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मैं एक मध्यम वर्गीय परिवार Antarvasna से हूँ, दो वर्ष शादी को हो चुके हैं, इस समय मेरी आयु सत्ताइस वर्ष है, मेरे पति की आयु उनतीस वर्ष है, वह एक बड़ी कंपनी में अच्छे पद पर हैं और अपने काम के सिलसिले में महीने में पंद्रह या बीस दिन शहर से बाहर रहते हैं.
मेरे पति एक सुन्दर और स्मार्ट व्यक्ति हैं, उनका व्यवहार भी अच्छा है. वे जब भी टूअर से लौटते हैं तो ढेर सारी अन्य चीजों के साथ विभिन्न तरह के सौंदर्य प्रसाधन आदि ले आते हैं, दरअसल वे एक कामुक व्यक्ति हैं, यौन में भी उन्हें हर बार कुछ नया ही चाहिये, वे एक ही जैसी क्रियाओं से बोर हो जाते हैं, उनके नये नये स्टाईलॉ और भांति भांति के आसनों से मुझे भी काफी आनन्द आता है और मैं उनके ऐसे क्रिया कलापों में ऐतराज नहीं करती हूँ.
मेरे पति ऑफिस गए हुए थे, कल ही वे टूअर से आये थे. आज मेरा छोटा भाई जिसकी आयु उन्नीस वर्ष है वह आ गया था. शाम का समय था, मैं और मेरा छोटा भाई बैडरूम में बैड पर बैठ कर टी.वी. देख रहे थे. टी.वी. पर एक हिंदी फिल्म आ रही थी, मैंने साडी-ब्लाउज पहना हुआ था और मेरा छोटा भाई पेंट-शर्ट में था. वह बिस्तर के एक कोने पर बैठा था जबकि मैं बैड की पुश्त से पीठ लगाये दोनों हाथों को सीने पर बांधे बैठी थी.
सात बजने जा रहे थे, तभी कॉल-बेल बजी!
मेरे उठने से पहले ही मेरा छोटा भाई उठा और दरवाजा खोल आया और बैड पर आकर बैठ गया, वहीं जहाँ पहले बैठा था.
कौन आया है- मैंने पूछा.
जीजाजी आये हैं… उसने सामान्य स्वर में उत्तर दिया.
मेरे पति बाहर के दरवाजे को लॉक कर के बैडरूम में आकर मेरे निकट बैड पर बैठ गए.
देर नहीं हो गई आज आपको आने में…? मैंने अपनी आँखों में कृत्रिम क्रोध लाकर कहा.
देर वाले काम ही में तो मजा आता है जानेमन…! मेरे पति ने मेरे गालों पर किस करते हुए कहा.
उनका एक हाथ मेरे ब्लाउज के ऊपर पहुँच गया था, ब्लाउज के ऊपर ही से उन्होंने मेरे स्तन पर चिकोटी काटी तो मेरे होंटों से हल्की सी कराह फ़ूट पड़ी.
मेरी कराह पर टी.वी. देखते मेरे भाई की दृष्टि मेरी ओर हुई और फिर टी.वी. की ओर हो गई.
मैंने अपने ब्लाउज से अपने पति का हाथ हटाया और आँखें तरेर कर बोली- आपको सब्र होना चाहिये! मेरा भाई भी बैठा है और आप उसकी उपस्थिति में भी ऐसी हरकतें कर रहें हैं? मेरा स्वर इतना धीमा था कि जो सिर्फ मुझे और मेरे पति को ही सुनाई दे सकता था.
ओ के… तुम जाओ और मेरे लिए एक बढ़िया सी चाय बनाओ! मैं हाथ मुँह धो कर आता हूँ. मेरे पति ने इतना कहा और फिर धोखे से मेरे होंठों को चूम कर मेरे निकट से उठ गये.
मैं बड़बड़ाती हुई उठी, मेरे भाई ने कनखियों से उनकी यह हरकत देख ली थी, इसी कारण उसके पतले पतले होंठों पर मुस्कान आ गई थी, थोड़ी देर बाद मैं चाय बना कर ले आई तो पति को बैड पर अपने स्थान पर बैठे पाया, मैंने चाय का कप उनको पकड़ा दिया और उनके निकट बैठ गई.
टी.वी. पर एक कैबरे गीत आ रहा था, जिसमें नायिका ने काफी कम कपड़े पहन रखे थे और वह उत्तेजक अंदाज में नाच रही थी.
हाय… क्या फिगर है…! कैसे पतली कमर को झटका देकर देखने वालों को हार्ट-अटैक दे रही है ये…! क्यों जानेमन…! क्या ऐसा डांस कर सकती हो तुम…? मेरे पति चाय पीते हुए बोले.
तुम चुप रहोगे या नहीं…!!! मैं धीमे स्वर में बोली.
“अमां… साले साब…! देख रहे हो तुम्हारी बहन हमें कुछ बोलने ही नहीं दे रही…! अब अगर हमने इस कैबरे डांस की तारीफ़ कर दी तो इसमें क्या गलत बात हो गई?” मेरे पति ने मेरे भाई से कहा.
मेरा भाई मुस्करा कर रह गया.
फिर चाय ख़त्म करने तक मेरे पति कुछ नहीं बोले किन्तु उनका हाथ मेरे ब्लाउज पर आ गया और वो मेरे स्तनों को मसलने लगे. मैं अपने भाई की उपस्थिति का ख्याल करके उनके हाथ अपने हाथों से हटाने का प्रयास करने लगी लेकिन फिर भी उन्होंने मेरे ब्लाउज के दो तीन बटन खोल कर मेरे ब्लाउज के भीतर हाथ डाल दिया और ब्रा के नीचे से मेरे निप्पल को इतनी सख्ती से मसला कि मैं तीव्र स्वर में कराह उठी.
मेरी कराह ने मेरे भाई का ध्यान हम दोनों की ओर खींचा, वह क्षण भर को हम दोनों को देखता रहा, उसकी जिज्ञासु दृष्टि मेरे ब्लाउज पर जम गई फिर वह अपनी आँखें नीची किये बैडरूम से बाहर जाने के लिये मुड़ने लगा तो मेरे पति ने उसका हाथ पकड़ कर उसे बेड पर अपने नजदीक बैठा लिया और अपना हाथ बिना मेरे ब्लाउज में से निकाले बोले- अरे यार… यह पति पत्नी की सामान्य नोंक झोंक है, तुम कहाँ चले! अच्छा मैं तुमसे एक बात पूछता हूँ! जवाब सही सही देना!
मेरा भाई असमंजस के भाव से कभी उनकी आँखों में देखने लगता तो कभी मेरी आँखों में, वह कुछ बोल नहीं पाया.
“यह बताओ… क्या तुमने किसी जवान औरत के स्तन देखे हैं आज से पहले?” यह कहते हुए उनके हाथ ने मेरे ब्लाउज को थोड़ा और खोल कर मेरा स्तन ब्रा के कप में से बाहर ही निकाल दिया, मेरा भाई भी स्तब्ध था और मैं भी. हम दोनों ही इस स्थिति से सर्वथा अपरिचित थे.
“मुझे मालूम है… तुमने न तो अबसे पहले औरत का स्तन देखा है और न ही छुआ है… अपना हाथ इधर लाओ…!” मेरे पति उन्मुक्त भाव से उसके हाथ को पकड़ कर मेरे स्तन पर रख कर बोले- लो… देख लो.. कैसा होता है स्तन…! देखा कैसा होता है स्तन…? शर्माओ मत!
मेरे पति ने मेरे भाई का मुख मेरे बायें स्तन के बिल्कुल नजदीक कर दिया और गहरे गुलाबी रंग का निप्पल उसके होंठों के पास करके बोले- होंठ खोलो और इसे चूसो…!
