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दोस्तो, आप ही की तरह मैं Hindi Porn Stories भी अन्तर्वासना का एक नियमित पाठक हूँ। मैंने अन्तर्वासना में बहुत सी कहानियाँ पढ़ी हैं। इन कहानियों को पढ़ कर मैंने सोचा कि क्यूँ न मैं भी आपको अपने कुछ अनुभव बताऊँ !
मैं अपनी छुट्टियों में अपनी ससुराल या बड़ी साली के घर जाता था। वैसे एस साल भी गया हुआ था। उसी दिन ससुरजी का मेरी बीवी को फ़ोन आया कि किसी रिश्तेदार की मौत हुई है, तुम गीता के घर से यहाँ आ जाओ, हम लोग मिलकर जायेंगे।
मेरे बड़ी साली का नाम गीता है, उसके पति उदय जी आर्मी में हैं, साल में कभी कभार ही घर आते हैं। मेरी बड़ी साली को अभी कोई बच्चा नहीं था उनकी शादी को तब चार साल ही हुए थे लेकिन उदय जी शादी से पहले ही आर्मी में थे इसलिए गीता के साथ ज्यादा समय नहीं रह पाए थे।
पहले मैंने कभी गीता को ग़लत नजरों से नही देखा था, लेकिन एक दिन गीता बाज़ार गई हुई थी कि अचानक बारिश शुरू हो गई। मैं टी वी पर मूवी देख रहा था, मूवी में कुछ सीन थोड़े से सेक्सी थे जिन्हें देख कर मन के ख्याल बदलना लाजमी था। उस समय मेरे मन में बहुत उत्तेजना पैदा हो रही थी। मैं धीरे धीरे अपने लंड को सहलाने लगा।
तभी दरवाज़े की घण्टी बजी, मैं घबरा गया, मुझे लगा जैसे किसी ने मुझे देख लिया हो, लेकिन मुझे याद आया कि घर में तो कोई है ही नहीं, मैं बेकार में डर रहा था।
मैंने जाकर दरवाजा खोल दिया। बाहर गीता खड़ी थी, उनका बदन पूरी तरह पानी से भीगा हुआ था और वो आज पहले से भी ज्यादा जवान और खूबसूरत लग रही थी। मैंने दरवाजा बंद कर दिया और जैसे ही पीछे मुड़ा तो मेरी नज़र गीता की कमर पर पड़ी जहाँ पर उनकी गुलाबी साड़ी के ब्लाऊज़ से उनकी काले रंग की ब्रा बाहर झांक रही थी।
गीता ने सामान सोफे पर रखा और मुझसे बोली- राजाजी, मेरा पूरा बदन भीग चुका है इसलिए आप मुझे अंदर से एक तौलिया ला दो, मैं तौलिया ले आया तो गीता मुस्कुराते हुए बोली- सामान हाथों में लटका कर लाने से मेरे हाथ दर्द करने लग गए हैं इसलिए तुम मेरा एक छोटा सा काम करोगे?
मैंने पूछा- क्या काम है?
गीता बोली- जरा मेरे बालों से पानी सुखा दोगे?
मैंने कहा- क्यूँ नहीं?
गीता सोफे पर बैठ गई। मैंने देखा बालों से पानी निकल कर उनके गोरे गालों पर बह रहा था। मैं गीता के पीछे बैठ गया, उनको अपने पैरों के बीच में ले लिया और बालों को सुखाने लगा। गीता का गोरा और भीगने के बाद भी गरम बदन मेरे पैरों में हलचल पैदा कर रहा था। बाल सुखाते हुए मैंने धीरे से उनके कंधे पर अपना हाथ रख दिया। गीता ने कोई आपत्ति नहीं की। धीरे से मैंने उनकी कमर सहलानी शुरू कर दी।
तभी अचानक गीता कहने लगी- मेरे बाल सूख गए हैं, अब मैं भीतर जा रही हूँ।
वो कमरे में चली गई पर मेरी साँस रुक गई। मैंने सोचा कि शायद गीता को मेरे इरादे मालूम हो गए। कमरे में जाकर गीता ने अपने कपड़े बदलने शुरू कर दिए। जल्दी में गीता ने दरवाजा बंद नहीं किया वो बड़े शीशे के सामने खड़ी थी, उन्होंने अपना एक एक कपड़ा उतार दिया। मैंने देखा कि गीता बड़ी गौर से अपने बदन को ऊपर से नीचे तक ताक रही थी। मेरा दिल अब और भी पागल हो रहा था और उस पर भी बारिश का मौसम जैसे बाहर पड़ रही बूंदें मेरे तन बदन में आग लगा रही थी। अबकी बार गीता ने मुझे देख कर अनदेखा कर दिया. शायद ये मेरे लिए हरी झण्डी थी।
मैं कमरे में अन्दर चला गया। गीता बोली- अरे राजा, मैंने अभी कपड़े नहीं, पहने तुम बाहर जाओ !
मैं बोला- गीता, मैंने तुम्हें कपड़ो में हमेशा देखा, लेकिन आज बिन कपड़ों के देखा है, अब तुम्हारी मर्ज़ी है, तुम मेरे सामने ऐसे भी रह सकती हो!
और यह कहते हुए मैंने उनको बाहों में ले लिया। उन्होंने थोड़ी सी ना-नुकर की लेकिन मैंने ज्यादा सोचने का समय नही दिया और बिंदास उनको चूमना शुरू कर दिया। मैंने देखा कि गीता ने आँखें बंद कर ली हैं। इसमें उनकी सहमति छुपी थी। मैं दस मिनट तक उसे चूमता रहा। इस बीच मेरे गरम होंट उसके गोरे बदन के ज़र्रे ज़र्रे को चूम गए।
अचानक गीता ने मुझे जोर से धक्का दिया और मैं नीचे गिर गया। एक बार को मैं फ़िर डर गया लेकिन अगले ही पल मैंने पाया कि गीता मेरे ऊपर आकर लेट गई और मेरे सारे कपड़े उतार दिए। हम दोनों के बीच से कपड़ो की दीवार हट चुकी थी। मेरा लंड पूरी तरह तैनात खड़ा था। तभी उसने मेरे ऊपर आकर मेरे लंड को अपने नरम होंटों से छुआ और अपने मुँह में ले लिया। वो मेरे ऊपर इस तरह बैठी थी कि उसकी चूत बिल्कुल मेरे होंठों पर आ टिकी थी। मैंने चूत को बिंदास चाटना शुरू कर दिया। उसके मुँह से मेरा लण्ड आजाद हो गया था और आआहऽऽ …आआऽऽऽ …ऊऊऊऊ …….ऊओफ्फ्फ्फ़ की आवाज उसके मुँह से आने लगी थी।
तभी उसकी चूत ने पानी छोड़ दिया और वो मुझसे बोली- ओह मेरी चूत तुम्हारे इस सुडौल लंड को लिए बिना नही रह सकती, प्लीज़ अपने इस खिलाड़ी को मेरी चूत के मैदान में उतार दो ताकि यह अपना चुदाई का खेल सके।
गीता अब मेरे लंड को लेने के तड़पने लगी थी। मैंने भी उसी वक्त गीता को बाहों में भरा और उठा कर बिस्तर पर लिटा दिया। गीता की चूत रसीली हो रखी थी, मैं गीता के ऊपर लेट गया, मेरा लंड गीता के चूत के दरवाजे पर दस्तक दे रहा था। गीता ने चूत को अपने दोनों हाथों से खोल दिया और मैंने धीरे से गीता की चूत में अपना लंबा लंड डालना शुरू कर दिया। काफी दिनों से गीता की चुदाई नहीं हुई थी इसलिए गीता की चूत एक दम टाईट थी। मैंने जोर से झटका लगाया और लंड पूरी तरह चूत की आगोश में समां चुका था। गीता के मुँह से आआह्ह मार डाला की आवाज़ निकल गई और मुझे थोड़ी देर हिलने से मना कर दिया। कुछ देर बाद वो नीचे से हल्के-हल्के झटके लगाने लगी।
अब मुझे भी चूत का मजा आने लगा और मैंने गीता की चुदाई शुरू कर दी। जितने ज़ोर से मैं गीता की चुदाई करता, वो उतनी सेक्सी सेक्सी आवाज़ निकालने लगी- आह्ह ….आह ……..ऊऊ ऊऊ …ईई ईशश्र्श्र्श्र ……….आआआआ …………..ऊऊओफ़ फफ ….ऊऊऊ फफ फ अआ ह्ह्ह . धीरे धीरे चूत ढीली होने लगी।
