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सबसे पहले तो मैं अन्तर्वासना Hindi Sex Stories का धन्यवाद करना चाहता हूँ मेरी नियमित रूप से कहानी छापने के लिये!
मैं कहानियाँ लिखता भी रहा हूँ और पढ़ता भी रहा हूँ पर नेहा वर्मा की कहानी मुझे बहुत अच्छी लगती है।
मैंने अपको अपनी पिछली कहानी
लव स्टोरी 2008
में बताया कि किस तरह से उस लड़की ने मुझे मिलने के लिये तड़पाया और मुझे बाद में छोड़ के भी चली गई उसे भुला तो मैं नहीं पाया था लेकिन जिन्दगी जीना सिखा ही देती है।
उसके बाद मैं कई दिनों तक चूत की तलाश में बेचैन रहा और किसी को पाना चाहता था।
ऐसे में मेरे एक दोस्त ने मुझे बताया कि आजकल तो लड़कियाँ पैसे देकर करवाती हैं और तू ऐसे तड़प रहा है!
तो मैं उसके सुझाव को सही मान कर उसकी बातों में आ गया और लौट गया मस्ती की दुनिया में फिर से!
उसने मुझे एक शादीशुदा अमीरजादी का नम्बर दिया जो पैसे देकर करवाती थी।
मैंने भी हिम्मत कर के उससे फोन पे बात की।
उसने मुझे अपने घर पर मौज-मस्ती के लिये बुला लिया।
वो दिल्ली के एकदम पॉश इलाके में रहती थी, शानदार गाड़ी उसके घर के बाहर देख कर मैंने सोचा कि बहुत ही मालदार और सेक्सी होगी।
खैर मालदार तो थी लेकिन सेक्सी के नाम पर धब्बा! देखने में एकदम लटकी हुई काया उसकी!
मेरा तो मुंह जैसे एकदम से उतर ही गया कि चूत की तलाश में मैं कहाँ फंस गया.
मैंने मन ही मन अपने दोस्त को बहुत ही गालियाँ दी- साले ने कहाँ फँसा दिया!
उसने मुझे बहुत ही प्यार से अन्दर बुलाया।
उसका घर बहुत शानदार था, देख के मैंने उसके घर की तारीफ की।
इस पर उसने मुझे अजीब से तरीके से देखा जैसे वो कुछ और चाहती थी और मैने बोल दिया कुछ और!
तब मुझे एकाएक याद आई कि किसी भी औरत के सामने उसके अलावा और किसी भी चीज की तारीफ नहीं करनी चाहिए।
मुझे उस लड़की के प्यार ने जैसे पागल ही बना दिया था (लव स्टोरी २००८ वाली) कि मैं उसकी तारीफ ही करना भूल गया।
तो मैंने बात को सम्भालते हुए कहा- लेकिन आपकी साड़ी से कम!
तो इस पर वो हँस पड़ी।
पता नहीं- पहली बार मुझे सेक्स करने का मन नहीं कर रहा था मगर सेक्स मेरी जरुरत भी बन गया था।
लेकिन उसके बेडौल शरीर के बावजूद गजब की अदाएँ थी उसकी।
वो बहुत बल खा के चल रही थी और बहुत ही हंसमुख भी थी, बात बात पर हंसती थी और मेरी तो चुटकुले छोड़ने की तो आदत है ही बात बात पर चुटकुले!
उसने गुलाबी रंग की साड़ी पहनी थी जो मुझे बेचैन कर रही थी। मैं ये सब सोच ही रहा था कि वो मेरे लिए शेक बना लाई।
मैंने जान कर खुश होकर शेक उसके हाथ से पीने की इच्छा जाहिर की।
वो झट से मान गई, जैसे वो तो यही चाहती हो और अब तक उसके हाथों में थोड़ी सी हलचल भी होने लगी थी।
मेरा जबरदस्त शरीर देख कर वो बहुत ही लालयित हो गई थी और शायद थी बहुत बेचैन कुछ पाने के लिये!
मैंने झट से शेक खत्म किया और उसके गुंदाज बदन को ध्यान से देखा तो लगा कि शायद यह मेरा एक अनमोल अनुभव रहने वाला है।
उसे देख कर मैं एक दम से जंगली हो गया।
मैं उसे नीचे बैठा कर उसके बाल पकड़ कर एकाएक उसके उभारों को दबाने लगा।
उसकी आँखों में गजब की प्यास थी, एकदम भूखी शेरनी की तरह!
अब मुझे कुछ महसूस हो रहा था कि जैसे अब मैं तैयार हो गया हूँ कुछ करने के लिये! मेरे अंदर एक वहशीयत सी आ गई है, मैं उसे रौंदना चाहता हूँ अपने पूरे जोर से, ताकत से, मस्ती से!
यह एक नये एहसास जैसा था कि मैं एक अपने से बड़ी उमर की औरत के साथ अपनी हवस पूरी करने जा रहा हूँ।
पर मैं यह सब सोच ही रहा था कि मेरी पैंट की जिप खुल चुकी थी।
मैंने यह सब करने से पहले उसे उठा कर अपनी ओर खींचा और उसके होठों को चूमना शुरु कर दिया और उसका बालों को खोल दिया।
मुझे उसके साथ खेलने में मजा आ रहा था।
उसके स्तन क्या बताऊँ, एकदम कप साइज के थे।
मुझे यह सब महसूस करके अच्छा लग रहा था।
वो अब तक मेरे लण्ड पर कब्जा बना चुकी थी उसकी साड़ी देख कर मेरे अन्दर का दुःशासन जाग गया और मैंने एकाएक उसकी साड़ी खींचनी शुरु कर दी।
हा हा हा वो एक दम सविता भाभी डॉट काम की हीरोइन लग रही थी सिर्फ़ चड्डी में!
मुझे यह देख कर एक मस्ती सूझी, मैंने उसकी लिपस्टिक पौंछ दी और अपने लण्ड पे लिपस्टिक लगा कर उसे चूसने के लिये कहा।
मैंने देखा कि वो भी इन सब चीजों का मजा ले रही है और बहुत हंस भी रही है।
तुम अज़ीब दीवाने तो हो ही, मूडी भी हो! अभी थोड़ी देर पहले तक मूड खराब सा लग रहा था और अब मस्ती सूझ रही है?
मैंने चुपके से उसकी पैंटी खींच दी … हहह हहह हहहह! मस्त चिकनी चूत थी उसकी एकदम! मक्खन जैसी नाजुक!
उसे मैंने हल्के से चिकोटी काटी, वो झट से मेरी गोद में आकर बैठ गई।
अब मुझे भी मस्ती छाने लगी थी। मैंने पास में रखा हुआ बनाना-शेक उसके ऊपर थोड़ा उलटा दिया और उसे बेतहाशा चूमने चाटने लगा। उसे मेरा ये स्टाइल अच्छा लगा और उसने भी अपनी आह उह से मेरा स्वागत किया। मुझे इस बात पर जोश छाया और मैंने उसे औंधा लेटा दिया और उसके ऊपर सारा बनाना-शेक पलट दिया उसे ठंडक का एहसास होने लगा और वो मेरी बाहों में आकर लिपट गई। मैं अब उसके सांसों की गरमी महसूस कर सकता था।
मैंने अब उसे धक्का देकर बेड पर लेटा दिया वो अब मेरे इरादे समझ चुकी थी तो उसने भी देर ना करते हुए अपनी टांगें फैला दी.
मैं सीधा आकर उसकी टांगों के बीच बैठ गया और कुछ करने से पहले उसकी गांड में उंगली घुसा दी।
वो सिहर उठी।
अब मैंने देर ना करते हुए जल्दी से काँडम चढ़ा लिया और उसके यौन-मंडल पर अपना लिंग रख दिया और धीरे से अंदर सरका दिया।
उसके मुख-मंडल पर नशे की लहर दौड़ उठी।
मैं थोड़ी देर वैसे ही रहा और उसके मुँह में उँगली घुसा दी वो मेरी उँगली को चूसने लगी।
मुझे और उसे दोनों को मजा आने लगा।
मैंने उँगली उसके मुंह से निकाल कर फिर से उसकी गाँड में डाल दी और धीरे धीरे उसकी चूत को चोदने लगा।
वो अब एकदम मदहोश हो गई।
मैंने एक हाथ उसकी गरदन के नीचे लगा दिया और जोर से धक्के लगाने लगा। वो जल्दी ही झड़ गई। थोड़ी देर में मैं भी झड़ने वाला था तो मैंने अपनी गति बढ़ा दी और झड़ गया।
अब मैं उसके साइड में आकर लेट गया, वो काफी खुश लग रही थी।
मुझे नहीं पता था कि एक औरत मुझे इतना मजा दे सकती है।
उसकी कोमलता एक लड़की से ज्यादा थी और गरमी एक आग की भट्टी से ज्यादा!
मैंने उसके अंदर अपने प्यार को तलाशना चाहा और आशिकों की तरह ही उसे प्यार किया लेकिन बावजूद इसके, उसने मुझे पैसो में तोलना चाहा। पर क्या प्यार का कोई मोल हो सकता है?
मैंने उससे पूछा- क्या तुम्हें मजा आया?
