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मेरा नाम अंजना वर्मा है! मैं दिल्ली Antarvasna की रहने वाली हूँ और मैं ग्यारहवीं कक्षा की छात्रा हूँ! मेरी उम्र १८ साल है। मेरे पापा और मम्मी दोनों ही नौकरी करते हैं, एक बहु-राष्ट्रीय कंपनी में बहुत ऊँचे पद पर हैं! पर उनके पास मेरे लिए बिलकुल भी समय नहीं है! क्योंकि शायद मैं गोद ली हुई हूँ इसलिए !
और बाद में उन को एक लड़का हो गया, इसलिए अब वो मुझे बोझ समझते हैं! उन्हें कोई फर्क नहीं पड़ता, मैं घर आऊँ या ना आऊँ. . . . बस समाज को दिखाने के लिए मुझे रखना मजबूरी है उनकी !
खैर अब मैं भी सब समझती हूँ और उनकी परवाह नहीं करती ! अब मैं भी जिन्दगी के मज़े लेती हूँ!
मेरा कद ५ फीट ३ इंच, मेरा फिगर बड़ा ही सेक्सी है! गोल और कसी हुई चूचियाँ जो ज्यादा बड़ी नहीं पर मस्त दिखती हैं ! चूत मैं हमेशा साफ़ ही रखती हूँ! क्या पता कहाँ कोई लण्ड मिल जाये….. रंग मेरा ऐसा जैसे कि दूध में गुलाब डाल दिया हो! मैं भी एकदम बिंदास रहती हूँ!
मेरा २-३ लड़कों से शारीरिक रिश्ता भी रह चुका है जो मेरी माँ की रिश्ते में ही हैं.. शायद कम उम्र में ही सेक्स करने से अब मुझे लण्ड बहुत अच्छे लगने लगे हैं! लण्ड के बारे में सोचते ही मेरी चूत में पानी आने लगता है!
अब मैं अपनी कहानी बताती हूँ! मैं रोज सुबह बस से स्कूल जाती थी और शाम को वापिस आती थी! कई बार शाम को थोड़ा लेट हो जाती थी! क्योंकि मेरा घर पर मन ही नहीं लगता था! आप तो जानते ही हैं कि दिल्ली की बसों में कितनी भीड़ रहती है! पर मैं पहले स्टाप से ही बैठती हूँ सो सीट मिल जाती है!
यह एक साल पहले की बात है, ऐसे ही एक दिन मैं बस में जा रही थी! बस में बहुत भीड़ थी! मेरे पास ही एक बड़ी उम्र का आदमी धोती कुर्ता पहने खड़ा था! कद करीब ५ फीट १० इंच होगा! रंग थोड़ा सावंला पर था हट्टा कट्टा ! बड़ी रौबदार मूछें !
मैंने सामने वाली सीट को हाथ से पकड़ा था इसलिए शायद गलती से मेरा हाथ उसके लण्ड से लग गया था, मुझे अच्छा लगा। बस फिर मेरा तो पूरा ध्यान ही वहीं अटक गया! वो बेचारा पीछे हटने की कोशिश करता हर बार! मुझे मज़ा आने लगा, और थोड़ी हंसी भी आ रही थी! मैं अब मज़े लेने के मूड में आ गई थी!
मैंने पूरी बस में देखा- आस पास सभी औरतें ही थी, बहुत भीड़ थी, शायद सभी के पास आज सामान कुछ ज्यादा ही था! मेरे बाजू वाली सीट पर एक लड़की बहुत सारा सामान ले कर बैठी थी!
मैंने अपना बैग अपनी टांगों पे रख लिया! अ़ब मैं आगे झुक के सोने का नाटक करने लगी और हाथ को आगे वाली सीट के पाइप पे रख के जरा बाहर निकाल लिया, पर वो थोड़ा पीछे हो गया! पर झटकों से कभी कभी उसका लण्ड मेरी उंगलियों से छू जाता था!
अब मुझे मज़ा आने लगा.. मेरी चूत में खुजली होने लगी थी! मैंने नीचे ही नीचे अपनी शर्ट के ऊपर के बटन खोल लिए ओर पीछे हो कर बैठ गई!
अब ऊपर से मेरी सफ़ेद ब्रा और गोल गोल चूचियां साफ़ दिख रही थी! मैंने अपने बैग को पेट से चिपका लिया ताकि मेरी चूचियां थोड़ी और ऊपर उठ जाएँ और बाहर ज्यादा नज़ारा दिख सके.. मैं नोट कर रही थी कि वो आदमी मुझे देख रहा है पर जब भी मैं ऊपर देखती हूँ तो वो नज़रें घूमा लेता है! शायद उसे अपनी बड़ी उम्र का अहसाह था!
पर मुझे तो मस्ती सूझ रही थी! मुझे और शरारत सूझी और मैं बाहर स्टैंड देखने के लिए थोड़ा उठी और चुपके से साइड से अपनी स्कर्ट सीट के पीछे अटका दी और बैठ गई! जैसे ही मैं बैठी, मेरी स्कर्ट ऊपर उठ गई और मेरी पैंटी दिखने लगी, जो कि बहुत पतली थी! पैंटी में से मेरे चूत के होंट साफ़ दिखाई देते थे!
मैं झट से दोबारा उठी और स्कर्ट ठीक कर के बैठ गई, जैसे गलती से स्कर्ट अटक गई हो.. पर जो मैं दिखाना चाहती थी, वो उस आदमी ने देख लिया था!
मैंने उपर देखा और हल्के से मुस्करा दी! मैंने महसूस किया कि उस आदमी का लण्ड टाइट होने लगा था। वो अब भी कुछ शरमा रहा था पर मैंने हाथ को सामने वाली सीट पे ही लगा के रखा था! जब भी कोई उतरता था तो उसे आगे होना पड़ता था ओर मेरा हाथ उसके लण्ड से छू जाता था!
तभी बस में और भीड़ चढ़ गई! अब तो बस खचखच भरी थी! तभी मैंने देखा के पास में एक औरत सामान के साथ खड़ी थी! मुझे एक आइडिया आया और मैंने उसे अपनी सीट दे दी! अब मैं उस आदमी के सामने खड़ी हो गई! मेरी सीट पे वो औरत बैठ गई, उसकी गोद में सामान था और उसने मेरा बैग भी अपनी गोद में रख लिया था! बस फिर चल पड़ी!
अब मेरा ध्यान उस आदमी के लण्ड पे था! मुझे उस आदमी का लण्ड अपनी गांड के थोड़ा ऊपर महसूस हो रहा था! मैंने एड़ियों को थोड़ा ऊपर उठा लिया ताकि लण्ड मेरी गांड की दरार में लग जाये! वाह… क्या लण्ड था उसका!
मैं उसके लण्ड का जायजा लेने लगी..जिससे मेरी चूत में पानी आने लगा था! पर वो आदमी कोई हरकत नहीं कर रहा था! अब मुझे उस पे गुस्सा आ रहा था! अ़ब मैं काफी गरम हो चुकी थी!
तब मैंने थोड़ी हिम्मत करके हाथ धीरे से पीछे ले जाकर उसके लण्ड को छुआ! मैं उसे सहलाने लगी जिससे वो और कड़क हो गया! मुझे मज़ा आने लगा। मैं उसके लण्ड को हल्के- हल्के से सहला रही थी, पर तभी उसने मेरा हाथ अपने लण्ड से हटा दिया! मैंने पीछे मुड़ के देखा, वो चुपचाप था पर आगे की ओर आ गया था! अब वो अपना लण्ड मेरी गांड की दरार में दबा रहा था! मुझे खुशी हुई कि वो अब मेरा साथ दे रहा था!
मेरी स्कर्ट में साइड में चैन थी! सो मैंने धीरे धीरे स्कर्ट घुमाना शुरु कर दिया! मैं साथ साथ बस में भी नज़र मार रही थी कि कोई देख तो नहीं रहा है! पर शायद भीड़ होने की वज़ह से कोई नहीं देख पा रहा था!
अब मेरी स्कर्ट की जिप पीछे थी जो मैं पहले ही खोल चुकी थी! उसका लण्ड अ़ब मैं और अच्छे से महसूस कर सकती थी! कुछ देर ऐसे ही चलता रहा, हर झटके के साथ वो अपने लण्ड का दबाव और बढ़ा देता! मुझे मज़ा आ रहा था! मैंने पीछे मुड़ के देखा पर वो ऐसे देख रहा था जैसे कुछ हो ही नहीं रहा था!
मैं अ़ब और आगे बढ़ना चाहती थी, इसलिए अ़ब मैंने पीछे हाथ कर के उसकी धोती में हाथ डाल दिया और उसके लण्ड को बाहर निकालना चाहा पर उसने मेरा हाथ झटक दिया! मैंने उसकी ओर देखा, वो हल्के से मुस्कराया और उसने बस में होने का अहसास कराया!
मैंने धीरे से पीछे हट के उसके कान में कहा,”इतनी भीड़ में कोई नहीं देख रहा, अभी भीड़ कम नहीं होगी बल्कि और बढ़ेगी, मैं रोज़ इसी बस मैं जाती हूँ, तुम बस मज़ा लो !”
और मैं उसकी तरफ मुस्करा दी.. जवाब में उसने भी एक प्यारी से मुस्कराहट दी.. .
वो थोड़ा शरमाया और ऐसे ही लण्ड को दबाता रहा! मैंने सोचा- चलो कोई नहीं ! इतना मज़ा तो आ रहा है! पर थोड़ी देर बाद मैंने महसूस किया कि वो अपनी धोती में हाथ डाल रहा है! तभी मैंने अपनी पैंटी पे उसका लण्ड उठा हुआ महसूस किया! मैं फिर से ऊपर उठ गई ताकि लण्ड मेरी गांड की दरार में लग जाये! मैं बार बार ऊपर उठ रही थी, यह बात उसने भांप ली, सो उसने मेरी एड़ियों के नीचे अपने पैर लगा दिए, जिससे वो मेरे और पास आ गया और मैं ऊपर उठ गई!
मैंने आगे देखा तो मेरे सामने सामान ही सामान था, मैंने चुपके से अपनी स्कर्ट ऊपर उठानी शुरु कर दी पर एक लिमिट से ज्यादा नहीं उठा सकती थी, नहीं तो किसी को पता चल जाता! इसलिए स्कर्ट को वापिस नीचे ही कर दिया! पर मेरा मन तो पूरे मज़े लेने का था!
मैं थोड़ा आगे की तरफ हो गई ताकि उसके और मेरे बीच कुछ गैप बन जाए। मैंने अपनी टांगो को थोड़ा फैला लिया! अब मैंने पीछे हाथ ले जा कर उसके लण्ड को अपने स्कर्ट की जिप से दोनों टांगो के बीच में फंसा लिया! यार क्या गरम लण्ड था…….स्स्स्स्स्स्स्स्स्स……म्मम्मम………..
