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दोस्तो ! मैं सेक्सी कहानियाँ सात महीनों Antarvasna से पढ़ रहा हूँ। मैं २५ साल का शादीशुदा मिडल परिवार का राजस्थान के एक छोटे से कसबे का सेक्सी लडका हूँ। मैं कम्प्यूटर इन्जीनियर हूं। मैं मेरी शादी को दो साल हो गये है।
आपने मेरी कहानी “कुंवारी सलहज को प्रेगनेंट किया” पढ़ी और बस एक मेल ही आया। दोसतो ये कहानी आपको लगता है पसंद नही आई। दोस्तो ! मैने वो पहली बार कहानी लिखी थी।
अब एक बार फिर हाज़िर हूँ अपने दोस्तो के लिए एक मसाले से भरी कहानी लेकर !
२००४ के दिसम्बर की छुट्टियों में मेरे मामा की लडकी हमारे घर १०-१५ दिन के लिए आई। वो २४ साल की थी. बहुत सुंदर है, उसका फिगर २८-२४-२८, ऊंचाई ५’३”, वो बहुत सेक्सी है. जब भी मैं उसके बारे मे सोचता तो उसको जमकर चोदने का मन करता लेकिन मैं कुछ नही कर पाता,वो मुझे तिरछी नजर से देखती थी।
बस तो सरदियों के दिन थे। सब लोग {परिवार वाले} रजाई ओढ़ के रात को बातें करते थे। वो मेरी वाली साईड में बैठ गयी। मैने धीरे से उसकी टांग पे हाथ फ़ेरना शुरु किया। वो मेरी तरफ़ देख के मुस्करायी तो मुझे ग्रीन सिगनल मिल गया। मैने उसके बुबस दबाने शुरु किये वो मस्त हो रही थी। वो कहने लगी- मुझे कम्प्यूटर सिखाओ !
मैने कहा क्लास लगेगी, वो भी रात के ९ बजे के बाद !
वो कहने लगी ठीक है। मैं डिनर करके आपके कमरे में आ जाऊगी। वो रात को मेरे कमरे में आयी। गांव में सब ८:३० बजे तक सब सो जाते है। हमारा घर बहुत बड़ा था। मैने उसे कम्प्यूटर ओन करके दिया। उसको गाने चलाना, ओफ़ीस ,सीडी चलाना बताने लगा। मैं उसको बताते हुए छू रहा था। उसे अजीब सी मस्ती चढ़ रही थी। उसका ध्यान मेरी ओर हो गया। धीरे से मैं सेक्सी फ़िल्म पर क्लिक करके सोने का नाटक करने लगा। उसने वो फ़िल्म एक दम डर के बंद कर दी और फ़िर कुछ देर तक वो कम्प्यूटर चलाने के बाद सोने को जाने लगी। लेकिन उसका मन उस फ़िल्म को देखने का था तो वो उठ कर मेरी ओर देखा तो मैं सोने का नाटक करने लगा। वो इत्मिनान से फ़िल्म देखने लगी।
फ़िल्म देखने के बाद वो गरम हो गई। वो अपने बूबस को मसलने लगी। मैने धीरे से उसको किस किया तो वो चोंक गयी। मैं उसे अपने बैड पर उठा लाया तो वो बोली- भैईया यह क्या कर रहे हो?
मैने कहा जो तुम्हें चाहिए वो दे रहा हूं। मैं उसके बूबस दबाने लगा वो मस्त होती जा रही थी। और मैं होठ किस भी करने लगा। वो बोली ये नीचे मेरे से एक डंडा सा क्या है इतने में उसने मेरे लंड पे हाथ फ़ेरना शुरु किया। मुझे भी मस्ती चढ़ रही थी। मैने धीरे से उसकी सलवार को खोल दिया अब मैं सलवार को पैर से उतारने लगा वो बोली किसी को पता चल गया तो?
मैने कहा तुम बताओगी?
वो बोली- नहीं। मैने उसके और अपने सारे कपड़े उतार दिये। हम दोनो एकदम नंगे थे। मैं उसे बेसबरी से चूम रहा था। वो भी मुझे ‘चूमते रहो’ कह रही थी, इतने दिन पहले क्यों नहीं मिले। मेरा ९” का लंड एकदम खडा था। वो बेसबरी से उसे देखने लगी ओर बोली- इतना बडा पहली बार देखा है।
वो एकदम नंगी मस्त दिख रही थी उसकी छोटी छोटी चूचियाँ पूरी कसी हुई थी। मैने पहली बार उसे नँगी देखा था। मैं उसकी चूचियाँ चूसने लगा। वो मस्त हो कर तडफ़ रही थी। मैं उसके पूरे शरीर को चूमता हुआ उसकी चूत को चूसने लगा। बाद में हम लोग ६९ पोजीसन में आ गये। वो मेरे लण्ड को चूस रही थी,मैं उसकी गोरी साफ़ चूत को जीभ से चूस रहा था।
‘चूसो मेरी चूत को……आ.आ..आआया.आआआआआअ..आआआ..उ.ऊउऊ.ऊ.ईई.ऊई..ऊई आह आआह्ह्छ’ वो मस्त हो रही थी। अब मैं झड़ने वाला था वो भी इस दौरान दो बार झड़ गई थी। मैं उसका नमकीन रस पीता रहा। मेरा रस उसके मुँह में झड़ गया। वो सारा रस मस्ती से पी गई।अब मैं फ़िर उसकी चूचियाँ चूसने लगा। वो बहुत खुश थी। मैने एक उँगली उसकी चूत में डाली। वो मेरे लँड को फ़िर चूसने लगी और मेरा ९” का लँड खडा हो गया।
अब वो बोली कि मुझे कुछ हो रहा है जल्दी करो, मेरी प्यास बुझाओ।
मैने कहा- इतनी भी जल्दी क्या है? मैने कहा दर्द बहुत होगा ! झेल लोगी?
वो बोली- चाहे मेरी चूत फ़ट जाये, मैं चाहे जितना भी चिल्लाऊँ, छोडना मत, बस अब जल्दी करो, चोद डालो, फ़ाड डालो मेरी चूत, जल्दी करो।
मैने ९” के लंड पर तेल लगाया और थोड़ा सा उसकी चूत पर लगा के, चूत पर लंड रखा और धक्का दिया तो लंड २” अंदर ही गया था कि वो चिल्लाने लगी- छोड दो, बस करो, मर जाऊगी।
मैं रुक गया और फिर वो शाँत हो गयी। मैने एक जोर से झटका मारा और चूत की सील तोड़ते हुए अँदर घुस गया। वो चिल्लाती रही, मैं रुक गया और उसके बूब्स चूसने लगा। वो मस्त हो रही थी। थोड़ी देर में मैंने झटके लगाने शुरु किये। वो भी मेरा साथ देने लगी थी। वो चूतड़ उठा उठा के चुद रही थी। २००-२५० झटके लगाने के बाद मैं झड़ गया, इस दौरान वो तीन बार झड़ चुकी थी।
वो रात ३१ दिसम्बर २००४ की रात थी, मैने उसे नये साल के जश्न में पूरी रात में लगभग १५ बार चोदा। वो अब पूरी तरह से टूट चुकी थी। उससे उठना ही मुश्किल हो गया था। सुबह के ६ बज चुके थे। वो उठ के अपने कमरे में चली गयी। ये सिलसिला १० दिन तक चलता रहा। वो पूरी पूरी रात मस्त होकर चुदवाती थी। १० दिन बाद वो अपने घर चली गयी। पर जब भी मौका मिलता था वो चुदने को तैयार रहती थी।
आपको कहानी कैसी लगी ? Antarvasna
मुझे लिखें !
