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नमस्ते दोस्तो, मेरा नाम दिशा है और मैं कोरबा छत्तीसगढ़ की रहने वाली हूं.
मेरे परिवार में मेरी बड़ी बहन पूजा है. इस साल वह फाइनल ईयर में है.
मेरी बड़ी बहन के अलावा मेरे घर में मेरा एक छोटा भाई और मम्मी पापा भी हैं.
इस तरह से घर में हम पांच लोग रहते हैं.
पापा की नौकरी है और मम्मी हाउसवाइफ हैं.
मैं अभी कॉलेज के दूसरे वर्ष में पढ़ाई कर रही हूं.
दोस्तो, मैं एकदम चुदासी किस्म की लड़की हूं. दिन भर मेरा दिमाग चोदने चुदाने की कहानी में ही खोया रहता है.
जब भी मुझे मोबाइल मिलता है, मैं चुपके से उसमें ब्लू फिल्में देखने लग जाती या हिंदी सेक्सी कहानियां पढ़ने लग जाती हूं.
अन्तर्वासना और फ्री सेक्स कहानी वाली साइट की मैं नियमित पाठिका हूं.
शुरू में तो मैं ब्लू फिल्म अकेली देखा करती थी लेकिन एक बार मेरी दीदी ने मुझे ब्लू फिल्म देखते पकड़ लिया था.
तब से हम दोनों अब साथ में मिल कर चुदाई की वीडियो देखते हैं.
ये सब देखना रोज का काम हो गया था लेकिन असली वाली चुदाई कभी नहीं देखने को मिली थी.
Xxx लाइव सेक्स शो की बात मेरे फर्स्ट ईयर यानि पिछले साल की है.
मेरी मम्मी भले ही तीन बच्चों की मां हो गई हैं लेकिन वे किसी जवान ताज़ी लड़की की तरह माल लगती हैं.
उनके बड़े बड़े दूध देख कर किसी का भी मन उनको चोदने को करने लगेगा.
हमारा घर तीन कमरों का है.
जिनमें से एक में हम तीनों भाई बहन और एक में मम्मी पापा सोते हैं.
एक कमरे में कुछ सामान रखा हुआ है और वह कमरा मेहमान के लिए है.
मैं कभी कभी मम्मी के साथ सोने की जिद करने लग जाती हूं.
इसलिए मम्मी पापा के साथ मैं उनके वाले कमरे में सो जाया करती थी.
एक रात जब हम तीनों सोए हुए थे तो मैंने सुना कि कुछ आवाजें आ रही थीं.
‘आह थोड़ा इधर … इधर डालो … आह यार उधर नहीं फाड़ोगे क्या … इधर पेलो न … ये है छेद.’
ये आवाजें मेरी मम्मी की थीं.
मैंने चुपके से आंख खोल कर देखा तो मम्मी पापा को बोल रही थी कि वे लंड ठीक से डालें.
पापा हड़बड़ी में गड़बड़ी कर रहे थे.
मम्मी अपनी साड़ी उठा कर चुदाई करवा रही थीं और पापा बेचारे अपनी बेटी के बगल में अपनी बीवी को चोदने में लगे हुए थे.
मुझे ये सब देख और सुन कर मजा आने लगा.
मैं सोने का नाटक करके उनका पूरा चुदाई का कार्यक्रम देखती रही.
पापा लगभग रोज ही मम्मी की चुदाई करते थे.
लेकिन अब मैं उनके पास रोज सोने की कोशिश करने लगी.
पर अधिकतर बार मम्मी मुझे अपने रूम भेज देती थीं.
मैंने इसका भी तोड़ निकाल लिया.
एक रात पूजा और भाई के सोने के बाद मैं मम्मी पापा की चुदाई देखने के लिए खिड़की से झांकने लगी.
मैंने देखा कि पापा ने मम्मी को उल्टा किया हुआ था और उन्हें घोड़ी बना कर पीछे से घपा घप पेल रहे थे.
मम्मी अपनी साड़ी की कमर तक उठा कर बेड के किनारे घोड़ी बनकर पोज बनाई हुई थीं और पापा उनकी कमर को पकड़ कर उन्हें कस कस कर चोदे जा रहे थे.
ये सब देख कर मेरी चूत की नदी बहने लगी.
चूत से रस की धार रुकने का नाम ही नहीं ले रही थी.
मैं अपने रूम में गई और मोबाइल में ही ब्लू फिल्म चालू करके अपने उंगली से चूत में अन्दर बाहर करने लगी.
कुछ देर में मेरी बहन जाग गई और वह भी मेरे साथ अपनी बुर में उंगली करने लगी.
अब मैं और मेरी दीदी दोनों साथ में सेक्स वीडियो देखती हुई अपनी अपनी बुर सहलाने में लगी थीं.
बहुत मजा आने लगा था.
दोनों साथ में चूत सहला रही थीं और गंदी मूवी देख कर आह आह कर रही थीं.
कुछ देर के बाद हम दोनों झड़ गईं और सो गईं.
इसके बाद ये खेल गाहे बगाहे चलने लगा.
अब मेरे साथ मेरी बहन भी पापा मम्मी की चुदाई देखने का मजा लेने लगी थी.
सुबह मैं जब पापा के कमरे की सफाई करने जाती तो वहां पर बेड के नीचे सफेद रस से भरे कंडोम पड़े रहते थे.
उन्हें मैं उठा कर देखा करती.
कभी मम्मी देख लेतीं तो बहुत डांट पड़ती थी.
फिर मम्मी खुद ही कंडोम को कचरे के डिब्बे में डाल कर बाहर सारा कचरा फेंक कर आती थीं.
अब मम्मी और पापा की रोज चुदाई देख कर मुझे भी चुदवाने का मन करने लगा था.
मैं रोज अपने चूत में उंगली डालकर अन्दर बाहर करने लगती थी और चुदाई के लिए लंड की चाहत को बलवती करती रहती थी.
लेकिन लंड मिलेगा कैसे?
यह एक बड़ा सवाल था.
फिर इस सबके लिए एक मौका मिला.
मेरे मामा के यहां कार्यक्रम में सबका जाना हुआ.
वहां मेरी दो बड़ी मामियां और मौसी सभी लोग आई हुई थीं.
मेरी बड़ी मामी की बेटी तनिषा जो मेरी दीदी पूजा जितनी बड़ी थी यानि मेरे से एक या दो साल बड़ी थी, वह भी आई हुई थी.
वह बहुत ही सेक्सी लड़की थी.
मैंने सुना था कि स्कूल के टाइम से ही लड़कों से उसके चक्कर थे और वह कई बार चुदवाती हुई भी पकड़ी गई थी.
यहां भी वह व्हाट्सप्प पर दिन भर किसी न किसी से चैटिंग करती रहती थी.
उसके सब घर वाले यहीं थे, फिर भी वह ढीठ थी.
देखने में वह गोरी चिकनी और भरे हुए बूब्स वाली थी.
उसके चूतड़ अजीब से उभरे हुए थे.
ऐसा लगता था कि वह पीछे से ही ज्यादा ही मरवाती थी.
मैंने सुना था कि लड़कियों की गांड ज्यादा चोदने पर उनके चूतड़ बड़े होने लगते हैं.
मेरे चूतड़ अभी पतले और दबे हुए से हैं.
मेरी दीदी के थोड़े निकले हैं.
मम्मी का पिछवाड़ा तो चलने पर पूरा हिलने लगता है.
इसका मतलब आप खुद समझ जाओ.
कार्यक्रम के बाद सब मेहमान वापस जाने लगे.
बड़ी मामी ने और मेरी बड़ी बहन और मुझे उनके यहां जाने के लिए मम्मी से बात कर ली.
मैं और पूजा बड़ी मामी के यहां चले गए.
उनके गांव में बड़ी मामी बड़े मामा, उनकी बेटी तनिषा और भाई राहुल रहते थे.
