Our site can help you find a professional massage girl in Nalbari who will help you relax in the best manner possible. We connect you with professional therapists who can offer you a massage that will make you feel better and more relaxed. The pros on our list are ready to provide you with a fantastic experience at your house or in one of their particular spots, whether you want to relax or get away from it all.
Massage is currently one of the finest methods to relax your mind, body, and overall health. Our website makes it easy to locate the top massage services in Nalbari that meet your demands. This will be a one-of-a-kind and calming experience for you.
Tottaa wants to make it simple for clients to find the top masseuse. The Nalbari massage service providers on our list offer the greatest quality, comfort, and competence, whether you want a full-body massage or a massage for a particular location.
Tottaa is not only a list of masseuses, it’s also a secure location for them to show off what they can do. People in Nalbari who are seeking massage services may find them on our website. This makes them easier to find and gets them more appointments.
Advertisers may simply put up profiles, offer their services, and talk about pricing and discounts on our sites. This makes sure that the relevant people notice your Nalbari massage service, which makes it easier to obtain more customers.
There are a lot of different types of massage services on our site, so you may choose one that works for you. You may choose the kind of treatment that works best for you, whether it’s profound rest or a particular type of therapy.
A calm and gentle way to ease muscular tension and improve blood flow. This Nalbari massage is perfect for you if you want to relax and forget about your concerns.
This approach employs a lot of pressure to get to deeper muscle layers. It’s helpful for folks who have muscular discomfort or stiffness that won’t go away. There are specialists on our profiles of massage girls in Nalbari who are good at deep tissue treatments that function effectively.
Calming massage strokes and essential oils are beneficial in making people feel improved both emotionally and physically. Most massage companies in Nalbari employ the use of custom oil preparations to make you feel good.
A therapy that wakes you up by using a mix of regular massage, stretching, and compression. This traditional massage in Nalbari helps you relax, become more flexible, and get your mind and body back in harmony.
Heated stones are placed on various parts of the body to help with deep muscular tightness. People who want to feel good, relax, and help their muscles recover quickly can use this massage service in Nalbari
Tottaa makes it simple and fast to book. With our listings, you can see what kind of massage you want, read about the providers, see that they are free and then contact them directly. After you choose, you can book a massage in Nalbari at your convenient time and location. In order to get your desired massage services, apply the following simple steps:
Take a peek around our site to view a few massage professionals. Each listing gives you information about the many sorts of massages, how long they last, how much they cost, and where they are situated. This makes it easier to choose the finest ones.
Examine the profiles carefully to compare how the services, talents, and reviews posted by customers differ. This phase makes sure you choose a business that has the style, pricing, and supply you desire.
When you have decided, use the information that you are offered so that you can contact them directly. One can communicate it to the massage giver thus making it understood what massage you want at what time and when.
The date, time and place of the service, which could be your home, a hotel or the spa where the therapist may be found. You also need to agree on the payment method and any other accords prior to commencement of the course.
All you have to do on the day of the appointment is have your area ready for the house visit. The remainder will be handled by the expert. Take it easy and enjoy a massage that is made just for you.
To locate a professional who can meet your needs, read our biography, reviews and advertising.
Yes, many of the therapists on our site will come to your house so you may feel safe and at ease.
You may pick based on talents since most adverts provide their qualifications in their profiles.
It would be advisable to make a reservation earlier to guarantee that you would be able to get a massage, particularly against the prevalent services of massage.
Not at all. Tottaa exclusively connects users with service providers. The doctor gets to choose how to handle payment.
उस गांव से मेरा ट्रांसफर 45 किलोमीटर दूर एक गांव में हो गया था।
यह गांव थोड़ा बड़ा था और यहां के लोग थोड़े पढ़े लिखे और सुखी सम्पन्न थे।
गांव के लोगों के पास खेती के लिए काफी बड़ी जमीनें थी और लोग राजकीय पहुंच भी रखते थे।
खैर जहां समृद्धि होती है वहां टकराव भी होता है.
तो इस गांव में ताकतवर लोगों के गुट बने हुए थे और ये गुट आपस में अक्सर लड़ते रहते थे.
तो यह गांव किसी भी कर्मचारी के कठिन पर माल वाला पोस्टिंग माना जाता था।
मुझे मेरे साथी कर्मचारियों ने इस गांव के बारे में यह सब बताया था- तुम जैसे सीधे सादे आदमी को इस गांव में नौकरी करना मुश्किल है। यहां के लोगों की पहुँच ऊपर तक होने से वे हमारे जैसे छोटे कर्मचारियों को दबा के रखते हैं।
अब मेरा इस गांव से पाला पड़ ही गया था तो सोचा कि जो होगा देखा जायेगा।
मैंने वहां के पुराने पटवारी से चार्ज लिया और काम देखने लगा।
दूसरे दिन गांव के सरपंच से मेरी मीटिंग थी।
सरपंच एक महिला थी.
उसने मिठाई का डिब्बा देकर मेरा स्वागत किया और कहा- आपको हम यहां कोई परेशानी नहीं होने देंगे. हम सब साथ मिल कर काम करेंगे. आप भी हमारा साथ दीजिएगा।
मुझे काफी अच्छा लगा और मैंने महसूस किया कि सरपंच काफी होशियार महिला थी।
बाद में जानने को मिला कि सरपंच तो भले दिल की और अच्छी है पर उसका पति गांव का बाहुबली था और सरफिरा भी!
उसका गुट काफी बड़ा और ताकतवर था और काफी लड़ाई झगडे के बाद उसे सरपंच का पद दिलवाया था।
अगले कुछ दिनों में गांव के बाकी गुट वाले भी मुझसे मिलने आये और उन सबकी मुझसे समर्थन के लिए मांग थी तथा अप्रत्यक्ष रूप से धमकी भी थी की मैं उन्हें ही समर्थन करूं।
इस गांव में शुरु से ही मैंने अच्छे से कामकाज चालू किया तो लोगों के काम समय से होने लगे।
मेरे पहले के पटवारी गांव के कोई ना कोई गुट में मिल जाते थे और काम कराने के पैसे भी लेते थे तो आम लोगों में नाराजगी रहती थी।
वैसे भी गांव के गुट वाले अपनी पसंद का ही पटवारी का गांव में पोस्टिंग करवाते थे।
मैं सभी का काम अच्छे से समय पर और बगैर पैसे लिए करने लगा तो एक दो महीने में ही मेरी गांव में काफी अच्छी छवि उभर आई थी।
दूसरी तरफ दो महीने से मुझे कोई चूत नहीं मिली थी तो मेरा बुरा हाल था।
रश्मि की बहुत याद आती थी, साथ में नम्रता की गोरी और फातिमा की काली चूत भी मुझसे भूली नहीं जा रही थी।
मैंने रश्मि को वचन दिया था तो मैं उस गांव की तरफ जाना नहीं चाहता था।
हालांकि नम्रता और फातिमा की चूत तो मुझसे चुदाने को आज भी तैयार थी।
पर मैंने अब इसी गांव में चूत ढूँढना का तय किया।
यह इस गांव के हिसाब से मुश्किल और मेरे लिए ख़तरनाक भी था क्योंकि पकड़ा गया तो इस गांव के लोग जान से भी मार सकते थे।
पर मेरे लिए इस गांव में किस्मत ने पहले से अच्छा तय करके रखा था।
मैं नयी जगह और कामकाज के चलते अब तक लोंडियाबाजी में नहीं पड़ पाया था. पर अब मैंने गांव में चूत ढूँढना शुरु किया।
पहले तो मैंने सरपंच के बारे में सोचा।
वह 35 साल की घरेलू महिला थी. ऐसे तो वह काफी गोरी थी थोड़ी सी मोटी पर उसका चेहरा खास मुझे प्रभावित नहीं कर पाया. वैसे भी वह मेरा छोटे भाई की तरह ख्याल बहुत रखती थी तो मेरी नीयत उसके लिए खराब नहीं हो पायी।
मैंने दूसरी भाभियों और लड़कियों के बारे में सोचा।
कुछ भाभियां और लड़कियां मेरे पास काम करवाने अक्सर आया करती थी तो उसमें ही जुगाड़ करने की फिराक में रहने लगा।
दो महीने बाद एक बार मैं ऑफिस के दूसरे कमरे की खिड़की खोल रहा था जिसे कभी कभार ही खोलते थे क्योंकि उस कमरे में पुरानी फाइलें और रेकोर्ड ही रखते थे।
मुझे एक पुरानी फाइल की जरूरत पड़ी थी तो मैं उस कमरे में गया और वहां की खिड़की खोली।
खिड़की से बाहर थोड़ी ही दूर एक जवान औरत कपड़े सुखाती दिखी।
उसकी पीठ मेरी तरफ थी पर मैं तो उसे देखता ही रह गया।
उसका बदन कसा हुआ गठीला और एकदम गुलाबी था जिससे मेरे पैंट में हरकत सी होने लगी।
काफी देर तक मैं उसे निहारता रहा।
फिर वह मेरे सामने घूमी तो देखा कि मैं इसे जानता था।
उसका नाम नाम रेखा था, वह मेरे पास कुछ काम के लिए तीन दिन पहले ही आयी थी।
रेखा सरपंच की रिश्ते में दूर की देवरानी थी और सरपंच के मायके के गांव की ही थी तो सरपंच से उसकी काफी बनती थी।
सरपंच ने मुझे उसका काम जल्दी निपटाने का अनुरोध भी किया था।
काम में व्यस्त होने की बजह से मैंने उस पर ध्यान नहीं गया था पर आज उसका कामुक बदन देख कर मेरे तो तोते उड़ गये थे।
मैंने तुरंत ही एक प्लान बनाया और सरपंच के जरिए उसे संदेश दिया कि उसके दिये कागज में एक दो कागज कम हैं.
तो वह दूसरे दिन ऑफिस आ गयी।
ऑफिस में कोई नहीं था, वह अपने छोटे बच्चे के साथ आयी थी।
मैंने उसे बहुत अच्छी तरह से निहारा।
आज उसने सर पर घूंघट नहीं निकाला था तो मैं जी भर कर उसे निहारता रहा।
शायद उसे भी इस बात का अंदेशा हो गया था।
मैंने उससे हंसते हुए काफी बातें की.
उसने कहा- अरे साहब, ऐसे छोट मोटे कामों के लिए थोड़ा बुलाते हैं आप खुद ही निपटा लेते ना!
वह भी थोड़ी बातूनी और मजाकिया स्वभाव की निकली।
शाम को घर आकर मुझे उसकी कल्पना करते हुए हाथ हिला के आग को शांत करना पड़ा।
रेखा छब्बीस साल की थी और उसका एक चार साल का बच्चा भी था.
