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आपा को चोदने के बाद मैं सऊदी चला गया काम करने!
लेकिन हम दोनों वीडियो कॉल करके अपने आप को शांत कर लेते थे.
लेकिन खुदा को कुछ और ही मंजूर था।
फिर एक दिन मेरी डार्लिंग आपा का कॉल आया.
वे रो रही थी.
मैंने पूछा- क्या हुआ? क्या चाहिए? मेरी याद आ रही है क्या? बोलो जान … अपने भाई का मोटा लंड याद आ रहा है क्या? बोलो … तुम सिर्फ रोये जा रही हो. क्या बात है बोलो?
उसने बताया- अम्मी अब्बू एक शादी में गए थे। शादी में से घर आ रहे थे पर रास्ते में उनका एक्सीडेंट हो गया और वे दोनों खत्म हो गए. तुम फौरन घर आ जाओ.
मैंने इतना ही सुना … मेरे तो होश उड़ गए.
मैं फौरन घर जाने की तैयारी करने लगा.
मैंने पहले से बहुत शौपिंग कर राखी थी अपनी आपा के लिए और घर वालों के लिए।
खैर जैसे तैसे टिकट तो मिल गया और मैं घर के लिए निकल गया.
फिर अगली सुबह घर पहुंचा तो घर पे सब लोग जमा हुए थे.
आपा ने मुझे देखा और आकर मेरे गले लग गई.
वे रो रही थी.
मैंने उन्हें चुप कराया.
फिर हम सब मिट्टी देने के लिए चल दिए.
मिट्टी दे कर आए और सब धीरे धीरे सब अपने अपने घर चले गए.
मेरे घर में मैं और मेरी आपा के अलावा कोई नहीं था.
हम दोनों रो रहे थे.
जैसे तैसे हम दोनों ने अपने आप को संभाला और फिर कुछ दिन बीत गए.
2 महीने बाद हम दोनों के चेहरे पर हंसी आई.
फिर एक दिन आपा बोली- आसिफ, तुमने अपना सऊदी वाला बैग अभी तक नहीं खोला?
मैं: क्या करूं आपा, टाइम ही नहीं मिला.
कुछ देर ऐसे बात करते करते आपा रोने लगी और मेरे सीने से लग कर रोने लगी.
मैंने पूछा- क्या हुआ आपा, क्यों रो रही हो, क्या बात है?
आपा- कुछ नहीं, मैं तुम्हारे बिना नहीं रह सकती.
मैं- मैं भी आपके बिना नहीं रह सकता.
फिर मैंने आपा को चुप कराया और उनको देखने लगा.
आपा बोली- क्या देख रहे हो? अपने बहन को नहीं देखा है क्या?
मैं बोला- मैं यह देख रहा हूं कि मेरी आपा वो आपा नहीं रही जैसे मैं छोड़ कर गया था।
आपा बोली- मतलब क्या है तुम्हारा?
मैं बोला- मतलब आप पहले से ज्यादा भर गई हो. आपकी चूची जो मैंने 34 से ३८ कर दी थी, अब 44″ से कम नहीं दिख रही … यह कैसे किया?
आपा बोली- ये सब मैंने तुम्हारे लिए ही किया है. मुझे पता है कि तुम्हें बड़ी चूची अच्छी लगती है.
फिर वे बोली- और अब मैं तुम्हारे बिना एक पल भी नहीं रह सकती. इस दुनिया में हमारा एक दूसरे के अलावा और कोई नहीं है.
मैं बोला- हां आपा, आप सही बोल रही हो. मैं आपसे कुछ पूछूं तो आप मानोगी?
आपा बोली- हां बोलो ना, क्या बात है बोलो?
मैं बोला- आपा, क्या आप मुझसे शादी करोगी? इस दुनिया में हम दोनों का कोई नहीं है.
आपा बोली- यही तो मैं भी कह रही हूं.
मैं- तो ठीक है, हम लोग अब यहां नहीं रहेंगे. यहाँ का सब कुछ बेच कर दूसरे शहर में रहेंगे जहां हमें कोई नहीं जानता हो, वहाँ चल कर हम दोनों शादी कर लेंगे.
आपा- अच्छा तो अब अपना सऊदी वाला बैग खोलो. मैं भी देखूं क्या लाए हो मेरे लिए?
मैं- नहीं आपा डार्लिंग, अब यह शादी के बाद ही खुलेगा.
फिर हम दोनों भाई बहन वहाँ का सबकुछ बेच कर गोवा आ गए.
यहां पर मैंने एक रूम ले लिया.
फिर 5 महीने बाद हमने शादी कर ली और हम दोनों सुहागरात मनाने बेड पर आ गए.
इन 5 महीने में हम दोनों ने एक बार भी लंड चूत का खेल नहीं खेला था।
आपा- आसिफ, मेरे भाई राजा, मेरी जान … आओ ना … अपनी सगी बड़ी बहन, अपनी आपा को चोदो ना! जब से तुम सऊदी गए थे तब से मैं तुम्हारे लौड़े के लिए तड़प रही हूं. अब तो मैं तुम्हारी बेगम बन गई हूं. अब मैं तुम्हारी पूरी तरह से रखैल बन गई हूं. अब कोई डर नहीं है, जितना जी कहे उतना मुझे चोदो. आओ ना भाई!
मैं- सब्र करो मेरी जान आपा, अब तो आप मेरी हो ही गई हो. मैं आपको … सॉरी आपको नहीं, तुम्हें … अब तुम मेरी सगी बहन बनी बीवी हो, रखैल हो. अब मैं तुम्हें तुम कह कर बुलाऊंगा और तुम भी मुझे तुम कहोगी।
आपा- ठीक है।
मैं- अब तो आपा, मैं तुम्हें तब तक चोदूंगा जब तक तुम अपनी चूत से हम दोनों का बच्चा नहीं निकाल देती!
आपा- अच्छा आसिफ, सऊदी से मेरे लिए क्या लाए हो?
मैं- आपा सब तुम्हारे लिए ही लाया हूं. सब हॉट चीजें हैं. जींस, टीशर्ट, शर्ट और स्कर्ट टॉप और बहुत सारा ब्रा पैंटी!
“वाव … ब्रा पैंटी … दिखाओ ना जान!” आपा बोली.
मैंने कहा- आज नहीं कल!
“और क्या लाए हो?” आपा बोली.
मैंने बताया- और कंडोम सऊदी का है.
आपा बोली- क्या जान, मुझे कंडोम नहीं पसंद हैं ना!
तो मैंने कहा- हां जानता हूं. लेकिन सिर्फ 6 पीस हैं, कभी कभी लगा के तुम्हें पेलूंगा, चोदूंगा.
आप बोली- ठीक है, लेकिन आज नहीं क्योंकि आज हमारी सुहागरात है और मैं पूरा मजा लेना चाहती हूं। बहुत दिन से तुम्हारे लंड के लिए तड़प रही हूं. समझे मेरे भाई डार्लिंग!
“हाँ मेरी आपा डार्लिंग!”
आपा- तुम जानते हो जब तुमने मेरी यानि अपनी सगी बहन की चूत सील तोड़ी थी तभी मैंने तुम्हें बताया था कि मुझे बिना कंडोम के चुदना पसंद है. क्यों पसंद है आज मैं तुम्हें ये भी बता दूं. जब तुमने मुझे चोदा था तब तुमने अपनी मनी, वीर्य यानि अपना माल मेरी चूत में निकाला था. तभी मैंने सोच लिया था कि कभी कंडोम लगा कर नहीं चुदूंगी।
मैं बोला- अच्छा अब ये सब छोड़ो … अब हम दोनों सगे भाई बहन जो अब शादी करके मिया बीवी बन गए हैं, अब हम दोनों अपनी सुहागरात मनाते हैं.
फिर मैंने पूछा- लाइट बन्द कर दूं आपा?
“नहीं जलने दो, तभी मजा आयेगा!”
अब सगे भाई बहन और मिया बीवी की सुहागरात यानि Xxx सिस्टर नाईट सेक्स स्टोरी शुरू!
मैं आपा के पास गया.
आपा ने लाल रंग की लहंगा पहना हुआ था.
वे इस जोड़े में बहुत ज्यादा सेक्सी और हॉट लग रही थी.
मैंने आपा का घूंघट हटाया.
क्या मस्त रसीले होंठ लग रहे थे उनके!
