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Massage Girl in Karbi Anglong: Premium Relaxation Services

Our site can help you find a professional massage girl in Karbi Anglong who will help you relax in the best manner possible. We connect you with professional therapists who can offer you a massage that will make you feel better and more relaxed. The pros on our list are ready to provide you with a fantastic experience at your house or in one of their particular spots, whether you want to relax or get away from it all.

Introduction

Massage is currently one of the finest methods to relax your mind, body, and overall health. Our website makes it easy to locate the top massage services in Karbi Anglong that meet your demands. This will be a one-of-a-kind and calming experience for you.

Tottaa wants to make it simple for clients to find the top masseuse. The Karbi Anglong massage service providers on our list offer the greatest quality, comfort, and competence, whether you want a full-body massage or a massage for a particular location.

How Tottaa Helps Advertisers Reach More Customers

Tottaa is not only a list of masseuses, it’s also a secure location for them to show off what they can do. People in Karbi Anglong who are seeking massage services may find them on our website. This makes them easier to find and gets them more appointments.

Advertisers may simply put up profiles, offer their services, and talk about pricing and discounts on our sites. This makes sure that the relevant people notice your Karbi Anglong massage service, which makes it easier to obtain more customers.

Different Types of Massages We Offer

There are a lot of different types of massage services on our site, so you may choose one that works for you. You may choose the kind of treatment that works best for you, whether it’s profound rest or a particular type of therapy.

1. Swedish Massage

A calm and gentle way to ease muscular tension and improve blood flow. This Karbi Anglong massage is perfect for you if you want to relax and forget about your concerns.

2. Deep Tissue Massage

This approach employs a lot of pressure to get to deeper muscle layers. It’s helpful for folks who have muscular discomfort or stiffness that won’t go away. There are specialists on our profiles of massage girls in Karbi Anglong who are good at deep tissue treatments that function effectively.

3. Aromatherapy Massage

Calming massage strokes and essential oils are beneficial in making people feel improved both emotionally and physically. Most massage companies in Karbi Anglong employ the use of custom oil preparations to make you feel good.

4. Thai Massage

A therapy that wakes you up by using a mix of regular massage, stretching, and compression. This traditional massage in Karbi Anglong helps you relax, become more flexible, and get your mind and body back in harmony.

5. Hot Stone Massage

Heated stones are placed on various parts of the body to help with deep muscular tightness. People who want to feel good, relax, and help their muscles recover quickly can use this massage service in Karbi Anglong

How to Book Our Massage Services

Tottaa makes it simple and fast to book. With our listings, you can see what kind of massage you want, read about the providers, see that they are free and then contact them directly. After you choose, you can book a massage in Karbi Anglong at your convenient time and location. In order to get your desired massage services, apply the following simple steps:

Step 1: Browse Our Listings

Take a peek around our site to view a few massage professionals. Each listing gives you information about the many sorts of massages, how long they last, how much they cost, and where they are situated. This makes it easier to choose the finest ones.

Step 2: Compare and Shortlist

Examine the profiles carefully to compare how the services, talents, and reviews posted by customers differ. This phase makes sure you choose a business that has the style, pricing, and supply you desire.

Step 3: Connect with the Provider

When you have decided, use the information that you are offered so that you can contact them directly. One can communicate it to the massage giver thus making it understood what massage you want at what time and when.

Step 4: Confirm the Appointment

The date, time and place of the service, which could be your home, a hotel or the spa where the therapist may be found. You also need to agree on the payment method and any other accords prior to commencement of the course.

Step 5: Relax and Enjoy Your Massage

All you have to do on the day of the appointment is have your area ready for the house visit. The remainder will be handled by the expert. Take it easy and enjoy a massage that is made just for you.

Frequently Asked Questions

To locate a professional who can meet your needs, read our biography, reviews and advertising.

Yes, many of the therapists on our site will come to your house so you may feel safe and at ease.

You may pick based on talents since most adverts provide their qualifications in their profiles.

It would be advisable to make a reservation earlier to guarantee that you would be able to get a massage, particularly against the prevalent services of massage.

Not at all. Tottaa exclusively connects users with service providers. The doctor gets to choose how to handle payment.

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Antarvasna

अन्तर्वासना पढ़ने Antarvasna वालों को मेरी तरफ से बहुत बहुत सलाम! मैं इस अन्तर्वासना की दीवानी हुई पड़ी हूँ!

मेरा नाम है अंतरा है, मेरी उम्र अठाईस साल है, मैं एक बहुत रईस परिवार की बहू हूँ। अपने शौक पूरे करने के लिए पैसे के पीछे मैंने अपनी खूबसूरती का स्कूल से लेकर अब तक जम कर इस्तेमाल किया।

हम तीन बहनें ही हैं, पिता जी ने माँ की मौत के बाद अपने से कहीं कम उम्र की छोकरी से शादी करके हमें सौतेली माँ उपहार में दी।
शुरु में बहुत बुरा लगा लेकिन फिर उससे हम तीनों की पटने लगी। उसकी उम्र चौंतीस की है और उसके कई यार हैं। पिता की गैर-मौजूदगी में वो न जाने कितने मर्दों के नीचे लेट जाती थी।

उसके ही एक आशिक ने मेरी सबसे बड़ी बहन को फंसा लिया और उनकी यारी परवान चढ़ने लगी।
माँ की मौजूदगी में ही वो अपने आशिक को घर बुलवा के चुदवाती। उसके अलावा भी उसके कई आशिक थे। दूसरी बहन का भी ऐसा ही हाल हुआ।

और फिर मेरे सोलहवां पार करते ही मेरे छोटे-छोटे नीम्बू रसीले आम बन गए और मेरे कदम बहकने में देर ना लगी और मेरा टाँका भी एक लड़के से फिट हो गया। इसी बीच जब पापा को माँ के लक्षण मालूम हए तो यही सोच-सोच मेरे पापा डिप्रेस रहने लगे और फिर हर्ट-अटैक से उनकी मौत हो गई।

देखते ही देखते मैं एक रांड बन गई। स्कूल, कॉलेज में मेरी पहचान एक बेहद चालू माल की बन गई। कई लड़कों अथवा मर्दों ने मेरा रसपान किया।

तभी अशोक मेरी जिंदगी में आया। वो बहुत बड़ा बिज़नस-मैन था। उसने जिस दिन से मुझे कॉलेज जाते रास्ते में देखा वो मुझ पे लट्टू हो गया और मेरे को एक दिन उसने अपनी चमचमाती कार में बिठा ही लिया और मुझ से हाँ करवा कर दम लिया। वो बहुत पैसा मेरे ऊपर लुटाने लगा और मेरे भी शौक पूरे होने लगे।

वो मुझसे आठ साल बड़ा था, लेकिन मैं सिर्फ उसकी महंगी कारों उसके आलीशान बंगले और पैसा देख रही थी। आखिर में मैं उसकी दुल्हन बनकर उसके आलीशान बंगले की मालकिन बन गई।
नौकर चाकर, सब मिल गया लेकिन जैसे दिन बीतने लगे वो बहुत व्यस्त हो गया, बिज़नस इतना फैला लिया तो मुझे कम समय देने लगा।

वैसे भी अब उसके लौड़े में दम नहीं रहा जो मेरे जैसी रांड को ठंडी कर दे! मैंने भी अपने पर काफी काबू रखा लेकिन मेरी जवानी ही ऐसी है, मेरा जिस्म ही ऐसा है!

मैं हर रोज़ शाम को सैर करने निकलती थी, घर के नज़दीक ही एक हरा भरा बाग़ था।
एक रोज़ मैं बाग में सैर कर रही थी कि मुझे कुछ आवाजें सुनाई पड़ी।

मैं आवाज़ की ओर बड़ी छुप के देख एक हट्टा कट्टा बंदा एक लड़के से अपना लौड़ा चुसवा रहा था, वो लड़का शायद गांडू था और वो लड़की से बेहतर लौड़ा चूस रहा था।

लेकिन जिस लौड़े को वो चूस रहा था वो बहुत बहुत बड़ा था, वो बंदा कोई प्रवासी मजदूर था जिसका लौड़ा बहुत बड़ा था।

फिर उसने उसकी गांड मारने की लाख कोशिश की लेकिन दर्द की वजह से वो लड़का चुद नहीं पा रहा था। सच में मैंने पहली बार इतना बड़ा लौड़ा देखा था। मैंने इन्टरनेट पर कई लौड़े देखे लेकिन आज हकीकत सामने थी।

उस लड़के ने उसका चूस चूस कर पानी निकलवा दिया। मेरी चूत भी फड़कने लगी। आखिर कितने देर से प्यासी थी। मैं वहाँ से चली आई। वो लड़का अब हर रोज़ वहाँ आता और उल्टा उस बन्दे को पैसा देता था उसके लौड़े से खेलने के लिए!

