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Massage Girl in Siliguri: Premium Relaxation Services

Our site can help you find a professional massage girl in Siliguri who will help you relax in the best manner possible. We connect you with professional therapists who can offer you a massage that will make you feel better and more relaxed. The pros on our list are ready to provide you with a fantastic experience at your house or in one of their particular spots, whether you want to relax or get away from it all.

Introduction

Massage is currently one of the finest methods to relax your mind, body, and overall health. Our website makes it easy to locate the top massage services in Siliguri that meet your demands. This will be a one-of-a-kind and calming experience for you.

Tottaa wants to make it simple for clients to find the top masseuse. The Siliguri massage service providers on our list offer the greatest quality, comfort, and competence, whether you want a full-body massage or a massage for a particular location.

How Tottaa Helps Advertisers Reach More Customers

Tottaa is not only a list of masseuses, it’s also a secure location for them to show off what they can do. People in Siliguri who are seeking massage services may find them on our website. This makes them easier to find and gets them more appointments.

Advertisers may simply put up profiles, offer their services, and talk about pricing and discounts on our sites. This makes sure that the relevant people notice your Siliguri massage service, which makes it easier to obtain more customers.

Different Types of Massages We Offer

There are a lot of different types of massage services on our site, so you may choose one that works for you. You may choose the kind of treatment that works best for you, whether it’s profound rest or a particular type of therapy.

1. Swedish Massage

A calm and gentle way to ease muscular tension and improve blood flow. This Siliguri massage is perfect for you if you want to relax and forget about your concerns.

2. Deep Tissue Massage

This approach employs a lot of pressure to get to deeper muscle layers. It’s helpful for folks who have muscular discomfort or stiffness that won’t go away. There are specialists on our profiles of massage girls in Siliguri who are good at deep tissue treatments that function effectively.

3. Aromatherapy Massage

Calming massage strokes and essential oils are beneficial in making people feel improved both emotionally and physically. Most massage companies in Siliguri employ the use of custom oil preparations to make you feel good.

4. Thai Massage

A therapy that wakes you up by using a mix of regular massage, stretching, and compression. This traditional massage in Siliguri helps you relax, become more flexible, and get your mind and body back in harmony.

5. Hot Stone Massage

Heated stones are placed on various parts of the body to help with deep muscular tightness. People who want to feel good, relax, and help their muscles recover quickly can use this massage service in Siliguri

How to Book Our Massage Services

Tottaa makes it simple and fast to book. With our listings, you can see what kind of massage you want, read about the providers, see that they are free and then contact them directly. After you choose, you can book a massage in Siliguri at your convenient time and location. In order to get your desired massage services, apply the following simple steps:

Step 1: Browse Our Listings

Take a peek around our site to view a few massage professionals. Each listing gives you information about the many sorts of massages, how long they last, how much they cost, and where they are situated. This makes it easier to choose the finest ones.

Step 2: Compare and Shortlist

Examine the profiles carefully to compare how the services, talents, and reviews posted by customers differ. This phase makes sure you choose a business that has the style, pricing, and supply you desire.

Step 3: Connect with the Provider

When you have decided, use the information that you are offered so that you can contact them directly. One can communicate it to the massage giver thus making it understood what massage you want at what time and when.

Step 4: Confirm the Appointment

The date, time and place of the service, which could be your home, a hotel or the spa where the therapist may be found. You also need to agree on the payment method and any other accords prior to commencement of the course.

Step 5: Relax and Enjoy Your Massage

All you have to do on the day of the appointment is have your area ready for the house visit. The remainder will be handled by the expert. Take it easy and enjoy a massage that is made just for you.

Frequently Asked Questions

To locate a professional who can meet your needs, read our biography, reviews and advertising.

Yes, many of the therapists on our site will come to your house so you may feel safe and at ease.

You may pick based on talents since most adverts provide their qualifications in their profiles.

It would be advisable to make a reservation earlier to guarantee that you would be able to get a massage, particularly against the prevalent services of massage.

Not at all. Tottaa exclusively connects users with service providers. The doctor gets to choose how to handle payment.

Read Our Top Call Girl Story's

Antarvasna

सभी पाठकों और आँटियों Antarvasna को राजू के लण्ड का सलाम। अन्तर्वासना में यह मेरी पहली कहानी है। मैं बचपन से ही सेक्स के लिए उतावला रहा हूँ। यह कहानी तब की है जब मैं बी. कॉम प्रथम वर्ष में पढ़ता था। मेरे पड़ोस में एक दम्पत्ति रहने आया। उनकी शादी हुए चार-पाँच साल ही हुए थे। मेरा उनसे मेल-जोल होने लगा। मैं उनको भैया और भाभी कहता था। मेरा उनके घर आना-जाना शुरू हो गया

एक बार भैया ने रात को दस बजे मुझे फोन किया कि मैं उनके घर आउँ। मैं तुरन्त उनके घर गया तो भैया ने कहा उनको बस-स्टैण्ड जाना है, उनको रात को किसी ज़रूरी काम से दिल्ली जाना था। भैया ने कहा कि तुम्हारी भाभी को डर लगता है इसलिए हो सके तो तुम रात को हमारे घर पर ही सो जाना।

मैंने कहा – ठीक है।

मैं आधे घण्टे में उनको बस-स्टैण्ड पहुँचा कर वापस भाभी के पास आ गया। भैया की माँ भी उस दिन बाहर गई हुईं थीं।

भाभी को मैंने कहा कि वो अन्दर बेडरूम में सो जाये, मैं बाहर ड्राईंगरूम में सो जाता हूँ। भाभी ने कहा कि ठीक है। भाभी ने मुझे जान-बूझकर पतली सी चादर दी ताकि मुझे ठंड लग जाए। करीब आधे घण्टे में वो पानी पीने के लिए बाहर आई तो मैं ठण्ड से सिकुड़ रहा था। भाभी ने कहा कि ठण्ड लग रही है तो अन्दर सो जाओ। मैं तैयार हो गया। अन्दर केवल एक डबल बेड पलंग था। भाभी ने कहा कि यहीं सो जाओ। मैं थोड़ा सकुचाया। फिर मैं भी वहीं सो गया। करीब आधे घण्टे बाद मैंने पाया कि भाभी की एक टाँग मेरी टाँगों पर आकर लगी। टाँग पर से साड़ी ऊपर हो गई थी और भाभी की गोरी-गोरी मादक जाँघें मुझे मखमल की तरह लग रही थीं। मैंने भी धीरे से अपनी टाँग भाभी की टाँगों पर रख दीं। मेरे आठ इंच का मूसल खड़ा होने लगा। मैंने धीरे-धीरे टाँगों को रगड़ना शुरू किया तो भाभी ने भी जवाब दिया। मुझे हरी झंडी मिल गई।

