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Massage Girl in Khagaria: Premium Relaxation Services

Our site can help you find a professional massage girl in Khagaria who will help you relax in the best manner possible. We connect you with professional therapists who can offer you a massage that will make you feel better and more relaxed. The pros on our list are ready to provide you with a fantastic experience at your house or in one of their particular spots, whether you want to relax or get away from it all.

Introduction

Massage is currently one of the finest methods to relax your mind, body, and overall health. Our website makes it easy to locate the top massage services in Khagaria that meet your demands. This will be a one-of-a-kind and calming experience for you.

Tottaa wants to make it simple for clients to find the top masseuse. The Khagaria massage service providers on our list offer the greatest quality, comfort, and competence, whether you want a full-body massage or a massage for a particular location.

How Tottaa Helps Advertisers Reach More Customers

Tottaa is not only a list of masseuses, it’s also a secure location for them to show off what they can do. People in Khagaria who are seeking massage services may find them on our website. This makes them easier to find and gets them more appointments.

Advertisers may simply put up profiles, offer their services, and talk about pricing and discounts on our sites. This makes sure that the relevant people notice your Khagaria massage service, which makes it easier to obtain more customers.

Different Types of Massages We Offer

There are a lot of different types of massage services on our site, so you may choose one that works for you. You may choose the kind of treatment that works best for you, whether it’s profound rest or a particular type of therapy.

1. Swedish Massage

A calm and gentle way to ease muscular tension and improve blood flow. This Khagaria massage is perfect for you if you want to relax and forget about your concerns.

2. Deep Tissue Massage

This approach employs a lot of pressure to get to deeper muscle layers. It’s helpful for folks who have muscular discomfort or stiffness that won’t go away. There are specialists on our profiles of massage girls in Khagaria who are good at deep tissue treatments that function effectively.

3. Aromatherapy Massage

Calming massage strokes and essential oils are beneficial in making people feel improved both emotionally and physically. Most massage companies in Khagaria employ the use of custom oil preparations to make you feel good.

4. Thai Massage

A therapy that wakes you up by using a mix of regular massage, stretching, and compression. This traditional massage in Khagaria helps you relax, become more flexible, and get your mind and body back in harmony.

5. Hot Stone Massage

Heated stones are placed on various parts of the body to help with deep muscular tightness. People who want to feel good, relax, and help their muscles recover quickly can use this massage service in Khagaria

How to Book Our Massage Services

Tottaa makes it simple and fast to book. With our listings, you can see what kind of massage you want, read about the providers, see that they are free and then contact them directly. After you choose, you can book a massage in Khagaria at your convenient time and location. In order to get your desired massage services, apply the following simple steps:

Step 1: Browse Our Listings

Take a peek around our site to view a few massage professionals. Each listing gives you information about the many sorts of massages, how long they last, how much they cost, and where they are situated. This makes it easier to choose the finest ones.

Step 2: Compare and Shortlist

Examine the profiles carefully to compare how the services, talents, and reviews posted by customers differ. This phase makes sure you choose a business that has the style, pricing, and supply you desire.

Step 3: Connect with the Provider

When you have decided, use the information that you are offered so that you can contact them directly. One can communicate it to the massage giver thus making it understood what massage you want at what time and when.

Step 4: Confirm the Appointment

The date, time and place of the service, which could be your home, a hotel or the spa where the therapist may be found. You also need to agree on the payment method and any other accords prior to commencement of the course.

Step 5: Relax and Enjoy Your Massage

All you have to do on the day of the appointment is have your area ready for the house visit. The remainder will be handled by the expert. Take it easy and enjoy a massage that is made just for you.

Frequently Asked Questions

To locate a professional who can meet your needs, read our biography, reviews and advertising.

Yes, many of the therapists on our site will come to your house so you may feel safe and at ease.

You may pick based on talents since most adverts provide their qualifications in their profiles.

It would be advisable to make a reservation earlier to guarantee that you would be able to get a massage, particularly against the prevalent services of massage.

Not at all. Tottaa exclusively connects users with service providers. The doctor gets to choose how to handle payment.

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Sex Stories

हाय मेरा नाम शिवानी है. मेरी उम्र Sex Stories 18 साल है। मैं लखनऊ के पास के गाँव की रहने वाली हूँ। मैंने अन्तर्वासना पर बहुत सी कहानियाँ पढ़ी और सोचा कि मुझे भी अपनी बात सबको बतानी चाहिए। इसलिए आज मैं आपको एक व्यक्तिगत अनुभव सुनाने वाली हूँ।

हमारे गाँव में बहुत से कच्चे मकानों के बीच हमारा मकान पक्का है जिसमें मेरा, मेरे भाई का, मम्मी पापा का सबका अलग अलग कमरा है।

एक रात की बात है, मैं लगभग 11 बजे बाथरूम जाने के लिए उठी। बाथरूम मम्मी के कमरे को पार करने के बाद पड़ता है। जब मैं उस कमरे के सामने से गुज़री तो मुझे मम्मी के कराहने और ज़ोर ज़ोर से सांसें लेने जैसी आवाज़ें सुनाई पड़ी।

मैं एक बार को तो डर गई, पर मैंने हिम्मत रखते हुए चाबी के छेद से झांका तो मैं दंग रह गई। कमरे में पापा मम्मी बिल्कुल नंगे खड़े थे। पापा मम्मी की चूचियाँ दबा रहे थे और बार बार उनके चूतड़ों पर जोर से चपत सी मारते जा रहे थे।

पहले तो मेरी समझ में कुछ भी नहीं आया पर फ़िर मैंने ध्यान से देखा कि पापा मम्मी से चिपटे हुए हिल भी रहे थे। तभी वे थोड़ा सा घूमे तो मेरी बुद्धि घूम गई। पापा ने अपना लण्ड शायद मम्मी की चूत में डाल रखा था और वहीं धक्के मार रहे थे।

मेरी समझ में कुछ कुछ आने लगा था। मेरी कोलेज़ की सहेली ने एक बार मुझे अपनी चुदाई की कहानी सुनाई थी। आज़ अचानक वही चुदाई मुझे अपने घर में होती दिखाई दी।

पता नहीं क्यों, पर वो नज़ारा देख कर मेरी चूत में खुज़ली सी होने लगी और मुझे अपनी सांसें कुछ भारी सी लगने लगी। मैं वहाँ पर पूरा कार्यक्रम देखकर बाथरूम जाकर अपने कमरे में तो आ गई पर मुझे फ़िर नींद नहीं आई।

वो दृष्य मेरी आंखों के सामने नाचने लगा। मैंने अपनी सलवार और कच्छी उतार दी और एक हाथ से अपनी चूचियाँ दबाते हुए अपने पैन को चूत में डाल कर चलाया। फ़िर पैन के बज़ाए दूसरे हाथ की उँगली डाली। थोड़ी देर बाद मेरी चूत में से कुछ सफ़ेद सा निकला और मुझे पता ही नहीं चला कि कब नींद आ गई।

सुबह मम्मी की आवाज़ ‘ कोलेज़ नहीं जाना है क्या! जल्दी उठ!’ से मेरी आँख खुली, तो जल्दी से कपड़े पहन कर बाहर आई।

मुझे रात की बात अभी भी याद आ रही थी, पर मैं कोलेज़ जाने के लिए तैयार होने लगी। मैं कच्छी और ब्रा पहन कर ही नहाती हूँ पर उस समय मेरी उत्तेज़ना बढ़ गई और मैं पूरी नंगी होकर नहाई और उँगली, साबुन की सहायता से अपनी चूत का पानी निकाला।

तरोताज़ा होकर, नाश्ता कर मैं कोलेज़ के लिए घर से निकल गई। थोड़ी सी दूर सड़क से बस मिल जाती है, वहीं से मैंने बस पकड़ी जो रोज़ की तरह ठसाठस भरी थी। जैसे तैसे गेट से ऊपर चढ़ कर थोड़ा बीच में आ गई। तो वो रोज़ की कहानी चालू। आप तो जानते ही होंगे, जवान लड़की अगर भीड़ में हो तो लोग कैसे फ़ायदा उठाते हैं, और आप उन्हें कुछ कह भी नहीं सकते।

वही मेरे साथ होता है। मेरे पीछे से कोई मेरे चूतड़ दबाने सा लगा, तो एक अन्कल मेरे कन्धे पर बार बार हाथ रख कर खुश होने लगे। एक महाशय सीट पर बैठे थे, भीड़ की वज़ह से मेरी साईड उनके सिर से दबी थी, जो उन्हें भी मज़ा दे रही होगी।

इतने में मेरी ही क्लास का एक लड़का जो बहुत दिन से मेरे पीछे पड़ा था और केवल मेरे लिए ही इस बस से आता-जाता था, अपने गाँव से बस में चढ़ा। लन्बा तगड़ा तो खैर वो है ही, हैण्डसम भी है। पर मैं उसे ज्यादा भाव नहीं देती थी। आज़ तो वो सबको हटाता हुआ ठीक मेरे पीछे आकर खड़ा हो गया। मैंने उसे देखा पर मैं कोई आपत्ति करने की स्थिति में नहीं थी। कुछ कहा तो बोला- बस में भीड़ ही इतनी है।

मुझे चुप हो जाना पड़ा। मुश्किल से पाँच मिनट बीते होंगे कि अचानक ड्राईवर ने बड़े जोर से ब्रेक लगाए और पता नहीं क्यों ड्राईवर मादरचोद, बहनचोद जैसी माँ बहन की गालियाँ किसी को बकने लगा। शायद कोई बस के आगे आ गया होगा।

लेकिन उसके अचानक ब्रेक मारने से थोड़ सा बैलैंस तो सबका बिगड़ ही गया था। राहुल, मेरा क्लासमेट गिरते गिरते बचा। उसके हाथ में मेरी दाईं चूची आ गई थी, या वो जानबूझ कर उसे पकड़ कर लटका। पर इतना जरूर हुआ कि उसने उसे कायदे से दबा मसल जरूर दिया। मुझे गुस्सा आया, पर मैं कुछ कहती, उससे पहले ही वो वैरी सोरी कहने लगा। तो मुझे भी लगा कि शायद अनायास ही यह हो गया होगा।

वो फ़िर मेरे से सट कर खड़ा हो गया। बस चलने लगी। इतने में मैंने अपने चूतड़ों के बीच अपनी गाण्ड में कुछ चुभता सा दबाव महसूस किया। पहले तो मैंने इस पर खास ध्यान नहीं दिया अप्र मैं समझ गई कि राहुल का लण्ड मेरे चूतड़ों की गरमी खा कर खड़ा हो गया है और वो ही मुझे चुभ रहा है।
यह सोच कर मुझे रात वाला नज़ारा फ़िर याद आ गया और मेरे बदन में झुरझुरी सी दौड़ गई। अब मैं बिल्कुल बिना हिले कपड़ों के ऊपर से ही अपनी गाण्ड का तिया-पाँचा कराने लगी।

कुछ देर बाद ही कोलेज़ जाने वली सड़क पर बस रुकी और कोलेज़ जाने वाले सभी लोग उतरने लगे। मैं और राहुल साथ साथ ही उतरे। उतरने के बाद भी आज़ तो वो मेरे साथ ही चलने लगा। कुछ मिनटों बाद मैंने उससे मुस्कुरा कर कह ही दिया कि आप जो बस में कर रहे थे, वो अच्छी बात नहीं है। इस पर वो नाटक करते हुए बोला कि मैंने तो कुछ नहीं किया और कहते कहते ही मेरे चूतड़ों को भी दबाने लगा। मुझे भी अच्छा सा लगा पर मैंने उससे कुछ नहीं कहा।