अब मुझ से भी रहा नहीं जा रहा था, अगले दिन मैंने कुछ न कुछ करने की मन में धार ही ली लेकिन मुझे यह भी डर था उस बाग़ से पुलिस चौकी दो किलोमीटर की दूरी पर थी। अगले दिन मैं गहरे गले का थोड़ा पारदर्शी सूट और सेक्सी ब्रा-पेंटी पहन कर गई।

वो लड़का वहीं इंतज़ार कर रहा था। वो बंदा वहाँ पहुंचा और वो लड़का गांडू उससे चिपक गया मानो एक प्यासी औरत! मैं हैरान थी।
उसने पल में उसकी लुंगी एक तरफ़ कर उसका लौड़ा मुँह में ले लिया। बंदा आंखें बंद कर चुसवा रहा था।

मैंने एक छोटा पत्थर उठा कर वहीं पड़े सूखे पत्तों पर फेंका। दोनों एकदम सीधे हो गए।

मैंने एक पत्थर और फेंका तो वो लड़का भाग़ गया। लेकिन बंदा वहीं था उसको क्या फर्क पड़ता! उसकी कौन सी इज्जत लुटती! मजदूर था, वहीं बन रहे मकानों का चौकीदार होगा!

मैं उसकी और बढ़ी, वो वहीं खड़ा अपना हथियार हिला कर मुठ मार रहा था। मुझे देख वो चौंक गया और जल्दी से अपनी लुंगी सीधी कर ली। लेकिन मेरे चेहरे पर मुस्कराहट देख थोड़ा समझ गया। लेकिन डर रहा था, वो चलने लगा। मैंने उसके पास जाकर पीछे से उसकी लुंगी खींच दी।

वो हड़बड़ा कर मुड़ा!

‘कहाँ जा रहे हो? लड़के की लेने में ज्यादा स्वाद मिलता है क्या तुझे?’
‘जी! जी!’ घबरा सा गया!
‘इतना बड़ा लौड़ा है, क्यूँ लड़कों पर बर्बाद करते हो?’
‘क्या करें मेम साब, वो पैसे देता है और ऊपर से मज़े! हम मजदूरी करने वाले इंसान हैं एक एक पैसा कीमती है!’

‘अच्छा!’ मैं आगे बढ़ी और उसकी लुंगी उतार कर वहीं बिछा कर खुद घुटनों के बल बैठ उसका लौड़ा सहलाने लगी।
क्या लौड़ा था! बहुत ज्यादा बड़ा मोटा! अब तक का मेरा सबसे मोटा लौड़ा था!

‘ऐसी चीज़ों को जाया नहीं करते राजा! बन के रहो, मैं तुझे काम दूंगी! यह ले कार्ड, कल आ जाना!’
कह मैंने मुँह में लिया और चूसने लगी।
‘अह अह… वाह! क्या मैं सपना देख रहा हूँ मैडम?’

सच में प्यासी के पास कुँआ आया था। मैं दीवानी हो गई उसके लौड़े की! वो मस्त था, वो मुझे बाँहों में लेकर मेरे टॉप में छुपे मेरे मम्मों को दबाने लगा। उसके सख्त हाथ एक मर्द का एहसास साफ़-साफ़ करवा रहे थे। वो मेरी जांघें सहलाने लगा, साथ ही मेरे गोरे गोरे मक्खन जैसे पट्ट चूम रहा था।

‘हाय मेरे साईं! और चाट! और दबा! खा जा!’
बोला- मैडम, यहीं बग़ल में ही एक सरदार की कोठी बन रही है, वहीं दिन में काम करता हूँ, रात को चौकीदारी! वहीं चलो!

उसने एक कमरे में अपना बिस्तर नीचे बिछा रखा था। मैं अपने आप अपने कपड़े उतार उसके पास बैठ गई और उसको नंगा कर चिपक गई। अब बिना डर हम एक होने जा रहे थे।

वो मेरा दूध पीने लगा!
‘वाह मेरे शेर! चढ़ जा मेरे ऊपर! रौंद दे मुझे!’

उसने मेरी टाँगें फैला ली और बीच में बैठ गया। डालने से पहले फिर से थोड़ी देर मुँह में देकर गीला करवाया और फिर उतार दिया मेरी चूत के अन्दर!
लग रहा था कि आज मेरी सुहागरात है, चीरता हुआ लौड़ा देखते ही देखते पूरा मेरी चूत में था। दर्द तो हो रहा था लेकिन जल्दी ही मजा आने लगा और हम दोनों एक दूसरे में समां गए। मानो आज मुझे तृप्ति मिल गई हो!

कई तरह से मुझे पेला उसने मुझे! उसका था कि बहुत मुश्किल से झड़ा। उसने तो मेरी चूत फाड़ दी।

जब मैं कपड़े पहन रही थी तो वो लेटा हुआ अपनी मर्दानगी पर मूछें खड़ी कर मुझे घूर रहा था। तभी उसके दो साथी मजदूर भी अपने अपने काम से वापिस आ गए। तब तक मैंने सिर्फ टॉप पहना था, पेंटी डाली थी।

दोनों मेरे करीब आये और फिर अपने दोस्त को देखा। उसने न जाने क्या इशारा किया कि दोनों मेरे जिस्म के करीब आकर एक मेरी जांघ और दूसरा मेरे मम्मे सहलाने लगा। लेकिन मुझे जल्दी थी मैंने उन्हें अगले दिन आने का वादा किया।

आते आते मुझ से रुका नहीं गया और दोनों के पास गई और उनकी लुंगी उठा कर उनके लौड़े देखे- क्या लौड़े थे! हाय मोरी मईया! कल आऊँगी!

अगले दिन क्या हुआ यह जल्दी लिखूंगी। Antarvasna

(Meri Bahan aur Jijaji)- Hindi sex stories

दोस्तो, ये मेरी चौथी Hindi sex stories है पहले मैंने मेरी चुदाई बताई थी मेरे जीजा करण से, फ़िर मेरी लड़कियों की चुदायी और अब मेरी छोटी बहन और मेरा जीजा करण।

दोस्तों ये बात है उन दिनों की है जब मेरी छोटी बहन पूजा मेरे घर आयी थी मेरा पति राहुल अपनी ड्युटी पर चला गया था।

पूजा को कोलेज में जाना था सो वो मेरे पास रहने लगी।

राहुल के जाने के 2 दिन बाद ही पूजा ने मुझसे कहा ‘दीदी ये करण जो आता है उस का और तेरा कोई चक्कर है क्या।

मैंने मना किया तो वो बोली ‘दीदी ये तो नहीं हो सकता वो रोज़ आता है और मेरे कोलेज जाने के समय आता है। मैंने कल ही वापिस आ के देखा था आप दोनो ने रूम बंद कर लिया था।’

‘अरे तेरे को कोई गलतफ़हमी होगी। ऐसा कुछ नहीं है’ ये कह के मैं चुप हो गयी और उसने भी सवाल नहीं किये।

पर मैंने सोचा अगर पूजा ने देख ही लिया है तो क्यों न मैं इसको ही करण से चुदवा दूं।

सो मैंने धीरे धीरे पूजा को छेड़ना शुरु कर दिया। कभी उसकी चूची दबाती तो कभी उसकी गांड पर हाथ मारती।

शुरु में तो पूजा ने थोड़ी शरम की फ़िर वो भी मेरे को छेड़ने लग गयी। मैंने सीमा को भी कह दिया कि तू पूजा को करण के लिये तैयार कर दे इधर मैन भी उस को तैयार करती हूं।

सो हम दोनो मां बेटी पूजा को छेड़ने लग गयी। करण को मैंने बता ही दिया था सो वो भी पूजा से बातें करने लगा।

पूजा भी उस से बात करती, करण ने उस को स्टडी का ओफ़र किया। मैंने भी पूजा को कह दिया कि तू करण से पढ़ लिया कर।

वो मान गयी और मैंने और सीमा ने पूजा को ज्यादा छेड़ना शुरु कर दिया।

1 दिन मैं और पूजा ही घर में थे, करण आ गया और पूजा को अपने पास बिठा लिया।

‘पूजा आज मैं तेरे को देर तक पढ़ाउंगा, तू कुछ काम करना चाहती है तो जल्दी से कर ले।’

पूजा ने कहा- नहीं जीजा जी मेरा कोई काम नहीं है वो तो रोशनी ही कर लेगी। आप तो मेरे को पढ़ा दो।

मैंने कहा- जीजा जी, आज तो सारी फड़ाई कर दो पूजा की, ये भी तैयार है’

बस फ़िर क्या था करण ने पूजा को अपने नजदीक बिठा लिया और उसकी चूची पकड़ ली।

‘जीजा जी ये क्या कर रहे हो, दीदी से करना ये’

‘नहीं पूजा तूने सुना नहीं रोशनी ने क्या कहा था- सारी फड़ाई आज करवा देना,’

‘रोशनी की तो शादी हो गयी है इसको तो कोई डर नहीं है मैं तो कुंवारी हूं, अगर कोई गड़बड़ हो गयी तो?’