हम दोनों ने कम से कम आधे घंटे तक चुदाई की। आधे घंटे बाद अचानक गीता मुझसे जोर से लिपट गई और उसकी चूत थोड़ी देर के लिए कस सी गई। कुछ और झटके लगाने के बाद मेरे लंड ने अपना वीर्य चूत में छोड़ दिया और वो फ़िर से मुझे लिपट गई। मैं इसी तरह दस मिनट तक गीता के ऊपर लेटा रहा।
उस दिन की बरसात से लेकर और अब तक ये आपका राजा अपनी गीता के प्यासे बदन पर हर साल बरसता है। मैं कभी कभी मीटिंग के बहाने जाता हूँ या कभी कभी वो अपनी बहन से मिलने हमारे घर आती है तो उसे चोदता हूँ।
आप सबको कैसी लगी मेरी साली की चुदाई की कहानी? Hindi Porn Stories
दोस्तो, मैं यहाँ पहली Antarvasna बार लिख रही हूँ और हिंदी में भी पहली बार ! अगर कोई गलती हो जाए तो माफ़ कर देना।
आज मैं आपको अपना पहला अनुभव बताना चाहती हूँ कि कैसे मैंने अपने बॉय-फ्रेंड के साथ दिन में सुहागरात ओहऽऽ सुहागदिन मनाया।
मैं और वो दोनों अलग अलग शहर में रहते हैं। उसका नाम माणिक है, दिखने में लम्बा, गेहुंआ रंग, मुस्कुराते होंठ, नशीली आँखें जिसमें कोई भी देखे तो डूब जाये ! बहुत ही गठीला बदन और बांहें ऐसी जिसमे कोई भी लड़की आकर मर जाये ! मुझे उसकी बहुत याद सताती थी जब मैं अपनी सहेलियों को उनके बॉय-फ्रेंड से मिलते और घूमते-फिरते देखती थी। मेरा भी बहुत मन करता था कि मैं भी अपने माणिक के साथ घूमूं और उसे बहुत प्यार करूँ। उसके स्पर्श को तरस जाती थी मैं ! पर क्या कर सकती थी, वो और मैं दोनों ही अपनी पढ़ाई में लगे थे तो ऐसे मिल भी नहीं सकते थे। वो रहता था मुम्बई में और मैं दिल्ली में। मैं कभी-कभी उस पर इस बात को लेकर नाराज़ हो जाया करती थी कि सब मिल सकते हैं और हम नहीं। तब एक बार उसने वादा किया कि वो मुझसे मिलने आएगा। मैं बहुत खुश हुई और इंतज़ार करने लगी उस दिन का जब मैं अपनी सैंय्या से मिलूंगी।
खैर एक दिन मैंने उससे कहा कि मेरे जन्मदिन पर मैं उससे मिलना चाहती हूँ क्यूँकि मैं अपना जन्मदिन उसके साथ मानना चाहती थी।
उसने कहा कि वो एक दिन बाद बताएगा आने का।
मैंने कहा कि नहीं उसे आना ही पड़ेगा, हर बार अपनी सहेलियों के साथ मानती थी और इस बार उसके साथ मानना चाहती हूँ।
आखिर काफी जिद करने के बाद वो मान गया और उसने आने का वादा भी किया। मेरी ख़ुशी का तो कोई ठिकाना ही नहीं था, मैं दिन-रात बस उसके आने का इंतज़ार करने लगी।
एक दिन मैं टीवी पर पिक्चर देख रही थी ”मर्डर”। उसमें इमरान हाश्मी और मल्लिका शेरावत के गरम सीन देखकर मुझे भी कुछ होने लगा। मैं उन दोनों में खुद को और माणिक को देखने लगी। यह सोचकर ही मेरी चूत गरम हो गई और उसमें से पानी निकल गया। मैंने देखा तो कुछ सफ़ेद सफ़ेद सा पानी था। मैंने उसे चखा तो नमकीन सा था। मेरा भी माणिक के साथ चुदाई करने का मन हुआ और सोच लिया कि उसके साथ यह करके रहूंगी, लेकिन उसे यह बात नहीं कही।
आखिर वो दिन भी आ गया जब वो मुझसे मिलने आया, मैं तो उसे देखकर इतनी खुश हुई कि क्या बताऊँ। मैं उसे बस-स्टैंड पर लेने गई थी। उसे देखकर जाने क्या हुआ कि दिमाग पर रात का सीन छा गया और उसे वहीं चूम लिया सबके सामने !
वो सकपका गया और शरारती मुस्कान लाते हुआ बोला- सब देख रहे हैं !
उसके यह कहते ही मैंने आस-पास देखा और शरमा कर दूर हो गई।
उसने कहा- बहुत मीठा चुम्मा था !
यह सुनकर मैं और शरमा गई क्योंकि सब देख रहे थे। उसने पूछा कि मेरे रहने का क्या किया। वैसे तो मैंने उसके रहने का इंतजाम अपने एक फ्रेंड के यहाँ किया था पर तभी एक शरारत सूझी और मैंने उसे कहा कि मेरा फ्रेंड ज़रूरी काम से बाहर गया है और उसे होटल में रुकना होगा। मेरी आँखों की चमक को देखकर वो शरारत से मुस्काया और कहा- चलो !
मैं भी खुश हो गई अपना काम बनते देख और ”मर्डर” होने और करने का इंतज़ार करने लगी, लेकिन उसके सामने भोली ही बनी रही।
उसने कहा- चल सकोगी होटल मेरे साथ? और अगर किसी ने देखा तो क्या करोगी?
एक बार को तो मैंने भी सोचा कि अगर किसी ने देख लिया तो मैं तो गई काम से, लेकिन दिमाग में जो चल रहा था वो ज्यादा पागल कर रहा था। मैंने उसे कहा- कोई बात नहीं, हम यहीं मिल लेंगे !
फिर हम होटल में गए। वहाँ उसने एक कमरा लिया और फिर हम कमरे में चले गए। उसका साथ पाकर मैं तो पागल हुई जा रही थी।
कमरे में आते ही उसने मुझे चूम लिया और बाहों में ले लिया। मैं तो ख़ुशी से पागल हो रही थी उसकी बाहों में आकर। फिर उसने मुझे जन्मदिन की शुभकामनाएँ दी और मुझे एक गुलाब दिया। उसका प्यार देखकर मुझे बहुत अच्छा लगा। फिर उसने कहा कि वो लम्बे सफ़र से थक गया है और दस मिनट में नहाकर आ रहा है। तब तक मैं टीवी देख लूँ।
मैंने कहा- ठीक है !
फिर वो नहाने चला गया लेकिन उसने बाथरूम का दरवाज़ा बंद नही किया। शॉवर की आवाज़ आने पर मुझे पता नहीं मुझे क्या सूझी, मैं चुपके से दरवाज़े के पास जाकर खड़ी हो गई और अन्दर देखने की कोशिश करने लगी। उसे बाथरूम में लगे दर्पण में नंगा नहाते देख मैं बहुत रोमांचित हो गई और मेरे हाथ पैर मचलने लगे उसे छूने को।
उसका लिंग मैंने पहली बार देखा उस दिन ! इतना लम्बा और मोटा ! यह देखकर मेरी चूत में खुजली होने लगी और मैं उसे लेने को तड़प उठी। पर यह सोचकर कि वो क्या सोचेगा कि कैसी लड़की है, मैं चुपचाप पलंग पर आकर टीवी देखने लगी। पर टीवी में मन कहाँ लग रहा था, मन कर रहा था कि बस जाकर चिपक जाऊँ उसके नंगे बदन से ! यह सोचकर फिर मेरी चूत गीली हो गई।
इतने में वो नहाकर आ गया, उसके गीले बदन को देख मेरे बदन में तो आग ही लग गई। मन किया बस टूट पडूं अपने शिकार पर ! उसके गीले बालों का पानी मुझ पर पड़ा तो ऐसा लगा जैसे जलते बदन में ठंडक पड़ गई। उसने बस तौलिया लपेट रखा था। फिर उसने पैंट पहनी और पलंग पर आ गया। उसके बाद उसने मुझे अपने पास खिसकाया और मुझे माथे पर चूमा और पूछा- कैसी हो?