अचानक ही हम कोलेज़ जाने वाले मोड़ से कोलेज़ की बजाए जंगल वाली सड़क पर मुड़ गए। शुरू में तो मुझे मज़े मज़े में पता ही नहीं चला पर थोड़ी देर बाद मैंने उससे कहा तो बोला- कोलेज़ में तो रोज़ ही जाते हैं, चलो आज एक नया नज़ारा दिखाता हूँ।

उसकी बात का मतलब समझते हुए भी मैं उसके साथ चलने लगी, सच में तो मुझे रात से लग रहा था कि कोई मेरी चूत को चोद डाले, जैसे पापा मम्मी को चोद कर मज़ा दे रहे थे।

एक जगह बिल्कुल सुनसान थी। दूर दूर तक कोई भी दिखाई नहीं दे रहा था। तभी हमें गन्ने के खेत के बीच में कुछ खाली हिस्सा नज़र आया। वो मुझे वहीं ले गया और मुझसे लिपट कर जगह जगह मुझे चूमने चाटने लगा। इससे मेरी उत्तेज़ना और बढ़ गई। इसके बाद जब उसने मेरी चूचियों को दबाना-मसलना शुरू किया तो मुझे जैसे ज़न्नत दिखाई देने लगी। वो एक हाथ से मेरी चूचियाँ और दूसरे हाथ से मेरे चूतड़ों को बारी बारी दबा रहा था।

अचानक उसने मेरे कपड़े उतारने शुरू कर दिए। मैं मना करने की स्थिति में नहीं थी, सो मैंने हाथ ऊपर कर दिए ताकि वो मेरा कुर्ता आराम से उतार सके। उसने मेरी सलवार का नाड़ा भी खींच दिया। सलवार बिना लगाम के घोड़े की तरह झट से नीचे गिर गई। अब मैं उसके सामने केवल ब्रा और पैन्टी में रह गई थी।

मुझे शर्म तो आ रही थी लेकिन उत्तेज़ना शर्म पर हावी हो गई थी। सो मैं चुपचाप तमाशा देखती रही। उसने पहले तो मेरे सीने को फ़िर नाभि को ऐसे चूसना शुरू कर दिया मानो कुछ मीठा उस पर गिरा हो और वो उसे चाट कर साफ़ कर रहा हो।
मैं बुरी तरह उत्तेज़ित हो रही थी कि उसने मेरी कच्छी के ऊपर से एक उँगली मेरी चूत में घुसेड़नी शुरू कर दी। मुझे दर्द का भी अहसास हुआ पर मैं उसे मना ना कर सकी। पता नहीं मुझे क्या हो गया था लेकिन मैं बेशर्म हो कर अपनी चूचियाँ अपने आप दबाने लगी थी।

उसने धीरे धीरे मेरी पैन्टी और ब्रा को भी मेरे शरीर से अलग कर दिया और मुझे मादरजात नंगी कर दिया। मैं तड़प रही थी और उसे मज़ा आ रहा था।

वो अभी तक पूरे कपड़ो में खड़ा था। मुझे गुस्सा आया और मैंने उसे गाली दे देकर कहना शुरू कर दिया कि अपने कपड़े भी तो उतार। वो झटके से मुझसे अलग हुआ और बिजली की रफ्तार से उसने अपने कपड़े उतार दिये। कच्छा उतारते के साथ मेरी हालत खराब हो गयी। उसका लण्ड मेरे पापा के लण्ड से कम से कम दुगुना लग रहा था। उसकी लम्बाई कम से कम 8 इंच और गोलाई कम से कम 3 इंच से तो किसी भी तरह कम नहीं थी।

उसने अपना हथियार मेरे हाथ में देकर मुझसे सहलाने को कहा। मैं उसे हाथ में लेकर आगे पीछे करने लगी तो उससे डर कुछ कम लगने लगा। फिर उसने मुझे नीचे बैठाया और अपना लण्ड मेरे मुँह में देने लगा। मुझे बहुत घिन्न आ रही थी कि इसी से ये मूतता होगा और अपना पेशाब मुझे पिलाने की तैयारी में है और सच में उसने मेरे मुँह में डालते डालते पेशाब की तेज धार मेरे मुँह और सारे चेहरे पर डाल दी और हंसने लगा।

पहले तो मुझे बहुत घिन्न आयी पर पता नहीं क्यों कैसे मुझे अपने ऊपर पड़ती गर्म पेशाब से अचानक नहाने में बड़ी उत्तेजना का अनुभव होने लगा। मैं उसके पेशाब को चाटने भी लगी और अपनी चुचियों पर भी मला। मुझे सच इसमें बहुत मजा आया। इसके बाद लण्ड में बची बूंदो को खराब न जाने देने के इरादे से मैंने उसका मोटा लण्ड अपने मुँह में बिना उसके कहे डाल लिया और चूसने लगी।

मुझे तो खैर उसमें बहुत मजा आ ही रहा था, मैंने महसूस किया कि उसे भी इसमें बहुत मजा आया होगा क्योंकि उसका लण्ड पहले से अधिक सख्त और गर्म महसूस हो रहा था। वो मेरा सिर पकड़ कर आगे पीछे करने लगा। अब मेरी चूत में उत्तेजना बढती जा रही थी। यह बात मैंने पूरी बेशर्मी से उसको बतायी तो वो अपना लण्ड मेरी चूत में डालने को तैयार हो गया। वो मुझे जमीन पर लिटाकर मेरे उपर आ गया।

उसके लण्ड का अगला भाग जिसे शायद सुपाड़ा कहते हैं जैसे ही मेरी चूत से टकराया लगा कि जैसे गर्म सरिया या रॉड सी मेरी चूत पर छुआ दी हो। सच अगर चूत में लण्ड डलवाने की इतनी खुजली न मची होती तो मैं तुरन्त उसे वहाँ से हटा देती, लेकिन मैं अपनी चूत के हाथो मजबूर थी। अब उसने चूत पर लण्ड का दबाब बढ़ाना शुरू किया। मुझे दर्द का एहसास हुआ तो मैंने थूक लगाकर डालने की सलाह दी जिसे उसने तुरन्त मान लिया।

उसने सुपाड़े पर थूक लगाकर जोर का झटका मेरी चूत के छेद पर मारा, पर निशाना मिस हो गया और लण्ड मेरे पेट के निचले हिस्से की खाल को जैसे चीरता हुआ उपर आया। मैंने उसे अपने पर्स में निकालकर अपनी कोल्ड क्रीम की ट्यूब उसे दी और उसके लण्ड पर लगाने को कहा, अबके उसने लण्ड के साथ साथ मेरी चूत को भी क्रीम से भर दिया, उँगली डाल डाल कर क्रीम अन्दर पहुँचा दी। मेरी हालत प्रति क्षण खराब होती जा रही थी।

मैंने उससे कहा कि मैं रास्ता दिखाती हूँ तुम जोर का धक्का मारो।

फिर मैंने उसका लण्ड पकड़ कर अपनी चूत के छेद पर रखा और दबाया। इशारा समझकर उसने शायद पूरी ताकत से धक्का मार दिया। उस समय ऐसा लगा कि उसने धक्का नहीं मुझे मार दिया। एक झटके में उसका आधे से ज्यादा महालण्ड मेरी चूत में समा गया था। मेरी चूत निश्चित ही फट गयी थी और वह दर्द का अहसास हुआ जो आज तक कभी भी जिन्दगी में नहीं हुआ। मैं सिर पटकने लगी।

सारी उत्तेजना जाने कहाँ हवा हो गयी थी, मैं उससे लण्ड निकालने की रो-रोकर विनती करने लगी, लेकिन उसे तरस न आया, वो तो उल्टा मेरी चुचियों को चूसने और काटने लगा। पर उसने लण्ड को वहीं रोक दिया। थोड़ी देर में मुझे कुछ आराम सा महसूस होने लगा तो मैंने उसे बताया। अब उसने लण्ड को धीरे धीरे गति देनी चालू की। उसने धक्के अब भी मेरी चूत को फाड़े दे रहे थे। भंयकर दर्द हो रहा था लेकिन ये उस जानलेवा दर्द के आसपास भी नहीं था जो पहले झटके में शायद क्रीम के कारण हो गया था।

थोड़ी ही देर में मुझको भी मजा सा आने लगा। उसके धक्के अभी भी दर्द पैदा कर रहे थे पर उस दर्द में भी एक अलग आनन्द की अनुभूति हो रही थी। मेरी चूत में से पता नहीं क्या कुछ निकल कर रिस रहा था। पर उसका चूमना चाटना और बीच बीच में काटना अलग ही था। मैंनें इतना आनन्द अनुभव किया जो जिन्दगी में पहले नहीं किया था। पर बात उससे आगे की भी थी। करीब 20 मिनट बाद उसने अचानक धक्कों की स्पीड बढा दी। मैंने भी सहयोग करने का निश्चय करके नीचे से चूतड़ उछालने लगी।

दोनों अपने वेग में थे कि अचानक मेरी चूत में कुछ संकुचन सा हुआ और मैंनें उसको कस के चिपटा लिया, अपने नाखून उसकी कमर में गाड़ दिये। तभी मैंनें अपनी चूत में कुछ गर्म गर्म लावा सा गिरता हुआ महसूस किया।

कुछ ही मिनटों में हम दोनों शान्त हो गये थे। पर आखिर के वो एक-दो मिनट में जो आनन्द आया उसके सामने शायद जन्नत का सुख भी फीका हो। मैं उसकी मुरीद हो गयी। उसने उसके बाद लण्ड निकाला और मेरे मुँह में डाल दिया, मैंने उसे बड़े प्यार से चाट-चाट कर साफ किया।

फिर जब मैंनें बैठकर अपनी चूत रानी को देखा तो मेरे मुँह से चीख सी निकल गयी। चूत का भोसड़ा तो बन ही गया था साथ ही उसमें से खून भी रिस रहा था। मैं यह देखकर डर गयी थी। पर उसने हिम्मत बंधायी। पता नहीं उसने मुझे वापस लिटाकर मेरी चूत में कपड़े से और क्रीम से क्या क्या किया पर सुकून था कि खून रूक गया था। अब थकान बहुत महसूस हो रही थी। सो थोड़ी देर लेटी रही।

फिर उसके सहारे से उठी और बदन झाड कर कपड़े पहने। कपड़े पहनकर उसकी तरफ मुस्कुराकर देखा तो उसने फिर एक बार मेरे निचले होंठ को चूसना शुरू कर दिया और चुचियों को दबाने लगा। मुझे बहुत आनन्द आया और सच में अगर घर वापिस लौटने में टाइम का ख्याल नहीं होता तो मैं उसे हटने को कभी नहीं कहती।

उसके बाद हमने उस जंगल वाले कालेज की कई क्लासेज अटेण्ड की। पर अब गन्ना कट जाने से हमें बड़ी दिक्कत हो गई है। खैर, भगवान ने चाहा तो उसका इन्तजाम भी हो जायेगा। अच्छा मैं अपनी कहानी यहीं पर बन्द करती हूँ।

सम्पादक महोदय से गुजारिश है कि मेरा नाम भले ही छाप दें पर मेरे गाँव और जिले का नाम साइट पर न दें नहीं तो मेरी पूरे कालेज में बदनामी हो सकती है। मैं जानती हूँ मेरे कालेज कई लड़के लड़कियाँ अर्न्तवासना पर कहानियाँ पढने के शौकीन हैं। Sex Stories

Antarvasna

फिर वो उठे और बैग से कुछ निकाला Antarvasna और कहा, “जान तुम्हारे लिए साड़ी लाया हूँ प्लीज़ ! इसे पहन लो न !” मैं फिर उठी और बाथरूम चली गई और तैयार हो कर आई तो भैया मुझे ऐसे देखने लगे जैसे कोई शोषणकारी देख रहा हो और वो तुंरत आ कर मुझसे चिपक गए और मुझे फिर बिस्तर पर पटक दिया और अपने कपड़े उतार दिए और बिस्तर पर आ कर मेरे ऊपर चढ़ गए और कहा “अब नहीं रहा जाता जान , अब तो मैं पूरा फाड़ दूंगा तुझे , आज वैसे भी जा रहा हूँ दिल्ली अब अगले महीने ही आऊंगा !” कहते हुए भैया ने मेरी साड़ी उतार दी।

भैया मेरी चूत पर बैठे हुए थे और मेरी चूचियों को मसल रहे थे . मैंने कहा “रौंद डालो आज मुझे जान, मत छोड़ना आज मुझे, जम कर चोदो आज मुझे ” ये सुनते ही भैया ने दोनों हाथों से कस कर मेरे दोनों चूचुक नौच लिए जिससे मैं चीख उठी और मेरी एक टांग अपने कंधे पर रख कर अपने लण्ड को मेरी चूत पर रख कर जोर का झटका मारा तो…

“आऽऽ अऽऽ ! आऽ आहऽऽ ह …”

“रानी अभी तो आधा ही गया है , अभी तो पूरा जाना है .. ओह ह ह !”

