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अन्तर्वासना के एक एक Antarvasna पाठक को मेरी यानि कि गौरी का प्रणाम !यह मेरी आप सब के सामने पहली कहानी है, कहानी नहीं एक हकीकत है !
शादी से पहले से ही मेरा कई लड़कों के साथ अफेअर था और कई लड़कों से मैं चुदी थी। शादी हुई ससुराल चली गई, पहली रात निराशा हुई जब देखा पति का लौड़ा कोई खास नहीं था। दारु के नशे में था, मेरी चोरी पकड़ी नहीं गई थी, लेकिन वो मुझे ठंडी न कर पाया।
रोज़ रात को नशे में आता और पाँच-छह मिनट की चुदाई होती ! मुझे लौड़ा चूसना बहुत पसंद है लेकिन वो ज्यादा नहीं चूसने देता, जैसे ही खड़ा हो जाता, सीधा चूत में डाल देता। कुछ समय बाद उसने और ज्यादा पीनी शुरू कर दी, पीकर घर आकर वो मुझे पीट देता, गाली-गलौच करता। जिससे तंग आकर ससुर जी ने हमें अलग कर दिया। इस झटके से कुछ देर ठीक चला उसके बाद उसने फिर और ज्यादा पीनी शुरू कर दी।
मैं उससे बिल्कुल खुश नहीं थी। अब तो उनको उनके दोस्त घर छोड़ने के लिए आने लगे। उसको कोई होश ना रहती। उसको छोड़ने के बहाने वो मेरे दर्शन करने आते, मैं भी उनसे खुलने लगी। मुझे लौड़े के ज़रुरत थी।
वो तीनों बहुत हट्टे-कट्टे मर्द थे। उनके आने के समय पर मैं सेक्सी कपड़े पहनती, जिससे उनकी वासना भड़के। वो भी आने-बहाने मुझे छूने की कोशिश करते। मुझे देख तीनों के लौड़े खड़े हो जाते होंगे। मुझे उनमें से मनोहर जी सबसे अच्छे लगते। मैं उनकी ओर झुकने लगी, लेकिन वो जब भी आते तीनों इकट्ठे आते। मैं उन्हें हासिल करने के लिए मचलने लगी।
मेरी मुराद एक दिन पूरी होती दिखने लगी जब वो अकेले ही आये।
मैंने उसको बैठने को कहा और पानी देने के बहाने झुक कर अपने मम्मे दिखा दिए। उनकी नज़रें उनमें गड़ गई। मैं ग्लास रखने रसोई में गई, वो चाहते हुए भी कुछ नहीं बोल पाए, बस इतना कहा- मैं चलता हूँ भाभी !
वो मुड़े ही थे कि मैंने उनकी बांह पकड़ ली और बोली- बस ऐसे ही चले जाओगे? पहली बार अकेले मिले हो ! कह मैं उनसे लिपट गई।
उन्होंने भी मुझे कस कर बाँहों में भरते हुए कहा- मेरी जान ! मैं तो कई दिनों से इस पल के इंतजार में हूँ !
कहते ही उसने मुझे गोदी में उठाया और सीधा बिस्तर पे ले गए। वो मुझे जगह जगह चूमने लगे। एक एक करके हम दोनों नंगे हो गए उनका फौलादी लौड़ा देख मैं खुश हो गई। मैंने कहा- कुण्डी चढ़ा दो ! कहीं उनकी उतर गई और हम पकड़े गए?
मैंने उनके लौड़े को मुँह में भर लिया और पागलों की तरह चूसने लगी। वो आहें भर रहे थे। इतना मोटा लण्ड कसम से कभी नहीं पकड़ा था। कुछ देर में इतना सख्त हो गया कि चूसने में परेशानी होने लगी। फिर भी मैंने नहीं छोड़ा। उन्होंने तो मेरे मम्मों को मसल मसल कर चूस चूस कर लाल कर डाला फिर मुझे लिटा लिया और अपना फौलादी लौड़ा मेरी चूत में डालने के लिए चूत पे रख अन्दर किया।
दर्द से मैं कराहने लगी, इतने दिनों बाद इतना मोटा लौड़ा अंदर गया था। मैंने सब सहन कर लिया और देखते ही देखते उसने अपना नौ इंच का लौड़ा झड़ तक घुसा दिया।
हाय क्या माल हो भाभी जान !
फिर वो मुझे चोदने लगे।
हाय ! जोर से करो भाई साब ! फाड़ डालो ! कितने महीनों से आपसे चुदने को बेकरार थी, आज अपने नाकारा दोस्त की बीवी को अपनी रंडी बना कर चोदो ! मारो मेरी और जोर से मारो फाड़ डालो ! चूत फट जाने दो कामिनी को ! क्या मोटा लौड़ा है आपका !
ले कुतिया ! फाड़ डालूँगा ! कमीनी, तेरी माँ की चूत ! बहन की लौड़ी ! मादरचोद ! गली की कुत्तिया ! कुत्तों से चुद्वाऊंगा तुझे ! चल बहन चोद घोड़ी बन जा !
ले हरामी जात के ! बन गई घोड़ी ! घुसा दे अपना डंडा मेरे अन्दर !
ले साली !
दिल करता है एक साथ आगे से, पीछे से लौड़े ले लूँ !
बहन की लौड़ी ! तीन लौडे रोज़ तेरे पास आते हैं, पहले कहती तो रंडी, तुझे मिलकर चोद देते ! हाय !
मार अब !
आधे घंटे की चुदाई के बाद उसने अपने पानी को मेरे अन्दर डाल दिया। वो रात के तीन बजे तक मुझे चोदता रहा।
इस तरह मुझे लौड़ा मिल ही गया। कुछ दिन तक वो अकेला ही मेरी लेता रहा, लेकिन फिर मेरे कहने पर वो बाकी के दो को भी मेरे ऊपर चढ़ाने के लिए राज़ी हो गया और फिर एक रात ऐसी आई कि मेरे पति को उन्होंने सुला दिया फिर हम चारों ने दारु पी।
उसके बाद क्या हुआ?
वो आप सबके जवाब मिलने के बाद Antarvasna
कहानी का पहला भाग : दोस्त की माँ, बुआ और बहन की चुदाई-1 Hindi sex stories
कहानी का तीसरा भाग : दोस्त की माँ, बुआ और बहन की चुदाई-3 Hindi sex stories
जब मेरी नींद खुली तो शाम के करीब 5 बज रहे थे. मैंने देखा कि, मेरा मोटा लण्ड तन कर कड़क हो कर खड़ा था और लुंगी से बाहर निकल कर मुझे सलामी दे रहा था.
इतने में बुआ जी कमरे में आईं. मैंने झट से आँखें बंद कर लिया.
थोड़ी देर बाद आँख खोल कर देखा कि, बुआ जी की नज़र मेरे खड़े हुए मोटे लण्ड पर टिकी थीं. हैरत भरी निगाहों से मेरे लम्बे और मोटे लण्ड को देख रही थीं.
कुछ देर बाद उन्होंने आवाज दे कर कहा, रामू बेटा उठ जाओ, अब घर चलना है!
मैंने कहा, ठीक है! और उठकर बैठ गया मेरा लण्ड अब भी लुंगी से बाहर था.
बुआ जी मेरी ओर देखते हुए बोलीं, रामू बेटा क्या तुमने कोई बुरा सपना देखा था क्या?
मैंने मुश्किल से कहा, नहीं तो बुआ जी क्यों क्या हुआ?
वो बोलीं, नीचे तो देखो! क्या दिख रहा है? जब मैंने नीचे देखा तो मेरा लण्ड लुंगी से निकला हुआ था.
मैं शर्म से लाल हो कर अपना लण्ड चड्डी में छूपा लिया. ऐसा करते समय बुआ जी हँस रही थीं.
बुआ जी की चुदाई करने का हसीन मौंका
हम करीब 6:30 बजे घर पहुँचे. रास्ते भर कोई भी बात चीत नहीं हुई. घर आकर मैंने कहा कि, मैं बाज़ार होकर आता हूँ और फिर बाज़ार जाकर 1 विस्की की बोतल ले आया.
जब घर पहुँचा तो रात के 9 बज रहे थे. मुझे आया देख कर बुआ जी ने आवाज दी, बेटा आकर खाना खालो.
मैं बोला, बुआ जी अभी भूख नहीं है थोड़ी देर बाद खा लूँगा.
फिर मैंने पूछा, माँ और सुमन कहाँ हैं? (क्योंकि माँ और सुमन ना तो रसोई घर में थे नहीं आँगन में थे)
बुआ जी ने कहा कि, हमारे रिस्तेदार के यहाँ आज रात भर भजन और कीर्तन है! इसलिए भाभी और सुमर रिस्तेदार के यहाँ गए है और सुबह 5-6 बजे लौटेंगे.
मैंने कहा, ठीक है! बुआ जी अगर आप बुरा ना मानो तो क्या मैं थोड़ी विस्की पी सकता हूँ.
बुआ बोलीं, ठीक है! तुम आँगन में बैठो मैं वही खाना लेकर आती हूँ. मैं आँगन में बैठ कर विस्की पीने लगा.
करीब आधे घण्टे बाद बुआ जी खाना लेकर आईं, तब तक मैं 3-4 पेग पी चुका था और मुझे थोड़ा विस्की का नशा होने लगा था.
बुआ ने मेरे लण्ड की तारीफ़ की
बुआ जी और मैं खाना खाने के बाद, हम दोनों बुआ जी कमरे में आ गए. मैंने पैंट और शर्ट निकाल कर लुंगी और बनियान पहन ली. बुआ जी भी साड़ी खोल कर केवल नाईटी पहनी हुई थीं.
जब बुआ जी खड़ी होकर पानी लाने गईं तो, मुझे उनके पारदर्शी नाईटी से उनका नक्शा दिखाई दिया.
उन्होंने नाईटी के अन्दर, ना तो ब्लाऊज़ पहना था ना ही पेटीकोट पहना था! इसलिए लाईट की रोशनी के कारण उनका जिस्म नाईटी से झलक रहा था.
जब वो पानी लेकर वापस आईं. हम बैठ कर बातें करने लगे.