लेकिन मेरे भाई ने होंठ नहीं खोले, वह तो फटी फटी आँखों से यह सब देख रहा था. तब मेरे पति ने मेरे दायें स्तन को भी मेरे ब्लाउज और ब्रा में से निकाल दिया और उसके निप्पल को चूसने लगे, मैं उत्तेजना में बहने लगी.
क्या तुम अपने भाई के होंठ नहीं चूम सकती…? मेरे पति ने मुझसे कहा तो मेरे मन में विचित्र प्रकार का प्यार उमड़ आया, यह सब मेरे लिये अनोखा था.
मैंने अपने भाई के गुलाबी होंठों को चूम लिया और उसके होंठों में अपने बायें स्तन का निप्पल भी दे दिया, अब उसने निप्पल ले लिया, मैंने कहा… चूसो इसे!
वह चूसने लगा वो भी इस तरह जैसे कोई शिशु स्तन में दूध खोजता है.
मैं अदभुत आनन्द से भरने लगी, मेरे हाथ उसके सर को सहलाने लगे थे, मेरे दोनों स्तनों को चूसा जा रहा था, मैं उत्तेजित होती जा रही थी, मेरे हाथ मेरे भाई की पीठ पर होकर उसकी पैन्ट पर पहुँच गये, मैंने उसकी पैन्ट की जिप खोल दी और उसमें हाथ डाल कर उसके अंडरवीयर के नीचे छिपे उसके अंगड़ाई भरते लिंग को अंडरवीयर के ऊपर से ही सहलाने लगी. मेरे पति ने मेरी साड़ी को पेटीकोट सहित मेरे घुटनों से ऊपर कर दिया था और मेरे दायें स्तन को चूसते चूसते मेरी चिकनी जाँघों को भी सहलाने लगे थे.
उनकी कोशिश देख कर मुझे करवट लेनी पड़ी और मैंने अपनी पीठ उनकी ओर कर ली, उन्होंने मेरा स्तन छोड़ दिया था, वे अब मेरी साड़ी और पेटीकोट को नितंबों तक पलट कर मेरे नितंबों को सहलाने लगे थे, मेरे नितंबों पर कसी पेंटी अभी उन्होंने उतारी नहीं थी, अभी तो वे जांघें सहला सहला कर ही मुझे उत्तेजित करते जा रहे थे.
मेरे आगे लेटा मेरा छोटा भाई मेरे स्तनों को ही चूसने में व्यस्त था, उसकी इस क्रिया ने भी मुझे तपा डाला था.
मैंने उसके अंडरवीयर में से उसका सात आठ इंच लंबा लिंग बाहर निकाल लिया था और उसे सहलाने लगी थी, मेरे भाई का लिंग अभी तक नया ही था, उसकी त्वचा लिंग-मुंड पर चढ़ी हुई थी, जिसे मैं धीरे-धीरे नीचे को उतार रही थी, मेरा एक हाथ उसकी पैंट को नीचे सरका चुका था.
अचानक मेरे पति ने मुझसे कहा- आज एक नये किस्म का मजा लेते हैं, तुम्हारे भाई का नया नया लिंग तुम्हारी योनि में नहीं बल्कि तुम्हारी गुदा (गांड) में डलवाते हैं… .तुम्हें तो मजा आयेगा ही… तुम्हारे भाई को भी आनन्द आयेगा… .तुम जानवर की भांति हाथ पांव बेड पर टिका कर अपने नितंब ऊँचे उठा लो!
मैंने ऐसा ही किया, मेरे नितंब ऊँचे उठ गये तो मेरे पति ने मेरे भाई को मेरे पीछे खड़ा करके उसके लिंग मुंड पर अपना ढेर सा थूक लगा कर उसे मेरे नितंबों के बीच जहाँ मेरी गुदा (गांड) थी, वहाँ टिकाया और मेरे भाई से कहा- धक्का मारो साले साब… लेकिन धीरे धीरे!
मेरे भाई ने मेरी कमर को पकड़ कर धक्का मारा तो लिंग ऊपर को फिसल गया,
“ओ… ओफ्फो.. यार… .रुको…! दोबारा कोशिश करते हैं!” मेरे पति ने मेरे भाई से कहा.
मैंने मुद्रा बदल कर करवट ले ली और अपने पति से बोली- ये पहली बार तो मैथुन (चुदाई) क्रिया कर रहा है और तुम ये उम्मीद कर रहे हो की एक ही बार में लिंग प्रवेश कर लेगा, वो भी बिना किसी चिकनाई के, जाओ जरा रसोई में से सरसों का तेल ले आओ, मैं तब तक इसके लिंग को और उत्तेजित करती हूँ!
तुम ठीक कहती हो… मेरे पति ने इतना कहा और चले गये.
मैंने अपने भाई को उसका हाथ पकड़ कर अपने सिरहाने बैठा लिया और उसकी टांगें फैला कर उसकी मजबूत जांघ पर अपना सर टिका कर उसके तने हुए लिंग की उपरी त्वचा लिंग मुंड से हटा कर उसे अपने मुंह में ले लिया, मैं उसे चूसने लगी.
वह मचल उठा, उसके कंठ से कामुक ध्वनि फूटने लगी- उफ..ओह… मेरे शरीर में चीटियाँ सी दौड़ रही हैं… उफ… वह टूटते शब्दों में कह उठा.
मैंने उसके हाथों को अपने स्तनों पर टिका दिया और बोली- इनसे खेलते रहो… और फिर उसके लिंग को अपनी जीभ से चाटने लगी.
मेरे पति एक कटोरी में सरसों का तेल ले आये और मेरी एक टांग को ऊँचा करके मेरी गुदा (गांड) में तेल लगाने लगे.
अब अपने जीजाजी के पास चले जाओ… मैंने अपने मुंह से अपने भाई का लिंग निकाल कर उससे कहा.
वह यंत्र की भांति चुपचाप मेरे पति के निकट जाकर बैठ गया.
मेरे पति ने मेरे नितंबों के नीचे एक तकिया लगा दिया, अब नितंब ऊँचे भी हो गए और उनके मध्य की खाई अधिक खुल गई.
तुम लेट जाओ.. मैं तुम्हारे लिंग को ठीक निशानें पर फंसा दूंगा, तुम जोर का धक्का मारना, और हाँ… पहली बार में थोड़ा दर्द होता है तुम घबरा मत जाना… उसके बाद खूब मजा आता है! मेरे पति ने मेरे भाई को समझाया.
मेरा भाई मेरे पीछे लेट गया, उसने मेरी बगलों में हाथ डाल कर मेरे पुष्ट स्तनों को पकड़ लिया, मेरे पति ने उसके लिंग पर तेल लगाया और मेरी टांग को ऊँचा करके उसके लिंग को मेरी गुदा पर रख दिया, मैंने भी अपने एक हाथ से लिंग मुंड को गुदा के तंग द्वार में फंसाने में उन दोनों की मदद की और बोली… मारो जोर का शाट! मैं तैयार हूँ…!
इतना कहते ही मैंने दांत भींच लिए क्योंकि गुदा में मुझे भी थोड़ी पीड़ा होनी थी, उतनी नहीं होनी थी जितनी पहली दफा में होती है, मेरे पति तो मेरी गुदा में अक्सर ही लिंग प्रवेश किया करते थे इसलिए मुझे आदत पड़ चुकी थी, उसी दम मुझे पीड़ा हुई और मेरे कंठ से कराह निकल गई.
मेरे भाई ने जोर का धक्का मारा था, उसका लिंग मुंड मेरी गुदा को फैलाता हुआ उसमें घुस गया था, मेरा भाई भी कराह उठा, वह जरा ज्यादा तड़प रहा था, उसके लिंग मुंड की सील टूट गई थी और हल्का हल्का सा रक्त स्राव भी हुआ था, किन्तु मेरे पति द्वारा उसका साहस बढ़ाये जाने पर उसने तड़पते तड़पते भी एक बार जरा पीछे हट कर एक और धक्का मारा, लिंग का आधा हिस्सा मेरी गुदा में समा गया.
