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एक दिन ई-मेल देखते Sex Stories समय मैंने देखा कि किसी प्रिया नाम की लड़की का मेल आया है। मैंने वह मेल खोला और पढ़ने लगा। वह मेल किसी प्रिया नाम की लड़की का था और वह मुम्बई में रहती थी। उसने लिखा था- मैंने आपकी कहानी पढ़ी और मुझे बहुत अच्छी लगी, आप बस ऐसे ही कहानियाँ लिखते रहो और कृपया मुझे मेरी ई-मेल पर भेजो। मुझे ऐसी कहानियाँ बहुत पसन्द हैं।
मैंने उत्तर में उससे पूछा- आप कहाँ की रहनेवाली हैं, और आप की उम्र कितनी है?
तो दूसरे ही दिन उसका प्रत्युत्तर आया “मैं भी मुम्बई में रहती हूँ और मेरी उम्र २२ साल है।
फिर मैंने उससे पूछा- कभी किसी के साथ सेक्स किया है?
तो उसने उत्तर दिया- नहीं।
मैंने पूछा- क्यों? कभी मन नहीं करता सेक्स करने का?
उसने कहा- मन तो बहुत करता है पर मुझे डर लगता है, कहीं सेक्स करने के बाद घर पर पता ना चल जाए।
मैंने उसे प्रस्ताव दिया- इस मामले में मैं तुम्हारी सहायता कर सकता हूँ, अगर तुम मान जाओ तो।
उसने पूछा- कैसे?
तो मैंने बताया- मैं तुम्हारे साथ सेक्स करने को तैयार हूँ और मैं किसी को कुछ भी नहीं बताऊँगा, ये मेरा वादा है।
उसने कहा- लेकिन यह कैसे सम्भव होगा? तुम मुझे कहाँ मिलोगे और हम लोगों को ऐसी जगह कहाँ मिलेगी जहाँ हम दोनों के सिवा तीसरा कोई ना हो।
मैंने लिखा- हम लोग किसी रिसॉर्ट में जाएँगे, वहाँ एक कमरा लेंगे और पूरा दिन मज़ा करेंगे।
उसने लिखा- नहीं मुझे डर लगता है, कहीं उल्टा-सीधा हो गया तो! सेक्स के बाद अगर मुझे गर्भ रह गया तो?
मैंने लिखा- ऐसा कुछ भी नहीं होगा, मैं कॉण्डोम चढ़ा लूँगा अपने लण्ड पर, फिर तो कुछ भी गड़बड़ नहीं होगी। तुम मुझे शुक्रवार को विरार स्टेशन पर मिलो, सुबह 9 बजे।
उसने कहा- ठीक है।
और वह शुक्रवार को मुझसे चुदवाने के लिए तैयार हो गई। मैंने अभी तक उसको देखा भी नहीं था, ना ही उसका आवाज़ ही सुनने का मौक़ा मिला था। मैं बहुत ही रोमांचित था कि मुझे शुक्रवार को एक अनछुई चूत मिलने वाली है, जिसकी सील मुझे तोड़ने को मिलेगी।
वह दिन भी आ गया। मैं पौने नौ बजे ही वहाँ पहुँच गया और मेडिकल से कोहिनूर कॉण्डोम ख़रीद लिए। मैं उसका इन्तज़ार करने लगा। उसने बताया था कि वह गुलाबी रंग की सलवार-कमीज़ पहनकर आएगी और मैंने भी उसे बता दिया था कि मैं काली टी-शर्ट और नीली जीन्स-पैन्ट में रहूँगा। इससे हम एक-दूसरे को पहचान सकते थे।
क़रीब बीस मिनट के बाद एक लड़की मेरे सामने आई और पूछा- अमित?
मैंने कहा- तुम प्रिया हो?
उसने हाँ कहते हुए अपनी गर्दन नीची कर दी।
वह बेहद ख़ूबसूरत थी। क़द 5’4″ और फ़िगर 34-26-34. दिखने में एकदम सेक्सी थी। उसने गुलाबी रंग की सलवार-कमीज़ पहन रखी थी। कमीज़ के ऊपर से उसके वो दो उभार साफ दिखाई दे रहे थे, वे पूरे मौसम्मी के आकार के थे। उसकी चूचियों के आकार देखकर ही मेरा लंड खड़ा हो गया।
मैं उसे लेकर एक रिसॉर्ट में गया और वहाँ एक कमरा लेकर हम उसमें चले गए। कमरे में जाते ही देखा कि वहाँ एक बिस्तर था और शौचालय व स्नानघर भी था। मैंने दरवाज़ा बन्द करके कुण्डी लगा दी। वह बिस्तर पर बैठी थी। मैं बाथरूम जाकर थोड़ा तरोताज़ा होकर आ गया, फिर उसे भी फ्रेश हो जाने को कहा। वह उठकर बाथरूम चली गई।
थोड़ी देर बाद वह जैसे ही बाथरूम से बाहर आई, मैंने उसे अपनी बाँहों में भर लिया और उसे धीरे-धीरे चूमने लगा। वह शरमाकर ख़ुद को छुड़ाने की नकली कोशिश करने लगी।
मैंने पूछा- क्या हुआ?
उसने कहा- मुझे शरम आती है।
मैंने कहा- हम लोग यहाँ मौज़ करने ही आए हैं और अगर तू ऐसे ही शरमाएगी तो ना तू मज़ा ले पाएगी और ना ही मुझे मज़ा आएगा। सो प्लीज़ डोन्ट अपोज़ मी।
और मैंने उसकी गर्दन और होठों पर चूमना शुरु कर दिया। बीच-बीच में मैं उसके कान को भी चूमता।
इन सब से वो भी उत्तेजित हो गई और मुझे उत्तर भी देने लगी। मैंने अपना एक हाथ आगे की ओर लाकर उसकी एक चूची पर रख दिया और उंगलियों को ऊपर से ही धीरे-धीरे गोल-गोल घुमाकर सहलाने लगा। वह रह-रहकर सिहर उठती थी, उसने मुझसे कहा- प्लीज़ ऐसा मत करो, और ज़ोर से दबाओ।
मैं फिर उसकी चूचियों को धीरे-धीरे दबाने लगा। थोड़ी देर के बाद मैंने अपना एक हाथ नीचे ले जाते हुए उसकी चूत पर रख दिया। जैसे ही मेरा हाथ उसकी चूत पर गया वह वहाँ से मेरा हाथ हटाने की कोशिश करने लगी।
मैंने उससे कहा- प्लीज़!
और वह मान गई और दोनों हाथों से उसने मुझे जकड़ लिया। मैं कमीज़ के ऊपर से ही उसकी चूत सहलाने लगा। फिर थोड़ी देर बाद मैंने कमीज़ के अन्दर हाथ डाला और उसकी चूत सहलाने लगा। उसके मुँह से आवाज़ें निकलने लगीं- आहहहह … उउफ्फ … ज़ोर से …
फिर मैंने अपना वही हाथ ऊपर ले जाकर कमीज़ के नीचे से उसकी चूचियाँ दबाने लगा। उसने अन्दर ब्रा पहन रथी थी। मैंने ब्रा के ऊपर से ही उसकी चूचियाँ एक-एक कर दबानी शुरु कर दी। थोड़ी देर बाद मैंने दूसरे हाथ से उसकी कमीज़ की चेन खोल दी और उसकी कमीज़ ऊपर करके निकाल दी। अब वह मेरे सामने सफ़ेद ब्रा में थी। मैंने ब्रा के ऊपर से उसकी चूचियाँ दबाने लगा और फिर दोनों हाथों को पीछे ले जाकर उसकी ब्रा का हुक खोल दिया और ब्रा अलग कर दी।
वाह! क्या दूध थे उसके। पूरे गोल-गोल। ना ही अधिक छोटे ना ही बहुत बड़े, बिल्कुल उपयुक्त आकार के। चूचियों के ऊपर दो गुलाबी रंग के दाने थे। क्या ख़ूबसूरत नज़ारा था, मैंने मेरी ज़िन्दगी में पहली बार इतनी अच्छी चूचियाँ देखीं थीं। ऐसी चूचियाँ तो शायद ही किसी की होंगी। मैं तो पागल ही हो गया था, मैं उसकी दोनों मौसम्मियाँ हाथ में लेकर दबाने लगा, क्या कसाव थे उसमें। थोड़े नरम और थोड़े कसे हुए। मैं तो बस उसे दबाता ही रह गया। ऐसा लग रहा था इन्हें छोड़ कहीं न जाऊँ।
10-15 मिनट के बाद मैं एक हाथ नीचे ले जाकर उसकी चूत सहलाने लगा। और फिर धीरे से जैसे ही उसके सलवार का नाड़ा खींचा, सलवार नीचे गिर गई। तभी मैंने उसे अपने गोद में उठा लिया और बिस्तर पर लिटा दिया। उसकी सलवार को पैरों से आज़ाद कर दिया। उसने पीली रंग की पैन्टी पहन रखी थी। वह शरमा कर दूसरी ओर देख रही थी। मैंने अपनी शर्ट उतारी, बनियान निकाली और पैन्ट भी उतार दी। अब मैं उसके सामने सिर्फ अण्डरवियर में था, और वह भी मेरे सामने सिर्फ छोटी सी चड्डी में थी।
मेरा लंड तो एकदम खड़ा हुआ था. मैं बिस्तर पर उसके ऊपर लेट गया और उसकी चूचियाँ दबाने लगा। मैंने उसे कहा- मेरा लंड चखोगी?