मैंने प्रीती से पूछा कि उसने ऐसा Hindi Sex Stories मेरी बहनों के साथ क्यों किया? तो उसने अपनी ज़ुबानी ये दास्तान सुनाई।
प्रीती की कहानी:
“मेरी कहानी उस समय शुरू हुई जब तुमने मेरे जिस्म का सौदा अपने बॉस के साथ, पैसे और तरक्की के लिये किया।”
“पूरी रात मैं सो नहीं सकी। अब मैं क्या करूँ, ये सवाल मुझे खाये जा रहा था। आत्महत्या कर लूँ ये भी ख्याल आया, किंतु आत्महत्या समस्या का समाधान नहीं है। ये डरपोक लोगों का काम है और मैं डरपोक नहीं थी।”
“फिर ख्याल आया कि तुम्हें छोड़ कर तुमसे तलाक ले लूँ, पर ये तुम्हारी सज़ा नहीं थी। तुम मुझे बदनाम कर दोगे कि मैं गंदे कैरैक्टर की औरत हूँ और तुम दूसरी शादी कर लोगे। और शायद अपनी नयी बीवी के साथ भी वही सब करोगे जो मेरे साथ किया।”
“फिर मुझे ख्याल आया कि मुझे तुमसे बदला लेना है। मैं तुम्हें इतना जलील करना चाहती थी, जितना तुमने मुझे किया है। उस समय मेरे पास कोई उपाय नहीं थी इसलिये सोचा कि हालात को देखते हुए मैं नॉर्मल रहूँ और वक्त का इंतज़ार करूँ।”
“मगर प्रीती! वो तो सिर्फ़ एक समय के लिये था, मैं नहीं चाहता था कि तुम वेश्याओं की तरह अपनी लाइफ गुज़ारो”, मैंने दुख भरे शब्दों में कहा।
“कुछ भी हो, मैं वेश्या बन गयी, तुम चाहो या ना चाहो। सुनील या तो तुम भोले हो या नदान”, प्रीती ने जवाब दिया, “मैं जानती थी कि तुम्हारे बॉस एम-डी और महेश मुझे एक बार चोद कर छोड़ने वाले नहीं थे, वो फिर मुझे चोदना चाहेंगे और तुम्हें लालच या ब्लैक मेल कर मुझे चुदवाने पर मजबूर कर देंगे।”
“तुम्हें याद है जब एम-डी ने मुझे क्लब पर अकेले बुलाया था? उसने अपने लिये नहीं, बल्कि अपने दोस्तों के लिये बुलाया था। मैं वहाँ पहुँची तो एम-डी ने मुझसे कहा कि प्रीती तुम अभी उम्र में छोटी हो और समझदार भी, मेरे कई दोस्त तुम्हें पाना चाहते हैं। तुम सहयोग दो तो तुम काफी अमीर बन सकती हो। मैं मान गयी, दो चार लंड और चूत में लेने से मुझे कोई फ़रक नहीं पड़ने वाला था और बाकी की कहानी तुम्हें मालूम है।”
“फिर एक दिन मुझे अंजू और मंजू का खत मिला। उसी समय मुझे अपनी मंज़िल दिखायी देने लगी। तुम अपनी बहनों से बहुत प्यार करते हो, इसलिये मैं इन दोनों को भी अपनी तरह रंडी बनाकर तुम्हें जलील करना चाहती थी। मुझे आगे क्या और कैसे करना है, इसपर सोचना शुरू कर दिया।”
“पर तुम्हें कैसे यकीन था कि तुम अंजू और मंजू को इन सब के लिये तैयार कर लोगी?” मैंने पूछा।
“यकीन तो मौत के सिवा किसी चीज़ का नहीं है सुनील, पर मैं जानती थी कि मैं कामयाब हो जाऊँगी।”
“तुम्हें इतना यकीन क्यों था?” मैंने वापस पूछा।
“सुनील! तुम्हें याद है? हमारी सुहागरात के दूसरे दिन सुबह मैंने तुम्हें बताया था कि अंजू और मंजू मुझे तंग कर रही थी…. जब मैं सुबह किचन में चाय बना रही थी।”
“हाँ मुझे याद है”, मैंने जवाब दिया।
“उस दिन सुबह अंजू ने मुझसे पूछा, क्यों भाभी! आपको हमारे भैया का लौड़ा कैसा लगा?”
“मैं शरमा गयी थी पर कुछ जवाब नहीं दिया।”
“फिर मंजू ने कहा, भाभी! भैया ने आपको रात को सोने भी दिया या फिर सारी रात आपको चोदते रहे। ”
“मैं उन दोनों को डाँट कर वापस आ गयी।”
“फिर जब भी हम तीनों अकेले होते तो ये दोनों सवाल करने लगती, कि चुदाई कैसे की जाती है, लंड कैसा होता है। लंड जब चूत में घुसता है तो दर्द होता है क्या। एक दिन मैंने हँसते हुआ कहा, लगता है तुम दोनों को चुदवाने का बहुत मन कर रहा है?”
“पर उनके जवाब ने मुझे हैरान कर दिया, हाँ भाभी! बहुत मन करता है, अगर हमें बच्चा होने का डर ना होता तो कभी का हम लोग चुदवा चुकी होती।”
“सुनील इससे तुम्हें तुम्हारा जवाब मिल गया होगा। मुझे सिर्फ़ इन्हें चुदवाने के लिये उक्साना था और ये दोनों तो तैयार ही बैठी थी इसके लिये। फिर मैंने प्लैन बनाया कि इन दोनों की कुँवारी चूत मैं अपने दोनों भाई राम और श्याम से चुदवाऊँगी। जब इन दोनों के भाई यानी तुमने मेरी कुँवारी चूत ली है तो मैं भी अपने भाइयों से तुम्हारी कुँवारी बहनों की चूत चुदवाऊँगी। ये एक प्रकार से जैसे को तैसा था।”
“पर प्रीती! जब मैंने तुम्हारी चूत चोदी थी तो हमारी शादी हो चुकी थी”, मैंने कहा।
प्रीती ने मेरी बात को अनसुना कर दिया और अपनी कहानी जारी रखी।
“समय सही होना चाहिये था इसलिये मैं समय का इंतज़ार करने लगी। मेरे भाइयों को भी लंबी छुट्टी मिलने वाली थी। इसलिये मैंने तुम्हें घर चलने को कहा, पर मुझे मालूम था कि काम की वजह से तुम नहीं चलोगे।”
“कुछ भी गलत ना हो इसलिये मैं तुम्हारे वो स्पेशल दवा मिले कोक की चार बोतलें और स्कॉच की चार बोतलें अपने साथ ले कर गयी थी।”
“वहाँ जब मैं पहुँची तो तुम्हारी बहनों को सैक्स के अलावा और कोई टॉपिक नहीं था बात करने का। मैं भी उन्हें सैक्स के बारे में बता कर उनकी चुदवाने की इच्छा और मजबूत करती रही। मैंने उन्हें मुंबई आने को भी कहा।”
“एक दिन दोनों ने मुंबई जाने की इजाज़त तुम्हारे पिताजी से ले ली।”
“मैं अपने घर होते हुए मुंबई आने वाली थी। सो ये दोनों भी मेरे साथ मेरे मायके आ गयी।”
“राम ने हम तीनों को रीसीव किया और हम घर पहुँचे। मैंने देखा कि मेरे दोनों भाई तुम्हारी दोनों बहनों को बहुत ही घूर रहे थे। मैं समझ गयी कि ये दोनों भी इन्हें चोदना चाहते है। माँ और पिताजी को एक शादी में पास के गाँव में जाना था। वो हम सब को छोड़ कर दो दिन के लिये शादी में चले गये। इस बात ने मेरे प्लैन को और मजबूती दे दी।”
“हम पाँचों घूमने जाते, सिनेमा देखते। मैंने जानबूझ कर चारों को ज्यादा समय अकेले बिताने को दिया जिससे ये लोग आपस में करीब आ सके।”
“शाम को मैं उन दोनों के कमरे में गयी और कहा कि मैं तुम दोनों से कुछ बात करना चाहती हूँ? ”
