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मैं पहली बार अन्तर्वासना में अपनी Hindi Porn Stories कहानी भेज रहा हूँ। मैं एक ३३ साल का लड़का हूँ और सभी की तरह मेरे अन्दर भी सेक्स करने की बहुत इच्छा थी। मेरा नाम टॉम है (बदला हुआ नाम) मेरा शरीर गठीला और लण्ड ९ इंच लंबा और २.५ इंच मोटा है।
यह उस वक्त की बात है जब मैं २५ साल का था और मेरे ऑफिस में एक लड़की की नई नई आई। वो लड़की हमारे शहर की नहीं थी इसलिए एक कमरा लेकर दो और लड़कियों के साथ पेइंग गेस्ट की तरह रहती थी। मेरी शादी अभी नहीं हुई थी, इसलिए मुझे सेक्स करने की कुछ ज्यादा ही इच्छा होती थी पर कोई लड़की हो तो ही न सेक्स करे !
कुछ महीने बीत गए और उस लड़की और मुझ में दोस्ती हो गई। फिर हम कभी होटल में काफ़ी पीने तो कभी खाना खाने जाने लगे। इसी बीच मेरा प्रमोशन हो गया और इसी प्रमोशन की खुशी में मैं और पारो एक दिन आउटिंग के लिए गाँव चले गए।
हम गाँव जाने के लिए स्कूटर पर निकल पड़े। गाँव के नजदीक आते ही पारो को मस्ती सूझी उसने मुझे पीछे से कसकर पकड़ लिया और उसके छूने से मेरा लण्ड तुंरत ही खड़ा हो गया। उसने अपने मुम्मे मेरी पीठ पर इस तरह से चिपकाये थे कि मेरा लण्ड एकदम कड़क हो गया। अब मुझसे बिल्कुल रहा नहीं गया।
मैंने गाड़ी नहर के किनारे लगा दी और पारो को लेकर झाड़ी की आड़ में ले गया और उसे इस तरह लिटाया के कोई हमें देख न सके। फिर मैंने उसे चूमना शुरू किया और ऐसा करने की वजह से वो पूरी तरह से गरम हो गई और उसने मुझे अपने नीचे लेकर ख़ुद ऊपर की पोज़िशन ले ली।
मैं समझ गया कि आज अपनी निकल पड़ी है। पारो ने मेरी पैन्ट उतारी और मेरा लण्ड मुँह में लेकर खूब जोर जोर से चूसने लगी। मैंने तुंरत अपनी पोजिशन बदली, उसका कुरता ऊपर सरकाया और उसके मुम्मे मुँह में लेकर खूब जोर जोर से चूसने लगा। उसे भी बहुत मज़ा आने लगा था और वो सिसकारियाँ भरके मुझे जवाब दे रही थी। फिर हम दोनों ही एक दूसरे को चूसना चाहते थे इसलिए हमने 69 में हो कर एक दूसरे के गुप्तांग मुँह में लेकर चूसना शुरू किया और हमें मज़ा भी बहुत आ रहा था।
मगर असली मज़ा तो लण्ड और चूत के मिलन के बाद ही आने वाला था। थोड़ी देर में हम दोनों एक दूसरे के मुँह में झड़ गए।
पारो उठ कर खड़ी हो गई और उसने फिर एक बार मुझे किस करते हुए मेरे कानों में कहा- क्या बात हैं ! मैं तो जानती ही नहीं थी कि असली मज़ा तो मेरी चूत को चूसनेवाला ही मुझे दे सकता है !
वो मेरे चुसाई की दीवानी हो गई थी और इसका सबूत यह है कि उसने आव देखा न ताव ! वो सीधा मेरे मुँह पर आकर बैठ गई और अपनी चूत को फ़ैला फैला कर उसे चूसने के लिए मेरी मिन्नतें करने लगी। उधर मेरा लण्ड अभी तक सोया हुआ ही था इसलिए मैंने भी पारो की चूत के अन्दर अपना मुँह घुसेड़ दिया और पागलों की तरह उसकी चूत को चाटने और चूसने लगा। इसी दौरान उसकी टांगों में अकड़न आ गई और मैं समझ गया कि वो अब झड़ने वाली हैं।
वो मेरे मुँह में ही झड़ गई और शांत होने के बाद उसने मेरे मुँह में अपनी जुबान डालकर मुझसे खेलने लगी। उसने अपने हाथ को मेरे लण्ड के ऊपर रगड़ना शुरू कर दिया। अब मेरा लण्ड धीरे धीरे अपनी सीमाएं तोड़ रहा था। वो अपनी पूरी मस्ती में आ गया था। मुझसे भी अब रहा नहीं गया और मैंने पारो को जल्दी से अपने नीचे लिटाकर उसकी टाँगें ऊपर उठा ली। मैंने पारो को अपने हाथ से लण्ड को अपनी चूत पर लगाने को कहा और उसने बिना वक्त गंवाए ऐसा ही किया। उसने धीरे से अपनी कमर उठाकर मेरे लण्ड को अपनी चूत में समां लेना चाहा मगर मेरा विशाल लण्ड अन्दर लेने में उसे बहुत दिक्कत आ रही थी क्योंकि उसकी चूत बहुत ही नाजुक थी।
अब मैंने एक तरकीब लगाने की सोची, इससे पारो को दर्द तो होगा मगर उसे समझ नहीं आएगा कि कब मेरा लण्ड उसकी चूत के अन्दर चला जाएगा।
मैंने पारो को पीठ के बल लेटने को कहा और अपनी टांगें मेरे कन्धों पर रखने को कहा, उसने ऐसा ही किया। फिर मैंने अपने लण्ड का सुपाड़ा उसकी चूत के मुँह पे रखकर एक हल्का सा धक्का लगाया, उसके मुँह से जोर से आवाज़ आई- उई उइ माँ मर गयी मैं ! क्या करते हो बहुत मोटा लण्ड है तुम्हारा !
उसे बहुत जोर से दर्द हुआ। अब मैंने सोचा जब दर्द हो ही रहा है तो क्यों न दो चार और धक्को में अपना पूरा लण्ड अन्दर कर दूँ। मैंने अपनी पूरी ताकत से पारो को और दो धक्के दिए और मेरा पूरा लण्ड पारो की चूत को चीरता हुआ अपनी मंजिल तक पहुँच गया। अब पारो चिल्ला रही थी- प्लीज़ ! मेरी चूत को फाड़ दो ! और जोर जोर से नीचे से अपने चूतड़ उठा उठा कर मेरा साथ दे रही थी।
मुझे भी अब मज़ा आने लगा था और मैंने भी पारो की खूब अच्छी तरह से गहराइयाँ नापने की ठान ली। मैंने पारो को कभी कुतिया की तरह खड़ा करके तो कभी कामसूत्र वाली पोज़िशंस में, खूब अल्टा पलटा कर चोदा। पारो भी अब चुदने का मज़ा उठा रही थी। करीब आधे घंटे के बाद जब मैंने अपना पानी बाहर निकलने की इच्छा ज़ाहिर की तो पारो ने बिना वक्त गंवाए मेरे लुंड को अपने मुँह में भर लिया और कहने लगी आज मुझसे यह मज़ा मत छीनो !