तो उसने इन्कार कर दिया और कहा- मुझे मुँह में लेना अच्छा नहीं लगता।
मैंने कहा- तुम्हारी मर्ज़ी।
फिर मैं एक हाथ नीचे ले जाकर उसकी चूत सहलाने लगा। उसकी चड्डी गीली हो गई थी। मैंने हाथ पिर उसकी चड्डी में डाल दिया, वह सिहर उठी। मेरे हाथ को उसकी झाँट के बाल लग गए।
मैंने उससे पूछा- कभी उसे साफ नहीं करती।
उसने गर्दन हिलाकर ना कहा।
मैंने एक उंगली उसकी चूत के छेद पर फिरानी शुरु कर दी। वह उफफ ओओओओ… आँआँआँआँ … आआआहहह… श्शसस्सीस्स आआहहह करती रही। मैं फिर वही उंगली उसकी चूत में घुसाने लगा। वह फिर से चिल्लाने लगी, मेरी पूरी उंगली उसकी चूत में चली गई, उसकी चूत काफ़ी सँकरी थी। मैं अपनी उंगली अन्दर ही गोल-गोल घुमाने लगा। वह सिर्फ आआहहह … उउफ्फ्फ ज़ोररर से कर रही थी।
थोड़ी देर के बाद मैंने अपना हाथ उसकी चड्डी से निकाला और उठकर बैठ गया और उसकी चड्डी उतारने लगा, वह शरमा रही थी। मैंने उसकसी चड्डी उसके पैरों से अलग कर दी और उसकी चूत देखने लगा। तबी उसने अपने दोनों पैर एक-दूसरे पर रख दिए और चूत छुपाने की कोशिश करने लगी। मैंने उसके दोनों पैर अलग करके उसे फैला दिए।
अब मुझे उसकी चूत दिखने लगी। क्यी चूत थी वो!!! एकदम कोरी चूत। चूत पूरी तरह से सील पैक थी। मैंने फिर अपनी एक उंगली उसकी चूत में घुसा दी, और उंगली अन्दर-बाहर करने लगा. वह एकदम पागल हुई जा रही थी और मेरा हाथ पकड़ कर ज़ोर-ज़ोर से उंगली अन्दर-बाहर करने लगी। थोड़ी देर में उसकी चूत ने पानी छोड़ दिया और मेरा हाथ गीला कर दिया। मैंने सोच लिया, यही सही समय है इसे चोदने का, क्योंकि उसकी चूत पूरी तरह से गीली और चिकनी हो चुकी थी।
मैंने अपना अण्डरवियर उतारी और पैन्ट की पॉकेट में से कॉण्डोम का पैक निकाला। मैंने उससे कहा- यह कॉण्डोम है। कभी देखी है?” उसने गर्दन हिलाकर ना कहा। अब मैंने उसमें से एक कॉण्डोम बाहर निकाली और उससे कहा- देख लो, उसे लंड पर कैसे चढ़ाते हैं, अगली बार तुझे ही ऐसा वाला दूसरा कॉण्डोम मेरे लण्ड पर चढ़ाना होगा। वह गौर से देखने लगी। मैंने कॉण्डोम अपने लण्ड पर चढ़ा लिया। मैंने कल ही अपनी झाँट के बाल साफ किए थे। फिर मैंने उसकी दोनों टाँगें घुटनों से मोड़ दी, और जितनी सम्भव थी फैला दीं। अब उसकी चूत खुल चुकी थी। मैं उसकी दोनों टाँगों के बीच घुस उसके ऊपर सो गया। मैंने अपना लण्ड एक हाथ से उसकी चूत पर रख दिया और उसकी चूत पर रगड़ने लगा। वह बुरी तरह से पागल हो रही थी, मुझसे कहने लगी- प्लीज़, जल्दी डाल दो वरना मैं मर जाऊँगी। प्लीज़ जल्दी करो। फाड़ दो मेरी चूत को इस लंड से प्लीज़।
मैंने एक ज़ोर से धक्का मारा। वह तड़प उठी और चिल्लाने लगी, उईईमाँआआ… मररर गईईई आआआहह मेरीईईई चूउउतत फफ्फ्फट गईईईईई… निइइकाआआलो इसे, आह। फिर थोड़ी देर तक मैंने अपना लंड ऐसे ही रखकर एक और ज़ोर से धक्का मारा, उसकी सील टूट गई और वह रोने लगी। वह चिल्ला उठी आआहहहह प्लीज़ निकाल लो इसे, मैं मगर जाऊँगी… प्लीज़। मैंने कहा, कुच नहीं होगा, ऐसे ही पड़ी रहो, दर्द कम हो जाएगा। हम दोनों कुछ देर तक ऐसे ही पड़े रहे। उस वक्त मैं उसकी चूचियाँ दबा रहा था। ५-१० मिनटों के बाद मैंने अपना लंड उसकी चूत में अन्दर-बाहर करने लगा। उसे भी अब मज़ा आ रहा था। थोड़ी ही देर में वह मुझसे लिपट गई और उसने अपनी चूत से ढेर सारा पानी छोड़ दिया।
लेकिन मेरा लण्ड अभी भी जोश में था। क़रीब १५-२० मिनटों के बाद मैंने भी कॉण्डोम में ही पानी छोड़ दिया और फिर उसकी ऊपर ही उसकी चूत में लण्ड डाले हुए ही सो गया। १० मिनटों के बाद मैंने उसकी चूत से अपना लण्ड निकाला और उसके ऊपर से उठ गया। देखा कि उसकी चूत से थोड़ा-बहुत खून निकल रहा था। खून और उसकी चूत के पानी से उसकी चूत पूरी तरह से गीली हो चुकी थी। मैंने अपने लण्ड से कॉण्डोम उतारा और उसे अपनी बाँहों में उठाकर टॉयलेट ले गया। वहाँ उसे बैठाकर ठण्डे पानी से उसकी चूत साफ करने लगा। उसकी चूत में उंगली डाल कर साफ करने की वज़ह से मेरा लण्ड फिर से खड़ा हो गया।
मैंने उसकी चूत साफ करके फिर से उसे अपनी बाँहों में उसे उठाया और बिस्तर पर लाकर रख दिया। अब मेरा लण्ड मेरे मनसपन्द शॉट मारने के लिए बेक़रार था। पैन्ट से मैंने एक कॉण्डोम निकाला और उसके हाथ में दे दिया और कहा- चढ़ा दो उसे मेरे लण्ड पर।
उसने उसमें से कॉण्डोम बाहर निकालकर मेरे लण्ड पर रखा और उसे चढ़ा दिया।
मैंने उसकी दोनों टाँगें अपने कंधों पर रखीं, नीचे से मैंने मेरा लण्ड उसकी चूत में पूरी तरह से घुसा दिया और उसकी बाँहों में से अपने हाथ डालकर उसे ऊपर उठाया। अब मैं खड़ा था, और उसकी दोनों टाँगें मेरे कंधे पर थी, और मेरे दोनों हाथ उसकी पीठ के पीछे थे। वह पूरी तरह से मुड़ी हुई थी, और मेरा लंड उसकी चूत में था। मैंने अपनी पीठ थोड़े से सहारे के लिए दीवार पर छुआ रखी थी, और फिर कमर आगे-पीछे करने लगा। इस मुद्रा में मेरा पूरा का पूरा लण्ड उसकी चूत में चला जा रहा था। जब मैं पूजा को इस तरह से चोदता था तो मुझे दीवार के सहारे की ज़रूरत नहीं पड़ती थी, क्योंकि उसका व़जन बहुत ही कम था। लेकिन प्रिया 22 साल की थी और उससे काफी बड़ी और भारी थी।
मेरा लण्ड उसकी चूत में अन्दर-बाहर हो रहा था मैंने उससे पूछा- मज़ा आ रहा है ना?
उसने हाँ कहा- ऐसे ही चोदते रहो मेरा राजा। मैं तुम्हारी दीवानी हो गई हूँ। शादी के बाद भी मैं तुम्हीं से चुदवाऊँगी। और ज़ोर से चोदो, फाड़ डालो मेरी चूत को… और कस के आआहहहह आआआहहहह।
8-10 मिनटों के बाद मैंने उसे बिस्तर पर रख दिया और कुतिया की तरह झुकने को कहा। उसने अपने दोनों हाथ ज़मीन पर रख गिए और घुटनों के बल कुतिया बन गई। मैंने उसके पैर थोडे फैलाए और पीछे से मेरा लण्ड उसकी चूत में डाल दिया और उसे कुत्ते की तरह चोदने लगा। 15 मिनट बाद मैंने पानी छोड़ दिया। इस दौरान वह दो बार झड़ चुकी थी। मैंने अपने लण्ड से कॉण्डोम उतारा।
दोपहर के साढ़े बारह बज गए थे। मैंने उससे कहा, कपड़े पहन लो, खाना खाने चलते हैं।
वह उठकर बाथरूम चली गई, मैं भी उसके पीछ-पीछे बाथरूम में चला गया।
वह कहने लगी- तुम बाहर जाओ, मुझे पेशाब करनी है।
मैंने कहा- इसमें इतनी शरमाने वाली क्या बात है?
और मैं उसके सामने ही पेशाब करने लगा. वह गौर से देखने लगी।
जैसे ही मेरा पेशाब करना खत्म हुआ, वह नीचे बैठ गई और पेशाब करने लगी। बड़ी ज़ोर से धार मारी थी उसने। फिर वह खड़ी होकर पानी से पैर और चूत पर गिरा हुआ पानी साफ करने लगी।
हम दोनों बाथरूम से बाहर आ गए। मैंने अपने कपड़े पहन लिए। उसने पहले अपनी चड्डी पहनी, फिर ब्रा। मैंने उसकी ब्रा के हुक लगा दिए। फिर उसने अपनी सलवार पैरों में चढ़ाई और अन्त में कमीज़ पहन ली।
मैंने उससे कहा- प्रिया मैं अपनी यह कहानी अन्तर्वासना पर लिखना चाहता हूँ, लेकिन अगर तुम्हारी इजाज़त हो तो, वर्ना नहीं।
“इसमें पूछने वाली क्या बात है! तुम कहानी लिख सकते हो, लेकिन मेरा नाम बदल देना।” उसने हामी भर दी।
“ठीक है।” मैंने उसे धन्यवाद कहा और हम खाना खाने के लिए चले गए।
खाना खाने के बाद क्या हुआ यह अगले भाग में।
आपको मेरी कहानी कैसी लगी, मुझे बताएँ। Sex Stories
वाइफ चेंज सेक्स कहानी में पढ़ें कि शादी की दूसरी सालगिरह पर मेरी बीवी का मन हुआ कि उसे एक और लंड चाहिए. उसने मुझे कहा तो मैंने वाइफ स्वैप का खेल करने को कहा.
मेरा नाम रोहित है दोस्तो!
मैं 30 साल का एक हट्टा कट्टा नौजवान हूँ.
मेरा कद 5′ 10″ है, रंग एकदम गोरा है और बदन कसरती है।
मेरी शादी अभी 2 साल पहले ही हुई है। मेरी बीवी का नाम रश्मिका है।
रश्मिका 28 साल की बेहद खूबसूरत, सेक्सी और हॉट लड़की है।
उसके मम्मे बड़े बड़े हैं, उसकी बाहें बहुत ही सुन्दर और आकर्षक हैं।
वह हमेशा स्लीवलेस डीप नेक के कपड़े पहनती है जिससे उसके बड़े बड़े मम्मों के साइज का पता चलता है।
उसके चूतड़ थोड़ा उभरे हुए हैं और गांड बड़ी मस्त है।
मेरी बीवी पढ़ी लिखी है, बोल्ड है, और खुश मिज़ाज़ है।
उसे सेक्स बहुत ही ज्यादा पसंद है। उसे लण्ड पकड़ने, चाटने और चूसने का बड़ा शौक है.
उससे ज्यादा चुदवाने का शौक है.
वह रोज़ रात को नंगी होकर मेरे लण्ड से खेलती है और मैं भी उसके नंगे जिस्म से खेलता हूँ।
एक रात को जब मेरी बीवी मेरे लंड से खेल रही थी तो उसके मुंह से निकला- भगवान् ने अगर दो लण्ड बनाये होते तो कितना अच्छा होता! मैं तो एक लण्ड से खेलते खेलते बोर होने लगी हूँ।
मैंने कहा- हां यार, तुम सच कह रही हो। अगर तुम्हारे साथ एक और चूत होती तो अदल बदल कर चोदने में कितना मज़ा आता!
वह कुछ देर तक सोचती रही, फिर बोली- अगर तुमको एक और चूत चाहिए तो फिर वाइफ स्वैपिंग करना क्यों नहीं शुरू कर देते? तुमको दूसरी चूत मिल जाएगी और मुझे दूसरा लण्ड!
यहाँ से शरू होती है हमारी वाइफ चेंज सेक्स कहानी!
मैंने कहा- आईडिया तो तेरा बड़ा अच्छा है. पर वाइफ स्वैपिंग के लिए वाइफ का राज़ी होना बहुत जरूरी है। क्या तुम किसी और से चुदवाने के लिए राज़ी हो? साथ ही साथ मुझे किसी और की बीवी चोदने दोगी?
वह बोली- हां हां … क्यों नहीं चोदने दूँगी? बड़े शौक से चोदने दूंगी। जब तुम अपनी बीवी को किसी और से चुदवाने दोगे तो मैं भी तुम्हें किसी और की बीवी चोदने दूँगी।
मैंने कहा- ठीक है. तुम भी कोई ऐसा कपल ढूंढो जो हमारे साथ चोदा चोदी कर सके। मैं उसकी बीवी चोदूँ, वह मेरी बीवी चोदे!
बात पक्की हो गयी।
उस रात मुझे अपनी बीवी चोदने में ज्यादा मज़ा आया।
उसके बाद हम दोनों काम पर लग गए।
अगले दिन हम शॉपिंग हॉल में घूम रहे थे।
मैं थोड़ा दूर था रश्मिका से … इतने में मैंने देखा कि सामने से एक बड़ी खूबसूरत सेक्सी औरत मेरी बीवी की तरफ मुस्कराती हुई आई और आते ही मेरी बीवी से बोली- अरे यार रश्मिका, तू यहाँ कैसे?
वह भी उसे देख कर दंग रह गयी और कहा- अरे यार प्रेमा, तू यहाँ क्या कर रही है?
वे दोनों थोड़ा दूर कोने में चली गई तो रश्मिका ने उसके कान में कहा- यहाँ क्या गांड मरा रही है तू अपनी?
प्रेमा बोली- तू क्या अपनी माँ चुदा रही है यहाँ?
दोनों हंसने लगी।
फिर प्रेमा बोली- मैं तो यही रहती हूँ अपने हसबैंड के साथ।
रश्मिका ने पूछा- तो फिर कहाँ है तेरा हसबैंड?
प्रेमा ने बताया- वो तो आया नहीं है, घर पर है।
मेरी बीवी ने फिर मुझे बुलाया और उसे मुझसे मिलवाया।
मैंने उसे बड़े प्यार से नमस्ते की।
यह सच है दोस्तो … कि प्रेमा मुझे एक नज़र में भा गयी।
वह बोली- अच्छा अब आप लोग मेरे घर चलो।
पहले तो हमने थोड़ा न नुकुर किया फिर हम दोनों उसके घर पहुँच गए।
रश्मिका ने बताया कि प्रेमा मेरी कॉलेज की दोस्त है।
हम दोनों उसके पति पवन से मिले परिचय हुआ और खूब ढेर सारी बातें हुईं।
मेरी बीवी ने अंदर जाकर प्रेमा से खुल कर वाइफ स्वैपिंग के लिए बात की.
उसने मौके का फायदा उठाया।
प्रेमा खुश होकर बोली- अरे यार, मेरा पति तो जाने कबसे वाइफ स्वैपिंग के लिए तैयार है। तुम किसी दिन प्रोग्राम बना लो, हम दोनों आयेंगे।
हमारा हौंसला बढ़ गया और अगले दिन हम दोनों शाम को अपने दोस्त आरव के घर पहुँच गए।
उसने हमारा स्वागत किया।
हम लोग एक दूसरे से अच्छी तरह मिले।
आरव की बीवी सपना बहुत ही सुन्दर सभ्य और हॉट बीवी है। मैं जब जब उसे देखता हूँ तो मेरे मन में कुछ कुछ होने लगता है।
अब आपसे क्या छिपाना दोस्तो, सच्चाई यह है कि मैं जब अपनी बीवी चोदता हूँ तो मन में सोचता हूँ कि मैं आरव की बीवी चोद रहा हूँ।
मैं आरव से बातें करने लगा और मेरी बीवी रश्मिका सपना भाभी से।
हम दोनों बाहर कमरे में थे और वो दोनों अंदर किचन में।
कुछ देर बाद जब दोनों बीवियां कमरे में वापस आईं तो मेरी बीवी ने इशारा किया कि काम हो गया।
मैंने मन में कहा कि सपना भाभी मान गयी है तो आरव भी मान ही जाएगा; अपनी बीवी से विपरीत वह नहीं जा सकता।
अब वह दिन दूर नहीं जब मैं आरव की बीवी चोदूंगा।
हम दोनों ने खूब जम कर नाश्ता किया और खूब मस्त मस्त बातें कीं।
रात को सपना भाभी का फोन मेरी बीवी के पास आ गया।
वह बोली- मेरा हसबैंड वाइफ स्वैपिंग के लिए तैयार हो गया है। अब आप तारीख़ बताइये कि हमें किस दिन आना है।
मेरी ख़ुशी का ठिकाना न रहा।
रश्मिका भी ख़ुशी के मारे नाचने लगी।
अगले ही दिन मेरी शादी की सालगिरह थी।
मैंने दोनों कपल को रात भर के लिए डिनर और वाइफ स्वैपिंग की पार्टी के लिए आमंत्रित कर लिया।
अगले दिन की छुट्टी ले ली मैंने और सारा इंतज़ाम कर लिया।
शाम को 8 बजे दोनों कपल आ गए।
हमने उनका तहे दिल से स्वागत किया और उन्होंने हमको शादी की साल गिरह पर बधाई दी.