“हाँ दीदी कहो, राम ने कहा।”
“क्या तुम दोनों नाज़िया को अब भी चोदते हो? ये सवाल सुनकर दोनों चौंक गये। सुनील! मैं तुम्हें बता दूँ नाज़िया हमारी नौकरानी का नाम है।”
“फिर श्याम ने हिम्मत करके के पूछा कि दीदी आपको किसने बताया कि हम नाज़िया को चोदते हैं।”
“मैं पिछले दो साल से जानती हूँ ये बात…! मैंने जवाब दिया, पर नाज़िया कहीं दिखायी नहीं दे रही।”
“नाज़िया अपने गाँव गयी है, दस दिन में वापस आयेगी… राम ने कहा।”
“मैंने मुद्दे की बात पर आते हुए कहा कि अच्छा एक बात बताओ! क्या तुम दोनों अंजू और मंजू को चोदना चाहोगे, दोनों कुँवारी हैं, और कुँवारी चूत को चोदने में बहुत ही मज़ा आयेगा।”
“अपनी जगह से उछलते हुए राम ने कहा, हाँ दीदी! हमने कई सालों से कोई कुँवारी चूत नहीं चोदी, क्या वो दोनों मान जायेंगी? ”
“ये सब तुम मुझ पर छोड़ दो, वो दोनों तुम लोगों से चोदने की भीख मांगेंगी।”
“ठीक है मैं फिर बाज़ार से कुछ कंडोम खरीद कर ले आता हूँ… श्याम बोला।”
“कोई जरूरत नहीं है, तुम दोनों अपना पानी उन दोनों की चूत में ही छोड़ देना। उन्हें कुछ नहीं होगा… मैंने कहा।”
“ठीक है! तुम दोनों ठीक आठ बजे हॉल में आ जाना। राम तुम अंजू को चोदना और श्याम तुम मंजू को। फिर तुम आपस में अदला बदली भी कर सकते हो। एक छोटी सी पार्टी रखी है मैंने, तुम दोनों क्या पियोगे? मैंने पूछा।”
“ओहह दीदी! एक रात में दो दो कुँवारी चूत…. दीदी हम लोग बीयर पियेंगे राम ने कहा।”
“मैंने सब इंतज़ाम कर रखा था। राम और श्याम के लिये बीयर और अंजू और मंजू के लिये तुम्हारा स्पेशल कोक और उसमें थोड़ी सी स्कॉच और मेरे लिये सिर्फ स्कॉच। मैंने नाश्ते का भी इंतज़ाम कर रखा था और अपना कैमरा भी जो तुमने मेरे जन्मदिन पर तोहफा दिया था।”
“सबसे पहले अंजू और मंजू एक दम सज धज कर हॉल में दाखिल हुई। भाभी हम दोनों कैसी लग रही हैं, अंजू ने एक मॉडल की तरह अपनी टाँगें हिलाते हुए पूछा। बहुत ही सुंदर और जानदार लग रही हो मेरी जान, मुझे यकीन है तुम दोनों को देख कर लड़कों का लंड खड़ा हो जायेगा।”
“भाभी आप भी ना! दोनों शरमा गयीं।”
“नहीं मैं सच कह रही हूँ! अच्छा तुम दोनों उनके लंड की तरफ देखना वो जब आयेंगे। मैंने कहा।”
“इतने में राम और श्याम कुर्ता पायजामा पहने हुए हॉल में आये, अरे तुम दोनों तो बहुत सुंदर और सैक्सी लग रही हो…. दोनों ने कहा। उन दोनों का लंड तंबू की तरह उनके पायजामे में खड़ा हो गया।
देखो मैंने नहीं कहा था… दोनों अंजू और मंजू शर्म के मारे लाल हो गयी।”
“चलो पार्टी करते हैं, कहकर मैंने राम और श्याम को उनकी बीयर और दोनों लड़कियों को स्कॉच मिली हुई स्पेशल कोक का ग्लास पकड़ा दिया। खुद भी मैंने अपने लिये स्कॉच का तगड़ा पैग बना लिया।”
“दीदी! तुम… ये शराब? राम ने चौंकते हुए पूछा। चारों लोग मुझे हैरानी से देख रहे थे।”
“हाँ! क्यों? मैं नहीं पी सकती क्या… मुंबई में कभी-कभी पार्टियों में सोशियलाइज़िंग के लिये पीनी पड़ती है… मैंने झूठी सफ़ाई दी।”
“हम लोग हँसी मज़ाक और बातें करते रहे। स्पेशल कोक ने और स्कॉच ने अपना असर दिखाना शुरू किया।”
“भाभी बहुत गर्मी है ना… कहकर अंजू ने अपना ग्लास एक ही झटके में खतम कर दिया।”
“हाँ भाभी! कुछ ज्यादा ही गर्मी है… कहकर मंजू भी अपनी सीट पर मचल रही थी।”
मैं समझ गयी कि इनकी चूत में खुजली होनी शुरू हो गयी है।
“तुम चारों डाँस क्यों नहीं करते? कहकर मैंने स्टिरियो पर म्यूज़िक लगा दिया।”
“बीस मिनट तक चारों म्यूज़िक पर डाँस कर रहे थे और मैं उन्हें देख रही थी। मैंने देखा कि दोनों लड़कियाँ मदमस्त होकर डाँस कर रही थीं और अंजू एक हाथ से अपनी चूत को रगड़ रही थी। कोक ने और स्कॉच ने अब अपना पूरा असर दिखाना शुरू कर दिया था।”
“पर लगता था कि मंजू की चूत में ज्यादा खुजली हो रही थी, अब मुझसे नहीं रहा जाता… कहकर उसने श्याम को अपने और नज़दीक कर लिया और अपनी चूत उसके लंड पर रगड़ने लगी।”
“ओह बहुत अच्छा लग रहा है… कहकर श्याम मंजू को किस करने लगा और अपना लौड़ा ज्यादा जोर से उसकी चूत पर रगड़ने लगा।”
“श्याम और मंजू को देख, राम ने भी अंजू को अपनी बाँहों में भर लिया… ओह! राम मुझे किस करो ना? अंजू सिसकते हुए बोली।”
“किसिंग करते हुए राम और श्याम दोनों के मम्मे दबा रहे थे। थोड़ी देर में दोनों ने उनके ब्लाऊज़ के बटन खोल दिये थे और ब्रा ऊपर को खिसका दी थी।”
“सच में सुनील! देखने लायक नज़ारा था। अंजू और मंजू अपने मम्मे उन दोनों से दबवा रही थी, और मेरे भाई अपने लंड को जोर-जोर से तुम्हारी बहनों की चूत पर रगड़ रहे थे। उनके मुँह से मीठी-मीठी सिसकरी निकल रही थी।”
“सुनील तुम्हें याद है…? उस दिन तुमने क्या किया था? तुम्हें जरूर याद होगा! मैंने तुम्हारी तरह ही उनके पेटीकोट का नाड़ा पकड़ कर खींच दिया और उनका पेटीकोट खुल कर नीचे गिर गया। फिर मैंने उनकी पैंटिज़ में हाथ डाल कर उन्हें भी उतार दिया। दोनों बहनों ने अब सिर्फ अपने हाई हील के सैंडल्स पहने हुए थे। मेरे दोनों भाई भी कपड़े उतार कर नंगे हो चुके थे। तुम्हारा लंड कितना अच्छा लग रहा है राम! हाँ जोर से रगड़ते जाओ… अंजू ने सिसकरी भरी।”
“जोर-जोर से अपने लंड को मेरी चूत पे रगड़ो श्याम… मंजू ने मादकता भरी आवाज़ में कहा।”
“अंजू की हालत खराब हो रही थी। राम अब मुझसे नहीं रहा जाता, मेरी चूत की खुजली अब बर्दाश्त नहीं होती, अब अपना लंड मेरी चूत में डालकर मुझे चोदो… वो बोली। राम तो इसी का इंतज़ार कर रहा था, वो अंजू को बिस्तर पर लिटा कर उसके ऊपर चढ़ गया और अपना लंड अंजू की चूत में घुसा दिया।”
“आआहहह मर गयी… अंजू दर्द से तड़पी।”
“राम रुक गया और बोला, क्या दर्द हो रहा है?”
