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यह बात आज से 1 साल पुरानी है Sex Stories जब हमारे मकान में एक किरायदार रहने के लिए आए थे। में उन्हें भैया और भाभी कहता था। धीरे धीरे उनसे अच्छे सम्बंध बनते गये और मैं उनके करीब पहुंचता गया।
भाभी का पति तो ज़्यादातर तौर पर बाहर ही रहता था। एक दिन यूँ हुआ कि भाभी के पति गये हुए थे और मेरे घर वाले भी आउट ऑफ मुंबई गये थे और कमरे की चाबी भाभी को दे गये, मुझे घरवालो ने फोन कर के बता दिया था की चाबी भाभी के पास है।
मैं घर पे आया और सीधा भाभी के कमरे की बेल बजाई तो भाभी निकली उस वक़्त उन्होंने क्रीम रंग का गहरे गले सूट पहन रखा था और सिर पे दुपट्टा भी नहीं था। वैसे भाभी का फिगर 36 32 36 होगा, ब्रा इतनी टाइट पहन रखी थी कि मुमे बाहर आने के लिए फड़फड़ा रहे थे।
मैंने कहा- भाभी चाबी चाहिए!
तो भाभी ने कहा- अंदर आ जाओ! मैं चाबी लाती हूं!
इत्तफ़ाक़ से क्या हुआ कि भाभी चाबी रख कर भूल गई. भाभी थोड़ी देर बाद आई और मुझसे कहा कि चाबी तो पता नहीं कहाँ रख कर भूल गई मैं?
मैंने कहा- भाभी, चाबी तो चाहिए… नहीं तो मैं रात को कहाँ पर लेटूंगा?
तो भाभी ने कहा की ठीक है, मैं और अच्छी तरह से एक बार और देख लूँगी। यह कह कर वो सोफे पर बैठ गई और मुझसे बात करने लगी और फ़्रिज़ में से पेप्सी निकाल कर ले आई। मुझे भाभी ने पेप्सी दी लेकिन खुद नहीं ली।
इस पे मैंने कहा- आप भी लो।
भाभी ने कहा की नहीं मैं नहीं लूँगी मेरे सर में दर्द हो रहा है सुबह से.
तो मैं भाभी के पास उठ कर गया और मैंने कहा कि मैं आपका सर दबा देता हूं भाभी!
वो मना करने लगी कि नहीं तुम तक़लीफ़ मत करो मैं दवाई ले लूँगी तो मैंने कहा- भाभी क्या मुझे इतना भी हक़ नहीं है कि मैं आपका सर दबा सकूं?
मेरे जोर देने पर भाभी मान गई. मैं सोफे पर चढ़ कर भाभी का सर इस अंदाज़ से दबा रहा था कि भाभी की रीड की हड्डी मेरे लंड से छू रही थी।
मेरा लंड भाभी के स्पर्श से ही फ़नफना गया और ऊपर से भाभी के कमीज़ का गला गहरा था जिसके कारण उनकी चूची ऊपर से साफ़ दिखाई दे रही थी। मैं धीरे धीरे सर दबा रहा था। भाभी मदहोश सी होती जा रही थी।
फिर क्या था मैंने भाभी को अपनी आगोश में ले लिया और वहीं सोफे पर लेट गया तो भाभी ने एकदम से उठ कर कहा कि यह क्या कर रहे हो?
तो मैंने भाभी से कहा कि भाभी आप मुझे बहुत अच्छी लगती हो, मैं आपसे बहुत बहुत प्यार करता हूं, तो भाभी ने इतरा कर कहा कि वाह जी वाह! बड़ा आया प्यार करने वाला प्यार करने वाले इतनी देर नहीं लगाते हैं!
मैंने जो देखा तो भाभी की सलवार नीचे खुली पड़ी थी। मुझे ग्रीन सिग्नल मिलते ही मैं लग गया अपने काम पर।
पहले तो मैंने भाभी के होंठों को चूस चूस कर लाल कर दिया फिर उसके बाद मैंने कहा भाभी से कि भाभी! कभी लंड का भी स्वाद चखा है तुमने?
तो कहने लगी- छी! मुझे तो घिन आती है!
मैंने कहा- घिन किस बात की? अरे यह तो बाहर के देशों में खूब जम के होता है वो लोग तो पहले लंड ही चूसाते हैं और अगर बिना लंड चूसाए वो चोदेंगे तो उनका खड़ा ही नहीं होगा।
तो भाभी ने कहा- जैसे भी हो मैं नहीं चूसूंगी!
मैंने कहा- ठीक है आज नहीं तो कल पता चलेगा इसके ज़ायके का!
तो मैं खड़ा हुआ। लंड तो खड़ा ही था, मैंने अपनी पैन्ट खोली, लंड निकाला, मेरा लंड तकरीबन 6 इंच लंबा है और 2.5 इंच मोटा है भाभी मेरा लंड देख कर चेहरे पर थोड़ी सी मुस्कुराहट ला कर बोली तुम्हारा लंड तो बहुत तगड़ा है!
मैंने कहा- अरे खाते पीते घर का है ऐसे वैसे थोड़ी ना है!
मैं भाभी के पास जा कर खड़ा हो गया और भाभी भी खड़ी थी। मैंने खड़े ही खड़े भाभी की चूत पर हाथ फेरा और भाभी इतनी उतावली थी कि उसने आव देखा ना ताव, फटाफट लंड को अपनी चूत में डालने के लिए कहने लगी।
मैं खड़े खड़े ही उसकी चूत में लंड डालने की कोशिश कर रहा था मगर मेरी कोशिश नाकाम हो गई। वहीं एक कुर्सी रखी थी। मैं कुर्सी पर बैठ गया। मैंने कहा भाभी से कि अब आओ मेरे ऊपर, तो भाभी एकदम मेरे पास आ कर मेरे लंड पर बैठ गई और अपनी गांड हिलाने लगी।
थोड़ी देर बाद मेरे झड़ने का टाइम आया तो मुझे याद आया कि भाभी ने कहा था कि अन्दर मत झड़ना दिक्कत हो जाएगी मैंने झट से अपना लंड चूत में से निकाला और दीवार पर पिचकारी छोड़ दी।
उस दिन भाभी और मैंने जम कर 5 बार चुदाई की। यह सिलसिला 4 महीने तक चलता रहा।
जब भी मुझे और भाभी को मौका मिलता हम लोग जम के चुदाई करते थे। मगर 2 महीने पहले भाभी ने अपना घर बदल लिया क्योंकि उनके पति को गाड़ी पार्क करने की दिक्कत थी। उन्होंने ऐसी जगह घर ले लिया जहा पार्किंग का हिसाब ठीक था।
अब 15 20 दिन मे एक-आध बार चुदाई का मौका मिलता है तो हम लोग काम कर लेते है नहीं तो वो अपने घर में अपने घर!
मेरी अपनी राय यह है औरतो के बारे में कि औरत के कभी भी साथ सेक्स करो तो उन्हें पूरी तरह नंगा मत करो क्योंकि नंगी औरत कभी भी अच्छी नहीं लगती एक परदा होना चाहिए जो सेक्स को बढ़ाए!
जैसे मैंने जब भी भाभी की चूत मारी मैंने कभी भी उनके पूरे कपड़े नहीं उतारे कभी उनको ब्रा में चोदा कभी सूट पहने ही पहने सूट को उपर करके उनके चूचियों को चूसा। कभी साड़ी का पेटीकोट उपर करके चूत मारी।
सबसे ज़्यादा मज़ा आता है साड़ी में चूत मारने का! साड़ी को उतारो, पेटीकोट के नीचे से पेंटी को उतारो, पेटीकोट को ऊपर चढ़ा कर खड़े खड़े चूत मारो, गोदी में उठा कर चूत मारो, कितना आनंद आएगा!
यह मेरा एक्सपीरियेन्स है, बाकी किसको कैसे लगा? Sex Stories
वैसे मैं पुणे से हूँ.
मैं दिल्ली यूपीएससी की तैयारी करने गया था.
वहां गए हुए मुझे एक ही महीना हुआ था कि मैं बीमार पड़ गया था.
मुझे वहां का खाना हजम नहीं हो रहा था और बार बार पेट खराब हो रहा था.
जब डॉक्टर से चेकअप करवाया तो पता चला पेट में इन्फेक्शन हुआ है.
इसलिए मैं वापस घर चला गया.
जैसे ही घर वापस आया तो घरवालों ने कहा- अगर ऐसी तबीयत खराब करनी है तो पढ़ाई मत करो.
मेरा शरीर इतना दुबला हो गया था कि लग रहा था कि मुझे कोरोना होकर गया हो.
मैंने पापा से कहा- पापा, मुझे वहां का खाना बिल्कुल पसंद नहीं आया. खाना पच ही नहीं रहा.
वैसे बता दूँ कि हमारा परिवार संयुक्त परिवार है.
हमारा एक घर पुणे में है और एक पुणे के पास गांव में है.
