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Massage Girl in Gopalganj: Premium Relaxation Services

Our site can help you find a professional massage girl in Gopalganj who will help you relax in the best manner possible. We connect you with professional therapists who can offer you a massage that will make you feel better and more relaxed. The pros on our list are ready to provide you with a fantastic experience at your house or in one of their particular spots, whether you want to relax or get away from it all.

Introduction

Massage is currently one of the finest methods to relax your mind, body, and overall health. Our website makes it easy to locate the top massage services in Gopalganj that meet your demands. This will be a one-of-a-kind and calming experience for you.

Tottaa wants to make it simple for clients to find the top masseuse. The Gopalganj massage service providers on our list offer the greatest quality, comfort, and competence, whether you want a full-body massage or a massage for a particular location.

How Tottaa Helps Advertisers Reach More Customers

Tottaa is not only a list of masseuses, it’s also a secure location for them to show off what they can do. People in Gopalganj who are seeking massage services may find them on our website. This makes them easier to find and gets them more appointments.

Advertisers may simply put up profiles, offer their services, and talk about pricing and discounts on our sites. This makes sure that the relevant people notice your Gopalganj massage service, which makes it easier to obtain more customers.

Different Types of Massages We Offer

There are a lot of different types of massage services on our site, so you may choose one that works for you. You may choose the kind of treatment that works best for you, whether it’s profound rest or a particular type of therapy.

1. Swedish Massage

A calm and gentle way to ease muscular tension and improve blood flow. This Gopalganj massage is perfect for you if you want to relax and forget about your concerns.

2. Deep Tissue Massage

This approach employs a lot of pressure to get to deeper muscle layers. It’s helpful for folks who have muscular discomfort or stiffness that won’t go away. There are specialists on our profiles of massage girls in Gopalganj who are good at deep tissue treatments that function effectively.

3. Aromatherapy Massage

Calming massage strokes and essential oils are beneficial in making people feel improved both emotionally and physically. Most massage companies in Gopalganj employ the use of custom oil preparations to make you feel good.

4. Thai Massage

A therapy that wakes you up by using a mix of regular massage, stretching, and compression. This traditional massage in Gopalganj helps you relax, become more flexible, and get your mind and body back in harmony.

5. Hot Stone Massage

Heated stones are placed on various parts of the body to help with deep muscular tightness. People who want to feel good, relax, and help their muscles recover quickly can use this massage service in Gopalganj

How to Book Our Massage Services

Tottaa makes it simple and fast to book. With our listings, you can see what kind of massage you want, read about the providers, see that they are free and then contact them directly. After you choose, you can book a massage in Gopalganj at your convenient time and location. In order to get your desired massage services, apply the following simple steps:

Step 1: Browse Our Listings

Take a peek around our site to view a few massage professionals. Each listing gives you information about the many sorts of massages, how long they last, how much they cost, and where they are situated. This makes it easier to choose the finest ones.

Step 2: Compare and Shortlist

Examine the profiles carefully to compare how the services, talents, and reviews posted by customers differ. This phase makes sure you choose a business that has the style, pricing, and supply you desire.

Step 3: Connect with the Provider

When you have decided, use the information that you are offered so that you can contact them directly. One can communicate it to the massage giver thus making it understood what massage you want at what time and when.

Step 4: Confirm the Appointment

The date, time and place of the service, which could be your home, a hotel or the spa where the therapist may be found. You also need to agree on the payment method and any other accords prior to commencement of the course.

Step 5: Relax and Enjoy Your Massage

All you have to do on the day of the appointment is have your area ready for the house visit. The remainder will be handled by the expert. Take it easy and enjoy a massage that is made just for you.

Frequently Asked Questions

To locate a professional who can meet your needs, read our biography, reviews and advertising.

Yes, many of the therapists on our site will come to your house so you may feel safe and at ease.

You may pick based on talents since most adverts provide their qualifications in their profiles.

It would be advisable to make a reservation earlier to guarantee that you would be able to get a massage, particularly against the prevalent services of massage.

Not at all. Tottaa exclusively connects users with service providers. The doctor gets to choose how to handle payment.

Read Our Top Call Girl Story's

Antarvasna

हेलो फ्रेंड्स आपने मेरी कहानी Antarvasna अंतरवासना पर पढ़ी, अब मैं आप लोगों को उसके बाद क्या हुआ उसका हाल सुनाउँगा।

जब मैं भाभी की गांड में ऊँगली कर रहा था तभी उसकी छोटी बहन कॉलेज से वहाँ आ गई और उसने हमको देख लिया और वो बेडरूम के बाहर चली गई।

और फिर थोड़ी देर बाद मैं और भाभी बेडरूम के बाहर आए तो वो सोफा पर बैठी हुई थी उसने हमको देख कर कहा- तुम क्या कर रहे थे?

तो भाभी ने कहा- तुम्हारे जीजू जो नहीं करते वो मैंने इसके पास करवाया।
उसने कहा- मैं जीजू को बोल दूँगी।
पर भाभी घबराये बगैर कहने लगी- कोई बात नहीं, मैं भी तुम्हारी सारी बातें जानती हूँ।
तो वो बोली- कैसी बातें?
कहने लगी- तुम बाथरूम में रोज क्या करती हो, अपनी पुसी को रब करके उसमे उंगली रोज करती हो कि नहीं?

यह सुनकर वो घबरा गई, तो फिर भाभी कॉनफिडेंस में आ गई और कहने लगी- तुम चाहो तो तुम भी मज़े ले सकती हो, मुझे कोई प्राब्लम नहीं है।

यह सुनकर मैं खुश हो गया कि चलो एक साथ दोनों बहनों को चोदने को मिलेगा और एक तो वरजिन है।

फिर भाभी उसके पास जाकर बैठ गई और का स्कर्ट बहुत छोटा था, उठा दिया।

तो मैं देख कर हैरान हो गया कि उसकी पेंटी एक दम भीगी हुई थी।

भाभी ने कहा- अभी तुम क्या कर रही थी हमको देख देख कर अपनी पुसी रब कर रही थी ना?
और कहा- चलो, आज तुम भी पूरा मज़ा ले लो।

और उसकी पुसी को रब करने लगी।

यह देख कर मेरा लंड फिर खड़ा हो गया और मैं सोफा के पीछे खड़े होकर उसके बड़े बड़े टाइट बूब को दबाने लगा।

अब वो भी मस्ती में आने लगी एक तरफ भाभी उसकी पुसी को सक कर रही थी और दूसरी तरफ मैं बूब्स को दबा रहा था, उसके बूब बहुत ही टाइट और मोटे थे।

फिर वो बोली- प्लीज़, मेरे बूब्स को सक करो।

मैं सोफा पर आकर बैठ गया और उसका शर्ट उतार दिया और उसके बूब को सक करने लगा।

उसके बूब को सक कर कर एकदम रेड हो गया और उसकी पुसी ने भी पानी छोड़ दिया था।
अब वो एकदम हॉट हो चुकी थी।
मैं उसके सारे बदन को सक कर रहा था।

फिर मैंने अपना पेंट उतारा और मेरा मोटा और लंबा लंड उसके मुँह में देने की कोशिश करने लगा तो वो मना करने लगी।

पर मैंने कहा कि जब तक तुम इसको सक नहीं करोगी यह तुम्हारी पुसी में जाने से इनकार करेगा सो प्लीस इसको सक करो।

फिर वो मेरे लंड को सक करने लगी और मुझे बहुत मज़ा आने लगा।

अब मैं उसकी पुसी को सक करने लगा फिर एक बार उसकी पुसी ने पानी छोड़ दिया।

भाभी ने कहा- समीर जल्दी करो वरना कोई आ जाएगा, अब यह एकदम तैयार है अपना कॉक इसकी पुसी में डालो।

अब भाभी भी पूरी तरह न्यूड थी और वो भी अपनी पुसी में फिंगरिंग कर रही थी और अपनी सिस्टर को बोल रही थी- चाटो मेरी पुसी को… तुम्हारे जीजू तो इसको छूते ही नहीं है यह मुझे बहुत परेशान करती है।

तो मैंने भाभी को कहा कि तुम्हें जब भी अपनी पुसी और सारे बदन को चटवाना हो तो मुझे याद कर लेना मैं आपके सारे बदन को मसाज और चाटूँगा।

तो बोली- हाँ ज़रूर, मैं अब तुमसे ही अपने बदन की मालिश और सक करवाउंगी। तुम इस काम में बहुत एक्सपर्ट हो।
और कहा- चलो अब इसकी पुसी की प्यास बुझा दो। यह भी बाथरूम में जा जा कर अपनी पुसी को रब करती और फिंगरिंग करती है।

तो वो बोली- दीदी, मैं तो जीजू और आपको रात को करते देख कर ही यह सब सीखी हूँ और मेरी पुसी में फिंगरिंग डालती हूँ। अब मुझसे इसकी खुज़ली बरदास्त नहीं होती, दीदी आप कुछ करो न।

तो भाभी ने कहा- समीर जल्दी करो।

फिर मैंने उसको सोफा पर ही लिटा दिया और उसके हिप्स के नीचे भाभी ने एक पिलो रखा क्यूंकि वो अभी वर्जिन थी।

और मुझे कहा- चलो!