उसका फीगर करीब 36-32-34 का होगा।
उसके नाक नक्श ऐसे कि बोलीवुड की हीरोइन से टक्कर ले सकें।
वह ज्यादा पढ़ी लिखी नहीं थी पर काफी होशियार थी।
मैंने सोचा कि पति ने भी क्या किस्मत पायी थी।
अब मैं रोज उस कमरे की खिड़की से रेखा को निहारने लगा।
वह अपने पति और बच्चे के साथ अलग रहती थी, उसके घर से सट कर ही उसके ससुर और जेठ के भी घर थे।
उसका घर का मुख्य द्वार बिल्कुल मेरे ऑफिस के पीछे ही पड़ता तो मैं खिड़की से ही उसके घर में भी देख सकता था।
मैंने कई बार कपड़े सुखाते या झाड़ू निकालते समय उसकी ब्रा और क्लीवेज भी देखी थी।
अब उसकी चूत मिल जाए तो जन्नत मिल जाए।
ऐसे ही तीन चार महीने निकल गये।
उसे भी शायद पता लग गया था कि मैं खिड़की से उसे झांकता हूँ।
वह अब मेरे सामने मुंह रख कर कपड़े सुखाती थी और कभी मुस्कुराती भी थी।
बात यहीं आकर रुक गयी थी, कुछ आगे नहीं बढ़ पा रही थी।
उससे बात करने की मेरी हिम्मत भी नहीं हो रही थी।
फिर समय ने करवट बदली और वह एक बार शाम को पांच बजे के आसपास सरपंच से मिलने ऑफिस आयी।
सरपंच ने उसे पारिवारिक काम से बुलाया था।
वैसे मेरे ऑफिस में दोपहर के बाद ज्यादा काम नहीं रहता था पर सरपंच ने अब दोपहर के बाद ऑफिस में बैठना शुरू किया था।
अब यह सिलसिला चल पड़ा की वह सरपंच के साथ गप्पे लड़ाने ऑफिस आ जाती थी।
मेरा टेबल सरपंच के पास ही था तो मैं उसे देखते रहता था और उनकी बात सुनता था।
असल में सरपंच अपने छोटे भाई के लिए रिश्ता ढूँढ रही थी. उसी चक्कर में वह रेखा को बुलाती थी कि फलाना गांव में फलाने आदमी की बेटी अच्छी है।
सरपंच मुझे बहुत मानती थी तो उन दोनों की बातों में मुझे भी शामिल करती थी.
कभी कभी मज़ाक भी हो जाता था।
रेखा बहुत बातूनी थी और हमेशा मजाकिया बातें करती रहती थी।
मैं रेखा को टार्गेट करके बातों के शोट मारता तो वह भी मुझे करारे जवाब देती थी।
सरपंच हमारी बातों का मज़ा लेती थी।
तीन महीने तक ऐसा चलता रहा।
एक बार वह ऑफिस में आयी तो मैं अकेला ही था.
सरपंच किसी काम से बाहर गयी हुई थी.
तो वह वापिस जाने लगी.
उसी वक्त चाय वाला लड़का चाय लेकर आया.
तो मैंने रेखा को रोका और चाय पीने को बोला.
तो वह रुक गयी।
चाय पीते पीते वह बोली- विशाल जी, आपने अब तक सगाई क्यों नहीं की? कोई पसंद नहीं आयी क्या?
मैंने कहा- अभी मेरी उम्र ही क्या है … शादी वादी करके क्या फायदा!
ऐसे थोड़ी देर बात हुई.
फिर जाती हुई वह बोली- जल्दी से कोई ढूँढ लीजिए, कब तक आप यों ही खिड़की से झांकते रहोगे।
मैं कुछ समझ पाऊं … उससे पहले वह इतना बोल कर झट से चली गई।
मुझे समझ आ गया कि वह भी मुझे लाइन दे रही थी।
दूसरे दिन जब मैं खिड़की से उसे झांकने गया तो देखा कि आज वह मेरे सामने ही चेहरा करके मुस्कुराती हुई कपड़े सुखा रही थी।
जाते जाते बाल्टी में बचा पानी उसने जोरदार मुस्कान के साथ मेरी तरफ फेंका।
मैं समझ गया अब इसकी चूत दूर नहीं है।
अब वह खिड़की के पास आकर मुझसे मज़ाक भी कर लेती।
मैंने उसे कई बार शहर घूमने आने का न्योता दिया.
पर वह हमेशा अपने पति के साथ ही शहर आती थी।
एक बार उसने कहा- मेरी मौसी शहर में रहती हैं और मैं उनके घर चार पांच दिन के लिए रहने जाऊँगी.
मौसी के घर का जो पता उसने बताया, वह स्थान मेरे घर से आधा किलोमीटर दूर था।
उसी दौरान मेरी भी दो दिन की छुट्टी थी।
उसने कहा- चलो आप बहुत दिन से निमंत्रण दे रहे थे तो आपकी मेहमान नवाजी भी देख लेते हैं।
मैंने उसे शहर में पास वाले पार्क में मिलने के लिए कहा।
आखिर वह दिन भी आ गया.
वह पार्क में अपने बच्चे के साथ आयी हुई थी।
मैं भी सज-धज के वहां पहुंचा।
उसके बच्चे को अपनी गोद में लेकर मैं उससे बातें करने लगा।
फिर मैंने उसे रूम पर आने को बोला तो थोड़े नखरे दिखा कर वह मान गई।
रूम पर जाकर उसके बच्चे को मेरे बेड पर सुला दिया और हम नीचे चटाई पर बैठ गए।
उसने बताया कि उसकी शादी अठारह की उम्र में हुई थी। शुरू में उसका पति बहुत अच्छे से उसको रखता था फिर बाद में वह सरपंच के पति के संगत में आया और वह पैसों के पीछे पड़ा। वह ट्रांसपोर्ट का बिज़नस करता था जिसमें अच्छी कमाई हो जाती थी. पर अब वह और ज्यादा कमाने के चक्कर में पड़ गया था और राजनीति में भी बड़ा पद पाना चाहता था। सरपंच के पति के अच्छे बुरे सब कामों में वह शामिल रहता है. उस पर पुलिस केस भी चल रहे थे। महीने में करीब बीस दिन घर से बाहर ही रहता था और जब घर आता था तो भी अपने गुट वालों के साथ मीटिंग या पुलिस या कोर्ट वकील या प्रोपर्टी के कामों में व्यस्त रहता। आठ दस दिन घर आता उसमें भी दो तीन दिन ही वह पत्नी और बच्चे के लिए ठीक ठाक समय दे पाता।
दूसरी बात यह थी कि रेखा को अपनी खूबसूरती पर काफी नाज था।
वह चाहती थी कि हर कोई उसकी खूबसूरती का लोहा माने।
पर छोटी उम्र में ही उसकी शादी हो गई और उसके पति ने भी दो तीन साल ही उसकी खूबसूरती को भोगा था। अब वह घर पर होता तो खाली अपनी हवस बुझाने ही रात को रेखा के ऊपर चढ़ जाता और अपने आपको शांत कर के जल्दी ही उतर जाता।
उसमें भी कई बार तो नशे में चूर होकर रेखा को भोगता तो अब रेखा को संतुष्टि नहीं मिलती।
ना तो वह रेखा की तारीफ करता और न उसे समय दे पाता।
पर रेखा की जवानी अब भी बहुत कुछ मांग रही थी जो उसका पति उसे नहीं दे रहा था।
जब रेखा ने मुझे उसके पीछे लट्टू पाया तो उसके अरमान फिर से हरे भरे हो गये।
उसने सरपंच से मेरी काफी तारीफ सुन रखी थी तो वह भी मेरी तरफ आकर्षित हुई थी।
मैं उससे चिपक कर बैठ गया और बातों बातों में मस्के मारने लगा वह भी मुझे करारे जवाब दे रही थी।
वह मुझसे पांच साल बड़ी और एक बच्चे की मां थी आज मैं उसे चोदने जा रहा था।
मैंने उसका हाथ अपने हाथ में लिया और उसके कंधे पर भी एक हाथ रख दिया।
जब मैंने उसके गालों पर एक चुम्बन लिया तो वह दूर जाने लगी.
पर मैंने उसे पकड़े रखा और फिर उसके होंठों से अपने होंठ लगा दिए।
वह भी मेरा साथ देने लगी।
मैंने उसकी पीठ के खुले हिस्से को काफी सहलाया और चूमा भी!
इससे वह काफी गर्म हो चुकी थी.
फिर मैंने उसके बोबे पकड़ लिये और दबाने लगा।
उसके बोबे फातिमा से भी बड़े थे और वह नम्रता से भी ज्यादा गोरी थी तथा रश्मि की तरह गर्म थी।
उसने खुद ही ब्लाउज और ब्रा उतारी फेंकी।
वह बार बार विशाल कर रही थी.
मतलब था कि वह जल्दी मेरा लौड़ा अपनी चूत में चाहती थी.
पर मैं उसे थोड़ा तड़पाना चाहता था और धीरज के साथ उसकी खूबसूरती को पीना चाहता था।
मैं उसके स्तनों को चूसने और दबाने लगा.
वह भी मदहोश हो गई थी।
मैंने उसके पूरे शरीर को चूमा तो वह पागल सी हो गई और हांफने लगी।
वह बोली- विशाल जल्दी करो, अब सब्र नहीं होता है।
मैंने भी अपने कपड़े उतारे और उसने अपने बाकी बचे कपड़े उतार फेंके।
उसने मेरा लंड अपने हाथ में पकड़ा और सहलाने लगी, फिर टोपा चाटने लगी और फिर पूरा लंड चूसने लगी।
मैं तो जैसे जन्नत में पहुंच गया था क्योंकि एक परी मेरा लंड चूस रही थी।
थोड़ी देर बाद उसने मेरा लंड अपने मुंह से निकला और बेड पर सीधी लेट गई और मुझे कहा- विशाल जल्दी आओ, मुझसे रहा नहीं जाता।
मैं भी उसके उपर चढ़ गया और लंड उसकी चूत में डालने लगा।
उसकी गोरी चूत पर काफी काली झांटें थी तो मुझे चूत का छेद ढूंढने में तकलीफ हो रही थी.
पर उससे रहा नहीं गया और उसने मेरा लंड पकड़ कर अपनी चूत में सेट किया और बोली- अब धक्का मारो।
मैंने एक ही झटके में पूरा लौड़ा उसके अंदर घुसा दिया तो उसके मुंह से आह निकली।
मैं उसे धमाधम चोदने लगा.
वह विशाल आह आह और जोर से जोर से ऐसी आवाजें निकाल रही थी।
मैं भी बोल रहा था- मेरी रानी रेखा, तुम्हें जब से देखा तब से मेरे मन में शोले भड़क रहे थे। आज तू मिली है मेरी जान!
ऐसा बोलते हुए मैं उसे जोर जोर से चोद रहा था।
ज्यादा जोश के कारण दस मिनट में ही मेरा पानी छूटने को हुआ तो मैंने कहा- डार्लिंग, पानी कहां निकालूं?
उसने कहा- अंदर ही निकालो।
मैंने उसके अंदर ही अपना वीर्य निकाल दिया और उसके ऊपर ही लेटा रहा।
काफी देर बाद हम अलग हुए और कपड़े पहन कर एक दूसरे की बाहों में लिपट कर बैठ गये।
उसने कहा- काफी समय बाद किसी ने इतने प्यार से मुझे चोदा है। मेरा पति तो बस दारू के नशे में मुझ पर चढ़ जाता है और पांच ही मिनट में पानी छोड़ कर लुढ़क जाता है। मैं प्यासी ही रहती हूँ।
आधा एक घंटा हमने बातें की।
वह फिर से चुदना चाहती थी तो बार बार अपने बोबे मेरे मुंह पर घिसती और मेरे लंड को सहलाती.