मेरे चाचा-चाची, दादाजी और दादीजी गांव वाले घर में रहते हैं और पुणे वाले फ्लैट में मम्मी-पापा, भाई, मेरा चचेरा भाई और चचेरी बहन रहते हैं.
मेरे भाई और बहन पुणे में रह कर अपनी कॉलेज और स्कूल की पढ़ाई करते हैं.
मैंने पापा से जब यह कहा कि वहां का खाना मुझे बिल्कुल अच्छा नहीं लगा.
तब पापा ने कहा- ठीक ही और उधर किसी दूसरी जगह रह कर ट्राई करके देख ले, अगर पसंद आया तो ठीक … वरना वापस आ जाना और यहां से पढ़ाई कर लेना.
मैं जब वापस गया तब मैंने एक हफ्ते में 5 जगह जाकर उनकी मेस को ट्राई किया.
पर मुझे कोई पसंद नहीं आया.
मेरी पढ़ाई भी अच्छी तो नहीं कहूँगा, हां पर ठीक हो रही थी … तो वापस जाने का बिल्कुल मन नहीं था.
मेरे दादाजी ने पापा से कहा- अगर उसकी पढ़ाई उधर से ठीक हो रही है, तो उसकी चाची को उसके पास भेज देना. इससे उसका खाना भी अच्छा हो जाएगा और तबीयत भी ठीक रहेगी. यहां मेरा खाना उसकी दादी बना लेगी. इधर दो ही लोगों का खाना तो लगेगा.
जब ये बात पापा ने मुझे बताई, तब मैंने हामी भर दी क्योंकि वहां पढ़ाई का बहुत सही माहौल था.
मैंने एक फ्लैट देख लिया और जो जो जरूरी सामान लगने वाला था, वह सब चाँदनी चौक से खरीद लिया.
इसलिए सब कुछ बहुत सस्ते में निपट गया.
लगभग 15 दिन बाद मेरी चाची दिल्ली आ गयी थीं और दस ही दिन में हमारा सब कुछ सैट हो गया था.
मैं सुबह नाश्ता करके 9 बजे लाइब्रेरी चला जाता था.
दोपहर में एक बजे खाना खाने आता था और रात का खाना लगभग साढ़े सात बजे होता था.
अच्छे से दिन गुजर रहे थे. कभी कभार मोमोज वगैरह खाने चाची के साथ चला जाता था.
हमारे फ्लैट में मैंने वाईफ़ाई लगवाया था, तो कभी कभार रूम पर ही पढ़ाई कर लेता था.
बीच बीच में मेरा हस्तमैथुन भी हो जाता था. सब कुछ बहुत सही चल रहा था. तीन महीने तक मेरे किसी भी विचार में चाची नहीं आई थीं.
एक बार की बात है, जब मैं लंड हिला रहा था तो चाची ने मुझे देख लिया था.
मुझे तब पता नहीं लगा था, बाद में चाची ने बताया था.
एक बार ऐसे ही गूगल पर सर्फिंग करते समय मुझे अन्तर्वासना का पता चला था.
वहां एक सेक्स कहानी में मैंने मामी की चुदाई पढ़ी थी.
तब ऐसा खास कुछ ध्यान नहीं गया था पर मेरी नज़र चाची के मम्मों को देखने लगी थी.
अब मैंने ध्यान दिया था कि चाची के बूब्स बहुत बड़े है. हमारी बातें सामान्य ही होती रहती थीं.
अन्तर्वासना की कहानियों में मेरी रुचि बढ़ने लगी थी और साथ ही चाची की चूचियों को देखने का लगाव, सब इतनी तेज़ी से हुआ कि क्या बताऊं.
अब चाची को देखने का मेरा नज़रिया पूरी तरह से बदल गया था.
उसी चक्कर में मैं ज़्यादा समय फ्लैट पर बिताने लगा था.
एक बार चाची ने कहा कि मुझको कुछ कपड़े लेने हैं तो बाजार चलते हैं.
मैंने कहा- ठीक है, सरोजिनी मार्केट चलते हैं.
दो दिन बाद हम दोनों बाजार चले गए.
हम दोनों मेट्रो से गए थे.
वहां चाची ने कुछ कपड़े ले लिए.
उनको अपने लिए कुछ अन्दर पहनने वाले कपड़े खरीदने थे पर वे मेरी वजह से थोड़ा झिझक रही थीं.
मुझे समझ में आ गया क्योंकि वे बार बार मेरी तरफ देख रही थीं.
मैं- चाची आपको कुछ और लेना है क्या?
चाची ने झिझकते हुए कहा- नहीं … अभी और कुछ … नहीं लेना … बस जरा …
मैंने पहले ही फ्लैट पर देखा था कि चाची की ब्रा एक साइड से थोड़ी फट सी गयी थी.
पर मैं भी बात करने में थोड़ा डर रहा था.
लेकिन इतनी दूर आ गए थे और थोड़ी समझदारी भी आ चुकी थी, तो हिम्मत करके मैंने बात को आगे बढ़ाई- चाची, आप देख लीजिए. यहां और भी बहुत कुछ मिलता है … और बहुत सस्ता मिलता है.
चाची- नहीं राज … मुझे और कुछ नहीं लेना!
वे अभी भी थोड़ा अटक अटक कर बात कर रही थीं.
मैं- अरे कपड़ों से याद आया, मुझे अंडरवियर और बनियान लेना है. वह सब और ले लेते हैं, फिर वापस चलते हैं.
चाची- ठीक है.
जब मैंने मेरी अंडरवियर और बनियान ले लिए.
तो ऐसे ही मैंने चाची से थोड़ा खुल कर बात करने की कोशिश की और कामयाब भी हो गया- अरे चाची आपको भी अगर इनरवियर्स लेने हो, तो आप भी ले सकती हैं. यहां सब मिलता है.
चाची पहले तो एकदम से हक्की बक्की होकर देखने लगीं पर कुछ समय बाद वे भी बोलने लगीं- अरे हां, वह भी लेना है.
मैं- ठीक है, आप लेकर आओ. मैं यहीं हूँ शायद आपको मेरा वहां आना सही ना लगे.
चाची- ऐसा कुछ नहीं, तुम भी चलो. इनसे मोलभव कौन करेगा?
जब हम वहां गए तो चाची ने उस दुकानदार से कहा कि उन्हें 30 की ब्रा चाहिए.
तो दुकानदार चाची के चूचे देखता हुआ बोला- जी आपको 30 नहीं 32 साइज़ आएगा!
तभी पता नहीं मुझे क्या हो गया, मैंने बोल दिया- हां, तभी तो पहले वाली ब्रा फट गई है!
पर ये सब मैंने बहुत धीरे बोला, सिर्फ़ चाची को सुनाई दिया था.
यह सुनकर वे भी एकदम से मेरी तरफ देखने लगी थीं.
मुझे लगा अब वे गुस्सा करेंगी.
पर उन्होंने कुछ भी नहीं कहा और 32 की ब्रा ले लीं.
चाची ने 3 पीस ले लिए थे.
फिर अब हम दोनों वापस आने लगे.
मेट्रो स्टेशन से थोड़ा पैदल चलना पड़ता है तो मैंने एक ई-रिक्शे को रोक लिया और हम दोनों उस पर बैठ गए.
जब हम दोनों रिक्शे में थे तो उधर का रास्ता थोड़ा खराब था.
रिक्शा अपना संतुलन खो रहा था और वह पूरी तरह से एक तरफ को झुकने लगा था.
चाची ने खुद को संभालने के लिए मेरी जांघ पर हाथ रखा और जोर से पकड़ लिया.
जब रिक्शा ठीक हुआ, तब मुझे लगा कि अब चाची हाथ उठा लेंगी.
पर उन्होंने अपना हाथ वहीं लगाए रखा.
मुझे ऐसा महसूस हो रहा था कि वे अपना हाथ धीमे धीमे वहीं पर सरका रही थीं.
उनका लक्ष्य शायद मेरा लंड था.
यह सोच कर ही मेरे अन्दर तो एकदम से झटका सा लगा और अन्दर तक सनसनी सी फैल गई.
मेरा लंड खड़ा होने लगा.
धीरे धीरे उनका हाथ भी लंड के बहुत करीब आने लगा था.
अब तो उनका हाथ सिर्फ़ नाम के लिए जांघ पर था, बाकी तो मेरे लौड़े से टच होने लगा था.
शायद उनको भी लंड की तपिश महसूस हुई होगी और उसकी हलचल का भी अहसास हो गया था.
उन्होंने मुझे देखा और एकदम अलग सा भाव दिया.
उनके चेहरे पर थोड़ी अलग सी मुस्कान स्माइल आ गई थी.
पर उसके बाद चाची ने अपना हाथ हटा लिया था.
हम दोनों मेट्रो से सफर करने के बाद कुछ ही देर बाद अपने फ्लैट पर पहुंच गए.