“ओफ… मुझे बहुत दर्द हो रहा है… .मैं और आगे नहीं कर सकता, उफ… लगता है मेरा लिंग पिस जायेगा, दीदी के कूल्हे तो चक्की के पाट जैसे हैं.” यह कहते हुए मेरे भाई ने अपना लिंग मेरी गुदा से निकाल लिया तो मैं अपने पति से बोली- गुदा में तुम डाल दो और जल्दी करो, मेरे भीतर की आग अब भड़क उठी है, इसको मैं योनि का आनन्द देती हूँ! आ जाओ तुम इधर मेरे आगे!
मैंने अपने भाई का हाथ पकड़ कर कहा और उसे अपने आगे लिटा लिया, मैंने उसका लिंग अपने हाथ में ले लिया और उसे सहलाते हुए अपनी योनि में फंसा कर कहा- अब धक्का मारो, इसमें दर्द नहीं होगा!
मैंने ऐसा कहा तो उसने डरते डरते हल्का सा धक्का मारा, लिंग मुंड आसानी से योनि में प्रविष्ट हो गया, वह आस्वस्त हो गया तो और धक्के मारने लगा, मैं आनन्दित होने लगी और उसके नितंबों को तो कभी उसके सिर को सहलाने लगी, वह मेरे होंठों को चूमने लगा तो मैंने उसके मुंह में अपने स्तन का निप्पल डाल कर कहा- इसे चूसो…!
वह निप्पल चूसते हुए योनि में लिंग का घर्षण करने लगा, उसके मुंह से भी कामुक ध्वनियाँ फूटने लगी थी तो मेरी भी गर्म साँसें तीव्र होती जा रही थी.
तभी मेरे पति ने अपना लिंग निकाल कर मेरी गुदा में प्रवेश करा दिया, वे आहिस्ता आहिस्ता उसे आगे बढाने लगे.
मैं तो काम-सुख का वह चरम पा रही थी कि जिसकी मिसाल नहीं दी जा सकती, मेरा युवा शरीर दो लिंगों के घर्षण से ऐसा आंदोलित हो उठा कि क्या कहूँ, ऐसा काम सुख मुझे पहले कभी नहीं मिला था, गुदा और योनि में आग सी लगती जा रही थी, मैं चरमोत्कर्ष पर पहुंची तो मेरा भाई भी स्खलित हो गया, मैंने उसका लिंग अपने मुंह में ले लिया और उसे अजीब किस्म का दुलार देने लगी.
वह भावावेश में मेरे शरीर से लिपट गया, मेरे पति ने मेरी गुदा में स्खलित होकर मुझे बांहों में भर लिया था.
इस तरह उस रात हम तीनों ने खूब शारीरिक सुख भोगा.
आपको मेरी मस्त कहानी में पढ़ने में मजा आ रहा है ना?
कहानी जारी रहेगी. Antarvasna
फिर मैं बोला- मुझे पापा और आपकी चुदाई देखनी है.
मौसी- चलो, अब जब तुम्हारे घर आऊंगी तो तुम्हें फोन कर दूंगी. तुम भी घर आ जाना. फिर हम साथ में चुदाई करेंगे.
मैं बोला- साथ में कैसे?
मौसी- अब मैं, तुम और तुम्हारे पापा थ्रीसम करेंगे! वो मैं सब जुगाड़ कर लूंगी.
अब आगे खेत चुदाई देसी मौसी की:
लगभग 2 महीने बाद मौसी का फोन आया- घर आ जाओ, मैं भी जा रही हूं तुम्हारे घर!
तो मेरे मन में खुशी के लड्डू फिर फूटने लग गए.
मैंने दूसरे दिन कपड़े पैक किये और घर के लिए निकल पड़ा..
मैं ट्रेन से स्टेशन पर उतरने बाद मेडिकल स्टोर पर गया.
वहां से सक्स की टेबलेट ली मैंने!
उसके बाद मैं घर पहुंचा तो देखा कि मौसी नहीं दिख रही है.
मुझे बहुत गुस्सा आया. मुझे लगा कि मौसी ने मुझे धोखा दे दिया.
फिर मैंने अपनी मम्मी से घर का और सबका हाल चाल पूछा.
तो मम्मी सब कुछ ठीक बताया.
उसके बाद मैंने पूछा- पापा कहां हैं?
मम्मी बोली- तेरे पापा खेत में गए हैं. और मौसी भी उनके साथ गई है.
यह सुन कर मुझे खुशी हुई और मैंने मम्मी से पूछा- मौसी भी आई है?
मम्मी बोली- हां, अभी सुबह-सुबह ही आई है.
मैंने पूछा- अच्छा कुछ काम था क्या?
तो मम्मी बोली- नहीं , ऐसे ही मिलने घूमने आई है.
उसके बाद हमने खाना खाया और आराम करने लगे.
कुछ देर बाद कुछ देर बाद मौसी घर आई.
वे मुझे देखकर बहुत खुश लग रही थी.
मैंने भी मौसी को आंख मार दी.
तो उसने भी एक आंख मारी.
उसके बाद मैं उठा और पीछे वाले बाथरूम में पेशाब करके आया.
धीरे-धीरे शाम होने लगी.
मेरे दिमाग में एक बड़ी टेंशन थी कि मैं पापा के सामने मौसी कैसे चोदूंगा.
धीरे-धीरे शाम हो गई.
मौसी और मम्मी ने खाना बनाया, सब लोगों ने खाना खाया.
उसके बाद मैं छत पर चला गया सोने!
और मम्मी नीचे कमरे में सोने चली गई.
पापा चले गए खेत में!
तो मैं सोच रहा था कि मैं कैसे बात करूं मौसी से कि कब और कैसी है चुदाई करनी है.
मैं बहुत टेंशन में था.
उसके बाद मेरे फोन में फोन पापा का फोन आया- तुम्हारी मौसी कहां है?
मैं बोला- मैं छत पर हूं, सो रहा हूं. मुझे नहीं पता!
पापा बोले- ठीक है!
उसके बाद आधे घंटे बाद मौसी छत पर आई और बोली- सो गए क्या?
मैं – नहीं तो!
मौसी- नींद नहीं आ रही है क्या?
मैं- नींद कैसे आएगी? चूत जो चाहिए तुम्हारी!
इतना बोल कर मैं हंस पड़ा.
मैं- पापा का फोन आया था, आपको पूछ रहे थे वे!
मौसी- तो उनका भी लंड खड़ा होगा ना मुझे चोदने को!
मैं- यह बताओ पापा के सामने मैं आपको कैसे चोदूंगा? कोई जुगाड़ कर रखा है क्या?
तो मौसी बोली- अभी मैं कुछ देर बाद में तुम्हें मिस कॉल कर दूंगी. तो तब तुम खेत में आ जाना! तो तुम हम लोगों को देखकर ऐसे व्यवहार करना कि पापा को लगे कि ये क्या … बेटे ने काण्ड करते देख लिया. बाकी मैं सब कुछ संभाल लूंगी.
मैं- ओके!
उसके बाद मैं लेट गया और मौसी चली गई नीचे!
फिर लगभग 45 मिनट बाद फोन आया मेरे पास पापा के फोन से!
पर साथ ही फोन कट गया.
इस मिस काल से मुझे सिग्नल मिल गया कि मौसी मुझे बुला रही है.
फिर मैं चुपके से नीचे उतरा और जो गोली लाया था, एक गोली तुरंत खा ली और खेत चुदाई के चला गया.
वहां बाहर से ही देखा कि कमरे में मौसी और पापा चोदम चोद में लगे हुए हैं. मौसी नीचे लेटी हुई थी और पापा उनके ऊपर चढ़कर चुदाई कर रहे थे.
मौसी धीरे धीरे ‘आह आह … आह आह आह’ चिल्ला रही थी.
उसके बाद मैं वहीं बैठ गया देखने के लिए कि ये लोग कैसे चुदाई करते हैं.
