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हैलो दोस्तो, अन्तर्वासना पढ़ने Antarvasna वाले लोगों को मेरा सलाम। मैं अन्तर्वासना को लगभग दो सालों से पढ़ रहा हूँ और मैं अन्तर्वासना का बहुत बड़ा फ़ैन हूँ। इन दो सालों में मुझे लगा कि मुझे भी अपनी कहानी अन्तर्वासना को भेजनी चाहिये। इसलिये मैं अपनी कहानी लिख रहा हूँ। आशा करता हू कि आपको यह कहानी पसन्द आयेगी। मैं आपको पहले ही बता दूँ कि यह कहानी सच्ची नहीं है, लेकिन सच्चाई से दूर भी नहीं है। यह मैं आप पर छोड़ता हूँ कि आप इसे सच्ची कहानी मानें या झूठी।
अब मैं आपको अपने बारे में बता दूँ। मेरा नाम अमित है और मैं 19 साल का हूँ। मेरे घर में 4 सदस्य हैं। मेरी मम्मी और पापा और मैं और मेरी बहन रेखा। यह कहानी मेरे और मेरी बहन के बीच हुए सेक्स की कहानी है।
अब मैं आपको अपनी बहन के बारे में थोड़ा बता दूँ। वो 20 साल की है और बहुत सेक्सी है। बिलकुल रान्ड लगती है। उसका फ़िगर 34-26-38 है। मैं जब भी उसे देखता हूँ तो मेरा लन्ड फ़ुदकने लगता है। मेरा लन्ड हमेशा उसको चोदने को तड़पता रहता। लेकिन वो मेरी बहन है इसलिये अपने हमेशा मुठ मार के रह जाता। लेकिन जब से मैंने अन्तर्वासना को पढ़ना शुरु किया तो मुझे लगा कि बहनों को चोदने में कोई बुरी बात नहीं है। आखिर वो भी तो लड़की है, उसे भी तो एक लन्ड की जरुरत है, फ़िर चाहे वो लन्ड़ उसके भाई का ही क्यों न हो।
फिर मैंने अपना मन बदला और अपनी बहन को चोदने का मौका खोजने लगा। इसी बीच मुझे जब मौका मिलता तो मैं रेखा की ब्रा और पैन्टी पहनकर घर में घूमता। ऐसा करने में मुझे बड़ा मजा आता है। (कभी आप भी करना)
एक दिन जब घर पर कोई नहीं था तो मैंने सोचा कि चलो रेखा की ब्रा और पैन्टी पहनते हैं। मैं ब्रा और पैन्टी पहनकर घर में घूम रहा था कि तभी अचानक रेखा आ गई। मैं दो मिनट के लिये स्तब्ध रह गया और मेरे होश उड़ गये थे। रेखा मुझे देखती जा रही थी और मुझे लगा कि अब मेरी पोल खुल गई। लेकिन जैसा मैंने सोचा वैसा हुआ नहीं, रेखा तो जोर जोर से हँस रही थी।
मुझे थोड़ा अटपटा लगा और मैं कमरे में भाग गया। थोड़ी देर के बाद मैं उसके कमरे में उसकी ब्रा और पैन्टी देने गया। वहा मैंने देखा कि वो अपने कपड़े बदल रही है। रेखा की पीठ बिल्कुल नंगी थी।
मुझे देखकर उसने कहा- अच्छा हुआ कि तुम आ गये, मुझे मेरी ब्रा और पैन्टी चाहिये थी !
फिर उसने मुझ रोका और पूछा- तुम मेरी ब्रा और पैन्टी क्यों पहनते हो?
मैंने कहा- बस यूँ ही ! मुझे अच्छा लगता है तुम्हारे कपडे पहनना, लेकिन तुम माँ से कुछ मत कहना !
रेखा ने कहा- नहीं कहूँगी, लेकिन मुझे एक बात बताओ- क्या तुम्हें सिर्फ़ मेरी ब्रा-पैंटी ही अच्छी लगती है, मैं नहीं?
मैंने कहा- नहीं ऐसी बात नहीं है, तुम तो मेरी बहन हो, और बहन तो सभी को अच्छी लगती है।
रेखा ने कहा- अच्छा, तो तुम मेरा एक काम करोगे?
मैंने कहा- कौन सा काम?
फिर रेखा काफ़ी देर तक खामोश रही और थोड़ी देर बाद बोली- यह काम तुम कर सकते हो, लेकिन शायद तुम नहीं करोगे !
मैंने कहा- तुम कहो तो जरा ! तुम मेरी बहन हो और तुम्हारा हर काम मैं करुंगा, मैं तुम्हारी राखी का फ़र्ज निभाउंगा।
यह कहकर मैंने माहौल को हल्का करने की कोशिश की। लेकिन मुझे विश्वास नहीं हुआ जो उसने कहा।
रेखा ने मुझ से कहा- क्या तुम मुझे चोद सकते हो? अभी !
यह सुनते ही अचानक मैं डर गया और मैं रेखा से थोड़ा दूर हो गया।
मैंने कहा- यह क्या कह रही हो तुम? तुम मेरी बहन हो और कोई भी भाई अपनी बहन को नहीं चोदता है !
रेखा हँसते हुए बोली- अपनी बहन की ब्रा और पैन्टी पहनते हुए तो तुम्हें यह ख्याल नहीं आया कि मैं तुम्हारी बहन हूँ?
मैंने थोड़ा ठण्डे दिमाग से सोचा कि रेखा सही कह रही है और ऐसा मोका मुझे फिर नहीं मिलेगा। फिर भी मैंने यूँ ही कहा कि यह गलत है।
उसने कहा- इसमें कोई बुराई नहीं है, किसी को कुछ पता नहीं चलेगा, घर में कोई नहीं है, तेरे पास लण्ड है और मेरे पास चूत है ! जल्दी कर मेरे भाई ! लूट ले आज अपनी बहन की इज्जत !
रेखा के इतना सब कहने पर भी मैंने उससे कहा- मैं यह नहीं कर सकता, तुम मेरी बहन हो।
और इतना कहने के बाद मैं अपने कमरे में चला गया और मैं अपने आप को कोसता रहा कि मैंने अपनी बहन को चोदने का सुनहरा मौका खो दिया। लेकिन कुछ देर बाद मेरे कमरे के दरवाजे के नीचे से एक कागज (चिठ्ठी) आया। उस पर कुछ लिखा था, जिसे पढ़कर मुझे बहुत गुस्सा आया।
उस पर लिखा था- मेरे प्यारे भैया अमित, आज आपने यह साबित कर दिया कि आप कभी किसी लड़की को नहीं चोद सकते, भले ही वो आपकी बहन ही क्यों ना हो ! क्योंकि आप नपुंसक हो। आप में वो ताकत ही नहीं है जिसकी एक लड़की को जरुरत होती है। मुझे यह कहने में ज़रा भी शर्म नहीं कि मेरा भाई नामर्द है।
यह पढ़कर मेरे अन्दर का भाई मर गया और एक जानवर जाग गया। मैं रेखा के कमरे में गया। रेखा अपने बेड पर लेट कर किताब पढ़ रही थी। मुझे देखकर वो खड़ी हो गई और मुझसे पूछा- तुम वापस क्यों आये? मैंने कहा- मैं तुम्हारी चिठ्ठी का जवाब देने आया हूँ!
और इतना कहकर मैं रेखा के पास गया और उसके बाल पकड़कर खींचे और जैसे ही वो चिल्लाई तो मैंने अपने होंठ उसके होठों पर रख दिये। हम दोनों के होंठ आपस में लगभग 10-15 मिनट तक चिपके रहे। हम दोनों एक दूसरे के होंठ चूस रहे थे। मुझे विश्वास नहीं हो रहा था कि मैं अपनी बहन को चूम रहा हूँ और उसके होंठ चूस रहा हूँ।
थोड़ी देर बाद हमारे हम एक दूसरे से अलग हुए। फिर मैंने उसके पीछे जाकर उसकी शर्ट फाड़ दी, अब उसकी काली ब्रा साफ नजर आ रही थी। इतने में रेखा ने अपना हाथ मेरे लन्ड पर रख दिया, और मेरा लन्ड निकाल लिया। मेरा लन्ड के बाहर आते ही मैंने कहा- यह ले मेरी प्यारी बहन ! देख ले अपने नामर्द भाई का लन्ड !
