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दोस्तो, यह कहानी मेरी बुआ की Sex Stories चुदाई की है. मेरा नाम मोहित है, मेरी उम्र 22 साल कद 6’2″, मेरा हथियार 8′ लम्बा और 2.5″ मोटा है। मैं अन्तर्वासना का नियमित पाठक हूँ, इस साईट की सभी कहानियाँ पढ़ चुका हूँ। आज मैं आप लोगों को अपना सच्चा अनुभव बताने जा रहा हूँ।
बात आज से लगभग 5 साल पहले की है जब मैं 18 साल का था। स्कूल में शीतकालीन छुट्टियाँ थी, मैं अपनी बुआ के घर दुर्ग गया था। मेरी बुआ के यहाँ पर कुल तीन लोग ही रहते हैं एक बुआ, उनकी सास और उनका छोटा लड़का श्याम भैया। बड़े भैया दूसरे शहर में नौकरी करते हैं और उनकी लड़की की शादी हो चुकी है। मेरे फूफा जी का देहाँत बहुत पहले हो चुका है।
अब मुद्दे की बात पर आते हैं। एक रोज मैं सुबह सो कर उठा तो पाया कि श्याम भैया जिम जा चुके थे और दादी (बुआ की सास) अपने कमरे में थी। श्याम भैया और बुआ के कमरे के बीच एक खिड़की है जो कि ठीक से बंद नहीं थी।
अचानक मेरी नज़र बुआ के कमरे में गई तो देखा कि बुआ बाथरूम से नहाकर आ रही हैं। उस समय बुआ ने केवल गाउन पहना था और आते ही अपना गाउन उतार दिया क्योंकि उन्हें स्कूल जाने की जल्दी थी। मेरी बुआ स्कूल टीचर हैं। उन्होंने अन्दर कुछ भी नहीं पहना था, मैं पहली बार किसी औरत को इतने पास से इस हालत में देख रहा था, बुआ के बड़े बड़े 38′ मम्मे, गोरा दुधिया जिस्म, मोटे गदराये चूतड़, काली काली झांटें मेरे दिलो दिमाग पर छा गए।
उस दिन के बाद मैं हमेशा बुआ के कमरे में ताकता रहता, जब भी बुआ झुक कर काम करती, उनके मम्मों और चूतड़ों को घूरता। कभी कभी जब बुआ घर पर नहीं होती तो उनकी ब्रा पेंटी से खेलता, बुआ को सोच कर मुठ मारता, मतलब कि अब मैं बुआ को चोदना चाहता था पर मेरी बुआ बहुत सख्त है इसलिए पहल नहीं कर पाया।
पर एक दिन मुझे मौका मिल गया। श्याम भैया की नाईट शिफ्ट थी, मैं बुआ के कमरे में मूवी देख रहा था, दादी अपने कमरे में थी। इतने में बुआ ने कहा कि उनके शरीर में दर्द हो रहा है और बुखार जैसा लग रहा है, तो उन्होंने मुझे अपने पैर दबाने के लिए कहा। पहले तो मैं उनके पैर को सिर्फ घुटनों के नीचे तक ही दबा रहा था, तो उन्होंने कहा कि दर्द थोड़ा ऊपर है। फिर जैसे ही मैंने उनकी जांघ पर हाथ लगाया, क्या एहसास था एकदम नरम नरम गदराये जंघे, मैं जोश मे आने लगा, धीरे धीरे मैं अपना हाथ ऊपर ले जाने लगा।
जैसे ही मैंने कूल्हों पर हाथ लगाये मुझे करंट लगा क्योंकि अन्दर पेंटी नहीं थी। उनके चूतड़ का स्पर्श पाकर मेरा लंड खडा हो गया। पर इतने में ही बुआ ने मुझे पैर दबाने से मना कर दिया। मैं थोड़ी देर मूवी देख कर बुआ के पास ही सो गया। मुझे नींद कहाँ आने वाली थी, लगभग एक घंटे बाद जब बुआ गहरी नींद में सो चुकी थी तब मैंने धीरे से अपनी एक टांग बुआ के दोनों टांगों के बीच में इस तरह डाल दी कि मैं नींद में हूँ। थोड़ी देर वैसे ही लेटे रहने के बाद मैं अपनी जांघ उनकी जांघ पर रगड़ने लगा, मैं बहुत जोश में आ चुका था। मैं अब हाथ उनके मम्मों पर रख कर हल्के हल्के दबाने लगा। डर भी लगा रहा था और मजा भी आ रहा था।
फिर मैंने धीरे से अपनी हथेली उनकी चूत पर रख दी। अब मुझे उनकी झांटें महसूस हो रही थी। कुछ देर इसी तरह धीरे धीरे चूत सहलाने से शायद बुआ जाग गई थी पर उन्होंने कुछ भी नहीं कहा। मेरा इरादा अब उनकी नंगी चूत देखने का हुआ। अब मैं धीरे धीरे उनका गाउन घुटनों के ऊपर करने लगा। ठीक चूत तक आ कर उनका गाउन पैर के नीचे अटक गया। नीचे से मैं उनकी चूत छूने लगा। अचानक बुआ ने मेरी तरफ मुहं करके करवट ले ली जिससे उनकी चूत अन्दर की ओर भींच गई। अब मुझे उनकी चूत छुते नहीं जम रहा था तो मैंने मम्मों को दबाना चालू कर दिया। बुआ ने अपना एक हाथ मेरे पीठ पर रख दिया। मुझे लगा कि बुआ भी तैयार है। अब मैंने मम्मों को जोर से दबाना चालू कर दिया। अचानक बुआ ने मुझे जोर का धक्का किया और मैं उनसे अलग हो गया। बुआ नींद से जाग चुकी थी। मुझे डर लगने लगा कि बुआ क्या बोलेगी और थोड़ी देर मैं सो गया।
रात को नींद में मुझे लगा कि कोई भारी सी चीज मेरे टांगों के ऊपर है। मैंने आँखें खोली तो बुआ ने अपनी एक टांग मेरे ऊपर डाल रखी है और मेरा लंड उनके जांघ से रगड़ रहा है। धीरे धीरे मेरा लंड खड़े होने लगा पर मुझे डर भी लगा रहा था कि अब अगर बुआ जाग गई तो न जाने क्या करेगी इसलिए मैं वैसे ही चुपचाप सोया रहा पर लंड पर नरम नरम स्पर्श लंड को और भी खडा कर रहा था। नींद मुझसे कोसों दूर थी पर मैं कुछ करने से भी डर रहा था। अब मुझसे रहा नहीं जा रहा था तो मैंने सोचा कि मुठ मार कर शांत हो जाता हूँ पर लंड के ऊपर तो बुआ की जांघ थी। मुठ मारने के लिए मैंने बुआ की जांघ को थोड़ा और ऊपर करके अपने नाभि के ऊपर ले आया ताकि मैं लंड हिला सकूं।
धीरे धीरे मैं लंड हिलाने लगा, मेरे शरीर में सनसनी होने लगी, इतने में ही बुआ ने अपने जांघ पर हाथ फेरा तो उनका गाउन ऊपर हो गया क्योंकि अन्दर पेंटी नहीं थी, उनके चूतड़ बिल्कुल नंगे हो गए थे। मैंने धीरे से उनके चूतड़ों पर हाथ फिराया। बुआ मुझसे चिपकने लगी। अब मैं भी बुआ की तरफ मुँह करके उनसे चिपक गया और इन्तजार करने लगा कि बुआ पहल करेगी और हुआ भी यही। बुआ धीरे धीरे मेरी पीठ पर हाथ फिराने लगी। अब मैं उनके मम्मों को दबाने लगा, उनको चूमने चाटने लगा। हम दोनों काफी गरम हो गए थे अब मैं उनकी चूत को रगड़ने लगा।
बुआ भी मुझे जोरों से चूमने लगी और जोश में आ कर कहने लगी- तूने मेरी प्यास को फिर से जगा दिया है!
