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Massage Girl in Vaishali: Premium Relaxation Services

Our site can help you find a professional massage girl in Vaishali who will help you relax in the best manner possible. We connect you with professional therapists who can offer you a massage that will make you feel better and more relaxed. The pros on our list are ready to provide you with a fantastic experience at your house or in one of their particular spots, whether you want to relax or get away from it all.

Introduction

Massage is currently one of the finest methods to relax your mind, body, and overall health. Our website makes it easy to locate the top massage services in Vaishali that meet your demands. This will be a one-of-a-kind and calming experience for you.

Tottaa wants to make it simple for clients to find the top masseuse. The Vaishali massage service providers on our list offer the greatest quality, comfort, and competence, whether you want a full-body massage or a massage for a particular location.

How Tottaa Helps Advertisers Reach More Customers

Tottaa is not only a list of masseuses, it’s also a secure location for them to show off what they can do. People in Vaishali who are seeking massage services may find them on our website. This makes them easier to find and gets them more appointments.

Advertisers may simply put up profiles, offer their services, and talk about pricing and discounts on our sites. This makes sure that the relevant people notice your Vaishali massage service, which makes it easier to obtain more customers.

Different Types of Massages We Offer

There are a lot of different types of massage services on our site, so you may choose one that works for you. You may choose the kind of treatment that works best for you, whether it’s profound rest or a particular type of therapy.

1. Swedish Massage

A calm and gentle way to ease muscular tension and improve blood flow. This Vaishali massage is perfect for you if you want to relax and forget about your concerns.

2. Deep Tissue Massage

This approach employs a lot of pressure to get to deeper muscle layers. It’s helpful for folks who have muscular discomfort or stiffness that won’t go away. There are specialists on our profiles of massage girls in Vaishali who are good at deep tissue treatments that function effectively.

3. Aromatherapy Massage

Calming massage strokes and essential oils are beneficial in making people feel improved both emotionally and physically. Most massage companies in Vaishali employ the use of custom oil preparations to make you feel good.

4. Thai Massage

A therapy that wakes you up by using a mix of regular massage, stretching, and compression. This traditional massage in Vaishali helps you relax, become more flexible, and get your mind and body back in harmony.

5. Hot Stone Massage

Heated stones are placed on various parts of the body to help with deep muscular tightness. People who want to feel good, relax, and help their muscles recover quickly can use this massage service in Vaishali

How to Book Our Massage Services

Tottaa makes it simple and fast to book. With our listings, you can see what kind of massage you want, read about the providers, see that they are free and then contact them directly. After you choose, you can book a massage in Vaishali at your convenient time and location. In order to get your desired massage services, apply the following simple steps:

Step 1: Browse Our Listings

Take a peek around our site to view a few massage professionals. Each listing gives you information about the many sorts of massages, how long they last, how much they cost, and where they are situated. This makes it easier to choose the finest ones.

Step 2: Compare and Shortlist

Examine the profiles carefully to compare how the services, talents, and reviews posted by customers differ. This phase makes sure you choose a business that has the style, pricing, and supply you desire.

Step 3: Connect with the Provider

When you have decided, use the information that you are offered so that you can contact them directly. One can communicate it to the massage giver thus making it understood what massage you want at what time and when.

Step 4: Confirm the Appointment

The date, time and place of the service, which could be your home, a hotel or the spa where the therapist may be found. You also need to agree on the payment method and any other accords prior to commencement of the course.

Step 5: Relax and Enjoy Your Massage

All you have to do on the day of the appointment is have your area ready for the house visit. The remainder will be handled by the expert. Take it easy and enjoy a massage that is made just for you.

Frequently Asked Questions

To locate a professional who can meet your needs, read our biography, reviews and advertising.

Yes, many of the therapists on our site will come to your house so you may feel safe and at ease.

You may pick based on talents since most adverts provide their qualifications in their profiles.

It would be advisable to make a reservation earlier to guarantee that you would be able to get a massage, particularly against the prevalent services of massage.

Not at all. Tottaa exclusively connects users with service providers. The doctor gets to choose how to handle payment.

Read Our Top Call Girl Story's

हाय दोस्तो! कैसे हो! Sex Stories

आप लोगों ने याद किया और मैं Sex Stories हाज़िर हो गया आप लोगों के लिए फिर से एक नया अनुभव लेकर!

दोस्तो, फिर एक नया अहसास, सेक्स से भरा, मज़े से भरा और साथ ही ढेर सारी मस्ती, जो मैंने महसूस की वही मस्ती लेकार आया हूँ आप सभी के लिए!

कसम खुदा की क्या वो हसीं सूरत थी,

चढ़ती उसके हुस्न पे जवानी की मस्ती थी,

छलक गया यौवन उसकी नज़र से वो कातिल,

कि जिसमें डूब गई मेरी जवानी की कश्ती थी!

दोस्तो, अबकी बार मैं अपने कुछ दोस्तों के साथ राजस्थान घूमने गया था।
जाते वक़्त हम भरतपुर से होकर गुजरे थे तो सभी ने योजना बनाई कि भरतपुर पक्षी अभयारण्य देख कर ही आगे जायेंगे।
इसलिए हम लोगों ने टिकेट लिए और अंदर चले गए।

अभयारण्य का दायरा कई किलोमीटर में फैला हुआ था।
चलते चलते हमारा ग्रुप बिखर गया और मोबाइल से हम एक दूसरे के संपर्क में रहे।

मज़े की बात, मैं अपने ग्रुप से अकेला अलग हो गया। काफी दूर चलकर एक परिवार के कुछ लोग वहां से निकले, वो अलग साइकलों पर थे।
वहां घूमने के लिए साईकलें मिलती हैं। उन लोगों में से एक लड़की पीछे रह गई।

मैंने देखा उसकी साईकल के पैडल फ्री हो गए थे। वो थोड़ी आगे तक बढ़ी और रुक कर चेन को देखने लगी।
इतने में उसका फॅमिली परिवार आगे निकल गया।

मैं पास से गुजरा तो उसने कहा- अगर आप को बुरा न लगे तो कृपया मेरी साईकल की चेन लगा दोगे?

मैंने उसे एक नज़र भर देखा तो देखता ही रह गया! हुस्न इतना कातिल कि किसी को फनाह करने के लिए किसी और चीज़ कि जरूरत ही न पड़े!

नीली जींस उस पर लाल टॉप!

माशा अल्लाह! शरीर का हर एक अंग अलग अलग दिखाई दे रहा था। टॉप के ऊपर के खुले बटन मानो उसकी छुपती खूबसूरती को बेशर्मी से जग-जाहिर कर रहे थे। गोरे से चेहरे पर ऊपर से ढलते हुए सुनहले बाल उसके हुस्न की बिजली को मेरे अंग अंग पे गिरा रहे थे। कमर इतनी नाजुक कि अगर जोर से पकड़ लूँ तो लचक जाये, बिलकुल हल्की फुल्की! लेकिन एक उत्तम बदन की मलिका!

खैर मैंने अपनी हसरतों को काबू किया और बिना कुछ बोले उसकी चेन लगा दी हाथ चेन पर और नज़र उस हुस्न की परी पे!

और इसी गुस्ताखी में दब गई मेरी ऊँगली चेन में। ऊँगली में मामूली सी चोट लगी थी, थोड़ा सा खून निकल आया, मैंने सोचा अब फ़िल्मी स्टाइल में ये दुपट्टा फाड़ेगी और मेरी ऊँगली पर बांधेगी, लेकिन यहाँ तो सीन ही उल्टा हो गया, उंगली से खून बहता देख कर वो तो गश खाकर बेहोश हो गई। वो गिरने लगी तो मैंने सीधे ही उसे अपनी बाँहों में ले लिया।

हमने तो खुदा से माँगा कि

उसके हाथों का छूना नसीब हो जाये,

हम देख लें उसे नज़र भर के,

तेरी हम पर इतनी रहामत हो जाये,

के वो बेखौफ आ गए बाँहों में मेरी,

के न अब उनसे दूर रहा जाये!