फिर धीरे-धीरे मैं भाभी के पास आता गया और मैंने भाभी की चूचियों पर अपना हाथ रख दिया तो भाभी सोने का नाटक करने लगी। अब मैंने भाभी की मादक, रसीली और भरी-भरी चूचियों को हल्के-हल्के दबाना शुरू किया। अचानक भाभी जाग गईं और कहने लगीं कि ये तुम क्या कर रहे हो? मैंने कहा कि मुझे नींद में पता नहीं चला, सॉरी। मैं उठकर बाहर सोने के लिए जाने लगा तो भाभी ने कहा नहीं यहीं सोना है।

भाभी ने मुझे एक भद्दी सी गाली मादरचोद कहा और कहा कि लण्ड खड़ा करने की हिम्मत है पर डालने की नहीं। मैंने भाभी से कहा कि लण्ड तो आपने ही खड़ा किया था। भाभी हँसने लगीं। भाभी उठीं और रसोई से जाकर गरमा-गरम दूध लेकर आईं, फिर हमने दूध पिया। फिर कहा कि सर्दी बहुत है, मैंने कहा कि अभी सर्दी भगा देता हूँ।

भाभी बोली- तो देर क्यो कर रहे हो।

मैंने भाभी को पलंग पर ही पटक दिया और उनकी साड़ी को ऊपर कर दिया और उनकी पैण्टी में हाथ डाल दिया। अचानक मुझे लगा कि जैसे कि मैंने कोई भट्ठी में हाथ डाल दिया है। मैंने भाभी की फूली हुई ब्रेड की माफ़िक रसीली चूत को मसलना शुरू किया। भाभी आआआआआ… आआआआ… श्श्श्श्शस्स्स्स्ससी श्सस्स्स्सी… करने लगी। फिर मैंने भाभी की ब्लाउज़ खोल दी और उसकी चूचियों को दबाना शुरू किया। मैंने भाभी के पूरे बदन को अपनी जीभ और होठों से चूमा। फिर मैंने बाभी की चूत पर अपनी जीभ फेरनी शुरू की। भाभी का पूरा शरीर अकड़ने लगा और अचानक ही उनकी चूत से कुछ रस बहने लगा।

मैंने भाभी से पूछा- ये क्या है?

भाभी ने कहा- मादरचोद, गाण्डू, चाट इसको।

मैंने रस को चाटा तो काफी गरम और टेस्टी था। भाभी ने अब मेरे मूसल को हाथ में लेकर मुट्ठ मारनी शुरू कर दी, थोड़ी देर में मुझे लगा कि अब मेरा रस निकलने वाला है तो मैंने भाभी को कहा कि मेरा निकलने वाला है तो भाभी ने उसको अपने मुँह में लिया और सारा रस पी गई।

१५ मिनट के बाद लण्ड फिर से खड़ा होने लगा क्योंकि भाभी अपनी चूत के बाल साफ कर रही थीं, और मैं उनको देख रहा था, मैंने भाभी से पूछा – कि भाभी आप तैयार हो? तो भाभी ने कहा- मेरे चोदू, आ जा ! चोद दे !

मैं सीधे ही भाभी के ऊपर चढ़ गया और अपना ८ इंच का मूसल उसकी चूत में डाल दिया, मूसल जाते ही भाभी दर्द के मारे छटपटाने लगी और बोली, भड़वे, लण्ड है कि मूसल है। भाभी की चूत काफी टाईट थी, मुझे अन्दर-बाहर करने में मज़ा आ रहा था। मैंने भाभी से इसका राज पूछा तो वह बोली कि जब तक किसी चीज़ को काम में नहीं लाओ तो वह नई-नई ही रहती है। मैं सारा माज़रा समझ गया।

मैंने भाभी की चूत को और तेज़ी से चोदने लगा, फिर १५ मिनट बाद में, मैंने भाभी को घोड़ी बनाया और भाभी की चूत में पीछे से लण्ड डाल दिया और चोदने लगा, बाभी का माँसल बदन और मेरे शरीर की टकराहट से कमरे में फच्च फच्च फच्च… की आवाज़ें आने लगीं।

भाभी लगातार शस्स्स्स्सी…. श्स्स्स्सी…. उई… उई… अह्ह्ह्हहा…. अह्ह्ह्हाहा की आवाज़ें निकाल रही थी। भाभी अब ज़ोर ज़ोर से धक्के लेने लगी, मैंने भी गति बढ़ा दी। भाभी बोली- साले, बहनचोद, और ज़ोर से चोद, मेरी चूत फाड़ डाल !

मैंने भाभी को कहा, हरामज़ादी, साली, कुत्ती, तेरी चूत का तो मैं औज फौलाद बना ही डालूँगा। यह कहते-कहते भाभी का रस निकल गया और थोड़ी देर बाद में मेरा भी। हमने एक दूसरे को साफ किया और सो गये। सुबह ६ बजे में मैंने भाभी को एक बार फिर से चोदा। चुदाई के बाद भाभी ने चाय बनाई, मैंने चाय पीकर भाभी को किस किया और पूछा- “रात को सर्दी तो नहीं लगी?” तो भाभी मुस्कुराने लगी।

उसके बाद से मैं भाभी को लगातार चोद रहा हूँ…. Antarvasna

दोस्तो, मेरा नाम आकाश है.. जोधपुर के एक छोटे से गांव से हूँ।

बात उन दिनों की है.. जब मैं अपनी bcom की पढ़ाई कर रहा था.. मेरे साथ एक टीना नाम की लड़की भी पढ़ती थी।
जब से मैंने उसको देखा था.. बस उसे चोदने के बारे में ही सोचता रहता था। वो थी ही इतनी हॉट और सेक्सी उसका फिगर 32-30-34 का था।

एक दिन मैंने मौका देख कर उसे प्रपोज़ कर दिया.. पर उसने कोई जवाब नहीं दिया। मैंने सोचा शायद उसे बुरा लगा है.. क्योंकि वो अगले दिन क्लास में भी नहीं आई थी।

फिर जब उसके अगले दिन वो आई.. तो मुझे कुछ शान्ति हुई कि कोई गड़बड़ वाली बात नहीं है।
उस दिन क्या मस्त लग रही थी वो..!

