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यह मेरी पहचान के एक लड़के Hindi Porn Stories की कहानी है, उसकी उम्र २० साल हुई ही थी, नाम राहुल, कद पाँच फुट दस इंच, आकर्षक।
जैसा कि होता है सबसे पहले जवानी के लक्षण आते ही सेक्स के बारे में उत्सुकता जागती है कि
सेक्स कैसा होता है ?
मजे आते हैं ?
दर्द होता है ?
लड़का और लड़की दोनों को मजे आते हैं ?
बच्चे कैसे होते हैं ?
आदि आदि
ये सब उसके मन में भी उठते थे
उसका संपर्क मेरे से हुआ, वो कंप्यूटर कोर्स के लिए मेरे पास आया था। धीरे धीरे घनिष्टता बढ़ी तो हम लोगों में सेक्स से सम्बंधित बातें भी होने लगी। वो मुझसे अपनी उत्सुकता को लेकर कई सवाल करता था। जब भी हम लोग फ्री होते तो हम सवाल जवाब करते रहते थे। राहुल के अपने भी कुछ दोस्त थे, उनमें भी स्वाभाविक रूप से ऐसी बातें होती रहती थी।
एक दिन राहुल ने मुझसे पूछा कि मेरे लंड के सुपाडे की खाल पीछे नहीं होती है जबकि मेरे दोस्त की तो हो जाती है?
मैंने उस से पूछा कि तुम मुठ मारते हो क्या?
उस ने पूछा कि कैसे मारते हैं?
मैंने उसको समझाया कि कैसे मुठ मारी जाती है।
तो उसने जवाब दिया कि बहुत कभी दो चार बार मारी है।
तो फ़िर मैंने उसको समझाया कि सुपाड़े की खाल तो सुपाडे से ही चिपकी हुई होती है, लेकिन जैसे जैसे जवानी आती है वैसे वैसे ये खाल अपने आप सुपाड़े से छूटती जाती है वरना जब सेक्स किया जाता है तो भी अपने आप धीरे धीरे छूट जाती है और या फ़िर मुठ मरोगे तो भी। लेकिन बहुत ज्यादा जोर लगा कर इसको पीछे करने कि कोशिश मत करना वरना घाव कर बैठोगे।
फ़िर राहुल ने पूछा कि यदि सेक्स किया जाए तो क्या फर्क पड़ेगा ?
तो मैंने पूछा कि कोई लड़की दोस्त है क्या ?
तो राहुल ने हिचकते हुए जवाब दिया हाँ है तो सही।
मैं : दोस्ती गहरी हुई क्या?
राहुल : हाँ धीरे धीरे गहरी हो रही है
मैं : क्या सेक्स की बातें होने लगी हैं?
राहुल : हाँ थोड़ी थोड़ी !
मैं : देखो, यदि खाल पीछे नहीं होती है तो लंड को चूत के अन्दर डालने में थोड़ी दिक्कत होती है, जोर से झटका मारोगे तो ख़ुद लंड पर भी घाव कर सकते हो और लड़की को यदि वो पहली बार कर रही है तो दर्द होगा।
राहुल : तो क्या मैं सेक्स नहीं कर सकता?
मैं: क्यों नहीं कर सकता भाई, मैंने मना थोड़े ही किया है, ऐसे समय सेक्स करने से पहले तैयारी करो – अपने हाथ साबुन से धो लेना, वेसलिन की डिब्बी ले लो, अपनी पहली ऊँगली पर वेसलिन लगा कर लड़की की चूत में ऊँगली करना। फ़िर उंगली को कुछ बार आगे पीछे करना। अब उंगली को ओ के आकर में धीरे धीरे घुमाना। ये सब करने में लड़की को दर्द हो तो रुकना फ़िर शुरू करना, अब अपने अंगूठे से भी इसी तरह करना। इस से लड़की की चूत का छेद थोड़ा खुल जाएगा और लंड डालते समय उसको दर्द कम होगा।
राहुल : लोग तो कहते हैं कि लंड को जोर से धक्का मारकर अन्दर डालना चाहिए। सील तोड़ना इसी को कहते हैं?
मैं: तू रोटी खाता है तो रोटी को तेरे मुँह में ठूंस ठूंस कर खिलाया जाय तो तुझको मजा आएगा क्या?
राहुल: मैं समझ गया, लड़की को दर्द होगा तो वो उतना मजा नहीं ले पायेगी।
मैं: हाँ ठीक समझा, वो ही क्या तुझको भी उतना मजा नहीं आएगा क्यूंकि दर्द के मारे वो उतना साथ नहीं देगी। अब अपने लंड पर वेसलिन लगा कर हलके धक्के लगाते हुए उसको भी चूत में धीरे से सरकते हुए अन्दर डालना, वेसलिन, क्रीम या नारियल का तेल लगाने से लंड आराम से अन्दर जाता है। बहुत जोर का घर्षण नहीं होता। समझा…? दर्द नहीं होने या कम होने से मजा बहुत आता है, सिर्फ़ सेक्स का असली मजा आता है। और जब मजा आने लगे और चूत पानी छोड़ने लगे तो तेरे में दम हो जितना जोर से लगाना, धक्के जोर से मारने हों तो मारना !
राहुल: लड़की को भी सेक्स का मजा आता है क्या?
मैं: क्यूँ भाई, लड़के ही ठेकेदारी लिखवा कर लाये हैं क्या मजे लेने के लिए। लड़कियों को भी मजा आता है। और जैसे कि अलग अलग लड़कों में सेक्स की रूचि अलग अलग होती है वैसे ही लड़कियों में भी, किसी लड़की को सेक्स में रूचि ज्यादा और किसी में बहुत कम या न के बराबर होती है। लेकिन एक बात याद रखना कि यदि सेक्स का मजा लेना हो तो लड़की को ओर्गास्म पहले आ जाए ये याद रखना ताकि उसका इंटरेस्ट बना रहे। अन्यथा पहले तुमको ओर्गास्म आ गया तो तुम्हारे दुबारा तैयार होने तक लड़की उत्तेजना से परेशान हो जायेगी और उसको हो सकता है तुमसे या सेक्स से नफरत हो जाए। यदि किसी कारण वश एसा हो भी जाए तो लड़की के साथ लगातार खेलते रहो। ताकि उसकी उत्तेजना बनी रहे।
और लड़की को पहले ओर्गास्म हो तो एक फायदा और होता है कि तुम्हारे को ओर्गास्म होने तक लड़की को और भी ओर्गास्म हो जाए। भगवन ने लड़की को ही वरदान दिया है कि सेक्स के एक राउंड में लड़की को कई ओर्गास्म हो सकते हैं जबकि लड़के को एक बार में एक ही ओर्गास्म होता है। उसके बाद लड़के को दुबारा ओर्गास्म हो इसके लिए उसको थोड़ा इंतजार करना होता है।
राहुल: सर बस एक बात और बता दीजिये कि लड़की को ज्यादा मजा कैसे आता है।
मैं: देखो लंड को चूत में डालने से पहले गेम खेलना चाहिए। इस गेम खेलने को फोरप्ले कहते है। इसमे होटों से होंट मिला कर चूसना, एक दूसरे की जीभ चूसना, कान की लटकन चूसना, लटकन के नीचे की गर्दन चूसना, बोबे दबाना और चूसना, नाभि चूसना और हो सके तो एक दूसरे के सेक्स ओरगन (लंड या चूत) चूसना शामिल हैं। शरीर की मालिश करना और सहलाना भी फोरप्ले में ही आता है। अब यह बात भी ध्यान रखना कि जिससे उसको उत्तेजना ज्यादा हो वो ही काम ज्यादा करना। जिसके लिए वो मना करे वो मत करना। ये अच्छा रहेगा, उसके मन में तेरे लिए विश्वास और प्यार पैदा होगा। जब लड़की को सेक्स खूब चढ़ जाए तो लंड को चूत में डालना। शुरू में बिल्कुल धीरे धीरे धक्के लगाना।
अब एक बात मैं और बता देता हूँ, देख लड़की के साथ सेफ सेक्स खेलना, या तो कंडोम प्रयोग में लेना या मासिक के चक्र को ध्यान में रखना। मासिक शुरू हो उस दिन को पहला गिनो। आम तौर पर ३० दिन का मासिक होता है। इस के अनुसार १५ वां दिन सबसे खतरनाक होता है। इस दिन तो बच्चा होने के सबसे ज्यादा चांस होते हैं। इस से तीन दिन पहले तक क्यूंकि तीन दिन वीर्य के शुक्राणु जिन्दा रह सकते हैं और तीन दिन बाद तक क्यूंकि लड़कियों में अंडाणु तीन दिन जिन्दा रहता है, अर्थात मासिक शुरू होने के १२ वें दिन से १८ वें दिन तक सीधा सम्भोग नहीं करना। वरना बच्चे होने का खतरा उठाना होगा। इसमे भी २ दिन और सेफ कर लो। ११ से १९ दिन तक। लेकिन यदि मासिक चक्र काफी ऊपर नीचे होता रहता है तो रिस्क मत लेना। कंडोम ही काम लेना।
राहुल: ठीक है सर।
मैं: अब तू मुझसे सुन, मैं सब कुछ समझता हूँ लल्लू, लड़की लगभग तैयार होगी। है न।
राहुल: एसा ही लगता है सर।
मैं: जा मजे कर, और सेक्स हो जाए तो बाकी सारी बातें बताना।
राहुल: बिल्कुल सर, ऐसा ही होगा।
अगले चार दिन राहुल नहीं आया, उसका फोन आया कि सर मैं छुट्टी पर रहूँगा। मैं समझ गया।
उसके बाद जब वो मेरे पास पढने आया तो मैंने उसको सारी बात बताने को कहा। अब आगे की कहानी राहुल की जुबानी सुनिए।
यहाँ से जाने के अगले दिन मैं उषा से मिला। मैंने बातों बातों में उस से पूछा कि कहीं घूमने चल रही हो?
उषा: किधर चलोगे?
राहुल: शहर से १० किलोमीटर दूर जो स्मृति वन है। ( इस स्पॉट में कम ही लोग आते जाते हैं)
उषा: जरूर, कल चलेंगे, खाना भी उधर ही खायेंगे। ठीक है?