बुआ जी: रामू, क्या तुम शहर में कसरत करते हो?
रामू: हाँ, बुआ जी रोज सुबह उठकर कसरत करता हूँ.
बुआ जी: इसलिए तुम्हारा एक एक अंग काफ़ी तगड़ा और तंदरुस्त है.
क्या तुम अपने बदन पर तेल लगा कर मालिश करते हो, खास तौर पर शरीर के निचले हिस्से पर?
रामू: मैं हर रोज़ अपने बदन पर सरसो का तेल लगा कर खूब मालिश करता हूँ!
बुआ जी: हाँ आज मैंने तुम्हारे शरीर के अलावा अन्दर का अंग भी दोपहर को देखा था, वाकईं काफ़ी मोटा लम्बा और तन्दरुस्त है! हर मर्दों का इस तरह का नहीं होता है.
बुआ जी की बात सुन कर मैं शर्म के मारे लाल हो गया. पूरे मकान में हम दोनों अकेले थे. और इस तरह की बाते कर रहे थें.
मैंने भी बुआ जी से कहा, बुआ जी आप भी बहुत सुन्दर हो! और आपका बदन भी सुडौल है.
बुआ जी: दींन मुझे ताड़ के झाड़ पर मत चढ़ाओ! तुमने तो अभी मेरा बदन पूरा तरह देखा ही कहाँ है?
मैंने बोला, आपने तो मुझे दिखाया ही नहीं? और मेरे शरीर के निचले हिस्से का दर्शन भी कर लिया!
इतना सुनते ही वो झट से बोलीं. मुझे कहाँ! अच्छी तरह से तुम्हारा नीचे का दर्शन हुआ.
चलो एक शर्त पर तुम्हें मेरे अंदरूनी भाग दिखा दूँगी, अगर तुम मुझे अपना नीचे का मस्त दिखाओगे तो!
बुआ की खुली नंगी चूत देखा
मैंने झट से लुंगी से लण्ड निकल कर उन्हें दिखा दिया. बुआ जी भी अपने वादे के अनुसार नाईटी ऊपर कर के अपनी चूत दिखा दीं, और मुस्कुराती बोलीं राजा बेटा खुश हो अब!
हाय! बड़ी जालिम चूत थी. चूत देखते ही मेरा लण्ड तन कर फड़फड़ाने लगा.
कुछ देर तक मेरे लण्ड की ओर देखने के बाद बुआ जी मेरे पास आईं, और झट से मेरी लुंगी खोल दीं.
फिर खड़े होकर अपनी नाईटी भी उतार दीं और नंगी हो गईं. फिर मुझे कुर्सी से उठ कर पलंग पर बैठने को कहा.
जब मैं पलंग पर बैठ कर बुआ जी की मस्त रसीली चूची को देख रहा था, तो मारे मस्ती के मेरा लण्ड चूत की और मुँह उठाए उनकी चूत को सलामी दे रहा था.
बुआ जी ने लण्ड चूस जन्नत दिखाया
बुआ जी मेरी जाँघों के बीच बैठ कर दोनों हाथों से मेरे लौड़े को सहलाने लगी. कुछ देर सहलाने के बाद अचानक! बुआ ने अपना सर नीचे झुका लिया और अपने रसीले होंठों से मेरे सुपाड़े को चूम कर उसको मुँह मे भर लिया.
मैं एकदम चौंक गया! मैंने सपने मे भी नहीं सोचा था की ऐसा होगा?
बुआ जी, यह क्या कर रही हो? मेरा लण्ड तुमने मुँह मे क्यों ले लिया है?
चूसने के लिए और किस लिए! तुम आराम से बैठे रहो और बस लण्ड चूसाई का मज़ा लो. एक बार चूसवा लोगे फिर बार-बार चूसने को कहोगे.
बुआ जी मेरे लण्ड को लोलीपॉप की तरह मुँह में लेकर चूसने लगी. मैं बता नहीं सकता हूँ! कि लण्ड चूसवाने मे मुझे कितना मज़ा आ रहा था.
बुआ जी के रसीले होंठ मेरे लण्ड को रगड़ रहे थे. फिर, बुआ जी ने अपना होंठ गोल कर के मेरा पूरा लण्ड अपने मुँह में ले लिया और मेरे आण्ड को हथेली से सहलाते हुए, सिर ऊपर नीचे करना शुरु कर दिया.
मानो! वो मुँह से ही मेरे लण्ड को चोद रही हो. धीरे-धीरे मैंने भी अपनी कमर हिला कर बुआ जी के मुँह को चोदना शुरु कर दिया.
बुआ जी ने मेरे वीर्य का रसपान किया
मैं तो मानो सातवें आसमान पर था! बेताबी तो सुबह से ही हो रही थी. थोड़ी ही देर मे लगा कि, मेरा लण्ड अब पानी छोड़ देगा.
मैं किसी तरह अपने ऊपर काबू कर के बोला, बुआ जी मेरा पानी छूटने वाला है!
बुआ जी ने मेरे बातों का कुछ ध्यान नहीं दिया बल्कि, अपने हाथों से मेरे चूतड़ को जकड़ कर और तेज़ी से सिर ऊपर-नीचे करना शुरु कर दिया.
मैं भी उनके सिर को कस कर पकड़ कर और तेज़ी से लण्ड उनके मुँह मे पेलने लगा. कुछ ही देर बाद मेरे लण्ड ने पानी छोड़ दिया और, बुआ जी ने गटगट करके पूरे पानी को पी गईं.
सुबह से काबू में रखा हुआ मेरा पानी इतना तेज़ी से निकला कि, उनके मुँह से बाहर निकल कर उनके ठुड्डी पर फैल गया.
कुछ बूंदे तो टपक कर उनकी चूची पर भी जा गिरी. झड़ने के बाद मैंने अपना लण्ड निकाल कर बुआ जी के गालों पर रगड़ दिया.
क्या खुबसुरत नजारा था! मेरा वीर्य बुआ जी के मुँह गाल होंठ और रसीले चूची पर चमक रहा था.
बुआ जी ने अपनी गुलाबी जीभ अपने होंठों पर फिरा कर, वहाँ लगा वीर्य चाटा और फिर अपनी हथेली से अपनी चूची को मसलते हुए पूछा- क्यों दींन बेटा? मज़ा आया लण्ड चुसवाने मे!
मैं बोला- बहुत मज़ा आया बुआ जी! तुमने तो एक दूसरी जन्नत की सैर करवा दिया मेरी जान! आज तो मैं तुम्हारा सात जन्मों के लिए गुलाम हो गया.
कहो! क्या हुक्म है?
बुआ जी की स्वादिष्ट चूत चटाई
बुआ जी बोलीं, हुक्म क्या! बस अब तुम्हारी बारी है.
मैं कहा- क्या मतलब? मैं कुछ समझा नही!
बुआ जी बोलीं, मतलब यह कि अब तुम मेरी चूत चाटो!
यह कह कर, बुआ जी खड़ी हो गईं और अपनी चूत मेरे चेहरे के पास ले आईं. मेरे होंठ उनकी चूत के होंठों को छूने लगी.
बुआ जी ने मेरे सिर को पकड़ कर, अपनी कमर आगे की और अपनी चूत मेरे नाक पर रगड़ने लगी.
मैंने भी उनकी चूतड़ को दोनों हाथों से पकड़ लिया और, उनकी गांड सहलाते हुए उनकी रसीली चूत को चूमने लगा.
बुआ जी की चूत की प्यारी-प्यारी खुशबू मेरे दिमाग मे छाने लगी!
मैं दीवानों की तरह उनकी चूत और उसके चारों तरफ़ के इलाके को चूमने लगा. बीच-बीच में मैं अपनी जीभ निकाल कर उनकी रानों को भी चाट लेता.
बुआ जी मस्ती से भर कर सिसकारी लेते हुए अपनी चूत को फ़ैलाते हुए बोलीं- हाँय राजा अह्!
जीभ से चाटो ना! अब और मत तड़पाओ राजा! मेरी बुर को चाटो! डाल दो अपनी जीभ मेरी चूत के अन्दर! अन्दर डाल कर जीभ से चोदो!
अब तक उनकी नशीली चूत की खुशबू ने मुझे बुरी तरह से पागल बना दिया था. मैंने उनकी चूत पर से मुँह उठाए बिना, उन्हे खींच कर पलंग पर बैठा दिया.
उनकी जाँघों को फैला कर, अपने दोनों कंधो पर रख लिया और फिर आगे बढ कर, उनकी चूत के होंठों को अपनी जीभ से चाटना शुरु कर दिया.
बुआ जी मस्ती से बड़बड़ाने लगी! और अपनी चूतड़ को और आगे खिसका कर अपनी चूत को मेरे मुँह से बिल्कुल सटा दिया.
अब बुआ जी के चूतड़ पलंग से बाहर हवा मे झूल रही थी! और उनकी मखमली जाँघों का पूरा दबाव मेरे कंधो पर था.
मैंने अपनी जीभ पूरी की पूरी उनकी चूत में डाल दिया और, चूत की अंदरूनी दीवारों को जीभ से सहलाने लगा.
बुआ जी मस्ती से तिलमिला उठीं, और अपनी चूतड़ उठा उठा कर अपनी चूत मेरी जीभ पर दबाने लगी.
हाय! राजा, क्या मज़ा आ रहा है?
अब अपनी जीभ को अन्दर-बाहर करो ना! चोदो राजा चोदओ! अपनी जीभ से चोदो मुझे! हाय! राजा तुम ही तो मेरे असली सैंया हो!
पहले क्यों नहीं मिले! अब सारी कसर निकालूँगी. हाय! राजा चोदो मेरी चूत को अपनी जीभ से!
मुझे भी पूरा जोश आ गया और बुआ जी की चूत में, जल्दी जल्दी जीभ अन्दर-बाहर करते हुए उसे चोदने लगा.
बुआ जी अभी भी जोर-जोर से कमर उठा कर, मेरे मुँह को चोद रही थीं. मुझे भी इस चुदाई का मज़ा आने लगा.
मैंने अपनी जीभ कड़ी कर सिर आगे पीछे कर के, बुआ जी की चूत को चोदने लगा.
