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हाय Hindi sex stories , मैं एक 30 साल का आदमी हूं और दिल्ली मैं रहता हूं, मेरा एक दोस्त है जो कि रामपुर मैं रहता है और उसके भाई भाभी हलद्वानी मैं रहते हैं। वो पहले उसके ही साथ रहते थे पर अब कुछ चार साल से अलग रह रहे हैं।
ये कहानी करीब साढ़े चार साल पहले शुरु हुई थी मैं साल मैं एक या दो बार अपने दोस्त से मिलने उसके घर जाता था, सफ़र को पास करने के लिये मैं अक्सर नोवेल या सेक्स स्टोरी बुक्स ले लेता था। अपने दोस्त के पस्स जाने के बाद मैं अपना बेग ऐसे ही रख देता था पर एक दिन जब मैंने अपना बेग खोला तो मुझे अपनी सेक्स स्टोरी बुक नहीं दिखाई दी।
तब मैंने अपने दोस्त से पूछा तो उसने मना कर दिया कि उसने नहीं ली है तभी थोड़ी देर बाद उसकी भाभी जिसका नाम पूजा(नाम बदला हुआ) था वो बोली कि तुम क्या ढूंढ रहो हो तब मैंने कहा कि मेरे एक किताब नहीं मिल रही है तब उसने कहा की कहीं तुम इस किताब को तो नहीं ढूंढ रहे हो तो मैं उसके हाथ मैं किताब देख कर चौंक गया तब उसने कहा कि मैं तो अकसर ही तुम्हारे बेग से किताब निकाल कर पढ़ती हूं पर इस बार तुम्हे पता चल गया।
इस तरह से उससे मेरा खुला हंसी मजाक (सेक्सी भी) शुरु हो गया। फिर कुछ दिनो बाद मेरे दोस्त के भाई और भाभी हलद्वानी चले गये।
फिर जब मैं करीब छह महीने के बाद अपने दोस्त के यहां गया तो दोस्त से मिलने के बाद मैं हलद्वानी चला गया अपनी पूजा से मिलने। वहां जा कर देखा तो मेरे दोस्त का भाई टूर पर गया हुआ था पर पूजा मुझे देख कर बहुत ही खुश हुई।
अब मैं समझ गया कि आज बहुत कुछ हो सकता है। पहले तो हम आपस मैं हंसी मजाक करते रहे फिर रात का खाना खाने के बाद उसने मेरा बिस्तर गेस्ट रूम मैं लगा दिया और खुद अपने बच्चे को लेकर अपने बेडरूम मैं चली गयी।
थोड़ी देर बाद वो मेरे रूम मैं दूध लेकर आयी तब मैं उसे देखता ही रह गया क्योंकि उस वक्त उसने हालांकि सलवार सूट पहन रखा था पर वो उस वक्त क्या लग रही थी मैं बयाँनहीं कर सकता। उसने मुझे एक नोटी स्माइल के साथ दूध दिया तो मैंने मजाक मैं कहा कि मुझे तो दो चूची वाली गाय का दूध पीना है। तब उसने हंस कर कहा कि पहले तुम इस तो पी लो फिर देखा जायेगा।
तब मैंने मन में सोचा कि आज तो मैं तुझे चोद कर ही रहुंगा। फिर दूध पीने के बाद वो मेरे पास आ कर बैठ गयी और मुझसे मजाक करने लगी तब मैंने कहा कि अब मुझे दो चूची वाली गाय का दूध पीना है तब उसने कहा कि मैंने कब मना किया है पर तुम्ही देर रहे हो।
सोरी दोस्तों, अभी मेरे बोस ओफ़िस में आ रहे हैं इस लिये मैं अपनी Hindi sex stories अधूरी छोड़ रहा हूं शेष जल्दी ही।
बीकानेर के होटल में एक ही Hindi Sex Stories रात में तीन बार मेरी गाण्ड मारने के बाद बड़े जीजाजी को एक सप्ताह तक फ़िर मेरी गाण्ड मारने का मौका ना मिल सका। उन्होंने कई बार मौका निकाला पर वह सफ़ल नहीं हो सके।
हालांकि मुझे गाण्ड मराने में आनन्द तो आया था परन्तु मुझे यह सब अच्छा नहीं लगा था। मन में डर भी था। सेक्स के बारे में मुझे उस समय कोई जानकारी भी नही थी । पहली बार मैंने मुत्तु (लण्ड) और गांड का ऐसा उपयोग होते देखा था। गाण्ड के छेद में लण्ड घुसने पर मुझे बड़े जोर का दर्द होता था तथा टायलेट में भी तकलीफ होती थी इसलिए गांड मराने में मजा आने के बाद भी मैं बड़े जीजाजी से बच के रहता था पर वह कहाँ मानने वाले थे। उन्होंने मौका निकाल ही लिया।
जंगल की सैर कराने के बहाने वह मुझे अपने साथ जंगल ले आए। सुबह सुबह वह और मैं जीप से जंगल के लिए निकले। करीब चार घंटे के सफर के बाद हम जंगल में उनकी ड्यूटी-पॉइंट पर पहुँचे। यह बड़ी ही खूबसूरत जगह थी। बीच जंगल में उनके रहने के लिए दो वृक्षो पर जमीन से करीब दस फीट ऊपर लकड़ी का दो कमरों वाला मकान बना था, जिसमें उपयोग के लिए सभी सामान था। बड़े जीजाजी जब भी जंगल में रहते वह इसी काष्ठ-घर में रुकते थे।
उन्होंने अपनी सेवा के लिए दो छोकरे रख रखे थे उनमें से एक नेपाली था तथा एक आदिवासी, लेकिन दोनों ही चिकने और आकर्षक थे। नेपाली का नाम शिव था तथा आदिवासी लड़के का नम शायद मथारू था। उनकी चाल ढाल देख कर ही मुझे लगा कि जीजाजी ने गांड मारने के लिए ही इन्हें रख रखा है।
जंगल में पहुँच कर जीजाजी ने दोनों से खाने की व्यवस्था करने को कहा तथा मुझे लेकर वह ऊपर कमरे में आ गए। आते ही वह बोले- योगेश तुम नहा कर तैयार हो जाओ।
