Important Notice: Click on "Post Your AD" to post free ads !!!

Massage Girl in Dhemaji: Premium Relaxation Services

Our site can help you find a professional massage girl in Dhemaji who will help you relax in the best manner possible. We connect you with professional therapists who can offer you a massage that will make you feel better and more relaxed. The pros on our list are ready to provide you with a fantastic experience at your house or in one of their particular spots, whether you want to relax or get away from it all.

Introduction

Massage is currently one of the finest methods to relax your mind, body, and overall health. Our website makes it easy to locate the top massage services in Dhemaji that meet your demands. This will be a one-of-a-kind and calming experience for you.

Tottaa wants to make it simple for clients to find the top masseuse. The Dhemaji massage service providers on our list offer the greatest quality, comfort, and competence, whether you want a full-body massage or a massage for a particular location.

How Tottaa Helps Advertisers Reach More Customers

Tottaa is not only a list of masseuses, it’s also a secure location for them to show off what they can do. People in Dhemaji who are seeking massage services may find them on our website. This makes them easier to find and gets them more appointments.

Advertisers may simply put up profiles, offer their services, and talk about pricing and discounts on our sites. This makes sure that the relevant people notice your Dhemaji massage service, which makes it easier to obtain more customers.

Different Types of Massages We Offer

There are a lot of different types of massage services on our site, so you may choose one that works for you. You may choose the kind of treatment that works best for you, whether it’s profound rest or a particular type of therapy.

1. Swedish Massage

A calm and gentle way to ease muscular tension and improve blood flow. This Dhemaji massage is perfect for you if you want to relax and forget about your concerns.

2. Deep Tissue Massage

This approach employs a lot of pressure to get to deeper muscle layers. It’s helpful for folks who have muscular discomfort or stiffness that won’t go away. There are specialists on our profiles of massage girls in Dhemaji who are good at deep tissue treatments that function effectively.

3. Aromatherapy Massage

Calming massage strokes and essential oils are beneficial in making people feel improved both emotionally and physically. Most massage companies in Dhemaji employ the use of custom oil preparations to make you feel good.

4. Thai Massage

A therapy that wakes you up by using a mix of regular massage, stretching, and compression. This traditional massage in Dhemaji helps you relax, become more flexible, and get your mind and body back in harmony.

5. Hot Stone Massage

Heated stones are placed on various parts of the body to help with deep muscular tightness. People who want to feel good, relax, and help their muscles recover quickly can use this massage service in Dhemaji

How to Book Our Massage Services

Tottaa makes it simple and fast to book. With our listings, you can see what kind of massage you want, read about the providers, see that they are free and then contact them directly. After you choose, you can book a massage in Dhemaji at your convenient time and location. In order to get your desired massage services, apply the following simple steps:

Step 1: Browse Our Listings

Take a peek around our site to view a few massage professionals. Each listing gives you information about the many sorts of massages, how long they last, how much they cost, and where they are situated. This makes it easier to choose the finest ones.

Step 2: Compare and Shortlist

Examine the profiles carefully to compare how the services, talents, and reviews posted by customers differ. This phase makes sure you choose a business that has the style, pricing, and supply you desire.

Step 3: Connect with the Provider

When you have decided, use the information that you are offered so that you can contact them directly. One can communicate it to the massage giver thus making it understood what massage you want at what time and when.

Step 4: Confirm the Appointment

The date, time and place of the service, which could be your home, a hotel or the spa where the therapist may be found. You also need to agree on the payment method and any other accords prior to commencement of the course.

Step 5: Relax and Enjoy Your Massage

All you have to do on the day of the appointment is have your area ready for the house visit. The remainder will be handled by the expert. Take it easy and enjoy a massage that is made just for you.

Frequently Asked Questions

To locate a professional who can meet your needs, read our biography, reviews and advertising.

Yes, many of the therapists on our site will come to your house so you may feel safe and at ease.

You may pick based on talents since most adverts provide their qualifications in their profiles.

It would be advisable to make a reservation earlier to guarantee that you would be able to get a massage, particularly against the prevalent services of massage.

Not at all. Tottaa exclusively connects users with service providers. The doctor gets to choose how to handle payment.

Read Our Top Call Girl Story's

Hindi Sex Stories

मैं और कोमल एक ही ऑफ़िस में Hindi Sex Stories काम करते थे। कोमल ने कस्ट्मर केयर में अभी अभी नया ही जॉइन किया था और मैं अकाऊँटेंट था। वो एक सरल स्वभाव की चुप सी रहने वाली लड़की थी। ऑफ़िस में किसी से ज्यादा बात नहीं करती थी। ऑफ़िस में वेतन का भुगतान मैं ही करता था इसलिये हमारी बात कभी कभी हो जाया करती थी।

धीरे धीरे कोमल मुझसे थोड़ा खुलने लगी और हम दोनों लन्च एक साथ करने लगे। लेकिन अभी वो चुप चुप सी ही रहती थी, मैं जब भी थोड़ा सा मजाक करता तो वो सिर्फ़ हल्का सा मुस्कुरा देती थी बस।

मुझे लगा कि ज़रूर उसके मन में कुछ बात है जो वो किसी को नहीं बताती।

खैर समय बीतता चला गया।

एक दिन वो मेरे पास आई और कहने लगी कि उसको कुछ रुपयों की ज़रूरत है इसलिये मैं उसे कुछ एडवांस दे दूँ और उसके वेतन में से काट लूँ। मैंने उसे एडवांस दे दिया। अगले दिन वो ऑफ़िस नहीं आई, मैंने भी सोचा कि शायद घर में कुछ काम होगा, लेकिन उसके दो दिन बाद भी वो ऑफ़िस नहीं आई, मैंने उसके घर पर फोन किया लेकिन वहाँ किसी ने भी फ़ोन नहीं उठाया।

शाम को मैं अपनी बाइक से घर जा रहा था कि मुझे बस स्टाप पर कमिनी दिखाई दी, मैंने बाइक रोकी, कोमल ने मुझे देखा और मेरे पास आ गई।

मैंने उससे पूछा कि तुम ऑफ़िस क्यों नहीं आ रही?
उसने कहा- घर पर कुछ काम था।
मैंने उसको कहा- कहाँ जाना है। चलो मैं छोड़ देता हूँ।

वो बाइक पर बैठ गई। रास्ते में मौसम कुछ खराब होने लगा तो मैंने बाइक एक रेस्तराँ के पास रोक दी और कहा- जब तक मौसम थोड़ा ठीक नहीं होता, तब तक रेस्तराँ में एक एक कप कॉफ़ी पी लेते हैं!

कॉफ़ी पीते पीते मैंने उसको पूछा- क्या बात है?
उसने कहा- कुछ नहीं!

लेकिन मेरे थोड़ा कुरेदने पर वो रो पड़ी और बात बताने लगी। उसकी बात सुन कर मेरी आँखें भर आई, उसने बताया कि वो एक शादी शुदा औरत है और एक बच्ची की माँ है, शादी के एक साल बाद ही उसके पति की मौत हो गई। यह बच्ची पति की मौत के पाँच महीने बाद हुई। पति की मौत के बाद उसके ससुराल वाले उसको मारने पीटने लगे और उसकी बच्ची को भी किसी और की बताने लगे। एक बार उसके देवर ने भी उसके साथ देह शोषण करने की कोशिश की। तंग आकर वो ससुराल से अपने घर आ गई और अपने माँ बाप के साथ रहने लगी।

उसके पिता भी यह सदमा सह नहीं पाये और उनकी भी मौत हो गई। अब वो अपनी माँ और बेटी के साथ ही रहती है, इस समय उसकी माँ बीमार है और अस्पताल में है इसीलिये उसने एडवांस लिया था।

उसकी दर्द भरी दास्तान सुन कर मैं भी काफ़ी भावुक हो गया था। मौसम अब ठीक हो गया था इस लिये हम दोनों कॉफ़ी पी कर वहाँ से चल दिये। रास्ते में मैंने कोमल को अस्पताल छोडा, उसकी माँ के भी हालचाल पूछा और घर पर आ गया।

उस रात मैं सो नहीं सका और सारी रात कोमल और उसके परिवार के बारे में सोचता रहा।

अगले दिन मैं ऑफ़िस पहुँचा, कोमल आज ऑफ़िस आई हुई थी, मैंने उसे अपने केबिन में बुलाया और उसकी माँ का हाल पूछा।

उसने कहा कि डाक्टर ने अभी कुछ दिन अस्पताल में रखने के लिये बोला है।

मैंने उसको कहा कि अगर रुपयों की जरूरत हो तो मुझे बोल देना। शाम को मैं उसे अपनी बाइक पर ही अस्पताल ले गया, वहाँ डाक्टर ने कुछ दवाइयाँ मँगवाई जो मैंने अपने पैसों से ही खरीद दी। बाद में मैं ही उसे घर पर छोड़ने गया तो काफ़ी रात हो चुकी थी।

उसने मुझे कहा- आज रात को आप यहीं पर रुक जायें।

मैं भी घर पर अकेला रहता था तो मुझे कोई दिक्कत नहीं थी।

उसने मुझे कहा- मैं खाना बनाती हूँ, तब तक आप फ़्रेश हो जायें।

मैं फ़्रेश हो कर बाथरूम से बाहर आया तो देखा कि कोमल ने भी अपने कपड़े बदल कर गाउन पहन लिया था। हम दोनों ने खाना खाया, खाना खाने के बाद मैं टीवी देखने लगा, कोमल भी अपनी बेटी को सुला कर मेरे पास ही बैठ कर टीवी देखने लगी। टीवी देखते देखते कमिनी की आँख लग गई और वो मेरे कन्धे पर सर रख कर सो गई, धीरे धीरे उसका सर फ़िसल कर मेरी जांघों पर आ गया और उसका मुँह मेरे लन्ड के ऊपर था।

धीरे धीरे मेरा लन्ड खड़ा होने लगा मैं आपे से बाहर होने लगा था, लेकिन मैंने अपने आपको कन्ट्रोल किया, मेरे हाथ कोमल की कमर पर आ गये, शायद कोमल को भी मेरे लन्ड के कडकपन का अह्सास हो गया था लेकिन उसने अपना मुँह मेरे लन्ड पर से नहीं हटाया और ऊपर से ही मेरे लन्ड पर अपने होंठों को फ़ेरने लगी शायद उसके मन में भी सालों से सोई हुई अन्तर्वासना जाग गई थी मेरे भी हाथ उसके जिस्म पर चलने लगे।

उसने करवट ली और पीठ के बल मेरी जांघों पर सर रख कर लेट गई और वासना भरी आँखों से मेरी तरफ़ देखने लगी। मैंने भी उसकी आँखो का इशारा पा कर उसके जलते हुए होन्ठों पर अपने होंठ रख दिये और उन्हें चूसने लगा और अपने हाथों से उसके स्तनों को दबाने लगा। उसके स्तन एकदम टाइट थे, शायद काफ़ी समय से उसके वक्ष किसी ने दबाये नहीं थे। मैंने धीरे धीरे उसके गाउन को ऊपर उठाया और उसकी टांगों पर हाथ फ़ेरने लगा।

क्या गोरी टांगें थी उसकी!

