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Massage Girl in Hooghly: Premium Relaxation Services

Our site can help you find a professional massage girl in Hooghly who will help you relax in the best manner possible. We connect you with professional therapists who can offer you a massage that will make you feel better and more relaxed. The pros on our list are ready to provide you with a fantastic experience at your house or in one of their particular spots, whether you want to relax or get away from it all.

Introduction

Massage is currently one of the finest methods to relax your mind, body, and overall health. Our website makes it easy to locate the top massage services in Hooghly that meet your demands. This will be a one-of-a-kind and calming experience for you.

Tottaa wants to make it simple for clients to find the top masseuse. The Hooghly massage service providers on our list offer the greatest quality, comfort, and competence, whether you want a full-body massage or a massage for a particular location.

How Tottaa Helps Advertisers Reach More Customers

Tottaa is not only a list of masseuses, it’s also a secure location for them to show off what they can do. People in Hooghly who are seeking massage services may find them on our website. This makes them easier to find and gets them more appointments.

Advertisers may simply put up profiles, offer their services, and talk about pricing and discounts on our sites. This makes sure that the relevant people notice your Hooghly massage service, which makes it easier to obtain more customers.

Different Types of Massages We Offer

There are a lot of different types of massage services on our site, so you may choose one that works for you. You may choose the kind of treatment that works best for you, whether it’s profound rest or a particular type of therapy.

1. Swedish Massage

A calm and gentle way to ease muscular tension and improve blood flow. This Hooghly massage is perfect for you if you want to relax and forget about your concerns.

2. Deep Tissue Massage

This approach employs a lot of pressure to get to deeper muscle layers. It’s helpful for folks who have muscular discomfort or stiffness that won’t go away. There are specialists on our profiles of massage girls in Hooghly who are good at deep tissue treatments that function effectively.

3. Aromatherapy Massage

Calming massage strokes and essential oils are beneficial in making people feel improved both emotionally and physically. Most massage companies in Hooghly employ the use of custom oil preparations to make you feel good.

4. Thai Massage

A therapy that wakes you up by using a mix of regular massage, stretching, and compression. This traditional massage in Hooghly helps you relax, become more flexible, and get your mind and body back in harmony.

5. Hot Stone Massage

Heated stones are placed on various parts of the body to help with deep muscular tightness. People who want to feel good, relax, and help their muscles recover quickly can use this massage service in Hooghly

How to Book Our Massage Services

Tottaa makes it simple and fast to book. With our listings, you can see what kind of massage you want, read about the providers, see that they are free and then contact them directly. After you choose, you can book a massage in Hooghly at your convenient time and location. In order to get your desired massage services, apply the following simple steps:

Step 1: Browse Our Listings

Take a peek around our site to view a few massage professionals. Each listing gives you information about the many sorts of massages, how long they last, how much they cost, and where they are situated. This makes it easier to choose the finest ones.

Step 2: Compare and Shortlist

Examine the profiles carefully to compare how the services, talents, and reviews posted by customers differ. This phase makes sure you choose a business that has the style, pricing, and supply you desire.

Step 3: Connect with the Provider

When you have decided, use the information that you are offered so that you can contact them directly. One can communicate it to the massage giver thus making it understood what massage you want at what time and when.

Step 4: Confirm the Appointment

The date, time and place of the service, which could be your home, a hotel or the spa where the therapist may be found. You also need to agree on the payment method and any other accords prior to commencement of the course.

Step 5: Relax and Enjoy Your Massage

All you have to do on the day of the appointment is have your area ready for the house visit. The remainder will be handled by the expert. Take it easy and enjoy a massage that is made just for you.

Frequently Asked Questions

To locate a professional who can meet your needs, read our biography, reviews and advertising.

Yes, many of the therapists on our site will come to your house so you may feel safe and at ease.

You may pick based on talents since most adverts provide their qualifications in their profiles.

It would be advisable to make a reservation earlier to guarantee that you would be able to get a massage, particularly against the prevalent services of massage.

Not at all. Tottaa exclusively connects users with service providers. The doctor gets to choose how to handle payment.

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Hindi Sex Stories

रजनी अपनी योजना बताने लगी Hindi Sex Stories, “सुनील! तुम्हें मेरी और मेरी मम्मी की हेल्प करनी होगी, हम दोनों एम-डी से बदला लेना चाहते हैं। सुनील, तुम्हें एम-डी की दोनों बेटियाँ टीना और गौरी की कुँवारी चूत चोदनी होगी। दोनों देखने में बहुत सुंदर नहीं हैं… बस एवरेज ही हैं।”

“रजनी, तुम्हारी सहायता के लिये मुझे कुछ कुर्बानी देनी होगी… लगता है!” मैंने हँसते हुए जवाब दिया।

“रजनी! तुम इसकी बातों पे मत जाना, मैं शर्त लगा सकती हूँ कि कुँवारी चूत की बात सुनते ही इसके लंड ने पानी छोड़ दिया होगा।” प्रीति हँसते हुए बोली, “रजनी! सुनील ऐसा नहीं है! सुंदरता से या गोरे पन से इसे कुछ फ़रक नहीं पड़ता, जब तक उनके पास चूत और गाँड है मरवाने के लिये, क्यों सही है ना सुनील?”

“तुम सही कह रही हो प्रीति! जब तक उनके पास चूत है मुझे कोई फ़रक नहीं पड़ता।” मैंने जवाब दिया, “तुम खुद भी तो ऐसी ही हो… जब तक सामने वाले के पास लंड है चोदने के लिये… बस चूत में खुजली होने लगती है चुदने के लिये… फिर वो चाहे एम-डी हो या सड़क पर भीख माँगता भिखारी।”

“ये सब तुम्हारे एम-डी का ही किया-धरा है… उसने ही मुझे इस दलदल में धकेला है… और मुझे चुदाई, शराब सिगरेट की लत पड़ गयी… खैर छोड़ो… तो ठीक है, रजनी! तुम्हें क्या लगता है दोनों लड़कियाँ मान जायेंगी?” प्रीति ने पूछा।

“अभी तो कुछ पक्का सोचा नहीं है पर मैं कोशिश करूँगी कि उनसे ज्यादा से ज्यादा चुदाई की बातें करूँ और फिर बाद में उन्हें चूत चाटना और चूसना सिखा दूँ, फ़िर तैयार करने में आसानी हो जायेगी।”

“हाँ! ये ठीक रहेगा, और अगर मुश्किल आये तो मुझे कहना।” प्रीति ने हँसते हुए कहा।

“तुम कैसे मेरी मदद कर सकती हो?” रजनी ने पूछा।

“रजनी! तुम्हें याद है जब मैंने तुम्हें बताया था कि किस तरह एम-डी ने मुझे चोदा था… तुमने कहा कि अगर मैं चाहती तो ना कर सकती थी, पर मैं चाहते हुए भी उस रात ना, ना कर सकी, कारण: एम-डी ने मुझे कोक में एक ऐसी दवा मिलाकर पिला दी थी जिससे मेरे चूत में खुजली होने लगी, मुझे चुदाई के सिवा कुछ नहीं सूझ रहा था।”

यह कहानी आप अन्तर्वासना सेक्स स्टोरीज डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं!

“मैं उन दोनों को कोक में मिलाकर वही दवा पिला दूँगी जिसके बाद उनकी चूत में इतनी खुजली होगी कि सुनील का इंतज़ार नहीं करेंगी बल्कि खुद उसके लंड पर चढ़ कर चुदाई करने लगेंगी।” प्रीति ने कहा।

“मुझे विश्वास नहीं होता।” रजनी ने चौंकते हुए पूछा, “क्या तुम्हारे पास वो दवा की शीशी है?”

“हाँ! मैंने २५ शीशी जमा कर रखी हैं, मैं कई बार खुद अपनी ड्रिंक में मिला कर पी लेती हूँ और फिर बहुत मस्त होकर चुदवाती हूँ।” प्रीति ने जवाब दिया।

“तो फिर मैं चाहती हूँ कि आज की रात हम दोनों वो दवा अपनी ड्रिंक्स में मिलाकर पियें, और जब हमारी चूतों में जोरों की खुजली होने लगे तो सुनील अपने लंड से हमारी खुजली मिटा सकता है।” रजनी मेरे लंड पर हाथ रखते हुए बोली।

“ऑयडिया अच्छा है… लेकिन मुझे शक है कि सुनील में ताकत बची होगी खुजली मिटाने की, लेकिन हम अपनी जीभों और अंगुलियों से तो मिटा सकते हैं।” प्रीति बोली।

“हाँ! जीभ से और इससे!” रजनी ने अपने पर्स में से रबड़ का लंड निकाला।

“ओह! तुम इसे साथ लायी हो।” प्रीति नकली लंड को हाथ में लेकर देखने लगी।

“रजनी! मुझे लगता है कि तुम्हें अपनी मम्मी को फोन करके बता देना चाहिये कि आज की रात तुम घर नहीं पहुँचोगी।” प्रीति ने कहा।

रजनी ने घर फोन लगाया और मैंने फोन का स्पीकर ऑन कर दिया जिससे उसकी बातें सुन सकें।

“मम्मी! मैं रजनी बोल रही हूँ! मैं प्रीति के घर पर हूँ और आज की रात उसी के साथ सोऊँगी… तुम चिंता मत करना।” रजनी ने कहा।

“प्रीति के साथ सोऊँगी या सुनील के साथ?” उसकी मम्मी ने पूछा।

“दोनों के साथ!” रजनी ने शरारती मुस्कान के साथ कहा, “आपका क्या विचार है?”