मैं उसका लण्ड अपनी दोनों टांगो पे महसूस कर रही थी! ऐसा लगता था कि मैं किसी बड़ी मोटी गरम रॉड पे बठी हूँ! मैंने अपनी गाण्ड थोड़ा पीछे धकेल दी और वो भी थोड़ा आगे आ गया! उसका लण्ड मेरी टांगों पे रगड़ता हुआ आगे आ गया! अब उसके लण्ड का आगे वाले हिस्से का उभार स्किर्ट पे आगे की साइड दिख रहा था, इसलिए मैं थोड़ा आगे झुक गई ताकि स्कर्ट ऊपर उठ जाये!
“म्मम्मम्म………
उसका गरम लण्ड मैंने टांगों के बीच दबा रखा था जो कि हर झटके में आगे पीछे हो रहा था! एक तरह से वो मेरी टांगों को चोद रहा था, मेरी पैंटी पूरी गीली हो चुकी थी! मेरा मन हो रहा था कि अपनी पैंटी को हाथ डाल के हटा दूँ ताकि उसके लण्ड की गर्मी अपनी चूत पर महसूस कर सकूँ! पर शायद बस में यह नहीं हो सकता था!
मैं पीछे मुड़ी और उसके कान में धीरे से कहा,” अपने हाथ से मेरी पैंटी साइड में कर दो प्लीज़…!” और वापिस आगे देखने लगी।
उसने अपना हाथ नीचे ले जाकर स्कर्ट की जिप से २ उँगलियाँ अंदर डाली ओर मेरी पैंटी को साइड में कर दिया!
मैं तो जैसे ……… अपने होश ही खो बैठी थी! उसका गरम लण्ड मेरी चूत पे लगा हुआ था। अब उसका लण्ड मेरी चूत पे रगड़ खा रहा था, शायद चूत के पानी की वज़ह से जो मेरी टांगों तक आ गया था, वो अ़ब आराम से आगे पीछे जा रहा था! मेरी आँखे बंद हो रही थी!
मेरा चेहरा लाल हो गया था पर मैं सामान्य दिखने की कोशिश कर रही थी! मैंने आस पास देखा पर कोई भी हमारी तरफ नहीं देख रहा था! बस के हर झटके के साथ वो मेरी टांगों में झटके मार रहा था! उसका गरम लण्ड जब भी आगे या पीछे होता मेरी चूत में आग बढ़ जाती!
तभी एक तेज़ झटका लगा और उसका लण्ड पीछे चला गया, आगे से मेरी पैंटी थोड़ा अपनी जगह पर वापिस आ गई! जब उसने लण्ड वापिस आगे किया तो वो मेरी पैंटी में चला गया म्म्म्म्म्म्म्म………………………………..
अब उसका लण्ड मेरी पैंटी में था और चूत के होठों के बीच में ….. ऊपर नीचे हो रहा था……….! मुझे और मज़ा आने लगा, … और मैंने एड़ियों को और ऊपर उठा लिया। शायद उसे भी मज़ा आ रहा था इसलिए उसने झटके बढ़ा दिए। तभी बस रेड लाइट पे रूक गई और झटके बंद हो गए! मैंने पेट के नीचे खुजली करने के बहाने से हाथ स्कर्ट पे ले जा के उसके लण्ड के सुपाड़े को मसलने लगी! मैंने पीछे मुड़ के देखा तो उसका पूरा चेहरा पसीने से गीला हो गया था!
तभी बस चल पड़ी पर मेरे मसलने से शायद वो झड़ने वाला था। अब मैं भी अपनी गाण्ड को हल्के हल्के ऊपर नीचे करने लगी! स्स्स्स्स्स्स्स्स्श्ह्ह्ह्ह्ह्ह्छ मज़ा बढ़ने लगा था… मेरी चूत में कैसे खलबली मच गई थी…… तभी मैंने एड़ियों को ऊपर उठा लिया और मेरा शरीर टाइट हो गया !
मैं …..में…….झड़ने वाली थी, और ….औ ..औम्मम्मम… औ..आह्ह्ह्छ ….. में उसके ऊपर झड़ गई और मेरा सारा जूस उसके लण्ड पे आ गया! और मैं ढीली होती चली गई! उसने भी एक दो झटके लगाये और सारा वीर्य मेरी पैंटी में छोड़ दिया, जिसे में अपनी जांघों तक महसूस कर रही थी!
२-३ मिनट तक हम ऐसे ही रहे और फ़िर वो अपना लण्ड बाहर निकलने लगा। मैंने अपना हाथ पीछे लगा लिया ताकि उसके वीर्य से मेरी स्कर्ट ख़राब न हो! सारा वीर्य मैंने अपने हाथ से पौंछ लिया और उसने अपना लण्ड वापिस अपनी धोती में कर लिया! तभी एक स्टाप आया और मैं उतर गई, पता चला कि ४ स्टाप आगे आ गई हूँ पर इस स्टाप पे ज्यादा लोग नहीं होते क्योंकि यह दिल्ली का बाहरी इलाका था,
और आज तो ये स्टाप बिल्कुल खाली था, पता नहीं क्यों… शायद हमारी किस्मत………
वो आदमी भी वहीं उतर गया! मैंने इधर उधर देखा, फिर उसकी तरफ देख के अपने हाथों को चूसने लगी चाट -चाट के सारा हाथ साफ़ कर लिया!
तब थोड़ी देर बात करने के बाद उसने बताया कि वो यहाँ से ८० किलोमीटर दूर गाँव में रहता है, यहाँ अपने बेटे के पास आया है, पूरा दिन खाली रहता है इसलिए सोचा आज एक दोस्त से मिल आऊँ, उसका नाम महादेव सिंह है।
मेरा भी स्कूल मिस हो गया था सो हम बस स्टाप के साथ में बने पार्क में गए और एक पेड़ों से घिरी जगह बैठ गए! वहाँ पहले तो मैंने अपनी पैंटी में हाथ डाल के सारा वीर्य हाथों से साफ़ किया और हाथों को चटकारे ले ले कर चूसना शुरु कर दिया..! पर किसी के आने की आहट से हम सतर्क हो गए, वहाँ पार्क में कुछ दूर कुछ लोग आ के बैठ गए थे और शायद उनका लम्बे समय तक बैठने का कार्यक्रम था!
इसलिए हम कल फिर वहीं मिलने का वादा कर के वापिस चल पड़े क्योंकि उसे भी कुछ जल्दी थी! वो शायद अपने दोस्त के घर के लिए चला गया और मैं अपनी बस की प्रतीक्षा करने लगी..
और बस पकड़ के अपने घर आ गई………………….
आगे क्या हुआ बाद में…. Antarvasna
ओह.. तो Antarvasna यह बात है… रश्मि। यही तो मैं सोच रहा था कि तुम्हारे जैसी बला की खूबसूरत लड़की इतनी आसानी से कैसे तैयार हो गई।
खैर मैंने रश्मि से कहा- चलो, आज मैं तुम्हारी अतृप्त वासना की इच्छा पूरी करता हूँ।
यह सब कहते हुये उसने मेरा लंड छोड़ा नहीं था बल्कि और भी जोर से पकड़ लिया था। मेरा लंड लोहे की छड़ की तरह सख्त हो चुका था। अंदर से मैं बहुत उत्तेजित हो चुका था।
उसने पूछा- आपको मुझमें क्या अच्छा लगता है सर…?
मैंने कहा- तुम्हारे होंठ, तुम्हारे गाल … !
उसने कहा- और..?
वह कुछ और ही सुनना चाहती थी …
मैंने जारी रखा- तुम्हारे बड़े-बड़े स्तन … तुम्हारे चूतड़ … मैं इन्हें सहलाना चाहता हूँ … इनमें डूब जाना चाहता हूँ..!
उसने सिसकारती आवाज़ में कहा- आपको रोका किसने है सर … मैं तो कितने दिनों से यही चाह रही थी …
उसका इतना कहना था कि मैंने अपने होंठ उसके नर्म मुलायम होंठों पर रख दिये और दोनों हाथों से उसके स्तनों को मसलने लगा.