मैंने कहा- अब तुम आ गए तो बहुत खुश हूँ और अब हम जन्मदिन साथ मना पाएँगे।
मेरे यह कहते ही उसमे मुझे प्यार से देखा और मेरे गुलाबी होठों को चूम लिया। मैं तो जैसे शर्म से मर ही गई।
उसने पूछा- क्या हुआ?
मैंने कहा- कुछ नहीं ! बस शर्म आ गई।
फिर उसने मेरा मुँह ऊपर उठाया और कहा- बाथरूम में मुझे नहाते देख मुझे शर्म नहीं आई?
यह सुनकर मैं तो चौंक गई और शर्म से और लाल हो गई और कुछ कहते नहीं बना और उससे थोड़ा दूर हो गई। उसने फिर मुझे पास खींच लिया और लगा चूमने ! मेरी तो जैसे मन की मुराद पूरी हो गई मानो। उसके सामने सीधी बनने का नाटक करती रही और मन में बुलबुले उठते रहे।
उसने मुझे कहाँ कहाँ नहीं चूमा- होंठ पर, कान पर, हाथ पर, वक्ष पर ! इतने में मैंने फिर उसे दूर कर दिया और उसे तड़पाने लगी।
उसने कहा- क्या तुम ये नहीं चाहती थी जो दूर जा रही हो?
और कहा कि वो आज तो मुझे बहुत प्यार करेगा क्यूंकि मेरा जन्मदिन जो है।
मैंने कहा- कोई ज़बरदस्ती है क्या?
तो बोला- मैं सब जानता हूँ कि तुम्हारे मन में क्या है !
यह सुनकर ऐसा लगा कि बोलूँ- आजा मेरे राजा, मैं भी यही चाहती हूँ जो तुम चाहते हो ! पर फिर चुप हो गई और उसके सामने शर्माने का ढोंग करने लगी।
वो मुझे पकड़ने की कोशिश करता रहा और मैं उससे दूर भागने की। उसने कहा कि चुपचाप उसके पास खुद आ जाऊँ वरना वो मुझे नंगा कर देगा। यह सुनकर मेरी आँखें चमक उठी और लगी उसे और परेशान करने। आखिर कुछ देर परेशान होने के बाद उसने मुझे पकड़ ही लिया और मुझे बेइंतहा चूमने लगा और मैं भी उसकी मस्ती में खोने लगी।
काफ़ी देर चूमने के बाद उसने मुझे कहा कि वो तभी समझ गया था जब मैंने उसे बीच बाज़ार चूम लिया था कि मैं क्या चाहती हूँ और जब उसने बाथरूम में चोरी छुपे देखते हुए मुझे देखा। मैंने कहा- बस आज बहुत प्यार करने को मन चाह रहा है और जब भी मैं दूसरी लड़कियों को उनके बॉय-फ्रेंड के साथ देखती हूँ तब मेरा भी मन करता है कि मैं भी उसके साथ घूमूँ और प्यार करूँ !
उसने कहा कि वो मेरी यह इच्छा ज़रूर पूरी करेगा और ऐसे करेगा कि मैं कभी अकेला नहीं महसूस करुँगी।
मैंने कहा- सच ! और मैं उससे लिपट गई। उसने मुझे कस के बाहों में भर लिया और मेरे होंठ चूसने लगा। फिर उसने मेरे बाल कान पर से हटाये और कानों के आस-पास चूसने लगा और उन्हें किस करता रहा। इससे मेरे बदन में एक अजीब सी खुमारी छा गई और मैं अपना आपा खोने लगी। वो मुझे चूमता रहा और मैं बेहोश सी होने लगी। मन करता रहा कि बस वो मुझे चूमता रहे और मैं जन्नत में चली जाऊँ।
फिर उसने धीरे से अपने हाथ मेरे वक्ष पर रखे और उन्हें दबाया…आआआआआह्ह्ह्ह्ह ऽऽ क्या स्पर्श था वो ! उसने फिर थोड़ा और जोर से दबाया और म्म्म्म्म्म्म्म्म्म बस पागल सी होने लगी मैं। फिर उसने दूसरे स्तन के साथ भी यही किया और अब तो मैं बस और खोना चाहती थी।
फिर उसने मुझे पलंग पर लेटाया, मेरे ऊपर आ गया, मेरी आँखों में देखने लगा और कहा- तुम्हारी आँखें इतनी सेक्सी क्यों हो रही हैं?
मैंने कहा- बस तुम्हारे प्यार का नशा चढ़ा हुआ है !
यह सुनते ही उसने मेरे होंठ फिर चूम लिए और दोनों दूध को दबा दिया- ऊऊऊऊऊओह्ह्ह्ह्ह्ह्हह क्या बताऊँ कि कैसा लगा ! ऐसा लगा कि हाँ, बस आजा राजा और मार दे मुझे ! मैं इसी दिन के लिए तड़प रही थी। फिर वो मुझे चूमता रहा- चूमता रहा और धीरे धीरे नीचे जाने लगा। मैं तो बस रंगीन दुनिया में खोई हुई थी, उसने धीरे से मेरा कुरता उठाया और पेट पर चूम लिया….. हाय क्या बताऊँ – क्या हुआ- एक करंट सा दौड़ गया पूरे बदन में ४४० वाल्ट का !
फिर उसने मेरा कुरता ही उतार दिया और मैं आधी नंगी हो गई। उसने मेरी ब्रा भी उतार दी और खड़े होकर मुझे देखने लगा। मैंने कहा- क्या कर रहे हो, ऐसे मत देखो ! शर्म आ रही है.. उसने कहा- मेरी जान, आज शर्म छोड़ दे और मेरा साथ दे !
मैंने कहा- दूंगी मेरे बच्चा…. बहुत साथ दूंगी !
उसने फिर मेरे दूध को जोर से दबाया और कहा- कितने मस्त हैं गोरे-गोरे और गोल-गोल ! मन कर रहा है कि नोच लूँ !
मैंने कहा- नोचने की क्या ज़रूरत, तुम्हारे लिए ही एक महीने से रोज़ मालिश कर रही हूँ कड़ा करने के लिए !
वो बोला- हाय मेरी जान, आज तूने दिल खुश कर दिया।
मैंने कहा- अब तुम मुझे मेरा उपहार दो मुझे खुश करके !
बस फिर क्या था, फिर जो नहीं होना था वो सब होने लगा। उसने झट से मेरे पजामे को उतार दिया और मेरी चड्डी भी फेंक दी। मैं अब पूरी नंगी थी उसके सामने। बहुत शर्म आ रही थी। मैंने दोनों हाथों से दूध छुपा लिए और पैरों को क्रॉस कर लिया।
उसने कहा कि अब क्यों शरमा रही है और मेरे दोनों हाथ पकड़ लिए और मेरे ऊपर चढ़ गया और पैरों को भी खुद के पैरों से अलग कर लिया। फिर उसने मेरे दूध को चूसना शुरू किया और तब तक चूसता और खाता रहा जब तक वो लाल नहीं हो गए। बीच बीच में साले ने इतना काटा कि जान निकल गई पर मीठा सा एहसास भी हुआ मन को, लगा बस ऐसे ही ज़िन्दगी भर हम एक दूसरे के साथ रहें।
फिर उसने पैंट उतार दी और चड्डी भी और मुझे लण्ड चूसने को कहा। मैंने यह कभी नहीं किया था तो मुझे अजीब सा लगा और मैंने कहा- मैं नहीं कर पाऊँगी।
उसने कहा- एक बार कर तो, बहुत अच्छा लगेगा।
मैंने उसकी बात मान ली और उसके लण्ड को हाथ में ले लिया, वो ८ इंच का लण्ड पकड़ के ऐसा लगा जैसे लोहा हो। फिर उसे पहले चारों तरफ से जीभ से चाटा और लगी चूसने धीरे धीरे। कितना मीठा था वो। मन करा बस ऐसे ही इस आइसक्रीम को खाती रहूँ।
अचानक मैंने देखा कि वो बड़ा और मोटा हो गया है। मैं घबरा गई क्यूँकि मैंने इतना मोटा कभी नहीं देखा था।
उसने कहा- क्या हुआ?