“तुम मेरे दर्द की परवाह ना करो, बस मुझे जोर जोर से चोदते जाओ… अंजू की बातें सुन राम ने एक ही झटके में अपना पूरा लंड उसकी चूत में घुसा दिया और उसे चोदने लगा। अब अंजू कुँवारी नहीं रही थी। मैं मुस्कुरायी।”
“अंजू के मुँह से सिसकरियाँ छूट रही थी। हाँआँआँ… ऐसे ही… हाय चोदो… और जोर से हाँ… फाड़ दो मेरी चूत को… आआआहह।”
“मुझे भी मज़ा आ रहा था। अब मैंने श्याम और मंजू की और देखा तो पाया कि श्याम को कुछ प्रॉब्लम हो रही थी। मैंने पूछा, श्याम तुम मंजू की चूत में अपना लंड क्यों नहीं डाल रहे हो? ”
“दीदी मैं कोशिश कर रहा हूँ पर नहीं जा रहा। इसने अपनी टाँगें सिकोड़ रखी हैं। उसने कहा।”
“मेरी समझ में नहीं आया कि क्या कहूँ… क्या करूँ। फिर मुझे याद आया कि मेरी पहली रात में तुमने क्या किया था। मैंने श्याम से कहा, श्याम! इसकी चूत पर जोर-जोर से अपना लौड़ा रगड़ो।”
“श्याम मंजू की चूत पर जोर-जोर से अपना लंड रगड़ने लगा। इस से मंजू में गर्मी भरने लगी, और उसने सिसकरी लेते हुए अपनी टाँगें फैला दी।”
“अब फाड़ दे इसकी चूत… मैं चिल्लायी। मैं भी काफी ड्रिंक कर चुकी थी और नशे में थी। श्याम ने एक ही धक्के में अपना लंड उसकी चूत में समा दिया।”
“ऊऊईई माँआँआँ… मंजू दर्द में तड़पी, पर श्याम बिना रुके जोर से और तेजी से उसे चोदने लगा।”
“श्याम इतनी जोरों से नहीं! जरा से प्यार से चोदो… इतना कहकर मैं आराम से अपनी ननदों की मेरे भाइयों द्वारा चुदाई देखने लगी।”
“अंजू को सबसे ज्यादा मज़ा आ रहा था। उसने राम को कस कर भींच रखा था और अपनी टाँगें उछाल कर उसकी थाप से थाप मिला रही थी, ऊऊऊऊऊ राम! कितना अच्छा लग रहा है, हाँआँआँ ऐसे ही… हाय चोदते जाओ, हाँआंआंआं… और जोर से… ओहहह आहहाह मेरा छूटने वाला है… और उसकी चूत ने पानी छोड़ दिया। वो अपनी उखड़ी साँसें संभालने लगी। राम ने भी दो चार जोर के धक्के मार कर उसकी चूत में अपना वीर्य छोड़ दिया।”
“उधर दूसरी तरफ मंजू भी अपनी पहली चुदाई के आनंद से दूर नहीं थी। श्याम और ज्यादा अंदर घुसाओ, क्या तुम तेजी से नहीं चोद सकते… हाँ इसी तरह… और तेजी से हाँआँआँ… हाँआँ… मेरा छूटने वाला है… वो सिसकरियाँ भर रही थी।”
“श्याम भी अपना पूरा जोर लगा रहा था उसे चोदने में। हाँआआ… ले मेरे लंड को… अंदर तक ले… हाँआआआ और ले… और उसने अपना पानी मंजू की चूत में छोड़ दिया, लेकिन उसने चुदाई चालू रखी। शायद उसका लौड़ा अभी भी तना हुआ था। उसके पानी ने मंजू को भी पानी छोड़ने पर मजबूर कर दिया। ओहह… मेरा पानी छूट रहा है… कहकर उसका बदन ढीला पड़ गया।
दोनों जोड़े चूमा चाटी करते हुए चुदाई के बाद का आनंद ले रहे थे। सच कहती हूँ सुनील उस दिन मुझे इतनी खुशी मिली कि मैं क्या बताऊँ।”
“चलो लड़को! तुम लोग ऐसे नहीं लेटे रह सकते, तुम चारों थोड़ा और डाँस क्यों नहीं करते… मैंने राम और श्याम को बीयर पकड़ाते हुए कहा। तुम लड़कियों को भी प्यास लग रही होगी? कहकर मैंने दोनों को वो स्पेशल कोक का ग्लास दे दिया। मुझे भी नशे में ध्यान नहीं रहा और मैंने भी स्कॉच की जगह अपने ग्लास में वो स्पेशल कोक डाल लिया।”
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“अंजू तुम इतनी दूर रहकर क्यों डाँस कर रही हो, मुझसे सट कर डाँस करो ना? श्याम ने अंजू को अपने करीब खींचते हुए कहा।”
“ना बाबा! मैं नहीं आ सकती, पहले तुम्हारे लंड का कुछ करो, ये मेरे पेट में चुभता है… अंजू ने हँसते हुए कहा।”
“अच्छा तो ये बात है? तो इसका हल अभी कर देते हैं… कहकर श्याम ने अंजू को कमर से पकड़ नीचे लिटा दिया अपना लंड अंजू की चूत में डाल दिया।”
“श्याम! तुम बदमाश हो, अंजू ने चुलबुलाते हुए कहा, मैंने तुम्हें अपने लंड को मेरी चूत में डालने की इजाज़त नहीं दी थी।”
“जान मेरी! खड़े लंड की सही जगह चूत है और अब ये ऐसे भी तुम्हारे पेट को नहीं चुभ रहा। इतना कहकर श्याम अंजू को बिस्तर पेर लिटा कर चोदने लगा।”
“राम देखो! वो दोनों चुदाई कर रहे हैं! क्या हम दोनों ऐसे ही उन्हें देखते रहेंगे… मंजू ने प्यासी नज़रों से देखते हुए राम से कहा।”
“नहीं जान हम भी चुदाई करेंगे… राम ने हँसते हुए कहा। इतना सुनकर मंजू बिस्तर पे लेट गयी और अपनी टाँगें फैला कर बोली, आओ राम! और ये मोटा लंड मेरी चूत में जोर से पेल दो, बहुत खुजली हो रही है मेरी चूत में।”