न उनको खुद से दूर किया जाये!

वो मेरी बाँहों में बेहोश थी और मैं सर से लेकर पाँव तक उसे देखे जा रहा था। दिल में डर था कि वो होश में आते ही मुझसे दूर हो जायेगी।

लेकिन मैंने उसके गालों को छुआ और उसके चेहरे को हिला कर उसे बेहोशी से जगाया। उसने आँख खोली और मेरी बाँहों में लेटी हुई एक टक मुझे देख रही थी। उसके चेहरे पर सर्दी में भी पसीना छलक आया। मैंने अपने रूमाल से उसका चेहरा साफ़ किया। उसके गोरे गालों को छूकर मेरी उँगलियाँ मदमस्त हो रही थी।

खैर वो मेरी बाँहों से अब दूर हो गई और उसने सॉरी कहा।
उसने कहा- मेरी वजह से आप को चोट लग गई!

मैंने भी बिना सोचे समझे कह दिया- अगर मुझे चोट ना लगती तो आप को बाँहों में लेने का मौका कहाँ मिलता!

वो इस बात पर नाराज़ भी हो सकती थी लेकिन वो शरमा गई और मेरी हिम्मत बढ़ गई।

तभी उसकी मम्मी का फ़ोन आ गया, उसने अपने बेहोश होने की बात छोड़ कर बाकी सब अपनी मम्मी को बता दिया।
उसने मुझसे कहा- मेरे घर वाले आगे मेरा इंतज़ार कर रहे हैं और वो आपसे भी मिलना चाहते हैं।

मैंने उससे उसका नाम पूछा तो उसने अपना नाम मधु बताया।
उसने मेरा नाम पूछा, मैंने भी अपना नाम बता दिया।

उसने कहा- अपनी उंगली दिखाओ!
मैंने कहा- रहने दो तुम बेहोश हो जाओगी।
तो उसने कहा- कोई बात नहीं तुम मुझे थाम लेना!

चलते चलते हम बात करते रहे और एक दूसरे को अपने नंबर दे दिए।

कुछ दूरी पर उसके परिवार वाले मिल गए।
उसके घर वाले बिल्कुल आजाद विचारों वाले थे। उनसे बात करके मैं अपने दोस्तों के पास जाने लगा।

जाते जाते मधु ने अपना रूमाल मेरी उंगली पे लपेट दिया।
वो रूमाल मैंने अपने दोस्तों से छुपाया, कह दिया- यार मेरी तबियत ठीक नहीं है, मैं यही बैठता हूँ, तुम घूम आओ!

वो लोग चले गए।
मैंने मधु को फ़ोन किया और काफी देर तक उससे बात की। वो लोग भरतपुर में ही होटल पार्क में ठहरे थे।

मैंने शाम को अपने दोस्तों से कहा- यार! मेरी तबियत ठीक नहीं है, इसलिए मैं आज यहीं रुकना चाहता हूँ, तुम लोग जयपुर पहुँचो, मैं कल आकर तुमको मिलूँगा।

वो लोग वहाँ से निकल गए।

अब मैंने भी जाकर होटल पार्क रेज़िडेन्सी में एक कमरा बुक कराया।
मधु और उसका परिवार पहली मंज़िल पर थे और मैं दूसरी मंज़िल पर!

मैंने मधु को इसके बारे में बताया कि मैंने भी तुम्हारे होटल में ही कमरा ले लिया है, तो यह सुन कर मधु कुछ उत्साहित सी हो गई।
मुझे लगा शायद मधु भी यही चाहती थी।

एक बार फिर हमारी मुलाकात डिनर के समय पर हुई।
अब की बार मधु ने एक जामुनी रंग की साड़ी पहनी हुई थी। कसम से क्या कयामत थी वो उस वक्त!
और उस पर बैक-लैस ब्लाऊज़ उस कयामत को और भी भड़का रहा था।

भोजन के बाद उसके घर वालों ने मुझे फ़िर अपने साथ बुला लिया और हम सभी पार्क में टहलने लगे।

अब मैंने मौका देख कर टहलते टहलते मधु की नंगी कमर पर हाथ रख दिया।

चलते चलते मधु ठहर सी गई लेकिन कुछ ही पलों में मैं मधु से दूर हो गया।
फ़िर हम लोग अपने अपने कमरों में चले गए।

मैं बिस्तर पर था लेकिन कमबख्त नींद किस की सगी थी जो आ जाती।
मैं सोने की कोशिश कर रहा था लेकिन मधु की जवानी के परदे एक-एक करके मेरी आँखों पर पड़ते जा रहे थे जिन्होंने नींद को मेरी आँखों से दूर कर दिया।

रात के लगभग 11 बजे होंगे, मैंने मधु को फ़ोन किया, एक दो बार रिंग बज़ते ही उसने फ़ोन उठा लिया, ऐसा लग रहा था जैसे वो मेरे फ़ोन का इन्तज़ार कर रही थी।

दिन में ज्यादा घूमने के कारण उसके घर वाले थक कर सो रहे थे।
मैंने उसे अपने कमरे में बुला लिया।

मधु ने आने में जरा भी देर नहीं की।

दो तीन मिनट में वो कयामत उसी लिबास में मेरे कमरे में आ गई।
कसम से, मानो, किसी दुल्हन की तरह शरमाई सी वो बेड के पास खड़ी हो गई।

मैंने भी पहले उसका अंग अंग जी भर कर देखा फ़िर धीरे से बाहों में भर लिया। मानो कोई फ़ूल मेरी बाहों में सिमट आया हो।

मैंने उसे बिस्तर पर बैठा लिया और उसके चेहरे को साड़ी के पल्लू से ढक दिया।
उसने भी पल्लू को दुल्हन की तरह थामे रखा फिर धीरे से मैंने उस चाँद से घूँघट के बादलों को हटाया और उसके मदमाते होटों पर एक किस कर दिया तो वो एकदम ही मुझसे लिपट गई।

मैंने उसकी सांसों की गर्मी को अपने सीने पर महसूस किया।

वो बिलकुल तैयार थी, मैंने अपना हाथ धीरे धीरे उसकी साड़ी में डालना शुरू किया, वो नीचे की तरफ झुकती सी चली गई।
मैंने एक हाथ उसकी मदमस्त कर देने वाली चूचियों पे रख दिया और उन्हें दबाने लगा।

वो टूट कर अब मेरी बाँहों में बिखरने लगी थी, उसने अपनी आँखें बंद कर ली और अपना नरम नाज़ुक शरीर मुझे सौंप दिया।

मेरा एक हाथ अब उसकी नरम, गरम और गुलाबी चूत पर पहुँच कर उसके साथ शरारत कर रहा था।
शायद वो अब सहन नहीं कर पा रही थी।

मैंने एक एक करके उसके शरीर से सारे कपडे अलग कर दिए।
अब वो गुलाब की गुलाबी कली मेरे सामने अपनी सारी पंखुडियों से बाहर आ चुकी थी।

उसके पूरे नंगे बदन को देख कर तो कोई भी अपना आप खो दे!

मैंने अपने कपड़े उतार दिए। हम दोनों एक दूसरे की बाँहों की गिरफ्त में जाने के लिए बेताब थे।

मैंने बिस्तर पर जाकर मधु को कस के अपनी बाँहों में ले लिया।
उसके जिस्म का अंग अंग सेक्स की आग में जल रहा था।
अब इस सावन को मधु के जिस्म पर बरस कर उसके जिस्म की प्यास को बुझाना था।

मैंने मधु की खामोशी तोड़ी और उससे पूछा कि क्या कभी पहले सेक्स किया है तो उसने चेहरे को हाथों से ढक लिया और इन्कार में सर हिला दिया।
यानि कि मधु बिल्कुल अनछुई थी।

अब मुझे उसके साथ थोड़ी ऐहतियात बरतनी थी क्योंकि उसकी चूत बिल्कुल कोमल थी।

मैंने ऊँगली से उसकी चूत को धीरे धीरे से सहलाया तो मधु कि सिसकियाँ सी छूटने लगी।

उस कमरे का माहौल आऽऽ आहऽहऽहऽ ऊऽउऽ उफ़ऽफ अऽअऽ आ स ओऽऽऊहऽ नऽऽनाऽ सावन करोऽ हम्मऽ … ऊऽऽऊफ ओ ओह येसऽस स से और भी सेक्सी हो गया।

मैंने उसके शरीर पर हर जगह चूमा, उस कली को हर तरफ से चूमा।

अब मैंने उसकी हालत को समझते हुए धीरे से अपना लण्ड उसकी चिकनी और मुलायम चूत पर रख दिया और धीरे धीरे उसके अंदर लण्ड को डालने लगा।
मधु अपने पैरों को भींचने लगी और कहा- दर्द हो रहा है!
मैंने उस से कहा- अगर टांगें भींचोगी तो दर्द होगा!

