्पन से होने लगी। मेरा धीरे धीरे आंटी की तरफ बढ़ने लगा। मैं अपने आप को आंटी की तरफ़ जाने से रोक नहीं पा रहा था। आंटी देखने में बिल्कुल मस्त थी। मेरा लण्ड आंटी को देखते ही खड़ा हो गया था।

मेरा एक हाथ आंटी की टांग पर गया और धीरे धीरे आंटी के चूतड़ों तक पहुच गया। मेरे शरीर में करंट सा दौड़ गया. इतने में ही आंटी जाग गई। जैसी ही आंटी जगी मैं वहाँ से भाग लिया और अपने कमरे में आ गया।

थोड़ी देर बाद आंटी मेरे कमरे में आई और आते ही मुझ पर चिल्लाई- तुम क्या कर रहे थे?

मैं एकदम डर गया, मेरा चेहरा लाल हो गया। मैं चुप रहा, आंटी मन ही मन खुश हो रही थी! मैंने हिम्मत करके कहा- आंटी आगे से ऐसा नहीं होगा !

आंटी बोली- क्या नहीं होगा ?

मैंने मुंह नीचे झुका लिया, आंटी बोली- अब शरमा रहा हैं ! जब शर्म नहीं आई जब कर रहा था !

मैंने आंटी से कहा- आंटी ! मैंने जान बूझ कर नहीं किया! मैं अपने आप को रोक नहीं पाया आपको लहंगा ब्लाऊज़ में देख कर !

मेरा लण्ड फिर तन गया था, आंटी ने एक नज़र से ही उसे देख लिया था! आंटी बोल अब तूने मुझे गरम कर दिया हैं तुझे मेरी प्यास बु्झानी होगी।

मैंने कहा- आंटी मुझे क्या करना हैं !

आंटी ने कहा- मेरे कपड़े उतार !

मैं डर गया, मैंने कहा- नहीं आंटी !

आंटी ने कहा- उतार ! नहीं तो तेरी ऐसी तैसी करवा दूंगी !

मैंने फिर डरते डरते ब्लाउज उतारी, और फिर लहंगा, आंटी ने अपनी चूची मेरे हाथों में थमा दी कहा- ले बेटा मज़े कर !

मैं आंटी की चुचियों से सहलाने लगा और मसलने लगा। मेरे शरीर में एक अलग सा अनुभव हो रहा था ! आंटी के मुँह से आहह उह्ह स स स स स की आवाज़ आ रही थी।

धीरे धीरे मैं आंटी के शरीर को चूमने लगा। मेरा लण्ड एकदम सख्त हो गया था, आंटी ने नीचे कुछ नहीं पहना था मेरा एक हाथ आंटी की चूत में जा रहा था, आंटी एकदम गरम हो गई थी, और गालियाँ दे रही थी- चोद साले ! चोद मुझे !

आंटी ने मेरा लण्ड हाथ में ले लिया और मेरे सारे कपड़े उतार दिए अब मैं और आंटी दोनों नंगे थे।

आंटी ने मुझसे पूछा कि तूने पहले कभी चुदाई की हैं?

मैंने कहा- नही !

तब आंटी ने कहा- अपना लण्ड मेरे नीचे वाले छेद में डालो !

मैंने पूरी कोशिश की लेकिन लण्ड चूत में नहीं घुस रहा था, तब आंटी ने अपनी गांड के नीचे तकिया लगाया, मुझे खड़ा करके लुंड घुसाने को कहा। इस बार लण्ड का सु्पाड़ा चूत में घुस गया, मुझे ऐसा लग रहा था कि मैं स्वर्ग में हूँ !

उसके बाद एक झटके में ही लण्ड पूरा आंटी की चूत में घुस गया ! तीन चार झटको में ही मैं झड़ गया।

तब आंटी ने बताया कि पहली बार ऐसा ही होता हैं, तुम सच बोल रहे थे कि तुम ने पहले चुदाई नहीं की हैं।

उस रात आंटी की तीन बार चुदाई की, फिर तो जब भी मौका मिलता में आंटी को चोदता।

अब हम अपने मकान में आ गए हैं। मैं आंटी को बहुत मिस करता हूँ !

आपको मेरी कहानी कैसी लगी !

मुझे जरूर मेल करें !!!!Hindi Sex Stories

उस गांव से मेरा ट्रांसफर 45 किलोमीटर दूर एक गांव में हो गया था।
यह गांव थोड़ा बड़ा था और यहां के लोग थोड़े पढ़े लिखे और सुखी सम्पन्न थे।
गांव के लोगों के पास खेती के लिए काफी बड़ी जमीनें थी और लोग राजकीय पहुंच भी रखते थे।

खैर जहां समृद्धि होती है वहां टकराव भी होता है.
तो इस गांव में ताकतवर लोगों के गुट बने हुए थे और ये गुट आपस में अक्सर लड़ते रहते थे.
तो यह गांव किसी भी कर्मचारी के कठिन पर माल वाला पोस्टिंग माना जाता था।

मुझे मेरे साथी कर्मचारियों ने इस गांव के बारे में यह सब बताया था- तुम जैसे सीधे सादे आदमी को इस गांव में नौकरी करना मुश्किल है। यहां के लोगों की पहुँच ऊपर तक होने से वे हमारे जैसे छोटे कर्मचारियों को दबा के रखते हैं।

अब मेरा इस गांव से पाला पड़ ही गया था तो सोचा कि जो होगा देखा जायेगा।

मैंने वहां के पुराने पटवारी से चार्ज लिया और काम देखने लगा।

दूसरे दिन गांव के सरपंच से मेरी मीटिंग थी।
सरपंच एक महिला थी.

उसने मिठाई का डिब्बा देकर मेरा स्वागत किया और कहा- आपको हम यहां कोई परेशानी नहीं होने देंगे. हम सब साथ मिल कर काम करेंगे. आप भी हमारा साथ दीजिएगा।

मुझे काफी अच्छा लगा और मैंने महसूस किया कि सरपंच काफी होशियार महिला थी।

बाद में जानने को मिला कि सरपंच तो भले दिल की और अच्छी है पर उसका पति गांव का बाहुबली था और सरफिरा भी!
उसका गुट काफी बड़ा और ताकतवर था और काफी लड़ाई झगडे के बाद उसे सरपंच का पद दिलवाया था।

अगले कुछ दिनों में गांव के बाकी गुट वाले भी मुझसे मिलने आये और उन सबकी मुझसे समर्थन के लिए मांग थी तथा अप्रत्यक्ष रूप से धमकी भी थी की मैं उन्हें ही समर्थन करूं।

इस गांव में शुरु से ही मैंने अच्छे से कामकाज चालू किया तो लोगों के काम समय से होने लगे।
मेरे पहले के पटवारी गांव के कोई ना कोई गुट में मिल जाते थे और काम कराने के पैसे भी लेते थे तो आम लोगों में नाराजगी रहती थी।

वैसे भी गांव के गुट वाले अपनी पसंद का ही पटवारी का गांव में पोस्टिंग करवाते थे।

मैं सभी का काम अच्छे से समय पर और बगैर पैसे लिए करने लगा तो एक दो महीने में ही मेरी गांव में काफी अच्छी छवि उभर आई थी।

दूसरी तरफ दो महीने से मुझे कोई चूत नहीं मिली थी तो मेरा बुरा हाल था।
रश्मि की बहुत याद आती थी, साथ में नम्रता की गोरी और फातिमा की काली चूत भी मुझसे भूली नहीं जा रही थी।

मैंने रश्मि को वचन दिया था तो मैं उस गांव की तरफ जाना नहीं चाहता था।
हालांकि नम्रता और फातिमा की चूत तो मुझसे चुदाने को आज भी तैयार थी।

