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Massage Girl in Bardhaman: Premium Relaxation Services

Our site can help you find a professional massage girl in Bardhaman who will help you relax in the best manner possible. We connect you with professional therapists who can offer you a massage that will make you feel better and more relaxed. The pros on our list are ready to provide you with a fantastic experience at your house or in one of their particular spots, whether you want to relax or get away from it all.

Introduction

Massage is currently one of the finest methods to relax your mind, body, and overall health. Our website makes it easy to locate the top massage services in Bardhaman that meet your demands. This will be a one-of-a-kind and calming experience for you.

Tottaa wants to make it simple for clients to find the top masseuse. The Bardhaman massage service providers on our list offer the greatest quality, comfort, and competence, whether you want a full-body massage or a massage for a particular location.

How Tottaa Helps Advertisers Reach More Customers

Tottaa is not only a list of masseuses, it’s also a secure location for them to show off what they can do. People in Bardhaman who are seeking massage services may find them on our website. This makes them easier to find and gets them more appointments.

Advertisers may simply put up profiles, offer their services, and talk about pricing and discounts on our sites. This makes sure that the relevant people notice your Bardhaman massage service, which makes it easier to obtain more customers.

Different Types of Massages We Offer

There are a lot of different types of massage services on our site, so you may choose one that works for you. You may choose the kind of treatment that works best for you, whether it’s profound rest or a particular type of therapy.

1. Swedish Massage

A calm and gentle way to ease muscular tension and improve blood flow. This Bardhaman massage is perfect for you if you want to relax and forget about your concerns.

2. Deep Tissue Massage

This approach employs a lot of pressure to get to deeper muscle layers. It’s helpful for folks who have muscular discomfort or stiffness that won’t go away. There are specialists on our profiles of massage girls in Bardhaman who are good at deep tissue treatments that function effectively.

3. Aromatherapy Massage

Calming massage strokes and essential oils are beneficial in making people feel improved both emotionally and physically. Most massage companies in Bardhaman employ the use of custom oil preparations to make you feel good.

4. Thai Massage

A therapy that wakes you up by using a mix of regular massage, stretching, and compression. This traditional massage in Bardhaman helps you relax, become more flexible, and get your mind and body back in harmony.

5. Hot Stone Massage

Heated stones are placed on various parts of the body to help with deep muscular tightness. People who want to feel good, relax, and help their muscles recover quickly can use this massage service in Bardhaman

How to Book Our Massage Services

Tottaa makes it simple and fast to book. With our listings, you can see what kind of massage you want, read about the providers, see that they are free and then contact them directly. After you choose, you can book a massage in Bardhaman at your convenient time and location. In order to get your desired massage services, apply the following simple steps:

Step 1: Browse Our Listings

Take a peek around our site to view a few massage professionals. Each listing gives you information about the many sorts of massages, how long they last, how much they cost, and where they are situated. This makes it easier to choose the finest ones.

Step 2: Compare and Shortlist

Examine the profiles carefully to compare how the services, talents, and reviews posted by customers differ. This phase makes sure you choose a business that has the style, pricing, and supply you desire.

Step 3: Connect with the Provider

When you have decided, use the information that you are offered so that you can contact them directly. One can communicate it to the massage giver thus making it understood what massage you want at what time and when.

Step 4: Confirm the Appointment

The date, time and place of the service, which could be your home, a hotel or the spa where the therapist may be found. You also need to agree on the payment method and any other accords prior to commencement of the course.

Step 5: Relax and Enjoy Your Massage

All you have to do on the day of the appointment is have your area ready for the house visit. The remainder will be handled by the expert. Take it easy and enjoy a massage that is made just for you.

Frequently Asked Questions

To locate a professional who can meet your needs, read our biography, reviews and advertising.

Yes, many of the therapists on our site will come to your house so you may feel safe and at ease.

You may pick based on talents since most adverts provide their qualifications in their profiles.

It would be advisable to make a reservation earlier to guarantee that you would be able to get a massage, particularly against the prevalent services of massage.

Not at all. Tottaa exclusively connects users with service providers. The doctor gets to choose how to handle payment.

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Antarvasna

हाय! मैं हूँ मोहित, मैं धरन, नेपाल में Antarvasna रहता हूँ। ये मेरी अंतरवासना के लिये दूसरी कहानी है। ये कहानी यहां से शुरु होती है …

सबसे पहले मैं अपनी बॉस का धन्यवाद करना चाहूंगा जिसकी बदौलत मैं आज मस्ती के उस मुकाम पर पहुंचा हूं जहां मेरी वासना का ज्वार हर लहर के साथ टूट कर नहीं बिखरता। हर एक लहर अगली लहर को तब तक बढाती है जब तक कि आखिरी मंजिल पर पहुंच कर एक जबरदस्त उफान के साथ मेरे प्यार का लावा असीम आनन्द देता हुआ मेरे साथी को अपने साथ बहा ले जाता है। बात उस समय की है जब मैं एक सॉफ्टवेयर कम्पनी में काम कर रहा था। मिस सोनम मेरी बॉस थी। उम्र रही होगी करीब २८ साल की। लम्बी करीब ५’८” और सारी गोलाईयां एकदम परफेक्ट। अफवाह थी कि वो मिस इन्डिया में भी भाग ले चुकी थी। पर गजब की सख्ती बरतती थी वो हम सब के साथ। किसी की भी हिम्मत नहीं होती थी कि उनके बारे में सपने में भी गलत बात सोचें। वो हम सब से दूरी बना कर रखती थी।

मैं नया नया आया था। इसलिए एकाध बार उनके साथ गरम जोशी से बात बढाने की गुस्ताखी कर चुका था। पर उनकी तरफ से आती बर्फीली हवाओं में मेरा सारा जोश काफूर हो गया। अब मुझे मालूम हुआ कि मेरे साथियों ने उनका नाम मिस आईस मैडेन क्यों रखा है। पर मुझे क्या पता था कि ऊपर वाले दया ऊपर वाली की मर्जी क्या है। एक दिन हमारे आफिस का नेटवर्क गडबडा गया। कभी ऑन होता तो कभी ऑफ। उसदिन शनिवार था। मैं दिन भर उसी में उलझा रहा पर उस गुत्थी को सुलझा नहीं पाया। आखिर थक कर मैंने मैडम को कहा कि अगले दिन यानि रविवार को सुबह नौ बजे आकर इस को ठीक करने की कोशिश करूंगा। मैंने उनसे आफिस की चाभियां ले लीं।

अगले दिन जब मैं नौ बजे ऑफिस पहुंचा तो देखा कि सोनम मैडम मेन गेट के सामने खडी हैं। मैंने उन्हें विश किया और पूछा “आप यहां क्या कर रही हैं”। वो बोलीं “बस ऐसे ही घर में बोर हो रही थी तो सोचा कि यहां आकर तुम्हारी मदद करूं”। हम दरवाजा खोलकर अन्दर गए। मैडम ने कहा कि आज इतवार होने की वजह से कोई नहीं आएगा। इसलिए सुरक्षा के खयाल से दरवाजा अन्दर से बन्द कर लो। मैंने उनके कहे अनुसार दरवाजा अन्दर से बन्द कर दिया। अब पूरे आफिस में हम दोनों अकेले थे और हमें कोई डिस्टर्ब भी नहीं कर सकता था। मुझे सोनम मैडम की नीयत ठीक नहीं लग रही थी। दाल में जरूर कुछ काला था। नहीं तो भला आज छुट्टी के दिन एक छोटी सी समस्या के लिए उन को दफ्तर आने की क्या जरूरत।

मैडम घूम कर कम्प्यूटर लैब की तरफ चल दी और मैं भी मन्त्रमुग्ध सा उनके पीछे पीछे चल दिया। पूरे माहौल में उनके जिस्म की खुशबू थी। जब हम कॉरीडोर में थे तो मैंने उनकी पिछाडी पर गौर किया। हाय क्या फिगर था। हालांकि मैं कोई एक्सपर्ट नहीं हूं पर यह दावे के साथ कह सकता हूं कि अगर सोनम मैडम किसी ब्यूटी कॉन्टेस्ट में भाग ले तो अच्छे अच्छों की छुट्टी कर दें और देखने वाले अपने लन्ड संभालते रह जाएं। उनकी मस्तानी चाल को देख कर यूं लग रहा था मानो फैशन शो की रैम्प पर कैट वॉक कर रही हो। उनके चूतड पेन्डुलम की तरह दोनों तरफ झूल रहे थे। उन्होंने गहरे नीले रंग का डीप गले का चोलीनुमा ब्लाउज मैचिंग पारदर्शी साडी के साथ पहना था। उनकी पीठ तो मानो पूरी नंगी थी सिवाय एक पतली सी पट्टी के जो उनके ब्लाउज को पीछे से संभाले हुई थी। उन्होंने साडी भी काफी नीची बांधी हुई थी जहां से उनके चूतडों की घाटी शुरू होती है। बस यह समझ लो कि कल्पना के लिए बहुत कम बचा था। सारे पत्ते खुले हुए थे।

अगर मुझमें जरा भी हिम्मत होती तो साली को वहीं पर पटक कर चोद देता। पर मैडम के कडक स्वभाव से मैं वाकिफ था और बिना किसी गलत हरकत के मन ही मन उनके नंगे जिस्म की कल्पना करते हुए चुप चाप उनके पीछे पीछे चलता रहा। मैडम ने कल्पना के लिए बहुत ही कम छोडा था। साडी भी कस कर लपेटे हुई थी जिससे कि उनके मादक चूतड और उभर कर नजर आ रहे थे और दोनों चूतडों की थिरकन साफ साफ देखी जा सकती थी। मैंने गौर किया कि चलते वक्त उनके चूतड अलग अलग दिशाओं में चल रहे थे। पहले एक दूसरे से दूर होते फिर एक दूसरे के पास आते। मानो उनकी गान्ड खुल बन्द हो रही हो। जब दोनों चूतड पास आते तो उनकी साडी गान्ड की दरार में फंस जाती थी। यह सीन मुझे बहुत ही उत्तेजित कर रहा था और मन कर रहा था कि साडी के साथ साथ अपने लन्ड को भी उनकी गान्ड की दरार में डाल दूं। बडा ही गुदाज बदन था सोनम मैडम का।

लैब तक पहुंचते पहुंचते मेरी हालत खराब हो गई थी और मुझे लगने लगा कि अब और नहीं रूका जाएगा। लैब के दरवाजे पर पहुंच कर मैडम एकाएक रूक कर पलटी और मुझसे ऊपर की सेल्फ के केबल कनेक्शन जांचने को कहा। उनकी इस अचानक हरकत से मैं संभल नहीं पाया और अपने आप को संभालने के लिए अपने हाथ उनकी कमर पर रख दिए। मैडम ने एक दबी मुस्कराहट के साथ कहा “कोई शैतानी नहीं” और मेरे हाथ अपनी कमर से हटा दिए। मैंने झेंपते हुए उनसे माफी मांगी और लैब में ऊपर की सेल्फ से कम्प्यूटर हटाने लगा। मैडम भी उसी सेल्फ के पास झुककर नीचे के केबल देखने लगी। उनकी साडी का पल्लू सरक गया जिससे कि उनकी चूचियों का नजारा मेरे सामने आ गया। हाय क्या कमाल की चूचियां थीं।

एक पल को तो लगा कि दो चांद उनकी चोली में से झांक रहे हों। वो ब्रा नहीं पहने थी जिससे कि चूची दर्शन में कोई रूकावट नहीं थी। और काम करना मेरे बस में नहीं था। मैं खडे खडे उस खूबसूरत नजारे को देखने लगा। चोली के ऊपर से पूरी की पूरी चूचियां नजर आ रही थीं। यहां तक कि उनके खडे गुलाबी निप्पल भी साफ मालूम दे रहे थे। शायद उन्हें मालूम था कि मैं ऊपर से फ्री शो देख रहा हूं। इसीलिए मुझे छेडने के लिए वो और आगे को झुक गई जिससे उनकी पूरी की पूरी चूचियां नजर आने लगीं। हाय क्या नजारा था। मैं खुशी खुशी चूचियों की घाटी में डूबने को तैयार था। ऐस लगता था मानो दो बडे बडे कश्मीरी सेव साथ साथ झूल रहो हों। एकाएक मैडम ने अपना सर ऊपर उठाया और मुझे अपनी चूचियों को घूरते हुए पकड लिया। जब हमारी नजर मिली तो अपने निचले होठ को दांतों में दबा कर मुस्कराते हुए बोली “ऐ क्या देखता है”। मैं सकपका गया और कुछ भी नहीं बोल पाया। मैडम ने मेरे चूतडों पर हल्की सी चपता जमा कर कहा ” शैतान कहीं के। फ्री शो देख रहा है”।

मेरा चेहरा लाल हो गया उनके मुस्कराने के अन्दाज से मैं और भी उत्तेजित हो गया और मेरा लौंडा जीन्स के अन्दर ही तन कर बाहर निकलने को बेचैन होने लगा। मैंने अपनी जीन्स को हिला कर लन्ड को ठीक करने की कोशिश की पर मुझे इसमें कामयाबी नहीं मिली। लन्ड इतना कडा हो गया था कि पूछो मत। बस ऊपर ही ऊपर होता जा रहा था और मेरी जीन्स उठती ही जा रही थी। मैडम ने मेरी परेशानी भांप ली और शरारती मुस्कराहट के साथ बोली “ये तुमने पैन्ट में क्या छुपाया है जरा देखूं तो मैं भी” जब तक मैं कुछ बोलूं उन्होंने खडे होकर मेरे लन्ड को पकड लिया और पैन्ट के ऊपर ही से कस कर दबा दिया। “हाय बडा तगडा लगता है तुम्हारा तो। बडा बेताब भी है। बस ऐसा ही लन्ड तो मुझे पसन्द है”।

मैं तो हक्का बक्का रह गया। मैडम सोनम मेरे साथ फ्लर्ट कर रही हैं। मिस आइस मैडेन का यह गरम रूख देख कर मेरी तो बोलती ही बन्द हो गई और मैं उनकी हरकतें देखता रह गया। चूंकि मैं टेबल के ऊपर खडा था इस लिए मेरा लन्ड उनके मुंह की ठीक सीध में था। वो अपने चेहरे को और पास लाईं और पैन्ट के ऊपर ही से मेरे लन्ड को चूमते हुए बोली “इसे जरा और पास से देखूं तो क्यों इतना अकड रहा है” ऐसा कहते हुए मैडम सोनम ने मेरी जीन्स की जिप खोल दी। मैं आम तौर पर अन्डरवियर नहीं पहनता हूं। लिहाजा जिप खुलते ही मेरा लन्ड आजाद हो गया और उछलकर उनके चेहरे से जा टकराया।

“हूं ये तो बडा शैतान है। इसे तो सजा मिलनी चाहिए” मैडम ने अपने सेक्सी मुंह को खोला और मेरे सुपाडे को अपने रसीले होठों में दबा लिया। मैं तो मूक दर्शक बन कर सातवें आसमान में पहुंच गया था। जिस मैडम सोनम के पीछे सारा आफिस दीवाना था और जिनके बारे में सोच सोच कर मैंने भी औरों की तरह कई कई बार मुठ मारी थी यहां एक रंडी की तरह मेरा लौंडा चूस रही थी। मैंने मैडम का सर पकड कर अपने लौंडे पर दबाया और साथ ही साथ अपने चूतडों को आगे धक्का दिया। एक ही झटके में मेरा पूरा लन्ड मैडम के मुंह में कंठ तक घुस गया। उनका दम घुटने लगा और उन्होंने अपना सिर थोडा पीछे किया। मुझे लगा कि अब मैडम मुझे मेरे उतावलेपन के लिए डांटेगीं।

मैं बोला “सोरी मैडम मैं अपने पर काबू नहीं रख पाया”। उन्होंने बोलने से पहले मेरा लन्ड अपने मुंह से निकाला और मुस्कुराई “धत पगले। मैं तुम्हारी हालत का अन्दाजा लगा सकती हूं। लेकिन ये मैडम मैडम क्या लगा रखी है। तुम मुझे सोनम कह कर बुलाओ ठीक है ना। अब मुझे अपना काम करने दो”। ऐसा कह कर मैडम ने एक हाथ में मेरा लन्ड पकडा और शुरू हो गई उसका मजा लेने में। वो लन्ड को पूरा का पूरा बाहर निकाल कर फिर दोबारा अन्दर कर लेती। मैं भी धीरे धीरे कमर हिला हिला कर उनका मुंह चोदने लगा। कुछ देर बाद वो बोली “बस इसी तरह खडे खडे कमर हिलाने में क्या मजा आएगा। थोडा आगे बढो”।

मैंने उनका इशारा भांप लिया और पहले उनके गालों को सहलाया। फिर धीरे धीरे हाथो को नीचे खिसकाते हुए उनकी गर्दन तक पहुंचा और उनकी चोली का स्ट्रैप खोल दिया। दोनों मस्त चूचियां उछल कर बाहर आ गई। मैडम ने भी मेरी जीन्स खोल दी और बिना लन्ड मुंह से बाहर किए नीचे उतार दी। फिर लन्ड चूसते हुए वो अपनी चूचियों को मेरी जांघों पर रगडने लगी। मैंने थोडा झुक कर उनकी चूचियों को पकडा और कस कस कर मसलने लगा। जल्द ही हम दोनों काफी उत्तेजित हो गए और हमारी सांसें तेज हो गई। मैं बोला “मैडम मैं पूरी तरह से आपको मजा नहीं दे पा रहा हूं। अगर इजाजत हो तो मैं भी नीचे आ जाऊं।” मैडम ने मुझे गुस्से से देखा और हौले से सुपाडे को काट लिया। वो बोली “तुम मेरी बात नहीं मान रहे हो। अगर मैं बोलती हूं कि मुझे सोनम कह कर पुकारो तो तुम मुझे सोनम ही कहोगे मैडम नहीं।”

मैं बोला “सॉरी सोनम अब तो मुझे नीचे आने दो।” सोनम ने मेरा हाथ पकड कर नीचे उतरने में मदद की। नीचे आते ही मैंने उनके चूतडों को पकडा और अपने पास खींच कर होठों को चूमने लगा। अब मैं उनके होठों को चूसते हुए एक हाथ से चूतड सहला रहा था जबकि मेरा दूसरा हाथ उनकी चूचियों से खेल रहा था। सोनम मेरे लन्ड को हाथ में पकड कर सॉफ्ट टॉय की तरह मरोड रही थी। मैंने सोनम की साडी पकड कर खींच दी और पेटीकोट का भी नाडा खोल कर उतार दिया। सोनम ने भी मेरी टी शर्ट उतार दी और हम दोनों ही पूरी तरह नंगे हो गए। एक दूसरे को पागलों की तरह चूमते हुए हम वहीं जमीन पर लेट गए। चूत की खुशबू पा कर मेरा लन्ड फनफनाने लगा। सोनम भी गर्म हो गई थी और अपनी चूत मेरे लन्ड पर रगड रही थी। हम दोनों एक दूसरे को कस कर जकडे हुए किस करते हुए कमरे के कालीन पर लोट पोट हो रहे थे। कभी मैं सोनम के ऊपर हो जाता तो कभी सोनम मेरे ऊपर। काफी देर तक यूं मजे लेने के बाद हम दोनो बैठ कर अपनी फूली हुई सांसों को काबू में करने की कोशिश करने लगे।

सोनम ने अपने बाल खोल दिए। मैं बालों को हटा कर उनकी गर्दन को चूमने लगा। फिर दोबारा उनके प्यारे प्यारे होठों को चूमते हुए उनकी चूचियों से खेलने लगा। सोनम मेरा सिर पकड कर अपनी रसीली चूचियों पर ले गई और अपने हाथ से पकड कर एक चूची मेरे मुंह में डाल दी। मैं प्यार से उनकी चूचियों को बारी बारी से चूमने लगा। वो काफी गरम हो गई थी और मुझे अपने ऊपर ६९ की पोजिशन में कर लिया। मैं उनकी रसीली चूत का अमृत पीने लगा। सोनम अपनी जीभ लपलपा कर मेरे लौंडे को चूसे जा रही थी। जब भी हम में से कोई भी झडने वाला होता तो दूसरा रूक कर उसको संभलने का मौका देता। कई बार हम दोनों ही किनारे तक पहुंच कर वापस आ गए। हमारी वासना का ज्वार बढता ही जा रहा था और बस अब एक दूसरे में समा जाने की ही बेकरारी थी।

सोनम ने मुझे अपने ऊपर से उठाया और खुद चित्त हो कर लेट गई। अपने दोनों पैर उठा कर अपने हाथों से पकड लिए और मुझे मोर्चे पर आने को कहा।मैंने भी सोनम के दोनों पैरों को अपने कन्धों पर टिकाया और लन्ड को उसकी चूत के मुंह पर रख कर धक्का लगाया। मेरा लोहे जैसा सख्त लौंडा एक ही झटके में आधा धंस गया। सोनम के मुंह से उफ की आवाज निकली पर अपने होठों को भींच कर नीचे से जवाबी धक्का दिया और मेरा लन्ड जड तक उसकी चूत में समा गया। फिर मेरी कमर पर हाथ रख कर मुझे थोडा रूकने का इशारा किया और बोली “तुम्हारा लन्ड तो बडा ही जानदार है। एक झटके में मेरी जान निकाल दी। अब थोडी देर धीरे धीरे अन्दर बाहर कर के मजा लो।”

सोनम के कहे मुताबिक मैं धीरे धीरे उसकी चूत में लन्ड अन्दर बाहर करने लगा। चूत काफी गीली हो चुकी थी इसलिए मेरे लन्ड को ज्यादा दिक्कत नहीं हो रही थी। मैं धीरे धीरे चूत चोदते हुए सोनम की मस्त चूचियों को भी मसल रहा था। बडी ही गजब की चूचियां थी उसकी। एक हाथ में नहीं समा सकती थी। पर इतनी कडी मानो कन्धारी अनार। वो चित्त लेटी हुई थी पर चूचियों में जरा भी ढलकाव नहीं था और हिमालय की चोटियों की तरह तन कर ऊपर को खडी थी। उत्तेजना की वजह से उसके डेढ इन्च के निप्पल भी तने हुए थे और मुझे चूसने का आमन्त्रण दे रहे थे।

मै दोनों निप्पलों को चुटकी में भर कर कस कस कर मसल रहा था। सोनम भी सिसकारी भर भर कर मुझे बढावा दे रही थी। आखिर मुझसे नहीं रहा गया और उसके पैरों को कन्धे से उतार कर जमीन पर सीधा किया और उसके ऊपर पूरा लम्बा होकर लेट गया। सोनम ने दोनों हाथों से अपनी चूचियों को पकड कर पास पास कर लिया और मैं दोनों निप्पलों को एक साथ चूसने लगा। ऐसा लग रहा था कि सारी दुनिया का अमृत उन चूचियों में ही भरा हो। मैं दोनों हाथों से चूचियों को मसल रहा था। चूचियों की मसलाई और चुसाई में मैं अपनी कमर हिलाना ही भूल गया। तब सोनम अपने हाथ नीचे करके मेरे चूतडों पर ले गई और उन्हें फैला कर एक उंगली मेरी गान्ड में पेल दी। मैं चिहुंक गया एक जोरदार धक्का सोनम की चूत में लगा दिया। सोनम खिलखिला कर हंस पडी और बोली “क्यों राज्जा मजा आया। अब चलो वापस अपनी ड्यूटी पर।”

सोनम का इशारा समझ कर मैं वापस कमर हिला हिला कर उसकी चूत चोदने लगा। सोनम भी नीचे से कमर उठाने लगी और धीरे धीरे हम दोनों पूरे जोश के साथ चुदाई करने लगे। मैं पूरा लन्ड बाहर खींच कर तेजी से उसकी चूत में पेल देता। सोनम भी मेरे हर शॉट का जवाब साथ साथ देती। पूरे कमरे में फच फच की आवाज गूंज रही थी। जैसे जैसे जोश बढता गया हमारी रफ्तार भी तेज होती गई। आखिर उसकी चूचियों को छोड मैंने उसकी कमर को पकड कर तूफानी रफ्तार से चुदाई शुरू कर दी। सोनम भी कहां पीछे रहने वाली थी। वो भी मेरी गर्दन में हाथ डाल कर पूरे जोश से कमर उछाल रही थी। अब ऐसा लगने लगा था कि हम दोनों ही अपनी अपनी मंजिल पर पहुंच जाएंगे पर सोनम तो एक्सपर्ट चुदक्कड थी और अभी झडने के मूड में नहीं थी। उसने अपनी कमर को मेरी कमर की दिशा में ही हिलाना शुरू दिया। इससे लन्ड अन्दर बाहर होने के बजाए चूत के अन्दर ही रह गया। मेरी पीठ पर थपकी दे कर उन्होंने रफ्तार कम करने को कहा और बोली “थोडा सांस ले ले फिर शुरू होना। इतनी जल्दी झडने से मजा पूरा नहीं आएगा।”