अब उसने अपने पैर खोल लिए।
मैंने एक झटके से जोर से लण्ड चूत के अंदर डाला तो मधु की चीख निकल गई और लण्ड चूत के अंदर था।

मधु बेहाल सी हो गई, मैंने उसे थोड़ा शांत किया, उसका चेहरा पसीने से भीग गया।
अब मैंने लण्ड को थोड़ा बाहर निकाला तो लण्ड पर खून लगा था, उसे देख कर मधु बोली- कुछ होगा तो नहीं?

मैंने कहा- कुछ नहीं होगा!

मैंने धीरे धीरे लण्ड को हिलाना शुरू किया तो मधु सिसकियाँ अब सेक्स की आवाजों में बदलने लगी थी और उसका चेहरे का डर एक चमक में बदल गया था।

फिर तो उल्टा मधु सेक्स करने में मेरा साथ देने लगी।
मैंने उसे धीरे से चोदा, अपने लण्ड को उसकी गहराइयों तक उतारा, जितना गहरा लण्ड चूत में जाता, उतनी ही मधु मुझसे चिपक जाती और उतनी ही जोर से उसकी सिसकी आती थी।

उसके बाद तो पता नहीं हम दोनों इतना समय खींच गए कि इतने गरम होने के बावजूद हम लगभग 25 मिनट तक सेक्स करते रहे।
काफी देर बाद मैं मधु के ऊपर निढाल सा हो गया और साथ ही साथ मधु ने भी खुद को मुझसे जकड़ लिया।

अरे! यानि कि यारो उसका भी सेक्स पूरा हो गया था।

अब हम दोनों काफी देर एक दूजे पर निढाल लेटे रहे और आधे घंटे बाद दोबारा से एक बार फिर एक दूजे में समां गए।

और फिर मधु अपनी साड़ी पहन कर थके से कदमों से वहां से अपने कमरे में चली गई। खैर एक दूजे की कुछ मिठास दिल में लिए नींद के आगोश में समां गए।

अगली सुबह जब हम उठे और नाश्ते के लिए नीचे आए तो मैंने मधु की आँखों में एक अजीब सी चमक और चेहरे पर एक मुस्कान देखी।

सुबह 11 बजे तक मुझे होटल से चेक आउट करना था।
मैंने मधु को यह बताया तो वो बोलने लगी- हम शाम 4 बजे यहाँ से चेक आउट करेंगे!

सुबह मधु के घर वाले भरतपुर घुमने के लिए निकलने लगे तो मधु ने उनसे बहाना कर दिया कि उसके सर में बहुत दर्द है।
मधु की मम्मी उसके पास रुकने लगी लेकिन मधु ने कहा कि मैं थोड़ा सोना चाहती हूँ, फिर आप मेरे पास अकेली बैठी बोर हो जाओगी, इसलिए आप भी थोड़ी देर घूम आइये!

उसकी मम्मी मान गई।

अब मधु अकेली ही कमरे में थी।
कुछ देर बाद मैं मधु के कमरे में गया।

मेरे वहां जाते ही मधु भागकर मुझसे लिपट गई और नज़रें नीचे करके कहने लगी- सावन! क्या रात वाला अहसास तुम मुझे अभी करा सकते हो?
उसने मेरे दिल की बात कह दी।

फिर क्या था हम दोनों ने एक दूसरे के कपड़े उतार दिए और बेड पर बैठ गए।
मैंने मधु के तन के हर हिस्से को किस किया। जैसे मैं उसे किस करता तो मधु उतनी ही उत्तेजित होती जाती।

फिर हमने आधे घंटे तक एक दूसरे को वो अहसास कराया, जिस अहसास को आप मेरे इस अनुभव को पढ़ने के बाद करना और पाना चाहते हो।

उसके बाद मैंने मधु को कपड़े पहनाये और उसके नरम नाज़ुक होटों पे एक प्यारा सा “गुड बाय किस” किया और मैं होटल से चेक आउट कर गया।

दोस्तो, ये थे मधु के साथ बिताये कुछ हसीं पल!

आपको मेरा ये अनुभव कैसा लगा?
मुझे मेल कर के जरूर बताना! Sex Stories

Antarvasna

सवेरे मैं सुस्ती में उठी… अलसाई Antarvasna सी बाहर बरामदे में आ गई और कसमसाते हुए दोनों हाथों को ऊपर उठाते हुए अपने बोबे को पूरा बाहर उभारते हुए अंगड़ाई ली… कि पीछे से एक सिसकारी सुनाई दी- रोशन जी… ऐसी अंगड़ाई से तो मेरे दिल के टांके टूट जायेंगे…! गुड मॉर्निंग…!’ साहिल मुसकराता हुआ बोला.

‘हाय रे… आप यहाँ…?’ मैं शरमा गई… दोनों हाथों से अपनी चूचियों को छिपाने लगी… पर रात की बातें मुझे याद आ रही थी। अब मैं भी कुछ करना चाहती थी… साहिल का सामना करना चाहती थी… शायद आज वो मेरे साथ जोर जबरदस्ती करे… पर इसके विपरीत मैं उसे रिझाना चाहती थी… पर मुझमें इतना साहस नहीं था… पर साहिल बेशरम था… एक के बाद एक मुझ पर तीर मारता गया… मुझे काम भी बनता नजर आने लगा… मैं मन मजबूत करके वहीं खड़ी रही.

‘ज़रा हाथ नीचे करो ना… आपके वक्ष बहुत सुन्दर हैं… और सुन्दरता दिखाई जाती है… छुपाई नहीं जाती…!’ मेरी चूचियों को निहारते हुए उसने कहा।
‘हाय साहिल जी… ऐसे ना कहो… मुझे शरम लगती है…’ मैंने अपने सीने से हाथ हटा कर चेहरा छुपा लिया।

वो मेरे पास आ गया और मेरे चेहरे को ऊपर उठा दिया…
‘इस खूबसूरत चेहरे पर पर्दा न करो… ये बड़ी बड़ी आंखें… गोरा रंग… गुलाबी गाल… ये इकहरा बलखाता बदन… गजब की सुन्दरता… खुदा ने सारी खूबियाँ आप में डाल दी हैं…’
‘हाय मैं मर जाऊँगी…’ मैं सिमटती हुई बोली। उसकी बातें मुझे शहद से ज्यादा मीठी और सुहानी लग रही थी। मैं इस बात से बेखबर थी कि कमला अपने कमरे के बाहर खड़ी सुन कर मुस्करा रही थी.

