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Massage Girl in Dehradun: Premium Relaxation Services

Our site can help you find a professional massage girl in Dehradun who will help you relax in the best manner possible. We connect you with professional therapists who can offer you a massage that will make you feel better and more relaxed. The pros on our list are ready to provide you with a fantastic experience at your house or in one of their particular spots, whether you want to relax or get away from it all.

Introduction

Massage is currently one of the finest methods to relax your mind, body, and overall health. Our website makes it easy to locate the top massage services in Dehradun that meet your demands. This will be a one-of-a-kind and calming experience for you.

Tottaa wants to make it simple for clients to find the top masseuse. The Dehradun massage service providers on our list offer the greatest quality, comfort, and competence, whether you want a full-body massage or a massage for a particular location.

How Tottaa Helps Advertisers Reach More Customers

Tottaa is not only a list of masseuses, it’s also a secure location for them to show off what they can do. People in Dehradun who are seeking massage services may find them on our website. This makes them easier to find and gets them more appointments.

Advertisers may simply put up profiles, offer their services, and talk about pricing and discounts on our sites. This makes sure that the relevant people notice your Dehradun massage service, which makes it easier to obtain more customers.

Different Types of Massages We Offer

There are a lot of different types of massage services on our site, so you may choose one that works for you. You may choose the kind of treatment that works best for you, whether it’s profound rest or a particular type of therapy.

1. Swedish Massage

A calm and gentle way to ease muscular tension and improve blood flow. This Dehradun massage is perfect for you if you want to relax and forget about your concerns.

2. Deep Tissue Massage

This approach employs a lot of pressure to get to deeper muscle layers. It’s helpful for folks who have muscular discomfort or stiffness that won’t go away. There are specialists on our profiles of massage girls in Dehradun who are good at deep tissue treatments that function effectively.

3. Aromatherapy Massage

Calming massage strokes and essential oils are beneficial in making people feel improved both emotionally and physically. Most massage companies in Dehradun employ the use of custom oil preparations to make you feel good.

4. Thai Massage

A therapy that wakes you up by using a mix of regular massage, stretching, and compression. This traditional massage in Dehradun helps you relax, become more flexible, and get your mind and body back in harmony.

5. Hot Stone Massage

Heated stones are placed on various parts of the body to help with deep muscular tightness. People who want to feel good, relax, and help their muscles recover quickly can use this massage service in Dehradun

How to Book Our Massage Services

Tottaa makes it simple and fast to book. With our listings, you can see what kind of massage you want, read about the providers, see that they are free and then contact them directly. After you choose, you can book a massage in Dehradun at your convenient time and location. In order to get your desired massage services, apply the following simple steps:

Step 1: Browse Our Listings

Take a peek around our site to view a few massage professionals. Each listing gives you information about the many sorts of massages, how long they last, how much they cost, and where they are situated. This makes it easier to choose the finest ones.

Step 2: Compare and Shortlist

Examine the profiles carefully to compare how the services, talents, and reviews posted by customers differ. This phase makes sure you choose a business that has the style, pricing, and supply you desire.

Step 3: Connect with the Provider

When you have decided, use the information that you are offered so that you can contact them directly. One can communicate it to the massage giver thus making it understood what massage you want at what time and when.

Step 4: Confirm the Appointment

The date, time and place of the service, which could be your home, a hotel or the spa where the therapist may be found. You also need to agree on the payment method and any other accords prior to commencement of the course.

Step 5: Relax and Enjoy Your Massage

All you have to do on the day of the appointment is have your area ready for the house visit. The remainder will be handled by the expert. Take it easy and enjoy a massage that is made just for you.

Frequently Asked Questions

To locate a professional who can meet your needs, read our biography, reviews and advertising.

Yes, many of the therapists on our site will come to your house so you may feel safe and at ease.

You may pick based on talents since most adverts provide their qualifications in their profiles.

It would be advisable to make a reservation earlier to guarantee that you would be able to get a massage, particularly against the prevalent services of massage.

Not at all. Tottaa exclusively connects users with service providers. The doctor gets to choose how to handle payment.

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लेखिका : नेहा Hindi Sex Stories

मेरी शादी हुए करीब Hindi Sex Stories दस साल हो गये थे। इन दस सालों में मैं अपने पति से ही तन का सुख प्राप्त करती थी। उन्हें अब डायबिटीज हो गई थी और काफ़ी बढ़ भी गई थी। इसी कारण से उन्हें एक बार हृदयघात भी हो चुका था। अब तो उनकी यह हालत हो गई थी कि उनके लण्ड की कसावट भी ढीली होने लगी थी। लण्ड का कड़कपन भी नहीं रहा था। उनका शिश्न में बहुत शिथिलता आ गई थी। वैसे भी जब वो मुझे चोदने की कोशिश करते थे तो उनकी सांस फ़ूल जाती थी, और धड़कन बढ़ जाती थी। अब धीरे धीरे रणवीर से मेरा शारीरिक सम्बन्ध भी समाप्त होने लगा था। पर अभी मैं तो अपनी भरपूर जवानी पर थी, 35 साल की हो रही थी।

जब से मुझे यह महसूस होने लगा कि मेरे पति मुझे चोदने के लायक नहीं रहे तो मुझ पर एक मनोवैज्ञानिक प्रभाव होने लगा। मेरी चुदाई की इच्छा बढ़ने लगी थी। रातों को मैं वासना से तड़पने लगी थी। रणवीर को यह पता था पर मजबूर था। मैं उनका लण्ड पकड़ कर खूब हिलाती थी और ढीले लण्ड पर मुठ भी मारती थी, पर उससे तो उनका वीर्य स्खलित हो जाया करता था पर मैं तो प्यासी रह जाती थी।

मैं मन ही मन में बहुत उदास हो जाती थी। मुझे तो एक मजबूत, कठोर लौड़ा चाहिये था ! जो मेरी चूत को जम के चोद सके। अब मेरा मन मेरे बस में नहीं था और मेरी निगाहें रणवीर के दोस्तों पर उठने लगी थी। एक दोस्त तो रणवीर का खास था, वो अक्सर शाम को आ जाया करता था।

मेरा पहला निशाना वही बना। उसके साथ अब मैं चुदाई की कल्पना करने लगी थी। मेरा दिल उससे चुदाने के लिये तड़प जाता था। मैं उसके सम्मुख वही सब घिसी-पिटी तरकीबें आजमाने लगी। मैं उसके सामने जाती तो अपने स्तनो को झुका कर उसे दर्शाती थी। उसे बार बार देख कर मतलबी निगाहों से उसे उकसाती थी। यही तरकीबें अब भी करगार साबित हो रही थी। मुझे मालूम हो चुका था था कि वो मेरी गिरफ़्त में आ चुका है, बस उसकी शरम तोड़ने की जरूरत थी। मेरी ये हरकतें रणवीर से नहीं छुप सकी। उसने भांप लिया था कि मुझे लण्ड की आवश्यकता है।

अपनी मजबूरी पर वो उदास सा हो जाता था। पर उसने मेरे बारे में सोच कर शायद कुछ निर्णय ले लिया था। वो सोच में पड़ गया …

“कोमल, तुम्हें भोपाल जाना था ना… कैसे जाओगी ?”

“अरे, वो है ना तुम्हारा दोस्त, राजा, उसके साथ चली जाऊंगी !”

“तुम्हें पसन्द है ना वो…” उसने मेरी ओर सूनी आंखो से देखा।

मेरी आंखे डर के मारे फ़टी रह गई। पर रणवीर के आंखो में प्यार था।

“नहीं ऐसी तो कोई बात नहीं है … बस मुझे उस पर विश्वास है।”

“मुझे माफ़ कर देना, कोमल… मैं तुम्हें सन्तुष्ट नहीं कर पाता हूं, बुरा ना मानो तो एक बात कहूं?”