मैंने कहा ‘पूजा तू डर मत आज तो तू भी करण से मजा ले ले नहीं तो कोई और तेरी पता नहीं क्या हालत करेगा फ़िर मैं भी तो तेरे साथ हूं’।

ये कहा कि मैंने भी पूजा को पकड़ लिया और करण और मैं उस के दोनो गालों को चूमने लगे और उसकी चूची दबाने लगे।

वो सिसकियाँ भरने लगी और करण के नजदीक घुसने लगी।

मैंने पूजा की कमीज खोल दी और करण ने पूजा की सलवार।

पूजा सिर्फ़ चड्ढी और ब्रा में थी।

‘दीदी कोई आ गया तो’ पूजा ने अपना डर बताया.

‘तू डर मत करण है न और मैं भी तो हूं। तू करण का शर्ट खोल दे, मैं दरवाजा बंद करती हूं’

पूजा ने करण का कमीज खोल दिया और करण पूजा की चूची चूसने लगा पूजा सिसकिआं भरने लगी

पूजा ‘आआऐईई आआअह्हह ह्हहाआआअ ऊऊईईइम्म म्ममाआआ जीजा जीईई मजा आ रहा है। आआ’ मैंने करण की पैंट और अंडरवेअर खोल दिया और पूजा के हाथ में करण का 8 इंच का लौड़ा दे दिया।
गर्म गर्म लौड़े पकड़ के पूजा और भी गर्म हो गयी।

करण ने पूजा को अपने लंड पर बिठा लिया और उस के लिप्स को किस करने लगा पूजा मस्ती में भरती जा रही थी उसकी सिसकिआं बढ़ती जा रही थी।

दोस्तों करण ने पूजा को बेड पर गिरा लिया और दोनो तांगे उठा के पूजा की चूत में अपना लौड़ा रख दिया पर उसकी टाइट और फ़्रेश चूत में लौड़ा घुसा नहीं।

मैंने कहा- पूजा तू लंड को चूस कर गीला कर ले फ़िर जायेगा।

पूजा ने करण का लौड़ा चूसा और फ़िर करण ने पूजा की चूत में लौड़ा ढकेल दिया फ़ुल ताकत से पूजा चीखी ‘मर गयीईई मेरी चूत फ़ट गयीईई साली रंडी रोशनी मेरे को मरवा दियाआआअ। ओईईइ माआआ मैं मर रही हूं मेरी मुझे दर्द हो रहा हैईईइ आआअह्हहाआआ वह क्या मजा आ रहा है जीजा जी मेरी चूत को जोर से मारो ऊऊओ मेरी फ़ाड़ दो ऊऊ!

इस तरह पूजा करण के लंड का मजा लेने लगी और करण पूजा को और भी जोर से चोदने लगा।

पूजा की चूत ने अपना मक्खन छोड़ दिया।
पर करण तो अभी नजदीक ही नहीं था सो उस ने पूजा को कुतिआ की तरह किया और पूजा की चूत के ब्लड से भरे अपने लौड़े को उसकी ही गांड में ठोंक दिया.

पूजा फ़िर से चीखी और चिल्लायी- जीजा जी मर गयीईईइ मेरी गांड भी फ़ट गयीईईइ। रोशनी रंडी साली मेरे से क्या दुश्मनी थी जो मेरे को मरवा दिया साली रंडीईई। तेरी मां की चूत रोशनी रंडीईईइ। तेरी लड़की क्यों नहीं चुदवाये तेरे यार से।’
इस तरह वो मेरे को गालिआं देती रही और करण के लंड का दर्द झेलती रही कोई 20 मिनट तक करण ने पूजा की गांड मारी और फ़िर अपना मक्खन पूजा की गांड में छोड़ के पूजा के ऊपर लेट गया।

Hindi sex stories

आधे घंटे तक पूजा को अपने नीचे रखा और फ़िर दोबरा पूजा को चोदने कि तयारी करने लगा।

Antarvasna

हाय दोस्तों

उमीद है आप भी मज़े में होंगे और स्टोरीज़ का मज़ा लेते हुये ज़िंदगी का आनन्द Antarvasna उठा रहे होंगे।

तो दोस्तों बात उस दिन कि है जब बारिश हो रही थी और मैं भीगता हुआ अपने घर की तरफ़ अपनी बाइक पे जा रहा था। शाम के करीब ५:३० का समय था। अचानक मैने देखा कि मेरी तरफ़ कोई लिफ़्ट के लिये कोई हाथ हिला रहा था, गौर से देखा तो वो २५-३० साल की एक युवती थी। मैने बाइक रोकी। वो मेरे पास आके पूछने लगी कि आप कहां जा रहे हो? मैने कहा-आपको कहां जाना है?

वो रेलवे स्टेशन जाना चाहती थी। मैने कहा कि मैं भी वहीं जा रहा हूं (जबकि मैं अपने घर जा रहा था)। वो मेरे पीछे बैठ गयि। मैं बाइक को रफ़्तार से दौड़ाने लगा। उसके मोम्मे मेरी पीठ से सटे हुये थे। मैं गरम हो रहा था। बातों बातों में पता चला कि वो शिमला में जोब करती है, उस का पति दिल्ली में कोई प्राइवेट जोब करता था और वो अपनी बेटी को लेने के लिये जा रही थी जो आज़ ट्रैन से आने वाली थी।

हम रेलवे स्टेशन पहुँच गये थे, ट्रैन आने में अभी थोड़ा टाइम था, हम कैंटीन में चाय पीने चले गये। कैंटीन में उस ने जैसे ही उस ने अपना रैन कोट उतारा तो मुझे उस की जवानी के दर्शन हुये। गज़ब की खूबसूरति थी उस की। व्हाइट कलर के टोप में उस की ब्रा भी चमक रही थी सो उस के मोम्मो के साइज़ का अंदाज़ा लगाना कोई मुश्किल नहीं था। एक दम गोरी चिट्टी थी वो। चाय पीते हुये मैने उस के हुस्न का नज़ारा लिया और खूब बातें भी की। सर्दी के मौसम में उस की गरम जवानी ने मेरे रोम रोम में गरमी भर दी थी और मेरा लंड अपने आपे से बाहर हो रहा था।

तभी ट्रैन भी आ गयी। हमने उस की ५ साल की बेटी को साथ लिया और फ़िर मैने उसे कहा-मैं आपके घर तक छोड़ देता हूं, उस ने मना किया लेकिन मैं जानना चाहता था कि वो कहां रहती है क्योंकि वो मुझे बता चुकी थी कि वो अकेली ही रहती है। मैने दोनो को बाइक पे बैठाया और उस के घर की तरफ़ चल दिया। उस का घर आते ही बारिश भी तेज़ हो गयी। उस ने मुझे बारिश रुकने तक रुकने के लिये कहा और मैं भी तो यहि चाहता था। मैं पूरी तरह भीग चुका था। उसने कोफ़ी बनायी और चेंज कर के जब वो मेरे सामने आयी तो ब्लैक सिल्की नाइटी में वो कोफ़ी से भी ज़्यादा गरम लग रही थी। दिल कर रहा था कि अभी चोद डालु साली को।

सफ़र की वजह से उसकी बेटी आते ही सो गयी थी, बारिश रुकने का नाम नही ले रही थी। तभी लाइट भी चली गयी। वो केंडिल लेने के लिये उठी, मैं भी उसकी मदद करने लगा लेकिन केंडिल नहीं मिली। अंधेरे में वो मुझपर गिर गयी। वाह क्या गरमी थी। उसने उठने की कोशिश की लेकिन मैने उसको अपनी बाहों में भर लिया और छोड़ा ही नहीं, पहले उस ने विरोध किया लेकिन वो भी शायद कैइ दिनो की प्यासी थी तो उस ने भी ज़्यादा कोशिश नहीं की।

मैने उसके मोम्मे दबाने शुरु कर दिये, वो गरम हो रही थी। मैने धीरे धीरे अपना एक हाथ उसकी नाइटी उठाते हुये उसकी पैंटी में डाल दिया। वो सिहर उठी। मैने अपना मुँह उस की चुत के पास लाके उस की पैंटी को अलग कर दिया। उस की बालों वाली चूत एकदम सेक्सी थी। मैने उसे चाटना शुरु कर दिया। वो आआअह कर रही थी। मैं अपनी जीभ उस की चूत में डाल चुका था। मस्ती उफ़ान पे थी। मेरे दोनो हाथ उस के मोम्मो पे और जीभ उसकी चूत पे थी। वो आंखें बंद करके मेरा साथ दे रही थी। जब उस से रहा नहीं गया तो उसने कहा प्लीज़ अब चोद भी दो, मैं बहुत दिन से प्यासी हूं।