मैं नहाने के लिए बाथरूम में चला गया पर वहां दरवाजा नहीं था, सिर्फ़ एक परदा लगा था। मैं नहाने लगा, तभी जीजाजी भी वहां आ गए। उन्होंने मुझे पकड़ कर मेरी चड्डी उतार दी तथा मेरी पीठ, जांघ और गाण्ड पर साबुन मलने लगे। बीच बीच में वह मेरी मुत्तु को भी सहला देते तथा मेरे गाण्ड के छेद में भी साबुन भर कर उंगली डाल देते।
मुंह पर साबुन लगा होने के कारण मेरी आँखें बंद थी। मैंने महसूस किया कि जीजाजी भी पूरी तरह नंगे हैं तथा मेरा हाथ पकड़ कर वह अपने लण्ड को सहला रहे हैं। मैंने पहली बार उनका लण्ड पकड़ा था। उसकी लम्बाई और मोटापन महसूस कर मैं डर सा गया कि इतना बड़ा और मोटा लण्ड कैसे मेरे छोटे से छेद में घुस जाता है।
जब उनका लण्ड पूरे जोश में आ गया तो उन्होंने थोड़ा और साबुन मेरे गाण्ड के छेद में लगा दिया तथा अपने लण्ड को मेरे छेद से टिका दिया।
उन्होंने एक जोर का धक्का दिया लण्ड का सुपारा अब मेरी गांड के अन्दर था। दर्द के मारे मेरी चीख निकल गई। बेरहम जीजाजी ने मेरी गाण्ड को थोड़ा सा दबाया और दोनों दोनों फांको को फैला कर छेद में अपना पूरा लण्ड घुसेड़ दिया तथा धीरे धीरे धक्के लगाने लगे।
थोड़े दर्द के बाद अब मुझे भी मजा आने लगा। जीजाजी पूरे जोश में थे। मुझे घोड़ा बनाकर लगातार लण्ड अन्दर बाहर कर रहे थे। बाथरूम फच फच की आवाज़ से गूँज रहा था। 15 मिनट बाद उन्होंने पिचकारी मेरे गाण्ड के छेद में ही छोड़ दी। उन्होंने ही मेरी गाण्ड साफ की तथा नहलाया। नहाने के बाद उन्होंने पूछा- योगी मजा आया। में शरमा गया, कोई जवाब नही दिया।
इसी बीच शिव और मथारू ने खाना तैयार कर लिया था। खाना खाने के बाद जीजाजी ने थोड़ी देर आराम किया। मुझे भी अपने पास लिटा कर मेरे लण्ड को सहलाया तथा उसे मसला भी। मेरे गाण्ड के छेद में उंगली डाली, मुझे मजा तो आ रहा था पर न जाने क्यूँ यह सब मुझे बहुत अच्छा नहीं लगा। उन्होंने मेरा हाथ पकड़ कर अपने लण्ड पर रख दिया। वह पूरी तरह तन्नाया हुआ था।
उन्होंने मेरे मुत्तु को मसला तथा फिर मुझे तिरछा कर मेरी चड्डी नीच खिसका दी और मेरे गाण्ड के छेद में उंगली करने लगे। फिर उन्होंने कोई तेल मेरे छेद पर मला तथा अपने लण्ड पर भी लगाया। तिरछा लेटे होने के कारण वह मेरी गांड में अपना लण्ड नहीं घुसा पा रहे थे।
उन्होंने मुझे पलट कर उल्टा कर दिया तथा वह मेरी टांगों के बीच में आकर बैठ गए। मेरे दोनों गाण्ड को मसला तथा उन्हें फैला कर मेरी गांड के छेद में एक जोर का धक्का मार कर एक ही बार में पूरा का पूरा लण्ड घुसेड़ दिया।
मैं दर्द से बिलबिला उठा। मेरी चीख निकल गई पर वह नहीं माने। वह लगातार धक्के पर धक्के मरे जा रहे थे। मुझे मजा तो आने लगा पर मेरे आंसू भी भी निकले। करीब 15 मिनट बाद वह झड़ गए और सारे का सारा रस मेरे गाण्ड के छेद में ही निकाल दिया।
जंगल में जीजाजी का चार दिन रुकने का प्रोग्राम था। दो घंटो में ही उन्होंने दो बार मेरी गांड मार ली। मैंने मन ही मन हिसाब लगाया कि यदि जीजाजी ने इसी रफ्तार से मेरी गांड मारी तो मैं तो मर ही जाऊंगा। उनका मोटा लण्ड घुसते समय बड़ा दर्द देता था तथा मेरी गांड से खून भी निकाल आता था। लेकिन मेरे पास कोई चारा नहीं था चुपचाप गांड मराते रहने के।
पहले ही दिन संध्या समय तक जीजाजी ने एक बार मेरी गांड और मारी तब वह मुझे जंगल की सैर कराने ले गए। जंगल काफी खूबसूरत था। प्राकृतिक सुन्दरता, हिरण, बारहसिंगे, नीलगाय और मोर देख कर मन खुश हो गया।
लौटते लौटते रात के आठ बज गए। खाना तैयार था। हमने खाना खाया और मैं सोने के लिए लेट गया। मैं बहुत थक भी गया था। पर जीजाजी तो मेरी गांड का भुरता बनाने पर तुले थे। उस रात उन्होंने चार बार और मेरी गांड मारी। मेरी गांड का छेद फूल कर कुप्पा हो गया। पर मैं कर भी क्या सकता था। जंगल में मेरी सुनने वाला भी कोई नहीं था। वैसे भी मैं यह सब किसी से कह भी नहीं सकता था।
अगले दिन मेरी किस्मत से ख़बर आई कि जंगल में एक वन-रक्षक पर भालू ने हमला कर दिया है। जीजाजी को सुबह सुबह ही वहां जाना पड़ा। मैंने रहत की साँस ली। पर क्या मैं सचमुच राहत की साँस ले पाया, पढ़िये अगले अंक में…Hindi Sex Stories
सभी अन्तर्वासना के पाठकों Hindi Sex Stories को सुरेश का एक बार फिर नमस्कार ! मुझे आप लोगों की काफी ईमेल मिली और मैंने भी सभी को जवाब दिया। मैं आज आपको अपने जीवन का एक और वाकया बताना चाहता हूँ जो मेरे साथ कुछ ही दिन पहले हुआ।
एक दिन सुबह मेरे दोस्त राज का फ़ोन आया- सुरेश ! आज एक जुगाड़ आया है, अगर तुम अपना गैंगबैंग करना चाहते हो तो तुंरत फार्म हाउस आ जाओ !