कुछ देर बाद पापा नीचे आ गए और मौसी के बाल पकड़कर अपना लंड मौसी के मुंह में डाल दिया.
मौसी चूसने लगी जैसे लॉलीपॉप चूसते हैं.
उसके बाद मैं उनके समीप तक जा पहुंचा.
पापा ने मुझे देख लिया तो जल्दी से उन्होंने अपने ऊपर कपड़ा डाल लिया.
लेकिन मौसी ने अपना साड़ी ठीक नहीं की.
पापा उनको बोले- अरे, साड़ी पहनो ना!
उसके बाद मैं बोलने लगा- यह क्या चल रहा है आपका खेल?
पापा बोले- कुछ नहीं बेटा … कुछ नहीं!
तब मौसी बोली- आओ तुम भी आ जाओ!
मैं- आप तो मेरी मौसी हो तो कैसे?
मौसी बोली- ज्यादा नाटक मत करो, मैंने सब बात बता दी है तुम्हारे पापा को पहले ही!
पापा- हाँ बेटा, ये तेरी मौसी तो बहुत गर्म है! आओ बेटा आओ … मेरे बस की बात नहीं है तुम्हारी मौसी को ठंडा कर पाना! इसने जब से तुम्हारे लंड को देखा है, तुमसे चुदाने का मन बना लिया है. खुद बोल रही थी.
मैं- अरे पापा, इनको तो मैं कई बार चोद चुका हूं पहले ही!
पापा- ओह यह तो पूरी रंडी निकली!
मैं- हाँ!
मौसी- हाँ मैं रण्डी हूं. मुझे तुम दोनों से चुदना है एक साथ!
मैं- हाँ पापा, यह इसी का प्लान था कि हम दोनों इनकी चुदाई खेत में करें. दो लंड एक साथ डालेंगे चूत और गांड में! और खूब चोदना है.
पापा- फिर जल्दी आओ!
उसके बाद मैंने अपनी अंडरवियर उतारा और अपना लंड उनके पास लेकर चला गया.
पापा- इतना बड़ा लंड?
मेरे पापा का मुंह खुला का खुला ही रह गया.
मैंने मज़ा लेने के लिए अपना लंड पापा के मुंह के पास लगा दिया.
पापा- अबे मादरचोद … मेरे मुंह में डालेगा क्या?
मैं- आपकी इच्छा है … चूसना हो तो चूस सकते हैं आप!
फिर मैं हंस दिया.
मेरे साथ साथ मौसी भी बहुत तेज हंसी.
पापा को गुस्सा आ गया कि हम उनका मज़ा ले रहे हैं.
उसके बाद मैं बोला- काम डाउन पापा!
फिर पापा शान्त हुए और मैंने अपणा लंड मौसी के मुंह में दे दिया.
मौसी उसे चूसने लगी.
और पापा ने अपना लंड मौसी की चूत में डाल दिया, वे चुदाई करने लगे.
मौसी ‘आह आह आह’ कर रही थी, पर कुछ बोल नहीं पा रही थी क्योंकि उनके मुंह में मेरा 7 इंच का लन्ड था.
उसके बाद मैंने अपना लंड निकाला और पापा को बोला- पापा, आप अपना लंड मौसी की चूत से निकालकर उनके मुंह में डालो.
पापा ने अपना लंड मौसी के मुंह में डाल दिया और मैं अपना लंड उसकी चूत में डाल कर मौसी की चूत चुदाई करने लगा.
कुछ मिनट के बाद पापा तो झड़ गए लेकिन मैं तो झड़ नहीं रहा था.
तो पापा बोले- तुम्हारा स्टैमिना तो बहत ज्यादा है!
मैंने जेब से एक गोली निकाली और पापा को दे दी.
पापा ने तुरंत वह गोली खा ली.
उसके बाद पापा ने अपना लंड मौसी के मुंह में दे दिया और मैं उनको कुतिया की पोजीशन में करके उनके नीचे लेट गया और अपना लंड मौसी की चूत में डालने लगा.
उसके बाद आधा लंड उनकी चूत में डाल दिया और चुदाई करने लगा.
धीरे धीरे पापा का लंड फिर से खड़ा हुआ.
तो पापा ने अपना लंड मौसी की गांड में डाल दिया.
और मौसी चीख उठी- उह … हाह फाड़ दी मेरी गांड!
मौसी खूब सीत्कार करने लगी.
उसके बाद बारी बारी से, कभी एक साथ दो लंड चूत में, कभी एक लंड गान्ड में एक लंड मुंह में, और कभी एक लंड चूत में एक लंड मुंह में!
हम बाप बेटा मेरी मौसी को चोदते रहे.
काफी देर के बाद हम दोनों झड़ गए.
पापा ने मौसी की गांड में और मैंने मौसी की चूत में रस छोड़ा.
उसके बाद उस रात में मैंने और पापा ने मौसी की गान्ड और चूत और मुंह को खूब चोदा.
मौसी बोली- आज से एक अरसे के बाद मैं पूरी संतुष्ट हुई हूं.
उसके बाद 3 दिन मौसी हमारे घर में रही और हम दोनों ने उसकी बहुत चुदाई की,
तीसरे दिन जब चोद रहे थे रात में पापा और मैं … तो मुझे ऐसा लगा कि कोई हमें देख रहा है.
बाद में मुझे हल्का सा दिखा कि वह मेरे चाचा का लड़का था.
लेकिन मैंने कुछ रिएक्ट नहीं किया क्योंकि वह भी बड़ा हो गया, उसका भी लंड खड़ा होता होगा. इसलिए मैंने सोचा कि देख लेने ड़ो उसको भी हमारी चुदाई को!
वह भी कुछ नहीं बोला.
उसके बाद मैं 3 बजे रात उठ कर जब वहाँ से निकला तो देखा कि चाचा का लड़का रोहित अभी भी वहीं था.
तो मैंने उसको अपने पास बुलाया और साथ साथ चलने लगे.
वह रास्ते में बोला- मुझको भी चोदना है तेरी मौसी को!
मैंने उसे कहा- ठीक है, पर मैं पहले मौसी को इसके लिए राजी तो कर लूं. फिर तुझे बताऊंगा
हाय ! मेरा नाम अजय है Sex Stories और मेरी उम्र 21 साल है, मैं मुम्बई में रहने वाला एक सुन्दर लड़का हूँ। मैं अन्तर्वासना के माध्यम से अपनी एक सच्ची कहानी बताने जा रहा हूँ।
मेरा मन कामुक कथाएं पढ़ने का बहुत करता है इसलिए मैं बहुत सारी सेक्स-कहानियों की किताबें अपने साथ रखता हूँ।
अब कहानी शुरू करता हूँ..
यह करीब एक साल पहले की बात है, मेरी कक्षा में एक सेक्सी लड़की ने प्रवेश लिया। वो एक सेक्सी शरीर की मालकिन थी।
सारे लड़के उसे देखते तो उनके मुंह से आह निकलती थी।
उसके स्तन तो ऐसे थे कि ब्रा में समाते ही नहीं थे और हमेशा उसके अन्दर चहकते रहते..और काजल की टाईट जींस के अन्दर उसकी तरबूज़ जैसी गाण्ड ऐसी लगती थी कि अभी इसकी चुदाई कर दूँ…
क्लास के सभी लड़के काजल के पीछे पड़े थे..मैं एक शर्मीला लड़का हूँ इसलिए मैं दूर रहता था। लेकिन क्लास में होने की वज़ह से हमारी दोस्ती हो गई। लेकिन मैं भी उसे चोदना चाहता था और मुझे मौका मिल ही गया।
वो मेरे घर की तरफ़ ही रहती थी, इस वज़ह से वो मेरे साथ ही आती जाती थी। मैं रिक्शे में हमेशा हमेशा चांस मारता था, कभी उसके बूब्स पे हाथ मार देता तो कभी मज़ाक में उसकी गाण्ड पे हाथ मार देता। वो भी कुछ नहीं बोलती थी।
बारिश का मौसम था। उस दिन बारिश की वज़ह से हम काफ़ी भीग चुके थे। गीले कपड़ों में उसके स्तन पूरे आकार में दिख रहे थे और मेरा लण्ड खड़ा हो गया था।
मैंने उसे आज ही चोदने का मन बना लिया था।
वो मुझे अपने घर ले गई। हम दोनों को ठण्ड लग रही थी, वो अपने कपड़े बदल कर आई, तब तक मैं अपना शर्ट निकाल चुका था..