उसने लाल रंग का सूट और मैचिंग की पजामी पहनी हुई थी.. इससे पहले कि मैं उससे बात करता.. वो ही मेरे पास आई और एक कागज दे कर चली गई।

मैंने भी जल्दी-जल्दी में देखा तो उसमें उसका नंबर लिखा था.. मेरी खुशी का कोई ठिकाना नहीं रहा।

फिर हम दोनों की फोन पर बातें शुरू हो गईं।

अब हम दोनों बाहर मिलने लगे.. लेकिन मेरा तो बस उसे चोदने का ही मन था। फिर एक दिन मॉम-डैड कहीं बाहर गए हुए थे और मैं घर पर अकेला था।

अचानक मेरे मन में आया कि क्यों ना आज टीना को घर पर बुला कर चोदूँ.. मैंने उसी वक्त उसे फोन मिलाया और कहा- आज मैं नहीं आऊँगा क्योंकि घर पर कोई नहीं है।

वो कुछ मायूस सी लगी तो मैंने कहा- तुम आ जाओ ना इधर ही मेरे पास.. मैं भी अकेला बोर रहा हूँ..
पहले तो उसने मना कर दिया.. लेकिन मेरे ज़ोर देने पर वो मान गई और मैं उसे लेने निकल पड़ा।
घर आते समय हम कुछ आइस्क्रीम वगैरह भी ले आए.. लेकिन मेरे दिल में कुछ और ही था।

घर आने के बाद हमने कॉफी पी और फिर वो मेरा घर देखने लगी। अपना घर दिखा कर मैं उसे अपने कमरे में ले गया।
कमरे में जाते ही मैंने उसे अपनी बाँहों में भर लिया.. मैं इस मौके को गंवाना नहीं चाहता था।
मैं उसे बेतहाशा चूमने लगा और उसके मम्मे दबाने लगा.. उसे दर्द होने लगा और वो ‘ऊऊउह..’ की आवाज़ करने लगी।

अब वो बोली- थोड़ा आराम से करो न.. मुझे दर्द हो रहा है..
फिर मैंने उसका टॉप उतारा और उसकी चूचियां उसकी ब्रा से आज़ाद कर दीं और उसकी चूचियां चूसने लगा।
अब उसे भी मज़ा आने लगा.. मैंने धीरे-धीरे अपने एक हाथ से उसकी जीन्स का बटन खोल दिया और अपना एक हाथ उसकी फुद्दी तक पहुँचा दिया। अब वो मज़ा लेने लगी थी।

अपने दूसरे हाथ से मैं उसके चूतड़ सहला रहा था.. वो मदहोश होने लगी.. उसकी आंखें बंद होने लगीं।
मैंने उसे बिस्तर पर लिटा दिया और उसकी जीन्स और पैंटी अलग कर दी।
अब वो मेरे सामने एकदम नंगी लेटी हुई थी। मुझसे रहा नहीं जा रहा था.. उसकी फुद्दी भी गीली हो चुकी थी।

मैंने उसकी टाँगें उठाईं और फुद्दी में जीभ लगा कर चाटना शुरू कर दिया।
यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं !
वाह.. उसकी सील भी बंद थी.. जो और मज़े की बात थी।
थोड़ी देर चाटने के बाद वो पूरी गरम हो चुकी थी.. और उसके मुँह से ‘आह्ह.. ह्ह्हह.. आह्ह्ह.. ह्ह्हह..’ की आवाज़ें आ रही थीं।

मैंने अपना 7 इंच का लंड उसकी फुद्दी पर रगड़ा और एक धक्का मारा तो वो कराह उठी.. लेकिन ये मज़े की कराहट थी।
अब 2-3 बार और धक्का देने के बाद मेरे लंड का अगला हिस्सा उसकी फुद्दी में घुस गया और उसकी सील टूट गई।

वो ज़ोर से चिल्लाई.. लेकिन मैंने उसके मुँह में अपना मुँह डाल कर उसकी चीख को दबा दिया.. लेकिन उसका दर्द उसकी आँखों से आँसू बनकर बह रहा था।
मुझे तो फुद्दी मारने का नशा चढ़ा हुआ था.. मैंने धक्के लगाने चालू रखे और अब चुदाई जोरों पर थी।
वो ‘आह्ह.. हह्हह’ कर रही थी और मज़ा भी ले रही थी।

हम दोनों चुदाई का आनन्द ले रहे थे।

करीब 10 मिनट के बाद वो झड़ गई और मुझे ऐसे लगा कि जैसे किसी ने मेरे लंड पर गरम पानी डाल दिया हो।
लेकिन मेरा अभी नहीं हुआ था.. मैं उसे ताबड़तोड़ चोदे जा रहा था।
फिर 30 मिनट के बाद मैं भी झड़ गया और मैंने अपना सारा माल उसकी फुद्दी में छोड़ दिया।

फिर कुछ पलों तक लिपटे रहने के बाद हम दोनों अलग हुए तो देखा कि बिस्तर की चादर खून से लाल हो गई थी।
उसके बाद हम दोनों एक साथ नहाए और मैंने बाथरूम में भी उसकी फुद्दी मारी.. फिर हम नहा कर बाहर आ गए और हमने बैठ कर आइसक्रीम खाई।

मैंने एक बात नोट की कि टीना ठीक से चल नहीं पा रही थी.. और फिर थोड़ी देर बाद मैं उसे छोड़ आया।

इसके बाद हमें जब भी मौका मिलता है.. हम दोनों चुदाई करते हैं।

Hindi Sex Stories

सबसे पहले मैं अपने Hindi Sex Stories पाठको को धन्यवाद देना चाहूंगी जिन्होंने मुझे ढेर सारे मेल किये। आपकी प्रतिक्रिया ने मुझे उत्साहित किया कि मैं आपको अन्तर्वासना डॉट कॉम पर वो दास्ताँ सुनाऊँ जो मेरा पहला-यौन-अनुभव था या यूँ कह लीजिये कि मेरी पहली चुदाई!

