Important Notice: Click on "Post Your AD" to post free ads !!!

Massage Girl in Haridwar: Premium Relaxation Services

Our site can help you find a professional massage girl in Haridwar who will help you relax in the best manner possible. We connect you with professional therapists who can offer you a massage that will make you feel better and more relaxed. The pros on our list are ready to provide you with a fantastic experience at your house or in one of their particular spots, whether you want to relax or get away from it all.

Introduction

Massage is currently one of the finest methods to relax your mind, body, and overall health. Our website makes it easy to locate the top massage services in Haridwar that meet your demands. This will be a one-of-a-kind and calming experience for you.

Tottaa wants to make it simple for clients to find the top masseuse. The Haridwar massage service providers on our list offer the greatest quality, comfort, and competence, whether you want a full-body massage or a massage for a particular location.

How Tottaa Helps Advertisers Reach More Customers

Tottaa is not only a list of masseuses, it’s also a secure location for them to show off what they can do. People in Haridwar who are seeking massage services may find them on our website. This makes them easier to find and gets them more appointments.

Advertisers may simply put up profiles, offer their services, and talk about pricing and discounts on our sites. This makes sure that the relevant people notice your Haridwar massage service, which makes it easier to obtain more customers.

Different Types of Massages We Offer

There are a lot of different types of massage services on our site, so you may choose one that works for you. You may choose the kind of treatment that works best for you, whether it’s profound rest or a particular type of therapy.

1. Swedish Massage

A calm and gentle way to ease muscular tension and improve blood flow. This Haridwar massage is perfect for you if you want to relax and forget about your concerns.

2. Deep Tissue Massage

This approach employs a lot of pressure to get to deeper muscle layers. It’s helpful for folks who have muscular discomfort or stiffness that won’t go away. There are specialists on our profiles of massage girls in Haridwar who are good at deep tissue treatments that function effectively.

3. Aromatherapy Massage

Calming massage strokes and essential oils are beneficial in making people feel improved both emotionally and physically. Most massage companies in Haridwar employ the use of custom oil preparations to make you feel good.

4. Thai Massage

A therapy that wakes you up by using a mix of regular massage, stretching, and compression. This traditional massage in Haridwar helps you relax, become more flexible, and get your mind and body back in harmony.

5. Hot Stone Massage

Heated stones are placed on various parts of the body to help with deep muscular tightness. People who want to feel good, relax, and help their muscles recover quickly can use this massage service in Haridwar

How to Book Our Massage Services

Tottaa makes it simple and fast to book. With our listings, you can see what kind of massage you want, read about the providers, see that they are free and then contact them directly. After you choose, you can book a massage in Haridwar at your convenient time and location. In order to get your desired massage services, apply the following simple steps:

Step 1: Browse Our Listings

Take a peek around our site to view a few massage professionals. Each listing gives you information about the many sorts of massages, how long they last, how much they cost, and where they are situated. This makes it easier to choose the finest ones.

Step 2: Compare and Shortlist

Examine the profiles carefully to compare how the services, talents, and reviews posted by customers differ. This phase makes sure you choose a business that has the style, pricing, and supply you desire.

Step 3: Connect with the Provider

When you have decided, use the information that you are offered so that you can contact them directly. One can communicate it to the massage giver thus making it understood what massage you want at what time and when.

Step 4: Confirm the Appointment

The date, time and place of the service, which could be your home, a hotel or the spa where the therapist may be found. You also need to agree on the payment method and any other accords prior to commencement of the course.

Step 5: Relax and Enjoy Your Massage

All you have to do on the day of the appointment is have your area ready for the house visit. The remainder will be handled by the expert. Take it easy and enjoy a massage that is made just for you.

Frequently Asked Questions

To locate a professional who can meet your needs, read our biography, reviews and advertising.

Yes, many of the therapists on our site will come to your house so you may feel safe and at ease.

You may pick based on talents since most adverts provide their qualifications in their profiles.

It would be advisable to make a reservation earlier to guarantee that you would be able to get a massage, particularly against the prevalent services of massage.

Not at all. Tottaa exclusively connects users with service providers. The doctor gets to choose how to handle payment.

Read Our Top Call Girl Story's

दोस्तो, मुझे बहुत खुशी हुई कि आपको मेरी कहानी बहुत पसंद आई. बहुत सारे मेल मिले और आगे की कहानी लिखने के लिए कहा गया.
तो अब मैं आप को आगे की कहानी बताता हूँ.

बस से उतरने के बाद हम अपने अपने रास्ते निकल गए. लेकिन एक बात मेरे दिल में थी कि भले ही मैं आज कुछ नहीं कर पाया लेकिन जब भी पुनः मौका मिलेगा मैं भाभी को जरूर हासिल करूँगा.

स्कूल चालू हो गया और मेरा इंतजार भी चालू हो गया कि कब दिवाली की छुटियाँ आएगी और मुझे मेरे घर जाने का मौका मिलेगा.

जैसे तैसे दिन बीत गए और मैं दिवाली की छुटियों के लिए अपने घर आ गया. आते ही मैं भाभी के घर चला गया जो मेरे घर के बगल में ही था. घर पर कोई नहीं था, उनके बच्चे अपने मामा के गाँव गए थे और पति काम पर गए थे.

बहुत देर तक हम बातें करते रहे लेकिन कोई भी बात हमारे बस के कारनामे के पास भी नहीं भटक रही थी और भाभी तो एकदम मासूम बनी थी जैसे कुछ भी नहीं हुआ था. और डर के मारे मैं भी कोई बात नहीं कर पा रहा था.

ऐसे ही बहुत दिन बीत गए, मैं रोज़ भाभी के घर पर जाता था जब उनके पति काम पर चले जाते थे.

एक दिन मुझ से रहा नहीं गया और मैंने फैसला कर लिया कि आज कुछ भी हो, भाभी से पता करवा के रहूँगा कि उसके दिल में क्या है और उसको पटा के रहूँगा. बहुत देर मैं चुप ही बैठा था और भाभी अपनी धुन में कोई गाना गुनगुना रही थी.

आखिर मैंने चुप्पी तोड़ी और भाभी से पूछा- भाभी सच बात बताना! क्या उस रात हम जब बस से जा रहे थे, उस वक्त आप सच में सोई थी?
“क्यों ऐसे क्यों पूछ रहे हो?”
“नहीं, बस ऐसे ही पूछ रहा था! बताओ ना!”
“मैं तो सोई थी, लेकिन ऐसे क्यों पूछ रहे हो?”
मैं जान गया कि भाभी जानबूझ कर अंज़ान बन रही थी.
“ऐसा हो ही नहीं सकता! क्या कोई औरत इतना कुछ होने तक कैसे सो सकती है? ”
“क्या हुआ था उस रात?”
“भाभी जी, आपको सब पता है कि क्या हुआ था! आप सब जान कर अनजान बन रही हैं!”
“आशीष तुम क्या कह रहे हो, मुझे कुछ भी पता नहीं चल रहा है!”
“भाभी जी उस रात जो भी मैंने किया, आपको सब पता है और आप जानबूझ कर अंज़ान बन रही हैं!”

अब भाभी जान चुकी थी कि मना करने से कुछ फायदा नहीं, सो वो बोली- आशीष उस रात जो भी हुआ वो सब गलती से हुआ होगा, मेरा इरादा तो कुछ भी नहीं था. तो तुम जो भी हुआ, उसे भूल जाओ, तुम अभी बहुत छोटे हो!”