उसके भरे-भरे कठोर और बड़े स्तन थे, घुटने के बल आकर उसने मेरे सुपारे को लॉलीपॉप की तरह फिर से चूसना शुरू कर दिया।
मैं सिसकारियाँ लेने लगा और जोर-जोर से उसके स्तन मसलने लगा … थोड़ी देर बाद मेरे लंड के टिप पे लसलसा सा प्रि-कम आ गया था जो उसने मजे से चाट लिया।
अचानक वो खड़ी हुई … मैं भी खड़ा हो गया। उसने मेरा एक हाथ अपने वक्ष से हटाया और अपने दोनों टाँगों के बीच वहाँ रख दिया जहाँ दहकता लावा था …पहले तो मैं सहलाता रहा … नापता रहा दोनों पंखुड़ियाँ … उनके बीच की दरार … जहाँ हल्की-हल्की रिसावट हो रही थी … मैंने उसकी चूत के दरार पे उंगली फ़िराई …उसने सिसकारियाँ भरना शुरु कर दिया और अपने गुदाज नितंबों को आगे-पीछे करने लगी…
मैंने अपनी एक उंगली धीरे से अंदर प्रविष्ट कर दी… वो चिहुँक उठी … .और अपना वस्ति-दोलन और तेज़ कर दिया … उसने अपनी आँखें बन्द कर रखी थीं … मैंने उंगली को आगे पीछे करना शुरु कर दिया …
वो मेरे लंड को एक हाथ में लेकर उसके चमड़े को आगे-पीछे करने लगी … मेरा सुपाड़ा और मोटा होता जा रहा था… उसकी चूत गीली होती जा रही थी … वो और बर्दाश्त नहीं कर पा रही थी … उसके मुँह से गूँ-गूँ की आवाज़ निकल रही थी।
और मैं उसकी दोनों टांगो के बीच फ़ँसी उस दरार को निहारने लगा जिसके पीछे ऋषि-मुनियों की तपस्या भंग हो गई थी ! मैं तो सिर्फ मानव हूं।
फिर वो पीछे घूम गई … अब मेरा लंड उसके उन्न्त नितम्बों के बीच की खाई में झटके मार रहा था … ..मैंने उसके दोनों स्तन पकड़े और पीछे सट गया … वो अपने चूतड़ मेरे मुन्ने पर रगड़ने लगी। आह … स्वर्गीय आनंद था … कामुकता … वासना … अपनी चरम सीमा पर थी। मैंने उसके गर्दन पर एक चुम्बन दिया …
उसने कराहती सी वासना में लिप्त आवाज़ में कहा- उँह्ह्ह्ह्ह …
मैंने अपना एक हाथ उसके उरोज से हटाया और चूत पर फेरने लगा … एक छोटी सी … मटर के दाने जितनी घुंडी का अहसास हुआ … जाने क्यों मैं उस घुंडी को रगड़ने लगा और वो बेसाख़्ता सिसकारियाँ भरने लगी …और मेरे लंड को अपने गोल-गोल नितम्बो के बीच फ़ँसाकर ऊपर-नीचे रगड़ने लगी …
लग रहा था किसी लावा में रगड़ा जा रहा है … मैं अपने आपको संयत कर पाता कि अचानक वो अपने दोनों हाथ सोफे के बैक पर रखकर झुक गई और जन्नत का दरवाजा मेरे सामने था। साँसें घुटती हुई सी लग रही थीं … धड़कनें थमी सी महसूस हो रही थीं …
सीटी बजाने के आकार में सुकड़ा हुआ भूरा सा गुदाद्वार किसी खिले हुए चमेली फूल सा लग रहा था …
उसके कुछ आधे इंच नीचे भूरे-भूरे रेशमी झाँटों की एक बारीख लाइन दिखाई दे रही थी … वो ऐसे लग रही थी जैसे रश्मि के सेक्सी होंठों को किसी ने वर्टिकल कर दिया हो … थोड़ा गुलाबी … थोड़ा बादामी … ऐसा कुछ रंग था उन होंठों के बीच …मेरे हाथ-पाँव भारी से होते जा रहे थे … मैं अपने घुटनों पर आ गया और जाने किस अनजान शक्ति ने मेरा मुँह उस खुशबूदार … तीन इंची दरार में टिका दिया … मेरी जीभ बाहर निकल आई और मैं कुत्ते की तरह उसकी बुर को चाटने लगा … कुछ नमकीन-कसैला सा स्वाद था …
अब वो कुछ अंड-बंड बकने लगी और अपने चूतड़ को आगे-पीछे करने लगी … मैंने अपने जीभ के आगे का हिस्सा नुकीला करके उसके योनिद्वार में घुसा दिया … उसकी सिसकारियाँ रुकने का नाम नहीं ले रही थीं …
मैंने जीभ को मटर के दाने जितनी घुंडी पर गोल-गोल घुमाना शुरु कर दिया … उसकी दरारों से और ज़्यादा नमकीन पानी रिसने लगा …
लंड का तनाव काबू से बाहर होता जा रहा था …जो आम तौर पर आठ इंच का दिखता था … आज नौ इंच का दिख रहा था … सुपारा अंगारा हो गया था … उतना ही गरम … उतना ही लाल … !
अपना दहकता अंगार मैंने रश्मि के सुलगते लावा में रख दिया … जिसे मैंने चाट-चाट के लाल कर दिया था …
उफ़ क्या गरमी थी … क्या नरमी थी …
अपने गरम सुपारे को उसकी चूत के दोनों होठों के बीच रगड़ने लगा … … जहाँ लसलसे पदार्थ का झरना सा बह रहा था …
रश्मि अपना नियंत्रण खोती जा रही थी … उसके तन-मन में मादकता छा गई थी … उसने अपनी कमर को उछालना शुरू कर दिया …
मैंने धीरे से सुपाड़ा अंदर घुसेड़ने की कोशिश की …
कोशिश इसलिये कह रहा हूँ कि सुपारा बार-बार फ़िसल जाता था … अंदर जा ही नहीं रहा था। इतनी चिकनाई होने के बावजूद उस चूत के छेद के लिये 4-5 इंच घेरे वाला लंड काफ़ी बड़ा साबित हो रहा था …।
मैंने एक हाथ से उसके नितंब को थामा … दूसरे हाथ से अपने लंड को पकड़ा … उसे जन्नत के दरवाजे पर टिकाया और हाथ से पकड़े-पकड़े अपने चूतड़ों को एक जुम्बिश दी … सुपारा अन्दर समा गया … अभी भी आठ इंच का फ़ड़कता हुआ रॉड बुर के बाहर था … ऑफिस का एसी चलने चलने के बावज़ूद मैं पसीने-पसीने हो रहा था …।
अब मैंने लंड को छोड़ा … अपने आपको सीधा किया … गहरी साँस ली … दोनों हाथों से उसके गोल-गोल सुडौल नितंबों को थामा …नज़रें चमेली के फूल पर टिकाई और अपने चूतड़ों को जबरदस्त झटका दिया …
अब मेरा लौड़ा तकरीबन 4-5 इंच अंदर था, अंदर तो भट्टी दहक रही थी, सब कुछ गरम-गरम महसूस हो रहा था.
रश्मि कराह रही थी … थोड़ी देर तक हम दोनो ऐसे ही निश्चल रहे … लंड आधा ही अंदर था … मेरा लंड अंदर के कसाव के बावजूद फड़क रहा था …रश्मि चुपचाप मेरे लंड का फड़कन महसूस कर रही थी। … मैं भी उसके चूत की मांसपेशियों का फैलना और सुकड़ना को महसूस कर रहा था।
करीब एक मिनट तक ऐसे ही रहने के बाद उसने अपने आपको आगे पीछे हिलाना शुरू किया …
भी लंड का आधा हिस्सा बाहर ही था … मुझे याद नहीं आ रहा है जाने कब मैं कुत्ते वाली स्टाइल में उसके ऊपर झुक गया था … उसके दोनों स्तन मेरे हाथ में थे और मैं पीछे से उसका चूतमर्दन कर रहा था।
मैं रफ़्तार पकड़ चुका था … और रश्मि भी अपने कूल्हों को हिला-हिला कर पूरा साथ निभा रही थी। उसकी सेक्सी आवाज़ मुझे और उत्तेजित कर रही थी … वो बड़बड़ा रही थी- पुश इट् हार्ड … पुश दैट मोर इनसाइड … ऊह्ह्ह्ह … ओ गॉड … आह..ऊँहु्ह्ह्ह … और जाने क्या-क्या …
अचानक उसका पूरा शरीर बुरी तरह काँपने लगा … ऐसा लग रहा था कि उसके हाथ पैर उसका बोझ नहीं सम्हाल पा रहे हैं …
उसके नितंबों में अजीब सी थरथराहट हो रही थी … और मैं था कि रुकने का नाम ही नहीं ले रहा था।
अचानक रश्मि भरभराकर कोहनियों के बल सोफे की सीट पर आ गई … उसका पेट और स्तन सीट पर टिके थे पर नितम्बों वाला हिस्सा ऊपर उठा हुआ था …
मैंने अपना लंड एक इंच पीछे खींचा … उसकी कमर दोनों हाथों से पकड़ा और दोनों कूल्हों के बीच निहारा … उसके फ़ाँकों के बीच फ़ंसे अपने खुद के अंग को देखकर मैं इतना उत्तेजित हो गया कि पूरी ताकत के साथ लंड को वापिस पेल दिया …
रश्मि बोली- ओ गॉड … यह तो यूटेरस में टकरा रहा है …
इतना कहते ही उसके बुर से तेज धार सी निकली और मेरे झाँटों की भिगोती चली गई … मैं दुगनी रफ़्तार से भिड़ गया …
कोई 20-25 मिनट के बाद मेरे लंड में अजीब सी ऐंठन हुई और पता नहीं कितना वीर्य उसके बच्चेदानी के छेद पे न्यौछावर हो गया …
बस इतना पता है कि उसने कहा- ओह गॉड … .इतना सारा …?
मैं उसके खुशबूदार शरीर से चिपट गया … उसके स्तनों को मसलने लगा … मेरा लंड उसकी चूत में फैलने-सुकड़ने लगा … उसने पता नहीं क्या किया … ऐसा लगा जैसे मेरे लंड का पूरा रस अपने बुर को टाइट करके निचोड़ रही हो। मैं उसकी सुराहीदार गर्दन को चूमता जा रहा था … हम दोनों तरबतर हो चुके थे !
इसके बाद हम लोग हांफते हुए सोफे पर कटे हुए पेड़ की तरह गिर पड़े।
उस दिन मैंने रश्मि को पाँच बजे तक चार बार चोदा।
आखिर में रश्मि ने कह ही दिया… सर आज से पहले इतनी खुशी नहीं मिली।
हम लोग ऑफिस बन्द कर के अपने अपने घर चले गये।
समाप्त Antarvasna
मैं राजेश का लिंग हूँ। मुझे अनेकों उपनामों से जाना जाता है Antarvasna क्योंकि लोग मेरा नाम लेने से शर्माते हैं। राजेश 36 साल का है और मुझ में बहुत दिलचस्पी रखता है। जब राजेश छोटा था तब उसे मेरे में कोई खास रूचि नहीं थी। तब मैं खुद भी छोटा ही था और राजेश सिर्फ मुझे सुसू करने के लिए इस्तेमाल करता था … पर आजकल तो मैं उसकी सोच का केंद्रबिंदु सा बना हुआ हूँ।
जब राजेश का जन्म हुआ था तो मैं करीब एक इंच का था और मेरा आकार एक पतली मूंगफली जैसा था, ऊपर और नीचे से पतला और बीच से थोड़ा मोटा। मेरा मुँह पैना था और उस पर जिल्द की एक-दो परतें थीं, जैसे चूड़ीदार पाजामे का निचला छोर होता है। यह फालतू की खाल मेरे मुँह पर हमेशा रही है … यह क्यों है? मुझे पहले पता नहीं था, पर जब राजेश लड़कपन और जवानी की ओर बढ़ा तब मुझे इसके फ़ायदे और ज़रूरत का पता चला। यह बाद में बताऊँगा.