दिसम्बर के महीने के आखिरी दिनों में पंजाब में बहुत से कश्मीरी आते हैं यहाँ कारोबार के लिए, जिन्हें हम झाँगी कहते हैं।

जब कश्मीर बिल्कुल बर्फ से ढक जाता है और वहाँ का कारोबार ठप्प हो जाता है तो ये कश्मीरी यहाँ आकर ऊनी कपड़ों का, शाल और कम्बल का स्टाल लगाते हैं।

ऐसे ही दो झांगी ने हमारे यहाँ कमरा किराये पर लिया, एक अंजुम जिसकी उम्र करीब 25 की और दूसरा मुश्ताक जिसकी उम्र 35-37 की थी।

उस वक़्त मेरी उम्र बीस साल थी, कॉलेज में बी.ए. की पढ़ाई कर रही थी, मेरी कामवासना चरम पर थी और मेरी जवानी लुटने को बेताब थी। मेरे सीने के उभार मसले जाने को तरस रहे थे, योनि में भी हलचल सी थी। मैं तब तक एकदम कोरी थी, कुंवारी थी, बिनचुदी थी.

सुबह की चाय हम उन्हें देते थे। दो दिन तक तो छोटू मेरा छोटा भाई उन्हें चाय देने गया। तीसरे दिन उसकी तबीयत ख़राब थी, इसलिए मैं उन्हें चाय देने गई।

जैसे ही अंदर पहुँची, मुश्ताक बाथरूम में था और अंजुम बिस्तर पर सिर्फ कच्छे में था। मुझे देख कर एकदम उठा और जल्दी से चादर ओढ़ ली।

मुझे हसीं आ गई और मैं शरमा कर भागती हुई नीचे आ गई पर मेरे अंदर हलचल सी हो गई थी क्योंकि मैंने उसके कच्छे के अंदर फुफकारता हुआ नाग देख लिया था और बार बार उसी के बारे में सोचती रही।

जब वो नौ बजे के करीब नीचे आया तो मेरी नज़रें उससे मिली, मैं फिर हँस पड़ी।

वो भी मुस्कुराता हुआ मेरे अंगों को नापने लगा। उसकी नज़र मेरे उभारों पर टिकी हुई थी जिसे मैं भांप गई थी और मैं भाग कर अंदर चली गई।

उनके जाने के बाद मैंने अपने वक्ष को टटोला। उस वक़्त मैं 32 इंच की ब्रा पहनती थी। उस दिन इनमें अजीब सी हलचल हो रही थी क्योंकि उसकी गोलाइयों को आज किसी ने बड़ी तीखी नज़रों से नापा था। सारा दिन मैं उसी के बारे मैं सोचती रही, रात भर भी सो न सकी।

अगले दिन भी सुबह मैं ही चाय लेकर गई, वो भी मेरा इंतज़ार कर रहा था। जैसे ही आई, वो पठानों जैसी आवाज़ में बोला- मेमसाब! आप कल क्यों हँस रही थी?

मैं चाय रख के भागने को हुई, उसने मेरा हाथ पकड़ लिया.
मैंने कहा- छोड़ो! अगर नीचे जल्दी न गई तो घर वालों को शक हो जायेगा।
उसने कहा- मेम्शाब, एक बार गले मिल के किस तो दे दो!
और मुझे बाँहों में भर के बेतहाशा चूमने लगा।

मैंने कहा- अंजुम छोड़ो, तुम्हारा साथी आ जायेगा!
उसने कहा- रात को जब सब सो जायेंगे तब आओगी?
मैंने कहा- यहाँ तुम्हारा साथी होगा! कैसे आऊंगी?
वो बोला- वो कम्बल लेकर सोया रहेगा, आओगी?
मैंने कहा- नहीं, मुझे डर लगता है! अब छोड़ो मुझे!
उसने कहा- पहले वादा करो कि रात को आओगी!
मैंने कहा- अच्छा देखूँगी!

किसी तरह अपने को छुड़ा कर भाग आई लेकिन उसने मेरी चूचियों को स्पर्श कर लिया था और मैं भी गर्म हो चुकी थी इसलिए मैंने भी आज अपनी जवानी लुटाने का मन बना लिया था।

रात को जब वो आया तो उसने इशारे से मुझसे पूछा- आओगी?
मैंने भी हाँ में सर हिला दिया।

रात को साढ़े बारह बज़े जब सब गहरी नींद में सो गए, मैं उसके कमरे में चली गई वो मेरा इंतज़ार कर रहा था।
उसने कहा- ओये जानेमन! हम तुम्हारा कब से इंतज़ार करता है! आ जाओ हमारा कम्बल में!

फिर कम्बल में आने के बाद उसने अपनी बाँहों में जकड़ लिया। उसका दूसरा साथी सोया हुआ था या सोने का नाटक कर रहा था। धीरे-धीरे उसने मेरी स्वेटर और कमीज़ ऊपर सरका दी और मेरे पेट को चूमता हुआ ब्रा के पास तक होंठ ले आया। पहले ब्रा के ऊपर हाथ फेरता रहा, फिर हल्के से ब्रा ऊपर सरका दी। दोनों चूचियों को अपने हाथ में लेकर मसलने लगा। मैंने आँखें बंद कर ली और मस्ती से भर गई।

मेरे चुचूक सख्त हो गए थे। फिर उसने मेरा दूध पीना शुरू कर दिया और दूसरे चुचूक को हाथ से सहलाता रहा। मेरी योनि पूरी तरह गीली हो रही थी। मैं पूरी गर्म हो गई थी और आँखें बंद की हुई थी। तभी मुझे एहसास हुआ मेरी एक चूची तो अंजुम के मुंह में थी तो दूसरी भी कोई चूस रहा है।

मैंने आँखें खोली तो देखा मुश्ताक भी चूची-पान कर रहा था। मैं अब क्या बोलती! बल्कि और ज्यादा ही मस्त हो गई। अब आप ही बतायें कि जिसके दोनों स्तन चूसे जा रहे हों वो कैसे सब्र कर सकती है। मैं तो स्खलित हो गई और दोनों के बालों में हाथ फेरने लगी। Hindi Sex Stories

Hindi Sex Stories

जमशेदपुर की Hindi Sex Stories स्वर्णलता लिखती है कि अन्तर्वासना की कहानियाँ बहुत रोचक होती हैं। पढ़ने के बाद दिल में कुछ कुछ होने लगता है।
आज वो 40 वर्ष की अधेड़ महिला है और अपने पति की मृत्यु के उपरान्त उसी कार्यालय में कार्य करती है।