“जी… ऐसी कोई बात नहीं है … यह तो मेरी किस्मत की बात है…”

“मैं जानता हूं, राजा तुम्हें अच्छा लगता है, उसकी आंखें भी मैंने पहचान ली है…”

“तो क्या ?…” मेरा दिल धड़क उठा ।

“तुम भोपाल में दो तीन दिन उसके साथ किसी होटल में रुक जाना … तुम्हें मैं और नहीं बांधना चाहता हूं, मैं अपनी कमजोरी जानता हूँ।”

“जानू … ये क्या कह रहे हो ? मैं जिन्दगी भर ऐसे ही रह लूंगी।” मैंने रणवीर को अपने गले लगा लिया, उसे बहुत चूमा… उसने मेरी हालत पहचान ली थी। उसका कहना था कि मेरी जानकारी में तुम सब कुछ करो ताकि समय आने पर वो मुझे किसी भी परेशानी से निकाल सके। राजा को भोपाल जाने के लिये मैंने राजी कर लिया।

पर रणवीर की हालत पर मेरा दिल रोने लगा था। शाम की डीलक्स बस में हम दोनों को रणवीर छोड़ने आया था। राजा को देखते ही मैं सब कुछ भूल गई थी। बस आने वाले पलों का इन्तज़ार कर रही थी। मैं बहुत खुश थी कि उसने मुझे चुदाने की छूट दे दी थी। बस अब राजा को रास्ते में पटाना था। पांच बजे बस रवाना हो गई। रणवीर सूनी आंखों से मुझे देखता रहा। एक बार तो मुझे फिर से रूलाई आ गई… उसका दिल कितना बड़ा था … उसे मेरा कितना ख्याल था… पर मैंने अपनी भावनाओं पर जल्दी ही काबू पा लिया था।

हमारा हंसी मजाक सफ़र में जल्दी ही शुरू हो गया था। रास्ते में मैंने कई बार उसका हाथ दबाया था, पर उसकी हिम्मत नहीं हो रही थी। पर कब तक वो अपने आप को रोक पाता… आखिर उसने मेरा हाथ भी दबा ही दिया। मैं खुश हो गई…

रास्ता खुल रहा था। मैंने टाईट सलवार कुर्ता पहन रखा था। अन्दर पैंटी नहीं पहनी थी, ब्रा भी नहीं पहनी थी। यह मेरा पहले से ही सोचा हुआ कार्यक्रम था । वो मेरे हाथों को दबाने लगा। उसका लण्ड भी पैंट में उभर कर अपनी उपस्थिति दर्शा रहा था। उसके लण्ड के कड़कपन को देख कर मैं बहुत खुश हो रही थी कि अब इसे लण्ड से मस्ती से चुदाई करूंगी। मैं किसी भी हालत में राजा को नहीं छोड़ने वाली थी।

“कोमल … क्या मैं तुम्हें अच्छा लगता हूं…?”

“हूं … अच्छे लोग अच्छे ही लगते हैं…” मैंने जान कर अपना चहरा उसके चेहरे के पास कर लिया। राजा की तेज निगाहें दूसरे लोगों को परख रही थी, कि कोई उन्हें देख तो नहीं रहा है। उसने धीरे से मेरे गाल को चूम लिया। मैं मुस्करा उठी … मैंने अपना एक हाथ उसकी जांघो पर रख दिया और हौले हौले से दबाने लगी। मुझे जल्दी शुरूआत करनी थी, ताकि उसे मैं भोपाल से पहले अपनी अदाओं से घायल कर सकूं।

यही हुआ भी …… सीटे ऊंची थी अतः वो भी मेरे गले में हाथ डाल कर अपना हाथ मेरी चूचियों तक पहुँचाने की कोशिश करने लगा। पर हाय राम ! बस एक बार उसने कठोर चूचियों को दबाया और जल्दी से हाथ हटा लिया। मैं तड़प कर रह गई। बदले में मैंने भी उसका उभरा लण्ड दबा दिया और सीधे हो कर बैठ गई। पर मेरा दिल खुशी से बल्लियों उछल रहा था। राजा मेरे कब्जे में आ चुका था। अंधेरा बढ़ चुका था… तभी बस एक मिड-वे पर रुकी।

राजा दोनों के लिये शीतल पेय ले आया। कुछ ही देर में बस चल पड़ी। दो घण्टे पश्चात ही भोपाल आने वाला था। मेरा दिल शीतल पेय में नहीं था बस राजा की ओर ही था। मैं एक हाथ से पेय पी रही थी, पर मेरा दूसरा हाथ … जी हां उसकी पैंट में कुछ तलाशने लगा था … गड़बड़ करने में मगशूल था। उसका भी एक हाथ मेरी चिकनी जांघों पर फ़िसल रहा था। मेरे शरीर में तरावट आने लगी थी। एक लम्बे समय के बाद किसी मर्द के साथ सम्पर्क होने जा रहा था। एक सोलिड तना हुआ लण्ड चूत में घुसने वाला था। यह सोच कर ही मैं तो नशे में खो गई थी।

तभी उसकी अंगुली का स्पर्श मेरे दाने पर हुआ। मैं सिह उठी। मैंने जल्दी से इधर उधर देखा और किसी को ना देखता पा कर मैंने चैन की सांस ली। मैंने अपनी चुन्नी उसके हाथ पर डाल दी। अंधेरे का फ़ायदा उठा कर उसने मेरी चूचियाँ भी सहला दी थी। मैं अब स्वतन्त्र हो कर उसके लण्ड को सहला कर उसकी मोटाई और लम्बाई का जायजा ले रही थी।

मैं बार बार अपना मुख उसके होंठों के समीप लाने का प्रयत्न कर रही थी। उसने भी मेरी तरफ़ देखा और मेरे पर झुक गया। उसके गीले होंठ मेरे होंठों के कब्जे में आ गये थे। मौका देख कर मैंने पैंट की ज़िप खोल ली और हाथ अन्दर घुसा दिया। उसका लण्ड अण्डरवियर के अन्दर था, पर ठीक से पकड़ में आ गया था।

वो थोड़ा सा विचलित हुआ पर जरा भी विरोध नहीं किया। मैंने उसकी अण्डरवियर को हटा कर नंगा लण्ड पकड़ लिया। मैंने जोश में उसके होंठों को जोर से चूस लिया और मेरे मुख से चूसने की जोर से आवाज आई। राजा एक दम से दूर हो गया। पर बस की आवाज में वो किसी को सुनाई नहीं दी। मैं वासना में निढाल हो चुकी थी। मन कर रहा था कि वो मेरे अंगों को मसल डाले। अपना लण्ड मेरी चूत में घुसा डाले … पर बस में तो यह सब सम्भव नहीं था। मैं धीरे धीरे झुक कर उसकी जांघों पर अपना सर रख लिया। उसकी जिप खुली हुई थी, लण्ड में से एक भीनी भीनी से वीर्य जैसी सुगन्ध आ रही थी। मेरे मुख से लण्ड बहुत निकट था, मेरा मन उसे अपने मुख में लेने को मचल उठा। मैंने उसका लण्ड पैंट में से खींच कर बाहर निकाल लिया और अपने मुख से हवाले कर लिया। राजा ने मेरी चुन्नी मेरे ऊपर डाल दी। उसके लण्ड के बस दो चार सुटके ही लिये थे कि बस की लाईटें जल उठी थी। भोपाल आ चुका था। मैंने जैसे सोने से उठने का बहाना बनाया और अंगड़ाई लेने लगी। मुझे आश्चर्य हुआ कि सफ़र तो बस पल भर का ही था ! इतनी जल्दी कैसे आ गया भोपाल ? रात के नौ बज चुके थे।