तो मेरा लौड़ा भी अब खड़ा हो गया था।
हमने फिर कपड़े उतारे और फिर से चुम्माचाटी और बोबा दबाई की।
उसने मेरा लंड फिर से चूसा तो वह लोहे की छड़ की तरह खड़ा हो गया।
मैंने फिर से उसकी चूत में लौड़ा डाल दिया और चोदने लगा।
इस बार धैर्य के साथ चुदाई की तो आधा घंटा चोद सका।
फिर से मैंने उसकी चूत में अपना वीर्य छोड़ा।
इस चुदाई के बाद वह अपनी मौसी के यहां गयी।
वह अपनी मौसी के घर पांच दिन तक रुकी और मैंने भी अपनी ऑफिस में छुट्टी ले ली और हम रोज मिलते रहे और चुदाई करते रहे।
फिर गांव आ कर वही सिलसिला खिड़की से झांकने का चालू हुआ।
हम दोनों एक-दूसरे को फ्लाइंग किस करते तथा दिन में चार पांच बार खिड़की पर ही मिलन हो जाता।
ज्यादा कुछ नहीं कर पाते थे क्योंकि उसका पति उसके मौसी के घर से वापस आने के दूसरे दिन ही घर आ गया था।
एक हफ्ते बाद उसका पति वापस काम पर लौटा तो उसने मुझे दोपहर में अपने यहां खाने पर बुलाया।
हमने साथ में खाना खाया और खूब चुदाई की.
ऐसे दो महीने चलता रहा।
बाद में उसने मुझे बताया कि वह मां बनने वाली है और उसके बच्चे का बाप मैं ही हूं।
मेरी गांड फट गई.
मैंने कहा- अब क्या करेंगे?
वह हंसती हुई बोली- बिल्कुल फट्टू हो तुम. इसमें डरने की क्या बात है. यह तो खुशी की बात है।
मैंने कहा- किसी को पता चल गया तो क्या होगा?
उसने कहा कि उसने सोच समझ कर ही बच्चा रखवाया था। वह अपने पति की जगह मेरे बच्चे की मां बनना चाहती थी इसलिए उसने मुझे कभी कोंडोम इस्तेमाल नहीं करने दिया था और मेरा वीर्य अपनी चूत में डलवाती थी।
उसने कहा- तुम तो खुश हो. बस किसी को बताना मत कि यह बच्चा तुम्हारा है. यह बच्चा तो हमारे प्यार की निशानी है।
तब जाके मुझे भी राहत हुईं और मैं भी खुश हुआ।
नौ महीने बाद रेखा ने एक प्यारी सी बेटी को जन्म दिया।
रेखा ने मुझे कहा- यह तुम्हारी बेटी है तो तुम्हीं इसका नाम रखो।
मैंने उसका नाम प्रेरणा रखा।
बाद में मौका मिलने पर मेरी और देशी भाभी चुदाई चालू ही रही।
उसी ने मुझे गांव की कुंवारी चूत भी दिलाई जो आपको बाद में बताऊंगा।
लेखक के आग्रह पर उनकी ईमेल आईडी प्रकाशित नहीं की जा रही है।
दोस्तो, मेरा Antarvasna आप सभी को प्रणाम! मैं राहुल गुप्ता भोपाल का हूँ। मैं अपनी सच्ची कहानी बता रहा हूँ।
तो बात उस समय की है जब मैं कॉलेज़ में पढ़ता था। मेरी आयु 20 साल थी। मैंने किराए पर कमरा लिया हुआ था।
मेरे मकान मलिक की एक लड़की थी 18 साल की होगी।
वो रोज़ कॉलेज़ में मिला करती थी और मैं उसे बहुत देखा करता था।
मुझे उसके सेक्सी गोल-गोल वक्ष टॉप के ऊपर से बड़े अच्छे लगते थे, स्तन 32 इन्च के तो होंगे। और उसके चूतड़ तो क्या कहिए! मानो स्वर्ग है!
एक दिन मैं उसे कॉलेज़ में बोला- आप मुझसे बात क्यों नहीं करती?
वो बोली- मेरी आदत नहीं!
मैं बोला- आदत तो बदलनी पड़ती है तभी लाइफ का मज़ा है!
वो बोली- कैसा मज़ा? मुझे समझ नहीं आया!
मैं बोला- आ जाएगा बाबा!
एक दिन उसके घर पर कोई नहीं था। मैं ऊपर गया, बोला- अंकल हैं?
तो कोई आवाज़ नहीं आई। मैं बोला- अंकल!!
तो अंदर से आवाज़ आई- घर पर नहीं हैं!
और वो दरवाजा खोल कर बाहर निकली।
मैंने कहा- क्या कर रही हो?
वो जीन्स और टाईट टॉप पहने थी, बड़ी सेक्सी लग रही थी।
मैं बोला- मैं आ सकता हूँ अंदर?
बोली- क्यों नहीं! आओ!
मैं बोला- आज सब कहाँ गये?
बोली- मार्केट!
मैं बोला- ओके! अकेले क्या कर रही थी?
बोली- कुछ नहीं! नेट पर थी!
तो मैंने देखा तो याहू मैसेन्जर खुला था और वैबकैम पर एक लड़का नंगा था।
मैं बोला- आपको यह सब पसंद है?
बोली- थोड़ा-थोड़ा!
मैं बोला- कभी किया है?
बोली- नहीं!
मैं बोला- तो आज करते हैं!
बोली- क्या बेहूदा बात करते हो!
मैं बोला- तब कैसे पता चलेगा कि कैसा लगता है?
लेकिन उसका मन तो हो ही गया था। वो बाथरूम में गई और जब लौटी तो उसके स्तन तने थे। मैं समझ गया कि लड़की गर्म हो गई है।
मैंने उसे पकड़ कर ज़ोर से अपने से चिपका लिया और चूमने लगा।
बोली- क्या कर रहे हो राहुल? मत करो! मुझे डर लग रहा है! कोई आ ना जाए!
मैं बोला- चिन्ता मत करो, दरवाजा लॉक है जी कोई नहीं आएगा।
और हम फिर बेडरूम में चले गये। मैंने उसका टॉप उतार दिया। वो गुलाबी ब्रा पहने बड़ी सेक्सी लग रही थी। उसके स्तन आज़ाद होने को तड़फ़ रहे थे।
मैंने उसकी जीन्स भी उतार दी। वो नेट थोंग पैंटी पहने थी। नेट से हल्के छोटे छोटे बाल दिखा रहे थे, बड़ी सेक्सी लग रही थी पैंटी में!
मैंने अपने भी कपड़े जल्दी से उतार दिए और मैं उसके स्तन चूसने लगा। धीरे से ब्रा का हुक खोल कर मैंने ब्रा उतार दी और फ़िर पैंटी भी!
अब हम दोनों नंगे थे। वो मेरा लंड जो 8 इंच का था, उसे ऊपर-नीचे कर रही थी और चूस रही थी, मैं उसकी फुद्दी को चाट रहा था।
मैंने उसे सीधा लिटाया और जैसे ही उसकी चूत पर लण्ड पर रखा तो वो सी सी सिस सी अहहहः की आवाज़ निकालने लगी।
मैंने झटके से लंड को अंदर डाल दिया।
वो चिल्ला उठी, बोली- मत करो राहुल! दर्द हो रहा है! मैं मर जाऊँगी! अहाआआआ हाआआ अहहहहा ओह ओऽऽ!
और मैं अब उसकी चूत में ही झड़ गया और उसने भी पानी छोड़ दिया।
हम दोनों 30 मिनट तक ऐसे ही पड़े रहे।
फिर उठे और दोनों बाथरूम में जाकर नहाए।
मैंने उसे ब्रा-पैंटी पहनाई और फ़िर अपने कमरे में आ गया।
अभी भी मैं वहीं रहता हूँ। अभी तक उसे मैं चार बार चोद चुका हूँ।
आपको मेरी कहानी कैसी लगी, मुझे मेल करें! Antarvasna
आर्यन और सायरा एक दूसरे को Hindi Sex Stories चूमे जा रहे थे कि रूही कमरे में दाखिल हुई। “ये, यहाँ पर सब क्या हो रहा है?” रूही थोड़ा गुस्से में बोली।
“म… मैडम… मै… म…” सलमा घबराने का नाटक करते हुए बोली।
“हाय अल्लाह!!! ये तो मैडम हैं… आर्यन बाबा! उठो मुझ पर से”, सायरा चिल्लाती हुई उसे अपने ऊपर से हटाने लगी।
“नहीं! मैं तुम्हें एक बार और चोदना चाहता हूँ!” आर्यन उसे जोर से अपनी बाँहों में भरते हुए बोला।
“पहले मुझ पर से उतरो… फिर बताती हूँ!” कहकर सायरा उसे उठाने में अपना पूरा जोर लगने लगी।
“क्या कोई मुझे बतायेगा कि ये सब क्या हो रहा है?” रूही फिर से बोली। सलमा की समझ में नहीं आ रहा था कि रूही के दिमाग में क्या है, इसलिये वो चुप रही।
सायरा उठ कर पलंग पर बैठ गयी और रोने लगी।
“सायरा! मैंने तुम्हें यहाँ कपड़े धोने के लिये रखा है ना कि मेरे बेटे के साथ चुदाई करने के लिये!” रूही थोड़ा गुस्सा करते हुए बोली।
सुबकते और रोते हुए सायरा धीरे से इतना ही कह पायी, “म… म… मुझे पता नहीं क्या हो गया था मैडम।”
“प्लीज़ मम्मी! मैं इसे एक बार और चोदना चाहता हूँ।” आर्यन बीच में बोला।
“अपना मुँह बंद रखो और चुपचाप बैठे रहो”, रूही ने उसे डाँटते हुए कहा।
आर्यन अपना मुँह खोल कर कुछ कहने जा रहा था कि सलमा ने खींच कर अपने पास किया और कान में फुसफुसायी, “आर्यन बाबा! प्लीज़ आप चुप रहिये।”
“तुम्हारे अम्मी-अब्बा क्या कहेंगे जब मैं उन्हें बताऊँगी कि कैसे तुमने मेरे बेटे की वासना को भड़का कर उससे चुदवाया है”, रूही उसे डराते हुए बोली। सायरा और जोर-जोर से रोने और सुबकने लगी।
तभी सलमा बीच में बोली, “सायरा! मैडम के पैरों पे पड़ कर अपनी गलतियों की माफी माँग लो, ये तुम्हें माफ़ कर देंगी।”
“मैडम! आप मुझे जो चाहे सज़ा दे दीजिये पर मेरे घर वालों को कुछ मत बताइयेगा”, सायरा रूही के पैरों को पकड़ते हुए बोली, “इसके लिये आप जो कहेंगी मैं करने को तैयार हूँ।”
“पहले उठकर खड़ी हो जाओ!” रूही ने धीमे से कहा, “और मुझे ये बताओ कि तुमने ऐसा किया क्यों?” इस कहानी के लेखक सुनील अग्रवाल है!