पहले पाँच साल में मेरे आकार में ज्यादा फर्क नहीं आया। जब राजेश 6-7 साल का हुआ तब मैं करीब 2 इंच का था और मेरी गोलाई भी थोड़ी बढ़ गई थी पर मेरा मुँह अभी भी पैना ही था। मुझ में ज्यादा बदलाव तब आने शुरू हुए जब राजेश 13 साल का हुआ। मेरा आकार करीब 3.5 इंच का हो गया था और मेरे आस-पास बाल उगने लगे थे … हल्के, घुंघराले और मुलायम … राजेश को आश्चर्य हुआ था … शायद वह इसकी उम्मीद नहीं कर रहा था। धीरे-धीरे बाल घने होते गए और मेरे आस-पास के पूरे इलाके को ढक लिया।
राजेश जब 18 साल का हुआ तब मैं पूरी तरह पनप गया था। मेरी लम्बाई करीब 4.75 इंच और मेरी परिधि करीब 3.5 इंच हो गई थी। मेरे मुँह का पैनापन खत्म हो गया था और उसकी जगह गोल कुकुरमुत्ता-नुमा (mushroom-shaped) सुपारा बन गया था जिसकी परिधि मेरे तने की परिधि से ज्यादा थी और जो करीब एक इंच लंबा था। मेरे मुँह पर अतिरिक्त खाल का घूंघट रहता था।
जब राजेश मुझसे खेलता तो इस खाल को पीछे खींच कर मेरे मुँह को नंगा कर देता जो कि गुलाबी और अत्यंत मार्मिक था। राजेश ने कई बार अपने सुपारे को खाल की परत से बाहर निकालने की कोशिश की थी पर सुपारा बड़ा होने के कारण बाहर नहीं आ पाया था।
एक दिन एक डॉक्टर ने उसकी खाल को एक झटके में पीछे खींच कर उसके सुपारे को पूरी तरह बेनकाब कर दिया था। राजेश को क्षणिक दर्द हुआ था पर उसके बाद से उसकी खाल सुपारे के ऊपर आसानी से चलने लगी थी। सामान्य तौर पर सुपारा खाल के घूंघट में ढका रहता पर जब कभी राजेश को उत्तेजना होती या वह हस्तमैथुन करता तो सुपारा खाल से बाहर आकर पूरा दिखाई देता है। कुछ धर्म के लोग लिंग के ऊपर की खाल को हमेशा के लिए काट कर निकलवा देते हैं। ऐसे लिंग को खता हुआ लिंग कहते हैं (circumcised)। खते हुए लिंग के दो फायदे माने गए हैं … एक तो लिंग के सुपारे में कोई मैल या गंदगी नहीं छिपी रह सकती जिससे वह स्वच्छ रहता है और दूसरा यह कि सुपारा सदैव उघड़ा रहता है जिस कारण उसकी धीरे धीरे संवेदनशीलता कम हो जाती है और चरमोत्कर्ष तक पहुँचने में थोड़ा अधिक समय लगता है।इसके अलावा खते और अनखते लिंग में कोई फर्क नहीं होता।
जब उत्तेजना के कारण मैं स्तंभित हो जाता हूँ तो मेरी लम्बाई 5.75 इंच और परिधि लगभग 4 इंच हो जाती है। राजेश की 18 साल की उम्र के बाद से मेरे आकार में कोई विकास नहीं हुआ है। राजेश हमेशा से मेरे बारे में बहुत शर्मीला रहा है। वह किसी से मेरे बारे में बात करने या कुछ पूछने से कतराता है। जब से राजेश अपने आप नहाने योग्य हुआ है तबसे राजेश के अलावा किसी ने मुझे नहीं देखा है। बस राजेश की शादी के बाद उसकी पत्नी अंजलि ने मुझे देखा है।
मेरा लोगों से छुपे रहना मेरे आकार के प्रति कई भ्रांतियाँ पैदा करने में मदद करता आया है। अक्सर मर्द अपने लिंग के आकार को बढ़ा-चढ़ा कर ही बताते हैं क्योंकि उन्हें पता है कि उन्हें इस बात का प्रमाण नहीं देना पड़ेगा। इसका लड़कों पर मानसिक दुष्प्रभाव यह पड़ता है कि उन्हें लगता है केवल उनका लिंग ही छोटा है … और वे इस हीन भावना से सदा के लिए प्रभावित हो जाते हैं। वे यह नहीं सोचते कि जब प्रकृति ने उनके बाकी अंग … जैसे हाथ, पैर, कान, नाक इत्यादि उपयुक्त आकार के बनाये हैं तो केवल उनका लिंग ही छोटा क्यों बनाया होगा?
इस हीन-भावना से त्रस्त पुरुष अपना लिंग बड़ा करने के कई उपाय करते आये हैं … बाज़ार में तरह तरह के लोशन, क्रीम, गोलियाँ, पम्प व क्रियाएँ उपलब्ध हैं जो कि लिंग का आकार बड़ा करने का वादा करती हैं … पर वास्तविकता में ये ढोंगी डॉक्टरों, हकीमों, वैद्यों, साधुओं और व्यापारियों की आसानी से पैसा कमाने की योजना होती है। बहुतों ने आजमाया है पर हर पुरुष को इसमें निराशा ही मिली है क्योंकि लिंग को बड़ा करना संभव है ही नहीं।
यह सिर्फ सर्जरी से मुमकिन है पर इसके बहुत खतरे और दुष्परिणाम हो सकते हैं। मेरी राय में राजेश को मेरे आकार से संतोष करना चाहिए क्योंकि मैं हर तरह से अपना निर्धारित काम करने में सक्षम हूँ और अंजलि कभी मेरे आकार को लेकर असंतुष्ट नहीं हुई है।
विभिन्न देशों में लिंग का औसत आकार
( 1 इंच = 2.54 cm)
देश लिंग का औसत आकार
कोंगो गणतंत्र, अफ्रीका 18.0 cm
एकुआडोर, दक्षिण अमरीका 17.7 cm
घाना, अफ्रीका 17.2 cm
कोलोम्बिया, दक्षिण अमरीका 17.0 cm
आइसलैंड, यूरोप 16.5 cm
इटली, यूरोप 15.7 cm
दक्षिण अफ्रीका गणराज्य, अफ्रीका 15.2 cm
स्वीडन, यूरोप 14.9 cm
ग्रीस, यूरोप 14.7 cm
जर्मनी, यूरोप 14.4 cm
न्यूज़ीलैंड, ऑस्ट्रेलिया 13.9 cm
ब्रिटेन, यूरोप 13.9 cm
कनाडा, अमरीका 13.9 cm
स्पेन, यूरोप 13.9 cm
फ़्रांस, यूरोप 13.4 cm
ऑस्ट्रेलिया 13.2 cm
रूस, यूरोप 13.2 cm
अमरीका 12.9 cm
आयरलैंड, यूरोप 12.7 cm
रोमानिया, यूरोप 12.7 cm
चीन, एशिया 10.9 cm
भारत, एशिया 10.0 cm
थाईलैंड, एशिया 10.0 cm
दक्षिण कोरिया, एशिया 9.6 cm
उत्तरी कोरिया, एशिया 9.6 cm
वैश्विक स्तर पर लिंग का औसत आकार
लिंग-अवस्था लम्बाई परिधि (घेरा)
शिथिल 9.0 – 9.0 cm
3.5 – 3.7 इंच 8.5 – 9.0 cm
3.3 – 3.5 इंच
उत्तेजित 12.8 – 14.0 cm
5.0 – 5.7 इंच 10 – 10.5 cm
3.9 – 4.1 इंच
मेरे दो पड़ोसी भी हैं जो मेरे साथ जुड़े हुए से हैं। पहले तो मुझे उनके अस्तित्व का पता नहीं था पर जैसे-जैसे राजेश बड़ा हुआ मेरा ध्यान इन पड़ोसियों पर पड़ा। इनका नाम तो अंडकोष है पर इन्हें प्यार से टट्टे या गोलियाँ बुलाते हैं। ये मेरी तरह आकर्षक तो नहीं हैं पर राजेश की मर्दानगी मुझसे ज्यादा इनके कारण हैं। शायद राजेश को इनके बारे में ज्यादा पता नहीं है … वह तो मुझे ही मर्दानगी का चिह्न मानता है। सिर्फ राजेश ही नहीं अन्य लोग भी यही समझते हैं.
पर मैं जानता हूँ अंडकोष बहुत ज़रूरी काम करते हैं। उनके अंदर करोड़ों शुक्राणु (sperm) पैदा होते हैं जिन्हें मैं सम्भोग के चरमोत्कर्ष के समय विस्फोट के साथ छोड़ देता हूँ। इन करोड़ों शुक्राणुओं में से कोई एक सफल शुक्राणु, स्त्री के अंडे को भेदता है जिससे एक नई ज़िंदगी की शुरुआत होती है। यह प्रकृति की सबसे अनूठी और अद्भुत क्रिया कही जा सकती है। इसमें मेरा काम केवल स्तंभित हो कर स्त्री की योनि में प्रवेश करना होता है जिससे वीर्य स्त्री की योनि के भीतर छूट सके। बाकी काम, जैसे शुक्राणु और वीर्य उत्पादन अंडकोष और प्रोस्टेट ग्रंथि करते हैं। अगर ये ठीक से काम ना करें तो राजेश कभी पिता नहीं बन सकता, बस मेरे कारण यौन-सुख अवश्य भोग सकता है और स्त्री को सुख दे सकता है।
अंडकोष की थैली में विशेष मांसपेशियाँ होती हैं जो सिकुड़ कर उसे बदन के करीब ला सकती हैं या ढीली होकर बदन से दूर लटका सकती हैं। ये मांसपेशियाँ तीन मुख्य भूमिका निभाती हैं :
शुक्राणु के अलावा अंडकोष एक अत्यंत महत्वपूर्ण रसायन, टेस्टोटेरोन (testoterone) का संचार करते हैं जिससे राजेश की मर्दानगी पनपती है। जब राजेश अपनी माँ की कोख में था तभी से इस रसायन का उत्पादन शुरू हो गया था जिस कारण राजेश लड़की ना बनकर लड़का बना था। फिर राजेश के यौवन प्रवेश के समय इस रसायन के अतिरिक्त उत्पादन के कारण ही उसके बदन पर बाल, दाढ़ी-मूछें, आवाज़ में मर्दानगी और मेरे आकार में विकास जैसे मर्दाने बदलाव आये थे।
राजेश को शायद नहीं पता कि प्रजनन का परिणाम लड़का होगा या लड़की, यह स्त्री पर नहीं बल्कि सिर्फ पुरुष पर ही निर्भर होता है। पुरुष के शुक्राणुओं में अगर सिर्फ एक तरह के अंश (XX) होते हैं तो लड़की का और अगर दो तरह के अंश (XY) होते हैं तो लड़के का जन्म होता है। स्त्री के अंडे में इस तरह के विकल्प नहीं होते … वह सिर्फ एक तरह के अंश (YY) ही पैदा कर सकती है। इसलिए बच्चे के लिंग की पूरी ज़िम्मेदारी मर्द पर होती है।