बुआ जी की चूत का अमृत रसपान
उनका मज़ा दोगुना हो गया. अपने चूतड़ को जोर-जोर से उठाती हुए बोलीं- और जोर से बेटा! और जोर से! हाय! मेरे प्यारे राजा आज से मैं तेरी रण्डी बुआ हो गई.
जिंदगी भर के लिए चुदाऊँगी तुझसे! अह्हह! उईई माआ!’
वो अब झड़ने वाली थीं. वो जोर जोर से चिल्लाते हुए अपनी चूत मेरे पूरे चेहरे पर रगड़ रही थीं.
मैं भी पूरी तेज़ी से जीभ लप-लपा कर उनकी चूत पूरी तरह से चाट रहा था, और बीच बीच में अपनी जीभ को उनकी चूत मे पूरी तरह अन्दर डाल कर अन्दर बाहर करने लगा.
जब मेरी जीभ बुआ जी की भगनाशा से टकराई तो, बुआ जी का बाँध टूट गया और मेरे चेहरे को अपनी जाँघों में जाकर कर उन्होंने अपनी चूत को मेरे मुँह से चिपका दिया.
कुछ देर बाद उनका पानी बहने लगा और, मैं उनकी चूत की दोनों फाँकों को अपनी मुँह मे दबा कर उनका अमृत-रस पीने लगा.
बुआ जी ने गांड मारने को बोला
मेरा लण्ड फिर से लोहे की रॉड की तरह सख्त हो गया था.! मैं उठ कर खड़ा हो गया और, अपने लण्ड को हाथ से सहलाते हुए बुआ जी को पलंग पर सीधा लेटा कर उनके ऊपर चढने लगा.
उन्होंने मुझे रोकते हुए कहा- ऐसे नहीं मेरे राजा! चूत का मज़ा तुम चूस चूस के ले चुके हो! आज मैं तुम्हें दूसरे छेद का मज़ा दूँगी.
मैंने कहा- बुआ जी मेरी समझ में कुछ नहीं आया?
बुआ जी बोलीं- आज तुम अपने मोटे तगड़े लम्बे लौड़े को मेरी गांड में डालो, और उठ कर बैठ गईं.
मेरे हाथ को हटा कर, अपने दोनों हाथों से मेरा लण्ड पकड़ लिया और सहलाते हुए, अपनी दोनों चूचियों के बीच दबा-दबा कर लण्ड के सुपाड़े को चूमने लगीं.
उनकी चूची की गर्माहट पकड़ से मेरा लौड़ा और भी जोश में आकर सख्त हो गया.
बुआ की छोटी गांड देख चौंका
मैं हैरान था! इतनी छोटी सी गांड के छेद में मेरा लण्ड कैसे जाएगा?
मैं बोला- बुआ जी इतना मोटा लण्ड तुम्हारी गांड में कैसे जाएगा?
बुआ बोलीं- हाँ, मेरे राजा! गांड मे ही जाएगा, पीछे से चोदना इतना आसान नहीं है. तुम्हें पूरा जोर लगाना होगा.
इतना कह कर, बुआ जी ढेर सारा थूक मेरे लण्ड पर लगा दिया और, पूरे लण्ड की मालिश करने लगीं, पर बुआ जी गांड मे लण्ड घुसाने के लिए ज्यादा जोर क्यों लगाना पड़ेगा?
बुआ बोलीं- वो इसलिए, राजा! कि जब औरत गर्म होती है तो, उसकी चूत पानी छोड़ती है जिससे लौड़ा आने-जाने मे आसानी होती है.
पर गांड तो पानी नहीं छोड़ती इसलिए घर्षण ज्यादा होता है और, लण्ड को ज्यादा ताकत लगानी पड़ती है.
छोटी गांड में लौड़ा लेने का उपाय
गांड मारने वाले को भी बहुत तकलीफ़ होती है. पर राजा मज़ा बहुत है! मरवाने वाले को भी और मारने वाले को भी बहुत मजा आता है. इसीलिए गांड मारने के पहले पूरी तैयारी करनी पड़ती है.
मैंने कहा- क्या तैयारी करनी पड़ती है? बुआ जी मुस्कुरा कर पलंग से उतरीं और अपने चूतड़ को लहराते हुए ड्रेसिंग टेबल से वेसिलीन की शीशी उठा लाईं.
ढक्कन खोल कर, ढेर सारा वेसिलीन अपने हाथों में ले लीं और, मेरे लौड़े की मालिश करने लगी. अब मेरा लौड़ा रोशनी में चमकने लगा.
फिर मुझे शीशी दे दीं और बोलीं- अब मैं झुकती हूँ और तुम मेरे गांड में ठीक से वेसिलीन लगा दो! और वो पलंग पर पेट के बल लेट गईं और अपने घुटनों के बल होकर अपने चूतड़ हवा में उठा दिया.
देखने लायक नजारा था! बुआ के गोल मटोल चूतड़ मेरी आँखों के सामने लहरा रहे थे. मुझसे रहा नहीं गया और, झुक कर चूतड़ को मुँह में भर कर कस कर काट लिया.
बुआ जी की चीख निकल गईं. फिर मैंने ढेर सारा वेसिलीन लेकर उनकी गांड की दरार में लगा दिया.
बुआ बोली- अरे मेरे भोले सैंया! ऊपर से लगाने से नहीं होगा. उंगली से लेकर अन्दर भी लगाओ और अपनी उंगली पेल पेल कर अपने गांड के छेद को ढीला करो.
मैंने अपनी बीच वाली उंगली पर वेसिलीन लगा कर, उनकी गांड में घुसाने की कोशिश की. पहली बार जब नहीं घुसी तो दुसरे हाथ से छेद फैला कर दुबारा कोशिश की, तो मेरा उंगली थोड़ी सी उंगली घुस गई.
मैंने थोड़ा बाहर निकाल कर झटका दे कर डाला तो, घपाक से पूरी उंगली धंस गई. बुआ जी ने एकदम से अपने चूतड सिकोड़ लिया जिससे की उंगली फिर बाहर निकल गई.
बुआ बोलीं- इसी तरह उंगली अन्दर-बाहर करते रहो कुछ देर तक! मैं उनके कहे मुताबिक़ उंगली जल्दी से अन्दर-बाहर करने लगा. मुझे इसमें बड़ा मजा आ रहा था.
बुआ ने गांड में लौंडा डलवाया
वो भी कमर हिला-हिला कर मजा ले रही थीं. कुछ देर बाद बुआ जी बोलीं- चलो राजा! आ जाओ मोर्चे पर और मारो गांड अपनी बुआ की.
मैं उठ कर घुटनें के बल बैठ गया, और लण्ड को पकड़ कर बुआ की गांड के छेद पर रख दिया. बुआ जी ने थोड़ा पीछे होकर लण्ड को निशाने पर रखा. फिर मैंने उनकी चूतड को दोनों हाथों से पकड़ कर धक्का लगाया.
बुआ जी की गांड का छेद बहुत टाइट था.
मैं बोला- बुआ जी मेरा लण्ड आप की गांड में नहीं घुस रहा है. बुआ जी ने अपने दोनों हाथों से अपने चूतड़ों को खींच कर गांड की छेद को फैला दिया और दुबारा जोर लगाने को कहा.
इस बार मैंने थोड़ा और जोर लगाया, और मेरा सुपाड़ा उनकी गांड की छेद में चला गया. बुआ जी की कसी गांड को चीरता हुआ मेरा आधा लण्ड बुआ जी की गांड में दाखिल हो गया.
बुआ जी जोर से चीख उठी- उई माँ! दुखता है मेरे राजा! पर मैंने उनकी चीख पर कोई ध्यान नहीं दिया, और लण्ड थोड़ा पीछे खींच कर जोरदार शॉट लगाया.
मेरा 9′ का लौड़ा उनकी गांड को चीरता हुआ पूरा का पूरा अन्दर दाखिल हो गया. बुआ जी फिर चीख उठीं.
वो बार बार अपनी कमर को हिला हिला कर मेरे लण्ड को बाहर निकालने की कोशिश कर रही थीं. मैंने आगे को झुक कर उनकी चूची को पकड़ लिया और उन्हें सहलाने लगा.
लण्ड अभी भी पूरा का पूरा उनकी गांड के अन्दर था. कुछ देर बाद बुआ जी की गांड में लण्ड डाले डाले उनकी चूची को सहलाता रहा.
जब बुआ जी कुछ नार्मल हुए तो अपने चूतड हिला कर बोलीं- चलो राजा! अब ठीक है!
बुआ की दमदार गांड चुदाई
उनका सिग्नल पाकर मैंने दुबारा सीधे होकर उनकी चूतड पकड़ कर धीरे-धीरे कमर हिला कर लण्ड अन्दर-बाहर करना शुरू कर दिया. बुआ जी की गांड बहुत ही टाइट थी.
इसे चोदने में बड़ा मजा आ रहा था. अब बुआ भी अपना दर्द भूल कर सिसकारी भरते हुए मजा लेने लगीं. उन्होंने अपनी एक उंगली अपनी चूत में डाल कर कमर हिलाना शुरू कर दिया.
बुआ जी की मस्ती देख कर मैं भी जोश में आ गया और धीरे-धीरे अपनी रफ्तार बढ़ा दी. मेरा लण्ड अब पूरी तेजी से उनकी गांड में अन्दर-बाहर हो रहा था.
बुआ जी भी पूरी तेजी से कमर आगे पीछे करके मेरे लण्ड का मजा ले रही थीं.
लण्ड ऐसे अन्दर-बाहर हो रहा था मानो इंजन का पिस्टन. पूरी कमरे में चुदाई का थप थप की आवाज गूँज रही थी.
जब बुआ जी के थिरकते हुए चूतड से मेरी जाँघें टकराती थी तो लगता कोई तबलची टेबल पर थाप दे रहा हो.
बुआ जी पूरी जोश में पूरी तेजी से चूत में उंगली अन्दर-बाहर करती हुई सिसकारी भर रही थी.
हम दोनों ही पसीने पसीने हो गई थे पर कोई भी रूकने का नाम नहीं ले रहा था.