इस पर रेखा बोली- ऐसा मत कहो भाई, मैंने तो सिर्फ़ तुझे उकसाने के लिये ही ऐसा कहा था, ताकि तू अपनी बहन को चोदे और मुझे मेरे भाई का लन्ड चूसने को मिले !
मैंने कहा- ठीक है, अब चूस ले जितना चूसना है अपने भाई का लन्ड।
और रेखा मेरे लन्ड को चूसने लग गई। रेखा मेरे लन्ड को ऐसे चूस रही थी जैसे कोई आइसक्रीम खा रही हो। कुछ देर तक वो मेरा लन्ड ही चूसती रही। थोड़ी देर बाद मैंने उसके सारे कपड़े उतार दिये और खुद भी नंगा हो गया। नंगे होने के बाद रेखा मुझसे बोली- भैया, मेरी चूत में खुजली हो रही है, मेरी चूत की खुजली मिटाओ ना !
मैंने कहा- अभी लो बहना !
फिर मैंने उसकी चूत चाटना शुरु किया, आह ! आह क्या मुलायम चूत थी रेखा की ! मजा आ गया अपनी बहन की चूत चाटकर तो। चूत चाटने के बाद मैंने उसके स्तन दबाने शुरु किये और उनको चूसने लगा। जब मैं उसकी चूत चाट रहा था और स्तन दबा रहा था तब वो सिसकियाँ ले रही थी कुछ इस तरह से- आहऽऽ ऊ…ऊ…ऊ……ऊ आह … आउच… आह…… ऊ… ऊ…………आउच !
उसकी सिसकियों से पूरा कमरा गूंज रहा था। कुछ देर तक ऐसा ही चलता रहा। लेकिन फिर रेखा बोली- भाई, अब बहुत हो गया चाटना-चटाना, अब असली काम शुरु करो !
फिर मैं वो काम करने के लिये तैयार हुआ जो दुनिया का कोई भी भाई करना नहीं चाहता, लेकिन जब आपकी बहन ही आपके सामने अपनी दोनों टांगें खोलकर बैठ जाये तो आप कर ही क्या सकते हैं, इसलिये मैं मजबूर था और मैंने अपना लन्ड डाल दिया अपनी बहन की चूत में !
और रेखा जोर चिल्लाई- आह…… आउच……. आह…… ऊ…।
फिर मैंने धीरे धीरे धक्के लगाने शुरु किये और वो सिसकियाँ लेने लगी।
मैंने रेखा से पूछा- मेरी प्यारी बहना, मेरी रन्डी बहना, मजा आ रहा है ना अपने भाई से चुदने में?
रेखा बोली- हाँ, मेरे बहनचोद भाई, मजा आ रहा है !
इसी बीच मेरे धक्कों की स्पीड बढ़ती जा रही थी और उसकी सिसकियों की भी।
मैंने रेखा से पूछा- रन्डी रेखा, लगता है तुम्हें चुदने का काफी अनुभव है। कितनों से चुदवा चुकी हो अब तक?
रेखा बोली- 10 या 15 जनो से चुद चुकी हूँ अब तक !
मैंने कहा- 10-15 ? तुम क्या रन्डी बनना चाहती हो?
रेखा बोली- हाँ भैया, लेकिन ये बातें बाद में करेगे, अभी तो तुम मुझे जोर-जोर चोदो और फाड़ दो मेरी चूत को ॰
फिर मैंने अपने धक्कों की गति दोगुनी कर दी और रेखा को जोर-जोर चोदने लगा। रेखा भी जोर-जोर चिल्ला रही थी- चोद, मादरचोद, बहनचोद चोद अपनी बहन को ! आज फाड़ दे अपनी बहन की चूत को, आह… …आउच….. आह….. ऊ… मेरे प्यारे भैया ! चोद, चोद, चोद, फाड दे….
फिर लगभग 25-30 मिनट बाद मैं उसकी चूत में ही झड़ गया। काफी देर तक हम एक दूसरे से चिपके रहे। थोड़ी देर बाद हम दोनों उठे और हम दोनों ने एक दूसरे को देखा। तभी रेखा हँस पड़ी। रेखा के हँसने से मेरे दिल का बोझ कम हो गया। रेखा ने मेरे होठों पर चूमते हुये कहा- भगवान, मेरे जैसा भाई सभी को दे !
लेकिन फिर उसने मुझे उदास देखते हुये कहा- भैया, इस बारे में ज्यादा मत सोचो, ये तो “घर की बात है।”
फिर मैं भी हँस पडा और बाजार जाकर आई-पिल लेकर आया ताकि वो माँ ना बन जाये। इस तरह हम भाई-बहन की पहली सेक्स कहानी खत्म हुई। Antarvasna
आपकी अंतरा का सभी Hindi Porn Stories अन्तर्वासना के पाठकों को ढेर सारा धन्यवाद ! सबसे ज्यादा आभार तो गुरूजी का कि मेरी कहानी हवा में उड़ रही हूँ आप सब तक पहुंचाई!
तो दोस्तो, आप सब सोच रहे होंगे कि मैंने उस रात किसी तरह अपनी बुर मसलकर खुद को संभाल लिया पर मैं आगे की सोच रही थी।
उस रात के बाद से मैं जब भी मौका मिलता अपनी रांड माँ की नंगी रंगरेलियाँ जरूर देखती थी। मेरी बुर अब पानी छोड़ छोड़ कर प्यासी होती जा रही थी।
तो दोस्तो, मैंने अपना पहला शिकार अपने मास्टरजी को बनाया या शायद खुद ही बन गई !
मास्टरजी की उम्र ४०-४५ के आसपास थी लेकिन वो मस्त दीखते थे। जब से मैंने जवानी का खेल देखा था मेरा पढ़ाई में मन कम लगता था….
एक दिन मेरी सभी बहने माँ के साथ हमारे रिश्ते की मौसी के घर गई हुई थी। मुझे घर सँभालने के लिए छोड़ दिया था। मैं गुस्से में थी, पर क्या करती, मनहूस जो थी। पिताजी शहर गए थे जोकि वो रोज सुबह जाने लगे थे।
ठीक दो बजे मास्टरजी आ गए।
मैंने बेमन से किताबे निकाली और मुँह फुला के मास्टरजी के सामने बैठ गई।
मास्टरजी ने पूछा- क्या बात है?
मैंने कहा- सब मुझे छोड़ के चले गए !
मास्टरजी- कोई बात नहीं, घर में रहना भी जरूरी है।
मैंने चिढ़कर कहा – मेरा रहना ही हर बार क्यूँ जरूरी है?
मास्टरजी- क्यूंकि तुम बाकी सब बहनों से ज्यादा सुन्दर हो ! सब डरते होंगे कि कहीं कोई तुम्हें चुरा के न ले जाये !
मैंने इस जवाब की उम्मीद नहीं की थी पर अच्छा लगा !
मैंने उनसे पूछा- आपको मैं सुन्दर लगती हूँ? मेरे पास तो कोई क्रीम- पाउडर नहीं है !
मास्टरजी- अरे पगली क्रीम तो वो लगाती हैं जो सुन्दर नहीं होती ! तू तो हूर है !
मैंने पूछा- ये हूर क्या होता है?
हूर परी को कहते हैं ! मास्टरजी ऐसा कह कर मेरी तरफ लालची नजरों से देखने लगे।
तभी मुझे ध्यान आया कि जल्दी में मैं अपने घर के कपड़ो में आ गई थी जोकि मेरे स्कूल की पुरानी शर्ट और स्कर्ट था। मेरे शर्ट की ऊपर की बटन टूट गई थी और मेरे पास कोई ब्रा नहीं थी। मतलब यह कि मास्टरजी ने मेरे जोबन का उभार देख लिया था। मैंने शरमा के नजरें नीची कर ली, मुझे बुर में गुदगुदी लगी।
मास्टरजी ने भी मौके को पहचान लिया था कि लौड़ी गरम है।
मास्टरजी ने मुझसे पूछा- घर में कोई नौकर हो तो पानी मंगवाओ !
मैंने कहा- कोई नहीं है, मैं ले आती हूँ !
मास्टरजी ने कहा- ठीक है !
मैं किचन में चली गई, मास्टरजी मेरे पीछे आ गए। जैसे ही मैं किचन में घुसी मुझे अपनी पीठ पर गर्म हाथ का स्पर्श मिला। मैंने मुड के देखा तो मास्टरजी मेरी पीठ सहला के बोले मन छोटा न कर, तेरा दिन भी आयेगा।
मैं कसमसाते हुए बोली- कभी नहीं आयेगा !
फिर मास्टरजी ने कहा- चाय बना दे !