फिर मैंने आपा के सारे गहने उतारे और उनके माथे पर एक बोसा लिया.
धीरे धीरे हम दोनों के होंठ मिल गए.
लगभग 15 मिनट किस किया हमने!
फिर आपा बोली- अपने भाई बने शौहर का लन्ड देखूँ तो जरा!
मैंने कहा- हां आपा, यह आपका ही है.
फिर मैंने अपनी पैंट उतार दी और मेरा लन्ड बाहर आ गया.
आपा बोली- भाई, यह तो पहले से ज्यादा बड़ा हो गया है. बहुत मजा आयेगा.
फिर आपा ने मेरा लन्ड चूसना शुरू कर दिया और वे बहुत देर तक चूसती रही.
फिर मैंने आपा के सारे कपड़े उतार दिए.
क्या कयामत लग रही थी आपा … उनके बडे़ बड़े बूब्स और चिकनी चूत देख कर मेरा लन्ड और सख्त हो गया।
फिर मैंने आपा की चूत को चाटना शुरू कर दिया.
मुझे बहुत मजा आ रहा था और आपा को भी!
वे बोले जा रही थी- हां भाई … बहुत मजा आ रहा है. ऐसे ही चूसो मेरी चूत को … आह आह आह … प्लीज़ भाई … अब मत तड़पाओ. चोद दो अपनी बहन बनी बीवी को!
अब तक आपा दो बार झड़ चुकी थी.
मैं अपनी उंगली आपा की चूत में डाल कर चोद रहा था.
फिर मैं उठा और आपा को सीधा लिटा दिया और उनकी कमर के नीचे एक तकिया लगाया, फिर अपने लन्ड पर थूक लगाया और आपा की चूत पर भी.
और फिर धीरे धीरे आपा की चूत में लन्ड घुसाने लगा.
आपा की चूत बहुत टाइट थी और आपा को दर्द भी होने लगा था.
वे बोल रही थी- आसिफ, बहुत दर्द हो रहा है!
मैंने कहा- बाहर निकाल लूं क्या?
तो आपा बोली- नहीं … तुम बस चोदो मुझे!
फिर मैंने एक जोर का झटका मारा और मेरा पूरा लन्ड आपा की चूत में समा गया, उनकी बच्चेदानी से टकरा गया.
आपा छटपटाती रही.
मैं रुक गया थोड़ी देर के लिए और उनके बूब्स को दबाने लगा.
थोड़ी देर बाद जब आपा का दर्द कम हुआ तो आपा ने अपनी कमर हिला कर इशारा किया कि अब मुझे चोदो.
फिर मैंने धक्का लगाना शुरू कर दिया।
आपा बस बोली जा रही थी- आह अह आह आसिफ … बहुत मजा आ रहा है. चोदो … चोदो मुझे … अपनी बहन का बुर का भोसड़ा बना दो. अब तो मैं तुम्हारी बीवी हूं. चोदो चोदो भाई … और तेज चोदो. आह आह आह … अह क्या बात है. फक मी … फक मी हार्ड … भाई और तेज … और तेज चोदो मुझे … अह आह आह … भाई ल्ला कसम बहुत मजा आ रहा है भाई!
फिर मैंने आपा को अपने ऊपर आने के लिए बोला.
वे मेरे ऊपर आ गई, मेरे लन्ड पर बैठ कर चुदने लगी।
बहुत देर तक मैंने आपा को ऐसे ही चोदा.
फिर मैंने अपनी बीवी यानि अपनी बहन को बेड पर फिर से सीधा लिटा दिया और उनका दोनों पैर अपने कंधों पर रख लिए और उनकी चूत में अपना लन्ड डाल दिया.
आपा फिर चीखी- आह भाई, क्या कर रहे हो. आराम से … मैं कहीं भागी नहीं जा रही हूं. अब तो मैं हमेशा के लिए तुम्हारी बन गई हूं.
फिर मैंने अपनी स्पीड बढ़ा दी.
इस बीच आपा दो बार झड़ चुकी थी.
मैं बहुत तेज धक्का मार रहा था.
अब मैं भी झड़ने वाला था.
मैंने आपा से बोला- आपा मेरी जान, मैं झड़ने वाला हूं।
तो आपा बोली- भाई मेरी जान, मेरी चूत को पिला दो तुम्हारा माल … तुम मेरे अंदर ही अपना सारा माल झाड़ दो!
फिर 40 50 धक्कों के बाद मैं आपा की चूत में ही झड़ गया.
झड़ने के बाद भी मैंने आपा को 2 मिनट तक चोदा.
फिर मैं निढाल होकर आपा के ऊपर ही लेट गया.
कुछ देर बाद मैं उतर कर उनकी बगल में लेट गया.
मैंने आपा से पूछा- आपा डार्लिंग, मजा आया?
तो आपा बोली- हां बहुत मजा आया. अपने भाई को शौहर बनाकर चुद कर बहुत मजा आया.
हम दोनों ऐसे ही बात करते रहे.
कुछ टाइम बाद आपा मेरे लन्ड को सहलाकर उसे खड़ा करने लगी।
तो मैंने पूछा- क्या बात है आपा? फिर चुदना है क्या?
तो आपा बोली- हां!
फिर से हम दोनों गर्म हो गए और फिर चालू हो गए.
उस रात मैंने अपने सगी बहन से शादी करके सुहागरात मनाई और उसे कई बार चोदा.
मैं बहुत समय से Antarvasna अन्तर्वासना का सदस्य हूँ और आज मैं भी अपना सेक्स का अनुभव आप सब पाठकों के साथ शेयर करना चाहता हूँ। मेरी शादी को एक साल हो गया है। मेरी शादी दिसम्बर में हुई थी, उस समय बहुत ठण्ड थी लेकिन मैं तो बस अपनी पहली रात के बारे में सोच-सोच कर मन ही मन खुश हो रहा था। शादी की सारी थकन तो मानो सुहागरात के कारण महसूस हो ही नहीं रही थी।
अधिकतर मेहमान जा चुके थे पर तब भी कुछ मेहमान थे और वो बाहर के कमरे में सो रहे थे। हमारे लिए अंदर का कमरा तैयार किया गया था। उस रात मैं पहली बार चुदाई करने वाला था, इससे पहले बस पिक्चर्स में देखा था।
मेरा लंड 6 इंच लम्बा है और उस रात पूरे शवाब पर था। वो रात मेरे और मेरी बीवी दोनों के लिए यादगार था क्योंकि हम दोनों पहली बार सेक्स करने वाले थे।
जब सब सोने चले गए तो हम दोनों भी कमरे में आ गए। बात करते-करते मैंने उसे बाँहों में ले लिया और फिर एक किस लिया। हम शादी से पहले मिलते जरूर थे तब हमने एक दूसरे को गले लगाया था और किस भी किया था तो किस का अनुभव तो हो गया था। फिर हम बहुत देर तक एक दूसरे को चूमते चाटते रहे और मैंने उसके होंठों को अपने मुँह में भींच लिया। फिर धीरे-धीरे मैंने उसका लहंगा और जेवर उतारे, उसकी पीठ पर हाथ फेरता रहा और वो भी मुझे सहलाती रही। फिर मैंने उसका ब्लाऊज भी उतार फेंका और उसने भी मुझे सिर्फ अंडरवियर में कर दिया।
अब वो सिर्फ ब्रा पेंटी में थी और मैं अंडरवियर में। हम दोनों ऐसे ही रजाई के अंदर एक दूसरे से लिपट कर लेट गए और शरीर गर्म करने लगे। जब गर्माहट शरीर में फैल गई तो मैंने अपनी अंडरवियर और उसकी ब्रा पेंटी उतार फेंकी। फिर हम दोनों 69 पोजिशन में एक दूसरे के अंगों को चूसने लगे। मुझे उसकी चिकनी चूत चाटने में मजा आ रहा था और यही मजा लेने क लिए ही मैंने उसे शादी से एक दिन पहले ही चूत की शेविंग करने को कहा था और खुद के लंड की भी सफाई की थी।
जब वो लंड चूस रही थी तो मुझे शरारत सूझी और मैंने जोर से अपने लंड को उसके मुँह में घुसेड़ दिया जो सीधा उसके तालू में जा टकराया और वो बेड पर ही उछल गई।
जब हमारे चुसाई कार्यक्रम को बहुत देर हो गई तो फिर चुदाई की तैयारी करने लगे।
मैंने अपने दोस्तों द्वारा गिफ्ट किया हुआ डोटेड कॉन्डम निकाला और अपने तने हुए लंड पर चढ़ा लिया। मैंने अपनी बीवी को पलंग पर सीधा लिटाया और उसके ऊपर आ गया। फिर मैं धीरे-धीरे अपने लंड से उसकी चूत सहलाने लगा ताकि उसकी चूत गीली हो जाये और चुदाई में दर्द ना हो।
उसी समय मैं उसके मम्मों को दबाने लगा… और वो धीरे-धीरे सिसकियाँ लेने लगी। उसके मम्मे भी काफी कड़क थे जो अब तो दब-दब कर, चुस-चुस कर बड़े और भारी हो गए हैं। मम्मों को दबाते दबाते मैं उन्हें चूसने लगा और उसके गले पर भी चूमता रहा और वो सिसकियाँ लेती रही…
फिर धीरे से मैंने अपने तना हुआ लंड उसकी चूत के मुँह पर लगाया और अंदर डालने लगा। पर जैसे ही डालने को हुआ, वो दर्द से तड़पने लगी और उसके मुँह से आः ह्ह्ह… निकलने लगी।
तुरंत मैंने अपने लंड चूत पर से हटाया और उसका मुँह अपने हाथ से बंद किया ताकि उसकी आवाज बाहर मेहमानों के कान में ना चली जाये।
अब तो मैं यह सोच रहा था कि कैसे इसकी चुदाई करूँ…
मैंने उसकी चूत पर अपना थूक लगा कर उसे गीला किया और फिर से उसके पैर उठा कर लंड अंदर डालने लगा। पर वो फिर से आ आह्ह ह्ह्ह… करने लगी और कहने लगी मत करो- जान… बहुत दर्द हो रहा है!