और वो उसके मुँह के पास जाकर अपनी पुसी उसके मुँह पर रख दी और कहने लगी- तुम इसको सक करो।

मैं अपना लंड उसकी पुसी के सामने रखा और अंदर करने लगा पर उसकी पुसी बहुत ही टाइट थी वो अंदर नहीं जा रहा था।

यह देख कर भाभी ने कहा- थोड़ा ज़ोर लगाओ।

मैंने ज़ोर लगाया पर वो अंदर नहीं गया तो भाभी ने कहा- तुम्हारा बहुत मोटा है मैंने आज तक इतना मोटा लंड xxx मूवी में भी नहीं देखा है।

और वो वहाँ से खड़ी हुई और बेडरूम में से क्रीम लेकर आई और थोड़ा मेरा लंड पर लगाया और थोड़ा अपनी सिस्टर की पुसी पर रब किया और फिर कहा- अब अपना कॉक डालो।

मैंने फिर ट्राइ किया और मेरा थोड़ा कॉक उसकी पुसी में गया तो वो रोने लगी कि मुझे दर्द हो रहा है।

तो भाभी ने कहा- कुछ नहीं होगा और उसके लिप्स पर अपने लिप्स रख दिए और मुझे इशारा किया कि अब डालो।

तो मैंने एक ज़ोरदार धक्का दिया और सारा लंड उसकी वर्जिन पुसी में डाल दिया।

वो चीख पड़ी पर भाभी के लिप्स होने से उसकी आवाज़ नहीं निकली पर उसके आंशु निकल गये वो रोने लगी।

तो भाभी ने कहा कि कुछ देर तुम यूँ ही रहो, इसकी चूत छोटी और टाइट है इसलिए।

फिर मैं करीब 5 मिनट यूँ ही रहा और फिर मूव होने लगा अब उसको भी मज़ा आने लगा और वो भी रेस्पोन्स देने लगी।

और कहने लगी कि ज़ोर से और ज़ोर से कई दिनों से मैं किसी के पास जाकर चुदवाने की सोच रही थी पर कोई मुझे मिला ही नहीं एक बार मैंने अपने लिफ़्टमैन के सामने भी अपने बूब्स दबाये थे कि यह देख कर वो मुझे छेड़े और सेक्स करे पर उसकी वाइफ वहाँ आ गई।

मैंने अपने बॉय फ्रेंड को भी कहा था पर उसका लंड तो बहुत छोटा था तुम्हारा रियली में बहुत सेक्सी और मोटा लंड है अब मैं इससे ही चुदवाउंगी।

फिर मैं 15 मिनट स्ट्रोक लगाने के बाद पानी छोड़ने वाला था तो भाभी ने कहा- रोनू बाहर पानी निकलना !

तो मैंने फॉरन अपना लंड बाहर निकाला और उसके मुँह में पानी छोड़ दिया और उससे कहा कि तुम्हारी पहली चुदाई का जूस है तुम पी जाओ।
वो सारा मेरा पानी पी गई और कहा- बहुत टेस्टी है।

सो फ्रेंड कैसी लगी मेरी यह कहानी। Antarvasna

दोस्तो, आज मैं आपके सामने एक सच्ची कहानी लेकर आया हूँ। Antarvasna Stories

बात उन दिनों की है जब मैं अपनी Antarvasna Stories पढ़ाई के लिए दिल्ली आया था, मुझे मेरे बुआ के घर पर रहना था। मेरी बुआ का लड़का एक बहु-राष्ट्रीय कम्पनी में काम करता है। उनकी शादी अभी दो साल पहले हुई थी। मेरी भाभी जिनका एक साल का एक लड़का भी है, उनकी सुन्दरता में कोई कमी नहीं थी।

उनकी चूची ऐसी थी मानो नागपुरी संतरे अभी अभी पेड़ों पर लदा ही है। उनका आकार भी मानो क़यामत हो। उनको देख कर कोई यह कह नहीं सकता कि उनका एक साल का एक बच्चा भी है।

हमेशा मेरा मन उन्हें चोदने को करता पर मौका नहीं मिल पाता। वैसे जब भी मैं पढ़ कर घर आता तो उनका बिस्तर ही मेरे आराम का साधन होता था। मैं उनके बिस्तर पर ही लेट जाता जाता था, मेरी भाभी भी आकर मेरे बगल में लेट जाती थी।

चूंकि घर में बुआ के अलावा और कोई था भी नहीं और मेरी बुआ को मेरे ऊपर विश्वास था ही, इसकी वजह से कभी किसी को कोई परेशानी नहीं हुई।

एक दिन भाभी मेरे बगल में लेट कर बच्चे को दूध पिला रही थी, उस वक़्त उनकी चूची देखी थी, क्या रंग दिया था खुदा ने उनके शरीर को, एकदम दूधिया रंग की चूची थी उनकी? देखा तो देखता ही रह गया था! उस दिन चोरी चोरी उनकी चूची को देखता रहा और कब नींद लग गई पता ही नहीं चला।

उस दिन के बाद मैं हमेशा उनके आगे-पीछे डोलने लगा कि कब मौका मिल जाये और उनके गोरे बदन का दीदार हो जाये। रब ने ऐसा मौका जल्दी ही दे दिया।

उस दिन बुआ पड़ोस में पूजा देखने के लिए गई थी और शाम से पहले लौटने वाली भी नहीं थी। मैं गया और भाभी की रजाई में घुस गया। थोड़ी देर बाद भाभी भी बच्चे को ले कर आई और मेरे सामने ही दूध पिलाने लगी।

अब मेरे लिए बर्दाश्त करना मुश्किल हो रहा था, मैं रजाई से निकल कर जाने लगा तो भाभी ने मुझे टोका, कहा- कहाँ जा रहे हो?
तो मैंने छूटते ही कहा- जब आप ऐसे रहोगी तो मेरे लिये यहाँ पर रहना मुश्किल हो जाएगा।
वो मेरी बात को समझ नहीं पाई और बोली- क्या हुआ? मैंने ऐसे क्या कर दिया जो ऐसे बोल रहे हो?
फिर मैंने कहा- भाभी एक तो आप बला की खूबसूरत हो! जो भी देखे देखते रह जाए। मेरे लिए तो आपको देख कर अपने आप पर काबू कर पाना पहले ही मुश्किल था उपर से आपके आपके ये नागपुरी संतरे मुझे जीने नहीं दे रहे हैं।

यह सुनकर भाभी थोड़ा सा शरमा गई और रूठने का नाटक करती हुई बोली- जाओ! मैं आपसे बात नहीं करती!
फिर मैं भाभी को अपनी तरफ घुमाते हुए बोला- सच कहता हूँ भाभी! मैंने जब से आपको देखा है मेरे तो नींद ही उड़ गई है, हरदम मेरे खयालो में आप ही रहती हो।
इतना सुनते ही भाभी शरमा गई और बस इतना ही बोली- धत्त!

फिर क्या था मैंने उनको अपने आगोश में लेते हुए उनके गाल पर एक चुम्मा जड़ दिया।
उन्होंने अपनी आँखें बंद कर ली और थोड़ी देर तक ना-नुकर करती रही, लेकिन उन पर मेरी पकड़ मजबूत होती जा रही थी, उनके गालो की जगह मेरे ओंठ उनकी ओंठों को चूमने लगे थे और मेरे हाथ धीरे-धीरे उनकी नंगी चूचियों की तरफ बढ़ने लगे थे।

मेरी उँगलियों का जादू उन पर धीरे-धीरे छाने लगा था और वो भी मदहोश होने लगी थी।
जब पहली बार मेरे हाथ उनकी चूचियों पर पड़े, मानो मुझे स्वर्ग मिल गया।

जिंदगी में पहली बार इस सुखद एहसास का आनंद मिल रहा था जिसे मैं किसी भी कीमत पर खोना नहीं चाहता था। मेरे ओंठ अभी भी उनके ओंठों पर चिपके हुए थे और मेरी उंगलियाँ उनकी चूचियों पर तैर रही थी।

मैंने थोड़ी सी हिम्मत दिखाई और मैंने अपना दायाँ हाथ उनकी कमर में डाल दिया और धीरे धीरे उनकी नंगी कमर को सहलाने लगा, साथ ही अपनी जीभ उनके मुँह में ठेलने लगा।
इसके एवज में उन्होंने मुझे बहुत जोर से जकड़ लिया और मेरे हर चुम्बन का जबाव दुगुने जोश के साथ देने लगी।

अब मेरे लंड की हालत ख़राब होने लगी थी और पजामे के अन्दर वो फुंफकार मारने लगा था। मैंने एक हाथ से अपने पजामे का नाड़ा ढीला किया और 7″ लम्बे लंड को बाहर निकाल कर उनके हाथों में थमा दिया। जिसे वो बड़े प्यार से सहलाने लगी मेरे लंड की अकड़ धीरे धीरे बढ़ती जा रही थी।

मैंने अपने हाथों का दायरा थोड़ा और बढ़ाया और धीरे-धीरे अपनी उँगलियों को उनकी चूत की तरफ बढ़ाने लगा।

पहले तो वो थोड़ा सा कसमसाई पर मेरे जोर देने पर फिर मान गई। मेरी उंगलियाँ ज्यों-ज्यों उनकी चूत की तरफ बढ़ती जा रही थी उनकी सांसें उतनी ही तेज चलने लगी थी, उनके मुँह से अजीब सी आवाजें निकल रही थे जैसे- ऊओह आह स स स श श!!!