फिर मैं उसके मुँह में ही झड़ गया और विश्वास कीजिये कि आज से पहले मुझे झड़ने में कभी इतना मज़ा नहीं आया।
मैं अब शांत हो चुका था मगर पारो अभी भी झड़ी नहीं थी उसने एक बार फिर मेरे मुँह पर बैठने की इच्छा जताई और मैंने हां कह दिया। फिर पारो मेरे मुँह पर बैठ गई और उसकी चूत की खुजली मिटाने में मैंने उसकी मदद की और कुछ ही पलों में वो भी झड़ गई।
इतने में हमें एक काला साँप वहाँ पर दिखाई पड़ा और हम दोनों अपने कपड़े ठीक कर के वहाँ से चल दिए।
बाद में हमने कभी ऑफिस में, तो कभी होटल के रूम में, तो कभी डैम के किनारे, पर तो कभी रास्ते में कई बार चुदाई की। पर वो कहानियाँ अलग है और वो मैं आपको अगली बार की कहानी में बताऊंगा। Hindi Porn Stories
दूसरे दिन मैं सवेरे नहा धो Anatrvasna कर निपटा ही था कि मुझे अपने कमरे के बाहर एक सुन्दर सी परी नजर आई। मेरी आंखें चकाचौंध हो गई। भरी जवानी लिये एक नवयौवना मेरे द्वार पर खड़ी थी।
‘कौन है आप, अन्दर आईये !’ उसने सर हिला कर मना कर दिया और अपनी बड़ी बड़ी आँखों से मुझे निहारने लगी। मेरे दिल पर जैसे सैकड़ों बिजलियां गिर पड़ी। मैं एकबारगी तो कांप गया। ऐसी बला की सुन्दरी मेरे घर पर !? यकीन नहीं हो रहा था। उसके भारी स्तन उसके कुर्ते में से झांक रहे थे। भरा मदमस्त बदन, गोल गोल उभरे हुए सुन्दर चूतड़, जवानी जैसे छलकी पड़ रही थी। इतने में मीना लहराती हुई अन्दर आई।
‘यह राधा दीदी हैं ! पसन्द आई?’ मीना ने परिचय कराया।
‘इतनी सुन्दर ! मीना, ये तो खुदा की कलाकृति है !’
‘है ना ! इसे आज आपके लिये सजाया है, इसे सब कुछ सिखाना है… दीदी ! ये सिखायेंगे !’
राधा शर्म से नीचे देखने लगी।
‘चल ना… वापस चल !’ राधा कुछ नर्वस नजर आ रही थी।
‘अरे दीदी, सुबह से तो अंकल जी का नाम जप रही थी, अब क्या हुआ?’ मीना ने उसकी पोल खोलते हुए कहा।
‘मीना, चल ना, मैं तो मर जाऊंगी !!’ राधा शर्म से लाल हो रही थी।
‘अंकल जी इसे अन्दर तो ले जाईये !’ मीना ने राधा को अन्दर मेरे सामने धकेल दिया।
मैंने जैसे ही उसका हाथ पकड़ा। मुझे और उसे जैसे बिजली के झटके से लगे। मेरे हाथ लगाते ही वो सिमट गई, जैसे छुईमुई हो। मैंने हिम्मत करके उसकी बांह थाम ली और उसे प्यार से दुल्हन की तरह अन्दर लाया। और बिस्तर पर बैठा दिया।
‘अंकल इसे प्यार से चोदना, देखो मजा आना चाहिये। मैं जितने घर का काम निपटाती हूँ !’
‘मीना मत जा, रुक जा।’ उसकी आंखो में विनती थी। वो नर्वस हो रही थी।
‘मेरे सामने चुदायएगी क्या?’ मीना ने फ़ूहड़ तरीके से कहा।
‘हाय मीना, मत बोल ऐसा !’ वो शरम से सिमटती जा रही थी। मैंने मीना को इशारा किया कि वो जाये।
‘मीना, देखो सुहागरात को तुम्हारा मर्द तुम्हें चोदेगा, तुम्हें सब आना चाहिये, मत चिन्ता करो, मैं हूँ ना, सब सिखा दूंगा !’ मैंने उसे तसल्ली दी।
‘अंकल, कुछ होगा तो नहीं ना? !!’ वो शरम से मुँह छिपाने लगी।
‘राधा, सुनो वो तुम्हारे वक्ष से शुरू करेगा, और उसे दबाते हुए तुम्हरा कुर्ता उतारेगा !’ मैंने उसके स्तनों पर हाथ डालते हुए कहा। उसके बोबे नरम और नाजुक से लगे। निपल कड़े हो चुके थे। मैं कुर्ता ऊपर खींचने लगा।
‘सुहागरात को कुर्ता नहीं, मैं ब्लाऊज पहनूंगी !’ उसने कुछ हिचकिचाते हुए कहा। मुझे हंसी आ गई।
‘अच्छा तो ये कुर्ता तो उतारो… ‘
‘ नहीं , पहले आप उतारो !’ उसने शरमाते हुए कहा। उसकी शर्म दूर करना जरूरी था। मैंने अपना पजामा उतार दिया। मेरा तन्नाया हुआ लण्ड बाहर उछल कर आ गया। वो लण्ड देखते ही शरमा गई।
‘उई मां, यह तो बहुत बड़ा है, और ऐसा लोहे जैसा?’ उसकी आह निकल गई।
‘अब तो उतार दो ना, देखो मैंने भी उतार दिया है !’
शरमाते हुए राधा ने भी अपने कपड़े उतार दिये। उसका तराशा हुआ चिकना बदन, लुनाई से भरा हुआ, चमकता हुआ, मेरी धड़कने बढ़ाने लिये काफ़ी था। मैं उसके समीप आ गया, मेरे बिना कुछ कहे उसने मेर लण्ड पकड़ लिया, सुपाड़ा बाहर निकाल लिया और मुठ में भर लिया और दबा लिया।
‘आह, अंकल जी, जब यह अन्दर जायेगा तो मर ही जाऊंगी !’ और उसने मेरा लण्ड जबर्दस्त दबा दिया। मेरे मुख से आह निकल गई। राधा मेरे लण्ड को दबाती चली गई और आह भरती गई। मेरी उत्तेजना बहुत तेज हो उठी। एक परी जैसी नवयौवना मेरा लण्ड दबा रही थी।
‘कितना कठोर लण्ड है, मां रीऽऽऽ, मस्त है !’ उसका हाथ कसता गया। मेरे शरीर में जैसे रंगीन फ़ुलझड़ियाँ छूट पड़ी। सारा पानी जिस्म में सिमटता सा लगा। और… और हाय… मेरा वीर्य बाहर आने की तैयारी में था।
‘मीना मैं तो गया, मेरा निकला !’ मीना भाग कर आई और गिलास को मेरे लण्ड की टोपी पर रख दिया।
‘अरे अंकल जी, ये क्या… निकल गया माल?’ मीना हंस पड़ी। वीर्य पिचकारी बन कर फ़व्वारे की तरह लण्ड से बाहर आने लगा और गिलास में उसे मीना ने एकत्र करने लगी।
‘लो सभी इसे टेस्ट करो !’