तब मैंने उसका मनोबल बढ़ाया और धीरे-धीरे लंड अंदर करने लगा और वो आ आह्ह्ह् ह्ह्ह्ह… उम्म्म ह्ह्ह्ह ह्ह्ह्ह… करने लगी।
फिर मैंने हिम्मत करके थोड़ा ज्यादा दम लगा कर लंड उसकी चूत के अंदर सरकाया। कुछ ही देर में मेरे लंड को उसकी चूत को भेदने में सफलता मिल गई और वो एक दम से ऊह्ह्ह्ह मम्मी ईईई…कर के निढाल हो गई और मैं भी लंड उसकी चूत में रखे ही उसके ऊपर लेट गया और उसे होश में लाने लगा। मैं उसे हिलाने डुलाने लगा पर वो होश में नहीं आई। तब मैंने उसके गले और वक्ष पर चूमना शुरू किया। मैं उठ कर पानी नहीं ला पा रहा था क्योंकि ऐसा करने के लिए लंड बाहर निकालना पड़ता। फिर मैं उसे हल्के से काटने लगा, तब उसे होश आया और होश में आते ही फिर से आःह्ह्ह… बहुत दर्द हो रहा है! कहने लगी।
मैंने लंड को चूत में अंदर-बाहर करना शुरु किया जैस मैं पिक्चर में देखता था और उसे चूमता भी रहा ताकि उसकी आवाज बाहर ना जाये और वो हल्की आवाज में ऊऊम्म्म… आ आअह्ह करने लगी… और मैं उसकी खूब चुदाई करता रहा…
फिर लंड को अंदर ही डाले मैंने करवट बदल ली और वो मेरे ऊपर आ गई। फिर मैंने अपनी गांड उठा कर उसकी चुदाई चालू कर दी और अब वो मजे लेने लगी थी। वो भी कहने लगी थी- करते रहो जानू…
और मैं उसे चोदता रहा!
आप सब यकीन नहीं मानेंगे- उस रात को मैंने उसे पूरे 50 मिनट तक चोदा जो कि मेरे लिए भी आश्चर्यजनक था कि इतनी देर चुदाई करने पर भी मैं झड़ा नहीं। जब बहुत देर हो गई तो फिर से मैंने उसे अपने नीचे लिटा लिया और जोर से चोदने लगा और वो तो बस आःह्ह्ह… ऊऊउह्ह्ह… मम्मीईईई… आ आआह्ह्ह्ह… मजा आ गया! कहती रही।
और फिर मैंने अपनी स्पीड तेज कर दी और उसकी आवाज भी तेज होने लगी.
उस समय मैं भी जोश में आ गया था, तो मैंने भी आवाज की और मेहमानों की परवाह नहीं की, सोचा कि यही तो सोचेंगे कि चलो सुहागरात मजे से मन रही है! यही सोच कर मैं निश्चिन्त हो कर अपनी बीवी को चोदने लगा और जैसे ही मैं झड़ने के करीब आया तो अपने लंड की चोदने की रफ़्तार बहुत तेज कर दी। मेरी बीवी मेरी पीठ को खरोंचने लगी और कुछ ही देर में मैंने अपने लंड का वीर्य छोड़ दिया और वो सीधा कॉन्डम में इकट्ठा हो गया।
फिर कुछ देर हम दोनों ऐसे ही लेटे रहे। जैसे ही मैंने लंड निकाला तो कॉन्डम पूरा लाल था जो मेरी कुंवारी बीवी की सील टूटने की वजह से निकले खून से लाल हुआ था। हम इस बारे में पहले ही फोन पर बात कर चुके थे इसलिए खून देख कर मेरी बीवी भी डरी नहीं और उसके मन में भी संतोष था कि वो अपनी जिंदगी में पहली बार अपने पति से ही चुदी।
फिर हम दोनों बाथरूम मैं अपने लंड और चूत साफ़ करने चले गए और फिर ऐसे ही नंगे एक दूसरे से लिपट कर सो गए। फिर एक घंटे बाद दुबारा से चुदाई की। उस रात पूरी तीन बार हमारा चुदाई कार्यक्रम चला।
इस तरह मैंने अपनी कुंवारी बीवी की सील तोड़ के उसे सुहागन बना दिया।
आपको यह कहानी कैसी लगी जरूर बताएँ। Antarvasna
मैं सुनील शर्मा इंदौर में रहता हूँ और अन्तर्वासना का Hindi Antarvasna Stories नियमित पाठक हूँ। लगभग सारी प्रकाशित कहानियाँ मैंने पढ़ीं हैं। आज मैं पहली बार अन्तर्वासना में अपने जीवन की एक वास्तविक घटना प्रकाशित करने के लिए भेज रहा हूँ। आशा है आदरणीय गुरूजी इसे प्रकाशित करेंगे।
आज से ठीक 3 माह पहले की घटना है। मुझे एक ईमेल मिला ‘मैं संजना (परिवर्तित नाम) हूँ और आपका यह ईमेल पता मुझे अपनी सहेली मीना से प्राप्त हुआ है और मैं आपसे मिलना चाहती हूँ।’
मैंने भी मेल किया- देखो, मैं एक कॉल-ब्वॉय हूँ और यदि आप मेरी सेवाएँ लेना चाहती हों तभी मुझसे सम्पर्क करें।
दूसरे दिन मुझे पुनः मेल मिला और मिलने का समय दोपहर के बाद 2 बजे ट्रेज़र आयलैंड पर तय हुआ और उसने यह भी लिखा कि मैं नीली जीन्स और पीले टीशर्ट में रहूँगी। टीशर्ट पर ‘कैच मी’ लिखा हुआ है। मैं भी निर्धारित समय पर पहुँच गया।
जैसे ही मैं पहुँचा संजना वहीं खड़ी मिली।
मैं जाते ही कहा- मैं सुनील, आपने मुझे मेल किया था।
‘हाँ आप मेरे साथ चलिए, बाकी बातें हम गाड़ी में करेंगे।’
लिफ्ट से नीचे जाकर हम लाल रंग की स्कोडा कार में बैठ गए। जैसे ही हम वहाँ से बाहर आए, उतने बातें करनी शुरु कीं…
मैं शादीशुदा हूँ। शादी किए हुए मुझे 2 साल हो गए हैं पर मैंने अभी तक अपना कौमार्य नहीं खोया है। क्या आप मुझे वह सुख दे सकते हैं जो मुझे मिलना चाहिए था।
मैंने मन में सोचा कि अभी तक जितनी चूतें मिलीं हैं, सभी तो पहले से ही चुदी-चुदाई ही मिलीं हैं। अगर इसे मुफ़्त में भी चोदने को मिले जाए तो क्या यह सपने से कम है!!!’