“भाई जान प्लीज़ऽऽऽऽ …! दर्द हो रहा है ! अऽआऽऽआऽऽआह ह !”

“और ले रानी … अब तो तेरी बहन नीतू मेरी साली हो गई है और अब उसे भी करना है ” कहते हुए पूरा लण्ड मेरी चूत में ठेल दिया।

“आ अ आया आह ह हह न ना आ आ !… नीतू तो भोली है …! प्लीज़ उसे तो छोड़ देना !”

“नहीं जानेमन …! साली आधी घरवाली ही तो होती है …!”

“ठीक है जान …! आ आ अ आह हह … कर लेना उसके साथ …! उसे यहीं ले आओ ना मिल लूंगी !”

“ठीक है फिर उसे यहीं चोदूंगा उस कमसिन जवानी को !”

फिर भैया ने मुझे १५ मिनट तक जम कर चोदा। फिर वो ऑफिस की कार से चल दिए एअरपोर्ट के लिए, साथ में मैं भी थी। कार में वे मेरी चूचियाँ दबाते हुए और किस करते हुए गए थे। उन्होंने ड्राईवर को कह दिया की मुझे कॉलेज छोड़ देगा। फिर मैं उनको छोड़ कर कार से आने लगी थी कॉलेज को. मैं कार में आगे ही बैठी थी।

ड्राईवर का नाम मोहन था। मोहन ने कहा “और मैडम लगता है आप अपने भाई से काफी सेक्स किया है !”

मैं यह सुनते ही सन्न रह गई।

मैंने कहा, “प्लीज़ ! ये बात मत किसी को बताना आप !” कहते हुए मेरे हाथ अपने आप उसके कंधे पर चले गए। उसने सुनसान जगह देख कर कार अचानक साइड में अँधेरे में रोक दी। उसने कहा,“आप तो घबराने लगी ! क्या हो गया?” उसने कहते हुए मुझे किस कर लिया और मेरे बूब्स मसलने लगा।

मैंने घबराकर कहा, “ये क्या कर रहे हैं आप?”

“क्यों मैडम अपने भाई से करवा सकती हो और मैं …! मैं क्या मर गया हूँ?”

उसने मेरी सीट पीछे की तरफ कर दी थी जिससे मैं लगभग लेटी हुई थी। उसने एक हाथ मेरी शर्ट के अन्दर डाल दिया और ब्रा के ऊपर से ही मेरे बूब्स दबाने लगा, मेरी जींस की जिप भी खोल दी और चूत में ऊँगली करने लगा।

“आया आ अह ह … प्लीज़ मत करो !”

मोहन करीब २६-२७ साल का था और ५”११” कद का होगा और काफी तगड़ा भी था। फिर उसने मेरी जींस खोल के घुटने तक सरका दी, मेरी शर्ट फाड़ दी और फिर उसने अपनी शर्ट उतार दी और अपनी पैंट भी अपने घुटने तक सरका दी। मोहन फिर मेरी टांगों के बीच में मेरे ऊपर आ गया। अब हम ऐसी पोसिशन में थे कि हम दोनों आराम से अलग भी नहीं हो सकते थे। उसने मेरी ब्रा भी मुझसे अलग कर दी और मेरी चूचियों को चूसने लगा।

उसका लण्ड करीब १०” लम्बा और ३” मोटा था जो कि भैया से भी तगड़ा था। मैं घबरा गई थी पर कुछ कर भी नहीं सकती थी।

“प्लीज़ मत करो ना … बहुत तकलीफ होगी मैं मर जाऊंगी !”

“अब होने दो मैडम जो हो रहा है, अब नहीं रहा जाता ! वैसे भी आप बहुत खूबसूरत हैं।” ये कहते हुए उसने अपना लण्ड मेरी चूत पर टिका दिया।

“प्लीज़ मुझे छोड़ दो ….!” पर धीरे धीरे मुझे भी कुछ होने लगा था।

“अब बस मैडम इसके बाद आप को मैं छोड़ दूंगा !” कहते हुए उसने जोर लगा दिया। पर इतना मोटा लण्ड कहाँ जाने वाला था अन्दर। मैंने भी सोच लिया था कि अब तो चुदना ही है उसके बाद फ्री तब मैंने उसका लण्ड पकडा तो घबरा गई कि इतना मोटा। फिर भी मैंने उसको अपनी चूत में थोड़ा फंसाया और कहा “अब करो पर आराम से !”

ये सुनते ही उसने जोर का झटका मारा …..

“आ आ अ आ अ आह ह ह ….. मर गई ई इ ई इ ” मेरे दोनों हाथ उसकी पीठ में गड़ गए।

“ऊऊओह सेक्सी बेबी …. अभी तो १/३ ही गया है २/३ तो बचा है !” उसका लण्ड मेरी चूत में बहुत कसा कसा जा रहा था पर लण्ड पूरा नहीं जा पाया और उसने मुझे १० मिनट तक चोदा जिसमे मैं २ बार झड़ गई थी। फिर हम दोनों किसी तरह उठे और उसने तुंरत गाड़ी दौड़ा दी और १० मिनट में अपने घर ले गया। उस वक़्त रात के ९ बज रहे थे।

मैंने कहा,“ये कहाँ आ गए हम, आप तो मुझे कॉलेज ले कर जाने वाले थे?”

“पहले फ्रेश तो हो जाएँ, फिर छोड़ दूंगा।”

“ठीक है पर जल्दी करिए न, अब तो आप मेरे साथ कर ही चुके हैं !”

हम दोनों जैसे ही घर में घुसे, उसने तुंरत दरवाजा बंद कर लिया और मुझसे चिपक गया।

“ये क्या कर रहे हो आप …..! प्लीज़ छोड़ दो !….. अब नहीं !”

“अभी कहाँ हुआ है पूरा जानेमन ! अब तो घर पर ही जम कर करूंगा जानेमन !”

“आप तो आ आ अ आह ह ह …. मत मसलो मुझे प्लीज़ … मुझे कॉलेज छोड़ दो !”

“कॉलेज की तो परसों तक छुट्टी है इसीलिए आज प्लीज़ घर पर ही …!” कहते हुए उसने मेरी दूसरी शर्ट भी फाड़ दी और मेरी जींस उतारने लगा और अपने दाँतों से मेरे निप्प्ल चबाने लगा।

मुझे भी कुछ होने लगा था। तब मैंने भी सोच लिया कि अब कोई चारा नहीं है।

मैं भी फिर उसको किस करने लगी, उसकी शर्ट उतार दी और उसकी पैंट खोल दी। २ मिनट में हम दोनों नंगे एक दूसरे से चिपके हुए किस कर रहे थे। वो मेरे नंगे बदन को देख कर पागल हो गया, मुझे अपने बिस्तर पर ले जा कर पटक दिया और बेतहाशा चूमने लगा। मैं भी उसे चूमने लगी।

“अब नहीं छोड़ूंगा तुम्हें …! आज जी भर कर खाऊँगा … तुम्हें !”

“खा के तो दिखाइए मुझे … ! देखें कितना दम है !”

“जानेमन कार में तो झेल नहीं पाई और दम की बात करती हो?” यह कहते हुए वो मेरी टांगों के बीच में आ गया और अपना लण्ड मेरी चूत पर रख दिया और जोर का झटका मारा।

“आ आ अ आ अ आह ह ह … प्लीज़ निकाल लो …!”

“ऊंह ह ह आह बहुत कसा कसा जा रहा है जानेमन ! अभी तो आधा बाकी है !” कहते ही उसने और जोर लगाया पर उसका लण्ड बहुत मोटा था और मैं कमसिन सी लड़की उसको झेल नहीं पा रही थी। जवाब में मैं उसकी पीठ में अपने नाखून गड़ा रही थी।

“आऽऽअ आह्हहहऽऽऽ उई माँ ऽऽऽ मर जाऊंगी मैंऽऽऽ !”

“आज तुझे अपना बना के ही छोड़ूँगा जानेमन !” कहते हुए उसने ३-४ जोरदार झटके मारे तो मैं कराह उठी क्योंकि अब शायद १-२” ही बाकी था पूरा जाने में।

“आ ऽऽऽऽ अ आहऽऽऽऽ ओऽऽह अ आऽअ आऽऽऽअ … आज मेरा पूरा भुर्ता बन जाएगा, मुझे किसी लायक नहीं छोड़ोगे क्या?”

“जानेमन अब तुम सिर्फ़ मेरे लिए ही रहोगी अब तो बस ! …..”

फ़िर उसने मुझे आधे घण्टे तक जम के चोदा और हम थक कर पसर गए। उसके बाद हम दोनों बाहर खाना खाने गए और वापिस उसी के घर आ गए। मैं बहुत थक भी गई थी और हम दोनों सो गए। करीब एक घण्टे बाद मोहन उठा और मुझे चूमने लगा।

मैंने पूछा,“ क्या हुआ और अब यह क्या हो रहा है ! अब तो हो चुका ना !”

“अभी तो बहुत कुछ होगा मैडम ! और वैसे भी आपको मेरा दम देखना था और आप मेरी हो चुकी हैं।” कहते हुए वो मेरे कपडे उतारने लगा।

“अच्छा … तो दिखाओ ना अपना दम !” कहते कहते मैं भी उसके कपडे उतारने लगी और चूमने लगी। फिर उसने मेरी चूत में अपना लण्ड डाल दिया।

“आ अ आ आया अआया अह ह्ह्ह … फक्क मी ! कम ओन … चोद डालो आज मुझे, बना लो आज मुझे अपना ….. ओ ऊ ओऊ ऊह हह ”

फिर उसने ३-४ मिनट बाद ५ मिनट तक घोड़ी बना कर चोदा फिर उठा और तेल ले कर आया और मेरी गांड के छेद पर मला तो मैंने पूछा “अब क्या करेंगे आप ?”

“अभी तो पीछे से भी लेना है ” कहते हुए उसने मेरी गांड में एक ऊँगली डाल दी और तेल लगाने लगा।

“आ आ आया अ आया आ आह हह …. प्लीज़ नहीं … पीछे से नहीं ! बहुत तकलीफ होगी !”

“तो होने दो ना … अब तो मेरी ही हो … प्रैक्टिस कर लो और वैसे भी आज मैं अपना लण्ड तुम्हारे हर छेद में डालूँगा ”

फिर उसने मेरी एक ना सुनी और मुझे घोड़ी बना दिया, हम दोनों ज़मीन पर थे और मैं बेड पर अपने हाथ टिकाये हुई थी। उसने अपना लण्ड टिका दिया मेरी गांड के छेद पर और जोर का झटका मारा।

“आ आ आ अ औ ऊ ऊ ओऊ ऊऊ ऊओउऊ ऊऊ ऊह्ह ह्ह्छ … बहुत दर्द हो रहा है प्लीज़ निकाल लो …!”