कोमल भी अब उत्तेजना में भर गई थी और मुझे पागलों की तरह चूमने लगी। मैंने उसे खड़ा किया और उसका गाउन उतार दिया।

उफ़!! क्या जिस्म था! भगवान ने शायद उसको फ़ुर्सत से तराशा था। ब्रा और पेंटी में वो एकदम एश्वर्या राय लग रही थी। उसने मेरे सारे कपड़े उतारे और मेरे लन्ड को अपने मुँह में लेकर चूसने लगी। मैंने भी उसका सर दबा कर अपना पूरा लन्ड उसके मुँह में दे दिया। वो अपने दोनों हाथों से मेरे चूतड़ों को भींचने लगी।

उत्तेजना के कारण मेरा वीर्य उसके मुँह में ही झड़ गया। अब मैंने उसे अपनी बाहों में उठाया और बैडरूम में ले गया। बैड पर लिटा कर मैंने उसकी ब्रा और पेंटी उतार दी।

उफ़! क्या चूत थी उसकी! बिना बालों की और एक दम गुलाबी!

मैं उसकी चूत को चाटने लगा और अपने दोनों हाथों से उसके स्तन दबाने लगा। उसने मेरे सर को अपनी चूत पर जोर से दबा दिया और कहने लगी- और जोर से चाटो!

मैंने अपनी जीभ उसकी चूत के अन्दर डाल दी और अन्दर ही गोलाई में घुमाने लगा, जिससे वो एकदम झड़ गई।

एक बार फ़िर से वो मेरे लन्ड को चूसने लगी जिससे मेरा लन्ड फ़िर से खड़ा हो गया। अब हम दोनों 69 की पोजिशन में आ गये और वो मेरे लन्ड को और मैं उसकी चूत को चाटने लगा। क्या गोल और भारी चूतड़ थे उसके! एक दम गोरे!

काफ़ी देर तक चाटने के बाद मैंने उसको उठा कर बिस्तर पर लिटा दिया और अपना लन्ड उसकी चूत के दरवाजे रख कर धीरे से एक धक्का दिया। काफ़ी दिनों से उसकी चुदाई नहीं हुई थी इसलिये उसकी चूत काफ़ी टाइट थी। मैंने धक्का दिया तो मेरा लन्ड उसकी चूत में थोड़ा सा घुस गया। उसको भी काफ़ी दर्द हुआ लेकिन उसने कहा- निकालना मत, पूरा घुसा दो।

मैंने जोर से एक धक्का लगाया और अपना पूरा लन्ड उसकी चूत में घुसा दिया। कोमल को काफ़ी दर्द हुआ लेकिन उसने उस दर्द को अपने दांतों से अपने होंठों को दबा कर सह लिया। उसकी आँखों से आन्सू निकलने लगे। धीरे धीरे उसको भी मजा आने लगा और वो भी अपने चूतड़ों को उठा उठा कर मेरा लन्ड अपनी चूत के अन्दर लेने लगी। उसने अपनी दोनों टांगों से मुझे कस लिया और अपने हाथों से मेरे चूतड़ों को खींचने लगी। पूरे कमरे में धप-धप, घचा घच की आवाजें आ रही थी।

मेरे भी धक्के बढ़ते जा रहे थे और मैं पागलों की तरह उसको पूरी जान लगा कर उसको चोद रहा था, उसके बूब्स को चूस रहा था। कोमल के मुँह से सी… सी… हाय… आह… की आवाजें निकल रही थी।

कुछ देर उसे चोदने के बाद मैंने उसे अपने ऊपर लिया और नीचे से अपना लन्ड उसकी चूत में घुसा दिया थोड़े से दर्द के साथ कोमल ने मेरा लन्ड अपनी चूत में ले लिया और ऊपर से धक्के लगाने लगी। मैं उसके चूतड़ों को अपने हाथों से भींचने लगा और जोर जोर से धक्के लगाने लगा। उत्तेजना के कारण उसने अपने नाखून मेरे सीने पर गड़ा दिये। हम दोनों की आँखों में वासना के लाल लाल डोरे नज़र आ रहे थे।

कोमल कहने लगी- समीर मैं बहुत सालों से प्यासी हूँ, आज मेरी सारी प्यास बुझा दो!

हम दोनों के मुँह से सी…सी… आह… आह… की आवाजें निकल रही थी। कोमल जोर से आह… आह… की आवाज करती हुई झड़ गई लेकिन मेरा जोश कम नहीं हुआ था और मैं उसे और चोदना चाहता था।

मैंने उसे अपने नीचे लिया और जोर जोर से धक्के लगाने लगा। करीब दस मिनट लगातार धक्के लगाने के बाद मेरा लन्ड टाइट होने लगा। मैंने कोमल को कहा- मैं अब झडने वाला हूँ! उसने कहा- चूत में ही झड़ जाओ!

मेरे धक्के तेज होने लगे और मैं झड़ने लगा और अपना सारा वीर्य कोमल की चूत में छोड़ दिया। कोमल के चेहरे पर सन्तुष्टि झलक रही थी। उसने जोर से मेरे होंठों को चूमा और मेरे मुँह में अपनी जीभ डाल दी। मैं भी उसकी जीभ को चूसने लगा और वो मेरी जीभ को चूसने लगी। लम्बी चुदाई के बाद हम दोनों काफ़ी थक चुके थे इसलिये एक दूसरे के आगोश में नंगे ही सो गये।

अगले दिन हम सो कर उठे तो सुबह के पांच बज चुके थे। कोमल की बेटी अभी सो रही थी। कोमल ने चाय के लिये पूछा तो मैंने हाँ कर दी। कोमल नंगे ही रसोई घर में चली गई। उसके ऊपर नीचे उठते हुए चूतड़ों ने मेरे लन्ड को फिर खडा कर दिया, मैं पीछे से रसोई में गया और कोमल को पीछे से पकड़ लिया। मैंने अपने हाथों से उसकी दोनों चूचियों को पकड़ लिया और मेरा लन्ड उसकी गान्ड की घाटियों में सैर करने लगा। मैंने उसकी चूत को धीरे से दबा दिया तो उसके मुँह से हल्की सी सिसकारी निकल गई।

मैं नीचे बैठ गया और उसके चूतड़ों पर धीरे धीरे अपने दाँत गड़ाने लगा। कोमल भी अब उत्तेजित हो चुकी थी।

मैं अपनी उंगली से उसकी गान्ड के छेद को सहलाने लगा तो कोमल बोली- साहब के ख्याल नेक तो हैं?
मैंने कहा- कोमल तुम्हारी गान्ड मुझे बहुत अच्छी लगती है और मुझे आज तुम्हारी गान्ड भी मारनी है!
कोमल हँस पड़ी और बोली- समीर मैंने अपना सारा शरीर तुम्हें सौंप दिया है तो ये गान्ड भी तुम्हारी है!

ऐसा कह कर कोमल आगे की तरफ़ झुक गई उसके गोल गोल चूतड मेरी तरफ़ उभर गये और चूत और गान्ड के छेद बाहर झांकने लगे। मैंने उसकी गान्ड के छेद पर अपना थूक लगाया और लन्ड का टोपा उस पर रखा तो कोमल ने कहा- समीर, मैंने अभी तक गान्ड नहीं मरवाई है, ज़रा धीरे धीरे करना!

मैंने हल्का सा धक्का लगाया तो मेरा लन्ड का टोपा उसके अन्दर घुस गया। कोमल ने हल्की सी सिसकारी भरी। मैंने फिर से थोड़ा ज़ोर से धक्का लगाया तो मेरा आधा लन्ड उसकी गान्ड में घुस गया। कोमल बोली- धीरे… समीर…!!

मैं थोड़ा रुक गया। जब कोमल थोड़ी सामान्य हुई तो मैंने अचानक ज़ोर से धक्का लगाया, जिससे मेरा सारा लन्ड कोमल की गान्ड में समां गया। कोमल इस धक्के के लिये तैयार नहीं थी, उसके मुँह से ज़ोर से आवाज़ निकली जिसे मैंने उसके मुँह पर हाथ रख कर दबा दिया।

थोड़ी देर बाद कोमल सामान्य हुई तो मैंने धक्के लगाने शुरु किये। अब कोमल को भी मजा आने लगा था और अब वो भी साथ देने लगी और अपने चूतड़ों को पीछे की तरफ़ धकलने लगी। मैंने भी उसकी चूचियों को पकड़ा और तेजी से धक्के लगाने लगा। मैंने उसकी एक टांग को रसोई की स्लैब रखा जिससे उसकी गान्ड का छेद थोड़ा खुल गया। अब मेरे धक्को में काफ़ी तेजी आ गई थी और मैं पागलों की तरह उसकी गान्ड को चोद रहा था।

कोमल के मुँह से भी कामुक आवाज़ें निकल रही थी जो मेरी वासना को और भड़का रही थी मेरा लन्ड एक दम टाइट हो चुका था और कोमल की गान्ड का बाजा बजा रहा था। मेरी जांघ कोमल के चूतड़ों से टकरा कर रसोई के अन्दर तबला बजा रही थी।
आह… आह… सी… सी… की आवाजों से पूरी रसोई गूँज रही थी।

कोमल… मेरी जान… कहते हुए मैं उसकी गान्ड में ही झड़ गया मेरे लन्ड के लावे ने कोमल की गान्ड की बन्जर ज़मीन को फिर से हरा भरा कर दिया। कोमल की गान्ड मारने के बाद मुझे भी अजीब सी सन्तुष्टि मिल रही थी और मैं एक दम हल्का महसूस कर रहा था।

उसके बाद हमने चाय पी और अपने अपने कपड़े पहन लिये। तब तक कोमल की बेटी भी उठ चुकी थी, कोमल ने उसको स्कूल के लिये तैयार किया और घर के बाहर उसको स्कूल बस में बैठा कर वापस आ गई। मैंने कोमल से कहा- अब हम भी तैयार हो जाते है, मैं तुम्हें अस्पताल छोड़ते हुए ऑफ़िस चला जाउँगा।

कोमल अपने कपड़े ले कर बाथरूम की तरफ़ चल दी। बाथरूम में जा कर उसने अपने कपड़े उतार दिये और नंगी हो गई। उसने बाथरूम का दरवाज़ा बन्द नहीं किया और मेरे सामने ही नहाने लगी। उसको नहाते हुए देख कर मेरा लन्ड फिर से खड़ा हो गया और मैं भी अपने कपड़े उतार कर बाथरूम में घुस गया। कोमल मुझे देख कर मुस्कुरा दी, शायद वो भी यही चाहती थी।

शावर के नीचे हम दोनों नहाने लगे। धीरे धीरे हम दोनों के हाथ एक दूसरे के जिस्मों पर चलने लगे और आग एक बार फिर भड़क गई। मैं कोमल की चूचियों को चूसने लगा और उसके चूतड़ों को भींचने लगा। कोमल के हाथ भी मेरी गान्ड पर चलने लगे। अब उसने मेरा लन्ड अपने मुँह में ले लिया और उसे चूसने लगी। ऊपर से पानी हमारे जिस्मों पर गिर रहा था जिस के कारण हमारी वासना और भड़क रही थी। कोमल मेरे लन्ड को मुँह में भर कर जबर्दस्त तरीके से चूस रही थी, उसकी जीभ का मेरे लन्ड के टोपे पर घर्षण मुझे अजीब सी उत्तेजना दे रहा था।