मैं चाय बनाने लगी, मास्टरजी मेरी पीठ सहलाते जा रहे थे मुझे गुदगुदी लग रही थी और अच्छा भी।
मास्टरजी ने पीठ सहलाते हुए अपना हाथ मेरी गर्दन से लेके मेरी छातियों की और कर दिया आप मेरी शर्ट के ऊपर से उनका हाथ मेरी गोलाइयों को नाप रहा था। मैं कसमसाई पर न चाहते हुए भी मेरे चेहरे पे मुस्कान आ गई जिसे उन्होंने पढ़ लिया। अब उन्होंने मेरे कंधे पे दोनों हाथ रख के मेरा चेहरा अपनी तरफ किया और मेरे चेहरे पे दोनों हाथ फिराने लगे। मुझे अजीब लगा क्यूंकि रामू या पिताजी ने माँ के साथ ऐसा कभी नहीं किया था।
मुझे अच्छा लगा तो मैं मास्टरजी से लिपट गई। मास्टरजी फिर से मेरी चूचियों को सहलाने लगे। फिर उन्होंने मुझे गोद में उठा लिया और पूछा- तुम्हारा बिस्तर कहाँ है?
मैंने उन्हें बताया और हम बेडरूम में आ गए।
मैंने कहा- आपकी चाय !
उन्होंने कहा- रहने दो ! जाओ, गैस बंद करके आ जाओ !
मैं गैस बंद करके आ गई और बेडरूम में मास्टरजी के सामने बैठ गई। मास्टरजी ने मुझे खींच के गले लगाया और मेरे गले में एक चुम्मा दिया। मैं गरम हो रही थी। फिर वो मेरे गाल चूमने लगे। मैं उनकी पीठ पर हाथ फिराने लगी। फिर उन्होंने मेरी शर्ट उतार दी। मेरी छातियाँ नंगी उनके सामने थिरक रही थी। अब मुझे लगा कुछ गड़बड़ हो सकती है पर तब तक उनके हाथ मेरे चुचूक मसलने लगे थे। मैं समझ ही नहीं पाई कि मास्टरजी मेरी दायीं चूची को चूसने लगे। मैं पिघल रही थी, मुझे ख़ुशी भी हो रही थी कि आज मुझे लंड मिलेगा। घर पर कोई नहीं था तो मैं भी मस्त थी।
मास्टरजी ने मेरी चूचियों को चूसने के बाद मसलना चालू किया तो मैं सिसकने लगी। वो मेरी चूचियों को खींच के बाहर निकालना चाह रहे थे, मुझे दर्द हो रहा था पर मजा भी लाजवाब आ रहा था। मेरा हाथ मेरी बुर में पहुँच गया। मास्टरजी मेरी चूचियों से खेल रहे थे और मैं सिसकती हुई अपनी बुर को सहला रही थी।
मास्टरजी ने फिर अपने कपड़े भी उतार दिए और बेडरूम का दरवाजा बंद कर दिया।
मैंने मास्टरजी का लंड देखा वो तना हुआ था शायद ६ इंच का होगा। उसके ऊपर की चमड़ी सुपाडे को आधा ढक रही थी और गुलाबी सुपाडा बड़ा सुन्दर लग रहा था। मैं अपनी बुर छोड़ के मास्टरजी के लंड को मुठी में भर के दबाने लगी। क्या गरम था उनका लंड। मैं तो मस्त हो गई थी। पता नहीं कैसे मेरी शर्म कहाँ गायब हो गई। मैं मास्टरजी के लंड को चूम रही थी। उसकी खुशबू मुझे बहुत मस्त लग रही थी। मैं तो अपनी जीभ भी लंड पर फिरा देती थी तो मास्टरजी के मुंह से उन्ह निकल जाती थी।
मास्टरजी ने कहा- इसे चूस के तो देख चमेली !
चमेली सुन के मुझे और मजा आया। मैंने सुपाड़े को मुंह में ले लिया। हाय क्या मस्त नरम लगा। मुँह में जाते थोड़ा कसेला सा स्वाद आया पर वासना की मस्ती में मुझे वोह भी मस्त लगा। मैं उनके लंड को पूरा मुंह में लेके अपनी थूक से उसे गीला करने लगी। उनकी लटकती गोलियों से तो मेरी उंगलियाँ हट ही नहीं रही थी। फिर मैं उनके लंड के सुपाड़े को अपने होठों में दबा के अपनी जीभ उसके छेद में रगड़ने लगी। मास्टरजी हाय हाय करते हुए झुक गए और कस कस के मेरी चूचियां मसलने लगे। उनसे खड़ा रहना नहीं हो पाया और वो बिस्तर पर पैर लटका के लेट गए। मैं घुटनों के बल उनकी जाँघों के बीच बैठ गई और एक हाथ से अपनी बुर में ऊँगली करती हुई अपनी जीभ उनके लंड पे रगड़ती रही।
अचानक मास्टरजी ने मेरे बाल पकड़ के अपने लंड पर मेरा सर दबा दिया। मैं कुछ समझ पाती, इससे पहले ही मास्टरजी के लंड से कुछ पिचकारी जैसा मेरे मुंह में आने लगा। लस लस सा नमकीन स्वाद वाला पानी मैंने पहली बार चखा था। मुझे घिन सी आई तो मैंने उस पानी को बाहर थूक दिया। गाढ़ा होने के कारण मेरे मुंह से एक धार निकल के मेरी चूचियों पर गिरी जिसे मास्टरजी ने मेरी चूचियों पे घिस दिया।
फिर मास्टरजी ने मुझे बिस्तर पे सुला दिया और मेरी स्कर्ट खोल के मुझे नंगा कर दिया। मेरी बुर पूरी तरह से भीग गई थी। मास्टरजी ने जैसे ही एक ऊँगली बुर के मुंह में रखी वो फिसल के अन्दर घुस गई। मास्टरजी के ऐसा करते ही मेरे मुंह से आह निकल गई और मैं एक बार फिर मस्त हो गई। मास्टरजी ने अपने लंड को जो थोड़ा सुस्त हो गया था, मेरी चूत के मुंह पर लगाया और मेरे दाने से रगड़ने लगे। मास्टरजी ने अपने होंठ मेरे होंठ से चिपका लिया इस तरह उनका लंड फिर से खड़ा हो गया फिर मास्टरजी मेरे ऊपर लेट गए और मुझे कस के भीच लिया।
मास्टरजी ने अपना लंड मेरी बुर के मुंह पर रखा और धीरे धीरे सरकते हुए अपना सुपाड़ा मेरी चूत में घुसा दिया। मुझे थोड़ा दर्द हुआ पर अगले ही पल एक झटके में उनका चाकू मेरी चूत को चीर चुका था। मेरी सांस गले में ही अटक गई, मैं तड़प गई। मास्टरजी ने अपने होंठ मेरे होंठ से सिल दिए और मेरी निप्पल मसलने लगे। दो चार धक्कों के बाद मुझे मजा आने लगा, मैंने अपनी गांड ऊपर उठा के मास्टरजी के लंड को पूरा ले लिया और मास्टरजी की गांड पकड़ के खींचने लगी।
मास्टरजी ने भी मौका समझ के चुदाई की स्पीड बढ़ा दी अब मेरी बुर फचक फच्च की आवाज के साथ लंड अपने अन्दर ले रही थी और मैं जन्नत की सैर कर रही थी। मास्टरजी …….। आह मास्टरजी……..। मजा आ रहा है……..। हाय क्या कर ……..दिया…….। हाय मजा…….। आह………..। मास्टर……..। पेलो ……। पेल….। पेलो……। न…….। आह……। सी सी स……..स्स्स्स…..। हाय………।
मास्टरजी अपने लंड को मेरी चूत में रख कर कमर को घुमाने लगे ….। हाय क्या मजा था……। मैं बके जा रही थी….। हाय रहने दो न इसे आज अन्दर ही…….। मत निकालो……। पेलो न पेलो न………..। हाय……
मास्टरजी को चोदने की आदत थी और वो एक खिलाडी की तरह रुक रुक के धक्के लगा रहे थे। .। पर मैं तो एक बार में ही पूरा खा जाना चाहती थी… मैं मास्टरजी से चिपक गई और अपनी गांड हिलाते हुए लंड को लेने लगी…।
मास्टरजी ने मुझे पटक के मेरी गर्दन दबाई और बोले ….रुक रुक के कर रांड … कहीं मेरा निकल गया तो मेरी गोलियों को खींचने लगेगी ।
मैं कहाँ मानने वाली थी.। मैंने गांड उछालना जारी रखा…
मस्ती सातवें आस्मां में थी…. अचानक मुझे कुछ होने लगा… मास्टरजी भी आँखे बंद कर के आह आह करने लगे….