रास्ते में बस स्टैण्ड आने के पहले ही हम दोनों उतर गये। राजा मुझे कह रहा था कि घर यहाँ से पास ही है, टैक्सी ले लेते हैं। मैं यह सुन कर तड़प गई- साला चुदाई की बात तो करता नहीं है, घर भेजने की बात करता है।

मैंने राजा को सुझाव दिया कि घर तो सवेरे चलेंगे, अभी तो किसी होटल में भोजन कर लेते हैं, और कहीं रुक जायेंगे। इस समय घर में सभी को तकलीफ़ होगी। उन्हें खाना बनाना पड़ेगा, ठहराने की कवायद शुरू हो जायेगी, वगैरह।

उसे बात समझ में आ गई। राजा को मैंने होटल का पता बताया और वहाँ चले आये।

“तुम्हारे घर वाले क्या सोचेंगे भला…”

“तुम्हें क्या … मैं कोई भी बहाना बना दूंगी।”

कमरे में आते ही रणवीर का फोन आ गया और पूछने लगा। मैंने उसे बता दिया कि रास्ते में तो मेरी हिम्मत ही नहीं हुई, और हम दोनों होटल में रुक गये हैं।

“किसका फोन था… रणवीर का …?”

“हां, मैंने बता दिया है कि हम एक होटल में अलग अलग कमरे में रुक गये हैं।”

“तो ठीक है …” राजा ने अपने कपड़े उतार कर तौलिया लपेट लिया था, मैंने भी अपने कपड़े उतारे और ऊपर तौलिया डाल लिया।

“मैं नहाने जा रही हूँ …”

“ठीक है मैं बाद में नहा लूंगा।”

मुझे बहुत गुस्सा आया … यूं तो हुआ नहीं कि मेरा तौलिया खींच कर मुझे नंगी कर दे और बाथ रूम में घुस कर मुझे खूब दबाये … छीः … ये तो लल्लू है। मैं मन मार कर बाथ रूम में घुस गई और तौलिया एक तरफ़ लटका दिया। अब मैं नंगी थी।

मैंने झरना खोल दिया और ठण्डी ठण्डी फ़ुहारों का आनन्द लेने लगी।

“कोमल जी, क्या मैं भी आ जाऊं नहाने…?”

मैं फिर से खीज उठी… कैसा है ये आदमी … साला एक नंगी स्त्री को देख कर भी हिचकिचा रहा है। मैंने उसे हंस कर तिरछी निगाहों से देखा। वो नंगा था …

उसका लण्ड तन्नाया हुआ था। मेरी हंसी फ़ूट पड़ी।

“तो क्या ऐसे ही खड़े रहोगे … वो भी ऐसी हालत में … देखो तो जरा…”

मैंने अपना हाथ बढ़ाकर उसका हाथ थाम लिया और अपनी ओर खींच लिया। उसने एक गहरी सांस ली और उसने मेरी पीठ पर अपना शरीर चिपका लिया। उसका खड़ा लण्ड मेरे चूतड़ों पर फ़िसलने लगा। मेरी सांसें तेज हो गई। मेरे गीले बदन पर उसके हाथ फ़िसलने लगे। मेरी भीगी हुई चूचियाँ उसने दबा डाली। मेरा दिल तेजी से धड़कने लगा था। हम दोनों झरने की बौछार में भीगने लगे। उसका लण्ड मेरी चूतड़ों की दरार को चीर कर छेद तक पहुंच गया था। मैं अपने आप झुक कर उसके लण्ड को रास्ता देने लगी। लण्ड का दबाव छेद पर बढ़ता गया और हाय रे ! एक फ़क की आवाज के साथ अन्दर प्रवेश कर गया। उसका लण्ड जैसे मेरी गाण्ड में नहीं बल्कि जैसे मेरे दिल में उतर गया था। मैं आनन्द के मारे तड़प उठी।

आखिर मेरी दिल की इच्छा पूरी हुई। एक आनन्द भरी चीख मुख से निकल गई।

उसने लण्ड को फिर से बाहर निकाला और जोर से फिर ठूंस दिया। मेरे भीगे हुये बदन में आग भर गई। उसके हाथों ने मेरे उभारों को जोर जोर से हिलाना और मसलना आरम्भ कर दिया था। उसका हाथ आगे से बढ़ कर चूत तक आ गया था और उसकी दो अंगुलियां मेरी चूत में उतर गई थी। मैंने अपनी दोनों टांगें फ़ैला ली थी।

उसके शॉट तेज होने लगे थे। अतिवासना से भरी मैं बेचारी जल्दी ही झड़ गई।

उसका वीर्य भी मेरी टाईट गाण्ड में घुसने के कारण जल्दी निकल गया था।

हम स्नान करके बाहर आ गये थे। पति पत्नी की तरह हमने एक दूसरे को प्यार किया और रात्रि भोजन हेतु नीचे प्रस्थान कर गये।

तभी रणवीर का फोन आया,” कैसी हो। बात बनी या नहीं…?”

“नहीं जानू, वो तो सो गया है, मैं भी खाना खाकर सोने जा रही हूँ !”

“तुम तो बुद्धू हो, पटे पटाये को नहीं पटा सकती हो…?”

“अरे वो तो मुझे भाभी ही कहता रहा … लिफ़्ट ही नहीं मार रहा है, आखिर तुम्हारा सच्चा दोस्त जो ठहरा !”

“धत्त, एक बार और कोशिश करना अभी … देखो चुद कर ही आना …।”

“अरे हां मेरे जानू, कोशिश तो कर रही हूँ ना … गुडनाईट”

मैं मर्दों की फ़ितरत पहचानती थी, सो मैंने चुदाई की बात को गुप्त रखना ही बेहतर समझा। राजा मेरी बातों को समझने की कोशिश कर रहा था। हम दोनों खाना खाकर सोने के लिये कमरे में आ गये थे। मेरी तो यह यात्रा हनीमून जैसी थी, महीनों बाद मैं चुदने वाली थी। गाण्ड तो चुदा ही चुकी थी। मैंने तुरंत हल्के कपड़े पहने और बिस्तर पर कूद गई और टांगें पसार कर लेट गई।

“आओ ना … लेट जाओ …” उसका हाथ खींच कर मैंने उसे भी अपने पास लेटा दिया।

“राजा, घर पर तुमने खूब तड़पाया है … बड़े शरीफ़ बन कर आते थे !”

“आपने तो भी बहुत शराफ़त दिखाई… भैया भैया कह कर मेरे लण्ड को ही झुका देती थी !”