“आया हह अभी तो १” ही अन्दर है अभी तो पूरा … अह ह्ह्ह !” कहते हुए वो कस कर झटके मरने लगा।

“ओऊ ओऊ ऊह्ह ह्ह्ह मेरा दम निकल जायेगा !” पर शायद मैं भी उसका साथ दे रही थी और मेरी चीखें कमरे में गूँज रही थी।

“जान हम दोनों का दम यहीं निकलेगा पर तुम में क्या दम है !…. आह हह !” फिर हम दोनों खड़े हो गए और वो पीछे से मेरे बूब्स मसलने लगा और हम दोनों एक दूसरे को किस करने लगे, जबकि उसका ४ ” लण्ड मेरी गांड में था।

फिर हम दोनों बिस्तर पर आ गए वो बैठ गया और मुझे अपनी गोदी में बैठा लिया और बैठने को कहा तो मैंने भी जोर लगाया …..

“आ अ आ आया अ आह हह …. बहुत दर्द हो रहा है !” वो फिर मेरे कंधे को पकड़ कर जोर लगाने लगा तो ६” लण्ड किसी तरह गया और वो दूसरे हाथ की उँगलियों से मेरी चूत चोदने लगा और २ मिनट बाद मुझे बिस्तर पर लिटा कर जम कर मेरी गांड १५ मिनट तक मरी मैं चीखती रही पर हम दोनों फिर भी लगे रहे। फिर हम दोनों एक दूसरे से लिपट कर सो गए।

सुबह मैं १२ बजे के करीब उठी तो देखा वो कहीं गया हुआ था। वो १५ मिनट में आ गया और खाने को कुछ लाया था। फिर हम दोनों ने खाना खाया और थोड़ी देर बाद हम दोनों नंगे नहाने एक साथ गए और नहाते समय उसने मुझे खूब मसला और मैंने उसे।

फिर नहाने के बाद वो मुझे अपनी बाँहों में उठा के बिस्तर पर ले कर आ गया और हम दोनों बिस्तर पर पसर गए और एक दूसरे को चूमने लगे और एक दूसरे का लण्ड और चूत सहलाने लगे। फिर वो उठा और मेरी टांगें अपने कंधे पर रख ली और मुझ पर झुक कर मेरी चूत पर अपना लण्ड रख कर अन्दर ठेलने लगा और मेरी चिकनी टांगों को चाटने लगा।

लण्ड कसा कसा जा रहा था। फिर वो लेट गया और मुझे अपने ऊपर कर लिया और कहा,“अब आप करो मैडम … ज़रा देखें आपका दम !”

“काहे की मैडम ?… आपने तो अब मुझे अपना बना लिया है !”

“अभी कहाँ बनी आप मेरी … अभी तो बच्चे पैदा करोगी आप और अपनी चूत से हमारे बच्चे निकलोगी और वो भी कम से कम २ !”

“अभी नहीं … अभी तो मैं सिर्फ १८ की ही हूँ … २ -३ साल बाद प्लीज़ !”

“अभी का किसने कहा है जान मेरी रानी … अभी तो तुम्हें इस लायक तो बना दूं और अभी तो हमें काफी मजे करने हैं !”

बातें करते करते मैं उसके लण्ड को धीरे धीरे अपनी चूत में लेने लगी, वो मजे से नीचे लेटा हुआ था और मेरी चूचियों को मसल रहा था। उसका लण्ड बहुत कसा कसा जा रहा था। फिर उसने नीचे से झटके मरने चालू कर दिए और मैं ऊपर से झटके मारने लगी पर २-३ मिनट में ही निढाल हो गई तो उसने मुझे बिस्तर पर लिटा दिया और खुद ऊपर आ गया और रगड़ कर चोदने लगा मुझे।

“आ आ अ आः हह … जम कर चोदो मुझे जान !”

“ओह्ह … अब तो रोज ही करूंगा

हम दोनों १५ मिनट तक सेक्स करते रहे और फिर थक कर सो गए। दोपहर में खाना खा कर उसने मुझे कॉलेज छोड़ दिया।

फिर २०-२५ दिन बाद भैया फिर आये और मेरी बहन नीतू को ले कर आये तो मैं खुश हो गई। फिर हम तीनों एक ही कमरे में रुके और मैंने उनको सारी बात बता दी तो उन्होंने पूछा “तो तुम क्या चाहती हो … बताओ ?”

“मैं अब आपके लायक नहीं रह गई हूँ और मैं सोचती हूँ कि अब मोहन से ही शादी कर लूं !” मैं रोते हुए बोली।

“और मेरा क्या होगा … तुमने कभी सोचा ?”

“आप नीतू से कर लो न … प्लीज़ … हम दोनों नीतू को मना लेंगे !”

नीतू और मेरी फिगर लगभग एक ही जैसी है बस शकल से अलग हैं बस उसका बदन मेरे से ज्यादा कसा हुआ है।

“ठीक है … अब तुम मेरी साली हो जाओगी हा हा हा !”

फ़िर हम दोनों ने नीतू को सारी बात बता दी और समझाया तो वो मान गई। फिर हम तीनो बिस्तर पर पसर गए। भैया नीतू की चूचियों को सहलाने और मसलने लगे तो वो कसमसाने लगी।

फिर मैं भी भैया की मदद करने लगी, उनकी शर्ट उतार दी और उनकी पैंट खोल दी। फिर मैं नीतू की भी पैंट उतारने लगी तो भैया ने उसकी शर्ट उतार दी। उसका नंगा बदन देख कर भैया पागल हो उठे, उसको किस करने लगे और कस कस कर चूचियां मसलने लगे, जिससे नीतू भी पागल हो उठी और मैं भी। मैंने भी अपने कपड़े उतार दिए और नीतू को मैं चूमने लगी।

हम दोनों बहनें पहली बार एक साथ नंगे एक ही बिस्तर पर थी और अब हम तीनों ही नंगे थे।

अब बाकी अगली कहानी में ! Antarvasna

Hindi Sex Stories

रजनी अपनी योजना बताने लगी Hindi Sex Stories, “सुनील! तुम्हें मेरी और मेरी मम्मी की हेल्प करनी होगी, हम दोनों एम-डी से बदला लेना चाहते हैं। सुनील, तुम्हें एम-डी की दोनों बेटियाँ टीना और गौरी की कुँवारी चूत चोदनी होगी। दोनों देखने में बहुत सुंदर नहीं हैं… बस एवरेज ही हैं।”

“रजनी, तुम्हारी सहायता के लिये मुझे कुछ कुर्बानी देनी होगी… लगता है!” मैंने हँसते हुए जवाब दिया।

“रजनी! तुम इसकी बातों पे मत जाना, मैं शर्त लगा सकती हूँ कि कुँवारी चूत की बात सुनते ही इसके लंड ने पानी छोड़ दिया होगा।” प्रीति हँसते हुए बोली, “रजनी! सुनील ऐसा नहीं है! सुंदरता से या गोरे पन से इसे कुछ फ़रक नहीं पड़ता, जब तक उनके पास चूत और गाँड है मरवाने के लिये, क्यों सही है ना सुनील?”

“तुम सही कह रही हो प्रीति! जब तक उनके पास चूत है मुझे कोई फ़रक नहीं पड़ता।” मैंने जवाब दिया, “तुम खुद भी तो ऐसी ही हो… जब तक सामने वाले के पास लंड है चोदने के लिये… बस चूत में खुजली होने लगती है चुदने के लिये… फिर वो चाहे एम-डी हो या सड़क पर भीख माँगता भिखारी।”

“ये सब तुम्हारे एम-डी का ही किया-धरा है… उसने ही मुझे इस दलदल में धकेला है… और मुझे चुदाई, शराब सिगरेट की लत पड़ गयी… खैर छोड़ो… तो ठीक है, रजनी! तुम्हें क्या लगता है दोनों लड़कियाँ मान जायेंगी?” प्रीति ने पूछा।

“अभी तो कुछ पक्का सोचा नहीं है पर मैं कोशिश करूँगी कि उनसे ज्यादा से ज्यादा चुदाई की बातें करूँ और फिर बाद में उन्हें चूत चाटना और चूसना सिखा दूँ, फ़िर तैयार करने में आसानी हो जायेगी।”

“हाँ! ये ठीक रहेगा, और अगर मुश्किल आये तो मुझे कहना।” प्रीति ने हँसते हुए कहा।

“तुम कैसे मेरी मदद कर सकती हो?” रजनी ने पूछा।

“रजनी! तुम्हें याद है जब मैंने तुम्हें बताया था कि किस तरह एम-डी ने मुझे चोदा था… तुमने कहा कि अगर मैं चाहती तो ना कर सकती थी, पर मैं चाहते हुए भी उस रात ना, ना कर सकी, कारण: एम-डी ने मुझे कोक में एक ऐसी दवा मिलाकर पिला दी थी जिससे मेरे चूत में खुजली होने लगी, मुझे चुदाई के सिवा कुछ नहीं सूझ रहा था।”

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“मैं उन दोनों को कोक में मिलाकर वही दवा पिला दूँगी जिसके बाद उनकी चूत में इतनी खुजली होगी कि सुनील का इंतज़ार नहीं करेंगी बल्कि खुद उसके लंड पर चढ़ कर चुदाई करने लगेंगी।” प्रीति ने कहा।

“मुझे विश्वास नहीं होता।” रजनी ने चौंकते हुए पूछा, “क्या तुम्हारे पास वो दवा की शीशी है?”

“हाँ! मैंने २५ शीशी जमा कर रखी हैं, मैं कई बार खुद अपनी ड्रिंक में मिला कर पी लेती हूँ और फिर बहुत मस्त होकर चुदवाती हूँ।” प्रीति ने जवाब दिया।

“तो फिर मैं चाहती हूँ कि आज की रात हम दोनों वो दवा अपनी ड्रिंक्स में मिलाकर पियें, और जब हमारी चूतों में जोरों की खुजली होने लगे तो सुनील अपने लंड से हमारी खुजली मिटा सकता है।” रजनी मेरे लंड पर हाथ रखते हुए बोली।

“ऑयडिया अच्छा है… लेकिन मुझे शक है कि सुनील में ताकत बची होगी खुजली मिटाने की, लेकिन हम अपनी जीभों और अंगुलियों से तो मिटा सकते हैं।” प्रीति बोली।

“हाँ! जीभ से और इससे!” रजनी ने अपने पर्स में से रबड़ का लंड निकाला।

“ओह! तुम इसे साथ लायी हो।” प्रीति नकली लंड को हाथ में लेकर देखने लगी।

“रजनी! मुझे लगता है कि तुम्हें अपनी मम्मी को फोन करके बता देना चाहिये कि आज की रात तुम घर नहीं पहुँचोगी।” प्रीति ने कहा।

रजनी ने घर फोन लगाया और मैंने फोन का स्पीकर ऑन कर दिया जिससे उसकी बातें सुन सकें।

“मम्मी! मैं रजनी बोल रही हूँ! मैं प्रीति के घर पर हूँ और आज की रात उसी के साथ सोऊँगी… तुम चिंता मत करना।” रजनी ने कहा।

“प्रीति के साथ सोऊँगी या सुनील के साथ?” उसकी मम्मी ने पूछा।

“दोनों के साथ!” रजनी ने शरारती मुस्कान के साथ कहा, “आपका क्या विचार है?”