मैने अपनी पैंट उतार दी। मेरा लंड देखते ही वो खुश हो गयी। मैने उसकी दोनो टांगों को खोला और फ़िर अपना अंडरवियर।

अपना लंड एक ही झटके में उस की चूत में डाल दिया। वो ऊऊउह की आवाज़ में मज़ा ले रही थी। अब कमरे में उस की आहें और फ़चाक फ़चाक की आवाज़ें गूंज रही थी।

वो बोली-और ज़ोर से चोदो मुझे, फ़ाड़ डालो मेरी चूत को। यो साली बड़े दिन से लंड की भूखी है।

आज इस की भूख और मेरी प्यास बुझा दो। चोदो चोदो और ज़ोर से चोदो मुझे। उसके बोलने के साथ ही मेरी स्पीड भी बढ़ रही थी। ये सिलसिला करीब २५ मिनट चला फ़िर हम दोनो शांत होकर एक दूसरे से लिपट के लेटे रहे। १० मिनट बाद वो उठी और मेरे लंड को अपने हाथ में ले लिया। उसने बड़े प्यार से मेरे लंड को कहा-यू आर सो स्वीट और अपने मुँह में डाल लिया। वो लंड को ऐसे चूस रही थी कि मानो लोलीपोप चूस रही हो। मेरा लंड दोबारा से चुदाई के लिये तैयार हो गया था। १५ मिनट के बाद मैने उसे घोड़ी बनाया और फ़िर पीछे से उसकी गांड में अपना लंड डाल दिया। वो चुद रही थी, मैं चोद रहा था। ये चुदायी सारी रात में ६ बार हुयी। बारिश भी तभी रुकी जब सुबह हुई और उसकी प्यास मैने बुझा दी।

उसके बाद जब भी वो या मैं चाहते तो मिलकर ये चुदाई का खेल खेलते हैं। Antarvasna

आज मेरी भाभी कंचन वापस घर आ गई। Hindi Porn Stories

यहां से पचास किलोमीटर Hindi Porn Stories दूर शहर में भैया काम करते थे। मेरे से कोई चार साल बड़े थे। शादी हुये साल भर होने को आया था।

भैया शहर में शराब पीने लग गये थे। इसी कारण घर में झगड़े भी होने लगे थे। भाभी की आये दिन पिटाई भी होने लगी थी।

एक बार भाभी ने मोबाईल पर मुझे रात को दस बजे रिंग किया।
मैंने मोबाईल उठाया, पर फ़ोन पर चीखने-चिल्लाने की आवाजें सुनाई दी तो मैंने पापा को बुला लिया।

पापा ने फोन को ध्यान से सुना फिर उन्होंने मुझे आदेश दिया कि सवेरे होते ही कार ले कर जाओ और बहू को यहाँ ले आओ।

गांव में पापा की एक छोटी सी दुकान है पर आमदनी अच्छी है। वो सवेरे नौ बजे दुकान पर चले जाते हैं।

मैं भाभी को लेकर घर पर आ गया। भाभी मुझे अपना दोस्त समझती हैं। हम दोनों एक ही उम्र के हैं।

शाम तक मेरे पास बैठ कर भाभी अपना दुखड़ा सुनाती रही, उसने अपनी पीठ, हाथ व पैर पर चोट के कई निशान दिखाये।

ये सब देख कर मुझे भैया से नफ़रत सी होने लगी।
मैंने भाभी को जैसे तैसे मना कर उनके चोटों पर एण्टी सेप्टिक क्रीम लगा दी।

अब मेरा रोज का काम हो गया था कि पापा के जाने के बाद उनकी चोटों पर दवाई लगाता था।

भाभी का शरीर सांवला जरूर था पर चमकीला और चिकना था। कसावट थी उनके बदन में। जब वो अपनी पीठ पर से ब्लाउज हटा कर दवाई लगवाती थी उनकी छोटी छोटी चूंचियां सीधी तनी हुई कभी कभी दिखाई दे जाती थी। तभी मैंने भाभी की चूंचियों पर भी चोट के निशान देखे।

“भाभी, आपके तो सामने भी चोटें हैं!” मैंने हैरत से कहा।
“देख भैया, तुझसे क्या छिपाना … ये देख ले … ”

कंचन ने झिझकते हुये सामने से अपनी छाती दिखाई … चूंचियों और चुचूकों पर खरोंच के निशान थे।

“भाभी प्लीज ऐसे मत करो!” मैंने तुरन्त पास पड़ा तौलिया उनकी छाती पर डाल दिया। उसकी आंखों से आंसू टपक पड़े। पर भाभी के चोटों के निशान मेरे मन में एक नफ़रत भरा बीज बो गये।

“नहीं देखा जाता है ना … वो आपकी तरह नहीं हैं … आप तो मेरा कितना ख्याल रखते हैं, दवाई लगाते हैं … अभी तो आपने मेरी पिछाड़ी नहीं देखी है … कितना मारते थे

वो यहाँ पर!”

“बस भाभी बस … अब बस करो …”

भाभी ने अपना सिर मेरे कंधे पर रख दिया। अनायास ही मेरे हाथ उसके बालों पर चले गये और उन्हें सहलाने लगे। मेरा प्यार पा कर वो मुझसे लिपटने सी लगी। मैंने एक हल्का सा चुम्मा उसके गालों पर ले लिया … वो अपनी आंखें जैसे बन्द करके प्यार का आनन्द लेने लगी।

“भैया मेरी छाती पर दवाई लगा दो …!”

“क्या छाती पर ?… न … न … नहीं … यहाँ नहीं …!”

“तो क्या हुआ … दर्द है ना मुझे … प्लीज!”

मैंने उसे घूर कर देखा … पर उसकी आंखों में केवल प्यार था। मैंने उसे लेटा दिया और तौलिया हटा कर उसकी चूंचियों की तरफ़ झिझकते हुये हाथ बढ़ाया … और दवाई लगा दी।

मुझे अहसास हुआ कि उसके चुचूक कड़े हो गये थे। छोटी छोटी चूंचियां कुछ फ़ूल गई थी।

मेरा मन भी डोल सा उठा, पर मैंने फिर से उस पर तौलिया डाल दिया।

भाभी ने मुझे प्यार से बिस्तर पर लेटा लिया और मेरी कमर पर में एक पांव लपेट कर जाने कब सो गई।

मुझे नहीं पता था कि यह उसके दिल की पुकार है कि मुझे बाहों में लेकर खूब प्यार करो। वो प्यार की भूखी थी।

मैंने धीरे से उसका हाथ हटाया और बिस्तर से हट गया।
तभी अनायास मुझे ध्यान आया कि उसके चूतड़ों पर भी शायद चोट है, जैसा कि उसने अपनी पिछाड़ी के बारे में कहा था।
मैंने धीरे से उसका पेटीकोट ऊपर हटा दिया।

उसके गोल गोल चूतड़ों पर नील पड़ी हुई थी। मैंने तुरन्त दवाई उठाई और लगाने लगा। पर आश्चर्य हुआ कि दरारों के बीच गाण्ड के छेद पर भी चोट जैसा सूजा हुआ था।

मैंने चूतड़ों को खोल कर वहां भी दवाई लगा दी।

मैं पास ही बैठ कर भैया के बारे में सोचने लगा कि भैया उसकी गाण्ड में चोट कैसे लगा देते हैं? यह तो बहुत नाजुक स्थान है … इतना बुरा व्यवहार … मुझे बहुत ही खराब लगने लगा।

कंचन भाभी को यह पता चल गया था कि मैंने उनके बदन में दवाई कहां कहां लगाई थी।

अब वो मुझसे रोज ही जिद करके दवाई लगवाने लगी थी। कंचन को अपने गुप्त अंगों पर दवाई लगाने से या मेरे द्वारा छूने पर शायद आनन्द आता था।

पर इसके ठीक विपरीत मेरे दिल में कंचन भाभी के लिये प्यार बढ़ता जा रहा था।

पापा के दुकान पर जाने के बाद मैं दवाई लगाता था, फिर वो मेरे साथ लेटे लेटे खूब बातें करती थी।
मैं उसके बालों को सहलाता रहता था। वो प्यार में मुझे जाने कितनी ही बार चूम लेती थी।

पर आज जाने मुझे क्या हुआ, मुझे जाने क्यूँ उत्तेजना होने लगी। मेरा लण्ड खड़ा होने लगा। मेरे दिल में एक बैचेनी सी होने लगी।

इन दस बारह दिन में भाभी की चोटें ठीक हो चुकी थी।
आज मैंने उनकी चूचियों पर दवाई लगाते हुये कहा भी था कि अब उसे दवाई की आवश्यकता नहीं है .. लेकिन उसका कहना था कि आप रोज ही लगायें … और मेरा हाथ अपनी चूंचियों पर दबा लिया था।

