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दोस्तों मेरा नाम बिट्टू है Antarvasna और मैं भोपाल में रहता हूं। ये कहानी उस समय की है जब हमारे घर में किराये पर नये किरायेदार आये।
हमारे किरायेदार की बीबी बहुत ही सुन्दर थी, वो पंजाब की रहने वाली थी और जब पंजाब की है तो सुन्दर तो होगी ही। उसका नाम पायल था। उमर होगी करीब २६-२७ साल, रंग एकदम दूध की तरह सफ़ेद। एकदम गोल-२ स्तन थे उसके। उन दिनो मैं बहुत सी व्यस्क पुस्तकें पढ़ता था। इसी वजह से मुझे छोटी सी उमर में की सेक्स का काफ़ी ज्ञान हो गया था। बस हर समय चूत मारने का दिल करता रहता था। और जब पायल आंटी को देख लेता था तो मेरा लंड पैंट फाड़कर बाहर आने को हो जाता था। पायल को कहने में भी डर लगता था क्योंकि वो तो मुझे कम उम्र समझती थी। इसलिये मुट्ठी मार कर ही काम चलाना पढ़ता था।
मैं तो पायल के स्तन देखने के लिये बेचैन रहता था। जब वो अपने कमरे में झुककर झाड़ू लगाती थी तो मुझे उसके सेक्सी स्तनों के दर्शन हो जाते थे। दोस्तो अभी तक तो मैं उसके चूचे ही देखता था लेकिन एक दिन मेरी किस्मत खुली और मैंने पायल को बिल्कुल नंगा देखा।
हुआ क्या कि मैं अक्सर उसके कमरे में जाता था ताकि मैं उसको देख सकूँ।
एक दिन मम्मी ने मुझे पायल को कुछ देने के लिये भेजा, मैं दरवाजे को बिना खटखटाये ही पायल के कमरे में घुस गया, उस समय पायल अपने कपड़े बदल रही थी और वो बिल्कुल नंगी थी। मैंने जैसे ही उसको देखा तो मेरे सारे शरीर में एक करेंट सा दौड़ गया, वो घबराकर किचन में चली गई और मैं भी कमरे से बाहर आ गया। मेरा दिल जोर-२ से धड़क रहा था क्योंकि ऐसा हसीन नजारा मैंने पहली बार जो देखा था। मुझे थोड़ा खुद पर शरम भी आई कि मैं बिना खटखटाये कमरे में चला गया, लेकिन दिल में एक खुशी भी थी कि चलो इसी बहाने मैंने पायल को नंगा तो देख लिया।
जिस दिन से मैंने पायल आंटी को नंगा देखा, तब से तो उसको चोदने की तम्मना और ज्यादा बढ़ गई। रात को बस वो ही सपनों में आती थी। पायल के पति प्रेस में थे। उनकी एक सप्ताह दिन की ड्यूटी होती थी और एक सप्ताह रात की। जब उनकी रात की ड्यूटी होती थी तो वो मुझे अपने कमरे में सोने के लिये बुला लेती थी, उन्हें अकेले सोने में डर लगता था। वो तो मुझे बच्चा समझकर सोने के लिये बुलाती थी लेकिन उन्हें क्या पता कि मैं रोज़ उनको ही सपनों में देखकर मुट्ठी मारता हूँ। रात को जब वो गहरी नींद में होती थी तो मैं धीरे-२ उनके स्तनों और कूल्हों पे हाथ फेर लेता था। दिल तो करता था कि अभी के अभी चोद दूं लेकिन डरता था कि कहीं ये मेरे घर में न बता दे।
एक दिन मैं उनके साथ कमरे में सो रहा था, पायल साड़ी पहन कर सो रही थी। ब्लाउज़ में से उनके सेक्सी स्तन बाहर आने को हो रहे थे। बूब्स को देखकर मेरे लंड का बुरा हाल हो रहा था, जब मेरे से कंट्रोल नहीं हुआ तो मैंने अपना लण्ड बाहर निकाला और मुट्ठी मारने लगा तो पायल आंटी नींद खुल गई और बोली- क्या कर रहा है?
मैं डर गया और बोला- मैं तो कुछ नहीं कर रहा !
फिर मैं चुपचाप सो गया। सुबह मेरे से आंटी से नजर नहीं मिलाई जा रही थी, मुझे डर था कि कहीं ये किसी को बता न दे।
अगले दिन वो मेरे से बोली- रात को क्या कर रहा था?
मैं कुछ नही बोला, पायल बोली- मुट्ठी मार रहे थे न?
मैंने कहा- हां !
वो बोली- किसके बारे में सोच रहे थे?
मैंने कहा- आपके बारे में !
पायल ने कहा- अच्छा चल ठीक है, तुझे मुट्ठी मारने की जरूरत नहीं है, तुम मेरे साथ कर लो जो करना है। आज रात को जब तू मेरे साथ सोयेगा तो हम मज़े करेंगे।
मैं मन ही मन बहुत खुश हो रहा था कि चलो चूत का जुगाड़ तो हुआ। इन्तजार के पल तो वैसे भी बहुत मुश्किल से कटते हैं, तो सारा दिन मैं रात होने की प्रतीक्षा करता रहा। रात को सोने के लिये उनके कमरे पे गया तो वो भी तैयार बैठी थी। मेरे मन में थोड़ी हिचकिचाहट भी थी क्योंकि एक तो मैंने कभी सेक्स नहीं किया था और दूसरे वो मेरे से उमर में काफ़ी बड़ी थी।
वो बोली- इतना क्यों शरमा रहा है?
फिर मैं बिल्कुल पायल के पास बैठ गया। उनको छूते ही मेरी नस-२ में आग सी लग गई। मेरा लंड एकदम तनकर पैंट फाड़ने को हो गया, आंटी बोली कि तेरे लंड को बहुत जल्दी लगी हुई है चूत में घुसने की?
मैं बोला- हां बेचारे ने कभी चूत का मजा नहीं लिया है ना !
अब मेरी शरम भी खत्म हो गई थी, मैंने पायल के ब्लाउज़ में हाथ डाल दिया और उनके स्तनों को दबाने लगा, साथ ही उनके रसीले होंठों को अपने होंठों में ले कर चूसने लगा। वो भी बहुत बुरी तरह से मेरे होंठों को चूस रही थी। मुझे बहुत मजा आ रहा था। काफ़ी देर तक हम एक दूसरे के होंठों को चूसते रहे।
मैंने उनके ब्लाउज़ के हुक खोल कर उनके बूब्स को आज़ाद कर दिया, पायल के मोटे-२ बूब्स ऐसे लग रहे थे जैसे कश्मीर के सेब हों, उसके एक बूब को मैंने अपने मुँह में लिया और दूसरे को हाथ से दबाने लगा, वो सिसकियां ले रही थी। दिल तो कर रहा था कि इसके बूब्स को खा जाऊँ। पायल बोली- अकेले ही चूसते रहोगे कुछ मुझे भी चूस लेने दो !
मैं उनका इशारा समझ गया कि वो मेरे लंड को चूसना चाहती है, मैंने अपनी पैंट खोल दी। पैंट खोलते ही मेरा लंड एक झटके से बाहर आकर ऐसे खड़ा हो गया जैसे कुतुब मीनार।
उसने मेरे लंड को अपने हाथ में पकड़ा और बोली- मैं तुझे बच्चा समझती थी पर तुम्हारा लंड तो तगड़ा है !
वो मेरे लंड को मुँह में लेकर ऐसे चूस रही थी जैसे कि आइस-क्रीम चूस रही हो। मैं अपना लंड उसके मुँह में अंदर बाहर करने लगा, मुझे भी लंड चुसवाने में बहुत मजा आ रहा था।
लंड चुसवाने के बाद मैंने उसे बेड पे लेटा लिया और फ़िर से उसके बूब्स को चूसने लगा। बूब्स चूसते-२ मैंने बूब्स पे जोर से काट लिया वो चिल्ला पड़ी, बोली- क्या कर रहे हो इन्हें?
मैंने कहा- तुम्हारे बूब्स हैं ही एकदम कश्मीरी सेब की तरह, दिल तो यही कर रहा है कि इन्हें खा ही जाऊँ !
पायल को मैंने अब सीधा लेटा लिया, उसने अपनी टांगे फ़ैला ली, मैं अपना लंड उसकी चूत पे रगड़ने लगा वो बोली- अब क्यों तड़पा रहे हो लंड को, अब मेरी चूत में डाल भी दो !
मैंने अपना लंड उसकी चूत पे लगा कर एक झटका मारा, मेरा पूरा लंड अब पायल की चूत में घुस गया। मैं धीरे-२ झटके मारने लगा, वो भी नीचे से गांड उठा-२ कर झटके मार रही थी। उसके मुँह से आह्ह ऊह्ह ह्हह की आवाजें आ रही थी। मैंने अपनी स्पीड बढ़ा दी और जोर-२ से झटके मारने लगा। पूरे कमरे में फ़च-२ की आवाज आ रही थी, थोड़ी देर के बाद हम दोनो डिस्चार्ज हो गये और १5 मिनट तक ऐसे ही लेटे रहे। फिर हम दोनो अलग हो गये और दोनों ने अपने कपड़े पहन लिये।
वो बोली- क्यों ! चूत का मजा आया या नहीं?
मैं बोला- हां सच में बहुत मजा आया ! ऐसे लग रहा था जैसे कि मैं स्वर्ग में आ गया हूं। Antarvasna
एक दिन ई-मेल देखते Sex Stories समय मैंने देखा कि किसी प्रिया नाम की लड़की का मेल आया है। मैंने वह मेल खोला और पढ़ने लगा। वह मेल किसी प्रिया नाम की लड़की का था और वह मुम्बई में रहती थी। उसने लिखा था- मैंने आपकी कहानी पढ़ी और मुझे बहुत अच्छी लगी, आप बस ऐसे ही कहानियाँ लिखते रहो और कृपया मुझे मेरी ई-मेल पर भेजो। मुझे ऐसी कहानियाँ बहुत पसन्द हैं।
मैंने उत्तर में उससे पूछा- आप कहाँ की रहनेवाली हैं, और आप की उम्र कितनी है?