बुआ मुझे बार बार ललकार रही थी- चोद लो मेरे राजा चोद लो अपनी बुआ की गांड. आज फाड़ डालो इसे. शाबाश मेरे शेर, और जोर से राजा और जोर से. फाड़ डाली तुमने मेरी तो.
मैं भी हुमच हुमच कर शॉट लगा रहा था. पूरा का पूरा बाहर खींच कर झटके से अन्दर डालता तो उनकी चीख निकल जाती. मेरा लावा निकलने वाला था.
उधर बुआ भी उंगली से चूत को चोद चोद कर अपनी मंजिल के पास थी. तभी मैंने एक झटके से लण्ड निकाला और उनकी चूत में जड़ तक ठुंस दिया.
बुआ जी इसके लिए तैयार नहीं थीं. इसलिए उनकी उंगली भी चूत में ही रह गई थी. जिससे उनकी चूत टाइट लग रहा था.
मैंने बुआ जी के बदन को पूरी तरह अपनी बाहों में समेट कर दनादन शॉट लगाने लगा.
वो भी संभल कर जोर जोर से अहह उह्ह करती हुई चूतड आगे-पीछे करके अपनी चूत में मेरा लण्ड लेने लगी.
हम दोनों की साँसें फूल रही थीं. आखिर मेरा ज्वालामुखी फूट पड़ा और मैं बुआ की पीठ से चिपक कर बुआ की चूत में झड़ गईं. हम दोनों उसी तरह से चिपके हुए पलंग पर लेट गए और थकान की वजह से सो गए.
उस रात मैंने बुआ की चूत कम से कम चार बार और चोदा.
बुआ और हमारी चुदाई का राज खुला
सुबह करीब 10 बजे सुमन (दोस्त की बहन) ने मुझे उठा कर चाय दी और कहा रामू भैया फ्रेश हो कर नाहा धो लो और मैं नाश्ता बनाती हूँ.
घर में केवल उसे देख कर कहा- माँ और बुआ जी कहाँ गए? वो बोली वो दोनों कब के खेत चले गए हैं.
यहाँ आवाज होगी, इसलिए माँ रात की नींद खेत में ही पूरी करेंगी और वो लोग शाम से पहले लौटने वाले नहीं हैं.
मैं फ्रेश होकर नाहा धो कर नाश्ता करने लगा. सुमन अपने काम में लग गई. मैं कमरे में आकर किताब पढ़ने लगा. मुझे कहीं बाहर जाना नहीं था इसलिए मैं केवल तौलिया और बनियान में था.
करीब एक घंटे बाद सुमन अपना काम निबटा कर कमरे में बिस्तर ठीक कर आई और मुझसे बोली भैया आप उधर कुर्सी पर बैठ जाओ मुझे बिस्तर ठीक करना है.
मैं उठ कर कुर्सी पर बैठ गया और वो बिस्तर ठीक करने लगी.
चादर पर पड़े मेरे लण्ड और बुआ और बुआ जी की चूत के पानी के धब्बे रात की कहानी सुना रहे थे. सुमन झुक कर निशान वाली जगह को सूंघ रही थी.
मेरी तो ऊपर की साँस ऊपर और नीचे की साँस नीचे रह गई!
थोड़ी देर बाद सुमन उठी गई और मेरी तरफ देखती हुई अदा से मुस्कुरा दी.
सुमन की चूत चुदाई का मौका
फिर इठलाते हुए मेरे पास आई और आँख मार कर बोली- लगता है रात बुआ जी के साथ जम कर खेल खेला है. मैं हिम्मत कर के बोला- क्या मतलब?
वो मुझसे सटती हुई बोली- इतने भोले मत बनो. जानबूझ कर अनजान बन रहे हो.
क्या मैं अच्छी नहीं लगती तुम्हें?
मैंने कुछ नहीं कहा और केवल मुस्कुरा दिया और मैंने गौर से देखा उसको.
मस्त लौंडिया थी! साँवली से रंग, छरहरा बदन! उठी हुई मस्त चूचियाँ!
उसने अपना पल्लू सामने से लेकर कमर में दबाया हुआ था, जिससे उसकी चूची और उभर कर सामने आ गई थी.
वो बात करते करते मुझसे एकदम सट गई, और उसकी तनी तनी चूची मेरी नंगी बाहों से छूने लगी.
यह सब देख कर मेरा लण्ड जोश में फड़फड़ा उठा. मैंने सोचा कि, इसे ज्यादा अच्छा मौका फिर नहीं मिलने वाला. साली खुद ही तो मेरे पास चुदवाने आई हुई है.
मैंने हिम्मत करके उसे कमर से पकड़ लिया और अपने पास खींच कर अपने से चिपका लिया और बोला- चल सुमन थोड़ा सा खेल तेरे साथ भी हो जाए!
वो एकदम से घबरा गई और अपने को छुड़ाने की नाकाम कोशिश करने लगी, पर मैं उसे कस कर पकडे हुए चूमने की कोशिश करने लगा.
वो मुझ से दूर हटने की कोशिश करती जा रही थी पर वो बेबस थी, पर साथ में चिपकी भी जा रही थी.
इसी दौरान मेरा तौलिया खुल गया और मेरा 9′ का फनफनाता हुआ लौड़ा आजाद हो गया.
मैंने कहा- देखो मजे लेने है! तो चलो बिस्तर पर और उसे अपने बाहों में उठा कर बिस्तर पर लेटा कर, अपना लण्ड उसकी गांड में दबाते हुए मैंने अपनी एक टांग उसकी टांग पर चढ़ा दिया और उसे दबोच लिया
दोनों हाथों से चूचियों को पकड़ कर मसलते हुए बोला- नखरे क्यों दिखाती है?
खुदा ने हुस्न दिया है और क्या मार ही डालोगी?
अरे हमे नहीं दोगी तो क्या आचार डालोगी, चल आजा और प्यार से अपनी मस्त जवानी का मजा लेते हैं.
सुमन की चूत में उंगली का मजा
कहते हुए उसके ब्लाउज को खींच कर खोल दिया. फिर एक हाथ को नीचे ले जाकर उसके पेटीकोट के अन्दर घुसा दिया, और उसकी चिकनी चिकनी जाँघों को सहलाने लगा, धीरे धीरे हाथ उसकी चूत पर ले गया.
पर वो तो दोनों जाँघों को कस कर दबाए हुए थी, और साथ में मस्ती से हाय हाय भी कर रही थी.
मैं उसकी चूत को ऊपर से कस कस कर मसलने लगा और उंगली को किसी तरह चूत के अन्दर डाल दिया.
उंगली अन्दर होते ही वो कस कर छटपटाते हुए, और बाहर निकालने के लिए कमर हिलाने लगी. उससे उसकी चूत चुदने जैसी होने लगी. इससे उसका पेटीकोट ऊपर उठ गया.
मैंने कमर पीछे कर के अपने लण्ड को नंगे चूतड की दरार में लगा दिया. क्या फूले फूले जवान चिकने चूतड थे.
अपना दूसरा हाथ भी उसकी चूची पर से हटा कर उसके चूतड को पकड़ लिया और अपने लण्ड से उसकी गांड की दरार में रख कर!
उसकी चूत को मैंने उंगली से चोदते हुए गांड की दरार में, लण्ड थोड़ा थोड़ा धंसा दिया था!
कुछ ही देर में वो ढीली पड़ गई, और जाँघों को ढीला कर के कमर हिला हिला कर आगे पीछे कर के चुदाई का मजा लेने लगी.
क्यों रानी मजा आ रहा है? मैंने धक्का लगाते हुए पूछा.
हाँ भैया, बहुत ही मजा आ रहा है. उसने जाँघें फैला दी जिससे कि मेरी उंगली आसानी से अन्दर-बाहर होने लगी.
सुमन मेरे मोटे लण्ड को देख चौंकी
उसके मुँह से मस्ती भरी उई उई निकालने लगा.
फिर उसने अपना हाथ पीछे करके मेरे लण्ड को पकड़ लिया और उसकी मोटाई को नाप कर बोली- हाय जी इतना मोटा लण्ड. चलो मुझे सीधा होने दो, फिर चोद देना, कहते हुए वो चित लेट गई.
अब हम दोनों अगल बगल लेटे हुए थे. मैंने अपनी टांग उसकी टांग पर चढ़ा लिया और लण्ड को उसकी जाँघ पर रगड़ते हुए चूचियों को चूसने लगा.
पत्थर जैसी सख्त! थी उसकी चूची. एक हाथ से उसकी चूची मसल रहा था और दुसरे हाथ की उंगली से उसकी चूत को चोद रहा था.
सुमन के अधनंगी बदन में चुदाई का मजा
वो भी लगातार मेरे लण्ड को पकड़ कर अपनी जाँघों पर घिस रही थी. जब हम दोनों पूरी जोश में आ गए तब सुमन बोली- अब मत तडपाओ! भैया, चोद ही डालो न अब मुझे.
मैंने झटपट उसकी साड़ी और पेटीकोट को कमर से ऊपर उठा कर उसकी चूत को पूरा नंगा कर दिया.
वो बोली- पहले मेरे सारे कपड़े तो उतारो तो ही तो चुदेगी मेरी चूत!
मैं बोला- नहीं तुझे अध नंगी देख कर जोश और डबल हो गया है, इसलिए पहली चुदाई तो कपड़ों के साथ ही होगी.
फिर मैंने उसकी टांगें अपनी कंधों के ऊपर रखी, और उसने मेरा लण्ड पकड़ कर अपनी चूत के मुँह पर रख लिया और बोली- आईय! शुरू हो जाओ न भैया.
मैंने कमर आगे करके जोर दार धक्का दिया, और मेरा आधा लण्ड दनदनाता हुआ उसकी चूत में धंस गया.
वो चिल्ला उठी. आहिस्ते! भैया आहिस्ते! अब दर्द हो रहा है और उसने अपनी चूत को सिकोड़ ली और, मेरा लण्ड उसकी चूत से बाहर निकल आया.
मैंने उसकी सख्त चूची को पकड़ कर मसलते हुए, फिर अपना लण्ड उसकी चूत पर रख कर एक और शॉट लगाया.