बुआ को पीठ के बल लिटा कर मैंने उनका गाउन निकाल दिया। अब बुआ बिल्कुल नंगी मेरे सामने लेटी थी। मैंने उनसे पूछा तो बोली कि रात को सोते समय वो ब्रा, पेंटी नहीं पहनती हैं। मैंने अपने कपड़े भी उतार दिए।
पहले तो मैंने बुआ के होटों को चूमा, चूसा, अपनी जीभ उनके मुँह में डाल दी। बुआ की साँस जोरों से चलने लगी। मैं कभी उनके मम्मों को दबाता तो कभी उन्हें मुँह में लेकर चूसता, दांतों से काटता, बुआ के मुँह से सिस्कारियाँ निकल रही थी, वो मुझे अपने बाँहों में जकड़े जा रही थी। अब मैं उनकी झांटों को सहला रहा था, दो उँगलियाँ उनकी चूत में डाल कर हिला रहा था और जीभ से चूत के दाने को चूस रहा था।
बुआ पूरी तरह उफान पर थी। वो दोनों हाँथों से मेरे सर को अपने चूत पर दबा कर रगड़ने लगी और सिस्कारियों के साथ मेरे मुँह में ही झड़ गई। मैं उनके चूतरस का पान करने लगा।
झड़ते ही बुआ ने मुझे चित्त लिटा दिया और मेरे ऊपर चढ़ गई। पहले तो उन्होंने मेरे होठों को चूमा, फिर मेरी जीभ अपने मुँह में लेकर चूसने लगी। मेरे छाती पर चूमा, मेरे लंड को हिलाने लगी, फिर लंड को मुँह में लेकर चूसने लगी। 10 मिनट की चुसाई में ही मेरा पानी निकाल दिया और मेरा माल पी गई।
बीस मिनट बाद ही मेरा लंड फिर तैयार हो गया। मैंने सीधे बुआ की चूत में अपनी जीभ घुसा दी और जीभ से उन्हें चोदने लगा। बुआ ने मेरा सर पकड़ रखा था और चूत पर दबाये जा रही थी। फिर उन्होंने कहा- अब और मत तरसाओ! मुझे चोदो! जोर जोर से चोदो!
मैंने उनकी टांगों को पकड़ के फैला दिया अपना लंड उनकी चूत पर रख कर झटका मारा। एक ही बार में मेरा आधा लंड उनकी चूत में था। वो चिल्ला उठी क्योंकि कई बरसों बाद चुद रही थी। 15 मिनट उसी तरह चोदने के बाद मैंने उन्हें घोड़ी बनाकर चोदा। कुछ समय बाद मैं मंजिल के करीब था तो बुआ ने कहा- अंदर ही झड़ जाओ! कई सालों बाद आज चूत गीली होगी!
और मेरे लंड ने बरसात कर दी। मैं और बुआ दोनों संतुष्ट हो कर हाँफ रहे थे।
तो दोस्तो, यह थी मेरी बुआ की चुदाई की एक रात! मेरा तजुर्बा आप लोगों को कैसा लगा, ज़रूर बताएँ! Sex Stories
मैं आज Hindi sex stories आपको दो आंटी को चोदने की सच्ची कहानी बताने जा रहा हूं। मैं २५ साल का युवक हूं मुझे चोदने कि बहुत इच्छा थी लेकिन मुझे किसी को चोदने का मौका नहीं मिला था।
मेरी पड़ोस में एक यंग कपल (जोड़ा) रहता था। उनके साथ मेरे घरवालों का अच्छा रिश्ता था। उनके घर मेहेमान आये थे उन दोनो की मां एक साथ आयी थी। दो तीन दिन के बाद मेरे घर वालों ने और उस कपल ने बाहर घुमने प्रोग्राम बनाया, मुझे जरूरी काम था इसलिये मैं जाने वाला नहीं था मैं घर में ही रहने वाला था। उस कपल ने मेरे घर वालो को बोला की मनोज (मेरा नाम)हमारे घर खलेगा क्योंकि उनकी दो मातायें भी जाने वाली नहीं थी। मैं उनकी बातों पर मंजूर हो गया। दूसरे दिन वो सब घूमने के लिये चले गये.
मैं ओफ़िस से वापस आने के बाद फ़्रेश होके टी वी देखता था तब फोन करके मुझे खाने को बुलाया। मैं गया मैं ने बेल बजायी एक आंटी ने दरवाजा खोला मैं घर में गया। मैने घर में जाके उन दोनो को देखा और मैं चकित हो गया वो दोनो बहुत ही खूबसूरत थी कोई सोच भी नहीं सकता कि वो एक ३५ साल के कपल की मातायें थी। उन दोनो ने साड़ी पहन रखी थी उनका ब्लाउज़ को उनके बूब्स पकड़के रखने में तकलीफ़ होती होगी, उनके सुंदर और गठीले बूब्स ब्लाउज़ को तोड़ के बाहर आने को मांगते थे उनके काला बाल किसी नागिन जैसे लगते थे, खूब सूरत नशीली आंखें और गठीला बदन मैं देखता ही रहा। तो उनमे से एक बोली क्या देखते हो बैठो यूं खड़े ही रहोगे क्या तब मैने कहा कि तुम्हे मैं पहले बार देखता हूं और मैं तुम्हे पहचानता नहीं हूं इसलिये तुमको देखता हूं। मेरी आपसे ये पहली मुलाकात है, तो वो बोली हा जी और मैं सोफ़े पर बैठ गया। उन दोनो ने अपना अपना परिचय करवाया, जो लड़के की मां थी उसने अपना नाम विनीता बताया दूसरी ने अपना नाम सरिता बताया। मैने कहा तुम दोनो समधन हो।
वो बोली हां, जी। फिर उन्होने खाने के टेबल पर मुझे बुलाया और हम खाने लगे। लेकिन खाना खाते समय मैं अजीब सा महसूस कर रहा था मैं उन दोनो का विचार ही कर रहा था और मेरा लौड़ा खड़ा हो गया था वो दोनो मुझे देख के बोली क्या सोचते हो मैं ने कहा कुछ नहीं तो विनीता बोली नहीं तुम कुछ छुपाते हो तब मैने कहा की तुम्हारी उमर वाली स्त्री को हमारे पड़ोसी की उमर का लड़का लड़की कैसे हो सकता है तो वो बोली तुम सही कहते हो, वो दोनो हमारी सौतन के बेटी बेटे हैं हम दोनो उनकी नयी मां है। हम दोनो की अपने अपने पति के साथ दस साल पहले शादी हुई थी और पांच साल के बाद मेरी लड़की की शादी सरिता के लड़के के साथ हुई और उनकी शादी के दो साल बाद हमारे पति गुजर गये हमारी शादी हुई थी तब हमारे पति की उमर ५० साल थी हमारे कोई बच्चे नहीं हैं।