मैंने धीरे से उनको बिस्तर पर लिटाया और धीरे धीरे उनके कपड़े उतारने लगा।

चूंकि दूध पिलाने के लिए उन्होंने अपने ब्लाउज के कुछ बटन पहले ही खोल रखे थे और उनकी एक चूची बाहर निकली हुई थी, इसलिए ब्लाउज उतारने में मुझे ज्यादा देर नहीं लगी। अब सफ़ेद ब्रा में उनका शरीर दमक रहा था। धीरे से मैंने उनकी ब्रा का हुक भी खोल दिया और ऊपर से वो बिल्कुल नंगी थी।

इस बार उन्होंने उठ कर मेरा शर्ट खोल दिया। इस तरह हम दोनों ऊपर से आधे नंगे होकर एक दूसरे को चूम रहे थे।
फिर मैंने उनकी साड़ी खोल दी, फिर पेटीकोट भी खोल दिया। अब उनके शरीर पर सिर्फ पैंटी ही रह गई थी जिसमें उनका जिस्म चमक रहा था।

मैं फिर से उनके शरीर को ऊपर से नीचे तक चूमने लगा जिससे उनमें मादकता छाने लगी।

जैसे ही मेरे ओंठ उनकी नाभि को छुए, वो बेचैन होने लगी। मेरे ऊपर भी एक अलग सा नशा छाने लगा था और मैंने अब उनकी पैंटी को भी उनके शरीर से अलग कर दिया और धीरे-धीरे मेरे ओंठ उनकी चूत की तरफ बढ़ने लगे।
उनकी चूत पर हल्के हल्के बाल थे, इससे लगता था कि उन्होंने एक-दो दिन पहले ही अपने बाल साफ़ किये थे।

जैसे ही मेरे होंठ उनकी चूत से लगे, वो सीत्कार कर उठी। अब हम 69 की पोजीशन में आ गए थे और मेरा लंड उनके मुँह को छू रहा था। उन्होंने लपक कर मेरे लंड को अपने मुँह में ले लिया और हम दोनों एक दूसरे के अंगों को चूसने लगे। बहुत देर तक हम एक दूसरे को अंगो को चूसते रहे, फिर भाभी ने अपने मुँह से मेरे लंड को निकाल दिया और बोली- जल्दी डालो! अब बर्दास्त नहीं होता!

फिर क्या था, मैंने उनको सीधा लिटाया और अपना फनफनाता हुआ लंड उनकी चूत के मुंह पर जैसे ही लगाया, नीचे से वो धक्का लगाने लगी। मैंने भी एक जोर का धक्का लगाया और लंड उनकी चूत के अन्दर घुस गया।

उस दिन मैंने उन्हें पाँच बार चोदा और रात को भी भैया नहीं आये तो दो बार रात को भी चुदाई की।

फिर जब भी हमे मौका मिलता हम एक दूजे में खो जाते।

आज मेरी शादी हो चुकी है, फिर भी हमारा सम्बन्ध बदस्तूर जारी है और जब भी मौका मिलता है मैं उसी जोश के साथ उनकी चुदाई करता हूँ जैसे पहले किया था।

अब भी ऐसा लगता है कि मैं उनको पहली बार ही चोद रहा हूँ।
मेरे प्यारे दोस्तो, मुझे जरूर लिखना कि मेरी कहानी आपको कैसी लगी? Antarvasna Stories

Antarvasna

मेरा नाम लहरी बाई है, उम्र अभी 29 वर्ष, (Antarvasna) जिस्म मांसल और गदराया हुआ है। मेरा जिस्म थोड़ा भारी है पर मैं मोटी नहीं हूँ। पुरुषों में मैं एक आकर्षण का केन्द्र हमेशा से रही हूँ।

मैं एक पतिव्रता स्त्री हूँ, रोज सवेरे जब मेरे पति हरि प्रसाद पूजा करके उठते हैं तो मैं उनकी पूजा करती हूँ। मेरे पति राज्य सरकार में अधिशासी अभियन्ता है। घर से पूजा पाठ करके कार्यालय में रिश्वत लेना, कमीशन लेना, सभी कार्य वे कुशलतापूर्वक करते हैं। हमारे घर में लक्ष्मी पांव पसारे जमी हुई है। मेरे पड़ोसी जो मेरे देवर के ही समान हैं, गंगा प्रसाद एक जाने माने डॉक्टर हैं, उनकी भी ऊपरी कमाई बहुत है, बस मुझसे कोई तीन साल छोटे हैं। गुलाबी, मेरी नाईन है, मेरे गांव की ही है, मुझसे पांच सात साल बड़ी है, मेरी मालिश करती है और मेरी हमराज भी है।

मैं इन्हें देवर ही कहती हूँ। मेरे देवर गंगा की निगाहें मुझ पर जमी रहती थी, शायद मेरे सेक्सी रूप का वो दीवाना था। उसकी निगाहें मेरे वक्ष की तरफ़ अधिक रहती थी। यूँ तो मेरी गाण्ड भी खासी आकर्षक उसे लगती थी, पर बेचारा वो मजबूर था, कि कैसे कुछ करे।

गुलाबी मेरे जिस्म की मालिश करने अभी अभी आई थी,”लहरी, उतार थारा कपड़ा, अब तन्ने घिस दूं !”

“क्या खबर है गुलाबी… ?” मैंने अपनी बड़ी बड़ी कजरारी आंखें उठा कर उससे पूछा।

“गंगा तो थारे पे मरा जा रिया है !”

“हुंह, मुआ… तो जैसे मेरे बोबे दबा कर ही छोड़ेगा… कुछ कह रहा था क्या ?”

“ये पांच सौ का नोट दिया है … और एक पैगाम है थारे वास्ते… “

मेरा दिल जोर से धड़क उठा। उसकी हिम्मत तो देखो… । मैंने गुलाबी की ओर देखा…

वो मतलब से हंसी।

“अरे मसखरी करे है … फेर थारे कैइ फ़रक पड़ जाये है … गंगा से दबवा ले, साली तू भी मस्त हो जायेगी !”

“फिर वो तो चोदने को भी कहेगा ?” मैं हंस कर बोली।

“तो कांई फ़रक पड़े है, थारी भोसड़ी तो कंवारी ही तो है… यूँ तो जंग लग जावेगा … “

“तो मैं क्या करूँ, हरि प्रसाद को तो बस मेरी गाण्ड ही नजर आवे … साला गाण्ड के पीछे मरा जावे है।”

मैंने अपने कपड़े उतार दिये और नीचे दरी बिछा कर लेट गई। वो मेरी पीठ घिसने लगी। गुलाबी के हाथो में ताकत थी, बड़ी मस्त मसलती थी। मेरी चड्डी उतार कर उसने एक तरफ़ रख दी और मेरे चूतड़ों के गोले गोलाई में मसलने लगी। बस मेरे शरीर में तरंगें छूटने लगी। साली जादू कर देती थी। मेरे चूतड़ों को खोल कर उसने मेरी गाण्ड के छेद में तेल भर दिया।

“ये देख तो, साली को चोद चोद के पोली कर दी है… ये देख, तीन तीन अंगुली अन्दर बैठ जावै है।”

उसने अपनी तीनों अंगुलियाँ मेरी गाण्ड में घुसेड़ दी और अन्दर चलाने लगी, घुमाने लगी। मुझे गुदगुदी सी भरने लगी। काफ़ी देर तक वो मुझे मस्ती दिलाती रही। फिर उसने मुझे सीधा कर दिया और मेरा पेट और चूचियाँ घुमा घुमा कर तेल मलने लगी, मेरे चुचूकों को तेल लगा कर मसलने लगी। मेरी चूत में बार बार करण्ट लगने लगा था। फिर वो चूत की भी मालिश करने लगी।

“देख लहरी, तेरा भोसड़ा तो सड़ गया है, ऐसा तो किसी बच्चे का भी नहीं होवै है… अरे इसकी पिलाई करा दे रे … गंगा से चुदवा ले … तेरा भोसड़ा खुल जावेगा।”

“अरे नहीं रे गुलाबी, देवर लगता है, शरम आवे है … सच बताऊँ तो मेरी हिम्मत ही नहीं है।”

“पर वो लाईन तो मारे है ना, और देख, उसका लण्ड मस्त है रे … मोटा है… एक बार ले लेगी तो मस्त जावेगी।”

“मन तो बहुत करे है … पर हरि से बेवफ़ाई नहीं करूंगी… “

“तो हरि तो बस गाण्ड ही बजावे ना… थन्ने लागे नहीं भोसड़ो चुदवाने को?”

“लागे… लागे … बहुत जोर से लागे … पर क्या करूँ, पर वो तो बस गाण्ड चोद कर सो जावे ना !”