“भाभी जी मैं इतना भी छोटा नहीं हूँ! आप जानती हो इस बात को! आपने हाथ में पकड़कर देखा था!”
“और अगर आपका इरादा गलत नहीं था तो आपने मुझे तब ही रोकना था! तब मैं इतना कुछ कर रहा था, तब तो आप बड़े मजे ले रही थी?”
“और मुझे जब आप की जरूरत है तब मुझे याद दिला रही हो कि मैं अभी छोटा हूँ?”
“उस रात बस में जब आप मुझसे मम्मे दबवा रही थी, चूत चुसवा रही थी, उंगलियाँ डलवा रही थी और आखिर मेरा लंड हिला रही थी, और ये सब आप नींद का नाटक कर के करवा रही थी, तब मैं छोटा नहीं था?”

“देखो आशीष ऐसी बात मत करो! मैं मानती हूँ कि मेरी गलती है! मुझे माफ़ करो!”
“भाभी बस एक बार मेरी खातिर! वो गलती एक बार फिर करो ना!”
“मैं बहुत सपने लेकर आया हूँ! दिन-रात बस आपका ही ख्याल था! जाने कितनी रातों को सोया नहीं हूँ! मुझे बस एक बार वही सब करने दो जो उस रात हुआ! मैं आज के बाद कभी भी फिर कुछ नहीं मांगूगा!”
“आशीष मैं जानती हूँ कि तुम्हारे मन की हालत कैसी होगी, लेकिन मैं शादीशुदा हूँ, मेरे बच्चे भी हैं! अगर किसी को पता चला तो मेरी जिंदगी बर्बाद हो जाएगी!”
“भाभी अगर आप मुझे एक बार के लिए हाँ नहीं करोगी तो मेरी जिंदगी बर्बाद हो जायेगी! मैं पागल हो जाऊँगा!”
“आशीष , मेरी बात को समझो! मैं तुम्हारे हाथ जोड़ती हूँ!”
“भाभी, बस एक बार! किसी को कुछ नहीं पता चलेगा! मैं दोबारा आपसे कुछ नहीं मांगूंगा!”
“ठीक है आशीष !”

मैंने भाभी के पास कोई रास्ता ही नहीं छोड़ा, हाँ बोलने के सिवा! लेकिन वो मन से तैयार नहीं थी, यह बात मैं जान गया था, लेकिन मेरे लंड में जो आग लगी थी उसे मैं ही जानता था.
तो जैसे ही भाभी ने- ठीक है कहा, मैंने उनको बाहों में ले लिया.
“रुको आशीष , अभी नहीं! दोपहर में आ जाना! अभी कोई आ जायेगा तो मुसीबत होगी!”

मैं दोपहर में उनके घर पहुँच गया. घर पर कोई नहीं था, मेरे घर के अन्दर जाते ही भाभी घर के बाहर आ गई, थोड़ी देर बाहर ही रुक कर ‘कोई देख तो नहीं रहा’ इसका जायजा लिया और अन्दर आकर दरवाजा बंद किया.

जैसे ही दरवाजा बंद किया मैंने लपक के उनको अपनी बाहों में लिया. वो कुछ कहने ही जा रही थी कि मैंने अपने होंट उनके होंटों पर रख दिए और उनका मुँह बंद कर दिया.
“भाभी अब कुछ मत कहो! मैं जिस पल का इंतजार कर रहा था, वो अब आया है! इस पल को जीने दो मुझे!”

अब कमरे में मेरी गहरी सांसों के सिवा कोई आवाज नहीं थी. मैं पागलों की तरह भाभी को चूम रहा था और वो बस मेरा जोश देख कर हैरान होकर मुझे देख रही थी. भाभी की तरफ़ से कोई पहल नहीं हो रही थी, वो तो बस पुतला बनकर खड़ी थी. लेकिन मैं जानता था कि यह ज्यादा देर नहीं चलेगा, वो भी मेरे साथ मजे लेंगी क्योंकि उस रात बस में वो भी तो गर्म हो गई थी.
तो मैं उनको चूमता ही जा रहा था और अब मेरे हाथों ने अपना काम चालू कर दिया था. मैं धीरे धीरे उनके मम्मे दबा रहा था.
क्या मम्मे थे उनके! आज दिन के उजाले में मुझे उनके दर्शन होने वाले थे.
मैंने उनके ब्लाउज़ के हुक खोल दिए.
अब वो बड़ी-बड़ी और गोरी-गोरी चूचियाँ मेरे सामने थी जिनके लिए मैं पागल हो गया था.

मैं एक हाथ से दबा रहा था और एक को अपने मुँह में लेकर चूसे जा रहा था. मैं पूरे जोश में था क्योंकि मेरी पहली बार जो थी! मेरे जोश ने भाभी की वासना भी भड़कानी शुरु कर दी थी, उनकी सिसकारियाँ अब चालू हो गई थी और वो भी मुझे चूमने लगी थी.

मैं जोर जोर से उनकी चूची दबा रहा था और चूस रहा था. अब मेरा हाथ उनकी साड़ी खोलने लगा था और उनका हाथ मेरी ज़िप खोलने लगा था. अब मेरा लंड उनके हाथ में था और वो उसे जोर-जोर से हिलाने लगी थी.
“भाभी धीरे कीजिये न! कहीं मेरा पानी न निकल जाये!”

इस दरमियान मैंने उनकी साड़ी खोल दी थी और पेंटी निकालकर उनको पूरा नंगी कर दिया था. अब ज्यादा देर खड़े रहकर कुछ नहीं किया जा सकता था सो हम उनके बेडरूम में आ गये.

मैंने उनको बिस्तर पर बिठाया और उनके पीछे बैठकर पीछे से उनकी चूचियों को दबाने लगा और गले को चूमने लगा. अब जो नशा उन पर चढ़ रहा था वो देखने लायक था.
वो मेरे बाल पकड़ कर नोच रही थी!

मैंने धीरे से एक हाथ उनकी चूत पर रखा और सहलाने लगा. वो पागल हो रही थी. धीरे से मैंने एक उंगली चूत के अंदर डाली और हिलाने लगा और एक हाथ से चूची दबाना चालू रखा.
धीरे से उनको लिटा कर मैं उनके ऊपर आ गया था और उनकी चूची को जोर से चूसने लगा था, वो पागल हो रही थी और मुझे जोरों से भींच रही थी.
“आशीष , वो करो ना! जो उस रात को किया था!”
वो चूत चाटने के लिए कह रही थी, पर शरमा कर बोल नहीं पा रही थी.
“क्यों भाभी भैया नहीं चाटते क्या?”
“अरे वो चाटते तो क्या कहना था! वो तो ठीक से मुझे दबाते भी नहीं! सिर्फ़ अपना लंड चुसवाते हैं और फिर खड़ा हो गया तो अन्दर घुसा के चोदना चालू कर देते हैं!”
“कोई बात नहीं भाभी! मैं हूँ ना! आज आपकी ऐसी चुदाई करूँगा कि आप जिंदगी भर याद रखोगी!”

मैंने जैसे ही उनकी चूत चाटना चालू किया, वो तो मचलने लगी और सिसकने लगी. शायद उनको चूत चटवाने में बहुत ही मजा आ रहा था.
“भाभी क्या आप मेरा लंड मुँह में नहीं लोगी?”
“क्यों नहीं आशीष , जब उनका ले सकती हूँ तो तुम्हारा तो पूरा खा जाऊँगी! आखिर तुमने मुझे इतना सुख जो दिया है!”