राहुल: बिल्कुल ठीक है, जान।
मेरे इस नए संबोधन से उषा शरमाई सी आश्चर्य चकित मुझको देखने लगी। मैंने उसका हाथ धीरे से दबा कर बोला तुमने मेरा मन रखा उसके लिए धन्यवाद। तो उषा बोली इसमे धन्यवाद कैसा, मेरा तो ख़ुद घूमने का मन था। उल्टा धन्यवाद तो मुझसे लो। ये सुन कर मेरे मन में उमंगों ने लहर मारना शुरू कर दिया। मुझको उसकी साफगोई बहुत अच्छी लगी और मेरे मन में उसके लिए प्यार हिलोरे लेने लगा।
कोलेज पढने के बाद मैंने उस को अपनी मोटर साइकिल से उस के घर के पास छोड़ा। अगले दिन इसी जगह से दिन के बारह बजे स्मृति वन जाना निश्चित हुआ। दूसरे दिन वो मुझे उसी जगह पौने बारह बजे मिली और हम दोनों अपने घर से लाये खाने और पानी की बोतल के साथ स्मृति वन २० मिनिट में जा पहुंचे। मोटर साइकिल को स्टैंड पर लगा कर हम अपने खाने पीने के सामान के साथ पिकनिक स्पॉट में दाखिल हुए।
ये कई बीघा में बना हुआ पिकनिक स्पॉट है जहाँ कि बीच बीच में छायादार बड़े पेड़, झोंपडी टाइप गुमटियां और टीनशेड आदि दूर दूर लगे हुए हैं। बीच बीच में पानी के गढ़े, फ़व्वारे, डांसिंग लाइट आदि लगी हैं। काम काज का दिन होने से भीड़ कम थी। और हम बहुत आराम में थे। धीरे धीरे हम आपस में बात करते हुए अन्दर घुसे जा रहे थे। उसका सामान भी मैंने ले रखा था। हम साथ साथ चल रहे थे। और उसका हाथ मेरे हाथ से बार बार छू जाता था। मुझको अच्छा लग रहा था। और उषा इस बात पर ध्यान नहीं दे रही थी। बहुत अन्दर जाने पर जब आसानी से आसपास कोई दिखाई नहीं दे रहा था तो एक गुमटी में हम लोगों ने अपना डेरा जमा लिया।
हम एक दूसरे के पड़ोस में बैठे पढ़ाई से दूर की, अपने घर और परिवार की बातें करने लगे। बहुत देर तक बातें होती रही। हम एक दूसरे की बातों में रुचि लेते रहे। फ़िर हम एक दूसरे को चुटकुले सुनाने लगे। इस दौरान हँसी हँसी में हम एक दूसरे के हाथ पर हाथ मारने लगे। उषा ने कोई आपत्ति नहीं की। प्यास लगने पर एक ही बोतल के मुँह लगा कर पानी पिया। फ़िर किसी इसी ही मनभावन बात पर मैंने उसके हाथ को अपने हाथ में ले लिया। उषा ने एक बार मुझको देखा फ़िर नोर्मल ही वैसी ही बातें करने लगी। मैंने भी उसकी आँखों से आँखें मिलायी।
२ घंटे बाद हम लोग खाना खाने को हुए। हाथ धोये, उषा ने दोनों के घर से लाया खाना एक ही जगह बहुत अच्छी तरह सजाया। सलाद काटा फ़िर एक दूसरे के पास पास बैठ कर हम एक दूसरे को खाना खिलाने लगे। उषा मेरे बाएं साइड बैठी थी। फ़िर धीरे से मैंने अपना बायाँ हाथ उसके कंधे पर रख दिया। उषा ने मेरी और देखा तो मेरा दिल जोर से धड़का। लेकिन उषा धीरे से खिसक कर मेरे थोड़ा और पास हो गई। मुझको बहुत आराम आया। फ़िर हम दोनों ने किसी को भी ख़ुद के हाथ से खाना नहीं खाने दिया, एक दूसरे को खिलाते रहे। खाने के दौरान उषा बातों के बीच में अपना सर मेरे कंधे के बाजु पर लगा देती थी। हम दोनों ने बहुत एन्जॉय करते हुए १ घंटे में खाना ख़तम किया। उषा के व्यवहार से लग रहा था कि उसको मेरा साथ पसंद आया है।
दिन के तीन बज रहे थे। अब हम चद्दर बिछा कर अधलेटे से सुस्ताने लगे। अब असली बात मेरे मुँह से निकल नहीं पा रही थी। कि कैसे मैं उषा से कहूँ कि मैं उसके साथ सेक्स करना चाहता हूँ। जबकि उसके व्यवहार से लगता था कि वो भी राजी है। लेकिन यदि उसने बुरा माना तो मैं एक बहुत अच्छे दोस्त से भी हाथ धो बैठूंगा।
उषा ने मुझसे पूछा कि मेशु तुम बहुत विचार मग्न दिख रहे हो। क्या बात है?
मैंने कहा कि नहीं कुछ भी नही। तो उषा ने जोर दिया कि यार लगभग आधा घंटा हो गया मैं तुमको इसी स्थिति में देख रही हूँ। खाना खाने तक तो बहुत ठीक से सब कुछ चल रहा था। बताओ तो क्या बात है।
मैं हिचकिचाया तो उषा ने बोला कि तुम लड़के होकर नहीं बता रहे। क्या बात है बोलो।
मैं बोला उषा मैं बता तो दूँ लेकिन यदि बात तुमको पसंद नहीं आई तो?
उषा ने बीच में बात काट कर कहा – क्या क्या, यदि बात मुझको पसंद नहीं आई तो, चलो अभयदान दिया, कुछ नहीं होगा। फ़िर मैंने उषा को कहा कि देखो उषा तुम मेरी बहुत अच्छी दोस्त हो और मैं तुमको खोना नहीं चाहता। अबसे पहले मेरी कोई भी फिमेल दोस्त नहीं रही इसलिए प्लीज यदि बुरा न मानो और अपना सम्बन्ध इसी तरह बना रहे तो मैं बता दूँ वरना जाने दो।
उषा ने जवाब दिया जनाब मैं तो तुमको अभयदान दे चुकी बोलो इस से ज्यादा तो कुछ नहीं हो सकता। अब भी न बताओ तो तुम्हारी इच्छा। तुम्हारी ऐसी शकल देखने से तो अच्छा है कि घर ही चलें।
अब मुझको हिम्मत आ गई और उषा को मैंने कहा। कि उषा तुम मेरी पहली फिमेल दोस्त हो और हो सकता है कि आखिरी भी तुम ही रहो।
उषा: फ़िर
राहुल: बात ऐसी है !!
उषा: कैसे है यार, क्या लड़कियों की तरह शरमाते हो। लड़की होकर मैं इंतना नहीं शरमा रही, बेशर्म होकर तुमसे खोद खोद कर पूछ रही हूँ, क्या मैं रोटी नही घास खाती हूँ। मुझको भी कुछ अंदाजा है कि तुम क्या कहना चाहते हो लेकिन तुम ही बोलो ! चलो ! मैं तुम्हारे मुँह से सुनना चाहती हूँ !
मैं तो जड़ हो गया। फ़िर उसकी नजरें मुझ पर टिकी रही। मुझसे कुछ भी बोलते नहीं बन पा रहा था। तो उषा बोली चलो फ़िर घर चलते हैं।
लेकिन मैं नहीं उठा। उसका हाथ पकड़ कर अपने पास बिठा लिया। उसके कन्धों पर हाथ रख दिया।
उसने मेरी ठुड्डी पर हाथ रखकर मेरा मुँह अपनी और किया और मेरी आंखों में देखने लगी।
मेरे पसीने छूट गए। फ़िर बोला उषा प्लीज समझोगी न मुझको !
उसने हाँ में गर्दन हिलाई।
मैंने दूसरे हाथ से उसका हाथ अपने हाथ में लिया। और उसकी और देखते हुए बोला उषा प्लीज ! उषा मुझे तुम बहुत अच्छी लगती हो। उषा मुस्कुराई। उसने आँख मार दी। मेरी हिम्मत बढ़ गई। मैंने कंधे वाला हाथ उसको लिए अपनी और खींचा और उसके गाल पर एक पप्पी ली। उसने कुछ नही कहा। और अपने हाथ से मेरा पकड़ा वाला हाथ दबा दिया। कुछ देर हम एक दूसरे को देखते हुए बैठे रहे। उषा फ़िर बोली बस ये ही कहना था आगे बोलो !
मैंने फ़िर कहा कि उषा ! प्लीज समझना यार, बुरा मत मानना।
उषा ने दूसरे हाथ से अपना माथा ठोक लिया।
उसने अपना हाथ छुडाया, अपने दोनों हाथों में मेरा चेहरा थामकर मेरी आँखों में देखती हुई बोली हाँ अब बोलो!
मैंने उसके दोनों कन्धों पर अपने दोनों हाथ जमा दिए फ़िर हिचकते हुए कहना शुरू किया- मुझको सेक्स के बारे में बहुत उत्सुकता है !
उषा: फ़िर ! ?
राहुल: तुमको भी है?
उषा: यार मेरा भी एक ही बॉय फ्रेंड है…। तुम, और ये तो सभी को होती है। इसमे ग़लत क्या है? लड़का लड़की एक दूसरे के बारे में जानना चाह्ते हैं। तुम क्या जानना चाह्ते हो?
अब मैंने अपना दिल कठोर कर लिया और सोचा कि जो होगा देखा जाएगा। उषा इतना सपोर्ट कर रही है।।।
राहुल: मुझसे सेक्स करोगी !?
उषा अपने हाथों में मेरा चेहरा पकड़े कुछ देर मुझे देखती रही मैं भी उसको देखता रहा। उसके गाल लाल हो गए। मेरा दिल धक् धक् कर रहा था। सारा शरीर कम्पन कर रहा था कि जाने क्या होगा, फ़िर !
उषा: मेशु मुझको तुम पर विश्वास है। इच्छा तो यार होती है लेकिन डर भी बहुत लगता है। कहीं कुछ ऊँच नीच हो गया तो जमाने को क्या मुँह दिखायेंगे?
राहुल:यदि ऐसा हो गया तो फ़िर हम शादी कर लेंगे।
उषा: क्याआआआआअ।
मेरे मुँह को चूम कर, उसने अपना चेहरा मेरे सीने में लगा दिया !
हम बहुत देर तक ऐसे ही बैठे रहे। कभी कभी एक दूसरे को चूम लेते। फ़िर मैंने अपना एक हाथ उसके बोबे पर रखा तो उसने मेरा हाथ पकड़ कर कहा, नहीं मेशु आज नहीं कल, फ़िर नजरें नीची करके कहा – जब सेक्स करेंगे तब।
यह सुन कर मेरा फ्यूज उड़ गया।
मुझको अपने को वश में करना मुश्किल हो गया। मैं तुंरत उठ कर बोला उषा ५ बज रहे हैं चलो घर चलें। उषा भी बोली हाँ ठीक है चलो।
हमने अपना सामान समेटा और एक दूसरे का एक हाथ पकड़े मोटर साइकिल पर आए और घर की ओर रवाना हुए। उषा मुझसे चिपक कर बैठी हुई थी। मैंने पूछा उषा मासिक कितने दिन के हो गए। उषा बोली २५-२६ दिन हो गए ४-५ दिन में आ जायेगी। तो मैंने सोचा कि सीधे एंट्री हो सकती है बिना किसी डर के।
उषा को घर के पास उतारते समय उषा बोली कि वो कल १२ बजे मेरे कमरे पर आ जायेगी। लेकिन दर्द होगा ना ?