‘क्या सोच रहे हो?’
‘नहीं… नहीं… कुछ भी नहीं।’
‘कुछ समस्या है क्या?’
‘नहीं…’
‘आपका शुल्क क्या है?’
‘1500 रुपये में एक स्त्री के साथ सम्भोग… और अगर स्त्रियों का समूह हो तो अलग… पूरी रात का पुनः अलग है…’
‘मैं इससे कहीं अधिक दूँगी… कृपया आप मेरे साथ चलिए, आप मेरी मज़बूरी समझ रहे हैं ना?’
‘हाँ… पर चलना कहाँ हैं?’
‘खंडवा रोड पर हमारा फार्म-हाउस है, हम वहीं चलेंगे।’
‘ठीक है… चलो…’
लगभग 50 मिनट बाद हम फार्म-हाउस पर पहुँचे। मेरे मन में एक ही बात चल रही थी कि आख़िर बात क्या है, जो ये हूर की परी होते हुए भी अभी तक चुदी नहीं?
उसने ताला खोला और उस आलीशान फार्म-हाउस के अन्दर ले जा कर सीधे बेडरूम में ले गई। एसी चालू किया और मुझे पानी पिलाया।
‘सुनील कृपया बताओ, क्या हुआ? जब से तुम मुझे मिले हो, कुछ भी नहीं बोल रहे हो?’
‘नहीं… कुछ नहीं… मैं कम ही बोलता हूँ पर ये बात मुझे अभी तक समझ में नहीं आई कि आपने अभी तक सम्भोग नहीं किया?’
‘हाँ… हाँ… हाँ… मैं सच कह रही हूँ, मैं सब कुछ बताऊँगी, पर अभी मुझे संतुष्ट करो। क्योंकि शाम 8 बजे तक मेरे पति घर आ जाएँगे।’ और यह कहते हुए उसने अपनी टीशर्ट उतारी।
टीशर्ट उतारते ही उसकी फिगर देख कर मेरी आँखें फटी की फटी रह गईं। मैंने भी अपने सारे कपड़े उतारे और अपने आप पर क़ाबू करते हुए उसकी जीन्स उतारी, अपनी बाँहों में खींच कर गालों पर चुम्बन लेते हुए बिस्तर पर लिटा दिया। संजना की आँखें अभी भी खुलीं थीं। मैंने उसे सिर से लेकर पाँव तक चूमा और धीरे से ब्रा के हुक भी खोल दिए। पेट पर चूमते हुए उसकी पैन्टी निकाल दी।
उसकी चूत से एक अलग ही महक आ रही थी। मैंने धीरे-धीरे उसकी चूत पर अपनी ज़बान घुमानी शुरु की। उसने मेरा सिर पकड़ लिया और कमर उठा कर चूत मेरे मुँह में धकेलने लगी। मैं अब उसकी चूत के काफी अन्दर तक अपनी जीभ को पहुँचा पा रहा था और उसकी चूत से निकलने वाले नमकीन पानी को बहुत अच्छी तरह महसूस कर रहा था। मैंने अपनी एक ऊँगली उसकी चूत में डाली और अन्दर-बाहर करने लगा।
चूत में जब मैंने गहराई तक अपनी ऊँगली पहुँचाई तो उसके कुँवारेपन को मैं महसूस कर चुका था। संजना अपना आपा खोती जा रही थी और मैं भी। पर मुझे तो स्व-नियंत्रण करना ही था वरना इसे संतुष्ट नहीं कर पाता और ना मुझे पैसे ही मिलते। संजना मुझे खींच कर अपने ऊपर ले आई और मेरे होठों को बुरी तरह से चूसना शुरु कर दिया।
उधर मेरे हाथ संजना के स्तनों को मसल रहे थे। संजना पूर्णतः उत्तेजित हो चुकी थी, साँसे गर्म हो चुकी थी, और उसने मुझे ज़ोर से पकड़ा और अपनी चूत को मेरे लण्ड पर रगड़ने लगी। मैं इस स्थिति में था कि अभी अपने अण्डरवियर से लंड निकाल कर इसकी चूत में डाल दूँ। किन्तु अभी ऐसा नहीं कर सकता था- कॉलब्वॉय जो ठहरा। जब तक पार्टनर कुछ कहे नहीं, अपनी मर्ज़ी से कुछ नहीं कर सकते।
मैं उसके स्तनों का मर्दन करता जा रहा था, और निप्पल को ऊँगलियों से दबा रहा था। संजना से अब रहा नहीं गया, उसने मेरे अण्डरवियर को नीचे किया और निकाल फेंका। मैं संजना के ऊपर नग्नावस्था में था। उसके हाथ में मेरा मोटा लण्ड आ चुका था, उसे जाने क्या सूझी, अचानक उसने एक पलटी मारी और वो मेरे ऊपर आ गई।
जैसे ही उसने मेरे लंड को देखा, ऊपर की चमड़ी हटा कर सुपाड़े को बाहर कर दिया और मेरे लंड को मुट्ठी में ज़ोर से पकड़ कर सुपाड़े को फचाक् करके मुँह में ले लिया। मैंने संजना से पूछा- क्या इसे पहली बार देखा है?
उसने कहा- अभी बात नहीं, सिर्फ काम।
और उसने पूरा लंड अपने मुँह में ले लिया, और कुल्फी की तरह चूसने लगी। उसके मुँह की गर्मी मेरी उत्तेजना को चरम तक पहुँचा रही थी।
मुझे लगा कि यदि यह दो मिनट और चूसती रही तो मैं यहीं ढेर हो जाऊँगा। मैंने अपना लंड उसके मुँह से निकालने की असफल कोशिश की, पर उसने दोनों हाथों से पकड़े हुए टूटी पड़ी रही और चूसती रही…
अब मुझसे रुकना सम्भव नहीं था और वो थी कि लंड को मुँह से बाहर निकलने नहीं दे रही थी, और मैंने आँखें बन्द कर लीं, मेरा लावा अन्दर से फूट पड़ा था, उसने गर्म लावे को अपने मुँह में एकत्रित किया और जब पिचकारी का वेग कम हुआ, तो उठकर उसने वॉश-बेसिन में थूक दिया।
जिस जगह उसकी चूत थी, वहाँ पर मलमल बेडशीट भी गीली हो चुकी थी। अब मुझे अपना असली काम शुरु करना था। झड़ने के बाद मेरे लंड की उत्तेजना थोड़ी कम हो गई थी, जो मेरे लिए अच्छी बात थी। वापिस आकर उसने मेरे लंड को फिर से मुँह में ले लिया और चटखारे ले-लेकर चूसना शुरु कर दिया।
मेरा लंड फिर से तन गया। इस बार 69 की मुद्रा थी। वह लंड को पूरा मुँह में लेकर चूस रही थी। मैं अपनी दोनों उँगलियों को उसकी चूत में डाल कर भग्नासा को जीभ से हिला रहा था। संजना की चूत अब तक फूल चुकी थी। मैंने उसे बिस्तर पर सीधा लिटाया और उठकर अपनी जेब में से मूड्स का पैकेट निकाल कर एक कॉण्डोम निकाला…
‘यह क्या कर रहे हो?’