उसने हामी भर दी तो मैंने कहा- सपनों में आकर तो सब चोद जाते है, हम तो वो है जो खुली आँखों में चुदने के सपने छोड़ जाते हैं। अगर खुशी हुई है तुझे तो पैसो में ना तोल मेरी मुहब्बत को! हम वो नहीं जो नोटों के लिये पैमाने छोड़ जाते हैं।
बस यह कह कर मैं वहाँ से चला आया फिर से नई चाह में, नये साथी की तलाश में!
अब मैंने भी ठान लिया है कि तेरे हसीन चेहरे को दूसरों में खोजता रहूंगा और अगर ना मिली तू तो तेरी चाह में दूसरी को चोदता रहूँगा।
तू इस जहाँ में नहीं तो उस जहाँ में मुझे मिलेगी और ना मिली तो तेरी बातें सोचता रहूँगा। Hindi Sex Stories
बनारस में कहावत है कि Antarvasna किसी जवान लड़की की गाण्ड देख कर अगर लौड़ा खड़ा नहीं हुआ तो वो बनारसी नहीं है। यहाँ लोग गाण्ड के दीवाने होते हैं। कोई चिकना लौण्डा हो तो भी लण्ड फ़ड़फ़ड़ा उठता है। फिर मैं और नसीम तो जवान, कम उम्र, और सुपर गोल गाण्ड वाली लड़कियाँ थी, किसी की नजर पड़ गई तो समझो लण्ड से नहीं तो उनकी नजरों से तो चुद ही जाती थी। हम दोनों ऐसी नजरें खूब पहचानती थी।
मैं और मेरी रिश्ते की बहन नसीम, जो मेरी अच्छी सहेली भी थी, हम दोनों बाल्कनी में खड़ी बाते कर रही थीं। नीचे ही देख रही थी कि मुझे दो लड़के नज़र आये।
“नसीम, ये दो नये लौण्डे कौन हैं?”
“वो तो अनवर है और ये जीन्स वाला फ़िरोज़ है, अपने ही रिश्ते में है।”
“यार, मस्त लौण्डे हैं, आज इनको पटाते हैं…”
“यार, तेरी तो बहुत जल्दी फ़ड़कने लगती है बानो…”
“सच कह रही हूँ, मुझे इन चिकने लौण्डों से चुदवाने में बड़ा मजा आता है…”
“हाय, दो सहेलियां खड़ी खड़ी, दोनों चुदायें घड़ी घड़ी …”
हम दोनों खिलखिला कर हंस पड़ी। नीचे से दोनों ने हंसी सुन कर ऊपर देखा और दोनों हमें देखते ही रह गये। फिर दोनों ने एक दूसरे को मुस्कुरा कर देखा।
“लगा तीर दिल पर…!” मैंने कहा,”अब ये तो गये काम से…समझ लो आज रात का काम बन गया !”
नसीम मुझे हैरानी से देखने लगी…”देख, वो फ़िरोज़ मेरा वाला है…!”
“भेनचोद, तुझे लण्ड चाहिये या शकल… जो पट जाये वही ठीक है… चल अब एक्टिंग शुरू करें !”
नसीम भी पटाने की अपनी तरह से तैयारी करने लगी। मैंने भी अपना मूड बना लिया और अन्दर जा कर तंग काली वाली कैप्री पहन ली और एक नीचे गले वाला छोटा सा स्लीवलेस टॉप डाल लिया। ऐसा टॉप था कि जरा सा पास आने से चूंचियो के दर्शन हो जाते थे। थोड़ा सा मेक-अप किया और कंटीली नार बन कर नीचे उतर कर आ गई। उनमें से एक युवक अन्दर की ओर आ रहा था। मैंने आव देखा ना ताव, सीधे उससे टकरा गई।
“हाय अल्लाह, आह्ह्ह, …” मैंने कराहते हुए उसे देखा।
“सॉरी…सॉरी… लगी तो नहीं…?” उस युवक ने कहा।
“हाय अम्मी… आप देख कर नहीं चलते…?” मैंने अपनी बड़ी बड़ी आंखे धीरे से उठाई… उसने ज्योंही मुझे देखा … उसका दिल धक से रह गया… आंखे फ़ाड़ फ़ाड़ कर मुझे देखने लगा…
“या खुदा… रहम कर… ये हूर… आप कौन हैं…?”
उसके मुख से आह सी निकली। लगा कि काम बन गया।
“मैं… मैं.. शमीम बानो… ” नाटक चालू था… मैंने अपनी आंखे धीरे से झुका ली… और जान करके उसके और पास आ गई। उसके दिल पर कई कांटे गड़ चुके थे। उसकी नज़र मेरे पास आते ही मेरे टॉप के अन्दर पड़ गई, जहाँ मेरे उभार उसकी आंखो को रस पिलाने के लिये बेताब हो रहे थे। उसे समय दिये बिना डोरे डाले जा रही थी।
“सुभान अल्लाह… ये जिस्म है या जादू … !!” मेरा अगला तीर भी निशाने पर बैठा। मेरी नजर अचानक नसीम पर पड़ी तो बराबर हाथ हिला कर कुछ कहना मांग रही थी, पर मैं मौके की नजाकत को समझ रही थी, मुर्गा फ़ंसने को तैयार था…
“हाय… ये क्या कह रहे है आप…” मैं हाथ से छूटे कपड़े उठाने के लिये यूं झुकी कि कैप्री में से चूतड़ की दोनों गोलाईयां उभर कर उसके चेहरे के सामने आ गई। दोनों चूतड़ खुल कर खिल उठे… उसकी नजर ने इसका पूरा जायजा लिया, मेरे उठते ही काप्री मेरे चूतडों की दरार में घुस गई… उसके मुख से आह पर आह निकलती गई। तीर जिगर में धंसते चले गये।
“बानो, मैं फ़िरोज़… आपने तो जाने क्या जादू कर डाला ?” मैं नसीम का इशारा अब समझी। पर काम तो हो चुका था। मैंने तुरन्त उसकी तरफ़ कंटीली चिलमन से मुसकरा कर देखा।
“जादू… देखो आपने तो मुझे चोट लगा दी…” मैंने तिरछी नज़रों का एक वार और कर डाला।
“और मुझे जो चोट लगी है वो…?” घायल सा वो बोला।
“ओह… सॉरी… कहां लगी है…बताईये तो…!” मैंने अनजान बनते हुए कहा। उसका लण्ड का उठान शुरू हो चुका था, और पैंट में से उभर रहा था।
“यहां पर…!” उसने अपने दिल पर हाथ रख कर कहा।
“धत्त… हाय अल्लाह… !!” मैं कह कर नसीम वाले कमरे में भाग आई। फ़िरोज वहीं घायल सा तड़फता खड़ा रह गया। जाने कितने तीर लग चुके थे उसके दिल पर…।
नसीम ने मुझे देखते ही नाराजगी जाहिर की…”वो तो मेरा वाला था… साला बेईमान निकला… देखा नहीं तुझे देख कर मादरचोद ने लण्ड हिलाना चालू कर दिया।”
“अभी तो लण्ड हिला रहा है…देखना भेनचोद रात को यही लण्ड खड़ा मिलेगा… फिर क्या तेरी चूत और क्या मेरी चूत… सबको चोद देगा !”
“बानो, तू बड़ी खराब है… अब अनवर को मुझे पटाना पड़ेगा…!”
“सॉरी नसीम… साला वो पहले सामने आ गया… इरादा तो अनवर को पटाने का ही था!”