तो दूसरे ही दिन उसका प्रत्युत्तर आया “मैं भी मुम्बई में रहती हूँ और मेरी उम्र २२ साल है।
फिर मैंने उससे पूछा- कभी किसी के साथ सेक्स किया है?
तो उसने उत्तर दिया- नहीं।
मैंने पूछा- क्यों? कभी मन नहीं करता सेक्स करने का?
उसने कहा- मन तो बहुत करता है पर मुझे डर लगता है, कहीं सेक्स करने के बाद घर पर पता ना चल जाए।
मैंने उसे प्रस्ताव दिया- इस मामले में मैं तुम्हारी सहायता कर सकता हूँ, अगर तुम मान जाओ तो।
उसने पूछा- कैसे?
तो मैंने बताया- मैं तुम्हारे साथ सेक्स करने को तैयार हूँ और मैं किसी को कुछ भी नहीं बताऊँगा, ये मेरा वादा है।
उसने कहा- लेकिन यह कैसे सम्भव होगा? तुम मुझे कहाँ मिलोगे और हम लोगों को ऐसी जगह कहाँ मिलेगी जहाँ हम दोनों के सिवा तीसरा कोई ना हो।
मैंने लिखा- हम लोग किसी रिसॉर्ट में जाएँगे, वहाँ एक कमरा लेंगे और पूरा दिन मज़ा करेंगे।
उसने लिखा- नहीं मुझे डर लगता है, कहीं उल्टा-सीधा हो गया तो! सेक्स के बाद अगर मुझे गर्भ रह गया तो?
मैंने लिखा- ऐसा कुछ भी नहीं होगा, मैं कॉण्डोम चढ़ा लूँगा अपने लण्ड पर, फिर तो कुछ भी गड़बड़ नहीं होगी। तुम मुझे शुक्रवार को विरार स्टेशन पर मिलो, सुबह 9 बजे।
उसने कहा- ठीक है।
और वह शुक्रवार को मुझसे चुदवाने के लिए तैयार हो गई। मैंने अभी तक उसको देखा भी नहीं था, ना ही उसका आवाज़ ही सुनने का मौक़ा मिला था। मैं बहुत ही रोमांचित था कि मुझे शुक्रवार को एक अनछुई चूत मिलने वाली है, जिसकी सील मुझे तोड़ने को मिलेगी।
वह दिन भी आ गया। मैं पौने नौ बजे ही वहाँ पहुँच गया और मेडिकल से कोहिनूर कॉण्डोम ख़रीद लिए। मैं उसका इन्तज़ार करने लगा। उसने बताया था कि वह गुलाबी रंग की सलवार-कमीज़ पहनकर आएगी और मैंने भी उसे बता दिया था कि मैं काली टी-शर्ट और नीली जीन्स-पैन्ट में रहूँगा। इससे हम एक-दूसरे को पहचान सकते थे।
क़रीब बीस मिनट के बाद एक लड़की मेरे सामने आई और पूछा- अमित?
मैंने कहा- तुम प्रिया हो?
उसने हाँ कहते हुए अपनी गर्दन नीची कर दी।
वह बेहद ख़ूबसूरत थी। क़द 5’4″ और फ़िगर 34-26-34. दिखने में एकदम सेक्सी थी। उसने गुलाबी रंग की सलवार-कमीज़ पहन रखी थी। कमीज़ के ऊपर से उसके वो दो उभार साफ दिखाई दे रहे थे, वे पूरे मौसम्मी के आकार के थे। उसकी चूचियों के आकार देखकर ही मेरा लंड खड़ा हो गया।
मैं उसे लेकर एक रिसॉर्ट में गया और वहाँ एक कमरा लेकर हम उसमें चले गए। कमरे में जाते ही देखा कि वहाँ एक बिस्तर था और शौचालय व स्नानघर भी था। मैंने दरवाज़ा बन्द करके कुण्डी लगा दी। वह बिस्तर पर बैठी थी। मैं बाथरूम जाकर थोड़ा तरोताज़ा होकर आ गया, फिर उसे भी फ्रेश हो जाने को कहा। वह उठकर बाथरूम चली गई।
थोड़ी देर बाद वह जैसे ही बाथरूम से बाहर आई, मैंने उसे अपनी बाँहों में भर लिया और उसे धीरे-धीरे चूमने लगा। वह शरमाकर ख़ुद को छुड़ाने की नकली कोशिश करने लगी।
मैंने पूछा- क्या हुआ?
उसने कहा- मुझे शरम आती है।
मैंने कहा- हम लोग यहाँ मौज़ करने ही आए हैं और अगर तू ऐसे ही शरमाएगी तो ना तू मज़ा ले पाएगी और ना ही मुझे मज़ा आएगा। सो प्लीज़ डोन्ट अपोज़ मी।
और मैंने उसकी गर्दन और होठों पर चूमना शुरु कर दिया। बीच-बीच में मैं उसके कान को भी चूमता।
इन सब से वो भी उत्तेजित हो गई और मुझे उत्तर भी देने लगी। मैंने अपना एक हाथ आगे की ओर लाकर उसकी एक चूची पर रख दिया और उंगलियों को ऊपर से ही धीरे-धीरे गोल-गोल घुमाकर सहलाने लगा। वह रह-रहकर सिहर उठती थी, उसने मुझसे कहा- प्लीज़ ऐसा मत करो, और ज़ोर से दबाओ।
मैं फिर उसकी चूचियों को धीरे-धीरे दबाने लगा। थोड़ी देर के बाद मैंने अपना एक हाथ नीचे ले जाते हुए उसकी चूत पर रख दिया। जैसे ही मेरा हाथ उसकी चूत पर गया वह वहाँ से मेरा हाथ हटाने की कोशिश करने लगी।
मैंने उससे कहा- प्लीज़!
और वह मान गई और दोनों हाथों से उसने मुझे जकड़ लिया। मैं कमीज़ के ऊपर से ही उसकी चूत सहलाने लगा। फिर थोड़ी देर बाद मैंने कमीज़ के अन्दर हाथ डाला और उसकी चूत सहलाने लगा। उसके मुँह से आवाज़ें निकलने लगीं- आहहहह … उउफ्फ … ज़ोर से …
फिर मैंने अपना वही हाथ ऊपर ले जाकर कमीज़ के नीचे से उसकी चूचियाँ दबाने लगा। उसने अन्दर ब्रा पहन रथी थी। मैंने ब्रा के ऊपर से ही उसकी चूचियाँ एक-एक कर दबानी शुरु कर दी। थोड़ी देर बाद मैंने दूसरे हाथ से उसकी कमीज़ की चेन खोल दी और उसकी कमीज़ ऊपर करके निकाल दी। अब वह मेरे सामने सफ़ेद ब्रा में थी। मैंने ब्रा के ऊपर से उसकी चूचियाँ दबाने लगा और फिर दोनों हाथों को पीछे ले जाकर उसकी ब्रा का हुक खोल दिया और ब्रा अलग कर दी।
वाह! क्या दूध थे उसके। पूरे गोल-गोल। ना ही अधिक छोटे ना ही बहुत बड़े, बिल्कुल उपयुक्त आकार के। चूचियों के ऊपर दो गुलाबी रंग के दाने थे। क्या ख़ूबसूरत नज़ारा था, मैंने मेरी ज़िन्दगी में पहली बार इतनी अच्छी चूचियाँ देखीं थीं। ऐसी चूचियाँ तो शायद ही किसी की होंगी। मैं तो पागल ही हो गया था, मैं उसकी दोनों मौसम्मियाँ हाथ में लेकर दबाने लगा, क्या कसाव थे उसमें। थोड़े नरम और थोड़े कसे हुए। मैं तो बस उसे दबाता ही रह गया। ऐसा लग रहा था इन्हें छोड़ कहीं न जाऊँ।
10-15 मिनट के बाद मैं एक हाथ नीचे ले जाकर उसकी चूत सहलाने लगा। और फिर धीरे से जैसे ही उसके सलवार का नाड़ा खींचा, सलवार नीचे गिर गई। तभी मैंने उसे अपने गोद में उठा लिया और बिस्तर पर लिटा दिया। उसकी सलवार को पैरों से आज़ाद कर दिया। उसने पीली रंग की पैन्टी पहन रखी थी। वह शरमा कर दूसरी ओर देख रही थी। मैंने अपनी शर्ट उतारी, बनियान निकाली और पैन्ट भी उतार दी। अब मैं उसके सामने सिर्फ अण्डरवियर में था, और वह भी मेरे सामने सिर्फ छोटी सी चड्डी में थी।
मेरा लंड तो एकदम खड़ा हुआ था. मैं बिस्तर पर उसके ऊपर लेट गया और उसकी चूचियाँ दबाने लगा। मैंने उसे कहा- मेरा लंड चखोगी?