‘कॉण्डोम है… इसे लगा रहा हूँ… मेरी और आपकी सुरक्षा के लिए यह ज़रूरी है।’
‘पर ये नहीं, प्लीज़ जो मैं लाई हूँ उसका प्रयोग करो।’
उसने अपना गुलाबी पर्स उठाया और उसमें से मेन-फोर्स का स्ट्राबेरी खुशबू वाला कॉण्डोम निकाला और मुझे दे दिया। मैंने अपने लंड पर चढ़ाया और उसे सीधा लिटाकर चूत को गहराई तक चाटकर अपनी लार से उसे तर कर दिया। वह अपनी दोनों टाँगों को उठाकर मेरे कंधे पर रख चुकी थी, और मेरे सिर को पकड़ कर अपनी पूरी चूत में मुँह में घुसेड़ने का प्रयास कर रही थी। मैं लगातार उसकी भग्नासा को जीभ से उत्तेजित कर रहा था।
जब मुझे नमकीन स्वाद का अहसास होने लगा, तब उसके पाँव कंधे से उतारकर चौड़े कर दिए, अपने लंड को उसकी चूत के मुहाने पर रख दिया और एक हल्का सा झटका दिया। लंड का कुछ भाग अन्दर गया और मुझे लगा कि किसी ने मेरे लंड को रोक दिया है। संजना ने आँखें बन्द कर रखीं थीं, और मेरी कमर उसके दोनों हाथों में थी। मैं पूर्णतः सन्तुष्ट हो गया था कि शादीशुदा होते हुए भी अभी तक यह कुँवारी है।
आज मैं इस अक्षत चूत को क्षतिग्रस्त करने वाला था। मैंने अपने दोनों हाथ उसकी कमर के पास रख दिए, और कहा कि अपने पाँव हाथों के बार निकाल कर चौड़े कर दो। उसने ऐसा ही किया। अब मेरे लंड पर चूत का कसाव थोड़ा कम हुआ। मैंने पूरी ताक़त से चूत में लंड डाला… वह अपने होंठ दाँतों तले दबाते हुए मुझे लगातार अपनी ओर खींच रही थी. मैंने बिना देर किए हुए पूरी ताक़त से झटका दिया।
लंड लगभग आधा अन्दर जा चुका था। उसने मेरी कमर ज़ोरों से पकड़ रखी थी, और लगातार अपनी ओर खींचने का प्रयास कर रही थी। मैंने भी उसके मन की बात भाँप कर एक और झटके के साथ पूरा लंड उसकी चूत में पहुँचा दिया। अब उसने दाँतों से अपने लबों को आज़ाद किया और कहा- 2 मिनट रुको।
मैं अपने लंड पर एक अजीब सी गरमाहट महसूस कर रहा था। मेरी आँखें उसकी गोरी बिना बालों वाली चूत पर एकटक देख रहीं थीं। जैसे ही उसने अपने पाँव मेरे हाथों से निकाल कर सीधे किए तब मेरे लंड पर लगा खून देखकर मैं सबकुछ सम्झ गया।
उसके चेहरे से ऐसा लग रहा था कि ये अपना दर्द छुपा रही है। ख़ैर मुझे तो उसे सन्तुष्ट करना था, सो मैं लम्बे धक्के मारने लगा। संजना ने मुझे अपनी बाँहों में मुझे जकड़ रखा था। मैं लगातार पूरा लंड बाहर करके फिर से अन्दर डाल रहा था।
कुछ समय बाद संजना ने भी नीचे से मुझे सहयोग दिना शुरु कर दिया। वह कमर उछाल-उछाल कर हर धक्के को प्रतिकार दे रही थी। 15 मिनट तक लगातार चोदते हुए मैंने अपनी गति बढ़ा दी। ए. सी. की ठंडक पूरे कमरे में होने के उपरांत भी हम पसीने में भीगे हुए थे।
मैं अपनी पूरी गति से चोदे जा रहा था, और नीचे संजना पागलों की तरह ज़ोर-ज़ोर से चिल्ला रही थी -सीईईईसीई… आआआ… सुनील और ज़ोर से डालो… बहुत मज़ा आ रहा है… और और और हम्म्म औरररर हाँ हाँ और… यस्स्स्ससस… यस्स्ससस फक्क… फक्क इट यार… यस… यस… ऑऑऑ यस यस यस गीव मी यस यस फक्क इट यार… फक्क इट प्लीज़…
मैं लगातार लम्बे-लम्बे धक्के लगाते जा रहा था। पूरे 15 मिनट तक यह चलता रहा। उसकी चूत से फच्च-फच्च की आवाज़ें आ रहीं थीं। वह 3 बार झड़ चुकी थी और मैं भी अब चरम उत्कर्ष पर आ गया था। उधर कॉण्डोम फटने का भी डर था सो मैंने भी अपनी पूरी रफ्तार बढ़ा कर वीर्य स्खलित कर दिया।
5 मिनट तक मैं संजना के ऊपर ही लेटा रहा। जब मेरा लंड अपने आप बाहर आया तो मैंने पाया कि पूरा कॉण्डोम खून से सना था।
मैंने संजना की ओर देखा, वह मुझे ही देख रही थी। वह मुझे ऐसे देख रही थी जैसे कोई बहुत ही बड़ा क़िला जीत लिया हो। थकान भरी आवाज़ में उसने कहा- आज मैं समझी कि पेट की भूख से अधिक सेक्स की भूख क्यों होती है! आज आपने मुझे वह अहसास दिलाया है जो शादी के बाद आज तक मेरा पति मुझे नहीं दे पाया।
मैंने बिना कुछ कहे अपने लंड से कॉण्डोम उतारा और बाथरूम में जाकर उसे साफ किया। संजना अपने स्कार्फ से चूत और आस-पास लगा खून साफ करने लगी। जैसे ही मैं बाहर आया, देखा संजना मोबाईल पर बातें कर रही थी।
‘हैलो… हाँ मैं… क्या कर रहे हो?… मैं अभी मीना के साथ बाहर हूँ, रात 9:30 तक घर आऊँगी… ओके!
मैं समझ गया कि वह अपने पति से बातें कर रही थी।
मैंने बिस्तर पर पड़ा मूड्स का पैक उठाया, तभी उसने कहा- इसे अन्दर क्यों रख रहे हो? भला कोई तीर को तरकश से निकालने के बाद वापस भी रखता है क्या?’ यह कहते हुए उसने मूड्स का पैकेट मेरे हाथ से ले लिया और घुटने के बल नीचे बैठकर मेरे सोए हुए लण्ड को अपने मुँह में ले लिया और खींच-खींच कर चूसने लगी।
उसके चूसने से मेरा लंड फिर से खड़ा हो गया। मेरा लंड पूरी तरह से तन गया। उसने कॉण्डोम चढ़ा दिया।
इस बार मैंने उसे कुतिया बना कर चोदा। उसकी गोरी गाँड उठ-उठ कर मुझसे टकरा रही थी। 10 मिनट तक लगातार चोदने के बाद मैंने लंड उसकी चूत ने निकाल कर ऊपर लगा कॉण्डोम निकाल दिया और लंड को उसके हाथ में पकड़ा दिया। उसने लंड को चूस-चूस कर हाथ से मुठ मारी और चूचियों पर सारा वीर्य निकाला, और फिर से मुँह में लेकर लॉलीपॉप की तरह चाट कर साफ कर दिया।
बिस्तर पर थोड़ा आराम करने के बाद हमने कपड़े पहने। उसने पर्स से 1000 के चार नोट निकाले और मेरी तरफ बढ़ा दिए। मैंने कहा ‘संजना मैडम, मेरी फीस मात्र 1500 रुपये है। मैं ये नहीं ले सकता।’
उसने मेरे गाल पर चुटकी लेते हुए कहा- ‘सुनील 1500 तो तुम्हारी फीस के बदले और बाक़ी दूध-रबड़ी के लिए हैं। 56 दुकान से पेट भर खाना क्योंकि परसों पूरी रात तुम्हें मेरे साथ बितानी है।’
‘अब चलें, क्योंकि मेरी सास घर आ गई होगी।’ उसने जाने के लिए पूछा।
हम ठीक 8:30 पर वहाँ से निकल गए। रास्ते भर मैंने उससे उसकी वास्तविकता जाननी चाही, किन्तु उसने सारी बातें परसों तक टाल दी।
संजना ने मुझसे मेरा मोबाईल नम्बर ले लया और अपना नम्बर भी मुझे देकर मुझे रीगल स्क्वेयर पर उतार कर क़ातिल मुस्कान चेहरे पर लिए हुए कहा- परसों मैं ठीक 7 बजे कॉल करूँगी और कहाँ मिलना है, कैसे मिलना है बताऊँगी।’
दोस्तों यह कहानी नहीं, एक सत्य घटना है। संजना की वास्तविकता क्या है? शादी के 2 वर्षों के बाद भी क्यों वह आज तक कुँवारी थी, मैं आपको अगले अंक में बताऊँगा।
आपको मेरा यह लघु-प्रयास कैसा लगा, कृपया मुझे बताएँ। Hindi Antarvasna Stories
मैं राजेश, उम्र 36 वर्ष, छत्तीसगढ़ का रहने वाला हूँ, तथा मैं अन्तर्वासना का पिछले 2 सप्ताह से नियमित पाठक हूँ. इसे पढ़ने के बाद मुझे लगा कि मैं भी अपने साथ घटित कुछ सच्ची घटनाएँ आप लोगों के सम्मुख रखूँ, ताकि आप भी आनन्द ले सकें.