मैंने किसी तरह अपने को संभाल कर रफ्तार कम की। मैं अब उसके रसीले होठों को चूसते हुए हौले हौले चोदने लगा। जब हम दोनों की हालत संभली तो दोबारा सोनम ने फुल स्पीड चुदाई का इशारा किया और फिर से मैं पहले की तरह चोदने लगा। रूक रूक कर चुदाई करने में मुझे भी मजा आ रहा था। हमारी इस चुदाई का दौर आधा घन्टे से भी ज्यादा चला। कई बार मेरे लन्ड में और उसकी चूत में उफान आने को हुआ और हर बार हमने रफ्तार कम करके उसे रोक लिया। हाालांकि कमरे में ए सी चल रहा था पर हम दोनो पसीने से नहा गए। आखिर सोनम ने मुझे झडने की इजाजत दी। मैं तूफान मेल की तरह उसकी चूत में धक्के लगाने लगा। वो भी कमर उछाल उछाल कर मेरी हर चोट का जवाब देने लगी। चरम सीमा पर पहुंच कर मैं जोर से चिल्लाया “सोनमआआआआ आआआआ मेरी जान। मैं आया” और उसकी चूत में जड तक लन्ड घुसा कर अपना सारा उफान उसके अन्दर डाल दिया। सोनम ने भी मेरी पीठ पर अपने पैर बांध कर मुझे कस कर चिपका लिया और चीखती हुई झड गई। Antarvasna
नमस्कार मित्रांनो,आज मी तुम्हाला माझ्यासोबत लहानपणी घडलेले काही खरे किस्से सांगणार आहे.माझे नाव सूरज आहे.मी नाशिक मधील सटाणा या गावी राहतो.माझे वय 14 वर्षे आहे पण माझ्या कमी उंचीमुळे आणि बारीक शरीरयष्टी मुळे मी 9 वर्षाच्या मुलासारखा दिसतो.आमच्या घरात मी ,आई आणि बाबा राहतात.मी नेहमी त्यांचा लाडका होतो.आता मला उन्हाळी सुट्टी लागली होती.म्हणून मी मस्त उशिरा उठायचो.मला नागडे राहायला खूप आवडायचं,पण माझ्या बाबांच्या कठोर स्वभावामुळे मी 10 वर्षांचा असताना च नागडे राहणे बंद झाले होते.माझी एक इच्छा होती,की दिवसभर मस्त नागडे राहावे आणि तसेच सगळ्या गोष्टी कराव्या. मला सुट्ट्या लागून 1 दिवस झाला होता तेव्हा दुसऱ्या दिवशी आमच्या घराच्या मागील बाजूस असणाऱ्या 2 रुमच्या घरासाठी एक भाडेकरू आले.त्यांनी मग त्या खोलीत समान टाकले.त्यांच्याकडे काहीच जास्त समान नव्हते.ते एक जोडपे होते आणि त्यांना 3 वर्षांचा एक मुलगा होता.त्या बाईचे वय जवळपास 30 होते.त्यांचे शरीर एकदम गोरे आणि कमनीय होते.त्यांचे मिस्टर ट्रक ड्रायव्हर होते आणि त्यामुळे ते नेहमी बाहेरगावी फिरतीवर राहायचे. 2 दिवसांनी आमची चांगली ओळख झाली.त्यांचे नाव सुजाता होते मी त्यांना काकू म्हणायचो.तेव्हा त्या मला म्हणाल्या,”बाळा,मी तुझी मावशी आहे त्यामुळे मला मावशी म्हणत जा.”मी हो बोललो.आता मी त्यांच्या लहान मुलासोबत खेळत असे.त्याचे नाव स्वप्नील होते पण मावशी त्याला लाडाने सोनू म्हणायची.आता मी खऱ्या गोष्टीवर येतो.माझी आणि सुजाता मावशीची चांगली गट्टी जमली होती.मी आता जास्त वेळ सुजाता मावशी च्या रूम मध्ये जाऊन सोनुसोबत खेळायचो.मी एक गोष्ट बघितली की सुजाता मावशी अजूनपण सोनूला त्यांचे दूध पाजायच्या.मला खूप आश्चर्य वाटायचं कारण मी फक्त 2 वर्षाच्या मुलाना दूध पिताना पाहिलं होतं.सुजाता मावशी सोनूला फक्त घरी असताना दूध पाजायची.आता तर सुजाता मावशी मी त्याच्या घरी समोर बसलेलो असलो तरी सोनूला जवळ बोलवायची आणि माझ्यासमोर त्यांच्या ब्लाऊज मधून एक स्तन बाहेर काढून सोनुच्या तोंडात द्यायची.ती सुरवातीला दूध पाजताना तिच्या साडीने सोनूला आणि तिच्या स्तनाला झाकून घ्यायची पण आता 2 दिवसापासून ती माझ्यासमोर स्तन बाहेर काढून बिनधास्त पणे माझ्याशी बोलत सोनूला दूध पाजयाची.सोनू बऱ्याच वेळेला घरात नागडा च असायचा आणि तसाच नागडा दूध प्यायचा. मला आता सोनुचा हेवा वाटू लागला होता.मला पण सोनुसारखा नागडा राहून मावशीचे दूध चोखून प्यायची इच्छा होत होती.त्यामुळे मी सुजाता मावशी चे स्तन बघायला मिळतील म्हणून नेहमी त्यांच्या रूम वर जायचो. आता सुजाता मावशी माझ्यासोबत खूप बिनधास्त राहत होती.मग एक दिवस अचानक संध्याकाळी आमच्या आजींची तब्येत बिघडली म्हणून त्यांना तातडीने मुंबई ला हलवले.माझ्या बाबांनी आणि आईने लगेच बॅग भरल्या.आता माझ्या आईला टेन्शन आले की मला तिथे मुंबईत हॉस्पिटल मध्ये कसे घेऊन राहावे.तेव्हा सुजाता मावशी आल्या.आईने सगळी गोष्ट त्यांना सांगितली.तेव्हा सुजाता मावशी आईला म्हणाल्या,”अहो,ताई एवढं का टेन्शन घेता,होईल सगळं चांगलं.तुम्ही जा ,सूरजला मी सांभाळून घेईल.तो पण माझ्या मुलासारखा आहे.त्याला राहू द्या माझ्याजवळ. “मग आई मला बोलली,”मी येते हा बाळा आजीला बरं वाटलं की,तू रहा मावशी कडे.मी मावशीला तुझ्या कपड्यांची बॅग देते.तू जा सोनू जवळ.”मी आईला हो म्हणालो आणि सुजाता मावशीच्या घरी गेलो.इकडे आईने मावशिसोबत थोड्या गप्पा मारल्या आणि मग aai-baba लगेच मुंबईला निघून गेले.मी तेव्हा सुजाता मावशीच्या घरी आलो.आता मी सुजाता मावशीच्या घरी राहणार होतो.मला आता खूप आनंद झाला.थोड्या वेळाने सुजाता मावशी आली.मग रात्र झाली आणि आम्ही जेवण केले.रात्री मग 9:30 ला सुजाता मावशी ने खाली गादी टाकली.आता गादीवर उजवीकडे मी,मध्ये सुजाता मावशी आणि त्यांच्या डाव्या बाजूला सोनू झोपला.झोपण्याच्या आधी सुजाता मावशीने सोनुने कपडे काढून त्याला नागडे केले.मी मावशीला असे का केले म्हणून विचारलं तर त्या म्हणाल्या,”अरे तो रात्री सू करतो कधी कधी,मग सगळे कपडे ओले होऊन जातात.”मग सुजाता मावशी झोपल्या.मला आता झोप येत नव्हती कारण मला रोज फक्त अंडरवेअर झोपायची सवय होती. मी त्यामुळे चुळबुळ करत होतो.तिकडे सुजाता मावशीने डावीकडे कुस बदलली आणि ब्लाऊज चे खालचे हुक उघडुन एक स्तन सोनुच्या तोंडात दिला.सोनू आता दूध पित पित झोपुंन गेला.मग मावशी ने त्यांचा स्तन परत ब्लाऊज मध्ये टाकून माझ्याकडे कुस बदलली आणि माझी तळमळ बघून मला म्हणाल्या,”झोप ना बाळा,असा काय तळमळतो आहे.झोप नाही येत आहे का.काही प्रोब्लेम आहे का?”मी तेव्हा मावशींना सांगितलं तर सुजाता मावशी हसून बोलल्या,”अरे मग काढ ना कपडे,तुला कोणी अडवले आहे.”मी लगेच झोपल्या अवस्थेतच माझा T-shirt आणि Half पँट काढून बाजूला टाकल्या आता मी फक्त underwear वर झोपलो होतो.तेव्हा सुजाता मावशी जे बोलल्या ते ऐकून मला खूप आश्चर्य आणि आनंद पण झाला.सुजाता मावशी,”बाळा ,ती underwear पण काढून टाक ना.रात्री मोकळं झोपायच कधीही.”मी मावशीला नाही म्हणालो. तेव्हा मावशी मला म्हणाली,”अरे एव्हढा काय लाजातो.उलट नागडा झोपल्याने चांगली झोप लागते.काढ ती underwear.”असं बोलून सुजाता मावशीने माझी underwear काढली आणि मला पूर्णपणे नागडा केलं.मला तर खूपच आनंद झाला कारण मी 4 वर्षा नंतर पहिल्यांदा असा नागडा झोपणार होतो.मला आता नागडं होऊन खूप मस्त वाटत होतं.मग मी झोपलो.सकाळी मला जाग आली तेव्हा सुजाता मावशी उठलेल्या होत्या.त्यांनी मला उठलेलं बघितलं आणि म्हणाल्या,”उठला का बाळा,चल ब्रश करून घे.मी आपल्याला चहा करते.”मी तेव्हा म्हणालो,”मला चहा नाही आवडत,मी रोज सकाळी दूध पितो.” सुजाता मावशी:- ” चांगलं आहे ना मग,दूध खरंच चांगलं असतं.मी दूध देते हा तुला.” मग मी तसाच नागडा उठलो,सोनू अजून पण झोपलेला होता.मला असं सकाळी नागडं राहून खूप आनंद होत होता.तेव्हा सुजाता मावशी ने मला ब्रश करून झाल्यावर 1 कप दूध दिले.मी ते पिऊन घेतले.मग सुजाता मावशी ने कपडे धुतले.कपडे धुऊन झाल्यावर मावशी घरात आल्या.तेव्हा मावशीने मला गरम पाणी काढून दिले.सुजाता मावशीच्या घरात किचन मध्ये बाथरूम म्हणजे फक्त एक सिमेंट च छोटा चौकट केली होती आणि पाणी जायला एक पाईप बाहेर जात होता.मी मग त्या उघड्या बाथरूम मध्ये गेलो.मी अंगावर पाणी टाकून आंघोळ करत होतो आणि मावशी तिथेच किचन मध्ये स्वयंपाक करत होत्या.मी पहिल्यांदा असा आंघोळ करत होतो.तेव्हा सुजाता मावशी मला म्हणाल्या,”बाळा ,नीट कर हा आंघोळ,का मी घालू का तुला आंघोळ?” मी नागडी आंघोळ करताना म्हणालो,”नाही मावशी,मी करतो आंघोळ चांगली” चांगली आंघोळ कर नाहीतर तुझी आईल मला म्हणेल की माझ्या सूरज ची काळजी नाही घेतली तुम्ही” मी तसाच नागडा साबण लावून आंघोळ केली.मावशी मला आंघोळ करताना बघत होत्या.आंघोळ झाल्यावर सुजाता मावशी ने मला टॉवेल दिला.मी माझे अंग पुसले आणि हॉल मध्ये जाऊन माझे कपडे ची बॅग शोधू लागलो.मला माझी बॅग नाही सापडली म्हणून मी मावशीला आवाज देऊन माझी बॅग कुठे आहे म्हणून विचारलं.तेव्हा सुजाता मावशी हॉल मध्ये येऊन मला म्हणाल्या,”अरे देवा” मी :- काय झालं मावशी? सुजाता मावशी :- “अरे बाळा,तुझ्या आईने तुझ्यासाठी कपड्याची बॅग भरून ठेवली होती पण मला ती बॅग आणायची आठवण पडली.तुझी बॅग आता तुझ्या बंद घरात आहे.” मी :- मग आता मी काय करू.मावशी तुम्ही माझे काळाचे कपडे द्या.आता तेच घालतो मी. सुजाता मावशी :- अरे बाळा ,मी तर तुझे सगळे कपडे धुऊन टाकले. मी :- मग आता मी काय घालू? सुजाता मावशी:- “अरे बाळा,रहा की असच नागडा.” मी :- नाही मावशी,कोणी आलं तर हसेल मला. सुजाता मावशी :- “अरे ,कोणी नाही येत इथे.रहा असाच. मग मावशी किचन मध्ये गेल्या. खरतर मला पण हेच पाहिजे होतं.मला आता दिवसभर मस्त नागडा राहता येणार होते.मी मस्तपणे माझा नागडेपणा एन्जॉय करू लागलो.थोड्या वेळाने सोनुपण उठला.मग मावशीने त्याला आंघोळ घातली.सोनू आणि मी मग नाश्ता केला.मी पहिल्यांदा असा नागडा घरात नाश्ता करत होतो.नाश्ता झाल्यावर मी आणि सोनू सोबत खेळू लागलो.दुपारी मग आम्ही जेवण केलं.मला असं नागडा जेवण करताना खूप मस्त वाटत होते.जेवण झाल्यावर मावशीने भांडे घासले .मग मावशी आम्हाला बोलल्या,”चला, बाळांनो,आता झोपून घ्या.” मी आणि सोनू मावशीच्या दोन्ही बाजूला नागडे झोपलो.मावशीने मग सोनुच्या बाजूला कुस केली आणि ब्लाऊज चे हुक उघडुन सोनूला दूध पाजले.मला पण इकडे झोप लागली.मी संध्याकाळी उठलो तर सोनू आणि मामी उठलेल्या होत्या.मी उठून फ्रेश झालो आणि सोनुसोबत खेळू लागलो.रात्री मग आम्ही जेवण केलं.जेवण झाल्यावर मावशीने भांडे घासले.सगळं आवरल्यावर आम्ही गादीवर झोपलो.तेव्हा अचानक लाईट गेली.सोनू घाबरून मावशीला बिलगला.आता घरात गरम होऊ लागले.तेव्हा सुजाता मावशी बोलली,”खूप गरम होतं आहे रे.” मी :- “हो ना मावशी,खूपच गरम होतं आहे.” मावशी तेव्हा उठल्या आणि घराचा दरवाजा उघडून बाहेर आल्या तर बाहेर गडद अंधार पसरला होता. सुजाता मावशी आम्हाला म्हणाल्या,”बाळांनो,बाहेर या आपण गच्चीवर जाऊ.मी मावशींना म्हणालो,”मावशी ,नका ना ,मी नागडा आहे,कोणी बघेल मला.” सुजाता मावशी:- अरे कोणी नाही बघणार,सोनू बघ बाहेर उभा आहेच ना नागडा.” मी :- तो अजून लहान आहे मावशी. सुजाता मावशी:- ” मग तू कुठे मोठा आहेस,तूनपन लहानच आहे अजून,आणि असा पण बाहेर अंधार आहे.कोणाला काही दिसणार नाही. मग मी घराच्या बाहेर आलो.बाहेर खरंच खूप गडद अंधार पडला होता.आम्ही मग गच्चीवर आलो.मी पहिल्यांदा असा नागडा घराबाहेर आलो होतो.थंड वाऱ्याची झुळूक माझ्या नागड्या शरीरावर येत होती.मला आता खूप छान वाटत होते.सुजाता मावशीने तिथे बसून सोनूला मांडीवर घेतले आणि त्याला माझ्यासमोर दूध पाजू लागल्या.मग आम्ही तिथे गप्पा मारल्या.थोड्या वेळाने आम्ही घरात परत आलो.आणि लगेच लाईट आली. मग आम्ही झोपून गेलो.सकाळी मी उठलो तेव्हा मी ब्रश केला.मग मावशीने मला दूध प्यायला दिले.मी ते दूध गरम असल्याने थंड होण्याची वाट बघत तिथेच बसलो.तेव्हा सुजाता मावशी ने जे केलं ते बघून मी चाट पडलो.कारण मावशी आता आंघोळ करायची तयारी करत होती.मावशीने तिथेच उभे राहून त्यांची साडी सोडली.मी ते बघून तिथून उठायला लागलो तर मावशी बोलली,”अरे बाळा ,कुठे चालला.थांब ना इथे.मी आंघोळ करते.तू माझ्याशी गप्पा मारत दूध पिऊन घे.” मी नाही बोललो,तेव्हा मावशी बोलली,”अरे लाजू नको,तू माझा बाळच आहेस” मग मी तिथेच बसलो. आता सुजाता मावशी बाथरूम मध्ये गेल्या आणि त्यांनी त्यांचे परकरचा नाडा खोलला.मग त्यांनी त्यांचे ब्लाऊज उघडून परकर छातीवर बांधला.मग त्या आंघोळ करू लागल्या.त्यांनी अंगावर पाणी टाकलं आणि माझ्यासोबत गप्पा मारू लागल्या.मी दूध फुंकून पिऊ लागलो.मावशीने मग अंगाला साबण लावला.आणि अचानक त्यानी चक्क त्यांचा परकर सोडून काढून टाकला.आता सुजाता मावशी चक्क माझ्यासमोर निकरवर होत्या.त्यांचे शरीर खूप कमनीय होते.त्यांची फिगर खूप मेन्टेन होती.मी आता त्यांचे दुधाने भरलेल्या स्तना कडे बघू लागलो.आता माझे मावशीच्या बोलण्याकडे लक्षच लागत नव्हते.मी पहिल्यांदा एक सुंदर स्त्री ला आंघोळ करताना बघत होतो.मावशी आता मस्त त्यांच्या सुंदर स्तनांना साबण लावून चोळत होत्या.मला ते बघून खूप छान वाटत होते.त्या मला त्यांच्याकडे असं बघताना हसत होत्या.मग त्यांनी त्यांच्या सुदंर स्तनांवर पाणी टाकले.मावशीचे स्तन मी आज पहिल्यांदा पूर्णपणे मोकळे बघत होतो.मावशीचे स्तन मस्त गोलाकार आणि गोरे होते.त्यांच्या निप्पल चा कलर फिकट तपकिरी होता.त्या वेळी त्यातून दूध टपकत असताना मी बघितले.तेव्हा मावशी ने मला बघून म्हणाल्या,”बाळा, असं का बघतो आहे.कधी कोणत्या स्त्रीला आंघोळ करताना नाही बघितलं का?” मी काहीच बोललो नाही.माझा चेहरा लाजेने लाल झाला होता. मग मावशीने त्यांच्या नग्न अंगावर पाणी टाकले आणि त्या उभ्या राहिल्या.माझे दूध पिऊन झाले होते.मावशीने मग त्यांचे शरीर टॉवेलने पुसले आणि त्यांच्या कमरेवर टॉवेल गुंडाळून निकर काढून टाकली.मावशीचे स्तन अजून पण उघडे होते.मग त्यांनी परकर घातला आणि नंतर ब्लाऊज घातले.साडी नेसून त्या बाहेर गेल्या. मी आंघोळ केली आणि बाहेर आलो तेव्हा मावशी बोलली,”अरे थांबायचं ना बाळा, मी आंघोळ घालणार होते तुला आज.” मी :- नाही मावशी,मी करतो माझी आंघोळ सुजाता मावशी:- ” नको हा,मी बघितलं काल तुला,तू नीट आंघोळ नाही करत.आता तू माझ्याकडे असे पर्यंत मीच तुला आंघोळ घालणार.” मला आता मी आंघोळ केल्याचा राग येत होता.मग मी माझे कपडे घालू लागलो तेव्हा मावशीने मला अडवले आणि म्हणाली,”अरे बाळा,रहा की असा नागडा.कशाला कपडे घालतो.दे ते इकडे.तू आता इथे असे पर्यंत कपडे नाही घालायचे.” मला हे ऐकून खूप आनंद झाला.आता मी मस्तपणे नागडा घरात फिरत होतो.मग दुसऱ्या दिवशी सकाळी पुन्हा मावशी माझ्यासमोर आंघोळ करू लागल्या.मावशींनी मग मला बाथरूम मध्ये बोलावले आणि म्हणाल्या,”बाळा ,माझ्या पाठीला थोडा साबण लाऊन दे.” मी मग मस्तपणे त्यांच्या पाठीला साबण लावून चोळू लागलो.मला आता खूप छान वाटत होतं.मी त्यांचे पाठीला साबण लावून पाण्याने स्वच्छ केली.त्यांनी मग मला जवळ ओढले आणि माझ्या गालावर एक पप्पी देऊन मला thank you म्हणल्या.मी मग बाहेर आलो.थोड्या वेळाने मावशीने मला बाथरूम मध्ये बोलावले आणि मग माझ्या अंगावर पाणी टाकून मला आंघोळ घालू लागल्या.मला आता मावशीच्या मऊ हातानी आंघोळ करताना खूप उत्तेजना मिळत होती.मावशीने माझ्या पाठीवर साबण लाऊन मस्त चोळली.मग त्यांनी माझ्या पोटाला आणि गळ्याला साबण लावून मस्त धुतले.आता त्यांनी साबण हातात घेऊन मस्त फेस केला आणि माझ्या लवड्या ला पकडून चोळू लागली.मला आता खूप मस्त वाटत होते.मग त्यांनी माझ्या लवड्याला आणि वृषण ला साबण लावून मस्त धुतले.मला आता त्यांच्या हाताने आंघोळ करताना मजा येत होती.माझी आंघोळ झाल्यावर सुजाता मावशीने माझे अंग टॉवेल ने पुसले.त्या दिवशी रात्री मला 1 वाजता अचानक जाग आली.मी डोळे उघडले तर एकदम शॉक झालो कारण माझे तोंड चक्क सुजाता मावशी च्या उघड्या स्तनांमध्ये होते.मावशी मला पूर्ण बिलगून झोपल्या होत्या.माझ्या ओठांना त्यांच्या मऊ स्तनाचा स्पर्श होत होता. त्यांचे ब्लाऊज पूर्ण उघडे होते आणि माझे तोंड दोन्ही स्तनांमध्ये होते.मला त्यांच्या स्तनाचा स्पर्श खूप छान वाटला.म्हणून मी हळूच त्यांच्या स्तनाला तोंडाने किस केलं.आणि मग झोपून गेलो.सकाळी मला जाग आली तर तेव्हा 6 वाजले होते.सुजाता मावशी अजून पण मला बिलगून झोपल्या होत्या.त्यांचे स्तन माझ्या तोंडाला लागलेले होते.त्यांच्या निप्पल मधून दुधाचे थेंब पडत होते.मी हळूच माझ्या जिभेने ते दुधाचे थेंब चाखले.खरंच,दुधाची चव अतिशय गोड होती.मला तर ते दूध पिऊन खूप मस्त वाटलं.मग मी हळूच माझे तोंड उघडे करून सुजाता मावशी चा उजवा स्तन तोंडात घेऊन निप्पल ला तोंड लावले.आता मझ्या छातीची जोर जोरात धडधड होत होती.पण मावशीचे चवदार दूध माझ्या तोंडात जात होते.मग मावशीची हालचाल झाली. म्हणून मी हळूच माझे तोंड काढून झोपेचे नाटक करू लागलो.थोड्या वेळात सुजाता मावशीना जाग आली.तेव्हा त्यांनी बघितले की माझे तोंड त्यांच्या स्तनाला लागले आहे आणि त्यांचे दूध माझ्या गालावर ओघळत आहे.मग त्या उठल्या आणि त्यांनी हळूच माझ्या गलावरचे दूध पुसले.मग त्या तश्याच ब्लाऊज उघडे असताना उठून बाथरूम मध्ये गेल्या.मग त्यांनी ब्रश केला.नंतर मी उठलो तेव्हा मावशी आंघोळीची तयारी करत होत्या.मग त्यांनी माझ्यासमोर नागडी आंघोळ केली.असे जवळपास अजून 5 दिवस चालले.मी या पाच दिवस मस्त नगडेपणा एन्जॉय केला.नंतर माझे आई बाबा परत आले.आणि मी आमच्या घरी गेलो. आता सुजाता मावशीने त्यांचे रूम सोडली आणि त्या आमच्या घरापासून 20 km लांब घर बारीपाडा या छोट्या खेड्यात भाड्याने घर घेऊन राहू लागल्या.मी त्यांना घर शिफ्ट करण्यात खूप मदत केली.तेव्हा त्या मला म्हणाल्या,"सूरज बाळा,येत जा मला भेटायला,हे पण तुझेच घर आहे हा" मी सुजाता मावशीच्या घरून माझ्या घरी येऊन एकच दिवस झाला होतं.मी त्या दिवशी माझा मित्र आनंद च्या घरी गेलो.आनंद च्या घरी त्याची आई आणि बहीण राहत होती.आनंदचे वडील 5 वर्षपुवी मेले होते.त्यांचे घर वडिलांच्या पेन्शन वर चालायचे.मला आनंद च्या घरी जायला खूप आवडायचे कारण आनंद घरात एकुलता मुलगा असल्याने त्याचे खूप लाड होत असत.आनंद आणि मी नेहमी सेक्स विषयी गप्पा मारत असू.आनंद अजून पण त्याच्या घरी नागडा झोपायचा आणि नागडी आंघोळ पण करायचा.मला त्याचा खूप हेवा वाटायचा.मी त्याला एकदा बोललो पण होतो की मलापण तुझ्यासारख नागडा राहायचं आहे आणि झोपायचे आहे रे.