“कुछ खास नहीं, आज कि रात मैं अपने काले दोस्त (यानि नकली लंड) के साथ बिताऊँगी।”

“सॉरी मम्मी! आज तुम वो भी नहीं कर पाओगी… कारण, इस समय प्रीति आपके काले दोस्त को हाथ में पकड़े हुए प्यार से देख रही है।” रजनी ने कहा।

“कितनी मतलबी हो तुम! तुम्हें मेरा जरा भी खयाल नहीं आया?” योगिता ने कहा, “लगता है मुझे सुनीलू {एम-डी} के पास जा कर उसे मिन्नत करके अपनी चूत और गाँड की प्यास बुझानी पड़ेगी। ठीक है देखा जायेगा… तुम मज़े लो।” कहकर योगिता ने फोन रख दिया।

“प्रीति! मैं तैयार हूँ।” रजनी ने कहा।

“रजनी! मैं चाहती हूँ कि हम पहले अपने कपड़े उतार कर नंगे हो जायें और फिर स्पेशल ड्रिंक पियें जिससे जब हमारी चूत में खुजली हो रही हो तो कपड़े निकालने का झंझट ना रहे।” प्रीति ने सलाह दी।

यही उन दोनों ने किया। अपने हाई-हील सैंडलों को छोड़कर दोनों ने अपने सारे कपड़े उतार दिये और उन्होंने व्हिस्की के नीट पैग बनाकर उसमें दवा की एक-एक शीशी मिला ली और पीने बैठ गयीं। मैंने भी बिना दवा का व्हिस्की का पैग बनाया और उन्हें देखने लगा और उनकी चूत में खुजली होने का इंतज़ार करने लगा।

आधे घंटे में ही व्हिस्की और दवा ने अपना असर दिखाना शुरू किया। अब वो अपनी चूत घिस रही थीं। थोड़ी देर में ही वो इतनी गर्मा गयी कि दोनों ने मुझे पकड़ कर मेरे कपड़े फाड़ डाले और मुझे नंगा कर दिया।

प्रीति ने सच कहा था। दो घंटे में ही लंड का पानी खत्म हो चुका था और उसमें उठने की बिल्कुल जान नहीं थी, चाहे डंडे के जोर से या पैसे के जोर से। इस का एहसास होते ही वो एक दूसरे की चूत चाटने लगीं।

मैं थक कर सो गया। रात में मेरी नींद खुली तो मुझे उन दोनों की सिसकरियाँ सुनायी दे रही थी। अभी रात बाकी थी। मैंने देखा कि रजनी नकली लंड को पकड़े प्रीति की गुलाबी चूत के अंदर बाहर कर रही थी। इस कहानी के लेखक सुनील अग्रवाल है!

उन्हें देख कर मेरे लौड़े में जान आनी शुरू हो गयी। पर मैंने चोदने कि कोशिश नहीं की और वापस लेट गया और सोचने लगा।

दो साल में ही मैंने काफी तरक्की कर ली थी। आज मैं कंपनी का डिप्टी मैनेजिंग डायरेक्टर हूँ, अपना बंगला है, गाड़ी है। सब कुछ तो है मेरे पास। प्रीति जैसी सुंदर और सैक्सी चुदक्कड़ बीवी और साथ में कंपनी की हर महिला करमचारी है चोदने के लिये। मैं भविष्य के बारे में सोचने लगा। आने वाले दिनों में दो कुँवारी चूतों का मौका मिलने वाला था, ये सोच कर ही मन में लड्डू फुट रहे थे। उन दोनों की कुँवारी चूत के बारे में सोचते हुए ही मैं गहरी नींद में सो गया।

सुबह मैं सो कर उठा तो देखा कि मेरी दोनों रानियाँ, सिर्फ सैंडल पहने, बिल्कुल नंगी, एक दूसरे की बंहों में गहरी नींद में सोयी पड़ी थी, और उनका काला दोस्त रजनी की चूत में घुसा हुआ था।

दोनों को इस अवस्था में देख कर मेरा लंड तन कर खड़ा हो गया। लेकिन मैंने सोच कि पूरा दिन पड़ा है चुदाई के लिये… क्यों ना पहले चाय बना ली जाये।

उन्हें बिना सताये मैं कमरे से बाहर आकर किचन में चाय बनाने लगा। चाय लेकर मैंने उनके बिस्तर के पास जा कर उन्हें उठाया, “उठो मेरी रानियों! गरम चाय पियो पहले, मेरा लंड तुम लोगों का इंतज़ार कर रहा है।”

प्रीति अंगड़ाई लेते हुई बिस्तर पर उठ कर बैठ गयी, “थैंक यू डार्लिंग, तुम कितने अच्छे हो, सारा बदन दर्द कर रहा है, कल काफी शराब पी ली थी और रात भर चुदाई की हम दोनों ने।” और उसने रजनी के निप्पल को धीरे से भींच दिया, “उठ आलसी लड़की! देख चाय तैयार है।”

“अरे बाबा उठ रही हूँ! उसके लिये मेरे निप्पल को इतनी जोर से दबाने की जरूरत नहीं है।” रजनी ने उठते हुए कहा, “अब बताओ! क्या प्रोग्राम है?”

“प्रोग्राम ये है कि पहले गरम-गरम चाय अपने पेट में डालो और फिर मेरा गरम लंड अपनी चूत में डालो।” मैंने अपने लंड को हिलाते हुए कहा।

“सुनील, मेरी चूत में तो बिल्कुल नहीं! बहुत दर्द हो रहा है।” प्रीति ने गिड़गिड़ाते हुए कहा।

“और मेरी चूत में भी नहीं, देखो कितनी सूजी हुई है।” रजनी ने अपनी चूत का मुँह खोल कर दिखाते हुए कहा।

“फिर तो तुम दोनों की गाँड मारनी पड़ेगी।” मैंने कहा।

“नहीं! गाँड भी सूजी पड़ी है और दर्द हो रहा है, तुम चाहो तो हम तुम्हारा लंड चूस सकते हैं।” रजनी ने कहा।

चाय पीने के बाद उन्होंने मेरे लंड को बारी-बारी से चूसा और मेरा पानी निकाल दिया। उन दोनों को बिस्तर पर नंगा छोड़ कर मैं ऑफिस पहुँचा।

“गुड मोर्निंग आयेशा, क्या एक कप गरम कॉफी लाओगी मेरे लिये।” मैंने अपनी सेक्रेटरी से कहा।
“गुड मोर्निंग सर! मैं आपके लिये अभी कॉफी बना कर लाती हूँ।” आयेशा ने कहा।

हाँ दोस्तों! ये वो ही आयेशा है जिसे एम-डी और महेश ने उसके बाप की जान बख्शने के एवज में उसे खूब कसके चोदा था। आयेशा मेरी सेक्रेटरी कैसे बनी उसकी कहानी कुछ ऐसी है।

मेरे डिप्टी मैनेजिंग डायरेक्टर बनाये जाने के दूसरे दिन मैं ऑफिस पहुँचा तो मेरे लिये नया केबिन तैयार था। मेरा केबिन ठीक एम-डी के केबिन के जैसा था। मैं एम-डी के केबिन में गया तो देखा कि एम-डी ने अपने लिये सेक्रेटरी नहीं रखी हुई है। “सर! ये क्या आपने कोई सेक्रेटरी नहीं रखी हुई है?” मैंने पूछा।

“सुनील! मैंने पहले नसरीन को अपनी सेक्रेटरी बनाया था, लेकिन मिली ने जलन की वजह से उसे हटवा दिया। मुझे इससे कोई फ़रक नहीं पड़ा कि चुदाई मेरी सेक्रेटरी की हो या दूसरे डिपार्टमेंट की लड़की की, इसलिये मैंने उसे शिफ़्ट कर दिया, तुम चाहो तो अपने लिये नयी सेक्रेटरी रख सकते हो। हम उसे मिलकर चोदा करेंगे।” एम-डी ने जवाब दिया।

मैंने सेक्रेटरी के लिये पेपर में इश्तहार दे दिया। एक दिन एम-डी का पुराना नौकर असलम मेरे पास आया, “सर मैंने सुना है कि आप नयी सेक्रेटरी की खोज में हैं। सर! मेरी बेटी आयेशा ने अभी सेक्रेटरी कोर्स का डिप्लोमा लिया है। आप उसे रख लिजिये ना।”

उसकी बातें सुन आयेशा का चेहरा मेरी आँखों के सामने आ गया। उसकी गुलाबी चूत मेरे खयालों में आ गयी… जब मैंने उसे चोदा था। मेरा उसे फिर चोदने को मन करने लगा। “ठीक है! उसे सब अच्छी तरह समझा देना कि खूब मेहनत करनी पड़ेगी? और उसे सुबह सब सर्टिफिकेट्स के साथ भेज देना… उसका इंटरव्यू लिया जायेगा?”

“थैंक यू सर।” असलम ये कहकर चला गया।

उसकी जाते ही मैंने एम-डी को इंटरकॉम पर फोन किया, “सर! मैंने सेक्रेटरी रख ली है… अपने असलम कि बेटी… आयेशा को।”

“ये तुमने अच्छा किया! मैं भी उसे दोबारा चोदना चाहता था।” एम-डी ने खुश होते हुए कहा, “कल जब वो आये तो मुझे बुला लेना… साथ में इंटरव्यू लेंगे।”

दूसरे दिन आयेशा अपने सब सर्टिफिकेट लेकर ऑफिस पहुँची। मैंने एम-डी को उसके आने की खबर दी और उसके सर्टिफिकेट चेक किये। सब बराबर थे। “आयेशा! अब तुम्हारा असली इंटरव्यू शुरू होगा, अपने कपड़े उतारो।” मैंने कहा।

“ओ!!! तो अब आप मुझे चोदेंगे, बहुत दिन हो गये जब आपने मुझे चोदा था, है ना?” आयेशा हँसते हुए बोली।

अपने कपड़े उतारते हुए जब उसने एम-डी को अंदर आते देखा तो बोली, “सर! ये भी मुझे चोदेंगे? फिर से दर्द नहीं सहन कर पाऊँगी।”

“तुम डरो मत… ये तुम्हें दर्द नहीं होने देंगे, तुम अपने कपड़े उतारो।” मैंने उसके गालों को सहलाते हुए कहा।

सफ़ेद रंग के ऊँची ऐड़ी के सैंडलों को छोड़ कर वो अपने बाकी सब कपड़े उतार कर बिल्कुल नंगी हो गयी तो एम-डी उसका इंटरव्यू शुरू किया।

“ओहहह सर! कितना अच्छा लग रहा है।” आयेशा ने सिसकरी भरी, जैसे ही एम-डी ने अपना लंड उसकी चूत में डाला।

“हाँआँआँआँ जो…उउ…र से… और जोर से , मज़ा आ रहा है… हाँआँआँ किये जाओ… मज़ा आ रहा है… मेराआआआ छूट रहा है…” चिल्लाते हुए उसका बदन ढीला पड़ गया।

“ओह सर! मज़ा आ गया! आप कितनी अच्छी चुदाई करते हैं।” आयेशा ने एम-डी को चूमते हुए कहा, “आपने पहली बार मुझे इतने प्यार से क्यों नहीं चोदा।”

“वक्त के साथ सब कुछ बदल जाता है।” एम-डी ने हँसते हुए कहा।

मैंने और एम-डी ने बारी-बारी से आयेशा को कई बार चोदा। एक बार तो हम ने उसे साथ साथ चोदा। तीन घंटे की चुदाई के बाद हम थक चुके थे। मैंने पूछा, “सर! क्या सोचा इसके बारे में?”