“दोनों राम और श्याम कस कर मंजू और अंजू की चुदाई कर रहे थे। हर चुदाई के बाद ये आपस में पार्टनर बदल लेते थे। आखिर में दोनों थक कर चूर हो चुके थे। एक बूँद पानी भी दोनों के लंड में नहीं बचा था, और अंजू मंजू की चूत पानी से भरी हुई थी। उनकी चूत से पानी टपक रहा था। किंतु उनका मन नहीं भरा था। वो और चुदवाना चाहती थी।”
“राम अपने लंड को खड़ा करो…! अंजू ने शिकायत भरे सुर में कहा और उसके लंड की चमड़ी को ऊपर नीचे करने लगी।”
“रुको मेरी जान थोड़ा वक्त लगेगा…. राम ने कहा।”
“मगर मैं अभी चुदवाना चाहती हूँ… अंजू ने जवाब दिया।”
“श्याम अपना लंड जल्दी से खड़ा करो और मुझे चोदो, मेरी चूत की खुजली अभी मिटी नहीं है!” मंजू भी बोली।
“हाँ मेरी जान जैसे ही ये खड़ा होता है… मैं तुम्हें चोदूँगा.” श्याम बोला।
“ओह! मैं क्या करूँ?” मंजू अपनी चूत को रगड़ते हुए बोली।
“अगर तुम दोनों लड़कियों को चुदवाने की इतनी ही जल्दी है तो तुम दोनों इनका लौड़ा क्यों नहीं चूसती हो? इससे इनका लंड जल्दी खड़ा हो जायेगा…. मैंने सलाह दी।”
“मेरी बात सुन कर दोनों लड़कियाँ उनके लंड को मुँह में ले कर जोर-जोर से चूसने लगी। थोड़ी ही देर में दोनों का लंड तन कर खड़ा हो गया। चुदाई के बाद चारों अपने कमरे जा कर गहरी नींद में सो गये।”
“पर मेरी खुद की हालत खराब थी। मैंने अकेले ही स्कॉच की आधी से ज्यादा बोतल पी ली थी अब तक और दो ग्लास स्पेशल कोक भी पी लिये थे। मेरी चूत में इतनी खुजली मची थी कि क्या बताऊँ। ऊपर से नशे में मैं खड़ी भी नहीं हो पा रही थी। मैंने अपने कपड़े फटफट उतार दिये और कुछ देर अपनी अँगुलियों से चूत को रगड़ती रही। पर चूत को ऐसे ही राहत नहीं मिलने वाली थी। उस समय तो मैं किसी से भी चुदवाने को तैयार हो जाती पर मेरे भाई भी थक कर चूर सो गये थे। उनसे कोई उम्मीद नहीं थी। मैं नशे में, सिर्फ अपने सैंडल पहने लड़खड़ाती हुई पागलों की तरह किचन की तरफ बढ़ी और फिर फ्रिज में से मोटा सा खीरा निकाल कर अपनी चूत चोदी। तब जाकर पंद्रह-बीस मिनट में कुछ चैन पड़ा।”
“दूसरे दिन मेरी आँख खुली तो खुद को किचन के फर्श पर ही सिर्फ सैंडल पहने नंगी लेटे पाया। मैं उठ कर इन लड़कियों के बेडरूम में गयी तो देखा कि अंजू और मंजू गहरी नींद में सोयी पड़ी थी। उन दोनों की फैली टाँगों के बीच उनकी गोरी चूत देख कर मेरे मन में एक ऑयडिया आया और मैं कपड़े पहन कर अपने भाइयों को बुलाने उनके कमरे में गयी। उनको सोते से जगाते हुए कहा…. यहाँ तुम दोनों सोये हुए हो और वहाँ वो दोनों चुदवाने को बेचैन हैं। वो दोनों बिस्तर से उछले और अपना लंड पकड़ते हुए मेरे पीछे चले आये।”
“दीदी! ये दोनों तो अभी तक सो रही हैं!”
“तो क्या? इनकी चूत चाट कर इनको उठाओ… मैंने राम को अंजू पर ढकेलते हुए कहा।”
“ये क्या कर रहे हो? अंजू नींद से चौंक कर जागती हुई बोली।”
“कुछ नहीं! अपने लंड के धक्कों से तुम्हारी सोयी हुई चूत को जगा रहा हूँ…” कहकर राम ना अपना लंड अंजू की चूत में घुसा दिया।
“ओहहह राम!! कितना अच्छा लग रहा है… अंजू ने सिसकरी भरी।”
“श्याम अब मुझे और मत तड़पाओ, प्लीज़ अपना लंड मेरी चूत में डाल दो…. मंजू ने श्याम से कहा जो उसकी चूत को चाटे जा रहा था।”
“दोनों चुदाई करने के बाद एक बार फिर पार्टनर बदल कर चुदाई करने लगे। थोड़ी देर बाद मैंने कहा… बस अब तैयार हो जाओ, हमें घूमने जाना है।”
“ओह भाभी! अभी कितनी सुबह है। बाद में चलेंगे ना, मेरी चूत मैं अभी भी खुजली हो रही है। अंजू ने कहा। ”
“हाँ भाभी! जल्दी क्या है जाने की? मैं भी और चुदवाना चाहती हूँ… मंजू भी बोली।”
“नहीं मेरी प्यारी ननदों, हमें जहाँ जाना है वो जगह यहाँ से दो घंटे की दूरी पर है और हमें शाम होने तक वापस भी तो आना है। इसलिये तैयार हो जाओ और रात को जितना मरज़ी हो उतना चुदवा लेना…। मैं दोनों भाइयों को कमरे के बाहर धक्का देने के बाद आयी तो देखा दोनों लड़कियाँ आपस में कानाफ़ूसी कर रही थी।”
“ममम! लगता है तुम दोनों को चुदवाने में बहुत ही मज़ा आया है। अच्छा बताओ किसका लौड़ा सबसे ज्यादा अच्छा लगा? मैंने दोनों से पूछा।”
“दोनों शरमाने लगी। थोड़ा सोचने के बाद अंजू बोली… मुझे राम का लंड अच्छा लगा, कितना लंबा और मोटा है।”
“लेकिन मुझे श्याम का लंड ज्यादा अच्छा लगा, थोड़ा छोटा है पुर उसके चोदने का जो तरीका है, उसमें मज़ा ज्यादा आता है… मंजू बोली।”
“तुम दोनों अपनी जगह सही हो, चलो अब तैयार हो जाओ… मैंने कहा।”
“अभी रुको भाभी!! पहले आपको हमारे एक सवाल का जवाब देना है… अंजू कुछ सोचते हुए बोली, आपने राम और श्याम को हमें चोदने से क्यों नहीं रोका?”