तेव्हा तो मला म्हणाला,"मी करेल तुझ्यासाठी नक्की काहीतरी" आनंद ची आई आणि बहिण त्याला अजुंनपण लहानच समजायचे. मला आनंद ची मोठी बहिण निशा खूप आवडायची.ती खूपच सुंदर होती.तिचे स्तन खूप मोठे आणि सुडौल होते.मी आनंद च्या घरी गेल्यावर निशा नेहमी माझे गाल ओढत त्यांची पप्पी घ्यायची.ती नेहमी माझ्यासोबत बिनधास्त पणे बोलायची. मी आनंदला घेऊन त्यांच्या गच्चीवर गेलो आणि मी सुजाता मावशीच्या घरी 7 दिवस कसा नागडा राहिलो,ते सांगितलं.तेव्हा तो मला तू वेडा आहेस असं बोलला. मी :-"का रे ,मी वेडा कसा काय?" आनंद:-"अरे,तुला एवढी चांगली संधी आली होती आणि तू त्याचा फायदा घेतला नाही म्हणून तू वेडा." मी:-"काय बोलतो आहे तू?" आनंद:-"अरे सूरज,तू सुजाता मावशीचे दूध प्यायला पाहिजे होते.तुला त्यांनी नक्की दूध पाजले असते त्यांचे." मी:-"काहीपण हा,त्या कशाला मला त्यांचे दूध पाजतील?" आनंद:-"मी जे सांगतो तसं करशील आणि वागशील तर तुला त्या स्वतःहून त्यांचे दूध पाजतील" मला हे ऐकून खूप आतुरता लागली.मी लगेच आनंद ला विचारले,"यार,सांग ना मला,मी तसाच वागेल नक्की." आनंद:-"आता काय उपयोग,तू थोडी आता त्यांच्या घरी राहणार आहे?" मी :-"ही रे,मी खरंच वेडा आहे" नंतर मी माझ्या घरी आलो. दुसऱ्या दिवशी मला माझ्या आई आणि वडिलांनी सांगितले की ते 1 महिन्यासाठी तीर्थस्थळ दर्शन करत फिरायला जाणार आहेत.तू पण चल आमच्यासोबत. तेव्हा मला idea आली की आता सुजाता मावशीच्या घरी राहायला चांगली संधी आहे,कारण सुजाता मावशीचे पती पण ट्रक ड्रायव्हर असल्याने उत्तर भारतात गेले होते.ते पण जवळपास 1-2 महिन्यांनी घरी येणार होते.त्यामुळे सुजाता मावशी घरी फक्त सोनुसोबतच होत्या.मी तेव्हा माझ्या आई बाबांना सांगीतले,"मला नाही यायचं तुमच्यासोबत.तिथे मोठ्या माणसासोबत मला बोअर होईल." माझ्या घरच्यांना पण ते पटले.तेव्हा माझ्या आईने लगेच सुजाता मावशीला फोन केला. फोन वर बोलणे झाल्यावर आई मला म्हणाली,"आम्ही परवा निघतो आहे.तू आता महिनाभर सुजाता मावशीकडे थांबायचे.त्यांना तू त्यांच्यासोबत राहणार हे ऐकून खूप आनंद झाला.आम्ही तुला परवा सकाळी त्यांचेकडे सोडून जाऊ." मला हे ऐकून माझ्या आनंदाला पारावार उरला नाही.मी लगेच दुसऱ्या दिवशी दुपारी आनंद कडे गेलो आणि त्याला सगळं सांगितलं.तेव्हा मी त्याला बोललो,"यार,सांग ना मला की मिं काय करू ज्याने सुजाता मावशी स्वतः मला दूध पाजेल.?" आनंद हसून बोलला :-,"ठीक आहे सांगतो,पण माझी एक अट आहे" मी ,"काय अट आहे पटकन बोल" आनंद:-,"तुला जर मावशीचे दूध प्यायला मिळाले,तर नंतर मी जे सांगेल ते करावे लागेल हा" मी :- "यार,मी तुला प्रॉमिस करतो,जर मला सुजाता मावशीने दूध पाजले तर तू जे सांगशील ते मी करेल" आनंद :-,"ठीक आहे ऐक मग,मी आज संध्याकाळी तुला माझ्या एका मित्राचे वडील डॉक्टर आहेत, त्यांच्या जवळ स्त्रीचे दूध वाढवणाऱ्या आयुर्वेदिक गोळ्या आहेत,त्या आणून देईल." मी ,"पण तुला हे कसं माहीत,आणि तू त्या गोळ्या कसा आणशील." आनंद:-,"माझ्या त्याच मित्राने मला एकदा त्या गोळ्याबद्दल सांगितले होते.त्या गोळ्या घेतल्याने स्त्रीला खूप जास्त दूध येते." मी :,"मी काय करू मग" आनंद ,"तू त्या गोळ्या रोज एक याप्रमाणे सुजाता मावशीच्या चहा नाहीतर जेवणात मिसळून देत जा.एक - दोन दिवसातच त्यांच्या स्तनात खूप दूध तयार व्हायला लागेल तेव्हा त्यांचे स्तन दुखतील.त्या वेळी त्यांना एक तर त्यांचे दूध सोनूला पाजावे लागेल नाहीतर हाताने दाबून बाहेर काढावे लागेल.पण सोनू जास्त दूध पिणाऱ् नाही आणि हाताने दूध काढताना त्यांना खूप दुखेल.तेव्हा त्यांना तूच एक आसरा राहशील.तेव्हा त्या बरोबर तुला दूध प्यायला सांगतील." मी:-," खरंच, असं होईल का रे?" आनंद :-,"हो नक्कीच,फक्त तू जोपर्यंत गोळ्या देशील तो पर्यंतच त्यांना जास्त दूध येईल.गोळ्या देणं थांबलं की दूध आपोआप कमी होईल.आणि हो या गोळ्या एका दिवसात 2 पेक्षा जास्त देऊ नको,नाहीतर याने थोडी नशा पण येते हा." मी,"ठीक आहे" आनंद :-,"या 3 गोळ्या घे.जेव्हा तुला मावशीचे दूध बंद करायचे असेल तेव्हा तू या 3 गोळ्या त्यांना दे.यामुळे त्यांचे स्तनातले दूध हळू हळू बंद होईल." मी त्या गोळ्या घेऊन लगेच तिथून निघालो.संध्याकाळी आनंद ने मला 100 गोळ्यांचे एक पाकीट आणून दिले.त्या गोळ्या खूप लहान होत्या.मी ते पाकीट माझ्या बॅगेत ठेवले.आणि झोपून गेलो.सकाळी मग मला आई बाबांनी 6 वाजताच झोपेतून उठवले आणि तसेच सुजाता मावशीच्या घरी सोडले.जाताना त्यांनी मावशीला माझी काळजी घ्यायला सांगितली. मला आता परत सुजाता मावशीच्या घरी येऊन खूप छान वाटत होते.सोनू झोपलेला होता.सुजाता मावशीने लगेच मला प्रेमाने त्यांचा जवळ ओढले आणि माझ्या गालाची पप्पी घेत म्हणाल्या,"बाळा ,आता तू आल्यामुळे मला खूप छान वाटले आहे.चल आता ब्रश करून घे.मी नंतर तुझी आंघोळ करेल.मी मग ब्रश घेऊन त्यांच्या घराच्या अंगणात आलो.सुजता मावशीचे हे घर पाड्याच्या वेशीवर होते.मावशीचे घराला 2 रूम होत्या.वर जायला आतून पायऱ्या होत्या. त्यांच्या घराच्या जवळपास एकपण घर नव्हते.घराच्या समोर थोड्या अंतरावर रेल्वेचा रूळ होता.त्या वरून फक्त मालगाडी च जात असे तेपण खूप कमी वेळेस.घराच्या आजूबाजूला खूप सारे झाड लावले होते. मी तिथे अंगणात ओट्यावर उभा राहून ब्रश केला.ब्रश करून घरात आल्यावर मावशीने मला दूध प्यायला दिले.मावशी मग त्यांच्यासाठी चहा बनवू लागली.मी लगेच दूध पिऊन माझ्या बॅगेतून एक गोळी काढली.मावशी गॅस वर चहा तापायला ठेऊन बाहेर गेली तेव्हा मी पटकन त्या गोळीला चहा मध्ये टाकून दिले.गोळी चहा मध्ये टाकताच विरघळून गेली.मावशी मग घरात आल्यावर त्यांनी तो चहा पिला.मी हॉल मध्ये गेलो तर सोनू अजूनपन नागडा झोपलेला होता.त्याला नागडा बघून मला पण आता नग्न व्हावेसे वाटू लागले. मग मी घराच्या मागे मोकळ्या जागेत गेलो.तिथे सुजाता मावशी कपडे धुवत होत्या.मावशीने मला तिथे जवळ बसवले आणि घरातून बादलीत गरम पाणी घेऊन आल्या.तेव्हा मी मावशीला बोललो,"मावशी,मी घरात बाथरूम आहे ना,तिथे आंघोळ करतो ना" तेव्हा मावशी बोलली,"अरे इथेच कर आंघोळ,आता कुठे घरात जातो. मग मी माझे कपडे काढून underwear वर बसलो.मावशी मग माझ्या अंगावर पाणी टाकून माझी आंघोळ घालू लागल्या.त्या माझ्या अंगाला साबण लावू लागल्या आणि मग त्यांनी माझी पॅन्ट काढायला हात लावला तर मी घराबाहेर मोकळ्या जागेत असल्याने मुद्दाम लाजण्याचे नाटक करू लागलो पण मला लवकर नागडं व्हायचं होतं.तेव्हा मावशी मला म्हणाली,"अरे इथे का लाजत आहे.काढू दे ना पँट". मी लाजून म्हणालो,"मावशी इथे कोणीपण येईल ना.नका ना" लागलो. तेव्हा मावशी बोलल्या," बाळा ,काय लाजत आहे तू पण आणि येऊ दे कोणाला पण, तू लहान बाळच आहेस अजून,लहान मुले नागडं असले तर कोणी काही नाही बोलत.चल पटकन आता. असे बोलून मावशीने माझी पॅन्ट काढून मला नागडं केलं.आता मी घराच्या बाहेर मोकळ्या जागेत पूर्णपणे नागडा बसलो होतो.मी पहिल्यांदा असा दिवसा सकाळी 7 वाजता घराबाहेर नागडा झालो होतो.मला आता नागडं होऊन खूप मस्त वाटू लागलं.मावशी मग माझ्या अंगाला साबण लावू लागल्या.मावशी माझ्या नागड्या शरीराकडे बघत होत्या.तेव्हा मावशीने माझ्या चेहऱ्यावर साबण लावला.आता माझे डोळे साबणाने बंद झाले होते.मग मामी मला बोलल्या,"बाळा, थोडा वेळ थांब,मी आले हा." आता मी डोळे बंद करून बाहेर नागडा बसलो होतो.लगेच मावशी आल्या आणि त्यांनी माझ्या अंगावर पाणी टाकून माझे अंग नीट चोळू लागल्या.त्यांनी मला उभे केले व लवड्या ला आणि ढुंगणाला साबण लावून मस्त धुतले.मग त्यांनी चेहऱ्यावर पाणी टाकले.साबण निघाल्यावर मी डोळे उघडले तर समोर चक्क एक बाई मला नागडा बघत होती.ते बघून मला लाज वाटू लागली आणि एक बाई मला नागडं बघत आहे.ती बाई मावशीला म्हणाली,"झालं का आवरून तुझं,हा तुझा भाचा आहे का?" मावशी:-,"हो ताई,आता सुट्ट्या आहेत म्हणून माझ्याकडे आला आहे." ती बाई :-,"ठीक आहे ,येते मी"असे बोलून ती बाई मला नागडं बघून हसत निघून गेली.मी तेव्हा मावशीला मुद्दाम नाटक करत बोललो,"मावशी,मी तुम्हाला बोललो होतो ना,की कोणी बघेल.ती बाई बघ मला बघून कशी हसत होती. तेव्हा मावशी बोलल्या,"अरे,काय झालं मग बघितलं तर.तू अजून लहानच आहे ना.आता रोज मी तुला इथेच आंघोळ घालणार आहे,म्हणजे तुझे हे मुलीसारखं लाजणे बंद होईल".मला हे ऐकून खूप आनंद झाला.मग त्यांनी माझ्या अंगावर पाणी टाकून माझी आंघोळ पूर्ण केली. मग मावशी मला म्हणाली :- "चल सूरज बाळा पटकन अंग टॉवेल ने पुसून घे." माझे अंग टॉवेल ने पुसून झाल्यावर मी घरात हॉल मध्ये गेलो.मला आता इथे या घरात नागडं होऊन मला मस्त वाटत होते.मग मी मुद्दाम मावशिसमोर माझे कपडे घालू लागलो तेव्हा मावशीने मला अडवले आणि म्हणाली,”अरे बाळा,रहा की असा नागडा.कशाला कपडे घालतो.दे ते इकडे.तू मागच्या वेळेस जसा नागडा राहिला आता तसाच रहा इथे. आता इथे असे पर्यंत कपडे नाही घालायचे.” मला हे ऐकून खूप आनंद झाला.आता मी मस्तपणे नागडा घरात फिरू लागलो.थोड्या वेळानं 9 वाजता सोनू पण उठला.त्याला मला बघून खूप आनंद झाला.मी मग त्याचेबरोबर गप्पा मारल्या.मावशीने मग सोनुचा ब्रश केला आणि त्याला घरात आंघोळ घातली.तेव्हा मी मावशीला म्हणालो,"मावशी तुम्ही सोनू ला पण बाहेर आंघोळ घालायचा ना?"तो पण लहानच आहे ना अजून." मावशी:,"बाळा ,आता बाहेर किती उन आहे त्याला चटके बसतील ना."आंघोळ झाल्यावर मावशींनी आमच्यासाठी नाश्ता केला.मी परत असा नागडा घरात नाश्ता करत होतो.नाश्ता झाल्यावर मी आणि सोनू सोबत खेळू लागलो.दुपारी मग आम्ही जेवण केलं.मला असं नागडा जेवण करताना खूप मस्त वाटत होते.जेवण झाल्यावर मावशीने भांडे घासले .मग मावशी आम्हाला बोलल्या,”चला, बाळांनो,आता झोपून घ्या.” मी आणि सोनू मावशीच्या दोन्ही बाजूला नागडे झोपलो.मावशीने मग सोनुच्या बाजूला कुस केली आणि ब्लाऊज चे हुक उघडुन सोनूला दूध पाजले.मला पण इकडे झोप लागली.मी संध्याकाळी उठलो तर सोनू आणि मामी उठलेल्या होत्या.मी उठून फ्रेश झालो आणि सोनुसोबत खेळू लागलो.रात्री मग आम्ही जेवण केलं.जेवण झाल्यावर मावशीने सगळं आवरल्यावर आम्ही गादीवर झोपलो. रात्री मग मावशी सोनूला दूध पाजू लागल्या तेव्हा तो नाटकं करू लागला,पण मावशी त्याला सारखं सारखं पी ना बाळा म्हणत होती.तेव्हा शेवटी नाईलाजाने सोनुने मावशीच्या उजव्या स्तन मधून दूध पिले.मग मावशीने ब्लाऊज बंद केला आणि सोनूला झोपवले.सोनू झोपल्यावर मावशी माझ्याशी गप्पा मारू लागल्या तेव्हा त्यांच्या छातीत दुखू लागले.मी तेव्हा मावशीला म्हणालो,"काय झालं मावशी ,काही त्रास होती आहे का? मावशी,"हो रे बाळा ,मला त्रास होतो आहे." मी :,"मावशी तुम्हाला काय त्रास होतो आहे." तेव्हा मावशी मला म्हणाली,"बाळा ,सोनू आता माझे दूध पिण्यास टाळाटाळ करत आहे.त्याला आता माझे दूध आवडत नाही.त्यामुळे माझ्या छातीत दूध जास्त राहिल्यामुळे दुखत आहे."जाऊ दे तू.झोपून घे बाळा आता." आम्ही मग झोपलो.रात्री मला अचानक गालाला काहीतरी ओलसर पणा जाणवला म्हणून मला जाग आली.मी डोळे उघडले आणि घड्याळात पाहिलं तर रात्रीचे 2 वाजले होते.मग मी समोर बघितलं तर मला खूपच धक्का बसला.मावशी मला चक्क बिलगून झोपल्या होत्या.त्यांचे ब्लाऊज पूर्णपणे उघडे होते.आणि माझे तोंड चक्क त्यांच्या दोन्ही स्तनांच्या मध्ये होते.त्या वेळेस त्यांचा डावा हात माझ्या पाठीवर होता.त्यांच्या उजव्या स्तनांच्या निपलमधून दुधाचे थेंब बाहेर येऊन माझ्या गालावर ओघळत होते.मला तर ते बघून मामीच्या स्तनाला तोंड लाऊन दूध प्यावेसे वाटत होते.मी हळूच माझ्या जिभेने ते दुधाचे थेंब चाखले.खरंच,दुधाची चव अतिशय गोड होती.मला तर ते दूध पिऊन खूप मस्त वाटलं.मग मी हळूच माझे तोंड उघडे करून सुजाता मावशी चा उजवा स्तन तोंडात घेऊन निप्पल ला तोंड लावले.आता मझ्या छातीची जोर जोरात धडधड होत होती.पण मावशीचे चवदार दूध माझ्या तोंडात जात होते.मी हळू हळू मावशीचे निप्पल तोंडात धरून चोखू लागलो.अचानक मावशीची हालचाल झाली.मी माझे तोंड त्यांच्या निप्पल वरून काढणार पण तेवढ्यात त्यांनी माझ्या पाठीवर हात टाकून मला जवळ ओढले आणि त्यांचा स्तन माझ्या तोंडात घातला.मी बघितलं तर त्या गाढ झोपेत होत्या आणि झोपेतच बोलल्या,"पी माझ्या सोनू बाळा आणि झोप ". मग मी पुन्हा हळू हळू मावशीचे निप्पल तोंडात धरून चोखू लागलो.मावशीचे दूध खूप गोड आणि गाढ होते.मी मावशीचे निप्पल दूध संपेपर्यंत चोखले आणि मग हळूच माझे तोंड निप्पल वरून काढले.मला तर मावशीचे दूध पिऊन खूप छान वाटले.मी मग मुद्दाम मावशीच्या विरुद्ध बाजूला तोंड करून झोपून गेलो.सकाळी मला जाग आली तेव्हा सकाळी मला जाग आली तेव्हा सकाळचे 6 वाजले होते.मावशी अजुंनपण माझ्याजवळ उघड्या झोपलेल्या होत्या.मी मावशीचे उघडे स्तन बघू लागलो.मावशीचे स्तन आता रिकामे झाल्यामुळे loose पडले होते.परंतु त्यांचे गोरे स्तन बघून मला परत ते चोखन्याची इच्छा होत होती.मग मावशीची हालचाल झाली म्हणून मी सरळ होऊन झोपेचे नाटक करू लागलो.मावशी मग उठल्या आणि मग त्यांनी त्यांच्या दोन्ही हातांनी त्यांचे स्तन दाबून बघितले आणि एक सुटकेचा निःश्वास सोडला.मग त्या तश्याच उठल्या आणि बाथरूम मध्ये गेल्या.मला आता स्वतःवर विश्वास होत नव्हता की मी रात्री मावशीचे दूध पिले.मावशीची आंघोळ झाल्यावर मी मुद्दाम डोळे चोळत उठलो.तेव्हा मावशी मला म्हणाली,"उठला माझा बाळ,झोपायचे ना अजून,आता कुठे शाळा आहे तुझी " पण मी काहीच न बोलता उठलो.तेव्हा मावशीने मला त्यांच्या जवळ प्रेमाने ओढले आणि माझ्या केसांवरून हात फिरवून माझ्या गालाची पप्पी घेतली आणि म्हणाल्या,"चल बाळा ब्रश करून घे मग मी तुला दूध पाजते." मला हे ऐकून रात्रीच्या आमु मामी च्या दुधाची आठवण आली. मग मी ब्रश घेतला आणि बिनधास्तपणे घराच्या पुढे ओट्यावर नागडा उभा राहून ब्रश करू लागलो.मी मस्त मोकळ्या अंगणासमोर नागडा उभा होतो.ब्रश करून मी घरात आलो.तेव्हा मावशीने मला दूध प्यायला दिले.मावशी मग पुन्हा त्यांच्यासाठी चहा करू लागल्या.मावशी मग पुन्हा बाहेर गेली तेव्हा आज त्यांच्या चहा मध्ये डायरेक्ट 2 गोळ्या टाकून दिल्या. कारण मला आता मावशीचे दूध लवकर प्यायचे होते.मी दूध पिले आणि मावशीने चहा पीला .आता मावशी मला म्हणाली,"चल बाळा ,उन वाढायच्या आत आंघोळ करून घे."असे बोलून मावशीने माझा हात पकडुन मला मागच्या बाजूला मोकळ्या जागेत आणले.मी आता पुन्हा घराबाहेर मोकळ्या जागेत आंघोळ करणार होतो.मावशीने मला खाली बसवले आणि त्या पाटावर बसल्या.त्यांनी मग माझ्या अंगावर पाणी टाकले आणि माझ्या शरीरावर साबण लावू लागल्या.मला आज पण असं नागडी आंघोळ ते पण घरा मोकळ्या जागेत करताना खूप मजा येत होती.मग माझी आंघोळ झाल्यावर मावशी मला म्हणाल्या,"अरे बाळा,मी तर तुझं टॉवेल घरातच विसरून आली.तू जा आत आणि पुसून घे.मी पण आली लगेच.तेव्हा सोनू बाहेर आला.मामींनी मला थांबायला सांगितले आणि त्याला म्हणाल्या,"सोनू,आतून तुझा आणि सूरजचा घेऊन ये इकडे,चल पटकन आंघोळ करून घे."मी आता कंपाऊंड मध्ये ओल्या अंगाने नागडा उभा होतो.मला ओल्या अंगाने असं नागडं राहण्यात मज्जा येत होती.सोनू पण नागडा होता,तो बाहेर टॉवेल घेऊन आला.मी माझे अंग टॉवेल ने पुसले आणि तसाच नागडा बाहेर उभा राहिलो.सोनू ला मावशीने आंघोळ घालायला सुरुवात केली तेव्हा तो माझ्या अंगावर पाणी उडवू लागला.मी पण लगेच मग्यात पाणी टाकले आणि त्याच्या अंगावर उडवले.तेव्हा त्याने पण माझ्या अंगावर पाणी टाकले.मी आता परत ओला झालो.तेव्हा मावशीने आम्हाला थांबवले आणि सोनुची आंघोळ केली.आता आम्ही तिघेजण घरात गेलो.मी आणि सोनू लगेच तसेच नागडे टीव्ही बघू लागलो.मामींनी पोहे बनवले आणि आम्ही तसेच नागडे खाली बसून पोहे खाल्ले.दुपारी आम्ही जेवण केले.दुपारी सगळं आटोपल्यावर मावशीने सोनूला दूध पाजले.सोनू आता पण दूध प्यायला नाटक करत होता.त्या दिवशी संध्याकाळी मी उठलो तेव्हा सोनू झोपलेला होता.मी उठून किचन कडे जाऊ लागलो. मी घराचे मागच्या रूम मध्ये गेलो तर तिथे मावशी चक्क ब्लाऊज उघडुन बसल्या होत्या मी लगेच दाराआड लपलो आणि त्यांना बघू लागलो.मावशी एक छोटे पातेले हातात घेऊन त्यांचे स्तन दाबून त्या पातेल्यात त्यांचे दूध काढत होत्या.त्यांचे स्तनाच्या निप्पल मधून दुधाच्या धारा येत होत्या. त्यांच्या स्तनांमधून येणारे दूध बघून माझ्या तोंडाला पाणी सुटले.मग त्यांनी स्तन दाबून दूध काढले. आणि ते दूध ग्लास मध्ये टाकले.मी पटकन हॉल मध्ये झोपून गेलो.नंतर मी 5 वाजता उठलो तेव्हा सोनू आणि मावशी चहा पीत होते.चहा पिऊन झाल्यावर सोनू बाहेर गेला.मला बघून मावशीने मला जवळ बोलावले.मी जवळ गेलो तर मावशी मला म्हणाली,"ये माझ्या बाळ" असे म्हणत त्यांनी मला त्यांच्या मांडीवर बसवले.मला मांडीवर बसवलं. सुजाता मावशी मला म्हणाली,"बाळा ,तुला दूध देऊ का प्यायला." मी लगेच हो म्हणालो.तेव्हामवशिने मला दूध दिले.मी बघितलं तर हा तोच ग्लास होता ज्यात सुजाता मावशीने त्यांचे दूध काढले होते.मला तो ग्लास बघून खूप आनंद झाला कारण मला आता कळलं होतं की मावशी मला आता त्यांचे दूध पाजणार होत्या.मी तो ग्लास तोंडाला लाऊन दूध पिले,आणि मुद्दाम मावशीला म्हणालो,"मला अजून दूध प्यायच आहे ,द्या ना अजून" हे ऐकून आमु मामी आनंदाने म्हटल्या,"बाळा ,तुला एवढे आवडले दूध?" मी :-,"हो मावशी,मला असे वाटते की हे दूध पितच राहावं" तेव्हा मावशी आनंदाने माझ्या गालाच्या 2 ते 3 पप्पी घेत म्हणाली,"बाळा ,आज रात्री पासून मी तुला हे दूध देणार,पण तुला ते प्यावेच लागेल हा." मला कळून चुकले की आज मावशी मला त्यांचे दूध पाजनार आहे ते म्हणून मी मुद्दाम म्हणालो :,"मामी ,तुम्ही म्हणाल तर मी डायरेक्ट पिशवी लाच तोंड लावूनच दूध संपवतो ते." मावशी ,"मी तुला दुधाची पिशवीच तोंड लावायला देईल.