उनकी बातों से मैं समझ गया कि उनकी सेक्स लाइफ़ अच्छी नहीं होगी हम लोगो ने खाना खा लिया उसके बाद उन्होने पूछा कि तुम ड्रिंक्स लोगे, मैने कहा कि नहीं फिर सरिता ने बोला हम तो दारु पीने के आदी हैं हम रोज खाने के बाद पीते हैं मैने कहा मुझे कोई ऐतराज नहीं है फिर उन दोनो ने शराब पी। फिर हम तीनो सोफ़े पर बैठकर टी वी देखते रहे। मैं ने लुंगी पहनी थी मैं सोफ़े के सामने वाली कुर्सी पे बैठा था मेरा लौड़ा खड़ा था मेरी बगल में विनीता बैठी थी। वो मेरे खड़े लौड़े को देख रही थी, उनकी नज़र मेरे लौड़े पर थी मैने उनको लौड़े को देखते देख लिया तो वो शविनीता गयी। मैने उनको पूछा कि क्या देखती हो तो वो कुछ बोली नहीं लेकिन विनीता ने कहा वो तुम्हारी लुंगी देखती है मैने कहा कि लुंगी में देखने जैसा क्या है तो वो बोली तुम्हारी लुंगी हिलती क्यों है? वो देखती है, मैने कहा मुझे पता नहीं तुम मुझे बताओ कि लुंगी क्यों हिलती है तो वो मेरे पास आयी और बोली कि देखो यहां से हिलती है
ऐसा बोल के उसने मेरे लौड़े पर हाथ रख दिया और बोली ये क्या है तो मैं बोला खुद देख लो उन दोनो पर शराब का असर हो चुका था मैं भी, आज उन दोनो को चोदने मिलेगा, इसलिये खुश था तो विनीता ने मेरी लुंगी उठाई और मेरे खड़े लंड को देख कर बोली ये लंड है कि हथौड़ा फिर मैने उनको खींच के अपनी गोद में बिठाया और उनका बलाउज़ मैने खोल दिया हुक भी खोले उनके घांघरे का हिस्सा उसने ऊपर किया और बोली देखो ये लंड का घर है उसको इसमे रखो फिर इतने में विनीता आयी और सरिता को मेरे गोद मैं देख के बोली गोद में क्यों बैठी है पलंग पे ले जा तब मैं ने विनीता को अपनी तरफ़ खींचा और उसका नाड़ा खोल दिया और उनकी पुस्सी को सहलाने लगा अब मेरा एक हाथ में सरिता के बूब्स थे, दूसरे हाथ में विनीता की पुस्सी। उसके बाद हम तीनो बेडरूम में आये मैने उनदोनो को नंगा कर दिया था उन्होने मुझे और वो दोनो मेरे लंड को पकड़ कर सहलाने लगी फिर मैने विनीता के बूब्स चूसने लगा।
सरिता मेरे लंड को चूसने लगी बाद मैं विनीता ने सरिता को हटा दिया और वो लंड को पीने लगी और मैं विनीता की चूत को चाटने लगा और एक उंगली विनीता की चूत में डाल के हिलाने लगा दोनो मस्त हो चुकी थी फिर विनीता ने मुझको लिटा दिया मेरा लंड अपनी चूत में डाल लिया, मैं जोर से अंदर बाहर करने लगा वो गालियां बोलती रही और वो और मैं एक साथ खल्लास हो गये फिर सरिता और विनीता ने लंड के साथ खेलने लगी मेरा लंड फिर से तैयार हो गया और इस बार सरिता ने लंड को अपनी बुर में ले लिया और मैं अंदर बाहर करने लगा वो भी खुश होकर गालियां बोलने लगी ओर काफ़ी देर के बाद वो भी खल्लास हो गयी उसके बाद सारी रात ये चोदा-चादी चालू रही। Hindi sex stories
मेरी पत्नी रीति जिसकी Antarvasna उम्र अब बयालीस वर्ष है और मैं पैंतालीस का हूँ। करीब चार वर्ष पहले हम लोगों ने एक बड़ा ही नया अनुभव किया। आज अन्तर्वासना डॉट कॉंम पर इतनी कहानियाँ पढ़ने के बाद सोचा कि मन की बात बता ही दूँ। कुछ विवरण और वार्तालाप थोड़े काल्पनिक हैं, इस कहानी को रोचक बनाने के लिए, लेकिन हुआ सब कुछ वैसा ही जैसा लिखा है।
उस समय रीति 38 वर्ष की थी। हमारा यौन-जीवन काफी आनंदमय था और शादी के इतने सालों बाद बहुत ही खुल गए थे। शादी के चौदह वर्षों के बाद नए तरीकों से सेक्स जिंदगी को आनंदमय बनाने का प्रयास करते, जैसे कि रीति का कभी कभी अंग प्रदर्शन, साथ ब्लू फिल्म देखना, जब घर में अकेले हों तो नंगा रहना और वैसे ही खाना खाना साथ में, देर रात को अँधेरे में बालकॉनी में रीति का लगभग नग्न साथ बैठना इत्यादि।
हम सम्भोग के समय बिल्कुल खुली बातें करते, तीसरे पुरुष और स्त्री के बारे में फंतासी करते, एक दूसरे को प्यार भरी गंदी गालियाँ देते और एक दूसरे के अंगों के लिए गंदी बातें करते। लेकिन कभी भी हमने तीसरे पुरुष या स्त्री के साथ सेक्स करने के लिए प्रयास नहीं किया, हम ऐसे ही बहुत खुश थे। हम कभी कभी रात को खाने के बाद गाड़ी में दूर तक चक्कर लगाते और शहर के बाहर हाईवे पर जाते, शहर का नाम नहीं बताऊँगा।
रीति जो काफी भर-पूरे शरीर की है और स्तन जिसके ज्यादा बड़े तो नहीं लेकिन बहुत ही गुदाज और उन्नत हैं, मेरे कहने पर ब्लाऊज़ से निकाल लेती और उनकी घुंडियों तक उन्हें बाहर कर लेती। हमें एक अजीब प्रकार का आनंद प्राप्त होता यह सोच कर कि नजदीक से गुजरने वालों की नजर उन स्तनों पर पड़ती है और रीति और मैं दोनों सेक्स की गर्मी महसूस करते और घर आकर बहुत ही रोमांचक चुदाई का मजा लेते।
एक दो बार हमने देखा कि बाहर सड़क पर चलने वालो की नजर रीति के अधखुले स्तनों पर पड़ी तो उनकी आँखें फटी की फटी रह गई। रीति के उरोज तो उन्नत थे ही, सबसे ज्यादा सेक्सी थी उसकी जांघें और मोटे नितम्ब। जांघ जैसे कि मोटी शिला की तरह बिल्कुल चिकनी, गोरी और नितम्ब 39 इंच। उन कूल्हों को देख कर किसी का भी मन ख़राब हो सकता है आज भी।
एक दिन देखा कि एक चने वाला अपना सामान समेट कर जाने ही वाला था, तभी रीति ने कहा- हम चना खायेंगे !
मैंने गाड़ी रोकी और उससे मसाला चना लिया जो काफी स्वादिष्ट था। मैंने पूछा- क्या रोज यहाँ आते हो ?
तो उसने बताया- करीब दो हफ्ते से ठेला यहाँ लगा रहा हूँ, उसके पहले कहीं दूसरी जगह लगाता था।
चने वाला अंदाज़ 35 साल का होगा लेकिन शरीर से हट्टा कट्ठा था और बहुत ही साफ़ सुथरा जैसे कि रोज शरीर पर तेल मालिश करता हो, कुछ-कुछ पहलवानों जैसा सुडौल शरीर।
मैंने नाम पूछा तो बताया- सरजू !
हम चना लेकर चले आये। रात को जब रीति के साथ सम्भोग करते हुए उस चने वाले की याद आई तो मैंने अपनी पत्नी से पूछा- सरजू कैसा लगा?