राहुल अभी बारहवीं की पढ़ाई कर रहा है.
देखने में वह भी स्मार्ट और हैंडसम है.
उसके हाव भाव से साफ समझ आता था कि इसकी भी कुछ गर्लफ्रेंड होंगी.
उनका घर काफी बड़ा था. पांच बेडरूम, हॉल, किचन सब था.
तनिषा, मैं और पूजा एक कमरे में सोने लगे.
राहुल एक कमरे में सोता था.
बड़ी मामी और मामा एक अलग कमरे में सोते थे.
मामी भी काफी सेक्सी थीं, लगता था कि वह भी रोज चुदाई कराती थीं.
बड़े मामा उनकी आए पीछे दोनों तरफ से जम कर लेते होंगे, ऐसा साफ समझ आ रहा था.
एक रात तनिषा बाथरूम गई हुई थी, उसका मोबाइल चार्ज पर लगा हुआ था.
उसमें व्हाट्सप्प मैसेज आने लगे.
मैंने उसके मोबाईल को खोल कर देख लिया और सारे मैसेज पढ़ लिए.
उसका बॉयफ्रेंड उसको दिन भर मैसेज करता था.
उस वक्त भी वही था और वह रात के टाइम अपने लंड का फोटो भेज रहा था.
उसने लंड की फ़ोटो को भेजा था और लिखा था- चुदाई किए बहुत दिन हो गए जानेमन, जल्दी मिलना है.
ये सब मैंने पूजा दीदी को भी दिखा दिया.
उसके बॉयफ्रेंड के लंड का साइज लंबा और मोटा था.
उसको देख कर हम दोनों बहनों की चूत में अजीब सी गुदगुदी होने लगी थी.
उसके वापस आने पर हमने उसको सब बता दिया और पूजा दीदी ये बोल कर उसको डराने लगी कि घर में सबको बता देंगी.
वह डरी ही नहीं, उल्टा हमें ही फंसाने की बात बोलने लगी.
वह बोली- तुम लोग ही अपने बॉयफ्रेंड से बात करने के बहाने यहां आई हो, ऐसा बोल कर मैं तुमको फंसा दूंगी. ये बॉयफ्रेंड भी तुम्हारा ही है और तुमने मेरे मोबाईल पर उससे चैट करके उसे लंड की फ़ोटो भेजने की बात कही.
जब उसने ये सब कहा तो हमारी फट गई.
लेकिन उसके बॉयफ्रेंड का लंड बहुत बड़ा था और गुलाबी टोपे वाला था.
उसको अपनी चूत में लेने का लालच हम दोनों बहनों को अन्दर तक घुस गया था.
उसका मूसल लंड देख कर मेरी चूत से तो रस बहने लगा था.
किसी तरह से तनिषा से बात सुलटी.
मैं सोने लगी और अपनी चूत और चूची सहलाने लगी.
पूजा भी अपने दूध मसलने लगी थी.
फिर हम सब सो गए.
सोने के एक मिनट बाद ही तनिषा ने हम दोनों के मम्मों को जोर से दबा दिए और हंसने लगी.
उसकी इस हरकत से हम दोनों बहनों की मुस्कान खिल उठी और हम सब मिलके मस्ती करते हुए हंसने खिलखिलाने लगे.
सुबह मैंने तनिषा को दीदी कहकर प्यार से बुलाया और उससे बात करने लगी.
वह भी अच्छे से बात करने लगी.
फिर मैं उससे उसके बॉयफ्रेंड के बारे में पूछने लगी.
उसने बताया कि वह उसका पड़ोसी है, उन दोनों का चक्कर बहुत सालों से चल रहा है.
जब घर वाले नहीं रहते, तो वह मिलने घर आ जाता है और जम कर चुदाई करके जाता है.
ये सब सुनकर मैं मन ही मन बहुत खुश होने लगी.
वह बोली- तुम लोगों के बारे में उसको पता है कि तुम आई हुई हो. मम्मी पापा घर पर नहीं रहेंगे तो वह मिलने आएगा. तब मैं तुम लोगों से बात करवा दूंगी. यदि मेरा मन किया तो आगे भी कुछ करवा दूंगी.
यह बोलकर वह हंसने लगी.
मैं बोली- ठीक है दीदी. आपकी राजी में ही हम दोनों राजी हैं.
बड़े मामा दुकान चलाते थे और भाई गांव में ही स्कूल पढ़ने जाता था.
मामा तो सुबह चले जाते थे और सीधे रात में आते थे.
घर में मामी ही अकेली रहती थीं.
तीसरे दिन मामी की तबियत खराब हो गई.
बड़ी मामी को एलर्जी की परेशानी है.
उनको लेकर बड़े मामा डॉक्टर के यहां शहर गए तो घर में कोई नहीं रह गया.
उस दिन तो समझी हमारी लॉटरी ही खुल गई थी.
हमने आज तनिषा दीदी और उसके बॉयफ्रेंड से मिलने मिलाने का प्लान बनाया.
मैंने सोचा कि इनका कुछ देखने को मिल जाएगा, जिससे कुछ सीख लेंगे.
दीदी का हीरो छत से कूद कर मिलने आ गया.
वह आकर सबसे नॉर्मल बात करने लगा.
घर में हम तीनों बहनें और वह अकेला लड़का था.
वह देखने में स्मार्ट, लंबा, हट्टा-कट्टा और हल्की दाढ़ी में गजब दिख रहा था.
उसने मुझसे मेरा नाम पूछा और कितने में पढ़ती हो, कहां पढ़ती हो. ये सब पूछने लगा.
उसने पूजा से भी यही सब पूछा और तनिषा दीदी से बातें करने लगा.
फिर कुछ देर बाद दोनों उठ कर कमरे में जाने लगे. हम दोनों बहनें टीवी रूम में रूक गईं.
उन दोनों का चूमना चाटना शुरू होने लगा और हम दोनों मचलने लगीं.
मैंने पूजा से कहा- चल खिड़की से झांक कर देखती हैं.
वह बोली- हां चल, मजा आएगा.
हमने देखा कि हीरो बेड पर लेट गया और दीदी के ऊपर चढ़ कर उसको चूम रहा है.
वह कभी दीदी के दूध को दबाता, कभी उसकी जांघ के पास मसलता, कभी उसके पेट को चूमता, तो कभी नीचे चूत की तरफ चाटने लगता.
तनिषा दीदी ‘आह आह मेरा हीरो … मेरी जान …’ बोल बोल कर सिसकार रही थी और खिड़की की तरफ देख कर मुस्कुरा रही थी.
ऐसा लग रहा था कि वे दोनों हमें दिखा दिखा कर चुदाई करने वाले थे.
तभी तो उन्होंने खिड़की खोल रखी थी कि हम दोनों आकर सब देखें और मज़े लें.
यह सब देख कर हम दोनों की चूत गीली होने लगी थी.
हम दोनों खिड़की से ही सारे मज़े लेने लगी थीं.
वह लड़का उठा और अपने कपड़े निकालने लगा.
उसने अपने सारे कपड़े निकाल कर एक तरफ रख दिए.
फिर उसने पैंट की जेब से कंडोम का पैकेट निकाल लिया.
मैंने सोचा कि ये एक पैकेट का क्या करेगा; इसमें तो शायद दस कंडोम होंगे; क्या ये आज दिन भर तनिषा दीदी को चोदेगा.
उसने तनिषा दीदी के कपड़े निकालने शुरू कर दिए.
दीदी लाल ब्रा में थी और उसके पर्पल लेगिंग्स में वह गजब सेक्सी लग रही थी.
उसने तनिषा दीदी की लेगिंग्स को खींच कर निकाल दिया और अब दीदी ब्लू रंग की पैंटी और लाल रंग की ब्रा में थी.
इसके बाद उसने एक एक करके तनिषा दीदी की पैंटी और ब्रा दोनों को निकाल दिया.