शनिवार का दिन था, मैं भी फ्री था, मैंने अपनी गाड़ी उठाई और उसके फार्म-हाउस पहुँच गया। वहाँ राज और विकी पहले से ही मौजूद थे और शराब का दौर चल रहा था। उनके साथ एक बहुत ही सुंदर और सेक्सी लड़की बैठी थी। उन्होंने मुझे भी शामिल होने के लिए कहा और मैं भी उनके साथ बैठ गया और बीयर का कैन ले लिया। उन्होंने मुझे उस लड़की से परिचय कराया। उसका नाम रीना था। वो गुडगाँव के किसी कॉल-सेण्टर में काम करती थी और पार्ट-टाइम यह काम भी करती थी। लड़की काफी बोल्ड थी- एकदम बिंदास स्मोकिंग और ड्रिंकिंग कर रही थी और काफी घुलमिल कर बात कर रही थी, ऐसा नहीं लग रहा था कि वहाँ कोई अनजाना हो !
विकी ने उसको अपने पास बुलाया और उसके होठों को चूसना शुरू कर दिया। इसी दौरान राज से भी नहीं रुका गया और उसने उसकी शर्ट के बटन खोलने शुरू कर दिये। मैं भी इंसान था, मैं भी कण्ट्रोल से बाहर हो रहा था, सो मैंने भी उसकी स्कर्ट की तरफ कूच किया और उसको खोल दिया। कुछ ही सेकंडो में वो गुलाबी ब्रा और चड्डी में थी। हमने भी अपने कपड़े उतार दिये और उसको चूमने लगे। जिसको जो मिला उसने वहीं अपना काम शुरू कर दिया। उसकी टांगों को मैं किस कर रहा था, स्तन राज के कब्जे में थे, होठों पर विकी का कब्जा था। सब अपने काम में मस्त थे। बंदी(लड़की) भी सभी को पूरा साथ दी रही थी। बिल्कुल वैक्सिंग किया हुआ जिस्म था। ऐसा लगा जैसे किसी स्वर्ग की अप्सरा के जिस्म पर तीन शैतान टूट पड़े हों।
लेकिन वो भी पूरा एन्जॉय कर रही थी। मैंने उसकी चड्डी उतार दी। राज ने उसकी ब्रा खोल दी। उसका प्रेम-छिद्र मेरी नजरों के सामने था। एकदम गुलाबी रंग की चूत देख कर मेरा मन करने लगा कि इसको चूस लूँ !
मैं यह सोच ही रहा था कि उसने मेरा सर पकड़ कर अपनी चूत पर मेरा मुँह लगा दिया। मेरी झिझक ख़त्म हो चुकी थी और मैं उसकी चूत को अपनी जीभ से चोदने लगा। वो भी मेरे सर को पकड़ कर जोर-जोर से अपनी चूत पर रगड़ने लगी। ऊपर राज उसके दोनों स्तन चूस रहा था। विकी जाने क्यों उसके होठों पर ही लगा हुआ था। पांच मिनट में ही उसकी चूत में से पानी आने लगा और वो एकदम से झड़ गई।
तभी विकी ने अपना लंड निकाला और उसके मुँह में डाल दिया और वो उसको लॉलीपॉप की तरह चूसने लगी। देखने से ही लगता था कि वो चूसने में कितनी अनुभवी है। मैंने भी अपना लंड निकला और उसकी चूत में घुसा दिया। अब राज बेचारा अपना लंड हाथ में पकड़ कर खड़ा हो गया और बोला- मैं कहाँ डालूँ ?
तभी रीना ने कहा- अभी एक छेद बाकी है !
अब बेचारे ने तेल लगाकर अपना लंड तैयार किया। मैं नीचे लेट गया, रीना मेरे लंड पर आ गई, विकी मेरे सर की तरफ खड़ा हो गया और अपना लण्ड उसके मुँह में डाल दिया। अब राज के लिये रास्ता खुला था। उसने तेल लगाकर अपना लंड उसकी गांड में डालना शुरू किया तो वो चिल्लाने लगी, गालियाँ देने लगी- बहनचोद ! धीरे घुसा ! फाड़ेगा क्या भोसड़ी के ?
पर बहुत देर हो चुकी थी, उस हरामी ने अपना लंड उसकी गांड में घुसा दिया था। अब वो और मैं दोनों धीरे-धीरे अपने लंड को अंदर- बाहर करने लगे। जब वो अंदर करता तो मैं बाहर और जब मैं अंदर तो वो बाहर ! रीना बहुत मस्त तरीके से अपनी गांड आगे पीछे करके हमारे दोनों लंड ले रही थी। वो पागलों की तरह गालियाँ देती जा रही थी और कह रही थी- बहुत मजा आ रहा है बहनचोदो ! मुझे चोदने में असली मजा तो सालो मुझे आ रहा है तीनो का लंड एक साथ लेने में !