“देख मन्ने तो गंगा ने ये पांच सौ रुपिया दिया है, थारे तक पैगाम पहुंचाने के वास्ते, तू चाहे लहरी, तो लाईन क्लीयर करवा दूँ … सीधी बात करवा दूँ … तू चाहे तो ना… “

उसने अपनी थैली में से एक चिकना चमकदार स्टील का छः इन्च का एक पाईप सा निकाला। मेरे पांव फ़ैला कर वो उसने मेरी चूत में डाल दिया। मेरी तो जान ही निकल गई। उसे अन्दर घुमाना और अन्दर बाहर करने लगी।

“क्या बिल्कुल नहीं चोदा है ? बड़ा निष्ठुर है रे जीजू तो … “

“नही… नहीं चोदा तो है पर बस आठ दस बार … उसे चूत मारने में मजा ही नहीं आता है… “

“तो गंगा को कल बुलाती हूँ … सोच लेना… ” गुलाबी ने फिर से कहा।

मैंने अपनी आंखें शरम से बन्द कर ली, उसकी हाथों की रफ़्तार बढ़ती जा रही थी।

गंगा का लण्ड दिमाग में छाने लगा था। लगा गंगा ही चोद रहा है … और मेरे मन में गंगा ही बस गया था।

मुझे शान्त करके गुलाबी चली गई।

दूसरे दिन दोपहर को गुलाबी आई और मुझे देख कर मुस्कराने लगी। मेरी आंखों में काजल गजब ढा रहे थे। मेरी काली जुल्फ़ें चेहरे पर लटक रही थी। मेरे मन में हलचल मची हुई थी। जाने गंगा क्या सोचेगा ? मन में मिठास सी भरी जा रही थी। पहली बार किसी गैर मर्द के पास जा रही थी और वह भी और कोई नहीं बल्कि मेरा देवर जैसा ही था !!!

“लहरी, गंगा बाहर खड़ा चोदन के वास्ते … बोलो तो… बुला लूँ?”

मेरी सांसें चढ़ गई … पसीना सा आने लगा … हाय अब मैं क्या करूँ ?

“देख, गुलाबी, तू यहीं रहना… कहीं मत जाना… “

“नहीं जाऊंगी… बस… बुला कर लाऊं ?”

गुलाबी ने मुझे मुस्करा कर तिरछी नजरों से देखा और दरवाजे की तरफ़ बढ़ गई।

मुझे फिर मुड़ कर देखा और दरवाजे से झांक कर उसने गंगा को आवाज लगाई।

शायद वो वहाँ नहीं था। मैं जल्दी से जा कर लहंगा उतार कर पेटीकोट और ब्लाऊज पहन आई। चड्डी मैंने जान कर नहीं पहनी। गंगा के आने की आवाज मुझे आ गई थी। मेरा दिल जैसे उछल कर हलक में अटक गया।

अगले ही क्षण गंगा मुस्कराता हुआ कमरे में आ गया।

“कैसी हो लहरी ?” वो जैसे विजेता स्वर में बोला।

“मेरी तबीयत ठीक नहीं थी, सो सोचा आप को बुला लूँ… ” जाने एकदम से मेरे मुख से बहाना निकल आया।

गुलाबी हंस पड़ी,”गंगा जी सब ठीक कर देंगे, शरीर का सारा जहर उतार देंगे … और सुई भी गड़ा देंगे।”

गंगा मेरे समीप आ गया। मेरे हाथों को अपने हाथ में ले कर नाड़ी देखने लगा।

“दिल तो जोरो से धड़क रहा है … कहो, कहाँ से आरम्भ करूँ… तुम्हीं कहो गुलाबी !”

“अब मुझसे नहीं लहरी से पूछो… !” गुलाबी ने बड़े रस भरे अन्दाज से कहा।

“हटो गंगा … मुझे शर्म आती है !” मेरी निगाहें शर्म से झुकी जा रही थी।

वो मेरे पास और आ गये और धीरे से मेरे सीने पर हाथ रख दिया। मेरे दिल की धड़कन जैसे थम गई हो।

“मैं जाती हूँ… गंगा जी, जरा जम कर इलाज करियो !”

“गुलाबी, मत जा … सुन तो… !” पर गुलाबी हंसती हुई बाहर चली गई।

“अब कहो, भाभी क्या तकलीफ़ है, ये गुलाबो तो बस… ।” गंगा मुझे सामान्य करता हुआ बोला।

“मुझे ज्वर चढ़ा है, जरा देख लो… “मैंने तिरछी नजरों से उसे देखा।

गंगा ने सर पर हाथ लगा कर देखा, फिर मेरे हाथ पकड़ कर चेक किया। अपना स्टेथोस्कोप लिया और सीधे मेरी छाती पर रख दिया। मेरा दिल जोर जोर से धड़कने लगा। वह अपना हाथ धीरे धीरे मेरे स्तनों पर ले आया।

मैं सिमट सी गई,”देवर जी, यहाँ तो गुदगुदी लगती है… !”

वह अपने स्टेथोस्कोप को और मेरे स्तनों को हिला हिला कर देखने लगा, मेरे भारी स्तन जैसे कठोर हो उठे, फिर धीरे से बोला,” मस्त है, मसल दू साले को?”

“जी क्या कहा… ?”

“पेट तो नहीं दुःख रहा है ना… ?”

“दुःखता है … बहुत दुःखता है… !” मैंने जल्दी से कहा।

मुझे उसके हाथों से खेलने पर बहुत भला लग रहा था। उसका हाथ मेरे पेट पर आ गया था, उसे सहलाते हुये कहा,”कुछ हुआ क्या ?” गंगा ने मसखरी की।

मैं क्या कहती भला ? वो चाहे जहाँ भी हाथ लगाये, असर तो मेरी चूत पर हो रहा था। वासना के मारे मेरी आंखें बंद होती जा रही थी। उसका हाथ मेरे पेटीकोट में से होता हुआ मेरी चूत की ओर बढ़ गया। मेरा बदन सिहर उठा। यह पहली बार था जब किसी पराए मर्द का हाथ मेरी चूत के इतनी पास लगा था।

उसका हाथ चूत पर आते ही मैंने उसे जोर से पकड़ लिया,”नहीं देवर जी … नहीं !”

पर तब तक वो मेरी चूत दबा चुका था। मेरे मुख से आह निकल गई और मैं सिमट कर बैठ गई।

“लहरी, शर्माओ मत, चलो इलाज शुरू करें … ” उसने मेरे उन्नत स्तनों को छूते हुये कहा।

“गंगा, यह तो आपके और मेरे बीच का मामला था… गुलाबी को बीच में क्यों… “

“ऐसे कैसे मामला पटता … देवर भाभी का रिश्ता जो ठहरा… “

“अब उसे पता चल गया है ना … कहीं बदनाम ना कर दे… “

“नहीं… वो ऐसा नहीं करेगी… पर आह… मेरी किस्मत, तुम्हारा यह गदराया हुआ मांसल बदन मेरे पास है, तुम्हारी ये जवानी, ये गोल गोल मांसल चूतड़ … ये भारी भारी चूचियाँ… ये कजरारी, मस्ती भरी बड़ी बड़ी आंखें … मुझे तो जन्नत मिल जायेगी तुम्हें चोद कर लहरी … हाय रे मेरी जान !”

“ना रे गंगा, तू मुझे मिल गया, मुझे सब कुछ मिल गया… !”

“लहरी, मेरा यह कड़क लण्ड दबा दे … मसल डाल इसको… ” गंगा ने अपना लण्ड खींच कर बाहर निकाल लिया।

“राजा, मेरी छाती दबा दे… बहुत मचल रही है … जोर से दाबना… मजा आ जाये मेरे राजा !” मेरा दिल मचल उठा।

मेरे स्तन उसके हाथों में कस गये थे। मेरे मुख से आह निकल गई। उसने मुझे अपनी बाहों में कस लिया और मेरे रसीले होंठ कस कर अपने होंठों से चिपका दिये। मैंने उसका कड़कता लण्ड अपने नर्म हाथों में थाम लिया और कस कर उसे ऊपर नीचे करने लगी। वो सिसक उठा। मुझे सब कुछ अजीब सा लग रहा था। पराये मर्द के हाथों में मेरा शरीर कसा हुआ था। मेरे बोबे जैसे कड़क उठे थे- आह्ह्ह्ह … अरे गंगा ! जोर से मसक दे… … मेरे चूचे बाहर निकाल कर खींच खींच कर नोच ले।

गंगा का एक हाथ मेरे चूतड़ों पर आ कर उससे खेलने लगा था। कभी मेरी गाण्ड के छेद को रगड़ मारता तो कभी गाण्ड को नोच डालता। तभी उसका बम्बू जैसा लण्ड मेरे कूल्हे पर थाप मारने लगा। मेरे दांत किटकिटाने लगे… लगा कि गंगा का मांस नोच कर खा जाऊं। काम-पीड़ा बढ़ने लगी थी। मुझे लग रहा था कि काश आज यह मेरी कंवारी चूत को कस कर चोद डाले। ऐसा चोद्दा मारे कि मेरी जान निकल जाये। मेरा पेटीकोट नीचे उतर गया था। मैंने चड्डी नहीं पहन रखी थी… चुदना जो था।

गंगा भी वासना में बह चला था। उसने झटपट अपने कपड़े उतार दिये और नंगा हो गया। आह … बिल्कुल हरि प्रसाद जैसा गोरा चिट्टा लण्ड, वैसा ही मोटा, भारी सा … मेरी चूत का उद्धार जो होने वाला था। मेरी चूत फ़ड़फ़ड़ा उठी। उसने मेरा ब्लाऊज जो आधा तो खुला ही था, पूरा उतार दिया और मुझे धक्का दे कर बिस्तर पर गिरा दिया।

हाय रे मेरी आदत… मैं बिस्तर पर गिरते ही घोड़ी बन गई और गंगा पीछे मेरी गाण्ड पर चढ़ गया। उसका तन्नाया हुआ लण्ड मेरी गाण्ड में सदा की तरह घुसता चला गया।

“धत्त साला ! जैसा वो, वैसा उसका भाई …! इसको भी साले को गाण्ड ही फ़ाड़नी थी !”