मैंने चाची से कहा- चाची दुकान पर जो हुआ, उसके लिए सॉरी!
चाची- क्या हुआ? किस बारे में बोल रहे हो तुम?
मैं- अरे चाची, वह आपकी ब्रा फट गई है, मैंने उस बारे में बोल दिया था न!
चाची- अरे राज उसमें क्या है. सच पूछो तो मैं खास उसी की वजह से शॉपिंग के लिए गयी थी. आज पर तुम्हारे सामने कैसे कहूँ, इस वजह से मुझे शर्म आ रही थी.
मैं- अरे उसमें क्या है यार, हम दोनों इतनी बातें तो कर ही सकते हैं. वैसे भी हम लोग एक ऐसे शहर में हैं, जहां यह सब एक साधारण सी बात है. हम लोग इतनी बातें तो कर ही सकते हैं.
चाची- हां सही है राज!
ऐसे ही कुछ दिन बीत गए.
अब हम दोनों आपस में थोड़ा खुल कर बातें कर लेते थे.
एक दिन चाची बाहर सब्जी लेने गयी, तो मुझे लगा कि उनको आने में अभी वक्त लगेगा.
मेरा भी हिलाने का बहुत मूड था.
मैंने अन्तर्वासना पर कहानी पढ़ना चालू किया और कहानी पढ़ कर एकदम से मूड बन गया.
मेरा नहाना भी रह गया था तो मैं कच्छे में ही हो गया था.
मैं अपने बेडरूम में बैठ कर अपने लंड को सहला रहा था.
मैंने अपने 6.5 इंच के लंड को बाहर निकाला और धीरे धीरे हिलाने लगा.
मुझे पता ही नहीं चला कि चाची कब अन्दर आ गई थीं.
मेरा ध्यान जैसे ही उन पर गया, मैं एकदम से बौखला गया.
चाची ने यंग बॉय मास्टरबेशन का नजारा देख लिया था.
उस वक्त मुझे कुछ नहीं सूझा और मैं तुरंत बाथरूम में भाग गया.
मैं बहुत ज्यादा डर सा गया था.
मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा था कि कैसे उनको मुँह दिखाऊं.
उस वक्त हुआ यह था कि चाची पैसे लेकर जाना भूल गयी थीं, इसलिए वे वापस आ गयी थीं.
मैं नहा कर तुरंत लाइब्रेरी चला गया और उनको मैसेज कर दिया कि दोपहर का मेरा खाना मत बनाना चाची, मैं दोस्त के साथ खाना खाने बाहर जा रहा हूँ.
उन्होंने मेरा मैसेज बस देखा और बिना कुछ कहे रह गईं.
अब मेरी और ज्यादा फटी.
रात को जब मैं फ्लैट पर गया तब चाची मोबाइल चला रही थीं.
मैं जाकर चुपचाप अपने बेड पर बैठ गया.
चाची ने मेरी तरफ देखा तो मुझे लगा कि अब वे बहुत गुस्सा करेंगी.
चाची- क्या हुआ राज … सुबह के गए अब आ रहे हो?
मैं चुप रहा.
चाची- बोलो कुछ!
मैं- सॉरी चाची.
चाची- अरे यार वह तो सब नॉर्मल है … तुम इतना क्यों टेंशन ले रहे हो.
मैं- मैं बहुत डर गया था इसलिए दोपहर में भी नहीं आया.
चाची- पागल हो यार तुम … इतना डरने की क्या बात है इसमें! तुम्हीं ने तो कहा था कि हम दिल्ली में रह रहे हैं, यहां ये सब नॉर्मल है. तुम लोगों को हफ्ते में 2 से 3 बार तो हिलाना ही चाहिए. उसी वजह से तुम्हारा मूड भी फ्रेश हो जाता है और पढ़ाई में भी कोई ग़लत असर नहीं पड़ता.
ये सब बातें सुनकर तो मेरे कान बजने लगे थे और मैं एकदम से किसी और दुनिया में खो गया था.
चाची मेरे कंधे को हिलाती हुई बोलीं- राज तुम किसी भी फालतू चीज़ का टेंशन मत लो … तुम बेवजह टेंशन ले रहे हो!
मैं- फिर से सॉरी चाची!
चाची- हां चल ठीक है … कोई बात नहीं, वैसे तुम पर अगर गुस्सा करना होता तो तभी कर देती जब तुम रात को अपने चादर के अन्दर हिला रहे थे, मैं तब भी जागी हुई थी.
मैं- अरे यार मतलब आप पहले ही मुझे पकड़ चुकी हैं?
हम दोनों थोड़ा सहज होकर हल्का हल्का सा हंसने लगे.
चाची मेरे साथ थोड़ा और खुल कर बातें करने लगीं.
देसी भाभी पोर्न स्टोरी में एक भाभी को अपने पति से पूरा चुदाई सुख नहीं मिल रहा था. तो जैसे ही मौक़ा मिला, उसने गैर लंड को अपनी चूत में ले लिया.
मेरा नाम जागृति है और मैं 28 साल की हूँ.
यह मेरी पहली सेक्स कहानी है.
हालांकि मैंने कई कहानियां लिखी हैं … पर किसी न किसी संकोच की वजह से कभी पोस्ट नहीं की.
पहले मैं खुद के बारे में बता दूँ.
मैं काफी हॉट दिखती हूँ.
लोग मुझे पसंद करते हैं, पर मैं कोई हूर की परी नहीं हूँ.
मैं झूठ बोलकर अपनी कहानी को नकली नहीं बनाना चाहती हूँ.
इस देसी भाभी पोर्न स्टोरी में मैं सब सच लिखने की कोशिश करूँगी.
मैं एक आम लड़की हूँ, बस मेरे ‘आम’ किसी आम लड़की जैसे नहीं हैं.
वे बहुत ही ख़ास हैं!
मैं बड़े गर्व से बताना चाहूँगी कि मेरी ब्रा का साइज़ 36 है.
अगर आपको ब्रा की साइज़ का ज़रा भी अंदाज़ा होगा तो आप समझ चुके होंगे कि मेरे ‘आम’ किसी बड़े खरबूजों से कम नहीं हैं.
अब मैं अपनी निजी जिंदगी के बारे में भी कुछ बता देती हूँ.
मेरी शादी हुए कुछ साल हो गए हैं और मेरे पति काफ़ी बोरिंग इंसान हैं.
उन पर लानत है कि मेरी जैसी लड़की को शादीशुदा होते हुए भी अपनी प्यास बुझाने के लिए यहां वहां जाना पड़ता है.
वैसे तो मेरी रंगरेलियों के कई किस्से हैं.
मैं आपके साथ धीरे धीरे सब शेयर करूँगी.
पर यह एक किस्सा जो आज बता रही हूँ, वह बड़ा ही रोमांटिक हैं और कामुक कर देने वाला वाकिया है.
एक बार मैंने ब्यूटी सैलून की होम सर्विस देने वाले को ऑनलाइन बुक किया था.
मैंने सोचा था कि लड़की आएगी.
पर एक लड़का आ गया.
शुरू में थोड़ा अजीब सा लगा, पर फिर मैंने सोचा कि कई बार यूनिसेक्स सैलून में जाती हूँ तो उधर लड़के ही बेसिक ब्यूटी सर्विसेज देते हैं.
तो अजीब लगने की कोई बात नहीं लगी.
फिर मुझे सिर्फ़ पैडीक्योर और मैनीक्योर ही करवाना था.
मेरे घर पर सिर्फ़ मैं, मेरे पति और मेरे ससुर ही रहते हैं.
उस वक़्त मेरे पति ऑफिस गए हुए थे और मेरे ससुर ड्राइंग एरिया में टीवी देख रहे थे.
अब क्योंकि मुझे ब्यूटी सर्विसेज लेनी थी तो ज़ाहिर था कि उसे मैं अपने रूम में ही ले जाकर सेवा लूँगी.
हमारा घर एक ड्यूप्लेक्स है और मेरा रूम ऊपर की मंजिल में है.
नीचे ड्राइंग एरिया है और मेरे ससुर का कमरा है.
मैं उस लड़के को अपने कमरे में ले गयी.
मेरे ससुर अच्छी पोस्ट से रिटायर्ड हैं और काफ़ी खुले ख्यालों के हैं.
तो उनकी तरफ से कोई प्राब्लम नहीं थी.
मैंने अपने कमरे का दरवाज़ा बंद नहीं किया क्योंकि किसी के आने की कोई उम्मीद थी ही नहीं.
उसने अपना नाम आकाश बताया और सैटअप करना शुरू किया.
वह सामान निकाल रहा था और मैं उसकी तरफ देख नहीं रही थी.
पर मेरा ध्यान उसी की तरफ था क्योंकि काफ़ी अच्छी कद-काठी का था.
मेरे बेडरूम में एक अंजान आदमी का इस तरह होना, वह भी जब मेरे ससुर घर पर थे, मेरे लिए थोड़ा असहज कर देने वाला था.
