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कहते हैं कि किसी औरत Hindi Sex Stories को गैर-मर्द के साथ अकेला नहीं छोड़ना चाहिये क्योंकि मर्द उसे पकड़ कर चोदने की ही सोचेगा।
कैसे इसकी चूत में अपना लंड डाल दूँ – यही ख्याल उसके मन में कुलबुलायेगा।
दोस्तो, मेरे साथ ऐसा ही हुआ।
गर्मी के दिन थे और भरी दोपहर थी।
मैं अपने घर में अकेला था क्योंकि अभी मेरी शादी नहीं हुई थी।
मैंने घर में कुछ ज़रूरी काम करने के लिये ऑफिस से छुट्टी ले रखी थी।
काम निबटा कर मैं बेडरूम में ठंडी बीयर का आनन्द ले रहा था।
करीब एक बजे दरवाजे पर हुआ टिंग-टोंग!
मैंने दरवाजा खोला तो सामने मानो एक अप्सरा खड़ी थी।
पैंतीस-छत्तीस साल की साँवली और गज़ब की सुंदर औरत साड़ी पहने हुए और हाथों में कागज़ और कलम लिये हुए कोयल का आवाज़ में बोली- माफ़ कीजियेगा! क्या कोई लेडी हैं घर में?
मैंने कहा- जी नहीं, मैं बेचलर हूँ और अकेला ही रहता हूँ। आप कौन हैं?
उसके माथे पर पसीने की कुछ बूंदें थी, वह बोली- ज़रा एक ग्लास पानी मिलेगा?
मैंने कहा- हाँ, क्यों नहीं?
वह ज़रा सा अंदर आयी।
मैंने पानी का ग्लास देते हुए पूछा- क्या बात है, आप हैं कौन?
पानी पी कर वह बोली- जी, मेरा नाम सना खान है और मुझे एक कनज़्यूमर कंपनी ने भेजा है सर्वे के लिये। क्या आप मेरे कुछ सवालों का जवाब दे देंगे?
मैंने कहा- जी कोशिश कर सकता हूँ। आप प्लीज़ यहाँ बैठ जाइये।
वह सोफ़े पर बैठ गयी और हमारे घर का दरवाजा अभी खुला ही था।
मैंने दूसरे सोफ़े पर बैठ कर कहा- पूछिये जो पूछना है।
वो बोली- जी आपका नाम और आपकी उम्र क्या है?
“जी मैं प्रताप सिंह हूँ और उम्र छब्बीस साल!” मैंने जवाब दिया।
“आप अपने घर की ज़रूरत की चीजें कहाँ से खरीदते हैं?”
इस तरह वो सवाल पर सवाल पूछती रही और मैं जवाब देता गया।
कुछ देर बाद मैंने पूछा- इस तरह इतनी गर्मी के मौसम में भी आप क्या सब घरों में जाकर सर्वे करती हैं?
“जी, जॉब तो जॉब ही है ना!”
“तो आप शादी शुदा होकर (उसने बड़ी सी अंगूठी पहनी हुई थी) भी जॉब कर रही हैं?”
अब वो भी थोड़ी-सी खुल सी गयी, बोली- क्यों, शादी शुदा औरत जॉब नहीं कर सकती?
“जी यह बात नहीं, घर-घर जाना, जाने किस घर में कैसे लोग मिल जायें?”
उसने जवाब दिया- वैसे तो दिन के वक्त ज्यादातर हाऊसवाइफ ही मिलती हैं। कभी-कभी ही कोई मेल मेंबर होता है।
“तो आपको डर नहीं लगता।”
“जी अभी तक तो नहीं लगा। फिर आप जैसे शरीफ इंसान मिल जायें तो क्या डर?”
‘शरीफ इंसान’ – एक बार तो सुन कर अजीब लगा।
इसे क्या मालूम कि मैं इसे किस नज़र से देख रहा था।
साड़ी और ब्लाऊज़ के नीचे उसकी चूचियाँ तनी हुई थीं और मेरे लंड में खुजली सी होने लगी।
जी चाह रहा था कि काश सिर्फ़ एक बार चूम सकता और ब्लाऊज़ के नीचे उन चूचियों को दबा सकता।
हाथों की अँगुलियाँ लंबी-लंबी मुलायम सी!
वैसे ही मुलायम से सैक्सी पैर ऊँची ऐड़ी के सैंडलों में कसे हुए।
देख-देख कर लंड महाराज खड़े हो ही गये।
मन में ज़ोरों से ख्याल आ रहा था कि क्या गज़ब की अप्सरा है।
इसकी तो चूत को हाथ लगाते ही शायद हाथ जल जायेगा।
तभी वह बोली- अच्छा, थैंक्स फ़ोर एवरीथिंग। मैं चलती हूँ।
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चली जायेगी तो हाथ से निकल ही जायेगी।
अरे प्रताप, हिम्मत करो, आगे बढ़ो, कुछ बोलो ताकि रुक जये।
इसकी चूत में अपना लंड नहीं डालना है क्या? चूत में लंड? इस ख्याल ने बड़ी हिम्मत दी।
“माफ़ कीजियेगा सना जी, आप जैसी खूबसूरत औरत को थोड़ा केयरफुल रहना चाहिये।” मैंने डरते हुए कहा।
“खूबसूरत?”
मैं थोड़ा सा घबराया, लेकिन फिर हिम्मत करके बोला- जी, खूबसूरत तो आप हैं ही। बुरा मत मानियेगा। आप प्लीज़ अब तो चाय पीकर ही जाइये।
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वह हंसते हुए बोली- ठीक है… लेकिन इतनी गर्मी में चाय की बजाय कुछ ठंडा ज्यादा मुनासिब होगा!
मैंने कहा- क्यों नहीं… क्या पीना पसंद करेंगी… नींबू शर्बत या पेप्सी… वैसे मैं भी आपके आने के पहले चिल्ड बीयर ही पी रहा था!
“तो फिर अगर आपको ऐतराज़ ना हो तो मैं भी बीयर ही ले लूँगी!”
मुझे उससे इस जवाब की उम्मीद नहीं थी लेकिन मुझे बहुत खुशी हुई।
मैंने उसे फिर बैठने को कहा और किचन में जाकर दो ग्लास और फ्रिज में से बीयर की दो ठंडी बोतलें निकाल कर ले आया।
हम दोनों बीयर पीने लगे और इधर मेरा लंड उबल रहा था।
पहली बार किसी औरत के साथ बैठ कर बीयर पी रहा था और वो भी इतनी सुंदर औरत – और मुझे पता नहीं था कि कैसे आगे बढ़ूँ।
तभी वो बोली- आप अकेले रहते हैं… शादी क्यों नहीं कर लेते?
मैंने जवाब दिया- जी, घर वाले तो काफी ज़ोर दे रहे हैं लेकिन कोई लड़की अभी तक पसंद ही नहीं आयी!
अब और हिम्मत करके मैंने कहा- सना जी, आप वाकयी में बहुत खूबसूरत हैं और बहुत अच्छी भी! आपके हसबैंड बहुत ही खुशनसीब इंसान हैं।
“आप प्लीज़ बार-बार ऐसे ना कहिये। और मुझे सना जी क्यों कह रहे हैं। मैं उम्र में आपसे बड़ी ज़रूर हूँ लेकिन इतनी ज़्यादा भी नहीं!” वो इतराते हुए अदा से मुस्कुरा कर बोली।
दोस्तो, यह हिंट काफ़ी था मेरे लिये!
मैं समझ गया कि ये अब चुदवाने को आसानी से तैयार हो जायेगी।
हमारी बीयर भी खत्म होने आयी थी।
“ठीक है, सना जी नहीं … सना … तुम भी मुझे आप-आप ना कहो! वैसे तुम कितनी खूबसूरत हो, मैं बताऊँ?”
“कहा तो है तुमने कई बार। अब भी बताना बाकी है?”
“बाकी तो है। अपनी बीयर खत्म करके बस एक बार अपनी आँखें बन्द करो … प्लीज़!”
दो-तीन घूँट में जल्दी से बीयर खतम करके उसने आँखें बंद की।
मैंने कहा- आँखें बंद ही रखना!
अब मैंने उसे कुहनी से पकड़ कर खड़ा किया और हल्के से मैंने उसके गुलाबी-गुलाबी नर्म-नर्म होंठों पर अपने होंठ रख दिये।
एक बिजली सी दौड़ गयी मेरे शरीर में! लंड एकदम तन गया और पैंट से बाहर आने के लिये तड़पने लगा।
उसने तुरन्त आँखें खोलीं और अवाक सी मुझे देखती रही और फिर मुस्कुरा कर और शर्मा कर मेरी बाँहों में आ गयी।
मेरी खुशी का ठिकाना ही नहीं रहा।
कस कर मैंने उसे अपनी बाँहों में दबोच लिया।
ऐसा लग रहा था बस यूँ ही पकड़े रहूँ।
फिर मैंने सोचा कि अब समय नहीं बर्बाद करना चाहिये।
पका हुआ फल है, बस खा लो।
तुरंत अपनी बाँहों में मैंने उसे उठाया (बहुत ही हल्की थी) और बेडरूम में लाकर बिस्तर पर लिटा दिया।
उसकी आँखों में प्यास नज़र आ रही थी।
साड़ी और सैंडल पहने हुए बिस्तर पर लेटी हुई वो प्यार भरी नज़रों से मुझे देख रही थी।
ब्लाऊज़ में से उसके बूब्स ऊपर नीचे होते हुए देख कर मैं पागल हो गया।
आहिस्ते से साड़ी को एक तरफ़ करके मैंने उसकी दाहिनी चूची को ऊपर से हल्के से दबाया।
एक सिरहन सी दौड़ गयी उसके शरीर में!