उसकी यह कहानी उस समय की है जब वह 26 वर्ष की थी। उनके पास उस समय एक 9 माह की लड़की भी थी। उसके पति सरकारी दफ़्तर में ड्राईवर थे, जो अक्सर अपने बड़े साहब के साथ अधिकतर यात्रा पर ही रहते थे।

स्वर्णलता के शब्दों में :

हम पति पत्नी एक कस्बे में बड़े से मकान में किराये पर रहते थे। हम उस बड़े मकान की रखवाली भी करते थे। हमारी माली हालत भी अच्छी नहीं थी। किसी तरह से दिन गुजर रहे थे। मेरे पति राधेश्याम बहुत कम बोलने वाले व्यक्ति थे।
सेक्स में उनकी अधिक रुचि नहीं थी।

उन्हीं दिनों ऑफ़िस में एक नये अधिकारी का पदस्थापन हुआ था। वे बड़े साहब के सहायक थे। उनका नाम अनिल था।

नई भर्ती से आये थे, बहुत चुस्त, फ़ुर्तीले, मधुर स्वभाव के थे वो। उस समय लम्बे बालो का फ़ेशन था, उनके हल्के उड़ते हुये रेशमी बाल मुझे बहुत अच्छे लगते थे। अनिल को मेरे पति ने अपने बड़े मकान में एक हिस्सा दे दिया था।

अनिल बहुत हंसमुख स्वभाव के थे। मुझसे वो बहुत इज्जत से पेश आते थे। एक मन की बात कहूँ ! आप पाठकगण शायद हंसेंगे?

हम जैसी महिलाओं में अधिकतर यह दिली चाह होती है कि हमारा पति भी एक ऑफ़ीसर जैसा हो, उसका रुतबा हो ! और उसी स्वप्न में हम उसी स्टेण्डर्ड से रहने भी लग जाती हैं, अच्छे कपड़े पहनना, मंहगी वस्तुएँ खरीदना, और हां फिर उसे सभी को बताना। ये सभी कमियां मुझ में भी थी।

अनिल को हमारे साथ रहते हुये तीन चार माह बीत चुके थे। मैं उन्हें कोई तकलीफ़ नहीं होने देती थी, उन्हें खाना, चाय नाश्ता वगैरह उनकी पसन्द का ही देती थी, बदले में वो हमें जरूरत से अधिक पैसा देते थे। मैं अनिल के साथ बहुत घुलमिल गई थी। वो मेरे पति से अधिक बात नहीं करते थे, क्योकि शायद वो उनके भी ड्राईवर थे।
घटना की यूँ शुरूआत हुई …

एक शाम को हमारा एक पुरानी फ़िल्म देखने का कार्यक्रम बना। मुझे याद है वो दिलीप कुमार की पुरानी फिल्म देवदास थी।

किसी कारणवश मेरे पति को बड़े साहब के साथ यात्रा पर जाना पड़ा। मैं मन मसोस कर रह गई।

ऐसे में अनिल ने कहा कि वो मुझे फ़िल्म दिखा लायेगा।
शाम को 5 बजे के शो में हम दोनों चले गये।
मैनेजर ने अनिल को स्पेशल क्लास में बैठाया… मुझे भी बड़ा गर्व सा हुआ कि मैं किसी बड़े अधिकारी के साथ फ़िल्म देखने आई हूँ।
मैनेजर ने अपने नौकर से हमारी सेवा करने का आदेश दे दिया था, वो बीच में आ कर हमे कोल्ड ड्रिंक आदि दे जाता था।

फ़िल्म चल रही थी। मुझे अचानक अहसास हुआ कि अनिल ने जैसे मुझे छुआ था।

मुझे लगा कि यह सम्भव ही नहीं है। तभी दुबारा उसका हाथ मेरे हाथों से धीरे से टकराया।

मुझे झुरझुरी सी हुई, मैंने तिरछी आंखो से उन्हें देखा।

वो भी मुझे चुपके चुपके देख रहे थे।

मुझे लगा कि शायद वे मेरे अकेलेपन का फ़ायदा उठा रहे हैं।

मर्दों की एक फ़ितरत यह भी होती है कि एक बार कोशिश तो कर लो, क्या पता लड़की पट जाये… नहीं तो कुछ समय के लिये नाराज हो जायेगी और क्या?

नहीं… नहीं… ऐसा नहीं हो सकता… मेरे जैसी छोटे तबके वाली लड़की के साथ तो कभी नहीं… फिर ऐसा क्यूँ?

क्या मेरे रूप लावण्य के कारण, या मेरी सेक्स अपील के कारण।
फिर वो कुंवारा भी तो था … शायद जवानी के जोश में …

मुझे सावधान रहना था कि कहीं मुझसे कोई भूल ना हो जाये। पर फिर एक बार और उसकी अंगुलियों का स्पर्श मेरे हथेली पर हुआ … मैं तो जैसे जड़ सी हो गई …

मुझसे अपना हाथ हिलाने की शक्ति भी जैसे जवाब दे गई। मुझे यह मालूम हो गया था कि अनिल ये सब जानबूझ कर कर रहा है। मेरे चेहरे पर पसीना आ गया था।

वो मुझसे क्या चाहता है … क्या मालूम?

उसने जब मेरा विरोध नहीं देखा तो उसकी हिम्मत बढ़ गई।

उसकी अंगुलियां मेरी हथेली पर दबाव डालने लगी। मुझे जैसे लकवा मार गया था। मैं चाह कर भी अपना हाथ नहीं खींच पा रही थी।

अचानक उसका हाथ मेरे हाथों पर आकर ठहर गया और मेरे अंगुलियों को पकड़ने लगा।

मेरा दिल जोर जोर से धड़कने लगा… मेरी जिन्दगी में किसी पहले पराये मर्द का स्पर्श मेरे मन में बेचैनी पैदा कर रहा था।

अब उसका हाथ मेरे हाथों को दबाने और सहलाने में लगा था।

मैंने हिम्मत बांधी और अपना हाथ खींच लिया।
मैं अपने पल्लू से माथे का पसीना पोंछने लगी।
उसका हाथ एक बार फिर मेरी जांघों से स्पर्श करने लगा।
मेरे तन में जैसे बिजलियाँ तड़क उठी। मैं कांप सी गई।

शायद मेरी ये कंपकंपी उसने भी महसूस की।
मुझे सामान्य महसूस कराने के लिये वो मेरे से बातें करने लगा।