मैं एक लड़की ब्यूटीशियन के आने की उम्मीद कर रही थी तो मैंने एक आरामदायक वन पीस पहना हुआ था.
इस वन पीस की स्लीव्स बहुत ही छोटी और ढीली थीं ताकि मैनीक्योर के बाद पूरे हाथ पर अच्छे से मसाज ले पाऊं.
साथ ही पैडीक्योर में भी आराम से घुटनों तक मसाज हो जाए.
उस लड़के ने सैटअप जमाया और मुझसे पूछा- मैम, शुरू करें?
मैंने कहा- हां श्योर!
मैं बेड के किनारे पर बैठ गयी.
उसने फ्लोर पर पैडीक्योर मशीन लगा दी थी.
मेरे पैर उठा कर उसने मशीन में रख दिए और मशीन को चालू कर दिया.
तभी उसने अचानक से मेरा गाउन ऊपर उठाया और घुटनों से भी ऊपर कर दिया.
एक लड़के के हाथ यह सब करवाना मुझे काफ़ी अजीब महसूस हुआ.
एकदम से नीचे वाले छेद में गुदगुदी सी होने लगी, पर मैंने सोचा कि यह तो उसका तो रोज़ का ही काम है, क्या शर्माना.
मैं अपनी जांघों को कसके एक दूसरे से चिपकाई हुई थी क्योंकि नीचे पैंटी पहन रखी थी, पैंट्स या ब्लूमर नहीं पहना था.
उसने मुझसे सहज रहने को कहा, पर मैं वैसे ही अपनी टांगों को छिपा कर बैठी रही.
उसने अचानक से मेरी एक टांग उठाई और अपने घुटने पर रख ली.
फिर मेरी टांग में क्रीम लगाने लगा.
अब इस तरह से करने से मेरी जांघें खुल चुकी थीं और मुझे पता था कि उसे मेरी पैंटी दिख रही थी.
यह सोच कर ही मैं थोड़ी गीली होने लगी कि एक आदमी मेरे बेडरूम में मेरी टांग पकड़ कर बैठा है और मेरी पैंटी भी देख पा रहा है.
इतने में उसने दूसरी टांग उठाई और उस पर क्रीम लगा कर दोनों टांगें विपरीत दिशा में फैला कर पैडीक्योर टब के दोनों तरफ रख दीं.
मुझे यकीन नहीं हो रहा था कि वह मेरी टांगें फैला कर ऑलमोस्ट उनके बीच में बैठा है और मेरी चड्डी देख रहा है.
शायद मेरी चूत को सूंघ भी रहा है और मैं चुपचाप बैठी हूँ.
उसकी हरकतें मुझे अब कुछ ठीक नहीं लग रही थीं.
ऐसा लग रहा था कि उसके दिमाग़ में कुछ चल रहा है.
पर मुझे न जाने क्यों … यह सब कुछ थोड़ा अच्छा भी लग रहा था.
तभी उसने मुझसे पूछा- फुल बॉडी मसाज, फुल बॉडी वैक्सिंग के पैकेज पर काफ़ी डिस्काउंट चल रहा है, आप लेंगी मैम?
यह सुन कर जैसे मैं सुन्न सी हो गयी, मुझे समझ नहीं आ रहा था कि क्या बोलूं.
तभी उसने एक ऐसी बात कही कि मेरी आँखों के आगे अंधेरा सा छा गया.
‘बिकिनी वैक्स भी फुल बॉडी में इंक्लूडेड है!’
यह सुन कर मुझे लगा कि मैं कहां छुप जाऊं.
मेरी चूत पर काफ़ी घने बाल थे क्योंकि मैंने बहुत दिनों से हेयर रिमूवल नहीं किया था.
पति के साथ चुदाई किए हुए भी दो महीने हो चुके थे.
शायद मेरी पैंटी लाइन से उसने वह बाल देख लिए थे और तभी वह यह कह रहा था.
मैंने एकदम से उससे कह दिया- नहीं, मैं ऐसी सर्विसेज घर पर नहीं ले सकती … क्योंकि मेरे ससुर घर पर हैं.
यह कहने के बाद मुझे लगा कि यह क्या कह दिया मैंने … मैं सीधा मना भी कर सकती थी.
पर मैंने ऐसे कहा, जैसे मुझे उससे कुछ भी करवाने में आपत्ति नहीं होती … अगर मैं घर पर अकेली होती.
उसने कुछ नहीं कहा और बहुत कामुक तरह से मुझे छूते हुए मेरा पैडीक्योर करता रहा.
ऐसा लग रहा था कि वह मुझे उत्तेजित करने की कोशिश कर रहा हो.
मैं हो भी रही थी.
ऊपर से वह बार बार मेरी पैंटी की तरफ भी देख रहा था.
मुझे महसूस हो रहा था कि मैं गीली हो रही हूँ, पर मैं चुपचाप अपने मोबाइल में देखती रही.
उसने पैडीक्योर पूरा किया बस मसाज होना बाकी था.
तभी उसने मैनीक्योर शुरू किया और पहले मेरे एक कंधे की मसाज करने लगा.
यह अजीब था क्योंकि अक्सर मैनीक्योर के बाद मसाज होती है.
पर उसने पहले शुरू कर दी थी.
वह मेरी कोहनियों से ऊपर मेरे कंधों तक आता … फिर अपनी उंगलियां मेरी स्लीव्स के अन्दर तक ले जाता.
फिर मेरी गर्दन पर मसाज करता और अपना हाथ लगभग मेरी छाती तक ले जाता.
ऐसे लग रहा था जैसे वह मुझसे आज्ञा माँग रहा हो कि उसे मम्मे छूने की पर्मिशन दे दी जाए.
मैं चुपचाप मोबाइल ही देख रही थी कि तभी नीचे से आवाज़ आई- जागृति, घर का दरवाज़ा बंद कर लो, मैं स्टेशन जा रहा हूँ.
मुझे याद आया कि मेरे ससुर के दोस्त आज कहीं जाने वाले थे और वह उन्हें ड्रॉप करने जा रहे थे.
यह सुन कर जैसे उस लड़के के हाथों में एक अलग ही जोश आ गया.
इस बार मेरी छाती के और अन्दर हाथ ले जाते हुए उसने धीरे से मेरे कान में कहा- दरवाजा बंद करके आ जाइए, मैम!
उसकी गर्म सांसें जैसे मुझसे कह रही थीं कि वह मेरा पूरा बदन टटोलना चाहता है.
मैं चुपचाप गेट बंद करके आ गयी.
मेरी सांसें अब काफ़ी तेज़ थीं और उसने यह बात नोटिस कर ली थी.
उसने कहा- मेम फुल बॉडी वैक्सिंग ले लो … मैं मसाज कॉंप्लिमेंटरी दे दूँगा.
इस बार उसने मेरे मम्मे छू लिए थे.
बस वह मेरी चूचियों के निप्पल तक नहीं पहुंच पाया था.
मैंने फिटिंग की ब्रा पहनी थी, तो वह मेरे एक दूध की ऊपरी चमड़ी को सहला कर वापस आ गया था.
मेरी चूत अब पहले से फड़फड़ा रही थी.
मैं दिमाग़ से नहीं, अब चूत से ही सोच रही थी.
अंतत: मैंने कह दिया- ठीक है कर दो वैक्सिंग!
यह सुन कर उसने मुझे ब्रा उतरने को कहा ताकि वह अच्छी तरह मसाज दे पाए.
असल में वह मुझे गर्म कर रहा था.
मैंने ब्रा का हुक खोल दिया और ब्रा को ढीली करके चूचों से नीचे कर दी.
उस गैर मर्द ने पहली बार मेरी चूचियों पर अपनी उंगलियां फिराईं.
‘आह … मज़ा आ गया … बिल्कुल कड़क हो चुकी थीं.’
बस ऐसा लग रहा था कि मेरी चूचियां वन पीस फाड़ कर बाहर निकल जाएंगी.
मैं चाहती थी कि वह अपने मुँह में लेकर इनको अब चूस ले.
उसने जैसे मेरे दिल की बात सुन ली, उसने मेरे सामने के बटन्स खोल दिए और मुझे शीशे के सामने बैठने को कहा.
शीशे के सामने लाकर उसने कहा- मसाज का आनन्द लेना है तो शरीर को ढीला छोड़ दो और सब खोल दो.
उसके मेरे दोनों दूध सहज भाव से खींच कर बाहर निकाले और उन्हें देख कर हैरान हो गया.
बहुत मुश्क़िल से मेरे पूरे मम्मे बाहर आ पाए थे, दरअसल मेरे ऐसे लग रहे थे मानो दूध फँस गए हों.
इतने बड़े दूध उसने पहले असलियत में देखे नहीं होंगे.
उस पर मेरे निपल्स भी बहुत बड़े बड़े हैं. कड़क होकर जामुन से कम छोटे नहीं लगते हैं.