तो उसने इन्कार कर दिया और कहा- मुझे मुँह में लेना अच्छा नहीं लगता।
मैंने कहा- तुम्हारी मर्ज़ी।
फिर मैं एक हाथ नीचे ले जाकर उसकी चूत सहलाने लगा। उसकी चड्डी गीली हो गई थी। मैंने हाथ पिर उसकी चड्डी में डाल दिया, वह सिहर उठी। मेरे हाथ को उसकी झाँट के बाल लग गए।
मैंने उससे पूछा- कभी उसे साफ नहीं करती।
उसने गर्दन हिलाकर ना कहा।
मैंने एक उंगली उसकी चूत के छेद पर फिरानी शुरु कर दी। वह उफफ ओओओओ… आँआँआँआँ … आआआहहह… श्शसस्सीस्स आआहहह करती रही। मैं फिर वही उंगली उसकी चूत में घुसाने लगा। वह फिर से चिल्लाने लगी, मेरी पूरी उंगली उसकी चूत में चली गई, उसकी चूत काफ़ी सँकरी थी। मैं अपनी उंगली अन्दर ही गोल-गोल घुमाने लगा। वह सिर्फ आआहहह … उउफ्फ्फ ज़ोररर से कर रही थी।
थोड़ी देर के बाद मैंने अपना हाथ उसकी चड्डी से निकाला और उठकर बैठ गया और उसकी चड्डी उतारने लगा, वह शरमा रही थी। मैंने उसकसी चड्डी उसके पैरों से अलग कर दी और उसकी चूत देखने लगा। तबी उसने अपने दोनों पैर एक-दूसरे पर रख दिए और चूत छुपाने की कोशिश करने लगी। मैंने उसके दोनों पैर अलग करके उसे फैला दिए।
अब मुझे उसकी चूत दिखने लगी। क्यी चूत थी वो!!! एकदम कोरी चूत। चूत पूरी तरह से सील पैक थी। मैंने फिर अपनी एक उंगली उसकी चूत में घुसा दी, और उंगली अन्दर-बाहर करने लगा. वह एकदम पागल हुई जा रही थी और मेरा हाथ पकड़ कर ज़ोर-ज़ोर से उंगली अन्दर-बाहर करने लगी। थोड़ी देर में उसकी चूत ने पानी छोड़ दिया और मेरा हाथ गीला कर दिया। मैंने सोच लिया, यही सही समय है इसे चोदने का, क्योंकि उसकी चूत पूरी तरह से गीली और चिकनी हो चुकी थी।
मैंने अपना अण्डरवियर उतारी और पैन्ट की पॉकेट में से कॉण्डोम का पैक निकाला। मैंने उससे कहा- यह कॉण्डोम है। कभी देखी है?” उसने गर्दन हिलाकर ना कहा। अब मैंने उसमें से एक कॉण्डोम बाहर निकाली और उससे कहा- देख लो, उसे लंड पर कैसे चढ़ाते हैं, अगली बार तुझे ही ऐसा वाला दूसरा कॉण्डोम मेरे लण्ड पर चढ़ाना होगा। वह गौर से देखने लगी। मैंने कॉण्डोम अपने लण्ड पर चढ़ा लिया। मैंने कल ही अपनी झाँट के बाल साफ किए थे। फिर मैंने उसकी दोनों टाँगें घुटनों से मोड़ दी, और जितनी सम्भव थी फैला दीं। अब उसकी चूत खुल चुकी थी। मैं उसकी दोनों टाँगों के बीच घुस उसके ऊपर सो गया। मैंने अपना लण्ड एक हाथ से उसकी चूत पर रख दिया और उसकी चूत पर रगड़ने लगा। वह बुरी तरह से पागल हो रही थी, मुझसे कहने लगी- प्लीज़, जल्दी डाल दो वरना मैं मर जाऊँगी। प्लीज़ जल्दी करो। फाड़ दो मेरी चूत को इस लंड से प्लीज़।
मैंने एक ज़ोर से धक्का मारा। वह तड़प उठी और चिल्लाने लगी, उईईमाँआआ… मररर गईईई आआआहह मेरीईईई चूउउतत फफ्फ्फट गईईईईई… निइइकाआआलो इसे, आह। फिर थोड़ी देर तक मैंने अपना लंड ऐसे ही रखकर एक और ज़ोर से धक्का मारा, उसकी सील टूट गई और वह रोने लगी। वह चिल्ला उठी आआहहहह प्लीज़ निकाल लो इसे, मैं मगर जाऊँगी… प्लीज़। मैंने कहा, कुच नहीं होगा, ऐसे ही पड़ी रहो, दर्द कम हो जाएगा। हम दोनों कुछ देर तक ऐसे ही पड़े रहे। उस वक्त मैं उसकी चूचियाँ दबा रहा था। ५-१० मिनटों के बाद मैंने अपना लंड उसकी चूत में अन्दर-बाहर करने लगा। उसे भी अब मज़ा आ रहा था। थोड़ी ही देर में वह मुझसे लिपट गई और उसने अपनी चूत से ढेर सारा पानी छोड़ दिया।
लेकिन मेरा लण्ड अभी भी जोश में था। क़रीब १५-२० मिनटों के बाद मैंने भी कॉण्डोम में ही पानी छोड़ दिया और फिर उसकी ऊपर ही उसकी चूत में लण्ड डाले हुए ही सो गया। १० मिनटों के बाद मैंने उसकी चूत से अपना लण्ड निकाला और उसके ऊपर से उठ गया। देखा कि उसकी चूत से थोड़ा-बहुत खून निकल रहा था। खून और उसकी चूत के पानी से उसकी चूत पूरी तरह से गीली हो चुकी थी। मैंने अपने लण्ड से कॉण्डोम उतारा और उसे अपनी बाँहों में उठाकर टॉयलेट ले गया। वहाँ उसे बैठाकर ठण्डे पानी से उसकी चूत साफ करने लगा। उसकी चूत में उंगली डाल कर साफ करने की वज़ह से मेरा लण्ड फिर से खड़ा हो गया।
मैंने उसकी चूत साफ करके फिर से उसे अपनी बाँहों में उसे उठाया और बिस्तर पर लाकर रख दिया। अब मेरा लण्ड मेरे मनसपन्द शॉट मारने के लिए बेक़रार था। पैन्ट से मैंने एक कॉण्डोम निकाला और उसके हाथ में दे दिया और कहा- चढ़ा दो उसे मेरे लण्ड पर।
उसने उसमें से कॉण्डोम बाहर निकालकर मेरे लण्ड पर रखा और उसे चढ़ा दिया।
मैंने उसकी दोनों टाँगें अपने कंधों पर रखीं, नीचे से मैंने मेरा लण्ड उसकी चूत में पूरी तरह से घुसा दिया और उसकी बाँहों में से अपने हाथ डालकर उसे ऊपर उठाया। अब मैं खड़ा था, और उसकी दोनों टाँगें मेरे कंधे पर थी, और मेरे दोनों हाथ उसकी पीठ के पीछे थे। वह पूरी तरह से मुड़ी हुई थी, और मेरा लंड उसकी चूत में था। मैंने अपनी पीठ थोड़े से सहारे के लिए दीवार पर छुआ रखी थी, और फिर कमर आगे-पीछे करने लगा। इस मुद्रा में मेरा पूरा का पूरा लण्ड उसकी चूत में चला जा रहा था। जब मैं पूजा को इस तरह से चोदता था तो मुझे दीवार के सहारे की ज़रूरत नहीं पड़ती थी, क्योंकि उसका व़जन बहुत ही कम था। लेकिन प्रिया 22 साल की थी और उससे काफी बड़ी और भारी थी।
मेरा लण्ड उसकी चूत में अन्दर-बाहर हो रहा था मैंने उससे पूछा- मज़ा आ रहा है ना?
उसने हाँ कहा- ऐसे ही चोदते रहो मेरा राजा। मैं तुम्हारी दीवानी हो गई हूँ। शादी के बाद भी मैं तुम्हीं से चुदवाऊँगी। और ज़ोर से चोदो, फाड़ डालो मेरी चूत को… और कस के आआहहहह आआआहहहह।
8-10 मिनटों के बाद मैंने उसे बिस्तर पर रख दिया और कुतिया की तरह झुकने को कहा। उसने अपने दोनों हाथ ज़मीन पर रख गिए और घुटनों के बल कुतिया बन गई। मैंने उसके पैर थोडे फैलाए और पीछे से मेरा लण्ड उसकी चूत में डाल दिया और उसे कुत्ते की तरह चोदने लगा। 15 मिनट बाद मैंने पानी छोड़ दिया। इस दौरान वह दो बार झड़ चुकी थी। मैंने अपने लण्ड से कॉण्डोम उतारा।
दोपहर के साढ़े बारह बज गए थे। मैंने उससे कहा, कपड़े पहन लो, खाना खाने चलते हैं।
वह उठकर बाथरूम चली गई, मैं भी उसके पीछ-पीछे बाथरूम में चला गया।
वह कहने लगी- तुम बाहर जाओ, मुझे पेशाब करनी है।
मैंने कहा- इसमें इतनी शरमाने वाली क्या बात है?
और मैं उसके सामने ही पेशाब करने लगा. वह गौर से देखने लगी।
जैसे ही मेरा पेशाब करना खत्म हुआ, वह नीचे बैठ गई और पेशाब करने लगी। बड़ी ज़ोर से धार मारी थी उसने। फिर वह खड़ी होकर पानी से पैर और चूत पर गिरा हुआ पानी साफ करने लगी।
हम दोनों बाथरूम से बाहर आ गए। मैंने अपने कपड़े पहन लिए। उसने पहले अपनी चड्डी पहनी, फिर ब्रा। मैंने उसकी ब्रा के हुक लगा दिए। फिर उसने अपनी सलवार पैरों में चढ़ाई और अन्त में कमीज़ पहन ली।
मैंने उससे कहा- प्रिया मैं अपनी यह कहानी अन्तर्वासना पर लिखना चाहता हूँ, लेकिन अगर तुम्हारी इजाज़त हो तो, वर्ना नहीं।
“इसमें पूछने वाली क्या बात है! तुम कहानी लिख सकते हो, लेकिन मेरा नाम बदल देना।” उसने हामी भर दी।
“ठीक है।” मैंने उसे धन्यवाद कहा और हम खाना खाने के लिए चले गए।
खाना खाने के बाद क्या हुआ यह अगले भाग में।
आपको मेरी कहानी कैसी लगी, मुझे बताएँ। Sex Stories
डॉक्टर भी कहते थे कि कोई कमी नहीं है, बस जब ऊपर वाले की मर्ज़ी होगी, तब उनके घर किलकारियां गूजेंगी.
जुनैद कह नहीं पाता था … पर उसे लगता था कि कमी तबस्सुम में नहीं, उसमें है.
इसीलिए वह अब दिल से चाहता था कि तबस्सुम कैसे भी गर्भवती हो, चाहे उससे या किसी और से.
तबस्सुम से जुनैद बेइंतिहा प्यार करता था और तबस्सुम भी कभी उसका दिल नहीं तोड़ती थी.
जुनैद को बहुत शौक था तबस्सुम के साथ सेक्स करते समय की फ़ोटोज़ और विडियो बनाने का.
तबस्सुम उसका भरपूर साथ देती.
जुनैद और तबस्सुम को अब बिना सेक्स किये नींद नहीं आती थी.