वो तड़प कर बोली- प्लीज़ प्रताप! जल्दी से! कोई आ ही ना जाये।
“घबराओ नहीं, सना डार्लिंग … बस मज़ा लेती रहो। आज मैं तुम्हे दिखला दूँगा कि प्यार किसे कहते हैं। खूब चोदूँगा मेरी रानी!” मैं एकदम फ़ोर्म में था।
यह कहते हुए मैंने उसकी चूचियों को खूब दबाया और होंठों को कस-कस कर चूसने लगा।
फिर मैंने कहा- चुदवाओगी ना?
आह! गज़ब की कातिलाना मुस्कुराहट के साथ बोली- प्रताप! तुम भी… बहुत बदमाश हो… तो क्या बीयर पी कर यहाँ तुम्हारे बिस्तर पे तीन पत्ती खेलने के लिये तुम्हारे आगोश में लेटी हूँ! अब इस भरी दोपहर में दर-दर भटकने की बजाय यही अच्छा है।
“सना रानी, बदमाश तो तुम भी कम नहीं हो!” और उसके नर्म-नर्म गालों को हाथ में ले कर होंठों का खूब रसपान किया।
मैं उसके ऊपर चढ़ा हुआ था और मेरा लंड उसकी चूत के ऊपर था।
चूत मुझे महसूस हो रही थी और उसकी चूचियाँ … गज़ब की तनी हुई … मेरे सीने में चुभ-चुभ कर बहुत ही आनंद दे रही थी।
दाहिने हाथ से अब मैंने उसकी बाँयी चूची को खूब दबाया और एक्साईटमेंट में ब्लाऊज़ के नीचे हाथ घुसा कर उसे पकड़ना चाहा।
“प्रताप, ब्लाऊज़ खोल दो ना!”
उसका यह कहना था और मैंने तुरन्त ब्लाऊज़ के बटन खोले और उसे घुमा कर साथ ही साथ ब्रा का हुक खोला और पीछे से ही उसके बूब्स को पूरा समेट लिया।
आहा … क्या फ़ीलिंग थी, सख्त और नर्म दोनों, गर्म मानो आग हो।
निप्पल एकदम तने हुए।
जल्दी-जल्दी मैंने ब्लाऊज़ और ब्रा को हटाया; साड़ी को परे किया और पेटीकोट के नाड़े को खोल कर उसे हटाया।
पिंक पैंटी और सफेद हाई-हील के सैंडल पहने हुए सना को नंगी लेटी हुई देख कर तो मैं बर्दाश्त ही नहीं कर सका।
मैंने अब अपने कपड़े जल्दी-जल्दी उतारे।
लंड तन कर बाहर आ गया और ऊपर की तरफ़ हो कर तड़पने लगा।
उसका एक हाथ लेकर मैंने अपने फड़कते हुए लंड पर रख दिया।
“उफ हायल्ला कितना बड़ा और मोटा है!” वह बोली और आहिस्ता-आहिस्ता लंड को आगे पीछे हिलाने लगी।
शादीशुदा औरत को चोदने का यही मज़ा है; कुछ सिखाना नहीं पड़ता।
वो सब जानती है और आमतौर पर शादी शुदा औरतें फैमली प्लैनिंग के लिये पिल्स या कोई और इंतज़ाम करती हैं तो कंडोम की भी ज़रूरत नहीं।
मैंने आखिर पूछ ही लिया- सना डार्लिंग, कंडोम लगाऊँ?
वो मुँह हिलाते हुए मना करते हुए खिलखिलायी- सब ठीक है। मैं पिल्स लेती हूँ।
मैंने अब उसके बदन से उस पिंक पैंटी को हटाया और इत्मीनान से उसकी चूत को निहारा।
एकदम साफ चिकनी सुंदर सी चूत थी। कुछ फूली हुई थी।
मैंने उसके ऊपर हाथ रखा और हल्के से दबाया।
अँगुली ऐसे घुसी जैसे मक्खन में छूरी।
रस बह रहा था और चूत एकदम गीली थी।
मैं जैसे सब कुछ एक साथ कर रहा था। कभी उसके होंठों को चूसता, चूचियों को दबाता – कभी एक हाथ से कभी दोनों से!
एकदम टाइट गोल और तनी हुई चूचियाँ।
उसके सोने जैसे बदन पर कभी हाथ फिराता।
फिर मैंने उसकी चूचियों को खूब चूसा और अँगुलियों से उसकी बूर में खूब अंदर बाहर करके हिलाया।
“सना, अब मैं नहीं रह सकता, अब तो चोदना ही पड़ेगा। कस-कस कर चोदूँगा मेरी रानी।”
पहली बार उसके मुँह से अब सुना- चोद दो ना प्रताप, बस अब चोद दो।
मज़ा लेते हुए मैंने पूछा- क्या चोदूँ जानेमन? एक बार फिर से कहो ना! तुम्हारे मुँह से सुनने में कितना अच्छा लग रहा है।
“अब चोदो ना … इस … इस चूत को!”
“अब मैं तेरी गर्म-गर्म और गुलाबी-गुलाबी बूर में अपना ये लंड घुसाऊँगा और कस-कस कर चोदूँगा।”
मैंने अपना लंड उसकी बूर के मुँह पर रखा और हल्के से धक्का दिया।
उसने अपने हाथों से मेरे लंड को पकड़ा और गाईड करते हुए अपनी चूत में डाल दिया।
दोस्तो, मानो मैं जन्नत में आ गया।
मैं बोल ही उठा- उफ़, क्या चूत है सना … मज़ा आ गया।
उसने भी उत्तेजित होकर कहा- चोद दो प्रताप … बस अब इस चूत को खूब चोदो।
दोस्तो … चूचियाँ दबाते हुए, होंठ चूसते हुए ज़ोर-ज़ोर से चोद-चोद कर ऐसा मज़ा मिल रहा था कि पता ही नहीं चला कि कब मैं झड़ गया।
झड़ते-झड़ते भी मैं उसे बस चोदता ही रहा और चोदता ही रहा।
“सना … बहुत मजेदार चुदाई थी यार! तुम तो गज़ब की चीज़ हो।”
“मुझे भी बेहद मज़ा आया, प्रताप।” वो कसकर मुझे पकड़ते हुए बोली।
उसकी चूचियाँ मेरे सीने से लग कर एक अलग ही आनंद दे रही थी।
दोस्तो, फिर बीस मिनट बाद पहले तो मैंने उसकी बूर को चाटा और उसने मेरे लंड को चूसा, हल्के-हल्के!
फिर हमने कस-कस कर चुदाई की और इस बार झड़ने में काफी समय लगा।
मैंने शायद उसकी चूचियाँ और चूत और होंठ और गाल के किसी भी अंग को चूसे बगैर नहीं छोड़ा।
इतना मज़ा पहले कभी नहीं आया था।
बस गज़ब की चीज़ थी वो औरत!
कपड़े पहनने के बाद मैंने पूछा- सना, अब तो तुम्हें और कई बार चोदना पड़ेगा। अपनी इस प्यारी सी चूत और प्यारी-प्यारी चूचियों और प्यारे-प्यारे होंठों और प्यारी-प्यारी सना डार्लिंग के दर्शन करवाओगी ना?
मैंने उसका फोन नंबर ले लिया और कह दिया कि मैं बता दूँगा जिस दिन मैं दिन में घर पे होऊँगा!
अब वह मुझसे फ़्री हो गयी थी और बोली- प्रताप, डोंट वरी, जब भी मुनासिब मौका मिलेगा खूब चुदाई करेंगे!
उसकी यह बात सुनते ही मैंने उसे एक बार और बाँहों में भींच लिया और उसके होंठों का एक तगड़ा चुंबन लिया।
फिर वो मेरे बंधन से आज़ाद होकर दरवाजे से बाहर निकल गयी।
कुछ दूर जाकर पीछे मुड़ी और एक मुस्कान बिखेर कर धीरे-धीरे मेरी आँखों से ओझल हो गयी। Hindi Sex Stories
यह बात तब की है जब मैं 12वीं में Sex Stories पढ़़ती थी. मैं एक को-एड स्कूल में पढ़़ती थी जिस में लड़के और लड़कियाँ दोनों साथ में पढ़़ते हैं और हमारे स्कूल में लड़के पैंट शर्ट और लड़कियाँस्कर्ट शर्ट पहनते हैं टाई के साथ. वो मेरे स्कूल के सबसे सुनहरे दिन थे. मैं अपनी क्लास में सबसे सुंदर थी, ऐसा मुझे कई लड़के कह चुके थे पर मैं ये बात किसी और के मुंह से सुनना चाहती थी.
हाँ ! आईने के सामने खड़े हो के ख़ुद को निहारती भी थी कभी बालों को समेटती कभी बिखेरती कभी अपनी माँ का बलोउस और पेटीकोट पहन के साड़ी पहनने की कोशिश करती तो कभी फव्व्वारे के नीचे अपनी नाईटी पहन के नहाती !!
