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हाय! मैं हूँ मोहित, मैं धरन, नेपाल में Antarvasna रहता हूँ। ये मेरी अंतरवासना के लिये दूसरी कहानी है। ये कहानी यहां से शुरु होती है …
सबसे पहले मैं अपनी बॉस का धन्यवाद करना चाहूंगा जिसकी बदौलत मैं आज मस्ती के उस मुकाम पर पहुंचा हूं जहां मेरी वासना का ज्वार हर लहर के साथ टूट कर नहीं बिखरता। हर एक लहर अगली लहर को तब तक बढाती है जब तक कि आखिरी मंजिल पर पहुंच कर एक जबरदस्त उफान के साथ मेरे प्यार का लावा असीम आनन्द देता हुआ मेरे साथी को अपने साथ बहा ले जाता है। बात उस समय की है जब मैं एक सॉफ्टवेयर कम्पनी में काम कर रहा था। मिस सोनम मेरी बॉस थी। उम्र रही होगी करीब २८ साल की। लम्बी करीब ५’८” और सारी गोलाईयां एकदम परफेक्ट। अफवाह थी कि वो मिस इन्डिया में भी भाग ले चुकी थी। पर गजब की सख्ती बरतती थी वो हम सब के साथ। किसी की भी हिम्मत नहीं होती थी कि उनके बारे में सपने में भी गलत बात सोचें। वो हम सब से दूरी बना कर रखती थी।
मैं नया नया आया था। इसलिए एकाध बार उनके साथ गरम जोशी से बात बढाने की गुस्ताखी कर चुका था। पर उनकी तरफ से आती बर्फीली हवाओं में मेरा सारा जोश काफूर हो गया। अब मुझे मालूम हुआ कि मेरे साथियों ने उनका नाम मिस आईस मैडेन क्यों रखा है। पर मुझे क्या पता था कि ऊपर वाले दया ऊपर वाली की मर्जी क्या है। एक दिन हमारे आफिस का नेटवर्क गडबडा गया। कभी ऑन होता तो कभी ऑफ। उसदिन शनिवार था। मैं दिन भर उसी में उलझा रहा पर उस गुत्थी को सुलझा नहीं पाया। आखिर थक कर मैंने मैडम को कहा कि अगले दिन यानि रविवार को सुबह नौ बजे आकर इस को ठीक करने की कोशिश करूंगा। मैंने उनसे आफिस की चाभियां ले लीं।
अगले दिन जब मैं नौ बजे ऑफिस पहुंचा तो देखा कि सोनम मैडम मेन गेट के सामने खडी हैं। मैंने उन्हें विश किया और पूछा “आप यहां क्या कर रही हैं”। वो बोलीं “बस ऐसे ही घर में बोर हो रही थी तो सोचा कि यहां आकर तुम्हारी मदद करूं”। हम दरवाजा खोलकर अन्दर गए। मैडम ने कहा कि आज इतवार होने की वजह से कोई नहीं आएगा। इसलिए सुरक्षा के खयाल से दरवाजा अन्दर से बन्द कर लो। मैंने उनके कहे अनुसार दरवाजा अन्दर से बन्द कर दिया। अब पूरे आफिस में हम दोनों अकेले थे और हमें कोई डिस्टर्ब भी नहीं कर सकता था। मुझे सोनम मैडम की नीयत ठीक नहीं लग रही थी। दाल में जरूर कुछ काला था। नहीं तो भला आज छुट्टी के दिन एक छोटी सी समस्या के लिए उन को दफ्तर आने की क्या जरूरत।
मैडम घूम कर कम्प्यूटर लैब की तरफ चल दी और मैं भी मन्त्रमुग्ध सा उनके पीछे पीछे चल दिया। पूरे माहौल में उनके जिस्म की खुशबू थी। जब हम कॉरीडोर में थे तो मैंने उनकी पिछाडी पर गौर किया। हाय क्या फिगर था। हालांकि मैं कोई एक्सपर्ट नहीं हूं पर यह दावे के साथ कह सकता हूं कि अगर सोनम मैडम किसी ब्यूटी कॉन्टेस्ट में भाग ले तो अच्छे अच्छों की छुट्टी कर दें और देखने वाले अपने लन्ड संभालते रह जाएं। उनकी मस्तानी चाल को देख कर यूं लग रहा था मानो फैशन शो की रैम्प पर कैट वॉक कर रही हो। उनके चूतड पेन्डुलम की तरह दोनों तरफ झूल रहे थे। उन्होंने गहरे नीले रंग का डीप गले का चोलीनुमा ब्लाउज मैचिंग पारदर्शी साडी के साथ पहना था। उनकी पीठ तो मानो पूरी नंगी थी सिवाय एक पतली सी पट्टी के जो उनके ब्लाउज को पीछे से संभाले हुई थी। उन्होंने साडी भी काफी नीची बांधी हुई थी जहां से उनके चूतडों की घाटी शुरू होती है। बस यह समझ लो कि कल्पना के लिए बहुत कम बचा था। सारे पत्ते खुले हुए थे।
अगर मुझमें जरा भी हिम्मत होती तो साली को वहीं पर पटक कर चोद देता। पर मैडम के कडक स्वभाव से मैं वाकिफ था और बिना किसी गलत हरकत के मन ही मन उनके नंगे जिस्म की कल्पना करते हुए चुप चाप उनके पीछे पीछे चलता रहा। मैडम ने कल्पना के लिए बहुत ही कम छोडा था। साडी भी कस कर लपेटे हुई थी जिससे कि उनके मादक चूतड और उभर कर नजर आ रहे थे और दोनों चूतडों की थिरकन साफ साफ देखी जा सकती थी। मैंने गौर किया कि चलते वक्त उनके चूतड अलग अलग दिशाओं में चल रहे थे। पहले एक दूसरे से दूर होते फिर एक दूसरे के पास आते। मानो उनकी गान्ड खुल बन्द हो रही हो। जब दोनों चूतड पास आते तो उनकी साडी गान्ड की दरार में फंस जाती थी। यह सीन मुझे बहुत ही उत्तेजित कर रहा था और मन कर रहा था कि साडी के साथ साथ अपने लन्ड को भी उनकी गान्ड की दरार में डाल दूं। बडा ही गुदाज बदन था सोनम मैडम का।
लैब तक पहुंचते पहुंचते मेरी हालत खराब हो गई थी और मुझे लगने लगा कि अब और नहीं रूका जाएगा। लैब के दरवाजे पर पहुंच कर मैडम एकाएक रूक कर पलटी और मुझसे ऊपर की सेल्फ के केबल कनेक्शन जांचने को कहा। उनकी इस अचानक हरकत से मैं संभल नहीं पाया और अपने आप को संभालने के लिए अपने हाथ उनकी कमर पर रख दिए। मैडम ने एक दबी मुस्कराहट के साथ कहा “कोई शैतानी नहीं” और मेरे हाथ अपनी कमर से हटा दिए। मैंने झेंपते हुए उनसे माफी मांगी और लैब में ऊपर की सेल्फ से कम्प्यूटर हटाने लगा। मैडम भी उसी सेल्फ के पास झुककर नीचे के केबल देखने लगी। उनकी साडी का पल्लू सरक गया जिससे कि उनकी चूचियों का नजारा मेरे सामने आ गया। हाय क्या कमाल की चूचियां थीं।
एक पल को तो लगा कि दो चांद उनकी चोली में से झांक रहे हों। वो ब्रा नहीं पहने थी जिससे कि चूची दर्शन में कोई रूकावट नहीं थी। और काम करना मेरे बस में नहीं था। मैं खडे खडे उस खूबसूरत नजारे को देखने लगा। चोली के ऊपर से पूरी की पूरी चूचियां नजर आ रही थीं। यहां तक कि उनके खडे गुलाबी निप्पल भी साफ मालूम दे रहे थे। शायद उन्हें मालूम था कि मैं ऊपर से फ्री शो देख रहा हूं। इसीलिए मुझे छेडने के लिए वो और आगे को झुक गई जिससे उनकी पूरी की पूरी चूचियां नजर आने लगीं। हाय क्या नजारा था। मैं खुशी खुशी चूचियों की घाटी में डूबने को तैयार था। ऐस लगता था मानो दो बडे बडे कश्मीरी सेव साथ साथ झूल रहो हों। एकाएक मैडम ने अपना सर ऊपर उठाया और मुझे अपनी चूचियों को घूरते हुए पकड लिया। जब हमारी नजर मिली तो अपने निचले होठ को दांतों में दबा कर मुस्कराते हुए बोली “ऐ क्या देखता है”। मैं सकपका गया और कुछ भी नहीं बोल पाया। मैडम ने मेरे चूतडों पर हल्की सी चपता जमा कर कहा ” शैतान कहीं के। फ्री शो देख रहा है”।