जुनैद के दोस्त उमेश की नौकरी पास के किसी शहर में लग गयी थी तो वह अपनी बीवी सानिया के साथ वहीं रहने लगा था.
वैसे भी उसकी बीवी गर्भवती हो गयी थी और डॉक्टर ने उसे आराम की राय दी थी तो वह कुछ महीनों के लिए अपने मायके चली गयी थी.
इधर जुनैद और तबस्सुम नए नए तरीकों से अपने सेक्स को और रोमांचक बनाते थे.
बस गम था तो एक कि इतनी चुदाई के बाद भी तबस्सुम हमल से (गर्भवती) नहीं हो पा रही थी.
डॉक्टर कहते थे कि कोई छोटी सी सर्जरी करनी होगी तबस्सुम की और जुनैद को भी दवाई लेनी होगी शुक्राणु बढ़ने के लिए. या फिर ल्ला पर भरोसा करना होगा.
तबस्सुम सर्जरी के लिए तैयार नहीं थी पर जुनैद अपनी मर्दानगी बढ़ने लिए दवाई लेने को तैयार था.
जुनैद ने तो यह भी सोचा कि अगर वह और उमेश मिलकर तबस्सुम को निरंतर चोदें तो शायद तबस्सुम को बच्चा ठहर हो जाए.
पर इसी सोच विचारी में उमेश दूसरे शहर चला गया.
तबस्सुम सेक्स में जुनैद का भरपूर साथ देती.
जुनैद ने उसके गले में एक खूबसूरत सा ताबीज़ भी डाल दिया था जो चुदते समय जोर जोर से उछलता.
यह देख कर जुनैद की चुदाई की स्पीड और बढ़ जाती.
तबस्सुम के मम्मे चूस चूस कर जुनैद ने खूब भारी कर दिए थे और तबस्सुम ने जुनैद का लंड चूस चूसकर और मोटा कर दिया था.
ऐसा जुनैद का मानना था.
ड्यूटी से वापिस आकर दोनों चाय पीते और फिर सारे कपड़े उतार कर ही रहते.
तबस्सुम खाना भी मुकम्मल नंगी होकर ही बनाती, जिसमें जुनैद भी उसका साथ देता.
वह मौक़ा देख कर कभी कभी उसके मम्मे दबाता तो तबस्सुम उसे चिमटा दिखाती कि तुम्हारा लंड इससे पकड़ लूंगी.
पर जुनैद नहीं मानता.
जैसे तैसे खाना खाकर दोनों का चुदाई सेशन शुरू हो जाता.
सबसे पहला हक़ तबस्सुम का शुरू होता.
वह टांगें फैलाकर लेट जाती और जुनैद से कहती- मेरी चूत चूसो.
जुनैद उसकी चूत में जीभ घुसाकर कभी उंगली से उसकी चूत की खूब मालिश करता.
अब तो वह कभी कभी उसकी गांड में भी थूक लगी उंगली घुसेड़ देता.
शुरू शुरू में तो तबस्सुम को तकलीफ होती, पर अब उसे भी गांड में उंगली करवाने में मजा आता.
पिछले दिनों जुनैद एक वाईब्रेटर भी ले आया था.
अब वह तबस्सुम की चूत में वाइब्रटर घुसा कर उसके मुंह में अपना लंड दे देता और अपने एक कजिन साजिद का नाम लेकर तबस्सुम को उकसाता कि साजिद का लंड उसकी चूत में है.
शुरू शुरू में तो तबस्सुम को बहुत बुरा लगा, उसने जुनैद से बोलना भी बंद कर दिया.
पर अब उसे भी मज़ा आने लगा.
अब तो वह जुनैद से कहती- ठीक से चोदो वर्ना साजिद को बुला लूंगी.
तबस्सुम जानती थी कि जुनैद को लंड चुसवाना बहुत अच्छा लगता है.
वह पूरा लंड मुंह में लेती.
जुनैद का लंड मोटा और लम्बा था पर तबस्सुम पूरा लंड मुंह में लेती और जीभ से पकड़ मजबूत करके लपर-लपर चूसती.
कई बार जुनैद को लगता कि वह उसके मुंह में ही झड़ जाएगा.
तबस्सुम जुनैद को चुदाई में पूरा सहयोग करती; चाहे जुनैद उसे घोड़ी बना कर चोदे या नीचे लिटाकर, तबस्सुम उसे भरपूर मज़ा देती.
उसे जुनैद ऊपर चढ़ा कर चुदाई जरुर करता जिससे उसका तावीज़ उसके मम्मों के साथ खूब उछले.
जुनैद उसके मम्मे खूब मसलता, तबस्सुम को कभी कभी दर्द भी होता पर वह जुनैद को कभी नहीं रोकती या टोकती.
जब से जुनैद ने नया मोबाइल लिया है, उसने अपनी चुदाई की ढेरों विडियो बना डालीं.
शुरू में तो तबस्सुम को अजीब लगता था विडियो बनवाना या नंगी फोटो खिंचवाना … पर अब उसे आदत पड़ गयी है.
एक रात जुनैद ने चोदते समय तबस्सुम को बताया कि उसका कजिन साजिद दो-तीन दिन के लिए आ रहा है, घर पर ही रुकेगा.
जुनैद ने स्पीड बढ़ाते हुए कहा- साजिद के साथ मिल कर मस्ती करेंगे, हो सकता है अल्लाह मियां उनकी सुन लें और तबस्सुम की गोद भर जाए.
साजिद का नाम और थ्रीसम चुदाई सुनकर तबस्सुम की चूत में आग और भड़क उठी.
पर वह दिखावटी गुस्सा करती हुई बोली- नहीं मैं किसी और से नहीं करुँगी.
जुनैद बोला- क्यों? तुमने उमेश के साथ इतनी बार तो किया है.
तबस्सुम बोली- जो हो गया सो हो गया, अब नहीं. कल को मेरी गोद भर गयी तो साजिद सोचेगा वह मेरे बच्चे का बाप है.
इस पर जुनैद बोला- मैं साजिद के आते ही बता दूंगा कि तुम गर्भवती हो. तो अगर उनकी फ़रियाद ऊपर वाला सुन लेता है तो साजिद यही सोचेगा कि तुम तो पहले से ही गर्भवती थीं.
तबस्सुम बोली- फिर भी मुझे जच नहीं रहा. उमेश तो दोस्त था और ये रिश्तेदार है. चलो छोड़ो यह बात … अभी तो तुम चुदाई करो बढ़िया सी वरना मैं …
दोनों हंस पड़े और गुत्थम गुत्था हो गए.
पर अब तबस्सुम भारी पड़ रही थी जुनैद पर.
उसने निचोड़ दिया आज जुनैद को!
अगले दिन जुनैद ने तबस्सुम को बताया- साजिद कल आयेगा. उमेश वाला कमरा साफ़ कर लेना. वह दो दिन रुकेगा.
तबस्सुम दिन में पास के ब्यूटी पार्लर में जाकर फेशियल वगैरा करा आई.
उसे साजिद को लेकर एक उत्सुकता थी.
वह जानती थी कि अगर जुनैद के मन में है तो वह खुराफात जरूर करेगा, चाहे अंजाम कुछ भी हो.
उसने जुनैद से पूछकर हाथों में मेहंदी भी लगवाई और रात को नहाने से पहले अपनी चूत चिकनी कर ली.
वैसे वह हमेश चूत चिकनी रखती ही थी, पर कल शायद कुछ स्पेशल होने को था.
रात को जुनैद काम से काफी लेट लौटा तो थका हुआ था.
उसने परसों की छुट्टी ले ली थी.
कल तो साजिद उसके साथ ही शाम तक घर आने वाला था.
रात को जुनैद बिना सेक्स के सो गया और सुबह उठकर उसने तबस्सुम को जबरदस्ती अपने साथ ही नहलाया और हंसी मज़ाक में छेड़ते हुए कह दिया कि अब दो दिन उसकी चूत की खैर नहीं.
तबस्सुम ने भी उससे कह दिया- आप और साजिद अलग कमरे में सो जाना और जैसे आप उमेश की गांड मारते थे, आपस में निबट लेना. मुझे मत घसीटना अपने साथ.
जुनैद बोला- देखा जाएगा.
शाम को जुनैद के आने से पहले तबस्सुम ने खाना पूरा बना लिया था और अच्छे से कपड़े पहन कर वह दोनों का इंतज़ार कर रही थी.
सजधज कर तबस्सुम कयामत ढाती थी.
7 बजे करीब जुनैद और साजिद आये.
साजिद जुनैद जैसी ही कदकाठी का पर मजबूत था.
वह बहुत मजाकिया और बातूनी था.
साजिद तबस्सुम के लिए एक बहुत सुंदर सूट लाया था.
पर्दे वाले परिवार की शर्म तो अब इनके घर में नहीं थी … तो तबस्सुम भी जल्दी ही घुलमिल गयी साजिद के साथ.
पहले चाय-पकौड़े, फिर खाना!
इन सब से निबटते निबटते रात के दस बज गए.
जब वह रसोई सम्भाल कर कमरे में पहुंची तो जुनैद और साजिद हंस हंस कर बात कर रहे थे.
असल में बचपन से जवानी तक दोनों साथ पढ़े थे.
साजिद और जुनैद दोनों ही अपनी जवानी में पक्के हरामी थे.
यह बात तबस्सुम को जुनैद बता चुका था कि हमारे बीच कुछ भी छिपा नहीं है.
तबस्सुम को तो शक था कि साजिद की बीवी सुल्ताना से जुनैद का चक्कर रह चुका है और दोनों हमबिस्तर भी हो चुके हैं.
पर उसे यह नहीं पता था कि यह बात साजिद को मालूम है या नहीं.
वह कभी सुल्ताना से नहीं मिली थी.
तबस्सुम के आते ही साजिद उठ खड़ा हुआ अपने कमरे में जाने के लिए!
तो तबस्सुम ने कहा- भाई जान, आप यहीं सो जाएँ, मैं दूसरे कमरे में सो जाती हूँ.
इस पर साजिद बोला- जब मैं आपको नाम से बुलाता हूँ तो आप भी मेरा नाम ही लीजिये. हम सभी दोस्त ही तो हैं.