तू फक्त ते पी" मी नंतर सोनुसोबत खेळू लागलो.आज मी मावशीकडे बघत होतो तेव्हा त्या खूप वेळा त्यांच्या दोन्ही स्तन ला हलवत होत्या.गोळीच्या मुले आता मावशीचे स्तन दुधाने भरून गेले होते आणि त्यामुळे त्यांना त्रास होत होता.रात रात्री 8 ला आमचे जेवण झाले.मावशीने घाई घाईने भांडे घासले.मी आणि सोनू घरात खेळत होतो.मग 9:30 ला मावशी आणि सोनू आणि मी हॉल मध्ये झोपलो.सोनू आज थकल्यामुळे लवकर झोपला.सोनू झोपल्यावर मावशीने मला उठवले आणि बोलल्या,"चल बाळा,आपण गच्चीवर जाऊ.मी आणि मावशी मग गच्चीवर गेलो.मी त्यांना विचारलं,"आज तुम्ही सोनूला ला दूध नाही पाजलं" तेव्हा मावशी हसून बोलल्या,"तो आता दूध नाही पिणार" मावशी मग तिथे खाली बसल्या.तिथे खूप छान हवा येत होती.मी पूर्ण नागडा असल्याने माझ्या अंगाला मस्त हवा लागतं होती.मावशीने मग मला त्यांचे जवळ घेतले.आणि त्यांच्या मांडीवर लहान बाळा सारखे झोपवले. .मग मावशीने माझ्या गालाची आणि मग मानेची पप्पी घेतली तेव्हा मला गुदगुल्या झाल्या.मावशी माझ्या शरीरावर हात फिरवू लागल्या.मला त्यांचा तो स्पर्श खूप आवडला.मग त्यांनी मला त्यांचे काही मजेदार जोक सांगितले आणि आम्ही खूप हसलो.तेव्हा मावशी मला म्हणाली,"बाळा ,तुला दूध नाही प्यायचे का आज?". मी,"हो मामी,मला दूध द्या ना प्यायला.मला आज आठवणच राहिली नाही." मावशी मग मला म्हणाली,"मी पाजते हा माझ्या बाळाला दूध" तेव्हा मावशीने मला मांडीवर पकडुन ठेवले आणि त्यांनी त्यांच्या ब्लाऊज चे हुक एक एक करून उघडले.आता त्यांचे दोन्ही मोठे गोरे स्तन माझ्या समोर होते.त्यांनी मग त्यांचा उजवा हात माझ्या डोक्याच्या खाली लाऊन मला आधार दिला आणि मग त्यांचा उजवा स्तन माझ्या तोंडाला लावायला लागल्या.त्यांचे स्तनाचे बोंड रबरसारखे इकडे तिकडे जाऊ लागलो.तेव्हा त्या मला म्हणाल्या,"अरे घे ना तोंडात.तुला दूध पाहिजे ना मग पी ना." मी मुद्दाम नाटक करत ," नाही मावशी,मला ते ग्लास मध्ये देतात ना तेच गोड दूध पाहिजे." आमु मामी त्यांचं उजवा स्तन माझ्या तोंडाला लावत हसून बोलल्या,"अरे बाळा,तू आधी तोंडात तर घेऊन बघ."असं बोलून त्यांनी त्यांचा उजवा स्तनाचे बोंड माझ्या तोंडात टाकलं आणि त्या त्यांचा स्तन दाबू लागल्या.त्यांचे निप्पल मधून गोड दूध माझ्या तोंडात यायला लागले.ते गोड दूध माझ्या तोंडात जाताच मी निप्पल ला माझ्या ओठांनी पकडून चोखू लागलो.लगेच स्तनातून खूपच गोड चवदार दूध यायला लागले.मला तर आता स्वतःवर विश्वास च बसत नव्हता की मी मावशी मला त्याचं दूध पाजत आहे..मी त्यांचे निप्पल आणि एरोला पूर्ण तोंडात घेऊन दूध पिऊ लागलो.सुजाता मावशी त्यांचा एका हाताने माझ्या डोक्याला वर करून स्तनावर दाबत होत्या आणि त्यांचा दुसरा हाताने त्यांनी माझा उजवा हात त्यांच्या डाव्या स्तनावर ठेवला.मी त्यांचे डावे स्तनाचे निप्पल हातात घेऊन त्याच्याशी खेळू लागलो.त्यातले दूध आता माझ्या अंगावर पडत होते.मावशीला आराम मिळतो होता म्हणून त्या हळू आवाजात " आह आह " करू लागल्या.त्या माझ्या केसावर हात फिरवत म्हणाल्या,"चोख बाळा ,पिऊन टाक तुझ्या मावशीचे दूध. सगळं तुझंच आहे.खूप आराम भेटतो आहे मला आता".मी एका लहान बाळा सारखं नागडा मावशीच्या च्या मांडीवर झोपून दूध पीत होतो. थोड्या वेळाने मावशीच्या उजव्या स्तन मधून दूध येणं बंद झालं तेव्हा मी माझे तोंड त्यांचे निप्पल वरून हटवलं. मावशीने माझ्या चेहऱ्यावर हात फिरवत मला विचारलं,"अजून प्यायच का माझ्या बाळाला दूध?" मी लगेच हो म्हणालो.तेव्हा मावशी म्हणाली,"चल बाळा,आपण खाली घरात जाऊ आता.मावशी आणि मी मग खाली जाऊ लागलो.खाली येताना मावशीचे उघडे स्तन मस्त हलत होते. खाली आल्यावर मावशीने मला गादीवर झोपवले.त्यांनी साडी सोडली आणि ब्लाऊज पूर्णपणे काढून त्या वरून नग्न झाल्या.मावशी माझ्या शेजारी झोपल्या.मग त्यांनी मला त्यांच्या छातीजवळ ओढले आणि त्यांचा डावा स्तन माझ्या तोंडाला लावला. मी लगेच निप्पल तोंडात धरला आणि त्यातून दुधाच्या धारा माझ्या तोंडात येऊ लागल्या.मावशीचा डावा स्तन खूप दुधाने भरलेला होता त्यामुळे त्यातून खूप दूध बाहेर येत होते.माझ्या तोंडात जास्त दूध आल्याने ,थोडे दूध माझ्या तोंडाच्या कडेने गालावरून ओघळू लागले.मला दूध पाजताना मावशी आता खूपच उत्तेजित होत होत्या.त्या माझ्या अंगावरून हात फिरवू लागल्या.मी पण माझा डावा हात आणि पाय त्याच्या अंगावर टाकून त्यांना अजून बिलगलो.मी आता मस्त स्तन चोखत होतो.मला आता मावशीचे दूध पिऊन खूप छान वाटत होते.स्तनात दुध संपल्यावर मी माझे तोंड निप्पल वरून काढले.तेव्हा मावशीने माझी पप्पी घेतली आणि मला म्हणाल्या,"कसं वाटलं बाळाला दूध? पोट भरलं ना माझ्या बाळाचे?" तेव्हा सुजाता मावशी बोलल्या,"नुसतं मस्त नसतं,तर तब्येती साठी चांगलं पौष्टिक पण असतं ते बाळा.चल आता झोपू आपण,आणि हो बाळा ,तुला आता रोज माझं दूध प्यावं लागेल हा.सोनू आता दूध नाही पित माझे,आता तूच माझा दूध पिणारा बाळ आहे आणि बाळा,ही गोष्ट फक्त आपल्या दोघातच राहू दे हा,कोणाला सांगू नको.नाहीतर लोकं हसतील हा तुला." मग मावशीने मला त्यांचे स्तनात ओढले आणि मी मग त्यांच्या स्तनावर तोंड लावून झोपून गेलो.मला आज स्वर्गसुख घेतल्यासारखे वाटत होते.सकाळी मला जाग आली तेव्हा सकाळचे 5 वाजले होते.मावशी अजुंनपण माझ्याजवळ उघड्या झोपलेल्या होत्या.मला तेव्हा दूध पिण्याची इच्छा झाली म्हणून मी मावशीचा उजवा स्तन तोंडात घेऊन त्याचे बोंड हळू हळू चोखू लागलो. मावशीला जाग येऊ नये म्हणून मी खूप हळू हळू निप्पल चोखून दूध पीत होतो.काय मस्त दूध होते ते.मला तर असं वाटतं होतं की जणू मी लस्सी च पित आहे.मला निप्पल चोखत चोखत कधी झोप लागली कळलच नाही.मग मला थोडी हालचाल झाली तेव्हा जाग आली.मी हळूच झोपेचं नाटक करू लागलो कारण मी अजूनपन मावशीचा उजवा निप्पल माझ्या तोंडात धरून झोपलो होतो. तेव्हा मावशींनी हळूच माझ्या तोंडातून निप्पल बाहेर काढले तर माझ्या ओठावर दुधाचे काही ठेव पडले.मग त्यांनी माझ्या कपाळाची पप्पी घेतली.आणि ब्लाऊज घालून उठून गेल्या.त्या पुढचे घरात गेल्यावर मी हळूच उठलो आणि आनंदाने उड्या मारू लागलो.मी आता मनातल्या मनात आनंद ला खूप धन्यवाद देत होतो. थोड्या वेळानं सुजाता मावशी घर झाडू लागल्या.मी तेव्हा उठून मावशीकडे गेलो.मला बघून मावशी म्हणाली,"चल बाळा,ब्रौह करून घे लवकर."मावशी चहा ठेऊन घर झाडू लागल्या.मी गुपचूप 2 गोळ्या मावशीच्या चहात टाकून दिल्या.मी पटकन मागे जाऊन ब्रश केला.मावशी मग घरात आल्या आणि त्यांनी चहा घेतला.मी बाथरूम मध्ये ब्रश ठेवला तेव्हा मावशी बाथरूम मध्ये आल्या आणि खाली बसल्या. त्या आंघोळ करणार म्हणून मी उठून जाऊ लागलो तर त्या म्हणल्या,"कुठे चालला बाळा,बस ना इथेच.मी आंघोळ करताना आपण गप्पा मारुया." मावशी आता माझ्यासमोर आंघोळ करणार होत्या.मग मावशीने त्यांचे ब्लाऊज काढले.मावशी आता फक्त परकर वर होत्या.त्यांचे दोन्ही स्तन मस्त दुधाने भरलेले असल्याने खूप मोठे वाटत होते.मग त्या माझ्याशी गप्पा मारत आंघोळ करू लागल्या.त्यांनी मग त्यांच्या स्तनावर साबण लावला आणि त्या दोन्ही स्तनांना चोळू लागल्या. त्यांच्या शरीरावर साबण लावून आंघोळ करत होत्या तेव्हा मला पण त्यांच्या स्तनांना साबण लावून त्यांच्या सोबत आंघोळ करावी अशी इच्छा होत होती.मग त्यांनी आंघोळ केली आणि त्या तशाच उठून मला म्हणाल्या,"बाळा चल आता.मी कपडे घालून लगेच तुझी आंघोळ करते हा.मग मावशी घरात गेल्या.आता मला परत घराबाहेर नागडी आंघोळ करायची होती.थोड्या वेळाने मावशी ब्लाऊज आणि साडी नेसून बाथरूम मध्ये आल्या आणि मला म्हणाल्या,"चल बाळा बाहेर आंघोळ करायला ". मी मुद्दाम नाटक करत म्हणालो,"नाही ना मावशी,मी इथेच बाथरूम मध्ये आंघोळ करतो ना.मला बाहेर लाज वाटते हो." मावशी,"नाही हा बाळा,तू बाहेरच आंघोळ करायची रोज." असे बोलून त्यांनी मला हात धरून उठवलं.मावशी मला घराच्या मागच्या बाजूला मोकळ्या जागेत घेऊन आल्या आणि तिथे बसवले. मी तेव्हा मुद्दाम मावशीला म्हणालो :- "मावशी मी काय लहान आहे का आता" आमु मामी :- मग,तू आहेच माझा लहान बाळ." मी ,"नाही मावशी,मी आता मोठा झालो आहे." तेव्हा मावशी मला हसून म्हणली,"नाही हा.तू अजून लहानच आहे हा. बघ बरं तू आता इथे बाहेर लहान बाळासारखा नागडा बसला आहे.तसच तू रोज लहान बाळा सारखे दिवसभर नागडा राहतो,जेवण करतो, झोपतो आणि आता तर लहान बाळाप्रमाणे माझे दूध पण पितो आहे.मग आहे की नाही तू अजून माझा लहान बाळ.चल आता मला आंघोळ घालू दे तुला." असे बोलून मावशी मला आंघोळ घालू लागल्या.त्या परत मला बोलल्या,"बाळा ,तू कितीही मोठा झाला ना,तरी माझ्यासाठी माझं दूध पिणारा बाळच राहशील तू" मावशी मला आंघोळ घालत होत्या तेव्हा अचानक ती बाई तिथे आली.ती मावशीसोबत गप्पा मारू लागली.मी तेव्हा मावशीला म्हणालो,"माझी पाहिले आंघोळ करा ना" मावशी:-,"थांब बाळा,मला यांच्यासोबत थोडं बोलू तर दे" मी,"मावशी,कोणी येईल ना.मला लाज वाटते आहे" तेव्हा ती बाई मला म्हणाली,"एवढं काय झालं पोरा लाजायला.तू लहान आहेस अजून.लहान मुले नागडी राहिली तर काय झालं लाजयला." तेव्हा मावशी बोलली,"अहो ताई,तो खूप लाजत असतो मुलीसारखं" तेव्हा ती बाई बोलली,"काय एवढं लाजायच त्याने.तो लहान आहे अजून."मग त्यांनी अजून गप्पा मारल्या.ती बाई मग निघून गेली.आता मावशीने मला पाणी टाकून माझ्या लवड्याजवल मस्त साबण लाऊन माझ्या लवड्या ला धुतले आणि मग माझे डोके पण धुवून दिले आंघोळ झाल्यावर त्यांनी माझे अंग टॉवेल ने पुसले.आम्ही घरात आलो.तेव्हा मावशी बोलल्या,"बाळा ,दूध चल पटकन दूध पिऊन घे माझं,नाहीतर सोनू उठून जाईल.त्यने बघितलं तर तो लहान आहे,कोनालापण सांगेल की तू माझे दूध पितो ते.." मी,"द्या लवकर, मला खूप भूक लागलीच होती" सुजाता मावशी :- "बाळा ,मग सांगायचं ना,चल ये इकडे माझ्याकडे." मी मावशी कडे गेल्यावर त्यांनीं मला त्यांच्या मांडीवर झोपवले आणि त्यांचं ब्लाऊज चे खालचे 2 हुक उघडुन डावा स्तन बाहेर काढला.आणि माझ्या डोक्याला खालून हात टाकून थोडे वर केले.मग त्यांनी डाव्या स्तनाचे निप्पल माझ्या तोंडाला लावले.मी लगेच स्तनाचे बोंड तोंडात घेतले आणि त्याला चोखू लागलो.मावशीच्या स्तन मधून लगेच गोड दूध यायला लागले.मावशी माझ्या केसांवरून हात फिरवत म्हणाली,"आरामात पी माझ्या बाळा,तुझंच दूध आहे ते."दूध पिताना मला आता काहीच भान राहिलं नव्हतं.मला आता फक्त मावशीच्या स्तना मधले गोड आणि चवदार दूध प्यायचे होते.मी हळू हळू निप्पल चोखत दूध पीत होतो.सुजाता मावशी आता खूप उत्तेजित होत होत्या आणि माझ्या सर्वांगावर हात फिरवत होत्या. डावा स्तन मधून दूध संपल्यावर मी उठलो.तेव्हा आमु मामी बोलल्या,"बाळा ,अजून पी ना दूध" असं बोलून त्यांनी ब्लाऊज चे बाकी हुक उघडले आणि उजवा स्तन हातात धरला. आमु मामी:-" हे बघ ,यात अजून दूध आहे.पी ना हे पण." मग मी मावशीच्या उजव्या बाजूला मांडीवर झोपलो आणि त्यांचा उजवा स्तन तोंडात घेऊन निप्पल चोखू लागलो.आता माझे पोट भरत आले होते.पण मला स्तन चोखणे सोडू वाटत नव्हते.मी हळू हळू 15 मिनिट स्तन चोखुन त्यातले दूध संपवले.दूध संपल्यावर मी माझे तोंड निप्पल वरून काढले.आता मावशीचे दोन्ही स्तन रिकामे झाल्यामुळे सैल झाले होते. मी :- "मावशी माझं पोट भरलं आता.मी नंतर पितो दूध. आमु मामी :- चालेल बाळा,तू दूध पील्यामुळे मला खरच आराम मिळतो आहे.तुला जेव्हा दूध प्यावेसे वाटेल तेव्हा सांग मला." असे बोलून मावशींनी त्यांचे स्तन ब्लाऊज मध्ये टाकले आणि त्यांचे घरातले काम आवरू लागल्या.थोड्या वेळाने सोनू उठला.मावशीने मग त्याची आंघोळ घातली. दुपारी आम्ही जेवण केले.मी मुद्दाम कमी जेवलो कारण मला मावशीचे जास्तीत जास्त दूध प्यायचे होते.दुपारी 1 वाजता मावशीने सोनूला झोपवले आणि लगेच मला म्हणाली,"सूरज बाळ,इकडे ये लवकर" मी मावशीच्या जवळ गेलो तेव्हा त्यांनी मला त्याच्या जवळ झोपवले आणि लगेच ब्लाऊज चे हुक उघडुन स्तन बाहेर काढले.मावशीने लगेच माझ्या समोर त्यांचा उजवा स्तन धरला.तेव्हा त्या स्तनातून खूप दूध बाहेर टपकु लागले.मी तिकडे बघितले तर लगेच मावशी बोलल्या,"बाळा बघतो काय,ते बोंड तोंडात घेऊन चोख ना.लवकर दूध पी." मी लगेच मावशीचे निप्पल तोंडात घेऊन चोखू लागलो. स्तनात दुध जास्त असल्यामुळे दुधाच्या धारा माझ्या तोंडात येत होत्या.मावशी मला म्हणाली,"बाळा तू दोन्हीकडचे दूध पिऊन घे.मी झोपते आहे.असे बोलून मावशी झोपून गेल्या.माझ्या मते आज मावशी जास्त थकल्या असल्याने गाढ झोपून गेल्या होत्या.मी परत त्यांचे उजवे निप्पल ओठात पकडुन चोखू लागलो.सर सर करत दूध माझ्या तोंडात येऊ लागले.मी स्तन चोखत असताना चोखण्याचा चू चू आवाज येऊ लागला.तेव्हा मी खूप उत्तेजीत झालो.मी हळू हळू निप्पल पूर्ण तोंडात घेऊन दूध पिऊ लागलो. मावशीचे स्तन आता खूपच मऊ झाले होते आणि निप्पल पण आता एका लांबट द्राक्ष एवढे झाले होते.मी मस्त निप्पल ओढू लागलो.उजव्या स्तनाचे दूध संपल्यावर मी लगेच माझे तोंड डाव्या स्तनाला लावणार तेव्हड्यात मावशीने कुस बदलली आणि त्या पाठीवर सरळ झोपल्या.आता त्यांचे स्तन छातीवर पसरून मस्त गोलाकार झाले होते.मला अजून दूध प्यायचे होते.म्हणून मी डायरेक्ट मावशीच्या वर आलो व हळूच त्यांचे डावे स्तनाचे निप्पल तोंडात धरून चोखू लागलो.डाव्या स्तनात कमी दूध येत होते. त्यांचा डावा स्तन लवकर रिकामा झाला.मी तरी मावशीचा चा डावा स्तन तोंडात धरून फक्त चोखन्याचा आनंद घेऊ लागलो.नंतर मग अचानक सुजाता मावशीने परत कुस बदलली आणि त्या उजव्या बाजूला वळल्या.मी तसाच निप्पल तोंडात धरून त्यांचे सोबत उजव्या बाजूला झोपलो.आणि माझा हात त्यांच्या नरम उघड्या पोटावर ठेवला.निप्पल चोखत चोखत मलापण कधी झोप लागली कळलच नाही.मला संध्याकाळी जाग आली तेव्हा मावशी तिथे नव्हत्या.मी उठून बसलो घराबाहेर आलो तर मावशी आंगण झाडत होत्या.मावशींनी मला बघितलं आणि म्हणाल्या,"उठला का बाळा,चल फ्रेश होऊन घे बरं". मी घराचे मागे गेलो आणि हात पाय चेहरा धुवून फ्रेश झालो.मावशी मला बोलली,"बाळा तू बाहेर खेळ मी घरात आवरून स्वयंपाक करते."मी आणि सोनू मग नागडेच घराच्या मागे खेळू लागलो. संध्याकाळी 7 ला आम्ही घरात आलो आणि हात पाय धुऊन फ्रेश झालो.मी मावशीला बोललो,"मला पण भूक लागली आहे." मावशीने मग मला त्याच्या जवळ ओढले आणि माझी पप्पी घेऊन विचारलं,"काय करू मी बाळा तुझ्यासाठी?तू सांग ते जेवण बनवते मे आज."तेव्हा मी त्यांना बोललो, तुम्हाला जे आवडतं ते बनवा" मावशी :- ठीक आहे बाळा. सोनू हॉल मध्ये टीवी बघू लागला. मी तिथेच घरात बसून मावशीसोबत गप्पा मारू लागलो.मावशीने मग डाळ भात केला.आम्ही दाळ भात खाऊन झाल्यावर मावशीने भांडे घासले. थोड्या वेळानं मावशीने सोनूला झोपवले.आता मला मावशीचे दूध प्यायच होतं.मी मावशीला दूध प्यायच बोलणार इतक्यात मावशी बोलली,"बाळा आज खूप गरम होतं आहे रे.चल आपण थोड्या वेळ गच्चीवर जाऊ.मी आणि मावशी गच्चीवर गेलो.तिथे मस्त थंडी हवा लागत होती.तेव्हा मावशी बोलल्या,"ये बाळा इकडे माझ्याजवळ बस."मी मावशीच्या जवळ बसलो तेव्हा त्यांनी माझी पप्पी घेतली आणि माझ्याशी गप्पा मारू लागल्या.त्या मला त्यांचे बालपणीचे किस्से सांगत होत्या.ते ऐकून मला खूप हसू येत होते.तेव्हा अचानक गप्पा मारता मारता त्यांनी त्यांचे ब्लाऊज चे हुक उघडुन दोन्ही स्तन मोकळे केले.आणि तश्याच मला गोष्टी सांगता सांगता माझे डोके धरून त्यांच्या डाव्या स्तनाला लावले.मी आता तसाच त्यांच्या मांडीवर बसून त्यांच्या डाव्या स्तनाच्या निप्पल ला तोंडात घेऊन दूध पिऊ लागलो.थोड्या वेळाने लगेच त्यांनी माझे डोके धरले आणि डाव्या निप्पल वरून माझे तोंड काढले आणि उजव्या स्तनाच्या निप्पल ला लावले.त्या असं करताना पण मला न थांबता गोष्ट सांगत होत्या.मी दूध पिता पिता हू हु करत होतो.मग दूध पिऊन झाल्यावर मी माझे तोंड निप्पल वरून काढले तेव्हा त्यांचे दोन्ही स्तन दूध संपल्यामुळे सैल झाले.ते बघून सुजाता मावशी मला बोलल्या,"चावट ,माझे दोन्ही दूध चाटून पुसून रिकामे करून टाकले.खूप बरं वाटलं आता."मग आम्ही खाली येऊ लागलो.तेव्हा मावशी ब्लाऊज न लावता तसच खाली येत होत्या.त्यांचे दोन्ही स्तन खाली उतरताना मस्त खाली वर हलत होते.खाली घरात मी आणि मावशी जवळ झोपलो.तेव्हा मावशीने चक्क माझ्या ओठांवर पप्पी घेतली आणि बोलल्या,"माझा,गोड दूध पिणारा बाळ" असे बोलून मी त्यांच्या दोन्ही स्तनात तोंड घुसवले आणि त्यांना बिलगून झोपून गेलो.मला त्या स्तनांच्या मऊ स्पर्शाने लगेच झोप लागली. सकाळी मला जाग आली तेव्हा मावशी उठलेल्या होत्या.तेव्हा सकाळचे 6 वाजले होते.मी उठून घरात बघितलं तर सुजाता मावशी वरून अर्धनग्न होत्या.त्यांनी फक्त परकर घातलेला होता.त्या तश्याच घर झाडत होत्या.घर झाडताना त्याने दोन्ही स्तन मस्त हलत होते.आता त्यांचे स्तन रात्रीत दूध भरल्यामुळे कडक झालेले दिसत होते.मला बघून त्या म्हणाल्या,"अरे बाळा एवढा लवकर का उठला ,झोपायच ना तू." मग मी उठून बाहेर ब्रश करू लागलो.तोपर्यंत मावशींनी घरात आंघोळ केली.आंघोळ झाल्यावर मावशी मला म्हणाली,"चल बाळा दूध पिऊन घे." मी तसच तोंड धुऊन मावशीच्या मांडीवर झोपलो.मावशीने मला त्यांच्या दोन्ही स्तन मधून दूध पाजले.आता घड्याळात 7 वाजले होते.मावशीने मग मला सांगितले की,"बाळा,आज आपल्याला जवळच्या विहिरीवर कपडे धुवायला जायचे आहे.तू आता लगेच माझ्यासोबत चल.मी तिथेच तुला आंघोळ पण घालून देईल."मला मावशीचे बोलणे ऐकून आश्चर्य वाटले आणि मनातल्या मनात आनंद पण झाला.मी मुद्दाम मावशीला बोललो,"नाही हा मावशी,तुम्ही जा कपडे धुवायला.