मेरा चेहरा लाल हो गया उनके मुस्कराने के अन्दाज से मैं और भी उत्तेजित हो गया और मेरा लौंडा जीन्स के अन्दर ही तन कर बाहर निकलने को बेचैन होने लगा। मैंने अपनी जीन्स को हिला कर लन्ड को ठीक करने की कोशिश की पर मुझे इसमें कामयाबी नहीं मिली। लन्ड इतना कडा हो गया था कि पूछो मत। बस ऊपर ही ऊपर होता जा रहा था और मेरी जीन्स उठती ही जा रही थी। मैडम ने मेरी परेशानी भांप ली और शरारती मुस्कराहट के साथ बोली “ये तुमने पैन्ट में क्या छुपाया है जरा देखूं तो मैं भी” जब तक मैं कुछ बोलूं उन्होंने खडे होकर मेरे लन्ड को पकड लिया और पैन्ट के ऊपर ही से कस कर दबा दिया। “हाय बडा तगडा लगता है तुम्हारा तो। बडा बेताब भी है। बस ऐसा ही लन्ड तो मुझे पसन्द है”।
मैं तो हक्का बक्का रह गया। मैडम सोनम मेरे साथ फ्लर्ट कर रही हैं। मिस आइस मैडेन का यह गरम रूख देख कर मेरी तो बोलती ही बन्द हो गई और मैं उनकी हरकतें देखता रह गया। चूंकि मैं टेबल के ऊपर खडा था इस लिए मेरा लन्ड उनके मुंह की ठीक सीध में था। वो अपने चेहरे को और पास लाईं और पैन्ट के ऊपर ही से मेरे लन्ड को चूमते हुए बोली “इसे जरा और पास से देखूं तो क्यों इतना अकड रहा है” ऐसा कहते हुए मैडम सोनम ने मेरी जीन्स की जिप खोल दी। मैं आम तौर पर अन्डरवियर नहीं पहनता हूं। लिहाजा जिप खुलते ही मेरा लन्ड आजाद हो गया और उछलकर उनके चेहरे से जा टकराया।
“हूं ये तो बडा शैतान है। इसे तो सजा मिलनी चाहिए” मैडम ने अपने सेक्सी मुंह को खोला और मेरे सुपाडे को अपने रसीले होठों में दबा लिया। मैं तो मूक दर्शक बन कर सातवें आसमान में पहुंच गया था। जिस मैडम सोनम के पीछे सारा आफिस दीवाना था और जिनके बारे में सोच सोच कर मैंने भी औरों की तरह कई कई बार मुठ मारी थी यहां एक रंडी की तरह मेरा लौंडा चूस रही थी। मैंने मैडम का सर पकड कर अपने लौंडे पर दबाया और साथ ही साथ अपने चूतडों को आगे धक्का दिया। एक ही झटके में मेरा पूरा लन्ड मैडम के मुंह में कंठ तक घुस गया। उनका दम घुटने लगा और उन्होंने अपना सिर थोडा पीछे किया। मुझे लगा कि अब मैडम मुझे मेरे उतावलेपन के लिए डांटेगीं।
मैं बोला “सोरी मैडम मैं अपने पर काबू नहीं रख पाया”। उन्होंने बोलने से पहले मेरा लन्ड अपने मुंह से निकाला और मुस्कुराई “धत पगले। मैं तुम्हारी हालत का अन्दाजा लगा सकती हूं। लेकिन ये मैडम मैडम क्या लगा रखी है। तुम मुझे सोनम कह कर बुलाओ ठीक है ना। अब मुझे अपना काम करने दो”। ऐसा कह कर मैडम ने एक हाथ में मेरा लन्ड पकडा और शुरू हो गई उसका मजा लेने में। वो लन्ड को पूरा का पूरा बाहर निकाल कर फिर दोबारा अन्दर कर लेती। मैं भी धीरे धीरे कमर हिला हिला कर उनका मुंह चोदने लगा। कुछ देर बाद वो बोली “बस इसी तरह खडे खडे कमर हिलाने में क्या मजा आएगा। थोडा आगे बढो”।
मैंने उनका इशारा भांप लिया और पहले उनके गालों को सहलाया। फिर धीरे धीरे हाथो को नीचे खिसकाते हुए उनकी गर्दन तक पहुंचा और उनकी चोली का स्ट्रैप खोल दिया। दोनों मस्त चूचियां उछल कर बाहर आ गई। मैडम ने भी मेरी जीन्स खोल दी और बिना लन्ड मुंह से बाहर किए नीचे उतार दी। फिर लन्ड चूसते हुए वो अपनी चूचियों को मेरी जांघों पर रगडने लगी। मैंने थोडा झुक कर उनकी चूचियों को पकडा और कस कस कर मसलने लगा। जल्द ही हम दोनों काफी उत्तेजित हो गए और हमारी सांसें तेज हो गई। मैं बोला “मैडम मैं पूरी तरह से आपको मजा नहीं दे पा रहा हूं। अगर इजाजत हो तो मैं भी नीचे आ जाऊं।” मैडम ने मुझे गुस्से से देखा और हौले से सुपाडे को काट लिया। वो बोली “तुम मेरी बात नहीं मान रहे हो। अगर मैं बोलती हूं कि मुझे सोनम कह कर पुकारो तो तुम मुझे सोनम ही कहोगे मैडम नहीं।”
मैं बोला “सॉरी सोनम अब तो मुझे नीचे आने दो।” सोनम ने मेरा हाथ पकड कर नीचे उतरने में मदद की। नीचे आते ही मैंने उनके चूतडों को पकडा और अपने पास खींच कर होठों को चूमने लगा। अब मैं उनके होठों को चूसते हुए एक हाथ से चूतड सहला रहा था जबकि मेरा दूसरा हाथ उनकी चूचियों से खेल रहा था। सोनम मेरे लन्ड को हाथ में पकड कर सॉफ्ट टॉय की तरह मरोड रही थी। मैंने सोनम की साडी पकड कर खींच दी और पेटीकोट का भी नाडा खोल कर उतार दिया। सोनम ने भी मेरी टी शर्ट उतार दी और हम दोनों ही पूरी तरह नंगे हो गए। एक दूसरे को पागलों की तरह चूमते हुए हम वहीं जमीन पर लेट गए। चूत की खुशबू पा कर मेरा लन्ड फनफनाने लगा। सोनम भी गर्म हो गई थी और अपनी चूत मेरे लन्ड पर रगड रही थी। हम दोनों एक दूसरे को कस कर जकडे हुए किस करते हुए कमरे के कालीन पर लोट पोट हो रहे थे। कभी मैं सोनम के ऊपर हो जाता तो कभी सोनम मेरे ऊपर। काफी देर तक यूं मजे लेने के बाद हम दोनो बैठ कर अपनी फूली हुई सांसों को काबू में करने की कोशिश करने लगे।
सोनम ने अपने बाल खोल दिए। मैं बालों को हटा कर उनकी गर्दन को चूमने लगा। फिर दोबारा उनके प्यारे प्यारे होठों को चूमते हुए उनकी चूचियों से खेलने लगा। सोनम मेरा सिर पकड कर अपनी रसीली चूचियों पर ले गई और अपने हाथ से पकड कर एक चूची मेरे मुंह में डाल दी। मैं प्यार से उनकी चूचियों को बारी बारी से चूमने लगा। वो काफी गरम हो गई थी और मुझे अपने ऊपर ६९ की पोजिशन में कर लिया। मैं उनकी रसीली चूत का अमृत पीने लगा। सोनम अपनी जीभ लपलपा कर मेरे लौंडे को चूसे जा रही थी। जब भी हम में से कोई भी झडने वाला होता तो दूसरा रूक कर उसको संभलने का मौका देता। कई बार हम दोनों ही किनारे तक पहुंच कर वापस आ गए। हमारी वासना का ज्वार बढता ही जा रहा था और बस अब एक दूसरे में समा जाने की ही बेकरारी थी।
सोनम ने मुझे अपने ऊपर से उठाया और खुद चित्त हो कर लेट गई। अपने दोनों पैर उठा कर अपने हाथों से पकड लिए और मुझे मोर्चे पर आने को कहा।मैंने भी सोनम के दोनों पैरों को अपने कन्धों पर टिकाया और लन्ड को उसकी चूत के मुंह पर रख कर धक्का लगाया। मेरा लोहे जैसा सख्त लौंडा एक ही झटके में आधा धंस गया। सोनम के मुंह से उफ की आवाज निकली पर अपने होठों को भींच कर नीचे से जवाबी धक्का दिया और मेरा लन्ड जड तक उसकी चूत में समा गया। फिर मेरी कमर पर हाथ रख कर मुझे थोडा रूकने का इशारा किया और बोली “तुम्हारा लन्ड तो बडा ही जानदार है। एक झटके में मेरी जान निकाल दी। अब थोडी देर धीरे धीरे अन्दर बाहर कर के मजा लो।”