बात उन दिनों की है जब मेरी शादी को 10 साल हो गए थे, और मैं और मेरी पत्नी रेखा, जिसकी उम्र इस समय 33 साल है, जिसकी फिगर 38-30-32 है, और वो देखने और चोदने में भी काफी सेक्सी है.
हम दोनों याहू मैसेन्जर पर नियमित रूप से चैटिंग करते हैं. हमें कैमरा लगाकर चुदाई करने और दूसरे युगल के साथ नंगे होकर चैटिंग करने का शौक लग गया था. चैट-रूम में कई जोड़े मिलते हैं, उन्हीं में से एक था अरुण, जो हमारी ही उम्र का था, उसकी पत्नी नीलम भी शानदार कामुक जिस्म की मालकिन थी. उसकी फिगर 36-32-36 थी.
चैटिंग करते-करते बात मिलने तक पहुँच गई थी. हिम्मत करके हम उनके शहर पहुँच गए. हम पहली बार इस तरह के खेल के लिए आए थे, इसलिए हमें काफ़ी डर बी लग रहा था. हालाँकि मैंने रेखा को यह नहीं बताया था कि हम सेक्स करेंगे. उससे मैंने बस मिलने की बात कही थी, जिससे वह तैयार हो गई थी.
अब हम उनके साथ उनके शहर के बाहर स्थित फार्म-हाउस में थे. अरुण ने अपने नौकरों को छुट्टी देकर भगा दिया था. अब फार्म-हाउस में हम चारों ही थे. हमने थोड़ा नाश्ता किया. आपस में बातें करने लगे, बातें करते-करते सेक्सी मज़ाक भी करने लगे थे.
तभी मैंने अरुण से कहा- यार मेरा मन नीलम भाभी को चोदने को कर रहा है.’ यह सुनकर नीलम शरमा गई.
तभी अरुण ने कहा- यार मेरा भी मन रेखा भाभी की चुदाई का कर रहा है, बल्कि मैं तो जब भी इसे कैमरे में देखता हूँ, तो उसे चोदने का मन करता है, और मेरा लण्ड फट से खड़ा हो जाता है. आज मुझे रेखा की चुदाई का मौका दो तो, तुम मेरी बीवी की जमकर चुदाई कर सकते हो. वैसे भी नीलम तुमसे चुदवाने के लिए बहुत दिनों से मरी जा रही है.’
मैंने रेखा से पूछा तो उसने अरुण से चुदवाने से साफ़ इन्कार कर दिया- तुम नीलम की चुदाई करो, उसमें मुझे कोई समस्या नहीं है. मुझे नहीं चुदवाना है.’
फिर मैंने, अरुण, और नीलम तीनों ने मिलकर रेखा को समझाया कि आजकल सभी ऐसा करते हैं और फिर इसमें मजा भी बहुत आता है.
आख़िर में हमने रेखा को तैयार भी कर लिया और मैं नीलम के साथ एक कमरे में तथा रेखा अरुण के साथ दूसरे कमरे में चली गई.
इधर मैं नीलम को लेकर जैसे ही कमरे में गया, नीलम मेरे ऊपर टूट पड़ी. उसने मुझे ज़ोरों से पकड़ लिया और कहने लगी- राज मैंने तुम-से साथ चुदवाने के लिए अरुण से कतनी ज़िद की है, तब जाकर यह मौक़ा आया है. अब आज तुम मेरी जमकर चुदाई करो. अरुण तो मुझे ठीक से चोद नहीं सकता है.’
मैंने कहा- ‘तुम चिन्ता मत करो. मैं तुम्हारी चूत का बारह बजा दूँगा.
मैंने नीलम को अरुण का लण्ड चूसते हुए बीसियों बार देखा था, और मेरा भी मन लण्ड चुसवाने को करता था, पर रेखा को यह पसन्द नहीं था. आज मेरी इच्छा पूरी होने की सम्भावना थी. इसलिए मैंने नीलम से जब लण्ड चूसने को कहा तो वह पल भर में तैयार हो गई और कहा- मैं आज तुम्हारे लण्ड को ऐसा चूसूँगी कि तुम चुदाई से अधिक लण्ड चुसवाने में यकीन करोगे.’
वैसे अरुण ने भी मुझे बताया था कि नीलम जमकर लण्ड चूसती है, इसलिए जब भी हम मिलें तुम उससे अपना लण्ड ज़रूर चुसवाना. सो मैं आज अपनी मनोकामना पूरी होती देख बहुत खुश हो रहा था.
थोड़ी देर में हम दोनों नंगे हो गए थे, मैं उसकी बड़ी-बड़ी चूचियों को दबा रहा था, बीच-बीच में उसकी चूत में उंगली भी कर रहा था, जिससे नीलम काफी उत्तेजित हो गई थी. नीलम भी अपने एक हाथ से मेरे केले जैसे लण्ड से खेल रही थी. तभी अचानक उसने मेरे लण्ड की ओर अपना मुँह बढ़ाया, यह देखकर मुझे काफी मजा आया. अब नीलम मेरे लण्ड को धीरे-धीरे अपने मुँह में लेती जा रही थी और मुझे मस्ती से सराबोर करती जा रही थी. मैं आज पहली बार किसी पराई स्त्री के साथ कमरे में अकेला था और मेरा लण्ड उसके मुँह में था. नीलम भी पूरी तरह से मस्ती में आ गई थी और वह ज़ोर-ज़ोर से मेरे लण्ड को मुँह में अन्दर-बाहर कर रही थी.
उसकी लण्ड-चुसाई से मैं पूरी तरह मस्त हो गया था और पानी छोड़ने वाला था. मैंने नीलम को यह बताया तो उसने और भी ज़ोरों से चूसना शुरु कर दिया और थोड़ी ही देर में मेरा पानी उसके मुँह में गिर गया. नीलम ने बड़े प्यार से मुझे देखा और पूछा- कैसा रहा? मजा आया?’
मैंने कहा- बहुत मजा आया.
‘चलो अब तुम मुझे मजा दो और मेरी जम कर चुदाई करो.
थोड़ी ही देर में नीलम के प्रयास से मेरा लण्ड सावधान की मुद्रा में खड़ा हो गया, तब मैंने नीलम को नंगी हालत में अपनी गोद में उठा कर उसे चूमने लगा. वह जल्दी ही जोश में आ गई और मेरे लण्ड से खेलने लगी. अब मुझसे भी नहीं रहा जा रहा था. मैंने उसने नीचे लिटाकर उसकी चुदाई शुरु कर दी.
नीलम की इतनी चुदाई अरुण ने शायद कभी नहीं की थी, इसलिए वह बड़े मज़े से चुदवा रही थी. मैंने अब ज़ोर-ज़ोर से गाण्ड को हिला-हिला करक धक्के देने शुरु किए तो नीलम ने कहा- हाँ… फाड़ डालो… इतना फाड़ डालो कि इसकी सिलाई ना हो सके…
उसकी ऐसी बातें सुनकर मेरा जोश बढ़ता ही जा रहा था. तभी उसने कहा- और ज़ोर से चोदो राजा.. मैं अब झड़ने वाली हूँ.
मैं अब ज़ोर-ज़ोर से अपना लण्ड नीलम की चूत के अन्दर-बाहर करने लगा था, तभी अचानक नीलम ने ज़ोर से मुझे अपनी ओर खींचा और अपनी आँखें बन्द कर लीं, और थोड़ी देर के लिए एकदम शान्त हो गई. मुझे पता चल गया कि वह अब झड़ चुकी है.
अब मैंने ज़ोर-ज़ोर से झटके दिए और थोड़ी देर में मेरा काम भी तमाम हो गया. अब हम दोनों अलग होकर एक-दूसरे को बड़े प्रेम-भाव व संतुष्टि भरी नज़रों से देख रहे थे. नीलम ने कहा- आज पहली बार मेरा पानी गिरा है. नहीं तो अरुण जब भी करता है तो वह थोड़ी ही देर में खल्लास हो जाता है.’