जुनैद ने भी उसकी बात का समर्थन किया और कहा- मैं भी इसकी बीवी को नाम से ही बुलाता हूँ. यह हम लोगों का शुरू से तय था कि हम सब आपस में दोस्त रहेंगे.
तबस्सुम ने नैन मटकाकर जुनैद से पूछा- और क्या क्या आप लोगों का पहले से तय है?
इस पर जुनैद ने बदमाशी से कहा- तय तो हमारा यह भी है कि आपस की सभी चीज़ मिल-बाँट कर इस्तेमाल करेंगे.
उसका इशारा समझ कर तबस्सुम बोली- मैं चली सोने … आप आपस में मिल-बांट कर लीजियेगा.
अब साजिद हँसते हुए खड़ा हो गया, बोला- मैं चला सोने, थक भी गया हूँ, सुबह जल्दी जाना है काम से!
उसके जाते ही तबस्सुम ने कमरे की किवाड़ बंद कर लिए.
जुनैद ने उसे बेड पर भींच लिया और बोला- जानेमन, आज तो कयामत ढा रही हो. साजिद तो हलाल हो गया आपकी ख़ूबसूरती के आगे! आपकी मेहंदी तो जुल्म ही ढा रही है आज! अब देर मत करो, कल का भी हिसाब चुकता करना है.
तबस्सुम भी चुदासी हो रही थी.
उसने कपड़े उतार फेंके और लेट गयी टाँगें फैलाकर.
ज़ुनैद भी नंगा होकर बेड पर आया और हमेश की तरह उसने पहले तबस्सुम को चूमा और फिर उसकी चूत की फांकों के बीच अपनी जीभ दे दी.
जल्दी ही तबस्सुम की आहें निकलने लगीं.
जुनैद तो चाहता था कि आज पोर्न वाइफ तबस्सुम की आवाज़ साजिद के कमरे तक जाए.
इसलिए उसने चुदाई शुरू कर दी और पेलम पाल में पूरा दम लगा दिया.
तबस्सुम थोड़ी देर को यह भूल गयी कि घर में एक मेहमान भी है.
उसकी आवाजें रोज़ की तरह निकलने लगीं.
अब जुनैद ने चुदाई धीमी करते हुए उसके कान में फुसफुसाकर कहा- बुला लूं साजिद को? वह तो जब से आया है, तुम्हारे हुस्न की तारीफ कर रहा है.
मेरी कहानी में आपको रोमांच भरा सेक्स देखने को मिलेगा। मैं अपनी कार में जंगल से गुजर रहा था, बारिश हो रही थी और रात भी घिरने लगी थी. तभी सड़क पर कोई जानवर आया और मेरी कार खड्डे में उतर गयी.
मेरा नाम अरमान है. मैं राजस्थान के कोटा शहर का रहने वाला हूँ। मेरा कद 6 फीट और उम्र 22 साल है. अच्छी बॉडी वाला लड़का हूँ।
मैं दूसरों की तरह यह तो नहीं कहूंगा कि मेरा लण्ड 8 इंच का है, मगर यह जरूर कहूंगा कि मेरा लंड किसी भी औरत और लड़की को संतुष्ट कर सकता है।
वो बरसात के दिन थे. मुझे किसी काम से मेरे शहर से 200 किलोमीटर दूर जाना था। मैं शनिवार को आपनी कार से निकल पड़ा।
मौसम बहुत सुहाना था तो मैंने रास्ते में वाइन शॉप से एक बीयर ले ली और कार में ही उसे पीने लग गया और कार भी चला रहा था।
मैं अपने शहर से करीब 80 किलोमीटर दूर आ गया था. रास्ते में बरसात बहुत तेज हो गयी थी। बीयर भी अपना असर दिखा रही थी. हल्का नशा हो रहा था.
बरसात तेज होने के कारण मुझे रोड साफ़ दिखाई नहीं दे रहा था।
रास्ते में बहुत डरावना जंगल था. दूर-दूर तक सुनसान रास्ता था और रोड पर गाड़ियां भी बहुत कम चल रही थीं।
रात के करीब 8 बज चुके थे और मुझे भूख लग रही थी, मगर आस-पास दूर-दूर तक कुछ नहीं था।
तभी अचानक मेरे सामने जंगल में से भागता हुआ एक नीलगाय (हिरन जैसा जानवर) मेरी कार के सामने आ गया.
मैंने एकदम हड़बड़ा कर गाड़ी को साइड में घुमा दिया.
मेरी गाडी स्पीड में ही रोड से नीचे उतर कर झाड़ियों में घुस गयी और पीछे का टायर एक गड्ढे में फंस गया और गाड़ी बंद हो गयी।
मैंने मन ही मन ऊपरवाले को कोसा कि कैसे सुनसान रोड पर गाडी ख़राब करवा दी. अब आस-पास दूर-दूर तक इंसान तो दूर, कोई झोपड़ी भी नहीं दिख रही थी.
मैंने सोचा चलो जैसे तैसे रात कार में ही गुजारते हैं. सुबह किसी को ढूंढ कर निकलने का जरिया खोज लूंगा।
लेकिन किस्मत को कुछ और ही मंजूर था।
मेरे दिमाग में आया कि चलो रात यहाँ बिताने से अच्छा है कुछ दूर तक चला जाये. क्या पता कोई घर या झोपड़ी मिल जाये?
मैंने कार को लॉक किया और चल पड़ा जंगल की ओर.
फिर अचानक से बहुत तेज बिजली कड़की और मुझे एक पुरानी फिल्मों की तरह की एक हवेली नजर आई मैंने सोचा कि चलो रात तो बिताई जा सकती है।
मैं उस हवेली की तरफ बढ़ चला.
अंधेरा होने की वजह से मुझे कुछ दिखाई नहीं दे रहा था.
मैं हवेली के पास पंहुचा और मैंने आवाज लगाई पर अंदर से कोई आवाज नहीं आई.
फिर मैंने जोर से दरवाज़े को बजाया मगर फिर भी कोई आवाज नहीं आई.
मैंने सोचा यहाँ कोई नहीं रहता, तो मैं जैसे ही वापस जाने के लिए मुड़ा, अचानक हवेली की लाइट जली और अंदर से आवाज आई- कौन है?
वो आवाज़ इतनी मधुर थी कि मैं उस औरत की सुंदरता को सिर्फ कल्पना कर रहा था कि इसकी आवाज इतनी सुन्दर है तो यह कितनी सुन्दर होगी?
तभी फिर से अंदर से आती आवाज ने मेरी कल्पना को तोड़ा- कौन है?
मैंने जवाब दिया- मेरी कार पास में ही ख़राब हो गयी है और रात भी बहुत हो गयी है इसलिये मैं आपके यहाँ रात गुजार सकता हूं क्या?
अंदर से आवाज आई- मैं तुम पर यकीन क्यों करूं?
मैंने फिर अपनी कार ख़राब होने की दास्तान सुनाई.
तभी हवेली का दरवाजा खुला और तभी अचानक जो मैंने देखा उसे मैं कभी नहीं भूल सकता.
काली साड़ी में मेरे सामने खुद काम की देवी खड़ी थी. वैसी सुंदरता मैंने मेरी जिंदगी में कहीं नहीं देखी थी. जैसे स्वर्ग की अप्सराएं भी इसके सामने फीकी पड़ जायें।
उसके जिस्म को शब्दों में बयां करना नामुमकिन सा था. कद 5 फीट 8 इंच.
चेहरा ऐसा जैसे कोई भी देखते ही मोहित हो जाये.
होंठ सेब की फ़ांकों की तरह लाल, जिस्म का आकार 34, 30, 34 था.
उस काम की देवी के पास से ऐसी खुशबू आ रही थी कि बस मैं उसके वश में होता जा रहा था.
ऐसी तराशी हुई हुस्न की मूरत थी कि खुदा ने अपनी सारी सोच इसे बनाने में ही लगा दी हो।
मैंने मन ही मन ऊपरवाले को शुक्रिया कहा कि ऐसी सुंदरी के दर्शन करवाए जिसे असल जिंदगी में देखना ही जिंदगी धन्य कर दे।
तभी उसकी आवाज ने फिर से मेरी कल्पना की दुनिया से मुझे जगाया- यहाँ ही खड़े रहना है या अंदर भी आओगे?
मेरे गले से धीमी सी आवाज निकली- हाँ जी.
उसे देखते ही सारे अरमान जाग गए. मैंने मन ही मन ऊपरवाले को धन्यवाद दिया।
मेरे मन में कुछ और सवाल भी थे कि इतने सुनसान जंगल में यह अकेली और यहाँ कोई नहीं?
अचानक मुझे गीले कपड़ों की वजह से छींकें आने लग गयीं तो उसने कहा- जाइये कपड़े बदल लीजिये.
मैंने कहा- मेरे पास कपड़े नहीं है. उसने कहा कि मेरे पति के कपड़े दे देती हूं मैं आपको. आप जाइये फ्रेश हो जाइये।
मैं जाकर फ्रेश हो कर आ गया और मैंने उसके पति का पायजामा और टी-शर्ट पहन ली.
फिर भी मेरे मन में बहुत से सवाल थे तो मुझसे रहा नहीं गया. मैंने उनका नाम पूछा तो उन्होंने अपना नाम अक्षिता बताया और मैंने पूछा कि इस सुनसान जंगल में आप अकेली वो भी इतने बड़े घर में?
तो उन्होंने मुस्कुरा कर कहा- ये मेरे पति के पुरखों की हवेली है और वो एक वन विभाग में अफसर हैं उनकी पोस्टिंग इसी जंगल में हो गयी तो हम यहाँ आ गये.
उसने आगे बताया कि घर के नौकर अपने गांव गये हैं और मेरे पति मीटिंग करने कुछ दिनों के लिए बाहर गए हैं.
फिर मैंने उसको अपना नाम बताया।
उन्होंने कहा- मैं अभी खाना लगाती हूं. आप खाने की टेबल पर चलिये.
फिर हमने साथ में खाना खाया. फिर अक्षिता ने बर्तन किचन में रखे.
