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मेरा नाम आर्यन गुप्ता है। मैं Hindi Porn Stories अब अकेला हूँ। मेरी उम्र अभी ५९ वर्ष की है। मेरे दो लड़के हैं जो कनाडा में रहते हैं और वहीं नौकरी करते हैं। मेरी पत्नी का निधन, जब वो ४८ वर्ष की थी, एक दुर्घटना में हो गया था। तब से मैं अकेला हूँ और अपना छोटा सा बिजनेस सम्भालता हूँ।
मेरी पत्नी जब जीवित थी तभी से मेरी सेक्स में रूचि कम हो गई थी। मेरे लण्ड में तनाव भी कम हो गया था और उस समय भी मैं अपनी पत्नी को सन्तुष्ट नहीं कर पाता था। मेरी चोदने की इच्छा तो बहुत होती थी पर शायद मेरे में उम्र के हिसाब से लण्ड में मामूली सा कड़ापन आता था, पर मैं चुदाई नहीं कर पाता था।
धीरे धीरे मेरी पत्नी भी मुझसे दूर रहने लगी। शारीरिक तौर पर भी स्तन दबाना, मसलना, चूतड़ दबाना और मस्ती करने का सुख भी मेरे हाथ से जाता रहा। चूत चाटने का और अंगुली से उसे सन्तुष्ट करने का सुख भी जाता रहा। धीरे धीरे मैं इस अवसाद में ही घिर गया। मैंने हार कर अकेले ही रहने की आदत डाल दी। कभी कभी मुठ भी मार लेता था, वह भी जब मुझे लगता था कि ये जरूरी है।
फिर मेरी पत्नी एक दुर्घटना में चल बसी तो मैं बिल्कुल ही अकेला हो गया और अन्दर से टूट गया। अब मैं अपना मन सिर्फ़ काम में लगाने लग गया था, इससे मुझे फ़ायदा तो बहुत होने लगा पर मन में यही आता कि इन पैसो का क्या करूंगा। तब मैं एक अनाथों की संस्था में से दो बच्चों को पालने का खर्च उठाने लगा। उन्हें पढ़ाना, लिखाना, कपड़े यानि सभी जरूरतें पूरा करने लगा। लोगों ने भी मेरे इस कार्य को सराहा।
कुछ दिनों पहले मेरे एक दोस्त की लड़की को इस शहर में एक कॉलेज में दाखिला करवाया। वो एम ए कर रही थी। मेरा घर चूंकि बहुत बड़ा था सो मैंने उसे अपने ही घर में एक कमरा दे दिया। उसका नाम सोनिया था। देखने में सुन्दर थी और उसका फ़िगर भी बहुत अच्छा था। वह बहुत समझदार भी थी। उसे जब कम्प्यूटर का काम करना होता था तब वो मेरे कमरे में आ जाती थी। मेरी अनुपस्थिति में वो अक्सर कम्प्यूटर इस्तेमाल करती थी। तभी एक प्यारी सी घटना घट गई। सोनिया ने मेरी दिल की मुराद पूरी कर दी।
मैं शाम को घर आया, नौकर खाना बना कर जा चुका था। मैंने हमेशा की तरह अपनी व्हिस्की की बोतल खोल कर बैठ गया। मैंने कम्प्यूटर ऑन किया। जैसे ही मैंने गूगल लोड किया, सोनिया की साईट खुल कर सामने आ गई। शायद उसने जल्दी में लोग-ओफ़ नहीं किया होगा या जाने कैसे ये हो गया।
मैं अपनी उत्सुकता नहीं रोक पाया और उसके मेल देखने लगा। अधिकतर मेल अश्लील थे। मेरी अनुपस्थिति में वो ये खेल खेलती थी। तभी मैंने देखा कि उसकी और भी अलग नामों से आई डी भी थी जिनके एड्रेस और पास वर्ड भी अपने ही मेल में लिखे थे। मैं उन्हें भी खोल कर देखने लगा। उन सेक्सी मेल पढ़ कर कर मेरे मन में वासना जागृत हो गई।
उसमें बहुत सारे नंगी और चुदाई करते हुए तस्वीरें भी थी। उसमे कुछ लिंक चुदाई के वीडियो के भी थे। और एक वीडियो तो सोनिया ने अपने मोबाईल से खुद की चुदाई का भी लिया था। मैं उसे ध्यान से देखने लगा। वीडियो साफ़ तो नहीं था पर सोनिया का नंगा शरीर उसमें अवश्य नजर आ रहा था।
सोनिया मुझे सेक्सी लड़की लगने लग गई। मैंने अपनी ड्रिन्क समाप्त की और भोजन करने लगा। पीसी अभी भी ओन ही था। मैंने सोनिया कि जो आईडी उसके मेल में थी मैंने नोट कर ली। मैं अब रोज रात को उसके सेक्सी मेल पढ़ता था और कभी कभी मुठ मार लेता था। शायद सोनिया को अब कुछ शक होने लगा था।
एक रात मैं ड्रिन्क्स ले रहा था और सोनिया की साईट का आनन्द ले रहा था, कि सोनिया कमरे में आ गई और उसने मुझे रंगे हाथ पकड़ लिया। वो लपक कर आई और साईट बन्द कर दी।
“अंकल ये क्या कर रहे हो?” उसने जोर से कहा। मैं वास्तव में घबरा गया। मेरे मुख से घबराहट में कुछ भी ना निकल पाया। मुझे अपने बड़े होने पर और ऐसा काम करने पर शायद पहली बार शर्मिन्दगी हुई।
पर इतने में सोनिया सम्भल गई- “सॉरी अंकल, आपने तो मेरी सारी मेल पढ़ ली, प्लीज इसे अपने तक ही रखना !” मेरी सांस में सांस में आई।
“नहीं सोनिया, माफ़ी तो मुझे मांगनी चाहिये, मुझे ये सब नहीं करना चाहिये था, पर तुम्हारी साईट एक दिन अचानक ही अपने आप खुल गई थी। कुछ सेक्सी बातों पर बाहर से नजर पड़ी तो मुझसे रहा नहीं गया।”
“अंकल ये तो बस हम अपने मनोरंजन के लिये करते हैं, ये सब सच तो नहीं है ना।”
“पर वो राहुल, विक्की, और जय उन्हें तो तुम पसन्द करती हो ना, तुम्हारी तो एक इसमे वीडियो भी है !” मैंने उसे भी बांधने की कोशिश की जिससे उसे लगे कि उसके भी कुछ रहस्यो को मैं जान गया हूँ।
“अंकल प्लीज किसी को बताना मत, मैं बदनाम हो जाऊंगी !” उसका सिर नीचे झुक गया।
“अरे कैसी बात करती है, मैं इन सब बातों को समझता नहीं हूँ क्या ? जवानी में मस्ती तो करनी ही चाहिये ना, हमने भी खूब मस्ती की थी।” मैंने उसे उत्साहित करते हुए कहा।
“अंकल, ये तीनों मेरे व्यक्तिगत दोस्त हैं, आप तो जान ही गये हैं, बस पापा को मत बताना !”