“मैं उन्हें क्यों रोकती। जब तुम दोनों पहले से ही चुदवाना चाहती थी तो मैंने उन्हें करने दिया जो वो करना चाहते थे। फिर तुम दोनों भी तो उन्हें रोक सकती थी, तुमने क्यों नहीं रोका उनको?” मैंने सवाल पर सवाल किया।
“हम नहीं कर सके भाभी! हमारी चूत में इतनी खुजली हो रही थी…” अंजू ने कहा।
“मैं नहीं मानती कि ये सचाई है… मंजू सोचते हुए बोली, भाभी याद है जब हमने कहा था कि हमारा मन चुदाई के लिये करता है तो आपने हमें शादी तक रुकने को कहा था? नहीं भाभी? हमें सचाई बताइये।”
“इन्हें एक दिन तो सचाई बतानी ही थी सो मैंने सोचा कि आज क्यों नहीं । ठीक है मैं बताती हूँ… फिर मैंने इन्हें पूरी कहानी सुना दी कि कैसे तुमने अपने स्वार्थ और तरक्की के लिये मुझे अपने दोनों बॉस से चुदवाने के लिये भेज दिया।”
“पर भाभी आप भी तो मना कर सकती थी? आप क्यों तैयार हो गयी? मंजू ने पूछा।”
“मैं भी तुम दोनों की तरह मना नहीं कर सकी। उस दिन मेरी भी चूत में ऐसे हो खुजली हो रही थी। मेरा भी मन चुदवाने का कर रहा था… चाहे किसी का भी लंड हो। तुम्हारे भैया ने मुझे वही कोक पिलाया था जो मैंने तुम दोनों को पिलाया था। उसमें उत्तेजना की दवाई मिली हुई है। मैंने सचाई बताते हुए कहा।”
“तो आपने ये तरकीब बनायी थी, यहाँ लाकर हमारी कुँवारी चूत अपने भाइयों से चुदवाकर आपने सुनील भैया का बदला लिया? अंजू ने पूछा।”
“हाँ ये सही है, लेकिन अभी मेरे बदले का पहला चरन ही पूरा हुआ है… मैंने जवाब दिया।”
“पहला चरन? जो हुआ उससे आपका दिल नहीं भरा? अब आपको और क्या चाहिये? मंजू ने पूछा, क्या आप अब ये चाहती हैं कि आपके भाई हमारी गाँड मारें।”
“नहीं मेरे भाई नहीं, मैं चाहती हूँ तुम्हारे भैया के सामने उनके बॉस, एम-डी और महेश तुम दोनों की गाँड का उदघाटन करें… मैंने जवाब दिया।”
“अगर हम दोनों ना करें और यहीं से घर वापस चले जायें तो?” अंजू ने पूछा।
“अगर तुम तैयार नहीं हो और घर वापस जाना चाहती हो तो जा सकती हो, मैं जिद नहीं कर सकती। लेकिन मैं तीन कारण बता सकती हूँ जिससे तुम ये सब करने के लिये तैयार हो जाओगी… मैंने कहा।”
“मैंने चालू रहते हुए कहा… पहला कारण तो ये है कि तुम अपने पिताजी को जल्दी वापस लौटने का क्या कारण बताओगी। दूसरा अगर तुम गर्भवती हो गयी तो मैं ही तुम दोनों को उस परेशानी से बचा सकती हूँ, और तीसरा, क्या तुम्हें नहीं लगता कि तुम्हारे भैया को सबक सिखाना चाहिये। तुम दोनों की चूत चुद चुकी है और दो चार और लंड लेने से कोई फ़रक नहीं पड़ने वाला, मैंने कहा, ठंडे दिमाग से सोच लेना और मुझे अपना फैसला सुना देना।”
“क्या राम और श्याम को मालूम है कि अपने अपना बदला लेने के लिये हमें मोहरा बनाया है? अंजू ने पूछा।”
“नहीं! उन्हें नहीं पता है! सिर्फ़ हम लोगों को पता है, यहाँ तक कि तुम्हारे भैया को भी नहीं… मैंने जवाब दिया।”
“घूमने जाने से पहले मंजू ने कहा, भाभी हम तैयार हैं! जैसा आप बोलेंगी, हम करेंगे।”
“अच्छा है! अब राम और श्याम से दिल खोलकर मज़ा लो, तुम लोग दोबारा गर्भवती नहीं हो सकती… मैंने हँसते हुए जवाब दिया।”
“कार में बैठते वक्त राम ने कहा, दीदी! गाड़ी आप चलाइये, हम चारों पीछे की सीट पर बैठ जायेंगे।”
“जब कार हाईवे पर पहुँची तो मैंने अंजू को बोलते हुए सुना, नहीं राम! मैं तुम्हारा लंड अपने मुँह में नहीं ले सकती… ”
“क्यों नहीं ले सकती? जब तुम्हें चुदवाना था तो तुमने मेरा लंड चूस कर खड़ा किया नहीं था क्या? राम ने जवाब दिया।”
“नहीं हमने तुम लोगों का लौड़ा नहीं चूसा…” मंजू बोली।
“अगर यकीन नहीं आता तो अपनी भाभी से पूछ लो… श्याम बोला।”
“भाभी!!! इनसे कहिये ना कि हम लोगों ने इनका लंड नहीं चूसा था…” अंजू गिड़गिड़ायी।
“मगर ये सच है कि तुम दोनों ने इनके लंड को जोर-जोर से चूसा था और तुम्हें मज़ा भी आया था। मैंने हँसते हुए जवाब दिया।”
“अब इसे चूसो मेरी जान!!! कहकर राम ने अपना लंड अंजू के मुँह में दे दिया।”
“थोड़ी देर बाद मुझे पीछे से चपर-चपर की आवाजें सुनाई दीं। मैंने रियरव्यू मिरर में देखा कि दोनों लड़कियाँ जोर-जोर से उनके लौड़े को चूस रही थी।”
“ओहहह अच्छा लग रहा है, अंजू ज़रा जोर से चूसो राम ने सिसकरी भरते हुए कहा।”
“ऐसे लगता है मंजू कि तुमने तो लौड़ा चूसने के लिये ही जन्म लिया है! कितने अच्छे तरीके से चूस रही हो, हाँआआआ और जोर से चूसो… कहकर श्याम ने अपना लंड और अंदर घुसेड़ दिया।”
“थोड़ी देर में दोनों ने अपना वीर्य उनके मुँह में छोड़ दिया और दोनों गटक कर उनका पानी पी गयी।”
“जब हम शाम को घर पहुँचे तो मैंने उन चारों को कमरे में अकेला छोड़ दिया। पूरी रात चारों चुदाई करते रहे, उनके सिसकने की, चिल्लाने की अवाज़ें आती रही।”
“एक बात कहूँ सुनील! तुम्हारी बहनें भी तुम्हारी तरह एक दम गरम हैं। जब तक वहाँ रहीं… मेरे भाइयों की हालत खराब कर दी। हम लोगों के जाने के बाद राहत की साँस ली होगी उन्होंने।”
“फिर हम लोग यहाँ चले आये और आगे की कहानी तुम्हें मालूम ही है।” ये कहकर प्रीती ने अपनी कहानी खत्म करी। Hindi Sex Stories
मेरी पिछली कहानी वो Sex Stories अक्षत-योनि की क्षति -1 प्रकाशित हुई थी। उसी कहानी की आगे की हकीकत मैं सम्मानीय पाठकों के सामने रख रहा हूँ।
सपना ने मुझे फोन कर के उसी स्थान पर बुलाया जहाँ से एक दिन पहले उसने मुझे लिया था। फार्म-हाउस पर जाने के बाद मैं अपनी बात पर अड़ गया कि पहले अपनी हकीकत बताओ कि वास्तव में तुम अभी तक शादीशुदा होते हुए भी कुँवारी क्यों थी?