“कुछ खास नहीं, आज कि रात मैं अपने काले दोस्त (यानि नकली लंड) के साथ बिताऊँगी।”

“सॉरी मम्मी! आज तुम वो भी नहीं कर पाओगी… कारण, इस समय प्रीति आपके काले दोस्त को हाथ में पकड़े हुए प्यार से देख रही है।” रजनी ने कहा।

“कितनी मतलबी हो तुम! तुम्हें मेरा जरा भी खयाल नहीं आया?” योगिता ने कहा, “लगता है मुझे सुनीलू {एम-डी} के पास जा कर उसे मिन्नत करके अपनी चूत और गाँड की प्यास बुझानी पड़ेगी। ठीक है देखा जायेगा… तुम मज़े लो।” कहकर योगिता ने फोन रख दिया।

“प्रीति! मैं तैयार हूँ।” रजनी ने कहा।

“रजनी! मैं चाहती हूँ कि हम पहले अपने कपड़े उतार कर नंगे हो जायें और फिर स्पेशल ड्रिंक पियें जिससे जब हमारी चूत में खुजली हो रही हो तो कपड़े निकालने का झंझट ना रहे।” प्रीति ने सलाह दी।

यही उन दोनों ने किया। अपने हाई-हील सैंडलों को छोड़कर दोनों ने अपने सारे कपड़े उतार दिये और उन्होंने व्हिस्की के नीट पैग बनाकर उसमें दवा की एक-एक शीशी मिला ली और पीने बैठ गयीं। मैंने भी बिना दवा का व्हिस्की का पैग बनाया और उन्हें देखने लगा और उनकी चूत में खुजली होने का इंतज़ार करने लगा।

आधे घंटे में ही व्हिस्की और दवा ने अपना असर दिखाना शुरू किया। अब वो अपनी चूत घिस रही थीं। थोड़ी देर में ही वो इतनी गर्मा गयी कि दोनों ने मुझे पकड़ कर मेरे कपड़े फाड़ डाले और मुझे नंगा कर दिया।

प्रीति ने सच कहा था। दो घंटे में ही लंड का पानी खत्म हो चुका था और उसमें उठने की बिल्कुल जान नहीं थी, चाहे डंडे के जोर से या पैसे के जोर से। इस का एहसास होते ही वो एक दूसरे की चूत चाटने लगीं।

मैं थक कर सो गया। रात में मेरी नींद खुली तो मुझे उन दोनों की सिसकरियाँ सुनायी दे रही थी। अभी रात बाकी थी। मैंने देखा कि रजनी नकली लंड को पकड़े प्रीति की गुलाबी चूत के अंदर बाहर कर रही थी। इस कहानी के लेखक सुनील अग्रवाल है!

उन्हें देख कर मेरे लौड़े में जान आनी शुरू हो गयी। पर मैंने चोदने कि कोशिश नहीं की और वापस लेट गया और सोचने लगा।

दो साल में ही मैंने काफी तरक्की कर ली थी। आज मैं कंपनी का डिप्टी मैनेजिंग डायरेक्टर हूँ, अपना बंगला है, गाड़ी है। सब कुछ तो है मेरे पास। प्रीति जैसी सुंदर और सैक्सी चुदक्कड़ बीवी और साथ में कंपनी की हर महिला करमचारी है चोदने के लिये। मैं भविष्य के बारे में सोचने लगा। आने वाले दिनों में दो कुँवारी चूतों का मौका मिलने वाला था, ये सोच कर ही मन में लड्डू फुट रहे थे। उन दोनों की कुँवारी चूत के बारे में सोचते हुए ही मैं गहरी नींद में सो गया।

सुबह मैं सो कर उठा तो देखा कि मेरी दोनों रानियाँ, सिर्फ सैंडल पहने, बिल्कुल नंगी, एक दूसरे की बंहों में गहरी नींद में सोयी पड़ी थी, और उनका काला दोस्त रजनी की चूत में घुसा हुआ था।

दोनों को इस अवस्था में देख कर मेरा लंड तन कर खड़ा हो गया। लेकिन मैंने सोच कि पूरा दिन पड़ा है चुदाई के लिये… क्यों ना पहले चाय बना ली जाये।

उन्हें बिना सताये मैं कमरे से बाहर आकर किचन में चाय बनाने लगा। चाय लेकर मैंने उनके बिस्तर के पास जा कर उन्हें उठाया, “उठो मेरी रानियों! गरम चाय पियो पहले, मेरा लंड तुम लोगों का इंतज़ार कर रहा है।”

प्रीति अंगड़ाई लेते हुई बिस्तर पर उठ कर बैठ गयी, “थैंक यू डार्लिंग, तुम कितने अच्छे हो, सारा बदन दर्द कर रहा है, कल काफी शराब पी ली थी और रात भर चुदाई की हम दोनों ने।” और उसने रजनी के निप्पल को धीरे से भींच दिया, “उठ आलसी लड़की! देख चाय तैयार है।”

“अरे बाबा उठ रही हूँ! उसके लिये मेरे निप्पल को इतनी जोर से दबाने की जरूरत नहीं है।” रजनी ने उठते हुए कहा, “अब बताओ! क्या प्रोग्राम है?”

“प्रोग्राम ये है कि पहले गरम-गरम चाय अपने पेट में डालो और फिर मेरा गरम लंड अपनी चूत में डालो।” मैंने अपने लंड को हिलाते हुए कहा।

“सुनील, मेरी चूत में तो बिल्कुल नहीं! बहुत दर्द हो रहा है।” प्रीति ने गिड़गिड़ाते हुए कहा।

“और मेरी चूत में भी नहीं, देखो कितनी सूजी हुई है।” रजनी ने अपनी चूत का मुँह खोल कर दिखाते हुए कहा।

“फिर तो तुम दोनों की गाँड मारनी पड़ेगी।” मैंने कहा।

“नहीं! गाँड भी सूजी पड़ी है और दर्द हो रहा है, तुम चाहो तो हम तुम्हारा लंड चूस सकते हैं।” रजनी ने कहा।

चाय पीने के बाद उन्होंने मेरे लंड को बारी-बारी से चूसा और मेरा पानी निकाल दिया। उन दोनों को बिस्तर पर नंगा छोड़ कर मैं ऑफिस पहुँचा।

“गुड मोर्निंग आयेशा, क्या एक कप गरम कॉफी लाओगी मेरे लिये।” मैंने अपनी सेक्रेटरी से कहा।
“गुड मोर्निंग सर! मैं आपके लिये अभी कॉफी बना कर लाती हूँ।” आयेशा ने कहा।

हाँ दोस्तों! ये वो ही आयेशा है जिसे एम-डी और महेश ने उसके बाप की जान बख्शने के एवज में उसे खूब कसके चोदा था। आयेशा मेरी सेक्रेटरी कैसे बनी उसकी कहानी कुछ ऐसी है।

मेरे डिप्टी मैनेजिंग डायरेक्टर बनाये जाने के दूसरे दिन मैं ऑफिस पहुँचा तो मेरे लिये नया केबिन तैयार था। मेरा केबिन ठीक एम-डी के केबिन के जैसा था। मैं एम-डी के केबिन में गया तो देखा कि एम-डी ने अपने लिये सेक्रेटरी नहीं रखी हुई है। “सर! ये क्या आपने कोई सेक्रेटरी नहीं रखी हुई है?” मैंने पूछा।

“सुनील! मैंने पहले नसरीन को अपनी सेक्रेटरी बनाया था, लेकिन मिली ने जलन की वजह से उसे हटवा दिया। मुझे इससे कोई फ़रक नहीं पड़ा कि चुदाई मेरी सेक्रेटरी की हो या दूसरे डिपार्टमेंट की लड़की की, इसलिये मैंने उसे शिफ़्ट कर दिया, तुम चाहो तो अपने लिये नयी सेक्रेटरी रख सकते हो। हम उसे मिलकर चोदा करेंगे।” एम-डी ने जवाब दिया।

मैंने सेक्रेटरी के लिये पेपर में इश्तहार दे दिया। एक दिन एम-डी का पुराना नौकर असलम मेरे पास आया, “सर मैंने सुना है कि आप नयी सेक्रेटरी की खोज में हैं। सर! मेरी बेटी आयेशा ने अभी सेक्रेटरी कोर्स का डिप्लोमा लिया है। आप उसे रख लिजिये ना।”

उसकी बातें सुन आयेशा का चेहरा मेरी आँखों के सामने आ गया। उसकी गुलाबी चूत मेरे खयालों में आ गयी… जब मैंने उसे चोदा था। मेरा उसे फिर चोदने को मन करने लगा। “ठीक है! उसे सब अच्छी तरह समझा देना कि खूब मेहनत करनी पड़ेगी? और उसे सुबह सब सर्टिफिकेट्स के साथ भेज देना… उसका इंटरव्यू लिया जायेगा?”