मैं ऊपर अपने कमरे में चली आई… । फ़िरोज मेरा पीछा कर रहा था। मेरे पीछे पीछे फ़िरोज भी आ गया। मैं कपड़े बदल चुकी थी और सिर्फ़ एक गाऊन जान करके डाल रखा था, अन्दर कुछ नहीं पहना था। पर अब तक वो आया क्यूं नहीं। उसने दरवाजा खटखटाया और अन्दर झांका… मैं उसके अचानक आने का मैंने घबराने का नाटक किया।
“आप… फ़िरोज जी…”
“खुदा कसम… मन नहीं माना… तो आपके पास आ गया…।”
“कहिये… क्या हुआ…” मुझे पता था कि हरामी का लौड़ा खड़ा हो रहा होगा… तो पीछे पीछे आ गया आशिकी झाड़ने। पर मुझे तो उसका पूरा आनन्द जो लेना था। सोचा चलो शुरुआत अभी कर लेते है…रात को चुदवा लेंगे। मेरी तैयारी पूरी थी, अन्दर से मैं पूरी नंगी थी, बस काम चालू होते ही मेरे नंगे जिस्म को मसल देगा वो…।
“बानो… आप मेरे मन को भा गई है… देखिये खुदा के लिये इन्कार मत करना…”
मैंने अपना मुख दोनों हाथों से ढक लिया…और शर्माने का भरपूर नाटक करने लगी।
“ऐसे मत कहिये… खुदा की मार मुझ पर… आप तो मेरे लिये खुद ही खुदा है…”
“क्या कहा… कबूल है… ओह्ह मेरी किस्मत… अल्लाह रे… आपने बन्दे की सुन ली…”
साला मरा जा रहा था मेरे पर… पर मुर्गा इतनी जल्दी लपेटे में आ जायेगा यकीन नहीं हो रहा था। मेरा जिस्म फ़ड़कने लगा कि अब उसके हाथ मेरे तन को सहलायेंगे। इतना सुन्दर, गोरा, लम्बा और सुडोल शरीर वाला लड़का… बिलकुल जैसे खजाने में से निकाला हो, नया नया जवान … 18-19 साल का… हाय… बेचारा गया काम से। आगे बढ़ कर मेरे हाथो को उसने पकड़ लिया। मैंने जैसे कांपने का नाटक किया।
“हाय अल्लाह, ना छुओ … मैं मर जाऊंगी” मैंने शरमाने का भरपूर नाटक किया। उसने जोश में मेरा मुख चूम लिया और उसके हाथ मेरी चूंचियों पर आकर उसे नापने लगे। मैंने शरम से झुक गई और उसे दूर हटाने लगी… “फ़िरोज… बस करो… छोड़ दो मुझे…”
“पहले वादा करो, रात को मेरे कमरे में मिलोगी ना…”
“बस करो ना… हाँ आ जाउंगी ना… बस” कहते ही फ़िरोज ने मुझे छोड़ दिया। मुझे निराशा हुई कि मेरा बदन तो कोरा ही रह गया। लेकिन नहीं … वो इतनी जल्दी मानने वाला नहीं था। फिर से नजदीक आया और मुझे लिपटा लिया। गाऊन के अन्दर उसके हाथ पहुंचने लगे। मेरा तन पिघल उठा। मेरा अंग अंग नपा तुला सा दबा जा रहा था। सभी उभारों को उसने एक कली की तरह मसल दिया। मेरी सिसकियाँ गूंज उठी। चूत पानी टपकाने लगी। मैं उसकी बाहों में तड़प उठी। फिर धीरे से उसने छोड़ दिया। मैंने अपना गाऊन ठीक किया। वो मुझे प्यार से निहारते हुए जाने लगा।
“तो फिर रात को…। बाय …बाय…” वो जैसे ही मुड़ा तो मुझे लगा कि मैंने तो उसे झटका दिया ही नहीं।
“फ़िरोज, रुको तो…” जैसे ही वो रुका , मैं उसके पास आ गई और उससे चिपक गई। वो कुछ समझता मैंने उसका लण्ड पकड़ लिया और दबाने लगी।
“बानो… मैं मर गया… छोड़ दे रे…”
“फ़िरोज प्लीज… दबाने दो… मेरी बहुत इच्छा थी इसे हाथ में लेकर दबाने की… बहुत मोटा और लंबा है?”
उसका लण्ड तन्ना उठा। वो तड़प उठा। मेरा हाथ हटाने लगा पर मैं कोई कच्ची खिलाड़ी थोड़े ही थी। जम के उसक लौड़ा पकड़ा और मसलने लगी। उसका डन्डा था भी लम्बा और हाथ में ऐसे फ़िट आया कि उसका मुठ ही मार दिया। वो लहरा उठा…
“बानो, अरे मेरा लण्ड तो छोड़ दे, हाय रे”
“प्लीज फ़िरोज… बहुत अच्छा है… मसलने दे ना” मैंने जिद करके मसलना चालू रखा। कुछ ही पलों में पेण्ट में एक काला धब्बा उभर आया। उसका वीर्य निकल पड़ा था। मेरा काम हो गया था। उसके मुंह से एक आह निकली…
मैंने कहा,”फ़िरोज… शाम को मेरा निकाल देना बस…” और हंस पड़ी।
“मेरी तो मां चोद दी बानो… तुझे भी नहीं छोड़ने वाला… तेरी भी फ़ोकी चोद डालूंगा देखना !” फ़िरोज़ भी झड़ने से थोड़ा शर्मिन्दा हो गया था।
रात के एक बज रहे थे। मेरे मोबाईल का अलार्म बज उठा, सुस्ती के मारे उठने का मन नहीं कर रहा था। पर फ़िरोज़ के मोटे लण्ड का ख्याल आते ही जिस्म तरावट से भर गया। मैं झट से उठी। मैंने नसीम के कमरे में झांक कर देखा और धीरे से उसे जगाया। हम दोनों ही दबे पांव कमरे से बाहर आ गये। हम दोनों ही रात के सोने वाले वाले कपड़े पहने थे। बस एक झीना सा पजामा और एक उटंगा सा कुर्ता…
“चल यार चुदना ही तो है क्या मेक-अप करना…” मैंने कहा और सीढ़ियां चढ़ कर फ़िरोज के कमरे के बाहर आ गई।
“अभी तू बाहर से देखना, फिर मैं तुझे बुला लूंगी” मैंने नसीम को तरकीब बताई।
“नहीं, मैं अनवर को बुलाती हूँ… तू जा…”
“पर अनवर… “
“मैंने उसे पटा लिया है… दिन को एक बार चुदा भी चुकी हूँ।” नसीम में फ़ुसफ़ुसा कर कहा। मुझे जलन हो उठी… साली भोसड़ी की… मेरे से पहले ही चुदा लिया। मैं तो चाह रही थी कि अनवर पर भी लाईन मार कर उसे फ़ंसा लेती और उससे भी खूब चुदाती…।
नसीम साईड वाले कमरे में अनवर के पास चली गई। मैंने फ़िरोज़ का दरवाजा खोला। मुझे किसी ने अचानक ही पीछे से दबोच लिया। सामने फ़िरोज़ खड़ा था… तो फिर मेरी गाण्ड में ये लण्ड किसका गड़ा जा रहा था।
“आज तो बानो की मां चोदनी है… साली ने मेरा दिन को मेरा माल निकाल दिया था” फ़िरोज़ ने मुस्करा कर कहा।
“चल तू क्या चोद रहा है…” ये आवाज अनवर की थी… मेरा मन मयूर नाच उठा… अनवर तो बिन पटाये ही लण्ड लिये हुए खड़ा है।
“मैं इसकी चूत चोदता हूँ और तू गाण्ड चोद इस… नमकीन की…” फ़िरोज़ बोला।
“साला हरामी, चोदने का मुझे वादा किया और चूत बानो की चोदेगा…” कमरे में अनवर को नहीं पा कर नसीम आ चुकी थी। मैं एक बार फिर ईर्ष्या से जल उठी। ये माँ की लौड़ी यहाँ कैसे मर गई। दो दो लण्ड की आश खत्म हो गई थी। फ़िरोज़ ने ज्योंही नसीम को देखा , वो उसकी ओर लपक उठा…
“अनवर , मेरे दिल की रानी आ गई…” और नसीम को अपनी बाहों में उठा कर बिस्तर पर आ गया। फ़िरोज़ का लण्ड देखते ही बनता था, नसीम को देखते ही वो फ़नफ़ना उठा था। मैं अब और निराश हो चली थी कि ये हरामी तो नसीम का आशिक निकला।
“मेरा पजामा मत फ़ाड़ना… नहीं तो नीचे नहीं जा पाउंगी !” नसीम में खुद ही अपना पजामा उतार दिया। मुझे भी अपना पजामा उतारने में भलाई ही लगी। अब कौन हमें छोड़ता… फ़िरोज़ ने नसीम को दबा डाला और लण्ड चूत में घुसेड़ दिया। नसीम ने फ़िरोज़ को जोर से कस लिया और सिसक उठी। मुझे नीचे पड़े बिस्तर पर अनवर ने प्यार से लेटाया और अपना खड़ा लण्ड मेरी चूत पर हौले हौले घिसने लगा। डबलरोटी की तरह फ़ूली हुई मेरी चूत के पट खुलने लगे। दोनों फ़ांकें खुल गई। बीच की पलकें जो हल्की भूरी सी, टेढी मेढी सी लहराती हुई मांसल चमड़ी और बीच में पानी का गीलापन और फिर झाग से बुलबुले से भरी मेरी रसीली चूत पर अनवर मर मिटा। उसके होंठ मेरी चूत से लग गये और उनका रसपान करने लगा। मेरी चूत से लगा मेरा दाना फ़ड़क उठा, उसके होंठ बार बार मेरे दाने को भी चूस लेते थे…
“अनवर मियां… मैं मर जाउंगी… प्लीज फ़िरोज की तरह चोद डालो ना…”
“नहीं, बानो… चोदेगा तो तुम्हें फ़िरोज ही, मैं तो गाण्ड का दीवाना हूँ…”
मुझे फिर थोड़ी सी निराशा हुई, पर कुछ ही देर में नसीम को चोद कर फ़िरोज़ मेरे पास हाज़िर हो चुका था। चूस चूस कर लगा था कि झड़ना बाकी है। पर मैंने अपने आप को कंट्रोल किया। फ़िरोज़ का खड़ा लण्ड, सुपाड़े की चमड़ी कटी हुई, सच्चा मुसलमान लग रहा था… उसकी मर्दानगी भी एक पठान की तरह लग रही थी। अनवर सामने से हट गया और फ़िरोज़ ने कमाण्ड सम्हाल ली। वो मेरे पर चढ़ गया और मुझे नीचे दबा लिया। मेरा सारा जिस्म कसमसा उठा। उसका भार बड़ा प्यारा लग रहा था। कुछ ही क्षणों में उसका गरम गरम लण्ड मेरे जिस्म के भीतर समाने लगा। मैं तड़प उठी।
“मेरे खसम… मजा आ गया… पूरा समा दे अन्दर… हाय…” उसने मेरा मुख अपने मुख से दबा लिया और निचले होंठ दबा कर चूसने लगा। अब उसका लण्ड अन्दर बाहर होने लगा। उधर नसीम की गाण्ड को अनवर लण्ड घुसेड़ कर चोद रहा था। नसीम भी मेरी ही तरह गाण्ड चुदाने में माहिर थी।
“बानो, आज आई है नीचे तू… तेरी आस तो मुझे कब से थी रे…अब तो चोद ही दिया !”