अब हमारी भी हिम्मत और स्पीड धीरे-धीरे तेज होने लगी और हम तीनों ने आपस में कहा कि एक साथ तीनों करेंगे और हमने अपना सारा माल एक साथ उसकी चूत, गांड और मुँह में डाल दिया और रीना भी दूसरी बार स्खलित हुई !
कुछ देर उसी हालत में रहने के बाद हमने अपना लंड बाहर निकाला। रीना भी काफी थकी सी लग रही थी। हम बाथरूम में गए और अपना लंड धोकर फ़िर दारू पीने लगे। तभी राज ने डीवीडी पर एक नग्न मूवी लगा दी और हमारा मूड दोबारा बनाने लगा।
दस ही मिनट बाद हम दोबारा बिस्तर पे थे। इस बार मुझे रीना की गांड मिली, राज ने उसके मुँह पर कब्जा किया और विकी ने उसकी चूत पर !
और हम फिर शुरू हो गए ! इस बार का राउंड लगभग चालीस मिनट तक चला। इस दौरान रीना तीन बार झड़ी और हम भी अपना सारा माल उसके तीनों छेदों में डाल कर झड़ गए !
हमने होटल से लंच मंगवाया और चारो ने मिलकर बिना कपड़े पहने नंगे ही खाया।
एक घंटा आराम करने के बाद अब हम तीसरे राउंड के लिये तैयार थे !
इस बार मेरा लंड रीना के मुँह में था, राज के लंड ने चूत के दर्शन किये, विकी अब गांड मार रहा था। इस बार चुदाई साठ मिनट तक चली।
रीना बहुत ही हिम्मत वाली लड़की थी जो हम तीनों का पूरा साथ दिए जा रही थी, गजब की चुदासु थी वो, और हम भी चोदूओं की तरह उसको चोदे जा रहे थे। उसकी चूत एकदम फूल कर डबलरोटी जैसी हो गई थी, उसका मुँह लाल हो चुका था, गांड बिल्कुल खुल चुकी थी, पर वो थी कि चुदवाए जा रही थी और हम थे कि चोदे जा रहे थे। साठ मिनट में वो पाँच बार और झड़ी और हम तीनों तीसरी बार फिर एकसाथ उसके तीनों छेदों में झड़ गए।उसके तीनों छेदों में से वीर्य बाहर निकल रहा था। बिस्तर को देख कर ऐसा लगता था कि जैसे कुश्ती का मैच हुआ हो !
हम चारो बिल्कुल थक चुके थे ! हम सो गए। हमारी आँख शाम को आठ बजे खुली। तब रीना सिगरेट पी रही थी, वो बोली- अब मेरे जाने का समय हो गया है, सो मेरी पेमेंट कर दो। राज ने एक दस हज़ार की गड्डी निकाली और उसको दे दी और उसने ख़ुशी-खुशी वो अपने पर्स में डाल ली और बोली- मुझे राजीव चौक पर ड्राप कर दो !
मैंने अपनी गाडी स्टार्ट की और उसको राजीव चौक पर ड्राप करने चल पड़ा।
रास्ते में मैंने उससे पूछा- तुम यह सब किसी मजबूरी में करती हो या क्या कारण है?
तो वो बोली- कुछ मुझे शौक है, कुछ मज़बूरी भी !
उसने बताया कि उसको कई बार उसके बॉय-फ्रेंडस ने चोदा है, वो भी मुफ़्त में ! तो अगर चुदना ही है तो पैसा लेकर चुदा जाए ताकि आम के आम और गुठलियों के दाम ! तो क्या बुरा है ! मेरे पास उसकी इस बात का कोई जवाब नहीं था, सो राजीव चौक पहुँच कर मैंने उसको हज़ार के पाँच नोट और दिये और गुड बाय किस करके दोबारा मिलने का वादा करके मैं अपने घर आ गया।
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हाय … मेरा नाम संजू है…और आप सबो Sex Stories की फड़कती चूतों और भटकते लंडों को मेरे लौडे का सलाम..
मैं एक सॉफ्टवेर इंजिनियर हूँ और बंगलोर में जॉब कर रहा हूँ.
मै बहुत गोरा हूँ और लोग कहते हैं कि मै बहुत ही स्मार्ट और डैशिंग हूँ, और शायद इसी वज़ह से मै कॉलेज में बहुत सारी लड़कियों का कृश भी था.. मेरी हाईट ज्यादा नही है बस ५’ ५” ही है पर मेरी कुछ फ्रेंड कहती है की अगर मेरी हाईट थोडी और होती तो मै अच्छे अच्छो की छुटी कर देता.. खैर ये सब छोड़ कर मै कहानी पर आता हूँ.
बात उस समय की है जब मै कॉलेज में फिनल इयर का था (आज से लगभग ६ महीने पहले ) और उस समय मेरे फाइनल इयर प्रोजेक्ट का काम चल रहा था। कम्प्यूटर साइंस का स्टुडेंट होने क वजह से प्रोजेक्ट क लिए मुझे इन्टरनेट पे काफी समय बिताना पड़ता था. चूंकि कंप्यूटर मेरे फ्लैट पर ही थी इसलिए बोर होने पर मै चैटिंग करता था. एक बार मुझे चैटिंग करते समय एक लड़की मिली। उसने अपना नाम कृति बताया. वो वस्तुतः गुजरात की रहने वाली थी पर फिलहाल मुंबई में पढ़ रही थी. धीरे धीरे हमारी अच्छी दोस्ती हो गई. बाद में उस से फ़ोन पर बातें भी होने लगी.. हम लोग आपस में हर तरह की बातें करने लगे थे पर मैंने कभी लिमिट क्रॉस करने की कोशिश नही की.