रीति ने कहा- फालतू की बातें मत करो ! और हंसने लगी।
मैंने कहा- कल जब जायेंगे तो उसे भी अपने उरोजों के दर्शन कराना ! पागल हो जाएगा !
रीति ने कहा- चलती गाड़ी में बात और है, गाड़ी रोक कर मैं अपने चूचों को नहीं दिखाऊंगी, कोई गड़बड़ हो गई तो क्या होगा?
मैंने कहा- क्या उसका शरीर तुम्हें मस्त और मजबूत नहीं लगा?
तो वो मुझे चूमने और काटने लगी। मैं जानता था कि चने वाले की बात याद करके उसे मजा आ रहा था।
हम दो तीन दिन बाद फिर उस तरफ निकलने लगे, रीति से मैंने कहा- तुम्हारी सबसे छोटी और काली वाली जालीदार ब्रा पहनो !
रीति ने पहन तो लिया पर चूचों को दिखाने से मना कर दिया, कहा- गाड़ी रोक कर ऐसा करना खतरनाक होगा !
मैंने कहा- चलो तो !
जाते हुए देखा कि चने वाला ठेला लगाये खड़ा था, लौटते हुए मैंने रीति से कहा कि अपने चूचे बाहर कर ले ! पहले तो तैयार नहीं हुई पर जोर देने पर मान गई, कहा- अगर वहाँ भीड़ होगी तो नहीं खोलूंगी !
रीति अपनी चूचियों को बाहर कर लेती थी लेकिन उन पर साड़ी का पल्लू ढांप कर रखती थी और जब भी मौका दीखता, साड़ी का पल्लू हटा अपने उरोजों का प्रदर्शन करती ! अगर भीड़ बहुत होती तो फिर से ढक लेती।
मैंने दूर से देखा कि ठेले पर कोई नहीं है और सिर्फ चने वाला और उसके साथ एक छोटा लड़का खड़ा है, रोशनी भी वहाँ ज्यादा नहीं थी, रीति ने झिझकते हुए अपने स्तनों को ब्रा से निकाल बाहर किया और साड़ी के पल्लू से ढक लिया।
मैंने गाड़ी रोकी और चने वाले को बुलाया नजदीक और रीति को इशारा किया, रीति ने थोड़ा सा पल्लू हटाया और किनारे से उसके गोरे-गोरे बाएँ तरफ के उरोजों ने हलकी सी झलक दी। शायद चने वाले ने भी देखा।
ऐसा तीन चार बार हमने किया और धीरे धीरे रीति ने अपने उरोजों पर का पल्लू करीब करीब एकदम ही हटाना शुरू कर दिया, अब उसके अधनंगे गोरे और ऊंचे स्तन साफ़ दिखते थे, दिखावा ऐसे करती थी जैसे उसे पता ही नहीं और पल्लू खिसक गया हो।
शायद चने वाला कुछ-कुछ समझ रहा था, अब जब भी गाड़ी वहाँ खड़ी करता, चने वाला दौड़ा आता और चने देने के बहाने वहाँ खड़ा होकर मेरे और रीति से इधर उधर की बातें करने लगता, हम भी थोड़ा निडर हो गए और आनंद लेने लगे।
रीति की झिझक कम हो रही थी, वो पहले से ज्यादा उरोजों का प्रदर्शन चने वाले के लिए करने लगी। अब तो लगभग एक तरफ के चूचे को पूरा ही बाहर निकाल कर उसे दिखाने लगी, चने वाले का ठेला उस तरफ ही होता था जिस ओर रीति बैठती थी यानि कि रीति की बाईं ओर !
चने वाला भी अब समझ गया था।
मैं और मेरी पत्नी चुदाई का बहुत मज़ा ले रहे थे, सरजू का जिक्र होते ही रीति गर्म हो जाती थी और मैंने देखा कि उसकी बूर पानी से भर जाती थी, मुझे दांतों से काटने लगती और सिसकारी भी लेती। हालाकिं किसी दूसरे समय बात करता तो मुझ पर गुस्सा दिखाती।
एक दिन जब गाड़ी रोकी तो देखा कि सरजू चने लेकर आया और उसने मेरी रीति की ओर का दरवाजा खोल कर चने रीति और मेरे हाथ में दिए, पहले वो खिड़की से ही देता था।
मैंने कुछ नहीं कहा, वो रीति से काफी सटकर खड़ा था। अब वो दो-अर्थी भाषा में भी बोलने लगा और रीति को सीधा ही संबोद्धित करता, जैसे एक दिन बोल पड़ा- मेमसाब, मेरा चना आपके लिए स्पेशल तैयार किया है गरमा गरम दिखाऊँ क्या?
इसके आगे की घटना अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़िए शीघ्र ही ! Antarvasna
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खाला के अचानक हट जाने से मैं एक दम घबरा गया ऑर मुझे अहसास भी नही हुआ कि मेरा लंड अभी तक खड़ा है. और खाला मेरे लंड को ही देख रही थी जो उस टाइम तकरीबन 6 इंच का था.
इसी दौरान दरवाजे पर फिर दस्तक हुई तो खाला ने अपने कपड़े ठीक किए ऑर मुझे कहा:
अयान तुम ठीक से हो कर बैठो. मैं दरवाज़ा खोलती हूँ.
मैने जब देखा तो मेरा लंड बिल्कुल सीधा खड़ा हुआ था.
मैं जल्दी से उठ कर वॉशरूम की तरफ भागा. ऑर खाला दरवाज़ा खोलने चली गई……
अब आगे...
अंबर खाला ने डोर ओपन किया तो दरवाज़े पर उनकी फ्रेंड सोबिया आई थी.
मैं आप को बताता चलूं कि सोबिया 23 साल की एक खूबसूरत लड़की थी. जिसकी बॉडी हुश्न की शाहकार थी.
उसके मम्मे कुछ 36 के क़रीब थे ऑर गान्ड मोटी सी थी ऑर कुछ ज़्यादा ही बाहर को निकली हुई थी.
वो घर मे एंटर हो कर खाला से गले मिली ऑर अंदर आ गई. डोर की आवाज़ सुन कर मामू भी अपने रूम से बाहर आ गये थे. सोबिया ने मामू को सलाम किया ऑर मामू ने सोबिया के सलाम का जवाब दिया.
उसके बाद अंबर खाला, सोबिया को अपने रूम मे ले गई. वहाँ जा कर अंबर ने चादर उतार कर दुपट्टा ले लिया.
मैं वॉशरूम से निकल कर टी.वी लाउंज मे गया ऑर वहाँ बैठ कर वही मूवी दोबारा देखने लगा.
इतने मे मामी ऑर मामू रूम से बाहर आए ऑर मामू ने बॅग उठाया हुआ था. मामू ने हम सब को आवाज़ दी ऑर कहा कि : अच्छा हम जा रहे हैं. घर का ऑर अपना ख़याल रखना. ऑर मामू ने अंबर खाला को 20,000 रुपीज़ दिए घर के खर्चे के लिए. मामू ने मुझे कहा: "अयान तुम ने घर से बाहर नही निकलना"
ऑर घर की ज़िम्मेदारी अब तुम पर है. मामू ने मुझे भी 1000 रुपीज़ दिए खर्चे के लिए. मैं खुश हो गया.
मामू ऑर मामी चले गये तो अंबर खाला ने मेन डोर लॉक किया ऑर सोबिया से कहा: सोबिया तुम अयान के साथ टी.वी लाउंज मे बैठो. मैं झाड़ू दे दूं. फिर गॅप शॅप लगाते हैं.