“मैडम, मुझे सही पता नहीं कि मैंने ऐसा क्यों किया, सलमा तुम क्यों नहीं मैडम को बताती हो। आबिदा तुम तो बताओ… ओहह मैं अपने आपको संभाल नहीं पायी। पता नहीं क्यों मेरी चूत में जोरों की खुजली हो रही थी”, सायरा अपनी चूत को रगड़ते हुए बोली।
“सलमा! इसे मेरे कमरे में लेकर आओ”, रूही ने हुक्म दिया, “फिर देखते हैं कि इसकी खुजलाती हुई चूत के साथ क्या कर सकते हैं।”
“चलो अपने कपड़े पहन लो”, सलमा ने सायरा से कहा।
“नहीं! इसे इसी हालत में लेकर आओ। और तुम दोनों भी जिस तरह हो… उसी तरह इसके साथ आओ,” रूही ने कहा। रूही अपने कमरे में दाखिल हुई और उसके पीछे तीनों लड़कियाँ और आर्यन।
“सायरा अब इन तगड़े और शानदार लंडों को देखो। इनमें से किस लंड से पहले तुम अपनी कसी चूत चुदवाना चाहोगी जिससे तुम्हारी चूत की खुजली मिट सके?” रूही ने पूछा।
“प…प… पर मैडम???” सायरा इतने सारे लंडों को निहारते हुए हकलायी।
“मैं कुछ भी नहीं सुनुँगी, तुमने वादा किया है कि जो मैं कहुँगी… तुम करोगी। अब लंड अपनी चूत में लेने को तैयार हो जाओ… विजय तुम पहले इसे चोदोगे”, रूही ने जैसे हुक्म दिया।
फिर जिस तरह हम सब ने टीना के जन्मदिन पर किया था वैसा ही किया। सब मिलकर सामुहिक चुदाई कर रहे थे। कोई चूत में लंड डाले हुए था तो कोई किसी की गाँड में। कोई चूत चाट रहा था तो कोई लंड चूस रही थी। इसी तरह शाम हो गयी।
“अब बताओ तुम्हारा दिन कैसा गया?” रूही ने सायरा से पूछा।
“मैडम! पहले तो मैं बहुत डरी हुई थी पर बाद में बहुत मज़ा आया”, सायरा ने मुसकराते हुए जवाब दिया।
“आज तुमने मुझे खुश कर दिया। ये लो तुम्हारा इनाम”, इतना कहकर रूही ने उसे एक हीरे का पेंडेंट दे दिया और साथ में पाँच हज़ार रुपये।
“मैडम ये क्या मेरा कुँवारापन खोने की कीमत है? मैं कोई वेश्या नहीं हूँ!” सायरा उदास होते हुए बोली।
“तुम वेश्या नहीं हो… मैं जानती हूँ”, रूही ने नम्रता से कहा, “ये पेंडेंट मैं तुम्हें इसलिये दे रही हूँ कि आज मेरे बेटे ने पहली कुँवारी चूत की चुदाई की है। तुमने उसे लड़के से मर्द बना दिया… और ये रुपये इसलिये हैं ताकि तुम कुछ अच्छे कपड़े, सैंडल और मेक-अप वगैरह का सामान खरीद सको… आबिदा और सलमा इसमें तुम्हारी मदद कर देंगी… अब से इस घर में आओ तो तुम भी इन दोनों की तरह ही टिप-टॉप बन कर आओ।”
“शुक्रिया मैडम! पर ये पेंडेंट तो बहुत कीमती लगता है”, सायरा पेंडेंट को ऊपर से नीचे देखते हुए बोली, “अगर मेरे घर वाले इसे देखेंगे तो समझेंगे कि मैं इसे चुरा के लायी हूँ।”
“तुम इसकी चिंता मत करो! ऐसा नहीं होगा”, रूही हँसते हुए बोली, “आबिदा तुम्हें घर तक छोड़ आयेगी और तुम्हारे घर वालों को बता देगी कि ये रुपये और पेंडेंट मैंने तुम्हें दिया है।”
“चलो सायरा! अब घर चलते हैं”, आबिदा दरवाजे की ओर बढ़ते हुए बोली।
जैसे ही सायरा जाने के लिये मुड़ी, आर्यन ने पूछा, “सायरा! अब हम फिर चुदाई कब करेंगे?”
“शुक्रवार को!” उसने शरमाते हुए कहा और आबिदा के पीछे भाग गयी!
जब आबिदा वापस लौटी तो रूही ने उससे पूछा, “उसके अम्मी-अब्बा से तुमने क्या कहा?”
“यही कि ये आपने उसे आर्यन बाबा के जन्मदिन पर इनाम दिया है”, आबिदा ने जवाब दिया।
“क्या उन्होंने तुम्हारी बात पर विश्वास कर लिया?” रूही ने पूछा।
“हाँ कर लिया… और मुझसे ये भी पूछा कि क्या मुझे भी कोई तोहफ़ा मिला है”, आबिदा हँसी।
“तो तुमने क्या जवाब दिया?” रूही बोली।
“मैंने कहा कि मुझे तो मेरा तोहफ़ा दो दिन पहले ही मिल गया था, है ना आर्यन बाबा?” आबिदा आर्यन की ओर देखते हुए बोली।
दूसरे दिन आयेशा ने प्रीती से वही स्पेशल दवाई माँगी। “तुम्हें क्यों चाहिये?” प्रीती ने पूछा।
“मैं इसे पीकर इसका असर देखना चाहती हूँ”, आयेशा ने जवाब दिया।
“नहीं इसे मत देना! इसकी चूत पहले से ही इतनी भूखी है और अगर इसने ये दवाई पी ली तो ये तो हमारे लंड से चुदवा चुदवाकर हमें मार डालेगी!” सब लड़के चिल्लाये।
“आयेशा! मुझे लगता है कि ये लड़के सही कह रहे हैं। ये दवाई तो लड़की की चूत को गरमाने के लिये है। अल्लाह ने तो तुम्हारी चूत को पहले से ही इतना गरमा रखा है कि तुम्हें इस दवाई की जरूरत नहीं है”, प्रीती ने उसे समझाया।
“तुम लोगों में कोई नहीं चाहता कि मैं भी थोड़ा मज़ा लूँ!” आयेशा ने हँसते हुए शिकायत की।
हमारे अगले दो दिन खूब मौज मस्ती में गुजरे, बल्कि ये कहो कि चुदाई में गुजरे। जब हम सब रूही से विदाई ले रहे थे तो मैंने रूही को हमारे यहाँ आने की दावत दी। “शुक्रिया, मुझे जैसे ही टाईम मिलेगा मैं जरूर आऊँगी”, रूही ने जवाब दिया।
“रूही इस शनिवार को क्यों नहीं आ जाती हो? हम भी सोमवार को अपने घर वापस जाने वाले हैं। अगर आ जाओगी तो आखिरी बार हमारा मिलना हो जायेगा”, जय ने कहा।
“हाँ ये अच्छा रहेगा। फातिमा और आर्यन को भी अपने साथ ले आना”, मैंने कहा।
रूही कुछ देर तक सोचती रही। “ठीक है! रवि भी दो दिन बाद चला जायेगा फिर मैं फ़्री हूँ”, रूही बोली, “ठीक है हम शनिवार कि शाम तक पहुँच जायेंगे।”
जब हमारा सामान गाड़ी की डिक्की में रखा जा रहा था तो मैंने देखा कि आयेशा हम सब के बीच नहीं थी। “ज़ुबैदा! तुम्हें पता है कि आयेशा कहाँ है?” मैंने पूछा।
“वो मुझसे बोली थी कि वो रवि और आर्यन को गुड-बॉय बोल कर आ रही है”, ज़ुबैदा ने जवाब दिया।
“गुड-बॉय करके तो मुझे आधा घंटा हो गया”, रवि ने कहा। इतने मैं आयेशा और आर्यन हँसते हुए आ गये। “हरामी साले, लगता है कि तेरा चुदाई से जी नहीं भरा अभी तक?” रूही ने आर्यन को धीरे से एक थप्पड़ लगाते हुए कहा। इस कहानी के लेखक सुनील अग्रवाल है!
“ओह मम्मी! मैं आयेशा को कुछ दे रहा था जिससे वो मुझे याद रखे”, आर्यन ने शर्माते हुए कहा।
“कहीं देने के चक्कर में इसे प्रेगनेंट तो नहीं कर दिया… जिससे ये तुम्हें ज़िंदगी भर याद रखे?” रूही हँसते हुए बोली।
“आर्यन डरो मत! मैं प्रेगनेंट नहीं होऊँगी पर हाँ मैं तुम्हें हर वक्त हर पल याद रखुँगी”, आयेशा ने उसे कहा।
जब हम घर पहुँचे तो मैंने जय से पूछा, “अच्छा बताओ जब रूही यहाँ आयेगी तो तुम किस तरह की पार्टी करना चाहोगे।”
जय कुछ कहता उससे पहले विजय बोल उठा, “मुझे तो कुँवारी चूत चोदने में मज़ा आता है।”
“विजय तुम चुप बैठो। पिछली बार हम तुम्हारी बात मान चुके हैं। अब जय की बारी है।” मैंने जवाब दिया।
“और हमारा क्या, तुम हमसे नहीं जानना चाहोगे कि हमें क्या पसंद है?” राम और श्याम साथ-साथ बोले।
“नहीं! मैं जरूरी नहीं समझता!” मैंने थोड़ा गुस्से में कहा।
“दीदी! तुम ही जीजाजी को समझाओ ना।”
प्रीती हँसते हुए बोली, “तुम लोग सुनील का बुरा मत मानो। ये मज़ाक कर रहा है। आखिर जय और विजय इस घर के दामाद हैं, इसलिये उनका स्थान पहले है।”
“तो क्या हुआ? हम भी तो इनके साले हैं।” वो कहावत भूल गयी क्या, “सारी खुदाई एक तरफ जोरू का भाई एक तरफ?” राम ने कहा।
“हाँ तुम दोनों ठीक कह रहे हो। मैं तो मज़ाक कर रहा था। ऐसा है पहले जय की पसंद देख लेते हैं, फिर तुम दोनों की”, मैंने कहा।
“मेरा तो सपना है कि एक माँ की चुदाई उसकी बेटी के साथ करूँ!” जय ने कहा।
“अच्छा सपना है… मैं भी यही ख्वाहिश रखता हूँ”, राम ने कहा।
“और मैं तो विजय की तरह किसी कुँवारी चूत को चोदना चाहुँगा।”
थोड़ी देर सोचने के बाद मैं बोला, “ठीक है! मैं सब इंतज़ाम कर लूँगा। मैं एक जोड़ी माँ बेटी की भी ले आऊँगा जिसे तुम लोगों ने नहीं चोदा होगा।”
आगले दो दिन मैं अपने बचे हुए काम पूरा करने में लगा हुआ था। तीसरे दिन आयेशा ने मुझसे कहा, “सर मैंने सुना ही कि शनिवार की रात को आपके यहाँ एक पार्टी है?”
“हाँ है!” मैंने जवाब दिया, “किसने बताया तुम्हें।” इस कहानी के लेखक सुनील अग्रवाल है!
“विजय ने!” आयेशा ने कहा, “क्या मुझे नहीं बुलायेंगे?”
