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अन्तर्वासना डॉट कॉम पर Hindi Sex Stories पिछले भाग में आपने पढ़ा कि मुश्ताक और अंजुम दोनों ने मेरा एक एक मम्मा मुंह में लिया हुआ था जिससे मस्त हो कर मैं स्खलित हो गई थी और उनके बालों में हाथ फिराते हुए सिमटते हुए उनको अपने सीने में भींच रही थी।
उन्हें भी पता चल गया कि मैं झड़ गई हूँ, मेरी सांसें तेज़ हो गई थी और हल्की सी आवाज़ें भी निकाल रही थी और जोर जोर से उनके बालों को सहलाने लगी थी। पहली बार ऐसा एहसास हुआ था, इससे पहले मैंने खुद ही अपने मम्मे सहलाये थे पर आज दो व्यक्ति एक साथ मेरे चूचियों से खेल रहे थे, चूस रहे थे, मैं जन्नत की सैर कर रही थी।
अब अंजुम ने वहां से मुंह हटाया और नीचे की तरफ ले जाने लगा। मुश्ताक ने मेरे मम्मे चूसते हुए हाथ को नीचे ला मेरी सलवार के नाड़े को खोल दिया। उसका कठोर हाथ में सलवार के अंदर मेरी पेंटी के ऊपर घूमने लगा।
मेरी योनि मचलने लगी, मेरी कामवासना बढ़ने लगी, मैं फिर से गर्म होने लगी। तभी अंजुम ने मेरी सलवार नीचे खिसका दी और नीचे से टांगों चूमता हुआ ऊपर आने लगा। मुश्ताक पेंटी से हाथ हटा कर फिर मम्मे पर ले आया। अंजुम ने अपना मुँह मेरी पेंटी पर रख दिया।
मैं अपनी हालत बता नहीं सकती!
तेज़ सांसों के साथ सिसकरियाँ भी निकलने लगी थी। एक व्यक्ति मेरे दोनों मम्मो से खेल रहा था दूसरा मेरी योनि में हलचल पैदा कर रहा था।
तभी अंजुम ने अपने दांतों से मेरी पैन्टी नीचे सरका दी और चूत पर हाथ फिराने लगा। मैं गनगना उठी, ऊपर से नीचे तक सिहर उठी और कांपने लगी।उसने एकदम से अपनी ऊँगली मेरी चूत में डाल दी, मेरी चीख निकल गई।
फिर उसने मुझसे पूछा- रीना तुमने पहले किसी से चुदवाया है?
मैंने न में सर हिला दिया।
“तब तो बड़े प्यार और आराम से चोदना पड़ेगा!”
मुश्ताक मेरी ऊपर सरकी ब्रा का हुक खोल रहा था। ब्रा के खुलते ही उसने मेरे ऊपर के कपड़े उतार दिए, मैं उनके सामने पूरी नंगी पड़ी हुई थी।
अंजुम ने मुश्ताक से कहा- भाई, क्या करें? यह अभी कुंवारी है, कहीं पंगा न पड़ जाए?
“इसी से पूछ लो! अगर शोर न मचाये तो ले लेंगे!” मुस्ताक ने कहा।
उसने मुझसे पूछा- करवाने का मन है?
मैंने कहा- तुम्हारी मर्ज़ी!
“चीखोगी तो नहीं ना?”
मैंने ना में सर हिला दिया।
मुश्ताक ने कहा- हम जरा देख लें कि कितनी कसी है!
उसने अपनी ऊँगली मेरी चूत में डाल दी, मैंने होंठों को भींच लिया, मेरी चूत गीली हो गई थी पर फिर भी दर्द हुआ था।
अंजुम ने अपने कपड़े उतार दिए थे और अपने लिंग को मुझे दिखाता हुआ पूछने लगा- इसे ले लोगी?
मैंने हाँ में सर हिलाते हुए उसे स्वीकृति दे दी क्योंकि मै अब पूरा मज़ा लेना चाहती थी।
अब अंजुम ने मेरी टाँगें फैला दी और धीरे से ऊँगली डाली और थोड़ी देर तक उसे अंदर बाहर करता रहा।
मुश्ताक ने अपना पजामा उतार दिया और अपने लिंग को मेरे हाथ में दे दिया। बीच-बीच में वो मेरे मम्मे भी मसल देता था और चूस भी लेता था और फिर अपना लिंग पकड़ा देता था।
मेरी आँखों में नशा सा छा गया था, मदहोश होती जा रही थी मैं!
इसी बीच अंजुम ने अपना लिंग मेरी योनि के ऊपर रखा और एक धीरे से झटका मार कर योनि में प्रवेश कर दिया।
मैंने आवाज़ को दबाते हुए हल्की चीख मारी- आ हह हह हाय मर गई, बहुत दर्द हो रहा है अंजुम! छोड़ दो!
उसने कहा- अभी ठीक हो जायेगा रानी! थोड़ा सा बर्दाश्त कर लो!
और उसके तीन चार झटकों ने ही मुझे फिर चरमसीमा पर ला दिया। मैंने मुश्ताक का लिंग जोर से भींच दिया और सिमटती चली गई पर अंजुम मेरी लिए जा रहा था, मेरा दर्द पहले से हल्का हो गया था पर इस दर्द में भी बहुत मज़ा आया। अंजुम के झटके भी पहले से तेज़ हो गए थे।
कुछ देर में उसने मेरी चूत को कुछ गर्म सा एहसास करवाया यानि कि उसने अपना वीर्य मेरी योनि में उड़ेल दिया। थोड़ी देर मेरे ऊपर लेटने के बाद वो हटा, मैं भी उठ कर बैठ गई। तभी मेरी नज़र उसके लिंग पर पड़ी जिस पर खून लगा हुआ था।
मैंने कहा- अंजुम देखो, तुम्हारे वहाँ से खून बह रहा है!
वो बोला- रानी, यह मेरा नहीं है, तुम्हारी चूत से बह रहा है, तुम्हारी सील टूट गई है!
मैं यह देख कर रोने लगी तो दोनों मुझे समझाने लगे- बेबी, पहली बार सब के साथ होता है! घबराओ मत!
मुश्ताक मुझे प्यार करने लगा, पहले मेरे बालों को सहलाया फिर मुझे लिटा दिया।
अंजुम बगल में लेट गया, मुश्ताक मेरे नंगे बदन पर हाथ फेरता मुझे गर्म कर रहा था। रह रह कर वो मेरे गालों को, गले को, मम्मों को चूसता जा रहा था। अंजुम बगल में लेटा रहा, मुश्ताक ने तो मेरे मम्मे चूस चूस कर लाल कर दिए थे, मेरे चुचूक तन गए थे जिससे मुश्ताक को एहसास हो गया कि लड़की गर्म है।
अब उसकी बारी थी मेरी लेने की, उसने कहा- मेरे ऊपर आओगी?
मैंने कहा- जैसी तुम्हारी मर्ज़ी!
उसने मुझे उठा दिया और नीचे लेट गया। फिर अपने लिंग की और इशारा कर के कहने लगा- बेबी इसको थोड़ी देर के मुँह में डाल लो और चूसो!
मैंने मना किया तो कहने लगा- इससे अंदर डालने पर तुम्हें कम दर्द होगा!
इसका लिंग अंजुम से ज्यादा बड़ा लग रहा था, मैंने फिर उसका लिंग मुँह में डाल लिया कुछ देर तक चूसती रही।
फिर उसने कहा- अब इसे अपनी फुद्दी में ले लो!