मैंने कहा कि यार नहीं होने दूँगा। उषा बोली मेरी सहेलियां तो बोलती हैं कि बहुत दर्द होता है पहली बार में। मैं बोला जय गुरूजी की विश्वास रखो नहीं होने दूँगा।
उसके बाद न तो मेरा मन किसी काम में लगा, न मुझको खाना खाने कि इच्छा हुई और न ही रात को ठीक से नींद आई। उषा का स्पर्श मुझको तरंगित किए था और मैं सातवें आसमान पर उड़ रहा था। बड़ी मुश्किल से वो दिन बीता और सुबह ७ बजे तक मैं नहा धो कर तैयार था। मेरे दिल की धड़कन बदल चुकी थी और उषा उषा आवाज आ रही थी। जैसे तैसे टाइम कट रहा था। ११ बजे जाकर होटल से खाना पैक करवाया। कमरे पर आकर उषा का इंतजार करने लगा। पता नहीं उषा आएगी भी या नही। सेक्स कोई ऐसी वेसी छोटी मोटी चीज तो थी नहीं जो वो मुझको देने वाली है और लड़की बिंदास है ये उसका व्यवहार बता रहा है। ठीक १० मिनिट पहले दरवाजे पर दस्तक हुई। मेरा दिल उछल कर गले मैं आ गया। दरवाजे पर उषा खड़ी थी।
राहुल: आओ आओ उषा अन्दर आओ।
मैंने दरवाजा बंद किया और बाहें बढाई कि उषा मेरे बाँहों में समा गई मेरे हाथ उसकी पीठ पर और उसके हाथ मेरी गर्दन के पीछे कस गए। हमारे होंट एक दूसरे से चिपक गए। १५-२० मिनिट हो गए, होंट थे कि हटने का नाम ही नहीं ले रहे थे। हम एक दूसरे के होंट चूस रहे थे और इतना तन्मय हो गए थे जैसे किसी मधुर संगीत में खो गए हो।
जिन्दगी में पहला किस था किसी जवान लड़की को मेरा और उषा का भी।
उसके होटों का रस मेरे पेट में और मेरे होंटों का रस उसके पेट में जा रहा था। दोनों तृप्त हो रहे थे। दुनिया का कोई होश नहीं था !! हम खड़े खड़े ही एक दूसरे में खोये हुए थे। उषा की जीभ मेरे होटों पर फिरने लगी तो मैंने उसकी जीभ को अपने होटों से सक करके अपने मुँह में लिया और चूसने लगा। उषा के मुँह से जोर की सिसकारी निकली और वो जोर से मुझसे चिपक गई।
मैं अधमुंदी आंखों से उषा को देख रहा था, उसकी आँखें मुंदी हुई थी। धीरे धीरे वो होश खो कर मेरी बाँहों में लटकती जा रही थी। जैसे ही ये अहसास मुझे हुआ तो मैंने उसको दोनों बाँहों में उठा कर अपने बिस्तर पर हौले से लिटा दिया। वो पस्त निढाल लेटी हुई थी। मैं भी समझ गया कि अब उसको सेक्स की बहुत जरूरत है। मैं भी उसके साथ लेट गया और उषा को बाँहों में लेकर उसके बोबे दबाने लगा और उसके कान की लटकन चूसने लगा। उसने अपनी बाहें मेरी पीठ पर कस दी। थोडी देर बाद मैं उसकी गर्दन चूसने लगा। मेरे पसीने आने लगे। जैसे भट्टी जल रही हो। और मेरी बाँहों में तो साक्षात् आग लेटी थी। हम दोनों ही लस्त पस्त हो रहे थे। बिजली की चिंगारियां शरीर में भर रही थी। मैं समझ नहीं पा रहा था कि मैं स्थिति को कैसे सम्भालूँ। मैंने धैर्य रखना उचित समझा। वरना मेरी हालत ख़राब होने को थी। बड़ी मुश्किलों से अपने को काबू किया।
मैंने उषा से पूछा- उषा कपड़े हटा दूँ। तो उसने सहमति से गर्दन हिला दी। मैं २ मिनिट के लिए उषा से हटा और उषा के शरीर से कुरता हटाया। जैसे जैसे उसका शरीर दीखता गया मेरे शरीर में भाप बनने लगी। जैसे तैसे उसका कुरता हटाया, ब्रा में उसके बोबे ऐसे दिख रहे थे जैसे ताजी, चमकदार और रसभरी दो मोस्मियाँ उसके शरीर पर चिपकी हों, मैं होश खो बैठा और ब्रा को ऊपर सरका कर एक हाथ से उसका एक बोबा दबाने लगा और दूसरे को अपने मुँह में भर लिया। आधा बोबा मेरे मुँह में आ गया। मैं चूसने लगा। उषा के मुँह से सिसकारियां छूटने लगी, वो तड़पने लगी। आहें कमरे में गर्मी भर रही थी। मैं बिल्कुल बेकाबू हो गया था। उषा मेरे सर को पकड़ कर अपने बोबों पर दबा कर पकड़ रखी थी। मैं कंट्रोल करने की कोशिश में लगा था। बड़ी मुश्किल से मैंने बोबे पर अपने दांत गड़ने से बचाए।
फ़िर मैं उषा की पकड़ से छूट कर पहले अपने कपड़े उतारने लगा। अब उषा ने ज़रा सी आँख खोल कर देखा फ़िर शर्मा कर मुस्कुरा कर वापस अपनी आँख बंद करके इंतजार करने लगी। अपने को जन्म जात अवस्था में लाकर मैंने उषा की ब्रा के हूक खोलकर उसको अलग किया। फ़िर सलवार का नाड़ा खोला। सलवार का जोड़ गीला हो चुका था। मैंने सलवार नीचे सरकाई। उसकी पैंटी दिखने लगी पूरी गीली। सलवार और नीचे सरकी तो उसकी जांघे मखमल जैसे, चिकनी पूरे शरीर पर एक भी बाल नही। क्या बदन है उसका मैं सोचने लगा। फ़िर मैं होश खोने लगा तो मैंने फ़टाफ़ट से उसकी सलवार टांगों में से निकाल दी और उसके पूरे शरीर पर छाते हुए उसकी गर्दन से नीचे से लेकर पूरे शरीर को जीभ से चाट गया। उषा फ़िर तड़पने लगी। सिसकारी और आहें कमरे में फैलने लगी जैसे कोई मधुर संगीत मन को तृप्त और उद्दीप्त करता है ऐसे ही वो आहें और सिसकारी काम कर रही थी।
उषा की पैंटी के नीचे चद्दर तक गीली हो गई। जैसे एक गिलास पानी गिर गया हो। मुझमें हजारों वाट की भट्टी दहकने लगी। इससे पहले कि मैं अपने होश खो बैठूं, मैंने पैंटी के दोनों और अपने हाथ रखे और ३ सेकंड में नीचे खीचंते हुए उषा की टांगो से बाहर किया और उषा पर आ गया। उसका कद ५ फुट ६ इंच का होगा क्योंकि मेरा लंड उसकी चूत पर अड़ रहा था और उसके मुँह से मेरा मुँह मिला हुआ था। उसका गोल चेहरा बिल्कुल निर्मल प्यारा लग रहा था। उससे मुझको प्यार हुए जा रहा था। अब उषा मेरी जीभ अपने मुँह में लेकर चूसने लगी।
मैं उसके मोसमी जैसे बोबे दबाने लगा। और लंड को उसकी चूत पर रखकर दबा दिया। उषा के होंट ढीले पड़े और उसके मुँह से सिसकारी निकलने लगी। वो मुझसे ऐसे चिपक गई जैसे मुझ में घुस जायेगी। फ़िर तो वो मुझको जगह जगह से चाट गई जहाँ जहाँ वो बाँहों में बंधे हुए चाट सकती थी। मेरी हालत ऐसे थी कि काबू करने की कोशिश के बाद भी नहीं हो रहा था। मैं ने करवट ले कर अपने को उषा के साइड में कर लिया। और अब दबाने चूसने का कार्यक्रम बिना किसी रुकावट के चलने लगा।
उषा से मैंने कहा- उषा अब बर्दाश्त नहीं होता यार।
उषा फुसफुसाई तो मैं क्या करुँ यार। मैं तो तुम्हारे हवाले हूँ और मुझ से तो कुछ भी किया नहीं जा रहा। मैं तो उड़ रही हूँ जाने किधर आ गई आआआआआह्ह्ह्ह्ह्ह।
मैंने भी जय गुरूजी की बोलकर बेड के पास रखी वेसलीन की डिब्बी को उठा कर ऊँगली घुसा कर वेसलीन निकाली और हाथ नीचे ले जाकर उषा की चूत में ऊँगली सरकाई। उषा ज़रा सी कसमसाई लेकिन जैसे ही मैं ने ऊँगली गहरी डाली तो उषा के चेहरे पर दर्द कि लकीरें दिखने लगी। उंगली टाईट से अन्दर जा रही थी। मै उसी स्थिति में ऊँगली अन्दर बाहर करने लगा। उषा उत्तेजना के मरे मुझसे चिपक कर आहें भरने लगी। मैंने अपनी जीभ फ़िर उषा के मुँह में दे दी। वो चूसने लगी। मेरा लंड कठोर हो चुका था। अब मैंने ऊँगली को ओ के आकार में घुमाना शुरू किया फ़िर उषा के चेहरे पर दर्द उठने लगा। मैंने हाथ की स्पीड को कम किया। फ़िर उषा मचलने लग गई। उसके कूल्हे धीरे धीरे चलने लगे। अब मैंने अपनी ऊँगली निकाल कर अंगूठा उसकी चूत में डाल दिया। उषा थोड़ा सा कसमसाई और फ़िर एडजस्ट हो गई। अब जब मैंने अंगूठा ओ के आकार में घुमाने लगा तो स्पीड बिल्कुल कम रखी। फ़िर भी उषा आह आह करने लगी धीरे धीरे। मैंने पूछा तो वो बोली कि हल्का दर्द है और मजे भी बहुत आ रहे हैं। फ़िर मेरा मुँह चूम कर बोली राज्जा तुम बहुत अच्छे हो यार, मेरे दर्द का कितना ख़याल रखते हो। मैंने मन में सोचा कि सब गुरूजी की कृपा है
२ मिनिट बाद मैंने उषा से पूछा कि लंड को अन्दर डाल दूँ क्या। तो वो जरा सी आँखें खोलकर फुसफुसाते हुए बोली बोली जो करना है, करो मुझको क्या पता कि कैसे क्या होता है। बस थोड़ा इधर उधर से सहेलियों से सुना ही तो है। मैंने भी सोचा कि उषा बिल्कुल सही कह रही है।
फ़िर मैंने अपना लंड उषा के हाथ में दिया और फ़िर ऊँगली घुसेड़ कर वेसलीन निकली और लंड पर लगा दी और उषा को बोला कि बस अब इतना तो कर दो कि वेसलीन मेरे लंड पर लगा दो। उसने गर्दन हिला कर सहमति दी और आहें भरती हुई धीरे धीरे वेसलीन लंड पर रगड़ने लगी। पूरी स्थिति अब काबू बाहर होने लगी तो वेसलीन फैलते ही मैं उषा की टांगो के बीच में आ गया और उषा को बोला उषा अपने को कंट्रोल करना यार मुझको हेल्प करना यदि दर्द हो तो उसको थोड़ा सहन करना !
फ़िर मैंने अपने ६ इंच लंबे और २ इंच मोटे लंड को उषा की चूत के मुँह पर रखा फ़िर अपने हाथ उषा की कमर के दोनों साइड में रखकर धीरे से लंड पर दबाव डाला तो लंड का सुपाडा चूत के मुँह पर फिट हो गया फ़िर हल्का झटका दिया तो उषा के मुँह से आह निकली और मेरे मुँह से सिसकारी। लंड लगभग दो इंच अन्दर हो गया था। लंड चूत में जाने के एहसास से कड़क एकदम कड़क हो गया था और मेरे शरीर को जाने कौन आसमान में ले उड़ रहा था। मैंने अपने आपको सम्हालने कि कोशिश करते हुए उषा से पूछा कि दर्द?
तो वो बोली- थोड़ा है लेकिन चलेगा और मेरे शेर मैंने अपने आपको सही हाथों में दिया है ये मैं महसूस कर रही हूँ। करते जाओ।
तो मैंने धीरे धीरे दबाव डालते हुए हलके हलके धक्के से लगाते हुए अपना लंड जड़ तक उषा की चूत में डाल दिया। लंड के सुपाड़े की खाल चिपकी होने से थोड़ा तकलीफ तो मुझको भी हुई। उषा ने अपने होंट भीच रखे थे और अपनी गर्दन को हाँ आने दो की मुद्रा में हिला रही थी। जैसे ही पूरा लंड अन्दर गया कि मैं अपने हाथों को आगे करता हुआ उषा के ऊपर आ गया कोहनी बिस्तर पर थी और घुटने भी मेरे शरीर का वजन सम्हाले हुए थे। उषा ने अपने हाथों से मेरी गर्दन को अपनी और भीचा और अपने होटों से मेरी गर्दन चूसने लगी, मैंने अपनी हथेलियाँ उसके बोबों पर रख दी।
गर्दन से कैसे बिजली शरीर में आती है ये मैंने जाना उषा के होटों की हर हरकत लाखों वोल्ट के झटके मुझे दे रहे थे मेरा पूरा शरीर कांप रहा था। कंट्रोल कैसे होता है ये ना मैं जानता था और ना ही उषा। बस हम तो किए जा रहे थे जो मन में आ रहा था वो सब। लेकिन बस काम हो रहा था।
थोडी देर बाद मैंने उषा को रोका और कहा यार उषा ऊपर आ जाओ। और ऊपर से करो तो उषा ने बमुश्किल अपनी आँखें खोली और मेरे हटने के बाद जब मैं साइड में सोया तो वो ऊपर आ गई। अब मैंने एक बदमाशी की, उषा ने जब लंड को चूत में डालने को कहा तो मैंने कहा कि अब ये अपने आप अपनी चूत में डालो। अब तो तुमको पता है कि लंड को कैसे और कहाँ अन्दर जाना है।
उषा ने आँखें तरेरी लेकिन मैंने चेहरा दयनीय बनाते हुए कहा प्लीज तो वो मेरे ऊपर लेट गई और अपने कूल्हे थोड़ा ऊपर करके मेरे लंड को पकड़ कर अपनी चूत पर लगा दिया और बोली कि अब तो थोड़ा सा सहयोग कर दो न !