उन दिनों मैं अपने यौवन के शिखर पे थी मेरे उभरते हुए स्तन और खूबसूरत जांघें सबको लुभाती थी.. मेरी क्लास के सभी लड़के मुझ पे जान छिड़कते थे..पर मैं 12वीं में पढ़ने वाले एक लड़के को बेहद पसंद करती थी उसका नाम वरुण था वो बेहद स्मार्ट और हैंडसम था. उसकी हाईट करीबन 6 फीट रही होगी और मैं 5.6 फीट की थी पर हील्स पहन के उसके कंधे तक पहुँच ही जाती थी।
उन्ही दिनों टीचर्स डे आने वाला था.. दो दिन पहले नाम अनोउंस हुए चूंकि उसकी क्लास में कम लड़कियाँथी तो हमारे क्लास से लड़कियों को टीचर्स बनने का प्रस्ताव आया. मेरे गैर मौजूदगी में मेरे क्लास के कुछ शरारती लड़कों ने मुझे साड़ी में देखने के लिए लिस्ट में मेरा नाम लिखवा दिया और उस दिन 5 सितम्बर को टीचर बनी…
मैंने व्हाइट कलर की साड़ी पहनी थी जिसमें गुलाबी और हलके जामुनी रंग के खूबसूरत फूल थे और व्हाइट ब्लाउज जिसका गला बेहद डीप था चूँकि वो माँ का था इसीलिए मुझे उसे थोड़ा टाइट करना पड़ा था. पर गला तो बदला नहीं जा सकता था इसीलिए मुझे ऐसे ही पहन ना पड़ा. उस ब्लाउज का गला V आकार का था और बेक लेस था जिस वजह से मैं ब्रा भी नहीं पहन पाई. पेटीकोट बहुत बड़े घेरे होने की वजह से मैंने अंदर एक टाइट जींस पहनी थी और फ़िर साड़ी बंधवाई माँ से, ताकि मैं पतली और लम्बी लगूँ..
फ़िर मैंने अपने जांघो को चूमते लंबे बाल खोले और आधे बांधे, हलकी सी न्यूड लिपस्टिक और मस्कारा, लाइनर लगाया और पहुँच गई स्कूल सुबह 8 बजे. क्लास्सें 9 बजे शुरू होनी थी.. और असेम्बली में टीचर्स मीट होनी थी असली और नकली दोनों की, ताकि हम अपनी टीचर को थंक्स कह सकें।
मैं अपनी टीचर के लिए एक रेड रोज़ लायी थी और एक कार्ड. मैंने घोषणा के वक्त सुना वरुण मेरे साथ ही था यानि वरुण और मैं एक ही टीचर बने थे चूंकि हमारे स्कूल मैं एक क्लास में 50 बच्चे पढ़ते थे और एक बन्दे का 50 बच्चों को संभालना काफी मुश्किल होता तो टीचर्स ने एक क्लास के लिए दो टीचर बनाये।
मैं काफी उत्साहित थी और नर्वस भी कि आज मैं सारा दिन वरुण के साथ रहूंगी. जब मैं अपनी टीचर से मिलने गई, उन्हें थंक्स कहने के लिए तो वो भी मेरे साथ था. मैंने वो गुलाब जो मैं अपनी टीचर के लिए लायी थी उन्हें देने की बजाये वरुण को दे दिया गलती से नर्वसनेस में.. और वो जोर जोर से हँसने लगा. फ़िर कहने लगा थंक्स वैसे ये तुम्हारे बालों पे ज्यादा खिलेगा.. और मेरे बालों में फूल लगते हुए वो बोला.. नाऊ यू आर लूकिंग गोर्जियस..!!
मैं बेहद खुश थी उसने मुझे गोर्जिअस कहा.. फ़िर हम लोगों को अपना टाइम टेबल दिया गया उस दिन के लिए और हम अपनी फर्स्ट क्लास लेने के लिए 11वीं क्लास में पहुँच गए मैंने जैसे ही क्लास में कदम रखा, मैं ठोकर खाकर गिरने लगी थी क्यूंकि मेरा सारा ध्यान तो वरुण पे था.. क्यूंकि वो एक दम मेरे सपनों के राजकुमार जैसा लग रहा था काला कोट, काली टाई, हलकी जामुनी फोर्मल शर्ट में, सच, मैं अपने होश में नहीं थी।
अचानक से वरुण ने मुझे थामा और गिरने से बचाया.. अपने पैरों पे खड़े होते हुए मैंने उसे थंक्स कहा और वो मुस्कुराते हुए बोला माय प्लेजर ! तभी पीछे से क्लास के एक लड़के ने कमेन्ट किया अरे वाह क्या जोड़ी है जामुन और जामुनी की और वरुण ने उस लड़के को ये कहते हुए देख लिया और उसे क्लास के बाहर खड़ा कर दिया… और बच्चों को पढ़ाने लगा.
तब मुझे पता चला कि वो देखने में ही नहीं पढ़़ाई में भी बेहद होशियार था। मैं सच मुच उसकी दीवानी होती जा रही थी. कई बार उसने मुझे उसे निहारते हुए देखा पर देख कर अनदेखा कर दिया. इसी तरह 2 पीरियड गुजर गए, तीसरा पीरियड खाली था।
तो हम दोनों स्टाफ रूम में चले गए वहां कोई नहीं था हम दोनों के सिवा, वहां मैं सर झुकाए बैठी थी. और एक नोवेल पढ़ रही थी. कि अचानक से वरुण ने पूछा- तुम्हारा नाम क्या है? मैंने कहा आपको मेरा नाम भी नहीं मालूम और हम इकठे काम कर रहे हैं तो कहने लगा- बताओगी नहीं तो पता कैसे चलेगा…
तो मैंने कहा पूछोगे नहीं तो क्या मुझे सपना आया कि तुम्हें मेरा मतलब आपको मेरा नाम नहीं मालूम.
तो उसने मुझे बीच में टोकते हुए कहा- ठीक है तुम मुझे तुम कह कर बुला सकती हो, मैं काफ़ी खुले विचारों का हूं।
मैंने कहा.. अच्छा.. कितना खुला है तुम्हारा मन..
तो वो हसने लगा
मैंने कहा मैंने कोई जोक नहीं मारा है तो कहने लगा- रहने दो तुम अभी नादाँ हो..
और मैं चुप हो गई और नोवेल पढ़ने लगी.
उसने फ़िर कहा- ये साड़ी तुम्हारी अपनी है?
मैंने कहा- नहीं माँ की है.
और फ़िर उसे टोकते हुए कहा कि मुझे नोवेल पढ़ने दो मुझे पसंद नहीं कि कोई मुझे पढ़़ते हुए डिस्टर्ब करे. तो वो नाराज़ हो के वहां से उठ के चला गया. मुझे बहुत ग्लानि महसूस हुई कि मैंने उस से ऐसा कहा. इतनी मुश्किल से तो मैं उसका साथ पा सकी हूँ वो भी एक दिन के लिए उसमें भी मैंने उसे नाराज़ कर दिया. तो मैंने अपनी नोवेल वहीँ छोड़ी और उसके पीछे भागते हुए गई और उसे दूर से कहा- एक्सक्यूज़ मी ! आई एम् सॉरी फॉर बीइंग रयुड टू यू । आप मुझसे नाराज़ हो?
उसने कहा हाँ.. मैंने फ़िर कहा सॉरी तो कहने लगा कि मैं तुमसे उस बात पे नाराज नहीं हूँ इस बात पे नाराज हूँ कि तुमने मुझे आप कहके बुलाया और. हलके से मुस्कुराते हुए शरारत भरे लफ़्ज़ों में बोला- मैं खूबसूरत लड़कियों से न तो नाराज़ होता हूँ न ही उन्हें नाराज़ करता हूँ.
मेरे मन में लड्डू फ़ूट रहे थे कि उसने मुझे खूबसूरत कहा और मेरे चेहरे पे खुशी झलकने लगी जो उसने भी नोटिस की. फ़िर कहने लगा इतनी खुश मत हो मैंने तुम्हे खूबसूरत नहीं कहा और मेरा सारा मूड ऑफ़ कर दिया.
मैं मुड़ के वापिस स्टाफ रूम में जाने लगी कि पीछे से उसने मुझे आवाज़ लगायी… कृति !!! तुम्हारा नाम क्या है..!!!
मैंने कहा तुम्हे मेरा नाम मालूम है तो पूछा क्यूँ था.. कहने लगा मुझे मालूम है कि तुम थोडी सी शोर्ट टेम्पेरेड हो इसीलिए तुम्हे तंग कर रहा था.
मैंने कहा.. मैं शोर्ट टेम्पेरेड ही नहीं कराटे चैम्प भी हूँ. इसीलिए बचके रहना. फ़िर बोला कि तुम कराटे चैम्प होगी पर मैं प्रेम पुजारी हूँ फ़िर मैं शरमा के स्टाफ रूम में चली गई थोड़ी देर में हमारा चौथा पीरियड लगने वाला था।
जैसे ही वरुण स्टाफ रूम में आया मैं उठ के जाने लगी और मेरी साड़ी का पल्लू उसके कोट के बटन में अड़ गया. अच्छा हुआ मैंने उसे पिन अप कर रखा था. उसने पल्लू छुड़वाया और मैं भागते हुए क्लास में चली गई पर पल्लू छुडाते वक्त मैंने उसके होंठो पे आती मुस्कराहट साफ देखी और 5 मिनट बाद वो भी क्लास में आया.