मैं हैरान था, यह वही भाभी है जो थोड़ी देर पहले मुझसे चुदवाना नहीं चाह रही थी.
और फिर भाभी ने जो मेरा लंडा चूसना चालू किया! मैं आपको बता नहीं पाउँगा कि कितना मजा आ रहा था!
वो पूरी लगन से मुझे खुश करने में लगी थी.
अब 69 में आकर हम दोनों पूरा मजा उठा रहे थे.
“आशीष अब सहन नहीं हो रहा हैं! जल्दी कुछ करो!”
“ठीक है भाभी जी!”

मैं उनके दोनों पैरों के बीच बैठा गया और अपना लंड उनके हाथ में दिया. उन्होंने धीरे से मेरा लंड हिलाया और अपनी चूत पर रख दिया. मैं धक्का मारने ही वाला था कि उन्होंने अपनी कमर उठाई और मेरा पूरा लंड अन्दर ले लिया.

“भाभी, बहुत जल्दी है क्या?”
“आशीष , तुम्हें क्या बताऊँ! तुमने तो मुझे पागल कर दिया है! बहुत माहिर हो गए हो! मुझे तो लगा था कि तुम अभी बच्चे हो.”
“भाभी इस बच्चे को आपने ही बड़ा बना दिया है, रोज़ रात को सपने में जो आपको चोदता था!”
और मैंने अपनी गाड़ी चालू कर दी. भाभी भी नीचे से कमर उठा उठा कर मजा ले रही थी.
“आशीष , जोर से करो ना! प्लीज!”
“हाँ भाभी जी, आप तो बहुत जल्दी में हो! पर मैं पूरा मजा लेना चाहता हूँ आपको तड़पाना चाहता हूँ!”
“आपने जो मुझे इतना तड़पाया है!”
मैं धीरे धीरे शॉट लगा रहा था और भाभी नीचे तड़प रही थी, मुझे कस के पकड़ रही थी और पागलों की तरह चूम रही थी.
“आशीष , तुम नीचे आ जाओ!”

अब मैं नीचे था और भाभी मेरे ऊपर थी. वो क्या जोरों से लंड को अन्दर बाहर कर रही थी और मैं उनकी चूचियों को जोर से दबा रहा था और चूस रहा था.
“खा जाओ आशीष इनको! तुम्हारे भैया को इनकी जरूरत नहीं है शायद! वो तो शायद मुझसे उब गए हैं!”
“कोई बात नहीं भाभी! मैं इनका ख्याल रखूँगा!”
“आशीष …! मैं तो गई आशीष ! हऽऽस्सऽऽऽ!”

वो जल्दी से मेरे ऊपर से उठ गई और मेरे लंड को अपने मुँह में लेकर चूसने लगी और मैं उठकर उनकी चूत को सहलाने लगा था.
आशीष ! स्स्स्स ऽऽऽ!! हय! मैं गई आशीष आऽऽस्स!
और वो जोर जोर से मेरा लंड चूसने लगी थी.
“आशीष आज तुमने मुझे फिर अपनी नई नई शादी की याद दिला दी है!”
“भाभी आप तो खुश हो गई! लेकिन मेरा क्या? मैं तो अभी खाली नहीं हुआ हूँ!”

यह सुनते ही भाभी ने मेरा लंड चूसना चालू किया और ऐसा कमाल दिखाया कि…
“भाभी, मेरा निकलने वाला है! आप हट जाइये!”
“नहीं आशीष ! तुम आज मेरे मुँह में ही झड़ जाओ!”
“आऽऽअऽऽऽ! भाभी! मैं तो गया भाभी आऽऽस्स!”

भाभी ने मुझे कस के पकड़ा और पूरा लंड अपने मुँह में ले लिया. भाभी मेरा पूरा वीर्य गटक गई थी और अभी भी मेरे लंड को चूसे जा रही थी…
“क्यों आशीष ? हो गए खाली?”
“हाँ भाभी! आपने तो मेरा हर सपना सच कर दिया!”
“अरे यह क्या आशीष ? तुम्हारे लंड में तो अब भी कड़ापन है! यह तो सोने का नाम ही नहीं ले रहा है?”
“क्या मालूम भाभी! लेकिन मैं एक राऊँड और पूरा कर सकता हूँ!”

यह कह कर मैंने भाभी को नीचे खींचा और फिर से उनके मम्मे दबाने लगा.
आगे की कहानी अगले भाग में!

Hindi Sex Stories

प्रेषक – ए बी सी Indian Sex Stories

आज मैं आपके लिए कोई कहानी Indian Sex Storiesनहीं लाया, बल्कि मैं आपसे केवल दो बातें करने आया हूँ।

और ये दो बातें केवल लड़कियों के लिए हैं।

तो लेडीज़ – ग़ौर फरमाएँ।

आप या तो कुँवारी होंगी या फिर शादीशुदा

शादीशुदा तो ठीक है, कुँवारी होंगी तो २ बातें होंगी,

या तो आप शादी करेंगी या नहीं।

शादी नहीं की तो ठीक लेकिन अगर की तो २ बातें होंगी,

या तो आपका पति ठरकी होगा या नहीं

ठरकी हुआ तो आपको चुदाई का मज़ा आएगा, लेकिन अगर ठरकी नहीं हुआ तो २ बातें होंगी

या तो आप एक ही बिस्तर पर सोएँगे या अलग-अलग,

अलग से सोने का तो सवाल ही नहीं उठता और अगर एक ही बिस्तर पर होंगे तो २ बातें होंगी।

या तो आप बिना चुदे ही सो जाएँगी या फिर पति को गालियाँ देंगी।

बिना चुदे तो नींद आएगी नहीं और अगर मन में पति को गालियाँ देंगी तो २ बातें होंगी।

या तो आप अपने पति को छोड़ने की सोचेंगी या फिर किसी और से अपनी चूत मरवाने की

एक साल से पहले तो तलाक़ तो होगा नहीं और अगर किसी और से चुदवाना हो तो २ बातें होंगी।

या तो आप अपने किसी पुराने यार से चुदवाएँ या किसी और से।

किसी और को तो ढूंढना पड़ेगा लेकिन अगर यार से चुदवाना होगा तो २ बातें होंगी।

या तो उसकी शादी हो गई होगी या नहीं,

कुँवारा होगा तो ठीक लेकिन अगर शादी-शुदा होगा तो २ बातें होंगी।

या तो वह आपको चोदेगा या नहीं।

चोद देगा तो आप खुश लेकिन अगर नहीं चोदेगा तो २ बातें होंगी।

आपको या तो अपनी जवानी ऐसे ही गुज़ारनी होगी या फिर किसी को ढूंढना पड़ेगा जो आपको चोद सके।

ऐसे जवानी बिताना मुश्किल है अगर किसी को ढूंढना हो तो २ बातें होंगी।

या तो वह आपको चोद कर खुश पाएगा या नहीं।

खुश किया तो ठीक लेकिन अगर खुश नहीं किया तो २ बातें होंगी।

या तो आपको वो जैसे भी चोदे खुश रहना होगा या फिर किसी दूसरे के लंड को ट्राई करना होगा।