पवन प्रेमा और आरव सपना दोनों कपल भी एक एक दूसरे से मिलकर बहुत खुश हुए।
दोनों ही स्मार्ट और हैंडसम थे इसलिए ख़ुशी सबके चेहरे पर साफ़ झलक रही थी।
मेरी बीवी ने सपना और प्रेमा को अंदर बुलाकर सारी बात खुल कर बता दी और कहा- आज रात भर हम तीनों बीवियां एक ही बिस्तर पर एक दूसरे के पति से चुदवाएंगी।
सपना बोली- अरे यार, हम लोग एक बार एक कपल के साथ ऐसा कर चुके हैं। एक ही बेड पर मैंने उसके पति से चुदवाया और उसने मेरे पति से चुदवाया। इसलिए मुझे तो कोई शर्म नहीं।
प्रेमा बोली- तो मुझे भी शर्म नहीं है. मैं तो भकाभक चुदवाऊंगी तुम दोनों के पतियों से.
फिर तीनों बीवियां बाहर कमरे में आ गयीं।
हमने ड्रिंक्स शुरू कर दी।
पराई बीवियों के साथ शराब पीने का यह मेरा पहला मौक़ा था।
मैं तो इसका पूरा फायदा उठाने लगा।
मुझे मज़ा आने लगा।
फिर बातें होने लगीं तो धीरे धीरे और गहरी खुल कर बातें होने लगीं; सेक्स की बातें होने लगीं।
मैंने देखा कि शराब पीने में और बातें बीवियां सबसे आगे हैं।
तो मेरे मुंह से निकला- प्रेमा भाभी, कोई फड़कता हुआ नॉन वेज चुटकुला सुनाओ न प्लीज?
वह बोली- अच्छा तो सुनो!
एक बस में दो औरतें सीट के लिए लड़ रहीं थीं।
आखिरकार पहली बोली- ले राण्ड ये सीट तू अपने भोसड़ा में डाल ले!
दूसरी बोली- तू मादरचोद पूरी बस अपनी गांड में डाल ले!
इतने में कंडक्टर बोला- तो क्या मैं पैसेंजर्स को अपने लण्ड पर बैठा के ले जाऊंगा?
सबने खूब तालियां बजायी और एन्जॉय किया।
फिर सपना भाभी ने भी सुनाया- एक ने पूछा तुम्हारा नाम क्या है?
दूसरा बोला- लाला उमा नाथ दास.
पहले वाला बोला- इसे छोटा करके बताओ।
दूसरा बोला- LUND ( Lala Uma Nath Das )
सबने खूब तालियां बजाईं।
फिर मेरी बीवी का नंबर आया तो उसने कहा- एक बार एक लड़का और एक लड़की बात कर रहे थे।
लड़का बोला- यार तुम लड़कियां तो बहुत अच्छी हो। रात तो मजे से सोती तो हो?
लड़की बोली- सोते तो तुम भी हो मजे से?
लड़का बोला- कहाँ मजे से यार? हमको तो हर करवट पर अपना लण्ड सेट करना पड़ता है।
सबने खूब एन्जॉय किया और तब माहौल एकदम से गर्म हो गया।
उधर दो दो पैग व्हिस्की भी ख़त्म हो गई।
सब लोग नशे में आ गए।
नशे में थोड़ी बेशर्मी, थोड़ी सी शरारत और थोड़ी बदतमीजी करने का बहाना मिल जाता है।
अचानक मैंने प्रेमा भाभी का हाथ पकड़ लिया तो उसने मेरे गाल चूम लिए और बोली- यार रोहित, आज तुम बहुत हैंडसम लग रहे हो!
मैंने उसे अपने गले लगा लिया।
उधर सपना भाभी ने पवन के गले में अपनी बाहें डाल दीं।
वे दोनों एक दूसरे को चूमने लगे।
फिर मेरी बीवी कहाँ पीछे रहने वाली थी, उसने आरव को अपनी तरफ खींचा और उससे चिपक गयी।
आरव उसकी चूँचियाँ दबाने लगा तो मेरी बीवी उसका लण्ड टटोलने लगी।
पवन बड़े प्यार से बोला- रोहित, आज तेरी शादी की साल गिरह है। आज तुम मेरी बीवी के साथ अपनी सुहागरात मनाओ। मैं आरव की बीवी के साथ सुहागरात मनाऊंगा।
तब मैंने कहा- आरव मेरी बीवी रश्मिका के साथ सुहागरात मनाएगा।
सब लोग हंस पड़े।
अब यह तो ज़ाहिर हो गया कि बीवियों की अदला बदली में कौन किसकी बीवी चोदेगा और कौन किसके पति से चुदवायेगी.
मैं पवन की बीवी प्रेमा से लिपट गया।
मुझे पराई बीवी का आलिंगन बड़ा सुख देने लगा।
पवन आरव की बीवी के आलिंगन से खुश हो रहा था और आरव मेरी बीवी को चिपका कर मज़ा करने लगा था।
बीवियां भी पराये मरद से चिपक चिपक कर बड़ा आनंद का अनुभव कर रही थी।
इतने में मैंने प्रेमा भाभी के कपड़े उतार दिए और उसने मेरे कपड़े।
हम दोनों एक दूसरे के आगे एकदम नंगे खड़े हो गए।
मैं प्रेमा भाभी की मस्त मस्त चूचियाँ दबाने लगा तो वह मेरा लण्ड पकड़ कर बड़े मजे से हिलाने लगी।
वह बोली- यार रोहित, बड़ा मोटा तगड़ा है तेरा भोसड़ी का लण्ड!
उसने झुक कर मेरे लण्ड की चुम्मी ली तो मैं गनगना उठा।
मुझे प्रेमा भाभी पर प्यार आ गया, मैं उसके नंगे जिस्म से खेलने लगा।
तब मैंने देखा कि आरव नंगा होकर मेरी बीवी के नंगे जिस्म से खेल रहा है और पवन आरव की बीवी को नंगी करके उसकी चूचियाँ दबा रहा है और चूत सहला रहा है।
आरव की बीवी सपना पवन का लण्ड मस्ती से चाटने लगी और उसके पेल्हड़ भी चूमने लगी।
मेरी बीवी आरव का लण्ड ऐसे चूस रही थी जैसे उसे पहली बार कोई लण्ड मिला है।
तीनों बीवियां पराये मरद का लण्ड पाकर बेहद खुश थीं और तीनों मरद भी पराई बीवी के मम्मे दबा दबा कर, उनकी चूत सहला सहला कर, उनके चूतड़ों पर थप्पड़ मार मार कर, उनके नंगे बदन पर हाथ फिरा फिरा कर मज़ा लूट रहे थे।
मेरी नंगी बीवी बड़े प्यार से आरव का लण्ड चूसने लगी, आरव की नंगी बीवी सपना पवन का लण्ड और पवन की बीवी प्रेमा नंगी नंगी मेरा लण्ड चूसने लगी।
अब आने लगा हम सबको पराई बीवी से लण्ड चुसवाने का मज़ा।
मैं मन ही मन बड़ा खुश हो रहा था।
हम तीनों कपल एक ही बेड पर एकदम नंग धड़ंग बीवियों की अदला बदली का मज़ा लेने लगे।
मेरी बीवी बोली- यार सपना, बड़ा मोटा लण्ड है तेरे पति का! मुझे इसका टोपा चाटने में बड़ा अच्छा लग रहा है।
सपना बोली- मुझे तो प्रेमा के पति का लण्ड बड़ा मज़ा दे रहा है क्या मस्त लौड़ा है इसका मादरचोद … एकदम घोड़े का लण्ड लग रहा है।
प्रेमा ने भी अपने मन की बात कही- यार, मुझे तो रश्मिका के पति का लण्ड पसंद आ गया है। भोसड़ी का जितना मोटा है उतना ही कड़क भी है। ये तो आज मेरी चूत का भोसड़ा बना देगा।
बीवियों की इन मस्त मस्त बातों ने सबके लण्ड में एक नया जोश भर दिया।
उनके मुंह से गन्दी गन्दी बातें सुनकर लण्ड भी साले एकदम घोड़े के लण्ड की तरह खड़े हो कर हिनहिनाने लगे।
बीवियों को पराये मर्दों के लण्ड बहुत ज्यादा ही मज़ा देने लगे।
मेरी बीवी बोली- मन करता है कि मैं हर रोज़ पराये मरद का लण्ड अपने मुंह में लूँ, उसके लण्ड से खेलूं और फिर उसे अपनी चूत में पेलूं।
उत्तेजना सबकी इतनी बढ़ गयी कि अब किसी से रुका नहीं गया।
मैंने तो लण्ड गप्प से पवन की बीवी की चूत में पेल दिया।
लण्ड एक बार में पूरा घुस गया और मैं सटासट चोदने लगा उसकी चूत।
पवन ने भी जोश में आकर अपना लण्ड आरव की बीवी की चूत में पेल दिया।
वह मस्ती से आरव की बीवी चोदने लगा।
आरव ने अपना लम्बा लण्ड मेरी बीवी की चूत में ठोंक दिया और घपाघप चोदने उसकी चूत!
मेरी बीवी रश्मिका उससे बड़े प्यार से चुदवाने लगी।
हम तीनों इस तरह खुल्लम खुल्ला चोदने लगे एक दूसरे की बीवी की चूत।
बीवियां भी बड़ी बेशर्मी से एक दूसरे के पति से अपनी अपनी गांड उठा उठा के चुदवाने लगीं।
जितनी बेताबी हम लोगों को दूसरे की बीवी चोदने की थी, उससे कहीं ज्यादा बेताबी इन बीवियों को दूसरों के पतियों से चुदवाने की थी।
मुझे तो यकीन हो गया कि हर बीवी भोसड़ी वाली किसी न किसी पराये मरद से चुदवाती जरूर है।
मेरी बीवी को शायद बहुत ही ज्यादा अच्छा लग रहा था।
वह बोली- हाय मेरे राजा आरव, मुझे आज खूब अच्छी तरह चोदो, तुम्हारा लौड़ा बड़ा दमदार है। बड़ा मज़ा आ रहा है मुझे। आज मैं सच में अपनी असली सुहागरात मना रही हूँ। हाय रे फाड़ डालो मेरी चूत, चीर डालो मेरी चूत. ऐसा मज़ा तो मुझे पहले कभी नहीं आया।
उधर प्रेमा भी ऐसा ही कुछ कहे जा रही थी- हाय मेरे रोहित राजा, बड़ा जबरदस्त है तेरा लौड़ा। अंदर दूर तक चोट कर रहा है तेरा लण्ड मेरी चूत में। इतना मज़ा तो मुझे अपनी सुहागरात में भी नहीं आया था। आज तो सबके सामने चुदाने का मज़ा ही कुछ और है। और चोदो मुझे, अपनी बीवी की तरह चोदो मुझे, चीथड़े उड़ा दो मेरी चूत के!