तो मैंने उसके कूल्हों पर हाथ रखकर नीचे से अपने कूल्हे ऊपर उठाने शुरू किए तो फ़िर हम दोनों के मुँह से सीसाहट निकलने लगी तो उषा ने मेरे होंटों पर अपने होंट चिपका कर चूसना शुरू कर दिया। फ़िर तो मैंने उषा को कस कर भीच लिया। उषा आहें भरने लगी। और मेरे सीने से लग कर थोडी देर पड़ी रही। फ़िर मैंने अपने एक हाथ को नीचे फंसा कर उसके चूत पर लाकर हलके से उँगलियाँ उसकी चूत में फसें लंड के चारों और की चूत की दीवारों पर फेरने लगा। उषा मचलने लगी।
वो मेरा मुँह चाट गई और कूल्हों के हलके झटके देने लगी। मैंने दूसरे हाथ को उसके कूल्हों पर फेरने लगा। उषा पूरी तरह छटपटाने लगी और लम्बी लम्बी साँसों के साथ सिसकारी लेने लगी। अब मैंने अपने कूल्हे नीचे से धीरे धीरे चलाने शुरू किए। उषा भी अपने कूल्हों को चलाने लगी। मैंने उषा को कहा कि जान अपनी चूत को चक्की की तरह रगड़ते हुए चलाओ। पहले तो उस से अच्छे से नहीं हुआ लेकिन मैंने हाथों से उसके कूल्हों को रगड़ कर चलाने को बताता रहा तो वो चलाने लगी। कुछ ही देर में लम्बी आह भरकर उसका शरीर अकड़ गया मैंने नीचे से जोर जोर से धक्के लगाने शुरू किए अपने हाथ उषा की पीठ पर बाँध दिए और टांगों को उषा की टांगो पर दबा लिया। नीचे से जोर जोर से धक्के लगाता रहा तो उषा के मुँह से सिसकी के बाद फ़िर सिसकी निकलने लगी ज़रा देर में ही मैं भी पिचकारी मार कर निढाल हो गया। उषा अपने हाथ मेरे चेहरे के चारो और किए थी और मैं उसको पीठ पर से मेरे हाथ बांधे था। हम सो गए पता भी नहीं चला। लगभग आधे घंटे बाद उषा कि आँखें खुली। उसने ऊपर से मुझे हलके हलके गाल थपथपा कर जगाया। हम एक दूसरे के साइड में आ गए। अब तक मेरा लंड उषा की चूत में घुसा हुआ था। कड़क।
अब उषा मुझसे चिपकते हुए बोली राजा मैं कमरे में आई थी तो कमरे में ताजा खाने की खुशबू थी। खाना खिलाओ ना।
मैंने कहा कि हाँ उषा कल दोपहर के बाद अब भूख लगी है। ठीक है खाना लगाओ। हमने अपने अंडरवियर पहने और बिस्तर पर अखबार बिछा कर उषा ने खाना सजाया। उषा को मैंने अपनी गोद में बिठा लिया और कल के जैसे ही एक दूसरे को खाना खिलाते रहे।
उषा को मैंने कहा – जान ट्रिप कैसा रहा। तो उषा बोली जय तुम्हारे गुरूजी की मजा आ गया और वो भी ऐसा कि अब एक राउंड और करेंगे। मान गई राजा हल्का सा दर्द हुआ और मजा तो ट्रक भरकर आया। आखिर में तो जब तुमने मुझको बाँहों में कस कर धक्के मारे तो मुझको तो जाने कितनी बार हो गया। फ़िर कल भी ४ घंटे मैं तुम्हारे साथ ही रहूंगी……
मैंने राहुल से उसकी मंशा जानी कि लड़की का क्या करोगे।
तो बोला यदि उसकी इच्छा होगी तो शादी कर लेंगे। देखेंगे…।। वो बोले तो सही…।
और सर मैं जानता हूँ कि उस से अच्छी लड़की मुझको ढूंढे से मिलनी मुश्किल ही है, वैसे अगर वो ना भी बोली तो मैं लड़का होने के नाते पहल करूँगा और मुझको पूरा विश्वास है कि वो मना नहीं करेगी…………।।
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कुछ दिनों पहले हमारी पुरानी Hindi Sex Stories कामवाली भगवान को प्यारी हो गई। तो मम्मी ने एक नई कामवाली रख ली, जिसका नाम रोहिणी है। पुरानी कामवाली तो एक बुढ़िया थी, लेकिन रोहिणी एक जवान नेपालिन थी। उसका पूरा बदन काफी छरहरा था। विशेषकर उसकी कमर बहुत ही पतली और लचीली थी। उसके चूतड़ देखकर ही उन्हें मसलने का दिल करता था। उसके होंठ काफी भरे हुए थे। उसका बदन बिना किसी हेयर-रिमूवर के ही बिना बालों के, चिकना था। हालाँकि उसकी चूचियाँ कुछ ख़ास नहीं थीं मेकिन फिर भी उनमें एक अजीब सा आकर्षण था। जब भी वह काम कर रही होती तो मैं उसकी पसीने से भींगी हुई पीठ देखा करता था।
धीरे-धीरे मुझे वह अच्छी लगने लगी (मेरा मतलब उसका जिस्म भाने लगा।)। लेकिन वह सामान्यतः बड़ा रूखा व्यवहार करती थी। वह मुझे उस नज़र से नहीं देखती थी जिस नज़र से मैं उसे देखा करता था। इसलिए मैं मन-ही-मन उसे अपने जाल में फँसाने की तरक़ीब सोचता रहा और अन्ततः एक दिन मुझे सही तरक़ीब मिल ही गई। शाम का समय था, मेरे सिवा घर के सभी लोग सो रहे थे। रोहिणी काम कर रही थी। मैंने सोचा अपनी चाल चलने का यह सही समय है। रोहिणी हमारे बाहर की गैलरी में झाड़ू लगा रही थी। मैं चुपके से गया और १०० रुपए का एक नोट फर्श पर गिराकर छिप गया। झाड़ू लगाते-लगते जब रोहिणी की नज़र १०० के नोट पर पड़ी, तो उसने आस-पास देखा और वह १०० का नोट उठाकर अपनी ब्लाऊज़ में डाल लिया।
इस पर मैं एकदम से बाहर आ गया और उससे कहा, “मैंने सब देख लिया है, तुमने मेरा १०० का नोट उठा लिया है, तुमने चोरी की है।”
इसपर वह घबरा गई, “जी? मम्म्म…मैंने… तो कुछ नहीं… उउउ?उउ?ठाया”
“झूठ मत बोलो, मैंने तुम्हें नोट उठाते हुए अपनी आँखों से देखा है, मैं अभी मम्मी को बुलाता हूँ।”
“ऐसा मत करो!… मेरी नौकरी चली जाएगी।”
“तुम्हारे साथ ऐसा ही होना चाहिए।”
“मुझे माफ़ कर दीजिए! आईंदा ऐसा फिर कभी नहीं होगा।”
“बिल्कुल नहीं, मैं मम्मी को बुलाता हूँ, तुम्हारी नौकरी जाएगी, बदनामी होगी तभी तुम्हें अक्ल आएगी।”
“देखिए, मेरी बद़नामी होगी तो मुझे कोई भी नौकरी नहीं देगा।”
“तो मैं क्या करूँ?”
“मुझे माफ़ कर दीजिए।”
“क्यों माफ़ कर दूँ?… इससे मुझे क्या मिलेगा?”
“तुम्हारा अहसान होगा! मैं ग़रीब आपको क्या दे सकती हूँ?”
“तुम्हारी नौकरी बच सकती है अगर तुम मेरे कुछ काम कर दो तो!” – मैंने पासा फेंक दिया था।
“यहाँ कोई हमारी बातें सुन लेगा, तुम काम करने के बाद छत पर आ जाओ।” – मैंने आगे कहा
“ठीक है।”
फिर रोहिणी कुछ ही देर में छत पर आ गई।
“हाँ! क्या कह रहे थे तुम?” – आते ही उसने पूछा।
“अगर तुम मेरे लिए कुछ काम कर दो तो तुम बद़नाम और बेरोज़गार होने से बच सकती हो।”
“कैसे काम?”
“मेरी ज़रूरत पूरी कर दो।”
“कैसी ज़रूरत?”
“मैं बहुत प्यासा हूँ! आज बुझा दो मेरी प्यास।”
“तुम्हारा मतलब है, मैं तुम्हारे साथ वो गन्दे काम करूँ? देखो, यह बात ठीक नहीं है।”
“हाँ, और जो तुमने १०० रुपयों की चोरी की, क्या वह बात ठीक है? देख लो… सोच लो… मुझे मम्मी को.. और मम्मी को पूरे मुहल्ले को इकट्ठा करने में समय नहीं लगेगा।”
यह कहकर मैं उसके बद़न के बहुत क़रीब आ गया, “देखो, मुझे तुम्हारी सबसे अच्छी चीज़ तुम्हारी कमर लगती है! वैसे तो तुम पूरी तरह चिकनी हो, पर तुम्हारी कमर कुछ ज्यादा ही चिकनी है।”
“एक काम करने वाली तुम्हें चिकनी लगती है?”
“हाँ… मुझे अपनी कमर चूमने दो, तो शायद मैं तुम्हारी चोरी की बात भूल जाऊँ।”
“क्या…? मेरी कमर चूमना चाहते हो?… ठीक है, लेकिन फिर १०० रुपये वाली बात किसी से नहीं कहोगे?”
“नहीं कहूँगा… तुम यहाँ लेट जाओ।”
“ठीक है… लेकिन ज़रा ज़ल्दी करना… कहीं तुम्हारे घर वालों में से कोई जाग ना जाए।”
वह फिर लेट गई और मैं उसकी कमर चूमने लगा। फिर मैंने उसकी नाभि चाटनी शुरू कर दी – “तुम ज़रा उल्टी हो जाओ, मुझे तुम्हारी पीठ बहुत अच्छी लगती है – ख़ास कर जब पसीने में भींगती हो तो…”
“हाय रब्बा…, तुम मुझे छुप कर देखते रहते हो क्या?”
“हाँ!” – मैं उसकी पीठ चाटने लगा। उसे पसीना आ रहा था और मैं उसका पसीना चाट रहा था।
“तुम्हारा पसीना बहुत स्वाद दे रहा है।”
“तुम कैसे हो? तुम्हें मेरा पसीना अच्छा लग रहा है?”
“हाँ.. अब तुम सीधी लेट जाओ।”
“लो… सीधी लेट गई! जल्दी करो>”
“अपनी साड़ी का पल्लू हटाओ।”
“नहीं। तुमने कहा था कि तुम कमर चूमोगे।”
“मम्मी को लगाऊँ आवाज़ और बताऊँ कि तुमने चोरी की है।”
“नहीं… नहीं… हटाती हूँ पल्लू।”
फिर उसने अपना पल्लू हटा दिया, मैंने उसका पूरा पेट चाटना शुरू कर दिया। मुझे लड़कियों की काँख बहुत आकर्षित करतीं हैं, बड़ी अच्छी लगतीं हैं। मैंने उसके पेट पर हाथ फेरा और कहा – “चलो, अब अपनी बाँहें ऊपर करो।”
“क्या? तुम तो बहुत अजीब हो… लो।”
मैं उसके ब्लाऊज़ के ऊपर से ही उसकी काँख चाटने लगा, उसकी ब्लाऊज़ काफ़ी गहरे गले की थी।
“तुम्हारी ब्लाऊज़ इतने गहरे गले वाली क्यों है?