उससे चुदवा के ही खुश रहना है तो पति के लण्ड में क्या बुराई है,

लेकिन अगर दूसरा लण्ड ट्राई किया तो २ बातें होंगी।

या तो दूसरा लण्ड मस्त होगा या फिस्स,

मस्त हुआ इसकी क्या गारण्टी लेकिन अगर फिस्स हुआ तो फिर एक और लण्ड ढ़ूँढ़ो।

अरे तो मेरी बात समझ में क्यों नहीं आती है…

बार-बार लण्ड ढ़ूँढ़ रही हो और हर एक लण्ड फिसड्डी निकल रहे हैं।

दुनिया से कितना चुदवाओगी।

मुझे मेल क्यों नहीं करती हो।

तो दोस्तों चोदो-चुदाओ और लाइफ़ को खुशहाल बनाओ। Indian Sex Stories

Sex Stories

चाय पीकर जीजाजी Sex Stories नहाने चले गए। बाथरूम से ही उन्होंने मुझे आवाज़ दी- राकेश आओ, तुम भी नहा लो।

मैं समझ गया कि उनका इरादा क्या है। पूरे दिन बाहर रहने के कारण वह दिन में एक बार भी मेरी गाण्ड नहीं मार सके थे।

मैं बाथरूम में आ गया। उन्होंने ही मेरे सारे कपड़े उतारे और बिना देर किए मेरे पोण्ड पर साबुन मलने लगे। उनका लण्ड पहले ही तन्नाया हुआ था, उन्होंने मेरा मुँह पकड़ कर लण्ड के पास कर दिया तथा कहा- इसे चूसो !

मैं थोड़ा हिचका, पर उन्होंने अपने लण्ड का सुपाड़ा मेरे मुंह में घुसा ही दिया। उनका लण्ड बहुत लम्बा और मोटा था। मैं और कोई चारा ना देख उनके लण्ड को लोलीपोप सा चूसने लगा, वह मेरे पोण्ड के छेद में उंगली करते रहे।

थोड़ी देर बाद उन्होंने मुझे अपनी गोदी में बिठा कर अपना पूरा लण्ड मेरी गाण्ड में घुसा दिया। इस बार उन्होंने साबुन भी नहीं लगाया था। मैं तड़प कर रह गया। उन्होंने अपने दोनों हाथ मेरे पोण्ड के नीचे लगा रखे थे और उनसे मुझे उठाकर ऊपर नीचे कर रहे थे। ऐसा करने से उनका पूरा लण्ड मेर गाण्ड में समा जाता था। १०-१५ मिनट तक लण्ड मेरी गाण्ड में अन्दर बाहर होने के बाद उन्होंने अपना रस मेरी गाण्ड में ही भर दिया। फिर नहा कर हम बाहर आ गए तो जीजाजी बोले- ‘सारा दिन बेकार हो गया योगी, रात में मैं पूरी कसर निकालूँगा, तैयार रहना !’

तैयार तो मैं था ही क्योंकि मुझे पता था की जीजाजी मुझे छोड़ने वाले नहीं हैं।

रात को खाने के आधे घंटे बाद ही जीजाजी ने मेरी पहली बार गाण्ड मारी। उन्होंने उस रात कुल चार बार तरह तरह से मेरी गाण्ड मारी। अपना लण्ड चूसाया, कभी उल्टा कर गाण्ड में लण्ड घुसाया तो कभी अपने ऊपर बैठा कर मेरी गाण्ड में लण्ड डाला तो कभी मुझे हाथों में ऊपर उठाकर नीचे से मेरी गाण्ड मारी। सुबह तक मैं सो ही नहीं पाया। उस दिन में मैं सात-आठ बार गाण्ड मरवा चुका था। मेरी गाण्ड काफी फूल गई तथा मुझे काफी दर्द भी महसूस होने लगा।

सुबह उठाने पर जीजाजी ने बताया- ‘ डी. एफ. ओ. साहब कल की घटना की जाँच के लिए आ रहे हैं। तुम उन्हें खुश कर दोगे तो मैं निलंबित होने से बच जाऊँगा तथा वह अपनी रिपोर्ट मेरे हक़ में दे देंगे !’

लगभग ११ बजे डी. एफ. ओ. साहब आ गए। जीजाजी ने उनसे मेरा परिचय कराया- ‘ ये मेरे छोटे भाई का साला है, काफी समझदार है, दिन में यह आपकी पूरी सेवा करेगा !’

दोपहर के खाने के बाद जीजाजी जंगल की ओर चले गए तथा मुझे डी. एफ. ओ. की सेवा करने को कह गए। डी. एफ. ओ. साहब लेट कर आराम कर रहे थे। जब मैं उनके कमरे में पहुँचा, मेरी आहट पाकर मुझसे बोले- दरवाजा बंद कर दो। सेवा का मतलब वह अच्छी तरह समझते थे।

डी. एफ. ओ. साब काले कलूटे लेकिन तंदरुस्त इन्सान थे। दरवाजा बंद कर जैसे ही मैं मुड़ा तो मैंने देखा वह पूरी तरह नंगे लेटे हुए हैं। उन्होंने मेरा हाथ पकड़ कर अपना मोटा लण्ड मेरे हाथ में दे दिया तथा उसे चूसने का हुकुम दिया। उनका काला लण्ड बड़ा ही भयानक लग रहा था।

मैं थोड़ा झिझका तो वह चिल्लाये – जल्दी कर !

मैं उनका लण्ड अपनी ऑंखें बंद कर चूसने लगा। उन्होंने बिना देर किए मेरे सारे कपड़े उतार दिए। कुछ देर बाद मुझे अपने ऊपर ६९ की अवस्था में लिटा लिया। अब उनका लण्ड मेरे मुंह में था तथा मेरा लण्ड उनके मुंह के पास था। पर उन्होंने मेरे लण्ड को अपने मुंह में नहीं लिया बल्कि मेरी गाण्ड के छेद को चाटने लगे।

थोड़ी देर तक ऐसा करने के बाद उन्होंने मेरी गाण्ड के छेद को चिकना कर दिया और मुझे उल्टा लिटा दिया। इसके बाद उन्होंने मेरे दोनों पोंड फैला कर गाण्ड का छेद थोड़ा बड़ा कर लिया और एक जोर का धक्का लगा कर एक ही झटके में अपना पूरा लण्ड मेरी गाण्ड में घुसा दिया। मेरी तो जान ही निकल गई। मैं चिल्ला दिया – मर गया …!

पर वह तो मस्ती में धक्के पे धक्का पेले जा रहे थे। थोड़ी देर बाद मुझे अच्छा तो लगा पर उनके रूप रंग के कारण मुझे बड़ी ही घिन आ रही थी। उस दोपहर उन्होंने तीन बार मेरी गाण्ड मारी। मैं दर्द से बिलबिलाता रहा पर उन्होंने जरा भी परवाह नहीं की। मेरी गाण्ड का छेद कई जगह से कट गया।

शाम को वह चले गए तथा जीजाजी को उनके हक़ में रिपोर्ट भेजने का कह गए। जीजाजी बहुत खुश हुए।

रात में उन्होंने मुझे कुछ ज्यादा ही प्यार किया। मेरी गाण्ड की हालत देख कर अफ़सोस तो जताया पर इसके बाद भी उन्होंने मुझे नहीं छोड़ा। गाण्ड के छेद में तेल भर कर उन्होंने उस रात मेरी तीन बार गाण्ड मारी। जब मेरी गाण्ड से ज्यादा खून निकलने लगा तो उन्होंने शिव को कमरे में बुला लिया। मेरे ही सामने उन्होंने शिव की भी दो बार और गाण्ड मारी। शिव तो काफी अभयस्त था इसलिए वह काफी मस्ती में गाण्ड मरवाता रहा।