‘हाय… कश्मीर की वादियाँ भी इतनी सुन्दर नहीं होंगी जितनी सुडौल ये पहाड़ियाँ है… ये तराशा हुआ बदन… ये कमर… कही कोई अप्सरा उतर आई हो जैसे…’ मैंने अपनी आखें बन्द किये ही अपने हाथ नीचे कर लिये… मेरे उभार अब उसके सामने थे। साहिल मेरे बहुत नज़दीक आ गया था… अब मुझसे सहन नहीं हो रहा था… मैं घबरा उठी।

‘हाय राम जी…!’ मैं कहती हुई मुड़ी और भागने के ज्यों ही कदम बढ़ाया मैं कमला से टकरा गई।
‘हाय राम… मां जी… आप…?’
‘जरा सम्हल कर रोशन… गिर जायेगी…! सुन मैं ज़रा काम से बाज़ार जा रही हूँ… साहिल को चाय नाश्ता और खाना खिला देना… देखना कुछ कमी न हो… एक बजे तक आ जाऊँगी…’ मुस्कुराती हुई आगे बढ़ गई।

साहिल ने फिर एक तीर छोड़ा- भरी जवानी… जवान जिस्म… तड़पती अदायें… किसके लिये हैं…’
मैंने देखा कमला जा चुकी थी। अब हम दोनों घर में अकेले थे… और कमला ने जब साहिल को छूट दे दी थी तो मुझे भी उसका फ़ायदा उठा लेना था।

‘कहाँ से सीखा… ये सब…’
‘जब से आप जैसी सुन्दरी देखी… दिल की बात जबान पर आ गई…’ मैं अब चलती हुई अपने कमरे में आ गई… साहिल भी अन्दर आ गया… मैंने चुन्नी उठाई और सीने पर डालने ही वाली थी कि उसने चुन्नी खींच ली… इसे अभी दूर ही रहने दो… और दो कदम आगे बढ़ कर मेरा हाथ पकड़ लिया…
‘ये क्या कर रहे है आप… छोड़ दीजिये ना…’ मैं सिमटने लगी… हाथ छुड़ाने की असफ़ल कोशिश करने लगी।

‘रोशन… प्लीज… आप बहुत अच्छी हैं… बस एक बार मुझे किस करने दो… फिर चला जाऊँगा…’ उसने अब मेरी कमर में हाथ डाल दिया। नीचे से उसका पजामा तम्बू बन चुका था… मेरी चूत भी गीली होने लगी थी। मैं बल खा गई और कसमसाने लगी… शर्म से मैं लाल हो उठी थी। मेरा बदन भी आग हो रहा था।

‘साहिल… देख… ना कर… मैं मर जाऊँगी…’ मैंने नखरे दिखाते हुए, बल खा कर उसके बदन से अपना बदन सहलाने लगी… और उसे धकेलने लगी
‘रोशन… देख तेरे सूखे हुए होंठ… तड़पता हुआ बदन… आजा मेरे पास आजा… तेरे जिस्म में तरावट आ जायेगी…’
‘साहिल… मैं पराई हूँ… मैं शादीशुदा हूँ… ये पाप है…’ उसे नखरे दिखाते हुए मैं शरम से दोहरी होने लगी…

‘रोशन तेरे सारे पाप मेरे ऊपर… तुझे पराई से अपना ही तो बना रहा हूँ…’ उसने अपना लण्ड मेरे चूतड़ो पर गड़ा दिया…
‘साहिल सम्हालो अपने आप को… दूर रखो अपने को…’ अब तो वस्तव में मुझे पसीना लगा था। मेरा बदन सिहर उठा था। कमला की रात वाली चुदाई मेरी आंखो के सामने घूमने लगती थी। मुझे लगा कि ये अपना लण्ड मेरी चूत में अब तो घुसेड़ ही देगा। मेरी चूतड़ो की दरार में उसका लण्ड फ़ंसता सा लगा। लण्ड का साईज़ तक मुझे महसूस होने लगी थी। मैंने घूम कर साहिल के चेहरे की तरफ़ देखा। उसके चेहरे पर मधुरता थी… मिठास थी… मुस्कुराहट थी… लगता था कि वो मुझ पर किस कदर मर चुका था।

मैं शरम के मारे मरी जा रही थी। मुझे उसने प्यार से चूम लिया। मैंने उसकी बाहों में अपने आप को ढीला छोड़ दिया… चूतड़ो को भी ढीला कर दिया। उसने मेरे पेटीकोट का नाड़ा खींच लिया… मेरे साथ उसका पजामा भी नीचे आ गिरा… उसने मेरा ब्लाऊज धीरे से खोल कर उतार दिया… मेरी छोटी छोटी पर कड़ी चूंचिया कठोर हो गई… उसने मेरे दोनों कबूतर पकड़ लिये… हम दोनों अब पूरे नंगे थे।

मैं उसकी बाहों में कसमसा उठी। मैं सामने बिस्तर पर हाथ रख कर दोहरी होती गई और सिमटती गई… पर झुकने से मेरी गांड खुल गई और उसका लण्ड मेरी दरारो में समाता चला गया… यहाँ तक कि अन्दर के फूल को भी गुदगुदा दिया।

मुझे एकाएक फूल पर ठंडा सा लगा… साहिल ने अपने थूक को मेरे गाण्ड के फ़ूल पर भर दिया था। लगा कि चिकना सुपाड़ा फ़ूल के अन्दर घुस चुका था। मेरे मुख से आह निकल गई… मेरी दुबली पतली काया… गोरी गोरी सुन्दर सी गोल गोल गाण्ड… मेरी प्यासी जवानी अब चुदने वाली थी।

‘हाय रे रोशन… कितनी चिकनी है रे… ये गया…’ लण्ड मेरी गाण्ड के अन्दर सरकता चला गया… मेरे दिल में चैन आ गया… चुदाई के साथ सथ ही मेरे शरीर में चुदाई की झुरझुरी भी आने लगी थी कि आखिर चुदाई शुरू हो ही गई।

उसके हाथ मेरी पीठ को सहलाते हुये बोबे तक पहुंच गये थे… और अब… हाय रे… उसने मेरी छाती मसल डाली… मैं शरम से सिकुड़ सी गई… मैं धीरे धीरे बिस्तर पर पसर गई… मैंने अब हिम्मत करके शरम छोड़ दी।

अब मैंने मेरी दोनों टांगे खोल दी… पूरी चौड़ा दी… उसे मेरी गाण्ड मारने में पूरी सहूलियत दे दी… अब मेरे चूतड़ो को मसलता… थपथपाता… नोचता… खींचता हुआ गाण्ड चोद रहा था… मुझे मस्ती चढती जा रही थी। अपनी मुठ्ठियो में तकिये को भींच रही थी। दांतो से अपने होंठो को काट रही थी… और पलंग़ धक्को के साथ हिल रहा था।

अब वो मेरे पर लेट गया था… उसका पूरा भार मेरी पीठ पर था… और कमर हिला हिला कर धक्के मार रहा था। मेरी गाण्ड चुदी जा रही थी। मेरे मुख से बार बार आहें निकल पड़ती थी।

‘मेरी जानू… अब बस… अब तेरी चूत की बारी है…’ और अपना लण्ड गाण्ड से धीरे से निकाला और चूत का निशाना साध लिया। मुझे एकाएक अपनी चूत पर चिकने सुपाड़े की गुदगुदी हुई और मेरी चूत ने लण्ड के स्वागत में अपने दोनों पट खोल दिये… और लण्ड अकड़ता हुआ तीर की तरह अन्दर बढ चला।

‘मां रीऽऽऽऽ आऽऽऽह… चल… घुस जा… राम जी रे…’ मेरा मन और आत्मा तक को शांति मिलने लगी… लण्ड चूत की गहराई तक घुसता चला गया… और जड़ तक को छू लिया। दर्द उठने लगा… पर मजा बहुत आ रहा था। चूत को फ़ाड़ता हुआ दूसरे धक्के ने मेरे मुख से जबरदस्त चीख निकाल दी… मेरी चूत से खून बह निकला…

‘हाय… साहिल देख बहुत दर्द हो रहा है… धीरे कर ना…’
‘हाय रे मेरी बच्ची को मार देगा क्या…’ कमला की पीछे से आवाज आई… मैं घबरा उठी… ये कहाँ से आ गई…
‘नहीं वो धक्का जोर से लग गया गया था… बस…’

‘रोशन… मेरी बच्ची… मैं हूँ यहाँ… आराम से चुदवा ले…’ कमला ने हम दोनों को ठीक से लेटाया और तौलिए से खून साफ़ किया और मेरी चूत पर क्रीम लगाई…