जब वो चलती थी तो ऐसे लग रहा था कि कोई हिरणी अपनी सुंदरता पूरे जंगल में बिखेर कर जा रही हो।
मैं बार-बार ऊपरवाले को इस रात के लिये धन्यवाद दिये जा रहा था।
अक्षिता ने फिर मुझसे पूछा- आप कुछ पीएंगे?
मैंने अचानक ही कह दिया- मेरे काम की चीज़ अभी यहाँ नहीं मिलेगी.
तो वो मुस्कुरा दी और उनके पति की एक रम की बोतल ले आयी। जिसे देखते ही ऐसा लगा कि प्यासे को रेगिस्तान में शरबत मिल गया हो।
फिर कुछ देर के बाद वो कपड़े बदल कर आई तो मैं उसे देखता ही रह गया.
ब्लैक कलर की जालीदार नाईटी में वो किसी नामर्द का भी लण्ड खड़ा करवा दे. उसके सेंट की खुशबू मुझे मदहोश कर रही थी.
एक तो बरसात की रात … ऊपर से काम की देवी मेरे साथ में … बहुत मुश्किल से खुद पर काबू करके बैठा था मैं। वो 2 गिलास ले कर आई और कुछ आइस क्यूब भी साथ में ले आई.
मैंने पूछा- आप भी ड्रिंक लेती हैं?
तो उसने कहा- हां कभी-कभी ले लेती हूं.
मैं खुद की किस्मत पर यकीन नहीं कर पा रहा था। बस कामदेव से यही कह रहा था कि कोई प्यार का तीर इस पर भी चला दीजिये।
उसने टीवी चालू किया और मैंने 2 छोटे पेग बनाये। हम दोनों ने ड्रिंक खत्म की और टीवी पर कोई रोमांटिक मूवी चल रही थी. दोनों पर रम अपना असर दिखा रही थी.
तभी अचानक बहुत तेज बिजली की आवाज आई और वो डर कर मेरी बांहों में आ गयी.
डर से दुबक कर उसका मुंह मेरी छाती पर आ गया था. मेरा एक हाथ उसकी कमर पर था।
मैं धीरे-धीरे उसकी कमर सहलाने लग गया और वो भी मेरे आगोश में आ रही थी। मेरी बढ़ी हुई धड़कन की आवाज बिल्कुल साफ़ सुनाई दे रही थी।
बड़े ही प्यार से मैंने उसे उठाया और उसके साथ खड़ा हो गया.
तभी अचानक फिर बिजली की आवाज हुई. वो फिर मुझसे चिपक गयी और मेरा लिंग महाराज, जो कि तन गया था, उसके बदन से सट गया था. वो भी उस पल का मजा ले रही थी।
मैंने उसके फूल जैसे कोमल चहरे को उठाया.
उसकी आँखों में कामवासना की झलक साफ दिख रही थी.
मैंने अपने होंठ उसके लाल होंठों पर धीरे से रखे और दोनों के होंठ एक दूसरे से रेस लगा रहे थे कि कौन किसे सबसे ज्यादा प्यार करता है!
मैं मन ही मन सोच रहा था कि बस ये समय यहीं रुक जाये और वो एक ऐसा सुखद अनुभव था जिसे मैं शब्दों में बयान नहीं कर सकता।
जैसे ही मैंने उसे खुद से अलग किया तो उसने एक सवाल वाली निगाह से मुझे देखा।
मैं उसकी नाइटी को धीरे-धीरे ऊपर करने लगा और मैं उसकी सुंदरता का गुलाम बनता जा रहा था.
मैंने उसकी नाइटी पूरी उतार दी.
वो अंदर लाल रंग की ब्रा और पेंटी में संगमरमर की मूरत के समान चमक रही थी।
मैं ऊपरवाले से मन ही मन कह रहा था कि मैं इस रात के लिए हमेशा तेरा गुलाम रहूँगा।
उसके वक्ष बिल्कुल सुडौल, गोल आकार के, सपाट पेट, गोल और गहरी नाभि. उसके तन पर कहीं भी अतिरिक्त मांस नहीं था. साक्षात प्रकृति की खूबसूरती का नमूना थी वो.
मैं सोच रहा था कि देवताओं के पास ऐसी ही अप्सराएं थीं जिनसे वो तपस्या में लीन मुनियों में भी कामवासना जगा देते थे। मैं सारी उम्र इसका गुलाम बन कर रहने को तैयार था.
कहने को शब्द नहीं हैं उसकी सुंदरता की तारीफ में … मैं सोच रहा था कि देवता भी इसे धरती पर भेज कर पछता रहे होंगे.
तभी उसकी आँखें मुझे फिर सवाल भरी निगाहों से देख रही थीं.
मैं फिर अपनी कल्पना से बाहर आया और धीरे से उसकी ओर बढ़ा. उसके पीछे जाकर उसके सुनहरे बालों को आगे कर दिया.
फिर मैंने एक किस उसकी गर्दन पर किया तो उसके मुँह से प्यारी सी आह्ह निकली।
मैंने फिर 3-4 किस उसके कंधों और गर्दन पर जड़ दिए. मैंने उसकी ब्रा की डोरी को धीरे से खोला और ब्रा को हटा दिया.
फिर मैं आगे की तरफ गया और उसके उरोजों को देखा तो बस मेरे मुँह से एक आह्ह निकली. बिल्कुल संगमरमर जैसे सफ़ेद गोल वक्ष थे. उन पर गुलाबी रंग के तने हुए निप्पल और उसका एलोरा भी गुलाबी कलर का. बस मन हुआ कि सारी उम्र इन्हें चूसता रहूं।
मैंने आगे बढ़ कर उन्हें अपने हाथों में पकड़ा.
इतने कोमल जैसे कोई स्पंज दबाया हो.
मैंने धीरे से उन्हें दबाया … अक्षिता के मुँह से एक आह्ह निकली।
अक्षिता ने मेरी टी-शर्ट उतार दी मैंने उसके एक उरोज के एलोरा पर अपनी जीभ फिराई तो अक्षिता के मुँह से फिर एक कामुक सिसकारी स्स्स … करके निकली. मैंने उसके निप्पल को होंठों में दबाया और एक छोटे बच्चे की तरह उसे चूसने लगा.
अक्षिता भी कामवासना के सागर में गोते लगाने लगी.
मैं जब उन्हें काटता तो अक्षिता के मुँह से सिसकारी निकल जाती.
अक्षिता भी जोर जोर से कह रही थी- जोर से चूसो … आह्ह …
मैंने चूस-चूस कर उसके दोनों उरोजों को लाल कर दिया था.
फिर मैं उसे उठा कर बेडरूम में ले आया. वहां मैंने उसे किसी फूल की तरह लेटाया और उसके ऊपर खुद भी लेट कर किस करने लग गया।
मैं किस करते-करते नीचे की ओर जाने लगा.
उसकी गर्दन पर किस किया. फिर दोनों उरोजों के बीच से उसके पेट को चाटते हुए उसकी गहरी नाभि पर पहुंचा. मैंने उसमें अपनी जीभ घुसा दी. अक्षिता ने फिर वही प्यारी सी सिसकारी भरी.
मैंने उसके पेट को चाट चाट कर गीला कर दिया।
अब मैं बेड से नीचे उतर कर खड़ा हो गया और उसके पैरों को हाथो में लेकर चाटने लगा.
वो लगातार वासना में बहती जा रही थी और सिसकारियां भर रही थी.
मैंने उसकी पैर की उंगलियों को चूसना शुरू किया. फिर धीरे-धीरे उसकी टांगों को चाटते-चूमते उसकी जांघों पर पहुंचा.
वहाँ भी अपने प्यार की निशानियां दे रहा था. हम दोनों अपनी वासना में बहे जा रहे थे।
अब मैं धीरे से उसकी पैंटी की तरफ बढ़ा. उसे जैसे ही मैंने छुआ तो अक्षिता ने फिर एक आहहह … भरी.
उसकी पैंटी पूरी तरह से गीली हो गयी थी. उसके कामरस की बहुत ही मोहक गंध मुझे पागल किये जा रही थी।
फिर मैं धीरे धीरे उसकी पैंटी उतार रहा था और चूमता भी जा रहा था.
उसकी चूत के ऊपर की बालों वाली जगह बिलकुल क्लीन थी. वहाँ रोम छिद्रों के अलावा कोई निशान नहीं था.
मैंने उस जगह को चूमा.
मैं उसके हर हिस्से पर अपने प्यार की निशानी छोड़ रहा था।
फिर मैंने पूरी पेंटी उतार दी और उसकी चूत बिल्कुल छोटी सी, गुलाब की पंखुड़ियों की तरह लग रही थी.
उसकी फांकों को मैंने प्यार से किस किया और चुम्बनों की झड़ी लगा दी उसकी कोमल चूत पर.
अक्षिता मेरे इस प्यार से पागल होती जा रही थी।
मैंने अपनी उंगलियों से उसकी फ़ांकों को फैलाया. अंदर से ऐसी जैसे खून उतर आया हो.
बिल्कुल लाल थी उसकी चूत. ऐसी चूत मैंने कहीं नहीं देखी.
मैं धीरे से उसके पास गया और उसे चाटने लग गया.
अक्षिता जोर-जोर से आहें भर रही थी और अपने हाथ को मेरे सिर पर रख कर जोर से अपनी चूत पर दबा रही थी.
उसका दबाव मुझ पर बढ़ता जा रहा था. वो जोर-जोर से सिसकी भर रही थी.
वो झड़ने के करीब थी.
मैंने अपनी चाटने की स्पीड और बढ़ा दी और उसके क्लीट को भी चूसने लग गया.
उसकी सिसकारियां और तेज हो गयीं और उसने अपनी टांगों को मेरे सिर पर जोर से दबा दिया.
वह जोर से झड़ने लग गयी. उसकी चूत के अमृत रस से मेरा पूरा चहरा गीला हो गया।
वो अपनी सांसों पर काबू कर रही थी. मैं ऊपर जा कर उसे फिर किस करने लग गया।
अब उसने मुझे नीचे लेटाया और मुझे किस करने लग गयी. वह धीरे धीरे नीचे की ओर बढ़ रही थी. उसने मेरे पाजामे और अंडरवियर को एक साथ उतार दिया और मेरा लिंग महाराज पूरे जोश में उसे सलामी दे रहा था।
अक्षिता ने मेरे लिंग महाराज को एक प्यारी सी निगाह से निहारा. फिर उसने अपने कोमल से होंठों से किस किया. फिर मेरे लिंग महाराज को अपने मुँह में लेकर लॉलीपॉप की तरह चूसने लग गयी.