“थैंक यू सर।” असलम ये कहकर चला गया।

उसकी जाते ही मैंने एम-डी को इंटरकॉम पर फोन किया, “सर! मैंने सेक्रेटरी रख ली है… अपने असलम कि बेटी… आयेशा को।”

“ये तुमने अच्छा किया! मैं भी उसे दोबारा चोदना चाहता था।” एम-डी ने खुश होते हुए कहा, “कल जब वो आये तो मुझे बुला लेना… साथ में इंटरव्यू लेंगे।”

दूसरे दिन आयेशा अपने सब सर्टिफिकेट लेकर ऑफिस पहुँची। मैंने एम-डी को उसके आने की खबर दी और उसके सर्टिफिकेट चेक किये। सब बराबर थे। “आयेशा! अब तुम्हारा असली इंटरव्यू शुरू होगा, अपने कपड़े उतारो।” मैंने कहा।

“ओ!!! तो अब आप मुझे चोदेंगे, बहुत दिन हो गये जब आपने मुझे चोदा था, है ना?” आयेशा हँसते हुए बोली।

अपने कपड़े उतारते हुए जब उसने एम-डी को अंदर आते देखा तो बोली, “सर! ये भी मुझे चोदेंगे? फिर से दर्द नहीं सहन कर पाऊँगी।”

“तुम डरो मत… ये तुम्हें दर्द नहीं होने देंगे, तुम अपने कपड़े उतारो।” मैंने उसके गालों को सहलाते हुए कहा।

सफ़ेद रंग के ऊँची ऐड़ी के सैंडलों को छोड़ कर वो अपने बाकी सब कपड़े उतार कर बिल्कुल नंगी हो गयी तो एम-डी उसका इंटरव्यू शुरू किया।

“ओहहह सर! कितना अच्छा लग रहा है।” आयेशा ने सिसकरी भरी, जैसे ही एम-डी ने अपना लंड उसकी चूत में डाला।

“हाँआँआँआँ जो…उउ…र से… और जोर से , मज़ा आ रहा है… हाँआँआँ किये जाओ… मज़ा आ रहा है… मेराआआआ छूट रहा है…” चिल्लाते हुए उसका बदन ढीला पड़ गया।

“ओह सर! मज़ा आ गया! आप कितनी अच्छी चुदाई करते हैं।” आयेशा ने एम-डी को चूमते हुए कहा, “आपने पहली बार मुझे इतने प्यार से क्यों नहीं चोदा।”

“वक्त के साथ सब कुछ बदल जाता है।” एम-डी ने हँसते हुए कहा।

मैंने और एम-डी ने बारी-बारी से आयेशा को कई बार चोदा। एक बार तो हम ने उसे साथ साथ चोदा। तीन घंटे की चुदाई के बाद हम थक चुके थे। मैंने पूछा, “सर! क्या सोचा इसके बारे में?”

“कुछ फैसला करने के पहले मैं आयेशा से एक सवाल करना चाहता हूँ?” एम-डी ने कहा।

“सर… मैं आपके सवाल का जवाब कल दूँगी… अभी मेरी चूत सूज़ चुकी है।” आयेशा बोली।
“नहीं! सवाल का जवाब तो तुम्हें देना ही होगा।” एम-डी ने उसकी बात काटते हुए कहा, “क्या तुम अच्छी कॉफी बनाना जानती हो?”
“दुनिया में सबसे अच्छी सर!” आयेशा ने हँसते हुए कहा।
“ठीक है सुनील! इसे रख लो और चुदवाना इसका सबसे जरूरी काम होगा!” एम-डी ने कहा।
“ठीक है सर!”

इस तरह आयेशा मेरी सेक्रेटरी बन गयी।

“ये आपकी कॉफी सर!” आयेशा कॉफी लाकर बोली।

“थैंक यू, अब तुम जा सकती हो?” मैंने आयेशा से कहा।

“सर! पक्का आपको कुछ और नहीं चाहिये?” आयेशा ने पूछा।

“नहीं! अभी तो कुछ नहीं चाहिये बाद में देखेंगे।” मैं उसका इशारा समझता हुआ बोला, “हाँ! जरा मीना को भेज दो!”

“मीना को क्यों? उसमें ऐसा क्या है जो मेरे में नहीं?” आयेशा की आवाज़ में जलन की बू आ रही थी।

मैं अपनी सीट से उठा और उसके पास आकर उसके दोनों मम्मों को जोर से भींच दिया। “छोड़िये सर! दर्द होता है!” आयेशा दर्द से बोली।

“दबाया ही इसलिये था, सुनो आयेशा! इस कंपनी में जलन की कोई जगह नहीं है, तुम मुझे पसंद हो इसलिये तुम यहाँ पर हो, समझी? मुझे ऑफिस की दूसरी लड़कियों का भी खयाल रखना पड़ता है… समझ गयी? अब जाओ और मीना को भेज दो।”

मैंने मीना को एक जरूरी काम दिया और अपने काम में जुट गया। काम खत्म करके मैं एम-डी के केबिन में पहुँचा और उसे रिपोर्ट दी।

“तुमने अच्छा काम किया है सुनील! आओ सुस्ता लो और एक कप कॉफी मेरे साथ पी लो।” एम-डी ने मुझे बैठने को कहा।

“सर! आपने कभी मिली और योगिता को वो स्पेशल दवा पिलायी है?” एम-डी ने ना में गर्दन हिला दी।

“सर! पिला के देखिये… सही में काफी मज़ा आयेगा!” मैंने कहा।

“मुझे शक है कि वो दवाई के बारे में जानती हैं… इसलिये शायद पीने से इनकार कर दें।” एम-डी ने कहा।

“फिर हमें कोई दूसरा तरीका निकालना होगा…” मैंने सोचते हुए कहा, “सर आपके पास वो उत्तेजना वाली दवाई तो होगी ना?”

“हाँ! वो तो मेरे पास काफी स्टोक में है, क्यों क्या करना चाहते हो?” एम-डी ने पूछा।

“सर! आप अपने घर पर शनिवार को एक पार्टी रखें जिसमें मैं और प्रीति भी शामिल हो जायेंगे। मैं प्रीति को प्याज के पकोड़े बनाने को बोल दूँगा और वो इसमें वो दवाई मिला देगी।” मैंने कहा।

“प्याज के पकोड़े? हाँ ये चलेगा! उन्हें पकोड़े पसंद भी बहुत हैं, लेकिन सुनील तुम्हें मेरी मदद करनी पड़ेगी। तुम्हें मालूम है कि दोनों कितनी चुदकाड़ हैं, और इस दवाई के बाद मैं तो उन्हें एक साथ नहीं संभल पाऊँगा, दोनों एक दम भूखी शेरनी बन जायेंगी।” एम-डी ने कहा।

“सर! आप चिंता ना करें! मैं उन्हें संभाल लूँगा।” मैंने एम-डी को आशवासन दिया।

शनिवार की शाम को हम एम-डी के घर पहुँचे। प्रीति ने सब को ड्रिंक्स सौंपी और नाश्ते के साथ प्याज के पकोड़े भी स्नैक में टेबल पर रख दिये।

“प्याज के पकोड़े…! ये तो मुझे और योगिता को बहुत पसंद हैं।” इतना कह कर मिली ने प्लेट योगिता की तरफ कर दी। हम सब अपनी ड्रिंक पी रहे थे। योगिता और मिली ड्रिंक्स के साथ मजे से पकोड़े खा रही थी। थोड़ी देर में दवाई और ड्रिंक्स ने अपना असर एक साथ दिखाना शुरू किया और उनके माथे पर पसीने की बूँदें छलकने लगी।

मैंने देखा कि दोनों अपनी चूत साड़ी के ऊपर से खुजा रही थी। “सर! क्यों ना हम वो काम डिसकस कर लें जो आपने ऑफिस में बताया था।” मैंने एम-डी से कहा।

“हाँ! तुम सही कहते हो, चलो सब स्टडी में चलते हैं।” एम-डी अपनी सीट से उठते हुए बोला।

जब तक दोनों औरतें स्टडी में दाखिल होतीं, दोनों जोर-जोर से अपनी चूत खुजला रही थी।

“क्या हुआ तुम दोनों को? चूत में कुछ ज्यादा ही खुजली मच रही लगती है?” एम-डी जोर से हंसता हुआ बोला।

“योगिता! मुझे विश्वास है ये सब इसी का किया हुआ है, जरूर इसने अपनी वो दवाई किसी चीज़ में मिला दी है।” मिली बोली।

“जरूर दवाई पकोड़ों में मिलायी होगी, इसका मतलब सुनील और प्रीति भी मिले हुए हैं।” योगिता बोली।

“अब इन बातों को छोड़ो! मेरी चूत में तो आग लगी हुई है।” मिली ने बे-शरमी से अपनी सड़ी उठा कर चूत में अँगुली करते हुए कहा, “योगिता! तुम सुनीलू को लो… मैं देखती हूँ सुनील क्या कर सकता है।”

दोनों मिल कर हमारे कपड़े फाड़ने लगीं। “इतनी जल्दी क्या है मेरी रानी?” एम-डी ने उन्हें चिढ़ाते हुए कहा।

“साले हरामी… तूने ही मेरी चूत में इतनी आग लगा दी है और तुझे ही अपने लंड के पानी से इसे बुझाना होगा।” मिली जोर से चिल्लाते हुए मेरे लंड को पकड़ कर मुझे सोफ़े पर खींच के ले गयी।

“आआआहहह!!!” मिली सिसकी जैसे ही मेरे लंड ने उसकी चूत में प्रवेश किया। कुछ सैकेंड में एम-डी भी मेरी बगल में आकर योगिता को जोर से चोद रहा था। हम दोनों की रफ़्तार काफी तेज थी और थाप से थाप भी मिल रही थी।