मी नाही येत,मला लाज वाटते." मावशी ,"बाळा,ठीक आहे नको आंघोळ करू,पण माझ्यासोबत तर चल तिथे." मग मी कपडे घातले आणि मावशीसोबत जायला तयार झालो.तेव्हा मी मावशीला म्हणालो,"मावशी ,सोनू ला उठवा ना.तो घरात एकटा कसा राहील?" मावशी:-,"अरे बाळा ,झोपू दे त्याला .तो 9 वाजेपर्यंत नाही उठणार.विहीर जवळच आहे.आपण एक तासात येऊन जाऊ." मग मी आणि मावशी निघालो.जवळपास दीड किमी अंतर चालल्यावर आम्ही विहिरीजवळ आलो.तिथले दृश्य बघून मी शांतच झालो.विहिरीजवळ 8-10 स्त्रिया होत्या.त्यातल्या काही कपडे धुवायला आल्या होत्या आणि काही पाणी भरत होत्या.सगळ्यात आश्चर्य म्हणजे तिथे विहिरीजवळ माझ्या जवळपास वयाची 5-6 मुले चक्क नागडी आंघोळ करत होते.त्यातल्या 3 मुलांच्या आया त्यांना आंघोळ घालत होत्या.मला आता त्या मुलांचा हेवा वाटू लागला.मला माझाच राग आला की मी मावशीला आंघोळीला नाही म्हणालो. आता मावशीने मला एका ठिकाणी बसवले आणि त्या बाकी बायांसोबत गप्पा मारू लागल्या.मी आता त्या नागड्या मुलांना मस्तपणे आंघोळ करताना बघू लागलो.आंघोळ झाल्यावर 3-4 मुले त्यांच्या आयांसोबत चक्क नागड्या अवस्थेत रस्त्याने घरी जात होते.त्या स्त्रियांच्या कपड्यावरून ते खूप गरीब लोक आहेत असे दिसत होते. मावशीचे थोडे कपडे धुतले आणि आता 2 -3 कपडे बाकी होते तेव्हा त्यांनी मला जवळ बोलावले.मी मावशीच्या जवळ गेल्यावर मावशीने मला तिथे एका दगडावर बसवले आणि माझा टीशर्ट काढायला लागली.मला तेव्हा कळून चुकले मी मावशी आता माझी नागडी आंघोळ घालणार इथे.पण मी मुद्दाम मावशीला नाही म्हणू लागलो. मावशी मला म्हणाली,"बाळा ,करून घे ना इथे आंघोळ" तेव्हा शेजारची एक बाई मला म्हणाली,"अरे पोरा ,कर की आंघोळ ,काय झालं तुला आंघोळ न करायला?" मावशी त्या बाईला म्हणाली,"तो खूप लाजत आहे हो" ती बाई,"अरे काय लाजत आहे एवढा,ते बघ तिकडे ती मुलं कशी नागडी आंघोळ करत आहे.ते पण आहेतच ना नंगे.कर पटकन आंघोळ" आता सुजाता मावशीने लगेच माझा टीशर्ट काढला आणि मग मला उभं करून माझी पँट काढून टाकली.आता मी त्या लोकांमध्ये पूर्णपणे नागडा झालो होतो.मला आता खूप मस्त वाटत होते.तिथे आता पाणी भरण्यासाठी सुमारे ६-८ लोक उपस्थित होते, त्यात सर्व महिला होत्या आणि हातपंपाजवळून रस्त्याने जाणारे बरेच लोक होते. ते सर्व मला नग्न पाहू शकत होते आणि मला ते खूप आवडले.मावशीने मग तिथेच एका स्त्री कडून बादली घेतली आणि त्यात पाणी भरून माझ्या अंगावर पाणी टाकून मला आंघोळ घालू लागल्या.आंघोळ झाल्यावर मावशीने माझे अंग टॉवेलने पुसले.आणि मला तिथे विहिरीजवळ उभं राहायला सांगितलं.मावशी आता उरलेले कपडे धुवायला लागल्या.तो पर्यंत मी तिथे नागडा फिरू लागलो.तेथील स्त्रिया मला नागड्या बघत होत्या तसेच रस्त्यावर येणारे जाणारे लोक सुध्दा. त्यांना त्याचे काहीच वाटत नव्हते पण मला खूप छान वाटत होतं.मावशीचे कपडे धुवून झाल्यावर त्यांनी मला आवाज दिला आणि बोलल्या,"सूरज बाळा,चल आपल्याला घरी जायचं आहे"मी मावशीकडे गेलो आणि त्यांना म्हणालो,"मावशी माझे कपडे द्या.ते कुठे आहेत." मावशी,"कपडे का पाहिजे तुला?" मी :,"आता घरी जायचं आहे ना.मग कपडे नको का घालायला." सुजाता मावशी,"बाळा,मी तुझे कपडे धुऊन टाकले.आता असाच (नागडा) चल घरी." मी ,"मावशी,नका ना रस्त्यावर लोकं बघतील ना मला" तेव्हा मावशी मला म्हणाली,"कोणी काही बोलत नाही इथे,चल आता पटकन"मी आता मावशीसोबत नागडा च घरी येऊ लागलो.मला असं रत्याने नागडं चालताना खूपच मस्त वाटू लागलं.रस्त्याने जाणारे लोकं मला नागडा बघत होते.घराजवळ आल्यावर मी मुद्दाम हळू चालत नागडेपणाचा आनंद घेऊ लागलो.घरात आल्यावर मामी मागच्या घराचे पाठीमागे दोरीवर कपडे टाकण्यासाठी गेल्या.मला आज खूप आनंद झाला कारण मी आज चक्क लोकांमध्ये नागडा झालो होतो.मला ते आठवून आठवून खूप मस्त वाटत होते.मि आता ठरवले की रोज सकाळी मावशीसोबत विहिरीवर आंघोळ करायला जायचे ते पण नागड्या अवस्थेत.थोडया वेळाने मावशी घरात आली.त्यांनी सोनूला उठवले आणि त्याची आंघोळ केली.आमचा नाश्ता झाल्यावर मावशी आम्हाला म्हणाली,"बाळांनो,आज आपल्याला जवळच्या ताईंनी जेवायला बोलावले आहे.आपल्याला दुपारी त्यांच्या घरी जायचे आहे हा.मला आता त्या बाईच्या घरी नागडेच जायचे होते.दुपारी 12 वाजता मावशी आम्हाला म्हणाली,"चला बाळांनो,आपल्याला जायचे आहे जेवायला." सोनू तसाच नागडा निघायला लागला पण मी तेव्हा मुद्दाम कपडे घालू लागलो.तेव्हा मावशी माझ्या जवळ आल्या आणि त्यांनी माझे कपडे काढून बाजूला टाकले व मला म्हणाली,"आता कशाला कपडे घालतो,चल असाच.जवळच शेजारीच आहे त्यांचे घर." मग मी आनंदाने मावशी आणि सोनुसोबत नागडा त्या बाईच्या घरी पोहचलो. शेजारच्या बाईचे घर शेतात होते. त्या घरात एक म्हातारे आजी बाबा ,त्यांची सून (ती बाई) आणि त्यांचा एक 12 वर्षाचा नातू राहतं होते. आम्ही घरात गेल्यावर त्यांनी आम्हाला पाणी दिले .तिथे सगळेजण गप्पा मारू लागले.त्या बाईच्या मुलाने जेव्हा आम्हाला नागडं बघितलं तेव्हा त्याने लगेच त्याचे कपडे काढले आणि तो पण नागडा झाला.त्याला असं बघून सगळे हसायला लागले. थोड्या वेळाने आम्ही जेवण केले.मला असे दुसऱ्याच्या घरी नागडं जेवण करताना मज्जा आली.जेवण झल्यावर मी त्यांचा नातूसोबत बाहेर येऊन खेळू लागलो. घर रस्त्यालगत असल्याने येणारे जाणारे लोकं आम्हाला नागडं खेळताना बघत होते.तो मुलगा जरी माझ्यापेक्षा वयाने 3 वर्ष लहान होता तरी उंची आणि शरीराने चांगला असल्याने माझ्यापेक्षा मोठा वाटत होतं. खेळून घरात आल्यावर त्या घरातल्या आजीनंमाझ्याकडे बघून मावशीला बोलल्या,"सुजाता याला चांगलं खाऊ पिऊ घाल ना .कसा बारीक आहे हा." मावशी :- "रोजच त्याला खाऊ घालते पण त्याची तब्येत नाही सुधारत" त्या आजी :- "अगं,रोज त्याला सकाळ संध्याकाळ एक ग्लास दूध पाजत जा.आणि हो त्याला केळी पण खाऊ घाल." आमु मामी माझ्याकडे पाहून हसत म्हणल्या,"आजी,मी त्याला रोजच दूध देते.आणि तो आवडीने पितो पण.आता बघा मी कशी त्याची तब्येत सुधारते." थोड्या वेळ अजून गप्पा मारल्यावर आम्ही परत घरी आलो.तेव्हा रात्री मावशीने स्वयंपाक करायला सुरुवात केली.मी त्या रात्री खूप कमी जेवण केले.करणं आज दुपारी मी मावशीचे दूध न पिल्यामुळे त्यांचे स्तन नक्कीच दुधाने भरलेले होते.मला ते सगळं दूध प्यायचे होते.मावशी सगळं आवरून घरात आल्या.सोनू आज आधीच झोपून गेला होता.त्याला झोपलेलं बघून मावशीने सुटकेचा निःश्वास सोडला.त्यांनी लगेच माझा हात धरून मला गच्चीवर नेले.आज आकाशात खूप पावसाचे वातावरण होते त्यामुळे बाहेर काळाकुट्ट अंधार पडला होता.मावशीने लगेच त्यांची साडी सोडली आणि ब्लाऊज उघडुन दोन्ही स्तन बाहेर काढले.मावशीच्या स्तनांतून दूधच दूध ओघळत होते.मावशी मला बोलल्या,"चल बाळा,पटकन दूध पिऊन घे.आज दुपारी तू दूध न पिल्यामुळे माझे स्तनात खूप दूध भरले आहे.हे बघ ते किती कडक झाले आहेत."असं बोलून त्यांनी माझे हात त्यांचे स्तनांवर ठेवले.तर खरंच त्यांचे स्तन खूप कडक लागत होते.आता मला पण खूप भूक लागली होती.म्हणून मी लगेच मावशीच्या उजव्या स्तनाला पकडुन त्याचे निप्पल तोंडात घेऊन चोखू लागलो.आज मावशीच्या स्तन मधून खूप दूध बाहेर येत होते.दुसऱ्या स्तनात जास्त दूध झाल्याने त्यातील थेंब माझ्या पोटावर पडत होते.मी मावशीच्या मांडीवर झोपून मस्त दूध पीत होतो.आता पावसाचे बारीक बारीक थेंब येत होते.विजा चमकत होत्या.विजांच्या उजेडात मावशीचे स्तन खूप छान दिसत होते.मी लगेच दूध पिता पिता मावशी ना विचारलं,"मावशी आज दूध खूप गाढ आणि जास्त चवदार लागतं आहे.मला खूप आवडलं हे दूध."आज मला खूप जास्त दूध आलं म्हणून गाढ असेल कदाचित.आणि बाळा ,आता मला खूप जास्त दूध येत आहे,त्यामुळे तू आता जेवण कमी करायचं आणि माझं दूध जास्त प्यायच.मग बघ कशी तुझी तब्येत सुधारते."असे बोलून आमु मामी मला दूध पाजू लागल्या.आता पाऊस वाढू लागला होता ओला होऊ नये म्हणून मी उठू लागलो तर मावशीने मला हाताने झोपवले आणि उजवा स्तन माझ्या तोंडात दिला.आता पाऊसाचे पाणी आमच्या दोघांच्या अंगावर पडून आम्ही ओले व्ह्यायला लागलो.मावशी आणि मी आता पावसाने पूर्ण भिजलो होतो.पावसाचे पाणी आता मावशीच्या स्तनावर पडून दुधासोबत माझ्या तोंडात येत होते.मला ओले स्तन चोखताना खूप मज्जा येऊ लागली. उजवा स्तन रिकामा केल्यावर मी निप्पल वरून माझे तोंड काढले.तेव्हा मावशी मला बोलल्या,"बाळा,आता डाव्या बाजूचे पण दूध पी"मग मावशींनी मला उठवले आणि त्यांचा ब्लाऊज व परकर काढून टाकला.आता मावशी फक्त निकरवर बसल्या होत्या.मावशीने मला पावसातच त्यांच्या डाव्या बाजूला झोपवले आणि त्यांचा डावा स्तन हाताने पकडून माझ्या तोंडाला लावला.मी मग बोंड तोंडाला लावून दूध प्यायला लागलो.त्या गोड आणि गाढ दुधामुळे मला जास्त जोर आला.मी जोरा जोरात सुजाता मावशीचे निप्पल ओढून चोखू लागलो त्यामुळे त्यांना त्रास होऊ लागला.तेव्हा मावशी मला म्हणाली,"अरे हळू पी ना बाळा,तुझेच आहे ते दूध."मग मी हळू हळू निप्पल चोखू लागलो.आता मावशीने मला मध्येच उठवले.आम्ही आता पावसात गच्चीवर उभे होतो.मावशीने आणि मी आता खाली घरात आलो.घरात आल्यावर मावशीने मला टॉवेल दिला.मी टॉवेलने माझे अंग पुसले.तिकडे मावशीने त्यांचे स्तन आणि बाकी शरीर टॉवेलने पुसले.त्यांनी त्यांचे केस पण नीट कोरडे केले.मावशीने मग बाथरूम मध्ये जाऊन निकर काढली आणि एक परकर घातला.मावशी मग माझ्याजवळ आली आणि मला घेऊन गादीवर झोपली.मी परत मावशीच्या डाव्या स्तन च्या निप्पल ला तोंडात धरुन चोखू लागलो.मावशीला आता गाढ झोप येत होती.थोड्या वेळानं मावशी गाढ झोपून गेल्या.डाव्या स्तनाचे दूध पण कमी यायला लागले.मला आत्ता पोट भरल्यामुळे गाढ झोप यायला लागली.मी तसाच निप्पल तोंडात धरून दूध पिताना झोपून गेलो सकाळी मला जाग आली तेव्हा मावशी तश्याच उघड्या अंगाने घर झाडत होत्या.मी लगेच उठलो..मी मुद्दाम डोळे चोळत त्यांच्या समोर गेलो.तेव्हा त्यांनी मला त्यांच्या उघड्या शरीराला कवटाळले.आणि बोलल्या,"झाली का झोप माझ्या बाळाची.माझ्या बाळा ला आता भूक लागली असेल.चल मी पाहिले चहा पिते,तू तोपर्यंत ब्रश करून घे. मग मला आंघोळ करायची आहे.मी लगेच ब्रश करू लागलो आणि हळूच दोन गोळ्या मावशीच्या चहात टाकून दिल्या.मावशी आता माझ्यासमोरच अर्धनग्न अवस्थेत चहा पिऊ लागल्या.चाह पिऊन झाल्यावर मावशी आंघोळीला बसल्या.मी तेव्हा त्यांच्या समोर बसलो.आता मावशी माझ्यासमोर आंघोळ करू लागल्या.मावशीने मग त्यांच्या सर्व अंगाला साबण लावून चोळायला सुरवात केली.माझ्यासमोर मावशी मस्त आंघोळ करत होत्या.तेव्हा त्यांनी मला आवाज दिला आणि बोलल्या,"बाळा,माझ्या पाठीला जरा साबण लाऊन दे ना. मी मावशीच्या गोऱ्या पाठीला साबण लावून चोळू लागलो.तेव्हा मावशी मला बोलल्या,"बाळा पुढे पण साबण लावून दे." मी लगेच मागून हात टाकून त्यांचे स्तन पकडून त्यांना साबणाने चोळू लागलो.तेव्हा मावशीचे स्तन दुधाने भरलेले असल्याने कडक लागत होते.मी स्तन साबण लावून चोळत असल्याने मावशी खूप उत्तेजित झाल्या.मग मी मावशीच्या अंगावर पाणी टाकले.आंघोळ झाल्यावर मावशी टॉवेल गुंडाळून आत गेल्या. मी पण त्यांच्या मागे गेलो.तेव्हा त्यानी निकर घातली आणि मग परकर ,ब्लाऊज घातला.आता मावशी मला म्हणाली,"चल बाळा ,आपल्याला विहिरीवर कपडे धुवायला जायचे आहे.तू जा पुढे मी आली लगेच" मी लगेच नागडा घराबाहेर निघून रस्त्याने उड्या मारत विहिरीजवळ गेलो.तिथे मी नागडाच बाकी मुलांसोबत खेळू लागलो.5 मिनिटांनी मावशी आल्या.त्यांनीं कपडे धुवायला सुरुवात केली.आज विहिरीवर बऱ्यापैकी लोकांची गर्दी होती.त्यात जवळपास 15 स्त्रिया मला नागडं बघत होत्या.मला त्या लोकांमध्ये नागडं राहून मस्त वाटत होतं.कपडे धुवून झाल्यावर मावशीनी तिथेच मला नागडी आंघोळ घातली.आणि आम्ही घरी आलो.घरी आल्यावर मावशी लगेच कपडे बाहेर दोरीवर वाळायला टाकून माझ्याजवळ आल्या आणि त्यांनी लगेच घराचे दार बंद करून पटापट साडी सोडली.मी मावशीकडे बघितलं तर त्यांचे ब्लाऊज निप्पल जवळ पूर्ण ओले झाले होते आणि त्यातून दुध मोठ्या प्रमाणात ओघळत होतं.आनंद ने दिलेल्या गोळ्यांमुळे आता मावशीच्या स्तनात अती प्रमाणात दूध तयार होत होते. दुधामुळे मावशीची साडी पण वरून भिजली होती. मावशीने लगेच मला जवळ ओढले आणि त्यांचा ब्लाऊज उघडायला सुरुवात केली.ब्लाऊज चे शेवटचे हुक काढताच त्यांचे दोन्ही स्तन बाहेर आले. निपलमधुन खूप प्रमाणात दूध ओघळत होते.मावशीने लगेच उभ्या उभ्यानेच मला पकडून माझे डोके त्यांचा स्तनाला लावले.मी लगेच त्यांच्या डाव्या स्तनाचे बोंड तोंडात पकडुन चोखू लागलो.मावशीच्या निप्पल मधून आज खूपच दूध येत होते. निप्पल चोखायला सुरुवात करताच मावशींनी सुटकेचा निःश्वास सोडला.दूध अती प्रमाणात माझ्या तोंडात येत असल्याने माझ्या ओठाच्या कडेवरुन दूध बाहेर माझ्या नागड्या अंगावर ओघळत होते. मी उभा राहून दूध पिऊ लागलो.मावशीने लगेच मला तसेच दोन्ही हातानी उचलून बेडवर टाकले.त्या बेड वर आल्या आणि लगेच त्यांनी त्यांचा उजवा स्तन माझ्या तोंडात दिला.मी आता त्यांच्या उजव्या स्तना च्या निप्पल ला तोंडात धरून दूध पिऊ लागलो.आज दूध खूप मोठ्या प्रमाणात येत होते.दूध थोडे गाढ होते पण खूप चवदार लागत होतं.मी अर्धा तास सुजाता मावशीचे दोन्ही स्तन चोखुन त्यातले दूध संपवले.मी माझे तोंड त्यांच्या स्तनावरुन हटवलं आणि मावशीकडे बघितलं तर त्या झोपलेल्या होत्या.माझ्या सुजाता मावशी फक्त पारकर वर झोपल्या होत्या.त्यांचे दोन्ही स्तन आता रिकामे झाले होते.आज माझे दुधाने पोट भरून गेले होते.मी लगेच उठून बसलो.अर्ध्या तासाने मावशीला जाग आली.त्या तश्याच अर्धनग्न अवस्थेत उठल्या आणि त्यांनी मला त्यांच्या जवळ बोलावून त्यांच्या मांडीवर बसवले. मावशी मला प्रेमाने गोंजारत म्हणल्या,"धन्यवाद माझ्या बाळा,तुझ्यामुळेच मला आराम मिळतो आहे." त्या दिवशी दुपारी मी जेवण केले नाही.दुपारी सोनू झोपल्यावर मावशीने परत मला दूध पाजले.संध्याकाळी मी आणि सोनू बाहेर अंगणात खेळू लागलो खेळून झाल्यावर आम्ही घरात आलो.तेव्हा मावशी वरण भात बनवत होत्या.आम्ही जेवण केले. रात्री मग झोपताना आज मावशी सोनूला दूध पाजत होत्या तेव्हा मी त्यांचेकडे बघत होतो.सोनुने थोडं दूध पिले आणि तो दूध पित पिताच झोपून गेला.तो गादीवर झोपल्यावर मावशी मला म्हणाली,"तुलापण दूध प्यायच आहे का?" मी लगेच हो म्हणालो. मावशी मुद्दाम चेष्टेने हसून बोलल्या,"सकाळीच तर पिलं ना तू दूध,मग आता कशाला पाहिजे?" मी लगेच नाराज झालो.पण काहीच बोललो नाही. तेव्हा सुजाता मावशी बेडवर झोपल्या आणि माझ्याकडे बघत म्हणाल्या," ये माझ्या बाळा..” असं म्हणत मावशीने मला कवेत घेतलं आणि आम्ही तिथेच बेडवर आडवे झालो.मावशीने आता दुसरा पण स्तन हाताने दाबून बाहेर काढला. माझ्या तोंडासमोर आता दुधाची भरलेली दोन स्तन होती. मी एकाला धरून चाटु लागलो. “आह….” सुजाता माझ्या डोक्याखाली हात सारत रिलॅक्स होत उद्गारली. मी वर पासून खालपर्यंत तिचा पूर्ण स्तन चाटु लागलो, सगळीकडे जीभ फिरवू लागलो. “असा काय नवीन असल्यासारखा करतोयस?” मावशी हसत कुजबुजली, “ते बोन्ड चोख ना..” सुजाता मावशीने दुसऱ्या हाताने माझ्या तोंडासमोर स्तन पुढे केला. मी वेड्यासारखा तिच्या निप्पलवर तुटून पडलो. सरळ दात रोवत मी आवेशाने निप्पल चोखू लागलो. हाताने स्तन दाबू लागलो. “स्स्स्सस्स्स्स……” करत मावशीने माझं डोकं आपल्या स्तनावर आजूनच घट्ट दाबलं. तेवढ्यात दुधाची एक चिळकांडी माझ्या दातांच्या फटीतून गालावरून खाली गेली. मी पटकन ओठ आवळून धरले आणि “च्चू… च्चू…च्चू….” आवाज करत मावशीचे दूध प्राशन करू लागलो. तिचा दुसरा स्तन माझ्या गालावर विसावला होता. मी इकडे दूध पीत त्याला पण हाताने दाबू लागलो. मावशीने सुद्धा “हुश्श….” करत एक उश्वास सोडला आणि ती पाठीवर सरळ होत झोपली.मावशी आनंदाने माझ्या डोक्यावरून हात फिरवत होती. “बाळा ,ही गोष्ट कोणालाच नाही सांगायची हा” तिने मला समजावलं. “हम्मम… च्चू..च्चू..च्चू..” करत मी एक पाय मावशीच्या मांडीवर टाकला. मावशीने सुद्धा माझा पाय तिच्या मांड्यांत दाबला. माझ्या जणू सर्वांगातून सुखाची लहर जात होती. तोंडात स्तन आणि खाली सुजाता मावशीची मऊ मांडी. मी दोन्ही हातांनी एक स्तन दाबत त्याचे बोंड ओठांनी पुढे ओढू लागलो.या स्तनातलं दूध संपल म्हणून मी क्षणाचा ही विलंब न करता दुसरा स्तन अधाशासारखा तोंडात कोंबला. मावशी हसत कपाळावर हात मारून घेत माझ्याकडे मला बोलली,"अरे हळू हळू चोख ना दूध,मी थोडेच कुठे चालली आहे,तुझेच आहे हे दूध"पण मी त्यांचे बोलण्याकडे दुर्लक्ष करत तिचे निप्पल चोखत जोरात दूध पित होतो.मावशीने माझा एक पाय तिच्या मांड्यांमध्ये आधीच दाबून धरला होता.मी मग त्यांचे दूध पिता पिताच झोपून गेलो.सकाळी मी उठलो आणि लगेच मावशीला जाऊन बिलगलो.मावशीने प्रेमाने गोंजारत माझ्या गालाची पप्पी घेतली.मग त्या मला विहिरीवर घेऊन गेल्या आणि तिथे माझी आंघोळ केली.मावशीने मग मला नाश्ता म्हणून साधा भात बनवला.मी तेव्हा मावशी ना म्हणालो."मावशी ,मला साधा भात नाही आवडत,मला त्याच्याबरोबर काहीतरी द्या." तेव्हा सुजाता मावशी म्हणाली,"काय देऊ आता भातासोबत?रात्रीचे वरण नाही आता." लगेच त्यांना idea आली .त्यांनी लगेच माझ्या हातातून भाताची डिश घेतली.त्यांनी मग त्यांचे ब्लाऊज उघडले.ब्लाऊज उघडल्यावर मावशी त्यांचे निप्पल चिमटीत पकडून ओढू लागल्या.तेव्हा निप्पल मधून दुधाच्या धारा भातावर पडू लागल्या.मावशीने मग माझा हात धरून त्यांच्या स्तनावर ठेवला आणि मला त्यांचे दूध डिश मध्ये सोडायला सांगितले.मी आता माझ्या दोन्ही हातानी मावशीचे निप्पल ओढून त्यांचे दूध भाताच्या डिश मध्ये टाकू लागलो.10 मिनिटात भाताची डिश मावशीच्या दुधाने पूर्ण भरली.