जब मेरे एग्जाम ख़त्म हुए तो मै कोल्हापुर से वापस घर जाने वाला था. मै झारखण्ड का बोकारो का रहने वाला हूँ और ट्रेन पकड़ने के लिए या तो मुझे पुणे या फ़िर बॉम्बे जाना पड़ता था. जब ये बात कृति को पता चली तो उसने मुझसे जिद की कि मै ट्रेन मुंबई से ही पकडू. हालांकि मेरी ट्रेन मुंबई से ही थी पर मैने उस से झूठ बोल दिया कि मेरी ट्रेन पुणे से है. इस बात से वो नाराज़ हो गई और फिर फ़ोन काट दिया. मैंने सोचा- भोंसडे में जाने दे उसको और वापस कॉल नही किया.
जब मै वापस लौट रहा था तब अचानक उसका कॉल आया. चूंकि मेरी ट्रेन उस समय महाराष्ट्र में एंटर कर चुकी थी इसलिए रोमिंग की प्रॉब्लम ना होने कि वजह से मैंने फ़ोन रिसीव किया. उसने मुझे अपने उस दिन के बिहेवियर के लिए सॉरी बोला. उसने मुझ से बोला कि वो मेरे से बहुत मिलना चाहती है. मैंने बताया कि मै थोडी देर में कल्याण स्टेशन पहुचने वाला हूँ. यह सुन कर उसकी खुशी का ठिकाना न रहा.. उसने मेरा ट्रेन और बोगी नम्बर पूछा और बताया कि वो मेरे से मिलने आने वाली है. मैंने भी उसे मना नहीं किया, सोचा चलो मिल लेते है वरना फ़िर से इसकी खिट पिट सुननी पड़ेगी..
थोडी देर में ट्रेन मुंबई के कल्याण स्टेशन पर पहुच गई. मै प्लेटफ़ार्म पे उसका इंतज़ार करने लगा. मैंने देखा सामने एक धूप जैसी गोरी चिट्टी लड़की खड़ी है और किसी का इंतज़ार कर रही है. उसके सुनहरे बाल, बड़े बड़े मम्मे और स्लिम फिगर मुझ पे क़यामत ढहा रही थी खैर ये सोच कर कि ये चूत मेरे लंड के नसीब में नही मै वापस कृति का इन्तज़ार करने लगा. तभी उसका कॉल आया कि मै कहा पर हूँ मैंने जगह बताई और बताया कि मै सफ़ेद टी शर्ट और ब्लू जींस पहना हूं और हाथ में ब्लू कलर कि ट्रोली वाली बैग है. मैंने अभी फ़ोन काटा ही था कि देखा वो लड़की जो सामने खड़ी थी मेरे सामने मुस्कुरा रही है. मै हैरान था !! उसने नजाकत से मुझ से पूछा- आर यू संजू? मैंने बोला “या…क्या बात है !!!” उसने अपना हाथ बढाया और बोली “दिस इस कृति .. ” मै ये सुन कर थोडी देर क लिए ठंडा पड़ गया.. मुझे अब भी विश्वास नही हो रहा था कि मै इतना खुश नसीब हूं.
खैर उसने मुझे हग किया और मेरे हाथ में हाथ डाल कर स्टेशन के बाहर ले जाने लगी. मै अपनी ही दुनिया में था. वो बहुत कुछ बोल रही थी पर मुझे कुछ सुनाई नही दे रहा था। मै बस उसके स्पर्श को महसूस कर रहा था और उसकी पर्फ़्यूम की खुशबू मुझे दीवाना बना रही थी. जब मैं होश में आया तो मैंने पाया कि मै एक रेस्टोरेंट के सामने खड़ा हूं और वो मुझ से पूछ रही है कि मुझे क्या हुआ ? मैंने बोला नही बस थका हुआ हूं और कोई बात नही.. उसके बाद हम अन्दर गए और उसने एक कार्नर वाली टेबल पर बैठने को कहा. हम लोग बैठ गए और इधर उधर की बातें करने लगे.
तभी उसने मुझे कहा कि संजू ! एक बात बोलूं तुम्हे बुरा तो नही लगेगा .. मैंने बोला बोलो मुझे बुरा नही लगेगा.. उसने बोला कि तुम वाकई बहुत ही स्मार्ट और होट हो और अपने लिप्स पे हाथ रख कर खिलखिला कर हस पड़ी. मुझे लग रहा था कि वो मुझ पे काला जादू कर रही है और मै उसकी गिरफ्त में फ़ंसता जा रहा हूँ. उसकी खूबसूरती, उसकी हंसी .. उफ़ कमाल की थी.. मै भी हंस पड़ा उसकी इस बात पे .. मैंने फ़िर उस से कहा कि कृति मै थोड़ा फेस धो कर आता हूं.. और मै वाश रूम चला गया.. जब मै वापस आया तो देखा कि टेबल पर पहले से ही खाना रखा है. मै हैरान था कि उसे मेरे पसंद के बारे में कैसे मालूम था. तभी कृति ने बोला हैरान मत हो तुम ने मुझे फ़ोन पर बताया था कि तुम्हे ये सब काफी पसंद है.. और फ़िर उसकी फुलझड़ी वाली हंसी…उफ्फ्फ्फ्फ़
अब हम खाना खा रहे थे हंसी मजाक चल रहा था तभी मैंने उसे बताया कि मै रात की बस से कोल्हापुर जा रहा हूं. उसने मुझे बहुत इन्सिस्ट किया कि आज मै उसके एक फ्लैट पर रुक जाऊं और कल चला जाऊं. पर मैंने साफ़ मना कर दिया. वो फ़िर से उदास दिख रही थी..थोडी देर बाद उसने कहा कि ठीक है पर अगर मेरे फ्लैट पर आने में तुम्हे प्रॉब्लम है तो तुम्हे वादा करना पड़ेगा कि तुम दिन भर मेरे साथ रहोगे और हम फ़िर साथ में मूवी देखने चलेंगे.. मै राज़ी हो गया.. पर प्रॉब्लम ये थी कि मेरे पास लगेज थी और मै वो ले कर घूम नही सकता था और मै थका हुआ भी था इसलिए मैंने एक होटल में फ्रेश होने और लगेज रखने के लिए रूम बुक किया.. कृति मेरे साथ ही थी.. रूम बहुत ही साफ़ सुथरा था होता भी क्यों नही कृति को इम्प्रेस करने के लिए सबसे महंगे वाला ए सी रूम जो बुक किया था।
रूम में आते ही मै बेड पर लेट गया्। बिस्तर बहुत ही नर्म था. कृति भी मेरे बगल में बैठ गई और मुझे जिद करने लगी कि मै ज़ल्दी से फ्रेश हो जाऊं. मै उठा अपनी बैग खोला तौलिया निकाला और बाथरूम में नहाने चला गया..कृति वहीं टीवी देख रही थी। जब मै वापस निकला तब मै सिर्फ़ टी शर्ट और टोवेल पहना हुआ था, बाल गीले थे, और कृति मुझे देखे जा रही थी..