पहले तो सपना ने ना नुकुर किया पर मेरे व्यहार और आगे से हर बार बुलाने पर आने के वादे पर सपना ने मुझे अपनी कहानी कुछ इस तरह बताई-
मैं शुरू से ही सीधी सादी लड़की थी। मेरे पापा मम्मी और मैं बस हम तीनों ही दिल्ली में रहते थे। पापा का लम्बा चौड़ा बिजनेस था। मैं शुरू से ही गर्ल्स स्कूल में पढ़ी। मेरा भी सपना था कि मेरी भी शादी होगी। मेरा भी पति होगा मेरा अपना परिवार होगा।
और बहुत सारे सपने लेकर मैंने अपना ग्रेजुएशन पूरा किया। पोस्ट-ग्रेजुएशन में मेरी लगभग सारी सहेलियाँ अपने अपने बॉयफ्रेंड के साथ जवानी का आनन्द ले रही थी किन्तु मैंने अपना सब कुछ अपने पति के लिए बचा के रखा। मेरी भी बहुत इच्छा होती थी किन्तु अपनी हैसीयत, अपना स्टेटस और सबसे बड़ी बात अपनी मम्मी का देखते हुए बड़ी मुश्किल से अपने आप को रोक कर रखती थी।
फाइनल तक आते आते मेरी शादी इन्दौर के रवि नामक लड़के से तय हो गई। उसी के साथ मेरे सपने और बढ़ गये। हमारी सगाई हो गई और कुछ महीनों में ही हमारी शादी हो गई।
शादी के ठीक तीसरे दिन जब हमारी सुहागरात थी, उसी रात को मुझे मेरे पति रवि की असलियत पता चली। असल में मुझे पहले विश्वास नहीं हुआ कि मेरा पति इतना सुन्दर होते हुए भी नपुंसक होगा। सुहागरात को जहाँ रात भर जी तोड़ चुदाई होती है, वहीं मेरे पति शराब पीकर पड़े थे। मैं रात भर रोती रही।
सुबह उठ कर जब मैंने देखा- रवि ऑफिस निकल गए।
मैंने तुरंत अपने घर फोन लगाया। मैं अपनी मम्मी से बात कर ही रही थी कि मेरी सास मेरे सामने आ खड़ी हुई। मैं चाह कर भी अपनी पूरी बात अपनी मम्मी को नहीं बता पाई। मेरी सास मुझे हाथ पकड़ कर अपने बेडरूम में ले आई और हाथ जोड़ कर मेरे सामने अपने ओहदे, इज्जत, खानदान के नाम का वास्ता दे कर मुझे चुप करने की कोशिश करने लगी। और रोते रोते उसने मुझे बताया कि आज से दस साल पहले रवि का भयंकर एक्सीडेन्ट हो गया था और मरते मरते बचा था। डॉक्टर ने ऑपरेशन के बाद ही बता दिया था कि अब रवि कभी भी संभोग नहीं कर सकेगा। एक तरफ हमारे इकलौते बेटे के बचने की खुशी थी, दूसरी तरफ इस बड़े खानदान के वारिस के नपुंसक होने का दुःख।
मैंने डॉक्टर से बात की तब उन्होंने कहा- आजकल मेडिकल फर्टीलिटी फेसेलिटी बहुत है। आप चिंता न करें आप रवि की शादी कर देना। रवि तो फर्टिलाइट नहीं कर पायेगा पर हमारे पास फर्टिलिटी की सारी सुविधाएँ हैं।
और हमने यही सब कुछ सोच कर रवि की शादी तुमसे की है। तुम जरूर मां बनोगी। अब इस पूरे खानदान की बागडोर तुम्हारे हाथ में ही है। मैं उस समय चुप हो गई किन्तु आखिर मैं भी एक लड़की हूँ मेरी भी कुछ भावनाएँ हैं, कुछ इच्छाएँ है ! क्या करूँ? मेरे पास रूपए-पैसे और ऐशोआराम किसी की कोई कमी नहीं थी, कमी थी तो बस इस शारीरिक सुख की, जो तुमने मुझे दिया। अब मुझे कोई कमी नहीं है।
मेरी यहाँ एक पक्की सहेली मीना है उसी से मैं अपनी सारी बातें कर लेती हूँ। उसी ने आपका कान्टेक्ट नम्बर दिया था किन्तु बहुत काल करने के बाद भी आप से कान्टेक्ट नहीं हुआ तो मैंने मेल करके आपको अपना मोबाईल नम्बर दिया और कहा कि आपसे मिलना चाहती हूँ।
अजय आज पूरी रात मैं और तुम हैं। आओ बरसों से मैंने जो सपने अपने पति के लिए देख देख कर इस जवानी को सम्भाला है, आज फिर मैं अपने आप को तुम्हारे हवाले कर रही हूँ।
और इस तरह पूरी रात मैं सपना के सपने को साकार करता रहा। उस रात करीब पांच बार लम्बा सम्भोगों का दौर चला। इस संगमरमर की मूरत को हर बार मैंने संतुष्ट किया। और सुबह अपनी फीस और चुम्बन के साथ वहाँ से सपना को लेकर निकला। भंवर कुआ आकर हमने नाश्ता किया और वो मुझे गीता मंदिर स्केयर पर छोड़ कर चली गई ।
मैं सीधे घर गया, शावर बाथ लिया और सोने की तैयारी में था। तभी मैंने सोचा कि एक बार मेल चेक कर लूँ। तभी सारिका नाम की महिला (परिवर्तित नाम) का मेल मेरे इनबाक्स में था जो कि उज्जैन से थी।
इस संभोग लीला का अक्षरशः वर्णन अगली कहानी में आपको मिलेगा।
दोस्तों ‘अक्षत योनि की क्षति’ एक कहानी नहीं सच्चाई है, वास्तविकता है । इस कहानी को लेकर मेरे पास बहुत से मेल आए, सभी को धन्यवाद ! Sex Stories
पंचम भाग से आगे : जब मैं Antarvasna टॉयलेट से लौट रही थी तो मैंने सोचा कि मम्मी के बेडरूम में झांक कर देखा जाए कि यहाँ क्या चल रहा है !
मैंने देखा कि फूफा जी मम्मी को कुतिया की तरह बहुत तेजी से चोद रहे थे और मुँह से अजीब अजीब सी आवाजें निकाल रहे थे, साथ ही साथ उत्तेजना में गाली भी बक रहे थे।
इतने में मम्मी की नजर मेरे ऊपर पड़ी। मैं तुरन्त खिड़की से भागी लेकिन मम्मी ने आवाज दे कर मुझे अन्दर बुला लिया।
दरवाजा खुला था। मैं अन्दर चली गई।
फ़ूफा जी लगातार मम्मी को आँख बन्द कर के चोदे जा रहे थे। मेरी उपस्थिति का उन्हें पता ही नहीं चला। मम्मी ने मुझे धीरे से बगल में बैठने के लिए इशारा किया और मैं उनके बगल में बैठ गई। लेकिन शायद फ़ूफा जी को कुछ आभास हुआ और उन्होंने अपनी आँखें खोल दी।
मुझे अपने सामने नंगी देख कर बोले- तुम कब आई? चलो अच्छा है, अब मैं झड़ने वाला हूँ ! तुम इसे पी लो…
यह कहते हुए उन्होने मम्मी के भोसड़े से अपना लंड बाहर निकाला और खुद बेड से उतर कर खड़े हो गए। मैं घुटनों के बल उनकी टांगों के बीच बैठ कर हुंकार मारते हुए लंड को एक हाथ से पकड़ कर, गप से अपने मुंह में ले कर चूसने लगी और दूसरे हाथ से मैं अपनी चूत को सहलाने लगी। मेरी चूत अभी भी पूरी तरह गीली थी। मैं अपनी दो उंगलियों को चूत में डाल कर अन्दर-बाहर करने लगी। इधर फूफा जी कुछ ही पलों में अपना पूरा लंड मेरे मुंह में घुसेड़ते हुए झड़ने लगे, मैं उनका वीर्य पीने लगी। जब उनका लंड झड़ना बन्द हुआ, तब मैंने उनका लंड मुँह से बाहर निकाला और भाग कर मैं अपने कमरे में आ गई।
यहाँ प्रदीप और विशाल अपना अपना लंड खड़ा किए हुए सहला रहे थे। मुझे देखते ही विशाल बोला- इतनी देर से तुम कहां थी?