तभी झटके के साथ मैं झड़ने लगी। हाय क्या बताऊँ क्या पल था…। लंड की गर्मी, फौलाद जैसा कड़ापन। और मेरा झड़ना। तभी मास्टरजी के लंड ने भी पिचकारी छोड़ दी। मेरी बूर में डबल गर्मी..। क्या बताऊँ मजा ही आ गया…..। मास्टरजी मेरे ऊपर लुढ़क गए और मैंने भी उन्हें कस के पकड़ लिया… दो मिनट तक हम झड़ने का सुख लेते रहे…।
फिर मास्टरजी ने उठ कर कपड़े पहने, पर मुझसे उठा नहीं जा रहा था। मास्टरजी ने मुझे सहारा दे कर बाथरूम तक पहुँचाया और मेरी बूर की सफाई की। मुझे कपड़े पहना के वो बोले- क्यों चमेली कैसा लगा…?
मैं शरमा के मुस्कुराने लगी..
दर्द की हरी गोली ले लेना…। ऐसा कह के मास्टरजी चले गए।
ऐसे गए कि फिर नहीं आये। पता नहीं क्यूँ । पिताजी ने नौकर भेजा तो पता चला कि उन्होंने शहर छोड़ दिया। मैं मन मसोस के रह गई। उसके बाद मैंने कई लंड जुगाड़े पर वो स्पर्श नहीं भूल पाई।
खैर मास्टरजी न सही गुरूजी ही सही…..! क्यूँ गुरूजी.. क्या ख्याल है….?
आप सब पाठकों के पत्रों और सेक्सी सामग्रियों का धन्यवाद।
मैं आप सबको चाहती हूँ। Hindi Porn Stories
हॉट फॅमिली पोर्न स्टोरी में मैंने अपने साले की बीवी को चोदा. वो एकदम सुंदर माल है, मक्खन सी है. वो मुझसे खुली हुई थी. मेरा साला उसे ज्यादा नहीं चोद पाता था.
दोस्तो, मेरा नाम साहिल है.
मेरी पहली कहानी
सासू मां के साथ एक रात
को आप लोगों ने खूब पसंद किया. थोड़ा व्यस्त होने की वजह से मैं अपनी कोई सेक्स कहानी नहीं लिख पाया.
अब मैं आपके साथ मेरे और मेरे साले की बीवी के बीच हुई सेक्स कहानी को साझा कर रहा हूँ. मुझे उम्मीद है कि आप लोगो को ये हॉट फॅमिली पोर्न स्टोरी पसंद आएगी.
मेरे साले की बीवी का नाम स्वरा (बदला हुआ नाम) है. उसका फिगर 30-28-32 का है. वो दिखने में एकदम सुंदर माल जैसी है. उसका रंग मक्खन सा सफेद है.
उसकी शादी के बाद से ही हम दोनों में खूब जमती थी क्योंकि आपको तो पता ही है कि सलहज और जीजा में कुछ ना कुछ तो चलता ही रहता है.
स्वरा मुझसे अपनी हर बार साझा करती रहती थी, जिस कारण से हम दोनों काफ़ी क्लोज हो गए थे.
उसकी बातों से मुझे ये भी मालूम थी कि उसका पति उसमें कम इंटरेस्ट लेता था.
पता नहीं क्यों … लेकिन मेरे लिए तो ये सही था.
एक दिन मेरी सासू मां और उसके बेटे को उनके कोई निजी काम से एक दिन के लिए दिल्ली जाना पड़ा.
उन्होंने मुझसे कहा- आप या तो यहां रुक जाना या स्वरा को वहां अपने घर ले जाना.
स्वरा ने कहा- मैं जीजा जी के घर जाऊंगी तो घर सूना हो जाएगा. जीजू यहीं रुक जाएंगे. एक रात की तो बात है.
ये बात सुनकर उन्होंने भी हां कर दी और मैं उन दोनों को बस पर छोड़ कर उनके घर दस बजे के करीब पहुंच गया.
स्वरा ने नाइट सूट पहना हुआ था. नीचे पज़ामा और ऊपर बटनों टी-शर्ट वाली.
तो स्वरा ने मुझसे कहा- जीजू आपको चेंज करना है, तो कर लीजिए, फिर आराम से बैठते हैं.
मैं बाथरूम में चेंज करने चला गया.
मैंने जानबूझकर बाथरूम का गेट पूरा बंद नहीं किया. जब मैं अन्दर गया तो अन्दर स्वरा की ब्रा टंगी हुई थी. मैं वहां उसकी ब्रा अपने लंड पर लपेट कर मुठ मारने लगा.
कुछ ही देर में मैंने अपने लंड का पानी ब्रा में निकाला और चेंज करके बाहर आ गया.
मुझे ये नहीं पता था कि उस ब्रा को थोड़ी देर में ही उठा कर मशीन में डालने वाली है.
मैं अन्दर बैठा था तो मैंने देखा कि वो बाथरूम में गई और उसने बाथरूम से कपड़े उठाए.
फिर उसने मेरी और थोड़ा अजीब सी नजरों से देखा. फिर वो वॉशिंग मशीन की तरफ चली गयी.
मैं समझ गया कि इसे पता चल चुका है कि मैंने इसकी ब्रा के साथ क्या किया है.
फिर वो कमरे में आ गई.
कमरे की लाइट्स ऑफ होने के बाद रूम में अंधेरा हो गया था.
हम दोनों ही बेड पर लेटे हुए बातें कर रहे थे.
बातों बातों में वो मुझे बताने लगी थी कि इनको सेक्स में कोई इंटरेस्ट ही नहीं है. मैं कुछ कहूँ तो उन्हें मेरी बात बुरी लगती है.
मैंने कहा- नहीं तुम नहीं कहा करो, तुम क्यों ये सब कह कर अपनी वैल्यू कम करती हो.
वो बोली- हां, अब मुझे उनसे कुछ नहीं कहना है. मुझे उनसे अब कोई शिकायत नहीं है.
उसकी ऐसी बातें सुनकर मेरा लंड पूरा कड़क हो गया था. मैंने अंडरवियर भी नहीं पहनी थी, तो पजामे में मेरा लंड तम्बू बना रहा था.
रात के 12.30 बज चुके थे और स्वरा को नींद आ चुकी थी.
फिर भी मैंने चैक करने के लिए उसको आवाज लगाई.
उसका कोई जवाब नहीं आया.
मुझे कुछ हिम्मत मिली और मैं धीरे धीरे सरक कर उसके पास चला गया.
वो चित सोई हुई थी और उसने अपने बदन पर चादर डाला हुआ था.
शायद एसी के कारण उसे ठंड लग रही थी.
मैंने चादर को धीरे से एक तरफ किया और जहां उसकी टी-शर्ट के बटन थे, वहां हल्के हाथों से बटन खोलने लगा.
उसकी शर्ट में बटन आराम से खुलने वाले थे, तो जरा सी कोशिश में ही उसके दो बटन खुल गए.
एसी की एलईडी की रोशनी कमरे में काफी उजियाला कर रही थी जिसमें से में मुझे उसका पेट साफ़ दिखाई देने लगा था.
फिर मैं ऊपर वाले बटनों की तरफ गया तो वो उसके फूले हुए मम्मों के कारण उधर के बटन काफी टाइट लगे थे.
मुझसे बड़ी मुश्किल में उसमें से एक ही बटन खुल पाया.
तभी वो हिलने लगी और करवट लेकर पलट गई.
मुझे बहुत खीज हुई क्योंकि मुझे उसके बूब्स टच करने थे और अब वो उस साइड मुँह करके सो गई थी.
फिर भी मैंने अपनी कोशिशें जारी रखीं और कुछ मिनट बाद उसकी पीठ तरफ से उसका पज़ामा नीचे करने की कोशिश करने लगा.
स्वरा की फूली हुई गांड होने के कारण पजामा ने नीचे उतरने से मना कर दिया और मुझसे झांट कुछ नहीं हो पाया.
अब जब तक वो वापिस नहीं मुड़ जाती, तब तक मेरे पास कोई रास्ता नहीं था.
थोड़ी ही देर बाद मुझे ऐसे लगा जैसे शायद उसको सुसु आई क्योंकि वो हिल रही थी और उठने की कोशिश में थी.