” हाय रे मेरे जिगर… तेरे नाम से ही मर मिटी थी जानू…मेरे दिल, मेरी जान… आह रे…” मैं भी अपने मन के लड्डू फ़ोड़ रही थी… साला ऐसा जवां मर्द कहाँ मिलेगा मुझे।
“मैंने कहा था ना तेरी फ़ोकी चोद कर मजा लूंगा… मस्त भोसड़ी है !”
“बस कुछ मत बोल, बस जोर से चोद दे…” मेरी बेताबी बढ़ती जा रही थी, पर मेरी चूत को और गहरी चुदाई चाहिये थी। उसके धक्के तेजी से चल रहे थे। मुझे भी वासना की आग घेर चुकी थी। जिस्म आग में सुलगने लगा था। मीठी मीठी आग तन को जला रही थी। पर मुझे और दबा कर चुदना था। मुझे लगा कि अभी लण्ड पूरा दम लगा कर नहीं चोद रहा है। बिना हल्के दर्द के कैसा चुदना। मैंने दांत भींचते हुये फ़िरोज को दबाया और पलटी मार कर उसके ऊपर आ गई।
“मादरचोद… लौड़े में दम नहीं है क्या… लौड़ा तो साले का मस्त दिखता है…” मैंने फ़िरोज़ को दबाते हुये चूत में उसका सुपाड़ा फ़ंसा लिया और उस पर सीधे बैठ गई और चूत पर पूरा जोर लगा कर लण्ड को अन्दर समा लिया। मुझे लगा कि अब सुपाड़ा की गद्दी ने जड़ में ठोकर मार दी है तब मैंने कस कस कर उसके लण्ड पर अपनी चूत पटक पटक कर मारनी चालू कर दी। हर बार मेरे मुख से आह निकल जाती… चूत की गहराई को उसका लण्ड और गहरा कर रहा था। गहराई की चोट एक अलग ही मजा दे रही थी, थोड़ा सा दर्द और खूब सारा मजा…। उसका लण्ड फ़ूलता सा लगा उसकी पकड़ मजबूत होने लगी। तभी अनवर ने मेरी गाण्ड थपथपा कर इशारा किया। मैं फ़िरोज पर लेट गई और गाण्ड ऊंची कर ली। मेरी गाण्ड में अनवर का लण्ड सरसराता हुआ घुस पड़ा। अनवर के लण्ड के झटके, मेरी चूत को फ़िरोज के लण्ड पर मार कर रहे थे।
फ़िरोज तो झड़ने के कगार पर था… और तभी फ़िरोज के मुख से सिसकारी निकल पड़ी और उसके लण्ड ने वीर्य छोड़ दिया। उसके बलिष्ठ हाथों ने मुझे जकड़ लिया। उसका लण्ड मेरी चूत में गरम गरम लावा भरने लगा… तभी मेरा शरीर भी गर्मी पा कर लहरा उठा और मेरा रज भी छूट पड़ा। मैंने अनवर को धक्का मार कर पीठ पर से उतार दिया और
फ़िरोज के ऊपर लेट कर सुस्ताने लगी। तभी अनवर अपना मुठ मार कर अपना वीर्य मुझ पर उछालने लगा। मेरा चेहरा और बदन उसके वीर्य से भीग उठा……
फ़िरोज़ ने मुझे अलग कर दिया और बाथ रूम में चला गया। मैंने भी सुस्ती छोड़ी और उठ खड़ी हुई, नसीम सो चुकी थी, उसको उठाया और हम दोनों ने अपने चूतडों और चूत के आस पास लगे वीर्य को धो कर साफ़ कर लिया। थोड़ा सा पानी से मैंने अपनी पीठ और सामना साफ़ कर लिया।
“शब्बा खैर… मेरे जानू…” फ़िरोज़ और अनवर ने मुसकरा कर हमें विदा किया। पर नसीम मुड़ मुड़ कर चुदासी आंखों से उन्हे निहार रही थी… मुझे हंसी आ गई…
“अरे कल फिर और चुदा लेना… अब चल साली, नहीं तो सुबह हो जायेगी…”
हम दोनों भारी मन से चुदने की इच्छा लिये दरवाजे से दोनों को एक बार और देखा और अंधेरे में कदम बढ़ा दिये…। Antarvasna
डेल्ही गर्ल सेक्स कहानी उन दिनों की है, जब मैं 12वीं पास करने के बाद आगे की पढ़ाई के लिए पंजाब के एक इंजीनियरिंग कॉलेज में दाखिला करवा चुका था.
हमारे घर के सामने भी हमने एक घर ले रखा है जो हम किराए पर दे देते थे.
उस समय उस घर में दिल्ली से एक बैंक मैनेजर और उनकी पत्नी अपनी दो बेटियों बड़ी तनु और छोटी शिल्पा के साथ रहने के लिए आए.
उनका तबादला हमारे शहर में हुआ था.
वे हमारे घर में अपने परिवार के साथ रहने लगे.
मैनेजर साहब को मैं अंकल और उनकी पत्नी को आंटी कहता था.
अंकल एक साधारण व्यक्तित्व के मालिक और अच्छे स्वभाव के आदमी थे और उनकी पत्नी रीना आंटी बहुत ही गोरी-चिट्टी और मिलनसार महिला थीं.
उनकी बड़ी बेटी तनु देखने में बिल्कुल फिल्म स्टार प्रियंका चोपड़ा की तरह दिखती थी.
तनु ने हमारे ही शहर के एक कॉलेज में बीए के प्रथम वर्ष में दाखिला लिया था.
पड़ोसी होने के नाते हमारा उनके घर में अक्सर आना-जाना रहता था और आंटी भी बेझिझक घर के कामों के लिए मुझे बोल दिया करती थीं.
वैसे तो तनु के बारे में मैंने कभी भी गलत नहीं सोचा था.
लेकिन एक दिन मैं वैसे ही उसके घर में गया.
तब तनु नहा कर निकली थी और गीले बालों में बहुत खूबसूरत लग रही थी.
उसको यूं देखकर मेरे मन में तनु को चोदने के ख्याल आने शुरू हो गए.
उसी दिन से ही मैं तनु को पटाने के तरीके खोजने लगा और उसको अपनी कल्पनाओं में नंगी करके मुठ मारने लगा.
अब मैं जानबूझकर उनके घर ज्यादा आने जाने लगा और हंसी मजाक में तनु से खुलने की कोशिश करने लगा लेकिन कोई भी बात आगे बढ़ ही नहीं रही थी.
तनु भी जवानी की दहलीज पर थी और मेरी हरकतों को बखूबी समझ रही थी परंतु उसने कभी भी मुझसे अपने दिल की बात जाहिर करने की कोशिश नहीं की.
एक दिन मैंने सोचा कि आज जो हो जाए, तनु से बात करके ही रहूंगा.
यही सोच कर मैं तनु के घर चला गया.
आंटी किचन में काम कर रही थीं और शिल्पा अभी अपनी ट्यूशन से वापस नहीं आई थी इसलिए मुझे और तनु को कुछ समय अकेले बैठने का मिल गया.
मैं हिम्मत जुटाकर धीमी आवाज में बोला- तनु, तुम मुझे बहुत अच्छी लगती हो. क्या तुम मुझसे दोस्ती करोगी!
तनु खिलखिला कर हंसी- बुद्धू, इतने दिन लगा दिए इस बात को कहने में! मैं तुम्हें शुरू से ही पसंद करती हूं.
बस उसी दिन से हम लोगों का छुप-छुपकर छत पर मिलना और लंबी लंबी बातें करना शुरू हो गया.
शुरू शुरू में तो हम दोनों अपनी लाइफ की और कॉलेज की बातें ही शेयर किया करते थे लेकिन धीरे-धीरे टॉपिक सेक्स पर भी आना शुरू हो गया.
थोड़ा बहुत चूमा चाटी और एक दूसरे पर हाथ फेरना शुरू हो गया.
हम दोनों के बीच सेक्स करने की कामना बलवती होने लगी थी. बस एकांत नहीं मिल पा रहा था.
किस्मत से कुछ ही दिनों में उसकी नानी जी की मौत हो गई जिसमें तनु के मम्मी पापा, शिल्पा के साथ दिल्ली चले गए.
तनु कॉलेज का बहाना बनाकर घर पर ही रुक गई.
चूंकि उनका घर भी हमारे साथ वाला ही था इसलिए मुझे रात को छिपकर उनके घर जाने में कोई परेशानी नहीं होने वाली थी.
हमने रात का समय तय किया और अपने अपने घर में अपने रूटीन के कामों में लग गए.
हम दोनों ही बेसब्री से रात का इंतजार करने लगे.
मैं रात को 10:30 बजे छिपकर दीवार फांद कर उनके घर चला गया.
उधर वह मेरे आने का इंतजार कर रही थी.
वह टी-शर्ट और कैपरी पहन कर बालों की पोनीटेल किए हुए बहुत ही ज्यादा प्यारी लग रही थी.
मैंने उसे अपनी बांहों में भर लिया और उसके होंठों को चूसना शुरू कर दिया.
वह भी शर्माती हुई थोड़ा थोड़ा साथ दे रही थी.
मैं- तनु, अगर तुम मेरा साथ दोगी तो तुम्हारे यह पल यादगार बन जाएंगे और तुम बहुत एंजॉय करोगी.