फिर दीदी और वह लड़का पूरे नंगे होकर अन्दर थे.
दीदी लपक कर उसका खड़ा लंबा लंड चूसने लगी.
वह बिल्कुल ब्लू फिल्मों की तरह लंड चूस रही थी.
उस लड़के ने अपने लंड का मुँह हमारी तरफ किया और हमें दिखाते हुए तनिषा दीदी से लंड चुसवाने लगा.
उसका लंड चूसने पर और लंबा और कड़ा होता जा रहा था.
तनिषा दीदी जोर जोर से उसका लंड चूसने लगती तो लड़का दीदी के बालों को पकड़ कर और जोर से उसके मुँह को दबाने लगता था.
ये सब देख कर हमारा हाल बेहाल होने लगा.
हमें तो ऐसा लगने लगा था कि कमरे के अन्दर जाकर उस मर्द का लंड अपने मुँह में लेकर चुसाई करने लगें.
हमारा खुद पर कंट्रोल नहीं रहा था.
हम दोनों अपनी चूत व दूध मसलने लगी थीं.
कभी मैं पूजा के दूध दबा देती, कभी वह मेरी चूत मसल देती.
दस मिनट तक लंड चुसाई चलने के बाद उस लड़के ने दीदी को उठाया और बेड पर पटकते हुए सीधा लिटा दिया.
फिर एक कंडोम निकाल कर अपने लंड पर लगाने लगा.
लंड ने पोशाक पहन ली तो वह मर्द का बच्चा दीदी के ऊपर चढ़ गया और उसके एक दूध को जोर जोर से चूसने लगा.
वह उसके दूध को मुँह में लेकर चूसे जा रहा था.
दीदी की कामुक सिसकारियां पूरे कमरे में गूंजने लगी थीं.
चूचियों की चुसाई के साथ साथ वह उसकी चूत को रगड़ रहा था.
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फिर उस लड़के ने अपना लंड दबाया और दीदी की चूत में डालने लगा.
लंड अन्दर डालने से पहले वह दीदी को खींच कर बेड के किनारे पर ले आया और नीचे खड़े होकर उसने दीदी की जांघों को पूरा फैला दिया. दीदी की चूत फटा हुआ भोसड़ा सा दिखने लगी थी.
उस लड़के ने जोर लगा कर दीदी की चूत में लंड फंसाया और अन्दर डालने लगा.
दीदी की आह निकलना शुरू हो गई और उसने अपना लंड दीदी की चूत में डाल दिया.
तब दीदी ‘आह मम्मी … मर गई मम्मी.’ करने लगी.
कुछ देर में दर्द खत्म हुआ और चूत में लंड पेलने का मस्ती भरा खेल शुरू हो गया.
धीरे धीरे लड़के ने रफ्तार बढ़ा दी और अब वह ताबड़तोड़ लंड पेले जा रहा था.
कभी वह दीदी की जांघों को दोनों हाथों से पकड़ कर धक्का देता, तो कभी सीधे लंड से ही धक्के लगाते रहता.
उसकी चुदाई के तरीके से लगता था कि वह चोदने के मामले में काफी अनुभवी है.
दीदी ‘आह मेरी जान … और अन्दर और अन्दर …’ कहे जा रही थी.
वह कभी झटके से चोदने लगता, कभी धीरे से … कभी कमर पकड़ कर चूत में धक्का देता, तो कभी उसकी जांघों को अपने कंधों पर रख कर प्यार से चोदने लगता.
कभी वह बेड पर चढ़ कर दीदी को अपनी बांहों में भरके घप घप की आवाजों वाली चुदाई करने लगता था.
इन आवाजों को सुन कर बहुत मजा आ रहा था.
दीदी ऐसा करते करते काफी देर तक चुदी.
आखिर में उनकी चुदाई की रफ्तार अचानक बहुत तेज हो गई और वह लड़का दीदी को जमकर चोदने लगा.
दीदी ने भी उसको अपनी बांहों से कसके जकड़ लिया.
लड़का पेलता रहा और दीदी चुदाती रही.
उन दोनों की चुदाई पूरी होने के बाद वह दोनों नंगे ही कमरे में एक दूसरे के ऊपर कुछ समय तक लेटे रहे.
फिर दीदी लड़के का लंड मुँह में लेकर चाटने लगी.
हम दोनों भी झड़ गई थीं तो अपने कमरे में आ गईं
मेरा नाम विकास वर्मा है, मैं Hindi Sex Stories दिल्ली से हूँ. मैंने अन्तर्वासना पर बहुत सी कहानियाँ पढ़ी हैं इसलिये मैं भी अपनी एक कहानी लिखने जा रहा हूँ जो कि सच्ची है.
बात उन दिनों की है जब मैंने बारहवीं के इम्तिहान दिए थे. मेरे भाई-भाभी मुम्बई में रहते हैं, मैं रिजल्ट निकलने तक मुम्बई चला गया. मैं दिल्ली से कभी बाहर नहीं गया था, यह मेरा पहला मौका था पर मुझे कभी उम्मीद नहीं थी कि पहला मौका हमेशा के लिये यादगार रहेगा.
मैं मुम्बई स्टेशन पर पहुंचा, मेरा भाई मुझे लेने के लिए वहाँ पर आया था. मैं उनके साथ घर चला गया. जब घर पहुंचा तो भाभी से मिला और फिर मैंने फ़्रेश होकर खाना खाया, मेरी भाभी और भाई बहुत अच्छे हैं.
पड़ोस में एक सेक्सी भाभी रहती हैं, उनके पति मेरे भाई के साथ ही काम करते हैं. मेरी उनसे भी जान पहचान हो गई और मैं उनके घर भी जाने लगा और सुजाता भाभी (पड़ोस वाली भाभी) को भी अपनी भाभी की तरह इज़्ज़त देता था. सात-आठ दिनों में मैं उससे घुल-मिल गया जैसे वहीं पर सालों से रहा हूँ और उन्हें जानता हूँ.
मेरा भाई और पड़ोस के भाई एक ही पोस्ट पर काम करते हैं सो उनको काम से मुम्बई से 15 दिनों के लिए बाहर जाना था. वो चले गये. मेरी भाभी को भी एक सहेली की शादी में पुणे जाना था, वो उनकी सबसे अच्छी सहेलियों में से एक थी, उनको 1 सप्ताह के लिये जाना था, सो वह अपने कपड़े सम्भाल रही थी.
भाभी ने मुझसे कहा- तुम भी मेरे साथ पुणे चलो!
पर मुझे न जाने क्यों पुणे जाने का मन नहीं था, मैंने भाभी से कहा- मुझे वहाँ कोई नहीं जानता, आप जाओ.
उन्होंने कहा- नहीं! चलो!
और मुझे पर जोर देने लगी.
फिर मैंने बहुत मना किया तो वो मान गई.
फिर उन्होंने मुझसे सुजाता भाभी को बुलाने के लिये कहा. मैंने भाभी को बुलाया और भाभी ने सुजाता से कहा- मैं शादी में जा रही हूँ, तुम विकास के लिये खाना बना देना.
सुजाता भाभी ने कहा- कोई बात नहीं! अगर आप नहीं कहती तो भी मैं विकास के लिये खाना बना देती.
और फिर भाभी अगले दिन चली गई. मैं घर में अकेला था सुजाता भाभी ने मुझे नाश्ता करने के लिये कहा और मैं उनके घर चला गया. नाश्ता करने के बाद मैं अपने फ़्लैट में जाने के लिये हुआ तभी सुजाता भाभी ने मुझे कहा- विकास, वहाँ अकेले क्या करोगे? यहीं पर रहो!
और मैं भी सोच रहा था कि वहाँ क्या करुंगा और फिर हम दोनों बात करने लगे. बातों बातों में उन्होंने मुझसे पूछा- तुम्हारी कोई गर्लफ़्रेंड है?