मैंने कहा- यह इतना मोटा कैसे हो गया?
उसने कहा- यह चोदने को तैयार है बस !
मैं शरमा गई।
फिर उसने मेरी टाँगें फैलाई और मेरी चूत में ऊँगली डाल दी। उईईईईईईईइ ये क्या करा? मेरी जान निकल गई- मैंने कहा।
उसने कहा- क्या हुआ? अभी तो गिफ्ट भी नहीं मिला और पहले ही यह हाल ?
मैंने कहा- जालिम हो तुम, मैंने कभी किया नहीं है यह सब !
उसने कहा- तभी तो वो चोदना चाहता है क्यूँकि कुंवारी चूत का मज़ा अलग ही होता है।
और फिर वो मेरी चूत को खोलने लगा और उसे जीभ से चाटने लगा। उह्ह्ह्ह् आआआआह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह क्या कहूँ दोस्तो कि कितना अच्छा लगा। मैंने उसका सर पकड़ के चूत में गाड़ दिया। वो मुझे बहुत देर तक ऐसे ही मेरी चूत के अन्दर चूसता रहा और इस दौरान मेरा दो बार पानी भी निकल गया जिसे वो पी गया। फिर उसने अपने लौड़े को मेरी चूत के छेद पर रखा और अन्दर डालने लगा, लेकिन नहीं डाल पाया क्यूँकि मेरा छेद बहुत ज्यादा टाइट था। उसने फिर कोशिश पर फिर वही हाल।
मैंने कहा- मत करो न राजा ! बहुत दर्द होगा !
उसने कहा- अगर आज उपहार नहीं दिया तो जन्मदिन कैसे मनेगा?
मैं भी चाहती तो यही थी पर दर्द का सोचकर डर भी लग रहा था। उसने फिर क्रीम ली और मेरी चूत पर लगाई और फिर अन्दर धक्का देने लगा और इस बार तो वो आआ आआऽऽ आआआअह्ह्ह्ह्ह्ह्ह् माँ ! थोड़ा सफल भी हो गया लेकिन मेरी नानी याद आ गई मुझे।
मैंने कहा- नहीं ! निकालो इसे ! मुझे बहुत दर्द हो रहा है, मैं मर जाउंगी ! प्लीज़ !उसने कहा- नहीं अब वो नहीं रुकेगा ! और फिर एक धक्का दिया और पूरा का पूरा लण्ड अन्दर !
मैं तो जैसे जन्नत से नीचे गिर गई, मुझे रोना आ गया और मेरी चूत से खून भी आने लगा। उसने मुझे चुप कराया और कहा- कुछ नहीं होता जान ! ये सब होता है शुरू शुरू में ! और अब मज़ा आएगा।
और सच में कुछ देर के दर्द के बाद मैं फिर जन्नत में पहुंच गई। उसके बाद उसने मेरी गांड भी मारी और बहुत देर तक हम यही खेल खेलते रहे।
मुझे मेरा बर्थडे गिफ्ट भी मिल गया …।
इस तरह मना मेरा पहला सुहाग-दिन मेरे बॉय-फ्रेंड के साथ।
दो दिन ऐसे ही मिलने के बाद उसने मुझे फिर आने का वादा किया और मैं अब फिर उसका इंतज़ार कर रही हूँ जो शायद जल्दी ही ख़त्म हो जायेगा।
तो दोस्तो …. कैसी लगी आपको मेरी कहानी, ज़रूर बताना !
आपकी दोस्त Antarvasna
मेरा नाम अंजना वर्मा है! मैं दिल्ली Antarvasna की रहने वाली हूँ और मैं ग्यारहवीं कक्षा की छात्रा हूँ! मेरी उम्र १८ साल है। मेरे पापा और मम्मी दोनों ही नौकरी करते हैं, एक बहु-राष्ट्रीय कंपनी में बहुत ऊँचे पद पर हैं! पर उनके पास मेरे लिए बिलकुल भी समय नहीं है! क्योंकि शायद मैं गोद ली हुई हूँ इसलिए !
और बाद में उन को एक लड़का हो गया, इसलिए अब वो मुझे बोझ समझते हैं! उन्हें कोई फर्क नहीं पड़ता, मैं घर आऊँ या ना आऊँ. . . . बस समाज को दिखाने के लिए मुझे रखना मजबूरी है उनकी !
खैर अब मैं भी सब समझती हूँ और उनकी परवाह नहीं करती ! अब मैं भी जिन्दगी के मज़े लेती हूँ!
मेरा कद ५ फीट ३ इंच, मेरा फिगर बड़ा ही सेक्सी है! गोल और कसी हुई चूचियाँ जो ज्यादा बड़ी नहीं पर मस्त दिखती हैं ! चूत मैं हमेशा साफ़ ही रखती हूँ! क्या पता कहाँ कोई लण्ड मिल जाये….. रंग मेरा ऐसा जैसे कि दूध में गुलाब डाल दिया हो! मैं भी एकदम बिंदास रहती हूँ!
मेरा २-३ लड़कों से शारीरिक रिश्ता भी रह चुका है जो मेरी माँ की रिश्ते में ही हैं.. शायद कम उम्र में ही सेक्स करने से अब मुझे लण्ड बहुत अच्छे लगने लगे हैं! लण्ड के बारे में सोचते ही मेरी चूत में पानी आने लगता है!
अब मैं अपनी कहानी बताती हूँ! मैं रोज सुबह बस से स्कूल जाती थी और शाम को वापिस आती थी! कई बार शाम को थोड़ा लेट हो जाती थी! क्योंकि मेरा घर पर मन ही नहीं लगता था! आप तो जानते ही हैं कि दिल्ली की बसों में कितनी भीड़ रहती है! पर मैं पहले स्टाप से ही बैठती हूँ सो सीट मिल जाती है!
यह एक साल पहले की बात है, ऐसे ही एक दिन मैं बस में जा रही थी! बस में बहुत भीड़ थी! मेरे पास ही एक बड़ी उम्र का आदमी धोती कुर्ता पहने खड़ा था! कद करीब ५ फीट १० इंच होगा! रंग थोड़ा सावंला पर था हट्टा कट्टा ! बड़ी रौबदार मूछें !
मैंने सामने वाली सीट को हाथ से पकड़ा था इसलिए शायद गलती से मेरा हाथ उसके लण्ड से लग गया था, मुझे अच्छा लगा। बस फिर मेरा तो पूरा ध्यान ही वहीं अटक गया! वो बेचारा पीछे हटने की कोशिश करता हर बार! मुझे मज़ा आने लगा, और थोड़ी हंसी भी आ रही थी! मैं अब मज़े लेने के मूड में आ गई थी!
मैंने पूरी बस में देखा- आस पास सभी औरतें ही थी, बहुत भीड़ थी, शायद सभी के पास आज सामान कुछ ज्यादा ही था! मेरे बाजू वाली सीट पर एक लड़की बहुत सारा सामान ले कर बैठी थी!
मैंने अपना बैग अपनी टांगों पे रख लिया! अ़ब मैं आगे झुक के सोने का नाटक करने लगी और हाथ को आगे वाली सीट के पाइप पे रख के जरा बाहर निकाल लिया, पर वो थोड़ा पीछे हो गया! पर झटकों से कभी कभी उसका लण्ड मेरी उंगलियों से छू जाता था!
अब मुझे मज़ा आने लगा.. मेरी चूत में खुजली होने लगी थी! मैंने नीचे ही नीचे अपनी शर्ट के ऊपर के बटन खोल लिए ओर पीछे हो कर बैठ गई!
अब ऊपर से मेरी सफ़ेद ब्रा और गोल गोल चूचियां साफ़ दिख रही थी! मैंने अपने बैग को पेट से चिपका लिया ताकि मेरी चूचियां थोड़ी और ऊपर उठ जाएँ और बाहर ज्यादा नज़ारा दिख सके.. मैं नोट कर रही थी कि वो आदमी मुझे देख रहा है पर जब भी मैं ऊपर देखती हूँ तो वो नज़रें घूमा लेता है! शायद उसे अपनी बड़ी उम्र का अहसाह था!