सोनम के कहे मुताबिक मैं धीरे धीरे उसकी चूत में लन्ड अन्दर बाहर करने लगा। चूत काफी गीली हो चुकी थी इसलिए मेरे लन्ड को ज्यादा दिक्कत नहीं हो रही थी। मैं धीरे धीरे चूत चोदते हुए सोनम की मस्त चूचियों को भी मसल रहा था। बडी ही गजब की चूचियां थी उसकी। एक हाथ में नहीं समा सकती थी। पर इतनी कडी मानो कन्धारी अनार। वो चित्त लेटी हुई थी पर चूचियों में जरा भी ढलकाव नहीं था और हिमालय की चोटियों की तरह तन कर ऊपर को खडी थी। उत्तेजना की वजह से उसके डेढ इन्च के निप्पल भी तने हुए थे और मुझे चूसने का आमन्त्रण दे रहे थे।
मै दोनों निप्पलों को चुटकी में भर कर कस कस कर मसल रहा था। सोनम भी सिसकारी भर भर कर मुझे बढावा दे रही थी। आखिर मुझसे नहीं रहा गया और उसके पैरों को कन्धे से उतार कर जमीन पर सीधा किया और उसके ऊपर पूरा लम्बा होकर लेट गया। सोनम ने दोनों हाथों से अपनी चूचियों को पकड कर पास पास कर लिया और मैं दोनों निप्पलों को एक साथ चूसने लगा। ऐसा लग रहा था कि सारी दुनिया का अमृत उन चूचियों में ही भरा हो। मैं दोनों हाथों से चूचियों को मसल रहा था। चूचियों की मसलाई और चुसाई में मैं अपनी कमर हिलाना ही भूल गया। तब सोनम अपने हाथ नीचे करके मेरे चूतडों पर ले गई और उन्हें फैला कर एक उंगली मेरी गान्ड में पेल दी। मैं चिहुंक गया एक जोरदार धक्का सोनम की चूत में लगा दिया। सोनम खिलखिला कर हंस पडी और बोली “क्यों राज्जा मजा आया। अब चलो वापस अपनी ड्यूटी पर।”
सोनम का इशारा समझ कर मैं वापस कमर हिला हिला कर उसकी चूत चोदने लगा। सोनम भी नीचे से कमर उठाने लगी और धीरे धीरे हम दोनों पूरे जोश के साथ चुदाई करने लगे। मैं पूरा लन्ड बाहर खींच कर तेजी से उसकी चूत में पेल देता। सोनम भी मेरे हर शॉट का जवाब साथ साथ देती। पूरे कमरे में फच फच की आवाज गूंज रही थी। जैसे जैसे जोश बढता गया हमारी रफ्तार भी तेज होती गई। आखिर उसकी चूचियों को छोड मैंने उसकी कमर को पकड कर तूफानी रफ्तार से चुदाई शुरू कर दी। सोनम भी कहां पीछे रहने वाली थी। वो भी मेरी गर्दन में हाथ डाल कर पूरे जोश से कमर उछाल रही थी। अब ऐसा लगने लगा था कि हम दोनों ही अपनी अपनी मंजिल पर पहुंच जाएंगे पर सोनम तो एक्सपर्ट चुदक्कड थी और अभी झडने के मूड में नहीं थी। उसने अपनी कमर को मेरी कमर की दिशा में ही हिलाना शुरू दिया। इससे लन्ड अन्दर बाहर होने के बजाए चूत के अन्दर ही रह गया। मेरी पीठ पर थपकी दे कर उन्होंने रफ्तार कम करने को कहा और बोली “थोडा सांस ले ले फिर शुरू होना। इतनी जल्दी झडने से मजा पूरा नहीं आएगा।”
मैंने किसी तरह अपने को संभाल कर रफ्तार कम की। मैं अब उसके रसीले होठों को चूसते हुए हौले हौले चोदने लगा। जब हम दोनों की हालत संभली तो दोबारा सोनम ने फुल स्पीड चुदाई का इशारा किया और फिर से मैं पहले की तरह चोदने लगा। रूक रूक कर चुदाई करने में मुझे भी मजा आ रहा था। हमारी इस चुदाई का दौर आधा घन्टे से भी ज्यादा चला। कई बार मेरे लन्ड में और उसकी चूत में उफान आने को हुआ और हर बार हमने रफ्तार कम करके उसे रोक लिया। हाालांकि कमरे में ए सी चल रहा था पर हम दोनो पसीने से नहा गए। आखिर सोनम ने मुझे झडने की इजाजत दी। मैं तूफान मेल की तरह उसकी चूत में धक्के लगाने लगा। वो भी कमर उछाल उछाल कर मेरी हर चोट का जवाब देने लगी। चरम सीमा पर पहुंच कर मैं जोर से चिल्लाया “सोनमआआआआ आआआआ मेरी जान। मैं आया” और उसकी चूत में जड तक लन्ड घुसा कर अपना सारा उफान उसके अन्दर डाल दिया। सोनम ने भी मेरी पीठ पर अपने पैर बांध कर मुझे कस कर चिपका लिया और चीखती हुई झड गई। Antarvasna
मैं मुंबई का रहने वाला Antarvasna हूँ, मेरा कद 5 फ़ुट 9 इन्च है। मेरे शरीर का रंग गोरा है और 7″ का लंड है. मेरी उमर 26 साल है। मैं अपनी एक कहानी आप लोगों के सामने पेश कर रहा हूँ जो मेरे साथ एक हफ्ते पहले हुई थी। मेरे घर में सब शादी की तैयारी के लिए बाहर गए थे और मैं अकेला घर पर था।
उसी समय लड़के वालों के घर से एक लड़की आई। उसने दरवाजे की घण्टी बजाई तो मैंने दरवाजा खोलकर देखा तो वो मिठाई लेकर आई थी। मैंने उसे अन्दर बुलाया और बैठने को कहा। वो बैठ गई। मैं उसके लिए एक ग्लास पानी लेकर आया। लड़की का नाम रीफा था, वो देखने में तो बहुत सुंदर थी और उसकी उम्र लगभग बीस साल की लग रही थी। मैं उसे देखते ही बेचैन हो गया। वो बहुत शरमा रही थी पर वो मुझे लाइन भी मार रही थी, इतना मैं दावे के साथ कह सकता हूँ।
फिर मैं भी उसके साथ बैठकर बातें करने लगा। मैंने कुछ देर बाद उससे पूछा- तुम्हारा कोई बॉय फ्रेंड है क्या?
उसने ना में जवाब दिया। फिर वो जाने के लिए खड़ी हो गई। मैंने जल्दी से उसका फ़ोन नंबर पूछ लिया। फ़ोन नम्बर बोलकर वो चली गई। मैं तो उसे देखकर बेताब हो गया था।
हमारे घर की नौकरानी का आने का समय हो रहा था और मुझे काफी नींद आ रही थी। मैं फिर अपने कमरे में जाकर सो गया। मैं अपने कमरे का दरवाजा बंद करने भूल गया था और मैं बनियान- चड्डी में सो गया(बिना पैंट और शर्ट के)। हमारी नौकरानी को पूरे घर का झाड़ू-पोचा करना था। वो मेरे कमरे में आ गई, मुझे तब तक नींद नहीं आई थी। मैं सिर्फ लेटा था। नौकरानी सिर्फ एक साड़ी पहने थी। वो मेरे बेड के पास आकर खड़ी हो गई और मेरी चड्डी उतारने लगी पर मैं उठा नहीं, मैं सोने का नाटक कर रहा था। वो मेरे लंड को चूसने लगी और मेरे हाथ को पकड़कर अपनी बुर में लगाने लगी। उसकी बुर और साड़ी पूरी तरह गीली हो गई थी।
फिर मैंने अपना नाटक ख़त्म किया और उठ गया। नौकरानी डर गई थी। मैंने उठते ही उसे ब्लाऊज़ उतारने को कहा, उसने उतार दिया।
बाप रे बाप ! इतनी बड़ी उसकी चूचियाँ थी कि पूछो मत ! भले ही वो सुंदर न थी पर उसकी काली चूची मुझे बहुत पसंद आई और चूची पर बड़े बड़े चुचूक थे। मैं उन्हें बहुत देर तक चूसता रहा।
फिर मैंने नौकरानी को बोला- चलो, अब बस करते हैं।
वो एक विधवा औरत थी और कहने लगी- मैं बहुत प्यासी हूँ, मेरी प्यास बुझा दो ना !