मैं क्लास में खड़ी थी अंदर आते हुए उसने कहा- बच्चों आज पढ़़ाई का मूड है.. सब ने जोर से चिल्लाते हुए कहा- नहीं ! और क्लास को दो हिस्सों में बाँट दिया एक तरफ़ लड़के और वो और दूसरी तरफ़ लड़कियाँऔर मैं और हम अन्ताक्षरी खेलने लगे.!!!
खेलते खेलते उनकी बारी आई अक्षर था प तो उन्होंने मेरी तरफ़ देखते हुए गाना शुरू किया प्यार के लिए चार पल कम नहीं थे कभी तुम नहीं थे कभी हम नहीं थे…
मैंने शरमा के नज़रें झुका ली थोड़ी देर बाद मेरी बारी आई गाने की मेरा अक्षर था डी तो मैंने गया दिल दे दिया है जान तुम्हे देंगे, दगा नहीं करेंगे सनम, इसी तरह से खेल चलता रहा और हम दोनों अपने दिल के एहसासों को गानों में बयाँकरते रहे. इसी तरह वक्त गुज़र गया और रिसेस की घंटी बजी. सभी बच्चे शोर करते हुए बाहर चले गए और मैं अपनी साड़ी समेटते हुए खड़ी हुई. वरुण मुझे ही देख रहा था और मैंने जान बूझ कर ध्यान नहीं दिया.
मैं क्लास से निकलने लगी तो कहने लगा- तुम कहाँ स्टाफ रूम में खाना खाओगी क्या. मैंने कहा- हाँ ! तो कहने लगा कि इस टाइम पूरा स्टाफ रूम फुल होगा मैंने कहा तो क्या हुआ और जाने लगी तो कहने लगा कि मैं तुमसे कुछ बात करना चाहता हूँ. तो मैंने कहा कि करो तो कहता कि वो मैं तुमसे कहना चाहता हूँ कि आई.. आई… आई लव… आई लव…
मैंने कहा- आगे भी कुछ बोलोगे अब..
तो कहने लगा कि… आई लव बुक्स !!!
मैंने कहा- यूऽऽऽ..!!!! मैं जा रही हूं और स्टाफ़ रूम की तरफ़ जाने लगी तो कहने लगा- अरे रुको मैं भी आता हूँ ना तुम्हारे साथ…!!
मैंने कहा- अपने आप आ जाना, मैं जा रही हूँ.
और स्टाफ रूम में आ गई .. वहां कुछ और ही माहौल था, लड़कियाँ साड़ी ठीक कर रही थी और मेक अप कर रही थी और अपनी साडियाँ लड़कों से ठीक करा रही थी .. ये सब देख के मुझे और गुस्सा आ गया और मैं वरुण के पास वापिस चली गई.
मेरे पहुँचने पे वो कहने लगा देख लिया तमाशा इसीलिए मैं मना कर रहा था .. पर मेरी तो ना मानने की ठान रखी है तुमने .. तो मैंने कहा अच्छा ना सॉरी ! .. कहता सॉरी बोल के एहसान कर रही हो… और मेरा हाथ पकड़ के उसने मुझे दीवार की तरफ़ धक्का दिया और कहने लगा- मैं तुमसे उमर में भी बड़ा हूँ और सोच में भी, दुनिया तुमसे ज्यादा देखी है,…तुम्हें क्या लगता है तुम कोई हूर की परी हो जिसके लिए लड़के मरते हैं?
तो मैंने कहा मेरा हाथ छोड़ो मुझे दर्द हो रहा है। छोड़ते हुए उसने मुझे सॉरी कहा और फ़िर सारा दिन मैंने उस से बात नहीं की.
स्कूल टाइमिंग्स के बाद टीचर्स के लिए स्कूल में लंच था लंच कराने के बाद जब में स्कूल से निकलने लगी तो जोर जोर से बारिश शुरू हो गई।
मैं पूरी तरह से भीग गई और मेरे ब्लाउज़ व्हाइट होने की वजह से अंदर के मेरे स्तन साफ दिखने लगे. मुझे भीगते हुए रिक्शा का इंतज़ार करते देख वरुण ने मुझे बाईक पे घर छोड़ने की ऑफर दी और मैंने कोई और रास्ता ना दीखते हुए उसे हाँ कर दी.
मेरी साड़ी भीगने की वजह से जींस के साथ एक दम चिपक गई थी और जींस दिखने लगी थी तो मुझे वरुण ने कहा तुम साड़ी उतार दो ..और जींस में बैठ जाओ .. मैं तुम्हे अपने घर ले चलता हूँ वहां ब्लाउज चेंज़ करके मेरी टी शर्ट पहन के घर चली जाना तब तक बारिश भी कम हो जायेगी . इसीलिए वो मुझे अपने घर ले गया मेरे भीगे बाल मेरे बदन से चिपके हुए थे जैसे पेड़ से कोई लट चिपकी होती है और मेरी जींस पूरी तरह भीग चुकी थी .. मेरे व्हाइट ब्लाउउज़ में से मेरे स्तन साफ नजर आ रहे थे.
उसने मुझे घर के अन्दर बुलाया और एक टॉवेल दिया .. और पूछा कि तुम्हारे पास और कपड़े नहीं हैं क्या.
मैंने कहा- नहीं !
तो उसने मुझे अपनी टी शर्ट दी। वो बेहद खुली थी, उसके अंदर से मुझे उसके बदन की खुशबू भी आ रही थ। मैं अपनी टांगे पोंछ रही थी तो वरुण मेरे पास आकर खड़ा हो गया और मेरे चेहरे पे फिसलते मेरे बालों को ऊपर करने लगा ताकि मैं अच्छे से अपना बदन पोंछ सकूँ। मेरे ब्लाउज में से मेरे स्तन ऊपर की ओर झांक रहे थे।
फ़िर मैं खड़ी हुई और बाथ रूम में चली गई चेंज करने के लिए पर मेरे ब्लाउज की डोरियों तक मेरे हाथ नहीं पहुँच रहे थे कि मैं उन्हें खोल सकूँ. और घर में वरुण के सिवा कोई और नहीं था, तो मैंने उसे मदद के लिए बुलाया। उसने कहा क्या हुआ .. मैंने कहा कि मेरे ब्लाउज कि डोरी नहीं खुल रही, तो उसने डोरी पकड़ के खींची और खोल के बाहर चला गया..
मुझे उसकी ये बात बहुत अच्छी लगी कि उसने अकेलेपन का कोई ग़लत फायदा नहीं उठाया. मैंने उसकी दी हुई टी शर्ट पहनी और घर चली गई. उसकी बाईक पे बैठ के।
उसके बाद से हम दोनों के बीच अच्छी खासी दोस्ती हो गई.
और अब तक हम दोनों खूब मस्ती करते हैं.
ये हम दोनों की प्रेम कहानी की सिर्फ़ शुरुआत थी. बाकी के किस्से में आप सभी को इस कहानी के दूसरे अंको में बताउंगी. हमारी प्रेम कहानी में भी वो सब कुछ हुआ जो हर प्रेम कहानी में होता है लेकिन कुछ अलग अंदाज़ से. तो आप लोगों को कैसी लगी मेरी कहानी ये मुझे ई मेल करके जरूर बताइयेगा, मुझे आपके फीडबैक का इंतज़ार रहेगा .. अगर आपको ये शुरुआत पसंद आई तभी मैं इस सच्ची कहानी को आगे बढाउंगी. पढ़ने के लिए बहुत बहुत शुक्रिया. Sex Stories
मै 35 साल का युवक हूँ, मेरा नाम Hindi Sex Stories राजेश है और अन्तर्वासना की कथाओं का नियमित पाठक हूँ। दोस्तों मै आज आप सभी को अपनी एक सच्ची कहानी भेज रहा हूँ।
बात करीब दो वर्ष पहले की है, मै अपने एक दोस्त की शादी में लखनऊ गया था। वहां मैंने एक खूबसूरत लड़की को देखा जिसकी उम्र 28 साल की होगी और उसका फिगर भी गजब का था, स्तन और गांड तो देखने लायक थे, उसको देखते ही मेरे मन में उसको चोदने का ख्याल आने लगा। फिर मैंने पता किया कि ये है कौन? पता चला कि ये मेरे दोस्त के बड़े भाई की साली है।
मैंने सोचा फिर तो ठीक ही है और उसको पटाने के लिए उसके पास जाकर उससे मेल जोल बढ़ाने के लिए बातचीत शुरू की और उसको बताया कि राजू जिसकी शादी हो रही है मेरा दोस्त है। और उससे उसका नाम पूछा तो उसने बताया- मेरा नाम प्रियांसी है।
मैंने कहा- मुझ को मालूम है कि तुम राजू के बड़े भाई की साली हो।
और पूछा कि तुम्हारा पति भी शादी में आया है?