मैंने उससे पूछा क्या हुआ , वो कुछ नही बोली बस मुस्कुरा दी… फ़िर वो मेरे पास आई और उसने मेरे लिप्स पे अपने लिप्स लाक कर दिए और मुझे समूच करने लगी.. मै बिल्कुल जम गया था … वो मुझे पागलो कि तरह समूच किए जा रही थी..फ़िर मै भी गरम हो चुका था… और मै उसको हर जगह किस करने लगा…चूंकि मैंने सिर्फ़ टोवेल पहना था इसलिए वो कब खुल गई मुझे पता ही नही चला…
उसने अचानक मुझे बिस्तर पर धक्का दिया और मेरे लंड को एक ही झटके में अपने मुंह में भर कर ब्लो जॉब करने लगी मुझे ऐसा लग रहा था जैसी वो मेरे लंड से मेरे शरीर की सारी शक्ति चूसे जा रही हो . चूंकि ये सब मै पहली बार महसूस कर रहा था इसलिए मुझे लग रहा था कि मै बादलों पर आसमान में तैर रहा हूँ .. अचानक मेरे शरीर में कम्पन हुई तब जा के मुझे आभास हुआ कि मै झड़ चुका हूं . मैंने कृति को देखा कि मेरे स्पर्म्स उसके पूरे चेहरे पर गिरे हैं और वो कातिल मुस्कान के साथ मुझे देख रही.. है..
अब मेरी बारी थी वही पड़े टोवेल से मैंने उसका चेहरा पौंछा..और वापस समूच करने लगा… धीरे धीरे मै उसकी बूब्स को ग्रीन टॉप के ऊपर से ही दबाने लगा.. फ़िर एक ही झटके में उसकी टॉप निकाल कर फेक दी. ब्लैक ब्रा के अंदर उसका चंडी जैसा शरीर मनो क़यामत ढाने को अमादा था .. मै दो मिनट उसके शरीर को देखता ही रहा.. ब्लैक ब्रा के अन्दर जब उसकी तेज धड़कने अपनी रफ़्तार पकड़ रही थी तो ऐसा लग रहा था मनो उसके मम्मे ब्रा से बाहर नही बल्कि कोई आइस क्रीम पिघल कर सोफ्टी कप से बाहर टपकने वाली है.. तब मुझे अहसास हुआ कि अब मैंने अगर कृति के शरीर को कपड़ो से आज़ाद नही किया तो प्रलय आ जाएगा..
मैंने बिजली कि तेजी से उसके ब्रा, जींस और ब्लैक कलर की पैंटी उसके शरीर से निकाल फेंकी .. यकींन मानिए वो बिना कपड़ो में जब वो अपने हाथो से अपनी चुच्ची और जान्घों में अपनी बुर छुपा रही थी तो ऐसा लगा रहा था मनो कोई संगमरमर कि बनी अप्सरा कि मादक मूर्ति मेरे सामने रखी हुई हो .. अब तक मै अपने भी सारे कपड़े उतार चुका था..मै सीधा उसके पास गया .. वो अपने हाथो से अपने चेहरे को छुपाने की नाकाम कोशिश करने लगी.. मैंने अपने दोनों हाथो से उस के गालो को उठाया और पहली बार उसके खूबसूरती की तारीफ की… मैंने बोला “कृति .. सचमुच तुम बला की ख़ूबसूरत हो और मुझे विश्वास नही हो रहा कि तुम्हारे जैसी लड़की मेरी बाँहों में है.. “.
कृति ने फ़िर से मेरे ललाट पे चूम कर बोला “..संजू तुम्हे शायद पता नही कि तुम क्या हो.. तुम्हे पाने के लिए कोई भी लड़की अपना शरीर तुम्हे सौप देगी.. और मै तो तुम्हे दिल से प्यार करती हूं.. भला नै तुम्हे कैसे रोक सकती हूं ??” और उसके आँखों में आंसू आ गए..!! मै अपने लिए उसके दिल में इतना प्यार देख कर हैरान था .. मैंने उसे गले से लगा लिया… अब मेरे हाथ उसके मम्मो पर सरक रहे थे और उसके निप्पल सखत हो गई थी.. मैंने देर करना बिल्कुल मुनासिब नही समझा अब मै उसकी निप्पलों को चूस रहा था और एक हाथ मेरा उसकी जांघों के बीच उसकी गहराई को नाप रहा था… उसका लव होल बहुत ही गीला हो चुका था… अब हम दोनों तड़प रहे थे … मैंने अपना लंड उसकी चूत पर रखा और धक्का दिया ..मेरा ६” का लंड उसके बूर के अन्दर आधा जा चुका था. मैंने महसूस किया कि दर्द के मारे उसके आँखों से आंसू निकल आए थे .. मैंने उसके गालो को चूम कर पूछा “ज्यादा दर्द हो रहा है..?”, उसने जवाब दिया “इस दर्द को पाने के लिए हर लड़की जवान होती है.. इस दर्द को पाए बिना हर यौवन अधूरा है “.