“क्या है?”
“मतलब तुम्हारी ब्लाऊज़ मे इतनी गहराई क्यों है?”
“मुझे ऐसे ही अच्छे लगते हैं।”
“और मुझे तुम्हारी ब्लाऊज़ की गेन्दें अच्छी लगतीं हैं। चलो अपनी ब्लाऊज़ उतारो और मुझे उनसे खेलने दो।”
“तुम बहुत आगे बढ़ रहे हो।”
“इसे तुम अपनी चोरी की सज़ा समझ सकती हो! आज मैं जो कहता हूँ, करो तो मैं किसी से भी कुछ नहीं कहूँगा।”
“ब्लाऊज़ के हुक सामने ही लगाए हैं, खोल लो।”
फिर मैंने उसकी ब्लाऊज़ के हुक खोल दिए। उसमें से मेरा १०० रुपयों का नोट निकला – “ये रहा मेरा १०० का नोट।”
“इसे मेरे पास ही रहने दो। आख़िर इसकी वज़ह से ही तो यह सब करवा रही हूँ।”
उसने ब्रा नहीं पहन रखी थी। मैं उसकी चूचियाँ अपने हाथों से मसलने लगा। अब उसको भी मज़ा आने लगा था – “मसलोगे भी, या चूसोगे भी? लेकिन जल्दी।”
मैंने उसकी घुण्डियों को मुँह में लिया और चूसने लगा – “आआआआहहह… चूसो। चूसो इन्हें.. दबाओ… मसल डालो। आहह्ह्ह्हहहह।”
कुछ देर तक तो मैं उसकी घुण्डियाँ चूसता रहा। फिर उसने ख़ुद ही मेरा सिर पकड़ कर अपनी साड़ी ऊपर कर के, मेरा सिर अपनी टाँगों के बीच रख दिया – “असली जगह तो यहाँ है। चूसो मेरी योनि को… चाटो इसे।”
“नहीं, पहले तुम अपनी साड़ी उतार दो। मैं तुम्हारे चूतड़ देखना चाहता हूँ।”
“साड़ी नहीं उतारूँगी।” मैं साड़ी पूरी ऊपर कर लेती हूँ। लेकिन तुम मेरी योनि चूसते रहो।”
“क्या सिर्फ मैं ही चूसूँगा? तुम मेरा कुछ भी नहीं चूसोगी?”
“ओफ्फ्फोह। पहले तुम मेरी योनि चूसो, फिर मैं तुम्हारा हथियार चूस दूँगी।”
“नहीं, हम दोनों एक साथ चूसेंगे।
“वो कैसे?”
फिर हम दोनों 69 की मुद्रा में आ गए।
“आहह… आहह्ह्ह। तुम मेरे राजा हो। मेरी योनि के राजा।”
“तेरी योनि और गाँड पर सौ-सौ के सौ नोट क़ुरबान।”
काफ़ी चूसने के बाद वो बोली – “बस राजा बस… अब डाल दो अपना हथियार मेरी चूत में, और मार लो मेरी।”
मैंने अपना लंड उसकी चूत में डाल दिया। उसकी चूत काफ़ी सँकरी थी।
उईईई माँआआआआ… मर गईईईई… ओओओहहहह… ओओह। इतना मोटा लण्ड मेरी नाज़ुक चूत में डाल दिया… थोड़ा धीरे-धीरे डालो।”
“मेरी रानी की चूत कितनी टाईट है।”
“आआहहह…. आआआ.. . मेरे राजा… मेरी गाँड इससे भी अधिक टाईट है।” – उसने मुझे आँख मार कर कहा।
फ़िर बाद में मैंने उसकी गाण्ड भी मारी ! Hindi Sex Stories
दोस्तों Hindi sex stories, लड़की को सीड्यूस करके चोदने में बड़ा मज़ा आता है। बस सीड्यूस करने का तरीका ठीक होना चाहिये। मैंने अपनी घर की नौकरानी को ऐसे ही सीड्यूस करके खूब चोदा। अब सुनाता हूं उसकी दास्तान। मेरा नाम है वही आपका अपना जाना पहचाना ‘होम अलोन’ सुमित।
मेरे घर में उल ज़लूल नौकरानियों के काफ़ी अरसे बाद एक बहुत ही सुन्दर और सेक्सी नौकरानी काम पर लगी। उसका नाम अनीषा था। 22-23 साल की उमर होगी। सांवला सा रंग था। मध्यम ऊंचायी की और सुडौल बदन, और फ़िगर उसका रहा होगा 33-26-34। शादी शुदा थी। उसका पति कितना किस्मत वाला था, साला उसे खूब चोदता होगा।
बूबस यानि चूंचियां ऐसी कि हाय, बस दबा ही डालो। ब्लाऊज में चूंचियां समाती ही नहीं थी। कितनी भी साड़ी से वो ढकती, इधर उधर से ब्लाऊज से उभरते हुए उसकी चूंचियां दिख ही जाती थी। झाड़ू लगाते हुए, जब वह झुकती, तब ब्लाऊज के ऊपर से चूचियों के बीच की दरार को छुपा ना पाती थी।
एक दिन जब मैंने उसकी इस दरार को तिरछी नज़र से देखा तो पता लगा कि उसने ब्रा तो पहना ही नहीं था। कहां से पहनती, ब्रा पर बेकार पैसे क्यों खर्च किये जायें।
जब वो ठुमकती हुयी चलती, तो उसके चूतड़ बड़े ही मोहक तरीके से हिलते और जैसे कह रहे हों कि मुझे पकड़ो और दबाओ। अपनी पतली सी साटन की साड़ी को जब वो सम्भालती हुयी सामने अपने बुर पर हाथ रखती तो मन करता की काश उसकी चूत को मैं छू सकता, दबा सकता।
करारी, गरम, फ़ूली हुयी और गीली गीली चूत में कितना मज़ा भरा हुआ था। काश मैं इसे चूम सकता, इसके मम्मे दबा सकता, और चूचियों को चूस सकता। और इसकी चूत को चूसते हुए जन्नत का मज़ा ले सकता। और फिर मेरा तना हुए लौड़ा इसकी बुर में डाल कर चोद सकता। हाय मेरा लण्ड ! मानता ही नहीं था। बुर में लण्ड घुसने के लिये बेकरार था। लेकीन कैसे। वो तो मुझे देखती ही नहीं थी। बस अपने काम से मतलब रखती और ठुमकती हुयी चली जाती।
मैंने भी उसे कभी एहसास नहीं होने दिया कि मेरी नज़र उसे चोदने के लिये बेताब है। अब चोदना तो था ही। मैंने अब सोच लिया की इसे सीड्यूस करना ही होगा। धीरे धीरे सीड्यूस करना पड़ेगा वरना कहीं मचल जाये या नाराज हो जायें तो भाण्डा फ़ूट जायेगा। मैंने अनीषा से थोड़ी थोड़ी बातें करना शुरु किया। एक दिन सुबह उसे चाय बनने को कहा। चाय उसके नरम नरम हाथों से जब लिया तो लण्ड उछला।
चाय पीते हुए कहा- अनीषा, चाय तुम बहुत अच्छी बना लेती हो।
उसने जवाब दिया, “बहुत अच्छा बाबूजी।”
अब करीब करीब रोज़ मैं चाय बनवाता और उसकी बड़ाई करता। फिर मैंने एक दिन कॉलेज जाने के पहले अपनी कमीज इस्त्री करवायी।
“अनीषा तुम इस्त्री भी अच्छी ही कर लेती हो।”
“ठीक है बाबूजी,” उसने प्यारी सी अवाज़ में कहा। जब घर में कोई नहीं होता, तब मैं उसे इधर उधर की बातें करता। जैसे,
“अनीषा, तुम्हारा आदमी क्या करता है?”
“साहब, वो एक मिल मैं नौकरी करता है।”
“कितने घण्टे की ड्यूटी होती है?” मैंने पूछा।
“साहब, 10-12 घण्टे तो लग ही जाते है न। कभी कभी रात को भी ड्यूटी लग जाती है।”
“तुम्हारे बच्चे कितने है?” मैंने फिर पूछा।
“अभी कितने बच्चे हैं?”
शरमाते हुए उसने जवाब दिया, “अभी तो एक लड़की है, 2 साल की।”
“उसे क्या घर में अकेला छोड़ कर आती हो?” मैं पूछता रहा।
“नही, मेरी बूढी सास है ना। वो सम्भाल लेती है।”
“तुम कितने घरों में काम करती हो?” मैंने पूछा।
“साहब, बस आपके और एक नीचे घर में।”
मैंने फिर पूछा, “तो तुम दोनो का काम तो चल ही जाता होगा।”
“साहब, चलता तो है, लेकीन बड़ी मुश्किल से। मेरा आदमी शराब में बहुत पैसे बरबाद कर देता है।”
अब मैंने एक इशारा देना उचित समझा। मैंने सम्भलते हुए कहा, “ठीक है, कोई बात नही। मैं तुम्हारी मदद करूंगा।”
उसने मुझे अजीब सी नज़र से देखा, जैसे पूछ रही हो ‘क्या मतलब है आपका?’
मैंने तुरन्त कहा, “मेरा मतलब है, तुम अपने आदमी को मेरे पास लाओ, मैं उसे समझाऊंगा।”
“ठीक है साहब.” कहाते हुए उसने ठण्डी सांस भरी।
इस तरह, दोस्तों मैंने बातों का सिलसिला काफ़ी दिनो तक जारी रखा और अपने दोनो के बीच की झिझक को मिटाया। एक दिन मैंने शरारत से कहा,
“तुम्हारा आदमी पागल ही होगा। अरे उसे समझना चाहिये। इतनी सुन्दर पत्नी के होते हुए, उसे शराब की क्या ज़रूरत है।”
औरत बहुत तेज़ होती है दोस्तों। उसने कुछ कुछ समझ तो लिया था लेकिन अभी तक अहसास नहीं होने दिया अपनी ज़रा सी भी नाराजगी का। मुझे भी ज़रा सा हिन्ट मिला कि अब तो ये तस्वीर पर उतर जायेगी। मौका मिले और मैं इसे दबोचूं। चुदवा तो लेगी और आखिर एक दिन ऐसा एक मौका लगा। कहते है ऊपर वाले के यहां देर है लेकीन अन्धेर नहीं।
रविवार का दिन था। पूरी फ़ेमिली एक शादी में गयी थी। मैंने पढायी का नुक्सान की वजह बताकर नहीं गया। कह कर गयी थी “अनीषा आयेगी, घर का काम ठीक से करवा लेना।”
मैंने कहा, “ठीक है.”