उन दोनों को देख कर मेरा भी लण्ड फाड़ फड़ने लगा पर जीजाजी के सामने मैं कुछ कह नहीं सकता था। चुपचाप लेटे लेटे अपना लण्ड मसलता रहा। जीजाजी ने यह सब देख लिया तो उन्होंने मथारू को बुला लिया तथा मुझसे मथारू की गाण्ड मारने को कहा। मथारू आदिवासी था तथा वह भी काफी सीखा हुआ था। उसने मेरे लण्ड को चाटा, चूसा, अपने पोंड के छेद में मुझसे ऊँगली घुसवाई तथा बाद में मुझसे गाण्ड में लण्ड पेलने को कहा।

मुझे यह सब करके बड़ा आनंद मिला। मैं अपनी गाण्ड का दर्द भूल गया। मथारू की गाण्ड मारने के बाद जीजाजी ने मुझसे शिव की भी गाण्ड मारने को कहा। जब मैं शिव की गाण्ड मार रहा था तभी मथारू ने अपना लण्ड पीछे से मेरी गाण्ड में भी घुसा दिया। जीजाजी मथारू की गाण्ड में अपना लण्ड पेल रहे थे। यानि की एक बार में ही तीन लोगों की गाण्ड मारी जा रही थी।

हम लगभग एक सप्ताह जंगल में रहे। जीजाजी ने इस बीच इतनी बार मेरी गाण्ड मारी कि मैं गिनती करना ही भूल गया। मेरी गाण्ड का छेद अब तक काफी खुल गया था तथा जीजाजी का मोटा लण्ड भी अब आसानी से मेरी गाण्ड में चला जाता था।

जंगल से लौटने के एक सप्ताह तक जीजाजी को फिर मेरी गाण्ड मारने का अवसर नहीं मिला।

जब उन्हें अवसर मिला तो क्या हुआ पढ़िये अगली कहानी में ….. Sex Stories

Hindi Porn Stories

हैल्लो दोस्तो, मैं ये अपनी पहली Hindi Porn Stories कहानी लिख रहा हूँ. सुनीता मेरे साथ काम करती है. वो बहुत ही सुंदर और सेक्सी लड़की है. ऑफिस के सभी लड़के उस पर लाइन मारते हैं. पर वो किसी को लिफ्ट नहीं देती थी, पर मुझे वो थोड़ी बहुत लिफ्ट दे देती थी. मैं उसे बहुत ही चाहता था. उसका जिस्म एकदम सेक्सी और मलाई जैसा दिखता था. मैं उसे चोदना चाहता था. मेरे मन में बड़ी ही तमन्ना थी कि उस से शादी करूँ और उसके साथ सुहागरात मनाऊँ. उसकी चूची बड़ी ही अकर्षक थी.

आखिर एक दिन आ ही गया जब वो मेरे साथ सेक्स करने को तैयार हो गई. मैं उसे ऑफिस के एक खाली अकेले कमरे में ले गया. उसके दिल की धडकनों की आवाज़ मुझे ज़ोरों से सुनाई दे रहे थी. मैंने उसे कमरे में एक मेज पर बिठा कर उसके होठों को चूसना शुरू कर दिया.

उसकी साँसें तेज़ी से चलने लगीं. उसने भी मेरा साथ देना शुरू कर दिया मैंने उसके चूचियों को ऊपर से सहलाने लगा. उसके मुँह से अहह्हह की सिसकरियाँ निकलने लगीं. मैंने अपना हाथ नीचे की तरफ़ खिसकाना शुरू किया, उसके दिल की धड़कनें बढती ही जा रहीं थीं. मैंने अपना हाथ अब उसकी सलवार के अन्दर घुसा दिया और पेंटी के ऊपर से ही उसकी चूत को सहलाने लगा. सुनीता अब बिल्कुल गरम हो चुकी थी, वो अब चुदने के लिए बेकरार थी.

मैंने उसका सलवार-कुर्ता उतार दिया. अब सुनीता केवल ब्रा और पेंटी में ही थी. गुलाबी रंग की ब्रा-पेंटी में वह बहुत ही सेक्सी लग रही थी. उसकी चूचियाँ ब्रा में से निकलने को बेताब हो रहीं थीं. मैंने उसकी ब्रा को अलग किया. सुनीता के दोनों दूध अलग हो गए. सुनीता की चूचियाँ कठोर हो रहीं थीं. मैंने जैसे ही सुनीता की चूची के निप्पल को मुँह में लेकर चूसा, उसकी सिसकारी निकल गई. सुनीता ने भी अब अपना हाथ मेरे पैंट के अन्दर डाल दिया. मैं उसकी चुचियों को पागलों की तरह चूस रहा था. उसने अपने हाथ से मेरा लंड मसलना शुरू कर दिया.

मैंने उसकी पेंटी के ऊपर से ही उसकी योनि का एक चुम्बन लिया, सुनीता पागलों की तरह चिल्ला उठी. मैंने उसकी पेंटी को उतार दिया. सुनीता अपनी चूत को अपने हाथों से छुपा रही थी, उसे शरम आ रही थी. मैंने उसके हाथों को हटा कर उसकी चूत को जैसे ही देखा मैं हैरान रह गया. गुलाबी रंग की चूत बिना बालों के बड़ी ही सुंदर लग रही थी. मैंने उसके जिस्म को पैरों से लेकर उसके होठों तक बड़ी ही जोश से चूमा, कोई भी अंग और जगह खाली नहीं बची होगी, जहाँ मैंने उसे नहीं चूमा हो.

अब सुनीता बोली- प्लीज़ जल्दी करो मेरे बदन में आग लग रही है!

मैं बोला- मेरी जान ऐसी भी क्या जल्दी है. पहले मुझे तुम्हारी चूत को चूसने तो दो. और मैंने उसकी चूत को चूसना शुरू कर दिया. सुनीता के मुँह से जोर-जोर की सिसकारियाँ निकल रहीं थीं. हाय ये क्या कर रहे हो? मेरे तो आआआ आआआ उस्स्स्स… स्स्स्स स्स्स्स… धीरे… प्लीज़… दर्द हो रहाआआआ है… उईए… म्माआआ… आआहह… रुक्कक… जाओ… मैं उसकी चूत में अपनी उंगली डाल कर अन्दर-बाहर करने लगा.

सुनीता बोली- प्लीज़ अब मुझे मत तरसाओ, प्लीज़ अपना लंड मेरी चूत में घुसा दो.

मैं बोला- अभी नहीं डार्लिंग… अभी तो मजा आया है. मैंने उसकी चूत में अपनी जीभ डाल कर जैसे ही अन्दर बाहर किया, उसने मेरा सिर अपने हाथों से ज़ोर से पकड़ कर अपनी जांघों से जोरों से दबा लिया और उसकी चूत से पानी निकलने लगा, सुनीता झड़ने वाली थी. मैं रुक गया और बोला- अब तुम मेरा लंड अपने मुंह में लेकर चूसो.

सुनीता शरमाने लगी, पर वो मान गई और मुँह में मेरा लंड लेकर चूसने लगी. उसने काफी देर तक मेरा लंड चूसा और मैं अपने एक हाथ की उंगली उसकी चूत में करने लगा. उसके मुंह से फुच्च-फुच्च की आवाज़ आ रही थी. अब मैंने अपना लंड उसके मुंह से निकाल कर उसके चूत की फाँकों पर रगड़ने लगा, सुनीता के मुँह से सिसकरियाँ निकल रहीं थीं. सुनीता पागल हो रही थी चुदने के लिए.

मैंने अपने लंड का सुपाड़ा उसकी चूत पर रख कर थोड़ा सा धक्का दिया, सुपाडा पूरा चूत के अन्दर चला गया. सुनीता की चीख़ निकल गई और वह बोली, हाय मैं मर गई, प्लीज़ बाहर निकालो!