पर मैंने अब इसी गांव में चूत ढूँढना का तय किया।
यह इस गांव के हिसाब से मुश्किल और मेरे लिए ख़तरनाक भी था क्योंकि पकड़ा गया तो इस गांव के लोग जान से भी मार सकते थे।

पर मेरे लिए इस गांव में किस्मत ने पहले से अच्छा तय करके रखा था।

मैं नयी जगह और कामकाज के चलते अब तक लोंडियाबाजी में नहीं पड़ पाया था. पर अब मैंने गांव में चूत ढूँढना शुरु किया।

पहले तो मैंने सरपंच के बारे में सोचा।
वह 35 साल की घरेलू महिला थी. ऐसे तो वह काफी गोरी थी थोड़ी सी मोटी पर उसका चेहरा खास मुझे प्रभावित नहीं कर पाया. वैसे भी वह मेरा छोटे भाई की तरह ख्याल बहुत रखती थी तो मेरी नीयत उसके लिए खराब नहीं हो पायी।

मैंने दूसरी भाभियों और लड़कियों के बारे में सोचा।
कुछ भाभियां और लड़कियां मेरे पास काम करवाने अक्सर आया करती थी तो उसमें ही जुगाड़ करने की फिराक में रहने लगा।

दो महीने बाद एक बार मैं ऑफिस के दूसरे कमरे की खिड़की खोल रहा था जिसे कभी कभार ही खोलते थे क्योंकि उस कमरे में पुरानी फाइलें और रेकोर्ड ही रखते थे।
मुझे एक पुरानी फाइल की जरूरत पड़ी थी तो मैं उस कमरे में गया और वहां की खिड़की खोली।

खिड़की से बाहर थोड़ी ही दूर एक जवान औरत कपड़े सुखाती दिखी।
उसकी पीठ मेरी तरफ थी पर मैं तो उसे देखता ही रह गया।

उसका बदन कसा हुआ गठीला और एकदम गुलाबी था जिससे मेरे पैंट में हरकत सी होने लगी।
काफी देर तक मैं उसे निहारता रहा।

फिर वह मेरे सामने घूमी तो देखा कि मैं इसे जानता था।
उसका नाम नाम रेखा था, वह मेरे पास कुछ काम के लिए तीन दिन पहले ही आयी थी।

रेखा सरपंच की रिश्ते में दूर की देवरानी थी और सरपंच के मायके के गांव की ही थी तो सरपंच से उसकी काफी बनती थी।

सरपंच ने मुझे उसका काम जल्दी निपटाने का अनुरोध भी किया था।
काम में व्यस्त होने की बजह से मैंने उस पर ध्यान नहीं गया था पर आज उसका कामुक बदन देख कर मेरे तो तोते उड़ गये थे।

मैंने तुरंत ही एक प्लान बनाया और सरपंच के जरिए उसे संदेश दिया कि उसके दिये कागज में एक दो कागज कम हैं.

तो वह दूसरे दिन ऑफिस आ गयी।

ऑफिस में कोई नहीं था, वह अपने छोटे बच्चे के साथ आयी थी।
मैंने उसे बहुत अच्छी तरह से निहारा।

आज उसने सर पर घूंघट नहीं निकाला था तो मैं जी भर कर उसे निहारता रहा।
शायद उसे भी इस बात का अंदेशा हो गया था।

मैंने उससे हंसते हुए काफी बातें की.
उसने कहा- अरे साहब, ऐसे छोट मोटे कामों के लिए थोड़ा बुलाते हैं आप खुद ही निपटा लेते ना!
वह भी थोड़ी बातूनी और मजाकिया स्वभाव की निकली।

शाम को घर आकर मुझे उसकी कल्पना करते हुए हाथ हिला के आग को शांत करना पड़ा।

रेखा छब्बीस साल की थी और उसका एक चार साल का बच्चा भी था.
उसका फीगर करीब 36-32-34 का होगा।
उसके नाक नक्श ऐसे कि बोलीवुड की हीरोइन से टक्कर ले सकें।

वह ज्यादा पढ़ी लिखी नहीं थी पर काफी होशियार थी।
मैंने सोचा कि पति ने भी क्या किस्मत पायी थी।

अब मैं रोज उस कमरे की खिड़की से रेखा को निहारने लगा।
वह अपने पति और बच्चे के साथ अलग रहती थी, उसके घर से सट कर ही उसके ससुर और जेठ के भी घर थे।

उसका घर का मुख्य द्वार बिल्कुल मेरे ऑफिस के पीछे ही पड़ता तो मैं खिड़की से ही उसके घर में भी देख सकता था।
मैंने कई बार कपड़े सुखाते या झाड़ू निकालते समय उसकी ब्रा और क्लीवेज भी देखी थी।

अब उसकी चूत मिल जाए तो जन्नत मिल जाए।

ऐसे ही तीन चार महीने निकल गये।
उसे भी शायद पता लग गया था कि मैं खिड़की से उसे झांकता हूँ।
वह अब मेरे सामने मुंह रख कर कपड़े सुखाती थी और कभी मुस्कुराती भी थी।

बात यहीं आकर रुक गयी थी, कुछ आगे नहीं बढ़ पा रही थी।
उससे बात करने की मेरी हिम्मत भी नहीं हो रही थी।

फिर समय ने करवट बदली और वह एक बार शाम को पांच बजे के आसपास सरपंच से मिलने ऑफिस आयी।
सरपंच ने उसे पारिवारिक काम से बुलाया था।

वैसे मेरे ऑफिस में दोपहर के बाद ज्यादा काम नहीं रहता था पर सरपंच ने अब दोपहर के बाद ऑफिस में बैठना शुरू किया था।

अब यह सिलसिला चल पड़ा की वह सरपंच के साथ गप्पे लड़ाने ऑफिस आ जाती थी।

मेरा टेबल सरपंच के पास ही था तो मैं उसे देखते रहता था और उनकी बात सुनता था।

असल में सरपंच अपने छोटे भाई के लिए रिश्ता ढूँढ रही थी. उसी चक्कर में वह रेखा को बुलाती थी कि फलाना गांव में फलाने आदमी की बेटी अच्छी है।

सरपंच मुझे बहुत मानती थी तो उन दोनों की बातों में मुझे भी शामिल करती थी.
कभी कभी मज़ाक भी हो जाता था।

रेखा बहुत बातूनी थी और हमेशा मजाकिया बातें करती रहती थी।
मैं रेखा को टार्गेट करके बातों के शोट मारता तो वह भी मुझे करारे जवाब देती थी।
सरपंच हमारी बातों का मज़ा लेती थी।

तीन महीने तक ऐसा चलता रहा।

एक बार वह ऑफिस में आयी तो मैं अकेला ही था.
सरपंच किसी काम से बाहर गयी हुई थी.

तो वह वापिस जाने लगी.
उसी वक्त चाय वाला लड़का चाय लेकर आया.
तो मैंने रेखा को रोका और चाय पीने को बोला.
तो वह रुक गयी।

चाय पीते पीते वह बोली- विशाल जी, आपने अब तक सगाई क्यों नहीं की? कोई पसंद नहीं आयी क्या?
मैंने कहा- अभी मेरी उम्र ही क्या है … शादी वादी करके क्या फायदा!