“तू जानती है ना, मैं भी सालों से अकेला हूँ, मेरे दिल में भी इच्छाएँ होती हैं, पर मैं तो अब ६० साल का होने जा रहा हूँ, देखो मैं अपनी दबी इच्छाएँ किसी को नहीं बताता हूँ, मैं इन सब बातों को समझता हूँ।”
“हाय अंकल, इस उमर में भी आपकी इच्छा होती है, फिर क्या करते आप?” उसे आश्चर्य हुआ।
“कुछ नहीं, बस मन मार कर रह जाता हूँ, हमें कौन समझ पाता है !” मेरे चेहरे पर निराशा उभर आई। सोनिया मुझे देखती रह गई। मुझे लगा उसके मन में मेरे प्रति सहानुभूति उभर आई थी।
“अंकल किसी आण्टी से दोस्ती कर लो, मैं मदद करूँ इसमें?” वो मेरे पास आकर हाथों में मेरा हाथ ले कर बोली।
“नहीं मैं अब ये सब नहीं कर सकता हूँ, सच !” मेरे मुँह से अचानक सच्चाई निकल आई।
“तो क्या हुआ, और तो सब काम तो कर सकते हो ना !” उसके चेहरे पर अब शरारत मचलने लगी थी। मुझे उसकी ये शरारतें मोहक लग रही थी।
“अब तू चुप हो जा, मेरी इच्छाएँ जाग जायेंगी, तुझे क्या है, हाल तो मेरा खराब हो जायेगा ना !” मैंने अंधेरे में तीर छोड़ा, मुझे लगा कि वो मुझे बुरा भला कहेगी। पर हुआ उल्टा ही।
“अंकल, एक बात कहूँ, मुझ पर भरोसा हो तो मुझे अपना राजदार बना लो, मैं आपकी अधूरी इच्छा पूरी कर दूंगी…. पर देखो, पापा को इंटरनेट के बारे में मत बताना, प्रोमिस?” वो इठला कर बोली। मेरे शरीर में सनसनाहट होने लगी। सोनिया मेरे साथ…. पर मुझसे तो होता ही नहीं है।
“तेरे पापा को? कैसी बाते करती है, उन्हें मुझ पर भरोसा है, और सुन ले ये ठीक नहीं है, तू तो मेरी बेटी जैसी है और फिर मैं तो कुछ कर ही नहीं पाता हूँ।” मैं असमंजस में था।
“मैं तो कर पाती हूँ ना !” वो धीरे से मेरे पास आ गई और मेरे गाल चूम लिया। मुझे इतने में ही असीम आनन्द आ गया। दूसरे ही पल उसने मेरे गालों को हाथ से थाम लिया और मेरे होंठ चूमने लगी।
“अंकल मैं जय, विक्की और राहुल को एक एक करके बुलाऊं तो आप उन्हें यहा आने देंगे ना?” उसने मुझे ब्लैक मेल करने की कोशिश की। मुझे हंसी आ गई। मुझे क्या फ़रक पड़ता था भला। मुझे समझ में आने लगा था कि वो मुझे पटा कर अपना राज गुप्त रखना चाहती थी और साथ ही अपने दोस्तों के लिये इस घर का रास्ता भी खोलना चाहती थी। जवान लड़की थी, उसे भी जवान लण्ड चाहिये था, उसे भी अपने जिस्म की प्यास बुझानी थी। मैंने दिल ही दिल में अपने आप से समझौता किया कि तन का सुख चाहिये तो ये सब करना ही पड़ेगा, फिर इस उम्र में मुझे कौन घास डालेगा।
“हां… हां… जरूर, पर मेरी उपस्थिति में, ताकि कोई गड़बड़ हो तो मैं सम्भाल लूँ !” सोनिया मेरे से चिपक गई और मेरे सोते हुए लटके लन्ड को सहलाने लगी।
“आप क्या मुझे उनके साथ सोता हुआ देखना चाहते हैं, मजा लेना चाहते हैं ?”
“अरे नहीं, तुम एन्जोय करो, पर यदि तुम चाहो तो मैं भी चुपके से देख लूं?”
उसने मुझे तिरछी निगाहो से देखा,“अच्छा जी, अब आप मुझे ऐसे भी देखना चाहेंगे, कोई बात नहीं, देख लेना, पर चुपके से !”
“सोनिया, तुम क्या जानो इस उम्र के लोगों की तड़प….”
“माफ़ करना अंकल, मुझसे आपकी तड़प देखी नहीं जाती, मैं ये अहसास समझ सकती हूँ।” सोनिया ने मुझे प्यार करते हुए कहा।
“मैं तुम्हारा अहसानमन्द रहूंगा सोनिया, तुमने मुझे दिल से समझा है।” मैंने उसे प्यार से लिपटा लिया।
“आज से आप मुझे बेटी कहना छोड़ दीजिये अब मैं आपकी दोस्त बन गई हूँ, और जो मैं दोस्तों के साथ करती हूँ आपके साथ भी वही करूंगी।” उसके हाथ का दबाव मेरे लण्ड पर बढ गया और मेरे लण्ड का साईज़ नापने लगा। मुझे उसके हाथ लगाने से जोश आने लगा। मेरे खून का दौरा बढ़ गया। मेरी सांसें तेज हो गई।
“अंकल अब शरम छोड़ दीजिये, ये 21वीं सदी है, आपसे तो हम ही ठीक हैं।” सोनिया ने मेरे झेंपू स्वभाव को परख लिया था।
“क्या इरादा है, मेरे साथ ब्लात्कार करोगी क्या, मुझसे तो कुछ नहीं होगा !” मैंने लगभग हांफ़ते हुए कहा।
“आप तो यूं ही शरमा रहे हैं, उतारो ये कपड़े और फ़्री हो जाओ, देखो फिर कैसा मजा आता है इस उम्र में भी !”
मैंने अपने कपड़े उतार दिये। अब शर्म करने से कोई फ़ायदा नहीं था। मेरा दुबला बदन और सूखा लण्ड देख कर वो मुस्करा उठी। मेरा लण्ड इन सब बातों से खड़ा हो गया था और थोड़ा फूल गया था। सुपाड़ा भी लाल हो कर कुप्पा हो गया था। सोनिया भी अब अपने जिस्म को दिखाने लगी।
“बदन हो तो ऐसा…. ये देखो !” सोनिया ने अपने कपड़े अदाओं के साथ उतारना आरम्भ कर दिया।
उसका एक एक अंग तराशा हुआ था। सेक्स की गुड़िया लग लग रही थी वो। उसके उरोज बड़े और भारी थे, कमर पतली और उसके चूतड़ और गोलाइयाँ मटके जैसी थी। उसने अपनी गाण्ड को मेरी तरफ़ घुमाया और नीचे झुक कर अपनी चूतड़ो की गहराईयाँ दिखाने लगी।
चिकनी गांड चमकती हुई, और बीच में एक प्यारा सा छेद। गुलाबी गीली चूत और उस पर काली काली बड़ी झांटे, उसके बदन को निहारते हुए जाने मेरा लण्ड कब खड़ा हो गया। इस तरह से अपने बदन को मेरी पत्नी ने भी कभी नहीं दिखाया था। उसने एक भरपूर अंगड़ाई ली और नंगे बदन को मेरे नंगे बदन से चिपका लिया। मेरा लण्ड उसकी चूत में ठोकर मारने लगा। उसकी चूत भी गीली हो चुकी थी।
उसने अपनी एक टांग उठा कर मेरी कमर से लिपटा दी और खड़े खड़े ही अपने योनि-द्वार से मेरे लण्ड को सटा दिया। मेरे हाथ स्वयंमेव उसकी भरी भरी चूंचियों पर आ गये और उन्हें मसलने लगे। उसने अपनी चूत का दबाव मेरे लण्ड पर डाल दिया। पर मेरा लण्ड एक ओर फ़िसल गया। उसने अपना हाथ नीचे लिया और मेरा लण्ड पकड़ कर अपनी गीली चूत में डाल दिया। चूत की गर्माहट मेरे लण्ड को मिली। वो अन्दर सरकता चला गया।
सोनिया ने अपनी कमर हिलानी शुरु कर दी, लण्ड पहले अन्दर बाहर होता रहा पर, मैं अथाह आनन्द में डूबने लगा। लण्ड में प्यारी सी सरसराहट, गुलाबी सा मीठा मीठा सा मजा, मैंने अपने चूतड़ो का पूरा जोर उसकी चूत पर लगा दिया, हल्के से धक्के लग रहे थे, पर आह्….कुछ ही देर में वो ढीला पड़ने लगा और अब तो लण्ड बिलकुल ही ढीला हो कर लचलचा हो गया, और धीरे धीरे बाहर निकल आया। मैं फिर से निराशा में डूबने लगा।
“हाय अंकल, आपने तो दो मिनट में कितना मजा ले लिया, लण्ड तो आपका लम्बा है।” उसने अपनी टांगें नीचे कर ली और मेरा ढीला लण्ड उठा कर अपने मुँह में डाल लिया।
“अब देखो, आपका मस्त लण्ड कैसे मजे लेता है !”
मुझे लण्ड चूसने से बहुत मजा आने लग गया था। मेरा सुपाड़ा यूँ तो चूसने से फ़ूल गया था और तीखा सा और मीठा सा आनन्द आने लगा था। लण्ड की जोरदार चुसाई से मेरा लण्ड एक बार फिर से खड़ा हो गया, सोनिया ने लण्ड खड़ा देख कर अपने हाथ में लेकर उसे मुठ मारना आरम्भ कर दिया।
मेरे बदन में मुठ मारने से आग लग लग गई। लण्ड की जोरदार रगड़ाई हो रही थी। वो मुह से थूक लगा कर लण्ड को चिकना और गीला कर रही थी फिर दुगने जोश से मुठ मारने लगती थी। मुठ मारते मारते मेरा हाल बुरा हो गया और लगा कि बस अब माल निकल ही जायेगा। मेरे मुख से सिसकारियाँ निकलने लग गई।
“अंकल मजा आ रहा है ना….ये ….ये…. माल निकलने वाला है अब !!!”
“आह हाँ हाँ, मार , मुठ मार …. निकाल दे मेरा पानी !!” मैं भी अब जोश के मारे चूतड़ हिला हिला कर मुठ मरवा रहा था। लग रहा था कि कभी भी मेरा माल निकल पड़ेगा।
“ये….ये….फ़ड़क रहा है अंकल, टाईट हो गया है….आपका माल आया….हाय रे ….ये आया !”
“सोनिया, मेरा निकला, आह, ये ऊहऽऽ आया !”
“निकाल दो अंकल, निकालो हाय रे…. आ गया….”