उसके मुँह से सच में पानी टपकने लगा, पर वह अभी भी ब्यूटीशियन का चोला पहले हुए था.
वह कहने लगा- बाहर से हमेशा पता नहीं चलता कि थैले के अन्दर कितना बड़ा फल है.
मैंने कुछ नहीं कहा.
पर वह शायद मुझे हंसाना चाहता था.
उसने कहा- मैं पहले नीचे की वैक्सिंग कर देता हूँ.
वह फिर से मेरी टांगें फैला कर मेरी पैंटी के बहुत करीब आकर बैठ गया और जोर जोर से सूंघने लगा.
जब तक वैक्स गर्म हो रहा था, उसने मेरी पैंटी बहुत प्यार से उतारी.
उस पर लगे मेरे पानी को देखा और कहा- बहुत सुंदर पैंटी है लेकिन अन्दर की चीज़ इससे भी सुंदर है.
मैं शर्मा गयी और नीचे देखने लगी.
उसने कहा- शीशे में देखती रहिए कि मैं क्या कर रहा हूँ, बाद में शिकायत ना हो.
मुझे दिखा दिखा कर उसके मेरी गीली चूत एक वेट वाइप से पौंछ दी और फ़ुद्दी के ऊपर टिश्यू लगा दिया.
फिर उसने वैक्स लिया और मेरे नीचे लेफ्ट साइड अच्छे से वैक्स लगा दिया.
जब वह वैक्स पर कपड़ा लगा रहा था, मुझे घबराहट हो रही थी क्योंकि मैंने इससे पहले कभी वहां पर वैक्स नहीं करवाई थी.
उसने मुझसे आश्वासन दिया और कहा- कुछ नहीं होगा, आपकी झांटों की सफाई अब मेरी ज़िम्मेदारी है.
यह कर उसने एक झटके से कपड़ा खींच दिया.
मैं जैसे ही दर्द से चिल्लाने वाली थी, उसने अपना मुँह मेरी चूत पर रख दिया और चाटने लगा.
मुझे झांटों के खिंचने से दर्द तो हो रहा था पर उसके चाटने से मुझे इतना सुकून मिला जैसे सालों से सूखी धरती पर बारिश आ गयी हो.
मैंने अपनी दोनों टांगें और ज्यादा फैला दीं और उसे उसके मन की करने दी.
उसने मेरी चूत को चाट चाट कर मुझे ठंडक दे दी और जैसे एक साइड में झांटों के साथ किया था.
वैसे ही उसने दूसरी तरफ भी वैक्स करके झांटें खींच कर चूत चिकनी कर दी और पुन: चाटने लगा.
शायद ही कभी किसी ने मेरी इतनी अच्छी चूत चाटी थी.
दर्द कब गायब हुआ और मज़ा आने लगा … कुछ पता ही नहीं चला.
उसके चाटने से मैं और गीली होने लगी और अब वह मेरी फ़ुद्दी भी चाट रहा था.
मैं कामुक आवाज़ें निकालने लगी थी.
वह बार बार मेरा ध्यान शीशे की तरफ ले जाता ताकि मैं देख पाऊं कि वह क्या कर रहा है.
शीशे में अपनी चूत के साथ सब होता देख कर मैं और भी ज़्यादा गर्म होती गयी.
उसने अपनी जीभ मेरी चूत में डाल डाल कर मुझे गर्म कर दिया.
जैसे वह मेरी चूत को अपने मुँह से ही चोदने की कोशिश कर रहा था.
वह कुछ देर रुक कर मेरी आंखों में देखने लगा और फिर से चूत चाटने लगा.
इस बार उसने धीरे से एक उंगली भी मेरी चूत के अन्दर घुसेड़ दी और दाने को मसलने लगा.
मैं महीनों से नहीं चुदी थी और यह सब मुझे इतना मज़ा दे रहा था कि मुझे कोई याद ही नहीं रहा था कि मैं शादीशुदा हूँ और अपने बेडरूम में एक अंजान मर्द से अपनी चूत चटवा रही हूँ.
अब मैं कराह रही थी- आह आह आकाश … रूको मत प्लीज करते रहो.
उसने ऐसे ही मेरी फ़ुद्दी चाट-चाट कर एक बार मुझे चरम सुख का आनन्द दे दिया.
मैं झड़ गयी और मेरा शरीर ढीला पड़ने लगा.
तभी वह खड़ा हो गया और वापस मेरे पीछे खड़ा होकर मुझे मसाज देने लगा.
अब वह बहुत अच्छी तरह मेरे मम्मे दबा रहा था.
जैसे कोई आम को चूसने से पहले पिलपिला करता है, ठीक वैसे ही वह मेरे दूध मसल रहा था.
मैं मज़े ले रही थी, अपने दूध मसलवाती हुई शीशे में देख रही थी.
वह मेरी चूचियां ऐसे भींच रहा था जैसे उनमें से दूध निकालने की कोशिश कर रहा हो.
उसने मेरे दूध दबा-दबा कर खूब मज़े लिए और मुझे दिए भी.
फिर सामने आकर बैठ गया और मेरे एक दूध को चूसने लगा.
वह मेरे मम्मों पर ऐसे टूट पड़ा था, जैसे कोई भूखा बछड़ा अपनी गाय के थन पर टूट पड़ता है.
उसने हाथों से दबा दबा कर जो मेरी चूचियां चूसी, उससे मैं निहाल हो गई.
पहले एक-एक, फिर दोनों को मिला कर एक साथ चूसीं.
ऐसा लग रहा था कि वह सारा रस पीकर इनको चूसे हुए आम की तरह लटका देगा.
उसने मेरी चूचियां ऐसी लाल की कि कई दिनों तक मुझे उन पर क्रीम लगानी पड़ी.
आख़िर में उसने कहा- हाथ और मुँह से बहुत मसाज दे दी, अब मैं अपना ख़ास यंत्र निकालता हूँ, उससे मैं तुम्हारा बचा हुआ रस निकालूँगा.
वह बेदर्दी मुझे एक भूखी रांड समझ कर अपनी सभ्यता भूल कर तुम तुम्हारी करने लगा था.
सच तो यह है कि बॉस बन कर चूत चुदवाने से ज्यादा मजा एक दासी बन कर चुदवाने में आता है.
चुदाई के वक्त जब मर्द औरत को गाली देकर चोदता है और उसे कुचलता है तभी तृप्ति मिलती है … कम से कम मेरे साथ तो ऐसा ही है.
उसने मुझे खड़ा कर दिया और आगे की तरफ झुका दिया.
फिर अपनी जीन्स की ज़िप खोली और अपने तने हुए फड़फड़ाते लंड को बाहर निकाला.
मैं घूम कर लंड देखा तो लगा कि आज मेरी चूत की खैर नहीं.
फिर उसने मुझे पकड़ कर मेरी चूत में पीछे से अपना लंड पेला तो मेरी आह निकल गई.
उसने एक बार भी मेरी आह कराह पर ध्यान नहीं दिया और वह किसी मदांध सांड की तरह चूत फाड़ता चला गया.
बड़ी लंबी रेस का घोड़ा था वह … देसी भाभी पोर्न चुदाई करते हुए करीब चालीस मिनट के बाद उसने अपना पानी मेरी ड्रेसिंग टेबल पर छोड़ा.
इन 40 मिनट में उसने मुझे झटके मार मार कर मेरे हिलते हुए दूध दिखा दिखा कर और खुद देख कर जो तोड़ा है, उससे मेरी महीनों की सेक्स की प्यास बुझ गई थी.
उसने मेरे बदन का हर एक हिस्सा खोल दिया था.
खड़ा करके, घोड़ी बना कर, कुतिया बना कर … ऐसे अलग अलग आसनों में मेरी गांड पर थप्पड़ मार मार कर और मेरे दूध दबा दबा कर मेरे ही बेडरूम में मुझे चोदा.
उसने उस दिन ड्रेसिंग टेबल पर ही मुझे घोड़ी बना कर मेरी चूत फाड़ दी, बहुत सारा पानी निकाला.
जो सुख मेरे पति ने सालों में नहीं दिया, वह उसने अपनी कुछ घंटों की सर्विस में मुझे दे दिया.
इस घटना ने मेरी चूत की प्यास को जगा दिया था.
अब मेरी फुद्दी अकेली और सूखी नहीं रह सकती थी.
चुदाई के बाद कुछ मिनट तक हम दोनों बेड पर पड़े आराम करते रहे.
फिर उसने एक पेन से मेरे एक दूध पर अपना नाम और दूसरे पर अपना नंबर लिख दिया.
मैं मुस्कुरा दी.
वह मुझे चूम कर वापस चला गया.
उसे मैंने वापस बुलाया या नहीं, यह मैं फिर कभी बताऊंगी, तब तक के लिए बाय … चुदाई करते और करवाते रहें.