काजल जैसे ही बाहर आई तो मैं उसे पकड़ के किस करने लगा। वो कुछ समझी ही नहीं पाई या फ़िर ना समझने का नाटक कर रही थी।
मैं किस करते करते उसके बूब्स को दबाने लगा, वो कुछ नहीं बोली।
मेरी हिम्मत और बढ़ गई और मैंने उसकी ब्रा के अन्दर हाथ डाल दिया। अब तक वो भी पूरी आपे से बाहर हो चुकी थी, उसने मेरा लण्ड पकड़ लिया, मैं समझ गया कि काजल को मेरा लण्ड चाहिए।
मैंने उसके सारे कपड़े उतार दिए और उसने मेरे सारे कपड़े उतार दिए। मैं अपना लण्ड उसके मुँह में देने लगा, पहले तो उसने मना किया लेकिन बाद में वो राज़ी हो गई। वो मेरे लण्ड को लोलीपोप की तरह चूसने लगी।
हम दोनों 69 की पोज़िशन में आ गए। मैं उसकी गुलाबी चूत को जीभ से चाटने लगा। उसके मुंह से ..ऊह या पंकज़ याह ऊऊह प्लीज़ चोदो मुझे… मुझे तुम्हारा… बड़ा सा लण्ड चाहिए ओ येस की आवाज़ निकाल रही थी।
हम दोनों बेकाबू हो गए और एक दूसरे के मुँह में झड़ गए।
15 मिनट तक हम एक दूसरे के ऊपर लेटे रहे, उसके बाद वो फ़िर से चुदाई के लिए तैयार हो गई, लेकिन इस बार जीभ से नहीं मेरे लण्ड से चुदाने के लिए तैयार थी।
मैं उसे कुतिया स्टाईल में चोदने के लिए तैयार हो गया लेकिन वो पहली बार चुदाने जा रही थी इसलिए उसकी चूत काफ़ी टाईट थी।
मैंने उसे क्रीम लाने को बोला, और उस पे लगाया, फ़िर एक जोर का झटका दिया और वो चिल्लाने लगी- निकालो-निकालो !
फ़िर मैं रुक गया, थोड़ी देर बाद उसका दर्द कम हुआ और वो भी मचलने लगी।
फ़िर मैंने और एक झटका दिया और मेरा लण्ड पूरी तरह उसकी चूत के अन्दर हो गया और उसके मुँह से अजीब आवाज़ें निकलने लगी- ओह अजय ! प्लीज़ मेरी चूत को फ़ाड़ दो प्लीज़ ओ ओह यस… मैं ज़न्नत में हूँ… तुम पहले क्यों नहीं मिले..आई लव यू पंकज़ !
और मैं तो जैसे स्वर्ग में था, अब हम दोनों पूरे जोर से एक दूसरे को चोद रहे थे।
अब हम दोनों झड़ने वाले थे, वो बोली-अन्दर मत गिराना… मैं तुम्हारे पानी को पीना चाहती हूँ..
मैंने बाहर निकाल के उसके मुंह में गिरा दिया… वो सारा पानी पी गई… उसके बाद हम दोनों ने अलग अलग ढंग से दो बार और चुदाई की।
वो मेरे साथ एक साल रही, लेकिन अब वो कोलकाता चली गई है.. और मैं अकेला पड़ गया हूँ..
मेरी कहानी कैसी लगी, मुझे मेल करें! Sex Stories
मैं राज मध्यप्रदेश के एक Antarvasna Stories महानगर में रहता हूँ। मैं अन्तर्वासना की लगभग सारी कहानियाँ पढ़ चुका हूँ और हमेशा सोचा करता था कि अपने यौन-अनुभव भी कभी अन्तर्वासना में भेजूंगा।
यूँ तो मैं सेक्स कई बार कर चुका हूँ पर मैं अपने जीवन के कुछ सर्वोत्तम पल आपके साथ बांटना चाहूँगा।
यह मेरा पहला सेक्स अनुभव था जब मैं गयारहवीं कक्षा में था। मैं एक आकर्षक व्यक्तित्व का मालिक हूँ मगर तब तक जीवन में कभी कोई लड़की नहीं पटाई थी। मेरा एक दोस्त था विवेक ! हालांकि हम एक स्कूल में नहीं पढ़ते थे मगर बचपन में साथ खेले और घर पास-पास होने की वजह से हमारी दोस्ती काफी अच्छी थी। हम अक्सर एक दूसरे के घर आते जाते रहते थे। विवेक की एक छोटी बहन थी जो गजब की खूबसूरत थी। मगर हाय री मेरी किस्मत- वो भी मेरे एक दोस्त नीरज से पटी हुई थी।
जब भी उसको देखता था, तो लगता था कि एक मौका तो मिले अभी पकड़ कर बस चोद डालूँ ! दिखने में जितनी सेक्सी थी उतने ही तीखे उसका तेवर थे, चलती थी तो कमर ऐसे मटकाती थी जैसे कोई फ़िल्मी हिरोइन रैंप पर मॉडलिंग करने उतरी हो ! गोरा रंग, लम्बाई ५ फ़ुट ४ इंच के लगभग थी, लम्बे बाल, भरा हुआ बदन, वक्ष-आकार 34 और एकदम चिकनी थी। हाथ रखो तो फिसल जाये ! नीरज एक रईस बाप की औलाद था और उस पर खूब पैसे लुटाता था। दिव्या और नीरज जब भी साथ में होते, या विवेक के गैरहाजिरी में जब कोई मेसेज पहुँचाना होता तो नीरज के लिए मैं ही पोस्टमैन का काम करता।
शुरू शरू में तो मज़ा आता था, बाद में मुझे गुस्सा आने लगा। यह बात दिव्या भी समझ रही थी कि मैं उसके प्रति आकर्षित हूँ, मगर कहती कुछ नहीं थी, शायद इसलिए कि मेरा उसके घर आना-जाना था, और वो हमेशा अपने प्यार को सच्चा प्यार दिखाती थी और कहती थी कि मैं शादी नीरज से करूंगी। सो मैं भी कुछ नहीं कहता, बस अपने काम से मतलब रखता था। कभी कभी मौका मिलता तो इधर उधर से ताक-झांक कर लेता था जैसे कभी मेज़ पर बैठी तो नीचे झुक के चड्डी का रंग देखना, या सामने बैठ के उसके वक्ष को घूरना, मौका मिले तो हाथ भी लगा देता था, मगर कभी उसने कुछ कहा नहीं, बस घूर के देखती थी। भाई का दोस्त होने की वजह से कुछ कहती नहीं थी। शायद डरती थी कि कहीं मैं उसके और नीरज के बारे में विवेक को बता न दूँ।
सब कुछ ऐसे ही चल रहा था, परीक्षा ख़त्म हो गई थी और अब करियर बनने का समय था। इत्तेफाक से मैंने और दिव्या ने एक ही कोचिंग में प्रवेश लिया और हम दोनों साथ में आते-जाते थे। इसी बीच मैंने एक बार उसको प्रोपोज़ किया मगर उसने मुझे नीरज से पिटवाने की धमकी दी और मैं चुप हो गया। मगर सोचा कि जब मौका मिलेगा तो देख लूँगा !