“नहीं मैं तुम्हें नहीं बुला सकता क्योंकि ये सिर्फ़ माँ-बेटी की पार्टी है”, मैंने जवाब दिया।
मेरी बात सुनकर वो उदास हो गयी। मैंने उसे अपने पास खींचा और कहा, “आयेशा समझने की कोशिश करो… वैसे भी तुम्हारी चुदाई तो होती रहती है।”
“कहाँ होती है… देखिये ना”, कहकर उसने मेरा हाथ अपनी चूत पे रख दिया। मैंने देखा कि उसकी चूत पूरी तरह से गीली हो चुकी थी।
“आयेशा, मेरी जान! पार्टी के अलावा जो तुम कहो मैं करने को तैयार हूँ”, मैंने उसे बाँहों में भरते हुए कहा।
“आप सच कह रहे हैं? मुकर तो नहीं जायेंगे?” उसने मेरे होंठों को अपने होंठों के बीच लेते हुए कहा।
“ना नहीं कहुँगा, तुम कह कर तो देखो।”
“तो आज पूरा दिन मुझे इस सोफ़े पर चोदते रहिये!” आयेशा ने कहा।
“मेरा बहुत काम पेंडिंग पड़ा है… इसलिये पूरा दिन तो नहीं, हाँ! दो बार तुम्हारी चुदाई करूँगा और फिर तुम छुट्टी लेकर विजय और दूसरों से चुदवाने जा सकती हो”, मैंने कहा।
“ठीक है, जब आपकी यही मरज़ी है तो…” उसने थोड़ा निराश होते हुए कहा।
जब मैं दूसरी बार उसकी चूत में अपना लंड डाल रहा था उसी वक्त फोन कि घंटी बजी। मैं फोन उठाना चाहता था पर आयेशा ने मुझे रोक दिया।
“डार्लिंग! जरूरी फोन भी हो सकता है”, मैंने कहा।
“इस समय मेरी चूत से जरूरी कोई काम नहीं है! बस मुझे इसी तरह चोदते जाइये”, आयेशा ने अपने कुल्हे उछालते हुए कहा, “हाँ सर! इसी तरह जोर से अपना लंड घुसाते रहिये।” फोन दो चार बार बज कर बंद हो गया।
ऑफिस के दरवाजे पर हल्की सी दस्तक हुई और नसरीन ऑफिस में आ गयी। “सर! आपको डिस्टर्ब करने के लिये माफी चाहती हूँ पर एम-डी आपको अर्जेंटली बुला रहे हैं।”
“कह दो कि ये नहीं आ सकते”, आयेशा ने झल्लाते हुए कहा, “तुम देख नहीं सकती कि ये बीज़ी हैं।”
“नहीं नसरीन! तुम ये मत कहना। कहना कि जैसे ही मुझे काम से फ़ुर्सत मिलेगी मैं आ जाऊँगा”, मैंने कहा। फिर मैंने आयेशा से कहा, “क्या तुम चाहती हो कि मैं अपनी नौकरी से हाथ धो बैठूँ?” बदले में वो शरारत से मुस्कुरा पड़ी।
थोड़ी देर में एम-डी मेरे केबिन में आया। “मुझे पहले ही समझ जाना चाहिये था कि तुम चुदाई में व्यस्त हो, इसलिये समय नहीं मिल रहा”, एम-डी हँसा, “सुनील! मुझे मिस्टर खोसला के साथ हुई तुम्हारी मीटिंग की डिटेल्स चाहिये।”
“क्या आपने वो रिपोर्ट देखी नहीं?” मैं चौंक पड़ा था। फिर आयेशा की ओर देखते हुए मैंने पूछा, “मैंने तुम्हें मिस्टर खोसला की रिपोर्ट डिकटेट करायी थी, वो कहाँ है?”
“अगर आपने डिकटेट करायी होती तो मैं उसे टाईप ना कर देती। मैं अपने काम में पूरी तरह पाबंद हूँ”, आयेशा अपनी बात पे जोर देती हुई बोली।
करीब दस मिनट के बाद एम-डी ने कहा, “नसरीन इसकी डेस्क पूरी तरह देख चुकी है… वो वहाँ नहीं है।”
“आयेशा! ये तुमने क्या किया, जरा अपने दिमाग पे जोर दो”, मैंने फिर कहा।
“मैं कैसे सोचूँ… जब एक लंड मेरी चूत को इतनी जोर से चोदे जा रहा है”, आयेशा ने शिकायत की।
“आयेशा या तो अपने दिमाग पे जोर दो नहीं तो मैं तुम्हारी चूत को चोदना बंद कर दूँगा”, मैंने उसे धमकाते हुए कहा।
“नहीं सर! ऐसा मत करना, मुझे याद आ रहा है… मैंने वो रिपोर्ट मीना मैडम को दी थी”, आयेशा ने कहा।
“सर आपको तकलीफ हुई… उसके लिये माफी चाहता हूँ”, मैंने एम-डी से कहा।
“मिस्टर खोसला दो बजे ऑफिस आने वाले हैं, कांट्रैक्ट साइन करने कि लिये, मैं चाहता हूँ कि उस समय तुम भी वहाँ मौजूद रहो”, एम-डी ने कहा और केबिन के बाहर चले गये।
शनिवार कि सुबह ही रूही, फातिमा और आर्यन के साथ मेरे घर पहुँच गयी। एक दूसरे को नमस्ते करने के बाद आर्यन ने लड़कियों को अपनी बाँहों में ले लिया, “आओ मैं तुम्हें बताता हूँ कि तुम लोग पूरे हफ़्ते क्या मिस करती रही हो।” हँसते और खिलखिलाते हुए वो लड़कियाँ आर्यन को बेडरूम में घसीट के ले गयीं।
लड़के भी पीछे नहीं थे। “फ़ातिमा खाने से पहले क्या तुम एक स्पेशल कॉकटेल पीना पसंद करोगी जिसमें हमारे लंड का पानी मिला हो?” उन्होंने दूसरे बेडरूम की ओर इशारा करते हुए कहा। “हाँ फिर तो मज़ा आ जायेगा”, फातिमा चहकते हुए बोली।
“आर्यन को तो अब एक ही शौक रह गया है, चोदना, चोदना और सिर्फ़ चोदना। जबसे तुम लोग गये हो, आबिदा और सलमा, दोनों रात में उसके साथ सोती हैं। वो रात को तो उनको चोदता ही है पर दिन में जब भी मौका मिलता है अपना लंड उनकी चूत में पेल देता है”, रूही ने आर्यन की ओर देखते हुए कहा।
“मज़े करने दो उसे! क्या शुक्रवार को सायरा आयी थी?” प्रीती ने पूछा।
“हाँ आयी थी। आर्यन उसका इंतज़ार कर रहा था और जैसे ही वो आयी उसे अपने कमरे में ले गया। वो शाम को घर जाने के समय ही बाहर आयी”, रूही ने हँसते हुए जवाब दिया।
“फिर उसके काम का क्या हुआ?” प्रीती ने पूछा।
“मैं ये बर्दाश्त नहीं करती कि काम बाकी पड़ा रहे। उसका काम आबिदा और सलमा को करना पड़ा”, रूही ने जवाब दिया।
“क्या उन्हें बुरा नहीं लगा?” प्रीती ने पूछा।
“नहीं… वो दोनों आर्यन से बहुत मोहब्बत करती हैं। आबिदा से तो मुझे ये भी पता चला कि सायरा की तीन छोटी बहनें हैं। और जब वो बड़ी हो जायेंगी तो सायरा पहली बार आर्यन से ही उनकी चुदाई करवायेगी”, रूही ने जवाब दिया।
“क्यों ना खाने के पहले ड्रिंक्स और थोड़ी चुदाई कर ली जाये?” मैंने रूही से पूछा।
“मुझे तो लग रहा था कि तुम पूछोगे ही नहीं”, रूही हँसते हुए बोली।
जब हम रूही की चुदाई कर चुके थे तो रूही ने पूछा, “क्या तुम्हारे एम-डी आ रहे हैं?”
“हाँ! वो आ रहे हैं। मैंने उन्हें तुम्हारे बारे में बताया था। वो तुम्हें चोदने की फ़िराक में है”, मैंने जवाब दिया।
“अगर वो तुम्हें चोदे तो तुम्हें बुरा तो नहीं लगेगा?” प्रीती ने पूछा।
“नहीं! बुरा क्यों लगेगा? मैं तुम्हारे एम-डी को बरसों से जानती हूँ। वो कई सालों से मेरे पीछे पड़ा हुआ है। जब भी मैं अपने शौहर के साथ क्लब में उससे मिलती तो वो मुझे छेड़ने से बाज़ नहीं आता था। पर अब जब कि मैं बेवा हो चुकी हूँ तो मैं भी उससे चुदवाना चाहुँगी”, रूही ने जवाब दिया।
“उससे चुदवाकर तुम्हें पछतावा नहीं होगा। एम-डी जानता है कि औरतों को खुश कैसे किया जाता है”, प्रीती ने हँसते हुए कहा।
“उम्मीद है ऐसा ही होगा! उसे चुदाई की काफी प्रैक्टिस है”, रूही बोली।
पार्टी रात को सात बजे शुरू होने वाली थी। साढ़े छः बजे दरवाजे की घंटी बजी। “इस समय कौन हो सकता है?” प्रीती ने पूछा।
“आयेशा ही होगी!” मैंने जवाब दिया।
“मैंने तो सोचा था कि तुम उसे नहीं बुलाने वाले हो!” प्रीती ने कहा।
“पहले मैं उसे नहीं बुलाना चाहता था। पर जो खेल आज की रात के लिये मेरे दिमाग में है, उसके लिये एक लड़की कम पड़ रही थी… सो मैंने उसे बुला लिया”, मैंने प्रीती को समझाया।
“कैसा खेल?” रूही ने उत्सुक्त में पूछा।
“उसके लिये तुम्हें थोड़ा इंतज़ार करना होगा”, मैंने आयेशा को अंदर लेते हुए कहा।
हमेशा की तरह आयेशा बहुत ही सुंदर लग रही थी। उसने बहुत ही अच्छा मेक-अप किया हुआ था और आसमानी नीले रंग का बहुत ही सैक्सी सलवार-कमीज़ और उससे मैचिंग सफ़ेद रंग के हाई-हील के सैंडल पहन रखे थे। “आओ आयेशा! तुम्हारा स्वागत है”, प्रीती ने कहा। “मेरे करीब तो आओ जरा ताकि मैं तुम्हें अच्छी तरह निहार सकूँ।”
एक प्यारी मुस्कान के साथ आयेशा प्रीती के सामने एक मॉडल की तरह खड़ी हो गयी। “बहुत सुंदर लग रही हो… एक दम किसी अप्सरा की तरह”, प्रीती ने उसे गले लगाते हुए कहा, “लेकिन तुम्हारी आँखें सुर्ख क्यों हैं, क्या तुम रोती रही हो?”
उसकी आँखों में तुरंत ही आँसू आ गये और उसने गर्दन हिला दी, “हाँ!”
“क्या हुआ…? बताओ मुझे”, प्रीती ने पूछा।
“उन्हें सब मालूम पड़ गया है! ऑफिस में क्या होता है और आपके घर पर क्या-क्या होता है”, उसकी आँखों से आँसू बह रहे थे।
“ओह गॉड! फिर तो तुम्हारे अब्बा ने जमकर डाँट लगायी होगी तुम्हें?” मैंने कहा।
“हाँ! उन्होंने जरूर मेरी ठुकाई की होती अगर अम्मी ने उन्हें रोक ना दिया होता”, आयेशा ने नज़रें झुकाते हुए कहा।
“तुम्हारी अम्मी ने उन्हें रोका???” मैं आगे कहना चाहता था कि आयेशा हँस पड़ी, “सर! ये मगरमछी आँसू थे। पर ये सच है कि उन्हें सब पता चल गया है।”
“आयेशा थोड़ा सीरियस होकर सब सच-सच बताओ”, मैं थोड़ा जोर से बोला।
“सर! जब मैंने अब्बा से आज की रात को आने के लिये उनकी इजाज़त चाही तो वो मुझ पर बरस पड़े। कहने लगे कि वो सब जानते हैं कि वहाँ ऑफिस में और आपके घर पर क्या होता है।”
“वो इतना गुस्से में थे कि फिर अम्मी को बीच में आना पड़ा और उन्होंने सब उन्हें शुरू से बता दिया।”
“पर तुम्हारी अम्मी को कैसे पता चला?” प्रीती ने पूछा।
“जब एक महीने मुझे महावारी नहीं हुई थी तो उन्हें शक हो गया था। तब मैंने अम्मी से कहा था कि वो सच कह रही हैं, और मैंने उन्हें बताया कि कैसे प्रीती जी ने मेरा खयाल रखा था। तब अम्मी ने मुझसे कहा कि जो हो चुका है वो वापस नहीं आ सकता… बस मैं एक बात का खयाल रखूँ कि घर की बदनामी ना हो।”
“बस फ़िर क्या था… मैं तुरंत तैयार हुई और यहाँ चली आयी। सॉरी मैं थोड़ा जल्दी ही आ गयी।” आयेशा ने अपनी कहानी पूरी करते हुए कहा।
हम लोग बातों को और आगे बढ़ाते कि दरवाजे की घंटी बजी। “रुको मैं देखता हूँ”, कहकर मैं दरवाजे की ओर बढ़ा।
जैसे ही मैंने दरवाजा खोला मैंने रूही को प्रीती से कहते सुना, “मैं अभी दो मिनट में आती हूँ।”
मैं एम-डी और उनके परिवार को अंदर लेकर आ गया। साथ ही अनिता और मीना भी आ गये। इस तरह सभी मेहमान आ चुके थे। आपस में परिचय और स्वागत के बाद एम-डी ने मुझसे पूछा, “सुनील! रूही कहाँ है?”