मेरी धार छूट पड़ी, पिचकारी तेजी से बाहर आई और सोनिया के चेहरे पर गिरी, और झटके मार के निकलती ही गई। इतना वीर्य निकला कि उसका चेहरा पूरा भीग गया और नीचे पानी की तरह बह निकला। वो मेरे लण्ड को अब धीरे धीरे मसल रही थी। दूध दुहने की तरह मेरा वीर्य निकाल रही थी, बूंद बूंद करके सारा वीर्य बाहर निकाल लिया। फिर जीभ निकाल कर मुँह पर लगा वीर्य चखा और मेरी चादर से अपना मुँह साफ़ कर लिया।
“हाय इतनी सारा रस, कहां से आ रहा है ये….?” सोनिया हैरानी से देखने लगी।
“मेरा लण्ड खड़ा नहीं होता है इसका ये मतलब नहीं है कि मेरी इच्छा ही नहीं होती है।”
“पर इतना माल ?”
“मैं बहुत दिनो बाद दिल से सन्तुष्ट हुआ हूँ, मुझे इतना सारा रस निकाल कर बहुत सुकून मिला है।”
मैंने सोनिया के नंगे बदन को अपने से चिपका कर खूब प्यार किया। मैं इतने से थक गया था और कमजोरी सी आ गई थी। हम दोनों ने कपड़े पहने और कमरे से बाहर आ गये। सोनिया ने डिनर गर्म किया और हम दोनों मेज पर बैठ गये।
“सोनिया, आज तो तुम्हारा अह्सान रहेगा मुझ पर, आज तुमने मुझे बहुत सुख दिया और मेरी कमजोरी का मजाक नहीं उड़ाया।”
“अरे मजाक क्यूँ…. ये तो सभी के साथ होता होगा। पर इस बात को समझने वाली होना चाहिये, वर्ना तो इस उमर में मर्द अपनी इच्छा को मार कर कहा जायेगा?”
“तुम्हें इतनी समझ कैसे आई, मेरी पत्नी ने भी ये नहीं समझा, फिर तुम तो इतनी सी उमर में इतना जान गई हो !”
”अंकल, ये मह्सूस करने के लिये दिल होना चाहिये, उसने फ़ीलिंगस होनी चाहिये, अरे छोड़ो ना अब, आपका ध्यान आज से मैं रखूंगी। पर एक्स्क्यूज मी….मेर ध्यान भी आप रखना….मेरे तीन तीन आशिक है और जोरदार चुदाई करते हैं…. आपको याद है न….?”
मैं और सोनिया जोर से हंस पड़े और मैं आज की याद लिये बेडरूम की तरफ़ बढ़ गया। सोनिया भी शुभ-रात्रि कह कर अपने कमरे में चली गई। सोनिया की समझदारी की बातें मेरे दिल में घर कर गई थी। मैं पूर्ण रूप से सन्तुष्ट हो कर बिस्तर पर लेट गया। Hindi Porn Stories
बात उन दिनों की है Sex Stories जब मैं बैंगलोर में एक अर्धशासकीय कम्पनी में काम करता था। मेरे पास कॉलेज के बहुत सारे छात्र प्रोजेक्ट करने के लिये आते थे और मैं बहुत सिंसियरली उनको प्रोजेक्ट कराता था। मैं सॉफ़्टवेयर डेवलपमेंट ग्रुप में था इसलिये मेरे पास ज्यादातर कम्प्यूटर ब्रान्च के छात्र आते थे, जिसमें ज्यादातर लड़कियाँ होती थीं।
यहाँ मैं आपको बता दूँ कि बैंगलोर की लड़कियाँ बहुत ही आज़ाद ख्यालों वाली होती हैं। उनके कपड़े काफ़ी भड़कीले होते हैं … टाइट जींस … जिसमें उनका सुडौल पिछवाड़ा बहुत ही आकर्षक दिखाई देता है। लो कट टी-शर्ट जिसमें से उनके वक्ष का आधा भाग और उनके बीच का दरार काफ़ी उत्तेजक लगता है। ऊपर से वो कुछ ऐसा पर्फ़्यूम छिड़क के आती थीं जो मदमस्त कर देने वाला होता था।
मैं एक अच्छा ओरेटर हूँ इसलिये मेरे बात करने का अन्दाज़ लड़कियों को बहुत भाता है इसलिये लगभग सारी लड़कियाँ किसी ना किसी तरह से मुझे लाइन मारने की कोशिश करती रहती थीं। मैं उनका लाइन मारना, उनके साथ पिक्चर जाना, अम्यूज़मेंट पार्क्स में घूमना, वाटर पार्क्स में उनके भीगे बदन के साथ घूमना, उन्हें देखना इत्यादि तो इन्जॉय करता था पर उससे आगे बढ़ने की ना तो मेरी हिम्मत थी ना ही इच्छा।
मगर किस्मत को तो कुछ और ही मंज़ूर था।
मैं अपने सहयोगियों के साथ कैन्टीन में लन्च कर रहा था, कि अचानक ज़मील ने कहा “अबे देख … कितने बड़े-बड़े हैं इसके …”
मैंने सर उठाकर देखा … एक बीस-इक्कीस साल की लड़की अपनी दो सहेलियों के साथ लंच लेने आई थी, और जिसके बारे में ज़मील ने कमेंट किया था उसके स्तन वाकई बहुत बड़े थे … आम लड़कियों से काफ़ी बड़े … उसकी दोनों सहिलियाँ भी ठीक ठाक थीं।
मैंने कहा,”देखते हैं किसकी झोली में गिरती हैं … !”
ज़मील ने कहा,”तू ही तो है प्रोजेक्ट गाइड सभी लड़कियों का … तेरे पास ही आयेंगी … और कहाँ जायेंगी..”
मैंने कहा,”काश …!”
दोपहर में जब मैं लंच के बाद आकर अपने केबिन में बैठा तो मेरे एक सीनियर का फ़ोन आया, वो रिक्वेस्ट कर रहे थे कि मैं उनकी रिश्तेदार और उसकी सहेलियों का प्रोजेक्ट गाइड बन जाऊँ। मैंने हाँ कर दिया था..परंतु तब तक भी मैंने यह नहीं सोचा था कि ये वही लड़कियाँ होंगी जिन्हें हमने कैन्टीन में देखा था।
बहरहाल वो तीनों मेरे पास आईं, हैण्ड-शेक किया, अपने लो कट टी-शर्ट्स में से अपना यौवन दिखा-दिखा कर अपना इन्ट्रोडक्शन दिया, कुछ प्रोजेक्ट की बातें की, कुछ मुझे पटाने के लिये अदायें फेकीं (ताकि उनका प्रोजेक्ट ज़ल्दी और आसानी से हो जाये) और “थैन्क् यू सर” बोल के … अपने सुगठित, उन्नत … गोल-गोल … लुभावने … पिछवाड़े मटकाते हुये चली गईं।
पहली बार … जी हाँ पहली बार मुझे किसी लड़की ने इतना हिला कर रख दिया था। वैसे तो मैं शाम को ऑफ़िस से आकर सारी बातें भूल जाता हूँ पर उस दिन ऐसा नहीं हुआ … उसके उन्नत उरोज … उनके बीच की मादक दरार … उसके भरे-भरे नितंब … उसके रसीले और तराशे हुये होंठ … उसकी कमनीय आँखे (जो तकरीबन सभी साउथ इंडियन लड़कियों की होती हैं) … मेरे जेहन में घूम रहे थे।
दूसरे दिन मेरा मन काम में नहीं लग रहा था ..