“हाँआँआआ आआआ सुनील!!! और जोर से चोदो।” मिली मेरी थाप से थाप मिला रही थी और कामुक आवाजें निकाल रही थी।

“रा… आआआआ… ज साले… मैंने कहा ना कि मुझे जोर से चोद… हाँ ऐसे और जोर से… हाआँआँआँ ये मेरा छूटा…” कहते हुए उसका बदन ढीला पड़ गया।

थोड़ी देर बाद योगिता भी “ओहह हहह आआहहह हहह” करती हुई झड़ गयी। हमने भी अपना लंड उनकी चूतों में खाली कर दिया। तीन घंटे तक हुम चुदाई करते रहे और हमारे लौड़ों में बिल्कुल भी जान नहीं बची थी।

मगर उनकी चूत की खाज नहीं मिटी थी। “योगिता अब क्या करें! मेरी चूत में तो अब भी खुजली हो रही है।” मिली ने पूछा।

“खुजली तो मेरी चूत में भी हो रही है, आओ मेरे कमरे में चलते हैं, और मेरे काले लंड से खुजली मिटाते हैं,” योगिता ने मिली का हाथ पकड़ कर कहा और दोनों ऊँची हील की सैंडलें खटखटाती दूसरे कमरे में चली गयीं।।

“सर! कैसा रहा?” मैंने एम-डी से पूछा।

“बहुत ही अच्छा, आज पहली बार मैंने एक बार में इतनी चुदाई की है, बिना साँस लिये। दोबारा फिर ऐसा ही प्रोग्राम बनायेंगे।” एम-डी ने जवाब दिया।

जब हम घर जाने के लिये तैयार हुए तो रास्ते में प्रीति ने पूछा, “कैसा रहा सुनील?”

“बहुत अच्छा रहा… तुम बताओ क्या खबर है?” मैंने उससे पूछा।

“खबर कुछ अच्छी भी है और कुछ बुरी भी! ये सब तुम्हें रजनी कल बतायेगी… मेरा तो इस समय नशे में सिर घूम रहा है।”

अगले दिन रजनी घर आयी तो मैंने उससे पूछा, “अब बताओ कल क्या हुआ था?”

“तुम्हारे स्टडी में जाने के बाद मैंने और प्रीति ने सोच क्यों ना थोड़ा समय टीना और गौरी के साथ बिताया जाये।” रजनी ने बताना शुरू किया, “इतने में हमें मिली आँटी की चींख सुनाई दी।”

“ये मम्मी इतना चीख क्यों रही है… टीना ने पूछा।” हम तो उनके चींखने की वजह जानते थे लेकिन प्रीति ने सलाह दी कि चलो चल कर देखते हैं वहाँ क्या हो रहा है।

टीना, प्रीति और मैं खड़े हो गये पर गौरी हिली नहीं… “क्या तुम्हें नहीं चलना है?” टीना ने पूछा। गौरी ने जवाब दिया कि “तुम चलो दीदी, मैं आपके पीछे पीछे आ रही हूँ।”

हमने स्टडी की खिड़की में से झाँक कर देखा तो दोनों औरतें सिर्फ सैंडल पहने, बिल्कुल नंगी होकर तुम लोगों से चुदाई में मस्त थीं। तुम दोनों का लंड दोनों की चूत के अंदर बाहर होता साफ दिख रहा था। ये नज़ारा देख टीना शर्मा गयी और उसके चेहरे पे लाली आ गयी। थोड़ी देर में उसके शरीर में गर्मी भर गयी और उसकी साँसें फूलने लगीं।

इतने में प्रीति ने पीछे से उसकी छाती पर हाथ रख कर उसके मम्मे भींचने शुरू कर दिये। गौरी अभी तक आयी नहीं थी, मैं प्रीति को वहाँ अकेले छोड़ कर गौरी को बुलाने चली गयी, “प्रीति तुम चालू रखो।”

प्रीति ने बात को चालू रखते हुए कहा: टीना की साँसें फूल रही थीं… “मैं उसकी स्कर्ट के अंदर हाथ डाल कर उसकी पैंटी के ऊपर से उसकी कुँवारी चूत को सहलाने लगी।”

“ओह दीदी… अच्छा लग रहा है।” उसकी सिसकरी निकल पड़ी।

“अच्छा लगता है ना… और करूँ?” मैंने उसके कान में फुसफुसाते हुए कहा।

“हाँ दीदी!!!!! बहुत अच्छा लग रहा है… और करो।” वो सिसकी, मैं उसकी पैंटी में हाथ डाल कर उसकी चूत को रगड़ने लगी।

“ओह दीदी !!!” वो जोर से चीखी।

“ज़रा धीरे वरना कोई सुन लेगा…” कहकर मैं अपनी अँगुली से उसे चोदने लगी और तब तक चोदती रही जब तक वो दो बार झड़ नहीं गयी।

“चुदाई अच्छी लग रही है ना?” मैंने पूछा।

“हाँ दीदी! बहुत अच्छी लग रही है।” उसने शर्माते हुए कहा। मैंने उसकी चूत को रगड़ना चालू रखा।

“चुदवाने को दिल करता है? मैंने पूछा।

“हाँ दीदी!!!! मुझे चुदवाने को बहुत दिल करता है।” टीना ने शर्माते हुए कहा।

उसी समय तुम योगिता की चूत में अपना लंड पेलने जा रहे थे, “दीदी देखो ना सुनील का लंड कितना मोटा और लंबा है…” उसने कहा।

“तुम कहो तो तुझे भी सुनील से चुदवा दूँ…” मैंने उसकी चूत को और रगड़ते हुए पूछा।

“सुनील जैसा सुंदर मर्द मुझ जैसी साधारण दिखने वाली लड़की को भला क्यों चोदेगा?” उसने कहा।
“मैं कहूँगी तो तुम्हें चोदेगा…” मैंने जवाब दिया।
“तो फिर कहो ना, उसे आज ही मुझे चोदने को कहो…” वो खुश होते हुए बोली।
“इतनी जल्दी क्या है चुदवाने की, अभी तुम छोटी हो?”

“छोटी कहाँ दीदी!! थोड़े महीनों में मैं इक्कीस साल की हो जाऊँगी…” उसने जवाब दिया।

“इक्कीस का होने तक इंतज़ार करो।” मैंने उसे समझाया।

“प्रॉमिस?” उसने मुझे बाँहों में भरते हुए कहा। “प्रॉमिस! मेरी जान, सुनील का लंड तुम्हारी कुँवारी चूत को चोदे… ये मेरा तुम्हारे जन्मदिन पर तोहफ़ा होगा…” मैंने उसे चूमते हुए कहा।

रजनी अभी तक आयी नहीं थी और ना ही गौरी आयी थी, “टीना! चलो रजनी और गौरी को देखते हैं कि वो क्या कर रहे हैं…” कहकर हम दोनों वापस उनके कमरे में आ गये।

“रजनी! अब तुम सुनील को बताओ क्या हुआ।” प्रीति ने कहा।

रजनी ने कहना शुरू किया, “सुनील!!! जब मैं गौरी के कमरे में पहुँची तो देखा कि वो वैसे ही बैठी हुई है जैसे हम उसे छोड़ कर गये थे।”

“गौरी हम लोग तेरा इंतज़ार कर रहे थे, तुम आयी क्यों नहीं??? तुम नहीं जानती कि तुमने क्या देखने से मिस कर दिया?” मैंने उससे कहा।

“क्या मिस कर दिया?” उसने कहा।

“यही कि किस तरह तुम्हारे पापा और सुनील हमारी मम्मियों को चोद रहे थे…” मैंने हँसते हुए कहा।

“दीदी मुझे चुदाई में कोई इंटरस्ट नहीं है!!!” उसके इस जवाब ने मुझे चौंका दिया।

“चुदाई में इंटरस्ट नहीं है???? तुझे पता है एक मर्द किसी औरत को क्या सुख दे सकता है?” मैंने कहा।

“मुझे मर्द जात से नफ़रत है, सब के सब मतलबी होते हैं।” वो गुस्से में बोली। मैं मन ही मन डर गयी कि किसी ने इसके साथ जबरदस्ती चोदन तो नहीं कर दिया।

“तुझे किसी ने चोद तो नहीं दिया?” मैंने पूछा।
“नहीं दीदी! मुझे किसी ने नहीं चोदा… मैं अभी तक कुँवारी हूँ!” उसने जवाब दिया।
“तो फिर किसने तुम्हें मर्दों के बारे में ऐसा सब बताया है?”
“मेरी इंगलिश टीचर ने!!!” उसने जवाब दिया।
“तुझे नहीं पता कि मर्द का शानदार लंड औरत को कितने मज़े दे सकता है?” मैंने कहा।
“उससे ज्यादा मज़ा औरत के स्पर्श से मिलता है… मुझे मालूम है।” उसने जवाब दिया।
“तुम्हारी इंगलिश टीचर तुम्हें छूती है क्या? कहाँ?” मैंने पूछा।

उसने शर्माते हुए अपने मम्मों की तरफ देखा। मैंने उसके मम्मे ब्लाऊज़ के ऊपर से ही दबाना शुरू किये। उसने ब्रा नहीं पहन रखी थी। मेरे हाथ के स्पर्श से ही उसके निप्पल खड़े हो गये। जैसे ही मैंने उसके निप्पल को भींचा, उसके मुँह से सिसकरी निकल पड़ी, “हाँ ऐसे ही!”