“तो और क्या कहती, सैंया… सैंया कहती … बाहर तो भैया ही ठीक रहता है।”

मैं उसके ऊपर चढ़ गई और उसकी जांघों पर आ गई।

“यह देख, साला अब कैसा कड़क रहा है … निकालूँ मैं भी क्या अपनी फ़ुद्दी…” मैंने आंख मारी।

“ऐ हट बेशरम … ऐसा मत बोल…” राजा मेरी बातों से झेंप गया।

“अरे जा रे … मेरी प्यारी सी चूत देख कर तेरा लण्ड देख तो कैसा जोर मार रहा है।”

“तेरी भाषा सुन कर मेरा लण्ड तो और फ़ूल गया है…”

“तो ये ले डाल दे तेरा लण्ड मेरी गीली म्यानी में…।”

मैंने अपनी चूत खोल कर उसका लाल सुपाड़ा अपनी चूत में समा दिया। एक सिसकारी के साथ मैं उससे लिपट पड़ी। मुझे विश्वास नहीं हो रहा था कि किसी गैर मर्द का लण्ड मेरी प्यासी चूत में उतर रहा है। मैंने अपनी चूत का और जोर लगाया और उसे पूरा समा लिया। उसका फ़ूला हुआ बेहद कड़क लौड़ा मेरी चूत के अन्दर-बाहर होने लगा था। मैं आहें भर भर कर अपनी चूत को दबा दबा कर लण्ड ले रही थी। मुझमें अपार वासना चढ़ी जा रही थी। इतनी कि मैं बेसुध सी हो गई। जाने कितनी देर तक मैं उससे चुदती रही। जैसे ही मेरा रस निकला, मेरी तन्द्रा टूटी। मैं झड़ रही थी, राजा भी कुछ ही देर में झड़ गया।

मेरा मन हल्का हो गया था। मैं चुदने से बहुत ही प्रफ़ुल्लित थी। कुछ ही देर में मेरी पलकें भारी होने लगी और मैं गहरी निद्रा में सो गई। अचानक रात को जैसे ही मेरी गाण्ड में लण्ड उतरा, मेरी नींद खुल गई। राजा फिर से मेरी गाण्ड से चिपका हुआ था। मैं पांव फ़ैला कर उल्टी लेट गई। वो मेरी पीठ चढ़ कर मेरी गाण्ड मारने लगा। मैं लेटी लेटी सिसकारियाँ भरती रही। उसका वीर्य निकल कर मेरी गाण्ड में भर गया। हम फिर से लेट गये। गाण्ड चुदने से मेरी चूत में फिर से जाग हो गई थी। मैंने देखा तो राजा जाग रहा था। मैंने उसे अपने ऊपर खींच लिया और मैं एक बार फिर से राजा के नीचे दब गई। उसका लण्ड मेरी चूत को मारता रहा। मेरी चूत की प्यास बुझाता रहा। फिर हम दोनों स्खलित हो गये। एक बार फिर से नींद का साम्राज्य था। जैसे ही मेरी आंख खुली सुबह के नौ बज रहे थे।

“मैं चाय मंगाता हूँ, जितने तुम फ़्रेश हो लो !”

नाश्ता करने के बाद राजा बोला,”अब चलो तुम्हें घर पहुंचा दूँ…”

पर घर किसे जाना था… यह तो सब एक सोची समझी योजना थी।

“क्या चलो चलो कर रहे हो ?… एक दौर और हो जाये !”

राजा की आंखे चमक उठी … देरी किस बात की थी… वो लपक कर मेरे ऊपर चढ़ गया।

मेरे चूत के कपाट फिर से खुल गये थे। भचाभच चुदाई होने लगी थी। बीच में दो बार रणवीर का फोन भी आया था। चुदने के बाद मैंने रणवीर को फोन लगाया।

“क्या रहा जानू, चुदी या नहीं…?”

“अरे अभी तो वो उठा है … अब देखो फिर से कोशिश करूंगी…”

तीन दिनों तक मैं उससे जी भर कर चुदी, चूत की सारी प्यास बुझा ली। फिर जाने का समय भी आया। राजा को अभी तक समझ नहीं आया था कि यहाँ तीन तक हम दोनों मात्र चुदाई ही करते रहे… मैं अपने घर तो गई ही नहीं।

“पर रणवीर को पता चलेगा तो…?”

“मुझे रणवीर को समझाना आता है !”

घर आते ही रणवीर मुझ पर बहुत नाराज हुआ। तीन दिनों में तुम राजा को नहीं पटा सकी।

“क्या करूँ जानू, वो तो तुम्हारा सच्चा दोस्त है ना… हाथ तक नहीं लगाया !”

“अच्छा तो वो चिकना अंकित कैसा रहेगा…?”

“यार उसे तो मैं नहीं छोड़ने वाली, चिकना भी है… उसके ऊपर ही चढ़ जाऊंगी…”

रण्वीर ने मुझे फिर प्यार से देखा और मेरे सीने को सहला दिया।

“सीऽऽऽऽऽऽ स स सीईईईई …ऐसे मत करो ना … फिर चुदने की इच्छा हो जाती है।”

“ओह सॉरी… जानू … लो वो अंकित आ गया !”

अंकित को फ़ंसाना कोई कठिन काम नहीं था, पर रणवीर के सामने यह सब कैसे होगा…। उसे भी धीरे से डोरे डाल कर मैंने अपने जाल में फ़ंसा लिया। फिर दूसरा पैंतरा आजमाया। सुरक्षा के लिहाज से मैंने देखा कि अंकित का कमरा ही अच्छा था। उसके कमरे में जाकर चुद आई और रणवीर को पता भी ही नहीं चल पाया।

मुझे लगा कि जैसे मैं धीरे धीरे रण्डी बनती जा रही हूँ … मेरे पति देव अपने दोस्तों को लेकर आ जाते थे और एक के बाद एक नये लण्ड मिलते ही जा रहे थे … और मैं कोई ना कोई पैंतरा बदल कर चुद आती थी… है ना यह गलत बात !

पतिव्रता होना पत्नी का पहला कर्तव्य है। पर आप जानते है ना चोर तो वो ही होता है जो चोरी करता हुआ पकड़ा जाये … मैं अभी तक तो पतिव्रता ही हूँ … पर चुदने से पतिव्रता होने का क्या सम्बन्ध है ? यह विषय तो बिल्कुल अलग है। मैं अपने पति को सच्चे दिल से चाहती हूँ। उन्हें चाहना छोड़ दूंगी तो मेरे लिये मर्दों का प्रबन्ध कौन करेगा भला ?

मेरे जानू… मेरे दिलवर, तुम्हारे लाये हुये मर्द से ही तो मैं चुदती हूँ … Hindi Sex Stories

हाय पाठको !Hindi Sex Stories

आपका शुक्रिया Hindi Sex Stories कि मैं अपने एक नये अनुभव को आप के सामने पेश कर रहा हूँ।

बात उन दिनों की है जब मैं सर्दी के दिनों में धूप सेंक रहा था। मेरे पड़ोस की कुछ लड़कियां भी हमारे घर की छत पे धूप सेंकने आती थीं क्योंकि हमारे घर की छत पे धूप बहुत अच्छी लगती थी।

मेरा एक दोस्त, जिसका नाम लालू भाई है, की बहन भी धूप सेंकने हमारी छत पे ही आती थी। उसका नाम हनी था। गज़ब की सेक्स बॉम्ब थी वो। उसकी मस्त गांड को देखकर किसी का भी लंड खड़ा हो सकता था। उसको चोदने का बहुत मन तो था लेकिन लालू से डर की वज़ह से कभी हिम्मत नहीं हो पाई थी। मेरी और उसकी बहुत अच्छी दोस्ती थी लेकिन शायद लालू भाई को हमारी ये दोस्ती पसंद नहीं थी। वो बार बार मुझे धमकी देता था कि मैं उसकी बहन से किसी तरह की दोस्ती न रखूं, लेकिन आप तो जानते हैं कि लंड की प्यास के आगे हर कोई बेबस है।

उस दिन मेरी मॉम डोक्टर के पास गई हुई थी। मैं घर पे ब्ल्यू मूवी देख रहा था। मुझे पता भी नहीं चला कि कब हनी मेरे पीछे आ के खड़ी हो गई। वो मूवी देखने लगी। अचानक उसके हाथ से कुछ टकराया, मैने मुड़कर देखा तो हनी मेरे सामने थी। मैने पहले तो टीवी बंद किया, मुझे समझ नहीं आ रहा था कि क्या करुं।

अचानक हनी ने कहा- तुम तो बहुत गंदे हो।

मैंने कहा- नहीं बस टाइम पास कर रहा था।

उसने कहा- लालू भैया ठीक कहते हैं कि तुमसे कोई वास्ता ना रखूं, मुझे उम्मीद नहीं थी कि तुम ऐसी मूवीज़ भी देखते होंगे।

मैंने कहा- मूवी तो तुमने भी देखी है।

मैंने उसका हाथ पकड़ लिया और कहा- प्लीज़ मॉम या डैड से इस बारे में कुछ नहीं कहना !