राधा अपनी अंगुली तर करके वीर्य चाटने लगी। मीना ने भी वीर्य चाटा, राधा ने एक अंगुली में भर कर मेरे मुँह में भी डाल दिया। मुझे तो वीर्य का स्वाद कुछ खास नहीं लगा, पर वे दोनों पूरा चट कर गई।
‘ये सब राधा के रूप और यौवन का कमाल है, मैं इसकी जवानी सह नहीं पाया !’ मैंने राधा की जवानी की तारीफ़ की। वो भी शरमा गई। मुझे थोड़ी शर्मिन्दगी सी लगी पर अपनी कमजोरी लावा बन कर बाहर निकल चुकी थी।
‘अंकल जी, मुझे सिखाओगे नहीं क्या?’ राधा ने फिर से विनती की। मेरा अंग अंग फिर से फ़ड़क उठा। उसके गाण्ड की गोलाईयां को मैंने दबा कर अपनी ओर खींच लिया। उसका नरम नरम जिस्म मेरे शरीर में आग भरने लगा। मेरा लण्ड फिर से जाग उठा। उसकी चूत से मेरा लण्ड टकराने लगा। मीना भी उसकी चूचियाँ दबाने लगी। हम दोनों ने मिल कर राधा को बिस्तर पर लेटा दिया।
‘तू जा ना अब, तेरे सामने मुझे शरम आयेगी !’
‘आहाऽऽ ! बड़ी आई शरमाने वाली ! रेशमा से तो खूब खेलती है? अब मुझसे शरमायेगी !’
‘जा ना मीना, चुदते हुए मुझे शरम आयेगी !’ इतने में ऊपर आ चुका था और राधा के जिस्म को कब्जे में कर रहा था। मेरा लण्ड अब उसकी चूत पर दब रहा था।
‘मीना, अब जा नाऽऽऽ… आह… मीना घुस गया रे !’
‘चोद दो अंकल इसे ! जरा भी मत रहम करना !’ मीना ने राधा को छेड़ते हुए कहा।
मेरा लण्ड थोड़ा सा और अन्दर गया और राधा बोल पड़ी,’धीरे से, मेरी चूत अभी तक कुंवारी है, झिल्ली धीरे से तोड़ना !’ राधा ने मुझे लिपटाते हुए कहा।
मैंने हल्के से लण्ड अन्दर सरकाया। पर मीना ने शरारत कर दी। उसने मेरे दोनों चूतड़ों को सहलाते हुए जोर से धक्का दे दिया। लण्ड फ़च से अन्दर तक बैठ गया। राधा चीख उठी।
‘हाय रे अंकल ! कहा था ना धीरे से… !’ उसकी आंखों से दर्द के मारे आंसू निकल आये।
‘राधा ! यह धक्का मीना ने दिया है !’ मैंने प्यार से उसे चूम कर शान्त किया।
पर मीना ने फिर से मेरे चूतड़ को जोर से एक धक्का और दे दिया। लण्ड फिर से जड़ तक घुस गया। वो फिर से चीख उठी।
‘मजा आया ना दीदी, तेरी फ़ुद्दी में मोटा लौड़ा फंस गया है अब !’
‘साली, हरामजादी ! मुझे लग रही है और तुझे मजाक सूझ रहा है ! अंकल जी लौड़ा धीरे मारो ना !’
‘झिल्ली फ़ुड़वायेगी ना, तो दर्द का भी मजा ले, अंकल ने कल मेरी झिल्ली भी फ़ोड़ डाली थी… खूब मजा आया था… अंकल चोद मारो ना साली को !’ मीना शरारत करने में जरा भी पीछे नहीं हट रही थी।
मैंने धीरे धीरे लण्ड अन्दर बाहर करना चालू कर दिया। मीना ने अंगुली में थूक लगा कर राधा की गाण्ड में सरका दी। मीना मेरी गोलियों से भी खेल रही थी। राधा के बोबे मैंने मसलने चालू कर दिये थे, उसके निपल कड़े हो चुके थे, उसे रबड़ की तरह ऊपर खींच कर छोड़ रहा था। कुछ ही देर में राधा तैयार हो चुकी थी, गाण्ड में अंगुली का मजा भी ले रही थी।
‘हाय मीना, सच में तेरे अंकल जी ने तो मुझे चोद चोद कर मस्त कर दिया है, मस्त लौड़ा है रे, मीना गाण्ड में जल्दी जल्दी अंगुली कर ना !’
मेरे धक्के भी अब तेज हो चुके थे। राधा भी उछल उछल कर चुदवा रही थी। मेरा बिस्तर खून के धब्बों से लाल हो गया था। राधा अपनी गाण्ड और खोल कर अंगुलि अन्दर ले रही थी। अब राधा बल खाने लगी थी। सिसकारियाँ तेज हो उठी । उसकी बाज़ारू भाषा निकल पड़ी थी।
‘मीना, हाय रे, हरामी लण्ड ने मुझे पेल दिया, हाय रे चुद गई मैं तो… आहऽऽ मैं गई… राजाऽऽऽ चोद… चोद रे, मैया रीऽऽऽ !’
‘मेरी बहना आज मौका है, फ़ुड़वा ले अपनी चूत… अंकल गन्डमरी को लौड़ा मार मार कर चोद दे !’
‘अंकल जी, हाय चूत मार दी रे, मेरी फ़ुद्दी चुद गई, आह्ह मेरा माल निकला रे , हरामजादी… मेरी चूत फ़ोड़ डाली रे…’ और उसने अपनी चूत सिकोड़ ली। राधा झड़ने लगी, उसका पानी निकलने लग गया था।
‘अंकल जी इसकी गाण्ड मारो, जल्दी करो… !’ मीना ने मेरा कड़क लण्ड बाहर निकाला और अंगुली निकाल कर उसकी जगह लण्ड रख दिया। मैंने जरा सा जोर लगाया और लण्ड गाण्ड में घुसता चला गया। राधा फिर से चीख उठी।
‘हाय री, बस ना, दर्द हो रहा है, अब मेरी गाण्ड फ़ाड़ोगे क्या !’
‘अरे वाह, खुद तो झड़ गई, अंकल प्यासे रह जायेंगे क्या, अंकल जी चोद दो राधा गाण्ड को… साली की फ़ाड़ दो !’ मीना अपनी देसी भाषा में मेरी तरफ़दारी कर रही थी।
मेरा लण्ड फूल कर तन्ना रहा था। मैं राधा को कैसे छोड देता, मेरा जिस्म तरावट में मस्त हो रहा था। मेरा लण्ड उसकी गाण्ड को अन्दर तक चोद रहा था। मीना को यह देख कर मजा आ रहा था कि राधा आज पूरी तरह से चुद गई है। मीना ने अब मुझे झाड़ने के लिये मेरी गाण्ड में भी अंगुली डाल दी। मुझे अंगुली घुसते ही दुगना मजा आ गया।
‘मीना, अंगुली से मेरी गाण्ड और चोद दे, बड़ा मजा आ रहा है।’ मैंने मीना को और उकसाया। पर मेरी हालत झड़ने जैसी होने लगी। उसकी अंगुली मेरी गाण्ड में तेज मजा दे रही थी और मैं अब उस आनन्द को झेल नहीं पा रहा था। मुझे अचानक लगा कि बस अब पूरा हो गया।
‘राधा, बस मैं आ गया, हाय निकल रहा है… आह्ह्ह !’