मेरा सुपाड़ा उसकी चूत में घुस गया, और कुछ देर तक मैंने कुछ हरकत नहीं की और उसके होंठों को अपने होंठों में लेकर चूसने लगा.
उसकी आँखों से अब भी आँसू निकल रहे थे. थोड़ी देर बाद वो थोड़ा शांत हुई, और अब मैंने दुसरा शॉट लगाया तो मेरा बचा हुआ लौड़ा भी जड़ तक उसकी चूत में धंस गया.
मारे दर्द के उसकी चीख निकल गई और बोली- बड़ा जालिम है! तुम्हारा लौड़ा. किसी कुँवारी छोकरी को इस तरह से चोदोगे तो वो मर जाएगी. सम्भाल कर चोदना.
मैं उसकी चूचियों को पकड़ कर मसलते हुए, धीरे-धीरे लण्ड चूत के अन्दर-बाहर करने लगा. चूत तो इसकी भी टाइट थी!
दोस्तों, यह थी मेरी बिल्कुल सच्ची कहानी जो मैंने आपके सामने रखा! आशा करता हूँ कि इस कहानी से आप लोग अत्यधिक रोमांचित हुए होंगे. अपने विचारों से हमें अवगत कराएं!
यह मेरी पहली कहानी है। यहां Antarvasna पर मैं अन्य लेखकों की तरह यह बिल्कुल नहीं कहूँगा कि यह मेरी सच्ची कहानी है। बल्कि मैं यह कह रहा हूँ कि यह मेरी काल्पनिक कथा है जो कि सिर्फ मनोरंजन के लिए है, इसलिए इसे कुछ और न समझें।
मेरा नाम राजेश कुमार है। मैं 19 साल का एक रोमांटिक लड़का हूँ। मेरा कद 5.5 फीट है। मेरा बदन भरा हुआ और हल्का गुलाबी रंग का है। मेरी छातियां एकदम टाइट हैं ऐसे जैसे कि मैं जिम में जाता हूँ लेकिन दोस्तों आज तक मैं जिम कभी भी नहीं गया। मैं गांव का रहने वाला हूँ और मुझे गांव बहुत पसंद है। वहां की ताजी हवा, बड़े-बड़े हरेभरे पेड़, शांत वातावरण शहर की चिलपों से दूर मैं गांव में रहता हूँ।
मुझे जींस और टीशर्ट पहनना बहुत अच्छा लगता है। जब मैं जींस पहनता हूँ तो फिर मेरे चूतड़ों के उभार साफ दिखने लगते हैं। मैंने कई बार लड़कियों को अपने चूतड़ों की तरफ ललचाई निगाहों से देखते हुए पाया है। लेकिन मुझे लड़कियों से जबरजस्ती छेड़खानी करना कतई पसन्द नहीं है। मेरा मानना है कि चुदाई में सहमति से जो मजा आता है वो जबरजस्ती से नहीं आता है।
और हां दोस्तो ! मेरा लण्ड 6 इंच लम्बा और 2.5 इंच मोटा है। मैंने कई बार अन्तर्वासना में पढ़ा है, लेखक लिख देते हैं- मेरा लण्ड 10 इंच है तो कोई 12 इंच। लेकिन दोस्तो ! मैं ऐसी वैसी बातों को नहीं लिखा करता जो कि पचे नहीं, मैं वही बात लिखा करता हूँ जो कि आराम से गले से नीचे उतर जाए जैसे कि मेरा लण्ड।
दोस्तो ! यह जो कि मैं भूमिका बांध रहा हूँ तो हो सकता है कि आपको बोर कर रहा होऊं इसलिए अब मैं कहानी की शुरूआत कर रहा हूँ।
मेरा शानदार चेहरा, थोड़े मोटे किन्तु गुलाबी रंगत वाले होंठ जैसे कि शहद भरा हुआ हो मेरी काली आंखें, जब शेव करता हूँ तो चिकने गाल, सपाट पेट, भरी-भरी जांघें, पत्थर की तरह कठोर लंड जो कि किसी की भी बुर या चूत फाड़ दे, बाहर को निकले हुए चूतड़, शानदार गांड की दरार, सुनहरी झांटे यानि कि वह सब कुछ है जो कि एक जवान और खूबसूरत लंड को चाहिए।
तो अब मैं अपनी कहानी शुरू करता हूँ।
यह बात बहुत ज्यादा पुरानी नहीं है। करीब एक महीने पहले मैं अपने एक रिश्तेदार के गांव में गया था जो कि मेरे गांव से करीब 40 किलोमीटर की दूरी पर है। वे मेरे दूर के अंकल लगते थे। मैं किसी काम से वहां गया था लेकिन काम में इतना मशगूल हो गया कि समय का ध्यान ही नहीं रहा। सो मैं अपने अंकल के घर चला गया।
वहां पर जब मैं पहुंचा तो देखकर हैरान रह गया। मेरी आंटी इतनी हसीन थीं कि मेरी आंखें खुली की खुली रह गईं। आंटी ने भी इस बात को ताड़ लिया और मुस्कुराकर रह गईं।
मेरे अंकल की उम्र करीब 40 साल है जबकि मेरी आंटी सिर्फ 25 साल की ही हैं। मैं अंकल की शादी में काम के कारण आ नहीं सका था इसलिए आंटी को देख ही नहीं पाया था। उनकी शादी 6 महीने पहले ही हुई थी। मैं आंटी का बायोडाटा बाद में लिखूंगा, पहले यह बता दूं कि उनको चोदने का प्रोग्राम कैसे बनाया।
मेरी आंटी का नाम रम्भा है और अंकल का नाम योगेश।
तो जब मैं घर पहुंचा तो आंटी बोली कि यह कौन है तो अंकल ने बता दिया कि यह हमारा भतीजा है।
तो आंटी ने पूछा कि इसका नाम क्या है तो मैंने खुद ही अपना नाम बताया कि मेरा नाम राजेश है।
तब आंटी चहककर बोलीं- वाह ! यह वही है जिसके बारे में आप हमेशा बाते किया करते हैं।
तब मैंने पूछा- आंटी ! क्या आप मुझे पहले से जानती हैं?
तो उन्होंने बताया- तुम्हारे अंकल तुम्हारे बारे में अक्सर मुझे बताया करते हैं, तुम बैठो मैं तुम्हारे लिए कुछ लाती हूँ।
तब उन्होंने अंकल से कहा- जाओ ! दुकान से नमकीन बिस्कुट इत्यादि ले आओ, खत्म हो गई है !
अंकल बाहर को चले गये।
तब आंटी मेरे पास बैठकर मेरे कंधे पर हाथ रखकर बोलीं- तुम शादी में क्यों नहीं आये थे?
मैंने बता दिया कि कुछ काम था इसलिए नहीं आया था। लेकिन उसने फिर शिकायत की- तो इतने दिनों क्यों नहीं आये थे?
मैंने बताया- आजकल बहुत व्यस्त हूँ और आपसे मिलने नहीं बल्कि काम के सिलसिले में आया हूँ।
तो फिर क्या था- आंटी दूसरी तरफ मुंह फुलाकर बैठ गयीं और कहा कि तुम्हें सिर्फ काम ही रहता है, तुम मुझसे मिलना नहीं चाहते, मुझे प्यार करने की क्या जरूरत है तुम्हें ! तुम इतने हैंडसम हो ! पता नहीं कि कितनी गर्लफ्रेन्ड होगी तुम्हारी, इसीलिए तो मुझसे बात नहीं करते।
जब आंटी गुस्सा हो गईं तो फिर तो मेरी बांछें खिल गईं। मैंने तुरंत ही आंटी की गर्दन में हाथ डाल दिया और कहा- आप गलत समझती हैं, मैं आपको चाहता तो हूँ कि प्यार करूं लेकिन आप बुरा न मान जाएँ इसलिए मजाक कर दिया।
तब आंटी मेरी तरफ घूम कर बोली- सच कह रहे हो?
तो मैंने कहा- आपकी कसम।
तब आंटी ने मेरे गले में बांहें डाल दीं और मेरे चेहरे पर चुम्बनों की झड़ी लगा दी और उनके आंसू निकल आए।
मैंने कहा- ओह, आंटी आप तो रोने लगी।
आंटी रोते-रोते बोली- तुम मुझे इतना प्यार करते हो कि आंखे भर आई।
मैंने रूमाल निकाल कर आंटी के आंसू पोछे और कहा- अगर अब रोओगी तो फिर मैं अपनी गर्लफ्रेन्ड के पास चला जाउंगा।
आंटी ने मेरी तरफ क्रोधित नजरों से देखा तो मुझे लगा कि यह सही में नाराज न हो जाये, मैंने आंटी का हाथ पकड़ा और अपने सिर पर रख कर कहा- आपको मेरी कसम है कि आप मुझसे नाराज नहीं होंगी, मैं मजाक कर रहा था, अगर आप नाराज हुईं तो मैं आत्महत्या कर…
बस फिर क्या था- आंटी ने अपना हाथ मेरे होंठों पर रख दिया और आंसू भरी आंखों से बोलीं- मेरी कसम से ऐसा न कहो।
मुझे मजाक सूझा और मैंने कह दिया- आंटी मेरे होंठो पर अपना हाथ नहीं बल्कि अपने होंठ रख कर मुझे चुप कर दो !
आंटी ने एक पल मुझे घूर कर देखा, फिर अगले पल ही मेरे होंठों पर अपने होंठ रख दिये और चूमने लगी। मैंने भी देर करना मुनासिब नहीं समझा और आंटी का चेहरा हथेलियों में भर कर होंठों को चूसने लगा। करीब 2 मिनट बाद आंटी अलग हुईं और मुझसे कहा- भगवान के लिए अब ऐसी बातें नहीं बोलोगे !
