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Massage Girl in Sitamarhi: Premium Relaxation Services

Our site can help you find a professional massage girl in Sitamarhi who will help you relax in the best manner possible. We connect you with professional therapists who can offer you a massage that will make you feel better and more relaxed. The pros on our list are ready to provide you with a fantastic experience at your house or in one of their particular spots, whether you want to relax or get away from it all.

Introduction

Massage is currently one of the finest methods to relax your mind, body, and overall health. Our website makes it easy to locate the top massage services in Sitamarhi that meet your demands. This will be a one-of-a-kind and calming experience for you.

Tottaa wants to make it simple for clients to find the top masseuse. The Sitamarhi massage service providers on our list offer the greatest quality, comfort, and competence, whether you want a full-body massage or a massage for a particular location.

How Tottaa Helps Advertisers Reach More Customers

Tottaa is not only a list of masseuses, it’s also a secure location for them to show off what they can do. People in Sitamarhi who are seeking massage services may find them on our website. This makes them easier to find and gets them more appointments.

Advertisers may simply put up profiles, offer their services, and talk about pricing and discounts on our sites. This makes sure that the relevant people notice your Sitamarhi massage service, which makes it easier to obtain more customers.

Different Types of Massages We Offer

There are a lot of different types of massage services on our site, so you may choose one that works for you. You may choose the kind of treatment that works best for you, whether it’s profound rest or a particular type of therapy.

1. Swedish Massage

A calm and gentle way to ease muscular tension and improve blood flow. This Sitamarhi massage is perfect for you if you want to relax and forget about your concerns.

2. Deep Tissue Massage

This approach employs a lot of pressure to get to deeper muscle layers. It’s helpful for folks who have muscular discomfort or stiffness that won’t go away. There are specialists on our profiles of massage girls in Sitamarhi who are good at deep tissue treatments that function effectively.

3. Aromatherapy Massage

Calming massage strokes and essential oils are beneficial in making people feel improved both emotionally and physically. Most massage companies in Sitamarhi employ the use of custom oil preparations to make you feel good.

4. Thai Massage

A therapy that wakes you up by using a mix of regular massage, stretching, and compression. This traditional massage in Sitamarhi helps you relax, become more flexible, and get your mind and body back in harmony.

5. Hot Stone Massage

Heated stones are placed on various parts of the body to help with deep muscular tightness. People who want to feel good, relax, and help their muscles recover quickly can use this massage service in Sitamarhi

How to Book Our Massage Services

Tottaa makes it simple and fast to book. With our listings, you can see what kind of massage you want, read about the providers, see that they are free and then contact them directly. After you choose, you can book a massage in Sitamarhi at your convenient time and location. In order to get your desired massage services, apply the following simple steps:

Step 1: Browse Our Listings

Take a peek around our site to view a few massage professionals. Each listing gives you information about the many sorts of massages, how long they last, how much they cost, and where they are situated. This makes it easier to choose the finest ones.

Step 2: Compare and Shortlist

Examine the profiles carefully to compare how the services, talents, and reviews posted by customers differ. This phase makes sure you choose a business that has the style, pricing, and supply you desire.

Step 3: Connect with the Provider

When you have decided, use the information that you are offered so that you can contact them directly. One can communicate it to the massage giver thus making it understood what massage you want at what time and when.

Step 4: Confirm the Appointment

The date, time and place of the service, which could be your home, a hotel or the spa where the therapist may be found. You also need to agree on the payment method and any other accords prior to commencement of the course.

Step 5: Relax and Enjoy Your Massage

All you have to do on the day of the appointment is have your area ready for the house visit. The remainder will be handled by the expert. Take it easy and enjoy a massage that is made just for you.

Frequently Asked Questions

To locate a professional who can meet your needs, read our biography, reviews and advertising.

Yes, many of the therapists on our site will come to your house so you may feel safe and at ease.

You may pick based on talents since most adverts provide their qualifications in their profiles.

It would be advisable to make a reservation earlier to guarantee that you would be able to get a massage, particularly against the prevalent services of massage.

Not at all. Tottaa exclusively connects users with service providers. The doctor gets to choose how to handle payment.

Read Our Top Call Girl Story's

Antarvasna

मेरा नाम राहुल है। मैं Antarvasna गुड़गांव (हरियाणा- दिल्ली के पास) का रहने वाला हूँ। मेरी उमर 37 साल है। मेरी शादी को लगभग 12 साल हो गए। मेरा एक बेटा है जो लगभग दस साल का है। वो देहरादून बोर्डिग स्कूल में पढ़ता है।

मैंने बी.एस सी. (बायो) और फिर बी. फ़ार्मेसी किया। इस लम्बी पढ़ाई और कालेज की जिन्दगी के दौरान कई लड़कियाँ मेरी जिंदगी में आई। कई लड़कियॉ मेरी खास गर्लफ्रैंडस बनी। मैंने अपनी कालेज लाईफ में अपनी कई गर्लफ्रैंडस के साथ सैक्स के मज़े लिए।

सबसे पहले तनु मेरी जिंदगी में आई। फिर नीता, फिर रेनु, चाँद, नीना, शैलजा, कल्पना, मिनी, लीनू, रेखा और आखिर में सुमिता मेरी जिंदगी में आई। इन सभी के साथ में मैंने किसी के साथ एक बार, किसी के साथ दो बार तथा मिनी के साथ सबसे जयादा 19 बार सैक्स किया। बड़े मजे के दिन थे वो।

फिर 12 साल पहले शादी हो गई। शादी के बाद लगभग आठ साल तक अपनी पत्नी के साथ सैक्स का आनन्द लिया। लगभग 4 साल पहले मेरी वाईफ के गर्भाशय को बीमारी के कारण निकालना पडा।
इसके बाद सैक्स में उसकी रुचि लगभग खत्म हो गई। इसलिये हम महीने में लगभग एक या दो बार सैक्स करते।

अब मेरी पत्नी ने लगभग तीन साल से बुटीक का काम शुरु कर रखा है। वो सारा दिन उसमें व्यस्त रहती है। शाम को लेट हो जाती है और काफी थकी भी होती है। इसलिये अब हम महीने में लगभग मुश्किल से एक बार ही सैक्स कर पाते हैं। खैर छोड़िये…

शादी के बाद भी कुछ लड़कियाँ मेरी जिंदगी में आई जिनके साथ मैंने सैक्स किया।
सबसे पहले मेरी साली रजनी उर्फ ‘बेबो’ मेरी जिंदगी में आई।
फिर मेरे पड़ोस की प्रिया, फिर मेरे दोस्त देवेन्द्र की दोस्त पायल और आखिर में मेरी पत्नी की सहेली… उसका नाम मैं अभी नहीं बताऊँगा क्योंकि उससे मेरा रोमांस अभी चल रहा हैं, मेरी जिंदगी में आई।
इन सभी के साथ में मैंने कई बार सैक्स किया हैं।

इनमें से मैंने अपनी साली रजनी उर्फ ‘बेबो’ के साथ सबसे जयादा 17 बार सैक्स किया। हर एक के साथ सैक्स की अपनी अलग और एक मजेदार कहानी हैं। काश स्टिरियो की तरह से जिंदगी में भी रिवाइन्ड बटन होता तो मैं इन कहानियों को फिर से रिवाइन्ड करके देखता और आप लोगों को भी बताता। पर ऐसा नहीं हो सकता। इसलिये मैं अपनी कुछ खास घटनाएं आपके साथ बांट रहा हूँ।

छुट्टी वाले दिन पत्नी तथा बेटे के ना होने की वजह से मैं जब भी फ्री होता हूँ तो इंटरनेट से गर्म और सेक्सी चित्र, अंग्रेज़ी और हिन्दी की कहानियाँ डाऊनलोड करता हूँ और अन्तर्वासना हिंदी कहानियाँ जरूर पढ़ता और डाऊनलोड करता हूँ।

आज मेरे पास ऐसे चित्रों तथा ऐसी कहानियों का बहुत बड़ा संग्रह है। अन्तर्वासना की ज्यादातर कहानियाँ बहुत अच्छी तथा दिल को छू लेने वाली और अपनी सी लगती हैं। इन्हीं सब कहानियों से प्रेरणा पाकर मैं भी अपनी कुछ कहानियाँ लिख रहा हूँ। ये सारी कहानियाँ बिल्कुल सच्ची हैं, आप मानो या न मानो। खैर …

अब मैं आपको अपनी पहली सच्ची कहानी बताने जा रहा हूं। जल्दी ही और भी कहानियाँ आपके सामने आने वाली हैं। तो मज़े लो दोस्तो, पर पढ़ने के बाद मुझे मेल जरूर करना।

मेरे माता-पिता दोनों टीचर थे। मेरी एक बड़ी बहन है। लगभग 18 साल तक किराए के मकान में रहने के बाद मम्मी-पापा ने सैक्टर में मकान बना लिया। जब हम उस मकान में गए तब मेरी उमर लगभग 18 साल थी। मैं ग्यारहवीं कक्षा में पढ़ता था।

मेरा मकान उन दिनो में शहर के सबसे अच्छे सैक्टर में था। कार्नर का मकान था।

मुझे बचपन से सैक्सी किताबें पढ़ने तथा सैक्सी तस्वीरें व पोस्टर देखने का बड़ा शौक था। इसी वजह से मैं वक्त से पहले ही सैक्स के बारे में सब कुछ जान गया था।

मेरे अगले तथा साथ वाले मकान में तनु अपने माता-पिता और एक छोटे भाई के साथ रहती थी।
तनु के पिता मुख्य स्वास्थ्य अधिकारी थे।
तनु भी मेरी तरह ग्यारहवीं क्लास में मगर किसी दूसरे स्कूल में पढ़ती थी। वो थोड़े लम्बे कद की, पतले और नाजुक जिस्म की तथा बड़े-बड़े स्तनों वाली बहुत सुंदर लड़की थी। मुझे उससे पहली ही नजर में प्यार हो गया था।

पड़ोस का मकान होने की वजह से हम अकसर रोज ही मिलते तथा बात करते थे। मैं और तनु कभी-कभी किताबें या नोट्स लेने के बहाने एक-दूसरे के घर आने-जाने लगे।

एक दिन तनु अपने गेट पर खड़ी होकर अपनी सहेली नीता से बात कर रही थी। वो दोनों कुछ अजीब सी बातें कर रही थी। फिर एक में तीन, एक में जीरो कह कर हंसने लगी।
तनु की सहेली के जाने के बाद मैंने तनु से पूछा- एक में तीन, एक में जीरो क मतलब क्या था?

तनु ने नहीं बताया। मेरे काफी जिद्द करने के बाद उसने बताया कि लड़कियों के नीचे से महीने में दो-तीन दिन खून निकलता है। एक में तीन एक में जीरो का मतलब कल तो तीन बार खून निकला था। मगर आज एक बार भी नहीं निकला।

मैं समझ गया कि वो मासिक-धर्म के बारे में बात कर रही थी क्योंकि मैंने इस बारे में पढ़ा और दोस्तो से सुना था। फिर भी मैंने अनजान बन कर तनु से पूछा- ऐसा क्यों होता है?

तनु बताना नहीं चाहती थी मगर मेरे काफी जिद्द करने के बाद उसने बताया कि जब लड़कियाँ जवान होती हैं तो लड़कियों के नीचे से हर महीने में दो-तीन दिन खून निकलता है। फिर वो अपने आप बन्द हो जाता है। इसका मतलब अब लडकी माँ बन सकती है।

मैंने फिर अनजान बन कर तनु से पुछा कि ऐसा कैसे होता है? लडकी माँ कैसे बन सकती है?