मैं रह-रह के अपनी घड़ी की तरफ़ देख रहा था। आखिरकार वो आईं और इस बार ज़्यादा सज सँवरकर आईं, और कमनीय बन के आईं, और हाई-हील के सैंडिल पहन के आईं ताकि उनके नितंब और उभरे हुए दिखें … शायद उन्हें यह एहसास हो गया था कि मैं उनके पुष्ट नितंबों को निहारता था.. क्योंकि उनका प्रोजेक्ट गाइड यानि मैं, एक जवान और अविवाहित लड़का था।
तीनों एक से बढ़कर एक लग रही थीं पर मेरी नज़र तो उस बड़े उरोजों वाली … ‘शशि’ पर थी, जो उन तीनों में सबसे खूबसूरत भी थी। बहरहाल मैं यह दिखा था कि मैं बहुत नॉर्मल हूँ और तीनों को बराबर ट्रीट कर रहा हूँ। मैं उनको कम्प्यूटर पर कोड लिखने को कहता और पीछे बैठकर उनके सुडौल अंगों को देखता। उफ़ क्या ग़ज़ब का सम्मोहन था … जो मुझे उन अंगो को छूकर देखने को उत्तेजित करता था।
जब वो मेरे बगल में बैठती थीं और मैं की-बोर्ड में टाइप करता था तो कोहनी से जानबूझकर उनके उभारों को छूकर ’सॉरी’ बोल देता था … वो भी ’इट्स ओके’ कह देती थीं और उन्हें लगता था कि सर कितने शरीफ़ हैं। और आपको बता दूँ कि अच्छी और कुँवारी लड़कियाँ शरीफ़ और लल्लू से दिखने वाले लड़के पसंद करती हैं जिन्हें वो आसानी से अपने काबू में कर सकें।
पर उनको पता नहीं था कि उनसे पहले मैं जाने कितनों का प्रोजेक्ट गाइड था। पर समस्या यह थी कि तीनों अच्छी दोस्त थीं और उनमें से किसी एक को अलग करके कुछ करना मुश्किल काम था।
उस रात मैंने काफ़ी सोचा … आखिर एक आइडिया मेरे खुरापाती दिमाग में आ ही गया। अगले दिन मैंने यह दिखाना शुरू किया कि मुझे स्मिता और नेहा में ज़्यादा रुचि है … उनसे हँस-हँस के बातें करता … कभी कंधे पे हाथ रख देता … कुछ पूछती तो काफ़ी देर तक समझाता … उनके बहुत करीब रहता और ऐसी हरकतें करता कि शशि को जलन हो गई।
दो दिन ये रूटीन दोहराता रहा … और शशि का रुपगौरव और आत्मसम्मान कुचला जाता रहा। आखिर मेरी स्कीम ने काम किया … उस शाम सेशन खत्म होने से पहले शशि ने मुझसे पूछा,”सर ! आप मुझे मेरे कज़िन के घर छोड़ देंगे क्या?”
मैंने कहा,”व्हाइ नॉट !”
मैंने उसको अपनी पल्सर में लिफ़्ट दिया। रास्ते भर वो अपने बड़े-बड़े उरोज़ मेरे पीठ से छुलाती रही। मेरे अंगों में सिहरन सी दौड़ जाती और मेरे शिश्न में इतनी ज़्यादा कठोरता आ जाती जिसको पैंट में सम्हालना मुश्किल हो जाता।
अब रोज़ का यही क्रम बन गया था … धीरे धीरे उसकी हरकतें बढ़ने लगीं … पहले बाइक में मेरे कमर को पकड़कर बैठती थी, फ़िर जांघों को … एक दिन स्पीड ब्रेकर में उसका हाथ जांघ से फ़िसलकर मेरे पूरी तरह खड़े लंड पे पहुंच गया जिसको उसने, धोखे से या जानबूझकर पता नहीं, पर जोर से पकड़ लिया। बाद में उसने सॉरी बोला और मैंने कहा- कोई बात नहीं !
बात आई गई हो गई।
एक दिन उसकी कज़िन घर पे नहीं थी … मोबाइल पे लगाया तो उसने कहा कि आधे घंटे में आयेगी …
फ़ोन बन्द करके शशि बुदबुदाई,”अब मैं कहाँ जाऊँ आधे घंटे के लिये ?”
मैंने कहा,”मेरे घर !”
वो बोली,”ठीक है … मैं आपको चाय बनाके पिलाऊँगी !”
हम दोनों घर पहुंचे, चाय पी। फ़िर उसने कहा मैं थक गई हूँ, थोड़ी देर लेट जाऊँ?
मैंने कहा,”नो प्रॉब्लम !”
उसने बिस्तर पर लेट कर आँखे बंद कर ली और वहीं बगल में बैठकर ऊपर से नीचे तक उसके सारे जिस्म को अपनी आँखों से तोलने लगा। फ़िर मेरी आँखे उसके उरोजों पर अटक गई …
उसने करवट लिया और एक हाथ मेरे जांघ पर रख दिया। फ़िर कुनमुनाते हुये (जैसे नींद में होते हैं) उसने हाथ मेरे तने हुये लंड पे रख दिया। अब मैं बेकाबू होता जा रहा था।
अचानक उसने मेरे लंड को भींच लिया और कहा,”सर कितना बड़ा है आपका ये …”
मैं भौंचक्का रह गया।
उसने कहा,”ऐसे क्यों देख रहे हैं … क्या आपको मेरा इस तरह पकड़ना पसन्द नहीं?”
मैंने थूक गटका,” …ऐसी कोई बात नहीं !”
तो कैसी बात है सर … आप क्यों मुझे इग्नोर करते रहते हैं … स्मिता और नेहा मुझसे ज़्यादा अच्छी हैं क्या?”
मेरा तीर निशाने पर लग चुका था। ये सब कहते हुये उसने मेरा लंड छोड़ा नहीं था … बल्कि और भी जोर से पकड़ लिया था … मेरा लंड लोहे के रॉड की तरह सख्त हो चुका था। अंदर से मैं बहुत उत्तेजित हो चुका था पर बाहर से मुस्कुराते हुये बोला,”यह बात नहीं है शशि … मुझे तुम बहुत अच्छी लगती हो !”
उसने पूछा- आपको मुझमें क्या अच्छा लगता है?
मैंने कहा- तुम्हारे होंठ, तुम्हारे गाल … !
उसने कहा- और..?
वह कुछ और ही सुनना चाहती थी …
मैंने जारी रखा- तुम्हारे बड़े-बड़े बूब्स … तुम्हारे बट्स … मैं इन्हें महसूस करना चाहता हूँ … इनमें डूब जाना चाहता हूँ..!
उसने हस्की आवाज़ में कहा- आपको रोका किसने है सर … मैं तो कितने दिनों से यही चाह रही थी …
उसका इतना कहना था कि मैंने अपने होंठ उसके नर्म मुलायम होंठों पर रख दिये और दोनों हाथों से उसके स्तनों को टी-शर्ट के ऊपर से ही मसलने लगा …
इतने भरे-भरे कठोर और बड़े स्तन थे उसके कि लगता था अभी टी-शर्ट फाड़ के निकल पड़ेंगे। वह भी मेरे लंड को सहलाते हुये मेरा ज़िप खोलने की कोशिश कर रही थी। मेरा लंड इतना तन चुका था कि उसको बड़ी मुश्किल से बाहर निकाला और उसको देखते ही उसकी आँखें फटी की फटी रह गईं, किस करना भूल गई थी वो। ८-८.५ इंच का लंड .. उसपे ३ इंच का घेरा …
बाप रे ! उसने कहा।
घुटने के बल आकर उसने मेरा सुपाड़े को लॉलीपॉप की तरह चूसना शुरू कर दिया और मेरा लंड मुँह में लेकर चूसने लगी।
मैं सिसकारियाँ लेने लगा और खड़े-खड़े अपने हाथ नीचे करके जोर-जोर से उसके स्तन मसलने लगा … थोड़ी देर बाद मेरे लंड के टिप पे लसलसा सा प्रि-कम आ गया था जो उसने मजे से चाट लिया था।
अचानक वो खड़ी हुई … उसने मेरा एक हाथ अपने वक्ष से हटाया और अपने दोनों टाँगों के बीच वहाँ रख दिया जहाँ दहकता लावा था …
पहले तो मैं बाहर से ही सहलाता रहा … नापता रहा दोनों पंखुड़ियाँ … उनके बीच की दरार … जहाँ हल्की-हल्की रिसावट हो रही थी … मैंने और आगे उंगली घुसेड़ने की कोशिश की मगर फिर याद आया कि मैंने उसकी जींस तो उतारी ही नहीं थी। अब मैंने देर नहीं लगाई … फ़टाफ़ट उसकी जींस का बटन खोला … .फ़िर ज़िप … .फ़िर मैंने उसे अपने पैर से धीरे से नीचे सरका दिया …।
मैंने उसकी अंडरवियर के अंदर हाथ डाल के उसके झांटों को टटोलते हुये दरार पे उंगली फ़िराई …उसने सिसकारियाँ भरना शुरु कर दिया और अपने गुदाज नितंबों को आगे-पीछे करने लगी … मैंने अपनी एक उंगली धीरे से अंदर प्रविष्ट कर दी … वो चिहुँक उठी … .और अपना वस्ति-दोलन और तेज़ कर दिया …
उसने अपनी आँखें बन्द कर रखी थीं … ..मैंने उंगली को आगे पीछे करना शुरु कर दिया … उसने मेरे लंड को एक हाथ में लेकर उसके चमड़े को आगे-पीछे करने लगी … मेरा सुपाड़ा और मोटा होता जा रहा था … उसकी अंडरवियर गीली होती जा रही थी … वो और बर्दाश्त नहीं कर पा रही थी … उसके मुँह से गूँ-गूँ की आवाज़ निकल रही थी।
अचानक मैंने उसकी अंडरवियर धीरे से नीचे सरका दी … और उसके दोनों टांगो के बीच फ़ँसी उस दरार को निहारने लगा जिसके पीछे ऋषि-मुनियों की तपस्या भंग हो गई थी फिर मैं तो क्षणभंगुर मानव था।