उसने मुझे अपनी टांगों पर बिठाया और लिंग मेरी योनि में डाल दिया।
मैं चीख पड़ी, इसमें ज्यादा दर्द हुआ था क्योंकि एक ही बार में सारा का सारा लंड मेरी चूत में समां गया था। पर थोड़ी देर में मैं दर्द के साथ मजे भी लेने लगी थी। रात के ढाई बज चुके थे, ऊपर से चुदते हुए मैंने कहा- अब मुझे जाने दो, बहुत समय हो गया है!
बस थोड़ी देर! मेरा हो लेने दो!
मैं मस्ती से भरी हुई थी, हल्की आवाज़ें निकालती हुई फिर झड़ने वाली थी। मुश्ताक ने तो बुरा हाल कर दिया था।
मैं झड़ गई, उसके सीने पर गिर गई और लिपट गई पर उसके झटके नीचे से चालू थे।
फिर उसने मुझे नीचे गिरा लिया और मेरी टाँगें फैला कर ऊपर से मेरी लेने लगा। यह बहुत बुरी तरह से मुझे चोद रहा था। अंजुम साथ में लेटा सब कुछ देख रहा था। अब उसने भी मेरी चूचियों के साथ छेड़छाड़ शुरू कर दी थी।
तीन बजने वाले थे पर वो झड़ने का नाम ही नहीं ले रहा था। मैं एक बार फिर स्खलित हो गई तब कही थोड़ी देर में जाकर उसने तेज़ झटको के साथ मेरी चूत में फव्वारा मारा और निढाल हो कर मुझसे लिपट गया।
मैंने कहा- अब मुझे जाने दो! घरवालों के जागने का समय हो गया है।
दर्द बहुत हो रहा था, मुश्ताक से ब्रा की हुक लगवाई और किसी तरह सलवार कमीज़ पहनकर लंगड़ाती हुई नीचे अपने कमरे में आ गई।
कमरे में आकर मैंने देखा कि मेरी योनि से अभी भी खून निकल रहा था।
उसके कुछ दिन बाद तक यानि कि 3-4 दिन तक मैंने उनसे बात भी नहीं की। वो नज़रें मिलाने की कोशिश करते रहे।
लेकिन चौथे दिन मेरा मन फिर मचलने लगा और इशारों में रात का आमंत्रण दे दिया।
करीब दो महीने वो हमारे यहाँ रहे और मैं हर दूसरे-तीसरे दिन उनसे चुदवाने चली जाती थी।
जाने से पहले वो कह कर गए कि हम अगले साल भी आपके यहाँ आयेंगे पर वो फिर कभी नहीं आये।
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आपके ढेर सारे प्यार के लिए धन्यवाद! Hindi Sex Stories
हाय, मेरा नाम नितेश है। मैं आपको एक सच्ची Antarvasna story पढ़ा रहा हूँ। मैं एक स्टुडेंट हूँ और अब मैं पटना (बिहार) में मेल एस्कोर्ट का काम भी कर रहा हूँ। मैं मेल एस्कोर्ट (प्ले ब्योय) कैसे बना वो मैं लिख रहा हूँ। एक बार मैं एक फ़्रेंड के रिसेप्शन में गया था। मेरा फ़्रेंड काफी पैसे वाला है तो उसके यहाँ गेस्ट भी पैसे वाले ही आये हुए थे। मैं मिडिल क्लास से सम्बंध रहता हूँ। मैं और मेरा फ़्रेंड एक ही कोलेज में पढ़ते हैं इस लिये मुझे भी रिसेप्शन में बुलाया था, मैं एक स्पोर्ट्स मैन भी हूँ तो मेरा शरीर एथेलेटिक टाइप का है। मैंने टाइट टी-शर्ट और जीन्स पहना हुआ था। उस पार्टी में एक औरत करीब २८ साल की शादी शुदा मुझे कभी कभी गौर से देख रही थी जब मेरी नज़र उन पर पड़ती तो वो मुस्कुराने लगती। मैं भी मुस्कुरा देता। पार्टी खत्म हुई तो मैंने अपने दोस्त को विश कर कहा “अब मैं चलता हूँ, काफी रात हो रही है” करीब १२:०० बज गये थे। मैं बाहर जाने लगा तभी वो औरत मुझे गेट पर इन्तज़ार करते हुए मिली। शायद मेरा ही इन्तज़ार कर रही थी। उसने मुझे हैलो कहा तो जवाब में मैंने भी हाय कहा।
मैं आगे बढ़ने लगा तो वो बोली “आप कहाँ जा रहे हैं?”
मैं “घर”
वो “आप किधर से जाइयेगा”
मैं “बोरिंग रोड हो कर”
वो “आप अकेले रहते हैं”
मैं “हाँ, मैं यहाँ पढ़ाई कर रहा हूँ, फ़ैमिली घर पर रहती है, मैं यहाँ रेंट पर रहता हूँ”
वो “मैं भी पाटलिपुत्र में रहती हूँ, मेरे पति बाहर गये हैं, अकेले घर जाने में डर लग रहा है, क्या मैं आप के साथ चलुं”
मैंने थोड़ी देर सोचा फिर कहा “ठीक है चलिये”
उसके घर पहुँचा तो बोली “मेरी शादी अभी ६ महीने पहले हुई है, मैं आज तक कभी अकेली घर पर नहीं रही, मेरे पति भी मीटिंग में बाहर गये हैं, अगर आपको बुरा न लगे तो क्या आप आज रात में यहाँ रह सकते हैं”
मैंने सोचा घर पर भी तो मैं अकेले सोउंगा, यहीं सो जाता हूँ, इन्हें डर भी नहीं लगेगा और सुबह मैं घर चला जाउंगा मेरा भी तो घर यहीं पर है। मैंने बोला “ठीक है” और हम दोनों घर में चले गये करीब १:०० बज चुके थे। उसने अपने पति का नाइट शोट मुझे दिया और खुद नाइटी पहन कर मेरे पास आ गयी। उसने कहा “मैं बगल वाले कमरे में जा कर सो जाती हूँ वैसे मैं आपके साथ ही सोना चाहती थी क्योंकि मुझे अकेले डर लगेगा”
मैंने कहा “ठीक है आप बेड पर सो जाइये मैं सोफे पर सो जाता हूँ”
वो “आप बुरा मत मानिये हम साथ सो सकते हैं। मैं “मुझे कोई ऐतराज़ नहीं है”