मैंने कहा- आंटी ! भगवान को छोड़ो और कहो कि मेरे लिए ऐसी बातें नहीं बोलोगे तो मैं नहीं बोलूंगा।
तब आंटी खिलखिला कर हंस पड़ी और मेरे गालों को चूम लिया।
मैंने कहा- आंटी आपके होंठ और गाल इतने रस भरे हैं कि मेरा जी चाहता है कि मैं देर तक चूसूं ! क्या आप बुरा तो नहीं मानेंगी।
आंटी ने कहा- मेरे होंठों गालों को ही क्या, जो तुम चूमना, चूसना चाहते तो वो चूसो। लेकिन अभी तुम्हारे अंकल घर में आते ही होंगे इसलिए बाद में चूसना।
मैंने कहा- अंकल को मैं रात को बाहर भेज दूंगा कहीं तब आपको खूब प्यार करूंगा।
आंटी ने कहा- ठीक है ! मैं सोचूंगी कि कैसे तुम्हारे अंकल को बाहर भेजूं !
मैंने कहा- आंटी, आप व्यर्थ ही चिंता करती हैं, मैं खेत पर किसी बहाने से भेज दूंगा।
तब आंटी ने कहा- तुम बैठो ! मैं चाय बनाती हूँ तुम्हारे अंकल आते ही होंगे। और आंटी चाय बनाने चली गईं और मैं बाहर दरवाजे पर आ गया यह देखने कि अंकल आ रहे हैं या नहीं। बढ़िया हुआ कि अंकल नहीं आ रहे थे।
मैंने दरवाजे को बंद किया लेकिन जंजीर नहीं लगाई और अंदर आ गया।
अब मैं अपनी आंटी के जिस्म का बायोडाटा बताता हूँ। मेरी आंटी 25 साल की जवान लड़की हैं औरत इसलिए नहीं कह रहा कि मुझे तो बाद में मालूम हुआ कि आंटी की बुर की सील ही अभी नहीं टूट पाई थी ! नुकीली चूचियां, उनके बूब्स 36 के हैं कमर 28 चूतड़ 34 के साइज के हैं।
उनका चेहरा ऐसा लगता है जैसे कि मक्खन में एक चुटकी सिंदूर मिला दिया गया हो ! होंठ ऐसे जैसे कि अभी खून पीकर आई हों ! लम्बी सुराहीदार गर्दन ! भारी गोल चूचियां, पतली कमर बाहर को निकले हुए हाहाकारी चूतड़ ! केले के तने जैसी चिकनी जांघे लम्बी टांगें ! वाह! वाह! उनमें ऐसा सब कुछ था कि किसी का भी ईमान डोल जाए और फिर मेरी तो बल्ले-बल्ले थी, वो आसानी से मेरी गोद में जो आ गिरी थी।
जबकि इसके विपरीत मेरे अंकल 40 साल की उम्र पर पहुंच गये थे। अब अंकल का बायोडाटा बताने की जरूरत नहीं है क्योंकि पाठक खुद ही अंदाजा लगा लेंगे कि 40 साल का गांव का आदमी कैसा लगता होगा।
अब आता हूँ कहानी पर।
मैं सीधा रसोईघर में गया और बोला- आंटी ! अभी अंकल आते तो दिख नहीं रहे हैं !
तो आंटी बोली- दुकान दूर है और भीड़ भी लगी रहती है, इसलिए देर लग रही है। क्या तुम्हें कुछ ज्यादा ही भूख लगी है? अगर ज्यादा लगी हो तो बताओ कि क्या खाओगे।
मैंने कहा- आंटी, मैं तो इसलिए कह रहा था कि यदि अंकल देर से आयें तो मैं आपको चूम-चाट तो सकूं।
तब आंटी खिलखिलाकर हंस पडीं और बोली- इसीलिए रसोई में आ गये हो?
तो मैंने कहा- आपको यदि बुरा लगा हो तो मैं चला जाता हूँ।
आंटी बोल पड़ी- तुम जो चाहते हो वो करो, मैं बुरा नहीं मानूंगी और तुम मुझे आंटी नहीं रम्भा कहोगे।
मैंने कहा- ठीक है, मेरी रम्भा रानी ! तुम पीछे घूमकर चाय बनाओ तब तक मैं तुम्हारी गांड को देखता हूँ ! इससे चाय भी बनती रहेगी और मैं तुम्हारी गांड को देखता रहूँगा।
तब रम्भा पीछे को घूमी और मैं उसके चूतड़ों पर साड़ी के ऊपर से हाथ फेरने लगा। मैं जोर-जोर से उसके चूतड़ों को सहला रहा था और रम्भा सिसकारियां भर रही थी। हाथ फेरते हुए मैं उसकी साड़ी को ऊपर को सरका रहा था जिससे कि मुझे उसकी टांगें नजर आ रही थीं। मेरा लण्ड पैंट में खड़ाहोने लगा था जिससे कि मेरी लण्ड वाली जगह फूल गई थी। मेरा जी चाहा कि मैं रम्भा की साड़ी को ऊपर उठा दूं जिससे की उसकी मस्त गांड का नजारा तो देख सकूं।
मैंने साड़ी को ऊपर उठाना जारी रखा। ज्यों-ज्यों साड़ी ऊपर उठ रही थी मुझे उसकी जांघे दिखने लगीं। वाह क्या शानदार नजारा था ! क्या मस्त चिकनी जांघे थी। मैं नीचे बैठ गया और उसको चूमने लगा। चूमते-चूमते मैं रम्भा की गांड को भी देख रहा था। अब मैं सोच रहा था कि चूतड़ों को चाटूं कि अचानक मेरी छठेन्द्रिय ने मुझे खतरे का आभास कराया।
मैं तुरन्त ही उठ गया और बोला- रम्भा मुझे लगता है कि अंकल आ रहे हैं, तुम चाय बनाओ मैं बाहर जाता हूँ। और हां आज रात को ब्रा और पैंटी नहीं पहनना।
मैंने उससे कहा तो उसने प्रत्युत्तर में मुस्कुराकर आंख मार दी। मैं निहाल हो उठा और मैंने उसको पीछे से बांहों में भरकर चूचियां दबा दीं और बाहर को भाग गया। जैसे ही मैंने दरवाजा खोला तो देखा कि अंकल दरवाजा खोलने के लिए हाथ बढ़ा चुके थे।
मैं बोला- अंकल आप आ गये।
हां आ तो गया हूँ लेकिन तुम जा कहां रहे थे।
मैं बोला- आपने बहुत देर कर दी थी तो मैं बाहर आपको देखने जा रहा था कि देर क्यों लग रही है ! अब चलो।
जैसे ही हम अन्दर पहुंचे तो देखा कि रम्भा चाय लेकर रसोई से निकल रही थी।
ओह ! ” आप इतनी देर से आये हैं चाय तो बन गई है और आप अब आ रहे हैं !” रम्भा ने कहा।
”हां ! वहां दुकान पर भीड़ थी ना ! इसीलिए देर हो गई है !” अंकल ने कहा।
खैर, कोई बात नहीं ! चाय पियो ! रम्भा ने पैकट ले लिया और रसोईघर से प्लेट में नमकीन और बिस्कुट इत्यादि ले कर बाहर आ गई।
चाय पीने के बाद मैंने कहा- अंकल, मुझे आपका खेत देखना है, क्या बोया है खेत में?
”भुट्टा !” अंकल ने कहा।
बस मेरे दिमाग में एक योजना घुस गई।
अंकल आप खेत की रखवाली खुद करते हैं या फिर किसी और से करवाते हैं?
नहीं, तेरे अंकल खुद ही रखवाली करते हैं ! अंकल के बोलने से पहले ही रम्भा बोल पड़ी।
शाम का खाना खाकर मैं बोला- चलो अंकल मुझे अपना खेत दिखाओ चलकर ! शाम होने वाली है इसलिए जल्दी चलो, फिर वापस भी तो आना है।
हां आना तो है लेकिन यह कोई जरूरी नहीं कि मैं भी वापस आऊं ! अंकल बोले।
क्यों?
रम्भा बोली- यहां पर दूसरों के जानवर खेत चर जाते हैं, इसलिए तेरे अंकल ज्यादातर खेत में ही सोते हैं।
फिर हम खेत में चले गये। जब हम खेत में पहुंचे तो अंकल बोले- तुम खेत घूमो ! मैं टट्टी फिर कर आता हूँ।
एक जगह पर मुझे तरीका सूझ गया और मैंने कुछ पौधों को इस अंदाज में तोड़-मरोड़ दिया जैसे कि उसको किसी जानवर ने खा लिया हो। जब अंकल के साथ मैं खेत देख रहा था तो अंकल उस स्थान पर पहुंच कर बोले- आज यहीं पर सोऊंगा ! लगता है कि किसी जानवर ने इसे चर लिया है।
तुम घर चले जाओ ! अंकल ने अपना बिस्तर खेत में ही लगाते हुए बोले।
ठीक है ! कहकर मैं घर वापस आ गया।
घर में जब मैं आया तो देखा कि रम्भा घर के दरवाजे पर मेरे इंतजार में खड़ी थी। मेरे अंदर आते ही उसने दरवाजा बंद कर लिया।
ओह! मेरी जान ! रम्भा रानी ! तू तो बड़ी कयामत ढा रही है ! क्या तुमने ब्रा और पैंटी पहनी है।
नहीं तुमने ही तो कहा था कि न पहनो तो मैंने न पहनी।
हां तो मैं सबसे पहले तुम्हारे चूतड़ों को चूसूंगा ! चलो अन्दर बेडरूम में चलो।
हम बेडरूम में आ गये तो मैंने उसे सिंगारदार के सामने खड़ा कर दिया जिसमें कि एक बड़ा सा शीशा लगा हुआ था। अब मैंने उससे कहा- अब पीछे मुड़ कर अपनी साड़ी को अपने हाथों से ऊपर उठा कर अपने चूतड़ दिखाओ।
वह चहकती हुई पीछे को घूमी और साड़ी को ऊपर उठा कर अपने चूतड़ों को दिखाने लगी कि देखो बढ़िया हैं ना?