अब हम 69 की पोजीशन में आ गये और एक दूसरे को चूसने लगे। मैंने कोमल की गान्ड में अपनी उन्गली दे दी और उसकी चूत को चाटने लगा। जवाब में कोमल ने भी मेरी गान्ड में उन्गली दे दी और मेरे लन्ड को बेहताशा चूसने लगी। थोड़ी देर के बाद मैंने कोमल को अपने ऊपर लिया और नीचे से अपना लन्ड उसकी चूत में डाल दिया। कोमल अब मेरे लन्ड की सवारी करने लगी और मेरे होंठों को चूसने लगी। होंठ चूसते हुए उसने अपनी जीभ मेरे मुँह में दे दी और मैं उसकी जीभ को चूसने लगा और उसके चूतड़ों को पकड़ कर ज़ोर ज़ोर से धक्के लगाने लगा।

थोड़ी देर के बाद मैंने उसे अपने नीचे लिया और अपना लन्ड उसकी चूत में डाल कर ज़ोर ज़ोर उसे चोदने लगा। हाय… मेरे समीर… चोद दो मुझे… सी…सी… की आवाज़ कोमल के मुंह से निकल रही थी और मुझे और भड़का रही थी। मेरे धक्के तेज़ होते जा रहे थे।

आह… आह… की आवाज से मैं कोमल की चूत में ही झड़ने लगा और हम दोनों के जिस्म एक दूसरे में समाने की कोशिश करने लगे। थोड़ी देर हम दोनों उसी अवस्था में पड़े रहे, फिर दोनों एक साथ नहाये। नहाने के बाद मैंने कोमल को अपनी गोद में उठाया और बाहर आ गया। फिर हम तैयार होकर नाश्ता करने लगे।

नाश्ता करते हुए मैंने कोमल को कहा- कोमल मुझसे शादी करोगी?

मेरा अचानक किया हुआ सवाल सुन कर कोमल दो मिनट के लिये खामोश हो गई और उसकी आँखें भर आई। उसने सवाल भरी नज़रों से मुझे देखा, शायद उसकी नज़रें पूछ रही थी कि मैं झूठ तो नहीं बोल रहा!

मैंने उसके चेहरे को अपने हाथों में लिया और फिर से वोही सवाल किया जवाब में वो मेरे सीने से लग कर रो पड़ी।

फिर हम अस्पताल गये और मैंने कोमल की माँ से कोमल का हाथ माँगा। कोमल की माँ इसके लिये सहर्ष तैयार हो गई। फिर कोमल की माँ के अस्पताल से आने के बाद कोमल और मैंने शादी कर ली। आज हमारे दो बच्चे हैं और हम सब बहुत खुश हैं। Hindi Sex Stories

लालमन Antarvasna

कहानी होती ही अतीत की है। समय का अनुमान पाठक स्वयं Antarvasnaलगा सकते हैं।

मैंने अपने बचपन का अधिकतर समय अपनी बुआ के गाँव में बिताया, लेकिन पिछले तीन वर्श से नहीं गया।

उनका गाँव बहुत छोटा सा है, लेकिन हमारे फूफाजी वहाँ के सम्मानीय व्यक्ति हैं। हमारी बुआ के यहां ससुर के समय की बनाई गई लखौरी ईटों की पुरानी दो मंजिल की बड़ी सी हवेली है। गाँव के आधे से अधिक खेत और बाग उन्हीं के हैं। लेकिन अब सन्नाटा रहता है।

बुआ के तीन बेटे और चार बेटियाँ हैं, अब वहाँ कोई भी नहीं रहता है। बेटे सभी कबके जाकर शहरों में बस गये। तीनों लड़किया का भी विवाह के बाद यही हाल हुआ।

सब अपने-अपने कार व्यापार में इतने में इतने व्यस्त हो गये कि दबंग व्यक्तित्व की मालकिन हमारी बुआ अकेले घुल-घुल कर समय से पहले ही बूढ़ी हो गयीं।

फूफा का तो खैर इधर-उधर में समय कट जाता, लेकिन हमारे चाचाओं और ताउओं में जो भी जाता अपनी बहन के अकेलेपन से घबरा जाता।

लोग समझाते भी कि जीजी बेटों के पास चली जाओ, लेकिन वह भला कहाँ जाने वाली थीं! बड़ी मुष्किलों से मझिले भय्या के यहाँ जाकर मोतियाबिन्द का आपरेशन करवाया और चली आयीं।

मेरी सरदियों की छुट्टियाँ हुई तो अम्मा ने जबरस्ती भेज दिया। जाकर एक महीने बुआ की सेवा कर आ।

हालाकि मन तो नहीं हो रहा था लेकिन इस वादे पर कि अगर मन लगा तो रुकूँगा नही तो दो-चार दिन में आ जाऊँगा। पहुचाँ तो पता चला कि कल ही बुआ के नन्द की बेटी अमिता दीदी आयी हैं।

उन्हें मैंने बहुत पहले देखा था। जव वह किशोर थीं, लेकिन वह पूरी तरह बदली गंभीर स्वभाव की एक समझदार लड़की थीं। आँखों पर चश्मा लग गया था। रंग गोरा था। लम्बाई दरम्यानी थी। शरीर भरा-भरा था।

संभवताः मुझे देखकर प्रसन्न हुईं। थोड़ा चुप-चुप रहने वाली लगीं। काम के लिए सोलह सत्तरह साल की लड़की सीमा थी। वह फिरिंगी की तरह दौड़ती भागती मुझे देखकर बेमतलब ही मुस्कुराती रहती।

बुआ ने कहा कि यह पुराने आदमी राम लखन की बेटी है। शादी तो हो गयी है, लेकिन अभी गौना नहीं हुआ है। दिन पाँच साल का बना है नहीं तो लखना इसे बिदा कर देता, यह कहते हुए उन्होंने ऊपर वाले को धन्यवाद भी किया कि है तो मुँहजोर लेकिन कोई बेटी क्या सेवा करेगी!

मैंने यह भी ध्यान दिया कि वह जितना मुस्कुरा रही थी उतना बोल भी रही थी। मैं कुछ संकोच भी कर रहा था, वह थी कि शाम तक राम भैय्या की ऐसी रट लगाने लगी कि जैसे मुझे कितने दिनों से जानती हो।

सीमा का रंग तो साँवला था, लेकिन लम्बाई निकलती हुई थी। उसका अंग-अंग मानों बोलता हो। साधरण से सवाल समीच पर उसकी चुन्नी रुकती ही नहीं थी।

मैंने महसूस किया कि उसे घर में मर्द के न रहने से ओढ़ने के आदत थी नहीं, इसलिए चुन्नी संभल नहीं रही थी।

अपनी चुन्नी में उलझते हुए एक बार मेरा मन हुआ कि लाओ उतार कर फेंक दुँ! जैसे यह बात ध्यान में आयी तो एकाएक मेरा ध्यान उसके सीने पर चला गया। हे राम! मैंने गौर किया तो शरीर में सनसनाहट सी हो गयी।

सीने की जगह लग रहा था जैसे दो कटोरे उलट कर रख दिये गये हों! उसकी छातियों के दाने तो इतने खड़े थे, कि कपड़े के ऊपर साफ दिख रहे थे। ऐसे मैं क्या कोई भी उसे देखकर बेकाबू हो जाय! यद्यपि मैं सीधा और ठीक-ठाक चरित्र का लड़का था, तबभी मेरा मन अजीब सा हो गया।

मैं पिछले तीन साल से हास्टल में रह रहा था। वहाँ मैंने दो-तीन बार नंगी पिक्चरें भी देखी थीं और कुछ दिनों सें अधनंगी पिक्चरों की शहर के सिनेमा हालों में तो बाढ़ सी आ गयी थी।

मैं जिन बातों से गाँव में अनभिज्ञ था वह सब मुझे पता चल गयी थीं। जब भी मैं छुट्टियों के बाद गाँव से लौटता तो सहपाठी खुले शब्दों में अपनी चुदाई की कहानियां बताते और मेरी भी पूछते, चूँकि मेरी कोई कहानी होती नहीं, फिर मुझे अपने आप पर क्रोध आता हर बार कुछ करने का इरादा लेकर जाता, लेकिन सफलता हाथ नहीं लगती।

हस्त मैथुन जैसी स्वाभाविक गतिविधि ही मेरी काम भावना को शांत करने का एकमात्र साधन थी. लेकिन सीमा को देखते ही मैंने मन बना लिया कि चाहे मुझे यहाँ पूरी छुट्टियाँ ही यहाँ क्यों न बितानी पड़ जाये, इसे लिए बिना नहीं जाऊँगा। मैंने इसी भावना से संचालित आते-जाते दो-तीन बार उसके शरीर से अपने शरीर को स्पर्श किया तो उसने बजाय बचने के अपनी तरफ से एक धक्का देकर जवाब दिया।

शाम में चूँकि सर्दी थी इस लिए दिल ढलते बुआ ने आँगन से लगे बरामदे में अलाव की सिगड़ी जलवा दी तो मुहल्ले-पड़ोस की दो तीन औरतें आकर बैठ गयीं।

सीमा भी थी। अमिता दीदी भी थीं। बरामदे को एक किनारे दीवार बनाकर ढक दिया गया था। बुआ सरदी और बरसात वहीं सोतीं। बताने लगीं कि इधर काफी दिनों से सीमा की माँ आजाती थी, लेकिन अमिता के आने के बाद सीमा सोने लगी। उनक बिस्तर वहीं लगा था।

कुछ देर बाद लाइट चली गयी। अमिता दी उठकर बिस्तर पर बैठ गयीं। वह चुप थीं। यद्यपि उन्होंने मुझसे दिन में वह पढ़ाई-लिखाई की की थीं। इधर आग के पास औरतों की गप चल रही थी मै उठकर सोने के लिए बाहर बैठक में जाने लगा तो बुआ ने ही रोक लिया। जाना कहकर।

वास्तव में उन्होंने अभी तक अपने पीहर की तो बात ही नहीं की थी। उनके कहने पर मैं भी वहीं जाकर चारपाई पर दूसरी तरफ रजाई ओढ़कर बैठ गया। अमिता दी पीठ को दीवार से टिकाये बैठी हुई औरतों के प्रस्नों का उत्तर हाँ-न में दे रही थीं।

मैंने पैर फैलाये तो मेरे पैरों का पंजा उनकी जांघों से छू गया। मैंने उन्हें खींचकर थोड़ा हटाकर फिर फैलाया तो जाकर उनकी योनि से मेरा अँगूठा लग गया।

असल में उन्होंने अपने दोनों पैरों को इधर उधर करके लम्बा कर रक्खा था। उन्होंने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी।

न जाने किस भावना से संचालित होकर मैंने पैरों का दबाव थोड़ा बढ़ा दिया।

इस बार उन्होंने मेरे पैर के अँगूठे को पकड़कर धीरे से हटाया तो वह उनकी एक तरफ की जाघ से लग गया। एक क्षण बाद मैंने फिर पैरों को उसी जगह जान-बूझकर रख दिया।