पर मुझे तो मस्ती सूझ रही थी! मुझे और शरारत सूझी और मैं बाहर स्टैंड देखने के लिए थोड़ा उठी और चुपके से साइड से अपनी स्कर्ट सीट के पीछे अटका दी और बैठ गई! जैसे ही मैं बैठी, मेरी स्कर्ट ऊपर उठ गई और मेरी पैंटी दिखने लगी, जो कि बहुत पतली थी! पैंटी में से मेरे चूत के होंट साफ़ दिखाई देते थे!
मैं झट से दोबारा उठी और स्कर्ट ठीक कर के बैठ गई, जैसे गलती से स्कर्ट अटक गई हो.. पर जो मैं दिखाना चाहती थी, वो उस आदमी ने देख लिया था!
मैंने उपर देखा और हल्के से मुस्करा दी! मैंने महसूस किया कि उस आदमी का लण्ड टाइट होने लगा था। वो अब भी कुछ शरमा रहा था पर मैंने हाथ को सामने वाली सीट पे ही लगा के रखा था! जब भी कोई उतरता था तो उसे आगे होना पड़ता था ओर मेरा हाथ उसके लण्ड से छू जाता था!
तभी बस में और भीड़ चढ़ गई! अब तो बस खचखच भरी थी! तभी मैंने देखा के पास में एक औरत सामान के साथ खड़ी थी! मुझे एक आइडिया आया और मैंने उसे अपनी सीट दे दी! अब मैं उस आदमी के सामने खड़ी हो गई! मेरी सीट पे वो औरत बैठ गई, उसकी गोद में सामान था और उसने मेरा बैग भी अपनी गोद में रख लिया था! बस फिर चल पड़ी!
अब मेरा ध्यान उस आदमी के लण्ड पे था! मुझे उस आदमी का लण्ड अपनी गांड के थोड़ा ऊपर महसूस हो रहा था! मैंने एड़ियों को थोड़ा ऊपर उठा लिया ताकि लण्ड मेरी गांड की दरार में लग जाये! वाह… क्या लण्ड था उसका!
मैं उसके लण्ड का जायजा लेने लगी..जिससे मेरी चूत में पानी आने लगा था! पर वो आदमी कोई हरकत नहीं कर रहा था! अब मुझे उस पे गुस्सा आ रहा था! अ़ब मैं काफी गरम हो चुकी थी!
तब मैंने थोड़ी हिम्मत करके हाथ धीरे से पीछे ले जाकर उसके लण्ड को छुआ! मैं उसे सहलाने लगी जिससे वो और कड़क हो गया! मुझे मज़ा आने लगा। मैं उसके लण्ड को हल्के- हल्के से सहला रही थी, पर तभी उसने मेरा हाथ अपने लण्ड से हटा दिया! मैंने पीछे मुड़ के देखा, वो चुपचाप था पर आगे की ओर आ गया था! अब वो अपना लण्ड मेरी गांड की दरार में दबा रहा था! मुझे खुशी हुई कि वो अब मेरा साथ दे रहा था!
मेरी स्कर्ट में साइड में चैन थी! सो मैंने धीरे धीरे स्कर्ट घुमाना शुरु कर दिया! मैं साथ साथ बस में भी नज़र मार रही थी कि कोई देख तो नहीं रहा है! पर शायद भीड़ होने की वज़ह से कोई नहीं देख पा रहा था!
अब मेरी स्कर्ट की जिप पीछे थी जो मैं पहले ही खोल चुकी थी! उसका लण्ड अ़ब मैं और अच्छे से महसूस कर सकती थी! कुछ देर ऐसे ही चलता रहा, हर झटके के साथ वो अपने लण्ड का दबाव और बढ़ा देता! मुझे मज़ा आ रहा था! मैंने पीछे मुड़ के देखा पर वो ऐसे देख रहा था जैसे कुछ हो ही नहीं रहा था!
मैं अ़ब और आगे बढ़ना चाहती थी, इसलिए अ़ब मैंने पीछे हाथ कर के उसकी धोती में हाथ डाल दिया और उसके लण्ड को बाहर निकालना चाहा पर उसने मेरा हाथ झटक दिया! मैंने उसकी ओर देखा, वो हल्के से मुस्कराया और उसने बस में होने का अहसास कराया!
मैंने धीरे से पीछे हट के उसके कान में कहा,”इतनी भीड़ में कोई नहीं देख रहा, अभी भीड़ कम नहीं होगी बल्कि और बढ़ेगी, मैं रोज़ इसी बस मैं जाती हूँ, तुम बस मज़ा लो !”
और मैं उसकी तरफ मुस्करा दी.. जवाब में उसने भी एक प्यारी से मुस्कराहट दी.. .
वो थोड़ा शरमाया और ऐसे ही लण्ड को दबाता रहा! मैंने सोचा- चलो कोई नहीं ! इतना मज़ा तो आ रहा है! पर थोड़ी देर बाद मैंने महसूस किया कि वो अपनी धोती में हाथ डाल रहा है! तभी मैंने अपनी पैंटी पे उसका लण्ड उठा हुआ महसूस किया! मैं फिर से ऊपर उठ गई ताकि लण्ड मेरी गांड की दरार में लग जाये! मैं बार बार ऊपर उठ रही थी, यह बात उसने भांप ली, सो उसने मेरी एड़ियों के नीचे अपने पैर लगा दिए, जिससे वो मेरे और पास आ गया और मैं ऊपर उठ गई!
मैंने आगे देखा तो मेरे सामने सामान ही सामान था, मैंने चुपके से अपनी स्कर्ट ऊपर उठानी शुरु कर दी पर एक लिमिट से ज्यादा नहीं उठा सकती थी, नहीं तो किसी को पता चल जाता! इसलिए स्कर्ट को वापिस नीचे ही कर दिया! पर मेरा मन तो पूरे मज़े लेने का था!
मैं थोड़ा आगे की तरफ हो गई ताकि उसके और मेरे बीच कुछ गैप बन जाए। मैंने अपनी टांगो को थोड़ा फैला लिया! अब मैंने पीछे हाथ ले जा कर उसके लण्ड को अपने स्कर्ट की जिप से दोनों टांगो के बीच में फंसा लिया! यार क्या गरम लण्ड था…….स्स्स्स्स्स्स्स्स्स……म्मम्मम………..
मैं उसका लण्ड अपनी दोनों टांगो पे महसूस कर रही थी! ऐसा लगता था कि मैं किसी बड़ी मोटी गरम रॉड पे बठी हूँ! मैंने अपनी गाण्ड थोड़ा पीछे धकेल दी और वो भी थोड़ा आगे आ गया! उसका लण्ड मेरी टांगों पे रगड़ता हुआ आगे आ गया! अब उसके लण्ड का आगे वाले हिस्से का उभार स्किर्ट पे आगे की साइड दिख रहा था, इसलिए मैं थोड़ा आगे झुक गई ताकि स्कर्ट ऊपर उठ जाये!
“म्मम्मम्म………
उसका गरम लण्ड मैंने टांगों के बीच दबा रखा था जो कि हर झटके में आगे पीछे हो रहा था! एक तरह से वो मेरी टांगों को चोद रहा था, मेरी पैंटी पूरी गीली हो चुकी थी! मेरा मन हो रहा था कि अपनी पैंटी को हाथ डाल के हटा दूँ ताकि उसके लण्ड की गर्मी अपनी चूत पर महसूस कर सकूँ! पर शायद बस में यह नहीं हो सकता था!
मैं पीछे मुड़ी और उसके कान में धीरे से कहा,” अपने हाथ से मेरी पैंटी साइड में कर दो प्लीज़…!” और वापिस आगे देखने लगी।
उसने अपना हाथ नीचे ले जाकर स्कर्ट की जिप से २ उँगलियाँ अंदर डाली ओर मेरी पैंटी को साइड में कर दिया!
मैं तो जैसे ……… अपने होश ही खो बैठी थी! उसका गरम लण्ड मेरी चूत पे लगा हुआ था। अब उसका लण्ड मेरी चूत पे रगड़ खा रहा था, शायद चूत के पानी की वज़ह से जो मेरी टांगों तक आ गया था, वो अ़ब आराम से आगे पीछे जा रहा था! मेरी आँखे बंद हो रही थी!