मैंने इसे एक मौक़ा माना और मैं फटाफट उठ कर वॉशरूम में चला गया.
बाथरूम का गेट बिना बंद किए मैं मूतने लगा. मैं इस तरह से खड़ा था कि मेरा लंड उसे दिख जाए.
एक मिनट बाद ही वो आंखें मसलती हुई जब बाथरूम के पास आई तो मैं अपने लंड को हिला रहा था.
उसने मेरे लंड को देखा और वो एक तरफ हो गई.
वो बोली- जीजू, गेट बंद नहीं किया आपने.
मैंने कहा- कोई और था नहीं घर पर, मुझे नहीं पता था कि तुम भी उठ जाओगी. गर्मी कुछ ज्यादा थी तो नहीं किया.
वो बोली- ओके.
कुछ पल बाद मैं बाहर आ गया और वो अन्दर चली गई.
उसने सुसु की और हम दोनों वापिस बेड में आ गए.
हम दोनों फिर से सोने लगे.
उस समय रात के 3 बजे से ज्यादा का समय हो गया था.
उसने ठंड की वजह से एसी बंद कर दिया था और चादर भी हटा दिया था.
वो जब सो गई तो मैंने उसके मम्मों को सहलाना शुरू किया.
उसका कोई विरोध नहीं हुआ तो मुझे हिम्मत आ गई.
मेरी सोच यही थी कि आज कैसे भी करके ये मौका नहीं छोड़ना है.
मैंने हल्के से उसको आवाज दी, ‘स्वरा …’
उसका कोई उत्तर नहीं आया.
मैंने फिर से उसे जगाया, तो वो नींद में ही बोली- हां जीजा जी.
मैंने कहा- स्वरा यार, मैं तुझे पसंद करता हूँ.
ये बात सुनकर वो हंसने भी लगी और शर्मा गई.
वो बोली- मैं नींद में इतनी भी बेसुध नहीं हूँ, जो मुझे पता नहीं चल रहा कि आप क्या कर रहे हो. पहले मेरी ब्रा में अपना पानी गिराया, फिर मेरी शर्ट के बटन खोले. मुझे सिड्यूस करने के बाद भी आपने कुछ नहीं किया और 3 बजा दिए.
मैंने कहा- क्या मतलब?
वो बोली- मुझे भी जरूरत है जीजू … बहुत दिन से मैं भी प्यासी हूँ.
इतना कहते ही वो मेरे गले लग गई और हम दोनों लिपकिस करने लगे.
वो मेरे ऊपर आ गई और उसने मेरी टी-शर्ट को उतार दिया. वो मेरे सीने को पागलों की तरह चूमने और चूसने लगी.
मैंने उसकी शर्ट को उतार दिया और वो ऊपर ब्रा में रह गई. मैंने उसका पज़ामा उतार कर उससे कहा- हनी 69 में आ जाओ.
उसके पति ने कभी उसकी चूत नहीं चाटी थी तो वो 69 समझ नहीं पा रही थी.
फिर मैंने खुद ही उसकी चूत की तरफ आकर उसकी चूत चाटी, तो वो कंट्रोल से बाहर हो गई. मैं लगा रहा और वो आंह आंह करती रही अपनी चूत मेरे मुँह में देती रही.
कुछ ही पलों में उसकी चूत का सारा पानी मेरे मुँह में आ गया.
वो झड़ कर मेरे बाजू में लेट गई.
कुछ मिनट बाद मैं नंगा हो गया और उसको गोदी में उठा कर उसे चूमने लगा.
मेरा लंड उसकी चूत में रगड़ मार रहा था.
उसने मेरे लंड को हाथ पकड़ कर रास्ता दिखाया और मैंने लंड चूत में डाल दिया.
वो आंह कह कर सिसक उठी.
उसकी चूत एकदम कसी हुई थी.
साले साहब का लंड एक तो छोटा था और काफी दिन से चूत में गया भी नहीं था.
कुछ देर की उन्ह आह के बाद वो चुदाई के पूरे मजे लेने लगी.
हमारी चुदाई धकापेल चलने लगी.
पहली बार का मामला था तो ये चुदाई 10 मिनट ही चली और मेरा लंड पानी छोड़ने को हो गया.
मैंने लंड चूत से निकला और पानी बाहर ही छोड़ दिया.
वो काफी खुश थी.
कुछ देर बाद हॉट फॅमिली पोर्न का दूसरा राउंड शुरू हो गया.
उस बार मैंने उसे हचक कर चोदा.
वो भी अपनी चूत को हर आसन में चुदवाने को मचल रही थी.
मैंने रात भर अपनी सलहज की चूत का मजा लिया.
पूरी रात चुदाई के चार राउंड करने के बाद हम दोनों काफी थक चुके थे.
स्वरा को भी नींद आ रही थी.
मैंने उसको सोने के लिए कहा और हम दोनों बिना कपड़ों के सो गए.
अगली सुबह मॉर्निंग जब मैं उठा तो देखा कि वह बिस्तर पर नहीं थी.
जब मैंने बाहर देखा, तो वो किचन में काम पर लगी हुई थी.
मैंने उसे आवाज लगाई और चाय बनाने के लिए कहा. मेरे दिमाग़ में अभी भी सेक्स करने की इच्छा चल रही थी.
मैंने उसके रूम में आने से पहले ही लंड सहलाना शुरू कर दिया था.
कुछ ही देर में वो अन्दर आई और मुझे लंड सहलाते देख कर मुस्कुराने लगी.
उसने कहा- जीजू, अभी तक शांत नहीं हुए आप!
मैंने कहा- तू है ही इतनी सेक्सी कि कंट्रोल करना मुश्किल है.
मेरी बात सुनकर वो मेरे पास आकर मुझे लिपकिस करने लगी.
मैंने उसे कपड़े उतारने के लिए कहा.
वो झट से अपना सलवार कुर्ता उतार कर मेरे पास आ गई.
उसने सिर्फ़ ब्लैक कलर की ब्रा डाल रखी थी.
मैंने उसे मेरे मुँह पर बैठने को कहा.
वो अपनी चूत चटवाने के लिए मेरे मुँह पर बैठ गई.
मैंने जीभ से उसकी फुद्दी चाटना शुरू कर दिया. मेरी जितनी जीभ अन्दर तक जा सकती थी, मैंने डालकर मजा लिया.
मेरी इस हरकत से वो फिर से चुदासी हो गई और मेरे मुँह से चूत हटा कर मेरे लंड को ज़ोर ज़ोर से चूसने लगी.
मैंने उसकी ब्रा को उतार दिया और उसकी चूचियों को ज़ोर ज़ोर से दबाना शुरू कर दिया.
वो और ज़्यादा गर्मा गई और मुझे लंड अन्दर डालने के लिए कहने लगी.
मैं झट से उसके ऊपर चढ़ गया और लंड सैट करके एक ही झटके में पूरी ताक़त से अपना लंड उसकी फुद्दी में उतार दिया.
वो ‘आह मर गई …’ कह कर सिहर उठी.
कुछ ही मिनट में ही उसको चरम सुख की प्राप्ति होने लगी और उसकी चूत से पानी बाहर बहने लगा.
वो चिल्लाने लगी.
मैंने भी देर ना करते हुए अपना लंड बाहर निकाला और उसके मम्मों पर मुठ मारने लगा, अपने लंड का सारा पानी उसके मम्मों और पेट पर निकाल दिया.
वो खुश हो गई.
उस दिन शाम को मेरे साले और सासू मां को वापस आना था.
मैंने ऑफिस से छुट्टी ले ली और तीन बजे तक अपनी सलहज को चोद चोद कर तृप्त कर दिया.
दोस्तो, इसके बाद भी हम जब भी अकेले में होते हैं, तो एक दूसरे साथ चुदाई कर लेते हैं.
मेरी पिछली आपबीती कहानी ‘मेरे Antarvasna दोस्त की बहनों ने मुझे चोदा’ का अगला भाग लेकर आया हूँ मैं !