‘अंकल, निकाल दो अपना माल, लगाओ जोर !’
‘हाय निकला रे… मीना !’ मैं राधा से लिपट पड़ा। मीना ने मेरा लण्ड उसकी गाण्ड में से निकाल लिया और अपने हाथ से मुठ मारने लगी। मेरी पिचकारी छूट पड़ी और मीना ने लण्ड को अपने मुँह में ले लिया। मेरा वीर्य झटके खा खा कर निकल रहा था। मीना उसे पीती जा रही थी। अन्त में मेरा लण्ड पूरा निचोड़ कर साफ़ कर लिया और मेरे लण्ड को लटकता छोड़ दिया। राधा चुद कर मस्त हो गई थी। हमारी चुदाई पूरी हो चुकी थी।
राधा धीरे से उठी और अपने कपड़े पहनने लगी। मैंने भी अपने कपड़े पहन लिये। मीना चाय बना लाई थी। आराम से हम सभी ने चाय नाश्ता किया। मैंने अपनी जेब से सौ रुपए राधा को दिये और पचास रुपए मीना को दिये। राधा खुश हो गई, मीना को बिना चुदे ही पैसे मिल गये थे।
‘अंकल राधा को सौ क्यों दिये?’
‘उसकी मस्त भरी जवानी के, मस्ती भरी चूत के, फिर गाण्ड भी तो मरवाई थी ना !’
‘और मुझे पचास क्यो दिये, आपने मुझे तो चोद ही नहीं है?’
‘तुमने आज मेरी गाण्ड में अंगुली डाल कर जो मस्त मजा दिया था, ये उसके हैं !’
राधा आज खुश थी, उसे चुदाना आ गया था साथ में पैसे भी मिल गये थे।
‘अंकल कल भी आऊँ मैं, मुझे सौ रुपए दोगे?’ राधा ने कुछ अविश्वास से मुझे पूछा।
‘जरूर, पर चुदाने के साथ साथ गाण्ड भी मरवानी होगी सौ रुपए में, आज की तरह !’
‘हाँ, हाँ ! आप कितने भले है अंकल जी !’
राधा ने मुझे चूम लिया। मैंने मीना और राधा के बोबे दबाये और उन्हें कल आने का न्योता दे दिया।
मीना और राधा दोनों खुश हो कर जा रही थी और मुझे मुड़ मुड़ कर हाथ हिला रही थी। Anatrvasna
मेरी एक एक कहानी Antarvasna को दिल से पसंद करके मुझे अपना अपना प्यार खुले दिल से दिया, और दोगे हर कोई मुझे कह रहा है कि गांडू अपनी चुदाई ज़रा जल्दी जल्दी भेजा कर !
अब कब भेजेगा ?
अब आगे बढ़ते हुए गुरु जी और सभी पाठकों को बहुत बहुत प्यार ! आज यह सनी एक और चुदाई के बारे में लिखने जा रहा है, पढ़ना और मुझे याहू पर मेरी गाण्ड का वेबकैम पर लुत्फ उठाएँ।
हाल के ही दिनों की बात करने जा रहा हूँ, प्रेस वाले से मैने चुदवाया सो चुदवाया, हमारे घर में ऊपर की बिलडिंग डबल स्टोरी में पत्थर लग रहा है। दो बन्दे रगड़ाई करने आते हैं, दो बन्दे पत्थर लगाने !
एक दिन में याहू पर बैठ कर चेट का लुत्फ उठा रहा था कि मेरी चेट विनोद नाम के बन्दे से जो दिल्ली से है, देश की राजधानी में बैठ मुझे चोदने की योजना बना रहा था। तभी वो बोला- सनी यार ! अपना वेबकैम चला ! मुझे तेरी चिकनी गांड देख कर मुठ मारनी है। अपने गुलाबी होंठ दिखा, उनमें होंठ डालने हैं।
लेकिन मेरे लिंक्ड बाथरूम में ही रगड़ाई चल रही थी, मैंने उसको अपनी स्थिति बताई कि मैं नंगा नहीं हो पाउँगा। उसको वजह बताई तो वो बोला- साले गांडू ! मौका है उससे गांड मरवा ले ! पटा ले साले को ! तेरा दिल तो ज़रूर करता होगा ?
मैंने कहा- मेरा उनमें बिलकुल ध्यान नहीं था, मैं तो उनको अपनी आजादी में बाधा समझ रहा था।
उसकी यह बात मेरे दिमाग में घर कर गई, बस फिर क्या था, मैंने सोच लिया कि अब इसको पटाना ही है।
मैंने अपना पजामा उतार दिया और फ्रेंची में मेरे गोलमोल चिकने चूतड़ किसी का भी लौड़ा खड़ा कर सकते थे। मैंने सामने ब्लू फिल्म चला ली और बेड पर उल्टा लेट गया तकिये को बाँहों में लेकर उल्टा लेट गया जिससे मेरे चूतड़ साफ़ दिखने लगे और सामने शीशे में मेरी एक नज़र उस पर थी। वो अपने ध्यान लगा हुआ था। मैंने सोचा अब क्या करूँ यार? कैसे इसका धयान अपने पर लेकर आऊँ?
पास के मेज से मैंने एक ग्लास उठाया और उसको फर्श पर फेंक दिया, जैसे ग्लास गिरा उसने मुड़ कर देखा। मेरी साँसे तेज़ होने लगी कि अब वो क्या करेगा। चोरी-चोरी से मैं शीशे में देखता। अब उसका ध्यान मेरी तरफ था, वो ब्लू फिल्म देखता तो कभी मेरी गांड देखता।
वो अपना लंड पकड़ कर मसल रहा था, मैंने जानबूझ कर गांड थोड़ी ऊपर उठाई। उसकी मशीन बंद हो गई थी, मैंने खुद ही चूतड़ हिलाए उसको यह शो कर दिया कि मैं खुद सब कुछ कर रहा हूँ।
उसने मुझे उसकी रर शीशे में देखते हुए देख लिया। वो कमरे में आया और बाथरूम के दरवाज़े की कुण्डी चढ़ा दी। बिस्तर के करीब आते ही उसने अपना हाथ मेरे चूतड़ पर रखते हुए सहला दिया। मेरा बदन कांप उठा। वो मेरे दोनों चूतड़ मसलने लगा, मैंने आखें मूँद ली।
वो मेरी बगल में लेट गया और मेरी फ्रेंची को गांड के चीर में घुसा छेद पर ऊँगली फेरते हुए मेरे गाल को चूम लिया, अपना दूसरा हाथ मेरी कमर से लपेटते हुए शर्ट में डाल मेरे मम्मे दबाने लगा। मैं गर्म होकर अपने को रोक नहीं पाया और उसकी ओर चेहरा करके उसके साथ चिपक गया और झट से उसके पजामे का नाड़ा खोल दिया और मसलने लगा उसके विकराल लिंग को ! क्या लिंग था साले का ! जो मैंने पजामे के ऊपर से सोचा था उस से भी बड़ा था उसका लिंग ! हाँ, मोटा कम था ! मतलब गांड के लिए बना था समझो !