‘अरे… गाण्ड भी मार दी क्या…’ मेरे पांव उपर करके गान्ड में भी चिकनाई लगा दी।
‘अब ठीक है… चलो शुरु हो जाओ…’ अब साहिल मेरे दोनों पांवो के बीच में आ गया और लण्ड को चूत में उतार दिया… चिकनी चूत में लण्ड मानो फ़िसलता हुआ… आराम से पूरा बैठ गया। मुझे बड़ा सुकून मिला। अब चुदाई बहुत प्यारी लग रही थी।

कमला भी अब मेरे बोबे सहला रही थी। रह रह कर वो साहिल की गाण्ड भी सहला देती थी थी और अपना थूक लगा कर अंगुलि को उसकी गाण्ड में डाल देती थी। इस प्रक्रिया से साहिल बहुत उत्तेजित हो जाता था।

अब कमला ने साहिल की गाण्ड को अंगुली से चोदना चालू कर दिया था। उसके धक्के भी बढ़ गये थे… मेरी चुदाई मन माफ़िक हो रही थी मेरा जिस्म बिजली से भर उठा था… बदन कसावट में आ चुका था, सारी दुनिया मुझे चूत में सिमटती नजर आ रही थी। लगा कि सारी तेजी… सारी बिजलियाँ… सारा खून मेरी चूत के रास्ते बाहर आ जायेगा… और… और…
‘मां री ऽऽऽऽऽ… हाऽऽऽऽय रे… मर गई…’

‘बस… बस… बेटी… हो गया… निकाल दे… झड़ जा…’ कमला प्यार से मेरे उरोजो को सहलाते हुए झड़ने में मदद करने लगी…
‘मम्मी… मैं गई… ईईऽऽऽऽऽऽऽ… आईईईइऽऽऽऽ… मेरे राम जी…’ और मैं जोर से झड़ गई…

‘अरे धीरे चोद ना… देख वो झड़ रही है…’ उसकी चुदाई धीमी हो गई… ऐसे में झड़ना बहुत सुहाना लग रहा था… पर साहिल जोर लगाने की कोशिश कर रहा था।

कमला ने उसकी कमर थाम रखी थी कही वो झटका ना मार दे। मैंने साहिल का लण्ड बाहर निकाल दिया और करवट ले कर लेट गई। कमला ने उसका लण्ड हाथ में भरा और जोर से रगड़ कर मुठ मारा और ‘ओ मां की चुदी… मैं मर गया… हाय निकाल दिया रे भोसड़ी की…’ और पिचकारी छोड़ दी…

‘देख इस मां के लौड़े को… पिचकारी देख…’ मैंने अपना मुख दोनों हाथो से छुपा लिया। वो झड़ता रहा… और एक तरफ़ बैठ गया।
मैंने जल्दी से पेटीकोट उठाया… पर कमला ने छीन लिया…

‘अभी और चुद ले… अपने पिया तो परदेस में है… सैंया से ठुकवा ले… अभी उनके आने में बहुत महीने हैं…’
‘मांऽऽऽ… तुम बहुत… बहुत… बहुत अच्छी हो’… प्यार से मैं मां के गले लग गई।

मन में आया कि पिया भले ही परदेस में हो… हम माँ बेटी तो साहिल के जिस्म से अपनी चूत की आग तो शांत ही कर सकती है ना…
साहिल एक बार और मेरे पर चढ़ गया… मैंने भी अपने पांव चौड़ा दिये… उसका कठोर लण्ड एक बार फिर से मेरी नरम नरम चूत को चोदने लग गया, लगा मेरी महीनों की प्यास बुझा देगा।

‘बेटी मैं तो जवानी से ही ऐसे काम चला रही हूँ… खाड़ी के देश गये हैं… इस खड्डे को तो फिर पड़ोसी ही चोदेंगे ना…’
‘मां अब चुप हो जा… चुदने दे ना…’ मुझे उनका बोलना अच्छा नहीं लग रहा था… रफ़्तार तेज हो उठी थी… सिसकियों से कमरा गूंज उठा… Antarvasna

प्रेषक :विनोद यादव Sex Stories

हाय मेरा नाम करण है. मैं कोटा राजस्थान Sex Stories का निवासी हूँ.
मैं आपके लिए एक नयी स्टोरी लेकर आया हूँ तो चलिए ज्यादा समय न ख़राब करते हुए कहानी पर आ जाते हैं.
यह मेरी सच्ची कहानी है.

कुछ दिनों पहले में एक महिला से मिला. उसका नाम जानवी था.
वह हमारे ऑफिस की की नयी बॉस थी और मैं उस ऑफिस में छोटा सा क्लर्क था.

जानवी काफी सुंदर नारी थी उसकी उम्र यही कोई 26 साल के लगभग होगी. उसका रंग दूध की तरह सफ़ेद था सही मायने में वह एक सुंदर हुस्न की मालकिन थी.

शुरू से ही वह मेरे काम से काफी इम्प्रेस थी और सारे ऑफिस के सामने मेरी काफी तारीफ की.
तो मैं मन ही मन सोचने लगा कि वह मुझे चाहने लगी है.

और मैं घर लौटा तो मेरी माँ की तबियत बेहद ख़राब थी.
तो मैंने ऑफिस से चार दिन की छुट्टी करने की सोच ली.

पर मैंने ऑफिस में छुट्टी की भी सूचना नहीं दी यह सोचा की जानवी मुझे कुछ नहीं बोलेगी और मुझ पर हमदर्दी जताएगी.
पर चार दिन बाद जब मैं ऑफिस पंहुचा तो मैं बस छूट जाने के कारण लेट हो गया था.

जब मैं ऑफिस पंहुचा तो ऑफिस का चपरासी मुझसे बोला- मैडम ने आपको उनके रूम में बुलाया है.

मैं टाई ठीक करता हुआ पंहुचा.
तो वह मुझे देख कर चिल्लाने लगी- रूल्स भी कुछ चीज होती है न!

मैंने माँ की तबियत ख़राब होने का एक्स्क्युज दिया तो वह बोली- तुम्हें एक ऍप्लिकेशन तो देनी चाहिए थी.
और वह मुझसे बोली कि अगली बार ऐसा नहीं होना चाहिए.
तो मैं सॉरी मैडम कह कर यह बोला- मैडम, अगली बार ऐसा नहीं होगा.

जब शाम को मैं घर जाने के लिए जब बस में बैठा और उससे बोला भी नहीं.
तभी मेरा ध्यान गया कि वह आज अपने स्टाप पर उतरी नहीं.

वह आज मेरे स्टाप पर उतरी और मुझसे आज ऑफिस में जो हुआ उसके लिए माफ़ी मांगने लगी.
और कहने लगी- अगर मैं तुम्हें नहीं डांटती तो ऑफिस के सभी लोगों को मुझ पर शक हो जाता.
तो यह सुनकर मैंने उसे माफ़ कर दिया.

फिर वो मेरे साथ चल पड़ी.

तभी उसने एक केले वाले से केले लिए और मेरे साथ वापस चल पड़ी.
मैंने उससे पूछा- यहाँ पर तुम्हारा भी कोई मिलने वाला रहता है क्या?
वो बोली- हाँ एक पागल सा लेकिन बड़ा प्यारा लड़का है. उसकी माँ की तबियत खराब है.

मैं उससे बातें कर रहा था, तभी मेरा घर आ गया तो मैं बोला- यह मुझ गरीब की कुटिया है. तुम्हें आगे जाना है क्या? यह गली काफी लम्बी है. मैं तुम्हें उस घर तक छोड़ आता हूँ जहाँ तुम्हें जाना है.
वह बोली- अरे बुद्धू … इतना भी नहीं समझे कि मैं तुम्हारे घर ही आई हूँ तुम्हारी माँ की तबियत पूछने!

मेरी माँ और बहन ने उसे बड़े सत्कार के साथ घर में बुलाया और उसे चाय और बिस्किट खिलाये.
फिर वो मेरी माँ से बात करते हुए बोली- मां जी, आज करण को काम से बाहर जाना पड़ेगा.
तो मेरी आई बोली- ठीक है बेटी, इस काम के वजह से तो मेरा घर चलता है.