मैंने कहा- हाँ, बुझा दूंगा ! पर आज नहीं कल !
फिर मैं सो गया और शाम को मैंने उस लड़की रीफ़ा दो फ़ोन किया जो आई थी और अपने घर बुलाया। पहले तो वो मना कर रही थी पर कुछ देर में मान गई।
शाम सात बजे वो घर पर आई। मैं इस बार उसे अपने बेडरूम में ले गया और उसे लेटने को कहा। वो लेट गई।
मैंने फिर हिम्मत करके उसे पूछा- तुमने कभी सेक्स किया है ?
वो बोली- नहीं !
मैंने फिर पूछा- तुम फिर अपने पति के साथ सुहागरात कैसे करोगी? कुछ तो एक्सपेरिएंस रहना चाहिए ना?
वो भी प्यासी थी, उसने मेरे इस सवाल का जवाब नहीं दिया और अचानक मुझसे चिपक गई और होठों को चूमने लगी। मैं भी उसका पूरा साथ दे रहा था। यह सब 5 मिनट चलता रहा। फिर मैंने उसकी कमीज़ उतार दी। उसकी ब्रा बहुत कसी थी। जैसे मैंने उसकी ब्रा उतारी तो मैं पागल हो गया। उसकी चूची बहुत बड़ी थी, हमारी नौकरानी से भी बड़ी ! और दूध के से जैसे सफ़ेद रंग की थी। चुचूक गुलाबी रंग के थे।
फिर मैं उन्हें दस मिनट तक चूसता रहा। फिर उसने मेरे कपड़े उतार दिए। अब मैं सिर्फ चड्डी में था। मैंने फिर उसकी सलवार उतार दी और पैंटी दोनों भी। मैं फिर उसकी चूत चाटने लगा।
वह बोली- अब बस करो और मेरी इच्छा पूरी करो !
फिर मैने उसकी चूत में अपना लंड रखा और एक जोर का धक्का मारा। उसकी सील टूटी नहीं थी इसके कारण उसे बहुत दर्द हो रहा था।
वह चिल्लाई- बस बस ! निकालो, मुझे बहुत दर्द हो रहा है, अहहहहहहहहहहह !!!!!!!! निकालो जल्दी।
दर्द के कारण उसकी आँखों में आंसू आ गए। मैंने फिर एक जोर का धक्का मारा और वो फिर चिल्लाई। उसका गोरा रंग होने के कारण उसकी चूत पूरी गुलाब के जैसी लाल हो गई थी और उसमें से खून आ रहा था।
जब मैंने तीसरा धक्का मारा तो उससे रहा ना गया और उसने अपनी चूत टाईट कर ली और मेरा लंड बुरी तरह अटक गया था, अब मुझे भी दर्द होने लगा।
फिर मैंने धीरे-धीरे करके लंड निकला और लगातार पाँच-छः धक्के मारे। वो चिल्ला-चिल्ला कर पागल हो गई थी। फिर कुछ देर में उसे भी मज़ा आने लगा और मुझे भी।
कुछ देर बाद वो झड़ गई और मेरा लंड पूरा गीला हो गया पर हम दोनों अभी भी कर रहे थे। फिर मैं भी उसकी चूत में ही झड़ गया। वो टेंशन में आ गई और कहने लगी- कहीं मैं प्रेग्नंट हो गई तो ? मैं बोला- तुम फिकर मत करो, मैं तुम्हें दवाई ला दूँगा।
हम दोनों फिर एक साथ बाथरूम में गए और लंड और चूत को साफ़ करके अपने कपड़े पहन लिए।
अगले दिन सुबह हमारी नौकरानी आ गई अपनी प्यास बुझवाने !
उसके साथ भी बहुत मज़ा किया !
और जानने के लिए मुझे मेल करो दोस्तो ! Antarvasna
बेटी को धन की सुख देने के लिए मेरी Antarvasna बाप ने मेरी शादी एक ५० बरस के मर्द के साथ कर दी. मेरे पति की मुझसे उनकी दूसरी शादी थी. पहली की मौत हो चुकी थी. उनका एक लड़की थी जिसकी शादी हो चुकी थी. शादी के पहले मुझे उनके और परिवार के बारे मे अधिक जानकारी नही थी.
सुहाग रात मे मैं उनको देखकर हैरान रह गई. वे देखने मे ही बहुत कमज़ोर दिख रहे थे. मेरी उमर उस समय सिर्फ़ १८ बरस थी. वे आते ही दरवाज़ा बंद कर लिए और मेरी बगल मे बैठ गए. वे मुझे पकड़ कर चूमा लेने लगे. कुछ् इधर उधर के बाते करने के बाद वे मेरी ब्लाउज खोल दिए. मैं ब्रा पहन रखी थी. कुछ देर उपर से ही सहालाने के बाद ब्रा भी खोल दिए. उसके बाद मेरी चुची को चूसने लगे. मुझे अब अच्छा लगने लगा था.
मैने धीरे से अपनी हाथ उनके लंड तरफ़ बढ़ाया. अभी तक कुछ भी नही हुआ था. वे अपने कपड़े खोल दिए और सहालाने के लिए बोलने लगे. मैने भी कुछ देर तक हाथ से सहलाती रही. खड़ा नही होने पर मुख मे खाने के लिए कहने लगे. क़रीब १० मिनट के बाद भी जब नही खड़ा हो पाया तो मैं निराश हो गई. उनके लंड मे नाम मात्र का ही कडापन आया था. अब वे मेरी साडी खोल दिए और अपने मुरझाए हुए लंड से मेरी बुर रगड़ने लगे. मैं तो उनके लंड के तैयार होने का इंतज़ार कर री थी. वे मेरी बुर को अब जीभ से चूसने लगे. अभी भी उनका लंड बहुत नरम था. मैं मन ही मन अपने को कोसती रही और बाप को शराप्ती रही. वे मेरी बुर चूसने मे और मैं उनका लंड चूसने मे मशगुल थी. मुझे अब सह पाना मुश्किल था. जैसा था वैसा ही मैंने उनको चोदने के लिए कहने लगी. वे अपना नरम नरम लंड मेरी गरम गरम बुर मे प्रवेश करने लगे .मगर प्रवेश करने से पहले ही वे गिर गाये.मैं तड़पती रह गई . मैं सोचने लगी कि पहले रात के चलते ऐसे होगया. मैं चुप चाप रह गई. वे भी ऐसे ही कह रहे थे.
दूसरी रात भी मैंने बहुत कोशिश की मगर सब बेकार गया. इसी तरह महीनो बीत गाये. मैं जब भी बिस्तर पर तडपती रही. मेरी बड़ी बहन जीजाजी के साथ तबादला होकर उसी शाहर मे आ गयी. एक दिन मेरी बहन मुझसे मिलने मेरी घर पर आ गई. वे मेरा हाल ख़बर पूछने लगी. मैं चुप हो गई. जब वे ज़िद करने लगी तो मुझे सबकुझ बताना ही पड़ा. वे निराश हो गई और कुछ सोचने लगी. मैंने पूछने लगी तुम कैसी हो. जीजाजी कैसे हैं. वे कह रही थी की तुम्हारे जीजाजी तो बहुत तगडे है. वे मुझे बहुत मज्जे देते हैं. मान ही मान मैं इर्ष्या करने लगी .वे बोलने लगी की मैं कल तक कुछ सोचती हू. कल १२ बजे मेरी घर आजाना. वही पैर बैठ कर बाते करेंगे. मुझे कुछ आशा दिखाई देने लगी.
सुबह होते ही मैं जल्दी जल्दी काम निपटा कर तैयार हो गाई. ठीक १२ बजे मैं दीदी के घर पहौच गई. वे मुझे देख कर मुस्कुराने लगी. वे मुझे अपने बेड रूम मे ले गई .दीदी अपने रूम मे टीवी चला रही थी. वे बोलने लगी की तुम कुछ देर तक वीडियो देखो मैं काम निपटा कर आती हूँ. एक सीडी वही पर रखा हुआ था जिसपर लिखा हुआ था हम दोनो. मैंने उसी सीडी को लगा कर देखने लगी. सीडी देखते ही मैं घबरा गई और दरवाज़े की तरफ़ देखी. दीदी बाथरूम मे थी. मुझे और अधिक देखने का इच्छा जागृत होगई. इस सीडी मे तो जीजाजी और दीदी का रंगीन खेल भरा हुआ था. जीजाजी का लंड तो देखते ही बनता था. लग रहा था की दीदी बहुत रोएगी .मगर वा तो मज़े ले रही थी. मैं सोचने लगी काश मुझे कोई ऐसे चोदने वाला मिलता.