यह मेरी सच्ची कहानी है। मैं एक स्मार्ट, सेक्सी और Hindi Sex Stories सुन्दर लड़का हूं। वैसे तो मैंने बीस बाईस लड़कियों के साथ सेक्स किया है पर यह मेरी प्रेमिका के साथ पहली चुदाई थी।
१९९९ की बात है। मैं अपनी मौसीजी को देखने पी.जी.आई. लखनऊ गया था। वहां पर मुझे मेरी प्रेमिका से मुलाकात हुई। उसकी शादी लखनऊ में मेरी मौसी के खानदान में हुई थी। मैं और मेरे मामा सुबह ही पी.जी.आई. पहुंच गए थे। मैंने जब रितु को देखा तो मैं बहुत खुश हुआ। वो रात भर मौसी की देखभाल करने के लिए जागी थी।
थोड़ी देर बाद मौसी ने मुझसे कहा कि सैम तुम रितु को कमरे में ले जाओ, वो रात भर की जागी हुई है, उसे फ़्रेश होना है, नहाना धोना है। मौसी का घर पी.जी.आई. से बीस किलोमीटर दूर है, इसलिए मौसाजी ने हस्पताल के कैम्पस में कमरा ले रखा था। मैं रितु को लेकर कमरे में चला गया। रास्ते भर वो मुझसे मेरा हालचाल पूछती रही और कहती रही कि उसे मेरी बहुत याद आती है। मैंने कहा- तुमने तो शादी कर ली, मैंने भी शादी कर ली लेकिन मैं अकसर तुम्हारी याद में खोया रहता हूं। थोड़ी देर बाद हम कमरे में आ गए।
मैं तो बिस्तर पे जाकर सो गया, उसने कहा कि मैं नहा लेती हूं। वो रात भर की जागी हुई थी।बाथरूम में गई लेकिन भीतर से बंद करने के लिए चिटकनी नहीं थी। उसने सोचा कि और कोई तो आएगा नहीं ,वो अपने सारे कपड़े उतार के नहाने लगी क्योंकि उसे उन्हीं कपडों में घर भी जाना था, अचानक दरवाजा खुल गया। वो मेरे सामने नंगी खड़ी थी। मै बेड पे लेटा दरवाजे की तरफ़ ही देख रहा था। हम दोनों ने एक दूसरे को देखा। वो उसी हालत में दरवाजे को बंद करने लगी।
नहा के वो जब बाहर आई तो नजरे नहीं मिला पा रही थी। अचानक वो मेरे बगल में आ के बैठ गई, मुझसे कहने लगी …आइ लव यू सैम …आज मेरे साथ जो हुआ पहले कभी नहीं हुआ ..मैंने मौके की नजाकत को समझते हुए उसे अपनी बाँहों में भर लिया किस करने लगा। जीभ से जीभ टकराते ही मानो ऐसी हलचल होने लगी जैसे दो बिछडे प्रेमी आज मुद्दत के बाद मिले हों। हम दोनों ने एक दूसरे के सारे कपड़े वहीँ पे उतार फेंके। बदन की गर्मी शोलों जैसी लग रही थी। उसकी चूची जैसे कह रही थी आज सिर्फ़ मुझे चूसो, मैं कभी उसके होंठ चूसता तो कभी उसकी चूची।
मैंने जब उसके बुर में ऊँगली रखी तो उसमे से पानी निकल रहा था। उसने मेरे लंड पे हाथ जब रखा तो मेरा लंड फनफना उठा। मैंने लन्ड को उसके मुंह पे रखा तो उसे वो चूसने लगी और बोलती जा रही थी ..आई विल किल यू ,फक मी ..फक मी ..!!!!!!!!!!!
मैंने उससे पूछा क्या तुम्हारे साथ तुम्हारे पति ये सब नहीं करते हैं क्या …?
वो बोली- उनके पास टाइम नहीं है ! १०-०५ मिनट में ही सब कुछ करके सो जाते हैं …!!!
मैंने सोचा कि आज इसे जम के चोदूंगा ..मेरा लंड जब तन्नाने लगा तो मैंने उसकी बुर में ७ इंच का लंड डाला तो वो तड़प उठी। मैंने चार धक्के ही लगाये थे उसकी बुर से खून आने लगा।
मैंने पूछा कि इतना अंदर कभी नहीं गया क्या?
उसने कहा नहीं मेरे पति मुझसे सेक्स नहीं कर पाते हैं, उनका लंड छोटा है .तुमने तो कमाल कर दिया …!
उसके बाद १० मिनट तक चोदते चोदते मै भी झड़ गया। १५-२० मिनट बाद वो मेरा लंड अपने मुंह से फिर चूसने लगी। मेरा लंड इतना लंबा और मोटा हो गया कि मैंने २०-२२ मिनट तक उसे चोदा तब जाके झड़ा…उसे बहुत आनद मिला ..
रितु की बुर में जो मजा मिला शायद ही कभी मिला हो …
मैं आज भी उसके सम्पर्क में हूँ … वो आज मेरे बच्चे की माँ भी है .वो आज लखनऊ में है और मैं उससे २०० किलोमीटर दूर।
अगर आपको मेरी कहानी अच्छी लगी हो तो मुझे इ-मेल करें। Hindi Sex Stories
मेरा नाम रेखा है, मैं नासिक (महाराष्ट्र ) कालवन के पास नाभा में रहती हूँ।
मैं गयारहवीं क्लास की छात्रा हूँ, पढ़ाई में ठीक ठाक हूँ मगर सेक्स के मामले में बहुत तेज़ हूँ।
जब से जवानी ने मेरे बदन में बदलाव लाने शुरू किए, तब से मैं इस बात को लेकर बहुत उत्सुक रही हूँ।
मैं अक्सर घर में शीशे के सामने नंगी होकर खड़ी हो जाया करती थी यह देखने के लिए कि मेरे स्तन कैसे धीरे धीरे आकार ले रहे हैं, कैसे मेरे निप्पल बन रहे हैं और कैसे मेरी चूत पर उगने वाले मुलायम रेशमी बाल गुच्छे में तब्दील होते जा रहे हैं।
और जब मुझे मासिक धर्म यानि के डेट आनी शुरू हुई तो उसके बाद तो जैसे मेरी ज़िंदगी ही बदल गई।
मुझे तभी से ऐसे लगने लगा कि जैसे मैं तो पूरी जवान हो गई।
और जब मौसी की लड़की ने यह बताया कि डेट आने का मतलब कि अब तू बच्चा पैदा कर सकती है तो मुझे बड़ी उत्सुकता हुई यह जानने के लिए कि अगर बच्चा औरत के पेट से निकलता है तो अंदर कब और कैसे जाता है।
खैर ये तो मेरे बचपन की बातें है।
जब मैं 10+1 में हुई तो पापा ने ट्यूशन पढ़ने के लिए घर पर ही इंतजाम कर दिया।
एक सर हर रोज़ मुझे शाम 6 से 7 बजे तक ट्यूशन पढ़ाने के लिए घर पर ही आते थे।
थोड़े दिनों बाद पड़ोस की कपूर आंटी का बेटा अमित जो 10+1 में था पर किसी दूसरे स्कूल में था, वो भी मेरे ही सर से ट्यूशन पढ़ने हमारे ही घर आने लगा।
पहले तो हम बहुत कम बात करते थे, पर धीरे धीरे हम दोस्त बन गए और हौले हौले आपस में बहुत खुल कर बात करने लगे।
ट्यूशन के दौरान मम्मी हमें चाय देकर जाती थी और सर की आदत थी कि वो चाय से पहले एक सिगरेट पीते थे, तो जब माँ चाय देकर जाती, सर चाय लेकर बालकनी में चले जाते, वहीं पर पहले एक सिगरेट और फिर चाय पीते।
इसी दौरान हम दोनों को आपस में खुसर फुसर करने का मौका मिल जाता।
एक दिन ऐसे ही चाय के समय किसी बात पर छीना झपटी के दौरान अमित का हाथ मेरी चूची पर ज़ोर से लगा।
अमित ने तभी मेरे से माफी मांगी- सॉरी रुचि यार, गलती से लग गया।
मैंने उसका बुरा नहीं माना और कहा- कोई बात नहीं, मुझे बुरा नहीं लगा।
‘क्या बुरा नहीं लगा, मेरा हाथ लगना?’ उसने पूछा।
‘नहीं, कुछ भी नहीं…’ मैंने भी कह दिया।
‘क्यों तुम्हें चोट नहीं लगी, मेरा हाथ तो बहुत ज़ोर से लगा था?’