मै उसकी इस जवाब पे बस मुस्कुरा ही पाया क्योंकि मेरे पास बोलने को कुछ था ही नही.. वो मुझ में लिपटी हुई थी…और मै उसे चूम रहा था…वो मेरे नीचे थी और अपने पैरो को मेरे कमर के इर्द गिर्द लपेटे हुए थी मनो कोई सर्पिनी चंदन के पेड़ को अपने कुंडली से कसी हो..अब मैंने धीरे धीरे अपनी रफ़्तार तेज कर दी… पूरे रूम में मादक माहौल था… परदे के बीच से आती सूर्य कि रौशनी जब उसके चाँद से चेहरे पे पड़ रही थी तो मानो ऐसा लग रहा था कि मै चाँद को अपने बाँहों में समेट रखा हूँ… हमारी सिसकारियां कमरे में ऐसे गूंज रही थी मानो जलजला आने से पहले बदल गरज रहे हो… वो जलजला जल्द ही आया जब मै अपने कमर की हरकतों कि वजह से चरम सीमा पे पहुचने वाला था .. उधर कृति भी मुझे बोल रही थी…”.. संजू प्लीज और जोर से..और जोर से …मेरे शरीर में अजीब सी हलचल हो रही है “… मै समझ गया कि वो भी चरम सीमा पे है…इस पर मैंने अपनी रफ्तार काफी तेज कर दी देखते ही देखते हम उफान पर थे और सैलाब बस फूटने ही वाला था कि मैंने अपना लंड बाहर निकला और मानो मेरे लंड से कोई झरना फ़ूट पड़ा हो.. मै वापस उसके बाँहों में निढाल हो गया ..
बहुत देर बाद जब मै उठा और देखा कि कृति की जांघों पर खून गिरा है तब मै समझ गया कि वो अभी तक अन्छुई थी .. मुझे ये देख कर अपने किस्मत पर गर्व हो रहा था और साथ ही साथ कृति के लिए मेरे दिल में इज्ज़त काफी बढ़ गई थी ..क्योंकि वो ऐसी लड़की नही थी कि किसी को भी अपना शरीर सौप दे .. इतने दिनों से अकेले मुंबई में रहने के बाद भी वो आज तक अन्छुई थी…
मैंने पास में पड़े टिशु पेपर उठाया और उसके बूर के ऊपर लगे खून को साफ़ करने लगा..जब खून साफ़ हुआ तो मैंने एक बात गौर की और मुस्कुराने लगा .. कृति ने मुझ से पूछा कि”… तुम क्या सोच कर मुस्कुरा रहे हो ..” मैंने उसके बिल्कुल बिना बाल के गुलाब की पंखुड़ियों सी वेजिना लिप्स पर किस कर के बोला… ” जान सच बताऊँ तो .. मैंने तुम्हारी बूर अभी तक नही दे्खी थी.. और साफ़ करते वक्त अभी ही देखा…” और हम दोनों हस पड़े.. उस दिन मै वापस कोल्हापुर नही गया और साथ में ही रुके. आप समझ ही सकते है कि हमारे सैलाब में कितनी बार उफान आई होगी..
पर सब कुछ हमेशा सही नही होता.. और अब हम साथ नही है.. पर वो जहां भी होगी मुझे भरोसा है कि मुझे कभी नही भूल पायेगी… और कृति अगर तुम ये कहानी पढ़ रही हो तो..जान लो मै सचमुच तुम्हे आज भी उतना ही प्यार करता हूं.. तुम जहां भी रहो खुश रहो..मेरे दिल में तुम्हारी याद हमेशा रहेगी… Sex Stories
आज मैं आपको अपनी ज़िन्दगी Antarvasna की वो दास्ताँ सुनाने जा रही हूँ जिसे अगर गलती से भी मेरे पति ने पढ़ लिया तो वो अपने ऑफिस के
हर मर्द को बारी बारी से बुलाकर मेरी मुलायम बिना झांटों वाली गुलाबी बुर को चुदवा चुदवा के भोसड़ी वाला कुआँ बनवा देगा।
मेरा मर्द बहुत बड़ा वाला चुदक्कड़ है। साला चोदता कम और चिल्लाता ज्यादा है।
खैर पहले मैं आपको अपने बारे में कुछ बता दूं। मेरा जन्म एक छोटे कस्बे में हुआ।
हम पांच बहनें हैं। माताजी को पांचवी के जन्म के बाद ही पिताजी ने घर से निकाल दिया। मेरी बड़ी बहन ने बहुत कोशिश की पर
पिताजी नहीं माने।
असल में पिताजी की नजर पड़ोस वाले कस्बे के किसी बनिए की विधवा बहू पर पड़ गई थी। माँ के जाते ही पिताजी उसे घर ले आये।
क्यूंकि पिताजी का रुतबा बहुत था उन दिनों तो किसी ने कोई आवाज़ नहीं उठाई।
खैर मैं इन सब दुनियादारी वाली बातों से अनजान अपने तरीके से बड़ी हो रही थी, क्यूंकि अपनी माँ की वो पांचवी बेटी मैं ही थी, तो
सारी बहने मुझे ही जिम्मेदार समझ कर मुझसे बातचीत नहीं करती थी।
पिताजी पर तो उस छम्मक छल्लो ने ऐसा जादू किया कि पिताजी दिन भर उसके कमरे में ही घुसे रहते।
इस तरह मैं बड़ी हो गई। पिताजी ने मुझे पढ़ने के लिए हमेशा प्रेरित किया। हम सभी बहनें घर पर रह कर ही पढ़ाई करती रही।
परीक्षा देने स्कूल जाना पड़ता था।
जब दसवीं बोर्ड की परीक्षा आई तो पिताजी ने मुझे पढ़ने के लिए एक मास्टर का इंतजाम कर दिया। वो मास्टर रोज मुझे दिन में दो
बजे पढाने आता था। मास्टर जी की उम्र पैंतालीस थी और वो जोर से बोल नहीं पाते थे शायद किसी बीमारी की वजह से।
तो कहानी कुछ इस तरह है।
एक रात मुझे मेरी बड़ी बहन ने बहुत मारा। मुझे लगा शायद फिर वोही माँ की याद आ रही होगी। मेरी सभी बहनें माँ को याद करती
तो मेरी ही पिटाई करती।
पर उस दिन मुझे बहुत बुरा लगा। मैं चुपचाप अपने कमरे में आकर रोने लगी। तभी मुझे कुछ अजीब सी आवाज आई। मैंने इधर उधर
देखा तो लगा कि आवाज पिताजी के कमरे से आ रही है। मैं दबे पाँव उनके कमरे की तरफ जाकर खिड़की से झाँकने लगी।
अन्दर का नजारा देख कर मैं दंग रह गई। अन्दर मेरी सौतेली माँ हमारे नौकर श्याम के होंठ चूम रही थी। श्याम का एक हाथ मेरी माँ
की गांड पर था और दूसरे हाथ से वो माँ की चूची मीस रहा था।
नजारा देखकर मेरे दिमाग में करंट सा लगा। तभी मेरी नजर बिस्तर पर पड़ी। मेरा तो सर घूमने लगा।
मैंने देखा मेरे पिताजी पूरे नंगे बिस्तर पर लेट कर अपने लुल्ले को हिला रहे थे।
मुझे थोड़ा धक्का सा लगा। मैंने कभी किसी के लुल्ले को इतना बड़ा नहीं देखा था। मेरी दोनों टांगों के बीच गुदगुदी सी होने लगी।
फिर माँ ने श्याम के होठों से होंठ चिपकाये हुए उसकी धोती खींचनी शुरू कर दी। श्याम भी मेरी माँ के ब्लाउज को जोर से खींचने
लगा।
मेरे पिताजी ने कहा- और जोर से खींच! फाड़ डाल!