कुछ नहीं… दरअसल फ़ूफा जी मम्मी को चोद रहे थे तो मम्मी ने मुझे उनका वीर्य पीने के लिए बुला लिया था, इसलिए थोड़ी देर लग गई।
विशाल बोले- ओह… यह बात थी। खैर उसी तरह से तुम मेरी टांगों के बीच डॉगी स्टाइल में आ जाओ। तुम्हारी चूत रंवा हो चुकी है और अब प्रदीप तुम्हें हचक कर चोदेगा।
मैंने वैसा ही किया जैसे विशाल ने कहा। प्रदीप अपना हलब्बी लंड हाथ से पकड़े मेरे चूतड़ों के पीछे पहुँच गया और उसने एक साथ अपनी तीन उंगलियों को मेरी चूत में घुसेड़ दिया। मैं एकदम से उचक गई। इसकी मुझे कतई आशा नही थी कि प्रदीप पहले उंगलियों से चोदेगा। वो अपनी तीनों उंगलियों से कुछ देर चोदता रहा। मैं विशाल का लंड चूसे जा रही थी।
फिर प्रदीप ने चार उंगलियों से चोदना शुरू किया। मुझे थोड़ा अटपटा लग रहा था लेकिन मजा भी आ रहा था। अब मेरी चूत पूरी की पूरी गीली हो चुकी थी मेरी चूत से पानी बिस्तर पर टपकना शुरू हो गया था, शायद प्रदीप के लंड के स्वागत के लिए तैयार थी। यह बात प्रदीप भी जान गया था, तभी उसने उंगलियों से चोदना बन्द कर अपने दोनों हाथों से मेरी कमर पकड़ ली और अपने खड़े लंड का सुपारा मेरी चूत के गुलाबी होठों पर धीरे-धीरे रगड़ने लगा। मेरे पूरे बदन के रोएँ खड़े हो गए इस एहसास से कि जब प्रदीप अपना हलब्बी लंड घुसेड़ेगा तो कैसा लगेगा। मैं यह सोच ही रही थी कि तभी लंड का सुपारा मेरी चूत में घुसा। मुझे लगा कि कोई बहुत मोटा लट्ठ मेरी चूत को फाड़ कर अन्दर घुस रहा हो।
मैं दर्द के मारे कराहने लगी, प्रदीप बोले- बस रश्मि जान ! थोड़ा सा दर्द सह लो, अभी तुमको आराम मिल जायेगा।
मैं करती तो क्या करती? प्रदीप मेरी कमर को कसकर पकड़े हुए थे और विशाल मेरा सिर को पकड़ कर अपना लंड मेरे मुँह में घुसेड़े हुए थे। मेरे मुँह से तो कराह की आवाज तक ठीक से नहीं निकल पा रही थी, मैं तो दोनों के बीच में फंसी थी। मेरी मजबूरी थी दर्द सहना।
लेकिन थोड़ी ही देर में मेरा दर्द कम हो गया क्योंकि अब प्रदीप का सुपारा मेरी चूत में थोड़ा थोड़ा अन्दर बाहर हो रहा था और बीच बीच में प्रदीप अपने लंड को मेरी चूत की थोड़ी गहराई में झटके से पेल देता था, फिर जल्दी से पूरा लंड बाहर निकाल लेता था। वह मुझे बड़े आहिस्ता आहिस्ता चोद रहा था अब मुझे धीरे-धीरे मजा आने लगा था। साथ ही साथ मैं विशाल के लंड को भी चूस रही थी। मैंने विशाल के लंड से अपना मुँह हटाया और प्रदीप से बोली- प्रदीप ! मुझे दर्द नहीं हो रहा है अब तुम अपना पूरा लंड मेरी चूत में डाल सकते हो।
यह सुनते ही प्रदीप ने एक झटके में अपना पूरा 8 इन्ची लंड मेरी चूत में पेल दिया। एक पल के लिए मुझे हल्का सा दर्द महसूस हुआ। इसके बाद तो चुदाई का मजा आने लगा। प्रदीप लगातार पूरी गति से मुझे चोद रहा था और उसी गति से मैं अपनी गाण्ड आगे-पीछे कर के उसका साथ दे रही थी। दोनों लोग मुझको कस कर चोदते रहे, एक मुँह को, और दूसरा मेरी चूत को। इस बीच मैं कम से कम कम 7-8 बार झड़ चुकी थी।
करीब 30 मिनट के बाद विशाल ऐंठने लगा और वह मेरे मुँह के अन्दर ही झड़ गया। मैंने उसका वीर्य पी लिया। इधर प्रदीप ने भी अपनी स्पीड और बढ़ा दी। फिर एक झटके से अपना लंड मेरी चूत से बाहर निकाल कर बोले- मैं झड़ने वाला हूँ ! मेरे लंड को अपने मुँह में ले लो।
मैं बिल्कुल उल्टा घूम कर अपनी चूत विशाल की तरफ कर के प्रदीप का लंड, जोकि चुदाई के बाद और भी ज्यादा मोटा हो गया था, अपने मुँह में लेने का प्रयास किया लेकिन सुपाड़ा चुदाई के बाद इतना बड़ा हो गया था कि मैं उसको अपने मुँह में नहीं ले सकी सिर्फ चाट चाट कर वीर्य पीना पड़ा।
उधर जैसे ही विशाल ने मेरी चूत को देखा तो चिल्लाया- अबे प्रदीप, तूने तो रश्मि की चूत को भोसड़ा बना दिया। देखो तो इसकी चूत बिलकुल कमल की तरह खिल गई है।
प्रदीप मुस्कराने लगे और बोले- यार मैं जिसकी एक बार ले लेता हूँ उसकी बुर जिन्दगी भर के लिए भोसड़ा बन जाती है। इसमें मेरा कोई दोष नहीं है यार ! मेरा लंड ही ऐसा है, मैं क्या करूं।
मैंने सोचा- देखें ! मेरी चूत प्रदीप की एक चुदाई से भोसड़ा कैसे बन गई।
मैं तुरन्त बेड से उतर कर ड्रेसिंग मिरर के सामने पड़ी कुर्सी पर बैठ गई और अपनी दोनों टागें ऊपर उठा कर अपनी चूत को शीशे में देखते ही मेरे मुँह से निकला- ओह माई गॉड ! यह तो वाकई एक खूबसूरत भोसड़ा बन गई है।
अभी भी इसके दोनों लब दरवाजे की तरह दाएँ बाएँ खुले हुए थे और बीच में एक बड़ा सा दो इन्ची व्यास का छेद नजर आ रहा था। मैंने अपनी दो उंगलियों को उसमें डाला। मुझे कुछ पता ही नहीं चला कि मेरी भोसड़े में दो उंगलियां हैं !
मुझे बहुत खुशी हुई।
इसके बाद मैं उठ कर बेड पर दोनों के साथ लेट गई।
उस रात उन दोनों ने मेरी दो बार और चुदाई की। करीब तीन बजे हम सब थक कर वैसे ही नंगे सो गए।
कहानी अभी बाकी है दोस्तो ! Antarvasna
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