और फिर हम दोनो एक ही बेड पर सो गये। करीब ३:०० बजे मुझे ऐसा महसूस हुआ कि उसका हाथ मेरे लंड पर है। मैंने आँखें खोली देखा वो सो रही है। तभी मेरी नज़र उसकी चूचियों पर गया। उसकी चूची आधी से ज्यादा बाहर थी। ये देख कर मेरा लंड तन गया। उसे शायद महसूस हो गया कि मेरा लंड टाइट हो गया है तो उसने मेरी तरफ़ करवट ली। ऐसा करने से उसकी चूची का निप्पल मुझे दिखने लगा। मैंने भी करवट ली तो महसूस हुआ उसकी साँसें तेज़ चल रही हैं। मैं समझ गया ये जागी हुई है और सेक्स चाहती है। मैंने अपना हाथ उसकी चूची पर रखा और धीरे २ दबाने लगा। उसने अपनी आँखें खोली और अपने लिप्स को मेरे लिप्स पर रख कर किस करने लगी। मैं भी उसकी चूची को जोर से दबने लगा। जब हम दोनो गरम हो गये तो एक दूसरे का कपड़े खोल दिये। हम दोनो बिल्कुल नंगे थे। उसके नग्न शरीर को मैं देखता ही रह गया, गोरा रंग, टाइट निप्पल, नारंगी के समान चूची, स्लिम, पावरोटी की तरह बुर, मक्खन जैसे लिप्स। मैं लिख नहीं सकता कि उस वक्त मेरी क्या हालत थी।
उसने मुझे अपनी बाहों में ले लिया और बोली “प्लीज़ फ़क मी हार्ड” । मैंने उसके दोनो पैरों को साइड करके उसकी बुर के पास मुँह ले गया और
उसकी बुर को चाटने लगा। उसके बाद उसने मेरे लंड को चूसा, फिर बोली “फ़क मी” और उसने बेड पर लेट कर अपने पैर मेरे कंधों पर रख दिये। मैं अपना लंड उसके बुर के पास ले जाकर बुर की फ़ाँकों के बीच में रगड़ने लगा, वो लम्बी २ साँसें लेने लगी और अपने हाथ से मेरा लंड पकड़ कर बुर में घुसाने लगी, मैं समझ गया ये चुदवाना चाहती है। मैंने भी जोर से धक्का दिया और मेरा लंड उसकी बुर में आधा चला गया वो चीखी “प्लीज़ प्यार से चोदो”।
तब मैं दोनो हाथों से उसकी चूचियों को मसलने लगा और लिप्स किस करने लगा साथ में धीरे धीरे कमर भी हिला रहा था थोड़ी देर बाद उसने कहा “प्लीज़ फ़ास्ट चोदो” मैंने अपनी रफ़्तार बढ़ा दी। पूरे कमरे मे चुदाई की आवाज गूँज रही थी। थोड़ी देर बाद उसने कहा “प्लीज़ और तेज़ करो मैं झड़ने वाली हूँ” मैं ज़ोर २ से लंड से उसकी बुर चोदने लगा। थोड़ी देर बाद वो झड़ गई मेरा भी झड़ने वाला था और मैंने अपना सारा वीर्य उसकी मुँह में डाल दिया उसने
मेरा लंड चूस २ कर सारा वीर्य पी गयी। और मुस्कुराते हुए मेरे लिप्स पर किस किया तब तक सुबह हो चुकी थी। मैं अपने कपड़े पहनने लगा। वो नंगी ही थी। वो उठी और अलमारी से पर्स निकाल कर २५०० /- रुपये मुझे
दी, कहा “लो तुम्हारे वीर्य की कीमत” और लिप्स किस की। Antarvasna
What did you thin
जवानी की मस्ती मैं जी भर के Indian Sex Stories लूटना चाहती हूं, लगता है कि बस रोज रात को कोई मुझे दबा कर चोद जाये … जानते है जीवन में जवानी एक ही बार आती है … फिर आ कर ना जाने वाला बुढ़ापा आ जाता है … जी तरसता रह ही जाता है …
मैंने आज अब्दुल को शाम को जान करके बुलाया था। उसे यह पता था कि बानो ने बुलाया है तो जरूर कुछ ना कुछ मजा आयेगा। कुछ नहीं तो चूंचे तो दबवायेगी ही। अब्दुल सही समय पर शाम को अपनी छत पर आ गया था और बेसब्री से मेरा इन्तज़ार कर रहा था। मैंने भी मौका देखा और छत पर आ गई।
“बोल क्या है बानो, क्यूं बुलाया मुझे?”
“बड़ा भाव खा रहा है रे भेनचोद ? बुला लिया तो क्या हो गया ?”
“चूतिया बात मत कर, बता क्या बात है?”
“पहले मेरे चूंचे तो दबा, फिर बताती हूं !” मैंने उसे धक्का देते हुये कहा।
“भोसड़ी की, नीचे आग लग रही क्या ?”
“सच बताऊँ क्या … लग तो रही है … पर तेरे नाम की आग नहीं है !” मैंने साफ़ कहना ही ठीक समझा।
“नाम तो बता, साले को जमीन में गाड़ दूंगा !”
“बताऊँ ? यूसुफ़ से मिला दे मुझे, बस एक बार चुदना है उससे !” मैंने उसे धीरे से कहा।
“मां की चूत उसकी ! रांड ! मेरा क्या होगा? उसी के पीछे भागेगी तू तो … ?” उसने शंका जताई।
“चुप रह … मुझे तो तेरा लन्ड भी तो चाहिये … प्लीज मिला दे ना … !” मैंने उसे समझाया।
थोड़ा सोच कर बोला,”अभी बात करू या कल … ?”
“चूत तो अभी लपलपा रही है, भोसड़ी के कल चुदवायेगा … ? तू भी ना … !”
अब्दुल समझ गया कि मामला अभी गरम है, उसे भी चूत मिल जायेगी। वो जल्दी से नीचे चला गया। मैं भी नीचे आ गई।
रात का खाना खा कर हम सभी घर वाले बैठे थे। पर मेरा दिल तो कहीं ओर था … यूँ कहिये कि यूसुफ़ के पास था। चूत बार बार मचक मचक कर रही थी। इतने में मिस कॉल आ गया। मैंने देखा तो अब्दुल का ही था। मैं बहाना बना कर सभी के बीच से चली आई। फिर लपक कर छत पर आ गई। छत पर दो साये नजर आ गये। मेरा दिल खिल उठा। शायद अब्दुल ने अपना काम कर दिया था।
मैं दीवार कूद कर वहां पहुंच गई। जैसे ही मेरी नजरें यूसुफ़ से मिली, वो शरमा गया। मैं भी शरमा गई।
अब्दुल ने मौका देखा और कहा,”यूसुफ़, बानो तुझसे मिलना चाह रही थी … क्या मामला है … ?
” बेचारा यूसुफ़ क्या कहता, उसे तो कुछ पता ही नहीं था … बस वो तो मेरा आशिक था।
“मुझे क्या पता भोसड़ी के … बानो ही बतायेगी ना !” उसने शरमाते हुए कहा।
” मैं बताता हूँ यूसुफ़ … यह बानो तेरी आशिक है … ।”
“चल झूठे … ये झूठ कह रहा है यूसुफ़ !” मैंने अपनी सफ़ाई दी।
“तो लग जाओ … मैं अभी आया … !” वो खिलखिला कर हंसा और पीछे मुड़ कर चला गया। उसे मौके की नजाकत पता थी, कि दो जवान जिस्म मिलने को बेताब है और मुझे तो अब्दुल जानता ही था, यूसुफ़ ना भी करे तो मैं उसे छोड़ने वाली नहीं थी।
“यूसुफ़ … बुरा मत मानना … ये तो मजाक करता है !”