तनु बताना नहीं चाहती थी मगर एक बार फिर मेरे काफी जिद्द करने के बाद उसने बताया कि जब लड़के और लड़कियों का मिलन होता है तो लडकी गर्भवती हो जाती है और उसके खून निकलना बन्द हो जाता है। फिर नौ महीने बाद बच्चा हो जाता है।

मैंने फिर अनजान बन कर तनु से पूछा कि लड़के और लड़कियों का मिलन कैसे होता है।

एक बार फिर मेरे काफी जिद्द करने के बाद तनु ने बताया कि जब लड़का अपने लिन्ग को लड़की की योनि के अन्दर डाल कर आगे-पीछे करता है। फिर उसके लिंग से शुक्राणु लड़की की योनि के अन्दर गिर जाते हैं और उससे लड़की गर्भवती हो जाती है।

मैंने इसी तरह से बहुत सी बातें तनु से पूछी और उसने बताई भी। फिर मैंने उससे पूछा कि उसे ये सब कैसे पता चला। तो उसने बताया कि उसके ताऊ जी की लड़की की शादी कुछ दिन पहले ही हुई है। उसी ने उसे ये सब कुछ बताया है।

इस तरह मैं और तनु काफी खुल गये थे। अब मैं अकसर उससे सैक्स की बातें करने लगा। फिर धीरे-धीरे उसको छेड़ने लगा। फिर हमारी छेड़-छाड़ चूमने तक, फिर होंठों पर होंठ का चुम्बन और आखिर में एक-दूसरे के अँगो को चूने, हाथ फिराने और दबाने तक पहुँच गई।

हम जब भी एकांत में होते तो एक-दूसरे से लिपट कर किस करते। मैं हाथों से तनु के बड़े-बड़े स्तन दबाता और वो हाथों से मेरा लण्ड दबाती। हम दोनों को ऐसा करना बहुत अच्छा लगता था। एक बार हम दोनों एक-दूसरे से लिपट कर होंठों का प्रगाढ़ चुम्बन कर रहे थे।

मैं किस करते-करते अपने हाथों से तनु के कुरते के ऊपर से उसके बड़े-बड़े स्तन दबा रहा था और वो अपने हाथों से पैंट के ऊपर से मेरा लण्ड पकड़ कर दबा रही थी।

मेरा लण्ड तन कर खड़ा हो गया। मैंने पैंट की जिप खोल कर अपना लण्ड बाहर तनु के हाथ में पकड़ा दिया।
तनु ने मेरा लण्ड अपने हाथ में थाम लिया, वो मेरे लण्ड को अपने हाथ में दबाने लगी।

मेरा लण्ड तन कर और भी सख्त हो गया था।

तनु मेरे लण्ड को मुठ्ठी में भर कर उपर-नीचे और आगे-पीछे करने लगी। मैंने तनु की सलवार के अन्दर हाथ डाल दिया। फिर मैं उसकी पैन्टी के ऊपर से पाव रोटी की तरह उभरी हुई उसकी चूत को दबाने लगा।

कुछ देर बाद मैं उसकी पैन्टी के अन्दर से हाथ डाल कर उसकी चूत के घने बालों पर हाथ फिराने लगा। फिर मैंने अपना हाथ उसकी चूत पर रख दिया और ऊपर से ही रगड़ने लगा।

फिर मैं तनु की चूत पर हाथ फिराने लगा। फिर हाथ फिराते-फिराते मैंने अपनी उँगलियाँ तनु की चूत के अन्दर डाल दी। फिर ऊँगलियों से तनु की चूत के फाँको में डाल कर रगड़ने लगा। लगभग 5-7 मिनट बाद तनु की चूत से कुछ बहुत चिकना सा निकलने लगा।

इतने में मेरी बहन कालेज से आ गई और हम अलग हो गये। हम सोफे पर आ कर बैठ गये।

मेरा लण्ड अभी तक खड़ा था, इसलिए मैं उसे अपनी टांगों के बीच में दबा कर बैठ गया। खैर उस दिन हम बच गये।
लेकिन तनु की की चूत से जो कुछ बहुत चिकना सा निकला था, उसकी वजह से मैं उसे चिकनी-चिकनी कह कर चिड़ाने लगा।

इस तरह हम दोनों काफी खुल गऐ थे और एकांत में अकसर ही ये सब करने लगे थे। हमें अकसर ही मौका भी मिल जाता क्योंकि मेरे मम्मी-पापा नौकरी से तथा बहन कालेज से शाम को 5-6 बजे तक आते थे। जबकि मैं और तनु दोनों ही लगभग 2 बजे स्कूल से आ जाते थे।

फिर तनु मेरे यहाँ ह्फ्ते में दो-तीन बार बुक्स य नोटस लेने के बहाने से आ जाती और हम एक-दूसरे को बाँहो में भर कर खूब प्यार करते। हाँ, सैक्स नहीं किया क्योंकि हमें कभी भी दो-तीन घंटे या ज्यादा समय नहीं मिला। बस एक दिन ऐसा समय मिला और उस ही दिन सब कुछ हो गया।

तनु की मेरी बहन से बहुत अच्छी दोस्ती हो ग़ई थी। शाम को अकसर तनु हमारे घर आ जाती। फिर वो और मेरी बहन दोनों पार्क में घूमने चले जाते।

हमारा परीक्षा परिणाम आ गया। हम दोनों बहुत अच्छे नम्बरों से पास हो गए। बारहवीं में बोर्ड के पेपर होने थे इसलिए पापा कहीं बाहर नहीं जाने देते थे। बस घर में रहो और पढ़ते रहो। मम्मी-पापा मार्केट भी अकेले जाते और हम दोनों भाई-बहन को घर ही छोड़ जाते।

एक दिन शाम को तनु घर आई तो मैं घर में अकेला था। मेरी बहन और मम्मी-पापा मार्केट गए थे। हम दोनों ड्राइंगरूम में बैठ कर बातें करने लगे। हमने कुछ देर बातचीत की। फिर तनु घर जाने के लिये खड़ी हो गई।

मैंने उससे कहा,’थोड़ी देर और रुकोगी नहीं? प्लीज़, कुछ देर और रुको ना।’

वो रुकी नहीं और जाने लगी। मैंने उसका हाथ पकड़ लिया। वो अपना हाथ छुड़ाने लगी। मैंने उसे धकेल कर दीवार से सटा दिया और उसके माथे को चूमा। फिर उसके गालों को चूमने लगा।

तनु के सर के पीछे स्विच-बोर्ड था। अचानक उसका सर स्विच पर लगा और लाईट बन्द हो गई। तनु एकदम अन्धेरा होने से डर गई और मुझसे लिपट गई।

मैंने उसे अपने सीने से चिपका लिया। मैंने अपने हाथो में तनु का चेहरा थाम लिया और फिर मैंने अपने जलते हुए होंठ तनु के होंठों पर रख दिए। फिर मैं उसके नरम-नरम होंठों को अपने होंठों में भर कर चूसने लगा।

तनु ने भी मुझे अपनी बाँहो में कस लिया। मैं तनु को किस करते-करते मैं उस के बालों में हाथ फिराने लगा, उसके गालों पर हाथ फिराने लगा। फिर मैं अपने हाथ को नीचे ले जाकर उसकी टी-शर्ट के ऊपर से उसके स्तनों को दबाने लगा।

कुछ देर बाद मैं उसकी टी-शर्ट के गले के अन्दर से हाथ डाल कर उसके सख्त हो चुके वक्ष को दबाने लगा और उसकी टी-शर्ट को उतारने लगा।

तनु बोली ‘क्या करते हो? दीदी और अंकल-आन्टी आने वाले होंगे।’

मैंने कहा,’चिंता मत करो। वो सब दो-तीन घंटे तक नहीं आँएंगे और जब आएँगे तो गाड़ी का हॉर्न बजा कर सामान ले जाने के लिये मुझे बुलाएँगे। जब मैं सामान लेने जाउँगा तब तुम कपड़े पहन कर पिछ्ले दरवाजे से घर चली जाना। किसी को पता भी नहीं चलेगा।’

हमारा मकान कॉर्नर का है, जिसका पिछला दरवाजा पीछे गली में खुलता है। तनु यह बात जानती थी। इसलिये वो कुछ नहीं बोली।

मैंने मुख्य दरवाज़ा बंद कर दिया। फिर मैं तनु का हाथ पकड़ कर उसे बेडरूम में ले आया और बेडरूम की फुट-लाईट जला दी। कमरा धीमी लाल रौशनी से भर गया। मैंने तनु को अपनी बाँहो में भर लिया। फिर मैं उसके नरम-नरम होंठों को अपने होंठों में भर कर चूसने लगा।

तनु ने भी मुझे अपनी बाँहो में कस लिया, मेरे हाथ तनु के जिस्म पर फिर रहे थे।

कुछ देर बाद मैंने तनु को बैड पर लिटा दिया, उसकी बगल में लेट कर उसके गालों को चूमने लगा।

फिर मैंने तनु की टी-शर्ट ऊपर करके उसके चिकने पेट पर अपने जलते हुऐ होंठ रख दिए और उसके नरम-नरम, गोरे-गोरे पेट को अपने होंठों से चूमने लगा। तनु के मुँह से सिसकियाँ निकलने लगी।

मैं उसकी टी-शर्ट को उतारने लगा तो तनु ने कोई विरोध नहीं किया। मैंने उसकी टी-शर्ट उतार कर बैड पर फैंक दी।

तनु के बड़े-बड़े ओर गोरे-गोरे स्तन सफेद ब्रा में फँसे थे। मैं उसकी ब्रा के ऊपर से उसके स्तनों को दबाने लगा। तनु ने अपनी आंखें बंद कर ली। फिर मैं उसकी ब्रा के अन्दर से हाथ डाल कर उसकी सख्त हो चुकी चूचियों को दबाने लगा।

कुछ देर बाद मैं उसकी ब्रा के हुक खोल कर उसकी नंगी पीठ पर हाथ फिराने लगा। फ़िर मैंने उसकी ब्रा भी उसके तन से जुदा कर दी और दोनों कबूतरों को आज़ाद कर दिया और उन्हें पकड़ कर मसलने लगा। साथ-साथ उसके गुलाबी चूचुकों को हल्के-हल्के मसलने लगा।

फिर मैं उसके नरम-नरम गोरे-गोरे स्तनों को अपने होंठों में भर कर चूसने लगा। फिर मैं उसके पेट पर हाथ फिराते हुऐ उसकी लोअर के अन्दर ले गया और उसकी पैन्टी के ऊपर से पाव रोटी की तरह उभरी हुई उसकी चूत पर हाथ फेरने लगा।

फिर कुछ देर तक उसकी चूत पर हाथ फेरने के बाद मैं अपनी हथेली से उसकी चूत को दबाने लगा। वो बहुत गरम हो चुकी थी और मेरे सर पर हाथ फेर रही थी, अपने होंठ चूस रही थी।

मैं उसके लोअर को खींच कर उतारने लगा।
तनु बोली ‘प्लीज़! इसे मत उतारो। कोई आ जाएगा।’

मैंने कहा ‘ओफोह तनु, चिंता मत करो, कोई नहीं आँएंगा।’

तनु बोली ‘प्लीज़! मुझे डर लगता है।’

मैंने कहा ‘प्लीज़! तनु डरने की क्या बात है। मेरे होते हुऐ तुम चिंता मत करो। कोई नहीं आँएंगा। मैं तुम्हें प्यार करता हूँ! बहुत प्यार करता हूँ! तुम मेरी हो! प्लीज़! मैं हमेशा तुम्हारे साथ हूँ! प्लीज़! तनु, मैं आज तुम्हें अपने सामने नंगी देखना चाहता हूँ! प्लीज़!’

तनु यह बात सुनकर कुछ नहीं बोली। मैं फिर उसके लोअर को उतारने लगा। अब तनु ने कोई विरोध नहीं किया। मैंने उसका लोअर उतार कर फेंक दिया। तनु ने लाल पैन्टी पहनी हुई थी। फिर मैंने अपने भी सारे कपड़े उतार दिये और सिर्फ चड्डी में तनु से लिपट गया।

फिर मैं उसकी पैन्टी के उपर से पाव रोटी की तरह उभरी हुई उसकी चूत को दबाने लगा। तनु ने अपनी आंखे बंद कर रखी थी। फिर मैं उसकी पैन्टी के अन्दर से हाथ डाल कर उसकी चूत के घने बालों पर हाथ फिराने लगा। कुछ देर बाद मैं उसकी पैन्टी को खींच कर उतारने लगा।

तनु बोली ‘क्या कर रहे हो। प्लीज़! इसे मत उतारो। कोई आ जाएगा। मुझे शरम आ रही है।’

मैंने कहा ‘अपनी आँखें बन्द कर लो। नहीं आएगी।’

तनु बोली ‘प्लीज़! इसे मत उतारो। मुझे डर लगता है।’

मैंने कहा ‘प्लीज़! तनु डरने की क्या बात है।’

तनु बोली ‘प्लीज़! राज़, मैं भी तुम्हें प्यार करती हूं लेकिन यह ठीक नहीँ है! प्लीज़! इसे मत उतारो। मुझे बहुत ही गलत लग रहा है।’

मैंने कहा ‘प्लीज़! तनु, इसमें कुछ गलत नहीं है। प्यार में कुछ गलत नहीं होता। प्लीज़! तुम अपनी आँखें बन्द कर लो और मुझ पर भरोसा रखो।’

तनु बोली ‘प्लीज़! मुझे डर लगता है।’

मैंने कहा ‘प्लीज़! तनु कुछ करेंगे नही। बस कपड़े उतार कर नंगे एक दूसरे से लिपट कर लेटेंगे और खूब प्यार करेंगें।’

यह कह कर मैंने लगभग जबरदस्ती ही उसकी पैन्टी उतार दी। तनु का नंगा बदन लाल रोशनी में नहाकर लाल हो गया।