पर भाग्य की विडम्बना देखिये … कोई भी राजेश को, एक के बाद एक, तीन बेटियों के जन्म के लिए जिम्मेदार नहीं मानता … सब उसकी पत्नी को ही दोषी मानते हैं। पर मुझे पता है … इस के ज़िम्मेदार मेरे पड़ोसी टट्टे हैं।भगवान का शुक्र है मेरा इसमें कोई हाथ नहीं है। मैं तो सिर्फ पिचकारी का काम करता हूँ … या तो मूत्र या फिर वीर्य की बौछार करना मेरा काम है। बाकी तकनीकी काम राजेश के टट्टे और अंदरूनी अंग, अव्यय और ग्रंथियां करते हैं! मुझे खुशी है मेरा काम सबसे मज़ेदार है। ना केवल राजेश को मैं चरम आनन्द पहुँचाता हूँ, मैं उसकी पत्नी अंजलि को भी अत्यंत सुख दिलाता हूँ … ना केवल सम्भोग के द्वारा बल्कि वह मुझे छूने में, सहलाने में और अपने मुँह में लेकर चूसने में भी आनन्द लेती है।
प्रायः मैं शिथिल अवस्था में ही रहता हूँ जब मेरा आकार करीब 3.5 से लेकर 5.5 इंच तक का होता है। जब राजेश को यौन-उत्तेजना होती है तो मैं कड़क हो जाता हूँ और मेरा आकार 5 से 6 इंच तक का हो जाता है। यह हम भारतीयों और एशिया-वासी मर्दों के लिंगों का औसत आकार होता है। मैं कड़क कैसे होता हूँ यह भी एक रोचक क्रिया है।
राजेश को उत्तेजना यौन-सम्बंधित दृश्यों, आवाजों, स्पर्श या कामुक यादों से होती है। इस उत्तेजना का संकेत उसके मस्तिष्क (para-ventricular nucleus) में पैदा होकर, रीढ़ की हड्डी की विशेष नसों से गुजरता हुआ, श्रोणि (pelvis) नसों और प्रोस्टेट ग्रंथि से होता हुआ मुझ तक पहुँचता है। मेरे अंदर तीन नलियां हैं … बीच की नली मूत्र और वीर्य विसर्जन के काम आती है और मेरे दोनों तरफ एक-एक नली है (corpora cavernosa) जो कि मेरी जड़ की तरफ खुली और सुपारे के तरफ से बंद होती हैं।
उत्तेजना संकेत इन दोनों नलियों को ढीला कर देता है और जिससे वे खुल जाती हैं और इन में रक्त प्रवाह सामान्य से करीब आठ-गुणा बढ़ जाता है। इस अतिरिक्त रक्त के भरने से मैं बड़ा और कड़क हो जाता हूँ और मेरा रक्त-चाप बाकी शरीर के रक्त-चाप के मुक़ाबले दुगुना हो जाता है। इस बढ़ते रक्त-चाप के कारण मेरी बाहरी सतह उन धमनियों को बंद कर देती है जिनसे रक्त बाहर जाता है। अतः मेरे अंदर रक्त क़ैद हो जाता है और मैं बड़ा और कड़क हो कर सम्भोग-योग्य हो जाता हूँ।
आम तौर पर मेरी सम्भोग क्षमता करीब 1.5 से 3 मिनट की होती है जिस दौरान मैं स्तंभित (कड़ा) रहता हूँ और फिर मैं चरमोत्कर्ष के करीब पहुँच जाता हूँ। चरमोत्कर्ष पर पहुँचते ही राजेश के मस्तिष्क से संकेत नाटकीय रूप से बदलते हैं। जननांग में एड्रिनलीन उत्पादन में अचानक वृद्धि होती है जिससे वीर्योत्पात शुरू हो जाता है जिसमें प्रोस्टेट ग्रंथि और मैं मिलकर करीब 10 से 15 बार हिचकोले लेकर वीर्य निष्कासित करते हैं। कुल वीर्य की मात्रा करीब 10 ml होती है जो कि एक चाय की चम्मच से थोड़ी ज्यादा होती है।
वीर्योत्पात के साथ ही मेरी जड़ की वे मांसपेशियाँ ढीली होने लगती हैं जिन्होंने रक्त बाहर जाने वाली धमनियों को बंद करके रखा था। इसके फलस्वरूप मेरे में क़ैद रक्त को बाहर जाने का रास्ता मिल जाता है और धीरे धीरे वह रक्त मुझे छोड़ कर बाकी शरीर में प्रवाह करने लगता है। ऐसा होने से मैं फिर से छोटा और शिथिल हो जाता हूँ और मुझ में सम्भोग-योग्य स्तंभता नहीं रहती।
एक बार वीर्योत्पात करने के बाद मुझे कुछ समय तक आराम की ज़रूरत होती है जिस दौरान मैं दुबारा से स्तंभित नहीं हो सकता। यह समय करीब 15 से 20 मिनट का हो सकता है। इस दौरान मुझे आराम करना ही पसंद होता है। बल्कि वीर्योत्पात के करीब 5 मिनट तक तो मुझे कोई स्पर्श या सहलाना भी अच्छा नहीं लगता। इस विराम के बाद मुझे दोबारा स्तंभित करने में पहले से ज्यादा उत्तेजना की ज़रूरत पड़ती है जो कि स्त्री मुझे प्यार से सहला कर या अपने मुँह में लेकर कर सकती है। जब मैं दूसरी बार कड़क होता हूँ तो मैं ज्यादा देर, यानि 8 से 10 मिनट तक सम्भोग कर पाता हूँ। यह अवधि मेरे योनि प्रवेश के बाद की अवधि है और यह राजेश और उसकी पत्नि की यौन-तृप्ति के लिए काफी पर्याप्त है। इससे ज्यादा देर का सम्भोग मेरे लिए और योनि के लिए अक्सर असहाय हो जाता है। मैं मानता हूँ कि सेक्स-फिल्मों में और कहानियों में सम्भोग घंटों चलता है पर यह अप्राकृतिक है और इससे प्यार और आनन्द का अनुभव नहीं होता। अब जब राजेश का वीर्योत्पात होता है तो वीर्य की मात्रा भी कम होती है और संकुचन भी कम देर होता है।
आजकल मैं एक सत्र में दो से ज्यादा बार स्तंभित हो कर वीर्य-स्खलन कर नहीं पाता हूँ। पर राजेश जब जवान था तो तीसरी बार भी मुझे स्तम्भन के लिए तैयार कर पाता था। तीसरी बार के स्तम्भन के लिए समय भी ज्यादा लगता था, करीब 30 से 40 मिनिट, और सम्भोग अवधि भी बढ़कर करीब 10 से 15 मिनिट हो जाती थी। तीसरी बार की वीर्योत्पात मात्रा बहुत कम होती थी। एक सत्र में राजेश तीन से ज्यादा बार सम्भोग कभी नहीं कर पाया है। प्रकृति ने मेरी स्तम्भन और सम्भोग क्षमता पर अंकुश लगा कर एक तरह से स्त्री जाति पर एहसान किया है। अगर यह अंकुश नहीं होता तो राजेश सारी सारी रात रति-क्रिया में ही लत रहता।
हालांकि मैं सामान्य आकार का हूँ पर राजेश को मैं बहुत छोटा लगता आया हूँ। राजेश अकेला ही नहीं है … लगभग सभी मर्द अपने लिंग को छोटा मानते हैं। दक्षिण और पूर्वी एशियाई मर्दों के लिंग अमरीकी, अफ्रीकी और यूरोपीय मर्दों के लिंग के मुकाबले थोड़े छोटे ज़रूर होते हैं पर वैश्विक-स्तर पर देखा जाये तो सभी लिंगों का औसतन आकार मेरे आकार से ज्यादा बड़ा या छोटा नहीं होता। वैश्विक पैमाने पर शिथिल लिंग 3.5 से लेकर 5 इंच तक और खड़ा लिंग 5 से लेकर 6.75 इंच तक का होता है। मतलब, दुनिया के करीब 86% मर्द इसी आकार के लिंग से विभूषित हैं। हाँ, जिस तरह दुनिया में कुछ अजीबो-गरीब लंबे और ठिगने लोग मिलते हैं उसी प्रकार लिंग भी इन औसत आंकड़ों से परे हो सकते हैं। इन करीब 14% मर्दों में भी करीब 2% ही ऐसे होंगे जिनका कड़क लिंग 3.5 इंच से कम या 7.5 इंच से बड़ा होगा। जिन मर्दों का लिंग इन आकारों से भी छोटा या बड़ा होता है वे अपने आप को बद-किस्मत समझ सकते हैं। जहाँ अति-छोटा लिंग मर्द की मानसिकता और उसकी मर्दानगी के अहसास को आघात पहुंचाता है वहीं ज़रूरत से ज्यादा बड़ा लिंग भी एक तरह का बोझ ही होता है। तुम्हें आश्चर्य हो रहा है? मैं समझाता हूँ…
प्रकृति ने मुझे मूल रूप से सम्भोग के लिए बनाया है। मूत्रपात के लिए लिंग ज़रूरी नहीं है वरना स्त्रियों के पास भी लिंग होता!!। सम्भोग के समय मैं योनि में प्रवेश करता हूँ … स्त्री और पुरुष, दोनों को, पूर्ण संतुष्टि तब तक नहीं मिलती जब तक मैं पूरा-का-पूरा, अपने मूठ तक, योनि के अंदर ना चला जाऊं। स्त्री-पुरुष का समागम तभी पूरा होता है जब लिंग पूर्णतया योनि में समा जाये। परन्तु स्त्री की योनि की औसतन गहराई 4.5 से 5.5 इंच की ही होती है जिसके आगे उसकी मर्मशील ग्रीवा (cervix) की दीवार होती है। सम्भोग के समय मैं इस दीवार तक तो अंदर जा सकता हूँ पर इसे भेद नहीं सकता। लिंग की ग्रीवा से बारबार टक्कर स्त्री को पीड़ा देती है और उसे सम्भोग का आनंद नहीं आता। अगर लिंग बहुत बड़ा होगा तो ना तो मर्द उसे मूठ तक अंदर डाल पायेगा और ना ही स्त्री को पूरा लिंग भोगने और पुरुष के नज़दीकी स्पर्श का आनंद मिलेगा। मतलब दोनों का आनंद कम हो जायेगा। यूं समझो कि अगर लिंग दो फीट का होता तो स्त्री-पुरुष के बीच कोई स्पर्श ही नहीं होता।
अत्यधिक बड़े लिंग के और भी नुकसान हैं … उसको स्त्री अपने मुँह में पूरी तरह नहीं ले पाती और गुदा-मैथुन में भी उसे ज्यादा तकलीफ होती है। अर्थात, ज्यादा बड़े लिंग का स्वामी यौन-सुख को पूर्णतया भोग नहीं पाता है और उसकी पत्नि / प्रेमिका की कामाग्नि भी ठीक तरह से नहीं बुझ पाती। सम्भोग एक सामान्य क्रिया है और इसके लिए सामान्य आकार के गुप्तांग ही पर्याप्त हैं। राजेश को मैं छोटा क्यों लगता हूँ? इसके कई कारण हैं :