रजाई के अन्दर ही अमिता दी ने फिर मेरे पैर का अँगूठा पकड़ लिया, लेकिन मैंने जब अपने पैर को वहाँ से हटाना चाहा तो उन्होंने मेरी आशा के विपरीत उसी जगह पर मेरे पैरों को दबाये तेज चिकोटी काटने लगीं।

मैंने उनके चेहरे को देखा तो वह मुस्कुराये जा रही थीं। वह आगे आकर मेरे पंजे को अपनी योनि को और सटाकर मुस्कुराते हुए मेरे पंजे को ऐंठ भी रही थीं।

यद्यपि वह जितना जोर लगा रही थीं मुझे उतनी पीड़ा की अनुभूति नहीं हो रही थी। बल्कि मैं उनकी योनि के भूगोल को परखने में लग गया। संभवता वह शलवार के नीचे चड्डी नहीं पहने थीं। क्योंकि उनके वहाँ के बालों का मुझे पूरा एहसास हो रहा था। निश्चित रूप से उनकी झाँटो के बाल बड़े और घने होंगे।

इस अनुभूति से मेरे अन्दर अजीब सी अकड़न होने लगी। वहीं बैठी किसी औरत ने कहा, सो जाओ बबुआ।

हाँ रे ललुआ! बेचारा थका आया है। इसके फूफा की तो अभी बैठक में पंचायत चल रही होगी। कल से इसका बिछौना अन्दर ही लगवाऊँगी।

बुआ ने कहा, गुड्डी जरा किनारे हो जा राम कमर सीधी कर ले। बुआ अमिता को गुड्डी कहती थीं।

न जाने सीमा मुझे देखकर मुस्कुराये जा रही थी। बिजली चली गयी थी। गाँव में रहती ही कितनी है! लालटेन के मद्धिम प्रकाश में मैंने अमिता दी के चेहरे को देखने की कोशिश की, लेकिन उनके भावों को समझ नहीं पाया।

वह बिस्तर से उठने लगीं तो बुआ बोलीं, तू क्यों उठ रही है गुड्डी, अभी यह तो चला ही जायेगा। और बाहर की तरफ के कमरे की ओर संकेत करके कहा, आज से मैंने सीमा को भी रोक लिया है।

वह थोड़ा सा एक तरफ खिसक कर बैठी रहीं। मैं जाकर उनकी बगल में लेट गया। और दो ही मिनट बाद अन्दर ही हाथ को उनकी जँघों पर रख दिया वह थोड़ा कुनमुनाईं और मेरे हाथों को पकड़ लिया पता नहीं क्यों वहाँ से हटाने के लिए या किसी इशारे के लिए लेकिन मैने उनके हाथों को अपने हाथों में दबोचकर सहलाने लगा।

फिर मैंने हाथों को अन्दर से ही उनके सीने की तरफ लेजाकर उनके स्वेटर के ऊपर से छू दिया। सीने का ऊपरी हिस्सा रजाई के बाहर था इसलिए जितना अन्दर था उसके स्पर्श का आनन्द मैं लेने लगा।

उनकी चूचियाँ ब्रेसरी मे कसी थीं। वह खाली हिल-डुल ही रही थीं। एकाधबार उन्होंने मेंरा हाथ अपने हाथ से झिटकना चाहा तो मैंने उनके प्रतिरोध को अनदेखा कर दिया। मुझे लगा कि यह उनका दिखावा है।

फिर मैंने नीचे से हाथ को कपड़े के अन्दर से डालकर सीधे हाथों को ब्रेसरी में बंधी छातियों के निचले हिस्से से लगा दिया और जोरभर के सहलाने लगा। मन तो हो रहा था कि हाथों को ऊपर लेजाकर पूरी छातियों को सहलाऊँ, लेकिन भय था कि कहीं कोई देख न ले। मुझे लग रहा था कि सीमा संभवतः अनुमान लगा रही है। मैंने महसूस किया कि उनकी चूचियां कड़ी हो रही हैं।

तभी उन्होंने रजाई को खींचकर गले तक ओढ़ लिया। फिर तो मुझे मानों मनचाही वस्तु मिल गयी।

मैंने हाथ निकालकर उनके स्वेटर के बटन खोल दिए और उनकी जम्पर को ऊपर सरकार रजाई के नीचे उनकी चूचियों को खोल दिया उनके ऊपर सिर्फ ब्रेसरी ही रह गयी। और मैं उनकी बदल-बदलकर दोनों छातियों को मलने-दबाने लगा। वह कड़ी ही होती जा रही थीं।

तभी वहाँ बैठी एक औरत बात करते हुए उनकी मम्मी और भाई बहनों का हाल पूछने लगी। वह गड़बड़ाने लगीं। मुझे मजा आने लगा।

मैं और जोर लगाकर उनकी चूचियां मसलने लगा। अनुमान किया तो लगा कि वह देसी पपीते के आकार की हैं। फिर मैंने दूसरे हाथ को पीछे से लेजाकर उनकी ब्रेसरी के हुक को खोल दिया। दुसरे हाथ से आगे से खींचा।

ब्रेसरी ढीली होने के कारण उनकी दोनों चूचियां अब आजाद हो गयी थीं। और मेरी हथेलियों में खेलने लगीं।

तभी मैंने महसूस किया कि उन्होंने मेरी तरफ वाला अपना हाथधीरे से मेरे सीने पर रख दिया। मैंने उनके फैले पैरों को अपने हाथ से खींचकर अपनी टांगों से चिपका लिया।

मैंने लुंगी ही पहन रक्खा था। उसके नीचे चड्डी थी। मेरा खड़ा होकर तन गया लिंग उनकी फिल्लियों से रगड़ने लगा। वह अपने हाथों को मेरे सीने पर फेरने लगीं। यूँ ही लगभगआधे घंटे बीत गये।

मैंने हाथों को उनकी छातियों से हटाकर जब दोंनों टांगों के बीच लेजाकर उनकी झाँटों से आच्छादित योनि पर कपड़े के ऊपर से लगया तो देखा कि वहाँ का कपड़ा गीला है। तभी वहाँ रह गयी अन्तिम दोनों औरतें यह कहते हुए उठ गयीं कि अब ठकुराइन हम सोने जा रहे हैं।

अमिता दी जल्दी से कपड़े सही किये। ब्रेसरी तो खुली ही रह गयी। उठ गयीं। मुझे भी मन मार कर उठना पड़ा। मेरा लंड अभी भी उसी तरह तना था। किसी तरह संभालकर उठा।

बाहर बैठक में ही मेरा बिस्तर बिछा था। वहां अभी भी तीन चार लोग बैठे थे। गप्प चल रही थी। बिस्तर पर रजाई नहीं थी तो मैं अन्दर लेने आया।

बिस्तर को बक्सा ऊपर छत की कोठरी में था।

बुआ ने बड़बड़ाते हुए सीमा से कहा, जाकर निकाल दे। और मुझसे बोलीं, कि तू भी चला जा लालटेन दिखा दे।

आगे-आगे मैं और पीछे सीमा, ऊपर पहुँचकर कोठरी का द्वार खोलकर बड़े वाले बक्से का ढक्कन खोलने के लिए वह जैसे ही झुकी मैंने लालटेन जमीन पर रखकर उसे पीछे अपनी बाहों में समेट लिया।

अमिता दीदी के साथ इतनी हरकत के बाद तो मेरी धड़क खुल ही गयी थी। वह चैकी तब तक हाथ को आगे से उसकी लेकर उसे अपनी बाहों में ले लिया और उसकी चूचियों को हथेलियों की अँजुरी बनाकर उसे कस लिया और उसके कानों को होंठों मे दबाकर चूसने लगा।

उसने पकड़ से आजाद होने का प्रयत्न किया, लेकिन मैंने इतनी जोर से कसा कि वह हिल भी नहीं सकती थी वह घबराकर बोली, राम भय्या छोड़िये अभी कोई आ जायेगा।

उसकी यह बात सुनकर मेरा मन गदगद हो गया। मैंने उसकी चूची के चने को दो अँगुलियों से छेड़ते हुए कहा, यहाँ कौन आने वाला है मैं तुम्हारी ले तो रहा नहीं हूँ। बस भींच ही रहा हूँ।

अब तक वह संभवतः अपने ऊपर नियन्त्रण कर चुकी थी। बोली, हाय राम तुम तो बड़े हरामी हो!

जो भी कहो। मैंने उसे झटके अपनी तरफ घुमाकर चप्प से उसके मुँह को अपने मुँह में लेकर होठों को चूसने लगा और उसकी समीच में हाथ डालकर चूचियों को सीधे स्पर्श करने लगा।

धीरे-धीरे वह पस्त सी पड़ने लगी। वह मस्ताने लगी। उसकी स्तन के चने खड़े होन लगे। जब उसके मुँह को चूसने के बाद अपने मुँह को हटाया तो मादक स्वर में बोली कि, अब छोड़िये मुझे डर लग रहा है। देर भी हो रही है।

एक वादा करो।

क्या

देने का!

उसने चंचल स्वर में फिर सवाल किया, क्या

बुर और क्या

उसने अँगूठे के संकेत से कहा, ठेंगा।

मैंने हाथ को झटके से नीचे लेजाकर उसकी बुर को दबोचते हुए कहा, ठेंगा नहीं यह! तुम्हारी रानी को माँग रहा हं।

मेरे नीचे से हाथ हटाते ही उसने बक्सा खोलकर रजाई निकालकर कहा, उसका क्या करना है

चोदना है!

वह रजाई को कंधे पर रख लपक कर मेरे लंड को चड्डी के ऊपर से नोचते हुए बोली, अभी तो!

नहीं कल! और वह नीचे चली गयी। मैं भी जाकर बाहर बैठक मैं सोया। फूफा तो खर्राटे भरने लगे, लेकिन मुझे नीद ही नहीं आ रही थी। अन्दर से प्रसन्नता की लहर सी उठ रही थी।

एक साथ दो-दो शिकार! हे राम! फिर दोनों को लेकर तरह-तरह की कल्पनाएं करते हुए न जाने कब नीद आयी।

जब आँख खुली तो पता चला कि सुबह के नौ बज गये हैं। चड्डी गीली लगी। छूकर देखा तो पता चला कि मैं सपने में झड़ गया था। तभी अमिता दीदी आ गयीं। उन्होंने मेरे उठने के बाद लुगी को थोड़ा सा गीला देखा तो मुस्कुराने लगीं। और धीरे से कहा, यह क्या हो गया।

मैंने भी उन्ही के स्वर में उत्तर दिया, रात में आपको सपने में चोद रहा था। नाइटफाल हो गया।

वह हाथों से मारने का संकेत करते हुए निगाहें तरेरते अन्दर चली गयीं। सर्दी तो थी लेकिन धूप निकल आई थी।

पता चला कि सीमा कामों को निपटाकर अपने बाप के साथ अपने खेतों पर चली गयी। मैं नित्य क्रिया से निपटकर चाय पीने के बाद नाश्ता कर रहा था तो पास में ही आकर अमिता दीदी बैठ गयीं। दूसरी तरफ रसोई में चूल्हे पर बैठी बुआ पूरी उतार रही थीं। वहीं से बोलीं, अमिता तूं नहा धोकर तैयार हो जा। चलना बालेष्वर मन्दिर आज स्नान है। महीने का दूसरा सोमवार है।

वह जवाब देतीं उससे पहले ही मैंने गिड़गिड़ाते हुए कहा, प्लीज अमिता दीदी न जाइए। कोई बहाना बना दीजिए।

क्यों धीरे से मुस्कुराकर कहा।

मेरा मन बहुत हो रहा है।

क्या

मैंने झुँझलाकर कहा, तुम्हें लेने का!