“कुछ फैसला करने के पहले मैं आयेशा से एक सवाल करना चाहता हूँ?” एम-डी ने कहा।

“सर… मैं आपके सवाल का जवाब कल दूँगी… अभी मेरी चूत सूज़ चुकी है।” आयेशा बोली।
“नहीं! सवाल का जवाब तो तुम्हें देना ही होगा।” एम-डी ने उसकी बात काटते हुए कहा, “क्या तुम अच्छी कॉफी बनाना जानती हो?”
“दुनिया में सबसे अच्छी सर!” आयेशा ने हँसते हुए कहा।
“ठीक है सुनील! इसे रख लो और चुदवाना इसका सबसे जरूरी काम होगा!” एम-डी ने कहा।
“ठीक है सर!”

इस तरह आयेशा मेरी सेक्रेटरी बन गयी।

“ये आपकी कॉफी सर!” आयेशा कॉफी लाकर बोली।

“थैंक यू, अब तुम जा सकती हो?” मैंने आयेशा से कहा।

“सर! पक्का आपको कुछ और नहीं चाहिये?” आयेशा ने पूछा।

“नहीं! अभी तो कुछ नहीं चाहिये बाद में देखेंगे।” मैं उसका इशारा समझता हुआ बोला, “हाँ! जरा मीना को भेज दो!”

“मीना को क्यों? उसमें ऐसा क्या है जो मेरे में नहीं?” आयेशा की आवाज़ में जलन की बू आ रही थी।

मैं अपनी सीट से उठा और उसके पास आकर उसके दोनों मम्मों को जोर से भींच दिया। “छोड़िये सर! दर्द होता है!” आयेशा दर्द से बोली।

“दबाया ही इसलिये था, सुनो आयेशा! इस कंपनी में जलन की कोई जगह नहीं है, तुम मुझे पसंद हो इसलिये तुम यहाँ पर हो, समझी? मुझे ऑफिस की दूसरी लड़कियों का भी खयाल रखना पड़ता है… समझ गयी? अब जाओ और मीना को भेज दो।”

मैंने मीना को एक जरूरी काम दिया और अपने काम में जुट गया। काम खत्म करके मैं एम-डी के केबिन में पहुँचा और उसे रिपोर्ट दी।

“तुमने अच्छा काम किया है सुनील! आओ सुस्ता लो और एक कप कॉफी मेरे साथ पी लो।” एम-डी ने मुझे बैठने को कहा।

“सर! आपने कभी मिली और योगिता को वो स्पेशल दवा पिलायी है?” एम-डी ने ना में गर्दन हिला दी।

“सर! पिला के देखिये… सही में काफी मज़ा आयेगा!” मैंने कहा।

“मुझे शक है कि वो दवाई के बारे में जानती हैं… इसलिये शायद पीने से इनकार कर दें।” एम-डी ने कहा।

“फिर हमें कोई दूसरा तरीका निकालना होगा…” मैंने सोचते हुए कहा, “सर आपके पास वो उत्तेजना वाली दवाई तो होगी ना?”

“हाँ! वो तो मेरे पास काफी स्टोक में है, क्यों क्या करना चाहते हो?” एम-डी ने पूछा।

“सर! आप अपने घर पर शनिवार को एक पार्टी रखें जिसमें मैं और प्रीति भी शामिल हो जायेंगे। मैं प्रीति को प्याज के पकोड़े बनाने को बोल दूँगा और वो इसमें वो दवाई मिला देगी।” मैंने कहा।

“प्याज के पकोड़े? हाँ ये चलेगा! उन्हें पकोड़े पसंद भी बहुत हैं, लेकिन सुनील तुम्हें मेरी मदद करनी पड़ेगी। तुम्हें मालूम है कि दोनों कितनी चुदकाड़ हैं, और इस दवाई के बाद मैं तो उन्हें एक साथ नहीं संभल पाऊँगा, दोनों एक दम भूखी शेरनी बन जायेंगी।” एम-डी ने कहा।

“सर! आप चिंता ना करें! मैं उन्हें संभाल लूँगा।” मैंने एम-डी को आशवासन दिया।

शनिवार की शाम को हम एम-डी के घर पहुँचे। प्रीति ने सब को ड्रिंक्स सौंपी और नाश्ते के साथ प्याज के पकोड़े भी स्नैक में टेबल पर रख दिये।

“प्याज के पकोड़े…! ये तो मुझे और योगिता को बहुत पसंद हैं।” इतना कह कर मिली ने प्लेट योगिता की तरफ कर दी। हम सब अपनी ड्रिंक पी रहे थे। योगिता और मिली ड्रिंक्स के साथ मजे से पकोड़े खा रही थी। थोड़ी देर में दवाई और ड्रिंक्स ने अपना असर एक साथ दिखाना शुरू किया और उनके माथे पर पसीने की बूँदें छलकने लगी।

मैंने देखा कि दोनों अपनी चूत साड़ी के ऊपर से खुजा रही थी। “सर! क्यों ना हम वो काम डिसकस कर लें जो आपने ऑफिस में बताया था।” मैंने एम-डी से कहा।

“हाँ! तुम सही कहते हो, चलो सब स्टडी में चलते हैं।” एम-डी अपनी सीट से उठते हुए बोला।

जब तक दोनों औरतें स्टडी में दाखिल होतीं, दोनों जोर-जोर से अपनी चूत खुजला रही थी।

“क्या हुआ तुम दोनों को? चूत में कुछ ज्यादा ही खुजली मच रही लगती है?” एम-डी जोर से हंसता हुआ बोला।

“योगिता! मुझे विश्वास है ये सब इसी का किया हुआ है, जरूर इसने अपनी वो दवाई किसी चीज़ में मिला दी है।” मिली बोली।

“जरूर दवाई पकोड़ों में मिलायी होगी, इसका मतलब सुनील और प्रीति भी मिले हुए हैं।” योगिता बोली।

“अब इन बातों को छोड़ो! मेरी चूत में तो आग लगी हुई है।” मिली ने बे-शरमी से अपनी सड़ी उठा कर चूत में अँगुली करते हुए कहा, “योगिता! तुम सुनीलू को लो… मैं देखती हूँ सुनील क्या कर सकता है।”

दोनों मिल कर हमारे कपड़े फाड़ने लगीं। “इतनी जल्दी क्या है मेरी रानी?” एम-डी ने उन्हें चिढ़ाते हुए कहा।

“साले हरामी… तूने ही मेरी चूत में इतनी आग लगा दी है और तुझे ही अपने लंड के पानी से इसे बुझाना होगा।” मिली जोर से चिल्लाते हुए मेरे लंड को पकड़ कर मुझे सोफ़े पर खींच के ले गयी।

“आआआहहह!!!” मिली सिसकी जैसे ही मेरे लंड ने उसकी चूत में प्रवेश किया। कुछ सैकेंड में एम-डी भी मेरी बगल में आकर योगिता को जोर से चोद रहा था। हम दोनों की रफ़्तार काफी तेज थी और थाप से थाप भी मिल रही थी।

“हाँआँआआ आआआ सुनील!!! और जोर से चोदो।” मिली मेरी थाप से थाप मिला रही थी और कामुक आवाजें निकाल रही थी।

“रा… आआआआ… ज साले… मैंने कहा ना कि मुझे जोर से चोद… हाँ ऐसे और जोर से… हाआँआँआँ ये मेरा छूटा…” कहते हुए उसका बदन ढीला पड़ गया।

थोड़ी देर बाद योगिता भी “ओहह हहह आआहहह हहह” करती हुई झड़ गयी। हमने भी अपना लंड उनकी चूतों में खाली कर दिया। तीन घंटे तक हुम चुदाई करते रहे और हमारे लौड़ों में बिल्कुल भी जान नहीं बची थी।

मगर उनकी चूत की खाज नहीं मिटी थी। “योगिता अब क्या करें! मेरी चूत में तो अब भी खुजली हो रही है।” मिली ने पूछा।

“खुजली तो मेरी चूत में भी हो रही है, आओ मेरे कमरे में चलते हैं, और मेरे काले लंड से खुजली मिटाते हैं,” योगिता ने मिली का हाथ पकड़ कर कहा और दोनों ऊँची हील की सैंडलें खटखटाती दूसरे कमरे में चली गयीं।।

“सर! कैसा रहा?” मैंने एम-डी से पूछा।

“बहुत ही अच्छा, आज पहली बार मैंने एक बार में इतनी चुदाई की है, बिना साँस लिये। दोबारा फिर ऐसा ही प्रोग्राम बनायेंगे।” एम-डी ने जवाब दिया।

जब हम घर जाने के लिये तैयार हुए तो रास्ते में प्रीति ने पूछा, “कैसा रहा सुनील?”

“बहुत अच्छा रहा… तुम बताओ क्या खबर है?” मैंने उससे पूछा।

“खबर कुछ अच्छी भी है और कुछ बुरी भी! ये सब तुम्हें रजनी कल बतायेगी… मेरा तो इस समय नशे में सिर घूम रहा है।”

अगले दिन रजनी घर आयी तो मैंने उससे पूछा, “अब बताओ कल क्या हुआ था?”

“तुम्हारे स्टडी में जाने के बाद मैंने और प्रीति ने सोच क्यों ना थोड़ा समय टीना और गौरी के साथ बिताया जाये।” रजनी ने बताना शुरू किया, “इतने में हमें मिली आँटी की चींख सुनाई दी।”

“ये मम्मी इतना चीख क्यों रही है… टीना ने पूछा।” हम तो उनके चींखने की वजह जानते थे लेकिन प्रीति ने सलाह दी कि चलो चल कर देखते हैं वहाँ क्या हो रहा है।

टीना, प्रीति और मैं खड़े हो गये पर गौरी हिली नहीं… “क्या तुम्हें नहीं चलना है?” टीना ने पूछा। गौरी ने जवाब दिया कि “तुम चलो दीदी, मैं आपके पीछे पीछे आ रही हूँ।”

हमने स्टडी की खिड़की में से झाँक कर देखा तो दोनों औरतें सिर्फ सैंडल पहने, बिल्कुल नंगी होकर तुम लोगों से चुदाई में मस्त थीं। तुम दोनों का लंड दोनों की चूत के अंदर बाहर होता साफ दिख रहा था। ये नज़ारा देख टीना शर्मा गयी और उसके चेहरे पे लाली आ गयी। थोड़ी देर में उसके शरीर में गर्मी भर गयी और उसकी साँसें फूलने लगीं।

इतने में प्रीति ने पीछे से उसकी छाती पर हाथ रख कर उसके मम्मे भींचने शुरू कर दिये। गौरी अभी तक आयी नहीं थी, मैं प्रीति को वहाँ अकेले छोड़ कर गौरी को बुलाने चली गयी, “प्रीति तुम चालू रखो।”

प्रीति ने बात को चालू रखते हुए कहा: टीना की साँसें फूल रही थीं… “मैं उसकी स्कर्ट के अंदर हाथ डाल कर उसकी पैंटी के ऊपर से उसकी कुँवारी चूत को सहलाने लगी।”

“ओह दीदी… अच्छा लग रहा है।” उसकी सिसकरी निकल पड़ी।

“अच्छा लगता है ना… और करूँ?” मैंने उसके कान में फुसफुसाते हुए कहा।

“हाँ दीदी!!!!! बहुत अच्छा लग रहा है… और करो।” वो सिसकी, मैं उसकी पैंटी में हाथ डाल कर उसकी चूत को रगड़ने लगी।

“ओह दीदी !!!” वो जोर से चीखी।

“ज़रा धीरे वरना कोई सुन लेगा…” कहकर मैं अपनी अँगुली से उसे चोदने लगी और तब तक चोदती रही जब तक वो दो बार झड़ नहीं गयी।

“चुदाई अच्छी लग रही है ना?” मैंने पूछा।

“हाँ दीदी! बहुत अच्छी लग रही है।” उसने शर्माते हुए कहा। मैंने उसकी चूत को रगड़ना चालू रखा।

“चुदवाने को दिल करता है? मैंने पूछा।

“हाँ दीदी!!!! मुझे चुदवाने को बहुत दिल करता है।” टीना ने शर्माते हुए कहा।

उसी समय तुम योगिता की चूत में अपना लंड पेलने जा रहे थे, “दीदी देखो ना सुनील का लंड कितना मोटा और लंबा है…” उसने कहा।

“तुम कहो तो तुझे भी सुनील से चुदवा दूँ…” मैंने उसकी चूत को और रगड़ते हुए पूछा।

“सुनील जैसा सुंदर मर्द मुझ जैसी साधारण दिखने वाली लड़की को भला क्यों चोदेगा?” उसने कहा।
“मैं कहूँगी तो तुम्हें चोदेगा…” मैंने जवाब दिया।
“तो फिर कहो ना, उसे आज ही मुझे चोदने को कहो…” वो खुश होते हुए बोली।
“इतनी जल्दी क्या है चुदवाने की, अभी तुम छोटी हो?”