तनु- मैं तुम्हारा पूरा साथ दूंगी. लेकिन मैंने सुना है किस फर्स्ट टाइम सेक्स करने पर काफी दर्द होता है और खून भी बहुत निकलता है.
मैं- थोड़ा दर्द तो तुम्हें बर्दाश्त करना पड़ेगा लेकिन यह मेरा वादा है कि तुम्हें मजा भी बहुत ज्यादा आएगा.
दोबारा से स्मूच करते हुए मैंने उसकी टी-शर्ट को उतार दिया.
पिंक कलर की ब्रा और काली कैपरी में खड़ी वह ऊपर वाले की खास तौर से तराशी हुई मूर्ति लग रही थी.
तनु- विवेक, प्लीज लाइट बंद कर दो, मुझे बहुत शर्म आ रही है.
मैं- तुम इन पलों का पूरी तरह से आनन्द उठाओ और मुझसे क्या शर्माना?
उसके होंठों से उसके कान की लौ चूमते हुए धीरे धीरे मैं उसकी गर्दन को चूमने लगा, जिससे वह बड़ी मीठी आवाज में सिसकारियां लेने लगी.
मैंने उसे प्यार से बेड पर बिठाया और उसकी कैपरी उतार दी और उसको मैचिंग ब्रा पैंटी में देखकर मेरा लंड फटने को हो रहा था.
वह देखने से भी साक्षात काम की देवी लग रही थी.
मैंने उसकी ब्रा उतार दी और उसके खूबसूरत चूचों पर टूट पड़ा.
एक को मुँह में ले लिया और दूसरे को दबाना शुरू कर दिया.
मैं काफी देर तक बारी बारी से उसकी चूचियों को चूसता और दबाता रहा जिससे उसकी हालत भी काफी खराब हो रही थी और वह बेड पर दोनों तरफ अपना सिर घुमा रही थी.
चूचियों से नीचे आते हुए मैंने उसकी नाभि में अपनी जीभ डाल कर चूसना शुरू किया.
उसकी सिसकारियां काफी तेज हो गईं और वह मेरे बाल नोंचने लगी.
मैंने उसकी बगलों को देखा तो उसकी एक कांख में अपनी जीभ से चाटना शुरू कर दिया.
इससे उसे काफी गुदगुदी हो रही थी और मजा भी आ रहा था.
वह खिलखिलाने लगी थी.
फिर मैंने नीचे आकर देखा कि उसकी पैंटी योनि रस से काफी गीली हो चुकी थी और मादक सुगंध आ रही थी.
धीरे-धीरे मैंने प्यार से उसकी पैंटी उतारनी शुरू की जिसमें उसने अपनी गांड उठा कर सहयोग किया.
उसकी छोटे-छोटे रोंए जैसे सुनहरी बालों वाली बुर देखकर मेरे मुँह में पानी आ गया.
बुर के आपस में चिपके हुए होंठ और उस पर बुर रस की हल्की हल्की बूंदें उसकी बुर को बहुत खूबसूरत बना रही थीं.
मैंने उसकी जांघों के अन्दर के हिस्सों पर चूमना शुरू किया और धीरे-धीरे उसकी बुर की तरफ बढ़ना शुरू किया.
जैसे ही मैंने अपनी जीभ की नोक से उसकी भग्नासा को छुआ.
उसने लंबी आह भरी और खुद ही अपनी चूचियों को मसलने लगी.
ऐसी सील बंद बुर को चाटने का एक अलग ही मजा होता है.
उसमें से निकल रहा रस आपके कामुक भाव को कई गुणा बढ़ा देता है.
मैं भी जैसे-जैसे उसकी बुर चाट रहा था, वैसे वैसे मेरा सेक्स का नशा और बढ़ता जा रहा था.
जैसे ही तनु झड़ने के करीब हुई तो मैंने चाटना छोड़ दिया क्योंकि उसे मैं बहुत ज्यादा गर्म कर लेना चाहता था.
उसके बाद मैंने धीरे-धीरे उसकी टाइट बुर को अपनी एक उंगली से चोदना शुरू किया.
उसकी बुर इतनी टाइट थी कि एक उंगली भी मुश्किल से जा रही थी.
लेकिन थोड़ी देर लगातार चलाने से मेरी एक उंगली आराम से उसकी बुर के अन्दर जानी शुरू हो गई और उसे मजा भी आना शुरू हो गया.
ऐसे करते-करते धीरे-धीरे मैंने दो उंगलियों से उसकी बुर को थोड़ा ढीला किया और लंड के लिए रास्ता बनाना शुरू किया.
इतनी देर से मेरा 6.5 इंच लंबा और 3 इंच मोटा लंड फटने को हो गया और उसकी नसें भी काफी उभर कर बाहर आ गईं.
फिर मैंने जमीन पर कंबल बिछाकर तनु को कंबल पर दो तकिया लेकर लेटने के लिए कहा.
ऐसा मैंने इसलिए किया क्योंकि जब भी हम किसी सील बंद और कुंवारी लड़की के साथ पहली बार सेक्स करते हैं तो बेड पर गद्दे पर लड़की को पीछे खिसकने की जगह मिल जाती है. जिससे थोड़ा अन्दर गया लंड बाहर आ जाता है और लड़की दोबारा डलवाने से घबराती है.
मैंने तनु को कंबल पर लेटाया और उसके चूतड़ों के नीचे एक तकिया रखा, जिससे उसकी बुर का मुँह ऊपर की तरफ हो गया.
इस तरह से लेटने से सेक्स करने में आसानी रहती है.
उसकी दोनों टांगों के बीच बैठकर मैंने अपना लंड उसकी बुर की फांकों के साथ घिसना शुरू किया जिससे उसकी बुर से पानी बहना शुरू हो गया और वह सेक्स करने के लिए मानसिक रूप से भी तैयार हो गई.
मैंने उसकी बुर और अपने लंड पर काफी सारा थूक लगाया और धीरे-धीरे लंड का सुपारा उसकी बुर में घुसा दिया.
मैं- तनु तुम ठीक हो … तुम्हें ज्यादा दर्द तो नहीं हो रहा?
तनु- मैं ठीक हूं क्योंकि मुझे लग रहा है कि तुमने जैसे उंगलियों से रगड़ रगड़ के मेरी बुर को सुन्न ही कर दिया है.
उसके साथ बातें करते करते मैंने अपने लंड पर दबाव बनाना जारी रखा.
लगभग डेढ़ इंच तक मेरा लंड उसके बुर में घुस चुका था.
दर्द तनु के चेहरे पर नजर आ रहा था लेकिन वह दर्द बर्दाश्त करती हुई मुझे सहयोग दे रही थी.
आगे बढ़ने से पहले मैंने धीरे धीरे उसकी एक चूची को पीना और दूसरी को सहलाना शुरू किया.
फिर जैसे ही मुझे लगा कि इसका दर्द अब कम है, तो मैंने पूरा दबाव बनाते हुए एक झटके से पूरा लंड उसकी बुर में उतार दिया.
पूरा लंड अन्दर जाते ही तनु की आंखें फैल गईं और वह दर्द से छटपटाने लगी.
मैंने उसकी एक चूची को मुँह में भर लिया और दूसरी को मसलने लगा.
दूसरे हाथ से उसकी कमर और टांगों को सहलाता रहा.
थोड़ी देर प्यार से सहलाने और चूचियों को मसलने के बाद वह सामान्य होना शुरू हो गई और नीचे से धीरे धीरे अपनी गांड हिलाने लगी.
मेरे पूछने पर तनु ने बताया कि उसे अभी काफी दर्द हो रहा है.
मैंने कहा- थोड़ी देर में यह दर्द भी हो जाएगा. अब दर्द वाला काम लगभग खत्म हो चुका है.
उसने कहा कि तुम एक बार बाहर निकाल लो, मैं दोबारा करने से मना नहीं करूंगी.
मुझे उसकी इसी बात पर काफी प्यार आया और मैंने अपना लंड उसकी बुर से बिल्कुल बाहर निकाल दिया.
लंड के बाहर निकालते ही उसकी बुर से थोड़ा-थोड़ा खून आना शुरू हो गया.
खून देखकर वह जरा घबरा गई.
पर जब मैंने उसे समझाया कि यह बिल्कुल सामान्य है. अब तुम कैसा महसूस कर रही हो!
खून के बाद उसकी बुर से सफेद पानी निकलना शुरू हुआ तो उसने कहा- अब मैं काफी हल्का महसूस कर रही हूं. अब तुम दोबारा शुरू कर सकते हो.
दोबारा शुरू करने के बाद भी मैंने तेज तेज धक्के मारने शुरू नहीं किए क्योंकि मैं चाहता था कि तनु पूरी तरह से सामान्य हो जाए और अपने फर्स्ट सेक्स का भरपूर मजा ले.
तनु- अब खुश हो, कर लिया किला फतह?
मैं- ऐसा कुछ नहीं है हम दोनों ही अभी गैर तजुर्बेकार हैं. इसीलिए मैं चाहता था कि यह फर्स्ट टाइम सेक्स हम दोनों के लिए एक अच्छी यादगार बने.
मैंने तनु को अभी तक यही बताया था कि मैंने जिंदगी में कभी सेक्स नहीं किया है. फर्स्ट टाइम तुम्हारे साथ ही करूंगा.