ऐसे थोड़ी देर बात हुई.
फिर जाती हुई वह बोली- जल्दी से कोई ढूँढ लीजिए, कब तक आप यों ही खिड़की से झांकते रहोगे।
मैं कुछ समझ पाऊं … उससे पहले वह इतना बोल कर झट से चली गई।

मुझे समझ आ गया कि वह भी मुझे लाइन दे रही थी।

दूसरे दिन जब मैं खिड़की से उसे झांकने गया तो देखा कि आज वह मेरे सामने ही चेहरा करके मुस्कुराती हुई कपड़े सुखा रही थी।
जाते जाते बाल्टी में बचा पानी उसने जोरदार मुस्कान के साथ मेरी तरफ फेंका।

मैं समझ गया अब इसकी चूत दूर नहीं है।

अब वह खिड़की के पास आकर मुझसे मज़ाक भी कर लेती।
मैंने उसे कई बार शहर घूमने आने का न्योता दिया.
पर वह हमेशा अपने पति के साथ ही शहर आती थी।

एक बार उसने कहा- मेरी मौसी शहर में रहती हैं और मैं उनके घर चार पांच दिन के लिए रहने जाऊँगी.

मौसी के घर का जो पता उसने बताया, वह स्थान मेरे घर से आधा किलोमीटर दूर था।
उसी दौरान मेरी भी दो दिन की छुट्टी थी।

उसने कहा- चलो आप बहुत दिन से निमंत्रण दे रहे थे तो आपकी मेहमान नवाजी भी देख लेते हैं।
मैंने उसे शहर में पास वाले पार्क में मिलने के लिए कहा।

आखिर वह दिन भी आ गया.
वह पार्क में अपने बच्चे के साथ आयी हुई थी।
मैं भी सज-धज के वहां पहुंचा।

उसके बच्चे को अपनी गोद में लेकर मैं उससे बातें करने लगा।
फिर मैंने उसे रूम पर आने को बोला तो थोड़े नखरे दिखा कर वह मान गई।

रूम पर जाकर उसके बच्चे को मेरे बेड पर सुला दिया और हम नीचे चटाई पर बैठ गए।

उसने बताया कि उसकी शादी अठारह की उम्र में हुई थी। शुरू में उसका पति बहुत अच्छे से उसको रखता था फिर बाद में वह सरपंच के पति के संगत में आया और वह पैसों के पीछे पड़ा। वह ट्रांसपोर्ट का बिज़नस करता था जिसमें अच्छी कमाई हो जाती थी. पर अब वह और ज्यादा कमाने के चक्कर में पड़ गया था और राजनीति में भी बड़ा पद पाना चाहता था। सरपंच के पति के अच्छे बुरे सब कामों में वह शामिल रहता है. उस पर पुलिस केस भी चल रहे थे। महीने में करीब बीस दिन घर से बाहर ही रहता था और जब घर आता था तो भी अपने गुट वालों के साथ मीटिंग या पुलिस या कोर्ट वकील या प्रोपर्टी के कामों में व्यस्त रहता। आठ दस दिन घर आता उसमें भी दो तीन दिन ही वह पत्नी और बच्चे के लिए ठीक ठाक समय दे पाता।

दूसरी बात यह थी कि रेखा को अपनी खूबसूरती पर काफी नाज था।
वह चाहती थी कि हर कोई उसकी खूबसूरती का लोहा माने।

पर छोटी उम्र में ही उसकी शादी हो गई और उसके पति ने भी दो तीन साल ही उसकी खूबसूरती को भोगा था। अब वह घर पर होता तो खाली अपनी हवस बुझाने ही रात को रेखा के ऊपर चढ़ जाता और अपने आपको शांत कर के जल्दी ही उतर जाता।
उसमें भी कई बार तो नशे में चूर होकर रेखा को भोगता तो अब रेखा को संतुष्टि नहीं मिलती।
ना तो वह रेखा की तारीफ करता और न उसे समय दे पाता।

पर रेखा की जवानी अब भी बहुत कुछ मांग रही थी जो उसका पति उसे नहीं दे रहा था।

जब रेखा ने मुझे उसके पीछे लट्टू पाया तो उसके अरमान फिर से हरे भरे हो गये।

उसने सरपंच से मेरी काफी तारीफ सुन रखी थी तो वह भी मेरी तरफ आकर्षित हुई थी।

मैं उससे चिपक कर बैठ गया और बातों बातों में मस्के मारने लगा वह भी मुझे करारे जवाब दे रही थी।

वह मुझसे पांच साल बड़ी और एक बच्चे की मां थी आज मैं उसे चोदने जा रहा था।
मैंने उसका हाथ अपने हाथ में लिया और उसके कंधे पर भी एक हाथ रख दिया।

जब मैंने उसके गालों पर एक चुम्बन लिया तो वह दूर जाने लगी.

पर मैंने उसे पकड़े रखा और फिर उसके होंठों से अपने होंठ लगा दिए।
वह भी मेरा साथ देने लगी।

मैंने उसकी पीठ के खुले हिस्से को काफी सहलाया और चूमा भी!
इससे वह काफी गर्म हो चुकी थी.

फिर मैंने उसके बोबे पकड़ लिये और दबाने लगा।
उसके बोबे फातिमा से भी बड़े थे और वह नम्रता से भी ज्यादा गोरी थी तथा रश्मि की तरह गर्म थी।

उसने खुद ही ब्लाउज और ब्रा उतारी फेंकी।
वह बार बार विशाल कर रही थी.
मतलब था कि वह जल्दी मेरा लौड़ा अपनी चूत में चाहती थी.

पर मैं उसे थोड़ा तड़पाना चाहता था और धीरज के साथ उसकी खूबसूरती को पीना चाहता था।

मैं उसके स्तनों को चूसने और दबाने लगा.
वह भी मदहोश हो गई थी।

मैंने उसके पूरे शरीर को चूमा तो वह पागल सी हो गई और हांफने लगी।
वह बोली- विशाल जल्दी करो, अब सब्र नहीं होता है।

मैंने भी अपने कपड़े उतारे और उसने अपने बाकी बचे कपड़े उतार फेंके।

उसने मेरा लंड अपने हाथ में पकड़ा और सहलाने लगी, फिर टोपा चाटने लगी और फिर पूरा लंड चूसने लगी।
मैं तो जैसे जन्नत में पहुंच गया था क्योंकि एक परी मेरा लंड चूस रही थी।

थोड़ी देर बाद उसने मेरा लंड अपने मुंह से निकला और बेड पर सीधी लेट गई और मुझे कहा- विशाल जल्दी आओ, मुझसे रहा नहीं जाता।
मैं भी उसके उपर चढ़ गया और लंड उसकी चूत में डालने लगा।

उसकी गोरी चूत पर काफी काली झांटें थी तो मुझे चूत का छेद ढूंढने में तकलीफ हो रही थी.
पर उससे रहा नहीं गया और उसने मेरा लंड पकड़ कर अपनी चूत में सेट किया और बोली- अब धक्का मारो।

मैंने एक ही झटके में पूरा लौड़ा उसके अंदर घुसा दिया तो उसके मुंह से आह निकली।
मैं उसे धमाधम चोदने लगा.
वह विशाल आह आह और जोर से जोर से ऐसी आवाजें निकाल रही थी।

मैं भी बोल रहा था- मेरी रानी रेखा, तुम्हें जब से देखा तब से मेरे मन में शोले भड़क रहे थे। आज तू मिली है मेरी जान!
ऐसा बोलते हुए मैं उसे जोर जोर से चोद रहा था।

ज्यादा जोश के कारण दस मिनट में ही मेरा पानी छूटने को हुआ तो मैंने कहा- डार्लिंग, पानी कहां निकालूं?
उसने कहा- अंदर ही निकालो।