उसी समय दीदी अंदर आ गई और कहने लगी तुम को यह कैसा लग रहा है. मैंने सीडी बंद करदी. उसी समय जीजाजी भी आगये. मुझे देखते ही वे मुस्कुरा दिए. दीदी कहने लगी अरे साली तरफ़ भी तो देखो. वह बेचारी शादी होने के बाद भी कुँवारी है. दीदी कहने लगी आज तुम्हारे जीजाजी को तुम्हारे लिए ही मैंने बुलाया है . कल तुमसे मिलने के बाद मैने इनको सब कुछ बता दिया था. दीदी कहने लगी अब तुम लोग अपना काम करो मैं बाहर देखती हूँ. जीजाजी कह रहे थे तुम तो बहुत सेक्सी लगती हो. तुम्हारे स्तन तो काफ़ी बड़े है और वे दीदी के जाने के बाद बिना रूम बंद किए ही मेरी स्तन दबाने लगे.वह कह रहे थे की जब तुम्हारे दीदी ही है तो उससे छिपाना क्या. ऐसे तो साली तो आधी घर वाली होती ही हैं. लेकिन मैं तुम्हारे इच्छा के बिपरीत कुछ नही करूँगा.
मैं चुप चाप थी. मैं सोचने लगी की कही वे चले ना जाए. इससे अच्छा मौक़ा अब नही आने वाला मैं मुसकुराने लगी.जीजाजी समझ गए की मैं सहमत हू. वे अब मेरा ब्लोउज और ब्रा खोल दिए . मेरे चुचि को मसलने लगे . मैं भी अब सहयोग करने लगी थी. जीजाजी के लॅंड का उभार अब पैंट पैर दिखाई देने लगा था. मैंने उनका पैंट पैर हाथ डाला तो वे पैंट खोल दिए. अब उनका लॅंड बाहर निकल चुका था. मैं अपने हाथ से उनके लॅंड को सहालाने लगी. अपने पति का लॅंड से जीजाजी का लॅंड को तुलना कर रही थी. मन ही मन मैं सोचने लगी की मेरी दीदी कितनी लॅकी है की उसे ऐसे लॅंड वाला पति मिला है. कुच्छ देर तक मैं उनके लॅंड को देखती रही. इतने मे जीजा जी कहने लगे कैसा है मेरा हथियार. तुम्हारे पति का कैसा हैं. मैं कहने लगी, जीजाजी उनका तो खडा ही नही होता हैं. मैं महीनो से तरप रही हू. आपका लॅंड तो काफ़ी मोटा और बड़ा है. दीदी को तो बहुत दुखता होगा. उसी समय दीदी आगई. बोलने लगी अरे केवल देखते ही रहोगी.
मैं बोलने लगी दीदी इनका तो बहुत मोटा है, मैं नही सह पाऊँगी. दीदी कहने लगी हा, मोटा तो है लेकिन सहना ही पड़ेगा. पहली बार मुझे भी बहुत दर्द हुआ था. लेकिन अब तो मजा आता है. जीजाजी को दीदी कहने लग
बेचारी तुम्हारा घोड़ लॅंड देख कर डर गई है. मेरे बहन को मत रूलाना. बेचारी अभी तक तो कुँवारी जैसे ही तो है.इतन कह कर वा फिर चली गई. जीजाजी अब मेरी साड़ी और पेटी कोट भी खोल दिए .वे मेरे बुर को चटने लगे. मुझे बेड पैर सूता दिए और अपना लॅंड मेरे बुर मे डाल कर चूसने के लिए कहने लगे. वे मेर उपर चढ़े हुये थे . अपनी जीभ से मेरी टिट चाट रहे थे. मुझे काफ़ी मजा आरहा था. मैंने भी दोनो हाथो से उनका सिर पाकर कर दबाने लगा. ज़ोर ज़ोर से लॅंड चूसने के लिए कह रहे थे. उनका लॅंड का स्वाद लेने मे मुझे भी मजा आरहा था.
इतने ही मे अपना पूरा लॅंड मुख मे अंदर तक धकेलने लगे. मुझे तो पहली बार इतना तगड़ा लॅंड मिला था. मैं मज़े से उनका लॅंड चुस रही थी और जीजाजी मेरे बुर चुस रहे थे. उसी समय मुख मे गरम गरम और नमकीन टेस्ट आने लगा. वे और ज़ोर से लॅंड अंदर किए. मुझे तो मजे का स्वाद आ रहा था. कुछ देर तक और चूसती रही. वे बाहर लिए और बाथरूम मे चले गए. बाथ रूम से आने के बाद वे फिर मुझसे अपना लॅंड सहलवाने लगे. क़रीब ५ मिनट के बाद वे फिर तैयार होगए. जीजा जी का लॅंड फिर से पहले जैसे ही कठोर और मोटा होचुका था. इस बार वे मुझे पट सूता दिए. मेरे गाड़ मे थोडा थूक लगाए और एक अंगुली घुसा कर बाहर भीतर करने लगे. मैंने कहने लगी जीजाजी इसमे भी करोगे क्या. इसमे तो नही सहा जायगा. आज बुर मे ही कर लो. फिर कभी इसमे. जीजाजी नही माने और कहने लगे गाड़ लिए बिना मैं तुम्हारा बुर नही लूंगा. अगर मेरा शर्त मंज़ूर है तो बोलो नही तो छोड़ देता हूँ. मुझे तो आज चुदाई का भरपूर मजा लेना था. मैं चुप रही. मैं मुसकूरा दी और कहने लगी आप बहुत बदमश हो, आज मैं सब कुछ सहने को तैयार हूँ. जीजाजी Antarvasna
मेरा नाम मानसी Antarvasna है। मैंने अपनी कहानी “बहुत प्यार करती हूँ” अन्तर्वासना में भेजी थी, आप सबकी तरफ से बहुत अच्छे उत्तर मिले थे। आज मैं आपको अपनी दूसरी कहानी बताने जा रही हूँ, आशा है आप सबको पसंद आएगी। मेरी पहली कहानी जिन्होंने पढ़ी थी उन्हें उस इंसान के बारे में मालूम ही होगा जिससे मैं प्यार करने लगी थी। जब उसकी शादी हो गई तो मैं खुद को बहुत अकेला महसूस करने लगी थी। हालाँकि मैं जिससे प्यार करती थी, उससे मैंने कभी भी शारीरिक सम्बन्ध नहीं बनाये थे लेकिन फिर भी उसकी कमी मुझे अपनी ज़िन्दगी में महसूस होती थी। उसकी शादी होने के बाद तो मुझे यकीन हो ही गया था कि अब वो इंसान मुझे कभी नहीं मिलेगा। लेकिन मैं जैसे जैसे बड़ी हो रही थी मेरे अन्दर भी हर लड़की की तरह सेक्स की भावना बढ़ती जा रही थी। लेकिन कभी किसी से शारीरिक संबंध बनाने से मैं भी डरती थी लेकिन जब मन करता था तो अकेले ही मुठ मार कर अपना काम चला लेती थी।
मन तो करता था कि कोई हो जो मुझे प्यार करे, जिसके साथ मैं वक़्त बिता सकूँ। लेकिन न कभी किसी और से प्यार हुआ न मेरी ज़िन्दगी में उसके बाद कोई और आया। मैं हर वक़्त यही सोचती रहती थी कि कब मेरी भी शादी हो और मैं भी अपने पति से जी भर कर चुदवाऊँ। लेकिन मेरी शादी होने में अभी वक़्त था। धीरे धीरे मन में सेक्स की भावना इतनी बढ़ गई थी कि मैं यही सोचती कि कब मुझे मौका मिले और मैं जी भर कर ग्रुप सेक्स करूँ। कम से कम छः-सात लड़के मेरी एक साथ चुदाई करें। मैं जानती थी कि ऐसा हो नहीं सकता, लेकिन मन नहीं समझता उसे तो बस चूत की प्यास से मतलब था।