मेरा लण्ड तन कर खड़ा हो गया था और चड्डी फाड़ कर बाहर आने को हो रहा था। मैंने चड्डी उतार कर फेंक दी। फिर मैं तनु से लिपट गया।

मैंने उसे धीरे से बिस्तर पर लिटा दिया और एक हाथ उसके वक्ष पर रख कर उसे दबाने लगा। वो और गरम होने लगी थी।

फिर मैंने तनु को अपने साथ सटा कर लिटा लिया। मेरा लण्ड तन कर तनु की चिकनी टांगों से टकरा रहा था।
मैं तनु की चिकनी टांगों पर हाथ फिराने लगा। वो सिस्कारियाँ लेने लगी।

मौके की नज़ाकत को समझते हुए मैंने अपना हाथ उसकी चूत पर रख दिया और ऊपर से ही रगड़ने लगा। फिर हाथ फिराते-फिराते मैंने अपनी उँगली तनु की चूत के अन्दर डाल दी। फिर ऊँगलियों से तनु की चूत के फाँको को खोलने और बन्द करने लगा। Antarvasna

रोहित मेरे पास आगरा आए थे और होटल के रूम में बुला कर रोहित ने मुझे खूब चोदा।

तीन बार करने के बाद रोहित पूरी तरह निढाल होकर मेरी चूत में अपना लंड डाल कर मेरे ऊपर ही सो गया। सुबह उठकर रोहित वापिस चले गया।

एक हफ़्ते बाद रोहित वापिस आए इस एक हफ़्ते में मैं रोहित की याद में हस्त मैथुन करती रही।

रोहित सुबह 10 बजे मेरे रूम पे आए, रोहित ने दरवाज़ा खटखटाया, मैं सन्डे होने के कारण थोड़ी देर पहले ही सो के उठी थी। मैंने जैसे ही दरवाज़ा खोला, रोहित अन्दर आ गया, पीछे से दरवाज़ा बंद करके मुझे अपनी बाहों में भर लिया और बेतहाशा चुम्बन करने लगे।

रोहित ने कहा- मैं पूरे एक हफ्ते से प्यासा था, आज मेरी प्यास बुझा दो !
मैंने मजाक में कहा- लो पानी पी लो, फिर कोल्ड ड्रिंक भी देती हूँ।
रोहित ने हँसते हुए पानी पी लिया और कहा- कोल्ड ड्रिंक मैं गिलास से नहीं पियूँगा।
मैंने पूछा- फ़िर कैसे?

रोहित ने आगे आकर मुझे किस किया और मेरे मम्मों को दबाते हुए बोले- नए स्टाइल में पियूँगा !!!
मैंने पूछा- कौन सा नया स्टाइल?
रोहित ने कहा- अभी बताता हूँ।

मैंने क्रीम रंग की नाईटी पहनी थी, नीचे काली ब्रा और पैंटी !
“तुम बैठो मैं अभी नहा कर आती हूँ !”
रोहित - चलो, मैं तुम्हें नहलाता हूँ !
मैं- धत्त ! बेशर्म ! मुझे शर्म आती है।
रोहित - जब मैं तुम्हारी मारता हूँ तब तो शर्म नहीं आती?

“अरे नहीं ! आती तो है पर उस समय मैं इतनी गर्म होती हूँ कि मुझे होश ही नहीं रहता।”
” तो चलो ठीक है, मैं तुम्हें गरम करके नहलाता हूँ और कोल्ड ड्रिंक पीने का नया तरीका भी तो बताना है तुम्हें सच्ची बहुत मज़ा आएगा !”
“ऐसा है तो चलो।”
और हम दोनों बाथरूम में घुस जाते हैं।

बाथरूम में घुसते ही रोहित मुझे पकड़ के कस के चूमने लगा और मेरे मम्मे और मेरे गान्ड पर हाथ ने लगा। मुझे मज़ा आने लगा है। रोहित ने शावर खोल दिया और मैं भीगने लगी। रोहित ने टी-शर्ट और जीन्स पहन रखी थी। भीगने से मेरी नाईटी मेरे शरीर से चिपक गयी और मेरे मस्त मम्मे ब्रा में ढके हुए और मेरी पैन्टी साफ़ दिखने गयी। यह देख कर रोहित गरम हो गया और मुझे अपनी तरफ़ खींचने लगा और नीचे घुटनों के बल बैठ कर मेरी नाईटी ऊपर उठा कर मेरी टांगों और जांघों को चूमते हुए मेरी पैन्टी तक पहुँच गया !!

“स्स्स्स्स्स्स श्ह्ही अआया आआः मज़ा आआया आया आ आ रहा है !”

रोहित ने दोनों हाथ मेरी पैन्टी के अन्दर डाल दिया और दाएं हाथ से मेरी गान्ड को और बाएं हाथ से मेरी चूत को सहलाने लगा !
“आआया आया अआया आआअह्ह्ह मज़ा आ आ आआया आआया रहा है।”
यह करते हुए रोहित मुँह से मेरी पैन्टी का एलास्टिक पकड़ कर उसको धीरे धीरे नीचे उतारते लगा।

मेरी गरम चूत देखते ही रोहित के मुँह में पानी आ गया और रोहित मेरी क्लिटोरिस को चूमने और चाटने लगा, मैं आ आया आ आआ अआय आ आआया अह आ आआया आआ अआः करने लगी, में रोहित का
सिर पकड़ कर अपनी चूत पे दबाने लगी, रोहित का हाथ मेरे गान्ड के छेद के आस पास घूमने लगा और
इस तरह से मैं पहली बार मेरा ओर्गास्म हो जाता है, “आआअह मैं मर गई !”

रोहित कहता ह यह तो शुरुआत है। मेरे चूत का रस अपने होठों पे लेकर मेरी नाईटी को ऊपर कर दिया और मेरी ब्रा को खोल कर मेरे मम्मे ज़ोर ज़ोर से दबाने लगा और मेरे सख्त निप्प्ल पर मेरी चूत का जूस होठों से लगा दिया। मेरी ब्रा खुल कर नीचे गिर गयी , मैं नाईटी उतार देती हूं और पैन्टी से पैर निकाल कर बाहर आ जाती हूं।
मैं रोहित के लन्ड की तरफ़ देखती हूं जो एकदम टाईट हो रहा है और रोहित का लन्ड जींस फाड़ कर बाहर आने को बेताब था।
“अरे जान इसको क्यूँ सज़ा दे रहे हो, इसको तो बाहर आने दो !”
“हाँ यह तो बाहर आएगा ही वरना मज़ा क्या आएगा।”
और हम दोनों हँसने लगे।

रोहित - अच्छा तुम जाओ ज़रा चिल्ड कोल्ड ड्रिंक लेकर आओ !
मैं- अरे कोल्ड ड्रिंक का क्या करोगे अभी?
रोहित - जाओ न, मुझे प्यास लगी है मुझे पीना है !
“अच्छा बाबा लाती हूँ पर तुम कपड़े तो उतारो।”
“नहीं कपड़े तुम उतरना मेरे, तब असली मज़ा आएगा।”
अच्छा !

मैं जल्दी से पूरी नंगी हालत में भाग के गई और फ्रीज से सुपर-चिल्ड कोल्ड ड्रिंक-फ़ैंटा निकाल के ले आई।
भाग के जाने से मेरी साँस फूलने लगी और मेरे मम्मे ऊपर नीचे होने लगे।

रोहित - जान तुम्हारे मम्मे कितने अच्छे हैं ! अच्छा अब मैं थोडी देर बाद कोल्ड ड्रिंक पियूँगा और तुम लोलीपोप चूसना।
मैं- लोलीपोप? मैं कोई बच्ची तो नहीं हूँ जो लोलीपोप चूसूंगी !
“मना ना करो, तुम्हारे लिए बहुत टेस्टी लोलीपोप लाया हूँ।”
“अच्छा ! कहाँ है दो।”
“पहले तुम अपनी आँखें बंद करो।”
“मैं अपनी आँखें बंद करती हूं।”

अब रोहित अपना लन्ड निकाल कर उस पर थोड़ा सा कोल्ड ड्रिंक गिरा के मुझ- जानू अपना मुँह खोलो !
मैं अपना मुँह खोलती हूं और रोहित अपना लन्ड मेरे मुँह में दे देता है ।
मैं जीभ से टेस्ट करती हूँ- अरे यह तो ओरंज फ्लेवर लोलीपोप है।
तुम्हे अच्छी लगी !
“हाँ !”
रोहित - तो आंखें खोलो और चूसो !
मैं आँखें खोलती हूं और रोहित का लन्ड देखती हूं- तो यह लोलीपोप है?
हाँ, अब चूसो !

मैं रोहित के जींस का बटन खोल कर अंडरवीअर नीचे करके घुटने तक रोहित का लन्ड चूसने लगती हूं।
रोहित मेरे सर के पीछे से कस के पकड़कर चुसवाने लगता है । रोहित का लंबा मोटा लन्ड मेरे मुँह में पूरा नहीं जा पा रहा था , रोहित मुझे पकड़कर अपने लन्ड को ज़ोर से मेरे मुँह में डालने लगा । मुझे दर्द होने लगा लेकिन अब तक रोहित हाथ मेरे मम्मों को दबाने लगा और मुझे मज़ा आने लगता है। मैं रोहित का पूरा लन्ड लोलीपोप की तरह चूसने लगती हूं।

रोहित आ आआया आआह्ह हह्ह्ह्छ ओऊ ऊऊ ऊऊओ ऊह ऊऊ ऊऊ उफ ! करने लगा।
“बस रुक जाआआओ ! वरना मैं झर जाऊँगा।”
“तो झर जाओ !”
रोहित - नहीं ! मुझे अभी तुम्हारी चूत और गान्ड मारनी है।

मैं हँसते हुए हट जाती हूं। अब रोहित अपने कपड़े उतार के आ जाता है और बोलता है कि अब मुझे कोल्ड ड्रिंक पीनी है
मैं- वो कैसे?
रोहित मुझे अपने सामने खड़़ा करता है और मेरे नंगे शरीर को देख कर कहता है - यह है न ग्लास।
मैं- मतलब?

तुम कोल्ड ड्रिंक की बोतल लेकर अपने होठों से शुरू करके अपने मम्मों, अपनी नाभि अपनी चूत, अपनी गांड जांघों और टांगों पर कोल्ड ड्रिंक डालो धीरे धीरे और मैं पीता जाऊँगा !
“वाओ, यह तो बहुत बढ़िया तरीका है।” है न?
और मैं अपने होठों से कोल्ड ड्रिंक गिरा कर धीरे धीरे नीचे बढती जाती हूं। ठंडी कोल्ड ड्रिंक से बदन में सिहरन उठती है लेकिन रोहित चाटने से मज़ा आऽऽऽऽ हऽऽ आऽऽऽ रहा है। रोहित ऐसे ही चूसते और कोल्ड ड्रिन्क पीता जाता है, मेरे मम्मों पर, चूत में से, गान्ड में से नीचे तक।
मैं- अब मेरी बारी !

अब रोहित खड़े हो जाता है और मैं घुटनों के बल रोहित के आगे बैठ जाती हूं और रोहित के लन्ड पर कोल्ड ड्रिन्क डाल डाल कर पीती रहती हूं और साथ ही रोहित के लन्ड, टट्टे भी चूसती जाती हूं। अब रोहित बिल्कुल गर्म हो जाते हो। मैं जैसे ही कोल्ड ड्रिन्क की बोतल रखने के लिये पलटती हूं, रोहित मुझे पीछे से पकड़ कर मेरे मम्मे नोच लेते है।

मेरी चीख निकल जाती है। इस समय रोहित का लन्ड मेरी गान्ड के छेद के पास गड़ रहा होता है। रोहित मुझे ऐसे अपनी बाहों में उठा लेता है कि रोहित का लन्ड मेरी गान्ड से रगड़ रहा होता है और उठा के मुझे बेड के पास ले जाते है।

वहाँ पहुंच कर रोहित मुझे बेड पे दोनों हाथ और पैर पे बैठने को कहते हो और वैसलीन की शीशी उठा लाता है। मेरी गान्ड के छेद को खूब चूसता है और उस पर वैसलीन लगाता है, और अपने लन्ड पर भी !
मैं- आज क्या पहले गान्ड मारोगे?
“हाँ !”
“तो ठीक है ऐसे मारना मेरी गान्ड फ़ाड़ देना ! ठीक है?”
रोहित पहले दो उंगलियों से मेरी गान्ड का छेद बड़ा करता है, फ़िर धीरे से अपना सख्त लन्ड मेरी गान्ड पर लगाता है और धीरे से मेरी गान्ड मारना शुरू करता है। धीरे धीरे धक्के देते जाता है, रोहित के हाथ मेरे मम्मों पर आ जाते हैं और रोहित उन्हें दबाने लगता है, बीच बीच में दो उंगलियों से मेरे चूत में भी फ़िन्गरिन्ग करता है आऽऽऽहऽऽ आआऽऽ मज़ा आऽऽ रहाऽऽ है… और जोर से और जोर से

” मुझे धीरे में मज़ा नहीं आ रहा, जोर से मारो मेरी गान्ड फ़ड़ दो आज” मैं हवस के बहाव में बोलने लगती हूं।

रोहित जोश में आ जाता है, मेरी जांघें पकड़ कर अपनी तरफ़ खींचता है और एक झटके में अपना पूरा लन्ड मेरी गान्ड में डाल देता है।
मेरी चीख निकल जाती है- आऽऽऽऽह ऽऽआअऽऽऽऽ अऽऽऽऽ मर गई !