एक दिन मेरी किस्मत खुल गई।
स्कूल शुरु हो चुके थे और बारिश का मौसम था। मैंने अपने स्कूल के दोस्तों के साथ फिल्म देखने की योजना बनाई। फिल्म थी दिल !
जल्दी पहुंचने की वजह से हम लोगों को पीछे की सीट मिल गई। फिल्म का इंटरवल हुआ लाइट जली तो देखा दिव्या सामने की सीट में थी मगर नीरज के साथ नहीं, किसी और के साथ !
पहले तो मेरी समझ में कुछ नहीं आया मगर बाद में समझ में आ गया कि यह तो बड़ी चालू है।
खैर मैं भी चुप रहा और ऐसे बैठ गया कि वो मुझे ना देख पाए लेकिन मैं उसे देख सकूँ।
फिल्म के मध्यांतर के बाद मैंने देखा कि वो लड़का उसको इधर-उधर हाथ लगा रहा था और वो हिल-डुल रही थी। समझते देर नहीं लगी कि उनकी चूमा-चाटी चल रही है।
फिल्म ख़त्म हुई तो मैंने अपने दोस्तों से बहाना बना लिया कि मुझे कुछ खरीदना है, तुम लोग घर निकल जाओ।
अब मैंने अपनी बाइक स्टैंड से निकाली और दिव्या और उसके दोस्त का गेट से निकलने का इंतज़ार करने लगा। वो निकले, मैं उनका पीछा करने लगा। थोड़ी दूर ही एक पार्क है, जहाँ दिन के समय कोई आता जाता नहीं है, वो लोग उसमें चले गए, मैंने भी साइड में गाड़ी लगा दी।
मैंने देखा कि वो दोनों कोने में बैठ गए। मैं भी एक पेड़ पर चढ़ कर तमाशा देखने लगा कि देखें क्या करते हैं।
थोड़ी देर बाद लड़का उसके स्तन दबाने लगा। वो भी गरम हो गई थी, लड़के ने उसकी शर्ट अस्त-व्यस्त कर दी थी और उसका एक स्तन बाहर निकाल के चूस रहा था।
मैंने मौका देखा और एकदम से उनके सामने आ गया और दिव्या को एक झापड़ रसीद किया। वो एकदम से सकते में आ गए। दिव्या का एक स्तन अभी भी बाहर था। मैंने उस लड़के को भी दो झापड़ मारे और सीधे दिव्या को डाँटने लगा, कहा- घर चल ! मम्मी पापा और सबको बताऊँगा !
उस लड़के ने सोचा कि मैं कोई उसके घर का हूँ, वो वहाँ से भाग गया। अब मैं और दिव्या वहाँ अकेले रह गए। उसने बहाना बनने की कोशिश की तो मैंने पिक्चर हाल से लेकर अब तक का पीछा करने की सारी बात बता दी और यह भी कहा कि नीरज को सारी बात बता दूँगा और तेरे घर में भी !
वो डर गई और मुझसे माफ़ी मागने लगी।
अब मेरी बारी थी, मैंने उसको धीरे से सहलाया और कहा- ठीक है, पर जो कहूँगा वो करना पड़ेगा !
उसने मुझे तिरछी निगाहों से देखा और कहा- ठीक ! फिर नीचे देखकर कहा- ठीक है, मगर वादा करो कि किसी को कुछ नहीं कहोगे !
मैंने बिना कुछ सोचे समझे उसके वक्ष पर हाथ रख दिया और दबाते हुए कहा- अब बोलो क्या सब कुछ?
तो उसने कहा- हाँ !
अरे मेरी तो लॉटरी निकल पड़ी। उसको बाइक पर बिठाया और सीधे उसको लेकर उसके घर पहुँचा। मुझे पता था कि अंकल- आंटी जॉब पर गए होंगे और विवेक चार बजे स्कूल से आएगा… मतलब लगभग दो घंटे थे मेरे पास…
अब हम घर के अन्दर आये, तब तक वो सामान्य हो गई थी। मैंने उससे कहा- एक ग्लास पानी ला दो !
उसके जाते ही मैंने दरवाजा बंद कर लिया और सीधे उसके पीछे रसोई में चला गया। उसके हाथ में ग्लास था, मैंने पानी पिया और उसको पकड़ लिया।
उसने कहा- राज नहीं, मुझसे गलती हो गई, मुझे माफ़ कर दो और यहाँ से जाओ…
मैंने कहा- अच्छा ठीक है, जाता हूँ, शाम को आऊँगा और सबको सब कुछ बता दूंगा !
यह कह कर मुड़ गया…..
उसने कहा- तुम ऐसा नहीं करोगे….
तो मैंने कहा- तू कुछ भी करे तो ठीक ! और मैं तुमको प्यार करना चाहता हूँ तो तुमको गलत लगता है…….
वो रोने लगी, मैंने आगे बढ़कर उसके आँसू पौंछे और कहा,”पगली… मैं भी तुमको बहुत चाहता हूँ…. मगर तुमने कभी समझा ही नहीं…….
तो उसने कहा कुछ नहीं मगर प्यार से मुझे पप्पी दे दी……
अब क्या था ! हो गई बल्ले बल्ले……..
मैंने उसको बेडरूम में चलने को कहा तो उसने बोला- कोई आ जायेगा तो क्या करेंगे?
मैं बोला- बोल देना कि ट्यूशन का होमवर्क कर रहे थे।
इसके पहले वो कुछ कह पाती, मैंने उसको अपनी बाहों में उठा लिया और बेडरूम में ले आया।
उसने कहा- राज ! कोई आ गया तो क्या होगा? मैंने कहा- मैंने दरवाजा बंद कर दिया है और अब तुम कुछ मत सोचो !
फिर मैंने उससे बेड पर बैठाया और उसके वक्ष पे हाथ फ़ेरते हुए उसके शर्ट के बटन खोल दिए। दिव्या शांत लेटी हुई थी, उसके बदन में कोई भी हरक़त नहीं हो रही थी। अच्छा तो नहीं लग रहा था, मगर मैं यह अवसर जाने नहीं देना चाहता था, सो शर्ट खोलने के बाद उसका स्कर्ट भी खोल दी और अब वो सिर्फ मेरे सामने ब्रा-पेंटी में थी। देर न करते हुए मैंने उसके दोनों अधोवस्त्र भी अलग कर दिए।
वाह, क्या सीन था ! वो मेरे सामने एकदम नंगी पड़ी थी, उसके दोनों स्तन लाजवाब थे, गोल-गोल और उन पर गुलाबी चुचूक देख कर मज़ा आ रहा था।
मैंने अपने कपड़े भी उतार फेंके और उसके पास लेट गया और उसके बालों को सहलाया और गाल पर चूम लिया। मैं यह जान गया था कि अब बाज़ी मेरी है।
मैंने उससे कहा- दिव्या ! अब मेरे तुम्हारे बीच कोई पर्दा नहीं रहा ! तुम मेरा साथ दो और जीवन के मज़े लूटो ! आखिर तुम भी तो यही करना चाहती थी !
ये कहते ही मैं उसके रसीले होंठों को चूमने लगा एक हाथ से उसके गोले मसल रहा था और दूसरे से उसकी जांघ ! और चूत से खेलने लगा।
धीरे धीरे उसके बदन में भी हरक़त होने लगी। तब मैंने उसे कहा- अपनी टाँगे फ़ैलाओ !
तो उसने साथ दिया, मैंने भी देर न करते हुए अपनी जीभ सीधे उसकी चूत में डाल दी और चाटने लगा। थोड़ी देर में वो कसमसाने लगी और उसका पानी चूने लगा।
मैं बोला- तुम भी मेरा पप्पू मुँह में लो !
और यह कहते ही उसके होंठों में मैंने अपना लण्ड रख दिया। मेरे लण्ड को देखते ही वो डर गई क्योंकि मेरे लण्ड का आकार सात इंच का है और काफी तगड़ा है।
वो वोली- इतना मोटा? क्या तुमको कोई बीमारी है?