फिर सपना भाभी भी कहाँ पीछे रहने वाली थी, वह भी बोली- हाय पवन, तेरा लौड़ा भोसड़ी का बड़ा खूंखार है, बिना रुके गचागच चोदे चला रहा है मेरी चूत! ऐसी चुदाई तो मेरी कभी नहीं हुई बहनचोद। बड़ा अच्छा लग रहा है यार, खूब हचक हचक कर चोदो मेरे प्यारे। मुझे आज अपने मरद के आगे पराये मरद से चुदवाने में कुछ ज्यादा ही मज़ा आ रहा है। मुझे अपने पति को रोहित की बीवी चोदते हुए देख कर बड़ा अच्छा लग रहा है। कोई और भी है जो मेरे पति से चुदवाकर मज़ा लेती है।
उधर आरव बोला- यार रोहित, मुझे अपने बीवी के सामने तेरी बीवी चोदने में जो मज़ा आ रहा है उसे बयान नहीं किया जा सकता। बड़ा मस्त चुदवाती है तेरी बीवी यानि मेरी रश्मिका भाभी।
इस तरह हम सब एक दूसरे की बीवी चोदते हुए अपनी अपनी बीवी चुदवा भी रहे थे।
अपनी बीवी दूसरों से चुदवाना भी एक बड़ा मजेदार खेल है।
यह वाइफ चेंज सेक्स का खेल अमेरिका ऐसे देशों में खूब होता है।
लोग दूसरों की बीवियां कम चोदते हैं, अपनी बीवी दूसरों से ज्यादा चुदवाते हैं और एन्जॉय करते हैं।
इन सब मस्तानी बातों से लण्ड एक एक करके झड़ने लगे और चूत भी सबकी खलास होने लगी।
चुदाई की पहली पारी ख़त्म हुई तो सबने बड़े प्रेम से नंगे ही खाना खाया और आपस में खूब हंसी मजाक भी की।
दूसरी पारी में मैंने आरव की बीवी सपना की चूत में लौड़ा पेला और खूब मस्ती से चोदा।
आरव ने अपना लण्ड पवन की बीवी प्रेमा की चूत में घुसेड़ दिया और खूब तबीयत से चोदा।
पवन ने मेरी बीवी रश्मिका की चूत में लौड़ा ठोक दिया और खूब धकाधक चोदा।
इस तरह रात भर हम बीवियां अदल बदल कर चोदते रहे और हमारी बीवियां भी लण्ड अदल बदल कर चुदवातीं रहीं।
तो दोस्तो, यह थी हमारी शादी की सालगिरह पर बीवियों की अदला बदली की एक सच्ची कहानी।
मेरा नाम राम है. मेरी उम्र अभी 42 साल की है. मैं स्कूल के दिनों से ही चूत चोदने का बड़ा शौकीन रहा हूं. लेकिन कभी मौका नहीं मिला तो मैं हाथों और किताबों से ही काम चला लेता Antarvasnaथा. बहुत बार लड़कियों को पटाने की कोशिश की, लेकिन सफ़ल नहीं हो पाया. सैंयां की जगह भैया बोल के दिल दुखा देती थीं सालीं.
खैर ऊपर वाले के घर देर है, लेकिन अंधेर नहीं है. मेरी जिंदगी में भी उजाले की किरण फूटी. जब मैं बारहवीं कक्षा में था. मैं विज्ञान का छात्र था. हमारी बायोलोजी की टीचर स्कूल में नई आई थी, उसका नाम अनिता था. उस समय वो तेईस साल की थी … बहुत ही सुंदर थी. उसका फिगर 36-26-36 का था, ऊंचाई पांच फुट छह इंच थी. वो बहुत सेक्सी थी, सब टीचर उसके आगे पीछे घूमते थे, लेकिन वो किसी को भाव नहीं देती थी.
क्लास में वो हमेशा मेरे काम से खुश रहती थी और कई बार मेरी तारीफ भी करती थी. लेकिन मेरे दिमाग में एक ही बात आती थी कि कब मुझे ऐसी लड़की चोदने को मिलेगी और एक दिन मौका मिल ही गया.
अक्टूबर का महीना था, शाम को स्कूल के छूटने के बाद बायोलोजी की हमारी एक्स्ट्रा क्लास थी. क्लास खत्म होते होते सात बज गए … अँधेरा हो गया था, सब जाने लगे तो एकदम से तेज हवा आने लगी और बारिश भी चालू हो गई. टीचर अनिता, मैं और चपरासी बारिश रुकने का इंतजार करने लगे.
थोड़ी देर बाद चपरासी ने मुझे कहा- तुम मैडम को घर छोड़ देना, मुझे देर हो रही है इसलिए मैं जा रहा हूं.
मैंने कहा- ठीक है.
बारिश रुकने का नाम ही नहीं ले रही थी. इतने में जोर कड़ाके के साथ बिजली चमकी, तो अनिता मैम डर गई और डर के मारे वो मुझसे लिपट गई. मैंने भी कुछ सोचा नहीं और अनिता को मेरी बाँहों में भर लिया. वो डर से कांप रही थी. थोड़ी देर तो वो ऐसे ही मुझसे लिपटी रही. अनिता की मस्त जवानी मेरी बाँहों में थी. मेरे सारे शरीर में बिजली सी दौड़ गई. मेरा मन और शरीर वासनामय होने लगा. लंड भी खड़ा हो गया था.
अचानक वो शरमा के पीछे हट गई और मुझसे माफ़ी मांगने लगी.
मैंने कहा- कोई बात नहीं.
फ़िर उसने कहा- प्लीज़ मुझे घर छोड़ दो, मुझे बिजली से बड़ा डर लगता है.
मैंने हामी भरी और हम दोनों बारिश में ही घर की ओर निकल लिए. बीस मिनट में हम घर पहुंच गए. फ़िर मैम ने मुझे अन्दर आने को कहा तो मैंने कहा- अब नहीं, फ़िर कभी आऊंगा …
अब मैं थोड़ा भाव खा रहा था, लेकिन मन में लड्डू फ़ूट रहे थे और ऐसा मौका हाथ से जाने देना नहीं चाहता था.
फ़िर उसने पूछा- तुम कहीं पास में ही रहते हो?
तो मैंने बताया कि मैं पास के गाँव में रहता हूं और जाने के लिए कोई व्यवस्था कर लूँगा क्योंकि आखरी बस तो सवा सात पर निकल जाती है.
यह सुनकर उसने कहा- पागल तो नहीं हो गए … क्या इतनी बारिश में कहाँ जाओगे, अन्दर आओ मैं तुम्हें तौलिया देती हूँ, अपना गीला बदना पौंछ कर फ्रेश हो जाओ और मैं तुम्हारे लिए चाय बनाती हूं.
मैंने अपने कपड़े सुखाने के लिए रख दिए और तौलिया लपेट के बैठ गया.
थोड़ी देर बाद अनिता मैम वापस आई तो उसने पीच कलर की नाईट गाउन पहनी हुई थी और हाथ में चाय का कप था. चाय का कप लेते हुए मैंने जानबूझ कर उसके हाथ को छुआ. फ़िर हम दोनों ने चाय पीते-पीते इधर उधर की बातें की, लेकिन मेरा मन तो उसको चोदने में ही था. लंड तना हुआ था और बार-बार मेरी नजर उसके फुदकते मम्मों के ऊपर ही जा रही थी, जो उसके नजर से बाहर नहीं था.
बाहर जोरों की हवा के साथ बारिश अभी भी चालू थी. अनिता ने कहा- मुझे ऐसे वातावरण में बहुत डर लगता है, क्या आज रात तुम यहीं नहीं रह सकते?
मैंने अपनी ख़ुशी छिपाते हुए कहा- ठीक है.
बाद में उसने खाना बनाया और साथ बैठ के खाया. जब वो किचन में बर्तन साफ कर रही थी तो मैं वहां मदद करने गया और जब-जब मौका मिला, उसको छू लेता था.
करीब ग्यारह बजे हम सोने गए. पन्द्रह बीस मिनट के बाद जोरदार कड़ाके से बादल गरजने लगे, तो वो दौड़ती हुई मेरे कमरे में आई और मुझसे चिपक गई.
मैंने भी मौके की नजाकत को दखते हुए उसको अपनी बाँहों में भर लिया. उसके कड़क बूब्स मेरे सीने के साथ चिपक गए थे. शायद उसने ब्रा भी नहीं पहनी थी. अब मेरा मन और लंड दोनों बेकाबू हो रहे थे, लेकिन मैं कोई जल्दबाजी नहीं करना चाहता था. फ़िर भी मैंने हिम्मत करके उसकी पीठ पर अपना हाथ फेरने लगा, उसने कोई आपत्ति नहीं जताई तो मेरी हिम्मत और बढ़ी. मैं हल्के से उसके बालों को भी सहलाने लगा. तभी मैंने महसूस किया कि उसकी उंगलियां मेरी पीठ पर हल्के से कस रही थी और सांसें तेज हो रही थीं.
मेरा तीर निशाने पर लगा था. अब मेरी हिम्मत और बढ़ी. मैंने अपने होंठों को उसके नाजुक होंठों के पास ले गया और थोड़ा सा टच किया, तो उसकी सांसें और तेज होने लगीं. वो भी धीरे धीरे गरम हो रही थी. अब मैं जान गया कि वो भी मुझसे चुदवाना चाहती है. मैंने अपने गरम होंठ उसके होंठों पे रख दिए और धीरे से किस किया. फ़िर धीरे धीरे उसके रसीले होंठ को चूमने लगा. इस बार उसने मुझे जोर से जकड़ लिया और चूमने लगी.
अब कोई रूकावट नहीं थी. हम दोनों जोर से एक दूसरे के होंठों को चूसने लगे. फ़िर मैंने अपनी जीभ अनिता के मुँह में डाल दी. वो उसे बड़ी मस्ती से चूसने लगी. मैंने मेरा हाथ उसके बूब्स पर सरकाया और हल्के से दबाया, उसके बूब्स एकदम कड़क थे. फ़िर गाउन के ऊपर से निप्पल के साथ खेलने लगा तो वो और उत्तेजित हो गई और मुझे पागलों की तरह चूमने लगी. अब मैंने उसका गाउन ऊपर सरका के उसके बूब्स को नंगा कर दिया. मैं उसके बूब्स को बारी बारी से चूमने और चाटने लगा. उसको बहुत मजा आ रहा था, एक हाथ से मैं बूब्स को दबाए जा रहा था … तभी दूसरा हाथ मैंने उसकी चूत की ओर बढ़ाया.
उसकी चड्डी भीग चुकी थी, इससे आप अंदाजा लगा सकते हैं कि वो कितनी उत्तेजित थी और मजे लूट रही थी. अब मैं उसकी चूत के दाने से खेलने लगा. कुछ ही देर में उसका पूर्ण समर्पण हो गया था. मैंने उसकी पैंटी को भी हटा दिया, अब वो एकदम नंगी थी.
उसने भी मेरा तौलिया हटा दिया और मेरे लंड को हाथ से मसलने लगी. मैंने अपना मुँह उसकी चूत पर रख दिया, उसकी चूत से एक अजीब सी सुगंध आ रही थी. चूत टेनिस बॉल की तरह फूली हुई थी, जो क्लीन शेव्ड थी. मैं उसकी चूत को चाटने लगा और साथ में उसके बूब्स को भी मसलने लगा.
अब वो खुशी के मारे हल्के से बोल रही थी- राम … मुझे बहुत मजा आ रहा है, चूसो मेरी चूत को … आह … आ … आआया … आआअ … आआ … उह … ऊउऊ. ऊ.ईई.ऊई … ऊई आह आआह्ह्छ … राम … मुझसे और इंतजार नहीं हो सकता प्लीज़ मुझे चोदो … प्लीज़ फक मी …
मैं भी तैयार था, उसने दोनों पैर मेरे कंधों पर रख दिए. अब मैंने अपना आठ इंच लंबा और साढ़े तीन इंच गोलाई में मोटा लंड उसकी चूत पर रगड़ने लगा.
वो तो समझो कि मेरे रामने गिड़गिड़ाने लगी- प्लीज़ राम मुझे चोदो ना … मत तड़पाओ … जल्दी से पेल दो.
अब मैंने अपने लंड का सुपारा उसकी रसीली चूत के द्वार पे रख कर एक जोरदार धक्का लगाया.
“मर गई … निकालो … निकालो …”
मैं रुक गया और उसके बूब्स के साथ खेलने लगा, कुछ पल में वो अपनी गांड हिलाने लगी तो मैंने एक और जोरदार धक्का लगाया. उसकी चूत में लगभग छह इंच अन्दर तक मेरा लंड घुस गया. उसकी चूत से खून बहने लगा … सारी दीवारें टूट गईं.
कुछ देर के दर्द के बाद वो जोर जोर से चिल्लाने लगी. मैंने अपने होंठ उसके होंठ पर रख दिए और एक धक्का मारा. इस बार मेरा पूरा लंड उसकी चूत में घुस गया. हालांकि वो दर्द के मारे तड़पने लगी थी … लेकिन अब उसे भी मालूम था कि दर्द के बाद मजा आता है.
मैं थोड़ी देर उसके बूब्स को धीरे धीरे दबाता रहा और उसे चूमता रहा. दो मिनट बाद उसने थोड़ी राहत महसूस की तो अपने कूल्हे उठाने लगी. अब मैं धीरे धीरे अपना लंड उस मास्टरनी की चूत में अन्दर बाहर करने लगा. लंड की स्पीड बढ़ाती जा रही थी. करीब दस मिनट बाद उसका शरीर एकदम से अकड़ गया और अगले ही पल वो झड़ गई.
अब पूरा कमरा फचक फचक … फचक की आवाज से गूंज रहा था. इसी के साथ में अनिता की सिसकारियां ‘आ … आया … या … अहय्य्य … ओह … या … ऊऊउईई आह्ह्ह …’ गूँज रही थीं.
इधर मैंने भी स्पीड बढ़ा दी थी. मेरा लंड अनिता मैम की चूत में इंजन के पिस्टन की तरह अन्दर बाहर हो रहा था. अब मेरी बारी थी, मेरी सांसें एकदम तेज हो गई थीं, हम दोनों पसीने से तर हो रहे थे. हम अपनी मस्ती में सारी दुनिया भूल चुके थे. बस हम और हमारी सिसकारियां ही माहौल में थीं.