इससे पहले कि मैं सम्भल पाती, रोहित मेरी गान्ड जोर जोर से मारने लगता है, पूरा लन्ड बाहर निकाल कर जोर से एक झटके में अन्दर बाहर करने लगता है।
“मुझे बहुत दर्द हो रहा है लेकिन मज़ा भी आ रहा है !”
रोहित अपनी स्पीड बढ़ाते जाता है!
मैं कहती हूं- रुक जाओ प्लीज बस !

रोहित - नहीं आज सचमुच में तुम्हारी गांऽऽऽऽड फ़ाड़ के रहूंगाऽऽऽ”
“मज़ाऽऽऽ आऽऽऽ रहाऽऽऽ है नाऽऽऽ.?”
“हाँऽऽऽऽऽ!
रोहित फ़िर मेरी गान्ड के पट्टों पर थप्पड़ मारता है सटाक सटाक !

मुझे बहुत मज़ाऽऽऽ आऽऽऽ रहा है, मेरे चूतड़ बिल्कुल लाल हो गये और मेरी गांड का बुरा हाल हो गया, लेकिन रोहित रुकने का नाम ही नहीं ले रहा था !

मेरे बहुत कहने पर रोहित रुके पर एक शर्त पर कि मैं रोहित का लन्ड पर बैठ कर कूदूंगी क्योंकि अभी गान्ड और भी मारनी है !

मैं अच्छा बाबा ! अच्छा ! कह्ती हूं और तुम नीचे लेट जावो मैं तुम्हारे लन्ड पर तुम्हारी तरफ़ मुंह करके बैठ जाती हूं और कूदना शुरू कर देती हूं। अब रोहित को बहुत मज़ा आने लगता है।
आऽऽहऽऽ आऽऽऽऽऽआअ, मेरे लन्ड पर ऐसे ही कूदती रहो !

इस पोजीशन में रोहित का लन्ड बहुत अन्दर तक जा रहा था। एक हाथ से रोहित बारी बारी मेरे मम्मों को मसल रहा था और दूसरे से मेरी चूत को !
मेर क्लाईमैक्स आ रहा है आऽऽहऽऽ आऽऽऽऽ आअ आऽऽऽहऽऽ आअऽऽ अऽऽऽऽ मर गई।
उफ़्फ़्फ़्फ़ ! मेरी चूत के जूस रोहित के हाथ पर और रोहित के पेट पर फ़ैल गया.’ मैं थक गई कूद कूद के”
“अच्छा तो हट जाओ !”
रोहित मेरी चूत क जूस मेरे मम्मों पे लगा देता है और जोर जोर से चूसने लगता है। मेरे मम्मों के बीच टिशु पेपर लगाकर अपना लन्ड रगड़ता है और साफ़ कर लेता है”
रोहित मुझे पेट के बल लेटने को कहता है और तीन तकिये मेरे पेट के नीचे रख देता है।
मैं डर जाती हूं- क्या अभी और गान्ड मारने का इरादा है?
“नहीं जान, अब चूत की बारी है।”
“अरे चूत तो आगे से मारी जाती है।”
“यह नया स्टाईल है !”
“अच्छा कैसे?”
रोहित तकिये मेरे पेट के नीचे रखकर मेरी चूत पर हाथ फ़ेरता है और मेरी टांगें फ़ैला देता है। फ़िर एक झटके में अपना लन्ड मेरी चूत में डाल देता है।

मेरी फ़िर से चीख निकल जाती है- हाऽऽऽऽय आऽऽज क्या जान निकालने का इरादा है?
“नहीं, लेकिन जब दर्द होता है तभी तो मज़ा आता है !”
“हाँ, वो तो है।”

और रोहित जोर जोर से मेरी चूत मारने लगता है। रोहित दोनों हाथों की उन्गलियों के बीच में मेरे सख्त चूचकों को दबा दबा के खींच रहा था और जीभ से चाट और चूस भी रहा था । मैं मुँह नीचे कर के देखती हूं। रोहित का लन्ड पिस्टन की तरह मेरी चूत में जा रहा होता है।
यह देख कर मेरा फ़िर से पानी निकल जाता है, मैं पूछती हूं, तुम्हारा एक बार भी नहीं झड़ा?
रोहित - नहीं ! आज जी भर चोदने के बाद ही झड़ूंगा।

फ़िर रोहित मुझे घसीट के बेड के किनारे पर ले आता है, खुद जमीन पर खड़े हो जाता है और मेरी टांगें चौड़ी करके अपने कन्धों पे रख लेता है और पूरी गति में चोदने लगता है। इस स्थिति में लन्ड पूरा मेरी चूत में बहुत अन्दर तक जा रहा है। रोहित जोर से झटका मारने लगा और मेरी चूत में कुछ गरम गरम लगने लगा।
मैं पूछती हूं- ये क्या है, क्या निकल गया?
रोहित - नहीं, मैंने चूत में मूत दिया है, मज़ा आ रहा है ना?

मुझे इतना मज़ाऽऽऽ आऽऽ रहाऽ है कि मेरा एक बार और निकल जाता है। 10 मिनट तक ऐसे ही चोदने के बाद रोहित मुझे उठा के मेज़ के किनारे पर बैठा देता है और मेरी टांगें अपनी पीठ में गोल घेरे के रूप में बांध लेता है और जोर के झटकों के साथ मुझे चोदने लगता है।
“पूरी ताकत से पूरी ताकत से चोदो ! फाड़ दो मेरी चूत को भी !”

और रोहित वास्तव में राजधानी एक्सप्रेस की तरह फुल स्पीड में मेरी चूत की बेदर्दी से चुदाई करने लगा और मेरे मम्मों से खेलने लगा।
अब रोहित कि साँसें तेज़ होने लगती हैं।
रोहित आ आआअह उफ़ फ्फ्फ्फ़ फ्फ्फफ्फ़ मर गया आआअ मेरा निकलने वाला है चिल्लाने लगा !

मैं अपनी टांगों का घेरा बना कर रोहित को अपनी तरफ़ ज़ोर ज़ोर से खीच रही थीं । रोहित अचानक मुझे अपनी बाहों में उठा लेता है इस तरह की मेरी चूत मैं लन्ड घुसा हुआ है और मेरे मम्मे बुरी तरह उछल रहे हैं।

5 मिनट मुझे हिलने को कहता है और मुझे ज़ोर ज़ोर से इसी पोजिशन में उछालते जाता है। स्पीड बढ़ती जाती है और मुँह से आ आआह आया आय आआअह ईईइ ईई आआ आआ ऊऊह्ह्ह्ह्ह की आवाजें आती जाती हैं।

मुझे ऐसे ही उछलाते रोहित एक ज़ोर का झटका मारता है और गर्म सफ़ेद जूस मोटे सख्त लन्ड से निकल कर सीधा मेरी चूत की आग को शांत करते हुए गिर जाता है। मेरी चूत में से एक बार और जूस निकलता है।
रोहित मुझे लेकर बेड पर पास आ जाते हो और मेरे और रोहित जूस बेड पर टपकता है।

हम कुछ देर इसी तरह पड़े रहते हैं।
फ़िर उठ कर मैं रोहित के अपने लिए खाना बनाती हूँ।
और हम खाना खाते हैं।
इस पूरे दौरान मैं और रोहित पूरे नंगे रहते हैं।

खाना खाकर हम दोनों एक दूसरे की बाहों में सो जाते हैं, दो घंटे बाद उठके फ़िर अलग अलग जगह और पोज में खूब चुदाई करते हैं।
रात को भी एक बार चुदाई का दौर चलता है और रोहित अपना लन्ड मेरी चूत में डाल कर ही मुझे अपनी बाहों में भर कर सो जाता है।

सुबह उठकर हम लोग एक दूसरे को 69 पोसिशन में ओरल सेक्स करते हैं।
रोहित कहता है- एक दिन में इतना मज़ा मैंने ज़िन्दगी में कभी नहीं किया और शायद तुम्हारे बिना कर भी नहीं पाता।

मैं भी कहती हूं- हाँ, वास्तव में जितने प्यार से और मज़े से तुम ने मेरी चूत और गान्ड मारी है शायद ही कोई और मारता।
आई लव यू जानू !
रोहित तैयार होने लग जाता तो मैं उदास हो जाती हूं।
रोहित कहता है- चिंता मत करो, मैं जल्दी ही आऊँगा और अपने साथ एक दोस्त को भी लाऊँगा, हम दोनों मिलकर मारेंगे। सोचो एक लन्ड चूत में और एक गान्ड में एक साथ हो तो कितना मज़ा आएगा।

मैंने कहा- हाँ ! फ़िर मैं अपनी सहेली को भी बुला लूंगी और हम सब मिलकर ग्रुप सेक्स करेंगे।
इसी वादे के साथ रोहित चले जाता है !

Hindi Sex Stories

मैं आज एक सच्ची कहानी Hindi Sex Stories बताने जा रहा हूं !मैं जब नौकरी कर रहा था तो एक क्रेडिट कार्ड कम्पनी से फ़ोन आया। एक लड़की बोल रही थी कि सर आप क्रेडिट कार्ड बनवा लो।

मैंने कहा- बनवा लूंगा तुम मुझ से डोक्यूमेंट ले जाओ।

जब मैं उससे मिला तो देख कर मेरा लण्ड खड़ा हो गया क्योंकि वह बहुत खूबसूरत थी। मैंने उसे डोक्यूमेंट दे दिए और उसका मोबाईल नम्बर ले लिया। हम दोनों में आपस में बातें होने लग गई, मैं उसके घर जाने लग गया। मैंने उसका और उसकी मम्मी का दिल जीत लिया।

एक दिन जब मैं उसके घर गया तो वो घर पर अकेली थी। उसने मुझ अपने कमरे मे बैठाया और पानी लेने चली गई। उसने नीले रंग का गाऊन पहन रखा था। उसके बूब्स बड़े बड़े थे। उसे देख मेरा लण्ड खड़ा हो गया।

मैंने उससे पूछा कि उसका कोई बोय-फ़्रेन्ड है क्या?

उसने कहा- नहीं !

तो मैंने कहा- तुम मेरी गर्ल-फ़्रेन्ड बन जाओ ! मैंने उसका हाथ पकड़ लिया और कहा- जान ! मैं तुमसे बहुत प्यार करता हूँ !

वह शरमाई तो मैंने देर नहीं की और उसके होंठों पर अपने होंठ रख दिए और अपनी बाहों में भर लिया।

उसने कहा- छोड़ो मुझे ! कोई आ जाएगा !

मैंने कहा- कोई नहीं आएगा ! मैं उसके बूब्स दबाने लगा। अब उसको भी मज़ा आने लगा। मैंने अपनी जीभ उसके मुंह में दे दी। मैंने उसका गाऊन उतार दिया, उसने काली ब्रा, पैन्टी पहन रखी थी। मैंने उसके बूब्स को ब्रा से आज़ाद कर दिया और उसकी छोटी छोटी चुचूक चूसने लगा। वह पागल हो गई और कहने लगी- और करो और करो !

मैंने उसकी पैन्टी उतार दी और उसे पूरा नंगा करके बेड पर लिटा दिया। अपने सारे कपड़े उतार कर मैंने अपना लण्ड उसके हाथ में दे दिया। वह उसे दबाने लगी। मैं उसकी चूत को चूसने लगा तो उसने कहा- और चूसो ! इसकी प्यास बुझा दो !

मैंने अपनी जीभ उसकी चूत में डाली तो वो सिसकारी भरने लगी। अभी उसकी चूत की सील नहीं टूटी थी। वो बार बार कह रही थी-इसे चूत में डालो !

तो मैंने कहा- इसे क्या कहते हैं? इस डंडे को ?

तो उसने कहा- इस लण्ड को मेरी चूत में डालो !