“आप बहुत शरारती है कांची … ”
बस … उसने एक कसक भरी हंसी वतावरण में बिखेर दी।

मेरे विचारों में अचानक ही परिवर्तन होने लगा, मुझे अपनी भाभी ही सेक्सी लगने लगी।
उनका सांवला रूप मुझे भाने लगा। वो तो निश्चिन्तता से मेरी कमर पर पांव लपेटे आंखें बंद करके कुछ कह रही थी। पर मेरा दिल कहीं और ही था।

मैंने अचानक ही कांची के होठों पर एक चुम्बन ले लिया।
उसने कोई विरोध नहीं किया।
मैंने साहस करके दुबारा चुम्मा लिया।

उसने मुझे देखा और अपने होंठ मेरी तरफ़ बढ़ा दिये। भाभी के दोनों हाथ मेरे गले से लिपट गये।

मैंने गहराई से कांची को चूम लिया … उसने भी प्रत्युत्तर में मुझे प्यार से खूब चूमा।

मैंने जाने कब एक करवट लेकर भाभी को अपने नीचे दबोच लिया और उनके ऊपर चढ़ गया।

मेरा कसा हुआ तन्नाया हुआ लण्ड उसकी चूत से टकराने लगा।
भाभी के मुख से वासना भरी सिसकारी निकल पड़ी।

“भैया … आह मुझे जोर से प्यार करो … मुझे आज प्यार से, आनन्द से भर दो।”

“कंची मुझे जाने क्या हो रहा है… शरीर में जाने कैसी कसावट सी हो रही है …!”

और मेरे चूतड़ों ने मेरा लण्ड जोर से उसकी चूत पर दबा दिया।

मुझे लगा कि भाभी ने भी उत्तर में अपनी चूत का दबाव मेरे लण्ड पर बढ़ा दिया है।

तभी मेरा वीर्य निकल पड़ा … मैं हैरत में रह गया … मेरा सारा नशा काफ़ूर हो गया।

मेरे लण्ड में से वीर्य का गीलापन देख कर कांची ने मुझे प्यार से उतार दिया।

“सॉरी … ये … ये … सब क्या हो गया …!!” मुझे अत्यन्त शर्मिन्दगी महसूस हुई।

“क्या पहली बार हुआ है ये?”
मैंने धीमे से हां में सर हिला दिया।

“अरे छोड़ ना यार … होता है ये … तुझे कुछ नहीं हुआ है … … शर्माना कैसा …”

“भाभी … मै तो आपको मुँह दिखाने के लायक भी नहीं रहा … ”

उसने धीरे से खिसक कर मेरी छाती पर अपना सर रख लिया।

हम फिर से बातें करने लगे … पर फिर से मेरी उत्तेजना बढ़ने लगी। मेरा लण्ड फिर खड़ा होने लगा।

इस बार कांची ने कोई मौका मुझे नहीं दिया। मेरे खड़े लण्ड पर उसकी नजर पड़ गई। उसने धीरे से हाथ बढा कर उसे हल्का सा पकड़ लिया।

“भाभी, यह क्या कर रही हो … छोड़ो तो …!” मुझे शरम सी लगी, पर शरीर में कंपकपी सी आने लगी।

“मेरे काम की तो यही एक चीज़ है तुम्हारे पास! है ना भैया … ? और मेरे पास तो आपके काम की कई चीज़ें हैं, जैसे सामने ये उठे हुये गोल गोल, नीचे … वहीं जहाँ अभी तुम जोर लगा रहे थे … और पीछे जहां तुम अन्दर तक दवाई लगाते हो …”

मैं यह सब सुन कर उत्तेजना से हांफ़ उठा। उसकी बातें मेरी उत्तेजना भड़का रही थी।

“तुमने दवाई लगा लगा कर मेरे सभी चीज़ों को फिर से तैयार कर दिया है ना … अब उसके मजे भी तो लो!”

भाभी मेरे लण्ड को अब मसलने और मुठ मारने लगी थी। मेरा लण्ड उफ़न पड़ा था। सुपाड़ा फ़ूल कर लाल हो चुका था। जाने कब कांची ने मेरी एलास्टिक वाला पजामा नीचे खींच दिया था।

“हाय भैया … ये तो बड़े मजे का है … बड़ा तो तुम्हारे भैया जितना ही है … पर मोटा बहुत है …!” कहते हुए वो उठ कर मेरे लण्ड के पास पेटीकोट उठा कर बैठ गई।
उसके नंगे चूतड़ मेरी जांघ पर बड़ा मोहक स्पर्श दे रहे थे।

अपने मुख में से थूक निकाल कर उसने अपनी गाण्ड पर लगा लिया और मेरे लण्ड पर अपनी गाण्ड का छेद रख दिया। फिर जोर लगा कर उसके सुपाड़ा अन्दर घुसा लिया।

मेरे लण्ड में जलन होने लगी। मेरे मुख से आह निकल पड़ी.

“भैया … बिल्कुल फ़्रेश हो क्या?” उसने चुटकी लेते हुये कहा।

“फ़्रेश क्या … दर्द हो रहा है ना … जैसे आग लग गई है …” मैंने कराहते हुये कहा।

“भैया … तू तो बहुत प्यारा है … लव यू … कभी किसी को चोदा नहीं क्या … ?”

उसके मुख से चोदा शब्द सुन कर मेरे मन में गुदगुदी सी हुई।

“भाभी … आप पहली हैं … जिसे चोद …ऽऽ ” मैं बोलता हुआ झिझक गया।

“हां … हां … बोल … बोल दे ना प्लीज …!”

“जी … पहली बार आप ही चुद रही है … ”

“हाय रे मेरे भैया …!” चुदाई की बातें उसे बहुत ही रस पूर्ण लग रही थी।

उसने मुस्कराते हुये अपनी गाण्ड पर और जोर लगाया।
मेरा लण्ड भीतर सरकता गया और जलन बढ़ गई।
पर मौका था और इस मौके को मैं छोड़ना नहीं चहता था। मस्ती भी बहुत आ रही थी।

भाभी ने मुझ पर झुकते हुये मेरे अधरों को अपने अधरों से भींच लिया और कहने लगी- आप शर्माते बहुत है ना … देखो आपके भैया ने मेरी क्या हालत कर दी थी, मुझे पीट पीट कर मेरा तो पूरा शरीर तोड़ फ़ोड़ कर रख दिया, और आप हैं कि मेरे एक एक अंग को फिर से ठीक कर दिया, मेरे प्यारे भैया, आप बहुत अच्छे हैं।

“कांची तू बोलती बहुत है … अब जो हो रहा है उसकी मस्ती तो लेने दे!”

“हाय रे, तेरा लाण्डा पुरजोर है … ”

“ये लाण्डा क्या है … ”

“जिसका लण्ड बहुत मोटा होता है उसे हम लड़कियां लाण्डा कहती हैं … ही ही … ”

वह मुँह से मेरा होंठ चाटते हुये हंसी।

मेरा लण्ड उसकी गाण्ड में फ़ंसा हुआ था। वह हौले हौले ऊपर नीचे हो कर आनन्द ले रही थी। मेरा लण्ड तरावट में मीठी मीठी लहरों का मजा ले रहा था।

मैं भी अपने चूतड़ों को धीरे धीरे हिला कर चुदाई जैसी अनुभूति ले रहा था। जैसे ही उसके धक्के थोड़े तेज हुये, मेरा बांध टूटने लगा। बदन में कसक भरी मिठास उफ़नने लगी और अचानक ही मैंने उसे अपनी बाहों में भींच लिया।

“कांची मेरा तो निकला … हाय … आह … ” और उसकी गाण्ड की गहराईयों में लण्ड वीर्य उगलने लगा।

“मेरे प्यारे भैया, निकाल दे … सारा भर दे मेरे अन्दर … पूरा निकाल दे …!” उसने मुझे चूम लिया और प्यार भरी नजरों से मुझे निहारने लगी।

वीर्य निकलने के बाद मेरा लण्ड सिकुड़ कर बाहर आ गया। उसकी गाण्ड की छेद से वीर्य टप टप करके बाहर टपकने लगा।

“पता है इतना मजा तो मुझे कभी नहीं आया … हां जोरदार चोदन जैसा अनुभव तो मुझे बहुत है … आपके भैया तो जानवर बन जाते हैं … ” वह मेरी छाती पर लेटे-लेटे ही बोली।

“भाभी, अब भूख लगी है … कुछ खिलाओ ना …!”

“रुक जा … अभी तो मेरी सू सू बाकी है … उसे खिलाऊंगी तुझे …!”

उसकी भाषा पर मैं शरमा गया … फिर भी कहा,”भाभी … खाना खाना है … सू सू नहीं …!”

कांची खिलखिला कर हंस पड़ी … वह उठी अपना पेटीकोट ठीक किया और दूध का एक गिलास भर कर ले आई।
मैंने एक ही सांस में पूरा गटक लिया।

“हां सू सू खिलाओगी … या पिलाओगी …?”