इन कारणों के चलते स्वाभाविक है कि राजेश मेरे आकार से मायूस सा रहता है। उसकी कल्पना में उसका लिंग और सम्भोग-काबलियत किसी पोर्न-स्टार की भांति होनी चाहिए। जहाँ एक तरफ सेक्स-फिल्में और कहानियां मनोरंजन करती हैं वहीं ये मर्दों में अपने लिंगों के प्रति मायूसी और हीन भावना भी पैदा करती हैं। अगर कोई कहता है उसका लिंग 8, 10 य 12 इंच का है तो समझ लो या तो उसे यह नहीं पता कि एक इंच कितना होता है, या लिंग नापना नहीं आता या फिर वह शेखी बखार रहा है। अगर उसका लिंग वाकई 8 इंच से बड़ा है तो वह उन 2% मर्दों में से है जो संपूर्ण यौन-आनंद से वंचित रहते हैं या फिर जिनकी पत्नी या प्रेमिका को कष्टदायक सम्भोग सहना पड़ता है। मानव-जाति के मर्दों को तो खुश होना चाहिए कि सम्पूर्ण वानर-जाति में उनका लिंग सबसे बड़ा है। बाकी जानवरों में भी शरीर के अनुपात से बहुत कम जानवरों का लिंग मानव लिंग से बड़ा होता है।
लिंग को बड़ा करना:
क्योंकि लगभग सभी मर्द अपने लिंग के आकार को लेकर मायूस रहते हैं तो सभी किसी ना किसी तरह उसको बड़ा करने की तरतीब सूझते रहते हैं। पुरुष की इस ला-इलाज अभिलाषा को पूरा करने के लिए कई ढोंगी डॉक्टर, साधू, हकीम और वैद्य बाजार में दूकान लगाये बैठे हैं। क्योंकि यह एक गुप्त और मर्दानगी का मसला होता है, इन ढोंगियों को अपने मासूम शिकार को ठगने का मौक़ा आसानी से मिल जाता है। वे जानते हैं कोई भी मर्द उनकी शिकायत नहीं कर सकेगा।
सच तो यह है कि लिंग का आकार बड़ा करने का कोई साधन या उपचार है ही नहीं। अगर होता तो कोई भी अमीर पुरुष छोटे लिंग वाला नहीं होता। आप सोचें कि क्या कोई ऐसा उपचार या साधन है जिससे आप अपनी ऊँगली या नाक या कान बड़े कर सकते हों? प्रकृति ने जो आकार दे दिया सो दे दिया। हाँ, इंसान अपने पूरे शरीर के आकार को पौष्टिक आहार और उचित व्यायाम के द्वारा बढ़ा या घटा सकता है जैसा कि अनेकों खिलाड़ी और पहलवान करते आये हैं। पर किसी एक अंग को निशाना बनाकर केवल उसके आकार को बड़ा करना संभव नहीं है। यह केवल सर्जरी द्वारा संभव है पर इसके कई दुष्परिणाम हो सकते हैं।
राजेश को मेरे से दो शिकायतें और रहती हैं। कभी कभी वह सम्भोग करना चाहता है पर मैं कड़क नहीं हो पाता हूँ। इसे स्तम्भन-दोष (erectile dysfunction) कहते हैं। यह अक्सर अस्थाई और आकस्मक घटना होती है जो कि कई कारणों से हो सकती है जैसे शारीरिक थकान, मानसिक चिंता, उत्तेजना की कमी, सम्भोग में रूचि ना होना, कोई रोग या पीड़ा इत्यादि। इसे अस्थाई स्तम्भन-दोष कहते हैं और यह लगभग सभी मर्दों को कभी न कभी होता है। यह चिंता का विषय नहीं है। ऐसी हालत में सम्भोग को कुछ देर के लिए टालना सबसे उचित उपाय है और इन कारणों को दूर करके सम्भोग का प्रयास करना चाहिए। इसमें स्त्री बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। उसे अपने आदमी के पौरुष का मजाक नहीं उड़ाना चाहिए बल्कि उसे स्तंभन दिलाने में कामुक स्पर्श और मुख-मैथुन द्वारा मदद करनी चाहिए।
कुछ पुरुषों में यह दोष स्थाई होता है जो कि किसी अंग, ग्रंथि या अव्यय विफलता के कारण हो सकता है। इस दोष से ग्रस्त पुरुष कभी भी अपने लिंग को स्तंभित नहीं कर पाते पर यह दोष बहुत कम मर्दों में पाया जाता है। इसके उपचार के लिए डाक्टरी सलाह की ज़रूरत होती है। कुछ हद तक यह दोष उम्र के साथ भी पनपता है जिसके लिए दवाइयाँ उपलब्ध हैं जो कि डॉक्टर की सलाह के बाद ही लेनी चाहिए।
राजेश को दूसरी शिकायत यह होती है कि कभी-कभी मैं जल्दी वीर्य-स्खलन (premature ejaculation) कर देता हूँ। अगर सम्भोग की तैयारी में मेरे योनि प्रवेश के पहले या फिर प्रवेश के तुरंत बाद (एक मिनट के अंदर) वीर्य-स्खलन हो जाता है तो इसे शीघ्र-पतन कहते हैं। इससे राजेश को ही नहीं अंजलि को भी काफी निराशा होती है, दोनों ही यौन-तृप्ति से वंचित रह जाते हैं। यह दशा भी लगभग सभी पुरुषों कभी न कभी झेलनी पड़ती है। अब इसमें गलती मेरी नहीं बल्कि राजेश के मस्तिष्क की होती है पर कसूरवार मुझे ठहराया जाता है। इसके कई कारण होते हैं जैसे :
– कुछ अरसे के बाद सम्भोग
– सम्भोग से पहले अत्याधिक उत्तेजना
– अति सुन्दर, प्रतिष्ठित या दुर्लभ लड़की
– दुर्लभ या प्रतीक्षित स्थान या आसन
– पकड़े जाने का डर
– प्रतिबंधित स्त्री
– वर्जित क्रिया … इत्यादि।
अगर शीघ्र-पतन का कारण इन में से है, जो सभी मानसिक और संयोगवश हैं, तो इसे हँस कर टाल देना ही अच्छा है। स्त्री को चाहिए कि ऐसी हालत में अपने साथी की मर्दानगी पर कटाक्ष या टिप्पणी ना करे बल्कि उसकी झेंप को कम करने में सहायता करे। फिर कुछ विराम के बाद दोबारा सम्भोग का प्रयास करें। अक्सर, शीघ्र-पतन के बाद पुनः स्तम्भन होने में ज्यादा देर नहीं लगती और सम्भोग की अवधि भी संतोषप्रद होती है। बस शीघ्र-पतन से निबटने की तरतीब स्त्री-पुरुष दोनों को आनी चाहिए।
कुछ पुरुषों को यह दोष हमेशा रहता है। वे हर बार जल्दी ही स्खलित हो जाते हैं जिससे पुरुष में असंतोष से ज्यादा ग्लानि-भाव होता है और स्त्री को तृप्ति से वंचित रहना पड़ता है। इसका कारण भी प्रायः मनोवैज्ञानिक ही होता है। पुरुष के बचपन की कोई घटना या फिर उसकी अपने प्रति गहरी हीन भावना इस दोष का कारण होते हैं। इसके लिए स्त्री के सहयोग और अनुकंपा के अलावा मनोवैज्ञानिक परामर्श सहायक सिद्ध हुए हैं।
मैं राजेश के उन अंगों में से एक हूँ जो शायद कभी भी रोग-ग्रस्त नहीं होते। बहुत कम ऐसे मौके होते हैं जब लिंग में कर्क-रोग हो जाता है पर आजकल इसका सुचारू उपचार उपलब्ध है। अगर मुझे चोट ना लगे तो मैं जिंदगी भर साथ निभाता हूँ … बस मुझे नियमित रूप से साफ़ रखा जाये, अनखते लिंग की ऊपरी खाल में मैल जमा ना होने दिया जाये और मुझे तंग कपड़ों में जकड कर नहीं रखा जाये।
अब और अपने बारे में क्या बताऊँ … मुझे स्पर्श, सम्भोग और हस्तमैथुन तो अच्छे लगते ही हैं पर मुझे लड़कियों द्वारा मुखमैथुन में बहुत मज़ा आता है और जब गुदा-मैथुन का अवसर मिल जाता है तो मेरे वारे-न्यारे हो जाते हैं। राजेश अभी 36 साल का है। मुझे अगले 30-40 साल और उसको यौन-सुख भोगने में साथ देना है। योनि की भांति मुझ में कभी रजोनिवृत्ति जैसा कुछ नहीं होता।
मैं यही चाहता हूँ कि हर स्त्री-पुरुष मेरे बारे में गलत धारणाओं से मुक्त हो, मेरे आकार का आदर करे और मेरी क्षमतानुसार मेरा उपयोग करे। मैं सिर्फ रति-प्रेम की बारिश करूँ और कोई पुरुष मेरा देह शोषण जैसे दुष्कर्मों के लिए प्रयोग ना करे।
राजेश का लिंग
आपको यह लेख कैसा लगा? मैं कोई डॉक्टर नहीं हूँ। मैंने यह लेख इस विषय पर शोध करके तथा सामान्य-ज्ञान से लिखा है। इसमें जानबूझकर कोई गलत बात या अपनी राय नहीं लिखी गई है। Antarvasna
कहानी की शुरुआत महाराष्ट्र के एक शहर से होती है, जहां अवंतिका नाम की एक महिला एक कोचिंग इंस्टीट्यूट चलाती है.
उसमें वह महिलाओं को अलग अलग विषयों पर क्लास देती है.
लेकिन अवंतिका अब इस इंस्टीट्यूट को बड़ा करना चाहती थी और इसके लिए उसे किसी से आर्थिक मदद की तलाश थी.
इसी चीज को लेकर वह कई दिनों तक प्रयास करती रही.
एक दिन उसे किसी परिचित ने एक युवा नेता का संपर्क सूत्र दिया और कहा कि यह व्यक्ति आपकी मदद करेगा और आपको कोई न कोई रास्ता जरूर दिखाएगा.
अवंतिका एक शादीशुदा महिला थी.
उसकी उम्र 37 साल की थी और वह एक गदराए जिस्म की मालकिन थी.
उसके जिस्म के सबसे आकर्षित अंग उसके बूब्स थे जिन्हें देख कर कई लंड शहीद हो चुके थे.
अवंतिका की भी कामना थी कि कोई ऐसा मर्द आए जो उसकी वासना को शांत कर सके.
चूंकि अवंतिका एक मॉडर्न ख्यालात की महिला थी, जिसका पति एक शांत स्वभाव वाला व्यक्ति था.