तेव्हा मावशी माझ्याकडे भाताची डिश देत मला म्हणाली,"बाळा ,आता खाऊन घे तुझ्या मावशीच्या गोड दुधाचा भात" मी मग आवडीने मावशीच्या दुधाचा भात खाल्ला. त्या दिवशी दुपारी मावशी मला आणि सोनूला म्हणाली,"बाळा ,आज रात्री आपल्याला सोलापूर ला जायचे आहे,माझ्या ओळखीतल्या ताईंच्या मुलीचे लग्न आहे.त्यांनी मला लहानपणी खूप सांभाळले आहे.आपल्याला रात्री जायचे आहे आज.संध्याकाळी आम्ही बस ने नंदुरबार ला आलो.आता रात्रीचे 7 वाजले होते.सोलापूर ला जाणारी ट्रॅव्हल बस 9 वाजता होती.आम्ही तिघांनी तिथे जवळच हॉटेल मध्ये जेवण केले.प्रवास करायचा असल्याने मी खूप कमी जेवण केले.रात्री आमची ट्रॅव्हल बस आली आम्ही बस मध्ये चढलो.बस वाल्याने आम्हाला आमची जागा दाखवली.आम्ही तिथे झोपलो.9 वाजता बस निघाली.बस चालू झाल्यावर मावशीने आमच्या कोच चा पडदा लाऊन घेतला आणि त्याला कोच च्या गाडीत अडकवला.आता आम्ही कोच च्या आता अंधारात होतो.सोनू लगेच झोपून गेला.मावशीने मग त्याला पडद्याच्या बाजूला झोपवले.आता मी बस च्या खिडकीच्या बाजूला झोपलेलो होतो.मी पण आता झोपू लागलो.थोड्या वेळाने मला मावशी कण्हत असल्याचा आवाज आला.मी उठून मावशीला विचारलं,"मावशी,काय झालं,तुम्हाला काही त्रास होतो आहे का?" तेव्हा मावशी मला हळू आवाजात म्हणाली,"हो रे माझ्या बाळा, बरं झालं तू उठला ,मला दुधामुळे खूप त्रास होतो आहे रे.तू झोपला होता म्हणून मी तुला उठवले नाही.आज दुपारी तुला दूध पाजता आले नाही त्यामुळे त्यात खूप दूध भरले आहे.बस हलत असल्याने माझे स्तन आणखी दुखत आहेत.चल पटकन दूध पिऊन घे." मी मावशीला म्हणालो,"नको मावशी,कोणी बघितलं तर" मावशी:,"इथे एवढं अंधार आहे.तरीपण मी माझ्या आणि तुझ्या अंगावर शाल पांघरून घेते म्हणजे कोणी बघितलं तरी त्यांना कळणार नाही." मी लगेच मावशीच्या छातीजवळ तोंड केले.तेव्हा मावशी मला म्हणाली,"बाळा मी शाल घेते तो पर्यंत तू माझे ब्लाऊज खोल.मी लगेच माझ्या हातानी मावशीचे ब्लाऊज चे हुक हळूच उघडू लागलो.मावशीच्या ब्लाऊज चे सगळे हुक उघडल्यावर मध्ये मावशीने ब्रा घातली होती.मावशी मग खाली झोपली आणि त्यांनी त्यांच्या हाताने ब्रा वर सरकवून दोन्ही स्तन बाहेर काढले.खिडकीतून बाहेरच्या लाईट च्या उजेडात मला मावशीचे स्तन खूप मोठे आणि भरलेले दिसले.मी आधी डाव्या स्तनाला हळूच तोंडात घेऊन चोखू लागलो.खूपच मोठ्या प्रमाणात दूध माझ्या तोंडात येऊ लागले.मी आता चालू बस मध्ये मावशीचे स्तन चोखुन गोड आणि गाढ दूध पिऊ लागलो.मी मावशीचे दोन्ही स्तन आळीपाळीने तोंडात घेऊन निप्पल चोखू लागलो.त्यामुळे त्यांच्या दोन्ही स्तन मधून दूध कमी होऊ लागले. मावशीला आता आराम मिळू लागला.त्या माझ्या केसांवर हात फिरवू लागल्या.जवळपास अर्धा तास मी मावशीचे दोन्ही स्तन आळीपाळीने चोखू त्यातले दूध संपवले.आता मावशी खूप निवांत झाल्या होत्या.त्यांनी मग माझ्या ओठावर किस केला आणि ब्लाऊज लाऊन घेत साडी नीट केली.मी मावशीच्या स्तनात डोके लाऊन झोपून गेलो.सकाळी मावशीने आम्हाला 6 ला उठवले.आम्ही उठल्यावर 6:00 ला बस सोलापूर ला पोहचली. तिथे उतरल्यावर आम्ही फ्रेश झालो आणि मावशिसोबत घोडतांडा या खेड्यावर जाणाऱ्या बस मध्ये चढलो.जवळपास अर्धा तासानतर आम्ही. घोडातांडा खेड्यात उतरलो.तिथे पोहचल्यावर आम्ही मावशीच्या ओळखीच्या ताईंच्या घरी पोहचलो.त्या ताईंचे घर गावाच्या सुरवातीला रस्त्याच्या कडेला होते.तिथे लग्नाचा मंडप टाकलं होता.त्या घरात भरपूर नातेवाईक लोकं आलेले होते.तसेच त्यांनी लोकांना राहण्यासाठी समोरचे घर पण राखीव ठेवले होते.मावशीच्या ताईंनी आम्हाला बघितले आणि त्यांना खूप आनंद झाला.त्यांनी मावशीला मिठी मारली व म्हणाल्या,"आली का सुजाता तू. बरं वाटलं मला.चल पटकन फ्रेश होऊन घ्या,प्रवास करून थकल्या असणार तुम्ही.मग नाश्ता करू सगळेजण.मावशीने मग आमच्या बॅग समोरच्या घरात ठेवल्या.मावशी आम्हाला त्या घरात बसून आंघोळीला गेल्या.त्यानी लग्न घरात आंघोळ केली.मावशीला गर्दी असल्याने बाथरूम भेटायला 1 तास वाट पाहावी लागली.आंघोळ झाल्यावर मावशी आमच्याकडे आल्या.त्यांनी मग आम्हाला घराच्या बाहेर मोकळ्या जागेत कपडे धुण्याच्या जागेवर आणले.तिथेच मावशीने सोनूला नागडं केलं.आता सोनू त्या लोकांच्या गर्दीत रस्त्याजवळ नागडा होता.मला पण आता त्याला बघून इतक्या लोकांमध्ये नागडा व्हावेसे वाटू लागले.मावशीने मग त्याला आंघोळ घातली.आंघोळ केल्यावर सोनू नागडा च उभा होता.मावशी मला म्हणाली,"चल बाळा ,तू पण इथे आंघोळ करून घे.घरात बाथरूम मध्ये खूप गर्दी आहे आंघोळीसाठी." असं बोलून मावशीने मला तिथेच कपडे काढून नागडं केलं.तिथे सगळे लोकं मला नागडं बघत होते.मला आता खूप छान वाटत होते.मावशीने मला तिथेच आंघोळ घातली.आंघोळ करताना मावशीच्या ओळखीची एक तरुण स्त्री तिथे आली.ती स्त्री आता माझ्या नागड्या शरीराकडे बघत होती.माझी आंघोळ करताना मावशीने तिच्याकडे पाहिलं आणि आनंदाने म्हणाली,"आशा, अगं तू कधी आलीस?किती वर्षांनी भेटतो आहे आपण.चल मी यांची आंघोळ आवरते मग आपण गप्पा मारुया.मावशी आता परत माझी आंघोळ करू लागल्या.आंघोळ झाल्यावर मावशीने मला आणि सोनूला समोरच्या घरात नेले.तिथे आशा काकू बसलेल्या होत्या.त्यांच्या हातात एक 4-5 महिन्यांचे बाळ होते.त्या साडीने स्तन झाकून त्या बाळाला दूध पाजत होत्या.आता मी आणि सोनू मावशी सोबत घरात आशा काकुसमोर नागडं उभे होतो.मावशी तिच्यासोबत बोलत बोलत आम्हाला कपडे देऊ लागली.आम्ही आता कपडे घातले.तेव्हा मावशी आशा काकूला म्हणाली,"अगं आशा,तू आज काय करते आहे?" आशा:,"काही नाही ग सुजाता,मला तर नुसतं बोअर होतं आहे. इथे माझ्या ओळखीचं कोणीच नाही.आई पण लग्नाचा कामात मदत करते आहे.म्हणून मी बसली आहे इथे एकटी,आणि असं पण मला माझ्या बाळा मुळे कुठे जाता येत नाही." मावशी :-,"मला पण लग्नाच्या कामात मदत करायची आहे.तू आज दिवसभर या दोघांना सांभाळशिल का?" आशा :-,"हो नक्कीच.तुम्ही जा ,मी घेईल त्यांची काळजी." तेव्हा सोनू मावशिसोबतच राहण्याचा हट्ट करत रडू लागला.तेव्हा मावशी मला आशा काकुजवळ सोडत म्हणाली,"बाळा ,तू आज आशासोबत रहा.आणि आशा सूरज ला दुपारी जेवण झालं की झोपवून दे कोणाकडे पण" आशा म्हणाली,"नक्की सुजाता,मी घेईल त्यांची काळजी". आता मावशी सोनूला घेऊन गेल्या.तेव्हा आशा माझ्या जवळ बसली आणि म्हणाली,"काय नाव आहे तुझं? मी :- सूरज आशा काकू :- शाळेत जातो का? मी :- हो, आशा काकू:- कोणत्या इयत्ता मध्ये जातो? मी मुद्दाम तिला लहान वाटावं म्हणून आता 6 वी ला गेलो असे सांगितले. आशा काकू :- माझं नाव आसावरी आहे.पण सगळे मला आशा म्हणतात.मी रत्नागिरीला राहते." असे बोलून त्यांनी माझ्या गालाला हाकून पकडुन बोलली,"तू खूप क्युट दिसतो रे. असं बोलून तिने चक्क माझ्या गालाची पप्पी घेतली.मी लगेच लाजलो.तेव्हा आशा काकू हसल्या आणि मला बोलल्या,"लाजतोस काय रे तू."मला आता खूप अवघडल्यासारखं होत होते.आता त्या घरातल्या वरच्या बेडरूम मध्ये फक्त मी आणि आशा काकू होत्या.तेव्हा आशा काकू मला म्हणाली,"बाळा,दरवाज्याला आतून कडी लावून घे.मला माझ्या बाळाला दूध पाजायाचे आहे" मी दरवाजा आतून बंद केला.तेव्हा आशा काकू बाळाला दूध पाजू लागल्या. माझे संपूर्ण लक्ष आणि लक्ष आशा आंटीच्या बुब्सवर होते. त्यांचे स्तन खूपच गोरे होते.त्यांचे स्तनाचे गडद गुलाबी रंगाचे मोठे अरिओला होते. स्तनाग्र देखील गडद गुलाबी रंगाचे होते.मी पहिल्यांदा गुलाबी रंगाचे निप्पल बघत होतो कारण सुजाता मावशीचे निप्पल गडद तपकिरी रंगाचे होते.आशा काकुंचे स्तन सुजाता काकूंच्या स्तनापेक्षा खूप सुंदर ,मोठे आणि गोलाकार होते.सुजाता काकुचे स्तनाग्र 3 सेमी पर्यंत उभे होते.आता त्यांचे बाळ स्तनपान करू लागले. अचानक आशा आंटी ने बाळाला दूध पाजत असताना मी तिच्या बुब्सकडे बघत असताना पकडले. त्या मला म्हणाल्या "काय झालं बेटा. तु कधीही स्त्रीला स्तनपान करताना पाहिले नाही का?” मी काहीच बोललो नाही.तेव्हा आशा काकू मला म्हणाली,"बस बाळा,तू पण माझ्या मुलासारखा च आहे.दुपारी मग आशा काकूनी बाळाला आणि मला रूम मध्ये सोडून माझ्यासाठीे जेवण आणले.मी तिथेच जेवण केले.माझे जेवण झाल्यावर आशा काकूने सगळं आवरले.थोड्या वेळाने आशा काकू मला म्हणाली,"सूरज तू झोपून घे आता.मी जेवण करून आले."मग मी आशा काकूंच्या बाळा सोबत बेडवर झोपलो.मला तेव्हा झोप येऊ लागलीच होती की.लगेच सुजाता मावशी तिथे आल्या आणि त्यांनी सोनूला बेडवर झोपवले.सोनू झोपल्यावर मावशीने दरवाजा आतून बंद केला आणि माझ्याकडे पाहून म्हणाली,"बाळा ,चल पटकन आशा काकू यायच्या आत दूध पिऊन घे.मला खूप त्रास होती आहे."मी लगेच मावशीच्या मांडीवर झोपलो.मावशीने ब्लाऊज उघडुन स्तन बाहेर काढले.मी जोरा जोरात त्यांच्या दोन्ही स्तनातले दूध आळीपाळीने निप्पल चोखत पिले.तेवढ्यात आशा काकू ने दरवाजा पलीकडून आवाज दिला.मी पटकन उठून बेडवर झोपलो.मावशीने त्यांचे स्तन ब्लाऊज मध्ये टाकले आणि साडी नीट करून दरवाजा उघडला.तेव्हा आशा काकू बोलली,"काय ग सुजाता ,दरवाजा लवकर उघडायचा ना. काय करत होती आत तू."मी आता झोपून गेलो.मला जेव्हा जाग आली तेव्हा आशा काकू आणि सुजाता मावशी गप्पा मारत होत्या.मी झोपायचे नाटकं करत त्यांच्या गप्पा ऐकू लागलो.तेव्हा आशा काकूंच्या छातीत दुखू लागले.म्हणून मावशी बोलली,"काय झालं ग,दुखते आहे का?" आशा काकू:- "हो ग,माझ्या स्तनात दुध जास्त बनत आहे आणि माझा बाळ एव्हढ दूध नाही पिऊ शकत,मला दूध जास्त भरल्यामुळे खूप त्रास होतो आहे.सुजाता तुझ्या पण स्तनात दूध आहे.तुला नाही का त्रास होत." सुजाता मावशी,"होतो ग,पण सोनू दूध पितो त्यामुळे मला खूप आराम मिळतो." तेव्हा आशा काकू अचानक म्हणाली,"सोनू नाही सूरज?" आता मावशी आश्चर्यचकित होऊन बोलली,"सूरज नाही सोनू ग" आशा काकू परत बोलली,"सूरज पितो तुझं दूध,म्हणून तुला एव्हढा आराम मिळतो." सुजाता मावशी,"तू काय बोलते आहे,तुला कळते आहे का?" आशा काकू,"एव्हढ काय लपवते आहे.मी जेव्हा दुपारी रूम मध्ये आले तेव्हा तुझा ब्लाऊज निप्पल जवळ ओला होता आणि त्याच वेळी सुरजचे तोंडाला दूध लागलेले होते.तेव्हाच मला कळून चुकलं की तू सूरज ला तुझे दूध पाजते." आता सुजाता मावशी बोलली,"काय करू मग मी आशा,हा माझा मुलगा सोनू आता माझे दूध पित नाही.माझ्या स्तनात अजूनही खूप दूध तयार होते.तुला तर माहीतच आहे किती त्रास होतो दूध जास्त झाल्याने.मला तेव्हा सूरजला दूध पाजण्याशिवाय काहीच पर्याय दिसला नाही.आता जवळपास 20 दिवसापासून सूरज माझे दूध पितो आहे.त्यामुळे मला आता रोज खूप आराम मिळतो." तेव्हा आशा काकू बोलली,"बरं झालं तू सूरज ला दूध पाजले ते.मला पण असं दूध पाजायला भेटलं तर मलाही आराम मिळेल या दुखण्यातून." चल आता आपण आराम करूया.संध्याकाळी हळदीला आम्ही सगळे तयार झालो.रात्री हळद लागल्यावर आम्हीं जेवण केले.त्या रात्री 10 पर्यंत आम्ही नाचलो.10 वाजता मला आणि सोनूला मावशीने रूम मध्ये आणले.मावशीने मग सोनू आणि आशा काकूंच्या बाळाला बेडवर झोपवले.मला तेव्हा मावशी बाहेर येऊन पायऱ्या जवळ मला बोलली,"बाळा तू खाली गादीवर झोप.मी रात्री आले की तुला आणि मला शाल पांघरून घेईल तेव्हा तू माझे दूध पिऊन घे नक्की म्हणजे मला आराम मिळेल.मी जर झोपली तरी माझे दूध पिऊन घे." मी मावशीला हो म्हणालो. मावशी गेल्यावर मी खाली गादीवर झोपलो.आता रूम मध्ये गडद अंधार पडला होता.मी आता मावशीची वाट पाहू लागलो.पण मला झोप लागून गेली.रात्री मला अचानक जाग आली तेव्हा दरवाजा उघडला आणि मावशी माझ्याजवळ येऊन झोपली.मी आता झोपेच्या धुंदीत होतो.आता मावशी माझ्याजवळ सरकली.त्यांचा श्वास आता माझ्या कपाळावर जाणवत होता.मग मावशीने हळूच त्यांचे दोन्ही हातानी ब्लाऊज चे हुक काढले.मला अंधारात काहीच नीट दिसत नव्हते.त्यांनी मग माझे डोके हाताने धरून त्यांचा एक स्तन माझ्या तोंडाजवळ आणलं.मावशी आता डाव्या हाताचा अंगठा, तर्जनी आणि मधले बोट यांच्या मदतीने त्यांचे स्तनाग्र माझ्या तोंडाच्या आत ढकलत होती.मी त्यांचे स्तनाग्र माझ्या ओठांनी पकडून ओढले. माझ्या तोंडात अचानक दुधाची धार येऊ लागली.मी उत्साहात स्तन जोरात चोखून दूध पिऊ लागलो.आज मावशीचे दूध नेहमीपेक्षा खूप गोड आणि चविष्ट लागत होते मावशीचे निप्पल पण मला थोडे मोठे वाटत होते.पण मी त्याकडे दुर्लक्ष करत दूध पिऊ लागलो.एक स्तन मधून दूध संपल्यावर मावशीने लगेच दुसरा स्तन माझ्या तोंडात कोंबला.मी लगेच निप्पल ओढून दूध पिऊ लागलो.मावशीचे दूध आज मला जास्त चवदार लागत होते.मला ती चव खूप आवडली.मी त्यामुळे त्यांचे स्तन जोरात चोखू लागलो.मावशी आता माझ्या नागड्या अंगावर हात फिरवत होत्या.त्या माझ्या डोक्याला मागून धरून त्यांच्या स्तनावर दाबू लागल्या.दोन्ही स्तनातून दूध संपले तरी मी त्यांचे निप्पल तोंडात धरून चोखत होतो.मला निप्पल चोखत चोखत केव्हा झोप आली ते कळालेच नाही.सकाळी मला जाग आली तेव्हा मावशी आणि आशा तयारी करत होत्या.मी आणि सोनू उठल्यावर मावशीने मला आणि सोनूला आज परत बाहेर आंघोळ घातली.आंघोळ झाल्यावर आम्ही घरात आलो.सोनुने कपडे घातले तेव्हा आशा काकू आणि सोनू खाली नाश्ता करायला गेल्या.मावशीने त्यांना आमचा नाश्ता आणायला सांगितले.आशा काकू आणि सोनू गेल्यावर मावशीने मला तसाच नागडा त्यांचे मांडीवर झोपवले आणि त्यांचा उजवा स्तन माझ्या तोंडात दिला.मी आता परत त्यांचे दूध पिऊ लागलो.तेव्हा मावशी मला म्हणाली,"बाळा, थोडं लवकर पी दूध" मी मावशीला म्हणालो,"मावशी,रात्री उशिरा तुमचं दूध पिल्यामुळे मला आता जास्त भूक नाही आहे.मी आता फक्त तुमचं दूध पितो.मला नाश्ता नको." तेव्हा मावशी म्हणाली,"काय?,मी काल रात्री तुला कुठे दूध पाजलं?मी तर थकल्यामुळे झोपून गेली होती.तू खरंच रात्री माझं दूध पिले का?" मी सुजाता मावशीला म्हणालो,"हो ना मावशी,कल रात्री तुम्हीच तर माझ्याजवळ झोपल्या आणि मला स्वतः दूध पाजले. काल रात्री तुमचे दूध जास्त छान लागत होते .म्हणून मी तुमचं सगळं दूध संपवले." तेव्हा मावशी विचार करू लागल्या.मी त्यांना हटकले तेव्हा त्या भानावर येत म्हणाल्या,"बाळा ,मी काल जास्त थकली असल्याने मला रात्रीचं एवढं आठवत नाही आहे.जाऊ दे तू पटकन दूध पी." मी मग मावशीचे स्तन चोखुन त्यातून दूध पिऊन संपवले. दुपारी मग लग्न झाल्यावर आम्ही रूम मध्ये आलो.रूम मध्ये आल्यावर मावशी आम्हाला म्हणाली,"बाळांनो,झोपून घ्या आता .रात्रीं आपल्याला परत आपल्या गावी जायचे आहे."मीं आणि सोनू झोपून गेलो.आता सुजाता मावशी थोड्या वेळाने आम्ही झोपलो याची खात्री करून आशा काकू ला बोलली,"आशा ,तू हे चांगलं नाही केलं?" आशा म्हणाली,"मी काय केलं ग" सुजाता मावशी,"तू काल रात्री काय केलं हे मला माहीत आहे." तेव्हा आशा काकू बोलली,"मग काय झालं त्यात?" सुजाता मावशी,"तू काल रात्री सूरजला तुझे दूध का पाजलं?" मी मावशीचे हे बोलणे ऐकून शॉक झालो. तेव्हा आशा काकू बोलली,"सॉरी ग सुजाता ,काल रात्री पायऱ्यांवर जेव्हा तू सूरजला रात्री दूध पाजेल असं सांगत होती तेव्हा मी ते ऐकले.म्हणून मी रत्रिंतुझ्या आधी घरात येऊन सूरज जवळ झोपले.मलापण तुझ्यासारख सूरजला दूध पाजण्याची इच्छा होत होती.सूरज खरंच खूप छान स्तन चोखतो.त्याने रात्री मला तू समजुन माझे सगळे स्तन चोखुन त्यातले दूध संपवले.मला त्यामुळे खूप खूप आराम मिळाला." सुजाता मावशी," अगं,तो बिचारा खूप भोळा आणि निरागस आहे गं.तू त्याच्या निरागस पणाचा फायदा घेतला." तेव्हा आशा काकू बोलली,"अग,तो पण माझ्यासाठी मुलासारखा च आहे.काय झालं त्याने तुझे दूध पिले तर.सोड आता हा विषय." मग त्या दोघी त्यांच्या बॅग भरू लागल्या.मला आता खूप आनंद झाला , कारण काल रात्री मी आशा काकुचे स्तन चोखुन दूध पिले होते.मग रात्री 8 ला आम्ही सोलापूरला परत आलो.सोलापूर ला रात्री 10 च्या नंदुरबार ट्रॅव्हल्स मध्ये आम्ही झोपलो.मावशीने या वेळी परत कोच चा पडदा लाऊन घेतला.तरी 11 ला मावशीने मला चालत्या ट्रॅव्हल बस मध्ये त्यांचे दूध पाजले.मी रात्री त्यांचे स्तन चोखून रिकामे केले.सकाळी आम्ही परत मावशीच्या गाव बारीपाडा ला आलो.घरी आल्यावर मावशीने माझ्यासमोर आंघोळ केली.मग मावशी मला आणि सोनू ला घेऊन विहिरीवर कपडे धुवायला घेऊन गेल्या.तिथे सगळ्या लोकांसमोर मावशीने माझे आणि सोनुचे कपडे काढून आम्हाला नागडं केलं.आता मावशी आमचे कपडे धुवत होत्या.आणि इकडे मी सोनुसोबत नागडा विहिरीजवळ फिरत होतो.मग मावशीने आम्हाला आवाज दिला.आम्ही मावशी जवळ आल्यावर मावशीने पहिले सोनूला आंघोळ घातली तो पर्यंत मी तिथे नागडा फिरू लागलो.तेथील स्त्रिया मला नागड्या बघत होत्या पण त्यांना त्याचे काहीच वाटत नव्हते पण मला खूप छान वाटत होतं. सोनुची आंघोळ झाल्यावर मावशीने मला तिथेच आंघोळ घातली.आंघोळ झाल्यावर आम्ही तसेच नागडं मावशी सोबत घराकडे नागडं आलो.घरी आल्यावर आता मी रोज मावशीच्या चहात दूध वाढीच्या 2 गोळ्या टाकायचो.त्यामुळे सुजाता मावशीच्या स्तनात दुध बनत राहिले.मावशीच्या घरी मी महिनाभर नागडा राहिलो.मावशी मला रोज दिवसातून 3 वेळा सोनू झोपलेला असताना दूध पाजायची.मावशीच्या स्तन मधून पौष्टीक दूध पिल्या मुळे माझी तब्येत पण थोडी सुधारली.मग शेवटी मी मावशीच्या चहात सलग 3 दिवस दूध बंद होण्याच्या गोळ्या टाकल्या.त्यामुळे 3 - 4 दिवसानंतर मावशीच्या स्तनात दुध येणे कमी झाले.8 व्या दिवसापासून मावशीच्या स्तनात दुध येणे पूर्णपणे बंद झाले .तरीपण मावशी दुपारी आणि रात्री झोपताना मला त्यांचे स्तन तोंडात घेऊन चोखायला द्यायच्या.मी अजून 5 दिवस त्यांचेकडे नागडा राहिलो.पुढच्या दिवशी माझे आई बाबा मला घ्यायला आले.मी मावशीला आणि सोनूला गुड बाय केले तेव्हा मावशी मला म्हणाली,"बाळा ,परत सुट्ट्या लागल्या की नक्की ये माझ्याकडे." मी मावशीला हो म्हणालो आणि परत माझ्या घरी नंदुरबार ला आलो.समाप्त.