आप लोगों के मेल मुझे मिले, कुछ लोगों ने बहुत प्यार दिया और कुछ लोगों ने गालियों से सत्कार किया।
तो दोस्तों मैं अपनी कहानी को आगे बढ़ाता हूँ : चौथी की हवस का शिकार बना मैं
अपने दोस्त की तीन बहनों को तो मैं चोद चुका था पर एक बच गई थी जिसका नाम सोनू था। सोनू सबसे बड़ी थी, उसकी उम्र करीब 25-26 साल की थी और उसकी कुछ महीनों बाद शादी भी होने वाली थी और वो हर वक़्त अपनी शादी की सुहागरात के बारे में सोचती रहती थी।
जब मैं तीनों लड़कियों को चोद रहा था तब वो सोनू हमें खिड़की से देख रही थी। जब मैं तीनो को पूरी तरह से चोद चुका था तब मुझे बहुत शांति मिली। पर मुझे क्या पता था कि एक और हैं चोदने के लिए, वो सबसे बड़ी थी इसलिए मैंने उसके साथ सेक्स करने के बारे में नहीं सोचा था। पर सोनू के मन में तो बस सेक्स ही घूम रहा था। वो कमरे में आई जिसमें हम चारों बैठे थे, मेरा हाथ पकड़ा, मैं डर गया। उसने मेरा हाथ पकड़ा और एक दूसरे कमरे में ले गई, कमरे की कुण्डी लगा दी। उसकी आँखों में जैसे खून उतर आया था, उसे देख कर मेरी गांड और फट गई। फिर सोनू ने मुझे बेड पर धक्का दे कर लिटा दिया उसकी तीनों बहनें खिड़की से सब कुछ देख रही थी। सोनू ने सीडी प्लेयर पर ‘आशिक बनाया आपने’ का गाना लगा दिया और वो मेरी तरफ देखने लगी। मैंने अपनी आंखे नीचे कर ली क्योंकि वो मुझसे उम्र में बहुत बड़ी थी। अब वो धीरे धीरे मेरी तरफ बढ़ने लगी।
मैं अपने मन में यही सोच रहा था कि यार जो काम मुझे करना चाहिए था, वो तो यह कर कही है, और डरना इसे चाहिए था, तो डर मैं रहा हूँ। फिर मैंने भी यह फैसला कर लिया कि सोनू जो करना चाहती है, करने देता हूँ। मैं भी तो देखूँ कि एक लड़की में कितना सेक्स होता है। बस फिर क्या था, मैं चुपचाप लेटा रहा, सोनू धीरे धीरे मेरे पैरों को चूमती चूमती ऊपर की ओर आने लगी। पर मुझे कुछ भी नहीं हो रहा था क्योंकि मैं पहले ही तीन लडकियों को अच्छी तरह चोद चुका था।
वो धीरे धीरे मेरे सीने पर आ गई और मेरे सीने को चूमने लगी, फिर गले को चूमने लगी। कुछ देर में सोनू मेरे होंटों को आम की तरह चूसने लगी। दो तीन बार तो सोनू ने मेरे होंटों को काटा भी, पर फिर भी मैं लेटा ही रहा। बहुत देर तक सोनू मेरे होंटों को चूसती रही और एक ही गाना बार बार चलता रहा। सोनू अपना एक हाथ धीरे धीरे नीचे की ओर ले गई और मेरी पैंट के ऊपर से ही मेरा लंड पकड़ लिया। लंड तो गहरी नींद में सो रहा था पर फिर भी सोनू मेरे लंड को नींद से जगाने में लगी हुई थी। सोनू ने मेरी पैंट की जिप खोली और मेरा लंड हाथ में ले लिया।
उसके गरम हाथों ने जैसे ही मेरा लंड पकड़ा, मेरे शरीर में बिजली सी दौड़ गई और मैंने सोनू को जोर से अपनी बाहों में भर लिया, इतनी जोर से पकड़ा कि सोनू चिल्ला पड़ी। खिड़की से सोनू की तीनों बहनें सब देख रही थी। मैंने सोनू से बोला- सोनू जी, पहले आप यह खिड़की बंद कर दो। नहीं तो तुम चारों बहनें मुझे मेरे घर नहीं जाने दोगी और मेरे अन्दर इतनी ताकत नहीं है कि एक के बाद एक की चुदाई कर सकूँ !
सोनू ने खिड़की बंद कर दी और फिर से वो मेरे ऊपर आ गई। अब सोनू धीरे धीरे ऊपर से नीचे की ओर चूमते हुए आने लगी और मेरे ठंडे लंड को अपने मुँह की गर्मी देने लगी। कुछ देर तक सोनू मेरे लंड को चूसती रही। सोनू ने मेरे लंड को चूसते-चूसते खड़ा कर दिया। फिर क्या था- लोहा गरम था, बस चोट मारना बाकी था। मैंने सोनू को कुतिया की तरह झुकने को कहा पर उसके मन में तो कुछ और ही चल रहा था।
सोनू बोली- अभी रूको मेरी जान ! जल्दी क्या है, अभी तो खेल बहुत देर तक चलेगा ! अभी से चोक्के-छक्के लगाओगे तो जल्दी आउट हो जाओगे !
बस इतना बोला और सोनू ने अपनी चूत मेरे मुँह पर सटा दी और बोली- मैं ही सब करुँगी या तू भी कुछ करेगा ? चाट मेरी चूत को !
और हम 69 की पोजीशन में आ गए। सोनू मेरा लंड चूस रही थी और मैं उसकी चूत ! बहुत देर तक यही चुसमचासी होती रही।
मैं उसकी चूत चूसते-चूसते थक गया था तो मैंने अपनी दो उंगलियाँ उसकी चूत में डाल दी। वो शायद पहले भी किसी से चुद चुकी थी, दो उंगलियों से साली को कुछ भी नहीं हुआ पर फिर भी मैं दो उंगलियाँ अन्दर बाहर करता रहा। धीरे धीरे दो से तीन उंगलियाँ अन्दर कर दी। जैसे ही मैंने तीन उंगलियाँ अन्दर की, सोनू तो उछल गई और बोली- हाय, यह क्या किया तूने ! कितना मज़ा आ रहा था चूसने और चुसवाने में ! अब तूने मेरी चूत में खुजली कर दी ! अब तो बस तू मेरी चूत फाड़ ही डाल ! अब नहीं रुका जायेगा ! अब तू मुझे कुतिया बना या घोड़ी, बस चोद दे मुझे तू !
फिर क्या था, सोनू को मैंने बेड पर पीठ के बल लिटा दिया, उसकी दोनों टाँगें अपने कंधे पर रखी और अपने एक हाथ से अपना लंड पकड़ कर सोनू की चूत के मुँह पर रगड़ने लगा। लंड की रगड़ से सोनू और पागल हो गई और मुझे गाली दे कर बोली- कुत्ते ! अब अपने लंड को चूत में तो डाल !
पर मैं कहाँ सुनने वाला था, मैं तो बस उसकी चूत पर अपना लंड रगड़ता रहा, बहुत देर तक सोनू मुझे गन्दी गन्दी गलिया देती रही और मैं रगड़ता रहा। अब सोनू की चूत से चिकना सा पानी निकलने लगा, सोनू बोली- कुत्ते, डाल दे चूत में ! मैं झड़ने वाली हूँ !
मैंने सोनू के चिकने पानी को अपने लंड पर लगाया और जोर का धक्का मारा, सोनू एक दम से चीख पड़ी- आआआआआआआआआआअ कुत्ते मार डाला !
मैंने सोनू की चूत में जैसे ही अपना लंड डाला वो झड़ गई, मेरा पूरा लंड उसकी चूत के पानी से नहा गया और वो शांत पड़ गई। पर मैं नहीं झड़ा था, मैं सोनू की चूत चोदता रहा पर सोनू की चूत मारने में मज़ा नहीं आ रहा था क्योंकि वो पहले भी किसी से चुद चुकी थी। फिर मैंने सोनू से बोला- सोनू, तेरी चूत मारने में मज़ा नहीं आ रहा ! मैं तो तेरी गांड मारुँगा !
पर सोनू ने मना कर दिया पर मैं भी बहुत जिद्दी था, मैंने सोनू की चूत एक कपड़े से साफ की और चूत के दाने को अपनी जीभ से सहलाने लगा। धीरे धीरे सोनू को फिर से जोश चढ़ने लगा। सोनू कुछ ही देर में फिर से पागलों की तरह मेरे सर को पकड़ के अपनी चूत पर दबाने लगी। मैं समझ गया कि सोनू अब पूरी तरह जोश में है।
सोनू मुझसे बोली- फाड़ दे मेरी चूत को !
पर मुझे तो गांड मारनी थी, बस मैं खड़ा हो गया और अपने घर जाने लगा। सोनू सेक्स में पूरी तरह तड़प रही थी। सोनू बोली- कहाँ जा रहे हो तुम?
मैंने बोला- अपने घर जा रहा हूँ !