“क्या वो सिर्फ़ यही करती है या और कुछ भी?” मैंने फिर पूछा।
“नहीं वो मेरी…” कहते हुए गौरी रुक गयी।

“चलो बोलो क्या वो तुम्हारी चूत भी छूती है?” मैंने उसे दोबारा पूछा।
“हाँ दीदी!!! वो मेरी चूत भी छूती है!!!” गौरी थोड़ा से मुस्कुराते हुए बोली। मैंने उसके स्कर्ट में हाथ डाल कर उसकी चूत को रगड़ दिया।
“क्या ऐसे?” मैंने पूछा।
“ओह दीदी हाँ, आपका हाथ कितना अच्छा लग रहा है!!!” वो कामुक होकर बोली।

“वो और क्या करती है?” मैंने फिर पूछा।
“कभी वो मुझे चूमती है और कभी…” इतना कह कर वो फिर शर्मा गयी, मैंने उसके ब्लाऊज़ के बटन खोल दिये और उसकी चूचियों को मुँह में लेकर चूसने लगी। मैं अपने दाँत उसके निप्पल पर गड़ा रही थी।
“ओहहहह दीदीईईई!!!!” उसके मुँह से सिसकरियाँ फ़ूट रही थीं, मैंने उसकी स्कर्ट और पैंटी उतार कर उसकी चूत को चाटना शुरू किया। मैं उसकी चूत में अपनी जीभ डाल कर घुमाने लगी। मैं तब तक उसकी चूत चाटती रही जब तक वो दो बार झड़ नहीं गयी इतनी देर में ही प्रीति और टीना रूम में आ गये।

“क्या तुमने उससे पूछा नहीं कि उसने ये सब कैसे सिखा?” मैंने रजनी से पूछा।

“आज यहाँ आने से पहले मेरे बहुत जोर देने पर उसने बताया कि उसकी फ्रैंड सलमा ने एक दिन उसे बाथरूम में पकड़ कर चूमा था। उसे मज़ा आया था। सलमा की हरकत बढ़ती गयी और अब वो गौरी की चूचियों को भी चुसती थी और गौरी को भी मज़ा आता था और गौरी भी उसकी चीचियों को चूसती थी। एक दिन सलमा उसे उनकी इंगलिश टीचर के यहाँ ले गयी जिसने उसे औरत के स्पर्श का खूब मज़ा दिया और मर्दों के बारे मैं भड़काया। मेरे बहुत कहने पर भी वो मानने को तैयार नहीं हुई। सुनील!! टीना तो तैयार है पर गौरी नहीं मानेगी लगता है।”

“अभी उसे इक्कीस साल का होने में बहुत टाईम है… तब तक तुम सिर्फ़ उस पर नज़र रखो, कोई रास्ता निकल आयेगा, अगर नहीं निकला तो स्पेशल दवाई तो है ही। उसकी चूत हर हाल में फटेगी।” प्रीति ने कहा।

समय गुज़रता गया. Hindi Sex Stories

हाय पाठको !Hindi Sex Stories

आपका शुक्रिया Hindi Sex Stories कि मैं अपने एक नये अनुभव को आप के सामने पेश कर रहा हूँ।

बात उन दिनों की है जब मैं सर्दी के दिनों में धूप सेंक रहा था। मेरे पड़ोस की कुछ लड़कियां भी हमारे घर की छत पे धूप सेंकने आती थीं क्योंकि हमारे घर की छत पे धूप बहुत अच्छी लगती थी।

मेरा एक दोस्त, जिसका नाम लालू भाई है, की बहन भी धूप सेंकने हमारी छत पे ही आती थी। उसका नाम हनी था। गज़ब की सेक्स बॉम्ब थी वो। उसकी मस्त गांड को देखकर किसी का भी लंड खड़ा हो सकता था। उसको चोदने का बहुत मन तो था लेकिन लालू से डर की वज़ह से कभी हिम्मत नहीं हो पाई थी। मेरी और उसकी बहुत अच्छी दोस्ती थी लेकिन शायद लालू भाई को हमारी ये दोस्ती पसंद नहीं थी। वो बार बार मुझे धमकी देता था कि मैं उसकी बहन से किसी तरह की दोस्ती न रखूं, लेकिन आप तो जानते हैं कि लंड की प्यास के आगे हर कोई बेबस है।

उस दिन मेरी मॉम डोक्टर के पास गई हुई थी। मैं घर पे ब्ल्यू मूवी देख रहा था। मुझे पता भी नहीं चला कि कब हनी मेरे पीछे आ के खड़ी हो गई। वो मूवी देखने लगी। अचानक उसके हाथ से कुछ टकराया, मैने मुड़कर देखा तो हनी मेरे सामने थी। मैने पहले तो टीवी बंद किया, मुझे समझ नहीं आ रहा था कि क्या करुं।

अचानक हनी ने कहा- तुम तो बहुत गंदे हो।

मैंने कहा- नहीं बस टाइम पास कर रहा था।

उसने कहा- लालू भैया ठीक कहते हैं कि तुमसे कोई वास्ता ना रखूं, मुझे उम्मीद नहीं थी कि तुम ऐसी मूवीज़ भी देखते होंगे।

मैंने कहा- मूवी तो तुमने भी देखी है।

मैंने उसका हाथ पकड़ लिया और कहा- प्लीज़ मॉम या डैड से इस बारे में कुछ नहीं कहना !

जबकि मैं भी जानता था कि वो कुछ कहने वाली नहीं है। मैंने देखा कि उसने अपना हाथ छुड़ाने की ज़रा भी कोशिश नहीं की। मेरा हौंसला और भी बढ़ गया। मैंने उसके हाथ को धीरे धीरे दबाना शुरु किया और उसे अपनी बाहों में भर लिया। शायद फ़िल्म देख के वो भी गरम हो चुकी थी। उसने कोई विरोध नहीं किया। मैंने उसके होठों को हल्का सा चूम लिया और कहा- प्लीज़ !मॉम से मत कहना !

उसने जवाब नहीं दिया।

मैंने उसकी चूची को चूम लिया और कहा- मोम से मत कहना प्लीज़ !

उसने कोई जवाब नहीं दिया। वो मस्त हो चुकी थी।

मैंने धीरे धीरे अपना हाथ उसकी कमीज़ में डाल दिया और उसके मोम्मे दबाने लगा। मैंने अब मोर्चा सम्भालना शुरु कर दिया था, मैंने धीरे से उसकी ब्रा के हुक खोल दिये और उसकी कमीज़ और ब्रा को अलग कर दिया शायद वो मज़ा ले रही थी अब उसकी चूचियां मेरे सामने थी, मैने उसकी चूचियों को अपने मुँह मे डाल लिया।

वो तड़प उठी- नहीं समीर ये ठीक नहीं है !

मैंने उसके होठों पे अपने होठों को रखते हुये कहा- जब मज़ा आये तो सब ठीक हो रहा है।

उसने कहा- अगर लालू भाई को पता लग गया तो?

मैंने कहा- उसने कौन सा तुझे चोदना है जो उसे पता लग पायेगा। हम इस बात को राज़ ही रखेंगे।

और मैंने समय खराब ना करते हुये उसकी शलवार को भी अलग कर दिया। अब वो मेरे सामने सिर्फ़ पैंटी में थी। मुझे यकीन नहीं हो रहा था कि लालू की सेक्सी बहन को आज मैं चोदने जा रहा हूं। मैंने उसकी चूचियां चूसते हुये उस की पैंटी को भी उस से अलग कर दिया। मैंने उसे ६९ पोजिशन में लिया और उसकी चूत को चाटने लगा, वो मेरे लंड को चूस रही थी।

वाह क्या आनंद के लम्हे थे वो? वो १५ मिनट में झड़ गई लेकिन मैंने उसे सीधा लिटाया और उसकी बिना बालों की चूत को उंगली से सहलाना शुरु किया।

अब वो दोबारा जोश में आ रही थी। मैंने उसकी टांगों को ऊपर उठाया और अपना ७” का लंड उसकी चूत में डाल दिया वो चीख उठी। मैंने उसके मुँह पे हाथ रख दिया ४-५ धक्के लगाने के बाद जब लंड पूरी तरह अन्दर घुस गया और उसे भी मज़ा आने लगा तब मैंने हाथ हटा दिया। अब उसके मुंह से आआआआह ऊऊऊऊउह करो ! और करो ! की आवाज़ निकल रही थी। अब हम जोश में थे।

डू इट फ़ास्ट, डू इट फ़ास्ट, फ़क मी, फ़क मी, फ़क मी की आवाज़ से कमरा गूंज रहा था। मैंने २० मिनट तक उसको चोदा। हम दोनो खुश थे। उसके बाद वो कहने लगी- तुमने अपना वीर्य तो चखाया ही नहीं?