मैं कहने लगा- वन्दना, मुझे बहुत भूख लगी है ! (Antarvasna) वन्दना ने कहा- हाँ क्यो नहीं ! अभी दो मिनट में खाना लगाती हूँ।
और फिर हम दोनो ने बैठकर खाना खाया।
खाने खाने के बाद मैंने कहा- वन्दना जी आप इस घर में अकेली ही रहती हैं या फिर साथ में और भी कोई रहता है?
वन्दना ने कहा- जय आप मुझे वन्दना ही कहो। चलो बेडरूम में चलते हैं !
हम दोनों वन्दना के बेडरूम चले गये, बेड पर बैठकर बातें करने लगे।
वन्दना ने कहा- जय मैं जिन्दगी मैं बिल्कुल अकेली हो गई हूँ, जब से शादी हुई है पहले तो पति साथ रहता था, हम दोनों बहुत ही खुश थे, पर धीरे-2 सब कुछ इतना बदल गया कि मैं आपको क्या बताऊँ !
यह कहकर वन्दना रोने लगी। मैंने वन्दना से कहा- जो भी कुछ हुआ, उसमें आपका क्या कसूर है ! जो भी होना था, वो हो गया, आपके पति घर आते तो होगें?
तो कहने लगी- हाँ, 15-20 दिन में आता हैं और एक दो दिन रहकर चला जाता है। मेरे साथ जब तक रहता है, बहुत खुश रहता है और मुझे भी हर खुशी देता है। पर हमारे बच्चा ना होने की वजह से थोड़ा दुखी रहता है और कहता है कि शायद हमारे नसीब में भगवान ने सारी खुशी नहीं लिखी है।
मैंने कहा- वन्दना इसमें दुखी होने की क्या बात है, 5 साल आपकी शादी को हुए हैं, फिर इतनी जल्दी से आप लोग घबरा गये, मैं आज आपको अपनी तरफ से वादा करता हूँ कि आपके घर की खुशियों को दोबारा से वापस लाने में आपकी अपनी तरफ से पूरी-पूरी कोशिश करुँगा।
और इतना कहकर मैंने वन्दना को बाहों में भर लिया और मैं अपना हाथ वन्दना की पीठ पर चलाने लगा। वन्दना भी मेरा साथ देने लगी। मैंने अपने होंठ वन्दना के होठों पर रख दिये तो वन्दना ने सहयोग करते हुए मुझे भी बाहों मे भर लिया और हम दोनों एक दूसरे के शरीर से खेलने लगे। उसके बाद मैं वन्दना की चूचियों को ऊपर से ही दबाने लगा। वन्दना की गोल गोल चूचियों को मसलता रहा। फिर मैंने वन्दना की साड़ी उसके बदन से अलग की और वन्दना अब केवल काले पेटीकोट और ब्लाउज में मेरे सामने थी।
मैंने वन्दना की फीगर के बारे में तो बताया ही नहीं। वन्दना की फीगर 23-28-34 रंग साफ और लम्बाई 5 फीट 4 इंच और वजन 45-48 किलो होगा और उम्र 29 साल, दिखने में काफी अच्छी लगती थी, किसी का भी दिल वन्दना पर पहली ही नजर में आ जाये।
उसके बाद मैंने वन्दना का ब्लाउज भी उतार दिया और अब वन्दना केवल काली ब्रा और काले पेटीकोट में रह गई। मैंने उसके बाद वन्दना का पेटीकोट और ब्रा भी उतार दी। वन्दना अब केवल पैन्टी में मेरे सामने खड़ी थी।
वन्दना ने कहा- जय, आपने मेरे तो कपड़े एक एक करके उतार दिये, लाओ, मैं आपके कपड़े उतार देती हूँ।
और वन्दना ने मेरे शरीर से सारे कपड़े उतार कर अलग कर दिये। मैं अब वन्दना के सामने बिल्कुल नंगा खड़ा था। मैंने वन्दना को बिस्तर पर लिटाया और उसके होंठों को चूसने लगा। वन्दना ने अपनी जीभ मेरे मुँह में डाल दी और हम दोनों एक दूसरे को काफी देर तक चूमते रहे।
8-10 मिनट के बाद मैं वन्दना की चूचियों को दोनों हाथों से दबाने और मसलने लगा। वन्दना की चूचियाँ थोड़ी सख्त होने लगी। 3-4 मिनट तक दबाने के बाद मैं वन्दना के एक चुचूक को मुँह में लेकर चूसने लगा और एक हाथ से वन्दना की एक चूची को दबाने लगा। वन्दना के मुँह से सिसकारियाँ निकलने लगी। मैं कभी एक चूची को मुँह से चूसता तो कभी दूसरी को !
8-10 मिनट तक मैं ऐसे ही चूसता तो कभी मसलता और वन्दना परम आन्न्द में गोते लगा रही थी। फिर मैं वन्दना की चूचियों को छोड़कर वन्दना के पेट पर हाथ फिराने लगा और धीरे धीरे अपना हाथ नीचे ले जाने लगा। फिर मैं वन्दना की पैन्टी उतराने लगा और वन्दना ने भी मेरा साथ देते हुए अपने चूतडों को ऊपर उठा दिया। मैंने पैन्टी को उतार कर एक तरफ फ़ेंक दिया और वन्दना की क्लीन शेव की हुई चूत पर हाथ फेरने लगा। वन्दना के शरीर में जैसे कोई करंट लगा हो और मेरे हाथ फेरने से वन्दना का शरीर अकड़ने लगा, आँखें भी बन्द होने लगी। वन्दना चूत में से सफेद सफेद पानी निकलने लगा और वन्दना झड़ गई।
मैंने वन्दना की चूत को अपनी अँगुलियों से खोला और अपनी जीभ वन्दना की चूत पर चलाने लगा तो वन्दना के शरीर में उत्तेजना होने लगी। मैं अपनी जीभ को वन्दना की चूत में अन्दर तक डाल कर चोदने लगा तो वन्दना की उत्तेजना बहुत ही ज्यादा बढ़ गई और वन्दना ने मेरा लन्ड अपने मुँह में डाल लिया और मुँह से मेरे लन्ड से खेलने लगी। मेरा लन्ड लोहे की छड़ की तरह से अकड़ गया। वन्दना भी मेरे लन्ड को अपने मुँह से चोदने लगी लेकिन कुछ ही देर के बाद वन्दना ने मेरे लन्ड को मुँह से निकालकर मुझे अपने से अलग किया, मेरे ऊपर सवार हो गई, मेरे लन्ड को अपनी चूत पर रखा और चूत तो वन्दना की गीली थी ही, वन्दना ने ऊपर से एक ऐसा धक्का मारा कि एक ही बार लन्ड पूरा अन्दर पहुँच गया। वन्दना को कुछ भी नहीं हुआ।
बस फिर क्या था वन्दना के धक्कों की रफ्तार बढ़ने लगी और मेरे मुँह से भी सिसकारियाँ निकलने लगी। मैं भी मजे में बड़बड़ाने लगा और वन्दना और जोर से जोर से आ आ आ ईईईईईईईइ आइऐइ आऐ ऐअ करने लगी!
मुझे पूरा मजा देना वन्दना के बस की बात नहीं थी, थोड़ी ही देर 5-7 मिनट में वो झड़ गई और बोली- अब आप मेरे ऊपर आ जाओ !
तो मैं कहाँ रुकने वाला था, मैंने वन्दना को नीचे डाला और अपना लन्ड वन्दना की चूत पर रखा और एक ही बार में पूरा का पूरा अन्दर तक डाल दिया। वन्दना ने उफ तक नहीं की और मैं भी वन्दना की चूत में जबरदस्त धक्के पे धक्के लगाने लगा।
वन्दना कहने लगी- जय, और जोर से ! जोर आ आ म्म्म्म म एम अम मेमेमे मेए आ अ अ !