सोबिया आ कर टी.वी लाउंज मे मेरे साथ सोफे पर बैठ गई. ऑर अंबर खाला हमारे सामने उसी स्टाइल मे झाड़ू लगाने लगी.. मैं अब डर रहा था क्यू कि अब तो घर मे सोबिया भी थी ऑर मुझे उसकी नेचर का नही पता था. खाला उसी तरह झुक कर झाड़ू लगा रही थी. जिसकी वजह से उसके मम्मे लटक रहे थे…. ऑर मुझे उनके पूरे मम्मे नज़र आ रहे थे… मैं खाला के मम्मो को गौर से देख रहा था. खाला ने मेरी तरफ देखा ऑर मुस्कुरा कर झाड़ू लगाने लगी.
खाला झाड़ू लगा रही थी,,, मैं उनके मम्मो को देख रहा था,,, ऑर मुझे नही पता था कि सोबिया की नज़र मेरे उपर थी. ऑर वो कभी मुझे ओर कभी अंबर खाला के मम्मो को देख रही थी…
सोबिया ने खाँसी करने के स्टाइल मे अंबर खाला को बताने का इशारा किया कि अपनी कमीज़ ठीक करे. मगर खाला ने उसको इशारा किया ऑर बाहर चली गई.
अंबर खाला बाहर गई तो सोबिया भी उसके पीछे पीछे बाहर चली गई.. वो दोनो कुछ देर तक बाहर रही ऑर फिर सोबिया आ गई..
अंबर खाला किचन मे छाए बनाने चली गई.
सोबिया मेरे पास सोफे पर बैठ कर मूवी देखने लगी ऑर इस बार सोबिया मेरे साथ क्लोज़ हो कर बैठी. उसकी थाइस मेरे थाइस के साथ टच हो रही थी.
अंबर खाला किचन मे चाय बनाने चली गई ऑर सोबिया टी.वी लाउंज मे आ कर मेरे साथ लग कर बैठ गई. उसकी थाइस मेरी थाइस से टच हो रही थी.
पता नही सोबिया ऑर अंबर खाला के बीच मे क्या बात हुई थी कि सोबिया मेरे साथ इतना क्लोज़ हो कर बैठ गई थी. सोबिया मूवी भी देख रही थी ऑर मेरे साथ साथ लेग भी रगड रही थी.
मूवी देखते देखते मूवी मे एक सीन आया समुंद्र पर नहाने का. जिस मे लड़कियाँ बिकिनी पहन कर घूम फिर रही थी. मैने वो सीन देखा ऑर सोबिया मेरे साथ बैठी हुई. मैं रिमोट ढूँढने लगा. ऑर रिमोट उठा कर मैं चॅनेल चेंज करने लगा कि
सोबिया की आवाज़ आई: अरे ये चॅनेल क्यू चेंज कर रही हो.
मैं. ये सीन ठीक नही है.
सोबिया: क्यू इस सीन मे क्या खराबी है. कपड़े तो पहने हुए हैं सब ने.
मैने कुछ नही कहा ऑर सोबिया के सामने मैं ऐसा सीन नही देखना चाहता था. मैं रूम से बाहर आ गया.
मैं खाला ऑर अपने कंबाइन रूम में चला गया. खाला ने मुझे रूम मे जाते हुए देख लिया था. जब वो चाय वाघेरा बना कर फ्री हुई तो उन्हो ने मुझे किचन से ही आवाज़ लगाई.
अंबार खाला: अयान आ जाओ चाय पी लो.
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मैं: आता हूँ 5 मिंट मे.
खाला चाय टी.वी लाउंज मे ले गई. मैं जब टी.वी लाउंज मे जाने लगा तो अंबर खाला, सोबिया के साथ बातें कर रही थी.
सोबिया: अरे अंबर जब तू झाड़ू लगा रही थी तो तेरा भांजा तो तेरे मम्मो को ही देख रहा था.
अंबार खाला: ह्म्म्म मुझे पता है,
सोबिया: अरे क्या कहा, तुझे पता था कि वो तेरे मम्मो को देख रहा है ऑर तू फिर भी उसके सामने ऐसी ही रही. मतलब तू अपने भानजे को खुद से अपना जिस्म दिखा रही थी.
अंबार खाला: हाँ. वो मेरा भांजा है ऑर बचपन से मेरे ही साथ है. मैं उस से बहुत प्यार करती हूँ.
सोबिया: मगर वो तेरा भांजा है. तू उसके साथ ऐसा केसे कर सकती है.. कल को तेरी शादी भी हो जानी है.
अंबार: जब शादी होनी होगी तब हो जाएगी. मगर मैं अपने भानजे को ऐसे ही नही तर्साउन्गी कि वो किसी लड़की के लिए तरसे.
सोबिया: तो क्या तू उसके साथ चुदाई करे गी ऑर उसको अपनी चूत दे गी,,,??
अंबार: हाँ मेरे तो यही इरादा है.
सोबिया: देख ले ये ग़लत है.
अंबार: मेरी जान कुछ ग़लत नही. कल को शादी के बाद मेरे पति ने भी चूत मारनी ही है ना. क्यू ना उसके लिए अपने आप को अभी से तय्यार किया जाए.
सोबिया: मगर,,,, मगर वो बहुत छोटा है यार,
अंबार खाला: अरे वो छोटा नही है. इस उमर मे भी मेरे भानजे का लंड कम आज़ कम 6 इंच का होगा.
सोबिया: क्य्ाआआआअ?????? इस उमर मे भी 6 इंच का.
अंबार: हाँ 6 इंच का होगा…
सोबिया: तो क्या तू अपने भानजे का लंड देख चुकी है.
अंबार: हाँ मेरा भांजा मुझे बहुत अच्छा लगता है.. वो मेरे साथ ही सोता है. उसकी नींद बहुत गहरी है.. जब जब वो थका होता है. ऑर गहरी नींद सो जाता है. मैं उसका लंड पकड़ कर देखती हूँ… बहुत नरम नरम सा है सॉफ्ट सा..
मैं डोर से बाहर खड़ा हुआ उनकी बातें सुन रहा था.. अपनी खाला की बातें सुन कर मैं बहुत हैरान हुआ था कि मेरी खाला कितने अरसे से मेरे लंड के साथ खेलती है ऑर मुझे पता भी नही लगता..
मेरा लंड खाला की बातें सुन कर एक बार फिर से बिल्कुल सीधा खड़ा हो गया. इतने मे मुझे पता ही नही चला कि खाला एक दम से रूम से बाहर निकली… वो शायद मुझे बुलाने के लिए निकली थी रूम से..
खाला मुझे बाहर देख कर एक दम से घबरा गई… ऑर मेरे टाइट लंड पर उनकी नज़र पड़ी.. एक मिंट के लिए खाला सोच मे गुम हो गई.. वो समझ गई थी कि मैने उनकी बातें सुन ली हैं…
मैं घबराते हुए बोला… वो खाला मैं आ रहा था. आप क्यू आई..
खाला : मैं तुम्हे बुलाने आई थी मेरी जान.. चाय ठंडी हो रही है…
मैं अपनी खाला के साथ रूम मे एंटर हुआ. ऑर खाला ने मुझे सोफे पर बिठाया.. ऑर मेरे साथ बैठ गई.. अब की बार सोबिया भी मेरी तरफ देख रही थी.. उसकी नज़र मेरी लेग्स के बीच मे ही थी. शायद वो भी ख़यालों मे मेरे लंड के बारे मे ही सोच रही थी.
सोबिया बोली: अंबर तेरा भांजा तो बहुत बड़ा हो गया है.