मैंने कहा- भाभी, अभी तो मैं बच्चा हूँ, मेरी कोई गर्लफ़्रेंड कैसे हो सकती है?
वो हंसने लगी.
पता नहीं क्यों अब मुझे उनमें रुचि होने लगी थी. मैंने उनके वक्ष की तरफ़ देखा. उनके स्तन काफ़ी बड़े हैं उनकी फ़ीगर 38-29-38 होगी. वो हमेशा घर में रहती हैं तो हल्के कपड़े पहनती हैं, उनकी ब्रा साफ़ नज़र आती है.
जब वो हंस रही थी, मैंने भी पूछा- भाभी, तुम्हारा कोई ब्वोयफ़्रेंड है या शादी से पहले कोई था?
तो वो चुप हो गई और कहने लगी- नहीं विकास.
हमने बाते की और दोपहर और रात का खाना खाया. रात को मैं अपने फ़्लैट में सोने के लिये जा रहा था तो भाभी ने एक बार फिर मुझसे कहा- यहीं सो जाओ! मैं अकेली हूँ. मुझे डर लगता है. उन्होंने मुझे सोने के लिये कमरा दिखाया और कहा- अगर रात कोई प्यास लगे तो मेरे कमरे में आ जाना, क्योंकि वहीं पर फ़्रिज है.
मैंने कहा- ओके.
फिर मैं सो गया.
यारो, मुझे रात कभी प्यास नहीं लगती पर न जाने क्यों उस रात मुझे प्यास लगी और मैं भाभी के कमरे में चला गया. कमरे में अंधेरा था, मैंने मोबाइल की लाइट ऑन की और मुझे फ़्रिज़ मिल गया. मैंने फ़्रिज़ से बोतल निकाली, पानी पिया और फिर बोतल रखी. जैसे ही फ़्रिज़ बंद कर रहा था कि मुझे बेड पर भाभी सो रही थी, फ़्रिज़ की लाइट से वो दिख रही थी, अचानक मेरी नज़र उनके बदन पर गई. मैंने देखा कि वो नाइटी पहन कर सो रही है. नाइटी से उनकी नंगी टाँगें दिख रही थी. ओह माय गॉड! उनकी टाँगें कितनी चिकनी थी. फिर मेरी नज़र ऊपर गई तो देखा कि उनकी छाती से नाइटी खुली है और उनकी ब्रा दिख रही है.
मुझसे रहा नहीं गया और मैं फ़्रिज बंद करके अपने कमरे में चला गया. उनको देख कर मेरा लंड खड़ा हो गया और मैं उनको चोदने की सोच कर अपने कमरे से निकला पर उनके कमरे पर जाते ही मुझे अच्छा नहीं लगा क्योंकि मैं उन्हें भी भाभी की तरह मानता था और मेरे कदम रुक गये.
रात भर सपने में वो ही नज़र आई. रात को देर से सोया इसलिये सुबह नींद नहीं खुली 10 बज रहे थे भाभी ने मेरे कमरे में आ कर मुझे उठने को कहा. उन्होंने पूछा- तबीयत तो ठीक है?
मैंने कहा- हाँ सही है.
देर से क्यों उठे?
मैंने कहा- पता नहीं भाभी, आज नींद कुछ ज्यादा ही आ गई.
उन्होंने कहा- ओके! और कहा कि अपने फ़्लैट में फ़्रेश होकर आ जाओ फिर हम नाश्ता करेंगे.
मैंने कहा- सही है!
फिर मैं चला गया और नहा-धोकर मैं भाभी के फ़्लैट में आया. फिर वहीं रात हो गई. भाभी ने वही कहा- प्यास लगे तो मेरे कमरे में आ जाना! और चली गई.
मुझे रात को नींद नहीं आ रही थी और पानी लेने के लिये फिर उनके कमरे में चला गया. फिर वही सीन, यार, मुझे भाभी को चोदने को मन कर करने लगा पर हिम्मत नहीं कर पाया.
अगले दिन वही रात में फिर मैं पानी के लिये गया. इस बार सीन कुछ और था भाभी ने ब्रा नहीं पहनी थी और उनका एक स्तन साफ़ दिख रहा था. मेरे लंड में तनाव आ गया. पहली बार मेरे लंड में इतना तनाव आया था. मैं अपने कमरे में आ गया और मुझसे से रहा नहीं गया और मैंने पहली बार ज़िंदगी में मुठ मारा.
अगले दिन फिर वही रात! फिर भाभी ने कहा- प्यास लगे तो मेरे कमरे में आ जाना!
और स्माइल दे गई.
मुझे इस बार स्माइल सीधा दिल पर चुभ गई. आधे घंटे के बाद मैं उनके रूम में गया, मैंने देखे आज नज़ारा कुछ और है! भाभी पेंटी और ब्रा में हैं बस अब मुझसे नहीं रहा गया, मैंने नाइट लाइट ऑन की. अब उनका शरीर लाल लाइट में पूरा लाल लग रहा था. मुझसे रहा नहीं गया, मैंने भाभी के पैर को छुआ, फिर स्तन! और स्तनों को धीरे धीरे दबाने लगा. फिर पेंटी में हाथ डाला और चूत पर हाथ फेरा, मैं बहुत गरम हो गया था पर अब भी भाभी को चोदने की हिम्मत नहीं कर पर रहा था. मुझे लगा कि अब बहुत हो गया, ज्यादा डर भी रहा था कि भाभी को पता चल जायेगा. फिर मैं बेड से अपने कमरे की तरफ़ जाने के लिये उठा तो अचानक भाभी ने मेरे हाथ पकड़ लिया और बहुत ही धीरे आवाज़ में कहने लगी- मुझे गरम करके कहाँ जा रहे हो? मुझे ठंडा तो करो.
अब तो मुझसे रुका नहीं जा रहा था, सीधे ही भाभी के होंठों को चूसने लगा. एक हाथ वक्ष पर और एक हाथ चूत पर!
भाभी भी मेरे होंठों को चूसने लगी और उन्होंने मेरी पैंट के अंदर हाथ डाल कर मेरा लंड पकड़ लिया जो कि पूरी तरह से चूत में जाने के लिये बेचैन था. मैंने भाभी की ब्रा और पेंटी और अपने कपड़े भी उतार दिए. मैं और भाभी पूरी तरह से नंगे थे.
अब मैं उनके स्तनों को चूसने लगा, फिर उनकी चूत को चाटने लगा और वो तड़प उठी. उन्होंने मेरे लंड को मुंह में ले लिया, चूसने लगी.
फिर उन्होंने मुझसे लंड चूत में डालने का इशारा किया. मैंने उनकी चूत में लंड डाल दिया. फिर क्या! मेरा लंड छः इन्च का है. मैंने धक्का मार-मार कर पूरा लंड चूत में डाल दिया. भाभी आवाज़ निकाल रही थी- अह्ह उह मर गई अहह ए ए जोर से!
फिर मैंने भाभी से कहा- भाभी! निकलने वाला है! क्या करुं?
उन्होंने कहा- मेरे मुंह में दे दो!
मैंने उनके मुंह में दे दिया और उन्होंने पूरा माल निगल लिया. हमने भाभी के आने तक रोज़ सेक्स का मजा लिया. फिर भाभी आ गई और हमरा चूत मारने का सिलसला खत्म हो गया.और फिर भाई और उसके पति भी आ गये लेकिन अब हम सब बन्द कर चुके थे ताकि किसी को कोई शक न हो.
फिर मैं दिल्ली आ गया लेकिन आने से पहले मैं सुजाता भाभी से मिला और उनको अपना कोन्टक्ट नम्बर दिया.
वो मुझे अपना दोस्त मानती हैं और हम दोनों कोन्टक्ट में रहते हैं. Hindi Sex Stories
हाय मेरा नाम करण है. मैं कोटा राजस्थान Sex Stories का निवासी हूँ.