जबकि मैं पहले भी कई लड़कियों के साथ सेक्स कर चुका था.
इसके बाद मैंने धीरे धीरे धक्के मारने शुरू किए.
जिससे उसे भी मजा आना शुरू हुआ.
उसकी बुर से मेरे लंड के साथ थोड़ा थोड़ा खून और पानी बाहर की तरफ आना शुरू हो गया जो उसकी गांड को भिगोता हुआ कंबल तक जा रहा था.
तनु की बुर मैं अब मेरे लंड की जगह बन गई थी इसलिए अब मैंने जोर जोर से धक्के मारने शुरू कर दिए.
धक्के तेज महसूस होते ही तनु ने मेरे पेट पर हाथ लगाकर मुझे थोड़ा धीरे धक्के मारने के लिए कहा.
ऐसे ही थोड़ी देर धक्के मारने के बाद मैंने तनु से पोजीशन चेंज करके ऊपर आने के लिए कहा.
‘जान लंड की सवारी करना चाहोगी?’
जवाब में तनु ने कहा कि अब से मैं तुम्हारी हूँ … तुम जो चाहोगे, मैं वही करूंगी.
मैं नीचे लेट गया.
डेल्ही गर्ल सेक्स करने के लिए मेरा लंड पकड़ कर अपनी बुर में डाल कर मेरे ऊपर बैठ गई और धीरे धीरे धक्के मारने लगी.
उस पर मैंने भी नीचे से धक्के मारने शुरू कर दिए.
दोहरे धक्के लगने की वजह से तनु 2 मिनट में ही लंबी सिसकारी लेते हुए झड़ गई और बुर में लंड फंसाए हुई ही मेरे सीने पर अपना सर रख कर लेट गई.
थोड़ी देर बाद अपनी सांसों को काबू करती हुई वह उठी और अपने बिखरे बालों को ठीक करती हुई मेरी आंखों में देखकर मुस्कुराने लगी.
मुझे उसके चेहरे पर उस समय एक अलग ही संतुष्टि और ताजगी नजर आ रही थी.
मैं- तुम्हारा तो हो गया है … अब आगे क्या करना है!
तनु- तुम जैसा ठीक समझो, वैसे कर लो.
फिर मैंने तनु को डॉगी पोजिशन में आने को कहा और पीछे से उसकी बुर में लंड ठोक कर तेज तेज धक्के लगाने शुरू कर दिए.
शुरू शुरू में तनु को दर्द हो रहा था लेकिन बाद में उसे भी मजा आना शुरू हो गया.
धक्के लगाते हुए मैं उसके गोरे चूतड़ों पर थप्पड़ भी मार रहा था जिससे मुझे काफी मजा आ रहा था.
तनु ने कहा- जमीन पर इस पोजीशन में मेरे घुटनों में दर्द हो रहा है. अब बाकी का काम बेड पर कर लेते हैं.
मैंने उसे बेड के किनारे पर घोड़ी बनने को कहा और खुद जमीन पर खड़े खड़े उसकी बुर में लंड डाल दिया.
हम काफी देर से सेक्स कर रहे थे जिससे तनु भी काफी थक चुकी थी और मैं भी थक चुका था.
इसलिए मैंने तेज तेज धक्के लगाते हुए अपना माल उसकी गांड के ऊपर छोड़ दिया और हम दोनों बेड पर एक दूसरे के साथ चिपक कर लेट गए.
मेरा नाम क्षितिज है और यह मेरी Hindi Sex Stories पहली कहानी है। मैं अन्तर्वासना का नियमित पाठक हूँ। आज मैं आपको अपनी वास्तविक कहानी बताना चाहता हूँ।
सबसे पहले मैं बताना चाहूँगा कि मुझे इस कहानी वाली घटना से पहले सेक्स का कोई अनुभव नहीं था। मुझे दिल्ली आये हुए दो साल हो चुके हैं।
मुझे एक दिन मेरे दूर के मामा की लड़की पायल का फ़ोन आया कि वो दिल्ली जॉब करने आ रही है क्योंकि उसका डॉक्टर का कोर्स ख़त्म हो गया है और मूलचंद हॉस्पिटल में उसको जॉब मिल गया है जनरल फ़ीज़िशीयन की पोस्ट के लिए। हम पूरे 5 साल बाद मिल रहे थे।
मैंने उसे रेलवे स्टेशन पर देखा तो देखता ही रह गया। साधारण सी दिखने वाली लड़की अब बहुत सुंदर और सुडौल बदन की मालकिन हो गई थी। मैं उसे देखता ही रह गया और वो आकर गले लग गई और मुझे गाल पर चूम कर मेरा हाथ पकड़ कर बोली- अब घर चलोगे या यहीं रुके रहोगे?
तब मेरी तन्द्रा टूटी और मैं उसे लेकर घर आ गया।
मैं बता दूं कि वो एक सीधी-साधी सी लड़की है बस बड़ा डॉक्टर बनाना उसका मकसद है। हम लोग पहले तो बस से ऑफिस साथ-2 जाने लगे पर इसमें समय के तालमेल की समस्या होने लगी तो मैंने पैशन बाईक खरीद ली।
क्योंकि मैं बहुत दिन बाद बाईक चला रहा था तो थोड़ा धीरे चलता था और वो हमेशा एक तरफ़ टाँगें करके बैठती थी जिससे बाईक को बैलेंस करने में परेशानी आती थी इस कारण हम रोज लेट हो जाते थे हॉस्पिटल पहुचने में।
एक दिन सुबह हम पहले ही आधा घण्टा लेट हो गए तो वो बोली- आज बाईक तेज चलाना जिससे समय पर पहुँचे !
तो मैंने उससे कहा- तुम अपनी टांगें दोनों तरफ़ करके बैठो, तभी तेज चला सकता हूँ ! बाईक बैलेंस सही होगी !
तो वो मान गई। उस दिन ठण्ड बहुत थी और जब बाईक 80 की स्पीड से चली तो और भी ठण्ड लगने लगी तो वो मुझसे थोड़ा सट कर बैठ गई और दोनों हाथो से उसने मुझे जकड़ लिया। तब पहली बार मुझे किसी लड़की के स्पर्श के जादू का अहसास हुआ।
उस दिन तो हम समय पर पहुँच गए और लगभग समय पर ही रोज पहुँचने लगे। अब वो रोज टांगें दोनों तरफ़ करके ही बैठती थी। अभी तक मेरे दिल में उसके लिए कुछ नेहं था मंगर एक महीने के अन्दर वो बहुत मुझसे खुल कर बातें करने लगी, अपने कॉलेज और हॉस्पिटल के लड़के-लड़कियों के बारे में और मैं भी उसे अपने ऑफिस में कर्मचारियों के बीच चल रहे चक्करों के बारे में बताने लगा। एक दिन की बात है, सुबह-2 वो नहा कर आई तब सुबह के 6 बज रहे थे और मैं अभी सो रहा था। तो उसने सोचा कि मैं सो रहा हूँ तो वो वहीं खड़ी हो कर आईने में अपने बदन का जायजा लेने लगी। उसके शरीर पर शमीज और नीचे बड़ा तौलिया था। लेकिन मुझे सोया समझ कर उसने तौलिया निकाल दिया और अपने बदन को देखने लगी।
तभी मेरी नींद टूटी और मैंने रजाई में से देखा तो दंग रह गया। वो उस समय एक ताज़े गुलाब की तरह लग रही थी, दूध जैसा गोरा तराशा बदन, दो तनी चूचियाँ और मस्त फिगर ! मैं तो ऊपर से नीचे तक हिल गया और लण्ड महाराज सलामी देने लगे।
अचानक उसे लगा कि मैं जाग गया हूँ तो झट से उसने तौलिया लपेट लिया और रोज की तरह हम ऑफिस चले गए। मगर शाम को उसके अंदाज बदले-2 से लग रहे थे। आते ही वो अपने कपड़े मेरे सामने बदलने लगी तो मैं कमरे से बाहर जाने लगा। तो वो बोली- आप बाहर क्यों जा रहे हो, ठण्ड बहुत है, आप यहीं बैठो और मुँह दूसरी तरफ कर लो ! मैं कपडे बदल लेती हूँ !
शायद वो भी मुझे अपना तराशा बदन दिखाना चाहती थी और मैं भी चोरी-2 उसे निहार लेता था। अब वो मेरे सामने ही कपड़े बदलने से शरमाती नहीं थी। कई बार मैंने उसकी काली पैंटी और सफ़ेद ब्रा के नज़ारे देखे।
बात है 31 दिसम्बर 2009 की ! उस दिन काफी ठण्ड थी और साल का आखिरी दिन भी। वो मुझसे बोली- नेट नहीं चल रहा है, जरा आप ओपेरटर से पता करके तो आओ।
मैं करीब 9 बजे ओपेरटर के घर गया और नेट ठीक करा के 9.30 पर घर पंहुचा तो वो एक दम चौंक गई और लैपटॉप बंद कर दिया बिना शट-डाउन किये !