मैं दे दूँगी!

हाँ!

आप को जाना नहीं है।

तब वह बोलीं, मामी मेरी तबियत ठीक नहीं।

अकेले कैसे रहेगी।

राम तो है न!

वह रुकने वाला है घर में!

हाँ बुआ मैं तो चला घूमने। मैंने उन्हें छेड़ते हुए कहा।

मामी! फिर वह धीरे से बोलीं, तो मै जाऊँ!

प्लीज.प्लीज नहीं।

चुपकर रे ललुआ! कहाँ गाँव भागा जा रहा है! मैं बारह बजे तक तो आ ही जाऊँगी तेरे फूफा तो निकल गये शहर। सीमा का बाबू का आज गन्ना कट रहा है नहीं तो मैं उसे ही रोक देती। मैं रात से ही देख रही हूँ इसकी तबियत ठीक नहीं देर तक सोई नहीं। बुआ ने कहा।

और अन्तिम पूरी कड़ाही से निकालकर आँच को चूल्हे के अन्दर से खीच कर उठ

गयीं।

बुआ के जाते ही मैंने मुख्य द्वार की सांकल को बन्द किया और और अमिता दीदी का हाथ पकड़कर कमरे में लेगया। बिजली थी। बल्ब जलाकर उन्हें लिपटा लिया। उन्होंने अपना चश्मा उतार कर एक तरफ रख दिया।

वह भी सहयोग करने लगीं। मेरे मुंह से मुंह लगाकर मेरी जीभ चूसने लगीं। मैं उनके चूतड़ों की फांक में अंगुली धंसा कर उन्हे दबाने लगा।

मेंरा मुंह उनके थूक से भर गया। मेरा शरीर तनने लगा। वह चारपाई पर बैठ गयीं। मैंने उनकी समीच को उतरना चाहा तो बोलीं, नहीं ऊपर कर लो।
मजा नहीं आयेगा। कहते हुए मैंने हाथों को ऊपर करके समीज उतार दी। ब्रेसरी में कसी उनकी छोटे खरबूजे के आकार की चूचियां सामने आ गयीं।

फिर मैंने थोड़ी देर उन्हें ऊपर से सहलाने के बाद ब्रेजरी खोलना चाहा तो उन्होंने खुद ही पीछे से हुक खोल दिया। बल्ल से उनकी दोनों गोरी-गोरी चूचियां बाहर आ गयीं। चने गुलाबी थे। थोड़ी सी नीचे की तरफ ढलकी थीं। मैं झट से पीछे जाकर टांगे उनके कमर के दोनों तरफकरके बैठ गया। और आगे से हाथ ले जाकर उनकी चूचियां मलने लगा। चने खड़े हो गये।

उन्हें दो अंगुलियों के बीच में लेकर छेड़ने बहुत मजा आ रहा था। मेरा पूरी तरह खड़ा हो गया लिंग उनकी कमर में धंस रहा था। वह बोलीं, पीछे से क्या धंस रहा है
अब इससे आगे नहीं!

उनको अनसुना करके मैंने अपनी लुंगी खोल दी नीचे कुछ नहीं था। चारपाई से उतर कर उनके सामने आ गया।

मेरे पेड़ू पर काली-काली झांटे थीं। पेल्हर नीचे लटक रहा था। चमड़े से ढका लाल सुपाड़ा बाहर निकल आया। उसे उनकी नाक के पास हिलाते हुए कहा, अमिता दीदी इसे पकड़ो।

उन्होंने लजाते हुए उसे पकड़ा और सहलाने लगीं। थोड़ी ही देर में लगा कि मैं झड़ जाऊंगगा। मैंने तुरन्त उनकी पीठपर हाथ रखकर उन्हें चित कर दिया और हाथ को द्यालवार के नारे पर रख दिया। वह बोलीं, नहीं।

मैंने उनकी बात नहीं सुनी और और उसके छोर को ढूंढने लगा। वह बोलीं, आगे न बढ़ों मुझे डर लग रहा है। मैंने नारे का छोर ढूंढ लिया।

वह फिर बोलीं, अगर कहीं बच्चा ठहर गया तो। आज नहीं कल निरोध लाना।

बुर मे नहीं झड़ूंगा। कसम से । मैंने कहा।

राम मुझे डर लग रहा सच! यह मैं पहली बार करवा रही हूं।

मैं भी। इसी के साथ मैंने उनका नारा ढीला कर दिया और दूसरे हाथ से उनकी चूचियां मले जा रहा था। वह ढीली पड़ती जा रही थीं। कुछ नहीं होगा। कहकर मैंने सर्र से उनकी शलवार खींच दी।

नीचे वह चड्डी नहीं पहने थीं। उनकी बुर मेरे सामने आ गयीं। उन्होंने लज्जा से आं बंद कर लीं। उनका पेड़ू भी काली झांटों से भरा था।

मैंने ध्यान से देखा तो उनकी बुर का चना यानी क्लीटोरिस रक्त से भरकर उभर गया दिखा। मैं सहलाने के लिए हाथ ले गया तो वह हल्का से प्रतिरोध करने लगीं, लेकिन वह ऊपरी था।

मुझसे अब बरदास्त नहीं हो रहाथा। मैंनें जांघे फैला दी और उनके बीच में आ गया। फिर अमिता दीदी के ऊपर चढ़कर हाथों से लन्ड पकड़कर उनकी बुर के छेद पर रक्खा और दबाव दिया तो सक से मेरा लन्ड अन्दर चला गया।

निशाना ठीक था। उन्होंनं सिसकारी भरी। और धीरे से कहा, झिल्ली फट गयी।

मैं कमर उठाकर हचर-हचर चोदने लगा।

उन्होंने मुझे अपनी बाहों में कस लिया और मेरे चेहरे पर अपने मुंह को रगड़ने लगीं।उनका गोरा नरम शरीर मेरे सांवले थोड़ा भारी शरीर से दबा पिस रहा था। थोड़ी देर बाद उनकी बुर से पुच्च-पुच्च का स्वर निकलने लगा।

मैं झड़ने को हुआ तो झट से लन्ड को निकाल दिया ओर भल्ल से वीर्य फेंक दिया। सारा वीर्य उनके शरीर पर गिर गया।

थोड़ी देर बाद वह उठ गयीं ओर वैसे ही कपड़े पहनने लगीं। मैंने कहा, एक बार और।

नहीं!

अब कब

कभी नहीं।

यह पाप है!

पाप नहीं मेरा लन्ड है। मैंने इस तरह कहा कि, वह मुस्करा उठीं और कपड़े पहनने के बाद कहा, राम सच बताओ इससे पहले किसी की लिए हो।

कभी नहीं। बस चूची दबाई है। वह भी यहीं।

किसकी। उन्होंने आंखें खोलकर पूछा।

सीमा की।

कब।

रात जब हम लोग ऊपर गये थे।

तुम पहुँचे हो! वह बोलीं और बाहर निकल गयीं।

दोपहर तक बुआ क आने से पहले हम दोनों चूत बुर और लन्ड की बातें करते-करते इतने खुल गये कि मैंने तो सोचा भी नहीं था।

उन्होंनं बताया कि उनके चाचा के लड़के ने कई बार जब वह सोलह की थीं तो चोदने की कोशिश की लेकिन अवसर नहीं दिया।

लेकिन मैंने रात में उनकी भावनाओं को जगा दिया और अच्छा ही किया। क्यों की अभी तक वह इस स्वर्गीय आन्नद से वंचित थीं। चुदाई के बाद हम लोगों ने मुख्य द्वार तुरन्त ही खोल दिया, तभी पड़ोस की एक औरत आ गयीं।

वह थोड़ी देर बैठी रहीं। मैं धूप में नहाने बाहर नल पर चला गया।

वह भी जब नहाकर आयीं तो बारह बनजे में आधे घंटे रह गये थे। इसका अर्थ था बुआ बस आने वाली होंगीं। मैंनें एक बार ओर चोदने के लिए कहा तो वह नहीं मानी, लेकिन मेरे जिद करने पर ठीक से वह अपनी बुर दिखाने के लिए तैयार हो गयीं। बुर को खोल दिया। चुदाई के कारण अभी तक उनकी बुर हल्की सी उठी थी।

मैंने झांट साफ करने के लिए कहा तो हंसकर टाल गयीं। उन्होंने मेरा लन्ड भी खोलकर देखा। वह सिकुड़कर छुहारा हो रहा था। लेकिन उनके स्पर्श से थोड़ी सी जान आने लगी तो वह पीछे हट गयीं, और बोलीं कि, अब बाद में अभी यह फिर तैयार हो गया तो मेंरा मन भी तो नहीं मानेगा!

दोपहर में बुआ के साथ ही सीमा भी आयी। वह हमे देखकर अकारण मुस्कुराये जा रही थी। मैं गाँव घूमकर तीन बजे आया तो बाहरी बैठक में लेट गया। वह धीरे से आकर बोली, आज तो अकेले थे, राम भय्या अमिता दीदी को लिया तो होगा।

तूने दे दिया कि वह देंगी ! बता न कब देगी और कहाँ, कहकर मैंने इधर उधर देखकर उसे वहीं बिस्तर पर गिरा दिया चढ़बैठा और लगा उसकी चूचियां कपड़े के ऊपर से मीजने, वह भी मुझे नोच रही थी। तभी न जाने कैसे वहां अमिता दी आ गयीं। चूंकि मकली नीचे थी इसलिए उसने उन्हें पहले देखा वह नीचे निकलकर भागने का प्रयत्न करने लगी।

मैं ओरतेजी से उसकी चूचियों को मसलते हुए उसे दबाने लगा तो वह घबराये स्वर में बोली, अमिता दीदी! मैंने मुडकर देख तो न जाने क्यों मुझे हंसी आ गयी। मनही में सोचा चली अच्छा हुआ। लेकिन मैंने घबराने का बहाना करके कहा, अमिता दी किसी से कहना नहीं।

वह हक्की बक्की हो गयीं। मैंने आंख मारी तो समझ गयीं। तब तक हम दोनो अलग हो गये थे। वह आंखे नीचे झुकाकर खड़ी हो गयी और बोली, राम भय्या जबरदस्ती कर रहे थे।

मैं एक शर्तपर किसी से नहीं कहूँगी। वह मुझसे भी उतावली के साथ बोली। हां!