मैं आपके लिए एक नयी स्टोरी लेकर आया हूँ तो चलिए ज्यादा समय न ख़राब करते हुए कहानी पर आ जाते हैं.
यह मेरी सच्ची कहानी है.
कुछ दिनों पहले में एक महिला से मिला. उसका नाम जानवी था.
वह हमारे ऑफिस की की नयी बॉस थी और मैं उस ऑफिस में छोटा सा क्लर्क था.
जानवी काफी सुंदर नारी थी उसकी उम्र यही कोई 26 साल के लगभग होगी. उसका रंग दूध की तरह सफ़ेद था सही मायने में वह एक सुंदर हुस्न की मालकिन थी.
शुरू से ही वह मेरे काम से काफी इम्प्रेस थी और सारे ऑफिस के सामने मेरी काफी तारीफ की.
तो मैं मन ही मन सोचने लगा कि वह मुझे चाहने लगी है.
और मैं घर लौटा तो मेरी माँ की तबियत बेहद ख़राब थी.
तो मैंने ऑफिस से चार दिन की छुट्टी करने की सोच ली.
पर मैंने ऑफिस में छुट्टी की भी सूचना नहीं दी यह सोचा की जानवी मुझे कुछ नहीं बोलेगी और मुझ पर हमदर्दी जताएगी.
पर चार दिन बाद जब मैं ऑफिस पंहुचा तो मैं बस छूट जाने के कारण लेट हो गया था.
जब मैं ऑफिस पंहुचा तो ऑफिस का चपरासी मुझसे बोला- मैडम ने आपको उनके रूम में बुलाया है.
मैं टाई ठीक करता हुआ पंहुचा.
तो वह मुझे देख कर चिल्लाने लगी- रूल्स भी कुछ चीज होती है न!
मैंने माँ की तबियत ख़राब होने का एक्स्क्युज दिया तो वह बोली- तुम्हें एक ऍप्लिकेशन तो देनी चाहिए थी.
और वह मुझसे बोली कि अगली बार ऐसा नहीं होना चाहिए.
तो मैं सॉरी मैडम कह कर यह बोला- मैडम, अगली बार ऐसा नहीं होगा.
जब शाम को मैं घर जाने के लिए जब बस में बैठा और उससे बोला भी नहीं.
तभी मेरा ध्यान गया कि वह आज अपने स्टाप पर उतरी नहीं.
वह आज मेरे स्टाप पर उतरी और मुझसे आज ऑफिस में जो हुआ उसके लिए माफ़ी मांगने लगी.
और कहने लगी- अगर मैं तुम्हें नहीं डांटती तो ऑफिस के सभी लोगों को मुझ पर शक हो जाता.
तो यह सुनकर मैंने उसे माफ़ कर दिया.
फिर वो मेरे साथ चल पड़ी.
तभी उसने एक केले वाले से केले लिए और मेरे साथ वापस चल पड़ी.
मैंने उससे पूछा- यहाँ पर तुम्हारा भी कोई मिलने वाला रहता है क्या?
वो बोली- हाँ एक पागल सा लेकिन बड़ा प्यारा लड़का है. उसकी माँ की तबियत खराब है.
मैं उससे बातें कर रहा था, तभी मेरा घर आ गया तो मैं बोला- यह मुझ गरीब की कुटिया है. तुम्हें आगे जाना है क्या? यह गली काफी लम्बी है. मैं तुम्हें उस घर तक छोड़ आता हूँ जहाँ तुम्हें जाना है.
वह बोली- अरे बुद्धू … इतना भी नहीं समझे कि मैं तुम्हारे घर ही आई हूँ तुम्हारी माँ की तबियत पूछने!
मेरी माँ और बहन ने उसे बड़े सत्कार के साथ घर में बुलाया और उसे चाय और बिस्किट खिलाये.
फिर वो मेरी माँ से बात करते हुए बोली- मां जी, आज करण को काम से बाहर जाना पड़ेगा.
तो मेरी आई बोली- ठीक है बेटी, इस काम के वजह से तो मेरा घर चलता है.
वो साथ ही यह भी बोली- करण की कल ऑफिस से छुट्टी रहेगी.
तभी मैं सोचने लगा कि ऐसा कौन सा काम है जिसका जिक्र मैडम ने ऑफिस में नहीं किया.
तभी वह मुझसे उसके साथ चलने को बोली.
वह अचानक मुझे अपने घर ले गयी- तुम्हें कहीं काम से बाहर नहीं जाना है तुम्हें केवल आज रात मुझे खुश करना है.
यह सुनकर मैं मन ही मन बहुत खुश हुआ और अंदर जाते ही मैं उसे चूमने लगा.
तो वह बोली- इतनी जल्दी भी क्या है कुछ देर रुको!
और वो दौड़ कर दूसरे कमरे में चली गयी.
तभी उसके कमरे में रखा मोबाइल बजा.
मैंने फ़ोन उठाया तो एक धीरे से आवाज आयीं- क्या कर रहे हो?
मैं बोला- कुछ नहीं.
मैंने पूछा- आप कौन हैं?
तो वह बोली- मैं तुम्हारी मैडम जानवी हूँ. मैं अंदर के फ़ोन से बोल रही हूँ.
और वह कहने लगी- अब हम कुछ देर ऐसे ही बात करेंगे.
मैंने कह दिया- ठीक है.
तो वह अचानक मुझे बोली- तुम अपने कपड़े उतारो और मैं भी उतारती हूँ.
मैंने अपने कपड़े उतारे और बोला- अब बोलो? मैंने कपड़े उतार दिए हैं.
वह बोली- कि सामने ड्रोर में एक स्प्रे पड़ा है उसे अपने लंड पर लगा लो.
मैंने जैसे ही उसे अपने लंड पर लगाया, मुझे अपने लंड पर ठंडक का अहसास हुआ और मेरा लंड लोहे कि तरह कड़क हो गया.
फिर वह फ़ोन पर मुझसे बोली- अब उस अलमारी में जो तुम्हारे पीछे है उसमें एक पट्टा पड़ा है, उसे गले में बांध लो.
मैं बोला- क्यूँ?
तो वो बोली- सवाल मत करो. मैं जैसा बोलती हूँ वैसा करो.
और मैंने वह पट्टा अपने गले में बांध लिया.
वह बोली- अब तुम मेरे पास आओ और मेरे साथ सेक्स करो.
मैं जैसे ही उसके पास जाने के लिए उठा तो वह बोली- ऐसे नहीं … जैसे कि एक कुत्ता चलता है, वैसे अपने हाथ और पैरों पर चलकर आओ.
मैं जैसे ही कमरे में घुसा तो मैं देख कर दंग रह गया.
मैडम बिलकुल निर्वस्त्र थी और उनके साथ चार और आदमी थे … वो भी बिना कपड़ों के … और सबने मेरी तरह गले में पट्टे पहन रखे थे.
और मैडम ने भी एक पट्टा पहन रखा था.
मैडम के पट्टे में हीरे लगे हुए थे. मैंने पहुँचते ही देखा कि मैडम चार लोगों के साथ सेक्स का मजा ले रही थी. एक उन्हें लंड चुसा रहा था, दूसरा उनके स्तनों से स्तनपान कर रहा था. तीसरा उनकी गांड और चौथा उनकी चूत में लंड डाले हुए था.
मैं देखकर दंग रह गया.
वो मुझे देख कर मुख से लंड निकालते हुए बोली- आओ करण, ये मेरी कुत्ता गैंग है. मैं इस गैंग की प्रधान और सेक्सी कुतिया हूँ. आज से तुम भी इस गैंग के भी सदस्य हो. कल से तुम पांचो मुझे सेक्स का मजा एक साथ देना.
फिर वह उन चारों आदमियों से कु कु कु कु करके बाहर जाने को कहने लगी.
और वो भी इसका जवाब भों भों भों भों करके बाहर चले गए.
फिर वह मुझसे बोली- तुम भी कल से कुत्तों की तरह बात करना.