जबकि मैं भी जानता था कि वो कुछ कहने वाली नहीं है। मैंने देखा कि उसने अपना हाथ छुड़ाने की ज़रा भी कोशिश नहीं की। मेरा हौंसला और भी बढ़ गया। मैंने उसके हाथ को धीरे धीरे दबाना शुरु किया और उसे अपनी बाहों में भर लिया। शायद फ़िल्म देख के वो भी गरम हो चुकी थी। उसने कोई विरोध नहीं किया। मैंने उसके होठों को हल्का सा चूम लिया और कहा- प्लीज़ !मॉम से मत कहना !

उसने जवाब नहीं दिया।

मैंने उसकी चूची को चूम लिया और कहा- मोम से मत कहना प्लीज़ !

उसने कोई जवाब नहीं दिया। वो मस्त हो चुकी थी।

मैंने धीरे धीरे अपना हाथ उसकी कमीज़ में डाल दिया और उसके मोम्मे दबाने लगा। मैंने अब मोर्चा सम्भालना शुरु कर दिया था, मैंने धीरे से उसकी ब्रा के हुक खोल दिये और उसकी कमीज़ और ब्रा को अलग कर दिया शायद वो मज़ा ले रही थी अब उसकी चूचियां मेरे सामने थी, मैने उसकी चूचियों को अपने मुँह मे डाल लिया।

वो तड़प उठी- नहीं समीर ये ठीक नहीं है !

मैंने उसके होठों पे अपने होठों को रखते हुये कहा- जब मज़ा आये तो सब ठीक हो रहा है।

उसने कहा- अगर लालू भाई को पता लग गया तो?

मैंने कहा- उसने कौन सा तुझे चोदना है जो उसे पता लग पायेगा। हम इस बात को राज़ ही रखेंगे।

और मैंने समय खराब ना करते हुये उसकी शलवार को भी अलग कर दिया। अब वो मेरे सामने सिर्फ़ पैंटी में थी। मुझे यकीन नहीं हो रहा था कि लालू की सेक्सी बहन को आज मैं चोदने जा रहा हूं। मैंने उसकी चूचियां चूसते हुये उस की पैंटी को भी उस से अलग कर दिया। मैंने उसे ६९ पोजिशन में लिया और उसकी चूत को चाटने लगा, वो मेरे लंड को चूस रही थी।

वाह क्या आनंद के लम्हे थे वो? वो १५ मिनट में झड़ गई लेकिन मैंने उसे सीधा लिटाया और उसकी बिना बालों की चूत को उंगली से सहलाना शुरु किया।

अब वो दोबारा जोश में आ रही थी। मैंने उसकी टांगों को ऊपर उठाया और अपना ७” का लंड उसकी चूत में डाल दिया वो चीख उठी। मैंने उसके मुँह पे हाथ रख दिया ४-५ धक्के लगाने के बाद जब लंड पूरी तरह अन्दर घुस गया और उसे भी मज़ा आने लगा तब मैंने हाथ हटा दिया। अब उसके मुंह से आआआआह ऊऊऊऊउह करो ! और करो ! की आवाज़ निकल रही थी। अब हम जोश में थे।

डू इट फ़ास्ट, डू इट फ़ास्ट, फ़क मी, फ़क मी, फ़क मी की आवाज़ से कमरा गूंज रहा था। मैंने २० मिनट तक उसको चोदा। हम दोनो खुश थे। उसके बाद वो कहने लगी- तुमने अपना वीर्य तो चखाया ही नहीं?

तो मैंने कहा- उसमें क्या बड़ी बात है और फ़िर मेरा लंड उसके मुँह में था। एक बार फ़िर वो मेरा लंड चूस कर मज़ा ले रही थी।

सच बताऊँ तो दोस्तो जितना मज़ा लालू भाई की बहन को चोद कर आया उतना मज़ा ज़िंदगी में कभी भी नहीं आया। गज़ब का नशा है उसकी चूत में। उस दिन के बाद मैंने कई बार लालू की बहन को चोदा। और लालू आज भी इस बात से बेखबर है।

तो चोदो चुदाओ और लाइफ़ को खुश हाल बनाओ।Hindi Sex Stories

Antarvasna

मेरा नाम राहुल है, मैं Antarvasna जयपुर में रहता हूँ। मैं दिखने में सामान्य हूँ। हर लड़की को देख कर उसे चोदने का मन करता है मेरा।

मुझे एक लड़की पसंद थी लेकिन मैं कभी उसे कह नहीं पाया।

अब काम की बात हो जाए !

मुझे अपने पड़ोस में एक लड़की पसंद है। अक्सर वो मुझे देख कर मुस्करा जाती थी, मैं भी मुस्कुरा देता था, लेकिन कभी बात नहीं हो पाई थी। बस उसका नाम शेफाली है यही जान पाया था। करीब ४ महीने पहले वो मुझे बाज़ार में दिखी। मैंने उसे हाय किया और बात करनी शुरु कर दी।

मैंने उसी मित्रता का निमन्त्रण दिया और उसने स्वीकार कर लिया। हम दोनों एक दूसरे का मोबाइल नम्बर लेकर घर चले गए। मैं रात को भी सपनों में उसी को ही देखता था। अब हम फ़ोन पर बातें करने लगे, उसे भी ये सब अच्छा लगने लगा। हम लोग हर रोज़ घंटों फ़ोन पर बातें करने लगे।

एक दिन उसने मुझे अपने घर में बुलाया। मैं उसके घर गया तब वो घर में अकेली थी और जींस-टॉप में थी। क्या सेक्सी लग रही थी- उसे देखते ही मेरा लंड खड़ा हो गया। मैंने अपने आप को सँभालने की कोशिश की। शेफ (शेफाली) ने मेरा लंड देख कर अनदेखा कर दिया। हम इधर उधर की बातें करने लगे।

तभी मैंने उससे उसके बॉयफ़्रेन्ड के बारे में पूछा तो बोली- उसका कोई बॉयफ़्रेन्ड नहीं है। मुझे लगा अब तो कुंवारी चूत मिल जाएगी। लेकिन मैंने सम्हालते हुए बात जारी रखी। उसके बाद हम दोनों बाइक पर घूमने चले गए। वो मेरे पीछे बैठी थी तब उसके स्तन मेरी पीठ को लगते तो बड़ा मजा आता। मेरा लंड बार बार खड़ा होने लगा। मुझे सहन नहीं हो रहा था तब मैंने तय किया शेफ को आज तो जरुर करुँगा, उसकी चुदाई के मजे लूँगा।

पहले हम एक रेस्तराँ में गए। वहाँ खाने का आर्डर देने के बाद मैंने उससे कहा- मैं तुमसे एक बात कहना चाहता हूँ !

तो बोली- बोलो !

मैंने कहा- बुरा मत मानना !

वो बोली- ठीक है ! मैं बहुत कोशिश करके बोला- शेफ ! मैं तुमसे प्यार करता हूँ ! आय लव यू !

तो वो एक बार तो मुझे घूरती रही, मैं डर गया तो अचानक मुझे गले लगा कर बोली- आय लव यू ठू !

मैं बहुत खुश हुआ। उसके बाद हम दोनों अपने अपने घर चले गए।

अगले दिन भी उसके घर कोई नहीं था, मैंने उससे कहा कि मैं उसे चोदना चाहता हूँ !