मैंने कहा- नहीं पगली, यह तो सामान्य है !
तो उसने कहा- नीरज का तो छोटा सा है ! ( दिल में ख़ुशी हो रही थी कि अब वो मुझसे खुल रही है और बात भी कर रही है)
मैंने कहा- तो तुमने उसके साथ सेक्स कर लिया है?
तो वो बोली- नहीं, एक बार उसको सु-सु करते देखा था।
मैंने कहा- अच्छा !
फिर वो बोली- तुम कुछ करना नहीं ! नहीं तो मैं मर जाऊंगी ! तुम्हारा मेरे हिसाब से बहुत बड़ा है !
मैंने कहा- कोशिश करने में क्या जाता है, वैसे लड़कियों की योनि में यह आराम से फिट हो जाता है, प्रकति का नियम है।
तो बोली- नहीं राज ! मुझे डर लग रहा है।
मैंने कहा- अच्छा इसको चूसो तो सही !उसने मुँह खोला और धीरे धीरे करते हुए पूरा का पूरा अपने मुँह में ले लिया। मैं तो सातवें आसमान पर पहुँच गया। मेरा एक हाथ अब भी उसके स्तन मसल रहा था और मेरे मुँह से सिसकियाँ निकलने लगी।
लगभग पाँच मिनट के बाद मैंने बोला- अब लेटो !
तो वो मना करने लगी।
मैंने बोला- कुछ नहीं होगा !
थोड़ा मनाने के बाद वो मान गई और टाँगें फैला ली, मैंने ऊँगली से उसकी चूत को चौड़ा किया और अपना सुपारा उसमें टिका दिया और धीरे से अन्दर डाला। लगभग एक इंच तक वो वोली- नहीं ! दर्द हो रहा है !
मैंने बोला- पप्पू राजा अपनी जगह बना रहा है, अब मज़ा आएगा ! और बोलते ही तेज़ झटका दिया। लगभग आधा लण्ड अंदर था। वो चीख पड़ी- हाय मर गई ! मरी मैं तो !
मैंने अपना हाथ उसके मुँह पर रख दिया और उसके ऊपर लेट कर धीरे धीरे हिलने लगा।
अब उसको भी अच्छा लग रहा था, मगर मुझे अन्दर कोई चीज़ अड़ सी रही थी। फिर मैंने उसके होटों पे अपने होंठ रख दिए और पूरा जोर का धक्का मारा। मेरा लण्ड एकदम अन्दर चला गया, वो चीख रही थी, उसकी आँखों से आंसू आ गए थे।
मैं शांत हो गया और उसके ऊपर हाथ फेरने लगा। दो-तीन मिनट तक वैसे ही पड़े रहने के बाद मैंने अपना मुँह उसके मुँह से अलग किया तो वो बोली- बहुत दर्द ही रहा है ! प्लीज़ निकाल लो !
मैंने कहा- हाँ ! पर अब तो जो होना है हो गया ! तुम मेरी हो गई हो !
उसने भी मुस्कुराते हुए अपनी मुंडी साइड में छिपाने की कोशिश की।
मैंने कह दिया- अब चलो, जिन्दगी के मज़े लूटते हैं !
वो कुछ नहीं बोली। मैं अब अपना शरीर आगे-पीछे करने लगा, वो भी मेरा साथ देने लगी और अजीब अजीब सी मुखाकृतियाँ बनाते हुए सिसकियाँ ले रही थी। मेरे शरीर के धक्कों के साथ उसके स्तन भी ऊपर-नीचे हो रहे थे। मुझे बहुत मज़ा आ रहा था।
लगभग 15 मिनट के बाद मुझे कुछ होने लगा। इससे पहले कि कुछ समझ पाता, मेरे लण्ड से पिचकारी फ़ूट पड़ी। मेरा वीर्य उसकी चुद में ही गिर गया।
अब मैं निढाल हो गया, धीरे से अपना लण्ड बाहर निकाला तो देखा उसका बिस्तर खून से लाल था, मेरे लण्ड में भी काफी जलन हो रही थी, दोनों ने एक साथ जो अपना कुवांरापन खोया था और दुनिया के सबसे कीमती सुखों में से एक प्राप्त कर लिया था।
हम दोनों एक दूसरे को देख रहे थे और अब उसने अपना सर मेरी छाती पर रख दिया और दोनों आराम से लगभग दस मिनट तक वैसे ही पड़े रहे। बातों ही बातों में मैंने उससे उस लड़के के बारे में जानकारी हासिल कर ली और उसको कहा- मैं किसी को कुछ नहीं बताऊंगा और यदि तुम ठीक रही तो आगे चल के तुमसे शादी भी कर लूँगा।
उसने मुझे पहली बार अपने मन से एक पप्पी दी, मुझे बहुत अच्छा लगा।
तभी समय देखा तो साढ़े तीन हो रहे थे। मैं उठा और कहा- अब विवेक आने वाला है, अब मुझे जाना चाहिये !
वो भी उठी मगर लड़खड़ा गई, मैंने उसे सहारा दिया, वो सीधे बाथरूम गई, मैं भी साथ-साथ गया, देखा कि वो बैठ के मूत रही थी। फिर उसने सबसे पहले बेडशीट उठाई और पानी में डाल दी।
मैंने पूछा- क्या तुम नोर्मल हो?
उसने कहा- हाँ, थोड़ा दर्द है !
मैंने कहा- ठीक है ! मैं जाता हूँ ! और चला गया।
शाम को मैं विवेक और नीरज से मिला, उनको कहा- दिव्या को एक लड़का छेड़ता है, जो उसके साथ पास वाली ट्यूशन में है।
हम लोग मिल गए और फिर अगले दिन तीन चार और दोस्तों को लेकर उस लड़के की जम से धुनाई की। वो मुझे दिव्या का भाई समझ रहा था और माफ़ी मांग रहा था।
इस तरह रास्ते का एक कांटा साफ़ हो गया। अब नीरज की बारी थी… मुझे मालूम था कि बहुत जल्द उसके मम्मी पापा उसका पढ़ने के लिए दिल्ली भेजने वाले हैं और वो यदि चला गया तो दिव्या मेरी कही कोई बात नहीं टालेगी।
और फिर हुआ भी वही… अगले साल वो दिल्ली चला गया। फिर मैंने लगभग तीन साल तक दिव्या के साथ मज़े किये, मगर हम दोनों अलग अलग कॉलेज में ले लिए।
एक दिन मैंने फिर उसको किसी और के साथ देखा, उसी समय उसके पास गया और दो तमाचे जड़े और कहा- अब सब ख़त्म ! हालांकि उसके बाद भी हम जिंदगी मज़े लेते रहे !
फ़िर उसकी शादी हो गई, मेरी भी शादी हो चुकी है…
मगर साल में मुझे उससे एक बार सम्भोग करने का मौका मिल ही जाता है ! वो भी मज़े में और मैं भी !
बाय दोस्तो ! अगली कहानी के साथ मैं बहुत जल्द आऊँगा। Antarvasna Stories
दोस्तो, मेरा नाम Antarvasna रवि है। मैं पुणे का रहने वाला हूँ। मैं आप लोगों को अपनी बदचलन माँ की कहानी सुना रहा हूँ। जो मैं सोच भी नहीं सकता था वो मुझे आजमाने को मिला है। क्या बताऊँ दोस्तो !