‘नहीं, कोई बात नहीं!’ मैंने कहा।
हालांकि उसके हाथ के छूने से मेरे दिल की धड़कन बढ़ गई थी।
‘हाँ, शायद नर्म चीजों पर चोट कम लगती हो?’ उसने कहा।
मैंने देखा उसकी आँखों में शरारत थी।
मैंने कहा- अच्छा, तो फिर एक दिन मैं भी बदला लूँगी, और तुम्हारी भी किसी नर्म चीज़ पे मारूँगी।
और हम दोनों हंस दिये।
इतने में सर आ गए और हमारी बातचीत बंद हो गई।
उसके बात तो अगले दो तीन दिनो में ही अमित ने जान बूझ के मेरे वक्ष के उन्नत उभारों को छूआ, मगर मैंने कभी भी बुरा नहीं माना।
इससे उसकी हिम्मत बढ़ गई और एक दिन जब सर बाहर खड़े चाय पी रहे थे तो अमित ने बड़े आराम और इतमीनान से सरेआम ही मेरे चूचों को पकड़ लिया।
‘अमित ?!’ मैंने बड़े हैरान हो कर कहा- हाऊ डेयर यू?
पर मैंने उसका हाथ अपने स्तनों से हटाने की कोई कोशिश नहीं की।
‘बस यार… दिल किया छू कर देखने को, तो छू लिया।’
‘और अगर सर देख लें तो या मम्मी आ जाएँ तो?’ मैंने कहा।
‘तो जब सर या तुम्हारी मम्मी न हों तो तब छू के देख लिया करूँ?’ उसने मुस्कुरा के कहा।
मेरी तो हंसी निकल गई।
बस मेरे हंसने की देर थी और उसने झट मेरे दोनों बूब्स पकड़ के दबा दिये।
मुझे भी अच्छा लगा।
उसके बाद तो यह सिलसिला ही चल निकला।
2-4 दिनों बाद अमित ने मुझे किस करने की इच्छा जताई।
मैंने कहा- मगर करेंगे कहाँ?’
तो वो बोला- ऐसा करते हैं, सर के जाने के बाद भी आधा घंटा रिवीजन किया करेंगे, उस दौरान अगर मौका मिल गया तो किस कर लेंगे’
मुझे आइडिया पसंद आ गया।
अगले ही दिन हमने आधा घंटा और रिवीजन की, मगर मौका नहीं मिला क्योंकि सर के जाने के बाद मम्मी आ कर बैठ गई थी।
मगर उससे अगले दिन करीब सात बज कर बीस पच्चीस मिनट पर दूध वाला आ गया, और जैसे ही मम्मी दूध लेने गई, अमित ने मुझे आँख से इशारा किया तो मैंने भी अपना चेहरा उसके पास कर दिया।
अमित ने बड़े ही प्यार से मेरे होंठों से अपने होंठ लगा दिये और मेरे नीचे वाले होंठ को अपने दोनों होंठों में दबाया।
यह एक बहुत ही अलौकिक एहसास था, मेरे जीवन का पहला चुम्बन था, और अमित का भी !
तो हम दोनों के जैसे बदन में बिजलियाँ कौंध गई, हमारे रोंगटे खड़े हो गए, चेहरे से गर्मी निकलने लगी और न जाने क्या क्या हो गया।
यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं !
खैर अब जब बूब्स दबाना और चूमाचाटी करना रोज़ की बात हो गई तो हम यह सोचने लगे कि अब आगे कब, क्या और कैसे किया जाए।
फिर एक दिन अमित अपने मोबाइल में एक फिल्म लेकर आया और उसे मेरे मोबाइल में डाल कर बोला- रात को देखना, बहुत बढ़िया चीज़ है।
रात को सोने से पहले मैंने अपने कमरे में बेड पे लेट कर वो वीडियो देखी।
वो एक ब्लू फिल्म थी जिसने मेरी सारी शंकाएँ दूर कर दी।
अब मुझे सब पता चल गया कि रात को मम्मी और पापा क्या करते हैं।
मैंने वो वीडियो 4-5 बार देखी और अपनी चूत को बहुत मसला, मगर जो कुछ मेरी हालत हो रही थी वो मेरे बस से बाहर थी।
मैं ये सब कुछ अमित के साथ करना चाहती थी।
अगले दिन अमित ने मुझसे उस वीडियो के बारे में पूछा तो मैंने बता दिया कि मुझे वीडियो बहुत अच्छी लगी।
‘जो वीडियो में देखा, मेरे साथ करोगी?’ अमित ने पूछा।
‘सच कहूँ अमित , मैं तो हर पल वो सब करना चाहती हूँ, जब से वो वीडियो देखी है, मुझे हर पल बेचैनी सी लगी रहती है, मुझे समझ में नहीं आता मैं क्या करूँ?’ मैंने अपनी हालत बताई।
‘मेरा लण्ड देखेगी?’ अमित ने पूछा।
‘हाँ, पर कैसे?’ मैंने बड़ी उत्सुकता से पूछा।
‘जब तेरी मम्मी दूध लेने जाएगी न, तब मैं बाथरूम में घुस जाऊँगा और अंदर जाकर निकाल लूँगा, जब मम्मी दूध वाले के पास होगी तो तुम बाथरूम का दरवाजा खटखटा कर खुलवा लेना और देख लेना!’ अमित ने प्लान बताया।
वैसे तो मैंने उसकी पैंट के ऊपर से ही उसका लण्ड कई बार पकड़ के देखा था, पर बिल्कुल सामने देखना और बात थी।
प्लान के मुताबिक जब मम्मी दूध का बर्तन लेने रसोई में गई तो अमित झट से बाथरूम में घुस गया और जब मम्मी बर्तन लेकर घर से बाहर निकली तो मैंने झट से जाकर बाथरूम का दरवाजा खोला, और अंदर का नज़ारा देख कर तो मैं दंग ही रह गई।
अमित बिल्कुल नंगा हो कर खड़ा अपना लण्ड हिला रहा था।
उसने मेरी तरफ मुस्कुरा कर देखा और कहा- आओ, और इसे छू कर देखो।
मैं आगे बढ़ी और मैंने उसका लण्ड अपने हाथ में पकड़ा।
अमित ने मुझे बाहों में जकड़ लिया और हम दोनों ने एक दूसरे के मुँह से मुँह जोड़ दिये।
हम दोनों ने आँखें बंद कर ली, अमित का लण्ड पूरा सख्त हो चुका था।
अमित ने अपनी जीभ मेरे मुँह में डाल दी जिसे मैं बड़े मज़े से चूस रही थी कि तभी ड्राइंगरूम के दरवाजे के खुलने की आवाज़ आई।
मतलब मम्मी दूध लेके आ चुकी थी।
मैं बिजली की तेज़ी से अमित से अलग हुई और जाकर अपना बैग समेटने लगी।
दूध को फ्रिज में रख कर मम्मी हमारे कमरे में आ गई।
मेरे तो होश उड़े पड़े थे, जैसे दिमाग सुन्न हो गया हो।
मगर किसी को कुछ पता नहीं चला।
अगले दिन अमित ने मुझसे कहा- तूने तो मुझे नंगा देख लिया है, अब तू मुझे किस दिन नंगी हो कर दिखाएगी?
मैंने कहा- कल को, मगर मैं पूरी नंगी नहीं हो सकती, अगर सिर्फ अपनी स्कर्ट उठा कर दिखा दूँ तो चलेगा?
‘नहीं मैं तुझे पूरी नंगी देखना चाहता हूँ, जैसे मैंने किया वैसे ही तू कर दे।’ उसने स्कीम बताई।
मैंने कहा- ठीक है।
मगर उस दिन दूध वाला लेट हो गया और अमित को मन मसोस कर जाना पड़ा।
उससे अगले दिन मैं स्कर्ट पहन के बैठी थी और मैंने नीचे से कच्छी नहीं पहनी थी।
जब सर सिगरेट पीने बालकनी में गए, तो मैंने बिना कोई देर किया अमित के सामने अपनी स्कर्ट उठा दी। अमित ने बड़े प्यार से मेरी जांघों हाथ फेरते हुये, बिना पलक झपकाए मेरी चूत को देखा और अपने हाथ की उँगलियों से मेरी चूत के होंठों को सहलाया।
मुझे बहुत मज़ा आया और मैं चाह रही थी कि अमित ऐसे ही करता रहे पर उसने थोड़ा सा सहलाने के बाद छोड़ दिया और मेरी स्कर्ट नीचे कर दी।
हम फिर पढ़ने बैठ गए।
मगर अब ये सब हम दोनों की बर्दाश्त से बाहर होने लगा था।
हम दोनों सेक्स का आनन्द लेना चाहते थे।

अमित रोज़ ही कोई न कोई नई वीडियो दे जाता और मैं उसे देख के रात रात भर तड़पती रहती।
करीब दस दिन बाद हमें एक ऐसा मौका मिला जिसने हमारे सारे अरमान पूरे कर दिये।
जब हमारे तिमाही पेपर शुरू हो गए तो उन दिनों तो वैसे ही पढ़ाई का ज़ोर बहुत ज़्यादा था।
उन दिनों में ही हमारे पड़ोस के अंकल घर जगराता आ गया।
मतलब यह था कि सारे मोहल्ले वाले जाएँगे।
मैंने तो बहाना बना दिया कि मैं नहीं जाऊँगी, मैं तो घर बैठ कर पढ़ूँगी।
अमित ने भी मम्मी से कहा कि वो हमारे घर बैठ कर ही पढ़ेगा और जाते वक़्त अपनी मम्मी पापा के साथ अपने घर चला जाएगा।
जगराते वाली रात सब करीब 9 बजे चले गए।
घर में मैं, अमित और मेरा छोटा भाई ही थे।
पहले तो हम पढ़ते रहे और इन्तज़ार करते रहे कि कब मेरा भाई सोये।
जब वो सो गया तो हम दोनों मेरे कमरे में आ गए।
आते ही अमित ने मुझे बेड पे गिरा दिया और खुद मेरे ऊपर लेट गया।
हम दोनों एक दूसरे खा जाना चाहते थे।
चूमा चाटी करते करते हम दोनों ने एक दूसरे के कपड़े उतार दिये।
अमित का सख्त लण्ड मेरे पेट पे मुझे महसूस हो रहा था।
उसने बड़ी बेदर्दी से मेरे बूब्स दबाये, उन्हें चूमा चूसा, चाटा, दाँतों से काटा।
मैं तो बस चाहती थी कि अमित मुझमें समा जाए।
बस थोड़ा सा प्यार करने के बाद ही अमित ने मेरी टाँगें चौड़ी की। मैंने अमित का लण्ड अपने हाथ में पकड़ा और अपनी चूत पर रखा, जो न जाने क्यों इतनी गीली हो रही थी।
अमित ने थोड़ा सा ज़ोर लगाया और हम दोनों दर्द से तड़प उठे, क्योंकि अमित और मैं दोनों कुँवारे थे।
मगर यह एक ऐसा मौका था जो शायद दोबारा हमे न मिलता।
थोड़ा सा सहने के बाद अमित बोला- फिर से डालूँ?