“क्या कहा लहरी बाई … जो मस्त होता है पहली तो वो ही चुदेगी… पर तू बुरा ना मान !” उसने दो तीन मस्त धक्के गाण्ड में मारे और फिर मेरी बात मान कर वो बिस्तर पर धम्म से लेट गया। मैं उसके ऊपर आ गई और उससे लिपट गई। उसका लण्ड मेरी चूत पर ठोकरें मार रहा था। उसका टनटनाता हुआ लण्ड 120 डिग्री पर लहरा रहा था और फिर मेरी आंखें जैसे खुली की खुली रह गई। मेरी चूत में जैसे कोई मीठी सी छुरी उतर रही थी- “गंगा … हाय रे… “

“मेरी लहरी … उफ़्फ़्फ़्फ़ !”

“पूरो ही घुसेड़ मारो … दैया री … ईईईईई सीऽऽऽऽऽऽऽ”

गंगा कुछ नहीं बोला, बस अन्त में एक झटका दिया और बच्चेदानी पर ठोकर मार दी।

“गंगा… तुझे मेरी कसम … आज मेरी फ़ाड़ डाल … बिल्कुल शुद्ध फ़ुद्दी है मेरी !”

गंगा को जैसे कुछ सुनाई नहीं पड़ रहा था। उसकी रफ़्तार तेजी पकड़ रही थी, मेरी चूत अपने आप ही उसका साथ देने लगी। दोनों ही कस कस कर साथ दे रहे थे, लण्ड पूरा अन्दर तक जा रहा था।

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उसने अचानक रुख पलटा और मुझे नीचे दबा लिया, खुद मेरे ऊपर चढ़ गया और जोर जोर से मेरी चूत को पीटने लगा।

मेरे शरीर के जैसे सारे तार बजने लगे थे … शरीर मीठे रस में घुला जा रहा था। लग रहा था कि वो जिन्दगी भर बस यूँ ही चोदता रहे … मैं चुदती रहूँ… चुदती रहूँ… चुदती रहूँ… आह्ह्ह्ह्ह्ह्… … हाय रे … मेरी मां… उईईईईईई… पर कहां !!!

मेरी चूत छलक उठी थी… कामरस छोड़ दिया था … मेरे जबड़े कस गये थे … गालों की हड्डियां तक उभर आई थी… मैं झड़ रही थी। कुछ ही पलों में गंगा ने अपना फ़ूला हुआ लण्ड मेरी चूत से निकाल लिया और लण्ड की तेज धार को हवा में लहरा दिया। वो मुठ में भर भर कर धार पर धार छोड़ रहा था। जाने कितना माल निकाला होगा उसने।

वो तुरन्त खड़ा हो गया।

तभी गुलाबी, अन्दर आ गई… हमारी हालत देख कर वो समझ गई थी कि मामला फ़िट हो चुका था और मैं चोदी जा चुकी हूँ।

“चलो गंगा जी अब बाहर … लहरी को मैं ठीक कर दूंगी।” गुलाबी मुस्कराती हुई बोली।

मैंने शरम के मारे अपना चेहरा छुपा लिया,”गुलाबी, तेरा गंगा तो मस्त चोदा मारे है … साले का मोटा भी है… !” मैंने गुलाबी को झिझकते हुये कहा।

“मैंने कहा था ना कि सर्विसिंग करा ले … वर्ना जंग लग जावेगा।” वो शरारत से बोली और मेरे गुप्तांगों पर पड़ा वीर्य साफ़ करने लगी,”अच्छी ऑयलिंग हो गई है आज तो !”

“चल हट, शरीर कही की… !” मुझे गुलाबी के सामने बहुत ही शरम आ रही थी।

काफ़ी दिन तक गुलाबी पांच सौ रुपये कमाती रही फिर एक दिन अचानक गुलाबी बोल उठी, “लहरी, गंगा से जी नहीं भरा अब तक ?” Antarvasna

दो भागों में समाप्य !

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मेरे दोस्त की शादी थी। उसकी Hindi Porn Stories शादी की सारी तैयारियाँ उसका मामा देख रहा था जो करीब ४० साल का था। दोस्त होने के नाते मैं बी काम में उसका हाथ बँटाने लगा, उसके मामा से मेरी अच्छी पटने लगी।

दोपहर के दो बजे मैं मामा के साथ तैयारियों में लगा था तभी मैंने देखा कि ३२ या ३३ साल की एक औरत लाल साड़ी में मामा के पास आई जो बहुत ही गज़ब की लग रही थी, सेक्सी फ़िगर थी, साड़ी में भी उसकी गाँड उभरी हुई थी, और उसकी चूचियाँ तो जैसे दो पपीते लटक रहें हों। उस औरत को देखकर मेरा लण्ड ज़ोर मारने लगा, जैसे कह रहा हो इसको तो चोदना ही है। मेरे हाथ अपने आप लण्ड को सहलाने लगे।

तभी मामा ने मुझे आवाज़ दी, मैं उनके पास गया, उन्होंने कहा, इनसे मिलो ये तुम्हारी संगीता मामी है। एक सेकण्ड को हमारी नज़रें एक-दूसरे से टकराईं फिर मामी ने मुझे ऊपर से नीचे तकत बड़े ग़ौर से देखा। तभी मामा ने कहा, तुम्हारी मामी को अभी बाज़ार जाना है और मैं अभी शादी की तैयारियों में व्यस्त हूँ, क्या तुम अपनी मामी के साथ बाज़ार जा सकते हो। मैंने मन ही मन कहा, लगता है किस्मत साथ है।

मामा ने अपनी बाईक की चाभी मुझे दे दी और मैं मामी के साथ बाज़ार को निकल गया। हम बातें करते जा रहे थे, मैं बाईक धीरे-धीरे चला रहा था। तभी मामी ने पूछा, “तुम कितने साल के हो?”

२४ साल का – मैंने बताया।

मामी बोलीं,”फिर बाईक इतनी धीरे क्यों चला रहे हो?”

“वो आप बैठीं हैं ना, और आपने मुझे पकड़ा भी नहीं है, इसलिए धीरे चला रहा हूँ।” मैंने कहा।

“अच्छा तुम बाईक तेज़ चलाओ, मैं तुम्हें पकड़ लेती हूँ।”

मैंने बाईक की स्पीड बढ़ा दी।

मैंने मामी से पूछा,”आपको बाज़ार में क्या लेना है?”

“लेना कुछ नहीं, मुझे तो ब्यूटी-पार्लर जाना है। वहाँ जाने से पहले क्यों ना एक-एक कप कॉफी हो जाए।”

मैंने मामी से कहा, “ठीक है।”

“चलो’ – मामी ने भी कहा।

मैंने बाईक इंडिया कॉफी हाउस की ओर मोड़ दी, हमने कोने की टेबल पर कब्ज़ा कर लिया और दो कप कॉफी का ऑर्डर दिया। मैं और मामी बातें करने लगे, बातें करते-करते मेरी एक टाँग मामी की टाँग से टकरा गई, मैंने टाँग अलग की और सॉरी कहा।

“कोई बात नहीं।” मामी ने कहा और धीरे-धीरे मुस्कुराने लगीं।

कॉफी पीते-पीते मामी और मेरी नज़रें एक-दूसरे से कई बार टकराईं और हम दोनों ही एक-दूसरे की आँखों में देखते रहे।

कॉफी पीकर हम पार्लर की ओर चल पड़े।

मामी का हाथ मेरी कमर पर था, अचानक मैंने ब्रेक लगा दिया, मामी के दोनों स्तन एक साथ ज़ोर से मेरी पीठ से टकराए, और उसकी गुदगुदाहट का मुझे भी अहसास हुआ, और मामी के मुँह से आह निकल गई साथ ही उनका हाथ फिसल कर मेरे लण्ड पर आ गया। मामी ने भी मेरे लण्ड को दबा दिया, मेरे मुँह से भी आह निकल गई।

“अब आया मज़ा?” मामी बोलीं।

“अगर आप चाहो, तो ये मज़ा और भी बढ़ सकता है।”

“कैसे?” मामी ने पूछा।

मैंने बाईक किनारे रोक दी और मामी से कहा कि मामा को मोबाईल पर फोन करके कहो कि शादी के मौसम के कारण सभी ब्यूटी-पार्लरों पर भारी भीड़ है और मुझे दो से तीन घंटे लग जाएँगे।

मामी ने वैसा ही किया।

मामा ने कहा- ठीक है, वैसे भी नन्द तुम्हारे साथ है तो फ्री होते ही आ जाना।

“अब क्या करना है?” मामी ने पूछा।

“अभी तीन बज रहे हैं, क्यों ना कोई फिल्म देखने चलें?”