मैंने उसके अंदर ही अपना वीर्य निकाल दिया और उसके ऊपर ही लेटा रहा।

काफी देर बाद हम अलग हुए और कपड़े पहन कर एक दूसरे की बाहों में लिपट कर बैठ गये।

उसने कहा- काफी समय बाद किसी ने इतने प्यार से मुझे चोदा है। मेरा पति तो बस दारू के नशे में मुझ पर चढ़ जाता है और पांच ही मिनट में पानी छोड़ कर लुढ़क जाता है। मैं प्यासी ही रहती हूँ।

आधा एक घंटा हमने बातें की।

वह फिर से चुदना चाहती थी तो बार बार अपने बोबे मेरे मुंह पर घिसती और मेरे लंड को सहलाती.
तो मेरा लौड़ा भी अब खड़ा हो गया था।

हमने फिर कपड़े उतारे और फिर से चुम्माचाटी और बोबा दबाई की।

उसने मेरा लंड फिर से चूसा तो वह लोहे की छड़ की तरह खड़ा हो गया।
मैंने फिर से उसकी चूत में लौड़ा डाल दिया और चोदने लगा।

इस बार धैर्य के साथ चुदाई की तो आधा घंटा चोद सका।
फिर से मैंने उसकी चूत में अपना वीर्य छोड़ा।

इस चुदाई के बाद वह अपनी मौसी के यहां गयी।
वह अपनी मौसी के घर पांच दिन तक रुकी और मैंने भी अपनी ऑफिस में छुट्टी ले ली और हम रोज मिलते रहे और चुदाई करते रहे।

फिर गांव आ कर वही सिलसिला खिड़की से झांकने का चालू हुआ।

हम दोनों एक-दूसरे को फ्लाइंग किस करते तथा दिन में चार पांच बार खिड़की पर ही मिलन हो जाता।
ज्यादा कुछ नहीं कर पाते थे क्योंकि उसका पति उसके मौसी के घर से वापस आने के दूसरे दिन ही घर आ गया था।

एक हफ्ते बाद उसका पति वापस काम पर लौटा तो उसने मुझे दोपहर में अपने यहां खाने पर बुलाया।

हमने साथ में खाना खाया और खूब चुदाई की.

ऐसे दो महीने चलता रहा।

बाद में उसने मुझे बताया कि वह मां बनने वाली है और उसके बच्चे का बाप मैं ही हूं।
मेरी गांड फट गई.

मैंने कहा- अब क्या करेंगे?
वह हंसती हुई बोली- बिल्कुल फट्टू हो तुम. इसमें डरने की क्या बात है. यह तो खुशी की बात है।

मैंने कहा- किसी को पता चल गया तो क्या होगा?
उसने कहा कि उसने सोच समझ कर ही बच्चा रखवाया था। वह अपने पति की जगह मेरे बच्चे की मां बनना चाहती थी इसलिए उसने मुझे कभी कोंडोम इस्तेमाल नहीं करने दिया था और मेरा वीर्य अपनी चूत में डलवाती थी।

उसने कहा- तुम तो खुश हो. बस किसी को बताना मत कि यह बच्चा तुम्हारा है. यह बच्चा तो हमारे प्यार की निशानी है।

तब जाके मुझे भी राहत हुईं और मैं भी खुश हुआ।

नौ महीने बाद रेखा ने एक प्यारी सी बेटी को जन्म दिया।
रेखा ने मुझे कहा- यह तुम्हारी बेटी है तो तुम्हीं इसका नाम रखो।
मैंने उसका नाम प्रेरणा रखा।

बाद में मौका मिलने पर मेरी और देशी भाभी चुदाई चालू ही रही।

उसी ने मुझे गांव की कुंवारी चूत भी दिलाई जो आपको बाद में बताऊंगा।
लेखक के आग्रह पर उनकी ईमेल आईडी प्रकाशित नहीं की जा रही है।

दोस्तो ! मैं हंस ! एक कालबोय दिल्ली से !Antaravsna

दोस्तो ! मैं हंस ! एक कालबोय दिल्ली से !

आपने मेरे पिछले अनुभव पढ़े होंगे।मेरे Antaravsna लण्ड का आकार ७.५ इन्च है। जिन लड़कियों, आंटियों, भाभियों को मैंने अभी तक चोदा है वो ही समझ सकती हैं मेरे लण्ड की महिमा। मैं ज़िगालो हूं और मेरा काम अच्छा चल रहा है। पूरे दिल्ली से मुझे काल आते हैं और पिछले हफ़्ते मुझे एक २९ साल की अविवाहित लड़की की मेल आई। उसने बताया कि वो एक प्राइवेट नौकरी करती है और उसे मेरी सेवाएं चाहिएं।

मैंने हां कर दी। उसने मुझे तारीख बताई और अपना मोबाइल नम्बर दिया कि इस दिन शाम को आठ बजे के बाद आप मुझे फ़ोन करना, मैं बता दूंगी कि कहां आना है। उसने अपने घर का पता नहीं बताया।

मैंने कहा- ठीक है।

मैं उसकी बताई तारीख पर शाम को तरोताज़ा होकर ८:३० पर मैंने उसको काल किया तो उसने मुझे एक शादी-स्थल पर बुलाया और कहा कि वहां बाहर से ही तुम मुझे फ़िर काल करना।

मैं आटो से वहां पहुंचा, बाहर से काल किया और अपना हुलिया बताया तो उसने मुझे बाहर ही रुकने को बोला। बाहर बहुत भीड़ थी, बहुत गाड़ियाँ खड़ी हुई थी, किसी पैसे वाले की शादी थी।

कुछ देर बाद एक बेहद खूबसूरत २८-३० साल की लड़की साड़ी पहने, बालों में फ़ूल लगाए हुए एकसम सज़ी-धज़ी गेट से बाहर आई। वो अपने कान से मोबाइल लगाए हुए किसी को खिज़ रही थी कि तभी मेरे मोबाइल की घण्टी बज़ी। अब तक वो मेरे पास पहुंच चुकी थी, मेरे मोबाइल की घण्टी उसे भी सुनाई दे गई थी। मैं अपनी जेब से मोबाइल निकाल भी नहीं पाया था कि मेरे मोबाइल की घण्टी बंद हो गई। मैं भी उसे देख रहा था।

उसने मेरे बगल में खड़े होकर फ़िर रि-डायल किया तो मेरा मोबाइल बजने लगा। वो मुझे देख कर मुस्कुराने लगी, मैं भी मुस्कुराने लगा। फ़िर उसने मोबाइल बंद किया और मुझसे पूछा- क्या तुम हंस हो?

मैंने कहा- जी हाँ ! मैं ही हंस हूँ।

हम दोनों ने हाथ मिलाया। उसने बताया कि यहाँ उसकी सहेली की शादी है, बस कुछ देर में कार्यक्रम समाप्त हो जाएगा, आओ तुम मेरे साथ खाना ख लो।

मैंने कहा- ठीक है।

मैं मन ही मन हँस रहा था- बेगानी शादि में अब्दुल्ला दीवाना !

मैं अन्दर गया और भीड़ में शामिल हो गया। वो स्टेज़ पर चली गई। मैं खाना खाने लगा पर वो वो मुझे स्टेज़ से लगातार देखे जा रही थी, मैं भी उसे देख रहा था। वो २९-३० साल की परिपक्व लडकी थी। उसका जिस्म बहुत ही सेक्सी लग रहा था बिल्कुल प्रियंका चोपड़ा की तरह।

मैं खाना खा चुका था और एक कुर्सी पर बैठ कर कोफ़ी पीने लगा। तभी देखा कि दुल्हा-दुल्हन और सब लोग स्टेज़ से उतर कर खाना खाने जा रहे हैं इतने में वो उन लोगों को छोड़ कर मेरे पास आई और कोफ़ी लेकर मेरे पास बैठ गई। भीड़ से अलग हम दोनों कोफ़ी पीते हुए बातें करने लगे। उसने पूछा- आने में कोई परेशानी तो नहीं हुई?