उसका हाथ ज्योंही मेरे जांघो को सहलाने लगा, मुझे घबराहट होने लगी थी।

तभी मेरी बच्ची की नींद खुल गई। मैंने उसे जल्दी से अपनी गोदी में लिया।

उधर अनिल भी बेचैन सा होने लगा। कुछ ही देर में बच्ची फिर से सो गई। पर जाने क्यूँ अब मेरा दिल भी बेचैन सा होने लगा था।
मुझे अनिल के हाथों मे जादू सा लगा। मैंने सोच लिया था कि इस बार उसका हाथ मैं थाम लूंगी … और उसे भी अपनी दिलचस्पी दिखाऊंगी।

उसके बढ़ते हाथों का इस बार मैंने स्वागत किया और उसकी अंगुलियां मेरे हाथों में खेलते समय मैंने उन्हें थाम लिया।

मैंने अपनी मौन स्वीकृति दे दी थी। उसने मेरा हाथ पकड़ कर अपनी सीट पर ले लिया था और उसे सहला रहा था।
एक बार तो उसने चूम भी लिया था।

मैंने धीरे से उसके कंधे पर अपना सर रख दिया। उसने अपना एक हाथ मेरे गले से लिपटा कर अपनी ओर मुझे खींच लिया।

आह… कितना प्यारा माहौल था … मुझे लगा कि जैसे मैं उसे प्यार करने लगी हूँ।
उसके होंठों ने मेरे गाल चूम लिये।
मैंने अपनी बड़ी बड़ी आंखें खोल कर उसे आसक्ति से निहारा।

उसका चेहरा मेरे होंठों की तरफ़ बढ़ने लगा। मेरे कोमल पत्तियों जैसे अधर कंपकंपा उठे … थरथरा उठे… और एक दूसरे से चिपक गये।

जाने कितनी देर तक हम ऐसे ही एक दूसरे को चूमते रहे … फिर एक दूसरे को प्यार से निहारते हुये अलग हो गये। सारी फ़िल्म में यही सब कुछ चलता रहा।

रात को नौ बजे फ़िल्म समाप्त हुई तो हम घर लौट आये। रास्ते भर मेरी नजरें शर्म से झुकी रही। अनिल तो बहुत खुश लग रहा था पर फिर भी चुप था। रास्ते भर कोई बात नहीं हुई।

रात का भोजन करने के बाद हम दोनों छत पर आ गये थे।

मैं अपनी साड़ी उतार कर मात्र पेटीकोट में थी, ब्रा भी हटा दी थी।

बच्ची सो चुकी थी। वो चांदनी रात में सफ़ेद पजामे में बड़ा ही मोहक लग रहा था।

काफ़ी देर तक तो हम चुपचाप खड़े रहे …

उसी ने चुप्पी तोड़ी- फ़िल्म कैसी लगी…?

‘जी फ़िल्म में तो जी ही नहीं लगा… मेरा ध्यान उधर नहीं था।’ मैंने अपनी सच्चाई बयान कर दी थी।

‘सच कहती हो, मन तो मेरा भी कही ओर था…’ वो हंस कर बोला।

‘हॉल में कोई देख लेता तो…’

‘कौन देखता भला, इतनी पुरानी फ़िल्म कोई नहीं देखता है… एक बात कहूँ?’

मैं एकदम घबरा सी गई। मुझे मालूम था कि वो कहने वाला है।

‘जी… जी… कहिये?’

‘मुझे नहीं कहना चाहिये लेकिन दिल से मजबूर हूँ… आप मुझे … ओह कैसे कहूँ !’

मैं शर्म से पानी पानी हुई जा रही थी। मेरा दिल जैसे उछल कर गले में आ गया था।

‘जी … क्या कहना है?’

मैंने अपना मुख पीछे कर लिया। वो मेरे पीछे आ गये और मेरे कंधों पर हाथ रख दिया।

‘आ…आ… आप बहुत अच्छी हैं !’ उसकी आवाज में कम्पन था।

‘जी… जी…’ मैं हकला सी गई।

‘सोना, मैं आपसे… उफ़्फ़ कैसे कहूं !’

मैंने पलट कर अनिल को प्रेम से देखा और कहा- जी… आप क्या कहना चाहते है… कहिये ना … मैं इन्तज़ार कर रही हूँ।’

‘बस एक बार जैसे हॉल में किया था वैसे…’

‘क्या … कहिये ना…’

उसने असंमजस में मुझे अपनी तरफ़ खींच लिया।
मैं थोड़ा सा कुलबुलाई और उसे दूर हटा दिया।

‘ये क्या कर रहे है आप…’ मैं शर्म से फिर से पानी पानी होने लगी थी।
मेरा मन उनकी बाहों में समाने को करने लगा था।
मैंने अपना दिल मजबूत कर लिया कि अगली बार उसने कुछ किया तो मैं स्वयं ही उससे लिपट जाऊंगी।

‘वही जो हॉल में किया था… बस एक बार !’ उसने फिर से मुझे अपनी बाहों में खींच लिया।
दिल तो पागल है ना… मचल उठा।

कैसे रोकूँ अपने आप को… मैं अपने दिल से बेबस हो गई।
मैं उसकी बाहों में झूल गई।
उसका मुख मेरे चेहरे के करीब आ गया।
मैंने अपनी आंखें बन्द कर ली। दोनों के तड़पते हुये अधर मिल गये।
मेरा शरीर विचित्र सी आग में जल उठा।

उसके हाथ मेरी पीठ पर गड़ गये और यहां-वहां दबाने लगे।
मेरे हाथ भी उसकी बनियान को जैसे हटा देना चाहते थे।

उसका बलिष्ठ शरीर दबाने में मुझे बहुत आनन्द आ रहा था।

तभी… हाय रे … ये क्या … उसका कड़क लण्ड मेरी योनि द्वार के समीप टकराने लगा। मुझे नीचे एक बहुत ही दिल को भाने वाली गुदगुदी सी हुई। वो मेरी चूत पर गड़ता ही गया…
मुझे लगा … कही ये मेरे शरीर में प्रवेश ना जाये।

‘अनिल … बस करो…’

‘एक बात कहूं … मानोगी?’

‘एक क्या, सौ बात कहो… सब मानूंगी !’ मैंने शर्माते हुये कहा।

‘हॉल में मैं कुछ करना चाहता था… पर नहीं कर पाया … प्लीज करने दो !’

‘क्या … बोलो ना !’