मैं एक चाल में रहने वाला लड़का हूँ, नौवीं तक ही पढ़ा हूँ ! मैं पढ़ाई में कमजोर था लेकिन सेक्स में नहीं ! अब मेरी उम्र तेईस साल है, मेरे पिताजी कुछ काम नहीं करते हैं, बस शराब पीते हैं रोज़ ! इसी वजह से शायद उनमें अब सेक्स नहीं रहा है, इसी वजह से मेरी माँ ने दूसरों के साथ सबंध बनाये हैं। मेरी माँ सुबह काम पर जाती है और दोपहर को घर आती है और शाम को जाती तो रात को आठ बजे आती है।
बात उस समय की है जब मैं थोड़ा बीमार था तो मैं काम से दोपहर को घर आया था और घर में मैंने देखा कि आज माँ घर आई नहीं थी। तो मैंने सोचा कि उसे किसी काम से देर हो गई होगी। मगर ऐसा नहीं हुआ। मेरी माँ तो हमारे पड़ोसी अंकल के घर में थी। उनका दरवाजा बंद देखकर मुझे शक हुआ कि कुछ तो गड़बड़ है। मैंने उनकी खिड़की के छेद से देखा कि मेरी माँ और विशाल अंकल दोनों एक दूसरे की बाहों में हैं। मेरी माँ की उम्र 45 साल और अंकल की उम्र 35 साल होगी। फिर भी वो एक दूसरे के साथ सेक्स कर रहे थे।
यह देखकर मुझे बहुत बुरा लगा और मैं घर जाकर सो गया। उस रात को मैं सो नहीं पाया। मैंने यह बात अपने दोस्त से कही कि मेरी माँ और अंकल के बीच सेक्स सम्बन्ध होता है तो उसने कहा कि हम दोनों नजर रखेंगे।
मैंने भी हाँ कर दी !
चार-पाँच दिन बाद उसने फोन कर के मुझे बताया कि मेरी माँ और अंकल मेरी ही घर में हैं और मुझे घर आने को कहा। मैं और मेरा दोस्त मेरी घर के खिड़की से देखने लगे। मेरी माँ पूरी की पूरी नंगी थी विशाल अंकल के साथ ! अंकल भी पूरा नंगा था। मुझे बहुत ही गुस्सा आया लेकिन दोस्त ने रोका और मुझे चुपचाप देखने को कहा और मैं देखता रहा।
मेरी माँ अंकल का लण्ड चूस रही थी और अंकल चुसवा रहा था। 5 मिनट बाद उसने सारा वीर्य उसके मुँह में डाल दिया और कहने लगा- ले ले जोर से चूस ले ! पी ले … तेरे मर्द में ऐसा रस नहीं मिलेगा !
माँ ने कहा- इसीलिए तेरा पीती हूँ ना मेरे जानू ! तेरा लण्ड तो लोहा है ! ऐसा मजा कही नहीं मिलता है !
फिर कुछ देर बाद वो दोनों 69 की अवस्था में आ गए। अंकल माँ की चूत चाट चाट कर पानी ला रहा था, माँ भी लण्ड को चोकोबार की तरह चूसे जा रही थी। इतने में मेरा और मेरे दोस्त का लण्ड खड़ा कब हुआ, पता ही नहीं चला !
फिर अंकल ने माँ को लिटा कर उसकी टाँगें कंधे पर लेकर अपना लण्ड चूत पर रख दिया और चूत में पेलने लगा। उसका 6 इंच का लण्ड चूत को फाड़ रहा था। साल हरामी जोर जोर के धक्के मारने लगा। दस बारह मिनट में वो भी थक गया, वो माँ को पूरी तरह सन्तुष्ट नहीं कर सका, यह हम जान गए थे।
उनका खेल ख़त्म हो गया और वो कपड़े पहन रहे थे। हम वहाँ से चले गए। फ़िर अंकल चले गए और माँ सो गई।
मेरे दोस्त ने कहा- हम भी अंकल की बीवी को बताकर उसे भी हम चोदते हैं।
मैंने मना किया।
फिर उसे एक मस्ती सूझी, उसने कहा- आज मैं तेरे घर सोने आता हूँ।
मैंने हाँ कर दी।
रात को नौ बजे वो खाना खाकर आया। मेरा बाप तो घर पर सोता नहीं है। हम टी वी देखकर सो गए- मैं, मेरा दोस्त और माँ !
रात को बारह बजे मेरे दोस्त ने मुझे जगाया और मुझे कहा- मैं क्या करता हूँ, तू सिर्फ देख ! और मुझे चुप रहने को कहा उसने !
वो माँ के पास जाकर लेट गया और माँ के बदन पर अपना हाथ फेरने लगा। माँ सोई हुई थी और वो माँ को गर्म करने लगा था। वो माँ के मम्मों पर हाथ फेर रहा था, मैं देख रहा था। उसने माँ का ब्लाऊज खोल दिया और मम्मे चूसने लगा। मैंने भी हिम्मत की और माँ की दूसरी बाजू में जाकर दूसरा मम्मा चूसने लगा।
क्या मम्मे हैं ! वाह ! मैं पहली बार चूस रहा था।
इतने में मेरी माँ जाग गई और एकदम से घबरा गई और कहा- तुम यह क्या कर रहे हो ?
मेरे दोस्त ने कहा- हमारा भी लण्ड चूस कर देखो ! उस अंकल से बहुत अच्छा है ! उससे चुदवाती हो तो हमने क्या पाप किया है ?
माँ ने कहा- तुम्हें सब पता है तो फिर क्या डर है मुझे !
यह सुनकर मेरे तो होश ही गुल हो गए। मेरे दोस्त ने माँ की साड़ी खोली। अब माँ सिर्फ और सिर्फ पेटीकोट में थी, वो भी मैंने नाड़ा खोलकर नीचे खींच दिया। अब वो सिर्फ पैन्टी में थी। उसके ऊपर से मेरे दोस्त ने चाटना शुरु किया। उसकी चूत से पानी आने लगा। फिर मैंने अपनी पैंट उतार दी। मैं और दोस्त सिर्फ अन्डरवीयर पहने थे। फिर वो चूत चाटने लगा और मैंने मुँह में लण्ड डाला। वो जोर से चूसने लगी। मैं उसके मुँह में चोदने लगा। उधर वो अन्डरवीयर उतार कर माँ की चूत में लण्ड डालने लगा था। माँ लेटे लेटे अपनी टाँगें फैलाने लगी और उसने 8 इंच का लण्ड माँ की चूत में पेल दिया।
फिर माँ ने मुझे कहा- तुम मेरी गांड में लण्ड डालो !
मैंने दोस्त को गांड मारने को कहा, मैं तो चूत मारूँगा ! माँ की गांड भी मस्त है
फिर उसने माँ को उठा कर बिस्तर पर ऐसे लिटाया कि मैं चूत के सामने था तो वो गांड के पीछे !
मुझे उसने कहा- सोच मत ! मार हथोड़ा !
फिर मैंने भी नंगा होकर मेरा सात इंच का लण्ड माँ की चूत पर टिका दिया। मैं मम्मे चूस कर चूत में लण्ड घुसाने की कोशिश रहा था, वो आह आहा अह अ करने लगी।
मैंने तो अभी लण्ड भी डाला नहीं फिर कैसे ?
मेरे दोस्त ने गांड भी मार दी थी। उसने तो पूरा का पूरा लण्ड गांड में घुसा डाला था ….
वो कहने लगी- जोर जोर से चोदो मुझे ! मैं बहुत प्यासी हूँ लण्ड की !
मैंने भी जोर लगाना शुरु किया और जोर से चूत में पेल दिया। उसे इतना खुश कभी नहीं देखा मैंने !
उस रात हमने उसकी खूब चुदाई की। मैंने सिर्फ चूत मारी, मेरे दोस्त ने उसके मुँह में, चूत और गांड को चार-पाँच बार चुदाई की। फिर मैं तो रात के तीन बजे ही सो गया लेकिन मेरे दोस्त ने माँ की पाँच बजे तक चुदाई की। इससे माँ भी खुश थी।
इस तरह मेरा दोस्त जब भी मौका मिलता है माँ की चुदाई करता है। मेरी माँ अब उस विशाल से नहीं चुदती है बल्कि मेरे दोस्त विकी से चुदती रहती है !
यह मेरी बुरी मगर सच्ची कहानी आप लोगों को कैसे लगी, मुझे मेल करें और बताये ! Antarvasna
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