तो मैंने कहा- उसमें क्या बड़ी बात है और फ़िर मेरा लंड उसके मुँह में था। एक बार फ़िर वो मेरा लंड चूस कर मज़ा ले रही थी।

सच बताऊँ तो दोस्तो जितना मज़ा लालू भाई की बहन को चोद कर आया उतना मज़ा ज़िंदगी में कभी भी नहीं आया। गज़ब का नशा है उसकी चूत में। उस दिन के बाद मैंने कई बार लालू की बहन को चोदा। और लालू आज भी इस बात से बेखबर है।

तो चोदो चुदाओ और लाइफ़ को खुश हाल बनाओ।Hindi Sex Stories

Hindi Sex Stories

मैं आज अपने मायके आ Hindi Sex Stories गई, सोचा कि कुछ समय अपने भाई और माता पिता के साथ गुजार लूँ। मेरी माँ और पिता एक सरकरी विभाग में काम करते हैं, भैया कॉलेज में पढ़ता है। आप जानते हैं ना चुदाई एक ऐसी चीज़ है जिसके बिना हम लड़कियाँ तो बिल्कुल नहीं रह पाती। यहां मायके में भी यही हाल हुआ। ये चूत है कि लण्ड मांगे मोर…। बोबे भी फ़ड़क उठते हैं… गांड भी लण्ड दिखते ही लचकदार होकर अदाएँ दिखाने लगती है… चाल ही बदल जाती है। देखने वाला भी समझ जाता है कि अब ये लण्ड की भूखी है। बाहर से हम चाहे जितनी भी गम्भीर लगें, सोबर लगें पर हमारी नजरें तो पैन्ट के अन्दर लण्ड तक उतर जाती हैं। लड़कों का खड़ा लण्ड नजर आने लगता है।

मैं खिड़की पर खड़ी सब्जी काट रही थी की भैया आया और बिना इधर उधर देखे बाहर ही दीवार पर अपना लण्ड निकाल कर पेशाब करने लगा। मेरा दिल धक से रह गया। इतना बड़ा और मोटा लण्ड… भैया ने पेशाब किया और लण्ड को झटका और पेण्ट में घुसा लिया। मैं तुरन्त एक तरफ़ हो गयी। भैया अन्दर आ गया और मुझे रसोई में देख कर थोड़ा विचलित हो गया … उसे लगा को शायद मैने उसे पेशाब करते हुये देख लिया है।

“ये खिड़की क्या खुली हुई थी…”

“हां क्यो, क्या बात है…”

“नहीं यू ही बस …।”

“हां… तुम वहा पेशाब कर रहे थे न…” मैं मुस्कराई और उसकी पेन्ट की तरफ़ देखा

भैया शर्मा गया।

“धत्त , तुझे शरम नही मुझे देखते हुये”

“शरम कैसी… ये तो सबके होता है ना, बस तेरा थोड़ा सा बड़ा है…”

“दीदी…” वो शरमा कर बाहर चला गया। मुझे हंसी आ गयी। हां, मेरा दिल जरूर मचल गया हा। पर भैया भी चालू निकला, वो जब भी खिड़की खुली देखता तो वहा पेशाब करने खड़ा हो जाता था… और मुझे अब वो जान करके अपना लण्ड दिखाता था। मेरा मन विचलित होता गया। एक बार मैने उससे कह ही दिया…

“बबलू… तू रोज़ ही वहा पेशाब क्यो करता है रे…”

“मुझे अच्छा लगता है वहां”

“… या मुझे दिखाता है…अपना वो…”

“दीदी, आप भी तो देखती हो ना… फिर ये तो सबका एक सा होता है ना…”

” जा रे… तू दिखायेगा तो मैं देखूंगी ही ना… फिर…” मैं शर्मा सी उठी

“दीदी… तेरी तो शादी हो गई है…तुझे क्या…”

“अच्छा छोड़, मैं स्टूल पर चढ कर वो समान उतारती हू, तू मेरा ध्यान रखना…मैं कही गिर ना जाऊ”

मैं स्टूल पर चढी, और कहा “बबलू… मेरी कमर थाम ले…और ध्यान रखना…”

समान उतार कर मैं ज्योही स्टूल पर से उतरी बबलू ने मुझे उतरते हुये अपनी तरफ़ खींच लिया।

“धीरे धीरे दीदी…”और उसने मुझे ऐसे उतारना चालू किया कि मेरे बोबे तक दबा डाले धीरे धीरे सरकते हुए वो मुझे नीचे उतारने लगा और मेरे चूतड़ उससे चिपकते हुए उसके लण्ड तक पहुंच गये। अब हाल ये था की मेरे दोनो बोबे उसके कब्जे में थे और उसका लण्ड मेरे पटीकोट को दबाते हुए गाण्ड में घुस गया था। उसके मोटे लण्ड का स्पर्श मैं अपने दोनो चुतड़ो के बीच महसूस कर रही थी। मैने उसे देखा तो उसकी आंखे बंद थी… और मुझे वो कस कर जकड़ा था। शायद उसे मजा आ रहा था। मुझे बहुत ही मजा आने लगा था। पर शराफ़त का तकाजा था कि एक बार तो कह ही दू…”अरे छोड़ ना…क्या कर रहा है…”

“ओह दीदी… मुझे ना क्या हो गया था… सॉरी…”

“बड़े प्यार से सॉरी कह दिया… “मैने उसकी हिम्मत बढाई।

“दीदी क्या करू बस आपको देख कर प्यार उमड़ पड़ता है…”

“और वो जो खड़ा हो जाता है… उसका क्या”

“दीदी… वो तो पता नही , बस हो गया था” और मुस्कराता हुआ बाहर चला गया।

रात को सब सो गये तब मन में वासना जाग उठी। भैया के अन्दर का शैतान जाग उठा और मेरी अन्तर्वासना जाग उठी। जवान जिस्मो को अब खेल चाहिये था। दोनो के तन बदन में आग लगी हुई थी। कैसे शैतान ने काम किया कि हम दोनो को एक दूसरे की जरुरत महसूस होने लगी । हम दोनो लेटे हुये एक दूसरे को देख रहे थे… आंखो ही आंखो में वासना भरे इशारे हो रहे थे। भैया ने तो अपना लण्ड ही दबाना शुरू कर दिया, मैने भी उसे देख कर अपने होंठ दांतो से काट लिये। मैने उसे अपने बोबे अपना ब्लाऊज नीचे खींच कर दिखा दिये और दबा भी दिये। अब मैने चादर के अन्दर ही अपनी पेण्टी उतार दी और ब्रा खींच कर खोल दी। पेटीकोट को ऊपर उठा लिया… और अपनी चूत सहलाने लगी। ऊपर साफ़ दिख रहा था मेरा चूत का मसलना…

“दीदी, आप यही क्यो नही आ जाती , अपन बाते करेंगे”

“क्या बात करेंगे… मुझे पता है… तुझे भी पता है…आजा मेरे भैया…”

हम दोनो बिस्तर से उतर कर खड़े हो गये। धीरे धीरे एक दूसरे के समीप आ गये और फिर हम दोनो आपस में लिपट पड़े। मेरा अस्त व्यस्त ब्लाऊज और पेटीकोट धीले हो कर जाने कब नीचे खिसक गये, उसका पजामा भी नीचे उतर गया। हम नंगे खड़े थे। हम दोनो अब एक दूसरे को चूमने लगे। उसका लण्ड मेरी नगी चूत पर ठोकरे मारने लगा।

मैं भी निशाना लगा कर लण्ड को लपकने की कोशिश करने लगी कि उसे अन्दर ले लूं। हम दोनो के नगे और चिकने जिस्म रगड़ खाने लगे। जाने हम दोनो के होंठ कब एक दूसरे से चिपक गये। बबलू ने खुद को नीचे करते हुए मेरी गीली चूत में लण्ड घुसाने कोशिश करने लगा। उसका लण्ड मुझे यहा वहा रगड़ खा कर मस्ती दे रहा था। मेरी चूत अब लप लप करने लगी थी। तभी लगा की लण्ड ने चूत में प्रवेश कर लिया है। मैने अपनी एक टांग कुर्सी पर रख ली और चूत का द्वार और खोल दिया। लण्ड अन्दर घुस पड़ा। मीठा मीठा सा मजा आने लगा … मैने भी अपनी चूत उसके लण्ड पर दबा दी , उसका लण्ड पूरा अन्दर तक उतर गया।

अब मैने अपनी टांग नीचे कर ली। और भैया को जकड़ लिया। हम एक दूसरे से चिपके हुये कमर को हौले हौले चलाने लग गये। गीली और चिकनी चूत में लण्ड अन्दर बाहर फ़िसलने लगा। मुझे चुदाई का नशा सा आने लगा। बबलू का मोटा लण्ड मुझे भरपूर मजा दे रहा था। हम काफ़ी देर तक यू ही वासना की कसक भरी मस्ती लेते रहे। वो धीरे धीरे मुझे चोदता रहा… अब मुझे लगा कि कही मैं झड़ ना जाऊ… पर देर हो चुकी थी…मेरी चूत में पानी उतरने लगा था, सब्र टूट रहा था… मेरी सांसे जोर से चलने लगी और मेरा पानी छूट पड़ा। पर मैं उससे चिपकी रही। भैया मुझे हौले हौले चोदता ही रहा। धीरे धीरे मुझे फिर से चुदने का मजा आने लगा। मैं फिर से उसे पकड़ कर चिपट गयी। वो मेरे बोबे दबाता रहा और चोदता रहा, उसमें दम था…

“दीदी … अब उल्टी हो जाओ दूसरा मजा भी लू क्या ?”