“उसने मुझे सब बता दिया है … बानो, अब शरमाने से क्या फ़ायदा !” यूसुफ़ ने साफ़ की कह दिया।
मुझे लगा कि ये तो काम बन गया अब तो चुदने की ही बारी है …
“यूसुफ़, क्या कहा उसने … ?” मैंने शरमाते हुए पूछा।
“यही कि आप हमें एक चुम्मा देंगी … ” उसने मेरी बांह पकड़ ली … ” देखो मस्त चुम्मा देना !” और उसने मुझे खुद से सटा लिया। मैंने अपने होंठ उसकी तरफ़ बढ़ा दिये। पर ये क्या?? मैं क्या चुम्मा देती, उसने तो खुद ही चूमना चालू कर दिया। मैं कुछ कहती उसके पहले उसका हाथ मेरे चूंचो पर आ गये और उन्हें मसल दिये।
हाय रे … मेरी दिल की इच्छा तो अपने आप ही पूरी होने लगी। मैं कब से यूसुफ़ से चुदाना चाह रही थी …
अब्दुल ने तो मेरा काम पूरा कर दिया था। उसका लण्ड भी फूलने लगा था। मेरी चूत भी पनिया गई थी। मेरे पोन्द दबने के लिये मचल उठे। मैंने अपने आपको उसके हवाले कर दिया। उसका हाथ अब मेरी चूत पर आ गया, मेरी चूत दबाने लगा। मैं मस्ती में डूबने लगी। मैंने अपने पांव और खोल दिये। चूत में भी मीठी मीठी लहर उठने लगी थी। मैंने अपनी चूत को उसके हाथ पर और दबाव डाल दिया। मेरा पजामा गीला हो उठा।
“भेन की लौड़ी, भाग … अब्बू बुला रहा है तुझे, बानो, बाद में चुदवा लेना !”
अब्दुल ने बाहर से आवाज लगाई। मैं हड़बड़ा गई। मेरी सारी हवस हवा में उड़ गई। सारा नशा काफ़ूर हो गया। अब्बू को अभी ही बुलाना था …
“यूसुफ़, रात को यहीं रहना, सब के सोने के बाद आ जाउंगी !”
यूसुफ़ मुस्कुरा उठा।
मैं लपक के दीवार फ़ान्द कर अपने घर में आ गई और नीचे उतरने लगी।
“कहां मर गई थी, भेन-चोदों को आवाज देते रहो, कोई सुनता ही नहीं !” अब्बू गुस्सा हो रहे थे।
रात गहरा गई। सब लोग सो चुके थे। मैंने इधर उधर झान्क कर देखा और दबे पांव सीढियों को पार कर गई। छत पर कोई नहीं था। मैं धीरे से दीवार कूद कर अब्दुल के घर में आ गई। सोचा, चलो अब्दुल से ही चुदा लूं। अब्दुल दूसरी छत पर सोता था।
मैं दूसरी छत पर गई तो मेरी खुशी का ठिकाना नहीं रहा। अब्दुल और यूसुफ़ दोनों ही बिस्तर पर थे। अब्दुल नंगा था और यूसुफ़ ने अपना लण्ड अब्दुल की गाण्ड में घुसा रखा था, और मस्ती कर रहे थे।
“करते रहो … मुझे देखने दो … मजा आ रहा है !” मुझे उनकी मस्त गाण्ड चुदाई देख कर मजा आने लगा था। मेरी गाण्ड में भी तरावट आने लगी थी।
“यूसुफ़ चोद यार … साली मेरी गाण्ड की मां चोद दे, लगा लौडा … !”
“यूसुफ़ कैसा लग रहा है गाण्ड मारते हुए?” मैंने पूछा, मेरा जी गाण्ड चुदाई के लिये मचलने लगा था ।
“साले की गाण्ड है या मक्खन मलाई … क्या लन्ड चलता है !” यूसुफ़ कराहते हुये बोला।
“लगा ना, जोर लगा, मेरी गाण्ड में लण्ड का बहुत मजा आरहा है।” अब्दुल गाण्ड मराने के मजे ले रहा था। मुझे भी लगा कि यूसुफ़ मेरी गाण्ड भी ऐसे ही चोद दे …
“यूसुफ़ … मेरी गान्ड भी चोद दे ना … अब्दुल को देख कर मेरी गान्ड भी मचलने लगी है” मुझ से रहा नहीं गया तो बोल पड़ी।
“आजा बानो, तू क्यो पीछे रहे … तेरी भी बजा देता हूं ” यूसुफ़ तो जैसे तैयार ही था।
“सच में … ” मैंने तुरन्त अपना पजामा उतार दिया और कमीज़ ऊपर करके उल्टी लेट गई। यूसुफ़ तुरन्त मेरी पीठ पर चढ़ गया और मेरी पोन्द खोल दी। अन्दर का गुलाब खिल उठा। उसका सूजा हुआ मोटा सुपाड़ा मेरी गाण्ड के गुलाब पर रगड़ मारने लगा और कुछ ही क्षणों में मेरी चिकनी गान्ड के छेद में समा गया। मेरा मन खुश हो गया। उसका लण्ड बड़ा और भारी था। उसका बाहर आना और अन्दर जाना ही मुझे मस्त किये दे रहा था।
“भोसड़ी के, मेरी गाण्ड तो मार पहले … लौंडिया देखी और पलट गया हरामी ?” अब्दुल निराश सा हो गया था।
“क्यूँ नाराज हो रहा है … पीछे आ जा … मेरी मार ले ना … ये भी तेरी जैसी ही चिकनी है, तीनो मजा लेंगे !” अब्दुल को यह ठीक लगा। अब्दुल पीछे आ कर यूसुफ़ की पोन्द पर लण्ड रगड़ने लगा और … और … यूसुफ़ कराह उठा … “मार दी रे मेरी … मादर चोद धीरे कर … !”
“यूसुफ़ … मेरी तो मार ना … मेरी पोंद तो फ़ुलफ़ुला रही है !” वो दोनों ही अपने आप को एडजस्ट करने में लगे थे, मैंने अपने पांव और खोल दिये। अब स्थिति यह थी कि यूसुफ़ मेरी गाण्ड चोद रहा था और अब्दुल यूसुफ़ की गाण्ड मार रहा था। यूसुफ़ मेरे चूंचे मसल रहा था।
मेरा जिस्म वासना की मीठी मीठी जलन से सुलग उठा था। पर मैं हिल नहीं सकती थी, दोनों तरफ़ से मस्त धक्के चल रहे थे। मेरी चूत से पानी टपकने लगा था। गाण्ड तो चुद ही रही थी, पर अब चूत भी मचलने लगी थी। मुझे अब लगने लगा था कि अब मेरी चुदाई भी हो जाये तो स्वर्ग में पंहुच जाऊँ।
पर ये क्या … जैसे मेरी यूसुफ़ ने सुन ली।
“अब्दुल … चल हट … भेन चोद … इस रंडी की चूत का भी मजा लेने दे … खड़े हो कर चोदेंगे यार !”