“हाय सुनीलू! मैं तुम्हारे पीछे खड़ी हूँ”, रूही ने कहा। इस कहानी के लेखक सुनील अग्रवाल है!
“हाय रूही मेरी जान!” एम-डी ने उसे गले लगाते हुए कह।, “तुम पहले से भी कहीं ज्यादा खूबसूरत और जवान लग रही हो।”
“तुम पहले से जरूर थोड़े उम्र में बड़े लग रहे हो पर आज भी कोई भी औरत तुम्हारी ख्वाहिश कर सकती है”, रूही ने जवाब दिया।
“दोस्तों! इससे पहले कि हम बातचीत का दौर आगे बढ़ायें, क्यों ना हम सब अपने कपड़े उतार कर एक दूसरे से घुल मिल जायें”, मैंने घोषणा करते हुए कहा।
सब लोग अपने कपड़े उतार कर नंगे हो गये और ड्रिंक्स पीते हुए आपस में बातें करने लगे। औरतों ने सिर्फ अपने ऊँची ऐड़ी के सैंडल पहने हुए थे।
रूही के नंगे बदन को अपनी गिरफ़्त में लेकर एम-डी ने उसके मम्मों को मसल दिया। “रूही! आज मैं तुम्हें दिल भर के चोदूँगा। याद है मैंने तुमसे कहा था कि एक दिन मैं तुम्हें जरूर चोदूँगा।”
“उन दिनों का तो मुझे पता नहीं कि तुम मुझे चोद पाते कि नहीं… हाँ! आज जब मैं बेवा हो गयी हूँ तो जिससे मेरा मन करे उससे चुदवा सकती हूँ”, कहकर रूही ने जोर से एम-डी के खड़े लंड को भींच दिया, “आज मैं तुम्हारे लंड से एक-एक बूँद निचोड़ लूँगी।”
“सुनील कह रहा था कि तुम्हारी चूत काफी कसी हुई और गरम है!” एम-डी ने उसके मम्मों को मसलते हुए कहा।
“चोद कर खुद देख लो!” रूही हँसते हुए उसके लंड को और रगड़ने लगी।
“रूही! क्या तुम उस लड़की को जानती हो जो आयेशा से बात कर रही है?” एम-डी ने पूछा।
“वो मेरी बेटी फातिमा है”, रूही ने जवाब दिया।
“क्या उसकी भी चूत तुम्हारी चूत की तरह गरम है?” एम-डी ने पूछा।
“उसकी भी चूत को चोद के देख लो…” रूही ने हँसते हुए जवाब दिया।
“हाँ! मैं चोद के जरूर देखूँगा। लेकिन पहले तुम्हारी चूत को और फिर तुम्हारी बेटी की चूत को”, एम-डी जोर-जोर से उसकी चूचियों को मसलते हुए कहा।
“फातिमा! जरा यहाँ तो आना”, रूही ने आवाज़ लगायी। फातिमा अब तक काफी शराब पी चुकी थी और ऊँची ऐड़ी के सैंडलों में लड़खड़ाती उनके पास आयी। रूही ने उसका परिचय कराया, “इनसे मिलो! ये हमारे परिवार के पुराने जान पहचान वालों में से हैं और तुम्हारी सहेली रजनी के अंकल भी… मिस्टर सुनीलू।”
“सलाम सर!” फातिमा ने थोड़ा सा सर झुका कर उसे सलाम किया।
“मेरे पास आओ!” एम-डी ने कहा, “जरा तुम्हारे बदन की गरमाहट को महसूस करने दो।” फिर एम-डी ने फातिमा की चूचियों को जोर से मसलते हुए कहा, “तुम्हारी चूचियाँ कितनी भरी भरी हैं। लगता है कि तुम्हें चोद कर मुझे काफी आनंद आयेगा।”
“उम्मीद करती हूँ कि आपके लंड में इतना पानी हो कि वो हम दोनों की चूत कि प्यास बुझा सके”, कहकर फातिमा ने एम-डी के लंड को जोर से मसल दिया।
“प्लीज़ सब लोग मेरी बात पर ध्यान दें…” मैंने जोर से चिल्लाते हुए कहा, “आज की पार्टी का थीम है माँ-बेटी। पहले मैं आप सबसे उन चूतों का परिचय करा दूँ जो आज की रात माँ-बेटी की जोड़ी बन कर आयी हैं। पहली जोड़ी है मिली और टीना की!” कमरे में जोर की ताली बजने लगी।
“दूसरी जोड़ी है योगिता और रजनी की, तीसरी है अनिता और मीना की, और आखिरी है रूही और फातिमा की। उसके बाद हमारे बीच हैं, दो सगी बहनें, अंजू और मंजू और उनका साथ दे रही हैं मेरे सालों की बीवियाँ सिमरन और साक्षी। और आखिर में है मेरी बीवी प्रीती और और सुंदर आयेशा। प्लीज़ सब इनका जोर से ताली बजा कर स्वागत करें।”
कमरे में जोर की तालियों की गड़गड़ाहट गूँज पड़ी। शराब पानी की तरह पी जा रही थी और सब नशे और मस्ती में चूर थे। “आज की रात हम एक खेल खेलेंगे। हर मर्द अपने पसंद की जोड़ी चुनेगा। वो जोड़ी को अदल-बदल नहीं कर सकता”, मैंने कहा।
“मैं रूही और फातिमा को चुनता हूँ!” एम-डी थोड़े उतावले स्वर में बोला।
“सर! आप थोड़ा सब्र कीजिये। आपकी बारी बाद में आयेगी। पहली बारी जय की है। माँ -बेटी की जोड़ी को इस पार्टी में बुलाया जाये, ये सुझाव उसका था और इसलिये पहला हक उसका बनता है। जय के चुनने के बाद उम्र को महत्व दिया जायेगा। जय तुम किसे चुनना चाहोगे?” मैंने कहा।
“एम-डी को अपनी पसंद लेने दो! मैं अनिता और मीना को चुनता हूँ”, जय ने उन दोनों को अपनी बाँहों में भरते हुए कहा।
एम-डी के बाद मैं ही उम्र में बड़ा था। सो मैंने मिली और टीना को अपनी बाँहों में भर लिया। उसके बाद पसंद चलती रही और परिणाम ये था कि राम ने योगिता और रजनी को चुना। श्याम ने अंजू और मंजू दोनों बहनों को। विजय ने अपने आपको सिमरन और साक्षी के साथ कर लिया। आर्यन अपनी पुरानी दो प्रेमिकाओं, प्रीती और आयेशा को पाकर खुश था।
“सुनील तुमने ये नहीं बताया कि खेल क्या है?” अनिता ने जय के लंड को अपने ग्लास में डालकर शराब में नहलाते हुए पूछा।
मेरे लिविंग रूम के कोने में बने बार की तरफ इशारा कर मैंने कहा, “जो भी चाहे बार से ड्रिंक ले सकता है। जी भर कर पीजिये और मैं खेल और उसके नियम आप सबको १५ मिनट बाद बताऊँगा। सो प्लीज़ आप सब इंजॉय करें और १५ मिनट का इंतज़ार।” Hindi Sex Stories
Xxx मेड फक कहानी में मैं मुठ मार के गुजरा करता था. हमारी काम वाली आंटी को पता चल गया, उन्होंने मेरी गर्लफ्रेंड के बारे में पूछा. तो मैंने आंटी को ही मदद करने को कहा.
दोस्तो, मेरा नाम जीत है. मैं यूपी का रहने वाला हूं.
मेरी उम्र अभी 25 साल है, हाइट 5 फुट 7 इंच है और मेरा लौड़े का साइज 6 इंच है.
यह Xxx मेड फक कहानी एकदम सच्ची है.
यह बात एक साल पहले की है.
हमारे घर पर एक काम वाली आंटी काम करने आती थीं.
उन आंटी का नाम कोमल था.
उनका रंग सांवला था.
आंटी थोड़ी मोटी भी थीं, लेकिन बहुत ही सेक्सी फिगर की थीं.
एक दिन मैं अपने दोस्तों के साथ घूम रहा था तो हम दोनों हस्तमैथुन की बात करने लगे.
बातचीत के दौरान उसने कहा- मैं तो लंड पर कंडोम पहन कर मुठ मारता हूँ और वैसे ही अपने लौड़े को कंडोम पहनाए हुए ही सो जाता हूँ.
मैंने कहा- इसमें क्या खास बात है?
वह बोला- खास-वास कुछ नहीं है, बस उस वक्त जो नशा चढ़ता है ना तो लगता है कि कौन लंड धोने जाए … बस ऐसे ही पड़े रहो. बिस्तर के कपड़े भी खराब नहीं होते और मजा भी पूरा आआ है. तू कैसे मुठ मारता है?
मैंने कहा- मैं तो मुठ मार कर टिश्यू पेपर से लंड पौंछ लेता हूँ.
वह कुछ नहीं बोला.
फिर उसने कहा- अरे यार, मुझे तो डॉटिड कंडोम में हाथ चलाने में मजा आता है.
उसकी यह बात सुनकर मुझे भी लगा कि एक बार तो कंडोम लगा कर देखना चाहिए कि कैसा लगता है.
कुछ देर बात करने के बाद उस दोस्त ने मुझे अपने पास से एक कंडोम का पैकेट दे दिया और कहा- ट्राई करके देख.
मैंने भी वह कंडोम का पैकेट अपनी जेब में रख लिया.
मैं शाम को अपने घर आया तो मैंने सोचा कि मैं इस कंडोम को यूज कर लेता हूँ.
मेरा कमरा अलग था तो अपने कमरे में गया और दरवाजा बंद कर दिया.
मैंने अपने कपड़े उतार दिए और अपने लौड़े पर कंडोम चढ़ाने लगा.
पर लंड तो ढीला था तो मैंने सोचा कि पहले इसको कड़क करता हूँ.
मैंने अपने लौड़े पर थूक लगा कर हिलाना शुरू कर दिया.
कुछ देर बाद मेरा लंड सख्त हो गया.
अब मैंने कंडोम का रैपर फाड़ा और उसे अपने लौड़े पर चढ़ा दिया.
उसके बाद मैंने कुछ देर तक मुठ मारी और झड़ गया.
सच में बड़ा मजा आया.
न साला हाथ धोना पड़ा और ना लंड.
फिर मैं बिना कंडोम निकाले यूं ही ही सो गया.
बड़ी गहरी नींद आई.
सुबह सुबह कोमल आंटी की आवाज आई- जीत बेटा दरवाजा खोलो.
मैं एकदम से हड़बड़ा कर उठा और अपने लंड को देख कर मैंने कहा- हां आंटी, बस अभी आया … आप एक मिनट रुको.
मैंने झट से लंड से कंडोम निकाला और बेड के गद्दे के नीचे घुसा दिया.
फिर मैंने जल्दी से अपने कपड़े पहने और दरवाजा खोल दिया.