“मेरे प्यारे भैया … हाय रे गान्ड चोदेगा क्या…” उसने हां में सर हिलाया। मैं उसकी तरफ़ पीठ करके खड़ी हो गयी। उसने मुझे घोड़ी जैसा झुकाया और झुक कर देखा, पास में पड़ी शीशी से क्रीम निकाली और गाण्ड में भर दी।

“क्रीम मत लगा, मेरी गाण्ड तो वैसे ही खुली हुई है… खूब लण्ड खा लेती है…” मैने उसे बताया पर तब तक उसका लौड़ा मेरी गाण्ड में घुस चुका था। लण्ड गाण्ड में कसता हुआ जा रहा था पर दर्द नही हुआ। बस एक मीठी सी सुरसुरी होने लगी। उसका लौड़ा मेरी गाण्ड में पूरा अन्दर तक बैठ गया था।

मैने फ़्री स्टाईल में कमर हिलानी शुरू कर दी पर भैया को मजा चाहिये था, सो उसने मुझे सीधा खड़ा कर दिया और और मेरी पीठ अपने से चिपका ली । मेरे बड़े बड़े बोबे थाम कर उसे मसलना चालू कर दिया और लण्ड को हौले हौले गाण्ड में चलाने लगा। लण्ड का पूरा मजा आ रहा था। उसका साईज़ मेरे चूतड़ो तक को महसूस हो रहा था मुझे अब थोड़ी सी इस पोज में तकलीफ़ होने लगी थी सो मैं अब झुकने लगी और घोड़ी बनने लगी चुदते चुदते ही मैने अपने अपने हाथ कुर्सी पर टिका दिये और अपने पांव खोल दिये। उसका लण्ड अब अच्छी तरह से तेज चलने लगा। मैने भी चूतड़ो कि ताल में हिला कर गाण्ड मरवाने लगी। अब मुझे भी मस्ती आने लगी थी। भैया गाण्ड मारने में माहिर था। अब तो मेरी चूत भी फिर से तैयार थी, भैया ने मेरा इशारा समझा और लण्ड को गाण्ड में से निकाल कर फिर से चूत में पिरो दिया। मेरी चूत में मजे की तरावट आ गयी। खूब गुदगुदी भरी मिठास उठने लगी।

मैने भी चूत को गाण्ड के साथ नचाना शुरू कर दिया और मजा तेजआने लगा। चूत के पानी का चिकनापन से चोदते समय फ़च फ़च की आवाज आने लगी थी। सारी दुनिया मेरी चूत में सिमट कर रह गई थी। मस्ती सर पर चढ चुकी थी। चुदाई जोरो पर थी। भैया तूफ़ानी गति से कस कर धक्के मार रहा था। मेरी चूत बेहाल हो उठी थी। अब लग रहा था कि मेरा माल निकलने वाला है… उत्तेजना चरम दौर पर थी… चूत पर लण्ड की चोट मुझे मस्त किये दे रही थी। अचानक भैया ने लण्ड मेरी चूत में दबा दिया और मेरी कमर कस कर भींच दी ।

“दीदी… दीदी… हाय… आह्ह्ह … मेरा लण्ड गया… दीदी… मेरा निकला…ऊईईईईई…ऐह्ह्ह्ह्ह्ह्…”

तभी मेरी भी सारी नसे जैसे खिंच उठी और मैं तड़प उठी। मेरा भी पानी जैसे अन्दर से उबल पड़ा और मैं झड़ने लगी। तभी भैया के लण्ड ने भी पिचकारी छोड़ दी। लण्ड बाहर निकाल कर सारा वीर्य छोड़ दिया। उसका लण्ड रह रह कर रस बरसा रहा था। मेरी गाण्ड पूरी वीर्य से तर हो चुकी थी। वो लगता था थक गया था। उसने पास पड़े कपड़े से मेरे चूतड़ साफ़ कर दिये और अपना लण्ड भी पोंछ डाला। हम दोनो फिर से आपस में लिपट गये और प्यार करने लगे।

अब हम एक ही बिस्तर में लेटे थे और एक दूसरे के साथ खेल खेलने लगे थे। मुझे तो उसे फिर से उत्तेजित करना था। मेरा तो रात भर का कार्यक्रम था… कुछ देर में भैया फिर से तैयार था … उसका लण्ड कड़क हो चुका था… मैं भी चुदने को तैयार थी… उसने मेरे ऊपर चढ कर मुझे दबा डाला… और उसका लण्ड एक बार फिर से मेरी चूत में घुसता चला गया… मेरी सिसकारिया मुख से फ़ूट उठी… लण्ड और चूत का घमासान युद्ध होने लगा… Hindi Sex Stories

Sex stories

हॉट फॅमिली पोर्न स्टोरी में मैंने अपने साले की बीवी को चोदा. वो एकदम सुंदर माल है, मक्खन सी है. वो मुझसे खुली हुई थी. मेरा साला उसे ज्यादा नहीं चोद पाता था.

दोस्तो, मेरा नाम साहिल है.
मेरी पहली कहानी
सासू मां के साथ एक रात
को आप लोगों ने खूब पसंद किया. थोड़ा व्यस्त होने की वजह से मैं अपनी कोई सेक्स कहानी नहीं लिख पाया.

अब मैं आपके साथ मेरे और मेरे साले की बीवी के बीच हुई सेक्स कहानी को साझा कर रहा हूँ. मुझे उम्मीद है कि आप लोगो को ये हॉट फॅमिली पोर्न स्टोरी पसंद आएगी.

मेरे साले की बीवी का नाम स्वरा (बदला हुआ नाम) है. उसका फिगर 30-28-32 का है. वो दिखने में एकदम सुंदर माल जैसी है. उसका रंग मक्खन सा सफेद है.

उसकी शादी के बाद से ही हम दोनों में खूब जमती थी क्योंकि आपको तो पता ही है कि सलहज और जीजा में कुछ ना कुछ तो चलता ही रहता है.

स्वरा मुझसे अपनी हर बार साझा करती रहती थी, जिस कारण से हम दोनों काफ़ी क्लोज हो गए थे.

उसकी बातों से मुझे ये भी मालूम थी कि उसका पति उसमें कम इंटरेस्ट लेता था.
पता नहीं क्यों … लेकिन मेरे लिए तो ये सही था.

एक दिन मेरी सासू मां और उसके बेटे को उनके कोई निजी काम से एक दिन के लिए दिल्ली जाना पड़ा.

उन्होंने मुझसे कहा- आप या तो यहां रुक जाना या स्वरा को वहां अपने घर ले जाना.
स्वरा ने कहा- मैं जीजा जी के घर जाऊंगी तो घर सूना हो जाएगा. जीजू यहीं रुक जाएंगे. एक रात की तो बात है.

ये बात सुनकर उन्होंने भी हां कर दी और मैं उन दोनों को बस पर छोड़ कर उनके घर दस बजे के करीब पहुंच गया.

स्वरा ने नाइट सूट पहना हुआ था. नीचे पज़ामा और ऊपर बटनों टी-शर्ट वाली.

तो स्वरा ने मुझसे कहा- जीजू आपको चेंज करना है, तो कर लीजिए, फिर आराम से बैठते हैं.
मैं बाथरूम में चेंज करने चला गया.

मैंने जानबूझकर बाथरूम का गेट पूरा बंद नहीं किया. जब मैं अन्दर गया तो अन्दर स्वरा की ब्रा टंगी हुई थी. मैं वहां उसकी ब्रा अपने लंड पर लपेट कर मुठ मारने लगा.

कुछ ही देर में मैंने अपने लंड का पानी ब्रा में निकाला और चेंज करके बाहर आ गया.

मुझे ये नहीं पता था कि उस ब्रा को थोड़ी देर में ही उठा कर मशीन में डालने वाली है.

मैं अन्दर बैठा था तो मैंने देखा कि वो बाथरूम में गई और उसने बाथरूम से कपड़े उठाए.
फिर उसने मेरी और थोड़ा अजीब सी नजरों से देखा. फिर वो वॉशिंग मशीन की तरफ चली गयी.

मैं समझ गया कि इसे पता चल चुका है कि मैंने इसकी ब्रा के साथ क्या किया है.

फिर वो कमरे में आ गई.
कमरे की लाइट्स ऑफ होने के बाद रूम में अंधेरा हो गया था.

हम दोनों ही बेड पर लेटे हुए बातें कर रहे थे.
बातों बातों में वो मुझे बताने लगी थी कि इनको सेक्स में कोई इंटरेस्ट ही नहीं है. मैं कुछ कहूँ तो उन्हें मेरी बात बुरी लगती है.

मैंने कहा- नहीं तुम नहीं कहा करो, तुम क्यों ये सब कह कर अपनी वैल्यू कम करती हो.
वो बोली- हां, अब मुझे उनसे कुछ नहीं कहना है. मुझे उनसे अब कोई शिकायत नहीं है.

उसकी ऐसी बातें सुनकर मेरा लंड पूरा कड़क हो गया था. मैंने अंडरवियर भी नहीं पहनी थी, तो पजामे में मेरा लंड तम्बू बना रहा था.

रात के 12.30 बज चुके थे और स्वरा को नींद आ चुकी थी.

फिर भी मैंने चैक करने के लिए उसको आवाज लगाई.
उसका कोई जवाब नहीं आया.
मुझे कुछ हिम्मत मिली और मैं धीरे धीरे सरक कर उसके पास चला गया.

वो चित सोई हुई थी और उसने अपने बदन पर चादर डाला हुआ था.
शायद एसी के कारण उसे ठंड लग रही थी.