मेरे दिल में लड्डू फ़ूटने लगे और लौड़ा खड़ा होने लगा। वो आयी, उसने दरवाज़ा बन्द किया और काम पर लग गयी। इतने दिन की बातचीत से हम खुल गये थे और उसे मेरे ऊपर विश्वास सा हो गया था इसी लिये उसने दरवाज़ा बन्द कर दिया था। मैंने हमेशा की तरह चाय बनवायी और पीते हुए चाय की बड़ाई की। मन ही मन मैंने निश्चय किया की आज तो पहल करनी ही पड़ेगी वरना गाड़ी छूट जायेगी। कैसे पहल करे? आखिर में ख्याल आया कि भैया सबसे बड़ा रुपैया। मैंने उसे बुलया और कहा,
“अनीषा, तुम्हे पैसे की ज़रूरत हो तो मुझे ज़रूर बताना। झिझकना मत।”
“साहब, आप मेरी तनखा काट लोगे और मेरा आदमी मुझे डांटेगा।”
“अरे पगली, मैं तनखा की बात नहीं कर रहा। बस कुछ और पैसे अलग से चाहिये तो मैं दूंगा मदद के लिये। और किसी को नहीं बताऊंगा। बशर्ते तुम भी ना बताओ तो।”
और मैं उसके जवाब का इनतज़ार करने लगा।
“मैं क्यों बताने चली। आप सच में मुझे कुछ पैसे देंगे?” उसने पूछा।
बस फिर क्या था। कुड़ी पट गयी। बस अब आगे बढना था और मलाई खानी थी।
“ज़रूर दूंगा अनीषा। इससे तुम्हे खुशी मिलेगी ना,” मैंने कहा।
“हां साहब, बहुत आराम हो जायेगा।” उसने इठलाते हुए कहा।
अब मैंने हल्के से कहा, “और मुझे भी खुशी मिलेगी। अगर तुम भी कुछ ना कहो तो और जैसा मैं कहूं वैसा करो तो? बोलो मंज़ूर है?”
ये कहते हुए मैंने उसे 500 रुपये थमा दिये।
उसने रुपये टेबल पर रखा और मुसकुराते हुए पूछा- क्या करना होगा साहब?
“अपनी आंखे बन्द करो पहले।” मैं कहते हुए उसकी तरफ़ थोड़ा सा बढा, “बस थोड़ी देर के लिये आंखे बन्द करो और खड़ी रहो।”
उसने अपनी आंखे बंद कर ली। मैंने फिर कहा, “जब तक मैं ना कहूं, तुम आंखे बंद ही रखना, अनीषा। वरना तुम शर्त हार जाओगी।”
“ठीक है, साहब,” शरमाते हुए आंखे बंद कर वो खड़ी थी।
मैंने देखा की उसके गाल लाल हो रहे थे और होंठ कांप रहे थे। दोनो हाथों को उसने सामने अपनी जवान चूत के पास समेट रखा था।
मैंने हल्के से पहले उसके माथे पर एक छोटा सा चुम्बन लिया। अभी मैंने उसे छुआ नहीं था। उसकी आंखे बंद थी। फिर मैंने उसकी दोनो पलकों पर बारी बारी से चुम्बन लिया। उसकी आंखे अभी भी बन्द थी। फिर मैंने उसके गालों पर आहिस्ता से बारी बारी से चूमा। उसकी आंखे बन्द थी। इधर मेरा लण्ड तन कर लोहे की तरह कड़ा और सख्त हो गया था।
फिर मैंने उसकी ठोड़ी (चिन) पर चुम्बन लिया।
अब उसने आंखे खोली और सिर्फ़ पूछते हुए कहा, “साहब?”
मैंने कहा, “अनीषा, शर्त हार जाओगी। आंखे बन्द।”
उसने झट से आंखे बन्द कर ली। मैं समझ गया, लड़की तैयार है, बस अब मज़ा लेना है और चुदायी करनी है।
मैंने अब की बार उसके थिरकते हुए होठों पर हल्का सा चुम्बन किया। अभी तक मैंने छुआ नहीं था उसे। उसने फिर आंखे खोली और मैंने हाथ के इशारे से उसकी पलको को फिर ढक दिया। अब मैं आगे बढा, उसके दोनो हाथों को सामने से हटा कर अपनी कमर के चारो तरफ़ लपेट लिया और उसे अपनी बाहों में समेटा और उसके कांपते होठों पर अपने होठ रख दिये और चूमता रहा। कस कर चूमा अबकी बार।
क्या नरम होठ थे मानो शराब के प्याले। होठों को चूसना शुरु किया और उसने भी जवाब देना शुरु किया। उसके दोनो हाथ मेरी पीठ पर घूम रहे थे और मैं उसके गुलाबी होठों को खूब चूस चूस कर मज़ा ले रहा था। तभी मुझे महसूस हुआ कि उसकी चूंचियां जो कि तन गयी थी, मेरे सीने पर दब रही थी। बायें हाथ से मैं उसकी पीठ को अपनी तरफ़ दबा रहा था, जीभ से उसकी जीभ और होठों को चूस रहा था, और दायें हाथ से मैंने उसकी साड़ी के पल्लू को नीचे गिरा दिया।
दांया हाथ फिर अपने आप उसकी दायीं चूंची पर चला गया। और उसे मैंने दबाया। हाय हाय क्या चूंची थी। मलायी थी बस मलायी। अब लण्ड फुंकारे मार रहा था। बांये हाथ से मैंने उसके चूतड़ को अपनी तरफ़ दबाया और उसे अपने लण्ड को महसूस करवाया।
शादीशुदा लड़की को चोदना आसान होता है क्योंकि उन्हे सब कुछ आता है। घबराती नहीं है। ब्रा तो उसने पहनी ही नहीं थी, ब्लाऊज के बटन पीछे थे, मैंने अपने दांये हाथ से उन्हें खोल दिया और ब्लाऊज को उतार फेका। चूंचियां जैसे कैद थी, उछल कर हाथों में आ गयी। एकदम सख्त लेकिन मलायी की तरह प्यारी भी। साड़ी को खोला और उतारा। बस अब साया बचा था। वो खड़ी नहीं हो पा रही थी। उसकी आंखे अभी भी बन्द थी। मैं उसे हल्के हल्के से खींचते हुए अपने बेडरूम मैं ले आया और लेटा दिया। अब मैंने कहा, “अनीषा रानी अब तुम आंखे खोल सकती हो।”
“आप बहुत पाजी है साहब”, शरमाते हुए उसने आंखे खोली और फिर बन्द कर ली। मैंने झट से अपने कपड़े उतारे और नंगा हो गया। लण्ड तन कर उछल रहा था। मैंने उसका साया जल्दी से खोला और खींच कर उतारा। जैसे वो चुदवाने को तैयार ही थी। कोई अन्डरवियर नहीं पहना हुआ था। मैंने बात करने के लिये कहा,
“ये क्या, तुम्हारी चूत तो नंगी है। चड्डी नहीं पहनती क्या।”
“नहीं साहब, सिर्फ़ महीना में पहनती हू।” और शरमाते हुए कहा, “साहब, परदे खींच कर बन्द करो ना। बहुत रोशनी है।” मैंने झट से परदों को बन्द किया जिससे थोड़ा अन्धेरा हो गया और मैं उसके ऊपर लेट गया। होठों को कस कर चूमा, हाथों से चूंचियां दबायी और एक हाथ को उसके बुर पर फिराया। घुंघराले बाल बहुत अच्छे लग रहे थे चूत पर।
फिर थोड़ा सा नीचे आते हुए उसकी चूंची को मुंह मैं ले लिया। अहा, क्या रस था। बस मज़ा बहुत आ रहा था। अपनी एक अंगुली को उसकी चूत के दरार पर फिराया और फिर उसके बुर में घुसाया। अंगुली ऐसे घुसी जैसे मक्खन मैं छुरी। चूत गरम और गीली थी। उसकी सिसकारियां मुझे और भी मस्त कर रही थी। मैंने उसकी चूत चीरते हुए कहा, “अनीषा रानी, अब बोलो क्या करूं?”
“साहब, मत तड़पाईये, बस अब कर दीजिये।” उसने सिसकारियां लेते हुए कहा।
मैंने कहा, “ऐसे नहीं, बोलना होगा, मेरी जान।”
मुझे अपने करीब खींचते हुए कहा, “साहब, डाल दीजिये ना।”
“क्या डालूं और कहां?” मैंने शरारत की। दोस्तो चुदायी का मज़ा सुनने में भी बहुत आता है।
“डाल दीजिये ना अपना ये लौड़ा मेरी चूत के अन्दर।” उसने कहा और मेरे होठों से अपने होठ चिपका लिये। इधर मेरे हाथ उसकी चूचियों को मसलते ही जा रहे थे। कभी खूब दबाते, कभी मसलते, कभी मैं चूचियों को चूसता कभी उसके होठों को चूसता।
अब मैंने कह ही दिया- हां रानी, अब मेरा ये लण्ड तेरी बुर में घुसेगा। बोलो चोद दूं?
“हां हां, चोदिये साहब, बस चोद दीजिये।” और वो एकदम गरम हो गयी थी।
फिर क्या था, मैंने लण्ड उसके बुर पर रखा और घुसा दिया अन्दर। एकदम ऐसे घुसा जैसे बुर मेरे लण्ड के लिये ही बनी था। दोस्तों, फिर मैंने हाथों से उसकी चूचियों को दबाते हुए, होठों से उसके गाल और होठों को चूसते हुए, चोदना शुरु किया। बस चोदता ही रहा। ऐसा मन कर रहा था की चोदता ही रहूं। खूब कस कस कर चोदा। बस चोदते चोदते मन ही नहीं भर रहा था। क्या चीज़ थी यारों, बड़ी मस्त थी। वो तो खूब उछल उछल कर चुदवा रही थी।
“साहब, आप बहुत अच्छा चोद रहे हैं, चोदिये खूब चोदिये, चोदना बन्द मत कीजिये”, और उसके हाथ मेरी पीठ पर कस रहे थे, टांगे उसने मेरी चूतड़ पर घुमा कर लपेट रखी थी और चूतड़ से उचल रही थी। खूब चुदवा रही थी। और मैं चोद रहा था। मैं भी कहने से रुक ना सका,
“अनीषा रानी, तेरी चूत तो चोदने के लिये ही बनी है। रानी, क्या चूत है। बहुत मज़ा आ रहा है। बोल ना कैसी लग रही है ये चुदायी।”
“बस साहब, बहुत मजा आ रहा है, रुकिये मत, बस चोदते रहिये, चोदिये चोदिये चोदिये।” इस तरह हम ना जाने कितनी देर तक मज़ा लेते हुए खूब कस कस कर चोदते हुए झड़ गये।
क्या चीज़ थी, वो तो एकदम चोदने के लिये ही बनी थी। अभी मन नहीं भरा था।
20 मिनट के बाद मैंने फिर अपना लण्ड उसके मुंह में डाला और खूब चुसवाया। हमने 69 की पोजिशन ली और जब वो लण्ड चूस रही थी मैंने उसकी चूत को अपनी जीभ से चोदना शुरु किया। खास कर दूसरी बार तो इतना मज़ा आया की मैं बता नहीं सकता। क्योंकि अब की बार लण्ड बहुत देर तक चोदता रहा। लण्ड को झड़ने में काफ़ी समय लगा और मुझे और उसे भरपूर मज़ा देता रहा।
कपड़े पहनने के बाद मैंने कहा, “अनीषा रानी, बस अब चुदवाती ही रहना। वरना ये लण्ड तुम्हे तुम्हारे घर पर आकर चोदेगा।”
“साहब, आप ने इतनी अच्छी चुदायी की है, मैं भी अब हर मौके में आपसे चुदवाऊंगी। चाहे आप पैसे ना भी दो।”
कपड़े पहनने के बाद भी मेरे हाथ उसकी चूचियों को हल्के हल्के मसलते रहे। और मैं उसके गालों और होठों को चूमता रहा। एक हाथ उसके बुर पर चला जाता था और हल्के से उसकी चूत को दबा देता था।
“साहब अब मुझे जाना होगा।” कह कर वो उठी।
मैंने उसका हाथ अपने लण्ड पर रखा- रानी एक बार और चोदने का मन कर रहा है। कपड़े नहीं उतारूंगा।
दोस्तो, सच में लण्ड कड़ा हो गया था और चोदने की लिये मैं फिर से तैयार था। मैंने उसे झट से लेटाया, साड़ी उठायी, और अपना लौड़ा उसके बुर में पेल दिया। अबकी बार उसे भचाभच करके खूब चोदा और कस कर चोदा और खूब चोदा और चोदता ही रहा। चोदते चोदते पता नहीं कब लण्ड झड़ गया और मैंने कस कर उसे अपनी बाहों में जकड़ लिया। चूमते हुए चूचियों को दबाते हुए, मैंने अपना लण्ड निकाला और अन्त में उसे विदा किया।
कैसी लगी ये नौकरानी के सथ मेरी मस्ती भरी Hindi sex stories चुदायी, सच सच बताना। बताना ज़रूर। मैं इन्तज़ार करूंगा।
आपका प्यारा दोस्त सुमित
मैं एक बार फिर हाज़िर हूं Sex Stories आपकी सेवा में अपनी कहानी ले कर !