मैंने लन्ड उसकी चूत पर रख कर जैसे ही थोड़ा धक्का दिया तो वो चिल्लाई। मैंने उसका मुँह बंद करके जोर का झटका दे कर पूरा लण्ड उसकी चूत में घुसा दिया। वह छटपटा रही थी। मैं धीरे धीरे लन्ड को उसकी कसी हुई चूत में अन्दर बाहर कर रहा था।

अब उसे भी मज़ा आने लगा था और अब वो नीचे से अपने कूल्हों को उठा रही थी। अब मैं उसकी भोंसड़ी को जोर जोर से चोद रहा था। उसे बहुत मज़े आ रहे थे। उसकी चूत से पानी आने लगा, वो झड़ गई थी।

मैंने देखा कि उसकी चूत से खून आ रहा था। मैंने कहा- जान ! पहली बार चुदवा रही हो इसलिए खून आ रहा है।

मैं जोर जोर से झटके दे रहा था, अब मैं झड़ने वाला था तो मैंने लण्ड चूत से निकाल कर उसके मुँह में डाल दिया और झड़ गया। वो मेरा सारा वीर्य गटक गई। हम दोनों को नींद आ गई।

थोड़ी देर बाद मेरी नींद खुली तो देखा वो मज़े से नंगी सो रही है। फ़िर मैंने उसे दो बार और चोदा।

अब जब भी मौका मिलता है, मैं उसे चोद देता हूँ  Hindi Sex Stories

(Hot College Girls Sex Kahani) चुदाई की कहानी

हॉट कॉलेज गर्ल्स से कहानी में पढ़ें कि कैसे चूत चुदाई की प्यासी तीन सगी बहनों ने एक एक करके एक ही दिन में अपने टीचर से अपनी सीलबंद चूतें फटवा ली.

हैलो फ्रेंड्स … तीन सगी बहनों की एक लंड से चुदाई की कहानी में आपका स्वागत है.
हॉट कॉलेज गर्ल्स सेक्स कहानी के दूसरे भाग
प्रोफेसर ने कुंवारी लड़कियों की चूत फाड़ दी
में आपने अब तक पढ़ा था कि मीनाक्षी की चुत में आलोक का लंड घुसा हुआ था और मीनाक्षी दर्द से छटपटा रही थी.

अब आगे हॉट कॉलेज गर्ल्स सेक्स कहानी:

कुछ देर बाद मीनाक्षी का दर्द जाता रहा और वो लंड के मजे लेने लगी.
आलोक अभी भी सावधानी बरत रहा था कि कहीं मीनाक्षी को ज्यादा दर्द न हो इसलिए वो धीरे धीरे ही लंड चुत में आगे पीछे कर रहा था.

थोड़ी देर के बाद मीनाक्षी बेकरारी से बोली- क्या कर रहे हो? धीरे धीरे क्यों कर रहे हो … और जोर से चोदो मुझे, आने दो तुम्हारा पूरा लंड मेरी चूत में … मेरी चूत में अपना लंड जड़ तक पेल दो … और जोर जोर से धक्का मारो.

यह सुनते ही आलोक ने चुदाई फुल स्पीड से शुरू कर दिया और बोलने लगा- आह मेरी मीनाक्षी रानी, चुदाई कैसी लग रही है … चूत की आग बुझ रही है या नहीं?

मीनाक्षी नीचे से अपनी कमर उछालती हुई बोली- अभी बात मत करो … और मन लगा कर मेरी चूत चोदो. चुदाई के बाद जितनी चाहे बात कर लेना, अभी तुम मुझे अपना पूरा का पूरा लंड मेरी चूत को खिलाओ. इस समय मेरी चूत बहुत भूखी है और उसको बस लंड की खुराक चाहिए.

आलोक और मीनाक्षी इस समय एक दूसरे को जोर से अपने हाथ और पैर से जकड़े हुए थे और दोनों फुल स्पीड से एक दूसरे को अपने अपने लंड और चूत से धक्का मार रहे थे.

पूरे कमरे में उनकी सिसकारियां और चुदाई की आवाजें गूंज रही थीं.

मीनाक्षी की चूत बहुत पानी छोड़ रही थी और इसलिए उसकी चूत से आलोक के हर धक्के के साथ बहुत आवाज निकाल रही थी.

अचानक से मीनाक्षी बहुत जोरों से अपनी कमर उछालने लगी और वो एकदम से निढाल होकर बिस्तर पर अपने हाथ पैर फ़ैला कर ढीली पड़ गयी.
मीनाक्षी अब झड़ चुकी थी और उसमें और चुदने की हिम्मत नहीं बची थी.

आलोक ने भी मीनाक्षी के झड़ जाने के बाद जोरदार धक्के लगाए और मीनाक्षी की चूत के अपना पूरा लंड घुसेड़ कर उसके ऊपर ही गिर गया.

आलोक भी झड़ चुका था. अब वो मीनाक्षी के ऊपर आंख बंद करके लेटा था और हांफ रहा था.

थोड़ी देर के बाद आलोक ने अपना लंड मीनाक्षी की चूत से बाहर निकाला और लंड के बाहर निकलते ही मीनाक्षी की चूत से ढेर सारा सफ़ेद गाढ़ा गाढ़ा पानी निकलने लगा.

मीनाक्षी ने यह देख कर चूत में अपनी पैंटी खौंस दी और उठ कर बथरूम की तरफ़ चली गई.

अब तक प्रोफेसर आलोक काफी थक चुका था.
वो आज लगातार दो कुंवारी लड़कियों के साथ चुदाई कर चुका था.

उसने मन में कुछ सोचा कि अभी तो तीसरा माल भी बाकी है. एक बार इसकी सील और फाड़ दूँ … फिर ये तीनों बार बार चोदने के लिए मिलती रहेंगी.

अब आलोक ने अपना मुँह घुमा कर देखा कि सोनम और डिंपल आपस में व्यस्त थीं. सोनम डिंपल के चूचे उसकी ब्रा के ऊपर से ही दबा रही थी.

सोनम ने डिंपल की जींस और टी-शर्ट को उतार दिया था और अब डिंपल सिर्फ अपनी ब्रा और पैंटी में थी.

डिंपल की चूचियां बहुत ही सेक्सी थीं. उसकी चूचियां बहुत बड़ी तो नहीं थीं … पर बहुत गठीली और गोल गोल थीं.

उसकी चूचियों के निप्पल इस समय बिल्कुल तन कर खड़े थे और कड़क हो गए थे.

डिंपल की एक निप्पल को सोनम ने अपने मुँह में भर लिया और चूसने लगी.
वो अपने एक हाथ को डिंपल की जांघों के बीच में घुमाने लगी.

कुछ ही देर में सोनम ने डिंपल की पैंटी भी उतार दी और लिटा कर अपना मुँह डिंपल की चूत पर रख दिया.

सोनम ने अपनी जीभ निकाल कर डिंपल की चूत के अन्दर कर दिया और किसी कुतिया की तरह अपनी बहन की चुत चाटने लगी.

इससे डिंपल इतनी ज्यादा गर्म हो गई थी कि वो अपने हाथों से अपने दोनों निप्पलों को मसल रही थी.

यह सब देख कर आलोक के अन्दर वासना का ज्वर फिर से भरने लगा और चुदाई के लिए उसका लंड फिर से गर्म होने लगा.

वो उठ कर सोनम और डिंपल के पास पहुंच गया और दोनों बहनों की कामलीला को ध्यान से देखने लगा.

दोनों बहनों को मस्ती करते देखते हुए ही उसने अपना हाथ डिंपल की एक चूची पर रख दिया और निप्पल को अपने हाथों में लेकर सहलाने लगा.
फिर उसने अपने अंगूठे और तर्जनी उंगली के बीच निप्पल को मसलने लगा.

डिंपल आलोक की तरफ़ देखने लगी कि आलोक सर उसके बगल में नंगे खड़े हैं और उनका लंड अब गर्म होकर खड़ा होने लगा है.

उसने आलोक का लंड अपने हाथों में ले कर पूछा- क्या सर अब मुझको भी चोदेंगे?
आलोक ने पूछा- क्यों तुमको नहीं चुदवाना है?

शीरीन- हां सर, मैं भी अपनी बहनों की तरह अपनी चूत आपसे चुदवाना चाहती हूँ. प्लीज आप मुझे भी अपने लंड से चोदिए. लेकिन आपके लंड को क्या हो गया है … ये तो ढीला पड़ा है … क्या अब यह मेरी चूत में घुसने के काबिल नहीं रहा?

आलोक लड़कियों की चुदाई का पुराना खिलाड़ी था. उसने अपने लंड को हिलाते हुए कहा- घबराओ मत, अभी तुम्हें अपना लंड का कमाल दिखाता हूँ.

यह कह कर आलोक ने अपना लंड डिंपल के मुँह में दे दिया और बोला- लो मेरी जान … मेरा लंड अपने मुँह में लेकर चूसो.

डिंपल भी उनके लंड को अपने मुँह में लेकर उस पर अपनी जीभ चलाने लगी और कभी उस पर अपने दांत गड़ाने लगी.

आलोक को डिंपल की लंड चुसाई से बहुत मज़ा आया और उसका लंड धीरे धीरे खड़ा होने लगा.

उधर सोनम अपनी एक हाथ से डिंपल की चूत सहला रही थी और दूसरे हाथ से आलोक के गांड में अपनी उंगली पेल रही थी.

थोड़ी देर के बाद लंड चुसाई और गांड में सोनम की उंगली होने से आलोक का लंड पूरे जोश के साथ खड़ा हो गया और वो फिर से चुत चुदाई शुरू करने के लिए तैयार था.

आलोक ने अपना लंड डिंपल के मुँह से निकाला और उसके पैरों के बीच में बैठ गया.
उसने अपने दोनों हाथों से डिंपल की चूत को फ़ैलाया और उसके अन्दर अपनी जीभ डाल दी.

आलोक अपनी जीभ डिंपल की चूत के अन्दर-बाहर करने लगा और अपनी जीभ से चूत की अंदरूनी दीवारों के साथ खेलने लगा.

कभी कभी आलोक अपनी जीभ डिंपल की भगनासा को भी खींच कर चुभला रहा था और कभी कभी उस दाने को अपने दांतों के बीच पकड़ कर जोर जोर से खींचते हुए चूस रहा था.

डिंपल अब काफी बेचैन हो गई थी और अपनी कमर हिला हिला कर अपनी चूत को आलोक के मुँह पर आगे पीछे कर रही थी.

आलोक समझ गया कि डिंपल की कुंवारी चूत अब लंड खने की लिए तैयार है.

अब आलोक का लंड भी पहले जैसा तगड़ा हो गया था और डिंपल की चूत में घुसने के लिए उतावला था.

आलोक ने अपनी जीभ को डिंपल की चूत से से बाहर निकाल लिया और पोजीशन बना कर उसकी चुत पर लंड टिका कर तैयार हो गया.

उसने पहले अपना सुपारा डिंपल की चूत पर रख कर एक हल्का सा धक्का दिया लेकिन डिंपल की चुत काफी कसी थी. वो इस जरा से धक्के से ही जोर से चिल्ला पड़ी.

आलोक का लंड डिंपल की छोटी चूत के हिसब से बहुत मोटा था और डिंपल की यह पहली चुत चुदाई थी.

डिंपल अपने हाथों से आलोक को रोक रही थी जिससे आलोक अपना लंड डिंपल की चूत में पेल नहीं पा रहा था.

उसने सोनम और मीनाक्षी से डिंपल के चूचों और चूत से खेलने को कहा जिससे डिंपल दर्द भूल जाए और आलोक के लंड को अपनी चूत में घुस जाने दे.

वो दोनों डिंपल की चूची और चुत से खेलने लगीं.
तब तक आलोक उठ कर नारियल के तेल का शीशी उठा लाया और उसने अपने लंड पर तेल को अच्छी तरह से मल लिया.

फिर उसने सोनम को हटा कर डिंपल की चूत पर भी तेल को अपनी उंगली में लेकर मल मल कर लगा दिया.

उसने चूत के अन्दर तक अपनी उंगली से घुमा घुमा कर तेल लगाया.

तेल लग जाने के बाद आलोक अपनी दो उंगलियों को डिंपल की चूत के अन्दर-बाहर करने लगा.
कभी कभी वो अपनी उंगली से उसकी चूत की घुंडी भी रगड़ देता था.

डिंपल की चूत अब पानी छोड़ रही थी और इससे उसकी चूत चुदाई के तैयार हो गयी.

आलोक फिर से डिंपल के पैरों को फ़ैला कर उनके बीच घुटनों के बल बैठ गया और डिंपल को समझाया कि अब कोई डरने की बात नहीं है. उसको तेल से कोई दर्द नहीं होगा.