“नहीं वहाँ ठीक नहीं रहेगा, क्यों ना किसी होटल में चलें।”

“यही ठीक होगा।”

और हम एक होटल की ओर चल पड़े।

हमने ३०० रुपये में एक कमरा ले लिया। कमरे में जाते ही मैंने कमरे को अन्दर से बन्द किया। मैं जैसे ही पलटा, मामी मेरे ऊपर एक भूखे जानवर की तरह टूट पड़ी, इस पर मैं भी मामी पर टूट पड़ा।

मेरे होंठ मामी के होंठों को चूम रहे थे, कभी मामी अपनी जीभ मेरी मुँह में डाल देती, तो कभी मैं अपनी जीभ उनके मुँह में।

चूमते-चूमते मैं मामी के दूधों को ऊपर से ही कस-कस कर दबाने लगा। मामी दर्द से कराहने लगी।

कम से कम पाँच-दस मिनट हम एक-दूसरे को चूमते रहे और मैं मामी के बड़े-बड़े दूधों को दबाता रहा। फिर मैंने मामी की लाल साड़ी को मामी के शरीर से अलग कर दिया और मामी की पेटीकोट का नाड़ा भी खींच मामी की ब्लाउज़ के हुक खोल कर उसे भी मामी के शरीर से अलग कर गिया। अब मामी सिर्फ पैन्टी और ब्रा में मेरे सामने पड़ी थी।

मामी की मस्त फिग़र जैसे तराशा हुआ ताजमहल हो। मामी ३६ डी आकार के लाल रंग की ब्रा पहनी हुई थी जो दो बड़े बड़े पपीतों को बड़ी मुश्किल से सम्हाल पा रहे थे। २९ इंच की कमर, उसके नीचे अलग-अलग रंग के धब्बों वाली पैन्टी जिसके बगलों से मामी की झाँटों के बाल निकल रहे थे। मैंने मामी को अपनी ओर खींचा और ब्रा व पैन्टी को भी उनके शरीर से अलग कर दिया।

मैं जैसे ही मामी की चूत को चाटने के लिए झुका, मामी ने मुझे रोक दिया और कहा, अब मैं तुम्हारे कपड़े उतारूँगी। फिर उन्होंने मुझे बिस्तर पर धकेल दिया और मेरे ऊपर चढ़ गई और मेरी शर्ट के बटन खोलकर मेरी छाती को चूमने लगी, फिर मेरी बेल्ट को जीन्स से निकाल फेंका और जीन्स का बटन खोलकर एक झटके से जीन्स निकाल कर दूर फेंक दिया।

मेरी अण्डरवियर का तंबू बना हुआ था और वह कहाँ मेरे शरीर पर रहने वाला था, मामी ने उसे भी निकाल फेंका। मेरे ६ इंच के लण्ड को देख मामी बहुत उत्तेजित हो गई और मुँह मे लेकर लॉ़लीपॉप की तरह चूसने लगी। जब वह मेरे अण्डकोष से मेरे सुपाड़े तक अपनी जीभ को फेरती तो जन्नत का मज़ा आ रहा था।

थोड़ी देर में मैंने अपना माल मामी के मुँह में ही छोड़ दिया, और उन्होंने सारा का सारा पी लिया, और मेरा लण्ड सिकुड़ने लगा। फिर मैंने मामी को बिस्तर पर लिटाया और उनकी चूत को चाटने लगा। चूत बहुत ही गीली हो चुकी थी और चाटने में बहुत मज़ा आ रहा था। मैं मामी की चूत के गुलाबी दाने को हल्के-हल्के काटने लगा और मामी की सिसकियाँ निकलने लगीं। मामी आआआआहहहह आआआहहह करने लगी, उनकी ये सिसकियाँ पूरे कमरे में गूँज रहीं थीं। तभी मामी ने पूरे ज़ोर से मेरे मुँह पर अपना माल छोड़ दिया, मैंने भी सारा पानी पी लिया। तब तक मेरा मुरझाया हुआ लण्ड भी फौलाद की तरह सख्त हो चुका था।

“मामी अब मैं आपकी सवारी करने वाला हूँ…”

“नहीं मैं तुम्हारी सवारी करूँगी” मामी ने मेरी बात बीच मे ही काटकर कहा।

मैं बिस्तर पर लेट गया, मामी मेरे ऊपर आ गई और मेरे लण्ड को अपनी चूत की दरार पर रख कर आगे होने लगी, तभी मैंने नीचे से एक ज़ोर का झटका मारा, और हमारी झाँटे आपस में मिल गईं। मामी की चीख और आँसू निकल आए। वह बोली, “क्या मेरी चूत को फाड़ना है?”

“चूत फटेगी नहीं, इस पर तो अब गाज़ गिरने वाली है,” कहते हुए मैं एक झटके से पलट कर मामी के ऊपर आ गया, मामी को कुछ समझ ही नहीं आया कि क्या हो गया। मामी बोली – “तुम तो एकदम एक्सपर्ट लगते हो, पर शुरु में आहिस्ता करना, ठीक है?”

मैंने मामी के होंठ चूमते हुए पहला झटका मारा, पच्च की आवाज़ के साथ मेरा लण्ड आधा मामी की चूत में समा गया। मामी हल्के से चीखी… आहहहह और दूसरे झटके से मेरा पूरा लण्ड जड़ तक मामी की चूत में समा गया और मैंने हल्के-हल्के झटके मारने चालू कर दिए और मामी की सिसकारियाँ उसी के साथ बढ़ने लगीं।

मामी की सिसकारियाँ पच्च-पच्च की आवाज़ के साथ जुगलबन्दी कर रही थीं। तभी मैंने अपना लण्ड चूत से निकाल लिया। “ऐसा मत करो, मुझे चोदते रहो अपनी लण्ड से, इसे फाड़ डालो, आज पहली बार मुझको चुदाई का असली आनन्द आ रहा है। मेरा पति मादरचोद अभी तक मुझे ऐसा मज़ा नहीं दे सका जो तुमने आधे घण्टे में दिया है।”

“ठीक है, पर अब मैं जैसा कहूँ, आपको वैसा ही करना होगा मामी।”

“अब तो मुझे मामी कहना बन्द करो।”

“तो क्या कहूँ?”

“कुछ भी कहो, पर मामी नहीं।”

“तो अब आप को मैं राण्ड कहूँगा और आप मुझे गाली देती रहना।”

मामी बिस्तर पर चढ़कर कुतिया बन गई और मैं उसकी गाँड के पीछे खड़ा हो गया, अपने लण्ड को चूत की दरार पर रख कर मामी के दोनों स्तनों को दबाते और गालों को चूमते हुए लण्ड को दबाने लगा। लण्ड फिसलता हुआ चूत में समा गया और मेरे झटके चालू हो गए और साथ ही मेरी राण्ड की सिसकियाँ भी।

वह चिल्लाने लगी… “आआआआहहहह आआआहह… बहनचोओओओददद… चोद दे मुझे… फाड़ दे मेरी चूत… निकाल दे इसका पानी, बहा दे इससे गंगा जमुना…”

“गंगा जमुना दोनों बहेगी और मेरा लण्ड उसमें डुबकी भी लगाएगा” और मैंने झटकों की रफ्तार बढ़ा दी।

पूरे कमरे में फच्च-फच्च और फक्क-फक्क का संगीत बजने लगा।

पाँच मिनट बाद मैंने एक ज़ोर का झटका मारा और मामी पलंग पर पसर गई। मैं भी चूत में लंड डाले मामी के ऊपर ही गिर पड़ा। गिरने के कारण मेरा लंड और अन्दर समा गया और मामी की चीख निकलने से पहले मेरे हाथों ने उसका मुँह बन्द कर लिया और हल्के-हल्के झटके मारता रहा। थोड़ी देर में मामी सामान्य हो गई। मैंने हाथ हटा लिया और अपनी रफ्तार बढ़ा दी। मामी का शरीर अकड़ने लगा। मैं समझ गया कि यह झड़ने वाली है। मैं और तेज़ी से धक्के मारने लगा… तभी मामी झड़ गई।

मैंने लण्ड बाहर निकाला, मामी को सीधा किया और लण्ड मामी की चूत में फिर से पेल दिया।

मेरे झटकों से मामी के दोनों स्तन हिलने लगे, हिलते हुए स्तन बहुत प्यारे लग रहे थे। मैं झुका और एक को चूसते हुए झटके चालू रखे। मैं और मामी एक-दूसरे का भरपूर साथ दे रहे थे। मामी अपनी गाँड उचका-उचका कर मेरा साथ दे रही थी और मैं मामी को पूरे दम से चोद रहा था। गाँड हिलाते-हिलाते मेरा बुरा हाल हो गया था पर मैं रुका नहीं, झटके चालू रखे। थोड़ी देर बाद मेरा और मामी का शरीर अकड़ने लगा, मैं बोला,”मेरी राण्ड, मैं झड़ने वाला हूँ, कहाँ झड़ूँ?”