लेकिन मेरी यह इच्छा उस दिन पूरी हो ही गई जब एक दिन मेरे मम्मी-पापा कुछ दिनों के लिए किसी रिश्तेदार के यहाँ गए हुए थे। घर में मैं और मेरा बड़ा भाई थे। मम्मी-पापा एक हफ्ते से पहले वापिस आने वाले नहीं थे। तभी भैया के पास उनके कुछ दोस्तों का फ़ोन आया, उन लोगों को मुंबई जाना था। लेकिन ख़राब मौसम होने की वजह से उनकी उड़ान रद्द हो गई। तो भैया ने उन्हें अपने घर आने के लिए कह दिया। सर्दी के दिन थे, भैया ने उन्हें कहा कि पूरी रात एअरपोर्ट पर कैसे रहोगे, घर आ जाओ। वो लोग मान गए।
वो दस लोग थे। भैया ने उन सबके खाने का इन्तज़ाम किया और उनका इंतज़ार करने लगे। तभी अचानक पापा का फ़ोन आया कि वो जिस रिश्तेदार के यहाँ गए थे उनकी मृत्यु हो गई है और भैया को वहाँ आना पड़ेगा। भैया ने पापा को बताया कि उनके कुछ दोस्त घर पर आ रहे हैं तो पापा ने कहा कि उन्हें मानसी खाना खिला देगी। लेकिन तुम्हारा यहाँ आना ज़रूरी है।
भैया ने अपने दोस्तों को फ़ोन कर दिया कि मुझे जाना पड़ेगा लेकिन मानसी घर पर है, तो तुम लोग आ जाओ और खाना खा कर यही आराम कर लेना। वो लोग राज़ी हो गए। जब वे सब घर पर आये तो मैं पहले तो थोड़ा घबरा गई कि मैं इनके साथ पूरे घर में अकेले कैसे करुँगी लेकिन भैया के दोस्त बहुत अच्छे थे और उन्होंने कहा कि तुम आराम से बैठी रहो और बस हमें यह बता दो कि सब चीज़ें कहाँ हैं हम खुद ले लेंगे। उनमें से दो लोग रसोई में आ गए और बाकी सब कमरे में बैठ कर टी.वी देखने लगे। मैंने उन्हें बता दिया लेकिन रसोई में उनके साथ ही खड़ी रही कि कहीं उन्हें किसी चीज़ की ज़रूरत न हो। उनमें से एक का नाम सागर था। मैंने महसूस किया कि वो जब से आया था तब से मुझे ही देखे जा रहा था और जब मैं उसे देखती थी तो वो अपनी नज़रें मुझ पर से हटा कर कहीं और देखने लगता था।
उसके बाद हम सबने साथ ही खाना खाया। फिर मैं अपने कमरे में सोने चली गई। उनमें से कुछ लोग मम्मी पापा के कमरे में लेट गए और कुछ भैया के कमरे में। मैं नीचे जाकर सो गई और अपने कमरे को अन्दर से बन्द कर लिया। थोड़ी देर के बाद सागर नीचे आया और बोला- मानसी हमें नींद नहीं आ रही है, तुम कुछ फिल्म की सीडी निकाल कर दे दो हम देख लेंगे।
मैंने कहा- ठीक है।
मैं उन्हें सीडी देने गई और सोचा कि नींद तो मुझे भी नहीं आ रही है तो मैं भी इन लोगों के साथ बैठ जाती हूँ।
मैं वहीं सागर की बगल में बैठ गई और थोड़ी देर में ही हम सबके बीच हंसी मजाक शुरू हो गया। तभी अचानक सागर ने मेरे हाथ पर अपना हाथ रख दिया और मैं कुछ नहीं बोल पाई। सागर मेरी और ही देख रहा था कि तभी उसका एक दोस्त नितिन बोला- क्या बात है सागर ! जब से आये हो, मानसी को ही देख रहे हो ! अगर पसंद आ गई है तो शादी का प्रस्ताव रख दो। इसके भाई को हम मना ही लेंगे।
उसने कहा- ऐसा कुछ नहीं है।
वैसे उसका हाथ पकड़ना मुझे भी अच्छा लगा। सर्दी के दिन थे हम सब रजाई में बैठे थे इसलिए किसी को पता नहीं चला कि उसने मेरा हाथ पकड़ा है। लेकिन अचानक उसे पता नहीं क्या हुआ कि वो मेरे होठों पर चूमने लगा। उसके सब दोस्त हैरान रह गए और मैं भी।
मुझे कुछ समझ ही नहीं आया कि मैं क्या करूँ। पसंद तो वो भी मुझे पहली ही नज़र में आ गया था लेकिन मेरे दिल में यह डर बैठा था कि यह सब मेरे घर में पता चल गया तो क्या होगा। लेकिन उसे छोड़ने का मन मेरा भी नहीं कर रहा था। तभी नितिन ने भी पीछे से आकर मेरे स्तनों को दबाना शुरू कर दिया लेकिन मैंने झटके से उसे पीछे कर दिया और सागर को भी।
मैंने कहा- आप लोग यह सब क्या कर रहे हो।
तभी सागर ने कहा- मानसी हम सब आज की रात यहाँ हैं और हम चाहते हैं कि तुम पूरी रात हमारे साथ रहो। हम तुम्हारे साथ सेक्स करना चाहते हैं।
मैंने कहा- पागल हो गए हो क्या तुम सब लोग? मेरे घर में पता चल गया तो पता नहीं क्या होगा।
उन्होंने कहा- हम तुम्हारे भाई को कभी पता नहीं चलने देंगे। हमारा विश्वास करो, आखिर वो हमारा दोस्त है।
मैं उन्हें मना करना चाहती थी कि तभी मैंने सोचा कि मेरा जो ग्रुप सेक्स करने का सपना था वो आज सच हो सकता है। वैसे भी ये दस लोग हैं मैं मना करुँगी तो यह मेरे साथ जबरदस्ती भी कर सकते हैं। तब मैं क्या करुँगी। इस से अच्छा है कि खुद ही राज़ी हो जाऊं। शायद ऐसा मौका दुबारा न मिले और अगर इन्होने मेरे घर में बता भी दिया तो मैं यह कह सकती हूँ कि यह इतने सारे लोग थे इन्होंने मेरे साथ जबरदस्ती की थी। मैं अकेली क्या करती।
तभी सागर ने मुझे पूछा- क्या सोच रही हो मानसी, तुम तैयार हो ना?
मैंने उसे कुछ नहीं कहा और उसके होंठों पर चुम्बन करने लगी। वो समझ गए कि मैं तैयार हूँ। सागर के साथ किस करने में बहुत मज़ा आ रहा था। 15 मिनट तक मैं उसे चूमती रही और मुझे कुछ भी होश नहीं था। जब मैं उससे अलग हुई तो नितिन ने आकर मुझे चूमना शुरू कर दिया। उसके बाद उसके सभी दोस्तों ने मेरे साथ यही किया और ऐसे ही एक घण्टा बीत गया। उस वक़्त तक हम में से किसी ने भी अपने कपड़े नहीं उतारे थे।
तभी सागर ने कहा- मानसी, तुम हम सबके कपड़े उतारो !