वो खुश होकर बोली- मैं भी तो यही चाहती हूँ !

मैं उसे उसके कमरे में ले जाकर उसके स्तन चूमने लगा। फिर उसके वक्ष को पहले उसके टॉप फिर उसके ब्रा से आजाद किया।

क्या तो मस्त माल लग रही थी वो !

मैं उसके स्तन बहुत तेज़ दबाने लगा। वो चिल्लाने लगी- आआऽऽ आअह्ह्ह्ह्हऽऽ

मुझे भी मजा आ रहा था। वो मेरा लंड पकड़ कर दबाने लगी। मैं बोला- जान पहले जींस तो खोलने दो !

तो उसने एक बार में ही मेरी जींस खोल दी फ़िर मेरा बनियान उतारने लगी। अब मैं केवल अंडरवियर में था। मैंने भी उसकी जींस उतार कर फेंक दी और उसकी चूत को नंगा करने के लिए पैंटी भी उतार दी। अब वो पूर्ण-नग्न थी। उसकी चूत तो क्या मस्त थी, बाल से भरी हुई बिल्कुल नंगी चूत ! कुंवारी चूत ! जो अब चुदवाने वाली थी !

फिर उसने मेरी अंडरवियर खोल दी और मेरा ७ इंच का लौड़ा बाहर आ गया जो सिर्फ चूत को चोदना चाहता था।

मैं उसकी चूत को हाथ से चोदने लगा, वो आवाजें निकालने लगी- आऽऽ आहऽऽऽ मऽरऽ गऽऽऽऽईऽऽऽऽ रोहीईईईईईईत चोदू ऊओ !

मैं डर गया कि कहीं कोई आ न जाये तो मैंने उसको चुप कराया और चूत से हाथ निकाल लिया। थोड़ी देर बाद वो उठी और मेरा लंड पकड़ कर मुँह में लेने लगी।

मैंने कहा- अब चोदें?

तो बोली- जानू, चोदो, मगर धीरे से ! पहली बार कर रही हूँ…..

मैं बोला- अब दर्द नहीं होगा ! मैं ऐसा चोदूंगा कि कुछ पता ही नहीं चलेगा…

फिर मैं उसकी चूत में धीरे धीरे आराम से लण्ड डालने लगा, धीरे धीरे उसकी चूत फटने लगी……..

वो धीरे धीरे आवाजें निकाल रही थी….अहऽऽ ओहऽऽअ

लेकिन ज्यादा तेज़ नहीं…

कुछ देर बाद वो सामान्य होकर मेरा साथ देने लगी। अब मैंने स्पीड बढ़ा दी………….

वो बोली- राहुल फास्ट करो ! मुझे चोदो……… प्ल्ज्ज्ज्ज्ज्ज तेज्ज करओ ऊऽऽ

मैं बोला- अभी करता हूँ मेरी जानेमन !

फिर मैं तेज़ तेज़ उसे चोदने लगा

१५ मिनट बाद वो झड़ गई लेकिन मैं तेजी से चोद रहा था ….

वो बोली- रुको !

पर मैं मानने वाला कहाँ था, मैं तेजी से करता रहा…. करीब १० मिनट बाद मैं भी झड़ गया …. फिर २० मिनट बाद हम फिर शुरू हो गए…. उस दिन ६ बार उसको चोदा !

मज़ा आ गया दोस्तो….

आप सब बतायें कि मेरी कहानी कैसी लगी आपको…… Antarvasna

Antarvasna

प्यारे दोस्तो, ये मेरी पहली स्टोरी है, मेरा नाम राहुल है। उम्मीद करता Antarvasna हूँ कि आप सभी को पसंद आयेगी, अभी तक मैंने जितनी स्टोरी पढ़ी हैं उनमें से कुछ ज्यादा ही झूठी लगी, क्योंकि कोई भी लड़की किसी का लंड जल्दी से मुँह में नहीं लेती है, अगर ले भी लेती है तो उसमें से जो वीर्य गिरता है उसे कोई चाटता नहीं है।

छोड़िये इन बातों को, मैं अपनी स्टोरी की शुरुआत करता हूँ, ये स्टोरी करीब दो साल पहले की है। एक दिन अचानक मेरे कोलेज के दोस्त का फोन आया। चूँकि कोलेज मे हम अच्छे दोस्त थे, कोलेज खत्म होने के बाद हमारा सम्पर्क सिर्फ़ फोन पर रहा, उसने कहा कि उसकी शादी फ़िक्स हो गई है और इसी महीने की 29 तारीख को है, इसलिये हमें 3-4 दिन पहले ही वहाँ आना होगा क्योंकि शादी में काम कुछ ज्यादा ही होता है, अच्छी दोस्ती के चलते मैं उसे न कहा न सका, मैंने अपने ओफ़िस से 5-7 दिनो की छुट्टी ले ली।

फ़िर मैं 26 तारीख को सुबह उसके घर पहुँचा। जब मैंने बेल बजायी तो कुछ देर बाद उसकी छोटी बहन ने दरवाजा खोला, वो मुझे जानती थी लेकिन जब मैंने उसे देखा तो देखता रह गया क्योंकि जब मैंने उसे देखा था तो कुछ बच्ची की तरह लगती थी, लेकिन अब उसे देख कर मैं हक्का बक्का रह गया जब मैंने उससे पूछा कि रिंकी तुम?
उसका नाम रिंकी था…
वो बोली- हाँ, पहचान लिये क्या?
मैंने कहा कि तुम कितनी बड़ी हो गयी हो, फ़िर उसने कहा सारी बातें यहीं करेंगे कि घर में भी आयेंगे। फ़िर हम घर में आ गये

फ़िर मैंने अपने दोस्त मोहित के बारे में पूछा तो वो बोली बस बाज़ार गये हैं आते ही होंगे। क्योंकि उनके घर में मोहित, रिंकी और उनकी माँ ही रहती थी। फ़िर उसने कहा कि ठीक है अब आप फ़्रेश हो जाईये मैं आप के लिये नाश्ता बना देती हूँ।

फ़िर मैं बाथरूम में चला गया लेकिन मेरे आंखों में रिंकी का फ़ीगर घूम रहा था उसके बूब्स का साइज़ 34 उसकी फ़ीगर देख कर मेरा मन उसे चोदने का करने लगा, लेकिन दोस्त की बहन थी इसलिये मन को मार कर बाथरूम में मुठ मार कर रह गया!

फ़िर थोड़ी देर में उसका भाई भी आ गया, फ़िर हमने साथ में नाशता किया और फ़िर जो काम था उनकी तैयारी में लग गये, इसी बीच में मेरा हाथ 2-3 बार रिंकी को टच हुआ तो मैंने सोरी कह दिया तो उसने कहा कि इसमें सोरी कि क्या बात है, लेकिन मुझे ऐसा लगा कि फूल की फंखुड़ी का स्पर्श हुआ, मेरा मन बिचलित होने लगा। फ़िर मैंने जानबूझकर 1-2 बार उसके बूबस को टच किया तो उसने इग्नोर कर दिया। लेकिन मेरा मन तो उसे चोदने को कर रहा था

फ़िर शादी के एक दिन पहले जब मोहित को मेंहदी लग रही थी तब मैं वहीं था, मैंने देखा कि रिंकी वहाँ नहीं है मैं फ़िर उसके कमरे की तरफ़ गया तो वो कपड़े बदल रही थी और दरवाजा खुला हुआ था। वो ब्रा पहन रही थी मैं दरवाजे पर ही रुक कर देखने लगा वो काली ब्रा थी। उसका बदन देख कर मेरा लंड जिसकी लम्बाई करीब 8 इंच और 3 मोटा था एकदम खड़ा हो गया, जब वो ड्रेस पहनकर आने लगी तो मुझे देख कर बोली कि आप कब आये मैंने झूठ बोल दिया की बस अभी अभी आया हूँ।