खाला: खाला ने मेरे गाल पर एक किस की ऑर बोली… हाँ ना मेरा भांजा बहुत बड़ा हो गया है. ये तो मेरी जान है.
मैं आराम से चाय पीता रहा.. चाय पी कर मैं अपने रूम मे आ गया. ऑर बेड पर लेट गया.. वहाँ पर सोबिया के कपड़े एक शॉपार मे पड़े हुए थे.. मैने शॉपार को थोड़ा सा खोल कर देखा तो मुझे सोबिया का ब्रा नज़र आया..
मेरा बहुत दिल कर रहा था कि उसका ब्रा निकाल कर देखूं. मगर हिम्मत नही हो रही थी. ऑर डर भी लग रहा था कि कहीं कोई आ ना जाए. फिर मैने दिल मज़बूत कर के ब्रा निकाल ही ली.. मैं ब्रा को खोल कर देखने लगा.. मैने ब्रा को स्मेल की तो मुझे उस की स्मेल बहुत अच्छी लगी..
मेरे माइंड मे एक ख़याल आया ऑर मैने ब्रा को चुपके से अपनी पॉकेट मे डाला ऑर वॉशरूम मे आ गया..
वॉशरूम मे आ कर मैने ब्रो को पॉकेट से निकाला ऑर उसको स्मेल करने लगा.. उसकी स्मेल से मैं पागल हो रहा था.. मैने ब्रा का नंबर देखा तो उस पर 36 लिखा हुआ था.. मैं समझ गया कि सोबिया के ब्रा का साइज़ 36 है… मैं ब्रा को देखता रहा ऑर मेरा हाथ अपने लंड पर चला गया.
मैं ब्रा को हाथ मे लिए मूठ मारने लगा.. फिर मुझे ख़याल आया और मैने ब्रा को अपने लंड पर रखा ऑर फिर ब्रा को अपने लंड पर रगड़ने लगा…. मेरी साँसे तेज चल रही थी….
मैने 2 बार मूठ मारी ऑर ब्रा पर अपना पानी निकाल दिया.. अब जब कि मेरा पानी निकल चुका ऑर मैं रिलॅक्स हो गया तो मुझे ख़याल आया कि अब मैं ब्रा का क्या करूँ उसको तो धो कर वापस रखना पड़ेगा..
"वो कहते हैं ना कि जब इंसान की क़िस्मत ही खराब हो तो फिर कोई चीज़ साथ नही देती"
ठीक इसी तरह मेरे साथ भी उस टाइम हुआ..
मैने ब्रा को धोने के लिए पानी का नलका खोला तो पानी नही आ रहा था.. अब मैं परेशान हो गया.. मैने अपना पानी ब्रा पर रगड़ा ऑर फिर सोचा कि अब मेरा पानी सूख जाएगा ..
मैने सोचा था कि जब ब्रा सूख जाएगा तो फिर मैं उसके शोप्पर मे वापस रख दूंगा.. मगर जब मैं रूम मे गया तो अंबर खाला ऑर सोबिया रूम मे बैठे हुए थे.. सोबिया शायद कपड़े चेंज करने लगी थी..
मैं रूम मे एंटर हुआ तो अंबर खाला ने कहा: सोबिया, चल अयान वॉशरूम से निकल आया है अब तू जा कर कपड़े चेंज कर ले.. सोबिया ने अपना शोप्पर खोला तो मैं परेशान हो गया..
सोबिया गौर से शोप्पर को देख रही थी ऑर फिर उस ने सब कपड़े निकाल कर बेड पर रख दिए ऑर खाला से कहा कि : यार मेरा ब्रा नही मिल रहा है.
खाला: तू अपने साथ लाई ही नही होगी.
खाला के बिल्कुल भी माइंड में नही था कि मैं भी ऐसा कर सकता हूँ.
सोबिया: अरे यार मैं खुद ले कर आई हूँ. वो यहाँ उपर ही पड़ी थी.
खाला: नही यार देख, तेरे कपड़ों मे ही होगी..
सोबिया: नही है यार देख लिया है.. ऑर सोबिया फिर से कपड़ों मे ढूँढने लगी..
मैं डरा हुआ था.. मैं सोबिया की तरफ देख रहा था ऑर मुझे नही पता था कि अंबर खाला मेरी तरफ देख रही है.. मैने सोबिया की तरफ देखते हुए अपनी पॉकेट के उपर हाथ रखा ऑर उसका ब्रा पॉकेट के अंदर फील कर ने लगा..
मेरी ये हरकत अंबर खाला ने नोट कर ली..
अभी वो कुछ बात करने ही लगी थी कि सोबिया का मोबाइल फोन पर रिंग आ गई… सोबिया ने मोबाइल देखा तो उसके घर से कॉल आ रही थी..
सोबिया ने कॉल रिसीव की ऑर: हेलो
मेरा नाम खुशबू है। अभी मैं २२ वर्ष की हूँ। इसी Sex Stories साल मैंने एम ए किया था। मेरे कॉलेज समय में यानि एक साल पहले मैं एक क्लास में पढ़ने वाले साथी के साथ प्यार कर बैठी थी, यह जानते हुए भी कि मेरी सगाई हो चुकी है।
आलोक एक सुन्दर और व्यवहारिक लड़का था। वो जिम में जाने वाला कसे जिस्म का लड़का था। मैं उसकी शरीर के कट देख कर उस पर मर मिटी थी। जब मैं उससे अधिक बात करने लगी तो वो भी मेरी तरफ़ आकर्षित हुआ। धीरे धीरे ये निकटता में बदल गई और एक दिन उसने मुझे प्रोपोज कर ही दिया। मैं तो पहले ही उस पर मरती थी। उसके प्यार को मैंने तुरन्त स्वीकार कर लिया। अब हम छुप छुप कर गार्डन में, झील के किनारे, लाइब्रेरी में या रेस्टोरेन्ट में मिलने लगे थे पर कॉलेज में सावधान रहते थे कि कही बदनाम ना हो जाये।
अभी तक बस उसने मेरा हाथ ही पकड़ा था। पर मेरी इच्छा तो अपनी हवस पूरी करने की थी, बस जिस्म की जरूरत को पूरा करना चाहती थी। मैं उसे हर तरह से उत्तेजित करती रहती थी कि वो मौका मिलते ही मेरी छातियाँ दबाये और मेरे दूसरे अंगों को मसल दे। कभी ऐसा भी हो जाये कि मुझे अकेले में चोद दे और मेरी प्यास बुझा दे। पर वो मेरे अंगो को हाथ लगाने से भी डरता था। वैसे मुझे चुदाई का कभी भी मौका नहीं मिला था। मैं एक दम अनछुई कली थी, जो खिलने को बेताब थी।
एक दिन आलोक ने मुझे बताया कि शाम को उसके मम्मी पापा एक दिन के लिये मथुरा जा रहे है। शाम को घर पर आ जाना। मेरे दिल में खुशी की लहर दौड़ पड़ी। मुझे लगा कि आज मौका है, सारी इच्छायें पूरी कर लूंगी। मेरा जिस्म तरावट से भर उठा। मेरे बदन में झुरझुरी सी आने लगी, चुदाई की सोच से मैं बैचेन होने लगी, सपनों में डूबने लगी।
बड़ी मुशकिल से शाम हुई। मैंने मोबाईल से पता किया, उसके मम्मी पापा जा चुके थे। मैंने अपनी स्कूटी उठाई और आलोक के घर पहुंच गई। जैसे ही मैं उसके घर पहुंची, उसके चेहरे पर खुशी झलकने लगी। अन्दर आते ही उसने मेरा गर्म जोशी से स्वागत किया। फिर हम एक सोफ़े पर बैठ गये। उसने धीरे से मेरा हाथ अपने हाथों में ले लिया और बातें करने लगी। पर मेरे दिल में तो कुछ और ही था। मेरा तो जिस्म ही जल रहा था। मैं चाह रही थी कि आज हम दोनों अकेलेपन का भरपूर फ़ायदा उठायें। वो सब कर डालें जो हमारे मन में है।