उम्मीद है कि आपको मज़ा आएगा। अगर कोई सुझाव हो तो वो अवश्य दें।
यार लड़कियाँ क्यों इतना शरमाती हैं मेल करने में?
कहानी पढ़ने में तो मज़ा आता होगा। बहुत सी तो अपनी चूत में कहानी पढ़ते-पढ़ते सचमुच में ऊँगली कर लेंगी लेकिन अगर कोई उन्हें अपना लण्ड देना चाहे तो वो इतने नखरे करेंगी कि उनका मन ही नहीं है चुदाई का !
मेरी आज की कहानी में भी कुछ इसी बात का ज़िक्र है।
हाँ तो दोस्तो ! जैसा कि मैंने आपको अपनी पिछली कहानी में बताया कि मैंने अपनी गर्लफ़्रेन्ड और उसकी सहेली की चुदाई की और मज़े किए। उसके बाद तो बस मुझे बस चुदाई का नशा ही छा गया था। छुट्टी के बाद स्कूल में मैंने सुधा जो कि मेरी गर्लफ़्रेन्ड है उससे मिलने के लिए कहा तो उसने कहा कि करिश्मा (जो कि उसकी दोस्त है) से पूछ के बताएगी।
उसने बताया कि करिश्मा की मम्मी अभी घर पे है और वो कही बाहर ही नहीं जाने वाले हैं, इसलिए जगह का इन्तजाम भी नहीं हो पा रहा है। करिश्मा का भी चुदाई का बहुत मूड था तो अब कमरे का इन्तजाम करने की सारी जिम्मेदारी मुझ पे आ पड़ी थी।
मेरा एक दोस्त, जिसका नाम रवि था, वो जम्मू का रहने वाला था और कमरा ले कर अकेले रहता था। मैंने उससे अपने चुदाई के किस्से बताये थे और उसका भी दोनों को चोदने का बहुत मन था, उससे कमरे के लिए कहा तो वो दोनों को अपने कमरे पे लाने के लिए कहने लगा।
हम लोग की परीक्षा भी करीब थी। लेकिन चुदाई का नशा भी ऐसा है कि बस और कुछ सूझता ही नहीं।
फिर मैंने सुधा से बताया कि कमरे का इन्तज़ाम हो गया है तो उसने पूछा- कहाँ?
तो मैंने उससे बता दिया कि रवि के कमरे पे. तब उसने वहाँ जाने से मना कर दिया और कहा कि नहीं मुझे नहीं जाना वहाँ ! वो बहुत रिस्की है ! और ना-नुकर करने लगी। लेकिन बाद में वो मान गई।
रविवार को मिलने का प्रोग्राम बना।
मैंने रवि से उसके कमरे की चाबी ले ले थी। सुधा ने घर पर ट्यूशन जाने का बहाना किया, हम लोग एक जगह मिले और रवि के कमरे पर आ गए। उसके कमरे पे कोई नहीं था। हम कमरे के अन्दर थे और आते ही सुधा मुझे पकड़कर चूमने लगी।
क्या मस्ती चढ़ी थी साली पर !
आज उसने जींस टॉप पहना था और कसम से क्या माल लग रही थी !
उसकी चुचियाँ अभी छोटी थी लेकिन अब मैं था ना उनको बड़ा करने के लिए !
साली चुचियो को जैसे ही छुआ, मुझको करंट लग गया। तनी, कड़ी और नुकीली चुचियों का मज़ा आ गया। हमने पहले आपस में खूब फ़ोर-प्ले किया। मैंने उसको खूब चूसा, चाटा और खूब उसका दूध पिया। मैंने उससे अपने लण्ड को चूसने के लिए कहा फिर हम ६९ पोसिशन में हो गए और मैंने उसका पानी निकल दिया। सुधा तड़प रही थी और उसको तड़पाने में मुझको मज़ा आ रहा था।
वो बार बार मेरे लण्ड को अपनी बुर में डालने के लिए कह रही थी। फिर मैंने उसको घोड़ी बनने को कहा और उसकी चूत चोदने लगा।
वो अह्ह्ह्ह्ह् ! ह्ह्छ उ ह्ह्ह्ह्ह् ह्ह्छ ! जैसी मस्त सेक्सी सेक्सी आवाज़ निकल रही थी। फिर मैं नीचे लेट गया और वो मेरे ऊपर आ गई। अब उसने मेरे लण्ड को पूरा अपनी बुर में ले लिया और कूदने लगी।
आह्ह्ह्ह्ह् ह्ह्ह् ! कितना मज़ा आ रहा था ! लग रहा था कि अन्दर लण्ड से कुछ टकरा रहा है। लण्ड पूरा अन्दर तक चला गया था। वो भी ऊह आह करके खूब उछल रही थी। तभी मैंने उसे नीचे उतार दिया और ऊपर मैं आ गया और २०-२५ धक्के लगाने के बाद में झड़ गया, लण्ड उसकी चूत के ही अन्दर था।
क्योंकि मैंने कंडोम पहना था ही। फिर हम वही लेट गए, तब वो कहने लगी कि आते समय उसने करिश्मा को बता दिया था कि वो मुझसे मिलने आ रही है तो वो भी जिद्द कर रही थी। तो मैंने उससे कहा कि मैं वहाँ पहुँच के कॉल करुँगी। फिर उसने मुझसे पूछा कि क्या मैं उसे बुला लूँ?
मुझे और क्या चाहिए था !
मैंने कहा- बुला लो उसे !
मैं जाता हूँ और जहाँ मैं तुम्हें मिला था वहीं से उससे ले आता हूँ क्योकि उसने यह कमरा नहीं देखा है।
उसने कहा- ठीक है। फिर उसने करिश्मा को कॉल किया तो करिश्मा ने आधे घंटे में आने के लिए कहा।
तो मैंने उससे कहा- कह दो कि राहुल तुम्हें लेने जा रहा है।
तब तक मैंने सोचा कि अब सुधा की गाण्ड मार ली जाए !
फिर मैंने सुधा से कहा- तुमने मुझसे गाण्ड मरवाने का वादा किया था !
तो उसने कहा कि करिश्मा आ जाए तो उसकी भी साथ में मार लेना !
मैंने कहा- वो भी हो जाएगा ! लेकिन पहले तुम्हारी गाण्ड तो जरूर मारूंगा !
और मैंने उसको कुतिया स्टाइल में कर दिया, कमरे में पड़ी कोल्ड क्रीम उसके छेद पे और अपने लण्ड पे लगा दी और उससे कहा- थोड़ा दर्द होगा ! रोना नहीं ! बाद में मज़ा आ जाएगा !
और उसके छेद पर अपना लण्ड रख कर घुसाने लगा। लण्ड जैसे ही थोड़ा अन्दर गया वो दर्द से चिल्लाने लगी और गाण्ड मराने से मना करने लगी।
पर अब मैं कहाँ रुकने वाला था ! थोड़ा और अन्दर डाल दिया तो वो खूब जोर जोर से चिल्लाने और रोने लगी। मैं डर गया कि कोई आ ना जाए ! और तुंरत अपने लण्ड को बाहर निकाल लिया।
फिर क्या ! उसने मुझसे गाण्ड नहीं मरवाई। मैं उसको चुप कराने लगा और कुछ देर बाद सब कुछ सामान्य हुआ। फिर उसने जा कर करिश्मा को लाने के लिए कहा। मैं करिश्मा को लेने चला गया। जब मैं और करिश्मा आए तो दरवाज़ा बंद था तो मैं उसको खुलवाने के लिए आगे बढ़ा तो अन्दर से चूमने-चाटने की आवाज़ आ रही थी।
मैं चौंक गया !
शेष आगे के भाग में….Sex Stories
मेरे पति ने मेरे बारे में आप सभी Hindi Sex Stories को तो बता ही दिया है कि मैं क्या हूँ और उन्होंने सच ही बताया है। मैं सच में बहुत ही कामुक औरत हूँ! मुझे ना जाने क्यों कम उमर से ही सेक्स करने का शौक है!
और मुझे पति भी ऐसा मिला है बिल्कुल मेरे जैसा!
वह कहता है कि अगर जैसे हम ब्लू फ़िल्म देखते हैं, वैसे ही अगर हम अपने सामने अपने किसी खास को चुदते देखें तो सेक्स का मज़ा दुगना हो जाता है।
वैसे मेरा पति भी एक नंबर का चोदु है! कभी कभी तो मुझे चोद चोद कर इतना परेशान कर देता है कि मैं ‘बस’ कह उठती हूँ।
कई बार मैं उसके सामने ही दूसरे मर्दों से चुद चुकी हूँ!
जैसा मज़ा मेरे पति को मुझे चुदवाने में आता है वैसा ही मुझे भी दूसरों से चुदने में आता है।
हमारी शुरुआत कुछ इस तरह हुई:
एक बार एक इनका दोस्त हमारे घर आया।
उसका नाम अरुण है और हम सब उसे पंकज कह कर पुकारते थे।
ये दोनों शराब पी रहे थे.
मैं भी थोड़ी देर इनके साथ बैठ कर अपने कमरे में चली गई, अपने बेटे को सुलाने के लिए!
ये दोनों पीते हुए बातें करते रहे।
थोड़ी देर में मनु मुझे देखने आए कि मैं सो गई हूँ या नहीं।
मैंने भी सोने का नाटक किया और लेटी रही।
थोड़ी देर में ये दोनों फिर बात करने लगे:
“यार तेरे तो मज़े है, अभी तू कुंवारा है और जब चाहे कोई भी लड़की पटा कर बजा सकता है!”मनु ने कहा।
“खाक मज़े है! साला किसी लड़की को पटाओ तो हफ्तों बीत जाते है! साला गश्ती ले कर आओ तो उसके रेट ऊंचे होते हैं!”पंकज ने कहा।
“तो क्या हुआ यार कोई ऐसी लड़की पटा जो पहले से ही बजी हुई हो और अपनी और बजवाना चाहती हो!”
“नहीं यार ऐसी लड़कियाँ कम ही मिलती हैं, अगर मिल भी जायें तो सालियों को मज़ा देना पड़ता है बहुत कम ऐसी होंगी जो ख़ुद मज़े दें!”
“तो फिर ख़ुद मज़े देने वाली कहाँ से मिलेगी?”
“हाँ यार अगर कोई शादीशुदा औरत जिसका एक तीन या चार साल का बच्चा हो न! वो ही फुल मज़े दे सकती है।”
“मतलब? कैसे?”
“यार जिसका अभी बच्चा हुआ हो वो और छोटा हो तो उसकी चूत अभी नई नई खुली होती है उसकी चूत में खुजली भी बहुत होती है और उस खुजली को सिर्फ़ मोटा ताज़ा लंड ही बुझा सकता है!”
“अच्छा!”
मैं अन्दर से सब सुन रही थी!
“हाँ यार ऐसी औरत के साथ मज़े ही अलग आते हैं, मैंने एक बार एक गश्ती चोदी थी, साली का फिगर इतना मस्त था! क्योंकि औरत बच्चा होने के बाद थोड़ा सा भर जाती है उसके चुचे बिल्कुल पके हुए आम की तरह हो जाते हैं
एकदम रसीले मोटे मोटे!”
“साली की गांड बाहर को निकली हुई उठी उठी सी! गोल गोल मोटी मोटी जांघें आ आहा देखते ही नंगी करके चोदने को जी चाहे!
“अच्छा यार चल अब बता तो तूने उसे कैसे चोदा? मेरा तो लंड सलामी देने लगा है!”