हम तीनों ही खड़े हो गये। अब्दुल ने मेरी टांग उठाई और मेरी गाण्ड में लण्ड घुसेड़ दिया … और सामने से यूसुफ़ ने बड़े प्यार से अपना लम्बा लण्ड चूत में पेल दिया। मेरे मुँह से आह निकल पड़ी … मेरी चूत में और गाण्ड में दो दो लण्ड फ़ंस चुके थे। लण्डों का भारीपन मुझे बडा मजा दे रहा था। एक ही साथ दोनों छेदो में लौड़े घुसे हुए थे … कैसा सुहाना एहसास था।
“यूसुफ़ … अब मजा आया भेनचोद … दो दो लण्ड फ़ंसा कर … चोद मादरचोद, जोर लगा, याद करेगा कि बानो की मारी थी !” मैंने मस्ती में उन्हे बढावा दिया।
अब्दुल में मेरे चूंचे पकड कर मसलने लगा और यूसुफ़ ने मेरे होंठ अपने होंठ में दबा लिया। दोनों प्यार से मुझे चोद रहे थे। लण्ड फ़चाफ़च चूत में चल रहा था। अब्दुल के लण्ड से थोड़ी थोड़ी चिकनाई छूट रही थी जो मेरी गान्ड में लगती जा रही थी। गाण्ड के छेद में लण्ड का मोटापन महसूस हो रहा था। दोनों मुझे मस्त किये दे रहे थे।
“तेरी तो, छिनाल !… क्या चूत है … फाड़ दूँ तेरे भोसड़े को … !” यूसुफ़ ने मेरी चूत की तारीफ़ की।
” यूसुफ़ भाई … गाण्ड में लण्ड चला कर तो देख … बानो की चूत जैसी नरम है।” अब्दुल ने भी मेरी तारीफ़ की ।
“हाय रे … लड़की की गाण्ड है नरम तो होगी ही …
मादरचोदो ! चोद डालो ना मेरी इस भोसड़ी को … पानी निकाल दो इस हरामजादी चूत का !” मैं अपनी कमर को एक मंजी हुई चुद्दक्कड़ की तरह हौले हौले हिला हिला कर दोनों लण्ड का मजा ले रही थी।
अचानक अब्दुल ने पीछे से मेरी कमर खींच ली और अपना लौड़ा पूरा पेल दिया। मेरी गाण्ड में जलन सी हुई, थोड़ा सा दर्द हुआ … अब्दुल के लण्ड ने अपना वीर्य मेरी गाण्ड में छोड़ दिया, वो झड़ चुका था। मेरे चूंचे भी उसने साथ ही छोड़ दिये। तभी मेरे शरीर में मीठापन भरने लगने लगा।
अब मेरी बारी थी झड़ने की।
“यूसुफ़ … भेन-चोद … मै मर गई !… चोद ओर जोर से चोद …! मादरचोद ठोक दे चूत को …! आह्ह्ह् … आह्ह्ह्ह् … ईईईई … चल रे … चला लौड़ा … मर गई … साले हारमजादे … पकड़ ले मुझे … मेरा निकला !” तभी यूसुफ़ ने जोर से मुझे भींच लिया
“मार दिया रे छिनाल तूने मुझे … ! निकला मेरा भी रे … ” और मेरी चूत में लण्ड जोर से गड़ा दिया।
मैं सीमा तोड़ कर उससे लिपट गई। … दोनों ही झड़ रहे थे। उसका वीर्य मेरी चूत में भर कर कर नीचे टपकने लगा। ग़ाण्ड से भी वीर्य की बरसात हो रही थी। मुझे वहीं बिस्तर पर उन्होनें लेटा दिया। मैं खड़े खड़े थक गई थी। मेरी सांस धीरे धीरे अब काबू में आने लगी थी। दोनों ही मेरे चूंचो से और पोन्द से खेल रहे थे। कभी चूत की दरार पर हाथ फ़ेर रहे थे और कभी गाण्ड की दरार पर।
यूसुफ़ से चुद कर मेरी सन्तुष्टि हो चुकी थी। मेरा काम हो गया था। मैंने उठ कर अपने कपड़े पहने।
“बानो ! एक बार और चुदवा जा … मेरा लन्ड शान्त हो जायेगा !” यूसुफ़ ने विनती की …
पर यहाँ मैं तो मजा ले चुकी थी …
“दोस्तो अब अपनी मां चुदाओ … घर जा कर अपनी बहन को चोद ! मारो ना गाण्ड यूसुफ़ की अब … मै तो चली … !” मैंने अपने दोनों पोन्द मटकाये और हंसते हुये कल का वादा कर लिया।
मैं चुपचाप दीवार कूद कर नीचे आ गई। बिना किसी आहट के मैं दबे पांव अपने कमरे में आ गई। अन्धेरे में बिस्तर में घुस कर रजाई खींच ली।
मैं अचानक छटपटा उठी। मेरे मौसा जी पहले ही मेरे बिस्तर पर मेरा इन्तज़ार कर रहे थे। मौसा जी ने मुझे कमर से जकड़ लिया था।
“मेरे से भी तो चुदा ले रांड … ये देख मेर लौड़ा तेरे भोसड़े में जाने के लिये तैयार है !” वो फ़ुसफ़ुसा कर बोले।
“मौसा ! …साले ! तेरी मां की चूत ! … छोड़ मुझे !… तेरी मां चोद दूंगी ! साले … हरामी ! बहन के लौड़े !” हमारे घर में गाली दे कर बात करना तो आम बात थी।
मौसा जी के बलिष्ठ जिस्म ने मुझे जकड़ लिया था और एक हाथ से उनका कमाल देखने लायक था। मेरा कुर्ता उपर उठ चुका था और नाड़ा खिंच चुका था। उनके हाथ मेरे बोबे पर कस चुके थे। मैं तड़पती रह गई।
मेरा पजामा नीचे आ चुका था। मौसा जी ताकतवर थे, मैं कुछ ना कर कर पाई। मौसा का लण्ड बहुत ही मोटा लगा।
स्पर्श पाते ही, मन ही तो है … ललचा गया।
उनका लण्ड मेरी चूत लगते ही मेरे पांव अपने आप उठने लगे। लण्ड चूत में समाने लगा। मौसा जी से छूटना मुश्किल था। अब लण्ड का साईज़ महसूस करके छूटना किसको था। लौड़ा आधा तो घुस ही चुका था, ऐसा मस्त मोटा लण्ड का चूत में घुसना … मेरा मन उन पर आ गया।
मैंने अपनी चूत ढीली छोड़ दी और लण्ड को सीधा ही अन्दर घुसने दिया। लण्ड चूत की खाई में पूरा ही कूद चुका था। मेरे मुख से सिसकारी निकल पड़ी … नरम मोटा सुपाड़ा गद्दीदार था, सुहाना मजा दे रहा था।
“मौसाजी … आप बडे वो हैं … इतना मोटा लण्ड … हाय रे … फ़ाड डालोगे क्या ?”
“चुप धीरे धीरे चोदूंगा … शोर मत मचाना … वर्ना एक हाथ पड़ जायेगा … भोसड़ी की !!”
यहाँ तो मजा आ रहा था इतने मोटे लण्ड का। … मौसा जी की धमकी कोई मायने नहीं रखती थी, लौड़ा तो वो पेल ही चुके थे। मेरी चूत की दीवारें भारी लण्ड से रगड़ खा रही थी। चूत मस्ता उठी, पानी से गीली हो गई।
“मौसा जी, मुझे पहले चोदना था ना, मैं तो आपको मौसी को चोदते हुये रोज़ देखती हूँ … आज तो मेरा नम्बर भी आ ही गया !“
“तो इशारा क्यों नहीं किया छिनाल … लौड़ा तो होता ही चूत के लिये है …! ”
मौसा का लौड़ा मस्त मुस्टन्डा था। खूब कसता हुआ अन्दर आ जा रहा था। मेरी तो मन की चुदाई आज हो रही थी। चूत में थोड़ा दर्द भी हुआ पर मस्ती के आगे वो कुछ नहीं था। मौसा ने मेरी सहमति पा कर जोर जोर से चोदना चालू कर दिया। चुदते चुदते इस दौरान मैं दो बार झड़ गई, पर मोटे लण्ड से बार बार चुदने की चाह होने लगी थी।
तभी मौसा ने लण्ड ने ढेर सारा वीर्य उगल दिया। मेरा सारा बिस्तर गीला कर दिया। कभी कभी कोई दिन ऐसा भी आता था कि जब ज्यादा बार चुद जाती थी और काफ़ी बार झड़ भी जाती थी, तब मैं थक कर चूर हो जाती थी। आज भी मैं चुदने के बाद थकान के मारे जाने कब सो गई।
सुबह मौसा जी आये और मुझे जगा दिया,”कपड़े तो पहन ले … ।”
और फिर वो मुस्कराते हुए चले गये।
मुझे घर में ही एक सोलिड मोटा मस्त लण्ड मिल चुका था … आज से अब मुझे मस्त चुदने का मौका मिलेगा ये सोच कर मैं खुश हो उठी … ।
साला मौसा हारामी … अपनी ही बेटी समान को चोद कर मस्त कर गया। Indian Sex Stories
देसी भाभी पोर्न स्टोरी में एक भाभी को अपने पति से पूरा चुदाई सुख नहीं मिल रहा था. तो जैसे ही मौक़ा मिला, उसने गैर लंड को अपनी चूत में ले लिया.