“अपने वीर्य से मेरी चूत भर दो, इसकी आग को अपने पानी से शान्त कर दो, मैं भी झड़नेवाली हूँ” मामी बोली।

और मैंने अपना वीर्य मामी की चूत में ४-५ झटकों के साथ छोड़ दिया। दोनों एक ही साथ झड़े थे। मैं मामी के ऊपर ही पस्त होकर पड़ा रहा। मामी मेरे बालों पर अपना हाथ फिरा रही थी और बोली, “ऐसा परम आनन्द मुझे पहले कबी नहीं मिला, मेरी चूत को तो अब तुम्हारे लण्ड का चस्का लग गया है। अब शादी भर जब भी मौक़ा मिलेगा, तुम मेरी चुदाई करना और मुझे ऐसे ही आनन्द देते रहना।”

तभी मामी के मोबाईल पर मामा का फोन आ गया, मामा ने कहा “तुम लोग जल्दा घर आ जाओ, दो घण्टे बाद बारात निकलने वाली है।”

“अभी ब्यूटी-पार्लर में मेरा नम्बर आने वाला है, हम थोड़ी देर से आते हैं” और मामी ने फोन बन्द कर दिया।

हमने अपने कपड़े पहने और ब्यूटी-पार्लर की ओर चल पड़े।

शादी में भी मैंने मामी को दो बार चोदा। कैसे, यह अगली कहानी में बताऊँगा। Hindi Porn Stories

मैं अभी 47 साल का हूँ और मेरे दो बेटे हे. एक तो शहर में रहते हे और वही पर पढ़ाई करते हे. और बड़े बेटे की शादी अभी बस तिन महीने पहले ही करवाई हे मैंने. खेतो का सारा काम मेरा बड़ा बेटा अमित ही देखता हे. घर में बहु के के आने के बाद अब घर सूना नहीं लगता हे. बहु का नाम कमला हे. मैं कमला को बहु कह के ही बुलाता हूँ, और वो मुझे पिताजी कहती हे. अमित को कुछ काम से शहर जाना हुआ और बस उसके जाते ही बहुत के ऊपर मेरी नजर पड़नी शरु हुई. रमंन के जाते ही शाम को बहु अपने कमरे में सो रही थी और करवट बदलते हुए उसका लहंगा उसकी जांघो तक ऊपर आ गया था. मेरी नजर उसके ऊपर पड़ी तो ऐसे लगा जैसे लौड़े में नहीं जान आ गई हो.

थोड़ी देर के बाद बहु उठी तो मैं हर पल उसके साथ ही रहा. वो जब खाना बना रही थी तब भी मैं उसको ही देखता रहा. मैं नजरें उसके बूब्स और गांड के ऊपर टिका के बैठा हुआ था. खाने बैठे तब मैंने उसके मम्मों के ऊपर ही अपनी नजरें चिपका डाली थी जैसे. अब उसको भी पता चल गया था की मैं उसकी तरफ ही देख रहा था और वो भी बुरी नजरों से! खाने के बाद मैं बहु के साथ बातें करने लगा.

मैं: बहु मुझे आज आधी रात को खेत पर जाना होगा. नहर में पानी आया हुआ हे उसे खेतों में छोड़ के सिंचाई करनी हे. क्या तुम भी मेरे साथ चलोगी?

बहु: पिताजी इतनी रात को जाना क्या ठीक होगा? वैसे मुझे अँधेरे से बहुत डर लगता हे. और वो कह रहे थे की हमारे खेत जंगल से सटे हुए हे. रात में जा कर खतरे को मोल लेने जैसा हे. सुबह को नहीं जा सकते हे पिताजी?

मैं: नहीं बहु सुबह बहुत देरी हो जायेगी. अगर रात को पानी छोड़ा नहीं तो पानी किसी और के खेत में ले लेगा वो. और फिर हमें उसके खेत की सिंचाई पूरी ख़त्म होने की राह देखनी पड़ेगी. वैसे मैं साथ में हूँ फिर तुम्हे किसी से भी डरने की जरूरत नहीं हे. मेरी तो पूरी लाइफ ही निकल गयी इन खेतो में मैं चप्पे चप्पे से वाकिफ हूँ!

बहु: ठीक हे पिताजी, जैसे आप को ठीक लगे. मैं आप के साथ चलूंगी.

अब हम दोनों रात को घर से निकले खेतों की तरफ. 5 मिनिट चलने के बाद रास्ता और भी संकड़ा होता गया. रास्ते के दोनों तरफ जंगल था. मेरे हाथ में एक लालटेन थी.

बहु: पिताजी मुझे डर लग रहा हे.

मैं:डरो मत बहू मैं हूँ ना तुम्हारे साथ में ही. आओ मेरा हाथ पकड लो तुम.

ये कह के मैंने उसका हाथ पकड़ लिया. हम दोनों थोड़ी दूर गए थे की मैं रस्ते में रुक गया.

बहु: क्या हुआ पिताजी आप रुक क्यूँ गए?

मैं: श्हह्हह्ह चूप रहो बहु. लगता हे यहाँ आसपास कोई सांप हे!

बहु को ये कहा तो वो और भी डर गई और मैंने मौके का फायदा उठाया और उसको अपने सिने से लगा लिया. अब उसके मम्मे मेरी छाती पर प्रेस हो रहे थे. मैंने दोनों हाथ उसकी पीठ पर रख दिया और हाथों को पीठ पर रगड़ने लगा.

फिर मैन्स बहु के कान में कहा: बहु बस ऐसे ही शांत खड़ी रहो.

बहु: पिताजी मुझे सच में बहुत ही डर लग रहा हे.

बहु ने दबी हुई आवाज में कहा. अब मैंने अपने दोनों हाथ को उसकी गांड पर रख दिए. और मैं हाथ की हथेलियों और उँगलियों से उसकी गांड को दबाने लगा. बहु के मुहं से अह्ह्ह्ह अह्ह्ह्ह हम्म्म्म की आवाज की और वो मेरे सिने से और भी लिपट गई.अब मैं बहु की गांड की क्रेक को अपनी ऊँगली से सहलाने लगा. ऊँगली को लहंगे के ऊपर से गांड की क्रेक मैं ऊपर से निचे तक फेरने लगा. बहु अब और मेरी पीठ पर अपने हाथ फेरने लगी, ओह्ह्ह्ह अह्ह्ह्ह पिताजी अप ये क्या कर रहे हो? सांप गया की नहीं?

मैं: लगता हे की सांप चला गया हे.

बहु: पिताजी मुझे बहुत जोर से पेशाब आया हे, लेकिन यहाँ तो सब तरफ जंगल ही जंगल हे.

मैंने अपने हाथ को उसकी गांड से हटाते हुए कहा, जंगल हे तो क्या हुआ तुम पेशाब कर लो यही पर. यहाँ पर कौन देखनेवाला हे!

बहु ने दबे हुए आवाज में कहा, जी पिताजी. और फिर उसने अपने लहंगे को उतारा और वो वही पर बैठ गई रस्ते के किनारे. उसकी चूत से निकलते हुए पेशाब की धार से मेरे लंड में जैसे और भी मस्ती चढ़ी हुई थी. उसकी धार स्टार्ट हो के रुक गई और वो 30 सेकंड तक उठी नहीं.

मैं: क्या हुआ बहुत पेशाब हुआ की नहीं?

बहु: नहीं पिताजी, डर की वजह से आधा ही हुआ और रुक गया.

मैं बहु के करीब गया और लालटेन के उजाले को उसकी चूत के ऊपर मारा. और फिर अपनी ऊँगली को मैंने बहु की चूत के ऊपर रख दिया और उसे सहलाने लगा. मैंने उसे कहा, अब कोशिश करो बहु. बहु ने अपनी आँखे बंद कर दी. मैं अपनी ऊँगली उसको चूत के ऊपर से निचे तक ररगड़ने लगा. वो सहम गई थी और ओह अहह पिताजी अच्छा लगा रहा हे ऐसे कहने लगी.

और फिर बहु का पेशाब मेरी ऊँगली के ऊपर फव्वारे के जैसे छुट गया. मैंने ऊँगली चूत पर रगड़ना चालु रखा. उसका पेशाब होते ही मैंने गमछा निकाला और उसकी चूत को पोंछ दिया. मैंने फिर उँगलियों कस दी उसकी चूत पर और जोर से मसल दिया उसकी चूत को. बहु चिल्ला उठी, अह्ह्ह्हह पिताजी! मैंने उसको साइड में लेट जाने को कहा. उसके करीब लेटकर मैंने उसके होंठो पर अपने होंठो को लगा दिया और चूसने लगा.

उसके निचे के होंठो को मैंने अपने दांतों से काट लिया. फिर मैंने उसे कहा, तुम अपनी जीभ बहार निकालो ना बहु. बहु ने अपनी जीभ बहार निकाली और मैंने अपने होंठो से उसकी जीभ का बेसवादा स्वाद चखा और फिर उसे चूसने लगा. बहु ने भी अपने दोनों हाथो को मेरी गर्दन पर डाल दिया. अब मैंने उसकी जीभ को अपने मुहं में ले लिया और अपने होंठो को जोर से बंद किया और उसकी जीभ को बहुत प्यार देने लगा. अब मैं और बहु दोनों ही अह्ह्ह्ह अह्ह्ह ह्म्म्म करने लगे थे. अब बहु ने कहा, पिताजी आप का थूंक बड़ा ही स्वादिष्ट हे. मैंने कहा, मेरा तो सब कुछ स्वादिष्ट हे बहु रानी.

बहु ने कहा, तो फिर आज अपनी बहु को सब कुछ का सवाद दे दीजिये पिताजी.

मैंने अब बहु की चोली खोल दी. अब उसकी गर्दन को चुमते हुए मैं उसको जीभ से चाटने लगा. उसके मम्मो पर दोनों हाथ रगड़ने लगा. उँगलियों को कसने लगा उसके मुलायम मम्मो के ऊपर. ओह्ह्ह्ह फ्ह्ह्ह अह्ह्ह्ह पिताजी और जोर से दबाओ ना, बहु ऐसे कहने लगी चुदासी आवाज में. ये सुनकर मैंने उसके मम्मो को जोर जोर से दबाना चालू कर दिया. मम्मे दबाते हुए मैंने अपनी थूंक उसके मुहं में डाल दी.

बहु ने अपनी जीभ से थूंक को स्वेलो कर लिया, अह्ह्ह अह्ह्ह पिताजी बड़ा मजा आ रहा हे!