लेकिन मुझे ऐसा लगा कि उसने शीशे में मुझे देख लिया था। फ़िर वो मुस्कराते हुए चली गयी, फ़िर मैंने हिम्मत कर सोचा कि अब इसे मैं चोदकर ही रहुंगा, और फ़िर मैं भी मोहित के पास चला गया वहीं रिंकी के बगल में जाकर बैठ गया और उसके हाथों सहलाने लगा। पहले तो उसने हाथ हटा लिया लेकिन फ़िर थोड़ी देर बाद शायद उसे भी अच्छा लगने लगा।

फ़िर धीरे धीरे रात होने लगी, सब सोने जा रहे थे लेकिन मुझे नींद नहीं आ रही थी इसलिये मैंने रिंकी से रुकने को कहा तो वह मान गयी। फ़िर हम बात करने लगे हँसी मज़ाक में मैंने उसके गालों को छुआ तो इतने कोमल थे कि बता नहीं सकता।

अचानक उसने कहा कि एक बात पूचूं आप सच बतायेंगे?
मैंने कहा- पूछो?
उसने कहा- आप सुबह जब मेरे कमरे में आये थे तब मैंने आप को देख लिया था तो आप ने मुझसे झूठ क्यो कहा, एक बार तो मैं शोक में आ गया फ़िर कहा उस वक्त तुम जिस हाल में थी कि मैं बता नहीं सकता था इसलिये मैंने झूठ कहा, फ़िर मैंने कहा कि तुम बहुत ही खूबसूरत हो तो वो शरमा गयी

फ़िर मैंने हिम्मत कर उसके होंठों को छुआ तो वह कांप गयी, वो बोली- क्या कर हैं?
फ़िर मैंने कहा- कुछ नहीं बस यूंही तुम्हारे होंठों किस करने का मन कर रहा है!

वो कुछ नहीं बोली मैं समझ गया कि काम बन रहा है, मैंने फ़िर उसे किस किया, उसके होंठों में इतना रस था कि मैं उसे चूसता रहा, फ़िर उसने अपने से अलग करते हुए कहा कि कोई आ जायेगा, लेकिन मेरा मन तो उसे चोदने को कर रहा था। लेकिन एक बात अच्छी थी कि मेरा रूम उसके रूम से सट कर था। फ़िर मैंने कहा कि रात में रूम का दरवाजा खोलकर रखना और वो मान गयी

फ़िर मैन जब रात करीब 1 बजे उसके रूम में गया तो वो नाइट ड्रेस पहन रखी थी उसमें तो और सेक्सी लग रही थी, मैंने अन्दर जाकर रूम को लोक कर दिया और जाते ही उसको किस करने लगा और उसे लेकर बेड पर गिरा दिया और उसकी ड्रेस खोलने लगा तो वो बोली- ये कर रहे हैं?
मैंने उससे कहा कि जरा रुको न अभी बताता हूँ…

लेकिन वो सब जानती थी आज उसकी चुदाई होने वाली है, साली जितनी भोली दिखती है उतनी सयानी है। लड़कियाँसब जानती हैं पता नहीं लड़कों को क्या समझती हैं, जब मैंने उसकी नाइटी उतारी तो उसके बूब्स पर काली ब्रा चमक रही थी, मैं ऊपर से उसके बूब्स को दबाने लगा तो उसने कहा कि दर्द हो रहा है। जब मैंने उसकी ब्रा उतारी तो उसके बूब्स इतने स्वीट लग रहे थे कि मन कर रहा था कि खा जाऊं

और फ़िर धीरे धीरे उसके बूब्स को सहलाने लगा एक हाथ से उसके बूब्स दबा रहा था तो दूसरे हाथ से उसकी चूत, उसकी चूत पर हल्के हल्के बाल थे, फ़िर मैंने उसकी पैंटी भी उतार दी, अब वो बिल्कुल नंगी थी लेकिन इस बीच वो झड़ चुकी थी, उसकी चूत से हल्का हल्का पानी निकल रहा था, फ़िर मैंने भी अपने कपड़े उतार दिये और जब मेरा लंड बाहर आया जो कि पैंट में खड़ा छटपटा रहा था बाहर आते ही एकदम लाल हो चुका था।

मेरे लंड को देख कर रिंकी ने आँख बंद कर ली, अब हम दोनो बिल्कुल नंगे थे और अब मैं उसके होंठों को चौड़ा कर उसकी चूत को चूस रहा था उसकी चूत एकदम टाइट थी जो कि बिल्कुल कुंवारी थी

जब मैंने अपनी जीभ उसकी चूत में डाली तो उसके मुँह से आआअ… हाआअ माआआ… निकल गया मैं समझ गया कि माल ताज़ा है सम्भाल कर खाना होगा, फ़िर मैंने उसे जोश में लाने लगा मैंने उसको अपना लंड दिया कि मुँह में ले लेकिन नहीं ले रही थी, लेकिन जब मैंने जबरदस्ती की तो उसने किस किया और निकाल दिया, मैंने ज्यादा जोर नहीं दिया कहीं काम बिगड़ न जाये, फ़िर वो गर्म हो रही थी फ़िर मैंने उससे कहा कि ओयल या क्रीम है तो लाना। तब वो ओयल ले आई। थोड़ा सा तेल मैंने अपने लंड पे लगाया और उसके चूत में लगाया

फ़िर मैंने अपने लंड का सुपाड़ा उसकी चूत के मुँह में रखा तो वह उठ बैठी और बोली प्लीज़ दर्द होने लगा फ़िर मैंने कहा कि कोई बात नहीं अभी दर्द कम हो जाता है फ़िर मैं उसे किस करने लगा और उसी बीच में अपना लंड से उसके चूत में धक्का मारा तो वो चीख पड़ी मा…मा… मर गयीईई… लेकिन उसकी चीख मेरे होंठों से दबी रही लेकिन मेरा लंड अभी 2 इंच ही घुसा था.

फ़िर मैं उसकी चूची को सहलाने लगा और उसके होंठों को किस करता रहा जब उसका दर्द कम हुआ तो अपने लंड को अन्दर बाहर करने लगा अब रिंकी भी मेरा साथ देने लगी उसी में मैंने एक और झटका मारा तो वो दर्द से कँहर उठी और मर गयीईई रे मार डालल्लला रे ईईबोलने लगी और मैं उसी तरह पड़ा रहा और फ़िर उसके होंठों को चूसता रहा!

थोड़ी देर बाद रिंकी ने कहा की मुझे नहीं पता था कि तुम्हारा लंड इतना बड़ा है मैं तो एकदम मर गयी बहुत दर्द हो रहा है!
मैंने कहा कि मेरी रानी अभी तो दर्द हो रहा है कुछ देर में तो तुम्हे मुझसे ज्यादा मज़ा आयेगा और मैं अपने लंड को अन्दर बाहर करने लगा और रिंकी भी जोश में आ कर अपनी कमर तो उठाने लगी उसे भी मज़ा आने लगा और वो जोर जोर से अपनी कमर उठाने लगी.