आखिरकार 20 मिनट की जबरदस्त चुदाई के बाद मैंने अपना सारा पानी मैम की चूत में छोड़ दिया. इस दौरान अनिता मैम तीन बार पानी छोड़ चुकी थी.
थोड़ी देर हम ऐसे ही एक दूसरे से लिपट कर ही पड़े रहे. उसके बाद उस रात हम दोनों ने दो बार और चुदाई की. फ़िर बाथरूम में जाकर दोनों ने साथ में शावर लिया. जब हम शावर में नहा रहे थे, तब मैंने उसकी गांड मारने की इच्छा जाहिर की … तो उसने कहा- आज नहीं फ़िर कभी!
मैंने जिद की तो वो हंसकर बोली- आज तो तूने मेरी भोस का भोसड़ा कर दिया.
फ़िर रूम में आकर हम दोनों एक दूसरे के आगोश में नंगे ही सो गए.
रात को अचानक मेरी नींद खुल गई. मेरा लंड खड़ा हो गया था. मैंने देखा तो अनिता मेरा लंड चूस रही थी.
मैंने पूछा- सोई नहीं थी क्या?
तो वो बोली- डार्लिंग सुबह के आठ बज चुके हैं … मैं अभी ही उठी तो देखा तो तुम्हारा लंड तना हुआ था … तो अपने आपको लंड चूसने से रोक नहीं पाई. रात को भी ठीक से चूसने को नहीं मिला था.
मैंने कहा- अब ये तुम्हारा ही है, जब चाहे चूस लो, जब चाहे चुदवा लो.
उस दिन के बाद जब भी मौका मिला हमने बिल्कुल भी नहीं गंवाया.
आज भी वो टीचर उतनी सुंदर और सेक्सी है. अभी भी मौका मिलते ही हम दोनों मिल जाते हैं और लंड चूत की कहानी बन जाती है.Antarvasna
मैं अन्तर्वासना की Sex Stories नियमित पाठिका हूँ और खाली समय में अक्सर मैं कहानियाँ पढ़ती हूँ।
मेरा नाम ममता है मैं वैसे तो हिमाचल की रहने वाली हूँ पर आज कल हम पंजाब में रहते हैं। मैं चार भाई बहनों में दूसरे नम्बर पर हूँ। मेरा कद 5 फीट 2 इंच है रंग गोरा है। मैं बचपन से ही थोड़ी मोटी हूँ और काफी सेक्सी विचार रखती हूँ। मैं और मेरी छोटी बहन रात को एक साथ सोते है, मैं अक्सर अपनी बहन का चुम्बन आदि कर लेती थी।
पढ़ाई पूरी होने के बाद मैं नौकरी तलाशने लगी। तभी मेरे भईया के एक दोस्त ने बताया कि रेडीमेड के एक शोरूम में मैनेजर की जगह खाली है। मैंने अप्लाई कर दिया, मेरी सेलेक्शन हो गई और मैंने काम पर जाना शुरू कर दिया। वहीं मेरे साथ एक लड़का काम करता था जिसका नाम रमन था, वो हमेशा मुझे गन्दी निगाह से देखता था। मन ही मन वो भी मुझे अच्छा लगता था पर मैं चाहती थी वो ख़ुद कहे।वो हमेशा ही मेरे साथ बात करने के बहाने तलाशता रहता था। काम करते वक्त वो कभी कभी मुझे छू लेता तो मैं कुछ नही बोलती थी। इससे उसका हौंसला बढ़ गया और वो कभी कभी मेरे वक्ष भी दबा देता था या फिर मेरी गांड में ऊँगली दे देता था। मैं ऊपर से नाराज होती पर यह सब मुझे भी अच्छा लगता था।
कुछ दिन बाद मेरी बुआ के लड़के की शादी थी, हम सब गाँव जा रहे थे। मम्मी पापा सुबह चले गए, मैंने और बड़े भैया ने शाम को जाना था। हमें शाम छः बजे जाना था। मैंने दो बजे छुट्टी ले ली और रमन को कहा कि मुझे घर छोड़ आए क्योंकि मेरे पास कोई साधन नहीं था, रमन के पास मोटरसाइकिल थी। मैंने उसके पीछे बैठ गई और हम घर पहुंचे। भईया घर नहीं थे। मैंने फ़ोन करके पूछा तो भईया ने कहा- मैं अभी दो-तीन घंटे बाद आऊंगा।
तो मैंने रमन को कहा- थोड़ी देर रुक जाओ, चाय पी कर चले जाना !
वो बैठ गया। मैंने जाकर पहले अपने कपड़े बदले, मैंने जानबूझ कर टी-शर्ट और पायजामा पहन लिया और नीचे से कुछ भी नहीं पहना। मैं रसोई में जाकर चाय बना लाई और रमन को पकड़ा दी। वो लगातार मुझे देखे जा रहा था।
मैंने पूछा- क्या देख रहे हो?
तो वो फट से बोला- आप बहुत सेक्सी लग रहे हो !
मैंने जानबूझ कर कहा- तुम झूठ बोल रहे हो !
तो वो उठ कर बिल्कुल मेरे करीब आ गया। इससे पहले कि मैं कुछ बोलती उसने मुझे अपनी बाहों में भर लिया।
मैं भी यही चाहती थी सो मैंने उसे रोकने की कोशिश नहीं की।
मैंने कहा- ज़रा रुको, मैं दरवाजा बंद कर दूँ !
मैं बाहर दरवाजा बंद करने गई और गेट अच्छे से बंद करके वापिस आई तो देखा कि रमन अपना 8 इन्च का लंड हाथ में पकड़ कर बैठा था। मुझे देखते वो एकदम आया और मुझे उठा कर सोफे पर ले गया और मेरे स्तन मसलने लग गया। मैंने उसके लंड को पकड़ लिया और उसे ऊपर नीचे करने लगी। फिर उसने मुझे कपड़े उतारने के लिए कहा। मैंने पायजामा और टी-शर्ट उतार दी और एकदम नंगी हो गई।
अब मैंने उसे कहा- तुम कब कपड़े उतारोगे?
उसने भी अपने कपड़े उतार लिए। मैं सोफे पर लेटी हुई थी और उसका लंड मेरे मुँह के सामने था। उसने मुझे अपना लंड चूसने के लिए कहा पर मैंने मना कर दिया।
उसने कहा- कोई बात नहीं !
और मेरी टांगों के बीच बैठ गया और अपनी जबान मेरी फुद्दी में डाल दी और अंदर बाहर करने लगा।
मैं पागल हुए जा रही थी तो मैंने कहा- मुझे भी तुम्हारा लंड चूसना है !
हम दोनों 69 की पोजीशन में हो गए। मैंने जिंदगी में पहली बार लंड का स्वाद चखा था, नमकीन सा था उसका स्वाद ! पर मुझे एकदम शहद जैसा लग रहा था ! मैं लोलीपॉप के जैसे उसके लंड को चूस रही थी। हम दस मिनट इसी पोजीशन में रहे, तभी रमन हांफने लगा और एक तेज पिचकारी मेरे मुँह में मारी और फिर मेरे मुँह से लंड निकाल कर बाकी पानी मेरे मम्मों पे गिरा दिया।
मैंने कहा- तुम्हारा तो काम हो गया ! अब क्या होगा?
उसने कहा- मैडम जी, आप चिंता क्यों करते हो? अभी खड़ा हो जाएगा।
वह मेरी टांगो के बीच बैठ गया और दो उंगलियों से मुझे चोदने लगा। दो तीन मिनट बाद मेरी फुद्दी से हल्का हल्का पानी आने लगा। मेरी फुद्दी एकदम गीली हो गई थी। अब तक उसका लंड फिर तैयार हो गया था। अब मेरे को भी आग लगी हुई थी कि जल्दी से जल्दी वह मेरी फुद्दी में अपना लंड डाले। वह खड़ा हुआ, मैं सोफे पर थी, उसने मेरी टाँगें अपने कंधे पर रखी और अपना लंड का सुपारा मेरी फुद्दी के मुँह पर रखा।
चूंकि यह मेरी पहली बार थी तो मैं काफी डरी हुई थी, पर रमन ने कहा- घबराने की कोई बात नही है !
उसने आराम से धक्का लगाया और उसका लंड आधे थोड़ा कम मेरी फुद्दी में चला गया।
मेरी जान गले में आ गई, मेरी आंखों के सामने अँधेरा सा आ गया। मैंने सोचा- शायद मैं आज नहीं बचूंगी !
पर वह पागलों की तरह धक्के लगाये जा रहा था। 5 मिनट बाद सब सामान्य हो गया, मुझे भी मज़ा आने लगा। अब मैं भी चूतड हिला हिला कर उसका साथ देने लगी।
तभी मुझे लगा कि मेरी फुद्दी से पानी जैसा कुछ निकल रहा है। मैं झड़ गई थी।
मैंने रमन को कहा- अब बस करो ! मुझे दर्द हो रहा है !
पर वह रुक नहीं रहा था और बोला- मेरा काम कैसे होगा ?
तभी उसने अपना लण्ड मेरी फुद्दी से निकाल लिया और मुझे सीधी होकर लेटने के लिए कहा।
मैं लेट गई। अब वो मेरे स्तन पकड़ कर उनके बीच अपने लंड से चोदने लगा। पूरे पाँच मिनट बाद एक गर्म पानी की पिचकारी मेरे गाल पर पड़ी। उसका झड़ चुका था, वह अपने लंड को खींच-खींच कर मेरे मम्मों पर अपना वीर्य गिरा रहा था। मैं बहुत खुश थी क्योंकि मैंने जिंदगी में पहली बार सेक्स किया था।
रमन थोड़ी देर मेरे पास लेटा रहा। मैं उठ कर बैठ गई। मैंने देखा कि रमन के लंड पर थोड़ा वीर्य लगा हुआ था।
मैं पागलों जैसे उसके लंड को चूसने लगी। फिर हम दोनों बाथरूम गए। हम दोनों ने एक दूसरे को नहलाया।
मैंने घड़ी देखी तो 5 बजने वाले थे। भईया के आने का समय हो गया था। हम दोनों ने कपड़े पहने। मैं रमन को छोड़ने के लिए दरवाजे तक आई, उसने मुझे होंठों पर चूमा और बाय कह कर चला गया। आधे घंटे बाद भईया आ गए। हम तैयार हो कर स्टेशन पहुंचे और ट्रेन में बैठे। ट्रेन में मेरी फुद्दी में बहुत दर्द हो रहा था पर एक सुखद एहसास हो रहा था !
आपको मेरी कहानी कैसी लगी, मुझे मेल जरुर करें ! Sex Stories
प्रीती के वापस आने के बाद हम लोग खाना Hindi Sex Stories खाकर बिस्तर पर लेटे थे, “और बताओ प्रीती शादी कैसी गयी?”
“सुनील! ये कोई भी वक्त है सवाल करने का, तुम्हें पता है तुम्हारे लंड के बिना मेरी चूत की क्या हालत हो रही है”, प्रीती अपनी चूत को खुजाते हुए बोली।
मैंने उसे अपनी बाँहों में भरते हुए कहा, “मैं जानता हूँ मेरी जान!” मैं उसकी चूत को रगड़ने लगा।
“अच्छा अब चिढ़ाना बंद करो और मेरी कस कर चुदाई करो”, प्रीती अपने कपड़े उतारते हुए बोली।
मैंने जमकर उसकी चुदाई की और प्रीती इसी बीच चार बार झड़ी। सच कहता हूँ, प्रीती जैसी चूत किसी की भी नहीं थी। जब हम थक कर लेट गये तो मैंने दो सिगरेट जलाते हुआ पूछा, “अब बताओ सब कैसा रहा?” और एक सिगरेट प्रीती को दे दी।
“हाँ….. सब अच्छा रहा, मेरी दोनों भाभियाँ सिमरन और साक्षी बहुत ही सुंदर हैं। सिमरन, राम की बीवी, थोड़ी पतली है और उसकी चूचियाँ भी छोटी नारंगी जैसी हैं और वहीं साक्षी, श्याम कि बीवी, भरी-भरी है और चूचियाँ तो मानो दो खरबूजे लटक रहे हों”, प्रीती ने कहा।
“तुम ये सब मुझे बताकर उकसाने की कोशिश क्यों कर रही हो?” मैंने कहा। इस कहानी के लेखक सुनील अग्रवाल है!
“क्यों ना उकसाऊँ? कोई एक बार की चुदाई से तो तुम मुझे छोड़ने वाले नहीं हो”, प्रीती ने हँसते हुए कहा, “अच्छा अब तुम बताओ पीछे से कैसा रहा…? क्या रजनी बराबर आती रही है?”
“हाँ! रजनी बराबर आती थी और शबनम, समीना और नीता भी अक्सर आ जाया करती थीं।” फिर मैंने उसे अनिता और ज़ुबैदा के इंटरव्यू के बारे में बताया।
“लगता है तुम्हें अनिता के रूप में एक हीरा हाथ लग गया है?” प्रीती ने कहा।
“हाँ! मैं भी ऐसा ही सोच रहा हूँ”, मैंने कहा।
एक दिन प्रीती बोली, “सुनील! आज कुछ अच्छी खबरें हैं।”
“सबसे पहली बात, मेरे भाई अपनी बीवियों के साथ हमारे पास रहने आ रहे हैं”, प्रीती ने कहा।
“तो वो दोनों चुदकड़ हमसे मिलने आ रहे हैं….” मैंने हँसते हुए कहा।
“क्या तुम अब भी नाराज़ हो कि मेरे भाइयों ने तुम्हारी कुँवारी बहनों की चूत फाड़ी थी?”