मेरा चेहरा लाल हो गया था पर मैं सामान्य दिखने की कोशिश कर रही थी! मैंने आस पास देखा पर कोई भी हमारी तरफ नहीं देख रहा था! बस के हर झटके के साथ वो मेरी टांगों में झटके मार रहा था! उसका गरम लण्ड जब भी आगे या पीछे होता मेरी चूत में आग बढ़ जाती!
तभी एक तेज़ झटका लगा और उसका लण्ड पीछे चला गया, आगे से मेरी पैंटी थोड़ा अपनी जगह पर वापिस आ गई! जब उसने लण्ड वापिस आगे किया तो वो मेरी पैंटी में चला गया म्म्म्म्म्म्म्म………………………………..
अब उसका लण्ड मेरी पैंटी में था और चूत के होठों के बीच में ….. ऊपर नीचे हो रहा था……….! मुझे और मज़ा आने लगा, … और मैंने एड़ियों को और ऊपर उठा लिया। शायद उसे भी मज़ा आ रहा था इसलिए उसने झटके बढ़ा दिए। तभी बस रेड लाइट पे रूक गई और झटके बंद हो गए! मैंने पेट के नीचे खुजली करने के बहाने से हाथ स्कर्ट पे ले जा के उसके लण्ड के सुपाड़े को मसलने लगी! मैंने पीछे मुड़ के देखा तो उसका पूरा चेहरा पसीने से गीला हो गया था!
तभी बस चल पड़ी पर मेरे मसलने से शायद वो झड़ने वाला था। अब मैं भी अपनी गाण्ड को हल्के हल्के ऊपर नीचे करने लगी! स्स्स्स्स्स्स्स्स्श्ह्ह्ह्ह्ह्ह्छ मज़ा बढ़ने लगा था… मेरी चूत में कैसे खलबली मच गई थी…… तभी मैंने एड़ियों को ऊपर उठा लिया और मेरा शरीर टाइट हो गया !
मैं …..में…….झड़ने वाली थी, और ….औ ..औम्मम्मम… औ..आह्ह्ह्छ ….. में उसके ऊपर झड़ गई और मेरा सारा जूस उसके लण्ड पे आ गया! और मैं ढीली होती चली गई! उसने भी एक दो झटके लगाये और सारा वीर्य मेरी पैंटी में छोड़ दिया, जिसे में अपनी जांघों तक महसूस कर रही थी!
२-३ मिनट तक हम ऐसे ही रहे और फ़िर वो अपना लण्ड बाहर निकलने लगा। मैंने अपना हाथ पीछे लगा लिया ताकि उसके वीर्य से मेरी स्कर्ट ख़राब न हो! सारा वीर्य मैंने अपने हाथ से पौंछ लिया और उसने अपना लण्ड वापिस अपनी धोती में कर लिया! तभी एक स्टाप आया और मैं उतर गई, पता चला कि ४ स्टाप आगे आ गई हूँ पर इस स्टाप पे ज्यादा लोग नहीं होते क्योंकि यह दिल्ली का बाहरी इलाका था,
और आज तो ये स्टाप बिल्कुल खाली था, पता नहीं क्यों… शायद हमारी किस्मत………
वो आदमी भी वहीं उतर गया! मैंने इधर उधर देखा, फिर उसकी तरफ देख के अपने हाथों को चूसने लगी चाट -चाट के सारा हाथ साफ़ कर लिया!
तब थोड़ी देर बात करने के बाद उसने बताया कि वो यहाँ से ८० किलोमीटर दूर गाँव में रहता है, यहाँ अपने बेटे के पास आया है, पूरा दिन खाली रहता है इसलिए सोचा आज एक दोस्त से मिल आऊँ, उसका नाम महादेव सिंह है।
मेरा भी स्कूल मिस हो गया था सो हम बस स्टाप के साथ में बने पार्क में गए और एक पेड़ों से घिरी जगह बैठ गए! वहाँ पहले तो मैंने अपनी पैंटी में हाथ डाल के सारा वीर्य हाथों से साफ़ किया और हाथों को चटकारे ले ले कर चूसना शुरु कर दिया..! पर किसी के आने की आहट से हम सतर्क हो गए, वहाँ पार्क में कुछ दूर कुछ लोग आ के बैठ गए थे और शायद उनका लम्बे समय तक बैठने का कार्यक्रम था!
इसलिए हम कल फिर वहीं मिलने का वादा कर के वापिस चल पड़े क्योंकि उसे भी कुछ जल्दी थी! वो शायद अपने दोस्त के घर के लिए चला गया और मैं अपनी बस की प्रतीक्षा करने लगी..
और बस पकड़ के अपने घर आ गई………………….
आगे क्या हुआ बाद में…. Antarvasna
हाय दोस्तो, मेरा नाम मोहित है। मैं बीए कर रहा हूं। मेरी उमर बीस वर्ष की है। मैं इन्दौर में रहता हू। मैं आपको मेरी पहली Antarvasna सेक्स कहानी सुनाने जा रहा हूं।
मेरे घर के पास दीपिका नाम की लड़की रहती थी, वो सिर्फ़ 18 वर्ष की थी। मेरी एक गर्ल फ़्रेण्ड थी उसका नाम विनीता था। दीपिका को मेरे और विनीता के सेक्स सम्बन्ध के बारे पता था।
जब मैं विनीता को कहीं ले जाता था तो ये बात दीपिका के अलावा कोई नहीं जानता था। क्योंकि मैं दीपिका के घर से ही विनीता को फोन किया करता था। विनीता और दीपिका अच्छी सहेलियों की तरह बाते करते थे। विनीता, मेरे और उसके के बीच हुये सेक्स के बारे में दीपिका को बता दिया करती थी।
विनीता को ये नहीं पता था कि उसके द्वारा सेक्स के बातें बता देने से दीपिका के मन में भी चुदाने की इच्छा जागृत हो गयी थी।
वो मेरे घर आकर मुझे पूछती- मोहित भैया, कल आपने विनीता के साथ क्या क्या किया।
मैं उससे बोलता- तुझे क्या काम है?
और टाल देता था।
वो मेरी देख कर शरमा कर चली जाती थी।
जब मैंने विनीता से दीपिका के बारे में पूछा तो उसने बताया कि वो मेरे और उसकी चुदायी की सारी बातें दीपिका को बता देती थी। मैं अब सब कुछ समझ गया था।
एक दिन जब मैं आपने घर में काम कर रहा था तो दीपिका मेरे पास आई और मुझसे बात करने लगी। मैंने उसको कहा- तू अभी जा, थोड़ी देर से आना, मुझे कुछ काम करना है।
मगर वो नहीं मानी।
मैं थोड़ी देर तक कहता रहा फिर वो चली गयी।
मेरी मम्मी को बाज़ार जाना था तो मम्मी ने मुझसे कहा कि वो थोड़ी देर में वापिस आ जायेगी तुझे चाय पीनी हो तो दीपिका को बोल देना वो बना देगी।
मैंने कहा- ठीक है।
मम्मी के जाने के ठीक बाद दीपिका फिर से मेरे यहां आ गयी और मुझे परेशान करने लगी। मैं आज अपना काम नहीं कर पा रहा था। इतने में दीपिका मेरे हाथ से पेन छीन कर मेरे कमरे में भागने लगी। मैं उसे पकड़ने के लिये खड़ा हुआ और झपट कर मैंने उसे पीछे से पकड़ लिया।
जब मैंने उसको पकड़ा तो मेरे हाथ उसकी चूचियों पर आ गये थे। वो बहुत ही नर्म थे और छोटे छोटे ही थे। मेरे हाथों से उसके कोमल स्तन दब से गये थे। मेरा लण्ड उसकी गाण्ड पर था। उसकी चूतड़ की गोलाइयों ने मेरे लण्ड को छू कर उसमें आग सी लगा थी। थोड़ी देर तक पकड़ने के बाद उसने मुझे मेरा पेन वापस दे दिया। मैं अब पेन नहीं लेना चाहता था, मजा जो आ रहा था। पर मुझे छोड़ना ही पड़ा।
मैंने उसको कहा- मेरे लिये चाय बना दे।
उसने कहा- ठीक है भैया!