शायद उसको अपनी नग्नता का अहसास हुआ या जाने कैसे वो पीछे घूम गई … अब मेरा लंड उसके उन्न्त नितम्बों के बीच की खाई में झटके मार रहा था … ..मैंने उसके दोनों बूब्स पकड़े और पीछे सट गया … वो अपने चूतड़ मेरे मुन्ने पे रगड़ने लगी। आह … स्वर्गीय आनंद था … कामुकता … लस्ट … अपनी चरम सीमा पर थी। मैंने उसके गर्दन पे एक चुम्बन दिया … उसने कराहती सी वासना में लिप्त आवाज़ में कहा,”उँह …”
मैंने अपना एक हाथ उसके उरोज से हटाया और योनिद्वार पे फेरने लगा … एक छोटी सी … मटर के दाने जितनी घुंडी का अहसास हुआ … जाने क्यों मैं उस घुंडी को रगड़ने लगा और वो बेसाख़्ता सिसकारियाँ भरने लगी …
और मेरे लंड को अपने गोल-गोल नितम्बों को बीच फ़ँसाकर ऊपर-नीचे रगड़ने लगी … लग रहा था किसी लावा में रगड़ा जा रहा है … मैं अपने आपको संयत कर पाता कि अचानक वो अपने दोनों हाथ पलंग पे रखकर झुक गई और जन्नत का दरवाजा मेरे सामने था।
साँसें घुटती हुई सी लग रही थीं … धड़कनें थमी सी महसूस हो रही थीं … सीटी बजाने के आकार में सुकड़ा हुआ भूरा सा गुदाद्वार किसी खिले हुए जासबन फूल सा लग रहा था … उसके कुछ आधे इंच नीचे भूरे-भूरे रेशमी झाँटों के झुरमुट में जो दिखाई दे रहा था … वो ऐसा लग रहा था जैसे शशि के सेक्सी होंठों को किसी ने वर्टिकल कर दिया हो … थोड़ा गुलाबी … थोड़ा बादामी … ऐसा कुछ रंग था उन होंठों के बीच …
मेरे हाथ-पाँव भारी से होते जा रहे थे … मैं अपने घुटनों पर आ गया और जाने किस अनजान शक्ति ने मेरा मुँह उस खुशबूदार … तीन इंची दरार में टिका दिया … मेरी जीभ बाहर निकल आई और मैं कुत्ते की तरह उसकी कुँवारी बुर को चाटने लगा … कुछ नमकीन-कसैला सा स्वाद था …
अब वो कन्नड़ में कुछ अंड-बंड बकने लगी और अपने चूतड़ को आगे-पीछे करने लगी … मैंने अपने जीभ के आगे का हिस्सा नुकीला करके उस मुलायम से योनिद्वार में घुसा दिया … उसकी सिसकारियाँ रुकने का नाम नहीं ले रही थीं …
मैंने जीभ को मटर के दाने जितनी घुंडी पर गोल-गोल घुमाना शुरु कर दिया … उसके दरारों से और ज़्यादा नमकीन पानी रिसने लगा … लंड का तनाव काबू से बाहर होता जा रहा था …जो आम तौर पर ८-८.५ इंच का दिखता था … आज ९ इंच का दिख रहा था … सुपाड़ा अंगारा हो गया था … उतना ही गरम … उतना ही लाल … !
अपना दहकता अंगार मैंने शशि के सुलगते लावा में रख दिया … जिसे मैंने चाट-चाट के लाल कर दिया था … उफ़ क्या गरमी थी … क्या नरमी थी … । अपने गरम सुपाड़े को उसकी चूत के दोनों पँखुड़ियों के बीच रगड़ने लगा … … जहाँ लसलसे पदार्थ का झरना सा बह रहा था …
शशि अपना नियंत्रण खोती जा रही थी … उसके तन-मन में मादकता छा गई थी … उसने अपनी कमर को उछालना शुरू कर दिया …
मैंने धीरे से सुपाड़ा अंदर घुसेड़ने की कोशिश की …
कोशिश इसलिये कह रहा हूँ कि सुपाड़ा बार-बार फ़िसल जाता था … अंदर जा ही नहीं रहा था। इतनी चिकनाई होने के बावजूद उस नई चूत के छेद के लिये तीन इंच घेरे वाला लंड काफ़ी बड़ा साबित हो रहा था … ।
मैंने एक हाथ से उसके नितंब को थामा … दूसरे हाथ से अपने लंड को पकड़ा … उसे जन्नत के दरवाजे पर टिकाया और हाथ से पकड़े-पकड़े अपने चूतड़ों को एक जुम्बिश दी … सुपाड़ा अन्दर समा गया … अभी भी ८ इंच का फ़ड़कता हुआ रॉड बुर के बाहर था … बैंगलोर के उस सुहाने मौसम में भी मैं पसीने-पसीने हो रहा था …।
अब मैंने लंड को छोड़ा … अपने आपको सीधा किया … गहरी साँस ली … दोनों हाथों से उसके गोल-गोल सुडौल नितंबों को थामा …नज़रें जासबन फूल पे टिकाई और अपने चूतड़ों को जबरदस्त झटका दिया … अब तकरीबन ४-४.५ इंच अंदर था..। अंदर तो भट्टी दहक रही थी … सब कुछ गरम-गरम महसूस हो रहा था …
शशि कराह रही थी …
थोड़ी देर तक हम दोनो ऐसे ही निश्चल रहे …लंड आधा ही अंदर था … मेरा लंड अंदर के कसाव के बावजूद फड़क रहा था …शशि चुपचाप मेरे लंड का फड़कन महसूस कर रही थी। … मैं भी उसके योनि की मांसपेशियों का संकुचन और विस्तार (फैलना और सुकड़ना) को महसूस कर रहा था।
करीब एक मिनट तक ऐसे ही रहने के बाद उसने अपने आपको आगे पीछे हिलाना शुरू किया … अभी भी लंड का आधा हिस्सा बाहर ही था … मुझे याद नहीं आ रहा है जाने कब मैं कुत्ते वाली स्टाइल में उसके ऊपर झुक गया था … उसके दोनों स्तन मेरे हाथ में थे और मैं पीछे से उसका बुरमर्दन कर रहा था।
मैं रफ़्तार पकड़ चुका था … और शशि भी अपने कूल्हों को हिला-हिला कर पूरा साथ निभा रही थी। उसकी हस्की और सेक्सी आवाज़ मुझे और उत्तेजित कर रही थी …
वो बड़बड़ा रही थी,” पुश इट् हार्ड … पुश दैट मोर इनसाइड … ऊह … ओ गॉड … आह..ऊँहु … ” और जाने क्या-क्या … ।
अचानक उसका पूरा शरीर बुरी तरह काँपने लगा … ऐसा लग रहा था कि उसके हाथ पैर उसका बोझ नहीं सम्हाल पा रहे हैं … उसके नितंबों में अजीब सी थरथराहट हो रही थी … और मैं था कि रुकने का नाम ही नहीं ले रहा था।
अचानक शशि भरभराकर कोहनियों के बल ज़मीन पर आ गई … उसका पेट और बूब्स ज़मीन पर टिके थे पर नितम्बों वाला हिस्सा ऊपर उठा हुआ था … मैंने अपना लंड एक इंच पीछे खींचा … उसकी कमर दोनों हाथों से पकड़ा और दोनों कूल्हों के बीच निहारा … उसके फ़ाँकों के बीच फ़ंसे अपने खुद के अंग को देखकर मैं इतना उत्तेजित हो गया कि पूरी ताकत के साथ लंड को वापिस पेल दिया …
शशि बोली,”ओ गॉड … यह तो यूटेरस (बच्चेदानी) में टकरा रहा है … “
इतना कहते ही उसके बुर से तेज धार सी निकली और मेरे झाँटों की भिगोती चली गई … मैं दुगनी रफ़्तार से भिड़ गया …
थोड़ी देर में मेरे लंड में अजीब सी ऐंठन हुई और पता नहीं कितना वीर्य उसके बच्चेदानी के छेद पे न्यौछावर हो गया …
बस इतना पता है कि उसने कहा..”ओह गॉड … .इतना सारा … “
मैं उसके खुशबूदार शरीर से चिपट गया … उसके स्तनों को मसलने लगा … मेरा लंड उसकी योनि में फैलने-सुकड़ने लगा … उसने पता नहीं क्या किया … ऐसा लगा जैसे मेरे लंड का पूरा रस अपने बुर को टाइट करके निचोड़ रही हो।
मैं उसकी सुराहीदार गर्दन को चूमता जा रहा था … हम दोनों तरबतर हो चुके थे … तन से भी … मन से भी …
आज बस इतना ही …
अगली बार मैं आपको बताऊँगा कि कैसे शशि ने रति-पश्चात-क्रीड़ा में चूस-चूसकर मेरे लंड को खड़ा किया … अपने मोबाइल में उसकी फोटो खींची … और कैसे दूसरे दिन लैब में स्मिता और नेहा को दिखाया …
फिर कैसे बारी-बारी दोनों ने मुझसे लिफ़्ट माँगा … और फिर … Sex Stories
दोस्तो, मैं संजू आप के Hindi Sex Stories लिए लेकर आया हूँ अपनी ज़िन्दगी की एक सच्ची कहानी ! सबसे पहले मैं अपना परिचय करवा दूँ !मैं हरियाणा के जींद शहर का रहने वाला हूँ, कद 5’11” देखने में अच्छा दीखता हूँ।
यह मेरी पहली कहानी है अन्तर्वासना डॉट कॉम पर ! उम्मीद है आपको पसंद आएगी। तो अब कहानी पर आते हैं।
बात उन दिनों की है जब मैं नया नया कॉलेज जाने लगा था। हमारे घर के सामने एक परिवार रहता था, उस परिवार में पति पत्नी उनकी चार लड़कियां व दो लड़के थे।
बड़ी लड़की सिमरन (बदला हुआ नाम) मेरे साथ हमारे ही कॉलेज में पढ़ती थी, मैं बी.ए में और वो एम ए में थी। हां दोस्तो, वो मुझसे बड़ी थी, पर वो मुझे बहुत अच्छी लगती थी। पर मैं बहुत ही शर्मीला था और उससे दिल के बात कहने में डरता था। बस मैं उसकी तरफ प्यार से देखता रहता छुप-छुप कर ! कभी कभी बात हो जाती थी पर एक पड़ोसी के नाते !