इतना कह कर उसने मेरा लंड मुह में डाला और चूसने लगी.
फिर मेरा सर पकड़ कर अपनी चूत पर रख दिया और मैं उसकी चूत चाट रहा था.
तो वह कूं कूं कूं कूं की आवाज के साथ मेरा साथ देने लगी.
उसके बाद मेरे सामने कुतिया की तरह खड़ी होकर बोली- जैसे एक कुत्ता कुतिया को चोदता है, वैसे ही तुम मुझे चोदो.
फिर मैंने कुत्ते की तरह ही उसे रात भर में चार बार चोदा.
अगले दिन से हम सब कुत्ता गैंग के सदस्य उस प्रधान कुतिया (मेरी बॉस) की रोज चुदाई करते हैं.
अब मुझे इस तरह की चुदाई में बहुत मजा आता है.
कुछ दिनों बाद मेरी शादी है और मैं मेरी पत्नी की भी एक कुतिया की तरह चुदाई करूँगा. Sex Stories
कामिनी की इस घटना को दो दिन बीत Hindi Porn Stories गये थे। इन दो दिनों में मैं विजय से दो बार मिल चुका था। कामिनी के कारण उससे मेरी भी दोस्ती थी। मैंने उसे यह नहीं मालूम होने दिया कि कामिनी की चुदाई के बारे में मुझे मालूम है। आज सवेरे ही मैंने विजय के घर जाने की योजना बनाई। इस बारे में मैंने नेहा को बता दिया था कि विजय की मां और बहन आई हुई हैं, उनसे मिलने जा रहा हूँ।
मैं कॉलेज जाने से पहले उसके घर चला गया। बाहर बरामदे में एक सुन्दर सी लड़की झाड़ू लगा रही थी। मैंने अन्दाज़ा लगाया कि यह विजय की बहन होगी। जैसे ही मैं फ़ाटक के अन्दर घुसा… उसने मेरी तरफ़ देखा और देखती ही रह गई।
मैंने उसे नमस्ते किया तो वो कुछ नहीं बोली। मैं सामान्यतया मुस्कुराता रहता हूँ,”मैं विजय का दोस्त हूँ …. “
“जी… आईये… ” वो कुछ शरमाती सी बोली। मुझे वो अन्दर ले गई और कहा-आप बैठिये… मैं पानी लाती हूँ।
“आप उसकी बहन है ना…” मैंने मुस्कराहट बिखेरते हुए कहा।
वो एकदम से शरमा गई… और मुझे तिरछी निगाहों से देखती हुई अन्दर चली गई। उसकी पतली छरहरी काया और उसके उभार और कटाव भरे पूरे थे। किसी को भी अपनी ओर आकर्षित कर सकते थे। वो पानी ले कर आ गई।
“आपका नाम जान सकता हूँ ….?”
उसका अन्दाज़ कुछ अलग सा था। मुझे लगा कि वो उमर में विजय से बड़ी है।
इतने में एक मधुर अवाज और आई,”ये मेरी मम्मी है …. मै विजय की बहन हूँ …. दिव्या ….!”
मैं बुरी तरह से चौंक गया …. ये कैसे हो सकता है? “जी ….माफ़ करना …. आप तो इतनी छोटी लगती है कि …. मैं तो समझा कि ….!”
“आप ठीक कह रहे हैं …. मेरी कम उम्र में ही शादी हो गई थी …. फिर ये भी एक एक्सीडेन्ट में गुजर गये थे ….” (उसका मुझे घूरना बन्द नहीं हुआ।) वो एकटक मुझे देखे जा रही थी।
“ओह!!! …. माफ़ करना …. यह सुन कर दुख हुआ …. पर आप तो दिखने में किसी लड़की जैसी ही लगती हैं ….” वो फिर से शरमा गई ….
“आप चाय पीजिये …. इतने में विजय आ जायेगा ….!” उसके हाव भाव ये बता रहे थे कि मैं उसे अच्छा लग रहा हूँ …. मैंने सोचा कि और आगे बढ़ा जाये !
“आप अभी ही इतनी सुन्दर लग रही हैं तो जब बाहर जाती होगी तो और भी अच्छी लगती होंगी ….!” उसका चेहरा लाल हो उठा। बिल्कुल किसी कुंवारी लड़की की तरह वह अदाएँ दिखा रही थी। फिर से उसने मुस्कराते हुए मुझे देखा …. मेरी हिम्मत बढ़ने लगी। वो सामने किचन में चली गई। मैं भी उसके पीछे पीछे किचन में आ गया।
मैंने हिम्मत करके उसकी कमर पर हाथ रखा। उसने तुरन्त ही पलट कर मुझे देखा और बोली- “यह क्या कर रहे रहे हो ….”
“सॉरी मैं अपने आपको रोक नहीं पाया, क्योंकि आप में गजब का आकर्षण है !”
वो मुस्करा दी। मेरी हिम्मत और बढ़ गई।
“आप बहुत खूबसूरत हैं …. ” उसके चेहरे पर पसीन छ्लक आया।
“आप भी तो हैं …. हाय” उसके मुँह से निकल पड़ा। मेरे हाथ उसकी चिकनी कमर पर फ़िसलने लगे। उसका शरीर कांप उठा, वो लरजने लगी और झूठ में ही मेरे से दूर होने की कोशिश करने लगी।
“जी ….चाय ….” उसका चेहरा तमतमा रहा था ….हम चाय ले कर फिर से बैठक में आ गये ….”आपका नाम क्या है ….?”
“मेरा नाम जो हन्टर है ….और आपका ….?”
“जी ….म….मैं सरोज ….” वो हिचकती हुई सी बोली …. “आप दिव्या को रोज पढ़ाने आयेंगे ना …. ऐसा विजय कह रहा था ….!” मैं सकपका गया। क्योंकि पढ़ाने की बात मुझे नहीं पता थी।
“मै आपको सरोज ही कहूँगा …. क्योंकि आपको आण्टी कहना आपके साथ ज्यादती होगी !” सुनते ही उसने अपना चेहरा हाथों में छुपा लिया।
“पर वो दिव्या ….?”
“हां …. हां मैं आ जाऊंगा ….उसे भी पढ़ा दूंगा” मैंने मौके को हाथ से गंवाना उचित नहीं समझा। मैंने चाय समाप्त की और खड़ा हो गया। वो भी खड़ी हो गई और मेरे समीप आ गई। मैंने इधर उधर देखा कि कोई नहीं है तो मैंने सरोज का हाथ पकड़ लिया। वो खुद ही धीरे से मेरे सीने से लग गई। मैंने उसे लिपटाते हुए अपनी बाहों में कस लिया। उसने अपना चेहरा ऊपर उठा लिया और अपनी आंखे बन्द कर ली। मुझे कुछ समझ में नहीं आया पर मेरे शरीर में तरावट आने लगी थी, वासना जागने लगी थी। स्वत: ही मेरे होंठ आप ही उसके होंठो की ओर बढ़ गये। कुछ ही देर में हम दोनों एक दूसरे के होंठ चूस रहे थे। मैंने अब उसके उरोजो को थाम लिया। वो कसक उठी।
“हाय …. मत करो …. सीऽऽऽ …. हाय रे” उसके मुख से सिसकारी निकल पड़ी। मैंने धीरे धीरे उसके स्तन दबाने और मसलने चालू कर दिये। उसकी बाहों का कसाव और बढ़ चला था। अब मैंने एक हाथ से उसके चूतड़ दबाने शुरू कर दिये थे। अब उसका भी एक हाथ मेरे लण्ड पर आ चुका था और कस कर पकड़ लिया था।
“हाय …. छोड़ दो ना …. आऽऽऽऽह …. क्या कर रहे हो ….?” इन्कार में इकरार था ….मेरा लण्ड उसने कस के पकड़ रखा था। कह तो रही थी छोड़ने को और बेतहाशा लिपटी जा रही थी। बाहर फ़ाटक की आवाज आई तो वो मेरे से छिटक के दूर हो गई ….