मैंने कहा- नहीं।

उसने बताया- यह मेरे बोस की बेटी की शादी है और वो मेरी सहेली भी है। मेरे बोस बहुत बड़े और अमीर आदमी हैं।

मैंने कहा- इन्तजाम देखने से ही पता चलता है।

वो बहुत बड़ी जगह थी। उसने बताया कि ये जो आजू-बाजू दो कोठियाँ दिख रही हैं, इनमें एक में लड़की वाले रुके हुए हैं और दूसरी में लड़के वाले। हम सभी को अलग अलग कमरे दिए हुए हैं। मेरा कमरा फ़ेरों वाली जगह के पास ही है। जहाँ इतनी भीड़ है कि कोई किसी के बारे में नहीं सोच रहा है कि कौन लड़की वाला है और कौन लड़के वाला।

मैं उसकी बातें सुन रहा था, बोलते बोलते उसकी सांस फ़ूल रही थी। मैं उसकी स्थिति समझ रहा था।

फ़िर उसने बताया कि मंगलीक होने की वजह से उसकी शादी कहीं तय नहीं हो पा रही है जबकि उसके साथ की सब लड़कियों की शादी हो चुकी है और कई माँ भी बन चुकी हैं। इस उम्र में सेक्स को लेकर मेरा क्या हाल हो रहा है, तुम समझ सकते हो। इसीलिए मैंने तुमसे सम्पर्क किया, पर हंस यह हमारी पहली और आखिरी मुलाकात होगी।

मैं उसकी सब बातें सुनने के बाद बोला- अगर कभी आप बाज़ार जाते हैं और आपकी जूस पीने की इच्छा होती है तो आप दुकान पर जाकर जूस पीते हैं और पैसे देकर घर आ जाते हैं ना ?

वो बोली- हाँ !

तो मैंने कहा- एक बात बताओ आप वो गिलास क्यों नहीं लाती साथ में जिसमें आपने जूस पिया?

तो वो बोली- गिलास नहीं खरीदा था, उसमें रखा हुआ जूस ही खरीदा था।

मैंने कहा- हाँ ऐसे ही आपने मेरी सेवाएँ खरीदी हैं, मुझे नहीं। आज के बाद मुझे आप से कोई मतलब नहीं रहेगा, आप निश्चिंत रहें।

वो मुस्कुराने लगी। हम काफ़ी देर बातें करते रहे। इसी बीच दुल्हा-दुल्हन उस कोठी की तरफ़ जाने लगे जहाँ मण्डप बना हुआ था और उधर ही उसका कमरा था, वो बोली- उठो ! साथ में चलो, हम भी दुल्हा-दुल्हन की भीड़ में शामिल हो गए। कोठी अन्दर से बहुत शानदार थी, बिल्कुल टीवी सीरियल के सेट की तरह।

दुल्हा-दुल्हन और कुछ लोग, लड़के, लड़कियाँ मण्डप के पास बैठ गए और कुछ अपने अपने कमरे में जाने लगे। प्रिया ने मुझे इशारा किया और मैं भी सामान्य होकर प्रिया के पीछे पीछे मगर कुछ दूरी से हो लिया। उसने कमरे का दरवाज़ा खोला और अन्दर हो गई, मैं भी मौका देख कर कुछ पल बाद कमरे के अन्दर हो गया।

एक पाँच सितारा होटल की तरह का कमरा था। बड़ा बेड, टीवी, फ़ोन वगैरह और कमरा महक भी रहा था। उसने ऐ सी चला दिया। बाथरूम का दरवाज़ा खुला हुआ था। मैंने झांक कर देखा तो बहुत बड़ा और सुन्दर बाथरूम था।

उसने कमरे का दरवाज़ा अन्दर से बंद कर लिया। मैं जूते निकाल कर बेड पर दीवार से पीठ लगा कर लेट गया। मैंने टीवी चला लिया। प्रिया बेड के पास खड़ी मुझे देखे जा रही थी। उसके सांस लेने के कारण उसके स्तन ऊपर नीचे हो रहे थे। मैंने उसकी तरफ़ हाथ बढ़ाया। कुछ देर बाद उसने मेरा हाथ पकड़ा तो मैंने उसे बेड पर खींच लिया।

वो बड़ी अदा से मेरे सीने पर गिर पड़ी। हम दोनों अधलेटे थे। उसका सर मेरे सीने पर था। एक हाथ से मैं उसे थामे हुए था और एक हाथ से मैंने उसके गालों को छुआ। उसने आँखें बंद कर ली। वो दुल्हन की तरह सज़ी हुई थी। परफ़्यूम की मदहोश कर देने वाली उसकी महक से मैं दीवाना हो गया। मैंने उसके माथे को चूमा।

आज़ मैं भी सुहागरात मनाने के मूड में था। प्रिया एक अविवाहित लड़की थी, मैं अच्छी तरह से जानता था उसे क्या चाहिए। मेरा मतलब है कि एक अच्छा और पूरी सन्तुष्टि देने वाली यौन-क्रिया प्यार और ध्यान के साथ।

फ़िर मैंने उसकी बंद आँखों को चूमा और एक हाथ उसके बालों में फ़िराने लगा। वो किसी नई दुल्हन की तरह शरमा रही थी। उसका एक हाथ मुझे अपने घेरे में लिए हुए था। फ़िर मैं उस के ऊपर कुछ झुका और मैंने आपने होंठ उसके होंठों से लगा दिए वो कांप गयी और जोर से मुझे अपनी बाहों में भर लिया।

मैं उसके होंठ चूस रहा था, वो भी मेरे होंठ चूस रही थी। कुछ देर होंठ चूसते हुए वो इतनी बेचैन हो गई कि उसने अपने दोनों हाथों से मेरे दोनों गाल पकड़े और जोर जोर से सर घुमा घुमा कर मेरे होंठ चूसने लगी, बेतहाशा मेरे होंठ चूमती रही, एक समय तो मैं भी छटपटाने लगा था। वो इतनी गरम हो चुकी थी कि भूखी शेरनी हो गयी थी।

इस समय उसके बड़े बड़े स्तन मेरे सीने पर दब रहे थे। फ़िर मैं भी अपना एक हाथ उसके सर के पीछे डाल कर उसका सर पकड़ कर पूरे जोर से उसके होंठ चूसने लगा। करीब २० मिनट तक हम बस किस करते रहे।

ये फॉर प्ले का पहला भाग था।

फ़िर कुछ देर बाद हम अलग हुए, दोनों ही बुरी तरह हांफ रहे थे। हम दोनों बिस्तर पर अलग अलग लेटे हुए थे। कुछ देर बाद जब हम सामान्य हुए तो मैं उसकी तरफ़ पलटा, वो आँख बंद किए हुए लेटी थी। मैं उसे गर्दन पर चूमते हुए उसके स्तनों पर चूमने लगा साड़ी का पल्लू उसके सीने पर से अलग करते ही मैं हैरान रह गया, क्या मस्त बड़े बड़े स्तन थे यार ! गोरे ! गोल !