इतना सुनते ही श्याम ने मेरी माँ का ब्लाउज बीच से फाड़ दिया। ब्लाउज के फटते ही मेरी माँ की चुचियाँ खुल के बाहर आ गई। श्याम
भूखे कुत्ते की तरह मेरी माँ की चूचियाँ चूसने लगा।
मेरी माँ भी बहुत ही जोर जोर से सिसकरियाँ ले रही थी। पिताजी का लुल्ला किसी डंडे की तरह खड़ा था।
मेरी माँ ने इस बार श्याम की धोती एक झटके में खींच दी। धोती खुलते ही श्याम का लुल्ला भी किसी सांप की तरह फनफनाता हुआ
ऊपर नीचे होने लगा।
मेरे तो होश उड़ गए थे। मेरी माँ ने तभी श्याम के लुल्ले को अपने हाथो से पकड़ लिया और सहलाने लगी। श्याम भी माँ की चुचियों
को हौले हौले दबा रहा था। फिर माँ ने पिताजी की तरफ देखा।
पिताजी ने कहा- चूस ले रांड! आज इस लंड को चूस ले!
तब मुझे पहली बार पता चला कि बड़े वाले लुल्ले को लंड कहते हैं।
फिर माँ श्याम के लंड को अपने मुँह में ले कर आइसक्रीम की तरह उसे चुम्लाते हुए चूसने लगी।
श्याम माँ के मुँह में धक्का लगा रहा था। तभी मैंने देखा कि माँ पिताजी के लंड को अपने हाथों में भींचकर तेजी से आगे पीछे करने
लगी। पिताजी हाय हाय करने लगे।
कुछ ही देर में पिताजी के लंड से एक पिचकारी निकली और पिताजी हाँफते हुए पीछे लुढ़क गए। फिर माँ ने श्याम को अपने ऊपर लेटने
कहा। श्याम माँ के ऊपर लेट गया और जोर जोर से उछलते हुए गाली बकने लगा। माँ उफ़ हाय! चोदो जोर से… कहते हुए नीचे से
धक्के लगा रही थी।
मेरी चड्डी पूरी गीली हो चुकी थी। मैंने देखना जारी रखा। कुछ देर बाद श्याम आया आया… कहते हुए माँ के ऊपर कस के लेट गया।
माँ भी आजा मेरे राजा कहती हुई कस के श्याम से लिपट गई।
तभी मेरी बड़ी बहन की आवाज सुनकर मैं वापस अपने कमरे की ओर भागी और कमरे में आकर रजाई में घुस गई।
मेरी चड्डी पूरी भीग चुकी थी और साँसे गर्म हो गई थी। पूरे बदन में चीटियाँ चल रही थी। मैंने किसी तरह चड्डी बदली और वापस लेट
गई।
पर नींद तो आँखों से बहुत दूर थी। मेरा हाथ अपने आप मेरी बुर में चला गया।
मैं श्याम के लंड के बारे में सोचते हुए अपनी बुर को सहलाने लगी। मेरी साँसे तेज चलने लगी। मेरे बदन में एक अजीब सी गर्मी चढ़
गई थी।
मैं हाय श्याम! हाय श्याम! कहती हुई अपनी बुर में हाथ फिराती रही।
तभी मुझे लगा कि मैं हवा में उड़ रही हूँ।
मैंने अपना हाथ तेजी से अपनी बुर में चलाना चालू किया।
कुछ पलों बाद मेरी बुर से एक पतली धार बहने लगी और मुझे इतना मजा आने लगा कि मैं बता नहीं सकती।
कुछ देर तक मैं वैसे ही पड़ी रही फिर मुझे नींद आ गई। उस रात मैंने पहली बार जाना कि जवानी किसे कहते हैं और फिर मैंने जवानी
के मदमस्त जीवन में कदम रखा।
अब मेरी शादी हो चुकी है पर शादी तक पहुँचने से पहले मैंने कितने प्यासे लोगों को पानी पिलाया यह मैं आपको गुरूजी के माध्यम से
बताती रहूंगी।
क्यों गुरूजी! आप मेरी कहानियाँ सब तक पहुँचाओगे न?
आपकी अंतरा
दोस्तो कैसी लगी मेरी कहानी! Antarvasna
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