उधर सोनम और मीनाक्षी डिंपल की एक एक निप्पल को अपने मुँह में लेकर चूस रही थीं.

आलोक ने डिंपल के दोनों पैर हवा में उठा दिए और उसकी कमर को कस कर पकड़ लिया, जिससे कि फिर से वो छूटने की कोशिश ना कर सके.

अब आलोक ने फिर से डिंपल की चूत पर अपना लंड रखा और डिंपल को कुछ समझ आने के पहले ही एक जोरदार झटका लगा दिया.

डिंपल की चूत तेल और चूत से निकले पानी की वजह से काफी चिकनी हो गई थी जिससे आलोक का लंड एक ही झटके से पूरा का पूरा चुत के अन्दर घुसता चला गया.

इस अचानक हमले से तो डिंपल पहले चीखी और उसने आलोक को अपने ऊपर से हटाने के लिए धक्का मारा लेकिन इस बार आलोक की पकड़ बहुत ही मजबूत थी.
डिंपल कसमसा कर रह गई.

आलोक ने तभी अपनी कमर आगे पीछे करके अपना लंड डिंपल की चूत में पेलते हुए एडजस्ट करने लगा.

थोड़ी देर के दर्द और तकलीफ के बाद डिंपल को भी चुत चुदवाने में मज़ा आने लगा और अब वो अपनी कमर उठा उठा कर आलोक को चुदाई में सहयोग करने लगी.

आलोक और डिंपल दोनों एक दूसरे को ऊपर और नीचे से दनादन धक्के मार रहे थे और डिंपल की चूत में आलोक का लंड तेज़ी से आ-जा रहा था.

सोनम और मीनाक्षी अब डिंपल के पास से हट कर उन दोनों की ताबड़तोड़ होती चुदाई को देख रही थीं और एक दूसरे की चूत में उंगली कर रही थीं.

डिंपल और आलोक दोनों एक दूसरे से चूत और लंड के साथ जुड़े हुए थे.

बीस मिनट की धकापेल चुदाई के बाद डिंपल की चूत से मलाई निकलने लगी तो आलोक ने अपनी चुदाई की स्पीड और तेज़ कर दी क्योंकि आलोक भी अब झड़ने वाला हो चला था.

उसने आखिरी के चार पांच धक्के जोरदार तरीके से डिंपल की चूत में लंड से मारे और वो डिंपल की चूत के अन्दर पूरा लंड पेल कर झड़ गया.

डिंपल भी अब तक झड़ चुकी थी.
आलोक का सारा पानी डिंपल की चूत में समा गया. दोनों हांफ़ रहे थे और एक दूसरे से चिपके पड़े थे.

कुछ पल बाद आलोक ने अपना लंड को डिंपल की चूत से निकाला तो चुत में से ढेर सारा पानी निकलने लगा.

सोनम और मीनाक्षी ने जल्दी से अपने अपने मुँह डिंपल की चूत पर लगा दिए और उससे निकल रहा आलोक और अपनी बहन की चूत के मिश्रित पानी को जीभ से चाट चाट कर पीने लगीं.

थोड़ी देर के बाद डिंपल ने अपनी आंखें खोलीं और मुस्कुरा कर आलोक से बोली- सर, आपके लंड से चुदवा कर बहुत मज़ा आया. आज हम तीनों बहनों ने आपसे अपनी अपनी चूत की सील तुड़वा कर ओपनिंग करवा ली. आपको किसकी चूत सबसे मस्त लगी और कौन सी बहन की चुत चोदने में आपको ज्यादा मज़ा आया … सच सच बताना.

आलोक ने डिंपल की चूची को मसलते हुए कहा- अरे ताजी ताजी चुदी हुई लड़कियो, मुझे तो तुम तीनों बहनों की चूत की बहुत मस्त लगी. हां तुम्हारी चूत बहुत टाईट थी और इसे खोलने में मुझे बहुत मेहनत करनी पड़ी, तेल भी लगाना पड़ा. लेकिन तुम तीनों बहनों ने आज दिल खोल कर अपनी अपनी चूत चुदवाई हैं. मुझे तो तुम सभी बहनों की चूत को चोदने में मज़ा आया.

इतना सुन कर तीनों बहनें मुस्कुरा दी और एक साथ बोलीं- अब फिर से हमारी चूत को आपके लंड का भोग कब मिलेगा? जल्दी से कोई दिन निकालिए और हमारे पिछवाड़े की ओपनिंग कर कर दीजिए. हम तीनों बहनें आपके लंड के धक्के अपनी अपनी चूत में खाने के लिए हाज़िर हो जाएंगी.

आलोक ने कुछ देर सोच कर कहा- ऐसा करो कि मैं रविवार को नई दिल्ली एक सेमीनार में चार-पांच दिन के लिए जा रहा हूँ. तुम तीनों बहनें अपने घर से परमीशन लेकर हमारे साथ दिल्ली चलो. मैं तुम सबको वहां रोज सुबह शाम और रात को वियाग्रा की गोली खा खाकर चोदूंगा और तुम्हारी चूतों को चोद चोद कर भोसड़ा बना डालूंगा. हां, वहां और भी लोग आएंगे … तुम लोग अगर चाहोगी तो तुम्हें और भी लंड अपनी चूतों में पिलवाने को मिल जाएंगे … और तुम तीनों बहनें मज़े से अपनी अपनी चूत को लम्बे और मोटे लंड से चुदवा सकती हो.

यह सुन कर तीनों बहनों ने आलोक के साथ दिल्ली जाने का प्रोगाम बना लिया.

चुदने के बाद तीनों बहनों ने अपने अपने कपड़े पहन लिए और आलोक ने सिर्फ एक लुंगी अपनी कमर पर बांध ली.

चुदाई के बाद आलोक ने उनको अपने हाथ से कॉफ़ी बनाई और नाश्ते के साथ दी.

फिर आलोक तीनों बहनों को बाहर छोड़ने गया.

बाहर जाने के पहले दरवाजे के पास आलोक ने उन तीनों को फिर से एक एक करके अपनी बांहों में लेकर उनको चुम्मा दिया और इन तीन बहनों की चूचियों को उनके कपड़ों के ऊपर से दबा दीं.

सोनम का मन नहीं भरा था तो उसने फिर से आलोक को अपनी बांहों में लेकर चूमा और फिर अपनी साड़ी उठा कर आलोक से अपनी चूत पर चुम्मा देने को कहा.

आलोक ने सोनम की चूत पर एक जोरदार चुम्मा दिया और उसको चूत की घुंडी को जीभ से चाट दिया.

मीनाक्षी और डिंपल अपनी चूत पर आलोक का चुम्मा नहीं ले सकीं क्योंकि वो सलवार और जींस पहनी हुई थीं. वो अपनी चूत चुसवाने के लिए नहीं खोल सकीं.

सोनम ने आलोक की लुंगी हटा कर उसके मोटे लंड का सुपारा खोल कर चूमा. सोनम की देखा देखी मीनाक्षी और डिंपल ने भी आलोक के लौड़े को चूमा और उसके सुपारे को मुँह में लेकर चूसा.

अब वो तीनों हॉट कॉलेज गर्ल्स अपनी अपनी चुदी हुई चूत में आलोक के लंड से निकला हुआ रस भरवाए हुए अपने घर चली गईं.

उनके जाते ही आलोक अपने कमरे में आकर सो गया.
वो बहुत थक चुका था.
उसको अब दिल्ली में इन तीनों बहनों की चुत चुदाई का अवसर मिलने वाला था.

आपको हॉट कॉलेज गर्ल्स चुदाई की कहानी कैसी लगी, प्लीज़ कमेंट्स के माध्यम से जरूर बताएं.

Hindi Sex Stories

समय पीछे चला जाता है लेकिन Hindi Sex Stories उसकी कुछ खट्टी मीठी यादें जो मन पर अपना प्रभाव बनाए ही रखती हैं! और जब वे यादें बेचैन करने लगती हैं तो बस बेचैनी से बचने का एक ही मार्ग होता है वह यह कि उन्हें किसी से बांट दिया जाए! यह कुछ ऐसी ही याद है जो मैं आपसे बांटना चाहता हूँ!

मेरी बी-टेक की परीक्षा का अन्तिम से पहला सेमेस्टर बजाय दिसंबर जनवरी के अप्रैल महीने में समाप्त हुआ। तभी गोरखपुर से चाचा जी की बेटी यानि कि दीदी का फोन आ गया कि घर जाने से पहले तीन-चार दिन के लिए आ जाओ।

मैं बचपन से ही उनसे लगा था। लेकिन इधर कई साल हो गये उन्हें देखा भी नहीं था, उधर गांव से भी फोन आ गया कि गोरखपुर हो कर आना।

दीदी की शादी हुए लगभग दस साल हो गये थे। जीजा जी बिजली विभाग में क्लर्क हैं, ऊपरी आमदनी का प्रभाव घर के रखरखाव से तुरन्त ही लग गया।

स्कूल से लौटे तो मैंने देखा कि टीना और अनिकेत तो इतने बड़े हो गये कि पहचान में ही नहीं आ रहे थे, लेकिन अनुमान लगाने में को कठिनाई नहीं हुई, मगर उनके आने के कुछ देर बाद जो अजनबी लड़की में आई उसे देखकर मैं चौंका। सामान्य से अधिक लम्बी, स्कर्ट के नीचे मेरी निगाह गई तो उसकी लम्बी और पतली सुन्दर और चिकनी टांगे देख कर मन अजीब सा हुआ।

उसने ‘मामा जी नमस्ते’ कहा तो मेरी दृष्टि ऊपर गई। देखा आंखें फट सी गईं। शरीर के अनुपात से कहीं भारी, लम्बी और भारी उसकी दोनों छातियां उसके खूबसूरत प्रिन्टेड ब्लाउज फाड़कर बाहर निकलने को आतुर दिखीं। उसने संभवतः मुझे देखते हुए देख लिया।

वह शरमाई तो मैंने निगाहें नीचे कर लीं। तभी अन्दर वाले कमरे से दीदी आ गईं। मैंने तब उनको भी ध्यान से देखा। जो दीदी पहले दुबली पतली थी अब उनका शरीर भर गया था और काफी सुन्दर लगने लगी थीं।

दीदी ने बताया- यह सोनम है जेठ की बेटी। गांव से आठ पास करके साथ ही है अबकी बार बी ए के प्रथम वर्ष की परीक्षा दे रही थी और आज ही अन्तिम पेपर था।

शाम तक सोनम मुझसे काफी घुलमिल गई। वह बेहद बातूनी और चंचल थी। अब तक कई बार वह किसी न किसी बहाने अपने शरीर को मेरे शरीर से स्पर्श करा चुकी थी।

उसकी बातों के केन्द्र में गर्लफ्रेन्ड और लड़के ही अधिक थे। दोनों बच्चे भी परीक्षा देकर अगली कक्षाओं में आ गये थे, अभी पढ़ाई का दबाव भी अधिक नहीं था।

सोनम तो मेरे आने से बहुत ही प्रसन्न थी। असल में मेरा गांव और दीदी के गांव से बहुत दूर नहीं था। दो दिन बाद उसे मेरे साथ उसे भी जाना था।

जीजा जी इधर काम के कारण काफी देर से आने लगे थे इस लिए सब्जी लेने दीदी ही जातीं। शाम में वह अनिकेत को लेकर मार्केट चली गई तो घर में मैं टीना और सोनम ही थे।

टीना अभी नादान थी। फर्श पर बिछे गद्दे पर मैं लेटा था। टीना मेरे पैर की उंगलियों को चटका रही थी।
बातें करते सोनम ने कहा- लाओ मैं सर दबा दूं।

फिर मेरे बिना कुछ कहे ही मेरे सिर के पास आकर बैठ गई। और सर में अपनी उंगलियां धीरे-धीरे चलाने लगी। धीरे-धीरे उसके शरीर की सुगंध मुझे मस्त करने लगी। मैंने आंखें ऊपर उठाकर देखा तो उसकी बड़ी नुकीली चूचियां मेरे सर पर तनी थी। संभवतः वह भी उत्तेजित सी थी, क्योंकि मुझे लगा कि उसके चूचुक भी तने हैं। उसने ब्रा नहीं पहनी थी।

मैंने अंगड़ाई लेने के बहाने हाथ पीछे किया तो मेरे पंजे उसकी चूचियों से छू गये। लेकिन मैंने रुकने नहीं दिया और टीना से कहा- अब बस, जाओ.