मैं मचल उठा। मैंने अपने दोनों हाथ उसके दोनों बूब्स पर रख दिए और सहलाने लगा उसकी साँसे तेज़ चलने लगी और वो मेरी तरफ़ देखने लगी। मैंने बूब्स सहलाते हुए अपना मुंह उसके ब्लाउज में घुसा दिया। वो मचल उठी और मेरा सर अपने दोनों हाथों से पकड़ कर बूब्स पर दबा दिया। मैं अपने होंठ उसके बूब्स पर फेरे जा रहा था।

फ़िर मैंने एक हाथ से उसके ब्लाउज के बटन खोल दिए। वो गुलाबी रंग की रूपा की ब्रा पहने हुए थी। क्या सेक्सी ब्रा थी ! मजा आ गया। फ़िर मैं कुछ देर ब्रा के ऊपर से ही बूब्स दबाता रहा और अपने होंठ फिराता रहा। फिर मैं बूब्स से नीचे होते हुए उसके पेट और नाभि पर आया, उसकी कमर को खूब चूसा। उसकी हालत बहुत ख़राब हो चुकी थी।

फ़िर मैं एक झटके से बिल्कुल नीचे उसके पैर के पास पहुँच गया। उसके पैर चूमते हुए उसकी साड़ी ऊपर करते हुए जाँघों तक आ गया।

क्या खूबसूरत सेक्सी जांघें थी !

मैं दोनों जाँघों पर अपने होंठ रगड़ रहा था। वो मदहोश हो रही थी और अपना सर जोर जोर से आजू-बाजू घुमा रही थी, अपने होंठ दांतों से चबा रही थी। मैंने अपने दोनों हाथ उसकी दोनों जाँघों पर से सरकाते हुए उसकी पेंटी को पकड़ा और नीचे खींच दिया। मेरी इस हरकत से वो चिंहुक गयी और सिस्कारने लगी।

बहुत ही शानदार चूत थी वो ! बिल्कुल मलाई की तरह और ब्रेड की तरह फूली हुई, बिल्कुल साफ़ ! एक भी बाल नहीं था और महक भी रही थी।

मैंने अपना काम शुरू कर दिया अपने दोनों हाथों से उसके नितम्ब सहलाते हुए उसकी चूत में अपनी दो उंगलियाँ डाली तो वो अपनी कमर जोर जोर से ऊपर उछालने लगी और सी ,सी की आवाज़ निकालने लगी करीब १५ मिनट तक ऐसा करने पर उसने एक बार अपना पानी छोड़ा उसे बहुत आनंद आ रहा था।

फ़िर मैं अलग हुआ तो वो भी बैठ गयी और मेरी शर्ट के बटन खोलने लगी मैंने पैंट खोलना शुरू किया। उसने शर्ट उतारने के बाद मेरे सीने पर बहुत प्यार से हाथ फेरा, अपने होंठ मेरे सीने से लगा दिए और जोर जोर से मेरे सीने पर होंठ फिरने लगी।

मैं पैंट उतार चुका था। फ़िर मैंने उसकी ब्रा अलग की तो उसके बूब्स बाहर आ गये इतने बड़े और शानदार दूध देख कर मैं भी बेकाबू हो गया और मैंने उसे अपने सीने से चिपका लिया जिससे उसके बूब्स मेरे सीने से दब जाएँ। इससे उसे और मुझे भी अच्छा लगा।

कुछ देर बाद मैंने उसके नाभि के नीचे साड़ी के अंदर हाथ डाल दिया। वो मुझे देखने लगी कि मैं क्या कर रहा हूँ। मैं मुस्कुराया और मैंने अन्दर से उसकी साड़ी की तह किया हुआ भाग पकड़ा और हाथ बाहर खींच लिया जिससे एक ही झटके में साड़ी बिकुल खुल गई। वो हँसने लगी। मैंने साड़ी अलग की।

अब वो पेटीकोट में थी। पेटीकोट में से ही उसके चूतड़ों का आकार देख कर मैं पागल हो गया। उसकी गांड बहुत गोल और ऊपर उठी हुई थी और बड़ी थी। मुझे साड़ी में चूतड़ देखना बहुत पसंद है। राह चलती औरतों में सबसे ज्यादा उनकी गांड देखता हूँ क्योंकि मेरा मानना है कि अगर औरत के चूतड (गांड) अच्छे आकार में न हों तो उसे देख कर सेक्स की बिल्कुल भी इच्छा नहीं होती और अगर कोई साड़ी पहने हुए अच्छे बड़े गोल चूतड़ दिख जाएँ तो लंड तभी झटके से खड़ा हो जाता है।

ऐसे चूतड थे प्रिया के जिसे देख कर मेरा लंड और कठोर हो गया। मैंने उसका पेटीकोट उतार दिया अब वो बिल्कुल नंगी मेरे सामने थी। मैंने उसकी गांड को खूब प्यार किया सहलाया चूमा अब उसने मुझे अपने ऊपर खींच लिया और एक हाथ से मेरा लंड पकड़ लिया। मैं अभी भी अंडरवियर में था वो ऊपर से ही मेरे लंड को दबा रही थी फ़िर अचानक उसने मेरे अंडरवियर को नीचे खींच दिया।

वो बोली- अब कब तक तड़फाओगे? जल्दी अन्दर डाल लो न प्लीज़ !

मैंने भी उसके दोनों पैर अपनी कमर पर रखे और चूत पर अपना लंड रख दिया। उसने आँखे बंद कर ली। पहले मैंने अपना लंड उसकी कुंवारी चूत पर रगडा, फ़िर धीरे से अंदर डाला। वो छटपटा उठी।

अभी मेरा थोड़ा सा ही लंड अन्दर गया था पर वो बेकाबू होने लगी। अभी उसे दर्द का अहसास नहीं था क्यूँकि मैंने अभी थोड़ा सा लंड चूत के अन्दर किया था पर वो इतनी मचल रही थी। अचानक उसने अपने दोनों पैर से मुझे जम कर जकड़ लिया और अपने दोनों हाथ बिस्तर पर टिका कर अपनी कमर में जोर दार झटका देकर मेरे लंड पर भरपूर वार कर दिया मेरा लंड पूरा चूत में घुस गया मेरे लंड की चमड़ी ऊपर चढ़ गयी थी। मुझे बहुत दर्द हुआ। मैं चीख पड़ा, मेरे साथ वो भी चीख पड़ी क्यूंकि उसे भी बहुत दर्द हो रहा था। उसकी चूत पर मेरे लंड छूते ही वो इतनी उत्तेजित हो गयी थी कि ऐसा कर दिया।

हम कुछ देर रुक गये। मेरा लंड उसकी चूत में था। कुछ देर बाद दर्द कम होने पर मैं आगे पीछे हुआ। अब कुछ अच्छा लगने लगा था उसे, फिर मैंने धीरे धीरे अपनी स्पीड बढाई। उसे भी मज़ा आने लगा वो भी अपनी गांड उछाल उछाल कर मेरा साथ दे रही थी। करीब ४५ मिनट तक मैंने कई तरीकों से उसकी चुदाई की। इतने समय में न जाने वो कितनी बार झड़ चुकी थी।

फ़िर वो बोली- अब बस करो हंस ! तुम अपनी शूट कर दो, मुझे सहन नहीं हो रहा है, तुमने मुझे जीते जी स्वर्ग की सैर करा दी। मेरी आत्मा ना जाने कब से प्यासी थी। हाँ ! मैं तुम्हारी बहुत अहसानमंद हूँ हंस !

ये कहकर उसने मुझे बाँहों में भर लिया। मैंने अपनी स्पीड बढ़ा दी। करीब १० मिनट और करने के बाद भी मैंने शूट नहीं की तो वो बोली कि शूट क्यूँ नहीं कर रहे हो हंस ! प्लीज़ ! अब मेरी कमर दर्द कर रही है।

मैं मुस्कुराया क्यूंकि मैं उसको तो संतुष्ट तो कर चुका था पर मैं भी संतुष्ट होना चाहता था। मैंने कहा- ओके ! अच्छा तुम मेरे ऊपर आओ।

वो बोली- ठीक है पर जल्दी कर देना !