‘बस आप चुप हो जायें … मुझे करने दो।’

उसने मुझे दीवार से सटा दिया और धीरे से मेरे उन्नत उरोजों पर अपना हाथ रख दिया।

मेरा जिस्म कांप गया।

उसके हाथ मेरे ब्लाउज के ऊपर से ही चूचियों को दबाने लगे। बटन एक के बाद एक खुलते गये।

उसने हाथ उरोजों पर गोल गोल घूमते रहे, सहलाते रहे, दबाते रहे … मेरी चूत में से ये सब बहुत तेजी से असर कर रहा था।
उसमें से प्रेम रस की बूंदें चू पड़ी थी।
चूत में गुदगुदी भरी मिठास तेज होने लगी थी।

मैं निश्चल सी बुत बनी हुई खड़ी रही।
उसका पजामा बाहर की ओर तम्बू सा तन गया।

मैं उससे लिपट पड़ी। मेरा हाथ अनजाने में ही उसके लण्ड की ओर बढ़ गया। आह … मेरे ईश्वर … कैसा लोहे जैसा कड़ा, जाने घुसने पर क्या कर डालेगा?

लण्ड दबते ही अनिल के मुख से आह निकल पड़ी।

‘सोना, कैसा लग रहा है ना … मुझे तो बहुत आनन्द आ रहा है।’

‘हाय रे … तुम कितने अच्छे हो अनिल … ‘

‘सोना, बस कुछ मत कहो … मुझे तो जैसे स्वर्ग मिल गया है।’

उसने मेरे चूतड़ों पर हाथ फ़िराना चालू कर दिया, मेरे पीछे के उभारों को दबाने लगा, मेरे चूतड़ों के बीच की दरार में अपनी अंगुली घुसाने लगा।
उसके चूतड़ों को इस तरह से दबाने से मुझे बहुत आनन्द आने लगा।
मेरे चूतड़ को वो हाथ से पकड़ता और ऊपर नीचे हिला डालता था।

मुझे जिंदगी में मेरे पति ने कभी ऐसा कभी नहीं किया था।
वो अपना लण्ड भी मेरे गाण्ड में गड़ा देता था। उसके लण्ड के दबाव से मेरी खूत में खुजली उठने लग जाती थी।

‘सोना, देखो रात का समां है … कोई देखने, सुनने वाला नहीं है … प्लीज एक बार मेरा लण्ड थाम लो … प्लीज, मुझे बहुत आनन्द आयेगा !’

उसने अलग होते हुये अपने पजामे में से अपना लण्ड बाहर निकाल लिया।

हाय रे … ये क्या … इतना सुन्दर … मैं उससे फिर लिपट गई और हाथ नीचे बढ़ा कर उसे थाम लिया।

उफ़्फ़्फ़ ! कितना गरम, कितना नरम और ये सुपाड़ा !!! मेरी जान ले लेगा … मैंने छत की पेरापिट की दीवार पर उसे टिका कर लण्ड को हाथ में लेकर उसकी चमड़ी डण्डे के ऊपर उघाड़ दी।
चांदनी रात में उसका सुपाड़ा चमक उठा।

मैंने उसे अपनी मुठ में भर लिया और धीरे धीरे उसका हस्त मैथुन करने लगी।

वो मस्ती में तड़प उठा। उसकी दोनों हाथों की मुठ्ठियां भिंच गई।

मैं उसके सामने खड़ी बड़े जोश से लण्ड मल रही थी। उसकी तड़प मेरे दिल को छू रही थी। उसके चूतड़ भी मुठ मारने से हिल हिल कर मेरा साथ दे रहे थे।

‘सोना … मार देगी रे तू तो आज…’

‘ये तो हम हॉल में नहीं कर सकते थे ना … वही तो कर रही हूँ… कैसा मजा आ रहा है … है ना?’ मेरे मुख से उसी की भाषा निकल पड़ी।

शेष कहानी दूसरे भाग में ! Hindi Sex Stories

Sex Stories

दोस्तो ! मैं सेक्सी कहानियाँ सात महीनों से Sex Stories पढ़ रहा हूँ। मैं 25 साल का शादीशुदा मिडल परिवार का राजस्थान के एक छोटे से कसबे का सेक्सी लडका हूँ। मैं पहले से औरतोँ को चोदने लगा था। मेरी शादी को दो साल हो गये है। मेरी सलहज की अभी तक चूत कुँवारी है। वो 5 सालोँ मे अभी तक माँ नहीं बन पाई।

उस समय वो 26 साल की थी. बहुत सुंदर है, उसका फिगर 36-26-36, ऊंचाई 5’5″, वो बहुत सेक्सी है. जब भी मैं उसके बारे मे सोचता तो उसको जमकर चोदने का मन करता लेकिन मैं कुछ नही कर पाता. वो मेरी पत्नी से सारी बातें शेयर करती थी। वो मेरी पत्नी को सेक्सी फ़िल्में और सेक्सी किताबें दिया करती थी। उसके बाद मैं इन्टरनैट पर सेक्सी कहानियाँ ढूंढने लगा, मुझे बहुत सी कहानियाँ मिली मैं उन्हें प्रिन्ट करके उन्हें देने लगा। मैं बस उसको चोदना चाहता था। जब मेरी पत्नी के बच्चा हुआ, बीस दिन के बाद वो मायके गई। अब उसके मन में भी माँ बनने की चाह होने लगी।

जब मैं 15 दिनों के बाद रविवार के दिन सुबह ससुराल में गया तो वो मुझे देख कर खुश हुई। दिन में हम दोनो बातें करने लगे मैंने बातों बातों में पूछा आप कि के चहरे पर वो मुस्कान नहीं दिखाई देती। उसने कहा कुछ नहीं बस ऐसे ही। मैंने उससे कहा- देखो मैं आपके दोस्त की तरह हूँ, आप मुझे बताओ कि क्या मैं आपकी कुछ हेल्प कर सकता हूँ। उसने कहा ऐसी कोई बात नहीँ। फ़िर दुबारा उससे पूछा तब उसने कहा कि वो मुझे डांटते रहते हैं और ठीक से प्यार भी नहीं करते। मैंने कहा मैं जानता था कि यही बात होगी। अब आप साफ साफ बताओ कि क्या वो आपको वो ख़ुशी पूरी तरह नहीं दे पाते। फ़िर वो रोने लगी और कहा कि क्या बताऊं वो ठीक तरह से नहीं कर पाते।