वो साथ ही यह भी बोली- करण की कल ऑफिस से छुट्टी रहेगी.
तभी मैं सोचने लगा कि ऐसा कौन सा काम है जिसका जिक्र मैडम ने ऑफिस में नहीं किया.

तभी वह मुझसे उसके साथ चलने को बोली.

वह अचानक मुझे अपने घर ले गयी- तुम्हें कहीं काम से बाहर नहीं जाना है तुम्हें केवल आज रात मुझे खुश करना है.

यह सुनकर मैं मन ही मन बहुत खुश हुआ और अंदर जाते ही मैं उसे चूमने लगा.
तो वह बोली- इतनी जल्दी भी क्या है कुछ देर रुको!
और वो दौड़ कर दूसरे कमरे में चली गयी.

तभी उसके कमरे में रखा मोबाइल बजा.

मैंने फ़ोन उठाया तो एक धीरे से आवाज आयीं- क्या कर रहे हो?
मैं बोला- कुछ नहीं.
मैंने पूछा- आप कौन हैं?
तो वह बोली- मैं तुम्हारी मैडम जानवी हूँ. मैं अंदर के फ़ोन से बोल रही हूँ.

और वह कहने लगी- अब हम कुछ देर ऐसे ही बात करेंगे.
मैंने कह दिया- ठीक है.

तो वह अचानक मुझे बोली- तुम अपने कपड़े उतारो और मैं भी उतारती हूँ.

मैंने अपने कपड़े उतारे और बोला- अब बोलो? मैंने कपड़े उतार दिए हैं.
वह बोली- कि सामने ड्रोर में एक स्प्रे पड़ा है उसे अपने लंड पर लगा लो.

मैंने जैसे ही उसे अपने लंड पर लगाया, मुझे अपने लंड पर ठंडक का अहसास हुआ और मेरा लंड लोहे कि तरह कड़क हो गया.

फिर वह फ़ोन पर मुझसे बोली- अब उस अलमारी में जो तुम्हारे पीछे है उसमें एक पट्टा पड़ा है, उसे गले में बांध लो.
मैं बोला- क्यूँ?
तो वो बोली- सवाल मत करो. मैं जैसा बोलती हूँ वैसा करो.

और मैंने वह पट्टा अपने गले में बांध लिया.
वह बोली- अब तुम मेरे पास आओ और मेरे साथ सेक्स करो.

मैं जैसे ही उसके पास जाने के लिए उठा तो वह बोली- ऐसे नहीं … जैसे कि एक कुत्ता चलता है, वैसे अपने हाथ और पैरों पर चलकर आओ.

मैं जैसे ही कमरे में घुसा तो मैं देख कर दंग रह गया.
मैडम बिलकुल निर्वस्त्र थी और उनके साथ चार और आदमी थे … वो भी बिना कपड़ों के … और सबने मेरी तरह गले में पट्टे पहन रखे थे.

और मैडम ने भी एक पट्टा पहन रखा था.
मैडम के पट्टे में हीरे लगे हुए थे. मैंने पहुँचते ही देखा कि मैडम चार लोगों के साथ सेक्स का मजा ले रही थी. एक उन्हें लंड चुसा रहा था, दूसरा उनके स्तनों से स्तनपान कर रहा था. तीसरा उनकी गांड और चौथा उनकी चूत में लंड डाले हुए था.

मैं देखकर दंग रह गया.

वो मुझे देख कर मुख से लंड निकालते हुए बोली- आओ करण, ये मेरी कुत्ता गैंग है. मैं इस गैंग की प्रधान और सेक्सी कुतिया हूँ. आज से तुम भी इस गैंग के भी सदस्य हो. कल से तुम पांचो मुझे सेक्स का मजा एक साथ देना.

फिर वह उन चारों आदमियों से कु कु कु कु करके बाहर जाने को कहने लगी.
और वो भी इसका जवाब भों भों भों भों करके बाहर चले गए.

फिर वह मुझसे बोली- तुम भी कल से कुत्तों की तरह बात करना.
इतना कह कर उसने मेरा लंड मुह में डाला और चूसने लगी.

फिर मेरा सर पकड़ कर अपनी चूत पर रख दिया और मैं उसकी चूत चाट रहा था.
तो वह कूं कूं कूं कूं की आवाज के साथ मेरा साथ देने लगी.

उसके बाद मेरे सामने कुतिया की तरह खड़ी होकर बोली- जैसे एक कुत्ता कुतिया को चोदता है, वैसे ही तुम मुझे चोदो.
फिर मैंने कुत्ते की तरह ही उसे रात भर में चार बार चोदा.

अगले दिन से हम सब कुत्ता गैंग के सदस्य उस प्रधान कुतिया (मेरी बॉस) की रोज चुदाई करते हैं.
अब मुझे इस तरह की चुदाई में बहुत मजा आता है.

कुछ दिनों बाद मेरी शादी है और मैं मेरी पत्नी की भी एक कुतिया की तरह चुदाई करूँगा. Sex Stories

Antarvasna

प्रेषक : राकेश
अभी तक आपने पहले भागों में पढ़ा Antarvasna कि प्रिया की मैंने पहली बार कैसे चुदाई की थी। वो पूरी तरह से संतुष्ट होकर मेरे घर से गयी थी। अब आगे की कहानी और जानें कि आगे की चुदाई कैसे हुई।

मैंने अपने आप को प्रिया की दोनों टांगों के बीच फ़िक्स कर लिया और उसकी दोनों टांगों को और फ़ैलाकर उसकी चूत को और चौड़ा कर दिया मुझे उसकी चूत का छेद साफ़ इतना बड़ा दिख रहा था कि उसमे में अपने थम्ब को सीधा डाल सकता था।

पर मैंने बिना टाइम गंवाये किये अपने लंड को सीधा उसकी चूत के छेद में झोंक दिया और मेरा लंड प्रिया की चूत में आधा धंस गया।
ये शायद ऐसा मौका था जब चुदाई में मुझे इतनी आसानी लंड डालने का मौका मिला हो।
मैंने एक और जोर का धक्का लगाया तो मेरा पूरा लंड प्रिया की चूत में ठुक गया।

आज उसकी चूत पहले ही गीली हो रखी थी इसलिये अब मैं अपने लंड को ऊपर नीचे रगड़ने लगा तो प्रिया की चूत में सरसराहट होने लगी।

प्रिया ने भी नीचे से हमला कर दिया और अपनी गांड का एरिया ऊपर को उठा कर खुद भी चुदायी करवाने के लिये मुझे इनवाईट करने लगी।

आज मुझे और प्रिया को चुदायी में दर्द नहीं हो रहा था और दोनों ही मस्त थे वह आज बड़ी मस्ती में लग रही थी।

मैंने प्रिया की चूत में ऊपर नीचे रगड़म परेड शुरु कर दी और प्रिया भी अपनी चुदायी करवाने लगी।

धीरे धीरे मेरी स्पीड बढ़ गयी तो गन्ने के खेत में जैसे तूफ़ान सा आ गया। मैंने चुदायी के साथ साथ प्रिया के पूरे बदन को चूमना, चाटना, मसलना और रगड़ना भी चालू रखा था।

मेरा ऐसा करने पर प्रिया भी जवाब दे रही थी बस जवाब के लिये उसके पास लंड नहीं था नहीं तो वह भी पूरे जोर से हमारी चुदायी की गाड़ी को धकेल रही थी।

मैं पहले की तरह बेड पर लेट गया और प्रिया मेरे ऊपर आ गयी। मुझे तो इससे बड़ा फ़ायदा हुआ, मैं पूरी ताकत से चोदने के चक्कर में अपनी काफ़ी एनर्जी वास्ट कर चुका था और इस पोसिशन में मुझे प्रिया की दुबारा चुदायी के लिये रिचार्ज होने का मौका मिल गया।
प्रिया ने अब ऊपर से धक्का लगाना शुरु कर दिया और मैं आराम से उसके चूचियों और निप्पलों को मसलने लगा।
पर उसके बूब्स ही मेरे हाथों के में टार्गेट थे, जब मुझे ज्यादा मज़ा आता तो मैं उसके चूतड़ पर जोर जोर से स्लाप कर देता जिससे प्रिया और मुझे दोनों को मज़ा आता।