“कल सवेरे नौ बजे आना …. मैं इन्तज़ार करुंगी ….!” इतने में दिव्या अन्दर आ गई। एकबारगी तो वो ठिठक गई …. शायद उसने माहौल भांप लिया था। मैंने अब दिव्या को निहारा। वो एक जवान लड़की थी …. जीन्स पहने थी …. अपनी मां की तरह चुलबुली थी …. तो इसे पढ़ाना है …. लगा कि मेरी तो किस्मत अपने आप ही मेहरबान हो गई है …. आया था कि इन पर इम्प्रेशन जमा कर पटाऊंगा। पर यहां तो सभी कुछ अपने आप हो रहा था। मैं मुस्करा कर बाहर आ गया।
अगले दिन सवेरे नौ बजे मै विजय के यहाँ पहुंच गया। विजय कहीं जाने की तैयारी कर रहा था।
“थेंक्स यार …. तुमने दिव्या को पढ़ाने के लिये हां कर दी …. मैं जरा हेप्पी से मिलने यहीं पान की दुकान तक जा रहा हूँ ….” कह कर वो चला गया।
दिव्या मेज़ पर बैठी पढ़ाई कर रही थी। मुझे देखते ही उसने अपने पास ही एक कुर्सी और लगा दी।
अन्दर से सरोज ने मुझे देखा और शरमाती हुई मुस्करा दी …. दिव्या ने फिर से एक बार इस बात को देख लिया। मैं कुछ देर तक तो पढ़ाता रहा …. फिर मुझे महसूस हुआ कि उसका ध्यान पढ़ाई पर नहीं मेरी ओर था।
“मुझे मत देखो …. …. इधर ध्यान लगाओ ….” पर दिव्या ने सीधे वार करते हुए मेरी जांघ पर हाथ रख दिया ।
“आपने कल मम्मी को किस किया था ना ….” वो फ़ुसफ़ुसाई, मैं बुरी तरह से चौंक गया।
“क्या ??? ….क्या कहा ….” मैं हड़बड़ा गया.
“मम्मी ने मुझे बताया था …. मैं और मम्मी सब बातें एक दूसरे को बताती है …. मुझे भी किस करो ना ….” मुझे एक बार तो समझ में नहीं आया कि ऐसे मौके पर क्या करना चाहिये……उसके हाथ मेरे लण्ड की तरफ़ बढ रहे थे। मेरे शरीर में सनसनी फ़ैल रही थी। अचानक वो मेरे से लिपट पड़ी। दरवाजे से सरोज सब देख रही थी। मेरी नजर ज्योंही दरवाजे पर पड़ी सरोज ने अपनी एक आंख दबा कर मुस्करा दी। मैंने इसमें उसकी स्वीकृति को समझा और दिव्या का कुंवारा शरीर मेरी आगोश में आ गया।
उसकी उभरती जवानी पर मेरे हाथ फ़िसलने लगे। वो बेतहाशा अब मुझे चूमने लगी। मेरा हाथ उसकी स्कर्ट में घुस पड़ा। उसकी चूत गीली हो चुकी थी। मैंने उसकी पेन्टी में हाथ डाल कर उसकी चूत दबा दी। जवाब में उसने भी मेरा लण्ड दबा दिया। सरोज ने अन्दर से इशारा किया तो मैंने उसे छोड़ दिया। दिव्या लगभग हांफ़ते हुए अलग हो गई। उसकी आंखो में वासना के लाल डोरे लगे खिंच चुके थे। सरोज चाय बना कर ले आई।
“दिव्या ….कॉलेज में देर हो जायेगी …. तैयार हो जाओ ….” सरोज ने दिव्या को आंख मारते हुए कहा। दिव्या मुस्कराते हुए उठी और लहरा कर चल दी। वो समझ चुकी थी कि मम्मी अब गरम हो चुकी है अब उन्हें चुदाई चाहिये। मैंने चाय समाप्त की और प्याला मेज़ पर रख दिया।
“सरोज …. जरा सा और पास आ जाओ ….” मैंने आज मौके का भरपूर फ़ायदा उठाने की सोचते हुए अपनी मनमोहक मुस्कराहट बिखेर दी। उसकी आंखें झुक गई। पर उठ कर चुप से मेरी गोदी में बैठ गई। जैसे ही वो मेरी जांघो पर बैठी उसके चूतड़ो का स्पर्श हुआ। वो अन्दर पेन्टी नहीं पहने थी। उसके लचकदार चूतड़ का स्पर्श पा कर मेरा लण्ड फ़ुफ़कार उठा। हम दोनों अब एक दूसरे को चूम रहे थे। मेरा हाथ जैसे ही उसके बोबे पर पड़ा …. उसके बोबे बाहर छलक पड़े। उसके ब्रा भी नहीं पहनी थी ….यानि चुदने के लिये वो बिल्कुल तैयार थी। मेरा लण्ड उसके चूतड़ों पर लगने लगा था। कुछ ही देर में वो बैचेन हो उठी ….
“सुनो जी …. अब देरी किस बात की है ….”कह कर वो बुरी तरह लाल हो गई। मैं उसकी इस अदा पर मर गया …. मैंने उसे गोदी में से उतार कर खड़ा कर दिया और अपनी पेन्ट उतार दी …. वो शरम से सिमटी जा रही थी …. पर उसने बिस्तर पर आने की देर नहीं की। उसके मन की हलचल मैं समझ रहा था ….लगता था बरसों की प्यासी है ….।
मेरा लण्ड देखते ही वो मचल उठी। उसने मेरा लण्ड अपने हाथो में ले लिया और पकड़ कर दबाने लगी …. लण्ड की चमड़ी ऊपर नीचे करने लगी, इसके कारण मेरा सुपाडा रगड़ खाने लगा ….मुझे तेज मजा आया ….मीठी मीठी सी गुदगुदी उठने लगी । उसने मेरी तरफ़ देखा …. मैं उसे प्यार से देख रहा था ….
“हाय रे ….मेरी तरफ़ मत देखो ना …. उधर देखो ….” और शरमाते हुए मेरे सुपाड़े को अपने मुँह में भर लिया। दोनों हाथो से मेरे चूतड़ भींच लिये और पूरा लण्ड मुँह में भर कर अन्दर बाहर करने लगी। सुपाड़ा जोर से चूस रही थी ….एक तरह से अपने मुँह को चोद रही थी। मेरे मुख से आह निकल रही थी …. कुछ देर तक यही सिलसिला चलता रहा।
उसने फिर कहा-“सुनो जी ….अब देर किस बात की है …. ” फिर से एक बार शरमा गई और फिर वो कहने लगी, “तुम्हे देखते ही मुझे लगा कि तुम मेरे लिये ही बने हो ….तुम्हारे में गजब की कशिश है !”
“सरोज तुम बहुत सेक्सी हो …. देखो मुझे कैसे बस में कर लिया ….”
“मैं बहुत महीनों से प्यासी हूँ ….और मेरी बेटी …. उसकी नजरें भी भटकने लगी थी …. मैंने उसे रंगे हाथो पकड़ लिया था …. तब से मैंने उसे अपना राजदार बना लिया और अब हम सही लड़का देख कर दोनों ही अपनी प्यास शान्त करती हैं ….”