उसका यह प्यार मुझे दीवाना किये जा रहा था.
वो पूरा नीचे तक लिंग महाराज मुँह में लेती और फिर ऊपर आते वक्त मेरे लिंग के टोपे को जोर से चूसती.
उसकी इस अदा ने मुझे उसका गुलाम बना लिया. बस मैं मन ही मन कामदेव को धन्यवाद दे रहा था और कह रहा था कि अब मौत भी आ जाये तो कोई गम नहीं. ऐसी सुंदर काया वाली अप्सरा को पाकर मेरी जिंदगी तो धन्य हो गयी।
मैंने उससे कहा- मैं झड़ने वाला हूं!
तो उसने मेरी बात को नजर अंदाज किया और वो और जोर-जोर से मेरे फटने को हो चुके लौड़े को चूसने लग गयी.
मेरी वासना का ज्वार भी एक तूफ़ान की तरह फूट पड़ा.
पहले एक धार, फिर दो, फिर तीन-चार-पांच और न जाने कितनी ही बार मेरे लिंग ने मेरा वीर्य को पिचकारी दर पिचकारी करके उसके मुंह में उड़ेल दिया.
वह उसको पी गई.
कुछ वीर्य उसको उरोजों पर गिर गया और कुछ उसके मुंह पर लग गया.
इतना वीर्य मेरे लिंग से पहले कभी नहीं निकला था.
मगर हैरानी की बात ये थी कि अब भी मेरा लिंग बैठने को राजी नहीं था.
अब मैंने अक्षिता को वापस अपने नीचे लेटा दिया. अब बारी थी लिंग महाराज के मिलन की. मैंने अक्षिता के होंठों पर किस किया.
जैसे उसे इस सुख के लिए धन्यवाद कह रहा हूं. उसने भी किस में पूरा साथ दिया। अब अक्षिता का भी सब्र जवाब दे रहा था. वो बोली- जान … अब डाल दो अपने लण्ड को मेरी चूत में … अब और नहीं सहा जा रहा।
मैंने भी रुकना उचित नहीं समझा. उसकी टांगें फैलाईं और अपने लिंग महाराज को उसकी चूत की गुलाबी फ़ांकों पर रख कर एक धक्का मारा.
तो लिंग का मुंड अंदर फंस गया और अक्षिता के मुँह से एक हल्की चीख निकली- उइई माँ … मैंने सोचा कि ये काम की देवी तो नाम की तरह ही अक्षत है.
मैंने फिर अपने लिंग को बाहर निकाल कर एक जोरदार धक्का मारा.
उसकी एक जोर की चीख निकली- आआईई … उम्म्ह… अहह… हय… याह… मर गयी।
फिर मैंने उसे प्यार से किस किया और धीरे-धीरे धक्के लगाने लग गया.
उसकी चूत किसी भट्टी की तरह गर्म थी और मेरे लण्ड को अंदर की ओर खींचे जा रही थी, जैसे मुझे पूरा ही अपने अंदर समा लेना चाहती हो. अब उसकी सिसकारियां बढ़ गयीं. मैंने भी अपने धक्कों की रफ़्तार बढा दी.
वो जोर-जोर से ऊह्ह आह्ह … कर रही थी और बोल रही थी- और जोर से चोदो जान … बहुत मजा आ रहा है! और तेज … और तेज चोदो … और चोदो … आज मुझे अपनी बना लो. मैं भी तेज धक्के मार रहा था.
चुदाई का खेल अपनी पूरी रफ़्तार पर चल रहा था.
लेकिन मैं थक चुका था जिसे वो समझ गयी थी.
फिर मैं उसके नीचे आ गया और वो मेरे लिंग को हाथ में पकड़ कर उस पर कूदने लग गयी.
कुछ देर ऐसे ही रफ़्तार से चुदाई चलती रही. तभी उसकी आवाजें तेज हो गयीं और वो जोर से झड़ने लग गयी।
लेकिन मैं पहले लंड चुसाई से एक बार झड़ चुका था तो मेरा नहीं हुआ था. वो धम्म से मेरी छाती पर गिर गयी।
मैंने वापस अपना पोज़ बदला. मैं उसके ऊपर आ गया और वो भी एक कातिल निगाह से मेरी ओर देख कर मुस्करा दी.
उसका कहना था- तुम नहीं थके तो आ जाओ, मैं भी तैयार हूं जंग के लिये।
फिर मैंने अपना लिंग एक ही झटके में अंदर डाल दिया और अक्षिता के मुँह से फिर एक सिसकारी निकली.
हमने रफ़्तार पकड़ ली और दोनों एक दूसरे को बराबर टक्कर दे रहे थे. मेरा लिंग महाराज भी झड़ने को था तो मैंने अपनी स्पीड और बढ़ा दी.
अक्षिता भी जोर-जोर से धक्के मार कर बोल रही थी- जोर से चोदो जान … मैं झड़ने वाली हूं. तेज चोदो जान … और तेज!
मैं भी झड़ने वाला था और उसके हाथ मेरी कमर पर दबाव बनाये जा रहे थे.
फिर अचानक ही दोनों का शरीर अकड़ गया और दोनों की वासना का ज्वार उमड़ पड़ा.
मैं भी थक कर उसके ऊपर गिर गया. मेरी पूरी ताकत खत्म हो चुकी थी. मैं उसके ऊपर ही लेट गया.
जब सुबह मेरी आँख खुली तो मैं अपनी ही कार में था.
अचानक मुझे एक झटका लगा कि जो भी बीती रात मेरे साथ हुआ वो क्या कोई सपना था?
लेकिन मेरी कमर पर जलन महसूस हुई तो मैंने कार के मिरर में देखा तो मेरी कमर पर नाखूनों के कई निशान थे.
मेरे दिमाग ने काम करना बंद कर दिया. मेरी कार भी सड़क किनारे सही सलामत खड़ी थी।
मुझे कुछ समझ नहीं आया कि ये कोई डरावना सपना था या हकीकत?
मैंने कार स्टार्ट की और अपनी मंजिल की ओर बढ़ चला. मगर मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा था कि वहाँ ना कोई हवेली थी ना कोई मकान तो फिर मैं किस अक्षिता से मिला और कौन सी थी वो हवेली।
कैसी अजीब पहेली थी ये जो आज तक मेरे लिए एक सवाल बनी हुई है. आखिर उस रात मेरे साथ हुआ क्या था. मैं आज भी सोच कर सहम जाता हूँ.
तो दोस्तो, यह मेरी पहली कहानी थी. अगर कोई गलती हुई हो तो माफ़ कीजियेगा. फिर जल्द ही लौटूंगा एक नई कहानी लेकर. मुझे कमेंट करके बतायें कि आपको कहानी कैसी लगी।
नमस्कार मित्रो,
सबसे पहले Antarvasna के सभी पाठकों का धन्यवाद जो सभी को मेरी कहानी पसंद आ रही है। मेरी अब तीन रचनाएँ प्रकाशित हो चुकी हैं :
पहला आनन्दमयी एहसास, सुहागरात और सपनों से हकीकत का सफर !
आप सभी के ढेरों मेल मिल रहे हैं, पढ़ कर और लिखने का मन करता है। नए पाठकों के लिए मेरा परिचय- मेरा नाम बाबा है और अभी मैं 27 साल का नौजवान हूँ। मैं जयपुर, राजस्थान का रहने वाला हूँ।
आज आप सभी के लिए सेक्स से होने वाले फायदे के बारे में अवगत करवा रहा हूँ और आप सभी पाठक अगर मुझसे सहमत हैं तो मुझे अपनी प्रतिक्रिया जरूर भेजें।
सेक्स क्या है? और कैसे होता है इसके बारे में सब के सब जानते हैं, आज छोटे बच्चों को भी इसका ज्ञान होने लगा है पर सेक्स करने से क्या फायदा हो सकता है इसका ज्ञान शायद ही हर किसी को होता है।
सेक्स के बारे में जानने की जिज्ञासा बहुत से लोगों में होती है पर हर कोई सेक्स के बारे में जान नहीं पाता। खासकर महिलाएँ, क्यूंकि वो जानने की इच्छुक तो रहती हैं पर समाज का डर और अपने परिवार की बदनामी का डर उन्हें ये सब जानने के लिए रोक देता है।
बेहतर सेक्स आत्मसम्मान से शुरू होता है और यह आत्मसम्मान को बढ़ाता भी है। जिनके अंदर आत्मसम्मान पहले से ही होता है उन्हें सेक्स के बाद अलग किस्म की खुशी महसूस होती है।
काफी लोग ऐसे हैं जो अच्छा महसूस करने के लिए सेक्स करते हैं। सेक्स शारीरिक और भावनात्माक लाभ भी देता है।
सेक्स करने से पहले खुद को भ्रमित ना करें। सेक्स न केवल आनन्ददायक हैं बल्कि रिश्तों को भी मज़बूत बनाने वाला होता है। सेक्स हमारे स्वास्थ्य के लिए भी फायदेमंद होता है क्यूंकि सेक्स एक तरह योगा है। अगर सेक्स को सही रूप से किया जाए तो आप शरीर निरोगी काया रहेगा। यही नहीं, सेक्स की गिनती सबसे उपयुक्त व्यायामों में भी की जाती है।
सेक्स अब एक ऐसा विषय हो गया है जिस पर लोग खुलकर बात करने लगे हैं। पहले लोग इस विषय पर बात करने से कतराते थे विशेष तौर पर महिलाएँ, लेकिन अब महिलाएँ भी इस विषय पर खुलकर बात करने लगी हैं।
सेक्स को लेकर अभी भी कई तरह की भ्रांतियाँ फैली हुई है लेकिन असल में सेक्स हर लिहाज से फायदेमंद ही साबित होता है। सेक्स के ऊपर कई तरह के शोध और अध्ययन हो चुके हैं जो यह सिद्ध करते हैं कि सेक्स फायदेमंद होता है।
दोस्तो, सेक्स किस तरह से हमारे लिए फायदेमंद है यह जानना शायद आपके लिए आश्चर्य भरा हो सकता है।
क्यूंकि जो सेक्स को नहीं समझते कि यह सम्पूर्ण जीवन तथा सम्बन्धों की गुणवत्ता के लिए काफी फायदेमंद हो सकता है उनके लिए सेक्स परेशानी और घृणा का विषय होता है।
इसलिए सेक्स करने से पहले खुद को सेक्स के लिए तैयार करे और कोशिश करे जानने की सेक्स करने से हमें क्या क्या फायदा हो सकता है पर एक जरूरी बात सेक्स को मजाक के रूप में ना लेकर रिश्तों को मजबूत और खुद के स्वास्थ्य को अच्छा बना सके इस तरह की सोच के साथ सेक्स करे। हजारों कहानियाँ हैं अन्तर्वासना पर !