जो मैं कहूंगी करना होगा। तुम मेरे सामने राम से करवाओगी।

मुझे तो इसकी आषा भी नहीं थी। मैंने सिर झुकाकर हामी भर दी, वह भी हल्का सा मुस्कुराई।

हम लोग अन्दर आ गये। सीमा काम में लग गयी। अमिता दी ने अवसर मिलते ही धीरे से कहा, इसको भी मिला लेंगे तो मजा भी आयेगा और डर भी नहीं रहेगा। Antarvasna


मैं पहले तीन साल तो कॉलेज ट्रिप पर नहीं गया क्योंकि मैं मेरे पापा के दोस्त की कम्पनी में काम सीख रहा था.

कॉलेज खत्म होते ही एक अच्छी पोस्ट मिलने की लालच में मैं ज्यादा छुट्टियां भी नहीं लेता था.
पर मैंने लास्ट ईयर में कॉलेज ट्रिप जाने की सोची और साथ चलने के लिए सारे कॉलेज फ्रेंड्स को भी मना लिया.

कॉलेज के प्रिंसिपल सर मेरे पड़ोसी हैं और मेरे पापा के अच्छे दोस्त भी हैं.
तो मैंने उन्हें बाली ले जाने का आईडिया दिया और वह मान गए.

अब मैंने प्रिंसिपल सर और कॉलेज मैंनेजर ने बाली जाने का, वहां रहने और घूमने की पूरी तैयारी कर ली.

कॉलेज में अनाउंस भी करवा दिया.

मैं और मेरे सारे दोस्त तो पहले से ही तैयार थे … और भी बहुत से छात्र थे, पर सबके सब फ्रेशर थे.
हमें मिला कर कुछ ही सीनियर थे.

ट्रिप पर जाने से एक दिन पहले मैनेजर सर का एक्सीडेंट हो गया और वे अब हमारे साथ नहीं चल सकते थे.
प्रिंसिपल सर ने ट्रिप कैंसल करने की सोची, पर मेरे बहुत मनाने पर मान गए.

अब इस ट्रिप का नया लीडर और गाइड मैं हो गया था.
मेरे साथ प्रिंसिपल सर ने एक सर और दो मैडम को भी ट्रिप पर भेज दिया, जिनमें से एक का नाम सरोज है.

सरोज मैडम की हाईट 5 फीट है, रंग सांवला और शरीर भी थोड़ा मोटा है उनकी उम्र 50 साल होगी. वे दिखने में भी ठीक ठाक हैं.

हमारी दूसरी मैडम प्रिया कातिल फिगर की मालकिन हैं.
पूरा कॉलेज उन पर मरता है.

मैडम की उम्र 35 साल, रंग गोरा, हाईट 5.5 फीट और फिगर 36-30-38 का.
प्रिया मैडम के फिगर को देख कर ही लगता है कि वे रोज जिम जाती होंगी.

अब हम सब हवाई जहाज में बैठ गए.
मैं विंडो सीट पर बैठा था.
मेरे पास में प्रिया मैडम और उनके पास में सरोज मैडम बैठी थीं.

आज मैंने मौका देख कर प्रिया मैडम के साथ बहुत खुल कर बातचीत की.

वे भी बहुत ही फ्रैंक होकर मुझसे बात कर रही थीं.
हम सभी शाम को अपने रिज़ॉर्ट में पहुंच गए थे.

मैंने लड़कों के रूम्स का अलग और लड़कियों के रूम्स का अलग फ्लोर लिया था.
मेरा रूम लड़कियों के फ्लोर पर था जो मैंने जानबूझ कर प्रिया मैडम के रूम से लगा हुआ लिया था.

अब सब सुबह पूल में पहुंच गए.
पूल भी लेडीज का अलग था.
मैं लेडीज पूल में था.

प्रिया मैडम पूल के किनारे बैठी हुई थीं.
मेरे पूछने पर उन्होंने बताया कि उनके पास स्विमिंग ड्रेस नहीं है.

तो मैंने उनके लिए स्विमिंग कॉस्ट्यूम अरेंज करवा कर दिया.
पर उनकी टी-शर्ट ज्यादा ढीली थी और निक्कर थोड़ी टाइट.

उन्होंने वह ड्रेस ले ली और जैसे ही वह उस ड्रेस को पहन कर आयी तो क्या कातिल लग रही थीं.
वह जैसे ही पूल में उतरीं, उनकी टी-शर्ट उनके बूब्स से चिपक गयी.

आह क्या नजारा था.
चौड़ी गांड, मोटे मोटे बूब्स देख कर तो मेरा लंड ही खड़ा हो गया.

मैडम को स्विमिंग नहीं आती थी तो वे पानी से थोड़ा डर रही थीं.
मैंने उन्हें दिलासा दी कि मैं आपको स्विमिंग सिखा देता हूँ.

थोड़ा समझाने के बाद वह मान गईं.
अब मैं उनको स्विमिंग सिखाने लगा.
मेरा एक हाथ उनके पेट पर और एक हाथ उनके पैरों को पकड़े हुए था.

वे पानी में पैर हिला रही थीं.
बीच बीच में मेरा हाथ उनके बूब्स पर टच हो रहा था पर उन्होंने कुछ नहीं कहा.

अब मैंने धीरे धीरे अपना हाथ पैरों से जांघ पर शिफ्ट कर दिया और बैलेंस बनाने के नाम पर उनकी जांघों को बार बार मसलने लगा.
उन्होंने अब भी कुछ नहीं कहा.

अब मेरा दूसरा हाथ धीरे धीरे उनके बूब्स को टच करने लगा और मेरी उंगलियां उनके बूब्स को मसलने लगीं.

मुझे लगा कि मैडम को भी मजा आ रहा था.

मैं अभी कुछ और कर पाता, पर तभी हमें पूल से निकलना पड़ा क्योंकि हमें घूमने जाना था.
पूरा दिन मैडम मुझे एक हल्की सी शरारत वाली स्माइल दे रही थीं.

शाम को रिज़ॉर्ट में लौट कर सब फिर से पूल में चले गए.
इस बार मैडम ने मुझे खुद से स्विमिंग सिखाने को बोल दिया.

अब मैं वापिस वही हरकतें करने लगा, धीरे धीरे मैं उनके बूब्स दबाने लगा, उनकी जांघों को मसलने लगा और एक दो बार मैंने उनकी गांड भी मसल दी.

कुछ देर बाद मैडम ने मुझे रोक दिया.

सब लोग पूल से निकल कर अपने अपने रूम में चले गए.
मैं बार बार बस मैडम को ही याद कर रहा था.

काफी रात गहरा गई थी.
तभी मेरे रूम की घंटी बजी.
मैंने जैसे ही रूम खोला, सामने प्रिया मैडम थीं.

वे एक टाइट टी-शर्ट और शॉर्ट में थीं.
मैंने उन्हें अन्दर बुलाया.

हम दोनों इधर उधर की बातें कर रहे थे.
तभी मैडम ने कहा- मेरे कंधे बहुत दुख रहे हैं, क्या तुम थोड़े दबा दोगे?

मैं उनके कंधे दबाने लगा.

इससे मैडम बहुत ही रिलेक्स फील कर रही थीं.

तभी मैडम मुझसे पूछने लगीं कि मेरी कोई गर्लफ्रेंड है?
मैंने मैडम को मना कर दिया.

तो मैडम ने कहा- तुम झूठ बोल रहे हो.
मैंने मैडम से कहा- अभी नहीं है, पर पहले थी.

मैडम ने पूछा- तो उसके साथ सेक्स भी किया होगा?
मैं यह सुन कर दंग रह गया.

मैंने कहा- थोड़ा बहुत किया है.
मैडम ने कहा- ऐसा क्यों?

मैंने मैडम को बताया कि उसे ये सब ज्यादा पसंद नहीं था.
मैडम हंस पड़ीं और बोलीं- सेक्स किसको पसंद नहीं होता!

अब मैंने मौका देखते हुए मैडम से कहा- अगर आपका शरीर ज्यादा थक गया हो, तो मैं आपके पैरों की भी मसाज कर दूँ?
कुछ पल सोचने के बाद वह मान गईं और बोलीं- पर आराम से करना.

मैंने उनके कहने के अंदाज से यही समझा कि ये चुदाई आराम से करने की कह रही हैं.
वे बेड पर उल्टा लेट गईं.

अब मैं उनके पैरों की उंगलियां दबाने लगा.
मैडम को मजा आने लगा.

मैं धीरे धीरे पैर दबाते दबाते उनकी जांघ तक पहुंच गया और जांघों को मसलने लगा.
अब मैडम थोड़ी थोड़ी कामुक आवाज निकालने लगीं.

मैं उनकी जांघ के अन्दरूनी हिस्से को भी मसलने लगा और धीरे धीरे मेरा हाथ उनकी चूत के करीब पहुंच गया, पर मैंने चूत को टच नहीं किया.

मैंने मैडम से कहा- अगर आपको मसाज पसंद आयी हो, तो मैं आपकी पीठ की ऑयल मसाज भी कर सकता हूँ.

मैडम ने थोड़ा झिझक कर हां कह दिया पर कहा कि किसी को बताना मत!

मैंने हामी भरी और बाथरूम से मसाज ऑयल लेकर आ गया.

तब तक वे भी टी-शर्ट उतार कर पीठ के बल बेड पर लेट गईं.
उन्होंने लाल कलर की डिजाइनर ब्रा पहन रखी थी.
उनके बूब्स ब्रा के साइड से बाहर आ रहे थे.

यह देख कर मेरा लंड उफान मारने लगा.

मैंने अपने को काबू किया और उनकी लोवर बैक की मसाज करने लगा.
धीरे धीरे मैं उनकी पूरी की पूरी पीठ को मसलने लगा.

मैडम को भी मजा आने लगा.

वे बहुत ज्यादा कामुक होकर मादक आवाजें निकाल रही थीं.
मुझे ब्रा की स्ट्रेप की वजह से मसाज करने में दिक्कत हो रही थी, तो मैंने मैडम को ब्रा स्ट्रिप को खोलने को कहा.
वे वासना में इतनी ज्यादा डूब चुकी थीं कि उन्होंने ब्रा की स्ट्रिप खोल दी.

अब मुझे उनके गोरे बूब्स साइड से साफ दिख रहे थे.
बिल्कुल दूध से सफेद.

मैं उनकी रगड़ कर मालिश करने लगा और मैडम जोर जोर से आह आह की कामुक आवाजें निकालने लगीं.
मैं हल्के हाथों से उनके बूब्स को साइड से सहलाने लगा.

मैडम और भी ज्यादा प्यार भरी आवाजें निकालने लगीं.

यहां मेरा लंड पैंट में दर्द करने लगा.
मैंने मौका पाकर मैडम से पेट की मालिश के लिए पूछ लिया.

पहले तो मैडम ने मना कर दिया, फिर तुरंत ही हां भी बोल दिया.
पर मुझसे आंखें बंद करके मालिश करने को कहा.

मैं मान गया और मैडम के आदेश को फॉलो करते हुए अपनी आंखें बंद करके उनके पेट पर धीरे से बैठ गया और उनकी मालिश करने लगा.
मेरा हाथ जैसे ही बूब्स के करीब पहुंचा, तो मैडम ने टोक दिया और नीचे नीचे मालिश करने को कहा.