“धत्त … पागल हो क्या!” अपना पेटीकोट उतारते हुई हंसने लगी।

“इसकी बात कर रही हूँ … ” उसने चूत की तरफ़ इशारा किया।

मैं अनजाना था … कहा,”हां, हां … यही तो है सू सू … ”

“चल हट, बुद्धू बालम जी … ” हंसती हुई उसने अपना ब्लाऊज उतार दिया.
“माल तो यहाँ है बालमा … थोड़ा सा स्वाद तो लो …” कांची ने अपने ओर इशारा करते हुए कहा।

मैं अब नंगा हो कर बिस्तर पर बैठ गया था- कांची … रे … इसमें तो छोटा सा मुत्ती का छेद है … फिर तुम्हारा ये लाण्डा …कैसे डलवाओगी?

“तुम क्या सच में इतने बुद्धू हो … सच है जिसका माल ही आज पहली बार निकला हो, उससे क्या उम्मीद की जा सकती है?” उसकी खिलखिलाती हंसी से मैं झेंप सा गया।

तभी कांची के छोटे छोटे मम्मे मेरे अधरों से टकराये।
उसके मम्मे की नरम सी रगड़ से मेरे रोंगटे खड़े हो गये।

सेक्स का इतना मधुर अनुभव होता है, यह मुझे आज ही मालूम हुआ।

पता नहीं भैया को इन सबका अनुभव है या नहीं। …फिर इतनी बेदर्दी क्यूँ … जंगलीपना … वहशीपना … अब यह तो मेरी पत्नी नहीं है ना … अगर यह सुखों का भण्डार है तो जब स्वयं की पत्नी आयेगी तो वो मुझे निहाल कर देगी।

मेरा लण्ड खड़ा हो चुका था। मेरे जैसे बुद्धू को चोदना तक नहीं आता था …। वो फिर से एक बार मेरे ऊपर चढ़ गई … मेरे खड़े उफ़नते लण्ड पर वो अपनी सू सू घिसने लगी … उसकी सिसकी निकल पड़ी … फिर मेरा सुपाड़ा फ़क से चूत में उतर गया।

“आह रे कांची … ये सू सू इतनी चिकनी होती है … इसे ही चूत कहते हैं क्या?”

“आह्ह्ह्ह … बस चुप हो जा … बुद्धू … ये चूत ही है … सू सू नहीं …!” मेरे अधरों से अपने अधरों को रगड़ती हुई बोली।
उसकी आवाज में कसक भरी हुई थी।

वो अपने ही होठों को काटते हुये बड़ी सेक्सी लग रही थी। उसके सांवले रूप का जबरदस्त लावण्य किसी को भी पिघला सकता था।

उसका कोमल गुंदाज़ जिस्म मेरे बदन में जैसे आग लगा रहा था। उसकी कमर ने एक प्यार भरा हटका दे दिया और उसका बदन जैसे शोलों में घिर गया।

उसने एक लचीली लड़की की तरह अपना बदन ऊपर उठा लिया और चूत को मेरे लण्ड पर एक सुर में अन्दर बाहर करने लगी।

उसके मुख से सिसकियाँ निकलने लगी। मेरी सीत्कारें भी कुछ कम नहीं थी।

फिर से एक बार मेरी तड़प बढ़ने लगी। मेरे चूतड़ नीचे से उछल उछल कर उसके धक्के लगाने में सहायता कर रहे थे।

कांची की कमर तेजी से चलने लगी थी जैसे जन्मों की चुदासी हो … उसके होंठ फ़ड़क रहे थे … पसीने की बूंदें छलक आई थी चेहरे पर …

उसका चेहरा लाल हो गया था।
उसकी चूचियाँ दबाने से और मसलने से लाल हो गई थी … उसकी जुल्फ़ें जैसे मेरे चेहरे से उलझ रही थी … आंखें भींच कर बन्द कर रखी थी।

वो अपूर्व आनन्द के सागर में डूबी हुई थी।

अचानक जैसे वो चीख सी उठी- हाय मेरे भैया … मुझे समेट ले … कस ले बाहों में … मैं तो गई … माई रे … मेरे राजा … मेरे बालमा … मुझे जोर से प्यार कर ले … उईईई … ईईई इह्ह्ह!

मुझे यह सब समझ में नहीं आया पर उसके कहे अनुसार मैंने उसे अपनी बाहों में जकड़ लिया।
वो सीत्कार भरती हुई मेरे लण्ड पर दबाव डालने लगी और फिर उसकी चूत में लहरें सी चलने लगी … जैसे मेरे लण्ड को कोई नरम सी चीज़ लिपट रही थी।

उसका पानी निकल चुका था।
तभी मेरा लण्ड भी नरम सी गुदगुदी नहीं सह पाया और एक बार और मेरा वीर्य छूट पड़ा।
मुझे लगा कि इस बार वीर्य कम ही निकला।

नीचे दबे हुये मैंने एक दीर्घ श्वास ली … और अपने ऊपर कांची के तड़पने आनन्द लेता रहा।

थकी हुई सी, उखड़ी हुई तेज सांसें, भारी सी अखियाँ, उलझी हुई जुल्फ़ें, चेहरे पर पसीने की बूंदें … चेहरे पर अजीब सी शान्ति भरी मुस्कान … लग रहा था कि बरसों बाद उसे दिली संतुष्टि मिली थी.

उसने अपनी नशे से भारी पलकें मेरी तरफ़ उठाई और अपने होंठों को मेरे होठों से रगड़ती हुई बोली- मेरे बालमा … साजना … तुम मुझे ही अपनी पत्नी बना लो, देखो अपनी उम्र भी बराबर है … हाय रे, मैं तो तुम्हारे बिना मर जाऊंगी!

“भाभी मजाक तो खूब कर लेती हो … पर यह तो बताओ अभी यह सू सू थी या चूत?”

“उह्ह्ह … तुम तो … अब मारुंगी … इस उम्र में मुझे बताना पड़ेगा कि सू सू और चूत में क्या फ़र्क है …? जाओ हम नहीं बोलते।”

“पर घुसा तो मुत्ती में ही था ना … ?”

“ओ हो … अब ये कुर्सी तुम्हारे सर पर दे मारूंगी … बुद्धू, बेवकूफ़, हाय रे मोरा नादान बालमा …!!” उसकी खिलखिलाती, ठसके भरी जोर की हंसी मुझे सोचने पर नमजबूर कर रही थी कि मैंने ऐसा क्या कह दिया है … ?

मेरी प्यारी और अनुभवी पाठिकाओ, यदि आपको ऐसा बालमा मिल जाये तो आपको कैसा लगेगा? Hindi Porn Stories

प्रेषक – राम कुमार Antarvasna stories

राम कुमार (ग्वालियर से) का Antarvasna stories अन्तर्वासना के सभी पाठकों को खड़े लण्ड का सलाम। मैं अपना एक सच्चा अनुभव लेकर हाज़िर हूँ जिस को पढ़कर आँटियाँ, चाचियाँ, मामियाँ, भाभियाँ और लण्ड की प्यासी लड़कियों की चूत गीली हो जाएगी और लंड के लिए तड़प उठेंगीं। और जिन लड़कों के पास चूत की व्यवस्था होगी, वो चूत चोदने लगेंगे और जिनके पास नहीं होगी, वो मूठ मारने लगेंगे।

यह बात मई की है। मेरी मामी जो लगभग ३२ साल की है और दो बच्चों की माँ है, रंग गोरा, शरीर भरा हुआ, न एकदम दुबला न एक दम मोटा-ताज़ा। मतलब बिल्कुल गज़ब की। पर चूचियाँ तो दो-दो किलो के और गाँड कुछ ज़्यादा ही बाहर निकले हैं। मेरे ख़्याल से उसकी फिगर ३८-३२-३९ होगी।

मैं उस मामी को चोदने के चक्कर में दो सालों से लगा था, और उसके नाम से मूठ मारा करता था। मेरे मामा (४०), जो ग्वालियर में ही रहते थे, रेडीमेड कपड़ों के धंधे में थे और अपना माल दिल्ली ख़ुद ही जाकर लेकर आते थे।

एक दिन जब मैं अपने घर पहुँचा तो मामा वहाँ थे, और मम्मी से बातें कर रहे थे। मैंने मामा से पूछा – “अब नये कपड़े कब आ रहे हैं?”