हां बहुत बढ़िया हैं ! मैंने कहा और जाकर उसके चूतड़ों को चाटने लगा। 2 मिनट बाद मैंने उसके हाथों को हटा दिया जिससे कि उसकी साड़ी नीचे को गिर गई।
अब मैंने उसे आगे से बाहों में भर लिया और उसके होंठ चूसने लगा। वाह ! क्या मदमस्त होंठ थे, उससे भी ज्यादा मदमस्त उसकी अदायें थी ! जितनी जोर से मैं उसके होंठों को चूसता उससे भी ज्यादा जोर से वो मेरे होठों को चूस रही थी। कुछ देर के बाद मैंने कहा- मेरी रम्भा रानी, अब तो मैं तुझे चोदकर वो मजा दूंगा कि तू सारी जिन्दगी याद रखेगी।
इतना कह कर मैं उससे लिपट गया और बिस्तर पर ले जाकर उसके होठों और गालों चूमने चाटने लगा। चाटते-चाटते मैं उसकी चूचियों को ऊपर से ही दबा रहा था। उसके मुंह से मस्त सिसकारियां निकल रही थीं। अब मैंने अपना चेहरा नीचे किया और कहा- रम्भा ! अब इस ब्लाउज को निकालने में मेरी मदद करो।
वो बोली- मदद क्या करना ! मैं ही निकाले दे रही हूँ।
उसने ब्लाउज को ऊपर से पकड़ा और एक ही झटके में खींच डाला। चूंकि ब्लाउज में चुटपिटी लगी हुईं थी इसलिए तुरन्त ही फाटक खुल गया और मेरे आंखे फटी की फटी रह गईं। इतनी बड़ी-बड़ी चूचियां गोल-गोल जैसे कि हिमालय पर्वत हों। वह लेटी थी लेकिन क्या मजाल कि जरा सा भी ढलकाव आया हो।
मैं उसकी चूचियों पर पिल पड़ा और खूब मरोड़-मरोड़ कर चूसा। चूचियां चूसते हुए मैं एक हाथ उसकी चूत पर भी फिरा रहा था। जिससे कि वह और भी गर्म हो गई थी। वह खूब तेजी से चिल्ला रही थी- चूसो और तेजी से चूसो ! आज भुर्ता ही बना दो इन चूचियों का।
कुछ देर बाद मैंने कहा- अब साड़ी और पेटीकोट को निकाल दो !
तो वह तुनककर उठ खड़ी हुई, बिस्तर के ऊपर खड़ी हो कर गुस्से भरी नजरों से मेरी तरफ देखा और कहा- तुम तो यह सब कपड़े पहने हो और मुझसे कह रहे हो कि निकालो। अब जब तुम पहले निकालोगे तभी मैं निकालूंगी।
मैंने उससे कहा- खुद ही मेरे कपड़े निकाल दो।
बस फिर क्या था- वह चहकती हुई आई और मेरे सारे कपड़े निकाल दिए, अंडरवियर भी नहीं छोड़ा। जैसे ही उसकी नजर मेरे लण्ड पर पड़ी तो उसकी आश्चर्ययुक्त व खुशी मिश्रित चीख निकल गई- अरे ! इतना बड़ा और मोटा लण्ड।
‘क्यों? क्या हुआ?’ अपने लण्ड को बिना हाथों के ही हिलाते हुए मैं बोला।
वह बोली- तुम्हारे अंकल का लण्ड तो 3 इंच लम्बा है और आधा इंच ही मोटा !
खैर कोई बात नहीं ! मैं बोल पड़ा- अब मैं तुम्हें मजा दूंगा, लो छू कर देखो ! उसने किलकारी निकालकर मेरे लण्ड को पकड़ लिया और उससे खेलने लगी।
मैं अचानक पीछे हटा और कहा- अब तुम कपड़े पहने हो तो नहीं खेलने दूंगा।
बस फिर क्या था मेरे कुछ भी करने से पहले ही उसने अपने सारे कपड़े निकाल दिये। चूंकि कमरे में भरपूर प्रकाश था इसलिए उसकी बुर बिना झांटों की साफ चमक रही थी।
लेकिन वह तुरन्त ही आई और मेरे लण्ड से खेलने लगी।
मैंने उससे कहा- यह सब लेट कर करें?
वह तुरन्त मान गई और हम लेट गये। वह मेरे लण्ड से खेलते खेलते ही चूमने लगी और चूमते हुए ही चूसने लगी। मैं अब तक बहुत उत्तेजित हो चुका था सो मैंने उससे कहा- अब हम 69 की पोजीशन में आ जायें ! मैं तुम्हारी बुर चाटना चाहता हूँ।
अब हम 69 की पोजीशन में थे। वाह ! क्या बुर थी उसकी बिना झांटो के छोटी सी गुलाबी ! मैं बेतहाशा उसको चूसने लगा। कभी मैं जीभ ऊपर करता तो कभी नीचे कभी गोल-गोल घुमाता तो कभी बुर के अन्दर घुसेड़ देता। मैं उसके दाने को जोर-जोर से चूस रहा था सो मैं और वह कन्ट्रोल नहीं रख पाये और हम दोनों ही एक दूसरे के मुंह में झड़ गये। मैंने उसका और उसने मेरा सारा रस पी लिया।
फिर हम सीधे लेट गये और मैं उसकी जांघों पर अपनी एक टांग रखकर और एक हाथ से उसकी एक चूची दबाकर पूछने लगा- क्या अंकल तुमको नहीं चोदते हैं?
वह बोली- अब तक उन्होंने मुझे 10-15 बार ही चोदा है किन्तु उनकी छोटी सी लूली क्या करेगी ! और मैंने अपनी सहेलियों से सुना है कि पहली बार चोदने पर खून भी निकलता है लेकिन मेरे तो नहीं निकला !
मैं समझ गया कि यह अभी कुवांरी ही है ! मैंने उसे बताया कि तुम अभी कुवांरी ही हो ! छोटा सा लण्ड कुछ भी नहीं कर पाया है। अब देखो कि मैं तुमको कैसे चोदता हूँ। तुम अपनी जांघें फैला लो !
मैंने नीचे तकिया लगा दिया जिससे कि उसकी चूत पूरी खुल गई। अब मैं उसके बीच में आ गया और लण्ड को उसके दाने पर रगड़ने लगा। वह चिल्ला पड़ी कि अब सब्र नहीं होता है खोंस दो।
मैंने उससे कहा- तुम मुंह में कपड़ा खोंस लो जिससे कि आवाज नहीं निकलेगी।
तो वह बोली- क्या दर्द होगा?
मैंने कहा- थोड़ा सा होगा ! फिर बहुत मजा आयेगा।
उसने तुरन्त ही कपड़ा खोंस लिया। अब तक उसकी बुर खूब चिकनी हो गई थी। सो मैंने देर करना मुनासिब नहीं समझा और उसकी कमर को पकड़ कर एक जोरदार झटका दिया।
इतनी जोरदार कि मेरा पूरा का पूरा लण्ड उसकी बुर में घुस गया। वह जल बिन मछली की तरह तड़प रही थी और पूरा जोर लगा कर मुझे बाहर की तरफ ढकेल रही थी लेकिन मैंने उससे कहा- जोर से बिस्तर को पकड़ लो और मैंने लण्ड बाहर की तरफ खींचा और फिर पुनः अन्दर को खोंस दिया। अगर उसके मुंह में कपड़ा नहीं होता तो फिर आधे गांव में उसकी चीख साफ सुनी जा सकती थी।
लगातार 5 मिनट तक मैं उसकी बुर की चुदाई करता रहा और वह तड़पती रही। 5 मिनट के बाद मैं रूका और लण्ड को उसकी चूत में डालकर उसके ऊपर लेट गया और उसकी चूची दबाते हुए उसके मुंह से कपड़ा निकाला। उसने एक हिचकी ली और रोते हुए बोली- भला ऐसी कहीं चुदाई की जाती है कि मेरी बुर का भुर्ता ही बन जाए।
मैंने कहा- अब दर्द तो खत्म हो गया है अब तो सिर्फ मजा ही आयेगा।
तना कह कर मैं पुनः उठा और उसकी बुर को धीरे-धीरे चोदने लगा। अब वह चिल्ला रही थी कि स्पीड तेज करो और तेज ! उसके मुंह से मदमस्त सिसकारियां निकल रही थी और अपनी उंगली से बुर को रगड़ रही थी।
15 मिनट तक मैं उसको चोदता रहा। इस दौरान वह दो बार झड़ी।
फिर मैंने कहा- अब तुम मेरे उपर आ जाओ और मुझे चोदो !
जब मैंने लण्ड बाहर निकाला तो उसकी बुर से खून और बुर-रस निकल रहा था तो मैंने उससे कहा- देखो यह तुम्हारी कुवांरी बुर की निशानी है ! और अपना लण्ड उसकी आंखो के सामने कर दिया तो वह शरमा गई। अब वह मेरे उपर थी और जोरदार तरीके से उछल रही थी। कभी मैं उसको रोक कर जोरजोर धक्के लगाने लगता तो कभी वह मुझे रोककर उछलने लगती।
10 मिनट के बाद वह झड़ गई तो धक्के लगाना बंद कर दिया और बोली- अब मैं थक गई हूँ !
लेकिन चूंकि मेरे लण्ड से एक बार माल चूसते समय पहले ही निकल गया था इसलिए मैं झड़ा नहीं था। सो मैंने उसे नीचे लिटाया और जोर-जोर से चोदने लगा। 5 मिनट के बाद मुझे लगा कि अब मैं झड़ने वाला हूँ तो उससे कहा- मैं अपना माल कहां पर छोड़ूं?
तो उसने कहा- बुर में ही छोड़ दो ! मुंह में तो एक बार ले ही चुकी हूँ।
मैंने अपनी स्पीड बढ़ा दी और अचानक रम्भा के शरीर को झटके लगने लगे मैं समझ गया कि वो झड़ने वाली है। जब मेरे लण्ड से पिचकारी निकलने लगी तो मैंने अपने लण्ड को जड़ तक अन्दर खोंस देता और बाहर खींचता लेकिन सुपाड़ा अन्दर ही रहने देता। मैं यही क्रिया बार-बार दोहरा रहा था। जब हम दोनों पूरे झड़ गये तो मैंने एक करारा धक्का लगा कर अपना लंड पूरा अंदर पेल दिया और रम्भा के ऊपर लेट गया और कहा- कैसा लगा?
उसने कहा- मेरे राजा आज मुझे इतना मजा आया है कि आज तक कभी भी नहीं आया होगा !
तो मैंने कहा- तो चलो इसी बात पर एक रसभरा चुंबन हो जाय !