मैंने भी डर के मारे आंखों को बंद रखा और मालिश जारी रखी.
थोड़ी देर में ही मैडम की कामुक आवाज फिर से शुरू हो गयी.

मैंने हिम्मत करके थोड़ी सी आंख खोली तो मैडम आंखें बंद करके मादक आवाजें निकाल रही थीं.
मैं अब आंख खोल कर मालिश करने लगा.

उनके बूब्स ब्रा से ढके हुए थे पर बहुत ही मस्त लग रहे थे.

मैं धीरे धीरे हाथ ऊपर की ओर बढ़ाने लगा तो मैडम अपनी ब्रा धीरे धीरे खिसकाने लगीं.
उन्होंने अपनी ब्रा पूरी तरह से साइड में कर दी.

क्या तो बूब्स थे उनके … मैं तो देखते ही पागल हो गया.

मैं धीरे धीरे उनके बूब्स को नीचे से टच करने लगा.
मैडम ने कुछ नहीं कहा.

मैंने हिम्मत करके उनके बूब्स पर हाथ रख दिया और आंखें बंद करके धीरे धीरे मालिश करने लगा.

मैडम ने अब भी कुछ नहीं कहा.
मैं मैडम के बूब्स मसलने लगा.
मैडम कराहने लगीं.

मैंने मालिश करते हुए अपने होंठ मैडम के होंठों पर रख दिए और उन्हें किस करने लगा.
मैडम भी मेरा पूरा साथ देने लगीं.

हॉट मैम पागलों की तरह मेरे होंठों को चूसे जा रही थीं और मैं उनके बूब्स दबा रहा था.

कुछ देर बाद मैं उनकी गर्दन को चूमने लगा तो वे मचल उठीं.
पर उनकी आंखें अब भी बंद थीं.

मैं उन्हें चूमते हुए नीचे आया और उनके बूब्स को चूसने लगा.

बूब्स चूसते चूसते मैंने मेरा एक हाथ उनके शॉर्ट के अन्दर डाल दिया और पैंटी के ऊपर से उनकी चूत मसलने लगा.
उनकी चूत पूरी गीली थी.

मेरी इस हरकत से वह जल बिन मछली की तरह तड़पने लगीं.

अब मैंने उनके शॉर्ट को खोल दिया और पैंटी उतार कर Xxx मैम की चूत को देखने लगा.
बिल्कुल क्लीन शेव, किसी कुंवारी लड़की की चूत की तरह लग रही थी.

मैं उनकी चूत पर टूट पड़ा और उनकी चूत को चाटने लगा.

उन्होंने अपना हाथ मेरे सर पर रख दिया और मेरे सर को चूत की तरफ दबाने लगीं.

साथ ही वे जोर जोर से उह आह आह हो आह की आवाजें निकालने लगीं.
उनकी ये कामुक आवाजें सुन कर मैं और जोर से उनकी चूत चाटने लगा.

कुछ देर बाद उन्होंने छटपटाते हुए सारा पानी निकाल दिया और खुद बेसुध हो कर लेटी रहीं.

मैं उनका सारा पानी पी गया.
क्या स्वाद और क्या खुशबू थी.

अब मैंने फटाफट अपने सारे कपड़े उतारे और उनके बूब्स पर बैठ गया.
मैंने मैडम को आंखें खोलने को कहा. उन्होंने जैसे ही आंखें खोलीं, मेरा बड़ा लंड ठीक उनके मुँह के ऊपर था.

वे मेरा लंड देख कर चौंक गयी और शर्म के मारे आंखें चुराने लगीं.
मैंने एक हाथ से उनकी गर्दन को ऊपर उठाया और लंड उनके मुँह में दे दिया.

वे भी बड़े प्यार से मेरा लंड चूसने लगीं.
लंड चूसने में वे पक्की खिलाड़ी थीं.

कुछ देर लंड चुसवाने के बाद मैंने उन्हें पेट के बल पलंग के किनारे लेटने को कहा और मैं पलंग के किनारे खड़ा हो गया.
मैंने उन्हें फिर से लंड चूसने को कहा, वह मेरा लंड पूरा अन्दर गले तक उतार कर चूसने लगीं.

मेरा लंड उनके मुँह में ठीक से आ भी नहीं रहा था, फिर भी उन्होंने वह पूरा अन्दर तक लेकर चूस लिया.

मैंने उनके बाल पकड़े और उनके मुँह को चोदने लगा.
उनकी सांस फूलने लगी पर वे बराबर अपना मुँह चुदवाने लगीं और मैं अपनी चरम सीमा पर आ गया.

मैंने अपना पूरा सारा वीर्य उनके मुँह में खाली कर दिया और उनके पास में लेट गया.
वे मेरा सारा वीर्य चूस गईं और मेरे पास में लेट कर मेरे पूरे शरीर को चूमने लगीं, मेरे लंड को सहलाने लगीं.

कुछ ही देर में मेरा लंड फिर से चार्ज हो गया.
उन्होंने मुझसे कहा- आकाश, चोद दे अब मुझे … मुझसे बर्दाश्त नहीं होता, कब से बड़े लंड के लिए तरस रही थी.

मैंने भी देर न करते हुए उनके ऊपर चढ़ कर अपना लंड उनकी चूत पर सैट कर दिया और एक जोर का धक्का दे दिया.
मेरा आधा लंड उनकी चूत में चला गया.
वे जोर से चीख पड़ीं, मैं रुक गया.

मैंने थोड़ा इंतजार किया और एक और जोर का धक्का दिया.
अब मेरा पूरा लंड उनकी चूत में समा गया.
उनकी आंखों से आंसू आ गए.

चूत लंड के हिसाब से थोड़ी टाइट थी.
मैं थोड़ा रुक कर उनके होंठों को चूसने लगा.

वे जैसे ही नॉर्मल हुईं, मैं धीरे धीरे उन्हें चोदने लगा और उनके होंठ चूसने लगा.

कुछ देर बाद वह भी अपनी गांड हिलाने लगीं तो मैंने अपने हाथों को पलंग पर रख कर पकड़ बनाई और धीरे धीरे स्पीड बढ़ाते हुए उन्हें जोर जोर से चोदने लगा.

वे जोर जोर से चिल्ला रही थीं- आह और जोर से … और तेज आकाश फाड़ दे मेरी चूत … भोसड़ा बना दे इसका.

मैं उन्हें और जोर जोर से चोदने लगा.
कुछ देर बाद मैंने उन्हें बिस्तर से उठाया और बालकनी में ले आया.

उधर मैंने मैडम से बालकनी की रेलिंग पकड़ कर झुकने को कहा और पीछे से एक जोर का झटका दिया.
इस बार मेरा पूरा लंड एक बार में अन्दर चला गया.

वे जोर से चीखने लगीं.

मैंने Xxx मैम को चोदना जारी रखा और पूरी रफ्तार से चोदने लगा.
वे जोर जोर से चिल्लाती हुई ‘उह आह ओह … यस लाइक दैट …’ कहने लगीं.

कुछ देर बाद मैंने अपना सारा वीर्य उनकी पीठ पर निकाल दिया और हम दोनों जकुजी में जाकर आराम से बैठ गए.
बाद में बाहर आकर मैंने हॉट मैम को काउगर्ल और मिशनरी स्टाइल में चोदा.

उस पूरी रात में मैंने मैडम को चार बार चोदा.
अगली सुबह मैडम जल्दी अपने कमरे में जाकर सो गईं.

अगले पूरे दिन मैडम से ठीक से चला नहीं जा रहा था.

उस दिन के बाद मैडम और मुझे जब भी मौका मिलता, हम दोनों चुदाई कर लेते हैं.

वैसे हम दोनों को बालकनी में चुदाई करते हुए स्वाति और राधिका ने देख लिया था.

प्रेषिका – रूपा Hindi Porn Stories

दोस्तो, अन्तर्वासना पर मैंने बहुत Hindi Porn Stories कहानियाँ पढ़ीं। बेहद मज़ा आया। सेक्स सिर्फ चुदाई का नाम नहीं है। चुदाई को मसालेदार बनाने के लिए कुछ नया करना पड़ता है। सचमुच मुझे सेक्स में प्रयोग करने में बहुत मज़ा आता है। मैं और मेरे उन्होंने सेक्स में बहुत सारे खेल खेले हैं। उसी प्रकार के खेल के एक हिस्से को मैं आपके सामने पेश कर रही हूँ। अच्छी लगे तो अपने साथी के साथ अपने यौन-जीवन को रंगीन बनाइए।

मेरे मन में मर्द की गुलामी, हर पल चुदाई की बातें चलती रहतीं थीं।

बात उन दिनों की है जब ऑफिस में काम करते हुए मुझे लगा कि मेरा साथी सुनील मुझ में कुछ अधिक ही रुचि दिखा रहा है। धीरे-धीरे मैं उसकी तरफ खिंचती चली गई। हम घंटों साथ रहने लगे।

एक दिन हमें डेट पर जाना था। मैं दो घंटे देर से पहुँची। सुनील बहुत नाराज़ था। मैंने उसे मनाने की कोशिश की। उसका लहज़ा उस वक्त काफी सख्त था। मैंने कान पकड़ कर माफी माँगी। इस पर उसने कहा “तुम जैसी लड़कियों को तो सज़ा मिलनी चाहिए, तभी तुम सुधर सकती हो।”

“सुनील मैं तुम्हारी हूँ, तुम जो सज़ा देना चाहो, दे सकते हो।” मैंने उसे मनाने के लिए कहा।

सुनील ने मेरी छातियों को कसकर मसला तथा मेरी गाँड पर थपाथप ५ चाँटे जड़ दिए। मुझे दर्द तो हुआ, लेकिन मर्द की सख्ती का एहसास पहली बार हुआ। मैं सुनील से बुरी तरह से लिपट गई। सुनील मुझे अपने कमरे पर ले गया।

कमरे में पहुँचते ही सुनील शेर की तरह गुर्राने लगा,”साली, कुतिया… मैं तेरा मालिक हूँ, तू मेरी ग़ुलाम है। मैं तुझे जैसे चाहूँ, वैसे रखूँगा… समझी।”

मैं बुरी तरह से डर गई, लेकिन मुझे कुछ-कुछ हो रहा था। सुनील की बातों में मैं मस्ती ले रही थी। मैं कुतिया की तरह चारों हाथ-पैरों पर झुकी तथा सुनील के पैरों को चूमकर बोली,”मालिक, मैं पूरी तरह से तुम्हारी हूँ, जो चाहो सो करो।”

सुनील ने मुझे पूरी तरह से नंगा कर दिया तथा ख़ुद भी नंगा होकर खड़ा हो गया। उसका १२ इंची लंड मुझे पागल बना रहा था। कुछ ही देर में सुनील ने मुझे कुतिया की तरह गले में पट्टा पहना दिया और एक ज़ंजीर से बाँध दिया। मैं पागल कुतिया की तरह उसका लंड चूस रही थी। मोटा लंड मेरे मुँह में समा नहीं पा रहा था।