मैंने इसे बहुल हल्के से लिया और आकर मैगज़ीन पढ़ने लगा। थोड़ी देर बाद जब मैंने लैपटॉप अंतर्वासना की कहानी पढ़ने के लिए खोला तो लैपटॉप स्लीप मोड से बाहर आया तो एक वेबसाइट जो अभी भी खुली थी उसे देख कर मैं दंग रह गया। वो एक पोर्न साईट देख रही थी। मैंने वो वेबसाइट बंद करके उसकी तरफ देखा तो वो सो चुकी थी। मैं भी सोने चला गया।
रात के एक बजे मुझे लगा कि कोई मेरी रजाई में आकर मुझसे चिपकने की कोशिश कर रहा है। जैसे ही मैंने मोबाइल की रोशनी की तो वो पायल थी जो सिर्फ पैंटी और शमीज में थी। उसने मुझे जोर से गले लगा लिया और पागलों की तरह चूमने लगी। मुझे भी कुछ-2 होने लगा और यह सब मुझे अच्छा लग रहा था। उसने उठ कर नाइट-बल्ब जला दिया जिसकी नीली रोशनी में सारा कमरा चमकने लगा।
अब उसने मुझसे पूछा- तुमने कभी सेक्स किया है ?
मैंने कहा- नहीं !
तो वो हँस पड़ी और बोली- कोई गर्लफ़्रेंड है?
मैंने कहा- नहीं !
तो वो बोली- चलो, आज के दिन तुम मेरे बॉयफ़्रेंड और मैं तुम्हारी गर्लफ़्रेंड ! चलो आज मैं तुम्हें स्वर्ग के दर्शन कराती हूँ।
उसने अपने पर्स में से कुछ निकाला और मेरे लण्ड पर लगा कर लोलीपोप की तरह चाटने लगी और अपनी पैंटी उतार कर अपनी योनि मेरे मुँह की तरफ करके बोली- तुम इसे सहलाओ और चाटो !
मैं भी ऐसा ही करता रहा। करीब पंद्रह मिनट के बाद उसने कहा- मेरे बदन को छू कर देखो !
तो मैंने वैसे ही किया। पहले उसके वक्ष दबा कर देखे जो कि तने हुए और हल्के से मुलायम थे। फ़िर उसकी योनि छू कर देखी तो वो कराह उठी। मैंने उसे जगह-2 चूमना शुरु कर दिया ब्लू फिल्मों की तरह और वो तड़पने लगी और कहने लगी- करते रहो जानू ! मैं इस के लिए मर रही हूँ !
आधे घण्टे की पूर्व-क्रीड़ा के बाद वो और तड़पने लगी और मुझे कहने लगी- अब तो मेरी प्यास बुझा दो ! अपना लण्ड डाल दो मेरी योनि में !
उसकी योनि बिल्कुल कुँवारी थी लेकिन डॉक्टर होने के कारण उसे सेक्स के बारे में सब पता था। मैंने उसे सीधा लिटा दिया और उसके ऊपर आने लगा तो मुझे धक्का देकर मेरे ऊपर आ गई और मेरे लण्ड को अपने योनि पर घिसने लगी।
मैं तड़पने लगा जिससे उसे बहुत मज़ा आ रहा था, वो मुझसे बोली- अब जन्नंत में जाने के लिए तैयार हो जाओ !
और लण्ड को चूत के मुहाने पर रख कर नीचे की ओर धक्का लगाने लगी और मैं ऊपर की ओर !
मगर उसकी योनि बहुत तंग थी तो उसे दर्द ज्यादा होने लगा तो वो रुक गई। इसी मौके का फायदा उठा कर मैंने उसे नीचे गिरा दिया और एक ही झटके में पूरा लण्ड उसकी चूत में पेल दिया जिससे वो चीख उठी।
थोड़ी देर हम ऐसे ही पड़े रहे, फिर उसने धीरे-2 कमर हिलाना शुरु किया तो मैंने भी उसके साथ लण्ड अन्दर-बाहर करना शुरु कर दिया।
अब वो जोर-2 से बोल रही थी- जोर से चोद ! कुतिया की तरह चोद ! और ! और ! आहऽऽ !
सारा कमरा फच-2 की आवाजों से गूँज रहा था। उस ठंडी में हम दोनों पसीने-2 हो गए।
उस रात चार बार चुदाई का दौर चला और अंत में मैं उसकी चूत में लण्ड डाल कर सो गया।
दूसरे दिन हम 12 बजे दोपहर में उठे और उसने मुझे एक बार फिर चोदा और चूम कर नहाने चली गई।
दोस्तो, मुझे मेल करके बतायें कि मेरी कहानी कैसी लगी !
अगले भाग में मैं बताऊंगा कि कैसे मैंने उसके डॉक्टर सहेली को पटाया और चोदा। Hindi Sex Stories
आपकी अंतरा का सभी Hindi Porn Stories अन्तर्वासना के पाठकों को ढेर सारा धन्यवाद ! सबसे ज्यादा आभार तो गुरूजी का कि मेरी कहानी हवा में उड़ रही हूँ आप सब तक पहुंचाई!
तो दोस्तो, आप सब सोच रहे होंगे कि मैंने उस रात किसी तरह अपनी बुर मसलकर खुद को संभाल लिया पर मैं आगे की सोच रही थी।
उस रात के बाद से मैं जब भी मौका मिलता अपनी रांड माँ की नंगी रंगरेलियाँ जरूर देखती थी। मेरी बुर अब पानी छोड़ छोड़ कर प्यासी होती जा रही थी।
तो दोस्तो, मैंने अपना पहला शिकार अपने मास्टरजी को बनाया या शायद खुद ही बन गई !
मास्टरजी की उम्र ४०-४५ के आसपास थी लेकिन वो मस्त दीखते थे। जब से मैंने जवानी का खेल देखा था मेरा पढ़ाई में मन कम लगता था….
एक दिन मेरी सभी बहने माँ के साथ हमारे रिश्ते की मौसी के घर गई हुई थी। मुझे घर सँभालने के लिए छोड़ दिया था। मैं गुस्से में थी, पर क्या करती, मनहूस जो थी। पिताजी शहर गए थे जोकि वो रोज सुबह जाने लगे थे।
ठीक दो बजे मास्टरजी आ गए।
मैंने बेमन से किताबे निकाली और मुँह फुला के मास्टरजी के सामने बैठ गई।
मास्टरजी ने पूछा- क्या बात है?
मैंने कहा- सब मुझे छोड़ के चले गए !
मास्टरजी- कोई बात नहीं, घर में रहना भी जरूरी है।
मैंने चिढ़कर कहा – मेरा रहना ही हर बार क्यूँ जरूरी है?
मास्टरजी- क्यूंकि तुम बाकी सब बहनों से ज्यादा सुन्दर हो ! सब डरते होंगे कि कहीं कोई तुम्हें चुरा के न ले जाये !
मैंने इस जवाब की उम्मीद नहीं की थी पर अच्छा लगा !
मैंने उनसे पूछा- आपको मैं सुन्दर लगती हूँ? मेरे पास तो कोई क्रीम- पाउडर नहीं है !
मास्टरजी- अरे पगली क्रीम तो वो लगाती हैं जो सुन्दर नहीं होती ! तू तो हूर है !
मैंने पूछा- ये हूर क्या होता है?
हूर परी को कहते हैं ! मास्टरजी ऐसा कह कर मेरी तरफ लालची नजरों से देखने लगे।
तभी मुझे ध्यान आया कि जल्दी में मैं अपने घर के कपड़ो में आ गई थी जोकि मेरे स्कूल की पुरानी शर्ट और स्कर्ट था। मेरे शर्ट की ऊपर की बटन टूट गई थी और मेरे पास कोई ब्रा नहीं थी। मतलब यह कि मास्टरजी ने मेरे जोबन का उभार देख लिया था। मैंने शरमा के नजरें नीची कर ली, मुझे बुर में गुदगुदी लगी।
मास्टरजी ने भी मौके को पहचान लिया था कि लौड़ी गरम है।
मास्टरजी ने मुझसे पूछा- घर में कोई नौकर हो तो पानी मंगवाओ !
मैंने कहा- कोई नहीं है, मैं ले आती हूँ !
मास्टरजी ने कहा- ठीक है !
मैं किचन में चली गई, मास्टरजी मेरे पीछे आ गए। जैसे ही मैं किचन में घुसी मुझे अपनी पीठ पर गर्म हाथ का स्पर्श मिला। मैंने मुड के देखा तो मास्टरजी मेरी पीठ सहला के बोले मन छोटा न कर, तेरा दिन भी आयेगा।
मैं कसमसाते हुए बोली- कभी नहीं आयेगा !
फिर मास्टरजी ने कहा- चाय बना दे !
मैं चाय बनाने लगी, मास्टरजी मेरी पीठ सहलाते जा रहे थे मुझे गुदगुदी लग रही थी और अच्छा भी।
मास्टरजी ने पीठ सहलाते हुए अपना हाथ मेरी गर्दन से लेके मेरी छातियों की और कर दिया आप मेरी शर्ट के ऊपर से उनका हाथ मेरी गोलाइयों को नाप रहा था। मैं कसमसाई पर न चाहते हुए भी मेरे चेहरे पे मुस्कान आ गई जिसे उन्होंने पढ़ लिया। अब उन्होंने मेरे कंधे पे दोनों हाथ रख के मेरा चेहरा अपनी तरफ किया और मेरे चेहरे पे दोनों हाथ फिराने लगे। मुझे अजीब लगा क्यूंकि रामू या पिताजी ने माँ के साथ ऐसा कभी नहीं किया था।
मुझे अच्छा लगा तो मैं मास्टरजी से लिपट गई। मास्टरजी फिर से मेरी चूचियों को सहलाने लगे। फिर उन्होंने मुझे गोद में उठा लिया और पूछा- तुम्हारा बिस्तर कहाँ है?