पता नहीं क्या क्या कहने लगी। फिर मैंने कहा- वन्दना जी आप बिस्तर से नीचे आ जाओ।
वन्दना अपने दोनों हाथ बिस्तर पर रख कर झुक गई और मैंने अपना लन्ड वन्दना की चूत में पीछे से डाल दिया। पहले धक्के धीरे-धीरे से मारने शुरु किये तो वन्दना को भी मजा आने लगा, फिर मैंने अपने धक्कों की रफ्तार बढ़ानी शुरु कर दी। वन्दना अपने मजे से मदहोश होने लगी और पता ही नहीं क्या-क्या बड़बड़ाने लगी। मुझे मजा तो आ रहा था पर पता ही नहीं मैं चरम सीमा तक नहीं पहुँच पा रहा था।
वन्दना अपने मजे में पूरी मदहोश होती जा रही थी और एक ही झटके मे वन्दना की आवाज तेज हुई और वन्दना की चूत और मेरे लन्ड ने एक साथ पानी छोड़ दिया। उसके बाद हम दोनों ऐसे ही लेटे रहे।
3-4 मिनट के बाद वन्दना मेरे लन्ड पर फिर हाथ फेरने लगी और कुछ ही देर के बाद मुँह से चूसने लगी तो मेरा लन्ड फिर से खड़ा होने लगा।
मैंने कहा- वन्दना, अब क्या विचार है ?
तो वन्दना बोली- जय, आप चुदाई करने में तो माहिर हो ! मैं तो आज सन्तुष्ट हो गई ! काफी दिनों के बाद इतनी सन्तुष्टि मुझे मिली है।
मैंने कहा- वन्दना, अब मैं चलता हूँ !
वन्दना कहने लगी- नहीं जय ! एक बार और हो जाये, फिर चले जाना।
मैंने कहा- हाँ ठीक है पर अबकी बार मैं आपकी पिछ्ली लूँगा !
तो वन्दना ने कहा- जय, तुमको मेरी अगली में मजा नहीं आया क्या ?
मैंने कहा- ऐसी कोई बात नहीं वन्दना जी ! मुझे आपकी पिछ्ली बहुत ही अच्छी लग रही है ! वैसे आपकी मर्जी, आप जैसा कहेंगी, मुझे तो वही करना पड़ेगा। बोलो वन्दना जी!
मैंने जैसे दबी सी जुबान में कहा- बोलो वन्दना, मुझे क्या करना है?
तो वन्दना ने कहा- जय, ऐसे अपना दिल छोटा नहीं करते ! आपको जो भी आपको चाहिए, वो कर लो ! मुझे कोई एतराज नहीं !
तो मैंने कहा- वन्दना जी कोई क्रीम है?
वन्दना ने कहा- हाँ, मैं अभी लाकर देती हूँ !
वन्दना ने क्रीम लाकर मुझे दी, मैंने अच्छी तरह से अपने लन्ड और वन्दना की गान्ड पर क्रीम लगाई, उसके बाद मैंने वन्दना को कहा- वन्दना जी आप बिस्तर से नीचे आ जाओ !
वन्दना अपने दोनों हाथ बिस्तर पर रख कर झुक गई और मैंने अपना लन्ड वन्दना की गाण्ड पर रख कर जोर से धक्का मरा। मेरा आधा से ज्यादा लन्ड वन्दना की गान्ड में पहुँच गया। वन्दना थोड़ी कसमसाई पर ज्यादा कुछ नहीं बोली।
फिर मैं अपने लन्ड को वहीं पर आगे पीछे करने लगा और थोड़ी सी देर के बाद में मैंने एक जोर से धक्का मारा और मेरा लन्ड पूरा का पूरा वन्दना की गान्ड में पहुँच गया जड़ तक। वन्दना को थोड़ा दर्द हुआ पर ज्यादा नहीं !
मैंने वन्दना से कहा- दर्द तो नहीं हो रहा?
वन्दना बोली- जय, आप अपना काम करते रहो ! मुझे कोई परेशानी नहीं हैं !
और मैंने पहले धीरे धीरे से धक्के लगाने शुरू किये और फिर रफ्तार तेज कर दी। वन्दना भी आ ईईईईइ आआईइआई एएइएइएऐइदिदिदल्ल् ग्ग्ग्गएएए करके मेरा पूरा साथ देती रही।
जैसे ही मेरा छुटने को हुआ तो मैंने कहा- वन्दना मेरा निकलने वाला है, कहाँ निकालूँ?
वन्दना ने कहा- जय ! आप मेरी ही चूत में छोड़ना !
मैंने कहा- ठीक है वन्दना जी आप बिस्तर पर चलो।
वन्दना बिस्तर पर लेट गई और मैंने वन्दना की दोनों टांगों को ऊपर उठा कर अपनी कमर के ऊपर रखा और जोर से धक्का मारा। पूरा लन्ड वन्दना की चूत में ऐसा गया कि पता ही नहीं चला। मैं भी जोर जोर से धक्के लगाने लगा और वन्दना भी मेरा पूरा उत्साह बढ़ाने लगी। उसने अपनी दोनों टांगों को मेरी कमर पर कस लिया और अपने मुँह से सिसकारियाँ निकालने लगी- जय ओ जय आ आ एए ए ए अ अएए ई इ ईईईईईई इआएएआअ एएएएए ! पता ही नहीं क्या-क्या बड़बड़ाने लगी।
3-4 मिनट में ही मैं भी वन्दना की चूत में झड़ गया और वन्दना के ही उपर लेट गया। 6-7 मिनट के बाद मैंने वन्दना से कहा- वन्दना जी, मैं अब चलता हूँ ! आप सन्तुष्ट हैं या नहीं?
वन्दना ने कहा- जय, आपने क्या बात कर दी ! आपने तो मुझे जन्नत की सैर करा दी ! और मुझे क्या चाहिए था।
वन्दना जी मेरी फीस दो और मैं निकलता हूँ !
वन्दना ने मेरी फीस दी और मैं अपने घर चला आया।
उसके दो दिन बाद फिर वन्दना का फोन आया, कहने लगी- जय, अब कब आ रहे हो ?
मैंने कहा- वन्दना जी, जब आप बुलाओ, मैं हाजिर हो जाऊँगा।
तो कहने लगी- आज शाम को ?
मैंने कहा- नहीं कल !
तो वन्दना कहने लगी- नहीं, आज ही !
तो मैंने कहा- ठीक हैं पर रात को 2 बजे !
तो वन्दना ने कहा- नहीं !
मैंने कहा- आज मेरी शिफ्ट बदल गई है, इससे पहले मैं नहीं आ सकता।
तो कहने लगी- मैं आपक इन्तज़ार करूँगी, आप जरूर आना !
मैंने कहा- हाँ मैं समय से पहुँच जाऊँगा !
और मैंने ठीक दो बजे वन्दना की बैल बजाई। वन्दना ने दरवाज़ा खोला और मेरे गले लग कर कहने लगी- जय, इतना इन्तज़ार मत करवाया करो !
मैंने कहा- क्यों वन्दना, मुझे भी तो काम होता है।
तो वन्दना ने कहा- जय, मेरे लिये भी टाईम नहीं?
तो मैंने कहा- आपके लिये ही तो आया हूँ ! फिर भी ऐसी बात करेंगी तो मैं आगे फिर कभी नहीं आऊँगा।
मेरे यह कहते ही वन्दना ने मुझे बाहों में भर लिया और हम दोनों ने आपस में चुम्बन लिया। फिर मैंने कहा- वन्दना जी, पहले कुछ खाने को !
तो वन्दना कहने लगी- जय, मुझे मालूम था कि आप आते ही खाने को कहोगे ! इसलिये मैंने पहले ही आपके बताये समय के हिसाब से ही लगा के रखा है।
हम दोनों ने खाना शुरू किया तो वन्दना कहने लगी- जय यार कुछ पीने को हो जाये?
मैंने कहा- जैसी आपकी मर्जी।
वन्दना ने कहा- फिर ठीक है ! सिर्फ दो दो पैग !
मैंने कहा- चलो जल्दी करो, मुझे बहुत ही तेज भूख लगी है !
वन्दना ने दो पैग विस्की के बनाये, हम दोनों ने आपस में चियर्स किया, अपने अपने पैग खत्म किये, एक दूसरे के गले लगे और फिर हम दोनों ने मिलकर खाना खाया।
उसके बाद वन्दना ने दो और पैग बनाये और हम दोनों ने अपने अपने पैग खत्म किये और फिर हम दोनों ने अपना चुदाई का कार्यक्रम शुरु किया।
उसके बाद हमारा यही सिलसिला हफ्ते में कभी दो दिन कभी 3-4 दिन चलता रहा जब तक कि वन्दना को बच्चा नहीं हो गया।
तो दोस्तो, मेरी यह Antarvasna कहानी आपको कैसे लगी, मुझे मेल करना।
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