फिर सोनू बोली- मुझे तड़पता हुआ छोड़ कर क्यों जा रहे हो ?
मैंने बोला- तेरी चूत मारने में मुझे बिल्कुल भी मज़ा नहीं आ रहा है, तेरी चूत मारने से तो अच्छा है कि मैं मुठ ही मार लूँ !
सोनू तड़पती हुई बोली- प्लीज़ ! राहुल, मुझे ऐसे छोड़ कर मत जाओ !
मैंने बोला- मैं एक ही शर्त पर तुझे चोदूँगा !
वो बोली- क्या?
मैंने कहा- मुझे तेरी गांड मारनी है, अगर तुझे गांड मरवानी हैं तो बोल, नहीं तो मैं चला !
सोनू बोली- नहीं राहुल ! गांड मरवाने से मुझे बहुत दर्द होता है, मैं वो दर्द सहेन नहीं कर पाती !
मैंने उसे भरोसा दिलाया कि दर्द नहीं होने दूंगा। फिर सोनू अपनी गांड मरवाने के लिए तैयार हो गई। मैंने पास पड़ी बोरोप्लस की क्रीम अपनी बड़ी उंगली से सोनू की गांड पर लगाई और वो उंगली सोनू की गांड में डाल दी सोनू ने थोड़ी सी सिसकी भरी, मैं उंगली को सोनू की गांड में अन्दर बाहर करने लगा और जैसे जैसे मैं अपनी उंगली की स्पीड तेज करता, वैसे वैसे सोनू की सिसकियाँ भी तेज हो जाती।
सोनू बस यही बोल रही थी- नहीं राहुल ! नहीं राहुल ! आआआआआआईईईईईईईऊऊऊऊऊ !
उसकी चीखें धीरे धीरे कामुक स्वर में बदलती जा रही थी और कसी गांड धीरे धीरे नरम होती जा रही थी। मैंने भी अपनी एक उंगली की जगह दो उंगलियाँ सोनू की गांड में डाल दी और फिर अब सोनू की गांड मेरे लंड के लिए तैयार थी।मैंने एक बार फिर से बोरोप्लस क्रीम सोनू की गांड पर लगाई और अपने लंड को धीरे धीरे सोनू की गांड में डालना शुरू किया। अभी बस अग्र भाग ही अन्दर गया था कि सोनू चिल्ला पड़ी। मैंने सोनू को थोड़ा प्यार किया और उसे घुटनों और हाथों के बल झुका दिया। उसकी टाँगों और जांघों के बीच में दो तकिये लगा दिये जिससे सोनू की गांड ठीक मेरे लंड पे आ गई। अब उसकी गांड भी सही तरह से खुल गई और मेरे लंड के निशाने पर भी आ गई। मैंने एक बार फिर से सोनू की गांड में अपना लंड डालना शुरू किया। धीरे धीरे मेरा लंड सोनू की गांड की गहराई में समा गया। पहले तो मैंने धीरे धीरे अपना लंड सोनू की गांड में अन्दर-बाहर किया और फिर धीरे धीरे मेरे लंड की स्पीड तेज होने लगी। सोनू की सिसकियाँ चीखों में बदलने लगी आआआआआईईईईईईइ माम्म्म्मम्म मैं मार गईईईईईईई राहुल नहींईईईईईइ !
पर मैं तो अपने ही जोश में था, मैंने उसकी एक नहीं सुनी और जोर जोर के धक्के मारने लगा। धीरे धीरे सोनू का दर्द भी कम होने लगा और उसे मज़ा आने लगा। कुछ देर में सोनू खुद ही अपनी गांड उठा उठा कर मेरा पूरा का पूरा लंड अपनी गांड में ले जाती और बोली- और जोर से ! मज़ा आ रहा हैं राहुल ! और चोदो मुझे !
पर अब मैं कुछ ही देर का मेहमान था, 5-6 धक्कों के साथ मैं उसकी गांड में ही झड़ गया पर सोनू अभी भी नहीं झड़ी थी। मैंने उसकी चूत के दाने को चूसना शुरू कर दिया। कुछ ही मिनटों में सोनू भी झड़ गई और हम दोनों एक दूसरे से चिपक कर कुछ देर तक लेटे रहे और किस करते रहे।
फिर मैं अपने घर जा कर सो गया।
उस दिन के बाद मैं उनके पास बहुत कम जाने लगा पर जब भी जाता तो बस अपनी गर्लफ्रेंड रीतू को ही चोदता था और किसी को नहीं !
फिर कुछ ही महीनों बाद दो लड़कियों की एक साथ शादी हो गई और कुछ साल बाद दो और लड़कियों की शादी हो गई।
मेरा यह सफ़र यहीं खत्म होता है, मेरी अगली कहानी में आप पढ़ेंगे कि किस तरह मैंने एक लड़के को चोदा जिसे चुदने का बहुत शौक था।
दोस्तो, मेरी कहानी आप को कैसे लगी, मुझे जरूर बतायें ! आपके मेल से हम लोगों का होंसला बढ़ता है।
धन्यवाद ! Antarvasna
मैं सीमा हूं। 35 साल की होने पर भी Antarvasna अकेली हूं और शादि के बारे में नहीं सोचा। मैं अपनी बूढी मां के साथ रहती हूं।
मेरा एक भाई और दो बहनें शादीशुदा हैं और वो अलग रहते हैं।
मेरे 38 आकार के सुडोल स्तन हैं और मेरी कुंवारी चूत जिसमें एक लाल छेद है, पर मुझे गर्व है। मेरे पिता की काफ़ी पहले मौत हो गयी थी। तब से मैं ही मां की देखभाल कर रही हूं। मेरी बड़ी बहन विधवा है इसलिये मां को अक्सर उसके पास जाना पड़ता है। मैं बाल मन्दिर विद्यालय में अधयापिका हूं।
नजदीकी रिश्तों में मेरे एक मौसी, मौसा और उनके दो बच्चे हैं। मेरी मौसी अपने परिवार के साथ खुश हैं। अपनी जिन्दगी में मैने जितने मर्दों को देखा है उन में मैं अपने मौसा को पसंद करती हूं। वो एक शान्त स्वभाव, अच्छे पति, अच्छे पिता और अच्छे मित्र हैं। मेरे पिता की मौत के बाद उन्होंने हमारे परिवार की देखभाल की।
एक बार बरसात के मौसम में मां दीदी के घर गयी हुई थी, हल्की बारिश हो रही थी और मैं अकेली ब्लाउज और पेटिकोट में बैठी टी वी पर कोई अन्गरेजी फ़िल्म देख रही थी। घर पर अक्सर मै ब्रा पैन्टी नहीं पहनती हूं। किसिंग सीन चल रहा था। रात के 11 बज रहे थे।
तभी दरवाजे पर घंटी बजी। मुझे हैरानी हुई, पहले मैने टी वी बन्द किया फ़िर दुपटटा औढ कर दरवाजे तक गयी और अन्दर से ही पूछा कि कौन है?
लेकिन जवाब नहीं मिला।
मैने धीरे से दरवाजा खोला तो मौसाजी को देखा, वो बोले- हैलो सीमा कैसी हो, तुम्हारी मां कहां है?
मैने कहा अन्दर तो आइये!
मौसाजी अन्दर आये- ओह क्या मम्मी नहीं है?
मैने कहा- दीदी के वहां गयी है.
‘तो मैं चलता हूं।’
मैने कहा- क्या यह घर नहीं है?
‘नहीं ऐसा नहीं…’ उन्होने कहा- तुम कहती हो तो रुक जाउंगा.
बारिश भी बढ़ गई थी।
हम दोनो भीतर आये, मैने पानी दिया तब उनकी नजर मेरी नजर से टकराई मैं भूल चुकि थी कि मैने अंडरवियर नहीं पहना है। उनकी नजर पानी पीते पीते मेरी चूचियों पर गयी, उसका ब्रा नहीं पहनने से आकार बड़ा दिखाई देता था.
मैने अपने को सम्भाला लेकिन बातें करते करते उन्होने कहा सच कहुं सीमा तेरी चूचियां बहुत बड़ी हैं और उन्होने मेरा हाथ पकड़ कर अपनी ओर खींचने लगे। अगले ही पल में मुझे अपनी बाहों में भर दिया.