मैं बोला- अभी एक मिनट में दर्द बन्द हो जाएगा और तुम्हें मजा आने लगेगा. अब मैंने थोड़ा सा लंड और अन्दर किया, सुनीता चिल्लाने लगी, बोली- प्लीज़ बाहर निकाल लो, नहीं तो मर जाऊँगी! रुक जाओ प्लीज़! दर्द हो रहा है, अभी इतना ही अंदर डाल कर चोदो मुझे.’

उसकी सील टूट चुकी थी और वो अब मेरा लंड अपनी चूत में आराम से अंदर ले रही थी. मैंने उसे धीरे-धीरे चोदना शुरू कर दिया. दो-तीन मिनटों में उसका दर्द जब कुछ कम हुआ तो उसे मजा आने लगा. वो बोली- थोड़ा और अंदर डाल कर और तेज़ी… से चोदो… मुझे!’

मैंने थोड़ा और अंदर दबाया तो मेरा लंड उसकी चूत में 4′ तक घुस गया. मैं अपनी गति को बढ़ाते हुए उसे चोदने लगा. वो अपना चूतड़ आगे-पीछे करते हुए मेरा साथ दे रही थी. पाँच मिनट तक चोदने के बाद वो बहुत ज्यादा जोश में आ गई. मैंने अपना पूरा लंड एक ही बार में उसकी चूत में धकेल दिया, सुनीता को बहुत दर्द हुआ और उसकी चूत से खून भी निकल आया. वो डरने लगी पर खून ज़ल्दी ही बंद हो गया.

अब मैंने धीरे-धीरे धक्के लगाने शुरू कर दिए अब सुनीता को मजा आने लगा और वो भी अपने चूतडों को हिला-हिला कर मेरा साथ देने लगी. उसके मुँह से बड़ी ही मादक-मादक आवाजें निकल रहीं थीं. सुनीता कहने लगी, प्लीज़ ज़ोर से धक्का लगाओ और सारा लंड अन्दर कर दो बड़ा ही मजा आ रहा है.

मैंने अब अपना सारा 6 इंच का लंड उसकी चूत के अन्दर घुसा दिया. सुनीता के मुंह से स्स्स्स्स आह आह्ह्ह उस्सुसुसू जैसी मादक आवाजें निकाल रही थी. मैंने अब सुनीता की चूत में से अपना लंड निकाल कर उसको घोड़ी स्टाईल में खड़ा कर उसकी चूत में लंड घुसा दिया और धक्के मारने लगा. उसको और मजा आने लगा. उसके चूतड़ मुझे बहुत ही आनन्द दे रहे थे. 2 मिनट में ही वो अपनी चूतड़ उठा-उठा कर मेरे हर धक्के का जवाब देने लगी. मैंने अपनी स्पीड और बढ़ा दी. मुझे कुछ हो रहा है. लगता है मेरी चूत से पानी निकलने वाला है. खूब ज़ोर-ज़ोर से धक्का लगाओ.’

मैं समझ गया कि वो झड़ने वाली है. मैंने बहुत ही तेज़ी के साथ उसकी चुदाई शुरू कर दी. वो बोली- आआआ!! मैंऽऽऽ आआआऽऽ रहीऽऽ हूँऽऽ और तेज़ऽऽ और तेज़ऽऽ’ उसकी चूत से पानी निकलने लगा और मेरा सारा लंड भीग गया. मैं भी बिना रुके उसे आँधी की तरह चोदता रहा. लगभग 20 मिनट तक चोदने के बाद मैं उसकी चूत में ही झड़ गया. इस दौरान वो भी 3 बार झड़ चुकी थी. लंड का पूरा पानी उसकी चूत में निकल जाने के बाद मैं हट गया.

आपको सुनीता की चुदाई कैसे लगी प्लीज़ मुझे लिखें. Hindi Porn Stories

Hindi Sex Stories

कहते हैं कि किसी औरत Hindi Sex Stories को गैर-मर्द के साथ अकेला नहीं छोड़ना चाहिये क्योंकि मर्द उसे पकड़ कर चोदने की ही सोचेगा।
कैसे इसकी चूत में अपना लंड डाल दूँ – यही ख्याल उसके मन में कुलबुलायेगा।
दोस्तो, मेरे साथ ऐसा ही हुआ।

गर्मी के दिन थे और भरी दोपहर थी।
मैं अपने घर में अकेला था क्योंकि अभी मेरी शादी नहीं हुई थी।
मैंने घर में कुछ ज़रूरी काम करने के लिये ऑफिस से छुट्टी ले रखी थी।

काम निबटा कर मैं बेडरूम में ठंडी बीयर का आनन्द ले रहा था।

करीब एक बजे दरवाजे पर हुआ टिंग-टोंग!

मैंने दरवाजा खोला तो सामने मानो एक अप्सरा खड़ी थी।

पैंतीस-छत्तीस साल की साँवली और गज़ब की सुंदर औरत साड़ी पहने हुए और हाथों में कागज़ और कलम लिये हुए कोयल का आवाज़ में बोली- माफ़ कीजियेगा! क्या कोई लेडी हैं घर में?
मैंने कहा- जी नहीं, मैं बेचलर हूँ और अकेला ही रहता हूँ। आप कौन हैं?

उसके माथे पर पसीने की कुछ बूंदें थी, वह बोली- ज़रा एक ग्लास पानी मिलेगा?
मैंने कहा- हाँ, क्यों नहीं?

वह ज़रा सा अंदर आयी।
मैंने पानी का ग्लास देते हुए पूछा- क्या बात है, आप हैं कौन?

पानी पी कर वह बोली- जी, मेरा नाम सना खान है और मुझे एक कनज़्यूमर कंपनी ने भेजा है सर्वे के लिये। क्या आप मेरे कुछ सवालों का जवाब दे देंगे?
मैंने कहा- जी कोशिश कर सकता हूँ। आप प्लीज़ यहाँ बैठ जाइये।

वह सोफ़े पर बैठ गयी और हमारे घर का दरवाजा अभी खुला ही था।

मैंने दूसरे सोफ़े पर बैठ कर कहा- पूछिये जो पूछना है।
वो बोली- जी आपका नाम और आपकी उम्र क्या है?
“जी मैं प्रताप सिंह हूँ और उम्र छब्बीस साल!” मैंने जवाब दिया।

“आप अपने घर की ज़रूरत की चीजें कहाँ से खरीदते हैं?”
इस तरह वो सवाल पर सवाल पूछती रही और मैं जवाब देता गया।

कुछ देर बाद मैंने पूछा- इस तरह इतनी गर्मी के मौसम में भी आप क्या सब घरों में जाकर सर्वे करती हैं?
“जी, जॉब तो जॉब ही है ना!”

“तो आप शादी शुदा होकर (उसने बड़ी सी अंगूठी पहनी हुई थी) भी जॉब कर रही हैं?”

अब वो भी थोड़ी-सी खुल सी गयी, बोली- क्यों, शादी शुदा औरत जॉब नहीं कर सकती?
“जी यह बात नहीं, घर-घर जाना, जाने किस घर में कैसे लोग मिल जायें?”

उसने जवाब दिया- वैसे तो दिन के वक्त ज्यादातर हाऊसवाइफ ही मिलती हैं। कभी-कभी ही कोई मेल मेंबर होता है।
“तो आपको डर नहीं लगता।”

“जी अभी तक तो नहीं लगा। फिर आप जैसे शरीफ इंसान मिल जायें तो क्या डर?”