तो मैंने कहा- ठण्ड है ! नहीं होगा।
हमने रूम-हीटर चालू किया और उसके बाद मैंने एक एक करके उन सबके कपड़े उतार दिए।
तभी नितिन बोला- अब हम एक खेल खेलेंगे। उसने कहा- मानसी दो दो मिनट के लिए सबके लण्ड चूसेगी और जिसका लंड ज्यादा जल्दी खड़ा होगा वही सबसे पहले चोदेगा।
लेकिन मैं सबसे पहले सागर से चुदवाना चाहती थी। पता नहीं क्यूँ ! शायद वो मुझे पसंद था इसलिए।
उसके बाद मैंने एक एक करके सबके लण्डों को चूसना शुरू किया। मेरे साथ वही सब हो रहा था जो मैं करना चाहती थी। और आज मैं जी भर कर अपनी इच्छा को पूरा करना चाहती थी। इतने सारे लंड एक साथ देख कर मैं पागल सी हो गई थी। मैंने जी भर कर सबके लौड़ों को चूसा और सागर के लंड को मैंने जब अपने मुँह में लिया तो उसे बाहर निकालने का मन ही नहीं कर रहा था। मैंने सागर का लंड 15 मिनट के लिए चूसा जिससे वो भी पूरी तरह गर्म हो गया और उसने मेरे सर को पकड़ कर ऊपर किया, मेरे होंठ जो उसके लंड के पानी से भीगे हुए थे उन्हें चूसने लगा और सबको कहा कि मानसी सबसे चुदवाएगी लेकिन अभी हमारे बीच कोई नहीं आएगा।
सबने वैसा ही किया और सब हमें देखते रहे। मुझे शर्म आने लगी थी लेकिन सागर था कि मुझे छोड़ने का नाम ही नहीं ले रहा था। 15 मिनट मेरे होंठ चूसने के बाद उसने कहा- अब तुम अपने कपड़े उतारो, हम सब तुम्हारी चूत को चाटेंगे।
मैंने सागर से कहा- मेरी चूत पर तो बाल हैं।
उसने कहा- तुम फ़िक्र मत करो।
उसने अपने एक दोस्त को इशारा किया और वो अपने बैग में से रेज़र लेकर आया। सागर ने मुझे अपनी गोद में उठाया और मुझे बाथरूम में ले जा कर बाथ टब में लिटा दिया। उसके बाद उसने मेरी टांगें फैला दी और मेरी चूत को गीला करके उस पर ढेर सारा साबुन लगा दिया। उसके बाद उसका एक दोस्त मेरी चूत के होठों को खोलता जा रहा था और सागर बड़े प्यार से मेरी चूत के बाल साफ़ कर रहा था। सागर का एक दोस्त मेरे होंठों को चूस रहा था, एक मेरे वक्ष मसल रहा था और बाकी सब वहीं खड़े होकर देख रहे थे। यह सब देख कर उनके लौड़े भी तनकर खड़े हो चुके थे। थोड़े बाल साफ़ करने के बाद सागर ने मेरी चूत को पानी से धोया और अपनी जीभ मेरी चूत में डाल दी। मैं काँप उठी जैसे कोई करंट लगा हो।
थोड़ी देर में जब उसने मेरी चूत पूरी तरह साफ कर दी तो उसके बाद नितिन मुझे उठा कर कमरे में ले आया और लाकर मुझे बेड पर लिटा दिया। कमरे में लाते ही सागर मेरी टांगों के बीच आकर बैठ गया और चूत के दोनों होंठों को खोल कर देखने लगा। मुझे शर्म आने लगी और मैंने अपना चेहरा अपने हाथों से ढक लिया।
तभी सागर बोला- क्या चिकनी बुर है। इसे तो मैं जी भर कर चूसूंगा उसके बाद चोदूंगा।
तब उसके सभी दोस्तों ने बारी बारी से मेरी चूत को चाटा। मैंने ऐसा पहले कभी महसूस नहीं किया था क्यूंकि सब के सब मेरे साथ कुछ ना कुछ कर रहे थे और मैं पागल सी होती जा रही थी।
अब सागर की बारी थी। सागर आकर मेरी टांगों के बीच बैठ गया था। इससे पहले मैं कम से कम तीन बार झड़ चुकी थी।
सागर ने मेरी टांगों को उठा कर अपने कंधे पर रख लिया और मेरी चूत के होंटों को खोल दिया। उसके बाद सागर ने अपनी एक ऊँगली मेरी गांड में डाल दी और नीचे झुक कर अपनी जीभ मेरी चूत के अन्दर। उसकी गरम जीभ अपनी चूत के अन्दर जाते ही मैं अन्दर तक सिहर गई। मुझे ऐसा लगने लगा कि मैं किसी स्वर्ग में घूम रही हूँ। मेरी चूत को चाटते हुए सागर घूम गया और उसने अपना लौड़ा मेरे मुँह की तरफ कर दिया और कहा कि मैं उसे अपने मुंह में लूँ।
मैंने जैसे ही उसका गर्म लंड अपने मुंह में लिया वैसे ही उसके बदन में भी एक करंट सा लगा। अब हम 69 अवस्था में थे। मुझे बहुत मज़ा आ रहा था। लगभग आधे घंटे उसी अवस्था में रहने के बाद सागर मेरे ऊपर से हट गया। इस बीच मैं दो बार झड़ चुकी थी और सागर था कि झड़ने का नाम ही नहीं ले रहा था।
सागर ने अपने दोस्तों से कहा- यार, बहुत अच्छा लौड़ा चूसती है, बहुत मस्त माल है।
तभी उसके दोस्त ने कहा- फिर तो इसकी जी भर कर चुदाई करेंगे।
नितिन ने कहा- यार इतना मस्त माल है तो चोदने में मज़ा आ ही जायेगा और वो भी अपने मर्ज़ी से चुदवा रही है।
तभी मेरे दिमाग में ख्याल आया कि अगर मैं इनसे अपनी मर्ज़ी से चुदवाऊँ तो यह लोग बहुत आराम से चोदेंगे लेकिन मैं इस मौके का पूरा फायदा उठाना चाहती थी और जबरदस्त चुदाई करवाना चाहती थी। इसलिए मैंने एक चाल चली। जब सागर मेरे ऊपर से हट कर अलग हुआ तो मैं उठ कर खड़ी हो गई और कहा- बस अब यह सब यहीं ख़त्म करो और मुझे जाने दो।
तभी नितिन ने कहा- जाती कहाँ है साली रंडी ! अभी तो तेरी चुदाई बाकी है।
मैंने कहा- मुझे छोड़ दो !
और मैं कमरे से बाहर जाने लगी कि तभी उसने मुझे खींच कर बिस्तर पर पटक दिया। मैंने सागर की तरफ देखा तब मैंने महसूस किया कि उसे भी शायद यह सब अच्छा नहीं लग रहा और वो भी नहीं चाहता कि यह सब हो लेकिन अब हम कुछ नहीं कर सकते थे। अगर वो अपने दोस्तों को मना भी करता तो कोई उसकी बात नहीं सुनता और सब मेरे साथ जबरदस्ती करते। जबरदस्ती तो वो लोग अब भी कर ही रहे थे क्यूंकि मैं भी यही चाहती थी।
मैंने नितिन से कहा- प्लीज़, मुझे जाने दो !
लेकिन उसने मेरी एक नहीं सुनी और मेरे पास आकर बैठ गया। मैंने उठने की कोशिश की लेकिन तभी उनके दोस्तों ने मेरे हाथ और मेरे पांव पकड़ कर मुझे पूरी तरह जकड लिया और सागर आकर मेरे स्तनों को मसलने और दबाने लगा। नितिन गन्दी गन्दी गालियाँ देने लगा। साली रंडी दस-दस लोगों से चुदवाने को तैयार है और सीधी बनने की कोशिश करती है। आज देख तेरी ऐसी चुदाई होगी रंडी कि तू सारी ज़िन्दगी याद रखेगी। तेरी चूत का भोसड़ा बनायेंगे आज। ऐसा चोदेंगे कि दुबारा किसी से चुदने से पहले दस बार सोचेगी।
मैं समझ गई थी कि सब लोग गरम हो चुके हैं और मैं भी अपनी चूत में लंड लेने को बेकरार थी। सागर मेरे ऊपर लेट कर मेरे होंठों को चूसने लगा और मम्मों को दबाने लगा। मेरे हाथ और पैर तो उसके दोस्तों ने पकड़ रखे थे। इसलिए मैं हिल भी नहीं पा रही थी। तभी सागर सीधा होकर मेरी चूत के पास घुटनों के बल बैठ गया और मेरी टांगें फैला कर ऊपर की ओर कर दी। उसका एक दोस्त मेरे होंठों को चूसने लगा और नितिन मेरे मम्मों को मसलने लगा। मेरे मम्मों में भी दर्द हो रहा था।
तभी सागर ने अपना नौ इंच लम्बा लंड मेरी चूत पर रखा और एक ही झटके में पूरा का पूरा लंड मेरी चूत को चीरता हुआ अन्दर जड़ तक चला गया। मुझे सबने इतने कस कर पकड़ रखा था कि मैं हिल भी नहीं पा रही थी। जैसे ही उसने अपना लंड मेरी चूत में डाला, मैं दर्द के मारे तड़प उठी और हिल ना पाने की वजह से अन्दर ही तड़प कर रह गई। होंठ भी एक लड़के ने अपने होंठों से बंद कर रखे थे तो आवाज़ भी नहीं निकल पा रही थी। दर्द की वजह से मेरी आँखों में आंसू आ गए जिसे देख कर सागर को दुःख हुआ और वो अपना लंड बाहर निकालने लगा।