तो प्रियांसी ने बताया- वो नहीं आए हैं ऑफिस के काम से बाहर जाना पड़ा है इसलिए नहीं आ सके।
बात करता हुआ मै प्रियांसी के बूब्स को देख रहा था। प्रियांसी भी समझ रही थी कि मै उसके स्तनों का जायजा ले रहा हूँ। तब प्रियांसी ने कहा- राजेश तुम बात तो हमसे कर रहे हो लेकिन नजरें तुम्हरी कहीं और हैं इरादा नेक है कि नहीं?
मै समझ गया कि प्रियांसी की भी इच्छा कुछ करने की है, मैंने कहा कि प्रियांसी तुम्हारी चूचियों के निप्पल तो बड़े बड़े लग रहे हैं तुम्हारे ब्लाउज के अंदर से निप्पल निकलने को बेकरार हैं।
तो प्रियांसी ने कहा- कैसी बातें करते हो?
मैंने कहा- जैसे तुमने पूछा कि नजरे कहाँ हैं तो मैंने बता दिया कि क्या देख रहा हूँ !
उसने हंस दिया तो मैंने कहा कि प्रियांसी तुमको देख कर चोदने का मन कर रहा है ! मै भी यहाँ अकेला ही आया हूँ, रात को शादी में शामिल होने के बाद कुछ मस्ती करने का इरादा है क्या?
तो प्रियांसी ने कहा कि किसी को मालूम हो गया तो हमारा घरवाला हमको निकल देगा !
मैंने कहा कि ऐसा करते हैं कि शादी की अगवानी की रस्म होने के बाद मेरे होटल में चलते हैं। मैंने लखनऊ जाकर एक होटल में कमरा ले लिया था क्योंकि शादी के घर में जगह नहीं होती है और मुझको बाथरूम में नंगे हो कर नहाने की आदत है, इसलिए कमरा लेना पड़ा था।
मैंने प्रियांसी से कहा कि रात में हमारे कमरे में रूक जाना, ऐसे समय में किसी को ध्यान नहीं होता कौन कहाँ है।
प्रियांसी ने कहा- देखा जायेगा !
फिर हम लोग अपने अपने काम से लग गए लेकिन मन ही मन सोच रहा था कि प्रियांसी चलेगी या नहीं?
लेकिन यह भी लग रहा था कि प्रियांसी का भी मन शायद चुदाई का है, नहीं तो वो दूसरे सुर में बात करती। खैर किसी तरह से शादी की अगवानी की रस्में पूरी हुई तो मैंने प्रियांसी से कहा- चलो जानेमन ! आज की रात हमारे लण्ड का भी मजा ले लो ! अभी तक तो तुमने अपने पति के लण्ड का ही मजा लिया होगा !
प्रियांसी भी चुदाने के पूरे मूड में थी, उसने कहा- बाहर चलो ! हम आते हैं !
और फिर 5 मिनट में ही प्रियांसी भी बाहर आ गई। हम और प्रियांसी एक ऑटो में बैठ कर होटल आ गए। कमरे में आते ही मैंने टीवी चालू कर दिया। रात का 1 बजा होगा, टी वी के चैनल बदलने में एक चैनल पर ब्लू फिल्म चल रही थी।
प्रियांसी ने कहा- यह क्या है?
मैंने कहा- ब्लू फिल्म ! अक्सर रात में डिस्क वाले लगा देते हैं, वही चल रही है।
तो उसने कहा- हमने तो कभी ब्लू फिल्म देखी ही नहीं है !
तो मैंने कहा- बड़े मौके से आ रही है, देख लो ! और टीवी चालू करके मैं बाथरूम में घुस गया, दरवाजा अंदर से बंद नहीं किया और नंगे होकर नहाने लगा।
उधर प्रियांसी ब्लू फिल्म देख कर गरम हो रही थी। फिल्म में एक लड़की को पॉँच आदमी चोद रहे थे, एक आदमी उसकी चूत में लण्ड डाले हुए था, दूसरा गांड में लण्ड डाले था, तीसरा मुंह में लण्ड डाले था और दो आदमी उसकी चुचियों को दबा रहे थे और वो लड़की उन दोनों आदमियों का लण्ड अपने हाथ में लेकर मुठ मारने में लगी थी।
यह सीन देख कर प्रियांसी बहुत गरम हो गई थी और उसने अपनी साड़ी खुद ही उतार दी। मेरा लण्ड भी यह देख कर डंडे जैसा तन गया और फिर मैं तौलिया लपेट कर बाहर आ गया। मेरा लण्ड तौलिये को फाड़कर बाहर आने को बेताब था।
प्रियांसी ने भी देखा कि मेरा लण्ड तना हुआ है, उसने उठ कर तुंरत मेरा तौलिया खींच दिया। अब मैं बिल्कुल नंगा हो गया, मेरा 8′ का लण्ड देख कर प्रियांसी तो ख़ुशी से उछल पड़ी, बोली- इतना लम्बा और मोटा लण्ड है? हमारे आदमी का तो 5′ का ही है ! आज पूरा मज़ा आयेगा !
मैंने कहा- जानी ! आज जैसा मज़ा तुमको पहले कभी नहीं मिला होगा !
और यह कह कर मैं उसको उठा कर बिस्तर पर ले गया और उसको किस करना शुरू कर दिया। मैंने उसके होंठों को किस करना शुरू किया तो उसने अपनी जीभ मेरे मुंह में दे दी। मैं उसको चूसता रहा और हाथों से उसके बूब्स को सहलाने लगा। और फिर धीरे धीरे उसका ब्लाउज उतार दिया, फिर उसके पेटीकोट का नाड़ा भी खोल दिया। अब प्रियांसी सिर्फ पैंटी और ब्रा में थी। उसकी चड्डी गीली हो रही थी, चूत ने पानी छोड़ना शुरू कर दिया था।
मैं तो उसके बदन को देख कर दंग रह गया। बिल्कुल दूध की तरह गोरी थी प्रियांसी !उसको देख कर तो किसी का भी मन चोदने का हो जायेगा। मैंने तुंरत ही उसकी ब्रा का हुक खोल दिया और उसकी चूचियों को धीरे धीरे सहलाने लगा। फिर एक चूची को मुंह से चूसने लगा और फिर धीरे धीरे किस करते हुए उसकी नाभि तक आ गया।
प्रियांसी बहुत गरम हो रही थी उसने मेरा लण्ड पकड़ लिया था और उसको हिला रही थी। मैंने उसकी चड्डी भी उतार दी, लगता था कि उसने अपनी बुर के बाल कुछ दिन पहले ही साफ किए थे।
प्रियांसी ने बताया कि अभी 3 दिन पहले ही महीना ख़तम हुआ है इसलिए मन तो चुदवाने का कर ही रहा था क्योंकि महीना समाप्त होने के बाद चूत की प्यास बढ़ जाती है, लेकिन शादी में आना पड़ा।
मैंने कहा- मेरी जान ! आज मैं तुम्हारी चूत की पूरी प्यास बुझा दूंगा !
और फिर मैं उसकी बुर को चाटने लगा तो वो बोली- ये क्या कर रहे हो?
मैंने कहा- क्या तुम्हारे आदमी ने कभी तुम्हारी बुर नहीं चाटी?
उसने कहा- नहीं तो !
मैंने कहा कि तब तो तुमने अभी तक चुदाई का असली आनंद लिया ही नहीं ! आज ले लो मेरी जान पूरा आनंद !
और यह कह कर मैं उसकी बुर को थोड़ा फैला कर जीभ से चाटने लगा। प्रियांसी के मुंह से सिसकारी निकल रही थी और बड़बड़ा रही थी- ऐसा तो पहले कभी मज़ा नहीं आया !
मैं फिर उसकी बुर की तिकोन को मुंह में भर कर चूसने लगा और फिर उसको जीभ से ही चोदने लगा। मैं अपने हाथों से उसकी चूचियों को मसलता रहा और गांड पर भी हाथ फिराता रहा।फिर मैंने 69 की पोसिशन बनाई और अपना लण्ड उसके मुंह के पास ले गया और प्रियांसी से कहा- इसको भी तो चूसो !
उसने कहा- लण्ड भी चूसा जाता है क्या?
मैंने कहा- चूसो मेरी जान ! आज चुदाई का पूरा मज़ा लो !
तब प्रियांसी ने मेरे लण्ड का सुपाड़ा खोल कर जीभ से चाटना शुरू किया। मैंने उसका सर पकड़ कर पूरा लण्ड उसके मुंह में डाल दिया और उसकी बुर चूसने लगा। उसकी बुर बहुत गीली हो रही थी और फिर थोडी देर में ही प्रियांसी कि बुर ने पानी छोड़ दिया।
मेरा लण्ड भी तन कर डंडा बना हुआ था तो फिर मैंने अपना लण्ड उसके मुंह से निकाला और उसको घोड़ी बनने को कहा तो वो बोली- घोड़ी बना के क्या करोगे?
मैंने कहा- पहले तुम्हारी गांड मारूंगा !
वो बोली- हमने कभी गांड नहीं मरवाई है, उसमें तो बहुत दर्द होगा !
मैंने कहा कि पहली बार बुर चुदाई में भी तो दर्द हुआ होगा बस वैसा ही होगा फिर मज़ा आने लगेगा।
उसने कहा- धीरे धीरे डालना ! कहीं मेरी गांड न फट जाये !