उसके शांत स्वभाव वाले पति के बस में इतनी गर्म बीवी को संभालना संभव नहीं था.
अवंतिका भी अपने जिस्म की जरूरत को भली भांति समझती थी और उसे जिस वक़्त सुख की जरूरत होती, वह सुख प्राप्त करना जानती थी.
अपने पति के और समाज की नजरों में सभ्य और संस्कारी बने रहना भी उसे खूब अच्छे से आता था.
एक प्रकार अवंतिका एक बहुत शातिर किस्म की और मॉडर्न महिला थी.
अवंतिका ने अपने इंस्टीट्यूट को अपने अनुसार चलाने के लिए उस युवा नेता से मिलने का तय किया.
उस नेता का नाम अमन था.
वह एक 26 वर्ष का नौजवान युवा था, जो काफ़ी जुझारू और आकर्षक व्यक्तित्व का मालिक था.
अवंतिका ने अमन को कॉल किया और अपनी समस्या बताई.
अमन ने उसकी सब बात सुनकर उसे अपने ऑफिस मिलने के लिए बुलाया.
अगले दिन अवंतिका एक नीली साड़ी और काले ब्लाउज को पहन कर गई.
उसका यह ब्लाउज बहुत ज्यादा चुस्त था, जिसमें से अवंतिका के गुब्बारे जैसे बूब्स उभर कर सामने आ रहे थे.
अपने पेट को नाभि तक खुला रखने की अवंतिका की हमेशा की आदत है, इसी सेक्सी लुक के साथ अवंतिका अमन के ऑफिस में गई.
जैसे ही अवंतिका अमन के ऑफिस में गई, अमन इतनी सेक्सी औरत को देख मन्त्रमुग्ध हो गया.
पोलिटिकल सेक्स का वह अपने सामने अवंतिका के पूरे जिस्म को एकटक होकर निहारने लगा.
अवंतिका के लिए यह आम बात थी क्योंकि वह जानती थी कि मर्द उसे घूरते हैं और आंखों से चोदते हैं.
हालांकि अमन भी एक आकर्षक नौजवान था.
उसे देख कर अवंतिका को वह पहली ही नजर में भा गया था.
लेकिन अवंतिका को अपना काम ज्यादा जरूरी था इसलिए उसने अपनी वासना पर संयम रखते हुए हल्की सी मुस्कुराहट होंठों पर लाई.
उसने अमन को हैलो कहा.
अमन ने भी उसकी हैलो का जवाब दिया और उसे बैठने के लिए कहा.
अवंतिका ने सामान्य औपचारिकता के बाद अमन के सामने अपनी समस्या को बताना शुरू किया.
अमन भी पूरे ध्यान से उसे सुनता रहा; साथ ही वह उसके जिस्म की महक को महसूस करता रहा.
अमन को समझ में यह आ गया था कि अवंतिका को किसी सरकारी फंड की जरूरत है, जिसे कैसे लिया जाए … इसका उसे कोई इल्म नहीं था.
जबकि अमन के लिए ये सब कराना कोई बड़ी बात नहीं थी.
अवंतिका ने अमन से कहा कि मुझे 25,00,000/- का फंड मिल जाए, तो मेरा सपना पूरा हो जाएगा.
अमन बोला- अवंतिका जी आप चिंता ना करें. आप सही जगह आई हैं. अब आपका काम कराने का मैं पूरा प्रयास करूँगा.
ये सुनकर अवंतिका बहुत खुश हो गई और बोली- अमन जी, आपका ये अहसान होगा मुझ पर … मैं कई सालों से प्रयत्न कर रही हूँ लेकिन हो नहीं रहा था. आप अगर मेरा काम करवा दोगे, तो मैं आपकी पूरा जीवन आभारी रहूंगी.
अमन ने कहा- आपका काम बहुत जल्द हो जाएगा. आप बस मेरे संपर्क में रहें. चूंकि अब आप मेरे संपर्क में रहेंगी, तो आपके बाकी के भी काम यदि कोई होने हैं, तो वे भी पूरे हो जाएंगे.
अमन की बातों से अवंतिका काफ़ी प्रभावित हो गई थी.
कुछ देर बातें करने के बाद वह घर आ गई.
उसी रात अवंतिका ने व्हाट्सप्प पर अमन को गुडनाईट का मैसेज किया.
उसे देख अमन ने जबाव दिया- कैसी हैं अवंतिका जी?
अवंतिका- जी, सब बढ़िया है. आप बोलिए … कहां हैं?
अमन- जी, बस घर पर ही हूँ.
अवंतिका- जी, आप पूरा दिन व्यस्त होते हैं, तो काफी थक जाते होंगे!
अमन- हां जी, वह तो है.
अवंतिका- अमन जी, आपने आज किया कुछ मेरे काम का?
अमन- जी बिल्कुल किया, उस विभाग का प्रमुख मेरा काफ़ी करीबी है. उसने कहा है कि वह आपका काम करा देगा. आपको अपने कागज लेकर 4 दिन बाद उसके ऑफिस चलना होगा.
अवंतिका- शुक्रिया अमन जी, आपने मेरा बहुत बड़ा काम किया है. आपका अहसान कैसे चुकाऊं, समझ नहीं आता है.
अमन- कोई आपसे भी हमारा काम हुआ, तो आप वह कर देना … बस इतनी सी इच्छा है!
अवंतिका- आपके लिए मैं कुछ भी करूँगी अमन जी!
अमन- शुक्रिया अवंतिका जी.
अवंतिका- आपको कल रात मेरी दावत कबूल करनी होगी. आप आएंगे ना?
अमन- जी, आप बुलाएं और हम ना आएं … मैं जरूर आऊंगा.
अमन अगले दिन पूरी तरह तैयार होकर अवंतिका के घर चला गया.
वहां अवंतिका घर में काली साड़ी के साथ मैचिंग का काला ब्लाउज पहने हुई थी.
उसके साथ उसके पति और उसका 6 साल का बेटा भी था.
पूरे परिवार ने अमन का स्वागत किया.
अमन अवंतिका को देख देख कर पागल हुआ जा रहा था लेकिन वह खुद को संभाल कर अन्दर आ गया.
अमन ने अवंतिका के परिवार के साथ खाना खाया.
खाने के बाद वह परिवार के साथ कुछ देर बात करता रहा.
अवंतिका के पति को अमन का स्वभाव काफ़ी अच्छा लगा और अमन से वह काफ़ी घुल-मिल गया.
फिर अमन ने अवंतिका से कहा- आपका घर काफ़ी बड़ा और अच्छा है.
अवंतिका का पति बोला- अवंतिका, तुमने अमन जी को घर दिखाया ही नहीं. तुम इन्हें घर दिखा लाओ, तब तक मैं बच्चे का होमवर्क कराता हूँ.
अवंतिका अमन को अपना घर दिखाने लगी.
और देखते देखते दोनों घर के दूसरी मंजिल पर आ गए जहां अवंतिका ने अमन को अपने रूम दिखाया.
कमरे में अवंतिका की कुछ बड़ी बड़ी फोटोज लगी थीं जिनमें अवंतिका काफ़ी सेक्सी दिख रही थी.
दो तस्वीरें तो एकदम नंगी थीं, जिनमें अवंतिका ने खुद को कुछ फूलों से छिपाया हुआ था.
अमन उन दोनों तस्वीरों को काफ़ी ध्यान से देखता रहा और बोला- अवंतिका जी, आपको बुरा ना लगे, तो एक बात कहूँ?
अवंतिका- अरे अमन जी आप कहिए ना … आपकी बात का क्या बुरा मानना भला!
अमन- आप काफ़ी खूबसूरत और मनमोहक लगती हो. आपकी तस्वीरें किसी हीरोइन से कम नहीं हैं.
अमन की इस बात पर अवंतिका शर्मा गई और उसने अमन को शुक्रिया कहा.
उस वक्त अमन अवंतिका के इतने करीब था जिससे उसे अवंतिका के जिस्म की गर्मी महसूस हो रही थी.
बातों बातों में किसी बात पर जोर से हंसी आने पर अमन ने अवंतिका की पीठ पर हाथ फेर दिया.
अवंतिका ने भी इस पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी, उसने हंस कर अमन से बातें करना जारी रखा.
अब अमन अवंतिका की खूबसूरती की तारीफ करने लगा.
यह सब बात करते हुए वह अवंतिका की मुलायम गांड को भी अनजान बनते हुए एक दो बार छू लेता है.
उसके इस स्पर्श को अवंतिका ने गहराई से महसूस किया लेकिन वह अभी भी सामान्य बनी रही.
अवंतिका को अमन से बातें करना अच्छा लग रहा था, तभी अवंतिका के पति ने आवाज़ दी और दोनों नीचे चले आए.
उस रात अमन अपने घर वापस आया और अवंतिका के सेक्सी बदन को याद करते हुए अपना लंड मसलने लगा.
रात के बारह बजे थे … अमन से न रहा गया और उसने अवंतिका को मैसेज कर दिया ‘दावत के लिए शुक्रिया!’
अवंतिका ने तुरंत जवाब दिया- अरे आप तो अब हमारे परिवार के सदस्य हो, आप आए … ये हमारे लिए ख़ुशी की बात है.
फिर थोड़ी इधर उधर की बातें करते हुए अमन ने कहा- मैं तो सोच रहा था कि आप सो गई होंगी. आप अभी तक क्यों नहीं सोईं … साहब जगाए हुए हैं क्या?
अवंतिका- अरे नहीं बाबा, वे तो कब के सो गए. मुझे ही देर से सोने की आदत है.
अमन- क्या … वे सो गए? इतनी खूबसूरत बीवी होते हुए उन्हें नींद कैसे आ सकती है!
अवंतिका- क्यों नहीं आती नींद, खूबसूरत बीवी होने पर क्या होता है?
अवंतिका भी अमन के ख़ुशी के लिए उसके मन के हिसाब से बातें करने लगी.
अमन- अब आपको नहीं पता क्या?
अवंतिका- जी नहीं.
अमन- प्यार करते हैं … और उनके पास आपके जैसी बीवी है तो क्या ही कहूँ?
अवंतिका- कहिए ना!
अमन- आपको बुरा लगेगा!
अवंतिका- अमन जी आप कहिए, जो भी कहना हो. मुझे कुछ भी बुरा नहीं लगता.
अमन- सच बात तो यह है अवंतिका जी कि आप बहुत सेक्सी दिखती हैं. आपका पूरा हुस्न देख कर न …
अवंतिका- अरे रुक क्यों गए, खुल कर बोलिए ना … मेरा हुस्न देख … क्या?
अमन- मेरे अन्दर हलचल शुरू हो जाती है.