उसने मुझे नंगा कर दिया, तभी दरवाजा खटका।
कौन? उसने कह दिया।
मैं राजू ! काम क्यों रोक दिया रे?
उसने बिना पूछे दरवाज़ा खोल दिया, मैंने चादर लपेट ली।
क्या कर रहे हो दोनों दरवाज़ा बंद करके?
बोला- आजा, मजे कर रहे हैं दोनों ! फिल्म देख रहे हैं और इसकी गांड से खेल रहा हूँ, साला गांडू निकला !
वो बोला- फिर तो आज पाँचों उंगलियाँ आज घी में हैं !
मैं तो था ही बेशर्म, मैंने कहा- साले देख क्या रहा है? सभी घर आ जायेंगे ! मादरचोदो, पकड़ लो मुझे !
उसने अपनी लुंगी उतार दी। उसका बम्बू घाट तम्बू की तरह तन चुका था। मैंने उसको ऊँगली के इशारे से पास बुलाया और उसके अंडरवियर में हाथ डालते हुए उसके खड़े लिंग को सहलाने लगा। उसका अंडरवियर उतार दिया, उसका लिंग इतना मस्त निकला, काले नाग जैसा लिंग देख मैं बेकाबू होने लगा। मेरे मुँह में लेते ही वो अपने उफान पर आ चुका था। वो सांस खींचता तो मेरे मुंह में ही हिलने लगता, दूसरे को पास बुलाया और उसका लण्ड पकड़ कर मुठ मारने लगा। फिर कभी उसका कभी उसका !
चूस चूस कर, चाट चाट कर दोनों को इतना पागल कर दिया कि दोनों ने मुझे नंगा कर दिया।
चल लेट ! चल !
राजू ने अपना लिंग आगे से आकर मेरे मुँह में दिया और दूसरे ने थूक लगाते हुए गांड पर टिका दिया।
मैंने कहा- पहले उंगलियाँ डाल कर खोल ले इसको ! चाट !
वो मेरी गांड चाटने लगा। मेरा इशारा पाते ही उसने लिंग अन्दर डाल दिया। थोड़ी सी चुभन के बाद वो आराम से चोदने लगा। मेरा कौन सा पहला मौका था ! मुझे चुदवाने का पूरा तजुर्बा था। वो मेरी गांड की दीवारों की गर्मी सह नहीं पाया और उसने मुझे जोर से भींच लिया और अपने गर्म-गर्म लावा से मेरी खुजली ख़त्म कर दी।
राजू जल्दी से पीछे आया, टाँगें खुलवा अपने कन्धों पर टिकाते हुए अपना लिंग को प्रवेश करवा दिया और उसके झटके मुझे मजा देने लगे। तेजी से करते हुए उसने भी अपना माल निकाल दिया और मेरे ऊपर गिर गया।
दूसरे वाले का मन नहीं भरा था तो उसने फिर से मुँह में डाल दिया उसका नमकीन लिंग चूसना मुझे भी अच्छा लगा। वो तैयार हो गया और उसने मुझे बीस-पच्चीस मिनट चोदा।
और फिर जब तक पत्थर का काम पूरा नहीं हुआ, हर दोपहर उनका लंच मेरी गांड होती !
काम के बाद मैंने दोनों को मुँह लगाना छोड़ दिया।
यह मेरी एक और सच्ची कहानी है।
अन्तर्वासना के ज़रिये मैं आप लोगों को ऐसे ही मजे देता रहूँगा ! Antarvasna
दोस्तों मैं आप को एक सेक्सी Sex Stories बातचीत बताता हूँ।इसे पढ़कर आदमी का लंड चूत के लिए और औरत की चूत लंड के लिए बेताब हो जायेगी !
तो पेश है :
हाय
बोलिए
कैसे हैं आप !
ठीक हूँ और तुम ?
ठीक
क्या चल रहा है ?
बस ठीक कट रही हैं
लंड खड़ा हो गया तुझे ओन लाइन देख के
अच्छा इतनी जल्दी
इसका मतलब आप के लिए बहुत हॉट पिक हूँ मैं
हाँ यार बहुत दिन बाद मिली न
हा यार
अच्छा, फिर आज कुछ मूड है कि नहीं
गांड मारनी है या चूत ?
दोनों
पहले क्या ?
आप का जो भी मन हो वो मार लो
एक साथ मारनी हो तो दो लोग लगेंगे
नहीं आप से ही मरवानी है और से नहीं
अच्छा क्या पहना है
मिनी स्कर्ट और टॉप पहना हैं, पैंटी और ब्रा भी हैं ब्लैक कलर की
मैंने पैन्ट और टी-शर्ट
अब एक दूसरे को किस करतें हैं और एक एक करके
कपड़े उतारते हैं
टी-शर्ट उतारो,
ओके आप भी हेल्प करो
अब मैं तुम्हारी टॉप
वो क्या साइज़ हैं बॉडी का बताओ जरा
बूब्स ३४ कमर ३० और हिप्स ३४
जान खुलकर बोल तभी मजा आयगा
बोल मेरी चूची ३४ , कमर ३० और गांड ३४
अच्छा अब जींस उतार दो
आप का लंड साइज़ क्या हैं
८.२ इंच लंबा हैं और २.१ इंच मोटा हैं
लंबा बहुत हैं
हां
जान
डरो नहीं तुम्हारे चूत इसी पूरा ले लेगी
बहुत डर लग रहा हैं
नहीं मेरी तो बहुत टाइट और छोटी हैं
जान क्या ये तुम पहली बार चुदने वाली हो
फट गई तो
नहीं पहले एक बार शुरुआत की थी पर ठीक से नहीं चुदवाई
अच्छा वो क्यूँ
उससे छोड़ो आप आगे बोलो
जान शुरू में तो थोड़ा दर्द होगा
लेकिन फ़िर मज़ा आएगा
अच्छा
जान तुम्हारी चूत पर बाल हैं क्या
या थोड़े थोड़े हैं और आपके लिए क्लीन शेव की हैं
तुम पूरा मुँह में ले लोगी
अच्छा चलो कोशिश कर लो
तुम्हारी चूत पर कुछ तेल /क्रीम लगा लेते हैं
तेल लगा लेने से आसानी से चूत में चला जाएगा
और तुम्हें दर्द भी कम होगा
अच्छा
हाथ में लो लंड को
अच्छा ले लिया बहुत हॉट हैं और टाइट भी रोड के जैसा
हम्म
अब पकड़ने से कुछ डर कम हुआ
अब आप ऐसे ही पैंटी के ऊपर से मेरी जांघों और चूत पर हाथ फेर रहे हो
मैं इसको किस कर लूँ , देख कर बहुत मन हो रहा हैं
एकदम अखरोट के जैसा
हाँ किस करो, और फिर इसे मुंह में लो जान
बहुत मोटा हैं मुंह में नहीं आ रहा
थोड़ा मुंह और खोलकर ट्राई करो जान, आ जायगा
जितना आ रहा है लो
पौचा पौच
कितना आ गया है
ऊई माँ ये तो किस करने से और मुंह में चूसने से और मोटा लंबा हो रहा है
अब मैंने तुम्हारे बालों को पीछे की तरफ़ से जोर से पकड़ लिया है
और अब अचानक मैंने एक ज़ोरदार झटके के साथ पूरा लंड तु्म्हारे मुंह में दे दिया
अह्हा मर गई ऐसे नहीं धीरे धीरे
तुम्हारी आवाज़ भी तुम्हारे मुंह में ही रह गई
रुको थोड़ी देर साँस लेने दो
आइस क्रीम लगा के चाटेगी ?