मैंने कहा- ठीक है !

वो मेरे ऊपर आई, मैंने उसकी चूत में लंड डाला और उसने अपनी चूत का पूरा भार मेरे लंड पर रख दिया वो कुछ आगे पीछे हुई, मुझे अच्छा लगने लगा। फ़िर मैंने अचानक उसकी कमर अपने दोनों हाथों से पकड़ कर उसे कुछ ऊपर उठा दिया जिस से अब उसका भार उसके ही दोनों घुटनों पर था।

अब मैंने अपने दोनों पैर बिस्तर पर टिका कर अपनी गांड ऊपर उठा दी और जोर जोर से उसकी चूत पर अपने लंड से प्रहार करने लगा।

मुझे कुछ परेशानी हुई तो मैं रुका और अपने सर के नीचे एक तकिया रख लिया और फ़िर शुरू हो गया। मैं १०० की स्पीड से उसे चोद रहा था वो भी मथानी की तरह हिल रही थी।

करीब १५ मिनट तक लगातार छोड़ने के बाद मैंने उसकी चूत में सारा पानी छोड़ दिया अब मैं शांत पड़ गया वो मेरे ऊपर लेट गयी १० मिनट तक हम यूँ ही लेटे रहे। फ़िर हम अलग हुए दोनों बाथरूम गये, हमने अपने आपको साफ़ किया। हम दोनों ही नंगे थे, शरीर पसीने से लथपथ हो रहा था तो मैंने शावर खोल दिया। हम दोनों उसके नीचे खड़े थे उसका गीला बदन देख कर मैं फ़िर जोश में आ गया। हम दोनों एक दूसरे से लिपट गये और हमारे ऊपर पानी लगातार गिरे जा रहा था।

हम १५ मिनट तक एक दूसरे के शरीर से खेलते रहे। फ़िर मैं उसके पीछे आया और उसे आगे की तरफ़ झुका दिया और अपना लंड लेकर पीछे से उसकी गांड में डालना चाहा तो उसने मना कर दिया। मैं भी मान गया। फ़िर मैंने अपना लंड उसी तरह उसे और आगे झुका कर उसकी चूत में घुसा दिया। वो झुकी हुयी थी और दोनों हाथों से नल पकड़े हुए थी।

मैंने आगे पीछे होना शुरू किया। उसे भी मज़ा आने लगा वो भी अपनी गांड आगे पीछे कर रही थी। मैंने अपनी स्पीड बढाई मेरे दोनों हाथ उसके चूतड को जम कर पकड़े हुए थे। १५ मिनट की जबरदस्त चुदाई के बाद वो बोली कि मेरी कमर दर्द कर रही है, प्लीज़ हंस ! अब शूट कर दो !

मैंने अपनी स्पीड बढाई और जोर जोर से धक्के मार कर उसकी चूत में पानी छोड़ दिया। पानी हमारे ऊपर लगातार गिरे जा रहा था। गिरते पानी में चुदाई का क्या आनंद आता है ये वो ही समझ सकता है जिसने ऐसा किया हो।

फ़िर हम दोनों अलग हुए और एक दूसरे को बाँहों में भर कर खूब प्यार किया।

रात के ३ बज रहे थे और हम बाथरूम में नहा रहे थे। नहा कर हम लोग बाहर आए तो प्रिया बहुत खुश थी। हमने अपने अपने कपड़े पहने और निकलने के लिए तैयार हो गये। प्रिया ने अपने पर्स में से रूपये निकाल कर मुझे दिए और बोली- थैंक्स ! तुम न होते तो जीवन के इस सुख से ना जाने कब तक मैं महरूम रहती !

ये कहकर वो फ़िर मुझसे लिपट गयी, बोली- तुम्हें जाने देने को मेरा बिल्कुल मन नहीं कर रहा है।

मैंने उसे चूमा और कहा कि अगर फ़िर मेरी याद आए तो मुझे कॉल कर देना। ओ के ! लेकिन अब ये कोशिश करना कि मेरी जरूरत ना पड़े तुम्हें। अपना ख्याल रखना !

ठीक है अब हम चलते हैं !

वो बोली- रुको ! पहले मैं बाहर देखती हूँ कोई है तो नहीं ?

मैंने कहा- ठीक है !

उसने दरवाज़ा खोला और बाहर से लाक करके चली गई। वो २ मिनट में ही वापस आ गई, बोली कि सब कार्यक्रम हो चुके हैं अब विदाई हो रही है। सब लोग उधर ही हैं तुम निकल जाओ।

मैं उसके साथ बाहर आ गया। बरामदे में आने पर मैंने देखा कि उधर अभी लोग इकट्ठा थे। हम भी भीड़ में शामिल हो गये और अलग अलग हो गये मैं धीरे धीरे बाहर कि ओर बढने लगा।

प्रिया भी अपनी साहिलियों के साथ शामिल हो गई थी। वो मुझे लगातार देखे जा रही थी। मैंने मुड़ कर देखा तो प्रिया की आंखों में आंसू थे। मैंने उसे एक हलकी मुस्कान दी और तेज़ी से बाहर निकल गया किसी को कोई शक नहीं हुआ।Antaravsna

Antarvasna Stories

एक बार मैं फिर हाजिर हूँ Antarvasna Stories अपनी एक नई कहानी लेकर। दरअसल मैं जिस कंपनी के लिए काम करता हूँ वो एक प्रोफेशनल जिगोलो और एस्कोर्ट सुविधा देने वाली कंपनी है।

एक बार मेरे ऑफिस से फोन आया कि ग्रेटर कैलाश की एक महिला को चुदाई की सर्विस देनी है जिसके लिए मुझे शाम के छः बजे जाना था। हालाँकि मैं एक दिन पहले ही गोवा से बंगलोर ट्रेन सर्विस देकर आया था लेकिन यह असाइनमेंट मैं नहीं छोड़ना नहीं चाहता था क्योंकि यह ग्रेटर-कैलाश का था और हाई-प्रोफाइल को सर्विस देने का मजा ही कुछ और है। यही सोच कर मैंने हामी भर दी।

ठीक समय पर पहुँच कर घंटी बजाई तो सामने एक 38-40 साल की महिला ने मेरा स्वागत किया। देखने में ठीक-ठाक ही थी, चूचियाँ भी तनी थी लेकिन उम्र का तकाजा था, जिसे वो वह चाहकर भी छुपा नहीं सकती थी।

खैर मैं अंदर दाखिल हुआ, घर देख कर ही पता चल गया कि महिला ने भले ही चुदवाने के लिए मुझे बुलाया है लेकिन ठाट-बाट सब अमीरों वाले हैं। थोड़ी देर इधर उधर के बातों में उसने अपना नाम चंदा बताया। वो एक विधवा है और उसके पति को गुजरे हुए तक़रीबन दस साल हो गए हैं तब से आज तक वो प्यासी है, जब बर्दाश्त नहीं हुआ तो आज उसने हमारी सर्विस का याद किया। हमारी सर्विस का पता अक्सर किटी पार्टियो में एक से दूसरे तक पहुँच जाता है।

थोड़ी देर बात करने के बाद उसने पूछा- क्या पियोगे?
और मैंने भी हमेशा की तरह बोल दिया- आप जो लेंगी, वही मैं भी ले लूँगा।