“छोटी कहाँ दीदी!! थोड़े महीनों में मैं इक्कीस साल की हो जाऊँगी…” उसने जवाब दिया।

“इक्कीस का होने तक इंतज़ार करो।” मैंने उसे समझाया।

“प्रॉमिस?” उसने मुझे बाँहों में भरते हुए कहा। “प्रॉमिस! मेरी जान, सुनील का लंड तुम्हारी कुँवारी चूत को चोदे… ये मेरा तुम्हारे जन्मदिन पर तोहफ़ा होगा…” मैंने उसे चूमते हुए कहा।

रजनी अभी तक आयी नहीं थी और ना ही गौरी आयी थी, “टीना! चलो रजनी और गौरी को देखते हैं कि वो क्या कर रहे हैं…” कहकर हम दोनों वापस उनके कमरे में आ गये।

“रजनी! अब तुम सुनील को बताओ क्या हुआ।” प्रीति ने कहा।

रजनी ने कहना शुरू किया, “सुनील!!! जब मैं गौरी के कमरे में पहुँची तो देखा कि वो वैसे ही बैठी हुई है जैसे हम उसे छोड़ कर गये थे।”

“गौरी हम लोग तेरा इंतज़ार कर रहे थे, तुम आयी क्यों नहीं??? तुम नहीं जानती कि तुमने क्या देखने से मिस कर दिया?” मैंने उससे कहा।

“क्या मिस कर दिया?” उसने कहा।

“यही कि किस तरह तुम्हारे पापा और सुनील हमारी मम्मियों को चोद रहे थे…” मैंने हँसते हुए कहा।

“दीदी मुझे चुदाई में कोई इंटरस्ट नहीं है!!!” उसके इस जवाब ने मुझे चौंका दिया।

“चुदाई में इंटरस्ट नहीं है???? तुझे पता है एक मर्द किसी औरत को क्या सुख दे सकता है?” मैंने कहा।

“मुझे मर्द जात से नफ़रत है, सब के सब मतलबी होते हैं।” वो गुस्से में बोली। मैं मन ही मन डर गयी कि किसी ने इसके साथ जबरदस्ती चोदन तो नहीं कर दिया।

“तुझे किसी ने चोद तो नहीं दिया?” मैंने पूछा।
“नहीं दीदी! मुझे किसी ने नहीं चोदा… मैं अभी तक कुँवारी हूँ!” उसने जवाब दिया।
“तो फिर किसने तुम्हें मर्दों के बारे में ऐसा सब बताया है?”
“मेरी इंगलिश टीचर ने!!!” उसने जवाब दिया।
“तुझे नहीं पता कि मर्द का शानदार लंड औरत को कितने मज़े दे सकता है?” मैंने कहा।
“उससे ज्यादा मज़ा औरत के स्पर्श से मिलता है… मुझे मालूम है।” उसने जवाब दिया।
“तुम्हारी इंगलिश टीचर तुम्हें छूती है क्या? कहाँ?” मैंने पूछा।

उसने शर्माते हुए अपने मम्मों की तरफ देखा। मैंने उसके मम्मे ब्लाऊज़ के ऊपर से ही दबाना शुरू किये। उसने ब्रा नहीं पहन रखी थी। मेरे हाथ के स्पर्श से ही उसके निप्पल खड़े हो गये। जैसे ही मैंने उसके निप्पल को भींचा, उसके मुँह से सिसकरी निकल पड़ी, “हाँ ऐसे ही!”

“क्या वो सिर्फ़ यही करती है या और कुछ भी?” मैंने फिर पूछा।
“नहीं वो मेरी…” कहते हुए गौरी रुक गयी।

“चलो बोलो क्या वो तुम्हारी चूत भी छूती है?” मैंने उसे दोबारा पूछा।
“हाँ दीदी!!! वो मेरी चूत भी छूती है!!!” गौरी थोड़ा से मुस्कुराते हुए बोली। मैंने उसके स्कर्ट में हाथ डाल कर उसकी चूत को रगड़ दिया।
“क्या ऐसे?” मैंने पूछा।
“ओह दीदी हाँ, आपका हाथ कितना अच्छा लग रहा है!!!” वो कामुक होकर बोली।

“वो और क्या करती है?” मैंने फिर पूछा।
“कभी वो मुझे चूमती है और कभी…” इतना कह कर वो फिर शर्मा गयी, मैंने उसके ब्लाऊज़ के बटन खोल दिये और उसकी चूचियों को मुँह में लेकर चूसने लगी। मैं अपने दाँत उसके निप्पल पर गड़ा रही थी।
“ओहहहह दीदीईईई!!!!” उसके मुँह से सिसकरियाँ फ़ूट रही थीं, मैंने उसकी स्कर्ट और पैंटी उतार कर उसकी चूत को चाटना शुरू किया। मैं उसकी चूत में अपनी जीभ डाल कर घुमाने लगी। मैं तब तक उसकी चूत चाटती रही जब तक वो दो बार झड़ नहीं गयी इतनी देर में ही प्रीति और टीना रूम में आ गये।

“क्या तुमने उससे पूछा नहीं कि उसने ये सब कैसे सिखा?” मैंने रजनी से पूछा।

“आज यहाँ आने से पहले मेरे बहुत जोर देने पर उसने बताया कि उसकी फ्रैंड सलमा ने एक दिन उसे बाथरूम में पकड़ कर चूमा था। उसे मज़ा आया था। सलमा की हरकत बढ़ती गयी और अब वो गौरी की चूचियों को भी चुसती थी और गौरी को भी मज़ा आता था और गौरी भी उसकी चीचियों को चूसती थी। एक दिन सलमा उसे उनकी इंगलिश टीचर के यहाँ ले गयी जिसने उसे औरत के स्पर्श का खूब मज़ा दिया और मर्दों के बारे मैं भड़काया। मेरे बहुत कहने पर भी वो मानने को तैयार नहीं हुई। सुनील!! टीना तो तैयार है पर गौरी नहीं मानेगी लगता है।”

“अभी उसे इक्कीस साल का होने में बहुत टाईम है… तब तक तुम सिर्फ़ उस पर नज़र रखो, कोई रास्ता निकल आयेगा, अगर नहीं निकला तो स्पेशल दवाई तो है ही। उसकी चूत हर हाल में फटेगी।” प्रीति ने कहा।

समय गुज़रता गया. Hindi Sex Stories

दोस्तो, Sex Stories

मेरा नाम राहुल है Sex Stories और मेरी उम्र 24 साल की है।मैं मुम्बई में नौकरी करता हूँ और रहने वाला इन्दौर का हूँ।

मैंने अन्तर्वासना पर काफी कहानियाँ पढ़ीं, और मुझे भी लगा कि मुझे भी अपनी कहानी अन्तर्वासना को भेजनी चाहिए। अब मैं आपको अपनी कहानी सुनाता हूँ।

आज से तीन साल पहले मैं मुम्बई नौकरी करने आया था।
तब मुम्बई मेरे लिए अजनबी शहर था, इसलिए मुझे मेरा अकेलापन खलता था, मुझे भी एक अच्छी दोस्त की ज़रूरत थी ताकि मेरा समय भी कट सके और मेरी काम-इच्छा भी पूरी हो सके।

मैंने बहुत प्रयास किया पर किसी भी अमीर और ख़ूबसूरत लड़की को पटा नहीं सका क्योंकि यहाँ की लड़कियों को पैसे वाले लंड पसन्द आते हैं।

तो मैंने आख़िर में एक मध्यम-वर्गीय लड़की जो दूसरों के घरों में काम करने जाती थी, उसको अपनी नौकरी और पैसे की झलक दिखलाकर पटा लिया।
मेरी उससे फोन पर बातचीत भी शुरु हो गई।

एक दिन शाम को मैंने उसे अपने घर बुलाया यह कह कर कि मेरी तबीयत ख़राब है और मेरे सभी दोस्त घर गए हैं। तुम मेरे लिए खाना बना दो, वरना मुझे भूखा ही सोना पड़ेगा।

मेरी तबीयत ख़राब है, यह सोचकर वो मेरे लिए खाना बनाने मेरे फ्लैट में आ गई।

मैं कई दिनों से इसी ताक में था कि कब मेरे दोस्त लोग फ्लैट पर ना हों और मैं उस कामवाली को चोद दूँ।

उस दिन जब वो मेरे फ्लैट में आई तो मैं खुश हो गया।

मैंने उसे किचन दिखा दिया, जब वो खाना बनाने की तैयारी कर रही थी, तो मैंने धीरे से उसके पीछे जाकर थोड़ा सा चिपक कर खड़ा हो गया।

वह अचानक मुझे पीछे देखकर घबरा सी गई और बोली, “आपकी तबीयत ख़राब है, आप जाकर आराम कीजिए … मैं खाना बना दूँगी.”

मैं उसकी बात सुनकर उससे थोड़ा और चिपक गया।
इससे पहले कि वो कुछ कहती मैं उसकी दोनों चूचियों को एक बार ज़ोर से दबा दिया और फिर सहलाने लगा।

पहले तो उसे बहुत डर लगा, लेकिन बाद में धीरे-धीरे सहलाने से उसे मज़ा आने लगा और वो आँखें बन्द कर मज़े लेने लगी।

मैंने लोहा गरम होते देख उसके होंठों पर अपने होंठ रख दिए और उसे चूमने लगा। मैंने धीरे से अपना हाथ उसकी पैन्टी में डाल दिया और उससे पहले कि वह कुछ विरोध करे, मैंने उसकी चूत में उँगली डाल दी, और ज़ोर-ज़ोर से आगे-पीछे करने लगा।

वो अब सब कुछ भूल कर मदहोश होने लगी।

मैं उसे किचन में ही नंगा करने लगा और वो कुछ नहीं बोली।

थोड़ी ही देर में वो मेरे सामने बिल्कुल नंगी खड़ी थी। उसके शरीर पर एक भी तिनका कपड़ा का नहीं बचा था।

उसे इस तरह देखकर मेरा लण्ड तुरन्त खड़ा हो गया।

अब वो भी जोश में आकर मेरे कपड़े उतारने लगी और मैं भी उसकी मदद करते हुए जल्दी से पूरा नंगा हो गया।

मैंने अब अपना लंड उसके मुँह में डालना चाहा तो शर्म के मारे उसने मना कर दिया।

फिर मैंने दूसरा तरीका अपनाया।
मैंने अब उसे ज़मीन पर सुला कर उसकी चूत पर अपना मुँह रख दिया और उसकी चूत को ज़ोरों से चाटने लगा।
अब उसने मस्ती और मदहोशी में चूर होकर अपनी आँखें बन्द कर लीं।

मैंने इसी बात का फ़ायदा उठा कर उसकी चूत चाटते-चाटते ही 69 की मुद्रा में आ गया और मेरा लण्ड उसके होंठों पर रख दिया।
पर इस बार भी उसने मना कर दिया।
मैं नाराज़ होने का नाटक करने लगा और कपड़े पहनने लगा।

अब तक तो वह इतनी गरम हो चुकी थी कि मुझसे चुदवाने के लिए कुछ भी करना पड़े तो वो कर सकती थी।
उसने तुरन्त मेरे लण्ड को मुँह में भर लिया और उसे आईसक्रीम की तरह चूसने लगी।

मेरी योजना सफल हो गई, मैं बहुत खुश हुआ। आज तो जैसे लकी ड्रा ही निकल आया था मेरे लिए!