मेरा नाम जागृति है और मैं 28 साल की हूँ.
यह मेरी पहली सेक्स कहानी है.
हालांकि मैंने कई कहानियां लिखी हैं … पर किसी न किसी संकोच की वजह से कभी पोस्ट नहीं की.
पहले मैं खुद के बारे में बता दूँ.
मैं काफी हॉट दिखती हूँ.
लोग मुझे पसंद करते हैं, पर मैं कोई हूर की परी नहीं हूँ.
मैं झूठ बोलकर अपनी कहानी को नकली नहीं बनाना चाहती हूँ.
इस देसी भाभी पोर्न स्टोरी में मैं सब सच लिखने की कोशिश करूँगी.
मैं एक आम लड़की हूँ, बस मेरे ‘आम’ किसी आम लड़की जैसे नहीं हैं.
वे बहुत ही ख़ास हैं!
मैं बड़े गर्व से बताना चाहूँगी कि मेरी ब्रा का साइज़ 36 है.
अगर आपको ब्रा की साइज़ का ज़रा भी अंदाज़ा होगा तो आप समझ चुके होंगे कि मेरे ‘आम’ किसी बड़े खरबूजों से कम नहीं हैं.
अब मैं अपनी निजी जिंदगी के बारे में भी कुछ बता देती हूँ.
मेरी शादी हुए कुछ साल हो गए हैं और मेरे पति काफ़ी बोरिंग इंसान हैं.
उन पर लानत है कि मेरी जैसी लड़की को शादीशुदा होते हुए भी अपनी प्यास बुझाने के लिए यहां वहां जाना पड़ता है.
वैसे तो मेरी रंगरेलियों के कई किस्से हैं.
मैं आपके साथ धीरे धीरे सब शेयर करूँगी.
पर यह एक किस्सा जो आज बता रही हूँ, वह बड़ा ही रोमांटिक हैं और कामुक कर देने वाला वाकिया है.
एक बार मैंने ब्यूटी सैलून की होम सर्विस देने वाले को ऑनलाइन बुक किया था.
मैंने सोचा था कि लड़की आएगी.
पर एक लड़का आ गया.
शुरू में थोड़ा अजीब सा लगा, पर फिर मैंने सोचा कि कई बार यूनिसेक्स सैलून में जाती हूँ तो उधर लड़के ही बेसिक ब्यूटी सर्विसेज देते हैं.
तो अजीब लगने की कोई बात नहीं लगी.
फिर मुझे सिर्फ़ पैडीक्योर और मैनीक्योर ही करवाना था.
मेरे घर पर सिर्फ़ मैं, मेरे पति और मेरे ससुर ही रहते हैं.
उस वक़्त मेरे पति ऑफिस गए हुए थे और मेरे ससुर ड्राइंग एरिया में टीवी देख रहे थे.
अब क्योंकि मुझे ब्यूटी सर्विसेज लेनी थी तो ज़ाहिर था कि उसे मैं अपने रूम में ही ले जाकर सेवा लूँगी.
हमारा घर एक ड्यूप्लेक्स है और मेरा रूम ऊपर की मंजिल में है.
नीचे ड्राइंग एरिया है और मेरे ससुर का कमरा है.
मैं उस लड़के को अपने कमरे में ले गयी.
मेरे ससुर अच्छी पोस्ट से रिटायर्ड हैं और काफ़ी खुले ख्यालों के हैं.
तो उनकी तरफ से कोई प्राब्लम नहीं थी.
मैंने अपने कमरे का दरवाज़ा बंद नहीं किया क्योंकि किसी के आने की कोई उम्मीद थी ही नहीं.
उसने अपना नाम आकाश बताया और सैटअप करना शुरू किया.
वह सामान निकाल रहा था और मैं उसकी तरफ देख नहीं रही थी.
पर मेरा ध्यान उसी की तरफ था क्योंकि काफ़ी अच्छी कद-काठी का था.
मेरे बेडरूम में एक अंजान आदमी का इस तरह होना, वह भी जब मेरे ससुर घर पर थे, मेरे लिए थोड़ा असहज कर देने वाला था.
मैं एक लड़की ब्यूटीशियन के आने की उम्मीद कर रही थी तो मैंने एक आरामदायक वन पीस पहना हुआ था.
इस वन पीस की स्लीव्स बहुत ही छोटी और ढीली थीं ताकि मैनीक्योर के बाद पूरे हाथ पर अच्छे से मसाज ले पाऊं.
साथ ही पैडीक्योर में भी आराम से घुटनों तक मसाज हो जाए.
उस लड़के ने सैटअप जमाया और मुझसे पूछा- मैम, शुरू करें?
मैंने कहा- हां श्योर!
मैं बेड के किनारे पर बैठ गयी.
उसने फ्लोर पर पैडीक्योर मशीन लगा दी थी.
मेरे पैर उठा कर उसने मशीन में रख दिए और मशीन को चालू कर दिया.
तभी उसने अचानक से मेरा गाउन ऊपर उठाया और घुटनों से भी ऊपर कर दिया.
एक लड़के के हाथ यह सब करवाना मुझे काफ़ी अजीब महसूस हुआ.
एकदम से नीचे वाले छेद में गुदगुदी सी होने लगी, पर मैंने सोचा कि यह तो उसका तो रोज़ का ही काम है, क्या शर्माना.
मैं अपनी जांघों को कसके एक दूसरे से चिपकाई हुई थी क्योंकि नीचे पैंटी पहन रखी थी, पैंट्स या ब्लूमर नहीं पहना था.
उसने मुझसे सहज रहने को कहा, पर मैं वैसे ही अपनी टांगों को छिपा कर बैठी रही.
उसने अचानक से मेरी एक टांग उठाई और अपने घुटने पर रख ली.
फिर मेरी टांग में क्रीम लगाने लगा.
अब इस तरह से करने से मेरी जांघें खुल चुकी थीं और मुझे पता था कि उसे मेरी पैंटी दिख रही थी.
यह सोच कर ही मैं थोड़ी गीली होने लगी कि एक आदमी मेरे बेडरूम में मेरी टांग पकड़ कर बैठा है और मेरी पैंटी भी देख पा रहा है.
इतने में उसने दूसरी टांग उठाई और उस पर क्रीम लगा कर दोनों टांगें विपरीत दिशा में फैला कर पैडीक्योर टब के दोनों तरफ रख दीं.
मुझे यकीन नहीं हो रहा था कि वह मेरी टांगें फैला कर ऑलमोस्ट उनके बीच में बैठा है और मेरी चड्डी देख रहा है.
शायद मेरी चूत को सूंघ भी रहा है और मैं चुपचाप बैठी हूँ.
उसकी हरकतें मुझे अब कुछ ठीक नहीं लग रही थीं.
ऐसा लग रहा था कि उसके दिमाग़ में कुछ चल रहा है.