कोमल आंटी ने कहा- 8 बज रहे हैं … उठना नहीं था क्या?
कोमल आंटी मुझसे थोड़ा फ्रेंडली थीं तो मैंने कहा- आपके ही उठाने का इंतजार कर रहा था.
वे हंसने लगीं.
फिर मैं फ्रेश होने चला गया.
जब मैं अपने कमरे में आया तो देखा कि साला कंडोम तो आधा ही गद्दे के नीचे घुसा हुआ है और कोमल आंटी भी उसी के सामने पौंछा लगा रही हैं.
मैंने जैसे ही कंडोम को अन्दर घुसाने की कोशिश की, आंटी ने मुझे देख लिया.
आंटी मुझसे बोली- यह कंडोम यहां क्या कर रहा है?
जैसा कि मैंने आपको बताया कि कोमल आंटी मुझसे थोड़ा फ्रेंडली थीं.
तो मैंने मुस्कुराते हुए कहा- कुछ नहीं आंटी, यह गलती से रह गया था.
आंटी ने कहा- इसे तो तुरंत ही फेंक देना चाहिए था ना!
मेरी जगह कोई और होता तो शायद तुरंत उनकी बात को पकड़ लेता कि वे क्या कहना चाहती हैं.
लेकिन मैंने कहा- आंटी यह तो अभी निकाला है, इसलिए मैंने यहीं रख दिया था.
आंटी आश्चर्य से बोलीं- क्या तूने यह अभी यूज़ किया है?
मैंने कहा- नहीं, यूज़ तो रात को किया था … पर इसे लगा कर ही सो गया था. अब निकाल कर रखा था.
वह बोलीं- छी: तेरे कच्छे में तो बास भी भर गई होगी!
मैंने कहा- अरे ऐसे कैसे कच्छे में बास भर गई होगी? चाहे तो आप सूंघ लो.
आंटी हंसने लगीं और बोलीं- किसी को लेकर भी आया था … या अपने हाथ से ही काम चलाया था?
मैंने कहा- ऐसी किस्मत कहां है मेरी, जो कोई मेरे साथ सेक्स करे!
कोमल आंटी ने कहा- दिखने में तो इतने हैंडसम हो, फिर भी तुझे हाथ से काम चलाना पड़ रहा है!
मैंने कहा- क्या करूँ आंटी … आप भी तो मेरे लिए कुछ नहीं सोचतीं.
यह सुनकर आंटी ने मेरे हाथ से एकदम कंडोम छीन लिया और बोलीं- जीत, ज्यादा मत बोला करो … मैं तुम्हारी आंटी हूँ … तुम्हारे पास मेरे लायक लंड भी नहीं होगा.
मैंने उनके मुँह से लंड शब्द सुना तो समझ गया कि आंटी लंड के नीचे आने को राजी हैं.
मैंने कहा- बड़े छोटे से कुछ नहीं होता आंटी … लंबी रेस का घोड़ा होना चाहिए.
तभी आंटी ने कंडोम को सीधा किया और हैरानी से बोलीं- क्या तुम्हारा इतना बड़ा है या तुमने इसे खींच कर लंबा कर दिया?
यह कह कर वे हंसने लगीं.
इतनी सेक्सी बात सुनते सुनते मेरा लंड खड़ा हो गया था.
मैंने आंटी का हाथ अपने लौड़े पर रखा और कहा- खुद ही देख लो आंटी … मेरा हथियार आपकी फटी हुई चुत को मजा दे सकता है!
आंटी ने एकदम से लौड़े से हाथ हटाया और बोलीं- हट बदतमीज, कोई देख लेगा.
अब मुझ पर अपना काबू नहीं रहा.
मैंने आंटी की एक चूची पकड़ कर भींच दी.
आंटी ‘आउच.’ कह कर उचक गईं.
मैंने आंटी से कहा- आंटी, मुझे अब आपके साथ सब कुछ करना है.
वे बोलीं- कोई आ जाएगा, अभी मुझे जाने दो … मैं जा रही हूं.
आंटी मुझसे छूट कर चली गईं.
मैंने आंटी के जाने के बाद उनकी चूचियों का अहसास करते हुए मुठ मार ली.
मैं समझ गया था कि आंटी को लंड के नीचे लाना कोई बड़ी बात नहीं है. साली चुत चुदवाने के कुछ पैसे ही तो लेगी.
उस दिन आंटी चली गईं.
उसके बाद से जब भी आंटी मेरे कमरे में आतीं, मैं उनके ब्लाउज में सौ का नोट फंसा देता कि आंटी एक बार चूसने दो ना.
आंटी हँसती हुई मुझसे अपने दूध दबवा लेतीं और कभी कभी मैं उनके ब्लाउज को उठा कर निप्पल चूस भी लेता.
हर बार आंटी को सौ का नोट मिलता तो वे और ज्यादा प्यार से चूचे दबवा लेतीं.
कभी कभी मैं उनकी टांगों के बीच में भी हाथ डाल कर उनसे चुत चुदवाने की बात कर लेता तो वे कुछ नहीं कहतीं.
कुछ दिनों तक ऐसे ही चलता रहा.
एक दिन घर के सभी लोग एक फंक्शन में दो दिन के लिए गए हुए थे.
मैं नहीं गया था.
मैंने सोच लिया था कि आज आंटी की लेना ही है.
शाम को आंटी आईं और बोलीं- सभी लोग कहां पर हैं?
मैंने कहा- वे सभी एक-दो दिन के लिए एक रिश्तेदार के यहां गए हैं.
आंटी मुस्कुराने लगीं.
मैंने कहा- यहां पर सिर्फ आप और मैं ही रह गए हैं.
वे बोलीं- तो क्या करूँ?
मैंने लंड सहला कर कहा- आंटी, आज आप कुछ नहीं करोगी. आज मैं आपकी चुत चुदाई करूंगा.
आंटी ने हँसते हुए झाड़ू लगाना शुरू कर दिया.
मैंने उनकी गांड को देखा तो मेरा लंड मचलने लगा था.
पीछे से उनकी गांड मुझे मदहोश कर रही थी.
मैंने एकदम से आंटी को पीछे से पकड़ लिया और उनके मोटे मोटे चूचे दबाने लगा.
कोमल आंटी ने कहा- जीत, यह तुम क्या कर रहे हो … ऐसा मत करो.
मैंने आंटी को बेड पर गिरा लिया और कोमल आंटी की चूची दबाते हुए उनके होंठों चूसने लगा.
आंटी ने भी मेरे लौड़े को अपने मुलायम हाथों से भींच लिया.
कुछ 5 मिनट तक हम ऐसे ही करते रहे.
आंटी ने मेरे कपड़े निकाल दिए.
तो मैंने भी आंटी की साड़ी और ब्लाउज निकाल दिए.
आंटी जितनी मोटी थीं, उतनी ही बिल्कुल टाइट चूचियां थीं.
उनकी ब्रा सफेद रंग की ओर कच्छी नीले रंग की थी.
आंटी मेरे लौड़े को पकड़ कर हिलाती हुई बोलीं- आगे को आ जाओ.
उन्होंने मेरे लौड़े को अपने मुँह में भर लिया.
अब आंटी मेरे लौड़े को चूस रही थीं.
तभी मैंने आंटी की ब्रा उतार दी.
आंटी के निप्पल काले थे.
मैं उनके निप्पल दबाने लगा.
आंटी को मेरा लंड को चूसते चूसते 15 मिनट हो गए थे.
तब आंटी ने कहा- अब तुम मेरी चाटो.
मैं आंटी की किस करते-करते नीचे आ गया.
मैंने आंटी की पैंटी निकाल दी.
आंटी की चूत पर काली झांटें थीं.
मैंने अपनी उंगली से आंटी की चूत खोली और चूत में उंगली डाल दी. फिर जीभ से चाटने लगा.
आंटी ने मेरे सर को पकड़ कर अपनी चूत पर दबा लिया.
मैं अपनी उंगली जोर-जोर से अन्दर बाहर कर रहा था.
आंटी की चूत पूरी तरह से गीली थी.
वे सिसकारियां भरने लगीं- उई आ अम्म चाट जीत चाट मेरे भोसड़े को.
उनकी झांटें मेरे चेहरे पर लग रही थीं.
अब मुझसे रहा नहीं जा रहा था.
मैंने आंटी से कहा- आंटी, अपने पैर चौड़े कर लो.
आंटी ने अपने पैर चौड़े कर लिए.
फिर मैंने अपना सख्त लौड़ा उनकी चूत पर रखा और हल्का सा धक्का लगाया तो मेरा लंड अन्दर घुस गया.
आंटी अपनी दोनों आंखें बंद करके अपनी चूची दबाने लगीं.
मैं तेज तेज धक्के मारता हुआ आंटी की चूत चोदने लगा.
मैंने आंटी से कहा- आंटी, आप मेरे लौड़े के ऊपर आ जाओ.
मैं बेड पर लेट गया.
अब आंटी ने मेरे लौड़े को अपनी चूत में डाल लिया और ऊपर नीचे होने लगीं.
आंटी थोड़ी मोटी थीं तो वे कुछ ही देर में थक गईं.
वे बोलीं- मुझसे नहीं हो पा रहा, अब तुम करो.
मैंने आंटी को घोड़ी बना लिया.
आंटी की झांटें बहुत बड़ी थीं इसलिए चूत खोल कर अपना लंड पूरा एक ही बार में डाल दिया.
आंटी- उई आह थोड़ा आराम से करो.
मैंने जैसे ही धक्के देने चालू किए, आंटी के चूतड़ मेरी जांघों पर लगने लगे थे.
Xxx मेड फक करने में मुझे बहुत मजा आ रहा था.
मैं झड़ने वाला था तो मैंने लौड़े को गर्म चूत से बाहर निकाला और आंटी की गांड से कमर तक अपने माल की बूंदें गिरा दीं.
फिर हम दोनों शान्त हो गए.
मैं आंटी के ऊपर ऐसे ही लेट गया.
आंटी बोलीं- मैं इतने दिनों से काम कर रही हूं, ये काम तो तुझे पहले ही कर देना चाहिए था!
मैंने कहा- आंटी कोई बात नहीं, अब से तो शुरू हो गया!
उसके बाद मैंने कहा- आज आप यहीं रुक जाओ. रात भर चुदाई का मजा लेंगे.
वे कुछ देर सोचने के बाद राजी हो गईं।
उन्होंने अपने घर फोन कर दिया कि आज रात वे मेरे घर रुकेंगी.
बस फिर क्या था … मैं और आंटी ने सारी रात चुदाई का मजा लिया.
मैंने आंटी की चुत की झांटें साफ कीं और जबरदस्त चुदाई की.
दोस्तो, यह मेरी सच्ची सेक्स कहानी है. आपको कैसी लगी प्लीज बताएं.
मेरी अभी कुछ सेक्स कहानी और भी हैं जो एकदम सच्ची हैं. उनको मैं Xxx मेड फक कहानी पर आपके कमेंट्स पढ़ने के बाद लिखूँगा.