“नहीं! बिल्कुल भी नहीं, उनकी जगह कोई भी होता तो वही करता, उन्हें कुँवारी चूत चोदने का मौका मिला और उन्होंने चोदा”, मैंने कहा, “अच्छा अब दूसरी बात बताओ?”
“बात ये है कि तुम्हारी बहनें अंजू और मंजू भी अपने पति, जय और विजय के साथ उसी समय हमारे पास आ रही हैं”, प्रीती ने मुस्कुराते हुए कहा।
“क्या इन सब को साथ में इकट्ठा करना ठीक रहेगा? जबकि जो कुछ मेरी बहनों और तुम्हारे भाइयों के बीच हुआ?” मैंने कहा, “और क्या तुम टीना का जन्मदिन भूल गयी। इतनी भीड़ में कैसे उसे चोदूँगा?”
“नहीं! मैं नहीं भूली हूँ!” प्रीती ने मेरे लंड को चूमते हुए कहा, “विश्वास रखो मेरे सुनीला! टीना की कुँवारी, सील बंद चूत का उदघाटन तुम ही करोगे।”
प्रीती कुछ सोच में पड़ी हुई थी। उसके होंठों को चूमते हुए मैंने पूछा, “क्या सोच रही हो?”
“कुछ अच्छा और कुछ शरारती”, प्रीती ने हँसते हुए कहा।
“मैं भी तो सुनूँ।”
“देखो सुनील! मैं एक हिसाब बराबर करने की सोच रही थी, जैसे मेरे भाइयों ने तुम्हारी बहनों को चोदा है उसी तरह तुम्हारी बहनों के पति जय और विजय को भी मेरे भाइयों की बीवी सिमरन और साक्षी को चोदने का मौका मिलना चाहिये”, प्रीती ने जवाब दिया।
“लेकिन इससे मेरी बहनों का कुँवारापन तो वापस नहीं आ जायेगा”, मैंने कहा।
“हाँ…. उनका कुँवारापन तो मैं वापस नहीं ला सकती लेकिन कुछ भी नहीं से कुछ तो अच्छा है”, प्रीती ने जवाब दिया।
“लेकिन तुम ये सब करोगी कैसे?”
“ये सब मैं उनके आ जाने पर सोचुँगी”, प्रीती ने जवाब दिया, “और दूसरी बात….. तुम भी मेरी दोनों भाभी, सिमरन और साक्षी को चोद सकते हो।”
“और एक बात..” वो कुछ कहती उसके पहले मैंने कहा, “अब ये मत कहना कि तुम अपने भाइयों और मेरी बहनों के पतियों से चुदवाना चाहती हो?”
“नहीं मेरे भाइयों से तो नहीं…… हाँ! जय और विजय से जरूर चुदवाना चाहुँगी”, प्रीती ने हँसते हुए कहा।
“कब आ रहे हैं ये लोग?”
“सोमवार की सुबह मेरे भाई लोग और उसी दिन शाम को तुम्हारी बहनें”, प्रीती ने कहा।
“क्या तुम जय और विजय को राम और श्याम के बारे में बताओगी?” मैंने पूछा।
“अगर जरूरत पड़ी तो ही बताऊँगी, इसलिये मैंने मेरे भाइयों को और तुम्हारी बहनों को साफ लिख दिया है कि वो आपस में उसी तरह मिलें जैसे पहली बार मिल रहे हों”, प्रीती ने बताया।
“लगता है तुमने सब सोच रखा है”, मैंने कहा, “लेकिन टीना उनके आने के दो हफ़्ते बाद इक्कीस की हो जायेगी, उसे दिया वचन कैसे पूरा करोगी?”
“उसकी तुम चिंता मत करो, तुम्हें एम-डी के सामने ही टीना की कुँवारी चूत चोदने के मौका मिलेगा….. ये मेरा तुमसे वादा है”, प्रीती ने कहा।
सोमवार को राम और श्याम आ गये। उनकी पत्नियाँ सिमरन और साक्षी दोनों खुबसूरत थीं। मेरा लंड तो उन्हें देखते ही खड़ा हो गया। मुझसे उनका परिचय कराने के बाद प्रीती ने उन्हें उनका कमरा दिखाया और अपने भाइयों को खुद के बेडरूम में आने को कहा, कि उसे कुछ बातें करनी हैं।
थोड़ी देर बाद हम चारों हमारे बेडरूम में इकट्ठा हुए। प्रीती ने बात की शुरुआत की, “अच्छा राम और श्याम! मैं तुम लोगों से कुछ पूछना चाहती हूँ, और इसका जवाब मुझे सच-सच देना?”
“हाँ दीदी!” दोनों जवाब दिया।
“राम तुम बताओ, शादी के वक्त क्या सिमरन कुँवारी थी?”
मुस्कुराते हुए राम ने कहा, “हाँ दीदी! एक दम कुँवारी थी।” इस कहानी के लेखक सुनील अग्रवाल है!
“तुम्हें कैसे मालूम कि वो कुँवारी थी? कई लड़कियाँ शादी से पहले चुदवा लेती हैं पर बाद में नाटक करती हैं, जैसे कुँवारी हों”, प्रीती ने पूछा।
“नहीं दीदी! ऐसा नहीं था! जब मेरा लंड उसकी चूत में घुसा था तो उसे सही में दर्द हुआ था और खून भी बहुत गिरा था”, राम ने जवाब दिया।
“ठीक है, और तुम श्याम! साक्षी के बारे में तुम्हारा क्या खयाल है?” प्रीती ने पूछा।
“साक्षी भी कुँवारी थी दीदी! उसकी चूत की झिल्ली भी एकदम मंजू…” श्याम कहते हुए रुक गया और शर्म से गर्दन झुका ली।
“श्याम! शरमाओ मत और बताओ, सुनील को उसकी बहनों की चुदाई के बारे में सब मालूम है”, प्रीती ने कहा।
“साक्षी का इतना खून नहीं गिरा था, जितना सिमरन का गिरा था, जैसे राम ने बताया।”
“क्या उनकी चूत पर बाल हैं या उन्होंने अपनी चूत एक दम चिकनी बना रखी है?” प्रीती ने पूछा।
“बहुत बाल हैं दीदी, एक बार मैंने सिमरन से साफ करने को कहा था, तो उसने कहा कि अगर बाल साफ करने की चीज़ होती तो भगवान औरत की चूत पर बाल ना बनाता”, राम ने जवाब दिया। प्रीती ने श्याम की ओर देखा।
“दीदी! तुम्हें पता है…. जब मैंने साक्षी से एक दिन कहा, कि तुम्हारी चूत बिना बालों के और सुंदर और प्यारी लगेगी तो उसने कहा कि चूत चोदने के लिये है ना कि नुमाइश करने के लिये”, श्याम ने हँसते हुए जवाब दिया।
“क्या तुम दोनों ने एक दूसरे की बीवी को चोदा है?” प्रीती ने अपना प्रश्न जारी रखा।
“मैंने एक बार पूछा था…. लेकिन सिमरन ने साफ़ मना कर दिया था”, राम ने हँसते हुए कहा।
“क्या तुम एक दूसरे की बीवी को चोदना चाहोगे?”
“हाँ दीदी जरूर! दोनों ने साथ में जवाब दिया।”
“लेकिन दीदी! तुम ये सब सवाल क्यों कर रही हो?” श्याम ने पूछा।
“दो मिनट रुक जाओ! सब बता दूँगी, पहले एक आखिरी सवाल का जवाब और दे दो”, प्रीती ने कहा, “क्या तुमने उनकी गाँड मारी है?”
“गाँड!!! भगवान की तौबा!!! एक बार मैंने उससे कहा तो इतना नाराज़ हो गयी कि पाँच दिन तक मुझे हाथ भी लगाने नहीं दिया”, राम ने जवाब दिया।
“मैंने एक बार कोशिश की थी लेकिन उसके बाद उसने कहा कि अगर मैंने दोबारा गाँड मारने की कोशिश कि तो वो मुझे छोड़ के चली जायेगी”, श्याम ने कहा।
“अच्छा?? क्या तुमने उनकी चूत चाटी है और क्या वो तुम्हारा लौड़ा चूसती हैं?” प्रीती ने फिर पूछा।
“हाँ उसे चूत चटाने में मज़ा आता है और मेरा लौड़ा भी चूसती है…. लेकिन मुझे मुँह में झड़ने नहीं देती है”, राम ने कहा।
“हाँ! उसे बहुत मज़ा आता है और मेरा पानी भी पी जाती है”, श्याम ने जवाब दिया।
“अब आखिरी सवाल…… क्या उन्हें चुदाई में मज़ा आता है?” प्रीती ने पूछा।
“हाँ! बहुत मज़ा आता है और उसका बस चले तो हर वक्त चुदती रहे”, राम ने कहा।
“हाँ दीदी! साक्षी को तो कुछ ज्यादा ही मज़ा आता है…… ऐसे उछल-उछल कर चुदाती है कि क्या बताऊँ”, श्याम ने हँसते हुए जवाब दिया।
“तुम दोनों के लिये एक खुश खबर है…… अंजू और मंजू भी तुम लोगों से मिलने आ रही हैं। वो लोग शाम को पहुँचेंगे”, प्रीती ने मुस्कुराते हुए कहा।
“हाँ खबर तो अच्छी है लेकिन….!” राम ने मेरी तरफ देखते हुए कहा।
“उन्हें फिर चोदने का ख्वाबी पुलाओ मत पकाओ…… उनके पति भी साथ में आ रहे हैं”, मैंने कहा।
“क्या तुम उन्हें दोबारा चोदना चाहोगे?” प्रीती ने पूछा पर दोनों हरामी चुप रहे और मेरी तरफ देख रहे थे।
“सुनील से मत डरो और सच सच बोलो?” प्रीती ने पूछा। इस कहानी के लेखक सुनील अग्रवाल है!
“हाँ! सही में वो दोनों बहुत अच्छी थीं।”
“ठीक है! मैं अब बताती हूँ कि ये सब किस लिये था, जैसे तुम दोनों ने अंजू और मंजू की कुँवारी चूत को चोदा था वैसे ही उनके पति तुम्हारी बीवियों को चोदें और उनकी कुँवारी गाँड भी मारें”, प्रीती ने कहा।
कमरे में अचानक खामोशी छा गयी। कोई कुछ नहीं बोला।
“ज़रा सोचो! अगर ये हो जाये तो तुम लोग एक दूसरे की बीवी को भी चोद सकोगे। उनकी गाँड भी मार सकोगे…… वो तुम्हारे लंड का पानी भी खुशी-खुशी पी जायेंगी”, प्रीती ने कहा, “और दूसरी बात! तुम्हें अंजू और मंजू को भी दोबारा चोदने का मौका मिलेगा और साथ ही दूसरी लड़कियों को भी जिन्हें हम जानते हैं।”
“मुझे मंजूर है, मैं देखना चाहुँगा जब वो सिमरन की गाँड में अपना लंड घुसायेंगे”, राम ने हँसते हुए कहा।
“मुझे भी मंजूर है, पर ये होगा कैसे?” श्याम ने पूछा।
“ये सब मेरे पर छोड़ दो, तुम लोगो सिर्फ़ इतना करना कि जब अंजू और मंजू आयें तो ऐसे मिलना जैसे पहली बार मिल रहे हो… वो भी ऐसा ही करेंगी”, प्रीती ने कहा।
“ठीक है? तुम लोग तैयार रहना…. मैं बता दूँगी तुम्हें”, प्रीती ने कहा।
शाम को मेरी बहनें अपने पति, जय और विजय, के साथ पहुँच गयीं।
“सॉरी अंजू-मंजू! तुम लोगों को हॉल में ही सोना पड़ेगा….. कारण, हमारे यहाँ तीन ही बेडरूम हैं और वो पहले से ही बुक हैं”, प्रीती ने कहा।
“कोई प्रॉब्लम नहीं भाभी! हमें साथ में सोने की आदत है”, अंजू हँसते हुए बोली।
थोड़ी देर बाद प्रीती, अंजू और मंजू को अपने बेडरूम में ले आयी और उन्हें सब बताया तो, अंजू ने हँसते हुए कहा, “अच्छा ऑयडिया है भाभी! और जय-विजय को उन्हें चोदने में मज़ा आयेगा, मैं जानती हूँ।”
“क्या हम लोग उन्हें बता दें?” मंजू ने पूछा।
“नहीं! अभी कुछ मत बताना…… बस कल उन्हें थियेटर में पिक्चर दिखाने जरूर ले जाना”, प्रीती ने कहा।
प्रीती ने अपना प्लैन अपने भाइयों को बताया और कहा कि देखना कल दोपहर में सिमरन और साक्षी मेरे साथ घर में अकेली हों।
प्रीती ने अपना प्लैन कुछ इस तरह से बनाया था: मैं अपनी बहनों और उनके पति, और राम और श्याम को पिक्चर दिखाने ले जाऊँगा। प्रीती सिमरन और साक्षी को घर पर ही रोक लेगी, कारण, दोनों को खाना बनाने का बहुत शौक है।
सुबह जब हम लोग नश्ता कर रहे थे तो मैंने सबसे पूछा, “पिक्चर देखने कौन कौन चल रहा है, बड़ी ही अच्छी इंगलिश पिक्चर चल रही है।”
“भइया हम चारों चल रहे हैं”, अंजू ने जवाब दिया।
“ना बाबा! मैं तो नहीं जाऊँगी, मुझे वैसे भी इंगलिश पिक्चर पसंद नहीं है”, साक्षी ने कहा।
“और मैं तो वैसे भी नहीं जा पाऊँगी क्योंकि प्रीती दीदी ने मुझे प्याज के पकोड़े कैसे बनाये जाते हैं, वो सिखाने का वादा किया है”, सिमरन बोली।
“ठीक है! अगर तुम लोग नहीं जाना चाहती तो मत जाओ….. हम सुनील के साथ चले जाते है”, राम और श्याम साथ-साथ बोले। जब हम जाने को तैयार हुए तो प्रीती मेरे पास आयी और मुझे समझाया, “तुम अपना मोबाइल ऑन रखना और जब मैं तीन बार बज़ा कर बंद कर दूँ तो जय-विजय को पहले भेज देना और जब दोबारा फोन करूँ तब ही तुम आना।”
हम लोग पिक्चर देखने घर से निकल पड़े। “राम! मैं थियेटर फोन करके पता कर लेता हूँ कि टिकट अवेलेबल हैं कि नहीं।”
“हाँ! वो ठीक रहेगा”, राम ने कहा।
मैंने थियेटर फोन लगा कर बात की। टिकट अवेलेबल होते हुए भी उनसे झूठ बोल दिया कि हाऊज़ फ़ुल है।
“टिकट तो हैं नहीं! फिर क्या करना चाहिये, अंजू?”