अब सुनील ने हाथ में एक मोटा डंडा ले लिया। सुनील का लंड मेरे मुँह में था। सुनील ने डंडे की बाछौर मेरे चूतड़ों पर कर दी। मैं दर्द के मारे कराह उठी, लेकिन मुझे बड़ा मज़ा आया। मैं लंड चूसती रही। सुनील मेरे मुँह को चोदता रहा। उसके बाद उसने अपने संदूक में से रस्सी निकाली और मेरी दोनों छातियों को कस कर बाँध दिया। मैं दर्द से कराह उठी। यह तो अभी शुरुआत थी। सुनील ने हथकड़ी निकाल कर मेरे हाथों को मेरी गाँड के पीछे बाँध दिया।

अब मैं फिर से कुतिया बनी थी। मेरे हाथ बँधे हुए, कमर पर थे। सुनील ने अपना लंड मेरी गाँड की छेद पर रखा. उसके पैरों की ऊँगलियाँ मेरे मुँह के पास थी। बहनचोद, मादरचोद, कुतिया की बच्ची… मुझ पर गालियों की बौछार हो रही थी। सुनील ने मेरी गाँड पर थूक दिया और लंड अन्दर डालने लगा।

मैं चीख रही थी, मेरे हाथ पीठ पर बँधे थे। लंड तेज़ी से मेरी गाँड में चला गया। मैं सुनील के पैरों की ऊँगलियों को चूस रही थी। १५ मिनट तक मेरी गाँड फाड़ने के बाद सुनील ने मेरी चूत में लंड पेलना शुरु कर दिया। मुझे बड़ा मज़ा आ रहा था।

“मेरे मालिक… मेरी गाँड फाड़ दो… चूत की धज्जियाँ उड़ा दो।” मैं चिल्ला रही थी।

सुनील में गज़ब का दम था। मैं पस्त हो चुकी थी। सुनील ने लंड को चूत से निकाल कर मेरे मुँह की तरफ कर दिया। एक बार फिर से सुनील मेरा मुँह चोदने लगा था। मैं ज़ोर-ज़ोर से लंड का पानी गिराने की कोशिश कर रही थी।

सुनील को झटका लगा। मेरे मुँह में माल गिरने लगा। झड़ने के बाद भी सुनील ने मुझे आज़ाद नहीं किया।

“प्लीज़ सुनील, मुझे घर जाना है। देर हो रही है, जाने दो” मैंने अनुमति मांगी।

सुनील ने मेरे गाल पर ज़ोरदार चाँटा मारा और उठाकर खड़ा कर दिया, हथकड़ी खोली, लेकिन मुझे फिर से कुतिया बना दिया। वो मुझे लेकर इस तरह टहल रहा था जैसे लोग अपने कुत्ते को सैर पर ले जाते हैं।

मुझे बड़ा मज़ा आ रहा था कुतिया बनने में। १५ मिनट घुमाने के बाद सुनील मुझे अपने तहख़ाने में ले गया। वहाँ पर कुत्ते का एक पिंजरा रखा हुआ था। सुनील ने मुझे पिंजरे में जाने का इशारा किया। मैंने पिंजरे में जाने में आनाकानी की तो सुनील ने मेरे चूतड़ों पर ज़ोर की लात मारी।

मैं अपने चारों हाथों-पैरों से चलती हुए पिंजरे में पहुँच गई। सुनील ने पिंजरे में पानी का कटोरा रखा, फिर दरवाज़े में ताला जड़ दिया। अब मैं पूरी तरह से क़ैद थी। सुनील कुटिल मुस्कान बिखेरता हुआ बोला,”अब देखता हूँ साली, तू घर कैसे जाएगी।”

मैंने कहा,”मालिक, आप जब कहोगे, तभी घर जाऊँगी।”

सुनील मुझे उसी हालत में अकेला छोड़कर वहाँ से चला गया। थोड़ी ही देर में मेरे हाथ-पैरों में दर्द होने लगा। आधा घंटा होते-होते दर्द असहनीय होने लगा।

इतने में दरवाज़ा खुला। सुनील अन्दर आया,”कुतिया… कैसा लग रहा है। तुम्हें इसमें रहने की आदत डालनी होगी। जब तुम मेरी पूरी ग़ुलाम बन जाओगी तो पूरी रात इसी पिजरे में रखूँगा।”

पिंजरे का दरवाज़ा खुलने के बाद मैं जब बाहर निकली तो मुझे खड़ा होने में भारी मशक्कत करनी पड़ी। मैं पूरी नंगी हो सुनील के पीछे चलने लगी। बाथरुम में ले जाकर सुनील ने मुझे फिर से चोदा। इसके बाद मैं बाथरूम गई।

अब सुनील ने मुझे जाने की इजाज़त दे दी। कमरे से बाहर आने के बाद वो बदल गया। अब वो अपनी सख़्ती के लिए माफ़ी माँग रहा था। इतना दर्द होने के बाद भी मुझे वो सख़्त मर्द अच्छा लगा।

“सुनील, मैं तो मुझे माफ़ कर दूँगी, लेकिन तुम शादी के बाद भी मुझे इसी तरह से कुतिया बनाओगे?”

“श्योर” – सुनील ने कहा।

इसके बाद क्या हुआ, अगली कहानी में बताऊँगी। Hindi Porn Stories

Antarvasna stories

लेखक: जतीन, हाय Antarvasna, अपनी पहली कहानी में मैंने बताया की मेरा दोस्त नवीन रसोई में मेरी भाभी के मम्मे दबा रहा था, किस भी कर रहा था लेकिन उन्होंने ज्यादा कुछ नही किया मै घर में था। मुझे पता था कि वो भाभी को खूब दबा के चोदेगा। मैं देखना चाहता था कि वो यह सब कैसे करता है, मैने एक योजना बनाई और उन दोनों को मूवी देखने जाने के लिये कहा। पहले तो वो मना करने लगी पर जब मैने बताया कि नवीन भी है तो मान गयी।

भाभी ने गहरे गुलाबी रंग का स्लीव्लैस सूट पहना। उनके बूब्स उस तंग सूट में काफ़ी उभर आये थे और वो बहुत प्यारी और सेक्सी लग रही थी। नवीन अपनी बाइक पर आया तो मैने भाभी से कहा कि मेरे स्कूटर में हवा कम है इसलिये वो सनी के बाइक पर बैठ जायें। वो मान गयी औरतके पीछे बैठ गयी। मैं आराम से पीछे आ रहा था, तो मैने देखा कि वो बार बार ब्रेक मार रहा था और भाभी उसके ऊपर झुकी हुई थी और उसके मोटे मम्मे उसकी पीठ पर गड़े जा रहे थे। वूऊऊओ, साले को कितने मजे आ रहे होंगे मैं सोच कर ही एक्साइट हो रहा था। दोनो पता नहीं क्या बात कर रहे थे पर भाभी हंस रही थी। प्लान बना कर मैं ने ऐसी मूवी का टिकट लिया जिसमे कम भीड़ थी। हम मूवी देखने लगे। थोड़ी देर बाद मैं ने महसूस किआ कि भाभी जो हम दोनो के बीच में बैठी हुई थी थोड़ी बेचैन हो रही है।

मैं ने अंधेरे में नजर घुमाई तो देखा उसने एक हाथ भाभी के मम्मे पे रखा हुआ है और दबा रहा था। ऊऊऊऊऊओ। यहां भी वो कोई मौका नहीं छोड़ रहा था धीरे धीरे वो अपने हाथ नीचे ले गया और सूट के अंदर डाल दिआ, उसका हाथ उनकी टांगो के बीच था। वो उसका हाथ हटाने की कोशिश कर रही थी पर शायद उन्हे मजा भी आ रहा था। मैं समझ गया कि मेरे रहते कुछ नहीं होगा सो मैं ने फोन आने का बहाना बनाया। उनहे बताया कि मुझे अर्जेन्ट काम से जाना पड़ रहा है और वो मूवी देख के घर चले जायें मैं बाद में आ जाउंगा।

मैं हाल के बाहर पहुंचा और एक कोने से उन्हे देखने लगा थोड़ी देर मैं दोनो के बाहर आते देखा। दोनो बाइक पर बैठ कर निकल गये। मैं ने पीछा किया तो देखा कि वो एक होटल में चले गये। मैं ने सोचा था कि शायद वो घर ले जायेगा पर होटल में नहीं सोचा था। मैं अंदर गया और रिसेप्शन पे थोड़ी पूछ ताछ करने की कोशिश करी पर कुछ हाथ नहीं आया मैं मायूस हो रहा था उन्हे करीब २० मिनट हो गये थे और मैं सोच कर परेशान हो रहा था कि वहां क्या चल रहा होगा। जब मुझसे नहीं रुका गया तो मैं ने नवीन का फोन लगाया। बेल जाती रही पर उसने नहीं उठाया। वो ऐसी कंडीशन में थे कि उस समय फोन नहीं उठा सकता हो। मै बहुत बेचैन हो उठा।

मैं काल पे काल करता रहा आखिर उसने उठाया तो मैं ने बोला कहां हो यार।

पूछने लगा क्या हुआ, उसकी आवाज़ मेँ गुस्सा था। मैं ने बोला मेरा प्रोग्राम केन्सल हो गया है और मैं हाल के बाहर उनका इंतजार कर रहा हूं।वो कुछ देर चुप रहा मैं ने पूछा क्या हुआ? तो बोला यार मूवी अच्छी नहीं थी इसलिये हम बाहर आ गये और अब मार्केट में हैं, भाभी को शोपिंग करनी थी मेरी भाभी को किस चीज़ की शोपिंग करा रहा था मैं सब समझ रहा था। मैं ने कहा मुझे शोप बताओ मैं वहीं आता हूं, गुस्से में उसने भाभी को फोन दिया और बोला भाभी बतायेंगी।

जब मैं भाभी से बात कर रहा था उनकी सांसे फ़ूली हुई लग रही थी। बीच बीच में रुक रही थी, शायद मेरे से बात करते वक्त वो उनके साथ कुछ कर रहा था, अंतत: उन्होने मुझे एक शोप पे बुला लिया। थोड़ी देर में दोनो तेजी से होटल के बाहर आये जब वो घर से गयी थी उनके बाल बंधे हुए थे और अब बाल खुल गये थे मुझे वो एक शोप में मिले तो नवीन नाराज सा दिख रहा था और भाभी बहुत बेचैन और परेशान थी पर मुझे उनके चेहरे के भाव देख कर मजा आ रहा था लेकिन और मजा आता अगर दोनो को एक्शन में देखता। इसके लिये मैं ने एक और प्लान सोचा है जो जल्दी ही पूरा होगा, जब दोनो को एक होता हुआ देखुंगा। Antarvasna

TOTTAA’s Disclaimer & User Responsibility Statement

The user agrees to follow our Terms and Conditions and gives us feedback about our website and our services. These ads in TOTTAA were put there by the advertiser on his own and are solely their responsibility. Publishing these kinds of ads doesn’t have to be checked out by ourselves first. 

We are not responsible for the ethics, morality, protection of intellectual property rights, or possible violations of public or moral values in the profiles created by the advertisers. TOTTAA lets you publish free online ads and find your way around the websites. It’s not up to us to act as a dealer between the customer and the advertiser.

 

👆 सेक्सी कहानियां 👆