आंटी दो ग्लास में विस्की लेकर आई जिसे हम धीरे धीरे पीने लगे और इसी बीच उन्होंने बताया कि उनकी एक 18 साल की बेटी है जो होस्टल मैं रह कर बी ए कर रही है और अक्सर छुट्टी में ही घर आती है। उनका कोई भी रिश्तेदार दिल्ली में नहीं है। कभी साल में एक आध बार कोई आ गया तो ठीक, वरना वो अकेली ही रहती हैं।

फिर मैंने ही शुरु किया क्योंकि मैं तो एक असाइनमेंट पूरा करने आया था।

विस्की पीते हुए मैंने चंदा को अपनी तरफ खींचा तो वो बिना किसी विरोध के मेरे करीब आ गई। फिर मैं अपनी ड्रिंक का ग्लास वहीं मेज़ पर रख कर चंदा के गुलाबी होंठ पीने लगा। मेरे हाथ अपना करतब दिखाते हुए उसकी चूचियों को मसल रहे थे। कभी चंदा मेरा होंठ पीती तो कभी मैं उसके होंठ पीता। इस तरह लगभग एक घंटा तक हम एक दूसरे से चिपक कर चूमा-चाटी करते रहे।

फिर मैं अपने कपड़े उतार कर केवल चड्डी में आ गया। मेरा ७ इंच का लंड काले नाग की तरह उछल रहा था। फिर मैंने चंदा के टॉप को उससे अलग किया तो मैं देखता रह गया क्योंकि काली ब्रा में उसकी गोरी गोरी चूचियों का कुछ अलग ही सौंदर्य था जिसे मैं देखता ही रह गया।

यह देख कर चंदा बोली- क्या देख रहे हो राजा! अब तो ये तुम्हारे हैं!
और वो हंस दी।
मैं साथ ही बोल पड़ा- रानी तुम्हारी चूचियों को देख कर तो साली किसी की भी नियत डोल जायेगी।

फिर उसे झुका कर अपने लंड को चुसाने लगा। वो एक तजुरबेकार की तरह जीभ से चाट चाट कर अलग ही मजा देने लगी। फिर 69 के पोज में आने के लिए मैंने उसे बोला तो उसकी खुशी का ठिकाना ही नहीं रहा। उसने तुरंत अपनी जींस को अलग कर डाला। अब वो भी चड्डी में थी और मैं भी। पहले तो फिर हम एक दूसरे की बाजुओं में काफी देर तक चूमते रहे, फिर मैंने उसे 69 पोजिशन में लाते हुए चड्डी से मुक्त कर दिया, उसने भी मुझे चड्डी-मुक्त कर दिया।

अब 69 पोजिशन में वो मेरा लंड चूस रही थी और मैं जीभ उसके चूत की शिश्निका को छेड़ रहा था। वो थोड़ी ही देर में झड़ गई तो मुझे थोड़ी बुरा सा जरुर लगा। फिर भी वो बोली- एक पग विस्की के बाद फिर उसमें वही जोश होगा और सच मुच ऐसा ही हुआ। वो फिर तैयार थी, बल्कि पहले से ज्यादा जोश उसमें आ गया था, मुझे भी संतुष्टि हुई कि अब ये साली ज्यादा मजा और माल देगी। थोड़ी देर तक चूमा-चाटी के बाद मैंने सीधे उसकी चूत को अपने लंड से खोलने का मन बना लिया, साथ ही उसकी चूत पर अपने लंड को रगड़ते हुए एकदम जोर से उसकी बुर में पेल दिया। चंदा शायद मेरे हमले को तैयार नहीं थी और उसके मुंह से निकल गई- अह्ह ………….अह्ह! प्लीज धीरे धीरे चोदो! दर्द हो रहा है!

लेकिन मेरे ऊपर इसका कोई प्रभाव न देखकर बोली- साले चूतिये! आराम से पेल! नहीं तो मेरी चूत फट जायेगी!

तो मैं थोड़ा धीमा हुआ लेकिन चोदना चालू रखा। वो भी अब सामान्य हो गई थी और अपनी कमर को उछाल-उछाल कर चुदा रही थी। यह मस्ती दो घंटे तक चली। उसके बाद उसका बदन अकड़ने लगा तो मैं समझ गया कि अब यह झड़ने वाली है। फिर मैंने अपनी गति बढ़ा दी। हम दोनों एक साथ झड़ गए, उसकी चूत की कटोरी मेरे वीर्य से लबालब हो गई।

दस मिनट तक हम एक दूसरे से चिपके रहे, उसके बाद अलग हुए तो चंदा बोली- बाथ लेने जा रही हूँ!
तो मैं बोला- मैं भी बाथ लूँगा!
इतना सुन के वो खुश हो गई और बोली- तब तो और मजा आयेगा।

हम दोनों नंगे ही बाथरूम में घुस गए और शॉवर के नीचे एक दूसरे से चिपक गए। वो मेरे शरीर में साबुन लगा रही थी और मैं उसके शरीर में!

थोड़ी देर में ही मेरा लंड फिर अपने विकराल रूप में आ गया। जिसे देख कर वो और खुश हो गई और होंठ लगा पर चूसने लगी- बिल्कुल जैसे छोटा बच्चा लॉलीपोप चूसता है।

उसने फिर चुदाई की मांग कर दी तो मैं बोला- इस बार तुम्हारी गांड में पेलना है!
वो थोड़ा डरने लगी।
फिर मैंने उसे समझाया- थोड़ा सा मुंडी घुसने के वक्त दर्द होगा फिर उसके बाद मजा ही मजा है!

थोड़ी ना-नुकुर के बाद वो तैयार हो गई। मैंने अपने लंड पर साबुन का झाग लगाया जिससे चंदा को दर्द काम हो।
बाथरूम में उसे कुतिया की तरह झुका कर उसकी गांड में पेलना चालू किया।
जैसे ही थोड़ा सा घुसा, वो दर्द से चिल्लाने लगी और गालियां देने लगी, साथ ही आगे बढ़ना चाहा, लेकिन मैंने उसकी कमर को पकड़ कर जोर का झटका मारा जिससे पूरा का पूरा लंड चंदा की गांड में था। बदले में था- वोह… वोह वो माँ …साले ने मेरी गांड फा दी… अबे साले बाहर निकाल… वोह वोह… चूतिये बाहर निकल! नहीं तो मेरी गांड फट जायेगी।

लेकिन सब सुन कर भी मैंने झटके धीरे धीरे चालू रखे।

थोड़ी देर चोदने के बाद वो सामान्य हो गई और मजे लेने लगी।

एक घंटे तक हमारा यह चुदाई का प्रोग्राम फिर चला, तब जाकर मैं भी झड़ गया।

चलने के वक्त एक दूसरे को चूम कर चल दिया इस वादे के साथ कि चंदा जब चुदने को बुलाएगी मैं हाजिर हो जाऊंगा।

यह थी चंदा की चुदाई!
लेकिन अभी तो उसकी मस्त माल बेटी जिसका नाम छवि है को चोदना बाकी है, शायद मेरी आने वाली कहानी में चुद जायेगी।
कृपया अपना राय और सुझाव जरूर भेजें। Antarvasna Stories

TOTTAA’s Disclaimer & User Responsibility Statement

The user agrees to follow our Terms and Conditions and gives us feedback about our website and our services. These ads in TOTTAA were put there by the advertiser on his own and are solely their responsibility. Publishing these kinds of ads doesn’t have to be checked out by ourselves first. 

We are not responsible for the ethics, morality, protection of intellectual property rights, or possible violations of public or moral values in the profiles created by the advertisers. TOTTAA lets you publish free online ads and find your way around the websites. It’s not up to us to act as a dealer between the customer and the advertiser.

 

👆 सेक्सी कहानियां 👆