और वो चाय बनाने के लिये चली गयी।
मैं थोड़ी देर तक सोचता रहा कि अब क्या करूँ। मगर अब मुझसे बिना सेक्स करे बिना नहीं रहा जा रहा था। मैं धीरे से उसके पास किचन में गया। और उसके पीछे जा कर खड़ा हो कर चिपक सा गया और कहने लगा- क्या अभी तक चाय नहीं बनी।
मेरे स्पर्श से वो लहरा सी गयी। फिर मैं उसके पीछे से हट गया क्योंकि वो समझ गयी थी।
वो मुझसे कहने लगी- भैया दूर रहो, करण्ट सा लगता है!
मैं भी समझ गया गया था कि वो क्या कह रही है।
उसने मुझे चाय दी और कहा- भैया में जा रही हूं अपने घर।
मैंने कहा- रुक ना … चाय तो पीने दे, उसके बाद चली जाना।
उसने कहा- ठीक है, पी लो।
मैं उसे अपने कमरे में ले गया। वो मेरे कमरे में एक कोने में चुपचाप खड़ी हो गयी। मैंने सोचा कि अब क्या किया जाये।
मैंने उससे जान कर विनीता की बात को छेड़ा, मैंने उससे पूछा- तेरी विनीता से कोई बात हुई है क्या?
उसने कहा- नहीं।
फिर मैंने उसको कहा- तू विनीता को फोन कर के यहां बुला ले।
उसने कहा- क्यों, यहां क्यों बुला रहे हो भैया?
मैंने कहा- मम्मी नहीं है ना इसीलिये।
उसने कहा- ठीक है।
वो बोली- मैं फोन कर के आती हूं।
मैंने कहा- रुक।
मेरे यह कहने से वो रुक गयी और कहने लगी- क्या कह रहे हो भैया?
मैंने उससे पूछा- विनीता तुझे क्या क्या बताती है?
तो उसने कहा- कुछ नहीं।
मैं समझ गया कि यह अब डर रही है मुझसे बोलने में।
मैंने कहा- दीपिका मेरे पास तो आ।
वो बोली- क्यों?
मैंने कहा- आ तो सही।
वो धीरे से मेरे पास आई, मैंने उसको बेड पर बैठाया और कहा- दीपिका तुझे सब पता है ना मेरे और विनीता के सेक्स के बारे में?
तो वह कहने लगी- भैया मुझे कुछ नहीं पता है कसम से।
वो उस समय डर गयी थी।
फिर मैंने कहा- कोई बात नहीं। तुझे हमारी बातें जानना हो तो मुझसे पूछ लिया कर मगर विनीता से मत पूछा कर।
तो उसने तुरन्त पूछा- क्यूं?
मैंने कहा- कहीं विनीता ने तेरी मम्मी से कह दिया तो?
उसने धीरे से हां की।
उसके बाद मैंने उससे पूछा- तुझे जानना है क्या? अभी बता।
तो उसने धीरे से अपने चेहरे को नहीं में हिलाया।
फिर भी मैंने उसको बात बताना शुरु कर दिया। थोड़ी देर तक तो वो ना ना कर रही थी उसके बाद वो गौर से सुनने लगी। मैंने उसको एक दिन की बात तो पूरी बता दी।
उसके बाद उसने मुझसे कहा- भैया कोई और दिन की बात सुनाओ ना?
जब मैंने उससे कहा- मैं अब सुनाऊंगा नहीं बल्कि करके बताऊंगा।
“नहीं ना … हटो … नहीं।”
“करके बताना चाहता हूं। उसमें अधिक मजा आता है.”
वो एकदम से खड़ी हो गयी। मैंने उसको आगे से पकड़ लिया और उसके होठों की चुम्मी लेने लगा। वह मुझसे छूटने की पूरी पूरी कोशिश कर रही थी। मगर मैंने उसको छोड़ा नहीं।
थोड़ी देर के बद मैंने उसको कहा- बेड पर लेट जा.
मगर वो बोली- मैं चिल्ला दूंगी। भैया मुझे छोड़ो!
मैंने कहा- ठीक है, तू चिल्ला!
मैंने उसको अपने हाथों में उठाया और बेड पर लेटा दिया और उसके उपर लेट गया। मैंने उसके दोनों हाथों को पकड़ लिया और उसको चूमने लगा। थोड़ी देर तक तो वो ना ना करती रही। फिर मैंने अपने एक ही हाथ से उसके दोनों हाथ पकड़ लिय। और एक हाथ से उसके सलवार का नाड़ा खोल लिया।
वो नहीं नहीं कर रही थी।
फिर मैं उसकी सलवार में हाथ डाल कर उसकी चूत को सहलाने लगा। थोड़ी देर तक यह करने के बाद वो भी गर्म होने लगी। मैंने फिर उसके हाथ को छोड़ दिया और उसके बाद में समझ गया कि अब यह भी गर्म हो गयी है।
फिर मैंने उसकी कुरती उतार दी और उसके साथ उसकी शमीज भी उतार दी. मैं उसके स्तन को सहलाने लगा और उसकी चूत को भी सहलाने लगा। मुझे पता था कि यह पहली बार सेक्स कर रही है।
उसके मुंह से ह्हह्ह ह्हह्ह … ह्हह की आवाज आ रही थी।
मैंने उसको कहा- मैं विनीता के साथ भी यही करता हूं।
तो उसने अपनी बन्द आँखें खोली और कहा- उसके बाद क्या करते हो?
मैं समझ गया था कि यह अब पूरी गर्म हो गयी है। मैंने उसके पूरे कपड़े उतार दिये। अब वह मेरे सामने पूरी नंगी थी।
मैंने भी फिर अपने कपड़े उतारे और तेल की शीशी ले कर आया। मैंने मेरे लण्ड पर तेल लगाया जो कि 7 इन्च का है। उसके बाद उसकी चूत पर तेल लगाया।
मैंने उससे कहा- क्या मैं अपना लण्ड डालूं?
तो उसने कहा- डाल दो ना भैया।
मैंने जैसे ही अपना लण्ड थोड़ा सा उसकी चूत में दबाया तो वह जोर से चिल्ला दी- ऊऊऊऊ उम्म्ह… अहह… हय… याह… ऊओ म्मम आआआ आयीईईई ईईईईए नहीईईई उईईई भैयाआआ निकालो।
मैंने अपना लण्ड निकाला और कहा- थोड़ा तो दर्द होगा, तू इतनी ज़ोर से मत चिल्लाना।
उसने कहा- ठीक है, मगर भैया थोड़ा धीरे धीरे डालना।
मैंने फिर से अपना लण्ड उसकी चूत में डाला। तो वह फिर से चिल्लाई. मैंने अपना मुंह उसके मुंह में रख दिया और उसके होंठों को चूसने लगा।
थोड़ी देर के बाद उसका चिल्लाना कम हुआ।
फिर मैंने अपनी कमर को थोड़ा पीछे कर के ज़ोर से एक झटका दिया और अपना पूरा लण्ड उसकी चूत में डाल दिया।
उसके बाद वह तो समझो मर ही गयी थी, इतनी ज़ोर से चिल्लाई- मम्मयय ययय नहीईई ईईई भैअयाआआ आआआ आअ निकालो ऊऊऊ ऊऊऊह
फिर मैंने उसका मुंह से अपना मुंह लगा लिया और वो ज़ोर ज़ोर से हिलने लगी। उसकी चूत में से खून आने लग गया और वह पागल सी हो गयी।
मैंने उसके चिल्लाने पर भी उसे चोदना नहीं छोड़ा और चोदते ही चला गया। थोड़ी देर के बाद मेरे लण्ड से सफ़ेद गाढ़ा सा वीर्य निकल गया जो मैंने बाहर निकाल दिया और उसके ऊपर ही थोड़ी देर लेटा रहा।
मेरे लण्ड को उसकी चूत में से बाहर निकालने बाद ही उसने शान्ति की सांस ली और कहा- भैया, अब मैं आपसे कभी नहीं चुदवाऊंगी।
मैंने उससे कहा- तू अपना खून साफ़ कर ले और कपड़े पहन ले।
मैंने भी अपने कपड़े पहन लिये और उसके बाद अपना काम करने लग गया।
थोड़ी देर के बाद वह कमरे में से बाहर आई और कहा- भैया मैं जा रही हूं।
मैंने कहा- ठीक है, अब कब आयेगी?