मैंने कहा कि आज कल ऐसी बहुत सी औरतें है जिनके साथ यह प्रॉब्लम है पर वो तो ऐसे नही रोंती। तो तुम ही बताओ कि मैं क्या करूं। मैंने कहा मैं आपको वो प्यार दे सकता हूँ। वो चौंक गई, मैंने कहा इसमें कोई बुराई नहीं है सभी ऐसे ही करती हैं। आप का कोई दोष नहीं। फ़िर मैंने कहा आप बे फ़िक्र हो जाइये किसी को कानो कान खबर नहीं होगी। उसने कहा ऐसा पोसिबल है? मैंने कहा अगर आप चाहें तो मैं कोई धक्का तो नही कर रहा, मैं आपकी इज़ाज़त हो तो मैं वो प्यार दे सकता हूं जो मेरे साले ने देना था। देखो बाकी आपकी मरजी है मैं तो बस आपको खुश देखना चाहता हूं। आप चाहो तो मुझे रात को मिल सकती है। तो वो कहने लगी- अगर किसी को को पता चल गया तो?

मैंने कहा हम कोई पागल थोडी ना हैं। मर्यादा में तो हमे ही रहना पडेगा। उसने मुसकरा दिया ओर रूम से बाहर आ गई। रात को मैं रूम में वेट कर रहा था। वो 11:30 बजे आई। आते ही मुझसे लिपट गई। मैं उसे बेसबरी से चूम रहा था। वो भी मुझे चूमती हुए कह रही थी इतने दिन पहले क्यों नही मिले। मैंने मेरा हाथ उसके बूब्स पर सरकाया और हलके से दबाया, उसके बूब्स एकदम कड़क थे. फ़िर गाउन के ऊपर से निपल के साथ खेलने लगा तो वो और उत्तेजित हो गई और मुझे पागलो की तरह चूमने लगी, अब मैंने उसका गाउन उपर सरका के उसके बूब्स को नंगा कर दिया। मैं उसके बूब्स को बारी बारी से चूमने और चाटने लगा उसको बहुत मजा आ रहा था, एक हाथ से मैं बूब्स को दबा रहा था तभी दूसरा हाथ मैंने उसकी चूत की ओर बढाया।

उसकी चड्डी भीग चुकी थी इससे आप अंदाजा लगा सकते हैं कि वो कितनी उत्तेजित थी और मजे लूट रही थी. अब मैं उसकी कलेटरिस से खेलने लगा. मैंने उसकी पैंटी को भी हटा दिया अब वो एकदम नंगी थी, उसने मेरे सारे कपडे उतार दिये और मेरे लंड को हाथ से मसलने लगी. मैंने अपना मुहं उसकी चूत पर रख दिया, उसकी चूत से एक अजीब सी सुगंध आ रही थी. चूत टेनिस बोल की तरह फूली हुई थी जो क्लीन शेव्ड थी. मैं उसी चूत को चाटने लगा और साथ में उसके बूब्स को भी मसलने लगा। अब वो खुशी के मारे हल्के से बोल रही थी… साम. मुझे बहुत मजा आ रहा है, चूसो मेरी चूत को…आ.आ.. आआया.आआअ.. आआ..उ.ऊउऊ. ऊ.ईई.ऊई..ऊई आह आआह्ह्छ… साम… मुझसे और इंतजार नही हो सकता प्लीज़ मुझे चोदो…प्लीज़ फक मी.

मैं भी तैयार था, उसने दोनों पैर मेरे कंधो पर रख दिए। अब मैंने अपना 8″ लंबा और 3.5″ लंड उसकी चूत पर रगड़ने लगा तो वो गिड़गिड़ाने लगी प्लीज़ मुझे चोदो ना, मत तड़पाओ..अब मैंने अपने लंड का सुपाडा उसकी रसीली चूत के द्वार पे रख कर एक जोरदार धक्का लगाया… मर गई.. निकालो… निकालो..
मैं रुक गया और उसके बूब्स के साथ खेलने लगा, कुछ पल में वो अपनी गांड हिलाने लगी तो मैंने एक और जोरदार धक्का लगाया लगभग 6″ तक मेरा लंड उसकी चूत में घुस गया. उसकी चूत से खून बहने लगा. सारी दीवारें टूट गई

…वो जोर जोर से चिल्लाने लगी, मैंने अपने होठं उसके होठं पर रख दिए और एक धक्का मारा इस बार मेरा पूरा लंड उसकी चूत में घुस गया…वो दर्द के मारे तड़पने लगी…मैं थोडी देर उसके बूब्स को धीरे धीरे दबाता रहा और उसे चूमता रहा। 2 मिनट बाद उसने थोडी राहत महसूस की तो अपने कुल्हे उठाने लगी। अब मैंने धीरे धीरे अपना लंड अन्दर -बाहर करने लगा. अब वो अपनी स्पीड बढाती जा रही थी. करीब 10 मिनट बाद उसका शरीर तंग हो गया…वो झड़ गई…अब पूरा कमरा फचक फचाक ..फचक की आवाज से गूंज रहता… साथ में अमिता की सिस्कारियां आ..आया.. या.य्य्य. ओह..या..या … ऊऊउईई आआह्ह्ह्ह अब मैंने भी स्पीड बढाई… मेरा लंड चूत में इंजन के पिस्टन की तरह अन्दर बाहर हो रहा था… अब मेरी बारी थी सांसे एकदम तेज हो गई। दोनों पसीने से तर हो रहे थे.

हम अपनी मस्ती में सारी दुनिया भूल चुके थे। वो बहुत खुश थी। मैंने जमकर 45 मिनट तक चुदाई की। वो बोली- आज मैंने असली सुहागरात मनाई है। शादी के बाद आज पहली बार सेक्स की प्यास बुझी है। चुदाई करते समय उसने बताया कि जीजाजी आपका लन्ड मेरे पति से बड़ा और मोटा भी है। अब पूरी रात में हमने 6-7 बार सेक्स किया। वो पूरी तरह तृप्त हो गई थी। उसने कहा कि मुझे सही मायनो में सेक्स का मतलब पता लगा है। फ़िर हमने इसके बाद सोमवार रात को 8-10 बार सेक्स किया। उसने कहा- आज मुझे पूरा विश्वास है कि मैं इस बार प्रेगनैन्ट हो जाउंगी और ऐसा ही हुआ।

अगली सुबह मैं ससुराल से वापिस आ गया Sex Stories

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