मैंने उसकी गांड पर थूक लगाया और फिर अपने लण्ड का सुपाडा उसकी गांड के छेद पर लगा कर हलके से धक्का दिया मेरा सुपाड़ा उसकी गांड में घुस गया।
वो धीरे से चिल्लाई- लग रहा है !
मैंने कहा- बस अब नहीं लगेगा ! और फिर एक धक्का दे दिया मेरा आधा लण्ड उसकी गांड में घुस गया।
उसको कुछ ज्यादा ही दर्द हुआ और बोली- लण्ड बाहर निकालो प्लीज़ ! लग रहा है !
मैं फिर उसकी पीठ पर चुम्बनों की बौछार करने लगा और लण्ड डाले डाले ही उसकी चूचियों को हाथ से पकड़ कर सहलाने लगा। थोड़ी देर में उसका दर्द कुछ कम हुआ। फिर मैंने अपने लण्ड का एक धक्का जोर से मारा, मेरा पूरा लण्ड उसकी गांड में घुस गया और फिर मैंने अपने धक्के तेज कर दिए अब तो प्रियांसी को भी मज़ा आने लगा और वो भी अपने चूतड़ उठा उठा के मेरा पूरा लण्ड अन्दर लेने लगी।
थोड़ी देर बाद मैंने अपना लण्ड निकाल कर उसकी चूत में पीछे से ही डाल दिया चूत बिल्कुल गीली थी आधा लण्ड उसकी चूत में घुस गया। फिर मैंने थोड़ा सा लण्ड बाहर निकाल कर एक जोर का धक्का मारा, मेरा पूरा लण्ड उसकी बुर में जड़ तक घुस गया।
वो चिल्लाई- मर गई ! धीरे धीरे करो ! तुम्हारा लण्ड बहुत बड़ा है !
मैंने फिर धीरे धीरे धक्के लगाने शुरू कर दिए। अब प्रियांसी को भी मज़ा आने लगा था और वो भी चूतड़ उठा उठा कर धक्के लगाने लगी। करीब आधे घंटे की चुदाई में प्रियांसी दो बार झड़ चुकी थी और अब मेरा भी पानी निकलने वाला था। मैंने अपने लण्ड को प्रियांसी की बुर से बाहर निकाला और उससे कहा- मुंह खोलो !मेरा पानी पी लो ! मज़ा आ जायेगा !
और फिर उसने मेरा सारा पानी पी लिया और लण्ड को चाट चाट कर साफ़ कर दिया।
उस रात हम लोगों ने चार बार चुदाई की। प्रियांसी बहुत खुश थी, बोली- जिन्दगी में पहली बार ऐसा चुदाई का मज़ा आया है, अब हम कानपुर तुमसे मिलने जरुर आया करेंगे।
दोस्तो, मेरी कहानी कैसी लगी जरूर लिखियेगा। Hindi Sex Stories
हाय दोस्तो, मेरा नाम मोहित है। मैं बीए कर रहा हूं। मेरी उमर बीस वर्ष की है। मैं इन्दौर में रहता हू। मैं आपको मेरी पहली Antarvasna सेक्स कहानी सुनाने जा रहा हूं।
मेरे घर के पास दीपिका नाम की लड़की रहती थी, वो सिर्फ़ 18 वर्ष की थी। मेरी एक गर्ल फ़्रेण्ड थी उसका नाम विनीता था। दीपिका को मेरे और विनीता के सेक्स सम्बन्ध के बारे पता था।
जब मैं विनीता को कहीं ले जाता था तो ये बात दीपिका के अलावा कोई नहीं जानता था। क्योंकि मैं दीपिका के घर से ही विनीता को फोन किया करता था। विनीता और दीपिका अच्छी सहेलियों की तरह बाते करते थे। विनीता, मेरे और उसके के बीच हुये सेक्स के बारे में दीपिका को बता दिया करती थी।
विनीता को ये नहीं पता था कि उसके द्वारा सेक्स के बातें बता देने से दीपिका के मन में भी चुदाने की इच्छा जागृत हो गयी थी।
वो मेरे घर आकर मुझे पूछती- मोहित भैया, कल आपने विनीता के साथ क्या क्या किया।
मैं उससे बोलता- तुझे क्या काम है?
और टाल देता था।
वो मेरी देख कर शरमा कर चली जाती थी।
जब मैंने विनीता से दीपिका के बारे में पूछा तो उसने बताया कि वो मेरे और उसकी चुदायी की सारी बातें दीपिका को बता देती थी। मैं अब सब कुछ समझ गया था।
एक दिन जब मैं आपने घर में काम कर रहा था तो दीपिका मेरे पास आई और मुझसे बात करने लगी। मैंने उसको कहा- तू अभी जा, थोड़ी देर से आना, मुझे कुछ काम करना है।
मगर वो नहीं मानी।
मैं थोड़ी देर तक कहता रहा फिर वो चली गयी।
मेरी मम्मी को बाज़ार जाना था तो मम्मी ने मुझसे कहा कि वो थोड़ी देर में वापिस आ जायेगी तुझे चाय पीनी हो तो दीपिका को बोल देना वो बना देगी।
मैंने कहा- ठीक है।
मम्मी के जाने के ठीक बाद दीपिका फिर से मेरे यहां आ गयी और मुझे परेशान करने लगी। मैं आज अपना काम नहीं कर पा रहा था। इतने में दीपिका मेरे हाथ से पेन छीन कर मेरे कमरे में भागने लगी। मैं उसे पकड़ने के लिये खड़ा हुआ और झपट कर मैंने उसे पीछे से पकड़ लिया।
जब मैंने उसको पकड़ा तो मेरे हाथ उसकी चूचियों पर आ गये थे। वो बहुत ही नर्म थे और छोटे छोटे ही थे। मेरे हाथों से उसके कोमल स्तन दब से गये थे। मेरा लण्ड उसकी गाण्ड पर था। उसकी चूतड़ की गोलाइयों ने मेरे लण्ड को छू कर उसमें आग सी लगा थी। थोड़ी देर तक पकड़ने के बाद उसने मुझे मेरा पेन वापस दे दिया। मैं अब पेन नहीं लेना चाहता था, मजा जो आ रहा था। पर मुझे छोड़ना ही पड़ा।
मैंने उसको कहा- मेरे लिये चाय बना दे।
उसने कहा- ठीक है भैया!
और वो चाय बनाने के लिये चली गयी।
मैं थोड़ी देर तक सोचता रहा कि अब क्या करूँ। मगर अब मुझसे बिना सेक्स करे बिना नहीं रहा जा रहा था। मैं धीरे से उसके पास किचन में गया। और उसके पीछे जा कर खड़ा हो कर चिपक सा गया और कहने लगा- क्या अभी तक चाय नहीं बनी।
मेरे स्पर्श से वो लहरा सी गयी। फिर मैं उसके पीछे से हट गया क्योंकि वो समझ गयी थी।
वो मुझसे कहने लगी- भैया दूर रहो, करण्ट सा लगता है!
मैं भी समझ गया गया था कि वो क्या कह रही है।
उसने मुझे चाय दी और कहा- भैया में जा रही हूं अपने घर।
मैंने कहा- रुक ना … चाय तो पीने दे, उसके बाद चली जाना।
उसने कहा- ठीक है, पी लो।
मैं उसे अपने कमरे में ले गया। वो मेरे कमरे में एक कोने में चुपचाप खड़ी हो गयी। मैंने सोचा कि अब क्या किया जाये।
मैंने उससे जान कर विनीता की बात को छेड़ा, मैंने उससे पूछा- तेरी विनीता से कोई बात हुई है क्या?
उसने कहा- नहीं।
फिर मैंने उसको कहा- तू विनीता को फोन कर के यहां बुला ले।
उसने कहा- क्यों, यहां क्यों बुला रहे हो भैया?
मैंने कहा- मम्मी नहीं है ना इसीलिये।
उसने कहा- ठीक है।
वो बोली- मैं फोन कर के आती हूं।
मैंने कहा- रुक।
मेरे यह कहने से वो रुक गयी और कहने लगी- क्या कह रहे हो भैया?
मैंने उससे पूछा- विनीता तुझे क्या क्या बताती है?
तो उसने कहा- कुछ नहीं।
मैं समझ गया कि यह अब डर रही है मुझसे बोलने में।
मैंने कहा- दीपिका मेरे पास तो आ।
वो बोली- क्यों?
मैंने कहा- आ तो सही।
वो धीरे से मेरे पास आई, मैंने उसको बेड पर बैठाया और कहा- दीपिका तुझे सब पता है ना मेरे और विनीता के सेक्स के बारे में?
तो वह कहने लगी- भैया मुझे कुछ नहीं पता है कसम से।
वो उस समय डर गयी थी।
फिर मैंने कहा- कोई बात नहीं। तुझे हमारी बातें जानना हो तो मुझसे पूछ लिया कर मगर विनीता से मत पूछा कर।
तो उसने तुरन्त पूछा- क्यूं?
मैंने कहा- कहीं विनीता ने तेरी मम्मी से कह दिया तो?