उसकी फिगर बड़ी मस्त थी बड़ी बड़ी चूचियाँ और मोटे मोटे चूतड़, वो दिखने में भी काफी सेक्सी थी। कॉलेज के कई लड़के उस पर लाइन मरते थे इसलिए मेरी उससे बात करने के हिम्मत ही नहीं होती थी, कहीं वो मना ना कर दे।
और एक दिन की घटना ने तो मेरा रहा सहा हौंसला भी तोड़ दिया। एक बार वो अपनी छत पर चिड़ी-बल्ला खेल रही थी और मैं नीचे गली में बैठा था। उनकी चिड़ी नीचे गली में गिर गई।
सिमरन छत से बोली- भइया, वो चिड़ी फेंकना ऊपर !
मैंने गुस्से से उसकी ओर देखा और चिड़ी फेंक कर अंदर चला गया। मुझे बड़ा गुस्सा आया और मैंने उससे कभी बात न करने की ठान ली। उस दिन से मैं उसकी तरफ न देखता, न बात करता। थोड़े दिन तो ऐसे ही चलता रहा फिर एक दिन जब मैं कॉलेज से लौटा तो वो अपनी मम्मी के साथ मेरी मम्मी के पास बैठी थी। मैं भी सीधा वहीं जाकर बैठ गया। थोड़ी देर बाद उसका मामा आ गया और उसकी मम्मी उठ कर चली गई और कुछ देर बाद मेरी मम्मी भी अंदर चली गई।
कुछ देर हम ऐसे ही बैठे रहे फिर उसने पूछा- क्या बात है संजू ! आज कल मुझसे बात नहीं करते हो?
तो मैंने कहा- कुछ नहीं ! बस वैसे ही !
तो उसने कहा- कुछ तो बात है, प्लीज़ बताओ ना !
तो मैंने कहा- मैं तुमसे नाराज़ हूँ !
वो बोली- किस बात पर ?
तो मैंने कहा- उस दिन तुमने मुझे भैया कहा था।
तो वो हंस पड़ी और बोली- बुद्धू ! उस दिन मम्मी छत पर थी, वरना ऐसी कोई बात नहीं है।
इतने में उसकी मम्मी ने उसको बुला लिया। उस दिन मैं बड़ा खुश हुआ, सोचा, चलो थोड़ा सिग्नल तो मिला। फिर तो हम छत से एक दूसरे को देख के मुस्कुराते रहते ! कुछ दिन ऐसे ही चला, फिर हमारे यहाँ और उनके यहाँ एक साथ ही फ़ोन कनेक्शन लगा और मैंने उसकी बहन से उनका नंबर भी ले लिया। एक दो बार फ़ोन मिलाया भी पर कोई और ही उठाता था।
फिर एक दिन मैं अपने कमरे में रात को टीवी देख रहा था, केबल पर कोई फिल्म आ रही थी, तो फ़िल्म की क्वालिटी ख़राब होने की वजह से टीवी की आवाज़ कुछ ज्यादा ही थी। रात को करीब 11 बजे हमारा फ़ोन बजा और फ़ोन मेरे कमरे में ही था, मैंने फ़ोन उठाया तो उधर से एक लड़की बोल रही थी।
मैंने पूछा- कौन बोल रहा है ?
तो उसने कहा- मैं सिमरन बोल रही हूँ।
मेरा दिल एकदम धड़कना बंद हो गया, मैं पहली बार उससे फ़ोन पर बात कर रहा था, वो बोली- टीवी की आवाज़ इतनी क्यों कर रखी है? हमारे कमरे तक आ रही है !
मैंने बोला- वो केबल पर फिल्म आ रही है न, इसलिए आवाज़ इतनी हो गई।
फिर मैंने पूछा- तुम इतनी रात तक जाग कर क्या कर रही हो?
वो बोली- तुम सोने दो तब न !
फिर थोड़ी इधर उधर की बातें हुई और उसने फ़ोन रख दिया। इसी दोरान मैंने उससे यह भी पूछ लिया- अगर तुमसे बात करनी हो तो किस समय फ़ोन करूँ?
तो उसने कोई जवाब नहीं दिया और गुड नाईट कह कर फ़ोन रख दिया!
उस रात मुझे बहुत देर में नींद आई और मुठ भी मारनी पड़ी।
फिर कुछ दिन ऐसे ही चलता रहा पर अब वो थोड़ा बदल गई थी। अब वो मुझे देखकर मुस्कुरा भी देती थी।
फिर एक दिन मैंने हिम्मत कर के छत से उसे इशारों में चार बजे फ़ोन करने के लिए कहा। मैंने ठीक चार बजे उसके घर फ़ोन किया तो संयोग से उसने ही उठाया और बोली- तुम मुझे मरवा दोगे !
और बोली- बोलो, क्या बोलना है !
मैं बहुत घबरा रहा था, मैंने उससे कहा- मुझे तुमसे एक बात कहनी है पर तुम वादा करो कि अगर तुम्हें बुरी लगी तो तुम नाराज़ नहीं होगी !
वो बोली- ठीक है !
तो मैंने कहा- आई लव यू !
वो थोड़ी देर तो चुप रही, फ़िर बोली- यह ठीक नहीं है ! मैं तुम्हारे बारे में ऐसा नहीं सोचती !
तो मैंने कहा- मैं तो तुमसे प्यार करता हूँ और मैं कल ठीक इसी समय फ़ोन करूंगा। तुम्हारा जवाब हाँ हो तो फ़ोन तुम ही उठाना, अगर किसी और ने फ़ोन उठाया तो मैं तुम्हारा जवाब न समझूंगा !
और मैंने फ़ोन रख दिया। फ़ोन रखने के बाद मैंने सोचा- साले यह बोल तो दिया है पर अगर उसने फ़ोन न उठाया तो ?
यह सोच कर मेरी तो गांड ही फट गई, फिर सोचा जो बोल दिया सो बोल दिया, कल की कल देखेंगे।
और मैं अगले दिन चार बजने का इन्तज़ार करने लगा।
अगले दिन ठीक चार बजे जब मैं फ़ोन करने गया तो देखा वह पर मेरे मामा मेरे पापा के साथ बैठे थे। मैं उनके पास ही बैठ गया और भगवन से दुआ करने लगा कि जल्दी से ये लोग उठ जाएँ !
थोड़ी देर में वो उठ गए तो मैंने देखा कि 4.35 हुए हैं। मैंने जल्दी से फ़ोन मिलाया तो उधर से उसने ही उठाया तो मैंने कहा- आई लव यू ! बोलो !
तो वो बोली- अभी नहीं ! मम्मी पास में ही हैं !
दोस्तो, मैं क्या बताऊँ ! उस दिन मैं जैसे हवा में उड़ रहा था !
तो दोस्तों अभी बस इतना ही !