Antarvasna

मैं मुंबई का रहने वाला Antarvasna हूँ, मेरा कद 5 फ़ुट 9 इन्च है। मेरे शरीर का रंग गोरा है और 7″ का लंड है. मेरी उमर 26 साल है। मैं अपनी एक कहानी आप लोगों के सामने पेश कर रहा हूँ जो मेरे साथ एक हफ्ते पहले हुई थी। मेरे घर में सब शादी की तैयारी के लिए बाहर गए थे और मैं अकेला घर पर था।

उसी समय लड़के वालों के घर से एक लड़की आई। उसने दरवाजे की घण्टी बजाई तो मैंने दरवाजा खोलकर देखा तो वो मिठाई लेकर आई थी। मैंने उसे अन्दर बुलाया और बैठने को कहा। वो बैठ गई। मैं उसके लिए एक ग्लास पानी लेकर आया। लड़की का नाम रीफा था, वो देखने में तो बहुत सुंदर थी और उसकी उम्र लगभग बीस साल की लग रही थी। मैं उसे देखते ही बेचैन हो गया। वो बहुत शरमा रही थी पर वो मुझे लाइन भी मार रही थी, इतना मैं दावे के साथ कह सकता हूँ।

फिर मैं भी उसके साथ बैठकर बातें करने लगा। मैंने कुछ देर बाद उससे पूछा- तुम्हारा कोई बॉय फ्रेंड है क्या?

उसने ना में जवाब दिया। फिर वो जाने के लिए खड़ी हो गई। मैंने जल्दी से उसका फ़ोन नंबर पूछ लिया। फ़ोन नम्बर बोलकर वो चली गई। मैं तो उसे देखकर बेताब हो गया था।

हमारे घर की नौकरानी का आने का समय हो रहा था और मुझे काफी नींद आ रही थी। मैं फिर अपने कमरे में जाकर सो गया। मैं अपने कमरे का दरवाजा बंद करने भूल गया था और मैं बनियान- चड्डी में सो गया(बिना पैंट और शर्ट के)। हमारी नौकरानी को पूरे घर का झाड़ू-पोचा करना था। वो मेरे कमरे में आ गई, मुझे तब तक नींद नहीं आई थी। मैं सिर्फ लेटा था। नौकरानी सिर्फ एक साड़ी पहने थी। वो मेरे बेड के पास आकर खड़ी हो गई और मेरी चड्डी उतारने लगी पर मैं उठा नहीं, मैं सोने का नाटक कर रहा था। वो मेरे लंड को चूसने लगी और मेरे हाथ को पकड़कर अपनी बुर में लगाने लगी। उसकी बुर और साड़ी पूरी तरह गीली हो गई थी।

फिर मैंने अपना नाटक ख़त्म किया और उठ गया। नौकरानी डर गई थी। मैंने उठते ही उसे ब्लाऊज़ उतारने को कहा, उसने उतार दिया।

बाप रे बाप ! इतनी बड़ी उसकी चूचियाँ थी कि पूछो मत ! भले ही वो सुंदर न थी पर उसकी काली चूची मुझे बहुत पसंद आई और चूची पर बड़े बड़े चुचूक थे। मैं उन्हें बहुत देर तक चूसता रहा।

फिर मैंने नौकरानी को बोला- चलो, अब बस करते हैं।

वो एक विधवा औरत थी और कहने लगी- मैं बहुत प्यासी हूँ, मेरी प्यास बुझा दो ना !

मैंने कहा- हाँ, बुझा दूंगा ! पर आज नहीं कल !

फिर मैं सो गया और शाम को मैंने उस लड़की रीफ़ा दो फ़ोन किया जो आई थी और अपने घर बुलाया। पहले तो वो मना कर रही थी पर कुछ देर में मान गई।

शाम सात बजे वो घर पर आई। मैं इस बार उसे अपने बेडरूम में ले गया और उसे लेटने को कहा। वो लेट गई।

मैंने फिर हिम्मत करके उसे पूछा- तुमने कभी सेक्स किया है ?

वो बोली- नहीं !

मैंने फिर पूछा- तुम फिर अपने पति के साथ सुहागरात कैसे करोगी? कुछ तो एक्सपेरिएंस रहना चाहिए ना?

वो भी प्यासी थी, उसने मेरे इस सवाल का जवाब नहीं दिया और अचानक मुझसे चिपक गई और होठों को चूमने लगी। मैं भी उसका पूरा साथ दे रहा था। यह सब 5 मिनट चलता रहा। फिर मैंने उसकी कमीज़ उतार दी। उसकी ब्रा बहुत कसी थी। जैसे मैंने उसकी ब्रा उतारी तो मैं पागल हो गया। उसकी चूची बहुत बड़ी थी, हमारी नौकरानी से भी बड़ी ! और दूध के से जैसे सफ़ेद रंग की थी। चुचूक गुलाबी रंग के थे।

फिर मैं उन्हें दस मिनट तक चूसता रहा। फिर उसने मेरे कपड़े उतार दिए। अब मैं सिर्फ चड्डी में था। मैंने फिर उसकी सलवार उतार दी और पैंटी दोनों भी। मैं फिर उसकी चूत चाटने लगा।

वह बोली- अब बस करो और मेरी इच्छा पूरी करो !

फिर मैने उसकी चूत में अपना लंड रखा और एक जोर का धक्का मारा। उसकी सील टूटी नहीं थी इसके कारण उसे बहुत दर्द हो रहा था।

वह चिल्लाई- बस बस ! निकालो, मुझे बहुत दर्द हो रहा है, अहहहहहहहहहहह !!!!!!!! निकालो जल्दी।

दर्द के कारण उसकी आँखों में आंसू आ गए। मैंने फिर एक जोर का धक्का मारा और वो फिर चिल्लाई। उसका गोरा रंग होने के कारण उसकी चूत पूरी गुलाब के जैसी लाल हो गई थी और उसमें से खून आ रहा था।

जब मैंने तीसरा धक्का मारा तो उससे रहा ना गया और उसने अपनी चूत टाईट कर ली और मेरा लंड बुरी तरह अटक गया था, अब मुझे भी दर्द होने लगा।

फिर मैंने धीरे-धीरे करके लंड निकला और लगातार पाँच-छः धक्के मारे। वो चिल्ला-चिल्ला कर पागल हो गई थी। फिर कुछ देर में उसे भी मज़ा आने लगा और मुझे भी।

कुछ देर बाद वो झड़ गई और मेरा लंड पूरा गीला हो गया पर हम दोनों अभी भी कर रहे थे। फिर मैं भी उसकी चूत में ही झड़ गया। वो टेंशन में आ गई और कहने लगी- कहीं मैं प्रेग्नंट हो गई तो ? मैं बोला- तुम फिकर मत करो, मैं तुम्हें दवाई ला दूँगा।

हम दोनों फिर एक साथ बाथरूम में गए और लंड और चूत को साफ़ करके अपने कपड़े पहन लिए।

अगले दिन सुबह हमारी नौकरानी आ गई अपनी प्यास बुझवाने !

उसके साथ भी बहुत मज़ा किया !

और जानने के लिए मुझे मेल करो दोस्तो ! Antarvasna

Antarvasna

बेटी को धन की सुख देने के लिए मेरी Antarvasna बाप ने मेरी शादी एक ५० बरस के मर्द के साथ कर दी. मेरे पति की मुझसे उनकी दूसरी शादी थी. पहली की मौत हो चुकी थी. उनका एक लड़की थी जिसकी शादी हो चुकी थी. शादी के पहले मुझे उनके और परिवार के बारे मे अधिक जानकारी नही थी.

सुहाग रात मे मैं उनको देखकर हैरान रह गई. वे देखने मे ही बहुत कमज़ोर दिख रहे थे. मेरी उमर उस समय सिर्फ़ १८ बरस थी. वे आते ही दरवाज़ा बंद कर लिए और मेरी बगल मे बैठ गए. वे मुझे पकड़ कर चूमा लेने लगे. कुछ् इधर उधर के बाते करने के बाद वे मेरी ब्लाउज खोल दिए. मैं ब्रा पहन रखी थी. कुछ देर उपर से ही सहालाने के बाद ब्रा भी खोल दिए. उसके बाद मेरी चुची को चूसने लगे. मुझे अब अच्छा लगने लगा था.

मैने धीरे से अपनी हाथ उनके लंड तरफ़ बढ़ाया. अभी तक कुछ भी नही हुआ था. वे अपने कपड़े खोल दिए और सहालाने के लिए बोलने लगे. मैने भी कुछ देर तक हाथ से सहलाती रही. खड़ा नही होने पर मुख मे खाने के लिए कहने लगे. क़रीब १० मिनट के बाद भी जब नही खड़ा हो पाया तो मैं निराश हो गई. उनके लंड मे नाम मात्र का ही कडापन आया था. अब वे मेरी साडी खोल दिए और अपने मुरझाए हुए लंड से मेरी बुर रगड़ने लगे. मैं तो उनके लंड के तैयार होने का इंतज़ार कर री थी. वे मेरी बुर को अब जीभ से चूसने लगे. अभी भी उनका लंड बहुत नरम था. मैं मन ही मन अपने को कोसती रही और बाप को शराप्ती रही. वे मेरी बुर चूसने मे और मैं उनका लंड चूसने मे मशगुल थी. मुझे अब सह पाना मुश्किल था. जैसा था वैसा ही मैंने उनको चोदने के लिए कहने लगी. वे अपना नरम नरम लंड मेरी गरम गरम बुर मे प्रवेश करने लगे .मगर प्रवेश करने से पहले ही वे गिर गाये.मैं तड़पती रह गई . मैं सोचने लगी कि पहले रात के चलते ऐसे होगया. मैं चुप चाप रह गई. वे भी ऐसे ही कह रहे थे.

दूसरी रात भी मैंने बहुत कोशिश की मगर सब बेकार गया. इसी तरह महीनो बीत गाये. मैं जब भी बिस्तर पर तडपती रही. मेरी बड़ी बहन जीजाजी के साथ तबादला होकर उसी शाहर मे आ गयी. एक दिन मेरी बहन मुझसे मिलने मेरी घर पर आ गई. वे मेरा हाल ख़बर पूछने लगी. मैं चुप हो गई. जब वे ज़िद करने लगी तो मुझे सबकुझ बताना ही पड़ा. वे निराश हो गई और कुछ सोचने लगी. मैंने पूछने लगी तुम कैसी हो. जीजाजी कैसे हैं. वे कह रही थी की तुम्हारे जीजाजी तो बहुत तगडे है. वे मुझे बहुत मज्जे देते हैं. मान ही मान मैं इर्ष्या करने लगी .वे बोलने लगी की मैं कल तक कुछ सोचती हू. कल १२ बजे मेरी घर आजाना. वही पैर बैठ कर बाते करेंगे. मुझे कुछ आशा दिखाई देने लगी.

सुबह होते ही मैं जल्दी जल्दी काम निपटा कर तैयार हो गाई. ठीक १२ बजे मैं दीदी के घर पहौच गई. वे मुझे देख कर मुस्कुराने लगी. वे मुझे अपने बेड रूम मे ले गई .दीदी अपने रूम मे टीवी चला रही थी. वे बोलने लगी की तुम कुछ देर तक वीडियो देखो मैं काम निपटा कर आती हूँ. एक सीडी वही पर रखा हुआ था जिसपर लिखा हुआ था हम दोनो. मैंने उसी सीडी को लगा कर देखने लगी. सीडी देखते ही मैं घबरा गई और दरवाज़े की तरफ़ देखी. दीदी बाथरूम मे थी. मुझे और अधिक देखने का इच्छा जागृत होगई. इस सीडी मे तो जीजाजी और दीदी का रंगीन खेल भरा हुआ था. जीजाजी का लंड तो देखते ही बनता था. लग रहा था की दीदी बहुत रोएगी .मगर वा तो मज़े ले रही थी. मैं सोचने लगी काश मुझे कोई ऐसे चोदने वाला मिलता.

उसी समय दीदी अंदर आ गई और कहने लगी तुम को यह कैसा लग रहा है. मैंने सीडी बंद करदी. उसी समय जीजाजी भी आगये. मुझे देखते ही वे मुस्कुरा दिए. दीदी कहने लगी अरे साली तरफ़ भी तो देखो. वह बेचारी शादी होने के बाद भी कुँवारी है. दीदी कहने लगी आज तुम्हारे जीजाजी को तुम्हारे लिए ही मैंने बुलाया है . कल तुमसे मिलने के बाद मैने इनको सब कुछ बता दिया था. दीदी कहने लगी अब तुम लोग अपना काम करो मैं बाहर देखती हूँ. जीजाजी कह रहे थे तुम तो बहुत सेक्सी लगती हो. तुम्हारे स्तन तो काफ़ी बड़े है और वे दीदी के जाने के बाद बिना रूम बंद किए ही मेरी स्तन दबाने लगे.वह कह रहे थे की जब तुम्हारे दीदी ही है तो उससे छिपाना क्या. ऐसे तो साली तो आधी घर वाली होती ही हैं. लेकिन मैं तुम्हारे इच्छा के बिपरीत कुछ नही करूँगा.

मैं चुप चाप थी. मैं सोचने लगी की कही वे चले ना जाए. इससे अच्छा मौक़ा अब नही आने वाला मैं मुसकुराने लगी.जीजाजी समझ गए की मैं सहमत हू. वे अब मेरा ब्लोउज और ब्रा खोल दिए . मेरे चुचि को मसलने लगे . मैं भी अब सहयोग करने लगी थी. जीजाजी के लॅंड का उभार अब पैंट पैर दिखाई देने लगा था. मैंने उनका पैंट पैर हाथ डाला तो वे पैंट खोल दिए. अब उनका लॅंड बाहर निकल चुका था. मैं अपने हाथ से उनके लॅंड को सहालाने लगी. अपने पति का लॅंड से जीजाजी का लॅंड को तुलना कर रही थी. मन ही मन मैं सोचने लगी की मेरी दीदी कितनी लॅकी है की उसे ऐसे लॅंड वाला पति मिला है. कुच्छ देर तक मैं उनके लॅंड को देखती रही. इतने मे जीजा जी कहने लगे कैसा है मेरा हथियार. तुम्हारे पति का कैसा हैं. मैं कहने लगी, जीजाजी उनका तो खडा ही नही होता हैं. मैं महीनो से तरप रही हू. आपका लॅंड तो काफ़ी मोटा और बड़ा है. दीदी को तो बहुत दुखता होगा. उसी समय दीदी आगई. बोलने लगी अरे केवल देखते ही रहोगी.

मैं बोलने लगी दीदी इनका तो बहुत मोटा है, मैं नही सह पाऊँगी. दीदी कहने लगी हा, मोटा तो है लेकिन सहना ही पड़ेगा. पहली बार मुझे भी बहुत दर्द हुआ था. लेकिन अब तो मजा आता है. जीजाजी को दीदी कहने लग
बेचारी तुम्हारा घोड़ लॅंड देख कर डर गई है. मेरे बहन को मत रूलाना. बेचारी अभी तक तो कुँवारी जैसे ही तो है.इतन कह कर वा फिर चली गई. जीजाजी अब मेरी साड़ी और पेटी कोट भी खोल दिए .वे मेरे बुर को चटने लगे. मुझे बेड पैर सूता दिए और अपना लॅंड मेरे बुर मे डाल कर चूसने के लिए कहने लगे. वे मेर उपर चढ़े हुये थे . अपनी जीभ से मेरी टिट चाट रहे थे. मुझे काफ़ी मजा आरहा था. मैंने भी दोनो हाथो से उनका सिर पाकर कर दबाने लगा. ज़ोर ज़ोर से लॅंड चूसने के लिए कह रहे थे. उनका लॅंड का स्वाद लेने मे मुझे भी मजा आरहा था.

इतने ही मे अपना पूरा लॅंड मुख मे अंदर तक धकेलने लगे. मुझे तो पहली बार इतना तगड़ा लॅंड मिला था. मैं मज़े से उनका लॅंड चुस रही थी और जीजाजी मेरे बुर चुस रहे थे. उसी समय मुख मे गरम गरम और नमकीन टेस्ट आने लगा. वे और ज़ोर से लॅंड अंदर किए. मुझे तो मजे का स्वाद आ रहा था. कुछ देर तक और चूसती रही. वे बाहर लिए और बाथरूम मे चले गए. बाथ रूम से आने के बाद वे फिर मुझसे अपना लॅंड सहलवाने लगे. क़रीब ५ मिनट के बाद वे फिर तैयार होगए. जीजा जी का लॅंड फिर से पहले जैसे ही कठोर और मोटा होचुका था. इस बार वे मुझे पट सूता दिए. मेरे गाड़ मे थोडा थूक लगाए और एक अंगुली घुसा कर बाहर भीतर करने लगे. मैंने कहने लगी जीजाजी इसमे भी करोगे क्या. इसमे तो नही सहा जायगा. आज बुर मे ही कर लो. फिर कभी इसमे. जीजाजी नही माने और कहने लगे गाड़ लिए बिना मैं तुम्हारा बुर नही लूंगा. अगर मेरा शर्त मंज़ूर है तो बोलो नही तो छोड़ देता हूँ. मुझे तो आज चुदाई का भरपूर मजा लेना था. मैं चुप रही. मैं मुसकूरा दी और कहने लगी आप बहुत बदमश हो, आज मैं सब कुछ सहने को तैयार हूँ. जीजाजी Antarvasna

Antarvasna

मेरा नाम मानसी Antarvasna है। मैंने अपनी कहानी “बहुत प्यार करती हूँ” अन्तर्वासना में भेजी थी, आप सबकी तरफ से बहुत अच्छे उत्तर मिले थे। आज मैं आपको अपनी दूसरी कहानी बताने जा रही हूँ, आशा है आप सबको पसंद आएगी। मेरी पहली कहानी जिन्होंने पढ़ी थी उन्हें उस इंसान के बारे में मालूम ही होगा जिससे मैं प्यार करने लगी थी। जब उसकी शादी हो गई तो मैं खुद को बहुत अकेला महसूस करने लगी थी। हालाँकि मैं जिससे प्यार करती थी, उससे मैंने कभी भी शारीरिक सम्बन्ध नहीं बनाये थे लेकिन फिर भी उसकी कमी मुझे अपनी ज़िन्दगी में महसूस होती थी। उसकी शादी होने के बाद तो मुझे यकीन हो ही गया था कि अब वो इंसान मुझे कभी नहीं मिलेगा। लेकिन मैं जैसे जैसे बड़ी हो रही थी मेरे अन्दर भी हर लड़की की तरह सेक्स की भावना बढ़ती जा रही थी। लेकिन कभी किसी से शारीरिक संबंध बनाने से मैं भी डरती थी लेकिन जब मन करता था तो अकेले ही मुठ मार कर अपना काम चला लेती थी।

मन तो करता था कि कोई हो जो मुझे प्यार करे, जिसके साथ मैं वक़्त बिता सकूँ। लेकिन न कभी किसी और से प्यार हुआ न मेरी ज़िन्दगी में उसके बाद कोई और आया। मैं हर वक़्त यही सोचती रहती थी कि कब मेरी भी शादी हो और मैं भी अपने पति से जी भर कर चुदवाऊँ। लेकिन मेरी शादी होने में अभी वक़्त था। धीरे धीरे मन में सेक्स की भावना इतनी बढ़ गई थी कि मैं यही सोचती कि कब मुझे मौका मिले और मैं जी भर कर ग्रुप सेक्स करूँ। कम से कम छः-सात लड़के मेरी एक साथ चुदाई करें। मैं जानती थी कि ऐसा हो नहीं सकता, लेकिन मन नहीं समझता उसे तो बस चूत की प्यास से मतलब था।

लेकिन मेरी यह इच्छा उस दिन पूरी हो ही गई जब एक दिन मेरे मम्मी-पापा कुछ दिनों के लिए किसी रिश्तेदार के यहाँ गए हुए थे। घर में मैं और मेरा बड़ा भाई थे। मम्मी-पापा एक हफ्ते से पहले वापिस आने वाले नहीं थे। तभी भैया के पास उनके कुछ दोस्तों का फ़ोन आया, उन लोगों को मुंबई जाना था। लेकिन ख़राब मौसम होने की वजह से उनकी उड़ान रद्द हो गई। तो भैया ने उन्हें अपने घर आने के लिए कह दिया। सर्दी के दिन थे, भैया ने उन्हें कहा कि पूरी रात एअरपोर्ट पर कैसे रहोगे, घर आ जाओ। वो लोग मान गए।

वो दस लोग थे। भैया ने उन सबके खाने का इन्तज़ाम किया और उनका इंतज़ार करने लगे। तभी अचानक पापा का फ़ोन आया कि वो जिस रिश्तेदार के यहाँ गए थे उनकी मृत्यु हो गई है और भैया को वहाँ आना पड़ेगा। भैया ने पापा को बताया कि उनके कुछ दोस्त घर पर आ रहे हैं तो पापा ने कहा कि उन्हें मानसी खाना खिला देगी। लेकिन तुम्हारा यहाँ आना ज़रूरी है।