मैंने अब उसके निपल्स को उँगलियों के बिच में रगड़ने लगा. उसके निपल्स पर चिमटी लगाने लगा. वो आह्ह्हह्ह अह्ह्ह कर के चिल्लाने लगी. अब मैंने उस से कहा, बहु जरा उठकर थूंक दो अपने मम्मो पर! उसने उठकर अपने मम्मो के अपने मुहं के करीब किया और दोनों मम्मो के ऊपर थूंक दिया. मैंने उसको फिर से लिटा दिया और अब मैं उसके दोनों मम्मो को चुसने लगा अपने होंठो से. अपने मुह को खोलकर मम्मो पर जोर से प्रेस किया और फिर मुहं को बंद कर के उसके मुलायम मम्मो को काटने लगा धीरे धीरे से. मेरे दांतों को निशान पड़ गए थे उसके मम्मो पर. उसने मुझे अपनी छाती पर जकड़ लिया जोर से. ऐसे जैसे मुझे जाने ही नहीं देना चाहती हो. फिर मैंने उसके एक निपल को चुसना चालू कर दिया, ओह पिताजी अह्ह्ह्ह चूस लो अपने बहु की चुचियों को!

मैंने उसे कहा, चूस रहा हूँ रंडी!

बहु ने कहा, आप को अच्छी लगी अपनी रंडी बहु की जवानी पिताजी?

अब मैं उसकी चुचियों पर अपनी जीभ फेरने लगा सर्कल्स में. फिर जीभ पूरी मम्मो पर फेरकर मैंने उसकी थूंक चाट ली उसके मम्मो के ऊपर से.

अब मैं थोड़ा निचे आ गया और मैंने उसके पेट को चूमना शरु कर दिया. मैंने उसके नावेल में जीभ डालकर जीभ को घुमाया सर्कल्स में और फिर नावेल पर दांत कसकर उनको काटने लगा. अह्ह्ह्हह औह्ह्ह्हह्ह अह्ह्ह्ह हम्म्म्म पिताजी आप को रंडियों से खेलना खूब अच्छी तरह से आता हे. अब मैंने बहु का लहंगा निकाल लिया और उस से कहा की वो कुतिया बन जाए! बहु तुरंत अपने घुटनों के और हथेलियों के ऊपर खड़ी हो गई. मैंने उसकी कच्छी निकाली और उसकी गांड पर हाथ फेरने लगा. वो मुडकर मुझे देखकर हौले से हंस पड़ी. और बोली, पिताजी कैसी लगी आप को आप की रंडी की गांड? मैंने उँगलियों को कस कर उसकी गांड पर दबाया और कहा, बहुत अच्छी गांड हे तेरी मेरी छिनाल बहुत दिनों से तेरे मम्मे और गांड ही देख रहा था मैं.

बहु ने कहा, अब से ये रंडी आप की ही हे पिताजी!

मैं उसकी गांड को दबाने लगा. फिर गांड पर जोर जोर से मुहं दबाया और उसको चूमने लगा. अह्ह्ह्हह अह्ह्ह्ह मुआअहाआअ. फिर मैंने अपने दांत गाड़ दिए उसकी मांसल गांड के ऊपर. अब मैंने उसके चुत्त्ड खोले और उसकी गांड की छेद के ऊपर थूंक दिया. वो कांपने लगी थी. मैंने अब अपनी ऊँगली से उसकी गांड के छेद के ऊपर के थूंक को मलना चालू कर दिया.

बहु ने गांड को थोडा हिला के कहा, पिताजी मेरी गांड में अपनी ऊँगली डाल दो ना! मैंने ऊँगली को जोर जोर से छेद पर पुश किया और फिर ऊँगली डाल दी अपनी बहु की गांड में. ऊँगली को बेंड किया उसकी गांड में और फिर हिलाने लगा उसको जोर जोर से. अब ऊँगली को गांड से अन्दर बहार करने लगा था मैं.

मैंने फिर उसे कहा, अब तेरी चूत की बार हे बहु.

इतना सुनते ही उसने दोनों पैरों को फैला लिया और मेरा हाथ लेकर अपनी चूत पर रखवा दिया.

फीर वो बोली, आप की छिनाल आप के लिए सब कुछ करेगी पिताजी! जो चाहे कर लो आप मेरे स्वामी.

मैंने ऊँगली को बहु की चूत में डाली और जोर जोर से धक्का दिया अन्दर घुसाते हुए.

वो तडप उठी और अपने जिस्म को एकदम टाईट कर लिया उसने. मैंने ऊँगली को अन्दर बहार मूव किया उसकी चूत में. ऊँगली को जोर जोर से हिलाया उसकी चूत में. फिर मैंने ऊँगली उसकी क्लाइटोरिस के ऊपर रगड़ी. उसकी क्लाइटोरिस जोर से प्रेस की और ऊँगली को हिलाने लगा क्लाइटोरिस के ऊपर प्रेस करते हुए. वो आह्ह्ह अह्ह्ह ओह अह्ह्ह्हह ह्म्म्म कर के मोअन करने लगी थी. मैंने ऊँगली निकाली और उसके मुहं में डाल दी. वो मेरी ऊँगली को जोर जोर से चूसने लगी. फिर मैंने उसके पैरो में झुक के उसकी चूत को चाटना चालू कर दिया. चूत पर मुहं प्रेस कर के जोर जोर से चूसने लगा मैं. वो बोली, पिताजी और जोर जोर से चाटो अपनी इस रंडी के बुर को. अह्ह्ह्ह अह्ह्ह्ह ओह ओह मजा आ गया पिताजी इसको चटवा के!

अब मैंने अपना मुह खोल दिया और चूत पर जोर से प्रेस किया. मुह को बंद करते ही मेरे होंठो ने उसकी चूत को स्क्विज किया मुहं में. आह्ह्ह मर गई अह्ह्ह्हह ओह पिताजी आप बहुत बड़े चोदु हो अह्ह्ह्ह. मैंने अब उसकी चूत को दांतों से काटना शरु किया धीरे धीरे से. बहु आह्ह्ह अह्ह्ह्हह ओह ओह उईई माँ कह के अपनी चूत को मेरे मुहं पर घिस के चूस सेक्स का मजा ले रही थी. फिर मैंने अपनी धोती खोली. अपना लोडा निकाला और अपने टोपे के ऊपर हाथ घुमाया. लौड़े का टोपा गिला हो गया था प्री-कम से. मैंने टोपा बहु की चूत पर रगड़ा. अह्ह्ह उम्म्मम्म पिताजी मैं अब इस लौड़े की दीवानी हूँ, रोज पूजा करुँगी इस लंड की.

मैंने लौड़े को चूत में पुश किया और फिर जोर से धक्का दिया बहु की कमर को पकड़ कर.

बहु दर्द से चिल्ला उठी, अह्ह्ह्ह पिताजीईईईईईईइ अह्ह्ह्हह आप का तो बहुत बड़ा हे बाप रे, मेरी उतनी नहीं चूदी हे अह्ह्ह्ह. धीरे से करो पिताजी.

मैंने उसके बाल पकड़ के के कहा चूप कर साली हरामजादी.

मैंने अब उसकी चूत को चोदना चालू कर दिया. लौड़ा अन्दर बहार हो रहा था. सन्नाटे में चुदाई की आवाज साफ़ साफ सुनाई दे रही थी. ठप ठप ठप, जांघो के लड़ने से और चूत और गांड के संगम स्थान से चिपचिपी आवाजें आ रही थी. मेरा पूरा लोडा उसकी चूत में घुस के बहार होता था जिसे मैं फिर से वापस अपनी बहु की चूत में डाल देता था. बहु ने निचे जमीने के ऊपर की सुखी हुई घास को पकड़ा था और वो भी अपनी गांड को हिला के मेरा लंड ले रही थी अपनी चूत के अन्दर. वो अपनी कमर हिला रही थी मेरे झटको के साथ में. मैंने लौड़ा अन्दर तक डाल के उसे एकदम जोर जोर से चोदा. मेरे लौड़े का टोपा उसकी चूत के मसल को हिट कर रहा था एकदम जोर से. वो अब मजे से चिल्ला रही थी, और जोर जोर से चोदो मुझे पिताजी! मैंने उसके ऊपर झुक गया थोडा सा और उसके मम्मो को पकड कर दबाने लगा जोर जोर से. फिर मैं रुक गया और जोर से पुश किया अपने लौड़े को बहु की चूत के अन्दर. उसके मम्मे एकदम जोर से मसल दिए और मेरा लावा उड़ेल दिया उसकी चूत के अंदर ही मैंने!

कुछ देर तक बहु की चूत में लंड को रहने दिया. फिर मैंने अपना लोडा बहार निकाला और बहु को दे दिया. उसने मुझे खींचकर अपने ऊपर लिटा दिया. कुछ सेकंड्स के बाद वो बोली, बाबु जी आप मेरी चूत में ही झड़ गए हो, कहीं मैं पेट से हो गई तो? मैं बोल पड़ा, तो क्या तुम मेरे लंड से संतान नहीं चाहती हो! वो बोली, आप को कोई दिक्कत तो नहीं हे ना इसमें? मैंने कहा, मैं तो अब तुझे रोज चोदुंगा घर पर और अपने पोते को खुद पैदा करूँगा! वो बोली, फिर तो मैं आप के वीर्य से ही बालक पेदा करुँगी पिताजी.

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