नहीं चोकलेट
कौन सा फ़्लेवर पसंद है
अब लंड पर चोकलेट लगा दी है चाट ले पूरी
अब मैं तुम्हारे मुंह में लंड को अंदर बाहर कर रहा हूँ
अह्हा अब अच्छा लग रहा हैं
हम्म्म ऐसे ही करते रहो
कैसा लग रहा है
अहा अब अच्छा लग रहा हैं
और अब मैं तुम्हारी चूत और गांड में ऊँगली कर रहा हूँ
पहले थोड़ी देर ऐसे ही पूरा बदन मसलो
और अपना बदन भी रगड़वाओ
अच्छा अब अपनी चूत तो चटा, मुझको बहुत बेचैन कर रखा हैं इसने
हम्म चाट लो पर मैं भी आपका लंड चूसूंगी
तो ठीक है, लेट जा, मेरे लंड को मुँह में लेकर और में तेरी चूत चाटता हूँ
हम्म बहुत गुलाबी और उभरी हुई हैं जान तेरी चूत इसे मारने में बहुत मजा आयगा
प्लीज़ यार ऐसे मत बोलो मुझे शर्म आती हैं
चल ठीक हैं अब लंड डालता हूँ तेरी चूत में
बहुत गीली हो गई हैं चाटने से अब लंड भी आराम से जाएगा
गई अरी चिल्ला मत
उम् मर गयीईइ
रुको बहुत दर्द हो रहा हैं, रुक गया अब तेरे लिप्स चूस रहा हूँ
तेरे बूब्स दबा रहा हूँ
इससे दर्द कम हो जाएगा
अच्छा फिर
और फिर एक और झटके में लंड पूरा तेरी चूत में अन्दर गया
प्लीज़ रुको, मर गयी ई ओह ऊई, फट गयी ई
फिर थोड़ी देर तू अपने आप गांड हिलाने लगी जब दर्द कम हो गया
मस्ती में चुदा
मजा ले ले के
अब बोल मैं अपनी चूत मरा रही हूँ
मजा आ रहा है
हम्म्म पूरा पूरा जन्नत का
तुझे तो एक साथ तीन लंड चाहियें
नही यार ऐसे मत बोल
पहले बहुत दर्द हुआ था
आप की खुशी के लिए सहन कर रही थी
अच्छा फिर
मार घच घच
अब मेरा पानी निकलने वाला है
मैं झरने वाली हूँ
तेरे मुंह से लंड की गंध आ रही है
लौड़े का टेस्ट आ रहा है
हम्म तो चाट लो दोनों को अच्छा लगा
अपनी चूत का रस चूस न मेरे मुंह से
हाँ बहुत अच्छा लग रहा है
दोस्तो ! मैं आशा करता हूँ कि आपको यह बात-चीत पसन्द आई होगी, मुझे मेल करें Sex Stories
सेक्सी कॉलेज गर्ल्स चुदाई की कहानी तीन सगी बहनों की है. तीनों एक ही कॉलेज में पढ़ती हैं. तीनों सेक्स की प्यासी हैं मगर उनके चाचा के दबदबे के कारण कोई उनकी ओर नहीं देखता.
यह पूर्व प्रकाशित कहानी है जिसे पुनः सम्पादित करके प्रकाशित किया गया है.
हैलो फ्रेंड्स, ये सेक्सी कॉलेज गर्ल्स स्टोरी एक जागीरदार परिवार की तीन सुंदर सेक्सी लड़कियों की कुंवारी चुत चुदाई की कहानी है.
भानुप्रताप सिंह की हवेली में हर समय तीन खूबसूरत हसीन बहनों की हंसी मजाक की आवाजें सुनाई पड़ती थीं.
ये तीनों हसीन बहनें भानुप्रताप सिंह के स्वर्गीय भाई का निशानी थीं.
लेकिन इन तीन लड़कियों का बाप भानुप्रताप सिंह ही था.
इन तीन हसीन बहनों का नाम सोनम (24 साल), मीनाक्षी (22 साल) और डिंपल (20 साल) था.
तीन बहनों की फिगर बहुत ही सेक्सी थी. उनकी चूचियों और चूतड़ों का आकार बहुत फूला हुआ था.
किसी भी मर्द को उनको देख कर अपने आपको रोकना बहुत ही मुश्किल हो जाता था.
इन तीनों के असली बाप और चाचा भानुप्रताप सिंह का शहर में बहुत दबदबा था और इसलिए कोई लड़का इनकी तरह अपनी आंख उठा कर देखने की भी जुर्रत नहीं करता था.
ये तीनों बहनें अभी तक कुंवारी ही थीं और अपनी वासना खत्म करने का काम अपनी चुत में उंगली या बैगन खीरा मूली गाजर आदि डालकर चलाती थीं.
वे सब एक दिन कार में सवार होकर कॉलेज जा रही थीं. कार की ड्राइविंग सीट पर मीनाक्षी बैठी थी और वो मस्ती से कार चला रही थी.
अचानक एक जोरदार ब्रेक लगने के साथ कार एक झटके से रुक गयी.
पीछे बैठी सोनम और डिंपल ने उसी समय हलकान होते हुए मीनाक्षी की तरफ देखा.
सोनम ने पूछा- क्यों क्या हुआ … तुमने अचानक कार क्यों रोक दी?
मीनाक्षी बोली- चिल्ला क्यों रही हो … कार के सामने का नजारा तो देखो. कितना नशीला नजारा है.
अब सोनम और डिंपल ने सामने का सीन देखा कि कार के सामने बीच सड़क पर एक कुत्ता और कुतिया गांड से गांड मिला कर चिपके हुए थे. यानि कुत्ता और कुतिया चुदाई कर रहे थे और अपनी अपनी जीभ निकाल कर हांफ़ रहे थे.
सोनम और डिंपल चहक कर बोलीं- वाह … सच में क्या हसीन नजारा है.
मीनाक्षी बोली- हमसे तो ज्यादा किस्मत वाली ये कुतिया है. क्या मस्ती से अपनी चूत चुदवा रही है.
इस पर सोनम और डिंपल ने एक साथ कहा- हां, हमारे चाचा भानुप्रताप सिंह के डर के मारे कोई लड़का हमें घास भी नहीं डालता है. लगता है कि अपने नसीब में कुंवारी ही रहना लिखा है और हम तीनों को अपनी चूत की आग अपनी उंगलियों से ही बुझानी है.
ये ही सब बातें करते हुए उन तीनों के दिमाग में उसी समय चुदने के लिए एक आइडिया आया.
उन्होंने आपस में कुछ बात की और फैसला ले लिया.
तीनों के फैसला लेते ही मीनाक्षी ने कार को प्रोफेसर आलोक के घर की तरफ़ घुमा दी.