मैंने ही पहल करना उचित समझा… आलोक तो बस अपना प्रेमालाप ही करता रहा। मैंने उसकी जांघों पर हाथ रख कर उसे दबाया और उसकी काम वासना को जगाने की कोशिश की। उसके जिस्म की कंपकंपी मैंने महसूस कर ली। वो बोलता रहा, मेरी आँखें बन्द होने लगी और जाने कब वो मेरे कब्जे में आ गया। उसके होंठ मेरे होंठो से लग गये और उसका बोलना बन्द हो गया। पुचकारी की आवाजें गूंजने लगी। जीभ मुँह में अन्दर बाहर आने जाने लगी। उसका लण्ड खड़ा हो गया और मेरा काम बन गया।
उसने मुझे चूमते हुए सोफ़े पर गिरा दिया और मेरे जिस्म पर उसका बोझ आ गया। मेरे सीने पर उसके हाथ घूमने लगे। मेरी दिल इच्छा पूरी होने लगी। मुझे सोफ़े में तकलीफ़ हो रही थी। मैंने उसे कहा कि मुझे बिस्तर पर ले चलो। उसने मुझे अपनी बाहों में एक खिलौने की तरह उठा लिया। उसके बाहों की ताकत मुझे मालूम हो गई। उसने मुझे बिस्तर पर लेटा दिया और मेरे जिस्म पर अपना बोझ डाल दिया।
उसकी काया मेरी काया से चिपकी जा रही थी और लण्ड नीचे मेरी चूत पर दबाव डाल रहा था। बिस्तर में मुझे सहजता लग रही थी। उसके हाथ मेरे स्तन दबाने लगे थे और मुझे असीम आनन्द दे रहे थे। मेरी चूत पनीली हो चुकी थी। मेरा जिस्म अब चुदाई मांग रहा था, पर कैसे कहूँ? मैंने इशारों से काम लेना बहतर समझा। मैंने उसका लण्ड पकड़ लिया और दबाने लगी।
इसका तेज असर हुआ और उसने अपनी पेन्ट उतार फ़ेंकी और नंगा हो गया। मैंने जानबूझ कर शरमाने की एक्टिंग की और उसे नंगा देख कर कहने लगी,’ये क्या आलोक? क्या कर रहे हो? ‘
‘प्लीज खुशबू, मुझे मत रोको… वर्ना मैं पागल हो जाऊंगा !’
‘नहीं, आलोक नहीं, देखो मेरी सगाई हो चुकी है, ये ठीक नहीं है?’ पर इतनी देर में वो मेरे कपड़े खींच चुका था। मैंने भी सरलता से उसे उतारने दिये, चुदना जो था।
‘बस खुशबू अब चुप हो जाओ, इस अन्तर्वासना की लजन में कुछ सही गलत नहीं होता है !’ कह कर वो मेरे ऊपर फिर से चढ़ गया।
मैंने अपनी दोनों टांगें खोल ली और चूत का द्वार खोल दिया। पहले तो वो मेरा जिस्म दबाता, मसलता रहा। फिर उसका लण्ड मेरी चूत में घुस पड़ा और उसने चूतड़ों का पूरा जोर लगा कर अन्दर तक उतार दिया। मेरे मुख से जोर की चीख निकल पड़ी। साथ में वो भी कराह उठा। जल्दी से उसने अपना लण्ड निकाल लिया।
‘हाय रे मुझे लग गई है… ! ‘ उसके लण्ड के सुपाड़े के पास की झिल्ली फ़ट गई थी। मेरी चूत में से भी खून निकल आया था।
‘अरे ये खून !’ मैंने भी घबरा गई, मुझे भी अन्दर दर्द हो रहा था। सारा नशा काफ़ूर हो गया था। हम दोनों बाथरूम की ओर भागे। पानी से साफ़ करने लगे, मैंने देखा तो उसके लण्ड की पतली सी स्किन थी, जो सुपाड़े के आस पार से चिर गई थी, साफ़ नजर आ रही थी। मेरी चूत में से बून्द बून्द करके अभी भी खून बह रहा था। मैं घबरा उठी। यह तो मैं जानती थी कि झिल्ली होती है और पहली बार चुदने पर वो फ़ट जाती है पर नहीं मालूम था कि उसके बाद क्या करना चाहिये।
मैंने तो अपने बेग में से सेनेटरी नेपकिन निकाला और नीचे लगा दिया। हमारा पहला अनुभव था इसलिये कुछ समझ में नहीं आया तो मन मार कर मैंने चुदाने का विचार अभी छोड़ दिया। हम दोनों आपस में यही सोचते रहे कि अब क्या करें। कुछ देर बाद मैं घर चली आई। दर्द अभी भी था।
सुबह मैंने पैड हटा कर देखा तो सभी कुछ सामान्य थ, दर्द भी नहीं था। कॉलेज जाने से पहले मैं आलोक के घर गई कि उसे बता दू कि मैं अब ठीक हूँ। उसने भी भी बताया कि वह भी अब ठीक है।
उसने कहा- क्या अब फिर से ट्राई करें?
मैंने सोचा- अगर दर्द नहीं हुआ तो ठीक है वर्ना नहीं करेंगे।
हम जल्दी से बिस्तर पर आ गये। आलोक ने और मैंने जल्दी से कपड़े उतार लिये। कपड़े उतारते ही हम एक दूसरे को देखते ही रह गये। आज तो मैं होश में थी, उसका नंगा जिस्म, मसल्स उभरी हुई, लण्ड मदमस्त सा लहराता हुआ मेरे होश उड़ाने के लिये काफ़ी था। मेरे सेक्सी बदन को देख कर उसका हाल भी बुरा होने लगा। हम भाग कर एक दूसरे से लिपट गये। दो जवान जिस्म टकरा उठे, आग बरसने लगी। उसका मर्द मेरी गहराईयों को ढूंढने लगा। हम बिस्तर पर गिर पड़े और एक दूसरे को ऊपर नीचे लोट लगाने कर मचलने लगे। मन चुदने के लिये मचल उठा।
लोट लगाते हुए वो मेरे ऊपर आ गया और अब उसके चूतड़ मेरी चूत पर अपने लण्ड को दबाने लगे… आश्चर्य हुआ कि इस बार बिना किसी तकलीफ़ के उसका लण्ड मेरी चूत में उतर गया। मेरी पनीली चूत ने सहजता से लण्ड को अपना लिया। मुझे मीठे से अहसास के साथ खुमारी चढ़ने लगी। आज लगा कि लड़कियाँ चुदने के लिये इतना मरती क्यूँ हैं। मैंने भी अपनी चूत का पूरा दबाव उसके लण्ड पर डाल दिया।
धक्के चल पड़े। आलोक की कमर आगे पीछे होने लगी। हम मस्ती की सीढ़ियाँ चढ़ने लगे। सिसकारियाँ निकलने लगी… आलोक का भी यह पहला अनुभव था और मेरा भी। धक्कों की तेजी बढ़ती गई। हम दोनों आनन्द की दुनिया में मस्त हो गये। चूत-लौड़े की मीठी मीठी आग में हम जलते रहे।
‘हाय मेरे राजा, मस्त कर दे मुझे… चोद दे… जरा और … हाय रे !’