मुझे उसकी बातों से कोई सरोकार नहीं था …. मुझे तो एक बदले दो दो चूत बिना मांगे ही मिल रही थी।
वो कहती जा रही थी ….”विजय से मैं परेशान रहती हूँ ! वो जाने क्या करता है? जाने कहां से नशे की चीज़े लाता है और बेचता है …. हमारे मना करने पर वो हम दोनों को पीटता है ….।”
सरोज की सारी बातें मैं ध्यान में रख रहा था पर उसे यही दर्शा रहा था कि मैं सेक्स में ही रुचि ले रहा हूँ।
“बस सरोज अब चुप हो जाओ, मैं अब से तुम्हारे साथ हूँ …. मजे लो अब ….मेरा देखो न कितना बुरा हाल है ….” मैंने उसकी चूत पर अपना तन्नाया हुआ लण्ड का दबाव देते हुए कहा। उसका शरीर वासना से कसक रहा था। उसकी तड़प मुझे महसूस हो रही थी। मैंने उसके बोबे दाबते हुए नीचे जोर लगाया …. लण्ड चूत में उतरता चला गया। उसकी कसी हुई चूत मेरे लण्ड के चारों ओर मीठा सा घर्षण दे रही थी। उसने अपनी चूत को और ऊपर की ओर उभार ली। मेरा लण्ड अभी भी थोड़ा बाहर था। उसके मुख से सिसकारी निकलती जा रही थी। मुझे लगा कि मेरा लण्ड उसकी चूत की पूरी गहराई में घुस चुका था। पर लण्ड अभी भी बाहर था।
“अब धीरे से बाहर निकाल कर अन्दर और दबाओ ….” उसने सिसकते हुए कहा।
मैंने अपना लण्ड थोड़ा सा बाहर निकाला और अन्दर और दबा दिया। उसे हल्का स दर्द हुआ …. फिर भी बोली,”ऐसा और करो ….”
“पर आपको दर्द हो रहा है ना ….?”
इसी दर्द में तो मजा है ….पूरा घुसेगा तो ही शान्ति मिलेगी ना ….!” उसने दर्द झेलते हुए कहा।
मैंने फिर से लण्ड दबाया …. पर इस बार झटके से पूरा डाल दिया। उसके मुख से हल्की सी चीख निकल गई।
“हाय रे ….! मर गई ….! ये हुई ना मर्दो वाली बात …. ! बस अब थोड़ा रुको ….!” वो अपने स्टाईल में बताते हुए चुदवाने लगी।
उसने कहा,”अब मेरी चूतड़ के नीचे तकिया रख दो …. फिर बस एक धक्का और ….”
“देखो बहुत दर्द होगा ….”
“आज होने दो ….बिना दर्द के मजा नहीं आता है ….”
मैंने उसकी गाण्ड के नीचे तकिया घुसा दिया , उसकी चूत ऊपर की ओर उठ गई और मैंने इस बार पूरा जोर लगा कर लण्ड को चूत में गड़ा दिया। दर्द से उसने दांत भींच लिये और मैंने अब उसके बोबे थामें और मसलते हुए धीरे धीरे पर गहराई तक चोदने लगा। वो पसीने में नहा चुकी थी। उसका सारा बदन उत्तेजना से कांप रहा था। मैं भी अपना आपा खोता जा रहा था। उसकी टाईट चूत मेरे लण्ड को लपेट कर सहला रही थी।
उसने कहा,”राजा …. तेजी से चोदो ना ….आज मुझे मस्त कर दो ….”
मेरे धक्के तेज होते गये। उसकी सिसकारियाँ बढ़ती गई। वो अपने पूरे जोश से अपने चूतड़ हिला हिला कर चुदवा रही थी। अचानक मुझे लगा कि उसका कसाव मेरे पर बढ़ गया है …. और वो झड़ने लगी।
मैंने उस ओर ध्यान नहीं दिया ….और चुदाई जारी रखी। झड़ कर भी वो उसी जोश में चुदवाती रही …. मैंने उसे चूम चूम कर उसका चेहरा अपने थूक से गीला कर दिया था। वो भी बराबरी से मुझे चाट रही थी। अचानक उसने मुझे इशारा किया और वो मेरे ऊपर आ गई। आसन बदल लिया। वो मेरे पर झुक गई और लण्ड चूत में घुसा कर जबरदस्त धक्के मारने लगी। उसके बोबे जोर जोर से उछल रहे थे। मैंने दोनों बोबे को कस के मसलना शुरू कर दिया। उसके धक्के इतने जबर्दस्त थे कि उसे भी शायद तकलीफ़ हो रही होगी। लगता था जन्म-जन्म की प्यास बुझाना चाहती थी।
कुछ ही देर में मैं भी चरमसीमा पर पहुंच गया और और चूत के अन्दर ही लण्ड ने अपनी पिचकारी छोड़ दी। वो कब झड़ गई मुझे पता नहीं चला। पर हाफ़ते हुए मेरे पर लेट गई। उसका जिस्म पसीने में तर था। हम दोनों एक दूसरे से लिपटे हुए कुछ देर पड़े रहे। फिर मैं धीरे से उठा।
“सरोज तुम तो चुदाई में मस्त हो …. मेरा सारा माल निकाल दिया ….” सरोज फिर से शरमा गई।
“मैं तो दो बार झड़ गई …. हाय राम …. मेरा पेटीकोट तो दे दो ….” उसने झट से कपड़े पहन लिये।
मैंने भी कपड़े पहने और पूछा,”बाथरूम किधर है ….” उसने उंगली से इशारा कर दिया। मैं बाथरूम में गया और अपना मुख धो लिया ….तभी मेरी नजर हैंगर पर टंगे जैकेट पर पड़ी। वो विजय का था। मैंने तुरन्त उसकी तलाशी ली। उसमें कोई शायद नशे की कोई चीज़ थी। उसमें एक पिस्तौल भी था। सारी चीज़े यथावत रख कर मैं बाहर आ गया।
“अच्छा अब मैं चलता हूँ ….” उसने मुस्करा कर हामी भर दी ….
मैं जैसे ही बाहर निकला, मेरा मन एकदम धक से रह गया, दिव्या एक कुर्सी पर बैठी कोई मेग्ज़ीन देख रही थी।
“त् ….त् …. तुम ….कॉलेज नहीं गई ….?”
“और यहां की चौकीदारी कौन करता ….??? …. कल आओगे ना ….” उसने एक सेक्सी नजर डालते हुए कहा।
“कल ….तुम्हारी बारी है …. तैयार रहना ….!” मै धीरे से झुक कर बोला…
उसकी मुस्कान और झुकी झुकी नजरें उसकी स्वीकृति दर्शा रही थी ….।
समय देखा साढ़े दस बज रहे थे …. मैंने अपनी मोटर साईकल उठाई और सीधे पुलिस स्टेशन पहुंचा। अंकल मेरा ही इन्तज़ार कर रहे थे।
मैंने उन्हें एक एक करके सब बताना शुरु कर दिया,”अंकल, विजय के अलावा, हैप्पी, सुरजीत और मोन्टी है, चारों एक ही गांव के है …. हेप्पी टूसीटर चलाता है और नशे की चीजें बेचता है। मोन्टी किसी एजेन्ट से ये नशीली चीज़े लाता है। सुरजीत अवैध दारू के पाऊच लाता है और पानवाले के पास रखता है। विजय के पास भी घर पर ये नशे की चीज़े हैं और एक पिस्तौल भी है। और …. ….”सारी रिपोर्ट बताता रहा और रिपोर्ट देने के बाद मैंने उनसे एक दिन का समय और मांगा।
अंकल ने सारी बाते समझ ली थी। अंकल शहर के एस पी थे ….उन्हें शक तो पहले ही था पर नेहा के कहने पर उन्होंने कार्यवाही का वचन दिया था। उन्होंने जरूरी बातें अपनी डायरी में नोट कर ली।
मैं यहाँ से सीधा कामिनी से मिलने नेहा के घर चला आया था …. आज वो बहुत बेहतर लग रही थी …. चल फिर रही थी …. उसमें ताकत आ गई थी।
मैंने जब अपनी बात उसे बताई तो वह सन्तुष्ट नजर आई, पर खुद को रोने से नहीं रोक पाई। अंतत: वो फ़फ़क के फिर रो से पड़ी।
टूटा हुआ मन, आहत भावनाएं ! Hindi Porn Stories
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