वह जाकर टीवी देखने लगी। सोनम उसी तरह मेरे बालों में उंगली किये जा रही थी। मैंने फिर सामने टीना की तरफ देखते हुए फिर हाथों को पीछे ले जाकर उसकी चूचियों से स्पर्श कराते हुए वहीं रोक दिया। उसने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी, हां हाथ अवश्य रुक गये।

एक पल रुकने के बाद मैं हौले हौले उसकी चूचियों पर हाथ फिराने लगा। कुछ क्षणों बाद उसने मेरे हाथ को वहां से हटाकर धीरे से कहा- टीना छोटी नहीं!

उसके इस उत्तर से मेरी बांछें खिल उठीं। मैंने हाथ को अंगड़ाई के बहाने ले जाकर उसकी जांघों पर रख दिया। वह चिकनी और संभवतः बरफी की तरह सफेद थीं। मैं रह-रह कर उसके पेड़ू को भी छू देता। उसने कच्छी नहीं पहन रखी थी। उसकी झांटों और मेरे हाथों के बीच उसकी सलवार का झीना कपड़ा ही था।

सामने मेरा लिंग अकड़कर खड़ा हो गया और मेरे लोअर के अन्दर बांस की तरह तनकर उसे उठा दिया। जब सोनम की दृष्टि उस पर पड़ी तो वह मुस्कुराने लगी।

मैंने अपने हाथों को फिर ऊपर लेजा कर उसकी चूचियों से स्पर्श कराया तो लगा कि उसकी घुंडियां बिल्कुल तन कर खड़ी हो गई हैं।

छुआ-छुई का यह खेल चल ही रहा था तभी टीना फिर आ गई और पास बैठ गई। हम दोनों रुक गये। मैंने झट अपनी लम्बी टी-शर्ट को नीचे खींच दिया, लेकिन हमारे महाराज जी झुकने का नाम ही नहीं ले रहे थे तो मैं झट से उठ गया।

सोनम भी मेरे साथ ही उठ गई। उसने चुन्नी अपने सीने पर नहीं रखी थीं। चूचियां कपड़े के ऊपर से ही वह पूरी तनी बिल्कुल स्तूप की तरह लग रही थीं।
रसोई की तरफ जाते हुए मैंने कहा- चाय पीने का मन हो रहा है।

“चलो बना दूं।” कहते हुए वह मेरे पीछे रसोई में आ गई।

अन्दर जाते ही मैंने उसे कचकचाकर लिपटा लिया और पूरी शक्ति से उसके शरीर को जकड़ लिया। वह कसमसाकर कुछ कहती इससे पहले ही अपने ओंठ उसके ओंठों पर रखकर जबरदस्ती उसके मुंह में अपनी जीभ डाल दी।

ह गों-गों कर उठी तो जीभ को निकाला। तब वह कांपते स्वर में बोली- छोड़ो अभी टीना आ जाये तो!
मैंने उसे छोड़कर कहा- भगवान कसम … अभी तक मैंने इतनी कसी और सुन्दर चूचियां तो फिल्मों की हीरोइनों तक की नहीं देखी!

वह अब स्थिर हो चुकी थी, बोली- तुम तो बहुत हरामी हो मामा!
मैंने धीरे से कहा- सोनम मैं बिना तुमको लिए छोड़ूंगा नहीं!

उसने ठेंगा दिखाते हुए कहा- बड़े आये लेने वाले!
और फिर मेरे अभी तक खड़े लन्ड को ऊपर से नौच कर भाग गई।

दीदी सामान लेकर आईं और रसोई में चली गईं। दोनों बच्चे पढ़ने बैठ गये तो मैं छत पर चला गया और कुछ देर बाद सोनम को भी पुकारकर ऊपर बुला लिया। हमारी दीदी का मुहल्ला निम्न-मध्यवर्गीय मुहल्ला था। छतें एक दूसरे से सटी थीं। अंधेरा पूरी तरह से घिर आया था, इसलिए इक्का-दुक्का लोग ही अपनी छत पर थे।

“सोनम दोगी नहीं?”
“क्या?”
“बुर! या अगर हो गई हो तो चूत!”
“मतलब?”
“मतलब यह कि अगर किसी से चुदवा चुकी हो तो चूत हो गई होगी नहीं तो अभी बुर ही होगी! बताओ क्या है?”
“हट!”

“हट नहीं! नहीं प्लीज सोनम! दे दो न!” मैंने उसे पलसाने के लिए कहा।
“बहुत बड़ा पाप है। फिर तुम तो मामा हो!”
“मैं कोई सगा मामा थोड़ी न हूं?”
“चाहे जो हो, मैं यह काम नहीं करूंगी। मुझे डर लगता है!”

उसने इस अन्दाज में कहा कि मुझे लग गया कि अभी तो बात बनने वाली नहीं, तो मैंने बातो को दूसरी तरफ मोड़कर कहा- अच्छा सच बताओ किसी से करवाया है कि नहीं?
“भगवान कसम नहीं।”
“मिंजवाई हो?”
“भला कौन लड़की होगी जिसकी किसी न किसी ने कभी मींजी न हो।”

फिर उसने कहा- तुमने मामा? तुमने मींजी हैं?
“हां, तुम्हारी ही!”
“धत! पहले?”
“मींजी तो कइयों की है, और ली भी है, लेकिन पूछना नहीं किसकी। कभी बाद में बताऊंगा। अच्छा बताओ तुम इसके बारे में ठीक से जानती हो?”
उसने मुस्कुराकर कहा- किसके?”

मैंने खीजकर कहा- बुर की पेलाई या कहो चुदाई के संबंध में!
“हाय राम यह भला कौन नहीं जानती होगी? इतना तो टीना को भी पता होगा!”
“अच्छा अपनी बताओ कि तुम को कैसे पता चला?”
“क्यों बताऊं?”

मैंने अन्त में कहा-सोनम मैं बिना लिए तुम्हारी छोड़ूंगा नहीं!

और फिर इधर उधर की बातें होने लगीं। बात फिर आकर पेलने, चोदने और लन्ड, बुर पर रुक गई। अन्त में सोनम ने यह वादा किया कि ऊपर से मैं चाहे जो कर लूं, लेकिन वह किसी भी कीमत पर मेरा लन्ड अपनी बुर में डालने नहीं देगी।

बाद के दो दिनों में वह सोई तो दीदी के कमरे में क्योंकि दीदी को माहवारी आ रही थी। यह भी उसी ने बताया, लेकिन दिन में जैसे ही अवसर मिलता हम दोनो एक दूसरे को नौचने चूसने में लग जाते। एकाध बार तो वह बुरी तरह से उत्तेजित भी हो गई, लेकिन उचित अवसर ही नहीं मिला। दीदी भी न जाने क्यों हमें अकेला नहीं छोड़ रही थीं।

यद्यपि मुझे अन्त तक यह लगने लगा कि अगर अकेले मिल जाए तो करवा लेगी।

मैं तीसरे दिन के बजाय चौथे जाने के लिए तैयार हुआ। उस दिन इतवार था। शहर से हमारे गांव की दूरी अधिक नहीं थी। तीन घण्टे बस से लगते थे। बीच में बदलकर अन्त में चार किलोमीटर का पैदल या फिर अपने निजी वाहन का रास्ता है। पैंसजर ट्रेन भी जाती थी, समय थोड़ा अधिक लगता था परन्तु आराम था।

बारह बजे की गाड़ी थी। प्रोग्राम यह बना कि चार बजे के लगभग गाड़ी पास के कस्बे पहुँच जायेगी फिर वहां से बस पकड़कर एकाध घंटे में अपने गांव की सड़क पर पहुंच जायेंगे। आगे अगर फोन लग गया तो कह दिया जायेगा कोई आ जायेगा, नहीं तो किसी रिक्शा या हम लोग पैदल ही निकल जायेंगे।

हमारा क्षेत्र बहुत शांत है। किसी तरह की चोरी डकैती या दूसरी घटनाओं से मुक्त! इसलिए हम लोगों को आने जाने का भय नहीं होता अक्सर किसी कारण से देर हो जाने के बाद लोग बारह-बारह बजे रात तक में अकेले आ जाते।

यद्यपि सोनम ट्रेन से आने में घबरा रही थी, कहीं लेट न हो जाये!

हुआ भी वही, बारह से एक बज गया फिर दो, तब जाकर कहीं गाड़ी आई। घर फोन से बात करने की कोशिश की लेकिन संभवतः सम्पर्क ना होने के कारण बात नहीं हो पाई। अभी हमारे यहां यह सुविधा उतनी अच्छी नहीं थी। जाते जाते चाचा कह गये कि मुहानी पर कोई आ गया तो आ गया, नहीं तो वहीं सम्पत साह के यहां सामान रख कर पैदल ही चले जाना।

हम लोग बैठे तो देर हो जाने की घबराहट थी लेकिन गाड़ी में बैठते ही हवा हो गई। सोनम खिड़की तरफ बैठी, फिर मैं। हम लोगों की यात्रा तो ऐसे कटी जैसे पति पति पत्नी हों। वह लगातार मेरे हाथों से खेलती रही। कभी-कभी अपने हाथों की कुहनियों को मेरे लंड पर पैंट के ऊपर से दबाती मेरे हाथ तो पूरी यात्रा में किसी न किसी तरह उसकी चूचियों के संपर्क में ही रहे।

अवसर देखकर कामुक बातें भी होती रहीं। मुझे उसकी जानकारियाँ सुनकर आश्चर्य हुआ। उसने बताया कि दीदी और जीजा कभी कभी गंदी फिल्म देखते हैं। जिसमे कभी दो आदमी एक की लेते हैं तो कभी एक दो की!

कहने लगी कि चाचा चाची की निरोध लगाकर ही करते हैं। उसने यह भी बताया कि उसने दरवाजे में एक छेद ऐसा कर रखा है कि जिससे वह जब चाहे उन लोगों की चुदाई देखे, मगर वह जान नहीं सकते।

ऐसे में यात्रा जब समाप्त हुई तो पता चला कि गाड़ी रास्ते और लेट हो गई। स्टेशन पर पहुंचते-पहुंचते सात बज गये। हल्का अंधेरा हो गया। सोनम डरने लगी। लेकिन बस जल्दी ही मिल गई। कुछ दूर जाने के बाद पहिया पंक्चर हो गया। और देर होती देख सोनम घबराने लगी, लेकिन मेरा मन प्रसन्नता से झूम उठा। मैंने निश्चय कर लिया अब सोनम को कुंआरी नहीं रहने दूंगा।

जब हम लोग मुहानी पर पहुंचे तो आठ का समय हो गया था। अंधेरा घिर आया था, लेकिन चांद भी निकलने की तैयारी में था। सोनम तो रोने लगी कि अब क्या होगा!

मैंने दिलासा दिया तो जाने को तैयार हुई।

सामान साह जी के यहां रखने गये तो योजना के अनुसार सोनम को थोड़ा दूर खड़ा करके कह दिया कि चाची हैं। वह अड़ गये कि सायकिल ले लो, लेकिन मैंने यह कहकर मना का दिया कि वह पैदल ही जायेंगी।

गांव में जाने का एक थोड़ा निकट का रास्ता था, लेकिन वह पलाश और कुश के छोटे से जंगल में से जाता था। मैंने वही रास्ता पकड़ा तो वह रुक गई।

क्योंकि उसे पता था कि एक सड़क भी है, लेकिन मेरे समझाने और डर समाप्त करने के बाद ही वह जाने को तैयार हुई। पगडंडियां तमाम थीं। मैंने जानबूझकर अलग पगडंडी पकड़ी। चूंकि बचपन से मैं इतनी बार इधर से गया था कि मुझे रास्ते का चप्पा चप्पा पता था। मेरे कंधे पर छोटा सा बैग था। जिसमे मेरे कपड़े थे। उसका सामान तो रख दिया था।

उसने मजबूती से मेरा हाथ पकड़ लिया था।
थोड़ी दूर जाकर मैंने कहा- हाथ छोड़ो, मैं जरा मूत लूं!
वह बोली- नहीं मुझे डर लग रहा है, यहीं मूतो!

तब तक चांदनी के प्रकाश का प्रभाव वातावरण में उभर गया था। मैं उत्तेजित होने लगा। मुतास के कारण मेरा लंड पहले से ही खड़ा था मैंने उसी के सामने लंड को पैंट से निकाला और छल छल मूतने लगा। मूतने के बाद जब लंड हिलाकर बूंदें गिराने लगा तो वह बोली- बीज गिरा रहे हो मामा?