तो उसने कहा- जब समय मिलेगा।
Antarvasna stories आज भी मैं उसको जब भी मौका मिलता है तो चोदता रहता हूं। अब वो भी चुदायी का पूरा मजा लेती है।
मुझे बड़ी उमर की औरतें Hindi Sex Stories बहुत पसंद हैं। अक्सर ऐसी औरतें आसानी से नही मिलतीं। काफ़ी मेहनत से मिलती हैं। यह एक सच्ची घटना है।
मैं पुणे मे पेईंग गेस्ट बनकर एक घर में रहता था। घर के मालिक काफ़ी अच्छे थे लेकिन उनकी पत्नी हमेशा अकेली और उदास रहती थी। उसका नाम राधा था। जैसा नाम वैसे ही रूप। भगवान ने फ़ुर्सत में उसको बनाया था। बला की ख़ूबसूरती थी उसमें। उमर कोई 40-45 होगी। लेकिन चेहरे से मदमस्त मदमाती नशीली लगती थी जो कि रस से भरी हुई हो और उनके अंग-अंग से रस छलकता था।
उसके पति को उनमें कोई रूचि नहीं थी, ऐसा मुझे अक्सर लगता था। एक दिन राधा ने मुझे रात के खाने के लिए आमंत्रित किया। मैंने अपने व्यस्त होने का नाटक किया लेकिन उसके आग्रह करने पर मैं मान गया। दूसरे दिन शाम को मैं जल्दी ही ऑफिस से आ गया और मौक़े का इंतज़ार करने लगा।
रात के करीब साढ़े आठ बजे राधा ने मुझे खाने के लिए आवाज़ दी। मैंने कहा कि 5 मिनट में आता हूँ।
मैंने राधा के लिए एक प्यारा सा फूलों का गुलद़स्ता खरीदा था जो मैं लेकर उसके पास चल दिया। वहाँ पहुँचते ही मैंने पूछा कि अंकल (मकान मलिक) किधर हैं। इस बात पर उन्होंने कोई जवाब नहीं दिया। मैं समझ गया कि आज समय मुझ पर मेहरबान है। उन्होंने मुझे डिनर टेबल की तरफ इशारा कर बैठने को कहा और ख़ुद दूसरे कमरे में चली गईं।
डिनर टेबल कई तरह के पकवानों से सज़ा हुआ था। पर दोस्तों मुझे तो कोई और पकवान चाहिए था। थोड़ी देर मे वो एक पारदर्शी नाइट-गाउन पहन कर बाहर आई और मेरे सामने की कुर्सी पर बैठ गई।
उनको देखकर मेरा पप्पू सलामी के लिए अचानक तैयार हो गया। अचानक लण्ड खड़ा होने से मुझे बैठने मे दिक्कत होने लगी। ऐसा देखकर राधा ने पूछा कि क्या हुआ?
मैंने कहा- कुछ नहीं !
और फिर वो मुस्कुराने लगी और मेरे पीछे आकर खड़ी हो गई और मेरे सिर पर हाथ फेरने लगी, ऐसा करने पर मेरी साँसें तेज हो गईं।
सिर पर हाथ फेरते हुए उसने अचानक मेरे कानों को भी छू लिया। उसी समय मैंने उसके नाज़ुक हाथों को पकड़ लिया और उन हाथों को अपने होंठों से चूम लिया। ऐसा करते ही उसकी साँसें तेज़ हो गईं, बिना देरी किए मैं कुर्सी से उठा और उसको अपनी बाहों मे भर लिया।
वो भी मुझसे कस कर चिपक गई और फिर मैंने अपने होंठ उनके नर्म होंठों पर रख दिए। उसने मुझे और मैंने उसे चूमना शुरू कर दिया। मेरे हाथ उनके कबूतरों की तरफ बढ़ गए जो कि सदियों से किसी चाहने वाले के लिए बेताब थे।
मैंने बिना देर किए, उनको आज़ाद किया और मेरे हाथ उनसे खेलने लगे। उसने भी अपने हाथ मेरे पप्पू की तरफ बढ़ाए। मैंने अपने पैंट की ज़िप खोल दी। ऐसा करते ही मेरा पप्पू उसको सलामी देने को तैयार हो गया क्योंकि मैंने अंडरवीयर नहीं पहन रखी थी।
उसने मेरे पप्पू की सलामी ली और उसको नीचे झुक कर अपने मुँह में ले लिया और ऐसे चूसने लगी जैसे वो जन्मों की प्यासी हो। मैं भी उनके कबूतरों को दाना खिलाने लगा। थोड़ी ही देर में उन्होंने मेरी पैंट नीचे खींच दी और मेरे बदन से पैंट को अलग कर दिया।
अब पप्पू पूरी तरह से आज़ाद होकर उन होंठों का गुलाम हो गया। वह धीरे-धीरे मेरे पप्पू के चमड़े को ऊपर नीचे करने लगी। 5 मिनट में मुझे ऐसा लगा कि मैं किसी ज़न्नत में पहुँच गया हूँ।
मेरा पप्पू उसके मुख का स्वाद ले रहा था, अचानक उसने मुझसे कहा कि बेडरूम में चलो।
मुझे भी यही चाहिए था। वहाँ पहुँचते ही मैंने उसके गाउन को उतार दिया और उसके मख़मली ज़िस्म का दीदार करने लगा।
ऐसा करते देख कर उसने मुझसे कहा कि बुद्धू ऐसे ही देखते रहोगे या मुझे कुछ करोगे भी। आज की रात मैं तुम्हारी हूँ और मुझे प्यासमुक्त करो।
मैंने उसे अपनी बाँहों में उठाकर बेड पर लिटा दिया और फिर दोनों 69 की पोज़ीशन मे आ कर एक दूसरे के जननांगों को चाटने लगे। मैंने मेरी पूरी जीभ उनकी प्यारी सी पप्पी मे घुसा दी जिससे उनक पूरा बद़न सिहर उठा और उसने मेरे पप्पू को अपने मुख से अलग कर दिया और अजीब क़िस्म की आवाज़ें निकालने लगी। इसके बाद मैं और तेज़ी से उसके पप्पी की पूजा करने लगा।
इसी दौरान वो दो बार झड़ गई और मैंने उसका सारा रस पी लिया। फिर भी रस रिस-रिस कर पप्पी से बाहर आ रहा था। वो मुझे ज़ोर-ज़ोर से गालियाँ देने लगी और कहने लगी की मुझे तृप्त कर।
अब समय आ गया था कि मैं उसकी पप्पी का मिलन अपने पप्पू से करवा दूँ। पप्पू को मैंने पप्पी के मुख पर रखने से पहले राधा के मुख-चोदन का आनंद लिया और फिर पप्पी के मुख पर रख कर धीरे से एक हल्का धक्का दिया ऐसा करने से पप्पू थोड़ा अंदर गया लेकिन पप्पी टाइट थी, इस वजह से राधा दर्द से चिहुँक उठी।
उसी समय मैंने अपने हाथों से राधा के कबूतरों को धीरे-धीरे दबाना शुरू किया और पप्पू को भी धक्का देना शुरू कर दिया। धीरे-धीरे पप्पू पप्पी में समा गया। पूरी तरह से पप्पी में समाने के बाद राधा ने अपनी चिकनी चूतड़ उपर उठा-उठा कर पप्पी के पप्पू से मिलन की खुशियाँ मनाने लगी।
बीस मिनट तक ऐसा करते रहने के बाद मेरा पप्पू अपनी मलाई निकालने की तैयारी करने लगा तो मैंने राधा को पूछा की वो पप्पू की मलाई पप्पी को खिलाएगी या खुद खाएगी। उसने कहा कि उनको पप्पू की मलाई खानी है, फिर मैंने मेरे पप्पू को पप्पी से जुदा कर राधा के मुख में डाल दिया और सारी मलाई उनके मुख में आ गई और उसने सारी मलाई एक ही झटके मे चट कर ली।
काफ़ी देर तक मैं और राधा नंगे बदन बिस्तर पर लेटे रहे और आधे घंटे बाद बाथरूम में जाकर साथ मे नहाया और उस दौरान भी पप्पू-पप्पी एक बार फिर मिल गए। बाद मे साफ हो कर हमने साथ में खाना खाया और फिर साथ में बेडरूम मे चले गये।
उस रात हमने 5 बार रसपान किया और करवाया। जब तक मैं पुणे में रहा उसको अच्छी सेवा देता रहा। आज भी मैं उसे बहुत याद करता हूँ।
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