प्रोफेसर आलोक की उम्र उस समय लगभग 35 साल की थी और उसकी शादी अभी नहीं हुई थी. वो बहुत ही रंगीन मिजाज का था … मतलब वो एक बहुत चोदू किस्म का आदमी था. उसके लंड की लम्बाई 7 इंच और मोटाई 4 इंच की थी.
ये बात कॉलेज की लगभग सभी लड़कियां और मैडम लोग को मालूम थी.
प्रोफेसर आलोक को अपने नायाब लंड और अपनी चुदाई की कला पर बहुत गर्व था. पूरे कॉलेज की काफी सारी लड़कियां और मैडम उनसे अपनी चूत चुदवा चुकी थीं.
आलोक इन सब लड़कियों और मैडमों को बातों बातों में फंसा कर अपने घर ले जाया करता था और फिर उनको नंगी करके उनकी चूत चोदा करता था.
प्रोफेसर आलोक चोरी चोरी इन तीनों बहनों की जवानी को भी घूरा करता था … मगर वो भानुप्रताप सिंह के डर से इनसे दूर ही रहता था.
आलोक की नजरों में खुद के लिए वासना को देखना और ललचाने वाली बात इन तीनों बहनों को मालूम थी.
आज कुछ तय करके इन तीनों बहनों ने अपनी कार प्रोफेसर आलोक के घर के सामने जाकर रोक दी.
प्रोफेसर आलोक उस समय अपने घर पर ही था और एक लुंगी पहन कर अपना लंड सहलाते हुए एक ब्लू फिल्म देख रहा था.
प्रोफेसर आलोक ने इन तीन बहनों को कार से उतरते देखा तो जानबूझ कर टीवी ऑफ़ नहीं किया.
उसने ऐसा दिखाया कि उसे इन लोगों के आने की बात मालूम ही नहीं पड़ी.
टीवी पर उस समय एक गर्मागर्म चुदाई का सीन चल रहा था जिसमें एक आदमी दो लड़कियों को एक साथ मजा दे रहा था.
वो एक लड़की की चुत में अपने लंड को पेल रहा था और दूसरी लड़की की चुत को अपनी जीभ से चोद रहा था.
लड़कियां अपनी चूत चुदाई के समय अपनी अपनी कमर उछाल कर लंड और जीभ अपनी अपनी चूत में ले रही थीं.
ये तीनों बहनें सीधे प्रोफेसर आलोक के कमरे में पहुंच गईं.
प्रोफेसर आलोक इन तीन बहनों को देख कर घबराने का नाटक करने लगा.
फिर उसे रिमोट नहीं मिला तो उसने उठ कर टीवी ऑफ़ कर दिया.
मगर तब तक टीवी पर चल रही चुदाई की फिल्म पर इन तीनों चुदासी बहनों की नजर जा चुकी थी.
आलोक बोला- अरे … तुम लोग अचानक से यहां कैसे?
तीनों बहनों ने एक साथ प्रोफेसर आलोक से पूछा- सर, आप टीवी पर क्या देख रहे थे?
प्रोफेसर आलोक ने उन तीनों बहनों के चेहरे देख कर उनके मन की बात पहचान ली और उनसे पूछा- मैं जो कुछ टीवी पर देख रहा था … क्या तुम लोग भी देखना चाहोगी?
तीनों बहनों ने एक साथ अपनी मुंडी हिला कर हामी भर दी.
प्रोफेसर आलोक ने फिर से टीवी ऑन कर दिया और सब लोग पलंग और सोफ़ा पर बैठ कर ब्लू फिल्म देखने लगे.
आलोक एक सोफ़ा पर बैठा था और उसके बगल वाले सोफ़ा पर मीनाक्षी और डिंपल बैठी थीं … जबकि पलंग पर सोनम बैठी थी.
उधर प्रोफेसर आलोक ने देखा कि ब्लू फिल्म की चुदाई के सीन देख कर तीनों बहनों का चेहरा लाल हो गया था और उन तीनों की सांसें भी जोर जोर से चल रही थीं.
उनकी सांसों के साथ साथ उनकी चुचियां भी उनके कपड़ों के अन्दर उठ बैठ रही थीं.
क्या हसीन नजारा था. एक साथ तीन जोड़ी चुचियां आलोक की आंखों के सामने उठ बैठ रही थीं और सांसें गर्म हो रही थीं.
कुछ देर के बाद सोनम, जो कि इन बहनों में सबसे बड़ी थी, अपना हाथ अपने बदन पर और चूचियों पर फेरने लगी.
आलोक उठ कर सोनम के पास पलंग पर बैठ गया. उसने पहले सोनम के सर पर हाथ रखा और एक हाथ से उसके कंधों को पकड़ लिया.
इससे सोनम का चेहरा प्रोफेसर आलोक के सामने हो गया.
आलोक ने धीरे से सोनम के कानों के पास अपना मुँह रख कर पूछा- क्या तुमको बहुत गर्मी लग रही है, पंखा चला दूं क्या?
सोनम बोली- नहीं सर, ऐसे ही ठीक है.
फिर सोनम आलोक सर के चेहरे को आंखें गड़ा कर देखने लगी.
आलोक पलंग से उठ कर पंखा फ़ुल स्पीड में चला दिया.
पंखा चलते ही सोनम की साड़ी का आंचल उड़ने लगा और उसकी दोनों चूचियां साफ़ साफ़ दिखने लगीं.
अब आलोक पलंग पर ही सोनम के बगल में बैठ गया. उसने सोनम का एक हाथ अपने हाथ में ले लिया और धीरे से पूछा- क्या मैं तुम्हारे हाथ को चूम सकता हूँ?
ये सुनते ही सोनम ने पहले तो अपनी बहनों की तरफ़ देखा, फिर अपनी हथेली आलोक के हाथों में देकर अपना हाथ ढीला छोड़ दिया.
आलोक ने भी फुर्ती से सोनम का हाथ खींच कर अपने मुँह के पास किया और उसकी हथेली पर एक चुम्मा रख दिया.
चुम्मा देकर वो बोला- बहुत मीठी है तुम्हारी हथेली … मुझे मालूम है कि तुम्हारे होंठों का चुम्मा इससे भी ज्यादा मीठा लगेगा.
यह कह कर आलोक सोनम की आंखों में देखने लगा.
पहले तो सोनम कुछ नहीं बोली, फिर उसने अपनी हथेली आलोक के हाथों से खींचते हुए अपने मुँह के पास रख लिया.
अब सोनम बोली- जब आपको मालूम है कि मेरे होंठों का चुम्मा और भी मीठा होगा … और आपको सुगर की बीमारी नहीं है, तो देर किस बात की है … जल्दी से और मीठा खा लीजिए.
उसकी बात सुनकर आलोक ने अपने होंठों को आगे बढ़ाया और सोनम के होंठों पर रख दिए.
सोनम ने भी अपने होंठों को ढीला छोड़ दिया और वो आलोक के होंठों से अपने होंठ मिला कर गर्म सांसों का अहसास करने लगी.
आलोक अपने होंठों से सोनम के होंठों को खोलते हुए उसका निचला होंठ चूसने लगा.