‘शरीफ इंसान’ – एक बार तो सुन कर अजीब लगा।
इसे क्या मालूम कि मैं इसे किस नज़र से देख रहा था।

साड़ी और ब्लाऊज़ के नीचे उसकी चूचियाँ तनी हुई थीं और मेरे लंड में खुजली सी होने लगी।
जी चाह रहा था कि काश सिर्फ़ एक बार चूम सकता और ब्लाऊज़ के नीचे उन चूचियों को दबा सकता।

हाथों की अँगुलियाँ लंबी-लंबी मुलायम सी!
वैसे ही मुलायम से सैक्सी पैर ऊँची ऐड़ी के सैंडलों में कसे हुए।
देख-देख कर लंड महाराज खड़े हो ही गये।

मन में ज़ोरों से ख्याल आ रहा था कि क्या गज़ब की अप्सरा है।
इसकी तो चूत को हाथ लगाते ही शायद हाथ जल जायेगा।

तभी वह बोली- अच्छा, थैंक्स फ़ोर एवरीथिंग। मैं चलती हूँ।

मानो पहाड़ टूट गया मेरे ऊपर!
चली जायेगी तो हाथ से निकल ही जायेगी।
अरे प्रताप, हिम्मत करो, आगे बढ़ो, कुछ बोलो ताकि रुक जये।
इसकी चूत में अपना लंड नहीं डालना है क्या? चूत में लंड? इस ख्याल ने बड़ी हिम्मत दी।

“माफ़ कीजियेगा सना जी, आप जैसी खूबसूरत औरत को थोड़ा केयरफुल रहना चाहिये।” मैंने डरते हुए कहा।
“खूबसूरत?”

मैं थोड़ा सा घबराया, लेकिन फिर हिम्मत करके बोला- जी, खूबसूरत तो आप हैं ही। बुरा मत मानियेगा। आप प्लीज़ अब तो चाय पीकर ही जाइये।
“चाय, लेकिन बनायेगा कौन?”

“मैं जो हूँ, कम से कम चाय तो बना ही सकता हूँ।”

वह हंसते हुए बोली- ठीक है… लेकिन इतनी गर्मी में चाय की बजाय कुछ ठंडा ज्यादा मुनासिब होगा!
मैंने कहा- क्यों नहीं… क्या पीना पसंद करेंगी… नींबू शर्बत या पेप्सी… वैसे मैं भी आपके आने के पहले चिल्ड बीयर ही पी रहा था!

“तो फिर अगर आपको ऐतराज़ ना हो तो मैं भी बीयर ही ले लूँगी!”
मुझे उससे इस जवाब की उम्मीद नहीं थी लेकिन मुझे बहुत खुशी हुई।

मैंने उसे फिर बैठने को कहा और किचन में जाकर दो ग्लास और फ्रिज में से बीयर की दो ठंडी बोतलें निकाल कर ले आया।

हम दोनों बीयर पीने लगे और इधर मेरा लंड उबल रहा था।
पहली बार किसी औरत के साथ बैठ कर बीयर पी रहा था और वो भी इतनी सुंदर औरत – और मुझे पता नहीं था कि कैसे आगे बढ़ूँ।

तभी वो बोली- आप अकेले रहते हैं… शादी क्यों नहीं कर लेते?
मैंने जवाब दिया- जी, घर वाले तो काफी ज़ोर दे रहे हैं लेकिन कोई लड़की अभी तक पसंद ही नहीं आयी!

अब और हिम्मत करके मैंने कहा- सना जी, आप वाकयी में बहुत खूबसूरत हैं और बहुत अच्छी भी! आपके हसबैंड बहुत ही खुशनसीब इंसान हैं।

“आप प्लीज़ बार-बार ऐसे ना कहिये। और मुझे सना जी क्यों कह रहे हैं। मैं उम्र में आपसे बड़ी ज़रूर हूँ लेकिन इतनी ज़्यादा भी नहीं!” वो इतराते हुए अदा से मुस्कुरा कर बोली।

दोस्तो, यह हिंट काफ़ी था मेरे लिये!
मैं समझ गया कि ये अब चुदवाने को आसानी से तैयार हो जायेगी।

हमारी बीयर भी खत्म होने आयी थी।

“ठीक है, सना जी नहीं … सना … तुम भी मुझे आप-आप ना कहो! वैसे तुम कितनी खूबसूरत हो, मैं बताऊँ?”
“कहा तो है तुमने कई बार। अब भी बताना बाकी है?”

“बाकी तो है। अपनी बीयर खत्म करके बस एक बार अपनी आँखें बन्द करो … प्लीज़!”

दो-तीन घूँट में जल्दी से बीयर खतम करके उसने आँखें बंद की।

मैंने कहा- आँखें बंद ही रखना!

अब मैंने उसे कुहनी से पकड़ कर खड़ा किया और हल्के से मैंने उसके गुलाबी-गुलाबी नर्म-नर्म होंठों पर अपने होंठ रख दिये।
एक बिजली सी दौड़ गयी मेरे शरीर में! लंड एकदम तन गया और पैंट से बाहर आने के लिये तड़पने लगा।

उसने तुरन्त आँखें खोलीं और अवाक सी मुझे देखती रही और फिर मुस्कुरा कर और शर्मा कर मेरी बाँहों में आ गयी।
मेरी खुशी का ठिकाना ही नहीं रहा।
कस कर मैंने उसे अपनी बाँहों में दबोच लिया।

ऐसा लग रहा था बस यूँ ही पकड़े रहूँ।
फिर मैंने सोचा कि अब समय नहीं बर्बाद करना चाहिये।
पका हुआ फल है, बस खा लो।

तुरंत अपनी बाँहों में मैंने उसे उठाया (बहुत ही हल्की थी) और बेडरूम में लाकर बिस्तर पर लिटा दिया।

उसकी आँखों में प्यास नज़र आ रही थी।
साड़ी और सैंडल पहने हुए बिस्तर पर लेटी हुई वो प्यार भरी नज़रों से मुझे देख रही थी।

ब्लाऊज़ में से उसके बूब्स ऊपर नीचे होते हुए देख कर मैं पागल हो गया।
आहिस्ते से साड़ी को एक तरफ़ करके मैंने उसकी दाहिनी चूची को ऊपर से हल्के से दबाया।
एक सिरहन सी दौड़ गयी उसके शरीर में!

वो तड़प कर बोली- प्लीज़ प्रताप! जल्दी से! कोई आ ही ना जाये।

“घबराओ नहीं, सना डार्लिंग … बस मज़ा लेती रहो। आज मैं तुम्हे दिखला दूँगा कि प्यार किसे कहते हैं। खूब चोदूँगा मेरी रानी!” मैं एकदम फ़ोर्म में था।
यह कहते हुए मैंने उसकी चूचियों को खूब दबाया और होंठों को कस-कस कर चूसने लगा।

फिर मैंने कहा- चुदवाओगी ना?
आह! गज़ब की कातिलाना मुस्कुराहट के साथ बोली- प्रताप! तुम भी… बहुत बदमाश हो… तो क्या बीयर पी कर यहाँ तुम्हारे बिस्तर पे तीन पत्ती खेलने के लिये तुम्हारे आगोश में लेटी हूँ! अब इस भरी दोपहर में दर-दर भटकने की बजाय यही अच्छा है।

“सना रानी, बदमाश तो तुम भी कम नहीं हो!” और उसके नर्म-नर्म गालों को हाथ में ले कर होंठों का खूब रसपान किया।

मैं उसके ऊपर चढ़ा हुआ था और मेरा लंड उसकी चूत के ऊपर था।
चूत मुझे महसूस हो रही थी और उसकी चूचियाँ … गज़ब की तनी हुई … मेरे सीने में चुभ-चुभ कर बहुत ही आनंद दे रही थी।

दाहिने हाथ से अब मैंने उसकी बाँयी चूची को खूब दबाया और एक्साईटमेंट में ब्लाऊज़ के नीचे हाथ घुसा कर उसे पकड़ना चाहा।

“प्रताप, ब्लाऊज़ खोल दो ना!”