पर मुझे न जाने क्यों … यह सब कुछ थोड़ा अच्छा भी लग रहा था.
तभी उसने मुझसे पूछा- फुल बॉडी मसाज, फुल बॉडी वैक्सिंग के पैकेज पर काफ़ी डिस्काउंट चल रहा है, आप लेंगी मैम?
यह सुन कर जैसे मैं सुन्न सी हो गयी, मुझे समझ नहीं आ रहा था कि क्या बोलूं.
तभी उसने एक ऐसी बात कही कि मेरी आँखों के आगे अंधेरा सा छा गया.
‘बिकिनी वैक्स भी फुल बॉडी में इंक्लूडेड है!’
यह सुन कर मुझे लगा कि मैं कहां छुप जाऊं.
मेरी चूत पर काफ़ी घने बाल थे क्योंकि मैंने बहुत दिनों से हेयर रिमूवल नहीं किया था.
पति के साथ चुदाई किए हुए भी दो महीने हो चुके थे.
शायद मेरी पैंटी लाइन से उसने वह बाल देख लिए थे और तभी वह यह कह रहा था.
मैंने एकदम से उससे कह दिया- नहीं, मैं ऐसी सर्विसेज घर पर नहीं ले सकती … क्योंकि मेरे ससुर घर पर हैं.
यह कहने के बाद मुझे लगा कि यह क्या कह दिया मैंने … मैं सीधा मना भी कर सकती थी.
पर मैंने ऐसे कहा, जैसे मुझे उससे कुछ भी करवाने में आपत्ति नहीं होती … अगर मैं घर पर अकेली होती.
उसने कुछ नहीं कहा और बहुत कामुक तरह से मुझे छूते हुए मेरा पैडीक्योर करता रहा.
ऐसा लग रहा था कि वह मुझे उत्तेजित करने की कोशिश कर रहा हो.
मैं हो भी रही थी.
ऊपर से वह बार बार मेरी पैंटी की तरफ भी देख रहा था.
मुझे महसूस हो रहा था कि मैं गीली हो रही हूँ, पर मैं चुपचाप अपने मोबाइल में देखती रही.
उसने पैडीक्योर पूरा किया बस मसाज होना बाकी था.
तभी उसने मैनीक्योर शुरू किया और पहले मेरे एक कंधे की मसाज करने लगा.
यह अजीब था क्योंकि अक्सर मैनीक्योर के बाद मसाज होती है.
पर उसने पहले शुरू कर दी थी.
वह मेरी कोहनियों से ऊपर मेरे कंधों तक आता … फिर अपनी उंगलियां मेरी स्लीव्स के अन्दर तक ले जाता.
फिर मेरी गर्दन पर मसाज करता और अपना हाथ लगभग मेरी छाती तक ले जाता.
ऐसे लग रहा था जैसे वह मुझसे आज्ञा माँग रहा हो कि उसे मम्मे छूने की पर्मिशन दे दी जाए.
मैं चुपचाप मोबाइल ही देख रही थी कि तभी नीचे से आवाज़ आई- जागृति, घर का दरवाज़ा बंद कर लो, मैं स्टेशन जा रहा हूँ.
मुझे याद आया कि मेरे ससुर के दोस्त आज कहीं जाने वाले थे और वह उन्हें ड्रॉप करने जा रहे थे.
यह सुन कर जैसे उस लड़के के हाथों में एक अलग ही जोश आ गया.
इस बार मेरी छाती के और अन्दर हाथ ले जाते हुए उसने धीरे से मेरे कान में कहा- दरवाजा बंद करके आ जाइए, मैम!
उसकी गर्म सांसें जैसे मुझसे कह रही थीं कि वह मेरा पूरा बदन टटोलना चाहता है.
मैं चुपचाप गेट बंद करके आ गयी.
मेरी सांसें अब काफ़ी तेज़ थीं और उसने यह बात नोटिस कर ली थी.
उसने कहा- मेम फुल बॉडी वैक्सिंग ले लो … मैं मसाज कॉंप्लिमेंटरी दे दूँगा.
इस बार उसने मेरे मम्मे छू लिए थे.
बस वह मेरी चूचियों के निप्पल तक नहीं पहुंच पाया था.
मैंने फिटिंग की ब्रा पहनी थी, तो वह मेरे एक दूध की ऊपरी चमड़ी को सहला कर वापस आ गया था.
मेरी चूत अब पहले से फड़फड़ा रही थी.
मैं दिमाग़ से नहीं, अब चूत से ही सोच रही थी.
अंतत: मैंने कह दिया- ठीक है कर दो वैक्सिंग!
यह सुन कर उसने मुझे ब्रा उतरने को कहा ताकि वह अच्छी तरह मसाज दे पाए.
असल में वह मुझे गर्म कर रहा था.
मैंने ब्रा का हुक खोल दिया और ब्रा को ढीली करके चूचों से नीचे कर दी.
उस गैर मर्द ने पहली बार मेरी चूचियों पर अपनी उंगलियां फिराईं.
‘आह … मज़ा आ गया … बिल्कुल कड़क हो चुकी थीं.’
बस ऐसा लग रहा था कि मेरी चूचियां वन पीस फाड़ कर बाहर निकल जाएंगी.
मैं चाहती थी कि वह अपने मुँह में लेकर इनको अब चूस ले.
उसने जैसे मेरे दिल की बात सुन ली, उसने मेरे सामने के बटन्स खोल दिए और मुझे शीशे के सामने बैठने को कहा.
शीशे के सामने लाकर उसने कहा- मसाज का आनन्द लेना है तो शरीर को ढीला छोड़ दो और सब खोल दो.
उसके मेरे दोनों दूध सहज भाव से खींच कर बाहर निकाले और उन्हें देख कर हैरान हो गया.
बहुत मुश्क़िल से मेरे पूरे मम्मे बाहर आ पाए थे, दरअसल मेरे ऐसे लग रहे थे मानो दूध फँस गए हों.
इतने बड़े दूध उसने पहले असलियत में देखे नहीं होंगे.
उस पर मेरे निपल्स भी बहुत बड़े बड़े हैं. कड़क होकर जामुन से कम छोटे नहीं लगते हैं.
उसके मुँह से सच में पानी टपकने लगा, पर वह अभी भी ब्यूटीशियन का चोला पहले हुए था.
वह कहने लगा- बाहर से हमेशा पता नहीं चलता कि थैले के अन्दर कितना बड़ा फल है.
मैंने कुछ नहीं कहा.
पर वह शायद मुझे हंसाना चाहता था.
उसने कहा- मैं पहले नीचे की वैक्सिंग कर देता हूँ.
वह फिर से मेरी टांगें फैला कर मेरी पैंटी के बहुत करीब आकर बैठ गया और जोर जोर से सूंघने लगा.
जब तक वैक्स गर्म हो रहा था, उसने मेरी पैंटी बहुत प्यार से उतारी.
उस पर लगे मेरे पानी को देखा और कहा- बहुत सुंदर पैंटी है लेकिन अन्दर की चीज़ इससे भी सुंदर है.
मैं शर्मा गयी और नीचे देखने लगी.
उसने कहा- शीशे में देखती रहिए कि मैं क्या कर रहा हूँ, बाद में शिकायत ना हो.
मुझे दिखा दिखा कर उसके मेरी गीली चूत एक वेट वाइप से पौंछ दी और फ़ुद्दी के ऊपर टिश्यू लगा दिया.
फिर उसने वैक्स लिया और मेरे नीचे लेफ्ट साइड अच्छे से वैक्स लगा दिया.