मैं जैसे ही प्रिया की गांड के आस पास स्लाप करता प्रिया और जोर से अपनी चूत को मेरे लंड की तरफ़ उठा देती और दोनों का मज़ा दोगुना हो जाता।

अचानक प्रिया बोली- राजु, अब जल्दी करो मैं गीली हो गयी हूं.
तो मैंने प्रिया को फ़िर पहले वाली पोसिशन में करके अपने आप को उसके ऊपर ले आया।

अब मैंने ऊपर से अपनी स्पीड बड़ाकर प्रिया की चूत को अपने लंड से पूरी ताकत के साथ ठोंकना शुरु कर दिया।

प्रिया अब जोर जोर से आवाजें निकाल रही थी पर अब वह पहले की तरह खुश नज़र नहीं आ रही थी पर उसकी आहें मुझे और उत्तेजित कर रही थी और मैंने और जोर से उसकी चुदाई करने लगा।

मुझे प्रिया की चीख में एक अलग ही मज़े का आने लगा और में और जोर से उसकी चूत को अपने लंड से ठोंक रहा था।

करीब 2-3 मिनट बाद ही मेरी भी हालत कुछ ढीली होने लगी और में थकने लगा तो मैंने स्पीड थोड़ा कम कर दी तो प्रिया भी थोड़ा रिलेक्स लगने लगी।

अचानक मुझे ऐसा लगने लगा कि मेरे लंड के जड़ से अंदर नसों में पानी निकलने को बेताब है मैं समझ गया कि अब मेरा भी झड़ने वाला है प्रिया तो शायद पहले ही झड़ चुकी थी।

मैंने प्रिया की चूत में अपना पूरा लंड अंदर तक ठोंक कर अपने को रोक दिया। और मेरे लंड के अंदर से सारा क्रीम धीरे धीरे होता हुआ प्रिया की चूत में जाता सा लगने लगा।

उधर प्रिया भी शायद अपनी चूत में मेरे लंड का क्रीम फ़ील कर रही थी वह हलकी सी आहें भरते हुए रिलेक्स और खुश नज़र आ रही थी। कुछ पलों के बाद मेरे लंड का सारा क्रीम प्रिया की चूत की गेहराई में कहीं गुम हो गया।

मैं एकदम सुस्त हो गया था ऐसा लग रहा था जैसे किसी लम्बी रेस दौड़ी हो और मेरा लंड भी एकदम सिकुड़ गया था में इतना सुस्त हो गया कि वैसे हो प्रिया के ऊपर लेट गया और प्रिया ने भी कोई जावब नहीं दिया और हम दोनों ऐसे ही लेटे रहे मतलब प्रिया नीचे बेड पर लेटी हुई थी और मेरा लंड उसकी चूत के अंदर ही था।

5 मिनट बाद ही अलग हुए और बाथरूम जाकर पहले साफ़ किया और अपने अपने कपड़े पहन लिये।

इसके बाद प्रिया ने अपनी साड़ी और पेटीकोट ठीक किया और फ़िर हम दोनों बेडरूम से दुबारा कम्प्यूटर टेबल पर आ गये।

इस समय करीब 10:50 का टाइम हुआ था में बोला चलो चाय पीते हैं तभी अनिल का भी फोन आया कि वह 5 मिनट में पहुंच रहा है।

फ़िर 5 मिनट में चाय भी तैयार हो गयी और फ़िर तीनो ने चाय पी, आज अनिल ने ड्रिंक भी नहीं किया था शायद उसे मौका नहीं मिला पर मैं प्रिया को देखकर उसके बारे में सोचने लगा और शायद अनिल के इरादे ही आज कुछ वैसे ही थे।

मैं प्रिया को देख रहा था पर प्रिया शायद हम दोनों का मतलब समझ गयी थी पर दोनों को ही कुछ बताना नहीं चाहती थी। Antarvasna

Hindi Sex Stories

हैलो दोस्तो, मैं सोनू एक बार फिर Hindi Sex Stories आपके लिये एक नई कहानी लेकर आया हूँ। मेरी पिछली कहानियाँ

स्कूल में मस्ती

आपने पढ़ी और उनके बारे में मुझे मेल किये, इसके लिये आपका धन्यवाद। इस बार में स्कूल के बाहर की कहानी बताने वाला हूँ।

काव्या और अंजलि को चोदने के एक साल बाद मैंने वो स्कूल छोड़ दिया और नई नौकरी की तलाश करने लगा।

इसी चक्कर में मैं एक बार इन्टरव्यू देने दिल्ली गया। मैंने दिल्ली जाकर अपना इन्टरव्यू दिया और उन्होंने मुझे अगले दिन आने को कहा। मैं रात को किसी होटल में रूकने की सोच रहा था, तभी मेरे चाचाजी का फोन आया और उन्होंने मुझे रति के यहाँ रूकने को बोला और कहा कि मैंने उससे बात कर ली है और उसे कोई दिक्कत नहीं है।

रति मेरे चाचा जी की साली थी। मैं रति से केवल एक बार चाचाजी की शादी में ही मिला था, तब उसकी उम्र लगभग १९ साल थी और उसका रंग साँवला था, देखने में भी वो ज्यादा सुन्दर नहीं थी। रति ने एम.बी.ए. कर रखा था और दिल्ली में ही जॉब करती थी, वो दिल्ली में अकेली ही रहती थी और उसने वहाँ पर एक फ़्लैट किराये पर ले रखा था।

मैंने चाचाजी से रति के घर का पता व टेलिफोन नम्बर लिये और उसे फोन किया तो उसने बताया कि वो अभी ऑफिस में है और वो करीब शाम को ८ बजे घर आयेगी, तुम चाहो तो ऑफिस आकर घर की चाबी ले जा सकते हो।

उस वक्त ४ बज रहे थे और मैं दिल्ली में किसी को जानता भी नहीं था, इसलिये मैंने उससे ऑफिस का पता लिया और उसके ऑफिस चला गया। ऑफिस पहुँच कर मैंने रति को फोन किया तो वो ऑफिस के बाहर ही आ गई। मैंने रति को देखा तो देखता ही रह गया, ४ सालो में रति बहुत ही बदल गई थी, एकदम साफ रंग, कमर तक लम्बे बाल, बड़े बड़े स्तन ! एक बार तो मैंने उसको पहचाना भी नही। मेरा लंड पैन्ट के अन्दर ही हलचल करने लगा। उससे हाय हैलो की और घर की चाबी लेकर मैं उसके घर चला आया।

उसका फ़्लैट डबल बेडरूम और काफी बड़ा था। मैं पहले तो नहाकर फ्रेश हुआ और फिर टी.वी. देखने लगा, लेकिन मेरे मन में बार बार रति का ही ख्याल आ रहा था और मैं उसको चोदने के ख्वाब देखने लगा। मेरा लंड काफी तन गया था और पैन्ट फाड़ने पर उतारू हो गया था। मैंने सोचा मुठ मारकर अपनी आग शांत कर लेता हूँ और मैं बाथरूम में चला गया और मुठ मारने लगा।

तभी मेरी नजर गेट के पीछे वाले हुक पर गई, वहाँ पर रति की ब्रा और पैन्टी लटकी हुई थी, मैंने उसकी ब्रा और पैन्टी को उठाया और चूमने लगा, रति की ब्रा और पैन्टी में से मदहोश कर देने वाली खुशबू आ रही थी। मैंने ब्रा और पैन्टी को चूमते हुए अपनी आग शांत की और फिर बाहर आकर फिर से टी.वी. देखने लगा, उस वक्त शाम के ६ बजे थे और रति को आने में अभी भी २ घंटे बाकी थे।