मैंने चादर को धीरे से एक तरफ किया और जहां उसकी टी-शर्ट के बटन थे, वहां हल्के हाथों से बटन खोलने लगा.

उसकी शर्ट में बटन आराम से खुलने वाले थे, तो जरा सी कोशिश में ही उसके दो बटन खुल गए.

एसी की एलईडी की रोशनी कमरे में काफी उजियाला कर रही थी जिसमें से में मुझे उसका पेट साफ़ दिखाई देने लगा था.

फिर मैं ऊपर वाले बटनों की तरफ गया तो वो उसके फूले हुए मम्मों के कारण उधर के बटन काफी टाइट लगे थे.
मुझसे बड़ी मुश्किल में उसमें से एक ही बटन खुल पाया.

तभी वो हिलने लगी और करवट लेकर पलट गई.

मुझे बहुत खीज हुई क्योंकि मुझे उसके बूब्स टच करने थे और अब वो उस साइड मुँह करके सो गई थी.

फिर भी मैंने अपनी कोशिशें जारी रखीं और कुछ मिनट बाद उसकी पीठ तरफ से उसका पज़ामा नीचे करने की कोशिश करने लगा.

स्वरा की फूली हुई गांड होने के कारण पजामा ने नीचे उतरने से मना कर दिया और मुझसे झांट कुछ नहीं हो पाया.

अब जब तक वो वापिस नहीं मुड़ जाती, तब तक मेरे पास कोई रास्ता नहीं था.

थोड़ी ही देर बाद मुझे ऐसे लगा जैसे शायद उसको सुसु आई क्योंकि वो हिल रही थी और उठने की कोशिश में थी.
मैंने इसे एक मौक़ा माना और मैं फटाफट उठ कर वॉशरूम में चला गया.

बाथरूम का गेट बिना बंद किए मैं मूतने लगा. मैं इस तरह से खड़ा था कि मेरा लंड उसे दिख जाए.

एक मिनट बाद ही वो आंखें मसलती हुई जब बाथरूम के पास आई तो मैं अपने लंड को हिला रहा था.
उसने मेरे लंड को देखा और वो एक तरफ हो गई.

वो बोली- जीजू, गेट बंद नहीं किया आपने.
मैंने कहा- कोई और था नहीं घर पर, मुझे नहीं पता था कि तुम भी उठ जाओगी. गर्मी कुछ ज्यादा थी तो नहीं किया.
वो बोली- ओके.

कुछ पल बाद मैं बाहर आ गया और वो अन्दर चली गई.

उसने सुसु की और हम दोनों वापिस बेड में आ गए.
हम दोनों फिर से सोने लगे.

उस समय रात के 3 बजे से ज्यादा का समय हो गया था.
उसने ठंड की वजह से एसी बंद कर दिया था और चादर भी हटा दिया था.

वो जब सो गई तो मैंने उसके मम्मों को सहलाना शुरू किया.

उसका कोई विरोध नहीं हुआ तो मुझे हिम्मत आ गई.
मेरी सोच यही थी कि आज कैसे भी करके ये मौका नहीं छोड़ना है.

मैंने हल्के से उसको आवाज दी, ‘स्वरा …’
उसका कोई उत्तर नहीं आया.

मैंने फिर से उसे जगाया, तो वो नींद में ही बोली- हां जीजा जी.
मैंने कहा- स्वरा यार, मैं तुझे पसंद करता हूँ.

ये बात सुनकर वो हंसने भी लगी और शर्मा गई.

वो बोली- मैं नींद में इतनी भी बेसुध नहीं हूँ, जो मुझे पता नहीं चल रहा कि आप क्या कर रहे हो. पहले मेरी ब्रा में अपना पानी गिराया, फिर मेरी शर्ट के बटन खोले. मुझे सिड्यूस करने के बाद भी आपने कुछ नहीं किया और 3 बजा दिए.

मैंने कहा- क्या मतलब?
वो बोली- मुझे भी जरूरत है जीजू … बहुत दिन से मैं भी प्यासी हूँ.
इतना कहते ही वो मेरे गले लग गई और हम दोनों लिपकिस करने लगे.

वो मेरे ऊपर आ गई और उसने मेरी टी-शर्ट को उतार दिया. वो मेरे सीने को पागलों की तरह चूमने और चूसने लगी.

मैंने उसकी शर्ट को उतार दिया और वो ऊपर ब्रा में रह गई. मैंने उसका पज़ामा उतार कर उससे कहा- हनी 69 में आ जाओ.

उसके पति ने कभी उसकी चूत नहीं चाटी थी तो वो 69 समझ नहीं पा रही थी.

फिर मैंने खुद ही उसकी चूत की तरफ आकर उसकी चूत चाटी, तो वो कंट्रोल से बाहर हो गई. मैं लगा रहा और वो आंह आंह करती रही अपनी चूत मेरे मुँह में देती रही.

कुछ ही पलों में उसकी चूत का सारा पानी मेरे मुँह में आ गया.
वो झड़ कर मेरे बाजू में लेट गई.

कुछ मिनट बाद मैं नंगा हो गया और उसको गोदी में उठा कर उसे चूमने लगा.
मेरा लंड उसकी चूत में रगड़ मार रहा था.

उसने मेरे लंड को हाथ पकड़ कर रास्ता दिखाया और मैंने लंड चूत में डाल दिया.
वो आंह कह कर सिसक उठी.

उसकी चूत एकदम कसी हुई थी.
साले साहब का लंड एक तो छोटा था और काफी दिन से चूत में गया भी नहीं था.

कुछ देर की उन्ह आह के बाद वो चुदाई के पूरे मजे लेने लगी.

हमारी चुदाई धकापेल चलने लगी.
पहली बार का मामला था तो ये चुदाई 10 मिनट ही चली और मेरा लंड पानी छोड़ने को हो गया.

मैंने लंड चूत से निकला और पानी बाहर ही छोड़ दिया.
वो काफी खुश थी.

कुछ देर बाद हॉट फॅमिली पोर्न का दूसरा राउंड शुरू हो गया.
उस बार मैंने उसे हचक कर चोदा.
वो भी अपनी चूत को हर आसन में चुदवाने को मचल रही थी.

मैंने रात भर अपनी सलहज की चूत का मजा लिया.

पूरी रात चुदाई के चार राउंड करने के बाद हम दोनों काफी थक चुके थे.
स्वरा को भी नींद आ रही थी.

मैंने उसको सोने के लिए कहा और हम दोनों बिना कपड़ों के सो गए.
अगली सुबह मॉर्निंग जब मैं उठा तो देखा कि वह बिस्तर पर नहीं थी.

जब मैंने बाहर देखा, तो वो किचन में काम पर लगी हुई थी.

मैंने उसे आवाज लगाई और चाय बनाने के लिए कहा. मेरे दिमाग़ में अभी भी सेक्स करने की इच्छा चल रही थी.

मैंने उसके रूम में आने से पहले ही लंड सहलाना शुरू कर दिया था.

कुछ ही देर में वो अन्दर आई और मुझे लंड सहलाते देख कर मुस्कुराने लगी.

उसने कहा- जीजू, अभी तक शांत नहीं हुए आप!
मैंने कहा- तू है ही इतनी सेक्सी कि कंट्रोल करना मुश्किल है.

मेरी बात सुनकर वो मेरे पास आकर मुझे लिपकिस करने लगी.

मैंने उसे कपड़े उतारने के लिए कहा.
वो झट से अपना सलवार कुर्ता उतार कर मेरे पास आ गई.

उसने सिर्फ़ ब्लैक कलर की ब्रा डाल रखी थी.

मैंने उसे मेरे मुँह पर बैठने को कहा.
वो अपनी चूत चटवाने के लिए मेरे मुँह पर बैठ गई.

मैंने जीभ से उसकी फुद्दी चाटना शुरू कर दिया. मेरी जितनी जीभ अन्दर तक जा सकती थी, मैंने डालकर मजा लिया.

मेरी इस हरकत से वो फिर से चुदासी हो गई और मेरे मुँह से चूत हटा कर मेरे लंड को ज़ोर ज़ोर से चूसने लगी.

मैंने उसकी ब्रा को उतार दिया और उसकी चूचियों को ज़ोर ज़ोर से दबाना शुरू कर दिया.
वो और ज़्यादा गर्मा गई और मुझे लंड अन्दर डालने के लिए कहने लगी.

मैं झट से उसके ऊपर चढ़ गया और लंड सैट करके एक ही झटके में पूरी ताक़त से अपना लंड उसकी फुद्दी में उतार दिया.
वो ‘आह मर गई …’ कह कर सिहर उठी.

कुछ ही मिनट में ही उसको चरम सुख की प्राप्ति होने लगी और उसकी चूत से पानी बाहर बहने लगा.
वो चिल्लाने लगी.

मैंने भी देर ना करते हुए अपना लंड बाहर निकाला और उसके मम्मों पर मुठ मारने लगा, अपने लंड का सारा पानी उसके मम्मों और पेट पर निकाल दिया.
वो खुश हो गई.

उस दिन शाम को मेरे साले और सासू मां को वापस आना था.
मैंने ऑफिस से छुट्टी ले ली और तीन बजे तक अपनी सलहज को चोद चोद कर तृप्त कर दिया.

दोस्तो, इसके बाद भी हम जब भी अकेले में होते हैं, तो एक दूसरे साथ चुदाई कर लेते हैं.

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