राज का मन बार बार Antarvasna रूपल को सोच सोच कर तड़प जाता था। जाने रूपल में क्या ऐसी कशिश थी कि उसका दिल उसकी ओर खिंचा जाता था। साहिल की तकदीर अच्छी थी कि उसे ऐसी रूपमती बीवी मिली थी। आज भी राज का लण्ड उसके बारे में सोच सोच कर तन्ना उठा था। अंजलि राज की पत्नी थी, पर कहते हैं ना दूसरो की चीज़ हमेशा अच्छी लगती है, शायद राज का यही सोचना था। उधर अंजलि भी साहिल पर शायद मरती थी। ऐसा नहीं था था रूपल और साहिल भी राज और अंजलि की तरफ़ आकर्षित नहीं थे, उनका भी यही हाल था।
आज सवेरे भी ऑफ़िस जाने से पहले राज साहिल के घर की ओर मुड़ गया। उसे कोई काम नहीं था, बस उसे रूपल से मिलने की चाह थी। आशा के मुताबिक रूपल घर में ही थी और घर का काम कर रही थी। रूपल ने ज्योंही राज को देखा, उसका दिल खिल उठा। राज किचन में आ गया और बातों बातों में रूपल को हमेशा की तरह छूने लगा।
हमेशा की तरह रुपल ने भी कोई विरोध नहीं किया, बल्कि उसे तो और अच्छा लग रहा था। आज राज ने थोड़ी और हिम्मत की और धीरे से रूपल के गाण्ड के गोलों पर अपना हाथ फ़ेर दिया। रूपल के बदन में सनसनी सी फ़ैल गई। जब राज ने कोई प्रतिक्रिया नहीं देखी तो उसने फिर से नीचे हाथ ले जा कर उसके एक चूतड़ के गोले को दबा दिया। उसके नरम से चूतड़ का स्पर्श राज के मन में बस से गये।
रूपल का बदन कांप सा गया। रास्ता साफ़ था… वो एक कदम और आगे बढ़ गया और उसकी गाण्ड में अपनी अंगुली दबा दी। रूपल ने भी मामला साफ़ करने की गरज से पहले तो उसकी अंगुली को अपने चूतड़ों के बीच दबा लिया, फिर धीरे से पीछे उसके सीने पर अपना सर रख दिया।
राज का मन बाग बाग हो गया। उसने धीरे से रूपल के उभरे हुये स्तन पर अपना हाथ रख दिया। राज को उसके दिल की धड़कन साफ़ महसूस होने लगी थी। रूपल के स्तन दब गये और वातावरण में एक सिसकारी गूंज गई। राज का लण्ड तन्ना उठा और उसके चूतड़ो की दरार में घुसने को इधर उधर ठोकरें मारने लगा। राज का चेहरा रूपल के चेहरे पर झुक गया और उसके अधर अपने अधरों से दबा दिये। रूपल का चेहरा तमतमा उठा, उस पर ललाई फ़ैल गई।
‘राज, अह्ह्ह्ह प्लीज…’ रूपल उसके मोहक स्पर्श से थरथरा उठी। उसके कोमल होंठ फ़ड़फ़ड़ाने लगे थे। तभी मोबाईल बज उठा। वो जैसे मदहोशी से जाग गई। शरमा कर वो भाग खड़ी हुई और मोबाईल उठा लिया।
साहिल का फोन था वो एक घण्टे के बाद घर आने वाला था। राज ने रूपल को फिर से दबाने की कोशिश की, पर रूपल ने उसे मना कर दिया।
‘देखो साहिल आने वाला है, फिर कभी…’और वो एक बार फिर शरमा गई।
‘बस एक बार! फिर मैं जाता हूँ…’ उसने अपना सर झुका लिया। राज ने उसे खींच कर अपने से चिपका लिया और उसके अधर चूसने लगा। उसके हाथों ने उसकी चूत दबा दी। वो थोड़ा सा कसमसाई और अपने आप को छुड़ा लिया।
अपने होंठों को पोंछती हुई वो मुसकराई।
राज का दिल अब ऑफ़िस जाने को नहीं कर रहा था, सो वह घर की ओर मुड़ गया। रास्ते से उसने मिठाई का डब्बा भी पैक करा लिया था। उसने कार पार्क की और सीढ़ियाँ चढता हुआ अपने फ़्लैट तक आ गया। दरवाजा अन्दर से बन्द था। अन्दर से बातें करने की आवाजें आ रही थी। उत्सुकतावश वो बगल की खिड़की पर गया और एक टूटे हुये शीशे में से उसने झांक कर देखा।
साहिल ने अंजलि को अपनी गोदी में बैठा रखा था और अंजलि बेशर्मी से उसके गले में बाहें डाल कर उसे चूमे जा रही थी। साहिल उसकी चूचियों को सहला रहा था। राज जलन के मारे भड़क उठा।
उसके हाथों की मुठ्ठियाँ कसने लगी। जैसे तैसे उसने अपने आप को काबू किया और सीढ़ियाँ उतर कर नीचे आ गया। उसने नीचे जा कर अंजलि को फोन किया।
अंजलि ने बताया कि साहिल भैया भी आये हुये हैं। साहिल ने अपने आपको ठीक किया और जल्दी से जाकर दरवाजा खोल दिया। फिर वापस आकर शरीफ़ों की तरह सोफ़े पर बैठ गया। राज शान्त हो कर अन्दर आ गया।
‘लो मिठाई खाओ… आज बहुत शुभ दिन है…!’ राज ने जले हुये अन्दाज से कहा।
‘क्या बात है… हमें भी तो बताओ?’ साहिल ने पूछा।
‘भई, आज मुझे मेरा एक पुराना साथी मिल गया, बड़ी खुशी हुई मुझे!’
मन में गुस्सा तो भरा था पर उसने साहिल की बीवी रूपल को आज खूब दबाया था, यही मन में तसल्ली थी। अंजलि को भी राज ने साहिल को दबाते हुये देख लिया था, फिर बात बराबर सी हो गई थी। साहिल की बीवी के स्तन, चूतड़ों को मसलने पर उसके पति को मिठाई खिलाना उसके मन को तसल्ली दे रहा था।
दूसरे दिन राज रूपल के फोन पर जल्दी बुलाने से वो उसके यहाँ फ़टाफ़ट पहुँच गया। राज़ जल्दी से अन्दर लेकर रूपल ने उसे चूम लिया।
‘जानती हो कल मैंने साहिल को मिठाई खिलाई!’
‘अच्छा, कोई खास बात थी क्या?’
‘तुमसे मजे जो किए थे… पर एक बात बात कांटे की तरह मुझे तड़पा रही है।’
‘धत्त… ये भी कोई बात हुई… वैसे क्या बात तड़पा रही है?’ रूपल ने हंसते हुये कहा।
‘बुरा ना मानो तो बताऊँ…?’
‘मुझे पता है… पर तुम बताओ…!’
राज ने उसकी तरफ़ आश्चर्य से देखा और कहा- तुम्हें कुछ नहीं मालूम रूपल! साहिल अंजलि से लगा हुआ है मैंने कल खुद देखा है।’
‘तो क्या हुआ, तुम मेरे से लग जाओ…वैसे मुझे यह सब पता है।’ रूपल ने हंसते हुये कहा।
‘क्या कह रही हो? तुमने साहिल को मना नहीं किया?’
रूपल राज के समीप आ गई और उसे मीठी नजरों से देखने लगी।
‘कैसे कहती? उसने भी तो मुझे तुमसे मिलने को कह दिया है ना!’ रूपल ने सर झुका कर बताया।
‘ओह्ह्ह… तो क्या अंजलि भी जान गई है?’ राज का दिल धड़क उठा।
‘हाँ, कल मैंने साहिल को बताया था कि तुमने मुझे कैसे प्यार से दबाया था, उसने आज अंजलि को बता दिया होगा।’
राज ने रूपल को अपनी बाहों के घेरे में ले लिया और उसे चूमने लगा।
‘राज, आज अपन सब मिल कर एक पार्टी रखते है… और फिर तुम मुझे और साहिल अंजलि को… बोलो चलेगा ना?’ रूपल ने कुछ संकोच से कहा।
‘अंजलि क्या कहेगी…?’ राज का लण्ड यह सुन कर खड़ा हो गया। उसे यह सब विश्वस्नीय नहीं लग रहा था। पर ये सब कितना उत्तेजक होगा… अंजलि अपने पति के सामने चुदेगी और रूपल उसके सामने…
‘यह उसी का सुझाव है, मजा आयेगा, एक बार खुल जायेंगे तो कभी भी आकर मुझे…’
रूपल वासना में डूबी जा रही थी। राज का लण्ड रूपल को चोदने को बेताब होने लगा था। और अब यह इतनी रोमान्चक बात… कैसे होगा ये सब… एक दूसरे के सामने… शरम नहीं आयेगी… राज ने अपना सर झटक दिया, उसने सोचा ये औरतें इतनी बेशरम हो सकती है तो फिर मैं तो मर्द हूँ… काहे की शरम करूँ!!!
उसने रूपल को अपनी बाहों में उठा लिया और बिस्तर के पास ले आया।
‘बस करो, अभी नहीं, शाम को करना… बड़ा मजा आयेगा!’
‘पर मेरा मन तो तुम्हें पाने को बेताब हो रहा है!’
‘देखो कितना मजा आयेगा, जब हम चारों ही शरम टूटेगी, मैं तो शरम के मारे मर ही जाऊँगी, जब अंजलि और साहिल के सामने… हाय राम!!!’
राज ने उसे बिस्तर के ऊपर ही उसे हवा में छोड़ दिया और वो धम्म से बिस्तर पर आ गिरी। रूपल उठी और राज को वो लगभग धकेलते हुये बाहर ले आई। फिर एक चुम्मा दे कर मुस्करा दी।
‘शाम को!’
राज मुस्करा उठा और चला गया।
शाम को ऑफ़िस से सीधा घर पहुंचा। अंजलि ने उसे बहुत प्यार से स्वागत किया। कुछ ही देर में वो चाय और नाश्ता ले आई। अंजलि ने सर झुकाये मुझे तिरछी नजरों से देखा और कहा- आज शाम को रुपल के यहाँ पार्टी है… आठ बजे चलना है!’
राज उठा और अंजलि के पीछे जा कर उसके स्तन दबा दिये। अंजलि ने सर उठा कर उसे देखा और राज ने उसके होंठ चूम लिये।
‘तुम बहुत अच्छी हो, थेन्क्स जानू…!’
अंजलि की नजरें झुक गई।
‘सॉरी राज, मैंने तुम्हें साहिल के बारे में कुछ नहीं बताया।’
‘मैंने देख लिया था… बताने की क्या जरूरत थी… आई लव यू डार्लिंग!’
‘ओह्ह, मेरे राज, आई लव यू टू… तुम्हें यह सब देख कर गुस्सा नहीं आया?’ वो राज से लिपट गई।
‘मैं तुमसे बहुत प्यार करता हू, स्वीटी!!! तुम्हें जिससे भी, जैसा भी आनन्द मिले, मेरे दिल को शांति मिलती है… तुम साहिल से खूब मजे लो, पर मुझे अपने दिल में रखना।’ राज भावना में बह कर बोला। अंजलि राज से और चिपक गई।
शाम गहरी होते ही दोनों साहिल के घर पहुँच चुके थे। साहिल राज के पास आ कर बैठ गया और उनके शराब के जाम चलने लगे। रूपल और अंजलि भी धीरे धीरे बातें करने लगी थी।
‘क्या बातें हो रही है?’ साहिल ने पूछा।
दूसरे भाग में समाप्य! Antarvasna
The user agrees to follow our Terms and Conditions and gives us feedback about our website and our services. These ads in TOTTAA were put there by the advertiser on his own and are solely their responsibility. Publishing these kinds of ads doesn’t have to be checked out by ourselves first.
We are not responsible for the ethics, morality, protection of intellectual property rights, or possible violations of public or moral values in the profiles created by the advertisers. TOTTAA lets you publish free online ads and find your way around the websites. It’s not up to us to act as a dealer between the customer and the advertiser.