सोनम अपने होंठों की चुसाई से गर्म हो गई. उसने आलोक के कंधों पर अपना सिर रख दिया.
आलोक ने सोनम का ये हाल देख कर धीरे से अपना हाथ बढ़ा कर ब्लाउज के ऊपर से ही उसकी एक चूची को पकड़ कर दबा दिया.
इससे सोनम के कंठ से मादक आवाज निकल गई और वो आलोक से और ज्यादा चिपक गई.
अब आलोक अपने एक हाथ से सोनम की एक चूची को सहला रहा था और अपने दूसरे हाथ को वो सोनम के चूतड़ों पर फेर रहा था.
सोनम उसकी इस हरकत पर पहले तो थोड़ा कसमसाई और अपनी बहनों के तरफ़ देखने लगी और अंततः उसने भी आलोक को जोर से अपने बांहों में भींच लिया.
आलोक ने अब सोनम के दोनों चूचों पर अपने दोनों हाथ जमा दिए और उन्हें पकड़ कर मसलने लगा.
यह पहली बार था कि जब किसी मर्द का हाथ सोनम के शरीर को मसल रहा था.
वो जल्दी ही बहुत ज्यादा गर्मा गयी और उसकी सांसें जोर जोर से चलने लगीं.
आलोक सोनम की चूचियों को मसलते हुए उसके होंठों को चूमने लगा.
आलोक इधर सोनम को चोदने की तैयारी कर ही रहा था कि तभी उसने देखा कि सोनम की दोनों बहनें मीनाक्षी और डिंपल भी अपने अपने मम्मों को सहला रही हैं.
वो दोनों बड़ी गौर से आलोक और सोनम के बीच चल रही जवानी का खेल देख रही हैं.
आलोक समझ गया कि वो अब इन तीनों बहनों के साथ कुछ भी कर सकता है. ये तीनों बहनें अब उसके काबू में हैं और वो जो भी चाहेगा वो इनके साथ कर सकता है.
आलोक ने फिर से अपना ध्यान सोनम की शरीर पर डाल दिया.
उसने सोनम की चूचियों को ब्लाउज के ऊपर से मसलते हुए उसे जोर से चूमा और अपना एक हाथ उसके ब्लाउज के अन्दर ले गया. अब आलोक जोर जोर से सोनम की दोनों चुचों को पकड़ कर दबाने लगा. कभी कभी वो अपने दो उंगलियों के बीच सोनम के निप्पल को लेकर मींज रहा था और सोनम आलोक के कनधो से लिपटी हुई चुपचाप आंखें बंद करके अपनी चूचियों को मसलवा रही थी.
आलोक ने धीरे धीरे सोनम का ब्लाउज और उसकी टाईट ब्रा को खोल दिया और सोनम की कसी हुई चूचियों को मादक निगाहों से देखने लगा.
सोनम ने अपनी आंखें आलोक के आंखों में डाल कर पूछा- सर, कैसी है मेरी चूचियां … आपको पसंद आई या नहीं?
आलोक तो सोनम की गोल गेंदों सी चूचियों को देख कर पहले ही पागल सा हो गया था.
वो उसकी एक चूची को सहलाते हुए बोला- सोनम, तुम मेरी पसंद ना पसंद पूछ रही हो … जबकि आज तक मैंने इतनी शानदार चूचियां कभी नहीं देखी हैं. तुम्हारी चूचियां बहुत ही ज्यादा सुंदर हैं सोनम रानी और यह मुझको पागल बना रही हैं. इनको देख कर मैं अपने आपको रोक ही नहीं पा रहा हूँ.
सोनम बोली- मेरी चूचियां देख कर आपको क्या कुछ हो रहा है?
आलोक ने बोला- हां मैं अब तुम्हारी इन रसभरी चूचियों को चूसना और काटना चाहता हूँ.
ये कह कर आलोक ने सोनम की एक चूची को अपने मुँह में भर लिया और मज़े ले लेकर चूसने लगा.
अपनी चूची की चुसाई शुरू होते ही सोनम पगला सी गयी और अपने हाथ को बढ़ा कर आलोक का लंड उसकी पैंट के ऊपर से ही पकड़ कर मरोड़ने लगी.
सोनम की गर्मी देख कर आलोक ने अपने हाथों से अपना पैंट उतार दिया और फिर से सोनम की एक चूची को मुँह में लेकर चूसने लगा.
वो दूसरी चूची को अपने हाथ में लेकर मसलने लगा.
सोनम भी अब अपने आपको रोक नहीं पाई और उसने अपने हाथ से आलोक का अंडरवियर उतार दिया.
आलोक का अंडरवियर उतरते ही उसका 7 इंच का मोटा लंड बाहर आकर अपने आप ऐसे हिलने लगा मानो वो इन हसीन बहनों को अपना सलाम बज़ा रहा हो.
तीनों बहनें आलोक का लम्बा और मोटा लंड देख कर हैरान हो गईं.
आलोक ने सोनम को अपनी गोद में उठाया और नीचे उतर कर फिर से पलंग पर किनारे से लिटा दिया.
सोनम को लिटाने के बाद आलोक ने सोनम की साड़ी को उसकी कमर से खींच कर निकाल दिया और अब वो पलंग पर सिर्फ पेटीकोट पहने चित लेटी हुई थी.
आलोक सोनम की बुर को उसके पेटीकोट के ऊपर से पकड़ कर दबाने लगा. सोनम की बुर को अपने हाथों से मसलते हुए उसने पेटीकोट का नाड़ा ढीला कर दिया.
सोनम ने भी पेटीकोट का नाड़ा खुलते ही अपनी कमर ऊपर कर दी, जिससे आलोक को उसके पेटीकोट को उसके चूतड़ों से नीचे खींचने में आसानी हो और वो पेटीकोट को निकाल सके.
आलोक ने सोनम का पेटीकोट उसके फूले फूले चूतड़ों के नीचे कर दिया और उसको सोनम के पैर से अलग करके पलंग के नीचे फैंक दिया.
अब सोनम आलोक के सामने अपने गुलाबी रंग की पैंटी पहन कर लेटी हुई थी.
आलोक ने 69 में आकर अपना मुँह सोनम की बुर के पास को किया और उसकी पैंटी के ऊपर से बुर को चूमने लगा.
इधर आलोक सोनम को नंगी कर रहा था तो उधर सोनम भी चुप नहीं थी.
सोनम आलोक का लंड हाथ में लेकर ऊपर नीचे करने लगी और उसके लंड का सुपारा खोल कर उसको अपने मुँह में ले लिया और जीभ से चाटने लगी.
इससे आलोक का लंड अब और भी कड़क हो गया.
तब तक आलोक, सोनम की बुर को उसकी पैंटी के ऊपर से ही अपने नाक लगा कर सूंघ रहा था और चूम रहा था.
चुदाई की कहानी के अगले भाग में इन तीनों चुदासी बहनों की चुदाई के रस को आगे लिखूंगा. सोनम को अपनी कुंवारी बुर में आलोक के लंड से कैसा मजा आया … इसका पूरा वर्णन लिखूंगा. आप सेक्सी कॉलेज गर्ल्स स्टोरी पर कमेंट्स करना न भूलें
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