मैंने अमित के दोनों कंधो पे अपने हाथ रखे और अपनी टाँगों को उसकी कमर के गिर्द लिपटा कर बोली- आराम आराम से, धीरे धीरे से डालो, मुझे दर्द हो रहा है।
‘दर्द तो मुझे भी हो रहा है।’
उसने फिर कोशिश के मगर जैसे ही अंदर डाला, मेरी तो चीख निकल गई, मेरी आँखों में आँसू आ गए।
हमने कई बार कोशिश की पर अमित का लण्ड मेरी चूत में नहीं जा पा रहा था।
फिर अमित बोला- ऐसा कर किचन से कोई तेल ले कर आ।
मैं किचन में गई और सरसों का तेल लेकर आई।
अमित ने काफी सारा तेल अपने लण्ड पर लगाया और मेरी चूत में भी लगाया।
उसके बाद मैंने अपने हाथ से उसका लण्ड अपनी चूत पर सेट किया और अमित से कहा- ऐसा कर, एक ही झटके में अंदर डाल, बार बार के दर्द सहने से अच्छा है कि एक बार ही दर्द हो जाए।
अमित थोड़ा नीचे झुका, उसने मेरे होंठों से अपने होंठ लगाए और अपनी ताकत लगा कर अपना लण्ड मेरी चूत में घुसेड़ना शुरू कर दिया।
मैं तो फूट फूट के रो पड़ी।
अमित के चेहरे पर भी दर्द के भाव थे, मगर तेल लगाने से यह ज़रूर हुआ कि उसका पूरा लण्ड फिसलता हुआ सा मेरे बदन में समा गया।
उसके बाद हम कितनी देर वैसे ही लेटे रहे।
अमित मुझे चुप कराता रहा।
जब मैं थोड़ा सयंत हुई तो अमित ने अपना लण्ड बाहर निकाला, उसके लण्ड के ऊपर से खून निकल रहा था और मेरी चूत के अंदर से।
अमित मुझे उठा कर बाथरूम में ले गया।
वहाँ हमने अपने आप को पानी से अच्छी तरह से धोया।
साफ़ होकर हम बाहर निकले और आकर फिर बेड पर लेट गए।
मगर अभी हमारी संतुष्टि नहीं हुई थी, उसने फिर से वही चूमना चाटना शुरू कर दिया।
दो मिनट बाद हम फिर से तैयार थे।
अबकि बार अमित ने दोबारा वैसे ही तेल लगाया और जब डाला तो बड़े आराम से उसका लण्ड मेरी चूत में समा गया।
‘अब ठीक है?’ अमित ने पूछा।
‘हाँ, अब दर्द भी कम है।’
उसके बाद तो अमित पूरे जोश में आ गया।
मैंने भी उसका भरपूर साथ दिया।
हम एक दूसरे के होंठ, गाल, ठुड्डी, कान, गला, छाती और न जाने कहाँ कहाँ हम एक दूसरे को चाटते, काटते रहे।
बेशक हम दोनों को अभी भी दर्द हो रहा था पर आज तो हमने अपनी मंज़िल को पाना ही था।
मैंने अपनी पूरी ताक़त से अमित को अपनी बाहों में जकड़ा हुआ था और वो पूरी ताक़त से अपना लण्ड मेरी चूत में अंदर बाहर कर रहा था।
मेरा सारा मुँह उसने चाट चाट कर अपने थूक से गीला कर दिया था, पर मुझे वो भी अच्छा लग रहा था।
मेरे सारे बदन में एक अजीब सी बिजली दौड़ रही थी, मेरी आँखें बंद होने लगी, मुझे लगा जैसे आज मेरी जान मेरी चूत के रास्ते से बाहर निकाल जाएगी।
अमित का बदन पसीने से भीग गया था और उसका पसीना मेरे बदन पे टपक रहा था।
मैं भी पसीने से तर बतर थी, क्योंकि मैं भी नीचे से अपना ज़ोर लगा रही थी।
अमित के हर शॉट के साथ मैं अपनी कमर ऊपर उठती जा रही थी, जैसे मैं चाहती थी कि सारा अमित मेरी चूत में घुस जाए और उसके बाद मैंने अमित के होंठ को काट खाया- आआहहहहह राहूऊल मैं मर जाऊँगी।
यह कह कर मैं तो अकड़ गई।
अमित ने मेरे बाएँ बूब पर बड़े ज़ोर से काटा मगर मेरी तो जान निकाल दी उसने।
उसके बाद मैं तो बेड पे धड़ाम से गिरी, अमित का लण्ड बाहर निकल गया, उसने फिर से डाला और फिर चुदाई करने लगा।
मैं तो जैसे सातवें आसमान में उड़ रही थी।
‘ओ मेरी जान, मज़ा आ गया, मदरचोद, साली क्या दमदार चूत है तेरी, तेरी क्या मैं तो तेरी माँ की चूत में चोद दूँ, साली कुतिया, बोल अपनी माँ चोदने देगी, साली के कितने बड़े बड़े बोबे हैं, भैण की लोड़ी साली हिला हिला के दिखाती है अपने यार को, मादरचोद आज तेरी बेटी चोद दी कल को तुझे भी ऐसे ही चोदूँगा।’
अमित पता नहीं क्या क्या बड़बड़ा रहा था और मैं उसकी हर बात में हाँ में हाँ मिलती जा रही थी।
उसके बाद तो उसने बहुत ही बेदर्दी से मुझे चोदा।
हम दोनों के फिर से खून निकलने लगा।
मगर अब खून की परवाह किसे थी।
फिर अमित ने अपना गरम गरम वीर्य मेरी चूत में छुड़वाया।
वो मेरे ऊपर ही गिर गया।
मैं उसकी बेहद तेज़ दिल की धड़कन अपने सीने पे महसूस कर रही थी, जैसे उसका दिल बाहर ही निकल आया हो।
न जाने कितनी देर हम ऐसे ही लेटे रहे।
जब हम थोड़ा संभले तो मैंने अमित से पूछा- यह बता तू मेरी मम्मी के बारे में क्या कह रहा था?
अमित बोला- सॉरी यार, जोश में पता नहीं क्या क्या कह दिया। पर एक बात तो तू मानेगी, कि तेरी मम्मी है बड़ी मस्त, गजब की सेक्सी औरत है, या नहीं?
मैंने कहा- हाँ तेरे पापा कौन से कम है, बहुत ही शानदार मर्द हैं।
कह कर हम दोनों हंस दिये।
कुछ देर आराम करने के बाद हमने अपने अपने कपड़े पहने।
मैंने एक विस्पर पैड लगा लिया और थोड़ी सी काटन और दवा अमित को लगाने को दी।
फिर हम बाहर आकार ड्राइंग रूम में बैठ के टीवी देखने लगे और अपने मम्मी पापा का इंतज़ार करने लगे।
बेशक अमित और मुझे दोनों को गुप्तांगों में दर्द हो रहा था पर दोनों के चेहरे पे एक संतुष्टि भी थी कि आज हम दोनों पूर्ण मर्द और औरत बन गए थे।
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