“ऊममम अब क्या करें भैया? चलो कहीं चल कर आईसक्रीम खाते हैं”, मंजू ने कहा।
थोड़ी देर में मेरे फोन की घंटी तीन बार बज कर बंद हो गयी। मैं समझ गया कि घर में दोनों चिड़ियाँ चुदवाने को तैयार हो रही हैं। मैंने सबसे कहा, “चलो अब घर चल कर ही कुछ करते हैं?”
“इतनी जल्दी क्या है जीजाजी?” राम ने कहा।
“चलना है तो चलो या आईसक्रीम को साथ ले लो”, मैंने कहा।
“बेवकूफ़! भूल गये क्या?” अंजू उसके कान में फुसफुसायी और मंजू उसे जबरदस्ती उठाती हुई खड़ी हो गयी।
जब हम घर पहुँचे तो मैंने जय और विजय से कहा, “तुम दोनों फ्लैट पर जाओ…. वहाँ तुम्हें तुम्हारी भाभी प्रीती मिलेगी, अगर वो वहाँ ना हो तो घंटी मत बज़ाना। उसके आने के बाद ही फ्लैट में जाना।”
“लेकिन ये सब क्या है भैया?? मैं कुछ समझा नहीं”, विजय ने पूछा?
“अभी समझाने का वक्त नहीं है, प्रीती तुम्हें सब समझा देगी”, मैंने दोनों को ढकेलते हुए कहा।
आधे घंटे के बाद प्रीती का फोन आया कि हम लोग आ सकते हैं। प्रीती हमें दरवाजे पर मिली।
“क्या हो रहा है?” मैं धीरे से फुसफुसाया।
“चुदाई का पहला दौर खत्म हो चुका है और दूसरे की तैयारी हो रही है”, प्रीती धीरे से बोली।
“क्या सिमरन की गाँड फाड़ दी?” राम ने पूछा।
“अभी तो नहीं…. लेकिन शायद दूसरे राऊँड के बाद!”
“भाभी अपने ये सब कैसे किया?” अंजू ने पूछा।
“मैंने उन दोनों को कोक में एम-डी की स्पेशल दवाई मिला कर दी थी”, प्रीती ने जवाब दिया।
“ऐसे नहीं!!! हमें ज़रा डिटेल में बताइये”, मंजू बोली।
प्रीती ने शुरू से बताना शुरू किया।
तुम लोगों के जाने के बाद हम लोग साथ मिल कर किचन में खाना बनाने लगे, किचन गर्मी में एक दम तप रहा था।
“दीदी बहुत गर्मी हो रही है ना?” सिमरन बोली।
“फ़्रिज में कोक पड़ी है तुम लोग वो ले लो….” मैंने कहा। दोनों फ्रिज से कोक ले के पीने लगी। लेकिन पंद्रह मिनट के बाद भी मुझे उन पर कोई असर होते नहीं दिखा तो मुझे लगा कि आज मेरा प्लैन फ़ेल हो जायेगा….. मैं सोच पड़ गयी।
“लेकिन आप कोक के भरोसे क्यों थी, ऐसा क्या है कोक में?” श्याम ने पूछा।
“वो कोई साधारण कोक नहीं है”, अंजू बोली।
“उस कोक में मिली दवाई को पीने से औरत की चूत में खुजली होने लगती है”, मंजू बोली।
“ऐसी भी कोई दवाई होती है…… पहली बार सुना है”, राम हँसते हुए बोला।
“तुम दोनों क्या समझते हो कि तुम बहुत सुंदर और हैंडसम हो जो अंजू और मंजू ने अपनी कुँवारी चूत तुम्हें चोदने के लिये दे दी, नहीं! ये इसी दवाई का कमाल था जो तुम इनकी जवानी का मज़ा उठा पाये”, प्रीती थोड़ा झल्लते हुए बोली, “इस दवाई से इनकी चूत में इतनी खुजली मच चुकी थी कि अगर तुम्हारा लंड ना होता तो ये किसी गली के कुत्ते से भी चुदवा लेती।”
इतना सब सुनकर दोनों शाँत हो गये।
“भाभी फिर क्या हुआ?” अंजू ने पूछा। इस कहानी के लेखक सुनील अग्रवाल है!
दवाई का उन पर असर नहीं हो रहा था, मैं सोच में पड़ गयी…… फिर मुझे एक खयाल आया….. मैंने प्याज के पकोड़ों में वो दवा मिला दी और सिमरन के रूम में प्लेट में लगा ले गयी।
“सिमरन! ये पकोड़े टेस्ट करो और बताओ कैसे बने हैं?”
सिमरन ने एक पकोड़ा मुँह में रखा और बोली कि “दीदी ये तो बहुत ही टेस्टी हैं…. अपने लिया कि नहीं?”
मैंने भी एक पकोड़ा टेस्ट किया और उसे और लेने को कहा कि “और खा कर देखो।”
यही मैंने साक्षी के साथ किया। दोनों बड़े चाव से पकोड़े खा रही थीं। तुम्हें फोन किया क्यों कि मुझे विश्वास था कि उनकी चूत में खुजली जरूर मचेगी।
इतनी देर में जय और विजय आ गये, मैं उन्हें अपने बेडरूम में ले आयी, वो दोनों बौखला गये थे और बोले कि “भाभी ये सब क्या है?”
मैंने कहा कि “इसके पहले कि मैं तुम्हारे प्रश्न का जवाब दूँ…. तुम दोनों मेरे एक प्रश्न का जवाब दो, क्या तुम दोनों सिमरन और साक्षी को चोदना चाहोगे?”
मेरा सवाल सुनकर दोनों चौंक गये और बोले कि “भाभी ये आप क्या कह रही हैं, वो दोनों आपकी भाभीयाँ हैं।” मैंने कहा कि “वो दोनों मेरी क्या हैं, ये मुझे सोचने दो, तुम जवाब दो कि क्या चोदना चाहोगे?”
“हाँ भाभी! ऐसा मौका फिर कब मिलेगा।” जय ने अपने लंड को पैंट के ऊपर से सहलाते हुए जवाब दिया।
अंजू शरारती मुस्कान के साथ बोली, “म…म…म मेरे जय का लंड नयी चूत का नाम सुनते ही खड़ा हो जाता है!”
फिर विजय ने पूछा कि “भाभी! क्या वो तैयार हो जायेंगी?” और जय ने कहा कि “भाभी लेकिन राम और श्याम को पता चलेगा तो वो क्या सोचेंगे।”
“राम और श्याम की चिंता मत करो…. वो सब मुझ पर छोड़ दो और रही सिमरन और साक्षी कि बात तो वो तुमसे भीख मांगेंगी कि आओ मेरी चूत में अपना लंड डाल दो। सिर्फ़ उतना करो जितना मैं कहती हूँ।”
मेरी बात सुनकर जय ने कहा कि “ठीक है…. आप क्या चाहती हैं हमसे?”
“कुछ नहीं! इंतज़ार करो जब तक वो खुद चल कर तुम्हारे पास चुदवाने के लिये नहीं आती हैं और हाँ! उन्हें तब तक मत चोदना जब तक वो गाँड मरवाने के लिये तैयार ना हो जायें….. ये दोनों बातें बहुत जरूरी हैं।”
जय ने अपना लंड जोर से दबाया और बोला कि, “यार! ये तो बहुत ही अच्छी बात है, चूत के साथ गाँड भी मारने को मिलेगी और वो भी दोनों की।”
मैं ये कहकर रूम के बाहर आ गयी कि “यहीं इंतज़ार करो और ज़न्नत के मज़े लेने के सपने देखो।”
थोड़ी देर में सिमरन कमरे में आयी, उसकी साड़ी का पल्लू जमीन पेर रेंग रहा था, ब्लाऊज़ के तीन बटन खुले हुए थे। उसके माथे पर पसीन चमक रहा था और चेहरे से साफ लग रहा था कि वो कितनी उत्तेजना में थी।
सिमरन अपने एक हाथ से अपनी चूचियाँ भींच रही थी और दूसरे हाथ से अपनी चूत को रगड़ रही थी। वो बोली कि, “दीदी! राम कहाँ है और कितनी देर में आयेगा?”
मैंने धीरे से जवाब दिया कि, “तुम्हें पता है ना कि वो लोग पिक्चर देखने गये हैं?”
उसने अपनी चूत और जोरों से खुजाते हुए पूछा कि “ऐसा मेरे ही साथ क्यों होता है, मुझे जब भी उसकी जरूरत होती है वो मेरे पास नहीं होता….. वापस कब आयेगा?”
मैंने जवाब दिया कि, “करीब तीन घंटे में।”
सिमरन झल्लाते हुए बोली कि, “अब मैं क्या करूँ! मेरी चूत में इतनी खुजली हो रही है कि मुझसे सहन नहीं हो रहा।”
इससे पहले कि मैं उसको जवाब दे पाती, साक्षी कमरे में आयी। उसकी हालत भी सिमरन के जैसे ही थी। साड़ी ज़मीन पर रेंग रही थी, और दोनों हाथ चूत को खुजला रहे थे। उसने भी पूछा कि, “दीदी! श्याम कब तक आयेगा?”
मैंने कहा कि “मैंने अभी सिमरन को बताया है कि तीन घंटे से पहले नहीं।” वो जोर-जोर से अपनी चूत को भींचते हुए बोली कि, “ओह! गॉड तब तक मैं क्या करूँ?”
मैं अपने दोनों हाथ पीछे से उसकी चूचियों पर रख कर बोली कि, “क्या तुम्हारी चूत में भी सिमरन की तरह खुजली हो रही है?”
उसने कहा कि “हाँ दीदी! बहुत जोरों से और मुझ से सहा नहीं जा रहा।”
मैंने उसके मम्मे और जोर से दबाते हुए कहा कि “फिर तो ऐसी परस्थिति में एक ही सलाह दे सकती हूँ कि तुम दोनों अपनी अँगुली से अपनी चूत चोद लो।”
“दीदी! मैं आपके कहने से पहले तीन बार कर चुकी हूँ लेकिन शांती नहीं पड़ रही?” सिमरन बोली।
“और दीदी मैं तो ब्रश के हैंडल और अपनी सैंडल की हील तक से कर चुकी हूँ लेकिन पता नहीं जितना करती हूँ उतनी ही खुजली और बढ़ रही है।” ये कहते हुए साक्षी की आँखों में आँसू आ गये।
फिर मैंने पूछा कि, “क्या इसके पहले भी तुम्हारी चूत खुजलाती थी?” तो साक्षी बोली कि, “दीदी! खुजलाती तो थी पर आज जैसी नहीं, पता नहीं आज क्यों इतनी खाज मच रही है।”
फिर मैंने कहा कि, “फिर तो इसका एक ही इलाज है कि किसी मोटे और तगड़े लंड का इंतज़ाम किया जाये।”
सिमरन ने कहा कि, “हाँ! हम जानते हैं कि ये खाज लंड से ही बुझेगी, पर इसके लिये हमें राम और श्याम का तीन घंटों तक इंतज़ार करना होगा और तब तक हमारी जान ही निकल जायेगी।”
“मैं उनके लंड की नहीं किसी और लंड की बात कर रही थी।”
सिमरन ने कहा कि, “आप ऐसा कैसे कह सकती हैं।”
“मैं श्याम के साथ बेवफ़ाई नहीं करूँगी”, साक्षी ने कहा।
“ये फैसला तुम दोनों को करना है!” ये कहकर मैं उन दोनों की चूत रगड़ने लगी।
थोड़ी देर दोनों शाँत रहीं, उनकी सिसकरियाँ बढ़ रही थी और उनसे सहा नहीं जा रहा था। साक्षी ने कंपकंपाते हुए पूछा कि, “भाभी! यहाँ पर कोई है क्या?”