अवंतिका- अन्दर कहां, दिल में?
अमन- नहीं, कहीं और …
अवंतिका- कहां, बोलिए ना अमन जी?
अमन- छोड़िए … कल क्या कर रही हैं आप?
अवंतिका- आप बोलिए, कुछ काम है?
अमन- कल आपको दावत मेरी ओर से होटल में!
अवंतिका- जी जरूर, मैं मेरे पति को कहती हूँ … हम आ जाएंगे.
अमन- अरे अवंतिका जी, ये दावत सिर्फ आपके लिए है. हमारी दोस्ती के लिए … पति के साथ किसी और दिन!
अवंतिका- ओके जी, फिर कल कहां आना है?
अमन- आप मेरे ऑफिस के पास जो होटल है. वहां आइए … कल दोपहर को मिलते हैं.
अवंतिका- जी जरूर.
दूसरे दिन अवंतिका लाल साड़ी में पूरी सेक्सी लुक में तैयार होकर होटल आ गई.
वहां जाकर वह अमन को खोजने लगी.
लेकिन उसे अमन नजर नहीं आ रहा था.
कुछ देर बाद अवंतिका ने अमन को कॉल करके पूछा- कहां हो?
अमन ने उसे होटल के ही ऊपर एक कमरे का नंबर बताया और आने का कहा.
अवंतिका तो पहले ही समझ गई थी कि अमन के लौड़े में आग लग चुकी है और वह कमरे में बुला कर क्या चाहता है.
पर अवंतिका को इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता था.
उसके लिए अमन हीरो था जो उसके काम आ रहा था.
अवंतिका उस रूम में चली गई.
यह कमरा काफ़ी रोमांटिक तरीके से सजा कर तैयार किया गया था.
अमन ने अवंतिका को देख लंड पर हाथ फेरा और उसे अन्दर बुलाकर बेड पर बैठने को कहा.
अवंतिका पूरे आत्मविश्वास से वहां बैठ गई.
दोनों बातें करने लगे.
कुछ ही देर में खाना आ गया तो वे दोनों खाना खाने लगे.
अमन अवंतिका से बातें करते हुए बोला- अवंतिका जी, आप इस साड़ी में बहुत हॉट लग रही हो!
अवंतिका- अच्छा जी … सच्ची!
अमन- सच्ची मुच्ची … आपका पूरा जिस्म में ही लाजवाब है.
अवंतिका- हम्म … वह तो है!
अमन- क्या आप मेरा एक काम करेंगी?
अवंतिका- आप बस हुकुम करो.
अमन- क्या मैं आपको एक बार गले लगा सकता हूँ!
अवंतिका- क्यों?
अमन- जब से आपको देखा है, तब से इच्छा है कि आपको एक बार गले से लगा सकूँ.
अवंतिका- अब आपने मेरे लिए इतना किया है, तो एक दोस्त के नाते गले लगना क्या बड़ी बात है!
अमन खुश हो गया और वह अवंतिका के करीब आ गया.
उसने अवंतिका का हाथ पकड़ कर उसे खड़ा कर दिया और उसकी कमर में हाथ डालकर उसे अपने सीने से चिपका लिया.
अपने सीने से चिपका कर उसने अवंतिका की गदराई हुई गांड को जोर से दबा कर खुद के दोनों हाथों में भर लिया.
इससे अवंतिका की चीख निकल गई.
चीख निकलने के बावजूद भी अमन अवंतिका की गांड को इसी तरह जोरों से दबाए रहा.
साथ उसने अपने होंठ अवंतिका के गले पर रख दिए और उसे चूमना शुरू कर दिया.
अवंतिका की चूत में भी अब आग भड़क गई थी.
वह अमन से बोली- अमन जी, क्या कर रहे हो यार … दर्द हो रहा है. आपको तो बस गले लगना था. पर आप तो कुछ और ही कर रहे हैं!
अमन- शहहह् …
अमन अवंतिका के पूरे जिस्म को चूमने लग गया और इसी तरह से वह उसके होंठों को चूमने लगा.
अवंतिका भी अब उसका साथ देने लगी.
वह पूरे जोश में अमन को चूमने लगी और उसके कपड़े उतारने लगी.
फिर अमन ने भी अवंतिका की कमर को चूमते हुए उसकी साड़ी को खोल दिया.
देखते ही देखते दोनों एक दूसरे के सामने नंगे हो गए.
अमन अवंतिका को पलंग पर लिटा कर उसके नर्म रसीले होंठों को चूसने लगा.
वह अपना लंड अवंतिका की चूत पर घिसने लगा.
इससे अवंतिका तड़प उठी और सिसिया कर बोली- आह अमन जी … प्लीज चोदिए ना अपनी अवंतिका की चूत को … आह पेल दीजिए अपना मूसल.
बस अमन ने अपना लंड अवंतिका की चूत में घुसा दिया और वह घप … घपाघप घप … अवंतिका की चुदाई करने लगा.
लंड की रफ़्तार और अवंतिका की कड़क चूत का घमासान चालू हो गया था.
अवंतिका जोर जोर से आहें भरने लगी थी. इससे अमन में और जोश आ गया था.
इसी तरह से अमन ने अवंतिका को पूरे 40 मिनट तक चोदा.
उसकी मदमस्त चुदाई के बाद अमन ने अपने लंड के झरने को अवंतिका की चूत में छोड़ दिया.
वे दोनों जोर जोर से सांसें भरते हुए एक दूसरे को तृप्त करने लगे.
चुदाई के बाद वे दोनों एक दूसरे की बांहों में यूं ही नंगे सो गए.
एक घंटा बाद उठने पर अवंतिका अमन के होंठों को चूसने लगी.
उसने कहा- अमन, तुमसे चुदाई करवा कर बहुत मजा आया. मालूम है, जब मैं तुमसे पहली बार मिली थी न … मैं तभी समझ गई थी कि तुम मेरा काम करो या ना करो लेकिन मेरी चुदाई जरूर करोगे!
अमन- तो तुम भी चुदना चाहती थी?
अवंतिका- नहीं, लेकिन जितना तुमने किया है … उसके लिए ये इनाम तो मैं तुमको देती ही. पर आज तुमने खुद ले लिया.
इसी तरह की बातों के साथ वे दोनों फिर से चुदाई के दूसरे राउंड को तैयार हो गए.
चुदाई करने के बाद अवंतिका अपने कपड़े पहन कर जाने लगी.
तब अमन ने कहा- अवंतिका अब कब चुदाई कर पाऊंगा तुम्हारी?
अवंतिका- अब ये चूत हमेशा के लिए तुम्हारी ही है, ज़ब चाहे अपने लंड से चोद लेना.
ये कहकर वह अपनी गांड मटकाती हुई चली गई.
पोलिटिकल सेक्स का मजा लेकर अमन ने उसको अपने लंड के साथ फंड भी दिला दिया.
अब अमन जब मन होता, तब वह उसको चोद लेता.
अवंतिका की मदद से अमन उसकी इंस्टीट्यूट की भी कई लड़कियों को भी चोद चुका है.
उस दिन मैं और काजल बहुत Hindi Porn Stories खुश थे, हमने एक दूसरे को बहुत प्यार किया। हमने रात को भी सेक्स किया और सो गए। अगले दिन सुबह मुझे कुछ अजीब सी फीलिंग हुई। मैं उठा तो मैंने देखा की काजल मेरे लण्ड के साथ खेल रही थी और उसे चूस भी रही थी। मेरा लण्ड भी काफ़ी खड़ा हो रखा था।
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मलने के बाद मैंने उसके बूब्स पर से फ्रूट क्रीम चाटनी शुरू कर दी। मैं अच्छी तरह से उसके बूब्स चाट रहा था और हर तरफ़ से। कभी उसके चुचूक चाटता और कभी उसके बूब्स को साइड से चाटता। मैं उसके बूब्स को चाटने का मज़ा भी ले रहा था और फ्रूट क्रीम का भी। फिर काफ़ी देर तक उसके बूब्स चाटने के बाद मैंने उसकी चूत को चाटना शुरू कर दिया। उसकी चूत पर बाल नहीं थे इसलिए मुझे उसकी चूत चाटने का बहुत मज़ा आ रहा था। सचमुच ऐसा स्वाद मुझे आज तक कभी नहीं आया था मैं बहुत मज़े से फ्रूट क्रीम चाट रहा था और वो तड़प रही थी मैंने उसकी चूत को हर तरफ़ से चाटा।
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थोड़ी देर के बाद मैंने उसे कहा- काजल अब मुझ से और कंट्रोल नहीं हो रहा प्लीज इसे अपनी चूत में जाने का रास्ता दिखाओ।
तब वो मेरे ऊपर बैठ गई और अपनी चूत को मेरे लण्ड के आस पास घुमाने लगी।
मैंने उसको कहा- यह क्या कर रही हो? लण्ड को अपनी चूत में डालो।
तब उसने कहा- एक शर्त पर कि मेरे लण्ड से जो माल निकलेगा वो मैं उसके स्तनों पर डालूँगा!
मैंने कहा- ठीक है तुम पहले इसको अपनी चूत में तो डालो!
तब उसने अपनी चूत को मेरे लण्ड के ऊपर रख दिया मैंने एक झटका मारा तो मेरा पूरा लण्ड उसकी चूत में चला गया। उसकी चूत और मेरे लण्ड में काफ़ी क्रीम लगी हुई थी इसलिए तब बहुत मज़ा आ रहा था। वो भी धीरे धीरे हिल रही थी और मज़े ले रही थी और मैं भी बीच बीच में उसके बूब्स को मसलता और कभी उसके निप्पल चूसता।
इस तरह हम काफ़ी देर तक करते रहे जब मुझे लगा कि मेरा झड़ने वाला हो गया है तब मैंने कहा- काजल! मैं झड़ने वाला हूँ!
उसने तभी मेरे लण्ड को निकाला और अपने बूब्स को मेरे लण्ड के नीचे कर दिया तभी मेरे लण्ड से माल निकला और उसके बूब्स पर गिर गया तब उसने पूरे माल को अपने बूब्स पर मलना शुरू कर दिया। मेरे माल को अपने स्तनों पर मलते हुए वो काफ़ी संतुष्ट लग रही थी।
फिर तो हमने कई बार ऐसा किया कभी किसी चीज के साथ और कभी किसी चीज के साथ। एक बार तो मैंने केक के ऊपर की क्रीम उसकी चूत पर मलकर उसको चाटा वैसा स्वाद भी मुझे कभी आज तक नहीं आया। आप सब को मेरा यह किस्सा कैसा लगा प्लीज़ मुझे ज़रूर बताएँ। Hindi Porn Stories
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