अब हम दोनों 69 की स्थिति में थे। मैं उसकी चूत चाट रहा था, और वह मेरा लंड चूस रही थी।

क़रीब आधे घंटे तक मैंने उसके मुँह की चुदाई की, इसी दौरान वह एक बार झड़ चुकी थी और मेरे लंड ने भी उसके मुँह में एक बार उल्टी कर दी थी।
वो उस सफेद गाढ़े द्रव को पूरा पी गई।

अब तक आग दोनों ओर भड़क चुकी थी।
मैंने अपना लंड उसके मुँह से निकाला और अब उसकी चूत में डालने लगा लेकिन उसकी चूत काफी तंग थी, अतः मैं असफल हो गया।
उसकी सील शायद अभी तक नहीं तोड़ी गई थी।

मैंने किचन से तेल लेकर अपने लंड पर और थोड़ा तेल उसकी चूत पर भी लगा दिया और फिर से चूत में लंड डालने लगा।

इस बार मैंने उसकी चूत में एक ज़ोर का झटका दिया और लंड दो इंच तक अन्दर घुसा दिया।

इस झटके से वो तड़प उठी और ज़ोर से चिल्लाई। मैंने उसका मुँह तुरन्त बन्द कर दिया और साथ ही एक और झटका दिया तो उसकी आँखों से आँसू निकल आए।

मैं डर गया तो मैंने उसके मुँह से हाथ हटा लिया।
वो बहुत रोई, अब उसकी चूत से खून निकल रहा था।
मैंने उससे धीरे-धीरे चोदने का वादा करके फिर से राजी किया।

अब मैं अपनी कमर धीरे-धीरे चला रहा था और ऐसे ही धीरे-धीरे अपना ८ इंच लम्बा लंड उसकी चूत के अन्दर गाड़ ही दिया।

थोड़ी देर में दर्द कम होने की वज़ह से उसे भी मज़ा आने लगा और वो भी मेरा साथ अपनी चूत हिला-हिला कर देने लगी।
अब उसे मज़ा आने लगा था और वो ख़ुद बोल रही थी- ज़ोर से चोदो मुझे, और ज़ोर से, फाड़ दे आज मेरी चूत, बुझा दे आज इसकी प्यास … फाड़ दे साली चूत को और ज़ोर से!

मैं भी उसकी बात सुनकर जोश में आकर ज़ोरों के झटके मारने लगा।

थोड़ी देर बाद मैंने उसे कुतिया बना कर उसकी चुदाई की। लगभग 20 मिनट की चुदाई के बाद वो झड़ गई और उसके 2 मिनट बाद मुझे भी लगा कि अब मैं झड़ने वाला हूँ तो मैंने अपना लंड निकाल कर उसके मुँह में चुदाई करनी शुरु कर दी।
और अन्त में मैं भी उसके मुँह में झड़ गया।

उसने फिर मेरे लण्ड का सारा पानी पी लिया और मेरे लण्ड को चाट-चाट कर साफ कर दिया।

उसके बाद हम दोनों किचन से निकल करक साथ में नहाने चले गए।
नहाने के बाद मैंने उसे अपना मोबाईल देकर कहा कि अपने घर फोन करके कह दो कि आज तुम मैडम (जिसके घर वह काम करती थी) के यहाँ रुकोगी, क्योंकि उनके पति घर पर नहीं हैं, तो उन्होंने मुझे आज रात यहीं रुकने को कहा है।

उसने घर पर यही बता दिया।
उसके घर वालों को कोई आपत्ति नहीं थी।

हमने होटल से खाना मँगवा कर खाया।
उसके बाद फिर दोनों नंगे ही बिस्तर पर सो गए।

रात में मैंने उसकी चार बार चुदाई की और एक बार गाँड भी मारी।

पर सबसे ज़्यादा मज़ा मुझे उसकी गाँड मारने में आया था.

उस रात की चुदाई के बाद वो जब भी मुझसे बात करती तो यही कहती- अब आपकी तबीयत कब ख़राब होगी?
और मैं जब भी अपने फ्लैट पर अकेला होता तो उसे किसी ना किसी बहाने बुलाकर चुदाई का खेल खेलता।

दोस्तो, यह थी मेरी कहानी।
बाद में मैंने इन्दौर में भी एक शादीशुदा आन्टी की चुदाई की थी जिसका किस्सा मैं अगली कहानी में सुनाऊंगा।

यह कहानी आपको कैसी लगी।

लेखक की अगली कहानी: मेरी पहली ग्राहक Sex Stories

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जीजाजी के जंगल Hindi Porn Stories की ओर जाते ही राहुल और बंटी ऊपर कमरे में आ गए।आते ही बंटी बोला – ‘ तुम तो साहब की औरत के भाई हो, उनसे यह क्या करवाते हो? ‘

‘क्या …? ‘ मैं हड़बड़ाया।

‘ बनो मत … हमें सब मालूम है कि तुमने साहब से क्या क्या करवाया है। ‘

‘ क्या करवाया है? ‘ मैं डरते हुए बोला।

‘ अभी हम बताते है… ‘ बंटी ने मेरे हाथ पकड़ लिए और राहुल ने मेरी नेक्कर नीचे खींच दी। मैं पूरी तरह नंगा हो गया। जीजाजी ने रात में चार बार गाण्ड मारी थी इसी कारण मैंने अंडरवियर पहना ही नहीं था।

‘ यह क्या कर रहे हो? ‘ मैं चिल्लाया।

‘ वही जो तुमने रात भर अपने जीजा से कराया है ! ‘ कहते हुए राहुल ने मेरे पोंड के छेद में अपनी बड़ी वाली उंगली घुसा दी। मेरी गाण्ड का छेद वैसे भी फूला हुआ था इसलिए मुझे बहुत तकलीफ हुई।

‘ इसके हाथ बाँध दो ! यह ऐसे नहीं मानेगा ! ‘ बंटी ने कहा।

राहुल ने रूमाल से मेरे हाथ बाँध दिए। मैं नंगा तो पहले ही हो चुका था, उन्होंने मेरी शर्ट भी उतार दी।

राहुल मेरी मुत्तु सहलाने लगा तथा बंटी मेरे पोंड फैला कर गाण्ड के छेद को देखने लगा।

‘ इसकी गाण्ड तो बहुत फूली हुई है ! साहब ने बड़ी बेरहमी से इसकी गाण्ड मारी है ! ‘ बंटी बोला – ‘हम इसे राहत पहुंचाएंगे !’

बंटी मेरे पीछे नीचे बैठ गया तथा मेरे पोंड पकड़ कर सहलाने लगा, राहुल मेरी मुत्तु से खेलने लगा। मेरी मुत्तु धीरे धीरे खड़ी होने लगी। जैसे ही मुत्तु बड़ी हुई, राहुल ने लपक कर उसे अपने मुंह में ले लिया और लालीपॉप सा चूसने लगा। बंटी मेरे पीछे बैठ कर मेरे पोंड के छेद में अपनी जीभ फिराने लगा। पोंड के छेद में बंटी अपनी जीभ थोड़ा अन्दर तक डालने की कोशिश कर रहा था। सामने से राहुल मेरी मुत्तु को चूस रहा था।

मुझे बड़ा आनंद आने लगा। गाण्ड का दर्द भी कम हो गया। पहली बार किसी ने मेरी मुत्तु को चूसा था। मुझे बड़ा ही मजा आया। लगभग १५ मिनट बाद मेरी मुत्तु से कुछ रस सा निकालने लगा। मैं डर गया क्योंकि पहली बार मेरे साथ ऐसा हुआ था।

राहुल ने तब मुझे समझाया – गाण्ड तो मराते हो पर लण्ड के बारे में कोई जानकारी नहीं है, इसमें से यह निकलता ही है, इसके निकल जाने के बाद ही पूरा मजा आता है।

मेरी गाण्ड को चाटते चाटते बंटी का लण्ड खड़ा हो गया। उसने जल्दी से अपनी नेक्कर उतारी और अपना तना हुआ लण्ड मेरी गाण्ड में घुसा दिया। हालाँकि उसका लण्ड जीजाजी से काफी छोटा था पर मुझे काफी दर्द हुआ। वह खड़े खड़े ही मेरी गाण्ड के छेद में लण्ड घुसा कर धक्के लगा रहा था पर वह ठीक से नहीं लगा पा रहा था। उसने मुझे आधा पलंग पर और आधा नीचे लटका कर लिटा दिया।

अब उसका लण्ड अच्छी तरह से मेरी गाण्ड में अन्दर बाहर हो रहा था। मेरी गाण्ड फूली हुई थी फिर भी मुझे आनंद आ रहा था। थोड़ी देर में वह झड़ गया लेकिन मेरा लण्ड अब तन्ना गया था।मैने राहुल की गाण्ड मारने की इच्छा जताई, वह तैयार हो गया।

मैने भी उसे घोड़ी बन जाने को कहा, ऐसी पोसिशन में उसकी गाण्ड का छेद काफी खुल गया। मैने अपना लण्ड धीरे से उसकी गाण्ड के छेद में घुसाया, फिर एक धक्का मारा, मेरा लण्ड पूरी तरह अन्दर घुस गया। उसकी गाण्ड का छेद काफी बड़ा था। जब मैने पूछा तो उसने बताया कि तुम्हारे जीजाजी ने उसकी गाण्ड मार मार कर उसका भुरता बना दिया है।

अब मैं भी अपना लण्ड उसकी गाण्ड के छेद में अन्दर बाहर करने लगा। मेरे लिए किसी की गाण्ड मारने का यह पहला मौका था। मुझे बहुत मज़ा आ रहा था, मानो मैं ज़न्नत में पहुँच गया हूँ। थोड़ी देर बाद मैं झड़ गया पर मुझे गाण्ड मारने में बहुत ही आनन्द आया।

दोनों के साथ मैंने तीन नए अनुभव लिए। मैंने पहली बार किसी से अपना लण्ड चुसवाया था, किसी ने पहली बार मेरी गाण्ड में जीभ फ़ेरी थी और मैंने पहली बार किसी की गाण्ड मारी थी।

जीजाजी शाम तक के लिए गए थे अतैव हम तीनों ने बारी बारी से एक दूसरे की गाण्ड मारी।

उस दिन सही मायनों में मैंने गाण्ड मारने और मराने का मजा लिया। वो दोनों मेरे दोस्त बन गए। उन्होंने बताया कि जब भी साहब यहाँ आते हैं तो वह हम दोनों की कई कई बार गाण्ड मारते हैं। हम दोनों भी आपस में एक दूसरे की गाण्ड मारते रहते हैं, बहुत मजा आता है।

उस दिन हम तीनों ने दो बार एक दूसरे की गाण्ड मारी तथा मराई, मेरी गाण्ड का दर्द भी गायब हो गया।

इसी बीच जीजाजी कब आ गए और हमारा खेल देखते रहे, हमें पता ही नहीं लगा। उन्होंने मुझे बंटी की गाण्ड मारते देख लिया था पर वह बोले कुछ नहीं। वह अनजान बने कमरे में आए और चाय बना कर लाने का आर्डर देकर लेट गए। लेकिन बाद में क्या हुआ जानने के लिए इन्तजार करें अगली कहानी का …. Hindi Porn Stories

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