मैंने इशारे से उसे मना कर दिया। वो थोड़ी देर के लिए रुक गया। और जब दर्द कुछ कम हुआ तो उसने धीरे धीरे धक्के मारने शुरू किये। अब मुझे भी मज़ा आने लगा था तो मैं भी सागर का पूरा साथ देने लगी। मैंने उन्हें अपने हाथ और पैर छोड़ने को कहा। और दो लड़कों के लौड़ों को अपने हाथों में लेकर उनकी मुठ मारने लगी। नितिन का लंड मेरे मुंह में था। दो लड़के मेरे मम्मों को पकड़ कर मसलने लग गए और बाकी सब अपनी अपनी जीभ मेरे पूरे बदन पर रगड़ रहे थे। मेरा पूरा बदन एक साथ चुद रहा था। मुझे बहुत मज़ा आ रहा था। करीब आधे घंटे चुदाई करने के बाद सागर ने सबको कहा- अब सब झड़ने के लिए तैयार हो जाओ।
मैंने उन सबसे कहा- अपने लौड़ों का पानी मेरे ऊपर डाल दो और सागर से कहा कि तुम मेरी चूत के अन्दर ही झाड़ना।
सागर ने वैसे ही किया। करीब 5 मिनट के बाद चारों लड़के (सागर, नितिन) और जिनके लंड मेरे हाथ में थे, एक साथ झड़े और सबने अपना पानी मेरे ऊपर डाल दिया। सागर का गरम वीर्य मैं अपनी चूत में महसूस कर रही थी। मुझे बहुत अच्छा लग रहा था।
उसके बाद बाकी सबने भी मुझे बारी बारी से चोदा। उस पूरी रात में मेरी बारह बार चुदाई हुई। बाकी सबने एक एक बार और सागर और नितिन ने मुझे दो-दो बार चोदा। मुझे बहुत अच्छा लग रहा था। उसके बाद सबने बाथरूम में जाकर अपने लौड़ों को साफ़ किया और सुबह के छः बजे जाकर कमरे में सो गए। लेकिन मैं इतनी जबरदस्त चुदाई के बाद उठने की भी हिम्मत नहीं कर पा रही थी। तब सागर ने कहा- मानसी, तुम यहीं रहो, मैं आता हूँ।
और उसके बाद वो बाथरूम में जाकर बाथटब में गरम पानी भर कर आया। और मुझे अपनी गोद में उठा कर बाथरूम में ले गया। उसने जाकर मुझे टब में लिटा दिया और मेरी चूत को हल्के हाथ से सहलाने लगा। इससे मेरी चूत को बहुत आराम मिल रहा था। मेरी पूरी चूत बुरी तरह से लाल थी और बहुत दर्द हो रहा था। उसके बाद सागर ने मुझे लाकर बिस्तर पर लिटाया। और मेरे बदन को पोंछा जिससे मुझे बहुत आराम मिल रहा था। तभी सागर आकर मेरे पास लेट गए और मुझे रजाई में लेकर अपने साथ चिपका लिया। मुझे उसकी बाहों में एक सुकून सा मिला। जिस इंसान की कमी मैं अपनी ज़िन्दगी में महसूस करती थी, लगा कि सागर उस कमी को पूरा कर सकता है। लेकिन यह बात मैं उसे कैसे कहती। उसके सामने ही उसके दोस्तों से चुदी हूँ।
तब सागर ने मेरे चेहरे को अपने हाथों में लिया और कहा- मानसी, मुझे माफ़ कर दो। आज तुम्हारे साथ जो भी हुआ उसका जिम्मेदार मैं ही हूँ। ना मैं शुरुआत करता और ना तुम्हारे साथ यह सब होता। लेकिन मैं सच में तुम्हें पसंद करने लगा हूँ। मैं जानता हूँ कि तुम यही सोच रही होगी कि तुम्हारे साथ ऐसा करने के बाद भी मैं यह सब कह रहा हूँ। लेकिन ये सच है मानसी। मैं तुम्हें पसंद करता हूँ और तुमसे शादी करना चाहता हूँ। तुम्हारे भाई के वापिस आते ही मैं उससे तुम्हारा हाथ मांगूंगा।
और मैं भी उसकी बात को स्वीकार करते हुए उसके कंधे पर सर रख कर लेट गई। नींद कब आई पता ही नहीं चला।
जब नींद खुली तो सुबह के 11 बज रहे थे। मैंने जल्दी से उठ कर कपड़े पहने। सब लोग नहा कर तैयार हो गए। पूरा बदन रात की चुदाई से दर्द कर रहा था। लेकिन इस दर्द में उस प्यार का एहसास भी था जो मुझे सागर से मिला था। उसके बाद मैंने सब के लिए चाय बनाईं। सब लोग चाय पीकर निकल गए और जाते जाते सागर ने मुझसे कहा कि मैं उसका इंतज़ार करूँ, वो मुझे लेने आएगा। उसकी बात पर यकीन भी था लेकिन मन में शक भी था। उसके बाद दो साल तक सागर की कोई खबर नहीं आई। ना ही भाई से पूछने की हिम्मत थी उसके बारे में।
तब तक मेरी पढ़ाई भी ख़त्म हो चुकी थी। घर में मेरी शादी की बातें होने लगी थी। लेकिन मुझे तो सागर का इंतज़ार था। कभी कभी लगता कि अगर उसे आना ही होता तो क्या वो इन दो सालों में मुझसे मिलने की बात करने की कोशिश नहीं करता। लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ इसका मतलब उसने जो कहा शायद वो सब मुझे दिलासा देने के लिए कहा था। मैंने घर वालों को शादी के लिए हाँ कह दी और कहा कि वो जिसे भी मेरे लिए पसंद करेंगे मैं उसी से शादी कर लूंगी।
एक दिन मम्मी ने बताया कि मुझे देखने लड़के वाले आ रहे हैं। मन में एक अजीब सा डर समाया हुआ था और सागर की बातें भी दिमाग में घूम रही थी। जब लड़के वाले आ गए तो मुझमें हिम्मत ही नहीं थी कि एक नज़र उठा कर उस लड़के को देखूं। यह शादी तो वैसे भी मैं घर वालों की ख़ुशी के लिए कर रही थी। मैं जाकर कमरे में बैठ गई। थोड़ी देर इधर उधर कि बातें होती रही। लेकिन मैंने एक नज़र उठाकर उस लड़के की ओर एक बार देखा तक नहीं क्यूंकि मुझे सिर्फ सागर का इंतज़ार था। जब मैं उन लोगों के सामने गई तो लड़के की माँ बोली- हमें आपकी बेटी पसंद है।
मैंने सोचा- बिना कुछ पूछे बिना कुछ जाने एक ही नज़र में पसंद कर लिया।
तब लड़के की मम्मी ने कहा- दोनों को एक दूसरे से बात कर लेने दो।
मेरी तो सांस ही अटक गई। क्या बात करुँगी, कैसे करुंगी। तब मेरी बहन हमे ऊपर वाले कमरे में ले गई। मैंने अब तक एक बार भी नज़र उठा कर उस लड़के की ओर नहीं देखा था क्यूंकि यह शादी मेरी मर्ज़ी नहीं मजबूरी थी। कमरे में आने के बाद बहन बाहर चली गई। मैं और वो लड़का बैठ गए।
तब उसने मुझसे कहा- क्या बात है, आप मेरी तरफ देखेंगी नहीं?
आवाज़ जानी-पहचानी सी लगी। चेहरा उठा कर ऊपर देखा तो वो सागर ही था। मैं एक दम से खड़ी हो गई और उसे देखती ही रही। मुँह से एक भी शब्द नहीं निकला और उसने सिर्फ इतना ही कहा- मानसी, मैंने जो वादा किया था उसे पूरा करने आया हूँ।
उसे देख कर मेरे दिल में जो ख़ुशी थी वो मेरी आँखों में साफ़ दिखाई दे रही थी। लेकिन उसके साथ ही आंसू भी थे। मैंने कहा- अब तुम्हें याद आई मेरी ? दो साल मैंने कैसे बिताए, जानते हो?
उसने बस इतना कहा- दो साल बाद मिल रही हो, गले भी नहीं लगोगी क्या?
मैं उसके गले लग गई और रो पड़ी। उसने कहा- क्या हुआ? रो क्यूँ रही हो?
मैंने कहा- इतने दिनों के बाद आये हो, यह भी नहीं सोचा कि मेरा क्या हाल होगा। तुमने तो कहा था कि भाई के आते ही उससे बात करोगे।
तो उसने कहा- मानसी, जब मैं तुमसे मिला था, उस वक़्त मेरी नौकरी बिल्कुल नई थी, जीवन में स्थापित होने के बाद ही तो तुम्हारे भाई से तुम्हारा हाथ मांगता। पहले मांग लेता तो वो मना कर देता। आज उसे पता है कि मैं अपनी जिन्दगी में सुस्थपित हूँ और तुम्हें खुश रख सकता हूँ इसलिए वो भी मेरे एक ही बार कहने पर मान गया। और इसलिए आज मैं अपने मम्मी पापा को तुम्हारे घर लेकर आया हूँ तुम्हारा हाथ मांगने। और तुम्हारे घर वालों ने इसलिए कुछ नहीं बताया था क्यूंकि मैं तुम्हें आश्चर्य-चकित कर देना चाहता था। अगर तुम्हें पहले पता होता तो मैं तुम्हारे चेहरे के वो भाव ना देख पाता जो मेरी आवाज़ सुनकर तुम्हारे चेहरे पर थे।
मैं उसे कुछ नहीं कह पाई और उसके गले लग गई। आज मैं बहुत खुश हूँ।
दोस्तो, आपको मेरी कहानी कैसी लगी मुझे ज़रूर बताइए। Antarvasna
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