जब वह वैक्स पर कपड़ा लगा रहा था, मुझे घबराहट हो रही थी क्योंकि मैंने इससे पहले कभी वहां पर वैक्स नहीं करवाई थी.
उसने मुझसे आश्वासन दिया और कहा- कुछ नहीं होगा, आपकी झांटों की सफाई अब मेरी ज़िम्मेदारी है.
यह कर उसने एक झटके से कपड़ा खींच दिया.
मैं जैसे ही दर्द से चिल्लाने वाली थी, उसने अपना मुँह मेरी चूत पर रख दिया और चाटने लगा.
मुझे झांटों के खिंचने से दर्द तो हो रहा था पर उसके चाटने से मुझे इतना सुकून मिला जैसे सालों से सूखी धरती पर बारिश आ गयी हो.
मैंने अपनी दोनों टांगें और ज्यादा फैला दीं और उसे उसके मन की करने दी.
उसने मेरी चूत को चाट चाट कर मुझे ठंडक दे दी और जैसे एक साइड में झांटों के साथ किया था.
वैसे ही उसने दूसरी तरफ भी वैक्स करके झांटें खींच कर चूत चिकनी कर दी और पुन: चाटने लगा.
शायद ही कभी किसी ने मेरी इतनी अच्छी चूत चाटी थी.
दर्द कब गायब हुआ और मज़ा आने लगा … कुछ पता ही नहीं चला.
उसके चाटने से मैं और गीली होने लगी और अब वह मेरी फ़ुद्दी भी चाट रहा था.
मैं कामुक आवाज़ें निकालने लगी थी.
वह बार बार मेरा ध्यान शीशे की तरफ ले जाता ताकि मैं देख पाऊं कि वह क्या कर रहा है.
शीशे में अपनी चूत के साथ सब होता देख कर मैं और भी ज़्यादा गर्म होती गयी.
उसने अपनी जीभ मेरी चूत में डाल डाल कर मुझे गर्म कर दिया.
जैसे वह मेरी चूत को अपने मुँह से ही चोदने की कोशिश कर रहा था.
वह कुछ देर रुक कर मेरी आंखों में देखने लगा और फिर से चूत चाटने लगा.
इस बार उसने धीरे से एक उंगली भी मेरी चूत के अन्दर घुसेड़ दी और दाने को मसलने लगा.
मैं महीनों से नहीं चुदी थी और यह सब मुझे इतना मज़ा दे रहा था कि मुझे कोई याद ही नहीं रहा था कि मैं शादीशुदा हूँ और अपने बेडरूम में एक अंजान मर्द से अपनी चूत चटवा रही हूँ.
अब मैं कराह रही थी- आह आह आकाश … रूको मत प्लीज करते रहो.
उसने ऐसे ही मेरी फ़ुद्दी चाट-चाट कर एक बार मुझे चरम सुख का आनन्द दे दिया.
मैं झड़ गयी और मेरा शरीर ढीला पड़ने लगा.
तभी वह खड़ा हो गया और वापस मेरे पीछे खड़ा होकर मुझे मसाज देने लगा.
अब वह बहुत अच्छी तरह मेरे मम्मे दबा रहा था.
जैसे कोई आम को चूसने से पहले पिलपिला करता है, ठीक वैसे ही वह मेरे दूध मसल रहा था.
मैं मज़े ले रही थी, अपने दूध मसलवाती हुई शीशे में देख रही थी.
वह मेरी चूचियां ऐसे भींच रहा था जैसे उनमें से दूध निकालने की कोशिश कर रहा हो.
उसने मेरे दूध दबा-दबा कर खूब मज़े लिए और मुझे दिए भी.
फिर सामने आकर बैठ गया और मेरे एक दूध को चूसने लगा.
वह मेरे मम्मों पर ऐसे टूट पड़ा था, जैसे कोई भूखा बछड़ा अपनी गाय के थन पर टूट पड़ता है.
उसने हाथों से दबा दबा कर जो मेरी चूचियां चूसी, उससे मैं निहाल हो गई.
पहले एक-एक, फिर दोनों को मिला कर एक साथ चूसीं.
ऐसा लग रहा था कि वह सारा रस पीकर इनको चूसे हुए आम की तरह लटका देगा.
उसने मेरी चूचियां ऐसी लाल की कि कई दिनों तक मुझे उन पर क्रीम लगानी पड़ी.
आख़िर में उसने कहा- हाथ और मुँह से बहुत मसाज दे दी, अब मैं अपना ख़ास यंत्र निकालता हूँ, उससे मैं तुम्हारा बचा हुआ रस निकालूँगा.
वह बेदर्दी मुझे एक भूखी रांड समझ कर अपनी सभ्यता भूल कर तुम तुम्हारी करने लगा था.
सच तो यह है कि बॉस बन कर चूत चुदवाने से ज्यादा मजा एक दासी बन कर चुदवाने में आता है.
चुदाई के वक्त जब मर्द औरत को गाली देकर चोदता है और उसे कुचलता है तभी तृप्ति मिलती है … कम से कम मेरे साथ तो ऐसा ही है.
उसने मुझे खड़ा कर दिया और आगे की तरफ झुका दिया.
फिर अपनी जीन्स की ज़िप खोली और अपने तने हुए फड़फड़ाते लंड को बाहर निकाला.
मैं घूम कर लंड देखा तो लगा कि आज मेरी चूत की खैर नहीं.
फिर उसने मुझे पकड़ कर मेरी चूत में पीछे से अपना लंड पेला तो मेरी आह निकल गई.
उसने एक बार भी मेरी आह कराह पर ध्यान नहीं दिया और वह किसी मदांध सांड की तरह चूत फाड़ता चला गया.
बड़ी लंबी रेस का घोड़ा था वह … देसी भाभी पोर्न चुदाई करते हुए करीब चालीस मिनट के बाद उसने अपना पानी मेरी ड्रेसिंग टेबल पर छोड़ा.
इन 40 मिनट में उसने मुझे झटके मार मार कर मेरे हिलते हुए दूध दिखा दिखा कर और खुद देख कर जो तोड़ा है, उससे मेरी महीनों की सेक्स की प्यास बुझ गई थी.
उसने मेरे बदन का हर एक हिस्सा खोल दिया था.
खड़ा करके, घोड़ी बना कर, कुतिया बना कर … ऐसे अलग अलग आसनों में मेरी गांड पर थप्पड़ मार मार कर और मेरे दूध दबा दबा कर मेरे ही बेडरूम में मुझे चोदा.
उसने उस दिन ड्रेसिंग टेबल पर ही मुझे घोड़ी बना कर मेरी चूत फाड़ दी, बहुत सारा पानी निकाला.
जो सुख मेरे पति ने सालों में नहीं दिया, वह उसने अपनी कुछ घंटों की सर्विस में मुझे दे दिया.
इस घटना ने मेरी चूत की प्यास को जगा दिया था.
अब मेरी फुद्दी अकेली और सूखी नहीं रह सकती थी.
चुदाई के बाद कुछ मिनट तक हम दोनों बेड पर पड़े आराम करते रहे.
फिर उसने एक पेन से मेरे एक दूध पर अपना नाम और दूसरे पर अपना नंबर लिख दिया.
मैं मुस्कुरा दी.
वह मुझे चूम कर वापस चला गया.
उसे मैंने वापस बुलाया या नहीं, यह मैं फिर कभी बताऊंगी, तब तक के लिए बाय … चुदाई करते और करवाते रहें.
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