मैं समझ गया कि अब इसे जवानी का मज़ा आ रहा है और वो बोली मेरे राजा अब तुम अपना पूरा लंड मेरी चूत में डाल दो मैं तैयार हूं और मैंने एक जोर का झटका मारा कि वो दर्द के मारे चीख उठी और मैं उसे यूं ही चोदता रहा

मैंने देखा कि उसकी चूत से ब्लड निकल रहा है मैं जानता था कि इसकी ये पहली चुदाई है इसलिये होना ही था और मैं उसे चोदता रहा इसी बीच वो 2-3 बार झड़ चुकी थी और उसकी चूत एकदम गीली हो चुकी थी जिससे कि मेरा लंड आराम से अन्दर बाहर हो रहा था और अब उसका दर्द भी कम हो गया था और हम दोनो जवानी का असली मज़ा ले रहे थे।

थोड़ी देर में मैं भी झड़ने वाला था इतने में वो बोली और जोर से चोदो मेरे राजा अब मैं झड़ने वाली हूँ और मैं जोर जोर से धक्के मारने लगा और वो झड़ गयी और थोड़ी देर में मैं भी झड़ गया मेरी इतनी हिम्मत नहीं थी कि मैं अपना लंड निकाल कर बाहर झड़ जाऊं और मैं उसके ऊपर उसके होंठों को चूसते हुए उसके चूत में झड़ गया और इस तरह मैंने उसे उस रात दो बार चोदा और फ़िर दूसरे दिन की कहानी अगली बार में! Antarvasna

प्रेषक : मोहित सिंह Sex Stories

दोस्तों उम्मीद है कि आपको मेरी Sex Stories पहली कहानी ” मेरी आत्मकथा ” पढ़ कर कुछ मज़ा आया होगा। यह मेरी सच्ची कहानी है और आप मुझे अपनी राय जरूर भेजें !

अब आगे…

… तभी देखा कि दरवाज़ा खुला और उसकी सहेली अन्दर आ गई। मैं और सुधा चौंक गए। वो अंदर आ गई और उसका चेहरा एकदम लाल था। हमने पूछा- क्या हुआ?

तो वो कहने लगी कि तुम लोगों की चुदाई की आवाज़ आ रही थी, मैं अपने आप को रोक नहीं पाई और दरवाज़े के पीछे से तुम दोनों को देखने लगी, मुझे मज़ा आ रहा था और मैं अपनी ऊँगली चूत में ड़ाल कर कर रही थी। इतने कहते ही उसने अपनी शर्ट ऊपर उठा दी और फिर ऊँगली करने लगी मुझसे रहा नहीं गया और मैंने उससे अपनी तरफ़ खींच लिया और उसको किस करने लगा।

सुधा हम लोग को देख रही थी। वो इतना चौंकी हुए थी कि वो कुछ बोल ही नहीं पा रही थी। उसके बाद उसने सुधा से सोरी बोला और उससे भी हम लोगो के साथ सेक्स करने की प्रार्थना करने लगी। मैं चुप था और सुधा के जवाब का इंतज़ार कर रहा था।

तभी सुधा गुस्से में आगे बड़ी और अपनी सहेली को जोर से पकड़ लिया और उसे किस करने लगी। मैं ये देख कर चौक गया और सोचा चलो एक नए माल की चूत ! आज तो चुदाई का मज़ा ही आ जाएगा।

मैं उन दोनों को किस करते हुए देख रहा था और मेरा लण्ड अब तक फिर मस्ती में आने लगा था. अब सुधा ने करिश्मा के टॉप के ऊपर से उसकी चुचियों को दबाना शुरू कर दिया था। मैंने देख कर अंदाजा लगाया कि करिश्मा की चूची ज्यादा बड़ी नहीं थी।

उसकी चूची दबाते दबाते सुधा ने उसका टॉप उतार दिया और उसकी लाल रंग की ब्रा से खेलने लगी। मैं यह देख रहा था और अपना लण्ड सहला रहा था। तभी सुधा ने कहा वह क्या कर रहे हो? आओ और अपने लण्ड से हमारी चूत की खुजली को शांत कर दो !

मैंने करिश्मा और सुधा को बिस्तर पर लेट जाने को कहा और करिश्मा की चूत को चाटने लगा। सुधा उसकी चुचियों से खेल रही थी। वो उनको चूस रही थी और मस्ती वाली आवाज़ निकाल रही थी. इधर मैं करिश्मा की चूत चाट रहा था और करिश्मा की भी मादक आवाज़ निकल रही थी। वो और जोर जोर से चूसने के लिए कह रही थी।

मैंने उसकी चूत को फ़ैला कर अपनी जीभ से उस की चूत की चुदाई शुरू कर दी। थोड़ी ही देर में में वो सुधा से चिपक गई और अपनी चूत का पानी मेरे मुँह में छोड़ दिया। तब मैंने यही काम सुधा के साथ किया और वो जल्दी ही झड़ गई।

अब बारी थी करिश्मा की कुँवारी चूत चुदने की ! और इस बार मेरी मदद के लिए सुधा थी। वो करिश्मा से कहने लगी कि शुरू में दर्द होगा, मुझे भी हुआ था, लेकिन थोड़ी देर बाद जब चूत में लण्ड अन्दर बाहर होता है तो मज़ा आने लगेगा।

फिर उसने करिश्मा की चूत में ऊँगली की और जब उसकी चुत गीली को गई तो उसमें तेल लगा दिया और फिर मेरे लण्ड को मुँह में ले कर खूब चूसा। फिर मैंने करिश्मा की चूत पे अपना लण्ड रख दिया और रगड़ने लगा. करिश्मा ने अपने पैर कैंची के तरह क्रॉस कर के रखा था मेरे लण्ड की रगड़ से मस्ती आने लगी और उसने अपने टाँगें फ़ैला दी. अब मैंने उसकी चूत का चुम्मा लिया और लण्ड का सुपारा उसकी चूत के ऊपर रख दिया।

फिर धीरे से अन्दर किया, वो दर्द के मारे चिल्लाने लगी। मैंने अपने लण्ड को फिर थोड़ा सा अन्दर किया और एक झटके से अन्दर पेल दिया आप वो रोने लगी तो सुधा उसके मुंह में अपनी चुचियों को ड़ाल कर चूसाने लगी अब उसे मज़ा आने लगा और वो अपनी कमर को ऊपर नीचे करने लगी। फ़िर मैंने उसे खूब चोदा और मज़े किए।

उस दिन में केवल दोनों की चूत २ बार मारी और खूब मज़े किए. फिर मैंने दोनों की गाण्ड मारने की सोची. लेकिन वो दोनों इसके लिए तैयार नहीं हुई और बाद में करने के लिए कहने लगी. हम तीनो एक साथ नहाए और नहाते वक्त मैं सु्धा की चूची चूस रहा था और करिश्मा की चूत में अपना लण्ड डाल कर अन्दर बाहर कर रहा था।

करिश्मा मस्ती वाली आवाजें निकाल रही थी- पेल दो मेरी चूत को फाड़ डालो फिर मेरी चूत को आ आआआ आअह ऊऊऊऊऊह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह हाँ हाँ जल्दी जल्दी अन्दर बाहर करो, नहाते वक्त एक नहीं चीज़ महसूस हुई कि जब चूत में लण्ड डालो तो जैसे अन्दर आग की भट्टी हो इतना गरम अन्दर और बाहर ठंडा ठंडा पानी !

सुधा भी यह सब देख कर जोश में आ चुकी थी और अपनी चूत को करिश्मा के मुँह के पास कर दिया. करिश्मा उसकी चूत को चाटने लगी और एक ऊँगली डाल कर अन्दर बाहर करने लगी. इस पल को बताना मुश्किल है केवल महसूस किया जा सकता है पहली बार सेक्स करने का ! उस पर एक साथ दो कुँवारी चूतों को चोदने का मज़ा !

दोनों को छोड़ कर मैं कॉलेज आ गया और इस वादे के साथ कि हम जल्दी फिर मिलेंगे और मुझे फिर उनकी गाण्ड भी तो मारनी थी।

यह सब और आगे बहुत कुछ अगली बार ……………. Sex Stories

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