आगे और भी बहुत कुछ है ! आप को मेरी ये सच्ची कहानी कैसी लगी, मुझे जरूर लिखना ! Hindi Sex Stories
मेरी पत्नी रीति जिसकी Antarvasna उम्र अब बयालीस वर्ष है और मैं पैंतालीस का हूँ। करीब चार वर्ष पहले हम लोगों ने एक बड़ा ही नया अनुभव किया। आज अन्तर्वासना डॉट कॉंम पर इतनी कहानियाँ पढ़ने के बाद सोचा कि मन की बात बता ही दूँ। कुछ विवरण और वार्तालाप थोड़े काल्पनिक हैं, इस कहानी को रोचक बनाने के लिए, लेकिन हुआ सब कुछ वैसा ही जैसा लिखा है।
उस समय रीति 38 वर्ष की थी। हमारा यौन-जीवन काफी आनंदमय था और शादी के इतने सालों बाद बहुत ही खुल गए थे। शादी के चौदह वर्षों के बाद नए तरीकों से सेक्स जिंदगी को आनंदमय बनाने का प्रयास करते, जैसे कि रीति का कभी कभी अंग प्रदर्शन, साथ ब्लू फिल्म देखना, जब घर में अकेले हों तो नंगा रहना और वैसे ही खाना खाना साथ में, देर रात को अँधेरे में बालकॉनी में रीति का लगभग नग्न साथ बैठना इत्यादि।
हम सम्भोग के समय बिल्कुल खुली बातें करते, तीसरे पुरुष और स्त्री के बारे में फंतासी करते, एक दूसरे को प्यार भरी गंदी गालियाँ देते और एक दूसरे के अंगों के लिए गंदी बातें करते। लेकिन कभी भी हमने तीसरे पुरुष या स्त्री के साथ सेक्स करने के लिए प्रयास नहीं किया, हम ऐसे ही बहुत खुश थे। हम कभी कभी रात को खाने के बाद गाड़ी में दूर तक चक्कर लगाते और शहर के बाहर हाईवे पर जाते, शहर का नाम नहीं बताऊँगा।
रीति जो काफी भर-पूरे शरीर की है और स्तन जिसके ज्यादा बड़े तो नहीं लेकिन बहुत ही गुदाज और उन्नत हैं, मेरे कहने पर ब्लाऊज़ से निकाल लेती और उनकी घुंडियों तक उन्हें बाहर कर लेती। हमें एक अजीब प्रकार का आनंद प्राप्त होता यह सोच कर कि नजदीक से गुजरने वालों की नजर उन स्तनों पर पड़ती है और रीति और मैं दोनों सेक्स की गर्मी महसूस करते और घर आकर बहुत ही रोमांचक चुदाई का मजा लेते।
एक दो बार हमने देखा कि बाहर सड़क पर चलने वालो की नजर रीति के अधखुले स्तनों पर पड़ी तो उनकी आँखें फटी की फटी रह गई। रीति के उरोज तो उन्नत थे ही, सबसे ज्यादा सेक्सी थी उसकी जांघें और मोटे नितम्ब। जांघ जैसे कि मोटी शिला की तरह बिल्कुल चिकनी, गोरी और नितम्ब 39 इंच। उन कूल्हों को देख कर किसी का भी मन ख़राब हो सकता है आज भी।
एक दिन देखा कि एक चने वाला अपना सामान समेट कर जाने ही वाला था, तभी रीति ने कहा- हम चना खायेंगे !
मैंने गाड़ी रोकी और उससे मसाला चना लिया जो काफी स्वादिष्ट था। मैंने पूछा- क्या रोज यहाँ आते हो ?
तो उसने बताया- करीब दो हफ्ते से ठेला यहाँ लगा रहा हूँ, उसके पहले कहीं दूसरी जगह लगाता था।
चने वाला अंदाज़ 35 साल का होगा लेकिन शरीर से हट्टा कट्ठा था और बहुत ही साफ़ सुथरा जैसे कि रोज शरीर पर तेल मालिश करता हो, कुछ-कुछ पहलवानों जैसा सुडौल शरीर।
मैंने नाम पूछा तो बताया- सरजू !
हम चना लेकर चले आये। रात को जब रीति के साथ सम्भोग करते हुए उस चने वाले की याद आई तो मैंने अपनी पत्नी से पूछा- सरजू कैसा लगा?
रीति ने कहा- फालतू की बातें मत करो ! और हंसने लगी।
मैंने कहा- कल जब जायेंगे तो उसे भी अपने उरोजों के दर्शन कराना ! पागल हो जाएगा !
रीति ने कहा- चलती गाड़ी में बात और है, गाड़ी रोक कर मैं अपने चूचों को नहीं दिखाऊंगी, कोई गड़बड़ हो गई तो क्या होगा?
मैंने कहा- क्या उसका शरीर तुम्हें मस्त और मजबूत नहीं लगा?
तो वो मुझे चूमने और काटने लगी। मैं जानता था कि चने वाले की बात याद करके उसे मजा आ रहा था।
हम दो तीन दिन बाद फिर उस तरफ निकलने लगे, रीति से मैंने कहा- तुम्हारी सबसे छोटी और काली वाली जालीदार ब्रा पहनो !
रीति ने पहन तो लिया पर चूचों को दिखाने से मना कर दिया, कहा- गाड़ी रोक कर ऐसा करना खतरनाक होगा !
मैंने कहा- चलो तो !
जाते हुए देखा कि चने वाला ठेला लगाये खड़ा था, लौटते हुए मैंने रीति से कहा कि अपने चूचे बाहर कर ले ! पहले तो तैयार नहीं हुई पर जोर देने पर मान गई, कहा- अगर वहाँ भीड़ होगी तो नहीं खोलूंगी !
रीति अपनी चूचियों को बाहर कर लेती थी लेकिन उन पर साड़ी का पल्लू ढांप कर रखती थी और जब भी मौका दीखता, साड़ी का पल्लू हटा अपने उरोजों का प्रदर्शन करती ! अगर भीड़ बहुत होती तो फिर से ढक लेती।
मैंने दूर से देखा कि ठेले पर कोई नहीं है और सिर्फ चने वाला और उसके साथ एक छोटा लड़का खड़ा है, रोशनी भी वहाँ ज्यादा नहीं थी, रीति ने झिझकते हुए अपने स्तनों को ब्रा से निकाल बाहर किया और साड़ी के पल्लू से ढक लिया।
मैंने गाड़ी रोकी और चने वाले को बुलाया नजदीक और रीति को इशारा किया, रीति ने थोड़ा सा पल्लू हटाया और किनारे से उसके गोरे-गोरे बाएँ तरफ के उरोजों ने हलकी सी झलक दी। शायद चने वाले ने भी देखा।
ऐसा तीन चार बार हमने किया और धीरे धीरे रीति ने अपने उरोजों पर का पल्लू करीब करीब एकदम ही हटाना शुरू कर दिया, अब उसके अधनंगे गोरे और ऊंचे स्तन साफ़ दिखते थे, दिखावा ऐसे करती थी जैसे उसे पता ही नहीं और पल्लू खिसक गया हो।
शायद चने वाला कुछ-कुछ समझ रहा था, अब जब भी गाड़ी वहाँ खड़ी करता, चने वाला दौड़ा आता और चने देने के बहाने वहाँ खड़ा होकर मेरे और रीति से इधर उधर की बातें करने लगता, हम भी थोड़ा निडर हो गए और आनंद लेने लगे।
रीति की झिझक कम हो रही थी, वो पहले से ज्यादा उरोजों का प्रदर्शन चने वाले के लिए करने लगी। अब तो लगभग एक तरफ के चूचे को पूरा ही बाहर निकाल कर उसे दिखाने लगी, चने वाले का ठेला उस तरफ ही होता था जिस ओर रीति बैठती थी यानि कि रीति की बाईं ओर !
चने वाला भी अब समझ गया था।
मैं और मेरी पत्नी चुदाई का बहुत मज़ा ले रहे थे, सरजू का जिक्र होते ही रीति गर्म हो जाती थी और मैंने देखा कि उसकी बूर पानी से भर जाती थी, मुझे दांतों से काटने लगती और सिसकारी भी लेती। हालाकिं किसी दूसरे समय बात करता तो मुझ पर गुस्सा दिखाती।
एक दिन जब गाड़ी रोकी तो देखा कि सरजू चने लेकर आया और उसने मेरी रीति की ओर का दरवाजा खोल कर चने रीति और मेरे हाथ में दिए, पहले वो खिड़की से ही देता था।
मैंने कुछ नहीं कहा, वो रीति से काफी सटकर खड़ा था। अब वो दो-अर्थी भाषा में भी बोलने लगा और रीति को सीधा ही संबोद्धित करता, जैसे एक दिन बोल पड़ा- मेमसाब, मेरा चना आपके लिए स्पेशल तैयार किया है गरमा गरम दिखाऊँ क्या?
इसके आगे की घटना अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़िए शीघ्र ही ! Antarvasna
मेरी पिछली कहानी “माला की चुदाई” पर बहुत से Hindi Porn Stories पत्र मिले। मेरे कई पाठकों ने अपने दिमाग का इस्तेमाल किया और मुझसे जानकारी मांगी कि मैं नर हूं या नारी?