उसने धीरे से हां की।
उसके बाद मैंने उससे पूछा- तुझे जानना है क्या? अभी बता।
तो उसने धीरे से अपने चेहरे को नहीं में हिलाया।
फिर भी मैंने उसको बात बताना शुरु कर दिया। थोड़ी देर तक तो वो ना ना कर रही थी उसके बाद वो गौर से सुनने लगी। मैंने उसको एक दिन की बात तो पूरी बता दी।
उसके बाद उसने मुझसे कहा- भैया कोई और दिन की बात सुनाओ ना?
जब मैंने उससे कहा- मैं अब सुनाऊंगा नहीं बल्कि करके बताऊंगा।
“नहीं ना … हटो … नहीं।”
“करके बताना चाहता हूं। उसमें अधिक मजा आता है.”
वो एकदम से खड़ी हो गयी। मैंने उसको आगे से पकड़ लिया और उसके होठों की चुम्मी लेने लगा। वह मुझसे छूटने की पूरी पूरी कोशिश कर रही थी। मगर मैंने उसको छोड़ा नहीं।
थोड़ी देर के बद मैंने उसको कहा- बेड पर लेट जा.
मगर वो बोली- मैं चिल्ला दूंगी। भैया मुझे छोड़ो!
मैंने कहा- ठीक है, तू चिल्ला!
मैंने उसको अपने हाथों में उठाया और बेड पर लेटा दिया और उसके उपर लेट गया। मैंने उसके दोनों हाथों को पकड़ लिया और उसको चूमने लगा। थोड़ी देर तक तो वो ना ना करती रही। फिर मैंने अपने एक ही हाथ से उसके दोनों हाथ पकड़ लिय। और एक हाथ से उसके सलवार का नाड़ा खोल लिया।
वो नहीं नहीं कर रही थी।
फिर मैं उसकी सलवार में हाथ डाल कर उसकी चूत को सहलाने लगा। थोड़ी देर तक यह करने के बाद वो भी गर्म होने लगी। मैंने फिर उसके हाथ को छोड़ दिया और उसके बाद में समझ गया कि अब यह भी गर्म हो गयी है।
फिर मैंने उसकी कुरती उतार दी और उसके साथ उसकी शमीज भी उतार दी. मैं उसके स्तन को सहलाने लगा और उसकी चूत को भी सहलाने लगा। मुझे पता था कि यह पहली बार सेक्स कर रही है।
उसके मुंह से ह्हह्ह ह्हह्ह … ह्हह की आवाज आ रही थी।
मैंने उसको कहा- मैं विनीता के साथ भी यही करता हूं।
तो उसने अपनी बन्द आँखें खोली और कहा- उसके बाद क्या करते हो?
मैं समझ गया था कि यह अब पूरी गर्म हो गयी है। मैंने उसके पूरे कपड़े उतार दिये। अब वह मेरे सामने पूरी नंगी थी।
मैंने भी फिर अपने कपड़े उतारे और तेल की शीशी ले कर आया। मैंने मेरे लण्ड पर तेल लगाया जो कि 7 इन्च का है। उसके बाद उसकी चूत पर तेल लगाया।
मैंने उससे कहा- क्या मैं अपना लण्ड डालूं?
तो उसने कहा- डाल दो ना भैया।
मैंने जैसे ही अपना लण्ड थोड़ा सा उसकी चूत में दबाया तो वह जोर से चिल्ला दी- ऊऊऊऊ उम्म्ह… अहह… हय… याह… ऊओ म्मम आआआ आयीईईई ईईईईए नहीईईई उईईई भैयाआआ निकालो।
मैंने अपना लण्ड निकाला और कहा- थोड़ा तो दर्द होगा, तू इतनी ज़ोर से मत चिल्लाना।
उसने कहा- ठीक है, मगर भैया थोड़ा धीरे धीरे डालना।
मैंने फिर से अपना लण्ड उसकी चूत में डाला। तो वह फिर से चिल्लाई. मैंने अपना मुंह उसके मुंह में रख दिया और उसके होंठों को चूसने लगा।
थोड़ी देर के बाद उसका चिल्लाना कम हुआ।
फिर मैंने अपनी कमर को थोड़ा पीछे कर के ज़ोर से एक झटका दिया और अपना पूरा लण्ड उसकी चूत में डाल दिया।
उसके बाद वह तो समझो मर ही गयी थी, इतनी ज़ोर से चिल्लाई- मम्मयय ययय नहीईई ईईई भैअयाआआ आआआ आअ निकालो ऊऊऊ ऊऊऊह
फिर मैंने उसका मुंह से अपना मुंह लगा लिया और वो ज़ोर ज़ोर से हिलने लगी। उसकी चूत में से खून आने लग गया और वह पागल सी हो गयी।
मैंने उसके चिल्लाने पर भी उसे चोदना नहीं छोड़ा और चोदते ही चला गया। थोड़ी देर के बाद मेरे लण्ड से सफ़ेद गाढ़ा सा वीर्य निकल गया जो मैंने बाहर निकाल दिया और उसके ऊपर ही थोड़ी देर लेटा रहा।
मेरे लण्ड को उसकी चूत में से बाहर निकालने बाद ही उसने शान्ति की सांस ली और कहा- भैया, अब मैं आपसे कभी नहीं चुदवाऊंगी।
मैंने उससे कहा- तू अपना खून साफ़ कर ले और कपड़े पहन ले।
मैंने भी अपने कपड़े पहन लिये और उसके बाद अपना काम करने लग गया।
थोड़ी देर के बाद वह कमरे में से बाहर आई और कहा- भैया मैं जा रही हूं।
मैंने कहा- ठीक है, अब कब आयेगी?
तो उसने कहा- जब समय मिलेगा।
Antarvasna stories आज भी मैं उसको जब भी मौका मिलता है तो चोदता रहता हूं। अब वो भी चुदायी का पूरा मजा लेती है।
प्यारे दोस्तो, ये मेरी पहली स्टोरी है, मेरा नाम राहुल है। उम्मीद करता Antarvasna हूँ कि आप सभी को पसंद आयेगी, अभी तक मैंने जितनी स्टोरी पढ़ी हैं उनमें से कुछ ज्यादा ही झूठी लगी, क्योंकि कोई भी लड़की किसी का लंड जल्दी से मुँह में नहीं लेती है, अगर ले भी लेती है तो उसमें से जो वीर्य गिरता है उसे कोई चाटता नहीं है।
छोड़िये इन बातों को, मैं अपनी स्टोरी की शुरुआत करता हूँ, ये स्टोरी करीब दो साल पहले की है। एक दिन अचानक मेरे कोलेज के दोस्त का फोन आया। चूँकि कोलेज मे हम अच्छे दोस्त थे, कोलेज खत्म होने के बाद हमारा सम्पर्क सिर्फ़ फोन पर रहा, उसने कहा कि उसकी शादी फ़िक्स हो गई है और इसी महीने की 29 तारीख को है, इसलिये हमें 3-4 दिन पहले ही वहाँ आना होगा क्योंकि शादी में काम कुछ ज्यादा ही होता है, अच्छी दोस्ती के चलते मैं उसे न कहा न सका, मैंने अपने ओफ़िस से 5-7 दिनो की छुट्टी ले ली।
फ़िर मैं 26 तारीख को सुबह उसके घर पहुँचा। जब मैंने बेल बजायी तो कुछ देर बाद उसकी छोटी बहन ने दरवाजा खोला, वो मुझे जानती थी लेकिन जब मैंने उसे देखा तो देखता रह गया क्योंकि जब मैंने उसे देखा था तो कुछ बच्ची की तरह लगती थी, लेकिन अब उसे देख कर मैं हक्का बक्का रह गया जब मैंने उससे पूछा कि रिंकी तुम?
उसका नाम रिंकी था…
वो बोली- हाँ, पहचान लिये क्या?
मैंने कहा कि तुम कितनी बड़ी हो गयी हो, फ़िर उसने कहा सारी बातें यहीं करेंगे कि घर में भी आयेंगे। फ़िर हम घर में आ गये
फ़िर मैंने अपने दोस्त मोहित के बारे में पूछा तो वो बोली बस बाज़ार गये हैं आते ही होंगे। क्योंकि उनके घर में मोहित, रिंकी और उनकी माँ ही रहती थी। फ़िर उसने कहा कि ठीक है अब आप फ़्रेश हो जाईये मैं आप के लिये नाश्ता बना देती हूँ।
फ़िर मैं बाथरूम में चला गया लेकिन मेरे आंखों में रिंकी का फ़ीगर घूम रहा था उसके बूब्स का साइज़ 34 उसकी फ़ीगर देख कर मेरा मन उसे चोदने का करने लगा, लेकिन दोस्त की बहन थी इसलिये मन को मार कर बाथरूम में मुठ मार कर रह गया!