उसका यह कहना था और मैंने तुरन्त ब्लाऊज़ के बटन खोले और उसे घुमा कर साथ ही साथ ब्रा का हुक खोला और पीछे से ही उसके बूब्स को पूरा समेट लिया।

आहा … क्या फ़ीलिंग थी, सख्त और नर्म दोनों, गर्म मानो आग हो।
निप्पल एकदम तने हुए।

जल्दी-जल्दी मैंने ब्लाऊज़ और ब्रा को हटाया; साड़ी को परे किया और पेटीकोट के नाड़े को खोल कर उसे हटाया।

पिंक पैंटी और सफेद हाई-हील के सैंडल पहने हुए सना को नंगी लेटी हुई देख कर तो मैं बर्दाश्त ही नहीं कर सका।
मैंने अब अपने कपड़े जल्दी-जल्दी उतारे।

लंड तन कर बाहर आ गया और ऊपर की तरफ़ हो कर तड़पने लगा।

उसका एक हाथ लेकर मैंने अपने फड़कते हुए लंड पर रख दिया।

“उफ हायल्ला कितना बड़ा और मोटा है!” वह बोली और आहिस्ता-आहिस्ता लंड को आगे पीछे हिलाने लगी।

शादीशुदा औरत को चोदने का यही मज़ा है; कुछ सिखाना नहीं पड़ता।
वो सब जानती है और आमतौर पर शादी शुदा औरतें फैमली प्लैनिंग के लिये पिल्स या कोई और इंतज़ाम करती हैं तो कंडोम की भी ज़रूरत नहीं।

मैंने आखिर पूछ ही लिया- सना डार्लिंग, कंडोम लगाऊँ?
वो मुँह हिलाते हुए मना करते हुए खिलखिलायी- सब ठीक है। मैं पिल्स लेती हूँ।

मैंने अब उसके बदन से उस पिंक पैंटी को हटाया और इत्मीनान से उसकी चूत को निहारा।
एकदम साफ चिकनी सुंदर सी चूत थी। कुछ फूली हुई थी।

मैंने उसके ऊपर हाथ रखा और हल्के से दबाया।
अँगुली ऐसे घुसी जैसे मक्खन में छूरी।
रस बह रहा था और चूत एकदम गीली थी।

मैं जैसे सब कुछ एक साथ कर रहा था। कभी उसके होंठों को चूसता, चूचियों को दबाता – कभी एक हाथ से कभी दोनों से!
एकदम टाइट गोल और तनी हुई चूचियाँ।

उसके सोने जैसे बदन पर कभी हाथ फिराता।

फिर मैंने उसकी चूचियों को खूब चूसा और अँगुलियों से उसकी बूर में खूब अंदर बाहर करके हिलाया।

“सना, अब मैं नहीं रह सकता, अब तो चोदना ही पड़ेगा। कस-कस कर चोदूँगा मेरी रानी।”
पहली बार उसके मुँह से अब सुना- चोद दो ना प्रताप, बस अब चोद दो।

मज़ा लेते हुए मैंने पूछा- क्या चोदूँ जानेमन? एक बार फिर से कहो ना! तुम्हारे मुँह से सुनने में कितना अच्छा लग रहा है।
“अब चोदो ना … इस … इस चूत को!”

“अब मैं तेरी गर्म-गर्म और गुलाबी-गुलाबी बूर में अपना ये लंड घुसाऊँगा और कस-कस कर चोदूँगा।”

मैंने अपना लंड उसकी बूर के मुँह पर रखा और हल्के से धक्का दिया।
उसने अपने हाथों से मेरे लंड को पकड़ा और गाईड करते हुए अपनी चूत में डाल दिया।

दोस्तो, मानो मैं जन्नत में आ गया।
मैं बोल ही उठा- उफ़, क्या चूत है सना … मज़ा आ गया।
उसने भी उत्तेजित होकर कहा- चोद दो प्रताप … बस अब इस चूत को खूब चोदो।

दोस्तो … चूचियाँ दबाते हुए, होंठ चूसते हुए ज़ोर-ज़ोर से चोद-चोद कर ऐसा मज़ा मिल रहा था कि पता ही नहीं चला कि कब मैं झड़ गया।
झड़ते-झड़ते भी मैं उसे बस चोदता ही रहा और चोदता ही रहा।

“सना … बहुत मजेदार चुदाई थी यार! तुम तो गज़ब की चीज़ हो।”
“मुझे भी बेहद मज़ा आया, प्रताप।” वो कसकर मुझे पकड़ते हुए बोली।

उसकी चूचियाँ मेरे सीने से लग कर एक अलग ही आनंद दे रही थी।

दोस्तो, फिर बीस मिनट बाद पहले तो मैंने उसकी बूर को चाटा और उसने मेरे लंड को चूसा, हल्के-हल्के!
फिर हमने कस-कस कर चुदाई की और इस बार झड़ने में काफी समय लगा।

मैंने शायद उसकी चूचियाँ और चूत और होंठ और गाल के किसी भी अंग को चूसे बगैर नहीं छोड़ा।
इतना मज़ा पहले कभी नहीं आया था।
बस गज़ब की चीज़ थी वो औरत!

कपड़े पहनने के बाद मैंने पूछा- सना, अब तो तुम्हें और कई बार चोदना पड़ेगा। अपनी इस प्यारी सी चूत और प्यारी-प्यारी चूचियों और प्यारे-प्यारे होंठों और प्यारी-प्यारी सना डार्लिंग के दर्शन करवाओगी ना?

मैंने उसका फोन नंबर ले लिया और कह दिया कि मैं बता दूँगा जिस दिन मैं दिन में घर पे होऊँगा!

अब वह मुझसे फ़्री हो गयी थी और बोली- प्रताप, डोंट वरी, जब भी मुनासिब मौका मिलेगा खूब चुदाई करेंगे!

उसकी यह बात सुनते ही मैंने उसे एक बार और बाँहों में भींच लिया और उसके होंठों का एक तगड़ा चुंबन लिया।
फिर वो मेरे बंधन से आज़ाद होकर दरवाजे से बाहर निकल गयी।
कुछ दूर जाकर पीछे मुड़ी और एक मुस्कान बिखेर कर धीरे-धीरे मेरी आँखों से ओझल हो गयी। Hindi Sex Stories

TOTTAA’s Disclaimer & User Responsibility Statement

The user agrees to follow our Terms and Conditions and gives us feedback about our website and our services. These ads in TOTTAA were put there by the advertiser on his own and are solely their responsibility. Publishing these kinds of ads doesn’t have to be checked out by ourselves first. 

We are not responsible for the ethics, morality, protection of intellectual property rights, or possible violations of public or moral values in the profiles created by the advertisers. TOTTAA lets you publish free online ads and find your way around the websites. It’s not up to us to act as a dealer between the customer and the advertiser.

 

👆 सेक्सी कहानियां 👆