तो दोस्तो- हकीकत यह है कि मैं नर हूं, मेरा नाम सुनील है और राजस्थान के अजमेर ज़िले का रहने वाला हूं। आज मैं आपको नई कहानी बत रहा हूं जो करीब चार माह पुरानी है।
मैं शार्टकट के चक्कर से पुलिया पार करता हुआ बाईक से कालोनी में जाने वाला था मगर उससे पहले ही मुझे एक शानदार २६-२७ साल की नई शादीशुदा युवती नज़र आई जो अपने आप में बहुत ही खूबसूरत थी। उसके बूब्स तो माशा अल्लाह बहुत ही नज़ाकत लिए हुए थे। उसने मुझे आवाज़ लगाते हुए कहा कि क्या आप मुझे आगे कालोनी तक लिफ़्ट देंगे? मुझे तो मानो बिन मांगे मुराद मिल गई। मैंने बड़े सलीके से जवाब दिया- जी बैठिए ! मैं आपको आपके घर तक छोड़ दूंगा। वो मेरी बाईक पर बैठ गई।
अब मैं बाईक चलाता और हल्के से भी ब्रेक लगने से वो मुझसे जैसे ही स्पर्श करती, कसम से बहुत गहरा झटका लगता, क्योंकि हए झटके के साथ उसके बड़े बड़े बूब मेरी कमर से टकरा जाते और मेरी हालत खराब हो जाती। खैर जैसे तैसे मैं उसके घर पहुंच कर उसे घर के बाहर छोड़ कर जाने लगा तो उसने मुझे बड़े प्यार से अन्दर बुलाया तो मैं इंकार ना कर सका, चूंकि दोपहर का समय था और गर्मी का मौसम भी, शरीर से पसीना चू रहा था।
मैं अन्दर गया तो वहां मात्र एक उसकी नौकरानी थी, मुझे पानी पिलाने के बाद उसे भी घर भेज दिया। अब घर में हम दोनों ही थे। बातों बातों में मैं उससे पूरी तरह खुल गया था क्योंकि मुझे आए करीब एक घण्टा हो गया था। उसने बताया कि उसका नाम स्वीटी है और उसके पति की मार्बल की तीन चार फ़ैक्ट्रियाँ हैं जिसमें वह इतने व्यस्त रहते हैं कि सवेरे सात बजे के निकले रात दस ग्यारह बजे आते हैं और आते ही सो जाते हैं।
देर हो जाने के कारण उसने मुझे अपना सैल नम्बर देकर फ़िर आने को कहा और जैसे ही मैं जाने लगा, वह मेरे पीछे गेट पर आई और मुझे पीछे से पकर कर किस किया और मैं कुछ समझता इससे पहले ही उसका एक हाथ मेरी पैन्ट पर रेंग गया। मगर वह ज्यादा कुछ करती और मैं ज्यादा कुछ समझता, उससे पहले कालबेल चिंघाड़ उठी, और मेरा मूड बनता उससे पहले ही बिगड़ गया। खैर स्वीटी ने मुझे फ़िर आने को कहा और मैं चला आया।
दो तीन दिन बाद सुबह अचानक स्वीटी का फ़ोन आया और मुझे घर बुलाया। मैं गया तो उसी नौकरानी ने दरवाज़ा खोला और मुझे सोफ़े पर बैठा कर पानी पिलाया और चली गई। मैं स्वीटी का इन्तज़ार करने लगा। थोड़ी देर में स्वीटी आई, मुझे अन्दर अपने बेडरूम में ले गई। दरवाज़ा बंद करने के बाद स्वीटी ने मुझे कस के पकड़ लिया और ऊपर से नीचे तक चूमती रही। मुझे लगा कि आज मेरा देह शोषण होना है। मगर नहीं, उसने मुझे १५-२० मिनट चूमने के बाद अपने बेड पर बिठाया और फ़्रिज़ से बीयर निकाल कर लाई, दो ग्लास बनाए, एक उसने मुझे दिया और मेरे पास बैठ कर दूसरा खुद पीने लगी।
धीरे धीरे मैंने अपना हाथ बढ़ाया और उसके बूब्स को सहलाने लगा। उसका मुंह अपनी ओर करके मैंने एक लम्बा किस लिया और एक हाथ से उसका ब्लाऊज़ उतारा। ब्लाऊज़ के अन्दर उसने काली ब्रा पहन रखी थी जो मेरी एक खास पसन्द है। काली ब्रा में कैद दोनों कबूतर कब आज़ाद हो गए पता ही नहीं चला। इधर स्वीटी ने मेरी पैन्ट की ज़िप खोल कर मेरा लण्ड पने हाथ में ले लिया और सहलाने लगी। फ़िए बड़े प्यार से मेरे लण्ड को चूमने, चूसने लगी। उसके चूसने से मेरा लण्ड एक दम सख्त हो गया और उसके बाल पकड़ कर उसके मुंह में ही चुदाई करने लगा। थोड़ी देर में ही मेरे लण्ड ने उसके मुंह में रुक रुक कर फ़व्वारा छोड़ दिया जिसे स्वीटी ने बड़े प्यार से गटक लिया और अपनी जीभ से दीवानों की तरह मेरे पूरे लण्ड को चाटने लगी।
इधर मैंने उसके चूतड़ों में अपनी उंगलियों से चुदाई कर कर के उसको भी झाड़ दिया। अब मैंने उसको बेड पर पीठ के बल लिटाया और उसकी टांगों को चौड़ी करके रसीली चूत को चाटने लगा। हकीकत में, दोस्तो, जितना आनन्द चूत चटाई में आता है उतना आनन्द तो ओर कहीं नहीं मिल सकता। चूत चटाई के दौर में स्वीटी दो बार झड़ चुकी थी। उसने मेरे बाल कस के पकड़ लिए और उसके मुंह से लगातार आवाज़ें आ रही थी… आह्… संजू… चाटो आज जी भर कर चाटो ! मैं भी स्वर्ग का आनन्द प्राप्त कर रहा था। उसकी चूत गोरी-चिट्टी व चिकनी थी और साथ ही मामूली बालों का भी पहरा था जिससे चूत चटाई का आनन्द दुगना हो गया।
अब मैंने उसकी दोनों टांगों को अपने कंधों पर रख लण्ड का सुपाड़ा उसकी चूत के दरवाज़े पर रखा, सुपाड़ा अपने आप फ़िसल कर आधा अन्दर चला गया क्योंकि मेरी चूत चटाई से उसकी बुर एकदम गीली और चिकनी हो गई थी। स्वीटी डार्लिंग इतनी गर्म हो चुकी थी कि उसके मुंह से अनाप शनाप आवाज़ें आ रही थी कि संजू डार्लिंग ! मैंने तुम्हें चुन कर गलत नहीं किया, वाकय में तुम्हारा लण्ड माशाअल्लाह है।
मैंने अपने लण्ड को एक धक्का दिया तो वह चिल्ला उठी- आह ! मार डालोगे क्या ! मेरी चूत का सत्यानाश कर दोगे, मुझे नहीं चुदवाना, मुझे छोड़ो, मगर अब संजू यानि आपका चोदू दोस्त कहां रुकने वाला था। मैं उसके दोनों उरोज़ों को सहलाने लगा और अपने होठों से उसके रसीले होठों को चूसने लगा जिससे वो थोड़ी शांत हुई।
मैं लण्ड को स्वीटी की चूत में धीरे धीरे पेल रहा था। अब वो भी जोश में आ गयी थी और नीचे से अपने चूतड़ हिला हिला कर मेरा साथ दे रही थी। स्वीटी बके जा रही थी- चोदू ! आज मुझे पूरी कर दो संजू, आज फ़ाड़ दो मेरी चूत को…वगैरह वगैरह्। जिस पर मेरा हौंसला और बुलन्द हुए जा रहा था और मैं अपनी चोदने की गति को बढ़ाए जा रहा था।
अब स्वीटी चिल्लाने लगी- संजू ! मैं गई ! मैं गई संजू !
और वह झड़ गई। मैं दस पन्द्रह धक्कों के बाद आह्…आह की आवाज़ करता उसकी चूत में ही झड़ गया।
हमने पहला दौर ही करीब २०-२५ मिनट में पूरा किया। फ़िर दूसरे, तीसरे, चौथे दौर में देर नहीं लगाई क्योंकि स्वीटी थी ही इतनी शानदार चीज़ ! हमारा चुदाई का दौर शाम तक चलता रहा।
स्वीटी को कभी कुतिया बना कर चोदा तो कभी सोफ़े पर तो कभी अपनी खुद की चुदाइ कराता। मैंने जाते जाते स्वीटी की गाण्ड मारने के लिए उसकी गाण्ड में उंगली की तो वह समझ गयी। उसने कहा- अभी नहीं ! अगली बार।
सच ! स्वीटी को चोदने का मज़ा किसी भी नायाब हीरे मिलने की खुशी से कम नहीं था क्योंकि जब मैं जाने लगा तो उसने मुझे ५००० रूपए दिए और मुझे लेने पड़े।
तो कैसी लगी मेरी स्वीटी संग चुदाई की कहानी Hindi Porn Stories
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