फ़िर थोड़ी देर में उसका भाई भी आ गया, फ़िर हमने साथ में नाशता किया और फ़िर जो काम था उनकी तैयारी में लग गये, इसी बीच में मेरा हाथ 2-3 बार रिंकी को टच हुआ तो मैंने सोरी कह दिया तो उसने कहा कि इसमें सोरी कि क्या बात है, लेकिन मुझे ऐसा लगा कि फूल की फंखुड़ी का स्पर्श हुआ, मेरा मन बिचलित होने लगा। फ़िर मैंने जानबूझकर 1-2 बार उसके बूबस को टच किया तो उसने इग्नोर कर दिया। लेकिन मेरा मन तो उसे चोदने को कर रहा था
फ़िर शादी के एक दिन पहले जब मोहित को मेंहदी लग रही थी तब मैं वहीं था, मैंने देखा कि रिंकी वहाँ नहीं है मैं फ़िर उसके कमरे की तरफ़ गया तो वो कपड़े बदल रही थी और दरवाजा खुला हुआ था। वो ब्रा पहन रही थी मैं दरवाजे पर ही रुक कर देखने लगा वो काली ब्रा थी। उसका बदन देख कर मेरा लंड जिसकी लम्बाई करीब 8 इंच और 3 मोटा था एकदम खड़ा हो गया, जब वो ड्रेस पहनकर आने लगी तो मुझे देख कर बोली कि आप कब आये मैंने झूठ बोल दिया की बस अभी अभी आया हूँ।
लेकिन मुझे ऐसा लगा कि उसने शीशे में मुझे देख लिया था। फ़िर वो मुस्कराते हुए चली गयी, फ़िर मैंने हिम्मत कर सोचा कि अब इसे मैं चोदकर ही रहुंगा, और फ़िर मैं भी मोहित के पास चला गया वहीं रिंकी के बगल में जाकर बैठ गया और उसके हाथों सहलाने लगा। पहले तो उसने हाथ हटा लिया लेकिन फ़िर थोड़ी देर बाद शायद उसे भी अच्छा लगने लगा।
फ़िर धीरे धीरे रात होने लगी, सब सोने जा रहे थे लेकिन मुझे नींद नहीं आ रही थी इसलिये मैंने रिंकी से रुकने को कहा तो वह मान गयी। फ़िर हम बात करने लगे हँसी मज़ाक में मैंने उसके गालों को छुआ तो इतने कोमल थे कि बता नहीं सकता।
अचानक उसने कहा कि एक बात पूचूं आप सच बतायेंगे?
मैंने कहा- पूछो?
उसने कहा- आप सुबह जब मेरे कमरे में आये थे तब मैंने आप को देख लिया था तो आप ने मुझसे झूठ क्यो कहा, एक बार तो मैं शोक में आ गया फ़िर कहा उस वक्त तुम जिस हाल में थी कि मैं बता नहीं सकता था इसलिये मैंने झूठ कहा, फ़िर मैंने कहा कि तुम बहुत ही खूबसूरत हो तो वो शरमा गयी
फ़िर मैंने हिम्मत कर उसके होंठों को छुआ तो वह कांप गयी, वो बोली- क्या कर हैं?
फ़िर मैंने कहा- कुछ नहीं बस यूंही तुम्हारे होंठों किस करने का मन कर रहा है!
वो कुछ नहीं बोली मैं समझ गया कि काम बन रहा है, मैंने फ़िर उसे किस किया, उसके होंठों में इतना रस था कि मैं उसे चूसता रहा, फ़िर उसने अपने से अलग करते हुए कहा कि कोई आ जायेगा, लेकिन मेरा मन तो उसे चोदने को कर रहा था। लेकिन एक बात अच्छी थी कि मेरा रूम उसके रूम से सट कर था। फ़िर मैंने कहा कि रात में रूम का दरवाजा खोलकर रखना और वो मान गयी
फ़िर मैन जब रात करीब 1 बजे उसके रूम में गया तो वो नाइट ड्रेस पहन रखी थी उसमें तो और सेक्सी लग रही थी, मैंने अन्दर जाकर रूम को लोक कर दिया और जाते ही उसको किस करने लगा और उसे लेकर बेड पर गिरा दिया और उसकी ड्रेस खोलने लगा तो वो बोली- ये कर रहे हैं?
मैंने उससे कहा कि जरा रुको न अभी बताता हूँ…
लेकिन वो सब जानती थी आज उसकी चुदाई होने वाली है, साली जितनी भोली दिखती है उतनी सयानी है। लड़कियाँसब जानती हैं पता नहीं लड़कों को क्या समझती हैं, जब मैंने उसकी नाइटी उतारी तो उसके बूब्स पर काली ब्रा चमक रही थी, मैं ऊपर से उसके बूब्स को दबाने लगा तो उसने कहा कि दर्द हो रहा है। जब मैंने उसकी ब्रा उतारी तो उसके बूब्स इतने स्वीट लग रहे थे कि मन कर रहा था कि खा जाऊं
और फ़िर धीरे धीरे उसके बूब्स को सहलाने लगा एक हाथ से उसके बूब्स दबा रहा था तो दूसरे हाथ से उसकी चूत, उसकी चूत पर हल्के हल्के बाल थे, फ़िर मैंने उसकी पैंटी भी उतार दी, अब वो बिल्कुल नंगी थी लेकिन इस बीच वो झड़ चुकी थी, उसकी चूत से हल्का हल्का पानी निकल रहा था, फ़िर मैंने भी अपने कपड़े उतार दिये और जब मेरा लंड बाहर आया जो कि पैंट में खड़ा छटपटा रहा था बाहर आते ही एकदम लाल हो चुका था।
मेरे लंड को देख कर रिंकी ने आँख बंद कर ली, अब हम दोनो बिल्कुल नंगे थे और अब मैं उसके होंठों को चौड़ा कर उसकी चूत को चूस रहा था उसकी चूत एकदम टाइट थी जो कि बिल्कुल कुंवारी थी
जब मैंने अपनी जीभ उसकी चूत में डाली तो उसके मुँह से आआअ… हाआअ माआआ… निकल गया मैं समझ गया कि माल ताज़ा है सम्भाल कर खाना होगा, फ़िर मैंने उसे जोश में लाने लगा मैंने उसको अपना लंड दिया कि मुँह में ले लेकिन नहीं ले रही थी, लेकिन जब मैंने जबरदस्ती की तो उसने किस किया और निकाल दिया, मैंने ज्यादा जोर नहीं दिया कहीं काम बिगड़ न जाये, फ़िर वो गर्म हो रही थी फ़िर मैंने उससे कहा कि ओयल या क्रीम है तो लाना। तब वो ओयल ले आई। थोड़ा सा तेल मैंने अपने लंड पे लगाया और उसके चूत में लगाया
फ़िर मैंने अपने लंड का सुपाड़ा उसकी चूत के मुँह में रखा तो वह उठ बैठी और बोली प्लीज़ दर्द होने लगा फ़िर मैंने कहा कि कोई बात नहीं अभी दर्द कम हो जाता है फ़िर मैं उसे किस करने लगा और उसी बीच में अपना लंड से उसके चूत में धक्का मारा तो वो चीख पड़ी मा…मा… मर गयीईई… लेकिन उसकी चीख मेरे होंठों से दबी रही लेकिन मेरा लंड अभी 2 इंच ही घुसा था.
फ़िर मैं उसकी चूची को सहलाने लगा और उसके होंठों को किस करता रहा जब उसका दर्द कम हुआ तो अपने लंड को अन्दर बाहर करने लगा अब रिंकी भी मेरा साथ देने लगी उसी में मैंने एक और झटका मारा तो वो दर्द से कँहर उठी और मर गयीईई रे मार डालल्लला रे ईईबोलने लगी और मैं उसी तरह पड़ा रहा और फ़िर उसके होंठों को चूसता रहा!
थोड़ी देर बाद रिंकी ने कहा की मुझे नहीं पता था कि तुम्हारा लंड इतना बड़ा है मैं तो एकदम मर गयी बहुत दर्द हो रहा है!
मैंने कहा कि मेरी रानी अभी तो दर्द हो रहा है कुछ देर में तो तुम्हे मुझसे ज्यादा मज़ा आयेगा और मैं अपने लंड को अन्दर बाहर करने लगा और रिंकी भी जोश में आ कर अपनी कमर तो उठाने लगी उसे भी मज़ा आने लगा और वो जोर जोर से अपनी कमर उठाने लगी.
मैं समझ गया कि अब इसे जवानी का मज़ा आ रहा है और वो बोली मेरे राजा अब तुम अपना पूरा लंड मेरी चूत में डाल दो मैं तैयार हूं और मैंने एक जोर का झटका मारा कि वो दर्द के मारे चीख उठी और मैं उसे यूं ही चोदता रहा
मैंने देखा कि उसकी चूत से ब्लड निकल रहा है मैं जानता था कि इसकी ये पहली चुदाई है इसलिये होना ही था और मैं उसे चोदता रहा इसी बीच वो 2-3 बार झड़ चुकी थी और उसकी चूत एकदम गीली हो चुकी थी जिससे कि मेरा लंड आराम से अन्दर बाहर हो रहा था और अब उसका दर्द भी कम हो गया था और हम दोनो जवानी का असली मज़ा ले रहे थे।
थोड़ी देर में मैं भी झड़ने वाला था इतने में वो बोली और जोर से चोदो मेरे राजा अब मैं झड़ने वाली हूँ और मैं जोर जोर से धक्के मारने लगा और वो झड़ गयी और थोड़ी देर में मैं भी झड़ गया मेरी इतनी हिम्मत नहीं थी कि मैं अपना लंड निकाल कर बाहर झड़ जाऊं और मैं उसके ऊपर उसके होंठों को चूसते हुए उसके चूत में झड़ गया और इस तरह मैंने उसे उस रात दो बार चोदा और फ़िर दूसरे दिन की कहानी अगली बार में! Antarvasna
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