भैया ने अपने दोस्तों को फ़ोन कर दिया कि मुझे जाना पड़ेगा लेकिन मानसी घर पर है, तो तुम लोग आ जाओ और खाना खा कर यही आराम कर लेना। वो लोग राज़ी हो गए। जब वे सब घर पर आये तो मैं पहले तो थोड़ा घबरा गई कि मैं इनके साथ पूरे घर में अकेले कैसे करुँगी लेकिन भैया के दोस्त बहुत अच्छे थे और उन्होंने कहा कि तुम आराम से बैठी रहो और बस हमें यह बता दो कि सब चीज़ें कहाँ हैं हम खुद ले लेंगे। उनमें से दो लोग रसोई में आ गए और बाकी सब कमरे में बैठ कर टी.वी देखने लगे। मैंने उन्हें बता दिया लेकिन रसोई में उनके साथ ही खड़ी रही कि कहीं उन्हें किसी चीज़ की ज़रूरत न हो। उनमें से एक का नाम सागर था। मैंने महसूस किया कि वो जब से आया था तब से मुझे ही देखे जा रहा था और जब मैं उसे देखती थी तो वो अपनी नज़रें मुझ पर से हटा कर कहीं और देखने लगता था।

उसके बाद हम सबने साथ ही खाना खाया। फिर मैं अपने कमरे में सोने चली गई। उनमें से कुछ लोग मम्मी पापा के कमरे में लेट गए और कुछ भैया के कमरे में। मैं नीचे जाकर सो गई और अपने कमरे को अन्दर से बन्द कर लिया। थोड़ी देर के बाद सागर नीचे आया और बोला- मानसी हमें नींद नहीं आ रही है, तुम कुछ फिल्म की सीडी निकाल कर दे दो हम देख लेंगे।

मैंने कहा- ठीक है।

मैं उन्हें सीडी देने गई और सोचा कि नींद तो मुझे भी नहीं आ रही है तो मैं भी इन लोगों के साथ बैठ जाती हूँ।

मैं वहीं सागर की बगल में बैठ गई और थोड़ी देर में ही हम सबके बीच हंसी मजाक शुरू हो गया। तभी अचानक सागर ने मेरे हाथ पर अपना हाथ रख दिया और मैं कुछ नहीं बोल पाई। सागर मेरी और ही देख रहा था कि तभी उसका एक दोस्त नितिन बोला- क्या बात है सागर ! जब से आये हो, मानसी को ही देख रहे हो ! अगर पसंद आ गई है तो शादी का प्रस्ताव रख दो। इसके भाई को हम मना ही लेंगे।

उसने कहा- ऐसा कुछ नहीं है।

वैसे उसका हाथ पकड़ना मुझे भी अच्छा लगा। सर्दी के दिन थे हम सब रजाई में बैठे थे इसलिए किसी को पता नहीं चला कि उसने मेरा हाथ पकड़ा है। लेकिन अचानक उसे पता नहीं क्या हुआ कि वो मेरे होठों पर चूमने लगा। उसके सब दोस्त हैरान रह गए और मैं भी।

मुझे कुछ समझ ही नहीं आया कि मैं क्या करूँ। पसंद तो वो भी मुझे पहली ही नज़र में आ गया था लेकिन मेरे दिल में यह डर बैठा था कि यह सब मेरे घर में पता चल गया तो क्या होगा। लेकिन उसे छोड़ने का मन मेरा भी नहीं कर रहा था। तभी नितिन ने भी पीछे से आकर मेरे स्तनों को दबाना शुरू कर दिया लेकिन मैंने झटके से उसे पीछे कर दिया और सागर को भी।

मैंने कहा- आप लोग यह सब क्या कर रहे हो।

तभी सागर ने कहा- मानसी हम सब आज की रात यहाँ हैं और हम चाहते हैं कि तुम पूरी रात हमारे साथ रहो। हम तुम्हारे साथ सेक्स करना चाहते हैं।

मैंने कहा- पागल हो गए हो क्या तुम सब लोग? मेरे घर में पता चल गया तो पता नहीं क्या होगा।

उन्होंने कहा- हम तुम्हारे भाई को कभी पता नहीं चलने देंगे। हमारा विश्वास करो, आखिर वो हमारा दोस्त है।

मैं उन्हें मना करना चाहती थी कि तभी मैंने सोचा कि मेरा जो ग्रुप सेक्स करने का सपना था वो आज सच हो सकता है। वैसे भी ये दस लोग हैं मैं मना करुँगी तो यह मेरे साथ जबरदस्ती भी कर सकते हैं। तब मैं क्या करुँगी। इस से अच्छा है कि खुद ही राज़ी हो जाऊं। शायद ऐसा मौका दुबारा न मिले और अगर इन्होने मेरे घर में बता भी दिया तो मैं यह कह सकती हूँ कि यह इतने सारे लोग थे इन्होंने मेरे साथ जबरदस्ती की थी। मैं अकेली क्या करती।

तभी सागर ने मुझे पूछा- क्या सोच रही हो मानसी, तुम तैयार हो ना?

मैंने उसे कुछ नहीं कहा और उसके होंठों पर चुम्बन करने लगी। वो समझ गए कि मैं तैयार हूँ। सागर के साथ किस करने में बहुत मज़ा आ रहा था। 15 मिनट तक मैं उसे चूमती रही और मुझे कुछ भी होश नहीं था। जब मैं उससे अलग हुई तो नितिन ने आकर मुझे चूमना शुरू कर दिया। उसके बाद उसके सभी दोस्तों ने मेरे साथ यही किया और ऐसे ही एक घण्टा बीत गया। उस वक़्त तक हम में से किसी ने भी अपने कपड़े नहीं उतारे थे।

तभी सागर ने कहा- मानसी, तुम हम सबके कपड़े उतारो !

तो मैंने कहा- ठण्ड है ! नहीं होगा।

हमने रूम-हीटर चालू किया और उसके बाद मैंने एक एक करके उन सबके कपड़े उतार दिए।

तभी नितिन बोला- अब हम एक खेल खेलेंगे। उसने कहा- मानसी दो दो मिनट के लिए सबके लण्ड चूसेगी और जिसका लंड ज्यादा जल्दी खड़ा होगा वही सबसे पहले चोदेगा।

लेकिन मैं सबसे पहले सागर से चुदवाना चाहती थी। पता नहीं क्यूँ ! शायद वो मुझे पसंद था इसलिए।

उसके बाद मैंने एक एक करके सबके लण्डों को चूसना शुरू किया। मेरे साथ वही सब हो रहा था जो मैं करना चाहती थी। और आज मैं जी भर कर अपनी इच्छा को पूरा करना चाहती थी। इतने सारे लंड एक साथ देख कर मैं पागल सी हो गई थी। मैंने जी भर कर सबके लौड़ों को चूसा और सागर के लंड को मैंने जब अपने मुँह में लिया तो उसे बाहर निकालने का मन ही नहीं कर रहा था। मैंने सागर का लंड 15 मिनट के लिए चूसा जिससे वो भी पूरी तरह गर्म हो गया और उसने मेरे सर को पकड़ कर ऊपर किया, मेरे होंठ जो उसके लंड के पानी से भीगे हुए थे उन्हें चूसने लगा और सबको कहा कि मानसी सबसे चुदवाएगी लेकिन अभी हमारे बीच कोई नहीं आएगा।

सबने वैसा ही किया और सब हमें देखते रहे। मुझे शर्म आने लगी थी लेकिन सागर था कि मुझे छोड़ने का नाम ही नहीं ले रहा था। 15 मिनट मेरे होंठ चूसने के बाद उसने कहा- अब तुम अपने कपड़े उतारो, हम सब तुम्हारी चूत को चाटेंगे।

मैंने सागर से कहा- मेरी चूत पर तो बाल हैं।

उसने कहा- तुम फ़िक्र मत करो।

उसने अपने एक दोस्त को इशारा किया और वो अपने बैग में से रेज़र लेकर आया। सागर ने मुझे अपनी गोद में उठाया और मुझे बाथरूम में ले जा कर बाथ टब में लिटा दिया। उसके बाद उसने मेरी टांगें फैला दी और मेरी चूत को गीला करके उस पर ढेर सारा साबुन लगा दिया। उसके बाद उसका एक दोस्त मेरी चूत के होठों को खोलता जा रहा था और सागर बड़े प्यार से मेरी चूत के बाल साफ़ कर रहा था। सागर का एक दोस्त मेरे होंठों को चूस रहा था, एक मेरे वक्ष मसल रहा था और बाकी सब वहीं खड़े होकर देख रहे थे। यह सब देख कर उनके लौड़े भी तनकर खड़े हो चुके थे। थोड़े बाल साफ़ करने के बाद सागर ने मेरी चूत को पानी से धोया और अपनी जीभ मेरी चूत में डाल दी। मैं काँप उठी जैसे कोई करंट लगा हो।

थोड़ी देर में जब उसने मेरी चूत पूरी तरह साफ कर दी तो उसके बाद नितिन मुझे उठा कर कमरे में ले आया और लाकर मुझे बेड पर लिटा दिया। कमरे में लाते ही सागर मेरी टांगों के बीच आकर बैठ गया और चूत के दोनों होंठों को खोल कर देखने लगा। मुझे शर्म आने लगी और मैंने अपना चेहरा अपने हाथों से ढक लिया।

तभी सागर बोला- क्या चिकनी बुर है। इसे तो मैं जी भर कर चूसूंगा उसके बाद चोदूंगा।

तब उसके सभी दोस्तों ने बारी बारी से मेरी चूत को चाटा। मैंने ऐसा पहले कभी महसूस नहीं किया था क्यूंकि सब के सब मेरे साथ कुछ ना कुछ कर रहे थे और मैं पागल सी होती जा रही थी।

अब सागर की बारी थी। सागर आकर मेरी टांगों के बीच बैठ गया था। इससे पहले मैं कम से कम तीन बार झड़ चुकी थी।

सागर ने मेरी टांगों को उठा कर अपने कंधे पर रख लिया और मेरी चूत के होंटों को खोल दिया। उसके बाद सागर ने अपनी एक ऊँगली मेरी गांड में डाल दी और नीचे झुक कर अपनी जीभ मेरी चूत के अन्दर। उसकी गरम जीभ अपनी चूत के अन्दर जाते ही मैं अन्दर तक सिहर गई। मुझे ऐसा लगने लगा कि मैं किसी स्वर्ग में घूम रही हूँ। मेरी चूत को चाटते हुए सागर घूम गया और उसने अपना लौड़ा मेरे मुँह की तरफ कर दिया और कहा कि मैं उसे अपने मुंह में लूँ।

मैंने जैसे ही उसका गर्म लंड अपने मुंह में लिया वैसे ही उसके बदन में भी एक करंट सा लगा। अब हम 69 अवस्था में थे। मुझे बहुत मज़ा आ रहा था। लगभग आधे घंटे उसी अवस्था में रहने के बाद सागर मेरे ऊपर से हट गया। इस बीच मैं दो बार झड़ चुकी थी और सागर था कि झड़ने का नाम ही नहीं ले रहा था।

सागर ने अपने दोस्तों से कहा- यार, बहुत अच्छा लौड़ा चूसती है, बहुत मस्त माल है।

तभी उसके दोस्त ने कहा- फिर तो इसकी जी भर कर चुदाई करेंगे।

नितिन ने कहा- यार इतना मस्त माल है तो चोदने में मज़ा आ ही जायेगा और वो भी अपने मर्ज़ी से चुदवा रही है।

तभी मेरे दिमाग में ख्याल आया कि अगर मैं इनसे अपनी मर्ज़ी से चुदवाऊँ तो यह लोग बहुत आराम से चोदेंगे लेकिन मैं इस मौके का पूरा फायदा उठाना चाहती थी और जबरदस्त चुदाई करवाना चाहती थी। इसलिए मैंने एक चाल चली। जब सागर मेरे ऊपर से हट कर अलग हुआ तो मैं उठ कर खड़ी हो गई और कहा- बस अब यह सब यहीं ख़त्म करो और मुझे जाने दो।

तभी नितिन ने कहा- जाती कहाँ है साली रंडी ! अभी तो तेरी चुदाई बाकी है।

मैंने कहा- मुझे छोड़ दो !

और मैं कमरे से बाहर जाने लगी कि तभी उसने मुझे खींच कर बिस्तर पर पटक दिया। मैंने सागर की तरफ देखा तब मैंने महसूस किया कि उसे भी शायद यह सब अच्छा नहीं लग रहा और वो भी नहीं चाहता कि यह सब हो लेकिन अब हम कुछ नहीं कर सकते थे। अगर वो अपने दोस्तों को मना भी करता तो कोई उसकी बात नहीं सुनता और सब मेरे साथ जबरदस्ती करते। जबरदस्ती तो वो लोग अब भी कर ही रहे थे क्यूंकि मैं भी यही चाहती थी।

मैंने नितिन से कहा- प्लीज़, मुझे जाने दो !

लेकिन उसने मेरी एक नहीं सुनी और मेरे पास आकर बैठ गया। मैंने उठने की कोशिश की लेकिन तभी उनके दोस्तों ने मेरे हाथ और मेरे पांव पकड़ कर मुझे पूरी तरह जकड लिया और सागर आकर मेरे स्तनों को मसलने और दबाने लगा। नितिन गन्दी गन्दी गालियाँ देने लगा। साली रंडी दस-दस लोगों से चुदवाने को तैयार है और सीधी बनने की कोशिश करती है। आज देख तेरी ऐसी चुदाई होगी रंडी कि तू सारी ज़िन्दगी याद रखेगी। तेरी चूत का भोसड़ा बनायेंगे आज। ऐसा चोदेंगे कि दुबारा किसी से चुदने से पहले दस बार सोचेगी।

मैं समझ गई थी कि सब लोग गरम हो चुके हैं और मैं भी अपनी चूत में लंड लेने को बेकरार थी। सागर मेरे ऊपर लेट कर मेरे होंठों को चूसने लगा और मम्मों को दबाने लगा। मेरे हाथ और पैर तो उसके दोस्तों ने पकड़ रखे थे। इसलिए मैं हिल भी नहीं पा रही थी। तभी सागर सीधा होकर मेरी चूत के पास घुटनों के बल बैठ गया और मेरी टांगें फैला कर ऊपर की ओर कर दी। उसका एक दोस्त मेरे होंठों को चूसने लगा और नितिन मेरे मम्मों को मसलने लगा। मेरे मम्मों में भी दर्द हो रहा था।

तभी सागर ने अपना नौ इंच लम्बा लंड मेरी चूत पर रखा और एक ही झटके में पूरा का पूरा लंड मेरी चूत को चीरता हुआ अन्दर जड़ तक चला गया। मुझे सबने इतने कस कर पकड़ रखा था कि मैं हिल भी नहीं पा रही थी। जैसे ही उसने अपना लंड मेरी चूत में डाला, मैं दर्द के मारे तड़प उठी और हिल ना पाने की वजह से अन्दर ही तड़प कर रह गई। होंठ भी एक लड़के ने अपने होंठों से बंद कर रखे थे तो आवाज़ भी नहीं निकल पा रही थी। दर्द की वजह से मेरी आँखों में आंसू आ गए जिसे देख कर सागर को दुःख हुआ और वो अपना लंड बाहर निकालने लगा।

मैंने इशारे से उसे मना कर दिया। वो थोड़ी देर के लिए रुक गया। और जब दर्द कुछ कम हुआ तो उसने धीरे धीरे धक्के मारने शुरू किये। अब मुझे भी मज़ा आने लगा था तो मैं भी सागर का पूरा साथ देने लगी। मैंने उन्हें अपने हाथ और पैर छोड़ने को कहा। और दो लड़कों के लौड़ों को अपने हाथों में लेकर उनकी मुठ मारने लगी। नितिन का लंड मेरे मुंह में था। दो लड़के मेरे मम्मों को पकड़ कर मसलने लग गए और बाकी सब अपनी अपनी जीभ मेरे पूरे बदन पर रगड़ रहे थे। मेरा पूरा बदन एक साथ चुद रहा था। मुझे बहुत मज़ा आ रहा था। करीब आधे घंटे चुदाई करने के बाद सागर ने सबको कहा- अब सब झड़ने के लिए तैयार हो जाओ।

मैंने उन सबसे कहा- अपने लौड़ों का पानी मेरे ऊपर डाल दो और सागर से कहा कि तुम मेरी चूत के अन्दर ही झाड़ना।

सागर ने वैसे ही किया। करीब 5 मिनट के बाद चारों लड़के (सागर, नितिन) और जिनके लंड मेरे हाथ में थे, एक साथ झड़े और सबने अपना पानी मेरे ऊपर डाल दिया। सागर का गरम वीर्य मैं अपनी चूत में महसूस कर रही थी। मुझे बहुत अच्छा लग रहा था।

उसके बाद बाकी सबने भी मुझे बारी बारी से चोदा। उस पूरी रात में मेरी बारह बार चुदाई हुई। बाकी सबने एक एक बार और सागर और नितिन ने मुझे दो-दो बार चोदा। मुझे बहुत अच्छा लग रहा था। उसके बाद सबने बाथरूम में जाकर अपने लौड़ों को साफ़ किया और सुबह के छः बजे जाकर कमरे में सो गए। लेकिन मैं इतनी जबरदस्त चुदाई के बाद उठने की भी हिम्मत नहीं कर पा रही थी। तब सागर ने कहा- मानसी, तुम यहीं रहो, मैं आता हूँ।

और उसके बाद वो बाथरूम में जाकर बाथटब में गरम पानी भर कर आया। और मुझे अपनी गोद में उठा कर बाथरूम में ले गया। उसने जाकर मुझे टब में लिटा दिया और मेरी चूत को हल्के हाथ से सहलाने लगा। इससे मेरी चूत को बहुत आराम मिल रहा था। मेरी पूरी चूत बुरी तरह से लाल थी और बहुत दर्द हो रहा था। उसके बाद सागर ने मुझे लाकर बिस्तर पर लिटाया। और मेरे बदन को पोंछा जिससे मुझे बहुत आराम मिल रहा था। तभी सागर आकर मेरे पास लेट गए और मुझे रजाई में लेकर अपने साथ चिपका लिया। मुझे उसकी बाहों में एक सुकून सा मिला। जिस इंसान की कमी मैं अपनी ज़िन्दगी में महसूस करती थी, लगा कि सागर उस कमी को पूरा कर सकता है। लेकिन यह बात मैं उसे कैसे कहती। उसके सामने ही उसके दोस्तों से चुदी हूँ।

तब सागर ने मेरे चेहरे को अपने हाथों में लिया और कहा- मानसी, मुझे माफ़ कर दो। आज तुम्हारे साथ जो भी हुआ उसका जिम्मेदार मैं ही हूँ। ना मैं शुरुआत करता और ना तुम्हारे साथ यह सब होता। लेकिन मैं सच में तुम्हें पसंद करने लगा हूँ। मैं जानता हूँ कि तुम यही सोच रही होगी कि तुम्हारे साथ ऐसा करने के बाद भी मैं यह सब कह रहा हूँ। लेकिन ये सच है मानसी। मैं तुम्हें पसंद करता हूँ और तुमसे शादी करना चाहता हूँ। तुम्हारे भाई के वापिस आते ही मैं उससे तुम्हारा हाथ मांगूंगा।

और मैं भी उसकी बात को स्वीकार करते हुए उसके कंधे पर सर रख कर लेट गई। नींद कब आई पता ही नहीं चला।

जब नींद खुली तो सुबह के 11 बज रहे थे। मैंने जल्दी से उठ कर कपड़े पहने। सब लोग नहा कर तैयार हो गए। पूरा बदन रात की चुदाई से दर्द कर रहा था। लेकिन इस दर्द में उस प्यार का एहसास भी था जो मुझे सागर से मिला था। उसके बाद मैंने सब के लिए चाय बनाईं। सब लोग चाय पीकर निकल गए और जाते जाते सागर ने मुझसे कहा कि मैं उसका इंतज़ार करूँ, वो मुझे लेने आएगा। उसकी बात पर यकीन भी था लेकिन मन में शक भी था। उसके बाद दो साल तक सागर की कोई खबर नहीं आई। ना ही भाई से पूछने की हिम्मत थी उसके बारे में।

तब तक मेरी पढ़ाई भी ख़त्म हो चुकी थी। घर में मेरी शादी की बातें होने लगी थी। लेकिन मुझे तो सागर का इंतज़ार था। कभी कभी लगता कि अगर उसे आना ही होता तो क्या वो इन दो सालों में मुझसे मिलने की बात करने की कोशिश नहीं करता। लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ इसका मतलब उसने जो कहा शायद वो सब मुझे दिलासा देने के लिए कहा था। मैंने घर वालों को शादी के लिए हाँ कह दी और कहा कि वो जिसे भी मेरे लिए पसंद करेंगे मैं उसी से शादी कर लूंगी।

एक दिन मम्मी ने बताया कि मुझे देखने लड़के वाले आ रहे हैं। मन में एक अजीब सा डर समाया हुआ था और सागर की बातें भी दिमाग में घूम रही थी। जब लड़के वाले आ गए तो मुझमें हिम्मत ही नहीं थी कि एक नज़र उठा कर उस लड़के को देखूं। यह शादी तो वैसे भी मैं घर वालों की ख़ुशी के लिए कर रही थी। मैं जाकर कमरे में बैठ गई। थोड़ी देर इधर उधर कि बातें होती रही। लेकिन मैंने एक नज़र उठाकर उस लड़के की ओर एक बार देखा तक नहीं क्यूंकि मुझे सिर्फ सागर का इंतज़ार था। जब मैं उन लोगों के सामने गई तो लड़के की माँ बोली- हमें आपकी बेटी पसंद है।

मैंने सोचा- बिना कुछ पूछे बिना कुछ जाने एक ही नज़र में पसंद कर लिया।

तब लड़के की मम्मी ने कहा- दोनों को एक दूसरे से बात कर लेने दो।

मेरी तो सांस ही अटक गई। क्या बात करुँगी, कैसे करुंगी। तब मेरी बहन हमे ऊपर वाले कमरे में ले गई। मैंने अब तक एक बार भी नज़र उठा कर उस लड़के की ओर नहीं देखा था क्यूंकि यह शादी मेरी मर्ज़ी नहीं मजबूरी थी। कमरे में आने के बाद बहन बाहर चली गई। मैं और वो लड़का बैठ गए।

तब उसने मुझसे कहा- क्या बात है, आप मेरी तरफ देखेंगी नहीं?

आवाज़ जानी-पहचानी सी लगी। चेहरा उठा कर ऊपर देखा तो वो सागर ही था। मैं एक दम से खड़ी हो गई और उसे देखती ही रही। मुँह से एक भी शब्द नहीं निकला और उसने सिर्फ इतना ही कहा- मानसी, मैंने जो वादा किया था उसे पूरा करने आया हूँ।

उसे देख कर मेरे दिल में जो ख़ुशी थी वो मेरी आँखों में साफ़ दिखाई दे रही थी। लेकिन उसके साथ ही आंसू भी थे। मैंने कहा- अब तुम्हें याद आई मेरी ? दो साल मैंने कैसे बिताए, जानते हो?

उसने बस इतना कहा- दो साल बाद मिल रही हो, गले भी नहीं लगोगी क्या?

मैं उसके गले लग गई और रो पड़ी। उसने कहा- क्या हुआ? रो क्यूँ रही हो?

मैंने कहा- इतने दिनों के बाद आये हो, यह भी नहीं सोचा कि मेरा क्या हाल होगा। तुमने तो कहा था कि भाई के आते ही उससे बात करोगे।

तो उसने कहा- मानसी, जब मैं तुमसे मिला था, उस वक़्त मेरी नौकरी बिल्कुल नई थी, जीवन में स्थापित होने के बाद ही तो तुम्हारे भाई से तुम्हारा हाथ मांगता। पहले मांग लेता तो वो मना कर देता। आज उसे पता है कि मैं अपनी जिन्दगी में सुस्थपित हूँ और तुम्हें खुश रख सकता हूँ इसलिए वो भी मेरे एक ही बार कहने पर मान गया। और इसलिए आज मैं अपने मम्मी पापा को तुम्हारे घर लेकर आया हूँ तुम्हारा हाथ मांगने। और तुम्हारे घर वालों ने इसलिए कुछ नहीं बताया था क्यूंकि मैं तुम्हें आश्चर्य-चकित कर देना चाहता था। अगर तुम्हें पहले पता होता तो मैं तुम्हारे चेहरे के वो भाव ना देख पाता जो मेरी आवाज़ सुनकर तुम्हारे चेहरे पर थे।

मैं उसे कुछ नहीं कह पाई और उसके गले लग गई। आज मैं बहुत खुश हूँ।

दोस्तो, आपको मेरी कहानी कैसी लगी मुझे ज़रूर बताइए। Antarvasna

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