“बस मत पूछ यार! मैंने नहीं, उस साली ने मुझे चोदा! मैं तो सिर्फ़ उस के बताए अनुसार कर रहा था। क्या पोज़ थे उस साली के, कम से कम तीन बार उसने मुझे चोदा!”
“अच्छा यार, एक बात बोलूं? तू तो अपना दोस्त है तुझसे क्या परदा! सोनिया भी यार एक बच्चे की माँ है वो भी भरे बदन की है और तू सच कह रहा है ऐसी औरतों को चुदने का बड़ा मन करता है!”
पंकज थोड़ा सा चौंका कि ये मनु क्या कह रहा है??
“ऐसे मत देख पंकज मैं सही कह रहा हूँ, सच में सोनिया के साथ मज़ा आ जाता है!”
“पंकज तुझसे एक बात पूछूँ?”मनु ने कहा!
“हाँ हाँ! पूछ न!”
“यार तुझे सोनिया का बदन कैसा लगता है?”
अब तो पंकज बिल्कुल ही चौंक गया, “ये क्या कह रहा है तू मनु?”
“सच बता यार! शरमा मत! मैं चाहता हूँ, कोई सोनिया के बदन की तारीफ करे!”
“लगता है तुझे ज्यादा हो गई है!”
मैं भी सुनना चाहती थी कि अब कोई क्या कहता है! मुझे भी सुनने में मज़े आ रहे थे।
“नहीं तू बुरा मत मान, जो कहना है कह दे आज, तू मेरा दोस्त है! मैं बुरा नहीं मानूंगा!”
पंकज को लगा अब मनु नहीं मानेगा तो उसने भी कहना शुरू कर दिया, “यार सच में न सोनिया भाभी का फिगर इतना कातिल है की कोई भी देखे तो उसका लंड पैन्ट फाड़ कर बाहर आ जाए!”
“और बता यार!”
“सच में यार तू मानेगा नहीं! मैं हफ्ते में तीन बार तो सोनिया भाभी को याद कर के मुठ मारता हूँ, रात को सोते हुए भी कभी कभी में आँखें बंद करके सोचता हूँ अगर मैं सोनिया भाभी की चुदाई करूँगा तो किस तरह करूँगा! सच में
सोनिया भाभी के 36 इंच की गोलाइयों के बीच में अपना लंड छुपाने को मन करता है। कम से कम सोनिया भाभी की कमर 27 इंच की तो होगी ही और गांड तो मत पूछ इतनी गोल और कसी हुई है की घोड़ी बना कर गांड में थूक लगा
कर लंड का पूरा सुपाड़ा अन्दर करने को मन करता है, सोनिया भाभी की जांघें इतनी गोल और चिकनी है कि मन करता है चूमता ही रहूँ!”
“मैं तुझे बताता हूँ! मनु तूने कभी ब्राजील में साम्भा डांस देखा है क्या? उनमें जो काली काली सी औरतें सिर्फ़ रंग बिरंगी पैंटी पहन कर अपने चूचों को सिर्फ़ नाम मात्र के कपड़े से ढक कर नाचती हैं, उनको देख कर मुझे हमेशा
सोनिया भाभी की याद आ जाती है!”
“हाँ यार पंकज, तूने सही कहा सोनिया बिल्कुल वैसी ही है वैसे है, मोटी गांड वैसी जांघें उतने ही मोटे चूचे कसम से तूने सही कहा!”
मैं भी आपने बदन की तारीफ सुन कर खुश हो रही थी।
“यार पंकज, अब बता, अगर तुझे सोनिया को चोदने का मौका मिले तो तू कैसे चोदेगा?”
“सच बताऊँ तो सोनिया भाभी को सबसे पहले एक टाइट सा टॉप पहनाऊंगा और नीचे एक मिनी स्कर्ट वो भी चिपकी हुई जिसमें से उनकी गोल गोल जांघों के दर्शन हो रहे हों और स्कर्ट की लम्बाई भी इतनी की सिर्फ़ उनकी पैंटी न
दिखे! अन्दर उनको एक सेक्सी सी बिकनी पहनाऊंगा जिसमे सिर्फ़ उनके चूचों की नोकें छुपें और चूत की दरार ढके! पीछे गांड के अन्दर से जाती हुई बिकनी! कसम से फिर धीरे धीरे से उनको अपने कपड़े उतरने को कहूँ, पहले टॉप!
फिर स्कर्ट धीरे धीरे! ब्रा उतरते ही उनको कहूँगा- अपने चूचे हाथ से पकड़ ले! फिर धीरे धीरे उनके चूचे उन्हीं के हाथ से चूसूंगा! फिर पैंटी को उन्हीं को उतारने को कहूँगा!”
मुझे भी ये सब ऐसा लग रहा था कि जैसे मेरे साथ पंकज कर रहा है।
उधर पंकज पूरे मज़े से मनु को बता रहा था, “मैं भी पूरा नंगा हो कर सोनिया भाभी के मुँह में अपना लंड दे दूंगा! चूसाता ही रहूँगा चूसाता ही रहूँगा! जब तक उनके बदन पर अपना गरम माल नहीं छोड़ देता!”
“अपना माल झाड़ते ही फिर भाभी को दुबारा चूसने को कहूँगा इस बार उनकी आंखों पर पट्टी बाँध कर बिस्तर पर उल्टा लेटा कर उनके हाथ बाँध कर पीछे से उनकी चूत मारूंगा आहा! पीछे से जब चूत मारूंगा तब झटके
पड़ते ही सोनिया भाभी की चीख निकल जाए ऐसा झटका मारूंगा! आहा! हर झटके पर उनकी गांड पर पट!पट! की आवाज़ आहा! भाभी हर झटके पर चिल्ला कर कहेगी और तेज़ पंकज और तेज़!
फिर उनको कुतिया की तरह पोज़ में लाऊंगा! इस बार गांड पर थूक लगा कर अपना लंड सीधा करके सीधा एक ही शॉट में अन्दर! सोनिया भाभी चीखती रह जाएंगी आहा मर गई! कुत्ते! आआ आआ आआआ फाड़ डाली मेरी
गांड कमीने! अआहा हरामजादे! पंकज! ये क्या कर डाला तूने! पर मैं एक नहीं सुनूंगा! और लगातार लगा रहूँगा उनके भोसड़े को फाड़ने में!
भाभी जब चुप नहीं होंगी तो मुझे भी कहना पड़ेगा “! साली कुतिया एक तो इतनी टाइट गांड कर रखी है! उस पर जब तेरी गांड का भोसड़ा बना रहा हूँ तो चिल्ला रही है! साली कल को इतना बड़ा छेद कर दूंगा के जब मर्ज़ी
दो दो लंड ले लेना आगे भी पीछे भी एक साथ! साली रांड! आज ले ले मज़े! आज तो तेरी जवानी को कुचल के रख दूंगा!
और ये पक्का है मेरा ऐसा कहते ही भाभी और मज़े से मेरे साथ लग जाएगी! बड़ी देर तक भोसड़ा चोदने के बाद सोनिया भाभी की गांड से लंड निकाल कर उसी पोज़ में चूत में लंड पेल दूंगा! सोनिया भाभी की आवाज़
आएगी! बहन चोद अब आया न असली पोज़ में साले कुत्ते अब न छोड़ियो! मुझे पेल कमीने मादरचोद! आज तो इस प्यासी चूत की चटनी बना दे!
आअहा आह साली! ले और ले! ले आज पूरा लंड तेरी चूत के हवाले! और सोनिया भाभी भी अपनी गांड हिला हिला कर पीछे को धक्के मारती रहेंगी! हाँ हाँ पंकज हाँ हाँ! ले और तेज़! और तेज़! ले फाड़ दे आज चूत को! निकाल दे सारा पानी आज तो! कमीने! मेरी गर्म चूत को मत उदास छोड़ना! आज मेरा पानी निकाल दे … मैं सारी ज़िन्दगी तेरे लंड का सलाम लेती रहूंगी!
“इस पोज़ में भी काफी देर के बाद फिर पोज़ बदलूँगा इस बार उन्हें बिस्तर पर सीधा लेटा कर ख़ुद नीचे खड़ा होकर उनकी कमर पकड़ कर! अपना लंड बिल्कुल सीधा डाल कर!
“बस बस पंकज बस?” मनु तभी बोल पड़ा!
ओहो ये क्या किया मनु तूने मैंने मन ही मन सोचा! इतना मज़ा आ रहा था लग रहा था पंकज सच में ही मुझे चोद रहा था! मेरी चूत भी कुछ गीली हो चुकी थी!
“बस यार अब मेरा काम तो हो गया!” मनु ने अपना हाथ अपने लंड से हटा कर कहा!
“ये क्या मनु! तू मुठ मार रहा था?” पंकज बोला
“हाँ यार, क्या करूं … तू बता ही इस तरह से रहा था!”
“यार बता ही तो रहा था अगर असली में करुंगा तो तेरा क्या होगा?”
“होगा क्या … जब तू सोनिया को चोदेगा तो मैं भी तेरे साथ उसको चोदने लगूंगा!
“हाँ यार मज़ा तो बहुत आएगा, एक साथ सोनिया भाभी की चुदाई करने में!”
“हाँ हम तीनों एक कमरे में एक बिस्तर पर दोनों बिल्कुल नंगे और तेरी सोनिया भाभी तेरे पहनाए हुए कपड़ों में हम दोनों यहाँ बिस्तर पर बैठ कर पैग लगते हुए उसको कपड़े उतारते हुए देखेंगे और फिर टक टका टक!”चुदाई का खेल शुरू!
“पर यार, भाभी मानेगी?”
मैं तो कब से तैयार हूँ सालो! अभी आ जाओ तो बताती हूँ कौन किसे चोदता है! मैंने सोचा।
“यार उसे तो मनाना पड़ेगा पता नहीं तैयार होती है या नहीं! चल अभी तो तू यही सो जा! रात हो गई है सोनिया भी सो गई है। मैं भी मुठ मार कर हल्का हो गया हूँ, मैं भी सोता हूँ! अगर तुझे भी रात को मुठ मारने के लिए कुछ
चाहिए तो बता? सोनिया ने काफी सेक्सी मैक्सी पहन रखी है, थोड़ा सा उसकी जांघों के दर्शन चाहिएँ तो बता!
“हाँ यार करा दे यार! आज रात मुठ मार कर ही काम चलाता हूँ, आज तक सोनिया भाभी को सोच कर मुठ मारता रहा था, अब देख कर मुठ मारता हूँ!
मैंने ये सुन लिया और मैं भी सीधी लेट गई। अब मेरी टाँगें पूरी तरह दिख रही थी!
“ये ले पंकज!” मनु ने मेरी पूरी मैक्सी ऊपर कर दी। अब सिर्फ़ मेरी पैंटी दिख रही थी और मेरी नंगी जांघें उन दोनों के सामने थी!”
“आऽह ऽआ मनु साले कसम से क्या जांघें हैं! मन कर रहा है खोल कर कच्छी खींच कर डाल दूँ अन्दर!”
तो देख क्या रहा है कुत्ते!कर न फिर! मैंने सोचा।
पंकज ने अपना लंड निकाल लिया और मेरे सामने ही मुठ मारने लगा।
मैं भी थोड़ी खुली आंखों से उसके लंड को निहार रही थी, सच में काफी बड़ा लंड था उसका!
कितनी ही लड़कियाँ उस लंड ने चोदी होंगी! सोच कर ही मेरे बदन में सिहरन हो गई!
पर ये क्या??
पंकज भी झड़ चुका था! खैर चलो! शायद कल इनका प्रोग्राम बन जाए! और मेरे मज़े आ जायें?
अगले दिन फिर जो हुआ वो सब मैं आपको अगली बार बताऊंगी!
पर इतना है कि उसके बाद मैंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा!
सोनिया Hindi Sex Stories
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