मैंने कहा- बीज तो तुम्हारी बुर में गिराऊंगा।
“कैसे?”
“तुम्हें चोदकर और कैसे?” इतना कह कर मैं लंड को यूं ही बाहर लटकाये चल पड़ा।

और हाथ उसके कंधे पर रखकर बगल से उसकी चूचियों को सहलाने लगा। वह कड़ी होने लगीं तो और तेज मलने लगा। वह उत्तेजित होकर मुझसे चिपकने लगी। चूचियां बड़े लम्बे आम का रूप धारण करने लगीं। मैंने रुककर मुंह में सटाकर अपनी जीभ उसके मुंह में डालकर जो चूसा तो बोली- मामा लगता है कि आज तुम मुझे खराब करके ही छोड़ोगे!
“मतलब?”
“मतलब न पूछो!” कहकर वह बोली- मुझे भी मूतना है!
कहकर वह वहीं सलवार खोलकर बैठ गई।

जानवरों को चारा खिलाने वाली नाद की तरह उसके चूतड़ सामने आ गये। वह सीटी बजाती शर-शर मूतने लगी। मैं अपने खड़े लन्ड को उसकी कनपटियों से रगड़ने लगा।
मूत कर उठी तो सलवार बांधने से पहले ही मैंने उसकी झांटों से भरी चूत को मुट्ठी में पकड़ लिया वह मूत से गीली हो रही थी। उसने हल्का सा प्रतिरोध किया- छोड़ो न!

अब तक चांदनी खिल चुकी थी। चारों तरफ सन्नाटा था। मुझे याद आया कि थोड़ा अन्दर एक छोटी सी पोखर है। मैं उसी तरफ उसे लिपटाये चला गया।

पोखर में पानी तो कम था, लेकिन उसके किनारे साफ स्थान था। पास में सफेद पुष्प खिले थे। वातावरण मादक था। उसने मस्ती भरे स्वर में कहा- यहां क्यों आये?
मैंने कहा- तुम्हें लेने के लिए।
फिर उससे खड़े ही खड़े ही लिपट गया।

वह मेरे ही बराबर थी। उसके बाल खुल गये थे। उसकी कड़ी होकर पत्थर चूचियां मेरे सीने से टकराकर मेरे अन्दर आग भर रही थीं। मैंने हाथ को पीछे ले जाकर उसके उभरे चूतड़ों को पकड़ लिया और मुंह को उसके मुंह से लगाकर उसके चेहरे और होंठों को चूसने लगा। उसने भी मुझे जकड़ लिया। मेरा लंड खड़ा होकर सलवार के ऊपर से उसकी चूत को चूमने लगा।
वह थोड़ी देर बाद अलग होकर बोली- अब चलो मुझे डर लग रहा है।

मैंने उसकी बात को अनसुना करते हुए बैग खोल कर अपनी लुंगी निकाल कर बिछा दी और कहा- अब न तो मैं बिना चोदे रह सकता हूं और नहीं तुम बिना चुदाये!

फिर मैंने उसे भूमि पर लिटा दिया और उसके ऊपर चढ़कर उससे लिपट गया। उसने भी मुझे कस लिया। पांच मिनट की लिपटा-लिपटी के बाद मैं उठा और उसे उठाकर उसकी कुरती को शमीज़ सहित ऊपर खींच कर उतार दिया। वह ऊपर से नंगी हो गई। दोनों छातियां ऐसी गोरी चिकनी और फूलकर खड़ी हो गई थीं मानो उन्हें अलग से चिपका दिया गया हो। उन्हें नीचे से ऊपर मींजते सहलाते हुए कहा- सच बताओ सोनम मेरे अतिरिक्त तुम्हारे दो पपीतों को किसी और मींजा है?”

“भगवान कसम नहीं। जब मैं गांव में थी तो संध्या भाभी जरूर मींजती और कभी कभी चूसतीं भी थीं, लेकिन तब यह छोटी थीं। कामता भैया कलकत्ता रहते थे। वह अपनी चूचियां चुसाती भी थीं। यहां किसी ने कभी नहीं कुछ किया।”

“तो आज मैं सब कुछ करूंगा!”कहते हुए मैंने उसकी चूचियों को चूसना आरम्भ कर दिया। उसका सीना मेरे थूक भीग गया। वह वहीं लेट गई और अकड़ने लगी।

तब मैं उठा और अपनी पैंट और चड्ढी साथ उतार दी। बल्ल से मेरा लंड सामने आ गया। वह उसे ही देखने लगीं। मेरी झांटे काफी बड़ी हो गईं थीं। नसें तनकर अकड़ गई थीं। मैंने उसका हाथ पकड़कर अपने लंड पर रख दिया। वह वैसे ही पकड़े रही। उसकी खड़ी चूचियां मेरे होंठों के सामने तनी थीं। तब मैंने कहा- सहलाओ।”

वह बोली- शरम आती है।
“लो अभी मैं शरम मिटाता हूं।” कहकर मैंने उसके सलवार का नाड़ा पकड़कर खींच दिया।
सलवार खुल गई। नीचे से पकड़कर खींचा तो उतर गई। वह शरमाने लगी। उसकी भी झांटे काफी बड़ी थीं। उसकी बुर उसी में छुपी थी।

“कभी-कभी इसे साफ कर लिया करो।” कहकर मैं हथेली से उसकी बुर सहलाने लगा।
सोनम सिसियाते हुए बोली- तुम्हारी भी तो बड़ी है।
और फिर मेरे लंड पर अपनी हथेलियां चलाने लगी।

मेरी उत्तेजना चरम पर पहुंच गई, लगा कि अब मैं कही झड़ न जाऊं। उसकी बुर भी गीली हो गई थी। उसकी बुर का दाना उभर आया था। यद्यपि मैंने तो रास्ते में सोचा तो बहुत कुछ करने के लिए था, लेकिन लगा कि अब मैं कहीं बिना अन्दर डाले ही न झड़ जाऊं तो उससे कहा- टांगें फैलाकर लेटो।”
वह लेटते हुए बोली- छोड़ दो न मामा!
“पागल हूं मैं!” कहकर मैंने अपनी शर्ट उतार दी ओर उसके पूरे शरीर को सहलाया और फिर उसकी टांगों के बीच में जाकर उसकी बुर के छेद को हाथों से टटोलकर उसपर अपने लंड का सुपाड़ा रखकर औंधे मुंह उसपर लेट गया और कमर पर दबाव डाला तो भीग चुकी उसकी बुर में मेरा लंड सक से चला गया।

“हाय राम मैं मरी!” उसने कहा।
मैंने कहा- झिल्ली फट गई?
“पता नहीं!”

मैं एक पल के लिए रुका फिर कुहनियों को भूमि पर टिका कर उसकी चूचियों को मलते हुए कमर चलाते हुए सोनम को हचर-हचर चोदने लगा। सात आठ धक्के के बाद वह भी कमर चलाने लगी और अपने हाथों से मुझे कस लिया। मैं उसे चोदे ही जा रहा था। उसका शरीर महकने लगा। उसके मुंह से हों-हों का स्वर निकलने लगा।

मेरी कमर और तेज चलने लगी। उसने किचकिचाकर मुझे दबोच लिया। अन्त में मैं भल्ल से उसकी चूत में झड़ गया। मैं कुछ देर बाद उसके ऊपर से उठा। मेरा लंड बीज से सना था। उसकी चूत भी वैसे ही बीज से भरी थी। वह लम्बी लम्बी सांसे भर रही थी। मैंने पास पड़ी पैंट से रुमाल निकालकर पहले अपने गीले लंड को पौंछा फिर उसकी बुर को।

अब वह स्थिर हो गई थी। बोली- मामा अगर कहीं बच्चा ठहर गया तो?”
“पागल एक बार में बच्चा नहीं ठहरता है। उठो! बैठकर मूत दो! बीज नीचे गिर जायेगा।”

मूत कर वह उठी तो मैंने उसे अपनी टांगों को सीधे फैला लिया और उसकी टांगों को अपनी कमर के दोनो तरफ करवा कर बैठा लिया। उसकी चूत से मेरा सिकुड़ा लंड स्पर्श कर रहा था। मांसल चूचियां मेरे सीने से पिस रही थीं। उसके खुले बाल उसकी पीठ पर फैलकर वातावरण को मादक बना रहे थे।

वह बोली- अब चलो। अपनी तो कर ही ली। देर हो जायेगी।”
“देर तो हो गई। थोड़ी और सही। ऐसा सुनहरा अवसर अब तो कभी नहीं मिलेगा।”

उसने कोई उत्तर नहीं दिया इसका मतलब था कि उसकी भी मौन स्वीकृति थी। मेरे हाथ उसकी पीठ से लेकर उसके नाद जैसे भारी चूतड़ों की दरार तक चल रहे थे।

वह भी मेरे बालों में अंगुलियाँ चला रही थी। कभी कभी मेरी कनपटियों को भी सहलाने लगती।
मैंने यूं ही पूछा- सोनम कभी सोचा था कि तुम्हारी चुदाई ऐसे रोमांटिक वातावरण में होगी?
उसने कोई उत्तर नहीं दिया।

मैंने उसे खड़ा किया तो वह रोबोट की भांति खड़ी हो गई। बिल्कुल नंगी! मैं भी मनुष्य के आदिम रूप में था। हम नंगे पोखर के किनारो पर टहलने लगे। उसके चूतड़ चलते में हिल रहे थे। चिकने थे। एक भी रोयां नहीं था। जांघ और पिंडलियां भी चिकनी थी। झांटें जरूर पेड़ू तक फैली थीं। चूची हिल नहीं केवल थरथरा रही थी।

मैंने टहलते हुए बुर पर हथेली रखते हुए कहा- सोनम झांट हेयर रिमूवर से बना लिया करो। अभी लगता है एक बार नहीं किया?

“नहीं साफ तो किया है, लेकिन मुझे शरम आती है। जब चाची को याद आता है तब लाकर देती हैं तो करती हैं, स्वयं तो एकदम चिकना किए रहती हैं।”

फिर दोनों हाथों की अंगुली और अंगूठे को मिलाकर चूत का आकार देते हुए कहा- भोंसड़ा हो गई है, फिर भी!

मैंने कहा- उन्हें चुदना जो होता है, जब तुम लगातार चुदोगी तो अपने आप साफ रखोगी।
“तुम तो चोदते हो तब भी जंगल उगा लिया है।”
कहकर वह मेरे लंड को पकड़ कर खेलने लगी और पेलड़ की गोलियों से खेलने लगी।

मुझे न जाने क्या सूझी कि मैंने उसे उठाकर सामने से उसे अपने कंधे पर बैठा लिया। उसकी टांगें पीठ की तरफ हो गईं। उसकी चूत मेरे मुंह के सामने आ गई और मन में आया कि लाओ चूम लूं, लेकिन सोचा पता नहीं क्या सोचे तो अपनी ठुड्डी उसकी बुर से रगड़ने लगा। उसकी झांट के बालों का स्पर्श चेहरे को अजब आनन्द दे रहा था।

इसी के साथ मैंने अपने हाथों को ऊपर उठाकर उसके दोनों दूधों को मसलने लगा। बुर चूत की बातें होती रहीं और हम फिर उत्तेजित हो गये। मेरा लंड दुबारा कील की तरह खड़ा होकर ऊपर उठ गया। इसी तरह पोखर का तीन चक्कर लगाते-लगाते वह उत्तेजित हो गई । तो बोली- मामा चलो फिर चोदो मगर दूसरी तरह से।”

मैं उसके इस खुले आमन्त्रण से हिल गया। कंधे से उतार कर ले जाकर लुंगी पर उसे झुका दिया और हथेली पर अपने और उसके मुंह से थूक लेकर अपने लण्ड पर मला और चूत को ढके झांटों को इधर-उधर करके छेद पर रखकर कसा तो एकदम अन्दर चला गया। फिर कमर हिलाहिलाकर उसे चोदने लगा।

कुछ पल बाद लंड निकाला तो देख कि उसकी बुर का छेद खुल चुका था। उसका चना भी फूल गया था। फिर मैं भूमि पर लेट गया। मेरा लंड हवा में तना था।

मैंने उससे कहा- सोनम आओ! इसपर टांगें फैलाकर बैठो।
वह बोली- नहीं! पूरा अन्दर चला जायेगा! दर्द होगा!
“यह सब कहने की बात है, और मजा आयेगा। बैठकर तो देखो!”

वह दोनों टांगों को इधर उधर करके बुर के छेद को लंड के निशाने पर लेकर बैठी तो एकाएक कमर को पकड़कर दबा दिया। वह घप्प से गिर गई। सट से लंड अन्दर पूरा उसकी बुर की जड़ तक चला गया। पहले मैंने नीचे से अपनी कमर को हिलाया फिर वह भी हचर-हचर अपनी कमर चलाने लगी। मैं सामने उसकी स्तूप की तरह हिल रही चूचियों को सहलाने लगा। बढ़ती उत्तेजना के साथ मेरी और उसकी गति तेज हो गई। अन्त में मैं फल्ल-फल्ल झड़ने लगा। वह अजब अजब स्वर निकालने लगी और औंधे मुंह मेरे ऊपर गिर पड़ी।

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