टी.वी. देखने में मेरा मन नहीं लग रहा था, इसलिये मैं गेट को लॉक करके बाहर घूमने निकल आया। थोड़ी देर सड़क पर इधर उधर घूमने के बाद मेरी नजर एक बार पर गई। मैं बार में चला गया और धीरे धीरे ड्रिंक लेने लगा, दो तीन ड्रिंक लेने के बाद मेरी नजर घड़ी पर पड़ी, शाम के ७.४५ हो गये थे, मैंने जल्दी से पेमेंट किया और बाहर निकल आया। बाहर आकर मैंने माउथ फ्रेशनर खाया और घर की तरफ चल दिया, घर जाकर देखा कि रति मेरा इंतजार कर रही थी। उसने मुझसे पूछा कि कहाँ गये थे, तो मैंने कहा कि यहीं थोड़ी दूर घूमने गया था।

थोड़ी देर बाते करने के बाद रति फ्रेश होने चली गई। नहाने के बाद वो और भी खूबसूरत दिख रही थी। उसके भीगे हुए कमर तक लम्बे बालों से वो और भी ज्यादा आकर्षक लग रही थी। उसने लाल रंग का लोवर व हल्के आसमानी रंग की टी-शर्ट पहन रखी थी। फिर वो खाने की तैयारी करने लगी और मैं भी खाना बनाने में उसकी मदद करने के बहाने उसके शरीर को छूने की कोशिश करने लगा।

खाना खाने के बाद हम बाते करने लगे, तब रति ने कहा- क्या तुम ड्रिंक करते हो?

मैंने कहा- क्यों?

तो उसने कहा- तुम्हारे मुँह से बदबू बा रही है।

तो मैंने कहा- कभी कभी, लेकिन प्लीज तुम चाचाजी को मत बताना !

तो उसने कहा- ठीक है, नहीं बताऊंगी।

बाते करते करते १० बज गये थे तो हम सोने चले गये। वो दूसरे कमरे में थी और मैं दूसरे कमरे में, लेकिन मेरे उपर शराब का पूरा सरूर चढ़ चुका था और मेरे दिमाग में रति को चोदने के ही ख्याल आ जा रहे थे, नींद मेरे आँखो से कोसों दूर थी।

रात करीब १२ बजे मैं हिम्मत करके उठा और रति के कमरे में चला गया, रति गहरी नींद में सो रही थी और उसने दूसरी तरफ मुंह कर रखा था। मैं रति के पीछे जा कर लेट गया, रति के शरीर से मदहोश कर देने वाली खुशबू आ रही थी। थोड़ी देर ऐसे ही लेटे रहने के बाद मैंने अपना एक पांव उसके पांवो पर रख दिया और रगड़ने लगा, फिर एक हाथ उसकी कमर पर रख दिया और कमर सहलाने लगा।

थोड़ी देर ऐसे ही सहलाने के बाद रति ने अचानक करवट बदली तो मैं घबराकर पीछे हट गया, लेकिन रति ने कोई प्रतिक्रिया नहीं की, वो नींद में ही थी। फिर मैं हिम्मत करके उसके पास सरक गया और अपना हाथ उसके उरोज पर रख दिया, उसने अन्दर ब्रा नहीं पहन रखी थी। मैं धीरे धीरे रति के उरोज दबाने लगा और दूसरा हाथ उसकी चूत पर रख कर सहलाने लगा। फिर हाथ को उसके पजामे में डाल कर उसकी चूत को मसलने लगा, इतने में रति हल्की हल्की सिसकियाँ भरने लगी, मुझे पता चल गया कि रति सो नहीं रही थी, वो सोने का नाटक कर रही थी।

इससे मेरी हिम्मत और बढ़ गई, मैंने रति से कहा- जब तुम जाग रही हो तो ये सोने का नाटक क्यों कर रही हो? क्यों नहीं तुम इस खेल का पूरा आनन्द उठाती?

तो रति ने कहा- मैं देखना चाहती थी कि तुम क्या क्या करते हो।

मैंने कहा- यह तो तुम जाग कर भी देख सकती हो, लो मैं तुम्हे बताता हूँ कि मैं क्या करता हूं। इतना कह कर मैंने रति की टीशर्ट खोल दी और उसके उरोजो को जोर जोर से मसलने लगा और रति के होठों से अपने होठ सटा दिये और किस करने लगा। हम अपनी जीभ एक दूसरे के मुंह में डाल कर चूस रहे थे। थोड़ी देर बाद मैंने उसके एक उरोज को अपने मुंह में ले लिया और चूसने लगा, बीच बीच में उसके गुलाबी रंग के चूचुक को काटता भी जा रहा था, जिससे कि रति की उत्तेजना और बढ़ जाये।

फिर मैंने उसके पाजामे को भी खोल दिया, रति की चूत काफी सुन्दर थी, मैं रति की चूत को मसलने लगा, थोड़ी देर बाद मैंने अपनी एक अंगुली रति की चूत में डाल दी, उसकी चूत काफी टाईट थी। मैं अंगुली को धीरे धीरे अन्दर-बाहर करने लगा, इससे रति को मजा आने लगा क्योंकि वो कामुक सिसकारियां लेने लगी थी।

फिर मैंने अपने सारे कपड़े उतार दिये और अपना लंड रति को पकड़ा दिया, वो मेरे लंड को धीरे धीरे सहलाने लगी। फिर मैंने उसको मेरे लंड को मुंह में लेने को कहा तो थोड़ी ना नुकर करने के बाद उसने लंड को अपने मुँह में ले लिया, और उसको धीरे धीरे चूसने लगी। मैं उसके मुंह को पकड़ कर लंड को अन्दर-बाहर करने लगा। फिर हम दोनों ६९ की पोजिशन में आ गये, मैं रति की चूत को अपनी जीभ से कुरेदने लगा और वो मेरे लंड को अपने मुंह में ले कर चाटने लगी।

थोड़ी देर ऐसे ही करने के बाद मैंने रति को सीधा लिटा दिया और उसकी टांगो को ऊपर उठा कर अपना लंड उसकी चूत से सटा दिया, फिर एक जोर से धक्का मार कर लंड को आधा अन्दर सरका दिया। रति इस धक्के को सहन नहीं कर पाई और चीखने लगी, अगर मैंने उसको जोर से पकड़ा नहीं होता तो मेरा लंड उसकी चूत से बाहर निकल आता।

उसके बाद मैं उसको सहलाने लगा, उसके शरीर को चूमने लगा, इससे उसका दर्द कुछ कम हुआ और वो भी नीचे से कमर उचकाने लगी। थोड़ी देर बाद मैंने एक और जोरदार धक्के से अपना पूरा लंड उसकी चूत में डाल दिया, रति के मुंह से चीख निकल गई, लेकिन मैं अब रूका नहीं और जोर जोर से धक्के मारने लगा।

थोड़ी देर में रति भी मेरा साथ देने लगी और अपने नितम्ब को उछालने लगी। वो उत्तेजना में बड़बड़ाये जा रही थी, और जोरररररररररररर सेएएएएएएएएए हां ऐसे हीहीहीहीहीहीही औरररररररररररर जोर से चोदोओओओओ बहुत मजाआआआआ आ रहा है, फाड दो मेरीइइइइइइइ चूत को आजजजजज, और जोर से चोदो।

करीब १५ मिनट तक चोदने के बाद रति और मेरा पानी एक साथ छुटा। मैं रति के उपर ही पड़ गया, कुछ देर ऐसे ही रहने के बाद मैं उठ गया और देखा कि रति की चूत से हम दोनों के वीर्य के साथ खून भी निकल रहा था, रति इसको देखकर घबरा गई, तो मैंने उसे समझाया कि पहली बार ऐसा होता है अब आगे नहीं होगा। फिर हम दोनो सो गये और अगले दिन से रति ने ३ दिन की ऑफिस से छुटी ले ली। हम दोनों ने तीनों दिन खूब सेक्स का आनन्द उठाया।

आपको मेरी नई कहानी कैसी लगी, प्लीज मुझे मेल करें। Hindi Sex Stories

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