“बस आज ही लाने जा रहा हूँ। पर इस बार माल दिल्ली से नहीं, मुम्बई से लेकर आना है। वहाँ एक नामी कम्पनी से मेरी बात तय हो गई है। मुझे वहाँ से आने में चार-पाँच दिन तो लग ही जाएँगे। तब तक मैं चाहता हूँ कि तुम दिन में एक बार ज़रा दुकान जाकर काम देख लेना और रात में मेरे घर चले जाना।”

“तू कुसुम और बच्चों को यहीं क्यों नहीं छोड़ देता?” मेरी मम्मी ने पूछा।

“मैंने कुसुम से कहा था कि बच्चों के साथ दीदी के यहाँ रह लेना, पर वह कह रही थी कि चार-पाँच दिनों के लिए आप लोगों को क्यों परेशान करना, बस राम को बोल देना, वो तुम्हारे आने तक हमारे यहाँ ही आ जाए और दुकान को भी काम देख ले। नौकरों के भरोसे दुकान छोड़ना ठीक नहीं। तुझे कोई दिक्क़त तो नहीं?” – मामा बोले।

“अभी तो मैं पूरा खाली ही हूँ। परीक्षाएँ भी खत्म हो चुकी हैं। चलिए एक अनुभव के लिए आपकी दुकान को भी सँभाल लेते हैं (और मामी को भी)।”

“आज ८ बजे मेरी ट्रेन है, तू सात बजे घर आ जाना और मुझे स्टेशन छोड़ कर वापिस मेरे घर ही चले जाना।”

“ठीक है मैं ६:३० बजे आ जाऊँगा।”

६:३० बजे मैं मामा के घर पहुँच गया, मामा सफ़र की तैयारी कर रहे थे और मामी पैकिंग में मामा की मदद कर रही थी। पैकिंग के बाद मामी ने मामा को खाना दिया और मुझे भी खाने के लिए पूछा।

“मामा को छोड़कर आता हूँ, फिर खा लूँगा।” मैंने कहा।

७:३० बजे मामा और मैं स्टेशन पहुँच गए। मामा की ट्रेन सही समय पर आ गई, मामा का आरक्षण था, मामा अपनी सीट पर जाकर बैठ गए और पाँच मिनट के बाद ट्रेन मुम्बई के लिए चल पड़ी। चलते-चलते मामा बोले,”मामी और बच्चों का ख्याल रखना।”

“आप यहाँ की फिक्र ना करें, मैं मामी और बच्चों का पूरा ख्याल रखूँगा।”

मैंने स्टैण्ड से अपनी बाईक ली और ८:३० तक घर आ गया। मैंने दरवाज़े की कॉलबेल बजाई तो मामी ने दरवाज़ा खोला और बोली,”हाथ-मुँह धो लो, अब हम खाना खा लेते हैं।”

“आपने अभी तक काना नहीं खाया?” मैंने पूछा।

“बस तुम्हारा ही इन्तज़ार कर रही थी। बिट्टू और सोनू तो खाना खाकर सो गए हैं। तुम भी खाना खा लो।”

मैं और मामी डिनर की टेबल पर एक-दूसरे के आमने-सामने बैठ कर खाना खा रहे थे। जब मामी निवाला खाने के लिए थोड़ा झुकती उनकी चूचियों की गहराईयों के दर्शन होने लगते और मेरा लंड विचलित होने लगता। पर स्वयं को सँभाल कर मैंने खाना खतम किया और टीवी चालू कर लिया। उस समय आई पी एल मैच चल रहे थे, मैं मैच देखने लगा।

कुछ देर बाद मामी बर्तन साफ करने लगी और वह भी मैच देखने लगी। जल्दी ही उसे नींद आने लगी।
“मैं तो सोने जा रही हूँ, तुम भी हमारे कमरे में ही सो जाना, तुम डबल बेड में बच्चों के एक तरफ ही सो जाना” मामी बोली।

“ठीक है, बस एक घन्टे में मैच खत्म होने वाला है। आप सो जाओ, मैं मैच देखकर आता हूँ।”

मामी चली गई और मैं मैच देखने लगा।

कुछ देर बाद बाद ब्रेक हुआ और मैं चैनल बदलने लगा, और एक लोकल चैनल पर रुक गया। डिश वाले एक ब्लू-फिल्म प्रसारित कर रहे थे। अब काहे का मैच, मैं तो उसी चैनल पर रुक गया और वो ब्लू-फिल्म देखने लगा और मेरा लंड हिचकोले मारने लगा।

मेरा साढ़े पाँच इंच का लंड लोहे की तरह सख्त होकर तन गया, मैं अपनी पैंट के ऊपर से ही उसे सहलाने लगा। मेरा लंड चूत के लिए फड़फड़ाने लगा और मेरी आँखों के सामने मामी का नंगा बदन घूमने लगा और मैं मामी के नाम से मूठ मारने लगा। मैं मन ही मन मामी को चोद रहा था, कुछ देर बाद लंड ने एक पिचकारी छोड़ दी। मेरा वीर्य लगभग पाँच फीट दूर छिटका, और यह बस मामी के नाम का कमाल था।

अब मेरा दिमाग मामी को हर हाल में चोदने के बारे में सोचने लगा, तब तक फिल्म भी खत्म हो गई थी। मैंने टीवी बन्द किया और बेडरूम की ओर चल दिया। जैसे ही मैंने कमरे की बत्ती जलाई, मेरी आँखें फटी रह गईं। बिल्लू और सोनू, दोनों दीवार की ओर सो रहे थे, और मामी बीच बिस्तर में। उनकी साड़ी घुटनों के ऊपर तक उठ गई थी और उनकी गोरी-गोरी जाँघें दिख रहीं थीं। उनका पल्लू बिखरा हुआ था, ब्लाउज़ के ऊपर के दो हुक खुले थे और काली ब्रा साफ-साफ दिख रही थी। मामी एकदम बेसुध सो रहीं थीं।

मैंने तुरन्त लाईट बन्द की और अपने लंड को सहलाते हुए सोचा,’क़िस्मत ने साथ दिया तो समझ हो गया तुम्हारा जुगाड़ !’

मैं जाकर मामी के पास लेट गया, मामी एकदम गहरी नींद में थी। मैंने एक हाथ मामी के गले पर रख दिया और हाथ को नीचे खिसकाने लगा। अब मेरा हाथ ब्लाउज़ के हुक तक पहुँच गया। मैं आहिस्ते-आहिस्ते हुक खोलने लगा। तभी मामी बच्चों की ओर पलट गई, इससे मुझे हुक खोलने में और भी आसानी हो गई और मैंने सारे हुक खोल दिए। ब्रा के ऊपर से ही मामी की चूचियों को सहलाने लगा।

मामी के स्तन एकदम मुलायम थे। पर ब्रा ने उन्हें ज़ोरों से दबा रखा था, इस कारण ऊपर पकड़ नहीं बन रही थी। मैं अपना हाथ मामी की ब्लाउज़ के पीछे ले गया और ब्रा के हुक को भी खोल दिया। अब दोनों स्तन एकदम स्वतंत्र थे। मैं उन आज़ाद हो चुके बड़े-बड़े स्तनों को हल्के-हल्के सहलाने लगा, फिर मैं एक हाथ उनकी जाँघ पर ले गया और ऊपर की ओर ले जाने लगा पर एक डर सा भी लग रहा था कि कहीं मामी जाग ना जाए। पर जिसके लंड में आग लगी हो वो हर रिस्क के लिए तैयार रहता है और लंड की आग को सिर्फ चूत का पानी ही बुझा सकता है।

हिम्मत करके मैं अपने हाथ को ऊपर ले जाने लगा। जैसे-जैसे मेरा हाथ चूत के पास जा रहा था, मेरा लंड और तेज़ हिचकोले मार रहा था।

अब मेरा हाथ मामी की पैन्टी तक जा पहुँचा था। पैन्टी के ऊपर से ही मैंने हाथ चूत के ऊपर रख दिया। चूत बहुत गीली थी और भट्टी की तरह तप रही थी। मैंने साड़ी को ऊपर कर दिया और पैन्टी को नीचे खिसकाने लगा। थोड़ी मेहनत के बाद मैं पैन्टी को टाँगों से अलग करने में कामयाब रहा।

अब मैं हाथ को चूत के ऊपर ले गया और चूत को प्यार से सहलाने लगा। मामी अभी तक शायद गहरी नींद में थी। मैंने एक हाथ मामी की कमर पर रखा और उन्हें सीधा करने लगा।

मामी एक ही झटके से सीधी हो गई। मैं अपनी टाँग को मामी की टाँगों के बीच ले गया और मामी की टाँगों को फैला दिया। अब मैं नीचे खिसकने लगा और मैं जैसे ही चूत चाटने के लिए मुँह चूत के पास ले गया, मामी ने हाथ से चूत को ढँक लिया।

मेरी तो गाँड फट गई, रॉड की तरह तना हुआ लौड़ा एकदम मुरझा गया, दिल धाड़-धाड़ धड़कने लगला।

तभी मामी उठी और फुसफुसाकर बोली,”ये सब यहाँ नहीं। बिट्टू और सोनू जाग सकते हैं। अब तक तो मैंने किसी तरह अपनी सिसकियाँ रोक रखीं थीं पर अब नहीं रोक सकूँगी। हम ड्राईंगरूम में चलते हैं।”