“हाँ! जय और विजय हैं ना, मेरे ख्याल से तुम दोनों उन दोनों से चुदवा लो? दोनों दिखने में सुंदर हैं और मैं विश्वास से कहती हूँ कि उनका लंड भी लंबा और मोटा होगा।”
“अगर हमारे पतियों को पता चल गया तो क्या होगा?” सिमरन ने पूछा।
“पहले तो उनको पता नहीं चलेगा, और अगर पता चल भी गया तो कोई खून की नदियाँ नहीं बहेंगी, इसका वादा मैं करती हूँ। अब इसके पहले कि देर हो जाये… जा कर उन्हें पूछो, शायद वो तुम्हारी सहायता करने को तैयार हो जायें….” मैंने कहा।
“दीदी! आप पूछो ना! हमें शरम आती है….” सिमरन बोली।
“ठीक है आओ मेरे साथ!” और मैं उन दोनों का हाथ पकड़ कर मेरे बेडरूम में ले आयी जहाँ जय और विजय थे।
“अरे तुम दोनों कब आये?” मैंने पूछा। विजय बताने लगा पर उसकी बात पूरी हो पाती उसके पहले ही सिमरन जोर से बोली कि “तुम तीनों चुप हो जाओ, दीदी पूछना चाहती है कि क्या तुम दोनों हमें चोदोगे?”
“प्लीज़ हमें चोदो ना!” साक्षी ने गिड़गिड़ाते हुए कहा। मैंने उनका लंड खड़े होते हुए देखा।
जय ने कहा कि, “हाँ! चोदेंगे पर एक शर्त पर….” तो सिमरन ने पूछा कि, “शर्त? कैसी शर्त?”
“शर्त ये है कि तुम्हें हमसे गाँड भी मरवानी होगी!” विजय ने कहा।
साक्षी बोली कि, “नहीं! मैं अपनी गाँड नहीं मरवाऊँगी, मैंने श्याम को भी अपनी गाँड आज तक मारने नहीं दी है।“
प्रीती ने एक सिगरेट सुलगाते हुए आगे बताया: कमरे में सन्नाटा छा गया तो मैं बोली, “तुम दोनों इन्हें अपना लौड़ा दिखाओ….. शायद इनका विचार बदल जाये!” दोनों ने अपने कपड़े उतार दिये और अपना लंड पकड़ कर हिलाने लगे। उनका मोटा ताज़ा लंड देखकर सिमरन और साक्षीके मुँह में पानी आ गया और दोनों सोचने लगी कि गाँड मरवायें कि नहीं।
सिमरन जय की तरफ बढ़ते हुए बोली कि “तुम हमारी गाँड मार सकते हो लेकिन हमारी चुदाई करने के बाद।”
साक्षी भी पीछे कहाँ रहने वाली थी, अपने आपको विजय की बाँहों में धकेल कर बोली कि, “गाँड मारनी है तो मार लेना, लेकिन चूत चोदने में देर मत करो।”
“प्लीज़! इस कमरे में नहीं! मुझे दूसरे कमरे में ले चलो….. यहाँ साक्षी है….” सिमरन ने कहा।
जय ने सिमरन को बेड पर ढकेलते हुए कहा कि, “तो इसमें क्या है? ज्यादा मज़ा ही आयेगा जब हम दोनों भाई तुम दोनों को एक ही बिस्तर पर चोदेंगे।”
मैं रूम के बाहर आ चुकी थी। थोड़ी देर में मुझे सिसकरियों की आवज़ सुनाई दे रही थी। मैंने कमरे में झाँक कर देखा कि सिमरन और साक्षी अगल बगल लेटी थीं। दोनों की टाँगें हवा में थी और जय विजय उनकी कस कर चुदाई कर रहे थे। थोड़ी देर में उनके कुल्हे भी उछल उछल कर दोनों का साथ दे रहे थे। मैं कुर्सी पर बैठ कर सिगरेट पीते उनकी चुदाई का तमाशा देख रही थी। दोनों अब जम कर चुदवा रही थीं ।
“ओहहहहह और जोर से चोदो ना”, सिमरन सिसकी।
“आँआँआआआआआआ चोदो मुझे…. और जोर से चोदो!!!!!, आहहहहह क्या तुम्हारा लंड है…. और तेजी से आआआओऊऊ!!!” साक्षी भी कामुक्ता भरे शब्द बोल रही थी।
“हाँआँआआआआ इसी तरह से!!!!! तुम्हारे लंड का जवाब नहीं!!!!” सिमरन ताल से ताल मिलाते हुए बोल रही थी। प्रीती ने आँखें नचाते हुए हमें बताया।
प्रीती ने कहानी जारी रखते हुए कहा, “साक्षी सिसक रही थी कि “विजय क्या कर रहे हो? और जोर से चोदो ना, आज मेरी चूत का भोंसड़ा बना दो….. आआआआहहहहह ओहहहहह जोर से हाँआआआआआ!!!”
“ओहहहहह जय!!! जोर से…… हाँआआआआ चोदते जाओ!!!! मेरा छूटाआआआआ!!!!” कहकर सिमरन बेड पर पसर गयी और अपनी साँसें संभालने लगी।
“ऊऊऊऊईईईईईई माँआँआआआआ…. हाँआआआआआ जोर से!!!!! चोदो और जोर से!!!!! मैं गयीईईईई!!!!” और साक्षी की चूत ने भी पानी छोड़ दिया और जोर-जोर से धक्के लगाते हुए जय और विजय ने भी अपना पानी छोड़ दिया। चारों एक दूसरे को बुरी तरह से चूम-चाट रहे थे। प्रीती विस्तार से उनकी कहानी सुना रही थी।
प्रीती आगे बोली: सिमरन जय को बुरी तरह चूमती हुई बोली कि, “थैंक यू जय! मज़ा आ गया….. एक बार और चोदो ना!”
विजय बिस्तर से उठने लगा तो साक्षी उसका हाथ पकड़ कर बोली कि, “तुम कहाँ चले? क्या तुम दोबारा नहीं चोदोगे?”
विजय ने कहा कि, “चोदूँगा लेकिन इस बार तुम्हें नहीं…. सिमरन को! जय तुम साक्षी को चोदो मैं सिमरन को देखता हूँ।”
दोनों ने अपनी जगह बदल ली और अपने खड़े लंड को दोनों की चूत में डाल कर चोदने लगे।
प्रीती ने अपनी सिगरेट को ऐशट्रे में बुझते हुए बात पूरी की। इस कहानी के लेखक सुनील अग्रवाल है!
हम सब दरवाजे से कान लगाये सुन रहे थे, जहाँ से सिसकरियों की और कामुक बातों की आवाज़ें आ रही थीं। चुदाई इतनी जोर से चल रही थी कि बिस्तर भी चरमरा उठ था। थोड़ी देर बाद एक दम खामोशी छा गयी। लगता था कि उनका दूसरा दौर भी समाप्त हो चुका है। सिर्फ़ उनकी उखड़ी साँसों की आवाज़ सुनाई दे रही थी।
“जय! अपना लंड खड़ा करो…. मुझे और चुदवाना है?” साक्षी बोली।
“एक काम करो! मेरे लंड को मुँह में लेकर जोर से चूसो….. जिससे ये जल्दी खड़ा हो जायेगा”, जय ने कहा।
“मैंने आज तक लंड नहीं चूसा है और ना ही चूसूँगी”, साक्षी ने झूठ कहा।
“लंड नहीं चूसोगी तो चुदाई भी नहीं होगी”, जय ने कहा, “देखो सिमरन कैसे लंड को चूस रही है और वो खड़ा भी हो गया है।”
“उसे चूसने दो! मैं लंड खड़ा होने का इंतज़ार कर लूँगी”, साक्षी ने कहा।
थोड़ी देर बाद साक्षी गिड़गिड़ाते हुए बोली, “जय प्लीज़! चोदो ना मुझसे नहीं रहा जाता।”
“चुदवाना है तो तुम्हें पता है क्या करना पड़ेगा?” जय ने कहा।
“तुम बड़े वो हो!” कहकर साक्षी, जय के लंड को मुँह में लेकर चूसने लगी।
“संभल कर! कहीं मेरे लंड पर दाँत ना गड़ा देना।”
साक्षी अब जोर-जोर से लंड को चूस कर खड़ा करने की कोशिश कर रही थी। “ममम… देखो! खड़ा हो रहा है ना? और जोर से चूसो!” जय ने अपना लंड उसके मुँह में और अंदर तक घुसा दिया।
“मममम…. देखो ना! खड़ा हो गया है….. अब चोद दो ना!” साक्षी बोली।
“ठीक है! अब घोड़ी बन जाओ, अब मैं तुम्हारी गाँड मारूँगा”, जय ने कहा।
“नहीं! पहले चूत की चुदाई करो…… फिर गाँड मारना”, साक्षी बोली। इस कहानी के लेखक सुनील अग्रवाल है!
“गाँड नहीं तो चूत भी नहीं!” जय ने कहा।
“तुम बड़े मतलबी हो”, साक्षी घोड़ी बनते हुए बोली।
“विजय! क्या तुम सिमरन की गाँड मारने को तैयार हो?”
“हाँ! पहले इसे लौड़ा तो चूस लेने दो”, विजय बोला।
“लौड़ा बाद में चूसाते रहना, अब हम साथ-साथ इनकी गाँड का उदघाटन करते हैं”, जय ने कहा।
“ठीक है सिमरन! अब तुम घोड़ी बन जाओ!” विजय ने कहा।
“तुम इसकी बातों पे ध्यान मत दो, मुझे लौड़े को चूसने दो”, सिमरन और जोर से लौड़े को चूसते हुए बोली।
“नहीं सिमरन पहले गाँड!” विजय बोला।
“ओहहहहह धीरे से करो ना!!!! मुझे दर्द रहा है!!!!! ऊऊऊऊऊ मर गयीईईईईई”, साक्षी दर्द से कराह उठी।
“थोड़ा दर्द सहन करो, मेरा लंड बस घुस ही रहा है, क्या तुम्हें महसूस हो रहा है?” जय ने अपना लंड घुसाते हुए कहा।
“ऊऊऊऊहहहहह हाँआआआआ…” साक्षी कराही।
“मेरा घुस गया, विजय तुम्हारा क्या हाल है?”
“मैं इसकी चूत में अपना लंड डाल कर उसे गीला कर रहा हूँ, कारण इसकी चूत के जैसी ही इसकी गाँड भी टाइट होगी ना!” विजय ने कहा।
“ज्यादा मत सोचो….. और जोर से अपना लंड उसकी गाँड में पेल दो”, जय बोला!
“तुम उसकी बातों पे ध्यान मत दो, ओहहहहह मर गयीईईईई…… निकाल लो दर्द हो रहा….आआ है!!!!!” सिमरन दर्द में जोर चिल्लायी।
“विजय! और जोर से डालो!” जय जोर से बोला।
“हाय भगवान!!!! मैं मरीईईई, विजय, प्लीईईज़!!!! धीरे करो…… दर्द हो रहा है…..” सिमरन दर्द से छटपटा रही थी। उसकी आँखों में आँसू आ गये थे।
“अब मेरा भी पूरा घुस चुका है, जय!” विजय बोला।
“ठीक है….. फिर मेरे धक्के से धक्का मिलाओ और साथ में इनकी गाँड मारो!” जय ने कहा। इस कहानी के लेखक सुनील अग्रवाल है!
दोनों ताल से ताल मिला कर उनकी गाँड मार रहे थे। कमरे से उनकी कराहने की आवाज़ आ रहा थी। माहोल एकदम गरम हो रहा था। हम सब को भी अपनी हालत पर काबू करना मुश्किल हो रहा था।
“आखिर में विजय ने सिमरन की गाँड मार ही दी!” राम बोला।
“हाँ और जय का लंड साक्षी की गाँड में घुसा हुआ है!!!” श्याम ने मंजू की चूचियों को भिंचते हुए कहा, “अब मैं तुम्हें चोदूँगा।”
“हाँ! अब हम उनकी बीवीयों को उनके सामने ही चोदेंगे”, राम ने अंजू को गोद में उठाते हुए कहा।
“आगो बढ़ो और मज़े करो”, प्रीती ने उन्हें बढ़ावा दिया। “और हाँ! तुम दोनों को एक दूसरे की बीवी को भी चोदना है”, प्रीती राम और श्याम से बोली।
“चलो हम लोग तमाशा देखते हैं”, मैं प्रीती से बोला।
“प्लीज़ सुनील! मेरे और अपने लिये एक-एक पैग बना दो ना!” प्रीती पैंट के ऊपर से ही मेरे लंड को सहलाते हुए बोली। Hindi Sex Stories
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