मैंने उन्हें बताया और हम बेडरूम में आ गए।
मैंने कहा- आपकी चाय !
उन्होंने कहा- रहने दो ! जाओ, गैस बंद करके आ जाओ !
मैं गैस बंद करके आ गई और बेडरूम में मास्टरजी के सामने बैठ गई। मास्टरजी ने मुझे खींच के गले लगाया और मेरे गले में एक चुम्मा दिया। मैं गरम हो रही थी। फिर वो मेरे गाल चूमने लगे। मैं उनकी पीठ पर हाथ फिराने लगी। फिर उन्होंने मेरी शर्ट उतार दी। मेरी छातियाँ नंगी उनके सामने थिरक रही थी। अब मुझे लगा कुछ गड़बड़ हो सकती है पर तब तक उनके हाथ मेरे चुचूक मसलने लगे थे। मैं समझ ही नहीं पाई कि मास्टरजी मेरी दायीं चूची को चूसने लगे। मैं पिघल रही थी, मुझे ख़ुशी भी हो रही थी कि आज मुझे लंड मिलेगा। घर पर कोई नहीं था तो मैं भी मस्त थी।
मास्टरजी ने मेरी चूचियों को चूसने के बाद मसलना चालू किया तो मैं सिसकने लगी। वो मेरी चूचियों को खींच के बाहर निकालना चाह रहे थे, मुझे दर्द हो रहा था पर मजा भी लाजवाब आ रहा था। मेरा हाथ मेरी बुर में पहुँच गया। मास्टरजी मेरी चूचियों से खेल रहे थे और मैं सिसकती हुई अपनी बुर को सहला रही थी।
मास्टरजी ने फिर अपने कपड़े भी उतार दिए और बेडरूम का दरवाजा बंद कर दिया।
मैंने मास्टरजी का लंड देखा वो तना हुआ था शायद ६ इंच का होगा। उसके ऊपर की चमड़ी सुपाडे को आधा ढक रही थी और गुलाबी सुपाडा बड़ा सुन्दर लग रहा था। मैं अपनी बुर छोड़ के मास्टरजी के लंड को मुठी में भर के दबाने लगी। क्या गरम था उनका लंड। मैं तो मस्त हो गई थी। पता नहीं कैसे मेरी शर्म कहाँ गायब हो गई। मैं मास्टरजी के लंड को चूम रही थी। उसकी खुशबू मुझे बहुत मस्त लग रही थी। मैं तो अपनी जीभ भी लंड पर फिरा देती थी तो मास्टरजी के मुंह से उन्ह निकल जाती थी।
मास्टरजी ने कहा- इसे चूस के तो देख चमेली !
चमेली सुन के मुझे और मजा आया। मैंने सुपाड़े को मुंह में ले लिया। हाय क्या मस्त नरम लगा। मुँह में जाते थोड़ा कसेला सा स्वाद आया पर वासना की मस्ती में मुझे वोह भी मस्त लगा। मैं उनके लंड को पूरा मुंह में लेके अपनी थूक से उसे गीला करने लगी। उनकी लटकती गोलियों से तो मेरी उंगलियाँ हट ही नहीं रही थी। फिर मैं उनके लंड के सुपाड़े को अपने होठों में दबा के अपनी जीभ उसके छेद में रगड़ने लगी। मास्टरजी हाय हाय करते हुए झुक गए और कस कस के मेरी चूचियां मसलने लगे। उनसे खड़ा रहना नहीं हो पाया और वो बिस्तर पर पैर लटका के लेट गए। मैं घुटनों के बल उनकी जाँघों के बीच बैठ गई और एक हाथ से अपनी बुर में ऊँगली करती हुई अपनी जीभ उनके लंड पे रगड़ती रही।
अचानक मास्टरजी ने मेरे बाल पकड़ के अपने लंड पर मेरा सर दबा दिया। मैं कुछ समझ पाती, इससे पहले ही मास्टरजी के लंड से कुछ पिचकारी जैसा मेरे मुंह में आने लगा। लस लस सा नमकीन स्वाद वाला पानी मैंने पहली बार चखा था। मुझे घिन सी आई तो मैंने उस पानी को बाहर थूक दिया। गाढ़ा होने के कारण मेरे मुंह से एक धार निकल के मेरी चूचियों पर गिरी जिसे मास्टरजी ने मेरी चूचियों पे घिस दिया।
फिर मास्टरजी ने मुझे बिस्तर पे सुला दिया और मेरी स्कर्ट खोल के मुझे नंगा कर दिया। मेरी बुर पूरी तरह से भीग गई थी। मास्टरजी ने जैसे ही एक ऊँगली बुर के मुंह में रखी वो फिसल के अन्दर घुस गई। मास्टरजी के ऐसा करते ही मेरे मुंह से आह निकल गई और मैं एक बार फिर मस्त हो गई। मास्टरजी ने अपने लंड को जो थोड़ा सुस्त हो गया था, मेरी चूत के मुंह पर लगाया और मेरे दाने से रगड़ने लगे। मास्टरजी ने अपने होंठ मेरे होंठ से चिपका लिया इस तरह उनका लंड फिर से खड़ा हो गया फिर मास्टरजी मेरे ऊपर लेट गए और मुझे कस के भीच लिया।
मास्टरजी ने अपना लंड मेरी बुर के मुंह पर रखा और धीरे धीरे सरकते हुए अपना सुपाड़ा मेरी चूत में घुसा दिया। मुझे थोड़ा दर्द हुआ पर अगले ही पल एक झटके में उनका चाकू मेरी चूत को चीर चुका था। मेरी सांस गले में ही अटक गई, मैं तड़प गई। मास्टरजी ने अपने होंठ मेरे होंठ से सिल दिए और मेरी निप्पल मसलने लगे। दो चार धक्कों के बाद मुझे मजा आने लगा, मैंने अपनी गांड ऊपर उठा के मास्टरजी के लंड को पूरा ले लिया और मास्टरजी की गांड पकड़ के खींचने लगी।
मास्टरजी ने भी मौका समझ के चुदाई की स्पीड बढ़ा दी अब मेरी बुर फचक फच्च की आवाज के साथ लंड अपने अन्दर ले रही थी और मैं जन्नत की सैर कर रही थी। मास्टरजी …….। आह मास्टरजी……..। मजा आ रहा है……..। हाय क्या कर ……..दिया…….। हाय मजा…….। आह………..। मास्टर……..। पेलो ……। पेल….। पेलो……। न…….। आह……। सी सी स……..स्स्स्स…..। हाय………।
मास्टरजी अपने लंड को मेरी चूत में रख कर कमर को घुमाने लगे ….। हाय क्या मजा था……। मैं बके जा रही थी….। हाय रहने दो न इसे आज अन्दर ही…….। मत निकालो……। पेलो न पेलो न………..। हाय……
मास्टरजी को चोदने की आदत थी और वो एक खिलाडी की तरह रुक रुक के धक्के लगा रहे थे। .। पर मैं तो एक बार में ही पूरा खा जाना चाहती थी… मैं मास्टरजी से चिपक गई और अपनी गांड हिलाते हुए लंड को लेने लगी…।
मास्टरजी ने मुझे पटक के मेरी गर्दन दबाई और बोले ….रुक रुक के कर रांड … कहीं मेरा निकल गया तो मेरी गोलियों को खींचने लगेगी ।
मैं कहाँ मानने वाली थी.। मैंने गांड उछालना जारी रखा…
मस्ती सातवें आस्मां में थी…. अचानक मुझे कुछ होने लगा… मास्टरजी भी आँखे बंद कर के आह आह करने लगे….
तभी झटके के साथ मैं झड़ने लगी। हाय क्या बताऊँ क्या पल था…। लंड की गर्मी, फौलाद जैसा कड़ापन। और मेरा झड़ना। तभी मास्टरजी के लंड ने भी पिचकारी छोड़ दी। मेरी बूर में डबल गर्मी..। क्या बताऊँ मजा ही आ गया…..। मास्टरजी मेरे ऊपर लुढ़क गए और मैंने भी उन्हें कस के पकड़ लिया… दो मिनट तक हम झड़ने का सुख लेते रहे…।
फिर मास्टरजी ने उठ कर कपड़े पहने, पर मुझसे उठा नहीं जा रहा था। मास्टरजी ने मुझे सहारा दे कर बाथरूम तक पहुँचाया और मेरी बूर की सफाई की। मुझे कपड़े पहना के वो बोले- क्यों चमेली कैसा लगा…?
मैं शरमा के मुस्कुराने लगी..
दर्द की हरी गोली ले लेना…। ऐसा कह के मास्टरजी चले गए।
ऐसे गए कि फिर नहीं आये। पता नहीं क्यूँ । पिताजी ने नौकर भेजा तो पता चला कि उन्होंने शहर छोड़ दिया। मैं मन मसोस के रह गई। उसके बाद मैंने कई लंड जुगाड़े पर वो स्पर्श नहीं भूल पाई।
खैर मास्टरजी न सही गुरूजी ही सही…..! क्यूँ गुरूजी.. क्या ख्याल है….?
आप सब पाठकों के पत्रों और सेक्सी सामग्रियों का धन्यवाद।
मैं आप सबको चाहती हूँ। Hindi Porn Stories
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