रम्भा ने मेरे होंठो को चूम लिया और बोली- अब मैं बहुत थक गई हूँ चुपचाप सो जाओ। अब कल चोदेंगे।
गुड नाइट!
मेरे दोस्तों! खासकर लड़कियों ! मैं इस कहानी को लिखना तो लम्बा चाहता था लेकिन मुझे इतना समय और वातावरण नहीं मिला कि मैं इस कहानी को दो-तीन सौ पेजों में बना देता। अगर जो आपको मेरी कहानी अच्छी लगी हो तो फिर मुझे मेल करो ताकि मैं और भी अच्छी कहानियां लिख सकूं। Antarvasna
मैं एक पंजाबन लड़की हूँ Antarvasna और इंग्लैंड में एक साल का स्टडी और साथ दो साल के वर्क परमिट वीसा पर इंग्लैंड आई थी। दो साल के बाद मैंने अपना वीसा एक्सटेंड करवा लिया था। कुल मिला कर तीन साल से इंग्लैंड में हूँ। पहले तो सपने में भी इन्टरनेट पर बैठने की नहीं सोची, यहाँ किसी के पास फालतू समय नहीं, मैं भारत में बहुत इन्टरनेट सर्फिंग करती थी, इसके ज़रिये दो यार बना लिए थे और फिर उनके साथ खूब मस्ती की। वैसे भी कॉलेज में मेरे कई लड़कों से चक्कर थे और मैं एक चालू और जुगाड़ टाइप की लड़की कहलाती थी। लड़कों के साथ पकड़े जाने पर मैं दो बार कॉलेज से सस्पेंड हुई थी- एक बार तो केमिस्ट्री लेब में और दूसरी बार क्लास रूम में आधी छुट्टी टाइम !
मुझे और उन दोनों लड़कों की भी निकाल दिया। उसके बाद मैंने प्राइवेट स्कूल जगन ज्योति पब्लिक स्कूल से मैं हीला वसीला करके पास हुई। मैं बोर्ड की क्लास में थी कामर्स ग्रुप में।
सुपरिटेंडेन्ट लग कर आये सर को अपने हुस्न के जाल में फंसाया। वैसे तो बहुत नक़ल चल रही थी लेकिन सर मुझे अलग बिठा देते और बुक्स, नोट्स दे देते ! पेपर के बाद मुझे सर ही घर छोड़ते थे। पहला पेपर ख़त्म हुआ, उन्होंने कह दिया था कि मेरे साथ चलना ! मैं ही घर छोड़ दूंगा।
मैंने घर में कहा कि पेपर के बाद अगले पेपर की तैयारी के लिए मुझे ट्यूशन पढ़नी पड़ रही है।
किसी ने कुछ नहीं कहा। उसने कार में ही छेड़छाड़ शुरू कर दी। पूरे रास्ते में उसका हाथ में पकड़ सहलाती आई और वो भी बीच बीच में मेरे मम्मे दबाते आये।
मेरे पास समय कम था, मैं उनके घर जाते ही उनसे लिपट गई और वो मुझे बेडरूम में ले गए। जाते ही मैंने अपनी शर्ट उतार दी और फिर स्कर्ट भी उतार दी। मुझे नंगी देख उसका लौड़ा कच्छे को फाड़ने को आ रहा था तो मैंने एक पल में उतार दिया। उनका लौड़ा इतना भयंकर होगा, सोचा नहीं था।
मैं वहीं पाँव के बल बैठ गई और मुहं में ले लिया।
और फिर उन्होंने मुझे एक घंटे में दो बार चोदा। इस तरह मैंने बारहवीं के पेपर दिए और मेरे ७५% नंबर आये।
मेरी एक बहन शादी के बाद अपने पति के साथ बंगलौर चली गई और वो हमें उनके घर की साफ़ सफाई के लिए चाभी दे गई। एक दिन मैंने घर से चोरी छिपे चाभी उठाई और अपने बॉयफ्रेंड को वहीं बुला लिया।
अभी हम पहला राउंड लगा कर साँसे ले रहे थे कि कोई आ गया, झट से कपड़े पहने, दरवाज़ा खोला तो देखा- माँ थीं ! ज़बरदस्त थप्पड़ लगा ! यह तेरा स्कूल है हरामजादी?
उस मुहल्ले में भी मेरी बदनामी देख मेरी इंग्लैंड की फाइल लगा दी गई और कर-करवा कर एक यूनीवर्सिटी में दाखिल करवाया। दो साल का वर्क परमिट मिला और उड़ कर चली गई इंगलैंड।
अपने सारे आशिकों के बारे सोच-सोच मेरा मन सा भर आता ! वहाँ मेरा कोई रिश्तेदार नहीं था। यूनीवर्सिटी में क्लास ज्वाइन कर ली और हॉस्टल में रहने लगी।
एक-दो महीनों में वहां मेरा एक भारतीय लड़के से चक्कर शुरु हो गया।
उसने मुझे कहा- हॉस्टल छोड़ दे और मेरे साथ रेंट पर रह ले ! अपने हिस्से के पैसे देती रहना ! हॉस्टल से कम खर्चा है और साथ में बहुत बढ़िया काम पार्ट-टाइम मिलेगा !
वो जहाँ रहता था उसमें तीन कमरे थे रसोई, आलीशान बाथरूम, वूडन फ्लोर्स, दो कमरों में छः लड़के रहते थे और एक में तीन लड़कियाँ ! एक भारतीय, एक पाकिस्तानी और एक नाइजीरियन।
कमरे बहुत खुले थे। मैंने सोच-विचार करके हॉस्टल छोड़ दिया और मैंने रवि से कहा- आज कॉलेज बंक करके मेरा सामान मेरे साथ शिफ्ट तो करवा दे !
उसने मेरी मदद की, सभी कॉलेज गए हुए थे, हम दोनों अकेले थे, उसको अकेला देख मेरी प्यास जाग उठी। दो महीने से ज्यादा मुझे लौड़ा लिए हो चुके थे।
उसने मुझे हल्के से चूमा और बोला- आई लव यूं रूही !
मैं उठी और उसके सामने खड़ी होकर उसके होंठ चूसने लगी और बोली- आई लव यू टू रवि ! आई लव यू सो सो मच !
कहते-कहते उसके पाँव पर खड़ी हुई और उसके साथ लिपट गई। मेरी चूचियाँ बहुत शानदार हैं, कसी हुई है और मेरे चुचूक बहुत बड़े और लड़के के खींचने के लिए काफी बढ़िया हैं। जानबूझ कर मैं अपने मम्मे उसकी छाती से लगा दबाव दे रही थी, उसका कण्ट्रोल खोने लगा था। मैं उसके लौड़े में आ रहे कसाव को महसूस कर रही थी। बस वो थोड़ा सा डर रहा था कि मैं नाराज़ न हो जाऊँ !
मैंने अपना टॉप खुद उतार फेंका और नीचे से हाथ उसके लौड़े पर फेरने लगी। अब वो खुलने लगा, मैंने उसकी शर्ट उतार दी और अपने मम्मे उसकी घने बालों वाली मर्दानी छाती से घिसने लगी। मैंने अपनी स्कर्ट की साइड जिप खोल दी और बटन भी, जिससे स्कर्ट नीचे घिर गई।
मेरी गोरी जांघें देख वो आपे से बाहर होने लगा। उसके होंठ चूसते हुए साथ-साथ मैंने उसकी बेल्ट खोली, फिर उसका बटन खोला और उसकी जींस उतार फेंकी और नीचे झुकते हुए उसके अंडरवियर से उसका लौड़ा निकाल मुँह में ले लिया। उसका लौड़ा सामान्य आकार का ही था, लेकिन था बहुत दिल खींचने वाला !
उसको कुछ करने का मैंने मौका ही नहीं दिया था, पहल खुद की थी और उसको अपनी मर्ज़ी से आगे बढ़ा भी रही थी। वो हैरान भी था लेकिन खुश भी ! ओह बेबी सक ! सक इट डार्लिंग !
उसका सात इंच का लौड़ा बहुत मज़ेदार था। उसने मुझे बिस्तर पर लेजाकर टांगें खोल पैंटी उतार दी और अपने होंठ मेरी गर्म हो रही चूत पर रख दिए, लगा चाटने !
अह उह अह उह ! मेरे मुँह से अब मस्ती की आवाजें आने लगी थी। मैंने अपनी टांगें उसके कन्धों पर टिका दीं और उसने अपना लौड़ा मेरी चूत में उतार दिया, चूत कसी थी क्यूंकि दो महीनों से भी ज्यादा से उसमे ऊँगली के इलावा कुछ नहीं घुसा था। उसने स्पीड बढ़ा दी। उसका स्टेमिना देख में बहुत खुश थी। फिर दो घंटे अलग अलग मुद्राओं में हमने चुदाई का मजा लिया।
मुझे एक स्टोर में काम मिल गया और मैं पढ़ाई भी करती थी। मेरा रवि के साथ चक्कर था, यह पूरे घर में मालूम था। लेकिन रवि के पक्के दोस्त पंजाब से थे मुझे पर लाइन मारते थे। मैं भी उनको उलझा कर मजे ले रही थी।
रवि मुझसे शादी करना चाहता था, तभी उसकी बहन की शादी पक्की हो गई थी और वो भारत चला गया। उसकी गैर मौजूदगी में मैं उन दोनों के साथ सहमत हो गई। दोनों टैक्सी चलाते थे, मैंने उन्हें कहा कि मेरा लाइसेंस बनवा दो।
इसमें चोखी कमाई थी !
चुदाई के बदले दोनों ने मुझसे लाइसेंस के लिए ड्राइविंग लर्निंग टेस्ट के लिए अप्लाई करवा दिया उसकी फीस खुद भरी। जैसे ही मेरा यह काम करवाया, मैंने उनके साथ किया वादा निभा दिया।
यह वादा कैसे निभा?
यह जानने के लिए अन्तर्वासना के साथ दिल से जुड़ जाओ क्यूंकि मेरा सफ़र कुछ लम्बा है ! एक बार में नहीं समाएगा !
मेरा इन्तज़ार करो ! Antarvasna
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