इतना सुनते ही मेरा लंड फिर से क़ुतुबमीनार बन गया। मामी जैसे ही बिस्तर पर से उठी, मैंने मामी को अपनी बाँहों में भर लिया और उनके होंठों को चूमने लगा। वह भी मेरे होंठों पर टूट पड़ी। हम एक-दूसरे के होंठों को पागलों की तरह निचोड़ने लगे।

मैं उनके होंठों को चूमते हुए अपने दोनों हाथ उनकी गांड तक ले गया और उन्हें उठा लिया। मामी ने अपने पैर मेरी कमर के गिर्द लपेट दिए। मैं उन्हें चूमते हुए ड्राईंगरूम तक ले आया और मामी को लेकर सोफे पर बैठ गया।

मामी मेरी गोद में थी, ब्लाउज़ और ब्रा अभी भी मामी के कंधों से लटक रहे थे। पहले मैंने ब्लाउज़ को निकाल फेंका, फिर ब्रा और एक चूची को हाथ से मसलने लगा और साथ ही दूसरी चूची को चाटने लगा।

अब साड़ी की बारी थी, मैंने साड़ी भी निकाल फेंकी, अब पेटीकोट बेचारे का भी शरीर पर क्या काम था। अब मामी एकदम नंगी हो चुकी थी। लाल नाईट-बल्ब की रोशनी में मामी का नंगा बदन पूर्णिमा में ताज़ की तरह चमक रहा था और इस वक्त मैं इस ताजमहल का मालिक था।

अब मामी मेरे कपड़े उतारने लगी। मेरे सारे कपड़े उन्होंने उतार दिए और मैं सिर्फ अपनी फ्रेंची अण्डरवियर में रह गया पर वह भी अधिक देर न रह सका। उन्होंने वह भी एक ही झटके में उतार फेंकी और फिर मामी ने मेरे साढ़े पाँच इंच लम्बे विकराल लंड को लॉलीपॉप की तरह चूसने लगी।

कभी मामी लंड पर, तो कभी अंडकोष से सुपाड़े तक जीभ फिराती, कभी लंड को हल्के से काटती, सुपाड़े पर थूकती और फिर उसे चाट जाती। मेरा तो बुरा हाल कर दिया और मेरे लंड ने मामी के मुँह पर अपनी पिचकारी मार दी। उनका पूरा चेहरा मेरे वीर्य से सन गया था। मैंने अपने दोनों हाथों से सारा वीर्य उनके चेहरे पर मल दिया।

“दूसरी बार में भी इतना माल? तेरा लंड है या वीर्य का टैंक?” – मामी ने कहा।

मैं यह सुनकर हैरान हो गया, मेरी हैरानी जानकर उन्होंने बताया – “जब तू ब्लू-फिल्म देख रहा था और मेरे नाम से मूठ मार रहा था तब मैं पानी पीने के लिए रसोईघर में आई थी और तेरे लंड की धार को देख कर मेरी कामवासना की प्यास जाग गई और मैं बेडरूम में अपने कपड़ों को जान-बूझ कर अस्त-व्यस्त कर लेट गई थी। वहाँ आने के बाद अगर तू ऐसी हरकतें नहीं करता तो आज मैं ही तेरा जबरन चोदन कर देती।”

“तरबूज़ तलवार पर गिरे या तलवार तरबूज़ पर, कटना तरबूज़ को ही है। अब तो आज रात सचमुच में जोरदार चोदन होगा। आज रात अगर आपसे रहम की भीख न मँगवाई तो मेरा भी नाम राम नहीं।” मैंने कहा।

“चल देखते हैं, कौन रहम की भीख माँगता है !” मामी ने भी ताना सा मारा।

मामी के ऐसा कहते ही मैंने मामी को ज़मीन पर लिटा दिया और उनकी चूत पर टूट पड़ा, अपनी जीभ को चूत में जितना हो सकता था अन्दर डाल दिया और जीभ हिलाने लगा। चूत के गुलाबी दाने को जैसे ही मैं हल्के-हल्के काटता-चूसता, वह तड़प उठती और आआहहहहहह आआहह्ह्हहहह करने लगती।

उसने टाँगों से मेरे सिर को जकड़ लिया और टाँगों से ही सिर को चूत में दबाने लगी और बालों में हाथ फेरने लगी। मैं चूत-अमृत पीते हुए दोनों स्तनों को मसल रहा था… तभी अचानक मामी का शरीर अकड़ने लगा उनकी चूत ज़ोरदार तरीके से झड़ने लगी।

मैंने चूत को चाटकर साफ कर दिया और जैसे ही मैं मामी के ऊपर आने को हुआ, मामी ने मुझे रोका और गेस्ट-रूम की ओर इशारा किया। मैं समझ गया कि वह उस कमरे में चलने को कह रही है। मैंने उन्हें गोद में लिया और चूमते हुए उस कमरे में ले आया। लाईट जलाई तो देखा, वहाँ एक सिंगल बेड था। मैंने पंखा चालू किया और उन्हें बिस्तर पर पटक दिया और उनके ऊपर आ गया। मैंने उनके होंठों को चूमते हुए अपनी टाँगों से उनकी टाँगे चौड़ी कीं।

अब मेरा लंड मामी की चूत के ऊपर था। मैंने अपने हाथों को सीधा किया और धक्के मारने की मुद्रा में आ गया। अब मैं अपनी कमर को नीचे करता और लंड को चूत से स्पर्श करते ही ऊपर कर लेता। कुछ देर ऐसा करने के बाद मामी बोली,”अब मत तड़पाओ, मेरी चूत में आग लग रही है, इसमें अपना लंड अब डाल दो और मेरी चूत की आग को शान्त करो, मैं तुम्हारे हाथ जोड़ती हूँ।

इस बार मैंने लण्ड चूत पर रखा और धीरे-धीरे नीचे होने लगा और लण्ड चूत की गहराईयों में समाने लगा। चूत बिल्कुल गीली थी, एक ही बार में लण्ड जड़ तक चूत में समा गया और हमारी झाँटे आपस में मिल गईं। अब मेरे झटके शुरु हो गए और मामी की सिसकियाँ भी… मामी आआआहहहहह अअआआआआहहहह करने लगी। कमरा उनकी सिसकियों से गूँज रहा था।

जब मेरा लण्ड उनकी चूत में जाता तो फच्च-फच्च और फक्क-फक्क की आवाज़ होती। मेरा लण्ड पूरा निकलता और एक ही झटके मे चूत में पूरा समा जाता। मामी भी गाँड हिला-हिला कर मेरा पूरा साथ दे रही थी। मैंने झटकों की रफ्तार बढ़ा दी, अब तो खाट भी चरमराने लगी थी। पर मेरी गति बढ़ती जा रही थी। हम दोनों पसीने से नहा रहे थे। पंखे के चलने का कोई भी प्रभाव नहीं था।

दोनों के चेहरे एकदम लाल हो रहे थे पर हम रुकने का नाम नहीं ले रहे थे। झटके अनवरत जारी थे। कभी मैं मामी के ऊपर तो कभी मामी मेरे ऊपर आ जाती। दोनों ही चुदाई का भरपूर मज़ा ले रहे थे। पूरे कमरे में बस कामदेव का राज था। हम दोनों एक-दूसरे की आग को बुझा रहे थे। तभी हमारे शरीर अकड़ने लगे।

दोनों झड़ने वाले थे। मैं लण्ड को बाहर निकालने वाला ही था कि मामी ने रोक दिया और बोली – “अपना सारा माल चूत के अन्दर ही छोड़ दो।”

मैंने भी झटके चालू रखे। हम दोनों ने एक-दूसरे को भींच लिया। मामी ने टाँगों और हाथों को मेरे शरीर पर लपेट दिया। मैंने मामी के कंधों को कसकर पकड़ लिया और एक ज़ोरदार झटका मारा। मैं और मामी एक ही साथ झड़े थे। मामी की चूत मेरे वीर्य से भर गई।

वीर्य चूत से बह रहा था। मेरा मुँह अपने-आप चूत पर पहुँच गया और मैं मामी की चूत को चाट-चाट कर साफ करने लगा।

मामी ने भी मेरे लंड को चूस-चूस कर साफ कर दिया और हम दोनों एक-दूसरे के बगल में लेट गए, पर मामी का हाथ मेरे लंड पर था और मैं मामी के बालों को सहला रहा था।

मामा के आने तक मैं और मामी पति-पत्नी की तरह रहे। मैं सुबह को दुकान का एक चक्कर लगा आता। दिन में हम नींद ले लेते और रात को…

मामा के आने के बाद भी जब भी मौक़ा मिलता, मैं उसको छोड़ता नहीं।

अन्तर्वासना के पाठकों, आपको मेरी यह दास्तान कैसी लगी, मेल कर बताएँ। Antarvasna stories

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