सेक्स जैसे विषय में हर कोई अपने आप ही जुड़ जाता है और ज्यादातर लोग जताना भी नहीं चाहते हैं। सेक्स को लेकर कई गलतफहमियाँ भी मौजूद हैं। लेकिन असल में सेक्स हर लिहाज से फायदेमंद ही साबित होता है। सेक्स से हेल्थ पर काफी असर पड़ता है। देखते हैं कि सेक्स करने के फायदे क्या हैं !
नियमित सेक्स करने से आपका शरीर तनावपूर्ण दशाओं का बेहतर सामना करने के लिए तैयार होता है। सेक्स रक्तचाप में मस्तिष्क और शरीर का तनाव घटाने में मदद करता है। और आपका ब्लड प्रेशर बढ़ने नहीं देता।
तनाव का सामना करने के लिए सेक्स क्रिया का प्रवेश (योनि में लिंग का प्रवेश) होना ज़रूरी नहीं है। सेक्स के अलावा जैसे आलिंगन और अंतरंग गर्माहट के पल भी बहुत सहयोग देते हैं। सेक्स से आपको रोजमर्रा के जीवन में स्थितियों का बेहतर ढंग से सामना करने में मदद मिलती है।
24 महिलाओं और 22 पुरुषों पर की गई स्टडी में पाया गया कि जो लोग नियमित सेक्स करते रहे, तनाव के प्रति उनका रिस्पॉन्स बेहतर रहा।
सेक्स के दौरान आपके शरीर की सभी मांसपेशियाँ खिंचती और खुलती हैं। सेक्स से मोटापा घटाने में भी मदद मिलती है। सेक्स आपकी अतिरिक्त कैलोरी घटाने में मदद करता है और यह व्यायाम करने का सबसे आनन्ददायक तरीका है।
पूरी क्षमता से की गई एक बार सेक्स क्रिया से उतनी कैलोरी घट जाती है जितनी कैलोरी पन्द्रह मिनटों तक ट्रेड मिल पर ब्रिस्क वॉक करने पर खर्च होगी। आधे घंटे के सेक्स से 85 कैलरीज बर्न होती हैं। हालांकि 85 कैलरीज ज्यादा नजर नहीं आती हैं।
प्यार करने वाले साथी की निकटता और चरमसुख की ओर बढने का आनन्द दोनों मिलकर प्यार के हॉर्मोन ‘ऑक्सीटोसिन’ का स्तर ब्ढ़ा देते हैं जिससे आपसी सम्बन्ध और रिश्ते मजबूत होते हैं।
सेक्स के सही तरीकों से आपके पार्टनर से आपके रिश्तों में मजबूती आती है, इस प्रकार से सेक्स के सही तरीकों से आप न सिर्फ अपने साथी के साथ अपने रिश्तों में मजबूती ला सकते हैं बल्कि शारीरिक और मानसिक रूप से स्वस्थ भी रह सकते हैं।
कल्पनाशील बनिए ! शरारती बनिए ! कुछ नया करने की सोचिए ! देखिए आपकी जिंदगी किस तरह से उमंगों से भर जाती है और आपके साथी में आपके लिए कैसी दीवानगी और कैसा जुनून पैदा करती है और आपके रिश्तों में भी मजबूती प्रदान होगी। सेक्स उन्मुक्ति को बढ़ाता है और एक अलग ही आनन्द का अनुभव कराता है।
सेक्स एक योग है अगर सही रूप और सही तरीके से अगर सेक्स किया जाए तो यह एक दवा के रूप में भी असर करता है। सेक्स ऑक्सीटोसिन हॉर्मोन का स्तर बढ़ाता है जिससे सिरदर्द, जोड़ों के दर्द और यहाँ तक कि मासिकधर्म पूर्व लक्षणों में भी राहत मिलती है।
सेक्स रक्त संचार को कन्ट्रोल करने में मदद करता है और कोलेस्ट्रॉल का स्तर ठीक करता है। सेक्स क्रिया के दौरान हृदय तेज गति से धड़कता है और ज्यादा मात्रा में रक्त को पम्प करता है जिससे रक्त संचार तेज होता है। सप्ताह में दो या तीन बार सेक्स करने से हार्टअटैक से पीड़ित होने का खतरा कम हो जाता है।
अगर आप पारिवारिक समस्या या दफ्तर के तनाव से जूझ रहे हैं तो सेक्स दवा की तरह काम करता है। न केवल यह मूड ठीक करता है बल्कि आपके सही फैसले लेने की क्षमता भी बढ़ाता है।
सेक्स करने के ढ़ेरों फायदे हैं तो आगे से सेक्स को महज़ आनन्द देने वाली क्रिया ही ना समझें बल्कि यह सेहत से सीधे तौर पर जुड़ा मसला है अगर आप जिम जाने में आलस्य महसूस कर रहे हैं और आधे घंटे की ब्रिस्क वॉकिंग से भी बचना चाहते हैं तो सेक्स से बेहतर विकल्प कुछ भी नहीं है।
यौन संबंध बनाने की क्रिया से कमर की चर्बी घटती है। रिसर्च के मुताबिक अंतरंग क्षणों में बिताए आधे घंटे से 80 कैलोरी उर्जा का निकास होता है। एक नए रिसर्च के मुताबिक रोजाना सेक्स सेहत के लिए फायदेमंद है।
हर रोज सेक्स से न केवल नींद अच्छी आती है बल्कि यह तनाव घटाता है और कैलोरी या कहें मोटापा कम करने में मददगार है। रोजाना सेक्स महिलाओं और पुरूषों दोनों की त्वचा को तरोताजा रखने में मदद करता है, झुर्रियाँ कम बनती हैं। त्वचा को प्राकृतिक चमक इससे मिल सकती है।
सेक्स एक तरफ जहाँ वैवाहिक संबंधों को दृढ़ता प्रदान करता है वहीं यह कई बीमारियों को कम करता है। इनमें संक्रमण से होने वाली बीमारियाँ शामिल हैं। निरंतर सेक्स से गठिया, सिर दर्द जैसे अनेको बीमारियों से राहत मिल सकती है।
सेक्स महिलाओं में कैंसर, सिस्टस जैसी बीमारियों के भी खतरे को भी कम करता है। सेक्स महिलाओं की पैल्विक मांसपेशियों को मजबूत बनाता है क्योंकि इससे पैल्विक मांसपेशियों का व्यायाम होता है, जिससे महिलाओं में असंयम का जोखिम कम हो जाता है।
खुशहाल सेक्सुल जीवन से तनाव कम होता है और व्यक्ति को खुश रखने में मदद करता है। सेक्स प्रक्रिया से रक्तचाप भी कम होता है, सेक्स से रक्तचाप नियंत्रित रहता है और कई प्रकार की बीमारियों से मुक्ति मिलती है। सेक्स हृदय को भी मजबूत बनाता है।
इससे दिल से जुड़ी बीमारियों की संभावना कम होती है। इसलिए एक सप्ताह में दो बार या दो से अधिक बार सेक्स करने से महिलाओं में घातक दिल के दौरे की संभावना कम हो जाती है।
वैसे तो फिट रहने के लिए मॉर्निंग एक्सरसाइज़ के अलावा अगर आप मॉर्निंग सेक्स करें तो आप फिट और फाइन रहेंगे। मॉर्निंग में सेक्स आपको एक स्वस्थ हृदय देता है। वैसे मॉर्निंग सेक्स के और भी कई फायदे हैं, जो आपके स्वास्थ्य को अच्छा बनाए रख सकता है। त्वचा को प्राकृतिक चमक इससे मिल सकती है।
माइग्रेन के दर्द से छुटकारा मिलता है। मॉर्निंग सेक्स शरीर में ब्लड सर्कुलेशन को बेहतर बनाता है, जिससे ब्लड प्रेशर कम होता है। जोड़ों का दर्द, खासकर आर्थ्राइटिस जैसी समस्या को कम कर सकता है।
सेक्स आपके शरीर से कुछ ऐसे हॉर्मोन्स रिलीज़ करता है, जो बालों को चमकदार और सिल्की बनाता है। सुबह उठने और खुद को एनर्जी से भरपूर रखने का सबसे बढ़िया तरीका यही हैं।
और अधिक जानकारी चाहिए सेक्स के विषय पर तो आप मुझसे मेल करके पूछ सकते हैं, आपको हर तरीके के सेक्स की जानकारी में जरूर उपलब्ध करवाऊँगा।
पर उन पाठकों को मेरी तरफ से एक छोटी सी प्रार्थना है कि कृपा करके मुझे फालतू की मेल ना करें जैसे कि ‘मेरा भी जुगाड़ करवा दो या किसी की दिलवा दो’ ये सब भेज कर आप मेरा समय ना बर्बाद करें, क्यूंकि अभी में भी अपने जीवन में अकेला ही सफर कर रहा हूँ।
हाँ, आपको कुछ भी Antarvasna जानना हो तो जरूर मुझसे सम्पर्क करें, आपको हर तरह की सम्पूर्ण जानकारी देने की जरुर कोशिश रहेगी। धन्यवाद।
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