मैं चिल्ला उठी और कहने लगी मुझे छोड़ दो लेकिन वो नहीं माने और कस के मुझे चूमने लगे मैं ऐतराज करती रही पर मेरी नहीं चली वो मेरे होंठों का रस पीने लगे मैं कुछ भी कर न सकी वो जी भरके चूमने लगे फिर धीरे दुपट्टा खींच कर अलग कर दिया मैने खूब हाथ पांव मारे फिर भी वो चूमने रहे एक बार मैने धक्का मारा तो मैं बाहो में से निकल गयी लेकिन तुरन्त मुझे फिर से कस कर दबाया तो दोनो चूचियां पूरी दब के रह गयी।
मैने फिर से जोर लगाया पर मेरी चूचियां पर होले होले दबा रहे थे। फिर पीछे जा कर मेरी गर्दन गाल कंधे को चूमने और सहलाने लगे और दोनो चूचियों को ब्लाउज़ के ऊपर से दबाते रहे.
करीब 5 मिनट तक यह खेल चलता रहा पर मैं अलग न हो सकी पर मौका मिला तो जोर से धक्का मारा लेकिन ये क्या? जैसे मैं दूर गयी कि मेरा ब्लाउज़ फाड़ दिया उन्होने और दोनो चूचियां कैद में से मुक्त हो कर पहली बार किसी मर्द के सामने उछल कर नंगी हो गयी हाय रे! ये क्या किया।
मैने दोनो चूचियों पर हाथ ढक दिये तो वो आगे आ कर बोले सीमा उसको छोड़ दो मैं उसे नंगा देखना चाहता हूं।
मैं नहीं मानी तब वो करीब आके बोले- दोनो हाथ को उठा लो!
‘नहीं नहीं…’ मैं चिल्लाई पर उन्होने मेरे दोनो हाथों को उपर कर दिया दोनो नंगी चूचियां पा कर देख कर वो आनन्दित हुये पूरा नंगापन देख कर कहा- सीमा ! इतनी बड़ी और कड़ी चूचियां पहली बार देखी हैं.
इतना कह कर बाकी ब्लाउज़ को हटाया और दोनो चूचियों को पहले पिया अपने हाथों को रख कर किया दोनो को होले होले दबाया फिर निप्पल को प्यार से दुलारा चूचियों को सहलाया दबाया.
मेरी कुछ न चली धीरे से खींच कर बाहों में लेकर सीने से लगाया मैं मचल उठी पहली बार मर्द के सामने नंगी चूचियों की थी वो प्यार से दोनो फलों को दबाना सहलाना करते करते मेरे नीचे अपने एक हाथ को ले गये कहा सीमा सच कहुं तुम्हारी चूचियां मुझे बहुत पसंद है.
और मैं अपने अपको सम्भाल न सकी उन्होने नाड़ा खींचकर पेटीकोट को गिरा दिया, मैं नंगी हो गई, मौसाजी बहुत खुश हो गये मेरा नंगापन देख कर उठा लिया, मुझे बेड पर करके उन्होने अपने सभी कपड़े निकाल दिये.
मैं हाय हाय कर उठी उसके नंगे लंड को देखा तो पूरा ८ इंच लम्बा हो गया मेरी चूत को देख कर मेरी साइड आकर चूचियों पकड़ दबाये बाद में चूसना और दूसरी को मसलने लगे फिर दूसरी को चूसा पहली को मसलने लगे बारी बारी दोनो चूचियों को चूसा और दबाया निप्पल को बच्चे की तरह बार बार चूस रहे थे.
मैं बेताब हो गयी पहली बार किसी मर्द ने मुझे नंगा देखा था। धीरे धीरे उंगली मेरी हसीन चूत पर फ़िराने लगे मैं जोश में आने लगी आखिर कब तक अपने आप से लड़ती रहती, बस मैने दोनो होंठों को मौसाजी के होंठों पर रख कर चूसना चूमना शुरु किया जियो मेरी रानी कह कर मुझे अपने ऊपर गिरा लिया कि लंड का पहला स्पर्श चूत से हुआ अपनी चूत को हटाया तो चूचियों को चुलबुलाने लगे.
मैं अब गर्म होने लगी थी होंठों का और चूचियों का रस करीब १५ मिनट तक पीने के बाद मुझे नीचे गिराकर वो ऊपर आ गये मेरा पूरा बदन कम्पन करने लगा उन्होने मेरी नंगी जवानी को देखा फिर अपने होंठों से पूरा बदन चूमने सहलाने और दबाने लगे मेरी चूत के सिवाय सभी हिस्सों को कई बार चूमा तो मेरी दोनो टांगें खुद फ़ैल गयीं मैं हार गयी थी
मुझे भी अब रहा नहीं जाता था उन्होने मेरी चूचियों जोर से कसा.
‘मैं आह्हह ह्हह्हह मर जाउंगी मेरे मौसाजी अब नहीं रहा जाता। हाय रे बिना स…’
‘बोलो मेरी सीमा रानी…’
‘मुझे सिर्फ़ तुम्हारा कसा हुआ लंड चाहिये जी भर के चोदो मुझे अपना लो मौसाजी मुझे’
‘हां हां बोलो मेरी सीमा रानी।’
‘मौसाजी…’ तब मैने दोनो टांगें ज्यादा फ़ैलाई मेरी चूत देख कर उनका लौड़ा पूरी तरह तन कर कड़ा हो गया वो अब झुक गया मेरी चूत पर धीरे धीरे चूत को चूमने लगे थे कि मैं चिल्ला उठी- बस करो मेरे प्यार अह्हह ह्हह्हह ओय माअ ओयम्मम्ममा अयह क्या कर रहे हो।
पर उन्होने कुछ न सुना और अपनी जीभ को चूत में डाल कर चूसने लगे, मेरी तो अब जान ही निकलने लगी थी हायययययी रीईईई यह क्या हो रहा है।
‘अब और मत तरसाओ अपनी रानी को…’
अपनी टांगे खुद फ़ैला के बोली.
वो पूरे 5 मिनट तक चूसता रहा मेरी चूत खुल गयी थी अब इन्तजार करना ठीक नहीं था मैने दोनो पांवों को ऊपर उठाकर मुझे मंजरी आसन में ले लिया, मौसाजी अब मत रुको मेरी चूत मस्तानी हो गयी है तब मैने लंड को पकड़ कर चूत पर रख दिया वो और आहें भरने लगी मौसाजी चोदो मेरी …।
तब उन्होने धीरे से चूत में लंड दबाया ओह्हह्हह ऊऊह्हह्ह ह्ह्हह्ह हयरीए मेरी कुंवारी चूत ३५ साल के बाद चुदाई उन्होने दूसरा धक्का मारा तो वो खुल गयी हायययी आह्ह आह्ह अह्हह मर जांउगी तब उनका तीसरा और एक दो एक दो करता हुआ लंड अपनी मन्ज़िल और आगे बढ़ गया पर मैं आह्हह ओअह्हह्ह ओह्ह करती रह गयी
सच में उनको मेरी चूत बहुत टाइट लगी पर अब वो मानने वाले कहां थे धक्के पर धक्का धका धक धका धक फ़का फ़क फ़का फ़क फ़का फ़क चोदने लगे मन्ज़िल को छू लिया पूरा लंड अब मेरी चूत में था और अब मेरी दोनो चूचियों को कस कस कर दबाते दबाते जि भर के मस्त चुदाई का आनंद लेने लगे.
मैं भी मस्त हो चुकी थी वो भी पुरी तरह चोदने लगे अब दिल खोलकर मैं भी चूचियों और चुदाई करवाने लगी सीमा आह हहह बहुत मजा आ रहा है.
‘मेरे रजा जोर जोर से अब चोदो मैं तुम्हारी हो चुकी हूं चोदो चोद मेरे राजा…’
बस वो कस कस कर चोदने लगे तब धीरे धीरे दोनो बाहों में भरकर मैने अपनी ऊपर खींचा और तेज और तेज मौसाजी पूरी तरह चोद लो, स्पीड बढ़ाते गये और तेज फ़का फ़क फ़का फ़क और तेज फ़चा फ़च फ़चा फ़च आह्हह फ़चा फ़च फ़च अह्ह्ह ह्हह्ह मैं गयी अह्हह्हह्हह्ह और मौसाजी पूरी तरह मेरे पर छोट गये और पहली बार वीर्यदान कर दिया हमारा मिलन हुआ वो मेरे ऊपर थे मैने कसकर उसे मेरी चूचियों पर दबाया हमारी सांसे तेज और एक हो गई.
बाहर बारिश तेज बरस रही थी और मैने अपनी सुहाग रात चार बार चुदवा के मनाई। Antarvasna
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