‘मेरी जानू, मस्त है रे तू… कितना मजा आ रहा है !’ हम चुदाई करते रहे और कुछ कुछ मस्ती में बोलते भी जा रहे थे।
कुछ ही देर में मैं चरमसीमा पर आ गई। और मस्ती के मारे मेरा रस छूटने लगा। मैं झड़ने लगी। मेरी आंखें बन्द हो गई। झड़ने का सुहाना आनन्द आने लगा। कुछ ही देर में आलोक ने भी अपना लण्ड बाहर खींच लिया और मेरी छाती पर अपना वीर्य छोड़ने लगा। मुझे बड़ा गन्दा सा लगा। मैंने उसे कहा कि वो दूसरी तरफ़ अपना रस गिराये। मैंने पानी से साफ़ किया और हम अब सुस्ताने लगे। इस के बाद मैं कॉलेज चली गई।
इसके बाद हमारा इस तरह का कार्यक्रम कभी मौका मिलने पर ही होता था।
मेरी पढ़ाई पूरी हो चुकी थी। एक साल बीतने को आ गया था। हम दोनों कितनी ही बार घर से भाग कर शादी करने का प्रोग्राम भी बना चुके थे। पर हममें इतनी हिम्मत ही नहीं थी। मेरी एम ए की डिग्री भी मिल चुकी थी। मेरी शादी भी कुछ दिनों बाद हो गई। मैं अपने पति के साथ एक अलग घर में रहने चली गई थी।
एक बार दिन को आलोक मेरे घर आ गया। मेरे पति काम पर गये हुए थे। उसने बताया कि टीचर की कुछ जगह निकली है, आवेदन भर दो। तब मैंने अपने पेपर टटोले और सभी निकाल कर आवेदन जमा करा दिया। आलोक ने एकान्त पाकर मुझसे एक बार चुदाई के कहा तो मैं मान गई। मेरा मन फिर मचल गया। आलोक का लण्ड ही इतना प्यारा था कि मन चुदने को बेकरार हो उठा।
हम दोनों ने अपने कपड़े उतारे और चुदाई में लग गये। मस्ती का सफ़र चल ही रहा था कि जैसे बिजली गिर पड़ी। आलोक का लण्ड मेरी चूत में ही था और मेरा पति सामने खड़ा था। हमारा सारा नशा गायब हो गया। आलोक तुरन्त उछला और अपनी पेन्ट पहनने लगा। मेरा पति आपे से बाहर हो चुका था। उसने पास में पड़ी कुर्सी उठा कर आलोक को दे मारी। वो पेन्ट पहन भी नहीं पाया था कि कुर्सी का वार उस पर आ पड़ा। वो बुरी तरह से गिर कर घायल हो गया। पर उसकी फ़ुर्ती गजब की थी। मेरा पति दूसरा वार करता उसने अपनी पेन्ट ठीक की और एक तरफ़ हो गया। दूसरे ही पल आलोक ने लपक कर उसे पकड़ लिया और उसके पेट पर जबर्दस्त घूंसा मारा और साथ में दूसरे हाथ से उसके चेहरे पर वार कर दिया। मेरा पति आलोक से कमजोर था। वो लहरा कर गिर पड़ा। आलोक ने फ़ुर्ती से छलांग लगाई और वहाँ से भाग खड़ा हुआ।
मेरा पति जब उठा तो उसका चेहरा खून से भरा था। उसने डंडा उठाया और मुझे बुरी तरह से मारना चालू कर दिया। मैं जोर जोर से रो कर उससे पांव पड़ कर माफ़ी मांगती रही पर उस पर तो जैसे खून सवार था। मैं रोती रही, मेरे जिस्म पर डण्डों की मार से नील पड़ चुकी थी। मेरे बालों का एक गुच्छा टूट कर वहाँ पड़ा था। पीठ में असहनीय दर्द हो रहा था। मुझे उसने एक कमरे में बन्द कर दिया। मैं दरवाजा भड़भड़ाती रही और माफ़ी मांगती रही। वो मुझे माँ बहन की गालियाँ देता रहा। अचानक उसके बाहर जाने की आवाज आई। मेरी नजर खिड़की पर पड़ी, मैंने जल्दी से पट खोला और कूद कर बाहर निकल आई। भाग कर बाहर आई तो दो-तीन पड़ोसी बाहर खड़े थे। मेरी चीख पुकार से शायद वो वहाँ आ गये थे।
पड़ोसी ने कहा,’खुशबू बेटी, वो शायद पुलिस थाने गये हैं !’
मैं और डर गई। आलोक के बारे में वहाँ कोई कुछ नहीं जानता था। मुझे लगा अब मुझे यहाँ रहने में खतरा है। मैंने तुरन्त अन्दर गई और और एक एयर बैग में सलवार, कुर्ते जल्दी जल्दी भरे, तभी मेरी नजर मेरे सर्टिफ़िकेट्स पर पड़ी, उन्हें भी मैंने रखा और कमरे में जहाँ मैं पैसे रखती थी, रुपये पैसे लिये और अपने गहने उठा लिये, फिर पति कि अलमारी से उसके पैसे निकाले और बाहर आ गई। तब तक घर के बाहर आठ दस लोग इकठ्ठे हो गये थे।
मैंने कहा,’भाई साहब ! मैं मायके जा रही हूँ… और पिटाई नहीं सह सकती हूँ !’ पड़ोसियों मेरी मदद की और पास में जा रहे टूसीटर को रोका और मां के घर की तरफ़ रवाना हो गई। फिर मुझे लगा कि वो तो वहां भी आ जायेगा। आगे जाकर मैं टूसीटर से उतर गई। वही खड़ी खड़ी सोचती रही। मुझे अपनी जिन्दगी इस छोटी सी गलती के कारण अन्धकारमय नजर आने लगी थी।
मैंने एक बड़ा कदम उठाने का निश्चय कर लिया और रेलवे स्टेशन पहुंच गई। दिल्ली की ट्रेन खड़ी थी। टिकट लिया और बैठ गई। गाड़ी जाने में एक घंटा का समय और था। मैं एक कोने में चुन्नी सर पर डाल कर मुँह छुपाये हुए थी। दिमागी परेशानी के मारे मुझे पता ही नहीं चला कि ट्रेन कब चल दी और मैं दिल्ली कब आ गई। बिना किसी लक्ष्य के मैं निजामुद्दीन से बाहर आ गई। सवेरे का समय था। एक रेस्टौरेन्ट में चाय बिस्किट खाये और फिर मैं आगे बढ़ी। थक कर एक चर्च के बाहर बैठ गई। मुझे नहीं पता था कि दो नजरें मुझे कब से देख रही हैं। बैठे बैठे मेरी झपकी लग गई। अचानक मेरे सर पर किसी का हाथ लगा। मैं चौंक गईऔर घबरा गई। नींद से जाग गई।
‘उठो, बेटी, ये जीजस का घर है… सभी दुखियारों का आसरा… !’
सामने चोगा पहने कोई पादरी था। मुझे प्यार भरी नजरों से देख रहा था। मुझे लगा कि ये दया का फ़रिश्ता कौन है।
‘आ जाओ… मेरे साथ… ‘ उसने अपना हाथ बढ़ा दिया। उसके बूढ़े हाथों को मैंने थाम लिया और मेरी रुलाई अब जोर से फ़ूट पड़ी… ।
‘रो लो बेटी, मन हल्का हो जायेगा।’ मेरी रुलाई कम हुई तो मन मजबूत करके मैं उनका हाथ थामे चर्च परिसर में प्रवेश कर गई।
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